शनिवार, 23 मई 2020

देश की 42.3 % मौते सिर्फ राज्य में हुईं, मुंबई में भी शुरू हुई शराब की ऑनलाइन डिलीवरी; परीक्षा नहीं करवाने से नाराज हुए राज्यपाल

महाराष्ट्र में शनिवार तक 2940 कोरोना के नए मामले सामने आए। वहीं देश में 6088 कोरोना से संक्रमित हुए हैं। इस हिसाब से पिछले 24 घंटे में देश के कुल 48.2% संक्रमित मरीज सिर्फ महाराष्ट्र से थे। राज्य में संक्रमितों का आंकड़ा बढ़कर 44582 हो गया है। राज्य में पिछले 24 घंटे में इस वायरस से 63 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसके बाद राज्य में मरने वालों का आंकड़ा 1517 हो गया है। वहीं देश में3583 अब तक इस बीमारी से मृत हो चुके हैं यानी देश की 42.3 % मौते सिर्फ महाराष्ट्र में हुई हैं।

महाराष्ट्र के कुल संक्रमितों में मुंबई के मरीज 61% हैं। देश के कुल संक्रमितों में मुंबई के मरीजों की हिस्सेदारी 22% है। वहीं राज्य में इस बीमारी से अब तक 12583 लोग पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं।मुंबई में अबतक संक्रमण के कुल 27068 मामले सामने आए हैं, पिछले 24 घंटे में यहां 1751 नए मरीज मिले थे। यहां909 लोगों की मौत अबतक हुई है। वहीं 7080 लोग ठीक भी हुए हैं। मुंबई के धारावी में कोरोना के अब तक 1,327 पॉजिटिव केस आ चुके हैं और 56 मौतें हो चुकी हैं।



शिर्डी के साईं नगर स्टेशन के बाहर जमा प्रवासी लोगों की भीड़। इस दौरान लोग सोशल डिस्टेंसिंग के नियम को फॉलो करते नजर आए।

परीक्षा नहीं करवाने पर नाराज हुए राज्यपाल

राज्य के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत द्वारा अंतिम वर्ष की वार्षिक परीक्षा रद्द करने के लिए यूजीसी को पत्र लिखने पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि वह अपने मंत्री को अवांछित हस्तक्षेप से बचने के लिए उचित निर्देश दें। कोश्यारी ने सीएम को लिखे पत्र में कहा है, "यह यूजीसी के दिशानिर्देशों के साथ-साथ महाराष्ट्र राजकीय विश्वविद्यालय अधिनियम-2016 के प्रावधानों का भी उल्लंघन है।" राज्यपाल ने कहा कि मंत्री ने अंतिम वर्ष की वार्षिक परीक्षा रद्द करने की अनुशंसा यूजीसी से करने से पहले उन्हें अवगत नहीं कराया।

मुंबई में भी शुरू हुई शराब की ऑनलाइन डिलीवरी

बीएमसी ने शराब की होम डिलीवरी की अनुमति दे दी है। लेकिन इसके लिए बीएमसी ने कुछ नियम-कायदे भी बताए हैं। बीएमसी के आदेश के मुताबिक होम डिलीवरी सिर्फ और सिर्फ सीलबंद बोतलों की ही होगी। यह तभी संभव हो पाएगी यदि वह जगह कंटेनमेंट जोन के बाहर होगी वहीं जिन लोगों का घर कंटेनमेंट जोन के बाहर है वो अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर शराब की दुकानों से बोतलों की होम डिलीवरी ले सकते हैं। मुंबई में फिलहाल दुकानों से शराब की बिक्री की अनुमति नहीं है।

लॉकडाउन नियम में मिली छूट के बाद हिंगोली जिले में मूंगफली की फसल को खेतों से निकालते किसान।

पुणे में कोरोना मरीजों पर नई दवाई का प्रयोग शुरू हुआ


पुणे के सरकारी ससून जनरल अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के कम से कम 25 मरीजों को टोसिलीजुमैब दवा दी जाएगी।यह दवा उन मरीजों को दी जाएगी, जिनकी हालत नाजुक लेकिन स्थिर है। नगर निगम आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने कहा कि इस नयी दवा(इंजेक्शन) की कीमत करीब 20,000 रुपये है। यह पहले चरण में 25 मरीजों को दी जाएगी और इसके नतीजों के आधार पर पुणे नगर निगम इसके आगे के उपयोग के बारे में फैसला करेगा। पुणे जिला कोरोनावायरस संक्रमण से दूसरा सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र है। पुणे में संक्रमण के अब तक 4,809 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 242 लोगों की मौत हुई है।

11.12 लाख किसानों को दिया जाएगा कर्ज
कोरोनावायरस के कारण परेशानी झेल रहे किसानों के लिए एक बड़ी राहत देते हुए राज्य सरकार ने 11.12 लाख किसानों को खरीफ फसलों के लिए नए कर्ज देने का ऐलान किया है। ये वे किसान हैं जिन्हें अब तक महात्मा ज्योतिबा फुले कर्जमाफी योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। साथ ही कपास खरीद की गति चौगुनी कर दी जाएगी। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई खरीफ समीक्षा बैठक में यह फैसला किया गया। सहकारिता विभाग ने कर्जमुक्ति के लिए 30 लाख किसानों का नाम तय किया था।

नांदेड़ में स्टेट ट्रांसपोर्ट की बसों के सैनिटाइजेशन का काम शिवसेना के स्थानीय नेताओं की ओर से किया जा रहा है।

25 मई से मुंबई एयरपोर्ट पर फिर विमानों का संचालन शुरू

केंद्र सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद मुंबई एयरपोर्ट 25 मई से विमानों के संचालन के लिए तैयार हो गया है। सोमवार से मुंबई से देश के 21 शहरों के लिए विमान उड़ान भरेंगे। सेवा शुरू करने के लिए हवाई कंपनियों ने बुकिंग शुरू कर दी है। साथ ही, 1 जून से चलने वाली ट्रेनों के लिए भी बुकिंग शुरू हो गई है।

हवाई यात्रा के लिए बने कड़े नियम

  • कंटेनमेंट जोन में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को हवाई यात्रा की अनुमति नहीं
  • 2 घंटे पहले एयरपोर्ट पर आना होगा
  • यात्री के फोन में आरोग्य सेतु ऐप इंस्टॉल होना चाहिए
  • उसका स्टेटस भी ग्रीन होना चाहिए
  • मास्क पहने यात्री को ही प्रवेश दिया जाएगा
  • निर्धारित मानक से ज्यादा टेंपरेचर पाए जाने पर हवाई यात्रा की इजाजत नहीं

सीएसएमटी और ठाणे समेत कई स्टेशनों पर आरक्षण केंद्र फिर शुरू

रेलवे ने शुक्रवार से मुंबई में चुनिंदा स्टेशनों पर यात्री आरक्षण केंद्र खोल दिए हैं। यहां सामान्य व्यक्ति टिकट बुक करा सकते हैं। 1 जून से चलने वाली ट्रेनों की बुकिंग गुरुवार से शुरू हो चुकी थी। मध्य रेलवे ने सीएसएमटी में 4, एलटीटी में 3, दादर, ठाणे, कल्याण व पनवेल 2-2 और बदलापुर में 1 टिकट खिड़की खोली है। पश्चिम रेलवे ने चर्चगेट, मुंबई सेंट्रल और वसई में 2-2 टिकट खिड़कियां खोली हैं। रेलवे के अनुसार, जो लोग इंटरनेट से बुकिंग नहीं कर पा रहे हैं, उनके लिए टिकट खिड़कियां खोली गई हैं। यहां सिर्फ टिकट बुकिंग होगी। रद्द टिकट का भुगतान नहीं होगा।

मुंबई के बीकेसी में बने 1008 बेड के इस ओपन हॉस्पिटल में चार दिन बाद भी मरीज नहीं पहुंचे हैं।

गर्भवती महिलाओं के लिए अलग से हेल्पलाइन शुरू करने का निर्देश

बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्रसव के समय गर्भवती महिलाओं को मदद पहुंचाने के लिए महाराष्ट्र सरकार और बीएमसी द्वारा किए गए उपायों पर संतोष जताया साथ ही यह निर्देश दिया कि ऐसी महिलाओं की सहायता के लिए एक खास हेल्पलाइन शुरू करना चाहिए। यह निर्देश मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एस एस शिंदे की पीठ की ओर से एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया। याचिका में सरकार और बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को गर्भवती महिलाओं के लिए पर्याप्त व्यवस्था करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।

विपक्ष चाहता है कि पीएम करने सभी पार्टियों से बात: शरद पवार

राकांपा प्रमुख शरद पवार ने शुक्रवार को कहा कि विपक्षी पार्टियां चाहती हैं कि प्रधानमंत्री कोरोना वायरस महामारी से निपटने के उपायों के बारे में सभी पार्टियों के साथ बातचीत करें और संसदीय स्थायी समतियों का भी कामकाज बहाल करें। पवार ने 22 विपक्षी दलों के नेताओं की वीडियो कांफ्रेंस के बाद सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि उनका (विपक्षी दलों का) मानना है कि यह 'दिखावा करने का, या खुद को दूसरों से श्रेष्ठ दिखाने का' वक्त नहीं है।

प्राइवेट लैब को 24 घंटे में रिपोर्ट करनी होगी अपलोड

बीएमसी कमिश्नर आईएस चहल ने प्राइवेट लैबोरेटरी के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। जिसके तहत प्राइवेट लैबोरेटरी को व्यक्ति का कोरोना जांच की रिपोर्ट व जानकारी 24 घंटे के भीतर आईसीएमआर की वेबसाइट पर अपलोड कर उसकी प्रति बीएमसी को भेजना अनिवार्य होगा।



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मुंबई के माटुंगा इलाके में एक महिला के जांच का नमूना लेते हुए बीएमसी का एक स्वास्थ्यकर्मी।


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50 जिलों में कोरोनावायरस का संक्रमण पहुंचा, शहर काजियों की अपील- अपने घरों में ईद मनाएं, ड्रोन से होगी घनी बस्तियों की निगरानी

