शुक्रवार, 12 जून 2020

ब्राजील में संक्रमितों का आंकड़ा 8 लाख के पार, लगातार पांचवे दिन 30 हजार से ज्यादा मामलों की पुष्टि; दुनिया में अब तक 75 लाख से ज्यादा मरीज

दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 4 लाख 23 हजार 086 लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमितों का आंकड़ा 75 लाख 83 हजार 915 हो गया है। इसी दौरान 38 लाख 35 हजार 187 लोग स्वस्थ भी हुए। ब्राजील से एक अहम खबर है। यहां संक्रमितों की संख्या 8 लाख से ज्यादा हो गई है। यहां महामारी के हालात यह हैं कि लगातार पांच दिन से 30 हजार से ज्यादा संक्रमित रोज मिल रहे हैं। राष्ट्रपति जायर बोल्सोनोरो की देश ही नहीं, बल्कि दुनिया में भी आलोचना हो रही है। शुरुआत में उन्होंने कोरोनावायरस को मामूली फ्लू बताया था।

कोरोनावायरस : 10 सबसे ज्यादा प्रभावित देश

देश

कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए
अमेरिका 20,89,701 1,16,034 8,16,086
ब्राजील 8,05,649 41,058 3,96,692
रूस 5,02,436 6,532 2,61,150
भारत 2,98,283 8,501 1,46,972
ब्रिटेन 2,91,409 41,279 उपलब्ध नहीं
स्पेन 2,89,787 27,136 उपलब्ध नहीं
इटली 2,36,142 34,167 1,71,338
पेरू 2,14,788 6,109 1,02,429
जर्मनी 1,86,795 8,851 1,71,200
ईरान 1,80,156 8,584 1,42,663

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ब्राजील : हर दिन बढ़ती मुश्किलें
राष्ट्रपति बोल्सोनोरो की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। देश में संक्रमण के 8 लाख से ज्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है। 24 घंटे में यहां 30 हजार 412 मरीज सामने आए। दिक्कत की बात यह है कि लगातार पांच दिन से यहां हर रोज 30 हजार से ज्यादा संक्रमितों की पुष्टि हो रही है। मरने वालों का आंकड़ा भी 40 हजार से ज्यादा हो गया है। गुरुवार को 1239 लोगों की मौत हुई। अमेरिका के बाद ब्राजील में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं।

बचाव के लिए मास्क सबसे ज्यादा उपयोगी
टेक्सॉस और कैलिफोर्निया में हुई एक स्टडी में कहा गया है कि वायरस हवा के जरिए सबसे तेजी से फैलता है। लिहाजा, मास्क ही संक्रमण से बचने का सबसे बेहतर तरीका है। एटमॉस्फेरिक साइंस के रिसर्चर रेन्यी झांग की टीम ने इटली और न्यूयॉर्क में मास्क को अनिवार्य बनाए जाने के पहले और बाद के नतीजों का अध्यन किया। रिसर्च डेटा में सामने आया कि जैसे ही इन दोनों जगहों पर मास्क जरूरी किया गया तो मामले कम होने लगे।

इजराइल की औद्योगिक राजधानी तेल अवीव के एक रेस्टोरेंट में मास्क पहनकर बैठीं महिलाएं। गुरुवार को टेक्सॉस और कैलिफोर्निया में हुई एक स्टडी की रिपोर्ट जारी की गई। इसमें कहा गया है कि संक्रमण को रोकने के लिए सबसे अच्छा विकल्प मास्क है।

इटली: बच्चों पर खतरा
इटली के पब्लिक सेफ्टी डिपार्टमेंट ने एक बयान में कहा है कि देश में महामारी की शुरुआत से अब तक 4564 बच्चे संक्रमित हो चुके हैं। इतना ही नहीं चार बच्चों की मौत भी हो चुकी है। संक्रमित बच्चों में ज्यादातर की उम्र 7 से 17 साल के बीच है। बीमारी से मारे गए सभी बच्चे सात साल से कम उम्र के थे। सभी संक्रमित बच्चों को इलाज घर पर ही किया गया। सिर्फ 100 बच्चों को ही अस्पतालों में भर्ती कराया गया था। बयान के मुताबिक, अगर स्कूलों को बंद नहीं किया गया होता तो संक्रमित बच्चों की संख्या ज्यादा हो सकती थी।

मैक्सिको : राहत के संकेत नहीं
लैटिन अमेरिका में संक्रमण के मामले कम होते नहीं दिखते। ब्राजील और पेरू के बाद मैक्सिको में भी महामारी तेजी से फैल रही है। सरकार ने कुछ सख्त पाबंदियां लगाई हैं। बाजार बंद हैं लेकिन, इसके बावजूद मामले कम नहीं हो रहे। गुरुवार को यहां 4790 नए केस सामने आए। देश में कुल संक्रमितों की संख्या 1 लाख 33 हजार 974 हो गई। 24 घंटे में 587 लोगों की मौत हुई। मरने वालों का आंकड़ा 15 हजार 944 हो गया। सरकार ने खुद कहा है कि मरने वालों और संक्रमितों की तादाद इससे ज्यादा हो सकती है।

मैक्सिको में भी मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे। इस छोटे से देश में गुरुवार को करीब पांच हजार नए संक्रमितों की पुष्टि हुई। सरकार ने खुद माना है कि संक्रमितों और मरने वालों का आंकड़ा ज्यादा होने की आशंका है। फोटो मैक्सिको सिटी के एक ट्रैफिक सिग्नल के करीब मास्क लगाकर खड़ी महिला की है।

पाकिस्तान : फिर तेजी से बढ़े मामले
इमरान खान सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। देश में गुरुवार को लगातार दूसरे दिन 6 हजार से ज्यादा नए संक्रमितों की पुष्टि हुई। डॉन न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, संक्रमितों की संख्या सरकारी आंकड़ों पर आधारित है और हकीकत में मामले बहुत ज्यादा हो चुके हैं। नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन के सांसद ख्वाजा आसिफ ने गुरुवार को कहा कि इमरान सरकार मुल्क को संभालने में हर मोर्चे पर नाकाम रही है। आसिफ ने कहा- अब ऊपर वाला ही इस मुल्क की हिफाजत कर सकता है।

पाकिस्तान में बुधवार के बाद गुरुवार को भी यानी लगातार दूसरे दिन 6 हजार से ज्यादा संक्रमितों की पुष्टि हुई। विपक्षी सांसद और पूर्व सांसद ख्वाजा आसिफ ने कहा कि अब ऊपर वाला ही मुल्क की हिफाजत कर सकता है। यहां अब भी ज्यादातर लोग न तो मास्क लगा रहे हैं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं। फोटो गुरुवार को कराची के एक बाजार से गुजरती महिला की है।


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ब्राजील में संक्रमण बेकाबू होता नजर आ रहा है। सरकार का विरोध भी तेज हो गया है। गुरुवार को राजधानी रियो डि जेनेरियो के कोपाकाबाना बीच पर एक एनजीओ के लोगों ने करीब 100 कब्र तैयार कीं। इनका कहना है कि महामारी से लोग मर रहे हैं और सरकार नाकाम रही है। इसलिए ये कब्र काम आएंगी।


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सुप्रीम कोर्ट आज प्राइवेट कंपनियों की याचिकाओं पर फैसला सुनाएगा, कंपनियों ने गृह मंत्रालय के ऑर्डर को चैलेंज किया था

