Corona News, Corona Latest News, Corona Update, Latest News Updates, Breaking News, Hindi News Corona, National News, International News, Coronavirus India, COVID-19 tracker, Today's Headlines, World News, Aajtak ki News, Hindi news (हिंदी समाचार) website, watch and read live tv coverages, Latest Khabar, Breaking news in Hindi of India, World, business,पढ़ें आज तक के ताजा समाचार देश और दुनिया से, जाने व्यापार, बॉलीवुड, खेल और राजनीति के ख़बरें
प्राइवेट एयरलाइन कंपनी स्पाइसजेट के यात्री अब वॉट्सऐप पर वेब चेक-इन कर सकेंगे। कंपनी ने गुरुवार को ऑटोमेटेड कस्टमर सर्विस और चेक-इन सुविधा का शुरू करने की घोषणा की। इससे पहले तक ये सुविधाएं स्पाइसजेट की वेबसाइट या मोबाइल ऐप में उपलब्ध थीं। बता दें कि कोरोना के चलते सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करने के लिए सभी यात्रियों को ऑनलाइन चेक इन अनिवार्य कर दिया गया है।
कंपनी ने जारी किया मोबाइल नंबर
कंपनी ने बताया कि इस ऑटोमेटेड कस्टमर सर्विस एजेंट को Ms Pepper कहते हैं। यात्री इस Ms Pepper एजेंट के जरिए मोबाइल नंबर 6000000006 पर जाकर कंपनी की इस सर्विस का लाभ उठा सकेंगे। स्पाइसजेट ने कहा कि वॉट्सऐप के अलावा ये सुविधाएं कंपनी की वेबसाइट और मोबाइल ऐप पर भी उपलब्ध रहेंगी।
जानिए, इसका इस्तेमाल कैसे करना है
यात्रियों को एयरपोर्ट जाते वक्त रास्ते से इस नंबर पर वॉट्सऐप पर Hi लिखकर भेजना होगा। एजेंट अनिवार्य वेब चेक इन प्रक्रिया में यात्रियों की मदद करेंगी। बोर्डिंग पास सीधे यात्रियों के मोबाइल फोन पर डिलीवर कर दिए जाएंगे। इस सुविधा से यात्रियों को स्पाइसजेट की वेबसाइट पर जाने की जरूरत नहीं होगी। ऑटोमेटेड एजेंट वॉट्सऐप पर ही यात्रियों की क्वेरी का भी समाधान करेंगी। कंपनी ने कहा कि वॉट्सऐप स्लो इंटरनेट पर भी अच्छे से काम करता है।
स्पाइसजेट ने लॉन्च किया स्पाइस स्क्रीन सिस्टम
इसी सोमवार को स्पाइसजेट ने स्पाइस स्क्रीन सुविधा को लॉन्च किया है। यह एयरलाइन्स की तरफ से कॉम्पलीमेंट्री सुविधा है। कंपनी के मुताबिक, स्पाइस स्क्रीन अपनी तरह का पहला, लाइट-इन-वेट, वायरलेस एंटरटेनमेंट सिस्टम जिसमें सफर के दौरान पैसेंजर्स तक वाई-फाई कनेक्शन के जरिए उनके पर्सनल डिवाइस पर बड़ी तादाद में कंटेंट मुहैया कराया जाएगा। यानी अब 35000 फीट की ऊंचाई पर भी पैसेंजर्स अपने फेवरेट कंटेंट का मजा ले सकेंगे। यह सुविधा स्पाइस जेट की सभी उड़ानों में उपलब्ध है।
25 मई को घरेलू यात्री उड़ानें फिर शुरू हुई है
कोरोनावायरस और लॉकडाउन के कारण 25 मार्च से घरेलू हवाई यात्रा पर पाबंदी लगा दी गई थी। दो महीने के बाद 25 मई को घरेलू यात्री उड़ानें फिर शुरू हुई है। हालांकि हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए विभिन्न नियम हैं, जिनका पालन किया जाना अनिवार्य है।
कोरोना के बीच 6 महीने बाद कोर्ट पर वापसी करने वाली सेरेना विलियम्स की जीत का सिलसिला जारी है। उन्होंने गुरुवार को डब्ल्यूटीए टॉप सीड ओपन के दूसरे राउंड में बड़ी बहन वीनस विलियम्स को 3-6, 6-3, 6-4 से हराया। दोनों के बीच हुए 31 मुकाबलों में यह सेरेना की 19वीं जीत है।
क्वार्टर फाइनल में सेरेना का मुकाबला शेल्बी रोजर्स से होगा। उन्होंने कनाडा की लेहला एनि फर्नांडीज को 6-2, 7-5 से हराया। सेरेना फरवरी के बाद अपने पहले टूर्नामेंट के क्वार्टर फाइनल में पहुंचीं है।
सेरेना ने पिछली बार यूएस ओपन में वीनस को हराया था
सेरेना और वीनस के बीच 2018 के यूएस ओपन में पिछला मुकाबला हुआ था। तब टूर्नामेंट के तीसरे राउंड में सेरेना ने वीनस को 6-1, 6-2 से मात दी थी। दोनों के बीच हुए पिछले 12 मुकाबलों में से 10 सेरेना ने ही जीते हैं।
इस जीत से मेरा आत्मविश्वास बढ़ेगा: सेरेना
इस जीत के बाद सेरेना ने कहा कि मेरे लिए यह जीत जरूरी थी। इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ेगा। मां बनने के बाद मैं बहुत ज्यादा नहीं खेली हूं। ऐसे में मेरे लिए मैच खेलना जरूरी था। इससे मुझे यूएस ओपन की तैयारी में मदद मिलेगी।
सेरेना और वीनस ने अब तक 30 बड़े खिताब जीते
पिछले दो दशक से 38 साल की सेरेना और 40 साल की वीनस टेनिस की दुनिया पर राज कर रही हैं। इन दोनों ने अब तक कुल 30 मेजर सिंगल्स टाइटल जीते हैं। 9वीं रैंकिंग वाली सेरेना ने अब तक 23, जबकि वीनस ने 7 ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट जीते हैं।
सेरेना रिकॉर्ड 24वें ग्रैंड स्लैम जीतने से एक कदम दूर
सेरेना मार्गरेट कोर्ट के ऑल टाइम 24 खिताब जीतने के रिकॉर्ड से सिर्फ एक कदम दूर हैं। 31 अगस्त से शुरू होने वाले यूएस ओपन का खिताब जीतकर सेरेना रिकॉर्ड की बराबरी कर सकती हं। उन्होंने पिछला ग्रैंड स्लैम 2017 में ऑस्ट्रेलियन ओपन जीता था।
सेरेना ने पहले राउंड में बर्नाडा पेरा को हराया था
सेरेना ने टॉप सीड ओपन के पहले राउंड में हमवतन बर्नाडा पेरा को 4-6, 6-4,6-1 से हराया था, जबकि वीनस ने पहले राउंड में विक्टोरिया अजारेंका को सीधे सेटों में 6-3, 6-2 से शिकस्त दी थी।
कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्थाओं के सभी क्षेत्रों और दिग्गजों को हिलाकर और उनकी आँखें खोलकर रख दी है। और तो और, इसने पूरी दुनिया के समक्ष एक बुनियादी प्रश्न खड़ा कर दिया है। वो यह कि बीमा कंपनियों को जोखिम को कवर करने और ग्राहकों के लिए हमेशा खड़े रहना चाहिए। अब बीमा कंपनियां एक ऐसा पूल बनाना चाह रही हैं, जिसके जरिए इस तरह की महामारी के दौरान वित्तीय समस्याओं से निपटा जा सके।
पॉलिसीधारकों को बेहतर तरीके से सुरक्षित रखने की चुनौती
इस महामारी ने बीमा कंपनियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वे पॉलिसीधारकों को बेहतर तरीके से सुरक्षित रखने के लिए और क्या कर सकते हैं? कोविड-19 के उपचार खर्चों को कवर करने वाली स्वास्थ्य क्षतिपूर्ति पॉलिसी (health indemnity policies) के अलावा, कोई भी बीमा प्रोडक्ट उन राहत की पेशकश नहीं कर सकता है जो ग्राहकों को इस चुनौतीपूर्ण समय का सामना करने के लिए आवश्यक हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर 26 अरब डॉलर के असर का अनुमान
क्रिसिल की मई 2020 की रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था पर 26 अरब डॉलर के असर का अनुमान लगाया गया है। इससे पता चलता है कि कैसे महामारी ने हमारी अर्थव्यवस्था को बहुत पीछे धकेल दिया है। इसने हमारे आयात और निर्यात को प्रभावित किया है। हमारे देश में बेरोजगारी अप्रैल 2020 में 26 प्रतिशत बढ़ गई। अधिकांश कारखानों, संस्थानों, बिजनेस प्रतिष्ठानों, निर्माण स्थलों आदि को लॉकडाउन अवधि के दौरान बंद करना पड़ा, जिससे प्रवासी मजदूरों को अपने घर वापस जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
इस तरह की आपात स्थितियों से क्या सीखा गया
इसके अतिरिक्त, कई कंपनियां लॉक डाउन के प्रभाव को नहीं झेल पाईं। इससे लोगों को अपनी नौकरी खोनी पड़ी और अभी भी खोना पड़ रहा है। इस महामारी ने हमें उन समस्याओं और खामियों की पहचान करने में मदद की है जिन पर आगे काम करने की जरूरत है। अब सवाल यह है कि हम इस तरह की आपात स्थितियों से क्या सीख सकते हैं? क्या हमारे पास ऐसा समाधान है जो हमें इससे तेजी से रिकवरी करने में मदद कर सकता है? क्या लॉक डाउन में नौकरी खो देने के बाद भी हम बिजनेस में या आमदनी में हुई कमी की आर्थिक भरपाई कर सकते हैं ? क्या इस तरह की महामारी के खिलाफ बड़े पैमाने पर व्यक्तियों, परिवारों, व्यवसायों, अर्थव्यवस्थाओं और समाज के बीच कोई सेतु बनाने का कोई तरीका हो सकता है?
