बुधवार, 6 जनवरी 2021

नए कोरोना स्ट्रेन के चलते ब्रिटिश पीएम का भारत दौरा टला, MP में वैक्सीन ट्रायल बना लोगों के लिए बला

नमस्कार!
ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने अपना भारत दौरा रद्द कर दिया है, उन्हें गणतंत्र दिवस पर चीफ गेस्ट के तौर पर बुलाया गया था। जॉनसन ने ब्रिटेन में फैले नए कोरोना स्ट्रेन के चलते ये फैसला लिया है। इधर, भारत में कोरोना वैक्सीन के ट्रायल के दौरान मध्य प्रदेश में चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां भोपाल के एक अस्पताल में लोगों को पैसे देकर बुलाया गया, धोखे से टीका लगाया गया और जब ये लोग बीमार पड़ने लगे तो अस्पताल ने सुध ही नहीं ली। बहरहाल शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

सबसे पहले देखते हैं मार्केट क्या कह रहा है

  • BSE का मार्केट कैप 192.87 लाख करोड़ रुपए रहा, BSE पर करीब 55% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही।
  • 3,233 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 1,781 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,288 कंपनियों के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर...

  • अमेरिकी संसद का जॉइंट सेशन होगा। इसमें बाइडेन की जीत पर औपचारिक, कानूनी और अंतिम मुहर लगेगी।
  • मोदी कैबिनेट की बैठक होगी।
  • अहमदाबाद में BJP-RSS की कोऑर्डिनेशन मीट का दूसरा दिन। संघ प्रमुख मोहन भागवत शामिल होंगे।

देश-विदेश
10 दिन के भीतर वैक्सीनेशन शुरू करने की तैयारी

भारत सरकार 10 दिन के भीतर देश में वैक्सीनेशन शुरू करने वाली है। स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने मंगलवार को बताया कि ड्राई रन से मिले डेटा के आधार पर सरकार ने तैयारी पूरी कर ली है। इस हिसाब से अगले हफ्ते देश में कोरोना वैक्सीनेशन शुरू हो सकता है। देश में भारत बायोटेक की स्वदेशी कोवैक्सिन और सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड के इमरजेंसी यूज के लिए मंजूरी मिल चुकी है।

सीरम और भारत बायोटेक की वैक्सीन वॉर खत्म
कोरोना वैक्सीन पर आमने-सामने हुई देश की दो कंपनियों सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक ने दो दिन के अंदर अपनी कड़वाहट भुला दी है। वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी हासिल कर चुकीं दोनों कंपनियों ने मंगलवार को जॉइंट स्टेटमेंट जारी किया। इसमें सीरम के CEO अदार पूनावाला और भारत बायोटेक के चेयरमैन डॉ. कृष्णा ऐल्ला ने कहा कि हमारे सामने बड़ा और महत्वपूर्ण टास्क है- देश और दुनिया के लोगों की जान बचाना।

देश में 84 हजार से ज्यादा पक्षियों की मौत, बर्ड फ्लू ने दिक्कत बढ़ाई
कोरोना महामारी के बीच अब बर्ड फ्लू की दस्तक चिंता बढ़ा रही है। अब तक हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और केरल में 84 हजार 775 पक्षियों की मौत हुई है। इनमें से हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान और केरल में बर्ड फ्लू की पुष्टि हो चुकी है, हरियाणा और गुजरात के सैंपल की रिपोर्ट आना बाकी है।
एक ही लैबोरेटरी में इंसानों और पक्षियों के सैंपल का टेस्ट
भोपाल की हाई सिक्योरिटी एनिमल डिसीज लैबोरेटरी में पांच वैज्ञानिकों की टीम पक्षियों के सैम्पल जांचने में जुटी है। यहां कोरोना के सैम्पल भी जांचे जा रहे हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है, जब इस लैबोरेटरी में एक ही समय में इंसान और पक्षियों के सैम्पल टेस्ट किए जा रहे हैं।

मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट की सशर्त मंजूरी
नया संसद भवन और कॉमन सेंट्रल सेक्रेटरिएट बनाने के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 2:1 से मंजूरी दे दी। कोर्ट ने कहा कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण मंजूरी सही तरीके से दी गई। लैंड यूज में बदलाव का नोटिफिकेशन भी वैध था। अदालत ने कहा कि कंस्ट्रक्शन शुरू करने से पहले हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की मंजूरी ली जाए। 20 हजार करोड़ रुपए की सेंट्रल विस्टा योजना मोदी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है।

तृणमूल में टूट जारी, ममता के खेल मंत्री का भी इस्तीफा
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से तृणमूल में टूट का सिलसिला जारी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खास और पूर्व मंत्री शुभेंदु अधिकारी के भाजपा ज्वाइन करने के 16 दिन बाद खेल मंत्री और पूर्व क्रिकेटर लक्ष्मी रतन शुक्ला ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। शुभेंदु ने 19 दिसंबर को भाजपा का दामन थाम लिया था। उनके साथ सांसद सुनील मंडल, पूर्व सांसद दशरथ तिर्की और 10 MLA ने भी भाजपा ज्वाइन की थी। इनमें 5 विधायक तृणमूल कांग्रेस के ही थे।

पुर्तगाल में फाइजर की वैक्सीन लगने के बाद नर्स की मौत
पुर्तगाल में एक 41 वर्षीय नर्स की फाइजर का वैक्सीन लगने के दो दिन बाद मौत हो गई। पुर्तगाल के स्वास्थ्य विभाग ने इसकी जांच के आदेश दिए हैं। जब वैक्सीन लगाई गई, तब नर्स पूरी तरह से स्वस्थ थी और उसे किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हुआ था। नर्स का नाम सोनिया एजेवेडो है, वो इंस्टीट्यूटो पोर्तुगीज डी ओंकोलोजिया (IPO) में सर्जिकल असिस्टेंट थीं।

भास्कर एक्सप्लेनर
कोरोना के दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट पर वैक्सीन का कैसा असर होगा?

जिस तरह कोरोनावायरस के नए-नए वैरिएंट्स सामने आ रहे हैं, वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ती जा रही है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों का कहना है कि दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना के नए वैरिएंट पर वैक्सीन फेल हो सकती है। इसने एक नई बहस छेड़ दी है कि क्या अब तक जो वैक्सीन बनी है, वह बेकार हो जाएगी? क्या इस वैक्सीन को जल्द ही अपडेट करने की नौबत आएगी?

सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर...

आज की पॉजिटिव खबर
कभी चाय की दुकान पर बर्तन धोए; अब एलोवेरा की खेती से लाखों की कमाई

राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के रहने वाले अजय स्वामी पिछले 12 साल से एलोवेरा की खेती और प्रोसेसिंग कर रहे हैं। वो इससे 45 प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं। उन्होंने एलोवेरा से बना लड्डू तैयार किया है, इसे अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। हर महीने वो लाख रुपए कमा रहे हैं। हालांकि, उनका ये सफर मुश्किल था। बचपन में पिता की मौत के बाद उन्हें चाय की दुकान पर बर्तन धोने पड़े थे।

पढ़िए पूरी खबर...

सुर्खियों में और क्या है...

  • वित्त वर्ष 2021-22 का आम बजट 1 फरवरी 2021 को आएगा। बजट सत्र की शुरुआत 29 जनवरी से होगी।
  • कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने टीकरी बॉर्डर पर ईंट और गारे से स्थाई ठिकाना बनाना शुरू कर दिया है। हाल ही में हुई बारिश से टेंट बर्बाद होने के बाद ये फैसला लिया गया है।
  • देश में बीते 24 घंटे में सिर्फ 16 हजार 278 नए संक्रमितों की पहचान हुई। इस तरह एक्टिव केस यानी इलाज करा रहे मरीजों की संख्या में 13 हजार 140 की कमी आई। 16 दिसंबर के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट है।
  • आगरा के ताजमहल में हिंदू जागरण मंच के जिलाध्यक्ष और 3 युवकों ने भगवा झंडा लहराया और शिव चालीसा का पाठ किया। चारों को गिरफ्तार कर धार्मिक भावनाओं को भड़काने का केस दर्ज किया गया है।


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Top News of 5 January 2021| British PM's visit to India postponed due to new corona strain, MP becomes vacant trial for people


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वैक्सीन के ट्रायल और इफेक्ट पर उठने लगे सवाल, टीके को लेकर शुरू हुआ नया बवाल



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दिन में कुछ देर मौन जरूर रहना चाहिए, इससे हमारी वाणी प्रभावशाली हो जाती है

कहानी- विवेकानंद कम बोले, लेकिन इतना अच्छा बोले कि पूरी दुनिया पर छा गए थे। स्वामीजी के गुरु रामकृष्ण परमहंस इतने अच्छा वक्ता नहीं थे। उनके मन में जो आता था, वह बोल देते थे। परमहंसजी को समाधि बहुत गहरी लगती थी इसीलिए उनका मौन बहुत प्रभावशाली था।

गुरु के रूप में उन्होंने अपना मौन स्वामी विवेकानंद को दिया था और स्वामीजी के माध्यम से परमहंसजी का मौन मुखर होकर निकला। जब विवेकानंदजी पहली बार अमेरिका गए, तब भारत का दृश्य ये था कि 1857 का स्वतंत्रता संग्राम विफल हो गया था। झांसी की रानी शहीद हो गई थीं। तात्या टोपे को फांसी हो चुकी थी। बहादुर शाह जफर कैद हो गए थे। हजारों भारतीय मौत के घाट उतार दिए गए थे। पराजय और अपमान की वजह से भारतीयों में हीन भावना थी।

उस समय में विवेकानंद ने अमेरिका की धरती से पूरे विश्व में भारत को सम्मान दिलाया था। सबसे अधिक उनकी वाणी प्रभावशाली थी। युवा संन्यासी ने वाणी के माध्यम से भारत के अध्यात्म को दुनिया में परिचित कराया था। शिकागो में जब उन्होंने भाषण दिया था, उसकी अवधि थी सिर्फ चार मिनट। करीब सात हजार श्रोता सामने बैठे थे।

स्वामीजी के चार मिनट के भाषण को सुनकर लगातार दो मिनट तक तालियां बजी थीं। जब किसी ने विवेकानंदजी से पूछा कि आपने ये कमाल कैसे किया? तब उन्होंने कहा, 'मेरे गुरु ने समाधि, मेडिटेशन के माध्यम से जो मौन साधा था, वही मौन मुझे दिया और मैंने उस मौन को मुखर किया है। ये सब उसी मौन का प्रभाव है।'

सीख- हम दिनभर में चाहे कितने भी व्यस्त रहें, लेकिन थोड़ा समय मेडिटेशन के लिए जरूर निकालना चाहिए। ध्यान से मानसिक तनाव दूर होता है। कुछ देर मौन रखें। ज्यादा बोलने वाले लोगों के शब्दों का प्रभाव खत्म हो जाता है। जितना जरूरी हो, उतना ही बोलना चाहिए।



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aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshankar mehta, story of ramkrishna paramhans and swami vivekanand


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बचपन में पिता की मौत हुई, चाय की दुकान पर बर्तन धोना पड़ा; अब एलोवेरा की खेती से हर महीने कमा रहे 1 लाख रुपए

आज की कहानी राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के रहने वाले अजय स्वामी की। वे पिछले 12 साल से एलोवेरा की खेती और प्रोसेसिंग कर रहे हैं। अभी वो इससे 45 तरह के प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं। हाल में उन्होंने एलोवेरा से बना लड्डू तैयार किया है। इसे काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। इसकी खेती से वे हर महीने एक लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं।

31 साल के अजय का सफर मुश्किल भरा रहा है। बचपन में ही उनके पिता की मौत हो गई थी। घर में कोई और कमाने वाला नहीं था। जैसे-तैसे आठवीं तक उनकी पढ़ाई हो सकी। घर का खर्च चलाने के लिए वे चाय की दुकान पर बर्तन धोने का काम करते थे। बाद में उन्होंने खुद की भी चाय की दुकान खोली। इसमें भी मुनाफा नहीं हुआ तो उन्होंने खेती करने का प्लान बनाया।

