शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

बाइडेन बोले- राजनीति कभी-कभी गंदी हो जाती है, पर अंत में हम ही जीतेंगे; काउंटिंग रोकने वाली ट्रम्प की अर्जी खारिज

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के तीन दिन बाद भी स्पष्ट तौर पर हार और जीत साफ नहीं हो सकी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प हार मानने को तैयार नहीं हैं। वे काउंटिंग रोकने की मांग कर रहे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, बाइडेन को अब तक 253 जबकि ट्रम्प को 214 इलेक्टोरल वोट मिले हैं।

अपने होम स्टेट डेलावेयर के विलमिंग्टिन में बाइडेन ने कहा कि राजनीति कभी-कभी गंदी हो जाती है। जब तक हर वोट नहीं गिना जाता, तब तक धैर्य बनाए रखें। इसमें कोई शक नहीं कि जब काउंटिंग खत्म हो जाएगी तो हम ही विजेता होंगे।

LIVE अपडेट्स...

आज 4 राज्यों पर नजर : 3 में बाइडेन और 1 में ट्रम्प को उम्मीद
NYT के मुताबिक, आज चार राज्यों में गिनती पर नजर रहेगी। चारों ही राज्यों में कुछ क्षेत्रों की काउंटिंग बची है।
एरिजोना : दो काउंटीज मेरीकोपा और पाइमा में काउंटिंग जारी है। यहां बाइडेन को अब तक 69 जबकि ट्रम्प को 46 हजार वोट मिले हैं।
जॉर्जिया : यहां गुरुवार को ट्रम्प 18 हजार वोट से आगे थे। अब यह लीड सिर्फ 2 हजार बची है।
नेवादा : यहां भी करीबी मुकाबला। बाइडेन को 11 जबकि ट्रम्प को 8 हजार वोट मिले।
पेन्सिलवेनिया : ट्रम्प को यहां गुरुवार को एक लाख 60 हजार वोटों की बढ़त थी। अब ये 37 हजार बची।

ट्रम्प ने कहा- मेरे खिलाफ साजिश
CNN के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रम्प दो दिन की चुप्पी के बाद मीडिया के सामने आए। एक छोटा बयान दिया। कहा- चुनाव नतीजे मेरे खिलाफ चल रही साजिश का नतीजा हैं। चुनाव में अवैध वोटिंग हुई। अब सीक्रेट काउंटिंग चल रही है। डेमोक्रेट्स मुझे दूसरे कार्यकाल से रोकना चाहते हैं। वे चुनाव पर डाका डालना चाहते हैं। अगर वैध यानी लीगल वोटों की ही गिनती होती तो मैं आसानी से जीत जाता। खास बात ये है कि ट्रम्प सिर्फ अपनी बात कहकर चले गए। न तो आरोपों के समर्थन में कोई सबूत दिया और न ही मीडिया के सवालों के जवाब दिए।

ट्रम्प को कोर्ट से भी झटका
मिशिगन की एक स्थानीय अदालत ने रिपब्लिकन पार्टी की काउंटिंग रोकने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। बुधवार देर रात जज ने कहा- कानूनी तौर पर काउंटिंग रोकना सही नहीं है। एब्सेंटी बैलट की टैली तैयार की जा चुकी है। इसको कोई भी देख सकता है। गिनती सही तरीके से चल रही है। राज्य के किसी भी हिस्से में वोटों की गिनती रोकने का कोई सवाल ही नहीं उठता। ट्रम्प कैम्पेन का दावा है कि मिशिगन में एब्सेंटी बैलट के लिए जो एक हजार बॉक्स लगाए गए थे, उनमें फर्जी वोट्स भी हैं। लिहाजा, इनकी गिनती न की जाए।

अमेरिका में क्या चल रहा है
पेन्सिलवेनिया में ट्रम्प ने मंगलवार को 6 लाख पॉपुलर वोटों से बढ़त हासिल की थी। न्यूयॉर्क टाइम्स ने गुरुवार को बताया कि यह आंकड़ा कम होकर सिर्फ 50 हजार रह गया है। अब भी ढाई लाख वोटों की गिनती बाकी है। ये ज्यादातर मेल इन और पोस्टल बैलट हैं। जॉर्जिया में भी यही स्थिति है। यहां भी ट्रम्प की लीड कम हुई है। ट्रम्प यहां 3 हजार 486 पॉपुलर वोटों से आगे हैं। यहां सिर्फ 18 हजार 936 वोटों की गिनती बाकी है।

ट्रम्प को अपनी ही पार्टी में समर्थन नहीं
ट्रम्प चुनावी धांधली का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन, अब उनकी ही पार्टी के लोग इससे सहमत नहीं। उटाह के सीनेटर मिट रोमनी ने कहा- लोकतंत्र में हर वोट की गिनती जरूरी है। लोकतंत्र, संविधान और अमेरिकी लोगों पर भरोसा रखें। काउंटिंग बंद करने की कोई जरूरत नहीं है। सीनेटर पैट टूमी ने कहा- पेन्सिलवेनिया में कानूनी तौर पर हुई वोटिंग का हर वोट गिना जाना चाहिए, चाहे यह प्रॉसेस कितना ही लंबा क्यों न हो। आखिर में हर पार्टी को नतीजों को स्वीकार करना चाहिए। फिर वे चाहे जीतें या हारें।

‘वोटों की चोरी रोको....’
नतीजों को लेकर ट्रम्प के समर्थक गुस्से में हैं। अमेरिका के कई शहरों में वे प्रदर्शन कर रहे हैं। फीनिक्स में कुछ देर के लिए माहौल तनावपूर्ण हो गया। ट्रम्प समर्थकों ने बैनर और झंडे लेकर नारेबाजी की। एक नारा था- वोटों की चोरी रोको। इस दौरान कुछ लोग हाथ में रायफल और गन लिए नजर आए। ट्रम्प के एक बुजुर्ग समर्थक डेल विलियम्स ने कहा- साफ तौर पर हमारे मतों की चोरी हुई है। मेरे हिसाब से ट्रम्प एरिजोना आसानी से जीते हैं। वे पूरा जीत चुके हैं, लेकिन डेमोक्रेट्स धांधली से उन्हें रोकना चाहते हैं।

विस्कॉन्सिन के मिलवॉकी में ट्रम्प समर्थक डेमोक्रेट्स पर वोट चुराने का आरोप लगा रहे हैं।

वहीं, बाइडेन समर्थक काउंटिंग के पक्ष में हैं। उनका कहना है कि हर वोट की गिनती जरूरी है।

अटलांटा में बाइडेन का एक समर्थक।


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बाइडेन को 56% और ट्रम्प को 43% महिलाओें के वोट मिले, 87% अश्वेतों का बाइडेन को समर्थन

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की तस्वीर काफी हद तक साफ हो चुकी है। डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडेन 270 इलेक्टोरल वोटों के काफी नजदीक पहुंच चुके हैं। बाइडेन को 253 और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को 214 इलेक्टोरल वोट मिल चुके हैं। यहां हम आपको ग्राफिक्स के जरिए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों से जुड़ी कुछ उपयोगी जानकारी दे रहे हैं।



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अमेरिका में 24 घंटे में 1.16 लाख केस, डब्ल्यूएचओ ने कहा- यूरोप में हालात बेहद खतरनाक

दुनिया में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 4.90 करोड़ से ज्यादा हो गया है। 3 करोड़ 49 लाख 74 हजार 120 मरीज रिकवर हो चुके हैं। अब तक 12.38 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिका में कोरोनावायरस का कहर बहुत तेजी से बढ़ रहा है। यहां 24 घंटे में एक लाख से ज्यादा केस सामने आए। यूरोप में तो हालात और खराब होते जा रहे हैं। इसको लेकर डब्ल्यूएचओ ने वॉर्निंग भी दी है।

अमेरिका में संक्रमण और तेज
अमेरिका में संक्रमण की रफ्तार बहुत तेजी से बढ़ रही है। चुनावी गहमागहमी के बीच संक्रमण के बढ़ते मामलों पर बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं दी जा रही। ‘द गार्जियन’ के मुताबिक, 8 दिन में तीसरी बार आंकड़ा एक लाख से ज्यादा हुआ। बुधवार को यहां 1 लाख 16 मामले सामने आए। इसके एक दिन पहले यानी मंगलवार को एक लाख 14 हजार मामले सामने आए थे। चुनावी रैलियों का दौर थम चुका है, लेकिन अब भी सियासी जोर आजमाइश जारी है। भीड़ तो है ही, लोग मास्क लगाने से भी परहेज कर रहे हैं।

