गुरुवार, 9 जुलाई 2020

पुलिस गिरफ्त से भागने की कोशिश कर रहे प्रभात मिश्रा को पुलिस ने मारी गोलो

पुलिस गिरफ्त से भागने का प्रयास कर रहे बदमाश प्रभात मिश्रा को यूपी पुलिस ने गोली मारी है। उसकी हालत नाजुक है। उसे अस्पताल में ले जाया गया है। बुधवार को यूपी व हरियाणा पुलिस ने प्रभात मिश्रा को फरीदाबाद से पकड़ा था।

प्रभात मिश्रा कानपुर शूटआउट कांड में शामिल था। वह विकास दुबे का साथी था।यूपी पुलिस की एसटीएफ और हरियाणा पुलिस ने फरीदाबाद की न्यू इंदिरा कॉलोनी से पकड़ा था। इसके बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया था। कोर्ट से यूपी पुलिस ने पूछताछ के लिए प्रभात को एक दिन के ट्रांजिट रिमांड पर लिया था। यूपी पुलिस उसे पूछताछ के लिए कानपुर ले गई थी। जानकारी मिल रही है कि रास्ते में पुलिस की गाड़ी पंचर हो गई थी। इसी दौरान प्रभात ने भागने की कोशिश की और पुलिस ने उसे गोली मार दी।



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फरीदाबाद से पकड़ा गया था प्रभात मिश्रा।


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दबंगई इतनी कि जेल में रहने के बाद भी चुनाव जीत जाते हैं, एक तो ये भी कहते हैं- हम बाहुबली नहीं जानबली हैं यानी जनता हमारे साथ है

कानपुर के बिकरु गांव में 8 पुलिसवालों की हत्या करने वाला गैंगस्टर विकास दुबे अब तक पुलिस की गिरफ्त से दूर है। विकास दुबे को लेकर इस समय उत्तर प्रदेश की सियासत भी गरमा गई है। हर तरफ यही बात चल रही है कि आखिर यूपी में कैसे ये हत्यारे और अपराधी पनपते हैं और राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते हैं।

इस समय उत्तर प्रदेश की विधानसभा में 8 विधायक ऐसे हैं, जिनपर हत्या या हत्या की कोशिश के गंभीर अपराध दर्ज हैं। इनमें से एक विधायक की तो पिछले साल हत्या के मामले की वजह से ही विधायकी भी जा चुकी है।

उन्हीं 8 विधायकों में से 5 बाहुबली विधायकों की कहानी...

1. विजय कुमार : कहते हैं मुझे बाहुबली नहीं, जानबली कहो
विजय कुमार या विजय मिश्रा एक ही हैं। यूपी में एक जिला है भदोही। यहां का धानापुर गांव, बनारस से महज 50 किमी की दूरी पर है। यही धानापुर गांव में विजय मिश्रा का जन्म हुआ था। 1980 के दशक में काम के लिए गांव से निकलकर भदोही आ गए। यहां आकर पहले पेट्रोल पंप शुरू किया और फिर उनके ट्रक चलने लगे।

विजय मिश्रा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से शुरू की थी। 90 के दशक में उनकी राजीव गांधी से भी नजदीकियां थीं, लेकिन उनके जाने के बाद मिश्रा का कांग्रेस से साथ छूट गया और वो नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के संपर्क में आ गए।

2001 में उन्हें पहली बार सपा ने विधायक का टिकट दिया। लेकिन, एक शर्त भी रखी और वो शर्त ये थी कि उन्हें ज्ञानपुर के साथ-साथ हंडिया, भदोही और मिर्जापुर के सपा उम्मीदवारों को जितवाना होगा। साथ ही भदोही लोकसभा सीट भी जितवाएंगे। इत्तेफाक से ये सभी सीटें सपा जीत भी गई।

विजय कुमार भदोही जिले की ज्ञानपुर सीट से विधायक हैं। उनके ऊपर 16 आपराधिक मामले दर्ज हैं।

उसके बाद 2007 का चुनाव भी मिश्रा जीत गए। 2012 का भी जीत गए। लेकिन 2017 के चुनाव से पहले अखिलेश यादव अपनी बाहुबली-विरोधी छवि को मजबूत करना चाहते थे। लिहाजा, अखिलेश ने मिश्रा का टिकट काट दिया।

सपा से टिकट कटने के बाद विजय मिश्रा निषाद पार्टी की टिकट पर ज्ञानपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़े और जीतकर भी आए। हालांकि, जिस पार्टी से उन्होंने 2017 का चुनाव जीता था, उस पार्टी को वो छोड़ चुके हैं।

एक समय था जब विजय मिश्रा पर 60 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज थे। लेकिन, 2017 के विधानसभा चुनाव में दाखिल उनके हलफनामे में उन्होंने खुदके ऊपर 16 आपराधिक मामले होने की बात मानी थी। हालांकि, इसके बाद भी विजय इन आपराधिक मामलों को विपक्ष की साजिश बताते हैं।

विजय मिश्रा पर हत्या और हत्या की कोशिश जैसे आपराधिक मामले दर्ज हैं। आज से 10 साल पहले जुलाई 2010 में बसपा सरकार में नंद कुमार नंदी पर जानलेवा हमला हुआ था। नंद कुमार अभी योगी सरकार में मंत्री हैं। 12 जुलाई 2010 को नंदी की हत्या के इरादे से एक बम विस्फोट किया गया। इस धमाके में नंदी तो बाल-बाल बच गए, लेकिन उनके सिक्योरिटी गार्ड और एक पत्रकार की मौत हो गई।

एक इंटरव्यू में विजय मिश्रा ने कहा था कि उन्हें बाहुबली नहीं बल्कि जानबली कहा जाए। जानबली यानी जिसके साथ जनता का बल हो। विजय मिश्रा यूपी के कितने बड़े बाहुबली हैं, इसका अंदाजा इससे भी लगा लीजिए कि जिस 2017 के चुनाव में पूरी यूपी में मोदी लहर चल रही थी। भाजपा 312 सीट जीत चुकी थी। उसी चुनाव में विजय मिश्रा लगातार चौथी बार विधायक बनकर आए।

2. अशोक सिंह चंदेल : 23 साल पहले भरे बाजार में 5 लोगों को गोली मार दी
उत्तर प्रदेश में एक जिला है हमीरपुर। इसी जिले में एक विधानसभा सीट है, जिसका नाम भी हमीरपुर है। इसी सीट से एक भाजपा के विधायक थे अशोक सिंह चंदेल। ये 2017 में इसी सीट से चुनकर आए थे, लेकिन पिछले साल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें 23 साल पुराने एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुना दी और उनकी विधायकी रद्द कर दी।

उन्हें इसी मामले में 2002 में बरी भी कर दिया गया था, लेकिन 2019 में फिर दोष साबित हो ही गया। 2017 के चुनाव में दिए हलफनामे में उन्होंने अपने ऊपर 9 आपराधिक मामले दर्ज होने की बात मानी थी। इसमें हत्या, किडनैपिंग जैसे अपराध भी थे।

अशोक चंदेल 2017 में हमीरपुर से विधायक बने थे। लेकिन, 23 साल पुराने मामले में सजा मिलने से उनकी विधायकी रद्द हो गई।

अशोक चंदेल को जिस मामले के लिए सजा मिली है, वो 26 जनवरी 1997 का है। उस दिन अशोक चंदेल अपने कुछ साथियों के साथ हमीरपुर के सुभाष नगर पहुंचा। यहां पहुंचकर उसने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी राजेश शुक्ल समेत 5 लोगों को सरेआम गोली मार दी।

इस पूरे मामले के एकमात्र चश्मदीद गवाह राजीव शुक्ल ने अशोक चंदेल समेत 10 लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया। मामले में कार्रवाई भी हुई। कुछ समय तक अशोक जेल में भी रहे। लेकिन 1999 में जब अशोक जेल में थे, तभी बसपा ने उन्हें हमीरपुर लोकसभा सीट से लड़वा दिया। वो जीत भी गए और जेल में ही रहते-रहते लोकसभा भी पहुंच गए।

लेकिन, कभी सांसद और विधायक रहे अशोक चंदेल पर सिर्फ यही एक मामला नहीं है। उनके ऊपर कानपुर के किदवई नगर में रणधीर गुप्ता नाम के कारोबारी के हत्या के साथ-साथ एक सीओ के साथ दबंगई दिखाने का मामला भी दर्ज है।

3. इंद्र प्रतापतिवारी : हत्या का मामला था, फिर भी टिकट मिला, लेकिन हार गए
इंद्र प्रतापतिवारी उर्फ खब्बू तिवारी। अभी अयोध्या की गोसाईगंज सीट से भाजपा के विधायक हैं। लेकिन, पहले सपा से जुड़े थे। खब्बू तिवारी पर हत्या, हत्या की कोशिश, किडनैपिंग और एक्स्टॉर्शन समेत कई आधे दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हैं।