अजय कहते हैं, 'मेरे पास बस दो बीघा जमीन थी। उस पर हम पारंपरिक खेती करते थे। इसमें मुनाफा नहीं हो रहा था। उस समय रामदेव बाबा के आयुर्वेदिक प्रोडक्ट चर्चा में थे। मैंने सोचा कि क्यों न ऐसे प्लांट खेत में लगाए जाएं, जिनकी मार्केट में डिमांड हो और उससे हेल्थ से जुड़े प्रोडक्ट भी तैयार हो सकें। इसके बाद मैंने एलोवेरा की खेती शुरू करने का विचार किया।

जूस तैयार करने के लिए एलोवेरा की पत्तियों की कटाई करते हुए अजय।

कब्रिस्तान से लाकर खेत में लगाए पौधे

अजय कहते हैं कि मैंने तय तो कर लिया कि एलोवेरा की खेती करनी है। सबसे बड़ा सवाल था कि इसके लिए प्लांट कहां मिलेंगे। कुछ रिश्तेदारों से बात की तो पता चला कि चूरू के एक कब्रिस्तान में एलोवेरा के पौधे हैं। उस गांव के लोग चाहते भी हैं कि यहां से कोई इन्हें ले जाए। फिर मैं एक ट्रैक्टर लेकर गया और कुछ पौधे उखाड़ लाया और अपनी खेत में लगा दिए।

वह बताते हैं कि एलोवेरा की खेती के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं थी। इसलिए मैं उन लोगों के पास गया जो इसकी खेती और मार्केटिंग करते थे। वहां उनके काम को देखा। कुछ लोगों ने जानकारी दी तो कुछ लोगों ने डांटकर भगा भी दिया। इसके बाद भी मैंने सीखने की कोशिश जारी रखी, क्योंकि मेरे पास और कोई ऑप्शन नहीं था।

अजय बताते हैं कि करीब एक साल बाद मेरे पौधे तैयार हो गए। कुछ लोगों से इसकी मार्केटिंग के बारे में जानकारी जुटाई। फिर पता चला कि एलोवेरा से बने जूस की डिमांड है। इसके बाद पानी वाली बॉटल में ही मैंने जूस बनाकर बेचना शुरू कर दिया। मैं लोगों के पास जाता था, उन्हें अपने प्रोडक्ट के बारे में बताता था। इसी तरह एक के बाद एक कई लोग मेरे ग्राहक हो गए। कुछ कंपनियों से भी डिमांड आने लगी।

अजय ने नेचुरल हेल्थ केयर नाम से कंपनी बनाई है। लाइसेंस मिलने के बाद उनका पूरा फोकस एलोवेरा की प्रोसेसिंग पर हो गया।

चार पांच साल तक ऐसे ही काम चलता रहा। फिर मैंने नेचुरल हेल्थ केयर नाम से अपनी एक कंपनी रजिस्टर की। इसके बाद फूड लाइसेंस के लिए अप्लाई किया। लाइसेंस मिलने के बाद मेरा पूरा फोकस एलोवेरा की प्रोसेसिंग पर हो गया। मैं एक के बाद एक नए नए प्रोडक्ट लॉन्च करते गया। आज मिठाई, शैम्पू, कंडीशनर, जूस, साबुन, टूथपेस्ट जैसी 45 चीजें मैं तैयार करता हूं। कई बड़ी कंपनियों में अपने प्रोडक्ट की सप्लाई करता हूं। कई लोग फोन पर भी ऑर्डर करते हैं।

सबसे बड़ी बात कि अजय ने इन सब चीजों के लिए कहीं ट्रेनिंग नहीं ली है। वे काम करने के दौरान ही सीखते गए हैं। अजय आज भी नए प्रयोग करते रहते हैं। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान उन्होंने एलोवेरा का लड्डू तैयार किए थे। ये उनका सबसे ज्यादा बिकने वाला प्रोडक्ट है। इसकी कीमत 350 रुपए किलो है। वे अभी 30 एकड़ जमीन पर एलोवेरा की खेती कर रहे हैं। उनके साथ 3-4 लोग और काम करते हैं।

एलोवेरा की खेती कैसे करें

अजय बताते हैं कि एलोवेरा की खेती में लागत कम है लेकिन मेहनत ज्यादा है। इसके लिए रेतीली मिट्टी काफी अच्छी होती है। इसमें बहुत ज्यादा पानी की भी जरूरत नहीं होती है। गर्मी के मौसम में बस इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जड़ में थोड़ी नमी बरकरार रहे। बरसात शुरू होने से पहले इसके प्लांट लगाने चाहिए। ये पौधे एक साल बाद तैयार हो जाते हैं। जब पौधे तैयार हो जाए तो सावधानी से इसकी पत्तियों को अलग कर लेना चाहिए। कुछ दिनों बाद इन पौधों से नई पत्तियां निकल आती है।

मार्केटिंग और कमाई कैसे करें

अजय बताते हैं कि आज के दौर में मार्केटिंग आसान हो गई है। सोशल मीडिया सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है। यहां हम अपना प्रोडक्ट लोगों के बीच प्रमोट कर सकते हैं। बस एक चीज हमें ध्यान रखनी है कि हम जो भी प्रोडक्ट लॉन्च करें, उसकी लोगों को कितनी और कब जरूरत है, इसका आकलन कर लेना चाहिए।

पिछले साल लॉकडाउन के दौरान अजय ने एलोवेरा के लड्डू तैयार किए थे। ये उनका सबसे ज्यादा बिकने वाला प्रोडक्ट है। इसकी कीमत 350 रुपए किलो है।

इसके साथ ही हमें खेती के साथ प्रोसेसिंग पर जोर देना चाहिए। इसकी पत्तियों के मुकाबले पल्प की डिमांड ज्यादा है। इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा पल्प मार्केट भेजा जाए। आज कई लोग कंपनियों से कॉन्ट्रैक्ट कर लेते हैं और उनकी जरूरत के हिसाब से पत्तियां, पल्प और प्रोडक्ट तैयार करते हैं।

अजय बताते हैं कि थोड़ी जमीन पर पारंपरिक खेती के साथ इसकी शुरुआत की जा सकती है। बाद में जब काम जम जाए तो धीरे-धीरे दायरा बढ़ाना चाहिए। एक एकड़ जमीन में एक हजार पौधे लगाए जा सकते हैं। अगर ठीक से इनकी देखभाल और प्रोसेसिंग की जाए तो प्रति एकड़ लाख रुपए सालाना कमाई हो सकती है।



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राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के रहने वाले अजय स्वामी पिछले 12 साल से एलोवेरा की खेती और प्रोसेसिंग कर रहे हैं।


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कोरोना ने बिगाड़ी मेंटल हेल्‍थ के रोगियों की हालत, हर साल मरते हैं 8 लाख लोग

हमारे बीच एक ऐसा रोग पल रहा है, जिसके चलते हर साल 8 लाख लोग सुसाइड कर ले रहे हैं। इसके इलाज में दुनिया को 1 ट्रिलियन डॉलर यानी 75 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। 2021 में कोरोना वायरस की वैक्सीन से ज्यादा लोग इस रोग का इलाज चाहते हैं। ये दावा है, ग्लोबल वेब इंडेक्स यानी GWI की रिपोर्ट 'कनेक्टिंग डॉट 20-21' का।

रिपोर्ट में मेंटल हेल्‍थ पर एक सर्वे है। दुनिया के 7 देशों के 8 हजार लोगों पर एक ऑनलाइन सर्वे हुआ। इसमें पूछा गया कि लोगों को बेहतर मेंटल हेल्‍थ चाहिए या कोरोना वैक्सीन तो ज्यादा लोगों ने मेंटल हेल्‍थ को तरजीह दी। कोरोना वैक्सीन मांगने वालों का रेशियो 30 रहा तो बेहतर मेंटल हेल्‍थ का रेशियो 31 रहा।

2021 होगा स्‍वास्‍थ्‍य समस्याओं का साल, मेंटल हेल्‍थ हो जाएगी बदतर
GWI रिपोर्ट कहती है कि कोविड 19 महामारी के चलते मेंटल हेल्‍थ के मरीज 31% तक बढ़ जाएंगे। इनमें बेरोजगार, सोशल मीडिया पर हर दिन 4 घंटे से ज्यादा वक्त बिताने वाले, दोस्तों या रूममेट के साथ रहने वाले, हॉस्प‌िटैलिटी सेक्टर में काम करने वाले और 16 से 24 साल तक लड़कियां ज्यादा होंगी।

नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफार्मेशन की रिपोर्ट कहा गया कि कोविड महामारी बाद चीन में 16.5% लोगों में डिप्रेशन, 28.8% लोगों में एंग्जाइटी, 8.1% लोगों में स्ट्रेस के मामले बढ़ गए। 2021 चीन के लिए और ज्यादा खतरनाक होने वाला है।

इंडिया में भी एक स्टडी 19 मार्च से 2 मई के बीच हुई थी। इसमें टेक्नॉलॉजिस्ट तेजस जेएन, एक्टिविस्ट कनिका शर्मा, जिंदल ग्लोबल स्कूल के असिस्टेंट प्रोफेसर अमन ने उन 44 दिनों लॉकडाउन में हुई 338 मौतों का कारण ढूंढा। इनमें अकेलेपन, पैसों की कमी चलते पैदा हुए तनाव के कारण आत्महत्या करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा थी।

ICMR के पूर्व डीजी डॉ. वीएम कटोच कहते हैं कि 2021 में कोरोना के नए स्ट्रेन, राजस्‍थान, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक में फ्लोरोसिस भी बड़ा खतरा बन रहा है। इन सभी चीजों का बुरा असर लोगों के मेंटल हेल्थ पर पड़ता है।

हर 7 में से 1 भारतीय मानसिक रोगी
साइंस जर्नल द लैंसेट के मुताबिक, 19.73 करोड़ भारतीय मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं। इनमें से 4.57 करोड़ डिप्रेशन, तो 4.49 करोड़ एंग्जाइटी से जूझ रहे हैं। कोरोना के बाद के आंकड़े अभी नहीं आए हैं। लेकिन, इन आंकड़ों में 20 से 30% की बढ़ोतरी के अनुमान वाली रिपोर्ट्स आ रही हैं।

WHO के मुताबिक, भारत में हर साल एक लाख में से 16.3 लोग मानसिक बीमारी से लड़ते-लड़ते सुसाइड कर लेते हैं। इस मामले में भारत, रूस के बाद दूसरे नंबर पर है। रूस में हर 1 लाख लोगों में से 26.5 लोग सुसाइड करते हैं।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, 2015-2019 के बीच 43 हजार 907 लोगों ने मानसिक बीमारी से तंग आकर सुसाइड किया। अभी 2020 के आंकड़े आने बाकी हैं। अनुमान है कि इस बार चौंकाने वाले आंकड़े आ सकते हैं।

दिमागी बीमारी लड़ने में फिसड्डी हैं हम, मनोचिकित्सकों की फीस भी महंगी
दिमागी बीमारियों से निपटने के इंतजाम में फिलहाल भारत फिसड्डी है। WHO की मानें तो 2017 में भारत के मेंटल अस्पतालों में हर 1 लाख आबादी पर 1.4 बेड थे। जबकि, हर साल 7 मरीज भर्ती होते थे। नोएडा के सरकारी अस्पताल की मनोचिकित्सक कहती हैं, 'लोग अस्पताल आने में कतराते हैं। अनलॉक के बाद मरीज और कम आ रहे हैं।' गाजियाबाद में निजी क्लिनिक चलाने वाले योगेश कुमार कहते हैं कि फोन और वीडियो कॉल पर मानसिक रोगी को समझना कठिन है। कोरोना ने हालात बदतर कर दिए हैं।

नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे 2015-16 में देश में कुल 9 हजार साइकेट्रिस्ट होने की बात थी। PMC की रिपोर्ट में दावा था कि 2020 में भी करीब 10 हजार साइकेट्रिस्ट ही हैं। आबादी के हिसाब से एक लाख पर 3 साइकेट्रिस्ट होने चाहिए यानी देश में 36 हजार साइकेट्रिस्ट।

सरकार का भी इस ओर कम ध्यान है। 2018-19 के बजट में मेंटल हेल्थ पर 50 करोड़ रुपए, 2019-20 में 40 करोड़ और 2020-21 में 44 करोड़ किया गया था। WHO कहता है कि 2017 में एक भारतीय की मेंटल हेल्थ पर सालभर में केवल 4 रुपए ही खर्च होते थे।

सरकारी अस्पतालों में इलाज फ्री है, लेकिन निजी क्लिनिक में मनोचिकित्सक की फीस 1000 से 5000 के बीच है। महीने में अगर मरीज 2 या 3 बार डॉक्टर के पास जाता है तो उसके 3-15 हजार रुपये खर्च हो जाते हैं।

फिलहाल, खराब मेंटल हेल्‍थ से उबरने के लिए साइकेट्रिस्ट के अलावा देश में कोई कारगर उपाय नहीं है। वोग मैगजीन की रिपोर्ट ने कहा कि भारत में महज 8 एनजीओ हैं, जो मेंटल हेल्थ पर असरदार काम करते हैं।



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ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने कहा- कोरोना के साउथ अफ्रीकी वैरिएंट पर वैक्सीन फेल हो सकती हैं; इस बारे में सबकुछ जानिए

जिस तरह कोरोनावायरस के नए-नए वैरिएंट्स सामने आ रहे हैं, वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ती जा रही है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों का कहना है कि दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना के नए वैरिएंट पर वैक्सीन फेल हो सकती है। इसने एक नई बहस छेड़ दी है कि क्या अब तक जो वैक्सीन बनी हैं, वे बेकार हो जाएंगी? क्या वैक्सीन को जल्द अपडेट करने की नौबत आएगी? आइए इन सवालों के जवाब तलाशते हैं।

नए वैरिएंट्स पर क्या कह रहे हैं ब्रिटिश वैज्ञानिक?

  • दरअसल, ब्रिटेन के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया समेत कई देशों में कोरोना के नए वैरिएंट्स सामने आए हैं। यह पहले से ज्यादा घातक है और 70% तक तेजी से ट्रांसमिट होते हैं। यूरोप और दुनिया के अन्य हिस्सों में कोरोना के बढ़ते केस के पीछे इन्हें ही कारण माना जा रहा है।
  • नया दावा ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैंकॉक के बयान से आया। उन्होंने कहा है कि दक्षिण अफ्रीका में मिला नया वैरिएंट चिंताएं पैदा कर रहा है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने पॉलिटिकल एडिटर रॉबर्ट पेस्टन के हवाले से कहा कि हैंकॉक की चिंता का कारण सरकार के एक साइंटिफिक एडवाइजर हैं। उनका कहना है कि दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट पर वैक्सीन फेल हो सकती है।

क्या वाकई वैज्ञानिकों को फिक्र करने की जरूरत है?

  • हां। अब तक की स्टडी से तो यही लगता है। 18 दिसंबर को दक्षिण अफ्रीका ने घोषणा की थी कि उसके तीन राज्यों में कोरोनावायरस के नए वैरिएंट 501Y.V2 के इंफेक्शन सामने आए हैं। इस नए स्ट्रेन ने वैज्ञानिकों को अलर्ट कर दिया है, क्योंकि इसके स्पाइक प्रोटीन में बहुत ज्यादा बदलाव हुए हैं। स्पाइक प्रोटीन का ही इस्तेमाल कर वायरस इंसानों को इंफेक्ट करता है।
  • इस स्ट्रेन की वजह से शरीर में वायरल की संख्या बढ़ती है। मरीजों के शरीर में वायरस पार्टिकल्स की संख्या काफी बढ़ जाती है। इससे ट्रांसमिशन भी तेज हो रहा है। अब तक चार से ज्यादा देशों में यह स्ट्रेन डिटेक्ट हुआ है। कुछ दिनों में इसके बारे में और ज्यादा जानकारी सामने आ सकती है।
  • फाइजर के साथ वैक्सीन डेवलप करने वाली जर्मन कंपनी बायोएनटेक के सीईओ उगुर साहिन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में मेडिसिन के प्रोफेसर जॉन बेल का कहना है कि वे वैक्सीन को नए वैरिएंट्स पर टेस्ट कर रहे हैं। छह हफ्ते बाद ही हम इस पर कुछ कहने की स्थिति में होंगे।
  • बेल ब्रिटिश सरकार की वैक्सीन टास्क फोर्स के एडवाइजर भी हैं। उनका कहना है कि इस बात पर बहुत बड़ा सवालिया निशान लगा हुआ है कि यह वैक्सीन दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन पर भी कारगर रहेगी या नहीं? दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के मुकाबले में नई वैक्सीन बनने में छह हफ्ते का समय लग सकता है।

क्या भारत में भी घबराने की जरूरत है?

  • हां, कुछ हद तक। दरअसल, मंगलवार तक ब्रिटिश स्ट्रेन के 58 केस भारत में सामने आ चुके हैं। भारतीय वैज्ञानिकों की माने तो नए स्ट्रेन भारत ही नहीं बल्कि 34 देशों में दिखे हैं। इनके बारे में और स्टडी की जा रही है। तभी पता चल सकेगा कि वैक्सीन नए स्ट्रेन पर कारगर होगी या नहीं।
  • पिछले दिनों भारत बायोटेक की ज्वॉइंट एमडी सुचित्रा एल्ला ने भास्कर को दिए इंटरव्यू में दावा किया था कि उनकी वैक्सीन- कोवैक्सिन को पूरे वायरस से मुकाबला करने के लिए बनाया गया है। वायरस में जो बदलाव हुए हैं, वह स्पाइक प्रोटीन या उसके हिस्सों तक सीमित है। इस वजह से उन वैक्सीन का असर प्रभावित होगा, जो पूरे वायरस पर नहीं बने हैं और अलग-अलग हिस्सों को टारगेट करते हैं। इसके मुकाबले कोवैक्सिन पूरे वायरस को टारगेट करती है, इस वजह से असरदार बनी रहेगी।


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New Coronavirus Strain India Update; How Many Cases In South African and scientists Concern COVID variant in Britain


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सिनेमाघर, ओटीटी और टीवी आपस में भिड़ेंगे नहीं; क्वालिटी फिल्म और वेब सीरीज मिलेंगी

अलग-अलग Sectors के लिए 2021 कैसा रहेगा? इस पर हम आपको जाने-माने विशेषज्ञों की राय बता रहे हैं। अब तक आप अर्थव्यवस्था, शिक्षा, नौकरियों और राजनीति पर आर्टिकल पढ़ चुके हैं। आज ट्रेड एनालिस्ट आदित्य चौकसे से जानते हैं कि एंटरटेनमेंट के लिहाज से 2021 कैसा रहेगा...

देश में कोरोना की रोकथाम के लिए वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू होने को है। उम्मीद है कि मौजूदा संकट कुछ समय में खत्म हो जाएगा। ऐसे में एंटरटेनमेंट की दुनिया का सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या हालात सामान्य होने पर सिनेमाघर, OTT (ओवर द टॉप) और टीवी अपने वजूद के लिए आपस में भिड़ेंगे? इसका जवाब है... नहीं। यह मुमकिन नहीं।

इसके दो प्रमुख कारण हैं। पहला- OTT विदेशों में पिछले तीन दशकों से मौजूद है, इसके बावजूद वहां सिनेमाघर और टेलीविजन आज भी अपनी जगह कायम हैं। दूसरा- भारत जैसे विशाल देश में बाहुबली-2 जैसी कामयाब फिल्म को भी सिनेमाघर में मात्र पांच करोड़ दर्शक देख पाते हैं।

टेलीविजन पर प्रसारण से फिल्म के दर्शक और कमाई, दोनों बढ़ जाती हैं। OTT के आने से भी दर्शक और कमाई बढ़ाने का एक और प्लेटफॉर्म बढ़ गया है। जैसे पानी अपनी सतह खोज लेता है, वैसे ही एंटरटेनमेंट टेलीकास्ट के ये तीनों अंग अपना-अपना वजूद कायम कर लेंगे। फिल्म निर्माण का बढ़ता बजट भी एक चुनौती है। OTT के रूप में कमाई का एक अतिरिक्त माध्यम इस समस्या का भी हल हो सकता है।

कोरोना के दौर में बड़े बजट वाली OTT वेब-सीरीज बनना शुरू हुईं। बावजूद इसके आज 9 महीने बाद जब OTT कंपनियां अपना हिसाब-किताब लगा रही हैं तो साफ हो रहा है कि उनके कारोबार को वह उछाल नहीं मिला, जैसी उम्मीद की जा रही थी।

हकीकत तो यह है कि सिनेमाघर, टेलीविजन और OTT, तीनों दर्शक वर्ग अलग-अलग है। मौजूदा OTT का अधिकांश कंटेंट विदेशी फॉर्मेट पर बन रहा है। इनके दर्शक अधिकतर महानगरों और बड़े शहरों में हैं। साफ है कि तीनों माध्यमों के दर्शक अलग हैं, ऐसे में तीनों अपना वजूद बनाए रखेंगे।

निर्माताओं ने इसलिए ओटीटी का रास्ता अपनाया

मार्च 2020 के आखिरी सप्ताह में लॉकडाउन के साथ ही सिनेमाघर बंद हो गए। कई निर्माताओं की फिल्म पूरी हो चुकी थीं। ऐसे में उन पर फौरन दो खतरे मंडराने लगे। पहला- सिनेमाघर के खुलने में देरी के चलते उनके कंटेंट का बासी होना और दूसरा- फिल्म बनाने में लगी रकम पर हर महीने ब्याज की मार। उधर, OTT इंडस्ट्री समझ गई कि दर्शकों को नया कंटेंट चाहिए और भारत में पैर जमाने के लिए इससे बेहतर समय नहीं मिलेगा। निर्माताओं को मुंह मांगी रकम दी गई। शर्त यह थी कि निर्माता OTT पर फिल्म के दिखाए जाने के 120 दिन बाद ही उसे टेलीविजन पर टेलीकास्ट करेंगे। कई निर्माताओं के लिए यह व्यावसायिक समझौता संजीवनी साबित हुआ। नीचे दिए गए चार्ट से यह गणित साफ हो जाएगा...