मध्य प्रदेश में कोरोना महामारी के हालत चिंताजनक होते जा रहे हैं। संक्रमण 52 में से 50 जिलों में फैल चुका है। प्रदेश में शुक्रवार शाम 6 बजे तक 6170 संक्रमित मरीजों की पुष्टि हो चुकीहै। इसमें इंदौर 2850, भोपाल 1153 और उज्जैन में 504 मरीज हैं। 272 की मौत हो चुकी है। 3089 मरीज स्वस्थ्य होकर घर जा चुके हैं। 2809 मरीजों का प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है।

इधर, पूरे प्रदेश में ईद की तैयारियां चल रही हैं। रविवार या सोमवार को ईद मनाई जा सकती है। ईद को देखते हुए प्रशासन अलर्ट पर है। प्रदेशभर के काजियों ने ईद की नमाज लोगों से घरों में अदा करने को कहा है और ईद की मुबारकबाद दूर से ही देने की अपीलकी। इसके इतर पुलिस और प्रशासन ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए मुस्लिम बहुल इलाकों में अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए। लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग से त्योहार मनाने की अपील की जा रही है। पुलिस ईद पर घनी बस्तियों में ड्रोन से निगाह रखेगी।

भोपाल में बोहरा समाज के लोगों ने 30 रोजे पूरे होने पर सादगी से ईद मनाई। इस दौरान समाज के लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मस्जिदों में नमाज अदा की।

बाजारों में पसरा सन्नाटा

ऐसा पहली बार हो रहा है कि जबलॉकडाउन के चलते रेड जोन जिलों केबाजारों में सन्नाटा पसरा है। भोपाल में ईद के दौरान 24 घंटे खुले रहने वाले बाजार खाली पड़ेहैं।सेवइयों और मिठाई की दुकानें खुलने से लोगों को खुशी है। इधर, प्रदेशभर में बोहरा समाज30 रोजे पूरे होने पर सादगी से ईद मना रहा है। मस्जिदों में चार से पांच लोगों ने नमाज अदा की। बाकी लोगों ने घरों में ही नमाज अदा की। बोहरा समाज के लोग दूर से एक-दूसरे को बधाई देकर अपने घरों में त्योहार मना रहे हैं।

विदिशा की एक सहकारी बैंक के बाहर किसानों की भीड़ देखी गई। यहां कई दिनों से ऐसे ही नजारे देखने मिल रहे हैं। लोग सोशल डिस्टेंसिंग का बिल्कुल पालन नहीं कर रहे हैं।

जून में तेज होगा संक्रमण, 18 लाख बेडशीट, 50 लाख दस्ताने खरीदेंगे
लॉकडाउन के चौथे चरण में भी कोरोना संक्रमण में कमी नहीं आ रही है। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस के साथ एक बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान ने आशंका जाहिर की है कि कोरोना के सबसे ज्यादा केस जून मध्य में सामने आ सकते हैं। इसके बाद उस स्थिति से मुकाबले के लिए तैयारियां तेज कर दी गई हैं। 1400 करोड़ रुपए के फंड के अलावा जिला खनिज फंड के इस्तेमाल की भी इजाजत दी गई है। अस्पतालों में बेड की संख्या एक लाख तक बढ़ाई जा रही है। सरकार 18 लाख बेडशीट खरीद रही है, जिसे इस्तेमाल कर फेंक दिया जाएगा। 50 लाख परीक्षण करने वाले दस्ताने भी खरीदे जा रहे हैं। सभी कलेक्टर्स को माइनिंग विभाग ने 19 मई को एक सर्कुलर भेजा है, जिनमें जिला खनिज फंड से पीपीई किट, मास्क, ऑक्सीजन समेत जरूरी सामानों की खरीदी करने को कहा गया है। आईसीयू भी तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।

विदिशा में प्रवासी लोगों की मदद का सिलसिला बदस्तूर जारी है। आज सुबह से यहां हाईवे पर जा रहे लोगों को भोजन में कड़ी-चावल दिए जा रहे हैं।

कोरोना अपडेट्स

भोपाल के जाटखेड़ी में 11 दिन में 38 संक्रमित मिले
यहां जाटखेड़ी के दो मोहल्लों की 4 गलियां अब शहर का नया हॉटस्पॉट बन गईं।करीब 300 मीटर के दायरे में 11 दिनों में यहां 38 कोरोना पॉजिटिव मिले। संक्रमित लोगों में 9 परिवार के सदस्य हैं। शुक्रवार को भी यहां 7 पॉजिटिव मरीज सामने आए। 11 मई को यहां एक किराना व्यापारी के पॉजिटिव आने के बाद संक्रमित मरीजों का आंकड़ा बढ़ता चला गया। वजह-इन बस्तियों में एक या दो कमरे के ही मकान हैं, लेकिन इनमें 5 से 7 लोग रहते हैं। ये आंकड़ा और ना बढ़े इसलिए यहां पुलिस-प्रशासन की टीमें लोगों को जागरूक कर रही हैं।

हमीदिया से पहली बार काेराेना को मात देने वाले दाे लोगों की छुट्टी
भोपाल के हमीदिया अस्पताल से शुक्रवार को पहली बार दो कोरोना पॉजिटिव मरीजों के स्वस्थ होने पर छुट्टी हुई। खास बात यह भी है कि दोनों ही पेशेंट की उम्र ज्यादा होने के कारण उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था। शुरुआत के सात दिन मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था।

भेल कर्मचारी की रिपोर्ट पॉजिटिव, अस्पताल के4 कर्मचारी क्वारैंटाइन
भेल कर्मचारी की शुक्रवार को कोरोना पॉजीटिव रिपोर्ट आने पर कस्तूरबा अस्पताल के 4 कर्मचारियों को क्वारैंटाइन में भेज दिया गया। चिकित्सा सलाहकार समिति के सदस्य आशीष सोनी के अनुसार कर्मचारी जहांगीराबाद में रहता है। जिस समय इलाज के लिए आया, उस समय अस्पताल स्टाफ के पास पीपीई किट नहीं थी। सीएमएचओ डॉ. वंदना दवे के अनुसार आरोप गलत है। पूरा स्टाफ पीपीई किट में रहता है।

मंडीदीप के दूल्हा-दुल्हन पर एफआईआर
मंडीदीप में4 दिन पहले जो नवविवाहित काेरोना संक्रमित पाई गई थी, उसका पति इमरजेंसी के नाम पर ई-पास बनवाकर बारात लेकर भोपाल आया था। इसमें उसके साथ बहनोई और मामा शामिल थे। बारात जाटखेड़ी स्थित कंटेनमेंट एरिया में लगी थी। इसके बाद दूल्हा चोरी-छिपे वहां से बारात लेकर सतलापुर आ गया। कार में दूल्हा-दुल्हन समेत चार लोग सवार हुए थे। सतलापुर थाना पुलिस ने दूल्हा-दुल्हन के साथ बहनोई और मामा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। मिसराेद थाने में भी दुल्हन अाैर एक महिला के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। मिसराेद पुलिस का मानना है कि दुल्हन आइसोलेशन में नहीं रही, इसलिए उसे आरोपी बनाया गया है।

यह तस्वीर भोपाल की है। यहां बिहार के मजदूर अब भी पैदल सफर करते देखे जा रहे हैं। यहां मुबारकपुर के पास घर जाने वाले श्रमिकों की रोजाना लाइन लगी रहती है। तेज धूप और लू से बचने के लिए अब ये रात में सफर कर रहे हैं।

राज्य में अब तक कुल6170संक्रमित

: इंदौर 2850, भोपाल 1153, उज्जैन 504, बुरहानपुर 209, खंडवा 208, जबलपुर 194, खरगौन 114, धार 107, ग्वालियर 90, मंदसौर 83, देवास 73, रायसेन और मुरैना में 67-67, नीमच 58, सागर 57, भिंड 44, बड़वानी 39, होशंगाबाद 37, रतलाम 30, रीवा 26, विदिशा 17, आगरमालवा 13, सतना 12, झाबुआ 11, बैतूल और शाजापुर 9-9, सीधी 8, सिंगरौली 7, दमोह, अशोकनगर और टीकमगढ़ 6-6, डिंडोरी, शिवपुरी, सीहोर, श्योपुर और छिंदवाड़ा 5-5, दतिया और शहडोल 4-4, अलीराजपुर, अनूपपुर, हरदा और पन्ना 3-3, राजगढ़, सिवनी, उमरिया और छतरपुर 2-2, बालाघाट, गुना, मंडला में एक-एक संक्रमित मिला।

कुल 272 की मौत: इंदौर 109, भोपाल 40, उज्जैन 51, बुरहानपुर और झाबुआ 11-11, खंडवा 10, जबलपुर 9, खरगौन और देवास 8-8, मंदसौर 6, होशंगाबाद 3, सागर, धार और नीमच 2-2, ग्वालियर, सतना,आगरमालवा, अशोकनगर, छिंदवाड़ा, सीहोर और शाजापुर में एक-एक की मौत हुई।



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भोपाल का चौक बाजार। ईद के समय 24 घंटे खुले रहने वाले इस बाजार में सिर्फ खरीदारों की भीड़ दिखती थी। लॉकडाउन के चलते इस बार यहां सन्नाटा है। फोटो-शान बहादुर


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48 नए कोरोना पॉजिटिव केस आए, दो की मौत; गहलोत बोले- अस्थिविसर्जन के लिए निशुल्क चलाएंगे बसें, उत्तराखंड से बनी सहमति

शनिवार को राजस्थान में कोरोना के 48 नए पॉजिटिव केस सामने आए। इनमें नागौर में 17, कोटा में 10, झुंझुनू में 6, जयपुर में 5, झालावाड़ में 4, धौलपुर में 2, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, भरतपुर और अजमेर में 1-1 संक्रमित मिला। जिसके बाद कुल संक्रमितों का आंक़ा 6542 पहुंच गया। साथ ही राज्य में दो मौतें भी दर्ज की गईं। इनमें जयपुर और कोटा में 1-1 व्यक्ति ने दम तोड़ दिया।

