शनिवार, 2 जनवरी 2021

उम्मीदों का टीका एक कदम और बढ़ा, किसान आंदोलन में अब आर-पार और शेयर मार्केट में हैप्पी न्यू इयर

नमस्कार!
दिसंबर में 1.15 लाख करोड़ रुपए का रिकॉर्ड GST कलेक्शन हुआ है। गगनयान अहमदाबाद से कंट्रोल होगा। रोहित शर्मा की 13 महीने बाद टीम में वापसी होगी। बहरहाल शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

सबसे पहले देखते हैं बाजार क्या कह रहा है-

  • BSE का मार्केट कैप 189.24 लाख करोड़ रुपए रहा। 64% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही
  • 3,170 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। 2,049 कंपनियों के शेयर बढ़े और 951 के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • पूरे देश में कोरोना वैक्सीन का ड्राई रन होगा। इससे पहले 4 राज्यों में ड्राई रन हो चुका है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओडिशा के संबलपुर में IIM के स्थायी परिसर का शिलान्यास करेंगे।

देश-विदेश
उम्मीदों का टीका एक कदम और बढ़ा

देश में कोरोना वैक्सीन पर एक्सपर्ट पैनल ने अपनी सिफारिशें केंद्र को सौंप दी हैं। पैनल ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की कोवीशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन को सशर्त मंजूरी देने की सिफारिश की है। इन्हें जल्द अप्रूवल मिलने की उम्मीद है। अब तक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII), भारत बायोटेक और फाइजर ने देश में वैक्सीन के इमरजेंसी यूज की मंजूरी के लिए अप्लाई किया है। सरकार इसी महीने से वैक्सीनेशन शुरू करने की तैयारी में है। आज यानी 2 जनवरी को पूरे देश में वैक्सीन का ड्राई रन किया जाना है।

न्यू इयर में शेयर मार्केट हैप्पी
नए साल के पहले दिन खत्म हुए कारोबारी हफ्ते में शेयर मार्केट ने 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। बाजार में लगातार 9वें हफ्ते बढ़त रही। इससे पहले अप्रैल 2010 में इतनी लंबी वीकली बढ़त दर्ज की गई थी। निफ्टी भी पहली बार 14 हजार पॉइंट के ऊपर बंद हुआ। 1 जनवरी, 2021 को सेंसेक्स 117.65 पॉइंट ऊपर चढ़कर 47,868.98 पर बंद हुआ। एक्सपर्ट्स ने उम्मीद जताई है कि अगले हफ्ते सेंसेक्स 48 हजार का रिकॉर्ड लेवल छू सकता है।

सरकार की तिजोरी अनलॉक
आर्थिक गतिविधियों में लगातार सुधार के कारण दिसंबर 2020 में 1.15 लाख करोड़ रुपए का GST कलेक्शन हुआ है। जुलाई 2017 से देश में GST लागू होने के बाद यह सबसे ज्यादा है। इससे पहले का रिकॉर्ड 1.14 लाख करोड़ रुपए का था, जो अप्रैल 2019 बना था। वित्त मंत्रालय का कहना है कि GST चोरी और फेक बिल के खिलाफ देशभर में चलाए गए अभियान के कारण भी कलेक्शन बढ़ा है।

किसान आंदोलन में अब आर-पार
4 जनवरी को केंद्र के साथ होने वाली मीटिंग से पहले किसानों ने शुक्रवार को एक अहम बैठक की। किसान नेताओं ने कहा- अगर बातचीत सही दिशा में नहीं गई और सरकार ने हमारे पक्ष में ठोस फैसला नहीं लिया, तो हम हरियाणा में मॉल और पेट्रोल पंप बंद करेंगे। इसके अलावा 6 जनवरी को हम ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे और हरियाणा-राजस्थान बॉर्डर पर बैठे किसान दिल्ली की तरफ कूच करेंगे।

अहमदाबाद से कंट्रोल होगा गगनयान
भारत का पहला मानव अंतरिक्ष यान, यानी गगनयान 2022 में लॉन्च किया जाएगा। इसके जरूरी पेलोड, केबिन, एयर और ऑक्सीजन प्रेशर, साथ ही टेम्परेचर कंट्रोल करने वाले सेंसर गुजरात के अहमदाबाद के ISRO सेंटर में बनाए जा रहे हैं। यह यान अहमदाबाद के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर से कंट्रोल होगा। हाल ही में इस केंद्र के डायरेक्टर नियुक्त किए गए नीलेशभाई देसाई ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में यह जानकारी दी है।

कार्टून देखते हुए पोर्न तक पहुंची बच्ची
पैरेंट्स के लिए यह चौंकाने वाली नहीं, बल्कि सावधान रहने वाली खबर है। बच्चों को शांत करने के लिए पैरेंट्स उन्हें मोबाइल फोन पकड़ा देते हैं, जिसका नतीजा गंभीर हो सकता है। अहमदाबाद में सात साल की एक बच्ची ने मां के मोबाइल में एक पोर्न क्लिप देखकर इसके बारे में उनसे सवाल पूछने शुरू कर दिए। पैरेंट्स ने सायबर एक्सपर्ट की मदद ली कि बच्ची पोर्न वीडियो तक पहुंची कैसे। एक्सपर्ट कहते हैं कि जब बच्चे मोबाइल देखें, तो उन पर नजर रखी जानी चाहिए।

शिवराज कैबिनेट में सिंधिया के मंत्री
मध्य प्रदेश में आखिरकार राज्य कैबिनेट के विस्तार का दिन तय हो गया है। शिवराज की टीम में दो मंत्री शामिल किए जाएंगे। शपथ ग्रहण रविवार 3 जनवरी को दोपहर 12:30 बजे राजभवन में होगा। राजभवन ने मंत्रिमंडल विस्तार की सूचना मिलने की पुष्टि कर दी है। माना जा रहा है कि सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।

एक्सप्लेनर
चीन में सच्चाई दिखाने पर जेल

चीन में एक पत्रकार को 4 साल की जेल की सजा सिर्फ इसलिए दे दी गई, क्योंकि उन्होंने कोरोना पर रिपोर्ट की थी। उस पत्रकार का नाम है झैंग झान। झैंग सिटीजन जर्नलिस्ट के तौर पर काम करती हैं। झैंग को झगड़ा करने और मुसीबत पैदा करने का दोषी ठहराया गया है। चीन में विरोध करने वालों के खिलाफ ऐसी धाराएं लगाई जाती हैं। लेकिन झैंग झान कौन हैं? उन्होंने क्या किया था? और कोरोना के दौरान चीन ने कैसे सेंसरशिप लगाई? आइए जानते हैं...

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पॉजिटिव खबर
टिकटॉक जैसे ऐप से महीने में 4 लाख की कमाई

आज की कहानी प्रयागराज के रहने वाले राहुल केसरवानी की। राहुल ने इंजीनियरिंग करने के बाद कई कंपनियों में अच्छी सैलरी पर काम भी किया। लेकिन वे कुछ इनोवेटिव करना चाहते थे, जिससे उनकी पहचान बने। पिछले साल मई-जून में उन्होंने एक ऑनलाइन ऐप लॉन्च किया। यह ऐप टिकटॉक जैसा ही है, जो काफी लोकप्रिय हो चुका है। 50 लाख से ज्यादा लोग इसे डाउनलोड कर चुके हैं। राहुल इससे हर महीने 3 से चार लाख रु की कमाई कर रहे हैं।

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13 महीने बाद रोहित की टेस्ट में वापसी
भारतीय ओपनर रोहित शर्मा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी और ब्रिस्बेन टेस्ट की तैयारी शुरू कर दी है। वे 4 टेस्ट की सीरीज के आखिरी दो मैच में बतौर उपकप्तान खेलेंगे। इसकी पुष्टि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने शुक्रवार को की। रोहित 13 महीने बाद टेस्ट टीम में वापसी कर रहे हैं। उन्होंने पिछला टेस्ट 22 नवंबर 2019 को बांग्लादेश के खिलाफ कोलकाता में खेला था। फिलहाल, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सीरीज 1-1 की बराबरी पर है।

नए साल में 8 लॉन्ग वीकेंड
इस साल लंबी छुटि्टयां प्लान करने के लिए आपको 8 मौके मिल सकते हैं। इनमें से दो मौके तो इसी महीने जनवरी में मिलेंगे। इस साल मार्च, अप्रैल और मई के महीने पर भी सभी की नजर रहेगी। 11 मार्च से हरिद्वार में कुंभ शुरू होगा। अप्रैल-मई में IPL होगा और बंगाल समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे।

सुर्खियों में और क्या है

  • ब्रिटेन के वैक्सीन एक्सपर्ट ने कहा है कि कोरोना का नया स्ट्रेन वैज्ञानिकों के लिए चेतावनी है। उन्हें वायरस की सीक्वेंसिंग और म्यूटेशन पर फोकस करना चाहिए।
  • देश में नए कोरोना से संक्रमित चार और मरीज मिले हैं। इसके साथ ही अब तक इससे 29 लोग संक्रमित हो चुके हैं। एक्सपर्ट इसे 70% ज्यादा संक्रामक बता रहे हैं।


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Top News of 1st January 2021| Expectations grow a step, cross the farmer movement and happy new year in the stock market


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देश में जांच एजेंसियों का ऐसा हाल, देखकर कन्फ्यूज हुआ नया साल



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INVESTIGATION AGENCIES ARE ALLEGED TO BE WORKING ACCORDING TO BJP, EVEN NEW YEAR GOT CONFUSED TO CHOOSE THE PATH LATEST NEWS AND UPDATES


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अपनी योग्यता का इस्तेमाल सही समय और सही जगह पर ही करना चाहिए

कहानी - रामकृष्ण परमहंस से मिलने काफी लोग पहुंचते थे। वे अपने उपदेशों की वजह से प्रसिद्ध हो चुके थे। वे अपनी मस्ती में रहा करते थे। एक दिन वे अपने काम में व्यस्त थे। उनके पास कुछ लोग भी बैठे हुए थे। तभी वहां एक संत पहुंचे। संत का व्यक्तित्व प्रभावशाली था। वे परमहंस के सामने आकर खड़े हो गए।

संत ने कहा, 'क्या तुम मुझे पहचानते नहीं हो? मैं पानी पर चलकर आया हूं। मेरे पास चमत्कारी सिद्धि है, जिससे मैं बिना डूबे पानी पर धरती की तरह चल सकता हूं। मुझे ये चमत्कार करते हुए लोगों ने देखा है। और तुम मुझे ठीक से देख भी नहीं रहे हो और ना ही बात कर रहे हो।'

