शनिवार, 1 अगस्त 2020

69 साल बाद जापान में जुलाई पहला महीना, जब कोई तूफान नहीं आया; यहां हर साल औसतन 26 तूफान आते हैं

जापान में हर साल करीब 26 तूफान आते हैं। यानी हर महीने दो या उसे ज्यादा। लेकिन, जुलाई 2020 संभवत: 69 साल में पहला ऐसा महीना है, जब यहां किसी तूफान ने दस्तक नहीं दी। 69 साल का आंकड़ा इसलिए क्योंकि आधिकारिक तौर पर 1951 से तूफानों का डाटा कलेक्शन शुरू किया गया था। जापान में कई योजनाएं तूफानों के मद्देनजर बनाई जाती हैं।

कोई उच्च दबाव का क्षेत्र नहीं बना
जापान के मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट के चीफ ने माना है कि जुलाई में कोई तूफान नहीं आया। उनके मुताबिक, पिछले महीने कोई उच्च दबाव क्षेत्र यानी हाई प्रेशर एरिया नहीं बना। लिहाजा, तूफान की स्थिति नहीं बनी। और ये देश के लिए अच्छे संकेत हैं। हालांकि, इसी दौरान देश में काफी बारिश हुई और बाढ़ भी आई। यहां करीब 25 जुलाई तक बारिश होती है। माना जा रहा है कि इस बार यह अगस्त मध्य तक होगी।

मई और जून में दो तूफान
लाइव जापान टाइम्स की वेबसाइट के मुताबिक, 12 मई को पूर्व में फिलीपींस और 12 जून को दक्षिण चीन सागर में तूफान आए। इनका असर जापान पर भी पड़ा। ये बड़े तूफान थे। जुलाई में आमतौर पर 3 या उससे ज्यादा बार जापान के लोग इस प्राकृतिक आपदा से परेशान होते रहे हैं।

आंकड़ों की बात
1998 का जुलाई महीना ऐसा था, जब सिर्फ एक तूफान आया था। ये भी 30 साल बाद हुआ था। इसी साल यानी 1998 में कुल 16 तूफान आए थे। 2010 सबसे शांत माना जाता है। इस दौरान कुल 14 तूफान ही जापान की दहलीज तक पहुंचे।



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फोटो जापान के शिकोहामो पोर्ट की है। जापान में हर साल औसतन 26 तूफान आते हैं। 10 साल पहले यानी 2010 इस लिहाज से बेहद शांत कहा जा सकता है। इस साल महज 14 तूफानों ने ही जापान की दहलीज पर दस्तक दी थी। (फाइल)


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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ई-दर्शन से भगवान के दर्शन नहीं होते, पूरा देश खुल रहा है तो धार्मिक स्थल बंद क्यों?

कोरोना महामारी के चलते देशभर में बंद मंदिर, मस्जिद और अन्य धार्मिक स्थलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को ई-सुनवाई में झारखंड के देवघर स्थित ऐतिहासिक बैद्यनाथ धाम मंदिर के मामले में कहा कि ई-दर्शन, भगवान के दर्शन करना नहीं होता। राज्य सरकार मंदिर में सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को केंद्र की गाइडलाइन का पालन करते हुए जाने की अनुमति दे।

मंदिर में सालाना श्रावणी मेले के दौरान श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति के लिए याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने 3 जुलाई काे केवल ई-दर्शन की अनुमति दी थी। इस निर्णय को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने चुनौती दी थी।

सरकार का तर्क- मंजूरी दी तो कोरोना का खतरा बढ़ेगा

  • जस्टिस मिश्रा: कोरोनाकाल में जब पूरा देश खुल रहा है तो मंदिर, मस्जिद, चर्च व अन्य धार्मिक स्थल क्यों बंद? महत्वपूर्ण दिनों में उन्हें क्यों नहीं खुलना चाहिए?
  • राज्य सरकार: अनुमति दी तो अव्यवस्था फैलेगी। कोरोना का खतरा बढ़ेगा। मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। उन पर काबू मुश्किल होगा। इसलिए मंदिर खोलने की मंजूरी नहीं दे सकते।
  • जस्टिस मिश्रा: ऐतिहासिक बैद्यनाथ धाम मंदिर में सीमित संंख्या में श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति दी जा सकती है। ऐसी व्यवस्था बनाएं, जिससे श्रद्धालु बिना जोखिम के दर्शन कर सकें।
  • राज्य सरकार: सरकार ने मंदिर प्रबंधन के साथ मिलकर ई-दर्शन की सुविधा की है। इससे बिना कोरोना संक्रमण के श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर सकते हैं।
  • जस्टिस मिश्रा (नाराजगी से): मंदिर में ई-दर्शन करना, भगवान का दर्शन करना नहीं होता।
  • याचिकाकर्ता: तीर्थस्थान पर जाकर भगवान से अपनी मुराद मांगने का अलग महत्व होता है।


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बाबा बैद्यनाथ धाम में हर साल श्रावणी मेले में भारी भीड़ जुटती है। याचिका में कहा गया था कि तीर्थस्थान पर जाकर मुराद मांगने का अपना महत्व होता है। -फाइल फोटो


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अलास्का में दो प्लेन टकराए, रिपब्लिकन असेंबली मेंबर समेत सात लोगों की मौत

अमेरिका में एक हवाई दुर्घटना में सात लोगों की मौत हो गई। हादसा अलास्का के सोलडोन्टा शहर से कुछ किलोमीटर दूर हुआ। जानकारी के मुताबिक, दो छोटे विमान हवा में टकरा गए। मारे गए लोगों में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के एक स्टेट असेंबली मेंबर गैरी नोप भी शामिल हैं।

सिंगल इंजन वाले प्लेन थे
न्यूयॉर्क टाइम्स ने स्थानीय अधिकारियों के हवाले से बताया- दोनों एयरक्राफ्ट सिंगल इंजन वाले थे। इनमें से एक हैविललैंड डीएचसी-2 बीवर और दूसरा पाइपर-पी12 था। दोनों ही विमानों ने सोलडोन्टा एयरपोर्ट से उड़ान भरी। एंकोरेज शहर से करीब 150 मील दूर हवा में यह आपस में टकरा गए। जानकारी के मुताबिक, फिलहाल अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं।

किसकी गलती?
अब तक ये साफ नहीं हो सका है कि हादसा किसकी गलती की वजह से हुआ। इसकी वजह ये है कि दुर्घटना एयरपोर्ट से काफी दूर हुई। उस वक्त मौसम बिल्कुल साफ था। दोनों विमानों के उड़ान भरने के वक्त में भी काफी अंतर था। घटना के वक्त विजिबिलिटी भी 10 किलोमीटर से ज्यादा थी। इस क्षेत्र में पायलट भी एक ही फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करते हैं। लिहाजा, ये मानना भी मुश्किल है कि दोनों पायलटों की एटीसी से बातचीत नहीं हुई होगी। बहरहाल, मामले की जांच की जा रही है। पुलिस के मुताबिक, वो शुरुआती जांच के बाद ही बयान जारी करेगी।



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अलास्का में हुई विमान दुर्घटना में मारे गए लोगों में गैरी नोप भी शामिल हैं। नोप राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी स्टेट असेंबली मेंबर थे। (फाइल)


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ब्रिटेन में पाबंदियों से दो हफ्ते तक राहत नहीं, प्रधानमंत्री जॉनसन ने कहा- हमें आने वाले खतरे के लिए तैयार रहना होगा; दुनिया में अब तक 1.76 करोड़ केस

दुनिया में कोरोनावायरस से संक्रमण के अब तक 1 करोड़ 77 लाख 54 हजार 190 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 1 करोड़ 11 लाख 58 हजार 280 ठीक भी हो चुके हैं। वहीं, 6 लाख 82 हजार 885 की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने शुक्रवार को कहा कि देश में फिलहाल पाबंदियों में राहत नहीं दी जाएगी। यहां शनिवार से पाबंदियों में कुछ छूट दिया जानी थी।

उन्होंने कहा कि महामारी से बचाव के नियम दो हफ्तों तक बरकरार रहेंगे। ब्रिटेन के कुछ हिस्सों में नए मामले सामने आने के बाद यह फैसला किया गया है। हमारे संक्रमण और मौतों के मामले कम हुए हैं। हालांकि, कुछ यूरोपीय देशों में इसके आंकड़े बढ़ रहे हैं। ऐसे में हमें भी किसी भी खतरे से बचने के लिए तैयार रहना होगा।

10 देश जहां कोरोना का असर सबसे ज्यादा

देश

कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए
अमेरिका 47,05,889 1,56,747 23,27,572
ब्राजील 26,66,298 92,568 18,84,051
भारत 16,97,054 36,551 10,95,647
रूस 8,39,981 13,963 6,38,410
द.अफ्रीका 4,93,183 8,005 3,26,171
मैक्सिको 4,24,637 46,688 2,78,618
पेरू 4,07,492 19,021 2,83,915
चिली 3,55,667 9,457 3,28,327
स्पेन 3,35,602 28,443 उपलब्ध नहीं
ईरान 3,04,204 16,766 2,63,519