अस्थिविसर्जन के लिए निशुल्क चलाएंगे बसें, उत्तराखंड से बनी सहमति : गहलोत

प्रदेश में लॉकडाउन लागू होने के बाद विभिन्न कारणों से दिवंगत परिजनों की अस्थि विसर्जन नहीं कर पाए लोगों को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ी राहत दी है। अब ऐसे अस्थियां विसर्जन कराने के लिए विशेष बसें चलाई जाएंगी और किराया भी नहीं लिया जाएगा। इन बसों में अस्थि विसर्जन के लिए जाने वाले किसी भी परिवार के दो या तीन सदस्य निशुल्क यात्रा कर सकेंगे। उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में सीएम ने यह निर्णय लिया। उन्होंने कहा- यह अत्यन्त पीड़ादायक है कि अपने परिजनों के निधन के बाद शोकाकुल परिवार उनकी अस्थियों का विसर्जन नहीं कर पाए। सीएम ने कहा कि राज्य सरकार के आग्रह पर उत्तराखंड सरकार ने अस्थि विसर्जन के लिए बसों के आवागमन की सहमति दे दी है। इससे शोक संतप्त परिजन अस्थि विसर्जन स्थलों पर सुगमतापूर्वक पहुंच सकेंगे। जल्द ही राजस्थान से हरिद्वार एवं अन्य अस्थि विसर्जन स्थलों के लिए रोज 4 या 5 बसें चलेंगी। ये शुरू में संभागीय मुख्यालयों से चलाई जाएंगी। इसके बाद जिला मुख्यालयों से संचालित होंगी। यूपी सरकार से भी अस्थि विसर्जन के लिए बसों काे प्रवेश देने के मसले पर सहमति के प्रयास किए जा रहे हैं।

अजमेर के कोरोना वार्ड में भर्ती बच्चे की एक रिपोर्ट निगेटिव, केक काटकर मनाया जन्मदिन, चिकित्सकों ने गाए गीत

अजमेर में जेएलएन अस्पताल के कोरोना वार्ड में भर्ती किशनगढ़ क्षेत्र के 12 वर्षीय बच्चे का शुक्रवार को जन्मदिन मनाया गया। अस्पताल स्टाफ ने बच्चे के लिए केक मंगवाया और गाना गाकर बधाई दी। जन्मदिन पर ही बच्चे को देर शाम सबसे बड़ा उपहार मिला, जब उसकी कोरोना की एक रिपोर्ट निगेटिव आई।

अजमेर के जेएलएन अस्पताल में भर्ती बच्चे का जन्म दिन मनाया गया।

जयपुर जेल में 188 संक्रमितों में से 69 कैदी संक्रमण मुक्त

कोरोना संक्रमण का नया हाट स्पाॉट बनी सेंट्रल और जिला जेल के लिए राहत की खबर आई है। जेल में संक्रमित पाए गए 188 कैदियों में से 69 कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं। निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद संक्रमण से मुक्त हुए कैदियों को अन्य कैदियों से अलग क्वारैंटाइन कर दिया गया है। साथ ही 20 से ज्यादा कैदियों की भी निगेटिव रिपोर्ट आई है। मगर इनकी एक ओर जांच करवाई जाएगी। 69 कैदियों में से 67 कैदी जिला जेल के तथा दो कैदी सेंट्रल जेल के हैं।

भरतपुर में अस्पताल से 2 और कोरोना रोगियों की छुट्टी
भरतपुर में दूसरी रिपोर्ट भी नेगेटिव आने के बाद सेवर के मलाह और रूपवास के समाहद निवासी दो युवकों को आरबीएम अस्पताल के कोरोना वार्ड से छुट्टी दे दी गई। सीएमएचओ डॉ. कप्तान सिंह ने बताया कि इनके अलावा 6 अन्य रोगियों की भी पहली रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी है। अब दूसरी रिपोर्ट नेगेटिव आते ही इनकी भी कोरोना वार्ड से छुट्टी कर दी जाएगी। इस तरह अब तक 123 कोरोना पॉजिटव रोगी अस्पताल में इलाज से नेगेटिव हो चुके हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि बहुत जल्द ही भरतपुर को कोरोना मुक्त कर लिया जाएगा।

साइकिल पर बाड़मेर से झारखंड जाते श्रमिकों काे रास्ते में रुकवाया, बस में जोधपुर भेजा, ट्रेन में घर रवाना किया

बाड़मेर के जालीपा में मजदूरी करने वाले झारखंड के 15 श्रमिकों को घर लौटने के साधन नहीं मिले तो साइकिल पर ही निकल पड़े। करीब 70 किमी चलने के बाद कि प्रशासन को जानकारी मिली। इस पर इन्हें रुकवाया गया और बाद में साइकिल सहित बसों में बिठाकर जोधपुर भेजा गया। जोधपुर से रवाना हुई श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सभी को साइकिल सहित बिठाकर झारखंड के लिए रवाना किया गया। नंदकिशोर यादव ने बताया कि वह पाली में कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करता था। दो माह से काम बंद हो गया और घर में ही बंद थे। अब गांव जा रहे हैं, लौटने के बारे में अभी कुछ नहीं कह सकते।

बाड़मेर से साइकिल के जरिए झारखंड जा रहे श्रमिकों को प्रशासन ने जोधपुर रेलवे स्टेशन तक पहुंचाया।

33 में से 32 जिलों में पहुंचा कोरोना

  • प्रदेश में संक्रमण के सबसे ज्यादा केस जयपुर में हैं। यहां 1722 (2 इटली के नागरिक) संक्रमित हैं। इसके अलावा जोधपुर में 1210 (इनमें 47 ईरान से आए), उदयपुर में 445, कोटा में 369, डूंगरपुर में 302, अजमेर में 280, पाली में 257, नागौर में 273, चित्तौड़गढ़ में 169, टोंक में 156, जालौर में 136, भरतपुर में 135, भीलवाड़ा में 100, सिरोही में 96, बांसवाड़ा में 85, जैसलमेर में 78 (इनमें 14 ईरान से आए), सीकर में 77, झुंझुनूं में 83, बीकानेर में 72, बाड़मेर में 70, राजसमंद में 69, चूरू में 64, झालावाड़ में 56 मरीज मिले हैं। उधर, दौसा में 41, अलवर में 40, धौलपुर में 38, सवाई माधोपुर में 17, हनुमानगढ़ में 14, प्रतापगढ़ में 12, करौली में 10 कोरोना मरीज मिल चुके हैं। बारां में 5 संक्रमित मिले हैं। श्रीगंगानगर में एक पॉजिटिव मिला। जोधपुर में बीएसएफ के 50 जवान भी पॉजिटिव मिल चुके हैं। वहीं दूसरे राज्यों से आए 10 लोग पॉजिटिव मिले।

  • राजस्थान में कोरोना से अब तक 155 लोगों की मौत हुई है। इनमें जयपुर में 80 (जिसमें चार यूपी से), जोधपुर में 17, कोटा में 15, पाली, भरतपुर और अजमेर में 5, सीकर और नागौर में 4-4, बीकानेर में 3, जालौर, करौली, अलवर, भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ में 2-2, उदयपुर, बांसवाड़ा, चूरू, प्रतापगढ़, सवाई माधोपुर और टोंक में 1-1 की मौत हो चुकी है। वहीं दूसरे राज्य से आए एक व्यक्ति की भी मौत हुई।


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तस्वीर जयपुर में मुख्यमंत्री निवास की। जहां सीएम लॉकडाउन और कोरोना से संबंधित लगातार बैठके कर रहे हैं।


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सरकार का दावा- पहले दो फेज में कोरोना के 29 लाख केस टल गए, 78 हजार लोगों की जान बची

सरकार ये मान रही है कि लॉकडाउन की वजह से कोरोना के 29 लाख मामले टल गए और 78 हजार लोगों की जान बच गई। स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इम्प्लीमेन्टेशन मिनिस्ट्री के सेक्रेटरीप्रवीण श्रीवास्तव ने अलग-अलग स्टैटिस्टिकल मॉडल्स के अनुमानों के आधार पर ये आंकड़े बताए। ये लॉकडाउन के पहले दो फेज में हुए फायदे का अनुमान है।

बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप का अनुमान : 2 लाख लोगों की जान बची
श्रीवास्तव ने अलग-अलग आंकड़े भी बताए। बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप का अनुमान है कि लॉकडाउन से कोरोना के 36 लाख से 70 लाख तक केस टल गए और 1.2 लाख से 2.1 लाख जिंदगियां बच गईं। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के मुताबिक 78 हजार लोगों की जान बची। दो स्वतंत्र अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि 23 लाख केस टले और 68 हजार मौतें टल गईं। कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि लॉकडाउन से कोरोना के 15 लाख मामले टले और 51 हजार लोगों की जिंदगी बचीं।इनमें से ज्यादातर अनुमान मुनासिब हैं।

'कोरोना के 80% एक्टिव केस 5 राज्यों में'
श्रीवास्तव ने कहा कि इस बात कापूरा भरोसा है कि लॉकडाउन नहीं होता तो जितना फायदा हुआ, वह नुकसान में बदल जाता। कोरोना पर सरकार के एम्पावर्ड ग्रुप-1 के चेयरमैन वी के पॉल के मुताबिक, कोरोना के 80% एक्टिव केस 5 राज्यों में हैं जबकि 60% एक्टिव केस 5 शहरों में हैं। लॉकडाउन ने इन्फेक्शन की रफ्तार रोकी है, 3 अप्रैल से कोरोना के मामलों में तेज गिरावट आई।

लॉकडाउन का चौथा फेज 31 मई तक
प्रधानमंत्री ने 25 मार्च से लॉकडाउन के पहले फेज का ऐलान किया था। इसे तीन बार बढ़ाया जा चुका है। अभी लॉकडाउन का चौथा फेज चल रहा है जो 31 मई तक रहेगा। चौथे फेज में कई छूट दी गई हैं। सोमवार से घरेलू हवाई सफर और एक जून से ट्रेनें भी शुरू हो जाएगा। अभी स्पेशल फ्लाइट और ट्रेनें ही चल रही हैं।



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ये तस्वीर राजस्थान के किशनगढ़ की है, जहां मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कलाकार घड़ों पर कोरोना के प्रति जागरूकता के संदेश लिख रहे हैं।


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अब तक 5735 पॉजिटिव, इनमें 1361 प्रवासी मजदूर शामिल; 24 घंटे में 232 मामले सामने आए, जौनपुर में एक साथ 43 लोग संक्रमित पाए गए

