शनिवार, 12 दिसंबर 2020

25 भारतीय रेसलर मैदान में उतरेंगे, रियो ओलिंपिक के क्वालिफायर नरसिंह की बैन के 4 साल बाद वापसी

कोरोना के बीच सर्बिया के बेलग्रेड में आज से इंडिविजुअल रेसलिंग वर्ल्ड कप शुरु हो रहा है। इसमें भारत के 25 (8 महिला और 17 पुरुष) पहलवान फ्री स्टाइल और ग्रीको रोमन इवेंट में उतरेंगे। रियो ओलिंपिक में कोटा हासिल करने वाले नरसिंह यादव (74 किग्रा वेट कैटेगरी) 4 साल के प्रतिबंध के बाद पहली बार रिंग में उतरेंगे।

रियो गेम्स से ठीक पहले नरसिंह डोप टेस्ट में फेल हो गए थे। प्रतिबंधित पदार्थ पाए जाने के कारण उन पर 4 साल का बैन लगा था। तब उस वेट कैटेगरी में नरसिंह का नाम भेज दिए जाने के कारण सुशील कुमार समेत कोई भी भारतीय ओलिंपिक में नहीं जा सके थे।

वर्ल्ड कप कोरोना के कारण इंडिविजुअल फॉर्मेट में हो रहा
रेसलिंग वर्ल्ड कप कोरोना के कारण इंडिविजुअल फॉर्मेट में हो रहा है। यानि खिलाड़ियों को टूर्नामेंट में आने के लिए या नाम वापस लेने की पूरी आजादी है। यही कारण है कि भारत के बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट ने टूर्नामेंट से नाम वापस ले लिया है। यह टूर्नामेंट ओलिंपिक क्वालिफायर नहीं है।

भारत की ग्रीको रोमन और वुमन्स टीम पहुंच चुकी
टूर्नामेंट में सबसे पहले ग्रीको रोमन के इवेंट्स होंगे। उसके बाद 14-15 दिसंबर को वुमन्स और 17-18 दिसंबर को मेन्स के फ्री स्टाइल के इवेंट होंगे। भारत की ग्रीको रोमन और वुमन्स टीम सर्बिया पहुंच चुकी हैं। फ्री स्टाइल की टीम 13 दिसंबर को सर्बिया के लिए रवाना होगी।

नरसिंह के फंसने को लेकर सुशील पर भी सवाल उठे थे
रियो ओलिंपिक के लिए 74 किग्रा वेट कैटेगरी में नरसिंह ने भारत को एक कोटा दिलाया था। इस कैटेगरी में भारत की तरफ से प्लेयर को भेजने के लिए दो बार के ओलिंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार ने ट्रायल की मांग की थी। वे चाहते थे कि भारतीय कुश्ती फेडरेशन उन्हें ओलिंपिक के लिए भेजे। गेम्स से ठीक पहले नरसिंह डोप टेस्ट में फंस गए। उनके खाने में प्रतिबंधित पदार्थ पाया गया था। नरसिंह के फंसने को लेकर सुशील पर भी सवाल उठने लगे थे।

वहीं, फेडरेशन कोटा हासिल करने वाले नरसिंह को ही रियो ओलिंपिक के लिए भेजना चाहता था। उनके डोपिंग में फंसने के बाद इस वेट कैटेगरी में कोई दूसरा पहलवान नहीं जा सका। क्योंकि भारतीय फेडरेशन पहले ही नरसिंह का नाम भेज चुका था, जो वापस नहीं लिया जा सकता था।

भारत ने रेसलिंग में अब तक 5 ओलिंपिक मेडल जीते

ओलिंपिक

पहलवान का नाम

वेट कैटेगरी

मेडल

1952 (हेलसिंकी)

केडी जाधव

57 किग्रा फ्री स्टाइल

ब्रॉन्ज

2009 (बीजिंग)

सुशील कुमार

74 किग्रा फ्री स्टाइल

ब्रॉन्ज

2012 (लंदन)

सुशील कुमार

74 किग्रा फ्री स्टाइल

सिल्वर

2012 (लंदन)

योगेश्वर दत्त

60 किग्रा फ्री स्टाइल

ब्रॉन्ज

2016 (रियो)

साक्षी मलिक

58 किग्रा

ब्रॉन्ज

सुशील और जितेंद्र के मना करने पर नरसिंह को मिला मौका
नरसिंह 4 साल से किसी भी टूर्नामेंट में नहीं खेले हैं। इस कैटेगरी के सुशील और जितेंद्र कुमार के मना करने के बाद ही नरसिंह को भेजा जा रहा है। रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के असिस्टेंट सेक्रेटरी विनोद तोमर ने भास्कर से कहा- सुशील और जितेंद्र ने मना कर दिया था, इसलिए नरसिंह को भेजा रहा है। नरसिंह नेशनल कैंप में शामिल थे। वे कैंप में बेहतर प्रदर्शन कर रहे थे। कोरोना के कारण ट्रायल नहीं करा पाए। ऐसे में एशियन चैम्पियनशिप के लिए हुए ट्रायल के आधार पर वर्ल्ड कप के लिए प्लेयर्स को सेलेक्ट किया गया।

कोटा हासिल करने का पहलवानों के पास दो मौका
भारतीय पहलवानों के पास टोक्यो ओलिंपिक के लिए कोटा हासिल करने के दो मौके हैं। पहला टूर्नामेंट मार्च में एशियन क्वालिफिकेशन और दूसरा 29 अप्रैल से दो मई तक वर्ल्ड क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट होना है। ओलिंपिक में ग्रीको रोमन, मेन्स की फ्री स्टाइल और महिलाओं की 6-6 वेट कैटेगरी शामिल है। अभी भारत को मेन्स की 3 वेट कैटेगरी और वुमन्स की एक वेट कैटेगरी में कोटा मिला है।

ओलिंपिक के लिए कुश्ती में भारत के पास अब तक चार कोटा
भारत ने टोक्यो ओलिंपिक के लिए कुश्ती में अब तक 4 कोटा हासिल किया है। इसमें बजरंग पुनिया (मेन्स फ्री स्टाइल 65 किग्रा वेट कैटेगरी), विनेश फोगाट (महिला 53 किग्रा), रवि कुमार (मेन्स फ्री स्टाइल 57 किग्रा) और दीपक पुनिया (मेन्स फ्री स्टाइल 86 किग्रा) शामिल हैं।

ओलिंपिक क्वालिफिकेशन इवेंट से पहले होगा ट्रायल
विनोद तोमर ने कहा कि ओलिंपिक क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट से पहले उन सभी वेट कैटेगरी में ट्रायल होंगे, जिनमें भारत ने अभी तक कोटा हासिल नहीं की है। 74 किलो वेट में भी नरसिंह 4 साल बाद वापसी कर रहे हैं। ऐसे में वे सुशील और जितेंद्र को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। इस वेट कैटेगरी में अब तक भारत को ओलिंपिक कोटा नहीं मिला है।

टूर्नामेंट के लिए 90 लाख रुपए खर्च कर रहा साई
मार्च में कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के बाद यह पहला रेसलिंग इंटरनेशनल टूर्नामेंट है, जिसमें भारतीय पहलवान हिस्सा ले रह हैं। स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) ने कहा कि इस टूर्नामेंट को लेकर करीब 90 लाख रुपए का खर्चा आएगा। इसमें प्लेयर्स के एयर टिकट, बोर्डिंग, लॉजिंग, युनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) की लाइसेंस फीस, वीजा फीस, खिलाड़ियों के साथ कोच और रेफरी का खर्च शामिल है।

