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दुनिया में कोरोनावायरस से संक्रमण के अब तक 1 करोड़ 71 लाख 79 हजार 092 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 1 करोड़ 69 लाख 30 हजार 012 ठीक भी हो चुके हैं। वहीं, 6 लाख 69 हजार 982 की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। ब्राजील में महामारी का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा। यहां मरने वालों का आंकड़ा तेजी से एक लाख की तरफ बढ़ रहा है।
ब्राजील : 90 हजार से ज्यादा ने जान गंवाई
बुधवार रात जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, ब्राजील में मरने वालों की संख्या 90 हजार 188 हो गई। शुरुआती दौर में कोरोना को लेकर हर स्तर पर लापरवाही बरती गई। अब इसके दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। हर दिन हजारों टेस्ट किए जा रहे हैं। बुधवार को ही यहां 70 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए। राष्ट्रपति बोल्सोनारो आज कोरोना को लेकर कुछ नए ऐलान कर सकते हैं।
10 देश जहां कोरोना का असर सबसे ज्यादा
देश
कितने संक्रमित
कितनी मौतें
कितने ठीक हुए
अमेरिका
45, 68,037
1,53,840
22,45,044
ब्राजील
25,55,518
90,188
17,87,419
भारत
15,84,384
35,003
10,21,611
रूस
8,28,990
13,667
6,20,633
द.अफ्रीका
4,59,761
7,257
2,87,313
मैक्सिको
4,02,697
44,876
2,61,457
पेरू
3,95,005
18,612
2,76,452
चिली
3,49,800
9,240
3,22,332
स्पेन
3,27,690
28,436
उपलब्ध नहीं
ब्रिटेन
3,00,692
45,878
उपलब्ध नहीं
चीन : 3 नए केस सामने आए
गुरुवार सुबह जारी सरकारी बयान के मुताबिक, चीन में तीन नए मामले सामने आए हैं। ये तीनों वे लोग हैं जो किसी दूसरे देश से चीन पहुंचे। विदेश से आने वाले कुल 2,059 लोग अब तक संक्रमित पाए जा चुके हैं। नेशनल हेल्थ कमीशन ने यह जानकारी दी है। चीन सरकार की नजर तीन राज्यों पर ज्यादा है। ये है गुआनडोंग, युन्नान और शांक्शी। इन तीनों ही राज्यों में इम्पोर्टेड केस ज्यादा मिल रहे हैं।
अमेरिका : डेढ़ लाख से ज्यादा की मौत
अमेरिका में मरने वालों का आंकड़ा बुधवार रात 1 लाख 50 हजार 159 हो गया। यह आंकड़ा हेल्थ मिनिस्ट्री और कोरोना टास्क फोर्स की तरफ से जारी किया गया है। कुल संक्रमितों की संख्या भी 45 लाख से ज्यादा हो चुकी है। इस बीच, खबर है कि ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन स्कूल और कॉलेज खोलने के बारे में राज्य सरकारों से बातचीत करने का प्लान बना रही है। इस बारे में औपचारिक जानकारी गुरुवार शाम तक दी जा सकती है।
यूएई : 375 नए मामले
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में महामारी के 375 नए मामले सामने आने से देश में कुल मामलों की संख्या 59,921 हो गई। यूएई के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि नए मरीजों की हालत स्थिर है। उनका इलाज किया जा रहा है। अब तक कुल 53,202 संक्रमित स्वस्थ हो चुके हैं। बुधवार को किसी संक्रमित की मौत नहीं हुई।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी आज सुबह 10.30 बजे अपनी पार्टी के राज्यसभा सांसदों के साथ वर्चुअल मीटिंग करेंगी। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति और राजस्थान के सियासी संकट पर चर्चा के लिए ये बैठक बुलाई गई है। इसमें कोरोना और बेरोजगारी की स्थिति पर भी बात होगी।
राज्यसभा के नए सदस्यों के 22 जुलाई को शपथ ग्रहण के बाद यह कांग्रेस सांसदों की पहली बैठक होगी। सोनिया इससे पहले 11 जुलाई को पार्टी के लोकसभा सदस्यों से चर्चा कर चुकी हैं। उस मीटिंग में राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष बनाने की मांग उठी थी। पार्टी के नेता गौरव गोगोई और मनिकम टैगोर ने यह प्रस्ताव रखा था। इससे पहले जून में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी यही मांग उठाई थी।
कांग्रेस नेता फुल टाइम प्रेसिडेंट चाहते हैं
अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी का एक साल का कार्यकाल पूरा होने वाला है। मध्यप्रदेश और राजस्थान में पार्टी के दो हाई-प्रोफाइल नेताओं की बगावत को देखते हुए कांग्रेस के नेताओं का एक गुट चाहता है कि जल्द से जल्द फुल टाइम प्रेसिडेंट की नियुक्ति हो जाए। इसके लिए वे मिलकर कांग्रेस वर्किंग कमेटी को चिट्ठी लिखने का विचार भी कर रहे हैं।
कांग्रेस नेताओं के इस ग्रुप का कहना है कि वे राहुल गांधी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन फुल टाइम प्रेसिडेंट की नियुक्ति की जाए पार्टी पर कमांड को लेकर स्थिति साफ हो। राहुल गांधी भी अध्यक्ष बन सकते हैं, लेकिन वे ऐसा नहीं चाहते तो फिर उनकी तरफ से कोई दखल नहीं हो। पार्टी के कई नेता राहुल के दखल की वजह से नाराज हैं, क्योंकि जब भी राहुल के ऑफिस के कोई निर्देश आता है तो अक्सर स्थिति साफ नहीं होती।
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) से पहले अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में भारतीय खिलाड़ियों का ट्रेनिंग कैंप लगना मुश्किल लग रहा है। सूत्रों की मानें तो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) कोरोना के बीच बड़े खिलाड़ियों को लेकर रिस्क नहीं लेना चाहता है। यह कैंप 18 अगस्त से 4 सितंबर तक लगना है, लेकिन अब तक बीसीसीआई की ओर से गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन (जीसीए) को आधिकारिक मंजूरी नहीं मिली है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोटेरा स्टेडियम में पहली बार कोई टीम ट्रेनिंग करेगी। यह ट्रेनिंग बायो सिक्योर माहौल में होनी है। इस कैंप के लिए जीसीए ने तैयारी शुरू कर दी है। इस बार आईपीएल 19 सितंबर से 8 नवंबर के बीच यूएई में होगा।
खिलाड़ियों को काफी ज्यादा यात्राएं करनी होंगी
