मंगलवार, 20 अक्टूबर 2020

सीट चला गया जदयू को, लेकिन वोट तो उसको नहिए देंगे, और सभे के जदयू को वोट देवे से मना भी करेंगे

‘अरे सर आप नहीं जानते हम लोगों को...हम लोग ...से हैं। आप जानवे करते हैं कि ई किसका संगठन है। हम लोगों का सीट चला गया जदयू को, लेकिन वोट तो उसको नहिए न देंगे।’ ये लाइन सुनकर और इसे पढ़कर कोई भी चौंक जाएगा। चौंक तो हम भी गए थे, जब ये लाइन हमें सुनाई दी।

अब आप पूछिएगा कि क्यों? ...तो जवाब भी जान लीजिए। ये लाइन कहने वाले लड़के उस पार्टी के छात्र संगठन के कार्यकर्ता हैं, जो एनडीए में नीतीश कुमार की जदयू के साथ गठबंधन और बिहार की सरकार में भागीदार है। इस छात्र संगठन का नाम अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) है और ये भारतीय जनता पार्टी का छात्र संगठन है।

बात चंद रोज पहले की है। हम वैशाली जिले के जंदाहा इलाके में थे। बाजार से करीब तीन-चार किलोमीटर की दूरी पर मुनेश्वर सिंह मुनेश्वरी समता कॉलेज है। हम इसी कॉलेज में थे। हमें वहां के प्रिंसिपल की तलाश थी। कैंपस के अंदर वाली बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर दाहिनी तरफ कुछ बेंच लगी हुई थीं। तीन लड़के सामने से और कुछ दो-तीन लड़के दाएं-बाएं बैठे हुए थे। इनसे कॉलेज के प्रिंसिपल के बारे में पूछा तो पता चला, छुट्‌टी है, वो नहीं आए हैं। दूसरे स्टाफ के बारे में बताया और नई बिल्डिंग में उनसे मिलवाने के लिए सब साथ चल पड़े। ये सभी ग्रेजुएशन के छात्र थे। उस दिन फॉर्म भरने आए थे। जैसे-जैसे कदम बढ़ रहे थे, वैसे-वैसे हम उनकी गति पकड़ती बातें सुन रहे थे।

मैंने इन सभी से सीधा सवाल किया- इस इलाके में चुनाव की क्या तैयारी है‌? जवाब थोड़ा आश्चर्य में डालने वाला था। लड़कों के इस ग्रुप को लीड करने वाले शख्स ने कहा...अरे सर आप नहीं जानते हम लोगों को... हम लोग ABVP से हैं। सीट चला गया जदयू को, लेकिन वोट तो उसके नहिए देंगे। हम लोग अपनी पार्टी और कंडीडेट के लिए काम करते रहे इतने दिन। आपको पते है कि जंदाहा महनार विधानसभा में आता है। चाहते थे कि ई सीट भाजपा के पास आ जाए। लेकिन, ई नीतीशे कुमार जो है न...उ दिया ही नहीं। अपने पासे रख लिया। अब उनका जो विधायक है... उ ई इलाका में कोई काम किया है क्या‌? आप खुदै चल के देख लें, पता कर लें। सब दिखावा चल रहा है। त हमहूं लोग दिखावा में साथे हैं। बाकी तो उसको ई सीट से हरवैवे करेंगे। हम लोग तो वोट देवे नहीं करेंगे और सभे के जदयू को वोट देवे से मना भी करेंगे। साफ बात।

अब है तो ये हैरान कर देने वाली ही बात। चंद कदम की दूरी तय करने में ही इतनी बड़ी बात सामने आ गई। खैर इस बातचीत के सहारे चुनाव की कहानी बुनते हुए हम आगे बढ़ गए ... लेकिन हमारे मन में उन लड़कों की बात कौंधती रही। इसकी वजह भी थी। ये लड़के जो भी बात कह रहे थे, वो बगैर किसी डर के और बेफिक्र हो कर कह रहे थे। उन्हें किसी बात की चिंता नहीं थी। कौन क्या सोचेगा और क्या कहेगा? सारी चिंताओं से एकदम बेफिक्र। भले ही इन लड़कों की उम्र कम हो, अभी पढ़ाई कर रहे हों, लेकिन इनकी बातें काफी बड़ी और गंभीर थीं। जो सोचने पर हर किसी को मजबूर कर दें। इनकी बातें इसलिए भी गौर करने वाली हैं कि इस वक्त बिहार में जहां-तहां यही नजारा दिख रहा है। इसी इलाके में कई जगह ऐसी ही बेलाग बातें सुनने में आईं।

हमारी गाड़ी का ड्राइवर भी इस माहौल में कहां चुप रहने वाला था। बोला, सर खाली यहीं नहीं बहुते जगह यही हाल है। ई सब पार्टी वाला मिलके इस बार जो खिचड़ी पकाया है, जनता भी इसका जवाब वैसा ही देगी। ‘गठबंधन धर्म’ के इसी किंतु-परंतु के साथ कुछ नए सवाल लिए हम अपने अगले पड़ाव की ओर निकल पड़े।



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Nitish Kumar (Bihar) Election 2020 | Vaishali Jandaha Locals Voters Political Debate On Nitish Kumar and His JDU Party


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सावधान इंडिया के डायरेक्टर से NCB लगातार दूसरे दिन पूछताछ करेगा; रिया के भाई की कस्टडी आज खत्म हो रही

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में ड्रग्स एंगल की जांच कर रहा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने सावधान इंडिया के डायरेक्टर सोहेल कोहली को आज फिर पूछताछ के लिए बुलाया है। उनसे सोमवार को भी सवाल-जवाब हुए थे। सोहेल कोहली कई पंजाबी फिल्मों में भी काम कर चुके हैं।

ड्रग्स मामले में 2 दिन पहले अर्जुन रामपाल की लिव इन पार्टनर गैब्रिएला डेमेट्रिएड्स के भाई अगिसिलयाओस डेमेट्रिएड्स को NCB ने गिरफ्तार किया था। NCB ड्रग्स मामले में रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शोविक चक्रवर्ती समेत अब तक 23 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। आज शोविक की न्यायिक हिरासत (ज्यूडिशियल कस्टडी) भी खत्म हो रही है। शोविक अपने वकील सतीश मानशिंदे के जरिए एक बार फिर जमानत की कोशिश कर सकते हैं।

दीपेश सावंत ने NCB से 10 लाख का मुआवजा मांगा
सुशांत के हाउस स्टाफ रहे दीपेश सावंत ने NCB पर अवैध हिरासत में रखने और मानसिक प्रताड़ना देने का आरोप लगाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में अर्जी लगाई है। दीपेश ने NCB से 10 लाख का मुआवजा मांगा है। इस मामले में 6 नवंबर को सुनवाई होगी। दीपेश पर सुशांत के लिए ड्रग्स पैडलर्स से बातचीत करने और ड्रग्स डिलीवरी करने के आरोप हैं।

कई सेलेब्रिटीज से पूछताछ हो चुकी
बॉलीवुड में ड्रग्स एंगल की जांच कर रहा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण, सारा अली खान, रकुलप्रीत सिंह और श्रद्धा कपूर से भी पूछताछ कर चुका है। टीम रिया चक्रवर्ती, उनके भाई शोविक, सुशांत के मैनेजर सैमुअल मिरांडा, दीपेश सावंत, ड्रग पैडलर जैद, बासित परिहार, धर्मा प्रोडक्शन के पूर्व प्रोड्यूसर क्षितिज रवि प्रसाद समेत 23 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। एक महीने जेल में रहने के बाद रिया चक्रवर्ती को फिलहाल जमानत पर हैं।



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सुशांत की मौत की जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय ने बॉलीवुड में ड्रग्स से जुड़े कुछ चैट रिट्रीव किए थे। उसके बाद NCB ने ड्रग्स कनेक्शन की जांच शुरू की थी।- फाइल फोटो।


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नए केस में 3 महीने की सबसे बड़ी गिरावट, सिर्फ 45 हजार 490 मरीज मिले; करीब 70 हजार ठीक हुए

कोरोना के ग्राफ में लगातार गिरावट आ रही है। सोमवार को सिर्फ 45 हजार 490 नए केस आए। 69 हजार 800 मरीज ठीक हो गए। इससे 24 हजार एक्टिव केस कम हो गए। अब 7.47 लाख मरीजों का इलाज चल रहा है। 17 सितंबर को यह आंकड़ा 10.17 लाख तक पहुंच गया था। नए केस में यह तीन महीने की सबसे बड़ी गिरावट है। इससे कम केस 39 हजार 170 केस 20 जुलाई को आए थे।

देश में अब तक 75.74 लाख केस आ चुके हैं, 67.30 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं, 1.15 लाख मरीजों की इस बीमारी ने जान ले ली है। सोमवार को 589 लोगों की मौत हुई। ये आंकड़े covid19india.org से लिए गए हैं।

पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश

राज्य में सोमवार को 1015 लोग संक्रमित पाए गए। 1287 लोग रिकवर हुए और 13 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 61 हजार 203 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं। इनमें 12 हजार 996 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 45 हजार 421 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 2786 मरीजों की मौत हो चुकी है।

2. राजस्थान
राज्य में संक्रमण से मरने वालों का आंकड़ा 1760 हो गया है। 24 घंटे के अंदर 12 मरीजों ने जान गंवाई। 1960 लोग संक्रमित पाए गए और 2194 लोग रिकवर हो गए। अब तक 1 लाख 75 हजार 226 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ चुकी है। इनमें 20 हजार 893 मरीजों का अभी भी इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 52 हजार 573 लोग ठीक हो चुके हैं।

3. बिहार
राज्य में मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 2 लाख 5 हजार 124 हो गया है। पिछले 24 घंटे में 912 लोग संक्रमित मिले। अभी 10 हजार 331 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 93 हजार 789 लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 1003 संक्रमितों की जान जा चुकी है।

4. महाराष्ट्र
राज्य में सोमवार को 5984 नए मामले सामने आए, 15 हजार 69 लोग रिकवर हुए और 125 मरीजों की मौत हो गई। अब तक यहां 16 लाख 1 हजार 365 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 1 लाख 73 हजार 759 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 13 लाख 84 हजार 879 लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 42 हजार 240 संक्रमितों की मौत हो चुकी है।

5. उत्तरप्रदेश
प्रदेश में कोरोना से जान गंवाने वालों का आंकड़ा 6685 हो गया है। पिछले 24 घंटे के अंदर 27 मरीजों की मौत हुई। सोमवार को 1729 नए मरीज मिले। इसी के साथ मरीजों की संख्या बढ़कर 4 लाख 56 हजार 865 हो गई है। इनमें 31 हजार 495 मरीजों का इलाज चल रहा है जबकि 4 लाख 18 हजार 685 लोग ठीक हो चुके हैं।



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जरूरत पड़ने पर गर्भवती महिला की डिलीवरी करा सकते हैं; फर्स्ट एड दवाओं से लेकर कार्डिएक शॉक मशीन तक मौजूद

बंगाल की खाड़ी से लगा ओडिशा का तटीय जिला केंद्रपाड़ा, भीतरकनिका नेशनल पार्क और यहां रहने वाली मगरमच्छों की कई प्रजातियों और मैंग्रोव के लिए जाना जाता है। यहां कई छोटी-बड़ी नदियां हैं जो इस इलाके को कुछ हिस्सों में बांटती हैं। जिसके चलते दूर के गांवों में सड़कों की पहुंच न के बराबर है। ऐसे में इमरजेंसी हालात में एंबुलेंस का गांवों तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।

इन मुश्किलों से निपटने के लिए ओडिशा सरकार ने बोट एंबुलेंस की शुरुआत की है। ये नाव एंबुलेंस मरीजों और अस्पताल की दूरी को कम करती हैं और कम से कम समय में मरीज को नजदीकी अस्पताल पहुंचा देती हैं। आम लोग 108 पर फोन करके इस फ्री एंबुलेंस सेवा का फायदा उठा सकते हैं।

इस एंबुलेंस पर तैनात सभी स्टाफ को आपात स्थिति से निपटने के लिए खास ट्रेनिंग दी गई है। वे जरूरत पड़ने पर गर्भवती महिला की डिलीवरी करा सकते है।

सरकार ने इसी महीने केंद्रपाड़ा के दूर के गांवों के लिए दो नाव एंबुलेंस शुरू की हैं। जो दवाइयां या इक्विपमेंट सामान्य एंबुलेंस में उपलब्ध होते हैं वही सब पानी पर चलने वाली इन एंबुलेंसों में भी हैं। मुंबई की महिंद्रा मरीन कंपनी ने इन नावों को ऑप्टिकल फाइबर से बनाया है।

एक नाव एंबुलेंस को राजनगर ब्लॉक के गुप्ती घाट पर तैनात किया गया है, जबकि दूसरी महाकालपाड़ा ब्लॉक में तैनात हैं। सरकार का दावा है कि गुप्ती घाट पर तैनात नाव एंबुलेंस सड़क मार्ग से कटी हुई सात पंचायतों के करीब पचास हजार लोगों की सेवा में है। तीन स्थानों पर तैरते हुए जैटी भी बनाए गए हैं जहां आकर एंबुलेंस खड़ी हो सकती है और मरीजों को रिसीव कर सकती हैं।

केंद्रपाड़ा में 108 सेवा के क्लस्टर लीडर जगन्नाथ बेहेरा ने हमें बताया, 'नदी के उस ओर कई ऐसे गांव हैं जहां तक सड़कें नहीं हैं या फिर मॉनसून के दौरान सड़कों पर पानी भर जाता है। कई इलाकों में सड़क के जरिए अस्पताल तक पहुंचने में काफी समय लग जाता है। इन नाव एंबुलेंस से आपात स्थिति में हम मरीज को कम से कम समय में अस्पताल पहुंचाते हैं। '

एंबुलेंस में तैनात पेरामेडिकल स्टाफ का कहना है कि यहां मरीजों का ध्यान रखने के लिए सभी सुविधाएं मौजूद हैं। फार्मासिस्ट दिब्या सुंदर जेना कहते हैं, 'इस एंबुलेंस में डिलीवरी किट है, दुर्घटना में घायल लोगों के तुरंत उपचार के लिए स्पलिंट्स हैं। बीपी मशीन, स्टेथेस्कोप, कार्डिएक शॉक मशीन और फर्स्ट एड की सभी दवाइयां और इक्विपमेंट हैं।'

तीन स्थानों पर तैरते हुए जैटी भी बनाए गए हैं जहां आकर एंबुलेंस खड़ी हो सकती है और मरीजों को रिसीव कर सकती हैं।

गुप्ती में खड़ी एंबुलेंस के स्टाफ ने हमें तीन फोल्डेबल स्ट्रेचर दिखाए। इन्हें अलग-अलग हालातों में इस्तेमाल किया जा सकता है। एक स्ट्रेचर खासतौर से दुर्घटना में घायल लोगों के लिए बनाया गया है। बुजुर्गों के लिए भी एक विशेष स्ट्रेचर है जिसे बीच में से मोड़ा जा सकता है जबकि एक फ्लैट बेड स्ट्रेचर भी जिससे मरीजों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। इसमें व्हीलचेयर भी है। ऑक्सीजन सिलेंडर भी मौजूद है ताकि जरूरत पड़ने पर एंबुलेंस में ही ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जा सके.

गुप्ती में तैनात एंबुलेंस बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली ब्रह्मणी नदी से निकली पटसाला नदी में चलती है। इस नदी में मगरमच्छ अधिक होने के कारण स्थानीय लोग छोटी नावों में चलने से डरते हैं। हालांकि, गुप्ती घाट पर ही प्राइमरी हेल्थ सेंटर (पीएचसी) भी मौजूद है।

इस एंबुलेंस पर तैनात सभी स्टाफ को आपात स्थिति से निपटने के लिए खास ट्रेनिंग दी गई है। वे जरूरत पड़ने पर गर्भवती महिला की डिलीवरी करा सकते है। एक्सीडेंट में घायल लोगों या सांप के डसने का शिकार लोगों का भी अस्पताल पहुंचने से पहले पूरा ख्याल रख सकते हैं। जो सुविधाएं मोटर एंबुलेंस में हैं वहीं नाव एंबुलेंस में भी हैं।

108 को जाने वाली सभी आपात कॉल भुवनेश्वर में एक कॉल सेंटर में पहुंचती हैं जिन्हें जिकित्जा हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी मैनेज करती है।

यहां तैनात टेक्निकल स्टाफ के मुताबिक ये नाव आम नावों से तेज चलती है और प्रदूषण और आवाज भी कम करती है। एंबुलेंस के ड्राइवर किशोर कुमार बेहेरा बताते हैं कि वो रोजाना सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक काम करते हैं। इस एंबुलेंस में फोर स्ट्रोक डीजल इंजन हैं। इनमें GPS सिस्टम भी लगा है। जब भी किसी मरीज की सूचना मिलती है, एंबुलेंस तत्काल वहां पहुंचने की कोशिश करती है।

खुश हैं गांव वाले

गांव के लोगों का कहना है कि इस नई नाव एंबुलेंस से केंद्रपाड़ा जिले में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा। बानाबिहारीपुर गांव के दीपक कुमार कहते हैं, 'हमारे गांव के दूसरी ओर कई ऐसे गांव हैं जहां तक सड़क से पहुंच आसान नहीं है। अगर वे सड़क से जाना चाहे तो बहुत लंबा रास्ता लेना पड़ता है क्योंकि कई गांव ऐसे हैं जिनके दो ओर समंदर है और एक ओर नदी।'

