सोमवार, 16 नवंबर 2020

बिहार में भाजपा कैसे बनी सबसे बड़ी पार्टी? 52 मुस्लिम सीटों पर क्या रहा हाल? 10 ग्राफिक्स में समझें

बिहार के नतीजे आ गए हैं। NDA ने 125 और महागठबंधन ने 110 सीटें जीती हैं। अन्य के खाते में 8 सीटें आई हैं। एग्जिट पोल में महागठबंधन की सरकार बनने की उम्मीद जताई गई थी, लेकिन जब नतीजे आई तो सरकार बनी NDA की। सिर्फ भास्कर के एग्जिट पोल में NDA सरकार बनने का अनुमान लगाया था, जो सही साबित हुआ। इस स्टोरी में हम 10 ग्राफिक्स के जरिए समझेंगे कि आखिर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी कैसे बनी? बिहार के 9 प्रमंडलों में से किस प्रमंडल में कौन आगे रहा? मुस्लिम सीटों पर क्या हाल रहा? रिजर्व सीट पर कौन कितना जीता?

तीन फेज में चुनाव हुए, भाजपा को तीसरे फेज में सबसे ज्यादा बढ़त मिली

15 साल बाद बिहार की 243 सीटों के लिए तीन फेज में चुनाव हुए थे। इसमें सिर्फ पहले फेज में ही महागठबंधन आगे था। बाकी दोनों फेज में NDA आगे रही। पहले फेज में महागठबंधन ने तो दूसरे और तीसरे फेज में NDA ने बढ़त बनाई। आखिरी दो फेज में भाजपा ने 62 सीटें जीतीं।



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Bihar Election 2020: BJP: Nitish Kumar Narendra Modi | Bharatiya Janata Party Performance in Bihar 243 (Vidhan Sabha) Assembly Constituencies


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कमला के पति डग एमहाफ नौकरी छोड़ेंगे, पत्नी की मदद के लिए कई महीनों से छुट्टी पर हैं

अमेरिका की वाइस प्रेसिडेंट इलेक्ट कमला हैरिस के पति डग एमहाफ पत्नी की मदद के लिए नौकरी छोड़ने जा रहे हैं। उन्हें अमेरिकी मीडिया में सेकंड जेंटलमैन कहा जा रहा है। एमहाफ यहूदी मूल के हैं और पेशे से वकील हैं। हालांकि, अगस्त में जब कमला को वाइस प्रेसिडेंट कैंडिडेट घोषित किया गया था, उसके कुछ दिन बाद ही डग ने छुट्टी ली थी। कैम्पेन के दौरान भी वे काफी एक्टिव नजर आए। हाल ही में डेमोक्रेट पार्टी ने जब चुनाव जीता तो बाइडेन और कमला हैरिस के साथ एमहाफ भी नजर आए थे।

एमहाफ की तारीफ
20 जनवरी को जो बाइडेन राष्ट्रपति बनेंगे और हैरिस उपराष्ट्रपति। USA TODAY ने कमला और डग पर एक रिपोर्ट पब्लिश की है। इसमें बताया गया है कि कैम्पेन में हाथ बंटाने के बाद अब एमहाफ एडमिनिस्ट्रेशन में भी पत्नी की मदद करेंगे। हालांकि, वे कोई सरकारी पद नहीं लेंगे। डरमाउथ कॉलेज में प्रोफेसर एला बेल कहती हैं- इसे आदर्श और मॉडल की तरह देखिए। वो पत्नी के लिए कॅरियर छोड़ रहे हैं ताकि कमला अपना टैलेंट दिखा सकें। डग पत्नी को कामयाब होते देखना चाहते हैं। एमहाफ कामयाब और हुनरमंद वकील हैं। इतना अच्छा कॅरियर छोड़ना आसान नहीं है।

एमहाफ मिसाल बनेंगे
व्हार्टन सेंटर में लीडरशिप एक्सपर्ट माइकल उसीन कहते हैं- वो अमेरिका में एक नई परंपरा और मिसाल बनने जा रहे हैं। उनका कद और बर्ताव अमेरिकी लोगों को एक मैसेज देंगे। बाइडेन ने कैम्पेन के दौरान डग की तरफ इशारा करते हुए कहा था- आपने परंपराएं और मान्यताओं की बाधाएं खत्म की हैं। एमहाफ से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा- अच्छा लगता है जब लोग मुझ जैसे व्यक्ति के बारे में सोचते हैं।
कैम्पेन के दौरान उन्होंने लीगल फर्म से लंबी छुट्टी ली। ऐसा इसलिए ताकि लॉ फर्म डीएलए पाइपर यह आरोप न लगे कि वो कमला हैरिस की कैम्पेन में मदद कर रही है।

बाइडेन की पत्नी क्या करेंगी
रिपोर्ट के मुताबिक, जो बाइडेन की पत्नी जिल साफ कर चुकी हैं कि वे फर्स्ट लेडी बनने के बाद भी टीचर का जॉब करती रहेंगी। जिल ने कहा- पति जब वाइस प्रेसिडेंट थे, तब भी मैं अपना काम करती थी। अब भी यही करूंगी। पॉलिटिकल एक्सपर्ट एले हिल कहती हैं- कई परिवारों में पत्नियां घर चलाती होंगी। लेकिन, सियासत में इस तरह के मामले बहुत कम देखे जाते हैं। अगले चार साल अब एक आदर्शवाद देखेंगे।
कमला और एमहाफ की पहली मुलाकात 2013 में हुई थी। 2014 में दोनों ने शादी कर ली। एमहाफ तलाकशुदा थे। उनके दो बच्चे हैं। वे अब भी साथ ही रहते हैं।



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कमला हैरिस पति डग एमहाफ के साथ। डग पेशे से वकील हैं। कैम्पेन के दौरान उन्होंने लीगल फर्म से लंबी छुट्टी ली। (फाइल फोटो)


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24 घंटे में सिर्फ 30 हजार 681 केस आए, यह बीते 4 महीने में सबसे कम, करीब 14 हजार एक्टिव केस कम हुए

देश में कोरोना के केस में अचानक गिरावट दर्ज की गई है। रविवार को सिर्फ 30 हजार 681 केस आए। यह 14 जुलाई के बाद सबसे कम आंकड़ा है। तब 29 हजार 917 केस आए थे। बीते 24 घंटे में 44 हजार 111 मरीज ठीक भी हुए हैं। 434 संक्रमितों की मौत हो गई। इस तरह 13 हजार 882 एक्टिव केस कम हो गए।

देश में अब तक 88.45 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 82.47 लाख मरीज ठीक हो गए। 1.30 लाख मरीजों की मौत हो गई। अभी 4.65 लाख मरीजों का इलाज चल रहा है।

दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए रविवार को केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब हर रोज दिल्ली में 1 लाख से ज्यादा टेस्ट होंगे। अभी 40-50 हजार टेस्ट हो रहे हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार की तरफ से DRDO सेंटर में 750 ICU बेड्स भी तैयार करवाए जाएंगे।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को इसके लिए बैठक की। इसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई बड़े अफसर मौजूद रहे। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बताया कि केंद्र सरकार ने दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है। केंद्र की तरफ से दिल्ली सरकार को BiPAP मशीन भी दी जाएगी। इससे अस्पतालों में ICU बेड की संख्या बढ़ाई जा सकेगी।

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा

  • दिल्ली में RT-PCR टेस्ट की संख्या दोगुना की जाएगी। जिन इलाकों से ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं वहां ICMR की मोबाइल टेस्टिंग वैन चलाई जाएगी। इन वैन पर आकर कोई भी जांच करा सकेगा।
  • MCD के हॉस्पिटल्स को कोविड-19 डेडिकेटेड हॉस्पिटल के रूप में परिवर्तित कर दिया जाएगा। यहां हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीजों का इलाज होगा।
  • ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन सिलेंडर, हाई फ्लो नसल कैनुला व अन्य जरूरी इक्यूप्मेंट्स दिल्ली सरकार को दिए जाएंगे।
  • डेडिकेटेड मल्टी डिपार्टमेंट टीम दिल्ली के सभी प्राइवेट अस्पतालों का निरीक्षण करेगी। वहां कोविड-19 के लिए मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर, मरीजों के भर्ती करने के तरीकों और बेड्स की उपलब्धता की जांच करेगी।
  • प्लाजमा डोनेशन और ट्रांसफ्यूजन के मामलों में प्रोटोकॉल दिया जाएगा। इस पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल, एम्स और DG आईसीएमआर के विशेषज्ञ शामिल होंगे।
  • कंटेनमेंट जोन की पहचान की जाएगी। कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, क्वारैंटाइन सुविधाओं और स्क्रीनिंग पर फोकस होगा। CAPF और पैरामेडिकल स्टाफ के डॉक्टर्स को एयर लिफ्ट करके दिल्ली बुलाया जाएगा।

कोरोना से रोज होने वाली मौतों में चौथे स्थान पर खिसका भारत
कोरोना से रोज होने वाली मौतों के मामले में भारत दुनिया में अब चौथे स्थान पर खिसक गया है। भारत में पिछले 7 दिन में कुल 3626 मौतें हुईं, जो अमेरिका से आधे से भी कम है। रोजाना मौतों के आंकड़े देखें तो भारत में दुनिया की सिर्फ 5.21% मौतें हो रही हैं। यहां सिर्फ दिल्ली और बिहार ही ऐसे राज्य हैं, जहां पिछले महीने मौतों में बढ़ोतरी हुई, जबकि बाकी सभी राज्यों में मौतों की रफ्तार कम हुई है। इसी वजह से मौतों के आंकड़े गिरे हैं। अगर यही ट्रेंड बना रहा तो अगले 4-5 दिन में भारत रोजाना मौतों के मामले में पांचवें स्थान पर खिसक जाएगा।

