शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2020

पवार की मौजूदगी में खडसे आज NCP में शामिल होंगे, दो दिन पहले भाजपा से इस्तीफा दिया था

महाराष्ट्र के पूर्व भाजपा नेता एकनाथ खडसे शुक्रवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में शामिल होंगे। NCP प्रमुख शरद पवार उन्हें सदस्यता दिलाएंगे। खडसे ने बुधवार को भाजपा से इस्तीफा दे दिया था, जिसे भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने मंजूर कर लिया था।

इससे पहले खडसे की बहू रक्षा के भी NCP में शामिल होने की चर्चा थी। इस बात को उन्होंने खुद खारिज करते हुए गुरुवार को कहा कि वे अभी भी भाजपा का हिस्सा हैं। खडसे को लेकर चर्चा है कि उन्हें राज्य में कृषि मंत्री का पद मिल सकता है।

खडसे के साथ जाना राजनीतिक आत्महत्या: प्रवीण दरेकर
इस्तीफा देने के बाद खडसे ने जलगांव में कहा था कि भाजपा के 10 से 12 विधायक मेरे साथ में हैं, इसमें से कुछ लोग शुक्रवार को मेरे साथ NCP में शामिल होंगे। खडसे के इस बयान पर विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने कहा कि भाजपा का कोई भी विधायक खडसे के साथ नहीं है। भाजपा का कौन सा विधायक खडसे की तरह अपने राजनीतिक करियर की हत्या करना चहेगा। राजनीति में काम करने वालों को भाजपा का भविष्य मालूम है।

6 बार विधायक और 2 बार मंत्री रहे खडसे
एकनाथ खडसे महाराष्ट्र में 6 बार विधायक और दो बार मंत्री रह चुके हैं। 1995 में शिवसेना-भाजपा सरकार में वे जल-संसाधन मंत्री थे। 2009-14 के बीच उन्होंने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभाई। 2014 में भी भाजपा को सरकार बनाने का मौका मिला तो उन्हें कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई थी। उनके पास 10 से ज्यादा विभागों का प्रभार था।

भ्रष्टाचार के आरोप लगे, मंत्री पद छोड़ना पड़ा
खडसे फडणवीस सरकार में राजस्व मंत्री थे। 2016 में उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। इसके बाद उनसे इस्तीफा देने को कहा गया था। मंत्री पद जाने और विधानसभा चुनाव में टिकट न दिए जाने से भी खडसे नाराज थे।

भाजपा को सोचना चाहिए खडसे ने क्यों छोड़ी पार्टी: उद्धव
बुधवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि भाजपा को यह सोचने की जरूरत है कि उनके नेता आखिर पार्टी क्यों छोड़ रहे हैं। ये वे नेता हैं, जिन्होंने भाजपा के लिए तब काम किया, जब पार्टी सत्ता में नहीं थी। पहले हमने उन्हें (एनडीए) छोड़ा, फिर अकाली दल ने उनका साथ छोड़ा, लेकिन अब उनके अपने लोग ही पार्टी छोड़ रहे हैं। भाजपा को सोचना चाहिए कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?



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खडसे फडणवीस सरकार में राजस्व मंत्री थे। 2016 में उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। इसके बाद उनसे इस्तीफा देने को कहा गया था। -फाइल फोटो


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आरोपी की भाभी की धमकी- हमारी FIR दर्ज नहीं की तो घर की 7 औरतें आत्मदाह कर लेंगी

उत्तर प्रदेश में बलिया के दुर्जनपुर गांव में कोटे की दुकान को लेकर हुई हत्या के मामले में शुक्रवार को नया मोड़ आ गया। मुख्य आरोपी धीरेंद्र सिंह के परिवार वालों की क्रॉस FIR दर्ज न होने पर आरोपी के घर की महिलाओं ने जान देने की धमकी दी है। धीरेंद्र की भाभी आशा प्रताप सिंह ने कहा कि अगर आज शाम 5 बजे तक हमारी FIR दर्ज नहीं हुई तो घर की 7 औरतें आत्मदाह कर लेंगी। इसका जिम्मेदार प्रशासन होगा।

इस चेतावनी के बाद पुलिस और जिला प्रशासन सतर्क हो गए है। वहीं, आरोपी के परिवार को मनाने के लिए लोग उसके घर पहुंच रहे हैं। लेकिन, महिलाएं किसी की सुनने को तैयार नहीं हैं।

धीरेंद्र को रिमांड पर लेकर पुलिस कर रही पूछताछ
पुलिस ने मुख्य आरोपी धीरेंद्र को रिमांड पर ले रखा है। गुरुवार को उससे रेवती थाने के प्रभारी प्रवीण कुमार सिंह ने बंद कमरे में पूछताछ की थी। आरोपी के वकील बृजेश सिंह भी थाने में मौजूद रहे। बंद कमरे में पूछताछ के बाद पुलिस धीरेंद्र को दुर्जनपुर में उसके घर पर ले गई। घर पहुंचते ही महिलाएं आरोपी से लिपट कर रोने लगीं। बलिया के CJM कोर्ट ने बुधवार को धीरेंद्र की 3 दिन की पुलिस रिमांड मंजूर की थी, जो आज पूरी हो रही है।

पूरा मामला क्या है?
बलिया जिले के रेवती थाना इलाके के दुर्जनपुर गांव के पंचायत भवन में 15 अक्टूबर को हनुमानगंज और दुर्जनपुर की कोटे की दुकानों की लॉटरी को लेकर खुली बैठक की जा रही थी। इस दौरान विवाद हो गया और दोनों पक्ष झगड़ने लगे। प्रशासन के विरोध में नारेबाजी हुई। देखते ही देखते ईंट-पत्थर चलने लगे। इस दौरान पुलिस के सामने ही धीरेंद्र ने फायरिंग कर दी। इससे जयप्रकाश पाल (45) की गोली लगने से मौत हो गई। इस मामले में धीरेंद्र समेत 8 नामजद और 25 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। घटना के 72 घंटे के बाद यूपी STF ने लखनऊ के पॉलीटेक्निक चौराहे से धीरेंद्र को गिरफ्तार किया था।



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मुख्य आरोपी की भाभी ने मांग की है कि शुक्रवार शाम 5 बजे तक उनकी FIR दर्ज की जाए।


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कंगना रनोट ने आमिर खान को टैग कर ट्विटर पर पूछा- इनटॉलरेंस गैंग ने इस देश में कितने कष्ट सहे?

कंगना रनोट के खिलाफ मुंबई में एक और FIR दर्ज होने के बाद एक्ट्रेस ने आमिर खान पर निशाना साधा है। कंगना ने एक ट्वीट में आमिर खान को टैग करते हुए लिखा है, "इनटॉलरेंस गैंग से जाके कोई पूछे कितने कष्ट सहे हैं उन्होंने ने इस इनटॉलरेंट देश में?"

महाराष्ट्र सरकार को फासीवादी बताया
कंगना ने दूसरे ट्वीट में महाराष्ट्र सरकार को फासीवादी बताया है। उन्होंने लिखा है, "कैंडल मार्च गैंग, अवॉर्ड वापसी गैंग देखो फासीवाद का विरोध करने वाले क्रांतिकारियों के साथ क्या होता है? तुम सबकी तरह नहीं। तुमको कोई पूछता भी नहीं है। मुझे देखो, मेरे जीवन का मतलब महाराष्ट्र की फासीवादी सरकार से लड़ना है। तुम सबकी तरह धोखाधड़ी करना नहीं।"

'मैं जेल जाने का इंतजार कर रही हूं'
कंगना ने तीसरे ट्वीट में लिखा है, "मैं सावरकर, सुभाषचंद्र बोस और झांसी की रानी की पूजा करती हूं। आज यह सरकार मुझे जेल में डालने की कोशिश कर रही है। जल्दी ही जेल होने और उन्हीं दुखों से गुजरने का इंतजार कर रही हूं, जिनसे मेरे आदर्श गुजरे। यह मेरे जीवन को सार्थक बनाएगा।"

गुरुवार को कंगना के खिलाफ केस दर्ज हुआ
एक्ट्रेस पर कोर्ट के खिलाफ अपमानजनक पोस्ट करने का आरोप लगा है। मुंबई के वकील अली काशिफ खान ने अंधेरी मजिस्ट्रेट कोर्ट में दी शिकायत में कंगना पर दो समुदायों के बीच मनमुटाव पैदा करने की कोशिश का आरोप भी लगाया है।



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कंगना ने ट्वीट के बहाने आमिर को नवंबर 2015 का उनका वह बयान याद दिलाया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें देश में असुरक्षा और डर की भावना महसूस होती है।


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प्रधानमंत्री थोड़ी देर में सासाराम के लोगों को संबोधित करेंगे; गया और भागलपुर भी जाएंगे

