शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ने लिखा- राहुल गांधी में सब्जेक्ट का मास्टर होने की योग्यता या जुनून नहीं

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने मेमोइर (जीवनी) में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी का जिक्र किया है। ओबामा का कहना है, "राहुल उस स्टूडेंट की तरह हैं जो टीचर को इम्प्रेस करने के लिए तो उत्सुक है, लेकिन सब्जेक्ट का मास्टर होने के मामले में योग्यता या जुनून की कमी है। यह राहुल की कमजोरी है।" ओबामा जब सत्ता में थे तब, राहुल गांधी कांग्रेस के उपाध्यक्ष थे। ओबामा की पिछली भारत यात्रा के वक्त राहुल उनसे मिले थे।

ओबामा ने मनमोहन सिंह को शांत और ईमानदार बताया है। मनमोहन सिंह के कार्यकाल वाली UPA सरकार के समय ओबामा अमेरिका के प्रेसिडेंट रहे थे। नवंबर 2009 में ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल भारत दौर पर आए थे, तब मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी गुरुशरण कौर ने ओबामा परिवार के लिए डिनर भी रखा था।

ओबामा ने अपनी किताब में दूसरे देशों के नेताओं के बारे में भी लिखा है। रूस के प्रेसिडेंट ब्लादिमीर पुतिन को शारीरिक रूप से साधारण बताया है। अमेरिका के प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन के बारे में लिखा है कि वे सज्जन, ईमानदार और वफादार हैं। बाइडेन को लगे तो उन्हें तवज्जो नहीं मिल रही, तो वे गुस्सा हो सकते हैं, यह ऐसी क्वालिटी है जो किसी युवा से डील करते वक्त माहौल बिगाड़ सकती है।



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बराक ओबामा जब भारत आए थे, तब राहुल उनसे मिले थे।- फाइल फोटो।


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अमेरिका में लगातार दूसरे दिन रिकॉर्ड 1.40 लाख केस, फ्रांस में लॉकडाउन 2 हफ्ते बढ़ेगा

दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा शुक्रवार सुबह 5.30 करोड़ के पार हो गया। 3 करोड़ 71 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 12 लाख 98 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिका में संक्रमण की रफ्तार कम होने का नाम नहीं ले रही है। यहां गुरुवार को एक ही दिन में एक लाख 40 हजार मामले सामने आए। वहीं, फ्रांस में लॉकडाउन से कम होते मामलों के बाद सरकार इसे दो हफ्ते बढ़ाने पर विचार कर रही है।

अमेरिका में फिर रिकॉर्ड
अमेरिका में लगातार दूसरे दिन एक लाख 35 हजार से ज्यादा मामले सामने आए। गुरुवार को यहां एक लाख 40 हजार मामले सामने आए। इसके एक दिन पहले यानी बुधवार को एक लाख 35 हजार मामले सामने आए थे। कुल मिलाकर एक हफ्ते में 10 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इस बीच, कोरोनावायरस टास्क फोर्स में शामिल और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सलाहकार डॉक्टर एंथोनी फौसी ने कहा है कि अमेरिका में किसी लॉकडाउन की जरूरत नहीं है। डॉक्टर फौसी ने कहा- अगर हम मास्क लगाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें तो लॉकडाउन जैसे सख्त उपायों की जरूरत नहीं होगी। फौसी ने माना कि अमेरिका में मामले बहुत ज्यादा हैं, लेकिन उम्मीद जताई कि वैक्सीन भी जल्द आने वाली है। उनके मुताबिक, अप्रैल और मई तक हालात काबू में होंगे।

शिकागो में गुरुवार को एक स्टैच्यू के सामने से गुजरती महिला। अमेरिका में गुरुवार को फिर एक लाख से ज्यादा मामले सामने आए। गुरुवार को यहां कुल एक लाख 40 हजार मामले सामने आए।

इटली में अप्रेल के बाद सबसे ज्यादा मौतें
इटली में संक्रमण की दूसरी लहर खतरनाक साबित हो रही है। गुरुवार को यहां 636 संक्रमितों की मौत हो गई। यह 6 अप्रैल के बाद एक दिन में होने वाली सबसे ज्यादा मौतें हैं। इसके अलावा एक ही दिन में यहां 5 हजार नए मामले सामने आए। पहली लहर यानी नवंबर के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित शहर लोम्बार्डी में हालात फिर खतरनाक होने लगे हैं। यहां के अस्पतालों में भर्ती होने वाले गंभीर मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है। हालांकि, इटली सरकार ने साफ कर दिया है कि वो लॉकडाउन नहीं करेगी।

वैक्सीन से खत्म होगी महामारी
जर्मन कंपनी बायोएनटेक के चीफ एग्जीक्यूटिव उगुर सेहिन ने कहा है कि कोविड-19 का वैक्सीन आने के बाद महामारी पूरी तरह खत्म हो जाएगी। एक इंटरव्यू में सेहिन ने कहा- इस महामारी ने पूरी दुनिया को बंधक बना लिया है। हमें उम्मीद है कि वैक्सीन आने के बाद दुनिया आजाद होगी। क्लीनिकल ट्रायल्स चल रहे हैं। हमें उम्मीद है कि बहुत जल्द और बहुत बेहतर नतीजे सामने आएंगे। बायोएनटेक और फाइजर बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। जिन रोगियों में लक्षण साफ तौर पर दिखाई दे रहे हैं, उनके लिए तो यह बहुत इफेक्टिव होगी। हम बस इतना जानते हैं कि इस वैक्सीन से वायरस खत्म हो जाएगा।

फोटो जर्मन कंपनी बायोएनटेक के चीफ एग्जीक्यूटिव उगुर सेहिन की है। गुरुवार को एक इंटरव्यू में सेहिन ने कहा- कोविड-19 का वैक्सीन आने के बाद महामारी पूरी तरह खत्म हो जाएगी।


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फ्रांस के पेरिस शहर में गुरुवार को एक गंभीर मरीज को हेलिकॉप्टर से हॉस्पिटल लाया गया। फ्रांस सरकार ने देश में लॉकडाउन दो हफ्ते बढ़ाने का फैसला किया है।


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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ने लिखा- राहुल गांधी में सब्जेक्ट का मास्टर होने की योग्यता या जुनून नहीं

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने मेमोइर (जीवनी) में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी का जिक्र किया है। ओबामा का कहना है, "राहुल उस स्टूडेंट की तरह हैं जो टीचर को इम्प्रेस करने के लिए तो उत्सुक है, लेकिन सब्जेक्ट का मास्टर होने के मामले में योग्यता या जुनून की कमी है। यह राहुल की कमजोरी है।" ओबामा जब सत्ता में थे तब, राहुल गांधी कांग्रेस के उपाध्यक्ष थे। ओबामा की पिछली भारत यात्रा के वक्त राहुल उनसे मिले थे।

ओबामा ने मनमोहन सिंह को शांत और ईमानदार बताया है। मनमोहन सिंह के कार्यकाल वाली UPA सरकार के समय ओबामा अमेरिका के प्रेसिडेंट रहे थे। नवंबर 2009 में ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल भारत दौर पर आए थे, तब मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी गुरुशरण कौर ने ओबामा परिवार के लिए डिनर भी रखा था।

ओबामा ने अपनी किताब में दूसरे देशों के नेताओं के बारे में भी लिखा है। रूस के प्रेसिडेंट ब्लादिमीर पुतिन को शारीरिक रूप से साधारण बताया है। अमेरिका के प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन के बारे में लिखा है कि वे सज्जन, ईमानदार और वफादार हैं। बाइडेन को लगे तो उन्हें तवज्जो नहीं मिल रही, तो वे गुस्सा हो सकते हैं, यह ऐसी क्वालिटी है जो किसी युवा से डील करते वक्त माहौल बिगाड़ सकती है।



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बराक ओबामा जब भारत आए थे, तब राहुल उनसे मिले थे।- फाइल फोटो।


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क्या दिवाली के पटाखों से बढ़ता है प्रदूषण? पटाखों पर क्या है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन? जानिए

दिवाली आ गई है और हर साल की तरह बहस शुरू हो गई कि पटाखे फोड़ने से एयर पॉल्यूशन बढ़ता है। कुछ लोग इसके खिलाफ भी खड़े हैं और इसे धर्म व परंपरा से जोड़कर पटाखे फोड़ने की जरूरत बता रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने एयर पॉल्यूशन बढ़ता देख दिल्ली-एनसीआर में 9 से 30 नवंबर तक पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है। न सिर्फ दिल्ली, बल्कि देश के जिन-जिन राज्यों में एयर क्वालिटी खराब है, वहां भी पटाखे नहीं बेचे जाएंगे।

सवाल उठते हैं कि क्या पॉल्यूशन के लिए दिवाली के पटाखे ही जिम्मेदार हैं? पटाखे जलाने पर क्या कहती है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन? आइए समझते हैं...

कैसे पता चलता है कि हवा में पॉल्यूशन बढ़ गया है?
हवा कितनी खराब या अच्छी है, इसे एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) से मापा जाता है। AQI जब 0 से 50 के बीच होता है, तो उसे 'अच्छा' माना जाता है। जब 51 से 100 के बीच होता है, तो 'संतोषजनक', जब 101 से 200 के बीच होता है, तो 'मॉडरेट', 201 से 300 के बीच होता है, तो 'खराब' और 301 से 400 के बीच होता है तो 'बहुत खराब' माना जाता है। जबकि, 401 से 500 के बीच होने पर 'गंभीर' माना जाता है। गुरुवार को दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 326 रिकॉर्ड किया गया। यह पहले के मुकाबले सुधरा है, लेकिन अभी भी यहां हवा 'बहुत खराब' है।

कैसे पता चलता है कि हवा खराब हो रही है?
यह समझना रॉकेट साइंस नहीं है। हवा में छोटे-छोटे कण होते हैं। बालों से भी 100 गुना छोटे, जिन्हें PM 2.5 कहते हैं। PM यानी पार्टिकुलेट मैटर। जब यह छोटे-छोटे कण हवा में बढ़ जाते हैं तो हवा खराब होने लगती है। PM 2.5 का मतलब है 2.5 माइक्रोन का कण। माइक्रोन यानी 1 मीटर का 10 लाखवां या 1 मिलीमीटर का 1 हजारवां हिस्सा। हवा में जब इन छोटे कणों की संख्या बढ़ती है तो विजिबिलिटी प्रभावित होती है। यह कण हमारे शरीर में जाकर खून में घुल जाते हैं। इससे अस्थमा और सांस में दिक्कत जैसी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020 के मुताबिक, 2019 में हमारे देश में 1.16 लाख से ज्यादा नवजात बच्चों की मौत का कारण खराब हवा ही थी। जबकि, इस साल 16.7 लाख से ज्यादा लोगों की जान गई थी।

