शनिवार, 4 जुलाई 2020

लोग महिला को प्रोडक्ट क्यों समझते हैं, हर विज्ञापन में क्यों लिखा होता है- गोरी-पतली लड़की चाहिए, जानें- इसकी वजह और उबरने के तरीके

देश और दुनिया में काले-गोरे के भेदभाव को लेकर बहस चल रही है। पर ये कोई नई बात नहीं है। सदियों पुरानी बात है। इस बार वजह है,अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड, जिनकी पुलिस कस्टडी में मौत हो गई थी। फिर अमेरिका में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए। नस्लवाद के खिलाफ कैंपेन शुरू हो गए।

बात भारत भी पहुंची, तो यहां फेयर एंड लवली ने अपने ब्रांड से फेयर शब्द हटा दिया। मैट्रिमोनियल साइट शादी डॉट कॉम ने कलरफोटो चेंज का फिल्टर ही रिमूव कर दिया। लेकिन, क्या इतना करने भर से यह भेदभाव कम हो जाएगा? क्या अपने देश में सिर्फ काले-गोरे का ही भेदभाव है? इनके पीछे की वजह क्या है? जिम्मेदार कौन है? क्या यह इन कंपनियों की ब्रांडिंग स्ट्रैटजी है? ऐसी तमाम बाते हैं, बातों के जवाब भी हैं...

दिल्ली की सेलेब्स साइकोलॉजिस्ट और रिलेशनशिप एक्सपर्ट्स डॉ. निशा कहती हैं कि भारत में बात सिर्फ काले-गोरे केभेदभाव तक ही नहीं सीमित है। इसके बहुत आगे तक की है। पहली बात- हमें कभी तो अपनी जिंदगी की जिम्मेदारी अपने हाथ में लेनी ही होगी, कब तक हम क्रीम बेचने वालों या भेदभाव करने वालों को दोष देते रहेंगे।दूसरी बात- जिंदगियां या कोई भी रिलेशनशिप सिर्फ कम्युनिकेशन से नहीं चलती हैं, अंडरस्टैंडिंग से चलती हैं।

डॉ. निशा कहती हैं कि यदि आप किसी इंसान को नहीं समझते हैं तो आप उसके साथ अपनी रिलेशनशिप को कभी बेहतर नहीं बना सकते हैं। यदि आपने किसी से बोला कि मुझे यह चीज नहीं मिल रही है और बाद में भी वह चीज आपको नहीं मिली तो इसका मतलब यह है कि सामने वाला आपको समझ ही नहीं रहा है। जिलेट के एक विज्ञापन में लड़केको बाइक की जगह लड़की दिखती है। आखिर ऐसे विज्ञापन क्यों बनाए जाते हैं, क्योंकि लोगों की सोच आज भी ऐसी है।

  • भेदभाव का मेंटल हेल्थ पर असर

डाॅ. निशा कहती हैं कि भेदभाव से हमारा साइकोलॉजिकल बिहेवियर बदल जाता है, यानी कुछ करने, सोचने, उठने-बैठने, बात करने हर हाव-भाव बदल जाता है। आत्मविश्वास कम हो जाता है। हम दूसरों से अपनी तुलना करना शुरू कर देते हैं। इसलिए अगर आपको कोई बदतमीज कहता है तो बोलिए हां, मैं बदतमीज हूं।यदि आप मेंटली हैप्पी हो तो सबकुछ अच्छा होगा। यदि आप मानसिक तौर पर संतुष्ट हैं, तो सबकुछ आपको बेहतर लगेगा। खुद को एक्सेप्ट करो, आप जैसे भी हो।

  • घर में, कॉलेज में, जॉब में...हर जगह भेदभाव होता है

डॉ. निशा के मुताबिक, लोग घरों में अपने दो बच्चों में तुलना करते हैं, यह भी तो भेदभाव ही है। कहते हैं कि ये पढ़ता है, वो नहीं पढ़ता है, ये डांस में अच्छा है, वो नहीं है। पढ़ाई में, जॉब में भी भेदभाव होता है। पूछा जाता है कि आप किस इंस्टीट्यूट से पढ़कर आए हो? यदि आप आईआईएम से पढ़कर आए हो तो ज्यादा इंटेलीजेंट हो। जबकि यह क्राइटेरिया नहीं हो सकता है। किसी के इंटेलीजेंसी का किसी इंस्टीट्यूट से वास्ता नहीं हो सकता है।

  • केस-1

महिलाएं खुद प्रोडक्ट बनने को तैयार, लड़के की वजह से एक लड़की ने अपना पूरा ड्रेसअप चेंज किया

डॉ. निशा कहती हैं कि मेरे पास एक कपल का केस आया था। लड़का, लड़की को इसलिए नहीं पसंद कर रहा था, क्योंकि वह गोरी नहीं थी। लड़का, लड़की से ज्यादा गोरा था। सिर्फ इस बात के चलते लड़की ने अपना पूरा ड्रेसअप चेंज किया, अपने नेल्स से लेकर अपनी पूरी बॉडी को चेंज किया।

इसकी एक ही वजह थी कि लड़का साइकी था और वह दूसरों को देखकर प्रभावित था। वह यह नहीं सोच पा रहा था कि जिंदगी इंसान के साथ कटती है, सूरत के साथ नहीं, सीरत के साथ कटती है। इससे यह भी पता चलता है कि लड़कियां या महिलाएं भी प्रोडक्ट बनने के लिए तैयार होती हैं।

  • केस-2

तुम पार्क में जॉगिंग के लिए जाती हो, तुम्हें देखने के लिए लड़के आ जाते होंगे
डॉ. निशा बताती हैं कि दो दिन पहले मेरे यहां एक दोस्त आए थे। मैंने उनसे कहा कि आजकल मैं रोजाना रनिंग के लिए जाती हूं। उन्होंने मुझसे बोला, अरे तुम रोज रनिंग के लिए जाती हो, तब तो पार्क में तुम्हें देखने के लिए लड़के भी आ जाते होंगे। मुझे यह लाइन सुनकर बहुत गुस्सा आया।

कोई यह कैसे सोच सकता है कि दुनिया के सारे लड़के बस यही देखने के लिए बैठे हैं कि कब कोई लड़की पार्क में आएगी, वो उसे देखने पहुंच जाएंगे। इससे यह पता चलता कि वह व्यक्ति एक महिला के बारे में क्या सोचता है। उसके लिए एक महिला प्रोडक्ट है।

कम्प्लेक्शन की समस्या हर किसी में है

  • निशा कहती हैं कि यह इस वजह से है, क्योंकि हर किसी को सुंदर लड़की चाहिए। हर विज्ञापन में लिखा होता है, गोरी और पतली लड़की चाहिए। हैंडसम लड़का चाहिए, भले ही बाल गंजे हों। यह इस वजह से है, क्योंकिकॉम्प्लेक्शन की समस्या हर किसी में है, चाहे कोई अमीर हो या गरीब हो।
  • जब आपको खुद पर ही भरोसा नहीं है कि आप सुंदर हो? तो कोई भी आपको आकर यह बोल देगा कि आप सुंदर नहीं हो, फिर आपको भी कॉम्प्लेक्शन हो जाएगा। डॉ. निशा के मुताबिक, ब्यूटी प्रोडक्ट से ज्यादा उन्हें खरीदने के लिए हम खुद जिम्मेदार हैं और हर किसी के लिए फिजिकल भी अट्रैक्शन जरूरी नहीं है।

भेदभाव की बातें मेंटल हेल्थ से जुड़ी हुई हैं

  • डॉ. निशा कहतीहैं कि मेरे पास एक फेशियल एक्सप्रेशन से जुड़ा केस आया था। लड़के ने कहा कि मेरी नाक टेढ़ी है, मुझे इसकी सर्जरी करवानी है। मैंने उससे पूछा कि आज तक आपको ऐसा कितने लोगों ने बोला? उसने बोला मुझे बस सर्जरी करवानी है। डॉक्टर के पास गया तो उन्होंने कहा कि नाक में तो कोई समस्या नहीं है। हां, अगर पैसा ज्यादा है तो सर्जरी हो जाएगी।
  • कुल मिलाकर भेदभाव की बातें हमारे मेंटल हेल्थ से जुड़ी हुई हैं। यह आप पर निर्भर करता है कि किसी चीज को लेकर क्या सोचते हैं। यदि आप खुद को नहीं पसंद करते हो, तो यह कैसे सोच सकते हो कि कोई दूसरा व्यक्ति आपको पसंद करेगा? और क्यों करेगा? यह सब कुछ आपके आत्मविश्वास पर निर्भर करता है कि आप खुद पर कितना यकीन करते हो।

