मंगलवार, 5 जनवरी 2021

बिना होमवर्क पहुंची सरकार ने और वक्त मांगा; किसान बोले- 8 बार चर्चा हो चुकी, कितना समय लेंगे

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का मंगलवार को 41वां दिन है। सोमवार को किसानों और केंद्र के बीच 8वें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पूछा कि MSP पर क्या दिक्कतें हैं। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी बोले- सरकार सभी फसलों की MSP की गारंटी दे। कृषि मंत्री ने कहा- हम तैयार हैं, आप पॉइंट बताएं। हमें अपना होम वर्क करना पड़ेगा। इस पर किसान नेता बोले- 8 दौर की चर्चा हो चुकी और कितना समय चाहिए। मीटिंग खत्म होने के बाद कृषि मंत्री ने कहा कि ताली दोनों हाथ से बजती है।

किसान बुधवार को ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे
4 घंटे चली बैठक में सरकार कानूनों में बदलाव की बात दोहराती रही। किसान कानून वापसी पर अड़े रहे। अगली मीटिंग के लिए 8 जनवरी का दिन तय हुआ है। इससे पहले किसान संगठन 6 जनवरी को कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस वे पर ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे।

वाणिज्य राज्य मंत्री ने कुछ किसानों से अकेले में बात की
कृषि मंत्री के अलावा मीटिंग में रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश भी शामिल हुए थे। MSP पर चर्चा के बाद किसानों ने कानून रद्द करने की मांग उठाई। तोमर बोले- कमेटी बना लेते हैं। किसानों ने कहा- कोई कमेटी नहीं बनेगी, कानून रद्द करें। सोम प्रकाश कुछ नेताओं को किनारे ले गए और बात की। जिस पर दूसरे किसान नेता बोले, कानून रद्द करें। इसके बाद तोमर ने कहा कानून के समर्थन में भी काफी संगठन और किसान हैं। हम सिर्फ आपकी बात सुनकर इन्हें रद्द नहीं कर सकते।

इस बार खाना अपना-अपना...
बातचीत से पहले सरकार और किसान नेताओं ने जान गंवा चुके किसानों के लिए दो मिनट का मौन रखा, लेकिन यह सब यहीं तक सीमित था। आगे किसानों की मौत न हो और समाधान निकाला जाए इसके लिए कोई कोशिश नहीं दिखी। इस बार भी किसानों ने सरकारी खाना खाने से इनकार कर दिया। उन्होंने मंत्रियों से कहा, आप अपना खाना खाएं, हम अपना खाएंगे। पिछली मीटिंग में 3 मंत्रियों ने किसानों के साथ लंगर का खाना ही खाया था, इससे माहौल काफी हल्का हो गया था। इस बार भी यही उम्मीद की जा रही थी।



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सोमवार को सरकार से मीटिंग के बाद विज्ञान भवन के बाहर किसान नेताओं ने अपनी मांगों पर एकजुटता दिखाई।


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मुश्किल में टीम को संभालते दिखे अश्विन-जडेजा, मौजूदा टीम में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टॉप विकेट टेकर भी

कोरोना और कई तरह के विवादों के बीच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट सीरीज जारी है। फिलहाल, यह 4 मैच की सीरीज 1-1 की बराबरी पर है। तीसरा मुकाबला 7 जनवरी को सिडनी और आखिरी मैच 15 को ब्रिस्बेन में खेला जाएगा। पिछला टेस्ट 8 विकेट से जीतने वाली टीम इंडिया के लिए लगातार मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।

पहले चोटिल ईशांत शर्मा दौरे पर नहीं आए। इसके बाद मोहम्मद शमी और उमेश यादव चोटिल होकर सीरीज से बाहर हो गए। ऐसे में गेंदबाजी का पूरा दारोमदार सीनियर स्पिनर रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा के साथ पेसर जसप्रीत बुमराह के कंधों पर आ गया है। हालांकि, अश्विन और जडेजा के रिकॉर्ड्स और सीरीज के पिछले दो मैच में प्रदर्शन को देखें तो उन्होंने टीम को बहुत अच्छे से संभाला है।

अश्विन और जडेजा पर दारोमदार
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यदि ओवरऑल विकेट टेकर भारतीय गेंदबाजों को देखें, तो उसमें मौजूदा टीम से अश्विन और जडेजा ही टॉप पर काबिज हैं। टॉप-10 लिस्ट में भी मौजूदा टीम से यह दो ही गेंदबाज हैं। हालांकि, तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा 25 टेस्ट में 59 विकेट के साथ 7वें नंबर पर काबिज हैं, लेकिन वे दौरे के लिए टीम में शामिल नहीं हैं।

डे-नाइट टेस्ट में पहली बार भारतीय स्पिनर ने विकेट लिए
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज का पहला टेस्ट डे-नाइट खेला गया था। यह भारत का विदेश में पहला और ओवरऑल दूसरा पिंक बॉल टेस्ट था। इसमें पहली बार किसी भारतीय स्पिनर ने विकेट लिए थे। इस एडिलेड टेस्ट में अश्विन ने पहली पारी में 4 और दूसरी पारी में एक विकेट लिया था। हालांकि, भारतीय टीम यह टेस्ट 8 विकेट से हार गई थी। जडेजा को इस मैच में मौका नहीं मिला था।

अश्विन ने स्मिथ को फंसाया
सीरीज की 4 पारियों में अश्विन ने दिग्गज स्टीव स्मिथ को 2 बार जाल में फंसाया। अश्विन ने ही स्मिथ को बॉक्सिंग-डे टेस्ट में पहली बार शून्य पर आउट किया। यह मैच का टर्निंग पॉइंट भी रहा। यहीं से भारत ने ऑस्ट्रेलिया पर शिकंजा कसा और उसके खिलाफ लगातार दूसरा बॉक्सिंग-डे टेस्ट भी जीता। अश्विन की फिरकी का जाल ही है कि सीमित ओवरों की सीरीज में फॉर्म में दिख रहे स्मिथ 2 टेस्ट की 4 पारियों में सिर्फ 10 रन ही बना सके।

पहले टेस्ट में शर्मसार भारतीय टीम को जडेजा ने संभाला
भारतीय टीम पहले टेस्ट की दूसरी पारी में टेस्ट इतिहास के अपने सबसे छोटा 36 रन के स्कोर पर सिमट गई थी। शमी भी चोटिल होकर सीरीज से बाहर हो गए थे। इसके बाद दूसरे टेस्ट की पहली पारी में उमेश यादव भी चोटिल होकर सीरीज से बाहर हो गए। ऐसे में दूसरे टेस्ट में जडेजा को मौका मिला और उन्होंने टीम को संभालते हुए शानदार जीत भी दिलाई।

जडेजा ने दूसरे टेस्ट में फिफ्टी लगाई और 3 विकेट भी झटके

इस ऑलराउंडर ने 3 अहम विकेट लिए। साथ ही 159 बॉल पर 57 रन की शानदार पारी भी खेली। जडेजा ने कप्तान अजिंक्य रहाणे के साथ पहली पारी में छठवें विकेट के लिए 121 रन की बड़ी और निर्णायक साझेदारी भी की। इस मैच में अश्विन ने भी 5 ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को पवेलियन भेजा था। दोनों ने शमी और उमेश की गैरमौजूदगी में टीम को शानदार तरीके से संभाला और ऑस्ट्रेलियाई प्लेयर्स को फिरकी में उलझाए रखा।

सीरीज के टॉप-5 विकेट टेकर में अश्विन अकेले स्पिनर
मौजूदा बॉर्डर गावस्कर सीरीज के शुरुआती 2 मैच में ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज पैट कमिंस और अश्विन ने बराबर 10-10 विकेट लिए हैं। टॉप-5 विकेट टेकर्स में अश्विन अकेले स्पिनर हैं। भारतीयों में पेसर बुमराह 8 विकेट के साथ चौथे नंबर पर हैं। वहीं, जडेजा ने एक ही मैच खेला और 3 विकेट झटके हैं।



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India Vs Australia Top Wicket-takers; Ravichandran Ashwin And Ravindra Jadeja


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पढ़िए, दि इकोनॉमिस्ट की चुनिंदा स्टोरीज सिर्फ एक क्लिक पर

1. एक सर्वे के अनुसार न्यूयॉर्क में ज्यादा कमाने वाले आधे से अधिक लोग पूरी तरह घर से काम कर रहे हैं। 44% लोग शहर छोड़ने का विचार कर रहे हैं। घर से काम करने वाले लोगों को भी न्यूयॉर्क टैक्स चुकाना होता है। यदि छह अंकों में पैसा कमाने वाले 5% लोग न्यूयॉर्क छोड़ देंगे तो सालाना सात हजार करोड़ रुपए का नुकसान होगा। क्यों लोगों का नहीं जंच रहा न्यूयॉर्क, जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख...

2. ई-कॉमर्स का भविष्य पश्चिमी देशों में नहीं बल्कि चीन में तय हो रहा है। चीन का ई-रिटेल बाजार अमेरिका और यूरोप के संयुक्त बाजार से बढ़कर 14.60 लाख करोड़ रुपए का हो गया है। अमेरिका में 2020 में 30 रिटेलर कारोबार समेट चुके हैं। आखिर कैसे ई-कॉमर्स में एकाधिकार कर पा रहा है चीन, जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख...

3.चीन दावा कर रहा है कि देश के इतिहास में पहली बार कोई व्यक्ति निराश्रित नहीं बचा है। उसने दिसंबर में एलान किया था कि देश में घोर गरीबी खत्म हो चुकी है। विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार पिछले चार दशकों में 80 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी की रेखा से बाहर निकल चुके हैं। चीन के इस दावे में कितना दम है, जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख...

4.हर देश अधिक पुल और बिजली ग्रिड बनाना चाहता है पर यह आसान नहीं। इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के साथ समस्याओं का अंबार लगा है। अमेरिका, जर्मनी सहित यूरोपीय देशों में भी बुनियादी ढांचे के साथ समस्याएं आ रही हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर पर दुनियाभर के देश भारी-भरकम पैसा खर्च करना चाहते हैं, लेकिन समस्याएं भी जुड़ी हुई हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर पर क्या कहती है रिपोर्ट, जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख...

5. कोरोना से संघर्षरत दुनिया को उम्मीदों के बीच नई समस्याओं का सामना करना पड़ा है। ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में वायरस की दो अलग किस्में तेजी से फैली हैं। परिवर्तनों के कारण वे अधिक संक्रामक हो गए हैं। अधिक फैलने वाले कोविड-19 से अस्पतालों पर अधिक बोझ पड़ सकता है। कैसे नया स्ट्रेन मुश्किलें बढ़ा सकता है, जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख...

6. कोरोना महामारी पर कुछ किताबें बाजार में आई हैं। इनमें शामिल हैं निकोलस क्रिस्टाकिस की अपोलोज एरो, इवान क्रेस्टेव की इज इट टुमारो यट? फरीद जकारिया की टेन लैसंस फॉर अ पोस्ट पैनडेंमिक वर्ल्ड और स्कॉट गैलोवे की पोस्ट कोरोना। ऐसी ही रोचक किताबों के बारे में जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख...