दिल्ली में हर साल दिवाली के समय ही क्यों हवा खराब होती है?
इसके दो बड़े कारण हैं। पहला जो प्राकृतिक है और दूसरा हम खुद। पहले बात कुदरती कारण की। सितंबर में मानसून का सीजन खत्म होने से हवा की दिशा बदल जाती है। अक्टूबर के आखिर तक तापमान कम होने लगता है, नमी बढ़ने लगती है और हवा की स्पीड कम हो जाती है। इससे हवा में यह महीन कण जमा हो जाते हैं, जो एयर क्वालिटी खराब करते हैं। दूसरा, हम खुद। दिल्ली में 1 करोड़ से ज्यादा गाड़ियां हैं, जो मुंबई और कोलकाता से भी कहीं ज्यादा है।

एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली में हर रोज 1400 गाड़ियां बिकती हैं। इन गाड़ियों से धुआं निकलता है, जो हवा खराब करता है। इसके अलावा इस मौसम में ही पंजाब और हरियाणा के किसान पराली जलाते हैं। पिछले साल पराली जलाने का जमकर विरोध हुआ था। ये सब हवा खराब करने का कारण बनते हैं।

अब बात, हवा खराब करने में पटाखे कितने जिम्मेदार?
जब दिल्ली में हवा खराब होने के इतने सारे कारण हैं, तो इसके लिए पटाखों को कितना जिम्मेदार माना जाए? फरवरी 2018 में यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंस एंड पॉलिसी ने दिल्ली की खराब हवा पर पटाखों के असर पर एक रिसर्च छापी थी। इसके लिए 2013 से 2016 तक का डेटा लिया गया था। इस रिसर्च के मुताबिक, दिवाली के अगले दिन दिल्ली में हर साल PM2.5 की मात्रा 40% तक बढ़ी। जबकि, दिवाली के दिन शाम 6 बजे से लेकर रात 11 बजे के बीच PM2.5 में 100% की बढ़ोतरी हो गई।

केंद्र सरकार की एजेंसी सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड भी मानता है कि पटाखों से 15 ऐसे तत्व निकलते हैं, जो इंसान के लिए खतरनाक और जहरीले होते हैं। पिछले साल दिवाली पर AQI लेवल 368 रिकॉर्ड किया गया था, जो 2018 के मुकाबले काफी बेहतर था। 2018 की दिवाली पर AQI 642 पर पहुंच गया था। 2017 में ये 367 और 2016 में 425 पर था।

क्या पटाखे जलाना बैन है? क्या है इस पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
2018 में सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को लेकर गाइडलाइन जारी की थी। कोर्ट ने पटाखों पर बैन तो नहीं लगाया था, लेकिन कहा था कि सिर्फ ईको-फ्रेंडली पटाखे ही जलाए जा सकते हैं। अगर कोई ईको-फ्रेंडली पटाखों के अलावा कोई दूसरे पटाखे जलाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

  • तेज आवाज वाले पटाखों की बिक्री नहीं होगी। केवल ग्रीन और सेफ पटाखे ही बेचे जाएंगे। पटाखे भी सिर्फ लाइसेंसधारी दुकानदार ही बेच सकते हैं।
  • अगर किसी इलाके में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का उल्लंघन होता है, तो इसका जिम्मेदार उस इलाके के थाना इंचार्ज को माना जाएगा।
  • दिवाली के दिन रात 8 से 10 बजे तक ही पटाखे जला सकते हैं। क्रिसमस और न्यू ईयर के दिन रात 11.55 से 12.30 तक ही पटाखे जलाने की छूट है।


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Diwali 2020: Delhi Haryana Rajasthan Air Pollution | What Is Supreme Court Firecrackers Guidelines? Know Everything About


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जिन शहरों में हवा खराब है, वहां नहीं दगा सकेंगे पटाखे; जानिए क्रैकर्स सेहत के लिए कितने खतरनाक हैं

14 नवंबर यानी शनिवार को दिवाली है। लेकिन इससे पहले कई शहरों में पॉल्युशन के चलते हवा खराब हो गई है, आसमान में धुंध छाई हुई है। इसी के चलते नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने दिल्ली समेत पूरे NCR में पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। यह बैन 30 नवंबर तक रहेगा।

NGT के अलावा अलग-अलग राज्य सरकारों ने भी अपने-अपने स्तर पर पटाखे चलाने पर रोक लगाई है। ऐसे में कुछ अहम बातों का ध्यान जरूर रखें। जैसे- पटाखे दगाने की क्या छूट है? पटाखे कैसे दगाएं? अपनी हेल्थ का ध्यान कैसे रखें? बारूद वाले पटाखे की बजाय क्या ग्रीन क्रैकर्स बेहतर होते हैं?

दिवाली के अगले दो से तीन दिन तक हवा खराब रहती है

आईआईटी कानपुर में सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में प्रोफेसर एसएन त्रिपाठी कहते हैं कि हमने दिवाली के दौरान पटाखे जलाने से होने वाले पॉल्युशन को लेकर एक्सपेरीमेंट किया था। इसमें पाया था कि दिवाली के दिन पटाखे दगाने से दो से तीन दिन तक हवा खराब रहती है। इस दौरान पर्टिकुलेट मैटर बढ़ जाता है।

NGT का क्या है आदेश?

NGT का यह आदेश देश के उन सभी कस्बों और शहरों में भी लागू होगा, जहां पिछले साल नवंबर में हवा की क्वालिटी का लेवल पूअर या इससे ऊपर की कैटेगरी तक चला गया था। NGT का कहना है कि पटाखे खुशियां सेलिब्रेट करने के लिए चलाए जाते हैं, मौतों और बीमारियों के लिए नहीं।

खराब हवा और पटाखे दगाने का सेहत पर कितना असर पड़ता है?

एम्स दिल्ली में रुमेटोलॉजी डिपार्टमेंट की हेड डॉक्टर उमा कुमार बताती हैं कि पटाखे दगाने से पॉल्युशन के सभी साइड इफेक्ट्स होते हैं। इसमें सांस की बीमारी, आंखों में जलन, एलर्जी, सुनने की क्षमता कम होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। बर्न इंजरी का भी खतरा रहता है।

तेज आवाज वाले पटाखों से बहुत से लोगों में डर भी पैदा होने का खतरा रहता है। खासकर छोटे बच्चों में। पटाखों की आवाज से इंसान के साथ जानवर भी परेशान होते हैं।

पटाखे जलाने से एक बार जो पॉल्युशन होता है वह तुरंत खत्म नहीं होता है। इसका असर कई दिनों तक रहता है। अभी तो ठंड है और पॉल्युशन का लेवल पहले से ही ज्यादा है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश जारी किया था?

एक्सपर्ट्स ग्रीन क्रैकर्स (हरित पटाखे) चलाने की सलाह देते हैं। अक्टूबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह पाबंदी लगाने से इनकार करते हुए 'सुरक्षित और ग्रीन' पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल की छूट दी थी।

ग्रीन पटाखे क्या हैं?

2018 से सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखे की परिभाषा बताई थी। इसके मुताबिक- ग्रीन पटाखों में राख के इस्तेमाल से बचा जाए, ताकि 15-20% तक पर्टिकुलेट मैटर कम हो, कम धुआं हो और 30-35% प्रदूषक कम हों।

ऐसा करने से नाइट्रोजन आक्साइड (NOx) और सल्फर डाईऑक्साइड (SO2) में काफी कमी आती है। इसके अलावा पटाखों में सीसा, पारा, लीथियम, आर्सेनिक और एंटीमनी जैसे कोई भी प्रतिबंधित केमिकल इस्तेमाल न किए जाएं।

क्या ग्रीन पटाखों से हवा प्रदूषित नहीं होती?

प्रोफेसर एसएन त्रिपाठी कहते हैं कि ग्रीन पटाखे में पॉल्युशन कम होता है। लेकिन ये कितना कम होता है, ये नहीं मालूम है।

क्या ग्रीन पटाखों से सेहत को नुकसान होता है?

डॉक्टर उमा कहती है कि यदि पटाखे में धुंआ निकल रहा है तो यह बिल्कुल खतरनाक है। ये भले हो सकता है कि इसमें टॉक्सिन का लेवल कम हो। धुंआ वाले पटाखों का लोगों की सेहत पर असर पड़ना तय है।
क्या आपके शहर में पटाखे चलाने की छूट मिलेगी?
अगर आपके शहर में नवंबर 2019 में हवा की क्वालिटी मॉडरेट यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 51-100 के बीच था, तो प्रदूषण रहित पटाखे बेचे और चलाए जा सकते हैं। लेकिन दिवाली और छठ पर सिर्फ 2 घंटे की छूट मिलेगी।
2 घंटे का वक्त कौन सा होगा?
यह 2 घंटे राज्य सरकारों की तरफ से तय समय के मुताबिक होंगे। अगर राज्यों की तरफ से कोई समय तय नहीं किया गया तो दिवाली पर रात 8 से 10 बजे तक छूट रहेगी।
हवा की कैटेगरी कैसे तय की जाती है?
एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) हवा की क्वालिटी बताता है। इसमें बताया जाता है कि वातावरण में मौजूद हवा में किन गैसों की कितनी मात्रा घुली हुई है। इस इंडेक्स में 6 कैटेगरी बनाई गई हैं।


कौन से राज्य अब तक पटाखे चलाने पर प्रतिबंध लगा चुके हैं?