भाजपा के सबसे बड़े स्टार प्रचारक यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थोड़ी ही देर में सासाराम में बिहार चुनाव की अपनी पहली जनसभा को संबोधित करेंगे। सभास्थल तैयार है, मंच सज गया है। नेताओं का जुटना शुरू हो गया है। मोदी के प्रशंसक सुबह से ही मैदान में जुटने शुरू हो गए थे। हर आदमी की थर्मल स्क्रीनिंग करके ही अंदर आने की इजाजत दी जा रही है। सबको मास्क पहनना अनिवार्य है।

यहां जनसभा को संबोधित करने के बाद प्रधानमंत्री गया जाएंगे। वहां 12:20 बजे उनकी सभा होगी। उसके बाद फिर भागलपुर में 2:40 बजे जनसभा को संबोधित करेंगे।मोदी की सभी सभाओं में उनके साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी होंगे। खास बात ये है कि कोरोना ने इस बार कई नेताओं को प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा करने से रोक दिया है। कोरोना का असर इस बार पीएम की सभाओं पर भी दिखेगा।

पहले फेज के आखिरी दौर में प्रधानमंत्री के प्रचार से NDA को काफी उम्मीद है। मोदी 12 दिनों में 12 रैलियां करेंगे। 28 अक्टूबर को दरभंगा, मुजफ्फरपुर और पटना में रैली करेंगे। प्रधानमंत्री का तीसरा दौरा एक नवंबर को छपरा, पूर्वी चंपारण और समस्तीपुर में होगा तो चौथा और अंतिम दौरा तीन नवंबर को पश्चिमी चंपारण, सहरसा और अररिया के फारबिसगंज में होगा।



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रैली वाले मैदान में मोदी के प्रशंसकों का सुबह से ही पहुंचना शुरू हो गया था। थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही लोगों को अंदर जाने दिया जा रहा है।


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भारत बायोटेक की वैक्सीन को तीसरे फेज की ट्रायल के लिए मंजूरी मिली; अब तक 77.59 लाख केस

देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 77 लाख 59 हजार 640 पहुंच गया है। इनमें से 69 लाख 46 हजार 325 लोग ठीक हो चुके हैं। अभी 6 लाख 94 हजार 892 एक्टिव केस हैं। इस बीच देश में वैक्सीन की प्रोग्रेस को लेकर अच्छी खबर है। भारत बायोटेक कंपनी की वैक्सीन तीसरे फेज की ट्रायल की मंजूरी मिल गई है।

टेस्टिंग का आंकड़ा 10 करोड़ के पार
देश में टेस्टिंग का आंकड़ा 10 करोड़ 1 लाख 13 हजार 85 पर पहुंच गया। यानी इतने लोगों के टेस्ट किए जा चुके हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक गुरुवार को 14 लाख 42 हजार 722 लोगों के सैंपल टेस्ट किए गए।

पांच राज्यों का हाल

1. मध्य प्रदेश
राजधानी भोपाल में अभी भले ही 24 हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमित हैं, लेकिन 7 से 17 सितंबर के बीच हुई सीरो सर्वे के नतीजों से यह अनुमान लगाया गया है कि यहां की 3.45 लाख की आबादी संक्रमित होकर ठीक हो चुकी है। बाकी लोगों तक अभी संक्रमण नहीं पहुंचा है।
उधर, सरकार ने शुक्रवार से मंत्रालयों समेत सभी सरकारी ऑफिसों में वर्क फ्रॉम होम को पूरी तरह खत्म कर दिया है। ऑफिस में कर्मचारियों को मास्क लगाना जरूरी होगा और वे साथ बैठकर खाना नहीं खा सकेंगे। अब तक 50% स्टाफ से काम चल रहा था।

2. राजस्थान
जयपुर में नए मरीजों का ग्राफ पिछले कुछ दिनों से लगातार घट रहा है। गुरुवार को 249 नए संक्रमित सामने आए। अब तक 30,326 मरीजों में से 357 दम तोड़ चुके हैं। गुरुवार को रिकवर होने वाले मरीजों की संख्या 713 पहुंच गई। अब तक कुल 23,711 मरीज ठीक हो चुके हैं।

3. बिहार
पटना जिले में गुरुवार को 256 मरीज मिले। जिले में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 33,822 हो चुकी है, इनमें से 31,018 लोग ठीक भी हो चुके हैं। अभी 2,550 एक्टिव केस हैं। पटना एम्स में गुरुवार को उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी समेत 15 मरीज भर्ती हुए। पूरे राज्य में गुरुवार को कुल 1,085 केस आए।

4. महाराष्ट्र
राज्य में गुरुवार को कुल 7,539 केस आए। 198 लोगों की मौत हुई। 16,177 लोग ठीक भी हुए। मुंबई जिले में सबसे ज्यादा 1,463 संक्रमित सामने आए, वहीं 4120 लोग ठीक भी हुए।

5. उत्तरप्रदेश
राज्य में गुरुवार को कुल 2,383 केस आए। 35 लोगों की मौत हुई। 2,581 लोग ठीक भी हुए। लखनऊ जिले में सबसे ज्यादा 280 संक्रमित सामने आए, वहीं 312 लोग ठीक भी हुए।



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हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर कोरोना की वैक्सीन (कोवैक्सीन) बना रही है।- फाइल फोटो।


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नागपाड़ा के सिटी सेंटर मॉल में आग लगी, 9 घंटे बाद काबू पाया गया; 3500 लोगों को आसपास की इमारतों से बाहर निकाला गया

नागपाड़ा इलाके के सिटी सेंटर मॉल में गुरुवार देर रात आग लग गई। जिस वक्त आग लगी मॉल में करीब 500 लोग थे। हालांकि, सभी को समय पर बाहर निकाल लिया गया और इसमें कोई भी हताहत नहीं हुआ है। फायर बिग्रेड की 24 गाड़ियों ने 9 घंटे में आग पर काबू पा लिया। रेस्क्यू के दौरान 2 फायर फाइटर मामूली जख्मी हो गए। फायर ब्रिगेड के एक अधिकारी ने बताया कि आग के बाद आसपास की इमारतों और दुकानों से तकरीबन 3500 लोगों को निकाला गया।

मोबाइल फोन की दुकान में सबसे पहले लगी थी आग
यह आग गुरुवार रात 10 से 11 बजे के आसपास लगी है। फिलहाल मॉल के आस-पास की दुकानों को खाली करा दिया गया है। फायर ब्रिगेड के अफसरों के मुताबिक मॉल के सेकेंड फ्लोर पर स्थित एक मोबाइल शॉप में शार्ट सर्किट के चलते आग लगी थी और फिर ये पूरे फ्लोर पर फैल गई।

यह आग गुरुवार रात 10 से 11 बजे के आसपास लगी है। पहले यह आग सिर्फ एक दुकान में लगी थी और फिर इसने मॉल के एक फ्लोर को अपने कब्जे में ले लिया।

मॉल का कांच तोड़कर अंदर पहुंचे दमकलकर्मी
मॉल में वेंटिलेशन नहीं होने की वजह से मॉल में धुआं काफी ज्यादा भर गया था। इसके चलते फायर ब्रिगेड की टीम ने मॉल की ग्लास को तोड़ा ताकि धुआं बाहर निकल सके। घटना के बाद मौके पर स्थानीय कांग्रेस विधायक अमीन पटेल और मुंबई की मेयर किशोर पेडनेकर भी पहुंचीं थी।



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मॉल का शीशा तोड़कर फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों ने आग पर काबू पाया।


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मोदी जी के भाषण देने से नहीं न मान जायेगा कोरोना, देख नहीं रहे हैं, उनकी पार्टी में ही कितना भीड़ उमड़ रहा है

पटना शहर के आशियाना इलाके का सगुना मोड़ खासा प्रसिद्ध है। यह नये विकसित होते पटना का एक लैंडमार्क भी है। इस मोड़ का यह चाय अड्डा भी कम चर्चित नहीं है। नाम है ‘टी टॉक्स’।

सुबह 7 बजे का समय है। पसीने से तरबतर एक बुजुर्ग अभी-अभी आए हैं। मार्निंग वॉक में बढ़ी सांसों की तेजी थामते हुए बोले- ‘अरे रकेशवा, तुम्हारा चाय आजकल बहुत हल्का हो गया है। चुनाव में दूध की किल्लत हो गई है का रे।’

राकेश बोलता, उसके पहले ही ठेले पर हाथ का सहारा लेकर चाय पी रहा युवक बोल पड़ा- ‘हां सही बात है, चाय की क्वालिटी त गिरा दिए हो’। राकेश ने सफाई दी- ‘ई महंगाई में देख नहीं रहे, हर सामान महंगा हो गया है। लॉकडाउन की मार से अभी उबर नहीं पाए हैं। फिर भी चाय का दाम नहीं बढ़ाए। दो साल से इसी रेट पर पिला रहे हैं।’