रामकृष्ण परमहंस ने कहा, 'भैया, आप बहुत बड़े व्यक्ति हैं और आपके पास सिद्धि भी है। लेकिन, एक बात मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि इतनी बड़ी सिद्धि हासिल की है और इतना छोटा काम किया है। नदी पार करनी थी तो नाव वाले को दो पैसे देते, वह आपको आराम से नदी पार करवा देता। जो काम दो पैसे में किसी केवट की मदद हो सकता था, उसके लिए आपने इतनी बड़ी महान सिद्धि का उपयोग किया और उसका प्रदर्शन भी कर रहे हो।' ये बातें सुनकर संत शर्मिंदा हो गए।

सीख - अगर हमारे पास कोई सिद्धि या विशेष योग्यता है तो उसका प्रदर्शन और दुरुपयोग न करें। जो काम जिस तरीके से हो सकता है, उसे उसी तरीके से करना चाहिए। योग्यता का उपयोग सही समय पर और सही जगह ही करें।



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aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshanakr mehta, story of ramkrishna paramhans, Use your abilities at the right time and at the right place


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6 महीने पहले टिकटॉक जैसा ऐप लॉन्च किया, 50 लाख डाउनलोड्स भी हुए; हर महीने 4 लाख रु. कमाई

आज की कहानी प्रयागराज के रहने वाले राहुल केसरवानी की। राहुल ने इंजीनियरिंग करने के बाद कई कंपनियों में अच्छी सैलरी पर काम किया। लेकिन, वो कुछ कुछ इनोवेटिव करना चाहते थे, जिससे उनकी पहचान बने। पिछले साल मई-जून में उन्होंने एक ऑनलाइन ऐप लॉन्च किया। यह ऐप टिकटॉक जैसा ही है, जो अब काफी पॉपुलर हो चुका है। 50 लाख से ज्यादा लोग इसे डाउनलोड कर चुके हैं। राहुल अब इससे हर महीने 3 से 4 लाख रुपए कमा रहे हैं।

राहुल बताते हैं- मेरी इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई प्रयागराज से ही हुई है। 2016 में मेरा कैंपस सेलेक्शन हो गया और गुडगांव में मेरी नौकरी लग गई। वह बड़ी कंपनी थी और मुझे काम सीखना था, इसलिए मैंने वह नौकरी छोड़कर नोएडा में एक स्टार्टअप ज्वाइन किया, हॉटस्टार की तर्ज पर फुटबाल मैचों की लाइव स्ट्रीमिंग करता था। इसके बाद एक सोशल ऐप में काम करने लगा, जो गुमशुदा लोगों को ढूंढने का काम करता था। लगभग 150 लोगों को हमने इस ऐप के जरिए ढूंढा था।

राहुल बताते हैं कि जब ऐप लॉन्च किया तो 25 लाख रुपए का कर्ज लेना पड़ा था। अब 50 लाख लोग इसे डाउनलोड कर चुके हैं।

2018 में छोड़ी 13 लाख सालाना की नौकरी
राहुल बताते हैं कि चूंकि मन में अपना कुछ करने का सपना था, इसलिए मैंने 2018 में यह नौकरी भी छोड़ दी। कॉलेज टाइम से ही मैं अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर वेबसाइट और सॉफ्टवेयर बनाने का काम करता था। आज भी प्रयागराज में कई स्कूल हमारे क्लाइंट हैं। ऐसे में मेरा एक काम चल रहा था। इसी बीच कोरोना आ गया, तो हमें सोचने का वक्त मिल गया।

वो कहते हैं कि इस ऐप को लॉन्च करने से पहले कुछ चाइनीज ऐप बैन हो चुके थे। टिकटॉक के मुकाबले जो ऐप मार्केट में मौजूद थे, वो उतना बेहतर नहीं कर पा रहे थे। इसी दौरान मैंने तय किया कि एक ऐसा ऐप लॉन्च किया जाए, जो टिकटॉक को टक्कर दे सके। वो कहते हैं कि किस्मत ने भी मेरा साथ दिया और कुछ दिनों बाद ही टिकटॉक बैन हो गया। इसका फायदा ये हुआ कि जो ट्रैफिक टिकटॉक को मिलता था, उसका एक बड़ा हिस्सा हमारी तरफ शिफ्ट हो गया।

राहुल की पढ़ाई-लिखाई प्रयागराज में ही हुई। यहीं पर उन्होंने इंजीनियरिंग भी की। वो अपना बिजनेस भी यहीं से कर रहे हैं।

20 से 25 लाख का कर्ज था
राहुल बताते हैं कि जब हमने इसे लॉन्च किया, तो सर्वर के लिए बहुत सारा पैसा मार्केट से उठाना पड़ा। लगभग 20 से 25 लाख का कर्ज था। हम सोच नहीं पा रहे थे कि इसे कैसे उबरेंगे। क्योंकि टिकटॉक को हराना आसान नहीं था। एक वक्त तो ऐसा भी आया कि हमारा सर्वर ही बैठ गया, लेकिन हमने समस्या सुलझाई और आगे बढ गए। आज 6 महीने के अंदर ही हमारा ऐप लोगों के बीच लोकप्रिय हो चुका है। हम इसे और बेहतर करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। हमने एक कंपनी भी बनाई है जिसमें 25 लोग काम कर रहे हैं।

राहुल केसरवानी ने एक कंपनी भी बनाई है। जिसमें उन्होंने युवाओं को रोजगार दिया है। यहां अभी 25 लोग काम कर रहे हैं।

पिता ने विरोध किया लेकिन मां ने साथ दिया
प्रयागराज में ही राहुल के पिता किराना की दुकान चलाते हैं। मध्यमवर्गीय परिवार होने के नाते पिता गुरु प्रसाद केसरवानी चाहते थे कि उनका बेटा अच्छी तरह से सेटल्ड हो जाए। बार-बार अच्छी नौकरी बदलना और फिर नौकरी छोड़ देना उन्हें पसंद नहीं था। राहुल बताते हैं कि पिता चाहते थे कि मैं एक स्थायी काम करूं, जबकि मां चाहती थी कि जो मेरा मन है वह करूं। इस बात को लेकर पापा कुछ दिनों तक नाराज भी रहे। लेकिन, अब जब अच्छी कमाई हो रही है तो वे काफी खुश हैं।



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प्रयागराज के रहने वाले राहुल केसरवानी ने हाल ही में एक ऑनलाइन ऐप लॉन्च किया है जिसे काफी पसंद किया जा रहा है।


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जानिए, सेहत से लेकर सुरक्षा और राजनीति से विदेश नीति तक कैसे रहेंगे भारत के लिए नए साल में सितारे

2021 शुरू हो गया है। इस साल देवगुरु बृहस्पति की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रभाव बना रहेगा। 23 जनवरी के बाद दुनियाभर में कोरोना काबू होने लगेगा। भारत को पाकिस्तान और चीन की वजह से बॉर्डर पर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। देश के 4 ज्योतिषाचार्य बता रहे हैं कि नया साल 2021 देश की राजनीति, सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक क्षेत्र के लिए कैसा रह सकता है...

  • राजनीति के लिए

राज्यों के चुनाव में भाजपा का बोलबाला रहने की उम्मीद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राशि वृश्चिक है, इस पर देवगुरु बृहस्पति की कृपा रहेगी। इनका आत्मविश्वास दुश्मन को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। अपनी असाधारण इच्छा शक्ति के दम पर मोदी सफलता प्राप्त करेंगे। साथ ही, वे अपने व्यक्तित्व से लोगों को प्रभावित करते रहेंगे। इनकी कुंडली में बृहस्पति का केंद्र में होना और मंगल का खुद की राशि में होना, इस बात का संकेत देता है कि इनमें प्रबंधन करने के विशेष गुण हैं। इस साल देश की राजनीति के लिए कई महत्वपूर्ण परिवर्तन और घटनाक्रम वाला हो सकता है।

जनता का कारक ग्रह शनि है। ये ग्रह केंद्र में है और बृहस्पति की दृष्टि पड़ रही है। इस साल भी जो चुनाव राज्यों में होंगे, उनमें भाजपा का प्रभाव बढ़ेगा। कांग्रेस के लिए ये साल कुछ ज्यादा उल्लेखनीय नहीं रहने वाला है। राजनीतिक गतिविधियां लगातार तेज रहेंगी। वर्ष 2024 में शनि की साढ़ेसाती के समय मोदी की कुंडली में मंगल होने से, इन्हें फिर से पीएम बनने का मौका मिलेगा।

- नस्तुर बेजान दारुवाला (एस्ट्रोलॉजर, अहमदाबाद)

  • सुरक्षा-विदेश नीति के लिए

कश्मीर में आतंक की दो-तीन बड़ी घटनाएं हो सकती हैं

नया साल भारत की सुरक्षा की दृष्टि से बहुत खास रहने वाला है। इस साल भारत-चीन के बीच तनाव बढ़ सकता है। दोनों देशों के बीच झड़पें भी हो सकती हैं। युद्ध जैसे हालात बनने के योग हैं, लेकिन युद्ध नहीं होगा। अप्रैल से अक्टूबर तक भारत और पाकिस्तान के बीच हालात नाजुक रहेंगे, इस दौरान युद्ध होने के आसार बन रहे हैं। इस साल पाकिस्तान को ज्यादा नुकसान हो सकता है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद नियंत्रण में रहेगा। दो-तीन बड़ी घटनाएं हो सकती हैं, लेकिन स्थिति पर काबू रहेगा। नक्सली गतिविधियों की अधिकता रह सकती है।

विदेश नीति के मामले में भी ये साल भारत के लिए कुछ मामलों में चुनौतीपूर्ण रह सकता है। हालांकि, पड़ोसी देशों के साथ संबंधों और कूटनीति में भारत को खासी सफलता हासिल हो सकती है। भारत की विदेश नीति चीन, नेपाल, भूटान, म्यांमार व बांग्लादेश के मामले में उल्लेखनीय रूप से सफल रह सकती है।

- डॉ. कुमार गणेश (न्यूमेरोलॉजिस्ट, जयपुर)

  • शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए

विद्यार्थियों का मिलेगा अच्छा रिजल्ट, जनवरी के बाद कोरोना होगा काबू

2020 में कोरोना की वजह से देश को शिक्षा क्षेत्र में जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई 2021 में हो जाएगी। ये साल शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए महत्वपूर्ण रहेगा। नए साल में माता-पिता, शिक्षक और संचालन करने वाले सभी लोगों को फायदा होगा। विद्यार्थियों को अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।

महामारी कोरोना जनवरी 2021 के बाद से काबू होने लगेगी। ज्योतिष के अनुसार शनि जब भी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में आता है तो सभी को परेशान करता है। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। सूर्य की शनि के साथ प्रबल शत्रुता है। इस कारण जब से सूर्य के नक्षत्र में शनि का प्रवेश हुआ है, तब से ही दुनियाभर में महामारी फैली है। 23 जनवरी को शनि उत्तराषाढ़ा नक्षत्र से निकल कर श्रवण नक्षत्र में प्रवेश करेगा। इसके बाद दुनियाभर में फैली महामारी और अशांति खत्म होने लगेगी। देश-दुनिया की कई बड़ी समस्याएं हल हो जाएंगी।