  • राजस्थान में कोरोना के चलते फेस्टिवल सीजन के दौरान पटाखों की बिक्री और इनको चलाने पर पाबंदी लगाई गई है।
  • दिल्ली सरकार ने 7 नवंबर से 30 नवंबर तक सभी तरह के पटाखों पर पाबंदी लगाने की घोषणा की है, इनमें ग्रीन पटाखे भी शामिल हैं।
  • ओडिशा में 10 नवंबर से 30 नवंबर तक पटाखे चलाने पर पाबंदी है।
  • पश्चिम बंगाल में इस बार काली पूजा, दिवाली और छठ के दौरान पटाखे बेचने और जलाने पर पाबंदी लगाई गई है।
  • NGT ने 4 अक्टूबर को 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 122 शहरों की ओर इशारा करते हुए कहा था कि यहां लगातार हवा खराब हो रही है।

किन बड़े शहरों में हवा खराब है?
दिल्ली, वाराणसी, भोपाल, कोलकाता, नोएडा, मुजफ्फरपुर, मुंबई, जम्मू, लुधियाना, पटियाला, गाजियाबाद, वाराणसी, कोलकाता, पटना, गया, चंडीगढ़ शामिल हैं।



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Diwali Firecrackers Ban In India 2020; What Are The Harmful Effects Of Crackers? Know Everything About


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मुंबई जैसे हमलों से दहल उठा था फ्रांस, 20 मिनट में 6 जगह हुए थे आतंकी हमले

फ्रांस के साथ-साथ पूरी दुनिया को दहलाने वाले हमलों की वजह से 13 नवंबर को याद किया जाता है। फ्रांस की राजधानी पेरिस में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने एक के बाद एक 6 जगहों पर कुछ ही मिनटों में हमले किए, जिसमें 130 लोगों की जान चली गई। 350 से ज्यादा घायल हो गए। हमलों के बाद फ्रांस में इमरजेंसी लगा दी गई।

आतंकियों ने बार, रेस्टोरेंट, स्टेडियम, कंसर्ट हॉल कुछ नहीं छोड़ा था। 7 आतंकियों ने आत्मघाती हमले किए थे। पहला हमला रात 9 बजकर 20 मिनट पर एक फुटबॉल स्टेडियम के बाहर हुआ था। जिस वक्त ये हमला हुआ था, उस वक्त जर्मनी और फ्रांस के बीच मैच चल रहा था। वहां तब के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद भी मौजूद थे।

सबसे खतरनाक हमला बेटेकलां कंसर्ट हॉल में हुआ था। 1500 सीटों वाला ये कंसर्ट हॉल पूरा भरा हुआ था। तभी तीन आतंकी अंदर घुस आए और ताबड़तोड़ गोलियां चलानी शुरू कर दीं। सबसे ज्यादा 89 मौतें इसी हमले में हुई थीं। इस हमले में आतंकियों ने वैसी ही रणनीति अपनाई थी, जैसी रणनीति 26 नवंबर 2008 को मुंबई हमले में अपनाई गई थी। मुंबई में भी आतंकियों ने ताज होटल में जाकर ताबड़तोड़ गोलीबारी शुरू कर दी थी। पेरिस में ऐसे ही हमले तीन जगहों पर हुए थे।

इन हमलों की एक वजह इसी साल जनवरी में चार्ली हेब्दो मैग्जीन में छपे पैगंबर मोहम्मद के विवादित कार्टून को भी माना गया था। पेरिस में हुए ये हमले मार्च 2004 में स्पेन की राजधानी मैड्रिड में हुए हमले के बाद सबसे भयानक थे। 11 मार्च 2004 को मैड्रिड की ट्रेनों में हुए बम धमाकों में 191 लोगों की जान गई थी और 1800 लोग घायल हुए थे।

कोलंबिया में ज्वालामुखी विस्फोट में 25,000 लोग मारे गए थे
कहते हैं कि ज्वालामुखी सोए दानव की तरह होते हैं। कभी-कभी ही जागते हैं और जब जागते हैं तो कहर बरपाकर ही शांत होते हैं। कुछ ऐसा ही 45 साल पहले कोलंबिया में हुआ था। तब वहां का दूसरा सबसे एक्टिव ज्वालामुखी 'नेवादो देल रुइज' अचानक फट गया था। इसने इतनी तबाही मचाई थी कि 80 वर्ग किमी. के इलाके में सिर्फ और सिर्फ राख ही राख नजर आ रही थी। इस ज्वालामुखी विस्फोट में 25 हजार लोग मारे गए थे।

भारत और दुनिया के इतिहास में 13 नवंबर को हुई प्रमुख घटनाएं:

  • 1969: लंदन के क्वीन कार्लेट अस्पताल में एक महिला ने 5 बच्चों को जन्म दिया।
  • 1927: दुनिया की पहली सबसे लंबी अंडरवॉटर टनल की शुरुआत हुई। ये टनल अमेरिका के न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी के बीच थी। इसके नॉर्थ ट्यूब की लंबाई 8,558 फीट और साउथ ट्यूब की लंबाई 8,371 फीट थी। इसका नाम इसे डिजाइन करने वाले इंजीनियर क्लिफोर्ट होलैंड के नाम पर रखा गया था।
  • 1971: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के स्पेसक्राफ्ट मैरियर-9 ने मंगल ग्रह के चक्कर लगाए। ये पहला मौका था, जब पृथ्वी से भेजे गए किसी स्पेसक्राफ्ट ने किसी दूसरे ग्रह का चक्कर लगाया था। एक महीने बाद वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह की साफ तस्वीरें मिली थीं।
  • 1998: चीन के विरोध के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और दलाई लामा ने मुलाकात की।


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Today in History (Aaj Ka Itihas) - What Happened on November 13 | Holland Tunnel (New York City), Paris Terror Attack 2015


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एंडोरा के खिलाफ क्रिस्टियानो ने दागा 102वां इंटरनेशनल गोल, पिछले 50 मैच में दागे 50 गोल

पुर्तगाल के स्टार खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो इंटरनेशनल गोल्स के वर्ल्ड रिकॉर्ड के करीब पहुंच गए हैं। एंडोरा के खिलाफ बुधवार को खेले गए फ्रेंडली मैच में रोनाल्डो ने अपना 102वां इंटरनेशनल गोल दागा। वह ईरान के पूर्व स्ट्राइकर अली डेई के रिकॉर्ड 109 इंटरनेशनल गोल्स से सिर्फ 7 गोल पीछे हैं।

सबसे ज्यादा इंटरनेशनल गोल करने वाले टॉप-10 प्लेयर्स

प्लेयर देश इंटरनेशनल गोल मैच करियर
अली डेई ईरान 109 149 1993-2006
क्रिस्टियानो रोनाल्डो पुर्तगाल 102 168 2003-
फेरेन पुस्कस हंगरी 84 85 1945-1956
गॉडफ्रे चितालू जाम्बिया 79 111 1968-1980
हुसैन सईद इराक 78 137 1977-1990
पेले ब्राजील 77 92 1957-1971
सांदोर कोसिच हंगरी 75 68 1948-1956
कुनिशिगे कामामोतो जापान 75 76 1964-1977
बशर अब्दुल्ला कुवैत 75 134 1996-2007
सुनील छेत्री भारत 72 115 2005-

2003-2014 तक रोनाल्डो ने 118 मैचों में 52 गोल दागे

साल कितने मैच खेले गोल
2003 2 0
2004 16 7
2005 11 2
2006 14 6
2007 10 5
2008 8 1
2009 7 1
2010 11 3
2011 8 7
2012 13 5
2013 9 10
2014 9 5
कुल मैच खेले- 118

कुल गोल किए- 52

35 साल के रोनाल्डो ने अपने 17 साल के करियर में अब तक 168 इंटरनेशनल मैच खेले हैं। लेकिन उम्र के साथ कमजोर होने की जगह, उनके गोल करने का रेट और बढ़ गया है। अपने इंटरनेशनल करियर के शुरुआती 11 सालों (2003-2014) में रोनाल्डो ने 118 मैच खेले। इसमें उन्होंने 52 गोल दागे। जबकि 2015 से लेकर अब तक उन्होंने 50 मैच खेले 50 गोल दागे हैं। 2015 से लेकर अभी तक औसतन वे हर मैच में 1 गोल दाग रहे हैं।

2003-2014 तक रोनाल्डो ने 118 मैचों में 52 गोल दागे

साल कितने मैच खेले गोल
2003 2 0
2004 16 7
2005 11 2
2006 14 6
2007 10 5
2008 8 1
2009 7 1
2010 11 3
2011 8 7
2012 13 5
2013 9 10
2014 9 5
कुल मैच खेले- 118

कुल गोल किए- 52

2015 से लेकर अब तक 50 मैच खेले, 50 गोल दागे

साल कितने मैच खेले गोल
2015 5 3
2016 13 13
2017 11 11
2018 7 6
2019 10 14
2020 4 3
कुल मैच खेले- 50 कुल गोल किए- 50

2015 में 30वां बर्थडे मनाने के बाद जिस स्पीड से वे गोल दाग रहे हैं, उस औसत से वे अगले 8 मैचों में ईरान के अली दाई के 109 गोल्स के रिकॉर्ड को तोड़ देंगे और इंटरनेशनल मैच में सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी बन जाएंगे।

रोनाल्डो ने अपना पहला गोल अपने 8वें मैच में ग्रीस के खिलाफ 2004 में दागा था। वहीं, 50वां गोल 2014 के फीफा वर्ल्ड कप में घाना के खिलाफ किया था। रोनाल्डो ने अपना 100वां गोल इसी साल सितंबर में स्वीडन के खिलाफ नेशंस लीग में दागा था।

सिर्फ 2 खिलाड़ियों ने इंटरनेशनल मैच 100 से ज्यादा गोल किए हैं। अगर मौजूदा खिलाड़ियों की बात करें, तो रोनाल्डो के आसपास अभी कोई खिलाड़ी नहीं है। भारत के सुनील छेत्री ही 72 इंटरनेशनल गोल्स के साथ मौजूदा खिलाड़ियों में उनसे पीछे हैं। वहीं, अर्जेंटीना के स्टार प्लेयर लियोनल मेसी 71 गोल्स के साथ 15वें नंबर पर हैं।

रोनाल्डो ने लिथुआनिया और स्वीडन के खिलाफ सबसे ज्यादा 7-7 गोल दागे हैं। वहीं, अर्जेंटीना और ग्रीस समेत 17 देशों के खिलाफ उन्होंने सबसे कम 1 गोल किया है।

टॉप-10 देश जिनके खिलाफ रोनाल्डो ने सबसे ज्यादा गोल किए

देश गोल्स
लिथुआनिया 7
स्वीडन 7
एंडोरा 6
आर्मेनिया 5
लातविया 5
लक्जैमबर्ग 5
एस्टोनिया 4
फरो आइलैंड 4
हंगरी 4
नीदरलैंड्स 4

रोनाल्डो ने सबसे ज्यादा गोल UEFA यूरो क्वालिफाइंग मैच में किए हैं। उन्होंने UEFA यूरो क्वालिफाइंग के 35 मैच में 31 गोल किए हैं। जबकि 38 FIFA वर्ल्ड कप क्वालिफिकेशन मैच में 30 गोल दागे हैं।

UEFA यूरो क्वालिफाइंग में रोनाल्डो के सबसे ज्यादा गोल

कॉम्पिटीशन मैच खेले गोल्स
फ्रेंडली 49 18
UEFA यूरो क्वालिफाइंग 35 31
UEFA यूरोपियन चैम्पियनशिप 21 9
UEFA नेशंस लीग 4 5
FIFA वर्ल्ड कप क्वालिफिकेशन 38 30
FIFA वर्ल्ड कप 17 7
FIFA कन्फेडरेशन कप 4 2
टोटल 168 102

रोनाल्डो ने अपने करियर में कुल 9 बार गोल की हैट्रिक लगाईं हैं। उन्होंने अपनी अंतिम हैट्रिक गोल 2019 में लिथुआनिया के खिलाफ UEFA यूरो क्वालिफाइंग मैच में की थी।

रोनाल्डो ने लिथुआनिया के खिलाफ 2 हैट्रिक दागे

हैट्रिक नंबर साल किसके खिलाफ
1 2013 नॉर्दर्न आयरलैंड
2 2013 स्वीडन
3 2015 आर्मेनिया
4 2016 एंडोरा
5 2017 फरो आइलैंड
6 2018 स्पेन
7 2019 स्वीट्जरलैंड
8 2019 लिथुआनिया
9 2019 लिथुआनिया