उधर, देशभर के सिनेमाघरों के मालिकों को सीधे OTT पर फिल्म रिलीज करना बहुत गलत लग रहा है। दरअसल, वे यह बात नजरअंदाज कर रहे हैं कि ऐसे फैसले, मौजूदा समय की मांग हैं। निर्माताओं को अपनी पूंजी सुरक्षित करने के लिए यह कदम उठाना पड़ा।

यशराज फिल्म्स ‘बंटी और बबली-2’ और ‘जयेशभाई जोरदार’, रिलायंस की ‘सूर्यवंशी’, ‘1983’ और सलमान की ‘राधे’ ही ऐसी चुनिंदा फिल्म हैं, जो बनकर तैयार हैं, लेकिन इनके निर्माताओं ने सिनेमाघर के बजाय सीधे OTT पर फिल्म रिलीज करने के रुचि नहीं दिखाई है। इन निर्माताओं ने गजब के धैर्य के साथ बड़ा आर्थिक नुकसान उठाया।

छोटी बजट की फिल्मों के लिए ज्यादा फायदेमंद OTT-टीवी

आने वाले समय में कई फिल्में सिर्फ OTT के लिए बनेंगी। ‘रात अकेली’ और ‘लूटकेस’ इसके सफल उदाहरण हैं। एक छोटी बजट की फिल्म रिलीज करने के लिए निर्माता को लागत के अलावा कम से कम पांच करोड़ रुपए प्रचार-प्रसार और डिस्ट्रीब्यूशन पर खर्च करने पड़ते हैं। कई फिल्मों की कथा ऐसी होती है कि वह सिनेमाघर से यह लागत नहीं निकाल पातीं, ऐसी सभी फिल्मों के लिए सीधे OTT-टीवी पर जाना ही सही फैसला है।

लूटकेस फिल्म दो साल से प्रदर्शन के लिये तैयार थी, लेकिन निर्माता यह जोखिम नहीं उठाना चाहता था। फिल्म सीधे OTT पर आई और इसकी तारीफ भी हुई।

अभिषेक बच्चन और सैफ अली खान जैसे मध्यम लोकप्रिय सितारे OTT पर आ चुके हैं। गुणवत्ता में सुधार होगा और इससे दर्शक और इंडस्ट्री दोनों का फायदा होगा ।

सिनेमाघर से टीवी और OTT का सफर

कुछ समय पहले तक कोई भी फिल्म सिनेमाघर में रिलीज होने के आठ हफ्ते बाद टीवी पर दिखाई जाती थी। इसके कई दिनों बाद यह फिल्म OTT पर पहुंचती थी। निर्माता को टीवी पर टेलीकास्ट करने से OTT के मुकाबले चार गुना पैसे मिलते थे। यानी फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन का सिस्टम था- सबसे पहले सिनेमाघर, फिर टीवी और आखिर में OTT। OTT की कमाई का मॉडल सब्सक्रिप्शन पर आधारित है। जितने ज्यादा सब्सक्राइबर, उतनी ज्यादा कमाई।

शुरुआती सालों OTT का बहुत अधिक प्रभाव नही था। दर्शक फिल्म को सिनेमाघर के बाद टीवी पर देख चुका होता था, इसलिए मनोरंजन पर अधिक खर्च के लिए तैयार नही था। OTT इंडस्ट्री ने इस सच को पहचाना और निर्माताओं को ज्यादा रुपए देने शुरू किया। उनकी एक ही शर्त थी कि सिनेमा में प्रदर्शन के बाद पहले फिल्म OTT पर आएगी और इसके बाद टेलीविजन पर। इस नए समीकरण में निर्माता को OTT से टेलीविजन के मुकाबले पांच गुना ज्यादा रकम मिलने लगी। इसी दौर में अपने पैर पसारने के लिए OTT ने बड़े बजट पर वेब-सीरीज का निर्माण शुरू किया । ‘सेक्रेट गेम्स, फैमिली मैन, स्पेशल ओप्स’ इसके कुछ बड़े उदाहरण हैं ।

OTT में कई बदलाव करने की जरूरत

  • High quality content के लिए नियम बदलने होंगे
    टेलीविजन पर प्रसारण अधिकार सीमित समय के लिए दिए जाते हैं और मूल निर्माता को कुछ वर्षों में अपनी फिल्मों से भरपूर कमाई होती है, जबकि मौजूदा OTT व्यवस्था में वेब-सीरीज के सभी अधिकार हमेशा के लिए OTT के हो जाते हैं। यही व्यवस्था उन फिल्मों पर भी लागू है, जिन्हें OTT मौलिक फिल्म कहा जाता है। हालांकि, राकेश रोशन, आदित्य चोपड़ा और राजकुमार हिरानी जैसे बड़े निर्माता कभी इस शर्त को स्वीकार नही करेंगे। आने वाले समय में OTT को अगर हाई क्वालिटी कंटेंट चाहिए तो कुछ खास निर्देशकों के लिए यह नियम बदलना होगा। निर्देशक और ओटीटी दोनों एक दूसरे की आंख में आंख डाले बैठे हैं। जल्द ही किसी एक पक्ष की पलकें झुक जाएंगी।
  • देशी साहित्य से ली गई कहानियां पर भी बने कंटेंट
    अभी ज्यादातर कंटेंट पश्चिम से लिया जा रहा है, जबकि सभी देशों के साहित्य से कहानियां ली जानी चाहिए। कोलकाता में स्थापित विश्व की पहली कॉरपोरेट संस्था न्यू थियेटर में रवींद्रनाथ टैगोर सलाहकार थे। संस्था की पहली 5 फिल्मों की असफलता के बाद गुरुदेव रवींद्र के मार्ग निर्देशन में उनके नाटक ‘नाॅटिकर पूजा’ से प्रेरित फिल्म भी असफल रही। इसके बाद टैगोर के सुझाव पर शिशिर भादुड़ी के नाटक ‘सीता’ पर आधारित फिल्म सफल रही। इसमें पृथ्वीराज कपूर और दुर्गा खोटे मुख्य अभिनेता थे। यहीं से साहित्य प्रेरित फिल्मों का निर्माण शुरू हो गया। शरत बाबू के उपन्यास ‘देवदास’ पर केएल सहगल अभिनीत फिल्म बनी। इस फिल्म के कैमरामैन बिमल राॅय ने कुछ सालों बाद दिलीप कुमार, सुचित्रा सेन और वैजयंती माला के साथ ‘देवदास’ बनाई। इस विषय पर अलग-अलग भाषाओं में 11 बार फिल्म बन चुकी हैं।
    विलियम शेक्सपीयर के लगभग सभी नाटकों से प्रेरित फिल्में हर देश में बनी है। यह आश्चर्यजनक है कि टीएस एलियट के काव्य नाटक ‘मर्डर इन कैथर्डल’ पर भी फिल्म बनी है। आज OTT और टेलीविजन साहित्य से प्रेरित ऐसी फिल्में मौजूदा अकाल को हरितक्रांति में बदल सकते हैं।
    आदमी का पूरा जीवन ही कुरुक्षेत्र की तरह है, जहां एक युद्ध सतत लड़ा जा रहा है। सिनेमा अपने जन्म से ही आम आदमी के मनोरंजन के लिए बना है। प्रबुद्ध वर्ग नाटक और ओपेरा देख सकता है। आज इसी आम आदमी के लिए उसी के जीवन संग्राम से प्रेरित फिल्में बनाई जा सकती हैं। इतिहास और साहित्य से प्रेरणा लेकर नई कथाएं लिखी जा सकती हैं।
  • फिल्मों की तरह महानगरों के दर्शकों तक न रहे सीमित
    हिन्दी फिल्मों ने पिछले कुछ वर्षों में सिर्फ महानगरों के दर्शकों को ध्यान रखकर फिल्में बनाईं। यही कारण है कि व्यवसाय सीमित हो रहा है। वेब सीरीज में भी यही गलती दोहराई जा रही है। इसके उलट तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और मलयालम के निर्माता निर्देशकों ने आम दर्शक की पसंद पर भरपूर ध्यान दिया। सिनेमाघर में उनकी सफलता का प्रतिशत बहुत ज्यादा है। वही कंटेंट OTT-टीवी पर भी ज्यादा सफल है। सीधा सा गणित है कि ज्यादा दर्शक वर्ग को ध्यान में रखकर निर्माण होगा तो उसकी सफलता और आय भी बहुत अधिक होगी।
  • पारिवारिक भाषा और जरूरत को अपनाए OTT
    हमारे यहां तो मनोरंजन आज भी परिवार के साथ होता है। ऐसे में 130 करोड़ की आबादी वाले इस देश में OTT इंडस्ट्री को असर बढ़ाने के लिए अपना सॉफ्टवेयर बदलना होगा ।
    किसी भी व्यवसाय को सफल बनाने के लिए खरीदार की भाषा और जरूरत ही अहम होती है। बेचने वाले की नहीं। OTT इंडस्ट्री को यह समझना होगा। तीन दशक पहले बने सीरियल महाभारत और रामायण की दर्शक संख्या आज भी किसी बड़े OTT कार्यक्रम से 10 गुना ज्यादा है।


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Theaters, OTT and TV will not clash; Quality films and webseries will be available


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फाइबर से इम्यूनिटी मजबूत होती है और कैंसर का खतरा भी कम होता है, जानें इसके फायदे

सर्दियों में सेहतमंद रहना एक बड़ी चुनौती होती है। सर्दियों में शरीर की जरूरतों में भी बदलाव आ जाता है। न्यूट्रिएंट की जरूरतों में भी बदलाव आते हैं। शरीर को उसकी जरूरत के हिसाब से न्यूट्रिएंट न मिले, तो शरीर में न्यूट्रिशन इम्बैलेंस यानी पोषक तत्वों का असंतुलन हो सकता है, जो कई बीमारियों की वजह बन सकता है।

इस मौसम में हमारे शरीर को फाइबर की जरूरत आम दिनों की तुलना में ज्यादा होती है। फाइबर हरे पत्तेदार सब्जियों में पाया जाने वाला एक तरह का कार्बोहाइड्रेट है। भोपाल में डायटीशियन डॉ. निधि पांडे कहती हैं कि अगर आप फाइबर युक्त डाइट ले रहे हैं, तो एवरेज से कम कैलोरी बर्न होगी। अगर शरीर में औसत से कम कैलोरी बर्न हो रही है, तो इसका मतलब आपकी एनर्जी स्टोर हो रही है। जिसके चलते आप ज्यादा एक्टिव रहेंगे और आपका इम्यून सिस्टम ज्यादा मजबूत रहेगा।

दो तरह के होते हैं फाइबर

फाइबर दो तरह के होते हैं, एक सॉलिबल और दूसरा इन्सॉलिबल।

  1. सॉलिबल फाइबर वह होता है जिसे हम आसानी से चबा लेते हैं, जैसे - सेब और अमरूद ।
  2. इन्सॉलिबल फाइबर वह होता है, जिसे हम चबाते तो हैं लेकिन उसके बाद भी वह रेसे के रूप में रह जाता है जैसे- शक्कर कंद।
  • हम खाने के जरिए इन दोनों तरह के फाइबर को लेते हैं। अगर आप अपनी डाइट को हेल्दी बनाना चाहते हैं तो उसमें फाइबर को एड करें। ज्यादातर फाइबर युक्त खाने (Fiber Rich Foods) में जरूरी न्यूट्रिएंट की भरपूर मात्रा पाई जाती है। जो हमारे हेल्थ के लिए कई मायनों में जरूरी होते हैं।

डाइट में फाइबर शामिल करने के 5 फायदे

1. वजन घटाने में मददगार

हमारा शरीर फाइबर को डाइजेस्ट नहीं करता, बल्कि यह हमारे आंतों में लंबे समय तक रहता है। यह हमारे पेट को ज्यादा समय तक भरा रखता है और इस दौरान हमारा शरीर कम कैलोरी बर्न करता है। जिसके चलते हमें बहुत ज्यादा भूख नहीं लगती या हम जरूरत से ज्यादा नहीं खाते।

यही कारण है वेट लॉस करने वालों को डॉक्टर्स और डाइटिशियन हरी-पत्तेदार सब्जियां और सलाद खाने की सलाह देते हैं। आप अपने डाइट में फाइबर युक्त फलों और सब्जियों को शामिल कर सकते हैं। यह वजन घटाने में आपकी मदद करेगा।

2. हार्ट के लिए फायदेमंद

अगर शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर ज्यादा है, तो यह हार्ट के लिए बेहद खतरनाक है। इसके चलते दिल से जुड़ी कई बीमारियां भी हो सकती हैं। फाइबर युक्त डाइट लेने से कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहेगा। स्टडी में पाया गया है कि हाई फाइबर वाली चीजों को डाइट में शामिल करने से न केवल हार्ट से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम होगा, बल्कि हार्ट और भी ज्यादा मजबूत होगा।