उत्तर प्रदेश में कोरोनावायरस का संक्रमण फैलता जा रहा है। प्रदेश भर में एक दिन में 232 नए मरीज सामने आए हैं। इनमें अकेले जौनपुर के 43 मरीज हैं। अब तक यूपी में कोरोना के 5735 पॉजिटिव मरीज सामने आ चुके हैं। कुल संक्रमित मरीजों में 1361 प्रवासी मजदूर हैं। हालांकि इनमें से अब तक कुल 3324 मरीज डिस्चार्ज हो चुके हैं। इस बीच जौनपुर में एक साथ कोरोना संक्रमण के 43 मामले सामने आने के बाद यहां संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 91 तक पहुंच गई है।

उप्र में पिछले 24 घंटों में जौनपुर के 43 मरीजों के अलावा आगरा में छह, मेरठ में चार, कानपुर नगर में दो, लखनऊ में दो, नोएडा में पांच, सहारनपुर में आठ, फिरोजाबाद में चार, ग़ाज़ियाबाद में छह, मुरादाबाद में दो, बस्ती में एक, अलीगढ़ में पांच, रामपुर में छह, हापुड़ में दो, बहराइच में दो, बिजनौर में तीन,प्रयागराज में छह, रायबरेली मेंतीन, मथुरा में एक, प्रतापगढ़ में दो, सिद्धार्थनगर में 12, गाजीपुर में14, संतकबीरनगर में छह, लखीमपुर में सात, अमरोहा में चार, गोंडा में तीन, मुजफ्फरनगर में चार, सीतापुर में पांच, पीलीभीत में तीन, बदायूं में 17, बलरामपुर में दो, जौनपुर में 43, बरेली में चार, श्रावस्ती में एक, इटावा में आठ, मैनपुरी में एक, फतेहपुर में चार, महाराजगंज में एक, हरदोई में एक, औरैया में दो, बलिया में एक, भदोही में तीन, कानपुर देहात में एक, शाहजहांपुर में एक, उन्नाव में छह, हाथरस में एक, चित्रकूट में एक और अयोध्या में छह मरीज शामिलहैं।

वाराणसी; लॉकडाउन में राहत के बाद सड़कों पर दिखी चहल-पहल

लॉकडाउन के बीच वाराणसी में कुछ जगहों पर सड़कों पर सन्नाटा दिखायी दिया तो कुछ जगहों पर लॉकडाउन में छूट मिलने की वजह से हल्की चहल-पहल भी दिखायी दी।इस बीच काशी में 127 संक्रमितों में 77 मरीज स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं जबकि4 कीमौत हो चुकी है। वहीं वीएन डॉ मिश्रा ने दावा किया कि बनारसियों का इम्युनिटी के साथ मेंटल लेबल भी काफी मजबूत है। 60 दिनों के अंदर सैकड़ों लोगो से बातचीत,घाट किनारे,गलियों में रहने वाले लोगों एवं अन्य मरीजों से बातचीत के बाद लगा कि यहां के लोग कोरोना से लड़ने में सक्षम हैं।

वाराणसी में लंका पर शनिार सुबह ही वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई। लॉकडाउन में थोड़ी छूट मिलने के बाद अब सड़कों पर चहल-पहल दिखने लगी है।
वाराणसी में लंका पर शनिार सुबह ही वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई। लॉकडाउन में थोड़ी छूट मिलने के बाद अब सड़कों पर चहल-पहल दिखने लगी है।

अपनों को छोड़कर प्रवासी मजदूरों के इलाज में लगे स्वास्थ्य कर्मी

झांसी में यूपी-एमपी सीमा से लगातार प्रवासी मजदूरों का जत्था गुजर रहा है। जनपद में इन दिनों 45 डिग्री से ऊपर तापमान बना हुआ है। यहां से गुजरने वाले कई प्रवासी मजदूर हर रोज बीमार हो रहे हैं। ऐसे में यहां हर रोज 12 घंटे ड्यूटी करने वाले मेडिकल स्टाफ के कर्मचारी उनके लिए देवदूत बन गए हैं। वो हर दिन सैकड़ों मजदूरों का इलाज कर रहे हैं। यही स्वास्थ्य कर्मी जब ड्यूटी समाप्त होने के बाद अपने घर जाते हैं तो उन्हें कुछ देर अपनों से दूर रहना पड़ता है। रक्सा थाना क्षेत्र स्थित बॉर्डर पर ड्यूटी करने वाली स्टाफ नर्स अंजू यादव बताती हैं कि उनकी ड्यूटी यहां एक सप्ताह से चल रही है। वो हर रोज यहां सैकड़ों मरीजों का चेकअप कर रहीं हैं। डॉक्टर के दिशा निर्देश पर बीमार प्रवासी मजदूरों का आवश्यक ट्रीटमेंट किया जा रहा है।

यह तस्वीर झांसी की है जहां महिलाएं प्रवासी मजदूरों की स्क्रीनिंग के काम में लगी हुई हैं। इनका कहना है कि बच्चों को घर पर अकेला छोड़कर काम करना काफी कठिन होता है लेकिन हम लगातार यहां आ रहे हैं।
यह तस्वीर झांसी की है जहां महिलाएं प्रवासी मजदूरों की स्क्रीनिंग के काम में लगी हुई हैं। इनका कहना है कि बच्चों को घर पर अकेला छोड़कर काम करना काफी कठिन होता है लेकिन हम लगातार यहां आ रहे हैं।

प्रयागराज में लॉकडाउन के दौरान मजूदरों से भरी बस पलटी, 35 लोग घायल
राजस्थान से प्रवासी मजदूरों को लेकर जा रही रोडवेज बस यहां नवाबगंज इलाके के शहाबपुर गांव के पास पलट गई। हादसे में 35 मजदूर घायल हो गए। बस में झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के लगभग 45 लोग सवार थे। सूचना मिलते ही एसडीएम, सीओ और कई थानों की फोर्स मौके पर पहुंची। सभी घायलों को उपचार के लिए सीएचसी कौड़िहार ले जाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद 9 मजदूरों को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।

प्रयागरा में बस पलटने से 35 श्रमिक घायल हो गए जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
प्रयागरा में बस पलटने से 35 श्रमिक घायल हो गए जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

जौनपुर में फूटा कोरोना बम, 43 प्रवासी संक्रमित
शुक्रवार को जौनपुर में 43 प्रवासियों के संक्रमित मिलने से हड़कंप मच गया। जौनपुर के केराकत, मड़ियाहूं, सिरकोनी, जलालपुर आदि ग्रामीण क्षेत्र में आज ज्यादा संक्रमित मिले हैं। इनमें से ज्यादातर संक्रमित होम क्वारंटीन थे। इसके साथ ही जौनपुर में अब तक मिले मरीजों की संख्या 91 हो गई है। इसमें से 11 मरीज ठीक हो गए हैं, जबकि दो की मौत हो चुकी है।



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यह तस्वीर वाराणसी में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार की है जहां शनिवार सुबह लोग जरूरी काम के लिए बाहर निकलते दिखायी दिए। हालांकि बनारस में मामलों के बढ़ने के बाद यहां सख्ती पहले से ज्यादा कर दी गई है।


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सरकार का दावा- पहले दो फेज में कोरोना के 29 लाख केस टल गए, 78 हजार लोगों की जान बची

सरकार ये मान रही है कि लॉकडाउन की वजह से कोरोना के 29 लाख मामले टल गए और 78 हजार लोगों की जान बच गई। स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इम्प्लीमेन्टेशन मिनिस्ट्री के सेक्रेटरीप्रवीण श्रीवास्तव ने अलग-अलग स्टैटिस्टिकल मॉडल्स के अनुमानों के आधार पर ये आंकड़े बताए। ये लॉकडाउन के पहले दो फेज में हुए फायदे का अनुमान है।

बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप का अनुमान : 2 लाख लोगों की जान बची
श्रीवास्तव ने अलग-अलग आंकड़े भी बताए। बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप का अनुमान है कि लॉकडाउन से कोरोना के 36 लाख से 70 लाख तक केस टल गए और 1.2 लाख से 2.1 लाख जिंदगियां बच गईं। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के मुताबिक 78 हजार लोगों की जान बची। दो स्वतंत्र अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि 23 लाख केस टले और 68 हजार मौतें टल गईं। कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि लॉकडाउन से कोरोना के 15 लाख मामले टले और 51 हजार लोगों की जिंदगी बचीं।इनमें से ज्यादातर अनुमान मुनासिब हैं।

'कोरोना के 80% एक्टिव केस 5 राज्यों में'
श्रीवास्तव ने कहा कि इस बात कापूरा भरोसा है कि लॉकडाउन नहीं होता तो जितना फायदा हुआ, वह नुकसान में बदल जाता। कोरोना पर सरकार के एम्पावर्ड ग्रुप-1 के चेयरमैन वी के पॉल के मुताबिक, कोरोना के 80% एक्टिव केस 5 राज्यों में हैं जबकि 60% एक्टिव केस 5 शहरों में हैं। लॉकडाउन ने इन्फेक्शन की रफ्तार रोकी है, 3 अप्रैल से कोरोना के मामलों में तेज गिरावट आई।

लॉकडाउन का चौथा फेज 31 मई तक
प्रधानमंत्री ने 25 मार्च से लॉकडाउन के पहले फेज का ऐलान किया था। इसे तीन बार बढ़ाया जा चुका है। अभी लॉकडाउन का चौथा फेज चल रहा है जो 31 मई तक रहेगा। चौथे फेज में कई छूट दी गई हैं। सोमवार से घरेलू हवाई सफर और एक जून से ट्रेनें भी शुरू हो जाएगा। अभी स्पेशल फ्लाइट और ट्रेनें ही चल रही हैं।



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ये तस्वीर राजस्थान के किशनगढ़ की है, जहां मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कलाकार घड़ों पर कोरोना के प्रति जागरूकता के संदेश लिख रहे हैं।


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अब तक 53.03 लाख संक्रमित: ब्राजील में 24 घंटे में 20 हजार से ज्यादा मरीजों की पुष्टि, यह अमेरिका के बाद दूसरा सबसे प्रभावित देश