आप खुद को जज करेंगे, तो दूसरा भी आपको जज करेगा

  • डाॅ. निशा कहती हैं कि यदि आप खुद को बार-बार जज करेंगे। खुद की आलोचना करेंगे, तो जाहिर सी बात है कि दूसरे को भी आप को बोलने का मौका मिलेगा।यदि किसी महिला ने खुद को बहुत अच्छे से ड्रेसअप और मेकअप किया हुआ है, यह देखकर यदि कोई दूसरी महिला हर्ट होती है, तो इसका मतलब वह इमोशनली डैमेज है।
  • हमारा सांवला, काला यागोरा रंग ये कैसे बता सकता है कि हम कीमती हैं या नहीं। और इसके आधार पर यह दूसरा कोई कैसे तय करेगा कि हम ठीक हैं या नहीं।इसलिए कभी यह न सोचें कि आपको किसी दूसरे से अप्रूवल लेने की जरूरत है। बजाय खुद की तारीफ करें।

मेकअप करूं या न करूं, यह खुद तय करें

  • डॉ. निशा कहती हैं कि यदि मैं मेकअप नहीं करती हूं और कोई मुझसे कहता है कि तुम बुरी लग रही हो, तो उसके कहने से मैं क्यों मेकअप करने लगूं। बल्कि मुझे खुद यह तय करना होगा कि मैं मेकअप करूं या न करूं, क्या पहनूं और क्या न पहनूं। यह कोई और जज नहीं कर सकता है, इसका क्राइटेरिया तो हमें खुद तय करना होगा।

जिंदगी कैसे जीयें, इसे कोई और नहीं तय कर सकता

  • डॉ. निशा कहती हैं कि मुझे लगता है कि यदि एक इंसान रोज यह एक्सेप्ट करना शुरू कर दे कि वह परफेक्ट है। और दुनिया में कोई ऐसा इंसान नहीं है, जिसे रोज कुछ सीखने या अपने में सुधार की जरूरत नहीं है। मुझे भी इसकी जरूरत है। इसके बाद हर कोई आपको एक्सेप्ट करना शुरू कर देगा। आप अपने तरीके से जिंदगी जीयें, इसे कोई और कैसे तय कर सकता है।

हमारा जजमेंटल क्राइटेरिया गलत होता है

  • डॉ. निशा कहती हैं कि हमारा जजमेंटल क्राइटेरिया गलत होता है। जब हम यह सोचते हैं कि वो बड़े हैं तो बोल सकते हैं, तुम छोटे हो, इसलिए नहीं बोल सकते हो। यहीं से परसेप्शन की प्रॉब्लम शुरू होती है। यह बचपन में ही बन जाती है। इसलिए आपकी जैसी परवरिश होगी, सोच भी वैसी ही बनेगी।
  • यदि घर में यह बताया गया कि लड़कियों को जूते की नोक पर रखो तो आपको हमेशा ऐसा ही लगेगा। यदि लड़की को यह बोला जाता है कि यहां तो कर लो, जब ससुराल जाओगी तो पता चल जाएगा, तो उसके दिमाग वो सोच हमेशा जिंदा रहेगी।

बच्चों के बारे में परसेप्शन न बनाएं

  • कई बार पैरेंट्स भी बच्चों के बारे में परसेप्शन बना लेते हैं, लेकिन यह कभी नहीं समझते कि वह बच्चे को नहीं समझ पा रहे हैं। कई बार तो पैरेंट्स को लगता है कि बस वहीं सही हैं, बच्चा नहीं। किसी बच्चे के करेक्टबनने में पैरेंट्स सबसे बड़ा रोल प्ले करते हैं, क्योंकि वे बच्चों को स्कूल से भी पहले एजुकेट करना शुरू कर देते हैं।

किसी को दिखाने के लिए अंग्रेजी न बोलें-
अंग्रेजी बोलने वाले हिंदी बोलने वालों से भेदभाव करते हैं। डॉ. निशा बताती हैं कि कुछ दिन पहले मेरे पास एक केस आया था। महिला ने कहा कि मेरे एक्स हसबैंड हिंदी में बोलते थे, मुझे यह पसंद नहीं था। मैंने उससे कहा कि इसमें बुराई क्या है? यदि आप अच्छी हिंदी बोलते हैं तो उस पर गर्व करिए। किसी को दिखाने के लिए अंग्रेजी में क्यों बोलेंगे। यदि कोई अंग्रेजी नहीं बोलता तो वह अच्छा इंसान नहीं होगा, यह कैसे डिसाइड कर सकती हो।



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Narendra Modi Ladakh Visit; What It Means For China Xi Jinping and People Liberation Army | India China Galwan Valley Face-off Latest News


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प्रधानमंत्री मोदी थोड़ी देर में संबोधित करेंगे, आज ही के दिन महात्मा बुद्ध ने अपने पहले 5 शिष्यों को पहला उपदेश दिया था

आषाढ़ पूर्णिमा (गुरु पूर्णिमा) के मौके पर शनिवार को धर्म चक्र दिवस मनाया जा रहा है। आज ही के दिन महात्मा बुद्ध ने अपने पहले पांच शिष्यों को प्रथम उपदेश दिया था। पूरी दुनिया के बौद्ध हर साल इसे धर्म चक्र प्रवर्तन दिवस के रूप में मनाते हैं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति भवन से धर्म चक्र दिवस का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करेंगे।



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Prime Minister Modi will address in a while, on this day Mahatma Buddha gave the first sermon to his first 5 disciples.


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पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड 22721 मरीज बढ़े, अब तक 6.45 लाख मामले; तमिलनाडु में मरीजों का आंकड़ा एक लाख तो उत्तरप्रदेश में 25 हजार के पार

देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 6 लाख 49हजार 889 हो गई है। शुक्रवार को रिकॉर्ड 22 हजार 721 मरीज बढ़े और 14हजार 417 से ज्यादा ठीक भी हो गए। इस दौरानमहाराष्ट्र में एक दिन में सबसे ज्यादा 6364 मामले बढ़ गए। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

उधर, तमिलनाडु में 4329 नए केस सामने आए। इसी के साथ राज्य में1 लाख से अधिक मरीज हो गए। उत्तरप्रदेश में भी एक दिन में 972 संक्रमित मिले। यहां केस बढ़कर 25 से ज्यादा हो गए हैं।

रिकवरी रेट 60% के पार
देश में अब तक 3.86 लाख मरीज ठीक भी हो चुके हैं। शुक्रवार को रिकवरी रेट 60% के पार हो गया। अब तक देश में 60.73% मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। पिछले 10 दिनों में इसमें 4% का इजाफा हुआ है। 24 जून को रिकवरी रेट 56% था।

5 राज्यों का हाल

मध्यप्रदेश:राज्य मरीज़ों की संख्या बढ़कर14,297 हो गईहै।इनमें से11,049 मरीज़ स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं जबकि कुल 593 की मौत हो चुकी है।शुक्रवार को191 नए केस बढ़े। भोपाल में49, ग्वालियर में 18, जबलपुर में 11, सागर में 10,इंदौर में 23, उज्जैन में 1, मुरैना में 2, नीमच में 1, बुरहानपुर में 1, खंडवा और खरगौन में 2-2, भिंड में 10, देवास में 5, रतलाम में 3, मंदसौर में 6, बड़वानी और रायसेन में 1-1, राजगढ़ में 2 मामले सामने आए।

महाराष्ट्र: राज्यमें शुक्रवार को रिकॉर्ड6,364 नए केस सामने आए।मरीजों का आंकड़ा अब1,92,990 हो गया है। इसमें1,04,687 लोग ठीक हो चुके हैं जबकि8,376 मरीजों की मौत हो चुकी है। एक दिन में सबसे ज्यादा ठाणे में2,285, मुंबई में1,375 और पुणे में1,022 नए केस सामने आए। यहां की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती में शुक्रवार को कोरोना वायरस संक्रमण के आठ नए मामले आने के साथ ही यहां संक्रमितों की संख्या बढ़ कर 2309 हो गईहै।बृहन्मुंबई महानगर निगम (बीएमसी) ने इसकी जानकारी दी है।

उत्तर प्रदेश: राज्य में संक्रमितों की संख्या अब25,797 हो गई है। शुक्रवार को प्रदेश में अब तक के रिकॉर्ड 982 कोरोना संक्रमित सामने आए।योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह के साथ ही बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज के नौ जूनियर डॉक्टर्स, मुरादाबाद में तहसीलदार तथा रामपुर में कलेक्ट्रेट के प्रशासनिक अधिकारी भी इसकी चपेट में हैं।

पिछले 24घंटों के दौरान जो नए 982 मरीज मिले हैं उनमें सबसे ज्यादा आगरा में 23, मेरठ में 24, नोएडा में 96, लखनऊ में 70, कानपुर में 44, गाजियाबाद में 140, सहारनपुर में 18, फिरोजाबाद में एक, मुरादाबाद में 28, वाराणसी में 34, रामपुर में दो, जौनपुर में आठ, बस्ती में दो, बाराबंकी में 32, अलीगढ़ में 24, हापुड़ में चार, बुलंदशहर में 29मामले सामने आए।