- पं. मनीष शर्मा (ज्योतिषाचार्य, उज्जैन)

  • अर्थव्यवस्था के लिए

सरकार की आय और बेरोजगारों की तादाद, दोनों बढ़ने का योग

नए साल में भारत की अर्थव्यवस्था में बहुत ज्यादा सुधार के योग नहीं हैं। इस समय आर्थिक संकट की वजह से जनता में अशांति रहेगी। बेरोजगारों की संख्या और बढ़ेगी। शेयर बाजार में लाभ में कमी होगी। बैंकों में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार बढ़ेगा। कई बीमा कंपनियों के लिए समय अच्छा नहीं रहेगा। विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ेगा और रुपया मजबूत होगा। सरकार की आय बढ़ेगी।

देश का व्यापारिक घाटा कम होगा। विदेशी पूंजी का सहयोग मिलेगा, भारतीय बाजार में उनकी रुचि रहेगी। वर्ष की शुरुआत में शेयर बाजार में मंदी रहने के योग हैं। ऑटोमोबाइल, रियल एस्टेट, मोबाइल, साफ्टवेयर, सीमेंट, स्टील सभी से संबंधित शेयरों में मंदी बनी रहेगी। वर्ष के अंत में विश्व बाजार में भारत की भागीदारी बढ़ेगी, जिससे आने वाले समय में देश को लाभ हो सकता है।

-पं. गणेश मिश्रा (ज्योतिषाचार्य, काशी)



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नुक्कड़ नाटक को पहचान दिलाने वाले की नाटक करते हुए हत्या हुई, उसी नाटक को 48 घंटे बाद पत्नी ने पूरा किया

1 जनवरी 1989 को गाजियाबाद के झंडापुर में अंबेडकर पार्क के नजदीक जन नाट्य मंच (जनम), माकपा के उम्मीदवार रामानंद झा के समर्थन में नुक्कड़ नाटक कर रहा था। नाटक का नाम था, 'हल्ला बोल'। तभी कांग्रेस के उम्मीदवार मुकेश शर्मा वहां से निकल रहे थे। उन्होंने सफदर हाशमी से रास्ता देने को कहा। इस पर सफदर ने उन्हें थोड़ी देर रुकने या दूसरा रास्ते से निकलने को कहा।

तभी मुकेश शर्मा के समर्थक नाराज हो गए और उन्होंने नाटक मंडली पर हमला कर दिया। इस हमले में सफदर बुरी तरह जख्मी हो गए। उन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया, जहां 2 जनवरी को उन्होंने दम तोड़ दिया। सफदर हाशमी ने जब दुनिया को अलविदा कहा, तब उनकी उम्र मात्र 34 साल थी। इतनी कम उम्र जीने वाले सफदर हाशमी ने ऐसा मुकाम बना लिया था, जो लोगों के दिलों में उतर चुका था।

अगले दिन सफदर हाशमी का जब अंतिम संस्कार हुआ, तब दिल्ली की सड़कों पर 15 हजार से ज्यादा लोग उमड़ आए थे। सफदर की मौत के 48 घंटे बाद उनकी पत्नी मौली श्री और उनके साथियों ने अंबेडकर पार्क जाकर हल्ला बोल नाटक का मंचन किया। उस दिन तारीख थी 4 जनवरी। उन्होंने कई कविताएं भी लिखीं। उनकी मशहूर कविताओं में से एक ये भी है, "किताबें करती हैं बातें, बीते जमाने की, दुनिया की इंसानों की...'

सफदर हाशमी के अंतिम संस्कार में दिल्ली की सड़कों पर हजारों लोगों को हुजूम उमड़ आया था।

12 अप्रैल 1954 को जन्मे सफदर हाशमी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इंग्लिश लिटरेचर में एमए किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद सूचना अधिकारी बने, लेकिन बाद में नौकरी से इस्तीफा देकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता ले ली। 1978 में 24 साल की उम्र में जन नाट्य मंच की स्थापना की। उनकी मौत के 14 साल बाद 2003 में गाजियाबाद कोर्ट ने कांग्रेस नेता मुकेश शर्मा समेत 10 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई।

पहली बार चांद के करीब पहुंची इंसान की बनाई चीज

चांद के सबसे करीब पहुंचने वाला अंतरिक्ष यान LUNA-1 आज ही के दिन 1959 में लॉन्च किया गया था। ये पहली बार था, जब इंसान की बनाई कोई चीज चांद के सबसे करीब पहुंची थी। ये चांद की सतह से 6 हजार 400 किमी दूर था। इसे सोवियत संघ (अब रूस) ने लॉन्च किया था, लेकिन तकनीकी खराबी की वजह से ये चांद की सतह पर नहीं उतर पाया था। सोवियत संघ इससे पहले भी तीन बार मिशन लॉन्च कर चुका था, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिल सकी थी।

LUNA-1 ने अपने सफर के दौरान सोलर स्टॉर्म्स के बारे में जानकारी थी। यानी, इससे ही पता चला था कि अंतरिक्ष में भी पृथ्वी की तरह तूफान आते हैं। इसके साथ ही LUNA-1 पहला अंतरिक्ष यान था, जिसने पृथ्वी की एस्केप वैलोसिटी को पार किया था। एस्केप वैलोसिटी वो होती है, जिसके बिना कोई भी चीज पृथ्वी के ग्रेविटेशनल एरिया (गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र) से बाहर नहीं जा सकती। पृथ्वी की एस्केप वैलोसिटी 11.2 किमी प्रति सेकंड है। ये आवाज की रफ्तार से 33 गुना ज्यादा है।

भारत और दुनिया में 2 जनवरी की महत्वपूर्ण घटनाएं :

  • 2016 : सऊदी अरब के जाने माने शिया मौलवी निम्र अल निम्र और 46 अन्य साथियों को सरकार की ओर से फांसी दी गई।
  • 1998 : नाइजर के प्रधानमंत्री हामा अमादाउ को राष्ट्रपति इब्राहीम बारेमआनससेरा की हत्या की साजिश के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया।
  • 1991 : केरल के तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के तौर पर मान्यता दी गई।
  • 1989 : प्रधानमंत्री रानी सिंह प्रेमदासा ने श्रीलंका के तीसरे राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण किया।
  • 1975 : हिरासत में बांग्लादेश के क्रांतिकारी नेता सिराज सिक्कर को पुलिस ने जान से मार दिया।
  • 1975 : बिहार के समस्तीपुर में जिले में एक बम विस्फोट में रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र घायल हुए।
  • 1954 : देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्‍न को देना शुरू किया गया।
  • 1942 : दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापानी सेना ने फिलीपींस की राजधानी मनीला पर कब्जा किया।
  • 1890 : ऐलिस सेंगर व्हाइट हाउस में पहली महिला कर्मचारी बनीं।
  • 1882 : लंदन में दुनिया का पहला कोयला आधारित बिजली उत्पादक स्टेशन होलबोर्न व्यदक्त पावर स्टेशन शुरू किया गया।
  • 1843 : डाक सेवा, नियमित रुप से आंरभ हुई और ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में पहली पोस्ट लगाई गई।
  • 1839 : फ्रांसीसी फोटोग्राफर लुई दागुएरे ने चांद की पहली फोटो प्रदर्शित की।
  • 1757 : राबर्ट क्लाइव ने नवाब सिराजुद्दौला से कलकत्ता (अब कोलकाता) को वापस छीना।


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Today History: Aaj Ka Itihas India World 2 January Update | Safdar Hashmi Death Anniversary Luna 1 Moon Mission Launched


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घर में फटाफट तैयार करें टमाटर बोंडा, बच्चों के साथ बड़ों को भी खूब आएगा पसंद



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Prepare tomato boondah at home, elders will also like it with children


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तीन साल में 4400% बढ़े फैंटेसी स्पोर्ट्स के दीवाने; गेमिंग और गैंबलिंग के बीच भारत में क्या होगा इसका भविष्य?

24 सितंबर 2007 का दिन। पहले आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला चल रहा था। पाकिस्तान को जीत के लिए 4 गेंद में 6 रन की दरकार थी और आखिरी जोड़ी क्रीज पर थी। जोगिंदर शर्मा ने गेंद फेंकी, मिस्बाह ने बल्ला चलाया और श्रीसंत ने कैच लपक लिया। इसी के साथ धोनी के धुरंधरों ने खिताब अपने नाम कर लिया।

उस दौर में टी-20 फॉर्मेट को लेकर क्रिकेट फैन्स की दीवानगी बढ़ती जा रही थी। 2008 में इंडियन प्रीमियर लीग यानी IPL की शुरुआत हुई। मौके की नजाकत को समझते हुए भवित सेठ और हर्ष जैन ने 2008 में फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म Dream11 लॉन्च कर दिया।

फैंटेसी स्पोर्ट्स में यूजर्स मोबाइल ऐप या वेबसाइट पर अपनी वर्चुअल टीम बनाता है और प्वॉइंट्स कमाता है। प्वॉइंट्स के हिसाब से यूजर्स की कमाई भी होती है। कई ऐप्स मुफ्त में खेलने का मौका देते हैं और कई ऐप्स इसके लिए पैसे लेते हैं। आज भारत में 140 से ज्यादा फैंटेसी प्लेटफॉर्म मौजूद हैं। 2016 के बाद तो फैंटेसी स्पोर्ट्स सेगमेंट ने सफलता की नई मिसाल कायम की है, जो किसी का भी ध्यान अपनी तरफ खींच सकती है।

3 साल में 20 लाख से 9 करोड़ पार हो गए यूजर्स

  • फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स यानी FIFS और KPMG की रिपोर्ट के मुताबिक, फैंटेसी स्पोर्ट्स के 2016 में महज 20 लाख यूजर थे। 3 साल में 4400% की अभूतपूर्व बढ़ोतरी के साथ 2019 तक यूजर्स का आंकड़ा 9 करोड़ पार कर गया है।

  • 2016 में इसे खेलने वालों ने 350 करोड़ रुपए कमाए थे। 2019-20 में यूजर्स की कमाई का आंकड़ा 40 गुना बढ़कर 14 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया।

  • 2016 में फैंटेसी स्पोर्ट्स ऑपरेटर्स की संख्या सिर्फ 10 थी जो 2019 तक 14 गुना बढ़कर 140 से ज्यादा हो गई।

  • सालाना 32% के कंपाउंड रेट से बढ़ने का अनुमान है। 2024 तक इसका बाजार 27 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।

