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फ्रांस के फुटबॉल क्लब पेरिस सेंट-जर्मेन (पीएसजी) के किलियन एम्बाप्पे दुनिया के सबसे महंगे खिलाड़ी बन गए हैं। उनकी वैल्यू 259.2 मिलियन पाउंड (2490 करोड़ रुपए) आंकी गई है। फुटबॉल ऑब्जर्वेटरी की इस रिपोर्ट में बार्सिलोना के लियोनल मेसी 22 और युवेंटस के क्रिस्टियानो रोनाल्डो 70वें नंबर पर काबिज हैं।
इस रिपोर्ट में यूरोप की टॉप-5 लीग बुंदेसलिगा, इंग्लिश प्रीमियर लीग, ला लिगा, सीरी-ए और लीग-1 के सबसे महंगे 20-20 खिलाड़ियों को शामिल किया गया। कोरोना के कारण खिलाड़ियों की वैल्यू पर पड़े असर को भी इसमें शामिल किया गया है।
नेमार 37वें नंबर पर काबिज
रिपोर्ट में मेसी की वैल्यू 100.1 मिलियन पाउंड (961 करोड़ रुपए) और रोनाल्डो की 60.8 मिलियन पाउंड (करीब 603 करोड़ रुपए) आंकी गई है। दोनों के बीच ब्राजील के नेमार जूनियर 82.7 मिलियन पाउंड (करीब 794 करोड़ रुपए) वैल्यू के साथ 37वें नंबर पर काबिज हैं।
स्टर्लिंगदूसरे और सेंचोतीसरे स्थान पर
टॉप-3 सबसे महंगे खिलाड़ियों में मैनचेस्टर सिटी के रहीम स्टर्लिंग दूसरे नंबर परहैं। उनकी वैल्यू 194.7 मिलियन पाउंड (करीब 1869 करोड़ रुपए) आंकी गई। वहीं, बोरुसिया डॉर्टमंड के जेडॉन सेंचो 179.1 मिलियन पाउंड (करीब 1720 करोड़ रुपए) वैल्यू के साथ तीसरे नंबर पर हैं।
टॉप-5 में इंग्लैंड के 4 खिलाड़ी
नंबर
खिलाड़ी
देश
क्लब
वैल्यू (करोड़ रु. में)
1
किलियन एम्बाप्पे
फ्रांस
पीएसजी
2490
2
रहीम स्टर्लिंग
इंग्लैंड
मैनचेस्टर सिटी
1869
3
जेडॉन सेंचो
इंग्लैंड
बोरुसिया डॉर्टमंड
1720
4
ट्रेंट अलेक्जेंडर-अर्नोल्ड
इंग्लैंड
लिवरपूल
1643
5
मार्कस रैशफोर्ड
इंग्लैंड
मैनचेस्टर यूनाइटेड
1462
इंग्लैंड के सेंचो ने सीजन में 17 गोल दागे
इंग्लैंड के सेंचो ने बुंदेसलिगा में डॉर्टमंडके लिए इस सीजन में 17 गोल दागे और 16 असिस्ट किए। उन्होंने 2 साल पहले ही इंटरनेशनल फुटबॉल में डेब्यू किया और इंग्लैंड के रेग्युलर खिलाड़ी बन गए। वहीं, इस लिस्ट में बार्सिलोना के एंतोइनग्रिजमैन ने कप्तान मेसी को काफी पीछे छोड़ दिया है। वे 136.4 मिलियन पाउंड (करीब 1310 करोड़ रुपए) वैल्यू के साथ 8वें नंबर पर काबिज हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज 11 बजे पश्चिम बंगाल में वर्चुअल रैली करेंगे। भाजपा सूत्रों का कहना है कि वैसे तो यह रैली भाजपा के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का हिस्सा है, लेकिन शाह कोरोनावायरस आपदा, अम्फान तूफान, प्रवासी संकट और हिंसा की राजनीति जैसे मुद्दों को लेकर ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साध सकते हैं। भाजपा के फेसबुक और ट्विटर पेज पर इस रैली का सीधा प्रसारण होगा। शाह ने रविवार को बिहार में और सोमवार को ओडिशा में वर्चुअल रैली की थी।
राज्य के एक भाजपा नेता ने बताया, ‘हमारी पार्टी के कार्यकर्ता और लाखों लोग उनका (शाह का) भाषण सुनने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।’ इसमें करीब 1000 कार्यकर्ता शामिल होंगे और शाह से सवाल भी कर सकेंगे। तीन लाख से अधिक लोग इसका सीधा प्रसारण देखेंगे।भाजपा ने ममता के 9 साल के कार्यकाल पर पिछले हफ्ते 9 बिंदुओं का आरोपपत्र जारी किया था। पार्टी ने सोशल मीडिया पर ‘आर नोई ममता’ (ममता का शासन अब और नहीं) अभियान भी चलाया है।
बंगाल में 1000 वर्चुअलरैली करने की योजना
भाजपा सूत्रों ने बताया कि पार्टी बंगाल के हर हिस्से को कवर करने के लिए यहां 1000 वर्चुअल रैली करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि बीते 2 महीने से हमारे कार्यकर्ता घरों पर बैठे हैं। इस रैली से उनका मनोबल बढ़ेगा और राज्य की 294 सीटों पर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए ऊर्जा मिलेगी। बंगाल में पिछले साल हुए आम चुनाव में भाजपा को 18 और सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटें मिली थीं।
भाजपा का दावा- बिहार की रैली में कांग्रेस पर निशाना साधा
शाह ने बिहार की वर्चुअल रैली में 35 मिनट भाषण दिया था। इसमें उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश की थी। इंदिरा अब नहीं हैं, लेकिन गरीबी वहीं की वहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो कहते हैं वो करते हैं।बिहार मेंइस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं।
ओडिशा की रैली में कहा था-दो गज दूरी हमें जनता से दूर नहीं कर सकती
शाह ने ओडिशा की रैली में कहा था कि आज ये जो वर्चुअल रैली हो रही है वह भाजपा की परंपरा का अभिन्न अंग है। भाजपा जब से राजनीति में आई है, हम तब से जनता से संवाद करते रहे हैं और जनता की बात सरकार तक पहुंचाते रहे हैं। उन्होंने कहा था कि दो गज की दूरी भाजपा कार्यकर्ताओं को जनता से दूर नहीं कर सकती।
from Dainik Bhaskar /national/news/bjp-president-amit-shah-to-address-virtual-rally-for-bengal-on-tuesday-news-and-updates-127391213.html