डब्ल्यूएचओ की चेतावनी
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन यानी डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, यूरोप में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं और ये खतरनाक स्तर पर पहुंचने लगे हैं। फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, बेल्जियम और इटली में कोरोना की दूसरी लहर घातक साबित हो रही है। फ्रांस में हर दिन 50 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। इसके अलावा जर्मनी और बेल्जियम में 30 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। सरकारों की दिक्कत ये है कि वे जब भी सख्ती करती हैं, तभी विरोध शुरू हो जाता है। संगठन के यूरोप प्रभारी हेन्स क्लूज ने कहा- हम यहां कोरोना विस्फोट देख रहे हैं। 10 लाख से ज्यादा मामले 2 दिन में सामने आए हैं। हमें बहुत ईमानदारी से इन हालात का मुकाबला करना होगा।

डब्ल्यूएचओ के यूरोप प्रभारी हेन्स क्लूज ने बुधवार को कहा- हम यहां कोरोना विस्फोट देख रहे हैं। 10 लाख से ज्यादा मामले 2 दिन में सामने आए हैं।

फ्रांस प्रतिबंध नाकाम
फ्रांस में लॉकडाउन का असर नहीं हो रहा है। दूसरा लॉकडाउन लगाए करीब एक हफ्ता गुजर चुका है, लेकिन अब तक संक्रमण की दर में कोई कमी नहीं आई। बुधवार को भी यहां 50 हजार से ज्यादा मामले सामने आए। इसी दौरान एक हजार लोगों को गंभीर स्थिति में हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। दूसरी तरफ, लॉकडाउन के बावजूद मामले बढ़ने के बाद एमैनुएल मैक्रों सरकार दबाव में है। लोगों का कहना है कि लॉकडाउन हटा लेना चाहिए क्योंकि यह बेअसर साबित हो रहा है। हर दिन मामले बढ़ते जा रहे हैं। देश में अब कुल मामले करीब 15 लाख हो चुके हैं।

पेरिस के बाजार सूने पड़े हैं। फ्रांस में एक महीने का लॉकडाउन है, लेकिन अब तक इसका फायदा होता नहीं दिखा है। इसकी वजह यह है कि हर दिन औसतन 50 हजार नए मामले सामने आ रहे हैं।


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अमेरिका के नॉर्थ डकोटा में संक्रमण तेजी से बढ़ा है। चुनावी माहौल में कोरोना और खतरनाक रफ्तार से बढ़ा। बुधवार को यहां एक लाख से ज्यादा मामले सामने आए। (फाइल)


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बिहार में नीतीश का इमोशनल कार्ड; अमेरिका में बाइडेन को बढ़त; फरवरी में आ सकती है कोरोना वैक्सीन

नमस्कार!

7 नवंबर (पुष्य नक्षत्र) से 14 नवंबर (दिवाली) के बीच 7 ऐसे मुहूर्त हैं, जिनमें प्रॉपर्टी, ज्वैलरी, गाड़ियां आदि खरीदना शुभ होगा। मगर कोरोना के चुनौतीपूर्ण दौर में यह कैसे संभव होगा? यह देखने की बात होगी। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ

सबसे पहले देखते हैं बाजार क्या कह रहा है

  • BSE का मार्केट कैप 162 लाख करोड़ रुपए रहा। BSE पर करीब 61% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही।
  • 2,828 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 1,746 कंपनियों के शेयर बढ़े और 912 कंपनियों के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • IPL में आज सनराइजर्स हैदराबाद और रॉयल चैलेंजर बेंगलुरु आमने-सामने होंगे। यह एलिमिनेटर मैच होगा। अबु धाबी में शाम साढ़े 7 बजे शुरू होगा।
  • रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी की जमानत अर्जी पर बॉम्बे हाईकोर्ट में आज सुनवाई होगी।

देश विदेश

बिहार में नीतीश बोले- यह मेरा आखिरी चुनाव

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को बिहार में एक चुनावी सभा में कहा,‘जान लीजिए...आज चुनाव प्रचार का आखिरी दिन है। परसों चुनाव है...और यह मेरा आखिरी चुनाव है। अंत भला तो सब भला।’ अब कयास लग रहे हैं कि यह उनका फैसला है या इमोशनल कार्ड।

भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन फरवरी में आ सकती है

भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन (को-वैक्सीन) फरवरी में आ सकती है। यह जानकारी न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने भारत सरकार से जुड़े एक वैज्ञानिक के हवाले से दी है। पहले कहा जा रहा था कि भारत बायोटेक की वैक्सीन अगले साल अप्रैल-जून तक आ पाएगी।

US इलेक्शन: कई स्टेट्स में हिंसा, बाइडेन को बढ़त

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन को बढ़त मिलती दिख रही है। उन्होंने ट्रम्प से मिशिगन और विस्कॉन्सिन छीन लिए हैं। 2016 में यहां ट्रम्प जीते थे। इस बीच, अमेरिका के कई राज्यों में ट्रम्प समर्थक और विरोधियों ने हिंसक प्रदर्शन किया। 60 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

भारतीय मूल के 12 से ज्यादा उम्मीदवार स्टेट इलेक्शन जीते

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के साथ स्टेट लेवल इलेक्शन भी हुए। इनमें 12 से ज्यादा भारतीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। हाउस ऑफ रिप्रजेन्टेटिव्स में चार भारतीय मूल के उम्मीदवार फिर चुने गए हैं। ये हैं डॉक्टर एमी बेरा, प्रमिला जयपाल, रो खन्ना और राजा कृष्णमूर्ति।

मध्य प्रदेश में बोरवेल में गिरा 5 साल का बच्चा

मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले के सेतपुरा गांव में 200 फीट गहरे बोरवेल में गिरे बच्चे को 33 घंटे बाद भी नहीं निकाला जा सका। 5 साल का प्रहलाद कुशवाह बुधवार सुबह 9 बजे खेत के बोरवेल में गिर गया था। आर्मी ने उसे बचाने के लिए 55 फीट का गड्ढा खोदा।

डीबी ओरिजनल

दूसरी बार में कोरोना ज्यादा खतरनाक

आज कहानी रायपुर के स्पेशल डीजीपी आरके विज और यूपी के मोहनलालगंज से बीजेपी सांसद कौशल किशोर की। विज दो बार कोरोना की चपेट में आए और दूसरी बार में ज्यादा इन्फेक्टेड हुए। हालांकि अब दोनों ठीक हैं, उन्होंने हमसे बात करते हुए अपना एक्सपीरियंस शेयर किया।

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भास्कर एक्सप्लेनर

शादी से जुड़े विवादों में किसे और कितना मेंटेनेंस मिलना चाहिए?

पति-पत्नी के बीच विवाद घर-घर की कहानी है। विवाद जब न सुधरने वाले रिश्तों की ओर बढ़ते हैं। तब तलाक, भरण-पोषण भत्ते या मेंटेनेंस अलाउंस की नौबत आती है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन किस तरह इन मामलों की सुनवाई में बदलाव लाएगी। ऐसे समझिए।

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सुर्खियों में और क्या है...

  • मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर ने गुरुवार को अनलॉक 5.0 के तहत 10 नवंबर से म्यूजियम, आर्ट गैलरी खोलने को मंजूरी दे दी है। मंत्रालय ने SOP भी जारी की है।
  • उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में भाजपा कार्यकर्ता मनुपाल बंसल ने विनयपुर की मस्जिद में मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ किया।
  • भारतीय कप्तान विराट कोहली गुरुवार को 32 साल के हो गए। फिलहाल, वे IPL के लिए यूएई में मौजूद हैं, जहां उनका बर्थडे सेलिब्रेट किया।
  • वुमन्स टी-20 चैलेंज यानी महिलाओं का IPL के तीसरे सीजन के दूसरे मुकाबले में स्मृति की ट्रेलब्लेजर्स ने मिताली राज की वेलोसिटी को 9 विकेट से हराया।


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Nitish's emotional card in Bihar; Biden is now America; Corona vaccine may come in February


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जीवन साथी की दी हुई सलाह को मानना या ना मानना अलग है, लेकिन कभी उसकी सलाह का मजाक ना उड़ाएं

कहानी - रामायण का एक प्रसंग है। सीता हरण के बाद जब राम वानर सेना के साथ लंका तक आ गए। तब मंदोदरी रावण के इस जीवन को लेकर आशंकित रहने लगी। वो अक्सर अपने दुर्भाग्य पर रोती थी। एक बार एकांत में रावण ने अपनी पत्नी मंदोदरी से पूछा कि तुम्हारी आंखों में आंसू क्यों हैं?