पेरू: 31 अगस्त तक इमरजेंसी बढ़ाई गई

पेरू की सरकार ने बढ़ते संक्रमण को देखते हुए इमरजेंसी 31 अगस्त तक बढ़ा दी है। राष्ट्रपति मार्टिन विजकारा ने शुक्रवार को इससे जुड़ा आदेश जारी किया। इसमें कहा गया है कि इमरजेंसी के दौरान लोगों की निजी आजादी और सुरक्षा के संवैधानिक हकों के इस्तेमाल पर रोक रहेगी। रात 10 बजे से सुबह 4 बजे तक देश में कर्फ्यू रहेगा।

ब्राजील: 52 हजार से ज्यादा नए मामले

ब्राजील में 24 घंटे में 52 हजार 383 नए मामले सामने आए हैं। इसी के साथ संक्रमितों की संख्या बढ़कर 26 लाख 62 हजार 485 हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय शुक्रवार को बताया कि देश में मृतकों की संख्या 92 हजार 475 हो गई है। अब तक 18 लाख से अधिक मरीज स्वस्थ हो चुके है। ब्राजील संक्रमण और मौत के मामलों में दुनिया में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है।

अर्जेंटीना: लॉकडाउन 16 अगस्त तक बढ़ाया गया
अर्जेंटीना सरकार ने 16 अगस्त तक लॉकडाउन बढ़ाने का फैसला किया है। राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज ने शुक्रवार को इसका ऐलान किया। उन्होंने कहा कि राजधानी ब्यूनस आयर्स में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। अन्य जगहों पर भी संक्रमण बढ़ रहा है। ऐसे में फिलहाल लॉकडाउन में राहत नहीं दी जा सकती। देश में 20 मार्च को लॉकडाउन लगाया गया था।

चीन: कोरोना के 45 नए मामले
चीन में 24 घंटे में 45 नए मामले सामने आए हैं। इनमें से 39 लोकल ट्रांसमिशन के मामले हैं। यहां के हेल्थ कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मामले शिनजियांग से और 8 लियाओनिंग राज्य में सामने आए हैं। शुक्रवार को यहां संक्रमण से कोई मौत नहीं हुई। एक दिन पहले यहां 127 नए मामले आए हैं। इनमें से 112 शिनजियांग से सामने आए थे।



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ब्रिटेन की राजधानी लंदन में शुक्रवार को मास्क लगाकर टॉवर ब्रिज से गुजरते लोग। सरकार ने कहा है कि फिलहाल सभी के लिए मास्क लगाना जरूरी है।


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प्रधानमंत्री आज स्मार्ट इंडिया हैकाथन के ग्रांड फिनाले को संबोधित करेंगे, कहा- हमारे युवा कोरोना के बाद की दुनिया पर फोकस कर रहे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम 4.30 बजे स्मार्ट इंडिया हैकाथन के ग्रांड फिनाले को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करेंगे। वे स्टूडेंट्स से बात भी करेंगे। उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि यंग इंडिया टैलेंट से भरा हुआ है। हैकाथन में इनोवेशन और एक्सीलेंस का जोश दिख रहा है।

मोदी ने कहा कि स्मार्ट इंडिया हैकाथन कल्पना और नई खोजों के लिए एक शानदार प्लेटफॉर्म बनकर उभरा है। इस वक्त हमारे युवा कोरोना के बाद की दुनिया पर फोकस कर रहे हैं। साथ ही देश को आत्मनिर्भर बनाने के रास्तों पर आगे बढ़ रहे हैं।

स्मार्ट इंडिया हैकाथन क्या है?
देशभर के स्टूडेंट्स को डेली लाइफ में आने वाली दिक्कतों को सॉल्व करने का प्लेटफॉर्म देने के लिए एक इनीशिएटिव है। इसमें प्रोडक्ट इनोवेशन का कल्चर और प्रॉब्लम सॉल्विंग की सोच के साथ काम करना होता है। सरकार का कहना है कि इस हैकाथन के जरिए कुछ नया करने के आइडिया को युवाओं के बीच प्रमोट करने में कामयाबी मिली है।

स्मार्ट इंडिया हैकाथन का पहला एडिशन 2017 में हुआ था। उसमें 42 हजार स्टूडेंट्स ने पार्टिसिपेट किया था। 2018 में ये संख्या 1 लाख और 2019 में 2 लाख पहुंच गई। इस साल पहले राउंड में 4.5 लाख से भी ज्यादा स्टूडेंट्स शामिल हुए। इस साल ग्रांड फिनाले ऑनलाइन हो रहा है। इसमें 10 हजार से ज्यादा छात्रों के बीच 243 समस्याओं को सुलझाने के लिए कंपीटीशन है। ये समस्याएं 37 केंद्रीय विभागों, 17 राज्य सरकारों और 20 इंडस्ट्रीज से जुड़ी हैं।



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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि स्मार्ट इंडिया हैकाथन नई खोजों के लिए शानदार प्लेटफॉर्म बनकर उभरा है। (फाइल फोटो)


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एक दिन में 57486 मरीज बढ़े, देश में अब तक 16.97 लाख केस; दिल्ली में आज से सीरो सर्वे का दूसरा चरण शुरू होगा

देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा शनिवार सुबह 16 लाख 97 हजार 54 पर पहुंच गया। पिछले 24 घंटे में देश में 57 हजार 486 मरीज बढ़े। यह एक दिन का सबसे ज्यादा आंकड़ा है। इससे पहले गुरुवार को सबसे ज्यादा 54 हजार 750 मरीज मिले थे। शुक्रवार को सबसे ज्यादा 10,376 संक्रमित आंध्र प्रदेश में मिले। महाराष्ट्र में 10,320 मरीज सामने आए। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

उधर, दिल्ली में सीरो-सर्वे का दूसरा चरण आज से शुरू हो रहा है। यह सर्वे 1 से 5 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान 15 हजार सैंपल्स को इकट्ठा किया जाएगा। यह उत्तर और उत्तर-पूर्वी दिल्ली समेत चार जिलों में चलेगा। राज्य सरकार ने इससे पहले सीरो सर्वे 27 जून से 10 जुलाई तक किया था। इस दौरान 20 हजार सैंपल लिए गए थे।

दरअसल, सीरो सर्वे के तहत यह पता लगाया जाता है कि किन लोगों में एंटीबॉडीज डेवलप हो रही हैं। इसकी दर क्या है? कहने का मतलब- अगर किसी व्यक्ति को कोरोना होता है। उसके अंदर कोई लक्षण नहीं उभरता है, तो ऐसे व्यक्ति के शरीर में 5-7 दिन के अंदर अपने आप एंटीबॉडी बनना शुरू हो जाती हैं, जो वायरस को शरीर में पनपने नहीं देती हैं। इसे ही हर्ड इम्युनिटी कहते हैं।

5 राज्यों का हाल
मध्य प्रदेश: राज्य के किसी भी जिले में लॉकडाउन लगाने का फैसला अब कलेक्टर नहीं कर सकेंगे। उन्हें जिले में लॉकडाउन करने से पहले सरकार से मंजूरी लेनी होगी। इसके साथ ही राज्य में 1 से 14 अगस्त तक किल कोरोना अभियान पार्ट-2 शुरू किया जाएगा। इसके लिए नारा दिया है- संकल्प की चेन जोड़ो, कोरोना की चेन तोड़ो।

राजस्थान: राज्य में लगातार 7वें दिन एक हजार से ज्यादा नए रोगी सामने आए। शुक्रवार को 1147 रोगी मिले। जयपुर और बीकानेर में 4-4, अजमेर में 3 और बाड़मेर-नागौर में एक-एक व्यक्ति ने कोरोना की वजह से दम तोड़ दिया। अलवर में कलेक्ट्रेट स्थित कोरोना कंट्रोल रूम के ही चार कर्मचारी पॉजिटिव निकले। राजगढ़ में एसीजेएम कोर्ट के 8 कर्मी रोगी मिले। स्थानीय प्रशासन का दावा है कि अलवर में 185 नए रोगी आए, जबकि राज्य स्तरीय सूची में 90 ही हैं।

महाराष्ट्र: शुक्रवार को राज्य में 10,320 नए मामले सामने आए हैं। वहीं संक्रमण के चलते 265 लोगों की मौत हो गई। महाराष्‍ट्र में कोरोना संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 4,22,118 हो गए हैं। इसमें 2,56,158 मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं, जबक‍ि राज्‍य में अब तक 14,994 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य में अब 1,50,662 एक्टिव मामले हैं।