टूर्नामेंट में भाग लेने वाली इंडियन रेसलिंग टीम

  • मेन्स फ्री स्टाइल टीम: रवि कुमार (57 किग्रा), राहुल अवारे (61 किग्रा), नवीन (70 किग्रा), गौरव बलियान (79 किग्रा), दीपक पुनिया (86 किग्रा), सत्यव्रत कादियान (97 किग्रा), सुमित (125 किग्रा), नरसिंह यादव (74)।
  • मेन्स ग्रीको-रोमन टीम: अर्जुन हलाकुर्की (55 किग्रा), ज्ञानेंद्र (60 किग्रा), सचिन राणा (63 किग्रा), आशु (67 किग्रा), आदित्य कुंडू (72 किग्रा), साजन (77 किग्रा), सुनील कुमार (87 किग्रा) , हरदीप (97 किग्रा), नवीन (130 किग्रा)।
  • वुमन्स इंडियन रेसलिंग टीम: निर्मला देवी (50 किग्रा), पिंकी (55 किग्रा), अंशु (57 किग्रा), सरिता (59 किग्रा), सोनम (62 किग्रा), साक्षी मलिक (65 किग्रा), गुरशरण प्रीत कौर (72 किग्रा), किरण (76 किग्रा)।


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Individual Wrestling World Cup 2020 Update; Sakshi Malik Deepak Punia Ravi Dahiya


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आंध्र प्रदेश और ओडिशा में सबसे ज्यादा मरीज ठीक हुए; डेथ रेट के मामले में पंजाब की स्थिति खराब

देश के 31 राज्य और केंद्र शासित राज्यों का रिकवरी रेट 90% से अधिक है। मतलब इन राज्यों में 90% से ज्यादा मरीज ठीक हो चुके हैं। सबसे ज्यादा रिकवरी रेट आंध्र प्रदेश का है। यहां अब तक 98.6% मरीज ठीक हो चुके हैं। दूसरे नंबर पर ओडिशा है। यहां 98.5% लोग रिकवर हो चुके हैं। दादर एंड नागर हवेली में 98.4% और अरुणाचल प्रदेश में 98% मरीज रिकवर हो चुके हैं।

रिकवरी रेट में सबसे खराब स्थिति हिमाचल प्रदेश की है। यहां अब तक 82.3% लोग ही ठीक हो पाए हैं। रिकवरी के मामले में खराब परफॉर्मेंस वाले राज्यों में उत्तराखंड, मणिपुर और सिक्किम भी शामिल है।

डेथ रेट का एनालिसिस करें तो पंजाब की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। यहां अब तक 3.2% मरीजों की मौत हो चुकी है। इस मामले में दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है। यहां अब तक 2.6%, सिक्किम में 2.2% लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके अलावा 20 राज्य और केंद्र शासित राज्य ऐसे हैं जहां, 1% से 1.8% डेथ रेट है। इस मामले में सबसे अच्छी स्थिति दादर एंड नागर हवेली, मिजोरम,अरुणाचल प्रदेश समेत 12 राज्य और केंद्र शासित राज्यों की है। यहां डेथ रेट 1% से भी कम है।

अब तक कुल 98.27 लाख केस
देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 98 लाख के पार हो गया है। पिछले 24 घंटे के अंदर 29 हजार 961 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इसी के साथ संक्रमितों की संख्या अब 98 लाख 27 हजार 26 हो गई है। इनमें 3 लाख 58 हजार 66 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 93 लाख 23 हजार 792 लोग ठीक हो चुके हैं। 1 लाख 42 हजार 662 लोगों की मौत हो चुकी है।

कोरोना अपडेट्स

  • पंजाब में किसानों के बढ़ते प्रदर्शन के बीच चिंताजनक खबर सामने आई है। दूसरे सीरो सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के 24.19% लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। ये सर्वे 12 जिलों में हुआ था। खराब हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नाइट कर्फ्यू को 1 जनवरी तक बढ़ाने का आदेश दे दिया। तब तक राज्य में बड़े जमावड़े भी नहीं हो सकेंगे। पुलिस को निगरानी रखने का आदेश दिया गया है।
  • महाराष्ट्र में लोगों की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है। यहां मुंबई के एक नाइट क्लब में 1 हजार से ज्यादा लोगों को पार्टी करते हुए पुलिस ने पकड़ा है। सभी बगैर मास्क के थे। पुलिस ने नाइट क्लब संचालक के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है। बाकी लोगों को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। BMC के कमिश्नर इकबाल सिंह चहल ने कहा कि लोगों को गाइडलाइन का पालन करने के लिए कहा गया है। हम हालात का जायजा ले रहे हैं। 20 दिसंबर तक अगर इसमें सुधार नहीं देखा गया तो नाइट कर्फ्यू पर विचार करना पड़ेगा।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुणे की जेनोवा कंपनी को ह्यूमन ट्रायल की मंजूरी दे दी है। ये देश की पहली वैक्सीन मैसेंजर-RNA यानी mRNA टेक्नोलॉजी पर डेवलप की गई हैं। इस तरह के वैक्सीन मैसेंजर RNA का इस्तेमाल करते हैं, जो शरीर को बताते हैं कि किस तरह का प्रोटीन बनाना है। जेनोवा से पहले फाइजर और मॉडर्ना ने ह्यूमन ट्रायल्स पूरे कर लिए हैं। मॉडर्ना की वैक्सीन 94.5% तक इफेक्टिव है, जबकि फाइजर की वैक्सीन 90% इफेक्टिव। यह दोनों भी वैक्सीन मैसेंजर-RNA यानी mRNA बेस्ड टेक्नोलॉजी पर डेवलप की गई हैं।
  • मेघालय के मुख्‍यमंत्री कोर्नाड संगमा कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। उन्‍होंने सोशल मीडिया पर ये जानकारी दी। कोर्नाड ने लिखा, 'मेरी कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। फिलहाल होम आइसोलेशन में हूं और मुझे हल्के लक्षण हैं। पिछले पांच दिनों में मैं जिन लोगों के संपर्क में आया हूं उन सभी से अनुरोध है कि वे अपनी सेहत पर नजर रखें और जरूरी हो तो टेस्‍ट करवा लें। सुरक्षित रहें।'

5 राज्यों का हाल

1. दिल्ली

राजधानी दिल्ली में पिछले 24 घंटे के अंदर 2385 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। 2402 लोग रिकवर हुए और 60 की मौत हो गई। अब तक 6 लाख 3 हजार 535 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 18 हजार 676 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 5 लाख 74 हजार 925 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 9934 हो गई है।

2. मध्यप्रदेश

राज्य में शुक्रवार को 1222 लोग संक्रमित पाए गए। 1347 लोग रिकवर हुए और 9 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 21 हजार 115 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 13 हजार 92 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 4 हजार 641 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 3382 हो गई है।

3. गुजरात

पिछले 24 घंटे में राज्य के 1223 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। 1403 लोग रिकवर हुए और 13 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 25 हजार 304 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 13 हजार 527 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 7 हजार 629 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 4148 हो गई है।

4. राजस्थान

राज्य में शुक्रवार को 1473 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। 2768 लोग रिकवर हुए और 14 की मौत हो गई। अब तक संक्रमण की चपेट में 2 लाख 88 हजार 692 लोग आ चुके हैं। इनमें 17 हजार 721 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 68 हजार 457 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 2514 हो गई है।

5. महाराष्ट्र

राज्य में शुक्रवार को 4268 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। 2774 लोग रिकवर हुए और 87 की मौत हो गई। अब तक 18 लाख 72 हजार 440 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 73 हजार 315 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 17 लाख 49 हजार 973 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 48 हजार 59 हो गई है।



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किसान आज दिल्ली-जयपुर और दिल्ली-आगरा हाईवे जाम करेंगे, देशभर में टोल फ्री करेंगे

कृषि कानून रद्द करवाने की मांग पर अड़े किसान आज आंदोलन और तेज करेंगे। किसान आज देशभर में टोल फ्री करेंगे। साथ ही दिल्ली-जयपुर और दिल्ली-आगरा हाईवे जाम करेंगे। हालांकि, उनका ये भी कहना है कि सरकार से बातचीत के दरवाजे खुले हैं, न्योता आया तो जरूर बात करेंगे।

पंजाब से 50 हजार किसान आज दिल्ली पहुंचेंगे
आंदोलन में शामिल होने के लिए पंजाब के अलग-अलग जिलों के 50 हजार किसान शुक्रवार को दिल्ली के लिए रवाना हुए। ये आज शाम तक कुंडली बॉर्डर पहुंचेंगे। किसान मजदूर संघर्ष समिति से जुड़े ये लोग अमृतसर, तरनतारन, गुरदासपुर, जालंधर, कपूरथला और मोगा जिलों के हैं।

अब तक 11 किसानों की मौत
सर्दी और कोरोना के बावजूद किसान 17 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर एक-एक कर अब तक 11 किसान दम तोड़ चुके हैं। किसी की जान पेट या सीने में दर्द की वजह से तो किसी की हादसे में गई। सर्दी में आसमान तले बैठे किसान लगातार बीमार पड़ रहे हैं।

कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी
किसानों ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाकर कहा कि नए कानून उन्हें कॉरपोरेट के भरोसे छोड़ देंगे। ये कानून जल्दबाजी में लाए गए हैं। ये अवैध और मनमाने हैं, इसलिए इन्हें रद्द किया जाए।



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किसान दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं। फोटो सिंघु बॉर्डर की है।


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टीम इंडिया को चाहिए ऑलराउंडर; कृषि मंत्री ने दिखाया भास्कर और अमृतसर से दिल्ली पहुंचे हजारों किसान

नमस्कार!