इसका जवाब अब हां में है। निश्चित रूप से बीमा कंपनियां अब पूल बनाकर बेहतर तरीके से तैयार हो सकती हैं जब हमें भविष्य में ऐसी स्थिति का सामना करना पड़े।
महामारी पूल (pandemic pool) क्या है ?
बीमा कंपनियां फंड का पूल बनाकर अर्थात फंड जुटाकर इससे एक इमरजेंसी प्रोग्राम तैयार कर सकती हैं जिससे किसी भी महामारी से होने वाले नुकसान के कारण अधिकांश को कवर मिल जाये। आइए देखें कि बीमा कंपनियां इस विचार को कैसे पूरा कर सकती हैं। आज कोई भी व्यावसायिक रुकावट नीति, जिसे स्टैंडर्ड प्रॉपर पालिसी के साथ खरीदा जाता है, उसमें महामारी से लगने वाले लॉकडाउन और इसके कारण होने वाले नुकसान को कवर नहीं किया जाता है।
अनिवार्य ऐड ऑन कवर का होगा निर्माण
कॉर्पोरेट्स के लिए प्रॉपर्टी पॉलिसीज के साथ-साथ एक अनिवार्य ऐड-ऑन कवर के रूप में महामारी कवर बीमा कंपनियां बना सकती हैं। सरकार द्वारा महामारी के कारण लॉकडाउन की घोषणा करने के तुरंत बाद यह कवर शुरू हो जाएगा। इस ऐडऑन के तहत, लॉकडाउन के कारण कॉरपोरेट्स के विभिन्न स्टैंडिंग चार्जेज जैसे कर्मचारी वेतन, परिसर का किराया आदि को कवर किया जा सकता है। यह लॉकडाउन के शुरुआती 2-3 महीनों के लिए अधिकतम क्षतिपूर्ति कवर हो सकता है।
सभी तरह की दिक्कतों के लिए मिलेगा साधन
वेतन में कटौती, छंटनी, व्यापार में घाटे से उबरने में मदद मिलेगी और कंपनियों को महामारी के प्रभाव से रिकवर होने का एक टूल मिलेगा। रिटेल बेसिस पर, व्यक्ति इसे अपने होम इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ-साथ ऐड-ऑन कवर के रूप में खरीद सकते हैं। यह अनिवार्य नहीं होगा और यह एक ग्राहक के ऊपर होगा कि वे इसका विकल्प चुनते हैं या नहीं। नौकरी खो जाने या किसी विशेष परिस्थितियों में इस ऐड-ऑन के तहत शुरुआती 2-3 महीनों के लिए अपने होम लोन के लिए ग्राहक को मासिक ईएमआई का भुगतान बीमा कंपनी कर सकती है।
इस पूल की फंडिंग पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए की जा सकती है
लॉकडाउन अवधि के दौरान अपने होम लोन का ख्याल रखकर किसी व्यक्ति पर वित्तीय बोझ को कम किया जा सकता है। इस पूल की फंडिंग पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए की जा सकती है जिसमें सरकार और कंपनियां दोनों ही इस पूल में योगदान दे सकते हैं। सभी कंपनियों के लिए सीएसआर कंपोनेंट से इस पूल में योगदान करने पर विचार किया जा सकता है। इसलिए उन्हें इसे एक अलग खर्च के रूप में देखने की जरूरत नहीं होगी। इस तरह एक अच्छा खासा पूल बना सकते हैं।
सीएसआर फंड से कॉर्पोरेट कर सकते हैं मदद
कॉर्पोरेट अपनी प्रॉपर्टी पॉलिसी के एक हिस्से के रूप में महामारी ऐड-ऑन कवर के लिए भुगतान करने वाले प्रीमियम को अपने सीएसआर फंड से दे सकते हैं। इसलिए इस महामारी कवर के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम का कंपनी पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ता है। बीमा कंपनियां reinsurance support की भी तलाश कर सकती हैं जो उन विशिष्ट कॉर्पोरेट के लिए हो सकता है जो लाइबिलिटी की लंबी अवधि का विकल्प चुनना चाहते हैं। यानी 3 महीने से अधिक।
महामारी पूल शुरुआती 2-3 महीनों के लिए कवर देगा
उदाहरण के लिए महामारी पूल लॉकडाउन के शुरुआती 2-3 महीनों के लिए कवर प्रदान कर सकता है। इसमें जनरल इंश्योरेंस कंपनियां भी योगदान दे सकती हैं जैसा कि वे आतंकवाद/परमाणु पूल के मामले में करती हैं। एक बार जब पूल फंड काफी मजबूत हो जाते हैं तो सरकार धीरे-धीरे पूल में अपना योगदान कम कर सकती है और महामारी के प्रसार को कम करने की दिशा में अपना ध्यान केंद्रित कर सकती है।
संकट से मिलती है सीख
संकट में हमेशा एक सीख छिपी होती है और कोई ऐसा संकट फिर से दोहराया जाता है तो ऐसी सूरत में मौजूदा संकट लोगों को मजबूत बनने का अवसर प्रदान करता है। महामारी पूल भी एक ऐसी ही सीख है, जो हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे समाज को पतन से बचाने में एक लंबा रास्ता तय करेगा। इस महामारी पूल के माध्यम से हमारी अर्थव्यवस्था को कोई नुकसान पहुंचाए बिना किसी भी महामारी का डंट कर सामना किया जा सकता है।
स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पहले जम्मू-कश्मीर के नौगाम में शुक्रवार को आतंकियों ने पुलिस पार्टी पर हमला कर दिया। इसमें दो पुलिसकर्मी शहीद हो गए। पुलिस के मुताबिक 3 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। सभी को हॉस्पिटल ले जाया गया, जिसमें 2 पुलिसकर्मियों की इलाज के दौरान जान चली गई। इलाके की घेराबंदी कर दी गई है।
आतंकी हमला श्रीनगर सिटी के बाहरी इलाके में हुआ। इससे पहले गुरुवार को सुरक्षाबलों ने पुलवामा के अवंतीपोरा में आतंकियों के तीन ठिकाने ध्वस्त किए थे।
#Terrorists fired #indiscriminately upon police party near #Nowgam Bypass. 03 police personnel injured. They were shifted to hospital for treatment where 02 among them attained #martyrdom. Area cordoned off. Further details shall follow. @JmuKmrPolice
पिछले कुछ दिनों में पुलिस पार्टी और सेना के काफिले पर हमलों में तेजी आई है। 12 अगस्त को भी बारामूला के सोपोर में सुरक्षाबलों पर हमला किया गया था, जिसमें एक जवान घायल हुआ था। आतंकियों ने सीआरपीएफ और पुलिस की संयुक्त पार्टी को निशाना बनाया था।
एक महीने पहले सीआरपीएफ पार्टी पर हुआ था हमला
जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर कस्बे में 1 जुलाई को सीआरपीएफ की पार्टी पर आतंकियों ने हमला किया था। फायरिंग में 1 जवान शहीद हो गया और 3 जख्मी हुए थे। आतंकियों की फायरिंग की चपेट में आए 1 नागरिक की भी मौत हो गई थी। मारे गए व्यक्ति के साथ उनका 3 साल का पोता भी था। सिक्योरिटी फोर्सेज ने बच्चे को सुरक्षित निकाल लिया था।
जून तक 128 आतंकी मारे गए
जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने 30 जून को बताया था कि अब तक 128 आतंकी मारे जा चुके हैं। इनमें 70 हिजबुल मुजाहिदीन, 20-20 लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के थे। बाकी दूसरे आतंकी संगठनों के थे। डीजीपी के मुताबिक पाकिस्तान में आतंकियों के लॉन्च पैड सक्रिय हैं। वहां से भारत में आतंकी भेजने की लगातार कोशिश की जा रही है।
दुनिया के कई हिस्सों में बढ़ते तनाव के बीच इस साल पहली बार अमन बहाली के लिहाज से एक बड़ी खबर सामने आई। कट्टर दुश्मन माने जाने वाले इजराइल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच गुरुवार को ऐतिहासिक शांति समझौता हुआ। दोनों देशों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने खुद ट्विटर पर इसकी जानकारी दी।
1948 में आजादी के बाद इजराइल का किसी अरब देश के साथ यह सिर्फ तीसरा समझौता है। इसके पहले वो जॉर्डन और मिस्र के साथ समझौते कर चुका है।
तनाव कम होना तय
यूएई औ इजराइल का समझौता हर लिहाज से कारगर साबित हो सकता है। फिलिस्तीन इसका विरोध कर रहा है, जबकि कई देश इस समझौते को लेकर हैरान हैं। इजराइल और यूएई के बीच कई साल से ‘बैक डोर डिप्लोमैसी’ चल रही थी। लेकिन, अब दोनों देशों ने सार्वजनिक तौर पर शांति समझौते का ऐलान किया है। इजराइल ने वेस्ट बैंक में बस्तियां बसाने या दूसरे शब्दों में कहें तो कब्जे का इरादा फिलहाल टाल दिया है। इससे खाड़ी देशों और इजराइल में तनाव कम होगा।
कई महीने की बातचीत जो गुप्त रखी गई