दुनिया में अब तक 53 लाख 3 हजार 393 लोग संक्रमित हैं। 21 लाख 58 हजार 510 लोग ठीक हुए हैं। मौतों का आंकड़ा 3 लाख 39 हजार 992 हो गया है। ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में 24 घंटे में 20 हजार 803 नए केस मिले हैं और 1001 लोगों की मौत हुई। संक्रमण के मामले में यह अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित देश हो गया है।यहां कुल केस 3 लाख 32 हजार 382 हो चुका है, जबकि 21 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।
कोरोनावायरस : 10 सबसे ज्यादा प्रभावित देश

देश

कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए
अमेरिका 16,45,094 97,647 4,03,201
ब्राजील 3,32,382 21,116 1,35,430
रूस 3,26,448 3,249 99,825
स्पेन 2,81,904 28,628 1,96,958
ब्रिटेन 2,54,195 36,393 उपलब्ध नहीं
इटली 2,28,658 32,616 1,36,720
फ्रांस 1,82,219 28,289 64,209
जर्मनी 1,79,713 8,352 1,59,000
तुर्की 1,54,500 4,276 1,16,111
ईरान 1,31,652 7,300 102,276

ये आंकड़ेhttps://ift.tt/37Fny4L से लिए गए हैं।

अमेरिका: एक दिन में 1260 की मौत
अमेरिका में 24 घंटे में 1260 लोगों की जान गई है और संक्रमणके 24 हजार 197 मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही देश में मरने वालों की संख्या 97 हजार 647 हो गई है, जबकि 16 लाख 45 हजार94 लोग संक्रमित हैं।

न्यूयॉर्क में बीच खोल दिए गए हैं। लॉन्ग बीच पर अपने बच्चे के साथ सर्फिंग करने जाता युवक।

ट्रम्प जो दवा ले रहे उससे मरने का खतरा ज्यादा
लेंसेट जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोनावायरस संक्रमण के दौरान हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन या क्लोरोक्वीन दवा से कोई फायदा नहीं होता। इसके इस्तेमाल से मरने का खतरा ज्यादा है। आमतौर पर इस दवा का इस्तेमाल आर्थराइटिस के लिए किया जाता है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि वे खुद हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन टेबलेट लेते हैं। इसके बाद हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्विन के फायदों पर नई बहस शुरू हो गई।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कायले मैकनेनी और व्हाइट हाउस कोरोना टास्क फोर्स की सदस्य डॉ. डेबोराब ब्रिक्स महामारी को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान।

कनाडा: ‘संक्रमित होने वाले लोगों का पता लगाने को तैयार’
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने शुक्रवार को घोषणा की है कि उनकी सरकार हर दिन महामारी से संक्रमित होने वाले लोगों का पता लगाने के लिए तैयार है। ट्रूडो ने कहा कि सरकार ने इसके लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया है जो एक दिन में 3,600 संपर्क पता लगा सकते हैं। इसके अलावा कनाडा सांख्यिकी ने 1,700 लोगों को प्रशिक्षित किया है जो एक दिन में 20 हजार लोगों का पता लगा सकते हैं। सरकार संभावित ऐप विकल्पों पर ध्यान लगा रहा है, जो संपर्क पता लगाने में सहायता करेगी। यह उपकरण चीन और अन्य देशों में पहले ही लागू हैं।

ब्रिटेन : 14 दिन सेल्फ आइसोलेशन में रहना होगा

गृह मंत्री प्रीति पटेल ने शुक्रवार को कहा कि 8 जून से जो भी व्यक्ति ब्रिटेन आएगा, उसे 14 दिन सेल्फ आइसोलेशन में रहना होगा। सिर्फ उन्हें इससे अलग रखा जाएगा जो छूट के दायरे में आते हैं। ब्रिटिश सरकार ने यात्रा से संबंधित नए नियम भी जारी किए हैं। नियम तोड़ने वालों को जुर्माना भी देना होगा। देश में अब तक 36 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 2 लाख 54 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं।

लंदन में एक बीच पर धूप सेंकते लोग। ब्रिटेन में 36 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।

यूएई: 994 नए मामले
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में महामारी के 994 नए मामले आने से देश में संक्रमितों की कुल संख्या 27,892 हो गई है। यूएई स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि कई विदेशी नागरिकों में नए मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि, सभी की हालत स्थिर है। देश में अब तक 13,798 लोग ठीक हो चुके है। वहीं, मरने वालों की संख्या 241 हो गई है।



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ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बाल्सोनारो मीडिया से बात करते हुए। देश में संक्रमण के 3.32 लाख मामले हो चुके हैं।


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पुलिस से बाेला परेशान पति: जहां नहीं गया, वहां की लाेकेशन बताता है गूगल, पत्नी पूछती है

तमिलनाडु के आर. चंद्रशेखरन नामक शख्स ने आराेप लगाया है कि गूगल मैप्स ने उसके वैवाहिक जीवन में जहर घाेल दिया है। यह उसे उन स्थानाें पर दिखाता है, जहां वह कभी गया ही नहीं। परेशानी तब बढ़ जाती है जब उसकी पत्नी इसका ‘याेर टाइमलाइन’ फीचर देखती है और सवाल पूछ-पूछकर परेशान कर देती है। इस चक्कर में वह उसे साेने भी नहीं देती है।
नागपट्टिनम जिले के मइलादुथुराई में 49 वर्षीय चंद्रशेखरन ने थाने में भी शिकायत की है। उसने लिखा है कि उसकी पत्नी गूगल मैप्स पर अधिक भराेसा करती है। पिछले कुछ महीनाें से उसकी पत्नी लगातार गूगल मैप्स का ‘याेर टाइमलाइन’ फीचर देखती है और उसे साेने नहीं देती है। वह लगातार सवाल करती रहती है कि ‘कहां थे।’ वह इस बारे में ही साेचती है और इससे पारिवारिक जीवन प्रभावित हाे रहा है।
चंद्रशेखरन के मुताबिक, ‘वह पत्नी के सवालाें के जवाब नहीं दे पाता और वह परिवार, संबंधियाें, मेरे दाेस्ताें और काउंसलर के समझाने के बावजूद किसी की नहीं सुन रही है। कई बार बात करने के बावजूद वह मानने काे तैयार नहीं है कि मैं सच बाेल रहा हूं।’ चंद्रशेखरन के मुताबिक, गूगल के खिलाफ कार्रवाई करें और इंसाफ दिलाएं। जांच अधिकारी ने बताया कि अभी केस दर्ज नहीं किया है।



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आर. चंद्रशेखरन


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राहुल गांधी आज प्रवासी मजदूरों पर एक डॉक्युमेंट्री जारी करेंगे, इसमें उनके जज्बे, संकल्प और जीने की कहानियां होंगी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 16 मई को दिल्ली में प्रवासी मजदूरों से मुलाकात की थी। शनिवार सुबह 9 बजे राहुल गांधी अपने यूट्यूब चैनल पर इन मजदूरों से जुड़ी एक डॉक्युमेंट्री लाइव करेंगे। इसमें मजदूरों के जज्बे, संकल्प और जीने की कहानियां शामिल होंगी।

राहुल ने इसकी जानकारी ट्वीट कर दी। उन्होंने लिखा, 'कुछ दिन पहले, मैं कुछ प्रवासी मजदूरों से मिला था जो हरियाणा से सैकड़ों किमी पैदल चलकर दिल्ली पहुंचे थे और यूपी के झांसी जा रहे थे। कल सुबह 9 बजे इन मजदूरों की धैर्य, दृढ़ संकल्प और अस्तित्व की अविश्वसनीय कहानी देखिए।'

राहुल ने मास्क बांटे और मजदूरों कोघर तक पहुंचाया था

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने पिछले शनिवार को दिल्ली में सुखदेव विहार फ्लाईओवर के पास प्रवासी मजदूरों से 30 मिनट मुलाकात की थी। उनके साथ फुटपाथ पर बैठकर बातचीत की थी। मास्क, खाना और पानी दिया। उन्होंने कार्यकर्ताओं से बोलकर गाड़ियां मंगवाईं और कुछ मजदूरों को घर तक पहुंचाया था।

वित्त मंत्री ने राहुल का बिना नाम लिए कहा था- वो ड्रामेबाज नहीं हैं क्या?
वित्त मंत्री ने बिना नाम लिए राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "प्रवासी जब पैदल जा रहे हैं तो उनके साथ बैठकर बात करने की बजाय बेहतर होगा कि उनके बच्चों या उनके सूटकेस को उठाकर पैदल चलें। दुख के साथ कह रहूं इस बात को, जबकि आराम से भी कह सकती हूं। कांग्रेस अपनी सरकारों वाले राज्यों को क्यों नहीं बोलती कि और ट्रेन मंगवाओ। मैं कांग्रेस के ही शब्दों में कह रही हूं कि कांग्रेस हर दिन ड्रामेबाजी कर रही है। कल प्रवासियों के साथ रास्ते पर बैठकर बात करने की जो घटना हुई, क्या ये ऐसा करने का समय है? वो ड्रामेबाज नहीं हैं क्या? दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी शनिवार को दिल्ली में सुखदेव विहार के पास प्रवासी मजदूरों से मिलने पहुंचे थे।"



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यह तस्वीर दिल्ली की है। 16 मई को राहुल गांधी ने सुखदेव विहार फ्लाईओवर के पास प्रवासी मजदूरों से मुलाकात की थी।


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हरियाणा सरकार ने बसों से मजदूरों को यूपी भेजा, लेकिन यूपी प्रशासन ने इन्हें बॉर्डर से लौटा दिया; 250 मजदूर 2 दिन टीनशेड के नीचे बैठे रहे

35 साल के आसाराम मूल रूप से झांसी के रहने वाले हैं। बीते कई सालों से वे सोनीपत के कुंडली इंडस्ट्रीयल एरिया में बतौर सहायक नौकरी कर रहे थे। 24 मार्च से जब देश भर में लॉकडाउन शुरू हुआ तो उनकी कंपनी भी अस्थायी रूप से बंद हो गई। इसके साथ ही आसाराम को मिलने वाली पगार पर भी पूर्णविराम लग गया।

