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जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले के निपोरा इलाके में सुरक्षा बलों ने 2आतंकियों को मार गिराया है। सर्च ऑपरेशन जारी है। सिक्योरिटी फोर्सेज ने पिछले कई दिनों से ऑपरेशन चला रखा है। इस महीने 13 दिन में 25 आतंकी मारे जा चुके हैं।
1 जून: नौशेरा सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश करते हुए 3 पाकिस्तानी आतंकियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया।
2 जून: पुलवामा के त्राल इलाके में 2 आतंकी मारे गए।
3 जून: पुलवामा के ही कंगन इलाके में सुरक्षा बलों ने 3 आतंकियों को ढेर कर दिया।
5 जून: राजौरी जिले के कालाकोट में एक आतंकवादी मारा गया।
7 जून: शोपियां के रेबन गांव में 5 आतंकी मारे गए।
8 जून: शोपियां के पिंजोरा इलाके में 4 आतंकी ढेर।
10 जून: शोपियां के सुगू इलाके में 5 आतंकी ढेर
13 जून: कुलगाम के निपोरा इलाके में 2 आतंकी मारे गए।
पिछले 2 हफ्ते में आतंकी संगठनों के 6 टॉप कमांडर ढेर
पिछले दिनों हुए एनकाउंटर में रियाज नायकू समेत 6 टॉप कमांडर मारे गए। जम्मू-कश्मीर केडीजीपी दिलबाग सिंह के मुताबिक कश्मीर इलाके में लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर आतंकी ठिकानों में 150-250 आतंकी हो सकते हैं। जम्मू इलाके में 125-150 आतंकियों के होने का अनुमान है।
लॉकडाउन के कारण असम के शक्तिपीठ कामाख्या मंदिर का प्रसिद्ध अंबुवाची मेला इस साल नहीं लगेगा। लगभग 500 साल में पहली बार ऐसा हो रहा है, जब मंदिर के सबसे बड़े पर्व में कोई बाहरी साधक शामिल नहीं होगा। 22 से 26 जून के बीच लगने वाले इस मेले में दुनियाभर से तंत्र साधक, नागा साधु, अघोरी, तांत्रिक और शक्ति साधक जमा होते हैं। लेकिन, इस बार कोरोना वायरस के चलते इस पर्व की परंपराओं को मंदिर परिसर में चंद लोगों की उपस्थिति मेंपूरा किया जाएगा।
गुवाहाटी प्रशासन ने मंदिर के आसपास मौजूद होटलों, धर्मशालाओं और गेस्ट हाउस को भी हिदायत दी है कि फिलहाल वे कोई बुकिंग ना लें। अंबुवाची मेला कामाख्या मंदिर का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। यहां देवी की पूजा योनि रूप में होती है, माना जाता है अंबुवाची उत्सव के दौरान माता रजस्वला होती हैं, हर साल 22 से 25 जून तक इसके लिए मंदिर बंद रखा जाता है। 26 जून को शुद्धिकरण के बाद दर्शन के लिए खोला जाता है।
अंबुवाची मेला के दौरान हर साल यहां 10 लाख से ज्यादा लोग आते हैं। मंदिर बंद रहता है, लेकिन बाहर तंत्र और अघोर क्रिया करने वाले साधकों के लिए ये समय काफी महत्वपूर्ण होता है, इस समय में वे अपनी साधनाएं करते हैं। मंदिर के मुख्य पुजारी मोहित सरमा के मुताबिक परंपराएं वैसी ही होंगी जैसी हर बार होती हैं, बस मेला नहीं लगेगा और बाहरी लोगों का प्रवेश नहीं हो सकेगा।
अंबुवाची मानसून का उत्सव है
अंबुवाची संस्कृत शब्द 'अम्बुवाक्षी' से बना है। स्थानीय भाषा में इसे अम्बुबाची या अम्बुबोसी कहते हैं। इसका अर्थ है मानसून की शुरुआत से पृथ्वी के पानी को सहेजना। यह एक मानसून उत्सव की तरह है।
यहां गिरा था सती का योनि भाग
कामाख्या मंदिर को देश के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। पौराणिक कथा है कि सती ने जब अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अग्नि समाधि ले ली थी और उनके वियोग में भगवान शिव उनका जला हुआ शव लेकर तीनों लोगों में घूम रहे थे। तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शव को काट दिया था। जहां-जहां उनके शरीर के अंग गिरे वहां शक्तिपीठ स्थापित हुआ। कामाख्या में सती का योनि भाग गिरा था। तभी यहां कामाख्या पीठ की स्थापना हुई थी। वर्तमान मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी का माना जाता है।
उत्सव के 5 दिन यहां बड़ी संख्या में साधक मौजूद होते हैं। इस दौरान मंदिर के पास स्थिति श्मशान में भी कई तरह की साधनाएं करते हैं। अघोर पंथ और तांत्रिकों के लिए कामाख्या मंदिर सबसे बड़े तीर्थों में से एक है।
तंत्र और अघोर साधकों के लिए मुख्य उत्सव है अंबुवाची
अंबुवाची उत्सव दुनियाभर के तंत्र और अघोरपंथ के साधकों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि यहां इस दौरान पराशक्तियां जागृत रहती हैं और दुर्लभ तंत्र सिद्धियों की प्राप्ति आसानी से होती है। 26 जून को जब मंदिर खुलता है तो प्रसाद के रुप में सिंदूर से भीगा हुआ वही कपड़ा यहां दिया जाता है, जो देवी के रजस्वला होने के दौरान उपयोग किया गया था। कपड़े में लगा सिंदूरबहुत ही सिद्ध और चमत्कारी माना जाता है।
देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 3 लाख 9 हजार 603 हो गई है। शुक्रवार को एक दिन में सबसे ज्यादा 11 हजार 314 मरीज बढ़े और 388 ने जान गंवाई। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं। उधर, स्वस्थ हो रहे मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। कल 7269 मरीज ठीक हुए। ठीक होने वाले मरीजों में यह दूसरा बड़ा आंकड़ा है। इससे पहले 11 जून को 6044 मरीज, 10 जून को 6275 और 29 मई को सबसे ज्यादा 11736 मरीज ठीक हुए थे। 8दिन सेएक्टिव केस से ज्यादा रिकवर केस
तारीख
एक्टिव केस
रिकवर केस
12 जून
3667
7529
11 जून
4690
6044
10 जून
4523
6275
9 जून
4075
5634
8 जून
3092
5711
7 जून
5430
5191
6 जून
4677
5433
5 जून
4416
4790
4 जून
5162
4390
महाराष्ट्र 1 लाख संक्रमितों वाला देश का पहला राज्य बन गया। पश्चिम बंगाल 10 हजार मरीजों वाला देश का 8वां राज्य हो गया। दिल्ली में एक दिन में सबसे ज्यादा 2123 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। तमिलनाडु में मरीजों की संख्या 40 हजार के पार हो गई।
5 दिन जब सबसे ज्यादा मामले आए
तारीख
केस
12 जून
11314
11 जून
11128
10 जून
11156
9 जून
9979
7 जून
10882
5 राज्यों का हाल मध्यप्रदेश: यहां शुक्रवार को 202 नए मामले सामने आए और 9 मरीजों की जान गई। राज्य में संक्रमितों का आंकड़ा 10 हजार 443 हो गया है, इनमें से 2802 एक्टिव केस हैं। अब तक 440 मौतें हो चुकी हैं। सरकार ने भोपाल मेंसप्ताह में पांच दिन पूरा शहरखोलने का ऐलान किया। यहांशनिवार-रविवार को जरूरी चीजों की दुकानों को छोड़कर शहर पूरी तरह बंद रहेगा।
यह तस्वीर भोपाल की है। यहां हाई सेंकडरी की परीक्षाएं चल रही हैं। सावधानी के तौर पर क्लास के बाहर सभी स्टूडेंट्स के जूते और सैंडिल उतरवा लिए गए।
उत्तरप्रदेश: यहांशुक्रवार को कोरोना के 528 मामले सामने आए और 20 की जान गई।नोएडा में एक दिन में सबसे ज्यादा 95 मरीज सामने आए। सहारनपुर जिले में संक्रमितों की संख्या 270 हो गई है। राज्य में संक्रमितों की संख्या 12 हजार 616 हो गई है, इनमें से 4642 एक्टिव केस हैं। अब तक 365 लोगों की मौत हुई।
