शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

विराट-अनुष्का से बोले प्रधानमंत्री- आप बेहतरीन पैरेंट्स साबित होंगे; मंत्री पद छोड़ चुकीं हरसिमरत और कंगना-करन जौहर को भी शुक्रिया कहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर ट्विटर पर बधाई देने वाले लोगों को जवाब दिया। उन्होंने विराट कोहली और अनुष्का शर्मा को लिखा कि वह एक बेहतरीन पैरेंट्स साबित होंगे। कंगना रनोट और करन जौहर को भी धन्यवाद कहा। माधुरी दीक्षित से कहा कि आपको और आपके परिवार को किचन गार्डन के लिए शुभकामनाएं।

प्रधानमंत्री मोदी ने किसान बिल के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाली अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर का भी शुक्रिया अदा किया। मोदी बुधवार को 70 साल के हो गए।

विराट ने ट्वीट किया, 'देश के सम्माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं।'

करण जौहर ने लिखा कि किस तरह उन्होंने भारतीय सिनेमा को विश्व स्‍तर पर पहचान दिलाने के उनके विचारों को अपना समर्थन दिया था। इसके जवाब में मोदी ने कहा कि मुझे बिलकुल याद है। सिनेमा के लिए आपका जुनून सराहनीय है।

माधुरी दीक्षित ने भी मोदी को बधाई दी। जवाब में माधुरी दीक्षित से कहा कि आपके परिवार को किचन गार्डन के लिए शुभकामनाएं।

मोदी ने शाहरुख से कहा, 'मुझे यकीन है कि आईपीएल सीजन आपको अभी काफी व्यस्त रखेगा।'

मोदी ने अपने मंत्रिमंडल की पूर्व मंत्री हरसिमरत कौर का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने जवाब में कहा कि आपका आत्मनिर्भर भारत बनाने में, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में काम काबिलेतारीफ है।

संजय दत्त ने भी प्रधानमंत्री को जन्मदिन की शुभकामनाएं दींं।

मोदी ने कंगना का भी शुक्रिया अदा किया।

प्रधानमंत्री ने सलमान खान को जवाब में दोनों की पुरानी मुलाकात की याद दिलाई।

मोदी ने ममता को भी जवाब दिया। शुक्रिया कहा।

ट्रम्प को जवाब में कहा- दोनों देशों की दोस्ती मजबूत है



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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बुधवार को 70वां जन्मदिन था।- फाइल फोटो


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राहुल गांधी का सरकार पर तंज- थाली बजाने, दिया जलाने से ज्यादा जरूरी है सुरक्षा और सम्मान; मोदी सरकार कोरोना वॉरियर का इतना अपमान क्यों

कोरोना से हेल्थ वर्कर्स की मौत के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर तंज कसा है। राहुल ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, "प्रतिकूल डाटा-मुक्त मोदी सरकार! थाली बजाने, दिया जलाने से ज्यादा जरूरी है उनकी सुरक्षा और सम्मान। मोदी सरकार, कोरोना वॉरियर का इतना अपमान क्यों?"

राहुल ने एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर यह ट्वीट किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के पास कोरोना से संक्रमित होने वाले और जान गंवाने वाले हेल्थ केयर स्टाफ के आंकड़े नहीं हैं। ऐसे मामले राज्यों के होते हैं, केंद्र ऐसे डेटा नहीं रखता। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यसभा में मंगलवार को यह लिखित जानकारी दी थी।



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राहुल पहले भी कहते रहे हैं कि कोरोना से निपटने में सरकार नाकाम रही है, लॉकडाउन की स्ट्रैटजी भी फेल हो गई थी। (फाइल फोटो)


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अनलिमिटेड कोरोना सब्स्टीट्यूट मिलेंगे, बॉल चमकाने के लिए लार का इस्तेमाल नहीं हो सकेगा, लेकिन 2 वजहों से इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा

कोरोना के बीच इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 19 सिंतबर से 10 नवंबर तक यूएई में होना है। यह टूर्नामेंट पहली बार बिना दर्शकों के बायो-सिक्योर माहौल में खेला जाएगा। कोरोना की वजह से एक बड़ा बदलाव यह है कि बॉल को चमकाने के लिए बॉलर्स लार का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। हालांकि, इस एक नियम का दो वजहों से ज्यादा असर नहीं पड़ेगा...

1. व्हाइट बॉल दो ओवर तक ही स्विंग करती है

अगर बॉल पर लार नहीं लगाते हैं तो बॉलर्स को स्विंग कराने में दिक्कत होती है। हालांकि, टी-20 जैसे फॉर्मेट में यह चुनौती नहीं है। चेन्नई सुपरकिंग्स के तेज गेंदबाज दीपक चाहर भी यही बताते हैं।

उन्होंने हाल ही में कहा था कि व्हाइट बॉल सिर्फ 2 ओवर तक स्विंग होती है। अच्छा विकेट हो तो 3 ओवर तक स्विंग होगी। इस वजह से बॉल की चमक बनाए रखने की ज्यादा जरूरत नहीं है। हैदराबाद के बॉलर भुवनेश्वर कुमार भी कहते हैं कि लार का इस्तेमाल नहीं होने से सिर्फ रिवर्स स्विंग में दिक्कत आएगी।

2. यूएई का स्लो विकेट

यूएई में अबु धाबी, दुबई और शारजाह में आईपीएल के मैच होंगे। यहां स्लो विकेट है। यानी स्पिनर्स के लिए ये फायदेमंद है और स्विंग कराने वाले तेज गेंदबाजों को यहां ज्यादा मदद नहीं मिलने वाली। इस वजह से बॉल पर लार नहीं लगा पाने के नियम का असर नहीं पड़ेगा। 2014 में जब यूएई में आईपीएल के 20 मैच हुए थे, तो सिर्फ एक मैच में दोनों इनिंग में 200+ का स्कोर बना था, जबकि 12 बार 160+ का स्कोर रहा था।

आईपीएल में इस बार बाकी बदलाव क्या होंगे?

नो बॉल पर डायरेक्ट थर्ड अंपायर की नजर

पहली बार आईपीएल में थर्ड अंपायर नो बॉल का रूल लाया जा रहा है। अब मैच में बॉलर के पैर की नो बॉल फील्ड अंपायर की जगह थर्ड अंपायर देखेगा। पिछले साल भारत-वेस्टइंडीज वनडे सीरीज में भी इसका ट्रायल हुआ था।

अनलिमिटेड कोरोना सब्स्टीट्यूट

आईपीएल गवर्निंग काउंसिल ने इस सीजन में अनलिमिटेड कोरोना सब्स्टीट्यूट की भी मंजूरी दी। यानी टूर्नामेंट में कोई खिलाड़ी कोरोना पॉजिटिव निकलता है, तो टीम उसकी जगह दूसरा खिलाड़ी टीम में शामिल कर सकेंगी। नियम के मुताबिक, बैट्समैन को बैट्समैन और बॉलर को सिर्फ बॉलर ही रिप्लेस कर सकता है।

कन्कशन सब्स्टीट्यूट नियम भी लागू

इस आईपीएल सीजन में पहली बार कन्कशन सब्स्टीट्यूट नियम भी लागू रहेगा। यानी कोई खिलाड़ी गंभीर चोटिल होता है या सिर में बॉल लगती है, तो उसकी जगह दूसरे प्लेयर को टीम में सब्स्टीट्यूट के तौर पर शामिल किया जा सकता है। इस नियम में भी बैट्समैन को बैट्समैन और बॉलर को सिर्फ बॉलर ही रिप्लेस कर सकता है। यह नियम सबसे पहले 2018 एशेज सीरीज में लागू हुआ था।

चीयरलीडर्स और फैंस स्टेडियम में नहीं होंगे

आईपीएल के इतिहास में पहली बार कोरोना के कारण खाली स्टेडियम में मैच खेले जाएंगे। स्टेडियम में फैंस और जश्न मानने के लिए चीयरलीडर्स भी नहीं होंगी। हालांकि, फ्रेंचाइजियों ने मेगा स्क्रीन पर चीयरलीडर्स और फैंस के रिकॉर्डेड वीडियो चलाने की तैयारी की है।

बायो-सिक्योर माहौल क्या है?