सुप्रीम कोर्ट आज प्राइवेट कंपनियों की याचिकाओं पर फैसला सुनाएगा। गृह मंत्रालय ने 29 मार्च को कहा था कि कर्मचारियों को लॉकडाउन पीरियड की पूरी सैलरी दी जाए। कुछ प्राइवेट कंपनियों ने इस आदेश को कोर्ट में चैलेंज किया था।उनका कहना थाकि लॉकडाउन में काम बंद होने की वजह से आर्थिक दिक्कतें हैं।

26 मई की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा था कि एक हफ्ते में हलफनामे के जरिए जवाब दें। सरकार ने 4 जून को कहा था जो कंपनियां सैलरी देने में दिक्कत होने की बात कर रही हैं उन्हें अपनी ऑडिटेड बैलेंस शीट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए जाने चाहिए।

कोर्ट ने कहा- सरकार मध्यस्थ बन सकती है
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम आर शाह की बेंच इस केस की सुनवाई कर रही है। बेंच ने 4 जून को फैसला रिजर्व रख लिया था। कोर्ट ने कहा था कि कर्मचारियों को बिना सैलरी दिए नहीं छोड़ना चाहिए। कंपनियों के पास पैसे नहीं हैं तो सरकार मध्यस्थ बन सकती है। कोर्ट ने ये भी कहा कि सैलरी का 50% पेमेंट भी किया जा सकता था।



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लॉकडाउन में प्रोडक्शन बंद रहने से कई कंपनियों को आर्थिक दिक्कतें हो रहीं। ये फोटो गुड़गांव के उद्योग विहार इंडस्ट्रियल एरिया के कर्मचारियों की है।


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कोरोना मरीजों के इलाज और सम्मान से अंतिम संस्कार पर आज होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट कोरोनावायरस के मरीजों के इलाज और इससे हो रही मौतों में शवों के अंतिम संस्कार के तरीकों पर आज सुनवाई करेगा। कुछ मीडिया रिपोर्ट, साथ ही पूर्व कानून मंत्री और वकील अश्विनी कुमार के एक पत्र में आरोप लगाया गया था कि कोरोना संक्रमितों का ठीक से इलाज नहीं किया जा रहा। इसके अलावा इस महामारी से जान गंवाने वालों के शवों का गरिमापूर्ण तरीके से अंतिम संस्कार भी नहीं किया जा रहा। सुप्रीम कोर्ट ने इन आरोपों पर गुरुवार को खुद नोट लिया।

अश्विनी कुमार ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे को पत्र भेजकर नोट लेने का आग्रह किया था। उन्होंने अपने दावे के समर्थन में बताया था कि मध्यप्रदेश में एक मरीज के शव को जंजीरों से बांधकर रखा गया। उन्होंने अस्पतालों में मरीजों के शव एक-दूसरे पर रखने का भी हवाला दिया था। वकील ने अपने पत्र में सम्मान पूर्वक अंतिम संस्कार के नागरिक अधिकार का भी जिक्र किया।

चीफ जस्टिस ने यह केस जस्टिस अशोक भूषण की अगुआई वाली बेंच को भेजा है। इसमें, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह भी शामिल हैं।

मजदूरों के मामले में भी नोट लिया था
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के मामले में भी नोट लिया था। अदालत ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकारों को 15 दिन में मजदूरों को उनके घर भेजने का आदेश दिया था।

चेन्नई के शेल्टर होम में संक्रमण के मामले में भी नोट लिया
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के एक शेल्टर होम में 35 बच्चों के कोरोना संक्रमित होने पर भी नोट लिया है और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही पूछा है कि वह बच्चों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठा रही है।



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यह तस्वीर नई दिल्ली की है। यहां कोरोना के मरीज के शव का उसके परिजन और स्वास्थ्यकर्मी अंतिम संस्कार कर रहे हैं। पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे को भेजे पत्र में लिखा कि अस्पतालों में कोरोना के मरीजों के शवों का प्रबंधन ठीक से नहीं हो रहा।


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पिछले 24 घंटे में 11128 मरीज बढ़े, लगातार तीसरे दिन 9500 से ज्यादा पॉजिटिव मिले; अब तक 2.98 लाख मामले

देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2 लाख 98 हजार 238 हो गई है। गुरुवार को लगातार तीसरे दिन 9500 से ज्यादा मरीज बढ़े और रिकॉर्ड 393 लोगों की जान गई। ये आंकड़े covid19india.org के आधार पर हैं। इसके अलावा भारत मरीजों के मामले में स्पेन (2.89 लाख) और ब्रिटेन (2.91 लाख) से आगे निकल गया। अब हम दुनिया में चौथे नंबर पर आ गए हैं। फिलहाल, टॉप-7 संक्रमित देशों में अमेरिका, ब्राजील, रूस, भारत, ब्रिटेन, स्पेन और इटली हैं। लेकिन रिकवरी रेट में भारत अभी अमेरिका से बेहतर है।

महाराष्ट्र और दिल्ली में रिकॉर्ड मरीज बढ़े
गुरुवार को महाराष्ट्र और दिल्ली में एक दिन में सबसे ज्यादा संक्रमित मिले। महाराष्ट्र में 3607 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई और 152 ने जान गंवाई। यहां कुल 97 हजार 648 मरीज हो गए। वहीं दिल्ली में 1877 मरीज मिले और 101 मौते हुईं। इसी के साथ राजधानी में संक्रमितों की संख्या 34 हजार 687 हो गई। दिल्ली में अब तक कोरोना से 1085 लोग दम तोड़ चुके हैं।

5 राज्यों का हाल
मध्यप्रदेश: यहां गुरुवार को 192 नए मरीज सामने आए और 4 की मौत हुई। भोपाल में 85, इंदौर में 41 और उज्जैन में 14 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई।प्रदेश में 10 हजार 241 संक्रमित मिल चुके हैं। इनमें से 2768 एक्टिव केस हैं। मध्यप्रदेश में सातवांऐसाराज्य बन गया है, जहां सबसे ज्यादा केस हैं।

उत्तरप्रदेश: राज्य में गुरुवार को 478 कोरोना संक्रमित मिले और 24 ने जान गंवाई। गौतमबुद्धनगर में 41, लखनऊ में 30, जौनपुर में 20, गाजियाबाद और हरदोई में 16-16 जबकि मेरठ में 18 मरीज मिले। प्रदेश मेंमृतकों का आंकड़ा 345पहुंच गया है। यहां कुल 12 हजार 88 मरीज मिल चुकेहैं, इनमें से 4451 एक्टिव केस हैं।

महाराष्ट्र:यहां गुरुवार को 3607 नए कोरोना मरीज मिले और 152 की जान गई। यह दोनों आंकड़े एक दिन में सर्वाधिक हैं। प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 94 हजार 648 हो गई, इनमें से 47 हजार 980 एक्टिव केस हैं। महाराष्ट्र में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 3590 हो गया है।

राजस्थान: यहांगुरुवार को कोरोना के 238 नए केस सामने आए और 6 मरीजों ने दम तोड़ा। जोधपुर में 62, अलवर में 44,जयपुर में 38, अजमेर में 14 और धौलपुर में 12 संक्रमित मिले। राज्य में अब मरीजों का आंकड़ा 11 हजार 838 पर पहुंच गया, इनमें से 2798 एक्टिव केस हैं। प्रदेश में कोरोना से 265 मौतें हो चुकी हैं।