महाराष्ट्र: यहां शुक्रवार को कोरोना के 3493 केस मिले और 127 मरीजों की मौत हुई। मुंबई में 55 हजार से ज्यादा संक्रमित मिल चुके हैं।राकांपा नेता और कैबिनेट मंत्री धनंजय मुंडे पॉजिटिव पाए गए।प्रदेश में मरीजों की संख्या 1 लाख 1 हजार 141 हो गई, इनमें से 49 हजार 628 एक्टिव केस हैं। अब तक 3717 की जान गई।
यह तस्वीर मुंबई की है। संक्रमण से एक व्यक्ति की मौत हो गई। कब्रिस्तान में उसके रिश्तेदारों ने अंतिम संस्कार किया। मुंबई में शुक्रवार को 61 लोगों की मौत हुई।
राजस्थान: यहां शुक्रवार को 230 नए मरीज सामने आए और 7 की जान गई। सिरोही में 47, अलवर में 32, जयपुर और जोधपुर में 29-29 मरीज मिले।प्रदेश में अब संक्रमितों की संख्या 12 हजार 68 हो गई है, इनमें से 2785 एक्टिव केस हैं। अब तक 272 लोगों की मौत हुई।
बिहार: यहां शुक्रवार को कोरोना के 148 मामले बढ़े और 1 की मौत हुई। प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 6096 हो चुकी है, इनमें से 2745 एक्टिव केस हैं। अब तक 35 की जान गई। बिहारमें कुल 325 कंटेनमेन जोन हैं। वहीं, 34 कंटेनमेन जोन ग्रीन जोन में बदल दिया गया।
जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले के निपोरा इलाके में सुरक्षा बलों ने 2आतंकियों को मार गिराया है। सर्च ऑपरेशन जारी है। सिक्योरिटी फोर्सेज ने पिछले कई दिनों से ऑपरेशन चला रखा है। इस महीने 13 दिन में 25 आतंकी मारे जा चुके हैं।
1 जून: नौशेरा सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश करते हुए 3 पाकिस्तानी आतंकियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया।
2 जून: पुलवामा के त्राल इलाके में 2 आतंकी मारे गए।
3 जून: पुलवामा के ही कंगन इलाके में सुरक्षा बलों ने 3 आतंकियों को ढेर कर दिया।
5 जून: राजौरी जिले के कालाकोट में एक आतंकवादी मारा गया।
7 जून: शोपियां के रेबन गांव में 5 आतंकी मारे गए।
8 जून: शोपियां के पिंजोरा इलाके में 4 आतंकी ढेर।
10 जून: शोपियां के सुगू इलाके में 5 आतंकी ढेर
13 जून: कुलगाम के निपोरा इलाके में 2 आतंकी मारे गए।
पिछले 2 हफ्ते में आतंकी संगठनों के 6 टॉप कमांडर ढेर
पिछले दिनों हुए एनकाउंटर में रियाज नायकू समेत 6 टॉप कमांडर मारे गए। जम्मू-कश्मीर केडीजीपी दिलबाग सिंह के मुताबिक कश्मीर इलाके में लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर आतंकी ठिकानों में 150-250 आतंकी हो सकते हैं। जम्मू इलाके में 125-150 आतंकियों के होने का अनुमान है।
40 हजार से ज्यादा कोरोनावायरस संक्रमितों के साथ तमिलनाडु देश का दूसरा सबसे संक्रमित राज्य है। शुरुआत में अन्य राज्यों की तरह ही यहां मामलों में सामान्य बढ़ोतरी हो रही थी लेकिन फिर यह इस रेस में लगातार आगे निकलता गया। यह इस हालात में कैसे पहुंचा, यह जानने के लिए थोड़ा पीछे देखें तो 2 बड़े कारण नजर आते हैं- पहला तब्लीगी जमात और दूसरा कोयंबेडू बाजार।
तब्लीगी जमात ने अप्रैल के पहले हफ्ते में तमिलनाडु में अचानक मामले बढ़ा दिए थे, यह कुछ हद तक निंयत्रित भी हो गया था लेकिन कोयंबेडू बाजार ने मई के पहले हफ्ते में इस कदर संक्रमण बढ़ाया कि तमिलनाडु उबर ही न सका। इन्हीं दो कारणों के चलते देशभर में सबसे ज्यादा कोरोना टेस्ट करने के बावजूद तमिलनाडु में पिछले 2 महीनें में टेस्ट पॉजिटिविटी रेट भी लगातार बढ़ती गई।
अप्रैल में जो टेस्ट पॉजिटिविटी रेट 1% के आसपास थी, वह मई में 4 से 6 के बीच में रही और अब जून में यह 10% तक पहुंच गई है यानी 100 लोगों के टेस्ट में 10 लोग संक्रमित मिल रहे हैं। यह तब हो रहा है जब तमिलनाडु में हर दिन 15 से 17 हजार टेस्ट हो रहे हैं।
अब कहानी जरा शुरू से शुरू करते हैं...
एयरपोर्ट स्क्रिनिंग: 22 फरवरी तक चेन्नई एयरपोर्ट पर सिर्फ 6 देशों से आने वालों की स्क्रिनिंग होती रही, जबकि इस दिन तक 29 देशों में कोरोना पहुंच चुका था
भारत में एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग 18 जनवरी से शुरू हुई थी। लेकिन यह सिर्फ 3 एयरपोर्ट पर शुरू हुई। देश का चौथा सबसे व्यस्त रहने वाला चेन्नई इंटरनेशनल एयरपोर्ट इसमें शामिल नहीं था।
21 जनवरी से चेन्नई को भी इस लिस्ट में शामिल हुआ।इन एयरपोर्ट्स पर महज चीन और हांगकांग से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग के ही आदेश थे। अगले एक महीने तक चेन्नई एयरपोर्ट पर इन्हीं दोनों देशों के पैसेंजरों की स्क्रीनिंग हो रही थी, जबकि 30 जनवरी तक ही 20 देशों में कोरोना संक्रमितों की पुष्टि हो चुकी थी।
22 फरवरी को चीन और हांगकांग के अलावा नेपाल, इंडोनेशिया, वियतनाम और मलेशिया से आने वाले यात्रियों की भी स्क्रीनिंग शुरू की गई लेकिन इसमें भी इटली और अमेरिका जैसे देश जहां कोरोना पॉजिटिव की संख्या 20-20 से ज्यादा हो गई थी उनका नाम शामिल नहीं था।
इस साल मार्च-अप्रैल के दौरान तमिलनाडु में 2.31 लाख इंटरनेशनल पैसेंजर और 10.50 लाख डोमेस्टिक पैसेंजर का मूवमेंट रहा, जो दिल्ली और महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा है।
4 मार्च को जब देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 27 पहुंच गई, तब सभी इंटरनेशनल फ्लाइट्स की स्क्रीनिंग शुरू की गई। लेकिन तब तक शायद देर हो चुकी थी क्योंकि अब विदेशों से लौटे यात्रियों में कोरोना के लक्षण सामने आने लगे थे और मामलों की पुष्टि होने लगी थी। 7 मार्च को यहां कांचीपुरम का रहने वाला एक 45 वर्षीय शख्स ओमान से लौटने के बाद संक्रमित पाया गया। यह तमिलनाडु में संक्रमण का पहला मामला था।
अभी भी यहां भारत के बाकी राज्यों से आ रहे लोगों की स्क्रीनिंग नहीं की जा रही थी। 18 मार्च को जब दिल्ली से लौटे एक शख्स को कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इसके बाद 19 मार्च से चेन्नई एयरपोर्ट पर डोमेस्टिक पैसेंजर्स की भी स्क्रीनिंग शुरू की गई। लेकिन यह भी दिल्ली और केरल से आए यात्रियों तक ही सीमित रही।
दिल्ली मरकज: तमिलनाडु में कोरोना का पहला क्लस्टर
7 अप्रैल को तमिलनाडु स्वास्थ्य सचिव बिला राजेश ने राज्य में कुल 690 कोरोना संक्रमितों की पुष्टि की थी। इनमें से 637 लोग दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में लगे तब्लीगी जमात के मरकज में शामिल हुए थे। यानी कुल संक्रमितों का 92% हिस्से का सोर्स एक ही था। इस दिन तक राज्य से तब्लीगी जमात में शामिल हुए करीब 1427 लोगों को ट्रैस किया जा चुका था। यह तमिलनाडु में संक्रमण में अचानक बढ़ोतरी का पहला ही मामला था।
तमिलनाडु के वरिष्ठ पत्रकार विवेक टीआर बताते हैं कि तब्लीगी जमात के कारण तमिलनाडु में कोरोना के मामलों में अचानक बढ़ोतरी जरूर हुई थी लेकिन प्रशासन ने कान्टैक्ट ट्रैसिंग और क्वारैंटाइन कर इस क्लस्टर को अच्छे से नियंत्रित कर लिया था, लेकिन कोयंबेडू बाजार से फैला संक्रमण रोकने में सरकार सफल नहीं हो पाई।