ये एक ऐसा एन्वायर्नमेंट है, जिसमें रहने वाला बाहरी दुनिया से पूरी तरह कट जाता है। यानी, आईपीएल में हिस्सा ले रहे प्लेयर, सपोर्ट स्टाफ, मैच ऑफिशियल, होटल स्टाफ और कोरोना टेस्ट करने वाली मेडिकल टीम तक को तय दायरे के आगे जाने की अनुमति नहीं है। किसी बाहरी व्यक्ति से भी नहीं मिल सकते।

आईपीएल में बायो-सिक्योर माहौल तोड़ने पर सजा

बायो-सिक्योर नियम तोड़ने वाले को आईपीएल कोड ऑफ कंडक्ट के तहत सजा दी जाएगी। खिलाड़ी को कुछ मैच खेलने से रोका भी जा सकता है। आरसीबी समेत कुछ टीमों ने पहले से चेतावनी दे रखी है कि यदि किसी खिलाड़ी ने नियम तोड़ा तो उसके साथ कॉन्ट्रैक्ट तोड़ा जा सकता है।

खिलाड़ी मैच में बॉल पर लार का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे

आईसीसी ने कोरोना के कारण क्रिकेट में बॉल को चमकाने के लिए लार के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है। यह नियम पहली बार आईपीएल में लागू होगा। हर टीम को दो बार चेतावनी दी जाएगी। तीसरी बार में पेनाल्टी के तौर पर विपक्षी टीम के खाते में 5 रन जोड़ दिए जाएंगे। कोरोना के कारण टॉस के बाद दोनों टीमों के कप्तान हाथ नहीं मिला सकेंगे।



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IPL UAE 2020 Corona Rules Latest Update, What Are The Latest Changes? Everything You Need To Know About Indian Premier League Rules and Regulations


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एमएससी बीच में छोड़ 5 बीघा में जड़ी-बूटी उगाईं, 6 महीने में दोगुना फायदा हुआ, अब 300 एकड़ से सालाना 25 लाख मुनाफा

करीब 28 साल पहले उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के एक छोटे से गांव मटौर का रहना वाला एक लड़का एमएससी बॉटनी की पढ़ाई के लिए उत्तराखंड गया। कॉलेज में दाखिला लिया और कुछ दिन पढ़ाई भी की। इस बीच कुछ ऐसी जगहों पर जाने का मौका मिला जहां उसने जड़ी-बूटी की खेती देखी। खेती करने वाले लोगों से थोड़ी बातचीत की और कॉलेज आकर इसके बारे में खूब पढ़ा। फिर पढ़ाई बीच में ही छोड़कर अपने गांव पहुंचा और वहां जड़ी-बूटी की खेती शुरू कर दी। यह कहानी है अशोक चौहान की जो आज करीब 300 एकड़ जमीन पर मेडिसिनल प्लांट की खेती कर रहे हैं।

अशोक कहते हैं, 'मैंने शुरुआत 5 बीघा से ​की, इसमें हल्दी और तुलसी लगाई। जिसमें एक लाख रुपए की लागत आई, लेकिन छह महीने बाद ही यह तैयार हुई और मुझे लागत से दोगुना फायदा हुआ।'

आज अशोक अपनी और लीज पर ली गई करीब 300 एकड़ जमीन पर 6 पार्टनर के साथ मेडिसिनल प्लांट की खेती करते हैं। इससे हर पार्टनर को साल में करीब 20-25 लाख का मुनाफा होता है। इसके अलावा वे करीब 350 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। अशोक कहते हैं 'मेरा उद्देश्य किसानों को ट्रेडिशनल खेती के साथ-साथ क्लिनिकल खेती में भी लाना है।'

सफेद मूसली उगाने की कोशिश में हुआ 10 लाख का नुकसान

अशोक ने बताया, '5 बीघा में डबल मुनाफे के बाद मेरा हौसला बढ़ा और मैंने अगले साल 10 बीघा और उसके अगले साल 50 बीघा में मेडिसिनल प्लांट की खेती की। 1995 में मैंने अपने खेतों में सफेद मूसली उगाने की कोशिश की, लेकिन इसमें करीब 8 से 10 लाख रुपए का नुकसान हुआ, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। तब मुझे समझ आया कि सफेद मूसली के लिए मेरी जमीन और मौसम सही नहीं था। इसके बाद मैंने उत्तराखंड के कुछ शहरों में भी लोगों को साथ जोड़कर मौसम और जमीन के मुताबिक खेती करना शुरू किया।'

अशोक अब अपने खेतों में सर्पगंधा, सतावरी, एलोवेरा, अकरकरा, केवकंद, कालमेघ चित्रक, अनंतमूल, मैदा छाल जैसे करीब 25 से ज्यादा मेडिसिनल प्लांट की खेती कर रहे हैं।

दादा-परदादा वैद्य थे, लोगों के इलाज के लिए घर में उगाते थे औषधीय पौधे

अशोक बताते हैं 'हमारे दादा-परदादा अपने जमाने में वैद्य का काम करते थे, उस समय गांव के आसपास के लोग उनकी हाथ से बनी दवाई का इस्तेमाल कर ठीक हो जाते थे। दादा-परदादा औषधीय पौधे घर में उगाते थे, ताकि लोगों का इलाज किया जा सके। दादा के बाद पिताजी को भी मेडिसिन प्लांट की नॉलेज थी, तो उन्होंने भी इस काम को जारी रखा। वे कहते थे कि कहीं डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है, हमारे आस-पास ऐसी औषधियां पाई जाती हैं कि जिससे हम छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। इसलिए, मैंने इसकी पढ़ाई करने का फैसला लिया था। तब तक मुझे इसकी खेती और व्यवसाय के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।'

खुद की कंपनी भी बनाई है, 35 तरह के प्रोडक्ट बेचते हैं

अशोक ने बताया 'मेरे पास कई तरह की दवाइयां हैं जिन्हें मैंने खुद रिसर्च करके तैयार किया है। पिछले साल मैंने​ एक कंपनी भी बनाई, जिसके जरिए हम 35 तरह के प्रोडक्ट बनाकर बेचते हैं। मुझे एमएससी की पढ़ाई पूरी नहीं करने का कोई मलाल नहीं है। हां, मैं बीएससी किए बिना भी ये करता तो ज्यादा खुशी होती, क्योंकि मैं तीन साल पहले से ही यह काम शुरू कर सकता था।'

मेडिसिन प्लांट की खेती करने वालों के लिए बाजार की कोई समस्या नहीं होती

अशोक बताते हैं 'साल 2001 में जब मेरी मुलाकात पतंजलि में मुक्ता जी से हुई तो उन्होंने कहा कि आप जितना भी उगाते हैं पूरा माल हम खरीदेंगे। इसके बाद से वे हमारी पूरी फसल अच्छे दामों में खरीदने लगे। इस दौरान मैंने गांव में ही कई लोगों को मेडिसिनल प्लांट की खेती के लिए प्रेरित किया। हम लोग जिन मेडिसिन प्लांट की खेती कर रहे हैं तो उनके लिए बाजार की समस्या नहीं होती, क्योंकि फार्मेसी कंपनियां किसान से सीधा संपर्क करती हैं और अच्छे दामों में माल खरीदती हैं। आज हालत ये है कि हम कंपनियों की डिमांड भी पूरी नहीं कर पाते हैं।'

मैं सरकार से कुछ लेना नहीं, बल्कि देना चाहता हूं

'हमारी औषधीय पौधों की खेती को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। अगर कोई भी व्यक्ति मेरे पास मेडिसिनल प्लांट के बारे में जानकारी लेने आता है तो मैं उसे हमेशा मुफ्त सला​ह देता हूं। साथ ही कंपनियों से सीधी बातचीत भी करवाता हूं। इसके बदले एक पैसा भी नहीं लेता, क्योंकि मेरा मानना है कि बिना किसान के आयुर्वेद जिंदा नहीं रह सकता है। कई बार मुझे सरकारी मदद भी ऑफर हुई, लेकिन मैंने मना कर दिया। मैं सरकार से कुछ लेना नहीं, बल्कि उन्हें देना चाहता हूं।'



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मेरठ के एक गांव के अशोक चौहान मेडिसिनल प्लांट की खेती कर रहे हैं।


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केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफा राष्ट्रपति ने मंजूर किया; 3 कृषि विधेयकों पर 4 आशंकाओं के चलते अकाली दल और एनडीए में दरार

कोरोना के बीच संसद के मानसून सत्र का आज पांचवां दिन है। इससे पहले गुरुवार को शिरोमणि अकाली दल की नेता और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज मिनिस्टर हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को इस्तीफा मंजूर कर लिया। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अब मिनिस्ट्री ऑफ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज की जिम्मेदारी भी संभालेंगे। खेती से जुड़े 3 विधेयकों के खिलाफ पंजाब के किसानों का गुस्सा देखते हुए बादल ने इस्तीफा दिया था। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने पर गर्व है।

इन 4 आशंकाओं पर कृषि विधेयकों का विरोध

1. क्या कृषि मंडी खत्म होंगी?
सरकार कहती है : राज्यों में चल रहीं मंडियां जारी रहेंगी। लेकिन, किसान के पास खुले बाजार में कहीं भी बेचने का हक भी होगा।
विरोध में तर्क: शुरुआत में तो मंडियां चलेंगी पर धीरे-धीरे कॉरपोरेट कब्जा कर लेंगे। मंडियों का मतलब नहीं रह जाएगा।