3. ब्लड प्रेशर और शुगर के लिए असरदार

हाई ब्लड प्रेशर की समस्या आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। इसके चलते हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ जाता है। फाइबर से भरपूर फूड ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रख सकते हैं। न केवल इससे ब्लड प्रेशर बल्कि ब्लड शुगर भी कंट्रोल में रहता है।

4. कब्ज की समस्या से निजात

डाइट में अधिक फाइबर शामिल करने से डाइजेशन भी अच्छा रहता है। यह कब्ज जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है। डॉ. निधि कहती हैं कि फाइबर हमारे शरीर में ब्रश का काम करता है। इसका रोल है कि शरीर से सारे टौक्सिक लोड को कम करना।

5. कैंसर के जोखिम में कमी

स्टडी में ये बात सामने आ चुकी है कि फाइबर को डाइट में शामिल करने से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा कम हो जाता है। फाइबर से भरी हुई ज्यादातर रिक्रूटर्स और सब्जियां एंटीऑक्सिडेंट और फोटोकेमिकल से भरपूर होती हैं, जो कैंसर के जोखिम को 30 से 40% तक कम करती हैं।



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Fiber Good for You In Winters? For Weight Loss, Heart, Blood Pressure, Cancer And More; Know Amazing Health Benefits


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सिडनी में ऑस्ट्रेलिया का पलड़ा भारी, भारत के खिलाफ 12 में से 5 मैच जीते; वॉर्नर की वापसी तय

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 4 टेस्ट की सीरीज का तीसरा मुकाबला कल सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (SCG) पर खेला जाएगा। SCG में ऑस्ट्रेलिया का पलड़ा भारी है। ऑस्ट्रेलिया ने यहां भारत के खिलाफ 12 मैच खेले हैं, जिसमें उसने 5 जीते और एक हारा है। फिलहाल, सीरीज 1-1 की बराबरी पर है।

इस मैच में भारतीय टीम में कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं। ओपनर मयंक अग्रवाल की जगह रोहित शर्मा प्लेइंग इलेवन में शामिल हो सकते हैं। वहीं, ऑस्ट्रेलिया में डेविड वॉर्नर और विल पुकोव्स्की की वापसी हो सकती है। जो बर्न्स की गैरमौजूदगी में दोनों ओपनिंग करते दिखेंगे।

रोहित समेत पांचों खिलाड़ियों का कोरोना टेस्ट निगेटिव
सिडनी रवाना होने से पहले रोहित समेत जांच के घेरे में शामिल पांचों खिलाड़ियों का कोरोना टेस्ट निगेटिव आया है। सभी सिडनी में बाकी प्लेयर्स के साथ प्रैक्टिस भी करते नजर आए हैं। इसने सभी खिलाड़ियों के खेलने की रिपोर्ट्स को और पक्का कर दिया है।

ऑस्ट्रेलियाई टीम से नई ओपनिंग जोड़ी उतरेगी
वहीं, ऑस्ट्रेलियाई टीम भी सीरीज में अच्छी शुरुआत को लेकर जूझ रही है। चोटिल डेविड वॉर्नर टीम से बाहर चल रहे थे। अब उनकी तीसरी टेस्ट में वापसी होगी। वे युवा बैट्समैन विल पुकोव्स्की के साथ ओपनिंग कर सकते हैं। ऑस्ट्रेलियाई कोच जस्टिन लैंगर भी इस बात को कई बार कह चुके हैं। पुकोव्स्की का यह डेब्यू टेस्ट होगा।

तीन भारतीय खिलाड़ी चोटिल होकर सीरीज से बाहर
टीम इंडिया के 3 खिलाड़ी मोहम्मद शमी, उमेश यादव और लोकेश राहुल चोटिल होकर सीरीज से बाहर हो चुके हैं। रेग्युलर कप्तान विराट कोहली पहले टेस्ट के बाद पैटरनिटी लीव पर हैं। ऐसे में टीम की मुश्किलें काफी बढ़ चुकी हैं।

रहाणे, रोहित और शुभमन पर रहेगा बल्लेबाजी का दारोमदार
कोहली की गैरमौजूदगी में कप्तानी संभाल रहे अजिंक्य रहाणे सीरीज के टॉप स्कोरर हैं। रोहित के जुड़ने से टीम को मजबूती मिलेगी। रोहित पहली बार विदेश में ओपनिंग कर सकते हैं। शुभमन गिल ने भी बॉक्सिंग-डे टेस्ट में बेहतरीन प्रदर्शन किया था। मुश्किलों में घिरी भारतीय टीम की बल्लेबाजी का दारोमदार इन तीनों बल्लेबाजों के कंधों पर ही रहेगा।

पुजारा और हनुमा खराब फॉर्म से जूझ रहे

मिडिल ऑर्डर में चेतेश्वर पुजारा और हनुमा विहारी खराब फॉर्म से जूझ रहे हैं। दोनों ने सीरीज में 2-2 टेस्ट खेले हैं। इसमें पुजारा ने 63 और विहारी ने 45 रन ही बनाए हैं। टीम की जीत के लिए इनका फॉर्म में आना जरूरी है।

मौसम और पिच रिपोर्ट
सिडनी में गुरुवार को बारिश की आशंका है। इसके बाद अगले 4 दिन बादल छाए रहेंगे। न्यूनतम तापमान 16 डिग्री और अधिकतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। सिडनी की पिच से बल्लेबाजों को मदद मिलेगी। टेस्ट के चौथे और पांचवें दिन स्पिनर्स को भी मदद मिलेगी। ब्रिस्बेन और पर्थ की पिच की तरह यहां तेज गेंदबाजों को एक्स्ट्रा बाउंस नहीं मिलेगा।

गेंदबाजी में अश्विन-जडेजा के साथ बुमराह पर दारोमदार
भारतीय गेंदबाजी में शमी और उमेश के बाहर होने के बाद तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के साथ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा पर गेंदबाजी की जिम्मेदारी होगी। इन्होंने अपने दम पर ही टीम को दूसरा टेस्ट भी जिताया था। सीरीज में अश्विन और ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज पैट कमिंस ने सबसे ज्यादा 10-10 विकेट लिए हैं।

नटराजन कर सकते हैं डेब्यू

सिडनी में टीम इंडिया की प्लेइंग इलेवन में तेज गेंदबाज टी नटराजन को मौका मिल सकता है। यह उनका डेब्यू मैच होगा। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर ही वनडे और टी-20 में डेब्यू किया है। उन्होंने एक वनडे में 2 और 3 टी-20 में 6 विकेट लिए हैं।

भारतीय टीम

  • बैट्समैन: रोहित शर्मा, मयंक अग्रवाल, पृथ्वी शॉ, चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे (कप्तान), शुभमन गिल
  • ऑलराउंडर: हनुमा विहारी, रविंद्र जडेजा, रविचंद्रन अश्विन
  • विकेटकीपर: ऋद्धिमान साहा, ऋषभ पंत
  • बॉलर: जसप्रीत बुमराह, नवदीप सैनी, कुलदीप यादव, मोहम्मद सिराज, टी नटराजन, शार्दूल ठाकुर।

ऑस्ट्रेलियाई टीम

  • बैट्समैन: स्टीव स्मिथ, मार्कस हैरिस, डेविड वॉर्नर, विल पुकोव्स्की
  • ऑलराउंडर: ट्रेविस हेड, मार्नस लाबुशेन, माइकल नेसेर, मोइसेस हेनरिक्स, कैमरून ग्रीन
  • विकेटकीपर: टिम पेन, मैथ्यू वेड
  • बॉलर: पैट कमिंस, जोश हेजलवुड, नाथन लियोन, मिचेल स्टार्क, मिचेल स्वेपसन


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Australia vs India 3rd Test Match Head To Head Record: Rohit Sharma Steve Smith | IND Vs AUS Playing 11 Sydney Test Latest News


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रोहित कहां करेंगे बैटिंग और उमेश की जगह कौन लेगा? तीसरे टेस्ट में टीम इंडिया के लिए मुश्किल बने सवालों के जवाब

भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर सीरीज खेली जा रही है। चार मैचों की सीरीज अभी 1-1 की बराबरी पर है और तीसरा टेस्ट मैच कल से सिडनी में खेला जाना है। मैच से दो दिन पहले ओपनर और विकेटकीपर लोकेश राहुल चोटिल होकर सीरीज से बाहर हो गए। मोहम्मद शमी और उमेश यादव के बाद सीरीज से बाहर होने वाले राहुल तीसरे भारतीय खिलाड़ी हैं।

मैच से पहले टीम इंडिया के सामने कई मुश्किल सवाल हैं। जिन पांच खिलाड़ियों पर कोरोना प्रोटोकॉल तोड़ने के आरोप हैं उनका क्या होगा? एक साल बाद वापसी कर रहे रोहित शर्मा किस नंबर पर खेलेंगे? चोट लगने के कारण टीम से बाहर हुए उमेश यादव की जगह कौन लेगा? क्या राहुल की जगह कोई नया बल्लेबाज टीम के साथ जुड़ेगा? अगर कोई और बल्लेबाज चोटिल हो जाता है तो टीम इंडिया सीरीज के बाकी मैच कैसे खेलेगी? चौथा टेस्ट ब्रिस्बेन में होगा या नहीं इसे लेकर भी सवाल है। आइये जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब…

जिन पांच खिलाड़ियों पर कोरोना प्रोटोकॉल तोड़ने के आरोप हैं उनका क्या होगा?

मेलबर्न से सिडनी रवाना होने से पहले दोनों टीमों के सभी खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टाफ की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई है। सोमवार को टीम इंडिया सिडनी पहुंच गई। माना जा रहा है कि तीसरे टेस्ट के लिए टीम इंडिया के पास टीम सिलेक्शन के लिए पूरा स्क्वॉड होगा। यानी, जिन पांच खिलाड़ियों (रोहित शर्मा, शुभमन गिल, पृथ्वी शॉ, नवदीप सैनी और ऋषभ पंत) पर कोरोना प्रोटोकॉल तोड़ने का आरोप है, वो भी सिलेक्शन के लिए अवेलेबल रहेंगे। मंगलवार को प्रैक्टिस के दौरान इन खिलाड़ियों ने टीम के बाकी साथियों के साथ प्रैक्टिस भी की।

एक साल बाद वापसी कर रहे रोहित शर्मा कहां खेलेंगे?

रोहित शर्मा ने पिछला टेस्ट मैच नवंबर 2019 में बांग्लादेश के खिलाफ खेला था। तब वो टीम में बतौर ओपनर खेले थे। अब तक 32 टेस्ट खेल चुके रोहित ने सिर्फ पांच टेस्ट बतौर ओपनर खेले हैं। ये पांचों मैच उन्होंने 2019 में भारत में खेले। इसके बाद न्यूजीलैंड में हुई टेस्ट सीरीज से पहले वो चोटिल होकर टीम से बाहर हो गए थे। मौजूदा सीरीज के पहले दो टेस्ट भी वो चोट के चलते नहीं खेल सके।

बतौर ओपनर रोहित का प्रदर्शन शानदार रहा है। उन्होंने ओपनर के तौर पर खेली छह पारियों में 176, 127, 14, 212, 6 और 21 रन बनाए हैं। उनके टेस्ट करियर का बेस्ट स्कोर 212 रन भी उन्होंने ओपनर के तौर पर साउथ अफ्रीका के खिलाफ बनाया था। इन आंकड़ों के चलते ही टेस्ट में वापस आते ही उन्हें उप-कप्तान बना दिया गया। अगर इन आंकड़ों को देखें, तो रोहित बतौर ओपनर ही टीम में शामिल होंगे। ऐसे में आउट ऑफ फॉर्म चल रहे मयंक अग्रवाल को टीम से बाहर किया जा सकता है।

हालांकि, रोहित शर्मा ने अभी तक विदेश में किसी टेस्ट में ओपनिंग नहीं की है। इस टूर पर उन्हें मैच प्रैक्टिस का मौका भी नहीं मिला है। ऐसे में मैनेजमेंट उन्हें पहले ही मैच में सीधे नई बॉल से स्टार्क, कमिंस और हेजलवुड के खिलाफ उतारने की जगह बीच में बैटिंग करा सकता है।

रोहित मिडिल ऑर्डर में खेले तो किसकी जगह लेंगे?