फैंटेसी प्लेटफॉर्म पर 77% क्रिकेट के दीवाने

  • ICC की एक स्टडी के मुताबिक, दुनिया भर में 100 करोड़ से ज्यादा क्रिकेट फैन हैं। इनमें से 90% तो सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप में ही मौजूद हैं। इसलिए फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म पर क्रिकेट का वर्चस्व कोई हैरानी की बात नहीं है। हाथ में स्मार्टफोन, सस्ता डेटा और क्रिकेट की चाहत उन्हें फैंटेसी प्लेटफॉर्म तक खींच लाई है।
  • FIFS-KPMG ने इस साल की शुरुआत में एक सर्वे कराया था। उसमें 77 प्रतिशत लोगों ने माना की वो क्रिकेट के लिए फैंटेसी प्लेटफॉर्म पर आए थे। फुटबाल 47% और कबड्डी 9% लोगों के साथ दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे।
  • BARC Nielsen के मुताबिक, IPL 2020 को 2019 के मुकाबले 28% ज्यादा लोगों ने देखा। इस साल IPL का टाइटल स्पॉन्सर भी Dream11 था इसलिए फैंटेसी स्पोर्ट्स की तरफ लोगों का ध्यान ज्यादा गया।

11 Wickets के संस्थापक सूरज चोकानी का मानना है कि फैंटेसी स्पोर्ट्स का दिल क्रिकेट है। लेकिन, अन्य खेलों की तरफ भी भारतीय यूजर्स का रुझान बढ़ रहा है, जिससे फैंटेसी स्पोर्ट्स में फुटबॉल, बास्केटबाल और कबड्डी का उभरना तय है।

फैंटेसी स्पोर्ट्स की फिलहाल बड़ी समस्या ये है कि क्रिकेट इवेंट के दौरान तो इनकी बल्ले-बल्ले होती है, लेकिन ऑफ सीजन में यूजर्स की भारी कमी होती है। अब फैंटेसी स्पोर्ट्स इंडस्ट्री प्रो कबड्डी लीग, इंडियन सुपर लीग, हॉकी इंडिया लीग, सुपर बॉक्सिंग लीग, प्रीमियर बैडमिंटन लीग वगैरह पर भी फोकस कर रही है, जिससे पूरे साल यूजर्स का फ्लो बना रहे।

फैंटेसी स्पोर्ट्स: गेमिंग या गैंबलिंग

भारत में फैंटेसी स्पोर्ट्स जितने लुभावने लगते हैं, उतने ही विवादित भी। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, ओडिशा, असम, नागालैंड और सिक्किम राज्यों में फैंटेसी स्पोर्ट्स पर प्रतिबंध लगा है। इन राज्यों का मानना है कि ऑनलाइन गेमिंग की आड़ में जुए का चलन बढ़ रहा है। तमिलनाडु सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट में बताया कि राज्य में फैंटेसी स्पोर्ट्स में हारने के बाद सुसाइड के 30 मामले सामने आ चुके हैं।

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन सायबर क्राइम एंड सायबर लॉ के चेयरमैन अनुज अग्रवाल तो यहां तक कहते हैं कि इनमें से कई फैंटेसी प्लेटफॉर्म मनी लॉन्ड्रिंग में भी शामिल हो सकते हैं। कौन-सा यूजर्स कितना जीत रहा है, इस पर नजर ना होने की वजह से मनी लॉन्ड्रिंग भी की जा सकती है।

मद्रास हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ऐसे प्लेटफॉर्म्स की पब्लिसिटी करने वाले सेलिब्रिटीज को नोटिस जारी किया है। इन पर लॉटरी का प्रचार करने का आरोप लगाया गया है। इसमें एमएस धोनी, विराट कोहली और सौरभ गांगुली जैसे खिलाड़ी भी शामिल हैं।

फ्रीमियम ऐसा बिजनेस मॉडल है, जिसमें बेसिक सर्विस फ्री है, लेकिन अधिक फीचर्स के लिए पैसे देने पड़ते हैं।

भारत में फैंटेसी स्पोर्ट्स का भविष्य

लीगल एक्सपर्ट विराग गुप्ता बताते हैं कि फैंटेसी स्पोर्ट्स को लेकर देश में अभी कोई अलग कानून नहीं है। फैंटेसी स्पोर्ट्स के समर्थक कहते हैं कि ये विशेषज्ञता का खेल है, इसलिए इसे सट्टेबाजी और जुए से अलग माना जाए, लेकिन इसके विरोधी इसे डिजिटल सट्टेबाजी का ही एक जरिया मानते हैं। नीति आयोग ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि फैंटेसी स्पोर्ट्स पर बैन लगाना समाधान नहीं है। आयोग के मुताबिक, इन प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाने से तेजी से बढ़ते इस सेक्टर में इनोवेशन रुक जाएगा।

नीति आयोग ने अनुमान लगाया है कि आने वाले सालों में इस सेक्टर में 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा FDI आ सकता है। साथ ही ये इंडस्ट्री 2023 तक 150 करोड़ का ऑनलाइन ट्रांजैक्शन कर सकती है। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे देश में फैंटेसी स्पोर्ट्स को लेकर एक कानून होना चाहिए। कुछ राज्यों में जो कानूनी चुनौतियां हैं, उन्हें भी दूर किया जाना चाहिए। हालांकि, यहां ये सवाल लाजिमी है कि क्या फैंटेसी प्लेटफॉर्म से जुड़े तमाम विवादों को दरकिनार कर पूरे देश में एक कानून बनाया जा सकता है?



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कहानी उस संगठन की जो किसानों के लिए आईटी सेल का काम कर रहा है, जिसने आंदोलन को हाईटेक बनाया

टिकरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के मुख्य मंच के पास ही एक टेंट लगा हुआ है। टेंट के भीतर चार-पांच युवा बैठे हैं और सभी अपने-अपने मोबाइल पर तेजी से कुछ टाइप कर रहे हैं। पूछने पर मालूम चलता है कि ये लोग असल में किसानों के आईटी सेल का काम कर रहे हैं। मंच से जो भी घोषणाएं हो रही हैं, आंदोलन से जुड़े जो भी नए अपडेट आ रहे हैं, ये लोग उन्हें तेजी से सोशल मीडिया के जरिए एक-एक किसान तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

इन युवाओं में कोई इंजीनियरिंग का छात्र है, कोई स्कूल का छात्र है, तो कोई ग्रैजुएशन या पोस्ट-ग्रैजुएशन का छात्र। कुछ ऐसे भी हैं, जो कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं और किसी मल्टी-नैशनल कंपनी में नौकरी कर रहे हैं। सोशल मीडिया का पूरा ऐल्गोरिद्म बारीकी से समझने वाले ये युवा असल में जमींदारा छात्र सभा यानी JSO के वॉलंटियर्स हैं। ये वही छात्र संगठन है, जिसने किसानों के इस आंदोलन को हाईटेक बनाने और सोशल मीडिया पर इस आंदोलन की जबरदस्त उपस्थिति दर्ज करवाने में सबसे अहम भूमिका निभाई है।

किसानों के इस आंदोलन पर कई बार यह सवाल उठाए गए हैं कि आखिर गरीब और अनपढ़ किसान कैसे ट्विटर पर इतना सक्रिय हो सकता है? वह कैसे नए-नए हैश टैग चला सकता है? कैसे ट्रेडिंग टॉपिक की समझ रखता है और कैसे सोशल मीडिया पर इतना मजबूत दखल रख सकता है? इस तरह के सभी सवालों का एक ही जवाब है - जमींदारा छात्र सभा।

इस संगठन से जुड़े नवीन दहिया पेशे से इंजीनियर हैं और इन दिनों गुरुग्राम की एक मल्टीनेशनल कंपनी के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट का काम करते हैं। नवीन कहते हैं, ‘हम किसान के बेटे हैं। आज नौकरी करने लगे हैं, लेकिन हमारा मूल काम किसानी ही है। आज जब हमारे बाप-दादा यहां सड़क पर हैं, तो हम उनके आंदोलन को अपनी पूरी क्षमता से मजबूत कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर क्या और कैसे ट्रेंड करवाना है, ये हम बहुत बारीकी से समझते हैं। यही काम जब हम अपनी कंपनी के लिए कर सकते हैं, तो अपने बाप-दादा के लिए तो पूरी जान लगा कर करेंगे।’

‘जमींदारा छात्र सभा’ का गठन साल 2016 में हुआ था। हरियाणा से शुरू हुए इस संगठन की पकड़ राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी मजबूत हो चुकी है।

जमींदारा छात्र सभा के महासचिव मीत मान बताते हैं कि उनके इस संगठन में फिलहाल 28,352 सक्रिय सदस्य जुड़े हुए हैं। ये लोग किसानों के किसी मुद्दे को जब एक साथ ट्वीट करते हैं, तो आसानी से उसे ट्विटर पर सबसे ऊपर ट्रेंड करने वाला मुद्दा बना देते हैं। इनमें से करीब 150-200 सदस्य हर समय टिकरी बॉर्डर पर मौजूद रहते हैं और हर नई जानकारी को सोशल मीडिया के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने के काम करते हैं।

जमींदारा छात्र सभा का गठन साल 2016 में हुआ था। हरियाणा से शुरू हुए इस संगठन की पकड़ आज राजस्थान के आठ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 12 जिलों में भी मजबूत हो चुकी है। संगठन के लोग दावा करते हैं कि हरियाणा के कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी में उनके संगठन ने छात्र संघ चुनावों में भी मजबूत स्थिति बना ली है और उनके कई प्रतिनिधि आज छात्र संघ का हिस्सा है।

मीत मान बताते हैं, ‘संगठन का मुख्य उद्देश्य है कि गांव के माहौल को बचाया और बढ़ाया जाए। पढ़ाई से लेकर खेल तक हर सुविधा के लिए बच्चों को जो शहर जाना पड़ता है, इसे रोकना ही हमारा मुख्य उद्देश्य है। जमीन से जुड़ा हर आदमी जमींदार है और हम उसी के लिए काम करते हैं। इसीलिए, संगठन का काम जमींदारा छात्र सभा रखा गया है। लेकिन इसके एक विंग जमींदारा सोशलिस्ट ऑर्गनाइजेशन भी है, जिसमें वो लोग शामिल हैं जो अब छात्र नहीं हैं और पढ़ाई पूरी कर चुके हैं।’

इस संगठन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह हुड्डा हैं और इसके छात्र विंग के अध्यक्ष परवीन ढांडा। संगठन के लोग दावा करते हैं कि वे हरियाणा के अलग-अलग गांवों में कुल 22 लाइब्रेरी भी चला रहे हैं, जहां किसानों के लिए सिर्फ़ किताबें ही उपलब्ध नहीं हैं, बल्कि उन्हें तमाम दूसरी सुविधाएं भी दी जा रही हैं। बुढ़ापा पेंशन से लेकर किसानों को सस्ते बीज उपलब्ध करवाना, फसल का रजिस्ट्रेशन करवाना और युवाओं के लिए रोजगार से संबंधित जानकारी जुटाने के काम भी इस लाइब्रेरी में होते हैं।

