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भारत और चीन के बीच लद्दाख की गालवन घाटी में हुई हिंसक झड़प पर अमेरिका का भी बयान आया। मंगलवार रात व्हाइट हाउस में हुई मीटिंग के बाद अमेरिका ने बयान जारी किया। अमेरिका ने कहा- दोनों देशों के बीच जारी तनाव पर हमारी पैनी नजर है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने प्रधानमंत्री मोदी से 2 जून को फोन पर बातचीत की थी। इस दौरान भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर चर्चा हुई थी।
बता दें कि सोमवार रात गालवन वैली में हुई हिंसक झड़प में भारत के एक कमांडिंग अफसर समेत भारत के 20 जवानों शहीद हो गए थे। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, चीन के भी 43 सैनिक या तो मारे गए हैं या घायल हुए।
व्हाइट हाउस में मीटिंग
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय समय के अनुसार रात 11.30 बजे व्हाइट हाउस में एक अहम मीटिंग की। इसमें इंटेलिजेंस एजेंसियों ने भारत-चीन विवाद पर रिपोर्ट पेश की। विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भी मीटिंग में शामिल थे। मीटिंग के बाद एक बयान जारी किया गया। अमेरिका ने कहा, ‘एलएसी के हालात पर हमारी करीबी नजर रख रहे हैं। भारतीय सेना के 20 जवान मारे गए हैं। अमेरका इस पर शोक व्यक्त करता है। हमारी संवेदनाएं सैनिकों के परिवारों के साथ हैं।’
शांति से समाधान करें
बयान में आगे कहा गया, ‘भारत और चीन दोनों ने तनाव कम करने की बात कही है। अमेरिका इस मसले के शांतिपूर्ण समाधान के हक में है। राष्ट्रपति ट्रम्प और प्रधानमंत्री मोदी के बीच 2 जून को फोन पर बातचीत हुई थी। इस दौरान भारत-चीन सीमा विवाद पर भी बातचीत हुई थी।’
पीछे हटीं दोनों सेनाएं
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, गालवन वैली में जिस पेट्रोल प्वॉइंट 14 के करीब दोनों देशों के सैनिकों की बीच हिंसक झड़प हुई थी, अब वहां शांति है। दोनों देशों की सैन्य टुकड़ियां पीछे हट गई हैं।
यूएन ने क्या कहा?
यूएन महासचिव के प्रवक्ता ने भी भारत और चीन सीमा विवाद पर टिप्पणी की। कहा- हमने एलएसी पर हो रही घटनाओं के बारे में जानकारी हासिल की है। दोनों देशों से अपील है कि वो संयम दिखाएं। यह अच्छी बात है कि दोनों ही देश तनाव कम करने की बात कर रहे हैं।
चीन से जुड़े विवाद पर आप ये खबरें भी पढ़ सकते हैं...
दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 4 लाख 45 हजार 958 लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमितों का आंकड़ा 82 लाख 56 हजार 725 हो गया है। अब तक 43 लाख 6 हजार 426 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। उधर, दक्षिण अमेरिकी देश ब्राजील में संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। यहां 24 घंटे में 34 हजार 918 केस मिले हैं, जबकि 1282 लोगों की जान गई है। यहां मरीजों की संख्या 9.28 लाख से ज्यादा हो गया है। अमेरिका के बाद यह सबसे संक्रमित देश है।
10 देश जहां कोरोना का असर सबसे ज्यादा
देश
कितने संक्रमित
कितनी मौतें
कितने ठीक हुए
अमेरिका
22,08,400
1,19,132
9,03,041
ब्राजील
9,28,834
45,456
4,64,774
रूस
5,45,458
7,284
2,94,306
भारत
3,54,161
11,921
1,87,552
ब्रिटेन
2,98,136
41,969
उपलब्ध नहीं
स्पेन
2,91,408
27,136
उपलब्ध नहीं
इटली
2,37,500
34,405
1,78,526
पेरू
2,37,156
7,056
1,19,409
ईरान
1,92,439
9,065
1,52,675
जर्मनी
1,88,382
8,910
1,73,100
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अमेरिका: इलिनियोस के अटॉर्नी जनरल संक्रमित
इलिनियोस के अटॉर्नी जनरल क्वामे राउल ने कहा है कि वे कोरोनावायरस से संक्रमित हैं। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, राउल पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। उन्होंने सोमवार को कोरोना टेस्ट कराया था। उन्होंने खुद को अलग-थलग कर लिया है। राज्य में 1.33 लाख लोग संक्रमित हैं।
बीजिंग: 31 नए मरीज मिले
चीन में संक्रमण के 44 नए मामले सामने आए हैं। बीजिंग में संक्रमण के 31 नए मामले मिले हैं। यहां संक्रमण की दूसरी लहर सामने आने के बाद स्थानीय प्रशान ने सख्ती शुरू कर दी। शहर के कुछ हिस्सों में लॉकडाउन लगाया गया है। सभी इंडोर स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स, थिएटर और सिनेमा हॉल अगले आदेश तक बंद रहेंगे।
स्पेन: ब्रिटिश यात्रियों को क्वारैंटाइन किया जा सकता है
स्पेन का कहना है कि वह अपने यहां आने वाले ब्रिटिश यात्रियों को क्वारैंटाइन कर सकता है। स्पेन में अगले हफ्ते से यूरोपीय देशों के लिए सीमा खोली जा रही है। यहां अब तक संक्रमण के 2.91 लाख मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 27 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।
पुतिन से मिलने आने वालों को डिसइन्फेक्ट टनल से गुजरना होगा
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को कोरोनावायरस से बचाने के लिए डिसइन्फेक्ट टनल बनाया गया है। उनसे मिलने आने वाले लोगों को इस टनल से गुजरना होगा। इसे रूसकी ही कंपनी ने बनाया है। अमेरिका और ब्राजील के बाद रूस सबसे संक्रमित देश है। यहां अब तक 5.45 लाख संक्रमित हैं, जबकि 7284 लोगों की मौत हो चुकी है।
इजराइल: 258 नए मामले
इजराइल में मंगलवार को संक्रमण के 258 नए मामले सामने आए। यहां संक्रमितों की संख्या बढ़कर 19,495 हो गई है। इजरायल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी। यहां मरने वालों की संख्या 302 है। इससे पहले मंगलवार को इजराइल रोजगार सेवा ने आंकड़े जारी कर बताया था कि अप्रैल के अंत में देश में बेरोजगारी दर 27.5% से गिरकर मई के अंत में 23.5% हो गई है।
भारत और चीन के बीच लद्दाख की गालवन घाटी में हुई हिंसक झड़प पर अमेरिका का भी बयान आया। मंगलवार रात व्हाइट हाउस में हुई मीटिंग के बाद अमेरिका ने बयान जारी किया। अमेरिका ने कहा- दोनों देशों के बीच जारी तनाव पर हमारी पैनी नजर है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने प्रधानमंत्री मोदी से 2 जून को फोन पर बातचीत की थी। इस दौरान भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर चर्चा हुई थी।
बता दें कि सोमवार रात गालवन वैली में हुई हिंसक झड़प में भारत के एक कमांडिंग अफसर समेत भारत के 20 जवानों शहीद हो गए थे। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, चीन के भी 43 सैनिक या तो मारे गए हैं या घायल हुए।
व्हाइट हाउस में मीटिंग
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय समय के अनुसार रात 11.30 बजे व्हाइट हाउस में एक अहम मीटिंग की। इसमें इंटेलिजेंस एजेंसियों ने भारत-चीन विवाद पर रिपोर्ट पेश की। विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भी मीटिंग में शामिल थे। मीटिंग के बाद एक बयान जारी किया गया। अमेरिका ने कहा, ‘एलएसी के हालात पर हमारी करीबी नजर रख रहे हैं। भारतीय सेना के 20 जवान मारे गए हैं। अमेरका इस पर शोक व्यक्त करता है। हमारी संवेदनाएं सैनिकों के परिवारों के साथ हैं।’
शांति से समाधान करें
बयान में आगे कहा गया, ‘भारत और चीन दोनों ने तनाव कम करने की बात कही है। अमेरिका इस मसले के शांतिपूर्ण समाधान के हक में है। राष्ट्रपति ट्रम्प और प्रधानमंत्री मोदी के बीच 2 जून को फोन पर बातचीत हुई थी। इस दौरान भारत-चीन सीमा विवाद पर भी बातचीत हुई थी।’
पीछे हटीं दोनों सेनाएं
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, गालवन वैली में जिस पेट्रोल प्वॉइंट 14 के करीब दोनों देशों के सैनिकों की बीच हिंसक झड़प हुई थी, अब वहां शांति है। दोनों देशों की सैन्य टुकड़ियां पीछे हट गई हैं।
यूएन ने क्या कहा?
