शनिवार, 16 मई 2020

देशभर की जेलों से 59 हजार से ज्यादा कैदी रिहा; मप्र में सबसे ज्यादा रिहाई पैरोल पर तो यूपी में जमानत पर

देशभर की जेलों में कोरोना महामारी के चलते राज्य सरकारों द्वारा नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी (नालसा) के सहयोग से 51 दिनों के लॉकडाउन के दाैरान 59,163 कैदियों को रिहा किया जा चुका है। इन कैदियों को जमानत और पैरोल पर रिहा किया गया है।

नालसा की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादाकैदियों को पैरोल और यूपी में जमानत पर रिहा किया गया। नालसा के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एनवी रमना के निरीक्षण में तैयार रिपोर्ट के अनुसार, रिहा 59,163 कैदियों में से 42,529 विचाराधीन थे। इन्हें अदालतों से जमानत पर रिहा किया गया। इनमें सबसे अधिक 9,977 कैदी यूपी से रिहा किए गए हैं।

वहीं, 16,391 ऐसे कैदी रिहा किए गए हैं, जिन्हें सजा हो गई थी। इन्हें भी पैरोल पर रिहा किया गया है। सजा पाए कैदियों की सबसे ज्यादा पैरोल पर रिहाई मध्य प्रदेश से हुई है। इनकी संख्या 3,577 है। वहीं, 243 कैदियों को सीआरपीसी की धारा 436ए के तहत जमानत भी दी गई है।

घरेलू हिंसा के 727 मामलों में लोगों ने मांगी कानूनी मदद

लाॅकडाउन के दौरान देशभर में घरेलू हिंसा के मामलों में भी बढ़ोतरी देखी गई। ऐसे लोगों को कानूनी मदद पहुंचाने के लिए पिछले 51 दिन के दौरान 727 लोगों ने घरेलू हिंसा के मामलों में कानूनी मदद मांगी है। इनमें विभिन्न राज्यों में एसएलएसए के जरिए 90% यानी 658 मामलों में कानूनी सहायता प्रदान भी की है।

घरेलू हिंसा और घर से निकालने की शिकायतेंं उत्तराखंड से ज्यादा
नालसा की हेल्पलाइन पर घरेलू हिंसा की 727 शिकायतें आईं। सबसे ज्यादा शिकायतें उत्तराखंड राज्य से आई हैं, जो 141 थीं। वहीं 310 ऐसे मामले सामने आए, जिनमें मकान मालिक द्वारा घर से निकालने की धमकी दी गई थी। धमकी के ऐसे मामले भी उत्तराखंड से सबसे ज्यादा आए। ये 201 के करीब थे। इन सभी को भी कानूनी सहायता दी गई।

मजदूरी न मिलने की 800 शिकायतें
कोरोना मजदूरी न दिए जाने के भी लगभग 800 मामलों में लोगों तक सहायता पहुंचाई गई है। इसमें कानूनी सहायता मुहैया कराई जा रही है।



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रिहा हुए 59,163 कैदियों में से 42,529 विचाराधीन थे। इन्हें अदालतों से जमानत पर रिहा किया गया।


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रविशंकर ने कहा- जो हैं, वही बने रहें; प्यार, प्रसिद्धि, पैसा और सफलता अपने आप आएंगी

आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर से फिल्म निर्माता एकता कपूर ने हार्ट टू हार्ट शृंखला के तहत बातचीत की। उन्हाेंने काेराेनावायरस से लेकर निजी और सार्वजनिक जीवन समेत कई बिंदुओं पर श्री श्री से सवाल किए।
एकता : मैं सिंगल मदर हूं। अपने बेटे को आर्ट ऑफ गिविंग की सीख के साथ बड़ा कर रही हूं, जाे आर्ट ऑफलिविंग है। क्या उसके जीवन में पिता न हाेने का मौका मैं खाे चुकी हूं? क्या मैं कसूरवार हूं?
श्री श्री : आपकाे अपराधी महसूस करने की जरूरत नहीं है। महान ऋषि सत्यकाम काे भी अकेली मां जबाला ने पाला था। वे अपने पिता काे नहीं जानते थे। हमारी संस्कृति में कई माताओं ने बच्चाें काे पाला और महान बनीं।
एकता : मेरे भाई का भी सेराेगेट बच्चा है। लाेग कहते हैं कि हमारी किस्मत ही ऐसी है, जबकि मैं वैवाहिक जीवन व संयुक्त परिवार पर सीरियल बनाती हूं?
श्री श्री : बच्चाें की जरूरताें की पूर्ति करना जरूरी है। उन्हें मार्गदर्शन दें, प्यार करें। आप माता-पिता दाेनाें की भूमिकाएं निभा रही हैं। यह पर्याप्त है। पुराणाेंमें भी ऐसी कहानी है जब भगवान शिव ने मां की भूमिका निभाई थी।
एकता : आप अगले जन्म में विश्वास करते हैं?
श्री श्री : हमें कुछ ऐसी चीजाें पर विश्वास करना चाहिए, जिन्हें हम नहीं जानते।
एकता : काेराेना संयाेग है या...?
श्री श्री : सकारात्मक पहलू देखना चाहिए। कोरोना के बाद लाेगाें ने खुद के भीतर झांकना शुरू कर दिया है। अस्त-व्यस्त जीवनशैली में जीवन के बारे में साेचना शुरू कर दिया है।
एकता: प्यार, पैसा, प्रसिद्धि, सफलता में से किसके पीछे भागना चाहिए?
श्री श्री : किसी के पीछे नहीं। व्यक्ति काे वही बने रहना चाहिए, जाे वह है। बाकी चीजें अपने आप उसके पास आ जाएंगी।



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Ravi Shankar said- Be what you are; Love, fame, money and success will come automatically


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देशभर की जेलों से 59 हजार से ज्यादा कैदी रिहा; मप्र में सबसे ज्यादा रिहाई पैरोल पर तो यूपी में जमानत पर

देशभर की जेलों में कोरोना महामारी के चलते राज्य सरकारों द्वारा नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी (नालसा) के सहयोग से 51 दिनों के लॉकडाउन के दाैरान 59,163 कैदियों को रिहा किया जा चुका है। इन कैदियों को जमानत और पैरोल पर रिहा किया गया है।

नालसा की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादाकैदियों को पैरोल और यूपी में जमानत पर रिहा किया गया। नालसा के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एनवी रमना के निरीक्षण में तैयार रिपोर्ट के अनुसार, रिहा 59,163 कैदियों में से 42,529 विचाराधीन थे। इन्हें अदालतों से जमानत पर रिहा किया गया। इनमें सबसे अधिक 9,977 कैदी यूपी से रिहा किए गए हैं।

वहीं, 16,391 ऐसे कैदी रिहा किए गए हैं, जिन्हें सजा हो गई थी। इन्हें भी पैरोल पर रिहा किया गया है। सजा पाए कैदियों की सबसे ज्यादा पैरोल पर रिहाई मध्य प्रदेश से हुई है। इनकी संख्या 3,577 है। वहीं, 243 कैदियों को सीआरपीसी की धारा 436ए के तहत जमानत भी दी गई है।

घरेलू हिंसा के 727 मामलों में लोगों ने मांगी कानूनी मदद

लाॅकडाउन के दौरान देशभर में घरेलू हिंसा के मामलों में भी बढ़ोतरी देखी गई। ऐसे लोगों को कानूनी मदद पहुंचाने के लिए पिछले 51 दिन के दौरान 727 लोगों ने घरेलू हिंसा के मामलों में कानूनी मदद मांगी है। इनमें विभिन्न राज्यों में एसएलएसए के जरिए 90% यानी 658 मामलों में कानूनी सहायता प्रदान भी की है।

घरेलू हिंसा और घर से निकालने की शिकायतेंं उत्तराखंड से ज्यादा
नालसा की हेल्पलाइन पर घरेलू हिंसा की 727 शिकायतें आईं। सबसे ज्यादा शिकायतें उत्तराखंड राज्य से आई हैं, जो 141 थीं। वहीं 310 ऐसे मामले सामने आए, जिनमें मकान मालिक द्वारा घर से निकालने की धमकी दी गई थी। धमकी के ऐसे मामले भी उत्तराखंड से सबसे ज्यादा आए। ये 201 के करीब थे। इन सभी को भी कानूनी सहायता दी गई।

मजदूरी न मिलने की 800 शिकायतें
कोरोना मजदूरी न दिए जाने के भी लगभग 800 मामलों में लोगों तक सहायता पहुंचाई गई है। इसमें कानूनी सहायता मुहैया कराई जा रही है।



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रिहा हुए 59,163 कैदियों में से 42,529 विचाराधीन थे। इन्हें अदालतों से जमानत पर रिहा किया गया।


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भारत में मेंटल इलनेस के मामलों में 20% का इजाफा; लॉकडाउन से सास-बहू में झगड़े बढ़े, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स के खुलासे भी हो रहे

गूगल ट्रेंड डेटा के मुताबिक लॉकडाउन के बाद से भारत में लोग स्ट्रेस और थैरेपी के बारे में बहुत ज्यादासर्च कर रहे हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐसाआर्थिक स्थिति, काम, स्वास्थ्य, स्ट्रेस और रिलेशनशिप के चलते हो रहाहै। इंडियन साइकेट्रिक सोसाइटी के मुताबिक कोराना के चलते भारत में मानसिक बीमारीसे जुड़े मामलों में तकरीबन 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। खासकर, कपल्स में स्ट्रेस, एंग्जाइटी, डिप्रेशंस से जुड़े मामले अधिक देखे जा रहे हैं। सबसे ज्यादा असर 35 से 49 साल की उम्रके बीच के लोगों पर हुआ है।
सेलिब्रिटी साइकोलॉजिस्ट, इमोशनल इंटेलिजेंस कोच और रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ. निशा खन्ना कहती हैं कि लॉकडाउन के बाद से रिलेशनशिप में भी तनाव बढ़े हैं। लगातार घर पर रहने की वजह से पति-पत्नी के बीच चिड़चिड़ापन बढ़ा है, सास-बहू में नोक-झोंक पहले से ज्यादा हो रही है, कपल सोशल मीडिया पर ज्यादा समय व्यतीत करने लगे हैं। एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर्स के खुलासे भी हो रहीहैं।

डॉ. खन्ना बता रही हैं कि लॉकडाउन के वक्तउनके पास किस तरह के केस आ रहे हैं-

  • केस-1

दिल्ली में एक वर्किंग कपल लॉकडाउन के चलते इन दिनों घर से ही काम कर रहा है। लेकिन बहू सास के तानों से परेशान हो रही। पहले वह ऑफिस जाती थीं, इसलिए सास के साथ ज्यादा वक्त नहीं रहना पड़ता था, पर अब ऐसा नहीं है। महिला का कहना है कि सास हमेशा उम्मीद करती हैं कि मैं सुपर वूमन बन जाऊं। मैं खाना बनाऊं और घर के सारे काम भी करूं। इस सब के चलते बहू औरसास में झगड़े भीहो रहे। ऐसे में पति को मां और पत्नी के बीच में बैलेंस बनाने में मुश्किल आ रही है। उन्हेंनहीं समझ आता कि वह पत्नी को समझाएं या मां को।