महंगाई की बात आते ही मजदूर सा दिखने वाला एक युवक जिसे लोग रघुनाथ कहकर बुला रहे थे, बोला- ‘महंगाई से तो गृहस्थी गड़बड़ा गई है। चाय और चीनी की तो बात ही छोड़िए, हरी सब्जी भी इतनी महंगी कभी नहीं हुई थी। दो टाइम की सब्जी जुटाने में हालत खराब हो जाता है।’

मार्निंग वॉक से लौटे श्याम सुंदर जी अब तक स्थिर हो चुके हैं। गले में उतरती चाय की चुस्की के साथ ही उनके चेहरे के बदलते भाव बता रहे हैं कि कुछ कहने को आतुर हैं। बहुत देर चुप नहीं रह सके। बोल पड़े, ‘अभी का देखे हो। चुनाव और कोरोना ऐसा हालत लाएगा कि आम लोगों की थाली से भी हरी सब्जी का बहुत कुछ गायब हो जाएगा।’ लोगों की बातचीत से लगा ये शर्मा जी हैं और बिजली विभाग से रिटायर हुए हैं।

उन्हीं से मुखातिब बाइक पर टेक लगाकर चाय पी रहा व्यक्ति बोला- ‘शर्मा जी, अब आप ही बताइये, कोरोना में चुनाव कराकर सरकार का बताना चाह रही है? आम लोगों को तो मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने को कहा जाता है, लेकिन नेतवन सब तो खूब भीड़ जुटा रहे हैं। लग रहा है जैसे कोरोना से उनकी कुछ साथ गांठ हो कि उनका तो कुछ नहीं ही बिगड़ने देगा।’

बगल में खड़ा युवक बात काटते हुए बोला- ‘का बात कर रहे हैं सोनू भैया, देखिए न कै ठो नेता यहीं सात-आठ दिन में मर गए। ई नेता सब के भी ‘कोरोना’ होगा, देख लीजियेगा। चुनाव में ये सब जैसी लापरवाही कर रहे हैं, सबकी मुश्किल बढ़ा देंगे। मोदी जी के भाषण देने से नहीं न मान जायेगा कोरोना। देख नही रहे हैं, उनकी पार्टी में ही कितना भीड़ उमड़ रहा है। वैसे नड्डा, नीतीश से लेकर तेजस्वी तक किसी की भीड़ पर कोई कंट्रोल नहीं है। अब तो कहने के लिए भी कोई इसकी बात नहीं करता’।

शर्मा जी ने चर्चा मोड़ते हुए सवाल दागा- ‘छोड़ ई सब, हवा केकर बन रहा है इधर...’। जवाब एक नवयुवक ने दिया, ‘अरे चुनाव आता-जाता रहता है। नेता त सब एक जैसा ही रहता है। अब बताइए ई सगुना क्षेत्र ही में क्या विकास हुआ? जो भी नेता चुनाता है, उसका रंग चार से पांच महीने में ही बदल जाता है। कोई काम हो तो खोजते रह जाओ…।’

किसी ने जोड़ा- ‘अरे सारा काम तो उनका ही आदमी न करता है! सड़क की ठेकेदारी से लेकर हर काम, उन्हीं के लोग न करते हैं। ऐसे में नेता जी काहे दिखेंगे क्षेत्र में और काहे दिखेगा उनका आदमी...।’

एक और टिप्पणी आई- ‘सोशल डिस्टेंसिंग का बहाना क्या मिला, सब क्षेत्र से ही गायब हो गया। अब त सब फेसबुक और ट्विटर पर नेता जी आपन यात्रा के फोटो लगाकर क्षेत्र की जनता के बधाई देलें।’

किसी प्राइवेट कंपनी का आईडी लटकाए अंकित ने जैसे समापन टिप्पणी ही कर डाली- ‘अरे नेताजी के ई पता नहीं है कि फेसबुक और ट्विटर पर बधाई देवे वाला ज्यादा दिन मैदान में नहीं टिक पाता। जिस सोशल मीडिया पर नेता जी मौजूद रहते हैं न, वहीं से नेताजी की विदाई की नींव पड़ चुकी है।’

युवक की बात में दम लगा तो कई लोग अचानक उसके पक्ष में खड़े दिखे। लेकिन राकेश की टिप्पणी ने तो जैसे सभा समाप्ति का ऐलान ही कर दिया- ‘इहां बैठ के चर्चा कईले से कुछ नहीं होगा, हर किसी को खुदे आगे आना होगा, कि दमदार प्रत्याशी चुनाए जो विधानसभा में भी हमरा मान बढ़ाए और कामो करे।’



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Nitish Kumar (Bihar) Election 2020 | Patna Locals Voters Political Debate On Nitish Kumar Narendra Modi and Coronavirus


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बाइडेन ने कहा- महामारी के जिम्मेदार व्यक्ति को राष्ट्रपति रहने का हक नहीं, ट्रम्प बोले- कुछ हफ्तों में वैक्सीन ला रहे

अमेरिका के नेश्विल में तीसरी और फाइनल प्रेसिडेंशियल डिबेट चल रही है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और डेमोक्रेट कैंडिडेट जो बाइडेन इसमें हिस्सा ले रहे हैं। कुल 90 मिनट की बहस को 15-15 मिनट के 6 हिस्सों में बांटा गया है। पहली डिबेट में बाइडेन और ट्रम्प ने कई मौकों पर एक-दूसरे के साथ रोकटोक की थी। लिहाजा, कमीशन ऑफ डिबेट (CPD) ने इस बार म्यूट बटन के इस्तेमाल का फैसला किया। यानी एक कैंडिडेट जब मॉडरेटर के सवाल का जवाब दे रहा होगा तो दूसरे का माइक्रोफोन बंद रहेगा।

दूसरी बहस, 22 अक्टूबर को होनी थी। तब ट्रम्प कथित तौर पर संक्रमण मुक्त हो चुके थे। CPD ने इसे वर्चुअल फॉर्म में कराने को कहा था। राष्ट्रपति इसके लिए तैयार नहीं थे। बाद में इसे रद्द कर दिया गया था। यानी तकनीकी तौर पर यह दूसरी डिबेट ही है। राष्ट्रपति चुनाव 3 नवंबर को है।

इन 6 मुद्दों पर बहस
कोविड-19, अमेरिकी परिवार, अमेरिका में नस्लवाद, क्लाइमेट चेंज, नेशनल सिक्योरिटी और लीडरशिप।

पहला मुद्दा कोरोनावायरस ही रहा। बाइडेन इसी मुद्दे को भुनाना चाहते हैं। उन्होंने ट्रम्प पर शुरुआती हमला बोला।

बाइडेन: एक ऐसा व्यक्ति जिसकी वजह से लाखों अमेरिकी नागरिकों की जान गई हो। जो महामारी का जिम्मेदार हो। उसे राष्ट्रपति पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है। ट्रम्प के पास इस महामारी से निपटने का कोई प्लान ही नहीं था। मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि अगर हम सत्ता में आए तो सभी को मास्क पहनना होगा। इसके अलावा टेस्टिंग बढ़ाई जाएगी।
ट्रम्प: आप गलत और बिना जानकारी के आरोप लगा रहे हैं। हमने हर मुमकिन कोशिश की। अमेरिका ही नहीं बल्कि दुनिया का हर देश इस महामारी की चपेट में है। कुछ ही हफ्तों में हम वैक्सीन लेकर आ रहे हैं।महामारी की वजह से हम अमेरिका को बंद नहीं कर सकते। आपकी तरह बेसमेंट में छिपना हमें मंजूर नहीं।

बाइडेन का आरोप: अगर मास्क पहनना जरूरी किया गया होता तो 10 हजार लोगों की जान बचाई जा सकती थी। मेरे पास इससे निपटने का प्लान है। ट्रम्प कोरोना टास्क फोर्स के चीफ डॉ. एंथोनी फौसी की बात ही नहीं मानते। क्या वे उनसे बड़े एक्सपर्ट हैं?
ट्रम्प का जवाब: यह कैसा डर है कि हमने दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे ताकतवर इकोनॉमी को ही बंद कर दिया। ऐसी बीमारी जिसे चीन ने फैलाया। पहली की तुलना में डेथ रेट कम हुआ है। लॉकडाउन का फैसला राज्यों को करना है, केंद्र को नहीं। वैक्सीन अब तैयार है। साल के अंत तक बाजार में होगी। मैं संक्रमित हुआ तो बहुत कुछ सीखा। मैं सबकी बात सुनता हूं। लेकिन, मुझे लगता है कि डॉ. फौसी डेमोक्रेट हैं, लेकिन जाने दीजिए। इससे फर्क नहीं पड़ता।