नए कृषि कानूनों के फायदे किसानों को बताने के लिए भाजपा देशभर में चौपालें लगाएगी। वहीं, किसान इन कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा है कि नए कानूनों से किसान कॉर्पोरेट के आगे कमजोर हो जाएंगे। बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

सबसे पहले देखते हैं, बाजार क्या कह रहा है

  • BSE का मार्केट कैप 182.78 लाख करोड़ रुपए रहा। करीब 56% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही।
  • 3,118 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 1,750 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,220 कंपनियों के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • किसान संगठनों ने देश भर के सभी टोल प्लाजा को फ्री कराने की बात कही है।
  • IRCTC हैदराबाद और सिकंदराबाद से भारत दर्शन-दक्षिण भारत यात्रा की शुरुआत करेगा। यह 12 दिसंबर से 18 दिसंबर तक जारी रहेगी।
  • सर्बिया के बेलग्रेड में इंडिविजुअल रेसलिंग वर्ल्ड कप शुरू होगा। इसमें भारत के 25 (8 महिला और 17 पुरुष) पहलवान फ्री स्टाइल और ग्रीको रोमन इवेंट में उतरेंगे।
  • प्रधानमंत्री मोदी ग्लोबल क्लाइमेट समिट पर संबोधन देंगे।

देश-विदेश

टीम इंडिया को ऑलराउंडर्स की तलाश

टीम इंडिया को वनडे और टी-20 में बेहतरीन ऑलराउंडर्स की तलाश है। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर वनडे सीरीज में हार का एक बड़ा कारण छठवें बॉलिंग ऑप्शन का नहीं होना बताया गया। हालांकि वॉशिंगटन सुंदर, राहुल तेवतिया, क्रुणाल पंड्या के अलावा विजय शंकर, शिवम दुबे भी विकल्प हो सकते हैं।

कृषि मंत्री बोले- ये किसानों की डिमांड कैसे?

किसान आंदोलन के तहत टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन में गुरुवार को दिल्ली दंगों के आरोपियों शरजील इमाम, उमर खालिद के पोस्टर दिखे, जिनमें उन्हें रिहा करने की मांग की गई। शुक्रवार को कृषि मंत्री ने दैनिक भास्कर की रिपोर्ट को दिखाकर सवाल उठाया कि किसानों की मांग यह कैसे हो सकती है?

700 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में दिल्ली पहुंचे 50 हजार किसान

कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में किसान आंदोलन जारी है। शुक्रवार को 700 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में 50 हजार किसान-मजदूर अमृतसर से दिल्ली पहुंचे। किसान नेताओं ने बीते दिनों हुई बैठक में 15 मांगें रखी थीं, जिनमें से सरकार 12 मांगें मानने को तैयार है। किसानों के मुताबिक, तीनों कृषि कानून पूरी तरह सही नहीं हैं।

शेयर मार्केट में रिकॉर्ड, सेंसेक्स 46300 के पार

शेयर बाजार में शुक्रवार को शानदार तेजी रही। सेंसेक्स 139.13 अंको की बढ़त के साथ 46,099.01 पर और निफ्टी भी 35.55 अंक ऊपर 13,513.85 के स्तर पर बंद हुआ। हालांकि, कारोबार के दौरान सेंसेक्स ने 46,309.63 और निफ्टी ने 13,579.35 को छुआ। दोनों इंडेक्स का यह ऑलटाइम हाई लेवल है।

बाइडेन-कमला TIME पर्सन ऑफ द ईयर बने

TIME मैगजीन ने अमेरिका के प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन और वाइस प्रेसिडेंट इलेक्ट कमला हैरिस को 2020 के लिए पर्सन ऑफ द ईयर चुना है। कवर इमेज पर दोनों के फोटो के साथ लिखा गया- Changing America'S story यानी बदलते अमेरिका की कहानी।

भास्कर डेटा स्टोरी

जानें एक दिन में देश भर से कितना टोल आता है?

12 दिसंबर को किसान संगठनों ने देश भर के सभी टोल प्लाजा को फ्री कराने की बात कही है। किसान नेता दर्शन पाल का कहना है कि 12 तारीख को किसी भी टोल प्लाजा पर कोई टैक्स नहीं दिया जाएगा। लेकिन टोल प्लाजा फ्री कराने से सरकार को क्या नुकसान पहुंचेगा?

-पढ़ें पूरी खबर

पॉजिटिव स्टोरी

फ्री ऑटो रिक्शा एम्बुलेंस; 500 से ज्यादा मरीजों की मदद

यह कहानी है ऑटो ड्राइवर अतुलभाई ठक्कर की। 18 जनवरी 2011 को उनकी पत्नी की तबियत बिगड़ी। उनका ऑटो पंचर था। किराए का रिक्शा लेकर जैसे-तैसे अस्पताल पहुंचे। अब पत्नी का दिल सिर्फ 35% ही काम करता है क्योंकि समय पर इलाज नहीं मिला। फिर अतुलभाई ने 'मुफ्त ऑटो रिक्शा एम्बुलेंस' शुरू की।

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सुर्खियों में और क्या है...

  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुणे की जिनेवा कंपनी को ह्यूमन ट्रायल की मंजूरी दे दी है। ये देश की पहली वैक्सीन मैसेंजर-RNA यानी mRNA टेक्नोलॉजी पर डेवलप की गई हैं।
  • पंजाब में बढ़ते कोरोना के मामलों के मद्देनजर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नाइट कर्फ्यू को 1 जनवरी तक बढ़ाने का आदेश दे दिया। पुलिस को सख्त निगरानी रखने का आदेश है।
  • पश्चिम बंगाल में भाजपा नेताओं पर हमले के मामले में राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कहा कि आग से न खेलें। राज्य के खराब हालात पर वे केंद्र को अपनी रिपोर्ट भेज चुके हैं।


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इधर किसानों की कतार, उधर बयानों की बौछार



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खेल हो या शत्रुता, कभी भी सामने वाले की कमजोरी को हथियार नहीं बनाना चाहिए

कहानी- महात्मा गांधी अपने आसपास रह रहे सभी लोगों की छोटी-छोटी बातों पर भी बहुत गहराई से ध्यान देते थे। वे बैडमिंटन बहुत कम खेलते थे लेकिन, एक महिला ने उनसे निवेदन किया कि मुझे भी बैडमिंटन खेलना आता है और आप भी थोड़ा बहुत खेल लेते हैं। बाकी मैं आपको सिखा दूंगी।

गांधीजी उस महिला के साथ बैडमिंटन खेलने के लिए तैयार हो गए। वे दोनों नेट की दोनों तरफ खड़े हो गए। लेकिन, गांधीजी ने देखा कि महिला के दाएं हाथ में चोट लगी हुई है और उस पट्टी बंधी है। इस वजह से वह बाएं हाथ में रैकेट पकड़कर खेल रही थी।

गांधीजी ने भी बाएं हाथ में रैकेट लेकर खेलना शुरू कर दिया। तब महिला ने कहा, बापू, मेरे सीधे में चोट की वजह से दर्द हो रहा है, इसलिए मैं उल्टे हाथ से खेल रही हूं। लेकिन, आप क्यों उल्टे हाथ से खेल रहे हैं?'

