शुक्रवार, 8 जनवरी 2021

गांधी ‘हिन्दू’ और ‘देशभक्त’ थे पर ‘हिन्दू देशभक्त’ नहीं थे; उनके नाम और छवि को अपनाया जा रहा है, सीख या मूल्यों को नहीं

श्री मोहन भागवत से मिलने का सौभाग्य मुझे अब तक नहीं मिला, लेकिन वे मुझे बहस के मुद्दे देते रहे हैं। फिर वह ‘हिन्दू राष्ट्र’ की उनकी अवधारणा हो या ‘अनेकता में एकता’ के मेरे और ‘एकता में अनेकता’ के उनके विचार के बीच मतभेद हो। हाल ही में उन्होंने फिर ऐसा ही कुछ कहा। उन्होंने नए साल की शुरुआत में एक कार्यक्रम में कहा, ‘अगर कोई हिन्दू है, तो वह देशभक्त होगा ही। यह उसका आधारभूत गुण और प्रकृति होगी।

हिन्दू कभी भारत-विरोधी हो ही नहीं सकता।’ आरएसएस प्रमुख भागवत ‘मेकिंग ऑफ अ हिन्दू पैट्रिअट: बैकग्राउंड ऑफ गांधीजीस हिन्द स्वराज’ पुस्तक के विमोचन पर बोल रहे थे। यहां वे इस बात पर सतर्क दिखे कि कोई यह न कहे कि वे यह विमोचन आरएसएस द्वारा उन महात्मा गांधी को अपनाने के प्रयासों के तहत कर रहे हैं, जिन्हें वे छह दशकों तक बुरा बताते रहे हैं। श्री भागवत ने कहा कि ऐसे कयासों की जरूरत नहीं है कि वे ‘गांधीजी को अपनाने या सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि उन जैसी महान शख्सियत के साथ ऐसा नहीं किया जा सकता।’

हिन्दुत्व आंदोलन वास्तव में महात्मा को अपनाने की कोशिश कर रहा है। कभी कई आरएसएस शाखाओं ने गांधी की हत्या की खबरों पर मिठाई बांटी थी। श्री भागवत के पूर्ववर्ती एमएस गोलवलकर विशेष तौर पर गांधी की अहिंसा की सीख और अंतर-धार्मिक एकता के विचार की अवमानना में काफी सख्त थे। लेकिन नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर पुनर्विचार करना पड़ा। क्या आरएसएस का समर्थन प्राप्त सरकार ऐसी शख्सियत की उपेक्षा कर सकती है, जिसे सार्वभौमिक रूप से पसंद किया जाता हो? क्या इसकी वजह से हिन्दुत्व आंदोलन की चमक कम नहीं होगी?

इसीलिए महात्मा के नाम और छवि को अपनाया जा रहा है, उनकी सीख या मूल्यों को नहीं। श्री भागवत के शब्दकोष में अहिंसा या ‘ईश्वर अल्लाह तेरो नाम’ की कोई जगह नहीं है, लेकिन स्वच्छ भारत अभियान में महात्मा के चश्मों का इस्तेमाल किया जा सकता है। महात्मा गांधी में ‘हिन्दू राष्ट्रभक्ति’ तलाशना इसी प्रयास का हिस्सा है।

महात्मा एक गौरवान्वित हिन्दू थे, लेकिन हिन्दू धर्म के जिन तत्वों पर उन्हें गर्व था, वे संघ परिवार जैसे नहीं थे। स्वामी विवेकानंद की तरह वे हिन्दू धर्म की सबको अपनाने की आध्यात्मिक सच्चाई को मानते थे। महात्मा गांधी हिन्दू थे और देशभक्त थे, लेकिन वे कभी खुद को ‘हिन्दू देशभक्त’ नहीं कहते। आरएसएस प्रमुख ने तर्क दिया कि गांधी जी का ‘स्वराज’ के लिए संघर्ष समाज की सभ्यता के मूल्यों पर आधारित पुनर्रचना के लिए था, जिससे उनका मतलब हिन्दू धर्म से था।

वास्तव में महात्मा गांधी भारतीय सभ्यता को एक मिश्रण के रूप में देखते थे, जो वेद और पुराणों के दौर से ही विभिन्न गैर-हिन्दू प्रभावों को अपनाता रहा है, जो कि संघ परिवार की ज्ञान सीमा से बाहर है। लेकिन मुझे आरएसएस प्रमुख की इस बात पर आपत्ति है कि हिन्दू धर्म और देशभक्ति पर्यायवाची हैं।

अंग्रेजों से आजादी पाने के संघर्ष को प्रेरित करने वाले राष्ट्रवाद की जड़ें भारत की सभ्यता की उस परंपरा में निहित थीं, जिसमें समावेशिता, सामाजिक न्याय और धार्मिक सहिष्णुता शामिल थी। संविधान में स्थापित राष्ट्रवाद ऐसा समाज दर्शाता है जो हर व्यक्ति को आगे बढ़ने देतेा है, फिर वह किसी भी जाति, धर्म, भाषा या जन्मस्थान से जुड़ा हो। इसे आज वह नया कथानक चुनौती दे रहा है, जो भारत की मूल अवधारणा का ही विरोधी है और असमावेशी, आक्रामक राष्ट्रवाद के सहारे बढ़ता है, जो इस सांस्कृतिक पहचान पर आधारित है कि भारत ‘हिन्दू राष्ट्र’ है।

इस प्रक्रिया में ‘देशभक्ति’ की अवधारणा को श्री भागवत और उनके सहयोगी पुन: परिभाषित कर रहे हैं। मुझे लगता है कि ‘देशभक्ति’ देश को प्रेम करने के बारे में है, क्योंकि यह आपका है और आप इसके हैं। जबकि श्री भागवत की देशभक्ति इस विजन पर आधारित है कि यह केवल हिन्दुओं में ही स्वाभाविक तौर पर होती है।

हिन्दू धर्म इसे मानने वाले हर व्यक्ति का निजी मामला है। वहीं हिन्दुत्व एक राजनीतिक सिद्धांत है जो गांधीजी की हिन्दू धर्म की समझ के आधारभूत सिद्धांतों से अलग है। जहां हिन्दू धर्म पूजा के सभी तरीकों को शामिल करता है, हिन्दुत्व भक्ति भाव को नहीं मानता और मुख्यत: पहचान की परवाह करता है। सांप्रदायिक पहचान के प्रति यह जुनून भारत को बांटता है और यही देशभक्त न होना है।

यह धर्मनिरपेक्षता और मतभेदों को स्वीकार करने के गांधीवादी, नेहरुवादी और अम्बेडकरवादी सिद्धांत ही थे, जो हमारे संविधान में दिखते हैं। वहीं हिन्दुत्व पूरी तरह से राजनीतिक विचारधारा है जो हिन्दू धर्म को कट्टरता की ओर ले जाती है। इन विचारों के मौजूदा राजनीतिक दबदबे का मतलब यह नहीं है कि गांधीवादी हिन्दू धर्म लुप्त हो गया है। अभी भी बहुत सारे भारतीय हैं जो इन मूल्यों को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। इस प्रक्रिया में हमें गांधी को अपनाने या सही ठहराने की जरूरत नहीं है, बस उनका अनुसरण करना है।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)



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शशि थरूर, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद


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बाइडेन की जीत पर संसद की मुहर, सरकार से फिर मिलेंगे किसान और फरवरी में होगा IPL का मिनी ऑक्शन

नमस्कार!
अमेरिका में आखिरकार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हार मान ली है। वॉट्सऐप चलाने पर अब प्राइवेसी से समझौता करना होगा। प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा राजनीति में किस्मत आजमाना चाहते हैं। बहरहाल शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

सबसे पहले देखते हैं मार्केट क्या कह रहा है

  • BSE का मार्केट कैप 193.18 लाख करोड़ रुपए रहा। 61% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही।
  • 3,227 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। 1,969 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,108 के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर...