जमींदारा छात्र सभा के महासचिव मीत मान बताते हैं कि उनके इस संगठन में 28,352 सक्रिय सदस्य जुड़े हुए हैं।

किसान आंदोलन की शुरुआत से ही जमींदारा छात्र सभा ने अहम भूमिका निभाई है। सोशल मीडिया पर आंदोलन को बढ़ाने के साथ ही हरियाणा में अलग-अलग किसान संगठनों को एक साथ लाने का काम भी इस संगठन ने किया है। फिलहाल टिकरी बॉर्डर सबसे बड़ा लंगर भी यही संगठन चला रहा है और अन्य लंगरों को राशन और सब्जियां उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी भी इन्हीं लोगों के पास है।

मीत मान बताते हैं, ‘हमारे संगठन के जितने लोग यहां टिकरी बॉर्डर पर मौजूद हैं, उससे ज्यादा यहां से बाहर रहकर काम कर रहे हैं। जैसे कुछ लोग हिमाचल बॉर्डर पर काम कर रहे हैं, ताकि वहां से आने वाली सब्जियां जल्द से जल्द यहां पहुंच सकें, तो कुछ लोग पंजाब से आ रहे दूध की सप्लाई देख रहे हैं। आंदोलन को सोशल मीडिया के जरिए जन-जन तक पहुंचाने के काम तो सभी लोग कर ही रहे हैं।’

किसानों के लिए किसी समर्पित आईटी सेल से भी बेहतर सोशल मीडिया मैनेजमेंट करने वाले जमींदारा छात्र सभा को अलग-अलग यूनिवर्सिटी से आए छात्रों का भी साथ मिल रहा है। टिकरी बॉर्डर पर ही पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी और दिल्ली यूनिवर्सिटी के तमाम छात्र मौजूद हैं जो बेहद रचनात्मक तरीकों से सोशल मीडिया पर किसानों के मुद्दे उठा रहे हैं।

जमींदारा छात्र सभा के आईटी सेल से जुड़े एक युवा कहते हैं, ‘राजनीतिक पार्टियों के आईटी सेल तो सिर्फ कॉपी-पेस्ट का काम करते हैं। जो अपने लोगों का इस्तेमाल सिर्फ भीड़ की तरह करते हैं। हमारे यहां ऐसा नहीं है। किसान हमारे मापे (मां-पिता) हैं, इसलिए हम आंदोलन से सरोकार रखते हैं। यहां सिर्फ कॉपी-पेस्ट का काम नहीं होता। हम सभी एक ही हैश टैग पर ट्वीट जरूर करते हैं, लेकिन सभी ट्वीट अलग होते हैं। इसलिए हमारा कंटेंट पूरी तरह से ऑर्गेनिक होता है और जल्दी दूर तक पहुंचता है। हमारे बाप-दादाओं ने खेती करके ही हमें इंजीनियर बनाया है। आज हम उसी इंजीनियरिंग की सीख का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि खेती बची रहे।’



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टिकरी बॉर्डर पर ही पंजाब, चंडीगढ़ और दिल्ली यूनिवर्सिटी के तमाम छात्र मौजूद हैं, जो बेहद रचनात्मक तरीकों से सोशल मीडिया पर किसानों के मुद्दे उठा रहे हैं।


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वैक्सीन का असर कितने समय तक रहेगा अभी कहना मुश्किल, हम इसे प्रॉफिट के लिए नहीं बना रहे

महिमा दातला हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल E कंपनी की MD हैं। उनकी कंपनी 1962 से वैक्सीन बना रही है। पिछले दस महीने से कंपनी कोरोना वैक्सीन डेवलप करने में लगी हैं। भारत में कोरोना वैक्सीन डेवलप करने वाले जो सात-आठ बड़े प्लेयर हैं, उनमें बायोलॉजिकल E भी है।

भास्कर से बातचीत करते हुए उन्होंने बेबाकी से कहा, 'कोरोना की वैक्सीन का असर कितने लंबे समय के लिए होगा, ये अभी कहा नहीं जा सकता। क्योंकि, इस महामारी को अभी काफी कम टाइम हुआ है। समय बीतने के साथ डाटा आएगा, तभी इस बारे में ज्यादा जानकारी सामने आएगी।' उन्होंने ये भी कहा, 'हम वैक्सीन प्रॉफिट कमाने के लिए नहीं बना रहे, बल्कि इसे अफोर्डेबल रखकर जरूरतमंदों की मदद करना चाहते हैं।' पढ़िए उनका पूरा इंटरव्यू।

आपकी वैक्सीन कब तक मार्केट में आ सकती है?
अभी हमारे फेज वन और टू के ट्रायल चल रहे हैं, जो फरवरी तक पूरे होंगे। इसके बाद फेज थ्री ट्रायल शुरू होगा। जून-जुलाई तक हमें वैक्सीन की एफीकेसी यानी असर के बारे में पता चल सकता है। हमारी वैक्सीन सेफ तो है, लेकिन एफीकेसी के रिजल्ट्स आना बाकी हैं। इसके बाद ही वैक्सीन मार्केट में आएगी। देश में इंफेक्शन तेजी से बढ़ता है, तो हमें इमरजेंसी लाइसेंस मिल सकता है।

वैक्सीन की कीमत कितनी हो सकती है?
अभी इस बारे में मैं कुछ भी नहीं कह सकती। ये जरूर कह सकती हूं कि कीमत ऐसी होगी कि वैक्सीन हर जरूरतमंद की पहुंच में हो। हमें भगवान ने बहुत कुछ दिया है। इसलिए हम कोरोना वैक्सीन में प्रॉफिट बनाने का नहीं सोच रहे। मानवता के लिए और देश की सेवा के लिए ये काम कर रहे हैं। जिंदगी में ऐसे मौके बहुत कम लोगों को मिलते हैं कि जो काम आप कर रहे हैं, उससे बहुत से लोगों को फायदा मिले।

फेज वन और टू के ट्रायल के नतीजे कैसे आ रहे हैं?
अभी रिजल्ट्स आना शुरू नहीं हुए हैं। जब भी आएंगे, हम उन्हें अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करेंगे, फिर भले ही वो अच्छे हों या बुरे।

क्या वैक्सीन को किसी खास टेम्प्रेचर पर स्टोर करना होगा, यदि हां तो कितने टेम्प्रेचर पर स्टोर करना होगा?
किसी खास टेम्प्रेचर में स्टोर करने की जरूरत नहीं होगी। फ्रिज का जो नॉर्मल टेम्प्रेचर होता है, उसमें स्टोर की जा सकेगी।

आपके हिसाब से देश में वैक्सीनेशन कितने समय तक चल सकता है?
इस बारे में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। टाइम बीतने के साथ डाटा आएगा, तभी आगे की चीजें क्लीयर हो पाएंगी।

क्या जिस तरह से पोलियो के टीके लगाए जाते हैं, उसी तरह से कोरोना के भी टीके कई साल तक लगाना पड़ेंगे?
वैक्सीन कितने दिनों के लिए इफेक्टिव रहेगी, यह अभी से हम नहीं सकते। US और UK में mRNA वैक्सीन लग रही है, जो काफी इफेक्टिव है। यह मानवता के लिए बहुत खुशी की बात है, लेकिन यह कितने दिनों तक सुरक्षित रखेगी, इसका अभी डेटा नहीं आया है। डेटा आने के बाद ही इस बारे में कुछ कह पाएंगे।

पीएम मोदी ने आप से वैक्सीन डेवलपमेंट को लेकर बात की थी, उस बारे में कुछ शेयर करना चाहेंगी?
पीएम ने कहा था कि आप फर्स्ट आओ या सेकंड ये बड़ी बात नहीं है, लेकिन वैक्सीन का असर और सुरक्षा बहुत अच्छी होनी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा था कि जो भी करें, बहुत अच्छा करें। क्योंकि, यह देश की इमेज का सवाल है। इफेक्टिवनेस और सेफ्टी के अलावा उन्होंने ये कहा था कि प्राइज अफोर्डेबल होना चाहिए। व्यक्तिगत तौर पर मुझे पीएम के तीनों ही पॉइंट बिल्कुल वैलिड लगे। हम इस पर पूरा फोकस कर रहे हैं।

कोरोना के बाद से आपकी जिंदगी कैसी चल रही है?
कोरोना के पहले हर महीने देश से बाहर जाना होता था। लेकिन फरवरी-2020 से कहीं नहीं गई। जरूरत पड़ने पर प्लांट पर होती हूं, वरना घर से ही काम कर रही हूं। हमारे पास 150 अनुभवी साइंटिस्ट की टीम है, जो वर्ल्ड क्लास के हैं। कोरोना के बाद हम पर वैक्सीन की एक बड़ी जिम्मेदारी है। ऐसे में पूरा ध्यान इस पर है। साथ ही जो जरूरी वैक्सीन पहले से बन रही हैं, उन पर भी काम कर रहे हैं। घर में मेरी दोनों बहनें सभी काम मैनेज कर लेती हैं, इसलिए मैं बिजनेस पर फोकस कर पाती हूं।

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दुनिया को वुहान की सच्चाई दिखाने वाली को 4 साल की कैद, कोरोना पर विरोधी आवाजें दबाने के लिए क्या कर रहा चीन?

चीन में एक पत्रकार को 4 साल की जेल की सजा सिर्फ इसलिए दे दी गई, क्योंकि उन्होंने कोरोना पर रिपोर्ट की थी। उस पत्रकार का नाम है झैंग झान। झैंग को झगड़ा करने और मुसीबत पैदा करने का दोषी ठहराया गया है। चीन में विरोध करने वालों के खिलाफ ऐसी धाराएं लगाई जाती हैं, लेकिन झैंग झान कौन हैं? उन्होंने क्या किया था? और कोरोना के दौरान चीन ने कैसे सेंसरशिप लगाई? आइए जानते हैं...

सबसे पहले झैंग झान हैं कौन?