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12वीं की परीक्षा सुबह 9 बजे से शुरू हो गई है। परीक्षा केंद्रों पर एक घंटे पहले से ही विद्यार्थी पहुंचे। यहां थर्मल स से उनका तापमान जांचने के बाद हाथों में सैनिटाइजर लगवाकर उन्हें परीक्षा केंद्र में प्रवेश दिया गया, 9 बजे से परीक्षा शुरू हुई। कोरोना वायरस के चलते इस बार परीक्षा केंद्रों पर विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
परीक्षा को लेकर विशेष सतर्कता बरती जा रही है। परीक्षा केंद्र में प्रवेश से पहले परीक्षार्थियों के हाथों को सैनिटाइजर लगवाकर साफ करवाया गया। इसके साथ ही थर्मल सक्रीनिंग से उनका तापमान भी देखा गया। परीक्षा कक्ष के अंदर छात्रों को एक-एक बेंच छोड़कर शारीरिक दूरी बनाकर रखा गया है।
from Dainik Bhaskar /national/news/coronavirus-madhya-pradesh-live-updates-cases-latest-news-indore-bhopal-ujjain-jabalpur-gwalior-burhanpur-neemuch-sagar-9-june-2020-127391214.html
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दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 4 लाख 8 हजार 614 लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमितों का आंकड़ा 71 लाख 93 हजार 476 हो गया है। अब तक 35 लाख 35 हजार 554 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। ब्राजील में सरकार पर 4 जून के बाद सही आंकड़े न बताने का आरोप लग रहा था। सोमवार रात उसने नया डाटा जारी किया। इसमें 15 हजार से ज्यादा नए संक्रमित जुड़ गए। मरने वालों की तादाद भी 679 बढ़ गई।
कोरोनावायरस : 10 सबसे ज्यादा प्रभावित देश
देश
कितने संक्रमित
कितनी मौतें
कितने ठीक हुए
अमेरिका
20, 26,493
1,13,055
7,73,480
ब्राजील
7,10,887
37,312
3,25,602
रूस
4,76,658
5,971
2,30,688
स्पेन
2,88,797
27,136
उपलब्ध नहीं
ब्रिटेन
2,87,399
40,597
उपलब्ध नहीं
भारत
2,65,928
7,473
1,29,095
इटली
2,35,278
33,964
1,66,584
पेरू
1,99,696
5,571
89,556
जर्मनी
1,86,205
8,783
1,69,600
ईरान
1,73,832
8,351
1,36,360
ये आंकड़ेhttps://ift.tt/37Fny4Lसे लिए गए हैं।
ब्राजील : नए आंकड़े जारी किए
देश और दुनिया में हो रही आलोचना के बाद ब्राजील की हेल्थ मिनिस्ट्री ने आखिरकार पांच दिन बाद संक्रमण के नए आंकड़े जारी किए। बताया गया कि 15 हजार 654 मामले सोमवार को दर्ज किए गए। कुल 7 लाख 7 हजार 412 मामलों की जानकारी दी गई है। 24 घंटे में 679 मौतों की जानकारी भी दी गई। अब यह आंकड़ा 37 हजार 134 हो गया है। बता दें कि अमेरिकी और स्थानीय मीडिया की खबरों में रविवार को ये कहा गया था कि 4 जून के बाद ब्राजील ने सही आंकड़ों की जानकारी नहीं दी। यहां एक सामाजिक संगठन ने इसके विरोध में प्रदर्शन भी किए थे।
निकारागुआ : डॉक्टरों का आरोप
यहां डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि सरकार ने जो आंकड़े जारी किए हैं, संक्रमितों का वास्तविक आंकड़ा उससे पांच गुना ज्यादा है। यहां सिटिजंस इंडिपेंडेंट नेटवर्क नाम का एक संगठन देश में संक्रमण के मामलों पर नजर रख रहा है। सरकार ने अब तक कुल 1118 मामलों और 46 मौतों की जानकारी दी है। वहीं इस संगठन ने कहा है कि देश में 5 हजार 27 मामले हैं और अब तक 1015 की मौत हुई है।
क्यूबा : 9 दिन से कोई मौत नहीं
हेल्थ मिनिस्ट्री ने सोमवार रात कहा कि देश में 9 दिन से किसी संक्रमित की मौत नहीं हुई। 24 घंटे में 9 नए मामले सामने आए। रविवार को राष्ट्रपति मिगुल डियाज ने कहा था- देश में संक्रमण काबू में है। सरकार ने जो सख्त उपाय किए थे उनके नतीजे सामने आने लगे हैं। लेकिन, हम किसी तरह की लापरवाही नहीं कर सकते। लोगों को सतर्क रहना होगा। यहां सभी फ्लाइट्स बंद हैं। संदिग्ध सिर्फ सरकारी अस्पताल में इलाज करा सकते हैं और मास्क लगाना जरूरी है। क्यूबा में कुल 2200 मामले और 83 मौतें हुई हैं।
अमेरिका : प्रचार करेंगे ट्रम्प
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने महामारी के बीच 2020 के चुनाव प्रचार के लिए तैयारी शुरू कर दी है। इस दौरान वो रैलियां करेंगे। एनबीसी न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प इसी महीने चुनावी रैलियां शुरू करने जा रहे हैं। मिनेसोटा में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद ट्रम्प प्रशासन का विरोध बढ़ा है। हालांकि, उन्हें यह सलाह दी गई है कि रैलियां विरोध प्रदर्शन खत्म होने के बाद ही की जाएं। इस चुनाव में उनका मुकाबला डेमोक्रेट प्रत्याशी जोए बिडेन से है।
इजराइल : पाबंदियां कम होंगी
यहां संक्रमण की दूसरी लहर सामने आ रही है। मामले बढ़े हैं लेकिन सरकार पाबंदियों में ढील देने पर विचार कर रही है। हालांकि, सोमवार से शुरू होने वाली ट्रेन सर्विस को आखिरी वक्त पर टाल दिया गया। देश में अब कुछ नियमों के साथ यात्रा की जा सकेगी। थिएटर औस सिनेमा 14 जून से खुलेंगे। शादियों में 250 लोग शामिल हो सकेंगे। इनका रिकॉर्ड रखना होगा। देश में अब तक 18 हजार 32 मामले सामने आए हैं। 24 घंटे में 169 नए मामले सामने आए।
देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 2 लाख 65 हजार 928 हो गई है। इस बीच यह बात अच्छी है कि जितने एक्टिव केस हैं, उतने ही मरीज ठीक हो गए हैं। www.covid19india के मुताबिक, मंगलवार सुबह तक 1 लाख 29 हजार 345 मरीज बीमार हैं तो 1 लाख 29 हजार 095 स्वस्थ हो गए।