बीसीसीआई सूत्रों की मानें तो, यदि खिलाड़ियों के लिए ट्रेनिंग कैंप होता है, तो उन्हें ज्यादा यात्राएं करनी पड़ेंगी। सबसे पहले उन्हें घर से अहमदाबाद आना होगा। यहां से फिर दुबई के लिए रवाना होंगे। ऐसे में कोरोना के बीच उनके लिए खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाएगा। ऐसे में बीसीसीआई उनके लिए ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहता है।
मोटेरा में रेड बॉल से ट्रेनिंग करेंगे खिलाड़ी
जीसीए के एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी से कहा, ‘‘कैंप को लेकर बीसीसीआई से अब तक हमें कोई औपचारिक मंजूरी नहीं मिली है। हालांकि, यह भी सोचने वाली बात है कि खिलाड़ी रेड बॉल से ट्रेनिंग क्यों करेंगे, जबकि उन्हें पूरी तरह से एक अलग फॉर्मेट में खेलना है।’’
धर्मशाला में भी कैंप लगाने पर विचार हुआ था
जीसीए से जुड़े सूत्र ने बताया कि ट्रेनिंग कैंप के लिए वेन्यू को लेकर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। लेकिन मोटेरा का नाम लगभग फाइनल हो चुका है। भारतीय टीम के कैम्प के लिए धर्मशाला के नाम पर भी विचार किया था। लेकिन मोटेरा के नए बने स्टेडियम में फैसिलिटी ज्यादा अच्छी हैं। यह स्टेडियम काफी बड़ा है। ऐसे में बायो सिक्योर माहौल में ट्रेनिंग कैंप आसानी से लगाया जा सकता है।
धोनी की टीम सबसे पहले 10 या 11 अगस्त को दुबई पहुंच सकती है
आईपीएल टीमें यूएई की डेजर्ट सिटी में खेलने के लिए तैयार हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई सुपर किंग्स सबसे पहले दुबई के लिए रवाना होगी। टीम 10 या 11 अगस्त को दुबई रवाना हो सकती है। सीएसके टीम मैनेजमेंट के सूत्रों के मुताबिक, टीम 15 अगस्त के पहले दुबई में ट्रेनिंग कैंप शुरू कर सकती है। टीम रविवार को होने वाली आईपीएल गवर्निंग काउंसिल की मीटिंग के बाद चार्टर्ड प्लेन बुक कराएगी।
सीएसके के सूत्रों ने बताया, ‘‘हमारी योजना है कि पूरी स्क्वॉड 8 अगस्त के बाद कभी भी दुबई रवाना हो जाए ताकि हम दूसरा हफ्ता खत्म होने के पहले कैंप शुरू कर दें। बीसीसीआई की एसओपी के बाद हम ट्रैवल प्लान फाइनल करेंगे। मौजूदा हालात में खिलाड़ियों के लिए चार्टर्ड फ्लाइट ही सबसे सुरक्षित विकल्प है।’’
कई फ्रेंचाइजी दुबई में ही ट्रेनिंग कैंप लगाएंगी
न सिर्फ सीएसके बल्कि अन्य टीमों की योजना भी लीग के दो-तीन हफ्ते पहले दुबई में ट्रेनिंग करने की है। प्रस्तावित कैंप सितंबर के पहले हफ्ते में शुरू होगा। बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि कुछ फ्रेंचाइजी दुबई में कैंप शुरू करना चाहती है। यह जरूरी भी है क्योंकि खिलाड़ी लंबे समय से खेले नहीं है। हमें फ्रेंचाइजी के इन कैंप से कोई परेशानी नहीं है। हालांकि, इस दौरान नेशनल टीम का कैंप भी है। हम बेहतर समाधान देख रहे हैं। अभी कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है।’’
एक आईपीएल फ्रेंचाइजी ने बताया, ‘‘हम दुबई में कैंप 5 सितंबर से शुरू कर सकते हैं। हम विदेशी खिलाड़ियों के संपर्क में हैं और उन्हें ट्रेनिंग में कोई दिक्कत नहीं है।’’ अधिकतर फ्रेंचाइजी दुबई और अबु धाबी में कैंप लगाना चाहती हैं। आईसीसी एकेडमी भी उनकी पसंद है।
अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन में अब सिर्फ एक हफ्ता रह गया है, लेकिन अभी तक उन दो शिलाओं को बाहर लाने की कोई पहल नहीं की गई है, जो अयोध्या प्रशासन की ट्रेजरी में 18 साल से रखी हुई हैं। इन शिलाओं के लिए विहिप के तत्कालीन अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंघल और श्रीरामजन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष रामचंद्रदास परमहंस ने अटल बिहारी वाजपेयी की अगुआई वाली एनडीए सरकार को चुनौती दे दी थी।
तत्कालीन केंद्र सरकार के मना करने के बाद भी देशभर से शिलादान के लिए कारसेवक अयोध्या पहुंच रहे थे। अटल सरकार और विहिप आमने-सामने आ गई थीं। तमाम जद्दोजहद के बाद केंद्र ने पीएमओ में अयोध्या सेल के प्रभारी आईएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को शिलाएं स्वीकार करने के लिए अयोध्या भेजा था।
उन्होंने 15 मार्च 2002 को अशोक सिंघल और रामचंद्र परमहंस से शिलादान स्वीकार किया था। इसे अयोध्या के डीएम को सौंप दिया गया था। श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी विमलेंद्र मोहन मिश्र ने कहा कि इन शिलाओं के बारे में फिलहाल उन्हें कोई जानकारी नहीं है, जबकि ट्रस्ट सूत्रों का कहना है कि दोनों शिलाओं को राममंदिर आंदोलन के प्रतीक के रूप में महत्व दिया जाएगा।
विहिप कार्यकर्ता और मंदिर आंदोलन से जुड़े संतोष दुबे का कहना है कि मंदिर के भूमि पूजन में इन दोनों शिलाओं को स्थान दिया जाना चाहिए, क्योंकि इनसे कारसेवकों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। सरकार उनकी भावनाओं की कद्र करे। शिलादान के कार्यक्रम से 21वीं सदी की शुरुआत में ही देश की राजनीति की दिशा तय हो गई थी।
रामभक्त अयोध्या न आएं, लाइव प्रसारण देखें: चंपत राय
मंदिर निर्माण ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने भक्तों से अपील की है कि वे 5 अगस्त को भूमि पूजन में शामिल होने के लिए व्यग्र न हों। अयोध्या न आएं। टीवी पर समारोह का लाइव प्रसारण देखें और शाम को घर पर दीपक जलाकर इसका स्वागत करें। भविष्य में उचित अवसर पर राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण यज्ञ में सभी राम भक्तों को सम्मिलित होने का अवसर मिले, यह प्रयास किया जाएगा।
पीएम की सुरक्षा: 9 जिलों के एडीजी-डीआईजी मुस्तैद
पीएम के अयोध्या दौरे पर उनकी पुख्ता सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं। डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने 9 जिलों के एडीजी और डीआईजी स्तर के अधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी दी है। सभी अधिकारी 6 अगस्त तक सुरक्षा घेरे की कमान संभालेंगे। उधर, अयोध्या में लोगों ने कोरोनाकाल में प्रशासनिक पाबंदी में ढील देने की मांग की है, ताकि 3 अगस्त से दीप प्रज्ज्वलन कार्यक्रम आयोजित किया जा सके।
राम मंदिर भूमिपूजन से जुड़ी यह खबर भी आप पढ़ सकते हैं...
अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन में अब सिर्फ एक हफ्ता रह गया है, लेकिन अभी तक उन दो शिलाओं को बाहर लाने की कोई पहल नहीं की गई है, जो अयोध्या प्रशासन की ट्रेजरी में 18 साल से रखी हुई हैं। इन शिलाओं के लिए विहिप के तत्कालीन अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंघल और श्रीरामजन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष रामचंद्रदास परमहंस ने अटल बिहारी वाजपेयी की अगुआई वाली एनडीए सरकार को चुनौती दे दी थी।
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उन्होंने 15 मार्च 2002 को अशोक सिंघल और रामचंद्र परमहंस से शिलादान स्वीकार किया था। इसे अयोध्या के डीएम को सौंप दिया गया था। श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी विमलेंद्र मोहन मिश्र ने कहा कि इन शिलाओं के बारे में फिलहाल उन्हें कोई जानकारी नहीं है, जबकि ट्रस्ट सूत्रों का कहना है कि दोनों शिलाओं को राममंदिर आंदोलन के प्रतीक के रूप में महत्व दिया जाएगा।
विहिप कार्यकर्ता और मंदिर आंदोलन से जुड़े संतोष दुबे का कहना है कि मंदिर के भूमि पूजन में इन दोनों शिलाओं को स्थान दिया जाना चाहिए, क्योंकि इनसे कारसेवकों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। सरकार उनकी भावनाओं की कद्र करे। शिलादान के कार्यक्रम से 21वीं सदी की शुरुआत में ही देश की राजनीति की दिशा तय हो गई थी।
रामभक्त अयोध्या न आएं, लाइव प्रसारण देखें: चंपत राय
मंदिर निर्माण ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने भक्तों से अपील की है कि वे 5 अगस्त को भूमि पूजन में शामिल होने के लिए व्यग्र न हों। अयोध्या न आएं। टीवी पर समारोह का लाइव प्रसारण देखें और शाम को घर पर दीपक जलाकर इसका स्वागत करें। भविष्य में उचित अवसर पर राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण यज्ञ में सभी राम भक्तों को सम्मिलित होने का अवसर मिले, यह प्रयास किया जाएगा।
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पीएम के अयोध्या दौरे पर उनकी पुख्ता सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं। डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने 9 जिलों के एडीजी और डीआईजी स्तर के अधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी दी है। सभी अधिकारी 6 अगस्त तक सुरक्षा घेरे की कमान संभालेंगे। उधर, अयोध्या में लोगों ने कोरोनाकाल में प्रशासनिक पाबंदी में ढील देने की मांग की है, ताकि 3 अगस्त से दीप प्रज्ज्वलन कार्यक्रम आयोजित किया जा सके।
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देश में 24 घंटे में रिकॉर्ड 52 हजार 263 मरीज बढ़े। इस हफ्ते में यह दूसरी बार है जब संक्रमितों का आंकड़ा 50 हजार के पार हुआ। इससे पहले 25 जुलाई को 50 हजार 72 मामले मिले थे। अब तक 15 लाख 84 हजार 384 लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। वहीं, मरने वालों का आंकड़ा 35 हजार पार हो चुका है। देश में 10 लाख 6 हजार से ज्यादा मरीज ठीक हो चुके हैं। 5 लाख 8 हजार से ज्यादा एक्टिव मरीज हैं, यानी इनका इलाज चल रहा है। यह आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।
वहीं, महाराष्ट्र में 31 और त्रिपुरा में 4 अगस्त तक लॉकडाउन बढ़ाया गया है। त्रिपुरा के सीएम बिप्लब कुमार देब ने बुधवार को बताया कि 1200 हेल्थ वर्कर्स के जरिए एक जरूरी हेल्थ सर्वे किया जाना है। इसे पूरा करने के लिए राज्य में लॉकडाउन बढ़ाया जा रहा है।
5 राज्यों का हाल
मध्य प्रदेश: राज्य में 24 घंटे में 917 नए मामले सामने आए। इसी के साथ संक्रमितों की संख्या अब 30 हजार 134 हो गई है। इनमें 20 हजार 934 लोग ठीक हो चुके हैं जबकि 844 मरीजों की मौत हो चुकी है।
महाराष्ट्र: 24 घंटे में 9,211 नए मामले सामने आए। 298 लोगों की मौत हुई और 7 हजार 478 मरीज ठीक हो गए। मुंबई में बुधवार को 1109 नए मामले सामने आए। यहां बुधवार को इस महामारी से 60 लोगों की मौत हो गई है। शहर में दो दिन पहले तक डबलिंग रेट बढ़कर 68 दिन और रिकवरी रेट 73% होने की बात सामने आई थी।
राजस्थान: यहां 24 घंटे में 1,144 संक्रमित मिले। 10 की मौत हुई और 992 मरीज ठीक हो गए। इस बीमारी से अब तक जयपुर में 183 लोगों की मौत हो चुकी है। जोधपुर में 81, भरतपुर में 53, अजमेर में 38, बीकानेर में 36, कोटा में 33, पाली में 30, नागौर में 23 और धौलपुर में 15 मरीजों ने दम तोड़ा है। यहां अन्य राज्यों के 35 रोगियों की मौत हुई है।
बिहार: यहां बुधवार को 2328 संक्रमित मिले। 4 संक्रमितों की मौत हुई है और 1,284 ठीक हो गए। राज्य में कोरोना संक्रमण के अब तक 45,919 केस आ चुके हैं। 273 की मौत हो चुकी है और 30,504 ठीक हो चुके हैं।
उत्तर प्रदेश: यहां बीते 24 घंटे में कोरोना के 3 हजार 383 नए मामले सामने आए। इसी के साथ संक्रमितों का आंकड़ा बढ़कर 77,334 हो गया है। इनमें 45,807 लोग ठीक भी हो चुके हैं। पिछले 24 घंटे में 33 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों की संख्या अब 1,530 हो चुकी है।
from Dainik Bhaskar /national/news/mumbai-delhi-coronavirus-cases-news-coronavirus-outbreak-india-cases-live-updates-maharashtra-pune-madhya-pradesh-indore-rajasthan-uttar-pradesh-haryana-punjab-bihar-novel-corona-covid-19-death-toll-india-today-127566641.html
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कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी आज सुबह 10.30 बजे अपनी पार्टी के राज्यसभा सांसदों के साथ वर्चुअल मीटिंग करेंगी। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति और राजस्थान के सियासी संकट पर चर्चा के लिए ये बैठक बुलाई गई है। इसमें कोरोना और बेरोजगारी की स्थिति पर भी बात होगी।
राज्यसभा के नए सदस्यों के 22 जुलाई को शपथ ग्रहण के बाद यह कांग्रेस सांसदों की पहली बैठक होगी। सोनिया इससे पहले 11 जुलाई को पार्टी के लोकसभा सदस्यों से चर्चा कर चुकी हैं। उस मीटिंग में राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष बनाने की मांग उठी थी। पार्टी के नेता गौरव गोगोई और मनिकम टैगोर ने यह प्रस्ताव रखा था। इससे पहले जून में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी यही मांग उठाई थी।
कांग्रेस नेता फुल टाइम प्रेसिडेंट चाहते हैं
अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी का एक साल का कार्यकाल पूरा होने वाला है। मध्यप्रदेश और राजस्थान में पार्टी के दो हाई-प्रोफाइल नेताओं की बगावत को देखते हुए कांग्रेस के नेताओं का एक गुट चाहता है कि जल्द से जल्द फुल टाइम प्रेसिडेंट की नियुक्ति हो जाए। इसके लिए वे मिलकर कांग्रेस वर्किंग कमेटी को चिट्ठी लिखने का विचार भी कर रहे हैं।
कांग्रेस नेताओं के इस ग्रुप का कहना है कि वे राहुल गांधी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन फुल टाइम प्रेसिडेंट की नियुक्ति की जाए पार्टी पर कमांड को लेकर स्थिति साफ हो। राहुल गांधी भी अध्यक्ष बन सकते हैं, लेकिन वे ऐसा नहीं चाहते तो फिर उनकी तरफ से कोई दखल नहीं हो। पार्टी के कई नेता राहुल के दखल की वजह से नाराज हैं, क्योंकि जब भी राहुल के ऑफिस के कोई निर्देश आता है तो अक्सर स्थिति साफ नहीं होती।
from Dainik Bhaskar /national/news/sonia-gandhi-to-hold-meeting-with-rs-mps-to-discuss-current-political-situation-127566638.html
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कोरोनावायरस के बीच 138 दिन बाद इंग्लैंड-आयरलैंड सीरीज से वनडे क्रिकेट की वापसी हो रही। दोनों देशों के बीच 3 वनडे खेले जाएंगे। 13 मार्च को ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच आखिरी वनडे खेला गया था। इसे ऑस्ट्रेलिया ने जीता था। इंग्लैंड-आयरलैंड के बीच तीनों मैच साउथैंप्टन के रोज बाउल मैदान पर खेले जाएंगे। पहला मैच 30 जुलाई, दूसरा 1 अगस्त और तीसरा मुकाबला 4 अगस्त को खेला जाएगा।
यह भारत में 2023 में होने वाले वनडे वर्ल्ड कप के क्वालिफायर टूर्नामेंट सुपर लीग के तहत खेले जाने वाली पहली सीरीज है। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) ने सोमवार को ही इस टूर्नामेंट को लॉन्च किया है।
ऐसा होगा सुपर लीग का फॉर्मेट
वनडे सुपर लीग में टॉप-12 टीम के अलावा 2015-17 की वर्ल्ड क्रिकेट लीग चैम्पियनशिप की विनर टीम नीदरलैंड को जगह मिली है। 2023 वर्ल्ड कप की मेजबान टीम भारत के अलावा अन्य टॉप-7 टीम को वर्ल्ड कप का टिकट मिलेगा। बाकी बची 5 टीमें क्वालिफायर में उतरेंगी। यहां से दो टीमें वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई करेंगी।
वर्ल्ड कप में 10 टीमें खेलेंगी। लीग में सभी 13 टीम को 3 वनडे की 8 सीरीज खेलनी है। 4 घर पर और 4 दूसरे देश में।
इंग्लैंड के पास युवा प्लेयर्स को परखने का मौका
आयरलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए इंग्लैंड की कमान इयोन मॉर्गन को सौंपी गई है, जबकि मोइन अली को उप-कप्तान बनाया गया। टीम में तेज गेंदबाज रीस टॉपली की 4 साल बाद वापसी हुई है। पीठ में चोट लगने के कारण टॉपली टीम से बाहर थे। इनके अलावा सैम बिलिंग्स, लियाम डॉसन और डेविड विली की भी मौका मिला है।
आयरलैंड में किसी भी बड़ी टीम को हराने का दम है: मॉर्गन
इंग्लैंड के कप्तान मोर्गन ने कहा कि आयरलैंड शानदार टीम है। हाल के कुछ सालों में उसने यह साबित किया है कि वह किसी भी बड़ी टीम को हरा सकती है। वहीं, आयरलैंड के कप्तान एंड्रयू बालबर्नी ने कहा कि वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के सामने खेलना हमारे लिए बड़ी चुनौती होगी। हमने अच्छी तैयारी की है।
हेड-टू-हेड
इंग्लैंड और आयरलैंड के बीच अब तक 10 वनडे हुए हैं। इसमें इंग्लैंड ने 8, जबकि आयरलैंड को एक मैच में जीत मिली। 1 मैच का बेनतीजा रहा। वहीं, दोनों देशों के बीच इंग्लैंड में 2 मैच हुए हैं और दोनों ही बार जीत मेजबान टीम को मिली।
पिच और मौसम रिपोर्ट: साउथैंप्टन में मैच के दौरान दिन भर हल्के बादल छाए रहेंगे। लेकिन बारिश की आशंका नहीं है। रोज बाउल स्टेडियम की पिच हमेशा से बल्लेबाजी के लिए बेहतर रही है। इस मैदान पर टॉस जीतने वाली टीम पहले बल्लेबाजी करना पसंद करेगी। क्योंकि यहां अब तक 28 वनडे हुए हैं, जिसमें 14 बार पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम मैच जीती है, जबकि 12 बार लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम ने जीत दर्ज की। दो मुकाबले बेनतीजा रहे।
इंग्लैंड और आयरलैंड के बीच तीनों वनडे मैच कब लाइव देखें?