  • 37 साल की झैंग झान चीन में बतौर सिटीजन जर्नलिस्ट काम करती हैं। वो पहले वकील रही हैं। फरवरी 2020 में झैंग वुहान शहर पहुंची, जहां उस वक्त कोरोना अपने पीक पर था, क्योंकि उस वक्त चीन की सरकार का पूरा फोकस कोरोना को कंट्रोल करने पर था इसलिए उस समय सेंसरशिप में थोड़ी ढील भी थी।
  • एक इंटरव्यू में झैंग ने बताया था कि जब वुहान में कोरोना फैलना शुरू हुआ और लोगों ने यहां के हालातों को सोशल मीडिया पर शेयर करना शुरू किया, तो वो खुद यहां के हालात जानने के लिए आ गईं। वुहान में झैंग ने अलग-अलग इलाकों से रिपोर्ट की। भीड़ से भरे हुए अस्पतालों, पत्रकारों की गिरफ्तारियों जैसे मुद्दे पर रिपोर्टिंग की।
  • झैंग ने रिपोर्टिंग के दौरान चीनी सरकार की भी आलोचना की। झैंग ने एक वीडियो में कहा था, 'जिस तरह चीन की सरकार वुहान को मैनेज कर रही है, वो डराने वाला है। ये वाकई इस देश के लिए बहुत बड़ी त्रासदी है।'
  • झैंग ने 2019 में हॉन्गकॉन्ग में प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों का सपोर्ट किया था, जिसके बाद भी उन्हें गिरफ्तार किया गया था। पिछले साल 14 मई को झैंग लापता हो गई थीं, बाद में पता चला था कि उन्हें शंघाई में गिरफ्तार कर लिया गया है।
चीन में झैंग झान की रिहाई की मांग भी हो रही है।

झैंग पर क्या आरोप हैं?

  • नवंबर 2020 में झैंग के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। उन पर आरोप हैं कि उन्होंने वीचैट, ट्विटर और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर लिखकर, वीडियो बनाकर और दूसरे माध्यमों से झूठी जानकारियां फैलाईं।
  • उनके ऊपर ये भी आरोप हैं कि उन्होंने विदेशी मीडिया को इंटरव्यू दिए और वुहान में कोरोनावायरस को लेकर गलत और भ्रामक जानकारियां दीं। 28 दिसंबर को इसके लिए उन्हें दोषी ठहराया गया और 4 साल कैद की सजा सुनाई है।
  • झैंग के वकील जांग केके का कहना है कि गिरफ्तारी के विरोध में झैंग भूख हड़ताल पर हैं और उनकी तबीयत बेहद खराब हो गई है। उनके वकील का ये भी कहना है कि झैंग को फीडिंग ट्यूब के जरिए जबरदस्ती खाना खिलाया जा रहा है।

कोरोना पर विरोधी आवाजें दबाने के लिए चीन ने क्या-क्या किया?

  • ली वेनलियांग याद हैं आपको। ये वही डॉक्टर हैं, जिन्होंने पहली बार बताया था कि वुहान में सार्स की तरह वायरस फैल रहा है। ली पर सरकार ने अफवाहें फैलाने का आरोप लगाया था। बाद में ली की मौत भी कोरोना से हो गई थी।
  • बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की सरकार ने वुहान में कोरोना पर रिपोर्टिंग को लेकर कई पत्रकारों और सिटीजन जर्नलिस्ट के खिलाफ कार्रवाई की। कुछ पत्रकार गायब भी हो गए। इनमें चेन क्वीशी, फेंग बिन जैसे पत्रकार भी शामिल हैं।
  • झैंग झान की तरह ही ली झेहुआ भी सिटीजन जर्नलिस्ट हैं। उन्होंने भी यूट्यूब पर वीडियो पोस्ट कर वुहान के हालात बताए थे। फरवरी में उन्होंने यूट्यूब पर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें बताया था कि पुलिस की कार उनका पीछा कर रही है। बाद में ली लापता हो गए थे। दो महीने बाद उनका एक वीडियो आया, जिसमें उन्होंने बताया कि वो क्वारैंटाइन हैं।

प्रेस पर सेंसरशिप के मामले में चीन दुनिया का 5वां देश
कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट यानी CPJ के मुताबिक, प्रेस पर सेंसरशिप के मामले में इरीट्रिया पहले नंबर पर है। यहां 2001 से ही इंडिपेंडेंट मीडिया पर रोक है। 5वें नंबर पर चीन है। चीन में बिना साइबरस्पेस एडमिनिस्ट्रेशन की मंजूरी के सोशल मीडिया या ऑनलाइन कोई भी न्यूज नहीं दी जा सकती। चीन में 2020 में 47 पत्रकारों को जेल में डाला गया।



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who is chinese journalist zhang zhan who jailed for 4 year for china wuhan coronavirus reporting


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एक VIP की सुरक्षा पर 3 पुलिसवाले, लेकिन 135 करोड़ की आबादी वाले देश में 640 लोगों पर सिर्फ एक

हमारे देश में कई बार VIP कल्चर खत्म होने की बातें होती हैं, लेकिन ऐसा होता नहीं है। गृह मंत्रालय के अधीन एक विंग काम करती है। नाम है ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट यानी BPRD। इसका एक डेटा आया है। ये बताता है कि देश में 19 हजार 467 VIP हैं, जिनकी सुरक्षा में 66 हजार 43 पुलिसवाले तैनात हैं। यानी एक VIP की सुरक्षा पर तीन से ज्यादा पुलिसवाले। जबकि, 135 करोड़ आबादी वाले देश में आम आदमी की सुरक्षा की बात करें तो देश में 20.91 लाख पुलिसवाले हैं। यानी 642 लोगों पर एक जवान। ये आंकड़े 2019 के हैं। 2018 में 632 लोगों पर एक जवान था।

देश में इतनी आबादी पर एक पुलिस जवान की संख्या शायद थोड़ी कम होती, अगर पद खाली न पड़े होते। BPRD के मुताबिक, देश में 26.23 लाख पद हैं, जिनमें से 20.91 लाख पद ही भरे हैं। मतलब, 5.31 लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। जितने पद हैं, अगर वो सब भरे होते तो हमारे यहां 512 लोगों पर एक पुलिस जवान होता।

बिहार में सबसे ज्यादा 1312 लोगों पर एक पुलिस जवान

बिहार की आबादी 12 करोड़ से ज्यादा है। यहां 91 हजार 862 पुलिसवाले हैं। इस हिसाब से यहां के 1 हजार 312 लोगों पर एक पुलिसवाला है। ये देश में सबसे ज्यादा है। दूसरे नंबर पर दमन दीव है। यहां की 4.30 लाख आबादी पर 424 पुलिसवाले हैं। यानी, 1 हजार 14 लोगों पर एक जवान।

और इधर VIP तो घटे, लेकिन उनकी सुरक्षा में लगे पुलिसवालों की संख्या बढ़ी

4 साल पहले 2016 में देश में VIP की संख्या 20 हजार 828 थी। उस समय उनकी सुरक्षा में 56 हजार 944 पुलिसवाले लगे थे। 2019 में ऐसे लोगों की संख्या घटकर 19 हजार 467 हो गई, लेकिन इनकी सुरक्षा में लगने वाले जवानों की संख्या बढ़कर 66 हजार 43 हो गई।

450 VIP ऐसे, जिन्हें केंद्र सरकार से सुरक्षा मिली है

हमारे देश में प्रधानमंत्री को मिलने वाली SPG सुरक्षा के अलावा सुरक्षा व्यवस्था को चार कैटेगरी में बांटा गया है। Z+, Z, Y और X। खतरे के आधार पर VIP सुरक्षा पाने वालों में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक, पार्षद, ब्यूरोक्रेट्स, पूर्व ब्यूरोक्रेट्स, जज, पूर्व जज, बिजनेसमैन, क्रिकेटर, फिल्मी कलाकार या साधु-संत होते हैं। साथ ही आम आदमी भी को भी ऐसी सुरक्षा मिल सकती है।

Z+ में 55 सुरक्षाकर्मी होते हैं। इनमें 10 से ज्यादा एनएसजी कमांडो होते हैं। इसमें हर व्यक्ति की सुरक्षा पर हर महीने 10 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। वहीं, Z कैटेगरी की सुरक्षा में CRPF और ITBP के 22 जवानों के अलावा लोकल पुलिस रहती है।

दो सवालों के जवाब सरकार ने कभी नहीं दिए

किसको दी सुरक्षाः ये सवाल पूछने पर सरकार एक ही जवाब देती है- सुरक्षा और गोपनीयता की वजह से जानकारी नहीं दे सकते।

सुरक्षा पर कितना खर्चाः इस पर सरकार का जवाब होता है- सुरक्षा पर होने वाले खर्च को सही-सही बताना कठिन है, क्योंकि इसमें सुरक्षाबलों की सैलरी-भत्ते, कम्युनिकेशन और वाहन का खर्च भी होता है।



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Police Population Ratio Update; India Has One Cop For Every Citizens 640, Five Lakh Posts Vacant In Police Forces


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कोरोना के कारण 2019 के मुकाबले 116% कम मैच खेले, 2021 में फिर रहेगा टाइट शेड्यूल

कोरोना की वजह से दुनियाभर के खेल जगत समेत भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 2020 बिल्कुल भी अच्छा नहीं रहा। एक समय था, जब भारतीय कप्तान विराट कोहली समेत कई प्लेयर टाइट शेड्यूल को लेकर शिकायत कर चुके थे। ऐसे में कोरोना के बीच टीम इंडिया को 2020 में लॉकडाउन के चलते करीब 9 महीने घर बैठकर आराम करना पड़ा।

टीम ने इस साल तीनों फॉर्मेट (टेस्ट, वनडे, T-20) मिलाकर सिर्फ 24 ही मैच खेले। जबकि, 2019 में भारतीय टीम ने 116% ज्यादा, यानी 52 मैच खेले थे। एक रिपोर्ट की मानें तो टीम को 2021 में भारतीय टीम को 55 से ज्यादा मैच खेलना है। यदि ऐसा होता है, तो इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, क्योंकि टीम इंडिया ने अब तक किसी एक कैलेंडर ईयर में 55 से ज्यादा मैच नहीं खेले हैं। इससे पहले टीम ने 2007 में 55 इंटरनेशनल मैच खेले थे।

2007 में टीम इंडिया

फॉर्मेट टेस्ट वनडे T-20
कुल मैच 10 37 8
जीते 3 20 5
हारे 2 15 1
ड्रॉ 5 - -
बेनतीजा - 2 1
टाई - - 1

भारतीय टीम पिछली बार न्यूजीलैंड के खिलाफ मैदान में उतरी थी
टीम इंडिया ने फरवरी 2020 में न्यूजीलैंड दौरे पर टेस्ट खेला था। यही इंडिया का आखिरी मुकाबला था। इस मैच में भारत को हार मिली थी। इसके बाद टीम मैदान में नहीं उतरी। हालांकि, मार्च में साउथ अफ्रीका भी भारत दौरे पर आई थी, लेकिन 3 वनडे की सीरीज का पहला मुकाबला बिना टॉस के ही धर्मशाला में बारिश की भेंट चढ़ गया था। इसके बाद कोरोना की वजह से अफ्रीकी टीम के दौरे को रद्द करना पड़ा था।

2019 में टीम इंडिया

फॉर्मेट टेस्ट वनडे T-20
कुल मैच 8 28 16
जीते 7 19 9
हारे - 8 7
ड्रॉ 1 - -
बेनतीजा - 1 -