  • केस- 2

मामला, मुबई का है। लॉकडाउन से पहले पति ज्यादा वक्त बाहर रहते थे, तो पत्नी कोनोटिस नहीं कर पाते थे। उनकी पत्नी पब्लिक फीगर हैं। वह ज्यादा वक्त सोशल मीडिया पर देती हैं। अब इसके वजह से उनके पति और बच्चों को दिक्कत हो रही है। उन्होंने नोटिस किया कि यदि उनकी पत्नी की किसी पोस्ट पर 200 कमेंट आते हैं, तो वे हर किसी को जवाब देती हैं। इससे बच्चे और पति दोनों परेशान हो रहे हैं।

  • केस-3

पति डॉक्टर हैं, पत्नी किसी परीक्षा की तैयारी करती हैं। पति अभी एक हॉस्पिटल के कोविड वार्ड में तैनात हैं और वहीं रहते हैं। पत्नी को खाना बनाना नहीं आता है। घर की जिम्मेदारी भी नहीं देख पा रही हैं। कुक और नौकर छुट्‌टी पर हैं, इसलिए उन्हें काफी दिक्कत आ रही। पत्नी ने इन सारी बातों को लेकर सलाह ले रही हैं।

  • केस-4

पति-पत्नी दोनों के पहले से एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स थे। पहले वर्किंग होने के वहज से दोनों के पासइस पर खुलकर बात करने का वक्त नहीं होता था, लेकिन लॉकडाउन के बाद से दोनों घर पर ही हैं। ऐसेमें वे एक-दूसरे से बात करने की कोशिश करते हैं तो ब्लैमगेम शुरू हो जाता है। दोनों अपने पास्ट से नहीं निकल पा रहे। यदि एक समझने की कोशिश करता है, तो दूसरा तैयार नहीं होता।

  • केस-5

लॉकडाउन के बीच एक पति ने पत्नी के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स को पकड़ लिया। पत्नी का कहना है कि पति गाली-गलौज और मारपीट करते थे, इसलिए मैंने अफेयर्स किया। हालांकि काउंसिलिंग में उसने अपनी गलती का एहसास किया। इसके बाद पति ने भी अपनी गलती मानी। दोनों ने कहा कि एक गलती मैंने की तो एक उसने की।

  • केस-6

लॉकडाउन के बीच में एक लव कपल ने शादी कर ली। इसके बारे में घर वालों को बताया भी नहीं। बाद में लड़के ने काउंसलर के जरिए पैरेंट्स को बताया कि उसने शादी कर ली है। दरअसल, दोनों केघर वाले पहले इस शादी के लिए राजी नहीं थे। हालांकि अब घर वालों ने उन्हें एक्सेप्ट कर लिया है।

बड़ी संख्या में लोग डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स का सहारा ले रहे हैं

डॉ. निशा खन्ना कहती हैं कि कोविड-19 के बाद से स्ट्रेस और डिप्रेशन केस बहुत ज्यादा आ रहे हैं। जो लोग यह सोचते हैं कि रिलेशनशिप से जुड़े मामलों के लिए सिर्फ विदेश में ही लोग डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स का सहारा लेते हैं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। भारत में भी रिलेशनशिप से जुड़ेखूब सारे मामले आते हैं। बस ये बातें अंदरखाने में होती हैं, क्योंकिकोई पब्लिक प्लेटफार्म पर नहीं लाना चाहता है।

ऐसे लोगों में तनाव बढ़ा है, जिन्हें घर में पार्टनर नहीं समझ रहे हैं

डॉ. निशा के मुताबिक, लॉकडाउन में उन्हें सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है, जिन्हें घर पर बैठने की आदत नहीं है। इसके अलावा ऐसे लोगों में तनाव बढ़ा है, जिन्हें घर में पार्टनर नहीं समझ रहे हैं। कोई भी रिश्ता जिसमें दो लोगों के टेंपरामेंट एक जैसे नहीं हैं, कंपरेबिलिटी नहीं है, तो वहां तनाव होना स्वाभाविक है। चाहे वो दो दोस्त हों, पार्टनर हों यापति-पत्नी हों।

कोरोना से लाइफस्टाइल और सोच में बहुत बदलाव आया है

डॉ. निशा कहती हैं कि बहुत सारे लोगों को खाली बैठने की आदत नहीं होती है। लेकिन लॉकडाउन और कोरोना के चलते ऐसे लोगों की संख्या बढ़ गई है। ऐसा होना स्वाभाविक है, क्योंकि आप पूरे हफ्ते-महीने फैमिली के साथ नहीं रह सकते। कितना टीवी देख लोगे, कितना वेबसीरीज देखोगे? पूरे दिन फिल्में नहीं दे सकते हो। मैं पूरे महीने जितना टीवी नहीं देखती थी, उतना इस वक्त एक हफ्ते में देख रही हूं। कोरोना से लाइफस्टाइल और सोच में बहुत बदलाव आया है। लेकिन यदि खुश रहना चाहते हैं, तो लाइफ में फूलों के साथ कांटों को भीहैंडल करना आना चाहिए।

लोग एनर्जी सही जगह नहीं लगा पा रहे, इसलिए भीतनाव बढ़ा


डॉ. निशा के मुताबिक, हाल में उनके पास एक ऐसा केस आया, जिसमें पता चलता है कि लगातार काम करने से भी तनाव बढ़ा है, एक मां जो पेशे डॉक्टर हैं, आजकल वह कोरोना मरीजों का इलाज कर रही हैं। एक दिन उन्होंने अपने 29 साल की बेटी पर हाथ उठा दिया, जबकि इससे पहले उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया था। इसके अलावा जिन लोगों को अकेले रहने कीआदत नहीं है, अकेले बैठने की आदत नहीं है, वो इन दिनों अपनी एनर्जी सही जगह नहीं लगा पा रहे हैं। ऐसे लोगों में डिप्रेशन और तनाव बढ़ा है। ऐसे में कुछ बातों पर कपल्स को ध्यान देना चाहिए...

  • रिलेशनशिप बेहतर करने के लिए क्या करें?

कुछ वक्त अकेले बिताएं। जो अच्छा लगे उसे करें। एक-दूसरे के आसपास 24 घंटे न रहें। डिसिप्लिन रूटीन बनाएं। इमोशन के साथ टाइम स्पेंट करें। हेल्दी खाना खाएं। दोस्तों से फोन और सोशल मीडिया के जरिए बात करें। एक दूसरे की तारीफ करें। आलोचना न करें। एक-दूसरे पर कुछ थोपें भीन। निजी स्पेस दीजिए। एक्सरसाइज करें। ज्यादा बोलने से बचें।

  • वर्किंग कपल घर से काम के दौरान क्या करें?

काम के लिए निश्चित जगह तय करें। अलग-अलग कमरे में काम करें। काम पर फोकस करें। मूड अच्छा रखें। डिसिप्लिन में रहकर काम करें।

  • जो पार्टनर दूर-दूर हैं, वे क्या करें?

पार्टनर जिंदगी का हिस्सा हैं, लेकिन पूरी जिंदगी नहीं हैं। इसलिए बहुत ज्यादा एक-दूसरे पर निर्भर मत रहिए। अपनी पसंद का काम करिए। इसलिए सच को स्वीकार करें। दूर रहते हुए भी खुश रहें।



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भारत में मेंटल इलनेस के मामलों में 20% का इजाफा; लॉकडाउन से सास-बहू में झगड़े बढ़े, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स के खुलासे भी हो रहे

गूगल ट्रेंड डेटा के मुताबिक लॉकडाउन के बाद से भारत में लोग स्ट्रेस और थैरेपी के बारे में बहुत ज्यादासर्च कर रहे हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐसाआर्थिक स्थिति, काम, स्वास्थ्य, स्ट्रेस और रिलेशनशिप के चलते हो रहाहै। इंडियन साइकेट्रिक सोसाइटी के मुताबिक कोराना के चलते भारत में मानसिक बीमारीसे जुड़े मामलों में तकरीबन 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। खासकर, कपल्स में स्ट्रेस, एंग्जाइटी, डिप्रेशंस से जुड़े मामले अधिक देखे जा रहे हैं। सबसे ज्यादा असर 35 से 49 साल की उम्रके बीच के लोगों पर हुआ है।
सेलिब्रिटी साइकोलॉजिस्ट, इमोशनल इंटेलिजेंस कोच और रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ. निशा खन्ना कहती हैं कि लॉकडाउन के बाद से रिलेशनशिप में भी तनाव बढ़े हैं। लगातार घर पर रहने की वजह से पति-पत्नी के बीच चिड़चिड़ापन बढ़ा है, सास-बहू में नोक-झोंक पहले से ज्यादा हो रही है, कपल सोशल मीडिया पर ज्यादा समय व्यतीत करने लगे हैं। एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर्स के खुलासे भी हो रहीहैं।

डॉ. खन्ना बता रही हैं कि लॉकडाउन के वक्तउनके पास किस तरह के केस आ रहे हैं-

  • केस-1

दिल्ली में एक वर्किंग कपल लॉकडाउन के चलते इन दिनों घर से ही काम कर रहा है। लेकिन बहू सास के तानों से परेशान हो रही। पहले वह ऑफिस जाती थीं, इसलिए सास के साथ ज्यादा वक्त नहीं रहना पड़ता था, पर अब ऐसा नहीं है। महिला का कहना है कि सास हमेशा उम्मीद करती हैं कि मैं सुपर वूमन बन जाऊं। मैं खाना बनाऊं और घर के सारे काम भी करूं। इस सब के चलते बहू औरसास में झगड़े भीहो रहे। ऐसे में पति को मां और पत्नी के बीच में बैलेंस बनाने में मुश्किल आ रही है। उन्हेंनहीं समझ आता कि वह पत्नी को समझाएं या मां को।

  • केस- 2

मामला, मुबई का है। लॉकडाउन से पहले पति ज्यादा वक्त बाहर रहते थे, तो पत्नी कोनोटिस नहीं कर पाते थे। उनकी पत्नी पब्लिक फीगर हैं। वह ज्यादा वक्त सोशल मीडिया पर देती हैं। अब इसके वजह से उनके पति और बच्चों को दिक्कत हो रही है। उन्होंने नोटिस किया कि यदि उनकी पत्नी की किसी पोस्ट पर 200 कमेंट आते हैं, तो वे हर किसी को जवाब देती हैं। इससे बच्चे और पति दोनों परेशान हो रहे हैं।