आसाराम कहते हैं, ‘मार्च के महीने में भी मुझे पूरे महीने की पगार नहीं मिली थी और उसके बाद तो एक पैसा भी नहीं मिला। शुरू में लगा था कि दो-तीन हफ्ते बाद शायद काम शुरू हो जाएगा तो वापस नौकरी मिल जाएगी। लेकिन दो महीने होने तक भी जब काम शुरू नहीं हुआ यहां रहना बहुत मुश्किल होने लगा।’

लॉकडाउन जैसे-जैसे बढ़ता गया आसाराम और उनके साथ काम करने वाले तमाम लोगों की मुश्किलें भी बढ़ती गई। लिहाजा एक-एक कर आसाराम के तमाम साथी अपने-अपने गांव लौटने लगे। कुछ साइकल से तो कुछ पैदल ही अपने-अपने मूल निवास की ओर बढ़ गए। बिना किसी कमाई के परदेस में टिके रहना आसाराम के लिए भी लगातार मुश्किल होता जा रहा था। वे भी चाहते थे कि किसी भी तरह अपने गांव लौट जाएं। लेकिन उनकी पत्नी आठ महीने की गर्भवती हैं लिहाजा पैदल या साइकिल से गांव जाना उनके लिए सम्भव नहीं था।

आसाराम की पत्नी किरण बताती हैं, ‘ये हमारा पहला बच्चा है। यहां कोई बड़ा भी हमारे साथ नहीं जो देखभाल कर सके। सब कुछ ठीक रहता, इनकी नौकरी बनी रहती तो हम घर से किसी बड़े को यहीं बुला लेते। लेकिन ऐसी स्थिति में बिना नौकरी के यहां एक-एक दिन काटना मुश्किल हो रहा है। डॉक्टर को दिखाए हुए भी महीनों हो गए हैं।’

आसाराम और किरण की परेशानी लगातार बढ़ रही थी। पैसे खत्म हो रहे थे, आय का कोई जरिया नहीं था, खर्चे जस के तस बने हुए थे, बच्चे की डिलीवरी का समय नजदीक आ रहा था और देखभाल करने वाला कोई तीसरा व्यक्ति साथ में नहीं था। डिलीवरी के लिए अस्पताल जाना पड़े तो वहां का खर्चा कैसे पूरा होगा, ये भी अब भगवान भरोसे था। ऐसे में यह खबर इन दोनों के लिए किसी चमत्कार की तरह से आई कि कुंडली इंडस्ट्रीयल एरिया से उत्तर प्रदेश के लिए बसें चलने वाली हैं और जो भी जाना चाहे वो जा सकता है।

आसाराम बताते हैं, ‘17 मई को स्थानीय प्रशासन ने हमारे इलाके में इसकी घोषणा करवाई। बताया गया कि कल सुबह सब लोगों की मेडिकल जांच होगी और फिर उन्हें बसों से उनके घर भेज दिया जाएगा। 18 मई को सुबह हमने भी अपनी जांच करवाई और शाम को करीब छह बजे हम लोग बस में बैठ गए। इसके लिए करीब तीन किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। बस पकड़ने की जल्दबाजी में तेजी से चलते हुए किरण के पैर में मोच भी आ गई।’

आसाराम कहते हैं, ‘बस में बैठते हुए हमें लगा था कि भगवान ने हमारी सुन ली है और अब शायद हमारी परेशानी कम हो जाएगी। नौकरी तो रही नहीं, लेकिन कम से कम डिलीवरी के लिए हम अपने गांव अपने मां-बाप के पास तो पहुंच जाएंगे। हमें नहीं पता था कि ये सफर हमारी मुश्किलों को और भी बढ़ाने वाला है।’

आसाराम और उनकी पत्नी की मुश्किलें तब बेहद बढ़ गई जब सोनीपत से चली उनकी बस को शामली पहुंचने पर उत्तर प्रदेश प्रशासन ने अपने राज्य में दाखिल होने की अनुमति देने से इंकार कर दिया। हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर कई घंटे खड़े रहने के बाद सोनीपत से चली इन छह बसों को वापस सोनीपत लौटना पड़ा।

रात के करीब एक बजे इन बसों में सवार करीब 250 लोगों को सोनीपत के गन्नौर इलाके में स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल हॉर्टिकल्चर मार्केट’ के परिसर में लाकर छोड़ दिया गया। इस परिसर में हरी घास के मैदान और बड़े-बड़े टिन शेड के नीचे बने प्लेटफॉर्म ही अब इन लोगों का बिस्तर थे।

किरण कहती हैं, ‘इस गर्मी में हमें यहां लाकर छोड़ दिया गया है। इससे तो बेहतर तो हम अपने कमरे में थे। इसी डर से तो बाहर नहीं निकले थे कि ऐसी स्थिति में अगर कहीं फंस गए तो क्या होगा। यहां आए हुए तीस घंटे से ज्यादा हो चुके हैं और अभी कोई पता नहीं कि आगे क्या होगा। यहां पूरे परिसर में एक भी शौचालय तक नहीं है।’

अक्टूबर 2019 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह दावा कर दिया था कि अब भारत खुले में शौच से मुक्त हो चुका है। लेकिन इस दावे को धता बताते हुए हरियाणा प्रशासन ने इन 250 लोगों को ऐसी जगह लाकर छोड़ दिया है कि खुले में शौच के लिए जाना ही इनके पास एकमात्र विकल्प है।

हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे तमाम राज्यों के चुनावों में भाजपा और खुद प्रधानमंत्री मोदी ने जनता से अपील की थी कि उन्हें डबल इंजन की सरकार बनाने के लिए भाजपा को वोट देना चाहिए। आज हरियाणा, उत्तर प्रदेश और केंद्र, तीनों ही जगह भाजपा की सरकारें हैं। लेकिन ट्रिपल इंजन की ये सरकारें मिलकर भी इतना जोर नहीं लगा सकी कि किरण और आसाराम जैसे लोगों को सोनीपत से झांसी तक पहुंचा सकें।

आसाराम और किरण की तरह कई परिवार 2 दिन तक‘इंडिया इंटरनेशनल हॉर्टिकल्चर मार्केट’ के परिसर में रुके रहे।

यह मामला राज्य सरकारों की भारी चूक को इसलिए भी दर्शाता है क्योंकि किरण जैसे लोगों को उनके ठिकानों से बुलाकर अधर में छोड़ा गया है। ये वे लोग नहीं हैं जो अपनी मर्जी या मजबूरी से सड़कों पर निकल गए हों और इसलिए अचानक इनकी व्यवस्था करना प्रशासन के लिए चुनौती बना हो।

इन्हीं लोगों में शामिल एक युवा महावीर भारती कहते हैं, ‘हमें अपने कमरों से उठाकर पिछले दो दिन से यहां छोड़ दिया गया है। अब यहां सिर्फ पुलिस के जवान हैं जो सीधे मुंह बात भी नहीं करते। उनसे पूछते हैं कि हम घर कब जाएंगे तो वो कहते हैं कि तुम्हें खाना मिल रहा है न, इतना काफी नहीं है क्या। ऐसे ही छोड़ देना था तो हमें बुलाया ही क्यों गया।’

दो दिन यहां रहने के बाद 20 मई की दोपहर एक बार फिर कुछ बसें इन लोगों को लेने पहुंची। इस बार इन लोगों को उत्तर प्रदेश में दाखिल तो होने दिया गया लेकिन घर पहुंचना अब भी इन्हें नसीब नहीं हुआ। इस बार इन लोगों को सोनीपत से बसों में भरकर सहारनपुर में उतार दिया गया। अब राधा स्वामी सत्संग व्यास का एक मैदान इनका ठिकाना बन गया।

महावीर कहते हैं, ‘प्रशासन के लोग कह रहे हैं कि यहां से आगे के लिए ट्रेन चलाई जाएगी और उनसे हमें भेजा जाएगा। लेकिन ट्रेन कब चलेगी इस बारे में कोई कुछ नहीं बता रहा।’

जब शाम में धूप थोड़ी कम चुभन वाली होती थी तो लोग घास पर ही झपकी ले लिया करते थे।

राज्यों के कुप्रबंधन की कीमत चुका रहे ऐसे हजारों लोग इन दिनों दिल्ली-करनाल हाइवे पर नजर आ रहे हैं। किरण जैसे लोगों से भी ज्यादा दयनीय स्थिति 22 साल की रितु की है। रितु भी गर्भवती हैं और उनके साथ उनके पति भी नहीं है। वे बताती हैं कि कुछ महीनों पहले उनके पति का मानसिक संतुलन बिगड़ गया और वो उन्हें ऐसी ही स्थिति में छोड़ कर गांव चला गया। 20 मार्च को रितु की मां बिहार के कटिहार से उन्हें लेने आई लेकिन वो रितु को लेकर लौट पाती उससे पहले ही लॉकडाउन हो गया। अब ये मां-बेटी घर जाने के लिए जगह-जगह भटक रही हैं।

इन लोगों को हरियाणा प्रशासन घर भेजने का आश्वासन भी नहीं दे रहा क्योंकि कुंडली इंडस्ट्रीयल एरिया से सिर्फ उत्तर प्रदेश जाने वालों के लिए ही बसें चलाई गई हैं। ऐसे में बिहार जाने वालों का क्या होगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। रितु की मां इंदिरा देवी कहती हैं, ‘किसी ने बताया था कि सोनीपत से बसें चाली जा रही हैं तो हम यहां पहुंचे थे। लेकिन पुलिस वाले बोल रहे हैं कि यहां सिर्फ उत्तर प्रदेश जाने वाले ही रुक सकते हैं और उन्हें ही भेजा जाएगा। बिहार जाने वालों की अभी कोई व्यवस्था नहीं है।’

हाल ही में यूपी कांग्रेस ने दिल्ली और हरियाणा में उत्तर प्रदेश के मजदूरों को लाने के लिए बसें भेजीं थीं, जिन्हें यूपी प्रशासन ने राज्य की सीमा के पार जाने की अनुमति नहीं दी थी।