यूएन महासचिव के प्रवक्ता ने भी भारत और चीन सीमा विवाद पर टिप्पणी की। कहा- हमने एलएसी पर हो रही घटनाओं के बारे में जानकारी हासिल की है। दोनों देशों से अपील है कि वो संयम दिखाएं। यह अच्छी बात है कि दोनों ही देश तनाव कम करने की बात कर रहे हैं।
चीन से जुड़े विवाद पर आप ये खबरें भी पढ़ सकते हैं...
देश में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़कर 3 लाख 54 हजार 161 हो गई है। पिछले 24 घंटे में 11 हजार 090 मरीज बढ़ गए। मंगलवार को लगातार सात दिन 10 हजार से ज्यादा मरीज मिले। 5 दिन में ही कोरोना संक्रमितों की संख्या 50 हजार से ज्यादा बढ़ गई। देश में मंगलवार को मौत का आंकड़ा भी 11 हजार 921 पर पहुंच गया। कल इस आंकड़े में 2004 मौतें जुड़ीं।
महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में कोरोना से हुई 81 मौतों के साथ ही पिछली 1328 मौतों को शामिल किया। इसी के साथ मृत्यु दर बढ़कर 3.35 % हो गई। उधर, दिल्ली में एक दिन में सबसे ज्यादा 93 लोगों ने दम तोड़ा। वहीं, पिछले दिनों हुई 344 मौतों की भी डेथ ऑडिट कमेटी ने कोरोना से होने की पुष्टि की है। इसके साथ ही एक दिन में 437 मौतें रिपोर्ट में जुड़ने के साथ ही राजधानी में मौत की संख्या 1837 हो गई है। दिल्ली गुजरात को पीछे छोड़कर देश में दूसरे नंबर पर पहुंच गई है।
5 दिन,जब सबसे ज्यादा मामले आए
तारीख
केस
13 जून
12031
14 जून
11374
12 जून
11314
11 जून
11128
17 जून
11090
5 राज्यों का हाल मध्यप्रदेश:मध्यप्रदेश में मंगलवारको 134 मरीज मिले, जबकि 11 की मौत हुई। इसके साथ, राज्य में मरीजों की संख्या 11070 हो गई। वहीं, कोरोना सेअब तक 476 लोगों की जान गई है।रविवार शाम से राज्य के 29 जिलों में कोरोना का कोई मरीज नहीं मिला।
उत्तरप्रदेश: यहां सोमवार को476 संक्रमित मिले, जबकि18 की मौत हुई। गौतमबुद्धनगर में 60, मेरठ में 25, कानपुर में 19, आगरा में 16,मरीज बढ़े। पूर्व सांसद और सपा नेता धर्मेंद्र यादव की कोरोना रिपोर्टपॉजिटिव है। कोरोना से अब तक 417 ने जान गंवाई।
महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में लगातारदूसरे दिन 2500 से नए मामले सामने आए। बीते 24 घंटे में राज्य में 2701 मरीज मिले, जबकि 81 की मौत हुई है। इसके साथ ही राज्य में मरीजों की संख्या 1,13,445 हो गई। अब तक 5537 मरीज जान गंवा चुके हैं।
राजस्थान: राजस्थान में मंगलवार को कोरोना के 235 नए केस सामने आए। इनमें भरतपुर में 69, जयपुर में 41, जोधपुर में 18, उदयपुर में 20, पाली में 10सक्रमित मिले। इसके साथ कुल संक्रमितों का आंकड़ा 13 हजार 216 हो गया। मंगलवार को 7 लोगों की मौत भी हुई।
बिहार: बिहार में मंगलवार को कोरोना संक्रमण के 148 मामले सामने आए। यहांमरीजों की संख्या 6810 हो गई। वहीं, अब तक 42 मरीजों की मौत हो चुकी है। राज्य में अब तक 1 लाख 27 हजार 86 सैंपल की जांच हुई है। अब तक 4226 मरीज ठीक हुए हैं।
फोटो चंडीगढ़ की है। यहां पिछले तीन-चार दिन से गर्मी अपने तेवर दिखा रही है। मंगलवार को पारा 41 डिग्री रहा। उमस ने भी लोगों को दिनभर परेशान रखा। मंगलवार दोपहर को एक महिला सिर पर पानी से भरीपॉलिथिन रखकर जाती हुई दिखाई दी। थोड़ी देर के लिए ही सही, लेकिन महिला कोगर्मी से राहत तो मिली।
सीजन की सबसे गर्म रात, पारा 33.6, दिन का पारा 47.4 डिग्री
फोटो राजस्थान के बीकानेर की है। मंगलवार को बीकानेर और जैसलमेर राजस्थान के सबसेगर्म शहर रहे। पारा 47.4 डिग्री सेल्सियस दोनों जगह दर्ज किया गया। बीती रात सीजन की सबसे गर्म रात मानी गई क्योंकि तापमान 34 डिग्री सेल्सियस को छूने लगा है, न्यूनतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। ऐसे में एक व्यक्ति काम की तलाश में हाथ गाड़ी लेकर निकला।
झारखंड आने के लिए 30 किमी अतिरिक्त सफर करना होगा
फोटो बिहार के बांका जिले की है। 1996 में तीन करोड़ की लागत से बांका शहर के पूर्वी छोर के चांदन नदी पर बना पुल मंगलवार सुबह ध्वस्त हो गया। इससे बिहार का झारखंड, उड़ीसा, पश्चिमबंगाल और आंध्र प्रदेशसे संपर्क टूट गया। अब झारखंड में प्रवेश करने के लिए लोगों को 30 किमी अतिरिक्त सफर करना होगा। झारखंड स्थित ढाका मोड़ पहुंचने के बाद ही लोग अन्य राज्यों में प्रवेश कर सकेंगे।
लॉकडाउन:इस बार एक दिन में मनायागाजन पर्व
फोटो झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया गांव की है। चाकुलिया शिव मंदिर परिसर में सोमवार को सोशल डिस्टेंसिंग के तहत गाजन पर्व का मनाया गया। वैसे गाजन पर्व 5 दिन तक मनाया जाता है, लेकिन इस साल कोरोनाके मद्देनजर एक दिन में सभीपरंपराएं पूरा करने का निर्णय लिया था। भक्तों ने जमीन पर लेट कर, जीभ में कील घोंप कर, आग के ऊपर झूल भगवान शिव के प्रति आस्था का प्रदर्शन किया।
बैजाताल में काईयुक्त पानी भरा
फोटो मध्यप्रदेश के ग्वालियर की है। यहां मोतीमहल और बैजाताल को संवारने पर तीन वर्षों में 10 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए लेकिन जिम्मेदारों ने इनकी सुंदरता को बरकरार रखने के इंतजाम नहीं किए। बैजाताल में बारिश का गंदगी और काईयुक्त पानी जमा हो गया है। यहां 1.56 करोड़ रुपए में लगाए गए एसटीपी का उपयोग नहीं हो रहा है।
बाहर से इमारतें देखकर लौट रहे पर्याटक