  • केस-3

पति डॉक्टर हैं, पत्नी किसी परीक्षा की तैयारी करती हैं। पति अभी एक हॉस्पिटल के कोविड वार्ड में तैनात हैं और वहीं रहते हैं। पत्नी को खाना बनाना नहीं आता है। घर की जिम्मेदारी भी नहीं देख पा रही हैं। कुक और नौकर छुट्‌टी पर हैं, इसलिए उन्हें काफी दिक्कत आ रही। पत्नी ने इन सारी बातों को लेकर सलाह ले रही हैं।

  • केस-4

पति-पत्नी दोनों के पहले से एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स थे। पहले वर्किंग होने के वहज से दोनों के पासइस पर खुलकर बात करने का वक्त नहीं होता था, लेकिन लॉकडाउन के बाद से दोनों घर पर ही हैं। ऐसेमें वे एक-दूसरे से बात करने की कोशिश करते हैं तो ब्लैमगेम शुरू हो जाता है। दोनों अपने पास्ट से नहीं निकल पा रहे। यदि एक समझने की कोशिश करता है, तो दूसरा तैयार नहीं होता।

  • केस-5

लॉकडाउन के बीच एक पति ने पत्नी के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स को पकड़ लिया। पत्नी का कहना है कि पति गाली-गलौज और मारपीट करते थे, इसलिए मैंने अफेयर्स किया। हालांकि काउंसिलिंग में उसने अपनी गलती का एहसास किया। इसके बाद पति ने भी अपनी गलती मानी। दोनों ने कहा कि एक गलती मैंने की तो एक उसने की।

  • केस-6

लॉकडाउन के बीच में एक लव कपल ने शादी कर ली। इसके बारे में घर वालों को बताया भी नहीं। बाद में लड़के ने काउंसलर के जरिए पैरेंट्स को बताया कि उसने शादी कर ली है। दरअसल, दोनों केघर वाले पहले इस शादी के लिए राजी नहीं थे। हालांकि अब घर वालों ने उन्हें एक्सेप्ट कर लिया है।

बड़ी संख्या में लोग डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स का सहारा ले रहे हैं

डॉ. निशा खन्ना कहती हैं कि कोविड-19 के बाद से स्ट्रेस और डिप्रेशन केस बहुत ज्यादा आ रहे हैं। जो लोग यह सोचते हैं कि रिलेशनशिप से जुड़े मामलों के लिए सिर्फ विदेश में ही लोग डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स का सहारा लेते हैं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। भारत में भी रिलेशनशिप से जुड़ेखूब सारे मामले आते हैं। बस ये बातें अंदरखाने में होती हैं, क्योंकिकोई पब्लिक प्लेटफार्म पर नहीं लाना चाहता है।

ऐसे लोगों में तनाव बढ़ा है, जिन्हें घर में पार्टनर नहीं समझ रहे हैं

डॉ. निशा के मुताबिक, लॉकडाउन में उन्हें सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है, जिन्हें घर पर बैठने की आदत नहीं है। इसके अलावा ऐसे लोगों में तनाव बढ़ा है, जिन्हें घर में पार्टनर नहीं समझ रहे हैं। कोई भी रिश्ता जिसमें दो लोगों के टेंपरामेंट एक जैसे नहीं हैं, कंपरेबिलिटी नहीं है, तो वहां तनाव होना स्वाभाविक है। चाहे वो दो दोस्त हों, पार्टनर हों यापति-पत्नी हों।

कोरोना से लाइफस्टाइल और सोच में बहुत बदलाव आया है

डॉ. निशा कहती हैं कि बहुत सारे लोगों को खाली बैठने की आदत नहीं होती है। लेकिन लॉकडाउन और कोरोना के चलते ऐसे लोगों की संख्या बढ़ गई है। ऐसा होना स्वाभाविक है, क्योंकि आप पूरे हफ्ते-महीने फैमिली के साथ नहीं रह सकते। कितना टीवी देख लोगे, कितना वेबसीरीज देखोगे? पूरे दिन फिल्में नहीं दे सकते हो। मैं पूरे महीने जितना टीवी नहीं देखती थी, उतना इस वक्त एक हफ्ते में देख रही हूं। कोरोना से लाइफस्टाइल और सोच में बहुत बदलाव आया है। लेकिन यदि खुश रहना चाहते हैं, तो लाइफ में फूलों के साथ कांटों को भीहैंडल करना आना चाहिए।

लोग एनर्जी सही जगह नहीं लगा पा रहे, इसलिए भीतनाव बढ़ा


डॉ. निशा के मुताबिक, हाल में उनके पास एक ऐसा केस आया, जिसमें पता चलता है कि लगातार काम करने से भी तनाव बढ़ा है, एक मां जो पेशे डॉक्टर हैं, आजकल वह कोरोना मरीजों का इलाज कर रही हैं। एक दिन उन्होंने अपने 29 साल की बेटी पर हाथ उठा दिया, जबकि इससे पहले उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया था। इसके अलावा जिन लोगों को अकेले रहने कीआदत नहीं है, अकेले बैठने की आदत नहीं है, वो इन दिनों अपनी एनर्जी सही जगह नहीं लगा पा रहे हैं। ऐसे लोगों में डिप्रेशन और तनाव बढ़ा है। ऐसे में कुछ बातों पर कपल्स को ध्यान देना चाहिए...

  • रिलेशनशिप बेहतर करने के लिए क्या करें?

कुछ वक्त अकेले बिताएं। जो अच्छा लगे उसे करें। एक-दूसरे के आसपास 24 घंटे न रहें। डिसिप्लिन रूटीन बनाएं। इमोशन के साथ टाइम स्पेंट करें। हेल्दी खाना खाएं। दोस्तों से फोन और सोशल मीडिया के जरिए बात करें। एक दूसरे की तारीफ करें। आलोचना न करें। एक-दूसरे पर कुछ थोपें भीन। निजी स्पेस दीजिए। एक्सरसाइज करें। ज्यादा बोलने से बचें।

  • वर्किंग कपल घर से काम के दौरान क्या करें?

काम के लिए निश्चित जगह तय करें। अलग-अलग कमरे में काम करें। काम पर फोकस करें। मूड अच्छा रखें। डिसिप्लिन में रहकर काम करें।

  • जो पार्टनर दूर-दूर हैं, वे क्या करें?

पार्टनर जिंदगी का हिस्सा हैं, लेकिन पूरी जिंदगी नहीं हैं। इसलिए बहुत ज्यादा एक-दूसरे पर निर्भर मत रहिए। अपनी पसंद का काम करिए। इसलिए सच को स्वीकार करें। दूर रहते हुए भी खुश रहें।



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पॉजिटिव मरीजों की संख्या पहुंची 4 हजार के पार, क्वारैंटाइन के निर्देश के बावजूद बिना वजह बाहर घूम रहे 15 प्रवासी मजदूरो के खिलाफ केस दर्ज

उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। जिसके बाद यूपी में संक्रमितों की संख्या 4057 हो गई है। पिछले 24 घंटें में कई जिलों में पाॅजिटिव मामले सामने आए हैं। इसमें बलिया और हापुड़ में 10-10, गाजीपुर में सात, सिद्धार्थनगर में पांच, वाराणसी में दो, कानपुर में दो, हमीरपुर में एक,कन्नौज में एक,गोरखपुर में एक नए मरीजों में कोरोना की पुष्टि हुई है। वाराणसी के लमही सब्जी मंडी में आने वाले किसानों और व्यापारियों ने प्रशासनस की सख्ती के बाद सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना शुरू कर दिया है। इस बीच झांसी में महाराष्ट्र से आ रही एक निजी कार झांसी में अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई जिसमें पांच लोग घायल हो गए। ये लोग महाराष्ट्र से बिहार जा रहे थे।

वाराणसी मेंलमही सब्जी मंडी में शुक्रवार से खुल रही है। पुलिसिया सख्ती के असर कहे या मुकदमे का भय किसानों एवं व्यापारियों ने खुद सोशल डिस्टेंसिग का पालन शुरू कर दिया यहां पर 11 मई को मंडी खोलने के समय को लेकर व्यापारियों ने हंगामा किया तो पुलिस ने सख्त तेवर दिखाए थे। कार्यवाहक चौकी प्रभारी अजय प्रताप ने मुकदमा दर्ज कराया था। सख्ती के बाद अब मुकदमे का भय से यहां आने वाले लोगों ने सोशल डिस्टेंसिग का पालन शुरू कर दिया है।

बेवजह घूम रहे 15 प्रवासियों पर दर्ज किया गया केस
वाराणासी: जिले में कोरोना पॉजीटिव मरीजों के मिलने का क्रम जारी है।शुक्रवार शाम तक यहां बीएचयू लैब से आई रिपोर्ट में 3 नए लोग पॉजिटिव पाए गए। अब तक पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़कर 93 तक पहुंच गई है। अब तक 2 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 55 लोग स्वस्थ हुए हैं। शिवाला इलाके को नया हॉट स्पॉट बनाया गया है। स्वास्थ विभाग की 33 टीमों द्वारा क्लस्टर कैंटोमेंट बनाकर जांच किया जा रहा है। वहीं 15 प्रवासियों पर मुकदमा दर्ज कराया गया है। सीडीओ मधुसूदन ने बताया कि क्वारैंटाइन के निर्देश के बावजूद ये लोग घूम रहे थे। जालहुपुर के 13 मजदूर शामिल हैं।

औरैया में सड़क हादसे में 24 लोगों की मौत

औरैया में शनिवार सुबह एक दर्दनाँक सड़क हादसा हो गया जिसमें 24 लोगों की मौत हो गई। हादसे के बाद राहत एवं बचाव कार्य चलाया जा रहा है।
औरैया में शनिवार सुबह एक दर्दनाँक सड़क हादसा हो गया जिसमें 24 लोगों की मौत हो गई। हादसे के बाद राहत एवं बचाव कार्य चलाया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में शनिवार तड़के 3:30 बजे हाईवे पर एक ट्रक ने दूसरे ट्रक को टक्कर मार दी। इसमें 24 मजदूरों की मौत हो गई। कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल ने बताया है कि 35 लोग जख्मी हुए हैं। इनमें से 20 को जिला अस्पताल, जबकि गंभीर रूप से जख्मी 15 लोगों को सैफई मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। हादसा औरैया के पास चिरूहली क्षेत्र में एक ढाबे के पास हुआ। पुलिस ने बताया कि दोनों ट्रक में मजदूर सवार थे। दिल्ली से आया एक ट्रक चाय पीने के लिए ढाबे के पास रुका था। तभी राजस्थान से आ रहे ट्रक ने खड़े ट्रक में टक्कर मार दी।