  • - कोरोना वैक्सीनेशन के लिए देश के 33 राज्यों में जिलावार ड्राई रन होगा। यह वैक्सीन का तीसरा ड्राई रन है।
  • - किसानों और सरकार 9वें दौर की बातचीत करेंगे। पिछली बैठक में MSP और नए कानूनों की वापसी पर सहमति नहीं बनी थी।
  • - ब्रिटेन के लिए लिमिटेड कॉमर्शियल फ्लाइट्स शुरू होंगी। वहां मिले कोरोना के नए स्ट्रेन के चलते फ्लाइट्स बैन की गई थीं।

देश-विदेश
बाइडेन की जीत पर कांग्रेस की मुहर

वोटिंग के 64 दिन बाद जब अमेरिकी संसद बाइडेन की जीत पर मुहर लगाने जुटी तो अमेरिकी लोकतंत्र शर्मसार हो गया। ट्रम्प के समर्थक दंगाइयों में तब्दील हो गए। यूएस कैपिटल में तोड़फोड़ और हिंसा की। यूएस कैपिटल वही बिल्डिंग है, जहां अमेरिकी संसद के दोनों सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और सीनेट हैं। कुछ वक्त तक संसद की कार्यवाही रोक दी गई। करीब 12 घंटे बाद दोनों सदनों ने जो बाइडेन की जीत पर आखिरकार मुहर लगा दी। इसके बाद ट्रम्प ने भी टकराव के तेवर छोड़ दिए। उन्होंने वादा किया कि 20 जनवरी को ‘व्यवस्थित तरीके से’ सत्ता बाइडेन को सौंप दी जाएगी।

ट्रैक्टर मार्च का ट्रेलर हिट
किसान आंदोलन के 43 दिन पूरे हो गए। गुरुवार को किसानों ने दिल्ली के चारों तरफ ट्रैक्टर मार्च निकाला। सिंघु से टिकरी बॉर्डर, टिकरी से कुंडली, गाजीपुर से पलवल और रेवासन से पलवल तक यह मार्च निकाला गया। किसानों ने गुरुवार की रैली में 60 हजार ट्रैक्टरों के शामिल होने का दावा किया। किसानों का कहना है कि सरकार ने मांगें नहीं मानीं तो 26 जनवरी को भी ट्रैक्टर परेड होगी। गुरुवार का मार्च उसी का ट्रेलर था। इधर, शुक्रवार को किसानों की सरकार के साथ 9वें दौर की बातचीत होनी है। इससे पहले सिर्फ 7वें दौर की मीटिंग में किसानों की 2 मांगों पर सहमति बन पाई थी, बाकी सभी बैठकें बेनतीजा रहीं।

कोरोना पर सुप्रीम सुनवाई
दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात के आयोजन से कोरोना फैलने के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस की बेंच ने सरकार से पूछा कि मरकज मामले से क्या सबक लिया? कहीं किसान आंदोलन भी तब्लीगी जमात जैसा न बन जाए। चीफ जस्टिस ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा- आपको बताना होगा कि क्या चल रहा है? हमें नहीं पता कि किसान कोरोना से सुरक्षित हैं या नहीं। हम चाहते हैं कि संक्रमण न फैले। आप तय कीजिए कि गाइडलाइंस फॉलो की जाएं।

IPL मिनी ऑक्शन फरवरी में
इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2021 की नीलामी 11 फरवरी को हो सकती है। IPL गवर्निंग काउंसिल ने सभी 8 फ्रेंचाइजी को 20 जनवरी तक रिटेन खिलाड़ियों की लिस्ट जमा करने को कहा है। काउंसिल ने सोमवार को वर्चुअल मीटिंग के जरिए इस पर बात की। क्रिकेट वेबसाइट ईएसपीएन क्रिकइंफो के मुताबिक, इस बार मिनी ऑक्शन हो सकता है। मीटिंग में ट्रेडिंग विंडो को भी ओपन कर दिया गया है। टूर्नामेंट की तारीख और वेन्यू पर अभी फैसला नहीं लिया गया है। IPL के लिए पहली पसंद भारत ही है, लेकिन कोरोना को देखते हुए इसे एक बार फिर UAE में भी आयोजित किया जा सकता है।

प्राइवेसी पर वॉट्सऐप का वार
वॉट्सऐप यूजर्स के लिए नया साल नई शर्तों के साथ शुरू हुआ है। शर्तें भी ऐसी, जिन्हें नहीं मानने पर अकाउंट डिलीट करना होगा। यानी आप वॉट्सऐप चलाना चाहें, तो पॉलिसी एग्री करनी ही होगी। नई पॉलिसी के नोटिफिकेशन में साफ लिखा है कि अब वॉट्सऐप आपकी हर सूचना अपनी पैरेंट कंपनी फेसबुक और इंस्टाग्राम के साथ शेयर करेगा। न चाहते हुए भी आपको अपने वॉट्सऐप की प्राइवेसी कंपनी के साथ शेयर करना होगी। शर्तें मानना है या नहीं, इस बारे में सोचने के लिए 8 फरवरी तक का वक्त है।

प्ले स्टोर पर फर्जी CoWIN ऐप्स
कोरोना वैक्सीनेशन के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने को-विन (Co-WIN) ऐप लॉन्च करने की बात कही है। लेकिन, ऐप की ऑफिशियल लॉन्चिंग से पहले ही गूगल प्ले स्टोर पर Co-WIN नाम के कई ऐप्स दिख रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इसको लेकर चेतावनी जारी की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि सरकार ने ऑफिशियल Co-WIN ऐप लॉन्च नहीं किया है। गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद Co-WIN ऐप्स फर्जी हैं, जो आपकी पर्सनल जानकारी चोरी कर सकते हैं। ऐसे किसी भी ऐप को डाउनलोड न करें।

राजनीति की ओर रॉबर्ट वाड्रा
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने राजनीति में उतरने और चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। बेनामी संपत्ति के मामले में लगातार दो दिन पूछताछ के बाद उनका यह बयान आया है। वाड्रा ने कहा कि राजनीतिक परिवार से जुड़े होने के कारण उन्हें परेशान किया जा रहा है। राजनीति में न होने के बावजूद वे सियासी लड़ाई लड़ रहे हैं। सरकार जब भी मुश्किल में होती है, उन्हें पंचिंग बैग की तरह इस्तेमाल किया जाता है। वाड्रा ने लोकसभा चुनाव के दौरान रायबरेली और अमेठी में प्रचार किया था। यहां से सोनिया गांधी और राहुल गांधी चुनाव लड़े थे।

एक्सप्लेनर
अमेरिका में आगे क्या होगा?