उधर, मुंबई में संक्रमितों का आंकड़ा 50 हजार के पार पहुंच गया, शहर में 1702 लोगों की जान गई। जबकि राज्य में 88 हजार 528 मरीज मिल चुके हैं, इनमें से 40 हजार से ज्यादा ठीक हो गए। शहर में रोजाना जितने मरीज पॉजिटिव मिल रहे हैं, उनकी तुलना में स्वस्थ होने वाले मरीजों की दर बढ़ रही है।
उधर, ओडिशा में एनडीआरएफ के 50जवानों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। अम्फानतूफान के राहत कार्य के बाद बंगाल से कटक लौटने पर तीसरी बटालियन के करीब 190 जवान संक्रमित मिल चुके हैं।पश्चिम बंगाल और मिजोरम ने संक्रमण पर काबू पाने के लिए लॉकडाउन 30 जून तक बढ़ाया।दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बुखार और गले में इंफेक्शनहै। सोमवार कोवे खुद आइसोलेट हो गए। अब मंगलवार को अपना कोरोना टेस्ट होगा
5 दिन जब सबसे ज्यादा मामले आए
तारीख
केस
8 जून
8444
7 जून
10884
6 जून
10428
5 जून
9379
4 जून
9847
5 राज्यों का हाल मध्यप्रदेश:यहां सोमवार को 237 नए मामले सामने आएऔर 2 लोगों की जान गई। भोपाल में 50, इंदौर में 36, बुरहानपुर में 28, नीमच में 24 और उज्जैन में 12 मरीज मिले।राज्य में अब तक 9638 संक्रमित मिल चुके हैं, इनमें से 2688 एक्टिव केस हैं। कोरोना से कुल 414 मरीजों की मौत हुई है। प्रदेश में शॉपिंग मॉल, होटल और रेस्टोरेंट खुल गए हैं। धार्मिक स्थलों को खोलने पर भी फैसला 15 जून तक होगा।
उत्तरप्रदेश: राज्य में सोमवार को 411 मरीज मिले और 8 मौतें हुईं। फिलहाल कुल संक्रमितों की संख्या 10 हजार 947 है, इनमें से 4320 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 283 लोगों की जान गई है। प्रदेश में कंटेनमेंट जोन को छोड़कर सभी धार्मिक स्थल 75 दिन बादखोल दिए गए। वाराणसी केमंदिरों में मंगलवार से दर्शन शुरू होंगे।मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान के अलावा अन्य मंदिर अभी नहीं खुलेंगे।
महाराष्ट्र: यहां सोमवार को 2554 नए संक्रमित मिले और 109 लोगों ने जान गंवाई। मुंबई में 50 हजार से ज्यादा पॉजिटिव केस मिल चुके हैं।प्रदेश में कुल मरीजों की संख्या 88 हजार 529 हो गई। इनमें से 44 हजार 385 एक्टिव केस हैं। अब तक कोरोना से3169 मरीजों की मौत हुई। महाराष्ट्र में 5 लाख 58 हजार 463 लोगों को घरों में और 28 हजार 504 लोगों को अन्य स्थानों पर क्वारैंटाइन किया गया है।
राजस्थान:प्रदेशमें सोमवार को 277 संक्रमित मिले और 6 की जान गई। अलवर में 67, भरतपुर में 60, जोधपुर में 36, जयपुर में 34, कोटा में 12 और सिरोही में 10 मरीज बढ़े। इसके साथ कुल संक्रमितों का आंकड़ा 10 हजार 876 पहुंच गया। इनमें से 2520 एक्टिव केस हैं।राजस्थानमें इस बीमारी से अब तक 246लोगों की मौत हो चुकीहै। बिहार:यहां सोमवारको 177 पॉजिटिव मरीज सामने आए और एक की मौत हुई। सीवान में 28, मधुबनी में 19, मुजफ्फरपुर में 13, मुंगेर और रोहतास में 11-11, पटना और पूर्णिया में 9-9मरीज बढ़े। प्रदेश में कुल 5247संक्रमित मिल चुके हैं, इनमें से 2647एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 31लोगों की जान गई।
from Dainik Bhaskar /national/news/8444-cases-increased-in-last-24-hours-265-lakh-cases-so-far-number-of-sick-and-cured-patients-reached-equal-127391090.html
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तस्वीरअहमदाबाद के एक अस्पताल की है।यहां एक्सरसाइज सेशनके दौरान डॉक्टर के गरबा करवाने से कोरोना से जूझ रहे मरीजों में उत्साह दौड़ गया। उत्साह के साथ मरीजोंने गरबा किया। पूर्वी अहमदाबाद के नरोडा क्षेत्र के एक अस्पताल की ये फोटो चर्चा का विषय बन गई। अहमदाबाद में गुजरात के सबसे अधिक कोरोना मरीज हैं। शहर में 14631 लोग संक्रमण की चपेट में हैं।
मास्क पहनकर 4335 स्टूडेंट्स ने दिया 12वीं बोर्ड का ज्याेग्राफी का पेपर
तस्वीर शिमला के एसएसएस लालपानी का एग्जाम सेंटर की है। लॉकडाउन के बाद एग्जाम आयोजित करने वाल हिमाचल देशभर में पहला राज्य बन गया है। हिमाचल बोर्ड ने सोमवार को 12वीं क्लास का ज्योग्राफी का पेपर 303 केंद्राें में आयोजित किया। इसमें 3748 रेगुलर स्टूडेंट्स व राज्य मुक्त विद्यालय के 587 स्टूडेंट्स शामिल हुए। इस दौरान लॉकडाउन के नियमों का सख्ती से पालन किया गया। फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ स्टूडेंट्स को सेंटर में बैठाया गया।
मानसून की पहली बारिश के बाद छाई हरियाली
तस्वीर मुंबई-पुणे हाइवे के बीच खंडाला घाट की है, जो मानसून की पहली बारिश में हरियाली की चूनर ओढ़ चुका है। निसर्ग तूफान के कारण इस इलाके में लगातार बारिश हो रही है। इस कारण पहाड़ों से झरने भी बहने लगे हैं। लॉकडाउन में मिली छूट के बाद खंडाला घाट की सर्पीली सड़कों पर वाहनों की आवाजाही भी दिखने लगी है। वहीं, सोमवार को सफर करने वाले लोग घाट की खूबसूरती को अपने कैमरे में कैद करते दिखाई दिए।
महिलाओं को सिर पर बर्तन रखकर पानी ना ढोना पड़े इसलिए बना दिए पहिएनुमा बर्तन