कोरोना अपडेट्स

  • मध्यप्रदेश के इकलौते कांग्रेस सांसद और पूर्व सीएम कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ कोरोना संक्रमित हो गए हैं। उन्होंने रविवार को ट्वीट किया कि मुझे 2 दिन से Covid-19 के हल्के लक्षण महसूस हो रहे थे। मैंने टेस्ट करवाया तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। मैं आइसोलेशन में रहकर घर पर ही स्वास्थ्य लाभ ले रहा हूं। नकुल नाथ छिंदवाड़ा से सांसद हैं।
  • मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। उन्होंने रविवार को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। कहा कि मेरे संपर्क में आए लोग खुद को आइसोलेट कर लें और टेस्ट करा लें।
  • कांग्रेस के दिग्गज नेता और सांसद अहमद पटेल को मेदांता अस्पताल के ICU वार्ड में भर्ती किया गया है। कुछ हफ्ते पहले ही वह कोरोना संक्रमित पाए गए थे। तब से उनके हालात में सुधार नहीं हुआ। उनके बेटे फैजल पटेल ने इसकी जानकारी ट्वीट करके दी।
  • अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी को ‘कोवैक्सिन’ के ट्रायल में शामिल होने की इच्छा रखने वालों की करीब 250 एप्लीकेशन मिली हैं। यूनिवर्सिटी के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर मोहम्मद शमीन ने बताया कि सभी को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के प्रोटोकाल के हिसाब से परखा जा रहा है।
  • रूस के रिसर्च सेंटर की बनाई स्पुतनिक वी वैक्सीन का पहला बैच अगले सप्ताह कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज में आने की उम्मीद है। यहां वैक्सीन के दूसरे और तीसरे फेज का ह्यूमन ट्रायल होना है। कॉलेज के प्रिंसिपल आर.बी. कमल ने यह जानकारी दी है।

पांच राज्यों का हाल

1. मध्यप्रदेश
रविवार को राज्य में 870 नए मरीज मिले। 722 लोग रिकवर हुए और 7 की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 83 हजार 927 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 9146 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 71 हजार 691 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से 3090 मरीजों की मौत हो चुकी है।
2. राजस्थान
राज्य में रविवार को 2184 नए मरीज मिले। 1890 लोग रिकवर हुए और 10 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 25 हजार 817 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 18 हजार 337 मरीजों का इलाज चल रहा है। 2 लाख 5 हजार 414 लोग ठीक हो चुके हैं। 2066 मरीजों की संक्रमण के चलते मौत हो चुकी है।
3. बिहार
राज्य में रविवार को 247 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। 614 लोग रिकवर हुए और 5 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 26 हजार 916 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 5867 मरीजों का इलाज चल रहा है। 2 लाख 19 हजार 864 लोग अब तक ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते 1184 मरीजों की मौत हो चुकी है।
4. महाराष्ट्र
राज्य में रविवार को 2544 लोग संक्रमित मिले। 3065 लोग रिकवर हुए और 60 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 17 लाख 47 हजार 242 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 84 हजार 918 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 16 लाख 15 हजार 379 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 45 हजार 974 हो गई है।
5. उत्तरप्रदेश
रविवार को उत्तर प्रदेश में 1401 लोग संक्रमित मिले। 1783 लोग रिकवर हुए और 18 मरीजों की मौत हो गई। इसी के साथ संक्रमितों का आंकड़ा अब 5 लाख 11 हजार 304 हो गया है। इनमें 22 हजार 967 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 80 हजार 965 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों का आंकड़ा अब 7372 हो गया है।



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मोदी आज स्टेच्यू ऑफ पीस का अनावरण करेंगे, राजस्थान के जैतपुरा में तैयार की गई है 151 इंच लंबी प्रतिमा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जैनाचार्य विजय वल्लभ सुरिश्वर महाराज की 151वीं जयंती के मौके पर स्टेच्यू ऑफ पीस का अनावरण करेंगे। राजस्थान के पाली जिले के जैतपुरा में स्थित विजय वल्लभ साधना केंद्र में स्थित इस स्टेच्यू का अनावरण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया जाएगा। 151 इंच लंबी यह स्टेच्यू अष्टधातु से बनी है। इसमें तांबे का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हुआ है।

विजय वल्लभ सुरिश्वर महाराज ने भगवान महावीर के संदेश का प्रचार किया था। समाज की भलाई से जुड़े काम, शिक्षा को बढ़ावा देने, सामाजिक बुराइयों को मिटाने और प्रेरणा देने वाला साहित्य लिखने में भूमिका निभाई थी। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय योगदान देने के साथ ही स्वदेशी को भी बढ़ावा दिया था। सुरिश्वर महाराज के प्रयासों से आज अलग-अलग राज्यों में 50 कॉलेज, स्कूल और स्टडी सेंटर चल रहे हैं।



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प्रधानमंत्री दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्टेच्यू का अनावरण करेंगे।- फाइल फोटो।


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24 घंटे में सिर्फ 30 हजार 681 केस आए, यह बीते 4 महीने में सबसे कम, करीब 14 हजार एक्टिव केस कम हुए

देश में कोरोना के केस में अचानक गिरावट दर्ज की गई है। रविवार को सिर्फ 30 हजार 681 केस आए। यह 14 जुलाई के बाद सबसे कम आंकड़ा है। तब 29 हजार 917 केस आए थे। बीते 24 घंटे में 44 हजार 111 मरीज ठीक भी हुए हैं। 434 संक्रमितों की मौत हो गई। इस तरह 13 हजार 882 एक्टिव केस कम हो गए।

देश में अब तक 88.45 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 82.47 लाख मरीज ठीक हो गए। 1.30 लाख मरीजों की मौत हो गई। अभी 4.65 लाख मरीजों का इलाज चल रहा है।

दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए रविवार को केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब हर रोज दिल्ली में 1 लाख से ज्यादा टेस्ट होंगे। अभी 40-50 हजार टेस्ट हो रहे हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार की तरफ से DRDO सेंटर में 750 ICU बेड्स भी तैयार करवाए जाएंगे।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को इसके लिए बैठक की। इसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई बड़े अफसर मौजूद रहे। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बताया कि केंद्र सरकार ने दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है। केंद्र की तरफ से दिल्ली सरकार को BiPAP मशीन भी दी जाएगी। इससे अस्पतालों में ICU बेड की संख्या बढ़ाई जा सकेगी।

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा

  • दिल्ली में RT-PCR टेस्ट की संख्या दोगुना की जाएगी। जिन इलाकों से ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं वहां ICMR की मोबाइल टेस्टिंग वैन चलाई जाएगी। इन वैन पर आकर कोई भी जांच करा सकेगा।
  • MCD के हॉस्पिटल्स को कोविड-19 डेडिकेटेड हॉस्पिटल के रूप में परिवर्तित कर दिया जाएगा। यहां हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीजों का इलाज होगा।
  • ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन सिलेंडर, हाई फ्लो नसल कैनुला व अन्य जरूरी इक्यूप्मेंट्स दिल्ली सरकार को दिए जाएंगे।
  • डेडिकेटेड मल्टी डिपार्टमेंट टीम दिल्ली के सभी प्राइवेट अस्पतालों का निरीक्षण करेगी। वहां कोविड-19 के लिए मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर, मरीजों के भर्ती करने के तरीकों और बेड्स की उपलब्धता की जांच करेगी।
  • प्लाजमा डोनेशन और ट्रांसफ्यूजन के मामलों में प्रोटोकॉल दिया जाएगा। इस पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल, एम्स और DG आईसीएमआर के विशेषज्ञ शामिल होंगे।
  • कंटेनमेंट जोन की पहचान की जाएगी। कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, क्वारैंटाइन सुविधाओं और स्क्रीनिंग पर फोकस होगा। CAPF और पैरामेडिकल स्टाफ के डॉक्टर्स को एयर लिफ्ट करके दिल्ली बुलाया जाएगा।

कोरोना से रोज होने वाली मौतों में चौथे स्थान पर खिसका भारत
कोरोना से रोज होने वाली मौतों के मामले में भारत दुनिया में अब चौथे स्थान पर खिसक गया है। भारत में पिछले 7 दिन में कुल 3626 मौतें हुईं, जो अमेरिका से आधे से भी कम है। रोजाना मौतों के आंकड़े देखें तो भारत में दुनिया की सिर्फ 5.21% मौतें हो रही हैं। यहां सिर्फ दिल्ली और बिहार ही ऐसे राज्य हैं, जहां पिछले महीने मौतों में बढ़ोतरी हुई, जबकि बाकी सभी राज्यों में मौतों की रफ्तार कम हुई है। इसी वजह से मौतों के आंकड़े गिरे हैं। अगर यही ट्रेंड बना रहा तो अगले 4-5 दिन में भारत रोजाना मौतों के मामले में पांचवें स्थान पर खिसक जाएगा।