रोनाल्डो ने अब तक कुल 22 गोल बाएं पैर से किए हैं। वहीं, 55 गोल दाएं पैर से किए हैं। जबकि 25 गोल उन्होंने हेडर से किए हैं। रोनाल्डो ने 10 गोल डायरेक्ट फ्री किक से किए हैं। जबकि 81 गोल ओपन प्ले यानी मैच के दौरान किए। जबकि 11 गोल पेनल्टी में दागे।

रोनाल्डो ने अपने इंटरनेशनल करियर में सबसे ज्यादा गोल मैच के 76 से 85वें मिनट में किए। वहीं, 11 से 20वें मिनट में उनके गोल करने का लय सबसे कम है।

सेकंड हाफ में ज्यादा गोल करते हैं रोनाल्डो

मैच में कब से कब तक गोल दागे
1 से 10 मिनट 10 (3 पेनल्टी)
11 से 20 मिनट 2
21 से 30 मिनट 14 (3 पेनल्टी)
31 से 40 मिनट 9 (2 पेनल्टी)
41 से हाफ टाइम 6
फर्स्ट हाफ टोटल 41
46 से 55 मिनट 8
56 से 65 मिनट 14
66 से 75 मिनट 8 (1 पेनल्टी)
76 से 85 मिनट 19 (2 पेनल्टी)
86 से फुल टाइम 12
सेकंड हाफ टोटल 61


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एंडोरा के खिलाफ बुधवार को खेले गए फ्रेंडली मैच में रोनाल्डो ने अपना 102वां इंटरनेशनल गोल दागा।-फाइल फोटो


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चुनाव में हार के बाद तेजस्वी यादव को फेंकनी पड़ी बनी हुई मिठाइयां? जानें वायरल फोटो का सच

क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो रही है। इसमें कुछ लोग गड्ढे में मिठाइयां फेंकते दिख रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि फोटो पटना के राजद कार्यालय की है। कहा जा रहा है कि चुनाव हारने के बाद तेजस्वी यादव के समर्थकों ने इस तरह जीत की उम्मीद में तैयार की गई मिठाइयां फेंकीं।

10 नवंबर को मतगणना के बाद बिहार के चुनाव नतीजे सामने आए। नतीजों में NDA 125 सीटों के साथ सत्ता बचाने में कामयाब रहा। वहीं, तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं थीं।

और सच क्या है ?

  • वायरल फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें दैनिक भास्कर वेबसाइट की 2 दिन पुरानी एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट में वायरल फोटो से मिलती जुलती एक फोटो है।
  • दैनिक भास्कर की खबर से पता चलता है कि मामला बिहार का नहीं, बल्कि हरियाणा के सिरसा का है। दीवाली के पहले सिरसा में बिना लाइसेंस मिठाई बनाने का प्लांट संचालित हो रहा था। नतीजतन सरकारी अमले ने 1 क्विंटल मिठाई मौके पर ही नष्ट करवा दी।
  • सरकार के पास गुप्त सूचना पहुंची कि नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए मिठाइयां बनाने का काम चल रहा है। इस पर सीएम फ्लाइंग टीम हिसार की टीम ने छापेमारी कर दी। टीम के साथ सिरसा सीआईडी की टीम और फूड सेफ्टी विभाग की भी टीम साथ थी।
  • साफ है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही फोटो बिहार नहीं, बल्कि हरियाणा के सिरसा की है। चुनाव में हार के बाद तेजस्वी समर्थकों द्वारा मिठाई फेंके जाने का दावा पड़ताल में फेक निकला।


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Bihar Election 2020: Tejashwi Yadav throw sweets after election defeat?


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ट्रेनिंग के वक्त चोट लगी तो फाइटर पायलट नहीं बन सके, IIM से MBA के बाद जॉब कर रहे

सेना में ऑफिसर बनकर देश की सेवा करना ज्यादातर युवाओं का सपना होता है। वे युवा इसे पूरा भी करते हैं, लेकिन कई ऐसे भी होते हैं, जो दहलीज पर पहुंचकर भी मंजिल से दूर रह जाते हैं। हर साल कुछ बच्चे NDA और OTA से ट्रेनिंग के दौरान बोर्ड आउट हो जाते हैं। उन्हें तो न कोई मेडिकल सपोर्ट मिलता है और न ही इनके परिवार को कोई सुविधा।

पेंशन के नाम पर एक्स ग्रेशिया मिलता है, जो डिसेबिलिटी के हिसाब से होता है। यह अमाउंट भी कम होता है। 2015 में इसको लेकर एक कमेटी भी बनी। जिसमें सुझाव दिया गया कि एक्स ग्रेशिया का नाम बदलकर डिसेबिलिटी पेंशन कर दिया जाए, लेकिन अभी तक इस ड्राप्ट पर साइन नहीं हुआ है। आज इस कड़ी में पढ़िए एकलव्य पंडित की कहानी...

उत्तरप्रदेश के बिजनौर के रहने वाले एकलव्य पंडित बचपन से एक सपना देखा था। वो सपना था एयरफोर्स में पायलट बनकर फाइटर प्लेन उड़ाना। वो जब भी टीवी पर फाइटर प्लेन को उड़ते देखते तो यही सोचते थे कि एक दिन मैं भी इसे उड़ाऊंगा। वो किताबों में, अखबारों में, हर जगह एयरफोर्स के बारे में पढ़ते रहते थे। अगर कोई एयर फोर्स वाला मिलता तो उससे भी एयर फोर्स के बारे में एक-एक चीज पूछते रहते थे।

साल 2013 में एकलव्य का सिलेक्शन AFCAT के लिए हुआ था। दूसरे प्रयास में वे सफल हुए थे।

12वीं के बाद एकलव्य NDA का फॉर्म भरा, हालांकि कि वो एग्जाम नहीं दे सके। उसी दिन इंजीनियरिंग के लिए भी एंट्रेंस एग्जाम था तो उनके पिता ने NDA का एग्जाम नहीं देने दिया। वो चाहते थे कि एकलव्य इंजीनियर बनें और फिर कोई सेटल्ड सरकारी नौकरी या सिविल सर्विस की तैयारी करें। इसके बाद एकलव्य ने इंजीनियरिंग में एडमिशन ले लिया। हालांकि, इसके साथ ही वो एयरफोर्स की तैयारी भी कर रहे थे। वो कॉरपोरेट सेक्टर में काम नहीं करना चाहते थे। उनका एक ही सपना था, नीली वर्दी पहनकर मिग-21 उड़ाना। इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर में उनके साथी जब कॉरपोरेट सेक्टर में जॉब ढूंढ रहे थे, तब वो SSB की तैयारी कर रहे थे।

2013 में उन्होंने एयर फोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट (AFCAT) का एग्जाम दिया, वो पास भी हुए। हालांकि, मेरिट लिस्ट में जगह नहीं बना पाए। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अगले साल फिर एग्जाम दिया और इस बार उनका सिलेक्शन भी हो गया। यहां एकलव्य को अपनी पसंद की ब्रांच भी मिल गई। इसके बाद हैदराबाद में उनकी ट्रेनिंग शुरू हो गई। ट्रेनिंग के कुछ ही महीनों बाद एकलव्य हादसे का शिकार हो गए। ट्रेनिंग कैंप में गन के साथ प्रैक्टिस करते वक्त उनका बैलेंस बिगड़ गया और वो जमीन पर गिर गए। उनके पैर में चोट लग गई।

IIM से पास आउट होने के बाद डिग्री लेते एकलव्य पंडित।

जांच के बाद पता चला कि उनका पटेला डिसलोकेट हो गया है। 4-5 महीने वो अस्पताल में रहे। इसके बाद वो फिर से मेडिकल टेस्ट के लिए गए, लेकिन उन्हें अनफिट करार दे दिया गया। इसके बाद बोर्ड आउट की प्रोसेस शुरू हो गई। एकलव्य को वापस उनके यूनिट भेज दिया गया। वहां उनके साथी ट्रेनिंग कर रहे थे और वो अकेले में बैठकर रोते रहते थे। कुछ दिनों बाद उन्हें आफिशियली बोर्ड आउट कर दिया गया और वो बिजनौर लौट आए।

एकलव्य कहते हैं कि मेरे लिए वो सबसे मुश्किल दौर था। कई दिनों तक डिप्रेशन में रहा। किसी से बात नहीं करता था, घर के लोगों से भी दूर रहने की कोशिश करता था। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं। ऊपर से कुछ लोग ताने भी मारते थे। उन्हें लगता था कि इसकी ही कोई गलती रही होगी, जिससे इसे बाहर कर दिया गया। वो कहते हैं कि बोर्ड आउट होने के बाद मैंने एयरफोर्स से रिक्वेस्ट की थि कि मुझे कहीं जॉब दी जाए। अगर मैं पायलट के लिए फिट नहीं हूं तो मुझे किसी और ब्रांच में शामिल कर लिया जाए। आखिर किसी को सिलेक्ट करने के बाद वापस घर कैसे भेज सकते हैं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई।

2018 में एकलव्य ने MBA किया। अभी वो एक कॉरपोरेट कंपनी में जॉब कर रहे हैं।

एकलव्य बताते हैं, 'कुछ दिनों तक मैंने डिप्रेशन से उबरने के लिए मेडिटेशन शुरू किया। इससे काफी फायदा हुआ। मेरा कांफिडेंस लेवल बढ़ा। इसी बीच मैं अहमदाबाद में एक रिलेटिव यहां गया। वहां मैंने पहली बार IIM अहमदाबाद देखा। उस वक्त मेरे माइंड में ये बात क्लिक कर गई कि अब मुझे यहीं एडमिशन लेना है। वापस घर लौटने के बाद कैट की तैयारी शुरू कर दी। कुछ दिनों के लिए नोएडा चला गया और वहां कैट के लिए कोचिंग करने लगा। इस दौरान खुद के खर्च निकालने के लिए मैं ट्यूशन भी पढ़ाता था।'

2015 में एकलव्य ने कैट का एग्जाम दिया। पहले ही अटेंप्ट में उनका सिलेक्शन हो गया। इसके बाद 2018 में उन्होंने MBA कंप्लीट किया। उसी समय उनका एक कॉरपोरेट कंपनी में सिलेक्शन हो गया। अभी एकलव्य दिल्ली में जॉब कर रहे हैं। उनके माता-पिता दोनों ही सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल हैं।



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फाइटर पायलट बनने का सपना टूटने के बाद एकलव्य डिप्रेशन में थे। उबरने के लिए मेडिटेशन किया और जब पहली बाद IIM अहमदाबाद देखा तो तय कर लिया कि यहीं आना है।


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बाइडेन प्रशासन को वहां संभलकर काम करना होगा, जहां ट्रम्प जल्दबाजी करते नजर आए