बिहार:प्रदेश में गुरुवार को 250 लोगों को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई और कोई मौत नहीं हुई। सीवान में 60, मुंगेर में 36, औरंगाबाद में 19, भागलपुर और कैमूर में 10-10 जबकि मधेपुरा में 16 मरीज मिले। संक्रमितों की कुल संख्या 5948हो गई, इनमें से 2828 एक्टिव केस हैं। बिहार में कोरोना से 34 लोगों की जान गई है।



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रोजी-रोटी की तलाश में निकले खानाबदोश, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ भक्त कर सकें भगवान का जलाभिषेक इसलिए की जुगाड़ा

फोटो गंगानगर के लिखमीसर गांव की है। कोरोना के चलते पिछले लगभगतीन माह से लॉकडाउन के चलते आम-आदमी घरों में कैद होकर रह गए थे। ऐसे में रोजी-रोटी का जुगाड़ करने के लिए जगह-जगह घूम-घूम कर जीवन-यापन करने वालों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा ही कुछ गांव लखासर के नजदीक पीलीबंगा की तरफ जाते खानाबदोश लोग बैलगाड़ियों से पूरे परिवार के साथ गंतव्य की ओर निकल पड़े।

बाबा बालक नाथ मंदिर में भक्त अब चढ़ा सकेंगे जल

फोटो चंडीगढ़ के सेक्टर-29 स्थित बाबा बालक नाथ मंदिर की है।मंदिर में भक्तों की सुविधा के लिए एक ऐसा स्टैंड स्टील का बनाया गया है जिस में पानी डालते ही वह पानी पाइप से होता हुआ शिवालय पर पहुंच जाएगा। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी होगा और लोग शिवालय को हाथ भी नहीं लगा सकेंगे।

तिरुपति बालाजी मंदिर 83 दिन बाद भक्तों के लिए खुला

फोटो आंध्रप्रदेश स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर की है। गुरुवार को 83 दिन बाद लिए खोल दिया गया। पहले दिन 6 हजार श्रद्धालु पहुंचे। मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग के लिए हर घंटे सिर्फ 500 लोगों को प्रवेश मिला। 10 साल से छोटे बच्चों और बुजुर्गों को प्रवेश नहीं करने दिया गया। कोरोनावायरस से बचने के लिए मंदिर का ज्यादातर स्टाफ पीपीई किट में नजर आया। श्रद्धालुओं का मुंडन करने वाले मंदिर के कर्मचारी भी पीपीई किट में थे।

कोरोना से ज्यादा खाली पेट का डर

फोटो चंडीगढ़ की है। कोरोना काल में सख्त हिदायत है कि 10 साल से छोटे बच्चों को बाहर न निकलने दें। लेकिन इंडस्ट्रियल फेज-1 की कॉलोनी नंबर-4 के इन बच्चों को बाहर निकलना ही पड़ रहा है। क्योंकि पेट खाली है, घर में अन्न का दाना नहीं है। मजबूरी में लंगर की लाइन में चिलचिलाती धूप में खड़ा होना पड़ता है। वीरवार को 20 कदम की दूरी में 43 जन खड़े थे, जिनमें 37 ऐसे बच्चे थे, जिनकी उम्र 10 साल से कम थी। इन्हें कोरोना से ज्यादा खाली पेट का डर सता रहा है।

आज के हालातों का परिदृश्य

पेंटिंग हिंडौनसिटी के खिजूरी गांव के एक युवक द्वारा बनाई गई है। गांव के महाराजा सूरजमल ड्राइंग एंड पेंटिंग विश्व विद्यालय के छात्र पवन बंशीवाल ने विश्व पर्यावरण दिवस पर नेशनल स्तर पर 5 जून को आयोजित ऑनलाइन ड्राइंग प्रतियोगिता में भाग लिया। जिसमें पवन ने कोरोना वायरस पर एक पेंटिंग बनाकर ऑनलाइन भेजी। जिसका पांच टॉप पेटिंगों में चयन हुआ और उसे नेशनल अवार्ड से नवाजा गया।

रिपोर्ट निगेटिव फिर भी परिजन को मौत की सूचना तक नहीं दी

फोटो रतलाम के मुक्तिधाम की है। रतलाम मेडिकल कॉलेज में जावरा की शांतिबाई की बुधवार शाम मौत हो गई। प्रशासन ने परिजनों करे सूचना तक नहीं दी। उनकी रिपोर्ट दो बार निगेटिव आ चुकी थी। फिर भी कोरोना प्रोटोकॉल के तहत नगर निगम ने रतलाम में अंतिम संस्कार किया। दूसरों से परिजनों को पता चला तो वे सुबह 8 बजे मुक्तिधाम पहुंचे। जहां 5 घंटे बाद शव लाया गया। बेटे राकेश का आरोप है कि शव वाहन के साथ आए लोगों ने चिता में ही पीपीई किट और ग्लव्जडाल दिए।

मांस खाने आ रहे कौओं को भगाती रही मां

फोटो मध्यप्रदेश के बिजासन घाट की है।अज्ञात वाहन ने कुत्ते के बच्चे को टक्कर मार दी। इससे उसकी मौत हो गई। मौत के बाद मां शव के पास घंटों बैठकर अपने मरे हुए बच्चे के शव को दुलारती रही। मांस खाने आ रहे कौओं को बार-बार भगाती नजर आई। 2 घंटे तक हाइवे पर ये सिलसिला चला। आखिर में हाइवे पर टोल संचालित करने वाली कंपनी के कर्मचारियों ने शव को सड़क से हटाया।

250 खेतों में दो लाख से ज्यादा केले के पौधेजमीन पर बिछे

फोटो मध्यप्रदेश के बुरहानपुर की है। यहां बुधवार रात बूंदाबादी के साथ आंधी चली। ऐसा बवंडर उठा कि 250 से ज्यादा खेतों में दो लाख से ज्यादा केले के पौधे पूरी तरह जमींदोज हो गए।
प्री मानसून: तेज बारिश का अनुमान

फोटो खरगोन के नर्मदा घाट क्षेत्र की है। बुधवार को रिमझिम बारिश के बाद आसपास के क्षेत्र का मौसम सुहावना हो गया। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में कम दबाव क्षेत्र में बारिश हुई। मौसम विभाग का अनुमान है कि कल इलाके में बारिश हो सकती है।

प्री-मानसून बारिश से नर्मदा का जलस्तर 127 मी. पहुंचा

फोटो बड़वानी जिले के राजघाट की है, यहां नर्मदा का जलस्तर 127 मी. पर पहुंच गया है। मालवा-निमाड़ में बीते पांच दिन से रुक-रुक कर बारिश होने से नदी का जलस्तर बढ़ गया। इससे राजघाट पुल डूबने की स्थिति में पहुंच गया है। एहतियातन जिला प्रशासन ने पुल से आवागमन बंद करा दिया है। बड़वानी जिले में अब तक 113.8 मिमी बारिश हो चुकी है। यह अब तक की सामान्य बारिश 22.4 से 408 फीसदी ज्यादा है।

सतलुज दरिया का पानी साफ, पहली बार दिखी इंडस रिवर डॉल्फिन

फोटो फिरोजपुर जिले के हरिके पत्तन की है। लॉकडाउन के बाद हवा और पानी में बदलाव आया है। प्रदूषण कम होने से सतलुज का काला पानी साफ दिखाई देने लगा है। इंडस रिवर डॉल्फिन पहली बार सतलुज दरिया में अठखेलियां करतीदिखाई दी।