बिहार: राज्य में शुक्रवार को रिकॉर्ड 2986 मरीज मिले। इससे संक्रमितों का आंकड़ा 50 हजार पार कर गया। उधर, राज्य में कोरोना संक्रमण की दर में लगातार इजाफा हो रहा है। यह 9.3% हो गई है, जो राष्ट्रीय संक्रमण की दर 8.70% से ज्यादा है। राज्य में अब तक 5 लाख 48 हजार 172 सैंपल की जांच हुई है। जुलाई की अगर बात करें तो इस महीने 3 लाख 27 हजार 282 सैंपल की जांच हुई है और 40999 केस सामने आए। यानि हर 8 सैंपल में से एक संक्रमित मिल रहा है। अच्छी बात यह है कि एक हफ्ते पहले राज्य में जहां रोज 10 हजार सैंपल की जांच हो रही थी, वह अब बढ़कर 22 हजार पहुंच गई है।
उत्तर प्रदेश: राज्य में अब तक 23 लाख 25 हजार 428 टेस्ट किए जा चुके हैं। 5 सैंपल के 3358 पूल लगाए गए, जिसमें से 531 में पॉजिटिविटी पाई गई और 10 सैंपल के 302 पूल लगाए गए, जिसमें से 30 में पॉजिटिविटी पाई गई। उन्होंने बताया कि अब तक सर्विलांस से 40 हजार 823 इलाकों में 1 करोड़ 47 लाख 08 हजार 791 घरों का सर्विलांस किया गया है। इनमें 7 करोड़ 44 लाख 89 हजार 777 लोग रहते हैं।



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यह फोटो दिल्ली के राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल की है। यहां शुक्रवार को करीब दो हजार सैंपल लिए गए। राजधानी में रोजाना 20 हजार से ज्यादा सैंपल लिए जा रहे हैं।


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ईद मुबारक! उम्मीदों वाले अगस्त में स्वागत है; अयोध्या से उठेगी राम लहर और वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाई तो कोरोना से आजादी दूर नहीं

नए महीने की पहली तारीख, गुड मॉर्निंग और ईद मुबारक!

सबसे पहले थोड़ी बात इस खास महीने की कर लेते हैं। 2020 के गर्भ में ये 8वां महीना है। इसे बिगड़े हालात में उम्मीद का महीना भी कह सकते हैं। उम्मीद इसलिए कि इस महीने कोरोना वैक्सीन अंतिम परीक्षा पास कर लेगा। ईद के साथ महीने में आमद दी है और अब आगे अयोध्या से राम लहर उठेगी, श्रीकृष्ण जन्म लेंगे और गणपति बप्पा विराजेंगे और आजादी के 73वें साल का जश्न भी मनेगा। हां, मानसून सबके मजे ले रहा है, लेकिन उम्मीद है कि जैसे-तैसे कोटा पूरा कर जाएगा।

बहरहाल, नए महीने में बढ़ते कोरोना आंकड़े, उलझे राजस्थान, अस्पताल में भर्ती अमिताभ और सुशांत केस की नाटकीयता के साथ देखते हैं कि आज की मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ में आपके लिए क्या खास है-

नए महीने के साथ राजस्थान का सियासी घमासान चौथे हफ्ते में प्रवेश कर गया। होटल बंदी के बाद अब शहर बंदी होने लगी है। शह और मात में वक्त लगेगा इसलिए चालें सोच-समझकर चली जा रही हैं।

1. राजनीति की बिगड़ी रेलगाड़ी, अब जयपुर- टू- जैसलमेर रूट पर

इस बीच, गहलोत खेमे के 90 विधायकों को 3 स्पेशल प्लेन से जयपुर से जैसलमेर शिफ्ट किया गया। मजेदार बात यह रही कि प्लेन में जगह नहीं होने के कारण 2 विधायक होटल लौट आए। जाते-जाते गहलाेत अमित शाह पर निशाना साध गए और बोले, ‘अमित जी आपको यह क्या हो गया है? हर वक्त सोचते हैं कि सरकार कैसे गिराऊं?’ ये सभी विधायक 13 जुलाई से जयपुर की फेयरमॉन्ट होटल में जमे थे और अब इन्हें जैसलमेर में फाइव स्टार होटल सूर्यगढ़ में ठहराया गया है। राज्यपाल कलराज मिश्र ने 14 अगस्त से विधानसभा सत्र की मंजूरी दी है और तब तक उठापटक की खबरें जयपुर-टू-जैसलमेर रूट से आएंगी।

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अब इस महीने के सबसे बड़े इवेंट की बात, जिसकी चर्चा दुनियाभर में है। सबको 5 अगस्त का इंतजार है और इस दिन की तैयारियां अंतिम दौर में है-

2. अयोध्या में रामजी का काज, देशभर में बंटेंगे घी के लड्‌डू

अयोध्या में पीएम मोदी 5 अगस्त को राम मंदिर की नींव रखेंगे और इस शुभ दिन की मिठास बढ़ाएंगे शुद्ध घी में बने बेसन के लड्डू जो प्रसाद के रूप में बांटे जाएंगे। इसके लिए विंध्याचल के हलवाई 1.11 लाख लड्डू बना रहे हैं। यह काम देवराहा बाबा संस्था के माध्यम से किया जा रहा हैं।

चार अगस्त तक लड्डू बनकर तैयार हो जाएंगे। 5 अगस्त को श्रीराम लला को भोग लगाया जाएगा। इसके बाद प्रसाद को अयोध्या व देश के सभी तीर्थ स्थलों तक पहुंचाया जाएगा। संत तुषारदास ने बताया कि 15 कारीगर लड्डू बना रहे हैं और इन्हें डिब्बों में पैक किया जा रहा है। 2 अगस्त को सीएम योगी तैयारियां देखने अयोध्या पहुंचेंगे।

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अब थोड़ी खबर सुशांत सुसाइड केस की जिसने बॉलीवुड की सांसें चढ़ा रखी हैं। खत्म होते जुलाई में इस केस ने ऐसी रफ्तार पकड़ी है कि बड़े सितारे ही नहीं, दो राज्य भिड़ गए हैं-

3. हे ईश्वर! सुशांत की आत्मा को शांति देना, अब केस तो लंबा चलेगा

तेजी से बदलते घटनाक्रम में शुक्रवार को सुशांत के पिता के गंभीर आरोपों के बाद पहली बार उनकी गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती हाथ जोड़े रोते हुए सामने आईं। रिया ने एक वीडियो जारी कर कहा कि उन्हें भगवान और न्यायपालिका पर अटूट विश्वास है। उन्हें भरोसा है कि उन्हें इंसाफ मिलेगा। इसके बाद रिया ने कहा- सत्यमेव जयते, सच की जीत होगी।

रिया के खिलाफ सुशांत के पिता ने पटना में खुदकुशी के लिए उकसाने का केस दर्ज कराया है। रिया ने वकील सतीश मानशिंदे के जरिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। बुधवार को पटना पुलिस रिया से पूछताछ के लिए उनके मुंबई वाले घर पहुंची। लेकिन, वहां कोई नहीं मिला।

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अब बात कोरोना की। डरते-डरते और सहते-सहते अगस्त आ गया लेकिन महामारी एक बड़ी लहर बनकर सबको बहाए ले जा रही है। उम्मीद यही है कि बस, एक बार वैक्सीन आ जाए तो जिंदगी पटरी पर लौटे-

4. पौने दो करोड़ हुआ संक्रमितों का आंकड़ा, कब आएगी वैक्सीन?

दुनिया में कोरोनावायरस से संक्रमण के अब तक 1 करोड़ 74 लाख 76 हजार 105 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 1 करोड़ 9 लाख 39 हजार 477 ठीक भी हो चुके हैं। वहीं, 6 लाख 76 हजार 759 की मौत हो चुकी है। नंबर 1 पर अमेरिका, 2 पर ब्राजील और 3 पर भारत है। कोरोना संक्रमण की वजह से मौतों के मामले में भारत अब इटली को पछाड़कर 5वें नंबर पर पहुंच गया है।

अमेरिका में जहां दो वैक्सीन के फेज-3 का ट्रायल शुरू हो चुका है। भारत और इजराइल के वैज्ञानिक साथ मिलकर रैपिड टेस्टिंग किट विकसित करने पर बीते 3 दिन से काम कर रहे हैं। प्रयोग सफल हुआ तो सिर्फ 30 सेकेंड के अंदर जांच रिपोर्ट मिल सकेगी। हालांकि, दूसरी ओर चीन फिर से डरा रहा है। यहां पिछले 24 घंटे में संक्रमण के 127 नए मामले सामने आए हैं।

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कोरोना के बीच भास्कर डेटा स्टोरी की ऐसी बात जो चौंकाती है क्योंकि इसमें साल 2100 तक भारत और चीन की आबादी बढ़ने की बजाए, घटने के संकेत हैं-