इंग्लैंड और आयरलैंड के बीच सीरीज के तीनों वनडे मैच भारतीय समयानुसार शाम 6:30 बजे से खेले जाएंगे। तीनों वनडे सोनी सिक्स, सोनी सिक्स एचडी पर देखे जा सकते हैं।
आज सबसे पहले बात अनलॉक की। इसका तीसरा फेज एक अगस्त से शुरू होगा। रात में चहल-पहल बढ़ेगी। नाइट कर्फ्यू जो हट रहा है। सेहत के फिक्रमंद लोगों को भी राहत दी गई है। 5 अगस्त से देशभर के जिम और योग इंस्टीट्यूट्स खुल जाएंगे। लेकिन, स्कूल-कॉलेज 31 अगस्त तक बंद ही रहेंगे।
12 साल का इंतजार बुधवार को खत्म हुआ। चार साल पुराने विवादों पर भी अब शायद विराम लग जाए। क्योंकि, राफेल अब भारत आ चुका है। इसके साथ ही 22 साल बाद वायुसेना को नया फाइटर मिल गया। रक्षा मंत्री ने भी राफेल के उतरते ही ट्वीट किया, ''चिड़िया अंबाला में सुरक्षित उतर गई। भारत की सरजमीं पर राफेल का उतरना सैन्य इतिहास में एक नए युग की शुरुआत है।''
अब बात अंदर की, बात हमारे एयरचीफ की। एयर मार्शल आरकेएस भदौरिया बतौर डिप्टी चीफ फ्रांस के साथ राफेल डील के लिए बनी टीम के चेयरमैन थे। इस टीम के जिम्मे सभी निगोशिएशन करना था। वो उन चुनिंदा एयरफोर्स पायलट्स की लिस्ट में शामिल हैं, जिन्होंने राफेल उड़ाया है। जब राफेल अंबाला पहुंचे तो बतौर एयरफोर्स चीफ एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने उनकी अगवानी की।
लंबे इंतजार का मीठा फल देश को बुधवार को मिला। इस इंतजार में कई विवाद हैं, कई किस्से हैं। आने वाले समय में राफेल से क्या-क्या बदलेगा, ये सब जानना हो तो बस यहां क्लिक कर लें। नहीं तो अगली खबर राजस्थान की सियासत की पढ़ लें।
3. तीसरे प्रेम-पत्र के बाद, जादूगर की चौथी चिट्ठी
राजस्थान के सियासी ड्रामे में बुधवार को प्रेम पत्र की भी एंट्री हो गई। गवर्नर कलराज मिश्र ने 31 जुलाई से विधानसभा सत्र बुलाने की अर्जी तीसरी बार लौटा दी। जवाब में गहलोत ने कहा प्रेम पत्र आ चुका है। अब मिलकर पूछूंगा की आप चाहते क्या हैं? गहलोत मिलने भी पहुंचे। मुलाकात भी हुई। 15 मिनट की मुलाकात में क्या निकला?
ये गहलोत ने नहीं बताया लेकिन, ये जरूर जताया कि वो लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं। बोले- 70 साल में पहली बार किसी गवर्नर ने इस तरह के सवाल किए हैं। 21 दिन हों या 31, जीत तो हमारी ही होगी। जादूगर कहे जाने वाले सीएम साहब ने चौथी बार भी अर्जी लगाई। इस बार उनका जादू चल गया। राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने की मंजूरी दे दी मगर कुछ शर्तों के साथ।
4. एक भारतीय फुटबॉल क्लब के रंग में रंगा अमेरिका का नैसडेक
देश में जब खेल की बात होती है तो सिर्फ क्रिकेट याद आता है। लेकिन, बुधवार को एक भारतीय फुटबॉल क्लब की ऐतिहासिक जीत को अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज नैसडेक ने सम्मान दिया। बात 131 साल पुराने फुटबॉल क्लब मोहन बागान की हो रही है। इस क्लब ने 1911 में इंडिया फुटबॉल एसोसिएशन यानी आईएफए शील्ड जीती थी।
ये टूर्नामेंट दुनिया के सबसे पुराने फुटबॉल टूर्नामेंट्स में एक है। जो 1893 में अंग्रेजों ने शुरू किया। इसे जीतते भी अंग्रेज आर्मी के क्लब थे। 29 जुलाई 1911 को पहली बार किसी भारतीय क्लब ने इसे जीता। 2001 से मोहन बागान ने 29 जुलाई को मोहन बागान डे के रूप में मनाना शुरू किया। 19 साल बाद अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज ने भी इसे सेलिब्रेट किया।
5. सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची सुशांत की सुसाइड मिस्ट्री
सुशांत सुसाइड मामला बुधवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। लेकर भी कौन गया, सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती। जिनके खिलाफ मंगलवार को सुशांत के पिता ने केस किया था। रिया ने पटना में दर्ज मामले को मुंबई ट्रांसफर करने की अपील की। रिया को ये कदम इसलिए उठाना पड़ा क्योंकि केस को लेकर पटना पुलिस उन्हें तलाश रही है और उन पर गिरफ्तारी का खतरा मंडरा रहा है।
30 जुलाई, गुरुवार को ज्येष्ठा नक्षत्र होने से कालदंड नाम का अशुभ योग बन रहा है। इसके कारण कुछ लोगों के जरूरी काम बिगड़ सकते हैं। इसके साथ ही दिनभर तनाव भी रहेगा। चंद्रमा और शुक्र के आमने-सामने होने से फालतू खर्चा और धन हानि का योग बन रहा है।
इस कारण मिथुन, कन्या, तुला, धनु, कर्क, सिंह, वृश्चिक और मकर राशि वाले लोगों को दिनभर संभलकर रहना होगा। एस्ट्रोलॉजर डॉ. अजय भाम्बी के अनुसार मेष, वृष, कुंभ और मीन राशि वाले लोगों को सितारों का साथ मिल सकता है। इस तरह 12 में से 4 राशियों के लिए गुरुवार शुभ रहेगा। वहीं, अन्य 8 राशियों के लिए दिन ठीक नहीं है।
