गुरुवार, 7 जनवरी 2021

किसान आज दिल्ली के चारों ओर ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे, दावा- 60 हजार ट्रैक्टर शामिल होंगे

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का आज 43वां दिन है। किसान आज दिल्ली के चारों तरफ ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। उनका दावा है कि इस मार्च में 60 हजार ट्रैक्टर शामिल होंगे। यह मार्च सिंघु बॉर्डर से टिकरी, टिकरी से शाहजहांपुर, गाजीपुर से पलवल और पलवल से गाजीपुर तक निकाला जाएगा।

26 जनवरी को किसान परेड की तैयारी

  • किसानों का कहना है कि सरकार ने मांगी नहीं मानीं तो 26 जनवरी को भी ट्रैक्टर परेड होगी। आज का मार्च उसी का ट्रेलर होगा। हरियाणा के किसान संगठनों ने हर गांव से 10 महिलाओं को 26 जनवरी के लिए दिल्ली बुलाया है।
  • यही अपील UP के किसानों ने की है। गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर मार्च की अगुआई महिलाएं ही करेंगी। हरियाणा की करीब 250 महिलाएं ट्रैक्टर चलाने की ट्रेनिंग ले रही हैं।

किसानों की सरकार से 8 जनवरी को बातचीत
किसानों और सरकार के बीच 4 जनवरी की मीटिंग बेनतीजा रही और अगली तारीख 8 जनवरी तय हुई। अगली मीटिंग में कृषि कानूनों को वापस लेने और MSP पर अलग कानून बनाने की मांग पर बात होगी। यह 9वें दौर की बैठक होगी। इससे पहले सिर्फ 7वें दौर की मीटिंग में किसानों की 2 मांगों पर सहमति बन पाई थी, बाकी सभी बैठकें बेनतीजा रहीं।

सुप्रीम कोर्ट में 11 जनवरी को सुनवाई
कृषि कानून रद्द करने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से कहा कि स्थिति में कोई सुधार नहीं है। साथ ही कहा कि किसानों की हालत समझते हैं। अब 11 जनवरी को सुनवाई होगी। उधर, पंजाब के CM अमरिंदर सिंह ने भी कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है।



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कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। सिंघु बॉर्डर की यह फोटो बुधवार को ली गई थी।


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किसान आज दिल्ली के चारों ओर ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे, दावा- 60 हजार ट्रैक्टर शामिल होंगे

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का आज 43वां दिन है। किसान आज दिल्ली के चारों तरफ ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। उनका दावा है कि इस मार्च में 60 हजार ट्रैक्टर शामिल होंगे। यह मार्च सिंघु बॉर्डर से टिकरी, टिकरी से शाहजहांपुर, गाजीपुर से पलवल और पलवल से गाजीपुर तक निकाला जाएगा।

26 जनवरी को किसान परेड की तैयारी

  • किसानों का कहना है कि सरकार ने मांगी नहीं मानीं तो 26 जनवरी को भी ट्रैक्टर परेड होगी। आज का मार्च उसी का ट्रेलर होगा। हरियाणा के किसान संगठनों ने हर गांव से 10 महिलाओं को 26 जनवरी के लिए दिल्ली बुलाया है।
  • यही अपील UP के किसानों ने की है। गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर मार्च की अगुआई महिलाएं ही करेंगी। हरियाणा की करीब 250 महिलाएं ट्रैक्टर चलाने की ट्रेनिंग ले रही हैं।

किसानों की सरकार से 8 जनवरी को बातचीत
किसानों और सरकार के बीच 4 जनवरी की मीटिंग बेनतीजा रही और अगली तारीख 8 जनवरी तय हुई। अगली मीटिंग में कृषि कानूनों को वापस लेने और MSP पर अलग कानून बनाने की मांग पर बात होगी। यह 9वें दौर की बैठक होगी। इससे पहले सिर्फ 7वें दौर की मीटिंग में किसानों की 2 मांगों पर सहमति बन पाई थी, बाकी सभी बैठकें बेनतीजा रहीं।

सुप्रीम कोर्ट में 11 जनवरी को सुनवाई
कृषि कानून रद्द करने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से कहा कि स्थिति में कोई सुधार नहीं है। साथ ही कहा कि किसानों की हालत समझते हैं। अब 11 जनवरी को सुनवाई होगी। उधर, पंजाब के CM अमरिंदर सिंह ने भी कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है।



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कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। सिंघु बॉर्डर की यह फोटो बुधवार को ली गई थी।


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देश के 3.5 लाख रिसर्चर 1500 करोड़ खर्च कर विदेशी जर्नल पढ़ते हैं; अब सरकार एक सब्सक्रिप्शन लेगी, हर नागरिक पढ़ सकेगा

(अनिरुद्ध शर्मा). विज्ञान और प्राैद्याेगिकी मंत्रालय ने बुधवार को नई साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन पॉलिसी का मसौदा आम जनता के लिए जारी कर दिया। अगले एक दशक में भारत को विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी ताकत बनाने के लक्ष्य के साथ जारी ड्राफ्ट पर 25 जनवरी तक सुझाव देने काे कहा गया है। इसमें ‘वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन’ नीति लागू करने की सिफारिश की गई है। यानी दुनियाभर के सभी साइंटिफिक जर्नल का सब्सक्रिप्शन केवल सरकार लेगी और उनका एक्सेस (उन तक पहुंच) देश के हर नागरिक काे मिलेगा।

अभी देश में करीब साढ़े तीन लाख रिसर्चर हैं और देश के संस्थान दुनियाभर के जर्नल का सब्सक्रिप्शन अपने-अपने स्तर पर लेते हैं जिन पर सभी संस्थानों का सालाना सब्सक्रिप्शन खर्च 1500 करोड़ रुपए है। यदि भारत इसमें सफल रहा तो ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा।

इसी तरह रिसर्च एंड डेवलपमेंट के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के लिए स्वतंत्र कोष के रूप में ‘एसटीआई डेवलपमेंट बैंक’ बनाने का प्रस्ताव किया गया है, जो देश में मेगा साइंस प्रोजेक्ट्स और मध्यम दर्जे के अनुसंधान प्रोजेक्ट्स की फंडिंग करे। अभी भारत के रिसर्च एंड डेवलपमेंट क्षेत्र में निजी क्षेत्र का योगदान न के बराबर है, जबकि सरकारी कोष की फंडिंग 98 फीसदी से भी अधिक है।

सरकारी पक्ष कहता है कि निजी क्षेत्र नियमों का ईमानदारी से पालन नहीं करते जबकि निजी क्षेत्र सरकार पर सुस्त होने का आरोप लगाता है। इसलिए एसआईटी डेवलपमेंट बैंक के रूप में एक स्वतंत्र कोष की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है। इस बैंक के पास जनरल फाइनेंस रूल्स को बायपास करने का अधिकार भी होगा।

नई मसौदा नीति निर्माण समिति के मुखिया डॉ. अखिलेश गुप्ता ने कहा कि 63 पेज के इस ड्राफ्ट में 11 चैप्टर में 100 से अधिक नए आइडियाज को शामिल किया गया है। यह देश की पांचवीं साइंस पॉलिसी है। विभाग के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा ने कहा कि यह डायनेमिक पॉलिसी होगी जो हर दूसरे साल संशोधित की जाएगी, न कि नई पॉलिसी के लिए 5 या 10 साल का इंतजार होगा।

यह भी प्रस्ताव : रिसर्च में महिलाओं की भागीदारी 16% से 30% करेंगे

  • अनुसंधान क्षेत्र में महिला भागीदारी को 30% तक बढ़ाने की तैयारी। अभी यह भागीदारी महज 16% है।
  • साइंस कम्युनिकेशन के लिए नया कैडर विकसित हाे। इसके तहत देश के सभी संस्थानों में खासतौर पर विज्ञान गतिविधियों को बताने के लिए समर्पित व्यक्ति को नियुक्त करने की बात की गई है।
  • पूर्णकालिक शोधकर्ताओं की संख्या और अनुसंधान व विकास पर खर्च अगले पांच साल में दोगुना करने का सुझाव दिया गया है।
  • विज्ञान, तकनीकी और नवाचार पर जीडीपी का 2.5% खर्च करने की सिफारिश की है।
  • देश में जवाबदेह अनुसंधान माहौल विकसित करने के लिए एजुकेशन, रिसर्च व मार्केट काे जाेड़ने की बात भी कही गई है।


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दुनियाभर के सभी साइंटिफिक जर्नल का सब्सक्रिप्शन केवल सरकार लेगी और उनका एक्सेस (उन तक पहुंच) देश के हर नागरिक काे मिलेगा