कोरोना अपडेट्स

  • मध्यप्रदेश के इकलौते कांग्रेस सांसद और पूर्व सीएम कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ कोरोना संक्रमित हो गए हैं। उन्होंने रविवार को ट्वीट किया कि मुझे 2 दिन से Covid-19 के हल्के लक्षण महसूस हो रहे थे। मैंने टेस्ट करवाया तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। मैं आइसोलेशन में रहकर घर पर ही स्वास्थ्य लाभ ले रहा हूं। नकुल नाथ छिंदवाड़ा से सांसद हैं।
  • मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। उन्होंने रविवार को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। कहा कि मेरे संपर्क में आए लोग खुद को आइसोलेट कर लें और टेस्ट करा लें।
  • कांग्रेस के दिग्गज नेता और सांसद अहमद पटेल को मेदांता अस्पताल के ICU वार्ड में भर्ती किया गया है। कुछ हफ्ते पहले ही वह कोरोना संक्रमित पाए गए थे। तब से उनके हालात में सुधार नहीं हुआ। उनके बेटे फैजल पटेल ने इसकी जानकारी ट्वीट करके दी।
  • अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी को ‘कोवैक्सिन’ के ट्रायल में शामिल होने की इच्छा रखने वालों की करीब 250 एप्लीकेशन मिली हैं। यूनिवर्सिटी के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर मोहम्मद शमीन ने बताया कि सभी को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के प्रोटोकाल के हिसाब से परखा जा रहा है।
  • रूस के रिसर्च सेंटर की बनाई स्पुतनिक वी वैक्सीन का पहला बैच अगले सप्ताह कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज में आने की उम्मीद है। यहां वैक्सीन के दूसरे और तीसरे फेज का ह्यूमन ट्रायल होना है। कॉलेज के प्रिंसिपल आर.बी. कमल ने यह जानकारी दी है।

पांच राज्यों का हाल

1. मध्यप्रदेश
रविवार को राज्य में 870 नए मरीज मिले। 722 लोग रिकवर हुए और 7 की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 83 हजार 927 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 9146 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 71 हजार 691 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से 3090 मरीजों की मौत हो चुकी है।
2. राजस्थान
राज्य में रविवार को 2184 नए मरीज मिले। 1890 लोग रिकवर हुए और 10 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 25 हजार 817 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 18 हजार 337 मरीजों का इलाज चल रहा है। 2 लाख 5 हजार 414 लोग ठीक हो चुके हैं। 2066 मरीजों की संक्रमण के चलते मौत हो चुकी है।
3. बिहार
राज्य में रविवार को 247 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। 614 लोग रिकवर हुए और 5 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 26 हजार 916 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 5867 मरीजों का इलाज चल रहा है। 2 लाख 19 हजार 864 लोग अब तक ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते 1184 मरीजों की मौत हो चुकी है।
4. महाराष्ट्र
राज्य में रविवार को 2544 लोग संक्रमित मिले। 3065 लोग रिकवर हुए और 60 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 17 लाख 47 हजार 242 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 84 हजार 918 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 16 लाख 15 हजार 379 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 45 हजार 974 हो गई है।
5. उत्तरप्रदेश
रविवार को उत्तर प्रदेश में 1401 लोग संक्रमित मिले। 1783 लोग रिकवर हुए और 18 मरीजों की मौत हो गई। इसी के साथ संक्रमितों का आंकड़ा अब 5 लाख 11 हजार 304 हो गया है। इनमें 22 हजार 967 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 80 हजार 965 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों का आंकड़ा अब 7372 हो गया है।



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स्पेसएक्स के रॉकेट से 4 एस्ट्रोनॉट इंटरनेशनल स्पेस सेंटर रवाना, क्रू ड्रैगन की यह पहली ऑपरेशनल फ्लाइट

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने रविवार शाम साढ़े सात बजे (भारतीय समय के मुताबिक सोमवार सुबह 6 बजे) 4 एस्ट्रोनॉट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भेजे। यह मिशन स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के जरिए पूरा किया जाएगा। क्रू ड्रैगन की यह पहली ऑपरेशनल उड़ान है।

स्पेस स्टेशन जाने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री माइकल हॉपकिंस, विक्टर ग्लोवर और शैनन वॉकर हैं। उनके साथ जापान के सोइची नोगुची फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से रवाना हुए। ये सभी स्पेस स्टेशन में दो रूसी और एक अमेरिकी एस्ट्रोनॉट को जॉइन करेंगे और वहां 6 महीने तक रहेंगे।

लॉन्चिंग के समय उपराष्ट्रपति मौजूद थे
लॉन्चिंग के समय अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस और सेकंड लेडी करेन पेंस मौजूद थे। नासा को उम्मीद है कि मिशन कामयाब रहा तो आगे भी वह कई रूटीन मिशन भेज सकेगा। यह लॉन्चिंग एक दिन पहले होनी थी, लेकिन खराब मौसम के कारण इसे टाल दिया गया था।

रूसी रॉकेट पर निर्भरता कम होगी
मई में स्पेसएक्स ने एक डेमो मिशन पूरा करके दिखाया था कि वह अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस स्टेशन भेज सकता है और उन्हें सुरक्षित वापस भी ला सकता है। यह क्षमता हासिल करने के बाद कंपनी अपने मिशन के लिए अमेरिका की निर्भरता रूस के सोयूज रॉकेट से खत्म कर सकती है।

स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने 2002 में यह कंपनी बनाई थी। इसके बाद से वह अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी बोइंग से काफी आगे निकल गए हैं। पिछले साल बोइंग का बिना एस्ट्रोनॉट वाला स्टारलाइनर प्रोग्राम का परीक्षण नाकाम हो गया था।

रूस के साथ मिशन चलते रहेंगे

नासा के एडमिनिस्ट्रेटर जिम ब्राइडेनस्टाइन ने शुक्रवार को कहा था कि इस बार इतिहास रचा जा रहा है। इसे हम इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए हमारी उड़ान कह सकते हैं। हालांकि, ब्राइडेनस्टाइन का कहना है कि स्पेसएक्स की कामयाबी का मतलब यह नहीं होगा कि अमेरिका रूस के साथ उड़ानें बंद कर देगा।

उन्होंने कहा कि हम ऐसी व्यवस्था बनाना चाहते हैं कि अमेरिकी एस्ट्रोनॉट रूस के सोयूज रॉकेट से अंतरिक्ष में और रूसी एस्ट्रोनॉट कमर्शियल क्रू व्हीकल्स से जा सकते हैं। काफी अरसे से अमेरिका और रूस के बीच संबंध अनिश्चित और सबसे खराब दौर में हैं। इसके बावजूद स्पेस मिशन के मामले में दोनों देशों के बीच काफी बेहतर तालमेल है।

नासा 8 बिलियन डॉलर खर्च करेगा

इस हफ्ते की शुरुआत में क्रू ड्रैगन को नासा ने सर्टिफाइड किया है। यह लगभग 40 साल बाद नासा से सर्टिफाइड होने वाला पहला अंतरिक्ष यान बन गया है। इसकी बनावट एक कैप्सूल के जैसी है। इसे स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। फाल्कन 9 की खासियत है कि उसे बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है।

एजेंसी ने 2024 तक कमर्शियल क्रू प्रोग्राम पर 8 बिलियन डॉलर से ज्यादा खर्च करने की योजना बनाई है। उसे उम्मीद है कि प्राइवेट सेक्टर धरती की निचली कक्षा में भेजे जाने वाले उसके मिशन संभाल लेगा। इससे नासा अपना पूरा ध्यान चंद्रमा और फिर मंगल पर वापसी वाले मिशन पर ध्यान लगा सके।



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NASA's space mission, SpaceX rocket will send 4 Astronaut to International Space Center


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3 राज्यों में खुलेंगे स्कूल-कॉलेज; बिहार में आज नई सरकार, अमेरिका में ट्रम्प अब भी नहीं मान रहे हार

नमस्कार!
कोरोना और राजनीति दोनों के लिहाज से देश में हलचल बढ़ गई है। दिल्ली में अचानक कोरोना के केस बढ़ गए हैं। लिहाजा, वहां कमान एक बार फिर अमित शाह ने संभाल ली है। बिहार में नए सीएम नीतीश की शपथ आज है।

चलिए, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • आज से महाराष्ट्र में सभी धार्मिक स्थल खुल जाएंगे। लोगों को मास्क पहनना और कोरोना गाइडलाइंस का पालन करना जरूरी होगा।
  • ओडिशा, तमिलनाडु और हरियाणा में आज से स्कूल-कॉलेज खुल जाएंगे। हालांकि, कोरोना के चलते छात्रों की संख्या सीमित रखी जाएगी।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैन आचार्य विजय वल्लभ सुरिश्वर महाराज की ‘स्टैच्यू ऑफ पीस’ का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अनावरण करेंगे।
  • आज भाईदूज है। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 9 से 10:30 और दोपहर 3 से 6 बजे तक हैं।

देश-विदेश

बिहार में 7वीं बार सीएम बनेंगे नीतीश
बिहार में सोमवार शाम 4:30 बजे नीतीश कुमार 7वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। रविवार को NDA की बैठक में नीतीश को विधायक दल का नेता चुना गया। डिप्टी सीएम पर सस्पेंस है, पर यह तय हो गया है कि सुशील मोदी अब उप-मुख्यमंत्री नहीं होंगे।