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The nomads who came out in search of livelihood, could devote the devotees with social distancing so that the goddess's Jalabhishek is done


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हफ्ते में 5 दिन खुलेगा पूरा भोपाल, व्यापारियों से चर्चा के बाद लागू होगी नई व्यवस्था; पंजाब में शनिवार, रविवार और छुट्टियों पर बाजार रहेगा बंद, बाहर निकलने पर बैन

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुएपंजाबऔर मध्यप्रदेशसरकार ने लॉकडाउन को सख्ती से लागू करने का फैसला किया है। जहां पंजाब सरकार ने शनिवार, रविवार और पब्लिक हॉलिडे परपूरे राज्य मेंसभी दुकानें, बाजार बंद और घर से निकलने पर पूरी तरह पाबंदी रखने का फैसला किया है। वहीं, मध्यप्रदेश सरकार ने राजधानी भोपाल मेंसप्ताह में पांच दिन पूरा शहरखोलने की घोषणा की है। यहांशनिवार-रविवार को दो दिन दूध-दवाई जैसी आवश्यक वस्तुओं की दुकानों को छोड़कर शहर पूरी तरह बंद रहेगा।

मध्यप्रदेश: भोपाल मेंदो दिन शनि-रवि को बंद रखे जाएंगे बाजार

भोपाल में कोरोना संक्रमण लगातार फैल रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है।गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सप्ताह में पांच दिन पूरा भोपाल खोलने की घोषणा की है। शनिवार-रविवार को दो दिन दूध-दवाई जैसी आवश्यक वस्तुओं की दुकानों को छोड़कर शहर पूरी तरह बंद रहेगा। फिलहाल क्लस्टर और नंबर सिस्टम से अलग-अलग इलाकों की दुकानें खोली जा रही हैं। नई व्यवस्था को लेकर कलेक्टर तरुण पिथोड़े का कहना है - पहले इस बारे में व्यापारिक संगठनों से बात की जाएगी। उसके बाद ही तय किया जाएगा कि व्यवस्था कब से लागू होगी।

गृहमंत्री मिश्रा ने कहा - मुख्यमंत्री ने गुरुवार को भोपाल जिले की स्थिति की समीक्षा की। उसी दौरान दुकानें सप्ताह में पांच ही दिन खोलने का फैसला लिया गया है। प्रदेश के अन्य जिलों में स्थिति दिनों-दिन बेहतर हो रही है। अब भोपाल पर मुख्य रूप से फोकस है। अभी शहर में क्लस्टर और नंबरिंग के आधार पर दुकानें खोली जा रही हैं।

पंजाब में शनिवार, रविवार व हॉलीडे पर बाजार बंद, बाहर निकलना बैन

पंजाब सरकार ने शनिवार और रविवार सहित पब्लिक हॉली डे पर लॉकडाउन को सख्ती से लागू करने का फैसला किया है। इन दिनों में सभी दुकानें और बाजार बंद रहेंगे। घर से निकलने पर पूरी तरह पाबंदी रहेगी। केवल जरूरी सामान की डिलीवरी करने वाले वाहनों और दुकानों को खोलने की इजाजत होगी। औद्योगिक इकाइयां पहले ही तरह चलती रहेंगी। शनिवार और रविवार को कोई भी दुकान खुली मिली तो भारी जुर्माना लगाया जाएगा। राज्य में मेडिकल स्टाफ और जरूरी सेवाओं को छोड़ कर बाकी सबके लिए कोवा ऐप के जरिए ई-पास लेना जरूरी होगा। इसके अलावा छुट्टी वाले दिनों में ट्रांसपोर्टेशन पर भी रोक रहेगी।

फाइल फोटो।

पंजाब में क्या खुलेगा-क्या बंद रहेगा;नहीं तो होगा भारी जुर्माना

  • केवल किराना, मेडिकल और जरूरी चीजों की दुकानें खुल सकेंगी। इसके लिए पास जारी करने के लिए एसडीएम को अधिकृत किया गया है।
  • ट्रांसपाेर्टेशन को लेकर केवल जरूरी चीजों से जुड़े वाहनों को ही राज्य की सीमा में प्रवेश करने दिया जाएगा।
  • शनिवार व रविवार के अलावा बाकी के पब्लिक हॉलीडे के दौरान बाजार एवं दुकानें बंद रखी जाएंगी।
  • नियमों को लागू करवाने के लिए सभी जिलों के एसएसपी को नोडल अफसर बनाया गया।
  • छुट्‌टी वाले दिनों में लोगों को आने जाने के लिए कोवा ऐप के जरिए बनवाना होगा ई-पास।
  • पंजाब के बॉर्डर से सटे दूसरे राज्यों के लोगों को बिना पास और मेडिकल सर्टीफिकेट के आने नहीं दिया जाएगा
  • पंजाब के बाॅर्डरों को पूरी तरह से रखा जाएगा सील।
  • छुट्टी वाले दिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट को भी रखा जाएगा बंद।
  • वाहनों को लेकर भी सख्ती बरती जाएगी। नियम तोड़ने पर काफी समय के लिए वाहन को इंपाउंड किया जाएगा।
  • जिन लोगों के पुराने पास हैं वो रिन्यू करवा सकते हैं।


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फाइल फोटो। फोटो मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की है।


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ऐप पर बेड है, लेकिन अस्पतालों ने मना किया; और तो और कोरोना मरीज का वेटिंग लिस्ट में नाम लिखवाने के लिए डेढ़ लाख रुपए मांग रहे

दिल्ली के अस्पतालों के लिए राहुल कोटियाल, मुंबई के लिए अक्षय बाजपेयी/ आनंद मोहरीर/ वैशाली करोलेऔर अहमदाबाद के लिए चेतन पुरोहित/ अनिरुद्ध मकवाना...की रिपोर्ट

देश के तीन बड़े शहर। बड़े-बड़े अस्पतालों वाले... और देश में सबसे ज्यादा कोरोना मरीजों वाले भी। लेकिन अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं का प्रचार करने वाले इन तीनों शहरों के अस्पतालों में अब कोरोना मरीजों के लिए कोई बेड खाली नहीं है। चाहे मुंबई का लीलावती हो, या दिल्ली का मैक्स, या फिर अहमदाबाद का सिविल हॉस्पिटल।

बेड की जानकारी के लिए अस्पतालों में मरीजों के परिजन पहुंच रहे हैं, लेकिन निराशा ही हाथ लग रही है।

बेड फुल हैं और यहां कोरोना मरीजों के लिए बकायदा वेटिंग लिस्ट बनाई जा रही है। और उस वेटिंग लिस्ट में नाम लिखवाने तक के लिए डेढ़ लाख रुपए डिपॉजिट करने को कहा जा रहा है। बावजूद इसके मरीजों के हिस्से इलाज नहीं आ रहा है। हमने इन्हीं तीन शहरों के अलग-अलग 18 अस्पतालों में फोन किया और कोरोना मरीज के रिश्तेदार के तौर पर बात की। हमें कहीं भी बेड नहीं मिला। पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

दिल्ली: प्राइवेट अस्पतालों में बेड नहीं, सरकारी ने कहा, मरीज पॉजिटिव है तो ले आएं
दिल्ली सरकार ने ‘दिल्ली कोरोना’ नाम की एक ऐप्लिकेशन लॉन्च की है। इसका उद्देश्य है कि जनता को यह आसानी से मालूम हो सके कि कोरोना संक्रमितों का ईलाज किन अस्पतालों में किया जा रहा है और ऐसे अस्पतालों में कितने मरीजों के लिए बेड उपलब्ध हैं।