मार्च में दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तब्लीगी जमात का मरकज लगा था। इसमें देश-विदेश के पांच हजार से ज्यादा लोग जमा हुए थे। इस मरकज से देशभर के राज्यों में लौटे लोगों में कोरोना संक्रमण पाया गया था।
कोयंबेडू बाजार: पूरे तमिलनाडु में कोरोना फैलने की असल जड़
चेन्नई के बीचोंबीच यह थोक बाजार करीब 65 एकड़ में फैला हुआ है। 1000 से ज्यादा थोक विक्रेता और 2000 से ज्यादा रिटेल दुकानों वाले इस बाजार में आम दिनों में हर दिन एक लाख लोगों का आना जाना होता है। लॉकडाउन के बाद यहां लोगों और व्यापारियों का आना-जाना 50% तक कम हो गया लेकिन फिर भी यह संख्या 40 हजार से ज्यादा ही थी।
एशिया के सबसे बड़े बाजारों में गिने जाने वाले फल, सब्जी, अनाज और फूलों के इस बाजार को चालू रखना प्रशासन की मजबूरी भी थी क्योंकि चेन्नई समेत आसपास के कई जिलों में में खाने-पीने की सप्लाई का यह सबसे बड़ा मार्केट था।
विवेक टीआर के मुताबिक, इतने भीड़भाड़ वाले और बड़े इलाके में फैले इस सब्जी बाजार को चालू रखना ही शायद तमिलनाडु सरकार की सबसे बड़ी गलती रही, क्योंकि यहां से पूरे राज्य में फैले संक्रमितों की कॉटेक्ट ट्रेसिंग नहीं हो सकी और मामले बढ़ते गए।
लॉकडाउन के ठीक एक महीने बाद यानी 24 अप्रैल को इस बाजार में पहला संक्रमित मिला। कॉन्टेक्ट ट्रैसिंग के बाद जब बाजार से लगातार पॉजिटिव मिलते गए तो 5 मई को पूरा बाजार बंद कर दिया गया।
हालत यह थी कि जब 9 मई को तमिलनाडु में कोरोना संक्रमितों की संख्या 6500 पहुंची तो इसमें 1867 मामले कोयंबेडू बाजार से जुड़े हुए थे। यानी कुल मामलों का 29% हिस्सा महज एक इलाके से जुड़ा हुआ था। चेन्नई समेत आसपास के दो जिलों- चेंगलपट्टू, तिरूवल्लुर से लेकर 200 किमी दूर तक के जिले कुड्डालोर जिले में इस बाजार से लौटने वालों मेंकोरोना संक्रमण पाया गया।
9 मई तक चेन्नई के 10 जिलों में कोयंबेडू बाजार से लौटे लोग संक्रमित पाए गए थे। इस दिन के बाद इस बाजार से जुड़े कितने लोग संक्रमित पाए गए, इसका डेटा नहीं है लेकिन स्थानीय मीडिया में चर्चा है कि इस बाजार से 10 हजार से ज्यादा संक्रमित हुए।
दिल्ली, मुंबई की तरह ही चेन्नई भी घनी आबादी वाला शहर
विवेक टीआर यह भी बताते हैं कि दिल्ली, मुंबई की तरह ही चेन्नई भी घनी आबादी वाला शहर है। यही तीनों शहर कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे हैं। कोलकाता और बैंगलुरू जैसे शहर इस लिस्ट में इसलिए नहीं जुड़ पाए क्योंकि वहां उस स्तर पर टेस्टिंग नहीं हो पाई।
विवके यह भी कहते हैं कि तमिलनाडु में ज्यादातर टेस्टिंग चेन्नई तक सीमित रही। दूसरे जिले नजरअंदाज किए जा रहे हैं। ये राज्य के लिए और बुरा साबित हो सकता है।
कोरोना से सबसे कम मृत्यू दर का दावा करती है तमिलनाडु सरकार
तमिलनाडु कोरोना से दूसरा सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य जरूर है लेकिन जिस दर से नए मामले सामने आ रहे हैं उसकी तुलना में यहां कोरोना से होने वाली मौतें बहुत कम हैं।
पॉलिटिकल एनालिस्ट डॉ. सुमंत सी रमन बताते हैं कि यहां बुजुर्गों के मुकाबले युवा लोगों में संक्रमण ज्यादा फैला है और युवाओं पर कोरोना का असर कम ही देखा गया है। मौत की दर कम होने का यह एक कारण हो सकता है।
डॉ. सुमंतराज्य में कोरोना से कम हो रही मौतों को टेस्टिंग से जोड़कर भी देखते हैं। वे बताते हैं कि अन्य राज्यों की तुलना में तमिलनाडु में कोरोना के टेस्ट ज्यादा हो रहे हैं। बाकी राज्यों में लक्षण दिखाई देने पर ही टेस्टिंग हो रही है, कई मामलों में तो सामान्य लक्षण दिखने पर टेस्टिंग न होने की भी खबरें आ रही हैं, ऐसे में इन राज्यों में गंभीर स्थिति में पहुंच चुके संक्रमितों की ही टेस्टिंग होती है, जिन्हें बचा पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में वहां कोरोना से मृत्यू दर अधिक है, जबकि तमिलनाडु में सामान्य लक्षण और संक्रमितों के संपर्क में आने पर भी टेस्ट हो रहे हैं। समय रहते संक्रमित हॉस्पिटल में पहुंच जाते हैं, इससे मौतों की दर कम हो जाती है। डॉ. सुमंत यह भी बताते हैं किराज्य में कई ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि कोरोना संक्रमित की मौतों को छिपाया जा रहा है।
हाल ही में ग्रेटर चेन्नई कार्पोरेशन के रजिस्टर में दर्ज कोरोना से हुई मौतों और राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशालय में दर्ज मौतों में 236 मौतों का अंतर आया था। इस पर जांच चल रही है।
जुलाई के दूसरे हफ्ते तक कुल संक्रमितों की संख्या डेढ़ लाख पहुंचने का अनुमान, कितना तैयार है तमिलनाडु?
डॉ. एमजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी ने तमिलनाडु में जुलाई के दूसरे हफ्ते तक कुल संक्रमितों की संख्या डेढ़ लाख तक पहुंचने का अनुमान लगाया है। डॉ. सुमंत सी रमन कहते हैं कि राज्य में अब हर दिन डेढ़ हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। राज्य सरकार हॉस्पिटल बेड की क्षमता भी लगातार बढ़ा रही है। लेकिन जिस तरह से नए मामले सामने आने लगे हैं, उस हिसाब से बेड और वेटिलेटर्स की कमी का सामना करना पड़ेगा।
फिलहाल, यहां हर प्राइवेट हॉस्पिटल को भी कम से कम 5 बेड हमेशा उपलब्ध रखने के निर्देश दिए गए हैं। कोविड के लिए बनी तमिलनाडु सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर देखें तो ऐसे 161 प्राइवेट हॉस्पिटल्स में खाली पड़े बेड और वेटिंलेटर की संख्या दी गई है। फिलहाल ज्यादातर हॉस्पिटल्स में खाली बेडो की संख्या 0 से 10 के बीच हैं। कुछ में यह संख्या 100 से ज्यादा भी है। लेकिन इन प्राइवेट हॉस्पिटलों में उपलब्ध वेंटिलेटर्स की कुल संख्या करीब 500 ही है।
भारतीय वायुसेना अमेरिका, चीन और रूस के बाद दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है। एयरफोर्स अपने जांबाजों और उनके योगदान को कभी नहीं भूलती और यही जताने के लिए अब वो अपने वॉर हीरोज, वेटेरन के जन्मदिन को एक अलग अंदाज में मना रही है।
वायुसेना के सबसे उम्रदराज रिटायर्ड वॉरंट ऑफिसर पीडी पांडियन ने हाल ही में अपना 100वां जन्मदिन मनाया है। तमिलनाडु के थूथुकुडी में रहने वाले पांडियन के 100वें जन्मदिन पर एयरफोर्स के ऑफिसर उनके घर केक लेकर पहुंचे थे। यही नहीं इस मौके पर खुद वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने उन्हें फोन कर जन्मदिन की बधाई दी और वायुसेवा में उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया।
पांडियन कहते हैं, ‘मुझे तो पता ही नहीं था कि त्रिवेंद्रम से एयरफोर्स के ऑफिसर मेरे घर आकर मेरे जन्मदिन को इस तरह यादगार बना देंगे। खुद एयरफोर्स चीफ ने कॉल किया तो मैं सचमुच भावुक हो गया। यह जानकर खुशी हुई कि एयरफोर्स अपने वेटेरन को कभी नहीं भूलती है।’
Indian Air Force wishes Warrant Officer PD Pandian (Retd) a very happy100th birthday.