वे कहते हैं, 'अगर ये गांव वाले सड़क मार्ग के बजाए नाव एंबुलेंस से अस्पताल जाते हैं तो डेढ़ घंटे तक का वक्त बचता है। सड़कें भी बहुत अच्छी नहीं है और मॉनसून में तो इनकी हालत और खराब हो जाती है।'

स्थानीय लोग बताते हैं कि एक निजी नाव भी यहां चलती है लेकिन वे तब ही चलती है जब पर्याप्त सवारियां हो जाती हैं। बलरामपुरा गांव के बिसंबर दास कहते हैं, 'यहां ऐसी सेवा की बहुत जरूरत थी। सरकार ने एक अच्छा कदम उठाया है। इससे लोगों की जानें बच सकेंगी।'

इस एंबुलेंस में डिलीवरी किट है, दुर्घटना में घायल लोगों के तुरंत उपचार के लिए स्पलिंट्स हैं। बीपी मशीन, स्टेथेस्कोप, कार्डिएक शॉक मशीन और फर्स्ट एड की सभी दवाइयां और उपकरण हैं।

कैसे काम करती है एंबुलेंस सेवा

108 को जाने वाली सभी आपात कॉल भुवनेश्वर में एक कॉल सेंटर में पहुंचती हैं जिन्हें जिकित्जा हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी मैनेज करती है। कंपनी के प्रमुख सब्यासाची बिस्वाल के मुताबिक अब ओडिशा में छह नाव एंबुलेंस हैं जो दूरस्थ इलाके के मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाती हैं। उनके मुताबिक केंद्रपाड़ा में दो, मलकानगिरी में दो, कोरापुट में एक और कालाहांडी में एक नाव एंबुलेंस तैनात है। इनकी संख्या बढ़ाने पर भी काम चल रहा है।

बिस्वाल के मुताबिक नाव एंबुलेंस को अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। वे बताते हैं कि शुरूआत में लोग इनकी सेवा लेने में झिझक रहे थे लेकिन अब सबको पता चल गया है। एंबुलेंस हेल्पलाइन एक्जीक्यूटिव देबी प्रसाद के मुताबिक, जैसे ही कोई 108 पर कॉल करता है उससे पूरी जानकारी लेकर नजदीकी एंबुलेंस को भेज दी जाती है. कॉल सेंटर से मरीज की जानकारी मिलते ही एंबुलेंस वहां पहुंच जाती है।



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ओडिशा सरकार की 108 एंबुलेंस सेवा के तहत चलने वाली ये नाव एंबुलेंस मरीजों और अस्पताल की दूरी को कम करती हैं और कम से कम समय में मरीज को नजदीकी अस्पताल पहुंचा देती हैं।


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UK में पढ़ाई के दौरान आया बिजनेस आइडिया, दो साल पहले 50 हजार रु से शुरुआत की, तांबे के बर्तन बेचकर कमाते हैं सालाना 30 लाख

अलीगढ़ के अदनान अली खान तांबे के बर्तन का बिजनेस करते हैं। दो साल पहले ही उन्होंने 50 हजार रुपए से इसकी शुरुआत की थी। उनका सालाना प्रॉफिट 30 से 35 लाख रुपए का है। जबकि टर्नओवर 75 से 80 लाख रुपए का है। हाल ही में 4 शहरों से ही 18 लाख रुपए का आर्डर भी मिल चुका है।

वे कहते हैं, ‘मेरी परवरिश लोअर मिडिल क्लास फैमिली में हुई है। परवरिश में कोई दिक्कत तो नहीं हुई, लेकिन छोटी-छोटी चीजों के लिए पिता को, परिवार को संघर्ष करते हुए देखा है। छठवीं क्लास में ही मैंने ठान लिया था कि बिजनेस करूंगा। मुझे इसमें इंटरेस्ट भी था।

अदनान की कंपनी मुरादाबाद से छोटे-छोटे कारीगरों को जोड़कर एक बड़ी टेबल वेयर रेंज बनवाती है और उन प्रोडक्ट्स को आगे सप्लाई करती है, जिससे छोटे-छोटे कारीगरों को काम में बढ़ावा मिलता है।

अदनान बताते हैं कि अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद यूके में रहने वाले एक मित्र ने मुझे एमबीए करने का सुझाव दिया। चूंकि मेरे नंबर्स अच्छे थे तो मेरी फीस भी लगभग 40% कम हो गई। जहां 10-12 लाख लगने थे वहां पांच से छह लाख में काम हो गया। इस तरह 2017 में यूके पढ़ाई करने चला गया। शुरुआती दिनों में कुछ दोस्तों के साथ रहा फिर अपने डिपार्टमेंट हेड को अपनी प्रॉब्लम बताई तो उन्होंने एक जगह इंटर्नशिप पर लगवा दिया। इससे जो पैसे मिलते थे, जिससे मेरा रहने और खाने का खर्च निकल जाता था। फिर मैंने वहां एक वेयर हाउस में काम किया। इसके बाद अमेजन में भी जॉब की।

वहां के होटल्स से बिजनेस आइडिया आया

अदनान बताते हैं कि वहां मै अपने दोस्तों के साथ रेस्टोरेंट और होटल जाया करता था। जब वहां खाना परोसा जाता तो बर्तन शानदार हुआ करते थे। ग्राहकों पर इम्प्रेशन डालते थे। कई होटल्स में पता किया तो पता चला इंडिया से ही वह तांबा और पीतल के बर्तन मंगाते हैं। खासकर क्राफ्ट वाले बर्तन। तब मैंने सोचा कि क्यों न भारत में इसकी शुरुआत की जाए। हालांकि, कोर्स कंप्लीट होने के बाद मुझे वहां जॉब मिल रही थी, लेकिन मैं घर लौट गया।

आज देश के सात राज्यों में अदनान बिजनेस है। सिर्फ अलीगढ़ में 20 लोगों को रोजगार दे रखा है।

बिजनेस शुरू करने से पहले 6 महीने रिसर्च किया

वो बताते हैं,' जब घर लौटा तो अपने बिजनेस के बारे में परिवार में बात की। बहुत ज्यादा पूंजी नहीं थी। पिता अलग डर रहे थे कि अगर सफल न हुए तो जिंदगी भर की कमाई भी डूब जाएगी। किसी तरह उन्हें मनाया और फिर रिसर्च शुरू की। मुरादाबाद पीतल और तांबे के बर्तन का गढ़ है इसलिए मैंने वहां अपने कुछ रिश्तेदारों को फोन किया। फिर उन्होंने बारीकियां समझने के लिए मेरी वहां के कुछ ठठेरों से बात कराई। बातचीत में पता चला कि जिन बर्तनों की वजह से मुरादाबाद मशहूर है उन ठठेरों के पास दो जून की रोटी के भी लाले पड़े हुए हैं।

मैंने उनसे समझना शुरू किया तो पता चला अब ज्यादातर लोग मशीनों से बर्तन पर नक्काशी और कलाकारी करते हैं, लेकिन सामान शुद्ध नहीं होता है। जबकि ठठेरे शुद्ध काम करके देते थे। उनसे मैंने बहुत सारी बारीकियां सीखीं और पिता से 50 हजार मांगे।

50 हजार में 10 शहर में 50 होटलों में गया एक जगह से मिला आर्डर

अदनान कहते हैं, 'पहले मैं मुरादाबाद गया, वहां ठठेरों के फोटो-विडियो, उनके बर्तनों के फोटो-विडियो वगैरह बनाए। एक कैटलॉग बनाया और पर्यटकों से भरे शहरों की तरफ निकल गया। मैंने शुरुआत से ही बड़े होटलों को अप्रोच किया। उन्हें अपना काम और अपने बर्तनों की क्वालिटी के बारे में बताया। चूंकि होटल पहले जहां से बर्तन लेते थे वहां से मेरा बर्तन कुछ महंगा ही था फिर भी मैंने उन्हें कन्विन्स किया। 10 शहरों में लगभग 50 होटलों में गया तो मुझे पहली बार एक जगह से 50 हजार का आर्डर मिला। नेक्स्ट विजिट में एक जगह से 50, एक जगह से 45, एक जगह से 25 हजार का आर्डर मिला। आर्डर मिलने पर मैं उनका माल खुद उनके पास तय समय से पहले लेकर पहुंचा जिससे रिश्ते मजबूत हुए और आर्डर मिलने शुरू हो गए।

अदनान का टर्नओवर 75 से 80 लाख रुपए का है। हाल ही में चार शहरों से ही 18 लाख रुपए का आर्डर भी मिल चुका है।