अमेरिका में लोकतंत्र रक्तरंजित हो गया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उकसावे पर उनके समर्थक अमेरिकी संसद में घुस आए। इसके बाद कई सांसद प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन के 20 जनवरी को इनॉगरेशन से पहले ही ट्रम्प को हटाने की मांग कर रहे हैं। औपचारिक रूप से ट्रम्प का कार्यकाल 20 जनवरी तक है। आइए, जानते हैं कि अमेरिका में हुआ क्या और आगे क्या हो सकता है? क्या हिंसा के बाद ट्रम्प को कार्यकाल खत्म होने से पहले हटाया जा सकता है?

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पॉजिटिव खबर
अरबी से 60 लाख की कमाई

आज की कहानी मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के कालंका गांव के रहने वाले रामचंद्र पटेल की। रामचंद्र महज 12वीं तक पढ़े हैं, लेकिन आज खेती से लाखों कमा रहे हैं। वे अपने मामा के यहां से एक बोरी अरबी लेकर गांव आए थे। करीब 25 साल से वे अरबी की खेती कर रहे हैं। दिल्ली, मुंबई समेत कई शहरों में उनका प्रोडक्ट सप्लाई होता है। पिछले साल 3 हजार बोरी अरबी का प्रोडक्शन हुआ, जिससे उन्होंने 60 लाख से ज्यादा की कमाई की है।

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मुश्किल में फंसे सोनू सूद
लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों के मददगार बनकर चर्चा में आए एक्टर सोनू सूद मुश्किलों में फंसते नजर आ रहे हैं। बृहनमुंबई नगर निगम (BMC) ने उन पर एक 6 मंजिला रिहायशी इमारत को होटल में तब्दील करने का आरोप लगाया है। इस संबंध में जुहू पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज कराई गई है। BMC ने अपनी शिकायत में कहा है कि एक्टर ने मुंबई में AB नायर रोड पर शक्ति सागर बिल्डिंग को बिना परमिशन होटल बना दिया। शक्ति सागर एक रिहायशी बिल्डिंग है और उसका कॉमर्शियल इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

सुर्खियों में और क्या है...

  • राज्यों में वैक्सीन पहुंचाने के लिए वायुसेना के सुपर हरक्यूलिस C-130Js और एंटोनोव AN-32s एयरक्राफ्ट्स की मदद ली जाएगी।
  • कोरोना के नए स्ट्रेन के बढ़ते मामलों की वजह से पेरू ने यूरोपियन फ्लाइट्स पर 21 दिसंबर से लगाए प्रतिबंध को 15 दिन के लिए बढ़ा दिया है।
  • अमेरिकी संसद के अंदर और बाहर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थकों की हिंसा के बीच ट्विटर, फेसबुक ने ट्रम्प के अकाउंट ब्लॉक कर दिए।


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अमेरिका वाले हमारे नेताओं को लोकतंत्र सिखाते थे, उनसे सत्ता पाने का तरीका सीख गए



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जब भी किसी व्यक्ति से मिलते हैं तो उसके बारे में पहले से कोई राय न बनाएं, सोच-समझकर किसी नतीजे पर पहुंचे

कहानी- गौतम का एक खास शिष्य था धम्माराम। वह आश्रम में किसी से भी ज्यादा कुछ बोलता नहीं था। अपना काम करता और काम पूरा होने के बाद वह एकांत में चला जाता। धम्माराम एकांत में आंखें बंद करके बैठा रहता था।

जब धम्माराम बहुत ज्यादा एकांत में रहने लगा तो बुद्ध के बाकी शिष्य बात करने लगे कि इसे घमंड हो गया है इसीलिए ये हमसे भी ज्यादा बात नहीं करता है। चुपचाप बैठा रहता है। काम सारे करता है, लेकिन बातें नहीं करता।

शिष्यों ने बुद्ध से धम्माराम की शिकायतें करना शुरू कर दिया। किसी धार्मिक गुरु के कई शिष्य हों और सभी साथ ही रहते हों तो उनमें भी एक-दूसरे की बुराई करने की आदत बनी रहती है। अच्छे वातावरण में भी कुछ लोग अपनी गलत आदतें सुधारना नहीं चाहते। ऐसे ही कुछ शिष्य धम्माराम के बारे में बुद्ध से कहते थे कि ये हमसे बातें नहीं करता है, कुछ पूछा तो बहुत कम शब्दों में जवाब देता है।

धीरे-धीरे धम्माराम की बहुत ज्यादा शिकायतें बुद्ध के पास पहुंचने लगीं तो एक दिन बुद्ध ने धम्माराम से सभी शिष्यों के सामने पूछा, 'तुम ऐसा क्यों करते हो?'

धम्माराम बोला, 'आपने घोषणा कर रखी है कि कुछ दिनों में आप ये संसार छोड़े देंगे तो मैंने ये विचार किया है कि जब आप चले जाएंगे तो हमारे पास सीखने के लिए क्या रहेगा? इसीलिए मैंने ये तय किया कि मैं एकांत और मौन को समझ लूं, ठीक से सीख लूं। ये दो काम आपके जीते जी मैं करना चाहता हूं।'

बुद्ध ने शिष्यों से कहा, 'तुमने सभी ने देखा कुछ और समझा कुछ। तुम्हारी आदत है कि तुम दूसरों की बुराई करते हो, इसीलिए तुम सभी ने धम्माराम की अच्छी बात को भी गलत रूप में लिया।'

सीख- हम जब भी किसी व्यक्ति से मिलते हैं तो उसके बारे में पहले से ही कोई राय नहीं बनानी चाहिए। पहले उस व्यक्ति की गतिविधियों को देखो, गहराई से समझो। अपने अंदर के पूर्वाग्रह से किसी को देखोगे तो अच्छे लोगों में भी बुराई ही दिखाई देगी।



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पैसों की कमी से पढ़ाई छोड़नी पड़ी, अब अरबी की खेती से हर साल 60 लाख की कमाई

आज की कहानी मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के कालंका गांव के रहने वाले रामचंद्र पटेल की। रामचंद्र महज 12वीं तक पढ़े हैं, लेकिन आज वे खेती से लाखों कमा रहे हैं। करीब 25 साल पहले उन्होंने अरबी की खेती शुरू की थी। अब वे दिल्ली, मुंबई समेत कई शहरों में अपना प्रोडक्ट सप्लाई करते हैं। पिछले साल उन्होंने 60 लाख रुपए से ज्यादा की कमाई की है।

48 साल के रामचंद्र एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। वे कहते हैं, 'मैं तीन भाइयों में सबसे बड़ा था। पिताजी अकेले खेती संभाल नहीं पाते थे और घर में पैसों की भी तंगी थी। मैं नहीं चाहता था कि मेरे दोनों भाई खेती करें, इसलिए खुद खेती करने का फैसला लिया। तब हमारे पास बहुत ज्यादा जमीन नहीं थी। पिताजी पारंपरिक खेती करते थे। इसमें कोई खास मुनाफा नहीं हो रहा था। फिर मैंने सोचा कि क्यों न कुछ ऐसे प्लांट्स की खेती की जाए जिसके लिए जमीन की जरूरत भी कम हो और मुनाफा भी ज्यादा हो।'