बीते हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन की जीत का जश्न दुनियाभर में मना। इसके पीछे ज्यादातर यह राहत थी कि आत्ममुग्ध और अस्थिर डोनाल्ड ट्रम्प व्हाइट हाउस से चले जाएंगे। लेकिन अब पूरी दुनिया बड़ी उम्मीदें लगाए बैठी है। बाइडेन खुद कह चुके हैं कि यह समय उनके देश में हो चुके बड़े विभाजन को ठीक करने, राजनीति से जहरीले ध्रुवीकरण को खत्म करने का है।

वास्तव में अमेरिकी भी अब उस सामान्य जीवन की ओर लौटना चाहते हैं, जहां हमेशा राजनीति के बारे में न सोचना पड़े या गुस्से में ट्वीट करने वाले राष्ट्रपति को लेकर चिंता न हो। लेकिन भारत सहित, दुनिया के तमाम देशों में सवाल है कि बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के उनके देश के लिए क्या मायने हैं।

सबसे स्वाभाविक बदलाव ट्रम्प के तहत शुरू हुए अमेरिकी अलगाववाद के दौर के खत्म होने की उम्मीद है, जिसने कई सहयोगियों को किनारे कर दिया। ज्यादातर मुद्दों पर अमेरिका के वैश्विक रुख में अन्य देशों की सलाह या चिंताओं को शामिल नहीं किया गया और अमेरिका पुराने अंतरराष्ट्रीयवादी राष्ट्रपतियों की सुरक्षा संबंधी प्रतिबद्धताओं से पीछे हट गया।

अब वाशिंगटन से उम्मीद है कि वह सहयोगात्मक वैश्विक नेतृत्व की अमेरिका की पारंपरिक इच्छा को फिर अपनाएगा। इसी से सीमाओं के परे से आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए जरूरी बहुपक्षवाद की पुन: पुष्टि भी जुड़ी है।

ट्रम्प पैरिस जलयवायु समझौते से, ईरान परमाणु समझौते से पीछे हट गए और महामारी के चरम पर विश्व स्वास्थ्य संगठन से बाहर हो गए। बाइडेन ने इशारा किया है कि वे इन तीनों स्थितियों को बदलेंगे।
राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने दोस्तों व विरोधियों के साथ व्यापार युद्ध शुरू किए थे, पर अब आर्थिक कूटनीति की ज्यादा सहयोगी शैली को उनकी जगह लेनी चाहिए।

अभी वैश्विक अर्थव्यवस्था को इसकी जरूरत है और उम्मीद है कि बाइडेन इसे पूरा करेंगे। भारत भी इन बदलावों का स्वागत करेगा, भले ही ट्रम्प और प्रधानमंत्री मोदी के बीच ‘ब्रोमांस’ ने भारत-अमेरिका संबंधों को अनावश्यक रूप से निजी रंग दे दिया। हालांकि कई कारणों से भारत-अमेरिका संबंध मजबूत हैं और सरकारें बदलने से ये अप्रभावित ही रहते हैं। दोनों देशों में रणनीतिक या आर्थिक मुद्दों पर खास मतभेद नहीं हैं।

भारतीयों से संबंधित चिंता का एक क्षेत्र यह है कि क्या भारतीय टेकीज को अमेरिका में काम का मौका देने वाले एच1-बी वर्क वीजा पर ट्रम्प का प्रतिरोधी रवैया बाइडेन-हैरिस प्रशासन में बदलेगा। दोनों डेमोक्रेट्स उम्मीदवार ज्यादा खुली प्रवासी नीति के समर्थक रहे हैं। करीब 40 लाख भारतीय अमेरिकियों के समुदाय का अमेरिका की राजनीतिक में प्रभाव बढ़ा है।

लेकिन कुछ मोदी समर्थक इसे लेकर चिंतित हैं कि डेमोक्रेट्स पारंपरिक रूप से लोकतंत्र व मानव अधिकारों के समर्थक रहे हैं और इसका मौजूदा भारत सरकार पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। कमला मोदी सरकार के कुछ कार्यों से असहमत हो सकती हैं। वे ऐसे मुद्दों पर कड़ा रुख अपना सकती हैं, जिससे समुदाय नाराज होते हैं।

बाइडेन प्रशासन के लिए विदेश नीति में चीन मुख्य चुनौती बना रहेगा। डेमोक्रेट्स को भी लगता है कि उसके ‘शांतिपूर्ण उदय’ के प्रति क्षेत्र में कड़ा रुख जरूरी है। अब अमेरिका उत्पादन व सप्लाई चेन के लिए चीन पर निर्भरता कम करना चाहता है। भारत को इसका लाभ मिल सकता है। अमेरिका-भारत के सैन्य संबंध भी लगातार मजबूत हुए हैं।

भारत अमेरिका की ‘इंडो-पैसिफिक’ धारणा का मर्थन करता रहा है और क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का समूह) को लेकर भी अपने संकोच लगातार दूर कर रहा है। क्वाड भारत की चीन से जुड़ी सभी सुरक्षा संबंधी चिंताओं की दवा है। हालांकि, अमेरिका का उद्देश्य उसके वैश्विक प्रभुत्व को चीन से मिल रही भूराजनैतिक चुनौती का सामना करना है।

बाइडेन प्रशासन को वहां संभलकर काम करना होगा, जहां ट्रम्प जल्दबाजी करते नजर आए। उसे मध्य पूर्व में सावधान रहना होगा, जहां ट्रम्प ने ऐसे कदम उठाए, जिन्हें वापस लेना मुश्किल होगा। यूएई और बहरीन ने सऊदी के समर्थन के साथ हाल ही में जिस ‘अब्राहम समझौता’ के तहत इजराइल को मान्यता दी है, उसे अब बदला नहीं जा सकता।

फिर भले ही बाइडेन नेतन्याहू द्वारा इजराइल के विस्तार के प्रति कम सहानुभूति रखें। नया उभरता हुआ खाड़ी अरब गठबंधन भी बाइडेन द्वारा ईरान पर ओबामा वाली नीति फिर अपनाने का शायद ही स्वागत करे। इसीलिए पश्चिम एशिया में सीधे ट्रम्पवाद से हट जाना संभव नहीं होगा।

हालांकि भौगोलिक स्थितियों से परे विचारधाराएं होती हैं। जो बाइडेन ने बतौर उम्मीदवार अपने कार्यकाल के शुरुआती महीनों में ही वैश्विक लोकतंत्र समिट रखने की बात कही थी। विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते भारत की निश्चित रूप से इसमें बड़ी भूमिका होगी। आने वाले वर्षों में बाइडेन के तत्वाधान में भारत, ऑस्ट्रेलिया और साऊथ कोरिया समेत जी-7 देश लोकतंत्रों के एक उभरते हुए समूह के रूप में एक बड़ी लोकतांत्रिक ताकत बनकर उभर सकते हैं।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)



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What will the world and India expect from Joe Biden?


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जीवन जीने के लिए हमें मौत को जानना भी बहुत जरूरी है

छात्र था, तो विश्वविद्यालय में एक नारा सुना, ‘जीना है तो मरना सीखो’। 74 जेपी आंदोलन के दिन थे। पर जीवन के संदर्भ में मौत की बात, लोक अनुभव में जानी। भला, मौत का पूरा मर्म जीते जी कौन जान सका है? बेंजामिन ने कहा, हम कल्पना में मौत का ज्ञान तलाशते हैं। सुकरात ने कहा, दर्शन का मर्म, जीवन को मौत के लिए तैयार करना है। बाद में मौत पर साहित्य पढ़ना शगल बना।

इन दिनों अरुण शौरी की ताजा किताब ‘प्रिपेयरिंग फॉर डेथ’ (पेंगुइन प्रकाशन) की गूंज है। उनकी हर किताब की तरह यह किताब भी छाप छोड़ती है। एक पंक्ति में कहें, तो जो नारे नासमझ छात्र दिनों में कानों में गूंजे, उसका मर्म इस पुस्तक में है। जीवन जीने के लिए मौत को जानना आवश्यक है। कोविड के दौर में यह बताने की जरूरत है? अब तक दुनिया में 12.7 लाख लोग इससे मरे। यह है, मौत के बीच जीना।

भारत अनूठी धरती है। यहां बचपन से ‘श्मशान वैराग्य’ का बोध होता है। काशी मेंे ‘मणिकर्णिका’ जैसा महाश्मशान है, जहां संहार के देवता शंकर रहते हैं, यह मान्यता है। धरती होने के बाद जो चिता यहां जली, अब तक जल रही है। गांव में, बचपन में गरुड़ पुराण का पाठ कानों में गूंजा। ईसा से 700 वर्ष पहले जहां कठोपनिषद लिखा गया। यम और बालक नचिकेता के बीच संवाद का अद्भुत उपनिषद। मृत्यु देवता यम से नचिकेता मौत का मर्म जानना चाहता है। यम, तीसरे वरदान के प्रतिदान में अलभ्य लौकिक चीजें बालक नचिकेता को देना चाहते हैं, पर मृत्यु का रहस्य नहीं बताना चाहते। इसी मुल्क में ययाति जैसे पात्र की कथा है।

चक्रवर्ती ययाति को शाप है। असमय वृद्ध होते हैं। वरदान है वृद्धत्व बेटे को देकर युवापन पाने का। वे यह करते हैं। युवा बनकर संसार भोगते हैं। अंततः निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि संसार के सभी भोग पदार्थ, संपदा और स्त्री सौंदर्य, एक इंसान की तृष्णा को संतुष्ट नहीं कर सकते। अंत में ज्ञान पाते हैं कि अति वर्जित है। भोग छोड़ संन्यास लेते हैं। रामकृष्ण मठ के स्वामी विवेकानंद या स्वामी अभेदानंद (1866-1939) ने भी मौत का मर्म जानने की कोशिश की। दशकों पहले तिब्बत की बहुचर्चित पुस्तक पढ़ी, सोग्याल रिनपोछे लिखित ‘द तिब्बत बुक ऑफ लिविंग एंड डाइंग’। तिब्बत में मौत को जानने और मौत के लिए पहले से तैयार होने के लिए समृद्ध और पुरानी परंपरा है।

युवा दिनों में ही रुचि जागी कि महान नायकों के अंतिम दिन कैसे रहे? गांधी, लेनिन, स्टालिन, माओ, लोहिया, जेपी, पं. नेहरू के अंतिम दिनों पर खोजा, पढ़ा। फिर कृष्ण से राम तक के जुड़े अंतिम प्रसंग, जो मिले। इस विषय में आकर्षण है। जिन लोगों ने इतिहास बदला, नियति बदली, उनके खुद का अंतिम दौर बहुत सुखकर नहीं रहा। इसी क्रम में 2008 के आसपास पढ़ी ‘द लास्ट लेक्चर’। कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय में कंप्यूटर के प्रतिभाशाली प्रो. रैंडी पॉश की किताब। 47 वर्ष की उम्र में प्रो. पॉश को अचानक पता चला, कैंसर है।