इस ऐप्लिकेशन के अनुसार दिल्ली के सरकारी और निजी अस्पतालों को मिलाकर कोरोना संक्रमितों के लिए कुल 8872 बेड की व्यवस्था है। मंगलवार शाम तक इनमें से 4680 भर चुके थे जबकि 4192 बेड ख़ाली थे। प्रदेश में कोरोना संक्रमितों के लिए कुल 509 वेंटिलेटर हैं जिनमें से मंगलवार शाम तकसिर्फ़ 189 ही नए मरीजों के लिए बाक़ी रह गए थे।

दिल्ली कोरोना ऐप्लिकेशन में दिखते इन आंकड़ों की पड़ताल लिए हमने एक-एक कर ऐसे कई अस्पतालों में फोन लगाया। हमारी इस पड़ताल में कई हैरान करने वाली जानकारियांसामने आईं। कई अस्पताल कोरोना संक्रमितों को भर्ती करने से इनकार करते मिले तो कई अन्य ने यह बताया कि उनके यहां एक भी बेड खाली नहीं है। जबकि ऐप्लिकेशन के अनुसार ऐसे अस्पतालों में बेड उपलब्ध थे।

निजी अस्पतालों की बात करें तो इस ऐप्लिकेशन के अनुसार कोरोना संक्रमितों के लिए सबसे ज्यादा दो सौ बेड ‘मैक्स साकेत’ अस्पताल में मौजूद हैं। एप पर तीन बेड उपलब्ध थे जबकि 197 भर चुके थे। जब फोनकरके बेड के बारे में पूछा तो अस्पताल का जवाब था कि उनके यहां एक भी बेड नहीं है। यहमाना जा सकता था कि हमारे फोनकरने से पहले ही तीन खाली बेड भर चुके हों और ऐप में यह अपडेट उस वक्त तक न हुआ हो। लेकिन शाम के पौने छह बजे जब मैक्स अस्पताल ने ऐप्लिकेशन में अपना ताजा अपडेट दिया, तब भी वहां दो बेड खाली थे।

मैक्स अस्पताल में हमने फोन करके पूछा तो वहां खाली बेड न होने की बात कही गई।

सरोज सुपर स्पेशीऐलिटी हॉस्पिटल का मामला इससे कहीं ज्यादा गंभीर है। ‘दिल्ली कोरोना’ ऐप्लिकेशन के अनुसार दिल्ली में मैक्स के बाद यही निजी अस्पताल है जहां सबसे ज्यादा 154 मरीजों की व्यवस्था है। ऐप के अनुसार इनमें से सिर्फ42 बेड ही भरे हैं जबकि 112 बेड खाली हैं। लेकिन हमने जब फोनकरके एक नए मरीज को भर्ती करने के संबंध में पूछा तो अस्पताल ने नए मरीज लेने से साफ इनकार कर दिया।

सरोज अस्पताल की ओर से पहले कहा गया कि उनके यहां कोई भी बेड खाली नहीं है। हमने जब सवाल किया कि ऐप्लिकेशन में उनके यहां बेड उपलब्ध दिखा रहा है तो अस्पताल ने अपना जवाब बदलते हुए कहा कि उनके यहां बेड तो हैं लेकिन नर्स और अन्य स्टाफनहीं है जो कि मरीजों की देखभाल कर सकें लिहाजा वो कोई भी नए मरीज नहीं ले सकते। अस्पताल की ओर से यह भी कहा गया कि ‘हमारा बहुत स्टाफ नौकरी छोड़ कर जा चुका है और अब इस स्थिति में नहीं हैं कि नए मरीज ले सकें।’ यह वही अस्पताल है जिसने 4 जून को एक सर्कुलर जारी करते हुए कहा था किअस्पताल में कोरोना के किसी भी मरीज को सिर्फतभी भर्ती किया जाएगा जब वे कम से कम चार लाख रुपए एडवांस जमा कराएं।

मरीज इधर से उधर चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन आसानी से एडमिट भी नहीं हो पा रहे।

निजी अस्पतालों की सूची में तीसरा नाम सर गंगा राम अस्पताल का है जहां कुल 129 बेड कोरोना संक्रमितों के लिए हैं। अस्पताल में फोनकरके पूछा तो कहा कि ‘आप डॉक्टर शालिनी चावला से बात कीजिए। नए मरीज भर्ती हो रहे हैं या नहीं, इसकी जानकारी वही दे सकती हैं।’ लेकिन फोनकरने पर डॉक्टर शालिनी चावला ने नए मरीजों की भर्ती सम्बंधित जानकारी के लिए वापस अस्पताल में ही फोनकरने को कह दिया।

एक दूसरे-पर जिम्मेदारी टालने का सिलसिला चलता रहा लेकिन इस बारे में कोई जवाब अस्पताल की तरफ से नहीं मिला कि नए मरीज उनके यहाँ भर्ती हो रहे हैं या नहीं जबकि ऐप के अनुसार यहां एक दर्जन से ज्यादा बेड खाली हैं।

लगभग ऐसा ही मूलचंद अस्पताल के मामले में भी सामने आया। फ़ोन किया तो हमें वहांके हेड ऑफऑपरेशंस केके सिंह से बात करने को कहा गया। लेकिन लगातार कई फोनकॉल करने के बाद अस्पताल द्वारा दिए गए केके सिंह के नंबर से कोई जवाब हमें नहीं मिला। कुछ ऐसा ही फोर्टिसऔर अपोलो अस्पताल के मामले में भी हुआ जहां कई कॉल करने के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया गया।

यानी दिल्ली के वे अस्पताल जो ‘दिल्ली कोरोना’ ऐप्लिकेशन में निजी अस्पतालों की सूची में सबसे ऊपर दर्शाए गए हैं, उनमें से किसी एक ने भी कोरोना मरीज को भर्ती करने की हामी नहीं भरी। ये स्थिति तब है जब बीते कुछ दिनों ऐसे भी मामले सुर्खियों में आ चुके हैं जिनमें एक से दूसरे अस्पताल दौड़ते हुए ही मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।

निजी अस्पतालों की तुलना में दिल्ली के सरकारी अस्पतालों का जवाब फिर भी संतोषजनक रहा। लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल का नाम दर्ज है। यहां कोरोना संक्रमितों के लिए कुल दो हजार बेड हैं जिनमें से मंगलवार शाम तक 1109 बेड खाली थे। यहां फोनलगाया तो अस्पताल ने आश्वस्त किया कि ‘अगर पेशंट की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिवआई है तो उसे लेकर अस्पताल पहुंच जाएं।’

दिल्ली के सरकारी अस्पताल में बेड उपलब्ध होने की बात कही गई।

हालांकि इस अस्पताल ने कोरोना की जांच करने से इनकार किया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि अगर जांच कहीं और से हो चुकी है और मरीज संक्रमित पाया गया है तो उसे अस्पताल लाया जा सकता है। कोरोना संक्रमित के इलाज पर आने वाले खर्च के बारे में पूछने पर अस्पताल ने यह भी आश्वासन दिया कि इस अस्पताल में यह इलाज बिल्कुल मुफ्त है।