तस्वीर गुजरात केबनासकांठाजिले के धाना गांवकी है। महिलाओं को कई किलोमीटर तक पानी न ढोना पड़े इसलिए राज्य की एक संस्था ने पहिएनुमा ड्रम जैसा बर्तन बनाया है। इसमें पानी भरा जा सकेगा और इसे लुढ़काकर खींचा भी जा सकता है। संस्था ने गांव की कुछ महिलाओं को ये बर्तन मुफ्त में दिया है।
कोरोना को आमंत्रित करती कतार
तस्वीर रायपुर के पुलिस लाइन स्थित शराब की दुकान की है। यहां सोमवार को कोराेना संकट से बेफिक्र लोगों की लंबी लाइन लगी। लाइन इतनी लंबी थी कि मेन रोड के आधे भाग तक पहुंच गई। इस दौरान न तो किसी ने मास्क पहना हुआ था और न ही यह लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे थे।
पटन देवी मंदिर:अनूठे अंदाज में भक्तों को लगायातिलक
तस्वीरपटना सिटी के छोटी पटन देवी मंदिर की है। सोमवार को यहां आरती के बाद भक्तों ने भगवान के दर्शन किए। मंदिर मेंपुजारी अनूठे अंदाज मेंमें श्रद्धालु को तिलक लगाते नजर आए। वहीं, महावीर मंदिर में करीब दो हजार भक्त दर्शन के लिए पहुंचे।
सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक हुए महाकाल के दर्शन
तस्वीर उज्जैन के महाकाल मंदिर की है।79 दिन बाद सोमवार कोमहाकाल मंदिर में फिर से श्रद्धालुओं का प्रवेश शुरू हुआ। सोमवार को सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक दर्शन हुए। शाम होते ही मंदिर रोशनी से जगमगा गया। हर साल श्रावण मास के शुरू होने पर मंदिर में लाइटिंग की जाती है लेकिन इस बार आषाढ़ मास में ही कर दी गई।
आस्था के साथ-साथ गाइडलाइन का पालन भी
तस्वीर दिल्ली के प्रसिद्ध मंदिर झंडेवालान की है। ढाई महीने के लॉकडाउन के बाद सोमवारको यह मंदिर खोला गया। इस दौरान सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन किए। मंदिर परिसर में भक्तों ने प्रशासन द्वारा जारी सभी गाइडलाइन का पालन किया। संक्रमण से बचाव के लिएउन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन किया और मॉस्क भी पहना।
जय-जय-जय बजरंगबली
तस्वीर दिल्ली के प्राचीन हनुमान मंदिर की है। सोमवार को मंदिर खुलने के बाद सुबह से ही यहां भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया। इस दौरान एक भक्त बजरंगबली का भेष धारण कर भक्ति में डूबा नजर आया।
सोशल डिस्टेंसिंग के साथ अदा की नमाज
तस्वीर दिल्ली के जाम मस्जिद की है। ढाई महीने के लॉकडाउन के बाद सोमवार को कुछ प्रतिबंधों के साथमस्जिद खोल दी गई। इस दौरान सैकड़ों नमाजियों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए नमाज अदा की। सभी ने मास्क भी पहना हुआ था।
लॉकडाउन मेंटिटहरी ने बुलेट परबनाया आशियाना
तस्वीर गुजरात केहिम्मतनगर की है | स्थानीय निवासीईश्वरभाई प्रजापति को लॉकडाउन ने अनोखा अनुभव दे दिया। लॉकडाउन में उनकी बुलेट लंबे समय से एक ही जगह खड़ी रही तो टिटहरी ने इसमें घोंसला बनाकर अंडे भी दे दिए। अब ईश्वरभाई कहते हैं, जब तक अंडे से बच्चा निकल कर उड़ने लायक नहीं होगा, मैं बुलेट नहीं चलाउंगा।
from Dainik Bhaskar /local/delhi-ncr/news/in-order-to-overcome-the-fear-of-corona-in-ahmedabad-the-doctors-conducted-the-patients-garba-the-examination-started-with-social-distancing-in-himachal-127390965.html
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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को फैसला लिया कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में सिर्फ दिल्लीवालों का ही इलाज होगा। हालांकि, केंद्र सरकार के अधीन आने वाले अस्पताल सभी के लिए खुले रहेंगे।
लेकिन, फैसले के एक दिन बाद ही उपराज्यपाल अनिल बैजल ने केजरीवाल सरकार के इस फैसले को पलट दिया।
केजरीवाल के इस फैसले का कारण 5 डॉक्टरों की कमेटी की वो रिपोर्ट थी, जिसमें सिफारिश की गई थी कि दिल्ली में बाहरी लोगों को इलाज ना मिले, वरना तीन दिन में ही सारे बेड भर जाएंगे।
रिपोर्ट में ऐसी सिफारिश इसलिए क्योंकि, राजधानी में कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। covid19india.org के मुताबिक, दिल्ली में कोरोना के 7 जून तक 28 हजार 936 मामले आ चुके हैं। और 812 लोगों की मौत संक्रमण से हो गई है। फिलहाल, यहां 17 हजार 125 एक्टिव केस हैं।
दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 83 कोविड अस्पताल हैं। इनमें 8 हजार 575 बेड हैं। इनमें से 4 हजार 413 बेड पर मरीज हैं, जबकि 4 हजार 162 बेड खाली हैं। यानी, जितने बेड हैं उनमें से अब 50% से भी कम ही खाली हैं।
83 कोविड अस्पतालों में 9 सरकारी और 74 निजी अस्पताल हैं। सरकारी की तुलना में निजी अस्पतालों के ज्यादातर बेड पर मरीज हैं।
निजी अस्पतालों में 2 हजार 887 बेड हैं, जिसमें से अब 937 यानी 32.5% बेड ही खाली हैं। जबकि, सरकारी अस्पतालों के 5 हजार 678 बिस्तरों में से 57% यानी 3 हजार 215 बेड खाली हैं।
इतना ही नहीं, यहां 518 वेंटिलेटर बेड में से 251 पर मरीज हैं, जबकि 267 ही खाली हैं।
इन सबके अलावा, 7 जून तक कोविड हेल्थ सेंटर में 101 और कोविड केयर सेंटर में 4 हजार 474 बेड खाली बचे हैं।
दिल्ली में कितने अस्पताल, कितने डॉक्टर?