तिवारी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कॉलेज से ही कर दी थी। वो छात्रसंघ चुनावों से ही सक्रिय राजनीति में जाना चाहते थे। खब्बू तिवारी की लोकप्रियता युवाओं में ज्यादा है, जिसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि छात्रसंघ में आज भी साकेत काॅलेज में उनसे मिलकर सभी छात्र नेता चुनाव लड़ते हैं।

इंद्र प्रताप तिवारी ने 2017 में जनता से वादा किया था कि जब तक जीत नहीं जाते, तब तक शादी नहीं करेंगे। और चुनाव जीतने के बाद ही उन्होंने शादी की। उनकी शादी के रिसेप्शन में 1.5 लाख से ज्यादा लोग आए थे।

खब्बू तिवारी 2007 में सपा की टिकट पर गोसाईगंज से चुनाव लड़ रहे थे। उस समय उनके प्रचार में अखिलेश यादव ने ये तक कह दिया था कि खब्बू तिवारी की उम्र में हर किसी से गलती होती है, लेकिन अगर जनता इन्हें मौका देगी तो ये गलती नहीं दोहराएंगे। तिवारी पर एक मुस्लिम ठेकेदार नैयर इकबाल की हत्या का मामला दर्ज है।

इसके अलावा दिसंबर 2018 में भी ठेकेदार अजय प्रताप सिंह की घर में घुसकर गोली मारकर हत्या करने का आरोप भी है। हालांकि, बाद में फॉरेन्सिक रिपोर्ट में सामने आया था कि अजय प्रताप सिंह ने घर पर ही आत्महत्या कर ली थी।

खब्बू तिवारी 2007 में सपा की टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। 2012 में बसपा की टिकट चुनाव लड़े और फिर हार गए। उसके बाद 2017 में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े और जीत गए।

4. सुरेश्वर सिंह : एक ही परिवार के तीन लोगों की हत्या का मामला था, अब बरी हो गए
भाजपा के सुरेश्वर सिंह यूपी के बहराइच जिले की महसी विधानसभा सीट से विधायक हैं। वो यहां से 2017 में दूसरी बार विधायक चुने गए। 2017 में दाखिल एफिडेविट के मुताबिक, सुरेश्वर सिंह पर 6 आपराधिक मामले दर्ज हैं। उन पर हत्या और हत्या की कोशिश जैसे गंभीर मामले भी हैं। हालांकि, पिछले साल बहराइच की एक अदालत ने उन्हें 24 साल पहले हुए ट्रिपल मर्डर केस से बरी कर दिया था।

दरअसल, 29 जून 1995 को सिसैया चूणामणि गांव के पूर्व प्रधान गोकरन सिंह अपने भाई अमिरका सिंह और भतीजे बजरंगी सिंह के साथ एक जमीन की रजिस्ट्री करवाकर अपने घर लौट रहे थे। तभी रास्ते में घात लगाकर बैठे बदमाशों ने तीनों को गोलियों से भून डाला था। इसमें तीनों की मौत हो गई थी।

भाजपा विधायक सुरेश्वर सिंह पर 24 साल से ट्रिपल मर्डर का केस चल रहा था। पिछले साल ही उन्हें इस मामले में बरी किया गया है।

इस पूरे मामले में विधायक सुरेश्वर सिंह, उनके बड़े भाई बृजेश्वर सिंह समेत 11 लोगों को आरोपी बनाया गया था। हालांकि, समय के साथ दो आरोपी की मौत भी हो गई। करीब 24 साल तक ये मुकदमा अदालत में चलता रहा और पिछले साल सितंबर में बहराइच की एडीजे कोर्ट ने सुरेश्वर सिंह को बरी कर दिया। हालांकि, उनके बड़े भाई बृजेश्वर सिंह समेत 5 को इस मामले में उम्रकैद की सजा हुई है।

अपने ऊपर हत्या का मामला होने के बाद भी सुरेश्वर सिंह की राजनैतिक शख्सियत परवान चढ़ती गई। वो दो बार विधायक बन गए। उनके भाई बृजेश्वर ग्राम की पत्नी प्रधान से ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी तक पहुंच गई।

5. मुख्तार अंसारी : 15 साल से जेल में, लेकिन फिर भी चुनाव जीतता है
यूपी में अपराध की दुनिया में मुख्तार अंसारी एक बड़ा नाम है। उसे बाहुबली नेता के रूप में जाना जाता है। मुख्तार लगातार पांच बार से विधायक है और पिछले 15 सालों से जेल में बंद है। उस पर मर्डर, किडनैपिंग और एक्सटॉर्शन जैसे मामलों में 40 से ज्यादा केस उसके खिलाफ दर्ज हैं।

उसकी दबंगई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह जेल में रहते हुए भी चुनाव जीतता है और अपने गैंग को भी चलाता है। मुख्तार का जन्म यूपी के गाजिपुर जिले में हुआ था। उसके दादा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे तो पिता कम्युनिस्ट नेता थे।

यूपी की राजनीति में मुख्तार अंसारी का नाम सबसे बड़े माफिया में गिना जाता है। वो इतना बड़ा बाहुबली है कि पिछले 15 साल से जेल में है, लेकिन हर बार चुनाव जीतता आ रहा है।

मुख्तार को छात्र जीवन से ही दबंगई पसंद थी। 1988 में मुख्तार का नाम पहली बार हत्या के एक मामले से जुड़ा। हालांकि, सबूतों के अभाव में वह बच निकला। इसके बाद 90 के दशक आते-आते वह ज़मीन के कारोबार और ठेकों की वजह से पूर्वांचल में अपराध की दुनिया में अपनी पैठ बना चुका था। 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से भी अंसारी का नाम जुड़ा था। (मुख्तार अंसारी के बारे में और जानने के लिए यहां क्लिक करें)

#1. उत्तर प्रदेश या अपराध प्रदेश? / देशभर में सबसे ज्यादा क्राइम यूपी में दर्ज होते हैं; ड्यूटी में सबसे ज्यादा जान भी यहीं के पुलिसवालों की गई
#2. यूपी के 5 बड़े गैंगस्टर्स की कहानी / किसी ने 22 ठाकुरों को लाइन में खड़ा कर मार दी गोली तो किसी ने मुख्यमंत्री की हत्या की सुपारी ली थी
#3. यूपी के 5 बड़े माफिया की कहानी / इन पर हत्या, लूट और वसूली के 200 से ज्यादा मामले, कोई 5 बार विधायक रहा तो कोई 24 साल से लगातार जीत रहा चुनाव



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Uttar Pradesh Criminal Politicians/UP MLA List Updated | Mukhtar Ansari, Vijay Kumar, Ashok Kumar Singh Chandel, Sureshwar Singh


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24 घंटे में रिकॉर्ड 25548 मरीज बढ़े, देश में अब तक 7.69 लाख केस; दिल्ली में स्वस्थ हुए मरीजों की दर 74% से ज्यादा

देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 7 लाख 69 हजार 41 हो गई है। बुधवार को 25 हजार 548 मामले सामने आए। यह आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं। उधर, दिल्ली में रिकवरी रेट 74.57% से ज्यादा हो गया है। राज्य में 1 लाख 4 हजार 864 केस हैं। इनमें से 78 हजार 199 मरीज ठीक हो गए हैं।

उधर, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि गुरुवार शाम 5 बजे से राज्य के कंटेनमेंट जोन में लॉकडाउन लागू हो जाएगा। फिलहाल यह सिर्फ7 दिन के लिए होगा। यदि जरूरत पड़ती है तोइसे और बढ़ाया जा सकता है। मध्य प्रदेश में बढ़ रहे कोरोना के मामलों को देखते हुएगृह मंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बुधवार कोकहा कि अबरविवार को पूरे मध्यप्रदेश में टोटललॉकडाउन रहेगा।दूसरे प्रदेशों से आ रहे लोगों से प्रदेश की परिस्थितिबदल रही है। प्रदेश में आने-जाने वाले लोगों की बॉर्डर पर जांच होगी।

5 राज्यों का हाल
मध्यप्रदेश:
राज्यमें मंगलवार को409 मरीज मिले।स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक,एमपी में11768 मरीज स्वस्थ हो गए हैं।इसके साथ रिकवरी रेट75%तक पहुंच गया है।कोरोना कंटेनमेंट जोन की संख्या बढ़कर 1262 हो गई है।वहीं, प्रदेश में अब तक 4 लाख 27 हजार 143 सैंपल्स की जांच की गई है।

