रविवार, 5 जुलाई 2020

आतंकियों ने 4 दिन में दूसरी बार सीआरपीएफ टीम को निशाना बनाकर आईईडी ब्लास्ट किया, एक जवान जख्मी

जम्मू-कश्मीर में पुलवामा के सर्कुलर रोड पर आतंकियों ने सीआरपीएफ के गश्ती दल को निशाना बनाकर आईईडी ब्लास्ट किया। इसके बाद फायरिंग कर दी। हमले में एक जवान जख्मी हो गया। बताया जा रहा है कि आतंकी बड़ा नुकसान पहुंचाना चाहते थे, लेकिन कामयाब नहीं हुए। सुरक्षाबलों ने इलाके की घेराबंद कर आतंकियों की तलाश शुरू कर दी है।

4 दिन पहले सोपोर में हुआ था हमला

जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर कस्बे में सीआरपीएफ की पार्टी पर बुधवार को आतंकियों ने हमला किया था। फायरिंग में 1 जवान शहीद हो गया थाऔर 3 जख्मी हुए थे। आतंकियों की फायरिंग की चपेट में आए 1 नागरिक की भी मौत हो गई थी। मारे गए व्यक्ति के साथ उनका 3 साल का पोता भी था। सिक्योरिटी फोर्सेज ने बच्चे को सुरक्षित निकाल लिया था।

मई में ऐसा ही हमला नाकाम किया था

सुरक्षाबलों ने 28 मई को एक ऐसे ही हमले को नाकाम किया था। उन्हें बांदीपोरा जिले मेंराजपुरा रोड पर शादीपुरा के पास एक सफेद सेंट्रो कार मिली थी, जिसमें आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस)मिली थी। कार केअंदरड्रम में विस्फोटकरखा था। खबर लगते हीसुरक्षाबलों ने आसपास का इलाका खाली करा लिया। इसके बाद बम डिस्पोजल स्क्वाड ने कार को उड़ा दिया। विशेषज्ञों का अनुमान है कि कार में करीब 40-50 किलो विस्फोटक था।

पुलवामा हमले में 350 किलो आईईडी का इस्तेमाल हुआ था

  • 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर में पुलवामा के अवन्तीपुरा इलाके में सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन हमला हुआ था। गोरीपुरा गांव के पास हुए इस हमले में 44 जवान शहीद हो गए थे।

  • आत्मघाती ने विस्फोटक से लदी गाड़ी सीआरपीएफ जवानों को ले जा रही बस से टकरा दी थी। हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। पुलवामा हमला कश्मीर में 30 साल का सबसे बड़ा आतंकी हमला था। आतंकियों ने हमले के लिए 350 किलो आईईडी का इस्तेमाल किया था।


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हमला सीआरपीएफ के गश्ती दल को निशाना बनाकर किया गया। आतंकी बड़ा नुकसान पहुंचाना चाहते थे, लेकिन वे कामयाब नहीं हुए।


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एक दिन में रिकॉर्ड 24018 मरीज बढ़े, देश में अब तक 6.73 लाख केस; संक्रमण के मामले में आज रूस को पीछे छोड़ देगा भारत

देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 6 लाख 73हजार 904 हो गई है। शनिवार को रिकॉर्ड24018 मरीज बढ़े और 14 हजार 327 ठीक भी हो गए। covid19india.org के मुताबिक, महाराष्ट्र में 7074 पॉजिटिव मिले। राज्य में2 लाख से ज्यादा मरीजहो गए, जबकि 8671 लोगों की मौत हो चुकी है।

उधर, भारत और रूस के बीच संक्रमितों का अंतर 611 बचा है। हम आज रूस को पीछे छोड़कर मरीजों के मामले में तीसरे स्थान पर आ जाएंगे। अभी अमेरिका पहले और ब्राजील दूसरे स्थान पर है। इन दोनों देशों के बाद भारत में ही रोजाना संक्रमण के सबसे ज्यादा नए केस आ रहे हैं।

दुनिया के टॉप- 5 देश

देश संक्रमण के मामले
अमेरिका 29,35,770
ब्राजील 15,78,376
रूस 6,74,515
भारत 6,73,904
पेरू 2,99,080

5 राज्यों का हाल

मध्यप्रदेश:यहां शनिवार को 307 नए मरीज सामने आए और 5 की जान गई। भोपाल में 51, इंदौर में 34, मुरैना में 78 पॉजिटिव केस बढ़े। राज्य में संक्रमितों की संख्या 14 हजार 604 हो गई, इनमें से 2772 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 398 लोगों की मौत हुई है।

महाराष्ट्र:यहां शनिवार को 7074 संक्रमित मिले और 295 लोगों की मौत हुई। मुंबई में 1163, ठाणे में 2199 और पुणे में 1502 मामले बढ़े। प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 2 लाख 64 हो गई, इनमें से 83 हजार 295 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 8671 ने जान गंवाई।

राज्य की जेलों में 31 कैदी और 3 सुरक्षाकर्मी पॉजिटिव मिले।महिला एवं बाल विकास मंत्री यशोमति ठाकुर ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने गर्भवती हेल्थवर्कर्स के लिए वर्क फ्रॉम होम की मांग की।

उत्तरप्रदेश:यहां शनिवार को 757 नए मरीज सामने आए और 24 की जान गई। गौतमबुद्धनगर (नोएडा) में 77, गाजियाबाद में 86 और लखनऊ में 80 पॉजिटिव केस बढ़े। राज्य में संक्रमितों की संख्या 26 हजार 554 हो गई, इनमें से 7627 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 773 लोगों की मौत हुई है।

राजस्थान:यहां शनिवार को 480 नए मरीज सामने आए और 7 की जान गई। जयपुर में 40, जालोर में 42 और धौलपुर में 39 पॉजिटिव केस बढ़े। राज्य में संक्रमितों की संख्या 19 हजार 532 हो गई, इनमें से 3445 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 447 लोगों की मौत हुई है।

बिहार:यहां शनिवार को 349 संक्रमित मिले और 4 लोगों की मौत हुई। पटना में 24, सहारसा में 53 और मुजफ्फरपुर में 44 केस बढ़े। प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 11 हजार 457 हो गई, इनमें से 2881 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 88 ने जान गंवाई है।



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यह फोटो दिल्ली की है। राजधानी में अब तक हुए 5.96 लाख से अधिक टेस्ट हो चुके हैं। इनमें से 45% से ज्यादा टेस्ट हॉट-स्पॉट और उनके आस-पास रैपिड एंटिजन जांच शुरू करने के बाद पिछले 16 दिनों में किए गए।


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एक दिन में रिकॉर्ड 24018 मरीज बढ़े, देश में अब तक 6.73 लाख केस; संक्रमण के मामले में आज रूस को पीछे छोड़ देगा भारत

देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 6 लाख 73हजार 904 हो गई है। शनिवार को रिकॉर्ड24018 मरीज बढ़े और 14 हजार 327 ठीक भी हो गए। covid19india.org के मुताबिक, महाराष्ट्र में 7074 पॉजिटिव मिले। राज्य में2 लाख से ज्यादा मरीजहो गए, जबकि 8671 लोगों की मौत हो चुकी है।

उधर, भारत और रूस के बीच संक्रमितों का अंतर 611 बचा है। हम आज रूस को पीछे छोड़कर मरीजों के मामले में तीसरे स्थान पर आ जाएंगे। अभी अमेरिका पहले और ब्राजील दूसरे स्थान पर है। इन दोनों देशों के बाद भारत में ही रोजाना संक्रमण के सबसे ज्यादा नए केस आ रहे हैं।

दुनिया के टॉप- 5 देश

देश संक्रमण के मामले
अमेरिका 29,35,770
ब्राजील 15,78,376
रूस 6,74,515
भारत 6,73,904
पेरू 2,99,080

5 राज्यों का हाल

मध्यप्रदेश:यहां शनिवार को 307 नए मरीज सामने आए और 5 की जान गई। भोपाल में 51, इंदौर में 34, मुरैना में 78 पॉजिटिव केस बढ़े। राज्य में संक्रमितों की संख्या 14 हजार 604 हो गई, इनमें से 2772 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 398 लोगों की मौत हुई है।

महाराष्ट्र:यहां शनिवार को 7074 संक्रमित मिले और 295 लोगों की मौत हुई। मुंबई में 1163, ठाणे में 2199 और पुणे में 1502 मामले बढ़े। प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 2 लाख 64 हो गई, इनमें से 83 हजार 295 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 8671 ने जान गंवाई।

राज्य की जेलों में 31 कैदी और 3 सुरक्षाकर्मी पॉजिटिव मिले।महिला एवं बाल विकास मंत्री यशोमति ठाकुर ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने गर्भवती हेल्थवर्कर्स के लिए वर्क फ्रॉम होम की मांग की।

उत्तरप्रदेश:यहां शनिवार को 757 नए मरीज सामने आए और 24 की जान गई। गौतमबुद्धनगर (नोएडा) में 77, गाजियाबाद में 86 और लखनऊ में 80 पॉजिटिव केस बढ़े। राज्य में संक्रमितों की संख्या 26 हजार 554 हो गई, इनमें से 7627 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 773 लोगों की मौत हुई है।

राजस्थान:यहां शनिवार को 480 नए मरीज सामने आए और 7 की जान गई। जयपुर में 40, जालोर में 42 और धौलपुर में 39 पॉजिटिव केस बढ़े। राज्य में संक्रमितों की संख्या 19 हजार 532 हो गई, इनमें से 3445 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 447 लोगों की मौत हुई है।

बिहार:यहां शनिवार को 349 संक्रमित मिले और 4 लोगों की मौत हुई। पटना में 24, सहारसा में 53 और मुजफ्फरपुर में 44 केस बढ़े। प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 11 हजार 457 हो गई, इनमें से 2881 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 88 ने जान गंवाई है।



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नाव पर क्षमता से अधिक सवारी लाद लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे नाविक, इंदौर में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मनेगी गुरु पूर्णिमा

फोटो बिहार के हाजीपुर की है। यहां राघोपुर दियारा की लाइफ लाइन कच्ची दरगाह-पीपापुल एवं चकौसन पीपापुल के खुलकर हटते ही राघोपुर प्रखंड क्षेत्र के 17 पंचायतों के अलावा पटना जिलेके तीन पंचायत में रहने वाले करीब डेढ़ लाख लोगों की जिंदगी एक बार फिर नाव पर सवार हो गई है। राघोपुर प्रखंड में रहने वाले लोगों को पटना या हाजीपुर आने जाने के लिए नाव की यात्रा करनी पड़ रही है।

वहीं इस प्रखंड क्षेत्र में रहने वाले लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर नाविक अपनी नावों पर ओवरलोडिंग करने से बाज नहीं आ रहे हैं। उफनती गंगा नदी में हर दिन नाव पर हो रही लोगों की ओवरलोडिंग कहीं न कहीं बड़े हादसेको आमंत्रण दे रहीहै।

वीवीआईपी इलाके भी हुए जलमग्न

राजधानी में शनिवार की दोपहर करीब दो घंटे की झमाझम बारिश में ही गली-मोहल्ले तो छोड़िए वीवीआईपी इलाके तक डूब गए। कई मंत्रियों का आवास जलमग्न हो गया। हालांकि, राहत की बात यह है कि कई इलाकों से जल्दी पानी निकल गया। बाकी इलाकों से तेजी से पानी निकल रहा है।

सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मनाई जाएगीगुरुपूर्णिमा

इंदौर के विद्याधाम में इस बार गुरुपूर्णिमा सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मनाई जाएगी। शिष्य गुरु की पादुका का पूजन कर दूर से ही साष्टांग प्रणाम करेंगे। पं. दिनेश शर्मा के अनुसार महामंडलेश्वर चिन्मयानंद सरस्वती के सान्निध्य में गुरुपूर्णिमा मनाएंगे। यह तस्वीर शनिवार की है।

सोशल डिस्टेंसिंगतार-तार करती तस्वीर

लॉकडाउन में दूसरे राज्यों से लौटे मजदूरकाम की तलाश में फिर झारखंडसे बाहर जाने लगे हैं। यह डरावनी तस्वीर शनिवार को हैदरनगर रेलवे क्रॉसिंग के पास की है। इसमें सोशल डिस्टेंसिंग तार-तार है। इन मजदूरों ने बताया कि वे लोग डालटनगंज के मोहम्मदगंज, हैदरनगर और गढ़वा जिला के कांडी, मझिआंव क्षेत्र के रहने वाले हैं।

मजदूरों में महिलाएं और नाबालिग भी शामिल हैं। लॉकडाउन के कारण आर्थिक स्थितिखराब हो गई हैइसलिए वे बिहार जा रहे हैं। धान की रोपनी में वे लोग नहीं जा सके थे, अब फसल से खर-पतवार व घास निकालने के लिए उन्हें खेत मालिकों ने बुलाया है। गाड़ी की सुविधा भी दी है, इसलिए जा रहे हैं।

अब तक का सबसे मंहगा मास्क बनवाकर आए चर्चा में

महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाले शंकर कुराडे अब तक का सबसे महंगा मास्क बनवाकर चर्चा में हैं। उन्होंने सोने का मास्क बनवाकर साबित कर दिया है कि शौक बड़ी चीज है। शंकर अपने शरीर पर करीब 3 किलो सोना पहनते हैं। गले में मोटी-मोटी सोने की चेन, हाथ की दसों अंगुलियों में अंगूठियां और कलाई में ब्रेसलेट उनके सोने के प्रेम को दर्शाती हैं। शंकर के इस मास्क की कीमत 2.90 लाख रुपएहैं। उसका वजन करीब साढ़े पांच तोला है। इसमें सांस लेने के लिए बारीक छेदहैं।