चुनाव में विदेशी ताकतों का दखल
बाइडेन:
एक बात समझ लीजिए। अगर हम सत्ता में आए तो उन बाहरी ताकतों को सबक सिखाया जाएगा, जिन्होंने देश के चुनाव दखलंदाजी की साजिश रची। हम जानते हैं कि इस चुनाव में रूस, ईरान और चीन दखल देने की कोशिश कर रहे हैं। मैं जीता तो इन्हें सबक सिखाउंगा। रूस नहीं चाहता कि मैं चुनाव जीतूं। मैंने पूरी जिंदगी में किसी विदेशी कंपनी से एक पैसा नहीं लिया। ट्रम्प ने टैक्स चोरी की। उनका चीन के बैंक में अकाउंट है।
ट्रम्प: रूस पर मेरी जैसी सख्ती इतिहास में किसी ने नहीं दिखाई। बाइडेन को विदेशी कंपनियों से पैसा मिला। मैं टैक्स रिलीज की जानकारी इसलिए नहीं दे सकता, क्योंकि इसका ऑडिट चल रहा है। इतनी समझ तो आपको होना चाहिए कि कानून क्या कहता है। आपकी फैमिली ने विदेशी कंपनियों से खूब पैसा कमाया। जब बाइडेन वाइस प्रेसिडेंट थे तो उनके भाई और बेटे तिजोरियां भर रहे थे। आपका परिवार वैक्यूम क्लीनर की तरह है।

हेल्थ
बाइडेन: ट्रम्प ने ओबामाकेयर हेल्थ बिल को आगे लागू करने से इनकार कर दिया। वे यह भी नहीं बताते कि इसकी जगह कौन सा नया बिल लेकर आएंगे। आपके पास कोई प्लान नहीं है। हम 10 साल में 70 अरब डॉलर खर्च करेंगे।
ट्रम्प: मैंने कभी ओबामाकेयर लागू करने से मना नहीं किया। आप की तरह हम भी इस बिल का फायदा देना चाहते हैं। लेकिन, ये मेरा वादा कि हम इससे बेहतर बिल लेकर आ रहे हैं। उसका प्रीमियम ओबामाकेयर से कम होगा। लेकिन, अगर सुप्रीम कोर्ट को इस पर ऐतराज है तो फिर नया बिल लाना ही होगा। मैं इससे ज्यादा जानकारी नहीं दे सकता। दवाइयां सस्ती होंगी।



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नेश्विल की बेलमॉन्ट यूनिवर्सिटी में डोनाल्ड ट्रम्प और जो बाइडेन के बीच फाइनल डिबेट चल रही है।


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मैं 12वीं में एक डॉक्टर के साथ काम करने लगा, कंपाउंडर पिता को देख मुझे इंजेक्शन लगाना, ग्लूकोस चढ़ाना आता था

जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही रसीना खातून की आपबीती बिहार के पूरे ग्रामीण समाज की ही कहानी है। उनके परिवार के सभी मर्द रोजगार के लिए पलायन करने को मजबूर हैं। गांव में उनके साथ रहने वालों में सिर्फ उनकी अधेड़ सास और अविवाहित ननद ही हैं।

सुपौल जिले की सोहटा पंचायत में रहने वाली 19 साल की रसीना तीन महीने पहले ही मां बनी हैं। इस मौके पर उनके पति मोहम्मद इजहार भी गांव लौटे जो दिल्ली की एक फर्नीचर मार्केट में मजदूरी करते हैं। घर आए काफी समय हो चुका था, लिहाजा इजहार को अब वापस काम पर लौटना था।

रसीना चाहती थी कि इजहार उन्हें भी इस बार अपने साथ दिल्ली ले चलें। लेकिन, दिल्ली में दस बाई दस के कमरे में तीन अन्य मजदूरों के साथ रहने वाले इजहार के लिए ऐसा करना मुमकिन नहीं था लिहाजा वो इसके लिए तैयार नहीं हुए।

मोहम्मद इजहार की पत्नी ने जहर पी लिया था। इकबाल नाम के झोलाछाप डॉक्टर ने ही उसकी जान बचाई।

इजहार को बीते रविवार लौटना था तो इससे एक दिन पहले वो कुछ जरूरी काम निपटाने ब्लॉक मुख्यालय गये हुए थे। घर लौटने पर उन्होंने पाया कि उनका तीन महीने का बेटा लगातार बिलख रहा है और रसीना न तो दरवाजा खोल रही हैं, न ही कोई जवाब दे रही हैं।

दरवाजा तोड़ा गया तो इजहार के पैरों तले जमीन खिसक गई। रसीना जमीन पर बेहोश पड़ी थी, उनके मुंह से झाग निकल रहा था और कमरे में बिखरी ‘बारूद’ नाम के कीटनाशक की तेज गंध बता रही थी कि रसीना ने वही पीकर आत्महत्या की कोशिश की है।

मोहम्मद इजहार कहते हैं, ‘उसे जहर पिए लगभग दो घंटे हो चुके थे। उसकी आंख की पुतलियां भी स्थिर हो गई थी। सरकारी अस्पताल जाने का कोई फायदा नहीं था क्योंकि वहां इस तरह के मामले देखने वाला कोई नहीं है। जिला अस्पताल जाते तो वहां तक पहुंचते-पहुंचते ही ये दम तोड़ देती। इसलिए हम सीधा ही उसे लेकर इकबाल भैया के पास आ गए। भैया ने ही जहर उतारा है।’

इकबाल आलम सुपौल जिले की रामपुर पंचायत में रहते हैं। इस पूरे इलाके में वो डॉक्टर इकबाल के नाम से मशहूर हैं। हालांकि, इकबाल के पास डॉक्टर की कोई डिग्री नहीं है। बल्कि वे सिर्फ 12वीं तक ही पढ़े हैं और असल में झोलाछाप डॉक्टरों की उसी जमात में शामिल हैं जिनके कंधों पर बिहार की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था टिकी हुई है।

इकबाल आलम और उनके पिता दोनों ही झोलाछाप डॉक्टर हैं, काफी लंबे समय से वो ये काम करते आ रहे हैं।

इकबाल आलम बताते हैं, ‘मैं बीते 15 सालों में करीब आठ सौ जहर के मामलों को देख चुका हूं, जिनमें से सिर्फ तीन या चार मामलों में ही मरीज की मौत हुई है। बाकी सभी मामले ठीक हो गए। मेरे पास 50-60 किलोमीटर दूर से भी इस तरह के मामले आते हैं।’

अपने डॉक्टर बनने के बारे में वे बताते हैं कि उनसे पहले उनके पिता ये काम किया करते थे। यानी उनके पिता भी झोलाछाप डॉक्टर थे जिन्होंने कुछ साल किसी एमबीबीएस के साथ बतौर कंपाउंडर काम करने के बाद अपनी ही डॉक्टर की दुकान शुरू कर दी थी।

इकबाल कहते हैं, ‘मैं जब 12वीं में पढ़ता था तब से ही एक डॉक्टर के साथ काम करने लगा था। पिता को देखते हुए मुझे इंजेक्शन लगाना और ग्लूकोस चढ़ाना तो छोटे से ही आता था। मैंने करीब पांच साल एमबीबीएस डॉक्टर के साथ काम किया और फिर गांव आकर अपना काम करने लगा। कई बार तो सरकारी अस्पताल वाले भी मुझे मदद के लिए अपने यहां बुलाते हैं।’

जहर के मामलों में वो मरीज का इलाज कैसे करते हैं? इस सवाल पर वो कहते हैं, ‘मरीज को देखकर ही अंदाजा हो जाता है कि वो किस स्थिति में है। सबसे पहले उसका जहर निकालने के लिए उसकी आंतों की सफाई करते हैं। इसके लिए हम सक्शन करते हैं। यानी एक पाइप मरीज की आंतों तक डालते हैं, उसमें पानी भरते हैं और उसके साथ फिर आंतों में मौजूद जहर बाहर खींच लेते हैं। उसके बाद मरीज को स्थिति के हिसाब के ग्लूकोस लगाते हैं फिर दवा या इंजेक्शन देते हैं।’

जो प्रोसेस इकबाल बता रहे हैं कि वह कानून किसी डॉक्टर और विशेषज्ञ की गैर-मौजूदगी में नहीं की जा सकती। ये करना अपराध भी है और मरीज की जान से खिलवाड़ भी। इसमें थोड़ी भी चूक होने पर मरीज की मौत हो सकती है। इकबाल खुद भी इस बात को समझते हैं।

वो कहते हैं, ‘ये प्रोसेस खतरनाक तो है लेकिन अब हमें इसका काफी अनुभव हो गया है। जिन मामलों में हमें लगता है कि हमसे नहीं होगा उन्हें हम पहले ही माना कर देते हैं। बाकी चूक तो एमबीबीएस डॉक्टर से भी हो सकती है।’