राजस्थान: यहांशुक्रवार को कोरोना के 390 नए पॉजिटिव केस सामने आए। इनमें जोधपुर में 57, जयपुर में 51, भरतपुर में 34, प्रतापगढ़ और कोटा में 32-32, सीकर में 30, बीकानेर में 28, सिरोही में 24, अजमेर में 21, दौसा में 20संक्रमित मिले। मरीजों का आंकड़ा 19052 पहुंच गया। वहीं, 10 लोगों की मौत हो गई।जिसके बाद कुल मौत का आंकड़ा 440 पहुंच गया।

बिहार:राज्य के 23 जिलों में 231 नए कोरोना संक्रमितों की शुक्रवार को पहचान की गईऔर छह कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो गई। अरवल के उप विकास आयुक्त एवं जिला ग्राम अभियंत्रण संगठन के सहायक अभियंता को भी कोरोना संक्रमित पाया गया है। यहां मुजफ्फरपुर में 32, पटना में 48, सहरसा में 15, सीवान में 19 और पश्चिमी चंपारण में 17 नए संक्रमित मिले। इसके साथ ही राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 10914 हो गई और कोरोना संक्रमित मरीज की मौत की संख्या बढ़कर 84 हो गई।



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विकास दुबे ने थानाध्यक्ष से बदसलूकी की, फिर अपने अहाते में बैठकर पुलिस का इंतजार कर रहा था, टीम पहुंची तो गुर्गों से फायरिंग कराई

कानपुर जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी की दूरी पर बिकरु गांव है। इसी गांव में गुरुवार रात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे उर्फ पंडितजीको पकड़ने गई पुलिस टीम पर अंधाधुंध फायरिंग की गई। इसमें डीएसपी बिल्हौर समेत आठ पुलिसकर्मियों की जान गई। लेकिन, इस रात बिकरु गांव में ऐसा क्या हुआ? यह अभी तक रहस्य बना हुआ है। दैनिक भास्कर की पड़ताल में अब यह सामने आ गया है कि गुरुवार दोपहर सेइस विवाद के अंत की स्क्रिप्टलिखने कीशुरुआत हो गई थी,जोरात 1 बजे तक 8 पुलिसवालों की मौत के बाद खत्म हुई। एक रिपोर्ट...

विकास ने चौबेपुर थानाध्यक्ष के साथ की थी बदसलूकी

पड़ोसी गांव जादेपुर केराहुल तिवारी ने एक जुलाई को बिकरु गांव के विकास दुबे के खिलाफ अपहरण, जान से मारने काप्रयास करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी।बिकरुगांव में घूमने के बाद स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, गुरुवार दोपहरचौबेपुर थानाध्यक्ष विनय तिवारी अपने तीन सिपाहियों के साथ विकास दुबे के पास मामले की जानकारी लेने पहुंचे थे।

बताया जाता है कि इस दौरान विकास नाराज होगया और उसने चौबेपुर थानाध्यक्ष से बदसलूकी भी की थी। जिसके बाद चौबेपुर थानाध्यक्ष ने इसकी शिकायत अपने आलाधिकारियों से की। विकास कई दिनों से पुलिस की हिट लिस्ट में शामिल था। इस घटना के बाद पुलिस अधिकारियों का भी पारा चढ़ गया और इसे दबोचने की प्लानिंग शुरू हो गई।

अपराधी विकास दुबे का अहाता।

विकास को दबिश कीसूचना मिल गईथी

सूत्र बताते हैं कि गुरुवारशाम तक विकास दुबे को सूचना मिल गईथी कि पुलिस उसे पकड़ने आने वाली है। उसने अपने कई शुभचिंतकों से बात की,जिसके बाद उसे यही सलाह मिली कि घर में ही रहे। बाहर पकड़ा गया तो एनकाउंटर हो सकता है। उसे यह भी सलाह दी गईकि पुलिस टीम में आलाधिकारी रहेंगे। उनसे बात कर समझौता या सरेंडर भी कर सकता है। विकास ने इसी हिसाब से अपनी प्लानिंग पर काम शुरू कर दिया था।

रात 9 बजे बीच रास्ते में खड़ी की गईजेसीबी, अपने आदमियों को सतर्क रहने को कहा

पुलिस रेड की सूचना मिलने के बाद विकास प्लानिंग पर लग गया। गांववालों से बातचीत में पता चला कि रात 9 बजे जेसीबी बीच रास्ते में खड़ी करवाई गई। जेसीबी किराए पर मंगाई गई थी, जिससे पुलिसवाले गाड़ियां लेकरउसके घर तक नहीं पहुंच पाएं और अलग-अलग हिस्सों में बंट जाएं।

साथ ही अपनी छत और आसपास के घरों की छत पर उसने अपने आदमी असलहों के साथ बिठा दिए। जबकि, खुद घर के अहाते के पड़े तख्त पर अपने कुछ साथियों के साथ बैठकर पुलिस टीम का इंतजार करने लगा।

रात 12 बजे के आसपासतकरीबन 5 थानों की फोर्स बिल्हौर डीएसपी देवेंद्र कुमार के नेतृत्व में पहुंची। इस टीम में लगभग 25 से 35 लोग रहे होंगे। बीच सड़क जेसीबी देखदेवेंद्र कुमार का पारा चढ़ गया और वह जेसीबी के पास खड़े होकरविकास के घर की ओर देखकर चिल्लाने लगे। जेसीबी का मुंह विकास के ममेरे भाई शशिकांत के घर के सामने था।

वहीं,शिवराजपुर थानाध्यक्ष महेश चंद्र यादव सीधे विकास के अहाते में चले गए। वहां उनकी विकास से कहासुनी होने लगी। जब विकास के साथियों को लगा कि पुलिसवाले भारी पड़ रहे हैं तो विकास के इशारे पर उसके गुर्गों नेपुलिस पर चौतरफा गोलियां चलानी शुरू कर दी, जिसमें 8 पुलिसवालों की जान चली गई।

गांव में तैनात पीएसी के जवान।

पुलिसवालों ने गांव में दरवाजे खटखटाए, लेकिन मदद नहीं मिली

जानकारी के मुताबिक, ताबड़तोड़ फायरिंग के बाद पुलिसवाले अलग-अलग ग्रुप्स में बंट गए। लेकिन, हमलावरों की संख्या ज्यादा थी। वे लाठी डंडों और असलहों से भीलैस थे। कहा तो यह भी जा रहा है कि कुछ पुलिसवालों को दौड़ा-दौड़ाकर लाठी डंडों से पीटा गया। इस दौरान उन्होंने भागकर गांववालों का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से भी उन्हें मदद नहींमिली।

करीब 3 गुर्गों के साथ बोलेरो से भागा है विकास

सूत्रों के मुताबिक, जब पुलिसवाले तितर-बितर हो गए तो विकासमौके का फायदा उठाकर अपने दो-तीन खास साथियों के साथ बोलेरो से फरार हो गया है। हालांकि, पुलिस उसे ढूंढने के लिए लगातार कॉम्बिंग कर रही है।

यह तस्वीर विकास दुबे के मामा के घर की है। यहीं डीएसपी की हत्या की गई।

एसटीएफ कर रही है चौबेपुर थानाध्यक्ष से पूछताछ

स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मामले की जांच में लगी एसटीएफ चौबेपुर थानाध्यक्ष विनय तिवारी से भी पूछताछ कर रही है। यही नहीं एसटीएफ को शक है कि विकास के पास पुलिस रेड की सूचना भी विकास के कुछ करीबी पुलिसवालों ने ही पहुंचाई थी।

शिकायतकर्ता राहुल तिवारी भी हुआ फरार

शिकायतकर्ता राहुल तिवारी को जब खबर मिली कि विकास 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर फरार हो गया है तो इसके बाद ही राहुल भी अपने गांव जादेपुर से फरार हो गया। राहुल के परिजनको डर है कि कहीं विकास उसे भी मारने की कोशिश न करे।



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यह तस्वीर बिकरु गांव में अपराधी विकास दुबे के घर के बाहर की है। पुलिसवालों को तितर बितर करने और आसानी से घर तक न पहुंच पाने के लिए बदमाशों द्वारा जेसीबी को बीच रास्ते खड़ा कर दिया गया था। पुलिस की यहीं चूक हुई। पुलिस वालों ने इसे कॉमन रेड समझी और बदमाश पहले से सतर्क थे। टीम के पहुंचते ही अंधाधुंध फायरिंग की। जिसमें आठ पुलिसकर्मी की जान चली गई।


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नया विचार: चीन के कारण भारत-अमेरिका संबंधों पर असर पड़ सकता है, यह संकेत भी हैं कि मौजूदा संकट भारत-चीन संबंधों पर ‘गंभीर असर’ डालेगा

भारत और चीन के बीच मौजूदा सीमा संकट भारत के चीन और अमेरिका के साथ संबंधों को प्रभावित कर सकता है। असर कितना होगा, यह संकट की अवधि और नतीजे पर निर्भर करेगा। यह इस पर भी निर्भर करेगा कि भारत के अमेरिका और रूस जैसे सहयोगियों का इस संकट पर क्या रुख है और वे भारत की मदद के अनुरोध पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।
चीन के प्रति भारत का नजरिया और नीतियां, दोनों ही सीमा संकट की वजह से सख्त हो गई हैं। सरकार ने संकेत दिए हैं कि संकट का भारत-चीन संबंधों पर ‘गंभीर असर’ होगा, खासतौर पर अगर चीनी सेना यथास्थिति पर वापस नहीं जाती है। दिल्ली ने पहले ही चीन के आर्थिक और तकनीकी हितों पर प्रतिबंध लागू कर दिए हैं।