5. साल 2048 का अनुमान, भारत नहीं बढ़ाएगा दुनिया की आबादी

हाल ही में जारी की गई नामी संस्था लैंसेट की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की आबादी 2064 में पीक पर होगी। इसके बाद ये घटने लगेगी। इससे पहले यूएन ने 2100 में इसके पीक पर पहुंचने का अनुमान लगाया था। रिपोर्ट के मुताबिक 2064 में दुनिया की आबादी 973 करोड़ हो जाएगी। 2100 तक ये घटकर 879 रह जाएगी।

भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा। लेकिन, उसकी आबादी 2048 के बाद घटने लगेगी। ग्लोबल फर्टीलिटी रेट 2100 तक घटकर 1.66 हो जाएगा। भारत समेत दुनिया के उन देशों में फर्टिलिटी रेट 70% तक कम होगा जिनकी आबादी ज्यादा है।

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अब हालचाल जान लेते हैं बॉलीवुड के बिग बी का, जिन्हें अस्पताल में आज पूरे 21 दिन पूरे हो चुके हैं। उनकी बहू और पोती घर जा चुकी हैं, लेकिन बेटा अभिषेक साथ है-

6. गेट वेल सून अमित जी, जल्दी ठीक होकर घर पहुंचिए

शुक्रवार को अस्पताल में अमिताभ का 21वां दिन था। उन्होंने आइसोलेशन वार्ड से अपना हाल साझा किया है। अपने दार्शनिक अंदाज में उन्होंने ब्लॉग पर लिखा, “दिन में उन्हें सबसे ज्यादा इंतजार उस वक्त का रहता है, जब वार्ड में डॉक्टर्स और नर्सेस का दौरा होता है, क्योंकि उन पर ही उनकी उम्मीद टिकी होती है। आइसोलेशन, क्वारैंटाइन, एकांत, मेडिकल केयर रूम...और कुछ नहीं।"

वे आगे लिखते हैं, "सोचते हैं कि अब एक घंटे में नर्स आ जाएंगी, इंजेक्शन के जरिए दवा दी जाएगी, फेफड़ों की जांच होगी, शरीर की जांच होगी। कितनी सांस ली, कितनी देर सांस रोकी...पिछले दिन की टाइमिंग को पछाड़ना है...बेहतर करना है...।"

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अब खबरों से दूर, जान लेते हैं कि शनिवार का यह दिन आपके लिए कैसा रहने वाला है, क्योंकि भविष्य बांचने वाले भी उसी उम्मीद के सहारे हैं जिसमें जिंदगी जीतती है-

आज का राशिफल: एस्ट्रोलॉजर डॉ. अजय भाम्बी के अनुसार आज चंद्रमा पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में रहेगा। जिससे मातंग नाम का शुभ योग बन रहा है। इस शुभ योग का फायदा मेष, वृष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, धनु और मीन राशि वाले लोगों को मिलेगा। बाकी 4 राशि वालों को संभलकर रहना होगा।

आज का अंकफल: न्यूमेरोलॉजिस्ट डॉ. कुमार गणेश के अनुसार 1 अगस्त का मूलांक 1, भाग्यांक 4, दिन अंक 8, मासांक 8 और चलित अंक 1, 4 है। शनिवार को अंक 1, 4 के साथ अंक 8 की परस्पर प्रबल विरोधी युति बनी है। अंक 1 की अंक 4 के साथ विरोधी युति बनी हुई है।

आज का टैरो राशिफल: टैरो कार्ड रीडर शीला एम. बजाज कहती हैं कि 12 में से 9 राशियों के लिए दिन कई मामलों में भाग्य का साथ मिलने का है। मेष राशि वालों के लिए सहायता और संसाधन दोनों मिलने के संकेत हैं, वृष राशि वालों के लिए दिन नकारात्मक प्रतिक्रियाओं का हो सकता है।

आखिर में, आज का दिन क्यों है खास और क्या-क्या बदलेगा आज से: 1 अगस्त से देश में कई बड़े बदलाव होने जा रहे हैं। इसका असर सीधा आपकी जिंदगी और जेब पर पड़ेगा। इन बदलावों में कुछ खास हैं-

1. नाइट कर्फ्यू आज से खत्म

देशभर में नाइट कर्फ्यू आज से खत्म हो जाएगा। अनलॉक-1 में रात 9 बजे से और अनलॉक-2 में रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक बाहर निकलने पर पाबंदी थी। अब इसे पूरी तरह हटा लिया गया है।

2. वाहन इंश्योरेंस से जुड़े नियम बदलेंगे

भारतीय बीमा विकास व नियामक प्राधिकरण (इरडा) के निर्देशों के अनुसार, 1 अगस्त से गाड़ी खरीदते समय कार के लिए 3 साल का और टू व्हीलर्स के लिए 5 साल का थर्ड पार्टी कवर लेना जरूरी नहीं रहेगा।

3. बैंकिंग नियमों में बदलाव

कई बैंकों ने 1 अगस्त से अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस न होने पर चार्ज लगाने की घोषणा की है। तीन मुफ्त लेनदेन के बाद शुल्क भी वसूला जाएगा। बैंक ऑफ महाराष्ट्र, एक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और आरबीएल बैंक में सबसे पहले यह चार्ज लगने लगेगा।

4.बताना होगा प्रॉडक्ट कहां बना है

1 अगस्त से ई-कॉमर्स कंपनियों को यह बताना जरूरी होगा की वो जिस प्रॉडक्ट को बेच रही हैं वो कहां बना हैं। इस तरह से ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने सभी न्यू प्रॉडक्ट लिस्टिंग के साथ कंट्री ऑफ ओरिजिन के बारे में अपडेट करना होगा।

5. PM-Kisan की छठी किश्त मिलेगी

किसानों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत 2000 रुपये की छठवीं किस्त डाली जाएगी। दावा है कि मोदी सरकार ने योजना की शुरुआत से लेकर अब तक देश के 9.85 करोड़ किसानों को नकद राशि देकर लाभ पहुंचाया है।

6. आज से 12% EPF कटेगा

आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत छूट की सीमा खत्म हो रही है और आज से ईपीएफ 12% कटेगा।। मई में मोदी सरकार ने लॉकडाउन के महा पैकेज में ईपीएफ में मासिक योगदान 24 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी कर दिया था, पर अब ये पुराने स्तर पर आ जाएगा।

7. आज युवा दिमागों के बीच मोदी

पीएम मोदी एक अगस्‍त को शाम 7 बजे से दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन हैकेथॉन के ग्रैंड फिनाले में करीब 10 हजार युवा दिमागों से रूबरू होंगे। हैकेथॉन एक नॉन स्टॉप डिजिटल प्रोडक्ट डेवलपमेंट प्रतियोगिता है जिसमें नई चुनौतियों के समाधान खोजे जाते हैं और टेक्नोलॉजी इनोवेशंस की पहचान की जाती है।



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01 august 2020 EID Mubarak|Corona virus, Rajasthan politics|High court Sushant singh case|News Brief/Dainik Bhaskar Morning Latest [Updates]; Rajasthan, Ashok Gehlot, Sachin Pilot, Ram Mandir & Aaj Ka Rashifal


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कभी बड़े भाई से आगे था छोटा भाई; लेकिन 15 साल में मुकेश की नेटवर्थ 9 गुना बढ़ी, अनिल की जीरो हुई

13 मार्च 2006। ये वो दिन था जब अनिल अंबानी की टेलीकॉम कंपनी में बड़ा मर्जर हुआ था। इस दिन बोर्ड मीटिंग में तय हुआ कि रिलायंस इन्फोकॉम का रिलायंस कम्युनिकेशन वेंचर लिमिटेड में मर्जर होगा। इससे रिलायंस कम्युनिकेशन वेंचर लिमिटेड के शेयर प्राइस 67% बढ़ गए। इसका नतीजा ये हुआ कि इस दिन अनिल अंबानी की नेटवर्थ 45 हजार करोड़ रुपए हो गई थी। जबकि, उस दिन बड़े भाई मुकेश की नेटवर्थ 37 हजार 825 करोड़ रुपए थी।

ये वो समय था जब नेटवर्थ के मामले में छोटा भाई, बड़े भाई से ऊपर आ गया था। जबकि, एक हफ्ते पहले ही फोर्ब्स की लिस्ट आई थी, जिसमें मुकेश अंबानी, अनिल से आगे थे। फोर्ब्स की लिस्ट के मुताबिक, मार्च 2006 में मुकेश की नेटवर्थ 8.5 अरब डॉलर और अनिल की नेटवर्थ 5.7 अरब डॉलर थी।

दोनों भाइयों की बात इसलिए, क्योंकि आजकल चर्चा में दोनों ही भाई हैं। कुछ दिन पहले ही फ्रांस से राफेल फाइटर जेट आए हैं। इसे फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन ने तैयार किए हैं। राफेल डील में अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस ऑफसेट पार्टनर है। और बड़े भाई मुकेश दुनिया के 5वें सबसे अमीर शख्स बन गए हैं।