पिछले साल रामचंद्र के खेत पर जिले के कलेक्टर और एसपी भी आए थे। उन्होंने रामचंद्र से उन्नत खेती के बारे में जानकारी ली थी।

वे कहते हैं, 'उस वक्त मेरे मामा के यहां अरबी की खेती होती थी और वे लोग सम्पन्न भी थे। मैंने भी तय किया कि एक बार अरबी को भी आजमा कर देखा जाए। फिर मैं मामा से एक बोरी अरबी लेकर गांव आया और अपने उसे खेत में लगा दिया। जब गांव वालों को पता चला तो उन्होंने कहा कि यहां अरबी की खेती संभव नहीं है। तुम्हारे पास जो थोड़ी-सी जमीन है, उसे भी खराब कर रहे हो। लेकिन मैं पीछे हटने वाला नहीं था। सोचा, जो भी होगा, देखा जाएगा।'

वे कहते हैं कि पहले साल ही मेरी मेहनत रंग लाई और एक बोरी से 40 बोरी अरबी का उत्पादन हुआ। इससे मेरा मनोबल बढ़ गया। मैंने बाकी जो थोड़ी जमीन थी, उस पर भी अरबी लगा दी। इसी तरह साल दर साल मैं इसका दायरा बढ़ाता गया। आज 20 एकड़ जमीन पर मैं अरबी की खेती कर रहा हूं। पिछले साल 3 हजार बोरी अरबी का प्रोडक्शन हमने किया था।

रामचंद्र बताते हैं कि प्रति एकड़ अरबी की खेती से लाख रुपए की कमाई हो सकती है। अगर बाजार में दाम सही मिला तो इससे ज्यादा कमाई भी हो सकती है।

रामचंद्र बताते हैं कि मार्केटिंग को लेकर मुझे कोई खास परेशानी नहीं हुई। पहली बार हमने अपना प्रोडक्ट इंदौर भेजा था। उन्हें पसंद आया तो हम अपने प्रोडक्ट की रेगुलर सप्लाई करने लगे। इसी तरह हमने आस-पास की मंडियों में भी अप्रोच किया और वो भी हमारे उत्पाद लेने लगे। अभी कई सब्जी बेचने वाले खेत से ही अरबी उठा ले जाते हैं।

अरबी की खेती कैसे करें?
अरबी की खेती खरीफ और रबी दोनों मौसम में कर सकते हैं। खरीफ फसल की बुवाई जून- जुलाई में की जाती है। जो दिसंबर और जनवरी महीने तक तैयार हो जाती है। वहीं रबी सीजन की फसल अक्टूबर में लगाई जाती है। जो अप्रैल- मई तक तैयार हो जाती है। इसकी खेती के लिए लाल दोमट मिट्टी काफी अच्छी मानी जाती है। एक एकड़ जमीन में अरबी की खेती के लिए 4-5 ट्रॉली गोबर खाद की जरूरत होती है। साथ ही जरूरत के हिसाब से रासायनिक खाद भी इसमें लगता है।

अरबी की पत्तियों में विटामिन A, मिनरल्स जैसे फास्फोरस, कैल्शियम, आयरन और बीटा कैरोटिन पाया जाता है।

खेत की जुताई के बाद उसमें गोबर खाद को अच्छी तरह से मिलाया जाता है। इसके बाद एक फुट की दूरी पर बीज लगाकर मिट्टी से ढंक दिया जाता है। ध्यान रहे कि बीज साफ-सुथरे और स्वस्थ होने चाहिए। इसके लिए हर चार-पांच दिन में सिंचाई की जरूरत होती है। बरसात और ठंड में पानी की जरूरत कम होती है।

एक एकड़ से लाख रुपए कमा सकते हैं
रामचंद्र बताते हैं कि प्रति एकड़ अरबी की खेती से लाख रुपए की कमाई हो सकती है। अगर बाजार में दाम सही मिला, तो इससे ज्यादा की भी कमाई हो सकती है। एक एकड़ जमीन पर अरबी की खेती के लिए 60 हजार रु खर्च होते हैं। वो कहते हैं शहरी क्षेत्रों में अरबी के पत्तों की भी अच्छी-खासी डिमांड होती है। अरबी के साथ धनिया और दूसरी सब्जियों की भी खेती की जा सकती है।



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मध्यप्रदेश के खंडवा के रहने वाले रामचंद्र पटेल 25 साल से अरबी की खेती कर रहे हैं।


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सार्वजनिक तौर पर वैक्सीन लगवाएं नेता, ताकि लोगों का भ्रम दूर हो सके

अफजल आलम पेशे से पत्रकार हैं और दिल्ली में रहते हैं। अफजल कोरोना वैक्सीन ट्रायल का हिस्सा बने हैं। सात दिन पहले उन्हें पहला टीका लगा है और आने वाली 27 जनवरी को उन्हें दूसरी डोज दी जाएगी। ट्रायल का हिस्सा बनकर अफजल काफी खुश हैं, लेकिन उन्होंने अपने माता-पिता को इसके बारे में नहीं बताया है।

अफजल कहते हैं, ‘मां-पापा को अगर बताता तो वे बहुत परेशान हो जाते। वैक्सीन को लेकर अभी लोगों के मन में कई तरह के सवाल और डर हैं। अच्छे खासे पढ़े-लिखे लोग भी ट्रायल को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। फिर मेरे मां-बाप तो गांव में रहते हैं और उन्होंने कोई औपचारिक शिक्षा भी नहीं ली है। ऐसे में उनका डरना तो स्वाभाविक ही है। शहरों के लोग ही अभी इस वैक्सीन को लेकर घबराए हुए हैं।’

लोगों में वैक्सीन को लेकर जो डर हैं, उनके कुछ वाजिब कारण भी हैं। सबसे बड़ा कारण तो यही है कि कई विशेषज्ञ इन वैक्सीन को मिली मंजूरी पर सवाल उठा चुके हैं। इसके अलावा देश में जिन दो वैक्सीनों को मंजूरी मिली है, उसे बनाने वाली कंपनियां खुद एक-दूसरे की वैक्सीन पर सवाल उठा चुकी हैं। ऐसे में आम लोगों के मन में वैक्सीन को लेकर शंकाएं पैदा होना स्वाभाविक ही है।

अफजल आलम दिल्ली में रहते हैं। करीब सात दिन पहले ही उन्हें पहला टीका लगा है और 27 जनवरी को इसकी दूसरी डोज उन्हें दी जाएगी।

हालांकि एक-दूसरे की वैक्सीन पर तीखी टिप्पणी करने के दो दिन बाद ही दोनों कंपनियों (सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक) के मुखियाओं ने साझा बयान जारी कर इस खटास को दूर करने की भी कोशिश की है। लेकिन, इस टीका-टिप्पणी ने उन तमाम लोगों को मजबूती ही दी जो पहले ही वैक्सीन ट्रायल की प्रक्रिया और इसमें हुई जल्दबाजी पर सवाल उठा रहे थे।