रोहित अगर बीच में बैटिंग करने उतरते हैं तो टीम मैनेजमेंट 2018-19 के ऑस्ट्रेलिया दौरे वाला फॉर्मूला अपना सकता है। उस दौरे में मेलबर्न के दौरान हनुमा विहारी बतौर ओपनर उतरे थे। जबकि, रोहित ने छह नंबर पर बैटिंग की थी। उस मैच में भी रोहित ने 63 रन की पारी खेली थी। इस दौरे की बात करें, तो हनुमा विहारी ने अब तक बड़ा स्कोर नहीं किया है लेकिन वो काफी ऑर्गनाइज्ड और तकनीकी रूप से काफी अच्छे दिखे हैं। हनुमा विहारी की डिफेंसिव टेक्नीक और प्रेशर हैंडल करने की क्षमता को देखते हुए उन्हें ये रोल मिल सकता है।

एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?

पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण का मानना है कि ऑस्ट्रेलियाई विकेट रोहित शर्मा की बैटिंग के अनुकूल हैं। ऐसे में उन्हें गुरुवार को शुरू होने वाले मैच में ओपनर के तौर पर ही खेलना चाहिए। लक्ष्मण ने कहा कि मैं चाहता हूं कि रोहित ओपन करें और शतक बनाएं। वहीं, पूर्व ओपनर आकाश चोपड़ा का भी मानना है कि मयंक अग्रवाल को रोहित शर्मा के लिए जगह बनानी होगी। रोहित बतौर ओपनर ही टीम में शामिल होंगे।

उमेश यादव की जगह कौन लेगा?

सीरीज शुरू होने से पहले इशांत शर्मा, पहले टेस्ट के दौरान शमी और दूसरे टेस्ट के दौरान उमेश चोटिल होकर टीम से बाहर हो चुके हैं। शमी की जगह पिछले मैच में खेले डेब्यूटन मोहम्मद सिराज ने बढ़िया प्रदर्शन किया था। ऐसे में उनका खेलना तय है। शार्दुल ठाकुर को शमी की जगह जबकि टी नटराजन को उमेश की जगह टीम में शामिल किया गया है।

नवदीप सैनी पहले से टीम का हिस्सा हैं। ऐसे में सबसे मजबूत दावा नवदीप का है। अगर टीम मैनेजमेंट फर्स्ट क्लास एक्सपीरियंस को तवज्जो देता है, तो ही शार्दुल को जगह मिल सकती है। शार्दुल थोड़े बहुत रन बैटिंग में भी बना सकते हैं। सिडनी पूरे ऑस्टेलिया में एकमात्र पिच है, जहां स्पिनर्स को सबसे ज्यादा मदद मिलती है। 2018-19 के भारत दौरे में सिडनी में सिर्फ दो स्पिनर खेले थे।

वनडे और टी-20 सीरीज में शानदार प्रदर्शन करने वाले टी. नटराजन सफेद बॉल से अपने प्रदर्शन के दम पर रेड बॉल क्रिकेट में भी दावा पेश कर रहे हैं। मैच से दो दिन पहले टी नटराजन ने सफेद जर्सी में अपनी फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट की है। इसके बाद उनके भी टीम में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं।

2018-19 के सिडनी टेस्ट में कुलदीप के साथ रवीन्द्र जडेजा टीम का हिस्सा थे। उस मैच में कुलदीप ने 5 विकेट लिए थे। ऐसे में टीम मैनेजमेंट कुलदीप को खिलाने के बारे में सोच सकता है। लेकिन, अश्विन के फॉर्म को देखते हुए इसकी संभावना लगभग न के बराबर है।

​​​क्या राहुल की जगह कोई नया बल्लेबाज टीम के साथ जुड़ेगा?

कोरोना काल में किसी भी खिलाड़ी को जुड़ने के लिए ऑस्ट्रेलिया जाने के बाद 14 दिन क्वारैंटाइन रहना होगा। जैसे रोहित शर्मा 15 दिसंबर को ही ऑस्ट्रेलिया पहुंच गए थे। लेकिन क्वारैंटाइन रहने के कारण ही वो शुरुआती दो टेस्ट नहीं खेले। अगर राहुल की जगह कोई खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया आता है, तो जब तक वो खेलने के लिए एलिजिबल होगा, तब तक सीरीज खत्म हो चुकी होगी।

और बल्लेबाज चोटिल हुए, तो टीम बाकी मैच कैसे खेलेगी?

मौजूदा टीम में कुल सात बल्लेबाज कप्तान अजिंक्य रहाणे, उप-कप्तान रोहित शर्मा, शुभमन गिल, पृथ्वी शॉ, मयंक अग्रवाल, चेतेश्वर पुजारा और हनुमा विहारी ही बचे हैं। ऐसे में अगर कोई बल्लेबाज तीसरे टेस्ट के दौरान चोटिल होता है, तो टीम इंडिया के लिए मुश्किल बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी।

चौथा टेस्ट ब्रिस्बेन में होगा या नहीं क्या इसे लेकर भी सवाल है?

दरअसल, सिडनी में कड़े कोरोना प्रोटोकॉल फॉलो किए जा रहे हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि सिडनी से ब्रिस्बेन पहुंचने पर टीम को होटल में आइसोलेट किया जा सकता है। टीम इंडिया इसका विरोध दर्ज करा चुकी है। ऐसे में या तो टीम को ब्रिस्बेन आने पर प्रैक्टिस की छूट मिलेगी। या फिर टीम इंडिया चौथा टेस्ट भी सिडनी में ही कराने को कहेगी। ऐसा नहीं होता है, तो चौथा टेस्ट रद्द भी सकता है।



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Rohit Sharma To Indian Players Who Breached Protocol | India (IND) Vs Australia (AUS) Sydney Test Match Test Explainer


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मसालेदार खाने के शौकीनों के लिए डिप पोटैटो, कुकर में पकाएं; गरम मसाला-हरा धनिया डालकर सर्व करें



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For the spicy food lovers dip potato, cook it in the cooker and serve it with garam masala and green coriander.


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जब भारत की प्रधानमंत्री को उनके ही सिक्युरिटी गार्ड्स ने गोलियों से भून दिया था, 5 साल बाद हत्यारों को मिली थी फांसी

तारीख थी 31 अक्टूबर 1984 और समय था सुबह 9 बजकर 10 मिनट। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री कार्यालय से बाहर निकलीं। इंदिरा गांधी अधिकारियों से चर्चा कर रही थीं। तभी अचानक वहां तैनात सिक्युरिटी गार्ड बेअंत सिंह ने अपनी रिवॉल्वर निकाली और इंदिरा गांधी पर फायर किया। गोली उनके पेट पर लगी। इसके बाद बेअंत ने दो और फायर किए।

बेअंत सिंह से 5 फीट की दूरी पर ही खड़े थे सतवंत सिंह। तभी बेअंत ने उसे चिल्लाकर कहा- गोली चलाओ। सतवंत ने तुरंत अपनी ऑटोमैटिक कार्बाइन की सभी 25 गोलियां इंदिरा गांधी के ऊपर फायर कर दीं। दोनों ने इतनी गोलियां चलाईं कि इंदिरा गांधी का शरीर क्षत-विक्षत हो गया था। गोली मारे जाने के 4 घंटे बाद दोपहर 2 बजे इंदिरा गांधी को मृत घोषित कर दिया गया।

बेअंत सिंह को उसी वक्त वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने मार दिया। सतवंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। इस पूरी साजिश में केहर सिंह भी थे। इंदिरा गांधी के हत्यारे उनसे ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेना चाहते थे। अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार में हजारों लोग मारे गए थे।

करीब 5 साल तक मामला अदालतों में चलने के बाद इंदिरा गांधी के बचे दो हत्यारों सतवंत सिंह और केहर सिंह को 6 जनवरी 1989 को तिहाड़ जेल में फांसी की दे दी गई। सतवंत सिंह हिंसक प्रवृत्ति का था, जबकि केहर सिंह शांत रहता था। फांसी के बाद दोनों के शव परिवारवालों को भी नहीं दिए गए और जेल प्रशासन ने ही उनका अंतिम संस्कार किया।

जब दुनिया ने पहली बार देखी टेलीग्राफ तकनीक
आज ही के दिन 1838 में अमेरिका सैमुअल मोर्स ने दुनिया के सामने पहली बार टेलीग्राफ तकनीक को पेश किया था। मोर्स के टेलीग्राफ में डॉट और डैशेज के जरिए मैसेज को भेजा जाता है। डॉट अक्षरों को और डैश अंकों को बताता था। इसके लिए मोर्स ने मोर्स की (Morse Key) बनाई थी।

मोर्स का जन्म 27 अप्रैल 1791 को मैसाचुएट्स में हुआ था। 1832 में जब मोर्स समुद्री रास्ते से यूरोप से अमेरिका जा रहे थे, तो रास्ते में उन्होंने इलेक्ट्रोमैग्नेट के बारे में सुना। यहीं से उन्हें टेलीग्राफ का आइडिया आया।

मोर्स-की की चाबी को जब दबाकर तुरंत छोड़ दिया जाता, तो डॉट बन जाता था। दो बार डॉट बनाने से डैश बन जाता था।

1838 में टेलीग्राफ का पेटेंट लेने के बाद मोर्स ने बड़ी मुश्किल से अमेरिकी कांग्रेस को इस बात के लिए राजी कराया कि वो उनके इस आविष्कार में पैसे लगाए। इसके बाद वॉशिंगटन डीसी से बाल्टिमोर तक टेलीग्राफ केबल बिछाई गई। 24 मई 1844 को मोर्स ने वॉशिंगटन डीसी से बाल्टिमोर मैसेज भेजा, जिसमें था- "व्हाट हैथ गॉड रॉट' यानी "वाह रे ईश्वर, तेरी सृष्टि।'

भारत और दुनिया में 6 जनवरी की महत्वपूर्ण घटनाएं :

  • 2020ः पुरुषों के साथ बलात्कार करने वाले इंडोनेशियाई नागरिक रिनहार्ड सिनागा को ब्रिटेन की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई।
  • 2012: सीरिया की राजधानी दमिश्क में आत्मघाती हमले में 26 लोगों की मौत, 63 घायल हुए।
  • 2010: नई दिल्ली में यमुना बैंक-आनंद विहार सेक्शन की मेट्रो रेलों का परिचालन शुरू हुआ।
  • 2007: उत्तर प्रदेश का हिन्दी संस्थान की ओर से साहित्य के क्षेत्र में दिए जाने वाले वार्षिक पुरस्कारों के तहत 2007 के भारत भारती सम्मान केदारनाथ सिंह को प्रदान करने की घोषणा हुई।
  • 2003: रूस ने संयुक्त राष्ट्र से बिना अनुमति लिए इराक के खिलाफ सैनिक कार्रवाई पर अमेरिका को चेतावनी दी।
  • 2002: बांग्लादेश की मुद्रा से पूर्व राष्ट्रपति शेख मुजीब का चित्र हटाया गया।
  • 1983: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को पहली बार आंध्र प्रदेश और कर्नाटक विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा।
  • 1980: सातवें लोक सभा चुनाव में इंदिरा गांधी की नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी को दो तिहाई बहुमत मिला।
  • 1976: चीन ने लोप नोर क्षेत्र में परमाणु परीक्षण किया।
  • 1950: ब्रिटेन ने चीन की कम्युनिस्ट सरकार को मान्यता प्रदान की।
  • 1947: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी ने भारत का विभाजन स्वीकार किया।
  • 1929: मदर टेरेसा भारत में उपेक्षित और गरीब लोगों की सेवा करने के लिए कलकत्ता (अब कोलकाता) लौटीं।
  • 1664: छत्रपति शिवाजी महाराज ने सूरत पर हमला किया।


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Today History: Aaj Ka Itihas India World 6 January Update | Indira Gandhi Killers Hanged Samuel Morse Telegraph Interesting Facts


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किसानों को 1 करोड़ दान करने पर आयकर विभाग ने दिलजीत दोसांझ के खिलाफ शुरू की जांच, जानिए दावे का सच

क्या हो रहा है वायरल: सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो रही है। फोटो में लिखा है, 'किसानों का समर्थन करने पर मोदी सरकार सिंगर दिलजीत दोसांझ को निशाना बना रही है। किसान आंदोलन के लिए 1 करोड़ रुपए दान करने पर दिलजीत के खिलाफ आयकर विभाग ने जांच शुरू की है।'

फोटो में नीचे लिखा है, अन्नदाताओं के साथ खड़े होने की कीमत यही है।

और सच क्या है?