उन्होंने कार्नेगी मेलन में 18 सितंबर 2007 को अपना ‘फाइनल टॉक’ दिया था। यह पढ़ते हुए युवा दिनों में देखी गई कुछ फिल्में बार-बार याद आईं। ‘मिली’, ‘सफर’, ‘आनंद’ और ‘सत्यकाम’ वगैरह। जेपी नहीं रहे, तो उन पर दार्शनिक प्रोफेसर कृष्णनाथ का व्याख्यान पढ़ा जिसमें इंसान की नियति समझने के लिए मार्मिक प्रसंग हंै।

‘गांधीजी ने स्वराज की लड़ाई लड़ी। जब स्वराज आया तो वे कारगर न रहे। जयप्रकाश जी ने दूसरी बार सत्ता में तब्दीली की। किंतु उसके बाद रोग के कारण जरा-जीर्ण रहे। यहूदियों के पैगंबर मौसेज मिसर उन्हें दासता से निकाल कर ले आए। उन्हें प्रायः 40 वर्षों बाद वह जमीन दीखी, जो उनकी होने वाली थी, जो दूध और शहद से भरी-पूरी थी। किंतु उसमें वे न जा सके। ऐसी ‘ट्रेजेडी’ मनुष्य और कौम के जीवन में बार-बार क्यों होती है? क्यों बार-बार जीवन में प्रकाश आता है, किंतु क्यों हम बार-बार अंधकार का वरण करते हैं? क्यों अंधकार के छा जाने पर हम फिर-फिर प्रकाश का स्मरण करते हैं?’ शायद यह मानव नियति है।

संसद की अनूठी परंपरा है। सत्र चलता है, तो प्रायः उस दिन या लंबे अवकाश के बाद जब मिलता है, तो बीते दिनों में जो पूर्व सांसद या मौजूदा सांसद, भौतिक काया में नहीं रहते, उन्हें शुरू में श्रद्धांजलि दी जाती है। तब मुझे युधिष्ठिर-यक्ष संवाद याद आता है। यक्ष, युधिष्ठिर से पूछते हैं, जीवन का सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है? युधिष्ठिर उत्तर देते हैं, हम रोज शव कंधों पर लेकर श्मशान जाते हैं, पर हमें नहीं लगता कि हमारी भी यही परिणति है। शायद यही जीवन है। इस जीवन को बेहतर समझने के लिए अरुण शौरी की पुस्तक संपन्न दृष्टि देती है।

इसमें व्यावहारिक सुझाव हैं, ताकि मस्तिष्क शांतिपूर्ण ढंग से विसर्जन की ओर बढ़े। इसमें बुद्ध, रामकृष्ण परमहंस, रमण महर्षि, महात्मा गांधी, विनोबा भावे आदि के अंतिम दिनों के विचार संपन्न विवरण हैं। धर्म जिन बड़े सवालों को हमारे सामने छोड़ता है, उनका विवरण है। क्या आत्मा है? है तो क्या अजन्मी है या अमर? मृत्यु के बाद जीवन है? या पुनर्जन्म है? भगवान है? सच क्या है, माया क्या है? महान ऋषियों और संतों के इस पर अलग-अलग अनुभव हैं। इन सब के बीच हम अपना संसार कैसे गढ़ें? यह दृष्टि देती है, किताब।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)



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हरिवंश, राज्यसभा के उपसभापति


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हम कोरोना वैक्सीन के 240 करोड़ डोज बनाने में सक्षम, पर लोगों तक 55 करोड़ ही पहुंचेंगे

भारत में सिप्ला, कैडिला हेल्थकेयर और भारत बायोटेक जैसी कंपनियां कोरोना वैक्सीन डेवलप करने के लिए एडवांस स्टेज में पहुंच गई हैं। अंतरराष्ट्रीय एजेंसी क्रेडिट सुईस की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय कंपनियां देश की जरूरत के लायक वैक्सीन डोज बनाने में सक्षम हैं। लेकिन, इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण वैक्सीन आने के बाद एक साल में टीकाकरण अभियान एक तिहाई ही हो पाएगा।

रिपोर्ट के मुताबिक देश की अधिकतर आबादी को टीका लगाने के लिए भारत को 170 करोड़ डोज की जरूरत होगी। भारतीय कंपनियां 240 करोड़ डोज बना सकती हैं। टीकाकरण के लिए जरूरी पर्याप्त वाइल, स्टोपर्स, सीरिंज, गेज, अल्कोहल स्वाब बनाने की क्षमता भी भारत के पास है। लेकिन, कोल्ड स्टोरेज और रेफ्रीजरेटेड वैन की संख्या कम होने के कारण एक साल में 55 से 60 करोड़ डोज ही लग पाएंगे।

भारत जिन टीकों की पहले उम्मीद कर रहा है उनमें एस्ट्राजेनेका, नोवावैक्स और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन शामिल हैं। इन्हें 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में स्टोर करना जरूरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि जनवरी, 2021 तक टीके उपलब्ध हो सकते हैं।

वैज्ञानिक सलाह मानने में भारत के नीति निर्माता अमेरिका से आगे

कोरोना महामारी से मुकाबले के लिए रणनीति तैयार करते समय वैज्ञानिक सलाह को तरजीह देने के मामले में भारतीय नीति निर्माता दुनिया में 15वें स्थान पर हैं। न्यूजीलैंड पहले, चीन दूसरे और अर्जेंटीना के नेता तीसरे स्थान पर हैं। हैरानी की बात है कि दुनिया में सबसे ज्यादा वैज्ञानिक देने वाले देशों में शामिल अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस, ब्रिटेन के लॉ मेकर काफी पीछे हैं। जापान 17वें, फ्रांस 18वें, रूस 21वें, ब्रिटेन 22वें, ब्राजील 23वें और अमेरिका 24वें स्थान पर हैं।

यह जानकारी साइंटिफिक जर्नल प्रकाशित करने वाली संस्था फ्रंटियर के ताजा सर्वे में सामने आई है। मई और जून में हुए इस सर्वे में अलग-अलग देशों के 25 हजार शोधकर्ताओं से बात की गई। इसके मुताबिक न्यूजीलैंड के रिसर्चर अपने सांसदों से सबसे ज्यादा संतुष्ट हैं। वहां के करीब 75 फीसदी शोधकर्ताओं ने कहा कि उनके नेता वैज्ञानिक सलाह को स्वीकार करते हैं।

एक दिन में पहली बार 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत

कोरोनावायरस महामारी के कारण बुधवार को दुनियाभर में 10,178 लोगों की मौत हुई। पहली बार इस महामारी के कारण एक दिन में 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। अब तक 12,88 हजार से ज्यादा लोगों को यह बीमारी लील चुकी है। बुधवार को सबसे ज्यादा 1479 मौतें अमेरिका में हुई हैं। अमेरिका में अब तक 2,47,398 लोगों ने कोरोना के कारण जान गंवाई है। यूरोप के अलग-अलग देशों को मिलाकर बुधवार को कुल 4,774 लोगों ने जान गंवाई। 623 मौतों के साथ इटली पहले स्थान पर रहा।

कोवीशील्ड वैक्सीन के चार करोड़ डोज तैयार

अब तक सबसे भरोसेमंद मानी जा रही ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन कोवीशील्ड के चार करोड़ डोज तैयार कर लिए गए हैं। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और आईसीएमआर ने इसके ट्रायल के लिए 1600 वालंटियर का चुनाव किया है। इसके अलावा वैक्सीन का ट्रायल ब्रिटेन, अमेरिका, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में भी चल रहा है। आईसीएमआर परीक्षण स्थलों से जुड़े खर्च उठा रहा है।

यूरोपियन यूनियन फाइजर से 30 करोड़ डोज खरीदेगा

यूरोपियन यूनियन ने कहा है कि वह बायोएनटेक और फाइजर द्वारा विकसित टीके के 30 करोड़ डोज खरीदेगा। कंपनियों ने बताया कि इस साल के अंत तक डिलीवरी शुरू हो जाएगी। हालांकि ईयू ने इस बात की जानकारी नहीं दी है कि टीके को किस तरह रोलआउट किया जाएगा और कहां कितने डोज पहुंचाए जाएंगे। फाइजर ने दावा किया है कि उसका टीका 90 फीसदी से ज्यादा असरदार है।



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We are able to make 240 crore doses, but will reach 55 crore people


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पाटोदा के 750 परिवारों में ज्यादातर एडवांस टैक्स भरते हैं, पूरे गांव में सीसीटीवी कैमरे, स्कूलों में मुफ्त दूध

(रवी गाडेकर) दीपावली पर किसी संस्था या व्यक्ति की ओर से जरूरतमंदों को कपड़े, मिठाई या पैसों की मदद करने की खबरें अक्सर पढ़ने में आती है। लेकिन गांव के सैकड़ों लोगों को आधे दाम में शक्कर देने वाला औरंगाबाद का नजदीकी पाटोदा गांव कुछ खास है।

हर बार कुछ नया करने के लिए पहचाने जाने वाले पाटोदा ने कोरोना संकट में शत-प्रतिशत टैक्स चुकाने वाले लगभग 750 परिवारों को 20 रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से 25 किलो शक्कर देकर दीपावली की मिठास बढ़ा दी है। पूरा टैक्स चुका देने वाले परिवारों को आज भी गेहूं मुफ्त में पीसकर दिया जाता है। गांव वालों को मिनरल वाटर और नहाने के लिए गरम पानी की सुविधा भी दी जा रही है।

यह गांव औरंगाबाद शहर से 12 किलोमीटर दूर है। आधे दाम में शकर देने का आइडिया पूर्व सरपंच भास्कर पेरे का है। बाजार में 40 रुपये किलो मिलने वाली शक्कर पंचायत ने लातूर जिले की सिद्धेश्वर शुगर फैक्ट्री से 28 रुपये किलो के दर से खरीदी। फैक्ट्री से 100 क्विंटल शक्कर गांव तक लाने में प्रतिकिलो 2 रुपये और लगे। परिवारों से प्रति किलो के लिए 20 रुपये और 10 रुपये टैक्स से जमा रकम से लेकर यह पहल की गई। पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी पीएस पाटील ने कहा कि दिवाली पर लोगों को राहत देने के लिए पंचायत ने यह काम किया।

सालाना 30 लाख रुपये का टैक्स

गांववासियों को पहले से मुफ्त सुविधाओं का लाभ लेने की आदत नहीं है। सालभर का टैक्स अप्रैल की शुरुआत में 70% और 30% टैक्स जून में भर दिया जाता है। गांव में 750 परिवार हैं और कुल आबादी 1654 है। सालभर में करीब 30 लाख रुपए टैक्स जमा होता है। एक परिवार को कम से कम 4 हजार रुपये तक टैक्स चुकाना होता है।