स्वाभाविक है कि इन विवादों ने उन लोगों के मन में भी सवाल पैदा किए जो वैक्सीन ट्रायल का हिस्सा बन रहे हैं। अफजल आलम बताते हैं, ‘मेरे मन में भी कई डर और शंकाएं थीं। लेकिन मुझे वैक्सीन बनाने वाली कंपनी से कहीं ज्यादा एम्स और वहां के डॉक्टरों पर भरोसा है। भारत बायोटेक का तो मैंने कभी नाम भी नहीं सुना था। लेकिन, इसलिए आश्वस्त था क्योंकि यह ट्रायल एम्स जैसे संस्थान में हो रहा था। मैं पिछले कई साल से लगातार ब्लड डोनेशन के लिए एम्स जाता हूं इसलिए उस संस्थान को नजदीक से पहचानता हूं। मुझे विश्वास था कि यह संस्थान अगर ट्रायल में शामिल है तो वैक्सीन पर भरोसा किया जा सकता है।'

अफजल के साथ ही उनके भाई हसनैन आलम और उनके दोस्त सूरज कुमार व संतोष त्रिपाठी भी इस ट्रायल में शामिल हुए। वे बताते हैं कि ट्रायल को लेकर जो थोड़ी बहुत शंका थी वह एम्स के डॉक्टरों से मिलने के बाद दूर हो गई। अफजल कहते हैं, ‘मैंने उनसे यह भी पूछा था कि अगर इस वैक्सीन को लगाने के बाद मुझे कुछ हो जाता है तो क्या मेरे परिवार की जिम्मेदारी सरकार लेगी। इस पर मुझे बताया गया कि अगर वैक्सीन लगने के बाद मेरी तबीयत बिगड़ती है तो पूरा इलाज एम्स करेगा और मौत होने जैसी स्थिति में मेरी उम्र और आमदनी के आधार पर घरवालों को मुआवजा भी दिया जाएगा।’

दिल्ली के कस्तूरबा अस्पताल में बुधवार को COVID-19 वैक्सीन के ड्राई रन के दौरान अपनी बारी का इंतजार करते लोग।

अफजल और उनके साथियों को वैक्सीन का पहला डोज लगाए हुए लगभग एक हफ्ता पूरा हो गया है। ये सभी लोग पूरी तरह से स्वस्थ हैं और वैक्सीन का कोई भी साइड-इफेक्ट इनमें से किसी को महसूस नहीं हुआ है। एम्स के डॉक्टर समय-समय फोन करके इनका हाल-चाल भी ले रहे हैं। वैक्सीन को लेकर लगभग ऐसा ही अनुभव निजी चैनल के पत्रकार अमित का भी है। अमित को भारत बायोटेक की कोवैक्सिन की दोनों डोज लग चुकी हैं।

अमित बताते हैं, ‘मैंने जुलाई में ही इस ट्रायल में शामिल होने के लिए आवेदन कर दिया था जब ट्रायल का पहला चरण शुरू हुआ था। लेकिन उस वक्त मुझे एम्स की तरफ से बुलावा नहीं आया। दूसरे चरण के ट्रायल में मुझे बुलाया गया। सारे टेस्ट किए गए, लेकिन वैक्सीन तब भी नहीं लगी। फिर 4 दिसम्बर को तीसरे फेज में मुझे वैक्सीन की पहली डोज लगी और 1 जनवरी के दिन दूसरी। मुझे कोई साइड-इफेक्ट महसूस नहीं हुआ और इस प्रक्रिया का हिस्सा बनकर मैं बहुत खुश हूं।’

हाल ही में सूरज भी ट्रायल में शामिल हुए थे। वे बताते हैं कि ट्रायल को लेकर जो थोड़ी बहुत शंका थी वह एम्स के डॉक्टरों से मिलने के बाद दूर हो गई।

वैक्सीन से जुड़े विवादों के बारे में अमित कहते हैं, ‘मैं जब ट्रायल में शामिल हुआ उस वक्त तक ये विवाद शुरू भी नहीं हुआ था। बाद में जब विवाद के बारे में सुना तब भी मुझे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। क्योंकि, तब तक दो चरण का ट्रायल पूरा हो चुका था और कहीं से भी ऐसी कोई खबर नहीं आई थी कि वैक्सीन के कोई दुष्परिणाम सामने आ रहे हों। हां, मैंने ये जरूर अनुभव किया लोग ट्रायल में शामिल होने से घबरा रहे हैं। गांव-देहात का छोड़ ही दीजिए दिल्ली के पढ़े-लिखे और बड़े-बड़े संस्थानों में काम करने वाले लोग भी यही सोच रहे हैं कि पहले बाकी लोगों पर वैक्सीन का परीक्षण सफल हो जाए तभी वह इसमें शामिल होंगे।’

अमित ने अपने साथ चार-पांच लोगों को भी ट्रायल में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। अपने अनुभव के आधार पर वे कहते हैं, ‘कोरोना वैक्सीन से जुड़े डर और भ्रांतियां लोगों को आगे आने से रोक रही हैं। इन्हें दूर करना जरूरी है। मुझे लगता है हमारे नेताओं, स्वास्थ्य मंत्री और प्रधानमंत्री को इसके लिए आगे आना चाहिए। जिस तरह से अमरीका में तीन पूर्व राष्ट्रपति मिलकर ये कह रहे हैं कि वे कैमरा पर सबके सामने वैक्सीन लगवाएंगे ताकि लोगों को यकीन हो सके। वैसा ही हमारे यहां के नेताओं को भी करना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी अगर सार्वजनिक रूप से ये वैक्सीन खुद लगवाते हैं तो लोगों का विश्वास बढ़ेगा और इससे जुड़े डर काफी हद तक कम हो सकेंगे।’



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दिल्ली सहित देशभर में अभी कोविड 19 वैक्सीन का ड्राई रन चल रहा है। ट्रायल के दौरान कई लोगों को वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज लग चुकी हैं।


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जिस मंदिर में गैंगरेप हुआ, वहां दलितों को एंट्री नहीं; पीड़ित की मां बोली- पुजारी ने फोन कर बेटी को बुलाया था

उत्तर प्रदेश का बदायूं 8 साल बाद फिर सुर्खियों में है। 2012 में दिल्ली में निर्भया के साथ इसी जिले के एक नाबालिग ने दुष्कर्म किया था। यहां उघैती इलाके में रविवार को मंदिर में पुजारी ने दो लोगों के साथ एक दलित महिला के साथ गैंगरेप किया। इसके बाद उसकी हत्या कर दी। जिस मंदिर में हैवानियत का खेल हुआ, वहां दलितों का जाना मना है। वारदात का मुख्य आरोपी पुजारी फरार है।

बदायूं में उघैती थाने से करीब 2 किलोमीटर दूर मवेली गांव है। गांव के मेन रोड से 50 मीटर दूर वह मंदिर है, जहां रविवार को 45 साल की दलित महिला से गैंगरेप कर उसकी बेहद क्रूर तरीके से हत्या कर दी गई थी। अब मंदिर को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है। किसी को भी मंदिर के अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है। गांव के लोग नेताओं और मीडिया की गाड़ियों को देखने के लिए या तो छतों पर खड़े हैं, या फिर खेतों के किनारे पर।