गांधीजी ने कहा, 'इस समय तुम्हारी दुर्बलता है कि तुम सीधे हाथ का उपयोग नहीं कर पा रही हो। मैं इसका फायदा उठाना नहीं चाहता हूं। खेल में जीत-हार अपनी जगह है। अगर मैं सीधे हाथ से खेलूंगा तो संभव है कि मैं जीत जाऊंगा। लेकिन, किसी से मुकाबला करना हो तो समानता के साथ करना चाहिए।'

सीख - दोस्ती हो या दुश्मनी, दोनों में समानता होनी चाहिए। दूसरों की कमजोरी का लाभ उठाने से बचना चाहिए। क्योंकि, वैसी कमजोरी का सामना हमें भी करना पड़ सकता है।



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story of mahatma gandhi about life management, aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshankar mehta, life management tips by vijayshankar mehta


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आज टोल प्लाजा फ्री कराएंगे किसान; जानें एक दिन में देश भर से कितना टोल आता है? सरकार कितना कमाती है?

खेती से जुड़े तीन कानूनों को लेकर किसान और सरकार आमने-सामने हैं। बातचीत से भी मसला सुलझ नहीं रहा है। 8 दिसंबर को भारत बंद के बाद किसान अब और बड़ा प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं। 12 दिसंबर को किसान संगठनों ने देशभर के सभी टोल प्लाजा को फ्री कराने की बात कही है। किसान नेता दर्शन पाल का कहना है कि 12 तारीख को किसी भी टोल प्लाजा पर कोई टैक्स नहीं दिया जाएगा।

लेकिन, टोल प्लाजा फ्री कराने से सरकार को क्या नुकसान पहुंचेगा? इसको बस इस उदाहरण से समझ लीजिए कि सितंबर में जब तीनों कानून बने, तो किसानों ने पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन से 50 दिनों में टोल प्लाजा से मिलने वाले रेवेन्यू में 150 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।

लॉकडाउन के दौरान जब 25 मार्च से 20 अप्रैल तक टोल फ्री था, तब नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) को 1,822 करोड़ रुपए का रेवेन्यू लॉस होने का अनुमान लगाया गया था।​​​​​ NHAI ही हाईवे पर टोल प्लाजा से मिलने वाले टोल टैक्स का हिसाब-किताब रखती है।

NHAI को हर साल टोल से कितना रेवेन्यू मिलता है? सरकार कितना कमाती है? ये टोल टैक्स होता क्या है? आइए जानते हैं...

हमारे देश में गाड़ी खरीदने से लेकर उसे चलाने तक हर काम के लिए टैक्स देना पड़ता है। उसमें पेट्रोल-डीजल भी भरवाते हैं, तो भी टैक्स देना पड़ता है। गाड़ी रखने पर खासतौर से तीन तरह के टैक्स से गुजरना पड़ता है। पहला- रोड सेस, दूसरा- रोड टैक्स और तीसरा- टोल टैक्स। रोड टैक्स गाड़ी खरीदते समय ही देना पड़ता है। रोड सेस पेट्रोल या डीजल भरवाते समय हर बार देते हैं और टोल टैक्स हाइवे से गुजरते वक्त देना होता है।

टोल टैक्स हर सड़क पर नहीं लगता। कुछ सड़कें ऐसी होती हैं, जिन्हें चौड़ा कर बनाया जाता है, ताकि समय और तेल दोनों बच सके। ऐसी सड़कों पर टोल टैक्स लगता है। टोल टैक्स तय नहीं होता, ये हर जगह अलग-अलग लगता है। टोल टैक्स सड़क की लंबाई-चौड़ाई पर निर्भर होता है। जितनी ज्यादा लंबी-चौड़ी सड़क, उतना ज्यादा टोल टैक्स। कुछ जगहों को छोड़कर ज्यादातर टोल प्लाजा पर टू-व्हीलर पर टोल टैक्स नहीं लगता।

हर दिन 73 करोड़ रुपए से ज्यादा टोल टैक्स

  • NHAI के मुताबिक, मार्च 2020 तक देशभर में 566 टोल प्लाजा थे। देशभर के हाईवे की लंबाई 29 हजार 666 किमी थी। लंबाई पिछले साल के मुकाबले 10% बढ़ गई थी। 2019-20 यानी अप्रैल 2019 से मार्च 2020 तक हाइवे पर बने टोल प्लाजा से NHAI ने 26 हजार 851 करोड़ रुपए का टोल टैक्स वसूला। यानी हर महीने करीब 2,238 करोड़ रुपए और हर दिन 73.5 करोड़ रुपए।
  • हालांकि, हर एक किमी के हिसाब से ये टैक्स कलेक्शन 2018-19 की तुलना में कम था। 2019-20 में NHAI ने हर एक किमी पर 90.5 लाख रुपए का टैक्स लिया। 2018-19 में 24,997 किमी पर 24,396 करोड़ रुपए का टैक्स मिला था। यानी उस साल 97.5 लाख रुपए हर एक किमी पर मिले थे। इस पैसे का इस्तेमाल हाईवे की मरम्मत और उसके रख-रखाव पर होता है। जितनी बड़ी गाड़ी होती है, उतना ज्यादा टैक्स लिया जाता है।

टोल टैक्स की सरकार की कमाई 7 साल में 38% बढ़ी

  • इसी साल 5 मार्च को लोकसभा में टोल टैक्स के कलेक्शन को लेकर सवाल पूछा गया। इसका जवाब दिया सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने। उन्होंने बताया कि 2019-20 में सरकार को टोल टैक्स के जरिए 7 हजार 321 करोड़ रुपए की कमाई हुई है। ये आंकड़े 29 फरवरी तक के हैं।
  • हालांकि, ये कमाई पिछले दो साल की तुलना में कम थी। सरकार को 2017 में 8,631 करोड़ और 2018 में 9,188 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी।
  • टोल टैक्स के जरिए सरकार की कमाई पिछले 7 साल में 38% बढ़ गई है। 2013-14 में सरकार को इससे 5 हजार 294 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी।

NHAI ने टैक्स ज्यादा लिया, तो सरकार की कमाई कम कैसे?
दरअसल, होता ये है कि आजकल ज्यादातर पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप या PPP मॉडल पर बन रहे हैं। यानी, हाईवे पर सरकार का और किसी प्राइवेट संस्था का पैसा भी लगता है। अब जब हाईवे बनकर तैयार हो जाता है, तो उसकी मरम्मत और उसकी लागत निकालने के लिए टोल टैक्स लिया जाता है। टैक्स का कुछ हिस्सा सरकार के पास आता है और कुछ हिस्सा हाईवे बनाने वाली कंपनियों या प्राइवेट एजेंसियों के पास चला जाता है।



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Toll Plazas Collection India; Haryana Punjab Farmers Delhi Jaipur Protest Update | Per Day Income Of Toll Plazas In Rupees To Toll Plazas Revenue Loss


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रात में एम्बुलेंस की कमी की वजह से पत्नी को वक्त पर इलाज नहीं मिला, शुरू कर दी फ्री ऑटो रिक्शा एम्बुलेंस

'18 जनवरी 2011 मे अचानक मेरी पत्नी की तबियत बिगड़ गई थी। उस समय मेरा ऑटो रिक्शा पंचर था। फिर मैं एक किलोमीटर तक पैदल भागता हुआ गया और किराए का रिक्शा लेकर पत्नी को अस्पताल पहुंचाया। आज मेरी पत्नी का हार्ट सिर्फ 35 प्रतिशत ही काम कर रहा है और उसे कई बीमारियां भी हैं। अगर, उस दिन समय पर इलाज हुआ होता तो आज यह हालत न होती। मैंने अपनी पत्नी की हालत देख मुफ्त ऑटो रिक्शा एम्बुलेंस की शुरुआत की।' ये कहना है ऑटो ड्राइवर अतुल भाई ठक्कर का। ये कहानी भी उन्हीं की है।