2020 में टीम इंडिया

फॉर्मेट टेस्ट वनडे T-20
कुल मैच 4 9 11
जीते 1 3 7
हारे 3 6 1
टाई - - 2
बेनतीजा - - 1

BCCI के आधिकारिक शेड्यूल का इंतजार
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने अब तक टीम का आधिकारिक शेड्यूल जारी नहीं किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2021 में भारतीय टीम को 14 टेस्ट, 16 वनडे और 23 T-20 खेलने हैं। इसमें एशिया कप, टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल और T-20 वर्ल्ड कप शामिल नहीं हैं।

  • जनवरी: सिडनी टेस्ट से साल की शुरुआत

भारत में इंटरनेशनल क्रिकेट की शुरुआत फरवरी में इंग्लैंड दौरे से होगी। इसी साल भारतीय टीम को एशिया कप और T-20 वर्ल्ड कप भी खेलना है। यह वर्ल्ड कप भारत की ही मेजबानी में अक्टूबर में होगा। फिलहाल, टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया दौरे पर है। जहां दोनों टीम के बीच 4 टेस्ट की सीरीज 1-1 से बराबरी पर है। साल का पहला मैच भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया में ही सिडनी टेस्ट खेलेगी। यह मैच 7 जनवरी को होगा। सीरीज का आखिरी टेस्ट 15 जनवरी को ब्रिस्बेन में होगा।

इंग्लैंड टीम फरवरी में भारत दौरे पर आएगी। यहां दोनों टीमों के बीच 4 टेस्ट, 5 T-20 और 3 वनडे की सीरीज खेली जाएगी। दौरे की शुरुआत 5 फरवरी को चेन्नई टेस्ट से होगी। आखिरी मुकाबला 28 मार्च को पुणे वनडे खेला जाएगा।

  • मार्च-अप्रैल: अफगानिस्तान का भारत दौरा

मार्च के आखिर में अफगानिस्तान टीम भारत दौरे पर आएगी। यहां उसे टीम इंडिया के साथ 3 वनडे की सीरीज खेलना है। यह सीरीज IPL से ठीक पहले खेली जाएगी।

  • अप्रैल-मई: IPL 2021

इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) का 14वां सीजन अप्रैल से मई के बीच खेला जाना तय है। कोरोना के कारण 13वां सीजन पिछले साल 19 सितंबर से 10 नवंबर के बीच यूएई में खेला गया था। इस बार हालात ठीक रहे तो 14वां सीजन भारत में ही दर्शकों के साथ हो सकता है।

  • जून-जुलाई: भारत का श्रीलंका दौरा और एशिया कप

टीम इंडिया IPL के बाद श्रीलंका दौरे पर जाएगी। यहां दोनों टीम के बीच 3 वनडे और 5 T-20 की सीरीज होनी है। इसके बाद दोनों टीमें श्रीलंका में ही एशिया कप भी खेलेंगी। इसी दौरान जून में ICC टेस्ट चैम्पियनशिप का फाइनल भी होना है।

  • जुलाई: भारत का जिम्बाब्वे दौरा

टीम इंडिया को जुलाई में जिम्बाब्वे दौरे पर सीमित ओवरों की सीरीज भी खेलना है। यह दौरा 2020 में होना था, लेकिन कोरोना के कारण टाल दिया गया था।

  • अगस्त-सितंबर: भारत का इंग्लैंड दौरा

भारतीय टीम अगस्त में इंग्लैंड दौरे पर जाएगी। यहां दोनों टीम के बीच 5 टेस्ट की सीरीज होनी है। यह पहली बार होगा, जब इंग्लैंड और भारतीय टीम एक साल में 10 टेस्ट मैच खेलेंगी। इससे पहले दोनों के बीच 1982 में 6 टेस्ट खेले गए थे।

  • अक्टूबर: साउथ अफ्रीका का भारत दौरा

T-20 वर्ल्ड कप से ठीक पहले अक्टूबर में साउथ अफ्रीका टीम भारत दौरे पर आएगी। यहां दोनों टीम के बीच 3 T-20 और इतने ही वनडे की सीरीज खेली जाएगी।

  • अक्टूबर: T-20 वर्ल्ड कप

क्रिकेट इतिहास में दूसरी बार भारत T-20 वर्ल्ड कप की मेजबानी करेगा। इससे पहले 2016 में मेजबानी की थी। तब वेस्टइंडीज ने खिताब जीता था। साथ ही भारतीय टीम ने एक बार ही T-20 वर्ल्ड कप जीता है। उसने 2007 टूर्नामेंट के फाइनल में पाकिस्तान को हराया था।

  • नवंबर-दिसंबर: न्यूजीलैंड का भारत दौरा

टीम इंडिया नवंबर-दिसंबर में न्यूजीलैंड की मेजबानी करेगी। दोनों टीम के बीच दो टेस्ट और तीन T-20 की सीरीज खेली जाएगी।

  • दिसंबर: भारत का साउथ अफ्रीका दौरा

2021 के आखिर में भारतीय टीम को साउथ अफ्रीका का दौरा करना है। उस दौरे पर टीम इंडिया को 3 टेस्ट और 3 T-20 की सीरीज खेलनी है।



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Team India Schedule of 2021 with T20 World Cup Indian Cricket Schedule


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18 बरस की लड़की के साथ 40 का मर्द चलेगा, लेकिन 21 का लड़का और 30 की लड़की नहीं होनी चाहिए

टीवी अभिनेत्री गौहर खान और उनके प्रेमी जैद दरबार ने हफ्तेभर पहले शादी कर ली। उनकी कुछ बेहद खूबसूरत तस्वीरें सोशल मीडिया पर आईं। लेकिन ये क्या! बधाइयों की जगह उन्हें ट्रोल किया जाने लगा। खासकर गौहर को। वजह! वे अपने शौहर से लगभग 12 साल बड़ी हैं। सोशल मीडिया आतंकियों ने गौहर को जैद की अम्मी तक कह डाला।

विज्ञान की मामूली समझ रखने वाला भी बता सकता है कि अम्मी और औलाद के बीच 12 साल से जरा-ज्यादा ही फासला होता है। चलिए, विज्ञान को गोली मारिए। ये बताएं कि अगर जैद की उम्र गौहर से 12 साल ज्यादा होती तो क्या आप रिश्ते को बाप-बेटी जैसा नाम देते! नहीं देते, क्योंकि ये तो होता आया है। और यही सही भी है।

इस सही के पीछे बारहों कारण गिनाए जा सकते हैं। गिनती करते जाइए और कारण सिर के छिपे हुए ट्यूमर की तरह बढ़ता जाएगा। पहला कारण तो ये कि लड़कियां लड़कों से जल्दी मैच्योर हो जाती हैं। ऐसे में अगर हमउम्रों का ब्याह हो तो पति समझदारी में बीवी से काफी पीछे रह जाएगा। अब पति किसी भी मामले में पत्नी से कम कैसे हो सकता है। बात चाहे समझदारी की हो या फिर ताकत की। तो मान लिया गया कि 18 बरस की लड़की के साथ 40 का मर्द चलेगा लेकिन 21 का लड़का और 30 की लड़की नहीं होनी चाहिए।

युवा औरत-अधेड़ मर्द के फलसफे को सहारा देने के लिए विज्ञान का सहारा लिया गया। विज्ञान भी बड़ी जालिम चीज है। एक ओर चांद और मंगल पर जाने के लिए हम इसकी मदद लेते हैं, तो दूसरी तरफ अपनी पाताल में धंसी सोच के लिए भी इसी का इस्तेमाल करते हैं। विज्ञान की दुनिया मर्दानी है, जहां जनानेपन की कोई जगह नहीं। तो बस, मर्द-औरत के रिश्ते में क्यों मर्द को बड़ा, ऊंचा या कद्दावर होना चाहिए- इसके लिए तमाम तरकीबें पुरुष वैज्ञानिक जुटा लाए। डेमोग्राफी (Demography) नामक विज्ञान पत्रिका में स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर Sven Drefahl और उनकी टीम ने उम्र को लेकर कई तयशुदा खुलासे किए। उन्होंने बताया कि बड़ी उम्र की औरत से शादी करने पर मर्द की औसत आयु कम हो जाती है। और यही हाल बड़ी उम्र की उन महिलाओं का होता है, जो अपने से उम्र में छोटा साथी खोजती हैं।

प्रोफेसर अपनी स्टडी के बारे में विस्तार से भी बताते हैं। उनके मुताबिक शायद औरतें खुद को पति के मुताबिक युवा बनाए रखने में बेमौत मरती हैं। ठीक भी है, जब मर्द एग्जॉटिक हॉलीडे के बारे में सोच रहा होगा, तब बुढ़ाती हुई औरत मेनोपॉज के इशारों को अनदेखा करते हुई उससे कदमताल मिला रही होगी। आंखों के नीचे उभर आए घेरे छिपा रही होगी। या फिर बुढ़ापे की गंध को जवान खुशबू के नीचे दबा रही होगी।

वहीं मर्द अगर औरत से 10-15 साल बड़े भी हो जाएं, तो बढ़िया है। क्या है कि उम्र जितनी बढ़ती है, मर्द उतना जवान होता है। इस बात को पक्का करने के लिए हमने कहावतें तक बना डालीं, जैसे साठा तो पाठा। अब साठ में कोई पुरुष जवान घोड़े की तरह हिनहिनाए, तो लड़कियों को उसके साथ से भला क्यों एतराज हो। यहां लड़कियों के तो तमाम चोंचले हैं। 30 की होते-होते चेहरा नूर हो खो देता है। 40 की होते-होते पेट में गांठें पड़ जाती हैं। और 50 में तो जवानी चल बसती है। जब खुद कुदरत ने लड़कियों के यौवन की मियाद तय कर दी, तो बेचारे मर्द का क्या दोष। लिहाजा दस्तूर बन गया कि शादी में उम्र का फासला होना ही चाहिए। फासला भी ऐसा कि औरत पति से आप, ये, वो के अलावा कुछ न कह सके। और नाम तो कतई न ले सके।

इस बारे में एक किस्सा याद आता है। बचपन मंझोले शहर में बीता। पिता आर्मी से और काफी सख्त। घर पर अनुशासन ऐसा था कि रसोई में चींटियां भी कतार में चला करतीं। पापा का खौफ आस-पड़ोस, घर-बाहर से लेकर मां तक पर था। बाद में राज खुला कि जिसे हम खौफ मानते थे, वो दरअसल लिहाज था। बहरहाल, एक रोज मैं अपनी एक दोस्त के घर गई। पुराने कपड़ों की तरह खूब खुला-खुला माहौल। पिता बच्चों के साथ मजाक कर रहे थे। मां-पिता बेतकल्लुफी से बतिया रहे थे। मैंने गौर किया कि दोस्त की मां, पिता को 'तुम' कह रही है। मेरे लिए ये किसी अजूबे से कम नहीं था। घर लौटकर दादी को बताया। दादी ने फड़कते हुए एलान कर दिया कि मेरी दोस्त कु-संस्कारी है और मुझे आइंदा से वहां नहीं जाना होगा।

