मंगलवार, 13 अक्टूबर 2020

जॉनसन एंड जॉनसन ने वैक्सीन ट्रायल रोका, हेल्थ वर्कर के बीमार होने के बाद फैसला; दुनिया में 3.80 करोड़ केस

दुनिया में संक्रमितों का आंकड़ा 3.80 करोड़ से ज्यादा हो गया है। ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 2 करोड़ 85 लाख 92 हजार 312 से ज्यादा हो चुकी है। मरने वालों का आंकड़ा 10.85 लाख के पार हो चुका है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने कोरोना वैक्सीन का ट्रायल फिलहाल रोक दिया है। कंपनी ने यह फैसला अपने एक हेल्थ वर्कर के बीमार होने के बाद किया। इसके पहले ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका ने भी पिछले महीने इन्हीं हालात में ट्रायल रोक दिया था। हालांकि, स्थिति की समीक्षा के बाद इन्हें फिर शुरू कर दिया गया है।

जॉनसन एंड जॉनसन के हवाले से कहा गया है कि ट्रायल में हिस्सा ले रहे एक व्यक्ति में बीमारी के कुछ लक्षण देखे गए हैं। कंपनी ने कहा- फिलहाल हम सभी तरह के ट्रायल रोक रहे हैं। इसमें फेस 3 ट्रायल भी शामिल हैं। ट्रायल में हिस्सा ले रहे एक कैंडिडेट में बीमारी के लक्षण पाए गए हैं। हम इसकी जांच कर रहे हैं।

फ्रांस : लॉकडाउन की तैयारी
फ्रांस ने लॉकडाउन की नए सिरे से तैयारी करना शुरू कर दिया है। तीन हफ्ते में यहां तीन लाख से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं। अब सरकार ने साफ कर दिया है कि बिना सख्ती किए संक्रमण को रोकना बेहद मुश्किल है। हेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा कि सभी तरह के होटल, रेस्टोरेंट्स और बार अब बंद किए जाएंगे। इस मामले में किसी तरह की राहत नहीं दी जाएगी। सरकार डब्ल्यूएचओ के भी संपर्क में है ताकि एक्सपर्ट्स की सलाह ली जा सकती।

फ्रांस सरकार ने साफ कर दिया है कि देश में जल्द ही नए सिरे से लॉकडाउन लगाया जाएगा। सरकार के मुताबिक, इस दौरान सभी तरह के होटल, रेस्टोरेंट्स और बार बंद रखे जाएंगे। फ्रांस में जून से लेकर अगस्त तक लॉकडाउन रहा था। (फाइल)

इटली : फिर सख्ती होगी
इटली सरकार ने भी साफ कर दिया है कि बहुत जल्द प्राइवेट पार्टीज में आने वाले लोगों को लेकर नए प्रतिबंध लगाए जाएंगे। पार्टी में आने वाले हर शख्स का रिकॉर्ड रखना होगा। शादियों और अंतिम संस्कार के लिए भी नए प्रतिबंधों की तैयारी कर ली गई है। इटली की हेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा- हमने बहुत मुश्किल दौर देखा है। इसलिए ये जरूरी है कि सही वक्त पर सही कदम उठाए जाएं। इससे कुछ देर के नुकसान या परेशानी हो सकती है, लेकिन आखिर में हम सबको सुरक्षित रखने में कामयाब होंगे।

इटली के वेटिकन सिटी में मौजूद गार्ड्स को भी मास्क पहनने को कहा गया है। यहां पोप फ्रांसिस रहते हैं। इटली में संक्रमण की दूसरी लहर को देखते हुए नए प्रतिबंध लगाए जाने की तैयारी है।

ब्रिटेन : तीन चरणों की नई योजना
बोरिस जॉनसन सरकार ने देश में संक्रमण की दूसरी लहर से निपटने के लिए नई योजना तैयार की है। इसके लिए तीन लेयर वाला एक प्लान तैयार किया गया है। इसे मीडियम, हाई और वेरी हाई कैटेगरी में बांटा गया है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि वो सख्त या कम्प्लीट लॉकडाउन से बचना चाहती है। लिहाजा, संक्रमण को काबू में करने के लिए नया प्लान बनाया गया है। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने पहली बार विपक्षी सांसदों को भी इस प्लान की जानकारी दी है। विपक्षी सांसदों का आरोप है कि सरकार कोरोना के बहाने जनता के अधिकारों का हनन कर रही है।

साउथ कोरिया: यहां राहत
साउथ कोरिया में संक्रमण के मामले कम होने के बाद सोमवार से सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों में राहत दी गई है। यहां नाइटक्लब, बार और रेस्टोरेंट दोबारा खोलने की इजाजत दे दी गई है। स्टेडियम की कैपेसिटी से 30% दर्शकों के साथ खेल आयोजनों की इजाजत होगी। प्रधानमंत्री चुंग से-क्यून ने रविवार को इसका ऐलान किया। उन्होंने कहा कि हम देश भर में सोशल डिस्टेंसिंग में राहत देंगे, लेकिन, खतरे को नजरअंदाज नहीं करेंगे। डोर टू डोर बिजनेस, धार्मिक आयोजनों पर पाबंदियां जारी रहेंगी।



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जॉनसन एंड जॉनसन के हवाले से कहा गया है कि ट्रायल में हिस्सा ले रहे एक व्यक्ति में बीमारी के कुछ लक्षण देखे गए हैं। फिलहाल ट्रायल रोक रहे हैं। (फाइल फोटो)


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कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ट्रम्प की पहली चुनावी रैली, 65 मिनट तक भाषण दिया, बोले- पहले से ज्यादा ताकतवर महसूस कर रहा हूं

कोरोना से ठीक होने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प अब फिर कैम्पेन मोड में आ गए हैं। सोमवार रात वे फ्लोरिडा पहुंचे और यहां हजारों समर्थकों की मौजूदगी में रैली की। वे 65 मिनट तक बोले। कहा- मैं पहले ज्यादा पावरफुल महसूस कर रहा हूं।

डॉक्टर का दावा
राष्ट्रपति के डॉक्टर सीन कोनले ने व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैली मैक्नेनी को एक चिट्ठी के जरिए बताया है कि राष्ट्रपति का लगातार दो दिन तक कोरोना टेस्ट किया गया है। दोनों रिपोर्ट निगेटिव आई हैं। मैक्नेनी ने इसकी जानकारी मीडिया को दी। कैली ने कहा- कई लोग यह जानना चाहते हैं कि राष्ट्रपति की सेहत कैसी है। उनका कोरोना टेस्ट दोबारा किया गया है या नहीं। मेरे पास डॉक्टर कोनले का मैसेज आया है। राष्ट्रपति के दो दिन में दो टेस्ट किए गए हैं। दोनों की रिपोर्ट निगेटिव आई है।

ट्रम्प फिर मैदान में
पिछले हफ्ते संक्रमित होने के बाद ट्रम्प तीन दिन मेरिलैंड के वॉल्टर रीड हॉस्पिटल में रहे थे। डॉक्टर ने उन्हें शनिवार से कैम्पेन करने की इजाजत दी थी। लेकिन, ट्रम्प ने सोमवार से चुनाव प्रचार फिर शुरू किया। वे फ्लोरिडा पहुंचे और यहां एक विशाल रैली की। हजारों समर्थकों की मौजूदगी में ट्रम्प ने कहा- मैं पहले से ज्यादा ताकतवर महसूस कर रहा हूं। यह रैली फ्लोरिडा के सैनफोर्ड में हुई।

ये जल्दबाजी तो नहीं
भाषण के दौरान महसूस किया जा सकता था कि वे खुद को सेहतमंद दिखाने की जल्दबाजी में हैं। ट्रम्प बार-बार यह दावा करते रहे है कि वे पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। खास बात ये है कि जब वे यह रैली कर रहे थे तब तक इस बात की औपचारिक पुष्टि नहीं हो सकी थी कि उनकी टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई है। ट्रम्प जिस बारे में दावा कर रहे हैं उसमें एक बात जरूर नोट की जानी चाहिए कि इस बीमारी से अमेरिका में 2 लाख 15 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।

बाइडेन का मजाक उड़ाते रहे
ट्रम्प की बेफिक्री का आलम यह है कि वे डेमोक्रेट कैंडिडेट जो बाइडेन की छोटी रैलियों का मजाक उड़ाते रहे। उन्होंने यहां तक कहा कि बाइडेन और डेमोक्रेट्स वैक्सीन जल्द लाने में बाधा बन रहे हैं। सवाल तो राष्ट्रपति के डॉक्टर पर भी उठ रहे हैं। सबसे ज्यादा हैरानी की बात यह है कि अपने कैंडिडेट के पॉजिटिव होने और अस्पताल में भर्ती होने के बावजूद ट्रम्प के समर्थन सुधरने को तैयार नहीं हैं। सोमवार की रैली में सैकड़ों लोग ऐसे थे, जिन्होंने मास्क नहीं लगाया था। यह देश के लिए और खुद इन लोगों के लिए दिक्कत का सबब बन सकता है।