वडोदरा के अक्षर चौक इलाके में रहने वाले अतुल भाई पिछले 10 साल से 'मुफ्त ऑटो रिक्शा एम्बुलेंस' चला रहे हैं। वो रात 11 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक मरीजों को अस्पताल ले जाते हैं। अब तक 500 से ज्यादा मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचा चुके हैं।

वडोदरा के रहने वाले कंचनभाई पारेख बताते हैं कि एक दिन जब मेरी तबियत बहुत ज्यादा बिगड़ गई तो मेरी पत्नी ने अतुल भाई को फोन किया। वो तुरंत ही मेरे घर आए और मुझे ऑटो में बिठाकर अस्पताल ले गए। मेरा समय पर इलाज हुआ था। तब मेरा हार्निया का ऑपरेशन हुआ था।

अतुल ठक्कर 10 साल पहले वो वडोदरा के वाड़ी इलाके में रहते थे। 18 जनवरी 2011 को जब उनकी पत्नी प्रीति बेन ठक्कर की तबियत अचानक बिगड़ गई थी। उस दिन अतुल भाई का ऑटो पंक्चर था और एम्बुलेंस भी समय पर पहुंच सके, ऐसे हालात नहीं थे। तब अतुल भाई ऑटो को ढूंढने के लिए एक किमी दौड़े थे, तब जाकर एक ऑटो मिला था।

अतुल भाई कहते हैं कि 10 साल पहले एम्बुलेंस को लेकर जो अनुभव हुआ, उसी के बाद उन्होंने फ्री एम्बुलेंस ऑटो सर्विस शुरू की।

रिक्शा ड्राइवर के सामने गिड़गिड़ाकर अस्पताल जाने के लिए तैयार किया

अतुल भाई अपनी पत्नी को अस्पताल पहुंचाने के लिए रिक्शा ड्राइवर के सामने गिड़गिड़ाए थे। जिसके बाद वो रिक्शा ड्राइवर 100 रुपए किराए पर अस्पताल जाने के लिए राजी हुआ था। उस समय उनकी पत्नी को 3 दिन ICU में रहना पड़ा था।

अतुल भाई ठक्कर बताते हैं, ‘10 साल पहले मेरी बीबी को समय पर इलाज नहीं मिला था, लेकिन ईश्वर ने उसे बचा लिया था। मेरे मन में विचार आया कि मेरे पास ऑटो और रुपए होने के बावजूद भी मुझे इतनी सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा था, तो जिसके पास रुपए और वाहन नहीं है, वो कितने परेशान होते होंगे। इसलिए मैंने मुफ्त ऑटो रिक्शा एम्बुलेंस शुरू करने की ठानी।

15 फरवरी 2011 को मैंने अपने जन्मदिन पर ये सर्विस शुरू की थी। लोग मुझे आधी रात को फोन करते है और में हमेशा सेवा के लिए तैयार रहता हूं। मैं स्कूल रिक्शा भी चलता हूं, लेकिन अभी ये काम कोरोना के चलते बंद है। फिर भी रात के समय पर एम्बुलेंस सर्विस जारी है। लॉकडाउन में और जनता कर्फ्यू के दिन भी मेरी एम्बुलेंस सर्विस जारी रही थी।'

अतुल भाई की पत्नी प्रीति बेन ठक्कर कहती हैं, ‘आधी रात को भी उन्हें किसी का फोन आए तो वो तुरंत ही मरीज को अस्पताल पहुंचाने के लिए तैयार हो जाते हैं। मुझे मेरे पति के सेवा कार्य पर गर्व है।'



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Today's Positive Story: Gujarat Vadodara Man Free Auto Ambulance Service To Needy


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सर्दियों में फैशन के हजारों वैरायटी, जानें इस ठंड फैशन को मेंटेन करने के लिए कौन-कौन से विकल्प

सर्दियों में सबसे बड़ा चैलेंज रहता है कि क्या पहनें? इस मौसम में हमें खुद को ठंड से बचाने के अलावा फैशन को मेंटेन करने की चुनौती भी होती है। NIFT दिल्ली से फैशन डिजाइनिंग कर चुकीं साक्षी श्रीवास्तव ने बताया कि यह मौसम दरअसल फैशन के लिए सबसे अच्छा होता है।

इस मौसम में हमें पहनने के लिए ढेरों वैराइटी मिल जाती है। लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी है फैशन सेंस होना। साक्षी कहती हैं कि हम कुछ भी नहीं पहन सकते, या ऐसा भी नहीं पहन सकते जो सब लोग पहन रहे हैं। हमें खुद को ध्यान में रखकर अपने लिए ड्रेस चुनना होती है।

हमेशा इस पर फोकस करें कि आप पर क्या अच्छा लगेगा? आपकी फिजिक कैसी है? और आपका प्रोफेशन क्या है? अगर आप किसी मौके के लिए ड्रेस सिलेक्ट कर रहे हैं तो इस बात का भी ध्यान रखें कि मौका क्या है? ऐसा करके आप बेहतर ड्रेस सिलेक्ट कर सकते हैं।

ट्रेंडिंग ड्रेस भी अलग हो सकती है

साक्षी ने बताया कि लोग ट्रेृंडिंग क्या है, इस पर काफी फोकस करते हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है बल्कि यह बेहतर तरीका है। लेकिन एक ही तरह के कलर, फेब्रिक या टेक्स्चर के पीछे भागना गलत है। ऐसा करने से हम पैसा तो खर्च करते हैं पर ड्रेस हमारे ऊपर अच्छी नहीं लगती। हमें ट्रेंडिंग के साथ जाना चाहिए लेकिन कलर, फेब्रिक और टेक्स्चर अपने हिसाब का होना चाहिए।

इस सर्दी में लड़के और लड़कियों के लिए बेस्ट ड्रेसिंग कॉबिंनेशन

1- जॉगर और बॉम्बर

बॉम्बर एक नई स्टाइल है, यह जैकेट की तरह ही होती है लेकिन इसका फेब्रिक बहुत ही सॉफ्ट और हल्का होता है। सॉफ्ट और हल्का होने के बाद भी यह शरीर को गर्म बनाए रखता है और साथ ही बाहर की हवा को अंदर आने से रोकता है।

इसके साथ जॉगर पहनने पर बहुत ही कूल लुक मिलता है। बॉम्बर और जॉगर टॉप और बॉटम वेयर का बहुत ही कम्फरटेबल कॉबिंनेशन हो सकता है। जॉगर भी सॉफ्ट और स्ट्रेचेबल होता है जो बॉटम में कम्फर्ट लेवल को मेंटेन रखेगा।

2- ट्राउजर और स्वेटर

साक्षी बताती हैं कि अगर वेदर बहुत ज्यादा ठंडा नहीं है तो स्वेटर भी एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। ऑफिस गोइंग लोगों के लिए स्वेटर के साथ बॉटम में कैजुअल ट्राउजर बहुत ही बढ़िया कॉम्बो है। स्वेटर में डिजाइन और टेक्स्चर को लेकर हजारों ऑप्शन मौजूद हैं। आप इसमें आसानी से अपने हिसाब का यूनीक कॉम्बो बना सकते हैं।

3- स्लिम फिट जींस और स्वेट-शर्ट

स्वेट-शर्ट एक ट्रेंडिंग आइटम है। इसमें भी प्रिंटेड, नॉन-प्रिंटेड समेत हजारों ऑप्शन मौजूद हैं। इसके साथ बॉटम में स्लिम फिट जींस एक अच्छा कॉम्बो हो सकता है। इस कॉम्बो का इस्तेमाल मल्टी पर्पज वे में भी हो सकता है। आप इसे पहनकर ऑफिस और कॉलेज भी जा सकते हैं, साथ ही इन्फॉर्मल पार्टीज अटेंड करने के लिए भी लोग इस कॉम्बो का इस्तेमाल करते हैं।