फोटो मध्यप्रदेश के प्राचीन शहर मांडू की है।20 मार्च से बंदमांडू की 61 इमारतों को देखने के लिएहर साल यहांलगभग5 लाख पर्यटक आते हैं।बरसात शुरू होते ही यहां पर्यटक आना शुरू हो जाते हैं। इस बार लॉकडाउन के चलते पर्यटक प्राचीन इमारतों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। मंगलवार को मांडू में 100 से ज्यादा पर्यटक अशर्फी महल और जामी मस्जिदके सामने दिखे, लेकिन बाहर से ही इमारते देखकर लौट गए।
बरगद की जड़ों में डाली मिट्टी, दे रहे खाद-पानी
फोटो भोपाल की है।पिछले दिनों हुई बरसात में कमला पार्क के भीतर गिरे करीब 200 साल पुराने बरगद को फिर जिंदा करने की कोशिश की जा रही है। उद्यानिकी विभाग के साथ नगर निगम ने इसका बीड़ा उठाया है। विभागइस पेड़ को उसी स्थान पर फिर से लगाने की संभावनाएं तलाशरहा है। पेड़ की जमीन के भीतर वाली 90%जड़ें खराब हो चुकी हैं। जड़ों को ढकने के लिए मंगलवार को तीन ट्रक मिट्टी डाली गई।
10 दिनमें दूसरी बार पहुंचा टिड्डी दल
फोटो राजस्थान के पाली की है।4 किमी लंबे दो टिड्डी दलों ने राणावास इलाके के एक दर्जन से अधिक गांवों के खेतों में तबाही मचाई। इन टिड्डियों ने खेतों में खड़ी फसलों को नष्ट कर दिया। ग्रामीणों ने ढोल-थाली समेत लाठियों से टिड्डियों को भगाने का प्रयास किया। संख्याकाफी होने सेटिड्डियों नेखेतों में कपास समेत अन्य किस्म की फसलों को पूरी तरह से चट कर दिया।
सजा के नाम पर युवक से की बर्बरता
फोटो राजस्थान के पाली जिले के भारुंदा गांव की है। यहां कथित पंचों ने सजा के नाम पर एक युवक से बर्बरता की सभी हदें पार कर दीं।विवाहिता से प्रेम प्रसंग के आरोप में पंचों नेयुवक कोगांव से अगुवा किया, फिर सिरोही के निकट सुपरणा (सरदारपुरा) गांव ले जाकरबुरी तरह पीटा औरजूते में पानी भरकर पिलाया।इतना सब किए जाने के बाद भी वे नहीं रुके और युवक को मूत्र पिलाया। आरोपियों ने इस युवक के चाचा और भाई को भी मौके पर बुलायाऔर रातभर पेड़ से बांधकर रखा। दूसरे दिन सुबह पीड़ित के माता-पिता मौके पर पहुंचे तो उनसे दंडस्वरूप 5 हजार रुपए वसूले।
from Dainik Bhaskar /local/delhi-ncr/news/when-the-heat-showed-the-woman-put-polythene-filled-with-water-on-her-head-in-jharkhand-the-youth-celebrated-gajan-festival-by-swinging-over-the-fire-127418661.html
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चीन के नामचीन जनरल सुन जू ने 'द आर्ट ऑफ वॉर' नाम की किताब में लिखा है कि, 'जंग की सबसे बेहतरीन कला है कि बिना लड़े हुए ही दुश्मन को पस्त कर दो।' चीनी सेना इस वक्त अपने जनरल की बातों जैसी ही हरकत कर रही है।
भारतीय सेना ने मंगलवार दोपहर को एलएसी पर अपने तीन सैनिकों के शहीद होने का बयान जारी किया। रात होते-होते 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने की खबर आ गई। भारतीय सेना के पहले बयान के घंटेभर के अंदर ही चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डाली।
झाओ ने सीमा पर हुई दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प की सारी जिम्मेदारी भारत पर डाल दी। यही नहीं, इसे भारत की भड़काऊ हरकत भी करार दे दिया। धमकी भी दी- बोले कि, 'ना तो भारत को बॉर्डर लाइन पार करनी चाहिए और ना ही कोई ऐसा एकतरफा कदम उठाना चाहिए, जिससे हालात बिगड़ते हों।'
रात सवा आठ बजे,तकरीबन 8 घंटे बाद भारतीय विदेश मंत्रालय का बयान आया, कहा गया कि- हम भारत की संप्रभुता और अखंडता को लेकर प्रतिबद्ध हैं। सीमा विवाद को आपसी बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है।
भारत-चीन सीमा पर इस साल पहली बार पांच मई को लद्दाख स्थिति पैंगोंग झील के पास दोनों देशों की सेनाओं के बीच विवाद की खबर आई थी। उसके बाद 9 मई को सिक्किम में भी दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़पे हुईं। फिर, 6 जून को सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत शुरू हुई। तब से दोनों देशों के बीच कुल चार बैठकें हो चुकी हैं। नतीजे में हमारे 20 सैनिकों को शहादत मिली।
इस पूरे विवाद को 44 दिन हो गए हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार भी कुछ नहीं बोलेहैं। यही नहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर भी अब तक इस पूरे मुद्दे पर खामोश हैं। यहां तक उन्होंने पांच मई से अब तक ट्वीटर पर 75 से ज्यादा ट्वीट भी लिखे हैं, लेकिन एक बार भी चीन का जिक्र तक नहीं किया है। न ही टकराव पर सिंगल लाइन कुछ बोले हैं।
विदेश मामलों के जानकार हर्ष वी पंत कहते हैं कि यह पहली बार नहीं है। जब हमारे विदेश मंत्री कुछ न बोले हों। डोकलाम के बाद भी तत्कालीन विदेश सुषमा स्वाराज ने सीधे संसद में बयान दिया था।
भारत-चीनसीमा विवाद के बारे में वह सब-कुछ जो आप जानना चाहते हैं-
अगले दो दिन अहम,भारत को डिप्लोमेटिक स्टैंड बताना होगा-
विदेशी मामलों के जानकार हर्ष वी पंत कहते हैं कि चीन ने पूरी जिम्मेदारी हमारे ऊपर ही डाल दिया है। जिस तरह से चीन का रिएक्शन है, उससे नहीं लगता है किचीन डी-एस्केलेशन चाह रहा है। इससेदोनों देशों के बीच टेंपरेचर बढ़ रहा है।
अगले दो दिन सबसे अहम हैं, अब देखना है कि भारत का डिप्लोमेटिक स्टैंड क्या होता है? भारत किस तरह से कदम उठाता है? क्या भारत डी-एस्केलेशन के लिए कोई कदम उठाएगा? विदेश मंत्रालय को बताना चाहिए कि जब फायरिंग नहीं हुई, तो सैनिक कैसे शहीद हुए? उन्हें पत्थरों से मारा गया या फिरडंडे से मारा गया?