मंदोदरी ने हाथ जोड़कर कहा कि मैंने आपसे पहले भी निवेदन किया और अब फिर से समझा रही हूं कि राम कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं, उनसे दुश्मनी न करें। तब रावण बोला कि तुम कहना क्या चाहती हो?

मंदोदरी ने पूरी विनम्रता से कहा कि आप सीता को लौटा दीजिए। इसी में सबकी भलाई है।

रावण ने मंदोदरी की ये बात नहीं मानी। बल्कि, उसका अपमान करते हुए कहता है कि तुम औरतों में आठ अवगुण होते हैं। ये आठ अवगुण हैं - साहस, झूठ, चंचलता, छल, डरपोकपन, मूर्खता, अपवित्रता और निर्दयता।

रावण की बात सुनकर मंदोदरी कहती है कि हम स्त्रियों का परिहास करके आप कोई बुद्धिमानी नहीं कर रहे हैं। राम लगातार आप पर विजय प्राप्त कर रहे हैं। सीता स्वयंवर में धनुष तोड़ा, शूर्पणखा के नाक-कान काट दिए, समुद्र पार करके लंका तक आ गए। आप कब समझेंगे?

रावण कहता है कि तुमने ये बड़ी गहरी बात कही है। ऐसा कहकर तुम मेरे ही बल का बखान कर रही हो, मेरा ऐसा प्रभाव है कि जिसे सब भगवान मान रहे हैं वो राम मुझसे लड़ने के लिए वानरों की सेना लेकर मेरे नगर तक आया है। मंदोदरी, मैं तुझे अब मान गया। ऐसा कहकर रावण जोर से हंसा और अपने दरबार की ओर चल दिया।

मंदोदरी, रावण को जाता हुआ देख सोचती है कि इनका ये अहंकार कहीं इनके प्राण ही न ले ले। अंत में हुआ भी यही। रावण का अभिमान उसके लिए प्राण घातक साबित हुआ। पत्नी की अच्छी सलाह का मजाक बनाना उसे भारी पड़ गया।

सीख - पारिवारिक जीवन में पति-पत्नी एक-दूसरे को सलाह देते हैं। कभी पति सही हो सकता है, कभी पत्नी सही हो सकती है। अगर सलाह न मानी जाए तो वह अपनी जगह है, लेकिन कभी भी एक-दूसरे का मजाक ना उड़ाएं। यही सुखी वैवाहिक जीवन का मूल मंत्र है।

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बिहार के फारबिसगंज में चौराहे पर लगी प्रतिमा में नाम के आगे लिखा चंद्रशेखर तिवारी आजाद

बिहार में चुनाव है। इस बार चुनाव के केंद्र में जाति है। चर्चा के लिए कई मुद्दे हैं लेकिन वोट डालते वक्त सबसे प्रमुख जाति है। इस राज्य में जाति नाम के साथ नत्थी है। पिछले साल यानी 2019 में बिहार में देश की आजादी के लिए खुद को फंसी से झूला देने वाले अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की भी जाति खोज ली गई। उनको भी उनकी जाति के साथ बीच चौराहे पर खड़ा कर दिया गया।

जिस चंद्रशेखर आजाद ने सोलह साल की उम्र में अंग्रेज जज के सामने अपना परिचय बताते हुए कहा था, “मेरा नाम आजाद है, पिता का नाम स्वतंत्र और पता जेल है।” उस चंद्रशेखर आजाद को बिहार में चंद्रशेखर तिवारी आजाद बताया गया है। उन्हें ये नई पहचान साल भर पहले दी गई। सबके सामने और बीच चौराहे पर दी गई।

राज्य के अररिया जिले के फारबिसगंज में एक व्यस्त चौराहा है। नाम है, पोस्ट ऑफिस चौराहा या चौक। ट्रैफिक कंट्रोल की कोई व्यवस्था नहीं है। सो चारों तरफ से आने वाली गाड़ियों की वजह से यहां कभी भी ट्रैफिक जाम लग जाता है। ट्रैफिक जाम नहीं भी हो तो गाड़ियों से होने वाले शोर की वजह से वहां खड़ा रहना मुश्किल है।

इस चौराहे पर पिछले साल 7 जुलाई को स्वतंत्रता सेनानी और शहीद चंद्रशेखर आजाद की एक प्रतिमा लगाई गई, जिसमें उनके नाम में जातिसूचक ‘तिवारी’ लगाया गया। प्रतिमा लगाने वाले संगठन हिंदू युवा शक्ति के मुताबिक इसमें कुछ भी गलत नहीं है। प्रकाश पांडिया इस संगठन से जुड़े हैं। इसी चौक पर पिछले 7 साल से मोबाइल दुकान चला रहे हैं।

इसी साल जुलाई में हिंदू युवा संगठन ने यहां चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा लगाई है।

बिना कैमरे पर आए प्रकाश कहते हैं, “इसमें क्या गलत है? जब मोहनदास करमचंद गांधी के नाम में उनका टाइटल है तो चंद्रशेखर आजाद के नाम में क्यों नहीं होना चाहिए? उन्होंने तो अंग्रेज जज के सामने अपना नाम आजाद बताया था फिर क्यों उनके नाम में चंद्रशेखर जोड़ा गया। अगर चंद्रशेखर जोड़ा जा सकता है तो तिवारी भी जोड़ा जाना चाहिए। हमने यही किया है।”

बकौल प्रकाश उनके संगठन हिंदू युवा शक्ति से जुड़े सभी लोग कार्यकर्ता हैं। कुल तीस युवा इस संगठन से जुड़े हैं और वो इलाके में हिंदू ‘हितों’ की रक्षा के लिए सक्रिय रहते हैं। जब उन्होंने इस नाम के साथ प्रतिमा की स्थापना की थी तो काफी विरोध हुआ था, लेकिन वो सोशल मीडिया पर ही था।

वो बताते हैं, “सामने से कोई कुछ कह नहीं सकता। इतनी तो किसी की हिम्मत नहीं है। हां, यहां के कई स्थानीय लोगों ने सोशल मीडिया पर विरोध किया था। वो करते रहें। हमने प्रतिमा स्थापित कर दी क्योंकि नगरपालिका से हमने अनुमति ले रखी थी।”

सीमांचल असल गंगा-जमुनी तहजीब वाला, यहां ओवैसी के मुस्लिमवाद का क्या काम?