Sir, like a true airwarrior, you have overcome the challenges of life & have gained memories & experiences of a Century.
Jai Hind!!!@SpokespersonMoDpic.twitter.com/Osw2z8Io33
31 साल में हजारों वायुसैनिकों को किया प्रशिक्षित
पांडियन 1944 में रॉयल इंडियन एयर फोर्स में बतौर एयरक्राफ्टमैन भर्ती हुए और 1975 में 55 साल की उम्र में ग्राउंड ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर के रूप में रिटायर्ड हुए। भर्ती होने से पहले, वे दो साल तक एक स्कूल में बतौर शिक्षक पढ़ाया करते थे। अपनी 31 सालकी सर्विस में पांडियन ने हजारों वायुसैनिकों को प्रशिक्षित किया है।
पांडियन अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने दक्षिणी कमान वॉलीबॉल टीम को लीड किया और विजयवाड़ा दक्षिण रेलवे संस्थान वॉलीबॉल टीम के कोच भी रहे। वो कहते हैं, ‘मेरे लिए यह खुशी की बात है कि मैं इतनी लंबी उम्र जी रहा हूं। इसके लिए मैंने अपनी हेल्थ, डाइट और फिटनेस का खास ख्याल रखा है। वो कहते हैं, ‘मैं अपने समय में एक सख्त ट्रेनर था इसलिए मुझे अपने साथियों के बीच रफ एंड टफ व्यक्ति कहा जाता था। मैं आज भी अपने दिन की शुरुआत आसपास साफ-सफाई से करता हूं। रोजअखबार पढ़ता हूं और एक्सरसाइज करता हूं।’
अपने 100वें जन्मदिन पर केक काटते पीडी पांडियन।
पांडियन के बेटे जैकब जबराज कहते हैं कि, ‘अगर दस साल पहले पापा को चिकनगुनिया नहीं होता तो वो इस उम्र में भी बॉलीवॉल खेल सकते थे। चिकनगुनिया और डायबिटीज के उपचार के दौरान उनके दाहिने पैर के 20 फीसदी हिस्से में लकवा मार गया।’ जैकब के मुताबिक उनके पापा आज भी वक्त के पाबंद हैं, अपना हर काम खुद और तय समय पर करते हैं। वे रोज बगैर शीशा देखे 3 मिनट में खुद शेविंग करते हैं। कोरोना के इस दौर में उन्होंने लॉकडाउन का बखूबी पालन किया और लोगों को भी प्रेरित किया। उन्होंने खुद मशीन से सिलाई कर पांच फेस मास्क भी बनाए हैं।
ब्रिटिश आरआईएएफ के दौर को याद करते हुए पांडियन कहते हैं, तब ट्रेनिंग अलग होती थी, आज की तुलना में काफी ज्यादा मुश्किल। तब भारतीय और ब्रिटिश सोल्जर्स की सैलरी में भी काफी असमानता थी। एक अंग्रेज फिजिकज ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर को 1 हजाररुपए महीना वेतन मिलता था जबकि उसी रैंक के एक भारतीय को महज 40 रुपए वेतन दिया जाता था। उस दौर में ब्रिटिशर्स को आगे की लाइन में गद्दीदार कुर्सियां दी जाती थीं और भारतीयों को लकड़ी की बेंच पर बैठाया जाता था।
It's heartening to see the enthusiasm of Air Mshl PV Iyer (Retd), a nonagenarian. Air Mshl has been a source of inspiration to many, he is an active sportsperson & has proven that 'Age is indeed just a number', we wish you a very happy 90th birthday & many more joyous occasions. pic.twitter.com/fFng0kgUDV
12 मई को वायुसेना ने रिटायर्ड कमोडोर खेड़ा के 100वें जन्मदिन पर बधाई दी
इससे पहले 12 मई कोवायुसेना ने रिटायर्ड कमोडोर मलिक सिंह खेड़ा के 100वें जन्मदिन पर बधाई दी थी। इसी तरह पिछले साल भी 30 अक्टूबर को इंडियन एयर फोर्स की ओर से रिटायर्ड एयर मार्शल पीवी अय्यर के 90वें जन्मदिन पर एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें अय्यर जिम में पुशअप्स करते दिख रहे थे। वायुसेना ने ट्वीट में लिखा भी था - "एयर मार्शल बहुत लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत रहे हैं। उन्होंने साबित किया है कि उम्र तो महज एक नंबर है।’
महिंदा राजपक्षे। 2005 से 2015 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे और अब प्रधानमंत्री हैं। राजपक्षे को देश में तीन दशकों से जारी गृहयुद्ध को खत्म करने का श्रेय दिया जाता है। लेकिन, राजपक्षे के ही दौर में श्रीलंका सबसे ज्यादा कर्ज के बोझ में दब गया।
राजपक्षे के कार्यकाल में श्रीलंका की भारत से दूरी और चीन से नजदीकियां बढ़ीं। इन नजदीकियों का फायदा श्रीलंका ने कम और चीन ने ज्यादा उठाया। राजपक्षे के राष्ट्रपति रहते ही श्रीलंका में हम्बनटोटा बंदरगाह प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ। इस प्रोजेक्ट के लिए 2007 से 2014 के बीच श्रीलंकाई सरकार ने चीन से 1.26 अरब डॉलर का कर्ज लिया। ये कर्ज एक बार में नहीं बल्कि 5 बार में लिया गया।
हम्बनटोटा बंदरगाह पहले से ही चीन-श्रीलंका मिलकर बना रहे थे। इसे चीन की सबसे बड़ी सरकारी कंपनी हार्बर इंजीनियरिंग ने बनाया है। जबकि, इसमें 85% पैसा चीन के एक्जिम बैंक ने लगाया था।
लगातार कर्ज लेने का नतीजा ये हुआ कि श्रीलंका पर विदेशी कर्ज बढ़ता गया। ऐसा माना जाता है कि कर्ज बढ़ने की वजह से श्रीलंका को दिसंबर 2017 में हम्बनटोटा बंदरगाह चीन की मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड कंपनी को 99 साल के लिए लीज पर देना पड़ा। बंदरगाह के साथ ही श्रीलंका को 15 हजार एकड़ जमीन भी उसे सौंपनी पड़ी। ये जमीन भारत से 150 किमी दूर ही है।
इस पूरे वाकये को एक मिसाल के तौर पर पेश किया जाता है कि कैसे चीन पहले छोटे देश को इन्फ्रास्ट्रक्चर के नाम पर कर्ज देता है। उसे अपना कर्जदार बनाता है। और फिर बाद में उसकी संपत्ति को कब्जा लेता है।
ये तस्वीर हम्बनटोटा बंदरगाह की है। जब श्रीलंका-चीन ने मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया, तब भी श्रीलंका में इसको लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ था। उस समय जानकारों ने इस प्रोजेक्ट को सबसे खराब भी बताया था।
इसे कहते हैं 'डेब्ट-ट्रैप डिप्लोमेसी'
इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के नाम पर पहले कर्ज देना और फिर उस देश को एक तरह से कब्जालेना, इसे 'डेब्ट-ट्रैप डिप्लोमेसी' कहते हैं। ये शब्द चीन के लिए ही इस्तेमाल होता है। इस पर चीन तर्क देता है कि इससे छोटे और विकासशील देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा। जबकि, उसके विरोधी मानते हैं कि चीन ऐसा करके छोटे देशों को कब्जारहा है।
अमेरिकी वेबसाइट हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू की रिपोर्ट बताती है कि, चीन शुरू से ही छोटे देशों को कर्ज देता रहा है। 1950 और 1960 के दशक में चीन ने बहुत से छोटे-छोटे देशों को कर्ज दिया। ये ऐसे देश थे, जहां कम्युनिस्ट सरकारें थीं।
जर्मनी की कील यूनिवर्सिटी ने वर्ल्ड इकोनॉमी पर जून 2019 में एक रिपोर्ट जारी की थी। इसके मुताबिक, 2000 से लेकर 2018 के बीच देशों पर चीन की उधारी 500 अरब डॉलर से बढ़कर 5 ट्रिलियन डॉलर हो गई। आज के हिसाब से 5 ट्रिलियन डॉलर 375 लाख करोड़ रुपए होते हैं।
इन सबके अलावा भी हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू की रिपोर्ट कहती है कि चीन की सरकार और उसकी कंपनियों ने 150 से ज्यादा देशों को 1.5 ट्रिलियन डॉलर यानी 112 लाख 50 हजार करोड़ रुपए का लोन भी दिया है। इस समय चीन दुनिया का सबसे बड़ा लेंडर यानी लोन देने वाला देश है। इतना लोन तो आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक ने भी नहीं दिया। दोनों ने 200 अरब डॉलर (15 लाख करोड़ रुपए) का लोन दिया है।
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो दुनियाभर की जीडीपी का 6% बराबर कर्ज चीन ने दूसरे देशों को दिया है।
फोटो क्रेडिट : कील यूनिवर्सिटी
एक दर्जन देशों पर उनकी जीडीपी का 20% से ज्यादा कर्ज चीन ने दिया
हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू की रिपोर्ट के मुताबिक, 2005 में चीन ने 50 से ज्यादा देशों को उनकी जीडीपी का 1% या उससे भी कम कर्ज दिया था, लेकिन 2017 के आखिर तक चीन उनकी जीडीपी का 15% से ज्यादा तक कर्ज देने लगा।
इनमें से जिबुती, टोंगा, मालदीव, कॉन्गो, किर्गिस्तान, कंबोडिया, नाइजर, लाओस, जांबिया और मंगोलिया जैसे करीब दर्जन भर देशों को चीन ने उनकी जीडीपी से 20% से ज्यादा कर्ज दिया है।
सबसे ज्यादा कर्ज अफ्रीकी देशों को
कर्ज देने के लिए चीन की पहली पसंद अफ्रीकी देश हैं। इसका कारण है कि ज्यादातर अफ्रीकी देश गरीब और छोटे हैं और विकासशील भी।
अक्टूबर 2018 में आई एक स्टडी बताती है कि हाल के कुछ सालों में अफ्रीकी देशों ने चीन से ज्यादा कर्ज लिया है। 2010 में अफ्रीकी देशों पर चीन का 10 अरब डॉलर (आज के हिसाब से 75 हजार करोड़ रुपए) का कर्ज था। जो 2016 में बढ़कर 30 अरब डॉलर (2.25 लाख करोड़ रुपए) हो गया।
अफ्रीकी देश जिबुती, दुनिया का इकलौता कम आय वाला ऐसा देश है, जिस पर चीन का सबसे ज्यादा कर्ज है। जिबुती पर अपनी जीडीपी का 80% से ज्यादा विदेशी कर्ज है। इसमें भी जितना कर्ज जिबुती पर है, उसमें से 77% से ज्यादा कर्ज अकेला चीन का है। हालांकि, कर्ज कितना है? इसके आंकड़े मौजूद नहीं है।
सिर्फ कर्ज ही नहीं, इन्वेस्टमेंट भी कर रहा है चीन
पिछले साल जून में यूएन कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट की रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में दुनियाभर के देशों ने 1.3 ट्रिलियन डॉलर (आज के हिसाब से 97.50 लाख करोड़ रुपए) का इन्वेस्टमेंट किया था। ये आंकड़ा 2017 की तुलना में 13% कम था।
दुनिया के कई देशों ने 2018 में अपना इन्वेस्टमेंट घटा दिया था। इसके उलट दूसरे देशों में चीन का इन्वेस्टमेंट 4% तक बढ़ा था। चीन ने 2017 में 134 अरब डॉलर का इन्वेस्टमेंट किया था और 2018 में 139 अरब डॉलर का। जबकि, अमेरिका का इन्वेस्टमेंट घटकर 252 अरब डॉलर हो गया था।
हमारे पड़ोसियों को भी कर्ज तले दबा रहा है चीन
2013 से चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। इस प्रोजेक्ट का मकसद एशिया, यूरोप और अफ्रीका को सड़क, रेल और समुद्री रास्ते से जोड़ना है। इस पूरे प्रोजेक्ट पर 1 ट्रिलियन डॉलर यानी 75 लाख करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। चीन के इस प्रोजेक्ट को जो देश समर्थन दे रहा है, उनमें से ज्यादातर अब चीन के कर्जदार बन गए हैं।
चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर या सीपीईसी भी इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इस पर चीन और पाकिस्तान दोनों मिलकर काम कर रहे हैं। ये कॉरिडोर चीन के काशगर प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ता है। इसकी लागत 46 अरब डॉलर (करीब 3.50 लाख करोड़ रुपए) है। इसमें भी करीब 80% खर्च अकेले चीन कर रहा है। नतीजा-पाकिस्तान धीरे-धीरे चीन का कर्जदार बनता जा रहा है। आईएमएफ के मुताबिक, 2022 तक पाकिस्तान को चीन को 6.7 अरब डॉलर चुकाने हैं।
फोटो क्रेडिट : GISreportsonline.com
इसी तरह नेपाल भी चीन के इस प्रोजेक्ट का समर्थन कर रहा है। पिछले साल अक्टूबर में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग दो दिन के दौरे पर नेपाल गए थे। ये 23 साल बाद पहला मौका था, जब चीन के किसी राष्ट्रपति ने नेपाल का दौरा किया। इस दौरे में जिनपिंग ने नेपाल को इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए 56 अरब नेपाली रुपए (35 अरब रुपए) की मदद देने का ऐलान किया था।
पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका की तरह बांग्लादेश भी चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट का हिस्सा है। जनवरी 2019 तक चीन और बांग्लादेश के बीच 10 अरब डॉलर का कारोबार हो रहा था। ऐसा अनुमान है कि 2021 तक दोनों देशों के बीच 18 अरब डॉलर का कारोबार होने लगेगा। बांग्लादेश का चीन के प्रोजेक्ट का हिस्सा बनना इसलिए भी चिंता का कारण है क्योंकि ये कोलकाता के बेहद करीब से गुजरेगा।
क्या भारत पर भी चीन का कर्ज?