अदनान कहते हैं कि कंट्री क्राफ्ट नाम की कंपनी तो बना दी लेकिन, इसके बारे में लोग जाने उसके लिए खूब मेहनत की। मैंने दोस्तों के साथ मिलकर रात में अलग-अलग शहरों में जाकर खुद दीवारों पर कंपनी के प्रचार प्रसार के लिए पोस्टर चस्पा किए। पैसे के कम थे इसलिए ज्यादातर काम खुद ही करना होता था। इतना ही नहीं कभी पैसे कम होने की वजह से कभी स्टेशन तो कभी बस स्टैंड पर सोना पड़ता था।

इंटरनेशनल मार्केट में कदम रखा

अदनान बताते है कि यहां बिजनेस जम गया तो मैंने इंटरनेशनल मार्किट में हाथ पैर मारने की सोची क्योंकि, मुरादाबाद का बर्तन बहुत दूर-दूर जाता है। सबसे पहले मैंने वेबसाइट डेवलप की और अपने लिंक से जकार्ता और श्रीलंका में सामान सप्लाई करना शुरू कर दिया। जिसका फायदा भी मिला। अब चार से पांच देशों में मेरा सामान सप्लाई होता है।

आज देश के सात राज्यों में अदनान बिजनेस है। सिर्फ अलीगढ़ में 20 लोगों को रोजगार दे रखा है। वे कहते हैं, 'जब कोरोना की वजह से लॉकडाउन हुआ तो थोड़ा डर लगा, लेकिन मैंने सोचा था कैसे भी हो अपने साथियों को नौकरी से नहीं निकालूंगा। इसलिए मैंने उस दौरान जहां अपने पास से गरीबों की मदद की वहीं अपने साथियों के लिए सैनिटाइजर और मास्क भी सप्लाई किया। वे बताते हैं कि फायदा नहीं हुआ, लेकिन किसी की नौकरी भी नहीं गई।

मुरादाबाद पीतल हस्तशिल्प के निर्यात के लिए प्रसिद्ध है। यहीं से पीतल के सामान विदेशों में जाते हैं।

क्या करती है कंट्री क्राफ्ट कंपनी

कंट्री क्राफ्ट फाइव स्टार, थ्री स्टार होटल्स और रेस्टोरेंट को टेबल वेयर सप्लाई करती है। कंट्री क्राफ्ट मुरादाबाद से छोटे-छोटे कारीगरों को जोड़कर एक बड़ी टेबल वेयर रेंज बनवाती है और उन प्रोडक्ट्स को आगे सप्लाई करती है जिससे छोटे छोटे कारीगरों को काम में बढ़ावा मिलता है। अभी यह देश के 500 से ज्यादा होटल्स और रेस्टोरेंट में सप्लाई देती है।

मुरादाबाद है इस का बड़ा केंद्र

आधुनिक दौर में हाथ से बने बर्तनों को भी अब मशीनों का सहारा लेना पड़ रहा है। जैसे-जैसे समय बीता जा रहा है मुरादाबाद के कारीगर अब मशीनें पर ज्यादा निर्भर होते जा रहे है। जिससे बड़े ऑर्डर पूरे करने में समय की बचत और जल्दी काम पूरा होता है। मुरादाबाद पीतल हस्तशिल्प के निर्यात के लिए प्रसिद्ध है।



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अलीगढ़ के अदनान ताबें का बिजनेस करते हैं। आज देश के सात राज्यों में अदनान बिजनेस है।


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सितंबर में हार्ट अटैक से कर्नल रैंक के 6 अफसरों की मौत; हर साल बिना युद्ध के 1600 सैनिक जान गंवाते हैं

सितंबर के महीने में हार्ट अटैक से लेफ्टिनेंट कर्नल और कर्नल रैंक के कम से कम 6 सैन्य अधिकारियों की मौत हो गई। ये सभी अधिकारी 40-45 साल की उम्र के थे। इसी तरह पिछले कुछ सालों में देश के अलग-अलग हिस्सों से इस तरह की जो खबरें सामने आई हैं, उससे जाहिर है कि भारतीय सेना में जीवन की गुणवत्ता यानी ‘क्वालिटी ऑफ लाइफ’ बहुत अच्छी नहीं है। कभी-कभी तो यह क्वालिटी बेहद कम होती नजर आती है। जिसके चलते सेना तनाव और निगेटिविटी का शिकार हो रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत हर साल लगभग 1,600 जवानों को युद्ध में नहीं, बल्कि दूसरी वजहों से खो रहा है।

सुरक्षाबलों के जीवन में तनाव हमेशा रहा है, लेकिन पहले यह इतना बड़ा मुद्दा कभी नहीं था। सेना पर तनाव का कोई निगेटिव असर नहीं पड़े, इसके लिए हमेशा से पर्याप्त सुरक्षा तंत्र मौजूद रहे हैं, लेकिन मौजूदा हालात में माहौल बदलता हुआ दिखाई दे रहा है।

30 से 40 साल के आर्मी ऑफिसर के रिएक्शंस को लेकर जो रिपोर्ट सामने आई है, उसमें चौंकाने वाले फैक्ट सामने आए हैं...

  • 87% ने बताया कि वे काम के दबाव के चलते छुट्टी नहीं ले पाते हैं।
  • 73% ने कहा कि अगर वे छुट्टी लें भी, तो उन्हें काम की वजह से वापस बुला लिया जाता है।
  • 63% ने माना कि काम के चलते उनकी शादीशुदा जिंदगी पर असर पड़ा है।
  • 85% ने बताया कि खाना खाते वक्त भी ऑफिशियल फोन कॉल का जवाब देना पड़ता है

टेक्नोलॉजी का असर

टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के चलते फिजिकल और मेंटल दोनों ही लेवल पर निगेटिव इफेक्ट पड़ता है। यहां तक कि 'कॉनस्टेंट चेकर्स' यानी जो रेगुलर इनका इस्तेमाल करते हैं उन पर तो इसका असर और भी ज्यादा होता है। करीब 40% अफसरों ने माना कि वे 'कॉनस्टेंट चेकर्स' हैं, और 60% कहते हैं कि वे अपने फोन या टैबलेट से हर वक्त जुड़े रहते हैं।

जीरो एरर सिंड्रोम

स्टडी के मुताबिक 79 फीसदी ने कहा कि उनके द्वारा किसी भी प्रकार की गलती होने की कोई गुंजाइश ही नहीं है और उन्हें हर समय ‘सही’ होना और सही फैसला लेना है, क्योंकि यह उनकी जिम्मेदारी है। यही 'जीरो एरर सिंड्रोम' है जो तनाव को बढ़ाता है।

इस रिसर्च से साफ है कि वर्क-लाइफ को ठीक से बैलेंस करना उतना आसान नहीं है। क्योंकि, टेक्नोलॉजी का असर हमारे जीवन के हर पहलू पर पड़ रहा है। इन मुद्दों से निपटने के लिए युवा पीढ़ी के विचार अलग हैं। रिसर्च में शामिल युवाओं का मानना है कि लंबे समय तक काम करने का मतलब है कि जो लोग जल्दी घर चले गए, उनकी तुलना में वे अपने काम के प्रति ज्यादा सचेत हैं।

रिसर्च में शामिल लोगों का यह भी मानना है कि उन्हें अपने काम करने की आजादी मिलनी चाहिए, ताकि वे ठीक से काम कर सकें, जैसा वे करना चाहते हैं। कुछ रिसर्च में यह पता चला है कि अगर कर्मचारियों को बंदिशों में रखा जाए, और उन्हें अपनी दिक्कतों को हल करने के लिए छूट नहीं दी जाए, तो वे खुद को न सिर्फ कमजोर महसूस करते हैं, बल्कि क्रिएटिव काम भी नहीं कर पाते हैं।

अगर इन दिक्कतों को दूर करना है तो आर्म्ड फोर्सेज को मजबूत करना होगा। अपनी ‘गलतियों को स्वीकार न करने’ वाली हैबिट को दूर करना जरूरी है। इससे ऑफिसर्स कम उम्र में हार्ट की बीमारियों का शिकार होने से बच सकते हैं। इसके साथ ही जीरो एरर सिंड्रोम को खत्म करना भी उतना ही जरूरी है।

कर्नल (रिटायर्ड) गुरुराज गोपीनाथ पामिडि,यूएसआई के पूर्व सीनियर रिसर्च फेलो रहे हैं । वे अभी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, इंदौर में मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पद पर हैं।



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At least six Army officers of the rank of Lt Colonel and Colonel have died in the month of September due to sudden cardiac arrest.


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रेलवे आज से 392 स्पेशल ट्रेनें चलाएगा; कोरोना फरवरी में खत्म हो जाएगा; संजय दत्त ने कैंसर को हराया; कंगना को वकील ने रेप के लिए धमकाया

कोलकाता हाईकोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के दौरान पंडालों में सिर्फ आयोजकों को जाने की इजाजत होगी। वहीं, रेलवे ने दुर्गापूजा, दशहरा, दिवाली और छठ के त्योहारी सीजन के मद्देनजर 392 (196 जोड़ी) अतिरिक्त स्पेशल ट्रेनें चलाने का फैसला लिया है। चलिए, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...