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हिमाचल में अटल टनल दो दिन के लिए बंद, राजस्थान में ओले गिरे तो MP में रुक-रुककर बारिश

नए साल के आगाज से ही प्रदेश में मौसम का मिजाज बदला हुआ है। देश के पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी जारी है। हिमाचल प्रदेश में अटल टनल को दो दिन के लिए बंद कर दिया गया है। राजस्थान में ओलावृष्टि हुई है तो मध्य प्रदेश में रुक रुककर बारिश का क्रम जारी है। उत्तर भारत के कई क्षेत्रों बारिश भी हुई है। मौसम विभाग ने पांच जनवरी को भी भारी बर्फबारी की चेतावनी जारी की है। मंगलवार को मैदानी और निचले इलाकों में बारिश और बिजली गिरने का अलर्ट है।

हिमाचल में बर्फबारी का दौर जारी, अटल टनल 2 दिन बंद

भारी बर्फबारी के चलते हिमाचल प्रदेश पूरी तरह से शीत लहर की चपेट में आ गया है। बर्फबारी के कारण अटल टनल रोहतांग से 2 दिनों तक सामान्य वाहनों पर रोक लगा दी गई है। सिर्फ आपातकालीन वाहनों को ही टनल से जाने दिया जाएगा। जनजातीय जिला लाहौल स्पीति और कुल्लू प्रशासन ने मौसम के मिजाज को देखते हुए यह निर्णय लिया है।

बर्फबारी से हिमाचल की 164 सड़कें यातयात की आवाजाही के लिए पूरी तरह से बंद है। चंबा में 4, लाहौल स्पीति में 154, मंडी में 2, और शिमला में भी 2 सड़कों पर यातायात बाधित है। कुल्लू में 5 बिजली के खंभों के टूटने से क्षेत्र में लोगों को बिजली की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

मध्य प्रदेश में रुक-रुककर हुई बारिश, कोहरा भी छाया

राजस्थान में बने चक्रवात का असर मध्यप्रदेश में भी दिख रहा है। सोमवार के दिन कई जिलों में रुक-रुककर बारिश हुई और कई जगहों पर कोहरा भी छाया रहा। भोपाल में 1.9 मिमी बारिश हुई। इस दौरान शहर में विजिबिलिटी 600 से 800 मीटर के बीच रही। इस वजह से मौसम में घुली ठंडक के कारण दिन के तापमान में 8.6 डिग्री की गिरावट हुई। बादलों के कारण रात का तापमान दूसरे दिन भी सामान्य से 6 डिग्री ज्यादा 16.7 डिग्री दर्ज किया गया। वहीं, प्रदेश में उज्जैन, ग्वालियर-चंबल संभागों के इलाकों में भी बारिश हुई।

71 का युद्ध जीतने के जश्न में देशभर में घुमाई जा रही मशाल भोपाल पहुंची, यहां बारिश की बूंदों ने मशाल का स्वागत किया।

पूरे राजस्थान में हल्की बारिश के साथ ओले भी गिरे

राजधानी जयपुर सहित पूरे राजस्थान में हल्की बारिश के साथ ओलावृष्टि हो रही है और लगातार कोहरा भी छा रहा है। सोमवार को जोधपुर में लगातार तीसरे दिन कोहरामय रहा। वहीं श्रीमाधोपुर में 15 एमएम बारिश दर्ज की गई।

चौबीस घंटे में जयपुर के अंदर 7.8 मिमी बारिश हुई। बीते दो दिन में 14.3 मिमी मावठ गिर चुकी है, जोकि पिछले 3 साल में जनवरी में सबसे ज्यादा हैं। इससे पहले 2017 में जनवरी महीने में 21.8 मिमी बारिश रिकार्ड हुई थी।

झुंझुनूं में ओले गिरने से फसलों को भारी नुकसान हुआ है।

दिल्ली में 7 जनवरी के बाद बढ़ेगी ठंड

पहाड़ी क्षेत्रों में हुई बर्फबारी का असर मैदानी क्षेत्रों पर भी पड़ रहा है। दिल्ली में हुई बारिश के बाद तापमान में गिरावट होने के साथ ठंड बढ़ने का क्रम भी जारी है। मौसम विभाग के मुताबिक 7 जनवरी के बाद दिल्ली के तापमान में गिरावट आने के साथ ठंड बढ़ेगी।

दिल्ली में हुई बारिश के बाद सुबह कोहरे की चादर छा जाती है।

हरियाणा के कई जिलों में बारिश, भिवानी में गिरे ओले

लगातार तीसरे दिन हरियाणा में हल्की बारिश हुई। भिवानी में कहीं-कहीं ओले भी गिरे। रात का तापमान सामान्य से 6 डिग्री तक ऊपर चला गया है। रोहतक में यह 12.4 डिग्री रहा। वहीं, दिन का पारा अम्बाला में 24.1 डिग्री पर पहुंच गया। यह सामान्य से 3 डिग्री ज्यादा है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अमूमन 1 जनवरी से 10 दिन तक काफी पाला जमता है।

भिवानी में शाम 4 बजे शुरू हुई बारिश, देर रात तक चलती रही।

इधर, चंडीगढ़ में 10 डिग्री बढ़ा तापमान

पिछले दो दिन से चंडीगढ़ में अधिकतम तापमान में 10 डिग्री की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। दो जनवरी को तापमान 15.7 डिग्री था, जो 4 जनवरी को बढ़कर 25.8 डिग्री हो गया। मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ के कमजोर पड़ने की वजह से धूप अच्छी निकली, जिस वजह से तापमान में इतना इजाफा हुआ है।



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अटल टनल को बहाल करने में बीआरओ दिन-रात लगा हुआ है।


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मां द्वारा बनाए गए भोजन का हमेशा सम्मान करें, क्योंकि इसी को खाने से मन को तृप्ति मिलती है

कहानी- एक बार कुबेर देव ने सोचा कि मेरे पास इतना धन है तो मुझे कुछ खास लोगों को भोजन पर आमंत्रित करना चाहिए। कुबेर शिवजी के पास पहुंचे और उन्हें सपरिवार अपने घर खाने पर बुलाया।

शिवजी ने कुबेर से कहा, 'आप हमें खाने पर बुला रहे हैं, इससे अच्छा तो ये है कि आप जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाएं।'

कुबेर बोले, 'भगवन्, मैं अन्य लोगों को तो खाना खिलाता रहता हूं। मेरे पास इतना धन है, तो मैं आपके परिवार को भी भोजन कराना चाहता हूं।'

शिवजी समझ गए कि कुबेर को अपने धन का घमंड हो गया है। वे बोले, 'मैं तो कहीं आता-जाता नहीं हूं, आप एक काम करें, गणेश को ले जाएं। उसे भोजन करा दें। लेकिन, ध्यान रखें गणेश की भूख अलग प्रकार की है।'

कुबेर ने कहा, 'मैं सभी को खाना खिला सकता हूं तो गणेशजी को भी खिला दूंगा।'

अगले दिन गणेशजी कुबेर देव के घर पहुंच गए। कुबेर ने उनके लिए बहुत सारा खाना बनवाया था। गणेशजी खाने के लिए बैठे तो पूरा खाना खत्म हो गया। उन्होंने और खाना मांगा। कुबेर ये देखकर घबरा गए। उन्होंने और खाना तुरंत बनवाया तो वह भी खत्म हो गया। गणेशजी बार-बार खाना मांग रहे थे।

कुबेर बोले, 'अब सारा खाना खत्म हो गया है।' गणेशजी ने कहा, 'मुझे अपने रसोईघर में ले चलो, मेरी भूख शांत नहीं हुई है।'

कुबेर गणेशजी को रसोईघर में ले गए तो वहां रखी खाने की सभी चीजें भी खत्म हो गईं, लेकिन गणेशजी अब भी भूखे ही थे। उन्होंने कहा, 'मुझे भंडार गृह में ले चलो, जहां खाने का कच्चा सामान रखा है। कुबेर भगवान को अपने भंडार गृह में ले गए तो गणेशजी ने वहां रखी खाने की सभी चीजें भी खा लीं।

अब कुबेर देव को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए, जिससे गणेशजी तृप्त हो जाएं।

कुबेर तुरंत ही शिवजी के पास पहुंचे। उन्होंने पूरी बात बता दी। शिवजी ने गणेशजी को देखा और कहा, 'जाओ, माता पार्वती को बुलाकर लाओ।'

मां पार्वती को देखकर गणेश ने कहा, 'मां, कुबेर देव के खाने से मेरी भूख शांत नहीं हुई है। मुझे खाने के लिए कुछ दीजिए।'

पार्वती अपने रसोईघर में गईं और खाना बनाकर ले आईं। उन्होंने जैसे ही अपने हाथ से खाना खिलाया तो गणेश को तृप्ति मिल गई। मां और खिलाने लगी तो गणेशजी ने कहा, मां मेरा पेट भर गया है। अब मैं नहीं खा सकता।'

माता ने फिर कहा, 'बेटा और खा लो।'

तब गणेश उठ गए और बोले, 'मां, मैं और खाऊंगा तो मेरा पेट ही फट जाएगा।' ये बोलकर गणेशजी वहां से चले गए।

सीख- इस कथा से हमें दो सीख मिलती है। पहली, हमें अपने धन पर घमंड नहीं करना चाहिए। दूसरी, मां द्वारा बनाए गए भोजन का हमेशा सम्मान करें। जो तृप्ति माता के हाथों से बने भोजन से मिलती है, वह बाहर के खाने से नहीं मिलती है।



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aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshankar mehta, story of kuberdev and lord ganesh, we should always respect the food made by the mother


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7वीं पास युवक की पहल,  5 साल तक की बच्चियों को जन्मदिन पर फ्री में केक देते हैं, हर साल 7 हजार किलो केक बांटते हैं

सुनील पालडिया। आज की पॉजिटिव स्टोरी में हम आपको ऐसे शख्स से मिलवाने जा रहे हैं, जिसने बेटी बचाओ अभियान को अलग ही तरीके से आगे बढ़ाने का काम किया है। सूरत के रहने वाले संजय चोडवडिया गरीब तबके की 5 साल की बच्चियों को उनके जन्मदिन पर फ्री में केक देते हैं। शहर में बेकरी चलाने वाले संजय अब तक हर साल 7 लाख रुपए की कीमत के 7 हजार से ज्यादा केक बांट रहे हैं। उनका यह अभियान पिछले 12 सालों से लगातार जारी है।

मूलत: अमरेली जिले के सावरकुंडला शहर के रहने वाले संजय चोडवडिया करीब 20 सालों से सूरत में रह रहे हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के चलते वे सिर्फ 7वीं कक्षा तक ही पढ़ सके और इसके बाद रोजगार की तलाश में सूरत आ गए थे। सूरत आने के बाद उन्होंने 8 सालों तक डायमंड फैक्ट्री में हीरे घिसने का काम किया। इसके बाद एम्ब्रायडरी के कारखाने में और फिर खुद की बेकरी शुरू की थी। वे पिछले 12 सालों से डभोली इलाके में घनश्याम बेकरी और केक नाम से दुकान चला रहे हैं। अब इसी नाम से 14 ब्रांच भी हैं।