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गृहिणी बिना वेतन घरेलू काम करती हैं, जिसका परिवार के आर्थिक विकास में योगदान; फिर भी वे आर्थिक विश्लेषण से दूर क्यों : कोर्ट

(पवन कुमार). ‘यह रूढ़ीवादी सोच है कि जो महिलाएं घर में रहती हैं, वे काम नहीं करतीं। इसे बदलना चाहिए। महिलाएं घरों में पुरुषों के मुकाबले अधिक काम करती हैं।’ यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने वाहन दुर्घटना के एक मामले में मुआवजा राशि बढ़ाते हुए की। दरअसल, दिल्ली के दंपती की सड़क हादसे में मौत हो गई थी।

उसकी दो बेटियों ने मुआवजा मांगा। मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वह 40 लाख रु. मुआवजा दे। कंपनी ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने महिला के गृहिणी होने के कारण आय का न्यूनतम निर्धारण करते हुए मुआवजा घटाकर 22 लाख कर दिया। फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।


गृहिणी का घरेलू कार्यों में समर्पित समय व प्रयास पुरुषों की तुलना में अधिक

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एनवी रमना, एस अब्दुल नजीर और सूर्यकांत ने मुआवजा तय करते समय बच्चियों की मां द्वारा गृहिणी के रूप में किए जाने वाले काम को तरजीह दी। साथ ही मुआवजा राशि 22 लाख से बढ़ाकर 33 लाख रुपए कर दी। जस्टिस रमना ने अलग से लिखे फैसले में कहा है कि महिलाओं का घरेलू कार्यों में समर्पित समय और प्रयास पुरुषों की तुलना में अधिक होता है।

गृहिणी भोजन बनाती हैं, किराना और जरूरी सामान खरीदती हैं। बच्चों की देखभाल से लेकर घर की सजावट, मरम्मत और रखरखाव का काम करती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तो महिलाएं खेतों में बुवाई, कटाई, फसलों की रोपाई और मवेशियों की देखभाल भी करती हैं। उनके काम को कम महत्वपूर्ण नहीं आंका जा सकता। इसलिए गृहिणी की काल्पनिक आय का निर्धारण करना अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा है।

कानून व न्यायालय गृहिणियों के श्रम, सेवाओं और बलिदान के मूल्य में विश्वास करते हैं। यह कानूनन इस विचार की स्वीकृति है कि भले ही महिलाएं घरेलू काम अवैतनिक करती हैं, लेकिन उनके काम का परिवार के आर्थिक विकास में योगदान होता है। वे राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में भी योगदान देती हैं। इस अहम तथ्य के बावजूद गृहिणियों को पारंपरिक रूप से आर्थिक विश्लेषण से दूर रखा गया है। हमारा दायित्व है कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप इस मानसिकता में बदलाव किया जाए।



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फाइल फोटो


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भारत में 1 करोड़ बार हारा कोरोना, बर्ड फ्लू के चलते मारे जाएंगे हजारों पक्षी और किसान निकालेंगे ट्रैक्टर रैली

नमस्कार!
एक सर्वे के मुताबिक, 69% लोगों को कोरोना वैक्सीन पर पूरा भरोसा नहीं है। लव जिहाद कानून पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। महाराष्ट्र का मिनर्वा थिएटर चौथी बार बिकने को तैयार है। बहरहाल शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

सबसे पहले देखते हैं मार्केट क्या कह रहा है

  • BSE का मार्केट कैप 192.50 लाख करोड़ रुपए रहा। 48% कंपनियों के शेयरों में गिरावट रही।
  • 3,233 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। 1,550 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,555 के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर...

  • कोरोना वैक्सीनेशन से पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन सभी राज्यों और UT के स्वास्थ्य मंत्रियों से चर्चा करेंगे।
  • पंजाब सरकार ने स्कूल खोलने का फैसला किया है। 5वीं से 12वीं क्लास के स्टूडेंट्स के लिए स्कूल आज खुल जाएंगे।
  • आस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम इंडिया सिडनी में तीसरा टेस्ट मैच खेलेगी। उप कप्तान रोहित शर्मा ओपनिंग करेंगे।

देश-विदेश

भारत ने कोरोना को 1 करोड़ बार हराया
नए साल में देश के लिए अच्छी खबर है। एक तरफ कोरोना की दो वैक्सीन मिलने जा रही है, दूसरी तरफ कोरोना को हराने वालों का आंकड़ा 1 करोड़ के पार हो गया है। मतलब देश में अब तक 1.03 करोड़ लोगों को कोरोना हुआ और इनमें से 96.3% लोग ठीक भी हो गए। 1.4% मरीजों की मौत हुई, जबकि 2.2% मरीजों का इलाज चल रहा है। मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में 191 देशों में से 112वें नंबर पर होने के बावजूद हमारे यहां दुनिया के टॉप-20 संक्रमित देशों के मुकाबले सबसे तेज रिकवरी रेट है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, स्पेन जैसे देशों को पछाड़कर भारत में हर 100 मरीज में से 96 ठीक हो रहे हैं।

69% लोग कोरोना वैक्सीन को लेकर हिचके
भारत में कोरोनावायरस के लिए वैक्सीनेशन 13-14 जनवरी से शुरू हो सकता है। दो वैक्सीन कोवीशील्ड और कोवैक्सिन को अप्रूवल भी मिल चुका है। इसके बाद भी एक सर्वे में 69% लोगों ने वैक्सीन के लिए हिचक दिखाई है। यह सर्वे लोकलसर्कल्स ने जनवरी में कराया। इसमें 8,723 लोगों ने हिस्सा लिया। वहीं, बच्चों को वैक्सीन लगवाने के सवाल पर 56% पैरेंट्स ने कहा कि वे तीन और महीने इंतजार करना चाहेंगे। 12% पैरेंट्स ने तो सीधे-सीधे कह दिया कि वे अपने बच्चों को वैक्सीन नहीं लगवाने वाले।

पांच राज्यों में फैला बर्ड फ्लू
देश में कोरोना का असर कम हो रहा है, लेकिन कई राज्यों में बर्ड फ्लू का असर बढ़ता जा रहा है। देशभर में 10 दिन में 4.84 लाख 775 पक्षियों की मौत हो चुकी है। केंद्रीय मंत्री संजीव बालयान के मुताबिक राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और केरल में बर्ड फ्लू की पुष्टि हो चुकी है। वहीं, केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा प्रवासी पक्षियों की वजह से भारत में बर्ड फ्लू फैला है। इस बीच, मध्यप्रदेश ने दक्षिण भारत से पोल्ट्री उत्पाद मंगाने पर रोक लगा दी है, तो केरल ने बर्ड फ्लू को राज्य आपदा घोषित कर दिया है। यहां हजारों पक्षी को मारा जाएगा।

हम किसानों के हालात समझते हैं: सुप्रीम कोर्ट
किसान आंदोलन का बुधवार को 42वां दिन था। इधर, सुप्रीम कोर्ट में कृषि कानूनों को रद्द करने की अर्जी पर सुनवाई 11 जनवरी तक टल गई। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की बेंच ने सरकार से कहा कि स्थिति में कोई सुधार नहीं है। साथ ही कहा कि हम किसानों की हालत समझते हैं। किसानों और सरकार के बीच 9वें दौर की बातचीत 8 जनवरी को होनी है। इससे पहले, किसानों ने आज दिल्ली के चारों तरफ ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि यह मार्च 26 जनवरी को होने वाली ट्रैक्टर परेड का ट्रायल होगा।

लव जिहाद कानून के खिलाफ याचिका
सुप्रीम कोर्ट बुधवार को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के विवादास्पद लव जिहाद कानून पर सुनवाई को तैयार हो गया। हालांकि, कोर्ट ने दोनों राज्यों के कानूनों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अब शीर्ष अदालत ने अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद तय की है। कोर्ट ने दोनों राज्यों को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब मांगा है। कानून के खिलाफ दायर याचिका में कहा गया है कि इससे संविधान का बेसिक स्ट्रक्चर प्रभावित हुआ है। मुख्य मुद्दा यह है कि क्या संसद को संविधान के पार्ट-3 के तहत दिए गए मूलभूत अधिकारों में परिवर्तन करने का अधिकार है।