सेंटर फॉर डिसीज डायनामिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी यानी सीडीडीईपी की रिपोर्ट बताती है कि हमारे देश में सिर्फ 69 हजार 264 अस्पताल ही हैं। इनमें से दिल्ली में सिर्फ 176 अस्पताल ही हैं। इनमें 109 सरकारी और 67 प्राइवेट अस्पताल हैं।
हमारे यहां न सिर्फ अस्पतालों की, बल्कि डॉक्टरों की भी कमी है। 30 सितंबर 2019 को लोकसभा में दिए जवाब में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बताया था कि देश में 12 लाख के आसपास एलोपैथिक डॉक्टर हैं।
इसके मुताबिक, दिल्ली में 24 हजार 999 डॉक्टर हैं। सबसे ज्यादा 1 लाख 79 हजार 783 डॉक्टर महाराष्ट्र में हैं। दूसरे नंबर पर तमिलनाडु है। जहां 1 लाख 38 हजार 821 डॉक्टर हैं।
चिंता का एक कारण ये भी : हर 10 लाख में से 1460 संक्रमित
सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमितों की संख्या के मामलों में दिल्ली देश में तीसरे नंबर पर है। 2019 तक के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली की आबादी 1.98 करोड़ के आसपास है।
दिल्ली में मामले भले ही महाराष्ट्र और तमिलनाडु से कम हैं, लेकिन यहां हर 10 लाख आबादी में से 1 हजार 460 लोग संक्रमित हैं। ये आंकड़ा देश में सबसे ज्यादा है।
10 दिन में दिल्ली में टेस्ट घटे, लेकिन रोज हजार से ज्यादा मामले आ रहे
दिल्ली में 28 मई को पहली बार एक दिन में हजार से ज्यादा संक्रमित मिले थे। इस दिन यहां 1 हजार 24 मामले आए थे। इसके बाद से ही रोजाना हजार से ज्यादा नए मामले आ रहे हैं।
लेकिन, इसके बाद से ही दिल्ली में कोरोना के लिए होने वाले टेस्ट भी घटते रहे। 29 मई को तो यहां 7 हजार 649 लोगों की जांच हुई, लेकिन उसके बाद से यहां रोजाना टेस्ट की संख्या में कमी आने लगी।
1 जून को सिर्फ 4 हजार 753 लोगों के टेस्ट हुए, तो इस दिन 990 ही नए मामले आए।लेकिन, उसके अगले दिन 2 जून को 6 हजार 70 लोगों के टेस्ट हुए तो 1 हजार 298 मरीज मिल गए। इसी तरह 7 जून को यहां 5 हजार 42 टेस्ट हुए, लेकिन 1 हजार 282 नए मामले सामने आए।
इतना ही नहीं, पिछले 10 दिन में 59 हजार 938 लोगों की कोरोना जांच हुई है, इनमें से 12 हजार 655 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। यानी, जितने लोगों के टेस्ट हुए, उनमें से 21% से ज्यादा लोग कोरोना पॉजिटिव निकले।
इसका मतलब यही हुआ कि कोरोना के नए मामलों की संख्या टेस्ट पर डिपेंड है। जितने ज्यादा टेस्ट होंगे, उतने ज्यादा नए मामले सामने आएंगे।
लेकिन, दिल्ली ऐसा राज्य जहां 10 लाख आबादी पर सबसे ज्यादा टेस्ट हुए
1 अप्रैल तक देश में हर 10 लाख लोगों में से सिर्फ 32 लोगों की ही जांच हो रही थी। लेकिन, अब ये आंकड़ा 3 हजार 581 पर पहुंच गया।
वहीं, राज्यों की बात करें तो दिल्ली ही ऐसा राज्य है जहां हर 10 लाख लोगों में से सबसे ज्यादा 12 हजार 714 लोगों की जांच हो रही है। दूसरे नंबर पत तमिलनाडु है, जहां हर 10 लाख में से 7 हजार 834 लोगों की जांच हुई है।
उत्तराखंड के सुदूर पूर्वी छोर पर जहां भारत और तिब्बत की सीमाएं मिलती हैं, वहां हिमालय की तलहटी पर करीब दर्जनभर गांव बसे हैं। ऐसे गांव जिनका इतिहास किसी उपन्यास जैसा काल्पनिक लगता है। व्यास घाटी में बसा गर्ब्यांग गांव इन्हीं में से एक है।
यह गांव इतने दुर्गम क्षेत्र में बसा है कि यहां पहुंचने के लिए कठिन पहाड़ी पगडंडियों पर दो दिन पैदल चलना होता है। हालांकि, दुर्गम होने के बाद भी गर्ब्यांग कभी बेहद संपन्न हुआ करता था। इसे ‘छोटा विलायत’ और ‘मिनी यूरोप’ कहा जाता था। गांव में दो-तीन मंजिला मकान हुआ करते थे जिनके बाहर लगे लकड़ी के खम्बों और दरवाजों पर खूबसूरत नक्काशी हुआ करती थी।
दरअसल, 1962 से पहले गर्ब्यांग गांव तिब्बत से होने वाले अंतरराष्ट्रीय व्यापार का केंद्र हुआ करता था। यहीइस गांव की संपन्नता का मुख्य कारण भी था। यूं तो व्यास घाटी के सभी गांव तिब्बत से होने वाले व्यापार में आगे थे, लेकिन सबसे बड़ा गांव होने के चलते गर्ब्यांग की संपन्नता सबसे अलग थी।
इस गांव के रहने वाले नरेंद्र गर्ब्याल बताते हैं, ‘उस दौर में खेम्बू नाम के कोई व्यक्ति गांव में हुआ करते थे। बताते हैं कि वे अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए शिप (पानी का जहाज) खरीदने कलकत्ता गए थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो गांव सभ्यता से पूरी तरह कटा हुआ था, वहां का निवासी अगर सिर्फ़ तिब्बत से होने वाले व्यापार के दम पर शिप खरीदने की हैसियत रखता था तो यह व्यापार कितना व्यापक रहा होगा।’