संजय ने सरकारी अस्पताल से बच्चियों के जन्म की जानकारी लेकर उसके घर केक पहुंचाने से शुरूआत की थी।

मोरारी बापू के प्रवचन सुनकर शुरू किया अभियान

संजय बताते हैं ‘यह करीब 12 साल पुरानी बात है। कतारगाम इलाके में कथावाचक मोरारी बापू के प्रवचन हो रहे थे। बापू का यह प्रवचन बेटी बचाओ अभियान को लेकर था। बापू के इसी प्रवचन को सुनने के बाद मैंने अभियान में जुड़ने का फैसला कर लिया था और इसके लिए सबसे अलग तरीका अपनाया। मैंने गरीब तबके की बच्चियों के जन्मदिन पर केक देना शुरू किया और इसके लिए सरकारी अस्पताल से बच्चियों के जन्म की जानकारी लेकर उसके घर केक पहुंचाने से शुरूआत की थी। इसके बाद जन्म तारीख नोट कर बेटी के लगातार 5 साल के होने तक उसके घर केक पहुंचाने का सिलसिला जारी रहता है।’

कई सामाजिक संस्थाएं कर चुकीं सम्मानित

संजयभाई कहते हैं कि बेटियां आगे बढ़ेंगी तो ही सही मायने में देश आगे बढ़ेगा। इसके लिए सभी लोग सच्चे मन से प्रयत्न करें तो परिवर्तन ला सकते हैं। इसके लिए हमें किसी का इंतजार किए बगैर ही आगे बढ़ जाना चाहिए। संजय ने पहले साल 1 हजार किलो केक बांटकर इस अभियान की शुरुआत की थी। आज उनकी 14 ब्रांचों से हर साल 7 हजार किलो केक बेटियों के घर पहुंचाए जा रहे हैं। संजय की किसी भी ब्रांच से संपर्क कर परिवार फ्री में केक ले सकता है। संजय की इस अद्भुत पहल के लिए कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।

इस अभियान को लिम्का बुक रिकार्ड में नाम दर्ज करने की तैयारी भी चल रही है।

लिम्का बुक रिकार्ड में नाम दर्ज करने की तैयारी

संजय की बेकरी की ओर से बच्चियों के लिए 100 रुपए की कीमत का 250 ग्राम केक फ्री में दिया जाता है। अब वे हर साल 7000 किलो केक मुफ्त में बांट रहे है, जिसकी कीमत 7 लाख रुपए होती है। संजय बताते हैं कि उनसे कई लोगों ने इसके बारे में पूछा कि केक देने से क्या होता है। इसके जवाब में संजय कहते हैं कि बर्थडे के दिन उस प्यारी सी बच्ची के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है बस। संजय के इस अभियान से जुड़े कुछ लोगों के बताए अनुसार इस अभियान को लिम्का बुक रिकार्ड में नाम दर्ज करने की तैयारी चल रही है।



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संजय कहते हैं कि जन्मदिन पर केक देने के बाद बच्चियों के चेहरे पर मुस्कुराहट देखकर उन्हें बेहद सुकून मिलता है।


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उस मुगल बादशाह का जन्म, जिसने दुनिया के लिए प्रेम का प्रतीक बनाया

पांच जनवरी 1592 को जुमेरात (गुरुवार) के दिन जहांगीर की बेगम ने एक बेटे को जन्म दिया। जहांगीर ने अपने पिता अकबर से उसके बेटे का नाम रखने की इच्छा जताई। अकबर ने उसे खुर्रम बुलाया। फारसी में खुर्रम का मतलब होता है खुशी। पैदाइश के छठवें दिन खुर्रम को अकबर की बेगम रुकैया के हवाले कर दिया गया। क्योंकि बेगम रुकैया की कोई संतान नहीं थी, इसलिए उसने खुर्रम को गोद ले लिया।

अकबर खुर्रम के दादा थे। खुद अनपढ़ थे, लेकिन उन्होंने खुर्रम को तालीम दिलवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। साथ ही बढ़िया उस्तादों से उसे जंग के सबक भी सिखवाए। अकबर का खुर्रम से इतना लगाव हो गया था कि वो जंग में खुर्रम को भी साथ ले जाने लगा। यहीं से सफर शुरू हुआ खुर्रम के 'शाहजहां' बनने का।

फिर तख्त पर आया शाहजहां
1627 में जहांगीर की मौत हो गई। उसकी मौत के बाद 1628 में खुर्रम ने तख्त संभाला। तख्त संभालने के बाद खुर्रम का नाम शाहजहां हो गया। शाहजहां यानी दुनिया का राजा। शाहजहां ने उत्तर दिशा में कंधार तक अपना राज्य फैला दिया और दक्षिण भारत का ज्यादातर हिस्सा जीत लिया। शाहजहां ने 1658 तक राज किया और इन 30 सालों के राज में उसने काफी कुछ हासिल किया।

मुमताज से मोहब्बत
जहांगीर के दौर में वजीर थे एतमाउद्दौला। इन्हीं एतमाउद्दौला के बेटे थे अबु हसन आसफ खान। और इन्हीं अबु हसन आसफ खान की बेटी थीं अर्जुमंद बानो। अर्जुमंद बानो जिन्हें बाद में मुमताज के नाम से जाना गया। मुमताज शाहजहां की तीसरी पत्नी थी। उनसे पहले शाहजहां की दो और बेगम थीं।

अप्रैल 1607 में 14 साल की अर्जुमंद और 15 साल के खुर्रम की सगाई हुई। फिर 10 मई 1612 को सगाई के करीब 5 साल बाद दोनों का निकाह हुआ। अर्जुमंद से सगाई और निकाह के बीच खुर्रम ने दो और शादियां की थीं।

कहते हैं कि मुमताज और शाहजहां के बीच बहुत ज्यादा मोहब्बत थी। दोनों के 13 बच्चे हुए। निकाह से लेकर मौत तक मुमताज करीब हर साल गर्भवती रहीं। जून 1631 में 14वें बच्चे को जन्म देने के दौरान मुमताज की मौत हो गई। ऐसा बताया जाता है कि मुमताज की मौत के दो साल बाद तक शाहजहां ने भोग विलास के सारे सुख छोड़ दिए थे। उनके बाल-दाढ़ी बढ़ गए थे।

मुमताज की याद में बनाया ताजमहल
शाहजहां को वास्तुकार का राजा भी कहा जाता है। उसने अपने शासनकाल में बहुत सी इमारतें बनवाईं। इन्हीं इमारतों में से एक ताजमहल है। 1631 में जब मुमताज की मौत हो गई, तो शाहजहां ने उसके मकबरे के लिए ताजमहल बनवाया।

ताजमहल के चीफ आर्किटेक्ट थे उस्ताद ईशा खान, जो उस समय के मशहूर आर्किटेक्ट थे। ताजमहल बनाने में फारस और तुर्की के अलावा भारत के 20 हजार मजदूरों ने काम किया। एक हजार हाथी तो सिर्फ माल ढोने के लिए लगे थे।

ताजमहल को बनाने में 22 साल का वक्त लगा। 1631 में शुरू हुआ इसका निर्माण कार्य 1653 में पूरा हुआ। ताजमहल के पीछे शाहजहां काला ताज भी बनाना चाहते थे, लेकिन अपने बेटे औरंगजेब के साथ उनका टकराव शुरू हो गया। 22 जनवरी 1966 को आगरा में शाहजहां की मौत हो गई।

भारत और दुनिया में 5 जनवरी की महत्वपूर्ण घटनाएं :

  • 2014: भारतीय संचार उपग्रह जीसैट-14 को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया गया।
  • 2009: नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
  • 2003: अल्जीरिया में विद्रोहियों के हमले में 43 सैनिक मरे।
  • 2000: अंतरराष्ट्रीय फुटबाल एवं सांख्यिकी महासंघ ने 'पेले' को शताब्दी का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया।
  • 1993: करीब 85,000 टन कच्चा तेल ले जा रहा एक तेल टैंकर शेटलैंड द्वीप के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
  • 1970: चीन के यून्नान प्रांत में रिक्टर पैमाने पर 7.7 तीव्रता वाले भूकंप से 15000 लोगों की मौत।
  • 1955: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कलकत्ता (अब कोलकाता) में जन्म।
  • 1941: क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी का भोपाल में जन्म।
  • 1934: भारतीय जनता पार्टी के नेता मुरली मनोहर जोशी का जन्म।
  • 1671: छत्रपति शिवाजी महाराज ने मुगलों से सल्हर क्षेत्र को अपने कब्जे में किया।
  • 1659: खाजवाह की लड़ाई में औरंगजेब ने शाह शुजा को हराया।


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Today History: Aaj Ka Itihas India World 4 January Update | GSAT-14 Deployed Successfully, Mughal Emperor Shah Jahan Interesting Facts


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नए संसद भवन के कंस्ट्रक्शन पर आज फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट; गलत तरीके से प्रोजेक्ट को मंजूरी देने का आरोप लगा है

नए संसद भवन के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से जुड़ी कई याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा। इन याचिकाओं में नई संसद को लेकर पर्यावरण मंजूरी समेत कई मुद्दों को उठाया गया है।
सेंट्रल विस्टा परियोजना का ऐलान सितंबर, 2019 में हुआ था। इसमें संसद की नई त्रिकोणीय इमारत होगी जिसमें एक साथ लोकसभा और राज्यसभा के 900 से 1200 सांसद बैठ सकेंगे। इसका निर्माण 75वें स्वतंत्रता दिवस पर अगस्त, 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा। जबकि, केंद्रीय सचिवालय का निर्माण 2024 तक पूरा करने की तैयारी है।

5 नवंबर को ही फैसला सुरक्षित रख लिया था
जस्टिस एएम खानविल्कर, दिनेश महेश्वरी और संजीव खन्ना की बेंच इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी। यह फैसला अदालत ने पिछले साल पांच नवंबर को ही सुरक्षित रख लिया था। हालांकि पिछले साल सात दिसंबर को केंद्र सरकार के अनुरोध पर कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की भूमि पूजन की अनुमति दे दी थी। केंद्र सरकार ने इसके लिए कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वह लंबित याचिकाओं पर फैसला आने तक कोई भी कंस्ट्रक्शन, तोड़फोड़ या पेड़ काटने का काम नहीं करेगा। इसके बाद 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी।
पिटीशनर्स के 3 दावे

  • प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण मंजूरी गलत तरीके से दी गई।
  • कंसल्टेंट चुनने में भेदभाव किया गया।
  • जमीन के इस्तेमाल में बदलाव की मंजूरी गलत तरीके से दी गई।

क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट?
राष्ट्रपति भवन, मौजूदा संसद भवन, इंडिया गेट और राष्ट्रीय अभिलेखागार की इमारत को वैसा ही रखा जाएगा। सेंट्रल विस्टा के मास्टर प्लान के मुताबिक पुराने गोलाकार संसद भवन के सामने गांधीजी की प्रतिमा के पीछे नया तिकोना संसद भवन बनेगा। यह 13 एकड़ जमीन पर बनेगा। इस जमीन पर अभी पार्क, अस्थायी निर्माण और पार्किंग है। नए संसद भवन में दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के लिए एक-एक इमारत होगी, लेकिन सेंट्रल हॉल नहीं बनेगा। पूरा प्रोजेक्ट 20 हजार करोड़ रुपए का है।



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Supreme Court to give verdict on construction of new parliament building today; Accused of wrongly approving the project


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कोवीशील्ड और कोवैक्सिन तो मंजूर हो गई, भारत में बाकी वैक्सीन का क्या है स्टेटस?

ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) वीजी सोमानी ने कोवीशील्ड और कोवैक्सिन को आपात मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही भारत में 30 करोड़ लोगों के प्रायोरिटी ग्रुप को वैक्सीनेट करने की प्रक्रिया तेज हो गई है।

कोवीशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका ने बनाया है। भारत में इसे अदार पूनावाला की कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) बना रही है। वहीं, कोवैक्सिन को हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी (NIV) के साथ मिलकर बनाया है।

इन दोनों वैक्सीन को अप्रूवल मिलने के बाद, अब भी सात वैक्सीन ऐसी हैं, जिन पर भारत में काम हो रहा है। जानिए उनका स्टेटस क्या है और वे कब तक उपलब्ध होगी?

1. ZyCoV-D (जायडस कैडिला)
अहमदाबाद की कंपनी जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन को DNA प्लेटफॉर्म पर बनाया जा रहा है। कैडिला इसके लिए बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के साथ मिलकर काम कर रही है।
स्टेटसः DCGI ने कैडिला की वैक्सीन को फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल्स की अनुमति दे दी है।
कब मिलेगीः कम से कम तीन महीने का वक्त लग सकता है।

2. स्पुतनिक V (डॉ. रेड्डी'ज लैबोरेटरी)
रूस के गामालेया इंस्टिट्यूट की बनाई इस वैक्सीन को रूस समेत कुछ देशों में अप्रूवल मिल चुका है। रूसी इंस्टिट्यूट का दावा है कि फेज-3 ट्रायल्स के अंतरिम नतीजों में यह वैक्सीन 91.4% इफेक्टिव साबित हुई है। रूस में अगस्त में वैक्सीनेशन शुरू हुआ था। अब तक एक लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है।
स्टेटसः भारत में डॉ. रेड्डी'ज लैबोरेटरी इस वैक्सीन के फेज-2/3 ट्रायल्स कर रही है।
कब मिलेगीः फरवरी तक डॉ. रेड्डी'ज के ट्रायल्स पूरे होने की उम्मीद है। भारत में इसके 30 करोड़ डोज उपलब्ध होंगे।

3. NVX-Cov 2373 (सीरम इंस्टिट्यूट)
अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स ने यह वैक्सीन बनाई है। इसके फेज-3 ट्रायल्स अमेरिका और मैक्सिको में पिछले महीने ही शुरू हुए हैं। इसमें 30 हजार वॉलंटियर शामिल होंगे।
स्टेटसः भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ही इसे बना रहा है। इसके फेज-2/3 ट्रायल्स पर विचार हो रहा है।
कब मिलेगीः ट्रायल्स में कम से कम तीन महीने लग जाएंगे। यानी अप्रैल के बाद ही यह उपलब्ध होगी।

4. डायनावैक्स वैक्सीन (बायोलॉजिकल E)
हैदराबाद की कंपनी बायोलॉजिकल E लिमिटेड ने ह्यूस्टन में बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन और अमेरिका की ही कंपनी डायनावैक्स टेक्नोलॉजी कॉर्प के साथ मिलकर इस वैक्सीन को बनाया है।
स्टेटसः बायोलॉजिकल E ने नवंबर में इसके शुरुआती ट्रायल्स किए हैं। नतीजे फरवरी अंत तक आ सकते हैं।
कब मिलेगीः अप्रैल में फेज-3 ट्रायल्स शुरू होंगे यानी जुलाई से पहले तो वैक्सीन मिलने से रही।

5. भारत की mRNA वैक्सीन (जेनोवा फार्मा)
पुणे की कंपनी जेनोवा फार्मा मैसेंजर-RNA (mRNA) प्लेटफॉर्म पर वैक्सीन HGCO19 बना रही है। इसके लिए जेनोवा ने अमेरिका की HDT बायोटेक कॉर्पोरेशन के साथ हाथ मिलाया है। यह वैक्सीन फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन की तरह mRNA वैक्सीन प्लेटफॉर्म पर बनी है। इसे केंद्र सरकार के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट की ओर से Ind-CEPI मिशन के तहत आर्थिक मदद दी गई है।
स्टेटसः फेज-1 ट्रायल्स शुरू होने वाले हैं। इसके लिए 120 वॉलंटियर्स को एनरोल किया जाएगा।
कब मिलेगीः कम से कम छह महीने तो ट्रायल्स और रेगुलेटरी प्रोसीजर में लग ही जाएंगे। जुलाई के बाद ही मिलेगी।

6. नैजल वैक्सीन (भारत बायोटेक)
हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक इस समय दो नैजल वैक्सीन बना रही है। इनमें से एक वैक्सीन यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के स्कूल ऑफ मेडिसिन के साथ मिलकर बना रहे हैं और दूसरी अमेरिकी कंपनी फ्लूजेन और यूनिवर्सिटी ऑफ विसकॉन्सिन-मैडिसन के साथ।
स्टेटसः फेज-1 ट्रायल्स जल्द ही शुरू होंगे। छह से सात महीने लग जाएंगे।
कब मिलेगीः सितंबर के बाद ही यह वैक्सीन उपलब्ध होगी। अच्छी बात यह है कि यह सिंगल डोज होगी और नाक में ड्रॉप्स के जरिए डाली जाएगी।

7. अरबिंदो फार्मा वैक्सीन
अरबिंदो फार्मा ने अमेरिकी सहायक कंपनी ऑरो वैक्सीन के साथ मिलकर इस वैक्सीन पर काम शुरू किया है। इसे प्रोफेक्टस बायोसाइंसेस ने विकसित किया है। इसके अलावा कंपनी अमेरिकी कंपनी COVAXX की वैक्सीन भी भारत में बनाएगी और बेचेगी।
स्टेटसः यह वैक्सीन इस समय प्री-क्लीनिकल ट्रायल्स में है।
कब मिलेगीः सब कुछ ठीक रहा तो इसके ट्रायल्स छह से सात महीने चल सकते हैं। यानी सितंबर के बाद मिलेगी।



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Coronavirus Vaccine Tracker India Latest Status Update; Zydus Cadila Sputnik V Covishield Covaxin To Biological E Dynavax


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एक गली में आठ लाशें, कहीं बच्चे बिलख रहे हैं तो कहीं मां-बाप; परिजन बोले- हमें दो लाख नहीं, परिवार चाहिए

मुरादनगर में भ्रष्टाचार के दानवों के सामने लगता है भगवान भी बेबस हो गए। 'एक मौत उस घर में हुई है, एक उसमें, वहां उस घर में भी दो लोग मरे हैं, हमारी इस गली में ही आठ लोगों की मौत हुई है।' मुरादनगर की डिफेंस कॉलोनी में एक घर के बाहर बैठी ये महिला उंगलियों पर गिनकर श्मशान स्थल पर हुए हादसे में मारे गए लोगों के बारे में बता रही है।

गाजियाबाद प्रशासन ने हादसे में अभी तक 25 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है। बीस से ज्यादा लोग घायल हैं। इस गली में घरों के बाहर लोग खामोश बैठे हैं। कुछ घरों में शव रखे हैं, जबकि कुछ शवों को गाजियाबाद-मेरठ रोड पर रखकर जाम लगा दिया गया है।

67 साल के ओमप्रकाश का शव घर में अकेले रखा गया है। महिलाएं विलाप करते-करते खामोश हो गई हैं। बाहर बैठे लोग ये कहकर दिलासा दे रहे हैं कि ये तो रिटायर हो गए थे, जिम्मेदारियां पूरी कर दी थीं लेकिन उनके परिवारों का क्या जो अकेले कमाने वाले थे? 11 साल की अनुष्का ने हादसे से कुछ देर पहले ही अपने पिता से फोन करके जल्दी घर आने के लिए कहा था। लेकिन अब उनकी लाश घर के बरामदे में रखी हैं।

अनुष्का की आंखें पथरा गई है, वो सामने पैदा हुए हालात को समझ नहीं पा रही है। मां पहले से ही मानसिक रूप से कमजोर हैं जिसकी बीमारी की वजह से दो साल पहले बड़ी बहन ने आत्महत्या कर ली थी। अब मौसी ने उसका हाथ थामा हुआ है। अनुष्का नहीं जानती आगे जिंदगी में क्या होगा। उसके पिता सतीश कुमार राजस्व विभाग में पेशकार थे।

यहां से कुछ ही दूर ओमकार का घर है। 48 साल के ओमकार सब्जी बेचते थे। उनके छोटे भाई अंतिम संस्कार की तैयारियां कर रहे थे। शैया तैयार करते हुए वो कहते हैं, 'मेरे भाई के दो छोटे-छोटे बच्चे हैं, उनका पेट अब कैसे पलेगा?' चार बच्चों के पिता नीरज का घर भी यहीं हैं। उनकी मौत के बाद अब परिजन सवाल करते हैं, 'घर बनाने के लिए लिया गया कर्ज कौन उतारेगा। बच्चों का पेट कौन भरेगा। दो लाख का मुआवजा क्या इस परिवार के लिए काफी होगा?'

पत्रकार मुकेश सोनी अपने घर के बाहर खामोश बैठे हैं। वो अपने 22 वर्षीय बेटे दिग्विजय कि चिता को आग लगाकर आए हैं। उनसे मिलने आए कुछ पत्रकार दिलासा देते हुए व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार की दुहाई दे रहे हैं। बेटे का नाम आते ही मुकेश फफक पड़ते हैं। शब्द उनके गले में फंस जाते हैं। उनकी बेबस आंखें बोलती हैं। मानो कह रही हों, जो पत्रकार जीवन भर भ्रष्टाचार पर लिखता रहा, उसका अपना बेटा ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और वो कुछ नहीं कर पाया।

दिग्विजय की नानी का घर सटा हुआ है। उसे बचपन से नानी ने ही पाला था। अपने घर के सबसे बड़े बच्चे की मौत से नानी बदहवास हैं। वो बार-बार रोते हुए कहती हैं, 'मुझे दो लाख नहीं चाहिए, अपना बच्चा चाहिए। मुझसे तीन लाख ले जाओ, मेरे बेटा ला दो।'

वो श्मशान स्थल यहां से बहुत दूर नहीं है जिसकी हाल में बनी गैलरी पहली बारिश में ही ढह गई। हादसे की खबर पाकर नानी बदहवासी में वहां पहुंची थीं। घायलों और मारे गए लोगों की भीड़ में उन्होंने अपने लाल का खून से लथपथ चेहरा पहचान लिया था।

अब यहां खून से सने जूते चप्पल कंक्रीट के ढेर में पड़े हैं। खून से सनी छतरियां पड़ी हैं। लैंटर में लगे सरिए तुड़-मुड़कर जाल बन गए हैं। मलबा छुओ तो हाथ में रेत आ जाती है। श्मशान में तीन चिताएं जल रही हैं।