जो जानकारी उपलब्ध है, उसके मुताबिक मध्य प्रदेश के भाबरा में सीताराम तिवारी और जगरानी देवी के घर चंद्रशेखर आजाद का जन्म हुआ था। साल था 1906 और तारीख थी 23 जुलाई। जिस मुल्क की आजादी के लिए लड़ते हुए चंद्रशेखर आजाद ने 24 साल की उम्र में मौत को गले लगा लिया उसी मुल्क के एक हिस्से में उन्हें जाति के बंधन में बांधने पर गर्व महसूस किया जा रहा है।

हमारे कई बार कहने के बाद भी प्रकाश पांडिया कैमरे के सामने आकार कुछ भी कहने से मना करते हैं। यहां तक की वो अपनी तस्वीर लेने से भी मना कर देते हैं। वो ऐसा क्यों कर रहे हैं ये पूछने पर कहते हैं, “देखिए…मैं और हमारे संगठन के दूसरे सभी लड़के व्यापार करते हैं। हम किसी झंझट में नहीं फंसना चाहते हैं। हमें उनकी प्रतिमा लगानी थी सो लगा दिया। जाति बतानी थी सो बता दिया। अब इसके आगे हमें कुछ भी नहीं कहना है।”

जो जानकारी उपलब्ध है, उसके मुताबिक मध्य प्रदेश के भाबरा में सीताराम तिवारी और जगरानी देवी के घर चंद्रशेखर आजाद का जन्म हुआ था।

इस चौक पर कई दुकानें हैं। कई लोग आ-जा रहे हैं लेकिन कोई भी इस बारे में बात करने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है। सुबोध साह इसी चौक पर पान की दुकान लगाते हैं। जब हमने उनसे इस प्रतिमा और जाति वाले नए पहचान के बारे में पूछा तो बोले, “क्या कहें…चौक की राजनीति बहुत गंदी होती है। संसद और विधानसभा से कहीं ज़्यादा गंदी। हम इतना ही कहेंगे कि इसकी जरूरत नहीं थी। अगर जीते जी उन्होंने अपने नाम के साथ अपनी जाति नहीं लगाई तो अब उनके मरने के बाद लगाने का कोई मतलब नहीं है।”

अपनी बात को रखते हुए सुबोध पूरी बेफिक्री से ये भी कहते हैं कि ई चौक है। किसी का मन किया तो लगा दिया। क्या करना है? लगा हुआ है। लेकिन क्या ये इतनी सी बात है? क्या अपने शहीदों, स्वतंत्रता सेनानियों या देश को बनाने वाले नामों को जाति और धर्म के बंधन में बंधना एक सामान्य बात है? क्या इसका नुकसान समाज को आगे होगा? क्या शहीद चंद्रशेखर आज़ाद को किसी एक जाति का माना जा सकता है?

इन सवालों के जवाब में दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में इतिहास विभाग के अध्यक्ष और प्रोफेसर उमेश कदम कहते हैं, “सबसे पहली बात, चंद्रशेखर आजाद की शहादत इन सब से बहुत ऊपर है। वो हर बंधन से ऊपर हैं। वो उन सबके हैं जो अपने मुल्क से प्रेम करता है। रही बात, जाति के खांचे में फिट करने की तो वो तो हम कर ही रहे हैं। शहरों में जाति के नाम पर अपार्टमेंट हैं। अखबारों में शादी के लिए छपने वाले इस्तेहार में जाति का जिक्र होता है। जाति तब तक नहीं जाएगी जब तक इसे रोकने के लिए कोई कठोर कानून नहीं बनता।



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यही वो प्रतिमा है जहां शहीद चंद्रशेखर आजाद के नाम में उनकी जाति भी जोड़ी गई है।


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संदीप देख नहीं सकते, खाखरा-पापड़ बेच घर खर्च चलाते हैं, RBI ऐप से नोट पहचान लेते हैं

सूरत के वराछा इलाके में रहने वाले संदीप जैन नेत्रहीन हैं। लेकिन, इस शारीरिक कमजोरी के बाद भी वे आत्मनिर्भर हैं। अपने परिवार का खर्च चलाते हैं। ग्रेजुएशन के बाद उन्हें सरकारी की मदद से एक STD-PCO मिली थी। परिवार का खर्च उससे चल जाता था। लेकिन, कुछ दिनों बाद वो बंद हो गई। इससे संदीप के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया। परिवार के गुजारे के लिए कुछ न कुछ करना ही था। फिर उन्होंने अपना बिजनेस शुरू करने का मन बनाया।

संदीप खुद से पापड़ तैयार कर ट्रेनों में बेचने लगे। धीरे-धीरे उन्हें मुनाफा होने लगा। आज वे पापड़ के अलावा खाखरा और चिक्की भी बेचते है, जिसे काफी पंसद किया जा रहा है। उनके तो कई ग्राहक फिक्स भी हो चुके हैं। मार्च महीने तक संदीप हर महीने 20-30 हजार रुपए तक कमा लेते थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते वे फिलहाल 10-15 हजार रुपए ही कमा पा रहे हैं। हालांकि, वो इससे भी निराश नहीं हैं।

12 साल की उम्र में बिना बताए मुंबई भाग आए, फुटपाथ पर रहे और फिर खड़ी की 40 करोड़ की कंपनी

संदीप जैन ने बताया कि उन्हें सरकारी मदद से STD-PCO मिल गया था। लेकिन टेलीफोन क्षेत्र में हुई क्रांति के बाद PCO बंद हो गए। फिर उन्होंने अपना काम शुरू किया।

संदीप अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ एक अपार्टमेंट में रहते हैं। उन्होंने 12वीं की पढ़ाई अहमदाबाद के ब्लाइंड पीपल एसोसिएशन स्कूल में की। इसके बाद सूरत के एमटीबी आर्ट्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। 1999 में उनकी शादी हुई। पत्नी भी नेत्रहीन है। अच्छी बात ये है कि उनकी दोनों बेटियां स्वस्थ हैं, उन्हें किसी तरह की दिक्कत नहीं है। पहली बेटी बीकॉम कर रही है जबकि दूसरी सातवीं क्लास में है।

मां फैक्ट्री सुपरवाइजर थीं, बेटा पर्चे बांटता, फिर खड़ी की 20 लाख टर्नओवर की कंपनी

STD-PCO बंद होने से काम शुरू किया
संदीप जैन ने बताया कि ग्रेजुएशन के बाद उन्हें सरकारी मदद से STD-PCO मिल गया था। लेकिन टेलीफोन क्षेत्र में हुई क्रांति के बाद PCO बंद होते चले गए। इसके बाद उन्होंने पापड़ बेचने का काम शुरू किया। वे बताते हैं, "फिलहाल मैं पापड़ के साथ खाखरा और चिक्की भी बेचता हूं। आज तक किसी ग्राहक ने क्वालिटी खराब होने की शिकायत नहीं की। मैं ग्राहकों की संतुष्टि के बाद ही उनसे पैसे लेता हूं।"

संदीप के प्रोडक्ट को लोगों से काफी सराहना मिलती है। संदीप बताते हैं कि मेरे प्रोडक्ट की क्वालिटी काफी अच्छी होती है।

किसी भी काम को छोटा नहीं समझना चाहिए
सड़कों पर पापड़, खाखरा बेचने वाले संदीप कहते हैं कि कोई भी नौकरी या बिजनेस हो, छोटा नहीं होता। हमें उसका सम्मान करना चाहिए। वैसे भी अपना मनचाहा काम करने में तो ज्यादा खुशी होती है। संदीप बताते हैं कि उनका परिवार सुखी है और जिंदगी की गाड़ी भी ठीक चल रही है।

बेटियों के लिए भी कोई चीज लेने में किसी की मदद लेने की जरूरत नहीं पड़ती। मैं अपने सभी काम खुद ही करता हूं। ये बिजनेस करने के लिए मैं पहले सूरत स्टेशन से मुंबई के मलाड स्टेशन तक का सफर किया करता था। अब 6-7 सालों से सूरत में ही घूम-घूमकर बिजनेस करता हूं।

नए नोट की पहचान के लिए RBI के ऐप का उपयोग

आज संदीप आत्मनिर्भर हैं। हर महीने वो इतना कमा लेते हैं कि उन्हें किसी से मांगने की जरूरत नहीं होती है।

संदीप बताते हैं कि मैं ग्राहकों द्वारा दिए जाने वाले सभी करंसी को आराम से पहचान जाता हूं। चाहे वह 10,20,50,100 या 500 का ही नोट क्यों न हो। नोटबंदी के बाद जब मार्केट में नए नोट आए तो शुरुआत में थोड़ी परेशानी होती थी। उसके लिए मैं RBI के ऐप का उपयोग करता था। इससे नोट स्कैन करते ही पता चल जाता है कि वह कितने का नोट है।

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Sandeep of Surat is blind, earning 30 thousand rupees every month by selling papad and Khakhara


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शादी से जुड़े विवादों में किसे और कितना मेंटेनेंस मिलना चाहिए? पढ़िए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन

पति-पत्नी के बीच विवाद घर-घर की कहानी है। विवाद फिर न सुधरने वाले रिश्तों की ओर बढ़ते हैं। तब तलाक, भरण-पोषण भत्ते या मेंटेनेंस अलाउंस की नौबत आती है। मामले फैमिली कोर्ट, जिला अदालतों और मजिस्ट्रेट कोर्ट तक जाते हैं और यही वजह है कि इन अदालतों में हजारों की संख्या में केस चल रहे हैं। इतना ही नहीं, संतुष्ट न होने पर केस हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाते हैं और वहां भी लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरते हैं।

जितने लोग, उतने ही कानून। हर मामला कुछ नई कहानी बयां करता है। लेकिन मूल में शादी और उसकी वजह से होने वाला तनाव ही होता है। अलग-अलग अदालतों ने इतने फैसले सुना दिए हैं कि वकीलों तक को याद रखना मुश्किल हो जाता है। इस व्यवस्था को स्ट्रीम लाइन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 4 नवंबर 2020 को गाइडलाइन जारी की।

जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की बेंच ने इस गाइडलाइन के जरिए निचली अदालतों के लिए चेकलिस्ट बनाई। यह गाइडलाइन निचली अदालतों के लिए जितने काम की है, उतनी ही हर दिन कोर्ट-कचहरी का चक्कर काटने वाले लोगों के लिए भी। आइए सरल शब्दों में जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन किस तरह इन मामलों की सुनवाई में बदलाव लाएगी…

यह गाइडलाइन क्या है और किसके लिए है?

  • सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है। एक, फैमिली कोर्ट, जिला अदालतों या मजिस्ट्रेट कोर्ट के लिए। दूसरा, उन पति-पत्नी के लिए, जिनके बीच विवाद है।

निचली अदालतों के लिए क्या निर्देश हैं?

  • सुप्रीम कोर्ट की कोशिश है कि शादी से जुड़े विवादों की सुनवाई में एकरूपता आएं। इस वजह से उसने गुजारा भत्ते या मेंटेनेंस अमाउंट को लेकर कुछ नियम तय किए हैं। इसके तहत गुजारा भत्ते से जुड़े मामले की सुनवाई से पहले अदालतों को दोनों पक्षों से संपत्तियों और दायित्वों की सूची बनाकर पेश करने को कहा है। इसके बाद गुजारा भत्ता तय करते समय किन बातों को ध्यान में रखा जाएं, यह भी बताया है।

गुजारा भत्ता तय करने का आधार क्या बनेगा?

  • सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों से कहा है कि वे पीड़ित पक्ष की पीड़ा और जरूरतों को समझें और उसके अनुसार गुजारा भत्ते से जुड़े आदेश पारित करें। इसमें (1) दोनों पक्षों की उम्र और रोजगार, (2) निवास के अधिकार, (3) कामकाजी पत्नी के संबंध में, (4) छोटे बच्चों के गुजारा भत्ते, और (5) विकलांगता या स्थायी बीमारी पर विचार करने की नसीहत दी गई है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइडलाइंस में कोई अमाउंट फिक्स नहीं किया है, बल्कि आउटलाइन तय की है। यह भी कहा है कि हर केस के लिए एक-सा फॉर्मूला तय नहीं कर सकते। यह केस-टू-केस आधार पर तय होना चाहिए। गुजारा भत्ते का फिक्सेशन अदालतों को अपने विवेक के आधार पर करना चाहिए।
  • सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों से कहा कि यदि पत्नी पढ़ी-लिखी और प्रोफेशनली क्वालिफाइड है, लेकिन बच्चों या बुजुर्ग की देखभाल के लिए बरसों से घर पर ही रही है तो यह समझना चाहिए कि तत्काल उसे कोई रोजगार नहीं मिलने वाला। दोबारा वर्कफोर्स में शामिल होना आसान नहीं रहता। यदि पत्नी कामकाजी है और कमाती है तो यह देखना जरूरी है कि परिवार में रहते हुए जैसी लाइफस्टाइल उसकी थी, वह आगे भी कायम रहें।
  • किसी भी महिला से उसके निवास के अधिकार को छीना नहीं जा सकता। घरेलू हिंसा कानून में उसे जॉइंट घर में रहने का अधिकार दिया था। यहां यह स्पष्ट करना जरूरी है कि भले ही घर पति का हो या उसके परिवार का, पत्नी को उसमें रहने का अधिकार है। फिर चाहे घर किराये का क्यों न हो। अदालतें पति (रिस्पॉन्डेंट) को पत्नी के रहने की वैकल्पिक व्यवस्था करने का निर्देश दे सकती हैं।
  • बच्चों के गुजारा भत्ते को तय करते समय यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि सिर्फ खाने-पीने, कपड़ों, रहने, डॉक्टरी खर्चे, पढ़ाई की ही बात नहीं है, बल्कि कोचिंग क्लास और वोकेशनल कोर्सेस का खर्च भी महत्वपूर्ण है। यदि पत्नी कामकाजी है और ठीक-ठाक कमा रही है तो दोनों मिलकर भी बच्चे का खर्च उठा सकते हैं। इसी तरह पत्नी और बच्चे/बच्चों की विकलांगता या बीमारी पर ध्यान देना भी जरूरी है।

आवेदक (पीड़ित पक्ष) के लिए क्या नियम तय किए हैं?

  • सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइंस में आवेदक के लिए भी नियम तय किए हैं। उसे यह बताना होगा कि उसने किस कानून के तहत किस अदालत में पहले से केस कर रखा है। दरअसल, समस्या यह आती है कि एक पक्ष कई मर्तबा झूठे केस या एक से अधिक कानूनों के तहत दूसरे पक्ष को परेशान करता है।
  • नई व्यवस्था से कोर्ट को पता होगा कि आवेदक वाकई में पीड़ित है या सिर्फ परेशान करने के लिए केस कर रहा है। यदि किसी कोर्ट से गुजारा भत्ते को लेकर कोई आदेश आ चुका है और उसमें बदलाव करना है तो आवेदक को उसके बारे में बताते हुए अपना आवेदन देना होगा।

पीड़ित पक्ष को गुजारा भत्ता किस दिन से मिलेगा?

  • गुजारा भत्ता किस दिन से शुरू किया जाए, इसे लेकर स्पष्ट आदेशों की कमी थी। इस वजह से सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जिस दिन आवेदक गुजारा भत्ते के लिए आवेदन करेगा या करेगी, उसी दिन से मान्य होगा। जजमेंट कहता है कि गुजारा भत्ता आवेदन की तारीख से मिलना चाहिए क्योंकि मुकदमा कितना लंबा खींचेगा, यह आवेदक के हाथ में नहीं है।

यदि किसी ने गुजारा भत्ता समय पर नहीं चुकाया तो क्या होगा?

  • सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में स्पष्ट कहा है कि यदि गुजारा भत्ते का आदेश हो चुका है तो हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 28A, घरेलू हिंसा कानून के सेक्शन 20(6) या CRPC के सेक्शन 128 के तहत संबंधित पक्ष पर भुगतान का दबाव बनाया जा सकता है। यदि इसके बाद भी वह गुजारा भत्ता नहीं चुकाता तो CPC के प्रावधानों (सेक्शन 51, 55, 58, 60) के तहत सिविल कोर्ट से मनी डिक्री यानी कुर्की की कार्यवाही की जा सकती है।


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Supreme Court Judgement on Maintenance For Wife and Children; What Does Mean? All You Need To Know


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हेल्दी-टेस्टी दलिया इडली बनाने की आसान रेसिपी, 20 मिनट तक भाप में पकाएं, चटनी या सॉस के साथ सर्व करें



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Easy recipe to make healthy and tasty porridge idli, cook it in steam for 20 minutes and serve with chutney or sauce.