महाराष्ट्र से बिहार जा रही कार अनियंत्रित होकर पलटी ड्राइवर सहित 5 गम्भीर घायल

यह तस्वीर झांसी की है जहां महाराष्ट्र से बिहार जा रही एक निजी कार अनिंयंत्रित होकर पलट गई। इसमें पांच लोग घायल हो गए।
यह तस्वीर झांसी की है जहां महाराष्ट्र से बिहार जा रही एक निजी कार अनिंयंत्रित होकर पलट गई। इसमें पांच लोग घायल हो गए।

उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में शुक्रवार शाम कोटवली क्षेत्र में एक निजी कार अनियंत्रित होकर सड़क किनारे पलटकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। ड्राइवर सहित 5 लोग घायल हो गए। उन्हें 108 एम्बुलेंस से भेजकर जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। सभी घायल अपनी निजी टैक्सी से महाराष्ट्र से बिहार जा रहे थे।ये हादसा राष्टीय राज्यमार्ग 44 पर स्थित नेहरू महाविद्यालय के पास हुआ।कार हाइवे किनारे अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई । जिसके चलते उसमें सवार ड्राइवर सहित 5 को चोटें आई हैं।



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यह तस्वीर वाराणसी में लमही सब्जी मंडी की है। प्रशासन की सख्ती के बाद अब यहां आने वाले लोगों ने सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना शुरू कर दिया है।


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अब तक 46.26 लाख संक्रमित और 3.08 लाख मौतें: अमेरिका में 1 जून तक 1 लाख से ज्यादा लोगों की जान जाएगी

दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 46 लाख 26 हजार 487 लोग संक्रमित हो चुके हैं। 17 लाख 57 हजार 282 ठीक हो चुके हैं। मौतों का आंकड़ा 3 लाख 08 हजार 610 हो गया है। अमेरिका की स्वास्थ्य संस्था सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के निदेशक डॉ. रॉबर्ट रेडफिल्ड ने कहा है कि देश में 1 जून तक मरने वालों की संख्या 1 लाख से ज्यादा हो जाएगी। सीडीसी ने 12 अलग-अलग मॉडल के अध्ययन के बाद ये बातें कही।
कोरोनावायरस : 10 सबसे ज्यादा प्रभावित देश

देश कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए
अमेरिका 14,84,285 88,507 3,26,242
स्पेन 2,74,367 27,459 1,88,967
रूस 2,62,843 2,418 58,226
ब्रिटेन 2,36,711 33,998 उपलब्ध नहीं
इटली 2,23,885 31,670 1,20,205
ब्राजील 2,20,291 14,962 84,970
फ्रांस 1,79,506 27,529 60,448
जर्मनी 1,75,699 8,001 1,51,700
तुर्की 1,46,457 4,055 1,06,133
ईरान 1,16,635 6,902 91,836

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अमेरिका: 24 घंटे में 1680 मौतें
अमेरिका में 24 घंटे में 1680 लोगों की मौत हो गई। देश में मरने वालों की संख्या 88 हजार से ज्यादा हो चुकी है। वहीं, 14 लाख 84 हजार 285 लोग संक्रमित हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य न्यूयॉर्क में 27 हजार लोगों की जान जा चुकी है, जबकि तीन लाख 56 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं। राज्य में 13 जून तक स्टे-ऐट-होम ऑर्डर जारी किया गया है।

  • अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि हम अपने दोस्त भारत को वेंटिलेटर देंगे। महामारी के दौर में अमेरिका, भारत और नरेंद्र मोदी के साथ खड़ा है। हम कोरोना की वैक्सीन तैयार करने के लिए भी कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। दोनों देश मिलकर इस अदृश्य दुश्मन को हराएंगे।
  • ट्रम्प ने कहा- कोरोना का कारगर और प्रभावी टीका विकसित होने पर इसे जनता के लिए निशुल्क उपलब्ध कराने पर विचार किया जाएगा। इस साल के अंत तक टीका विकसित किया जा सकता है। टीका विकसित करने के लिए ‘ऑपरेशन वार्प स्पीड’ नामक एक नए अभियान की शुरुआत की गई है।

ब्राजील: संक्रमण के 15,305 नए मामले
लैटिन अमेरिकी देश ब्राजील में भी कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रहा है। 24 घंटे के दौरान संक्रमण के 15,305 मामले सामने आए हैं। देश में 2 लाख 18 हजार से ज्यादा मरीज हो गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक एक दिन में 824 लोगों की मौत हो गई। अब मृतकों की संख्या 14 हजार 817 हो गई है। एक दिन पहले देश में 13 हजार 944 नए मामले मिले थे। इस बीच ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने सोमवार को लॉकडाउन के नियमों में ढील देते हुए जिम, ब्यूटी पार्लर और नाई की दुकानों को खोलने की छूट दी है।

लॉकडाउन के विरोध में प्रदर्शन करते लोगों का समर्थन करते ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो।

इटली: अब तक 31,610 लोगों की मौत
इटली में अब तक 31 हजार 610 लोगों की मौत हो गई है। दो लाख 23 हजार 885 संक्रमित हैं। दुनिया में अमेरिका और ब्रिटेन के बाद सबसे ज्यादा मौतें यही हुई हैं। इटली के नागरिक सुरक्षा विभाग के प्रमुख एंजेलो बोरेली ने शुक्रवार को बताया कि 24 घंटे में 242 लोगों की जान गई है और 700 से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं। इन संक्रमितों में वे लोग भी शामिल हैं जिनकी इस महामारी से मौत हो चुकी है या जो पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। इटली में 21 फरवरी को कोरोना का पहला मामला सामने आया था।

इटली में एक रेस्टोरेंट के कर्मचारी दो टेबल के बीच की दूरी मापते। सोशल डिस्टेंसिंग के नियो का पालन करते हुए यहां रेस्टोरेंट खोलने की इजाजत दी गई है।

रूस: एंटीबॉडिज के लिए लोगों की स्क्रीनिंग शुरू

रूस में एंटीबॉडिज के लिए बड़े स्तर पर लोगों की स्क्रीनिंग शूरू कर दी गई है। इसके लिए अलग-अलग उम्र के लोगों को मॉस्को के अस्पताल में बुलाया जा रहा है। लोगों के ब्लड सैंपल लेकर जांच के लिए लैबों में भेजे जा रहे हैं। इस पर 30 से ज्यादा क्लिनिक काम कर रहे हैं। देश में अब तक दो लाख 62 हजार 843 लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 2418 की जान जा चुकी है।



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कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्लानिंग एंड प्रिजर्वेशन के छात्र ग्रेजुएशन सेरेमनी से पहले अपना कैप उछालते हुए। महामारी की वजह से कार्यक्रम का आयोजन ऑनलाइन होगा।


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औरैया में मजदूरों को बैठाया हुआ ट्रक खड़े हुए एक अन्य ट्रक से टकराया, 23 की जान गई; सभी राजस्थान से लौट रहे थे

उत्तर प्रदेश केऔरैयामें शनिवार तड़के हाईवे परएक ट्रक ने दूसरे ट्रक कोटक्करमार दी।इसमें 23 मजदूरोंकी मौत हो गई। ये सभी राजस्थान से आ रहे थे।पुलिस सूत्रों ने बताया कि मजदूर चूने से भरेएक ट्रकमें सवार थे।चिरूहली क्षेत्र के पास पहले से खड़े ट्रक से यह ट्रकटकरा गया। टक्कर के बाद दोनों ट्रक गड्ढेमें पलट गए।

औरैया के डीएम अभिषेक सिंह के मुताबिक, हादसा तड़के करीब 3.30 बजे हुआ। 23 लोगों की मौत हुई है। 20 जख्मी हैं। ज्यादातर लोग बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं।

13 मई की रात 3 हादसे
बुधवार रात मध्य प्रदेश के गुना में बस और कंटेनर की टक्कर में 8 मजदूरों की मौत हुई। 54 जख्मी हो गए। सभी लोग उत्तरप्रदेश के उन्नाव जा रहे थे।उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में बुधवार देर रात ही रोडवेज की बस ने 6 मजदूरों को कुचल दिया। वहीं, बिहार में भी प्रवासियों की बस ट्रक से टकरा गई, जिसमें दो लोगों की जान चली गई।

8 मई को औरंगाबाद में ट्रेन की चपेट में आ गए थे
महाराष्ट्र में औरंगाबाद के पास रेलवे ट्रैक पर 16 प्रवासी मजदूरों की मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई। सभी मजदूर मध्य प्रदेश जा रहे थे। हादसा औरंगाबाद में करमाड स्टेशन के पास हुआ। घटना उस वक्त हुई, जब मजदूर रेलवे ट्रैक पर सो रहे थे। मृतक मध्य प्रदेश के शहडोल और उमरिया के रहने वाले थे।



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21 labourers dead in Auraiya in uttar pradesh truck collided with another truck


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औरैया में मजदूरों को बैठाया हुआ ट्रक खड़े हुए एक अन्य ट्रक से टकराया, 23 की जान गई; सभी राजस्थान से लौट रहे थे

उत्तर प्रदेश केऔरैयामें शनिवार तड़के हाईवे परएक ट्रक ने दूसरे ट्रक कोटक्करमार दी।इसमें 23 मजदूरोंकी मौत हो गई। ये सभी राजस्थान से आ रहे थे।पुलिस सूत्रों ने बताया कि मजदूर चूने से भरेएक ट्रकमें सवार थे।चिरूहली क्षेत्र के पास पहले से खड़े ट्रक से यह ट्रकटकरा गया। टक्कर के बाद दोनों ट्रक गड्ढेमें पलट गए।

औरैया के डीएम अभिषेक सिंह के मुताबिक, हादसा तड़के करीब 3.30 बजे हुआ। 23 लोगों की मौत हुई है। 20 जख्मी हैं। ज्यादातर लोग बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं।

13 मई की रात 3 हादसे
बुधवार रात मध्य प्रदेश के गुना में बस और कंटेनर की टक्कर में 8 मजदूरों की मौत हुई। 54 जख्मी हो गए। सभी लोग उत्तरप्रदेश के उन्नाव जा रहे थे।उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में बुधवार देर रात ही रोडवेज की बस ने 6 मजदूरों को कुचल दिया। वहीं, बिहार में भी प्रवासियों की बस ट्रक से टकरा गई, जिसमें दो लोगों की जान चली गई।

8 मई को औरंगाबाद में ट्रेन की चपेट में आ गए थे
महाराष्ट्र में औरंगाबाद के पास रेलवे ट्रैक पर 16 प्रवासी मजदूरों की मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई। सभी मजदूर मध्य प्रदेश जा रहे थे। हादसा औरंगाबाद में करमाड स्टेशन के पास हुआ। घटना उस वक्त हुई, जब मजदूर रेलवे ट्रैक पर सो रहे थे। मृतक मध्य प्रदेश के शहडोल और उमरिया के रहने वाले थे।