शेखी बघारने की कोशिश
सैनफोर्ड के अपने भाषण में ट्रम्प का पुराना अंदाज ही दिखा। कोरोना और अमेरिका में उससे पैदा हुए हालात पर उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं कहा। ये जरूर बताया कि किस तरह उन्होंने आतंकवाद पर सख्ती दिखाई। कितने टेरेरिस्ट खत्म कर दिए। ईरान को लेकर सख्त रवैया अपनाया। ज्यादातर मीडिया खबरों को फेक बताया। शनिवार का बयान भी दोहराया। कहा- मुझे नोबेल प्राइज के लिए नॉमिनेट इसलिए नहीं किया गया क्योंकि मीडिया फेक खबरें चलाता है। जबकि 2009 में ओबामा को फौरन नॉमिनेट कर दिया गया था।



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US President Donald Trump tested negative for Covid-19 NYT | Today Latest United States Presidential Election 2020 Opinion From NYT


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कहानी कभी ढाबा चलाने वाली महिला की, पति पर पहला केस साइकिल चोरी का था, बेटे ने ओवरटेक करने वाले को गोली से उड़ाया था

बात पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त की है। 2 अप्रैल 2019 को बिहार के गया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक रैली थी। मंच पर नीतीश कुमार और सुशील मोदी समेत कई नेता थे। मोदी के ठीक पीछे हरी साड़ी पहने एक महिला नेता बैठी थीं। ये वो थीं, जिसका बेटा हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा था। पति पर 17 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज थे। शराबबंदी वाले बिहार में इस महिला के घर से शराब पकड़ाई थी। इसके बाद उन्हें सरेंडर करना पड़ा और छह साल के लिए जदयू से बाहर कर दी गईं। इस महिला का नाम है मनोरमा देवी। जितनी दबंग ये हैं, उतनी ही दिलचस्प इनकी कहानी भी है।

तस्वीर 2 अप्रैल 2019 की है, जब मोदी बिहार के गया में चुनावी रैली करने गए थे। उनके ठीक पीछे मनोरमा देवी बैठी थीं।

पिता ट्रक ड्राइवर थे, मां ढाबा चलाती थीं
मनोरमा देवी का नाता बिहार ही नहीं बल्कि पंजाब से भी है। उनके पिता हजारा सिंह ट्रक ड्राइवर थे। पंजाब के रहने वाले हजारा सिंह का अक्सर गया से गुजरने वाली जीटी रोड से आना-जाना होता था। रास्ते में ही एक ढाबे पर रुककर वो खाना खाते थे। इसी ढाबे वाले की बेटी थी कबूतरी देवी। हजारा सिंह ने कबूतरी से शादी कर ली और गया में ही जमीन खरीदकर बस गए।1970 में उनकी बेटी मनोरमा का जन्म हुआ।

जिस तरह से मनोरमा देवी के माता-पिता की शादी हुई थी। कुछ ऐसे ही मनोरमा की भी शादी हुई। उस समय बिंदेश्वरी यादव, जिन्हें बिंदी यादव के नाम से लोग जानते हैं, उनका उस ढाबे पर आना-जाना लगा रहता था। बिंदी यादव को मनोरमा पसंद आ गईं और दोनों ने 1989 में शादी कर ली। कुछ लोगों का कहना है कि बिंदी ने मनोरमा से जबरदस्ती शादी की थी। हालांकि, कोई भी पुख्ता तौर पर इस बात को नहीं कहता। बिंदी की मनोरमा से ये दूसरी शादी थी।

साइकिल चोरी के आरोपी से लालू-नीतीश के करीबी तक का सफर
1980 के दशक में बिंदी यादव गया में मामूली अपराध करता था। लोग बताते हैं कि उस पर पहला इल्जाम साइकिल चोरी का लगा था। लेकिन, बाद में उसके सपने बड़े होते गए। 1990 में बिंदी ने बच्चू यादव नाम के बदमाश से हाथ मिलाया। ये दोनों गया में बंदूक की नोक पर जमीन हथियाने के लिए बदनाम हो गए। धीरे-धीरे इनकी जोड़ी बिंदिया-बचुआ नाम से फेमस हो गई।

बाद में गया में बिंदी और बच्चू यादव पर सख्ती शुरू हो गई। उस समय बिंदी यादव को अहसास हुआ कि बिना पॉलिटिकल सपोर्ट के गुजारा नहीं हो सकता। इसलिए उसने 1990 में लालू यादव की जनता दल को ज्वॉइन कर लिया। 2001 में राजद के सपोर्ट से बिंदी यादव गया डिस्ट्रिक्ट बोर्ड का चेयरमैन बन गया। जबकि, पत्नी मनोरमा मोहनपुर ब्लॉक की अध्यक्ष बन गईं। 2003 से 2009 तक मनोरमा राजद के टिकट पर एमएलसी रहीं।

2005 के विधानसभा चुनाव में बिंदी ने किस्मत आजमाने के लिए गया से निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन हार गया। 2010 में राजद के टिकट पर गुरुआ से लड़ा, लेकिन फिर हार गया।

बाद में बिंदी यादव लालू की राजद छोड़कर नीतीश की जदयू में आ गया। बताते हैं कि बिंदी यादव लालू-नीतीश के करीबियों में से एक था और इसका उसने फायदा भी उठाया। दोनों के सपोर्ट से उसने ठेके लेने शुरू कर दिए।

देखते ही देखते बिंदी यादव बाहुबली बन गया। उसने आखिरी बार 2010 में चुनाव लड़ा था। उस समय उसने बताया था कि उसके ऊपर 17 क्रिमिनल केस चल रहे हैं। इनमें हत्या की कोशिश और धोखाधड़ी जैसे मामले शामिल थे। इसी साल जुलाई में बिंदी यादव की कोरोना से मौत हो गई।

बेटे का रौब इतना कि ओवरटेक करने वाले को गोली मार दी
साल 2016 में बिहार में एक चर्चित रोडरेज का मामला आया था। 7 मई 2016 को 20 साल के आदित्य सचदेवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या जिसने की थी, उसका नाम था रॉकी। मनोरमा देवी इसी रॉकी की मां हैं। इस घटना के बाद रॉकी तो फरार हो गया, लेकिन 9 मई को पुलिस ने बिंदी यादव को गिरफ्तार कर लिया।

बिंदी यादव की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर मनोरमा देवी के घर की तलाशी ली। तलाशी में मनोरमा देवी के घर से शराब पकड़ाई थी। जबकि, बिहार में पूरी तरह से शराब पर पाबंदी थी। इसी तलाशी में उनके घर से लिमिट से ज्यादा गोलियां भी मिली थीं। 17 मई 2016 को मनोरमा देवी ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। कोर्ट ने उन्हें जेल भेज दिया। बाद में उन्हें जमानत मिल गई।

वापस लौटके आते हैं रॉकी पर। रॉकी ने आदित्य की सिर्फ इसलिए हत्या कर दी थी, क्योंकि आदित्य ने उसकी गाड़ी को ओवरटेक किया था। इससे नाराज होकर रॉकी ने आदित्य को गोली मार दी। इस घटना के करीब 6 महीने बाद 29 अक्टूबर 2016 को रॉकी ने सरेंडर कर दिया। 6 सितंबर 2017 को गया की एक कोर्ट ने रॉकी और उसके तीन दोस्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई।

2005 में 79 लाख रुपए थी संपत्ति, आज करीब 90 करोड़
2005 में बिंदी यादव ने पहली बार चुनाव लड़ा, उस समय उसने अपने एफिडेविट में बताया था कि उसके पास 79.50 लाख रुपए की संपत्ति है। 2010 में उसकी संपत्ति बढ़कर 8.66 करोड़ रुपए हो गई। 2015 में मनोरमा देवी जब विधान परिषद का चुनाव लड़ रही थीं, तब उन्होंने अपनी संपत्ति 12.24 करोड़ रुपए बताई थी। जबकि, इस बार उन्होंने 89.77 करोड़ रुपए संपत्ति बताई है।



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Bihar Election 2020; Manorama Devi Political Career Update | Bahubali Bindi Yadav Wife and Gaya JDU MLC Manorama Devi Property Details and Criminals Cases


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रिक्शा जब्त होने पर रोते हुए युवक का मार्मिक वीडियो शेयर कर भारतीय यूजर्स ने सरकार को कोसा, पड़ताल में मामला बांग्लादेश का निकला

क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर एक मार्मिक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें कुछ लोग एक रिक्शा चालक का रिक्शा जब्त कर रहे हैं। रिक्शा जब्त करने वाले लोग सरकारी अमले के लग रहे हैं।

वीडियो शेयर करते हुए जहां कुछ यूजर सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना कर रहे हैं। वहीं, कुछ यूजर ये सवाल भी पूछ रहे हैं कि आखिर भारत में ऐसा कौन सा कानून है, जिसके तहत इस गरीब का रोजगार छीना जा रहा है?

और सच क्या है ?