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2019 तक भारत पर 40 लाख 18 हजार 389 करोड़ रुपए का विदेशी कर्ज है। हालांकि, किस देश का कितना कर्ज है? इसके आंकड़े नहीं मिल सके हैं।
देश में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है महाराष्ट्र। वहीं के जलगांव जिले में एक परिवार के दो सदस्यों की मौत कोरोना से हुई है। लेकिन कहानी सिर्फ इतनी ही नहीं है। मौत की वजह कोरोना से ज्यादा अस्पताल की लापरवाही है। जिन दो सदस्यों की यहां बात हो रही है वह हर्षल नेहटे की मां और दादी हैं।
हर्षल के ही शब्दों में उनकी पूरी बात-
हर्षल नेहटे पिछले आठ सालों से अपनी पत्नी के साथ पुणे में रहते हैं। वह एक निजी कंपनी में नौकरी करते हैं।
मैं पुणे में पत्नी के साथ रहता हूं। पत्नी नौ माह की गर्भवती है। पापा, मम्मी और दादी भुसावल में रहते थे। पापा दो साल पहले ही रेलवे से रिटायर हुए हैं। वो रेलवे में ड्राइवर थे। रिटायर होने के बाद इटारसी से भुसावल आ गए। कोरोनावायरस ने सिर्फ 20 दिनों में मेरे पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया। मुझे समझ ही नहीं आ रहा कि जो मां और दादी 10 दिनपहले तक मुझसे बात कर रहीं थीं, वो अब इस दुनिया से जा चुकी हैं।
18 मई को पापा को बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस हुई। उन्होंने मुझे फोन करके बताया तो मैंने उन्हें हॉस्पिटल में दिखाने को कहा। उस दिन भुसावल का कोई हॉस्पिटल खुला नहीं था तो पापा जलगांव के निजी अस्पताल में चले गए।
उन्होंने पापा का सिटी स्कैन किया। रिपोर्ट कुछ गड़बड़ समझ आई तो डॉक्टर ने कहा कि आप सिविल हॉस्पिटल में कोरोना टेस्ट कराइए। पापा का टेस्ट हुआ 20 मई को पता चला कि उन्हें कोरोना संक्रमण हुआ है।
इसके बाद प्रशासन की टीम मेरे घर पहुंची और मम्मी-दादी को भुसावल में ही एक स्कूल में बनाए गए क्वारैंटाइन सेंटर में ले गई। वहां जाकर उन दोनों का कोरोना टेस्ट हुआ। 22 मई को वो दोनों भी पॉजिटिव आए। लेकिन 27 मई तक इलाज शुरू नहीं हुआ। क्वारैंटाइन सेंटर में कहा गया कि कोई लक्षण दिखेंगे तो अस्पताल भेजेंगे। अभी यहीं आराम करो।
28 को दादी की तबीयत ज्यादा खराब हो गई तो फिर दोनों को क्वारैंटाइन सेंटर से रेलवे हॉस्पिटल में एडमिट कर दिया गया। यहां आने के तीन दिन बाद तक भी कोई ट्रीटमेंट शुरू ही नहीं हुआ। मेरी मां की उम्र 60 साल थी और दादी की 80 साल।
हर्षल की मां तिला नेहटे 60 साल की थीं और पूरी तरह स्वस्थ्य थीं। हॉस्पिटल की लापरवाही ने उनकी जान ले ली।
30 मई की रात मां बाथरूम गईं तो वहीं गिर गईं। दो घंटे तक बाथरूम में बेहोश पड़ी रहीं। लेकिन किसी को पता ही नहीं चला। फिर होश आने पर खुद ही उठकर अपने बेड पर पहुंचीं। उन्होंने फोन पर मुझे ये बात बताई।
31 मई को मैं मम्मी को लगातार फोन कर रहा था लेकिन वो फोन ही नहीं उठा रहीं थीं तो मुझे चिंता हुई। फिर मैंने हॉस्पिटल में फोन करके बताया कि कल वो बाथरूम में गिर गईथीं और अभी फोन नहीं उठा रही हैं।
इसके बाद हॉस्पिटल स्टाफ ने खोजबीन की तो वो फिर बाथरूम में ही गिरी पड़ी मिलीं। उन्हें व्हीलचेयर पर बिठाकर बेड तक छोड़ दिया गया। उनकी हालत बहुत खराब थी तो स्टाफ ने डॉक्टर को फोन किया। डॉक्टर आए तो बोले कि, बहुत सीरियस हैं इसलिए इन्हें सिविल अस्पताल में रेफर कर रहे हैं। वहां स्टाफ उन्हें लेकर गया तो पता चला कि एक भी आईसीयू बेड खाली नहीं है। उन्हें आईसीयू वॉर्ड के बाहर ही लिटा दिया गया।
सिविल हॉस्पिटल की यही वो बाथरूम है, जहां मालती नेहटे 9 दिनों तक पड़ी रहीं और किसी को पता ही नहीं चला।
रात डेढ़ बजे उनकी मौत हो गई। मुझे पता ही नहीं था। लेकिन अगले दिन जब पुलिस हमारे भुसावल वाले घर पहुंची तो उन्होंने ये बात पड़ोसियों को बताई। इसके बाद पड़ोसियों ने मुझे फोन करके बताया। हॉस्पिटल स्टाफ ने ही मां का अंतिम संस्कार कर दिया।
मम्मी 60 साल की थीं बावजूद इसके दो-दो घंटे योगा करती थीं। उन्हें कोई खास दिक्कत भी नहीं थी लेकिन एडमिट होने के बाद 11 दिन बाद तक भी उनका इलाज ही शुरू नहीं हो पाया था शायद इसी वजह से उनकी मौत हो गई।
1 जून को मैंने सिविल अस्पताल में फोन करके दादी के बारे में पूछा तो पता चला कि उनकी हालत भी सीरियस है। डॉक्टर बोले, उन्हें कोरोना संदिग्ध वॉर्ड में रखा है। मैंने कहा लेकिन वो तो कोरोना पॉजिटिव हैं, फिर उन्हें कोरोना संदिग्ध वॉर्ड में क्यों रखा है, तो जवाबमिला कि भुसावल से जो रिपोर्ट आई थी उसमें यह स्पष्ट नहीं था कि वो पॉजिटिव हैं या नहीं। मेरे बात करने के तुरंत बाद दादी को कोरोना वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया।
हर्षल ने बताया कि उनकी दादी और मम्मी कोरोना पॉजिटिव थीं, फिर भी एक हफ्ते तक तो इलाज शुरू ही नहीं हुआ।
2 जून को बात हुई तो डॉक्टर ने बताया कि आपका पेशेंट तो बेड पर है ही नहीं। दिनभर भी दादी का कहीं पता नहीं चला। फिर उन्होंने रात में 8 बजे पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवा दी। हम लोग रातभर सोचते रहे कि दादी कहां होंगी लेकिन फोन लगाने के अलावा कुछ और कर नहीं सकते थे, क्योंकि मैं अपनी प्रेग्नेंट पत्नी के साथ पुणे में था।
3 जून को डॉक्टर को फोन लगाया तो उन्होंने बताया कि दादी मिल गई हैं और उन्हें सात से नौ नंबर वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया। 4 जून को हमें फोन पर कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। 5 जून की शाम को बात हुई तो पता चला कि दादी तो मिली ही नहीं। डॉक्टर ने किसी कंफ्यूजन में मिल गईं ये कहा था। फिर मैंने लोकल पुलिस में मिसिंग रिपोर्ट दर्ज करवाई। हालांकि पुलिस ने भी कुछ नहीं किया, 10 जून तक दादी कहीं मिली ही नहीं। 10 जून को सुबह साढ़े दस बजे मेरे पास हॉस्पिटल से फोन आया। उन्होंने बताया कि आपकी दादी मिल गई हैं, लेकिन अब वो जिंदा नहीं रहीं। उन्होंने बताया कि, वो हॉस्पिटल के वॉशरूम में ही थीं लेकिन कोई वहां गया नहीं तो पता नहीं चला। जब बदबू आई तब सफाईकर्मियों ने गेट खोला तो दादी की बॉडी वहां से मिली।
ये जलगांव का सिविल हॉस्पिटल है। मामला सामने आने के बाद डीन सहित पांच जिम्मेदारों को सस्पेंड किया गया।
इतना होने पर मीडिया जमा हो गई थी। पुलिस पहुंच गई थी। इसलिए अंतिम संस्कार फटाफट प्रशासन द्वारा कर दिया गया। मेरे परिवार का कोई भी सदस्य न आखिरी बार मां को देख सके न दादी को। पापा की 1 जून को रिपोर्ट निगेटिव आई। वो नासिक में दीदी के घर पर हैं। अब पूरी तरह से टूट चुके हैं। रिटायर होने के बाद मां के साथ वक्त बिताना चाहते थे। उन्हें घुमाना-फिराना चाहते थे लेकिन सब सपने पलभर में बिखर गए।