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केंद्र ने कहा- प्रवासी मजदूर सड़क पर दिखे तो उसे शेल्टर में ले जाएं, खाना-पानी दें; उनके लिए ट्रेन या बस की व्यवस्था राज्यों की जिम्मेदारी

देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या शुक्रवार को 85 हजार 784हो गई है। लॉकडाउन में नरमी के बाद हजारों मजदूर शहरों से पैदल या अन्य साधनों से अपने घर जा रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि अभी भी प्रवासी मजदूर सड़कों, रेलवे की पटरियों और ट्रकों में देखे जा रहे हैं। अगर कोई मजदूर सड़क पर दिखाई पड़े तो उसे पास के शेल्टर में ले जाएं और उसे खाना-पानी दें। मंत्रालय ने कहा कि उन मजदूरों के लिए ट्रेन और बस की व्यवस्था राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है, जो अपने घर जाना चाहते हैं।

मिजोरम सरकार ने लॉकडाउन की अवधि 31 मई तक बढ़ा दी है। हालांकि, अभी पूरा मिजोरम ग्रीन जोन में है। बिहार ने भी केंद्र से अपील की है कि लॉकडाउन इस महीने के अंत तक बढ़ाया जाए। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कहा है कि अगले 2-3 महीने तक राज्यों की सीमाएं बंद रखी जाएं।

24 घंटे में 3700से ज्यादा कोरोना मरीज बढ़े

शुक्रवार को महाराष्ट्र में 1576,तमिलनाडु में 434, दिल्ली में 425, गुजरात में 340,राजस्थान में 213, मध्यप्रदेश में 169, उत्तरप्रदेश में 155, आंध्रप्रदेश में 102, प. बंगाल में 84, केरल में 16 समेत 3736रिपोर्ट पॉजिटिव आईं।तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने दावा किया हैकि हैदराबाद के 4 जोन को छोड़कर राज्य कोरोना से मुक्त हो चुका है। ये आंकड़े covid19india.org और राज्य सरकारों से मिली जानकारी के आधार पर हैं।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में81 हजार 970 संक्रमित हैं। 51 हजार 401 का इलाज चल रहा है। 27 हजार 920ठीक हो चुके हैं, जबकि 2649 की मौत हुईहै।
5 दिन जब संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले आए

दिन

मामले
10 मई 4311
14 मई 3943
13 मई 3725

04 मई

3656
11 मई 3610

26 राज्य, 7 केंद्र शासित प्रदेशों में फैला संक्रमण

कोरोनावायरससंक्रमण देश के 26 राज्यों में फैला है। 7केंद्र शासित प्रदेश भी इसकी चपेट में हैं। इनमें दिल्ली, चंडीगढ़, अंडमान-निकोबार, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पुडुचेरी और दादर एंड नगर हवेलीशामिल हैं।

राज्य

कितने संक्रमित कितने ठीक हुए कितनी मौत
महाराष्ट्र 29100 6564 1068
तमिलनाडु 10108 2599 71

गुजरात

9932 4035 606
दिल्ली 8895 3518 123

राजस्थान

4747 2729 125
मध्यप्रदेश 4595 2283 239
उत्तरप्रदेश 4057 2165 95
पश्चिम बंगाल 2461 829 225
आंध्रप्रदेश 2307 1252 48
पंजाब 1932

305

32
तेलंगाना 1454 959 34
कर्नाटक 1056 480 36
बिहार 1033 453 7
जम्मू-कश्मीर 1013 513 11

हरियाणा

854 464 13
ओडिशा 672 166 3

केरल

577

493

4

झारखंड

211 97 3
चंडीगढ़ 191 37 3
त्रिपुरा 156 29 0
असम 90 41 2
उत्तराखंड 82 51 1

हिमाचल प्रदेश

75 35 3
छत्तीसगढ़ 60 56 0
लद्दाख 43 24 0

अंडमान-निकोबार

33 33 0

पुडुचेरी

16 9 0
गोवा 15 7 0
मेघालय 13 11 1
मणिपुर 3 2 0
अरुणाचल प्रदेश 1 1 0
दादर एंड नगर हवेली 1 1 0
मिजोरम 1 1 0

ये आंकड़े covid19india.org और राज्य सरकारों से मिली जानकारी के अनुसार हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में81 हजार 970 हैं। 51 हजार 401 का इलाज चल रहा है। 27 हजार 919 ठीक हो चुके हैं, जबकि 2649 मरीजों की मौत हुईहै।

5 राज्य और 1 केंद्र शासित प्रदेश का हाल

  • मध्यप्रदेश, संक्रमित- 4595:यहां शुक्रवार को संक्रमण के 169 मामले सामने आए। इनमें इंदौर के 61, भोपाल के 26, बुरहानपुर के 27,उज्जैन के 10, जबलपुर के 11 और धार के 7 नए मरीज शामिल हैं। प्रदेश में 18 मई से लॉकडाउनफेज-4 शुरू होगा। बताया जा रहा है कि यह 31 मई तक जारी रह सकता है। इस दौरान बाजारों को ऑड और ईवन के फाॅर्मूले पर खोलने की तैयारी है। धार्मिक स्थानों पर प्रतिबंध 31 मई तक लागू रहेगा।

  • महाराष्ट्र, संक्रमित- 29100:राज्य में शुक्रवार को 1576 कोरोना मरीज मिले। अकेले मुंबई में 933 नए मामले सामने आए। हॉट स्पॉटधारावी में 84 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई, यहां 53 मौतें हो चुकी हैं। मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन, पुणे, सोलापुर, औरंगाबाद और मालेगांव जैसे हॉट स्पॉट इलाकों में लॉकडाउन 31 मई तक बढ़ा दिया गया है। राज्य में अब कोरोना से हर 2 दिनों में करीब 100 मौतें हो रही हैं।
  • उत्तरप्रदेश, संक्रमित- 4057:यहां पिछले 24 घंटे में 155संक्रमित मिले। इनमें हापुड़ के 10, आगरा और मेरठ के 9-9, लखनऊ के 5 और गौतमबुद्धनगर के 4 मरीज शामिल हैं।प्रदेश में अब तक 2165कोरोना संक्रमित ठीक हो चुके हैं।इधर, लॉकडाउन के बीच संत शेाभन सरकार के अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले 4200 अज्ञात लोगों के खिलाफ महामारी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

  • राजस्थान, संक्रमित- 4747:यहां शुक्रवार को 213कोरोनापॉजिटिवमिले। इनमें कोटा में 48,उदयपुर में 38, जोधुपर में 31, जयपुर में 23,पाली में 13, चित्तौड़गढ़ में 9,बीएसएफ कैम्प में 6, जालोर में 5,राजसमंद और सीकरमें 3-3, अजमेर, जैसलमेर और चूरू में 2-2 मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। प्रदेश में 2729 मरीज ठीक हो चुके हैं।

  • दिल्ली, संक्रमित- 8895:यहां शुक्रवार को संक्रमण के 425 मामले सामने आए।उधर,दिल्ली की जनता ने केजरीवाल सरकार को लॉकडाउन के स्वरूप पर5 लाख से ज्यादा सुझाव दिए हैं। इनमेंमास्क पहनना अनिवार्य करने और सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखने पर जोर दिया गया है। लोगों नेसीमित क्षमता के साथबसों और मेट्रो की आवाजाही शुरू करने और 25% या 50% मॉल खोलने का भी सुझाव दिया है।
  • बिहार, संक्रमित- 1033:यहां शुक्रवार को 34मरीजों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। खगड़िया और बेगुसरायमें 5-5, मधुबनी में 2 और सीवान में एक मरीजमिला। बिहार में3 मई के बाद दूसरे राज्यों से आने वालों में से 7500 लोगों के सैंपल की जांच हुई है। इनमें 352 संक्रमित मिले हैं। सबसे अधिक दिल्ली से आए 114 लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई। इनके अलावा गुजरात से लौटे 97, महाराष्ट्र से लौटे 66, पश्चिम बंगाल से लौटे 22, हरियाणा से लौटे 17 और उत्तरप्रदेश से लौटे 13 लोग संक्रमित मिले।


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गांववालों ने कहीं टेंट लगाकर तो कहीं स्कूलों में क्वारैंटाइन सेंटर बनाए, बाहर से लौटने वालों को 14 दिन इन्हीं में रखा जाता है

उत्तरप्रदेश से रवि श्रीवास्तव और अमित मुखर्जी.संजय हफ्ते भर पहले मुम्बई से अपने गांव भटगवां पहुंच चुके हैं लेकिन अब तक उन्हें घर के दर्शन नहीं हुए। घरवालों और गांववालों ने उन्हें 14 दिन क्वारैंटाइन सेंटर में रहने को कहा है। दरअसल, इस गांव के कई लोग कामकाज के लिए बाहर ही मजदूरी करते हैं। लॉकडाउन के बाद जब ये गांव लौटने लगे तो गांववालों ने एहतियात के तौर पर एक प्राइमरी स्कूल में क्वारैंटाइन सेंटर बना दिया। अब जो भी प्रवासी मजदूर अपने घर लौटता है, उसे पहले इसी सेंटर में 14 दिन गुजारने पड़ते हैं।

संजय बताते हैं कि वे मुंबई में पेंटिंग का काम करते थे। लॉकडाउन के बाद काम धंधा बंदहो गया तो गांव लौट आए। वे कहते हैं कि गांव आया तो लोगों ने घर जाने ही नहीं दिया। सब लोगों की इच्छा थी तो फिर मैं क्वारैंटाइनसेंटर में ही रुक गया। संजय को खाना देने के लिए उनके पिता हरीश दोनों टाइम सेंटर आते हैं। वे कहते हैं कि मुझे पता है कि मेरा बेटा बड़ी परेशानियों के साथ गांव पहुंचा है लेकिन क्या करें घर के बाकी सदस्य और गांव के लोगों का भी तो ध्यान रखना है। इसलिए हमने उसे स्कूल में कुछ दिन ठहरने के लिए कह दिया।

क्वारैंटाइन सेंटर के संचालक इरफान कहते हैं कि यह सेंटर गांववालों की मदद से ही चल रहा है। गांववाले अपने-अपने लोगों के लिए खाना दे जाते हैं। जिनके पास नहीं आता उनके खाने की व्यवस्था हम खुद करते हैं।

यूपी स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, राज्य के 75 जिलों में क्वॉरैंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। इसमें गांव के प्राथमिक स्कूल से लेकर शहर के होटलों तक का इस्तेमाल हो रहा।

पिता ने उधार लेकर 5 हजार भेजे तब जाकर गांव लौट पाए कन्हैया
भटगवां के पास ही बहेरिया गांव है। यहां भी गांववालों ने एक क्वारैंटाइन सेंटर बना रखा है। 5 दिन से इस क्वारैंटाइन सेंटर में रूके कन्हैया बताते हैं कि डेढ़ साल पहले वे गुजरात गए थे। वहां मेटल कंपनी में लेबर का काम करते थे। लॉकडाउन में काम बंद हुआ तो एक महीने के अंदर-अंदर जो कुछ रुपये थे वह सब खत्म हो गए। इसके बाद उन्होंने गांव लौटने की राह पकड़ ली।