ट्रम्प कई महीनों से इस समझौते के लिए कोशिश कर रहे थे। हर तरह की बातचीत को बेहद गुप्त रखा गया। यही वजह है कि गुरुवार रात जब इसकी घोषणा हुई तो कई देश हैरान रह गए। वजह भी साफ है। इजराइल और अरब या खाड़ी देशों की दुश्मनी उतनी ही ऐतिहासिक है, जितना यह समझौता। ट्रम्प ने समझौते से ऐलान से पहले इसे पुख्ता तौर पर स्थापित करने के लिए फोन पर एक साथ नेतन्याहू और शेख जायेद से बातचीत की। अब इजराइल और यूएई एक-दूसरे के देशों में राजनयिक मिशन यानी एम्बेसी शुरू कर सकेंगे।
ट्रम्प ने एक तीर से दो निशाने साधे
इस समझौते का पहला और जाहिर तौर पर मकसद ईरान पर शिकंजा कसना है। ईरान शिया बहुल देश है। उसके अरब देशों और अमेरिका, दोनों से रिश्ते तनावपूर्ण हैं। इजराइल को भी वो कट्टर दुश्मन मानता है। ईरान एटमी ताकत हासिल करना चाहता है। अमेरिका, इजराइल और अरब देश उसे रोकना चाहते हैं। अब जबकि यूएई और इजराइल औपचारिक तौर पर करीब आ गए हैं तो अमेरिका को ज्यादा मजबूती मिलेगी। वो ईरान पर शिकंजा कस सकेगा। दूसरी तरफ, नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले ट्रम्प इसे अपनी जीत की तरह पेश करेंगे। समझौते के कामयाब होने में ज्यादा शक की गुंजाइश इसलिए नहीं है क्योंकि इजराइल और यूएई पिछले दरवाजे की कूटनीति के जरिए कई साल से संपर्क में थे।
(विमल कुमार). लेग स्पिनर अमित मिश्रा कई बार टीम इंडिया से अंदर-बाहर होते रहे हैं। उन्होंने टीम की ओर से आखिरी मुकाबला 2017 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। 37 साल के अमित को अभी भी टीम में वापसी की उम्मीद है। अमित ने 2003 में डेब्यू किया था। दिल्ली कैपिटल्स के अमित ने कहा कि वे आईपीएल के सबसे सफल भारतीय गेंदबाज हैं। लेकिन कोई चर्चा नहीं करता, जबकि कुछ युवा एक सीजन अच्छा खेलकर टीम इंडिया में जगह बना लेते हैं। उनसे बातचीत के कुछ अंश...
सवाल: आप लीग में दूसरे सबसे कामयाब गेंदबाज हैं, पर आपको वो श्रेय नहीं मिल पाता? अमित: आप पहले शख्स हैं, जिन्होंने मुझे इस तरह बोला है। इससे पहले कभी किसी ने मेरा परिचय आईपीएल में भारत के सबसे कामयाब गेंदबाज के तौर पर नहीं किया। अगर मुझे भी ज्यादा मौके मिलते तो विकेट की संख्या ज्यादा होती।
सवाल: आप जिस सम्मान के हकदार थे, वो नहीं मिला, क्या इस बात पर मायूसी होती है? अमित: बिल्कुल। मैं 2 साल से आईपीएल में अच्छा खेल रहा हूं। इस दौरान भारतीय टीम से बाहर रहा हूं, लेकिन कोई चर्चा नहीं करता। कई बार युवा खिलाड़ी आईपीएल के एक सीजन में अच्छा खेल कर टीम इंडिया में आ जाता है। पिछले दो दशक से खेलने के बाद भी मुझे हर बार खुद को साबित करने की जरूरत पड़ती है।
सवाल: क्या आपको लगता है कि टीम इंडिया में वापसी आपके लिए मुमकिन है? अमित: बिल्कुल है और इसलिए मैं खेल रहा हूं। मैं सिर्फ आईपीएल के लिए क्रिकेट खेलने वाला गेंदबाज नहीं हूं।
सवाल: वापसी कितनी मुश्किल होगी? अमित: पहले हम हमेशा व्यस्त रहते थे। बहुत क्रिकेट होता था। अब वापसी आसान नहीं होगी। दोगुनी मशक्कत करनी होगी।
सवाल: आईपीएल में हैट्रिक और टीम इंडिया में वापसी, दोनों में आसान क्या रहा? अमित: भारतीय टीम में वापसी मुश्किल रही। आईपीएल में अच्छा खेल दिखाने के बावजूद, हरियाणा के लिए रणजी ट्रॉफी में कप्तानी की अतिरिक्त जिम्मेदारी निभाने के बावजूद टीम इंडिया में वापसी नहीं हो पाई है। आईपीएल में हैट्रिक लेना आपके हाथ में है और यही दोनों में फर्क है।
सवाल: आपको कभी ऐसी निराशा हुई कि खेल छोड़ने का मन बना लिया हो? अमित: बिलकुल हुई है, लेकिन हर बार मैंने ये सोचा कि अगर मैं छोड़ दूंगा तो फायदा मेरे विरोधियों का होगा। आपको नकारात्मक सोच से बचाने के लिए आपके साथ बहुत कम लोग खड़े होते हैं और ऐसे में मैं खुद को मोटिवेट करता हूं।
सवाल: टी-20 में तो लेग स्पिनर का जलवा है, लेकिन टेस्ट रैंकिंग में टॉप-10 में एक भी लेग स्पिनर नहीं है, ऐसा क्यों? अमित: मेहनत की कमी के चलते ऐसा है। मुझे अभी भी याद है कि कुंबले और वॉर्न जैसे खिलाड़ी कितनी मेहनत किया करते थे। एक बार सचिन तेंदुलकर ने कहा था कि विदेशी दौरे की तैयारी महीनों पहले शुरू कर देनी चाहिए। तभी आप वहां सफल हो सकते हैं।
अमित ने आईपीएल में रिकॉर्ड 3 हैट्रिकली
अमित ने भारत के लिए 22 टेस्ट, 36 वनडे, 10 टी-20 खेले हैं। उनके नाम क्रमश: 76, 64, 16 विकेट दर्ज हैं। 5 मैचों की वनडे सीरीज में सबसे ज्यादा 18 विकेट लेने का रिकॉर्ड उन्हीं के नाम है। 147 आईपीएल मैचों में 157 विकेट लेकर टूर्नामेंट के सबसे सफल भारतीय हैं। आईपीएल में सबसे ज्यादा 3 हैट्रिक लेने का रिकॉर्ड भी है।
दुनिया में कोरोनावायरस संक्रमण के अब तक 2 करोड़ 10 लाख 77 हजार 917 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 1 करोड़ 39 लाख 10 हजार 488 मरीज ठीक हो चुके हैं। 7 लाख 53 हजार 394 की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। ब्रिटेन ने फ्रांस और नीदरलैंड समेत चार अन्य देशों को अपनी क्वारैंटाइन लिस्ट में शामिल किया है।
लिस्ट में शामिल देशों से यूके पहुंचने वाले लोगों के लिए 14 दिनों तक क्वारैंटाइन में रहना जरूरी होगा। देश के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर ग्रांट शैप्स ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी। इसके बाद फ्रांस ने कहा है कि वह भी ब्रिटेन के लोगों पर इसी तरह की पाबंदियां लगा सकता है।
मैक्सिको के स्वास्थ्य मंत्री ने गुरुवार को बताया कि देश में बीते 24 घंटे में 7371 नए मामले सामने आए हैं। इसी के साथ देश में संक्रमितों का आंकड़ा 5 लाख 5 हजार 751 हो गया है। बीते एक दिन में हुई 627 मौतों के साथ मृतकों का आंकड़ा 55 हजार 293 हो गया है।
10 देश, जहां कोरोना का असर सबसे ज्यादा
देश
कितने संक्रमित
कितनी मौतें
कितने ठीक हुए
अमेरिका
54,15,666
1,70,415
28,43,204
ब्राजील
32,29,621
1,05,564
23,56,640
भारत
24,59,613
48,144
17,50,636
रूस
9,07,758
15,384
7,16,396
साउथ अफ्रीका
5,72,865
11,270
4,37,617
मैक्सिको
5,05,751
55,293
3,41,507
पेरू
4,98,555
21,713
3,41,938
कोलंबिया
4,33,805
14,145
2,50,494
चिली
3,80,034
10,299
3,53,131
स्पेन
3,79,799
28,605
उपलब्ध नहीं
वेनेजुएला: कराकस के गवर्नर की मौत
वेनेजुएला की राजधानी कराकस के गवर्नर डैरियो विवास की गुरुवार को संक्रमण से मौत हो गई। देश की उपराष्ट्रपति डेल्सी रॉड्रिगेज ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। 70 साल के विवास राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के करीबी थे। वह 19 जुलाई को संक्रमित मिले थे। इसके बाद से वे अस्पताल में भर्ती थे। विवास वेनेजुएला में संक्रमण से मरने वाले पहले बड़े सरकारी अफसर हैं।
कोलंबिया: 14 हजार से ज्यादा मौतें
कोलंबिया के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में बीते 24 घंटे में 11 हजार 286 नए मामले सामने आए हैं और 308 मौतें हुई हैं। अब देश में संक्रमितों का आंकड़ा 4 लाख 33 हजार 805 हो गया है। अब तक यहां 14 हजार 145 मौतें हुई हैं। 1 लाख 49 हजार 944 मामलों के साथ कोलंबिया की राजधानी बोगोटा सबसे ज्यादा प्रभावित है।
ब्राजील: 24 घंटे में 60 हजार से ज्यादा नए मामले
ब्राजील में 24 घंटे में 60 हजार 91 नए मामले सामने आए हैं। महामारी फैलने के बाद यह तीसरा मौका है जब देश में एक ही दिन में 60 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। इससे पहले 29 जुलाई को 69 हजार 74 और 22 जुलाई को 67 हजार 860 मरीज मिले थे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि अब देश में संक्रमितों की संख्या 32 लाख 24 हजार 876 हो गई है। अब तक यहां 1 लाख 5 हजार 463 लोगों की जान गई है।