2. क्या समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा?
सरकार कहती है : न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP बना रहेगा। सरकार MSP पर ही कृषि उपज की खरीदारी जारी रखेगी।
विरोध में तर्क : जब कॉरपोरेट कंपनियां किसान से पहले ही कॉन्ट्रैक्ट कर लेंगी तो MSP की अहमियत ही खत्म हो जएगी।

3. उचित कीमत कैसे मिलेगी?
सरकार कहती है : किसान देश में किसी भी बाजार या ऑनलाइन ट्रेडिंग से फसल बेच सकता है। कई विकल्पों से बेहतर कीमत मिलेगी।
विरोध में तर्क : कीमतें तय करने का कोई सिस्टम नहीं होगा। प्राइवेट सेक्टर की ज्यादा खरीदारी से एक कीमत तय करने में दिक्कत होगी।

4. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में ठगी हुई तो क्या?
सरकार कहती है : किसान को तय मिनिमम रकम मिलेगी। कॉन्ट्रैक्ट, किसान की फसल और इंफ्रास्ट्रक्चर तक सीमित रहेगा। किसान की जमीन पर कोई कंट्रोल नहीं होगा। विवाद पर एडीएम 30 दिन में फैसला देगा।
विरोध में तर्क : कॉरपोरेट या व्यापारी अपने हिसाब से फर्टिलाइजर डालेगा और फिर जमीन बंजर भी हो सकती है।

संसद में पेश कृषि विधेयकों पर एनडीए के सबसे पुराने साथी शिरोमणि अकाली दल की नाराजगी गुरुवार को खुलकर सामने आ गई। लोकसभा में पास हुए 2 विधेयकों पर चर्चा के दौरान अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयकों के पक्ष में नहीं है। हालांकि, पार्टी का कहना है कि हरसिमरत कौर के इस्तीफे के बावजूद शिरोमणि अकाली दल का मोदी सरकार को समर्थन जारी रहेगा।

मोदी ने कहा- कई शक्तियां किसानों को भ्रमित कर रही हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, "किसानों को भ्रमित करने में बहुत सारी शक्तियां लगी हुई हैं। मैं अपने किसान भाइयों और बहनों को आश्वस्त करता हूं कि MSP और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी। ये विधेयक वास्तव में किसानों को कई और विकल्प देकर उन्हें सही मायने में सशक्त करने वाले हैं।"

हरसिमरत कौर के इस्तीफे के मायने
वोट बैंक खिसकने का डर, क्योंकि...

पंजाब के कृषि प्रधान क्षेत्र मालवा में अकाली दल की पकड़ है। अकाली दल को 2022 के विधानसभा चुनाव दिखाई दे रहे हैं। इस्तीफा देना मजबूरी भी बन गई थी। क्योंकि, चुनावों में अब लगभग डेढ़ साल ही बचा है। ऐसे में शिरोमणि अकाली दल किसानों के एक बड़े वोट बैंक को अपने खिलाफ नहीं करना चाहता है।

अकाली दल पर दबाव था
बेअदबी और पार्टी में फूट से जूझ रहे अकाली दल के लिए कृषि विधेयक गले की फांस बन गए थे, क्योंकि अगर पार्टी इनके लिए हामी भरती तो प्रदेश के बड़े वोट बैंक (किसानों) से हाथ धोना पड़ता। उधर, दूसरी बार मंत्री बनीं हरसिमरत पर विधेयकों को लेकर पद छोड़ने का दबाव भी बना हुआ था।

दो धड़ों में बंट गई थी पार्टी
पंजाब में बिल के विरोध में अकाली दल के अलग-अलग नेता हरसिमरत के इस्तीफे को लेकर 2 धड़ों में बंटे थे। सूत्रों के मुताबिक, शिरोमणि अकाली दल के कई सीनियर नेता पार्टी अध्यक्ष से कह चुके थे कि पार्टी का वजूद किसानों को लेकर ही है। इसलिए, अगर केंद्र बात नहीं मानता है तो हरसिमरत को इस्तीफा दे देना चाहिए।

इन 3 विधेयकों का विरोध

  • फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फेसिलिटेशन) बिल
  • फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज बिल
  • एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल

इन तीनों विधेयकों को सरकार ने लॉकडाउन के दौरान 5 जून को ऑर्डिनेंस के जरिए लागू किया था। तब से ही इन पर हंगामा मचा हुआ है। केंद्र सरकार इन्हें अब तक का सबसे बड़ा कृषि सुधार कह रही है। लेकिन, विपक्षी पार्टियों को इनमें किसानों का शोषण और कॉरपोरेट्स का फायदा दिख रहा है।



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शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर मोदी कैबिनेट में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज मिनिस्टर का पोर्टफोलियो संभाल रही थीं।


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दुनिया के दूसरे सबसे ज्यादा गंभीर मरीज भारत में; पिछले 24 घंटे में 96 हजार 792 पॉजिटिव मिले, देश में अब तक 52.12 लाख मामले

भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। देश में अब तक 52 लाख 12 हजार 686 केस सामने आ चुके हैं। पिछले 24 घंटे में 96 हजार 792 मरीज बढ़े। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।।

उधर, वेंटिलेटर या आईसीयू में भर्ती मरीजों के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है। सबसे ज्यादा ऐसे मरीज अमेरिका में हैं। तीसरे नंबर पर ब्राजील है। हालांकि, रूस में भारत की तुलना में एक चौथाई गंभीर मरीज ही हैं। दुनियाभर में 61 हजार 275 गंभीर मरीज हैं। राहत की बात यह है कि देश में सक्रिय मरीजों की संख्या 10 लाख 17 हजार 717 है। इस तरह गंभीर मरीजों का प्रतिशत महज 0.87% है।

पांच राज्यों का हाल

1. मध्यप्रदेश
राज्य में कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। भोपाल में गुरुवार को एक दिन में 23 मौतें हुईं। बीते 24 मार्च से अब तक ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी एक दिन में इतने कोरोना मरीजों की राजधानी में मौत हुई हो। इनमें राजगढ़-रायसेन के 3-3,पन्ना, शुजालपुर, होशंगाबाद, गुना, नरसिंहपुर, सीहोर, दमोह, उज्जैन और इटारसी के एक-एक मरीज शामिल हैं। इसके अलावा भोपाल के 8 लोग शामिल हैं।

राज्य में तीन दिन में 7 हजार से ज्यादा केस बढ़ गए। कुल संक्रमितों का आंकड़ा शुक्रवार को एक लाख के पार जा सकता है। हालांकि, केस बढ़ने के बावजूद प्रदेश का रिकवरी रेट 75% बना हुआ है। भोपाल में गुरुवार को 265 तो प्रदेश में 2391 केस मिले।

2. राजस्थान
राज्य में गुरुवार को कोरोना के अब तक के रिकॉर्ड 1793 रोगी मिले। इसके साथ कोरोना मरीजों की संख्या एक लाख से ज्यादा हो गई है। वहीं, अब तक कुल 90 हजार 685 संक्रमित ठीक हो चुके हैं। गुरुवार को जोधपुर में दो, उदयपुर सीकर, पाली, नागौर, कोटा, झुंझुनूं, जयपुर, श्रीगंगानगर, चूरू, चित्तौड़ बीकानेर और अजमेर में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई। जयपुर में रिकवर होने वाले मरीजों की संख्या 10 हजार159 हो गई है। इसी तरह यहां एक्टिव मरीज 17 हजार 495 हैं।

3. बिहार
राज्य में गुरुवार को 1.1 लाख टेस्ट हुए। इस तरह अब तक 53 लाख से ज्यादा सैंपल की जांच की जा चुकी है। पिछले दिनों मरीजों की संख्या कम होने से पॉजिटिविटी रेट भी 3.1% पर पहुंच गया है।

4. महाराष्ट्र
राज्य में गुरुवार को 24 हजार 619 मामले सामने आए। इसी के साथ यहां संक्रमितों की संख्या बढ़कर 11 लाख 45 हजार 840 हो गई है। राहत की बात है कि इनमें 8 लाख 12 हजार 354 लोग ठीक हो चुके हैं। अभी 3 लाख 1 हजार 752 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 31 हजार 351 लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले 24 घंटे में 468 संक्रमितों ने दम तोड़ दिया।

5. उत्तरप्रदेश
प्रदेश में गुरुवार को संक्रमण के 6,029 नए मामले सामने आए हैं। इसके साथ कुल संक्रमितों की संख्या अब 3 लाख 36 हजार 294 तक पहुंच गई है। राज्य में 24 घंटे में 4715 लोगों को डिस्चार्ज भी किया गया। इस तरह अभी तक 2 लाख 63 हजार 288 लोग ठीक हो चुके हैं।