कन्हैया 100 किमी से ज्यादा पैदल चले और फिर अलग-अलग ट्रकों की सवारी कर अपने गांव पहुंचे। यहां आते ही उन्हें गांव की सीमा पर बने क्वारैंटाइन सेंटर में ठहरने के लिए कह दिया गया।

बाहरी राज्यों से उत्तर प्रदेश में लौटे 1.13 लाख लोगों ने 28 दिन सर्विलांस की समय सीमा पूरी कर ली है।

कन्हैया के पिता पृथ्वीपाल बताते हैं, “एक रोज कन्हैया का फोन आया। वह बोला कि सब रुपये खत्म हो गए, खाने को भी कुछ नहीं है। मैंने गांव के लोगों से 5 हजार उधार लेकर उसे भेजे तब जाकर वह बड़ी मुश्किलों से 10 मई को यहां आ पाया। उसे अभी कुछ दिन और क्वारैंटाइन सेंटर में रूकना है। यहां रहने की व्यवस्था ठीक है। खाना हम घर से भेज देते हैं। खुशी बस इस बात की है कि हमारा लड़का इस बुरे समय में हमारे आसपास ही है।

गांववालों की मदद से चल रहा है क्वारैंटाइन सेंटर, खाना भी घरों से ही आ जाता है
संजय और कन्हैया की तरह ज्ञानंजय भी कामकाज के लिए घर से मीलों दूर थे। वे बताते हैं कि उनके पिता दूसरे के खेतों में काम करते हैं। उससे घर का खर्च पूरा नही हो पा रहा था। इसलिए वे 6 महीने पहले पीओपी का काम करने मुंबई चले गए। ज्ञानंजय कहते हैं, काम तो मिला नहीं उल्टा लॉकडाउन में फंस गया। पैसे भी खत्म हो गए थे। दोस्तों से कुछ उधार लिया और पैदल ही घर के लिए निकलना पड़ा। करीब 85 किमी पैदल चलने के बाद मुझे एक ट्रक वाले ने 3500 रुपये लेकर गांव से 10 किमी पहले छोड़ा। अभी घर जाने की इजाजत नहीं है क्योंकि गांववालों ने बाहर से आने वालों के लिए 14 दिन क्वारैंटाइन सेंटर में रुकना अनिवार्य किया है।

उत्तर प्रदेश में कोरोना के अब तक 4 हजार मामले सामने आ चुके हैं, 88 लोगों की मौत भी हो चुकी है।

बहेरिया के ग्राम प्रधान दिलीप पांडेय बताते हैं कि सरकार ने हर गांव में क्वारैंटाइन सेंटर बनाने के निर्देश दिए थे। 1 मई से हमनेंयह सेंटर शुरू किया है। गांववालों के सहयोग से सबकुछ ठीक चल रहा है। यहां रूके सभी मजदूरों का खाना उनके घर से ही आता है, बाकी चाय, पानी, नमकीन का इंतजाम हम खुद करते हैं।

टेंट से बना 30*30 का कैंप है, 15 चारपाई लगी हैं
बड़ागांव विकास खंड के रतनपुर गांव में भी कुछ ऐसा ही नजारा है। यहां कुछ युवाओं ने मिलकर गांव के बाहर खाली पड़ी जगहमें ही टेम्परेरी टेंट लगाकर क्वारैंटाइन सेंटर बना दिया है, जो भी गांव का रहने वाला व्यक्ति बाहर से लौट रहा है, उसे 14 दिन यहां रोकने के बाद ही घर जाने की अनुमति दी जाती है।

बाहर से आए मजदूरों को मेडिकल चैकअप के बाद इस तरह की रसीद दी जाती है। रसीद में होम क्वारैंटाइन की सलाह दी गई है लेकिन रतनपुर गांव में इन मजदूरों को क्वारैंटाइन सेंटर में ही रोका गया है।

सेंटर चलाने वाली टीम के सदस्य संतोष पटेल बताते हैं, जो भी बाहर से आता है उसे पहले काशी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी में लगे मेडिकल कैंप से जांच करानी होती है। इसी के बाद मजदूरों को यहां रखा जाता है। यहां 15 चारपाईलगाए गए हैं। सबको साबुन, मॉस्क और सेनिटाइजर दिया गया है। फिलहाल 12 लोग यहां रुके हुए हैं।



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रतनपुर गांव में एक खाली जगह पर 30*30 का टैंट लगाकर क्वारैंटाइन सेंटर बनाया गया है। यहां गुजरात-महाराष्ट्र से गांव लौटने वाले 12 मजदूर ठहरे हुए हैं।


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शवों को कई बार छुआ था लेकिन पहले कभी किसी शमशान में नहीं गया, पहली बार कब्र खोदी तो रातभर डरावने सपने आए

27 साल के विष्णु गुर्जर जयपुर के सबसे बड़े अस्पताल एसएमएस के मुर्दाघर में काम करते हैं। शवों के बीच रहना उनके लिए कोई नई बात नहीं, कई सौ शवों को छू चुके हैं, पिछले सात साल से वह यही नौकरी तो कर रहे हैं। लेकिन ये पहली बार था जब विष्णु को शव दफनाने या उनके अंतिम संस्कार का काम करना पड़ा।
पिछले 50 दिनों में 65शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। विष्णु की जुबानी शवों को दफनाने और जलानेकी कहानी-
आज तक मैं किसी कब्रिस्तान और शमशान में नहीं गया। कोरोना के चलते जब मेरी ड्यूटी में अंतिम संस्कार करना भी शामिल कर दिया गया तो पहली बार एक कब्रिस्तान में कदम रखा होगा। उसके बाद से अब तक अकेला 16 मुस्लिमों के शवों को दफना चुका हूं और 10 शवों को खुद ने आग दी है। बाकि साथियों के साथ मिलकर अब तक हिंदू-मुस्लिम के 66 शवों का अंतिम संस्कार कर चुका हूं।इस दौरान एक घटना ऐसी भी हुई जब दिल में डर बैठ गया।

इसी महीने के पहले हफ्ते में एक ही मुस्लिम परिवार के दो शव आए थे। मुझे तो पता भी नहीं था कि कैसे दफनाते हैं। वहां मौजूद लोगों से ही पूछा। फिर मुझे बताया गया था कि कोरोना की गाइडलाइन के मुताबिक थोड़ा ज्यादा गहरा गड्‌ढा खोदना होता है।

विष्णु अपने साथियों के साथ मिलकर एम्बुलेंस से शव को निकालते हैं। फिर अंतिम संस्कार करते हैं।

जब कब्र के लिए गड्‌ढा खोदना शुरू किया तो थोड़ी देर बाद मुझे वहां घुटन महसूस होने लगी। कुछ सेकंड के लिए मैं डर गया। पीपीई किट पहने हुए था तो पसीने में तरबतर तो पहले से ही था। दोनों की मौत कोरोना से हुई थी ये सोच सोचकर मेरे हाथ कांप रहे थे।

परिजनों ने दूर से ही शवों के आखिरी बार देख लिया था। परिजन तो शवों के पास भी नहीं जाते। शव पूरे पैक होकर आते हैं। हम ही स्ट्रेचर से बॉडी को उतारते हैं। फिर अंतिम क्रियाएं करते हैं।

इन लोगों को हर बार नई पीपीई किट उपलब्ध करवाई जाती है।

यदि मुस्लिम की बॉडी होती है और कोई कलमा पढ़ना चाहता है तो उसे कलमा पढ़ने का पूरा टाइम देते हैं फिर दफनाते हैं।

शव को दफनाने के बाद अगले तीन-चार दिनों तक डरावने सपने आते रहे। रात में कई बार झटके से नींद खुल जाती थी। मन में ये डर भी लगता था कि कहीं हमें कोरोना न हो जाए।

लेकिन शव आते रहे और हम भी अपना काम करते रहे। हिंदू का रहता है तो जला देते हैं। मुस्लिम का होता है दफना देते हैं।

शवों के पास परिजन नहीं जा रहे, ऐसे में ये लोग ही अंतिम संस्कार का फर्ज निभा रहे हैं।

अस्पताल में कोरोना मरीजों के आने के बाद से ही घर जाना बंद कर दिया था। 40 दिन बाद पहली बार घर गया, डरते डरते कहीं परिवार में किसी को मेरी वजह से इंफेक्शन न हो जाए।

घर में एक छ महीने की बेटी एक तीन साल का बेटा और पत्नी हैं। उन्हें संक्रमण न हो जाए इसलिए घर जाना छोड़ दिया था। अब भी जिस दिन शव जलाता हूं या दफनाता हूं उस दिन नहीं जाता।

विष्णु कहते हैं कि जब तक शव पूरी तरह जल नहीं जाते, हम मौके से जाते नहीं।

हॉस्पिटल के बाहर ही बनी एक धर्मशाला में हम लोगों के ठहरने की व्यवस्था की गई है। यहीं रहते हैं। यहीं खाते पीते हैं। हालांकि अब दो-तीन दिन के अंदर में घर जाने लगे हैं।

पिछले 50 दिनों में विष्णु 66 शवों का अंतिम संस्कार पूरा कर चुके हैं।

क्योंकि लॉकडाउन को बहुत लंबा समय हो गया। हालांकि मेरी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई है। इसके बाद से ही घर जाना शुरू किया है।



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Jaipur Coronavirus News Updates; SMS Hospital Employee Vishnu Gujar Buried Sixteen Dead Bodies


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देश में कोरोना से 107 दिनों में ढाई हजार मौत, जबकि टीबी और प्रेग्नेंसी के दौरान हर दिन हजार से ज्यादा मौतें होती हैं, मलेरिया से भी एक दिन में 500 जानें जाती हैं

कोरोना महामारी से बचने के लिए भारत में 25 मार्च से लॉकडाउन है। 52 दिन गुजर चुके हैं लेकिन कोरोना के मामले हर दिन बढ़ते जा रहे हैं। अब तक देश में 80 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और ढाई हजार से ज्यादा मौतें भी हो चुकी हैं। मौतों का यह आंकड़ा हर दिन बढ़ रहा है लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी भी हैं जिनसे हर साल इससे कहीं ज्यादा मौतें होती हैं।