ऐसा हो सकता है नीतीश का मंत्रिमंडल
नीतीश सरकार में 13 नए चेहरे शामिल हो सकते हैं। इनमें अगड़ी जातियों को ज्यादा हिस्सेदारी दी जा सकती है। इनके अलावा, पुराने मंत्रिमंडल में शामिल रहे 13 विधायकों को ही मंत्री बनाने का फैसला हुआ है। पुराने मंत्रियों में से 8 को नीतीश के साथ ही शपथ दिलाई जा सकती है।

दिल्ली में शाह ने संभाली कमान
दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए रविवार को केंद्र ने हर रोज 1 लाख से ज्यादा टेस्ट करने का फैसला लिया है। अभी 40-50 हजार टेस्ट हो रहे हैं। DRDO सेंटर में 750 ICU बेड्स भी तैयार करवाए जाएंगे। गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में कोरोना को लेकर बैठक ली और हर संभव मदद देने का वादा किया।

तीन राज्यों में स्कूल, महाराष्ट्र में धर्मस्थल खुलेंगे
ओडिशा, तमिलनाडु और हरियाणा में आज से स्कूल-कॉलेज खुल जाएंगे। हालांकि, कोरोना के चलते छात्रों की संख्या सीमित रखी जाएगी। वहीं, महाराष्ट्र में सभी धार्मिक स्थल खुल जाएंगे। लोगों को मास्क पहनना और कोरोना गाइडलाइंस का पालन करना जरूरी होगा।

नहीं रहे बंगाली अभिनेता सौमित्र चटर्जी
दिग्गज बंगाली फिल्म अभिनेता सौमित्र चटर्जी (85) का रविवार को कोलकाता के अस्पताल में निधन हो गया। उन्हें एक महीने पहले कोरोना संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब से उनकी हालत में उतार-चढ़ाव बना हुआ था।

ट्रम्प फिर बोले- चुनाव में धांधली हुई
अमेरिका में चुनाव नतीजों के बाद भी डोनाल्ड ट्रम्प अब हार मानने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने रविवार को कई ट्वीट कर चुनाव में धांधली होने की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि बाइडेन को जीत मिली है, लेकिन सिर्फ फेक न्यूज मीडिया की नजर में।

20 साल बाद लिया आतंक का बदला
7 अगस्त 2020 को ईरान की राजधानी तेहरान में एक शूटआउट हुआ था। इसको लेकर हुए खुलासे से दुनिया हैरान है। मारा गया व्यक्ति अल कायदा का टॉप टेररिस्ट अबु मोहम्मद अल मासरी था। वह 1998 में नैरोबी में अमेरिकी दूतावास पर हमले का जिम्मेदार था। 20 साल बाद अमेरिका और इजराइल ने मिलकर इस आतंकी को ढेर किया।

भास्कर एक्सप्लेनर
फाइजर का 90% से ज्यादा इफेक्टिव कोरोना वैक्सीन

फाइजर (Pfizer) और उसकी पार्टनर जर्मन कंपनी बायोएनटेक (BioNTech) ने घोषणा की है कि उसकी बनाई वैक्सीन के फेज-3 ह्यूमन ट्रायल्स में शुरुआती नतीजे पॉजिटिव रहे हैं। इस वैक्सीन की इफेक्टिवनेस 90% से ज्यादा रही है।

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ग्राउंड रिपोर्ट
दिल्ली के बाजारों में भीड़, पर निजामुद्दीन मरकज के नाम से अब भी खौफ

निजामुद्दीन के मशहूर गालिब कबाब कॉर्नर पर फिर से थोड़ी-थोड़ी रौनक लौटने लगी है। देशी-विदेशी इत्र की दुकानें फिर से सजने लगी हैं, दरगाह पर चढ़ने वाले ताजे फूल फिर से महकने लगे हैं। पर, कोरोना के शुरुआती दौर में निजामुद्दीन मरकज जिस तरह चर्चा में आया था, उसका असर आज भी दिखता है।

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सुर्खियों में और क्या है...

  • अमेरिका की ग्लोबल फॉर-कास्टिंग फर्म ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स ने भारतीय अर्थव्यवस्था में उम्मीद से ज्यादा रिकवरी का अनुमान जताया है।
  • ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई पूरी टीम इंडिया की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है। प्लेयर्स ने क्वारैंटाइन रहते हुए प्रैक्टिस शुरू कर दी है।
  • रोमानिया में कोविड-19 हॉस्पिटल के ICU में ब्लास्ट हो गया। यहां आग लगने से 10 मरीजों की मौत हो गई।


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School-colleges to be opened in 3 states; New government in Bihar today, Trump still not accepting defeat in America


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अगर हम खुद पर ही भरोसा नहीं करेंगे तो अच्छे अवसर भी हाथ से निकलते चले जाएंगे

कहानी - श्रीरामचरित मानस के सुंदरकांड में हनुमानजी, जामवंत और अंगद को संपाति ने बता दिया था कि सीता रावण की लंका में है। अब इनके सामने बड़ा सवाल ये था कि इतना बड़ा समुद्र पार करके सीता की खोज करने लंका कौन जाएगा?

सबसे पहले जामवंत ने कहा कि मैं अब बूढ़ा हो गया हूं इसलिए ये काम मेरे बस का नहीं है। इसके बाद अंगद बोला कि मैं समुद्र पार करके लंका तो जा सकता हूं, लेकिन वापस लौटकर आ सकूंगा या नहीं, इसमें मुझे संदेह है।

ये अंगद के कमजोर आत्मविश्वास का संकेत है, उसे अपनी शक्तियों पर, अपनी क्षमताओं पर भरोसा नहीं था, इसलिए उसने लंका जाने से मना कर दिया। जब कोई उपाय समझ नहीं आया, तब जामवंत ने हनुमानजी को इस काम के लिए प्रेरित किया।

जामवंत ने हनुमानजी से कहा हे हनुमान, चुप क्यों बैठे हो? तुम तो पवनदेव के पुत्र हो, ताकत में पवनदेव के समान ही हो, बुद्धि, विवेक और विज्ञान के भी जानकार हो। इस संसार में ऐसा कौन सा काम है जो तुम नहीं कर सकते। रामकाज करने के लिए ही तुम्हारा जन्म हुआ है।

ये बातें सुनते ही हनुमानजी को अपनी शक्तियां याद आ गईं और वे उत्साह से भर गए। उन्होंने अपने शरीर का आकार पर्वत की तरह कर लिया। हनुमानजी समुद्र पार करके लंका पहुंचे और लंका में सीता की खोज की, उन्हें श्रीराम का संदेश दिया, लंका जलाई और लौटकर श्रीराम के पास वापस भी आ गए।

सीख - काम छोटा हो या बड़ा, आत्मविश्वास के बिना पूरा नहीं हो सकता है। हम खुद पर भरोसा रखेंगे तो असंभव दिखने वाले काम को भी आसानी से पूरा कर सकते हैं।



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दिल्ली के बाजारों में भीड़ उमड़ी, लेकिन मरकज के नाम से लोगों में अब भी कोरोना का खौफ

निजामुद्दीन के मशहूर गालिब कबाब कॉर्नर पर फिर से रौनक लौटने लगी है। तंदूर से उठती भुने हुए गोश्त की खुशबू खाने के शौकीनों को एक बार फिर निजामुद्दीन की गलियों तक खींच लाई है। देशी-विदेशी इत्र की दुकानें एक बार फिर सजने लगी हैं। निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर चढ़ने वाले ताजे फूल फिर महकने लगे हैं। मशहूर कव्वाली एक बार फिर यहां की शामों में संगीत घोलने लगी हैं।

इस सबके बावजूद निजामुद्दीन की वो शान-ओ-शौकत नहीं लौट पाई है, जो कोरोना संक्रमण से पहले हुआ करती थी। न ही इस इलाके में वैसी भीड़ नजर आती है, जैसी दिल्ली के दूसरे इलाकों और बाजारों में उमड़ रही है। कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर में निजामुद्दीन मरकज जिस तरह से चर्चा में आया था, उसका असर आज भी यहां दिखता है।

निजामुद्दीन मरकज, जिसे बंगलेवाली मस्जिद भी कहा जाता है, उस पर आज भी ताले लटके नजर आते है। हालांकि, प्रबंधन के लोगों ने इसमें नमाज पढ़ने की व्यवस्था शुरू कर दी है। लेकिन, आम लोगों और बाहरी जमातों का यहां आना अब भी बंद है।

मरकज के बाहर खजूर का व्यापार करने वाले मोहम्मद शाकिर कहते हैं, ‘मरकज वाली घटना के बाद निजामुद्दीन ऐसा हो गया कि लोग यहां आने से बच रहे हैं। पहले यहां सभी धर्मों के लोग आया करते थे। लेकिन, इन दिनों गैर-मुस्लिम यहां मुश्किल से ही आते हैं।’

निजामुद्दीन के मशहूर गालिब कबाब कॉर्नर पर फिर से थोड़ी-थोड़ी रौनक लौटने लगी है।

जब देश के तमाम मंदिर-मस्जिद आम लोगों के लिए खोल दिए गए हैं, तो निजामुद्दीन मरकज बंद क्यों है? यह सवाल पूछने पर मरकज के चौकीदार कहते हैं- मरकज आम मस्जिदों से अलग है। मस्जिदों में लोग नमाज पढ़कर लौट जाते हैं, लेकिन मरकज में जो जमातें आती हैं, उनमें देश-विदेश के लोग शामिल होते हैं और वे लोग हफ्तों तक यहीं रहते हैं। अगर अभी मरकज खुल गया और यहां कोरोना का कोई मामला निकल आया, तो फिर से सबके निशाने पर मरकज आ जाएगा। इसलिए मरकज प्रबंधन ने इसे बंद रखने का फैसला किया है।