महाराष्ट्र:महाराष्ट्र में बुधवार सुबह से लॉज और होटल खुल गए हैं। सरकार ने 33% स्टाफ के साथ खोलने की मंजूरी दी है। वहीं, इनमें ठहरने वालों के लिए गाइडलाइंस तय की गई हैं। हालांकि, अभी रेस्टारेंट पर पाबंदी जारी रहेगी। उधर, सरकार ने गुरुवार से पूरे राज्य में दुकान खोलने के समय को 2 घंटे बढ़ा दिया है। पहले सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खोलने का समय तय किया गया था। औरंगाबाद में 2 दिन में दो पार्षदोंकी मौत हो गई।

उत्तरप्रदेश: राज्य में बुधवार सुबह 56 पॉजिटिव मिले। मिर्जापुर में 45, सहारनपुर में 7, वाराणसी में 2, बस्ती और सिद्धार्थनगर में एक-एक पॉजिटिव मिला। वाराणसी जिले में संक्रमितों की संख्या 668 हो गई है। मरीजों में एक विधायक भी शामिल हैं। सहारनपुर मे एक हफ्ते के लिए जिले के सभी बाजार हफ्ते में छह दिन सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक खोले जाएगे। मंगलवार को पूरा मार्केट बंद रहेगा।

राजस्थान: राज्य में बुधवारकोस सामने आए। अलवर में 81, जयपुर में 34, कोटा में 12, भीलवाड़ा में 11, राजसमंद में 10, नागौर और बीकानेर में 8-8, चूरू में 3, अजमेर और उदयपुर में 2-2, डूंगरपुर और झालावाड़ में 1-1 संक्रमित मिला। इसके साथ संक्रमितों की संख्या 21 हजार 577 पर पहुंच गई है। वहीं, जयपुर में 2, बीकानेर, दौसा, जोधपुर और सवाई माधोपुर में 1-1 ने दम तोड़ दिया। राज्य में कुल मौत का आंकड़ा 478 पहुंच गया है।

बिहार:राज्य में बुधवार दोपहर तक 749 मरीज मिले। सिर्फपटना जिले में 235 मामले सामने आए। इनमें ज्यादातर पटना सिटी इलाके के हैं। इसके साथ जिले में संक्रमितों की संख्या 1349 हो गई है। वहीं, 13 मरीज दम तोड़ चुके हैं। उधर, बेगुसराय में 67, भागलपुर में 50, गोपालगंज में 61, नवादा में 36 और सीवान में 20 लोगों को संक्रमित होने की जानकारी मिली।



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यह फोटो दिल्ली स्थित एलएनजेपी हॉस्पिटल के पास शहनाई वैंक्वेट हॉल की है। यहां अस्थायी कोविड सेंटर बनाया गया। मेडिकल स्टाफ ने यहां मरीजों के लिए चेस और लूडो के साथ अन्य खेलों का इंतजाम किया है।


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मूसलाधार बारिश के बाद शिमला ने ओढ़ी बादलों की चादर, मध्य प्रदेश में कीचड़ भरे रास्ते पर बैलगाड़ी से किताबें लेकर स्कूल पहुंचा एक शिक्षक

शिमला समेत प्रदेश के चार जिलों में बीते 24 घंटे के दौरान जिला शिमला, सोलन, मंडी, सिरमौर और चंबा में मूसलाधार बारिश हुई। इससे तापमान में गिरावट आने से लोगों को भी उमस भरी गर्मी से काफी राहत मिली है।भारी बारिश के कारण सोलन में एक काऊशैड को नुकसान पहुंचा है और शिमला में तारादेवी के पास लिंक रोड बंद हुआ है। बारिश के बाद मौसम सुहावना हो गया और शिमला शहर ने बादलों को चादर ओढ़ ली।

कीचड़, दो पहिया वाहन नहीं पहुंच सकता स्कूल

मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के बरेली में बच्चों के भविष्य बनाने के लिए शिक्षकों को अब बैलगाड़ी से सफर करना पड़ रहा है। खमरिया गांव से प्राथमिक शाला सालेगढ़ तक पहुंचने वाला रास्ता कच्चा होने से कीचड़ में तब्दील हो गया है, ऐसी स्थिति में कच्चे रास्ते में दो पहिया वाहन चलाना मुश्किल है। ऐसी स्थिति में शिक्षक नीरज सक्सेना को बच्चों को बांटे जाने वाली किताबों को बैलगाड़ी में रखकर स्कूल लाना पड़ी।

शिक्षक ने संकुल केंद्र से किताबें उठाने के बाद वह उन्हें ऑटो से लेकर खमरिया गांव पहुंचा। यहां पर गांव से बैलगाड़ी बुलवाई, फिर उसमें किताबों को रखकर गांव पहुंचा। स्कूल में 94 बच्चे अध्ययनरत है, जिनमें से 85 बच्चों को किताबें बांटी गई।

घर को गोदाममें किया तब्दील

फोटो राजस्थान के अलवर की है। बरसाती मौसम में प्याज को हवा भी चाहिए और पानी से भी बचाना है। इसलिए चार महीने के लिए किसानों के घर ही गोदाम बन जाते हैं। दरअसल, जनवरी में प्याज के कण यानी बीज को खेतों में बोया जाता है। इसलिए किसान अप्रैल में इससे बनी पौध को खेतों से निकालकर घरों में ले आते हैं।

साथ ही प्याज की गंठी (सूखे प्याज की गठान) बनाकर कमरों और दीवारों पर लटका देते हैं ताकि इनको हवा लगती रहे। फिर अगस्त में इन्हें खेतों में बोया जाता है, जिसके बाद दीपावली के आसपास ये प्याज बनकर तैयार हो जाती है। फिर किसान इन्हें बेचने के लिए मंडी ले जाते हैं।

मंडप में अचानक पहुंची प्रेमिका तो दूल्हे ने दोनों से रचाई शादी

मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के बगडोना में मंगलवार को एक दूल्हे ने दो दुल्हनों के साथ फेरे ले लिए। दरअसल, गांव के संदीप उइके की शादी होशंगाबाद की लड़की से हो रही थी। इस दौरान कतिया कोयलारी गांव में रहने वाली उसकी प्रेमिका भी मौके पर पहुंच गई। हंगामे के बाद आदिवासी समाज की पंचायत बैठी और सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया। घोड़ाडोंगरी जनपद उपाध्यक्ष मिश्रीलाल परते ने इसकी पुष्टि की है।

कोरोना काल:मास्क और सोशल डिस्टेंसिंगकी अनदेखी

मध्यप्रदेश के श्योपुर में बुधवार को बाजार में जिला मुख्यालय पर एक ही बाइक पर तीन बच्चों सहित छह लोग सवारी करते दिखे। कोरोना से बचाव के प्रति लोगों की लापरवाही की हद तो तब दिखी जब इनमें से किसी ने भी मास्क नहीं पहना था। वहीं पुलिस अथवा प्रशासन ने भी बाइक सवार पर कोई कार्रवाई नहीं की।

पिछले साल की तुलना में इस बार 83% ज्यादा बारिश

भोपाल और आसपास के क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश का असर बड़े तालाब पर देखने को मिल रहा है। बुधवार को तालाब का लेवल 1662.75 पर रहा। पिछले साल की तुलना में इस बार 83% ज्यादा बारिश हुई। इसके अलावा संक्रमण काल के दौरान चले लॉकडाउन के कारण पानी की खपत भी ज्यादा नहीं हुई।
फरवरी से कमल खिलना कम हो जाते हैं

फोटो मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी के नाम से जानी जाने वालीइंदौर के गुलावट की है। यहां जुलाई में भी कमल खिले हैं। कलम खिलने का सीजन फरवरी तक माना जाता है, लेकिन इस बार अभी भी फूलों की बहार है।

औसत से 400 मिलीमीटर अधिक बारिश हुई

छत्तीसगढ़ के अविभाजित बिलासपुर जिले का मनियारी(मुंगेली) जलाशय मंगलवार को फुल हो गया और इसके वेस्ट वेयर से तीव्र प्रवाह के साथ दूधिया धार बह निकली। बांधों में अमूमन यह नजारा अगस्त, सितंबर के महीने में देखने को मिलता था, परंतु इस बार साल 2019 में औसत से 400 मिलीमीटर अधिक बारिश होने के कारण बांध में पहले से ही 70-80 फीसदी पानी भरा था। लिहाजा बारिश के 20-22 दिनों में मनियारी फुल हो गया। प्रदेश के 11 बड़े बांधों में लबालब होने वाला यह पहला बांध है। मध्यम आकार के खम्हारपाकुट (रायगढ़) और दुर्ग का खपरी जलाशय भी फुल हो चुका है।