व्यापक रणनीतिक समुदाय में यह भावना है कि बीजिंग ने सीमा समझौतों का उल्लंघन किया है और चीन से संबंधों की समीक्षा होनी चाहिए। इसका मतलब यह नहीं है कि दिल्ली बीजिंग के साथ संपर्क या कार्य बंद कर देगा, लेकिन इस पर असर होगा कि कैसा, कितना संपर्क रखा जाए और भारत इस संपर्क से क्या उम्मीद रखेगा।
सीमा संकट भारत-अमेरिका संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है। यह साझेदारी इसलिए भी बढ़ी क्योंकि दोनों देशों की चीन के व्यवहार और मानसिकता को लेकर साझा चिंताएं हैं। पिछले कुछ सालों में भारत-अमेरिका के डिफेंस संबंध काफी मजबूत हुए हैं। अमेरिका मामले के बढ़ने को लेकर चिंतित है और उसने चीनी हरकतों की आलोचना की है।

सेक्रेटरी ऑफ स्टेट माइकल पॉम्पिओ ने चीन पर लगातार आक्रामक होने का आरोप लगाया और कहा कि चीनी सेना ने भारत के साथ तनाव बढ़ाया है। अमेरिका में इसे लेकर भी चिंता है कि बीजिंग सिर्फ भारत में ही नहीं, हांगकांग, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान, ताइवान और दक्षिण चीन सागर में भी (मलेशिया, फिलीपीन्स, वियतनाम) अकड़ दिखा रहा है।
यूएस कांग्रेस के सदस्यों, डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स दोनों ने ही चीन की आलोचना की है। जून की शुरुआत में सदन में फॉरेन अफेयर्स कमिटी के प्रमुख एलियट एंगेल ने कहा कि वे भारत के विरुद्ध ‘चीनी आक्रमकता’ से चिंतित हैं और घोषणा की, ‘चीन फिर दिखा रहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक मतभेदों को सुलझाने की जगह पड़ोसियों के साथ दादागीरी चाहता है।’

20 भारतीय सैनिकों के मारे जाने के बाद कांग्रेसमैन शरमैन ने चीनी सेना की हरकत को ‘सोची-समझी आक्रमकता’ बताया था। अमेरिकी सीनेट में बहुमत दल के नेता मिच मैक्कॉनेल ने कहा कि ऐसा लगता है कि इलाका हथियाने के लिए चीनी सेना ने ही 15 जून के टकराव को भड़काया था।
सहायक बयानों के अलावा ऐसा लगता है कि वाशिंगटन भारत की मदद करना चाहता है, लेकिन वह भारत-चीन मामले को और खराब नहीं करना चाहता। वह जानता है कि दिल्ली नहीं चाहेगी कि सीमा संकट अमेरिका-चीन मुकाबले में उलझे। चीनी हरकतों की आलोचना के अमेरिकी बयानों के अलावा खबर है कि अमेरिका ने भारत को अपनी इंटेलीजेंस दी है। सीमा पर सेना सी-17 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और चिनूक हेलिकॉप्टर्स इस्तेमाल कर रही है, जो उसने अमेरिका से लिए थे।
ऐसा हो सकता है कि यह संकट भारत को अमेरिका के और नजदीक ले आए। इसका मतलब औपचारिक गठबंधन नहीं होगा। दिल्ली ऐसा नहीं चाहती और वाशिंगटन का भी ऐसा प्रस्ताव नहीं है। लेकिन ऐसे कई तरीके हैं जिससे भारत और अमेरिका अपनी साझेदारी ज्यादा मजबूत कर सकते हैं। इससे भारतीय क्षमताएं मजबूत हो सकती हैं, चीन के बुरे बर्ताव पर रोक लगा सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि बीजिंग एशिया पर धौंस न जमाए।

इस तरह भारत का अमेरिका के साथ द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय (जापान के साथ) और चार-पक्षीय (ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ) स्तरों पर और अतंरराष्ट्रीय संगठनों में बेहतर सहयोग बनेगा। लेकिन भारत केवल अमेरिका पर निर्भर होना नहीं चाहेगा। सरकार को अमेरिकी विश्वसनीयता को लेकर अब भी कुछ चिंताएं हैं।

सवाल यह भी है कि क्या चीन के प्रति मौजूदा अमेरिकी नीतियां बदलेंगी। इसलिए दिल्ली, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और जापान जैसे देशों और दक्षिणपूर्व एशिया के इंडोनेशिया, सिंगापुर, वियतनाम जैसे देशों के साथ संबंधों को बढ़ाना जारी रखेगी।
दिल्ली रूस के साथ साझेदारी भी जारी रखेगी, भले ही रूस चीन के ज्यादा नजदीक जा रहा हो। चीन-रूस साझेदारी ही बड़ा कारण है कि मॉस्को ने भारत के खिलाफ चीन की हरकतों की अब तक आलोचना नहीं की। फिर भी रूस भारत के लिए अब भी सैन्य उपकरणों और स्पेयर पार्ट्स का बड़ा स्रोत है। वह कुछ ऐसी सैन्य तकनीकें देने को तैयार है जो अन्य देशों से नहीं मिल सकतीं।

इसके अलावा, भारत को उम्मीद है कि भविष्य में चीन-रूस की दोस्ती कमजोर होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इसलिए मॉस्को गए थे, ताकि वे यह सुनिश्चित कर सकें कि भारत को मिल रही डिफेंस सप्लाई में कोई बाधा न आए। लेकिन दिल्ली इस पर भी नजर रखेगी कि क्या मॉस्को चीन के साथ दोस्ती के कारण भारत की मदद करने के लिए कम तैयार होगा।

(ये लेखिका के अपने विचार हैं)



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तन्वी मदान, सीनियर फेलो, ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन, वाशिंगटन डीसी।


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नजरिया: ओली ने चीन के सहारे नेपाल की राजनीति को हिला दिया? इसके क्या नतीजा होगा और भारत के लिए इसके क्या मायने हैं

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ‘ओली’ ने विरोधियों को अचानक धोबीपछाड़ मार दिया है। चलते बजट सत्र में उन्होंने नेपाली संसद के दोनों सदनों को स्थगित करवा दिया है। दोनों सदनों के अध्यक्ष को पता चले, उसके पहले ही नेपाल की राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने स्थगन के फैसले पर मुहर लगा दी।

संसद का यह सत्र अचानक इसलिए स्थगित किया गया है कि यदि वह चलता रहता तो शायद ओली की सरकार गिर जाती, क्योंकि उनकी सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के असंतुष्ट नेता नेपाली कांग्रेस और नेपाल की समाजवादी पार्टी से हाथ मिला लेते और ओली की सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित करा लेते।
लेकिन यदि प्रतिद्वंद्वी कम्युनिस्ट नेता पुष्पकमल दहल प्रचंड और माधव नेपाल डाल-डाल तो ओली पात-पात निकले। संसद-सत्र स्थगित करवाकर उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव की आशंका को निर्मूल कर दिया। अब वे अध्यादेश जारी करवाना चाहते हैं, जिसके कारण उन्हें सुविधा मिल जाएगी कि वे पार्टी को आसानी से तोड़ सकें।

अभी कानून ऐसा है कि यदि पार्टी तोड़नी है तो पार्टी की संसदीय समिति, स्थायी समिति, दोनों के 40% सदस्य साथ होने चाहिए। ओली अध्यादेश द्वारा कानून में ऐसा संशोधन करवाना चाहते हैं कि दोनों समितियों में से किसी एक समिति के 40% सदस्य ही काफी हों।
ऐसा इसलिए कि पार्टी की स्थायी समिति के 43 सदस्यों में से लगभग 30 ओली के विरोधी हैं लेकिन संसदीय समिति में उनका स्पष्ट बहुमत है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के ज्यादातर सदस्य भी ओली समर्थक हैं। यदि पार्टी टूटी तो भी ओली बने रह सकते हैं क्योंकि यदि कुछ सांसद प्रचंड और माधव नेपाल के साथ चले भी गए तो अधिकतर ओली के साथ रहेंगे।

और फिर ओली नेपाली कांग्रेस के 63 और जनता समाजवादी पार्टी के 34 सदस्यों पर डोरे डालेंगे। दूसरे शब्दों में पार्टी को तोड़ने पर ओली के प्रतिद्वंद्वियों को लाभ की संभावना कम ही है। वे चाहते हैं कि पार्टी न टूटे लेकिन ओली पर इतना दबाव डालें कि वे घबराकर इस्तीफा दे दें।
प्रचंड और माधव नेपाल ने ओली पर दो तरह प्रहार किया। पहले तो उन्हें अमेरिका की जी-हुजूरी करनेवाले प्रधानमंत्री सिद्ध करने की कोशिश की गई और फिर भारत की खुशामद करनेवाले नेता के तौर पर चित्रित किया गया। ये दोनों पहलू कम्युनिस्ट-विरोधी हैं। कम्युनिस्ट होकर ओली ट्रम्प के घोर पूंजीवादी अमेरिका से सहयोग कर रहे हैं और मोदी की हिंदू राष्ट्रवादी सरकार के खिलाफ मौन धारण किए हुए हैं।