घर जितना बड़ा होगा, उतना ही ज्यादा टैक्स लगता है। बिना किसी हिचकिचाहट टैक्स जमा होता है। पर्यावरण ग्राम समृद्धि योजना से आबादी से दुगने फलों का उत्पादन होता है। यही नहीं, स्कूल में ई-लर्निंग की सुविधा भी है।

गांव को राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है

पाटोदा को राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है। गांव के हर परिवार में कम से कम एक बैंक खाता है। हर व्यक्ति की सालगिरह पर उसका फोटो पंचायत बोर्ड पर लगाया जाता है। गांव में एक ही सार्वजनिक गणेशोत्सव मनाया जाता है। जन सहभागिता से छात्र-छात्राओं को ठंड के दिनों में मुफ्त दूध दिया जाता है। गांव में सीसीटीवी कैमरे और वाटर कूलर लगे हैं। पंचायत कार्यालय पूरी तरह एयरकंडीशंड है।



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Where all taxpayers, mostly pay advance tax, CCTV cameras in entire village, free milk in schools


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मुंबई जैसे हमलों से दहल उठा था फ्रांस, 20 मिनट में 6 जगह हुए थे आतंकी हमले

फ्रांस के साथ-साथ पूरी दुनिया को दहलाने वाले हमलों की वजह से 13 नवंबर को याद किया जाता है। फ्रांस की राजधानी पेरिस में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने एक के बाद एक 6 जगहों पर कुछ ही मिनटों में हमले किए, जिसमें 130 लोगों की जान चली गई। 350 से ज्यादा घायल हो गए। हमलों के बाद फ्रांस में इमरजेंसी लगा दी गई।

आतंकियों ने बार, रेस्टोरेंट, स्टेडियम, कंसर्ट हॉल कुछ नहीं छोड़ा था। 7 आतंकियों ने आत्मघाती हमले किए थे। पहला हमला रात 9 बजकर 20 मिनट पर एक फुटबॉल स्टेडियम के बाहर हुआ था। जिस वक्त ये हमला हुआ था, उस वक्त जर्मनी और फ्रांस के बीच मैच चल रहा था। वहां तब के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद भी मौजूद थे।

सबसे खतरनाक हमला बेटेकलां कंसर्ट हॉल में हुआ था। 1500 सीटों वाला ये कंसर्ट हॉल पूरा भरा हुआ था। तभी तीन आतंकी अंदर घुस आए और ताबड़तोड़ गोलियां चलानी शुरू कर दीं। सबसे ज्यादा 89 मौतें इसी हमले में हुई थीं। इस हमले में आतंकियों ने वैसी ही रणनीति अपनाई थी, जैसी रणनीति 26 नवंबर 2008 को मुंबई हमले में अपनाई गई थी। मुंबई में भी आतंकियों ने ताज होटल में जाकर ताबड़तोड़ गोलीबारी शुरू कर दी थी। पेरिस में ऐसे ही हमले तीन जगहों पर हुए थे।

इन हमलों की एक वजह इसी साल जनवरी में चार्ली हेब्दो मैग्जीन में छपे पैगंबर मोहम्मद के विवादित कार्टून को भी माना गया था। पेरिस में हुए ये हमले मार्च 2004 में स्पेन की राजधानी मैड्रिड में हुए हमले के बाद सबसे भयानक थे। 11 मार्च 2004 को मैड्रिड की ट्रेनों में हुए बम धमाकों में 191 लोगों की जान गई थी और 1800 लोग घायल हुए थे।

कोलंबिया में ज्वालामुखी विस्फोट में 25,000 लोग मारे गए थे
कहते हैं कि ज्वालामुखी सोए दानव की तरह होते हैं। कभी-कभी ही जागते हैं और जब जागते हैं तो कहर बरपाकर ही शांत होते हैं। कुछ ऐसा ही 45 साल पहले कोलंबिया में हुआ था। तब वहां का दूसरा सबसे एक्टिव ज्वालामुखी 'नेवादो देल रुइज' अचानक फट गया था। इसने इतनी तबाही मचाई थी कि 80 वर्ग किमी. के इलाके में सिर्फ और सिर्फ राख ही राख नजर आ रही थी। इस ज्वालामुखी विस्फोट में 25 हजार लोग मारे गए थे।

भारत और दुनिया के इतिहास में 13 नवंबर को हुई प्रमुख घटनाएं:

  • 1969: लंदन के क्वीन कार्लेट अस्पताल में एक महिला ने 5 बच्चों को जन्म दिया।
  • 1927: दुनिया की पहली सबसे लंबी अंडरवॉटर टनल की शुरुआत हुई। ये टनल अमेरिका के न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी के बीच थी। इसके नॉर्थ ट्यूब की लंबाई 8,558 फीट और साउथ ट्यूब की लंबाई 8,371 फीट थी। इसका नाम इसे डिजाइन करने वाले इंजीनियर क्लिफोर्ट होलैंड के नाम पर रखा गया था।
  • 1971: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के स्पेसक्राफ्ट मैरियर-9 ने मंगल ग्रह के चक्कर लगाए। ये पहला मौका था, जब पृथ्वी से भेजे गए किसी स्पेसक्राफ्ट ने किसी दूसरे ग्रह का चक्कर लगाया था। एक महीने बाद वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह की साफ तस्वीरें मिली थीं।
  • 1998: चीन के विरोध के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और दलाई लामा ने मुलाकात की।


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Today in History (Aaj Ka Itihas) - What Happened on November 13 | Holland Tunnel (New York City), Paris Terror Attack 2015


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बॉलीवुड में एक और खुदकुशी; घर खरीदने वालों को मिली राहत; चुनाव से पहले ममता की आफत

नमस्कार!

बिहार में चुनाव नतीजे आ चुके हैं, मगर हालात अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जैसे हैं। मतलब बहुमत NDA को मिला है, पर राजद हार मानने को तैयार ही नहीं। तेजस्वी बोल रहे हैं कि जनादेश महागठबंधन को ही मिला है, पर चुनाव आयोग का नतीजा NDA के पक्ष में गया। बहरहाल, शुरू करते हैं आज का मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...

सबसे पहले देखते हैं, बाजार क्या कह रहा है…

  • BSE का मार्केट कैप 167 लाख करोड़ रुपए रहा। BSE पर करीब 53% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही।
  • 2,886 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 1,550 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,146 कंपनियों के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • बिहार में NDA की बैठक होगी। मुख्यमंत्री को लेकर हो सकता है फैसला। चुनाव नतीजे आने के बाद पहली बार चारों घटक दल के नेता साथ बैठेंगे।
  • महाराष्ट्र में एक्टर अर्जुन रामपाल की मुंबई के NCB ऑफिस में सुबह 11 बजे पेशी।
  • राजस्थान के कोटा में मेडिकल कॉलेज के 23 विभागों में असिस्टेंट प्रोफेसर, सीनियर डेमोंस्ट्रेटर, सीनियर रेजीडेंट समेत कुछ पदों के लिए इंटरव्यू होंगे।

देश-विदेश

एक्टर आसिफ बसरा ने की आत्महत्या

पिछले दिनों आई वेब सीरीज पाताललोक में काम कर चुके एक्टर आसिफ बसरा (53) ने धर्मशाला के मैक्लोडगंज स्थित अपार्टमेंट में खुदकुशी कर ली। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह डिप्रेशन में थे। उन्होंने पालतू कुत्ते के पट्टे से फंदा लगाकर जान दे दी।

ममता के मंत्री कैबिनेट मीटिंग से नदारद

पश्चिम बंगाल में चुनाव से पहले तृणमूल चीफ ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ने की खबर है। सरकार में परिवहन मंत्री सुवेंदु अधिकारी बुधवार को ममता की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में नहीं पहुंचे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पांच मंत्री कैबिनेट मीटिंग में नहीं पहुंचे।

घर खरीदारों और डेवलपर्स के लिए राहत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घर खरीदारों और डेवलपर्स के लिए बड़ी राहत दी। सर्कल रेट और एग्रीमेंट वैल्यू के बीच का जो अंतर है, उस पर अब इनकम टैक्स में 20% की राहत दी जाएगी। पहले यह 10% थी। यह स्कीम रेसीडेंशियल यूनिट की प्राइमरी बिक्री पर लागू होगी।

मोदी ने JNU में स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण किया

नेहरू के नाम पर बनी और लेफ्ट का गढ़ कही जाने वाली JNU में गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअली पहुंचे। उन्होंने यहां स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण किया, जो कैम्पस में 2018 से ढंककर रखी हुई थी। प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा- अब स्वामीजी की प्रतिमा की छत्रछाया में डिबेट कीजिएगा।

राष्ट्रपति ट्रम्प के आगे अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट मजबूर

जो बाइडेन अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव जीत चुके हैं। लेकिन, डोनाल्ड ट्रम्प अब भी हार मानने को तैयार नहीं है। हालात ये हैं कि दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्ष बाइडेन को जो बधाई संदेश भेज रहे हैं, वे बाइडेन के पास पहुंच ही नहीं पा रहे हैं। वजह है स्टेट डिपार्टमेंट की मजबूरी।

डीबी ओरिजिनल

भूखे बुजुर्ग को ASI ने खाना खिलाया, सुसाइड से रोका

सूरत के पुलिस सुसाइड प्रिवेंशन हेल्पलाइन के नंबर पर 8 अक्टूबर को एक बुजुर्ग ने फोन किया और कहा, 'मैं जिंदगी से तंग आ गया हूं, दो टाइम का खाना तक नहीं मिल रहा। मुझे आत्महत्या करने का विचार आ रहा है।' ASI ने बुजुर्ग के लिए खाने की व्यवस्था की। उनको सुसाइड से रोका।

भास्कर एक्सप्लेनर

प्रदूषण के लिए दिवाली के पटाखे कितने जिम्मेदार?

एयर पॉल्यूशन बढ़ते देख नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी NGT ने दिल्ली-एनसीआर में 9 से 30 नवंबर तक पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है। न सिर्फ दिल्ली, बल्कि देश के जिन-जिन राज्यों में एयर क्वालिटी खराब है, वहां पटाखे नहीं बेचे जाएंगे, लेकिन क्या पॉल्यूशन के लिए दिवाली के पटाखे ही जिम्मेदार हैं?

सुर्खियों में और क्या है...