पंत कहते हैं कि चीन बार-बार सारी जिम्मेदारी भारत पर डाल रहा है, लेकिन भारतडेमोक्रेटिक देश है। इसलिएहमारे पॉलिसी मेकर्स को अपनी जनता को जवाब देना होगा कि हमने क्या किया? क्योंकि भारतीय जनता में चीन की हरकतों से बेहद नाराजगी है।
चीन के सैनिक भीमरे हैं,तो विदेश मंत्रालय को बताना चाहिए-
पंत कहते हैं कि यदि चीन के भी सैनिक मारे गएहैं, तो उसके बारे में हमारे विदेश मंत्रालय को आधिकारिक तौर पर कुछ बताना चाहिए। हालांकि, नहीं बताने के पीछे एक वजह यह भी हो सकतीहै कि बयानबाजी से माहौल खराब होता है। अब देखना है कि भारत इसे कैसे हैंडल करता है?लेकिन, चीन ने तो बयानबाजी करके माहौल खराब दिया है। हालांकि, चीन सरकार यह बात स्वीकार नहीं करेगी कि उसके सैनिक मारे गए हैं या घायल हुए हैं।
भारत-चीन सीमाविवाद के पीछे की तीन बड़ी वजह-
1- जम्मू-कश्मीर सेअनुच्छेद370 कोहटाना-
पंत कहते हैं कि सबसे बड़ी वजह, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना है। इससे चीन पूरी तरह से तिलमिलाया हुआ है, इसीलिए वह इस मुद्दे को यूएन सिक्युरिटी काउंसिल में भी ले गया था। चीन को लगता है कि यदि भारत का कंट्रोल कश्मीर और लद्दाख में बढ़ेगा तो उसके कंस्ट्रक्शनप्रोजेक्ट में दिक्कतें आएंगी।
खासकर, पाकिस्तान के साथ बन रहे स्पेशल इकोनॉमिक कॉरिडोर पर, जो पीओके से होकर गुजर रहा है। इसीलिए, चीन कश्मीर और लद्दाख में भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर बिल्डिंग पर आपत्ति जता रहा है। भारत ने जब से दौलत बेग ओल्डी में सड़क बनाई है, तब से चीन ज्यादा ही खफा है।
2- कोरोना को लेकरदुनिया का प्रेशर-
चीन के ऊपर कोरोनावायरस को लेकर दुनिया का बहुत प्रेशर है। इसलिए उसे लगता है कि भारत ऐसा देश है, जिसे वह रेडलाइन दिखा सकता है। उसे धमका सकता है, दुनिया का अटेंशन कोरोना से हटाकर सीमा विवाद पर डाल सकता है। वह भारत को अगाह भी करना चाहता है कि आपकी लिमिट है। भारत के पास कोई मुद्ददा भी नहीं है, जिसके जरिए वह चीन पर दबाव डाल सके। अभी सारे प्रेशर प्वाइंट चीन के पास हैं।
3-भारत की विदेश और आर्थिक नीतियां-
भारत की जो विदेश नीति रही है, उससे भी चीन को परेशानी हुई है। चाहे वह WTO का मामला हो, चाहे कोरोनावायरस को लेकर हो रही जांच की बात हो। इन मुद्दों पर भारत ने चीन के विरोध में अपनी सहमति दी है। या फिर चाहे, भारत का पश्चिम देशों के साथ जाना हो।
भारत ने पिछले महीनों में कड़े आर्थिक कदम भी उठाए हैं। भारत ने चीन के साथ एफडीआई को कम कर दिया, पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट में रिस्ट्रक्शन ले आया है। चीन की कंपनियों पर सरकार कड़ी नजर रख रही है। प्रधानमंत्री मोदीआत्मनिर्भरता की बात कर रहे हैं। इन बातों से भी चीन को लग रहा है कि भारत उससे आर्थिक निर्भरता को कम करना चाह रहा है।
भारत के पास अब आगे क्या रास्ते हैं?