बसपा से कांग्रेस में गए 6 विधायकों के मामले में आज 10.30 बजे हाईकोर्ट में फिर सुनवाई होगी। गुरुवार को बहस पूरी नहीं हो पाई थी। बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के लिए विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने 18 सितंबर 2019 को मंजूरी दी थी। भाजपा विधायक मदन दिलावर ने इसे कोर्ट में चुनौती दी है।
दिलावर की दलील है कि विधायकों के मर्जर के स्पीकर के आदेश पर रोक लगाई जाए और आखिरी फैसला होने तक 6 विधायकों के वोटिंग राइट्स पर भी स्टे लगाया जाए। इस मामले में खुद बसपा ने भी अर्जी लगा रखी है। उसका कहना है कि बागी विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में शामिल नहीं होने दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हाईकोर्ट की सुनवाई में दखल नहीं देंगे
बसपा विधायकों के मामले में मदन दिलावर ने सुप्रीम कोर्ट में भी पिटीशन लगा रखी है। गुरुवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है, इसलिए हम दखल नहीं देंगे। अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
देश में कोरोना के मामलों की संख्या 24 लाख 59 हजार 613 हो गई है। गुरुवार को एक दिन में 64 हजार 142 मरीज बढ़े। यह आंकड़े covid19india के मुताबिक हैं। उधर, महाराष्ट्र में अब तक एक हजार कैदी और 292 जेल स्टाफ संक्रमित हो चुका है। राज्य के जेल विभाग ने शुक्रवार को बताया कि 6 कैदियों की अब तक मौत हो चुकी है।
पांच राज्यों का हाल 1. मध्यप्रदेश
स्वतंत्रता दिवस पर निजी तौर पर होने वाले ध्वजारोहण समारोहों में अधिकतम पांच लोग शामिल हो सकेंगे। इसे लेकर जिला प्रशासन ने गाइडलाइंस जारी कर दी है। कलेक्टर अविनाश लवानिया ने बताया कि 15 अगस्त पर होने वाले आयोजन में सम्मिलत लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। स्वतंत्रता दिवस पर जिलास्तर पर कोई भी सार्वजनिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा।
2. राजस्थान
राज्य में कोरोना की जांच तेजी से बढ़ रही है। जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज में अब तक 3 लाख कोरोना टेस्ट पूरे किए जा चुके हैं। शहर में 157 केस सामने आए और तीन लोगों की मौत हो गई। इनमें मानसरोवर में 22, झोटवाड़ा में 14 केस शामिल हैं। शहर में 5 हजार से ज्यादा लोग पॉलिसी ले चुके हैं। इस पॉलिसी के तहत घर पर रहते हुए दवाइयां, ऑक्सीमेटर, एंबुलेंस, ऑक्सीजन, नेबुलाइजेशन, ई-कंसल्टेंट और टेलिमेडिसीन का खर्च भी दिया जा रहा है।
जोधपुर में इस शनिवार और रविवार को लॉकडाउन नहीं रहेगा। प्रशासन ने इस वीकेंड शनिवार को स्वतंत्रता दिवस का अवकाश होने और दूसरे दिन रविवार की छुट्टी होने से लॉकडाउन नहीं लगाने का फैसला किया है। प्रशासन ने 7 अगस्त से जोधपुर नगर निगम और इससे सटे 20 गांवों में लॉकडाउन लगाया था।
3. बिहार
राज्य में गुरुवार को रिकॉर्ड 1 लाख 4 हजार 452 लोगों की जांच की गई। इस दौरान 3906 संक्रमित मिले हैं। यह संख्या देखने में जरूर बड़ा लग रहा है, लेकिन संक्रमण दर कम होकर 3.74% ही रह गई है। 13 दिन पहले यह दर 14% के करीब थी। एम्स में कोरोना से 1980 बैच के थर्ड टॉपर रिटायर आईएसएस मनोज श्रीवास्तव की मौत हो गई।
4.महाराष्ट्र
राज्य में पिछले 24 घंटों में महाराष्ट्र पुलिस के और 381 जवान कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। तीन जवानों की मौत हो गई। राज्य में अब तक 124 पुलिसकर्मियों की संक्रमण के कारण मौत हो चुकी है। महाराष्ट्र पुलिस के अनुसार, राज्य में अब तक 11,773 जवान कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 9,416 पुलिसकर्मी ठीक हो गए जबकि 2,233 का अभी इलाज चल रहा है।
5. उत्तरप्रदेश
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि राज्य में गुरुवार को 87 हजार 216 सैंपल्स की जांच हुई। प्रदेश में अबतक 3 लाख 51 हजार 127 सैंपल्स की जांच हो चुकी है। बुधवार को टेस्टिंग के दौरान 5 सैंपल के 2990 पूल लगाए गए , जिसमें से 435 में पॉजिटिविटी देखी गई। 10 सैंपल के 198 पूल लगाए गए जिसमें से 29 में पॉजिटिविटी देखी गई।
आज 14 अगस्त है, ठीक 73 साल पहले आज ही के दिन अंग्रेजों ने भारत के बंटवारे की लकीर खींची थी और दुनिया के नक्शे पर पाकिस्तान नाम के एक नए राष्ट्र का जन्म हुआ था। वहीं, दूसरी ओर आज सबकी निगाहें राजस्थान पर टिकी रहेंगी। सीएम अशोक गहलोत विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश करेंगे। हालांकि, सरकार पर फिलहाल कोई संकट नहीं नजर आ रहा है। बगावत के बाद सचिन पायलट गुरुवार को सीएम अशोक गहलोत से मिले। दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया और मुस्कुराए, लेकिन गले नहीं मिले। विधायक दल की बैठक में गहलोत ने कहा कि हम इन 19 एमएलए के बिना भी बहुमत साबित कर देते लेकिन वह खुशी नहीं होती। आखिर अपने तो अपने होते हैं। उधर भाजपा ने भी विधायक दल की बैठक बुलाई। इस बार पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी बैठक में शामिल हुईं। भाजपा ने कहा कि वह विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाएगी।
कोरोना है कि थमने का नाम नहीं ले रहा है। देशभर में संक्रमितों का आंकड़ा 24 लाख के पार जा चुका है। वहीं मरने वाली की संख्या 47 हजार से अधिक हो गई है। हालांकि राहत की खबर है कि रिकवरी रेट 70 फीसदी हो गया है। उधर कोरोना से जुड़ी सबसे बड़ी खबर गुरुवार को जो रही वह यह कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास (82) कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। वे बुधवार को जन्माष्टमी मनाने मथुरा पहुंचे थे। गुरुवार सुबह उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। जांच के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आई। बड़ी बात यह है कि 8 दिन पहले 5 अगस्त को महंत नृत्य गोपाल दास पीएम मोदी के साथ अयोध्या में भूमिपूजन कार्यक्रम में शामिल हुए थे। वे पीएम साथ मंच पर मौजूद थे।
सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस में गुरुवार को केंद्र ने सीबीआई की ओर से सुप्रीम कोर्ट में लिखित जवाब दाखिल किया। सीबीआई ने कहा कि मुंबई में कोई 'केस' लंबित नहीं है, इसलिए वहां ट्रांसफर का कोई सवाल ही नहीं है। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसको जांच जारी रखने देना चाहिए। उधर बिहार सरकार और रिया ने भी लिखित दलील सुप्रीम कोर्ट में जमा कर दी है। अब कोर्ट को इस मामले को लेकर फैसला करना है। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। इस बीच देशभर में सुशांत सिंह राजपूत के न्याय के लिए सीबीआई जांच की मांग तेज हो गई। उनकी बहन श्वेता सिंह कीर्ति, अभिनेत्री कंगना रनोट और अंकिता लोखंडे सहित कई हस्तियों ने सीबीआई जांच की मांग की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम आज एक नया रिकॉर्ड हो गया। प्रधानमंत्री के रूप में आज उनका 2,273वां दिन है। पिछले 6 साल दो महीने 20 दिन से मोदी पीएम हैं। उन्होंने गैर कांग्रेसी पीएम के रूप में अटलजी का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। अपने तीन कार्यकाल अटल जी 2272 दिन प्रधानमंत्री रहे। दूसरा रिकॉर्ड 15 अगस्त को लालकिले पर बनेगा। जब मोदी 7वीं बार झंडा फहराकर अटलजी से आगे निकल जाएंगे। पीएम के रूप में मोदी से लंबा कार्यकाल सिर्फ तीन लोगों का रहा है। जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और मनमोहन सिंह। तीनों कांग्रेस से थे।