प्रोटोकॉल विवाद में फंसे 4 खिलाड़ी टीम में
कोरोना प्रोटोकॉल तोड़ने के आरोपों का सामना कर रहे टीम इंडिया के 5 में से 4 खिलाड़ियों को सिडनी टेस्ट में जगह मिल गई है। सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरा टेस्ट आज से शुरू होगा। मेलबर्न के एक रेस्टोरेंट में खाना खाने पर रोहित शर्मा, शुभमन गिल, ऋषभ पंत, नवदीप सैनी और पृथ्वी शॉ विवादों में आ गए थे। इनमें से पृथ्वी के अलावा चारों खिलाड़ियों को टीम में चुन लिया गया है। टीम में 2 बदलाव किए गए हैं। मयंक अग्रवाल की जगह उप-कप्तान रोहित शर्मा शुभमन के साथ ओपनिंग करेंगे। वहीं, तेज गेंदबाज नवदीप सैनी टेस्ट डेब्यू करेंगे। उन्हें उमेश यादव की जगह शामिल किया गया है।

ISRO साइंटिस्ट के गंभीर आरोप
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) के सीनियर एडवाइजर और शीर्ष वैज्ञानिक डॉ. तपन मिश्रा ने आरोप लगाया है कि उन्हें तीन साल में तीन बार जहर देकर मारने की कोशिश की गई। डॉ. मिश्रा 31 जनवरी 2021 को रिटायर हो रहे हैं। इससे पहले 5 जनवरी को सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने खुलासा किया कि बाहरी लोग नहीं चाहते कि ISRO, इसके वैज्ञानिक आगे बढ़ें और कम लागत में टिकाऊ सिस्टम बनाएं। डॉ. मिश्रा ने इसे तंत्र की मदद से किया अंतरराष्ट्रीय जासूसी हमला बताया है। उन्होंने डॉ. विक्रम साराभाई की रहस्यमय मौत का हवाला देकर केंद्र सरकार से जांच की मांग की है।

मिनर्वा थिएटर को खरीदार की तलाश
महाराष्ट्र का गौरव कहे जाने वाले मिनर्वा थिएटर को एक बार फिर बेचने की कोशिश की जा रही है। IDBI बैंक ने इसे बेचने के लिए टेंडर जारी किया है। टेंडर में आवेदन भेजने की अंतिम तारीख 25 जनवरी है। इसकी रिजर्व प्राइस 57 करोड़ रुपए रखी गई है। इससे पहले भी तीन बार इसे बेचने की कोशिश की जा चुकी है। यह थिएटर 15,975 वर्ग फुट में फैला है। 2006 में ओसियन ग्रुप के फाउंडर और चेयरमैन नेविल तुली ने जब इसे खरीदा था, तब आईडीबीआई ने इस पर 40 करोड़ रुपए का लोन दिया था। ब्याज समेत यह लोन बढ़कर 2013 में 84.8 करोड़ रुपए हो गया।

एक्सप्लेनर
असम में मदरस बंद करने का कानून

असम में 30 दिसंबर को एक बिल पास हुआ है। इस बिल को 13 दिसंबर को ही कैबिनेट की मंजूरी मिली थी। विधानसभा में पास होती ही बिल अब कानून बन चुका है। इस कानून के तहत 1 अप्रैल 2021 से राज्य के सभी सरकारी मदरसे और संस्कृत केंद्रों को बंद कर दिया जाएगा। असम में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं, ऐसे में इसे एक बड़ा चुनावी दांव कहा जा रहा है। असम सरकार का कानून क्या है? धार्मिक शिक्षा पर संविधान क्या कहता है? ऐसे ही सवालों के बारे में जानिए...
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पॉजिटिव खबर
एक आइडिया से 12 लाख रु. महीने की कमाई

आज कहानी दिल्ली के केशव राय की। कहते हैं, 'लोगों की प्रॉब्लम के सॉल्यूशन दीजिए, आपका बिजनेस अपने आप खड़ा हो जाएगा।' कुछ यही काम केशव ने भी किया। उन्होंने दो बार स्टार्टअप शुरू किया लेकिन फेल हो गए। पिताजी से जो पैसे उधार लिए थे, वो भी डूब गए। तीसरी बार एक ऐसा आइडिया लाए, जो मार्केट में था ही नहीं। इस बार सक्सेस भी मिली और पैसा भी। अब महीने का 10 से 12 लाख रुपए कमाते हैं। केशव की पूरी जर्नी, उनसे ही जानिए।
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वाड्रा से ED और IT की पूछताछ
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से इनकम टैक्स (IT) डिपार्टमेंट और इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) के अफसरों ने लगातार दो दिन पूछताछ की। बेनामी संपत्ति के मामले में यह पूछताछ की गई थी। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप है। वे इस समय अग्रिम जमानत पर हैं। वाड्रा ने बुधवार को कहा कि पूछताछ के लिए आई IT और ED की टीम मेरे ऑफिस से 23 हजार डॉक्युमेंट ले गई है। शुरुआत से अब तक हमने जो भी काम किया है वह ऑन रिकॉर्ड है। उसका टैक्स दिया गया है। कोई टैक्स चोरी नहीं की गई है। टीम ने जो भी सवाल पूछे, मैंने उनका जवाब दिया।

सुर्खियों में और क्या है...

  • भारत 8 महीने बाद टॉप-10 कोरोना संक्रमित देशों की लिस्ट से बाहर हो गया है। देश में अब सिर्फ 2.22 लाख मरीज बचे हैं।
  • कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते जर्मनी में कड़े प्रतिबंधों के साथ लॉकडाउन 31 जनवरी तक बढ़ा दिया गया है।
  • अमेरिका में कोरोना की नई लहर के बीच 31 जनवरी को लॉस एंजिलिस में होने वाले 63वें एनुअल ग्रैमी अवॉर्ड्स टाल दिए गए हैं।


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Top News of 6 Jan 2021| 1 crore patient recover| thousands of birds and farmers will be killed due to bird flu tractor rally


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कोरोना में PM ने दुलारा, अब कौन करेगा सिक्योर; बर्ड फ्लू में कैसे सेफ फील करें मोर



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bhaskar daily cartoon on bird flu and modis peacock love


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आप कितने भी व्यस्त रहें, लेकिन घर की जिम्मेदारी जरूर निभाएं, क्योंकि परिवार के बिना दुनिया की हर चीज बेकार है

कहानी- महाभारत में कंस वध के बाद उसका ससुर जरासंध श्रीकृष्ण को मारने के लिए मथुरा पर बार-बार आक्रमण करने लगा। कृष्ण और बलराम हर बार उसे हरा देते थे। वह 17 बार हमला कर चुका था। जब 18वीं बार जरासंध ने मथुरा पर आक्रमण किया तो कृष्ण-बलराम वहां से भाग गए। इसी वजह से कृष्ण को एक और नाम रणछोड़ मिला।

उस समय श्रीकृष्ण ने सोचा, 'ऐसे तो मथुरा पर बार-बार आक्रमण होते रहेंगे। इससे मथुरा का विकास नहीं हो पाएगा। प्रजा परेशान रहेगी। युद्ध से हमेशा नुकसान ही होता है। ऐसे युद्धों से मेरा परिवार भी असुरक्षित रहेगा। मुझे धर्म की स्थापना भी करनी है।'

ऐसा सोचकर श्रीकृष्ण ने पूरे परिवार और सभी रिश्तेदारों की सुरक्षा के लिए एक अलग नगरी द्वारिका बसाई। द्वारिका में सभी को सुरक्षित करने के बाद वे धर्म स्थापना के अभियान पर निकल गए।

सीख- श्रीकृष्ण ने हमें ये शिक्षा दी है कि हम चाहें कितने भी व्यस्त रहें, लेकिन घर-परिवार के प्रति जिम्मेदारियों को भी ईमानदारी से निभाना चाहिए। क्योंकि, दुनियाभर की सारी चीजें हासिल करने के बाद भी परिवार के लिए कुछ अच्छा नहीं कर पाए और परिवार को समय नहीं दिया तो दुनिया की सब चीजें बेकार हैं।



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एक आदमी को गाड़ी साफ करने के लिए डस्टर चुराते देख आया बिजनेस आइडिया, अब कमाते हैं 12 लाख रु महीना

आज कहानी दिल्ली के केशव राय की। दो बार स्टार्टअप शुरू किया लेकिन फेल हो गए। पिताजी से जो पैसे उधार लिए थे, वो भी डूब गए। तीसरी बार एक ऐसा आइडिया लाए, जो मार्केट में था ही नहीं। इस बार सक्सेस भी मिली और पैसा भी। अब महीने का दस से बारह लाख रुपए कमाते हैं। केशव की पूरी जर्नी, उनसे ही जानिए।