झरने की आवाज 3 किलोमीटर दूर हाईवे तक सुनाई देती है

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के पांडुका क्षेत्र ग्राम बारूका से 3 किमी जंगल के बीच पत्थरों को चीरते हुए 101 फीट ऊंचाई से गिरते चिंगरा पगार झरना लोगों को लुभा रहा है। पांडुका क्षेत्र के धार्मिक तीर्थ स्थल मां जतमाई, घटारानी के झरना के बाद यह तीसरा झरना है, जो पूरे जिले में प्रसिद्ध है। नेशनल हाईवे से गुजरने पर बरसात के मौसम में 3 किमी दूर से इस झरने के पानी की ध्वनि दूर तक सुनाई देती है। बारिश का मौसम शुरू होते ही जानकार लोग इस जगह पर पिकनिक मनाने जाते हैं।

लॉकडाउन के बाद पटरी पर लौटती जिंदगी

यह तस्वीर जालंधर के डीएवी कॉलेज ग्राउंड के सामने की है। जहां 3 महीने के लंबे कर्फ्यू के दौरान कच्चे घर में बंद रहे सिरेमिक के बर्तन बेचने वाले की दुकान दोबारा सज रही है। यहां महामानव तथागत बुद्ध की मूर्ति भी बिक्री के लिए मौजूद है। दुकानदार ने कहा कि लॉकडाउन में कामकाज पूरी तरह ठप हो गया था। पर धीर-धीरे जिंदगी पटरी पर लौट रही है।

अब रोजाना लोग अपने घरों को सजाने के लिए सिरेमिक के गमले, मूर्तियां और सजावटी सामान खरीदने आ रहे हैं। बता दें कि सेरेमिक एक अकार्बनिक व अधात्विक ठोस है, जिसका निर्माण धात्विक व अधात्विक पदार्थों से होता है। इसकी सतह को उच्च तापमान पर गर्म करके कठोर, उच्च प्रतिरोधकता युक्त व भंगुर बनाया जाता है।



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The sailors, who are playing with the lives of people overloaded on the boat, will be engaged in social distancing in Indore, Guru Purnima


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एलओसी पर भारत-पाकिस्तान की पोजिशन साफ है, लेकिन एलएसी पर 23 इलाकों में भारत-चीन के अलग-अलग दावे हैं, इन्हीं इलाकों में आमने-सामने आ जाती हैं दोनों सेनाएं

भारत की जमीनी सीमा करीब 15 हजार किमी है और यह 6 देशों से लगती है। इनमें से पाकिस्तान और चीन ही हैं, जिनसे हमारा हमेशा से सीमा विवाद रहा है। पाकिस्तान के साथ जो अनसुलझी सीमा का हिस्सा है, उसे लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) कहा जाता है और चीन के साथ जहां सीमा विवाद है, उसे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) कहते हैं। एलएसी की लंबाई करीब 3500 किमी है।

क्या है एरिया ऑफ डिफरिंग परसेप्शन?

भारत-पाकिस्तान के बीच एलओसी की स्थिति पूरी तरह स्पष्ट है। यहां दोनों देशों के साइन, तारों की फैंसिंग और पोजिशन साफ-साफ देखे जा सकते हैं। जबकि चीन के साथ लगी एलएसी पर कई जगह न तो तारों की फैंसिंग है और न ही किसी तरह का साइन। ऐसी ही कुछ जगहों पर दोनों देशों के अपने-अपने दावे हैं। दोनों ही देशों ने इस तरह की 23 जगहों को चिन्हित कर रखा है। इन्हें एरिया ऑफ डिफरिंग परसेप्शन (एडीपी) कहा जाता है।

कहां-कहां हैं एरिया ऑफ डिफरिंग परसेप्शन?

एलएसी से सटे पश्चिमी लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के मध्य हिस्से, सिक्किम और पूर्वी अरुणाचल में 23 इलाके एरिया ऑफ डिफरिंग परसेप्शन में आते हैं। इन इलाकों में दोनों ही देश एक-दूसरे की सेनाओं को अपने-अपने दावे वाली सीमा पर पेट्रोलिंग करने की इजाजत देते रहे हैं। पिछले दशक में जब भी यहां दोनों ओर की सेनाएं पेट्रोलिंग के दौरान आमने-सामने आई तो तनाव बढ़ा है। कभी-कभी ये घटनाएं धक्का-मुक्की तक सीमित रहीं तो कभी-कभी यह मुक्केबाजी तक भी पहुंची हैं।

छोटी-बड़ी झड़प के बाद एलएसी पर हालात सामान्य कैसे हो जाते हैं?

एलएसी पर कई बार छोटी-बड़ी झड़पें हुईं, लंबे दिनों तक तनाव रहा। लेकिन दोनों ही देश स्थिति को फिर से पूरी तरह नियंत्रण में लाते रहे हैं। यही कारण रहा है कि सीमा पर मुक्केबाजी तो हो जाती है लेकिन करीब 50 सालों से यहां गोली नहीं चली।

तनाव को कम करने के लिए दोनों ही देशों ने आपसी रजामंदी से सिस्टम और प्रोटोकॉल तय किए हैं और यह अब तक कारगर साबित हुएहैं। इसके तहत बॉर्डर पर तैनात दोनों ओर के अधिकारियों की बातचीत का दौर चलता है। इनमें कर्नल लेवल के कमांडिंग ऑफिसर या ब्रिगेड कमांडर लेवल के अधिकारी शामिल होते हैं।

कभी-कभी मेजर जनरल स्तर की मीटिंग भी होती है। इसके बाद राजनयिक स्तर पर बातचीत की प्रक्रिया भी होती है। मिलिट्री लेवल से लेकर राजनयिक स्तर पर सालभर होने वाली इन मीटिंग्स के जरिए सीमा पर उठने वाले मुद्दों का समाधान होता रहता है।

एलएसी पर शांति के लिए कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स कितने मददगार?

दोनों ही आर्मी एलएसी पर पेट्रोलिंग के दौरान पहले से तय कुछ उपायों का पालन करतीहैं। इन्हें कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स (सीबीएमएस) कहा जाता है। अलग-अलग दावों वाले 23 इलाकों में इनका खास तौर पर ध्यान रखा जाता है।

उदाहरण के तौर पर दोनों ओर के सैनिक पेट्रोलिंग के दौरान हथियार तो रख सकते हैं लेकिन इन्हें इस तरह से पीठ के पीछे लटकाया जाता है, जिससे कि दूसरी ओर खड़े सैनिकों को खतरा महसूस न हो। दोनों ही देश की आर्मी युद्ध वाली पोजिशन नहीं बना सकती, न ही इन इलाकों में किसी तरह का निर्माण कार्य कर सकती है। इन कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स के कारण ही 1967 के बाद भारत-चीन सीमा पर गोली नहीं चली है।

गलवान घाटी एरिया ऑफ डिफरिंग परसेप्शन में नहीं, फिर भी यहां झड़प क्यों हुई?