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दुनिया के दूसरे सबसे ज्यादा गंभीर मरीज भारत में; पिछले 24 घंटे में 96 हजार 792 पॉजिटिव मिले, देश में अब तक 52.12 लाख मामले

भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। देश में अब तक 52 लाख 12 हजार 686 केस सामने आ चुके हैं। पिछले 24 घंटे में 96 हजार 792 मरीज बढ़े। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।।

उधर, वेंटिलेटर या आईसीयू में भर्ती मरीजों के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है। सबसे ज्यादा ऐसे मरीज अमेरिका में हैं। तीसरे नंबर पर ब्राजील है। हालांकि, रूस में भारत की तुलना में एक चौथाई गंभीर मरीज ही हैं। दुनियाभर में 61 हजार 275 गंभीर मरीज हैं। राहत की बात यह है कि देश में सक्रिय मरीजों की संख्या 10 लाख 17 हजार 717 है। इस तरह गंभीर मरीजों का प्रतिशत महज 0.87% है।

पांच राज्यों का हाल

1. मध्यप्रदेश
राज्य में कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। भोपाल में गुरुवार को एक दिन में 23 मौतें हुईं। बीते 24 मार्च से अब तक ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी एक दिन में इतने कोरोना मरीजों की राजधानी में मौत हुई हो। इनमें राजगढ़-रायसेन के 3-3,पन्ना, शुजालपुर, होशंगाबाद, गुना, नरसिंहपुर, सीहोर, दमोह, उज्जैन और इटारसी के एक-एक मरीज शामिल हैं। इसके अलावा भोपाल के 8 लोग शामिल हैं।

राज्य में तीन दिन में 7 हजार से ज्यादा केस बढ़ गए। कुल संक्रमितों का आंकड़ा शुक्रवार को एक लाख के पार जा सकता है। हालांकि, केस बढ़ने के बावजूद प्रदेश का रिकवरी रेट 75% बना हुआ है। भोपाल में गुरुवार को 265 तो प्रदेश में 2391 केस मिले।

2. राजस्थान
राज्य में गुरुवार को कोरोना के अब तक के रिकॉर्ड 1793 रोगी मिले। इसके साथ कोरोना मरीजों की संख्या एक लाख से ज्यादा हो गई है। वहीं, अब तक कुल 90 हजार 685 संक्रमित ठीक हो चुके हैं। गुरुवार को जोधपुर में दो, उदयपुर सीकर, पाली, नागौर, कोटा, झुंझुनूं, जयपुर, श्रीगंगानगर, चूरू, चित्तौड़ बीकानेर और अजमेर में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई। जयपुर में रिकवर होने वाले मरीजों की संख्या 10 हजार159 हो गई है। इसी तरह यहां एक्टिव मरीज 17 हजार 495 हैं।

3. बिहार
राज्य में गुरुवार को 1.1 लाख टेस्ट हुए। इस तरह अब तक 53 लाख से ज्यादा सैंपल की जांच की जा चुकी है। पिछले दिनों मरीजों की संख्या कम होने से पॉजिटिविटी रेट भी 3.1% पर पहुंच गया है।

4. महाराष्ट्र
राज्य में गुरुवार को 24 हजार 619 मामले सामने आए। इसी के साथ यहां संक्रमितों की संख्या बढ़कर 11 लाख 45 हजार 840 हो गई है। राहत की बात है कि इनमें 8 लाख 12 हजार 354 लोग ठीक हो चुके हैं। अभी 3 लाख 1 हजार 752 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 31 हजार 351 लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले 24 घंटे में 468 संक्रमितों ने दम तोड़ दिया।

5. उत्तरप्रदेश
प्रदेश में गुरुवार को संक्रमण के 6,029 नए मामले सामने आए हैं। इसके साथ कुल संक्रमितों की संख्या अब 3 लाख 36 हजार 294 तक पहुंच गई है। राज्य में 24 घंटे में 4715 लोगों को डिस्चार्ज भी किया गया। इस तरह अभी तक 2 लाख 63 हजार 288 लोग ठीक हो चुके हैं।



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केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफा राष्ट्रपति ने मंजूर किया; 3 कृषि विधेयकों पर 4 आशंकाओं के चलते अकाली दल और एनडीए में दरार

कोरोना के बीच संसद के मानसून सत्र का आज पांचवां दिन है। इससे पहले गुरुवार को शिरोमणि अकाली दल की नेता और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज मिनिस्टर हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को इस्तीफा मंजूर कर लिया। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अब मिनिस्ट्री ऑफ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज की जिम्मेदारी भी संभालेंगे। खेती से जुड़े 3 विधेयकों के खिलाफ पंजाब के किसानों का गुस्सा देखते हुए बादल ने इस्तीफा दिया था। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने पर गर्व है।

इन 4 आशंकाओं पर कृषि विधेयकों का विरोध

1. क्या कृषि मंडी खत्म होंगी?
सरकार कहती है : राज्यों में चल रहीं मंडियां जारी रहेंगी। लेकिन, किसान के पास खुले बाजार में कहीं भी बेचने का हक भी होगा।
विरोध में तर्क: शुरुआत में तो मंडियां चलेंगी पर धीरे-धीरे कॉरपोरेट कब्जा कर लेंगे। मंडियों का मतलब नहीं रह जाएगा।

2. क्या समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा?
सरकार कहती है : न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP बना रहेगा। सरकार MSP पर ही कृषि उपज की खरीदारी जारी रखेगी।
विरोध में तर्क : जब कॉरपोरेट कंपनियां किसान से पहले ही कॉन्ट्रैक्ट कर लेंगी तो MSP की अहमियत ही खत्म हो जएगी।

3. उचित कीमत कैसे मिलेगी?
सरकार कहती है : किसान देश में किसी भी बाजार या ऑनलाइन ट्रेडिंग से फसल बेच सकता है। कई विकल्पों से बेहतर कीमत मिलेगी।
विरोध में तर्क : कीमतें तय करने का कोई सिस्टम नहीं होगा। प्राइवेट सेक्टर की ज्यादा खरीदारी से एक कीमत तय करने में दिक्कत होगी।

4. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में ठगी हुई तो क्या?
सरकार कहती है : किसान को तय मिनिमम रकम मिलेगी। कॉन्ट्रैक्ट, किसान की फसल और इंफ्रास्ट्रक्चर तक सीमित रहेगा। किसान की जमीन पर कोई कंट्रोल नहीं होगा। विवाद पर एडीएम 30 दिन में फैसला देगा।
विरोध में तर्क : कॉरपोरेट या व्यापारी अपने हिसाब से फर्टिलाइजर डालेगा और फिर जमीन बंजर भी हो सकती है।

संसद में पेश कृषि विधेयकों पर एनडीए के सबसे पुराने साथी शिरोमणि अकाली दल की नाराजगी गुरुवार को खुलकर सामने आ गई। लोकसभा में पास हुए 2 विधेयकों पर चर्चा के दौरान अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयकों के पक्ष में नहीं है। हालांकि, पार्टी का कहना है कि हरसिमरत कौर के इस्तीफे के बावजूद शिरोमणि अकाली दल का मोदी सरकार को समर्थन जारी रहेगा।

मोदी ने कहा- कई शक्तियां किसानों को भ्रमित कर रही हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, "किसानों को भ्रमित करने में बहुत सारी शक्तियां लगी हुई हैं। मैं अपने किसान भाइयों और बहनों को आश्वस्त करता हूं कि MSP और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी। ये विधेयक वास्तव में किसानों को कई और विकल्प देकर उन्हें सही मायने में सशक्त करने वाले हैं।"

हरसिमरत कौर के इस्तीफे के मायने
वोट बैंक खिसकने का डर, क्योंकि...