दयाराम, जिनकी अंत्येष्टि में आस-पड़ोस के लोग और रिश्तेदार आए थे, उनकी ठंडी हो चुकी चिता से फूल चुने जा रहे थे। उनके अंतिम संस्कार के बाद पंडित ने लोगों से दो मिनट का मौन धारण करने के लिए कहा था। हल्की-हल्की बूंदाबांदी हो रही थी। लोग गैलरी के नीचे खड़े हुए थे कि लैंटर भरभराकर गिर गया।

गौरव पास ही आग से हाथ ताप रहे थे। तेज आवाज सुनकर वो मौके पर पहुंचे थे। वो बताते हैं, 'लोग बल्ली लगाकर घायलों को निकालने लगे लेकिन कोई निकला नहीं। पहले एक ही क्रेन आई थी, दूसरी क्रेन दो घंटे बाद आई थी। यहां एक लड़का पड़ा था, उसकी सांसें चल रहीं थीं, उसे निकालने की बहुत कोशिश की गई लेकिन निकाला नहीं जा सका।'

शिवम भी मौके पर पहुंचे थे। वो कहते हैं, 'यहां एक बुजुर्ग पड़े थे, वहां एक बुजुर्ग मरे पड़े थे। बस तीन चार लोग जिंदा थे। बाकी ने धीरे-धीरे दम तोड़ दिया था। जिसके हाथ में जो आ रहा था उससे लैंटर तोड़ने की कोशिश कर रहा था।'

शाम होते-होते जब मलबा साफ हुआ, कई घरों के चिराग बुझ गए। मारे गए लोगों की हालत ऐसी थी कि देखने वालों के दिल दहल गए। हादसे के बाद मौके पर पहुंची एक महिला कहती हैं, 'किसी के हाथ पैर नहीं थे, किसी का चेहरा आधा था तो किसी का दिल बाहर निकला हुआ था। सरिए लोगों के अंदर घुस गए थे।'


श्मशान का हाल ही में सौंदर्यीकरण हुआ है। जो गैलरी गिरी है पंद्रह दिन पहले ही उसकी शटरिंग खुली थी। अभी अधिकारिक तौर पर उसका उद्घाटन भी नहीं हुआ था। सामने भगवान शिव की सफेद रंग की विशालकाय मूर्ति है जिसकी आंखों के सामने लोगों ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ा। मानों भ्रष्टाचार के दानव के सामने वो भी बेबस हो गए हैं।

मोक्ष के द्वार श्मशान में लोग अपना लालच छोड़कर दाखिल होते हैं लेकिन यहां तो लालची लोगों ने मोक्षधाम को ही निगल लिया। यहां एक दीवार पर लिखा है, 'तुम धर्म की दीवार गिराओगे तो भगवान तुम्हारे घर की दीवार गिरा देगा।' लेकिन शायद ये गैलरी गिराने वालों के घरों की दीवारें ना गिरें क्योंकि उन्होंने अपने घर में पक्का सीमेंट लगाया होगा। यहां दीवारों पर जगह-जगह लिखा है- 'सौजन्य से- श्री विकास तेवतिया- अध्यक्ष नगर पालिका परिषद मुरादनगर'



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Eight corpses in a street, somewhere children are dying; Family says- We do not want two lakhs, we need our family


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लद्दाख में संघर्ष के बीच मोदी सरकार ने चीनी कंपनी को दिया 1126 करोड़ का टेंडर; जानिए सबकुछ

भारत और चीन के बीच सीमा पर पिछले 8 महीने से जारी तनाव अभी खत्म भी नहीं हुआ है और एक ऐसी खबर आ गई है, जिसने भारतीयों के मन में चीन को लेकर और गुस्सा भर दिया है। ये खबर है चीनी कंपनी को 1,126 करोड़ रुपए का टेंडर मिलने की। दरअसल, नेशनल केपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन यानी NCRTC दिल्ली से मेरठ के बीच रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) बना रहा है। ये 82 किलोमीटर लंबा होगा। इसके एक छोटे से हिस्से का ठेका चीनी कंपनी को भी मिला है। ये चीनी कंपनी है शंघाई टनल इंजीनियरिंग लिमिटेड। ये कंपनी 5.6 किमी की टनल बनाएगी।

लेकिन सवाल ये है कि जब एक तरफ दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव जारी है। बायकॉट चाइनीज प्रोडक्ट की बात कही जा रही है। तो फिर सरकार ने चीनी कंपनी को ठेका क्यों दिया? इसके बारे में हम नीचे जानेंगे, लेकिन उससे पहले इस पूरे प्रोजेक्ट के बारे में समझते हैं...

क्या है दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम प्रोजेक्ट?
NRCTC दिल्ली से मेरठ के बीच देश का पहला रीजनल रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम बना रहा है। इसके तहत दिल्ली-मेरठ के बीच सेमी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर बनाया जा रहा है। ये प्रोजेक्ट दिल्ली से गाजियाबाद होते हुए मेरठ से जुड़ेगा। ये पूरा प्रोजेक्ट 82.15 किमी लंबा है। जिसका 68.03 किमी हिस्सा एलिवेटेड और 14.12 किमी अंडरग्राउंड होगा। शंघाई टनल इंजीनियरिंग लिमिटेड कंपनी 5.6 किमी की टनल बनाएगी।

NRCTC के मुताबिक इस प्रोजेक्ट का 17 किमी का हिस्सा 2023 तक बनकर तैयार हो जाएगा। जबकि पूरा 82 किमी लंबा कॉरिडोर 2025 तक शुरू हो जाएगा। इस कॉरिडोर के खुलने के बाद दिल्ली से मेरठ बस 55 मिनट में पहुंचा जा सकेगा। NCRTC की मानें तो इससे रोजाना 8 लाख यात्री सफर करेंगे।

दिल्ली-मेरठ के अलावा दिल्ली से अलवर तक 198 किमी और दिल्ली से पानीपत के बीच 103 किमी लंबा ऐसा कॉरिडोर बनाया जाएगा।

इस कॉरिडोर में जो ट्रेन चलेगी, उसकी टॉप स्पीड 180 किमी प्रति घंटा होगी। जबकि एवरेज स्पीड 100 किमी प्रति घंटा रहेगी। यानी एक घंटे में 100 किमी की दूरी तय हो जाएगी। ये मेट्रो की तुलना में तीन गुना ज्यादा है।

कौन है वो चीनी कंपनी जिसे इसका ठेका मिला है?
इस पूरे कॉरिडोर का 5.6 किमी का हिस्सा शंघाई टनल इंजीनियरिंग लिमिटेड बनाएगी। उसने 1,126.89 करोड़ रुपए ये ठेका हासिल किया है। इस कंपनी को 1965 में शुरू किया गया था।

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक इस चीनी कंपनी की मार्केट कैप करीब 20 हजार करोड़ रुपए है। सितंबर 2020 की तिमाही में कंपनी ने साढ़े 15 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का रेवेन्यू मिला था।

कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक सिंगापुर, भारत, हॉन्गकॉन्ग, मकाउ, पोलैंड और अंगोला समेत दुनियाभर के 15 देशों के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। अब तक कंपनी दुनियाभर में 500 से ज्यादा कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट पर काम कर चुकी है।

कंपनी टनल, रेल ट्रांसपोर्ट, रोड, ब्रिज, अंडरग्राउंड स्पेस डेवलपमेंट जैसे प्रोजेक्ट पर काम करती है। कंपनी हर साल 56 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का रेवेन्यू कमाती है। इसके अलावा पिछले तीन साल में कंपनी ने 90 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा इन्वेस्ट किए हैं।

अब जवाब उसका कि आखिर क्यों तनाव के बीच भी सरकार ने चीनी कंपनी का ठेका रद्द नहीं किया?
दरअसल, 5.6 किमी लंबी टनल बनाने के लिए नवंबर 2019 में टेंडर निकाला गया था। इसके लिए शंघाई टनल इंजीनियरिंग समेत 5 कंपनियों ने बोली लगाई थी। सबसे कम बोली शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी ने लगाई थी।

भारतीय कंपनी लार्सन एंड ट्रूबो (L&T) ने 1,170 करोड़ रुपए और टाटा प्रोजेक्ट्स ने 1,346 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। तुर्की की कंपनी गुलेरमार्क ने 1,325 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी।
16 मार्च 2020 तक इस प्रोजेक्ट के लिए टेंडर बुलाए गए थे। 12 जून को ये टेंडर चीनी कंपनी को मिल गया। जब भारत-चीन के बीच हिंसक झड़प हुई, तब तक टेंडर लगभग फाइनल हो चुका था और इस वजह से टेंडर को रद्द नहीं किया जा सकता था।

भारत और चीन के बीच क्या है सीमा विवाद?
भारत और चीन के बीच 61 साल से सीमा विवाद चल रहा है। जनवरी 1959 में चीन के तब के प्रधानमंत्री झोऊ इन-लाई ने पहली बार आधिकारिक रूप से सीमा विवाद का मुद्दा उठाया। झोऊ ने ये भी कहा कि वो 1914 में तय हुई मैकमोहन लाइन को भी नहीं मानते।

मैकमोहन लाइन 1914 में तय हुई थी। इसमें तीन पार्टियां थीं- ब्रिटेन, चीन और तिब्बत। उस समय ब्रिटिश इंडिया के विदेश सचिव थे- सर हेनरी मैकमोहन। उन्होंने ब्रिटिश इंडिया और तिब्बत के बीच 890 किमी लंबी सीमा खींची। इसे ही मैकमोहन लाइन कहा गया। इस लाइन में अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा ही बताया था।

हालांकि, आजादी के बाद चीन ने दावा किया कि अरुणाचल तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा है और क्योंकि तिब्बत पर अब उसका कब्जा है, इसलिए अरुणाचल भी उसका हुआ। जबकि, भारत का कहना है कि जो भी ब्रिटिशों ने तय किया था, वही भारत भी मानेगा।

तब से ही भारत और चीन के बीच सीमा विवाद जारी है। दोनों देशों के बीच 1962 में एक युद्ध भी हो चुका है।

चीन के पास हमारी कितनी जमीन है?
भारत की चीन के साथ 3 हजार 488 किमी लंबी सीमा लगती है, जो तीन सेक्टर्स- ईस्टर्न, मिडिल और वेस्टर्न में बंटी हुई है। ईस्टर्न सेक्टर में सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की सीमा चीन से लगती है, जिसकी लंबाई 1 हजार 346 किमी है। मिडिल सेक्टर में हिमाचल और उत्तराखंड है, जिसकी लंबाई 545 किमी है। और वेस्टर्न सेक्टर में लद्दाख आता है, जिसके साथ चीन की 1 हजार 597 किमी लंबी सीमा है।

चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार स्क्वायर किमी के हिस्से पर अपनी दावेदारी करता है। जबकि, लद्दाख का करीब 38 हजार स्क्वायर किमी का हिस्सा चीन के कब्जे में है। इसके अलावा 2 मार्च 1963 को चीन-पाकिस्तान के बीच हुए एक समझौते में पाकिस्तान ने पीओके का 5 हजार 180 स्क्वायर किमी चीन को दे दिया था। कुल मिलाकर चीन ने भारत के 43 हजार 180 स्क्वायर किमी पर कब्जा जमा रखा है। जबकि, स्विट्जरलैंड का एरिया 41 हजार 285 स्क्वायर किमी है।