इधर कोरोना से जुड़ी एक चौंकाने वाली खबर आई है। चीन ने ब्राजील से भेजे गए फ्रोजन चिकन के विंग में कोरोनावायरस मिलने का दावा किया है। पिछले हफ्ते यहां के यांताई शहर में इक्वाडोर से भेजी गईं समुद्री झींगा मछली भी संक्रमित मिलने की बात कही गई थी। चीन ने जून में ब्राजील समेत कुछ अन्य देशों से मीट इंपोर्ट रोक दिया था। हालांकि, बाद में इसे हटा लिया गया था।
आज 14 अगस्त है दिन शुक्रवार। आज चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र के साथ अपनी उच्च राशि में रहेगा। जिससे मानस और हर्षण नाम के 2 शुभ योग बन रहे हैं। इनका सीधा फायदा मिथुन, कर्क, कन्या, मकर, कुंभ और मीन राशि वाले लोगों को मिलेगा। इन राशि वालों के सोचे हुए काम पूरे हो सकते हैं और कुछ मामलों में किस्मत का साथ भी मिल सकता है।
टैरो राशिफल के मुताबिक, आज 12 में से 8 राशि वालों के लिए फायदे वाला दिन रहेगा। बिजनेस और करियर में लाभ और तरक्की के मौके मिल सकते हैं। वहीं, 4 राशियों को रिश्तों और सेहत के लिहाज से थोड़ा संभलकर रहना होगा। मेष राशि वालों के लिए मनोरंजन और आराम से भरा हो सकता है दिन, वृष राशि वालों के लिए महत्वपूर्ण सूचना मिलने का है समय, मिथुन राशि वालों के लिए आध्यात्मिक प्रगति का है दिन। आपके लिए कैसा रहेगा दिन जानिए टैरो कार्ड रीडर शीला एम. बजाज से।
राजस्थान में सियासी घमासान के बीच आज 15वीं विधानसभा का 5वां सत्र बुलाया गया है। इसमें गहलोत सरकार विश्वास प्रस्ताव लाएगी। भाजपा ने भी अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी पूरी कर ली है। सत्र में हंगामा होने के पूरे आसार हैं। इस बीच बसपा ने व्हिप जारी कर कहा है कि हमारे 6 विधायक अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति में कांग्रेस के खिलाफ वोट डालें।
विधानसभा में पार्टी की रणनीति तैयारी करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर विधायक दल की बैठक की गई। इसमें सचिन पायलट समेत बाकी हुए 19 विधायक भी पहुंचे। इस मीटिंग में गहलोत ने कहा कि जो हुआ भुला दो। अपने तो अपने होते हैं। इन 19 विधायकों के बिना बहुमत साबित कर देते, पर खुशी नहीं मिलती। गहलोत ने कहा कि हम खुद विश्वास प्रस्ताव लाएंगे। जो विधायक नाराज हैं, उनकी नाराजगी दूर करेंगे।
विधानसभा में सरकार को घेरने की तैयारी में भाजपा
कांग्रेस से पहले भाजपा ने भी गुरुवार को अपने विधायकों के साथ बैठक की। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और केंद्र कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी बैठक में शामिल हुए। बैठक में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि भाजपा अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार एक महीने से बाड़े में बंद है। प्रदेश में केंद्र सरकार की योजनाओं की अनदेखी की जा रही है।
फोन टेपिंग से जुड़े सवाल को हटाया गया
सत्र के लिए 2 दिन का प्रश्नकाल भी तय हो गया है। 500 से ज्यादा सवाल अभी तक विधानसभा के रिकाॅर्ड पर लिए गए हैं। 17 व 18 अगस्त के प्रश्नकाल के लिए अभी तक चुने गए सवालों में से फोन टेपिंग से जुड़ा सवाल भी बाहर कर दिया है। जबकि, बीजेपी फोन टेपिंग को प्रमुख मुद्दा बना कर घेरने का ऐलान कर चुकी है। सबसे ज्यादा सवाल किरण माहेश्वरी के 27 और 25 पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी के रिकाॅर्ड पर लिए गए हैं। 54 सवाल रघु शर्मा से पूछे गए हैं। दूसरे नंबर पर बीडी कल्ला हैं, जिनसे पावर से जुड़े 27 सवाल किए गए हैं। तीसरे नंबर पर सड़कों से जुड़ा पीडब्लूडी विभाग है, जिसका अभी कोई मंत्री नहीं है, लेकिन सवाल 26 पूछे गए हैं।
कोरोना, टिड्डी, श्रमिकों को लेकर 6-6 सवाल
विधायकों की तरफ से जनता की मांग के आधार पर लगाए सवालों में सबसे बड़ा मुद्दा कोरोना लग रहा है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा से 54 सवाल किए हैं, जिनमें से 26 अकेले कोरोना को लेकर हैं। आपदा प्रबंधन विभाग से टिड्डी दलों के हमले और नुकसान पर 6, कोरोना काल में श्रमिकों के राजस्थान आने-जाने पर आधारित 6 सवाल हैं।
पिछले एक महीने में घाटी में भारतीय जनता पार्टी के 6 से ज्यादा कार्यकर्ताओं पर आतंकी हमला हो चुका है। इनमें से 5 की मौत हो गई, जबकि एक अब भी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच मौजूद हैं। जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने बुधवार को श्रीनगर के कुछ सरपंचों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि वो पंचायत से जुड़े राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या से दुखी हैं। ये भरोसा दिलाया कि प्रशासन पहले से ही सुरक्षा के लिए कदम उठा रहा है, इसे और बेहतर किया जाएगा।
कश्मीर घाटी में पिछले एक महीने में मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं में 2 सरपंच, भाजपा का एक युवा नेता और उसका भाई और पिता शामिल हैं। 8 जुलाई की शाम नॉर्थ कश्मीर के बांडीपोरा में भाजपा के युवा नेता वसीम बारी, उनके पिता और उनके भाई की गोली मार कर हत्या कर दी गयी। इस हमले के बाद साउथ कश्मीर में 3 हमले हुए जिनमें भाजपा के 2 सरपंच मारे गए और एक घायल हुए हैं। पिछले रविवार को कश्मीर के बडगाम जिले में एक और सरपंच की गोली मार कर हत्या कर दी।
इन हमलों के डर से घाटी में भाजपा से जुड़े 40 लोगों ने इस्तीफा देने और राजनीति छोड़ने का ऐलान किया है। दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में रहने वाले सरपंच मुहम्मद इकबाल कहते हैं कि वो मरना नहीं चाहते। बोले, ‘मेरी पत्नी की मौत हो चुकी है। अब अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरे बच्चों का कौन ख्याल रखेगा?’ इकबाल कहते हैं कि मैंने राजनीति से एक पैसा भी नहीं कमाया है। मैं अपना वक्त अपने काम में लगाना चाहता हूं। इकबाल ने कुछ दिन पहले वीडियो मैसेज के जरिए इस बात की जानकारी दी थी।
दूसरी तरफ भाजपा इन इस्तीफों को मौका परस्ती बता रही है। पार्टी के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर कह चुके हैं कि जो लोग इस्तीफा दे रहे हैं, वे सिर्फ अपना फायदा देख रहे हैं। ये लोग अपने फायदे के लिए दल बदलते रहते हैं, इनके लिए देशहित की कोई वैल्यू नहीं है।उधर प्रशासन पंचायत से जुड़े सदस्यों की सुरक्षा के इंतजाम का दावा तो कर रहा है, लेकिन ज्यादातर सदस्य, इससे संतुष्ट नहीं है। इन सदस्यों में ज्यादातर भाजपा के हैं। प्रशासन इन्हें अलग-अलग सुरक्षित जगहों पर ले जा रहा है, भले ही वहां जाने की मर्जी सदस्यों की नहीं हो।
1267 पंच-सरपंच, 68 बीडीसी काउंसिल हैं घाटी में। इनमें से ज्यादातर भाजपा के हैं। इन लोगों को अलग-अलग जिलों के मुताबिक सुरक्षित जगहों पर ले जाया जा रहा है। जैसे साउथ कश्मीर से पंच-सरपंचों को पहलगाम के होटल ले जाया गया है। कुछ को एमएलए होस्टल और कश्मीरी पंडितों की कॉलोनी में शिफ्ट किया है। श्रीनगर के आसपास के जिलों से कुछ सरपंच को गुलमर्ग के होटल में रखा है।
भाजपा से जुड़े सरपंच मोहम्मद अमीन कहते हैं, ‘हमें जबरदस्ती ऐसी जगह पर रखा गया है, जहां न खाने का इंतेजाम है और न सोने का। मेरी बेटी का ऑपरेशन होना था, अभी वो अस्पताल में है। मुझे किसी अधिकारी से 5 मिनट के लिए मुलाकात का कहकर यहां लाया गया था। मुझे यहां आए हुए दो दिन हो गए, आखिर हमें जबरदस्ती बंद करके सरकार क्या जताना चाहती है।’
जम्मू-कश्मीर भाजपा के महासचिव अशोक कौल ने पहलगाम के एक होटल में ठहराए गए पंचायत सदस्यों से मुलाकात की। उनका कहना है कि इन लोगों को अच्छी सुरक्षा दी जाएगी। कुछ दिन के लिए इन्हें यहां रखा गया है। आगे सुरक्षित जगह पर ले जाया जाएगा।
पंचायत के सारे लोग भाजपा से ही क्यों जुड़े हुए हैं ?