जब दोनों भाई अलग हुए, तब दोनों की नेटवर्थ 7 अरब डॉलर थी
मुकेश अंबानी 1981 और अनिल अंबानी 1983 में रिलायंस से जुड़े थे। जुलाई 2002 में धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद मुकेश अंबानी रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन बने। अनिल मैनेजिंग डायरेक्टर बने। नवंबर 2004 में पहली बार मुकेश और अनिल का झगड़ा सामने आया। जून 2005 में दोनों के बीच बंटवारा हुआ।

मार्च 2005 में मुकेश और अनिल की ज्वाइंट नेटवर्थ 7 अरब डॉलर थी। उससे पहले 2004 में दोनों की कंबाइंड नेटवर्थ 6 अरब डॉलर थी। जबकि, 2003 में महज 2.8 अरब डॉलर। मतलब कारोबार संभालने के दो साल में ही मुकेश और अनिल की नेटवर्थ ढाई गुना बढ़ गई थी।

मुकेश और अनिल की नेटवर्थ उस समय बढ़ी थी, जब लगातार दो साल से धीरूभाई अंबानी की नेटवर्थ में गिरावट आ रही थी। 2000 में धीरूभाई की नेटवर्थ 6.6 अरब डॉलर थी, जो 2002 में गिरकर 2.9 अरब डॉलर हो गई थी।

बंटवारे के बाद से 15 साल में मुकेश की नेटवर्थ 9 गुना बढ़ी
जून 2005 में दोनों के बीच बंटवारा तो हो गया। लेकिन, किस भाई को कौनसी कंपनी मिलेगी? इसका बंटवारा 2006 तक हो पाया था। बंटवारे के बाद मुकेश अंबानी के हिस्से में पेट्रोकेमिकल के कारोबार रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंडियन पेट्रो केमिकल्स कॉर्प लिमिटेड, रिलायंस पेट्रोलियम, रिलायंस इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड जैसी कंपनियां आईं।

छोटे भाई ने अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप बनाया। इसमें आरकॉम, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस एनर्जी, रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेस जैसी कंपनियां थीं।

रिलायंस ग्रुप का बंटवारा होने से पहले तक मार्च 2005 में मुकेश और अनिल की ज्वाइंट नेटवर्थ 7 अरब डॉलर थी। उसके बाद 2006 से लेकर 2008 तक तो दोनों भाइयों की नेटवर्थ में ज्यादा अंतर नहीं था।

लेकिन, 2009 में आर्थिक मंदी आई। दुनियाभर के अमीरों की संपत्ति में गिरावट दर्ज की गई। मुकेश और अनिल अंबानी की संपत्ति में भी बड़ा फर्क यहीं से आना शुरू हुआ।

एक तरफ अरबपतियों की लिस्ट में अनिल की रैंकिंग गिरते गई और मुकेश की रैंकिंग बढ़ती गई। 2008 में मुकेश 5वें और अनिल 6वें नंबर पर थे। लेकिन, अब अनिल अंबानी तो अरबपतियों की लिस्ट से बाहर ही हो गए हैं।

2006 से लेकर अब तक मुकेश अंबानी की नेटवर्थ में 9 गुना से ज्यादा का इजाफा हुआ है। जबकि, फरवरी 2020 में ब्रिटेन की एक कोर्ट में अनिल कह चुके हैं कि उनकी नेटवर्थ जीरो है और वो दिवालिया हो चुके हैं।

मुकेश अंबानी टेलीकॉम में आए, तो सबसे बड़ा नुकसान छोटे भाई को हुआ
2002 का समय था। उस समय दोनों भाई साथ थे। धीरूभाई अंबानी भी थे। उस समय रिलायंस ग्रुप ने रिलायंस इन्फोकॉम से टेलीकॉम इंडस्ट्री में कदम रखा था। उस समय फोन पर बात करना महंगा होता था। उस समय रिलायंस ने सस्ते दामों में ग्राहकों को वॉइस कॉलिंग की सुविधा दी। कंपनी ने स्लोगन दिया ‘कर लो दुनिया मुट्ठी में’।

लेकिन, धीरूभाई की मौत के बाद रिलायंस इन्फोकॉम छोटे भाई अनिल के हिस्से में आ गई। ये वो समय था जब मोबाइल फोन का मार्केट तेजी से बढ़ रहा था। लेकिन, दोनों भाइयों के बीच एक समझौता हुआ था और वो समझौता ये था कि मुकेश ऐसा कोई बिजनेस शुरू नहीं करेंगे, जिससे अनिल को नुकसान हो। 2010 में ये समझौता भी खत्म हो गया।

2010 में ही रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 4,800 करोड़ रुपए में इन्फोटेल ब्रॉडबैंड सर्विस लिमिटेड (आईबीएसएल) की 95% हिस्सेदारी खरीद ली। आईबीएसएल देश की पहली और इकलौती कंपनी थी, जिसने देश के सभी 22 जोन में 4जी ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम फैला दिया था। बाद में इसी का नाम ही ‘रिलायंस जियो’ पड़ा।

5 सितंबर 2016 को मुकेश अंबानी ने रिलायंस जियो लॉन्च कर दी। शुरुआत में कंपनी ने 6 महीने तक 4जी डेटा और वॉइस कॉलिंग फ्री रखी। इसका नतीजा ये हुआ कि रिलायंस जियो तेजी से बढ़ने लगी।

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी ट्राई के आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर 2016 में रिलायंस जियो के पास 1.5 करोड़ से ज्यादा ग्राहक आ गए थे। इस समय तक छोटे भाई अनिल की रिलायंस इन्फोकॉम कंपनी का मार्केट शेयर भी 8% से ज्यादा था।

जैसे-जैसे समय बीतता गया, प्राइस वॉर की वजह से अनिल की कंपनी के ग्राहक घटते गए और मुकेश की कंपनी के ग्राहक बढ़ते गए। अप्रैल 2020 तक जियो के पास 38 करोड़ से ज्यादा ग्राहक हैं। जबकि, रिलायंस के ग्राहकों की संख्या अब 18 हजार भी नहीं रह गई है।

मुकेश आगे बढ़ते रहे, अनिल कर्जदार बनते गए
जब दुनिया में आर्थिक मंदी आई, तो दुनिया भर के अमीरों का अच्छा-खासा नुकसान हुआ। मुकेश और अनिल की संपत्ति में भी भारी कमी आ गई। इस सबसे बड़े भाई मुकेश तो निकल गए, लेकिन छोटे भाई अनिल फंसते ही चले गए। एक तरफ बड़ा भाई का कारोबार बढ़ रहा था, तो दूसरी तरफ छोटे भाई पर कर्ज।

आज हालत ये है कि अनिल अंबानी दिवालिया होने की कगार पर हैं। तो दूसरी ओर मुकेश अंबानी अपनी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज को कर्जमुक्त कर चुके हैं। 31 मार्च 2020 तक रिलायंस इंडस्ट्रीज पर 1.61 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज था, लेकिन अब उनकी कंपनी पर कोई कर्ज नहीं है। जबकि, अनिल अंबानी पर 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है।

एक ओर रिलायंस इंडस्ट्रीज की कंपनियों की मार्केट कैप 12 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गई है। दूसरी ओर अनिल अंबानी की कंपनियों की मार्केट कैप 2 हजार करोड़ रुपए से भी कम हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी 2020 तक अनिल की कंपनियों की मार्केट कैप 1,645.65 करोड़ रुपए थी।

अमीरों के पास कितनी दौलत?:मुकेश अंबानी की नेटवर्थ देश के 9 छोटे राज्यों की जीडीपी के बराबर; दुनिया के टॉप-3 अरबपतियों की संपत्ति भारत के बजट से भी ज्यादा

आरआईएल का रुतबा:आधे पाकिस्तान के बराबर है रिलायंस की नेटवर्थ, अगर एक देश होता रिलायंस तो 134 देशों से ऊपर होती उसकी जीडीपी



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Mukesh Ambani Vs Anil Ambani Net Worth 2020 | Know Who Was Richer RIL Chairman Vs Anil Reliance Group


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कोरोनाकाल में सिर्फ भारत में बिजनेस करने वाली जियो को ढाई हजार करोड़ का फायदा; 18 देश में ऑपरेट करने वाली एयरटेल को 16 हजार करोड़ का घाटा

कोरोना के चलते भारत में तीन महीने का लॉकडाउन रहा। मार्च के आखिरी हफ्ते से लेकर जून तक लोगों की डिजिटल डिपेंडेंसी और भी बढ़ गई। लोगों ने इंटरनेट के जरिए घर से ही सारा काम किया और इससे टाइम पास भी किया। इस बात की चर्चा भी थी कि लॉकडाउन के चलते, इंटरनेट यूज बढ़ेगा और टेलीकॉम कंपनियों का मुनाफा भी बढ़ेगा।