  • अलग-अलग की-वर्ड सर्च करने से भी हमें ऐसी कोई विश्वसनीय खबर नहीं मिली। जिससे पुष्टि हो कि वायरल हो रहा वीडियो भारत का है।
  • वीडियो में रो रहा व्यक्ति रिपोर्टर्स को अपनी समस्या के बारे में बताता दिख रहा है। वीडियो को ध्यान से देखने पर पर इन्हीं रिपोर्ट्स में से एक के माइक में Jamuna TV लिखा दिख रहा है।
  • गूगल सर्च करने पर पता चला Jamuna TV नाम का ये चैनल भारत नहीं, बांग्लादेश का है।
  • वायरल हो रहा वीडियो Jamuna TV के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर भी है। इसे 6 अक्टूबर, 2020 को अपलोड किया गया है।
  • पड़ताल के अगले चरण में हमने वीडियो में ऐसे क्लू सर्च करने शुरू किए। जिनसे पुष्टि हो सके कि वीडियो बांग्लादेश का ही है। हमें वीडियो के बैकग्राउंड में Minor Cafe लिखा हुआ दिखा।
  • Google Maps से पुष्टि होती है कि C Minor Music नाम का कैफे बांग्लादेश के ढाका में ही सत मस्जिद रोड इलाके में है। साफ है कि वायरल हो रहा वीडियो भारत नहीं, बांग्लादेश का है।

  • Dhaka Tribune की रिपोर्ट से पता चलता है कि ढाका साउथ सिटी कॉरपोरेशन ( DSCC) ने शहर में बैटरी से चलने वाले रिक्शा को इलाके से बाहर करने का अभियान शुरू किया था। वीडियो में दिख रहा शख्स फजलुर रहमान है। कोरोना में फजलुर की नौकरी चली गई। इसके बाद उसने लोन लेकर रिक्शा खरीदा। जब इस रिक्शे को प्रशासन के लोगों ने जब्त कर लिया, तो फजलुर रो पड़ा। वीडियो उसी समय का है।
  • मार्मिक वीडियो वायरल होने के बाद बांग्लादेश के ही एक उद्योगपति शब्बीर हसन नासिर, रिक्शा चालक की मदद के लिए आगे भी आए हैं। फजलुर को नया रिक्शा खरीदने के लिए शब्बीर हसन ने आर्थिक मदद की है।


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Fact Check: Why is a crying poor young man breaking his rickshaw and taking away his employment? People questioning the government while sharing the touching video


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33 साल पहले हरफनमौला कलाकार किशोर कुमार का निधन, 228 साल पहले वो घर बनना शुरू हुआ, जिसमें दुनिया का सबसे ताकतवर शख्स रहता है

आज ही के दिन भारतीय सिनेमा के कोहिनूर कहे जाने वाले किशोर कुमार ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। अभिनेता, संगीतकार, गायक, लेखक, निर्देशक और निर्माता किशोर कुमार, सिनेमा की हर विधा में पारंगत किशोर कुमार। एक ऐसे शख्स, जो हमेशा अपनी शर्तों पर जिए और जो भी किया, वो इतिहास बन गया।

किशोर का असली नाम आभास कुमार गांगुली था, उनका जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा में हुआ था। किशोर कुमार जितना एक गायक के तौर पर जाने जाते हैं, उतना ही एक अभिनेता के तौर पर भी।

किशोर कुमार के करियर की शुरुआत एक अभिनेता के रूप में फिल्म शिकारी (1946) से हुई। इस फिल्म में उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने लीड रोल निभाया था। उन्हें पहली बार गाने का मौका मिला 1948 में बनी फिल्म जिद्दी में। इसमें किशोर ने देव आनंद के लिए गाना गाया। किशोर कुमार केएल सहगल के जबर्दस्त प्रशंसक थे, इसलिए उन्होंने यह गीत उन की शैली में ही गाया। उन्होंने राजेश खन्ना के लिए 92 फिल्मों में रिकॉर्ड 245 गाने गाए। 1997 में मध्य प्रदेश सरकार ने उनके नाम पर अवॉर्ड शुरू किया।

किशोर कुमार ने चार शादियां की थीं। उनकी पहली पत्नी बंगाली गायक और अभिनेत्री रुमा गुहा ठाकुरता उर्फ ​​रुमा घोष थीं। ये शादी 1950 से 1958 तक यानी महज 8 साल चली। उनकी दूसरी पत्नी अभिनेत्री मधुबाला थीं। मधुबाला के साथ किशोर ने घरेलू फिल्म चलती का नाम गाड़ी (1958) और झूमूओ (1961) समेत कई फिल्मों में काम किया था।

आज ही के दिन शुरू हुआ था व्हाइट हाउस का निर्माण ​​​​​​

व्हाइट हाउस और उसके ढांचे का स्केच।

आज ही के दिन आधिकारिक तौर पर व्हाइट हाउस का निर्माण शुरू था। 16 जुलाई 1790 को अमेरिकी कांग्रेस ने रेजिडेंस एक्ट पास किया। इसके बाद राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन ने कमीशन अपॉइन्ट किया, ताकि राष्ट्रपति आवास के लिए फेडरल कन्स्ट्रक्शन प्रोजेक्ट को जमीन पर उतारा जा सके। इसके ठीक बाद राष्ट्रपति वॉशिंगटन ने एक फ्रेंच इंजीनियर को प्रेसीडेंट हाउस के सर्वे के लिए अपॉइन्ट किया। जिसके बाद व्हाइट हाउस की जगह तय हुई।

मार्च 1792 में कमीशन ने व्हाइट हाउस के लिए नेशनल डिजाइन कॉम्पटीशन का विज्ञापन दिया। इसी साल जुलाई में आयरलैंड के आर्किटेक्ट जेम्स होबन के डिजाइन को व्हाइट हाउस के लिए सिलेक्ट किया गया। आज ही के दिन 13 अक्टूबर 1792 में आधिकारिक तौर पर व्हाइट हाउस का निर्माण शुरू हुआ।

अटलजी तीसरी बार पीएम बने और पहली बार कार्यकाल पूरा किया

ये फोटो 1999 का है। तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाते रहे हैं।

आज ही के दिन 13 अक्टूबर 1999 में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री चुने गए और यह प्रधानमंत्री के तौर पर उनका पहला कार्यकाल था, जिसे उन्होंने पूरा किया। 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और वाजपेयी पहली बार प्रधानमंत्री बने। हालांकि, उनकी सरकार 13 दिनों में संसद में पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाने के चलते गिर गई।

1998 में दोबारा लोकसभा चुनाव हुए। इनमें पार्टी को ज्‍यादा सीटें मिलीं और कुछ अन्‍य पार्टियों के सहयोग से वाजपेयी जी ने एनडीए का गठन किया और वे फिर प्रधानमंत्री बने। यह सरकार 13 महीनों तक चली, लेकिन बीच में ही जयललिता की पार्टी ने सरकार का साथ छोड़ दिया, जिसके चलते सरकार गिर गई। 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर से सत्ता में आई और इस बार वाजपेयी जी ने अपना कार्यकाल पूरा किया।

1952 में अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार लखनऊ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, पर सफलता नहीं मिली। वे उत्तरप्रदेश की एक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उतरे थे, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अटल बिहारी वाजपेयी को पहली बार सफलता 1957 में मिली थी। 1957 में जनसंघ ने उन्हें तीन लोकसभा सीटों लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया। लखनऊ में वे चुनाव हार गए, मथुरा में उनकी जमानत जब्त हो गई, लेकिन बलरामपुर संसदीय सीट से चुनाव जीतकर वे लोकसभा पहुंचे।

इतिहास में आज का दिन इन घटनाओं की वजह से भी याद किया जाता है…

  • 1976 - बोलिविया में बोइंग जेट विमान दुर्घटनाग्रस्त, करीब 100 लोगों की मौत।

  • 1987 - कोस्टारिका के राष्ट्रपति ऑस्कर ऑरियस को शांति का नोबेल पुरस्कार मिला।

  • 1999 - कोलम्बिया विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री प्रो. राबर्ट मुंडेल को वर्ष 1999 को नोबेल पुरस्कार देने का ऐलान।

  • 2000 - दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति किम दाई जुंग को शांति को नोबेल पुरस्कार।

  • 2001 - नाइजीरिया में अमेरिका विरोधी प्रदर्शन के दौरान भड़की सांप्रदायिक हिंसा में लगभग 200 लोग मारे गए।

  • 2002 - इंडोनेशिया के बाली नाइट क्लब में हुए विस्फोट में 200 लोग मारे गए और 300 से ज्यादा घायल हुए।

  • 2003 - डलास में 26 घंटे तक चले मुश्किल आपरेशन के बाद मिस्र के जुड़वां बच्चों के आपस में जुड़े सिर को अलग किया गया।

  • 2004 - सऊदी अरब का हर साल एक लाख श्रमिकों की कटौती की घोषणा। चीन ने ताइवान की शांति पहल ठुकराई।

  • 2005 - जर्मनी के प्रख्यात नाटककार हेराल्ड पिंटर को वर्ष 2005 के साहित्य का नोबल देने का ऐलान।

  • 2006 - बांग्लादेश के मो. युनुस और उनके द्वारा गठित ग्रामीण बैंक को नोबेल पुरस्कार।

  • 2008- रायबरेली में रेल कोच फैक्ट्री की स्थापना के लिए दी गई जमीन के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए।

  • 2011- दफ्तरों में इस्तेमाल होने वाले हिंदी के कठिन शब्दों की जगह उर्दू, फारसी, सामान्य हिंदी और अंग्रेजी के शब्दों का उपयोग करने के निर्देश दिए हैं।

  • 2012 - पाकिस्तान के डेरा आदम में आत्मघाती हमले में 15 लोगों की मौत।

  • 2013 - मध्य प्रदेश के दतिया जिले में भगदड़ से 109 लोगों की मौत।



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The death of Kishore Kumar, an all-rounder of Indian cinema, 33 years ago, 228 years ago, construction of the house in which the world's most powerful figure lives