ट्राइलेटरल मीटिंग रद्द करें-
22 जून को भारत-रूस-चीन के विदेश मंत्रियों की ट्राइलेटरल मीटिंग होनी है। ऐसे में अब यह देखना है कि क्या विदेश मंत्री एस जयशंकर उसमें हिस्सा लेंगे। फिलहाल की स्थिति के लिहाज से उन्हें इस मीटिंग में हिस्सा नहीं लेना चाहिए। यदि वह हिस्सा नहीं लेंगे, तो ही चीन को मैसेज जाएगा कि भारत झुकने को तैयार नहीं है। हालांकि इससे यह भी हो सकता है कि दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ जाए।
डी-एस्केलेट करें-
भारत सरकार चीन के साथ कूटनीतिक स्तर की नए सिरे से बातचीत शुरू कर सकता है। ताकि सीमा पर टेंशन कम हो। इससे भारत को ही फायदा होगा। क्योंकि जब आप किसी से कमजोर होते हैं तो यह सोचते हो कि ताकतवर आपको और ज्यादा परेशान न करे। यही वजह है कि 44 दिन बाद भी विदेश मंत्री की ओर से कोई बयान तक नहीं आया है। भारत अभी बहुतफूंक-फूंककर कदम उठा रहा है।
नेगोशिएशंस करें-
दोनों देशों के बीच मिलिट्री लेवल पर निगोशिएशंस चल रहे हैं, लेकिन अब डिप्लोमेटिक लेवल पर भी बातचीत की जरूरत है। ताकि विवाद को हल करने के लिए नए रास्ते निकाले जा सकें। विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत हो। इसी काम के लिए पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच वुहान इनफॉर्मल समिट में स्ट्रैटजिक गाइडेंस पर सहमति बनी थी। इसके तहत दोनों देशों केटॉप लेवल अपने अधिकारियों को आपसी सहमति के लिए गाइड करेंगे।
चीन बॉर्डर विवाद के जरिए भारत को हमेशा मैसेज देना चाहता है
हर्ष वी पंत कहते हैं कि चीन हमेशा से सीमा विवाद का इस्तेमाल भारत पर दबाव बनाने के लिए करता रहा है। 2013 में उनके राष्ट्रपति भारत आने वाले थे, तब चीन ने सीमा पर तनाव पैदा किया था। 2014 में जब उसके प्रधानमंत्री भारत आने वाले थे, तब भी ऐसा ही किया था। शी-जिनपिंग आने के बाद डोकलाम किया। चीन को जब भारत को कोई कड़ा मैसेज देना होता है तो वह बॉर्डर पर देता है।
हमें यह समझना होगा कि पाकिस्तान से बड़ादुश्मन है चीन
पंत कहते हैं कि भारत में जो लोग बार-बार पाकिस्तान का नाम लेते रहते हैं, उन्हें यह सोचना चाहिए कि चीन भारत का पाकिस्तान से भीबड़ा दुश्मन है और हमेशा से ही रहा है। हमें अपनी सोच को बदलना होगा। पाकिस्तान के पीछे भी चीन की सोच है।
चीन ने27साल पुराना शांति समझौता भी तोड़ दिया-
1993 में भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और स्थिरिता को बनाए रखने के लिए समझौता हुआ था। इस फॉर्मलसमझौते पर भारत के तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री आएल भाटिया और चीन उप विदेश मंत्री तांग जिसुयान ने हस्ताक्षर किया था। इसमें 5 प्रिंसिपल्स शामिल किए गए थे।
चीन को समझौतों कीपरवाह नहीं होतीहै
पंत कहते हैं कि चीन को भारत के साथ किसी एग्रीमेंट की परवाह नहीं है। नहीं तो वह सिक्किम एग्रीमेंट को भी मानता, जिसे उसने बाद में तोड़ दिया।उसे समझौतों का कोईफर्क नहीं पड़ता। 1993 के शांति समझौते बस फंडामेंटल राइट्स बनकर रह गए हैं।
उस दिन तारीख थी 17 जून 2013, दिन था सोमवार और जगह केदारनाथ। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ हिमालय पर्वत के गढ़वाल क्षेत्र में आता है। धार्मिक ग्रंथों में जिन 12 ज्योतिर्लिंगों का जिक्र है, उनमें से केदारनाथ सबसे ऊंचाई पर है।
हजारों साल पुराना केदारनाथ मंदिर समुद्र तल से 11 हजार800 फीट की ऊंचाई पर बना है। इसके पीछे हिमालय पर्वत की श्रृंखला है। इतनी ऊंचाई पर पेड़-पौधे तो होते नहीं है। यहां सिर्फ नदियां-झील ही हैं। इलाके के एक चौथाई हिस्से में ग्लेशियर हैं।
अगर आप केदारनाथ मंदिर के सामने खड़े हैं, तो इसके बाईं ओर मंदाकिनी नदी बहती मिलेगी। ये नदी केदारनाथ मंदिर के पीछे दिख रहे चौराबाड़ी ग्लेशियर से ही निकलती है। इसीग्लेशियर में एक झील भी है, जिसे चौराबाड़ी झील कहते हैं।
केदारनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर मधुगंगा और दूधगंगा नाम की नदियां मंदाकिनी में मिल जाती हैं। मंदिर के दाईं ओर पहाड़ों से एक और नदी निकलती है। इसका नाम है सरस्वती। केदारनाथ पहुंचकर सरस्वती नदी का संगम भी मंदाकिनी में हो जाता है।
अब वापस लौटते हैं 17 जून 2013 की तरफ। इस दिन केदारनाथ ने जो सुबह देखी थी, वैसी सुबह देखने की उम्मीद किसी ने सपने भी नहीं की होगी। चारों तरफ पानी। ग्लेशियर के टुकड़े। पहाड़ों का मलबा। कुछ टूटे पेड़-पौधे।
तीन दिन से भीग रहा था पूरा उत्तराखंड
इस हादसे से पहलेपूरे उत्तराखंड में तीन दिन से बारिश हो रही थी। केदारनाथ, जिस रुद्रप्रयाग जिलेमें आता है, वहांभी बारिश हो रही थीपर उतनी तेज नहीं। रुद्रप्रयाग में 14-15 जून को सिर्फ 15 मिमी बारिश हुई थी, लेकिन 16 जून को एक ही दिन में यहां 89 मिमी बारिश हो गई थी।
16 जून को आरती के समय में तेज बारिश हुई
16 जून को केदारनाथ में जब शाम की आरती की तैयारियां चल रही थीं, तभी अचानक यहां तेज बारिश शुरू हो गई। कुछ ही मिनटों में केदारनाथ मंदिर का परिसर पानी से लबालब भर गया। ऐसा कहते हैं कि कुछ लोग तो उसी समय डूब भी गए थे।
थोड़ी ही देर में अंधेरा छा गया। बत्ती गुल हो गई। बिजली के लिए जो पावर हाउस था, वो भी फेल हो गया। कुछ ही घंटों में वहां का मंजर पूरा बदल गया। चारों तरफ पानी ही पानी। जबरदस्त कीचड़। रोते-बिलखते-घबराते लोग।16 की शाम को तेज बारिश जैसे ही शुरू हुई, जगह-जगह लैंडस्लाइड होने लगे। पुल टूट गए। रास्ते बंद हो गए।
दूधगंगा नदी से मलबा बहकर मंदाकिनी में आ गया
दूधगंगा नदी से मलबा बहता हुआ मंदाकिनी नदी में आ गया। इसने मंदाकिनी नदी का रास्ता रोक दिया। कुछ ही देर में मंदाकिनी नदी के बाईं ओर से सरस्वती नदी को निकलने का रास्ता मिल गया। सरस्वती नदी केदारनाथ मंदिर के पूरब में बहने लगी। नतीजा ये हुआ कि मंदिर में ठहरे लोग पानी में डूब गए। बह गए।