पंजाब के कृषि प्रधान क्षेत्र मालवा में अकाली दल की पकड़ है। अकाली दल को 2022 के विधानसभा चुनाव दिखाई दे रहे हैं। इस्तीफा देना मजबूरी भी बन गई थी। क्योंकि, चुनावों में अब लगभग डेढ़ साल ही बचा है। ऐसे में शिरोमणि अकाली दल किसानों के एक बड़े वोट बैंक को अपने खिलाफ नहीं करना चाहता है।

अकाली दल पर दबाव था
बेअदबी और पार्टी में फूट से जूझ रहे अकाली दल के लिए कृषि विधेयक गले की फांस बन गए थे, क्योंकि अगर पार्टी इनके लिए हामी भरती तो प्रदेश के बड़े वोट बैंक (किसानों) से हाथ धोना पड़ता। उधर, दूसरी बार मंत्री बनीं हरसिमरत पर विधेयकों को लेकर पद छोड़ने का दबाव भी बना हुआ था।

दो धड़ों में बंट गई थी पार्टी
पंजाब में बिल के विरोध में अकाली दल के अलग-अलग नेता हरसिमरत के इस्तीफे को लेकर 2 धड़ों में बंटे थे। सूत्रों के मुताबिक, शिरोमणि अकाली दल के कई सीनियर नेता पार्टी अध्यक्ष से कह चुके थे कि पार्टी का वजूद किसानों को लेकर ही है। इसलिए, अगर केंद्र बात नहीं मानता है तो हरसिमरत को इस्तीफा दे देना चाहिए।

इन 3 विधेयकों का विरोध

  • फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फेसिलिटेशन) बिल
  • फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज बिल
  • एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल

इन तीनों विधेयकों को सरकार ने लॉकडाउन के दौरान 5 जून को ऑर्डिनेंस के जरिए लागू किया था। तब से ही इन पर हंगामा मचा हुआ है। केंद्र सरकार इन्हें अब तक का सबसे बड़ा कृषि सुधार कह रही है। लेकिन, विपक्षी पार्टियों को इनमें किसानों का शोषण और कॉरपोरेट्स का फायदा दिख रहा है।



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शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर मोदी कैबिनेट में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज मिनिस्टर का पोर्टफोलियो संभाल रही थीं।


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मालिक का बेटा स्कूल नहीं जाता, वो भी हफ्ते में तीन दिन ही ऑफिस जाते हैं, इसलिए ड्राइवर को नौकरी से निकाला

राधे गोविंद ठाकुर दिल्ली के संगम विहार में रहते हैं। वे पिछले 20 सालों से दिल्ली में प्राइवेट गाड़ी चलाते आए हैं। पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि कुछ काम न हो। लेकिन, अप्रैल से उनका काम-धंधा पूरी तरह बंद हो गया। जून में अपने घर मधुबनी गए थे। 10 अगस्त को लौटे तो मालिक ने काम पर आने से मना कर दिया क्योंकि अब बेटा स्कूल नहीं जाता।

मालिक को हफ्ते में तीन या चार दिन ही ऑफिस जाना होता है इसलिए वो खुद ही गाड़ी ड्राइव कर लेते हैं। पहले वे रोजाना ऑफिस जाते थे। बच्चों को स्कूल छोड़ना और लाना होता था। अब वो सब बंद हो गया इसलिए राधे का काम भी खत्म हो गया। उन्हें 20 हजार रुपए महीना सैलरी मिलती थी। इनकम बंद होने से वे पिछले अप्रैल से ही मकान का किराया नहीं भर पाए हैं।

दो बच्चे हैं, पिछले दो महीने से उनके स्कूल की फीस भी जमा नहीं कर पाए। खाना-पीना कैसे चल रहा है? इस पर कहते हैं, मेरे पास बाइक है, उसे उबर में अभी जोड़ा है। थोड़ा बहुत काम मिलना शुरू हुआ है। उसी से जो पैसा आता है, उससे दाल-रोटी चल रही है। लेकिन, ऐसा पहली बार हुआ, जब मेरे पास नौकरी नहीं है।

ड्राइविंग छूट गई तो अब राधे गोविंद ठाकुर उबर में बाइक चला रहे हैं, ये काम अभी कुछ ही दिनों पहले शुरू हो पाया है।

राधे जैसी कहानी देश के लाखों लोगों की है, जिनका कोरोना के चलते काम-धंधा बंद हो गया। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन और एशियन डेवलपमेंट बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना के चलते देश में करीब 41 लाख लोगों ने नौकरियां खोई हैं। सबसे ज्यादा असर कंस्ट्रक्शन और फर्म सेक्टर के वर्कर्स पर पड़ा है। सिर्फ नौकरियां ही नहीं गईं बल्कि काम-धंधे भी बंद हुए।

हैदराबाद के रहीस पिछले तीन सालों से पैसा जोड़ रहे थे, उन्हें अपना काम शुरू करना था। उन्होंने तीन साल में तीन लाख रुपए जोड़े और जनवरी-2020 से इवेंट मैनेजमेंट का काम शुरू कर दिया। जनवरी से मार्च के बीच काम चल भी अच्छा रहा था। मार्च के आखिरी से काम बंद हुआ तो अब तक सब बंद जैसा ही है।

कहते हैं, बाजार मैं मेरे दो-ढाई लाख रुपए फंसे हैं। अब लोगों के पास पैसे हैं ही नहीं तो वो देंगे कहां से। बोले, इससे अच्छा तो होता कि काम शुरू ही नहीं करता। कम से कम तीन लाख रुपए की जो सेविंग थी, वो तो बनी रहती। रहीस ने तीन लोगों को अपनी कंपनी में काम पर भी रखा था, उन्हें भी निकाल दिया।

ये वो सेक्टर्स हैं, जिन पर लॉकडाउन का सबसे ज्यादा खराब असर हुआ है।

ऐसे भी बहुत से लोग हैं, जिन्हें कोरोना के चलते शहर छोड़ना पड़ा और अब बेरोजगार हैं। अर्जुन रस्तौगी हैदराबाद में नौकरी किया करते थे लेकिन कोरोना के चलते उन्हें अपने घर अहमदाबाद आना पड़ा क्योंकि वहां देखरेख करने वाला कोई नहीं था।

अब उन्हें नौकरी तो मिल रही है, लेकिन सैलरी बहुत कम ऑफर की जा रही है। कहते हैं, मान लीजिए पहले जहां 10 रुपए मिलते थे, अब उसी काम के 2 या 3 रुपए ऑफर किए जा रहे हैं, तो ऐसे में कैसे कहीं ज्वॉइन कर लूं। अर्जुन कहते हैं, बहुत सी कंपनियां ने एम्प्लॉइज की सैलरी भी होल्ड कर दी।

इन सेक्टर्स में अब भी जॉब्स बनी हुई हैं। आईटी में अधिकांश कंपनियों में काम वर्क फ्रॉम होम में ही चल रहा है।

हालांकि, बड़ी कंपनियों ने न एम्प्लॉईज को नौकरी से निकाला न सैलरी घटाई। वर्क फ्रॉम होम की फेसिलिटी दी है, लेकिन इसका फायदा उन्हीं लोगों को मिला जो बैक एंड में काम करते हैं। बिहार के नंदन झा गुड़गांव में पिछले 7 सालों से नौकरी कर रहे थे। लॉकडाउन के पहले तक उन्हें 12 हजार रुपए महीना मिल रहा था। हाल-फिलहाल उनके पास कोई काम नहीं है।

कहते हैं, अपने घर के आसपास की नौकरी ढूंढ रहा हूं लेकिन अभी तक कुछ मिला नहीं। राशन कार्ड बन गया, इसलिए गेहूं-चावल काफी सस्ते में मिल जाता है। जो पैसा जुड़ा था, वो सब खत्म हो गया। तमाम एनजीओ लॉकडाउन में लोगों की मदद के लिए आगे आए हैं।

मौजूदा हालात कितने खराब हैं? इस पर गूंज एनजीओ के फाउंडर अंशु गुप्ता कहते हैं कि, हालात तो लॉकडाउन के पहले से ही खराब हैं। संसाधन कम हो गए, लोग बढ़ गए। कुछ राज्यों ने लेबर लॉ को भी कमजोर कर दिया। गांव में कामकाज कुछ है नहीं। पलायन करने वाले शहर की तरफ लौट रहे हैं, लेकिन शहरों में भी काम नहीं है।

ऐसे हालात में लोग कर्ज में दबते चले जाते हैं। उनका शोषण होता है और कई जिंदगी से हारकर सुसाइड तक कर लेते हैं। मौजूदा हालात ऐसे ही हैं।



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अप्रैल में नौकरियों के हालात सबसे ज्यादा खराब थे। जुलाई में स्थिति थोड़ी बेहतर हुई है, लेकिन बेरोजगारी अब भी बहुत ज्यादा है।


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कंगना ने टूटे ऑफिस को कब्रिस्तान बताया; आज से एसबीआई एटीएम से पैसे निकालने का नियम बदला, बॉर्डर पर पंजाबी गाने बजाना चीन की चाल तो नहीं?

रिया-कंगना की लड़ाई अभी थमी नहीं, मगर अब जया बच्चन और जया प्रदा आमने-सामने हैं। वहीं, मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहीं हरसिमरत कौर बादल ने किसान बिल के विरोध में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। बहरहाल, चलिए शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...