काफी बाद में जाना कि जिसे दादी ने कुसंस्कार बताया था, वो दरअसल बराबरी है। बराबरी की ये हवा कोरोनावायरस से भी तेजी से फैलती है। और इस लाइलाज मर्ज से बचने का कोई तरीका नहीं, सिवाय इसके कि ऐसे लोगों को कुसंस्कारी बता उनसे दूरी बरती जाए। उम्र के अलावा कद को लेकर भी हमारा आग्रह जबर्दस्त है। शादीशुदा या प्रेम में पड़े जोड़े में लड़की का कद कम ही हो। शादी-ब्याह के तमाम विज्ञापन देख लीजिए, सब के सब दुबली-नाजुक, कमसिन लड़की मांगते हैं।

वो हर पैमाने पर लड़के से उन्नीस ही हो। खूब पढ़ी-लिखी हो, लेकिन लड़के से जरा कम। शानदार नौकरी हो, लेकिन तनख्वाह लड़के से कम। निकलता हुआ कद हो, लेकिन लड़के से वो भी कम ही रहे। फुरसत या जरूरत में मैट्रिमोनी साइट के चक्कर लगें तो देखिएगा कि ऑस्ट्रेलिया में महीने के एक करोड़ कमाने वाली को भी लड़का अपने से ऊंचा ही चाहिए। लड़की और लड़के के कद में खास फर्क न हो, तो लड़की की शामत ही आ जाती है। ऊंची एड़ी का शौक भूल वो ऐसी चप्पलें खरीदती है जो जमीन में एक इंच धंसकर रहे। सतर कंधों वाली लड़की को चाहे-अनचाहे कंधे झुकाकर चलने की आदत हो जाती है।

दुनियाभर के तमाम मर्द इस मामले में एक-से है। प्रिंस चा‌र्ल्स और प्रिंसेज डायना की ऊंचाई बराबर थी लेकिन पोस्टकार्ड्स में चा‌र्ल्स डायना से ऊंचे नजर आते हैं। पता है क्यों? क्योंकि फोटोशूट के दौरान वे मोढ़े पर चढ़ जाते ताकि पत्नी उनके बराबर न दिखे। क्या फर्क पड़ता अगर डायना और चार्ल्स बराबर आ जाते! या फिर ऊंची हील्स के साथ डायना अपने पति से कुछ ऊंची ही दिखतीं! कश्मीर की चिनाब नदी अपनी चाल भूलकर झारखंड आ जाती! या फिर खाना पचाने का काम आंतों की जगह दिल को मिल जाता! कहीं कोई जलजला नहीं आता। कुदरत की सारी नियामतें वही रहतीं, बस हमारी सोच की ईंटें यहां से वहां सरक जातीं।

यही हो रहा है। भुरभुरी ईंटें टूट रही हैं तो मालिक-ए-मकानों का गुस्सा भी उबल रहा है। यही लोग कभी ट्रोल करते हैं तो कभी अपनी बीवी-बेटी को पीटते हैं। मर्द को ऊंचा, मर्द को मजबूत, मर्द को ओहदेदार बनाने में जुटे मर्द ये भूल गए कि ये शर्तें खुद उनके साथ भी नाइंसाफी कर जाएंगी। पता नहीं, कितने मर्द होंगे, जो बेहतर इंसान और बेहतरीन साथी हो सकते थे लेकिन किसी कमतरी ने उन्हें रोक डाला। कितने पिता होंगे, जो PPT बनाने की बजाए घर पर बिटिया की चोटियां गूंथना चाहते होंगे। लेकिन इसी सोच ने उनका मन मार दिया।

प्यारी सोसायटी! आज मौका भी है, दस्तूर भी। तो क्यों न बराबरी की शुरुआत आज ही से करें। गौहर-जैद सा कोई रिश्ता आपके आसपास हो, तो बजाए ट्रोलिंग के उसे वैसे ही अपनाएं, जैसे बाकी सारे रिश्तें। यकीन जानिए, ऊंची, उम्रदराज या ज्यादा कामयाब औरतें अपने साथी के साथ उतनी ही सहज होती हैं, जितना रंगों के साथ ब्रश। अब बारी आपकी है।



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A man of 40 will work with an 18-year-old girl, but should not be a boy of 21 and a girl of 30


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देश की पुरानी तकनीकों में बड़ी संभावनाएं; कम संसाधन में बड़ा काम करना हमारी खासियत

टाटा ग्रुप के चेयरमैन एमेरिटस रतन टाटा को भारत की प्राचीन टेक्नोलॉजी पर काफी भरोसा है। उनका कहना है कि इस तकनीक में बहुत सी संभावनाएं हैं मगर, उनका इस्तेमाल करने वालों की कमी है। उनका कहना है कि महिलाओं की भागीदारी सिर्फ स्टाइल या स्टाइलिंग के क्षेत्र तक सीमित नहीं। अब ऐसी कोई दीवार नहीं जो महिलाओं को किसी भी क्षेत्र में बढ़ने से रोक सके।

टाटा ने नए साल के मौके पर दैनिक भास्कर के रितेश शुक्ला से लंबी बातचीत में यह बातें कहीं। उनसे हुई इस खास बातचीत का पहला हिस्सा आप शुक्रवार को एक आर्टिकल के रूप पढ़ और वीडियो के रूप में देख-सुन चुके हैं, तो आइये आज पेश है दूसरा भाग...

भारत की प्राचीन टेक्नोलॉजी में भी काफी संभावनाएं

आज भी जो घर बन रहे हैं वे गर्मियों में गरम और सर्दियों में ठंडे हो जाते हैं। यानी उन्हें ठंडा और गरम करना पड़ता है जिसका खामियाजा मानवजाति को बढ़ते खर्च और जलवायु को कार्बन उत्सर्जन के तौर पर उठाना पड़ रहा है। इस क्षेत्र में बड़ी संभावनाएं हैं, लेकिन अभी भी बहुत लोग नहीं हैं जो इस दिशा में काम करना चाहते हों।

स्टील का बड़ा अच्छा विकल्प बांस है। कई किस्म की ऐसी चीजें भी हैं जिनका कोई उपयोग नहीं है, लेकिन वे कंस्ट्रक्शन मटेरियल के तौर पर इस्तेमाल में ली जा सकती हैं। अमेरिका में 10 फ्लोर की इमारतें भी लकड़ी से बनाई जा रही हैं, जो न सिर्फ मजबूत हैं, बल्कि उनमें आग रोकने की भी काबिलियत है। दिक्कत यह है कि अगर लकड़ी से 10 या 20 माले की इमारतें बन सकती हैं तो स्टील से 100 माले के भी ऊपर जाया जा सकता है।

मध्य अमेरिका में अधिकतर घर आज भी लकड़ी के बने हैं। जापान में भी इस क्षेत्र में इनोवेशन देखने को मिल रहा है, लेकिन जो हो रहा है वह काफी नहीं है। भारत की प्राचीन टेक्नोलॉजी की भी आज बहुत उपयोगिता है। संभावनाएं तो बहुत हैं, लेकिन इन्हें इम्प्लीमेंट करने वालों की कमी है।

ईमानदारी से चाह लेंगे तो तीसरी दुनिया से बाहर आ जाएंगे

कम संसाधन में बहुत बड़ा काम कर पाने की क्षमता भारत की ताकत बन सकती है। यह बात सही है कि टेक्नोलॉजी के लिए इन्वेस्ट करना होगा। अगर भारत की युवा जनसंख्या को पूंजी का सपोर्ट मिल जाए तो बहुत कुछ हो सकता है। भारत तीसरी दुनिया से बाहर कैसे आ पाएगा यह भी बड़ा मुश्किल सवाल है, लेकिन जवाब असंभव नहीं है। ईमानदारी से चाह लेंगे तो हो जाएगा।

सेना हो या उद्योग, हर जगह महिलाएं मनवा रहीं लोहा

कोई अंदाज भी नहीं लगा सकता था कि एक समय ऐसा आएगा जब बड़ी संख्या में महिलाएं न सिर्फ राष्ट्राध्यक्ष बनेंगी, बल्कि उनके हाथों में बहुत बड़ी कंपनियों की बागडोर होगी। खासतौर पर नई टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी काफी बढ़ी है, जो बहुत तसल्ली देने वाली बात है।

सबसे अच्छी बात तो यह है कि आज कोई ऐसी दीवार नहीं बची है जो महिलाओं को किसी क्षेत्र में जाने से रोक सके। किसी को अच्छा लगे या नहीं, लेकिन औरतों की हिस्सेदारी सिर्फ स्टाइल तक सीमित नहीं रहेगी। आर्मी हो या उद्योग, सारे क्षेत्रों में महिलाएं अपना लोहा मनवा रही हैं और तेजी से मनवाती रहेंगी।

संगीत ही लालच, स्वार्थ और आतंकवाद का जवाब

एक समय था जब संगीत मेरे घर का अभिन्न हिस्सा था। मेरी जैज, कंट्री और क्लासिकल संगीत में गहरी रुचि रही है। मुझे बड़ा दुख होता है यह सोच कर कि काम और दायित्वों के बोझ तले मेरा संगीत दबता चला गया। मैं जानता हूं कि मैं कोई बहाने नहीं बना सकता। मुझे लगता है मैं संगीत को फिर से अपने जीवन में शामिल कर सकता हूं।

मेरे पास एक बड़ा सुंदर म्यूजिक सिस्टम है, लेकिन दुख कि बात यह है कि पिछले सात साल में मैंने उसे शायद तीन बार ही चलाया होगा। मेरे पास सैकड़ों डिस्क और सीडी का अंबार है जो मेरे घर को संगीतमय कर सकता है। मैं संगीत की ताकत को भी जानता हूं। मैं जानता हूं कि लालच, स्वार्थ और आतंकवाद का विकल्प भी संगीत है, लेकिन दुख की बात तो यह है कि आपके जैसे जब तक कोई इस विषय को उठाता नहीं है तब तक मैं संगीत के बारे में सोच भी नहीं पाता।

मुझे बीथोवेन, चेकोव्सकी को सुनना बेहद पसंद है। 70 और 80 के दशक का संगीत मुझे पसंद है। जॉन डेन्वर को हम भारत भी ले कर आए थे और उनका टाटा थिएटर में कॉन्सर्ट भी करवाया गया था।

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रतन टाटा कहते हैं कि अगर भारत की युवा जनसंख्या को पूंजी का सपोर्ट मिल जाए तो बहुत कुछ हो सकता है।


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