लद्दाख की 857 किमी लंबी बॉर्डर में से 368 किमी का हिस्सा अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर है। बाकी बची 489 किमी लंबी सीमा एलएसी है। इस बार गर्मी में लद्दाख के तीन अलग-अलग इलाकों में भारतीय और चीनी सैनिकों की पेट्रोलिंग के दौरान कभी छोटी तो कभी बड़ी झड़प हुई। ये तीन इलाके थे- पैंगॉन्ग त्सो (फिंगर एरिया), हॉट स्प्रिंग्स और गलवान घाटी।

गलवान घाटी उन 23 इलाकों में शामिल नहीं है, जिन्हें दोनों ही देशों ने अलग-अलग मत वाली जगह के नाम पर चिन्हित कर रखा है। यानी यह इलाका दोनों ही देशों की रजामंदी के साथ भारत का हिस्सा माना जाता रहा है। इसके बावजूद गलवान में चीनी सैनिक घुसे और भारत द्वारा बनाई जा रही सड़क पर आपत्ति उठाने लगे।

6 जून को तनाव कम करने पर रजामंदी हुई, फिर 15 जून को खूनी झड़प का क्या कारण रहा?
6 जून को हुई लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की मीटिंग के दौरान लद्दाख के इन तीनों इलाकों में तनाव कम करने पर रजामंदी हो गई थी। इसके तहत स्टेप बाय स्टेप धीरे-धीरे दोनों सेनाओं के पीछे हटने से लेकर हर तरह से तनाव कम किया जाना था। यह प्रक्रिया काफी लंबी चलती है। इस प्रक्रिया की प्रोग्रेस जांचने के दौरान ही 15 जून की रात को झड़प खूनी हो गई और दोनों ओर से कई सैनिक मारे गए।

गलवान में अब क्या स्थिति है?

मिलिट्री लेवल पर 2 राउंड की बातचीत हुई है और दोनों ही आर्मी तनाव कम करने के लिए अपनी पुरानी पॉजिशन पर लौटने को राजी हो चुकी हैं। अब क्योंकि यह एक स्टेप बाय स्टेप और धीरे-धीरे चलने वाली प्रक्रिया है तो बस यह ध्यान रखने की जरूरत है कि इस दौरान इसी प्रक्रिया के दौरान कोई नया विवाद शुरू न हो जाए।

भारतीय सेना कितनी तैयार?

भारतीय सेना पहाड़ियों पर लड़ने के लिए पूरी तरह से प्रशिक्षित, अनुभवी और आत्मविश्वास से भरी हुई है। सेना पूरी तरह तैयार है और अपनी सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम भी है। आर्मी हमेशा बुरे से बुरी स्थिति से निपटने के लिए अपनी योजना बनाकर रखती है, जबकि उसकी उम्मीद सबसे बेहतर स्थिति की होती हैं।

हालांकि, कुछ और भी फैक्टर हैं जिनका खयाल रखा जाना बेहद जरूरी होता है। जैसे- अगर झड़प होती है तो इसके एक बड़े ऑपरेशन में बदलने की आशंका रहेगी। और फिर यह सिर्फ इस इलाके तक ही सीमित नहीं रहेगी, इसका दायरा बढ़ सकता है। ऐसे में हाई लेवल मीटिंग में ही यह तय होगा कि देश हित में सेना किस रेंज तक काएक्शन ले सकती है।

मोदी के लेह जाकर जवानों से मिलने का क्या असर होगा?

प्रधानमंत्री मोदी का लद्दाख जाना सिर्फ सेना के लिए नहीं बल्कि पूरे देश का हौसला बढ़ाने वाला कदम है। फील्ड में जाकर जवानों से मिलने से पीएम को ऑपरेशन और सैनिकों के मनोबल का सीधा फीडबैड मिला है। इसके अलावा ये दुनिया और चीन को मजबूत जवाब है।

सरहद तक जानेवाली सड़कों को सुधारने और हथियार-लड़ाकू विमान की खरीद की उनकी इच्छाशक्ति बेहद अहम है। इस सबके बीच जो सबसे ज्यादा कड़ा संदेश है वो ये कि भारत शांति से ये मसला सुलझाना चाहता है लेकिन हमारी जमीन को खतरा होता है तो हम उसे और देशहित को बचाने को कुछ भी करेंगे।



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India China Border Dispute Area | India Pakistan China News, Ladakh Galwan Valley Update; Know What Is The Border Dispute Between India and China


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जिस कंपनी ने सियाचिन में तैनात जवानों के लिए घटिया स्नो सूट सप्लाई किए, उसी को बार-बार मिला टेंडर, अब तक कोई कार्रवाई नहीं

दो जुलाई 2019 की बात है। ठीक एक साल पहले इलाहाबाद से भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने इस दिन देश के रक्षा मंत्री को एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने सियाचिन में तैनात भारतीय जवानों को मिलने वाले कपड़ों की गुणवत्ता पर उठ रहे सवालों का जिक्र किया था। साथ ही उन्होंने इस मामले में जरूरी कार्रवाई करने की अपील रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से की थी।

भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने अपनी ही सरकार को यह पत्र इसलिए लिखा क्योंकि उन्हें कुछ शिकायतें मिली थी। ऐसी शिकायतें जो सियाचिन में तैनात जवानों को मिलने वाले उपकरणों की खरीद पर गंभीर सवाल खड़े कर रही थी। दरअसल, यह पत्र लिखे जाने से लगभग दो हफ्ते पहले ही भारतीय सेना की एमजीओ (मास्टर जनरल ऑर्डिनेन्स) ब्रांच ने एक टेंडर जारी किया था। इस टेंडर के अनुसार सियाचिन जैसे इलाकों में तैनात जवानों के लिए कुछ स्नो सूट खरीदे जाने थे। इसी खरीद में होने वाली संभावित गड़बड़ियों की सूचना रीता बहुगुणा जोशी को मिली थी।

यह कोई पहला मौका नहीं था, जब रक्षा मंत्री के कार्यालय को स्नो सूट की खरीद में होने वाली गड़बड़ियों के बारे में चेताया गया हो। इससे पहले भी देश के रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय को ऐसी कई शिकायतें मिल चुकीं थीं। भारतीय सेना को स्नो सूट सप्लाई करने वाली एक कंपनी पर बीते कई सालों से सवाल उठ रहे थे। इस कंपनी के स्नो सूट की लगातार शिकायतें आ रही थी, कंपनी पर वित्तीय गड़बड़ियां करते हुए भारत सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाने के आरोप थे और इसके बाद भी यह कंपनी लगातार टेंडर हासिल करती जा रही थी।