4- जींस और ब्लेजर

यह एक तरह का क्लासिक कॉम्बो है। आजकल कैजुअल ब्लेजर ट्रेंड में है। इसमें भी डिजाइन और स्टाइल को लेकर हजारों ऑप्शन मौजूद हैं। लूज ब्लेजर और ओपन ब्लेजर भी बहुत लोग इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके साथ बॉटम में नॉर्मल फिट जींस एक बहुत ही अच्छा कॉम्बो हो सकता है। इसे न केवल ऑफिस और कॉलेज में बल्कि मीटिंग्स और शादियों में भी पहना जा सकता है।

5- लेदर जैकेट

लेदर जैकेट भी एक तरह का क्लासिकल फैशन ट्रेंड है। इसे आप किसी भी बॉटम वेयर के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आपके इलाके में ठंड का असर ज्यादा है तो यह एक बेहतर विकल्प है। इस कॉम्बो को किसी भी एज ग्रुप के लोग यूज कर सकते हैं। या कॉम्बो बहुत ही डिसेंट और कूल लुक देता है।

6- हुडीज

फंकी लुक पसंद करने वालों के लिए हुडी एक अच्छा ऑप्शन है। बॉटम में जींस और ट्राउजर के साथ यह एक अच्छा कॉम्बो हो सकता है। लोग इसे शॉट्स, कैपरी और पाजामे के साथ भी इस्तेमाल करते हैं जो एक बेहतर लुक देता है।

7- मफलर

आजकल मफलर ट्रेंड में है। स्वेटर, कैजुअल ब्लेजर, जैकेट और बॉम्बर के साथ यह टॉप में एक अच्छे कॉम्बो के तौर पर उभर कर आता है।



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Thousands of Variety of fashion in winter, know what options to maintain this cold fashion


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कामकाजी बीवी से उम्मीद यही की जाती है कि वो पति से पहले घर पहुंचे और मुस्कुराकर चाय की प्याली दे

बर्फबारी के बाद उजली धूप से पूरा पार्क गुलजार था। मैं भी अपने साथियों के साथ वहीं थी, जब खाने का जिक्र निकला। ग्रुप में अकेली भारतीय। सारी आंखें टिक गईं कि अब-तब ज्ञानगंगा बही। बड़ा-सा मुंह फाड़कर मैंने जम्हाई लेते हुए अपना जवाब दे दिया। रसोई मुझे पार करते आगे बढ़ चली। इतालवी मूल के एक साथी ने बचपन के किस्से शेयर करते हुए मानो मेरी जम्हाई को ही तमाचा मारा- लड़कियों में थोड़ा घरेलूपन तो होना ही चाहिए। कम से कम इतना कि घर साफ और रसोई महमहाती रहे।

तब जाना कि रसोई को औरतों की जगह मानना अकेले हिंदुस्तानियों की बपौती नहीं, बल्कि शायद इस अकेले मुद्दे पर दुनिया एकमत है। सदियों पहले महान ग्रीक नाटककार एस्केलस ने कहा था- दुनिया में शांति चाहिए तो औरतों को रसोई में छोड़ दो। हुआ भी यही। मसालों-छुरियों से सजा साम्राज्य औरत को दे दिया गया। यहां आटा है, इधर सब्जियां, उधर गोश्त। ज्यादा कुछ नहीं करना। सुबह घर छोड़ते मर्द को बढ़िया नाश्ता करा देना। रात लौटे, तो उसकी पसंद का ताजा खाना परोस दो।

दूसरी तरफ मर्द ने मानो औरत की खुशी के लिए ही दुनिया के सारे मुश्किल काम अपने सिर डाल लिए। वो पैसे कमाता। दुनियावी दांव-पेंच झेलता और बर्छियों से छिदा घर लौटता। औरत से तिल भर उम्मीद कि उसका पकाया वो छककर खा सके।

खाना पकाने और मर्द को रिझाने की कला हर औरत में वैसी ही हो, जैसे इंसानों में इंसानियत। वो औरत ही क्या, जिसे देसी पकवान के साथ सत्तर किस्म के पुलाव और अंग्रेजी-मुगलई डिशें न आती हों।

एक भले मानुष ने इसी सोच के साथ अपनी बीवी को अलविदा कह दिया। हुआ ये कि हैदराबादी मियां दुनिया-जहान की मुसीबतें ढोकर रात घर पहुंचा तो बीवी ने खाना परोसना तो दूर, उसकी तैयारी तक नहीं की थी। थोड़े इंतजार के बाद किचन में झांका, तब भी सब्जियां ही तराशी जा रही थीं। गुस्साए मियां ने आव देखा, न ताव, बिगड़ैल बीवी को साड़ी से गला घोंटकर कत्ल कर डाला। पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद भी मियां के चेहरे पर सबक सिखाने का संतोष था।

एक और किस्सा कोलकाता से है। वहां बेहद कामयाब आर्किटेक्ट ननद ने अपनी घरेलू भाभी की जान ले ली। आर्किटेक्ट को शक था कि भाभी ने कामचोरी में बासी बिरयानी उसके बच्चे को परोस दी, जिससे बच्चे को उल्टियां होने लगीं। काम से लौटी हुई ननद ने भाभी को गिराकर बुरी तरह से मारा। मौके पर ही उस 'कामचोर घरेलू औरत' की मौत हो गई।

कलकतिया किस्सा पढ़कर आप सोचेंगे कि नाहक मर्दों को लानत भेजी जा रही है, कत्ल तो औरत ने भी किया। सही है। लेकिन, दोनों वाकयों में एक बात कॉमन है कि खाना पकाने वाली की भूमिका में औरत ही रही और मारने वाला कमाऊ था। कमाऊ यानी वो शख्स, जिसके बैंक या बटुए में हर महीने पैसे आएं। वहीं मरने वाली औरतें बस हाउसवाइफ ही तो थीं। घर की सफाई-रसोई के अलावा उनके पास काम ही क्या था।

यूएन (UN) की साल 2019 की रिपोर्ट इस 'खाली बैठने' का हिसाब करती है और पाती है कि रोज 90 प्रतिशत औरतें औसतन 352 मिनट वो काम करती हैं, जिसके उन्हें पैसे नहीं मिलते। वहीं मर्द रोजाना इस पर 51 मिनट खर्चते हैं।

ये तो ठहरी घरेलू औरतें। कामकाजी औरतों के हाल और गए-बीते हैं। बीवी का काम चाहे जितना चुनौतीभरा हो, उससे उम्मीद की जाती है कि मियां से पहले घर पहुंचे और चाय की प्याली मुस्कुराती हुई ही पेश करे। मान लो पति महाशय पहले घर पहुंच जाएं तो पैर पसारे तब तक बासी अखबार पढ़ते हैं, जब तक कि पत्नी लौटकर रसोई न संभाल ले। कई बार देर से आने पर अगियाबैताल भी हो जाते हैं। तब डरी हुई बीवी और लजीज खाना पकाती है। मियां-बीवी दोनों साथ घर लौटें तो भी हालात सुहाने नहीं होते।

इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) की रिपोर्ट के मुताबिक औरतें, खासकर एशियाई कामकाजी औरतें पुरुषों से 4 गुना ज्यादा 'अनपेड' काम करती हैं। वे दफ्तर जाने से पहले बच्चों की देखभाल, खाना पकाना, घर साफ करना जैसे काम निपटाती हैं और लौटने के बाद दोबारा जुट जाती हैं।

इन जरूरी, लेकिन बेपैसे के कामों में उलझकर उनके पास पढ़ने या नया सीखने का वक्त नहीं बचता, जबकि उनका साथी दफ्तर से लौटकर खाली वक्त में पढ़ता या कुछ सीखता है। नतीजा। ज्यादा या बराबर की प्रतिभा के बाद भी पत्नी, पति से पीछे छूटती जाती है। वर्क प्लेस जेंडर इक्वेलिटी एजेंसी (WEGA) के आंकड़े आंखों में सुई चुभोकर ये सच्चाई दिखाते हैं। इसके मुताबिक, वर्किंग वीक में भी दफ्तर के अलावा औरतों का 64.4% समय पकाने और बच्चों और सफाई में जाता है, जबकि मर्द बड़ी मुश्किल से 36.1% वक्त दे पाते हैं।