पढ़ाई में मन नहीं लगता था, इसलिए बिजनेस के बारे में सोचने लगे

कहते हैं, 'लोगों की प्रॉब्लम के सॉल्यूशन दीजिए, आपका बिजनेस अपने आप खड़ा हो जाएगा।' कुछ यही काम केशव ने भी किया। जब इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया तो पढ़ाई में मन नहीं लगा। कहते हैं, 'मैंने मैकेनिकल ब्रांच में एडमिशन ले लिया लेकिन कॉलेज जाकर पता चला कि जैसा मैं इंजीनियरिंग के बारे में सोच रहा था, वैसा नहीं है। मैं कुछ इनोवेशन करना चाहता था और कॉलेज में वही थ्योरी पढ़ाई जा रही थी जो मैं स्कूल में पढ़कर आया था। इसलिए मेरा दिमाग पहले दिन से ही बिजनेस की तरफ सोचने लगा। मैं हमेशा बहुत डरता था कि कुछ कर पाऊंगा या नहीं। इसी डर की वजह से मैं आगे बढ़ पाया।'

कहते हैं, 'सेकंड ईयर में मैंने एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाने का सोचा। आइडिया ये था कि, एक ऐसी वेबसाइट हो जहां स्टूडेंट्स से जुड़ी हर चीज हो। नोट्स से लेकर लेक्चर्स तक अपलोड हों। मैंने इसमें 15 हजार रुपए लगाए। कुछ दोस्तों से भी पैसे उधार लिए। ये सोचा था कि, वेबसाइट को जो भी एक्सेस करेगा, उससे सौ रुपए चार्ज लेंगे। इससे वेबसाइट मेंटेन भी कर पाएंगे और कुछ प्रॉफिट भी होगा। लेकिन ये आइडिया फेल हो गया। किसी ने सपोर्ट नहीं किया।'

आइडिया फेल हो गया था लेकिन हार नहीं मानी

केशव के मुताबिक, 'मेरा आइडिया तो फेल हो गया था लेकिन मुझे अंदर से ये सब करके लगा बहुत अच्छा था। ऐसी फीलिंग्स आईं थी कि कुछ न कुछ तो मैं कर ही सकता हूं। जब थर्ड ईयर में पहुंचा तो फिर एक आइडिया दिमाग में आया। मैं अक्सर नोटिस करता था कि, लोगों को कहीं घूमने-फिरने जाना है और ग्रुप में जाने का प्लान बना है तो कई मेम्बर्स टाइम पर उठ नहीं पाते। कोई उठता है तो फिर सो जाता है। इसलिए मैंने एक ऐसी ऐप बनाने का सोचा जो पूरे ग्रुप से कनेक्ट हो। कॉन्सेप्ट ये था कि, ऐप सभी को टाइम पर उठाएगी भी और अगले दस मिनट तक उनकी मॉनिटरिंग भी करेगी और ये भी बताएगी कि अभी कौन क्या कर रहा है।'

जब केशव को कुछ समझ नहीं आ रहा था तो वो घर से कुछ दिनों के लिए दूर चले गए थे। जब दिमाग में नया आइडिया आया तो वापस लौट आए।

'पिताजी को ये कॉन्सेप्ट बताया तो वो पैसे इंवेस्ट करने को तैयार हो गए। करीब ढाई लाख रुपए इंवेस्ट किए लेकिन ये ऐप हम लॉन्च ही नहीं कर पाए। कुछ न कुछ प्रॉब्लम आते गईं। इसके बाद मैं बहुत ज्यादा दुखी हो गया। दो प्रोजेक्ट फेल हो गए थे। दूसरे में फाइनेंशियल लॉस भी हुआ था। मैं कॉलेज में भी पढ़ नहीं पा रहा था। सारे दोस्त अच्छी जगह इंटर्नशिप करने लगे थे। मैं इतना डिस्टर्ब हो गया कि घर से चार दिन के लिए भाग गया। मैं अकेले घूमकर खुद को जानना चाहता था। चार दिन तक दिल्ली स्टेशन, मेट्रो स्टेशन, लोटस टेंपल, इस्कॉन टेंपल पर गुजारे।'

'मेट्रो स्टेशन के बाहर की बैठा था तब देखा कि एक आदमी पार्किंग में घूम रहा है और खुद की बाइक साफ करने के लिए डस्टर ढूंढ रहा है। उसे एक बाइक में डस्टर मिल गया। उसने उससे अपनी बाइक साफ की और डस्टर वहीं छोड़कर चला गया। ये देखकर मुझे हंसी आई लेकिन मेरे दिमाग में ये आइडिया भी आया कि, इस दिक्कत से हर रोज कितने लोग परेशान होते होंगे। क्या मैं कुछ ऐसा बना सकता हूं जिससे गाड़ी साफ भी रहे और वो सामान वाहन चालक को साथ में कैरी न करना पड़े।'

अब दिल्ली के साथ ही गाजियाबाद में भी है ब्रांच

'मैंने घर आकर पापा को ये पूरा आइडिया बताया तो उन्हें भी अच्छा लगा। हमने इस बारे में रिसर्च शुरू कर दी। गूगल पर भी सर्च किया और बाइक ब्लेजर बनाने का सोचा। एक ऐसा बॉडी बाइक कवर जो बाइक के साथ ही रहे और बाइक को साफ रखे। बहुत रिसर्च के बाद एक प्रोटोटाइप तैयार हुआ। एक हैंडल को घुमाकर इस कवर को बाहर निकाला जा सकता है और उसी तरह से अंदर किया जा सकता है। पहले यह कवर सिर्फ बाइक के पेट्रोल टैंक और सीट कवर को ढंकता था लेकिन बाद में हम इसे अपडेट करते गए और अब जो कवर दे रहे हैं, उससे पूरी गाड़ी कवर हो जाती है।'

'मैंने अपने प्रोडक्ट को सबसे पहले दिल्ली में ही लगे ट्रेड फेयर में लॉन्च किया था। जहां से हमें काफी पब्लिसिटी मिली। इसके बाद सोशल मीडिया के जरिए लोगों को हमारे प्रोडक्ट के बारे में पता चला। फिर जो लोग कवर लगवाकर जाते थे, उनकी गाड़ी को देखकर कई लोग आने लगे। 2018 में हमने कंपनी बना ली थी। अब दिल्ली के साथ ही गाजियाबाद में भी ब्रांच है। सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपए से ज्यादा है। मां भी कंपनी में अहम रोल निभा रही हैं। अगले तीन से चार महीने में फोर व्हीलर के लिए भी ऐसा कवर लॉन्च करने जा रहे हैं, जो उसे पूरा कवर करेगा और उसी में फिट रहेगा।'



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अपनी टीम के साथ केशव। कहते हैं, दो बार स्टार्टअप में फेल हुआ लेकिन तीसरी बार में न सिर्फ सफलता मिली बल्कि टर्नओवर भी एक करोड़ से ऊपर कर लिया।


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टॉप 6 प्राइवेट बैंकों के बराबर अकेला भारतीय स्टेट बैंक; अमेरिका की कुल आबादी से भी ज्यादा कस्टमर

सोशल मीडिया पर इन दिनों #USvsIndia ट्रेंड वायरल हो रहा है। इसमें यूजर्स अमेरिका और भारत के अंतर को हल्के-फुल्के अंदाज में मीम बनाकर शेयर कर रहे हैं। इस ट्रेंड में भारत का सबसे बड़ा बैंक SBI भी शामिल हो गया। भारतीय स्टेट बैंक ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर बताया कि ‘2020 में अमेरिका की आबादी 33.2 करोड़ है जबकि SBI के ग्राहकों की संख्या 44.89 करोड़।’

SBI भारत का सबसे बड़ा बैंक तो है, लेकिन कितना बड़ा?