जिस जगह महिला की गैंगरेप के बाद हत्या हुई, उस जगह को पुलिस ने सील कर दिया है।

मंदिर में दलितों को एंट्री नहीं
गांव के चौकीदार खच्चू वाल्मीकि कहते हैं कि जब वारदात हुई तो वे गांव में ही थे। लेकिन, जब मामला बढ़ा तो उन्हें पता चला। वे कहते हैं, 'हम वाल्मीकि हैं। हमारा मंदिर में आना मना है।' इसकी तस्दीक मंदिर के नजदीक बने मकान में रह रहे नत्थू भी करते हैं। वे कहते हैं, 'मेरी उम्र 65-70 के आसपास है। हमने वाल्मीकि और जाटवों को मंदिर जाते नहीं देखा।' जिस मंदिर में गैंगरेप हुआ, वहां भी दलितों का जाना मना है।

गांव में रहने वाले नत्थू अपनी पत्नी के साथ मंदिर के पास ही रहते हैं, उन्होंने किसी दलित को मंदिर जाते नहीं देखा।

मां ने कहा- पुजारी ने बेटी को फोन कर बुलाया था
मंदिर से करीब 700-800 मीटर दूर पीड़ित का मायका है। वहां एक संकरी गली के बाहर दो पुलिसवाले बैठे हैं। साथ ही गांव वालों की भीड़ लगी हुई है। छोटे से दरवाजे से घर में घुसते ही छप्पर है। पीड़ित की मां आंगन में एक किनारे बैठी हुई है। वे कहती हैं, 'ठाकुर जी (विष्णु भगवान) के मंदिर में पुजारी ने ऐसा नीच काम किया है। रविवार (घटना वाले दिन) को पुजारी ने फोन कर बेटी को मंदिर बुलाया था।'

उन्होंने बताया, 'हम घर में अकेले रहते हैं। बेटी रविवार को आती थी और सोमवार को सुबह चली जाती थी। हमने बिटिया को पढ़ाया-लिखाया, तब उसे नौकरी मिली। वही घर का खर्च चला रही थी। पुलिस अगर हमारी बात सुन लेती तो पुजारी भाग नहीं पाता।'

पीड़ित की मां ने कहा, 'ठाकुर जी के मंदिर में पुजारी ने ऐसा नीच काम किया है।'

पीड़ित के घर आता-जाता था पुजारी
घर के पास रहने वाले ओमपाल कहते हैं, 'पीड़ित के पति की दिमागी हालत ठीक नहीं थी। इस वजह से वह पुजारी के पास जाया करती थी। पुजारी तंत्र-मंत्र भी करता था। पीड़ित की मां ने भी माना कि पुजारी का उनके घर आना-जाना था।

आरोपी 7 साल पहले गांव पहुंचा था
महिला से गैंगरेप का आरोपी सत्यप्रकाश 7 साल पहले मवेली गांव में पहुंचा था। वह मंदिर का पुजारी बनकर रहने लगा। गांव के बंटू गुप्ता बताते हैं कि पुजारी का आचरण कुछ दिन तक ठीक रहा। लेकिन, गांव के ही एक आदमी ने पुजारी को मांस खाते और शराब पीते देख लिया। लोगों को इस बात का पता चला, तो उन्होंने ऐतराज जताया। लेकिन, सत्यप्रकाश ने दबंगई दिखाई। इसके बाद गांव के लोगों ने वहां जाना बंद कर दिया।

गांव के रहने वाले बंटू गुप्ता ने बताया कि पुजारी का पीड़ित के घर आना-जाना था।

पुजारी बनकर सत्यनारायण तंत्र-मंत्र भी करता था। गांव वाले बताते है कि गैंगरेप पीड़ित का मायका इसी गांव में है। वह मंदिर अक्सर जाती थी। वारदात के दिन भी वह करीब 15 किलोमीटर दूर से मंदिर आई थी।

DM पर है मंदिर की जिम्मेदारी
गांव के पोस्टमास्टर सतीश चन्द्र बताते हैं कि ठाकुर भूप सिंह ने 80 साल पहले यह मंदिर बनवाया था। वे गांव के इकलौते ठाकुर परिवार से ताल्लुक रखते थे। उन्होंने आखिरी समय में उन्होंने एक कमेटी बनाकर मंदिर और उससे सटी 20 बीघा जमीन दान कर दी। बाद में उन्होंने कमेटी भंग कर मंदिर और जमीन की जिम्मेदारी जिले के DM को दे दी। प्रशासन ने इसका केयरटेकर गांव के ही एक आदमी को बना दिया। इसके बाद केयरटेकर और पुजारी बदलते रहे।

गांव में मौजूद मंदिर की जिम्मेदारी जिले के DM की है। उनकी तरफ से ही यहां केयरटेकर तैनात किया जाता है।

पीड़ित के घर अफसरों ने डेरा डाला
उघैती से 12 किमी दूर केयवली गांव में पीड़ित का ससुराल है। थोड़ी दूर पैदल चलने पर दाएं हाथ पर एक 5 फीट चौड़ी रोड है, जिस पर गिट्टी और बालू पड़ी हुई है। करीब 100 मीटर की दूरी पर पीड़ित का घर है। पीड़ित का पति बिस्तर पर है। भाई, दो शादीशुदा बहनें और उनके पति, दो छोटी बहनें भी घर के अंदर मौजूद हैं। कई लोग अंदर आकर फोटो खींच रहे हैं।

यह पीड़ित के घर का रास्ता है। उसका पति बिस्तर पर है, तो बेटा ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा है।

बेटे ने कहा- कुछ मत पूछो, थक गया हूं
घर के आंगन में तहसीलदार के साथ SP और ADM बैठे थे। बहुत बुलाने पर बेटा बाहर आया। उसने कहा, 'अब कुछ मत पूछिए बहुत थक गया हूं। जब से होश संभाला है, तब से पिता को चारपाई पर और मां को काम करते देखा है। वहीं घर का खर्च चलाती थीं। इस साल ग्रेजुएशन का फॉर्म भरा था, लेकिन फीस जमा नहीं हो पाई थी। मां ने कहा था कि फॉर्म जमा हो गया है, फीस भी जमा हो जाएगी। अब घर का खर्च कैसे चलेगा?' इसी दौरान कुछ लोग वहां पहुंच गए और वह उन्हें आपबीती सुनाने लगा।

घटना के बाद पीड़ित के घर के बाहर इस तरह नेताओं और गांव वालों की भीड़ उमड़ रही है।

नेताओं के पहुंचने का सिलसिला जारी
बदायूं के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव पीड़ित के घर पहुंचे। उन्होंने कहा, 'सरकार से पीड़ित परिवार को 25 लाख रुपए का मुआवजा, मामले की CBI जांच और बेटे के लिए सरकारी नौकरी की मांग की है।' उनके जाने के बाद बदायूं की मौजूदा सांसद संघमित्रा मौर्य के आने का अलर्ट हो गया। भीड़ में चर्चा हो रही थी कि महिला सांसद होने के बावजूद वे इतनी देर बाद पीड़ित के परिवार से मिलने पहुंची।

पीड़ित के परिवार से बातचीत करते हुए समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव।


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Badaun Gang Rape And Murder | Dainik Bhaskar Ground Report From Uttar Pradesh Maholi Village


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हिंसा के बाद उठी ट्रम्प को 20 जनवरी से पहले हटाने की मांग? जानिए यह कैसे संभव है?