कश्मीर में पंचायत चुनाव अक्टूबर 2019 में हुए थे। उसमें यहां की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने हिस्सा नहीं लिया था। वजह ये कि उनके मुख्य नेता अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हिरासत में थे। श्रीनगर के पत्रकार शाह अब्बास कहते हैं, ‘कश्मीर में 1267 पंच और सरपंच हैं और ज्यादातर भाजपा से जुड़े हुए हैं। हालांकि, इन चुनावों में लोग पार्टी के आधार पर नहीं, निर्दलीय ही लड़ते हैं। हालांकि, लोगों को पता होता है कि किसके तार कहां जुड़े हुए हैं। यही हाल ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल का भी है, जहां ज्यादातर निर्वाचित हुए लोग भाजपा से ही जुड़े हुए हैं।’
कश्मीर घाटी में मेनस्ट्रीम पॉलिटिक्स से जुड़े लोगों की हत्या पहली घटना नहीं हैं, लेकिन अब तक भाजपा नेता इस हिंसा से बहुत कम प्रभावित हुए थे। सवाल यह है कि पहले भाजपा प्रभावित नहीं हुई थी तो अब क्यों? जम्मू-कश्मीर भाजपा के महासचिव अशोक कौल रविवार को आतंकी हमले में मारे गए सरपंच के घर गए थे। अपनी पार्टी के कुछ ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल सदस्यों से मुलाकात के दौरान उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वो आम लोगों और शासन के बीच की कड़ी बनें।
जिस कड़ी की बात कौल कर रहे हैं, वही कश्मीर में भाजपा के लोगों की हत्या का कारण भी है। इसके पहले पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के लोग लोगों और एडमिनिस्ट्रेशन के बीच की कड़ी हुआ करते थे, जो अब कहीं दिखाई नहीं दे रहा। 2014 से पहले जम्मू-कश्मीर की राजनीति में भाजपा की भूमिका कम रही है, जिसका अंदाजा पहले के चुनावों में मिली सीटों से लगाया जा सकता है।
1987 के चुनाव में भाजपा को 2 सीटें मिली थीं, 1996 में 8, 2002 में 1 और 2011 में 11 सीटें। भाजपा को 2014 में 25 सीटें मिलीं थीं और पीडीपी के साथ उसने मिलकर सरकार बनाई थी। उस समय भी भाजपा को कश्मीर घाटी में कोई सीट नहीं मिली थी।
अल्ताफ कहते हैं पिछले साल 5 अगस्त को अनुछेद 370 हटाए जाने के बाद चीज़ें बदल गयी हैं। कश्मीर घाटी में मुख्य धारा के नाम पर सिर्फ भाजपा ही बची है। इस समय सिर्फ कश्मीर घाटी में भाजपा के लगभग 7.5 लाख कार्यकर्ता हैं। हालांकि, ऐसा होना भाजपा को भारी भी पड़ रहा है। पहले जो हमले मुख्य धारा के लोगों पर कश्मीर में होते थे वो नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, पीडीपी और बाकी अन्य पार्टियों में बंट जाते थे। अब भाजपा इकलौती पार्टी है जो जमीन पे दिख रही है, चाहे वो लोग काम कर रहे हों या नहीं। यह एक ही पार्टी है जो कश्मीर में राजनीति कर रही है।
महबूबा मुफ्ती अभी भी नज़रबंद हैं, उमर अब्दुल्ला को हाल ही में रिहा किया गया है। शाह फैसल, जो आईएएस छोड़ कर राजनीति में आए थे, अब राजनीति को अलविदा कह चुके हैं और कांग्रेस कहीं नजर नहीं आ रही है। इसके अलावा आर्टिकल 370 हटाए जाने को भारत सरकार से न जोड़कर भाजपा से जोड़ा जा रहा है, जो यहां हो रहे हमले की एक बड़ी वजह भी है।
इस तरह के हालात के बीच भी कुछ लोग हैं, जो बिना डरे पार्टी का काम कर रहे हैं और वो भी डंके की चोट पर। 5 अगस्त को भाजपा के एक सरपंच के मारे जाने के कुछ घंटे बाद, पार्टी की एक महिला कार्यकर्ता रूमेसा वानी ने अनंतनाग के लाल चौक में तिरंगा फहराया था, इसका विडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ था।
रूमेसा कहती हैं, मैं किसी से डरती नहीं हूं, मुझे किसी चीज़ का खौफ नहीं है। यहां के लोग हमारे साथ हैं। मैंने भाजपा का काम देखकर पार्टी ज्वाइन की थी, मुझे कोई अफसोस नहीं है। रूमेसा के पति भी भाजपा के नेता हैं। रूमेसा पहली नेता नहीं हैं, जिन्होंने आर्टिकल 370 हटने की एनिवर्सरी मनाई। भाजपा के कई नेताओं ने सड़कों पर, दफ्तरों में और दूसरी जगहों पर 370 हटाए जाने की वर्षगांठ मनाई। लेकिन अब एक लकीर खींच गई है, एक तरफ भाजपा है और दूसरी तरफ कश्मीर के हालात, जहां हमेशा जान का खतरा रहता है।
22 अगस्त से गणेशोत्सव शुरू हो रहा है। हैदराबाद का खैरताबाद सबसे ऊंची गणेश प्रतिमाओं के लिए प्रसिद्ध है। 1954 के बाद से हर साल यहां गणेश मूर्ति स्थापित की जा रही है। इस साल कोरोना की वजह से खैरताबाद में सिर्फ 9 फीट ऊंची प्रतिमा विराजित की जाएगी। पिछले साल यहां 1 करोड़ की लागत से बनी 61 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित की गई थी।
खैरताबाद गणेश उत्सव के आयोजक एस. राजकुमार ने बताया कि इस बार यहां धनवंतरि स्वरूप में गणेशजी स्थापित किए जाएंगे। भगवान धनवंतरि आयुर्वेद के देवता हैं। 5 अगस्त से हमने गणेश प्रतिमा बनाने का काम शुरू कर दिया है। करीब 8-10 कलाकार मूर्ति बनाने में लगे हुए हैं। 22 अगस्त से पहले ये प्रतिमा बनकर तैयार हो जाएगी। कोरोना की वजह से इस साल ये ज्यादा भव्य तरीके से नहीं मना पाएंगे। गणेश प्रतिमा का निर्माण और अन्य डेकोरेशन का बजट हमने 10 लाख रुपए तक रखा है।
उन्होंने बताया कि पिछले साल हमने बहुत बड़े स्तर पर पर आयोजन किया था। करीब 1 करोड़ रुपए में 61 फीट ऊंची मूर्ति का निर्माण हुआ था। ये मूर्ति करीब 50 टन की थी। लेकिन, इस बार हालात बहुत अलग हैं। मूर्ति की ऊंचाई करीब 9 फीट है और इसका वजन करीब 500 किलो रहेगा। ये आयोजन बहुत ही सामान्य होगा।
नियमों का पालन करते हुए मनाएंगे गणेश उत्सव
गणेश मूर्ति बनाने का काम करने वाले सभी कलाकार सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन का पालन कर रहे हैं। सभी मास्क लगाकर ही मूर्ति बना रहे हैं। गणेश उत्सव भी शासन द्वारा तय किए गए नियमों का पालन करते हुए ही मनाया जाएगा।
1954 से हर साल मना रहे हैं गणेश उत्सव
खैरताबाद गणेश उत्सव समिति का गठन 1954 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एस. शंकरय्या ने किया था। तब से हर साल यहां गणेश की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाती है। एस. शंकरय्या के बाद उनके भाई एस. सुदर्शन के साथ एस. राजकुमार और उनका परिवार गणेश उत्सव का आयोजन करता है। पिछले साल यहां गणेश उत्सव में करीब 60-70 हजार लोग रोज दर्शन के लिए पहुंचते थे। लेकिन, इस साल ऐसा आयोजन नहीं हो सकेगा।