HDFC, ICICI, Axix, Kotak, IDBI और IndusInd भारत के टॉप-6 प्राइवेट बैंक हैं। इन सभी बैंकों की कुल डिपॉजिट को अगर मिला दिया जाए तो वो करीब 32.4 लाख करोड़ रुपये है। अकेले भारतीय स्टेट बैंक के पास ही 32.4 लाख करोड़ रुपये की डिपॉजिट है। यानी एक तरफ टॉप-6 प्राइवेट बैंक और दूसरी तरफ अकेला स्टेट बैंक।

देश में SBI की 22,141 ब्रांच

भारतीय स्टेट बैंक के पास कुल ब्रांच की संख्या 22,141 है। टॉप-6 प्राइवेट बैंकों की सभी ब्रांच जोड़ ली जाएं तो ये आंकड़ा करीब 20 हजार ही पहुंचता है।

SBI के पास करीब ढाई लाख कर्मचारी

SBI में कुल 249,448 लोग काम करते हैं। वहीं टॉप-6 प्राइवेट बैंकों को मिलाकर कर्मचारियों का आंकड़ा करीब 4 लाख पहुंच जाता है। इस मामले में SBI पीछे है।

NPA के बड़े पहाड़ पर बैठा SBI

SBI जितना बड़ा बैंक है, उतने ही बड़े NPA के ढेर पर बैठा हुआ है। NPA यानी बैंकों द्वारा दिया गया ऐसा लोन जिसके वापस आने की उम्मीद न के बराबर है। मार्च 2020 तक एसबीआई का ग्रॉस एनपीए 1.49 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। टॉप-6 प्राइवेट बैंकों को मिला दिया जाए फिर भी इनका ग्रॉस एनपीए इतना नहीं पहुंचता।

आज के लिए बस इतना ही। अगर आपको ये जानकारी रोचक लगी तो इसे अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर कीजिए। इस खबर पर अपनी राय हमें कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं।



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State Bank alone equivalent to deposits of top 6 private banks; SBI Profile and Facts in Hindi


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शाम होते ही शराब की दुकान पर भीड़ लग जाती है, कपड़ों में छिपाकर ट्रॉलियों में बोतल ले जाते हैं किसान

अरे एक बोतल दे दो, दे जाऊंगा पैसे। अरे मना ना करो, दे दो, अब तो हम यहां बस ही गए हैं, कहां जाएंगे, दे देंगे पैसे'। उधार शराब मांग रहे एक आंदोलनकारी किसान की गुहार को शराब बेचने वाले ने एक-दो बार अनसुना कर दिया। फिर एक बोतल निकाल कर हाथ में दे दी। किसान बोतल कुर्ते में रखकर चला गया। दुकानदार ने बताया, 'ये सामने ही ट्रॉली में रहते हैं, दे जाएंगे पैसे। एक दो बार पहले भी उधार ली है, फिर पैसे दे गए हैं।'

टीकरी बॉर्डर पर शाम होते ही शराब के ठेके पर भीड़ लग जाती है। ग्राहकों में ज्यादातर लोग आंदोलन में शामिल किसान हैं। इनमें युवा भी हैं और बुजुर्ग भी। लोग शराब खरीदते हैं। डिब्बा वही फेंकते हैं और बोतल को कपड़ों में रखकर अपनी ट्रॉलियों की तरफ बढ़ जाते हैं।

शाम के पांच भी नहीं बजे हैं और कुछ युवा यहीं कोल्डड्रिंक की बोतल में शराब भरकर पी रहे हैं। पास में ही एक नॉन-वेज बेचने वाले ढाबे पर भीड़ लगनी शुरू हो गई है। यहां तंदूरी चिकन के साथ शराब के पैग लगाए जा रहे हैं। ये दृश्य देखकर मन में सवाल उठता है कि आंदोलन में शामिल होने वाले लोगों का शराब पीने से क्या मतलब?

लेकिन तुरंत ही इसका जवाब भी मन में कौंधने लगता है। दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में शराब पर प्रतिबंध नहीं हैं। सरकार ने ही शराब पीने की आजादी लोगों को दी है तो फिर इसमें गलत क्या? टीकरी बॉर्डर पर शराब की दुकान पर भीड़ देखकर लगता है कि धंधा अच्छा चल रहा है। लेकिन दुकानदार से पूछो तो जवाब मिलता है- धंधा मंदा चल रहा है।

टीकरी बॉर्डर पर शाम होते ही शराब के ठेके पर भीड़ लग जाती है। ग्राहकों में ज्यादातर लोग आंदोलन में शामिल किसान हैं।

दुकानदार ने बताया कि आंदोलन का कारोबार पर बड़ा असर हुआ है। कई दिन दुकान बंद भी रखनी पड़ी। कई बार किसान आंदोलनकारी ही दुकान बंद करवा देते हैं। हम उनकी बात बेझिझक मान भी लेते हैं। बिक्री के सवाल पर उसने कहा कि 30 फीसदी तक बिक्री कम हुई है। पहले आसपास की फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर भी शराब खरीदने आते थे। अब आंदोलन में शामिल लोग ही आ पा रहे हैं। सड़क बंद होने की वजह से दूसरे ग्राहक नहीं आ रहे हैं।

उधर सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन के मंच के पास ही एक बड़ा शराब का ठेका है जो इन दिनों बंद है। यहां मंच के ठीक सामने एक नॉनवेज रेस्त्रां हैं। यहां शाम होते ही लोग शराब पीते दिख जाते हैं। इनमें ज्यादातर आंदोलन में शामिल किसान ही हैं।

अंधेरा होते-होते ट्रॉलियों में भी बोतलें खुलती दिख जाती हैं। कहीं-कहीं युवा आंदोलनकारी भी पैग लगाते दिख जाते हैं। ये आंदोलन की पूरी तस्वीर नहीं हैं। इन्हें देखकर ये जरूर लगता है कि आंदोलन के दौरान भी लोगों पर 'मौज-मस्ती' सवार है। सच ये भी है कि जिस वक्त कुछ चुनिंदा लोग शराब के पैग लगा रहे होते हैं उसी वक्त हजारों लोग कड़कड़ाती ठंड में ट्रालियों में सिकुड़कर बैठे भी होते हैं।

आंदोलन के दौरान शराब पीने पर कोई खुलकर बात तो नहीं करता लेकिन, जिन लोगों से हमने बात करने की कोशिश की उनका कहना था, 'हम घर पर भी तो शराब पीते हैं। अब ये सड़क ही हमारा घर है। तलब लगती है तो यहां भी पी लेते हैं।' वहीं कुछ लोगों का जवाब होता है, 'शराब पीना गैर कानूनी तो है नहीं और अगर है तो पुलिस यहां आकर रोक दे।'

दुकान से शराब खरीदने के बाद लोग डिब्बा वही फेंक देते हैं और बोतल लेकर अपनी ट्रॉलियों की तरफ बढ़ जाते हैं।

हालांकि ज्यादातर लोग आंदोलन के दौरान किसानों के शराब पीने को गलत मानते हैं। एक बुजुर्ग किसान आंदोलनकारी अपना नाम बताए बिना कहते हैं, 'आंदोलन त्याग मांगता है। बेहतर होता लोग आंदोलन के दौरान शराब जैसी बुरी आदतें छोड़ देते।'

हमने किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्राहां से इस बारे में सवाल किया था तो उनका कहना था, 'कुछ लोग शराब पीते दिख जाते हैं। हमारे कार्यकर्ता उन्हें मना करते हैं। लेकिन ये संख्या बहुत कम है और इसमें भी युवाओं के मुकाबले अधेड़ उम्र के लोग ज्यादा है।'

टीकरी बॉर्डर हो या सिंघु बॉर्डर, शाम होते-होते शराब पी रहे लोगों का दिखना कोई बड़ी बात नहीं है। कई जगह लोग नशे में धुत होकर उत्तेजक नारेबाजी करते भी दिख जाते हैं। दिल्ली की सरहदों पर किसानों के आंदोलन को अब चालीस से ज्यादा दिन हो गए हैं। तीनों कृषि कानूनों पर किसानों और सरकार के बीच बना गतिरोध टूटता नहीं दिखता। आंदोलन में लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है। कई लोग तो अब बॉर्डर को ही अपना घर मानने लगे हैं।

यहां अकेले बैठकर शराब पी रहे एक व्यक्ति से हमने सवाल किया तो उसका कहना था, 'मैं घर में होता तब भी शराब पी रहा होता। क्या शराब पीने वाले लोग अपना हक नहीं मांग सकते?' कई लोगों ने सवाल उठाया है कि आंदोलन में शामिल लोग मौज-मस्ती कर रहे हैं। शराब पी रहे हैं। पिज्जा बर्गर खा रहे हैं। जिम कर रहे हैं। मसाज ले रहे हैं।

ये सवाल आंदोलनकारियों के सामने रखने पर जवाब मिलता है, 'क्या ऐसा करने वाले लोग अपना हक नहीं मांग सकते, विरोध की आवाज नहीं उठा सकते?' वो उलटे सवाल करते हैं, 'जहां दसियों लाख किसान बैठे हों। ठंड में ठिठुर रहे हैं। दिसंबर की सर्द रात में ट्रॉली में सो रहे हों, वहां चुनिंदा लोगों की तस्वीर दिखाकर आंदोलन पर सवाल करना कितना सही है?'