यही कारण था कि जब जून 2019 में भारतीय सेना ने एक बार फिर से टेंडर जारी किया तो इस मामले पर नजर रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने देश के रक्षा मंत्री को चेताया। लिहाजा यह खरीद कुछ समय के लिए तो टाल दी गई लेकिन शिकायतकर्ताओं की आशंका आज भी अपनी जगह बनी हुई है। उनका आरोप है कि इस कंपनी की पैठ इतनी मजबूत है कि कई विवादों से घिरने के बाद भी यह कंपनी ब्लैकलिस्ट होना तो दूर, भविष्य में दोबारा टेंडर हासिल करने में कामयाब हो सकती है।

ठीक 1 साल पहले भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने स्नो सूट की क्वालिटी को लेकर रक्षा मंत्री को पत्र लिखा था।

इन आशंकाओं को बल मिलने के कई कारण हैं। इन कारणों को समझने की शुरुआत वहीं से करते हैं जहां से इस पूरे मामले की शुरुआत हुई थी..

24 अगस्त 2015 के दिन श्रीलंका के निवासी एस सत्यजीत ने भारत के रक्षा मंत्रालय को एक गोपनीय पत्र भेजा। इसमें उन्होंने बताया कि कैसे श्रीलंकाई कंपनी ‘रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड’ भारतीय सेना को खराब गुणवत्ता के उत्पाद बेच कर धोखा दे रही है। ये वही कंपनी थी जो सियाचिन में इस्तेमाल होने वाले कई तरह के उत्पाद भारतीय सेना को बेच रही थी। एस. सत्यजीत खुद लंबे समय तक इस कंपनी में एक वरिष्ठ अधिकारी के तौर पर काम कर चुके थे।

सत्यजीत ने लिखा था, "साल 2008 और 2009 में हुए परीक्षण और फील्ड ट्रायल के दौरान तो कंपनी ने उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद भेजे थे लेकिन प्रोडक्शन के दौरान उसने निम्न गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाए। लिहाजा 2012 से लेकर 2015 तक इस कंपनी ने भारतीय सेना को घटिया उत्पाद बेचकर दो मिलियन डॉलर से भी ज्यादा का चूना लगाया है।"

यह पत्र भेजने के करीब चार महीने बाद भी जब कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो 28 दिसंबर 2015 को सत्यजीत ने दूसरा पत्र रक्षा मंत्रालय को भेजा। इसमें उन्होंने लिखा, "मेरी शिकायत के बाद कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग के अधिकारी ने मुझसे संपर्क किया था और इस मामले की सारी जानकारी ली थी। उन्होंने एक महीने के भीतर ही मुझसे मिलने को भी कहा था, लेकिन उस दिन के बाद से न तो उन्होंने मुझसे कोई सम्पर्क किया और न ही किसी और ने मेरी इस शिकायत का संज्ञान लिया।"

इस पत्र में सत्यजीत ने आगे लिखा, "जब रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का भारत सरकार से सौदा तय हुआ था, उस वक्त भारत में यूपीए की सरकार थी। लेकिन अब भारत में भाजपा की सरकार है और मुझे उम्मीद थी कि इस सरकार में जालसाजी करने वाली रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन, मुझे हैरानी है कि नई सरकार भी इस भ्रष्ट कंपनी और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में आनाकानी कर रही है।"

सत्यजीत ने रक्षा मंत्रालय को चेताया भी था कि अगर इस कंपनी के खिलाफ अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो भविष्य में यह भारतीय सेना के साथ और भी बड़ा धोखा कर सकती है। सत्यजीत की यह चेतावनी आगे जाकर सही साबित हुई। जुलाई 2017 को रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड ने भारतीय सेना से एक और टेंडर हासिल कर लिया। इस बार यह मामला पहले से भी ज्यादा गंभीर था क्योंकि अब तक कई शिकायतें रक्षा मंत्रालय तक पहुंच चुकी थी, राष्ट्रीय मीडिया में भी इस बारे में खबरें प्रकाशित हो चुकी थी और खुद भारतीय सेना की आंतरिक रिपोर्ट्स में भी रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड के उत्पादों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो चुके थे।

22 जून 2015 को जारी हुई भारतीय सेना की एक आंतरिक रिपोर्ट में यह स्पष्ट लिखा गया था कि "सियाचिन ग्लेशर के कई हिस्सों में रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड के स्नो सूट कारगर साबित नहीं हुए हैं।" इसके अलावा भारतीय सेना की उत्तरी कमांड के कमांडर लेफ्टिनें जनरल पट्याल भी डीजीक्यूए को पत्र लिखकर इन स्नो सूट्स की खराब गुणवत्ता के बारे में बता चुके थे। (दैनिक भास्कर के पास इन पत्रों की कॉपी मौजूद है।)

रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड को 2017 में दोबारा टेंडर मिलना सिर्फ इसलिए ही हैरान नहीं करता क्योंकि इस कंपनी की शिकायत लगातार आ रही थी या इसके उत्पाद सेना की आंतरिक जांच में खराब पाए गए थे। बल्कि यह इसलिए भी हैरान करता है क्योंकि इस बार मास्टर जनरल ऑर्डिनेन्स (भारतीय सेना) के सामने इस कंपनी को टेंडर देने से बेहतर विकल्प मौजूद थे। जहां एक तरफ रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड 2010 के बने ‘स्नो सूट’ (एक्सट्रीम कोल्ड वेदर क्लोदिंग सिस्टम) की कीमत 285 डॉलर प्रति सूट लगा रही थी वहीं एक अन्य कंपनी ने 2017 के बने आधुनिक स्नो सूट की कीमत 278 डॉलर प्रति सूट तय की थी।

यानी इस दूसरी कंपनी के स्नो सूट रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड की तुलना में न सिर्फ आधुनिक और अपग्रेडेड थे बल्कि इनकी कीमत भी आठ डॉलर प्रति सूट कम थी। इसके साथ ही जहां रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड अपने उत्पादों की डिलिवरी के लिए 240 दिनों का समय मांग रही थी वहीं दूसरी कंपनी 180 दिनों में ही यह डिलिवरी देने को तैयार थी। इन तमाम तथ्यों के बावजूद भी रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड को तीस हजार स्नो सूट का कॉन्ट्रैक्ट दे दिया गया। इसके चलते सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। आगे चलकर सेना के आंतरिक ऑडिट में यह तथ्य पकड़ में आया और साल 2018 में इसकी आधिकारिक जांच शुरू हुई।

रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड की गड़बड़ियों से जुड़ा एक दिलचस्प तथ्य और भी है। साल 2017 में अपने जिस स्नो सूट की कीमत इस कंपनी ने 285 डॉलर रखी थी, वही सूट ये कंपनी साल 2012-13 से भारत सरकार को 384 डॉलर का बेचते आ रही थी।

यानी सालों से रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड अपने सूट को जिस दाम पर बेच रही थी, 2017 में अचानक उसी सूट को सीधा सौ डॉलर प्रति सूट कम के दाम पर बेचने को तैयार हो गई। यह तथ्य सीधे तौर से सत्यजीत द्वारा उठाई गई उन शिकायतों को बल देता है जिनका जिक्र अपने पत्र में करते हुए उन्होंने लिखा था कि रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड निम्न गुणवत्ता के स्नो सूट बहुत भारी दामों पर भारतीय सेना को बेच कर चूना लगा रही है।

सियाचिन ग्लेशियर को दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र भी कहा जाता है। बीते तीन दशकों में यहां तैनात सैकड़ों जवान सिर्फ यहां के मौसम के चलते ही अपनी शहादत दे चुके हैं। माइनस 50 डिग्री तक गिर जाने वाले तापमान में तैनात जवानों को यहां असल लड़ाई पड़ोसी देश के सैनिकों या घुसपैठियों से नहीं बल्कि मौसम से ही लड़नी होती है।

ऐसे में इन जवानों के लिए आधुनिक उपकरण और अत्यधिक ठंड में भी शरीर को गर्म रखने वाले ‘स्नो सूट’ ही बचाव का सबसे मजबूत हथियार होते हैं। इन उपकरणों की गुणवत्ता से कोई भी समझौता सीधे-सीधे जवानों की जिंदगी से खिलवाड़ करने जैसा है। लेकिन भास्कर की यह पड़ताल बताती है कि हमारे जवानों की जिंदगी से यह खिलवाड़ बीते कई सालों से लगातार किया जा रहा है।

रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड की गड़बड़ियों का खुलासा सबसे पहले सत्यजीत ने साल 2015 में रक्षा मंत्रालय को पत्र लिख कर किया था। लेकिन इसके बाद से कई सांसद और भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली कई संस्थाएं भी इस बारे में रक्षा मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय तक को चेतावनी दे चुकी हैं। सांसद पप्पू यादव से लेकर रीता बहुगुणा जोशी और ‘ट्रान्स्पेरेन्सी इंटरनेशनल इंडिया’ तक इस बारे में रक्षा मंत्रालय को लिख चुका है।

इस मामले के शिकायतकर्ताओं में शामिल रहे एक व्यक्ति कहते हैं, "रेनवियर जैसी कंपनियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि देश में सरकार कांग्रेस की है या भाजपा की। हर सरकार में इन बड़ी कंपनियों की जबरदस्त पैठ होती है। कांग्रेस सरकार में भी यह कंपनी कॉन्ट्रैक्ट पा रही थी और इस सरकार में भी पा रही है। कोई आश्चर्य नहीं अगर इतनी शिकायतें और गड़बड़ियों के बाद भी भविष्य में इसी कंपनी को फिर से कॉन्ट्रैक्ट दे दिया जाए।"

(इस पूरे मामले में दैनिक भास्कर ने रक्षा मंत्रालय और मास्टर जनरल ऑर्डिनेन्स (एमजीओ) से उनका पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।)

(एस सत्यजीत बदला हुआ नाम है। शिकायतकर्ता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भास्कर उनका असली नाम प्रकाशित नहीं कर रहा है)



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श्रीलंका के निवासी एस सत्यजीत ने अगस्त 2015 को भारत के रक्षा मंत्रालय को एक गोपनीय पत्र भेजा। इसमें उन्होंने बताया कि कैसे श्रीलंकाई कंपनी ‘रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड’ भारतीय सेना को खराब गुणवत्ता के उत्पाद बेच कर धोखा दे रही है। जनवरी 2016 में उन्होंने तीसरी बार ऐसा पत्र भेजा लेकिन कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।


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विवाद का इतिहास, चीन की विस्तारवादी नीतियां, मोदी सरकार के सच्चे-झूठे दावों समेत भारत-चीन विवाद पर भास्कर की 10 खास रिपोर्ट्स...

साल 2020 भारत-चीन के बीच कूटनीतिक रिश्तों का 70वां साल था। दोनों देशों में इस मौके पर 70 इवेंट होने वाले थे। लेकिन 5 मई को पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील के किनारे भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई झड़प ने सबकुछ बदल दिया। 9 मई को सिक्किम के नाकू ला सेक्टर की झड़प और फिर 15 जून को गलवान की झड़प ने माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया।

एलएसी पर तनाव के 9 हफ्ते पूरे हो चुके हैं और इस दौरान दैनिक भास्कर ने एलएसी की हर अपडेट पूरे एनालिसिस के साथ आप तक पहुंचाई है। यहां हम इन्हीं 9 हफ्तों की कुछ चुनिदां और खास रिपोर्ट एक बार फिर आपके लिए लेकर आए हैं…

1. भारत-चीन के बीच कूटनीतिक रिश्तों के 70 साल पूरे होने और ताजा विवाद के बाद इन रिश्तों में आई खटास पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

भारत-चीन के बीच कूटनीतिक रिश्तों की बुनियाद 1 अप्रैल 1950 को रखी गई थी, इस साल इसके 70 साल पूरे हुए। विदेश मामलों के जानकार हर्ष वी. पंत कहते हैं कि दोनों देशों ने इस खास मौके पर जश्न मनाने की काफी तैयारियां की थीं। अल्टरनेटिव एक इवेंट इंडिया में तो दूसरा चीन में होने की प्लानिंग थी, लेकिन एक के बाद एक सीमा पर हुई झड़पों ने साझेदारी बढ़ाने की इन कोशिशों को लंबे वक्त के लिए थाम दिया है।

पूर्व डिप्लोमेट, रक्षा मामलों के जानकार और पाकिस्तान समेत कई देशों में राजदूत रह चुके जी. पार्थसारथी कहते हैं कि भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव जरूर है लेकिन बातचीत के जरिए ये मसला सुलझ जाएगा। हकीकत यह है कि आज चीन के साथ कोई भी देश संघर्ष नहीं चाहेगा। आर्थिक क्षेत्र में चीन हमसे पांच गुना आगे है। सैन्य क्षेत्र में वह हमसे चार गुना आगे है। यदि उनसे लड़ना है, तो हमें मजबूरी में ही लड़ना होगा… (पूरी खबर के लिएयहांक्लिक करें)

2. 58 साल में चौथी बार एलएसी पर भारतीय जवान शहीद हुए, चीन के साथ सीमा विवाद की पूरी कहानी कुछ इस तरह है..