हाल ही में रिलायंस जियो और एयरटेल ने वित्त वर्ष 2020-2021 के पहले तिमाही के लिए अपने आंकड़े जारी किए। जियो को लॉकडाउन में नए यूजर भी मिले और हर यूजर से उसकी कमाई भी बढ़ी। इसके साथ ही उसका फायदा भी बढ़ा।

लेकिन, एयरटेल के साथ ऐसा नहीं हुआ। लॉकडाउन में बीती इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में उसके यूजर घट गए। एयरटेल का बिजनेस 18 देशों में है उसके बाद भी उसका ये हाल है। वहीं, जियो सिर्फ भारत में बिजनेस करके भी एयरटेल के 18 देश के यूजर बेस के लगभग बराबरी पर आ खड़ी हुई है। एयरटेल को हर यूजर से उसकी कमाई में थोड़ा इजाफा तो हुआ लेकिन, उसका घाटा दो गुने से ज्यादा बढ़ गया।

अप्रैल-जून तिमाही इन दोनों कंपनियों की परफॉर्मेंस कैसी रही? दोनों कंपनियों के यूजर्स का डेटा कंजम्पशन कितना बढ़ा? दोनों के यूजर्स कितने बढ़े या घटे? लॉकडाउन में लोगों की कॉलिंग कितनी बढ़ी? इस रिपोर्ट में हम इन सभी सवालों का जवाब देंगे।



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Jio Vs Airtel; Mukesh Ambani Reliance Jio Profit Vs Airtel Revenue 2020 | Who is the Biggest? How Many Reliance Jio Airtel User (Subscriber Base) In India


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बच्चों के पास मोबाइल नहीं थे तो शुरू किया ओपन एयर कम्युनिटी स्कूल, अकेले बडगाम जिले में 8 हजार बच्चे पढ़ रहे हैं

कोरोना के चलते देश भर में पिछले चार महीनों से स्कूल बंद हैं। देश में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है, यही वजह है कि अनलॉक-3 में भी स्कूलों को खोलने की इजाजत नहीं दी गई है। इन सबके बीच कश्मीर की वादियों में बच्चे अब स्कूल के बंद कमरों की बजाय नीले आसमान के नीचे पहाड़ों के बीच ओपन पढ़ाई कर रहे हैं।

तस्लीमा बशीर अब ओपन एयर कम्युनिटी स्कूल में पढ़ाई कर रही हैं। फोटो: आबिद बट

कश्मीर के बडगाम जिले के पहाड़ी क्षेत्र में रहने वालीं तस्लीमा बशीर आठवीं क्लास में पढ़ती हैं। तस्लीमा को पढ़ाई करना पसंद है। स्कूल ने वर्चुअल क्लासेज के जरिए पढ़ाई भी कराई, लेकिन ना तो तस्लीमा के घर में मोबाइल है और न ही उनके घर तक मोबाइल नेटवर्क की पहुंच है। ऐसे में तस्लीमा खुद ही घर पर बैठकर जो मन आया वो पढ़ लेती थीं।

इसके बाद जब 1 जून से ओपन एयर कम्युनिटी स्कूल की शुरूआत हुई तो यहां आने के बाद तस्लीमा के चेहरे पर एक अलग ही रौनक नजर आई। बडगाम जिले के दूधपथरी की वादियों में तस्लीमा की तरह कई बच्चे ओपन एयर स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। तस्लीमा कहती हैं कि इस तरह खुली वादियों के बीच पढ़ना ज्यादा अच्छा लगता है।

मैं घर पर ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाती थी, क्योंकि मुझे कई और काम भी करने पड़ते थे। तस्लीमा की ही तरह और बच्चों को भी इस तरह के कम्युनिटी स्कूल में पढ़ना अच्छा लग रहा है। इन बच्चों के पेरेंट्स रोजाना पहाड़ की चढ़ाई पार करके इस कम्युनिटी स्कूल तक छोड़ने आते हैं।

जो बच्चे मोबाइल, इंटरनेट के अभाव में वर्चुअल क्लासेज तक नहीं पहुंच सके, वो अब कम्युनिटी स्कूल में आकर पढ़ाई कर रहे हैं। फोटो: आबिद बट

मोबाइल फोन के अभाव में कई बच्चे अटेंड नहीं कर सके वर्चुअल क्लासेज

बडगाम जिले की चीफ एजुकेशन ऑफिसर फातिमा बानो बताती हैं कि जिले में 1,271 स्कूल हैं, इनमें 702 प्राइमरी, 422 मिडिल, 101 हाईस्कूल और 46 हायर सेकेंडरी स्कूल हैं। यहां कुल 75 हजार छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए बडगाम जिले में 6,122 टीचर्स हैं। फातिमा पिछले 35 सालों से एजुकेशन सेक्टर से जुड़ी हैं और 31 अगस्त को उनका रिटायरमेंट हैं।

कुछ बच्चे मोबाइल, इंटरनेट के अभाव में वर्चुअल क्लासेज तक नहीं पहुंच सके

फातिमा बताती हैं कि काेरोना के दौरान जब हमने वर्चुअल क्लासेज की शुरुआत की तो 75 हजार बच्चों में से 61 हजार जूम व अन्य माध्यम से हमसे जुड़े। बाकी बच्चों के नहीं जुड़ने का कारण पूछा तो पता चला कि कुछ बच्चे अपने परिवारों के साथ वापस अपने प्रदेश चले गए जोकि यहां काम करने के लिए आते थे। जबकि, कुछ बच्चे मोबाइल, इंटरनेट के अभाव में वर्चुअल क्लासेज तक नहीं पहुंच सके।

उनके पेरेंट्स ने बताया कि वो इतने समर्थ नहीं हैं कि मोबाइल खरीद सकें। फातिमा बताती हैं कि उन बच्चों को कैसे जोड़ा जाए इसे लेकर मैंने कमिश्नर सेक्रेट्री और डायरेक्टर एजुकेशन से बात की और फिर ओपन एयर कम्युनिटी स्कूल का विचार आया। जिले में 13 जोन हैं और हर जोन में 4 से 5 ओपन एयर कम्युनिटी स्कूल संचालित हो रहे हैं। जहां 8 हजार से अधिक बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।

क्लास शुरू होने से पहले उन्हें फेस मास्क-हैंड सैनिटाइजर दिया जाता है। फोटो: आबिद बट

क्लास शुरू होने से पहले बच्चों को देते हैं फेस मास्क, हैंड सैनिटाइजर

बडगाम के जोनल एजुकेशन ऑफिसर मोहम्मद रमजान बताते हैं कि खुली हवा में पढ़ाई के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन किया जाता है। क्लास शुरू होने से पहले उन्हें फेस मास्क और हैंड सैनिटाइजर दिया जाता है। सभी बच्चों को आठ समूहों में उनकी उम्र के अनुसार बिठाया जाता है।

वहीं टीचर मंजूर अहमद कहते हैं कि हमें घर पर बैठकर वेतन लेना अच्छा नहीं लगता था। स्कूल की इमारत की तुलना में इन वादियों में पढ़ाने में ज्यादा अच्छा लगता है। कश्मीर में कोरोनावायरस महामारी के पहले से ही स्कूली शिक्षा प्रभावित हुई थी। पिछले साल सरकार ने यहां अनुच्छेद-370 हटाकर जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर यहां कर्फ्यू लगा दिया था। कर्फ्यू हटने के कुछ महीनों बाद ही कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया।

तेज धूप और बारिश में बच्चों को परेशान होना पड़ता है। फोटो: आबिद बट

इन कम्युनिटी स्कूल में नहीं हैं धूप, बारिश से बचने के इंतजाम

तंगधार में संचालित होने वाले इस कम्युनिटी स्कूल में 8वीं क्लास में पढ़ने वाले एक छात्र ने बताया कि यहां बाकी सब तो ठीक है लेकिन तेज धूप और बारिश में पढ़ाई नहीं हो पाती है, अगर अधिकारी यहां टेंट की व्यवस्था करा दें तो हम ज्यादा अच्छे से पढ़ाई कर सकेंगे।

वहीं, 7वीं क्लास में पढ़ने वाली अनीशा जौहर बताती हैं कि पहले टीचर्स घरों में आकर पढ़ाते थे, घर में इतनी जगह नहीं होती थी कि हम पढ़ाई कर सकें लेकिन कम्युनिटी स्कूल में पढ़ना अच्छा लगता है। वर्तमान में यह कम्युनिटी क्लासेज विंटर जोन में आने वाले जिलों में चल रही हैं, चूंकि पूरे प्रदेश में 2जी इंटरनेट ही चल रहा है, ऐसे में जूम क्लासेज में भी काफी दिक्कतें आती हैं।

ऐसे में कश्मीर संभाग में कम्युनिटी स्कूल की सफलता के बाद जम्मू संभाग में इसे शुरू किया गया है।