भयंकर इम्युनिटी वाले, दुनियाभर के खाए-पचाए मर्द भी घर के खाने को लेकर एकदम राजदुलारे हो जाते हैं। खाएंगे तो मां या बीवी के हाथ का ही पका हुआ। बीवियां भी लजाती हुई रसोई में जुते रहने की हसीन दलील देती हैं कि इनको मेरे अलावा किसी के हाथ का खाना पसंद नहीं। या फिर कामवाली के हाथ की सख्त रोटियां देख इनका तो हाजमा खराब हो जाता है।

तो भई, औरत अगर सख्ती से पालतू न बने तो उसे प्यार की जंजीर पहना दो। पालतूपन का ये पट्टा औरत चाहकर भी नहीं उतार पाएगी। एक फायदा और भी है। मामूली से मामूली बावर्ची भी तनख्वाह मांगता है, जबकि औरत रोटी-कपड़े पर मान जाती है। कई बार तो पकाने के बर्तन-भाड़े भी साथ लाती है। ऐसे में बावर्ची क्यों रखना, शादी कर औरत ही क्यों न ले आएं! तभी तो देहरी फर्लांगते ही दुल्हन की पहली रस्म मीठा बनाने की होती है। बस, उसी एक रोज उसे पकाने के बदले नेग या तारीफ मिलती है और फिर पूरी उम्र के लिए रसोई अकेले उसका जिम्मा बन जाती है।

बहुतेरी नई उम्र की लड़कियां इस पर बड़ा झींकती हैं। आंकड़ों के हवाले से मेज पर मुक्के मारती हैं। खुद को न बदलने की कसमें खाती हैं, लेकिन शादी के बाद सरनेम भले न बदले, रसोई से दोस्ती करनी ही पड़ जाती है। दोस्ती तक ठीक है, लेकिन जल्द ही ये उस अकेली की जिम्मेदारी हो जाती है। एक वक्त पर अनपेड कामों को औरतों के पीछे रहने का कारण बताती वो बागी लड़की तब हारी-बीमारी में भी कराहते हुए रसोई में खड़ी रहती है।

ये कहां की बराबरी है दोस्त! रसोई में रहो। मनचाहा रहो। बारहों किस्म की दावतें पकाओ। बीसियों को खिलाओ। पति अपने दोस्तों को दावत पर बुलाए। आने दो। मेहमाननवाजी करो, लेकिन पक्का कर लो कि देग तुम संभालोगी तो करछी पति चलाए। अगर नहीं तो इनकार कर दो।

रिश्ता जुड़ने की शर्त अगर रसोई में हुनरमंद होना हो, तो रुक जाओ। खाना पकाना पसंद है तो पकाओ। नापसंद हो तो खुलकर कह दो। रसोई खुशी है, कोई कब्र नहीं, जिसमें तुम्हारा सामना जरूरी ही हो।

और प्यारे मर्दों, तुम भी! हरदम आत्मनिर्भरता की तुम्हारी दुहाई रसोई या घरेलू कामों में कहां चली जाती है? मसालों की महक को मर्दानगी पर हमला मानने की बजाए कॉमन सेंस लगाओ। तुमने इंजीनियरिंग की, तो तुम्हारी बीवी ने भी कॉलेज में मुर्ग-मुसल्लम बनाने की ट्रेनिंग नहीं ली होगी। उसने भी रात जागकर वही सीखा तो तुमने। यानी उसकी जगह अकेली रसोई नहीं, बल्कि वो सारी दुनिया है, जहां कोई भी आ-जा सके। बस थोड़ी जगह रसोई में तुम भी बना लो।



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अंग्रेजों का विरोध हुआ, तो उन्होंने कलकत्ता की जगह दिल्ली को राजधानी बनाया, ये कहानी दिलचस्प है

'हमें भारत की जनता को ये बताते हुए खुशी हो रही है कि सरकार और उसके मंत्रियों की सलाह पर देश को बेहतर ढंग से प्रशासित करने के लिए ब्रिटेन की सरकार भारत की राजधानी को कलकत्ता (अब कोलकाता) से दिल्ली स्थानांतरित करती है।' ये शब्द थे ब्रिटेन के किंग जॉर्ज-V के, जो उन्होंने 12 दिसंबर 1911 की सुबह 80 हजार से ज्यादा की भीड़ के सामने कहे थे। किंग जॉर्ज-V ब्रिटेन के पहले राजा थे, जो भारत आए थे। उनके साथ क्वीन मैरी भी आई थीं।

किंग जॉर्ज-V और क्वीन मैरी के लिए दिल्ली में दरबार भी सजाया गया था। इस दरबार में देशभर के राजे-रजवाड़े और राजघराने शामिल हुए थे। दरबार लगने से एक दिन पहले पूरी दिल्ली जगमगा उठी थी। कोई विरोध न हो, इसके लिए गिरफ्तारियां भी हो रही थीं। उस दिन छुट्टी भी घोषित हो गई। हर तरफ पुलिस की नाकाबंदी लगा दी गई। दरबार में जब किंग जॉर्ज-V ने दिल्ली को राजधानी घोषित किया, तो उस दिन सभी घरों को ऐसे सजाया गया मानो दिवाली हो। इस दिन को खास बनाने के लिए बिजली का भी खास इंतजाम किया गया था।

किंग जॉर्ज-V और क्वीन मैरी के सम्मान में लाल किले पर दरबार सजाया गया था।

अंग्रेज दिल्ली पर अपनी छाप छोड़ना चाहते थे और ऐसा उन्होंने किया भी। अंग्रेजों ने यहां वायसराय हाउस और नेशनल वॉर मेमोरियल जैसी इमारतें बनाईं, जिन्हें आज हम राष्ट्रपति भवन और इंडिया गेट के नाम से जानते हैं। दिल्ली को डिजाइन करने का जिम्मा ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडवर्ड लुटियंस और सर हर्बट बेकर को मिला। इनको 4 साल में पूरी दिल्ली को डिजाइन करना था, लेकिन इसमें लग गए 20 साल। 13 फरवरी 1931 को दिल्ली का राजधानी के रूप में उद्घाटन किया गया।

दिल्ली को राजधानी बनाने की वजह भी खास थी। हुआ ये था कि 1905 में जब बंगाल का बंटवारा हुआ, तो इससे अंग्रेजों के खिलाफ देश में विद्रोह शुरू हो गया। उस समय कलकत्ता (अब कोलकाता) ही भारत की राजधानी हुआ करती थी, लेकिन बंटवारे की वजह से पैदा हुआ विद्रोह शांत ही नहीं हो रहा था। इसी वजह से अंग्रेजों ने राजधानी दिल्ली को बना दिया।

दिल्ली के बारे में उस समय कहा जाता था कि कोई भी इस पर ज्यादा समय तक राज नहीं कर सकता। ऐसा हुआ भी। दिल्ली को राजधानी घोषित करने के 36 साल के भीतर ही अंग्रेजों ने भारत छोड़ दिया और 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया। आजादी के बाद दिल्ली को राजधानी घोषित किया गया।

महाराष्ट्र के सबसे युवा CM का आज ही जन्म हुआ
12 दिसंबर 1940 को महाराष्ट्र के बारामती में शरद पवार का जन्म हुआ था। शरद पवार मात्र 27 साल की उम्र में विधायक बने थे। वो बारामती से चुने गए। शरद पवार महाराष्ट्र के अब तक के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं। वो मात्र 38 साल की उम्र में CM बन गए थे। शरद पवार पहली बार 38 साल की उम्र में 18 जुलाई 1978 को CM बने। इस पद पर वो 17 फरवरी 1980 तक रहे। उसके बाद 1988 से 1991 और 1993 से 1995 तक CM रहे।

शरद पवार 2005 से 2008 तक BCCI और 2010 से 2012 तक ICC के अध्यक्ष भी रहे हैं।

1999 में सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने से नाराज शरद पवार ने पीए संगमा और तारिक अनवर के साथ मिलकर नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) बनाई। हालांकि, बाद में 15 साल तक कांग्रेस और NCP की सरकार ही महाराष्ट्र में रही और अभी भी शिवसेना और कांग्रेस के साथ NCP भी सरकार में है। फिलहाल शरद पवार राज्यसभा के सदस्य हैं।