अमेरिका में लोकतंत्र रक्तरंजित हो गया। वही हुआ जिसका डर था। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उकसावे पर उनके समर्थक अमेरिकी संसद में घुस गए। इसके बाद कई सांसद प्रेसिडेंट-इलेक्ट जो बाइडेन के 20 जनवरी को इनॉगरेशन से पहले ही ट्रम्प को हटाने की मांग कर रहे हैं। औपचारिक रूप से ट्रम्प का कार्यकाल 20 जनवरी तक रहेगा। आइए, जानते हैं कि अमेरिका में हुआ क्या और आगे क्या हो सकता है-

अमेरिका में विवाद क्या है?

  • अमेरिका में 3 नवंबर को वोटिंग हुई। बाइडेन ने 306 और ट्रम्प ने 232 इलेक्टोरल वोट्स जीते। लग रहा था कि ट्रम्प हार नहीं मानेंगे। हुआ भी कुछ ऐसा ही। ट्रम्प ने वोटिंग और काउंटिंग में धांधली के आरोप लगाए। अदालतों में कई मुकदमे दाखिल किए। ज्यादातर केस में ट्रम्प समर्थकों की अपील खारिज हो गई। सुप्रीम कोर्ट भी दो मामलों में ट्रम्प समर्थकों की याचिकाएं खारिज कर चुका है।
  • वोटिंग के 64 दिन बाद अमेरिकी संसद बाइडेन की जीत पर मुहर लगाने जुटी तो ट्रम्प के समर्थक संसद में घुस गए। वहां तोड़फोड़ और हिंसा की। हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई। रिपब्लिकन ट्रम्प का दावा है कि चुनावों में धांधली की वजह से वे हारे हैं।
ट्रम्प का एक समर्थक हंगामे के दौरान सदन में अध्यक्ष की कुर्सी के पास जाकर खड़ा हो गया और उसने पोज देकर फोटो भी खिंचवाए।

अमेरिकी संसद में हमला हुआ क्यों?

  • यह सबको पता था कि संसद में जो बाइडेन की जीत की औपचारिक घोषणा होनी है। इसके लिए इलेक्टोरल कॉलेज के वोट्स को सर्टिफाई किया जाएगा। इसी दिन ट्रम्प ने सेव अमेरिका रैली का आयोजन किया। इसमें सैकड़ों ट्रम्प समर्थकों ने भाग लिया।
  • एलिप्स पार्क में रैली के दौरान ट्रम्प ने समर्थकों को संसद तक मार्च करने की अपील की थी। इससे पहले ट्रम्प ने करीब एक घंटे भाषण दिया, जिसके बाद हजारों लोगों ने संसद की ओर मार्च किया। इस बीच, सांसद भी जॉइंट सेशन में इलेक्टोरल वोट्स गिनने पहुंचे थे। प्रदर्शनकारियों से झड़प हुई तो संसद की लाइब्रेरी, मेडिसन बिल्डिंग और कैनन हाउस ऑफिस बिल्डिंग खाली करवा ली गई।
  • ट्रम्प ने कहा था कि हम संसद तक चलकर जाएंगे। मैं भी आपसे वहीं पर मिलूंगा। आप लोगों को ताकत दिखानी होगी। आपको मजबूती दिखानी होगी। आप नहीं चाहेंगे कि हमारा देश एक बार फिर कमजोर हो जाए। ट्रम्प ने रैली में बार-बार दोहराया कि वे चुनावों में हारे नहीं हैं। उन्हें रेडिकल डेमोक्रेट्स और फेक न्यूज मीडिया ने हराया है।
  • ट्रम्प अपने समर्थकों से बार-बार रिजल्ट्स स्वीकार न करने की अपील करते दिखे। हम हार नहीं मानेंगे। यह नहीं होने वाला। इसके बाद ट्रम्प समर्थक संसद की ओर बढ़ गए। न केवल ऐतिहासिक इमारत में घुसे बल्कि चुनाव के नतीजों के सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया को भी रोकने की कोशिश की। सुरक्षाकर्मियों को दंगाइयों को बाहर निकालने में करीब चार घंटे लग गए।

संसद पर हमले के बाद क्या हुआ?

  • संसद से दंगाइयों को बाहर करने के बाद सांसद फिर जुटे। जॉइंट सेशन में राष्ट्रपति चुनावों में मिले इलेक्टोरल वोट्स की गिनती हुई और जो बाइडेन की जीत की औपचारिक तौर पर पुष्टि की गई। संसद में जो कुछ हुआ, उसके बाद रिपब्लिकन और डेमोक्रेट सांसद मांग कर रहे हैं कि इनॉगरेशन डे (20 जनवरी) से पहले ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग लाया जाए। उन्हें पद से हटा दिया जाए।
संसद पर हमले के दौरान सांसद गैलरियों में टेबल के नीचे इस तरह छिप गए थे।

क्या ट्रम्प को 20 जनवरी से पहले हटाया जा सकता है?

  • हां। प्रेसिडेंट ट्रम्प को पद से हटाने के दो ही तरीके हैं- 1. अमेरिकी संविधान के 25वें संशोधन को लागू करना होगा, और 2. महाभियोग। दोनों ही स्थितियों में वाइस प्रेसिडेंट माइक पेंस की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। वे ही बाइडेन के इनॉगरेशन (पदभार ग्रहण करने) तक राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से दावा किया कि कुछ कैबिनेट सदस्यों और ट्रम्प के समर्थकों में 25वें संशोधन पर अमल करने पर बातचीत भी शुरू हो गई है।

अमेरिकी संविधान का 25वां संशोधन क्या कहता है?

  • अमेरिकी संविधान का 25वां संशोधन 1967 में स्वीकार किया गया था। 1963 में राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी की हत्या के बाद राष्ट्रपति के उत्तराधिकारी पर सवाल उठे थे। इस संकट को दूर करने के लिए संशोधन लाया गया था। इसका सेक्शन 4 बताता है कि अगर राष्ट्रपति काम करने योग्य नहीं रहता और खुद पद नहीं छोड़ता है तो क्या होगा?
  • विशेषज्ञों का कहना है कि 25वें संशोधन में स्पष्ट है कि अगर राष्ट्रपति शारीरिक या मानसिक रूप से अपनी जिम्मेदारी को निभाने में अक्षम होता है तो क्या प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए? कुछ स्कॉलर्स की यह भी दलील है कि उस राष्ट्रपति को भी हटाया जा सकता है, जो अपने पद पर रहते हुए देश के लिए गंभीर खतरा बन जाए।
  • 25वें संशोधन को लागू करने के लिए पेंस और ट्रम्प कैबिनेट के अधिकांश सदस्यों को घोषित करना होगा कि ट्रम्प अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम नहीं है और उन्हें हटाया जाना चाहिए। उस परिस्थिति में पेंस जिम्मेदारी संभाल लेंगे।
  • ट्रम्प तब यह दावा भी कर सकते हैं कि वह काम करने में सक्षम हैं। पेंस और कैबिनेट के ज्यादातर सदस्य विरोध नहीं करते तो ट्रम्प राष्ट्रपति बने रहेंगे। अगर उन्होंने ट्रम्प का विरोध जारी रखा तो मामला संसद में जाएगा। तब तक पेंस ही राष्ट्रपति की जिम्मेदारी निभाएंगे।

क्या ट्रम्प को महाभियोग लाकर हटाया जा सकता है?