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने ऐसा इनहेलर बनाया है, जो कोरोना को रोकने में पीपीई से भी ज्यादा सुरक्षा देगा। यह दावा कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में किया है। इस इनहेलर को ऐरोनैब्स नाम दिया गया है, जिसे इस्तेमाल करने के लिए नाक में स्प्रे करना होगा।
इस इनहेलर में खास तरह की नैनोबॉडीज हैं, जो एंटीबॉडी से तैयार की गईं। ये एंटीबॉडीज लामा और ऊंट जैसे जानवरों में पाई जाती है, जो शरीर को तगड़ी इम्युनिटी देती हैं। लेकिन इनहेलर में मौजूद नैनोबॉडीज को लैब में तैयार किया है। ये जेनेटिकली मोडिफाइड हैं, जो खासतौर पर कोरोना को ब्लॉक करने के लिए विकसित की गई हैं।
क्या होती हैं नैनोबॉडीज
लैब में प्रयोग के दौरान देखा गया है कि कोरोना को शरीर में संक्रमण फैलाने से रोकने में एंटीबॉडीज काम करती हैं। एंटीबॉडीज की तरह नैनोबॉडीज भी प्रोटीन से बनी होती हैं। यह एंटीबॉडीज का छोटा रूप होती हैं और अधिक संख्या में बनाई जा सकती हैं। नैनोबॉडीज की खोज 1980 में बेल्जियम की लैब में हुई थी।
ऐसे कोरोना को रोकती हैं नैनोबॉडीज
शोधकर्ताओं के मुताबिक, जब कोरोना संक्रमण फैलाने के लिए अपने स्पाइक प्रोटीन से इंसान के ACE2 रिसेप्टर से जुड़ता है तो वहीं पर ये नैनोबॉडीज उसके प्रोटीन को ब्लॉक कर देती है। ऐसा होने पर वायरस ACE2 रिसेप्टर से नहीं जुड़ पाता और संक्रमण नहीं होता। ACE2 रिसेप्टर इंसानी कोशिकाओं की सतह पर पाया जाता है, जिससे कोरोना के संक्रमण का एंट्री पॉइंट है।
सार्स महामारी के समय भी नैनोबॉडीज से न्यूट्रल हुआ था कोरोना
शोधकर्ता पीटर वॉल्टर के मुताबिक, जब तक वैक्सीन नहीं बन जाती है या जिन्हें उपलब्ध नहीं हो पाती तब तक एरोनैब्स वायरस से सुरक्षित रखने का स्थायी विकल्प हो सकता है। सार्स महामारी के समय भी कोरोनावायरस को न्यूट्रल करने के लिए नैनोबॉडीज तैयार की गई थीं। शोधकर्ता डॉ. आशीष मांगलिक के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने लैब में 21 ऐसी नैनोबॉडीज बनाईं, जो कोरोना के खिलाफ काम करती हैं।
जल्द शुरू होगा ह्यूमन ट्रायल
शोधकर्ता इस नेजल स्प्रे को लोगों तक पहुंचाने के लिए मैन्युफैक्चरिंग फर्म से करार कर रहे हैं। उम्मीद है कि जल्द ही इसका ह्यूमन ट्रायल शुरू हो सकेगा। अगर यह 100 फीसदी उम्मीदों पर खरा उतरता है तो इस महामारी को रोकने में बहुत आसान और सुविधाजनक उपाय बन सकता है।
हाल ही में दूरदर्शन द्वारा राम मंदिर भूमि पूजन के लाइव कवरेज पर रिकॉर्ड व्यूअरशिप मिलने का ढिंढोरा पीटना बताता है कि उन्मादी मीडिया के लिए टीआरपी ही सबकुछ है। देशभर के न्यूजरूम में भूमिपूजन को टीवी के लिए ही बने दृश्यों की तरह पेश किया गया। यह सब देखकर मुझे बड़ी खबर वाला ऐसा ही दिन याद आ रहा था। पांच अगस्त 2020 से बहुत पहले 6 दिसंबर, 1992 आया था।
रविवार का दिन था और मैं बॉम्बे जिमखाना में क्रिकेट खेल रहा था। तब मैं मुंबई में टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार का सिटी एडिटर था। दोपहर में खबर आना शुरू हुई कि बाबरी मस्जिद ढहा दी गई है। यह सुनकर मैं सीधे ऑफिस पहुंचा। यह 24x7 ब्रेकिंग न्यूज के दौर से पहले की बात है, जब लगातार लूप में विजुअल नहीं चलते थे। अयोध्या को ‘उत्तर’ भारतीय खबर की तरह देखा गया, जिसे दिल्ली का राष्ट्रीय ब्यूरो संभालता। रविवार की शांत दोपहर में मंदिर के शहर की नाटकीयता से अलग मुंबई किसी और दुनिया में लग रहा था।
फिर देर शाम बीबीसी पर विध्वंस की तस्वीरें आईं, तब माहौल कुछ बदला। उस रात हमें मोहम्मद अली रोड स्थित मिनारा मस्जिद पर पत्थर फेंके जाने की पहली खबर मिली। एक पुलिस वैन पर भीड़ ने हमला कर दिया। एक उत्साही 27 वर्षीय रिपोर्टर होने के नाते मुझे लगा कि मुझे वहां जाना चाहिए। रात में भी जीवंत रहने वाले उस इलाके में तनाव था। पुलिस गश्त लगा रही थी और कुछ हिस्सों में पत्थरबाजी जारी थी। अगले दिन स्थानीय मुस्लिम लीग ने बंद की घोषणा की, मुंबई में कर्फ्यू लग गया, हिंसा उपनगरों तक फैल चुकी थी। अगले तीन महीनों में मुंबई का ‘कॉस्मोपॉलिटन’ होने का भ्रम टूटने वाला था। दिसंबर में पुलिस और नाराज मुस्लिम समूहों के बीच दंगों से जो शुरू हुआ था, वह जनवरी में सड़कों पर हिन्दू संगठनों की आक्रमक लामबंदी में बदल गया और मार्च 1993 में दाऊद इब्राहिम के नेतृत्व वाले अंडरवर्ल्ड द्वारा किए गए सीरियल धमाकों पर जाकर खत्म हुआ।
बाबरी विध्वंस ने मुबंई के स्याह पक्षों को सामने ला दिया और शहर को नाराज मुस्लिम समूहों, शिवसेना के सैनिकों, अंडरवर्ल्ड गैंग और पक्षपाती पुलिस की दया पर छोड़ दिया। जब मैं साउथ मुंबई के आराम को छोड़कर बाहर निकला तो मुझे अलग ही मुबंई दिखी, अपराध, हिंसा और अभावों का शहर। हम ऐसे दर्जनों परिवारों से मिले जिन्हें घर छोड़कर भागना पड़ा, जिनकी दुकानें जला दी गईं। मुंबई के दंगों और धमाकों में 1000 लोग मारे गए, जिनमें से ज्यादातर का कोई चेहरा नहीं था, वे बस मासूम भारतीय नागरिक थे, जिन्हें उनकी धार्मिक पहचान के लिए निशाना बनाया गया।
वर्ष 1993 के आखिर में मार-काट के साक्षी के रूप में मुझे श्रीकृष्ण कमीशन के सामने गवाही देनी पड़ी, जो मुंबई दंगों की जांच के लिए बनाया गया था। पूछताछ तीन दिन तक चली। व्यक्तिगत स्तर पर मेरे पेशेवर जीवन का वह सबसे खौफनाक साल था। एक शहर जिसे मैं चाहता था, उसे शायद हमेशा के लिए घाव के निशान मिल गए थे। मुंबई सांप्रदायिक आधार पर बंट गई थी। उन महीनों में हिन्दू-मुस्लिम के बीच जो भौतिक और मनोवैज्ञानिक दरार आई, वह कभी नहीं भर पाई।
अब 28 साल बाद चक्र पूरा हुआ है। अब हम एक ‘नए’, स्पष्टरूप से ध्रुवीकृत भारत में हैं, जहां बहुसंख्यवादी राजनीति मुख्यधारा में है, जहां ‘धर्मनिरपेक्षता’ और सांप्रदायिकता, कानूनी और गैर कानूनी के बीच की रेखाएं आसानी से मिटा दी जाती हैं। शिवसेना नेता बाल ठाकरे ने 1992 में अपने ‘लड़कों’ की विध्वंस में भूमिका पर ‘गर्व’ होने की बात कही थी, वही शिवसेना अब महाराष्ट्र में सत्ता में है, जिसमें कांग्रेस एक सहयोगी है। भाजपा के लिए अयोध्या आंदोलन राजनीतिक प्रभाव का टिकट था, वह अब देश की प्रभावशाली पार्टी है।