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आंदोलन में शामिल किसानों में कुछ युवा और बुजुर्ग शराब पीते दिखे। ये लोग अंधेरा होते ही शराब की दुकान पर जाने लगते हैं।


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CMIE के आंकड़ों में लौट रहीं नौकरियां, लेकिन नए वर्क-कल्चर में अच्छी शुरुआत जरूरी, जानें ये कैसे करें

साल 2020 बीत चुका है, लेकिन कोरोना की वजह से दुनिया और देश को जो चोट मिली, उससे उबरना अभी बाकी है। हम उबर भी रहे हैं। बाजार में हलचल बढ़ रही है, उत्पादन में तेजी आ रही है, फैक्ट्रियां खुल रही हैं और सर्विस सेक्टर अब ट्रैक पर आ रहा है। अब जब इतना सबकुछ हो रहा है तो जाहिर है नौकरियां भी वापस आएंगी और आ भी रही हैं।

CMIE के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोनाकाल में कुल मिलाकर 1.9 करोड़ लोग बेरोजगार हुए। लेकिन, अनलॉक में अबतक 50 लाख से ज्यादा लोगों को नौकरियां मिल चुकी हैं। CMIE के ही आंकड़े बताते हैं कि 30 जून 2020 को भारत में बेरोजगारी दर 23% पहुंच गई थी, जो 30 दिसंबर को 9.1% रह गई थी। यानी देश में बेरोजगारी दर लॉकडाउन की तुलना में आधी से भी कम हो गई है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि देश में नई नौकरियों के अवसर अब खुलने लगे हैं।

लेकिन, कोरोना के चलते नौकरियों का स्वरूप बदल चुका है। ऐसे में सवाल यह है कि अगर आपको नई जॉब मिल जाए तो, इस बदले हुए वर्क कल्चर में शुरुआती तीन महीनों में किन चीजों पर फोकस करना चाहिए, क्या करें, क्या न करें और किन बातों का ध्यान रखें? नई जॉब ज्वाइन करते हुए हम कई मायनों बहुत एक्साइटेड रहते हैं। हम नए लोगों से मिलते हैं, नई चीजों को सीखते हैं और एक नई टीम का हिस्सा बनते हैं। लेकिन, नई जगह और नए साथियों के बीच अपनी पहचान बनाने के लिए कुछ चीजें बहुत जरूरी हैं।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) दिल्ली के अलावा कॉर्पोरेट दुनिया की कई कंपनियों में HR की भूमिका निभा चुके डॉक्टर उपेंद्र अयोध्या कहते हैं कि अगर जॉब में प्रोग्रेस चाहिए तो चार चीजों पर फोकस करना जरूरी है। सबसे पहले खुद की फिटनेस, जिससे की शारीरिक और मानसिक तौर पर आप फिट रहें। दूसरा इन्फॉर्मेशन और कम्यूनिकेशन, जो नई जिम्मेदारी और संस्थान को समझने के लिए जरूरी है। तीसरा सेल्फ ग्रोथ और चौथा सेल्फ-रिव्यू जिससे आप खुद का मूल्यांकन कर पाएंगे।

गोल की समझ सबसे ज्यादा जरूरी

नए जॉब जॉइन करने के बाद शुरुआती कुछ दिनों में आपके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप इस बात पर फोकस करें कि संस्थान आपसे क्या उम्मीद कर रही है? जब आप इस बात पर फोकस करेंगे तो आपको बहुत सी जरूरी जानकारियों मिलेंगी और मनोवैज्ञानिक तौर पर आप संस्थान को समझ पाएंगे। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये बातें किसी भी नए संस्था में ठीक से पैर जमाने के लिए जरूरी हैं।

  • खुद की जिम्मेदारियों की समझ सबसे ज्यादा जरूरी है। शुरूआती दिनों में अपनी जिम्मेदारियों से डि-फोकस होना आपके लिए ठीक नहीं है, यह नए संस्थान में आपके प्रति एक गलत धारणा को जन्म दे सकता है।

  • शुरूआती परफॉर्मेंस को रिव्यू करते रहना चाहिए। यह भी देखना चाहिए कि आप की तुलना में आपके साथी कैसा काम कर रहे हैं। आप अपने काम को बेहतर बनाने के लिए अपने साथियों की मदद भी ले सकते हैं।

  • गोल सेट करना सबसे ज्यादा जरूरी है, एक्सपर्ट्स के मुताबिक हर संस्था आपको टास्क देती है, लेकिन उसे अचीव करने के लिए आपको एक सेल्फ गोल सेट करना चाहिए। इससे किसी भी नई जॉब में आप अच्छा डिलीवर कर पाएंगे।

भरोसा बनाना सबसे जरूरी

दूसरी सबसे जरूरी बात यह कि नए जॉब में जाने के बाद हमें सबसे पहले अपने प्रति लोगों के मन भरोसा यानी ट्रस्ट डेवलप करना होता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक आपको नए संस्थान में जितने ज्यादा मौके मिलेंगे, उतनी ही आपकी ग्रोथ होगी और यह तभी हो पाएगा, जब आपकी संस्था आप पर भरोसा करेगी।

  • एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सर्विस सेक्टर में ट्रस्ट सबसे अहम है। आप के प्रति आपकी संस्था और साथी जितना ट्रस्ट रखेंगे, उतना ही आप ग्रो कर पाएंगे। इसके लिए डेडलाइन जैसी बेसिक चीजों को बेहद संजीदगी से फॉलो करना जरूरी है।

  • मिस्टेक की दो वजहें होती हैं। पहला- ह्यूमन एरर और दूसरा लापरवाही। शुरूआती दिनों में इस बात पर बेहद फोकस करना चाहिए कि आपसे कोई गलती न हो। अगर गलती हो जाती है तो वह बार-बार रिपीट न हो। शुरूआती दौर में बार-बार गलती करने से या तो आपको अंडर-ट्रेंड मान लिया जाएगा या लापरवाह। इस तरह के पर्सेप्शन आपकी ग्रोथ में एक बड़े बैरियर हो सकते हैं।

  • आमतौर पर नई जॉब जॉइन करने के बाद हमें हमारा रोल मिल जाता है। यह जरूरी है कि हम इसे बखूबी निभाएं, लेकिन अपने रोल के साथ आप अगर दूसरी जिम्मेदारियों को ले सकते हैं तो जरूर लें। अपने पार्टिसिपेशन को एक्सपेंड करने से आपकी छवि बेहतर होगी।



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New Jobs After Coronavirus Lockdown; How To Adjust To A New Job and Work Culture | Unemployment Rate Due To Covid-19


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जुलाई में शुरू हो सकती है 5G सर्विस, ई-स्पोर्ट्स का क्रेज तेजी से बढ़ेगा; कैमरा का फोकस वीडियो पर ज्यादा होगा

अलग-अलग sectors के लिए 2021 कैसा रहेगा? इस पर हम आपको जाने-माने एक्सपर्ट की राय बता रहे हैं। अब तक आप अर्थव्यवस्था, शिक्षा, नौकरियां, राजनीति , एंटरटेनमेंट जैसे sectors पर आर्टिकल पढ़ चुके हैं। आज टेक एक्सपर्ट और टेक गुरु के नाम से चर्चित अभिषेक तैलंग से जानते हैं कि 2021 में टेक्नोलॉजी को लेकर क्या नया मिलेगा...

2020 भले ही कोविड-19 के लिए जाना जाए, लेकिन इस महामारी के चलते लोग टेक्नोलॉजी के करीब आ गए। वर्चुअल मेलजोल बढ़ाने के लिए लोग जहां ऐप्स का इस्तेमाल सीख गए। तो डिजिटल पेमेंट से डेली खर्च को आसान बना लिया। 2021 में भी टेक्नोलॉजी गेम चेंजर साबित होगी। एक तरफ जहां 5G का श्रीगणेश हो सकता है। तो दूसरी तरफ वायरलेस टेक्नोलॉजी लाइफ को आसान बनाएगी। आइए सभी के बारे में एक-एक करके जानते हैं...