मरकज में कोरोना के मामले सामने आने के बाद ये पूरा इलाका एक छावनी में तब्दील कर दिया गया था। यहां चौबीसों घंटे अर्ध-सैनिक बलों की भारी तैनाती रहती थी। पूरा इलाका सील कर दिया गया था और इस तरफ से गुजरने वाली बसों के रूट तक बदल दिए गए थे। धीरे-धीरे ये सारी पाबंदियां तो हटा ली गईं, लेकिन अब भी लोगों के मन से मरकज का खौफ नहीं गया है।

मरकज के पास ही रुमाल और टोपी बेचने वाले नसीम कहते हैं, ‘हमारा सारा कारोबार ही मरकज के कारण चलता था। मरकज को ऐसे बदनाम किया गया कि अब लोग इस तरफ आने से भी घबरा रहे हैं। हम जब किसी को बताते हैं कि हम निजामुद्दीन मरकज के पास रहते हैं तो लोग हमसे भी दूरी बनाने लगते हैं। काम-धंधा तो लगभग खत्म ही हो गया है। कई लोग अपनी दुकानें हमेशा के लिए बंद करने को मजबूर हो गए हैं।’

इस मरकज के पास ही गालिब अकादमी है जहां देश-विदेश से आने वाले सैलानियों का तांता लगा रहता था। महीनों बंद रहने के बाद अकादमी एक बार फिर से पर्यटकों के लिए खुल तो गई है, लेकिन फिलहाल इसमें भी सन्नाटा ही पसरा मिलता है। पर्यटकों से भरे रहने वाले इस इलाके में फिलहाल सिर्फ स्थानीय लोग या ऐसे ग्राहक ही पहुंच रहे हैं, जो नियमित रूप से यहां आते रहे हैं।

मशहूर होटल गालिब कबाब कॉर्नर के मालिक मोहम्मद नासिर कहते हैं, ‘हम लोगों का काम तो फिर भी अब पटरी पर आने लगा है, क्योंकि हमारे कई ग्राहक तो बंधे हुए हैं। कई ऑनलाइन ऑर्डर कर देते हैं, लेकिन जिन लोगों का धंधा पूरी तरह से पर्यटकों पर ही टिका हुआ है, उनके लिए अभी मुश्किलें कम नहीं हुई हैं।

निजामुद्दीन मरकज, जिसे बंगलेवाली मस्जिद भी कहा जाता है, उस पर आज भी ताले लटके नजर आते हैं। हालांकि, प्रबंधन के लोगों ने इसमें नमाज पढ़ने की व्यवस्था शुरू कर दी है।

पुरानी दिल्ली के बाजारों से लेकर लाजपत नगर और सरोजिनी मगर मार्केट तक में जमकर भीड़ उमड़ रही है। और ये सब ऐसे समय में हो रहा है जब दिल्ली में कोरोना संक्रमण सबसे तेजी से फैल रहा है। बीते रविवार दिल्ली में एक ही दिन में कोरोना के 7,745 नए मामले सामने आए हैं। ये अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। जानकार बताते हैं कि ये कोरोना की थर्ड वेव है, जो बहुत तेजी से फैल रही है।

फोर्टिस सी-डीओसी हॉस्पिटल के चेयरमैन अनूप मिश्रा तो यह तक कह चुके हैं कि दिल्ली में कम से कम एक हफ्ते का आंशिक लॉकडाउन दोबारा लागू कर देना चाहिए, जिसमें तमाम मेट्रो और बस सेवाएं बंद कर दी जाएं। हालांकि, दूसरे जानकार मानते हैं कि पहले ही आर्थिक परेशानियां झेल रहे लोगों के लिए एक बार फिर से लॉकडाउन झेलना मुमकिन नहीं होगा इसलिए संक्रमण की रोकथाम के लिए दूसरे तरीके अपनाने होंगे।



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दुकानदार कहते हैं कि कारोबार मरकज के नाम से चलता था, पर अब लोग आने से कतराते हैं।


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पिता मजदूरी करते थे; बेटे ने लंदन से पढ़ाई के बाद बिजनेस शुरू किया, हर महीने लाख रुपए कमा रहे

मोल्दोवा के रहने वाले लूसियो लारमुराती का बचपन तंगहाली में गुजरा। पिता मजदूरी करके परिवार चलाते थे। लूसियो बचपन से ही पिता का हाथ बंटाते थे। अपनी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई मोल्दोवा में करने के बाद वे परिवार के साथ इंग्लैंड शिफ्ट हो गए। यहां उन्होंने लंदन के एक बिजनेस स्कूल से पढ़ाई की। अब अपना बिजनेस चला रहे हैं। वे पेट्स एनिमल के लिए फूड सप्लीमेंट्स तैयार करते हैं। इससे हर महीने एक लाख रुपए उनकी आमदनी हो रही है।

22 साल के लूसियो कहते हैं,' मोल्दोवा यूरोप का सबसे गरीब देश है। यहां बहुत कम अवसर हैं इसलिए हमारा परिवार रोजगार की तलाश में इंग्लैंड शिफ्ट हो गया। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी इसलिए मैं छोटा-मोटा काम करता था। उससे जो कुछ पैसे कमाता था, वो अपनी पढ़ाई में खर्च करता था। इस बीच लंदन के एक बिजनेस स्कूल में मेरा सेलेक्शन हो गया। वहां पढ़ाई के दौरान मेरा इंटरेस्ट फाइनेंस सेक्टर में बढ़ने लगा। 2019 में ग्रेजुएशन के बाद इन्वेस्टमेंट बैंकर के तौर पर एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब लग गई।

लूसियो पेट्स एनिमल के लिए फूड सप्लीमेंट्स तैयार करते हैं।

वो कहते हैं, 'कुछ दिनों तक यहां काम किया। सैलरी भी अच्छी थी, लेकिन मुझे यहां जॉब सेटिस्फेक्शन नहीं मिल रहा था। ऐसा लग रहा था कि मेरा टैलेंट जाया हो रहा है इसलिए नौकरी छोड़ दी और खुद का बिजनेस शुरू किया। इसके बाद उन्होंने स्कूल और यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स के लिए नाइट इवेंट प्रोग्राम करना शुरू किया। वे लंदन में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के पार्टी और सेलिब्रेशन के लिए इवेंट प्लान करते थे। उनका ये बिजनेस चल पड़ा। थोड़े ही दिनों में अच्छी आमदनी होने लगी।'

लूसियो बताते हैं कि इस साल की शुरुआत में कोरोना की वजह से लॉकडाउन लग गया। स्कूल और यूनिवर्सिटी बंद हो गईं। लूसियो को इवेंट्स के लिए ऑर्डर मिलने बंद हो घए। उनकी कमाई ठप हो गई। लूसियो कहते हैं, 'काम बंद होने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कुछ दिनों तक खाली बैठा रहा। फिर सोचा कि क्यों न इस लॉकडाउन का उपयोग किया जाए और कुछ नया शुरू किया जाए, क्योंकि कोरोना के बाद इंवेंट का काम इतनी आसानी से नहीं जमेगा।'

लूसियो की शुरुआती पढ़ाई मोल्दोवा में हुई, इसके बाद वो अपने परिवार के साथ इंग्लैंड आ गए।

वो कहते हैं, 'मुझे हमेशा से एनीमल्स से लगाव था। उनकी बेहतरी के लिए काम भी करना चाहता था इसलिए सोचा कि क्यों न कुछ ऐसा काम किया जाए ताकि कमाई के साथ साथ इन एनीमल्स को भी फायदा हो। फिर मैंने रिसर्च करनी शुरू की तो पता चला कि दुनियाभर में ऐसे कई लोग हैं, जिन्हें अपने पेट्स के लिए सही फूड सप्लीमेंट नहीं मिल पाता है। इसके बाद मैंने चार महीने पहले माई पेट हीरो नाम से एक कंपनी शुरू की। इसमें हम डॉग के लिए फूड सप्लीमेंट तैयार करते हैं। इससे जो मुनाफा होता है, उसे वाइल्डलाइफ एनीमल्स के प्रोटेक्शन के लिए डोनेट कर देता हूं।'

लूसियो अभी दो तरह के प्रोडक्ट व्हाइट फिश क्यूब्स और मिक्स्ड बिस्किट सप्लाई करते हैं। ये दोनों ही प्रोडक्ट प्रोटीन से भरपूर हैं और इन्हें तैयार करने के लिए एक्सपर्ट्स की सलाह ली गई है। अभी इसकी अच्छी खासी डिमांड है। लूसियो के साथ दो और लोग उनके काम में हाथ बंटाते हैं। साथ ही उनके परिवार के लोग भी भरपूर सपोर्ट करते हैं।

लूसियो ने डॉग के लिए जो व्हाइटफिश क्यूब्स तैयार किया है, उसकी काफी डिमांड है।

लूसियो बताते हैं कि मेरे लिए यह बिजनेस इतना आसान नहीं था। शुरुआत में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। एक तो मैं इस फील्ड में बिलकुल नया था और मेरे पास मार्केटिंग के रिसोर्स नहीं थे। इसके बाद मैंने एक वेबसाइट लॉन्च की। इस पर सभी प्रोडक्ट्स को अपलोड कर दिया, हालांकि तब भी मुश्किलें कम नहीं हुईं। बहुत कम लोग ही वेबसाइट पर विजिट करते थे।