कश्मीर के सुदूरवर्ती गांवों में इस तरह संचालित हो रहे हैं ओपन एयर कम्युनिटी स्कूल। फोटो: आबिद बट


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कश्मीर के बडगाम जिले के पहाड़ी क्षेत्र में इस तरह ओपन एयर कम्युनिटी स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। फोटो: आबिद बट


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सतेंद्र दास कहते हैं, जब बाबरी विध्वंस हुआ तो मैं वहीं था, सुबह 11 बज रहे थे, हम रामलला को उठाकर अलग चले गए, ताकि वो सुरक्षित रहें

राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी हैं सत्येंद्र दास। कहते हैं "सबसे बड़ी बात है कि राममंदिर बन रहा है। 28 साल से मैं पुजारी के रूप में रामलला की सेवा कर रहा हूं। मन मे एक टीस थी कि रामलला टेंट में हैं, लेकिन ठाकुर जी की कृपा से सब सही हो गया। अब हमारे आराध्य श्री राम टाट से निकल कर ठाट में आ गए हैं।

चूंकि, अब ट्रस्ट बन गया है मंदिर बनने के बाद मैं आगे पुजारी रहूंगा या नहीं, यह नहीं कह सकता हूं। क्योंकि बीच मे मेरे रिश्ते विहिप से खराब हो गए थे। साल 2000 में अशोक सिंघल समेत कई बड़े विहिप के नेता जबरदस्ती जन्मस्थान में घुस आए थे। उनके पीछे मीडिया भी थी।

तत्कालीन डीएम भगवती प्रसाद मामले को रफा-दफा करना चाह रहे थे। लेकिन, मीडिया में खबर चलने के बाद यह संभव नही हो सका। बाद में पत्रकारों ने हमसे भी पूछा तो हमने भी नाम बता दिया। इसके बाद विहिप वाले हमसे नाराज हो गए।

हालांकि, हमने संबंध बनाए रखा, लेकिन सही बात यह है कि अब वो बात नहीं है। 80 साल उम्र हो चुकी है। रामलला की सेवा में 28 साल बिता दिए हैं। अगर मौका मिलेगा तो बाकी जिंदगी भी उन्हीं की सेवा में बिताना चाहता हूं।’

अभी तक हम सभी उन्हें एक पुजारी के रूप में जानते आए हैं। आज हम आपको उनकी पिछली जिंदगी में ले चलते हैं।

1958 में घर छोड़ चले आए थे अयोध्या
सत्येंद्र दास बताते हैं कि मैं संत कबीरनगर का रहने वाला हूं। अपने पिताजी के साथ बचपन से अयोध्या आता रहता था। उस समय आसपास का माहौल भी बहुत धार्मिक रहता था। पिता जी अभिराम दास जी के पास आया करते थे। अभिराम दास वही हैं जिन्होंने राम जन्मभूमि में 1949 में गर्भगृह में मूर्तियां रखीं थी। उनसे भी मैं प्रभावित था।

साथ ही पढ़ने की इच्छा थी, तो 8 फरवरी 1958 को मैं अयोध्या आ गया। मेरे परिवार में हम दो भाई और एक बहन थी। जब पिताजी को पता चला कि मैं संन्यासी बनना चाहता हूं तो उन्हें बड़ी खुशी हुई। उन्होंने कहा कि एक भाई घर पर रहेगा और एक भगवान की सेवा में जाएगा। फिर मैं चला आया। अब परिवार में भाई है। कभी-कभी आता-जाता रहता है। त्योहार, उत्सव, पूजा इत्यादि पर मैं भी घर जाता रहता हूं। बहन की मृत्यु हो चुकी है।

राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास दो भाई हैं। उनका एक भाई घर पर है। उनकी बहन का निधन हो चुका है।

1976 में मिली सहायक अध्यापक की नौकरी
सत्येंद्र दास बताते हैं कि यहां मैंने संस्कृत विद्यालय से आचार्य 1975 में पास किया। 1976 में फिर अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में व्याकरण विभाग में सहायक अध्यापक की नौकरी मिल गई। उस समय 75 रुपए तनख्वाह थी। इस दौरान मैं राम जन्मभूमि भी आया जाया करता था। श्री अभिराम दास हमारे गुरु थे। इस दौरान मैं कथा, पूजा इत्यादि भी करने जाया करता था। नवरात्रों में जन्मभूमि में कलश स्थापना का कार्य भी करता था। तब कभी नहीं सोचा था कि कभी यहां का मुख्य पुजारी बनूंगा।

1 मार्च 1992 को को मिला रामलला की सेवा का मौका
सत्येंद्र दास कहते हैं कि सब कुछ जीवन में सामान्य चल रहा था। 1992 में रामलला के पुजारी लालदास थे। उस समय रिसीवर की जिम्मेदारी रिटायर जज पर हुआ करती थी। उस समय जेपी सिंह बतौर रिसीवर नियुक्त थे। उनकी फरवरी 1992 में मौत हो गई तो राम जन्मभूमि की व्यवस्था का जिम्मा जिला प्रशासन को दिया गया। तब पुजारी लालदास को हटाने की बात हुई।

उस समय मैं तत्कालीन भाजपा सांसद विनय कटियार विहिप के नेताओं और कई संत जो विहिप नेताओं के संपर्क में थे, उनसे मेरा घनिष्ठ संबंध था। सबने मेरे नाम का निर्णय किया। तत्कालीन विहिप अध्यक्ष अशोक सिंघल की भी सहमति मिल चुकी थी। जिला प्रशासन को सबने अवगत कराया और इस तरह 1 मार्च 1992 को मेरी नियुक्ति हो गई। मुझे अधिकार दिया गया कि मैं अपने 4 सहायक पुजारी भी रख सकता हूं। तब मैंने 4 सहायक पुजारियों को रखा।

सत्येंद्र दास 28 साल से रामलला की सेवा कर रहे हैं।

मंदिर से स्कूल और स्कूल से मंदिर यही दिनचर्या थी
सत्येंद्र दास बताते हैं कि उस समय स्कूल और मंदिर में सामंजस्य बिठाना थोड़ा मुश्किल था, लेकिन सहायक पुजारियों की वजह से सब आसान हो गया था। सुबह तड़के से 10 बजे तक मंदिर में रहता, फिर 10 बजे से 4 बजे तक स्कूल में रहता। फिर 4 बजे के बाद से शाम तक मंदिर में। इस तरह पूजा का काम भी चल रहा था और स्कूल का भी चल रहा था।

100 रुपए पारिश्रमिक बतौर पुजारी मिलता था
सत्येंद्र दास बताते हैं कि मैं चूंकि सहायता प्राप्त स्कूल में पढ़ाता था, तो मुझे वहां से भी तनख्वाह मिलती थी। ऐसे में मंदिर में मुझे बतौर पुजारी सिर्फ 100 रुपए पारिश्रमिक मिलता था। जब 30 जून 2007 को मैं अध्यापक के पद से रिटायर हुआ, तो मुझे फिर यहां 13 हजार रुपए तनख्वाह मिलने लगी। मेरे सहायक पुजारियों को अभी 8000 रुपए तनख्वाह मिलती है।

28 साल से रामलला टेंट में विराजमान थे। अब उनका मंदिर बनने जा रहा है।

जब बाबरी विध्वंस हुआ तो मैं रामलला को बचाने में लगा था
सत्येंद्र दास कहते हैं कि जब बाबरी विध्वंस हुआ तो मैं वहीं था। सुबह 11 बज रहे थे। मंच लगा हुआ था। लाउड स्पीकर लगा था। नेताओं ने कहा पुजारी जी रामलला को भोग लगा दें और पर्दा बंद कर दें। मैंने भोग लगाकर पर्दा लगा दिया। एक दिन पहले ही कारसेवकों से कहा गया था कि आप लोग सरयू से जल ले आएं। वहां एक चबूतरा बनाया गया था।

ऐलान किया गया कि सभी लोग चबूतरे पर पानी छोड़ें और धोएं, लेकिन जो नवयुवक थे उन्होंने कहा हम यहां पानी से धोने नही आए हैं। हम लोग यह कारसेवा नही करेंगे। उसके बाद नारे लगने लगे। सारे नवयुवक उत्साहित थे। वे बैरिकेडिंग तोड़ कर विवादित ढांचे पर पहुंच गए और तोड़ना शुरू कर दिया। इस बीच हम रामलला को बचाने में लग गए कि उन्हें कोई नुकसान न हो। हम रामलला को उठाकर अलग चले गए। जहां उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ।

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Ayodhya Ram Mandir Pujari Satyendra Das News | All You Need to Know About Ram Janmabhoomi Temple Chief Priest Satyendra Das


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यहां चार छावनियां थीं, अब तीन बची हैं, बड़ी छावनी, छोटी हो गई और छोटी छावनी बड़ी हो गई, इन छावनियों में रहते हैं साधु-संत