धारचूला की इस व्यास घाटी में कुल 9गांव पड़ते हैं। इनमें से 7 गांव भारत में हैं जबकि टिंकर और छांगरू नाम के दो गांव नेपाल में पड़ते हैं। ये सभी गांव मुख्य रुप से तिब्बत से होने वाले व्यापार पर ही निर्भर रहे हैं। इनके अलावा यहां की दारमा और चौदास घाटी में बसे गांव भी तिब्बत से होने वाले व्यापार में शामिल रहे हैं लेकिन उनकी भागीदारी व्यास घाटी के गांवों की तुलना में काफी कम रही है।
चर्चित इतिहासकार शेखर पाठक बताते हैं, ‘भारत-तिब्बत व्यापार में एक समय इन गांवों का एकाधिकार हुआ करता था। यहां से मुख्यतः अनाज जाता था और तिब्बत से ऊन, रेशम, पश्मीना आदि आता था जो फिर पूरे तराई के इलाकों में जाया करता था। मांग बहुत अधिक थी और आपूर्ति करने वाले गांव के लोग सीमित थे। इस कारण व्यापार बहुत व्यापक था।’
व्यास घाटी के ये गांव मुख्य भारत से भले ही कटे हुए थे, लेकिन अपने-आप में बेहद समृद्ध थे। संभवतः देश के सबसे समृद्ध गांवों में से थे। लेकिन, 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध ने इनसे इनकी समृद्धि छीन ली। भारत-तिब्बत व्यापार बंद हो गया और इसकी सबसे बड़ी आर्थिक मार इन्हीं गांवों पर पड़ी। भारत के मुख्य बाजारों से तो ये गांव पहले से बहुत दूर थे, अब तिब्बत के बाजार से भी ये दूर हो गए।
भारत-चीन युद्ध के पूरे तीन दशक बाद, साल 1992 में यह व्यापार दोबारा शुरू हुआ। लिपुलेख दर्रा एक बार फिर से व्यापार के लिए खोल दिया गया, व्यास घाटी के लोग फिर से तिब्बत जाने लगे लेकिन वो समृद्धि कभी नहीं लौट सकी।
शेखर पाठक बताते हैं, ‘तीस साल में बहुत कुछ बदल गया था। एक पूरी पीढ़ी निकल चुकी थी। व्यापार बंद हुआ तो गांव के लोगों ने बाकी विकल्प तलाश लिए थे। फिर इतने सालों में व्यापार के तरीके भी बहुत ज़्यादा बदल चुके थे। तिब्बत में अब पहले जैसी भूख नहीं थी। चीन वहां बहुत काम कर चुका था और बहुत कुछ पहुंचा चुका था। इस कारण वे पहले की तरह हम पर निर्भर नहीं थे।
1962 से 1992 के दौरान व्यापार पूरी तरह बंद रहा, भारत और तिब्बत दोनों में ही व्यापक बदलाव हो चुके थे। अंतरराष्ट्रीय व्यापार का स्वरूप बदल चुका था, उपभोग का पैटर्न बदल चुका था, बाजार बड़े हो गए थे और उनकी पहुंच गांव-गांव तक होने लगी थी। लिहाज़ा पारंपरिक व्यापार के केंद्र सिमटने लगे थे। इसीलिए कई लोग मानते हैं कि 1992 में भारत-तिब्बत व्यापार का दोबारा शुरू होना व्यापार के नजरिए से उतना अहम नहीं रह गया था, बल्कि इसका सिंबोलिक महत्व ही बचा था जो दोनों देशों के सुधरते हुए रिश्तों की गवाही देता था।
हालांकि, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव और व्यास घाटी के ही रहने वाले एनएस नपलच्याल इस तर्क से सहमत नहीं हैं। वे कहते हैं, ‘व्यापार का दोबारा शुरू होना सिर्फ सिंबोलिक नहीं था। क्षेत्रीय लोगों की यह जरूरत भी थी और उनकी मांग भी। कैलाश मानसरोवर यात्रा इस व्यापार से पहले ही 80 के दशक में दोबारा शुरू की जा चुकी थी। वो अपने-आप में सुधरते रिश्तों का प्रतीक थी।’
एनएस नपलच्याल आगे कहते हैं, ‘व्यास घाटी के गांव आज भी अधिकतर सामान तिब्बत से ही लाते हैं। भवन निर्माण में लगने वाला अधिकतर सामान ऐसा होता है जो गांव वालों के लिए तिब्बत से लाना सस्ता है जबकि धारचूला (भारत) से ले जाना महंगा पड़ता है। इससे पता चलता है कि व्यापार का खुलना सिर्फ प्रतीक तो नहीं कहा जा सकता। ये जरूर है कि व्यापार अब उतना व्यापक नहीं रह गया जितना 1962 से पहले हुआ करता था।’
व्यास घाटी के ये तमाम गांव हाल ही में मोटर रोड से जुड़े हैं। ये वही रोड है जो धारचूला को लिपुलेख दर्रे से जोड़ती है और जिसका कुछ समय पहले ही देश के रक्षा मंत्री ने उद्घाटन किया है। इस रोड के बनने के बाद स्थानीय लोगों में एक नई उम्मीद पैदा हुई है। जो गांव कभी बेहद समृद्ध हुआ करते थे, उनके अच्छे दिन वापस लौटने की उम्मीद है।
बूंदी गांव के रहने वाले रतन सिंह अब भी हर साल तिब्बत व्यापार के लिए जाते हैं। वे बताते हैं, ‘इस साल तो कोरोना के चलते व्यापार बंद ही रहेगा, लेकिन सड़क बन जाने से आने वाले सालों में व्यापार बढ़ने की उम्मीद है। अभी तक हम लोग खच्चरों पर सामान ले जाते थे। यही सामान अब ट्रकों से जा सकेगा। लिपुलेख तक अगर सामान ट्रक से पहुंच गया तो तिब्बत वाली तरफ तो चीन पहले ही सड़क बना चुका है। वहां से तकलाकोट (तिब्बत) बाजार सामान पहुंचना बहुत आसान हो जाएगा।’