ओली सरकार ने नेपाल में सड़क-निर्माण और बिजली-प्रेषण लाइन डालने के लिए अमेरिका से 50 करोड़ डाॅलर का अनुदान क्यों ले लिया और भारत के विरुद्ध वह लिपुलेख-सीमा के बारे में नरम रवैया क्यों अपनाए हुए हैं ? ओली भारत के सामने सीना तानकर क्यों खड़े नहीं होते ?
लिपुलेख-कालापानी क्षेत्र के बारे में जो ओली पहले काफी संयत भाषा प्रयोग कर रहे थे और भारत से राजनयिक स्तर पर सारे मामले को सुलझाने की बात कर रहे थे, उन्होंने भारत पर ऐसे व्यंग्य-बाण बरसाने शुरू कर दिए, जो मेरी याद में किसी अन्य नेपाली प्रधानमंत्री ने नहीं बरसाए।

उन्होंने कहा कि भारत का नारा ‘सत्यमेव जयते’ की बजाय ‘सिंहमेव जयते’ है यानि भारत दंड के जोर पर जमीन हथियाना चाहता है। उन्होंने पिछले दिनों भारत पर यह आरोप भी जड़ दिया कि भारत सरकार उनकी सरकार को गिराने का षड़यंत्र रच रही है।
अपने विरोधियों का मुंह बंद करने के लिए उन्होंने नए ब्रह्मास्त्र का आविष्कार किया। वह था, नेपाली संविधान में संशोधन। यह संशोधन उस नए नक्शे को पास करने के लिए किया गया, जिसमें 1816 की सुगौली संधि के द्वारा भारत को दिए गए क्षेत्रों- लिपुलेख-कालापानी आदि को नेपाल की सीमा में दिखा दिया है।

यह संशोधन नेपाल की संसद में सर्वानुमति से पारित हो गया। सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी में जो नेता ओली-विरोधी थे, उन्हें और अन्य सभी विरोधी दलों को ओली के इस संशोधन का समर्थन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। ओली ने सबकी हवा निकाल दी।
लेकिन ओली के सामने तुरंत ही दो मुद्दे खड़े कर दिए गए। एक तो प्रचंड और माधव नेपाल ने और दूसरा नेपाली कांग्रेस ने! जो प्रचंड भारत-विरोध का झंडा उठाए हुए थे, उन्होंने मांग की कि ओली सिद्ध करें कि भारत उनके विरुद्ध षड़यंत्र कर रहा है और नेपाली कांग्रेस संसद में एक प्रस्ताव ले आई कि चीन ने नेपाल के कुछ गांवों को अपनी सीमा में कैसे मिला लिया? ओली ने अपने विरोधियों के इस चौके पर छक्का मार दिया। इन सब अटपटे सवालों का जवाब देने की बजाय उन्होंने संसद का सत्र ही भंग करवा दिया।

यदि अपनी सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी में वे अपने विरोधियों को चित नहीं कर पाए तो कोई आश्चर्य नहीं कि वे नेपाल की संसद भंग करके नए चुनाव ही करवा दें। भारत को उन्होंने चाहे चोट पहुंचाने की कोशिश की है लेकिन यह तो सुनिश्चित है कि चीन पूरी तरह से ओली का साथ दे रहा है। ओली रहें या जाएं, नेपाल की राजनीति इस समय डावांडोल है। ओली ने अपने विरोधियों को फिलहाल तगड़ी गोली दे दी है।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)



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डॉ. वेदप्रताप वैदिक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष।


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आज दोपहर 12 बजे ऑनलाइन जारी होगा 10वीं के 11 लाख छात्र-छात्राओं का रिजल्ट; मोबाइल पर भी देख सकेंगे

कोरोना के कारण माध्यमिक शिक्षा मंडल मध्यप्रदेश इस बार 10वीं का परीक्षा परिणाम पहले जारी करने जा रहा है। छात्र-छात्राएं आज दोपहर 12 बजे से अपना रिजल्ट ऑनलाइन देख सकेंगे। इसके लिए मंडल 4 सरकारी वेबसाइट और मोबाइल फोन पर दो ऐप में यह रिजल्ट अपलोड कर रहा है।छात्र मोबाइल फोन की मदद से ही तत्काल रिजल्ट देख सकेंगे। इस बार 10वीं की परीक्षा में 11 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं शामिल हुए हैं।

कोरोनासंकट को देखते हुए इस बार माध्यमिकशिक्षा मंडलबोर्ड का रिजल्ट अलग-अलग जारी कर रहा है और कोई कार्यक्रम भी नहीं होगा। पिछले सालबोर्ड का रिजल्ट तत्कालीनमुख्यमंत्री कमलनाथ ने जारी किया था और 2018 में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने रिजल्ट जारी किया था।

आज दोपहर 12 बजे से 10वीं के रिजल्ट ऑनलाइन जारी हो जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने 10वीं के बचे पेपर रद्द कर दिए
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 16 मई को बयान दिया कि दसवीं के शेष पेपर नहीं होंगे। हाई स्कूल के अब तक जितने भी पेपर हुए हैं, उन्हीं के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी। कक्षा 10 के छात्रों के लिए पहली, दूसरी और तीसरी भाषा के पेपर नहीं हो पाए थे। 12वीं हायर सेकंडरी स्कूल के लिए परीक्षा के शेष पेपरों की परीक्षा ली गई। यह परीक्षाएं 8 जून से 16 जून के बीच हुईं।

30 साल में पहली बार दोनों रिजल्ट अलग-अलग आएंगे

लॉकडाउन के कारण परीक्षाएं भी स्थगित कर दी थी। इसमें 20 मार्चसे 31 मार्च तक होने वाली सभी परीक्षा थीं। 01 से 11 अप्रैल तक चलने वाली दृष्टिहीन मूकबधिर (दिव्यांग) छात्रों की परीक्षाएं भी रद्द कर दी गई। 30 साल में पहली बार 10वीं और 12वीं के रिजल्ट अलग-अलग घोषित किए जा रहे हैं। जुलाई के तीसरे सप्ताह में 12वीं का रिजल्ट आएगा।

सभी स्कूल-कॉलेज बंद
इससे पहले मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग ने संक्रमण के चलते सभी स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए। प्रदेश सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए 30 जून तक तक सरकारी और निजी स्कूल और शैक्षणिक संस्थान बंद करने का निणर्य लिया था। बाद में इसे 31 जुलाई तक बढ़ा दिया गया। शासन के आदेश के बाद शिक्षा विभाग ने इसके आदेश जारी कर दिए।

यहां रिजल्ट देखे जा सकते हैं

  • www.mpresults.nic.in
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  • www.mpbse.nic.in
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मोबाइल फोन ऐप

  • गूगल प्ले स्टोर पर MPBSE MOBILE APP, MP Mobile औरFastResult App पर
  • Window App Store पर MP Mobile App पर

यह करना होगा

  • अधिकारिक वेबसाइट mpresults.nic.in पर लॉग-इन करें।
  • एमपी बोर्ड 10वीं रिजल्ट 2020 पर क्लिक करें।
  • नया पेज कुछ नए ऑप्शन के साथ खुल जाएगा।
  • यहां पर अपना रोल नंबर भरें।
  • दूसरे में एप्लीकेशन नंबर भरें।
  • सभी जानकारियों को जांचकर उसमें पूरी डिटेल भर दें।
  • ओके करते ही एमपी बोर्ड 10वीं रिजल्ट 2020 स्क्रीन पर आ जाएगा।
  • इसकीपीडीएफ फाइल ले सकते हैं।


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30 साल में पहली बार मंडल 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम अलग-अलग घोषित करने जा रहा। (प्रतीकात्मक)


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हिमाचल घूमना है तो पांच दिन की बुकिंग जरूरी, 72 घंटे पहले की कोविड-19 टेस्ट रिपाेर्ट साथ लानी होगी

हिमाचल प्रदेश 100 दिन बाद एक बार फिर पर्यटकों के लिए खुल गया है। राज्य सरकार ने देवभूमि घूमने आने वालों के लिए बॉर्डर खोल दिए हैं। शुक्रवार को राज्य आपदाप्रबंधन काेष्ठ ने इस बारे में आदेशजारी कर दिए हैं। अब पर्यटन विभाग टूरिस्टाें के लिए शीघ्र गाइडलइान जारी करेगा।