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Delhi Meerut RRTS Project Explainer: Why China Shanghai Company Gets Contract? All You Need To Know About


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इस साल होगी 24 टीम वाली माइनर लीग, ताकि अगले साल मेजर लीग करा सकें; 7 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश होगा

दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति अमेरिका अब भारत की राह पर है। उसने क्रिकेट में दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी है। देश में क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए इस साल माइनर लीग की शुरुआत होगी। ताकि अगले साल मेजर लीग क्रिकेट (MLC) का आयोजन हो सके। माइनर लीग में यूएसए स्पोर्ट्स मार्केट की 24 फ्रेंचाइजी बेस्ड टीमें हिस्सा लेंगी।

शाहरुख खान के मालिकाना हक वाले नाइटराइडर्स ग्रुप ने मेजर लीग की एक टीम में हिस्सेदारी खरीदी है। इसके अलावा माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला, पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा और एडोब सिस्टम के सीईओ शांतनु नारायण भी इस टी-20 लीग में निवेश कर सकते हैं। MLC से घरेलू क्रिकेट इंडस्ट्री में एक बिलियन डॉलर (करीब 7366 करोड़ रुपए) से ज्यादा का निवेश होगा।

एक्सपर्ट का अनुमान है कि अमेरिका में क्रिकेट इकोनॉमी लगभग 50 मिलियन डॉलर (करीब 368 करोड़ रुपए) सालाना है। अमेरिका में क्रिकेट की शुरुआत को ओलिंपिक में इस खेल की एंट्री कराने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। अमेरिका ओलिंपिक में महाशक्ति है। अगर अमेरिका में क्रिकेट लोकप्रिय होता है तो ओलिंपिक में शामिल कराने में आसानी होगी।

क्रिकेट के बड़े समर्थक थे जाॅर्ज वाॅशिंगटन

रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका में 18वीं सदी में ब्रिटिश कॉलोनिस्ट क्रिकेट लेकर आए थे। यह किस्सा काफी लोकप्रिय है कि देश के पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन क्रिकेट के बड़े समर्थक थे। वे ब्रिटेन से स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान सैनिकों के साथ मैच खेलते थे। दूसरे राष्ट्रपति जॉन एडम्स ने अमेरिकन कांग्रेस में अपने एक भाषण में कहा था कि अगर क्रिकेट क्लब के लीडर को प्रेसिडेंट कहा जा सकता है तो नए नेशन के लीडर को भी प्रेसिडेंट न कहने की कोई वजह नहीं है।

अमेरिका ने पहला इंटरनेशनल 1844 में खेला था

अमेरिका ने पहला मेजर इंटरनेशनल कनाडा के खिलाफ 1844 में खेला था, ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड के बीच मेलबर्न में 1877 में खेले गए पहले टेस्ट से करीब 30 साल पहले। यह मैच न्यूयॉर्क के ब्लूमिंगडेल्स पार्क के सेंट जॉर्ज क्रिकेट क्लब ग्राउंड में हुआ था। इस मैच को देखने 20 हजार से ज्यादा लोग पहुंचे थे। इस मैच की प्राइज मनी एक लाख 20 हजार डॉलर थी। यह मौजूदा समय के करीब दो मिलियन डॉलर (करीब 14.8 करोड़ रुपए) के बराबर है। लेकिन अमेरिका में बेसबॉल के उदय के साथ ही क्रिकेट की लोकप्रियता कम होती गई।

अमेरिका को 2030 तक आईसीसी के पूर्ण सदस्य बनने की उम्मीद

यूएसए क्रिकेट अमेरिका में क्रिकेट की गवर्निंग बॉडी है। इसने अमेरिका में क्रिकेट को विस्तार देने के लिए "फाउंडेशनल प्लान' बनाया है। मेजर लीग क्रिकेट (एमएलसी) टी20 इस महत्वाकांक्षी प्लान का हिस्सा है। यह अमेरिकन क्रिकेट एंटरप्राइज (एसीई) द्वारा संचालित लीग है। इस प्लान को लागू करने के बाद यूएसए क्रिकेट को उम्मीद है कि अमेरिका 2030 तक आईसीसी में पूर्ण सदस्य का दर्जा हासिल कर लेगा। यूएसए किकेट 2019 में आईसीसी का एसोसिएट सदस्य बन गया था।

अमेरिकन लीग का आयोजन आईपीएल के बाद करने की योजना है ताकि दुनियाभर के इंटरनेशनल खिलाड़ी इसमें हिस्सा ले सकें। इसका अन्य कई देशों में प्रसारण होगा, ताकि अमेरिकी क्रिकेट दुनिया के पटल पर अपनी पहचान बना सके।यूएसए क्रिकेट के चेयरमैन पराग मराठे कहते हैं, "यह फाउंडेशनल प्लान अमेरिका में खेल के विकास के लिए रोडमैप तैयार करेगा।

इससे क्रिकेट को लॉस एंजिलिस 2028 ओलिंपिक में शामिल करने के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही अमेरिका को क्रिकेट के मेजर इंटरनेशनल टूर्नामेंट की मेजबानी मिलने की उम्मीद भी बढ़ेगी।' यूएसए क्रिकेट के चीफ एग्जीक्यूटिव इयान हिगिंस का मानना है कि 2030 तक क्रिकेट अमेरिका में प्रमुख खेल बन जाएगा। यूएसए क्रिकेट का लक्ष्य आईसीसी में पूर्ण सदस्य का दर्जा हासिल करना है। इसके अलावा आईसीसी के साथ मिलकर क्रिकेट को 2020 लॉस एंजिलिस ओलिंपिक गेम्स में शामिल कराना है।

हाई परफॉरमेंस सेंटर के अलावा स्टेडियम की कैपेसिटी भी बढ़ाई जाएगी

  • मेजर लीग क्रिकेट की पेरेंट कंपनी अमेरिकन क्रिकेट एंटरप्राइजेस (एसीई) ने एयरहॉग्स स्टेडियम से लॉन्ग टर्म लीज एग्रीमेंट कर लिया है। उनका प्लान इस स्टेडियम की कैपेसिटी 5445 से बढ़ाकर 8 हजार करने की योजना है। यह मैदान अमेरिका की नेशनल क्रिकेट टीम का बेस होगा। इसके अलावा हाई परफॉरमेंस सेंटर भी बनेगा।
  • यहां ट्रेनिंग नेट्स के अलावा दो अतिरिक्त आउटसाइड ट्रेनिंग फील्ड की सुविधा होगी। MLC के लिए टेक्सास बड़ा सेंटर है। यहां का एयरहॉग्स बेसबॉल स्टेडियम अमेरिकन क्रिकेट के परमानेंट वेन्यू के लिए पूरी तरह तैयार है। इसके अलावा देश में कई एकेडमी विकसित करने की योजना भी है।

पूर्व भारतीय खिलाड़ी कोच और सलाहकार की भूमिका में

कर्नाटक के पूर्व क्रिकेटर जे. अरुणकुमार टीम के मुख्य कोच हैं। भारत के पूर्व विकेटकीपर और मुंबई इंडियंस के क्रिकेट कंसल्टेंट किरण मोरे को सीनियर क्रिकेट ऑपरेशंस के कंसल्टेंट की भूमिका मिली है। इनके अलावा प्रवीण आमरे को बैटिंग कंसल्टेंट, सुनील जोशी को स्पिन बॉलिंग कंसल्टेंट, ब्रिटेन के जेम्स पामेंट को फील्डिंग कंसल्टेंट, वेस्टइंडीज के कीरन पावेल को बैटिंग कंसल्टेंट और ऑस्ट्रेलिया के डेविड साकेर को तेज गेंदबाजी कंसल्टेंट के रूप में रखा गया है।

अमेरिकन क्रिकेट एंटरप्राइजेस खेल का इन्फ्रास्ट्रक्चर बना रहा

अमेरिका में एकेडमी और क्रिकेट के बेसिक इकोसिस्टम के लिए सेंट्रलाइज्ड सिस्टम नहीं हैं। यहां युवा क्रिकेटरों के लिए ज्यादा एकेडमी नहीं हैं। लेकिन यूएसए क्रिकेट और इसका कमर्शियल पार्टनर अमेरिकन क्रिकेट एंटरप्राइजेस (ACE) देश में खेल का इन्फ्रास्ट्रक्चर बना रहा है। ताकि ग्रासरूट लेवल पर खेल को बढ़ावा दिया जा सके। एसीई की विलो क्रिकेट एकेडमी के साथ मिलकर अपनी एकेडमी बनाने की भी योजना है।

सेन फ्रांसिस्को में तीन अलग-अलग जगह पर विलो एकेडमी है। यहां कई तरह की सुविधाएं हैं। इसमें टर्फ वाली पिच भी हैं। इस महीने के अंत तक सिएटल में भी एकेडमी खुल जाएगी। यहां कई इंडोर नेट्स होंगी। इसके अलावा एक टर्फ वाली विकेट भी होगी। एसीई विलो एकेडमी के अलावा लॉस एंजिलिस, डलास, न्यूयॉर्क और अटलांटा भी एकेडमी खोलने के लिए चर्चा कर रहा है।

मेजर लीग क्रिकेट की टीमें इस प्रकार हैं

मेजर लीग क्रिकेट में 24 टीमें हैं। इन टीमों को उनके सेन फ्रांसिस्को, लॉस एंजिलिस, शिकागो, डलास, न्यूयॉर्क और अटलांटा के क्लबों से जाना जाएगा। सेन फ्रांसिस्को की तीन टीमें हैं- सिलिकॉन वैली स्ट्राइकर्स, गोल्डन स्टेट ग्रिजलीज, बे ब्लेजर्स। लॉस एंजिलिस की भी तीन टीमें हैं- हॉलीवुड मास्टर ब्लास्टर्स, सोकाल लेशिंग्स, सैन डिएगो सर्फ राइडर्स। एलए की तरह शिकागो की भी तीन टीमें हैं- शिकागो ब्लास्टर्स, शिकागो कैचर्स, मिशिगन स्टेट स्टार्स। डलास की तीन टीमें इरविंग मस्टैंग्स, ह्यूस्टन हरिकेंस, ऑस्टिन एथलेटिक्स हैं।

न्यूयॉर्क की छह टीमें हैं

एंपायर स्टेट टाइटंस, न्यूजर्सी स्टेलियंस, न्यू इंग्लैंड ईगल्स, समरसेट कैवेलियर्स, डीसी हॉक्स, फिलाडेल्फियंस। इसी तरह अटलांटा की भी छह टीमें हैं- अटलांटा परम वीर्स, अटलांटा फायर, फ्लोरिडा बीमर्स, मोरिसविले, कार्डिनल्स, ओरलैंडो गैलेक्सी, लॉडरडेल लॉयंस। अभी टीमों के लिए खिलाड़ियों की नीलामी होनी बाकी है।