ये 4 आपके काम की खबरें
1.
एसबीआई एटीएम से दिन में कभी भी 10 हजार रुपए या इससे ज्यादा रकम निकालने पर ओटीपी लगेगा। 10 हजार से कम की निकासी पर एटीएम पिन का उपयोग करना होगा।
2. आज से अधिकमास शुरू हो गया है। इस दौरान शादी, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ काम नहीं करने चाहिए, लेकिन खरीदारी की जा सकती है।
3. सुशांत सिंह राजपूत की विसरा रिपोर्ट आ सकती है। फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स इसे एम्स के डॉक्टरों को सौंपेंगे।
4. मुंबई की एक अदालत रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शोविक चक्रवर्ती की जमानत याचिकाओं पर आदेश पारित कर सकती है।

बिहार में चुनाव है, आज 3 सौगात
1.
प्रधानमंत्री मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बिहार में बने कोसी महा-सेतु का उद्घाटन करेंगे। यह 516 करोड़ में बना है।
2. प्रधानमंत्री सरायगढ़ से आसनपुर कुपहा के बीच ट्रेन भी रवाना करेंगे। इससे निर्मली से सरायगढ़ की 298 किलोमीटर की दूरी घटकर 22 किलोमीटर रह जाएगी।
3. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना में आधुनिक सुविधाओं वाले इंटर स्टेट बस टर्मिनस और कृषि भवन का उद्घाटन करेंगे। राज्य में अगले दो महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं।

अब कल की 7 महत्वपूर्ण खबरें

1. टूटे ऑफिस की तस्वीरें साझा कर कंगना बोलीं- ये मेरे सपनों का बलात्कार
कंगना रनोट ने बीएमसी की कार्रवाई के आठ दिन बाद गुरुवार को अपने टूटे ऑफिस की तस्वीरें ट्विटर पर शेयर कीं। और लिखा, ‘ये बलात्कार है मेरे सपनों का, मेरे हौसलों का, मेरे आत्मसम्मान का और मेरे भविष्य का।’ बीएमसी ने 9 सितंबर को कंगना के पाली हिल स्थित ऑफिस में अवैध निर्माण तोड़ दिया था।

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2. कल से शुरू होगा आईपीएल का रोमांच
आईपीएल का 13वां सीजन यूएई में 19 सितंबर से शुरू होने जा रहा है। अब तक के 12 सीजन में सात बार तो मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स विनर रही हैं। इस बार डिफेंडिंग चैम्पियन मुंबई इंडियंस है, जो अब तक चार आईपीएल जीत चुकी है। चेन्नई सुपरकिंग्स तीन बार चैम्पियन रही है। उसने सबसे ज्यादा आठ बार फाइनल खेला है।

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3. मोदी के जन्मदिन पर ट्रेंड हुआ बेरोजगारी दिवस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को 70 साल के हो गए। उन्हें जन्मदिन की बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। साथ ही सोशल मीडिया पर बेरोजगारी दिवस भी ट्रेंड होता रहा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत उनकी पार्टी के तमाम नेताओं ने भी इस दिन को बेरोजगारी दिवस के तौर पर मनाया। क्या वाकई में बेरोजगारी दर बढ़ रही है?

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4. चीन का नया पैंतरा या सच में शांति चाहता है?
लद्दाख में बॉर्डर पर चीनी सेना लाउडस्पीकर लगाकर पंजाबी गाने बजा रही है। माना जा रहा है कि वह भारतीय सैनिकों का ध्यान भटकाना चाहती है। ऐसा भी हो सकता है कि वह तनाव कम करना चाहती हो। हालांकि, इसकी उम्मीद कम है।

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5. अगले महीने खुल सकते हैं सिनेमाघर, लेकिन जोखिम है
उम्मीद की जा रही है कि अक्टूबर से सिनेमाघर खुल सकते हैं। ऐसा हुआ तो सुरक्षा का बहुत ध्यान रखना होगा। हालांकि, एक्सपर्ट थिएटर में फिल्म देखने को सुरक्षित नहीं मानते। क्योंकि इनमें वेंटिलेशन की समस्या होती है और ऐसे स्थान पर संक्रमण फैलने की आशंका ज्यादा होती है।

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6. 58 साल बाद माइनस 50 डिग्री तापमान में डटी रहेगी भारतीय सेना
भारतीय सेना लद्दाख में चीन से सटी फॉरवर्ड पोस्ट पर इस बार सर्दियों में नहीं हटेगी। 1962 के चीन युद्ध के बाद ऐसा पहली बार होगा। यहां सर्दियों में तापमान माइनस 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। ऐसे में अक्टूबर के आखिर से पोस्ट खाली करने का काम शुरू हो जाता था, फिर मार्च में ही वापसी होती थी।

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7. मप्र की मंत्री बोलीं- जिस कलेक्टर को फोन करेंगे, वह सीट जिता देगा
मध्य प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी का एक वीडियो विवादों में है। इसमें वे कह रही हैं कि हम जिस कलेक्टर को फोन करेंगे, वह सीट पर जीत दिला देगा। इमरती देवी ने यह बात चुनाव प्रचार के दौरान कही। कांग्रेस ने मामले की शिकायत चुनाव आयोग में की है। राज्य में अगले दो महीनों में 28 सीटों पर उपचुनाव होने हैं।

-पढ़ें पूरी खबर

अब 18 सितंबर का इतिहास

1803: अंग्रेजों ने ओडिशा के पुरी पर कब्जा किया।

1809: लंदन में रॉयल ओपेरा हाउस खुला।

1851: न्यूयार्क टाइम्स अखबार का प्रकाशन शुरू किया।

1997: ओजोन परत की रक्षा के लिए 100 देशों ने 2015 तक मिथाइल ब्रोमाइड का उत्पादन बंद करने का फैसला किया।

मशहूर हास्य कवि काका हाथरसी का 1906 में आज ही के दिन जन्म हुआ था। खास बात ये कि वे अपने जन्मदिन के ही दिन 1995 में 86 साल की उम्र में इस दुनिया को छोड़ गए। आइए ब्रीफ के आखिरी में काका की गुदगुदाने वाली चंद पंक्तियां पढ़िए...



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Kangana's lies caught; Playing Punjabi songs on the border is not a Chinese move? Rules to withdraw money from SBI ATM changed from today


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4 साल पहले उरी में 19 जवान शहीद हुए थे जैश के आतंकी हमले में; 10 दिन बाद भारतीय सेना ने की थी सर्जिकल स्ट्राइक

चार साल पहले आज ही के दिन 18 सितंबर 2016 को उरी में हमला हुआ था। सुबह साढ़े पांच बजे जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकवादियों ने सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर्स पर हमला किया था। हमले में 19 जवान शहीद हुए। कई घायल हुए। सेना ने 6 घंटे तक चली इस मुठभेड़ में चारों आतंकियों को ढेर किया था। इसके दस दिन बाद भारतीय सेना के 150 कमांडोज 28-29 सितंबर की आधी रात पीओके में दुश्मन की सीमा में घुसे।

उन्होंने वहां भिंबर, केल, तत्तापानी और लीपा इलाकों में आतंकियों के कई लॉन्च पैड्स उड़ा दिए। कमांडोज ने इस तरह ऑपरेशन को अंजाम दिया कि पाकिस्तानी सेना को भारत के कदम का आभास तक नहीं हुआ। रॉ और मिलिट्री इंटेलिजेंस ने पूरी मुस्तैदी से इस मिशन में आतंकवादियों की हर हरकत पर नजर रखी थी। इस ऑपरेशन में कम से कम 40 आतंकियों को मार गिराया गया था।

22 साल पहले बनी थीं इंटरनेट पर साइट्स को पहचान देने वाली संस्था ICANN

  • ICANN यानी इंटरनेट कॉर्पोरेशन फॉर असाइन्ड नेम्स और नंबर्स वह संस्था है जो इंटरनेट प्रोटोकॉल या डोमेन नेम सिस्टम (डीएनएस) को कोऑर्डिनेट करती है। यह 1998 में आज ही के दिन बनी थी। इंटरनेट पर यदि आपको कोई साइट खोलना है या किसी को मैसेज करना है तो आपको उसका पता चाहिए होता है, उसी पते को कोऑर्डिनेट करने वाली संस्था है ICANN और इसे इंटरनेट की फोनबुक भी कहते हैं।
  • शुरुआत में यह संस्था अमेरिकी सरकार का हिस्सा थी। बाद में इसे अलग एनजीओ में बदल दिया। लेकिन, यह समझना जरूरी है कि इंटरनेट पर किसी एक व्यक्ति, संगठन या सरकार का नियंत्रण नहीं है। आईसीएएनएन कम्युनिटी ग्लोबल लेवल पर इंटरनेट से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को मैनेज करती है। इस कम्युनिटी में सरकारों, रजिस्ट्री, रजिस्ट्रार, कमर्शियल यूजर्स, नॉन-कमर्शियल यूजर्स और व्यक्तिगत इंटरनेट यूजर्स के प्रतिनिधि शामिल हैं।