भारत और चीन के बीच विवाद का इतिहास जमे हुए पानी की तरह है, जिस पर बस उम्मीद फिसलती है, नतीजे नहीं। चीन ने 58 साल में चौथी बार भारत के साथ बड़ा विश्वासघात किया है। इसकी वजह 4056 किमी लंबी बॉर्डर ही है। यह दुनिया की ऐसी सबसे बड़ी सीमा भी मानी जाती है, जिसकी पूरी तरह से मैपिंग नहीं हो सकी है। भारत मैकमोहन लाइन को वास्तविक सीमा मानता है, जबकि चीन इसे सीमा नहीं मानता। इसी लाइन को लेकर 1962 में भारत और चीन के बीच जंग भी हुई थी… (पूरी खबर के लिएयहां क्लिक करें)

3. चीन अपने नक्शों में भारतीय इलाकों को अपना दिखाता रहा, भारत ने पूछा तो बोला- नया नक्शा बनाने का टाइम नहीं

1954 में चीन की एक किताब 'अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ मॉडर्न चाइना' में छपे नक्शे में चीन ने लद्दाख को अपना हिस्सा बताया। बाद में जुलाई 1958 में भी चीन से निकलने वालीं दो मैगजीन 'चाइना पिक्टोरियल' और 'सोवियत वीकली' में भी चीन ने अपना जो नक्शा छापा, उसमें भारतीय इलाकों को भी शामिल किया गया। भारत ने दोनों ही बार इस पर आपत्ति जताई। लेकिन, चीन ने ये कह दिया कि ये नक्शे पुराने हैं और उनकी सरकार के पास नक्शे ठीक करने का समय नहीं है…(पूरी खबर के लिएयहां क्लिक करें)

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और चीन के पहले राष्ट्रपति झोऊ इन-लाई। अप्रैल 1960 में झोऊ भारत दौरे पर आए थे।

4. एक्सपर्ट्स का एक पक्ष यह भी-सरकार सच को छिपा रही, मई की शुरुआत में ही चीन ने लद्दाख के कई सीमाई इलाकों पर कब्जा कर लिया था

लद्दाख की गलवान घाटी में क्या हुआ था, क्या हो रहा है? यह सब पिछले कुछ हफ्तों से हम लगातार सुन और पढ़ रहे हैं। इस सबके बावजूद अभी कई सवाल अधूरे हैं। रिटायर्ड आर्मी अफसर, पूर्व राजनयिक और सीनियर जर्नलिस्ट इस पूरे मामले पर अलग-अलग मत रख रहे हैं। कोई भारत को विजेता बता रहा है तो किसी को चीनी सैनिकों के मारे जाने पर यकीन नहीं है। ये दावे भी सामने आ रहे हैं कि गलवान घाटी का एक बड़ा हिस्सा भारत खो चुका है और सरकार जनता से सच छिपा रही है। इस तरह की कई और बातें भी हैं, जो एक्सपर्ट्स लगातार ट्विटरपर लिख रहे हैं। आइए पढ़ते हैं कि वे क्या लिख रहे हैं…(पूरी खबर के लिएयहां क्लिक करें)

5. गलवान में 15 जून की रात की कहानी: जब भारतीय कर्नल को चीन के जवान ने मारा तो 16 बिहार रेजिमेंट के 40 जवान उस पर टूट पड़े थे

गलवान घाटी में चीन और भारत के सैनिकों में झड़प की वजह पड़ोसी देश की एक ऑब्जर्वेशनल पोस्ट थी। चीन ने ठीक एलएसी पर एक ऑब्जर्वेशन पोस्ट बना ली थी। भारतीय सेना को इस स्ट्रक्चर पर आपत्ति थी। 16 बिहार इंफैन्ट्री रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू इसे लेकर कई बार चीनी कमांडर को आपत्ति दर्ज करवा चुके थे। एक बार उनके कहने पर चीन ने इस कैम्प को हटा भी दिया, लेकिन 14 जून को अचानक फिर से ये कैम्प खड़ा कर दिया गया। 15 जून की शाम 4 बजे कर्नल संतोष बाबू अपने 40 जवानों के जवानों को लेकर पैदल उस कैम्प तक गए थे…(पूरी खबर के लिएयहां क्लिक करें)

15 जून की रात गलवान घाटी में झड़प के वक्त चीन के लगभग 300 सैनिक थे और इनका सामना करने के लिए भारतीय जवानों की संख्या महज 45 से 50 थी।

6. 6 देशों की 41.13 लाख स्क्वायर किमी जमीन पर चीन का कब्जा, ये उसकी कुल जमीन का 43%, भारत की भी 43 हजार वर्ग किमी जमीन उसके पास

1949 में कम्युनिस्ट शासन आते ही चीन ने तिब्बत, पूर्वी तुर्किस्तान और इनर मंगोलिया पर कब्जा कर लिया। हॉन्गकॉन्ग 1997 और मकाउ 1999 से कब्जे में हैं। जमीन के अलावा समंदर पर भी चीन की दावेदारी है। 35 लाख स्क्वायर किमी में फैले दक्षिणी चीन सागर पर वह हक जताता है। चीन यहां आर्टिफिशियल आइलैंड भी बना चुका है…(पूरी खबर के लिएयहां क्लिक करें)

7. कहां-कहां से बायकॉट करेंगे: दवाओं के कच्चे माल के लिए हम चीन पर निर्भर,देश के टॉप-5 स्मार्टफोन ब्रांड में 4 चीन के

सोशल मीडिया पर लगातार #boycottchineseproduct जैसे हैशटैग ट्रेंड हो रहे हैं, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल 2019 से लेकर फरवरी 2020 के बीच भारत-चीन के बीच 5 लाख 50 हजार करोड़ रुपए का कारोबार हुआ। इसमें से भारत ने तो सिर्फ 1.09 लाख करोड़ का सामान चीन को बेचा, लेकिन इससे चार गुना यानी 4.40 लाख करोड़ रुपए का सामान चीन से खरीदा। अमेरिका के बाद चीन हमारा दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी देश है। ये आंकड़े मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के हैं…(पूरी खबर के लिएयहां क्लिक करें)

8. कूटनीति या मूकनीति : एलएसी पर चीन से विवाद के 44 दिन तक पीएम मोदी कुछ नहीं बोले,विदेश मंत्री जयशंकर ने 75 से ज्यादा ट्वीट किए, परचीन का नाम नहीं लिया