लोक नायक अस्पताल एक मात्र ऐसा अस्पताल था जहां से सकारात्मक जवाब हासिल हुआ। इसके अलावा कई अन्य सरकारी अस्पतालों के तो नंबर तक काम नहीं करते मिले या वहांसे कोई जवाब नहीं दिया गया। ऐसे अस्पतालों में गुरु तेग बहादुर अस्पताल भी शामिल है जहां कुल 1500बेड मौजूद हैं लेकिन फोनपर कोई जवाब नहीं दिया जा रहा। राजीव गांधी सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल की स्थिति भी ऐसी ही रही जहां ऐप पर 500 बेड उपलब्ध हैं लेकिन फोनकरने पर कोई जवाब देने वाला नहीं है।

मुंबई: यहां तो खाली बेड न प्राइवेट में और न ही सरकारी अस्पताल में

मुंबई में कोरोनावायरस के मामले 50 हजार का आंकड़ा पार कर चुके हैं। अब हालात इतने बदतर हैं कि निजी और सरकारी दोनों ही अस्पतालों में खाली बेड ही बमुश्किल मिल पा रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुंबई में कोरोना मरीजों के लिए डेडीकेट अस्पतालों में कुल 9284 बेड हैं। निजी और सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए कुल 1094 आईसीयू बेड और 464 वेंटीलेटर्स हैं।

मुंबई के निजी अस्पतालों में भी बेड फुल हैं। वेटिंग लिस्ट भी लंबी होती जा रही है।

हमने मंगलवार को शहर के अलग-अलग 6 अस्पतालों में फोन करके बेड की जानकारी ली तो पता चला कि अस्पतालों में खाली बेड ही नहीं हैं। कुछ ऐसे अस्पताल भी हैं, जिनका नाम कोविड इलाज के लिए बीएमसी ने दिया है, लेकिन वहां कोरोना मरीजों को एडमिट ही नहीं किया जा रहा। अस्पतालों की तरफ से कहा गया कि आप वेटिंग लिस्ट में नाम, उम्र और कॉन्टैक्ट नंबर लिखवा दीजिए। बेड खाली होंगे तो आपको जानकारी दे दी जाएगी।

बॉम्बे हॉस्पिटल में कोविड बेड के बारे में पूछने पर जवाब मिला कि, 'फिलहाल बेड उपलब्ध नहीं हैं। इंतजार करना पड़ेगा। आप आधे घंटे बाद कॉल करो, नहीं तो फिर कल पर ही जाएगा। वैसे मरीज को दिक्कत क्या हो रही है? सांस लेने में दिक्कत है तो उन्हें आईसीयू लग सकता है और हमारे पास आईसीयू में बेड नहीं हैं। आप नंबर दे दीजिए। अवेलेबल होगा तो बता दिया जाएगा।'

आपके पास कुल कितने बेड कोरोना पेशेंट के लिए अवेलेबल हैं? ये पूछने पर जवाब मिला कि, 'आईसीयू में 16 बेड हैं, जो सभी फुल हैं। रोज एक बेड खाली होती है लेकिन भर्ती होने के लिए दस मरीज आते हैं। वेटिंग लिस्ट के हिसाब से पेशेंट को बेड दे रहे हैं।' मेरा वेटिंग लिस्ट में कौन सा नंबर है? आपका 5वां नंबर है।

अस्पतालों में आईसीूय बेड की भी बड़ी कमी है। गिनेचुने बेड हैं और मरीजों की संख्या ज्यादा है।

भाभा हॉस्पिटल में फोन करने पर जवाब मिला, 'मरीज को क्या हो रहा है? कितनी उम्र है? आप मरीज को यहां लेकर आओ, फिर डिसाइड करेंगे बेड देना है या नहीं।' मैम बेड खाली हैं क्या? ये पूछने पर जवाब मिला कि, 'आप जल्दी लेकर आ जाओ। बेड का देखते हैं। आप आ जाओ।'

एस एल रहेजा हॉस्पिटल से जवाब मिला कि, 'बेड अवेलेबल नहीं हैं। किसी भी वार्ड में नहीं हैं। नाम बताओ, मैं नोट करके रख सकता हूं।' कब तक खाली होगा? तो बोले, बता नहीं सकते। बेड कब से फुल चल रहे हैं? इस पर जवाब मिला कि, 'जब से शुरू हुआ है, तब से ही फुल चल रहा है। हम वेटिंग लिस्ट बनाते हैं, उसी हिसाब से मरीजों को कॉल करते हैं।' सर हमारे मरीज की हालत गंभीर है? 'बहुत से मरीजों की ऐसी हालत है। जो आपके नजदीक है, वहां देख लीजिए। फोन करते रहिए। बीएमसी में इंफॉर्म कीजिए।' क्या कल तक कुछ हो सकता है? इस पर बोले, 'कुछ बता नहीं सकता। यह डिस्चार्ज पर डिपेंड करेगा।'

लीलावती में कॉल करने पर जवाब मिला कि, 'आईसीयू बेड उपलब्ध नहीं हैं। दूसरे का स्टेट्स पता नहीं।' कपूर हॉस्पिटल से बोले कि, 'अभी कोईवैकेंसी नहीं है। हम फोन पर बेड की जानकारी नहीं दे सकते। फोन से बेड रिजर्व नहीं होते। जो पहले आता है, उसे देते हैं।'

सर एच एन रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर से जवाब मिला कि, ‘यहां कोविड पेशेंट को एडमिट नहीं कर रहे हैं। हमारे यहां कोविड वार्ड नहीं है।' ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल से जवाब मिला कि, ‘बेड फुल हैं। हमारे पास सिर्फ 12 बेड हैं। आईसीयू में 9 बेड अलग से हैं, जो सभी फुल हैं।' लेकिन हमारे डॉक्टर या बीएमसी के जरिए आएंगे, तो ही एडमिट किया जाएगा। कोरोना पेशेंट को यहां सीधे एडमिट नहीं किया जाता।

अस्पतालों में मरीज इतने बढ़ गए हैं कि वेटिंग लिस्ट बनाई जा रही है।

बांद्रा स्थित गुरुनानक अस्पताल से बेड का पूछने पर जवाब मिला कि, फिलहाल कोई बेड उपलब्ध नहीं हैं। आईसीयू और जनरल दोनों ही वॉर्ड फुल हैं। बेड के लिए रिक्वेस्ट करने पर जवाब मिला कि, चेंबूर के एक अस्पताल में एक बेड दिला सकते हैं। इसके लिए आपको यहां आना होगा।

गिरगांव स्थित सैफी हॉस्पिटल से भी ऐसा ही जवाब मिला। उन्होंने कहा कि, फिलहाल कोई भी बेड उपलब्ध नहीं। आप अपना फोन नंबर, पता और बाकीके डीटेल्स दे दीजिए। जैसे ही खाली होता है, आपको बता देंगे। जब आपका मरीज यहां एडमिट होगा, तब 1.5 लाख रुपए एडवांस जमा करना होंगे। बाकी हर दिन का खर्चा आपको उसी दिन बताया जाएगा। इसके बारे में पहले से जानकारी नहीं दी जा सकती।

अहमदाबाद: कहीं बेड नहीं कही भर्ती से इंकार किया

कोविड सेंटर बनाए गए हॉस्पिटल्स में फोन करने पर पता चला कि किसी अस्पताल में कोरोना मरीज के लिए बेड ही नहीं है तो किसी ने भर्ती करने से ही इंकार कर दिया। सिविल हॉस्पिटल में जहां कोविड-19 केयर हॉस्पिटल शुरू किया गया है, वहां फोन पर कोई जवाब ही नहीं मिल रहा, हालांकि उन्होंने 104 नंबर की हेल्पलाइन शुरू की है।

अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में फोन किया तो वहां से कोई जवाब ही नहीं मिला।

अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के तहत आने वाले एसवीपी हॉस्पिटल में फोन किया तो जवाब मिला कि, ‘माफ करना... अभी कोई बेड खाली नहीं है।' निजी अस्पतालों में भी कमोबेश यही हाल मिले। एसजीवीपी होलिस्टिक, सुश्रुषा हॉस्पिटल ने कहा कि, ‘हमारे यहां फुल हैं।' इमरजेंसी का बताने पर भी हॉस्पिटल ने बेड देने में मना कर दिया। स्टर्लिंग अस्पताल से जवाब मिला की ‘हमारे यहां 100% बेड अहमदाबाद म्युनि. कॉर्पोरेशन ने एक्वायर कर लियेहै। इसलिए यहां किसी को एडमिट करवाना हो तो एएमसी के जरिए ही आना पड़ेगा।'

शहर के अधिकांश प्राइवेट अस्पताल फुल चल रहे हैं। कई मरीजों ने बेड के लिए एक्स्ट्रा तक पे किया है।

सरस्वती मल्टिस्पेशालिटी हॉस्पिटल ने कहा कि हमारे यहां बेड तो है लेकिन आप पहले मरीज की रिपोर्ट दिखाइए। उसके बाद ही कितना चार्ज लगेगा, क्या प्रोटोकॉल रहेगा, यह बता सकेंगे। एक और निजी अस्पताल पुष्य हॉस्पिटल ने तो पूरा पैकेज ही उत्साह से बताते कहा कि हमने आज ही कोविड सेंटर शुरू किया है। तो अभी जगह खाली है, आ जाओ। चार्ज की बात कि तो बताया कि पहले रु. 2 लाख बतौर डिपॉजिट जमा करवाना पड़ेंगे। बाद में इलाज का प्रतिदिन रू. 25 हजार तक काखर्च आप मान कर चलिए।



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सैकड़ों किमी चलकर पहुंचे थे घर; किसी की घर से 200 मीटर दूर हुई मौत तो किसी का ट्रक से उतारा गया शव

25 मार्च के बाद लॉकडाउन के 68 दिनों में अप्रैल व मई महीने प्रवासी मजदूरों के लिए काफी दुखदाईरहे। तपती गर्मी में कभी नंगे पांव पैदल चले तो कभी साइकिल से, रास्ते में जो भी साधन मिला, उसे ही अपनी मंजिल तक पहुंचने का सहारा बनाया। ट्रकों में बोरियों की मानिंद भरकर हजारों किमी सफर तयकर घर की दहलीज पहुंचे।

इस सफर में उन्होंने खुद की जान की परवाह नहीं की। लेकिन घर दहलीज लांघने से पहले उन्हें यह चिंता सताने लगी कि कहीं उनके अपने न संक्रमित हो जाएं, इसलिए घर के बाहर खुद को क्वारैंटाइन कर लिया। लेकिन उनकी मौत हो गई। ऐसी ही बेबसी की तीन कहानी, पीड़ित परिवारों की जुबानी...


जौनपुर: बेटी की शादी के लिए जमा पूंजी से दोस्तों की मदद की, घर से 200 मीटर दूर बगीचे में गई जान

सुरेरी गांव निवासी जयशंकर 16 मई को मुंबई से गांव लौटकर आए थे। उनके साथ पत्नी आरती, दो बेटे अनिकेत, शुभम और बड़े भाई शिवशंकर थे। घर से 200 मीटर दूरी पर बगीचे में सभी क्वारैंटाइन हुए थे। लेकिन, 20 मई की रात अचानक जयशंकर की तबियत खराब हुई।

उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन मौत हो गई। मौत क्यों हुई? इसकी पुष्टि के अफसरों ने न पोस्टमार्टम कराया न ही कोरोना का टेस्ट हुआ। नतीजा बाद में जयशंकर के दोनों बेटों की जब जांच हुई तो वे संक्रमित मिले। हालांकि, अब दोनों स्वस्थ होकर घर लौट आए हैं। लेकिन पिता की मौत कैसे हुई, यह सवाल उनके मन में कौंध रहा है।

जयशंकर। -फाइल फोटो

पत्नी आरती बताती हैं कि, जयशंकर महाराष्ट्र में छोटी सी दुकान में टेलर का काम करते थे। बड़ी बेटी संजना जो कि गांव में ही अपने नाना-नानी के साथ रहती थी। जयशंकर उनका भी खर्च उठाते थे। बाकी हम लोग मुंबई में रहते थे। जब लॉकडाउन हुआ तो काम बंद हो गया। कोरोना भी वहां बहुत तेजी से फैल रहा था, फिर भी हम लोगों ने अप्रैल माह भर इंतजार किया।

पति ने बेटी की शादी के लिए कुछ पैसे बचा रखे थे। लेकिन बिहार व राजस्थान के कुछ मजदूर साथी बेहद परेशान थे तो बचत उनकी मदद में खर्च कर दी। हमने श्रमिक ट्रेन का रजिस्ट्रेशन कराया था। 16 मई को वाराणसी परिवार के साथ पहुंचे, फिर वहां से बस से गांव आए थे। मुंबई लौटने के सवाल पर आरती गहरी सांस भरते हुए कहती है कि, अब वो ( पति जयशंकर) नहीं रहे तो वापस जाकर क्या करेंगे?

आरती।

जयशंकर के बड़े भाई शिवशंकर भी मुंबई में रहते हैं। वह कहते हैं कि जयशंकर को बेटी की शादी 2 से 3 साल बाद करनी थी। उसने पैसे भी बचाए, लेकिन जब अपने दोस्तों को परेशानी में देखा तो उसी पैसों से उनकी मदद भी की। थोड़े बहुत जो पैसे बचे उनसे परिवार वापस घर आ गया है। अब सबसे बड़ी चिंता यही है कि बच्चों की देखभाल और बेटी की शादी कैसे होगी? परिवार का कहना है कि अगर सरकार परिवार सदस्यों को कोई रोजगार दे दे तो परिवार का भला हो जाएगा।

मृतक जयशंकर का गांव में मकान।

एसपी ग्रामीण संजय राय कहते हैं कि, जयशंकर का पोस्टमार्टम नहीं हुआ था। मौत की वजह इसीलिए स्पष्ट नहीं हुई थी। परिजनों ने अंतिम संस्कार कर दिया था। वहीं ग्राम प्रधान रामशंकर ने बताया कि, सदर अस्पताल में डॉक्टरों ने भर्ती नहीं किया। इलाज के अभाव में उसकी मौत हो गई। कोरोना का भी टेस्ट नहीं हुआ था। बहुत पहले इसको टीबी भी हुआ था। जयशंकर की मौत के बाद पूरे परिवार का टेस्ट हुआ तो दोनों बेटे पॉजिटिव पाए गए थे। अब दोनों स्वस्थ होकर घर पर ही हैं।


गोंडा: 150 किमी साइकिल चलाईफिर से बस से पहुंचा था गांव, अनधिकृत क्वारैंटाइन सेंटर में सर्पदंश से गई जान