इसके बाद मैंने मार्केटिंग स्ट्रेटजी तैयार की और सोशल मीडिया का सहारा लिया। फेसबुक और इंस्टाग्राम पर शेयर करना शुरू किया। थोड़े ही दिनों में बेहतर रिस्पॉन्स मिलने लगा। लोगों के ऑर्डर मिलने शुरू हो गए। लूसियो व्हाइटफिश क्यूब्स और मिक्सड बिस्किट के साथ चार और फूड सप्लीमेंट वो लाने वाले हैं। साथ ही अगले कुछ महीनों में वे पेट्स के लिए ड्रेस लॉन्च करने का प्लान बना रहे हैं।



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मोल्दोवा के रहने वाले लूसियो लंदन में बिजनेस करते हैं। वे पेट्स एनीमल्स के लिए फूड सप्लिमेंट तैयार करते हैं।


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स्पाइसी खाने के शौकीन बनाएं पालक छोले ग्रेवी, इसमें क्रीम डालकर पराठा या चावल के साथ खाएं



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Make Spicy Fonds Spinach Chole Gravy, add cream to it and eat it with paratha or rice


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कब मिलेगी वैक्सीन? फाइजर की 90% से ज्यादा इफेक्टिव कोरोना वैक्सीन के बारे में जानिए सबकुछ

भारत में भले ही कोरोनावायरस के नए केस एक महीने से कम होते जा रहे हो, यूरोप के ज्यादातर देशों और अमेरिका में नए केस तेजी से बढ़ रहे हैं। यूरोप के कई देशों ने लॉकडाउन के सख्त उपाय लागू कर दिए हैं ताकि लोगों को वायरस से बचाया जा सके। इस बीच, फाइजर (Pfizer) और उसकी पार्टनर जर्मन कंपनी बायोएनटेक (BioNTech) ने घोषणा की है कि उसकी बनाई वैक्सीन के फेज-3 ह्यूमन ट्रायल्स में शुरुआती नतीजे पॉजिटिव रहे हैं। इस वैक्सीन की इफेक्टिवनेस 90% से ज्यादा रही है।

यह एक महत्वपूर्ण खबर है, क्योंकि इस समय दुनियाभर में 11 वैक्सीन फेज-3 यानी लार्ज-स्केल ट्रायल्स से गुजर रही हैं। फाइजर फेज-3 के शुरुआती नतीजे घोषित करने वाली पहली बड़ी कंपनी बन गई है। यह नतीजे शुरुआती हैं। अब भी इस वैक्सीन के 100% सेफ और इफेक्टिव होने की गारंटी नहीं मिली है और यह अगले कुछ महीनों में सब तक नहीं पहुंचने वाली। बचाव के कड़े उपाय नहीं किए तो और भी लोगों की जान जा सकती है।

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वैज्ञानिकों ने अब तक क्या पता लगाया है?

  • फाइजर और बायोएनटेक ने अपनी कोविड-19 वैक्सीन के लिए जुलाई में लेट-स्टेज क्लिनिकल ट्रायल्स शुरू किए थे। इसमें 44 हजार लोगों को शामिल किया गया। आधे लोगों को वैक्सीन लगाई और आधे लोगों को नमकीन पानी का प्लेसेबो। इसके बाद कंपनियों ने इंतजार किया कि क्या यह वैक्सीन कोविड-19 से बचाती है। अब तक 44 हजार में से 94 को ही कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया। यह बात भी सिर्फ इंडिपेंडेंट बोर्ड को ही पता है कि किन लोगों को वैक्सीन दी गई और कितने को प्लेसेबो।
  • शुरुआती आकलन बताता है कि वैक्सीन 90% तक इफेक्टिव रही। क्लिनिकल ट्रायल्स के स्टैंडर्ड के मुताबिक डेटा 'ब्लाइंडेड' रहा। इसका मतलब यह है कि इंडिपेंडेंट बोर्ड को छोड़कर किसी को नहीं पता कि जो लोग कोरोना के शिकार हुए, उन्हें प्लेसेबो दिया था या वैक्सीन। अब तक के डेटा को देखते हुए कहा जा सकता है कि वैक्सीन 90% इफेक्टिव है। इसके बाद भी हम यह मान सकते हैं कि जिन लोगों को वैक्सीन लगाई थी, उनमें बहुत कम लोग कोविड-19 पॉजिटिव हैं।

क्या इन शुरुआती नतीजों को अच्छा कहा जा सकता है?

  • बेशक। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) ने तो कहा है कि यदि इमरजेंसी अप्रूवल चाहिए तो वैक्सीन बनाने वालों को वैक्सीन की कम से कम 50% इफेक्टिवनेस दिखानी होगी। यदि फाइजर और बायोएनटेक के शुरुआती नतीजे ही अंतिम रूप लेते हैं तो यह FDA की ओर से सेट की गई मिनिमम लिमिट से बेहतर रहेगा।
  • यह नतीजे कितने अच्छे हैं, यह समझने के लिए अन्य वैक्सीन की इफेक्टिवनेस देखनी होगी। आम इनफ्लूएंजा वैक्सीन की इफेक्टिवनेस 40% से 60% होती है। इसकी एक वजह यह है कि हर साल इनफ्लूएंजा वायरस नए रूप में सामने आता है। वहीं, मीजल्स के दो वैक्सीन 97% तक इफेक्टिव हैं।

कोरोना वैक्सीन आने पर सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स को लगेगा टीका

क्या फाइजर का वैक्सीन सेफ है?

  • फाइजर और बायोएनटेक ने अब तक अपनी वैक्सीन की सेफ्टी को लेकर कोई चिंता नहीं जताई है। लार्ज-स्केल स्टडी से पहले कंपनियों ने मई में छोटे स्तर पर क्लिनिकल ट्रायल किए थे। इसमें उन्होंने वैक्सीन के चार वर्जन आजमाए और जिसके बुखार या थकान जैसे साइड इफेक्ट सबसे कम या मध्यम स्तर के थे, उसे चुना गया। अगर इस वैक्सीन को FDA से इमरजेंसी अप्रूवल मिला तो लाखों लोग इसका फायदा उठा सकेंगे। आगे की निगरानी सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) और FDA मिलकर करेंगे। ट्रायल में शामिल लोगों की दो साल तक निगरानी होगी।

फाइजर का वैक्सीन मार्केट में कब आएगी?

  • फाइजर ने कहा है कि नवंबर के तीसरे हफ्ते में इमरजेंसी अप्रूवल के लिए वह FDA के पास जाएगी। तब तक उसके पास दो महीने का सेफ्टी डेटा उपलब्ध होगा। इसके बाद एजेंसी विशेषज्ञों की एक्सटर्नल एडवायजरी कमेटी से परामर्श लेगी। वैक्सीन के सेफ्टी, इफेक्टिवनेस के विस्तृत डेटा की स्टडी में कुछ हफ्ते भी लग सकते हैं। यह भी देखा जाएगा कि कंपनियां सुरक्षित तरीके से लाखों डोज बना सकती हैं या नहीं।
  • इस वैक्सीन को हाई-रिस्क आबादी के लिए इस साल के अंत तक अप्रूवल दिया जा सकता है। यह तभी होगा जब सबकुछ प्लानिंग के हिसाब से चलें और कोई अनपेक्षित घटना न घटे। फाइजर और बायोएनटेक का कहना है कि वे 1.3 अरब डोज हर साल बना सकते हैं। लेकिन, यह दुनियाभर की जरूरत से कम है।

कब तक ट्रायल चलता रहेगा?

  • ट्रायल में शामिल 94 प्रतिभागी कोविड-19 पॉजिटिव निकले है। जब तक 164 केस सामने नहीं आते, तब तक स्टडी जारी रहेगी। उसके बाद नतीजों का एनालिसिस होगा। शुरुआती नतीजे बताते हैं कि यह वैक्सीन इफेक्टिव है, लेकिन यह नहीं बताते कि कितनी इफेक्टिव। जब लाखों लोगों को कोई वैक्सीन लगा दी जाए, तभी पता चलता है कि उसकी इफेक्टिवनेस क्या है।

क्या यह बच्चों और बुजुर्गों के लिए काम की है?

  • नए नतीजे इसके बारे में कुछ नहीं बताते। फाइजर और बायोएनटेक के ट्रायल में 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों के साथ ही 12 साल के बच्चों को भी शामिल किया गया है। शुरुआती स्टडी बताती है कि बुजुर्गों में कोरोनावायरस वैक्सीन से कमजोर इम्युन रेस्पॉन्स मिला है। हालांकि, ओवरऑल नतीजों से लगता है कि वैक्सीन से मजबूत सपोर्ट मिलता है।

फाइजर की शुरुआती सफलता का अन्य कंपनियों के वैक्सीन के लिए क्या मतलब है?

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोविड-19 वैक्सीन लैंडस्केप के मुताबिक इस समय दुनियाभर 212 वैक्सीन पर काम चल रहा है। इसमें भी 48 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल्स में हैं और इसमें 11 वैक्सीन अंतिम स्टेज में यानी लार्ज-स्केल ट्रायल्स से गुजर रहे हैं।
  • एक अन्य अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की वैक्सीन भी लार्ज-स्केल ट्रायल्स से गुजर रही है। इसके अलावा रूस की एक और चीन की चार वैक्सीन अपने-अपने देशों में इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए अप्रूव की जा चुके हैं। इनके अभी लार्ज-स्केल ट्रायल्स पूरे नहीं हुए हैं।

भारत में वैक्सीन के ट्रायल्स की क्या स्थिति है?