आज इन 5 इवेंट्स पर रहेगी नजर

1. IPL के 13वें सीजन का 38वां मैच किंग्स इलेवन पंजाब और दिल्ली कैपिटल्स के बीच शाम साढ़े 7 बजे से दुबई में खेला जाएगा।

2. पश्चिम बंगाल में 5 दिन चलने वाली दुर्गा पूजा आज से शुरू होगी। कोलकाता हाईकोर्ट का आदेश है कि छोटे पंडालों में 15 और बड़े पंडालों में 25 लोग ही जा सकेंगे।

3. आज से शुरू हो रही रेलवे की स्पेशल ट्रेनें लखनऊ, कोलकाता, पटना, वाराणसी जैसी जगहों से चलेंगी। 30 नवंबर तक चलने वाली इन ट्रेनों की लिस्ट यहां देखें

4. मुंबई में ड्रग्स मामले में जेल में बंद रिया चक्रवर्ती के भाई शोविक की न्यायिक हिरासत 20 अक्टूबर को खत्म हो रही है। आज उनके वकील उनकी जमानत के लिए अर्जी दायर करेंगे।

5. आज काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले की अगली सुनवाई होगी। जिला जज की अदालत में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के रिवीजन के एडमिशन पर बची बहस पूरी होनी है।

अब कल की 7 महत्वपूर्ण खबरें

1. फरवरी तक देश में कोरोना के एक्टिव केस 40 हजार रह जाएंगे

फिलहाल देश में कोरोना के कुल एक्टिव केस 7 लाख से ज्यादा हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों से COVID-19 के मामलों का प्रिडिक्शन मॉडल तैयार करवाया है। उनकी रिसर्च के मुताबिक, भारत में कोरोना के मामलों में अगले 3-4 महीने तक गिरावट जारी रहेगी। फरवरी तक एक्टिव केस 40 हजार रह जाएंगे।

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2. कोरोना कम्युनिटी ट्रांसमिशन स्टेज में है; जानें क्या हैं इसके मायने?

कई महीनों तक ना-नुकुर करने के बाद हेल्थ मिनिस्टर डॉ. हर्षवर्धन ने मान लिया कि भारत में कोरोना अब कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्टेज में है। इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि राज्य में COVID-19 का कम्युनिटी ट्रांसमिशन स्टेज शुरू हो गया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या पूरे देश में यह स्थिति बन रही है? सरकार इससे निपटने के लिए क्या कर रही है?

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3. LAC पार करके लद्दाख में आया चीनी सैनिक पकड़ा गया

लद्दाख में सेना ने सोमवार को एक चीनी सैनिक को पकड़ा। ये सैनिक भटक गया था। और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पारकर चुमार-डेमचोक इलाके में आ गया था। जल्द ही इसे चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को सौंपा जाएगा। सेना ने बताया कि ऊंचाई वाले इलाके और खराब मौसम में चीनी सैनिक देखरेख के लिए सेना ने ऑक्सीजन, खाना और कपड़े दिए हैं।

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4. संजय दत्त का कैंसर ठीक हुआ, 2 महीने पहले चौथी स्टेज का पता चला था

एक्टर संजय दत्त का कैंसर ठीक हो गया है। उनके करीबी दोस्त और ट्रेड एनालिस्ट राज बंसल ने यह जानकारी दी। सोमवार को 61 साल के संजू की पॉजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी रिपोर्ट सामने आई, जिसमें वे कैंसर फ्री पाए गए। पीईटी स्कैन कैंसर की सबसे ऑथेंटिक जांच मानी जाती है, उसमें पता चल जाता है कि पीड़ित की कैंसर सेल्स की क्‍या हालत है?

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5. कंगना रनोट को एक वकील ने सोशल मीडिया पर रेप की धमकी दी

कंगना रनोट ने नवरात्र और व्रत का जिक्र करते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की थी। इस पर ओडिशा के वकील मेहंदी रजा ने कमेंट किया था कि बीच शहर में आपका रेप होना चाहिए। मामला गरमाया तो वकील ने माफी मांगी। और कहा कि मेरी आईडी हैक हो गई थी। हालांकि, यूजर्स ने वकील को खूब खरी-खोटी सुनाई। बताया गया कि रजा के खिलाफ शिकायत दर्ज हो चुकी है।

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6. सेक्स वर्कर्स की दुर्गापूजा की थीम है 'ताला', इनके जीवन पर लगा ताला कौन खोलेगा?

कोलकाता के सोनागाछी की सेक्स वर्कर्स 2017 से दुर्गा पूजा का आयोजन कर रही हैं। देश में बहुत कम लोगों को यह बात पता होगी कि रेड लाइट इलाके की मिट्टी के बिना दुर्गा प्रतिमा का निर्माण नहीं हो सकता। इस इलाके में 11 हजार सेक्स वर्कर्स स्थाई तौर पर रहती हैं। सेक्स वर्कर्स की दुर्गापूजा की थीम है 'ताला', इसका मकसद यह सवाल उठाना है कि इनके जीवन पर लगा ताला कौन खोलेगा?

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7. दुनिया भर में ऐसे फैलाई जा रही फेक न्यूज; पांच स्टेप से खुद को बनाएं फैक्ट चेकर

दुनियाभर में तेजी से फैल रही फेक न्यूज हमारे लिए आजकल ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि अब इसे भावनाओं के साथ परोसा जा रहा। अमेरिकी फैक्ट चेकिंग वेबसाइट के एडिटर एलन ड्यूक के मुताबिक, कुछ चीजों का ध्यान रख कर हम इस "वायरस" से बच सकते हैं। सबसे पहले हमें जान लेना चाहिए कि फेक न्यूज और गलत जानकारियां किस शक्ल में हम तक पहुंच सकती हैं।

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अब 20 अक्टूबर का इतिहास

1774: कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) भारत की राजधानी बना।

1822: लंदन संडे टाइम्स का पहला अंक प्रकाशित हुआ।

1947: भारत-पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध हुआ।

आखिर में जिक्र पूर्व भारतीय क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग का। 2015 में आज ही के दिन सहवाग ने 37 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट और इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) से संन्यास लिया था। आज उनका जन्मदिन भी है। पढ़िए उन्हीं की एक बात...



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Railways will run 392 special trains from today; Corona will end in February; Sanjay Dutt defeated Cancer; Kangana was threatened by a lawyer for rape


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आपने आखिरी चेक कब साइन किया था? जानिए नोटबंदी के बाद चेक से पेमेंट में किस तरह गिरावट आई और डिजिटल पेमेंट्स किस तरह बढ़े

नोटबंदी के बाद भारत में पेमेंट्स करने और लेने के तरीके ही बदल गए हैं। जो चेक ट्रांजेक्शन के लिए किसी जमाने में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता था, आज उतना काम का नहीं रहा। यह बात खुद RBI के डेटा से सामने आई है। पेपर क्लियरिंग या चेक से होने वाली क्लियरिंग वित्त वर्ष 2019-20 में घटकर वॉल्यूम का सिर्फ 2.9% और वैल्यू का सिर्फ 20.08% रह गई है।

वित्त वर्ष 2016 में रिजर्व बैंक ने डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने के लिए आक्रामक तरीके से पुश किया था और जब नोटबंदी हुई तो वॉल्यूम में चेक्स की हिस्सेदारी 15.81% हो गई थी। कुल रिटेल पेमेंट्स में 46.08% हिस्सेदारी चेक की होती थी। डिजिटाइजेशन के लिए की जा रही कोशिशें पेपर क्लियरिंग को कम करने में काफी हद तक कामयाब रही है।

सिर्फ वॉल्यूम ही नहीं, वैल्यू भी कम हुई

पिछले पांच वर्षों में चेक पेमेंट्स के सिर्फ वॉल्यूम ही नहीं बल्कि वैल्यू में भी कमी आई है। वित्त वर्ष 2015-16 में कुल पेमेंट्स में चेक से होने वाले भुगतान की हिस्सेदारी होती थी 15.81 प्रतिशत, जो 2019-20 में घटकर रह गई सिर्फ 2.95 प्रतिशत। इसी तरह वैल्यू देखें तो 2015-16 में ट्रांजेक्शन की कुल राशि का पेमेंट 46.08% चेक से हुआ, वहीं अब यह वैल्यू भी घटकर 20% रह गई है।