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इहां, कुछु क्लियर नहीं है, समझे में नहीं आ रहा है कि ई बेर कौन बाजी मारेगा; वोटर सब की तो बात छोड़िए, नेतवन भी सब कंफ्यूज है

शाम के 4-5 बजे का वक्त है। डुमरांव राजगढ़ के सामने चहल-पहल कुछ ज्यादा है। थोड़ी ही देर पहले चमचमाती कारों के साथ नेता जी अपने पिछलग्गुओं को लेकर प्रचार के लिए निकले हैं। सामने 7-8 लोगों की एक चौपाल लगी है। पिछली बार यहां से चुनाव हारे एक नेता जी (रामबिहारी सिंह) भी बैठे हैं। इस बार इनको किसी पार्टी से टिकट नहीं मिला है। जदयू से रालोसपा और फिर रालोसपा से जदयू का चक्कर काट चुके हैं।

मेरे साथ ही खड़ा एक युवक धीरे से कहता है, ‘ई कई बार चुनाव लड़े लेकिन का बताएं, इनके नसीब में विधायक बनना था ही नहीं। अब तो संन्यासे समझिए।’

न तो नेता जी मास्क पहने हैं, न इनके साथ बैठे लोग। कोरोना का तो जैसे इनपे कोई असर ही नहीं है। नेताजी जी कह रहे हैं, ‘ई बेर माहौल जदयू के साथ है। आप लोग जोर लगाइए। वोट कटवन से सावधान रहना है।’

हमने पूछा कि ‘टिकट कटवन’ के बारे में आपका क्या ख्याल है, आप लोगों ने तो अपने सिटिंग एमएलए का ही टिकट काट के ऐसे उम्मीदवार को दे दिया, जिसके बारे में लोग जानते भी नहीं हैं। कहते हैं- ‘सब देखते जाइए, कोई टक्कर में नहीं है।’

यहां से आगे बढ़े तो कुछ और युवा मिले। इनमें से एक भाजपा से जुड़ा है और वार्ड पार्षद भी है। हमने डुमरांव के माहौल के बारे में पूछा तो कहता हैं, ‘कुछु क्लियर नहीं है। समझे में नहीं आ रहा है कि ई बेर कौन बाजी मारेगा। वोटर सब की तो बात छोड़िए, नेतवन भी सब कंफ्यूज है।’

दरअसल, जदयू ने सिटिंग एमएलए ददन यादव का टिकट काटकर अंजुम आरा को दिया तो ददन निर्दलीय ही उतर गए हैं। उधर, राजद और रालोसपा तो हैं ही। सबसे दिलचस्प ई है कि अबकी बार डुमरांव राजघराने से पहली बार कोई विधानसभा का चुनाव लड़ रहा है। नाम है शिवांग विजय। निर्दलीय ही मैदान में उतरे हैं। इनके दादा महाराजा कमल सिंह बक्सर से दो बार लगातार सांसद रहे थे। इसी साल जनवरी में उनकी मौत हो गई। इलाके में बहस के कई सिरे हैं। सबसे ज्यादा चर्चा जदयू-भाजपा-रालोसपा-राजद के गुणा-गणित की है।

भाजपा से जुड़े लोग ही कह रहे हैं कि- अबकी जदयू को ठिकाने लगाना है। अभी थोड़ा माहौल बनने दीजिए न, फिर तय होगा कि महाराज को वोट देना है कि लोजपा को। इहे दुनों में से कोई एक को हमलोग वोट करेंगे, जदयू का त खेले खल्लास है।

बगल में ही लिट्टी की दुकान पर थोड़ी भीड़ तो दिख रही है, लेकिन माहौल पूरी तरह शांत है। कोई पॉलिटिकल डिबेट नहीं हो रही है। ऐसा पहली बार ही दिख रहा है कि चुनाव से चंद दिन पहले भी लोगों के बीच इस कदर खामोशी छाई हुई है। मेरे साथ ही एक स्थानीय पत्रकार भी लिट्टी खा रहे हैं। उनसे पूछा कि इस खामोशी की वजह कोरोना तो नहीं? बोले, 'कोरोना का तो कोई असर नहीं हैं, यहां के लोगों पर। देखिए न, कोई आपको मास्क पहने हुए दिख रहा है? आप मास्क पहने हैं तो कुछ दिन बाद लोग आपका ही मजाक उड़ाने लगेंगे!

देखिए भीतरखाने की बात तो ई है कि ‘अबकी खाली डुमरांव में ही नहीं पूरे बिहार में भाजपा खेल करने वाली है और ई बात नीतीश भी अच्छे से समझ रहे हैं’। यह सब सुनते बगल वाले सज्जन से रहा नहीं गया। बोले- ‘नीतीशो को हल्के में मत लीजिए। कल को भाजपा से बात नहीं बनी तो उनको फिर पलटी मारकर राजद में जाने में कोई फेर नहीं है’। उनका राजनीतिक विश्लेषण यहीं पूरा नहीं हुआ है। बोले- ‘...लेकिन अभी दोनों दल फूंक-फूंक कर कदम उठा रहे हैं। परिणाम जो भी हो, लेकिन एक चीज तो साफ दिख रहा है कि नीतीश को ई बेर सबसे ज्यादा नुकसान होगा। अब इसका फायदा लोजपा को होता है कि राजद को आगे की सारी राजनीति और सरकार का बनना-बिगड़ना इसी बात पर निर्भर रहने वाला है।



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Bihar Election 2020; Buxar Dumraon Locals Political Debate On Upendra Kushwaha Rashtriya Lok Samta Party (RLSP) Party Ram Bihari Singh


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सीजन में दो टीमों के बीच दोबारा मुकाबले आज से शुरू, सनराइजर्स से पिछले मैच में मिली हार का बदला लेने उतरेगी सुपर किंग्स

आईपीएल के 13वें सीजन का अब सेकेंड हाफ शुरू हो गया है। लीग में सभी टीमों ने एक-दूसरे से एक-एक मुकाबला खेल लिया है। ऐसे में लीग में आज से सभी टीमें दोबारा आमने-सामने होंगी। लीग का 29वां मैच आज सनराइजर्स हैदराबाद (एसआरएच) और चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) के बीच दुबई में शाम 7.30 बजे से खेला जाएगा। चेन्नई के पास हैदराबाद के खिलाफ मिली पिछली हार का बदला लेने का मौका होगा।

लीग के 14वें मैच में दुबई में ही हैदराबाद ने चेन्नई को 7 रन से हराया था। हैदराबाद ने पहले बल्लेबाजी करते हुए चेन्नई को 165 रन का टारगेट दिया था। जिसके जवाब में चेन्नई की टीम 157 रन ही बना पाई थी।

चेन्नई ने हैदराबाद के खिलाफ 13 में से 9 मुकाबले जीते

ओवरऑल रिकॉर्ड की बात करें, तो चेन्नई का पलड़ा भारी है। दोनों के बीच अब तक कुल 13 मैच खेले गए हैं, जिनमें चेन्नई ने 9 और हैदराबाद ने 4 मुकाबले जीते हैं। इस सीजन में दोनों ही टीमों ने अपना पिछला मुकबला हारा है। ऐसे में दोनों के पास इस मैच को जीतकर लय हासिल करने का मौका होगा।

चेन्नई के लिए डु प्लेसिस ने बनाए सबसे ज्यादा रन
चेन्नई की बल्लेबाजी की बात करें, तो फाफ डु प्लेसिस ही फॉर्म में दिखे हैं। उन्होंने सीजन में खेले 7 मैचों में 307 रन बनाए हैं। इसमें 3 फिफ्टी भी शामिल है। किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ उन्होंने 87 रन की नाबाद पारी खेली थी। इसके अलावा शेन वॉटसन ने अब तक लीग में 199 रन बनाए हैं।

चेन्नई में शार्दुल और करन ने लिए सबसे ज्यादा विकेट
गेंदबाजी में सैम करन और शार्दुल ठाकुर ने शानदार गेंदबाजी की है। करन ने सीजन में 7 मैच में 8 विकेट लिए हैं। वहीं शार्दुल ने 4 मैचों में 7 बल्लेबाजों को आउट किया है। इनके अलावा दीपक चाहर ने 7 मैचों में 6 विकेट लिए हैं।

हैदराबाद के लिए वॉर्नर-बेयरस्टो टॉप स्कोरर
हैदराबाद के लिए कप्तान डेविड वॉर्नर और जॉनी बेयरस्टो टॉप स्कोरर रहे हैं। वॉर्नर ने 7 मैचों में 2 फिफ्टी के साथ 275 रन और बेयरस्टो ने 7 मैचों में 3 फिफ्टी के साथ 257 रन बनाए हैं। इसके अलावा मनीष पांडे ने भी लीग में अब तक 202 रन बनाए हैं।

हैदराबाद के राशिद पर्पल कैप की रेस में
हैदराबाद के स्पिनर राशिद खान लीग में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों की लिस्ट में चौथे स्थान पर हैं। राशिद ने अब तक सीजन में 7 मैचों में 10 विकेट लिए हैं। वहीं, टी नटराजन ने अब तक सीजन में 7 बल्लेबाजों को आउट किया है।