अमेरिका में करीब 90 लाख क्रिकेट फैंस

अमेरिका में अधिकतर क्रिकेट फैंस साउथ एशियन, कैरेबियंस या ब्रिटिश हैं। अमेरिका में करीब 90 लाख क्रिकेट फैन हैं। इसमें लगभग 40 लाख इंडियन अमेरिकंस, 30 लाख वेस्टइंडीज अमेरिकंस, 8 लाख यूके और आयरलैंड में जन्मे, 5 लाख पाकिस्तानी अमेरिकंस, 2 लाख बांग्लादेशी अमेरिकंस, 3 लाख अफ्रीकन क्रिकेटिंग देश जैसे द. अफ्रीका, जिम्बाब्वे, केन्या, युगांडा, 1 लाख ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड, 1 लाख श्रीलंका और अन्य एशियन देशों के हैं।

महिला टीम में अधिकतर सदस्य भारतीय मूल की

अमेरिका की महिला क्रिकेट टीम भी है। उसने अब तक सिर्फ एक मैच जीता है जबकि 5 मैच हारे हैं। अप्रैल 2018 में टीम को इंटरनेशनल टी20 का दर्जा मिला। टीम की कप्तान सिंधु श्रीहर्षा हैं। अधिकतर सदस्य भारतीय मूल की हैं। पिछले साल मार्च में जूलिया प्राइस को मुख्य कोच बनाया गया था। प्राइस ऑस्ट्रेलिया की ओर से 10 टेस्ट और 84 वनडे खेल चुकी हैं। अमेरिका की महिला टीम 2021 के टी20 वर्ल्ड कप में अमेरिकन क्वालिफायर के रीजनल ग्रुप में हैं। इसमें तीन अन्य टीमें भी हैं।



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This year there will be a 24-team Minor League, so that the Major League can be held next year; Investment of more than 7 thousand crores


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SII की ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की इफेक्टिवनेस पर अलग-अलग दावे; जानिए सबकुछ

भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 3 जनवरी को सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) में बन रही ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोवीशील्ड को अप्रूवल दे दिया है। पर कई सवालों के जवाब अब भी स्पष्ट नहीं हो सके हैं। जैसे डोज के बीच का अंतर कितना होना चाहिए। इस बारे में भारतीय रेगुलेटर ने कुछ नहीं कहा है।

इसकी इफेक्टिवनेस को लेकर भी अलग-अलग बातें सामने आई हैं। एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन की ओवरऑल इफेक्टिवनेस 90% तक होने का दावा किया था। इसे लेकर भारतीय रेगुलेटर का मानना है कि यह वैक्सीन 70% तक इफेक्टिव है। इस तरह की अलग-अलग जानकारी सामने आ रही है तो ब्रिटिश और भारतीय रेगुलेटर की स्टडी को जानना जरूरी हो गया है। आइए, समझते हैं कि अलग-अलग जानकारियां कैसे सामने आई हैं...

एस्ट्राजेनेका का दावा

डोजः एस्ट्राजेनेका ने अपनी वैक्सीन-कोवीशील्ड के फेज-3 ट्रायल्स का जो डिजाइन तय किया था, उसमें चार हफ्ते के अंतर से दो डोज दिए जाने थे। पर 12 दिसंबर को लैंसेट में प्रकाशित ट्रायल्स डेटा में कंपनी ने कहा कि ज्यादातर वॉलंटियर्स को दूसरा डोज देने में चार हफ्ते से ज्यादा वक्त लगा। ब्रिटेन में दो डोज का अंतर औसतन 10 हफ्ते का था, जबकि ब्राजील में 6 हफ्ते का।

इफेक्टिवनेसः यूके और ब्राजील में ज्यादातर वॉलंटियर्स को दो फुल डोज दिए गए और वैक्सीन 62% इफेक्टिव रही है। किसी वजह से कुछ वॉलंटियर्स के छोटे ग्रुप को पहले हाफ डोज दिया और फिर फुल डोज। इसमें 90% इफेक्टिवनेस सामने आई। एस्ट्राजेनेका ने दिसंबर में दावा किया था कि हाफ डोज और फिर फुल डोज देने पर इफेक्टिवनेस 90% कैसे रही, इसके लिए और जांच की जा रही है। पर यह भी कहा गया कि सिंगल डोज 64% तक इफेक्टिव है।

अमेरिका समेत ज्यादातर देशों में रेगुलेटर्स ने तय किया था कि 50% इफेक्टिवनेस किसी वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल देने के लिए काफी होगी। इसके मुकाबले फाइजर-बायोएनटेक, मॉडर्ना और रूसी वैक्सीन-स्पुतनिक V की वैक्सीन ट्रायल्स में 90% से ज्यादा इफेक्टिव रही हैं।

ब्रिटिश रेगुलेटर ने अप्रूवल में क्या कहा?

डोजः यूके मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (MHRA) ने दो फुल डोज को मंजूरी दी है। देश में जल्द से जल्द और ज्यादा से ज्यादा लोगों को कवर किया जा सके, इसके लिए दूसरा डोज 4 से 12 हफ्ते के बीच लगेगी।

इफेक्टिवनेसः एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड के ट्रायल्स से आए डेटा पर उठे संदेहों को अधिकारियों ने यह कहकर दूर कर दिया कि दो फुल डोज ही दिए जाएंगे। हाफ और फुल डोज से 90% इफेक्टिवनेस के दावे की पुष्टि नहीं हुई है। पर एक अधिकारी ने यह दावा कर चौंका दिया कि अगर डोज तीन महीने के अंतर से दिए जाते हैं तो इफेक्टिवनेस 80% रहेगी। यह तो एस्ट्राजेनेका के दावे से भी अधिक है।

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि जिन वॉलंटियर को वैक्सीन का एक डोज दिया था, उनमें 21 दिन बाद 70% तक इफेक्टिवनेस दिखी है। दरअसल, जो डेटा रेगुलेटर से शेयर किया गया है, वह सार्वजनिक रूप से कहीं भी उपलब्ध नहीं है। इस वजह से अलग-अलग आंकड़े सामने आ रहे हैं।

भारतीय रेगुलेटर ने अपने अप्रूवल में क्या कहा?

डोजः सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) के प्रमुख ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) वीजी सोमानी ने दो डोज की व्यवस्था को मंजूरी दी है। अप्रूवल की घोषणा में यह नहीं बताया है कि दो डोज के बीच अंतर कितना रहना चाहिए। माना जा रहा है कि 4 हफ्ते के अंतर से दो डोज दिए जाएंगे।

इफेक्टिवनेसः भारतीय रेगुलेटर का मानना है कि कोवीशील्ड की ओवरऑल इफेक्टिवनेस 70.42% रही। यह दावा 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के 23,745 वॉलंटियर्स पर विदेश में की गई स्टडी पर आधारित है। भारत में अदार पूनावाला की कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने फेज-2/3 के क्लीनिकल ट्रायल्स किए, जिसमें 1,600 वॉलंटियर्स शामिल थे। इसमें भी अच्छे नतीजे सामने आए हैं।



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Oxford University Coronavirus Vaccine Effectiveness Explainer; Question On Doses Of The Covishield Covid-19 Vaccine


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पांच राज्यों में दांव पर कई पार्टियों की राजनीति, बंगाल में सबसे बड़ी भिड़ंत; रजनी के इनकार से राहत में द्रविड़ दल

अलग-अलग Sectors के लिए 2021 कैसा रहेगा? इस पर हम आपको जाने-माने विशेषज्ञों की राय से रू-ब-रू करा रहे हैं। अब तक आप देश की अर्थव्यवस्था, शिक्षा और नौकरियों पर आर्टिकल पढ़ चुके हैं। आइए आज Centre for the Study of Developing Societies (CSDS) के डायरेक्टर प्रोफेसर संजय कुमार से जानते हैं कि राजनीति के लिहाज से 2021 कैसा रहेगा...

2021 राजनीति के हिसाब से बेहद खास रहने वाला है। इसकी वजह भी है। इस साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा राजनीतिक दलों के दशकों से बने किले ढहाने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। बंगाल में इसकी झलक देखने को मिलने भी लगी है। वहीं, क्षेत्रीय दल किसी भी कीमत पर मैदान में भाजपा से कमतर नजर नहीं आ रहे हैं।

मौजूदा हालात को देखते हुए यह भी साफ है कि इस साल कई पार्टियों की राजनीति दांव पर है। किसी को अपनी सरकार सत्ता विरोधी रुझान (anti-incumbency) से बचाना है तो किसी को सत्ता में वापसी की कोशिश करनी है। वहीं, किसी को अपनी पैठ बढ़ाना है।

इस साल जिन राज्यों में चुनाव होने हैं उनमें से दो पूर्वी और तीन दक्षिण के हैं। पूर्वी राज्यों में पश्चिम बंगाल और असम हैं। दक्षिण के राज्यों में केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी शामिल हैं। खास बात यह है कि इन सभी राज्यों में अलग-अलग पार्टियों की सरकारें हैं। किसी भी पार्टी की एक से ज्यादा राज्यों में सरकार नहीं है।

ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (TMC) पश्चिम बंगाल में पिछले एक दशक से सत्ता में है। भाजपा असम और तमिलनाडु में सत्ता में रही है। तमिलनाडु 1967 से DMK और AIADMK के बीच झूल रहा है। वहां 2016 से AIADMK की सरकार है।

केरल में इस बार LDF की सरकार है। मगर हर बार यह बारी-बारी LDF और UDF के बीच झूलता रहा है। कभी पूरे दक्षिण में प्रभावशाली रही कांग्रेस फिलहाल केवल पुडुचेरी तक सीमित है, वह भी DMK के साथ गठबंधन में।

पश्चिम बंगाल : लोकसभा के रास्ते विधानसभा पहुंचने की तैयारी में भाजपा

पश्चिम बंगाल में राजनीतिक माहौल पूरी तरह गरम है। यह वह राज्य है जिसमें शुरुआत के कुछ दशक कांग्रेस का शासन रहा, इसके बाद लेफ्ट फ्रंट का और पिछले एक दशक से TMC की सरकार है।

ममता बनर्जी को इस बार भाजपा से कड़ी टक्कर मिलेगी। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही राज्य में गहरी पैठ बना ली थी। इस चुनाव में भाजपा ने राज्य में 40% वोटों के साथ 18 सीटें जीती थीं, जबकि TMC ने 43% वोटों के साथ 22 सीटें।

विधानसभा सीटों के हिसाब से देखें तो कुल 294 सीटों में से भाजपा ने 121 पर और TMC ने 164 सीटों पर बढ़त हासिल की। खास बात यह है कि TMC ने 2016 विधानसभा चुनाव में 211 सीटें जीती थीं।

2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजे और ताजा ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार भाजपा ने मतदाताओं के तमाम वर्गों में अपनी पैठ तेजी से बढ़ाई है। ऐसे में ममता बनर्जी का लगातार तीसरी बार चुनाव जीतना बेहद कठिन होगा। पश्चिम बंगाल में राजनीतिक उबाल है। ऐसे में वहां राजनीतिक बदलाव होने की पूरी संभावना नजर आ रही है।

तमिलनाडु : रजनीकांत के पीछे हटने से फिर AIAMDK बनाम DMK

तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की किसी बड़ी भूमिका की गुंजाइश नहीं दिख रही है। राज्य की राजनीति में दोनों द्रविड़ पार्टियों, DMK और AIADMK का ही दबदबा है।