पांडवों ने निर्वासन के दौरान काफी समय बिताया था

फोटो मध्यप्रदेश के छतरपुर की है। मानसून सीजन में पन्ना टाइगर रिजर्व के झरने पूरे शबाब पर आ गए हैं। पर्यटकों को सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाले पांडव फॉल में पानी का स्तर बहुत तेज हो गया है। हरे-भरे जंगल के बीच ऊंचाई से गिरते हुए झरने की खूबसूरती लोगों को लुभा रही है। किवदंती है कि यहां पांडवों ने निर्वासन के दौरान काफी समय बिताया था।

खतरे के बीच लोग पार कर रहे नाला

छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार पलारी जिले में लगातार बारिश के चलते खपरी-अमेरा के बीच खोरसी नाला उफान पर है। लेकिन फिर भी लोग जान जोखिम में डालकर इसे पार कर रहे हैं। कुछ दिनों से पानी पुल के ऊपर बह रहा है। तेज बारिश के बाद लोगों को मजबूरी में इस पुलिया को पार करना पड़ता है।



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After the torrential rains, Shimla reached the school carrying books from a bullock cart on a sheet of cloud covered with mud,


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कोरोना के बाद की दुनिया में भारत को ज्यादा इनोवेटिव स्कूलों की जरूरत होगी, यह तभी होगा जब हम निजी स्कूलों को ज्यादा आजादी देंगे

विदुर महाभारत में कहते हैं, ‘उनसे सावधान रहो, जो कहते कुछ हैं, करते कुछ हैं।’ वे राजा धृतराष्ट्र को ढोंगियों से बचने की सलाह दे रहे थे लेकिन वे भारतीय शिक्षा संस्थानों के बारे में भी यह कह सकते थे, जिनका ढोंग झूठे मिथकों में निहित है। इस ढोंग को कोरोना के बाद की दुनिया में चुनौती मिलेगी, जहां केवल सक्षम और कुछ नया करने वाले ही बचेंगे। दुर्भाग्य से जल्द आने वाली नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने इस हकीकत का सामना नहीं किया है।

हमारा एक मिथक यह है कि जनता के हित के लिए सरकार ही शिक्षा दे। इसलिए, निजी स्कूलों को दो आधारों पर ही बर्दाश्त करना चाहिए: 1) एक ढोंगपूर्ण झूठ जो उन्हें फायदा कमाने से रोकता है; (2) निजी स्कूल सही ढंग से चलें, इसलिए उन्हें लाइसेंस राज की जंजीरों में जकड़े रहना चाहिए। यह मिथक इस गलत धारणा पर आधारित है कि आधुनिक देशों में शिक्षा सरकार ही देती है। जबकि अमेरिका, ब्रिटेन और स्कैंडिनेवियाई देशों में हुए शिक्षा सुधारों में निजी संस्थानों का बढ़ावा दिया है।

इस मिथक के लिए भारत ने सरकारी स्कूलों पर भारी निवेश किया है। लेकिन नतीजा दयनीय रहा है। भारत के बच्चे अंतरराष्ट्रीय पीआईएसए टेस्ट में 74 देशों में 73वें पायदान पर रहे। पांचवी कक्षा के आधे से ज्यादा बच्चे दूसरी कक्षा की किताब के जोड़-घटाने के सवाल नहीं हल कर सकते। कुछ राज्यों में 10% से भी कम शिक्षक टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट पास हैं। उप्र और बिहार में चार में से तीन शिक्षक प्रतिशत वाले सवाल हल नहीं कर सकते। एक औसत सरकारी स्कूल में चार में से एक शिक्षक गैरकानूनी ढंग से अनुपस्थित रहता है।

इस दु:खद परिस्थिति के कारण सरकार के डीआईएसई डेटा के मुताबिक 2010-11 और 2017-18 के बीच 2.4 करोड़ बच्चे सरकारी स्कूल छोड़ निजी स्कूलों में चले गए। आज भारत के 47% (करीब 12 करोड़) बच्चे निजी स्कूलों में है। यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा प्राइवेट स्कूलिंग नेटवर्क है। इस निजी सिस्टम में 70% माता-पिता रु.1000 प्रतिमाह से कम फीस देते हैं और 45% रु.500 से भी कम। इससे यह मिथक टूट जाता है कि निजी स्कूल अमीरों के लिए हैं।

जिस तेजी से सरकारी स्कूल खाली हो रहे हैं, 1,30,000 निजी स्कूलों की जरूरत है। अच्छे निजी स्कूलों की कमी के पीछे तीन कारण हैं। पहला है लाइसेंस राज। एक ईमानदार व्यक्ति के लिए स्कूल खोलना मुश्किल है। अलग-अलग राज्यों में 35 से 125 अनुमतियां रिश्वत देकर लेनी पड़ती हैं। सबसे ज्यादा रिश्वत अनिवार्यता प्रमाणपत्र (यह साबित करने के लिए कि स्कूल की जरूरत है) और मान्यता के लिए देनी पड़ती है। प्रक्रिया में 5 साल तक लग सकते हैँ।

दूसरा कारण वित्तीय है। स्कूल चलाना लाभप्रद नहीं रहा। समस्या शिक्षा का अधिकार अधिनियम से शुरू हुई, जब सरकार ने निजी स्कूलों में 25% सीटें गरीबों के लिए आरक्षित कर दीं। यह अच्छा विचार था लेकिन बुरी तरह लागू हुआ। चूंकि राज्य सरकारें निजी स्कूलों को उचित मुआवजा नहीं देतीं, इसलिए बाकी 75% छात्रों की फीस बढ़ जाती है। इसका माता-पिता विरोध करते हैं और कई राज्य फीस नियंत्रण लागू कर देती हैं, जिससे स्कूलों की वित्तीय सेहत बिगड़ती है। फिर स्कूल कटौती करते हैं और गुणवत्ता कम हो जाती है। कुछ स्कूल तो बंद ही हो गए। महामारी के बाद और होंगे।

एक ईमानदार व्यक्ति के स्कूल न खोलने के पीछे तीसरा कारण है राष्ट्रीय ढोंग। कानून निजी स्कूल को फायदा कमाने से रोकता है, लेकिन ज्यादातर कमाते हैं। शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं में केवल भारत ही लाभ के लिए शिक्षा देने की अनुमति नहीं देता। इस दिखावे को खत्म होना चाहिए। इसे ‘गैर-लाभकारी’ से ‘लाभकारी’ क्षेत्र बनाकर क्रांति ला सकते हैं। शिक्षा में निवेश आएगा जिससे विकल्प और गुणवत्ता में सुधरेगी। कालेधन पर रोक लगेगी। माता-पिता जैसे पानी, बिजली या इंटरनेट के लिए पैसे देते हैं, बेहतर शिक्षा के लिए भी देंगे।

ईमानदार निजी स्कूली शिक्षा के लिए लाइसेंस राज भी हटाना होगा। स्कूलों को आधुनिक देशों जैसी स्वायत्तता देनी होगी। स्कूल कोरोना के बाद तकनीक में तभी निवेश करेंगे जब वेतन, फीस तथा पाठ्यक्रम से जुड़ी आजादी होगी। निजी स्कूल सेक्टर, सरकारी स्कूलों की एक-तिहाई लागत में बेहतर नतीजे दे सकता है। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों का वेतन बहुत बढ़ा है। जबकि समाज के लिए एक निजी स्कूल की लागत कम आएगी। उप्र में 2017-18 में जूनियर शिक्षक का शुरुआती वेतन रु.48,918 प्रतिमाह था, जो उप्र की प्रति व्यक्ति आय से 11 गुना था।

नई शिक्षा नीति पुरानी की ही तरह असफल रह सकती है। भारतीय शिक्षा में सुधार के दो उद्देश्य होने चाहिए: 1) सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता सुधारना; 2) निजी स्कूलों को स्वायत्तता देना। सरकार को अपने दो कार्य अलग-अलग कर देने चाहिए: 1) शिक्षा नियमन; 2) सरकारी स्कूल चलाना। कोरोना के बाद की दुनिया में भारत को ज्यादा इनोवेटिव स्कूलों की जरूरत होगी। यह तभी होगा जब हम निजी स्कूलों को ज्यादा आजादी देंगे। ये कदम ढोंग को खत्म करने में मदद करेंगे और हमें ज्यादा ईमानदार बनाएंगे। (ये लेखक के अपने विचार हैं)



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स्तंभकार व लेखक


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यदि भारत-चीन मिलकर काम करें तो 21वीं सदी को एशियाई सदी बनने से कोई रोक नहीं सकता; सीमा विवाद के स्थायी हल के लिए अब चीनी पहल जरूरी

मैंने 25 जून के ‘भास्कर’ में लिखा था कि गलवान घाटी में हुई मुठभेड़ भारत और चीन के नेताओं की सोची-समझी साजिश नहीं लगती। यह मामला शीर्ष नेताओं की बातचीत से हल हो सकता है। अब यही हुआ है। यह ठीक है कि हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल नेता नहीं हैं लेकिन उनकी हैसियत एक केंद्रीय मंत्री की तो है ही।