भारत-चीन के बीच 5 मई को हुई पहली झड़प के 44 दिन बाद तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विवाद पर एक शब्द नहीं बोला था। 45वें दिन भी बस इतना कहा कि देश को गर्व है कि हमारे जवान मारते-मारते शहीद हुए। भारत किसी भी उकसावे का जवाब देने में सक्षम है। यही नहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर भी अब तक इस पूरे मुद्दे पर खामोश रहे थे। उन्होंने पांच मई से 16 जून तक ट्विटर पर 75 से ज्यादा ट्वीट किए, लेकिन एक बार भी चीन का जिक्र तक नहीं किया.. (पूरी खबर के लिएयहां क्लिक करें)

9. लेह मेंप्रधानमंत्री का पहुंचना हौसले का हाईडोज, इससे उन्हें असल हालात पता चलेंगे, ताकि तुरंत एक्शन ले सकें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 जुलाई को अचानक लेह पहुंचे। रिटायर्ड एयर मार्शल अनिल चोपड़ा बताते हैं कि पीएम का जाना वहां तैनात सैनिकों के हौसले के लिए बहुत बड़ी बात है। ये सिग्नल है कि देश आपके साथ है और सरकार सेना के साथ रहेगी हर चीज में, हर एक्शन के लिए। पीएम का जाना ये भी दर्शाता है कि मोदी ने आर्मी कमांडर को आजादी दे दी है और ऑनग्राउंड कुछ होता है तो भारत सरकार और देश का प्रधानमंत्री उनके साथ हैं...(पूरी खबर के लिएयहां क्लिक करें)

मोदी ने 3 जुलाई को लद्दाख का दौरा किया था।

10. मोदी ने लद्दाख पहुंचकर चीन और दुनिया को बताया कि यह पूरा इलाका भारत का;यहां न सिर्फ सेना, बल्कि देश का प्रधानमंत्री भी मौजूद है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह अचानक लेह पहुंचकर हर किसी को चौंका दिया। उनके इस दौरे को चीन और दुनिया को संदेश देने के तौर पर देखा जा रहा है। इस दौरे के कूटनीतिक, राजनीतिक और आर्थिक मायने क्या हैं? इससे क्या चीन सीमा पर तनाव और बढ़ेगा? चीन और दुनिया को इससे क्या मैसेज जाएगा? मोदी की कूटनीतिक स्ट्रेजी के मायने क्या हैं? दौरे से जुड़े ऐसे सभी मसलों पर हमने पूर्व डिप्लोमेट, रक्षा मामलों के जानकार जी. पार्थसारथी और विदेश मामलों के एक्सपर्ट्स हर्ष वी पंत से बातचीत की… (पूरी खबर के लिएयहां क्लिक करें)



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भारत-चीन के बीच एलएसी पर 23 डिफरिंग परसेप्शन एरिया हैं। यहां दोनों देश एक-दूसरे को अपने दावे की सीमा तक पेट्रोलिंग करने की इजाजत देते हैं। ज्यादातर इन्हीं इलाकों में ही दोनों ओर की सेनाएं आमने-सामने आती हैं।


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सावन की शुरुआत 6 जुलाई से, लेकिन सोमनाथ सहित 7 ज्योतिर्लिंगों के लिए 21 जुलाई से शुरू होगा सावन महीना

6 जुलाई से सावन महीना शुरू हो रहा है। लेकिन, ये 12 में से 5 ज्योतिर्लिंग के लिए ही है। अन्य 7 ज्योतिर्लिंगों के लिए सावन महीने की शुरुआत 21 जुलाई से होगी। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र का कहना है कि ऐसी स्थिति हिंदू पंचांग की व्यवस्था के कारण हर साल बनती है। देश के उत्तर, मध्य और पूर्वी राज्यों में पूर्णिमा के बाद नए हिंदी महीने की शुरुआत होती है। इसे पूर्णिमांत महीना कहा जाता है। मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश जैसे राज्य इसमें शामिल हैं। यहां 6 जुलाई से सावन मास शुरू होगा।

  • पं. मिश्र ने बताया कि पश्चिम और दक्षिण भारत में अमावस्या के अगले दिन से नया महीना शुरू होता है। जिसे अमांत महीना कहते हैं। इस वजह से हर साल गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु सहित दक्षिण भारत में 15 दिन की देरी से सावन की शुरुआत होती है। इन राज्यों में 7 ज्योतिर्लिंग आते हैं, यहां 21 जुलाई से सावन शुरू होगा। इनके अलावा नेपाल और इसके पास के भारतीय राज्यों के साथ हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में सौर कैलेंडर के अनुसार त्योहार मनाए जाते हैं। इसलिए इन जगहों में सावन की तारीखें अलग-अलग होती हैं।

7 ज्योतिर्लिंग, जहां 21 जुलाई से शुरू होगा सावन

अमांत कैलेंडर के कारण गुजरात के सोमनाथ और नागेश्वर, महाराष्ट्र के भीमाशंकर, त्र्यंब्यकेश्वर और घ्रुश्मेश्वर, आंध्रप्रदेश के मल्लिकार्जुन, तमिलनाडु के रामेश्वर ज्योतिर्लिंग में सावन की शुरुआत 21 जुलाई से हो रही है और इसका आखिरी दिन 19 अगस्त को रहेगा। यहां सावन के सोमवार भी चार ही होंगे।

5 ज्योतिर्लिंग जहां सावन रहेगा 6 जुलाई से

पूर्णिमांत कैलेंडर के अनुसार मध्यप्रदेश के महाकाल और ओंकारेश्वर, उत्तराखंड के केदारनाथ, उत्तरप्रदेश के काशी विश्वनाथ, बिहार के वैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग की पूजा के लिए सावन महीने की शुरुआत 6 जुलाई से हो रही है। इसका आखिरी दिन 3 अगस्त रहेगा।


नेपाल के पशुपतिनाथ
नेपाल, हिमाचल और उत्तराखण्ड के कुछ हिस्सों में सावन महीने की शुरुआत 16 जुलाई से होगी और इसका आखिरी दिन 15 अगस्त को रहेगा। इन जगहों पर सौर कैलेंडर के अनुसार त्योहार मनाए जाते हैं।

15 दिनों का अंतर लेकिन त्योहारों की तारीख एक
देश के दक्षिणी और पश्चिमी हिस्सों में अमांत कैलेंडरर के कारण और पूर्णिमांत कैलेंडर के कारण सावन की तारीखों में 15 दिन का अंतर रहता है। लेकिन रक्षाबंधन, नवरात्रि, दशहरा, दीपावली और होली जैसे त्योहारों की तारीखें एक ही रहती हैं। उत्तर और मध्य भारत में जहां रक्षाबंधन पर्व सावन के आखिरी दिन मनाया जाता है। वहीं दक्षिण और पश्चिमी राज्यों में सावन के बीच में ये पर्व मनाया जाता है। लेकिन, तारीख में बदलाव नहीं होता है।



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Hindu Calendar Sawan Somvar Vrat Start Date 2020 | Sawan Month Start From 21st July, Know Date In Jyotirlingas and Nepal Pashupatinath Temple


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