कांग्रेस की भूमिका DMK की सहयोगी पार्टी के रूप में बनी रहने की उम्मीद है, मगर बिहार चुनाव में अपने प्रदर्शन के चलते कांग्रेस सीटों के बंटवारे में आक्रामक नहीं हो पाएगी।

दरअसल, 1967 के बाद से ही तमिलनाडु की राजनीति में कांग्रेस कभी प्रभावशाली नहीं रही। इसे देखते हुए 2021 के चुनाव में भी उसके लिए कुछ अलग होने की संभावना बेहद कम है। मोटे तौर पर कांग्रेस राज्य में DMK की लोकप्रियता के कंधे पर सवारी करेगी।

यदि DMK 2021 का विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रही तो कांग्रेस गठबंधन सरकार में शामिल होने की पूरी कोशिश करेगी, लेकिन तमिलनाडु के चुनाव में क्या हो सकता है, इस बारे में बहुत अनिश्चितता बनी हुई है।

तमिलनाडु के चुनाव में भी गठबंधन कामयाबी की चाबी है और गठबंधनों को राज्य में आकार लेना बाकी है। रजनीकांत की इस घोषणा के बाद कि वे अब राजनीतिक दल नहीं बनाएंगे, राज्य में कम से कम एक अनिश्चितता तो खत्म हो गई है।

कमल हासन ने 2019 में तमिलनाडु की राजनीति में अपना भाग्य आजमाया मगर वे नाकाम रहे। हमें अभी यह देखना चाहिए कि भाजपा यहां चुनाव में कैसे उतरेगी। क्या वह अकेले चुनाव लड़ेगी या AIADMK के साथ मैदान में उतरेगी।

AIADMK पहले ही भाजपा को कड़ा संदेश भेज चुकी है। इसमें उसने भाजपा को अपनी अगुवाई में चुनाव लड़ने के लिए कहा है। साथ ही चुनाव जीतने की स्थिति में सरकार में भाजपा को शामिल करने के मुद्दे पर भी AIADMK तैयार नहीं है। ऐसे हालात को देखते हुए भाजपा के लिए फैसला लेना बेहद कठिन हो गया है।

केरल : दक्षिण के इसी राज्य से कांग्रेस को सबसे बड़ी उम्मीद

LDFऔर UDF के बीच झूलने के अपने इतिहास के चलते, माना जा सकता है कि इस बार UDF की बारी है। UDF का मुख्य घटक होने के चलते कांग्रेस के लिए केरल में सबसे अच्छी संभावनाएं हैं। हाल ही में हुए स्थानीय निकाय के चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन देखते हुए UDF की वापसी भी संभव है।

यह जानना बेहद जरूरी कि केरल में आमतौर पर चुनाव बेहद कम अंतर से जीते या हारे गए हैं, हालांकि 2016 के विधानसभा चुनाव इस मामले में एकदम स्पष्ट थे। LDF ने 42.6% वोटों के साथ 92 सीटें जीती थीं, जबकि UDF को 38.6% 'वोट मिले और 47 सीटें। अब LDF की 4% की बढ़त को देखते हुए राज्य में वापसी के लिए UDF को काफी कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।

राहुल गांधी की लोकसभा सीट जीतने से कांग्रेस के लिए कुछ अतिरिक्त वोट जुटाने में थोड़ी मदद मिल सकती है, लेकिन यह भी आसान नहीं होगा। राज्य में भाजपा की चाल को भी देखना जरूरी होगा। यह ध्यान देना होगा कि 2016 के चुनाव में भाजपा को 14.6% वोट मिले थे। इसके साथ भाजपा ने राज्य में अपना खाता भी खोला था।

इस साल के चुनाव में अगर भाजपा का प्रभाव नजर आया तो यह राज्य में पहले से स्थापित राजनीतिक समीकरणों को बिगाड़ सकता है। ऐसे में वामदलों के मुकाबले कांग्रेस को ज्यादा नुकसान हो सकता है।

पुडुचेरी : दक्षिण के अकेले राज्य को बचाने में कांग्रेस को जुटना होगा

पुडुचेरी में DMK के साथ सत्तारुढ़ कांग्रेस को दक्षिण भारत में अपना एकमात्र राज्य बचाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है। 2021 में जिन पांच राज्यों में चुनाव होना है, उनमें पुडुचेरी अकेला राज्य है जहां कांग्रेस सत्ता में है।

विधानसभा सीटों की काफी कम संख्या और कई ध्रुवों के चलते पुडुचेरी में भी चुनावी सफलता की चाबी गठबंधन के हाथ में होगी।

असम : भाजपा को बड़ी चुनौती नहीं, कांग्रेस की परेशानी बढ़ी

असम में सत्तारुढ़ भाजपा को प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस अब तक कोई बड़ी चुनौती नहीं दे सकी है। पार्टी अभी भी 2016 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने बहुत कमजोर प्रदर्शन के सदमे से उबर नहीं सकी है। 2001 से 2016 के बीच तीन बार असम के मुख्यमंत्री रहे तरुण गोगोई के निधन ने कांग्रेस की मुसीबतों और बढ़ा दिया है।

पार्टियों के लिहाज से बेहतरीन परिदृश्य

भाजपा : असम और पश्चिम बंगाल में सत्ता मिले

भाजपा की राह असम में काफी आसान दिख रही है और पश्चिम बंगाल में भी वह मजबूत हो चुकी है। ऐसे में भाजपा के लिए सबसे अच्छा रिजल्ट कुल पांच में से दो राज्यों में जीत होगी।

स्कोर : 25

कांग्रेस : पुडुचेरी में सरकार बचे, केरल की चाबी मिले

कांग्रेस के लिए सबसे अच्छा परिदृश्य केरल में जीत और पुडुचेरी अपने पास बनाए रखने का होगा। ऐसे में कांग्रेस के लिए बेहतरीन रिजल्ट पांच में दो का होगा।

स्कोर : 25

क्षेत्रीय पार्टियां : तमिलनाडु-बंगाल में सरकारें बनी रहें

क्षेत्रीय पार्टियों यानी AIADMK, DMK, TMC के मामले में तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में अपनी-अपनी सरकारें बचाए रखना ही सबसे अच्छा होगा।

स्कोर : 2/5

वामदल : केरल की अकेली सरकार बची रहे

कुल मिलाकर देखें तो वामदलों के लिए सबसे अच्छी स्थिति होगी कि वे केरल में अपनी सरकार को बरकरार रखें यानी कुल पांच में एक जीत।

स्कोर : 1/5

ऐसे में यह कहा जा सकता है कि सभी राजनीतिक दलों के लिए 2021 काफी मायने रखेगा।



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Mamta Banerjee | Sanjay Kumar CSDS On Upcoming Elections In West Bengal Assam Tamil Nadu Kerala


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पाकिस्तान में हिन्दू मंदिर को तोड़ने के बाद शुरू हुआ मंदिर बनाओ अभियान, जानिए इस दावे का सच

क्या हो रहा वायरल: हाल ही में पाकिस्तान में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के एक हिन्दू मंदिर में तोड़फोड़ की गई। इस मंदिर से जोड़कर एक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल की जा रही है। पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि इस्लामाबाद में मंदिर तोड़े जाने के बाद मुस्लिमों ने 'मंदिर बनाओ' अभियान शुरू किया है, लेकिन 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद कितने हिन्दुओं ने भारत में 'मस्जिद बनाओ' अभियान शुरू किया।

और सच क्या है?

  • इस पोस्ट की सच्चाई जानने के लिए हमनें वायरल हो रहीं फोटोज को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च किया। हमें इससे जुड़ी एक मीडिया रिपोर्ट मिली।
  • मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह तस्वीर जुलाई, 2020 की है। इस्लामाबाद में 8 जुलाई, 2020 को कुछ लोगों ने हिन्दू मंदिर बनाने के लिए एक रैली की थी, सभी तस्वीरें उसी समय की हैं।
इस्लामाबाद में 8 जुलाई, 2020 को हुए विरोध प्रदर्शन की तस्वीर को हाल का बताकर वायरल किया जा रहा है।
  • पोस्ट में हिन्दू मंदिर बनवाने की बात की तो जा रही है, लेकिन इसका कनेक्शन 30 दिसम्बर को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में मंदिर तोड़ने की घटना से नहीं है। इसलिए यह दावा झूठा है।


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Mandir Banao campaign stared in Pakistan know the truth


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नए संसद भवन के कंस्ट्रक्शन पर आज फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट; गलत तरीके से प्रोजेक्ट को मंजूरी देने का आरोप लगा है

नए संसद भवन के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से जुड़ी कई याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा। इन याचिकाओं में नई संसद को लेकर पर्यावरण मंजूरी समेत कई मुद्दों को उठाया गया है।
सेंट्रल विस्टा परियोजना का ऐलान सितंबर, 2019 में हुआ था। इसमें संसद की नई त्रिकोणीय इमारत होगी जिसमें एक साथ लोकसभा और राज्यसभा के 900 से 1200 सांसद बैठ सकेंगे। इसका निर्माण 75वें स्वतंत्रता दिवस पर अगस्त, 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा। जबकि, केंद्रीय सचिवालय का निर्माण 2024 तक पूरा करने की तैयारी है।

5 नवंबर को ही फैसला सुरक्षित रख लिया था
जस्टिस एएम खानविल्कर, दिनेश महेश्वरी और संजीव खन्ना की बेंच इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी। यह फैसला अदालत ने पिछले साल पांच नवंबर को ही सुरक्षित रख लिया था। हालांकि पिछले साल सात दिसंबर को केंद्र सरकार के अनुरोध पर कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की भूमि पूजन की अनुमति दे दी थी। केंद्र सरकार ने इसके लिए कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वह लंबित याचिकाओं पर फैसला आने तक कोई भी कंस्ट्रक्शन, तोड़फोड़ या पेड़ काटने का काम नहीं करेगा। इसके बाद 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी।
पिटीशनर्स के 3 दावे

  • प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण मंजूरी गलत तरीके से दी गई।
  • कंसल्टेंट चुनने में भेदभाव किया गया।
  • जमीन के इस्तेमाल में बदलाव की मंजूरी गलत तरीके से दी गई।

क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट?
राष्ट्रपति भवन, मौजूदा संसद भवन, इंडिया गेट और राष्ट्रीय अभिलेखागार की इमारत को वैसा ही रखा जाएगा। सेंट्रल विस्टा के मास्टर प्लान के मुताबिक पुराने गोलाकार संसद भवन के सामने गांधीजी की प्रतिमा के पीछे नया तिकोना संसद भवन बनेगा। यह 13 एकड़ जमीन पर बनेगा। इस जमीन पर अभी पार्क, अस्थायी निर्माण और पार्किंग है। नए संसद भवन में दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के लिए एक-एक इमारत होगी, लेकिन सेंट्रल हॉल नहीं बनेगा। पूरा प्रोजेक्ट 20 हजार करोड़ रुपए का है।



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Supreme Court to give verdict on construction of new parliament building today; Accused of wrongly approving the project


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