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कहानी उसकी जो जेल में बुलवाता था बार डांसर, डीएम-मंत्री की हत्या के मामले में मिल चुकी है सजा

बिहार के मुजफ्फरपुर में दिनदहाड़े एक डीएम को भीड़ पीट-पीटकर मार देती है। आरोपियों में दो बाहुबली नेता भी होते थे। दोनों की गिरफ्तारियां होती हैं। सजा मिलती है। बाद में हाईकोर्ट एक को बरी कर देती है।
डीएम की हत्या के 4 साल बाद एक मंत्री को गोलियों से भून दिया जाता है। इस मामले में जिन लोगों की गिरफ्तारियां होती हैं उनमें बरी हुए ये बाहुबली नेता भी होते हैं। उन्हें सजा होती है। लेकिन, इस मामले भी वो हाईकोर्ट से बरी हो जाते हैं।

हम बात कर रहे हैं, बाहुबली नेता और पूर्व विधायक विजय कुमार उर्फ मुन्ना शुक्ला की। शुक्लाजी पढ़े-लिखे भी हैं। नाम के आगे डॉक्टर लगाते हैं। उन्हें ये डिग्री जेल में रहकर ही मिली है। जेल में रहने के दौरान उन्होंने डॉ. बीआर अंबेडकर पर पीएचडी की।

पिता वकील थे, भाई की हत्या हुई तो क्राइम में आए

मुजफ्फरपुर की एक कोर्ट में वकील थे रामदास शुक्ला। इनके चार लड़के थे। सबसे बड़े थे कौशलेंद्र उर्फ छोटन शुक्ला, दूसरे नंबर पर थे अवधेश उर्फ भुटकुन शुक्ला, तीसरे नंबर पर थे विजय कुमार उर्फ मुन्ना शुक्ला और सबसे छोटे थे मारू मर्दन उर्फ ललन शुक्ला।

मुजफ्फरपुर के नामी कॉलेज लंगट सिंह कॉलेज के हॉस्टल में छात्रों के बीच जाति और इलाके में दबदबे को लेकर लड़ाई चलती थी। इसी लड़ाई से उभरे थे कौशलेंद्र उर्फ छोटन शुक्ला। छोटन दबंगई में पैर जमाने के लिए ठेकेदारी के काम में उतरे। देखते ही देखते इलाके के बड़े ठेकेदार बन गए। 1994 में उनकी हत्या कर दी गई। कहा जाता है कि इस हत्या में उस समय के मंत्री और बाहुबली विधायक बृजबिहारी प्रसाद का हाथ था।

मुन्ना शुक्ला ने अपने बड़े भाई छोटन शुक्ला की अंतिम यात्रा निकाली। जगह-जगह इस हत्या को लेकर प्रदर्शन भी हुए। उसी समय गोपालगंज के तब के डीएम जी कृष्णैया गुजर रहे थे। भीड़ ने लालबत्ती की गाड़ी देखते ही हमला कर दिया और उन्हें पहले तो पीटा और फिर गोली मार दी। डीएम की हत्या का आरोप लगा मुन्ना शुक्ला और बाहुबली आनंद मोहन पर। ये पहली बार था जब किसी क्राइम में मुन्ना शुक्ला का नाम आया था। इस मामले में मुन्ना शुक्ला को उम्रकैद की सजा सुनाई गई, लेकिन 2008 में हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।

भाई की मौत के बाद मुन्ना शुक्ला ने काम संभाला और ठेकेदारी करने लगे। चार साल बाद 1998 में बृजबिहारी प्रसाद राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री बन गए। इस बात को मुन्ना शुक्ला समेत कई बाहुबली सहन नहीं कर पाए।

3 जून 1998 को पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के पार्क में बृजबिहारी टहल रहे थे। तभी कुछ लोग आए और उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चलानी शुरू कर दीं। इस केस में नाम आया मुन्ना शुक्ला, राजन तिवारी, सूरजभान सिंह समेत 8 लोगों का। सभी को उम्रकैद की सजा मिली। लेकिन, 2014 में हाईकोर्ट ने इन्हें बरी कर दिया।

डीएम की हत्या में जेल हुई, तो राजनीति में उतरे

डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में मुन्ना शुक्ला को जेल हो गई। इसी दौरान उन्होंने राजनीति में आने का फैसला लिया। 2000 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने वैशाली जिले की लालगंज सीट से निर्दलीय पर्चा भर दिया। उस समय वो जेल में ही थे। पहले ही चुनाव में जेल में रहते हुए मुन्ना ने राजद के राजकुमार साह को 52,705 वोटों से हरा दिया।

इसके बाद फरवरी 2005 में वो इसी सीट से लोजपा के टिकट पर जीते और अक्टूबर 2005 में जदयू के टिकट पर। 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने सजा पाए लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी। लेकिन, दबदबा बनाने के लिए मुन्ना ने अपनी पत्नी अन्नू शुक्ला को जदयू से टिकट दिलवा दिया। वो जीत भी गईं।

हत्या के मामलों में बरी होने के बाद 2015 में मुन्ना शुक्ला फिर जदयू के टिकट पर यहां से लड़े, लेकिन हार गए। इस बार लालगंज सीट भाजपा के पास चली गई। उनका टिकट कट गया, तो निर्दलीय ही खड़े हो गए।

जेल में ही बार डांसर बुलवाता था, पीएचडी भी जेल से ही की

डीएम की हत्या के मामले में मुन्ना शुक्ला जब जेल में सजा काट रहे थे, तब उनकी एक तस्वीर अखबारों में छपी थी। इस तस्वीर में उनके एक हाथ में बंदूक और दूसरे हाथ में सिगरेट थी। बगल में बार डांसर नाच रही थी। इस तस्वीर के सामने आने के बाद भी कुछ नहीं हुआ और दो-चार दिन में ही मामला ठंडा पड़ गया।

2012 में मुन्ना ने जेल से ही एक इंजीनियरिंग कॉलेज के डायरेक्टर से 2 करोड़ रुपए की रंगदारी मांगी। मामला दर्ज हुआ। जेल में छापा मारा गया तो मुन्ना के पास से एक मोबाइल बरामद किया गया। इसी साल मुन्ना ने जेल में रहते हुए ही डॉ. बीआर अंबेडकर पर पीएचडी की।



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Bihar Election 2020: Vaishali Bahubali Vijay Kumar Urf Munna Shukla Political Career Update | Vijay Kumar Criminal Cases And Property Details


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फर्जी कस्टमर केयर और सोशल मीडिया फ्रेंड बनकर किया जा रहा फ्रॉड, जानिए बचने के आसान तरीके

कोरोनावायरस के चलते पूरी दुनिया में रिमोट वर्किंग बढ़ गई है। फिजिकल लेन-देन 50% तक घट गया है। इसकी जगह ऑनलाइन ट्रांजेक्शन ने ले ली है। वहीं, ऑनलाइन ठगी करने वाले साइबर अपराधी भी अब ज्यादा सक्रिय हैं। ऐसे में आप साइबर क्राइम के बारे में जानकारी से ही बच सकते हैं।

साइबर एक्सपर्ट ललित मिश्रा कहते हैं कि सबसे जरूरी बात है- ऑनलाइन लॉटरी, कैसिनो, गेमिंग, शॉपिंग या फ्री डाउनलोड का लालच देने वाली वेबसाइट्स में अपने क्रेडिट या डेबिट कार्ड्स के डिटेल्स को कतई न डालें। इसके अलावा लुभावने मैसेज के जरिए भेजी जाने वाली प्रमोशनल लिंक पर डाइरेक्ट क्लिक करने से बचें।

ये लिंक आमतौर पर फिशिंग गिरोहों द्वारा त्योहारों के दौरान भेजी जाती हैं। इन लिंक्स के जरिए उपभोक्ता के एकाउंट नंबर और पासवर्ड हैक कर लिए जाते हैं। ईमेल एकाउंट का पासवर्ड तो तुरंत हैक हो जाता है। फिर इसका दुरुपयोग आसानी से किया जा सकता है।

फिशिंग मेल, मैसेज और कॉल से कैसे सावधान रहें?

“फिशिंग” का मतलब होता है लालच देकर फ्रॉड करना। आजकल मैसेज, कॉल और मेल के जरिए तमाम तरह के ऑफर दिए जा रहे हैं। आईफोन समेत तमाम ब्रांडेड फोन, लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक एसेसरीज मामूली दामों पर ऑफर किए जा रहे हैं।

फर्जी बैंकर बनकर कैशबैक और क्रेडिट कार्ड ऑफर करना भी फ्रॉड की दुनिया में काफी चलन में है। इसी तरह के लालच देकर कस्टमर से उसकी प्राइवेट डिटेल ली जा रही है और बाद में उनके अकाउंट को खाली कर दिया जा रहा है।

फेक फ्रेंड से कैसे बचें?