राष्ट्रीय राजमार्ग जब पैदल चलते मजदूरों से भरे पड़े हैं और तपती धूप में हजारों लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ धक्के खा रहे हैं तब राज्यों के बीच में तालमेल की ऐसी कमी अपराध की हद तक गंभीर लगती हैं। वह भी तब जब इन राज्यों में एक ही पार्टी की सरकार है। एक तरफ हजारों मजदूर बसों के इंतजार में जगह-जगह फंसे हुए हैं, हजारों पैदल चलने को मजबूर हैं, हजारों बहुत भारी किराया चुकाकर निजी बस मालिकों द्वारा लूटे जा रहे हैं और दूसरी तरफ विपक्ष द्वारा भेजी गई आठ सौ से ज्यादा बसें बैरंग ही लौट रही हैं क्योंकि उन्हें अनुमति नहीं दी गई। संकट के इस दौर में देश के ये लाखों मजदूर सिर्फ बीमारी और आर्थिक मंदी की महामारी से ही नहीं बल्कि नकारात्मक राजनीति की महामारी से भी जूझ रहे हैं।



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आसाराम अपनी पत्नी किरण के साथ झांसी जाने के लिए हरियाणा के सोनीपत से चले थे। किरण को 8 महीने का गर्भ है। यूपी बॉर्डर से लौटाने के बाद इन्होंने 2 दिन इसी तरह तपती गर्मी में टीन शेड के नीचे बिताए।


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पानी और जूस पीकर दिन काटे, लौटने को सैकड़ों ईमेल किए, फ्लाइट निकलने से आधे घंटे पहले मिली एक सीट

भावना उन महिलाओं में शामिल हैं जो पिछले करीब 50 दिनों से सऊदी में फंसी थीं। वह अकेली थीं और लॉकडाउन लगने के बाद उन्हें अपनी प्रेग्नेंसी के बारे में पता चला। तबीयत अचानक खराब हो गई और चुनौतियां यूं ही कम नहीं थीं। भावना के संघर्ष की कहानी उन्हीं की जुबानी -

मेरा नाम भावना डूबेर है। मैं सऊदी अरब एयरलाइंस में क्रू मेम्बर की नौकरी करती थी। 18 अप्रैल को भारत आने वाली थी। मेरा रिजर्वेशन भी हो चुका था।

लेकिन 14 अप्रैल को मुझे एकदम से पता चलता है कि लॉकडाउन हो चुका है और अब कोई फ्लाइट सऊदी अरब से नहीं उड़ेगी।

अभी भावना हैदराबाद के होटल में 14 दिनों के लिए क्वारैंटाइन हैं।

एक हफ्ते बाद ही मेरी तबीयत बहुत खराब हो गई। 27 अप्रैल को पता चला कि मैं प्रेग्नेंट हूं। इसके बाद मेरा तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया।

लॉकडाउन लगने के बाद सऊदी अरब में सब बंद हो चुका था। न जांच के लिए डॉक्टर थे। न कोई मदद के लिए था। मेरी एक सर्जरी पहले से प्लान थी, जो मैं भारत आकर करवाने वाली थी लेकिन भारत आ ही नहीं पाई।

मेरी तबीयत और ज्यादा खराब हो गई। वहां बमुश्किल एक डॉक्टर मिला, उन्हें दिखाया तो बोले कि पेट में बच्चे का दिल नहीं धड़क रहा है। बोले, शायद कोई गलत दवा लेने के चलते ऐसा हुआ।

हालत ज्यादा खराब होने पर मेरी एक दोस्त मुझे एक दूसरे डॉक्टर के पास लेकर गई। उन्होंने बताया कि बच्चे का दिल धड़क रहा है और वो ठीक है, लेकिन जो जरूरी जांच पहले तीन माह में होना चाहिए वो नहीं हो पाई हैं।

इसके बाद तो मैं पूरी तरह से टूट चुकी थी। दिन रात भारतीय दूतावास में कॉल करते रहती थी। मेरे पति दुबई में हैं। वो भी बहुत परेशान थे। मैंने सैकड़ों ईमेल किए। तमाम लोगों को ट्वीट किए लेकिन कुछ नहीं हो रहा था।

वहां मेरी मदद के लिए कोई नहीं था। हर छोटे बड़े काम खुद करना होते थे। कुछ दिन तो टेंशन में सिर्फ पानी और जूस पीकर निकाले।

50 दिनों से सऊदी में फंसे यात्रियों को फ्लाइट में बैठते ही सुकून मिला।

फिर हमें पता चला कि 20 मई को एयर इंडिया की फ्लाइट जेद्दा से हैदराबाद के लिए प्लान हुई है। मैंने पूरी कोशिश की लेकिन मुझे आखिरी वक्त तक रिजर्वेशन ही नहीं मिला।
उन्होंने कहा सभी सीटें फुल हो गई हैं। मैं अपनी दोस्त माधुरी के साथ एयर इंडिया के बुकिंग ऑफिस गई। वहां बहुत मिन्नतें की। उन्होंने दो घंटे बिठाकर रखा फिर कह दिया कि कुछ नहीं हो पाएगा।

सऊदी में फंसे भारतीय कई दिनों से सरकार से गुजारिश कर रहे थे कि उन्हें निकाला जाए।

फिर दोपहर 2.15 बजे मेरे पास कॉल आता है कि एक सीट अरेंज हुई है, हमारा ऑफिस 3 बजे तक खुला है, उसके पहले आकर टिकट ले सकते हैं।

यह सुनते ही मेरी जान में जान आई। हमने सऊदी से हैदराबाद आने के लिए दोगुने से भी ज्यादा किराया दिया है। सामान्य दिनों में किराया 13 से 14 हजार लगता है, लेकिन अभी करीब 42 हजार रुपए चुकाए हैं।

यही नहीं लौटने का एक्सपीरियंस बहुत खराब रहा। जेद्दा में एक-दो किलो लगेज ज्यादा होने पर भी उनसे चार्ज लिया गया और प्रेग्नेंट महिलाओं को खुद ही अपना लगेज उठाकर ले जाना पड़ा। एयर इंडिया के एक कर्मचारी ने गलत व्यवहार भी किया।

17 से ज्यादा प्रेग्नेंट महिलाएं फंसी थीं, अभी सब क्वारैंटाइन में

सऊदी में करीब 20 ऐसी भारतीय महिलाएं फंसी थीं, जो प्रेग्नेंट थीं। यह 20 मई को फ्लाइट से भारत आई हैं। फ्लाइट पहले विजयवाड़ा में रुकी थी, वहां कुछ यात्री उतरे। बाकी यात्री हैदराबाद में उतरे।
हैदराबाद के ही एक होटल में इन यात्रियों को 14 दिनों के लिए क्वारैंटाइन किया गया है। यहां करीब 17 प्रेग्नेंट महिलाएं ठहरी हैं। जबकि तीन विजयवाड़ा में ही उतर गई थीं।

करीब 17 प्रेग्नेंट महिलाएं होटल में क्वारैंटाइन में हैं।

इकॉनमी होटल में ठहरने के 14 दिनों के 15 हजार रुपए प्रति व्यक्ति लिए गए हैं। इसमें ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर शामिल है।



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Saudi Arabia India | Hyderabad Coronavirus News Updates; Pregnant Woman Returned To India From Saudi Arabia Jeddah Via Air India Flight


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घर की महिलाओं ने पुरुषों के लिए किवाड़ बंद किए; मुंबई, अहमदाबाद, रेवाड़ी से लौटे 25 लोग आम के बागों में क्वारैंटाइन

यूपी के मदारपुर और बलरामपुर गांव से लाइव रिपोर्ट.अयोध्या से करीब 50 किमी की दूरी पर टांडा तहसील का मदारपुर गांव है। यहां गांव के बाहर आम के बागों में बंबई, अहमदाबाद, रेवाड़ी से आए 25-30 प्रवासी मजदूर क्वारैंटाइन हैं। वे आने के बाद से यहीं बागों में टाट पट्‌टी का तंबू डालकर और छप्पर बनाकर रह रहे हैं। इन्हें घर वालों ने चारपाई और बिस्तर दे रखा है। घर वाले दोनों टाइम खाना भी पहुंचा देते हैं।
हुआ कुछ यूं कि जब ये लोग दूसरे राज्यों से गांव पहुंचे तो घर की महिलाओं ने उनके आने पर एतराज जताया। उनका कहना था कि इससे उनके बच्चों और बुजुर्गों को खतरा है। कुछ घरों में तो औरतों ने किवाड़ तक बंद कर दिए। जिसके बाद इन प्रवासियों ने गांव से थोड़ा बाहर आम के बाग को ही क्वारैंटाइन सेंटर बना लिया।

इस तरह बाग में बाहर से आए प्रवासी मजदूर रह रहे हैं। बाग में ही मच्छरदानी और कूलर तक की व्यवस्था भी कर रखी है।

रामजस रेवाड़ी से आए हैं। वह यहां एक बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी में ठेका लेकर काम करते थे। कहते हैं, पहले दो महीने इंतजार किए, जब कुछ नहीं मिला तो पैदल ही निकल पड़ा, करीब 150 किमी पैदल चला। फिर पलवल में पुलिस वालों ने जबरदस्ती एक ट्रक में बैठा दिया, वहां से लखनऊ आए। फिर किसी तरह गांव पहुंचे। अब 8 दिन से यहीं आम के बाग में रह रहे हैं।

बाग में मजदूरों ने खाने के लिए अलग से बर्तन भी रखा हुआ है। पास में सैनिटाइजर की बॉटल भी है।

रामजस कहते हैं कि गांवों वालों को एतराज था कि हम घर में न जाएं। खासकर, घर की महिलाओं को। घर की औरतों ने तो नाक में दम कर रखा था कि हम बाहर ही रहें। अब बताओ इतनी दूर से ठोकर खाते हुए आए और 8 दिन से यहीं बाग में पड़ा हूं। घर से भाई खाना पहुंचा जाता है। अब तो गांव के लोग कह रहे हैं कि 21 दिन क्वारैंटाइन रहना पड़ेगा। हालांकि बाहर किसी अधिकारी या पुलिस ने ये नहीं बताया था कि हमें घर नहीं जाना है। गांव में लगभग हर घर के लोग बाहर दूसरे शहरोंं में रहते हैं।