रातभर लगातार बारिश से चौराबाड़ी झील का स्तर भी बढ़ गया। लेकिन, ग्लेशियर की वजह से पानी निकल भी नहीं पा रहा था। अगले दिन 17 जून की सुबह 7 बजे पानी निकला। इस पानी के साथ ग्लेशियर के टुकड़े और मलबा भी था। इसने मंदाकिनी नदी को मंदिर के रास्ते पर मोड़ दिया। इससे मंदिर में ही पानी, कीचड़, मलबा चला गया और तबाही मच गई।
सिर्फ 5 दिन में बरसा था साढ़े 3 हजार मिमी पानी
उत्तराखंड और केदारनाथ में आई इस त्रासदी के 4 साल बाद उत्तराखंड सरकार ने एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में 14 जून से 18 जून के बीच 5 दिन में साढ़े 3 हजार मिमी से ज्यादा बारिश हुई थी। इतनी बारिश तो पूरे मॉनसून पीरियड (जून से सितंबर) में होने वाली बारिश से भी ज्यादा थी।
जिस रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ है। वहांइन 5 दिनों में 256.6 मिमी बारिश हुई थी। इसमें से 240.8 मिमी बारिश तो अकेले 16, 17 और 18 जून को ही हुई थी।ज्यादा बारिश की वजह से यहां की बर्फ भी पिघलने लगी थी। इससे यहां की सभी प्रमुख नदियों का जलस्तर बढ़ गया। 18 जून को मंदाकिनी नदी खतरे के निशान से 7.5 मीटर ऊपर बह रही थी।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बाढ़ में 100 लोग ही मरे थे
जून 2013 में न सिर्फ उत्तराखंड, बल्कि पूरे उत्तर भारत में भयंकर बाढ़ आई थी। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बाढ़ में पूरे उत्तर भारत मेंसाढ़े 5 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई थी। जबकि, उत्तराखंड सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बाढ़ से पूरे उत्तराखंड में 100 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें से 30 मौतें रुद्रप्रयाग जिले में हुई थी।
ऐसा कहा जाता है कि बाढ़ की वजह से केदारनाथ में करीब 3 लाख श्रद्धालु फंस गए थे, जिन्हें बाद में आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के जवानों ने रेस्क्यू कर बचा लिया था। हालांकि, उसके बाद भी 4 हजार से ज्यादा लोग लापता हो गए थे।
बाढ़ की वजह से अगले साल पर्यटकों की संख्या 5 गुना कम हो गई
उत्तराखंड में केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री चार धाम हैं। इनके अलावा, यहां पर सिखों का प्रसिद्ध तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब भी है। ये वही जगह है, जहां सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह ने तपस्या की थी। इन पांचों जगह पर हर साल लाखों पर्यटक-श्रद्धालु आते थे। उत्तराखंड में बर्फबारी की वजह से केदारनाथ समेत चारों धाम और हेमकुंड साहिब साल के 5 महीने ही खुले रहते हैं।
लेकिन, 2013 में आई बाढ़ के बाद अगले साल यानी 2014 में इन पांचों जगह आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 5 गुना तक कम हो गई थी।2013 में इन पांचों तीर्थस्थलोंपर 13.60 लाख श्रद्धालु आए थे। जबकि, 2014 में मात्र 2.73 लाख। हालांकि, 2012 में यहां करीब 63 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे।
(भंवर जांगिड़). लॉकडाउन के दो महीने में दिल्ली के दिलवालों की धड़कनें वेंटिलेटर पर आ गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि देश भर में रेडिमेड गारमेंट की सप्लाई करने वाला गांधीनगर के जिस बाजार में पैर रखने की जगह नहीं होती थी, वहां की 15 हजार दुकानों में इन दो महीनों में किसी के पैर नहीं पड़े हैंं।
भले ही दुकानें ऑड-ईवन और अनलॉक की गाइडलाइन का पालन कर पिछले 15-20दिनों से खुल रही हैं, लेकिन ग्राहकों की बजाय मकान मालिकों की आमद ही ज्यादा है, जो किराया वसूलने आ रहे हैं। मकान मालिक की रोजी यही किराया है तो दूसरी ओर दुकान में दो महीने से बिक्री जीरो है, किराया चढ़ चुका है और बिजली के बिल भी भरने पड़ रहे हैं।
यूपी-बिहार के कारीगर कोरोना के कारण दिल्ली छोड़ चुके हैं
कबीर नगर के घर-घर में जींस बनाने वाले घरेलू उद्योग हैं, लेकिन इन दिनों लोगों ने सिलाई मशीनें खोल कर रख दी हैं। यूपी-बिहार के सभी कारीगर कोरोना के डर से दिल्ली छोड़ चुके हैं। कब लौटेंगे? सवाल के दो जवाब है। पहला- फेब्रीकेटर सोच रहा है, यूपी-बिहार में नरेगा का काम कोई कारीगर नहीं करेगा, वह जल्द लौटेगा। दूसरा- कारीगर के दिल में बैठा वायरस का डर उसे गांव छोड़ने नहीं दे रहा है। कनॉट प्लेस को दिल्ली का दिल कहते हैं, वहां का पूरा बाजार ही सन्नाटे से सहमा हुआ है। अनलॉक-1 के बावजूद करीब 80 फीसदी दुकानें बंद पड़ी है।
खान मार्केट में रेस्टोरेंट और कैफे बंद
एशिया के सबसे महंगे और वीवीआईपी बाजार कहे जाने वाले खान मार्केट में रेस्टोरेंट और कैफे बंद हो गए हैं। इस मार्केट के अगले चार-पांच महीने तक गुलजार होने की उम्मीद ही नहीं है। यही दिल्ली जहां देश की राजनीति के समीकरण बनते- बिगड़ते हैं, वहां लॉकडाउन में दुकानदारों व मालिक मकान और कारोबारी व कारीगरों के समीकरण बैठाने के साथ कुरियर व वाट्सएप पर धंधा बचाने की जंग लड़ी जा रही है।
चेन बन ही नहीं पा रही गांधीनगर की इसलिए ताले लटका रहे हैं
गांधीनगर रेडिमेट गारमेंट का होलसेल बाजार है। गारमेंट व उससे जुड़ी चीजों की करीब 15000 दुकानें अलग-अलग गलियों में है। अशोक गली- प्रेमगली हो या फिर सुभाष रोड और रामनगर के तंग रास्ते, हम बिना किसी से टकराए आराम से निकलगए। लॉकडाउन से पहले आते तो दो कदम चलने के लिए कंधे कम से कम चार लोगों से रगड़ खाते।