इकबाल आलम ऐसे अकेले व्यक्ति नहीं हैं जो बिना किसी डिग्री या पढ़ाई के ‘डॉक्टर’ बन गए हैं। बिहार के ग्रामीण इलाकों में ऐसे लाखों ‘डॉक्टर’ हैं और गांवों में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से ऐसे ही लोगों के भरोसे चल रही है।

गावों में अब पूरा स्वास्थ्य महकमा ही झोलाछाप बन चुका है। इनमें केमिस्ट से लेकर पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी तक सभी काम शामिल हैं।

बिहार झोलाछाप डॉक्टरों पर किस हद तक निर्भर है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सिवान जिले के सिविल सर्जन ने सभी जन स्वास्थ्य केंद्रों को सरकारी आदेश जारी करते हुए झोलाछाप डॉक्टरों की मदद लेने के लिए लिखा था। इस आदेश में बाकायदा ‘झोलाछाप चिकित्सक’ शब्द का इस्तेमाल किया गया था।

इन झोलाछाप डॉक्टरों में कई तरह के लोग शामिल हैं। एक वो हैं जिन्होंने कुछ समय किसी एमबीबीएस के साथ कंपाउंडर का काम किया और फिर अपनी ही दुकान खोल ली, कुछ वो हैं जो दूसरी पीढ़ी के झोलाछाप हैं और कुछ वो भी हैं जो किसी झोलाछाप के कंपाउंडर रहने के बाद ख़ुद झोलाछाप डॉक्टर बन गए।

सिर्फ डॉक्टर ही नहीं बल्कि गावों में अब पूरा स्वास्थ्य महकमा ही झोलाछाप बन चुका है। इनमें केमिस्ट से लेकर पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी तक सभी काम शामिल हैं। झोलाछाप डॉक्टर दवाई लिखकर खुद तो गैर-कानूनी काम कर ही रहे हैं साथ ही अब उन्होंने अपनी केमिस्ट की दुकानें, पैथोलॉजी लैब और रेडियोलॉजी केंद्र भी खोल लिए हैं।

(झोलाछाप डॉक्टरों का ये व्यापार कैसे फल-फूल रहा है, कैसे इसी के भरोसे बिहार की ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था चल रही है और क्या ये इन चुनावों में एक अहम मुद्दा होगा? इस बारे में पढ़िए झोलाछाप डॉक्टरों पर इस विशेष रिपोर्ट की अगली कड़ी में।)

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I started working with a doctor in the 12th, seeing the compound father, injecting me, giving glucose came from childhood.


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32 हजार की नौकरी छोड़ी, सिग्नल पर वड़ा पाव बेचना शुरू किया, अब रोज 2 हजार कमा रहे; पहले 5 दिन फ्री बांटे थे

आज की पॉजिटिव खबर मुंबई के गौरव लोंढे़ की है। गौरव हर रोज ऑफिस से शिफ्ट खत्म होने के बाद शाम 6 बजे निकलते थे और रात 9 बजे घर पहुंचते थे। इन तीन घंटों में उन्हें भूख, प्यास लगती थी। मन में आता था कि काश गाड़ी में ही कोई गरमा-गरम कुछ खाने को दे देता।

वो एक पिज्जा कंपनी में काम करते थे। पहले डिलीवरी बॉय थे, फिर प्रमोट होते-होते मैनेजर बन गए। इसके बावजूद गौरव के मन में अपना कुछ करने का ख्याल हमेशा चलता रहा। पिछले साल नवंबर की बात है। उन्होंने अचानक नौकरी छोड़ दी। घर में पत्नी और मां हैं।

दोनों ने बहुत डांटा और समझाया भी कि बेटा नौकरी कर ले। लेकिन, गौरव अपनी जिद पर अड़ गए थे। उन्होंने घरवालों को बताया कि मैं ट्रैफिक सिग्नल पर वड़ा पाव बेचने का काम शुरू करने वाला हूं। पत्नी ने कहा कि आपको अभी 32 हजार रुपए सैलरी मिलती है।

नौकरी भी अच्छी चल रही है, तो आप क्यों ये फालतू काम करना चाहते हो। वैसे भी सिग्नल पर कोई वड़ा पाव नहीं खरीदेगा। दोस्तों ने भी जब ये आइडिया सुना तो उनका बहुत मजाक उड़ाया। लेकिन, गौरव ने किसी की बात नहीं मानी। उन्होंने एक शेफ ढूंढा। 6 लड़के भी हायर कर लिए। उन्हें कहा कि शाम 5 से रात 10 बजे तक सिग्नल पर वड़ा पाव बेचना है और इसके एवज में रोज दौ सौ रुपए मिलेंगे।

तस्वीर गौरव के ही एक सेल्समैन की है। जिसके जिम्मे मुंबई के एक ट्रैफिक सिग्नल पर वड़ा पाव बेचने की जिम्मेदारी है। गौरव ने हर एक को ऑरेंज कलर की ड्रेस भी दी है।

गौरव कहते हैं, वड़ा पाव तो मुंबई में हर जगह मिलता है, लेकिन मुझे इसमें कुछ अलग करना था। इसलिए मैंने इसकी पैकिंग बर्गर बॉक्स की तरह करवाई। बॉक्स में वड़ा पाव के साथ ही चटनी, हरी मिर्च और 200 एमएल पानी की बोतल पैक करने का प्लान बनाया। डिलीवरी बॉय के लिए ऑरेंज टीशर्ट कम्पल्सरी की।

हमने यही सोचा कि जो भी गाड़ियां सिग्नल पर रुकेंगी, उन्हें हम वड़ा पाव बेचेंगे। लेकिन, शुरुआत अच्छी नहीं रही। हम दो सिग्नल पर जा रहे थे। लोग हमें देखकर ही गाड़ी के कांच बंद कर लेते थे। फिर मैंने लोगों को ये बोलना शुरू किया कि, ट्रैफिक वड़ा पाव नाम की एक कंपनी है, जो अपने वड़ा पाव के लिए फीडबैक ले रही है। आपको पैसे नहीं देना सिर्फ रिव्यू करना है। इस तरह से फ्री में पैकेट बांटना शुरू किया।

फ्री में पैकेट बांटकर पहले दिन घर आया तो सबको लगा कि आज सब बिक गया। सब खुश हो गए। लेकिन, मैंने पत्नी को बताया कि कुछ नहीं बिका। मैं फ्री में ही सब बांटकर आया हूं। ऐसा मैंने पांच दिनों तक किया और करीब पांच सौ पैकेट फ्री बांट दिए। छठे दिन से हमने 20 रुपए में पैकेट बेचना शुरू किया और हमारे पैकेट बिकने भी लगे।

शुरुआत में लोगों को फ्री में वड़ा पाव बांटा, फिर 20 रुपए में पैकेट बेचना शुरू किया। रिस्पॉन्स भी अच्छा मिला।

मैंने नौकरी के दौरान देखा था कि कस्टमर्स फीडबैक बहुत जरूरी होता है, इसलिए बॉक्स पर ही अपना नंबर प्रिंट करवा रखा था। लोग हमें फीडबैक देने लगे। कई लोग हमारी फोटो क्लिक करके उनके फेसबुक-इंस्टाग्राम पर डालते। इससे हमें काफी लोग जानने लगे। दो महीने में ही मुझे इतना अच्छा रिस्पॉन्स मिला कि मेरी रोज की बचत दो हजार रुपए तक होने लगी।

इस साल फरवरी में मैंने सिग्नल के पास ही एक शॉप रेंट पर ले ली, लेकिन हमारा फोकस सिग्नल पर वड़ा पाव बेचना ही है। लॉकडाउन के बाद अभी आठ दिन पहले फिर काम शुरू किया है। अब वड़ा पाव के साथ समोसा और चाय भी शुरू करने वाले हैं। अभी मेरे पास चार लड़के हैं, जिन्हें मैंने 10 हजार रुपए फिक्स सैलरी पर रख लिया है।

जरूरत बढ़ रही है इसलिए और लड़के हायर कर रहा हूं। 15 लड़कों की टीम बनानी है। सभी को 10 हजार रुपए की फिक्स सैलरी पर रखूंगा। जितने ज्यादा लड़के होंगे, सेल उतनी ही बढ़ेगी। और अब सिर्फ शाम को नहीं बल्कि सुबह भी हम सर्विस देने लगे हैं। सुबह 7 से दोपहर 12 बजे तक और शाम को 5 से रात 10 बजे तक हमारा काम चालू रहता है।

इस तरह से पैकेट में वड़ा पाव पैक करके देते हैं। साथ में एक 200 ML की पानी की बोतल भी देते हैं।

जो भी कोई काम शुरू करना चाहता है तो उसको बस यही बताता हूं कि, जो आपके मन में हो, उससे जरूर करो। लोग तो निगेटिव ही बोलते हैं, लेकिन यदि हम दिल का काम करते हैं तो कामयाब जरूर होते हैं। मैंने तो अपने अनुभव से यही सीखा है। पहले मैं 32 हजार रुपए के लिए सुबह से शाम तक नौकरी कर रहा था और अब दस-दस हजार रुपए की सैलरी पर लोगों को नौकरी दे रहा हूं।