देश में वर्तमान मृत्यु दर 7.3 है।यानी हर साल प्रति हजार 7 लोगों की मौत होती है। पिछले 10 सालों से यह दर 7.2 से 7.6 के बीच रही है। इस तरह से देखा जाए तो 135 अरब जनसंख्या वाले हमारे देश में हर साल करीब 1 करोड़ लोग मारे जाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा मौतें दिल (16%) और सांस (8.6%) की बीमारियों से होती हैं। इन बीमारियों से मौतों का एक दिन का औसत देखा जाए तो दिल की बीमारियों से एक दिन में 4 हजार और सांस की बीमारियों से एक दिन में 2 हजार से ज्यादा मौतें होती हैं। वहीं टीबी और बच्चे के जन्म से पहले और बाद के कुछ हफ्तों में होने वाले मां और बच्चों की मौतों का एक दिन का आंकड़ा एक हजार से ज्यादा है। मलेरिया से भी हर दिन 500 से ज्यादा मौतें होती हैं।

दुनियाभर में दिल की बीमारियों से ही सबसे ज्यादा मौतें होती हैं
भारत की तरह ही दुनियाभर में भी सबसे ज्यादा मौतें दिल की बीमारियों के कारण होती है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016 में दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के चलते दुनियाभर में 1.52 करोड़ लोगों की मौत हुई थी। पिछले 20 सालों से दुनियाभर में हुई मौतों का सबसे बड़ा कारण यही बीमारियां रही हैं। इसी के साथ साल 2016 में सांस नली की बीमारियों से 30 लाख, फेफड़ों के कैंसर से 17 लाख और एचआईवी जैसी संक्रामक बीमारियों से 10 लाख मौतें हुईं।

भारत में सिर्फ 22% मौतें मेडिकल सर्टिफाइड होती हैं, यानी 78% मौतों का सही कारण पता लगाना मुश्किल

साल 2019 में ऑफिस ऑफ रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने भारत में होने वाली मौतों पर डेटा रिपोर्ट जारी की थी। इसके मुताबिक, 2017 में भारत में 70 लाख मौतों का अनुमान लगाया गया। इनमें से महज 14.1 लाख मौतें मेडिकल सर्टिफाइड थीं। यानी भारत में होने वाली 22% मौतें ही मेडिकल सर्टिफाइड थीं। 1990 की तुलना में इस आंकड़े में महज 9% की बढ़ोतरी हुई है। 1990 में कुल मौतों का 12.7% ही मेडिकल सर्टिफाइड होता था।

यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ में पब्लिश एक रिपोर्ट में भी यही बताया गया था कि भारत में 75% से ज्यादा मौतें घरों में ही होती हैं, इस कारण इनकी मौतों के कारणों का सही आकलन नहीं लगाया जा सकता। 20 से 25% मामलों में ही मौतें हॉस्पिटल में होती हैं। जो मौतें हॉस्पिटल में होती हैं, वे ही मेडिकल सर्टिफाइड हो पाती हैं। भारत में अन्य देशों के मुकाबले कोरोना से हुई कम मौतों के कारण के पीछे भी यही तर्क दिया जा रहा है कि यहां ज्यादातर मौतें मेडिकल सर्टिफाइड नहीं होती इसलिए कोरोना से मौतों का आंकड़ा यहां कम है।

ऑफिस ऑफ रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि कुल मेडिकल सर्टिफाइड मौतों का 61.9% हिस्सा पुरुषों का होता है। यानी आखिरी समय में महिलाओं की तुलना में पुरुषों को हॉस्पिटल ले जाने की दर ज्यादा है। मेडिकल सर्टिफाइड मौतों में दिल से जुड़ी बीमारियों से होने वाली मौतों का हिस्सा 34% से ज्यादा था। इसी तरह 9.2% मौतें सांस से जुड़ी बीमारियों के कारण, 6.4% मौतें कैंसर के कारण और 5.8% मौतें नवजातों की थीं। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि गोवा में 100% मौतें मेडिकल सर्टिफाइड होती हैं। दिल्ली का नंबर दूसरा (61.5%) और मणिपुर का नंबर तीसरा (55%) था।

कोरोना के कारण अन्य बीमारियों से होने वाली मौतों में और इजाफा हो सकता है
भारत में टीबी और मलेरिया जैसी बीमारियों से बचाव के लिए कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं। प्रसव के पहले और बाद में होने वाली मौतों के लिए भी आंगनबाड़ियों के जरिए कार्यक्रम चलते हैं लेकिन फिलहाल लॉकडाउन के कारण यह सब पिछले 50 दिनों से थमे हुए हैं। वर्तमान में देश के पूरे संसाधन और मशीनरी कोरोना महामारी से लड़ने में लगी हुई है। एक स्टडी में सामने आया है कि भारत में अगर कोरोना के कारण अन्य बीमारियों से ध्यान हटा तो इनसे होने वाली मौतों की संख्या में बड़ा इजाफा होगा। यूएसएआईडी के सपोर्ट से स्टॉप टीबी पार्टनरशिपके साथ मिलकर इंपीरियल कॉलेज, एवनीर हेल्थ और जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में कहा गया है कि भारत में एक महीने के लॉकडाउन के कारण साल 2020 से 2025 के बीच टीबी से 40 हजार अतिरिक्त मौतें होंगी।

साल 2017 में भारत में 3.75 लाख मौतों का कारण टीबी ही था।

इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दुनियाभर में अगर लॉकडाउन 3 महीने तक चलता है तो टीबी से होने वाली मौतों का आंकड़ा फिर से 2013 से 2016 के बीच पहुंच जाएगा यानी टीबी उन्मूलन के लिए पिछले 7 सालों में चलाए गए मिशनों का नतीजा जीरो हो जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, 3 महीने के लॉकडाउन से दुनियाभर में 63 लाख टीबी के अतिरिक्त मामले सामने आएंगे और मौतें भी 14 लाख बढ़ जाएंगी।

यह आंकड़ें सिर्फ टीबी के हैं। डब्लूएचओ की एक स्टडी में यह भी बताया गया है कि कोरोना के कारण मलेरिया और एचआईवी उन्मूलन कार्यक्रम में आने वाली रुकावटें और दवाईयों तक पहुंच में आने वाली समस्याओं से इनसे होने वाली मौतों का आंकड़ा भी आने वाले दिनों में बढ़ेगा। भारत में साल 2017 में मलेरिया से 1.85 लाख और एचआईवी से 69 हजार मौतें हुईं थीं।



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Two and a half thousand deaths in 107 days due to corona in the country, while more than a thousand deaths occur every day during TB and pregnancy, even 500 deaths a day from malaria.


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लॉकडाउन के कारण बिना भक्तों के मनेगा शनि जन्मोत्सव, शिंगणापुर में एक पुजारी ही करेगा आरती

22 मई को शनि जयंती है। नेशनल लॉकडाउन के चलते इस साल चैत्र नवरात्र, रामनवमी, हनुमान जयंती और बुद्ध पूर्णिमा के बाद शनि जयंती का उत्सव भी फीका ही रहने वाला है। देश के सबसे प्राचीन शनि मंदिर में इस साल शनि जयंती की धूम नहीं रहेगी। हजारों श्रद्धालु अभिषेक के लिए शनि जयंती पर आते यहां हैं, लेकिन इस साल नेशनल लॉकडॉउन के चलते यहां केवल एक ही पुजारी शनि जयंती पर भगवान की आरती-पूजा करेंगे।

श्री शनैश्वर देवस्थानम् शिंगणापुर ट्रस्ट शनि जयंती की तैयारियों में जुटा है। अभिषेक-पूजन और शनि जन्मोत्सव की सारी परंपराएं हर साल की तरह ही रहेंगी। लेकिन, बस आम श्रद्धालुओं का हुजूम यहां नहीं होगा। ट्रस्ट के जनसंपर्क अधिकारी अनिल धरंडले के मुताबिक 2019 में करीब दो लाख लोग शनि जयंती पर यहां आए थे। इस साल तो इससे भी अधिक लोगों के आने की उम्मीद थी। लॉकडाउन और कोरोना वायरस के चलते इस साल यहां कोई बड़ा उत्सव नहीं होगा। केवल एक पुजारी ही भगवान की आरती-पूजन करेगा। यहीपरंपरा भी है।

  • दिन भर होंगे अलग-अलग अभिषेक पूजन

शनि जयंती पर दिनभर अलग-अलग तरह से अभिषेक पूजन के साथ कई तरह के आयोजन होते हैं। सुबह 4 बजे कांकड़ आरती के साथ शनि देव का जन्मोत्सव शुरू होगा। दिनभर पंडे-पुजारी मंत्र जाप और तेलाभिषेक होगा। सारे उत्सवों में सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन के नियमों का पूरा पालन किया जाएगा। इसके लिए ट्रस्ट उसी तरह से योजना बना रही है। सुबह 4 बजे शुरू होने वाला उत्सव रात 11 तक चलता रहेगा।

शिंगणापुर में शनिदेव की प्रतिमा स्वयंभू मानी जाती है। इस इलाके के राजा शनिदेव ही माने जाते हैं, इस कारण आज भी शिंगणापुर के घरों में दरवाजे और ताले दोनों ही लगाने की परंपरा नहीं है।
  • सबसे अलग है मंदिर की परंपराएं

शनैश्चर मंदिर शिंगणापुर की परंपराएं अन्य मंदिरों से बिलकुल अलग है। यहां मंदिर 24 घंटे खुला रहता है। शनि देव की प्रतिमा भी खुले आसमान के नीचे है। श्रद्धालुओं के लिए इस मंदिर से सहज और कम खर्च वाला कोई मंदिर नहीं है। यहां ना तो कोई पूजा करना अनिवार्य है, ना ही कोई चढ़ावा अनिवार्य है। यहां श्रद्धालुओं को किसी तरह की पूजा के लिए कोई दबाव नहीं है। इसलिए, मंदिर में पुजारियों की संख्या भी बहुत कम है। ये एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां आज भी चोरियां नहीं होती हैं। इस कारण यहां श्रद्धालुओं के सामान गुमने या चोरी होने जैसी कोई शिकायत आज तक नहीं आई। 100 रुपए में रहने के लिए कमरा और 10 रुपए भरपेट भोजन मिलता है।

  • महिलाओं को नहीं थी तेल चढ़ाने की अनुमति

400 साल से ज्यादा पुराने इस मंदिर में महिलाओं को भगवान शनि की पूजा की अनुमति नहीं थी। महिलाएं दूर से ही दर्शन करती थीं। 2016 में कोर्ट के फैसले के बाद यहां महिलाओं को शनिदेव को तेल चढ़ाने और पूजा करने की अनुमति मिल गई। ट्रस्ट में भी किसी महिला को नियुक्त नहीं किया जाता था। 2016 में पहली बार महिलाओं को ट्रस्ट में स्थान दिया गया।



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A priest will perform Aarti in Shinganapur to observe Shani birth anniversary without devotees due to lockdown


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रोज माउथवॉश करना भी है फायदेमंद, विशेषज्ञों की टीम ने कहा- इसके रसायन कोरोनावायरस की खोल भेद सकते हैं