...और चलते-चलते कोरोना से जुड़ी दो खबरें, एक अच्छी और एक बुरी। अच्छी खबर ये है कि देश में कोरोना से ठीक होने वालों का आंकड़ा दस लाख को पार कर गया है। कोरोना के कुल मरीजों का 64% लोग ठीक होकर घर पहुंच गए हैं। बुरी खबर ये है कि देश में कोरोना से जान गंवाने वालों की संख्या 35 हजार पहुंच गई। मौतों के मामले हम आज इटली को पीछे छोड़कर दुनिया में पांचवें नंबर पर पहुंच जाएंगे।
देश में इस वक्त दो बातों की चर्चा सबसे ज्यादा है। पिछले तीन दिन से राफेल की और पिछले पांच महीने से कोरोना की। एक का रिश्ता हमारे आपके स्वास्थ्य से है तो दूसरे का देश की सुरक्षा से। लेकिन, क्या आप जानते हैं पिछले पांच साल में सरकार ने अपने हर नागरिक के स्वास्थ्य पर किया जाने वाला खर्च कितना बढ़ाया है।
अभी सरकार कितना खर्च करती है। मिलिट्री पर हम प्रति व्यक्ति के हिसाब से कितना खर्च कर रहे हैं। और दुनिया में हम इन खर्चों में कहां हैं? पाकिस्तान-चीन जैसे हमारे पड़ोसियों के मुकाबले हम कहां हैं? इस रिपोर्ट में हम इन्हीं सवालों का जवाब देंगे।
भारत में साल दर साल स्वास्थ्य और मिलिट्री पर खर्च का ट्रेंड देखें तो, मिलिट्री पर खर्च, स्वास्थ्य के खर्च से 8 से 10 गुना है। 2015-16 में मिलिट्री पर खर्च 2 लाख 85 हजार करोड़ से बढ़कर करीब 2 लाख 94 हजार करोड़ हो गया। जबकि स्वास्थ्य पर खर्च 35 हजार करोड़ से घटकर करीब 30 हजार करोड़ हो गया।
मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के पांच साल में, स्वास्थ्य पर 2 लाख 3 हजार 535 करोड़ रुपए और मिलिट्री पर 16 लाख 8 हजार 844 करोड़ रुपए खर्च किए।
दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य शक्ति अमेरिका अपने हर नागरिक की सेहत पर मिलिट्री से 4 गुना ज्यादा खर्च करती है
अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है। उसका पर कैपिटा मिलिट्री एक्सपेंडिचर एक लाख 55 हजार रुपए से भी ज्यादा है। लेकिन, वो अपने हर नागरिक के स्वास्थ्य पर छह लाख 73 हजार रुपए से ज्यादा खर्च करता है। ये दुनिया में सबसे ज्यादा है। अमेरिका के बाद नॉर्वे, जर्मनी और स्विट्जरलैंड अपने नागरिकों की सेहत पर सबसे ज्यादा खर्च करते हैं।
इजराइल का पर कैपिटा मिलिट्री खर्च सबसे ज्यादा, अमेरिका ज्यादा आबादी के कारण ज्यादा खर्च करके भी दूसरे पर
प्रति व्यक्ति के लिहाज से जो देश मिलिट्री पर सबसे ज्यादा खर्च करते हैं, उनमें इजराइल टॉप पर है। इन देशों इजराइल ही ऐसा है, जिसका पर कैपिटा मिलिट्री खर्च पर कैपिटा हेल्थ खर्च से ज्यादा है। दुनिया में सबसे बड़ा डिफेंस बजट अमेरिका का है। लेकिन, उसकी आबादी इजराइल से ज्यादा होने के कारण पर कैपिटा मिलिट्री खर्च इजराइल से कम है।
पर कैपिटा हेल्थ और मिलिट्री एक्सपेंडिचर के टॉप-10 में दस देश कॉमन
देश के हर नागरिक पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाले और पर कैपिटा मिलिट्री खर्च वाले टॉप 10 देशों की लिस्ट में 6 देश कॉमन हैं। ये देश हैं अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे, डेनमार्क, फ्रांस और नीदरलैंड। इजराइल, साउथ कोरिया, यूके और फिनलैंड प्रति व्यक्ति मिलिट्री खर्च में दुनिया के टॉप-10 देशों में हैं।
लेकिन, सेहत में नहीं। फिनलैंड अपने हर नागरिक की सेहत पर मिलिट्री खर्च से करीब दो लाख रुपए ज्यादा खर्च करता है। यूके करीब एक लाख 94 हजार और साउथ कोरिया करीब 75 हजार रुपए ज्यादा खर्च करता है।
भारत अपनी जीडीपी का 1.28% सेहत पर खर्च करता है। हम दुनिया में सेहत पर खर्च करने के मामले में 170वें नंबर पर हैं।
भारत अपनी जीडीपी का 2.4% मिलिट्री पर खर्च करता है। इसके बाद भी हम दुनिया की चौथी सबसे बड़ी मिलिट्री पावर हैं। हमसे आगे सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन हैं। पर कैपिटा जीडीपी के हिसाब से सबसे ज्यादा खर्च करने वाला इजराइल दुनिया की 18वीं सबसे बड़ी मिलिट्री पावर है।
जीडी़पी के लिहाज से मिलिट्री पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाला देश सऊदी अरब है। वो अपनी जीडीपी का 8.8% मिलिट्री पर खर्च करता है। ओमान अपनी जीडीपी का 8.2% अल्जीरिया जीडीपी का 5.3% मिलिट्री पर खर्च करता है।
यहां सुबह 4 बजे से जब बाजार में लगे लाउड स्पीकर और मंदिरों में रामधुन बजनी शुरू होती है, तो अयोध्या जाग जाती है। सड़कों पर लोग थाली में फूल अगरबत्ती लिए बड़े-बड़े कदमों से मंदिरों की तरफ जाते हुए दिखाई पड़ते हैं। एक अनुमान के मुताबिक अयोध्या में 5000 से ज्यादा मंदिर है। छोटी-छोटी गलियों में हर घर मे राम-सीता की पूजा होते आपको दिखाई पड़ जाती है।
हम आपके लिए अयोध्या के तीन ऐसे ही मंदिरों की कहानी लाए हैं, जो अपनी अलग परंपरा, इतिहास की वजह से अन्य मंदिरों की कतार से अलग खड़े दिखाई पड़ते हैं। पेश है अयोध्या के अनोखे मंदिरों पर एक रिपोर्ट...