  • इस पोस्ट की सच्चाई जाने के लिए हमने किसान आंदोलन और दिलजीत से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स सर्च कीं।
  • रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर के शुरुआती हफ्ते में दिलजीत दोसांझ सिंघु बॉर्डर पर गए थे और किसानों को सर्दी से बचाने के लिए 1 करोड़ रुपए दान किए थे।
  • पड़ताल के दौरान हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जिससे पुष्टि हो सके कि दिलजीत के खिलाफ आयकर विभाग ने जांच शुरू की है।
  • 3 जनवरी को दिलजीत ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर आयकर विभाग की ओर से जारी टैक्सपेयर सर्टिफिकेट शेयर किया।
  • सर्टिफिकेट में साफतौर पर लिखा है कि दिलजीत ने साल 2019-2020 के लिए टैक्स का भुगतान किया है
  • साफ है कि सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा आधा सच है। दिलजीत ने किसानों के लिए 1 करोड़ रुपए दान जरूर दिए हैं, लेकिन उनके खिलाफ आयकर विभाग ने कोई जांच शुरू नहीं की है।


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Income tax department starts investigation against 'Diljit Dosanjh', know the truth of this claim


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पढ़िए, इस हफ्ते की मधुरिमा की सारी स्टोरीज सिर्फ एक क्लिक पर

बच्चे जो भी सीखते हैं, अपने माता-पिता और घर के माहौल से सीखते हैं। ऐसे में अगर वे आपस में किसी बात पर जब असहमति या नाराजगी जताते हैं, तो बच्चे के मन पर इसका नकारात्मक असर पड़ता है। इससे बच्चे पर कैसा और क्या-क्या असर हो सकता है, इस लेख में पढ़िए...

दवाइयों का हमेशा सोच समझकर सेवन करना चाहिए। अमूमन लोग डॉक्टर की सलाह के बिना दवाई खा लेते हैं। इसलिए दवाई के पत्तों या डिब्बों पर कुछ निशान बने होते हैं, जो दवाई खरीदने के नियम बताते हैं। इनकी जानकारी के लिए ये लेख पढ़िए...

दैनिक जीवन को कुछ चीजें भले सुगम बनाती हैं, लेकिन सेहत को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसमें से एक है नेफ्थलीन की गोलियां, जिसके बारे में इस लेख में पढ़िए...

खुद के शौक और कला को सोशल मीडिया पर पोस्ट करती हैं, तो इसे यहीं तक सीमित मत रखिए। अपनी कला को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के साथ-साथ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बनिए। ये आय का जरिया बनेगा और आप कई महिलाओं की प्रेरणा बनेंगी। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बनाने के लिए पढ़ें ये लेख...

जब दूसरे विश्व युद्ध में जापान के विरुद्ध अमेरिका ने परमाणु बम का इस्तेमाल किया, तब जापान के दो शहर खंडहरों की तस्वीर बन गए। आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई। इसके बावजूद जापान चंद वर्षों में दुनिया के विकसित और औद्योगिक क्षमताओं से भरपूर देशों की पंक्ति में अग्रणी हो गया। इस तथ्य से जुड़ी एक प्रेरक कथा यहां पढ़िए...

सुमित्रा भी पति के साथ घर गृहस्थी के खर्च में हाथ बंटाती थी। वह सिर्फ बच्चों की ही नहीं, बल्कि रोहन की पढ़ाई को लेकर भी परेशान रहती। परिवार को साथ लेकर चलने की कोशिश में वो हर कदम पर त्याग किए जा रही थी पर सच में परिवार को एक साथ बांध सकी थी? पढ़िए इस लेख में...

हरदयाल जी ने कई साल पहले एक लड़की की मदद की थी, जिसे वे तो भूल गए थे। लेकिन संजना को आज भी उनकी वो मदद याद थी और आज वही मदद हरदयाल जी के लिए बहुत बड़ी राहत बनकर लौटी थी। पढ़िए इस लेख में...

माइंडफुल वॉकिंग से मस्तिष्क हल्का रहता है। इसे करने से चीजों के प्रति गहरी समझ या बारीकी से सोचने की क्षमता विकसित होती है। इसे कैसे करना है पढ़िए इस लेख में...

देश का पहला पॉलीनेटर पार्क विकसित किया गया है। यहां तितली, मधुमक्खी, विभिन्न कीट और पक्षियों की 40 प्रजातियों को संरक्षित किया गया है। पार्क में और क्या है खास पढ़िए इस लेख में...

अनुभव हर किसी के जीवन में होते हैं, फिर चाहे वो बड़ा हो या बच्चा, लेकिन एक लेखक के तौर पर आपकी सफलता इसी बात पर निर्भर करती है कि कितने अधिक लोग आपके अनुभव, आपकी रचना से जुड़ाव महसूस करते हैं। लेखन की बारीकियों को समझने के लिए पढ़िए इस लेख को...​​​​​​​

आजकल अमूमन सभी नॉन स्टिक पैन में भोजन पकाते हैं। लेकिन इस तरह के बर्तनों को इस्तेमाल करते समय खास ख्याल रखना जरूरी होता है, ताकि कई शारीरिक समस्याओं से बचा जा सके। अधिक जानकारी के लिए पढ़िए ये लेख...​​​​​​​

महिलाओं को अक्सर कंजूस कहा जाता है, जबकि घर-परिवार की सारी जिम्मेदारी व प्रबंधन वे बखूबी संभाल लेती हैं। फिर भी उनके कंजूसी करने की वजह क्या है, साथ ही कंजूसी करने के क्या फायदे हैं, जानिए इस लेख में...​​​​​​​

हम सभी लोग दिनभर में न जाने कितने लोगों से मुलाकात करते हैं, लेकिन कुछ लोग हमें याद रह जाते हैं, इसका कारण होता है उनका आकर्षक व्यक्तित्व। यदि आप भी आकर्षक व्यक्तित्व पाना चाहते हैं तो कुछ खास बातों का ख्याल रखकर अपनी पर्सनैलिटी को निखार सकते हैं। पढ़िए इस लेख में...​​​​​​​

पत्नियों की अक्सर ये शिकायत रहती है कि उनके पति उनसे झूठ बोलते हैं या बातें छुपाते हैं। कई बार वे कुछ छुपाने या गलत इरादे के लिए ऐसा नहीं करते, बल्कि वे ऐसा पत्नियों को खुश रखने के लिए करते हैं। पति क्या-क्या झूठ बोलते हैं और ऐसा क्यों करते हैं, पढ़िए इस लेख में...

शहरों के विस्तार ने घरों को छोटा कर दिया है। ऐसे में घर को खूबसूरत बनाने के लिए सही जमावट के साथ घर की सही सजावट करना एक चुनौती बन गई है। आप भी अपने घर को खूबसूरत बनाने के लिए सजावट करना चाहते हैं, तो इन तरकीबों को अपना लीजिए। पढ़िए इस लेख में...

सुनील कोठारी ने चार्टर्ड अकाउंटेंट की शिक्षा ली थी, लेकिन बाद में उनकी रुचि नृत्यों के प्रति जागी और उन्होंने सारा जीवन उन्हीं को समर्पित कर दिया। इसके अलावा अलग-अलग नृत्यों को जानने के लिए उन्होंने क्या-क्या किया, पढ़िए इस लेख में....​​​​​​​

आज के युग में मेकअप की परिभाषा काफी बदल गई है। अब सिर्फ सुंदर दिखने के लिए ही नहीं, बल्कि सबसे अलग और नए अंदाज में दिखने में मेकअप में प्रयोग किए जाते हैं। आज के दौर में संवरने के नए तरीकों को जानने के लिए पढ़िए ये लेख...

भोजन गर्म रखने वाला एल्यूमीनियम फॉयल शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक है। इसका अधिक इस्तेमाल कई बीमारियों को बुलावा दे सकता है। अधिक जानकारी के लिए पढ़िए ये लेख...​​​​​​​

गुड़ के मिष्ठान और चाय के स्वाद से तो लगभग सभी परिचित हैं, लेकिन गुड़ के पराठे और हलवे का स्वाद लेकर भी देखिए। रेसिपी जानने के लिए पढ़ें ये लेख...​​​​​​​

क्रीम से भरा बन मस्का का स्वाद काफी पसंद किया जाता है। अगर आप भी इसके स्वाद का आनंद लेना चाहते हैं, तो घर पर ही बना सकते हैं स्वादिष्ठ बन मस्का, रेसिपी के लिए पढ़िए लेख ... ​​​​​​​

घर को व्यवस्थित करने के लिए फर्नीचर की आवश्यकता कभी भी पड़ जाती है। ऐसे में अपनी जरूरत के मुताबिक इन्हें स्वयं बना लें। कैसे बनाना है, इस लेख से जानिए... ​​​​​​​

अगर आप भी करते हैं डिस्पोजेबल कप और प्लेट का इस्तेमाल, तो सतर्क हो जाएं। इससे सेहत को कैसे नुकसान पहुंच सकता है, इस लेख में पढ़िए...​​​​​​​

इन मजेदार चुटकुलों को पढ़ कर आप भी हो जाएंगे हंस-हंस कर लोटपोट। इन्हें खुद भी पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ाएं...​​​​​​​

कई बार बैठकर जब अचानक उठते हैं, तो चक्कर सा महसूस होता है। ऐसे में इसका निदान क्या है, इस लेख में पढ़िए...​​​​​​​



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भाजपा का मूल मंत्र है- प्रतीकों और धार्मिक भावनाओं का नशीला विमर्श

2021 में राष्ट्रीय स्तर वाली राजनीति में कोई खास हलचल नहीं होगी। एक तरह की जड़ता जारी रहेगी क्योंकि ऐसा विपक्ष नदारद है जो दिल्ली की राजनीति में हलचल तो छोड़िए, एक ढंग की बहस भी छेड़ पाए। नए साल में विधानसभा चुनावों का रोमांच होगा। सबसे पहले बात बंगाल की। इसे जीतना भाजपा का ड्रीम प्रोजेक्ट है।

यहां 27% की मुस्लिम आबादी भाजपा को वो स्क्रिप्ट लिखने की ज़मीन देती है, जिसमें भाजपा की महारत है- ध्रुवीकरण। उधर ममता के खिलाफ एंटी इंकम्बेन्सी का मूड है, लेकिन ममता का जुझारूपन भी कम नहीं। भाजपा यहां जनाधार बढ़ाने के लिए ममता पर तुष्टिकरण, बांग्लादेशी लोगों का आना, भ्रष्टाचार की बातें करती रही है। लेकिन पार्टी कैडर खड़ा करना अभी चुनौती है। इसीलिए टीएमसी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को तोड़कर भाजपा में लाना उसकी एक बड़ी रणनीति है।