1. 5G स्पीड का दम दिखेगा
5G का इंतजार काफी वक्त से हो रहा है। देश में 5G अनेबल ढेरों स्मार्टफोन बिक भी रहे हैं, पर 5G नेटवर्क का कहीं भी अता-पता नहीं है। 2021 में 5G देश में दस्तक दे देगा। सरकार जल्द ही 5G नेटवर्क के स्पैक्ट्रम आवंटन और नीलामी की प्रक्रिया की शुरूआत करेगी। उम्मीद है कि अप्रैल से देश के मेट्रो शहरों के चुनिंदा सर्किल में 5G ट्रायल भी शुरू हो जाएंगे।

इस प्लान के हिसाब से जुलाई-अगस्त से देश के मेट्रो शहरों के चुनिंदा सर्किल में 5G का आगाज हो जाएगा। रिलायंस जियो भी इंडिया मोबाइल कांग्रेस इवेंट के दौरान 2021 की दूसरी छमाही में 5G सर्विस शुरू करने का ऐलान कर चुकी है। 5G के आने से सबसे ज्यादा फायदा डिजिटल कंटेंट को होगा। मेडिकल और इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में भी 5G के फायदे मिलने शुरू हो जाएंगे।

5G के आने से इंटरनेट स्पीड में क्रांति आ जाएगी। 4G की तुलना 5G की डाउनलोड स्पीड 10 से 12 गुना तक बढ़ जाएगी। अभी भारत में मैक्सिमम 4G डाउनलोड स्पीड 33.3 Mbps रही है। जबकि 5G डाउनलोड स्पीड 200 Mbps से 370 Mbps तक होगी। अभी सऊदी अरब और दक्षिण कोरिया 5G स्पीड के मामले में सबसे ऊपर हैं।

2. मोबाइल बनेगा खेल का मैदान


पबजी मोबाइल तो बस झांकी थी, ई-स्पोर्ट्स का पूरा जलवा तो अभी बाकी है। भारत गेमिंग की दुनिया के लिए बहुत बड़ा बाजार है और 2020 में लॉकडाउन के दौरान इसकी असली ताकत लोगों को देखने को मिली। जब पबजी जैसे गेम के डाउनलोड और एक्टिव यूजर्स की तादाद, लगभग चौगुनी हो गई।

पबजी मोबाइल तो सरकार ने बैन कर दिया, पर उसकी वापसी के लिए कंपनियां करोड़ों डॉलर का भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री में निवेश करने को तैयार बैठी हैं। पबजी के अलावा फौजी जैसे गेम भी भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा ही देंगे। इसके साथ ही रिलायंस जियो, एयरटेल, पेटीएम जैसी कंपनियां भी ई-स्पोर्ट्स के बिजनेस में घुस गई हैं।

2021 में 5G आ जाने के बाद ई-स्पोर्ट्स का काया-कल्प हो जाएगा। देश के छोटे-छोटे शहरों से भी कई लोग ई-स्पोर्ट्स में अपना भविष्य तलाशने लगेंगे। ई-स्पोर्ट्स में रोजगार की भी बहुत संभावनाएं निकल कर आएंगी। जिसमें खेलने वालों के साथ-साथ, खेल खिलाने वाले, उसे मैनेज करने वाले और गेम डिजाइन और डेवलप करने वालों के लिए ढेरों अवसर होंगे।

3. चार्जर, इयरफोन अब भूल जाओ
एपल ने अपने आईफोन के साथ चार्जर, इयरफोन देने बंद किया। अब यही ट्रेंड 2021 में बाकी सभी फ्लैगशिप स्मार्टफोन में देखने को मिलेगा। शाओमी, सैमसंग समेत कई कंपनियों ने तो पहले ही इस कटौती का ऐलान कर दिया है। पूरी स्मार्टफोन इंडस्ट्री में ई-वेस्ट कम करने की वजह के साथ-साथ, इस कटौती के पीछे 'कमाई की रणनीति' भी जुड़ी हुई है।

इंडस्ट्री पूरी तरह से वायरलेस होने की राह पर है। कंज्यूमर को वायरलेस ईयरबड्स की आदत तो डल चुकी है, अब कंपनियां आपको वायरलेस चार्जर और वायरलेस पावर बैंक की भी आदत डलवाना चाहती हैं।

4. फोल्डेबल स्मार्टफोन की भरमार दिखेगी

साल 2020 में कई स्मार्टफोन कंपनियों ने अपने-अपने फोल्डिंग स्क्रीन वाले स्मार्टफोन बाजार में उतार दिए। इनमें से ज्यादातर स्मार्टफोन या तो पुराने क्लेम शेल डिजाइन की तरह खुलने वाले हैं, या किसी किताब की तरह स्क्रीन को फोल्ड करते हैं, या अजीबोगरीब डुअल स्क्रीन वाले फोन। अब 2021 में फोल्डिंग स्मार्टफोन में कई और तरह की डिजाइन देखने को मिलेंगी। जिसमें रोलेबल स्क्रीन वाले स्मार्टफोन भी होंगे।

डिजाइन के हिसाब से रोलेबल स्क्रीन ज्यादा बेहतर होगी, क्योंकि किताब की तरह फोल्ड होने वाली स्क्रीन के बीच में सिलवट के निशान पड़ने लगते हैं और फोन फोल्ड होने के बाद काफी मोटा हो जाता है। क्लेमशेल डिजाइन में भी सिलवट पड़ने का डर बना रहता है। ये डिजाइन सुंदर तो दिखती है पर इसमें फोन किसी टैबलेट कम्प्यूटर के साइज का नहीं हो पाता।

रोबेलबल स्क्रीन के ढेरों कॉन्सेप्ट डिजाइन देखकर इतना तो अंदाजा लग रहा है कि ये डिजाइन ज्यादा ‘प्रैक्टिकल’ होगी, क्योंकि यहां फोन के अंदर मौजूद मोटर्स, स्क्रीन को अपने अंदर समेट लेंगी। जैसे ‘चार्ट पेपर’ को हम रोल करते हैं। जिससे एक बटन दबाते ही स्क्रीन ‘फोन मोड’ से खींच कर ‘टैबलेट मोड’ में आ जाएगी। ये सारा कमाल फोन की बॉडी के अंदर मोटर्स की मदद से होगा। जिससे फोल्डेबल स्क्रीन की उम्र भी बढ़ेगी।

5. कैमरे का फोकस वीडियो पर ज्यादा होगा
2020 से पहले स्मार्टफोन के कैमरों का ज्यादातर फोकस ‘ये फोटो अच्छी खींचता है’ इस पर था, लेकिन 2021 से स्मार्टफोन के कैमरों का फोकस ‘ये वीडियो अच्छा रिकॉर्ड करता है’ इस पर हो जाएगा। इस बात के संकेत, 2020 के आखिरी क्वार्टर में लॉन्च हुए कई स्मार्टफोन में आपको इशारों-इशारों में कंपनियों ने दे दिया था।

आईफोन 12 सीरीज में डॉल्बी विजन पर जितना फोकस था, उतना ही नोट 20 अल्ट्रा में 8K वीडियो रिकॉर्डिंग और मैनुअल वीडियो शूटिंग मोड पर भी था। वहीं वीवो की एक्स सीरीज में गिंबल जैसा स्टेबलाइज्ड वीडियो और आई ऑटोफोकस जैसे वीडियो को बेहतर बनाने के फीचर्स दे कर किया गया। 2021 में लॉन्च होने वाले लगभग हर दूसरे-तीसरे स्मार्टफोन में आपको यही इबारत पढ़ने को मिलेगी।



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5G in india launch date | Tech Guru Abhishek Telang On 5G Launch & Spectrum Auction, Foldable Phones, Games Market and More


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2020 में गईं 2 करोड़ नौकरियां वापस मिलेंगी, T-20 वर्ल्ड कप इंडिया जीतेगी, पीएम मोदी ने दाढ़ी क्यों बढ़ाई?