भारत और दुनिया में 12 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं:

  • 1882: बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का बांग्ला उपन्यास ‘आनंद मठ' प्रकाशित हुआ।
  • 1950: दक्षिण भारतीय सिनेमा के चर्चित सितारे और बेहद लोकप्रिय अभिनेता रजनीकांत का जन्म। रजनीकांत उनका फिल्मी नाम है जबकि उनका वास्तविक नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है।
  • 1958: विल्सन जोन्स अमेच्यर बिलियर्ड्स में विश्व चैंपियन बने।
  • 1964: ब्रिटेन से आजादी के एक साल बाद केन्या एक गणराज्य बना।
  • 1988: दक्षिण लंदन में सुबह के व्यस्त समय में तीन रेलगाड़ियां आपस में टकरा गईं। इस हादसे में 35 लोगों की मौत हो गई। हादसे में 100 से ज्यादा लोग घायल हुए।
  • 2009: डेमोक्रेटिक नेता एनीस पार्कर की जीत के साथ ही ह्यूस्टन उस समय का अमेरिका का ऐसा सबसे बड़ा शहर बना, जिसने एक समलैंगिक को अपना मेयर चुना।
  • 2015: पेरिस में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान जलवायु परिवर्तन पर ऐतिहासिक समझौता, जिसमें 195 देश ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने पर राजी हुए। इस समझौते ने क्योटो करार का स्थान लिया।


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Today History: Aaj Ka Itihas India World December 12 Update | India's Capital Change From Calcutta KolkataTo Delhi


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अडानी ने 2019 में खेती से जुड़ी सभी कंपनियां खरीदीं और 2020 में मोदी सरकार कृषि बिल ले आई, जानें इस दावे का सच

क्या हो रहा है वायरल: सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि मोदी सरकार किसान सुधार के नाम पर 3 नए कानून उद्योगपति अडानी को फायदा पहुंचाने के लिए लाई है।

मैसेज के साथ अडानी ग्रुप की कंपनियों के नामों वाली एक लिस्ट शेयर की जा रही है। बताया जा रहा है कि ये सभी कंपनियां अडानी की हैं। और ये कंपनियां मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि सुधार कानूनों के ठीक 1 साल पहले 2019 में शुरू की गई हैं।

और सच क्या है?

  • वायरल लिस्ट में कंपनियों का DIN ( डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर) भी दिया गया है। हमने इस नंबर को मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स की वेबसाइट पर क्रॉस चेक किया।
  • DIN नंबर से उन सभी कंपनियों के नाम हमारे सामने आए, जिनकी लिस्ट वायरल हो रही है। सभी कंपनियों के आगे तारीख भी लिखी है, सभी तारीखें साल 2019 की ही हैं।
  • क्या लिस्ट में कंपनियों के नाम के आगे लिखी तारीखों से ये पुष्टि होती है कि सभी कंपनियां साल 2019 में बनी हैं? बिल्कुल नहीं। दरअसल ये तारीख वो हैं, जब अमित मलिक नाम के व्यक्ति को कंपनी का डायरेक्टर बनाया गया था।
  • मिनिस्ट्री की वेबसाइट पर हमने लिस्ट में दी गई सभी कंपनियों के शुरू होने की तारीख चेक की। इससे पता चला कि लिस्ट की कोई भी कंपनी 2019 में नहीं बनी। सभी कंपनियां 2018 से पहले शुरू की गई हैं। साफ है कि सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा फेक है।
कंपनी का नाम शुरू होने की तारीख
अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड (दरभंगा) 10 अक्टूबर, 2018
अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड (बोरिवली) 8 अगस्त, 2018
अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड (धमोरा) 8 अगस्त, 2018
अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड (दाहोद) 2 अगस्त, 208
अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड(पानीपत) 11 जनवरी, 2017
अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड ( कन्नौज) 10 जनवरी, 2017
डेरमोट इंफ्राकॉन लिमिटेड 11 नवंबर, 2016
अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड( कटिहार) 23 मार्च, 2016
अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड( कोटकापुरा) 23 मार्च, 2016
अडानी लॉजिस्टिक सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड 6 जून, 2006


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Farmers Bill Benefit of Adani and Ambani


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दुनिया में मौत की सबसे बड़ी वजह दिल की बीमारी, इससे 20 साल में 20 लाख से अधिक जानें गईं

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, पिछले 20 सालों में दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें दिल की बीमारी से हुईं। डायबिटीज के अलावा अब डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी भी दुनिया के उन 10 रोगों में शामिल है जो सबसे ज्यादा लोगों की जिंदगियां छीन रही है।

WHO ने बुधवार को हेल्थ रिपोर्ट जारी की। इसमें साल 2000 से लेकर 2019 तक का डेथ रिकॉर्ड शामिल किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में जिन 10 रोगों से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं उनमें 7 ऐसी बीमारियां हैं जो एक से दूसरे इंसान में नहीं फैलतीं। ऐसी बीमारी को नॉन-कम्युनिकेबल डिसीज कहते हैं।

रिपोर्ट की 4 बड़ी बातें

1. दुनियाभर में 16% मौतें हृदय रोगों से हो रहीं
पिछले 2 दशक के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में बीमारियों से होने वाली मौतों में 16 फीसदी हिस्सेदारी हृदय रोगों की है। पिछले 20 सालों में इस्केमिक ​​​​हार्ट डिसीज से होने वाली मौतों में 20 लाख से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। 2019 तक ये आंकड़ा 90 लाख पहुंच गया है। दूसरे पायदान पर स्ट्रोक है।

WHO के डायरेक्टर-जनरल टेड्रोस अधानोम का कहना है, 'ये आंकड़े एक रिमाइंडर की तरह हैं जो बताते हैं कि हमें नॉन-कम्युनिकेबल डिसीज का तेजी से बचाव, जांच और इलाज करने की जरूरत है। शरीर की शुरुआती देखभाल ही ऐसी बीमारियों से बचाएगी और वैश्विक महामारी से भी लड़ेगी।'

2. हार्ट के बाद सबसे ज्यादा मौतें सांस के रोगियों की हुई
रिपोर्ट के मुताबिक, हार्ट के बाद सबसे ज्यादा मौतें सांस से जुड़ी बीमारियों से हुईं। तीसरे पायदान पर क्रॉनिक ऑबस्ट्रेक्टिव पल्मोनरी डिसीज और चौथे पर लोवर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन है। क्रॉनिक ऑबस्ट्रेक्टिव पल्मोनरी डिसीज की मौतों में हिस्सेदारी 6 फीसदी रही। वहीं, पिछले 20 साल में लोवर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन से 26 लाख मौतें हुईं। इसके बाद सबसे ज्यादा मौतें नवजातों की हुईं।

3. दो दशक में डायबिटीज से मौत के मामले 70% बढ़े
WHO के मुताबिक, मौतों का आंकड़ा बढ़ाने में डायबिटीज भी जिम्मेदार है। यह 9वें पायदान पर है। पिछले दो दशकों में डायबिटीज से होने वाली मौतों में 70 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इसमें पुरुषों का आंकड़ा 80 फीसदी है। वहीं, डिमेंशिया से होने वाली मौतों में 65 फीसदी महिलाएं शामिल हैं।

4. अब बात राहत की, एड्स-टीबी से मौतें घटीं और लोगों की उम्र बढ़ी

  • 20 साल पहले दुनियाभर में होने वाली मौतों के मामले में एचआईवी/एड्स 8वें पायदान पर था जो 2019 में 19वें स्थान पर चला गया।
  • टीबी अब दुनिया की 10 बड़ी बीमारियों में शामिल नहीं है। 2000 में यह 7वें पायदान पर थी जो 2019 तक गिरकर 13वें स्थान पर चली गई है। मलेरिया से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी कम हुआ है।
  • पिछले 20 सालों में लोगों की औसतन उम्र 6 साल तक बढ़ी है। 20 साल पहले इंसान की औसत उम्र 67 साल थी जो 2019 में बढ़कर 73 साल हो गई है।

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