डिजिटल पेमेंट्स में हर साल 55.1% की बढ़ोतरी

वित्त वर्ष 2015-16 और 2019-20 के बीच डिजिटल पेमेंट्स में भी सालाना 55.1% की तेजी आई। वित्त वर्ष 2015-16 में 593.61 करोड़ लेन-देन डिजिटल हुए थे, जो 2019-20 में बढ़कर 3,434.56 करोड़ हो गए। यदि राशि देखें तो यह बढ़ोतरी भी करीब दोगुनी होकर 920.38 लाख करोड़ रुपए से 1,623.05 लाख करोड़ रुपए हो गई है। यानी हर 15.2% की बढ़ोतरी।

लॉकडाउन में डिजिटल पेमेंट कई गुना बढ़ा

महामारी और लॉकडाउन के प्रतिबंधों को देखते हुए डिजिटल पेमेंट्स का वॉल्यूम कई गुना बढ़ गया है, वहीं महामारी में सबकी स्थिति को देखकर वैल्यू में गिरावट आ सकती है। वैसे, NEFT, RTGS और ECS पेमेंट्स के जरिए भी सरकार ने डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ाने पर फोकस किया है।

यूपीआई-बेस्ड पेमेंट्स के साथ-साथ ऐप-बेस्ड पेमेंट्स ने भी अपनी पूरी ताकत लगाई है और पेमेंट्स सिस्टम में बढ़ोतरी को देखते हुए यह भी तेजी से बढ़े हैं। नॉन-बैंक कंपनियों की इंट्री और कस्टमर बिहेवियर में कैश से डिजिटल पेमेंट्स की ओर आ रहा बदलाव भी इसे सपोर्ट कर रहा है। कस्टमर बिहेवियर में किस कदर बदलाव आया है, यह इस बात से भी दिखता है कि वित्त वर्ष 2015-16 में डेबिट कार्ड का इस्तेमाल 20% था, जो अब बढ़कर 45% को पार कर गया है।



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Cheque Payments vs Digital Payments | Cheque Payments On Decline Says RBI Data: All You Need To Know


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सीजन में धोनी-कार्तिक मिलकर भी शुभमन के बराबर रन नहीं बना सके, अश्विन जैसे 5 सीनियर बॉलर्स एक भी मेडन नहीं डाल पाए

दुनिया की सबसे महंगी क्रिकेट लीग आईपीएल युवा खिलाड़ियों के लिए सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है। जसप्रीत बुमराह, हार्दिक पंड्या, दीपक चाहर, नवदीप सैनी, क्रुणाल पंड्या जैसे खिलाड़ियों ने आईपीएल में दम दिखाकर टीम इंडिया में जगह बनाई है। इस बार देवदत्त पडिक्कल, शुभमन गिल और राहुल तेवतिया जैसे यंग प्लेयर्स कमाल दिखा रहे हैं। शुभमन टीम इंडिया के लिए 2 वनडे खेल चुके हैं, जबकि पडिक्कल और तेवतिया ने दावेदारी पेश की है।

इन युवा खिलाड़ियों के आगे महेंद्र सिंह धोनी, दिनेश कार्तिक और रॉबिन उथप्पा जैसे सीनियर प्लेयर भी फीके नजर आ रहे हैं। लगभग हर सीजन में हीरो रहे यह सीनियर खिलाड़ी इस बार स्ट्रगल करते नजर आ रहे हैं। वहीं, रविचंद्रन अश्विन और पीयूष चावला समेत 5 सीनियर गेंदबाज एक भी मेडन ओवर नहीं डाल सके हैं।

पडिक्कल और प्रियम ने डेब्यू सीजन में दिखाया दम
रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) के ओपनर पडिक्कल और सनराइजर्स हैदराबाद के बल्लेबाज प्रियम गर्ग का यह डेब्यू सीजन है। पडिक्कल ने अब तक 9 पारियों में 296 और प्रियम ने 7 पारियों में 106 रन बनाए हैं। इस दौरान पडिक्कल ने 3 और प्रियम ने 1 फिफ्टी के साथ टीम को मैच जिताए हैं।

कोलकाता नाइट राइडर्स के शुभमन गिल अपना तीसरा और मुंबई इंडियंस के ईशान किशन 5वां सीजन खेल रहे हैं। शुभमन ने 9 मैच में 2 फिफ्टी के साथ 311 और ईशान ने 7 मैच में एक अर्धशतक के साथ 193 रन बनाए हैं।

धोनी और कार्तिक मिलकर शुभमन के बराबर भी रन नहीं बना सके
चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और आधे टूर्नामेंट में कोलकाता नाइट राइडर्स की कप्तानी छोड़ने वाले दिनेश कार्तिक इस सीजन में एक-एक रन के लिए जूझ रहे हैं। दोनों ने अब तक 9-9 मैच खेले, जिनमें कार्तिक ने 141 और धोनी ने 136 रन बनाए हैं। दोनों के कुल रन शुभमन (311) से भी कम हैं। वहीं, राजस्थान रॉयल्स के रॉबिन उथप्पा का बल्ला भी इस सीजन में खामोश ही है। उन्होंने 7 मैच में 124 रन बनाए हैं।

ऑलराउंडर तेवतिया से पीछे सीनियर जडेजा
आईपीएल में 180 मैच खेल चुके सीनियर ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा 30 मैच खेलने वाले जूनियर प्लेयर राहुल तेवतिया से हर मामले में पीछे हैं। तेवतिया ने इस सीजन के 9 मैच में 222 रन बनाए और 6 विकेट भी लिए। वहीं, जडेजा 9 मैच 159 रन ही बना सके और 4 विकेट लिए।

बॉलर बिश्नोई और त्यागी का शानदार डेब्यू
किंग्स इलेवन पंजाब के रवि बिश्नोई और राजस्थान रॉयल्स के कार्तिक त्यागी का यह डेब्यू सीजन है। दोनों ने अपनी शानदार बॉलिंग से सबका ध्यान खींचा है। रवि ने 9 मैच में 9 और कार्तिक ने 5 मैच में 5 विकेट लिए हैं।

सीजन में सबसे ज्यादा यॉर्कर नटराजन के नाम
सनराइजर्स हैदराबाद के तेज गेंदबाज टी नटराजन इस सीजन में यॉर्कर स्पेशलिस्ट बनकर उभरे हैं। दूसरा सीजन खेल रहे नटराजन ने अब तक उन्होंने 9 मैच में 11 विकेट लिए। इस दौरान उन्होंने सबसे ज्यादा 29 यॉर्कर डाली हैं।

जबकि टीम इंडिया के रेगुलर बॉलर जसप्रीत बुमराह 17 ही यॉर्कर डाल सके हैं। हालांकि, बुमराह विकेट के मामले में आगे हैं। उन्होंने 9 मैच में 15 विकेट लिए हैं। नटराजन के अलावा शिवम मावी, मुरुगन अश्विन और कार्तिक त्यागी जैसे यंग प्लेयर्स ने भी शानदार प्रदर्शन किया है।

कुलदीप और विजय शंकर विकेट के लिए तरसे
भारतीय टीम के लिए मैच खेल चुके कुलदीप यादव और विजय शंकर इस सीजन में विकेट के लिए तरस गए हैं। 4-4 मैच खेलने के बाद शंकर ने सिर्फ 2 और कुलदीप ने एक ही विकेट लिया है। इनके अलावा रविचंद्रन अश्विन, पीयूष चावला, जयदेव उनादकट भी अपने नाम के हिसाब से खेल नहीं दिखा सके। यह सभी सीनियर बॉलर इस सीजन में अब तक एक भी मेडन ओवर भी नहीं डाल सके।



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MS Dhoni Shubman Gill Rahul Tewatia; IPL 2020 OLD Vs Young Player Performance Records Statistics | Indian Premier League Latest News Update


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1962 में चीन ने भारत के साथ किया था विश्वासघात; 1774 में कलकत्ता भारत की राजधानी बना

आज का दिन भारतीय कूटनीतिक विफलता की कहानी सुनाता है। आज से तकरीबन 58 साल पहले चीन ने 20 अक्टूबर को ही भारत पर सुनियोजित हमला किया था। चीन की सेना ने न केवल सीमा पार की, बल्कि दोस्ती के नाम पर विश्वासघात भी किया।

भारत 1947 में आजाद हुआ और 1949 में चीन रिपब्लिक बना। शुरुआत में दोस्ताना रिश्ते थे। दावे ऐसे भी हैं कि भारत ने चीन की खातिर संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता ठुकरा दी थी। नेहरू ने हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा देकर दोस्ती बढ़ाई थी। 1959 में दलाई लामा को भारत ने शरण दी तो दोनों देशों में तनाव बढ़ने लगा था।

चीन के एक शीर्ष स्ट्रैटेजिस्ट वांग जिसी ने 2012 में दावा किया था कि चीन के बड़े नेता माओत्से तुंग ने ग्रेट लीप फॉरवर्ड आंदोलन की असफलता के बाद सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी पर फिर से नियंत्रण कायम करने के लिए भारत के साथ युद्ध छेड़ा था।