बाथरूम में बॉडी मिलने के बाद पुलिस और अधिकारियों का जमावड़ा लग गया था। मीडिया भी इकट्ठा हो गई थी।
मेरी पत्नी नौ माह की गर्भवती है। यदि में जलगांव जाता तो यहां कभी भी डिलीवरी की नौबत आ सकती थी। अब यही कहना चाहता हूं कि मेरा परिवार तो बर्बाद हो गया लेकिन जिन लोगों ने लापरवाहीकी उन्हें सजा जरूर मिलनी चाहिए।इस मामले में डीन डॉक्टर बीएस खैरे सहित पांच अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है।
'कोरोना वायरस की वजह से हम सब सोच रहे थे कि पासिंग आउट परेड होगी या नहीं, लेकिन बाद में सेना ने तय किया कि कोविड-19 से सावधानी बरतते हुए पासिंग आउट परेड कराई जाएगी। हमें बताया गया कि परेड की लाइव स्ट्रीमिंग डीडी नेशनल और यूट्यूब चैनल पर की जाएगी। इस दौरान अतिरिक्त सावधानी बरती जाएगी।'यह कहना है भोपाल के अनुज दुबे का,जो भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में एक साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद भारतीय सेना में लेफ्टिनेंटबन जाएंगे।वह 13 जून यानी शनिवार को आईएमए की पासिंग आउट परेड में भाग लेंगे।
उन्होंने फोन पर बताया,'परेड के लिए पहले 10 ग्रुप बनाए जाते थे और दो कैडेट्स के बीच 0.5 मीटर की दूरी होती थी, लेकिन इस बार दो कैडेट्स के बीच में 2 मीटर की दूरी होगी। हर कैडेट के चेहरे पर मास्क और हाथों में ग्लब्स होगा। ग्रुप पर भी घटाकर 8 कर दिए गए हैं।' आईएमए के 87 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, जब कैडेट की इस परेड में उनके मात-पिता शामिल नहीं हो पाएंगे।
अनुज ने कहा- इस बात की खुशी है कि मां मुझे टीवी पर देख पाएंगी
भास्कर से बातचीत में अनुज ने कहा, 'मुझे चार साल से जिस क्षण का बेसब्री से इंतजार था कि मां आएंगी और सेना की वर्दी में मेरे दोनों कंधों पर दो-दो सितारे जड़ देंगी। अब ये सपना पूरा नहीं हो पाएगा, लेकिन इस बात की खुशी है कि मां पासिंग आउट परेड में मुझे परिवार के साथ टीवी पर लाइव देख पाएंगी।'
अनुज दुबे का चयन यूपीएससी से एनडीए खड़गवासला के लिए हुआ था। फोटो पिछले साल हुए कन्वाेकेशन की है। जब अनुज ने 3 साल का कोर्स पूरा किया था। तब उनके माता-पिता भी वहां गए थे।
अनुज ने कहा,'मां-पापा नहीं आ पाएंगे, इसका थोड़ा मलाल है, लेकिन हमारे अफसर और मैडम हमारे कंधों पर सितारे टांक देंगे। घर से दूर हमारी दूसरी फैमिली वह भी तो है। मां कोरोना वायरस की वजह से नहीं आ पाएंगी।लेकिन इस वक्त मां का घर पर होना ही अच्छा है। वह सेफ हैं। मुझे टीवी पर पापा, भाभी और भइया के साथ बैठकर देख पाएंगी।'
भोपाल के लिए गर्व का मौका
भोपाल के अनुज दुबे इस परेड के बाद सेना की आर्टिलरी रेजीमेंट में लेफ्टिनेंट बन जाएंगे। भोपाल और मध्य प्रदेश के लिए गर्व की बात है कि एक साल में ही गुलमोहर कालोनी में रहने वाले दुबे परिवार ने दो अफसर सेना को दिए हैं। अनुपम और मंजू दुबे के बेटे अनुज के पहले अभिलाष दुबे के बेटे आदित्य भी सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट्स में लेफ़्टिनेंट बने हैं। वह इस समय सिक्किम में तैनात हैं।
अनुज दुबे, अपने चचेरे भाई आदित्य दुबे और मां के साथ। आदित्य (बाएं से दूसरे) भी आर्टिलरी रेजीमेंट में लेफ्टिनेंट हैं और इस समय सिक्किम में पोस्टेड हैं।
'मैं भइया और खुद के सपने को जी रहा हूं'
शनिवार से सेना में लेफ्टिनेंट बनने वाले अनुज दुबे को शुरू से ही सेना का जुनून था। इसमें सबसे बड़ा योगदान उनके भाई अंकुर दुबे का रहा। अनुज कहते हैं, 'भइया को सेना से बहुत लगाव है और हम दोनों सेना से जुड़ी फिल्में साथ में देखते थे, बॉर्डर, एलओसी जैसी फिल्में कई बार देखी हैं। वह मुझसे अक्सर कहा करते थे, तुम्हें सेना में अफसर बनना है। वहीं से मुझे सेना में जाने का जुनून पैदा हो गया।'
अनुज आगे कहते हैं, 'फिर मैंने सेना में अफसर बनने के बारे में जानकारी निकालनी शुरू की, देहरादून की आईएमए के बारे में पता चला। मैं यूपीएससी से एनडीए, खड़गवासला (महाराष्ट्र)के लिए सिलेक्ट हुआ। मसूरी में मेरा एसएसबी टेस्ट हुआ और मैं चुना गया। तीन साल के लिए राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खड़गवासला (एनडीए) में ही रहा। यहां पर सेना की ट्रेनिंग और कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन साथ-साथ पूरा किया। इसके बाद एक साल के लिए देहरादून आईएमए भेज दिया गया।'
अनुज अपनी मां अंजू दुबे और बड़े भाई अंकुर दुबे के साथ। अनुज अपने बड़े भाई को अपना प्रेरणास्रोत बताते हैं।
सियाचिन में तैनाती मिलना सपने के पूरे होने जैसा
अनुज को पासिंग आउट परेड के 24 घंटे के अंदर सीधे सियाचिन में तैनाती दी जा रही है। अनुज ने बताया, 'सियाचिन में पहली पोस्टिंग उनके लिए सपने के पूरा होने जैसा है। बचपन से सुनता आ रहा था कि सियाचिन में सेना तैनात की जाती है। मैं भी गूगल करके सिचाचिन के बारे में जानकारी लेता था। अब उसी ड्रीम प्लेस में मुझे पोस्टिंग मिल रही है। इसे लेकर बहुत एक्साइटेड हूं।'
दुनिया के सबसे ऊंचे क्षेत्र और माइनस में टेंपरेचर वाली जगह पर कैसे तालमेल बिठाएंगे? इस सवाल के जवाब में अनुज कहते हैं, 'ट्रेनिंग के दौरान हमें शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार किया जाता है, फिर वहां जाने के बाद हफ्तेभर उस वातावरण में ढाला जाता है। मुझे उम्मीद है कि मैं बहुत जल्दी उस वातावरण में ढल जाऊंगा और फिर ऊंचाई पर बर्फ में ड्यूटी भी लगाई जाएगी।'
मां ने तैयार कर लिया था गुजिया और खुरमे
अनुज की मां अंजू दुबे को भी इस बात से निराशा है किवह बेटे की पासिंग आउट परेड में शामिल नहीं हो पाएंगी, लेकिन उसे टीवी पर देखेंगी, इस बात की खुशी भी है। अंजू दुबे ने हमें बताया, 'जनवरी में अनुज घर आया था, इसके बाद हम मार्च में होली पर उससे मिलने जाने वाले थे, लेकिन कोरोना वायरस के कारण नहीं जा पाए और फिर लॉकडाउन हो गया। हमने सोचा था लॉकडाउन खुलेगा और पासआउट परेड में जा सकेंगे। लेकिन येभी नहीं हो पाया। अनुज खाने-पीने और कपड़ों का शौकीन है। इसलिए मैंने उसकी फेवरेट गुझिया और खुरमे बना लिए थे। आज ही बात हुई है। पहले मैं समझाती थी, वो सुनता था। अब मैं चिंता करती हूं तो कहता है मां फिक्र मत करो, मैं हूं ना।'