राज्य सरकार के इस फैसले से पर्यटन काराेबारियाें काे बड़ी राहत मिली है। अनलाॅक-2 के बीच हाेटल काराेबारियों ने सरकार से इस संबंध में लिए गाइडलाइन जारी करने की मांग की थी। राज्य में कुछ शर्तों के साथ ही टूरिस्ट घूमने आ सकेंगे। इसमें 5 दिन की बुकिंग अनिवार्य होगी और 72 घंटे पहले की कोविड-19 की रिपोर्ट लाना भी जरूरी होगा।

आदेश: मान्यता प्राप्त लैब की होनी चाहिए रिपोर्ट
सरकार के आदेशके मुताबिक, जो भी पर्यटक घूमने आएगा उसके पास 72 घंटे पहले की टेस्ट रिपाेर्ट हाेना जरूरी है। ये टेस्ट रिपाेर्ट आईसीएमआरसे मान्यता प्राप्त लैबोरेटरी से हाेनी चाहिए। जांच रिपाेर्ट साथ हाेने के बाद पर्यटकाे काे क्वारैंटाइन हाेने की जरूरत नहीं होगी। हिमाचल आनेके लिए उन्हें ई-काेविड पास में अपने आपकाे रजिस्टर्ड करवाना हाेगा।

कोरोना का खतरा, होटल मालिक एक मत नहीं

हिमाचल में पर्यटकों के लिए होटलों को खोलने को लेकर अभी होटल मालिक भी दो राय में बंटे हैं। एक धड़ा चाहता है कि जब देश के कई अन्य राज्य टूरिस्टों के लिए खुल गए हैं तो हिमाचल को भी इसकी तैयारी रखनी चाहिए। वहीं, दूसरा गुट अभी थोड़ा इंतजार करने के पक्ष में है। उसकी दलील है कि कोरोना वायरस के मरीजों का आंकड़ा जिस तरह से बढ़ रहा है, उसे देखते हुए दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों के लिए बॉर्डर ओपन नहीं करने चाहिए। इससे हिमाचल में कोरोना के मामले बढ़ सकत हैं जिससे ज्यादा नुकसान होने का खतरा है।



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हिमाचल प्रदेश में पर्यटकों के लिए पर्यटन विभाग गाइडलइान जारी करेगा। राज्य सरकार के इस फैसले से पर्यटन काराेबारियाें काे बड़ी राहत मिली है।


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मोहाली के गांव का ग्राउंड 4500 रुपए में किराए पर लिया, श्रीलंका का टी-20 लीग बताकर खिलाया, लाइव स्ट्रीमिंग भी करवाई

माेहाली (चंडीगढ़) के एक गांव के ग्राउंड पर हुए टी-20 मैच भी आम मैचों की तरह राेमांचकथे। लेकिन इनके पीछे की कहानी इस राेमांच के ताेते उड़ाने के लिए काफी है। दरअसल, 29 जून काे खेले गए मैच की ऑनलाइन स्ट्रीमिंग में बताया गया कि ‘युवा टी20 लीग’ श्रीलंका के बदुला शहर में हो रही है। जबकि इसमें श्रीलंका का काेई खिलाड़ी और टीम नहीं थी।

हैरत की बात यह है कि कथित मैच काे लाइवस्काेर और लाइव स्ट्रीमिंग वेबसाइट ‘फैनकाेड’ ने लाइव कवर किया। वहीं ‘स्पाेर्ट्सकीड़ा’ ने लाइव स्काेरकार्ड चलाया। ऑनलाइन शिकायत पर चंडीगढ़ पुलिस ने मैच रुकवाए, लेकिन तब तक पहले दिन के 2 मैच हो चुके थे। पुलिस ने तीन लाेगाें को गिरफ्तार किया है। श्रीलंका क्रिकेट बाेर्ड और पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

खिलाड़ी श्रीलंका की जर्सी पहनकर उतरे थे

दरअसल, स्थानीय खिलाड़ी श्रीलंका की जर्सी पहनकर खेल रहे थे। उन्होंने चेहरे मास्क से ढंक रखे थे। यही नहीं, लाइव प्रसारण में उनके चेहरे पर फाेकस नहीं किया गया। कमेंटेटर भी नाम लेने से बचते रहे। मजे की बात यह है कि जिस मैदान में मैच हुए, उसे स्ट्रोक्टर्स क्रिकेट एसोसिएशन मेंटेन करता है। क्लब ने बताया कि एक दोस्त काे 4500 रुपए में फ्रेंडली मैच के लिए ग्राउंड दिया था। मैच की लाइव स्ट्रीमिंग करने वाली कंपनी भी शक के घेरे में है।

‘फैनकाेड’ ड्रीम स्पाेर्ट्स की पैरेंट कंपनी है। इसका एक ब्रांड ड्रीम 11 फैंटेसी स्पाेर्ट्स प्लेटफाॅर्म है, जाे आईपीएल का स्पाॅन्सर है। इसमें चीनी कंपनी टेंसेंट का निवेश है। फैनकाेड ने कहा कि आयाेजकाें ने क्रिकेट संघ का अनुमति पत्र दिया था। श्रीलंका क्रिकेट के ई-मेल आईडी का भी उल्लेख था। दूसरे दिन श्रीलंका की लीगल टीम ने आपत्ति ली और बताया कि डाॅक्यूमेंट्स फर्जी हाे सकते हैं। इसके बाद मैच हटा लिए गए।

यह बेटिंग सिंडिकेट का काम

बीसीसीआई की भ्रष्टाचार राेधी इकाई केअजीत सिंह कहते हैं कि बोर्ड से स्वीकृत लीग या खिलाड़ी हाेते ताे कार्रवाई करते। पुलिस कार्रवाई कर सकती है। यह सट्टेबाजी के लिए किया ताे अपराध है। वहीं, मोहाली के एसएसपी कुलदीप सिंह चहल ने कहा कि धोखाधड़ी के आरोप मेंपंकज जैन, राजू और अन्य काे गिरफ्तार किया है। जांच में पता चला है कि सट्टा लगाया जा रहा था। शक है कि मैच में बेटिंग सिंडीकेट लिप्त है। इसके अलावायुवा प्रांतीय क्रिकेट संघ केबी. बालाचंद्रन ने बताया कि वे फेक मैच थे। हमने किसी टूर्नामेंट की अनुमति नहीं दी। हमारी संस्था इतनी सक्रिय नहीं है। किसी ने खोजबीन कर यह किया है।



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मैच में खिलाड़ियों के चेहरे नहीं बताए गए, वे श्रीलंका की जर्सी पहनकर मैदान पर उतरे थे। इतना ही नहीं कमेंटेटर भी प्लेयर्स के नाम बताने से बचते रहे।


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दुनिया की 70% वैक्सीन मेड इन इंडिया हैं, कोरोनावायरस के दौर में देश के स्वास्थ्य संस्थान और आत्मनिर्भर हुए हैं: अदार पूनावाला

कोविड-19 के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन का भारत में उत्पादन कर रही कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला का कहना है कि 100 से ज्यादा कंपनियां वैक्सीन बना रही हैं। ऐसे में यह बताना मुश्किल है कि पहले कौन सा देश या कौन सी कंपनी वैक्सीन ला पाएगी। हमें उम्मीद है कि वैक्सीन बन जाती है, तो इसे छिपाया नहीं जाएगा। इसमें ईमानदारी और व्यापारिक समझदारी होगी। पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश...।

  • क्या भारतीय फार्मा मार्केट के लिए कोविड के कुछ सकारात्मक असर देखने को मिलेंगे?

दुनिया में 70% वैक्सीन भारतीय हैं। भारतीय निर्माता, विश्व मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री की रेस में पहले ही आगे हैं। कोरोना के दौर में व्यापार और हेल्थ इंस्टीट्यूशन दोनों साथ आए हैं ताकि भारत, आत्मनिर्भरता के साथ लड़ सके। सीरम, मायलैब के साथ 2 लाख किट रोजाना बना रही है, जिससे देश बढ़ती मांग पूरी हो सकेगी। मुझे विश्वास है कि हम उपलब्ध टैलेंट, टेक्नोलॉजी, इनोवेशन युक्त डेवलमेंट से मदद कर पाएंगे, जिससे अन्य देशों पर निर्भरता कम कर सकें।

  • कोविड-19 वैक्सीन का ट्रायल 100% सफल होगा ही, इसका आधार क्या है?

वैक्सीन बनाना रोलर कोस्टर पर सवारी करने जैसा है। वैक्सीन बनाने में अप एंड डाउन आते हैं। हमें धैर्य रखना है और तुरंत किसी निर्णय पर नहीं पहुंचना है। ट्रायल के तीन चरण हैं। तीनों चरण पूरे होने का हमें इंतजार करना होगा।

  • अगर ट्रायल सफल नहीं हुआ तो सीरम को कितना नुकसान होगा और उसे आप किस तरह वहन करेंगे?