भारत युद्ध के लिए तैयार ही नहीं था। नतीजा ये हुआ कि चीन के 80 हजार जवानों का मुकाबला करने भारत ने 10-20 हजार सैनिक उतारे थे। युद्ध एक महीना चला और 21 नवंबर 1962 को चीन ने जब सीजफायर की घोषणा की, तब तक भारत को काफी नुकसान हो चुका था। एक महीने चले युद्ध के बीच नेहरू ने देशवासियों को सिर्फ लड़ाई के पहले दिन यानी 20 अक्तूबर को ही संबोधित किया।

पूरे एक महीने तक उनमें और भारतवासियों के बीच संवादहीनता बनी रही। दूसरी बार वह 20 नवंबर को बोले और वो भी बेहद निराशाजनक खबरों के साथ। नेहरू ने देशवासियों को बताया कि चीनी दोहरी नीति पर चल रहे हैं। एक तरफ तो वो शांति की बात कर रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ उनके हमले लगातार जारी हैं।

सिडनी में ओपेरा हाउस खुला

सिडनी का ओपेरा हाउस, जो अपने विशेष आकार की वजह से टूरिस्ट अट्रेक्शन है।

ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में ओपेरा हाउस को 1973 में 20 अक्टूबर को पहली बार जनता के लिए खोला गया था। इसका उद्घाटन क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय ने किया था। इस ओपेरा हाउस का डिजाइन डेनमार्क के आर्किटेक्ट जोर्न उत्जन ने किया था, जिनके डायनामिक, इमेजिनेटिव लेकिन प्रॉब्लमेटिक प्लान ने 1957 में एक इंटरनेशनल कॉम्पिटिशन जीती थी। यूनेस्को ने इस बिल्डिंग को वर्ल्ड हेरिटेज साइट की लिस्ट में शामिल किया है। मार्च 1959 में इसका निर्माण शुरू हुआ और इस पर 10 करोड़ डॉलर खर्च हुए थे।

आज की तारीख को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता हैः

  • 1568: अकबर ने चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण किया।
  • 1740: मारिया थेरेसा ऑस्ट्रिया, हंगरी और बोहेमिया के शासक बने।
  • 1774: कलकत्ता (अब कोलकाता) भारत की राजधानी बना।
  • 1880: एम्सटर्डम मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना हुई।
  • 1855: गुजराती साहित्य के कथाकार, कवि, और चरित्र लेखक गोवर्धनराम माधवराम त्रिपाठी का जन्म।
  • 1904: चिली और बोलीविया ने शांति और मित्रता की संधि पर हस्ताक्षर किया।
  • 1905: रूस में 11 दिन तक चली ऐतिहासिक हड़ताल की शुरुआत हुई।
  • 1920: पश्चिम बंगाल के भूतपूर्व मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर राय का जन्म।
  • 1930: भारत में उच्च न्यायालय की प्रथम महिला न्यायाधीश लीला सेठ का जन्म।
  • 1946: वियतनाम की डेमोक्रेटिक रिपब्लिकन सरकार ने को वियतनाम महिला दिवस के रूप में घोषित किया।
  • 1947: अमेरिका और पाकिस्तान ने पहली बार राजनयिक संबंध स्थापित किए थे।
  • 1970: सैयद बर्रे ने सोमालिया को समाजवादी राज्य घोषित किया।
  • 1978: प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी वीरेन्द्र सहवाग का जन्म।
  • 1982: वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी तथा केरल और मध्य प्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल निरंजन नाथ वांचू का निधन।
  • 1991: उत्तरकाशी में 6.8 तीव्रता के भूकंप से 1000 से ज्यादा लोगों की मौत।
  • 1995: श्रीलंकाई क्रिकेट टीम ने वेस्टइंडीज को हराकर शारजाह कप फाइनल ट्रॉफी अपने नाम की।
  • 2007: अली लारीजानी के त्यागपत्र के बाद ईरान के विदेश उपमंत्री सईद जलाली नए प्रमुख परमाणु वार्ताकार बने।
  • 2011: लीबिया पर 40 साल तक राज करने वाला तानाशाह मोहम्‍मद गद्दाफी गृहयुद्ध में मारा गया।


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Today History for October 20th/ What Happened Today | China Attacked India in 1962 War | Calcutta Became Capital of British India | Virender Sehwag Birthday


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कॉफी के नुकसान और फायदे को लेकर क्या कहती हैं अलग-अलग स्टडी; कैसी और कितनी मात्रा में पियें कॉफी?

डॉन मैक्केन. कॉफी हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा है। हम अपनी डेली लाइफ में कई बार कॉफी पीते हैं। एक अध्ययन में यह पाया गया है कि आमतौर कॉफी पसंद करने वाले लोग एक दिन में 3 से 5 कप कॉफी पी जाते हैं यानी एक दिन में एक व्यक्ति 400 मिलीग्राम कॉफी पीता है।

अमेरिकी नेशनल कैंसर स्कूल में रिसर्चर एरिका लॉफ्टफील्ड के मुताबिक, स्टडी के दौरान यह लगातार पाया गया कि कॉफी से मृत्यु का कोई लेना-देना नहीं है। यानी कॉफी ऐसी चीज नहीं है, जिसके नॉर्मल यूज से किसी की जिंदगी खतरे में आ जाए।

2015 में कॉफी को हेल्दी डाइट का हिस्सा माना गया

  • सालों से लोग यह मानते आए हैं कि कॉफी कैंसर का कारण बन सकती है। लेकिन, 2015 में अमेरिकी एडवाइजरी कमेटी की डाइट को लेकर जारी की गई गाइडलाइन ने कॉफी के बारे में लोगों की सोच को बदल दिया। पहली बार ऐसा हुआ कि इस कमेटी ने कॉफी के नॉर्मल यूज को हेल्दी डाइट का हिस्सा माना।
  • उसके बाद 2017 में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ने लिखा कि कॉफी का नॉर्मल यूज फायदेमंद ज्यादा है और नुकसानदेह कम। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के लेखकों ने 200 अध्ययनों का रिव्यू करके लिखा कि सामान्य तौर पर कॉफी पीने वालों को हृदय से जुड़े रोग कम होते हैं।
  • डॉक्टर गियुस्पे ग्रॉसो के मुताबिक, एक दिन में तीन से पांच कप कॉफी पीने से टाइप-2 डाइबिटीज का रिस्क कम हो जाता है। कॉफी का सबसे ज्यादा फायदेमंद पक्ष यह है कि इसके इस्तेमाल से शरीर में पॉलीफेनल बन सकता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है।

गर्भवती महिलाओं के लिए ठीक नहीं कॉफी

  • कॉफी को लेकर बहुत सारे लोग एडिक्ट हो जाते हैं, जिसको लेकर हमेशा चिंता जाहिर की जाती रही है। अमेरिकी संस्थाएं कॉफी को लेकर होने वाले नुकसान पर अध्ययन कर रही हैं। अभी तक इसके नुकसान को लेकर जो कुछ भी कहा जाता रहा है, वह बस एक तरह का अनुमान ही होता है। ज्यादा कॉफी पीने से क्या नुकसान है, यह अभी तक भी साफ नहीं हो सका है।
  • जो महिलाएं मां बनने वाली होती हैं, उनके लिए कॉफी नुकसानदेह हो सकती है, यह बात कई अध्ययन में सामने आ चुकी है। कॉफी के इस्तेमाल से शरीर में कैफीन की मात्रा बढ़ जाती है, जो गर्भ में बच्चे के लिए सही नहीं माना जाता।
  • इडनबर्ग यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर जॉनथन फॉलोफील्ड कहते हैं, “कॉफी से हमें हेल्थ बेनीफिट मिल सकता है, लेकिन मैं इस बात को लेकर अभी पूरी तरह से श्योर नहीं हूं।”

कहीं आपके कॉफी बनाने का तरीका गलत तो नहीं

  • आप किस तरह की कॉफी बनाते हैं, डार्क या हल्की? कॉफी बीन्स को ग्राइंड करके या नॉर्मल? इन तरीकों से कॉफी के टेस्ट पर फर्क पड़ता है। लेकिन, अमेरिकी नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट में सीनियर रिसर्चर नियल फ्रीडमैन कहती हैं कि कॉफी से होने वाले फायदों पर भी फर्क पड़ता है। कितना फर्क पड़ता है, अभी इस पर अध्ययन जारी ही है।
  • एक्सपर्ट नियल फ्रीडमैन उदाहरण देते हुए बताती हैं कि बहुत से लोग कॉफी बीन्स को रोस्ट करके कॉफी बनाते हैं, जो कॉफी से क्लोरोजेनिक एसिड की मात्रा को कम कर देता है। एस्प्रेसो कॉफी में पानी का बहुत कम इस्तेमाल किया जाता है, जिससे उसमें कॉफी के कंपाउंड्स की मात्रा बहुत ज्यादा होती है।
  • जामा इंटर्नल मेडिसिन ने ब्रिटेन में 5 लाख लोगों की कॉफी हैबिट पर किए गए अध्ययन में पाया कि सभी तरीकों से कॉफी बनाकर पीने से लोगों में कोई बहुत बड़ा फर्क नहीं पड़ा, लेकिन तेजी से कॉफी बनाकर पीने (क्विक कॉफी) से लोगों में ज्यादा एसिड बनता दिखा। जामा इंटर्नल मेडिसिन में असिस्टेंट प्रोफेसर सी. कोर्नेलिस के मुताबिक, अलग-अलग तरीकों से कॉफी बना कर पीने से कोलेस्ट्रॉल लेवल ऊपर-नीचे हो सकता है।


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What different studies say about the disadvantages and benefits of coffee; What amount of coffee should we drink?