अशोक गली में घुसते ही सामने दिनेश खंडेलवाल और उनके दो कर्मचारी दुकान में रखे पुतलों की तरह बुत बने बैठे थे। दिनेश की 96 वर्गफीट की दुकान है जिसका किराया 1 लाख रुपए महीना है। उसने पंद्रह दिन में 1% भी धंधा नहीं किया। मार्च-अप्रैल का किराया किसी तरह दे दिया, मई-जून का देने का साहस नहीं जुटा पा रहा है। प्रेमगली का मन्नी सरदार भी खाली बैठा था, पर चिंतित नहीं था। क्योंकि उसकी दुकान 35 साल पुरानी है और वह उसका मालिक है। कहता है किराया तो नहीं देना लेकिन लोकल लेबर भी तो नहीं मिल रहे। सोशल डिस्टेंसिंग के कारण लेबर का ऑटो का किराया भारी पड़ रहा है।
अशोक बाजार के प्रधान केके बल्ली कहते हैं कि धंधा वाट्सएप ऑर्डर पर नहीं चल सकता।हर व्यापारी नया ट्रेंड और डिजाइन देखने जरूर आता है, वह अगले दो महीने और नहीं आएगा। फेब्रीकेटर केलेबर जा चुकेहैं इसलिए प्रोडक्शन बंद हो गया। अब तो बटन, धागे व चेन की दुकानें भी नहीं खुल रही। किराएदार व मालिक मकान के विवाद सुलझाने में दिन निकल रहे हैं।
हर किसी की पसंद जींस सिलने वाली मशीनें खामोश
मौजपुर मेट्रो स्टेशन के पास दो किमी के दायरे में फैले कबीर नगर में सिलाई मशीनों का संगीत सुनाई देता था, वे सभी मशीनें अभी खामोश है। मशीनें खोल कर कारखानों में एक साइड पटकी पड़ी है। हजारों की संख्या में ये वे मशीनें है जो हर किसी की पसंद वाली जींस सिला करती थी। लगभग पूरा कारोबार यूपी-बिहार के लेबर के हाथों में था जो अब जा चुकी है। हाईफर जींस के मोहम्मद शादाब बताते हैं 50 मशीनों से रोजाना 1000 जींस बनाते थे। टैंक रोड की दुकान का किराया 1.50 लाख, गोदाम का 40 हजार व फेब्रीकेटिंग यार्ड का 1.25 लाख रुपए है।बिजली का बिल भी माफ नहीं हुआ।
किराएदारी के गणित में नहीं उलझी अदालतें इसलिए टेबल पर हो रहे समझौते
खान मार्केट का एक दुकानदार दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा और बोला वह किराया नहीं दे सकता, माफ किया जाए। कोर्ट ने कोई राहत नहीं दी। देते भी कैसे, किराए की गणित में उलझना बहुत मुश्किल है। जिस दिल्ली में 4 लाख परिवारों का जीवन ही किराए पर चल रहा है, डीडीए, एमसीडी व मेट्रो का खर्चा भी किराया पर चल रहा है। अकेले अक्षरधाम मेट्रो के नीचे बने बैंक्वेट हॉल और शोरूम का किराया ही 1 करोड़ से ज्यादा आता है। लिहाजा कोर्ट ने किराएदार का आग्रह ठुकरा दिया और लीज-एग्रीमेंट की शर्त मानने को कह दिया।
दिल्ली का दिल कनॉट प्लेस सन्नाटे के साये में
यहां के सभी ब्लॉक में लगभग 2500 शोरूम है, उनमें से 80% खुले ही नहीं थे। करीब 200 रेस्टोरेंटपूरी तरह कब खुलेंगे, बता पानामुश्किल है। युनाइटेड कॉफी हाउस जिसका इतिहास 1942 में शुरू होता है, वह इन दिनों टेकआउट व होम डिलिवरी कर रहा है। जो शोरूम खुले हैं, वे भीतर से तो रोशनी से जगमगा रहे हैं, परंतु उनके बाहर के गलियारे सूने पड़े हैं। पार्किंग खाली है, क्योंकि सिर्फ शोरूम संचालकों की गाड़ियां हैं।
वीवीआईपी खान मार्केट: सोशल डिस्टेंसिंग में सभी दुकानों में चहल-पहल
यह दिल्ली का सबसे वीवीआईपी खान मार्केट है और इसे एशिया का सबसे महंगा मार्केट भी माना जाता है।इसेपाकिस्तान से विस्थापित होकर आए लोगों के लिए बनाया गया था। अब देश-विदेश का हर ब्रांड सबसे पहले आता है। इंदिरा गांधी से अटल बिहारी वाजपेयी और डा. मनमोहनसिंह से अमित शाह तक के लोग यहां आते हैं। यहां 156 दुकानों से शुरूआत हुई थी, जिनका किराया 7 से 10 लाख रुपए महीना है।
सबसे महंगी 22.50 लाख रुपए किराए की दुकान यहां रिलायंस की है। साठ फीसदी पुश्तैनी और चालीस फीसदी किराए है। सभी दुकानें खुल चुकी है और सभी में सोशल डिस्टेंसिंग कापालनकरते हुए लोगों की चहल-पहल अच्छी-खासी दिखरही है। हर दुकान के बाहर गोले बने हैं व स्टीकर लगे हैं। थर्मल गन से तापमान चेक करने के बाद दुकान में प्रवेश दे रहे हैं।
वर्चुअल फेयर से 25500 करोड़ का हैंडीक्राफ्ट निर्यात बचाने की कोशिश
नोएडा के इंडियन एक्स्पो सेंटर एंड मार्ट में हर साल अप्रैल से जुलाई तक चार बड़े फेयर लगते हैं, मगर इस बार कोरोना के कारणलॉकडाउन था। एक्सपोर्ट प्रमोशन फॉर हैंडीक्राफ्ट (ईपीसीएच) से बात की तो कहा वसंतकुंज दिल्ली के दफ्तर में मेला चल रहा है। कॉन्फ्रेंस रूम में ज्वैलरी के वर्चुअल फेयर का लाइव चल रहा था। हैंडीक्राफ्ट का निर्यात करीब 25500 करोड़ है, उसे बचाने के लिए तीनों के वर्चुअल फेयर शुरू किए हैं। दस हजार के डिस्काउंट पर बुलैट
अनलॉक-1 के बादऑटोमोबाइल के शोरूम खुलने लगे हैं। पड़पड़गंज की इंडस्ट्रीयल गलियों में किसी कारखाने से मशीनों की आवाज नहीं आ रही थी। कारों के शोरूम व सर्विस सेंटर खुले थे। शोरूम में कुछ लोग आ रहे थे, मगर सर्विस सेंटर में गाड़ियों की भीड़ थी। हमें बुलेट का एक शोरूम मिला जहां काफी लोग थे। मालूम हुआ एनफील्ड के इतिहास में पहली बार डिस्काउंट दिया जा रहा है। लॉकडाउन में 10 हजार का था, अब 1 से 15 जून तक 6 हजार, फिर 30 जून तक घट कर 3 हजार का रह जाएगा। विपुल ने बताया कि उसने पिछले 15 दिन में 50 बुलेट बेची है। हर माह की औसत बिक्री 180 से 200 के बीच होती है।
लालकिले पर 15 अगस्त की तैयारियां शुरू
दिल्ली का लाल किला आम लोगों के लिए अगले कुछ महीने और खुलने वाला नहीं है। पूरा मैदान खाली पड़ा है। इस बीच एमओडी नेलाल किले पर 15 अगस्त की तैयारियां शुरू कर दी है। सीपीडब्ल्यूडी रिपेयरिंग व सफाई का काम करवा रहा है। दर्शकों के बैठने वाली जगह की घास काटी जारही है और ट्रैक्टर से जमीन समतल की जा रही है। हर साल की तरह ही कार्यक्रम होगा, परंतु लोगों की भागीदारी कितनी होगी यह एमओडी तय कर रहा है।
लॉकडाउन के बाद भुखमरी की कगार पर आ चुका एक तबका है सेक्स वर्कर का। इनकेपास न सरकारी सुविधाएं हैं, न कानून, न योजनाएं।यहां तक की समाज की सहानुभूति भी इनके हिस्से नहीं आती।
यौनकर्मियों के लिए काम करने वाले संगठन ‘ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्सवर्कर्स’ (एआईएनएसडब्लू) की अध्यक्ष कुसुम का कहना है कि ‘यौनकर्मियों को सबसे ज्यादा दिक्कत लॉकडाउन खत्म होने के बाद आएगी। क्योंकि प्रवासी मजदूर जो शहरों में रह रहे थे, वो अपने घर जा चुके होंगे। ज्यादतर इनके क्लाइंट वही थे।
नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक देश में लगभग 9 लाख सेक्सवर्कर हैं। हालांकि, एआईएनएसडब्लू इस आंकड़ों को जमीनी हकीकत नहीं मानती हैं। उसके मुताबिक देश में सेक्स वर्कर की संख्या तीस लाख से भी ज्यादा है।
'लॉकडाउन ने हमारे काम पर एकदम से ताला लगा दिया'
तर्क ये है कि इनमें घरेलू महिलाएं, प्रवासी महिलाएं और दिहाड़ी मजदूरी करने वाली महिलाओं की भी एक बड़ी तादाद शामिल है। उन्हीं महिलाओं में शामिल रांची की सोहानी भी हैं। कहती हैं- ‘लॉकडाउन ने हमारे काम पर एकदम से ताला लगा दिया है। हम किसी को कह भी नहीं सकते कि हम क्या करते हैं, हमारा काम क्या है। किसी को पता नहीं हैं और हम कभी चाहते भी नहीं कि किसी को पता चले हमारे काम के बारे में।
सोहानी बीते दो साल से सेक्स वर्कर का काम करके नसिर्फ अपने दो बच्चों को पढ़ा रही हैं, बल्कि अपनी बुजुर्ग मां की देखभाल का जिम्मा भी उन्हीं पर है। एस्बेस्टस के एक कमरे में बाकी सेक्स वर्कर के साथ बैठी हुई सोहानी कहती हैं- ‘पति बहुत मारता- पीटता था। आठ साल पहले छोड़कर चला गया। फिर हमारे पापा भी मर गए। तब हम कलकत्ता में ही मजदूरी का काम करते थे। लेकिन वहां ठेकेदार कभी पैसा देता, कभी नहीं देता। पैसा मांगते तो गलत करने को कहता। फिर लोगों के यहां झाड़ू-पोछा किया, लेकिन इससे अपने दो बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो रहा था।’
पेट की मजबूरी और बच्चों की अच्छी परवरिश करने के लिए दो साल पहले कोलकत्ता से रांची आ गई। सोहानी आगे कहती है- ‘तीन महीने से एक भी कस्टमर नहीं मिला है। घर भेजने के लिए पैसा भी नहीं है।अब तो रांची में घर का किराया देने के लिए भी मुश्किल हो रही है। कुछ लोगों ने सूखा राशन दिया था, नहीं तो भुखे मरना पड़ता।
लॉकडाउन ने परेशानियां पहले से और ज्यादा बढ़ा दी
रांची की रहने वाली बिंदिया देवी का पति 12 साल पहले परिवार को छोड़कर भाग गया था। तब से ही बिंदिया के कंधे पर परिवार के भरण-पोषण का बोझ है। बिंदिया कहती हैं- ‘लॉकडाउन ने परेशानियां पहले से और ज्यादा बढ़ा दीहै। मुझे तीन बेटों और दो विवाहित बेटियों और उनके बच्चों को देखना पड़ता है। पहले एक कंपनी में काम करती थी। लेकिन जब बीमार पड़ी तो उसने काम से हटा दिया। फिर लोगों के यहां झाड़ू-पोछा करने लगी, लेकिन उतने पैसों से इतने लोगों का पेट नहीं पाल सकते, इसलिए परिवार से लुकछुप कर यह काम करने लगी।’
हर जगह से मिली नाउम्मीदी के बाद बिंदिया भी दो साल पहले इस पेशे में आई थीं, लेकिन कोरोना ने उनकी परेशानी बढ़ा दी। वो आगे कहती हैं- ‘सब चीज तो पहले जैसी हो रही है और हो जाएगी, लेकिन हमारा क्या होगा, बच्चा बीमार है, उसका इलाज कहां से होगा?’
महिला और सेक्स वर्कर के अधिकारों के लिए काम करने वाली ‘मृगनयनी सेवा संस्थान’ की अध्यक्ष प्रतीमा कुमारी का कहना है कि कोरोना का संक्रमण जैसे-जैसे बढ़ेगा, सेक्स वर्कर की परेशानी भी बढ़ती जाएगी। अकेले झारखंड में यौनकर्मियों की संख्या 20 हजार से भी ऊपर है। पिछले साल हमारी संस्था ने झारखंड में 5500 को ट्रेस किया था। इसमें 600 से ज्यादा तो रांची में ही मिली थीं।
यौनकर्मियों की समस्याओं पर एआईएनएसडब्लू की अध्यक्ष कुसुम कहतीं हैं कि ‘ये लोग मदद के लिए किसी से कुछ बोल भी नहीं सकती हैं, और उन तक कोई मदद पहुंचा भी नहीं पाता है। इनका काम फिजिकल होना ही होता है और कोरोना की वजह से कोई भी इनके पास नहीं आ रहा है। इनकी स्थिति भूखे मरने जैसी हो गई है। और अगर किसी दूसरे काम में जाना चाहेंगे तो जल्दी काम नहीं मिलेगा।
झारखंड स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी (जेएसएसीएस) का दावा है कि राज्य में सेक्स वर्कर की संख्या लगभग 10 हजार है। इन लोगों तक सरकारी स्कीमों की सर्विस पहुंचाई जा रही है। लॉकडाउन में भी एनजीओ के जरिए उन तक मदद पहुंचाई है, जैसे सूखा राशन, सैनिटाइजर और मास्क। इसके अलावा कोडिव-19 को लेकर लगातार काउंसलिंग भी कर रहे हैं।’
लेकिन रांची की ही प्रमिला कहती हैं उन्हें कुछ भी नहीं मिला। बच्चों की पढ़ाई के लिए लॉकडाउन से कुछ महीने पहले ही उसने20 हजार रुपए लोन पर कर्ज लिया था। वो कहती हैं- ‘सोचा था कर्ज कमाई से चुकता कर देंगे, बीते तीन महीने से एक भी ग्राहक नहीं मिला है। हम तो बाहर निकलकर राशन भी नहीं मांग सकते हैं। काम ऐसा करते हैं कि बता भी नहीं सकते किसी को।
प्रमिला अपने बच्चों को पढ़ाई करवाने इस पेशे में आई थी। पति के निधन को 14 साल हो गए। बच्चे बहुत छोटे थे। दूसरों के यहां झाड़ू-पोछा करके अपना और अपने बच्चों का पेट पाल लेती थी लेकिन जैसे-जैसे खर्चबढ़ा तो यह काम करना पड़ा। वो पूछती हैं अब क्या काम करें, हमें कौन काम देगा?
कोरोना से 95% सेक्स वर्कर बेरोजगार
एआईएनएसडब्लू के नेशनल कॉर्डिनेटर अमित कुमार का कहना है कि कोविड ने देश के 95% से भी अधिक सेक्स वर्करों को बेरोजगार कर दिया है। आगे स्थिति और भयावह होने वाली है। कोविड के दौरान फिजिकल डिस्टेंसिंग के मानकोंने इनका काम लगभग ठप कर दिया है। जहां ये रहती हैं, वहां किराया नदेने की वजह से धमकियां मिलने लगी हैं। घरेलू हिंसा और मानसिक तनाव के मामले भी बढ़े है, जिसकी शिकायत तक नहीं कर सकतीं।
एआईएनएसडब्लू की अध्यक्ष कुसुम कहती हैं, ‘मैं एक आम नागरिक हूं तो सारी सुविधाएं मिलेगी लेकिन एक सेक्स वर्कर होकर कहीं कुछ लेने जाती हूं तो मुझे कुछ नहीं मिलेगा। जैसे ही मेरी पहचान सेक्स वर्कर के रूप में उजागर होती है वहीं पर मेरे सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं।तब मैं एक मजबूर महिला, एक मां और बहन नहीं रह जाती हूं।