चूंकि हम लिस्टेड कंपनी नहीं हैं, इसलिए हम किसी भी इन्वेस्टर्स को लाभ या रिटर्न देने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। इसीलिए हमने तय किया कि हम ट्रायल से पहले वैक्सीन का प्रोडक्शन खुद के रिस्क पर करेंगे। हमने कुछ समय के लिए अन्य वैक्सीन का प्रोडक्शन पूरी तरह रोक दिया है। अभी जो ट्रायल्स के रिजल्ट आए हैं उन्हें देखकर हमने अपनी प्रोडक्शन क्वांटिटी घटा दी है। पहले हमने 1 करोड़ डोजेज बनाने का प्लान किया था, जो अब कुछ लाख तक सीमित रखा है।

  • आप कोविड में किस तरह के अवसर देखते हैं?

अंग्रेजी की एक कहावत है- एवरी क्लाउड हैज ए सिल्वर लाइनिंग (हर दुख या कठिनाई की स्थिति में एक अवसर भी छुपा होता है)। भारत में जब कोविड आया तो सक्रिय और त्वरित फैसले लिए गए, जिससे भारत सबसे आगे नजर आया। इस स्थिति को हमें एडवांटेज के तौर पर लेना चाहिए, जिसमें हम अपने हेल्थ केयर इंस्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर पाएं। हमारी हेल्थ केयर पॉलिसीज को रिवाइज कर पाएं। हमारे देश में जो हेल्थ केयर फ्रेम वर्क है, उसे हम सुधार सकें।



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सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला। (फाइल)


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डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बिडेन की लोकप्रियता सभी वर्गों के बीच बढ़ी, सर्वे में ट्रम्प की जीत के आसार केवल 10%

नवंबर में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन का पलड़ा फिलहाल भारी नजर आता है। कोविड-19 का प्रकोप होने से पहले अर्थव्यवस्था की तेज गति से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दोबारा चुने जाने की बहुत संभावना थी।

ऐसे हालात में लगभग सभी सत्तारूढ़ राष्ट्रपति जीतते रहे हैं। लेकिन, इकोनॉमिस्ट के चुनाव मॉडल ने इस समय ट्रम्प के जीतने की संभावना केवल दस प्रतिशत बताई है। ट्रम्प राष्ट्रीय जनमत सर्वे में अपने प्रतिद्वंद्वी से केवल कुछ अंक पीछे थे। अब राष्ट्रपति बहुत मुश्किल में हैं। जो बिडेन ने नौ अंकों की बढ़त हासिल कर ली है। कुछ सर्वे में तो बढ़त और ज्यादा है।

फ्लोरिडा, मिशीगन और विस्कांसिन में कड़े मुकाबले
फ्लोरिडा, मिशीगन और विस्कांसिन जैसे कड़े मुकाबले के राज्यों में जो बिडेन की स्थिति बेहतर है। बुजुर्ग वोटरों के बीच भी उन्हेें काफी समर्थन मिल रहा है। आश्चर्य की बात है कि कॉलेज न जाने वाले श्वेत वोटर भी उनके साथ जुड़े हैं। वायरस ने बड़ी संख्या में वोटरों को अहसास कराया है कि 74 साल के ट्रम्प राष्ट्रपति पद के काबिल नहीं हैं।

नवंबर के लिए अभी लंबा समय है। यदि कोरोना वायरस ठंडा पड़ता है। अर्थव्यवस्था सुधरती है तो आने वाले दिनों में ट्रम्प के आसार सुधर सकते हैं। अगर वायरस का भीषण प्रकोप जारी रहा। डाक से वोटिंग के पर्याप्त इंतजाम नहीं हुए तब कम वोटिंग के कारण मुकाबला अप्रत्याशित हो जाएगा। कैसी भी स्थिति हो ट्रम्प पहले की तरह विभाजनकारी तौर तरीकों से फायदा उठाने की कोशिश करेंगे।

अनुभव और नरम रुख जो बिडेन के काम आएगा

  • जो बिडेन 77 वर्ष के हैं लेकिन ट्रम्प की अधिक आयु के कारण यह मुद्दा उनके खिलाफ नहीं जाएगा। वे उपराष्ट्रपति रह चुके हैं। 1972 में 30 साल से कम आयु में पहली बार सीनेटर बने थे।
  • सर्वे में डेमोक्रेटिक प्रभाव के राज्यों मिशीगन, पेनसिल्वानिया,विस्कांसिन में बाइडेन बहुत आगे हैं। एरिजोना, जार्जिया और टैक्सास जैसे रिपब्लिकन प्रभाव वाले राज्यों में भी वे कड़े मुकाबले में हैं।
  • अनुभव, विनम्रता और मध्य मार्गी झुकाव जो बिडेन की स्थिति को मजबूत बनाता है। लोगों को यह भी लगता है कि वे अमेरिका की पुरानी स्थिति बहाल कर सकते हैं।

बिना कुछ किए अच्छी स्थिति में पहुंचे जो बिडेन
बिडेन बहुत कुछ किए बिना अच्छी स्थिति में पहुंच गए हैं। ट्रम्प की कमजोरी से डेमोक्रेटिक पार्टी को सीनेट में बहुमत मिला है। कोविड-19 और अश्वेत जार्ज फ्लॉयड की मौत से भड़की सामाजिक अशांति से पहले जो बिडेन अमेरिका और दुनिया को 2016 के पहले की स्थिति में ले जाने की बात कर रहे थे। ट्रम्प इसे खतरा बता रहे हैं। वे वोटर को डरा रहे हैं कि उनका प्रतिद्वंद्वी बुढ़ापे के कारण डगमगाता हुआ मूर्ख है।

उन्हें पुलिस को खत्म करने और हर किसी की गन जब्त करने का इरादा रखने वाले खतरनाक उग्र सुधारवादी बंधक बना लेंगे। कुछ डेमोक्रेट्स जो बिडेन के बारे में इससे उलटा सोचते हैं। उन्हें एक बुजुर्ग के अपने मध्यमार्गी तरीकों में उलझे रहने की आशंका है। वैसे, जो बिडेन ने रंगभेद, धर्म और अन्य महत्वपूर्ण मसलों पर अपने विचारों में बदलाव किया है। गर्भपात के अधिकारों, स्कूलों में श्वेतों, अश्वेतों को अलग करने जैसे मुद्दों पर ढुलमुल रुख के कारण वामपंथी उन्हें संदेह की निगाह से देखते हैं।

2016 में ट्रम्प की जीत में उनकी बड़ी भूमिका नहीं थी। वह ध्वस्त हो रहे सिस्टम के खिलाफ वंचित लोगों की नाराजगी का इजहार था। लगातार पांच साल से बढ़ रही बेरोजगारी से लोग असंतुष्ट थे। यह अलग समय है, कोरोना वायरस से एक लाख 30 हजार से अधिक अमेरिकियों की मौत हो चुकी है। बेरोजगारी आसमान छू रही है। शालीनता और मर्यादा से जुड़े मध्यमार्गी मूल्य, अनुभव और योग्य लोगों की सलाह पर काम करने की इच्छा जैसे गुण लोगों को आकर्षित कर सकते हैं। जो बिडेन इन मूल्यों की झलक दिखाते हैं।



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फ्लोरिडा, मिशीगन और विस्कांसिन जैसे कड़े मुकाबले के राज्यों में जो बिडेन की स्थिति बेहतर है। (फाइल)


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मोहाली के गांव का ग्राउंड 4500 रुपए में किराए पर लिया, श्रीलंका का टी-20 लीग बताकर खिलाया, लाइव स्ट्रीमिंग भी करवाई

माेहाली (चंडीगढ़) के एक गांव के ग्राउंड पर हुए टी-20 मैच भी आम मैचों की तरह राेमांचकथे। लेकिन इनके पीछे की कहानी इस राेमांच के ताेते उड़ाने के लिए काफी है। दरअसल, 29 जून काे खेले गए मैच की ऑनलाइन स्ट्रीमिंग में बताया गया कि ‘युवा टी20 लीग’ श्रीलंका के बदुला शहर में हो रही है। जबकि इसमें श्रीलंका का काेई खिलाड़ी और टीम नहीं थी।

हैरत की बात यह है कि कथित मैच काे लाइवस्काेर और लाइव स्ट्रीमिंग वेबसाइट ‘फैनकाेड’ ने लाइव कवर किया। वहीं ‘स्पाेर्ट्सकीड़ा’ ने लाइव स्काेरकार्ड चलाया। ऑनलाइन शिकायत पर चंडीगढ़ पुलिस ने मैच रुकवाए, लेकिन तब तक पहले दिन के 2 मैच हो चुके थे। पुलिस ने तीन लाेगाें को गिरफ्तार किया है। श्रीलंका क्रिकेट बाेर्ड और पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

खिलाड़ी श्रीलंका की जर्सी पहनकर उतरे थे

दरअसल, स्थानीय खिलाड़ी श्रीलंका की जर्सी पहनकर खेल रहे थे। उन्होंने चेहरे मास्क से ढंक रखे थे। यही नहीं, लाइव प्रसारण में उनके चेहरे पर फाेकस नहीं किया गया। कमेंटेटर भी नाम लेने से बचते रहे। मजे की बात यह है कि जिस मैदान में मैच हुए, उसे स्ट्रोक्टर्स क्रिकेट एसोसिएशन मेंटेन करता है। क्लब ने बताया कि एक दोस्त काे 4500 रुपए में फ्रेंडली मैच के लिए ग्राउंड दिया था। मैच की लाइव स्ट्रीमिंग करने वाली कंपनी भी शक के घेरे में है।