पहला मंदिर: यहां गर्भगृह में 100 सालों से नहीं लगी बिजली, हमेशा रथ पर सवार रहते हैं राम
अयोध्या में राम को पूजने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। ऐसे ही अयोध्या में दक्षिण पंथ के दो मंदिर विजय राघव राम और अम्मा जी का मंदिर है। यह दोनों दक्षिण भारत परंपरा से राम की पूजा अर्चना करते हैं। इन दोनों मंदिरों की खास बात है कि यहां गर्भ गृह में लाइट नहीं जलाई जाती है।
अम्मा जी के मंदिर के महंत वेंकटाचार्य स्वामी कहते हैं कि गर्भ गृह का मतलब गर्भाशय से होता है। गर्भ में जब बच्चा होता है तो उसे कोई आर्टिफिशियल लाइट नहीं दी जाती है। आज के संदर्भ में देखें तो अब गर्भवती महिला का एक्सरे या सिटी स्कैन से परहेज किया जाता है।
उसी प्रकार गर्भगृह में श्रीराम भगवान को कोई तकलीफ न हो इसलिए लाइट नहीं लगवाई जाती है। हो सकता है उस लाइट की वजह से भगवान को कोई दुर्घटना का सामना करना पड़े इसलिए दक्षिण में भी जितने भी मंदिर हैं वहां भी गर्भगृह में लाइट नहीं लगाई जाती है।
विभीषण कुंड मोहल्ले में स्थित विजय राघव राज मंदिर के महंत श्री धराचार्य जी महाराज बताते हैं कि विजय राघव राज महाराज का मंदिर 1904 में स्थापित हुआ था। तब से लगभग 100 साल से ज्यादा समय बीत गया, यहां लाइट गर्भगृह में नहीं लगी है।
उन्होंने बताया कि पहले पूरे मंदिर में लाइट की व्यवस्था नहीं थी। लेकिन, धीरे-धीरे लाइट दैनिक जीवन का हिस्सा बन गई, इसलिए मंदिर के गर्भगृह को छोड़कर सब जगह अब लाइट है। हालांकि, हम लोग अभी भी बिजली वाले पम्प का पानी पीने के बजाय कुंए के पानी का इस्तेमाल करते है। राम जी के प्राकट्य उत्सव में भी उनका श्रृंगार अशोक की पत्तियों और फूलों से करते है न कि लाइट वाली झालर लगाते हैं।
महंत ने बताया कि पिछले 15 वर्षों से मंदिर में अखंड रामनाम संकीर्तन चल रहा है। अम्मा जी के मंदिर के महंत श्री वेंकटाचार्य स्वामी कहते हैं कि हमारे राम हमेशा सीता, लक्ष्मण के साथ रथ पर सवार रहते हैं। यही वजह है कि मंदिर के सामने गरुण ध्वज बना रहता है। माना जाता है कि जिसे हनुमान जी संभाले रहते हैं।
दूसरा मंदिर: 420 साल बाद भी है इस मंदिर को औरंगजेब का खौफ, महीने में 2 बार ही खुलते हैं भक्तों के लिए मंदिर के कपाट
अयोध्या का उर्दू बाजार...कभी त्रेता नाथ मोहल्ला के नाम से प्रसिद्ध था। यहीं पर स्थित है त्रेता नाथ मंदिर..इस मंदिर की खासियत है कि इसके कपाट भक्तों के लिए महीने में सिर्फ 2 बार ही खुलते हैं। महीने में पड़ने वाली 2 एकादशी के दिन शाम को ही खुलता है।
सात पीढ़ी से मंदिर के पुजारी का काम देख रहे सुनील मिश्रा ने बताया कि मेरे पुरखों ने बताया कि यह मंदिर 500 साल से ज्यादा पुराना है। औरंगजेब के शासन काल में इसे तुड़वा दिया गया था। साथ ही मोहल्ले में तीन मस्जिदें भी तब बनवाई गई थीं। लगभग यह समय 1649 से 1707 के बीच का था। उस समय हमारे मोहल्ले का नाम भी त्रेता नाथ मोहल्ला था, लेकिन इसे उर्दू बाजार कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि जब मंदिर दोबारा लगभग 150 साल पहले फिर बनाया गया तो भगवान को सुरक्षित रखने के लिए तमाम उपाय सुझाए गए। तब यह उपाय सुझाया गया कि यदि मंदिर में भीड़ नही होगी तो मंदिर को कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन भक्तों के लिए इसे महीने की दो एकादशी के दिन खोला जाने लगा। मंदिर में भगवान की पूजा अर्चना नियमित रूप से समय-समय से हम और हमारा परिवार करता है। लेकिन भक्तों के लिए सिर्फ दो दिन ही खुलता है।
उन्होंने बताया कि अब माहौल बदल गया है, लेकिन परंपरा का निर्वहन हम करते हैं। इसी पूजा-अर्चना से हमारे परिवार का खर्च भी चलता है। मंदिर भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में आ गया है। लेकिन, पैसों की कमी के चलते इसे सही नहीं करा पा रहे हैं।
तीसरा मंदिर: लक्ष्मण है अयोध्या के राजकुमार, लेकिन है इकलौता मंदिर
अयोध्या में सरयू तट पर लक्ष्मण घाट है। जिससे सटा हुआ लक्ष्मण का यहां इकलौता मंदिर है। जिसे लक्ष्मण किला के नाम से भी जाना जाता है। पूरे अयोध्या में मुख्य रूप से लक्ष्मण का यही मंदिर है। यहां लक्ष्मण की शेषावतार में पूजा होती है।
मंदिर के महंत मैथिली रमण शरण बताते है कि रामायण में एक प्रसंग है, जिसमें श्रीराम भगवान से काल व्यक्ति के रूप में आकर मिलते हैं और उनसे प्राण त्यागने की बात करते हैं। काल ने भगवान राम के सामने शर्त रखी थी कि यदि कोई हमारी बातें सुनेगा तो उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा। तब भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण को पहरेदारी के लिए लगाया।
वार्ता शुरू ही हुई थी कि ऋषि दुर्वासा श्रीराम से मिलने पहुंच गए। लक्ष्मण ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन वह श्राप देने पर अड़ गए। इसके बाद लक्ष्मण भगवान को सूचना देने बीच वार्ता में पहुंच गए। जिसके बाद वह दंड के भागीदार खुद बन गए। उसके बाद लक्ष्मण ने सरयू घाट पर मानव देह त्याग कर शेषावतार का दर्शन कराया था। इस घाट को सहस्त्र धारा घाट भी बोला जाता है।
महंत ने बताया कि रीवा नरेश के दीवान ने 150 वर्ष पहले यह मंदिर बनवाया था। उन्होंने बताया कि महारानी विक्टोरिया ने रीवा नरेश को यह 52 बीघा जमीन दान में दी थी। यही नहीं रीवा नरेश ने मंदिर के खानपान यानी गल्ला पानी के लिए मध्य प्रदेश में 52 एकड़ जमीन दे रखी है।
उन्होंने बताया कि मेरे साथ यहां कई संत महात्मा रहते हैं। विद्यार्थी रहते हैं। सबके रहने-खाने की व्यवस्था मंदिर की ओर से ही होती है। उन्होंने बताया कि मान्यता है कि इस मंदिर में यदि कोई झूठी कसम खाता है तो उसका अनिष्ट होना तय है। क्योंकि लक्ष्मण जी ने श्रीराम को दिए वचन की खातिर अपनी देह त्याग दी थी।
भारत सरकार के गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद आतंकी गतिविधियों में कमी आई है। यह डेटा जम्मू कश्मीर पुलिस, इंडियन आर्मी और सेंट्रल पैरामिलिट्री फोर्सेज के कंपाइल रिपोर्ट से तैयार किया गया है। 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया गया था। इस साल उसकी पहली एनिवर्सरी है।
पिछले साल शुरू के 7 महीने में आतंकी हमलों की 188 घटनाएं हुईं थीं, इस साल आंकड़ा घटकर 120 हो गया है। 138 से ज्यादा आतंकी इस साल मारे जा चुके हैं। इनमें से एक दर्जन से ज्यादा वो हैं जिन्हें इंडियन आर्मी ने नॉर्थ कश्मीर के एलओसी पर मार गिराया है। पिछले साल आर्टिकल 370 हटने के पहले सिर्फ 126 आतंकी मारे गए थे। जबकि 75 सुरक्षाकर्मियों की जान भी गई थी। इस साल अब तक 35 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं।
पिछले साल सितंबर में 15 चिनार कॉप्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लन ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की आर्मी और आईएसआई जो करना चाहे कर ले। हम उन्हें ऐसा सबक सिखाएंगे कि उनकी पीढ़ियां याद रखेंगी। हम 1971 से भी बेहतर सबक सिखाएंगे। उनकी चेतावनी का ही यह परिणाम है कि कश्मीर में पाकिस्तान के टॉप आतंकवादी मारे गए।
इस साल अब तक हिजबुल मुजाहिदीन के 50, लश्कर के 20 और आईएसजेके और अनसार गजवत उल हिंद के 14 आतंकी मारे जा चुके हैं। इनमें हिजबुल कमांडर रियाज नायकू, लश्कर कमांडर हैदर, जैश कमांडर कारी यासिर और अंसर का बुरहान कोका शामिल है।
गृह मंत्रालय का दावा है कि इस साल स्थानीय स्तर पर आतंकी संगठनों में शामिल होने वाले युवाओं की संख्या में 40 फीसदी कमी आई है। 2019 के पहले 6 महीने के मुकाबले इस साल 67 युवा आतंकी बने हैं। इनमें से ज्यादातर अनट्रेंड हैं, इनका ब्रेन वॉश किया गया है, इसलिए 30 दिन से ज्यादा ये नहीं टिक सकते हैं।
इस साल 110 स्थानीय आतंकी मारे गए हैं जो पाकिस्तान के लिए चिंता की बात है। इसके साथ ही अलग- अलग आतंकी ऑपरेशनों में दो दर्जन से ज्यादा पाकिस्तानी आतंकी भी मारे जा चुके हैं। पिछले सात महीनों में जम्मू कश्मीर पुलिस ने 22 आतंकी और उनके 300 सहयोगियों को गिरफ्तार किया है।
साथ ही इनके 22 ठिकानों का खुलासा भी हुआ है, जहां ये हथियार और एम्युनेशन रखते हैं। इस साल 190 से ज्यादा हथियार बरामद किए गए हैं। इनमें से 120 अलग-अलग एनकाउंटर साइट से बरामद किए गए।
सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि पिछले साल की तुलना में इस साल कश्मीर में आतंकी घटनाओं में 36 फीसदी की कमी आई है। पिछले साल 51 ग्रेनेड अटैक हुए थे जबकि इस साल सिर्फ 21 हुए हैं। 2019 में 6 आईईडी अटैक हुए थे जिनमें एक पुलवामा भी था जहां सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे। इस साल अभी तक सिर्फ एक आईईडी अटैक हुआ है।
इस साल अलगाववादियों में फूट भी सामने आई है, जिसके बारे में पिछले साल सोचा भी नहीं जा सकता था। सैयद अली शाह गिलानी ने खुद को हुर्रियत से अलग कर लिया है, जो कश्मीरी कट्टरपंथी और अलगाववादियों के लिए सबसे बड़ा झटका है।
इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक, 300 से अधिक पाकिस्तानी आतंकवादी पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में सीमा पार से भारत में घुसपैठ की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इंडियन आर्मी और बीएसएफ की मुस्तैदी के कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कुल मिलाकर आर्टिकल 370 के हटने के बाद अलगाववादियों और आतंकियों के लिए कश्मीर में आगे की राह मुश्किल हो गई है।
जम्मू कश्मीर पुलिस की उपलब्धियों को लेकर आदित्य राज कौल ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के आईजी विजय कुमार के साथ विशेष बातचीत की....