1851 में न्यूयॉर्क टाइम्स की शुरुआत

द न्यूयॉर्क टाइम्स की शुरुआत 18 सितंबर 1851 को हुई। पत्रकार और नेता हेनरी जार्विस रेमंड और पूर्व बैंकर जॉर्ज जोन्स ने इसकी शुरुआत की। टाइम्स को पहले रेमंड, जोन्स एंड कंपनी प्रकाशित करती थी। शुरुआती कॉपी में तो प्रकाशन के उद्देश्यों और उसकी पोजिशन को स्पष्ट किया गया था।

आज का दिन इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता हैः

  • 1180ः फिलिप अगुस्टस फ्रांस का राजा बना।
  • 1615ः इंग्लैंड के राजा जेम्स प्रथम के एंबेसडर थामस रॉ जहाँगीर से मिलने सूरत पहुँचा।
  • 1803ः अंग्रेजों ने ओडिशा के पुरी पर कब्ज़ा किया।
  • 1922ः हंगरी लीग ऑफ नेशंस में शामिल हुआ।
  • 1967ः नागालैंड ने अंग्रेजी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया।
  • 1987ः अमेरिका और सोवियत संघ ने मध्यम दूरी के मिसाइल हटाने के लिए हस्ताक्षर किए।
  • 1988ः बर्मा ने अपना संविधान रद्द किया।
  • 1997ः ओजोन परत की रक्षा के लिए 100 देशों ने 2015 तक मिथाइल ब्रोमाइड का उत्पादन बन्द करने का निश्चय किया।
  • 2002: गैंगस्टर अबू सलेम को पुर्तगाल में गिरफ्तार किया गया था। सलेम पर देश में कई हत्याओं, एक्सटॉर्शन के केस दर्ज थे।
  • 2003ः ढाका-अगरतला बस सेवा शुरू।
  • 2004: भारत ने कहा कि अमेरिका ने भारत पर कमर्शियल स्पेस प्रोग्राम और न्यूक्लियर पावर फेसिलिटी पर लगी एक्सपोर्ट पाबंदी हटा ली है।
  • 2006ः रूसी राकेट सोयूज अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के लिए रवाना।
  • 2019: भारत सरकार ने ई-सिगरेट्स के प्रोडक्शन, इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट, ट्रांसपोर्ट, सेल और स्टोरेज पर प्रतिबंध लगाया।

18 सितंबर को जन्मे व्यक्ति

  • 1906ः काका हाथरसी (भारतीय हास्य कवि)
  • 1957ः स्नेहलता श्रीवास्तव (लोकसभा की प्रथम महिला महासचिव)
  • 1950ः शबाना आज़मी (हिन्दी फिल्म अभिनेत्री)


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Today History for September 18th/ What Happened Today | Today History September 18th Uri Attack 2016, After 10 days India strikes back in PoK, New York Times begins publication, Abu Salem Arrested in Portugal


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नाथद्वारा में भक्त नहीं कर पाएंगे मनोरथ दर्शन, द्वारिका में 30% लोग ही आ रहे, जगन्नाथ पुरी में कोई बड़ा आयोजन नहीं

शुक्रवार से अधिक मास शुरू हो रहा है। ये भगवान कृष्ण की भक्ति का महीना है। लेकिन, इस साल कोरोना के चलते देश के चार सबसे बड़े कृष्ण मदिरों में अधिक मास की कोई धूम नहीं होगी। राजस्थान के नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर, गुजरात के द्वारिकाधीश, पुरी के जगन्नाथ मंदिर और आंध्र के तिरुपति बालाजी में वैसा माहौल नहीं होगा जो 2018 के अधिक मास में था।

हम आपको बता रहे हैं कि इन चार बड़े मंदिरों में कोरोना काल में कैसे मनेगा...

नाथद्वारा में श्रीनाथजी मंदिर को हवेली भी कहा जाता है। ये मंदिर सदियों पुराना है। पुष्टिमार्गीय वैष्णवों की ये सबसे बड़ी पीठ मानी जाती है।

नाथद्वारा- द्वार रहेंगे बंद, बाहरी लोगों को दर्शन की अनुमति नहीं

राजस्थान के नाथद्वारा स्थित श्रीनाथजी मंदिर पुष्टिमार्गीय वैष्णवों की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। ये मंदिर पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व का है। मंदिर में अधिकमास आयोजन समिति का काम देख रहे पं. सुधाकर उपाध्याय ने बताया अधिक मास वैसे ही मनेगा जैसे हर बार मनता आया है।

हर दिन एक नया मनोरथ होगा। भगवान का रोज नया श्रंगार होगा, भोग से लेकर सारी चीजें हर अधिक मास की तरह ही होंगी। लेकिन, इस बार कोरोना के चलते किसी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश नहीं मिलेगा। चूंकि, ठाकुरजी की तस्वीरें खींचना भी मना है, सो अभी लाइव दर्शन की व्यवस्था यहां नहीं है।

फिर भी हम कोशिश कर रहे हैं कि भक्तों को कुछ मनोरथों के दर्शन हो सकें। मंदिर प्रशासन ने ऑनलाइन सेवा और मनोरथ बुकिंग की व्यवस्था की है। हर अधिक मास में यहां 2 लाख से ज्यादा भक्त दर्शन करने आते हैं।

द्वारिका के जगत मंदिर में कुछ दिनों पहले ही श्रद्धालुओं का प्रवेश शुरू हुआ है। लेकिन, अभी यहां सीमित संख्या में ही दर्शन की अनुमति दी जा रही है।

द्वारिका- 30% लोग आ रहे हैं मंदिर में, लेकिन ऑनलाइन कर सकेंगे दर्शन

भगवान कृष्ण की नगरी गुजरात की द्वारिका के जगत मंदिर में दर्शन तो शुरू हो गए हैं। लेकिन, अभी 30% लोग ही दर्शन करने आ रहे हैं। कोरोना के कारण रोजाना लगभग तीन हजार लोग आ रहे हैं। जगत मंदिर के मुख्य पुजारी प्रणव भाई के मुताबिक, अधिक मास में भी इतनी ही संख्या में लोग आ सकेंगे।

पूरे महीने में भगवान के वे सारे मनोरथ (श्रंगार, भोग और दर्शन) होंगे जो सामान्यतः पूरे एक साल में अलग-अलग मौकों पर होते हैं। कोरोना गाइडलाइंस के पालन के साथ सारे मनोरथ होंगे। प्रशासन पूरी तरह व्यवस्था संभाले हुए है। जो लोग मंदिर नहीं आ पा रहे हैं, वो सारे मनोरथों के दर्शन मंदिर की ऑफिशियल वेबसाइट पर कर सकेंगे।

जगन्नाथपुरी मंदिर में पिछले 6 महीनों से बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध है। मंदिर के सारे उत्सव परिसर के अंदर ही चुनिंदा लोगों की मौजूदगी में हो रहे हैं।

जगन्नाथ पुरी- इस साल कोई बड़ा आयोजन नहीं, सामान्य पूजापाठ होंगे

उड़ीसा में पुरी के जगन्नाथ मंदिर में इस साल अधिक मास का कोई विशेष आयोजन नहीं हो रहा है। हर रोज की तरह मंदिर में दैनिक पूजा और अनुष्ठान ही होंगे। करीब 6 माह से बंद मंदिर में इस समय भी श्रद्धालुओं की इंट्री नहीं है।

मंदिर समिति के सदस्य और पुजारी पं. श्याम महापात्रा के मुताबिक, पुरी सहित उड़ीसा के ज्यादातर क्षेत्रों में कोरोना के केस बढ़े हुए हैं। मंदिर में सिर्फ समिति सदस्यों और पुजारियों का ही प्रवेश हो रहा है। अधिक मास पर कुछ भी विशेष आयोजन नहीं होगा।

ब्रह्मोत्सव के लिए सजाया गया तिरुपति बालाजी मंदिर। हर साल ब्रह्मोत्सव में यहां 10 लाख से ज्यादा लोग आते हैं।

तिरुपति- ब्रह्मोत्सव की तैयारी पूरी, 19 से 27 तक हर दिन बड़े आयोजन

आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में इस साल अधिक मास में ब्रह्मोत्सव का आयोजन हो रहा है। हालांकि, ये हर साल की तरह भव्य तो नहीं होगा क्योंकि लोगों की संख्या सीमित ही होगी। इस समय मंदिर में औसतन 13 से 14 हजार लोग रोज दर्शन कर रहे है।