‘फैनकाेड’ ड्रीम स्पाेर्ट्स की पैरेंट कंपनी है। इसका एक ब्रांड ड्रीम 11 फैंटेसी स्पाेर्ट्स प्लेटफाॅर्म है, जाे आईपीएल का स्पाॅन्सर है। इसमें चीनी कंपनी टेंसेंट का निवेश है। फैनकाेड ने कहा कि आयाेजकाें ने क्रिकेट संघ का अनुमति पत्र दिया था। श्रीलंका क्रिकेट के ई-मेल आईडी का भी उल्लेख था। दूसरे दिन श्रीलंका की लीगल टीम ने आपत्ति ली और बताया कि डाॅक्यूमेंट्स फर्जी हाे सकते हैं। इसके बाद मैच हटा लिए गए।

यह बेटिंग सिंडिकेट का काम

बीसीसीआई की भ्रष्टाचार राेधी इकाई केअजीत सिंह कहते हैं कि बोर्ड से स्वीकृत लीग या खिलाड़ी हाेते ताे कार्रवाई करते। पुलिस कार्रवाई कर सकती है। यह सट्टेबाजी के लिए किया ताे अपराध है। वहीं, मोहाली के एसएसपी कुलदीप सिंह चहल ने कहा कि धोखाधड़ी के आरोप मेंपंकज जैन, राजू और अन्य काे गिरफ्तार किया है। जांच में पता चला है कि सट्टा लगाया जा रहा था। शक है कि मैच में बेटिंग सिंडीकेट लिप्त है। इसके अलावायुवा प्रांतीय क्रिकेट संघ केबी. बालाचंद्रन ने बताया कि वे फेक मैच थे। हमने किसी टूर्नामेंट की अनुमति नहीं दी। हमारी संस्था इतनी सक्रिय नहीं है। किसी ने खोजबीन कर यह किया है।



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मैच में खिलाड़ियों के चेहरे नहीं बताए गए, वे श्रीलंका की जर्सी पहनकर मैदान पर उतरे थे। इतना ही नहीं कमेंटेटर भी प्लेयर्स के नाम बताने से बचते रहे।


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दुनिया की 70% वैक्सीन मेड इन इंडिया हैं, कोरोनावायरस के दौर में देश के स्वास्थ्य संस्थान और आत्मनिर्भर हुए हैं: अदार पूनावाला

कोविड-19 के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन का भारत में उत्पादन कर रही कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला का कहना है कि 100 से ज्यादा कंपनियां वैक्सीन बना रही हैं। ऐसे में यह बताना मुश्किल है कि पहले कौन सा देश या कौन सी कंपनी वैक्सीन ला पाएगी। हमें उम्मीद है कि वैक्सीन बन जाती है, तो इसे छिपाया नहीं जाएगा। इसमें ईमानदारी और व्यापारिक समझदारी होगी। पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश...।

  • क्या भारतीय फार्मा मार्केट के लिए कोविड के कुछ सकारात्मक असर देखने को मिलेंगे?

दुनिया में 70% वैक्सीन भारतीय हैं। भारतीय निर्माता, विश्व मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री की रेस में पहले ही आगे हैं। कोरोना के दौर में व्यापार और हेल्थ इंस्टीट्यूशन दोनों साथ आए हैं ताकि भारत, आत्मनिर्भरता के साथ लड़ सके। सीरम, मायलैब के साथ 2 लाख किट रोजाना बना रही है, जिससे देश बढ़ती मांग पूरी हो सकेगी। मुझे विश्वास है कि हम उपलब्ध टैलेंट, टेक्नोलॉजी, इनोवेशन युक्त डेवलमेंट से मदद कर पाएंगे, जिससे अन्य देशों पर निर्भरता कम कर सकें।

  • कोविड-19 वैक्सीन का ट्रायल 100% सफल होगा ही, इसका आधार क्या है?

वैक्सीन बनाना रोलर कोस्टर पर सवारी करने जैसा है। वैक्सीन बनाने में अप एंड डाउन आते हैं। हमें धैर्य रखना है और तुरंत किसी निर्णय पर नहीं पहुंचना है। ट्रायल के तीन चरण हैं। तीनों चरण पूरे होने का हमें इंतजार करना होगा।

  • अगर ट्रायल सफल नहीं हुआ तो सीरम को कितना नुकसान होगा और उसे आप किस तरह वहन करेंगे?

चूंकि हम लिस्टेड कंपनी नहीं हैं, इसलिए हम किसी भी इन्वेस्टर्स को लाभ या रिटर्न देने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। इसीलिए हमने तय किया कि हम ट्रायल से पहले वैक्सीन का प्रोडक्शन खुद के रिस्क पर करेंगे। हमने कुछ समय के लिए अन्य वैक्सीन का प्रोडक्शन पूरी तरह रोक दिया है। अभी जो ट्रायल्स के रिजल्ट आए हैं उन्हें देखकर हमने अपनी प्रोडक्शन क्वांटिटी घटा दी है। पहले हमने 1 करोड़ डोजेज बनाने का प्लान किया था, जो अब कुछ लाख तक सीमित रखा है।

  • आप कोविड में किस तरह के अवसर देखते हैं?

अंग्रेजी की एक कहावत है- एवरी क्लाउड हैज ए सिल्वर लाइनिंग (हर दुख या कठिनाई की स्थिति में एक अवसर भी छुपा होता है)। भारत में जब कोविड आया तो सक्रिय और त्वरित फैसले लिए गए, जिससे भारत सबसे आगे नजर आया। इस स्थिति को हमें एडवांटेज के तौर पर लेना चाहिए, जिसमें हम अपने हेल्थ केयर इंस्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर पाएं। हमारी हेल्थ केयर पॉलिसीज को रिवाइज कर पाएं। हमारे देश में जो हेल्थ केयर फ्रेम वर्क है, उसे हम सुधार सकें।



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सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला। (फाइल)


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हिमाचल घूमना है तो पांच दिन की बुकिंग जरूरी, 72 घंटे पहले की कोविड-19 टेस्ट रिपाेर्ट साथ लानी होगी

हिमाचल प्रदेश 100 दिन बाद एक बार फिर पर्यटकों के लिए खुल गया है। राज्य सरकार ने देवभूमि घूमने आने वालों के लिए बॉर्डर खोल दिए हैं। शुक्रवार को राज्य आपदाप्रबंधन काेष्ठ ने इस बारे में आदेशजारी कर दिए हैं। अब पर्यटन विभाग टूरिस्टाें के लिए शीघ्र गाइडलइान जारी करेगा।

राज्य सरकार के इस फैसले से पर्यटन काराेबारियाें काे बड़ी राहत मिली है। अनलाॅक-2 के बीच हाेटल काराेबारियों ने सरकार से इस संबंध में लिए गाइडलाइन जारी करने की मांग की थी। राज्य में कुछ शर्तों के साथ ही टूरिस्ट घूमने आ सकेंगे। इसमें 5 दिन की बुकिंग अनिवार्य होगी और 72 घंटे पहले की कोविड-19 की रिपोर्ट लाना भी जरूरी होगा।

आदेश: मान्यता प्राप्त लैब की होनी चाहिए रिपोर्ट
सरकार के आदेशके मुताबिक, जो भी पर्यटक घूमने आएगा उसके पास 72 घंटे पहले की टेस्ट रिपाेर्ट हाेना जरूरी है। ये टेस्ट रिपाेर्ट आईसीएमआरसे मान्यता प्राप्त लैबोरेटरी से हाेनी चाहिए। जांच रिपाेर्ट साथ हाेने के बाद पर्यटकाे काे क्वारैंटाइन हाेने की जरूरत नहीं होगी। हिमाचल आनेके लिए उन्हें ई-काेविड पास में अपने आपकाे रजिस्टर्ड करवाना हाेगा।

कोरोना का खतरा, होटल मालिक एक मत नहीं

हिमाचल में पर्यटकों के लिए होटलों को खोलने को लेकर अभी होटल मालिक भी दो राय में बंटे हैं। एक धड़ा चाहता है कि जब देश के कई अन्य राज्य टूरिस्टों के लिए खुल गए हैं तो हिमाचल को भी इसकी तैयारी रखनी चाहिए। वहीं, दूसरा गुट अभी थोड़ा इंतजार करने के पक्ष में है। उसकी दलील है कि कोरोना वायरस के मरीजों का आंकड़ा जिस तरह से बढ़ रहा है, उसे देखते हुए दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों के लिए बॉर्डर ओपन नहीं करने चाहिए। इससे हिमाचल में कोरोना के मामले बढ़ सकत हैं जिससे ज्यादा नुकसान होने का खतरा है।



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हिमाचल प्रदेश में पर्यटकों के लिए पर्यटन विभाग गाइडलइान जारी करेगा। राज्य सरकार के इस फैसले से पर्यटन काराेबारियाें काे बड़ी राहत मिली है।


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