हमारे विदेश मंत्री जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री से दो बार बात की और तीन बार दोनों देशों के जनरलों की बात हुई लेकिन बात सिरे चढ़ी डोभाल और वांग यी के लंबे संवाद के बाद! वांग यी चीन के सिर्फ विदेश मंत्री ही नहीं हैं, वे ‘स्टेट काउंसलर’ हैं और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आत्मीय हैं।

गलवान घाटी में 15 जून को जो मुठभेड़ हुई थी, उस पीपी 14 नामक स्थान से चीनी फौजें वापस हट रही हैं, वहां ठोके हुए तंबू और डटाई हुई फौजी जीपें पीछे हटाई जा रही हैं। यही प्रक्रिया गोगरा-हाॅट झरनों और पेंगांग झील के आस-पास के इलाके में दोहराई जा रही है। भारत भी समान रूप से फौजें पीछे हटा रहा है ताकि दोनों फौजों के बीच चार किमी का एक खाली (बफर) क्षेत्र तैयार हो जाए।

वास्तविक नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ यह खाली-क्षेत्र इतना निरापद रहा है कि पिछले 40-45 साल में दोनों सेनाओं के बीच कोई बड़ी खूनी मुठभेड़ कभी नहीं हुई थी। इसका उदाहरण अपनी मुलाकातों में मैं हमेशा पाकिस्तान के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और फौजी जनरलों को देता था और उनसे कहता था कि चीन के साथ 3500 किमी की अनिश्चित सीमा रेखा पर शांति बनी हुई है तो आपकी और हमारी सुनिश्चित सीमा होने पर भी वहां निरंतर घुसपैठ, मुठभेड़ और आतंकवाद की घटनाएं क्यों होती रहती हैं?

भारत और चीन के सैनिक अपनी नियंत्रण रेखा का उल्लंघन साल में सैकड़ों बार जाने-अनजाने करते रहते हैं लेकिन मुठभेड़ की यह नौबत 15 जून को कई दशकों बाद आई। अब उम्मीद करनी चाहिए कि दोनों पक्ष वैसी स्थिति बहाल कर लेंगे, जैसी अप्रैल में थी। यदि वैसा हो जाता है तो भारत-चीन इस सीमा-विवाद के स्थायी हल की तरफ बढ़ सकते हैं।

यह ठीक है कि चीन के अरुणाचल संबंधी दावे पर भारत टस से मस नहीं हो सकता और अक्साई चिन पर चीन ढील नहीं दे सकता। फिर भी दोनों देश बातचीत के द्वारा ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा’ (एलएसी) को वास्तविक बना सकते हैं। अभी वह अस्पष्ट और अपरिभाषित है।

यह आशा इसलिए बंधती है कि गलवान घाटी की गर्मागर्मी में भी दोनों देशों के शीर्ष नेताओं ने असाधारण संयम का परिचय दिया। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में क्या कभी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का नाम भी लिया? कभी नहीं। उधर शी जिनपिंग के मुंह से एक शब्द भी हमने भारत के खिलाफ नहीं सुना। क्या इसका अर्थ यह नहीं कि दोनों नेताओं की जानकारी के बिना ही गलवान-मुठभेड़ हो गई थी। ज़रा याद करें 1962 के दिनों में दिए गए नेहरु, चाऊ एन लाई और माओत्से तुंग के बयानों को।

इतना ही नहीं, मोदी ने अपने भाषणों में चीन का नाम लिए बिना विस्तारवादी प्रवृत्तियों की आलोचना जरूर की लेकिन मोदी या किसी मंत्री या किसी भाजपा नेता ने चीनी माल के बहिष्कार की घोषणा नहीं की। भाजपा कार्यकर्ताओं ने चीनी राष्ट्रपति के पुतले नहीं फूंके और चीनी माल की होली नहीं जलाई। वे हमारे टीवी चैनलों के अति उत्साही एंकरों की तरह चीखने-चिल्लाने पर उतारू नहीं हुए। हां, चीन के सरकारी टीवी चैनल और सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने भारत के विरुद्ध कुछ फूहड़ टिप्पणियां जरूर कीं लेकिन चीनी सरकार के प्रवक्ता ने प्रायः कोई आक्रामक या उत्तेजक बात नहीं कही।

यह ठीक है कि भारत ने चीन पर कई निराकार दबाव डाले। वे दबाव निर्गुण भी थे। उनके कारण चीन को कोई भयंकर हानि नहीं हुई लेकिन चीन समझ गया कि यदि गलवान-कांड ने तूल पकड़ा तो चीनी सरकार के लिए वह मुश्किलभरा सौदा बन सकता है। चीनी ‘एप्स’ पर प्रतिबंध, कई द्विपक्षीय समझौतों पर रोक, लद्दाख में फौजी जमावड़ा, नए रूसी हथियारों का सौदा आदि ऐसे कदम थे, जिन्होंने चीन को प्रेरित किया कि वह बातचीत की पहल करे। भारतीय जनता द्वारा चीन विरोधी प्रदर्शनों का असर भी हुआ होगा।

इस भारत-चीन विवाद के प्रति दुनिया के लगभग सभी देशों ने तटस्थता का रुख अपनाया लेकिन अमेरिका ने भारत का समर्थन और पाकिस्तान ने विरोध का पैंतरा अपनाया। मुझे खुशी है कि भारतीय और चीनी नेता इन फिसलपट्टियों पर फिसले नहीं। अब ऐसा माहौल बन रहा है कि कुछ दिनों में मोदी और शी एक-दूसरे से सीधी बात कर सकते हैं या मिल भी सकते हैं।

जरूरी यह है कि इस सीमा-विवाद को हमेशा के लिए हल कर लिया जाए। यदि चीन दावा करता है कि उसने अपने 14 पड़ोसी देशों में से 12 के साथ सीमा-विवाद शांतिपूर्वक हल कर लिए हैं तो वह भारत के साथ क्यों नहीं कर सकता? यदि भारत-चीन मिलकर काम करें तो 21वीं सदी को एशियाई सदी बनने से कोई रोक नहीं सकता। (ये लेखक के अपने विचार हैं)



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डॉ. वेदप्रताप वैदिक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष


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प्याज को हवा चाहिए और पानी से भी बचाना है; इसलिए चार महीने के लिए किसानों के घर ही बन जाते हैं गोदाम

बरसाती मौसम में प्याज को हवा भी चाहिए और पानी से भी बचाना है। इसलिए चार महीने के लिए किसानों के घर ही गोदाम बन जाते हैं। दरअसल, जनवरी में प्याज के कण यानी बीज काे खेताें में बाेया जाता है। इसलिए किसान अप्रैल में इससे बनी पौध को खेतों से निकालकर घरों में ले आते हैं।

साथ ही प्याज की गंठी (सूखे प्याज की गठान) बनाकर कमराें और दीवाराें पर लटका देते हैं ताकि इनकाे हवा लगती रहे। फिर अगस्त में इन्हें खेताें में बाेया जाता है, जिसके बाद दीपावली के आसपास ये प्याज बनकर तैयार हाे जाती है। फिर किसान इन्हें बेचने के लिए मंडी ले जाते हैं। इस समय राजस्थान में अलवर के आसपास स्थित ग्रामीण क्षेत्राें के मकानाें में इस तरह प्याज की गंठियां देखने काे मिल जाएंगी।

अलवर से दिल्ली, यूपी व पंजाब समेत 9 राज्यों में भेजा जाता है प्याज

उद्यानिकी विभाग के सहायक निदेशक लीलाराम जाट बताते हैं कि अलवर में प्याज की खेती से करीब 36 हजार किसान जुड़े हैं। यहां 4.5 लाख मीट्रिक टन प्याज की पैदावार होती है। यहां से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उप्र, बिहार, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, असम और मणिपुर प्याज भेजा जाता है।



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इस समय राजस्थान में अलवर के आसपास स्थित ग्रामीण क्षेत्राें के मकानाें में इस तरह प्याज की गंठियां देखने काे मिल जाएंगी। फोटो : देवेंद्र शर्मा


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ट्रम्प परिवार में गलतियों की जिम्मेदारी लेना नहीं सिखाया जाता, बल्कि चीटिंग की आदतों को बढ़ावा दिया जाता रहा है

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भतीजी मैरी ट्रम्प ने अपनी आने वाली किताब में दावा किया है कि राष्ट्रपति के पिता उन्हें बचपन में प्रताड़ित करते थे, जिसका उनके जीवन पर गहरा असर पड़ा है। मैरी के मुताबिक ट्रम्प परिवार में गलतियों की जिम्मेदारी लेना नहीं सिखाया जाता, बल्कि चीटिंग की आदतों को बढ़ावा दिया जाता रहा है।