अभी लिपुलेख होते हुए जो भारत-तिब्बत व्यापार होता है, उसमें बेहद सीमित उत्पाद ही एक-दूसरे देश से लाए-ले जाए जा सकते हैं। इसके लिए इनकी बाकायदा सूची जारी होती है। मसलन, भारत से कृषि औजार, कंबल, तांबा, कपड़े, साइकल, कॉफी, चाय, चावल, ड्राई फ़्रूट्स, तंबाकू आदि जैसे कुल 36 उत्पाद ही तिब्बत ले जाने की अनुमति है।
इसी तरह तिब्बत से करीब बीस उत्पाद भारत लाए जा सकते हैं जिनमें बकरी, भेड़, घोड़े, ऊन, बकरी और भेड़ की खाल, रेशम आदि प्रमुख हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि अब सड़क बन जाने के बाद संभवतः इस सूची को भी बढ़ाया जाएगा व्यापार का स्वरूप भी बढ़ेगा।
सड़क बन जाने से इलाके की समृद्धि के अन्य रास्तों के भी खुलने की उम्मीद है। चौदास घाटी के निवासी कृष्णा रौतेला बताते हैं, ‘सड़क आने से पर्यटक भी यहांआने लगेंगे। आदि कैलाश से लेकर ओम पर्वत तक, यहां कई ऐसी जगह हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। स्वाभाविक है उनकी आमद बढ़ेगी तो व्यापार बढ़ेगा, लोग होम स्टे बनाएंगे, दुकानें खुलेंगी और आर्थिक संपन्नता आएगी। ये तो नहीं कह सकते 1962 से पहले वाली समृद्धि लौट सकेगी लेकिन आज की तुलना में स्थितियां बेहतर जरूर होंगी।’
इस सड़क ने स्थानीय लोगों को नई उम्मीद तो दी है, लेकिन कुछ वाजिब चिंताएं भी हैं। यह पूरा इलाका जनजातीय क्षेत्र है और पर्यावरण की दृष्टि से भी बेहद संवेदनशील है। ऐसे में स्थानीय लोगों को यह भी चिंता है कि इस क्षेत्र और यहां के प्राकृतिक संसाधनों का अनावश्यक दोहन न होने लगे।
स्थानीय लोग काफी समय से यह मांग भी करते रहे हैं कि जिस तरह कई दशक पहले यह पूरा इलाका इनर लाइन परमिट क्षेत्र में आता था, उसी तरह इसे दोबारा नोटिफाई किया जाए।
एनएस नपलच्याल कहते हैं, ‘इस क्षेत्र की इकॉलजी और विशेष सांस्कृतिक विरासत को बचाए रखने और आर्थिक शोषण को रोकने के लिए जरूरी है कि इस क्षेत्र में आने के लिए पहले जैसे नियम बनाए जाएं। कुछ दशक पहले तक जौलजीबी से आगे बसे इलाकों में आने के लिए पिथौरागढ़ के ज़िलाधिकारी से इनर लाइन पास लेना होता था। बाद में इनर लाइन पास का यह क्षेत्र सिर्फ छियालेख से आगे तक सीमित कर दिया गया। स्थानीय लोगों की लम्बे समय से मांग है कि पुरानी व्यवस्था वापस लागू की जाए।’
वे आगे कहते हैं, ‘यह इलाका नेपाल और चीन की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा होने के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भी बेहद अहम है। अब सड़क बन जाने के बाद तो यह पहले से भी अधिक जरूरी हो गया है कि यहां चीजें नियंत्रण में रहें। इसके लिए जरूरी है कि पुरानी व्यवस्था लागू हो और जौलजीबी से आगे ही इनर लाइन पास की व्यवस्था बनाई जाए।’
नई सड़क के बन जाने से स्थानीय लोगों में रिवर्स माइग्रेशन की उम्मीद भी बढ़ी है। भारत-तिब्बत व्यापार बंद होने के बाद से ही यहां पलायन तेज हुआ था। स्थानीय लोगों को जनजातीय क्षेत्र होने के चलते आरक्षण का लाभ भी मिला तो सरकारी नौकरियों की तरफ लोग आकर्षित होने लगे। इस कारण गांव से निकलकर शहरों की तरफ आने का चलन बढ़ने लगा।
लेकिन, अब लोगों को उम्मीद है कि सरकारी सेवाएं पूरी कर चुके वे तमाम लोग अपने गांव लौटेंगे जो बेहद दुर्गम होने के चलते पहले ऐसा नहीं कर पाते थे। 1962 से पहले का सुनहरा दौर तो शायद इस घाटी में कभी वापस न आ सके लेकिन वर्तमान की तुलना में एक बेहतर भविष्य की आस यहां लोगों में जरूर पैदा हो गई है।
कोरोनावायरस महामारी के बीच केरल में जब 1 जून से नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हुई, तबकक्षा में न तो घंटी बजी और न ही नए बच्चों के स्वागत के लिए कोई खास कार्यक्रम हुआ। इस बार कक्षा पहलीसे 12वीं तक के लाखों बच्चेअपने घर में ही टीवी के जरिए ही पढ़ाई कर रहे हैं। राज्य सरकार की कोशिश रही कि लॉकडाउन का उल्लंघन किए बिना स्कूली पढ़ाई को जारी रखा जाए।
इस ऑनलाइन क्लास का नाम 'फर्स्ट बेल' रखा गया है जिसका टेलीकास्टराज्य सरकार के एजुकेशनल टीवी चैनल विक्टर्स पर केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर टेक्निकल एजुकेशन (KITE) के माध्यम से किया गया। इस चैनल की शुरुआत जुलाई 2005 में हुई थी। तब पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने इसका उद्घाटन किया था।
ऑनलाइन क्लास की सुविधा नहीं मिली तो किया सुसाइड...