साइबर क्राइम की दुनिया में एक नया तरीका ट्रेंड में है। इसमें आपके क्लोज फ्रेंड के नाम से फर्जी प्रोफाइल बनाकर फेसबुक या इंस्टाग्राम पर नई रिक्वेस्ट भेजी जाती है। फिर मैसेज भेजकर इमरजेंसी के नाम पर पैसा मांगा जाता है।

फर्जी प्रोफाइल में फोटो से लेकर इन्फो तक सबकुछ हूबहू डाली जा रही है, जिससे लोगों को जरा भी शक नहीं होता। लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर आप यह पता कर सकते हैं कि जिस प्रोफाइल से पैसा मांगा जा रहा है, वह फर्जी है या नहीं

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कस्टमर केयर के नाम पर भी हो रहा फ्रॉड

आजकल हर प्रोडक्ट और सर्विस के लिए कस्टमर सपोर्ट उपलब्ध हैं। ऐसे में कोई दिक्कत होने पर लोग तत्काल कस्टमर सपोर्ट का नंबर खोजने लगते हैं। साइबर अपराधियों ने पहले से ही इंटरनेट पर कस्टमर सपोर्ट के नाम खुद का नंबर डाल रखा है। लोग उसे ही कस्टमर सपोर्ट नंबर समझ कर कॉल कर देते हैं।

बाद में फर्जी कस्टमर केयर एक्जीक्यूटिव के तौर पर अपराधी उनसे उनकी पर्सनल डिटेल लेकर फ्रॉड को अंजाम देते हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, डिजिटल पेमेंट एप्लिकेशन जैसे- गूगल पे, फोन पे, पेटीएम के सबसे ज्यादा फर्जी कस्टमर सपोर्ट नंबर इंटरनेट पर डाले गए हैं, जिससे कस्टमर खुद साइबर अपराधियों तक पहुंच रहे हैं।

अलर्ट नोटिफिकेशन ऑन रखें

  • आजकल वायलेट ऐप जैसे- गूगल पे, फोन पे और पेटीएम पर मनी रिक्वेस्ट की सुविधा उपलब्ध है। यानी आपको कोई भी पेमेंट करने के लिए रिक्वेस्ट भेज सकता है। जिसके बाद बस एक क्लिक पर आपके अकाउंट से उस अकाउंट में पैसे चले जाएंगे।
  • सभी वायलेट ऐप पर अलर्ट नोटिफिकेशन की सुविधा उपलब्ध है। जब भी कोई आपके वैलेट में लॉगिन करने की कोशिश करेगा तो आपको अलर्ट नोटिफिकेशन आएगा, संदेह होने पर आप परमिशन डिनाई भी कर सकते हैं।

कुकीज को डिलीट करना न भूलें

जब भी आप ब्राउजर, जैसे- क्रोम और मोजिला के जरिए पेमेंट करते हैं तो आपसे सिस्टम कुकीज इनेबल करने को कहता है। बगैर इसके आप पेमेंट कर भी नहीं सकते। जब आप कुकीज इनेबल करते हैं तो आपकी डिटेल कोडिंग की भाषा में ब्राउजर के सर्वर पर सेव हो जाती है।

अगर आप ट्रांजेक्शन के बाद कुकीज डिलीट नहीं करते हैं तो इंटरनेशनल हैकर्स के लिए आपकी डिटेल को रीड करना आसान हो जाता है। इसलिए ब्राउजर के जरिए जब भी पेमेंट करें ब्राउजर की सेटिंग में जाकर कुकीज डिलीट करना न भूलें।

सेफ रहने के मजबूत तरीके क्या हैं?

  • साइबर एक्सपर्ट ललित मिश्रा कहते हैं कि ऑनलाइन फ्रॉड के दो सबसे बड़े कारण कार्ड क्लोनिंग एवं पासवर्ड की चोरी है। जिससे बचने का सबसे बड़ा उपाय है कि एटीएम और प्वाइंट ऑफ सेल्स मशीनों में बिना डेबिट/क्रेडिट कार्ड के भी पेमेंट की सुविधा उपलब्ध करा दी जाए।
  • इसके बाद स्टेटिक पिन नंबर की जगह हर ट्रांजेक्शन के लिए डायनामिक पिन नंबर ओटीपी की तरह जनरेट किया जाए, जिसे एटीएम एवं प्वाइंट ऑफ सेल्स मशीनों में फीड कर पैसे भी निकाले जा सकें।
  • एसबीआई द्वारा लांच योनो ऐप की तरह सभी बैंकों को भी ऐप लॉन्च करने चाहिए। योनो एप द्वारा हर बार ट्रांजेक्शन के पहले नया पिन बना लिया जाता है, जिसे फीड कर देश भर में 16 हजार 500 एटीएम में ट्रांजेक्शन किए जा सकते हैं।
  • दूसरा उपाय है कि सरकार के भीम UPI या अन्य बडी कंपनियों के UPI का ज्यादा इस्तेमाल किया जाए, उपभोक्ताओं को डेबिट एवं क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कम करना चाहिए।

फ्रॉड के शिकार होने पर क्या करें

  • RBI की 2017-18 की गाइडलाइन के मुताबिक, धोखाधड़ी की सूचना दर्ज कराने के बाद ट्रांजेक्शन की पूरी जिम्मेदारी बैंक पर होती है, यदि तय प्रक्रिया के मुताबिक संबंधित बैंक को सूचित नहीं किया गया तो जिम्मेदारी उपभोक्ता की होती है। इस स्थिति में बैंक पर रिफंड करने की कानूनी बाध्यता लागू नहीं होती।
  • धोखाधड़ी के शिकार होने पर अपने बैंक के संबंधित अधिकारी को तुरंत सूचित करें। इसके अलावा कस्टमर केयर सेंटर पर सूचना दर्ज कराएं और दर्ज सूचना का नंबर भविष्य के लिए सुरक्षित रखें, ताकि बैंक आपके पैसे आपको रिफंड कर सके।


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Cyber Crime News, Online Fraud; What Types Of Internet Scams? And How To Avoid Them - All You Need To Know In Simple Words


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हैदराबाद और बेंगलुरु के बीच नॉकआउट मुकाबला, जीते तो क्वालिफायर में दिल्ली से भिड़ेंगे

IPL के 13वें सीजन का एलिमिनेटर आज अबु धाबी में सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के बीच शाम 7:30 बजे से खेला जाएगा। जीतने वाली टीम को फाइनल में पहुंचने के लिए दिल्ली कैपिटल्स से क्वालिफायर-2 खेलना होगा। दिल्ली को मुंबई इंडियंस ने पहले क्वालिफायर में 57 रन से हराया था।

प्ले-ऑफ में हैदराबाद ने अब तक 7 मैच खेले हैं। जिनमें उसे 3 में जीत और 4 में हार मिली। वहीं, बेंगलुरु ने कुल 5 मुकाबले खेले, जिनमें 3 जीते और 2 हारे हैं।

सीजन में दोनों में 1-1 की बराबरी
सीजन में दोनों टीमों के बीच 2 मुकाबले खेले गए, एक मैच हैदराबाद और एक बेंगलुरु ने जीता। दुबई में खेले गए सीजन के तीसरे मैच में बेंगलुरु ने हैदराबाद को 10 रन से हराया था। इसके बाद शारजाह में सीजन के 52वें मैच में हैदराबाद ने बेंगलुरु को 5 विकेट से हराया था।

पॉइंट्स टेबल में हैदराबाद तीसरे और बेंगलुरु चौथे स्थान पर
लीग राउंड में दोनों ही टीमों ने 14 में से 7 मैच जीते और 7 हारे। 14 पॉइंट्स के साथ बेहतर नेट रनरेट के आधार पर हैदराबाद दूसरे और बेंगलुरु तीसरे स्थान पर रही। वॉर्नर की टीम ने अपने आखिरी तीनों मैच जीते हैं। वहीं, बेंगलुरु को पिछले 4 मैचों में हार का सामना करना पड़ा है।

वॉर्नर के नाम सीजन में 500+ रन
वॉर्नर ने इस सीजन में अब तक 44.08 की औसत से 529 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने 4 फिफ्टी भी लगाई हैं। वे 6 सीजन में 500 से ज्यादा रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज भी हैं। वॉर्नर के अलावा टीम में मनीष पांडे (380), जॉनी बेयरस्टो (345) और ऋद्धिमान साहा (214) पर बैटिंग की जिम्मेदारी होगी।