हिम्मत नहीं करता तो शायद अब भी नौकरी ही करते रहता। मैंने इस बिजनेस को शुरू करने में 50 से 60 हजार रुपए खर्च किए थे, सब सामान बल्क में खरीदा था। पूरा पैसा दो महीने में ही निकल चुका है। अब फ्रेंचाइजी देने पर भी काम कर रहा हूं।

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केंद्रीय कानूनों को बेअसर करने के लिए पंजाब ने पास किए चार एग्री बिल; क्या है इसके मायने

केंद्र सरकार के एग्रीकल्चर कानूनों का मुखर विरोध कर रहे पंजाब ने चार अपने विधेयक पारित किए हैं। केंद्रीय कानूनों के खिलाफ किसानों के एक महीने से चल रहे प्रदर्शन के बाद पंजाब विधानसभा ने विशेष सत्र बुलाकर 20 अक्टूबर को चार विधेयक पारित किए।

केंद्रीय कानूनों को बेअसर करने वाले इन कानूनों को पारित करने वाला पंजाब पहला राज्य बन गया है। कुछ और विपक्षी पार्टियों की सरकारों वाले राज्य भी इसे फॉलो कर सकते हैं। लेकिन, सवाल यह उठता है कि इसकी जरूरत क्या थी? इससे क्या हो जाएगा? क्या कोई भी राज्य इस तरह केंद्रीय कानूनों को बेअसर कर सकता है?

सबसे पहले जानिए, क्या है पंजाब के विधेयक और नए कानून?

  • केंद्रीय कानून कहता है कि मंडियों के बाहर भी खरीद-फरोख्त हो सकती है। इस पर टैक्स नहीं लगेगा। पंजाब सरकार का विधेयक कहता है कि MSP से कम में खरीद-फरोख्त करने पर 3 साल की जेल और जुर्माना होगा। जीरो टैक्स भी मंजूर नहीं होगा।
  • केंद्रीय कानून कहता है कि किसान अपनी फसल को कहीं भी खरीद व बेच सकते हैं। उन पर कोई रोक नहीं रहेगी। पंजाब में इस पर रोक लगा दी है। किसान अपनी फसल वहीं बेच सकेंगे जहां राज्य सरकार बताएगी। खरीद की जानकारी राज्य सरकार को देनी होगी।
  • केंद्रीय कानून कहता है कि कंपनियां जितना मर्जी अनाज खरीद सकेंगी। भंडारण कहां किया? यह बताना नहीं पड़ेगा। पंजाब के बिल में देखरेख राज्य सरकार की होगी। सरकार को खरीद की लिमिट तय करने का अधिकार रहेगा।
  • केंद्रीय कानून कहता है कि यदि किसान और व्यापारी में कोई विवाद होता है तो एसडीएम उसकी सुनवाई करेगा और निराकरण करेगा। वहीं, पंजाब सरकार के फैसले के मुताबिक कंपनी से कोई विवाद होने पर किसान सिविल कोर्ट में भी जा सकते हैं।

इन विधेयकों की क्या जरूरत थी?

  • पंजाब सरकार का दावा है कि केंद्र के तीनों एग्रीकल्चर कानूनों को बदला गया है ताकि किसानों के संरक्षण के लिए पंजाब एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट्स एक्ट 1961 के तहत रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को लागू किया जा सके। इससे न केवल किसानों और खेत मजदूरों के हितों की रक्षा होगी बल्कि उनकी आजीविका भी कायम रहेगी।
  • तीनों विधेयकों में कहा गया है कि 2015-16 में किए गए एग्रीकल्चर सेंसस के मुताबिक राज्य के 86.2 प्रतिशत किसान छोटे और सीमांत है। उनके पास दो एकड़ से भी कम जमीन है। मल्टीपल मार्केट्स तक उनकी पहुंच सीमित है और उनके पास प्राइवेट मार्केट में अपना सामान बेचने के लिए नेगोसिएशन की ताकत भी नहीं है।

इन बिल्स का क्या मतलब है?

  • इन विधेयकों के जरिए केंद्र सरकार के कानूनों को बदला जा रहा है, इसलिए इन पर पंजाब के राज्यपाल के बाद राष्ट्रपति की भी मंजूरी की आवश्यकता होगी। यदि मंजूरी नहीं मिली तो यह केंद्रीय कानूनों के खिलाफ पंजाब सरकार का महज एक राजनीतिक बयान होगा।
  • दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट किया कि क्या राज्य केंद्र के कानूनों को बदल सकता है? राजा साहब आपने जनता को बेवकूफ बनाया। किसानों को MSP चाहिए, आपके फर्जी और झूठे कानून नहीं।
  • केजरीवाल के आरोप पर अमरिंदर ने जवाब दिया- मैं आपके दोगले किरदार से हैरान हूं। आपके नेता राज्यपाल से भी मिलने साथ गए और अब बाहर कुछ और ही बोल रहे हैं। केजरीवाल को तो पंजाब को फॉलो करते हुए अपने यहां भी बिल पारित करने चाहिए।

पंजाब सरकार के विधेयकों पर एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?

  • कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने कहा कि अब देश में व्यापक बहस होनी चाहिए कि केंद्र के कानून में क्या सुधार होना चाहिए। पंजाब सरकार का निर्णय किसानों की जरूरतों और स्थानीय आवश्यकता के तहत लिया गया है।
  • पूर्व कृषि सचिव सिराज हुसैन ने कहा केंद्रीय कानून में संशोधन का राज्य सरकार को अधिकार है, लेकिन राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी है। इससे राज्य के बाहर के किसानों के पंजाब में फसल बेचने या व्यापारियों के बाहर जाने जैसी स्थिति निर्मित नहीं होगी।
  • सेंटर फॉर रिसर्च इन रूरल एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट (CRRID) के पूर्व डायरेक्टर जनरल डॉ. सुचा सिंह गिल ने कहा कि सिर्फ दो फसलों (गेहूं-धान) को ही इन बिल्स में क्यों रखा है? वह सभी फसलें आनी चाहिए थी, जिनका MSP सरकारें तय करती हैं।
  • पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉ. एसएस जोहल का कहना है कि यह विधेयक सिर्फ वोटबैंक पॉलिटिक्स के लिए बनाए गए हैं। यह संशोधन राज्य में प्राइवेट कंपनियों की इंट्री को ब्लॉक करेंगे। यानी जो सुधार हो सकते थे, वह नहीं आ सकेंगे।

इसमें आगे क्या होगा? क्या कोई भी राज्य केंद्र के कानून को बदल सकता है?

  • यदि केंद्रीय कानून में कोई राज्य बदलाव करता है तो उस विधेयक को लंबी प्रक्रिया से गुजरना होता है। सबसे पहले तो राज्यपाल की मंजूरी लेनी होती है। राज्यपाल कानूनी राय-मशविरा करने के बाद विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजता है।
  • राष्ट्रपति के लिए इस तरह के विधेयकों को मंजूरी देने के लिए कोई समय सीमा नहीं है। संविधान के तहत वह चाहे तो इसे मंजूरी न दें या वह राज्य को फिर लौटा दें।
  • पंजाब सरकार की दलील है कि संविधान में समवर्ती सूची में कृषि राज्यों के हिस्से में है। केंद्र को इससे जुड़े मसलों पर कोई कानून बनाने का अधिकार नहीं है। यदि राष्ट्रपति ने मंजूरी नहीं दी तो राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में जा सकती है।
  • इससे पहले नागरिकता कानून का भी कुछ राज्यों ने विरोध किया था। केरल सरकार ने तो उस कानून को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी थी। इसी तरह नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी एक्ट के कुछ प्रावधानों को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट को चुनौती दी थी। इन पर फैसले नहीं आए हैं।


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Punjab Farm Bills: What Is The Captain Amarinder Singh Government New Agriculture Bill? Everything You Need To Know About It


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2001 में आईपॉड के लॉन्च से ऐपल हुआ मोबाइल; 1934 में महात्मा गांधी ने कांग्रेस छोड़ी

ऐपल ने आज से 19 साल पहले यानी 23 अक्टूबर 2001 को पहला आईपॉड लॉन्च किया था। यहीं से ऐपल के मोबाइल डिवाइस का सफर शुरू हुआ और आज वह सबसे बड़े स्मार्टफोन निर्माताओं में से एक है।

बात 1997 की है। स्टीव जॉब्स ऐपल में CEO के तौर पर लौटे ही थे। डेस्कटॉप मार्केट पर माइक्रोसॉफ्ट का कब्जा था। ऐपल के पास कोई भी लोकप्रिय प्रोडक्ट नहीं था और वह दिवालिया होने के कगार पर था। ऐसे में उम्मीद सिर्फ नए डिवाइस से ही थी। 1990 के दशक में हैंडहेल्ड MP3 प्लेयर्स मार्केट में आ गए थे।