  • कंगना रनौट के भाई अक्षत ने रितु सागवान के साथ उदयपुर में शादी की। कंगना ने भाई की शादी में 6 करोड़ खर्च किए, 45 लाख की ज्वेलरी और 18 लाख की ड्रेस पहनी।
  • देश में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बताया कि ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनिका की कोरोना वैक्सीन कोवीशील्ड के चार करोड़ डोज तैयार कर लिए गए हैं।
  • LAC पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच डिसइंगेजमेंट प्लान बन गया है। पूर्वी लद्दाख में पैगॉन्ग झील के आसपास बने स्ट्रक्चर तोड़े जाएंगे। पेट्रोलिंग पर भी रोक लगाई जाएगी।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को 17वीं आसियान (ASEAN) समिट में कहा कि कोरोना के कारण फैमिली फोटो नहीं ले पा रहे, पर हमारे बीच दूरियां कम हो रही हैं। समिट में सभी 10 सदस्य देश शामिल हुए थे।


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शुक्रवार शाम को करें यम पूजा और दीपदान, शनिवार को सुबह होगा औषधि स्नान

कार्तिक महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को रूप चतुर्दशी या नरक चौदस के रूप में मनाया जाता है। स्कंद पुराण के मुताबिक, इस तिथि में शाम को यमराज के लिए दीपदान देने से अकाल मृत्यु नहीं होती। वहीं, भविष्य और पद्म पुराण का कहना है कि चतुर्दशी तिथि में सूर्योदय से पहले उठकर अभ्यंग यानी तेल मालिश कर के औषधि स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से बीमारियां खत्म होती हैं और उम्र बढ़ती हैं।

  • ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र का कहना है कि चतुर्दशी तिथि 13 नवंबर को दोपहर करीब 3 बजे से शुरू होकर 14 की दोपहर 2 तक रहेगी। इसलिए यम दीपदान शुक्रवार की शाम को करना चाहिए और औषधि स्नान 14 नवंबर को सूर्योदय से पहले करना शुभ रहेगा।

दीपदान और यम पूजन:

कार्तिक महीने की चतुर्दशी तिथि पर यमराज को प्रसन्न करने के लिए सूर्यास्त के बाद दक्षिण दिशा में दीपदान करने से कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है और जाने-अनजाने में किए गए हर तरह के पाप भी खत्म हो जाते हैं। प्रसन्न होकर यम आरोग्य और लंबी उम्र का आशीर्वाद देते हैं। इससे परिवार में किसी भी तरह की परेशानी नहीं आती।


अभ्यंग और औषधि स्नान:

भविष्यपुराण के मुताबिक, कार्तिक महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को नहाने से पहले तिल के तेल की मालिश करनी चाहिए। तिल के तेल में लक्ष्मीजी और जल में गंगाजी का निवास माना गया है। इससे रूप बढ़ता है और सेहत अच्छी रहती है। पद्मपुराण में लिखा है कि जो सूर्योदय से पहले नहाता है, वो यमलोक नहीं जाता। इसलिए इस दिन सूरज उदय होने से पहले औषधियों से नहाना चाहिए।


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Diwali 2020: Naraka Chaturdashi; Roop Chaudas Shubh Muhurat, Yamaraja Deepdaan Puja Vidhi


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बीमारियां किसी को भी हो सकती हैं, शरीर को सुरक्षित रखने के लिए समय जरूर निकालना चाहिए

कहानी - जून 1902 में स्वामी विवेकानंद ने अपने एक शिष्य को पत्र लिखा था। उसमें अपनी सेहत को लेकर बात की थी। स्वामीजी ने लिखा था कि मेरा किस्सा पूरा भया, नटे पौधा ढहा यानी अब इस जीवन को समेटने का समय आ गया है।

अंतिम समय में स्वामीजी ने अपने शिष्यों से कहा था कि एक के बाद एक कई बीमारियां मेरे शरीर में उतर आई हैं। मेरी सेहत तेजी से टूट रही है। बीमारियों की वजह से कभी-कभी गुस्सा भी आ जाता है, लेकिन तुरंत मैं अपने आप को शांत भी कर लेता हूं।

स्वामी विवेकानंद ने जिस शरीर से पूरी दुनिया नापी थी, पूरी दुनिया को मानवता की सीख दी, वही शरीर अंतिम समय में इतना लाचार हो गया था। उन्हें सांस लेने में असहनीय तकलीफ होने लगी थी। वे कई तकियों को इकट्ठा करके अपनी छाती के आगे लगा लेते थे और आगे की तरफ झुककर बड़ी तकलीफ से सांस ले पा रहे थे।

स्वामीजी अंतिम दिनों में कहा करते थे कि चलो मृत्यु आ भी गई तो क्या फर्क पड़ता है? मैं जो देकर जा रहा हूं, वह डेढ़ हजार वर्षों की खुराक है। गुरु महाराज का मैं ऋणी था। मैंने अपना काम कर दिया है। अब आगे की व्यवस्था तुम लोग संभालो।

सीख - जाते-जाते स्वामी विवेकानंद हमें समझा गए कि इस शरीर का भी ध्यान रखना है। बीमारियां किसी को भी हो सकती हैं, शरीर को सुरक्षित रखने के लिए हर रोज व्यायाम जरूर करें, क्योंकि ये शरीर एक दिन अपनी कीमत जरूर वसूलता है।



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वो बाजार, जहां के दीयों से विदेशों में होती है रोशनी; पर इस बार ग्राहकी आधी

एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी में आता है कुंभरवाड़ा। कुंभर यानी कुम्हार और वाड़ा यानी कॉलोनी। इस तरह कुम्हारों की बसाहट के बाद कुंभरवाड़ा बना। 100 साल से भी ज्यादा समय से यहां मिट्टी के बर्तन बनाने का काम चल रहा है। कुंभरवाड़ा दीयों का कितना बड़ा मार्केट है, इसका अंदाज इस बात से लगा सकते हैं कि सालभर में यहां करीब 10 करोड़ दीये बनाए जाते हैं। यहां घरों के बाहर भट्टी और घरों के अंदर मिट्टी के बर्तन सजे होते हैं।

दिवाली इन लोगों के लिए बिजनेस का सबसे बड़ा मौका होता है, लेकिन इस बार हालात खराब हैं। कोरोना के चलते न माल एक्सपोर्ट हुआ है और न ही लोकल ग्राहकी अच्छी हो रही है। कोरोना ने इस पॉटरी विलेज की दीपावली फीकी कर दी है।

कुंभरवाड़ा मुंबई का मिट्टी के बर्तनों का सबसे बड़ा बाजार है।

5 हजार दीये खराब हो गए, बिके अभी तक 10 हजार ही

राकेश भाई 90 फीट रोड पर ही मिट्टी के बर्तनों की दुकान लगाते हैं। कहते हैं, 'पहली बार ऐसा हो रहा है कि हमें भट्टी जलाने के लिए वेस्ट मटेरियल भी महंगा मिल रहा है और माल भी नहीं बिक रहा। वेस्ट मटेरियल महंगा क्यों हो गया? इस पर बोले, 'भैया धारावी में कपड़े की हजारों फैक्ट्रियां हैं। उनकी जो बची हुई कतरन होती है, वही हम खरीदते हैं और उससे भट्टी जलाते हैं। इस बार फैक्ट्रियां ही बंद पड़ी थीं। चुनिंदा फैक्ट्रियों ने ही कतरन बेची तो जो माल 80 रुपए में मिलता था वो 220 में मिला।'

राकेश ने दीपावली के लिए 20 हजार दीये रखे थे। इसमें से 5 हजार तो खराब ही हो गए, क्योंकि वो काली मिट्टी से बने थे। गुजरात से जो मिट्टी आती है, वो आ नहीं पाई थी। ऐसे में काली मिट्टी से दीये बनाने पड़े। 15 हजार दीये बचे थे, उसमें से करीब 10 हजार ही बिक पाए हैं। पिछली दिवाली तक तो एक झटके में ही इतना माल निकल जाता था। कहते हैं कि कुछ दिनों पहले मेरे पिताजी की डेथ हुई है। हमें मिठाई, कपड़े कुछ नहीं खरीदना। खरीदना होता तो इस बार कुछ खरीद भी नहीं पाते।

कुंभरवाड़ा के राकेश कहते हैं कि पिछली दिवाली तक तो इतनी भीड़ होती थी कि खाने का भी टाइम नहीं मिल पाता था, अब तो सब मंदा है।

दरअसल, कुंभरवाड़ा के कुम्हार हर साल मार्च-अप्रैल से दीये बनाना शुरू कर देते हैं। यह काम अक्टूबर तक चलता है, फिर दीपावली पर ग्राहकी होती है। छोटे लेवल पर काम करने वाले भी दिवाली पर लाख-दो लाख कमा लेते हैं। यह कमाई चार-पांच महीने की मेहनत की होती है। इस बार कोरोना के चलते मार्च-अप्रैल में कोई काम हो ही नहीं सका। दीयों के लिए मिट्टी गुजरात से आती है, वो भी इस बार नहीं आई। जून के बाद कुछ गाड़ियां आईं, लेकिन माल इतना महंगा बिका कि छोटे लेवल पर काम करने वाले खरीद नहीं सके। अब ये लोग वो माल बेच रहे हैं, जो पहले से बना रखा हुआ है।

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पीढ़ियों से यही काम कर रहे, इस बार ग्राहकी आधी हो गई

हंसमुख भाई परमार कहते हैं, 'हम पीढ़ियों से यही काम करते आ रहे हैं। कुंभरवाड़ा में तैयार होने वाले दीये यूएस, दुबई और लंदन तक जाते हैं। कुछ माल पानी के जहाज से जाता है तो कुछ हवाई जहाज से जाता है। हालांकि, बाहर माल भेजने का काम कुछ बड़े लोग ही करते हैं। छोटे व्यापारी तो यहीं के भरोसे होते हैं। मुंबई में अभी लोकल सभी के लिए शुरू नहीं हुई इसलिए शहर के ग्राहक भी इधर नहीं आ रहे।'

वो कहते हैं कि बेरोजगारी और कामधंधा मंदा होने के कारण भी लोग परेशान हैं इसलिए दीपावली पर बहुत ज्यादा खरीदारी नहीं कर रहे। हंसमुख भाई ने पिछले 20 सालों में पहली बार दिवाली पर इतनी फीकी ग्राहकी देखी है। कहने लगे कि बिजनेस सीधे-सीधे 50 टका कम हो गया। पहले दिवाली पर 4 से 5 लाख रुपए का बिजनेस होता था, इस बार तो लाख में बात पहुंची ही नहीं।

हसमुख कहते हैं कि पिछले 20 सालों में पहली बार दीपावली पर इतना मंदा बाजार देखा है।

50 लाख दीये विदेश जाते हैं
कुंभरवाडा में मिट्टी के बर्तनों का छोटे लेवल पर बिजनेस करने वाला कुम्हार परिवार भी सालभर में औसतन 1 लाख दीये बनाता है। इससे महीने में 15 से 20 हजार रुपए की कमाई हो जाती है। सालभर में करीब 10 करोड़ दीये बनते हैं। कारोबारियों के मुताबिक, 50 लाख दीये तो विदेशों में एक्सपोर्ट हो जाते हैं। दीये के साथ ही मिट्टी के कई आइटम यहां बनाए जाते हैं।

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कुंभरवाड़ा में ढेरों छोटे-छोटे कारोबारी हैं, जिनके लिए दीवाली कमाने का बड़ा मौका होता है। पूरा परिवार इस काम में लग जाता है, लेकिन इस बार सब मंदा है।


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