साल 2020 अपने पीछे कई अहम सवाल छोड़ गया है। इस साल ने 1.9 करोड़ से भी ज्यादा मंथली सैलरी पाने वाले नौकरीशुदा लोगों से नौकरियां छीन लीं। प्राइवेट सेक्टर में लोगों की 50% तक तनख्वाह काटी गई। 10 करोड़ से ज्यादा मजदूर महीनों घर पर बैठे रहे। पहली बार पूरी तरह से यात्री ट्रेन बंद कर दी गईं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आने वाले साल में ये सब चीजें फिर से पहले जैसी हो जाएंगी।

इसके अलावा पश्चिम बंगाल के चुनाव से लेकर टी-20 वर्ल्ड कप और ओलिंपिक गेम्स जैसे इवेंट के नतीजों को लेकर भी लोग फिक्रमंद हैं। हमने यहां राजनीति, खेल, सिनेमा और आम जिंदगी से जुड़े 10 सवाल और उनके जवाबों के करीब जाने की कोशिश की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन के बाद अपील की थी कि लोगों को नौकरियों से न निकालें। लेकिन सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी CMIE के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में 1.77 करोड़, मई में 1 लाख और जून में 39 लाख लोगों की नौकरियां गईं। कुल मिलाकर कोरोनाकाल में 1.9 करोड़ नौकरीपेशा लोग बेरोजगार हुए।

अनलॉक के बाद से अब तक करीब 50 लाख लोगों को ही वापस रोजगार मिल पाया है। इसलिए 2021 का सबसे बड़ा सवाल यही खड़ा होता है कि क्या जिनकी नौकरियां गई थीं, उन्हें वापस रोजगार मिल पाएगा? फिलहाल CMIE के ही आंकड़े बताते हैं कि 30 जून 2020 को भारत में बेरोजगारी दर 23% पहुंच गई थी, जो 30 दिसंबर को 9.1% रह गई थी। यह मार्च में रोजगार छिनने से पहले की बेरोजगारी दर 8.75% से थोड़ा ही ज्यादा है।

22 मार्च 2020 के पहले 13 हजार से ज्यादा यात्री ट्रेन चलती थीं। इनमें रोजाना 2.2 करोड़ से ज्यादा लोग यात्राएं करते थे। महीने में ट्रेन से यात्रा करने वालों की संख्या 6 अरब के पार होती है। कोरोना के चलते 31 मार्च को यात्री ट्रेन पूरी तरह से बंद कर दी गई थीं। इसके बाद मई से लेकर दिसंबर तक कुल 8 महीने में महज 1089 ट्रेन ही चलाई जा सकी हैं। इसलिए 2021 का दूसरा सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या पहले की तरह ट्रेन पटरी पर लौट आएगी?

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और CEO वीके यादव ने जानकारी दी थी कि रेलवे संचालन में अब तक वापस लौटे कर्मचारियों में 30 हजार से अधिक कोविड पॉजिटिव पाए गए और 700 से अधिक की मौत हो गई है।

2016 के पांच साल बाद क्रिकेट फैन्स को 2021 के वर्ल्ड कप का इंतजार है। यह भारतीय दर्शकों के लिए और ज्यादा बेचैन करने वाला है, क्योंकि पहला टी-20 वर्ल्ड कप 2007 में टीम इंडिया ने ही जीता था। अब 7वां टी-20 वर्ल्ड कप इंडिया में ही होना है।

अब सवाल है कि क्या टीम इंडिया इस साल टी-20 वर्ल्ड कप जीत पाएगी? फिलहाल दिसंबर 2020 में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया में तीन टी-20 मैच की सीरीज 2-1 जीती थी। इसके बाद से उम्मीदें और बढ़ गई हैं।

इस साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनावी सरगर्मी अभी से तेज हैं। गृहमंत्री अमित शाह समेत भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने राज्य में सभाएं बढ़ा दी हैं। चुनावी रैलियां अभी से शुरू हो गई हैं। दिसंबर 2020 में अमित शाह ने बंगाल का दौरा किया। इस दौरान ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नौ विधायकों और एक सांसद ने दल-बदल कर BJP ज्वाइन कर लिया। पहले ही लोकसभा चुनाव 2019 में 40 में 22 सीटें जीतकर BJP ने हलचल बढ़ा दी थी।

आने वाली 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर राज्य में टीएमसी ने छोटी-छोटी जगहों पर कार्यक्रम आयोजित करने आह्वान किया है। टीएमसी ने एक बार फिर से जमीन पर तैयारी शुरू कर दी है।

पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने 5 अगस्त को एक खास दिन बना दिया है। 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया था। 2020 में जब राम मंदिर की भूमि पूजन की बात आई तो 5 अगस्त को ही चुना गया।

अब यह महज संयोग था या इस बार भी 5 अगस्त को सरकार कोई बड़ा ऐलान करेगी, इसका जवाब भी इस साल मिलेगा। फिलहाल एक देश एक चुनाव और यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बहस-मुबाहिसे जारी हैं।

महेंद्र सिंह धोनी वो भारतीय क्रिकेटर हैं, जिन्होंने टीम इंडिया को क्रिकेट के सभी फॉरमेट में टॉप पहुंचाया। उन्‍होंने बतौर कप्तान 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप जीता, 2011 में वन-डे वर्ल्ड कप जीता, 2013 में ICC चैंपियंस ट्रॉफी जीती और 2009 में टेस्ट क्रिकेट के टॉप रैंकिंग तक पहुंचे। साल 2020 में उन्होंने वन डे और टी-20 से संन्यास ले लिया। टेस्ट से 2014 में ही धोनी संन्यास ले चुके थे।

2020 में हुए आईपीएल में धोनी की टीम चेन्नई सुपरकिंग्स अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन करते हुए 14 में से 6 मैच ही जीत सकी। धोनी ने 14 मैच में 200 रन बनाया। इसमें 47 टॉप स्कोर रहा। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या 2021 उनका आखिरी आईपीएल होगा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना लुक बदल लिया है। वे अब बढ़ी हुई दाढ़ी और बड़े बालों में नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया में उनकी यह तस्वीर रवींद्र नाथ टैगोर की तस्वीर के साथ जमकर शेयर हुई और इसपर लंबी-लंबी बहसें हुईं। आम सोशल मीडिया यूजर्स समेत एक्ट्रेस गुल पनाग ने भी पीएम मोदी के नए अवतार की तुलना रवींद्रनाथ टैगोर से की थी।

हालांकि, अभी ये किसी को नहीं पता कि पीएम मोदी के नए लुक के पीछे क्या वजह है। सभी अपनी-अपनी सुविधा से अंदाजा लगा रहे हैं। द प्रिंट ने एक लेख में कहा कि पीएम मोदी पहले भी राजनीतिक कारणों से अपने लुक बदलते रहे हैं। अब सवाल है कि क्या 2021 में इस राज से पर्दा उठेगा?

लोकसभा चुनाव 2019 में हारने के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। कई महीनों तक चले मंथन के बाद सोनिया गांधी को फिर से कांग्रेस पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन अगस्त 2020 में कांग्रेस के 23 असंतुष्ट नेताओं ने सोनिया गांधी को लेटर लिखकर शीर्ष नेतृत्व का चयन करने को कहा।

असंतुष्ट नेताओं में गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, शशि थरूर और विवेक तन्खा समेत पार्टी के प्रमुख नेता शामिल थे। उन्होंने कांग्रेस पार्टी में नए सिरे से सुधार और शीर्ष नेतृत्व चुनने की वकालत की थी। अब जनवरी में असंतुष्ट नेताओं ने और सोनिया गांधी के बीच बैठक होनी है।

कोरोना महामारी के चलते मार्च 2020 में सिनेमाघर बंद हो गए। तब रोहित शेट्टी, अक्षय कुमार और कैटरीना कैफ अपनी सूर्यवंशी की टीम के साथ जमकर प्रमोशन कर चुकी थीं। फिल्म 24 मार्च 2020 को रिलीज होनी थी। इसी तरह रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण भी 83 का प्रमोशन शुरू कर चुके थे, ये फिल्म 10 अप्रैल 2020 को रिलीज होनी थी, लेकिन नहीं हो पाईं।

रोहित शेट्टी और अक्षय के साथ आने से दर्शक जबर्दस्त एक्शन की उम्मीद लगाए बैठे हैं तो दूसरी ओर टीम इंडिया की पहली 1983 वन-डे क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने की कहानी का इंतजार है। लॉकडाउन के दौरान इन फिल्मों के ओटीटी पर रिलीज होने की खबरें उड़ीं, लेकिन मेकर्स इसे सिनेमाघर में ही रिलीज करना चाहते हैं। फिलहाल सिनेमाघर खुल चुके हैं, लेकिन मेकर्स फिल्म रिलीज को लेकर कोई तारीख तय नहीं कर पा रहे हैं।

23 जुलाई 2021 से 8 अगस्त के बीच टोक्यो में ओलिंपिक गेम होने हैं। जापान इसकी पूरी तैयारी में लगा हुआ है। 25 मार्च 2021 को फुकुशिमा से ओलिंपिक की टॉर्च रिले भी शुरू हो जाएगी। इसे जापान की राजधानी टोक्यो समेत 47 प्रांतों से होकर गुजरनी है। लेकिन, अभी जापान के कई हिस्से में आवाजाही अलग-अलग तरह के प्रतिबंध अब भी जारी हैं।

ऐसे में टॉर्च रिले के ही सही तरीके से होने को लेकर अभी सवाल बना हुआ है। ऐसे में ओलिंपिक अपने असली लिबास में हो इस पर संदेह है। असल में ओलिंपिक 2020 में ही आयोजित होने वाला था, लेकिन कोरोना के चलते ये स्थगित हो गया।



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