स्टीव जॉब्स को लगता था कि यह इस्तेमाल में आसान नहीं है। ऐपल को पोर्टेबल MP3 प्लेयर बनाना चाहिए। जॉब्स का मानना था कि ऐपल के पोर्टेबल MP3 प्लेयर का आईट्यून्स से लिंक हो, ताकि वह मैक कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहे लोगों को आकर्षित करें। शुरुआती डिजाइन में सिर्फ दो पॉइंट्स रखे थे। 1.8 इंच की जगह में 5GB हार्ड ड्राइव का इस्तेमाल करना था, जो तोशीबा बनाती थी।

सारे इंजीनियर मैक को अपग्रेड करने में लगे थे। तब डिजाइन कंसल्टेंट के तौर पर फिलिप्स के टोनी फैडल को लाया गया। छह हफ्ते में तीन प्रोडक्ट मॉडल डिजाइन हुए। जॉब्स को पसंद भी आए। उन्होंने फैडल को पोर्टेबल म्युजिक डिवाइस टीम का इंचार्ज बना दिया। वे चाहते थे कि 2001 की क्रिसमस शॉपिंग लिस्ट में यह डिवाइस शामिल रहे। समय कम था इसलिए ज्यादातर कम्पोनेंट बाहर से खरीदे।

नाम रखने के लिए फ्रीलांस राइटर विनी शिको को हायर किया गया। उन्होंने ही इसे आईपॉड नाम दिया, जो स्टारट्रैक से इंस्पायर्ड था। 23 अक्टूबर 2001 को यह प्रोडक्ट औपचारिक रूप से लॉन्च हुआ और नवंबर 2001 में पहले आईपॉड की डिलीवरी हुई। छह साल में ही 10 करोड़ से ज्यादा आईपॉड बिक चुके थे। इसके बाद जो हुआ, वह इतिहास है। आईपैड्स, आईवॉच और आईफोन ने अपने-अपने सेग्मेंट्स में धाक जमाई है।

आज की तारीख को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता हैः

  • 1707: ग्रेट ब्रिटेन साम्राज्य की संसद की पहली बार लंदन में बैठक हुई।
  • 1760: उत्तर अमेरिका में यहूदी प्रार्थना की पहली किताब मुद्रित हुई।
  • 1764ः मीर कासिम बक्सर की लड़ाई में पराजित हुआ।
  • 1814ः विश्व की पहली प्लास्टिक सर्जरी इंग्लैंड में की गयी।
  • 1910ः बीएस स्कॉट अमेरिका में अकेले हवाई जहाज उड़ाने बनाने वाली पहली महिला बनीं।
  • 1934ः महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता पद से इस्तीफा दिया।
  • 1941ः जर्मन सरकार ने यहूदियों के उत्प्रवास पर प्रतिबंध लगाया।
  • 1943ः नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में आजाद हिंद फौज में झांसी की रानी ब्रिगेड की स्थापना की।
  • 1946ः संयुक्त राष्ट्र महासभा की न्यूयार्क में पहली बार बैठक हुई।
  • 1954ः पश्चिम जर्मनी नाटो सम्मेलन में शामिल हुआ।
  • 1956ः सोवियत शासन के अंत की मांग करते हुए, हजारों लोग बुडापेस्ट, हंगरी में सड़कों पर उतरे।
  • 1989ः हंगरी, सोवियत संघ से 33 वर्षों के बाद आजाद होकर गणराज्य बना।
  • 1998ः जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अपने पहले बैंक का राष्ट्रीयकरण किया।
  • 2001ः नासा के मार्स ओडिसी अंतरिक्ष यान ने मंगल ग्रह की परिक्रमा शुरू की।
  • 2002ः चेचन अलगाववादियों ने मॉस्को में लगभग 700 संरक्षक और कलाकारों को बंधक बनाया।
  • 2004ः जापान में आए भूकंप ने 85 हजार लोगों को बेघर कर दिया।
  • 2011ः तुर्की के वान प्रांत में 7.2 तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें 582 लोगों की मौत हुई और हजारों घायल हुए।
  • 2013ः चीन और भारत ने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एक सीमा रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने का फैसला किया।


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Today History for October 23rd/ What Happened Today | Apple Launched iPod In 2001 | Mahatma Gandhi Resigned From Congress Party Post | Jhasi Rani Brigade In Azad Hind Fauj Formed in Singapore | Hungary Became Republic


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अमेरिकी हेल्थ एजेंसी सीडीसी की नई गाइडलाइन, कहा- यात्रा में मास्क लगाने से कोरोना का रिस्क 50% कम

कोरोना के दौर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ट्रैवल करना बहुत ज्यादा खतरनाक है। बस, ट्रेन, टैक्सी और फ्लाइट में यात्रा के दौरान तमाम सावधानियों के बावजूद भी हम लोगों के संपर्क में आते हैं। बार-बार सीट, हैंडल और बैग जैसी चीजें भी छूनीं पड़ती हैं। हमें सिक्योरिटी चेकअप की लाइनों में भी लगना पड़ता है। लोग चाहते हुए भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में 6 फिट की दूरी नहीं बना सकते।

अमेरिकी हेल्थ एजेंसी सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यात्रा को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। इसके मुताबिक ट्रैवलिंग के दौरान मास्क के इस्तेमाल से कोरोना के संक्रमण का खतरा 50% तक कम किया जा सकता है। सीडीसी ने जोर देते हुए कहा है कि सभी पैसेंजरों को मास्क का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। यह सिर्फ यात्रियों के लिए ही नहीं, पब्लिक ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स और क्रू मेंबर्स के लिए भी बहुत जरूरी है।

सीडीसी की नई गाइडलाइन में नया क्या है?

  • लोगों का एयरपोर्ट, बस-स्टेशन, ट्रेन स्टेशन, सी-पोर्ट और मेट्रो में सफर के दौरान मास्क को मुंह या नाक से हटाना बेहद खतरनाक हो सकता है।
  • सफर के दौरान लोगों को ऐसा मास्क पहनना चाहिए, जो मुंह और नाक दोनों को कवर करे। कहीं से भी ढीला न हो।
  • लोगों को मास्क का इस्तेमाल करना उस वक्त भी नहीं भूलना चाहिए, जब वे कुछ समय के लिए ही घर से बाहर जा रहे हों।
  • पब्लिक ट्रांसपोर्ट का संचालन करने वालों को यह तय करना चाहिए कि बिना मास्क वाले लोगों को सफर न करने दें।
  • पैसेंजर और ट्रांसपोर्ट में काम करने वाले लोगों को सफर के दौरान हर हाल में मास्क इस्तेमाल करना चाहिए।
  • विशेष परिस्तिथयों में ही बगैर मास्क के यात्रियों को सफर करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स के लिए क्या नई गाइडलाइन है?

पब्लिक ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोग ट्रेन, बस या फ्लाइट में चढ़ने और उतरने के दौरान मास्क जरूर लगाएं। इन 7 बातों का ध्यान रखकर ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स यात्रियों से मास्क के नियम को सही तरीके से फॉलो करा सकते हैं।

किन लोगों को मास्क नहीं पहनने की छूट मिल सकती है?

पब्लिक ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स कुछ लोगों को मास्क नहीं लगाने की छूट दे सकते हैं। हालांकि, ये छूट ऑपरेटर्स के विवेक, सरकारी गाइडलाइन और विशेष अनुमति के आधार पर तय हो सकती है। 5 तरह के लोगों को ये छूट मिल सकती है।​​



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US Health Agency CDC's suggestion regarding masks in public transport; Know what things to keep in mind about the mask


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सितंबर में केंद्र बोला- बिहार में 2.75 लाख पद तो शिक्षकों के ही खाली, जदयू बता रही- राज्य में कुल 1.74 लाख पद खाली

बिहार में चुनाव है। वादों की बहार है। लेकिन, सबसे बड़ा वादा नौकरी का है। तेजस्वी यादव 10 लाख सरकारी नौकरियां देने का वादा करते हैं, वो भी परमानेंट। तो सीएम नीतीश कुमार तंज कसते हैं- ‘पैसवा कहां से आएगा? ऊपर से आएगा? कि नकली नोट मिलेगा। या जेलवे से आएगा?’ लेकिन, उनकी ही सहयोगी भाजपा 19 लाख रोजगार का वादा कर रही है। इसमें चार लाख नौकरियों का भी वादा शामिल है। वहीं, नीतीश की पार्टी जदयू के प्रवक्ता अजय आलोक कहते हैं कि बिहार में 1.74 लाख पद ही खाली हैं। उनका तंज तो तेजस्वी पर ही था। लेकिन, उनकी बात भाजपा के वादे को भी काट रही थी।