  • दुर्गेश अहमदाबाद से श्रमिक ट्रेन से आए, लेकिन टिकट का पैसा खुद दिया

दुर्गेश अहमदाबाद में लक्कड़ का काम करते थे। कहते हैं कि मैं श्रमिक ट्रेन से आया, लेकिन टिकट का पैसा खुद दिया हूं। अब सबकुछ ठीक हो जाएगा, तो फिर जाना ही पड़ेगा, क्योंकि यहां तो रोटी रोजगार है नहीं।

राहुल 7 दिन से बाग में रह रहे हैं। यहां उनके आने से पहले ही घर वालों ने टाट-पट्‌टी का तंबू बना दिया था।

राहुल अहमदाबाद में ड्राइवर थे। ट्रक से वापस गांव लौट आए हैं। कहते हैं कि वहां बाइक ट्रांसपोर्टेशन का काम करता। सेठ से पूछता कि आगे काम मिलेगा, तो बोलते- लोगों के पास चावल खाने का पैसा नहीं तो बाइक कौन खरीदेगा। हालांकि पैसा मिल रहा था। अब यहीं 7 दिन से बाग में बसेरा बना लिया है। जब ढाई-तीन महीने परिवार के लिए इतना दूर जा सकते हैं, तो 14 दिन यहां भी ही सकते हैं।

राहुल बताते हैं कि रास्ते में एक-दो जगह स्क्रीनिंग हुई थी, तो सब ठीक था, अब 14 दिन बाद फिर चेकअप करवा लेंगे। लेकिन यहां अभी तक कोई स्वास्थ्यकर्मी तो आया नहीं, न ही किसी से गांव के प्रधान ही मिलने आए हैं।

  • बंबई से एक ट्रक में बैठकर 60 मजदूर आए, हर किसी ने तीन-तीन हजार रुपए दिए

जितेंद्र बंबई में धागा का काम करते थे। कहते हैं कि कंपनी बंद हो गई। दो महीने तक हम इंतजार किए, फिर सेठ ने कह दिया अपना देखो। अपना कहां से देखते, जब पैसे ही नहीं तो क्या करते। वहां से ट्रक बुक करके आए हैं। ड्राइवर ने सबसे तीन-तीन हजार रुपए किराया लिया। एक ट्रक में 60 लोग बैठे थे। हम सब एक लाख 80 हजार रुपए दिए।

जितेंद्र बंबई से आए हैं। यहीं दिन भर बाग में लेटे रहते हैं और मोबाइल में गाने सुनकर क्वारैंटाइन का समय काट कर रहे हैं।

जितेंद्र बताते हैं कि मध्य प्रदेश तक लंगर खूब लगा था। लेकिन यूपी में कुछ नहीं मिला, वैसे भी, यहां कहां कुछ मिलता है। अब जब तक सब साफसुथरा नहीं हो जाएगा, तब तक कतई नहीं जाएंगे।

  • मालिक फैक्टरी के बगल में ही एक हवेली में रहता था, लेकिन फोन ही उठाना बंद कर दिया

मदारपुर गांव के बाहर एक और बाग में 12 लोग रुके हैं। इनमें से एक दुर्गेश मुंबई में रेडिमेड फैक्टरी में काम करते थे। लेकिन अचानक सब बंद हो गया। बंगाल, गुजरात के कुछ लोग भी साथ में काम करते थे। लेकिन वे पहले ही चले गए थे। लॉकडाउन के बाद मालिक को फोन करने लगे तो वो फोन ही नहीं उठाता। मालिक का वहीं बगल में हवेली थी, लेकिन वो झांकने तक नहीं आया।

दुर्गेश और उनके साथी मुंबई में रेडिमेड फैक्टरी में काम करते थे, लेकिन दो महीने से सैलरी नहीं मिली तो गांव आ गए।
  • एक चेकपोस्ट पर ड्राइवर ने ट्रक के शटर बंद कर दिए, अंदर बैठे 50 लोगों की सांस फूलने लगी

नितिन बंबई से यहां ट्रक से पहुंचे हैं, कहते हैं कि हमारे साथ 50 लोग और थे, एक चेकपोस्ट पर ड्राइवर ने सब शटर बंद कर दिया, अंदर बैठे लोगों की सांस फूलने लगी। एकबार तो ऐसा लगा कि अब जान निकल जाएगी। आधे घंटे बाद खोला तो आंख के सामने अंधेरा था, फिर जान में जान आई। हम सब मौत की मुंह से निकलकर यहां पहुंचे हैं।

  • पुलिसवाले कह रहे थे कि गांव में खाने-पीने की व्यवस्था है, लेकिन यहां कुछ नहीं मिला

नितिन के एक साथी कहते हैं कि यहां नमक रोटी तो मिलेगी, वही सुकून है। यहां कोई भाड़ा भी नहीं देना है, वहां 52 दिन से बैठे थे। अब 12 महीने यहां काम मिले तो वहां जाने की जरूरत नहीं पड़ती, यहां सरकार 8 हजार रुपए भी दे तो कभी बंबई नहीं जाएंगे। रास्ते में पुलिसवाले कह रहे थे कि स्कूल में रुक जाना, प्रधान की ओर से खाने-पीने की व्यवस्था होगी, लेकिन यहां कुछ नहीं मिला।

नितिन और उनके साथी कहते हैं कि सरकार यहां रोटी-रोजगार दे तो हम दोबारा बंबई क्यों जाएंगे।
  • गांव के प्राथमिक विद्यालय में सिर्फ 5 लोग रुके हैं, मां, बेटियां और पत्नी रोज घर से खाना खिलाने आती हैं

मदारपुर गांव से बाहर एक प्राथमिक विद्यालय में पांच मजदूर रुके हैं। यहां उनके घर वाले खाना लेकर आए हैं। अहमदाबाद से लौटे ड्राइवर उदयभान के लिए मां घर से खाना लेकर आई हैं। अवधी भाषा में कहती हैं, 'जेरा(दिल) नाय मानत रहा, हींआ आई-कय तनकी बोल-बताइए लेईत है, तो तोख(संतोष) होई जात है। यही बेटवा हमय खर्चा-वर्चा देत रहिन। जब से ई-सब भय, तब से रोज रोअत रहिन, रोज पूछित भईया कब अईबा, ई बोलत रहिन जल्दी आइब अम्मा। जब इनका देख लेह तब जाइकय तोख मिला।'

अहमदाबाद से लौटे उदयभान की मां रोजाना घर से खाना बनाकर स्कूल में उसे खिलाने आती हैं, ताकि बेटा भूखे न सोए।

अहमदाबाद से आए सदाराम कहते हैं कि 8 दिन से ही स्कूल में ही रुके हैं। यहां प्रशासन या प्रधान से कुछ नहीं मिला है। घर से खाना आता है। सैनिटाइजर भी अपने पैसे से लिए थे। एक पंखा लगा है, वह भी धीरे-धीरे चल रहा है। कहते हैं कि अब नमक-रोटी खा लेंगे, लेकिन वहां दोबारा नहीं जाएंगे।

अहमदाबाद से आए पिता के लिए बेटी रोजाना सुबह घर से स्कूल में खाना लेकर आती है। फिर दोनों साथ में ही खाते हैं।
स्कूल में रुके परिजनों को खाना खिलाकर वापस घर जाती महिलाएं।
  • बलरामपुर गांव में अगड़ी जाति के लोग भी बाहर से आए हैं, लेकिन वे स्कूल में नहीं रुके, हम हरिजन ही बस यहां हैं

बलरामपुर गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय में आठ लोग रुके हैं, वे सभी बंबई और अहमादाबाद से आए हैं। आज कल ताश खेलकर टाइम काट रहे हैं। राजाबाबू, धीरेंद्र और महेंद्र अहमदाबाद में बेगारी (लेबर) का काम करते थे। कहते हैं कि वहां दो महीने से बैठे थे, अब जहां काम मिल जाता था, वहां कर लेते थे। यहां स्कूल में सिर्फ हरिजन लोग ही रुके हैं। गांव के पंडित, वर्मा के बाहर लोग भी रहते हैं, वो भी गांव आए होंगे, लेकिन एक भी लोग यहां नहीं आए।

बलरामपुर गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय में आठ लोग रुके हैं, वे सभी बंबई और अहमादाबाद से आए हैं।

स्कूल में रुके मजदूर कहते हैं कि यहां सिर्फ हमारी जाति(हरिजन) के लोग ही हैं। स्कूल में स्वास्थ्य विभाग या प्रधान की ओर से कुछ भी व्यवस्था नहीं है। चाय-नाश्ता यहीं बनाते हैं, खाना-पानी घर से आ जाता है। चारपाई-बिस्तर भी घर वाले दे गए हैं। पुलिसवालों ने कहा था कि स्कूल में व्यवस्था होगी, लेकिन यहां आने पर कुछ मिला नहीं। होम क्वारैंटाइन भी हो सकते थे, लेकिन घर जाने के बजाय स्कूल में ही रुक गए। ताकि घर वाले सुरक्षित रहें।

खाना तो घर से आता है। लेकिन चाय-नाश्ता स्कूल में चूल्हे पर ही बनाते हैं प्रवासी मजदूर।
  • प्रधान कह रहे थे कि सब घर चले जाओ, जो होगा हम देख लेंगे, लेकिन परिवार की वजह से रुक गए

बलरामपुर स्कूल में रुके मजदूर कहते हैं कि प्रधान तो कह रहे थे कि सब अपने-अपने घर चले जाओ, कुछ नहीं होगा। जिसको जो कहना होगा, उससे बोलना कि हमसे बात करेगा। हमें रास्ते में पुलिस वालों ने पर्चा दिया था, हम लोग खुद ही उसे यहां गेट पर अपना नाम लिखकर चिपका दिए।

स्कूल में महिलाएं और बच्चे भी रुके हुए हैं।

सभी कहते हैं कि अब दोबारा जब सबकुछ ठीक हो जाएगा, तभी वहां जाएंगे। वैसे, वहां जाने से ज्यादा कुछ तो फायदा नहीं है, लेकिन यहां गांव में कुछ करेंगे, तो लोग हरिजन समझकर लोग कुछ लेते ही नहीं। कम से मुंबई ये तो कोई नहीं मानता, न कोई हमें पहचानता है।



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प्रवासी मजदूरों ने मदारपुर गांव के बाहर अलग-अलग आम के बागों में तंबू लगा रखा है। उन्होंने तंबू लगाने और छप्पर बनाने में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया है।


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