खुद डोनाल्ड ट्रम्प ने कॉलेज में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा में फर्जीवाड़ा किया था। उन्होंने पैसे देकर अपनी जगह किसी और को परीक्षा देने के लिए भेज दिया था। डोनाल्ड उस दौरान क्वींस हाईस्कूल के स्टूडेंट थे और कॉलेज में एडमिशन के लिए उन्हें अच्छे नंबर चाहिए थे। उन्हें भराेसा नहीं था कि वे अच्छे नंबर हासिल कर पाएंगे, इसलिए उन्हाेंने चीटिंग की थी।

ट्रम्प के पास यूनिवर्सिटी ऑफ पेन्सिल्वेनिया के मशहूर वोर्टन बिजनेस स्कूल की डिग्री है। डोनाल्ड ट्रम्प के बड़े भाई फ्रेड जूनियर की बेटी मैरी की किताब ‘टू मच एंड नेवर एनफ: हाऊ माई फैमिली क्रिएटेड द वर्ल्ड्स मोस्ट डेंजरस मैन’ में दावा किया गया है कि डोनाल्ड को उनके पिता फ्रेडी ट्रम्प सीनियर प्रताड़ित करते थे।

ट्रम्प सीनियर को प्यार का मतलब नहीं पता था। वे सिर्फ अपने आदेश का पालन कराना चाहते थे, जो डोनाल्ड को मजबूरन करना पड़ता था। डोनाल्ड की मां जब बीमार हुईं थीं, तब वे दो साल के थे। पिता काम में व्यस्त रहते थे और डोनाल्ड पर ध्यान नहीं देते थे। उन्हें लगता था कि बच्चों की परवरिश उनकी जिम्मेदारी नहीं है और वह हफ्ते में 6 दिन 12-12 घंटे तक काम करते थे।

इसका गहरा असर डोनाल्ड के जीवन पर पड़ा। उन्हें पिता से प्यार मांगने में भी डर लगता था। बड़े होकर खुद डोनाल्ड ने भी इसी परंपरा को अपना लिया। इस किताब को लेकर ट्रम्प परिवार और पेशे से साइकोलॉजिस्ट मैरी के बीच कानूनी जंग छिड़ चुकी है। दरअसल, मैरी ने 20 साल पहले एक नॉन-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट साइन किया था। ट्रम्प परिवार का दावा है कि इसके तहत वह संस्मरण नहीं लिख सकती हैं।

14 जुलाई को रिलीज होगी किताब, बेस्ट सेलर की लिस्ट में अव्वल

मैरी ट्रम्प की किताब 28 जुलाई को रिलीज होने थी, लेकिन अब 14 जुलाई को रिलीज की जाएगी। प्रकाशक साइमन एंड शूस्टर के मुताबिक, ज्यादा मांग और लोगों की दिलचस्पी के कारण यह किताब बेस्ट सेलर की लिस्ट में पहले नंबर पर आ चुकी है। किताब में राष्ट्रपति के बचपन से जुड़े ऐसे रोचक खुलासे हैं, जिन्हें लोग पढ़ना पसंद करेंगे।

- न्ययूॉर्क टाइम्स से विशेष अनुबंध के तहत



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किताब में राष्ट्रपति ट्रम्प के बचपन से जुड़े ऐसे रोचक खुलासे हैं, जिन्हें लोग पढ़ना पसंद करेंगे। 


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उद्योगों ने कोरोना से सबक सीखा, अब इंडस्ट्रियल एरिया में ही होगी वर्कर्स के रहने की व्यवस्था; स्कूल और अस्पताल भी बनेंगे

कोरोना जैसी महामारी के दौरान देश के इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में प्रोडक्शन बंद न करना पड़े, इसके लिए अब कारखानों के साथ ही घर, हॉस्पिटल और स्कूल-कॉलेज आदि की सुविधाएं मिलेंगी। नेशनल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनआईसीडीसी) समेत विभिन्न राज्यों की सरकारों ने इस तरह की प्लानिंग शुरू कर दी है।

यही नहीं, जिन इंडस्ट्रियल पार्काें का निर्माण शुरू हो चुका था, उनमें भी हाउसिंग और कमर्शियल क्षेत्रों के लिए ज्यादा जमीन रखी जा रही है ताकि अनावश्यक ट्रांसपोर्टेशन से बचा जा सके। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (डीएमआईसी) में आने वाले इंडस्ट्रियल पार्काें में राज्य सरकारें रेसिडेंसियल एरिया को अनिवार्य रूप से शामिल कर रही हैं।

एनआईसीडीसी ने गुजरात, मप्र, राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र को इसके निर्देश दिए हैं। जबकि अमृतसर-कोलकाता, चेन्नई-बेंगलुरू, बेंगलुरू-मुंबई और ईस्ट कोस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर में भी इस तरह के प्रावधान किए जाएंगे। एनआईसीडीसी के सीईओ के संजय मूर्ति ने बताया कि डीएमआईसी में इंडस्ट्रियल पार्कों को स्मार्ट सिटी की तर्ज पर विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है।

डीएमआईसी के तहत महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में दिघी की करीब 9500 हेक्टर जमीन पर नए इंडस्ट्रियल पार्क को हाल ही में राज्य सरकार ने मंजूरी दी है। महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने बताया कि भविष्य में इस तरह की समस्या ना हो, इसके लिए इस पार्क मे इंडस्ट्रीज के साथ ही रेसिडेंसियल जोन होगा।

वहीं, मध्यप्रदेश में बनने जा रहे 18 नए औद्याेगिक पार्क में इन बदलावाें काे अपनाया जा रहा है। मध्यप्रदेश के औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ने कहा किकोरोना की वजह से अब नए औद्योगिक क्षेत्रों में ही रेजिडेंशियल, कमर्शियल एरिया के साथ ही होटल, सिनेप्लेक्स, मॉल आदि का प्रावधान रखेंगे।

मप्र: हाउसिंग की वजह से ही लॉकडाउन में 300 इंडस्ट्री बंद नहीं हुई

एमपीआईडीसी के ईडी कुमार पुरुषोत्तम का कहना है कि लॉकडाउन में पीथमपुर में प्राइवेट हाउसिंग की वजह से 300 उद्याेग चालू रहे। हमने पहले ही 1200 एकड़ में स्मार्ट इंडस्ट्रियल पार्क विकसित किया है, जिसमें 720 एकड़ में से 150 एकड़ सिर्फ रेजिडेंशियल और कमर्शियल गतिविधियों के लिए रखा गया है। इनमें करीब 10 हजार लोग रह सकेंगे।



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एनआईसीडीसी के सीईओ के संजय मूर्ति ने बताया कि डीएमआईसी में इंडस्ट्रियल पार्कों को स्मार्ट सिटी की तर्ज पर विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। -प्रतीकात्मक फोटो


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माइक म्यूट कर दलीलें दे रहा था वकील; स्टाफ पर भड़के सीजेआई बोले- वकीलों के लिए बड़े और कलरफुल बोर्ड क्यों नहीं बनाते हो

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। तभी उन्हें अचानक गुस्सा आया। वह अपने स्टाफ पर भड़क गए और बोले, ‘वकीलों को जानकारी देने के लिए बड़े और कलरफुल बोर्ड क्यों नहीं बनाते।’

दरअसल, सुनवाई के दौरान एक वकील सीजेआई के सामने पेश हुआ। लेकिन, वकील ने अपना ऑडियो म्यूट कर रखा था। वकील लगातार दलीलें दिए जा रहा था। लेकिन, सीजेआई सुन नहीं पा रहे थे। चीफ जस्टिस ने वकील से कई बार कहा कि अपना ऑडियो अनम्यूट करें, ताकि वे उसे सुन सकें। लेकिन, वकील ने इस पर ध्यान नहीं दिया।

इस बीच सीजेआई ने अपने स्टाफ से कहा कि वे वकील को इस बारे में बताएं। इस दौरान स्टाफ ने सीजेआई के पास खड़े होकर कागज पर ‘प्लीज अनम्यूट योर ऑडियो’ का मैसेज वकील को दिखाया। लेकिन, वकील मैसेज भी नहीं पढ़ पाया और दलीलें देता रहा।

इस पर चीफ जस्टिस भड़क गए और उन्होंने अपने स्टाफ को फटकारना शुरू कर दिया। उन्होंने गुस्से में कहा, ‘तुम लोग बोर्ड क्यों नहीं बनाते? उसमेंं लिखे मैसेज को रंगों से भरो। बड़ा बोर्ड बनाओ, जो सबको दिखे। आज ही बनाओ। ये दोबारा नहीं होना चाहिए।’ इसके बाद चीफ जस्टिस ने संबंधित मामले की सुनवाई को बिना सुने ही टाल दिया।