बिहार में वाकई कितने पद खाली हैं? कितनों पर रिक्रूटमेंट प्रोसेस शुरू हो गई है? बेरोजगारी दर कितनी है? इसे समझने की कोशिश करते हैं। लेकिन, उससे पहले ये समझना भी जरूरी है कि आखिर रोजगार के ऐसे वादे क्यों किए जा रहे हैं। तो इसका कारण है वो 23% वोटर, जिनकी उम्र 30 साल से कम है। चुनाव आयोग के मुताबिक, बिहार में 7.29 करोड़ वोटर हैं, जिसमें से 1.67 करोड़ वोटर 30 साल से कम उम्र के हैं। मतलब अगर ये वोटर एक तरफ चलें जाएं तो किसी की भी सरकार बना सकते हैं।

भाजपा बोल रही 3.5 लाख शिक्षकों की नियुक्ति हुई, तब भी सबसे ज्यादा पद इनके ही खाली

भाजपा ने अपने घोषणापत्र में लिखा है कि एनडीए सरकार ने बिहार में 3.5 लाख शिक्षकों की नियुक्तियां की हैं। लेकिन, सच तो ये है कि बिहार में शिक्षकों के 2.75 लाख से ज्यादा पद अब भी खाली पड़े हैं और इस मामले में बिहार पहले नंबर पर है। ये हम नहीं कह रहे। ये खुद उनकी सरकार ने लोकसभा में बताया है। एचआरडी मिनिस्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने 19 सितंबर को लोकसभा में बताया था कि देशभर में शिक्षकों के 10.61 लाख से ज्यादा पद खाली हैं, जिसमें से 2.75 लाख पद अकेले बिहार में खाली हैं।

पद खाली क्योंकि किसी को नियुक्ति का इंतजार, किसी को रिजल्ट का

बिहार में शिक्षकों के इतने खाली पद होने के पीछे भी सरकार ही है। कई हजारों लोग हैं जो या तो नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं या रिजल्ट का या फिर परीक्षा का।

  • 2017 में टीईटी परीक्षा हुई। 94 हजार लोगों ने परीक्षा दी, लेकिन अभी तक नियुक्तियां ही नहीं हुईं।
  • अगस्त 2019 में एसटीईटी परीक्षा हुई, जिसमें 37 हजार 500 लोग शामिल हुए। इनका रिजल्ट ही नहीं आया।
  • जनवरी 2020 में 33 हजार सीटों पर शिक्षकों के लिए विज्ञापन निकला, लेकिन आजतक इस बारे में कोई जानकारी शिक्षा विभाग के पास ही नहीं है।

बिहार में पब्लिक-पुलिस का रेशो सबसे कम, फिर भी 50 हजार पद खाली

केंद्र सरकार की एक एजेंसी है ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरडी)। ये पुलिस का डेटा रखती है। इसके पास पब्लिक-पुलिस रेशो का सबसे ताजा डेटा 2018 तक का है। इस डेटा के मुताबिक, देश में हर एक लाख आबादी पर 199 पुलिसवाले हैं। ये तो रहा देश का डेटा, जबकि राज्यों का डेटा अलग-अलग है।

बीपीआरडी के मुताबिक, बिहार में हर एक लाख आबादी पर 131.6 पुलिसवाले हैं। ये रेशो देश में सबसे कम है। जबकि, उससे अलग होकर बने झारखंड में हालात इससे कहीं ज्यादा बेहतर है। वहां हर एक लाख पर 221 पुलिसवाले हैं। ऐसी हालत होने के बाद भी बिहार में पुलिस के 50 हजार से ज्यादा पद खाली पड़े हैं।

बिहार में बेरोजगारी दर देश के मुकाबले दोगुनी

पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) के मुताबिक, 2018-19 में देश में बेरोजगारी दर 5.8% थी। जबकि, बिहार में 10.2% थी। ये आंकड़ा कोरोनावायरस के पहले का है। रोजगार पर कोरोना का कितना असर हुआ, इसका सरकारी आंकड़ा तो नहीं है। लेकिन, प्राइवेट एजेंसियों के जिस तरह के अनुमान आ रहे हैं उससे आशंका है कि ये आंकड़ा इससे काफी बड़ा हो सकता है।

बेरोजगारी दर इतनी ज्यादा होने के पीछे भी सरकार ही है। अब देखिए 2014 में 13 हजार 120 पदों के लिए एसएससी यानी स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ने रिक्रूटमेंट प्रोसेस शुरू की। ये वो पद थे, जिनके लिए 12वीं पास भी परीक्षा दे सकते थे। इसकी परीक्षा हुई 2018 में, रिजल्ट आया 2020 में। अब लोग मुख्य परीक्षा का इंतजार कर रहे हैं। इतना ही नहीं, बिहार में अभी भी जूनियर इंजीनियर के 66% से ज्यादा पद खाली पड़े हैं।



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Nitish Kumar Tejashwi Yadav | Bihar Election Jobs Promise Manifesto 2020; Nitish Kumar RJD BJP Party vs Tejashwi Yadav Mahagathbandhan


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पैगम्बर का कार्टून दिखाने पर मारा गया टीचर शरणार्थियों का समर्थन कर रहा था? जानें पूरा सच

क्या हो रहा है वायरल: सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो रही है। फोटो में हाथ में बैनर लिए तीन लोग शरणार्थियों का स्वागत करते दिख रहे हैं।

दावा किया जा रहा है कि फोटो में दो महिलाओं के बीच खड़ा शख्स वही टीचर है, जिसे बीते दिनों पेरिस में हज़रत मोहम्मद का कार्टून दिखाने की वजह से कट्टरपंथियों ने बेरहमी से मार दिया था।

फोटो के साथ मैसेज शेयर करते हुए सोशल मीडिया पर शरणार्थियों का समर्थन करने वालों का ऐसा ही अंजाम होने की नसीहतें दी जा रही हैं। भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी और भाजपा प्रवक्ता मेजर सुरेंद्र पुनिया ने फोटो इसी दावे के साथ शेयर किया।

और सच क्या है?

  • मेजर सुरेंद्र पूनिया ने फोटो को कुछ साल पहले का बताया है। ट्वीट में लिखा है- कुछ साल पहले वो फ्रांस में आने वाले Refugees का स्वागत कर रहा था । जबकि वायरल हो रही फोटो में तीनों लोग मास्क लगाए हुए हैं, जिससे स्पष्ट हो रहा है कि फोटो कुछ साल पहले की नहीं कोरोना काल की ही है।
  • फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें 17 अक्टूबर को Good Chance नाम के ग्रुप के ट्विटर हैंडल से किया गया एक ट्वीट मिला। जिसमें लिखा है- आज गुड चांस टीम ने फोकस्टोन में शरणार्थियों का स्वागत किया। इस ट्वीट से हमें एक क्लू मिला कि फोटो फ्रांस की बजाए इंग्लैंड के फोकस्टोन की हो सकती है।
  • Google पर Folkestone refugee welcome की वर्ड लिखकर सर्च करने से द गार्जियन वेबसाइट की एक खबर हमारे सामने आई। खबर के अनुसार, 17 अक्टूबर को इंग्लैंड के फोकस्टोन में लगभग 200 लोगों ने शरणार्थियों के लिए स्वागत समारोह आयोजित किया था। फोटो इसी समारोह की है।
  • पैगम्बर का कार्टून दिखाने पर मारे गए शिक्षक सैमुअल पेटी की असली फोटो का वायरल फोटो में खड़े शख्स की शक्ल से हमने मिलान किया। स्पष्ट हो रहा है कि दोनों अलग-अलग हैं।
  • बीबीसी की खबर के अनुसार, सैमुअल पेटी की हत्या शुक्रवार ( 16 अक्टूबर) शाम 5 बजे हुई थी। दूसरी तरफ पड़ताल में हम पहले ही पता लगा चुके हैं कि शरणार्थियों के समर्थन में इंग्लैंड में 17 अक्टूबर को आयोजन हुआ था। यानी फोटो में दो लड़कियों के बीच खड़े शख्स की फोटो हत्या के एक दिन बाद की है।
  • शरणार्थियों के समर्थन में हुए जिस समारोह की फोटो वायरल हो रही है, वो इंग्लैंड में हुआ था। और टीचर का सिर काटे जाने की घटना पेरिस में हुई। गूगल मैप के अनुसार, इन जगहों की दूरी लगभग 405 किलोमीटर है। मेजर सुरेंद्र पुनिया का ये दावा फेक है कि सैमुअल पेटी फ्रांस आने वाले शरणार्थियों का समर्थन कर रहे थे।



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Fact Check: Teacher brutally killed by the cartels for showing a cartoon of Hazrat Muhammad, was he agitating in support of the refugees? BJP spokesperson Major Surendra Punia shared a photo with a false claim.


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