  • भारत में इस समय भारत बायोटेक के कोवैक्सिन और ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की कोवीशील्ड वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स चल रहे हैं। इसके शुरुआती नतीजे दिसंबर-जनवरी में आने के संकेत मिल रहे हैं। यदि सबकुछ प्लान के मुताबिक हुआ तो अगले साल की शुरुआत तक यह वैक्सीन अप्रूव हो जाएंगे। जायडस कैडिला के बनाए वैक्सीन को लेकर भी अब तक अच्छे शुरुआती नतीजे आए हैं। इसके भी फेज-3 ट्रायल्स शुरू होने वाले हैं।


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न तीर न तलवार, देखिए कार्टून की धार; आज निशाने पर नीतीश सरकार



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Bihar election cartoons, Nitish Kumar CM Bihar


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मार्च के बाद दुर्ग और लखनऊ में सिर्फ दो-दो बच्चे गोद लिए गए, पुणे में हजारों बच्चे वेंटिंग में

कोरोना के चलते देश में बच्चों के एडॉप्शन में कमी आई है। मार्च के बाद एडॉप्शन का काम कुछ समय के लिए रोक दिया गया था। अब इसके लिए ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाई जा रही है। देश के अलग-अलग सेंटरों में चंद बच्चों का ही एडॉप्शन हुआ है। हजारों बच्चे वेटिंग लिस्ट में हैं।

सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) के मुताबिक, अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक 3 हजार 531 बच्चों का एडॉप्शन हुआ था। इनमें 2 हजार 61 लड़कियां और 1 हजार 470 लड़के शामिल थे। मार्च के बाद कितने बच्चों का एडॉप्शन हुआ है, इसका ऑफिशियल आंकड़ा अभी जारी नहीं हुआ है।

लखनऊ के चारबाग से दो किलोमीटर दूर राजेंद्र नगर के मोती नगर इलाके में बाल शिशु केंद्र एडॉप्शन सेंटर है। यहां गेट के सामने सैनिटाइजर रखे हैं। कोरोना प्रोटोकॉल के पोस्टर लगे हैं। यहां काम करने वाली शिल्पी सक्सेना बताती हैं कि बच्चे को एडॉप्ट करने की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है। मार्च के बाद कोरोनावायरस की वजह से कुछ दिनों तक एडॉप्शन की प्रक्रिया को रोक दिया गया था। लॉकडाउन खुलने के बाद फिर से कारा की वेबसाइट चालू की गई है। मार्च के बाद केवल 2 बच्चे ही अडॉप्ट किए गए हैं। इनमें आंध्र प्रदेश के परिवार ने दो साल और मुंबई के परिवार ने 3 साल की बच्ची को एडॉप्ट किया है।

मोती नगर के बाल शिशु केंद्र पर मौजूदा समय में 6 बच्चे वेटिंग में हैं। शिल्पी बताती हैं कि कोविड-19 की वजह से कुछ नियम बदले गए हैं, जो कि कारा की वेबसाइट पर मौजूद हैं। जो भी परिवार बच्चे को एडॉप्ट करने आता है, उसे कोरोना टेस्ट कराना पड़ता है। अडॉप्ट करने वाला सदस्य वेबसाइट पर आवेदन करता है। इसके बाद उसका वेरिफिकेशन किया जाता है। उन्होंने बताया कि कोरोना से पहले जो परिवार बच्चे एडॉप्ट करते थे। वह 3 से 4 दिन बच्चे के साथ सेंटर पर ही वक्त बिताते थे। जिससे उन्हें यह पता चल जाता था बच्चे को खाने में क्या पसंद है। इसके लिए वह सेंटर के पास में होटल में ही रुकते थे।

लखनऊ के चारबाग से दो किलोमीटर दूर राजेंद्र नगर के मोती नगर इलाके में बाल शिशु केंद्र एडॉप्शन सेंटर है। मौजूदा समय में यहां 6 बच्चे वेटिंग में हैं।

शिल्पी बताती हैं कि 30 अगस्त 2020 को सीडब्ल्यूसी के माध्यम से एक बच्चा मोती नगर लखनऊ के बाल शिशु केंद्र को मिला था। बच्चे का मेडिकल चेकअप कराया गया। इसमें पता चला कि उसके सिर के अंदर पानी ज्यादा है। केंद्र के डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज में इलाज कराने की सलाह दी। इसके बाद हम उसे डॉक्टर के पास ले गए। वहां डॉक्टरों ने बच्चे को छुआ तक नहीं। उन्होंने दूर से ही बच्चे को देखने की बात कही।

शिल्पी ने कहा कि जब हमने पूछा कि दूर से कैसे पता चलेगा कि उसको क्या दिक्कत हैं, तो उन्होंने कहा कि मैं समझ जाऊंगा क्या बीमारी है। उन्होंने दो बार हमारी कोरोना जांच की, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई। इसके बाद बच्चे का इलाज शुरू हुआ। शिल्पी सक्सेना का कहना है बच्चे को अडॉप्ट करने कोई नहीं आया है। हम लोग उसका ख्याल रख रहे हैं।

एडॉप्शन सेंटर के बाहर मिली थी दुधमुंही बच्ची

पिछले साल एक महिला सुबह-सुबह मोती नगर के बाल शिशु सेंटर के बाहर गेट पर 7 महीने में जन्मी बच्ची को छोड़ गई। बच्ची बहुत कमजोर थी। सुबह सुबह सेंटर के चपरासी ने जब प्लेट खोला तो बच्ची शॉल में लिपटी हुई थी। हमने सीसीटीवी कैमरा चेक करवाया, तो देखा कि एक महिला अकेले ही आई थी। बच्ची को सेंटर के बाहर छोड़ कर चली गई। वो बताती हैं कि उस बच्ची को पालने और उसके इलाज में कोरोना की वजह से परेशानी हुई। अभी बच्ची के गोद लेने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है।

दुर्ग के एडॉप्शन सेंटर में अनलॉक के बाद दो बच्चों को गोद लिया गया है। एक को विजयवाड़ा और दूसरे को सूरत के परिवार ने गोद लिया है।

दुर्ग में सिर्फ दो बच्चों का हुआ एडॉप्शन

​​​​​​​दुर्ग में मातृ छाया नाम की संस्था जो कि कारा से संबंधित है, बच्चों को गोद देने का काम करती है। यहां कोविड की वजह से बच्चों के एडॉप्शन पर असर पड़ा। चूंकि इस प्रक्रिया में कोर्ट की भूमिका अहम होती है इसलिए काफी सारे काम अटके रहे। हालांकि, जब अनलॉक हुआ तो एक बच्चे को विजयवाड़ा और दूसरे को सूरत के लोगों ने गोद लिया है। इसके अलावा यहां से कोई एडॉप्शन नहीं हुआ है। संस्था के डॉ. सुधीर हिशीकर ने बताया कि करीब 1 हजार से अधिक परिजन वेटिंग में हैं। ज्यादातर लोग छत्तीसगढ़ से बच्चे को गोद लेने का ऑप्शन चुनते हैं, क्योंकि यहां 6 महीने के भीतर सारी प्रक्रिया पूरी हो जाती है। दूसरे राज्यों में वक्त ज्यादा लगता है।

कोर्ट में लंबित है सैकड़ों एडॉप्शन

एकीकृत बाल संरक्षण योजना की महाराष्ट्र की कार्यक्रम प्रबंधक मनीषा बिरारिस ने कहा, 'कोविड-19 के खतरे को देखते हुए राज्य में 20 मार्च से 29 जून तक सभी एडॉप्शन बंद थे। इसके बाद ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की गई। हमने कोरोना के खतरे को देखते हुए पूरे स्टाफ की ड्यूटी 15-15 दिनों की कर दी है। एडॉप्शन सेंटर पर काम करने वाले कर्मचारी 15 दिन यहां से बाहर नहीं जाते हैं। अगर किसी में कोई लक्षण नजर आता है तो हमें उसे सीधे हॉस्पिटल ले जाते हैं और अगले 15 दिन नए स्टाफ को रखा जाता है।'

मनीषा ने आगे कहा कि पूरे राज्य में सैकंडों बच्चों को अनलॉक शुरू होने के बाद से गोद लिया गया है, लेकिन उनकी अंतिम प्रक्रिया अदालत में लंबित हैं। कोर्ट सिर्फ महत्वपूर्ण केस ही ले रहे हैं। इसलिए सभी आंकड़े दे पाना संभव नहीं है।

कोरोना के बाद किस तरह बदला एडॉप्शन का नियम

  • बच्चे को गोद लेने से पहले दंपती को ऑनलाइन अपने सभी डॉक्यूमेंट सबमिट करने पड़ते हैं।
  • डाक्यूमेंट्स ऑनलाइन वेरिफाई हो जाने के बाद एडॉप्शन कमेटी की मीटिंग ऑनलाइन होती है।
  • मंजूरी के बाद ऑनलाइन जूम या स्काइप के जरिए दंपती की अधिकारियों के साथ मीटिंग होती है। उनका इंटरव्यू भी ऑनलाइन ही लिया जाता है।
  • सिलेक्शन हो जाने के बाद बच्चे को भी जूम कॉल के जरिए दंपती को दिखाया जाता है और दोनों की सहमति के बाद ही उन्हें एडॉप्शन सेंटर पर बुलाया जाता है।
  • एडॉप्शन के किए इंट्रेस्टेड व्यक्ति को नियम के हिसाब से एडॉप्शन सेंटर बुलाया जाता है। इस दौरान उन्हें अपना कोविड निगेटिव सर्टिफिकेट भी लेकर आना होता है।
  • बच्चे के मेडिकल के लिए टीम बाहर से आएगी और कोविड की गाइडलाइन के हिसाब से मेडिकल होगा।

लखनऊ से आदित्य तिवारी, रायपुर से सुमन पांडेय और पुणे से आशीष राय की रिपोर्ट...