कागज पर लिखकर वकीलों को बताते हैं कि क्या करना है

ऑनलाइन सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के स्टाफ द्वारा कागज पर लिखे संदेश पढ़कर वकील समझ जाते हैं कि उन्हें सुनवाई के दौरान क्या करना है। अगर किसी वकील का ऑडियो अनम्यूट कराना होता है तो उसे ‘अनम्यूट योर वीडियो’ का मैसेज दिखाया जाता है।



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ऑनलाइन सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के स्टाफ द्वारा कागज पर लिखे संदेश पढ़कर वकील समझ जाते हैं कि उन्हें सुनवाई के दौरान क्या करना है। -फाइल फोटो


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माइक म्यूट कर दलीलें दे रहा था वकील; स्टाफ पर भड़के सीजेआई बोले- वकीलों के लिए बड़े और कलरफुल बोर्ड क्यों नहीं बनाते हो

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। तभी उन्हें अचानक गुस्सा आया। वह अपने स्टाफ पर भड़क गए और बोले, ‘वकीलों को जानकारी देने के लिए बड़े और कलरफुल बोर्ड क्यों नहीं बनाते।’

दरअसल, सुनवाई के दौरान एक वकील सीजेआई के सामने पेश हुआ। लेकिन, वकील ने अपना ऑडियो म्यूट कर रखा था। वकील लगातार दलीलें दिए जा रहा था। लेकिन, सीजेआई सुन नहीं पा रहे थे। चीफ जस्टिस ने वकील से कई बार कहा कि अपना ऑडियो अनम्यूट करें, ताकि वे उसे सुन सकें। लेकिन, वकील ने इस पर ध्यान नहीं दिया।

इस बीच सीजेआई ने अपने स्टाफ से कहा कि वे वकील को इस बारे में बताएं। इस दौरान स्टाफ ने सीजेआई के पास खड़े होकर कागज पर ‘प्लीज अनम्यूट योर ऑडियो’ का मैसेज वकील को दिखाया। लेकिन, वकील मैसेज भी नहीं पढ़ पाया और दलीलें देता रहा।

इस पर चीफ जस्टिस भड़क गए और उन्होंने अपने स्टाफ को फटकारना शुरू कर दिया। उन्होंने गुस्से में कहा, ‘तुम लोग बोर्ड क्यों नहीं बनाते? उसमेंं लिखे मैसेज को रंगों से भरो। बड़ा बोर्ड बनाओ, जो सबको दिखे। आज ही बनाओ। ये दोबारा नहीं होना चाहिए।’ इसके बाद चीफ जस्टिस ने संबंधित मामले की सुनवाई को बिना सुने ही टाल दिया।

कागज पर लिखकर वकीलों को बताते हैं कि क्या करना है

ऑनलाइन सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के स्टाफ द्वारा कागज पर लिखे संदेश पढ़कर वकील समझ जाते हैं कि उन्हें सुनवाई के दौरान क्या करना है। अगर किसी वकील का ऑडियो अनम्यूट कराना होता है तो उसे ‘अनम्यूट योर वीडियो’ का मैसेज दिखाया जाता है।



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ऑनलाइन सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के स्टाफ द्वारा कागज पर लिखे संदेश पढ़कर वकील समझ जाते हैं कि उन्हें सुनवाई के दौरान क्या करना है। -फाइल फोटो


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उद्योगों ने कोरोना से सबक सीखा, अब इंडस्ट्रियल एरिया में ही होगी वर्कर्स के रहने की व्यवस्था; स्कूल और अस्पताल भी बनेंगे

कोरोना जैसी महामारी के दौरान देश के इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में प्रोडक्शन बंद न करना पड़े, इसके लिए अब कारखानों के साथ ही घर, हॉस्पिटल और स्कूल-कॉलेज आदि की सुविधाएं मिलेंगी। नेशनल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनआईसीडीसी) समेत विभिन्न राज्यों की सरकारों ने इस तरह की प्लानिंग शुरू कर दी है।

यही नहीं, जिन इंडस्ट्रियल पार्काें का निर्माण शुरू हो चुका था, उनमें भी हाउसिंग और कमर्शियल क्षेत्रों के लिए ज्यादा जमीन रखी जा रही है ताकि अनावश्यक ट्रांसपोर्टेशन से बचा जा सके। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (डीएमआईसी) में आने वाले इंडस्ट्रियल पार्काें में राज्य सरकारें रेसिडेंसियल एरिया को अनिवार्य रूप से शामिल कर रही हैं।

एनआईसीडीसी ने गुजरात, मप्र, राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र को इसके निर्देश दिए हैं। जबकि अमृतसर-कोलकाता, चेन्नई-बेंगलुरू, बेंगलुरू-मुंबई और ईस्ट कोस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर में भी इस तरह के प्रावधान किए जाएंगे। एनआईसीडीसी के सीईओ के संजय मूर्ति ने बताया कि डीएमआईसी में इंडस्ट्रियल पार्कों को स्मार्ट सिटी की तर्ज पर विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है।

डीएमआईसी के तहत महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में दिघी की करीब 9500 हेक्टर जमीन पर नए इंडस्ट्रियल पार्क को हाल ही में राज्य सरकार ने मंजूरी दी है। महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने बताया कि भविष्य में इस तरह की समस्या ना हो, इसके लिए इस पार्क मे इंडस्ट्रीज के साथ ही रेसिडेंसियल जोन होगा।

वहीं, मध्यप्रदेश में बनने जा रहे 18 नए औद्याेगिक पार्क में इन बदलावाें काे अपनाया जा रहा है। मध्यप्रदेश के औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ने कहा किकोरोना की वजह से अब नए औद्योगिक क्षेत्रों में ही रेजिडेंशियल, कमर्शियल एरिया के साथ ही होटल, सिनेप्लेक्स, मॉल आदि का प्रावधान रखेंगे।

मप्र: हाउसिंग की वजह से ही लॉकडाउन में 300 इंडस्ट्री बंद नहीं हुई

एमपीआईडीसी के ईडी कुमार पुरुषोत्तम का कहना है कि लॉकडाउन में पीथमपुर में प्राइवेट हाउसिंग की वजह से 300 उद्याेग चालू रहे। हमने पहले ही 1200 एकड़ में स्मार्ट इंडस्ट्रियल पार्क विकसित किया है, जिसमें 720 एकड़ में से 150 एकड़ सिर्फ रेजिडेंशियल और कमर्शियल गतिविधियों के लिए रखा गया है। इनमें करीब 10 हजार लोग रह सकेंगे।



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एनआईसीडीसी के सीईओ के संजय मूर्ति ने बताया कि डीएमआईसी में इंडस्ट्रियल पार्कों को स्मार्ट सिटी की तर्ज पर विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। -प्रतीकात्मक फोटो


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प्याज को हवा चाहिए और पानी से भी बचाना है; इसलिए चार महीने के लिए किसानों के घर ही बन जाते हैं गोदाम

बरसाती मौसम में प्याज को हवा भी चाहिए और पानी से भी बचाना है। इसलिए चार महीने के लिए किसानों के घर ही गोदाम बन जाते हैं। दरअसल, जनवरी में प्याज के कण यानी बीज काे खेताें में बाेया जाता है। इसलिए किसान अप्रैल में इससे बनी पौध को खेतों से निकालकर घरों में ले आते हैं।

साथ ही प्याज की गंठी (सूखे प्याज की गठान) बनाकर कमराें और दीवाराें पर लटका देते हैं ताकि इनकाे हवा लगती रहे। फिर अगस्त में इन्हें खेताें में बाेया जाता है, जिसके बाद दीपावली के आसपास ये प्याज बनकर तैयार हाे जाती है। फिर किसान इन्हें बेचने के लिए मंडी ले जाते हैं। इस समय राजस्थान में अलवर के आसपास स्थित ग्रामीण क्षेत्राें के मकानाें में इस तरह प्याज की गंठियां देखने काे मिल जाएंगी।

अलवर से दिल्ली, यूपी व पंजाब समेत 9 राज्यों में भेजा जाता है प्याज

उद्यानिकी विभाग के सहायक निदेशक लीलाराम जाट बताते हैं कि अलवर में प्याज की खेती से करीब 36 हजार किसान जुड़े हैं। यहां 4.5 लाख मीट्रिक टन प्याज की पैदावार होती है। यहां से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उप्र, बिहार, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, असम और मणिपुर प्याज भेजा जाता है।



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इस समय राजस्थान में अलवर के आसपास स्थित ग्रामीण क्षेत्राें के मकानाें में इस तरह प्याज की गंठियां देखने काे मिल जाएंगी। फोटो : देवेंद्र शर्मा