माउथवॉश कोरोनावायरस को खत्म कर सकता है और कोविड-19 से बचा सकता है। यह दावा अंतरराष्ट्रीय वायरस विशेषज्ञों की एक टीम ने किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि माउथवॉश कोशिका को संक्रमित करने से पहले ही कोरोनावायरस को खत्म कर सकता है।

दरअसल, कोरोनावायरस के चारों तरफ एक चर्बी सेबनी खोलहोती है जिसे माउथवॉश में मौजूद रसायन गला सकते हैं। इस तरह इसे मुंह में ही खत्म करके गले तक पहुंचने से रोका जा सकता है।

मुंह की सफाई बेहद जरूरी

शोधकर्ता ओ-डोन्नेल के मुताबिक, माउथवॉश से गरारा करने की सलाह अब तक स्वास्थ्य अधिकारियों की तरफ से नहीं दी गई है। लेकिन यह शरीर में बाहरी चीजों का प्रवेश द्वार और एकऐसा हिस्सा है जिसकी सफाई बेहद जरूरी है। कोरोना के दौर में तो पूरे मुंह का हाइजीन सही रखना बेहद जरूरी है। ये दांतों और पाचन के लिए भी अच्छा है।

इसमें संक्रमण को रोकने लायक रसायन

शोधकर्ताओं का कहना है कि माउथवॉश में क्लोरहेक्सिडिन ग्लूकोनेट, हाइड्रोजन परऑक्साइड और पोविडोन-आयोडीन जैसे रसायन होते हैं। इन सभी में संक्रमण को रोकने की क्षमता है। कोरोना की ऊपरी सतह ग्लाइकोप्रोटीन की होती है यही इम्यून सिस्टम पर हावी होते हुए शरीर में कोशिकाओं को संक्रमित करती हैं।


ग्लाइकोप्रोटीन से बनी ऊपरी सतह को गलाने की
शोधकर्ताओं के मुताबिक, माउथवॉश में मौजूद रसायन कोरोनावायरस में ग्लाइकोप्रोटीन से बनी ऊपरी सतह को गलाने की कोशिश करते हैं। एक बार जब इसकी बाहरी सतह गलने लग जाती है तो यह वायरस कोशिकाओं को संक्रमित नहीं कर पाता है।

कई प्रमुख यूनिवर्सिटी के वायरस विशेषज्ञ शोध में शामिल
शोधकर्ताओं की टीम में कार्डिफ, नॉटिंघम, कोलोराडो, ओटावा, बार्सिलोना यूनिवर्सिटी के साथ कैंब्रिज बाब्राहम इंस्टीट्यूट के वायरस विशेषज्ञ शामिल हैं। रिसर्च यह दावा नहीं करती कि मार्केट में उपलब्ध सभी माउथवॉश कोरोनावायरस को खत्म कर देंगे लेकिन इसमें मौजूद रसायन कोरोना से बचाने में मददगार साबित होते हैं। ऐसे मॉउथवाश ब्रांड्स के बारे में अभी विशेषज्ञों ने कोई राय नहीं दी है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन अभी राजी नहीं
विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ का कहना है कि माउथवॉश से कोरोनावायरस को खत्म करने के प्रमाण नहीं मिले हैं। हालांकि माउथवॉश के कुछ ब्रांड ऐसे हैं जो लार में मौजूद कई तरह के सूक्ष्मजीवों को चंद सेकंड में ही खत्म करते हैं। लेकिन, विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि इसके कारण लार में मौजूद अच्छे एंजाइम व सूक्ष्मजीव भी नष्ट हो सकते हैं।



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Mouthwash may eliminate virus, team of experts claim; Said- its chemicals can distinguish the shell of the virus


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अब मरीजों में मतिभ्रम के भी लक्षण, उन्हें अजीब आवाजें सुनाई देती हैं; 14 अध्ययनों के आधार पर शोधकर्ताओं का दावा

कोरोना से जूझ रहे मरीजों में अब साइकोसिस या मनविक्षिप्तताके लक्षण दिखाई दे रहे हैं। यह दावा ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने किया। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना से जूझ रहे 4 फीसदी मरीजों में ऐसीस्थिति बन रही है। उन्हें आवाजें सुनाई दे रही हैं जो उन्हेंभ्रमित कर रही हैं।

दुनियाभर के14 अध्ययनों का विश्लेषण करने के बाद यह बात सामने आई है। नए कोरोनावायरस के अलावा मर्स, सार्स और स्वाइन फ्लू के मरीजों में भी कुछ मामले ऐसे देखे गए थे।

क्या है साइकोसिस या मनविक्षिप्तता
साइकोसिसमन की एक असामान्य दशा है जिसमें मन यह तय नहीं कर पाता कि क्या वास्तविक है और क्याआभासी। इसके कुछ लक्षण ये हो सकते हैं- असत्य विश्वास (फाल्स बिलीफ/ भ्रमासक्ति), तथा ऐसी आवाजें सुनाई देना या ऐसी चीजें दिखाई देना जो सामान्य लोगों को नहीं सुनाई/दिखाई देतीं। इस दशा कोमनस्ताप या मनोविक्षिप्ति भी कहते हैं।

मरीजों का इलाज करना चुनौतीपूर्ण
रिसर्च टीम का हिस्सा रहे लॉ-ट्रोब यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता प्रो. रिचर्ड ग्रे का कहना है कि इलाज के दौरान कोरोना पीड़ितों में ऐसे लक्षण दिख सकते हैं। ऐसी स्थिति में इलाज करना चुनौतीपूर्ण होता है। कोरोना से जूझ रहे मरीजों में डिप्रेशन और बेचैनी को कंट्रोल करना भी जरूरी है। लेकिन साइकोसिस की स्थिति में हालत गंभीर हो जाती है, क्योंकि लगातार सोचने और डरने से दिमागप्रभावित हो रहा होता है।

एंटी-साइकोटिक दवा का कम डोज है प्रभावी
शोधकर्ता डॉ. एली ब्राउन के मुताबिक, ऐसे मामलों में मरीज को बेहद सटीक इलाज की जरूरत होती है। रिसर्च में देखा गया है कि संक्रमित मरीजों को एंटी-साइकोटिक दवा का लो-डोज देकर इलाज किया जा सकता है, ये असर करती है। सबसे जरूरी बात है कि मरीज और डॉक्टर के बीच का संवाद बेहतर होना चाहिए ताकि समस्या को समझा जा सके। मरीज अगर उत्तेजित होता है डॉक्टर्स परेशान न हों और मनोरोग विशेषज्ञों से सलाह लें।

अधिक तनाव से बढ़ती है सायकोसिस की समस्या
प्रोफेसर रिचर्ड कहते हैं कि कोरोना के ऐसे मरीजों को अलग रखने के साथ सोशल डिस्टेंसिंग की भी जरूरत है। स्ट्रेस के बढ़ते दबाव के कारण ऐसे मामले सामने आ रहे हैं क्योंकि साइकोसिस का पहला असर अधिक तनाव के रूप में दिखता है।

एक के बाद एक करके सामने आ रहे नए लक्षण
जैसे संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं कोरोना के नए लक्षण सामने आ रहे हैं। सबसे खास बात है कि ऐसे मामलों की संख्या बढ़ रही है जिसमें कोरोना के वे आम लक्षण नहीं दिखाई देते जैसे बुखार, मांसपेशियों में अकड़न और सांस में तकलीफ। संक्रमण की शुरुआत में ही ऐसे बदलाव दिखाई दे रहे हैं जिसे लोग संक्रमण का इशारा नहीं समझ पा रहे जैसे गंध महसूस न कर पाना, सिरदर्द, बोलते-बोलते सुध-बुध खो देना, पेट में दर्द और दिमाग में खून के थक्के जमना।

अप्रैल के अंतिम सप्ताह में सीडीसी ने कोरोना के नए लक्षण अपनी गाइडलाइन में शामिल किए।

सीडीसी ने नए लक्षण जारी किए

अमेरिकी सरकार के शीर्ष मेडिकल संस्थान सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने भी माना है कि कोरोना से संक्रमण के नए लक्षण सामने आए हैं। सीडीसी ने संक्रमण के 6 नए लक्षणों की जानकारी होने की पुष्टि की हैं। इनमें बहुत ज्यादा ठंड लगना, ठंड के साथ कंपकंपी छूटना, मांसपेशियों में दर्द बना रहना, लगातार सिरदर्द रहना, गले में चुभन के साथ होने वाला दर्द, खुशबू, गंध या स्वाद न महसूस होना शामिल है।



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Now even the symptoms of psychosis in patients, they hear strange sounds; Researchers claim based on 14 studies


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36° तापमान में तपती सड़कें, ये नन्हे पांव और मीलों का सफर

देशभर मेंलाखों मजदूरों का पलायन जारी है। भूख से लड़ते हुए तपती सड़कों पर नंगे पैर मीलों के सफर पर ये मजदूर निकल पड़े हैं। इनके पैरों में न चप्पल है,न सिर पर छांव। मलोया से 10 साल की यह बच्ची भी इसी सफर पर अपने माता-पिता के साथ निकली है। घर से सैंडिल पहनकर चली थी। रास्ते में टूट गए तो फेंकने पड़े। फिर तपती दुपहरी में नंगे पांव ही चल पड़ी। इन्हें यूपी के उन्नाव जाना है। बेहतर जिंदगी के लिए गांव छोड़ शहर आए थे। अब अधूरे सपनों के साथ ही गांव की ओर वापस जाना पड़ रहा है।

दिन शुक्रवार। जगह सेक्टर-43 बस स्टैंड। टाइम 4 बजे। एक बुजुर्ग महिला गोद में फूल से बच्चे को लेकर बैठी थी। पूछने पर महिला ने अपना नाम धारी देवी बताया। उन्होंने कहा कि यह मेरा लाडला पोता है। सिर्फ 17 दिन का है। रायपुरखुर्द में रहते थे, लेकिन अब हालात ठीक नहीं, इसलिए रात 8 बजे वाली ट्रेन से उन्नाव जा रहे हैं।

बच्चे का नाम पूछा तो महिला का गला भर आया। बस इतनाकहा, ‘बेटा नाम से ज्यादा हमें इसकी फिक्र हो रही है। क्योंकि, इसे भरपेट दूध नहीं मिल रहा। 17 दिन पहले बहू ने इसे जन्म दिया था। डॉक्टरों ने कहा था कि इसे पौष्टिक आहार देना। लेकिन, यहां तो दो टाइम का खाना भी नसीब नहीं हो रहा। इस वजह से बहू के उतना दूध भी नहीं बन रहा, जिससे मासूम का पेट भर सके। क्या करें, हमें तो अब आंसुओं का कड़वा घूंट ही पीना पड़ेगा।’(इनपुट और फोटो: अश्वनी राणाा)



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मलोया से 10 साल की यह बच्ची भी इसी मुश्किल सफर पर माता-पिता के साथ निकली है।


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