दोनों टीम के महंगे खिलाड़ी
सीएसके में कप्तान धोनी सबसे महंगे खिलाड़ी हैं। टीम उन्हें एक सीजन के 15 करोड़ रुपए देगी। उनके बाद टीम में रविंद्र जडेजा का नाम है, जिन्हें इस सीजन में 7 करोड़ रुपए मिलेंगे। वहीं हैदराबाद के सबसे महंगे खिलाड़ी डेविड वॉर्नर हैं। उन्हें फ्रेंचाइजी सीजन का 12.50 करोड़ रुपए देगी। इसके बाद टीम के दूसरे महंगे खिलाड़ी मनीष पांडे (11 करोड़) हैं।

पिच और मौसम रिपोर्ट
दुबई में मैच के दौरान आसमान साफ रहेगा। तापमान 23 से 37 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। पिच से बल्लेबाजों को मदद मिल सकती है। यहां स्लो विकेट होने के कारण स्पिनर्स को भी काफी मदद मिलेगी। टॉस जीतने वाली टीम पहले बल्लेबाजी करना पसंद करेगी। इस आईपीएल से पहले यहां हुए पिछले 61 टी-20 में पहले बल्लेबाजी वाली टीम की जीत का सक्सेस रेट 55.74% रहा है।

  • इस मैदान पर हुए कुल टी-20: 61
  • पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती: 34
  • पहले गेंदबाजी करने वाली टीम जीती: 26
  • पहली पारी में टीम का औसत स्कोर: 144
  • दूसरी पारी में टीम का औसत स्कोर: 122

चेन्नई ने 3 और हैदराबाद ने 2 बार खिताब जीता
महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई ने लगातार दो बार 2010 और 2011 में खिताब जीता था। पिछली बार यह टीम 2018 में चैम्पियन बनी थी। वहीं चेन्नई पांच बार( 2008, 2012, 2013, 2015 और 2019) आईपीएल की रनरअप भी रही। दूसरी ओर हैदराबाद ने 2 बार (2009 और 2016) खिताब अपने नाम किया।

आईपीएल में चेन्नई का सक्सेस रेट हैदराबाद से ज्यादा
चेन्नई ने लीग में अब तक 172 मैच खेले, जिसमें 102 जीते और 67 हारे हैं। 1 मुकाबले बेनतीजा रहे। वहीं, सनराइजर्स ने अब तक 115 में से 61 मैच जीते और 54 हारे हैं। इस तरह लीग में सुपरकिंग्स की जीत सक्सेस रेट 59.94% और हैदराबाद का 53.04% रहा।



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वैज्ञानिकों ने खोजी अनोखी चिड़िया, यह आधी नर है और आधी मादा; इसमें नर जैसे बड़े पंख हैं और दाहिने हिस्से में मादा जैसा अंडाशय

रिसर्च टीम ने ऐसी चिड़िया खोजी है, जो आधी नर और आधी मादा है। इसका नाम रोज-ब्रेस्टेड ग्रूजबीक्स है। इसके एक हिस्से में नर चिड़ियों जैसे काले और बड़े पंख हैं, वहीं दूसरे मादा वाले हिस्से में ब्राउन और यलो पंख हैं। इसके चेस्ट पर कोई स्पॉट नहीं हैं। यह मादा चिड़िया का लक्षण है।

इसे खोजने वाले पेन्सिलवेनिया के पाउडरमिल नेचुरल रिजर्व के रिसर्चर्स का कहना है, जब चिड़िया नर और मादा दोनों होती है तो इसे गाएंड्रोमॉरफिज्म कहते हैं।

कब होता है ऐसी चिड़िया का जन्म
रिसर्चर्स के मुताबिक, ऐसी चिड़िया का जन्म तब होता है, जब नर के दो स्पर्म मादा के ऐसे अंडे से मिलते हैं, जिसमें दो न्यूक्लियस होते हैं। ऐसी स्थिति में भ्रूण में नर और मादा दोनों का क्रोमोजोम आ जाता है। ऐसा चिड़ियों में कम ही होता है। 64 साल पहले अमेरिका के पाउडरमिल एविएशन रिसर्च सेंटर में ऐसा मामला सामने आया था।

रिसर्च टीम में शामिल एनी लिंडसे कहती हैं, यह मेरे जीवन का बेहद अद्भुत अनुभव रहा है। चिड़ियों की जनसंख्या की गणना करने के दौरान ये हमें मिली।

अधिक गहरे और बड़े पंख वाला हिस्सा नर चिड़िया की तरह है और दाहिनी तरफ छोटे और हल्के रंग वाले पंख हैं, जो मादा चिड़िया होने की खासियत बताते हैं।

यह चिड़िया मादा की तरह अंडे भी दे सकती है
यह चिड़िया उत्तरी अमेरिका में पाई जाती है। अगर यह माइग्रेट करती है तो मैक्सिको और दक्षिणी अमेरिका में भी पहुंच सकती है। यह कार्डिनल फैमिली से है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक, आमतौर पर चिड़ियों में दाहिने हिस्से वाली ओवरी ही एक्टिव होती है। इस चिड़िया में भी दाहिना हिस्सा ही मादा वाला है। इसलिए यह अंडे भी दे सकती है और प्रजनन भी कर सकती है।

प्रजनन के लिए सबसे जरूरी बात
एनी लिंडसे कहती हैं, भविष्य में नर की तरह काम करेगी या मादा की तरह, यह इसकी आवाज पर निर्भर करेगा। अगर यह नर चिड़िया की तरह गुनगुनाएगी तभी मादा आकर्षित होंगी। या यह भी हो सकता है, यह खुद नर चिड़ियों की तरफ आकर्षित हो। ऐसे मामले बेहद दुर्लभ होते हैं, जो कई तरह की नई जानकारियां देते हैं।

एनी कहती हैं, यह चिड़िया हमें 24 सितंबर की शाम को मिली थी। यह आगे चलकर नर की तरह बिहेव करेगा या मादा की तरह यह इसके पंखों और आवाज पर निर्भर करेगा। मुझे लगता है इसके पंख नर की तरह अभी और विकसित होने की संभावना है। इसके रंग और ज्यादा वाइब्रेंट होंगे। नर और मादा के बीच की लाइन और ज्यादा गहरी होगी।



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Rare Half-Male, Half-Female Bird Discovered By Wildlife Biologist - Here's Latest News Updates From Pennsylvania


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2 या उससे कम मैच खेलने वाले खिलाड़ियों की टीम बदल सकती है, 90 प्लेयर की लिस्ट में 12.50 करोड़ के स्टोक्स और 10 करोड़ के मॉरिस शामिल

आईपीएल के 13वें सीजन में आधे मुकाबले खेले जा चुके हैं। फर्स्ट हाफ खत्म होने के साथ ही आईपीएल में पांच दिन की मिड सीजन ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके तहत खिलाड़ी दोनों टीमों की आपसी सहमति से फ्रेंचाइजी बदल सकते हैं।

ट्रांसफर विंडो अब सभी टीमों के लिए खुल गई है। हालांकि, यह प्रक्रिया केवल उन खिलाड़ियों पर ही लागू होगी, जिसने इस सीजन में 7 मैचों में से दो या उससे कम मैच खेले हैं। इस बार 90 ऐसे प्लेयर्स हैं, जिनकी अदला-बदली मिड सीजन ट्रांसफर विंडो के तहत हो सकती है।

इनमें 12.50 करोड़ रुपए की कीमत वाले राजस्थान रॉयल्स के बेन स्टोक्स, 10 करोड़ रुपए की कीमत वाले रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के क्रिस मॉरिस, 8 करोड़ रुपए की कीमत वाले मुंबई इंडियंस के नाथन कुल्टर नाइल और 5.25 करोड़ रुपए की कीमत वाले दिल्ली कैपिटल्स के अजिंक्य रहाणे शामिल हैं।

आईपीएल के महंगे खिलाड़ी जिनकी हो सकती है अदला-बदली

बेन स्टोक्स: 12.50 करोड़ रुपए (वर्तमान टीम-राजस्थान रॉयल्स)
क्रिस मॉरिस: 10 करोड़ रुपए (वर्तमान टीम- रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु)
नाथन कुल्टर नाइल: 8 करोड़ (वर्तमान टीम- मुंबई इंडियंस)
अजिंक्य रहाणे: 5.25 करोड़ (वर्तमान टीम- दिल्ली कैपिटल्स)
कर्ण शर्मा: 5 करोड़ रुपए (वर्तमान टीम- चेन्नई सुपर किंग्स)

आईपीएल में मिड सीजन ट्रांसफर के लिए जरूरी नियम

1. यह ट्रांसफर केवल फर्स्ट हाफ खत्म होने यानी 7 मैच खेल चुकी टीमों के लिए शुरू होगी।

2. खिलाड़ियों के ट्रांसफर के लिए दोनों टीमों की आपसी सहमति जरूरी होगी।

3. वह खिलाड़ी जिसने इस सीजन में अभी तक दो या उससे कम मैच खेले हैं, केवल उनकी ही अदला-बदली की इजाजत होगी।

4. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने इस साल मिड सीजन ट्रांसफर के नियमों में एक और बदलाव किया है। इस सीजन में अनकैप्ड के साथ-साथ कैप्ड प्लेयर्स की भी मिड सीजन ट्रांसफर की इजाजत होगी। पिछले सीजन में बीसीसीआई ने केवल अनकैप्ड प्लेयर्स के लिए ही ऐसे ट्रांसफर की इजाजत दी थी।