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जदयू के हरिनारायण पिछली बार 75 के थे, अब 73 के हैं; पूनम देवी 5 साल से 48 की हैं, माले की शशि की उम्र 6 साल में 11 साल बढ़ी

5 साल पहले अगर आपकी उम्र 25 साल थी, तो जाहिर है कि अब आप 30 साल के हो गए होंगे। प्रकृति का नियम भी यही कहता है। लेकिन, प्रकृति का ये नियम नेताओं पर शायद लागू नहीं होता। क्योंकि, ये नेता 5 साल पहले जितनी उम्र के थे, अब उनकी उम्र या तो घट गई है या पांच साल से ज्यादा बढ़ गई है या फिर उतनी ही है।

बिहार चुनाव के दूसरे फेज के लिए कैंडिडेट्स का नॉमिनेशन हो चुका है। हमने दोनों बड़े गठबंधनों के उन कैंडिडेट्स की डीटेल निकाली, जो पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं, तो कई कैंडिडेट्स की उम्र में घोटाला दिखा। जिन कैंडिडेट्स की उम्र में एक साल का हेरफेर था, उन्हें छोड़ने के बाद भी 10 नाम ऐसे मिले, जिनकी उम्र में घोटाला था। (पहले फेज के कैंडिडेट्स का उम्र घोटाला यहां पढ़ें) चलिए एक-एक करके जानते हैं इनके बारे में...

वो, जिनकी उम्र 5 साल में 5 साल से ज्यादा बढ़ गई

रेणु देवीः 5 साल में 8 साल बढ़ गईं

रेणु देवी बेतिया सीट से भाजपा की उम्मीदवार हैं। यहां से पहले चार बार विधायक रह चुकी हैं। 2015 में हार गई थीं। रेणु देवी की उम्र 5 साल में 8 साल बढ़ी है। इस बार उन्होंने जो एफिडेविट दाखिल किया है, उसमें अपनी उम्र 60 साल बताई है। जबकि, 2015 के वक्त इनकी उम्र 52 साल थी।

रवि ज्योतिः 5 साल में 9 साल बढ़ गए

रवि ज्योति इस बार राजगीर सीट से कांग्रेस के टिकट पर लड़ रहे हैं। पिछली बार जदयू के टिकट पर यहां से जीते थे। लेकिन, इस बार टिकट कटने से नाराज होकर उन्होंने जदूय छोड़कर कांग्रेस ज्वॉइन कर ली। रवि ज्योति वो हैं, जिनकी उम्र 5 साल में 5 साल नहीं, बल्कि 9 साल बढ़ी है।

2015 में वो 42 साल के थे और इस बार एफिडेविट में अपनी उम्र 51 साल बताई है।

शशि यादवः 6 साल में 11 साल बढ़ गईं

आप भी सोचेंगे कि कोई 6 साल में 11 साल कैसे बढ़ सकता है। यानी देखा जाए तो हर साल दो बार बर्थडे मनाया। भाकपा (माले) की शशि यादव के साथ तो ऐसा ही हुआ है। शशि यादव दीघा सीट से भाकपा (माले) की कैंडिडेट हैं। शशि यादव ने 2014 का लोकसभा चुनाव नालंदा सीट से लड़ा था, लेकिन हार गई थीं। उस समय उन्होंने एफिडेविट में अपनी उम्र 40 साल बताई थी। 6 साल बाद वो दीघा से विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं और इस बार उन्होंने अपनी उम्र 51 साल बताई है।

वो, जिनकी उम्र 5 साल में एक या दो साल ही बढ़ी

नारायण प्रसादः 5 साल में एक साल ही बढ़े

नारायण प्रसाद 1985 से राजनीति में हैं। नौतन सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं। पिछले चुनाव में यहां से पहली बार जीते थे। आमतौर पर कोई भी व्यक्ति 5 साल में 5 साल बढ़ता है, लेकिन ये ऐसे हैं, जो 5 साल में सिर्फ एक साल ही बढ़े।

उनके एफिडेविट में 2015 में उम्र 60 साल बताई गई थी और इस बार अपनी उम्र 61 साल बताई है।

पंकज मिश्राः 5 साल में दो साल ही बढ़े

पंकज मिश्रा रुन्नीसैदपुर सीट से जदयू के उम्मीदवार हैं। पिछली बार रालोसपा के टिकट पर यहीं से खड़े हुए थे, लेकिन हार गए थे। इस बार जदयू के टिकट पर लड़ रहे हैं। ये भी ऐसे हैं, जिनकी उम्र 5 साल में दो साल ही बढ़ी। 2015 में ये 44 साल के थे और अब 46 साल के हैं।

आशा देवीः 5 साल में उम्र 52 से 54 हुई

आशा देवी भाजपा के टिकट पर दानापुर सीट से लड़ रही हैं। पिछले चार चुनावों से यहां से जीत रही हैं। आशा देवी उन नेताओं में हैं, जिनकी उम्र 5 साल में दो साल ही बढ़ी। आशा देवी 2015 में 52 साल थीं और अब 54 की हैं।

रणविजय सिंहः ये भी 5 साल में दो साल ही बढ़े

रणविजय सिंह 2015 में बख्तियारपुर सीट से पहली बार जीते थे। इस बार भी यहीं से भाजपा के उम्मीदवार हैं। पंकज मिश्रा और आशा देवी की तरह ही रणविजय सिंह भी ऐसे ही हैं, जिनकी उम्र 5 साल में दो साल ही बढ़ी। रणविजय ने 2015 में अपनी उम्र 42 साल बताई थी और इस बार 44 साल बताई है।

सुनील कुमारः 5 साल में 3 साल ही उम्र बढ़ी

2015 में सीतामढ़ी सीट से राजद के सुनील कुमार पहली बार विधायक बने थे। इस बार फिर यहीं से लड़ रहे हैं। सुनील कुमार 2015 में 39 साल के थे। तो अब उनकी उम्र कायदे से 44 साल होनी चाहिए थी। लेकिन, ऐसा नहीं है। इस बार उन्होंने जो एफिडेविट दिया है, उसमें अपनी उम्र 42 साल बताई है। यानी, 5 साल में तीन साल ही बड़े हुए। ऐसे कैसे हुआ?

वो, जो 5 साल में बढ़ने की बजाय छोटे हो गए

हरिनारायण सिंहः उम्र नहीं बढ़ी, दो साल छोटे हो गए

जदयू के हरिनारायण सिंह पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। 1967 से राजनीति में हैं। शिक्षा मंत्री भी रहे हैं। हरिनारायण सिंह की उम्र 2015 में 75 साल थी। इस हिसाब से आज इनकी उम्र 80 साल होनी चाहिए थी। लेकिन, उम्र 80 साल तो नहीं, बल्कि दो साल और कम हो गई। ये शायद वो हैं, जो समय गुजरने के साथ छोटे होते हैं। इस बार एफिडेविट में इन्होंने अपनी उम्र 73 साल बताई है।

वो, जिनकी उम्र 5 साल में एक दिन भी नहीं बढ़ी

पूनम देवी यादवः इनकी उम्र न बढ़ी, न कम हुई

जदयू की पूनम देवी यादव 5वीं बार खगड़िया से चुनाव लड़ रही हैं। पिछले चार चुनाव से यहां से जीत रही हैं। 2015 में इन्होंने अपने एफिडेविट में बताया था कि इनकी उम्र 48 साल है। 2015 को बीते हुए 5 साल होने वाले हैं। इन 5 सालों में इनकी उम्र जरा भी नहीं बढ़ी है। वो तब भी 48 की थीं और अब भी 48 की ही हैं।

उम्र में घोटाला पार्ट-1:जदयू के सत्यदेव 1950 में पैदा हुए, उम्र बताई 61 साल, भाजपा की निक्की 5 साल से 42 की ही हैं; मंत्री जय कुमार 5 साल में 10 साल बढ़ गए



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Age Fraud In Bihar Election (Complete List 2020 Update); BJP Renu Devi, Narayan Prasad To JDU Leader Harinarayan Singh


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