  • हां। हकीकत यह है कि महाभियोग की कार्यवाही संसद के निचले सदन यानी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स से शुरू होती है। इसके लिए राष्ट्रपति पर आपराधिक मामले में दोषी होने जैसे आरोप लगाने होंगे।
  • 435 सदस्यों वाले हाउस में बहुमत से आरोप तय हो सकते हैं। इसे आर्टिकल्स ऑफ इम्पीचमेंट कहते हैं। प्रक्रिया ऊपरी सदन यानी सीनेट जाती है। वहां प्रेसिडेंट के खिलाफ सुनवाई होगी। वहां ही साबित होगा कि प्रेसिडेंट दोषी है या नहीं। संविधान के तहत सीनेट में ट्रम्प को दोषी ठहराने और हटाने के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी।
  • ट्रम्प के खिलाफ डेमोक्रेट्स के नेतृत्व वाले हाउस में दिसंबर 2019 में महाभियोग के आरोप लगे थे। उनके खिलाफ अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए बाइडेन और उनके बेटे के खिलाफ जांच के लिए यूक्रेन पर दबाव डालने का आरोप था। लेकिन, फरवरी 2020 में रिपब्लिकन नेतृत्व वाले सीनेट में उन्हें दोषमुक्त करार दिया गया था।


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Donald Trump What Next; Can Trump Be Removed Before His Term Ends? US Capitol Violence Latest Explainer


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तस्वीरों में देखिए कैसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थकों ने कैपिटल बिल्डिंग पर धावा बोला

2020 में हुए चुनाव के नतीजों को पलटने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की कोशिशें बुधवार को खतरनाक हालात में पहुंच गईं। उनके समर्थकों की भीड़ ने एक रैली के बाद US कैपिटल बिल्डिंग पर धावा बोल दिया। इस रैली में ट्रम्प ने एक बार फिर बड़े पैमाने पर चुनाव में धांधली का दावा किया।

अमेरिका के इतिहास में ऐसी अस्थिरता के नजारे कम ही देखने को मिले हैं। भीड़ के उपद्रव की वजह से बुधवार दोपहर वॉशिंगटन में कर्फ्यू लगा दिया गया। इलेक्टोरल कॉलेज की काउंटिंग रोकने के इरादे से सैकड़ों लोग बैरिकेड्स पर चढ़ गए। इसके बाद पुलिस अफसरों से भी उनकी झड़प हुई।

शोर मचाती भीड़ सीनेट चैंबर की दूसरी मंजिल पर पहुंची

शोर मचाते प्रदर्शनकारी सीनेट चैंबर के ठीक बाहर दूसरी मंजिल की लॉबी में घुस गए। इस दौरान लॉ इन्फोर्समेंट ऑफिसर्स ने खुद को चैंबर के दरवाजे के सामने कर लिया। कैपिटल बिल्डिंग के अंदर एक महिला को गोली लगी। अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया। वहीं, पुलिस ने बताया कि कैपिटल ग्राउंड में तीन और लोगों की मौत हुई।

कैपिटल बिल्डिंग के बाहर

दोपहर की शुरुआत में ट्रम्प समर्थक कैपिटल बिल्डिंग के वेस्ट एरिया के बाहर पुलिस बैरिकेड्स के पास जमा हो गए। कुछ देर बाद इनमें से कई बिल्डिंग की सीढ़ियों पर चढ़ गए।
पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल कर उपद्रवियों को रोकने की कोशिश की, लेकिन भीड़ के सामने उन्हें हार माननी पड़ी।
ट्रम्प के समर्थकों ने कैपिटल बिल्डिंग के बाहर पश्चिमी और पूर्वी हिस्से पर कब्जा कर लिया। वे दीवारों पर चढ़ते और ट्रम्प के समर्थन वाले झंडे लहराते देखे गए।
भीड़ ने खिड़कियों को तोड़ दिया और बिल्डिंग में घुसती चली गई।
कई उपद्रवी बिल्डिंग के मेन गेट से भी अंदर घुसे। वे हाउस चैंबर तक पहुंच गए।

कैपिटल बिल्डिंग का गोल आकार कक्ष

ट्रम्प के समर्थक बिल्डिंग के बीच में बने गुंबद वाले कक्ष तक चले गए। इनमें से कुछ ने वहां लगी मूर्तियों को नुकसान पहुंचाया।

हाउस चैंबर

पुलिस ने हाउस चैंबर के मेन गेट पर बैरिकेडिंग कर रखी थी। इसकी सिक्योरिटी के लिए तैनात अफसरों ने हथियार डाल दिए, क्योंकि गेट के बाहर काफी भीड़ जमा थी।

बिल्डिंग के अंदर मौजूद सांसदों को गैस मास्क दिए गए और उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला गया।
हाउस चैंबर के बाहर पुलिस ने भीड़ में शामिल कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया। पुलिस ने पांच गन भी जब्त कीं। कम से कम 13 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, ज्यादातर लोग मौके से भाग निकले। बाद में पुलिस ने बताया कि शहर में कर्फ्यू लगाने के बाद 52 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

सीनेट चैंबर

भीड़ में शामिल लोग सीनेट चैंबर में खुलेआम घूमते रहे। वे ऊपर गैलरी तक पहुंच गए।
एक ट्रम्प समर्थक सीनेट की गैलरी से लटक गया।
हाउस चैंबर में भी प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़ कर दी।

स्पीकर का ऑफिस सुइट

एक शख्स हाउस चैंबर के स्पीकर नैंसी पेलोसी के ऑफिस में मेज पर पैर रखकर उनकी कुर्सी पर बैठा नजर आया।

स्पीकर नैंसी पेलोसी के ऑफिस में भी तोड़फोड़

दोपहर बाद हाउस चैंबर के पास बने स्पीकर नैंसी पेलोसी के ऑफिस में भी तोड़फोड़ की गई। एक शख्स ऑफिस की मेज पर पैर रखकर उनकी कुर्सी पर बैठा नजर आया। भीड़ कैपिटल ग्राउंड पर कई घंटे तक मौजूद रही। बाद में पुलिस ने उन्हें हटाया।

रात करीब आठ बजे इलेक्टोरल कॉलेज रिजल्ट के लिए कांग्रेस की बैठक फिर शुरू हुई। ट्रम्प समर्थकों को दोबारा कैपिटल बिल्डिंग में घुसने से रोकने के लिए DC और वर्जीनिया के नेशनल गार्ड को बुलाया गया।



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वॉशिंगटन में बुधवार को जैसी हिंसा हुई, वैसा अमेरिका के इतिहास में कम ही हुआ है। इस स्टोरी में हम तस्वीरों के जरिए दिखा रहे हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प समर्थक कैसे US कैपिटल बिल्डिंग में घुसे और तोड़फोड़ की।


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