पिछले कई सालों में अनेक बार अयोध्या पुलिस छावनी बनी है। पांच अगस्त को भूमि पूजन का कार्यक्रम है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दिन अयोध्या आएंगे। इस लिहाज से एक बार फिर अयोध्या की किलेबंदी शुरू हो गई है। बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं। हर मुख्य सड़क पर पुलिस की बैरिकेडिंग है।

मतलब, एक बार फिर अयोध्या छावनी में तब्दील हो जाएगी। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि अयोध्या में कई छावनियां सालों से हैं और वहां साधु-संत रहते आ रहे हैं।

इन छावनियों का इतिहास भारत में मुगल काल के कमजोर होने के साथ शुरू होता है। हालांकि, इनका कोई लिखित इतिहास उपलब्ध नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि वैरागी साधुओं ने धर्म की रक्षा के लिए अयोध्या में एक साथ गुट बनाकर रहना शुरू किया और इनके एक साथ रहने की वजह से अंग्रेजों के समय उनके रहने की जगह को छावनी कहा जाने लगा।

कुछ समय पहले तक अयोध्या में चार प्रमुख छावनियां थीं- तुलसी दास जी की छावनी, बड़ी छावनी, तपसी जी की छावनी और छोटी छावनी। तुलसी दास जी की छावनी खत्म हो गई। खत्म होने की कोई साफ-साफ वजह तो कोई नहीं बताता लेकिन अयोध्या के रहने वाले मानते हैं कि उस छावनी में संतों का जाना-आना बंद हुआ और फिर धीरे-धीरे उसका वजूद ही खत्म हो गया।

बाकी बची तीन छावनियां आज भी आबाद हैं। आइए, एक-एक करके इन तीनों छावनियों में चलते हैं।

बड़ी छावनी
मुख्य अयोध्या शहर से दूर, एक किनारे में लगभग तीन एकड़ जमीन पर आबाद है ये छावनी। चारों तरफ बुलंद चारदीवारी है और आने-जाने के लिए एक दरवाजा है। इसे बड़ी छावनी क्यों कहते हैं? इस सवाल का कोई एक जवाब नहीं है। अलग-अलग जवाब हैं। एक का वजूद आस्था पर टिका है तो दूसरे का आकलन पर।

संतों के मुताबिक, बहुत पहले एक संन्यासी अपने साथ बारह सौ साधु-संतों के साथ घूमते हुए अयोध्या आए। वो चार महीने के लिए अयोध्या में डेरा डालना चाहते थे। चुकी उनके साथ और ग्यारह सौ साधु थे सो कोई तैयार नहीं हो रहा था। तब इस छावनी के पहले महंत श्री रघुनाथ दास जी महाराज ने उन्हें और उनके साथी साधुओं को यहां साल भर के लिए रोका। तभी इसे बड़ी छावनी कहते हैं।

बड़ी छावनी अयोध्या शहर से दूर तीन एकड़ में बनी है।

वहीं, पिछले कई साल से धर्म और उसके पीछे के मर्म पर लिखने वाले और इस वास्ते कई बार अयोध्या आ चुके पत्रकार भव्य श्रीवास्तव का मानना है कि संभवतः इसका लेना-देना केवल उस क्षेत्रफल से है, जिसमें छावनी आबाद है।

छावनी के बीच में एक मंदिर है और चारों तरफ छोटे-छोटे कमरे बने हैं। एक तरफ जो कमरे हैं, उनके सामने साधू निवास लिखा है और दूसरी तरफ जो कमरे हैं उनके दरवाजे पर अलग-अलग लोगों के नाम और उनके जन्मस्थान लिखे हैं। ये बिलकुल वैसा ही है जैसे होटल में एक तरफ गर्ल्स होटल लिखा होता है तो दूसरी तरफ बॉयज होटल।

बड़ी छावनी में रहने वाले और खुद को छावनी का भक्त बताने वाले राम सरस इस बारे में बताते हैं, “देखिए। एक तरफ संत रहते हैं। उनकी दिनचर्या अलग होती है। एक तरफ भक्त रहते हैं और वो अपने हिसाब से रहते हैं। ऐसा इसलिए बनाया गया है ताकि भक्तों को संतों से और संतों को भक्तों से कोई दिक्कत ना हो।”

तपसी (तपस्वी) जी की छावनी
अयोध्या शहर के रामघाट इलाके में स्थित है ये छावनी। भव्य इमारत और इमारत पर की गई कारीगरी से सहज अंदाजा हो जाता है कि छावनी बहुत पहले से आबाद है। छावनी के बाहर पुलिस का पहरा रहता है। इसकी वजह आपको आगे बताएंगे।

अभी तो आप ये जानिए कि ये छावनी उन साधु-संन्यासियों के लिए बनवाया गया था जो जंगलों और पहाड़ों में तपस्या करते थे। जब वो घूमते-घूमते अयोध्या आते थे तो उनको ठहरने में और अपनी दिनचर्या बनाए रखने में दिक्कत होती थी। इन्हीं बातों का ख्याल रखते हुए इस छावनी का निर्माण हुआ।

तपस्या करने वाले साधु-संतों के ठहरने के लिए तपसी छावनी का निर्माण हुआ था।

खुद का परिचय जगतगुरु परमहंस आचार्य जी के रूप में करवाते हैं और इनके समर्थक इनको इस छावनी के वर्तमान महंत बताते हैं। जब हमने इनसे पूछा कि इस छावनी का निर्माण कब हुआ तो वो बोले, “अयोध्या में सबसे प्राचीनतम पीठ और सबसे सिद्ध पीठ तपसी जी की छावनी है। इसके बाद अयोध्या में कई छावनियां बनीं लेकिन सबसे पुरानी छावनी यही है।”

ऐसे ही दावे बड़ी छावनी में रहने वाले संत भी कर चुके हैं। इन दावों का कोई प्रामाणिक आधार नहीं है। बस अपनी-अपनी मान्यताओं के आधार पर जो जिस छावनी से जुड़ा है उसे सबसे पुराना बताता है।

तपसी छावनी के महंत परमहंस आचार्य जी।

तपसी छावनी का जिक्र पिछले साल नवंबर में तब राष्ट्रीय स्तर पर हुआ था जब परमहंस आचार्य यानी संत परमहंस दास ने राम जन्मभूमि न्यास के महंत नृत्यगोपालदास पर कथित तौर पर अभद्र टिप्पणी की। इसके बाद महंत नृत्यगोपालदास के समर्थकों ने उनको घेर लिया। उन पर हमला किया। पुलिस आई तो ही वो बाहर जा सके।

तब परमहंस दास को तपस्वी छावनी ने ये कहते हुए निष्कासित कर दिया था कि उनका आचरण अशोभनीय था। स्थानीय पत्रकार बताते हैं कि इसके बाद वो महीनों तक इधर-उधर भागे-भागे फिर रहे थे। जब उन्होंने अपने गुरु से माफी मांगी तो उनकी वापसी हुई। इसी घटना के बाद से छावनी के बाहर पुलिस के जवानों की तैनाती रहती है।

छोटी छावनी
आज की तारीख में अयोध्या की सबसे महत्वपूर्ण यही छावनी है। बाकी सभी छावनियों की तुलना में यहां चहल-पहल ज्यादा रहती है। सीआरपीएफ के चार जवान सुरक्षा में तैनात रहते हैं। वजह ये है कि इस छावनी के वर्तमान महंत नृत्यगोपालदास हैं।

सबसे ज्यादा चहल-पहल छोटी छावनी में ही रहती है।

राम मंदिर आंदोलन के अहम किरदार रहे अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास हैं और सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए बनाए गए 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं।

छोटी छावनी के महंत नृत्यगोपालदास।

इस छावनी को छोटी छावनी के नाम से ही अयोध्या में लोग जानते हैं, लेकिन कुछ साल पहले इसका नाम बदलकर श्री मणिराम दास छावनी कर दिया गया। बिना अपनी पहचान जाहिर किए एक संत इसकी वजह बताते हैं। वो कहते हैं, “हम तो छोटी छावनी ही जानते थे। कुछ साल पहले नाम बदल दिया गया। शायद महंत जी को छोटी छावनी कहने में अच्छा नहीं लगता होगा।”

छोटी छावनी के अंदर सीआरपीएफ की पोस्ट।

पांच अगस्त को अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने की सम्भावना है। तैयारियां हर ओर हो रही हैं। छोटी छावनी यानी श्री मणिराम दास छावनी में भी चहल-पहल बढ़ी हुई है। अयोध्या की सभी छावनियों में आज इस छावनी का कद और प्रभाव सबसे ज्यादा है। इस वजह से बाकी छावनियों के महंतों के मन में एक कसक दिखती है। कोई भी खुलकर नहीं बोलता लेकिन करने पर ये साफ-साफ समझ आता है कि छोटी छावनी के प्रभाव का बड़ा हो जाना, बाकियों को रास नहीं आ रहा है।

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