प्लेयर्स जो मिड सीजन ट्रांसफर के योग्य हैं

मिड सीजन ट्रांसफर के लिए मुंबई इंडियंस के 13, दिल्ली कैपिटल्स के 9, कोलकाता नाइट राइडर्स के 10, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के 11, सनराइजर्स हैदराबाद के 13, राजस्थान रॉयल्स के 11, चेन्नई सुपर किंग्स के 10, किंग्स इलेवन पंजाब के 13 खिलाड़ी योग्य हैं।

मुंबई इंडियंस दिल्ली कैपिटल्स कोलकाता नाइट राइडर्स रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु
क्रिस लिन अजिंक्य रहाणे टॉम बैन्टन डेल स्टेन
नाथन कुल्टर नाइल संदीप लामिछाने लॉकी फर्ग्युसन क्रिस मॉरिस
मिशेल मैक्लेघन एलेक्स कैरी प्रसिद्ध कृष्णा एडम जैंपा
धवल कुलकर्णी मोहित शर्मा रिंकू सिंह मोइन अली
सौरभ तिवारी आवेश खान संदीप वॉरियर पार्थिव पटेल
जयंत यादव ललित यादव सिद्धेश लाड मोहम्मज सिराज
आदित्य तरे तुषार देशपांडे एम सिद्धार्थ पवन नेगी
शेरफाने रदरफोर्ड डेनियल सैम्स निखिल नाइक उमेश यादव
मोहसिन खान कीमो पॉल अली खान शाबाज़ अहमद
दिग्विजय देशमुख क्रिस ग्रीन पवन देशपांडे
प्रिंस बलवंत राय जोश फिलिप
अनमोलप्रीत सिंह
अनुकूल रॉय
सनराइजर्स हैदराबाद राजस्थान रॉयल्स चेन्नई सुपर किंग्स किंग्स इलेवन पंजाब
सिद्धार्थ कौल डेविड मिलर इमरान ताहिर क्रिस गेल
ऋद्धिमान साहा एंड्रयू टाई मिशेल सेंटनर मुजीब उर रहमान
विजय शंकर

बेन स्टोक्स

जोश हेजलवुड दीपक हुड्डा
बसिल थंपी वरुण ऐरॉन एन जगदीसन मुरुगन अश्विन
संदीप शर्मा मयंक मार्कंडे

कर्ण

शर्मा

कृष्णप्पा गौतम
शाबाज़ नदीम मनन वोहरा मोनू कुमार इशान पोरेल
श्रीवत्स गोस्वामी शशांक सिंह ऋतुराज गायकवाड़ हार्डस विल्जोएन
संदीप बवनाका अनिरुद्ध जोशी आर साई किशोर सिमरन सिंह
संजय यादव आकाश सिंह केएम आसिफ तजिंदर सिंह
विराट सिंह अनुज रावत लुंगी एनगिडी अर्शदीप सिंह
फैबियन एलन ओशेन थॉमस दर्शन नलखंदे
बिली स्टेनलेक हरप्रीत ब्रार
मोहम्मद नबी जगदीश सुचित


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big players name on mid season transfers list including rahane, chris gayle and stokes


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सबसे ज्यादा रन, फिफ्टी और सेंचुरी राहुल के नाम, फिर भी उनकी टीम पंजाब सबसे नीचे; विदेशियों पर भारी भारतीय खिलाड़ी

आईपीएल सीजन-13 में लीग स्टेज के 56 में से 28 मुकाबले हो चुके हैं। अब तक के सफर में डिफेंडिंग चैम्पियन मुंबई इंडियंस 7 में से 5 मैच जीतकर पॉइंट्स टेबल में टॉप पर काबिज है। किंग्स इलेवन पंजाब इतने ही मैच में एक जीत के साथ सबसे निचले पायदान पर है। जबकि टीम के कप्तान लोकेश राहुल सीजन में सबसे ज्यादा 387 रन के साथ ऑरेंज कैप की दावेदारी में सबसे आगे हैं।

इस दौरान राहुल ने एक शतक और 3 अर्धशतक भी जड़े हैं। इस शानदार फॉर्म के बावजूद वे अपनी पंजाब टीम को सिर्फ एक ही जीत दिला सके। राहुल के अलावा भी विराट कोहली, जसप्रीत बुमराह, शिवम मावी, राहुल तेवतिया और मयंक अग्रवाल जैसे भारतीय खिलाड़ी विदेशी प्लेयर्स पर भारी पड़ रहे हैं।

3 सबसे प्रॉमिसिंग प्लेयर
आईपीएल में इस सीजन में युवा भारतीय खिलाड़ियों ने गजब का प्रदर्शन किया है। इनमें से रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के देवदत्त पडिक्कल, किंग्स इलेवन पंजाब के रवि बिश्नोई और सनराइजर्स हैदराबाद के टी नटराजन ने टीम इंडिया के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी है। पडिक्कल ने 7 मैचों में 3 फिफ्टी समेत 243 रन बनाए हैं। बिश्नोई ने 7 मैचों में 7.85 की इकोनॉमी के साथ 8 विकेट लिए हैं। वहीं, नटराजन ने 7 मैचों में 7 बल्लेबाजों को अपना शिकार बनाया है। नीचे देखिए आईपीएल के फर्स्ट हाफ में बने रिकॉर्ड्स...



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IPL: IPL UAE 2020 Records Stats; Lokesh Rahul Virat Kohli | Highest Run Scorer, Most Fifties and Centuries In Indian Premier League 2020


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डोनाल्ड ट्रम्प को दोबारा चुनना सामूहिक पागलपन की तरह है, क्योंकि अनेक अमेरिकियों की जिंदगी और जीवन यापन इस पर ही निर्भर है

आज सबसे अहम सवाल यह नहीं है कि कोविड-19 से मुकाबले के बाद राष्ट्रपति ट्रम्प ने क्या सीखा? बड़ा सवाल यह है कि एक नागरिक के तौर पर हमने क्या सीखा, खासकर ट्रम्प के समर्थकों ने? क्योंकि ट्रम्प के खुद के ऊपर चल रही बहस खत्म हो गई है। फैसला यह है कि वह खुद को सुपरमैन समझते रहें, लेकिन वह एक सुपरस्प्रैडर साबित हुए हैं। उनको दोबारा से चुनना सामूहिक पागलपन होगा।

हो सकता है कि आप इसे दूसरे रूप में देखते हों। लेकिन क्या ट्रम्प के पर्याप्त संख्या में वोटर दूसरे रूप में देखते हैं? यह जो बाइडेन की इस काबिलियत पर निर्भर करेगा कि वे उनको उन छोटी-बड़ी चीजों को देखने में मदद करें, जहां पर ट्रम्प ने बुनियादी तौर पर गलती की है।

छोटी चीजों की लिस्ट बहुत लंबी है। महामारी के दौर में सावधानी कमजोरी की नहीं, बल्कि बुद्धिमानी का प्रतीक है। महामारी में फेस मास्क किसी संस्कृति का प्रतीक नहीं, बल्कि यह सुरक्षा की निशानी है। महामारी में मास्क पहनने का विरोध कोई स्वतंत्रता को सुरक्षित करना नहीं है। लॉकडाउन हमारे बोलने या जमा होने के अधिकार को कम करना नहीं है।

वैज्ञानिक राजनेता नहीं हैं और राजनेता वैज्ञानिक नहीं हैं। हमारी इच्छा मास्क या नौकरी नहीं, बल्कि नौकरी के लिए मास्क है। ट्रम्प ने जो बड़ी गलतियां कीं उनमें पहली थी कि देश का नेतृत्व कैसे करें? सामान्य तौर पर हमारे नेतृत्व का गुण गंभीर व्यापार रहा है, लेकिन महामारी में यह जिंदगी और मौत का सवाल बन गया। डोनाल्ड ट्रम्प महामारी में बहुत ही खराब लीडर साबित हुए हैं। एक नैतिक तौर पर लापरवाह नेता।

मूल्य आधारित नेतृत्व को बढ़ावा देने वाली कंपनी एलआरएन के संस्थापक और चेयरमैन डोव सीडमैन कहते हैं कि ‘जब भी अनिश्चितता के सामने जीने की बात आती है तो लोग इसे खास वर्णक्रम में देखते हैं। वे व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मुकाबले जिम्मेदारी और जोखिम उठाने के प्रति लीडर के व्यवहार से उसका आकलन करते हैं।’

सीडमैन कहते है कि अंतिम क्रम में सत्ता और पदों पर बैठे वे लोग हैं, जिन पर लोग जिंदगी बचाने के लिए दिशानिर्देश देने का भरोसा करते हैं। कुछ जिम्मेदारी उठाते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि संकट के समय अधिक लोगों को उनकी सलाह की जरूरत होगी। अन्य नेता ऐसा व्यवहार नहीं करते। वे असल में लोगों को विज्ञान को नजरअंदाज करने के लिए उकसाते हैं। ट्रम्प ऐसे ही हैं। आज इसीलिए हमारे सामने नेतृत्व का गंभीर संकट है।

लोग नहीं जानते किसपर भरोसा करें। लेकिन जो नेता जनता के सामने अधिक सच और विश्वास रखते हैं, उन्हें लंबे समय तक याद किया जाता है। लेकिन, ट्रम्प ऐसे नहीं हैं। इसीलिए आज हमारी ज्ञान प्रतिरोधकता, कल्पना और तथ्य में भेद करने की क्षमता और संकट का मिलकर सामना करने की ताकत दांव पर है।