मल्लपुरम की रहने वाली 9वीं की छात्रा देविका ऑनलाइन क्लास नहीं कर पाई। उसके घर का टीवी काम नहीं कर रहा था। उसकाफोन भी चार्ज नहीं था। क्लास नहीं करने की वजह से वह डिप्रेशन में आगई और आत्महत्या कर ली।
केरल में करीब 45 लाख ऐसे बच्चे हैं जिनके पास टीवी और स्मार्टफोनहैं और वे ऑनलाइन क्लास करने में सक्षम हैं। लेकिन,2.61 लाख बच्चे ऐसे भी हैं जिनके पास न तो टीवी है। न ही स्मार्टफोन। खासकरग्रामीण और ट्राइबल इलाकों में बच्चों के पास ऑनलाइन क्लास करने की सुविधा नहीं है।
इस घटना के बाद यूथ ऑर्गेनाइजेशन टीवी चैलेंज नाम का एक आइडिया लेकर आया है। इस स्कीम में कोई भी अपने घर में मौजूद एक्स्ट्रा टीवी, टैबलेट या स्मार्टफोन दान दे सकता है। ये नया भी हो सकता है और इस्तेमाल किया हुआ भी। ऑर्गनाइजेशन से जुड़े वॉलंटियर आपके घर आएंगे और ये टीवी या फोन जरूरतमंद बच्चों को पहुंचा देंगे।
डीवायएफआई संगठन के शाइन कुमार के मुताबिक, इस प्रयास के तहत अभी तक हमारे इलाके से एक हफ्ते में 14 टीवी इकट्ठे किए जा चुके हैं। उनमें से दो पुराने हैं लेकिन काम कर रहे हैं। बाकी सभी नए हैं। इन्हें लाइब्रेरी, रीडिंग रूम्स और पब्लिक हॉल को दिया जाएगा जहां बच्चे पढ़ाई कर सकें।
सोशल मीडिया पर हो रही तारीफ
सोशल मीडिया पर ऑनलाइन क्लास को काफी सराहा जा रहा है। छात्र और माता-पितादोनों ही इसकी तारीफ कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर ऑनलाइन क्लास के वीडियो लेक्चर्स वायरल हो रहे हैं। काफी संख्या में लोग इसे शेयर कर रहे हैं। इस दौरान कुछ शिक्षक तो रातों-रात सेलेब्रिटी बन गए हैं।
कोझिकोड की रहने वालीं साय स्वेता का लेक्चर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं।
काइट के सीईओ अनवर सदथ ने बताया 'हम इस ऑनलाइन क्लास को लॉन्च करने में इसलिए सफल हो पाए क्योंकि हमारे पास पहले सुविधाएं मौजूदथीं। हमें कोरोनाकाल के संकट में ज्यादा परेशानी नहीं हुई। इसके लिए 70 हजार प्रोजेक्टर्स, 4 हजार 545 टीवी सेट्स और लैपटॉप का उपयोग किया गया।'
राज्य सरकार ने स्थानीय प्रशासन को आदेश दिया था कि वे सभी को ऑनलाइन क्लास की सुविधा उपलब्ध कराएं। जिनके पास टीवी और ऑनलाइन क्लास करने की सुविधा नहीं है उनके लिए व्यवस्था करें। इसके लिए स्कूलों में मौजूद आईटी डिवाइसेज का भी उपयोग किया जा सकता है।
यूट्यूब पर भी देखा जा सकता है वीडियो
अनवर ने बताया कि दो हफ्ते के लिए ट्रायल के रूप में ऑनलाइन कक्षा की शुरुआत की गई है। ताकि, कोई खामी दिखे तो उसे ठीक कर लिया जाए।
उन्होंने बताया कि एक बार ऑनलाइन क्लास होने के बाद इसका रिपीट टेलिकास्ट भी होगा। साथ ही यूट्यूब पर भी इसके वीडियो अपलोड होंगे। जल्द ही इसे डीटीएच और दूसरे केबल सर्विस प्रोवाइडर्स पर भी उपलब्ध काराया जाएगा। उन्होंने बताया कि लक्षदीप में जहां केरल का सिलेबस लागू है वहां 34 स्कूलों के 7 हजार 472 बच्चों को इस ऑनलाइन क्लास का फायदा मिला।
दूसरे भाषा के छात्रों को भी होगा फायदा
ऑनलाइन क्लास विक्टर्स पर मलयालम भाषा में है। अनवर ने बताया कि राज्य में ऐसे भी बच्चे हैं जिनकी भाषाएं अलग- अलग हैं। खासकर प्रवासी मजदूरों के बच्चे जो केरल के सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। इसलिए हमने प्लान किया है कि यूट्यूब पर जबवीडियो अपलोड हो तो इन बच्चों को भाषाई स्तर पर मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़े।
उन्होंने बताया कि यूट्यूब पर जो वीडियो अपलोड किए गए हैं उनको बेहतर रिसपॉन्स मिल रहा है। 39 लाखलोग यूट्यूब पर देख चुके हैं। इससे पता चलता है कि बच्चों और उनके माता-पिताके साथ-साथ दूसरे लोग भी वीडियो देख रहे हैं। उन्होंने बताया कि जनता के पास सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के स्किल्स को भी समझने का मौका है।
सीबीएसई के स्कूल इंटरनेट पर निर्भर
सरकारी स्कूल के बच्चो के लिए तो टीवी चैनल है, लेकिन सीबीएसई के बच्चों के लिए इंटरनेट ही सहारा है। हालांकि, इंटरनेट एक बेहतर और आधुनिक माध्यम है, लेकिन कई बार दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है। इसके लिए शिक्षक और छात्र दोनों के पास इंटरनेट की बेहतर उपलब्धता और अच्छी स्पीड होनी चाहिए।
एक अभिभावक राजेश पी जोस ने बताया कि सीबीएसई के पास कोई चैनल नहीं है इसलिए बच्चों को मोबाइल पर क्लास करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि क्लास खत्म होने के बाद बच्चे मोबाइल पर क्या देखते हैं और कौन सी वेबसाइट पर जाते हैं, इसका ध्यान रखना मुश्किल है।
सीबीएसई स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष टीपीएम इब्राहिम ने का कहना है किकेंद्र सरकार को एनसीईआरटी की तरह ही टीवी चैनलउपलब्ध कराने चाहिए।
कोच्चिके एक थिंक टैंक (सीपीपीआर) के चेयरमैन डॉ. डी धनु राज का मानना है कि ऑनलाइन क्लास वास्तविक कक्षा की जगह नहीं ले सकता है। यह सिर्फ एक विकल्प है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में तो ऑनलाइन कोर्सेज को स्वीकार कर लिया गया है, लेकिन स्कूली शिक्षा में यह कारगर नहीं हो सका है।