कानून सही समय पर काम करने में असफल रहा है। मुंबई दंगों से जुड़े करीब 2000 मामले बंद हो चुके हैं। जिन्हें आरोपी माना गया, उनमें ज्यादातर जमानत पर हैं। शायद ही किसी को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा। शिवसेना और मुंबई पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराने वाली श्रीकृष्ण रिपोर्ट कभी लागू ही नहीं हुई और अंतत: महाराष्ट्र सरकार द्वारा खारिज कर दी गई। बाबरी मस्जिद विध्वंस की सुनवाई अब भी लखनऊ की विशेष अदालत में चल रही है। एक एफआईआर में जिन हाईप्रोफाइल राजनेताओं का नाम था, वे अब सत्ता के संभ्रातों में शामिल हैं। बाबरी विध्वंस के बाद हुई हिंसा से पीड़ित कोई भी व्यक्ति दावा नहीं कर सकता कि उसे कमजोर सरकारी तंत्र से न्याय का कोई अहसास हुआ है।
जहां तक मेरा सवाल है, मैं अब भी दंगों, धुएं भरे आसमान और आंसुओं में डूबे मुंबईकरों के दु:ख की दर्दनाक कहानियों की तस्वीरों से डरा हुआ हूं। मैं 6 दिसंबर को नहीं भूल सकता जब संविधान के ऊपर बर्बरता की, अहिंसा के ऊपर हिंसा की जीत हुई थी। (ये लेखक के अपने विचार हैं)
अमेरिका के चुनाव, ट्रम्प के ट्वीट, भारत-चीन संबंध, सुशांत की मौत, राजस्थान में विधायकों की घोड़ा मंडी और बेंगलुरु की हिंसा के अलग-अलग सूत्रों को डिजिटल प्लेटफॉर्म के दिलचस्प माध्यम से जोड़ा जा सकता है। राजस्थान और सुशांत के मामलों में जांच के लिए मोबाइल सीडीआर से ज्यादा वॉट्सऐप कॉल और मैसेज के रिकॉर्ड पुलिस के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
अमेरिका के चुनावों में रूस की डिजिटल दखलअंदाजी बढ़ रही है तो भारत ने चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाकर करारी चोट पहुंचाई है। टिकटॉक के खिलाफ ट्रम्प के आदेश से जाहिर है कि ऐप्स और डिजिटल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय कूटनीति, जासूसी और अर्थनीति का सामरिक हिस्सा बन गई हैं। भारत ने टिकटॉक पर कार्रवाई की पहल का दावा भले किया हो, लेकिन 2009 में बनाए गए नियमों के अनुसार चीनी कंपनियों के खिलाफ अभी तक फाइनल सरकारी आदेश पारित नहीं हुआ है।
कांग्रेस विधायक के भतीजे की भड़काऊ पोस्ट पर बेंगलुरु में हिंसा भड़काने के लिए कट्टरपंथ के मुद्दे पर टीवी डिबेट्स होने के बाद नुकसान से भरपाई के लिए पुलिसिया कार्रवाई भी होगी। बिहार पुलिस के आईपीएस अधिकारी, जिन्हें मुंबई में क्वारैंटाइन किया गया था, उनके फर्जी टि्वटर अकाउंट से कई ट्वीट हो रहे हैं। यूपीएससी में रैंक हासिल करने वाली मिस इंडिया प्रतिभागी के नाम से भी 20 फर्जी इंस्टाग्राम अकाउंट बन गए। इन मामलों में पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया, लेकिन अरबों दूसरे मामलों में जवाबदेही कैसे सुनिश्चित होगी?
विश्व में रोजाना लगभग एक अरब फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्वीट्स के साथ 65 अरब वॉट्सऐप मैसेज और 293 अरब ई-मेल का आदान-प्रदान होता है, जिनमें औसतन एक तिहाई गलत, स्पैम और फर्जी होते हैं। स्मार्टफोन और इंटरनेट से लैस करोड़ों जनता की वजह से सोशल मीडिया कंपनियों को भारत से औसतन 20% बाजार मिल रहा है। यानी भारत में सोशल मीडिया के जरिए रोजाना औसतन 20 अरब आपत्तिजनक और आपराधिक मामले हो रहे हैं। लेकिन राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार 2017 में साइबर क्राइम से जुड़े सिर्फ 21,796 मामले ही पुलिस ने दर्ज किए। यानी बाकी अरबों मामलों में ना तो पुलिस और ना ही डिजिटल कंपनियां कोई कार्रवाई कर रही हैं।
एपल, फेसबुक, गूगल और ट्विटर समेत अनेक बड़ी कंपनियों के मुख्यालय होने की वजह से अमेरिका को इनका मायका कह सकते हैं। उबर ने अपने मायके राज्य कैलिफोर्निया में अपनी टैक्सियों के ड्राइवरों को अपना कर्मचारी मानने से ही इनकार कर दिया है, तो फिर भारत में इन कंपनियों से जवाबदेही की उम्मीद कैसे करें? ये कंपनियां भारत जैसे बड़े बाजार से खरबों डाॅलर की टैक्स चोरी के बाद उसे आयरलैंड जैसे टैक्स हैवन की ससुराल में सुरक्षित रखती हैं। पिछले हफ्ते फेसबुक की आयरलैंड कंपनी की सूचना के बाद दिल्ली पुलिस ने मुंबई पुलिस के सहयोग से कार्रवाई करके एक आदमी को आत्महत्या से बचाया। ऐसे एक मुखौटे से ये बहरूपिया कंपनियां लाखों-करोड़ों पोस्ट्स और ट्वीट डिलीट करती हैं और जब जवाबदेही से बचना होता है तो दूसरे मुखौटे को अदालती आदेश की दरकार होने लगती है।
ये कंपनियां स्मार्टफोन से लोगों को पूरी दुनिया से जोड़ रही हैं, उसी तर्ज पर शिकायत के लिए भारत में टोल फ्री नंबर जैसी सहूलियत बने तो पुलिस को इस डिजिटल कवायद से छुटकारा मिले। सवाल यह भी है कि आसानी से बन रहे फर्जी अकाउंट्स को बंद कराने के लिए पीड़ित व्यक्ति को पुलिस और डिजिटल कंपनियों के हजारों चक्कर क्यों काटने पड़ते हैं? अपराध शास्त्र का बड़ा सिद्धांत है, ‘जो करे सो भरे’। इसके अनुसार सोशल मीडिया में हो रही गंदगी को साफ करने की जिम्मेदारी भी इन्हीं कंपनियों पर होनी चाहिए। फेसबुक और ट्विटर जैसी कंपनियां अपने नियमित यूजर्स का ब्लू-टिक वेरिफिकेशन करें तो बेंगलुरु समेत देश के अन्य भागों में दंगों से जुड़े लोगों के डिजिटल पिरामिड का खुलासा आसान हो जाएगा।
गुटखा और माइनिंग की तर्ज पर डाटा के अवैध कारोबार पर आश्रित इन डिजिटल कंपनियों की वैल्यूएशन दिन दूनी, रात चौगुनी बढ़ रही है। फोर्ब्स की लिस्ट के अनुसार एपल, अल्फाबेट (गूगल), माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन और फेसबुक विश्व की पांच सबसे बड़ी ब्रांड वैल्यू वाली कंपनियां हैं। जबकि, फॉर्च्यून ग्लोबल 500 के अनुसार आमदनी के मामले में ये कंपनियां क्रमश: 12, 29, 47, 9 और 144 वें नंबर पर हैं।
आमदनी व ब्रांड वैल्यू के बीच का यह फर्क डाटा चोरी के अवैध साम्राज्य के विस्तार को दर्शाता है, जिसका मुनाफा इन कंपनियों को वसूलना अभी बाकी है। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने पिछले हफ्ते अपने लेख में कहा था कि संसद में कानून बनाने में देरी की भारी कीमत चुकानी पड़ती है। डिजिटल कंपनियों के मामले में बड़ी पेचीदगी और विरोधाभास है। नए कानून बनने में देरी के साथ पुराने कानूनों को लागू नहीं करने से पूरा देश सामाजिक और आर्थिक गुलामी की ओर बढ़ रहा है। इसपर अब देशव्यापी बहस हो तभी नए भारत के निर्माण में सफलता हासिल होगी।