ट्रम्प ने जो दूसरी चीज पूरी तरह गलत की है, वह है कि आप प्रकृति से खिलवाड़ नहीं कर सकते। लेकिन, ट्रम्प ने दुनिया को बाजार के लिए देखा, प्रकृति के लिए नहीं। बाजार संकट में न आए इसलिए वह और उनके सलाहकार वायरस को लगातार कमतर आंकते रहे।

मार्च में व्हाइट हाउस की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब एक पत्रकार ने ट्रम्प की सलाहकार कैलीन कॉनवे से कहा कि वायरस पर रोक नहीं लग पा रही है तो वह बिफर गईं। कॉनवे ने पलटकर पूछा कि ‘क्या आप कोई वकील या डॉक्टर हैं, जो यह कह रहे हैं कि इस पर रोक नहीं लग पा रही है। यह गलत है। आपने कुछ ऐसा कहा है, जो सत्य नहीं है।’

ट्रम्प और उनके सलाहकार चाहे जो कहें, यह गलत था और प्रकृति ने पूरी दुनिया में इसे फैला दिया। कॉनवे को भी कोरोना हो गया। एक महामारी में प्रकृति आपसे और आपके नेता से तीन मूल प्रश्न करती है।

1. क्या आप नम्र हैं? क्या आप मेरे वायरस का सम्मान करते हैं? यदि नहीं तो यह आपको नुकसान पहुंचा सकता है।

2. क्या मेरे वायरस पर प्रतिक्रिया देने में आपने समन्वय कर लिया है, क्योंकि मैंने इसे किसी व्यक्ति अथवा समुदाय की प्रतिरोधी व्यवस्था को तोड़ने के लिए बनाया है?

3. क्या वायरस पर आपकी प्रतिक्रिया भौतिकी, रसायन या जीवविज्ञान से मेल खाती है? क्योंकि यह सब मैं ही हूं। अगर आपकी प्रतिक्रया राजनीति, बाजार, विचारधारा या चुनावी केलेंडर पर आधारित हुई तो आप विफल हो जाएंगे और समुदाय को भुगतना पड़ेगा। लेकिन ट्रम्प ने ऐसा कुछ नहीं किया और अमेरिका ने इसकी भारी कीमत चुकाई।

ट्रम्प चाहते थे कि हम इस बात पर भरोसा करें कि हमारे पास दो ही विकल्प थे। हम अर्थव्यवस्था को खोलें और वायरस को नजरअंदाज करें, यह वह खुद चाहते थे या फिर अर्थव्यवस्था को बंद करें और वायरस से डरें, जैसा उनके मुताबिक डेमोक्रेट चाहते थे। यह धोखा है।

हम चाहते थे कि अर्थव्यवस्था को सभी सावधानी वाले उपायों के साथ खोला जाए। ताकि लोग बिना बीमार पड़े खरीदारी करें, स्कूल व काम पर जाएं, जैसा बाइडेन का प्रस्ताव था। ट्रम्प चाहते थे कि बिना सावधानी ही अर्थव्यवस्था खोलें। ट्रम्प ने प्रकृति और हमारा दोनों का ही सम्मान नहीं किया।

हम सब अब यही दुआ कर सकते हैं कि पर्याप्त संख्या में ट्रम्प के समर्थकों ने इसे समझ लिया होगा और वे उनके खिलाफ वोट डालेंगे। अनेक अमेरिकियों की जिंदगी और जीवन यापन इस पर ही निर्भर है।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)



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Re-electing Donald Trump is like mass madness


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हाईकोर्ट ने कहा- उम्रदराज आरोपी भी पुलिस की मौजूदगी में हो रहे फरार, ओवरवेट कर्मचारियों को छापेमारी के लिए नहीं, ट्रेनिंग एकेडमी भेजें

(ललित कुमार) आने वाले दिनों में पंजाब पुलिस की ओर से की जा रही रेड में आप फिजिकली अनफिट या ओवरवेट पुलिसकर्मियों को नहीं देखेंगे। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के एडीजीपी को ऐसे अनफिट पुलिसवालों को रेड में नहीं बल्कि पुलिस ट्रेनिंग एकेडमी में भेजने के निर्देश दिए हैंं।

जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान ने एक केस की सुनवाई के दौरान अपने फैसले ने कहा कि अक्सर देखा जा रहा है कि उम्रदराज आरोपियों को भी पुलिस पार्टी नहीं पकड़ पा रही है, खासतौर पर एक्साइज एक्ट के मामलों में पुलिस पार्टी की मौजूदगी में आरोपी मौके से फरार हो रहे हैं।

ऐसे में एडीजीपी पता लगाएं कि इसका क्या कारण है। पुलिस गुप्त सूचना के आधार पर आरोपी के घर में छापेमारी करते हैं और आरोपी छत से कूदकर या दीवार फांदकर फरार हो जाते हैं। ये सब पुलिस पार्टी की मौजूदगी में होता है। ऐसे में ओवरवेट मुलाजिमों को छापेमारी के लिए नहीं ले जाया जाए जो भाग कर आरोपियों को पकड़ ना सके।

माेगा से जुड़े 2020 के केस पर सुनवाई के दौरान फैसला

मोगा के निहाल सिंह वाला पुलिस थाने में एनडीपीएस एक्ट के तहत 16 सितंबर 2020 को दर्ज मामले में आरोपी मलकीत सिंह ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत दिए जाने की मांग की। सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष कहा गया कि आरोपी प्लास्टिक बैग में नशे का सामान लेकर आ रहा था था। पुलिस पार्टी को देख कर उसने बैग फेंक दिया और मौके से भाग खड़ा हुआ।

हेड कॉन्स्टेबल आरोपी को जानता था और उसने बताया कि आरोपी का नाम मलकीत सिंह है। हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका मंजूर करते हुए कहा कि यह कैसे संभव है कि 45 वर्षीय आरोपी पुलिस पार्टी की मौजूदगी में मौके से भाग गया हो। इसके अलावा आरोपी पर कोई दूसरा केस भी दर्ज नहीं है फिर हेड कांस्टेबल ने उसकी पहचान कैसे की, ऐसे में संदेह का लाभ देते हुए हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका को मंजूर कर लिया।

3 माह का फिजिकल ट्रेनिंग सेशन दें

हाईकोर्ट ने एडीजीपी को निर्देश दिए कि एक्साइज के केस समेत ऐसे मामले जहां पुलिस की मौजूदगी में आरोपी फरार हुए उनकी सूची बनाएं। आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाने वाले ओवरवेट पुलिस मुलाजिमों को डॉक्टरों की टीम की निगरानी में पुलिस ट्रेनिंग एकेडमी में 3 माह फिजिकल ट्रेनिंग सेशन दिया जाए। युवा, फिट पुलिस कर्मियों को एक्साइज एक्ट के केसों में छापेमारी को ले जाया जाए। कोर्ट एडीजीपी को 3 माह में रजिस्ट्रार जनरल को रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।



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Aged accused in Punjab also send absconding, overweight and unfit employees in the presence of police, not for raids, send training academy


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कोर्ट ने लेफ्टिनेंट कर्नल से कहा- आपके बेटे के जीने का अंदाज सेना के लायक नहीं

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक फैसले में सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल पीएस जाखड़ को हिदायत दी। कहा- वे अपने बेटे ध्रुव जाखड़ को वह करने दे, जो वह चाहता है क्याेंकि उसकी जीवन शैली सेना के अनुकूल नहीं है। ध्रुव भारतीय सेना में दाखिल हुआ था।

दो साल तक अपने कोर्स को ठीक से न कर पाने के कारण इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) ने उसे सेना छोड़कर जाने की हिदायत दी थी। इसके खिलाफ ध्रुव ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। ध्रुव के पिता ने भी कोर्ट से गुहार लगाई थी कि उनका बेटा उनके परिवार की चौथी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व कर रहा है, जो सेना में है। लिहाजा, उसके खिलाफ सख्त निर्णय न दिया जाए।

ध्रुव ने कंबाइंड डिफेंस सर्विसेस (सीडीएस) की परीक्षा पास कर जुलाई 2017 में आईएमए की ट्रेनिंग ज्वाइन की, ताकि वो सेना में अफसर बन सके। एक महीने बाद ही 10 दिन के लिए उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। ध्रुव ने ट्रेनिंग का पहला टर्म तो जैसे-तैसे पूरा कर लिया, लेकिन मई 2018 में दूसरे टर्म की परीक्षा से एक हफ्ते पहले आईएमए ने उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया।

पूछा गया कि क्यों न उनके प्रदर्शन के आधार पर अगले टर्म में जाने से रोक दिया जाए। ध्रुव को दूसरा टर्म रिपीट करना पड़ा। 7 मार्च 2019 को ध्रुव को एक और कारण बताओ नोटिस मिला। इसमें पूछा कि क्यों न उसे जूनियर बैच के साथ डिमोट कर दिया जाए। अंतत: उसे अपना टर्म रिपीट करने के बजाए डिमोट कर दिया गया।