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विकास चित्र कथा: आगे अपराधी, पीछे सिपाही; नेशनलिज्म, सेक्युलरिज्म और सिटीजनशिप का सीबीएसई कनेक्शन

1. नजर आया, हाथ न लगा
आगे अपराधी, पीछे सिपाही। यूपी में ऐसा ही हाे रहा है। एक गैंगस्टर गोलियां बरसाकर आठ पुलिसवालों की जान लेने के बाद भाग निकलता है और छह दिन तक पुलिस उसे नहीं पकड़ पाती। वह पुलिस से आगे है... पुलिस उसके पीछे है।

...और ऐसा भी नहीं है कि उसका पता नहीं चल रहा। गैंगस्टर विकास दुबे यूपी से निकलकर फरीदाबाद पहुंच गया। होटल में कमरा लेने गया। अंकुर नाम बताकर वहां रुका। हरियाणा पुलिस और यूपी एसटीएफ वहां पहुंचती, इससे पहले निकल गया। सीसीटीवी में बस उसकी एक झलक दिखाई दी, जो दिनभर चैनलों, सोशल मीडिया पर चलती रही। फुटेज में वह सड़क पर आराम से खड़ा दिखता है। एक-दो ऑटो वालों को हाथ दिखाने के बाद तीसरे ऑटो में बैठकर निकल जाता है।

थोड़ा और बताते चलें। ...चौंकाने वाली तीन बातें।

पहली- इस तरह की खबरें आईं कि एक बार विकास पुलिस के ठीक सामने था, लेकिन पुलिस उसे नहीं पहचान सकी। सच है या नहीं, यह विकास या पुलिस ही बता सकती है।

दूसरी- विकास दो दिन से फरीदाबाद में एक रिश्तेदार के घर में था, यहां भी पुलिस देर से पहुंची। इससे भी पहले वह दो दिन कानपुर के शिवली में था।

तीसरी- विकास फरीदाबाद मेंजिस रिश्तेदार के घर रुका, वह भी कोई कम नहीं था। उसके घर से चार पिस्तौल मिलीं। इनमें से दो यूपी पुलिस से लूटी गई थीं।

ऐसा भी नहीं है कि पुलिस की हर एक्शन में देरी हो रही है। विकास दुबे के सबसे भरोसेमंद शार्प शूटर गुर्गे को यूपी पुलिस ने बुधवार को ढेर कर दिया। इसका नाम था अमर दुबे। पुलिस कह रही है, ‘हम ऐसी कार्रवाई करेंगे कि अपराधियों को पछतावा होगा।’

2. नेशनलिज्म, सेक्युलरिज्म और सिटीजनशिप को पढ़ने की जरूरत नहीं
सीबीएसई के 9वीं से 12वीं के सिलेबस में हुई 30 फीसदी की कटौती की परतें खुल रही हैं। सीबीएसई ने एक्सपर्ट्स की सिफारिशों और सरकार को मिले डेढ़ हजार से ज्यादा सुझावों के आधार पर ये कटौती है। ठीक भी है। जिसका काम उसी को साजे, लेकिन फिर भी कटौती दिलचस्प है। जैसे- 11वीं के सिलेबस से नेशनलिज्म, सेक्युलरिज्म और सिटीजनशिप हटा लिया गया है।

ये तीनों वही शब्द हैं, जो पिछले 6 साल से सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। तीनों टॉपिक्स के आगे बेदर्दी से लिखा गया है- कम्प्लीटली डिलीटेड। खैर, आगे चलते हैं। अंग्रेजी के सिलेबस से लेटर टू एडिटर और नौकरी के लिए रिज्यूम के साथ अप्लाई करें जैसे टॉपिक्स हटा लिए गए हैं। सीबीएसई को इस पूरे मामले पर जवाब भी देना पड़ा। बोर्ड ने कहा- ये कटौती तो सिर्फ एक बार के लिए है, हमेशा के लिए थोड़ी है।

3. ड्रॉपलेट्स से ज्यादा खतरनाक एयरोसोल
कोरोना हवा से फैलता है या नहीं, यह बहस बुधवार को और तेज हो गई। दरअसल 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने कहा था- कोरोना हवा से भी फैल सकता है। तब डब्ल्यूएचओ ने इसे खारिज कर यह कहा था- ये खतरा सिर्फ मेडिकल फैसिलिटीज जैसे अस्पताल, क्लिनिक या डिस्पेंसरी में ही है। अब डब्ल्यूएचओ का कहना है कि सभी जगहों पर एयरोसोल ट्रांसमिशन के खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता।

अब समझते चलें कि एयरोसोल किसे कहते हैं। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इनमें और ड्रॉपलेट्स में ज्यादा फर्क नहीं है। जब खांसते या छींकते हैं तो ड्रॉपलेट्स निकलती हैं। जब सांस छोड़ते हैं, बोलते हैं या गाना गाते हैं तो एयरोसोल निकलते हैं। ड्रॉपलेट्स अगर पांच माइक्रोन से कम आकार के हैं तो एयरोसोल कहलाते हैं।

एयरोसोल बंद कमरे में भी कुछ दूर तक सफर कर सकते हैं। इनमें मौजूद वायरस हवा में तीन घंटों तक जिंदा रह सकता है। इसलिए ये ड्रॉपलेट्स से ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं।

4. आज के दो इवेंट्स

आज मोदी बोलेंगे

मोदी का आज दोपहर डेढ़ बजे भाषण है। मौका है इंडिया ग्लोबल वीक 2020 का। यह इवेंट ब्रिटेन में आज से शुरू हो रहा है। इसमें मोदी भारत में ट्रेड और फॉरेन इन्वेस्टमेंट्स पर बात कर सकते हैं। तीन दिन चलने वाली इस समिट में विदेश मंत्री एस जयशंकर, रेल मंत्री पीयूष गोयल, सिविल एविएशन मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी, आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद और स्किल डेवलपमेंट मिनिस्टर महेंद्र नाथ पांडेय भी शामिल होंगे। ये सभी दिल्ली में ही बैठे-बैठे हिस्सा लेंगे, क्योंकि ये समिट वर्चुअल है।

बंगाल में आज से टोटल लॉकडाउन
बंगाल आज शाम 5 बजे से टोटल लॉकडाउन लगाने जा रहा है, लेकिन रुकिए। यह पूरे राज्य के लिए नहीं है। यह कंटेनमेंट जोन और बफर जोन के लिए है। कंटेनमेंट जोन यानी रेड जोन में आने वाले ऐसे इलाके जहां संक्रमण के मामले सबसे ज्यादा हैं। बफर जोन यानी कंटेनमेंट जोन के आसपास का कुछ किलोमीटर का इलाका।

5. आज का दिन कैसा रहेगा?
बात राशिफल की। आज कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु और मीन राशि वालों को पूरे दिन संभलकर रहना होगा। जॉब-बिजनेस और लेन-देन में सावधानी रखनी होगी। मेष, वृष, कर्क और कुंभ राशि वाले लोगों के लिए दिन शुभ रहेगा। मिथुन, सिंह और मकर राशि वाले लोगों के लिए दिन मिला-जुला रहेगा।

6. चलते-चलते तीन खबरें, शायद आप पढ़ना चाहें

  • 1962 से अब तक भारत-चीन का सफर
    दोनों देशों में 1962 में जंग हुई थी। तब चीन की जीडीपी हमसे सिर्फ 12% ज्यादा थी। आज भारत से 5 गुना बड़ी इकोनॉमी चीन की है। इकोनॉमी खुलने के बाद भारत के मुकाबले चीन ज्यादा आगे बढ़ गया। चीन की इकोनॉमी 39 गुना बढ़ी, जबकि भारत की 9 गुना बढ़ी। चीन की तुलना में दूसरे देशों से खरीद पर भारत ज्यादा निर्भर...
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    हम यूपी के कुछ ऐसे माफिया की कहानी बता रहे हैं, जिनका न सिर्फ खौफ है, बल्कि सत्ता के गलियारों में भी रसूख है। एक नाम है अतीक अहमद। 10 जजों ने उसके केस की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। 11वें जज ने सुनवाई की और अतीक को जमानत मिल गई। बाकी 4 बड़े माफिया की कहानी भी ऐसी ही है...
  • इंस्टाग्राम का नया फीचर
    इंस्टाग्राम ने 'पिन कमेंट फीचर' को अब सभी के लिए रोल आउट कर दिया है। इसकी मई से ही टेस्टिंग चल रही थी। यूजर्स अब अपने अकाउंट पर निगेटिव कमेंट्स एक साथ डिलीट कर सकेंगे। ट्रोल करने वाले यूजर्स को ब्लॉक भी कर पाएंगे। एक बार में 25 ट्रोल कमेंट्स को डिलीट कर सकेंगे...


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