1. आपको क्या लगता है कि पिछले साल की तुलना में कश्मीर में आतंकी हमले काफी कम हुए हैं?
छोटी-मोटी आतंकी घटनाएं सामने आईं हैं, लेकिन बड़ी घटनाओं पर रोक लगी है। एंटी टेररिस्ट ऑपरेशन के साथ ही हम लोग इंटेलिजेंस पर फोकस कर रहे हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) और रॉ हमें खुफिया जानकारी उपलब्ध करा रही हैं। बड़ी संख्या में आतंकी संगठनों के ग्राउंड वर्कर गिरफ्तार किए गए हैं, उनके कई मॉड्यूल्स का खुलासा हुआ है। ऐसा पहली बार है जब कश्मीर में जंग-ए-बदर की पूर्व संध्या पर कोई घटना नहीं हुई।
2. क्या आतंकवादी और उनके ग्राउंड वर्कर इस समय कमजोर पड़ गए हैं, उनका मनोबल गिर गया है?
ऐसा सच होता दिख रहा है। जम्मू-कश्मीर के इतिहास में यह पहली बार है कि चार मुख्य आतंकी संगठनों- हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैय्यबा, जैश-ए- मुहम्मद और अंसर गजवत- उल-हिंद के टॉप कमांडर चार महीने के भीतर मारे जा चुके हैं। इन आतंकी संगठनों की लीडरशिप कमजोर पड़ गई है।
हिजबुल मुजाहिदीन के पोस्टर-बॉय जुनैद सेहराई और जैश-ए-मुहम्मद के आईईडी एक्सपर्ट फौजी भाई के मारे जाने के बाद इन्हें काफी नुकसान पहुंचा है। कई ओवर ग्राउंड वर्कर्स और अशरफ सेहराई जैसे टॉप अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार किया गया है।
3. पत्थरबाजी की घटनाएं यहां पिछले कई सालों से चुनौती रही हैं, एक साल से भी कम समय में आपने इन पर कैसे अंकुश लगाया?
हमने ओवर ग्राउंड वर्कर्स और पत्थरबाजी करने वालों को गिरफ्तार किया। सभी एनकाउंटर साइट्स पर पहले से लॉ एंड ऑर्डर को संभालने का काम किया। जैसे ही कोई एनकाउंटर शुरू होता था, हम उसके एक्सेस पॉइंट को ब्लॉक कर देते थे ताकि पास के गांव से पत्थर बाज नहीं पहुंच सकें।
हमने जियो फेंसिंग और ड्रोन कैमरे की मदद से इनकी पहचान की और फिर गिरफ्तार किया। हमारा लक्ष्य कॉलैटरल डैमेज को कम करना था, यही कारण है कि अब तक किसी भी सिविलियन की एनकाउंटर साइट पर मौत नहीं हुई।
हमारी कोशिश रही कि एंटी टेररिस्ट ऑपरेशन के दौरान धार्मिक स्थलों को नुकसान नहीं पहुंचे। आतंकी पुलवामा में मस्जिद में छिपे थे, लेकिन हमने मस्जिद को नुकसान नहीं पहुंचाया। साथ ही हमने एनकाउंटर साइट पर आतंकियों के पैरेंट्स से अपील भी करवाई कि वे सरेंडर कर दें। हमने यह भी सुनिश्चित किया कि इसमें कोई राजनीतिक दखल नहीं हो।
4. अगले छह महीनों में कश्मीर में आप किन चुनौतियों को देखते हैं?
सुरक्षाबलों और सरकार के खिलाफ ऑनलाइन प्रोपगेंडा हमारे लिए पहली चुनौती है। दूसरी चुनौती आतंकियों की नई भर्ती और तीसरी पाकिस्तानी आतंकियों का कम मारा जाना है। हम इन चुनौतियों से निपटने के लिए एडवांस प्लानिंग कर रहे हैं। हमें बेहतर परिणाम भी मिल रहे हैं।
22 मार्च, 1912 इतिहास की वो महत्वपूर्ण तारीख़ है जिस दिन बिहार का बतौर राज्य जन्म हुआ। बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग होकर एक राज्य बनने से एक साल पहले यानी 1911 से 1920 के बीच इस राज्य में करीब चार लाख लोग प्लेग नामक बीमारी से मारे गए। वहीं, 1909-10 में बिहार के लगभग सभी जिले मलेरिया की चपेट में आ गए थे। मुजफ्फरपुर में हैजा से लोग मर रहे थे। पटना, शाहाबाद, सारण, हाजीपुर और मुंगेर में प्लेग महामारी बन चुका था।
सारण में लगभग बीस हजार और मुंगेर में लगभग साढ़े चार हजार लोगों की मौत हुई लेकिन सबसे बुरा हुआ 1918 में। इस साल पूरी दुनिया में एक स्पैनिश फ़्लू फैला। तब पहले से ही हजार मुश्किलों से जूझ रहा बिहार भी इसकी चपेट में आया और छ महीने से भी कम समय में 6 लाख लोग मारे गए। आज एक बार फिर पूरी दुनिया एक अनजान वायरस और बीमारी से जूझ रही है। एक बार फिर बिहार इस वायरस की चपेट में हैं और दिन पर दिन बड़ी त्रासदी की तरफ बढ़ रहा है।
बिहार में कोरोना का पहला मामला 22 मार्च को सामने आया था और 25 जुलाई को एक दिन में सबसे ज्यादा 2803 नए कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं। अभी राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 45919 हो गई है। वहीं, राज्य में 14 कोरोना संक्रमित मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी हैं। ये स्थिति तब है जब राज्य में देशभर के मुक़ाबले सबसे कम टेस्ट हो रहे हैं।
ख़बर है कि मुख्यमंत्री द्वारा हर रोज बीस हज़ार टेस्ट करने का आदेश देने के बाद भी बिहार की व्यवस्था बहुत ज़ोर लगाने के बाद दस हजार टेस्ट रोज कर पा रही है। इस वजह से अभी भी साफ-साफ पता नहीं चल पा रहा है कि राज्य में कोरोना के कुल कितने मरीज हैं और संकट वाक़ई कितना बड़ा है?