हर साल ब्रह्मोत्सव में करोड़ों का खर्च होता है क्योंकि देश-दुनिया से भगवान वैंकटेश्वर के भक्त इस दौरान यहां पहुंचते हैं। मंदिर ट्रस्ट के पीआरओ टी. रवि के मुताबिक, 19 से 27 तक ब्रह्मोत्सव का आयोजन होगा। इसमें रोज भगवान के नए श्रंगार और वाहनों की सेवा होगी। रोज किसी एक नए वाहन पर भगवान भ्रमण करने निकलेंगे।



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Adhik maas 2020 Devotees will not be able to see Manorath in Nathdwara, only 30% people are coming to Dwarka, no big event in Jagannathpuri


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ब्रेक लेकर आंखों का ख्याल रखें, दोस्तों के साथ बाहर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ आईपीएल देखें; स्क्रीनटाइम के दौरान 6 बातों का ध्यान रखें

आगामी शनिवार यानी 19 सितंबर से इंडियन प्रीमियर लीग का आगाज होने जा रहा है। देखा जाए तो आईपीएल के 12 सीजन आ चुके हैं, लेकिन महामारी के दौरान यह पहली बार होगा कि लोग इतने बड़े टूर्नामेंट का सावधानियों के साथ मजा लेंगे। खास बात है कि इस बार आईपीएल केवल मैदान ही नहीं, सड़कों, दुकानों और घरों में भी अलग तरह से नजर आएगा।

अब जब क्रिकेट प्रेमियों का पसंदीदा आईपीएल फिर से शुरू हो रहा है तो उत्साह होना सही है, लेकिन हमें इस दौरान कई सावधानियां भी रखनी होंगी। जैसे- आंखों का ख्याल, सोशल डिस्टेंसिंग, फूड सेफ्टी। क्योंकि कई बार हम दोस्तों या रिश्तेदारों के बीच होते हैं और दूरी नहीं बना पाते और हाइजीन का ख्याल भी मुश्किल हो जाता है। लाखों दर्शक इस टूर्नामेंट का मजा टीवी पर लेंगे, जबकि कुछ अपनी मोबाइल स्क्रीन पर मैच देखेंगे। इसलिए सावधानी बहुत जरूरी हैं।

मैच देखने के दौरान 3 बातों का ध्यान रखें-

1. सोशल डिस्टेंसिंग: क्रिकेट देखने के लिए जगह का हमेशा ही क्रेज रहा है। दोस्त एक साथ शामिल होते हैं, दुकानों पर भीड़ लगती है। हालांकि, अब यह माहौल मुमकिन नहीं है। खासतौर से छोटी जगहों पर। अगर आप दूसरों के साथ मैच का मजा लेना चाहते हैं तो ध्यान रखें कि बड़ी जगह का चुनाव करें, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके। पूरे मैच के दौरान मास्क का खास ध्यान रखें।

2. खुली जगह का चुनाव: एक्सपर्ट्स बताते हैं कि भीड़ के मामले में इंडोर के मुकाबले बाहर रहना ज्यादा सुरक्षित है। कोरोनावायरस के 100 मामलों को लेकर हुई एक जापानी स्टडी बताती है कि बाहर की तुलना में घर के अंदर कोरोनावायरस की चपेट में आने का जोखिम 20 गुना ज्यादा होता है। बाहर होने वाले कार्यक्रमों में जोखिम इसलिए कम होता है, क्योंकि हवा बूंदों को हटा देती है और सूरज की रोशनी वायरस को मार सकती है। ग्रुप के साथ इंडोर मैच देखने से बचें।

3. आंखों का ख्याल: महामारी शुरू होने के बाद से ही हमारा स्मार्टफोन, लैपटॉप जैसी डिजिटल डिवाइस से वास्ता बढ़ा है। दफ्तर से लेकर बच्चों की पढ़ाई तक हर चीज घर से ही पूरी हो रही है। रामकृष्ण परमार्थ फाउंडेशन मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर और डॉक्टर वसुधा डामले कहती हैं कि लॉकडाउन के कारण मामले कम रिपोर्ट हुए हैं, लेकिन आंखों की परेशानी से जूझ रहे लोगों की संख्या बढ़ी है। डॉक्टर डामले के अनुसार, स्क्रीन टाइम भी ड्राइनेस का मुख्य कारण है।

4. खाना खाते वक्त सावधानी: ग्रुप में मैच देखने के दौरान हम कई बार आपस खाने की चीजें भी शेयर कर लेते हैं। जबकि महामारी के दौरान इस बात की भी सावधानी बरतनी है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, केवल गर्म चीज ही खाएं, क्योंकि यह ज्यादा सुरक्षित रहती है। कुछ भी खान से पहले सैनिटाइजर के बजाए हैंड वॉश से हाथ साफ करें।

स्क्रीन टाइम में कौन सी सावधानी रखें?

डॉक्टर वसुधा गैरजरूरी स्क्रीन टाइम में कटौती करने की सलाह भी देती हैं, क्योंकि जितना ज्यादा स्क्रीन टाइम उतनी ज्यादा दिक्कत। अगर क्रिकेट देखना चाहते हैं तो गेमिंग, मूवी जैसे एक्स्ट्रा स्क्रीन टाइम को कम कर सकते हैं। अगर आप अपनी आंखों का ख्याल रखना चाहते हैं तो एक्सपर्ट्स की इन 6 सलाहों को मानें।

  1. बार-बार आंखें झपकाना: ऑप्थेलमोलॉजिस्ट डॉक्टर विनिता रमनानी के मुताबिक, आमतौर पर हमारी आंखें एक मिनट में 18-20 बार झपकती हैं, लेकिन स्क्रीन पर काम करते वक्त यह संख्या कम हो जाती है। इससे बचने के लिए कुछ देर में आंखों को बार-बार तेज झपकाएं।
  2. 20-20-20 रूल: डॉक्टर 20-20-20 नियम को फॉलो करने की सलाह देते हैं। इसमें आपको काम के दौरान हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए 20 फुट दूर की किसी चीज को देखना है। इससे आंखों की मसल्स रिलेक्स होती हैं।
  3. एसी से बचें: डॉक्टर डामले बताती हैं कि, एयर कंडीशनर में काम करने से ड्राइनेस की परेशानी बढ़ सकती है। एसी में काम करने से बचें। अगर एसी के बीच काम कर रहे हैं तो थोड़ी-थोड़ी देर में ब्रेक लें। इसके अलावा कमरे की लाइटों को बंद कर काम न करें। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हमेशा कमरे में रोशनी के बीच या लाइट के बीच ही काम करें।
  4. ब्रेक लें: काम के दौरान कुछ देर में ब्रेक लेते रहें और नॉर्मल माहौल में घूमें। इसके अलावा अपने नॉर्मल भोजन के साथ मल्टीविटामिन और एंटीऑक्सीडेंट फूड का भी उपयोग करें।
  5. चेयर हाइट को एडजस्ट करें: डॉक्टर्स के मुताबिक आंखों की सेहत के लिए काम करते वक्त पॉश्चर और मॉनीटर के बीच बैलेंस करना बहुत जरूरी है। कोशिश करें की स्क्रीन की हाइट नीचे हो, क्योंकि नीचे देखने से आंखें थोड़ी ही खुलती हैं और ज्यादा लुब्रिकेंट इवेपोरेट (भाप बनकर उड़ना) नहीं होता।
  6. अगर चश्मा लगा है तो उपयोग करें: डॉक्टर के मुताबिक, जिन लोगों को चश्मा लगा है, वे इसका जरूर उपयोग करें। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि आपको बगैर चश्मे के भी साफ नजर आ रहा है।

क्या दोस्तों के साथ बाहर मैच देखना सुरक्षित है?
कई बार लोग घर के बजाए दोस्तों के साथ रूफ टॉप कैफे या रेस्टोरेंट्स में जाकर मैच देखना ज्यादा पसंद करते हैं। एक्सपर्ट्स भी अंदर के बजाए खुली जगह में गेदरिंग को अच्छा उपाय मानते हैं। ध्यान रखें कि अगर आपको या किसी करीबी को कोरोना के लक्षण नजर आ रहे हैं तो बाहर एक साथ जाने से बचें।

अगर आप रेस्टोरेंट या बाहर किसी जगह पर मैच देखने जा रहे हैं तो कुर्सियों के बीच पर्याप्त दूरी का ध्यान रखें और खाना शेयर करने से बचें। अगर किसी रेस्टोरेंट में भीड़ ज्यादा है तो बेहतर होगा आप दूसरा कोई उपाय खोजें। केवल भीड़ ही नहीं स्क्रीन वाली जगह पर देख लें कि स्टाफ मास्क पहन रहा है या नहीं और लोग सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर कितने अलर्ट हैं। अगर हो सके तो बाहर की टेबल चुनें।



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