तकरीबन 150 किमी साइकिल चलाई। जान जोखिम में डालकर गंगा नदी पार की। फिर बस से घर पहुंचे। अपनों को कोरोना न हो जाए, इसके लिए गांव के बाहर अनाधिकृत क्वारैंटाइन सेंटर 14 दिन बिताने का निर्णय लिया। लेकिन, रात में सांप काटने से हो मौत हो गई। यह कहानी है गोंडा के रहने वाले 16 साल के महेंद्र की।

बोझिल आवाज में बाबा मथुरा बताते हैं कि महेंद्र गांव से 848 किमी दूर अपने बड़े चाचा सुखई के पास मार्च माह में हरियाणा के कैथल घुमने गया था। साथ में उसका चचेरा भाई भी था। सुखई कैथल में छोले कुलचे का ठेला लगाते हैं।

मथुरा।

तभी चाचा सुखई बोल पड़ते हैं। कहने लगे कि, सब ठीक था लेकिन अचानक से लॉकडाउन लग गया। जो पैसे पास में थे, धीरे धीरे वह भी खत्म होने लगे। संगी साथी कोई पैदल तो कोई ट्रक से वापस अपने गांव की ओर भागने लगे। जब आर्थिक स्थिति डोलने लगी तो हमने भी हाथ पैर मारना शुरू किया।

लोगों से बात की तो बताया गया कि हरियाणा बॉर्डर पर पुलिस रोक लेती है। इसलिए साइकिल से बॉर्डर पार करो और गंगा नदी पार कर सहारनपुर पहुंचो। वहां से बस मिल जाएगी। घर में दो पुरानी साइकिल थी, जिसे दुरुस्त कराया। फिर मैं, मेरा बेटा व महेंद्र तीनों साइकिल से 10 मई को निकल पड़े।

तकरीबन डेढ़ सौ किमी साइकिल चलाई। फिर खेतों से होते हुए नदी तक पहुंचे और नाव वाले को 300 रुपए देकर नदी पार की। फिर किसी तरह हम लोग सहारनपुर बस स्टैंड पहुंचे। जहां पार्किंग में साइकिल खड़ी की और हमें पर्ची मिली कि आप अपनी साइकिल वापस ले जाना। 14 मई को हम बस से गोंडा पहुंचे फिर टेम्पो से थाना वजीरगंज के इमलिया गांव स्थित घर पहुंचे।

सुखई।

बाबा मथुरा बताते हैं कि दोपहर लगभग 3 या 4 बज रहे थे। हमने चौकी पर फोन कर पूछा साहब ये लोग आए हैं, कहां रोकें? तो हल्का दरोगा ने जवाब दिया कि, स्कूल में रुकवा दो जहां सब रुके हैं। गांव में कोई अधिकारिक क्वारैंटाइन सेंटर नहीं है।

बस पुलिस वालों के कहने पर सब स्कूल में रुकते हैं तो हमारे बच्चे भी चले गए। हमने ओढ़ना बिछौना भी दिया। लेकिन, रात में लेटने के एक घंटे बाद ही उसे सांप ने काट लिया। पता चला तो हम लोग उसे मोटरसाइकिल से लेकर गोंडा भागे। कई अस्पतालों में गए, लेकिन किसी ने इलाज नहीं किया।

मृतक महेंद्र के पिता राम किशोर व अन्य।

महेंद्र के पिता रामकिशोर बताते हैं कि हम रोते रहे। गिडगिडाते रहे। लेकिन, किसी ने नहीं सुनी। आखिरकार जब जिला अस्पताल पहुंचे तो कुछ देर बाद वह मर गया। वह मेरा इकलौता बेटा था। सरकार की तरफ से मुआवजा मिला है। आवास बनाने का वादा किया था, लेकिन अभी तक पूरा नहीं हुआ।

सुल्तानपुर: बेटी को फोन कर एकसाथ ईद मनाने का किया था वादा, मगर घर पहुंची लाश
यहां धम्मौर थाना क्षेत्र के मनियारपुर गांव निवासी मुबारक अली मुम्बई में रहकर दर्जी का काम करते थे। 26 जनवरी को वो घर से मुंबई गए थे, लेकिन ये उनका आखरी सफर बन गया। ईद से ठीक आठ दिन पहले (16 मई) को उन्होंने घर फोन करके बताया कि वो परिवार के बीच ईद मनाने पहुंच रहे हैं।

उन्होंने ट्रक से मुंबई से सुल्तानपुर का सफर किया, जहां उनके साथ आस पड़ोस के लोग और रिश्तेदार भी मौजूद थे। लेकिन 17 मई को जब वो ट्रक से शहर के अमहट चौराहे पर पहुंचे और साथियों ने उन्हें उतारना चाहा तो वो मौत की नींद सो चुके थे। साथ बैठे लोगों को भी यह नहीं पता चला कि, मुबारक की मौत किस वक्त हो गई?

मुबारक अली। -फाइल फोटो

मृतक मुबारक अली की बड़ी बेटी अशरफी बानो बताती हैं कि, अब्बू ने जब हम लोगों को खबर दी थी कि वे घर आ रहे हैं तो हम लोग काफी खुश थे। इसके बाद से कई बार उनका फोन लगाया गया तो स्विच ऑफ जा रहा था। 23 वां रोजा था और हम सब इफ्तार के लिए बैठे थे कि अब्बू के साथ उसी ट्रक पर मौजूद मां के मायके के एक शख्स ने अब्बू की मौत की खबर दी।

उस वक्त मानो हम सबके पैर तले जमीन खिसक गई। दूसरे दिन 18 मई को पोस्टमार्टम होकर अब्बू की लाश घर लाई गई। इसके बाद जैसे तैसे चंद लोगों ने नमाज-ए-जनाजा अदा कर अब्बू को सुपुर्द-ए-खाक किया।

अशरफी बताती हैं कि उसके पिता करीब 20 सालों से मुम्बई में रहकर दर्जी का काम करते थे। जिससे परिवार अच्छे से पल रहा था। वे बच्चों की शिक्षा को लेकर भी काफी संजीदा थे। अशरफी जहां एमए प्रथम वर्ष की छात्रा है तो उसकी छोटी बहन दो दो भाई भी पढ़ाई लिखाई कर रहे हैं। अब इनकी शिक्षा से लेकर खाने पीने की इनके आगे बड़ी समस्या है। क्योंकि आज तक परिवार को कोई सरकारी मदद तक नहीं मिली है।

अशरफी (सफेद सूट में) अपने परिवार के साथ।

बेटी ने कहा- अब्बू हमारे दादा के इकलौते बेटे थे। अब्बू के अलावा उनकी 7 बहने हैं। लेकिन खेतीबाड़ी अधिक नहीं है। जिससे परिवार की माली हालत काफी खराब है। मौत के बाद कोरोना टेस्ट करवाया गया था। जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। हालांकि मुबारक की मौत क्यों व कैसे हुई? यह सवाल अभी अनसुलझे हैं।



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यह तस्वीर लखनऊ में अयोध्या हाईवे पर कमता चौराहे की है। 30 मई, वक्त दोपहर का था। एक प्रवासी श्रमिक अपनी डेढ़ साल की बच्ची को साइकिल के कैरियर पर बैठाए हुए था। उसके साथ पत्नी भी थी, जो पीछे पीछे पैदल चल रही थी। ऐसी दुश्वारियों की तमाम तस्वीरें सामने आईं, जिसने दिलों को झकझोरा।


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