अनुज दुबे भाई आदित्य दुबे और उनकी मां के साथ फुरसत के क्षण में। दोनों भाई अच्छे दोस्त भी हैं और फोटो खड़गवासला की है, जहां पर दोनों ने करीब दो साल साथ बिताए हैं।
कोरोनावायरस ने बदला तौर-तरीका
आम तौर पर सेना में पासिंग आउट परेड के बाद अफसरों को 15-20 दिन की छुट्टी दी जाती है, जिससे वह अपने परिवार से मिल सकें। इसके बाद ड्यूटी पर भेजा जाता था, लेकिन कोरोना वायरस के चलते इस बार आईएमए से पास आउट हो रहे करीब 400 कैडेट को अफसर बनने के 24 घंटे के अंदर तैनाती दी जा रही है।
अनुज ने बताया कि कुछ राज्यों में लॉकडाउन खुल गया है, लेकिन कुछ जगह अब भी लॉकडाउन है। कुछ अफसरों को छुट्टी दी जाती और कुछ को नहीं। ये ठीक नहीं होता, इसलिए सभी को एक साथ पोस्टिंग दी जा रही है। सेना का मानना है कि हम यहां पर सुरक्षित माहौल में हैं और पोस्टिंग के बाद भी सुरक्षित रहेंगे। छुट्टी के बाद ट्रैवल करना सेफ नहीं है।
कोविड ने सेना कीट्रेनिंग का तरीका बदला
अनुज नेबताया, 'लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद से ही आईएमए में ट्रेनिंग का तरीका बदल गया। मार्च से हमें कमरे से बाहर निकलने पर हर वक्त मास्क लगाना और सैनिटाइजर साथ में रखना अनिवार्य कर दिया गया। इसके बाद हम मैदान में फिजिकल ट्रेनिंग के लिए आते तो किसी भी चीज को टच करने पर पाबंदी लगा दी गई।
हमें केवल खुद से दौड़ना, पुशअप्स और अन्य एक्सरसाइज कराई जाने लगी। इसमें भी दूरी बनाकर रखनी होती थी। हालांकि, इस दौरान कोऑर्डिनेशन में परेशानी आई। इसके साथ ही ग्रुप में कमरों में होने वाली पढ़ाई को भी बंद कर दिया गया। 60-70 की जगह 20-30 कैडेट्स के ग्रुप बनाए गए और बाकी पढ़ाई अपनी बिल्डिंग में ही करनी पड़ी।'
कोरोनावायरस के रूप बदलने (म्यूटेट) की दर धीमी हो गई है, इसलिए अब अधिक बेहतर वैक्सीन तैयार की जा सकती है। अब तक कोरोना के 24 रूप (स्ट्रेंन) सामने आ चुके हैं।दुनिया के कई विशेषज्ञों का कहना है किअगर इस समय वैक्सीन तैयार हो गई तो इसकाएक डोज कई सालों तक इंसानों को संक्रमण से बचाएगा।
जॉनहॉपकिंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दुनियाभर से 20 हजार से अधिक कोरोनासैम्पलों का अध्ययन किया है। इस स्टडी मेंपाया कि इस वायरस के सबसे बड़े हथियार समझे जाने वालेस्पाइक प्रोटीन में बदलाव नहीं हो रहा है।
वैक्सीन तैयार करने का सबसे बेहतर समय
जॉनहॉपकिंस अप्लायड फिजिक्स लैब के मॉलिक्युलर बायोलॉजिस्ट डॉ. पीटर थीलेन के मुताबिक, 2019 के अंत से लेकर अब कोरोनावायरस में कुछ जेनेटिक बदलाव हुए हैं। अब वह लगभग स्टेबल है और यह समय वैक्सीन तैयार करने के लिए परफेक्ट है। इस समय कोरोना के आरएनए को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।
दोनों तरह के वायरस के लिए असरदार होगी वैक्सीन
डॉ. पीटर के मुताबिक, अमेरिकी में कोरोना का जो स्ट्रेन पहचाना गया था, वह वुहान में संक्रमण फैलाने वाले वायरस से मिलता जुलता था। इस समय तैयार हुई वैक्सीन शुरुआतीकोरोनावायरस और म्यूटेशन के बाद वाले कोरोना, दोनों पर असरदार साबित होगी।
बिना वैक्सीन सामान्य जीवन सम्भव नहीं
बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विशेषज्ञ डॉ. विंसटन टिम्प के मुताबिक, बिना वैक्सीन के सामान्य जीवन में लौटना सम्भव नहीं है। वायरस के बदलने की धीमी गति का मतलब है, इस समय सफल वैक्सीन तैयार होने की सम्भावना ज्यादा है।
वायरस के प्रोटीन में नहीं हो रहा बदलाव
डॉ. विंसटन कहते हैं, रिसर्च में सबसे ज्यादा फोकस कोरोना के उस स्पाइक प्रोटीन पर किया जा रहा है जो इंसानी कोशिकाओं में संक्रमण की वजह बनता है। यही सबसे अहम है। अगर वैक्सीन वायरस की इसी खूबी को ब्लॉक करने में कामयाब हो जाती है तो वह बेहद असरदार साबित होगी।
क्या वायरल : फेसबुक पर इस दावे के साथ एक पोस्ट वायरल की जा रही है कि 13 जून, शनिवारसे फेसबुक अपनीप्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव जा रहा है। वायरल पोस्ट में एक मैसेज के साथयह चेतावनी दी गई है कि अगर यूजर्स इस लिखे हुएमैसेज को कॉपी करके अपनी वॉल पर पोस्ट नहीं करते हैं, तो उन्हें कानूनी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
कोविड 19 के कन्फ्यूजन के बीच यह मत भूलो कि कल फेसबुक एक नया नियम शुरू करने जा रहा है। इसके तहत हमारी तस्वीरों का उपयोग किया जा सकता है। उनका इस्तेमाल हमारे खिलाफ मुकदमों में किया जा सकता है। आज कल हम जो भी पोस्ट करते हैं वह सार्वजनिक हो जाता है। यहां तक कि डिलीट किए गए मैसेज भी। इसलिए बाद में पछताने से बेहतर है कि इस मैसेज को अपनी वॉल पर कॉपी-पेस्ट करें।
"मैं फेसबुक को अपनी तस्वीरों, सूचनाओं, संदेशों या पोस्ट का उपयोग करने की अनुमति नहीं देता, न तो अतीत से न ही भविष्य में।" मैं फेसबुक को सूचित करता हूं कि इस प्रोफाइल / या इसके कंटेंट का उपयोग मेरे खिलाफ करने की सख्त मनाही है। इस प्रोफ़ाइल का कंटेंट निजी है और इसमें मेरी गोपनीय जानकारी है। मेरे निजी जीवन के उल्लंघन को कानून द्वारा दंडित किया जा सकता है।
नोट: "फेसबुक" अब एक सार्वजनिक संस्था है। सभी सदस्यों को इस तरह से एक नोट पोस्ट करना चाहिए।
यदि आप चाहें, तो आप इस पोस्ट की एक कॉपी अपने पास रख सकते हैं। यदि आप कम से कम एक बार बयान पोस्ट नहीं करते हैं, तो आप चुपचाप अपनी तस्वीरों का उपयोग करने की अनुमति देंगे। "शेयर" नहीं, लेकिन "कॉपी + पेस्ट"।
फैक्ट चेक पड़ताल
- गूगल पर अलग-अलग कीवर्ड्स से सर्च करने पर भी हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जिससे यह पुष्टि होती हो कि फेसबुक अपनी प्राइवेसी पॉलिसी बदलने जा रहा है। फेसबुक की तरफ से जारी किया गया ऐसा कोई बयान भी हमें नहीं मिला।
- मैसेज को ही फेसबुक पर सर्च करने पर यह पता चला कि ये पोस्ट कई बार वायरल हो चुकी है। 2012 में फेसबुक ने इसका खंडन भी किया था। फेसबुक के न्यूजरूम सेक्शन में 27 नवंबर, 2012 का बयान है। जिसमें फेसबुक ने इस तरह के वायरल मैसेज को अफवाह बताया है।
- फेसबुक का हेल्प कम्युनिटी नाम से एक सेक्शन है। जहां यूजर्स सवाल पूछ सकते हैं। फेसबुक की टीम इन सवालों के जवाब देती है। यहां एक यूजर ने इस वायरल मैसेज से जुड़ा सवाल पूछा है। जवाब देते हुए फेसबुक की टीम ने इस मैसेज को स्कैम बताते हुए रिपोर्ट करने की सलाह दी है।
निष्कर्ष : वायरल किया जा रहा मैसेज महज एक अफवाह है। फेसबुक अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं करने जा रहा है। फेसबुक ने खुद इस पोस्ट को गलत बताया है।