अब एक नजर डाल लीजिए राज्य में उपलब्ध सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर जो पिछले कई सालों से ख़ुद ‘आईसीयू’ में भर्ती है। सबसे बड़ी विडम्बना भी यही है कि इसी बीमार व्यवस्था के सहारे बिहार कोरोना जैसे अनजान और ख़तरनाक वायरस से मुकाबला कर रहा है।
क्या कहते हैं आँकड़े?
बिहार में परमानेंट डॉक्टर के कुल 6261 पद हैं मगर फ़िलहाल सिर्फ 3821 डॉक्टर बहाल हैं और 2440 पद खाली हैं. बिहार में ठेके पर रखे जाने वाले डॉक्टर के कुल 2314 पद हैं मगर फ़िलहाल महज 531 डॉक्टर बहाल हैं. दोनों के कुल 8575 पदों में 50 प्रतिशत पद खाली हैं. बिहार की हर एक लाख जनसंख्या पर मात्र 4 डॉक्टर और 2 नर्स हैं जो देश में सबसे कम है।
बिहार में स्थाई और ठेके पर रखे जाने वाले नर्सों के कुल मिलाकर 5331 पद हैं जिसमें मात्र 2302 नर्स बहाल हैं और बाकी 3029 पद खाली हैं. लगभग 57 प्रतिशत की वैकेंसी है। ये हालत पिछले 15 सालों से है। 12.5 करोड़ की आबादी वाले बिहार में आज सिर्फ 4352 सरकारी डॉक्टर हैं और यही वजह है कि बिहार में हर साल चमकी बुखार, लू लगने और ठनक गिरने (आकाशीय बिजली) की वजह से ही सौ-दो सौ लोगों की मौत हो जाती है।
अब क्या किया जा सकता है?इन सवालों का जवाब जानने के लिए हमने जॉर्ज इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ के साथ बतौर सीनियर रिसर्च फेलो जुड़े और बिहार से वास्ता रखने वाले डॉक्टर विकास केसरी से सम्पर्क किया। बकौल डॉक्टर विकास आज की तारीख में बिहार के पास बहुत सीमित रास्ते हैं।
वो कहते हैं,“साफ दिख रहा है कि जब देश के कई राज्यों में जब कोरोना के मामले कम होंगे, तब बिहार में इस वायरस का प्रकोप चरम पर रहेगा। बिहार पर हर तरफ से संकट है। आर्थिक स्थिति ख़राब है। साक्षरता और जागरूकता का स्तर भी कम है। बाढ़ का संकट अलग है। ये सब मिलकर आने वाले दिन में बिहार के लिए बड़ा संकट पैदा करने वाले हैं।”
डॉक्टर विकास केसरी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं, “बिहार सरकार को मदद मांगनी होगी। जल्दी से जल्दी। वहीं केंद्र सरकार को बिहार में कुछ रेडिकल करना होगा। जैसे, देशभर से एक्सपर्ट वहां भेजे जाएं। राज्य के पांच बड़े अस्पतालों में जल्दी से जल्दी कम से कम दो-तीन सौ फुल ऑक्सीजन वाले बेड तैयार किए जाएं। इसके बाद राज्य का पूरा का पूरा हेल्थ सिस्टम विशेषज्ञ डॉक्टरों के हवाले किया जाए."
डॉक्टर विकास केसरी इस बातचीत में इतना तक कहते हैं कि अगर वक्त रहते हुए ये सब नहीं किया गया तो आने वाले दिन बिहार के लिए बहुत मुश्किल होने वाले हैं। ऐसा भी नहीं है कि इन बातों की तरफ अकेले डॉक्टर विकास केसरी जैसे विशेषज्ञ इशारा कर रहे हैं।
19 जुलाई को बिहार में बढ़ते कोरोना के मामलों की खोज-ख़बर लेने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक विशेष टीम पहुंची थी। इस टीम ने जो सुझाव दिए हैं, उसमें कहा गया है कि राज्य सरकार को टेस्टिंग का तरीक़ा बदलना होगा। टीम ने कहा कि ट्रैकिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट पर जोर दिया जाना चाहिए। टीम ने 19 जुलाई को वही कहा जो कोरोना फैलने के पहले दिन से कहा जा रहा है।
इतना ही नहीं, इसी बीच बिहार सरकार ने 27 जुलाई को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को दूसरी बार बदल दिया। सरकार ने कोरोना संकट के बीच, वरिष्ठ आईएएस (IAS) अधिकारी प्रत्यय अमृत को स्वास्थ्य विभाग में प्रधान सचिव की जिम्मेदारी सौंप दी।
आने वाले दिनों में होने वाली मुश्किलों का अंदाज़ा अभी से हो रहा है। पहले से बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था और चरमरा गई है। मुख्यमंत्री के आदेश देने के बाद भी राज्य में रोज़ाना बीस हजार टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं। हर दिन राज्य के किसी ना किसी बड़े अस्पताल से अव्यवस्था, संसाधनों की कमी और रोते-बिलखते परिजन के हृदय को दहला देने वाले वीडियो सामने आ रहे हैं।
सवाल उठता है कि ‘बिहार में बहार है…’ का नारा देखकर मुख्यमंत्री का पद पाने वाले नीतीश कुमार, महामारी के वक्त में चुनाव करवाने को आतुर बीजेपी और राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी सामने से आती मुश्किल को देखेंगे? समझेंगे और वक्त रहते जरूरी कदम उठाएंगे?
बिहार में कोरोना का फैलाव और जिम्मेदार
राज्य में भी कोरोना वैसे ही फैला जैसे दुनियाभर में फैला। एक इंसान से दूसरे इंसान में। पहले विदेशों से आए लोग राज्य में कोरोना लेकर आए और फिर लॉकडाउन के दौरान ही जब श्रमिक स्पेशल ट्रेनों, पैदल और साइकल से मरीज राज्य में दाखिल हुए तो कोरोना के मामलों में तेजी दिखी। मार्च और अप्रैल के महीने में राज्य के सरकारी डॉक्टर, नर्स और दूसरे मेडिकल स्टाफ अपनी सुरक्षा के लिए सरकार से पीपीई किट मांग रहे थे। राज्य सरकार केंद्र सरकार से पीपीई किट मांग रही थी।
2 अप्रैल को बिहार के नीतीश कुमार ने कहा था कि बिहार सरकार ने पांच लाख पीपीई किट की मांग की है जबकि उसे मात्र चार हजार किट मुहैया कराई गई हैं। 10 लाख एन-95 मास्क की मांग की गई लेकिन केंद्र ने दिए मात्र 50 हज़ार। दस लाख सी प्लाई मास्क की मांग की गई थी और अभी तक मात्र एक लाख मिले हैं। 10 हज़ार आरएनए एक्सट्रैक्शन किट की मांग की गई और मिले हैं अभी तक मात्र 250।
इसका सीधा मतलब है कि जब राज्य में अलग-अलग वजहों से कोरोना के मरीज बढ़ रहे थे तो राज्य सरकार संसाधनों की कमी से जूझ रही थी और केंद्र सरकार से मदद मांग रही थी। अब कुछ आंकडे देख लीजिए। बिहार के आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, 29 अप्रैल तक राज्य में लगभग 70 हज़ार प्रवासी आ चुके थे।
30 अप्रैल से लेकर 3 मई के बीच राज्य में कुल 6,043 टेस्ट हुए। यानी हर दिन लगभग 1500 टेस्ट ही हो पा रहे थे। इतना ही नहीं, 4 मई से लेकर 8 मई के बीच केवल 2,316 सैम्पल की जाँच हुई यानी इन चार दिनों में हर दिन केवल 579 टेस्ट हुए।