भाजपा यहां भी मुख्यमंत्री का चेहरा पहले नहीं बता पाएगी। इसलिए ये चुनाव दीदी बनाम मोदी ही होगा। 2019 में भाजपा को 18 लोकसभा सीटें और 40% वोट मिले थे। लेकिन ये कहानी दोहरा पाना मुश्किल है। इससे पहले 2016 की विधानसभा में भाजपा को 10% वोट मिले जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में उसने 17% का आंकड़ा छू लिया था।

ताज़ा सर्वे बताते हैं कि फिलहाल टीएमसी भाजपा से आगे है। बंगाल का चुनाव त्रिकोणात्मक होगा। लेकिन कई सीटों पर एआईएमआईएम भी होगी। यानी मुस्लिम बहुल 125 सीटों पर वोट बंटने की संभावना है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि अब तक लिबरल मिज़ाज का बंगाल क्या भाजपा की व्याख्या वाले हिंदुत्व को अपना लेगा।
तमिलनाडु चुनाव में भाजपा किंग मेकर बनने के लिए उतर रही है। बड़ी महत्वाकांक्षा है कि द्रविड राजनीति में पहली बार बड़ी ग़ैर द्रविड पार्टी बड़े रोल में उतरे। इसके लिए उत्तर भारत की हिंदी भाषी पार्टी, तमिल दिखना चाहती है। एक उदाहरण पर गौर कीजिए- प्रधानमंत्री मोदी का तमिलनाडु फ़ोकस। शी जीनपिंग का स्वागत तमिलनाडु में, मोर के साथ तस्वीर, जो मुरुगन का वाहन है।

भाजपा का मूल मंत्र है- प्रतीकों और धार्मिक भावनाओं का नशीला विमर्श। इसीलिए अगर तमिलनाडु में उत्तर का ‘जय श्रीराम’ नहीं चलेगा तो ये लो- मुरुगन यानी गणेश के भाई कार्तिकेय। ज्यादातर तमिल मुरुगन को इष्टदेव मानते हैं।
नए तमिलनाडु की राजनीति की धुरी हैं पेरियार। द्रविड़ उभार के जनक थे। जातीय विषमता के खिलाफ संघर्ष और समाज सुधार के आंदोलन के इस प्रणेता को भी भाजपा कैसे अपना बना ले, ये भी एक समानांतर कथा चल रही है। भाजपा का गेम प्लान यहां डीएमके-कांग्रेस को सत्ता में वापस आने से रोकना है।

एआईएडीएमके के खिलाफ एंटी इंकम्बेन्सी है। भाजपा की कोशिश है, लोकल नेताओं का अधिग्रहण कर उन्हें भाजपा के टिकट पर लड़ाए। कर्नाटक के बाद तमिलनाडु में मौजूदगी बढ़ती है, तभी उत्तरी राज्यों पर उसकी निर्भरता कम होती है, ये मूल आइडिया है।
डीएमके, लेफ्ट व कांग्रेस गठजोड़ मजबूत है लेकिन करुणानिधि के बाद उसका ये पहला चुनाव है। एमके स्टालिन करुणानिधि के राजनीतिक उत्तराधिकारी हैं। इसलिए उनके नाराज़ भाई अलगिरी भाजपा के साथ जुगलबंदी में रहेंगे। एक गुत्थी है जो कुछ दिनों में साफ़ हो जाएगी। जयललिता की हमराज़ शशिकला ने जेल से छुट्टी मांगी है। मुख्यमंत्री ई पालनिसामी और ओ पन्नीरसेलवम, दोनों ही उनके कृपापात्र थे। उनका साथ छोड़ा और उन्हें पार्टी से भी निकाल दिया। शशिकला के भाई ने एक नई पार्टी बना ली, अब शशिकला का राजनीतिक औज़ार वही पार्टी होगी। तमिलनाडु इस बार पक्के तौर पर नए समीकरण देखने जा रहा है। देखना यह होगा कि गैर द्रविड़ राजनीतिक किरदारों को ये राज्य कितनी जगह देता है।
केरल में लेफ्ट फ्रंट को हराना भाजपा का पुराना सपना है। मुस्लिम व ईसाई केरल में बड़ा फैक्टर हैं। यहां विडंबना देखिए- कम्युनिस्ट पार्टियां व भाजपा जानी दुश्मन हैं। लेकिन यहां लेफ्ट फ्रंट का बड़ा जनाधार हिंदू वोटर हैं। यानी भाजपा को पनपना है तो उसे लेफ्ट फ्रंट के वोटरों को लुभाना है। केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ भी मजबूत है। लेकिन भाजपा का आक्रामक अभियान इस बार अनिश्चित नतीजों वाला त्रिकोणात्मक खेल बना सकता है।
2021 के राज्य चुनावों में भाजपा जीती तो ये रिपोर्ट कार्ड में एक और ऐतिहसिक साल के रूप में दर्ज होगा। लेकिन एक मायने में ये राज्य चुनाव अहम हैं कि इसे काफी लोग लोकसभा की ड्रेस रिहर्सल के रूप में देखेंगे क्योंकि उत्तर के कई राज्यों में भाजपा उच्चतम ग्राफ़ छू चुकी है।

वहां के संभावित नुकसान की भरपाई के लिए इन ग्रीन फ़ील्ड इलाक़ों में जीतना भाजपा के लिए ज़रूरी है। 2021 के राज्य चुनाव नतीजों का आकार प्रकार जैसा भी हो, एक बात पक्की है। भाजपा ने चुनाव शास्त्र को जिस कल्पनातीत स्तर पर पहुंचा दिया है, उसके नए एपिसोड जारी रहेंगे और विपक्ष इस शास्त्र को समझने में इस साल भी संघर्षरत ही रहेगा। (ये लेखक के अपने विचार हैं)



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संजय पुगलिया, ‘दि क्विंट’ के संपादकीय निदेशक


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अब समय है कि भारत खुद को समाजवाद के पंजे से मुक्त करे और वैसी संपन्नता हासिल करे

आरंभ से ही मेरा मत रहा है कि कोरोना संकट से अर्थव्यवस्था को लगे धक्के से पूरी तरह उबारने के लिए हमें नागरिकों के आवागमन को पहले जैसी स्थिति में लाना होगा। जब तक नागरिक सामान और सेवा की खरीद-बेच की प्रक्रिया पहले जैसे नहीं कर पाते या कार्यस्थल पर स्वतंत्र रूप से नहीं जा पाते, आर्थिक बहाली अधूरी रहेगी। यद्यपि अब लगभग सभी कानूनी बाधाएं हटा दी गई हैं, वायरस के डर से नागरिकों ने अभी भी पूरी तरह आवागमन शुरू नहीं किया है। आर्थिक गतिविधियों में भी इस प्रक्रिया का प्रतिबिंब नजर आता है।
इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल से जून की तिमाही के दौरान जब लॉकडाउन सबसे कड़ा था तो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 24% गिर गया। विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाओं में भी इसी तरह की भारी गिरावट रही। जैसे-जैसे आवागमन बढ़ा, अर्थव्यवस्था ने गति पकड़ी। इससे भारत में जुलाई-सितंबर की तिमाही में जीडीपी में गिरावट 7.5% पर सीमित हो गई। आवागमन की सुगमता का असर क्षेत्रवार जीडीपी पर भी देखने को मिला।

अप्रैल-जून तिमाही के दौरान कृषि क्षेत्र के कामगारों के आवागमन पर न्यूनतम असर रहा। परिणामस्वरूप यह क्षेत्र सामान्यतः 3.4% की दर से विकास में सफल रहा। जिन क्षेत्रों में आवागमन अधिक प्रभावित रहा, उनका प्रदर्शन उतना ही खराब रहा: निर्माण क्षेत्र में 50.3%, व्यापार, होटल, ट्रांसपोर्ट, संचार एवं प्रसारण से जुड़ी सेवाओं में 47%, उत्पादन के क्षेत्र में 39.3% और खनन में 23.3% की गिरावट रही।
जुलाई-सितंबर की तिमाही में भी क्षेत्रवार उत्पादन आवागमन की सुविधा के महत्व को दर्शाता है।

कृषि क्षेत्र में एक बार फिर 3.4% की वृद्धि हुई। लोगों के काम पर आने से अन्य क्षेत्रों में भी सुधार नजर आया। बिजली और अन्य उपयोगी सेवाओं में पहली तिमाही की 7% की गिरावट के मुकाबले दूसरी तिमाही में 4.4% की बढ़ोतरी हुई, औद्योगिक उत्पादन में भी मामूली 0.6% की वृद्धि हुई और निर्माण क्षेत्र की गिरावट भी 8.6% रह गई। यहां तक कि आवागमन पर रोक से सर्वाधिक प्रभावित व्यापार, होटल, ट्रांसपोर्ट व संचार और प्रसारण सेवाओं से जुड़े क्षेत्रों में भी गिरावट कम होकर 15.6% ही रह गई।वायरस से निपटने के प्रति लोगों में बढ़ते आत्मविश्वास को ध्यान में रखते हुए सरकार आर्थिक प्रगति की दर को बढ़ाने के लिए चार कदम उठा सकती है।
पहला, अर्थव्यवस्था की धीमी गति के कारण हर सप्ताह जीडीपी में अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है। इसलिए वैक्सीन लगाने में तेजी दिखानी चाहिए, ताकि लोगों का आवागमन, पहले की स्थिति में जल्द आ सके।
दूसरा, वायरस के खिलाफ लोगों का आत्मविश्वास बढ़ने से वित्तीय प्रोत्साहन के प्रभावी मांग और प्रभावी मांग के उत्पादन में बदलने की श्रेष्ठ संभावना है। यदि जीडीपी का 1-2% हिस्सा वित्तीय प्रोत्साहन में दें, तो कोरोना से पहले की स्थिति में अर्थव्यवस्था को आने और 7% से अधिक वृद्धि दर पाने में मदद मिलेगी। प्रोत्साहन के लिए सरकार जो वित्तीय कर्ज लेगी, उससे कहीं अधिक तीव्र आर्थिक प्रगति से वसूल कर सकेगी।
तीसरा, ये अवश्यंभावी है कि पिछली 3 तिमाही के दौरान राजस्व प्रवाह में आई कमी से कई उद्यमों को दिवालिया घोषित करना पड़ेगा। इससे बैंक लोन के डिफ़ॉल्ट व एनपीए बढ़ेंगे। याद रहे कि कोरोना से पहले भी सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण में देरी से उत्पन्न ऋण संकट से अर्थव्यवस्था को झटका लगा था। यह गलती दोहराना हानिकारक होगा।
चौथा, सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण का व्यापक कार्यक्रम शुरू करना चाहिए। इसके दो कारण हैं। पहला, राजस्व में कमी से 2020-21 में केंद्र व राज्यों के संयुक्त वित्तीय घाटे में जीडीपी के 12-13% बढ़ने की आशंका है। यानी कर्ज का जीडीपी में जो अनुपात 2019-20 के अंत में 72% था, वह 2020-21 के अंत में 84-85% हो जाएगा। इसे नियंत्रित करने में निजीकरण से मिला राजस्व प्रभावी तरीका हो सकता है। दूसरी वजह दक्षता है। बाजार का मूल सिद्धांत है कि सरकार को उन सभी लाभ कमाने वाली गतिविधियों को निजी क्षेत्र के लिए छोड़ देना चाहिए, जो कोई जनउद्देश्य पूरा नहीं करतीं।

बड़ी संख्या में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को रखना समाजवादी युग की प्रवृत्ति है और इसे सुधारने का यही समय है। अपने निजी क्षेत्र के समकक्षों की तुलना में इन सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का रिटर्न बहुत कम है। साक्ष्यों से पता चलता है कि अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में जिन सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का निजीकरण किया गया, वे समान रूप से फलफूल रहे हैं। अब समय है कि भारत खुद को समाजवाद के पंजे से मुक्त करे और वैसी संपन्नता हासिल करे, जैसी पूर्वी एशिया के कई देशों ने बहुत पहले की थी। (ये लेखक के अपने विचार हैं)



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अरविंद पानगड़िया, कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष


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