राशिद-नटराजन टॉप विकेट टेकर
हैदराबाद में गेंदबाजी का दारोमदार राशिद खान और टी नटराजन पर रहेगा। राशिद ने सीजन में टीम के लिए सबसे ज्यादा 19 विकेट लिए हैं। नटराजन के नाम 14 विकेट हैं। वहीं, संदीप शर्मा 13 विकेट लेकर तीसरे नंबर पर हैं।

पडिक्कल-कोहली बेंगलुरु के टॉप स्कोरर
बेंगलुरु के लिए देवदत्त पडिक्कल ने सीजन में सबसे ज्यादा 472 रन बनाए हैं। इसके बाद कप्तान विराट कोहली का नंबर आता है, जिन्होंने सीजन में अब तक 460 रन बनाए हैं। एबी डिविलियर्स 398 रन के साथ तीसरे स्थान पर हैं।

सीजन के टॉप-5 बॉलर्स में चहल एकमात्र स्पिनर्स
सीजन में पर्पल कैप के दावेदारों में टॉप-5 में बेंगलुरु के युजवेंद्र चहल एकमात्र स्पिनर हैं। बाकी सभी तेज गेंदबाज हैं। चहल ने सीजन में अब तक अपनी टीम के लिए 20 विकेट लिए हैं। चहल के बाद क्रिस मॉरिस 11 विकेट के साथ दूसरे नंबर पर हैं।

दोनों टीम के महंगे खिलाड़ी
हैदराबाद में कप्तान डेविड वॉर्नर सबसे महंगे खिलाड़ी हैं। टीम उन्हें एक सीजन के 12.50 करोड़ रुपए देगी। उनके बाद टीम में मनीष पांडे का नाम है, जिन्हें इस सीजन में 11 करोड़ रुपए मिलेंगे। वहीं, बेंगलुरु में कप्तान विराट कोहली 17 करोड़ और एबी डिविलियर्स 11 करोड़ रुपए कीमत के साथ सबसे महंगे प्लेयर हैं।

पिच और मौसम रिपोर्ट
अबु धाबी में मैच के दौरान आसमान साफ रहेगा। तापमान 23 से 33 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। पिच से बल्लेबाजों को मदद मिल सकती है। यहां स्लो विकेट होने के कारण स्पिनर्स को भी काफी मदद मिलेगी। टॉस जीतने वाली टीम पहले गेंदबाजी करना पसंद करेगी। इस आईपीएल से पहले यहां हुए पिछले 44 टी-20 में पहले गेंदबाजी करने वाली टीम की जीत का सक्सेस रेट 56.81% रहा है।

  • इस मैदान पर हुए कुल टी-20: 44
  • पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती: 19
  • पहले गेंदबाजी करने वाली टीम जीती: 25
  • पहली पारी में टीम का औसत स्कोर: 137
  • दूसरी पारी में टीम का औसत स्कोर: 128

हैदराबाद ने 2 बार खिताब जीता, बेंगलुरु को अब भी इंतजार
हैदराबाद ने 3 बार (2009, 2016 और 2018) फाइनल में जगह बनाई और 2 बार (2009 और 2016) खिताब अपने नाम किया। वहीं, बेंगलुरु ने 2009 में अनिल कुंबले और 2011 में डेनियल विटोरी की कप्तानी में फाइनल खेला था। 2016 में विराट की कप्तानी में भी टीम फाइनल में पहुंची। हर बार बेंगलुरु को हार का सामना करना पड़ा। 2016 में तो फाइनल में बेंगलुरु को हैदराबाद ने ही हराया था।



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महात्मा गांधी ने काले कानून के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका में निकाला द ग्रेट मार्च; विदेश में उनकी सबसे बड़ी जीत

मोहनदास करमचंद गांधी यदि दक्षिण अफ्रीका न जाते तो क्या वह महात्मा बन पाते? यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब खुद गांधी जी भी शायद ही दे पाते। भारत आने से पहले उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद और नस्लभेद का विरोध किया। वहां रहकर उन्होंने भारतीयों ही नहीं बल्कि अन्य वंचित तबके के लोगों को भी न्याय दिलाने के लिए संघर्ष किया। ऐसा ही एक संघर्ष था द ग्रेट मार्च, जो महात्मा गांधी के लिए विदेश में सबसे बड़ी जीत बनकर उभरा।

मार्च 1913 में केप के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि जो शादियां ईसाई रीति-रिवाजों के मुताबिक नहीं हुई है, वह अवैध हैं। इसका मतलब यह हुआ कि ज्यादातर भारतीयों का विवाह अवैध हो गया। जब शादी ही अवैध तो उससे हुए बच्चे वैध कैसे रहते?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर यह होता कि भारतीय बच्चे अपने पुरखों की विरासत से ही बेदखल हो जाते, तब नागरिकों में आक्रोश फैल गया। दूसरी ओर नटाल की सरकार ने भारतीयों के खिलाफ मुकदमे चलाने शुरू कर दिए जो 3 पाउंड का वार्षिक टैक्स नहीं चुका पाए थे।

तब महात्मा गांधी ने नटाल और ट्रैंसवाल में सत्याग्रह शुरू किया। 6 नवंबर 1913 को दमनकारी कानून के खिलाफ द ग्रेट मार्च निकाला। 2,000 से ज्यादा लोगों ने गांधीजी के नेतृत्व में नटाल तक मार्च किया। गांधीजी गिरफ्तार हुए। जमानत पर छूटे तो फिर मार्च में शामिल हो गए। फिर गिरफ्तार किए गए।

यह सिलसिला टूटा और गांधीजी की जीत हुई। सरकार समझौते को राजी हुई। गांधीजी एवं दक्षिण अफ्रीकी सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर जनरल जॉन स्मिट्स में बातचीत हुई। भारतीय राहत विधेयक पास हुआ और भारतीय नागरिकों को काले कानून से आजादी मिली।

अब्राहम लिंकन अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति बने


1860 में अब्राहम लिंकन 6 नवंबर को अमेरिका के 16वें प्रेसिडेंट बने। रिपब्लिकन पार्टी के पहले प्रेसिडेंट रहे और उन्होंने न केवल अमेरिका को गृह युद्ध से उबारा बल्कि गुलामी प्रथा को बंद कर नए अमेरिका की नींव रखी। लिंकन का जन्म गरीब परिवार में हुआ था। वहां से उठकर अमेरिका जैसे देश के प्रेसिडेंट बनने तक का लिंकन का सफर बेहद मुश्किलों भरा रहा।

एक महान विचारक के तौर पर उन्हें सदियों तक जाना जाएगा। लोकतंत्र की उनकी दी परिभाषा- जनता द्वारा, जनता के लिए जनता का शासन- आज भी सर्वमान्य है। माना जाता है कि लिंकन गरीब मुवक्किलों के केस मुफ्त में भी लड़ लेते थे। इस वजह से वे कभी सफल वकील नहीं रहे। बीस साल तक असफल वकालत के दिनों के सैंकड़ों किस्से उनकी ईमानदारी और सज्जनता की गवाही देते हैं।

भारत और दुनिया में 6 नवंबर को यह घटनाएं महत्वपूर्ण मानी जाती हैं:-

  • 1763: ब्रिटिश फौज ने मीर कासिम को हराकर पटना पर कब्जा किया।
  • 1813: मैक्सिको ने स्पेन से स्वतंत्रता हासिल की।
  • 1844: स्पेन ने डाेमिनिकन गणराज्य को स्वतंत्र किया।
  • 1903: अमेरिका ने पनामा की स्वतंत्रता को मान्यता प्रदान की।
  • 1943ः द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को साैंप दिया।
  • 1949ः यूनान में गृह युद्ध समाप्त हुआ।
  • 1973ः नासा के स्पेसक्राफ्ट पायोनियर-10 ने ज्यूपिटर के चित्र लेना शुरू किया।
  • 1990ः नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने।
  • 1999ः ऑस्ट्रेलिया ने जनमत संग्रह में ब्रितानी राजतंत्र को नहीं ठुकराने का फैसला किया।
  • 2000ः ज्योति बसु ने लगातार 23 साल पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री रहने के बाद पद छोड़ा।
  • 2013ः सचिन तेंडुलकर और वैज्ञानिक प्रो सीएनआर राव को भारतरत्न देने की घोषणा की गई।


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