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लखनऊ के मोती नगर इलाके में स्थित बाल शिशु केंद्र एडॉप्शन सेंटर। यहां कोरोना के चलते मार्च के बाद से अब तक एडॉप्शन रेट घट गया है।


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कोरोना से ज्यादा भारतीय आमदनी को लेकर परेशान, ठंड में दूसरी लहर का खतरा

डॉयचे वेले से. देश में कोरोना महामारी के बावजूद लोग त्योहारों के दौरान बहुत कम सावधानी बरतते दिखाई दे रहे हैं। महामारी अभी खत्म नहीं हुई है। दिल्ली और केरल में इसकी दूसरी और तीसरी लहर आ चुकी है। ऐसे में लोगों को मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग जैसी जरूरी बातों को भूलना नहीं चाहिए।

दूसरी लहर के लिए हमें पहली से भी ज्यादा चौकन्ना रहना होगा

हम छोटी-छोटी सावधानियों से कोरोना को रोक सकते हैं। इसलिए सर्दियों में आ रही वायरस की दूसरी लहर से बचने के लिए हमें पहली लहर से भी ज्यादा चौकन्ना रहना होगा।

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जब लोगों के आसपास जाएं तो मास्क लगाना न भूलें। लगातार हाथ धोते रहें। सैनेटाइजर भी साथ रखें। 6 फीट की दूरी के नियम को गंभीरता से फॉलो करें। इनडोर क्राउड से दूर रहें। कोरोना के किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें। ज्यादा दिक्कत होने पर तुरंत कोरोना की जांच कराएं।

क्या लोगों में कोरोना का डर खत्म हो गया है?

42 साल के रुद्रनाथ राजस्थान के अलवर में एक फैक्ट्री में फोरमैन हैं। वह कहते हैं कि उन्हें अपने साथियों को हर वक्त मास्क पहने रखने के लिए कहना बहुत बुरा लगता है। कई साथी कर्मचारी अब वायरस से डरते भी नहीं हैं। उन्हें लगता है कि खराब समय बीत चुका है और जल्द ही वैक्सीन आने वाली है, इससे बीमार होने के बावजूद इलाज हो जाएगा।

कोरोना से लोग डर क्यों नहीं रहे हैं?

हाल ही में हुई एक स्टडी के मुताबिक, भारतीय लोगों में कोरोना से संक्रमित होने के मुकाबले अर्थव्यवस्था और निजी आमदनी बड़ी चिंता का विषय है। इसलिए भी लोग लापरवाही बरत रहे हैं।

इंफेक्शन एक्सपर्ट जैकब जॉन कहते हैं कि भारत में अधिकतर लोग बीमार पड़ने की तुलना में खाना और दवा जैसी जरूरी चीजों के बारे में ज्यादा चिंतित हैं। इसलिए वे पैसा कमाने बाहर निकल रहे हैं।

क्या भारत में कोरोना का पीक आ चुका है?

भारत सरकार द्वारा नियुक्त वैज्ञानिकों की टीम ने हाल ही में दावा किया है कि भारत में कोविड-19 अपने चरम पर पहुंच चुका है और अगले साल फरवरी तक चलेगा।

वैज्ञानिक की टीम ने बताया है कि देश में रोजाना कोरोना के नए संक्रमण में गिरावट जारी रहेगी और फरवरी 2021 तक महामारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। बशर्ते सभी स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का पालन किया जाए और सरकार आगे भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के मामले में ढील न दे।

टीम ने यह भी दावा किया कि भारत की लगभग 30 प्रतिशत आबादी ने वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित कर ली है।

क्या भारत में कोरोना की समस्या और बढ़ेगी?

  • भारत में कोरोना से प्रति दस लाख लोगों पर मृत्यु दर काफी कम लगभग 94 है। फ्रांस, स्पेन और ब्रिटेन जैसे देशों में यह संख्या 500 से 700 प्रति दस लाख के बीच है।
  • हालांकि, वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि उत्तर भारत में सर्दियों में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण आने वाले महीनों में संक्रमण में तेजी आ सकती है। इंफेक्शन एक्सपर्ट जैकब जॉन का कहना है कि वायु प्रदूषण संक्रमण को बढ़ावा देता है। एरो-सोल हवाई यात्रा में और बड़ी दूरी तक सफर करते हैं।
  • एम्स के पूर्व चिकित्सा अधीक्षक एमसी मिश्रा कहते हैं त्योहारों का मौसम होने के चलते वायरस तेजी से फैल सकता है। हम पहले से ही लोगों को बाजारों और मॉलों में घूमते हुए देख रहे हैं। यह बीमारी बेहद संक्रामक है, ऐसे में हम आने वाले कुछ महीनों में बीमारी में एक और उछाल देख सकते हैं, जैसा यूरोप अभी देख रहा है।

देश में कोरोना का हाल क्या है?

  • भारत में कोरोना से अब तक 88 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। भारत अमेरिका के बाद संक्रमण के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर है। कोरोना से देश में 1.30 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
  • हालांकि, देश में पिछले एक महीने से रोज आने वाले कोरोना के नए मामलों में गिरावट आई है। इसके बावजूद अभी भी औसतन हर दिन करीब 50,000 नए मामले दर्ज किए जा रहे हैं।

लोगों में कोरोना का डर कम होने की वजह क्या है?

लॉकडाउन के मुकाबले अब लोगों के बीच कोरोनावायरस का डर कम होता नजर आ रहा है। इसकी कई वजह हैं। यूरोलॉजिस्ट और सर्जन अनंत कुमार कहते हैं कि जब सख्त लॉकडाउन था और जनता की आवाजाही पर रोक थी, तब लोग डरे हुए थे। उस समय भय व्यवहार को नियंत्रित करता था। अब ऐसा नहीं है।

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सर्दी में 5 तरीकों से आप परिवार में कोरोना को फैलने से रोक सकते हैं

1. फ्लू से बचने के लिए वैक्सीन जरूर लें

अभी तक तो कोरोना की कोई वैक्सीन आई नहीं है, लेकिन हमें परिवार के हर सदस्य को फ्लू समेत दूसरी बीमारियों से बचने के लिए वैक्सीन लगवानी चाहिए। सर्दियों में कोरोना को रोकने के लिए यह पहला और सबसे जरूरी कदम है।

2. बच्चों के प्रति ज्यादा सावधानी बरतें

जॉन्स हॉपकिंस सेंटर फॉर हेल्थ सिक्योरिटी में स्कॉलर डॉक्टर एरिक टोनर के मुताबिक, बच्चों के स्कूल कब तक खुलेंगे, यह कोई नहीं जानता। बच्चे कई महीनों से घर में कैद हैं। ऐसे में उनके मानसिक स्वास्थ्य की चिंता भी करनी होगी। साथ ही सर्दियों में कोरोना से उन्हें सुरक्षित रखने के लिए पैरेंट्स को विशेष ध्यान देना होगा।

3. मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें

अभी तक कोरोना की वजह से लोगों को सबसे ज्यादा मानसिक तनाव और एंग्जाइटी का सामना करना पड़ा है। अमेरिकी चाइल्ड माइंड इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. हेरोल्ड के मुताबिक, कल के बारे में सोचना एंग्जाइटी की सबसे बड़ी वजह है। सबसे पहले पैरेंट्स को यह सोचना बंद करना होगा कि कल क्या होगा? और बच्चों को भी इस तनाव से मुक्त होने के लिए प्रेरित करना होगा।

4. इमरजेंसी के लिए कुछ सामान स्टॉक में रखें

एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस हेल्थ इमरजेंसी के दौर में हम जितना ज्यादा हॉस्पिटल जाने से बच सकें, उतना ही बेहतर है, लेकिन दूसरी बीमारियों से बचने के लिए ये 6 चीजें हमारे घर में होनी चाहिए। इनमें बुखार की दवा, थर्मामीटर, एंटी बैक्टिरियल दवा, हाइड्रोजन पेराक्साइड, सैनेटाइजर और डाइपर्स।

5. शुरुआती गाइडलाइन का गंभीरता से पालन करें

कोल्ड और फ्लू के सीजन में आपको घर के अंदर रहने की जरूरत है। ऐसे मौसम में शरीर दर्द बहुत आम बात है, पर लापरवाही नहीं करनी है। घर के अंदर भीड़ नहीं इकट्ठा करनी है। बगैर मास्क के तो किसी के संपर्क में आना बेहद ही खतरनाक है। हमारी लापरवाही से कोरोना के मामले दोबारा बढ़ रहे हैं।



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Indians are worried about their own income more than Corona, threat of second wave in cold


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