9 नवंबर 2019 को अपने टर्म के फिजिकल टेस्ट से एक दिन पहले ध्रुव को सजा मिली कि वो अपनी पूरी सैन्य किट में तैयार रहकर 40 किलो रेत और ईंट बैग में लादकर बटालियन के ड्यूटी ऑफिसर के रूम के सामने 3 घंटे तक खड़ा रहे। 19 नवंबर 2019 को ध्रुव को एक और कारण बताओ नोटिस मिला। इसमें उससे पूछा गया कि फिजिकल ट्रेनिंग में फेल होने के कारण उसे आगे जाने से रोकने के अलावा क्यों न उसे आईएमए से बाहर कर दिया जाए।

आईएमए के इस फैसले के खिलाफ ध्रुव ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की। उसने कहा कि चूंकि उसे 9 नवंबर को तीन घंटे तक सजा काटनी पड़ी, इसलिए वो अगले दिन के टेस्ट में फेल हुआ है। ऐसे में उसे आईएमए से निकलने के लिए मजबूर करना सही नहीं है।

कोर्ट ने कहा- सबक लेकर आगे बढ़ें, जो सबसे अच्छा लगे वो ही करें

जस्टिस आशा मेनन और राजीव सहाय की बेंच ने सवाल उठाया कि आखिर ध्रुव को सजा क्यों मिली। 2017 से 2019 के बीच ध्रुव को आईएमए ने 65 बार रेलिगेट (कोर्स में आगे बढ़ने से रोकना) क्यों किया। आईएमए के अनुसार ध्रुव मोटापे के कारण फिजिकल टेस्ट पूरा नहीं कर पाते थे। कई बार गैर-हाजिर भी रहे।

इसी वजह से आईएमए ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की। कोर्ट ने ध्रुव के पिता को भी हिदायत दी कि वे आईएमए के निर्णय को स्वीकारें और ध्रुव से कहा- ‘आईएमए की ट्रेनिंग से सबक लेते हुए जीवन में आगे बढ़ें और वो करें, जो वह सबसे अच्छा कर सकते हैं।’



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फाइल फोटो


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टीआरपी का झगड़ा मीडिया के लिए ही आत्मघाती साबित होगा, इस लड़ाई में प्रणब मुखर्जी, भीष्म पितामह, कोई जज या रेफरी भी नहीं है, जो खतरे की सीटी बजा सके

टीवी चैनलों के बीच बेहूदा लड़ाई छिड़ी है। एक ओर जहां अर्णब गोस्वामी और उनका रिपब्लिक टीवी है तो दूसरी ओर बाकी हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ? ऐसे ध्रुवीकृत समय पर जब आप अपनी पसंद के किसी व्यक्ति या नेता की हर बात पर विश्वास करते हैं और विरोधी की हर बात को झूठ मानते हैं तो कुछ भी कहना बेकार है।

स्कूली बच्चों में अंदाज में हम इसे कह सकते हैं कि ‘मेरे बाप का क्या जाता है?’ ब्रह्मांड के इन महारथियों को लड़ने दें। दुर्भाग्य से हम इतने उदासीन नहीं हो सकते। यह समझाने के लिए मैं आपको एक कहानी बताता हूं। हॉलीवुड में एक फिल्म निर्माता ने युद्ध के दृश्य में वास्तविकता लाने के लिए बड़ी संख्या में एक्स्ट्रा जमा किए।

उसके फायनेंसर ने कहा कि यह अद्भुत है, लेकिन वह इन्हें पैसे नहीं देगा। तो फिल्म निर्माता ने कहा कि वह फिल्म के आखिरी दृश्य में इन सभी को असली हथियार दे देगा और वे एक-दूसरे को मार डालेंगे। यह वास्तविक भी लगेगा और पैसे लेने के लिए भी कोई नहीं बचेगा।

क्या आज आपको इसमें और समाचार मीडिया में कोई समानता नजर आती है? हम सभी यानी सबसे ताकतवर, सबसे लोकप्रिय, सबसे बेहतर और सबसे खराब अब असली हथियारों के साथ आपस में लड़ रहे हैं। जबसे हमने यह तरकीब सीख ली कि विपक्षी की किसी बड़ी खबर को नकारते हुए उसे फर्जी या बढ़ाचढ़ाकर पेश की गई बता दें।

या आप इसे चुरा लें और एक्सक्लूसिव का टैग लगाकर इस्तेमाल कर लें। ऐसा लगता है कि किसी दूसरे की ब्रेक की हुई खबर का फॉलोअप 20वीं सदी की बात हो गई है। यह तो केवल वक्त की ही बात थी कि स्टूडियो एवं न्यूजरूम की प्रतिद्वंद्विता, रेटिंग के फर्जी एवं बढ़ा-चढ़ाकर किए जाने वाले दावे, एक्सक्लूसिव, सुपर एक्सक्लूसिव, एक्सप्लोसिव एक्सक्लूसिव समाचारों का शोर जमीन पर आ जाएगा।

देश ने पिछले दो हफ्तों में देखा कि चैनलों के रिपोर्टर व कैमरामैन आपस में ही उलझे पड़े हैं। आप पूछ सकते हैं कि मैं क्यों चिंतित हूं? जब आपने हमें फिल्म निर्माता की कहानी सुना दी है तो इन्हें आपस में लड़ने-मरने दें और आप इसका लुत्फ उठाएं।

पहली बात, मीडिया के छोटे आकार को देखते हुए ऐसा नहीं हो सकता कि हम इस घटना को कुछ कर्मचारियों की लड़ाई के संकुचित दायरे में ही देखें। समाचार मीडिया अपने आप में एक संस्थान है। दूसरी बात, अगर आप सभी मीडिया संस्थानों, प्रतिद्वंद्वी ब्रॉडकास्टर संगठनों, पत्रकारों की हाउसिंग सोसायटियों व क्लबों की हालत देखें तो पता चलेगा कि हम एक-दूसरे के गले तक पहुंच गए हैं।

यह अपने ही लोगों को मारने की लड़ाई है। हम उन एक्सट्रा कलाकारों की ही तरह हैं। तीसरे, जरा सोचें कि हमें हथियार किसने दिए। इस खूनी फिल्म के निर्माता इन चैनलों के मालिक हैं, जो बाजार की अर्थव्यवस्था से संचालित हैं। मीडिया की ताकत का इस्तेमाल करके कई तरीकों से पैसा कमाया जा सकता है।

यही वजह है कि दूसरे सेक्टरों के रईस मीडिया कंपनियां खरीदते हैं। वे बहुत ही कम पैसा खर्च करते हैं और उनका कद बहुत बढ़ जाता है। हैसियत में आए इस बदलाव पर मंत्रियों, अफसरों एवं न्यायाधीशों सहित सबकी नजर पड़ती है। उनको तत्काल ही लाभ मिल जाता है।

मीडिया मालिकों और पत्रकारों का एक समूह खुद को राजनीति और सत्ता के खिलाड़ी के तौर पर देखता है। जब आप किसी टेलीविजन चैनल को कथित तौर पर फर्जी रेटिंग्स की वजह से पुलिस और प्रतिद्वंद्वी मीडिया समूह के दबाव में देखते हैं और इसके कुछ घंटों के भीतर देश में सत्ताधारी पार्टी के अध्यक्ष और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री का बयान आ जाता है तो आप जान सकते हैं कि दांव पर क्या है?

मीडिया में आज सत्ता का हिस्सा बनने की ललक आज पहले से कहीं अधिक है। जबकि, पहले मीडिया का काम सवाल पूछना होता था। तब सवाल पूछने पर परिणाम नहीं भुगतना पड़ता था। हद से हद नाराज मंत्री का फोन आएगा और उस इंटरव्यू का ही खंडन कर देगा। लेकिन, अब पत्रकारों की सत्ता तक पहुंच ही खत्म कर दी जाती है और इसका अंत आपके दरवाजे तक सरकारी एजेंसियों के पहुंचने से हो सकता है।

अगर मालिकों ने ही अपने आर्थिक हितों के लिए ये असली हथियार थमाए हैं तो सभी सरकारें तो टैक्स कलेक्टर ही हैं। इसलिए उसे ही सबसे फायदा है। जितना समाचार मीडिया कमजोर होगा, मालिक और पत्रकार दोनों ही सरकार पर उतने निर्भर होते जाएंगे। इससे समाचार मीडिया के एक संस्था के तौर पर विघटन का दौर उतना ही तेज हो जाएगा।

तब हम उस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में होंगे, जहां पर सुप्रीम कोर्ट से लेकर केंद्र सरकार तक हर कोई मीडिया का नियमन करना चाहेगा। यह किसी भी सरकार को दखल देने के लिए आदर्श स्थिति होती है। पिछले चार दशकों की सबसे ताकतवर सरकार आखिर यह अवसर क्यों खोना चाहेगी?

वे कहेंगे कि हम क्या कर सकते हैं, जब सभी नियमनों की धज्जियां उड़ी हुई हैं, आपके खुद के व्यावसायिक संस्थानों में मतभेद हैं और आप इस झगड़े में उलझे हुए हैं। हमारे व्यवसाय ने आत्मघाती बटन दबा दिया है। इस लड़ाई में प्रणब मुखर्जी, भीष्म पितामह, कोई जज या रेफरी भी नहीं है, जो खतरे की सीटी बजा सके। ऐसी बर्बर लड़ाई में इसे ही ‘हमारे बाप का क्या जाता है’ कहेंगे।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)



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शेखर गुप्ता, एडिटर-इन-चीफ, ‘द प्रिन्ट’


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