बुधवार, 13 मई 2020

स्पेशल ट्रेनों के लिए 22 मई से वेटिंग लिस्ट जारी करेगा रेलवे, मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें भी शुरू हो सकती हैं

एसी स्पेशल ट्रेन चलाने के बाद रेलवे जल्द ही मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें भी शुरू कर सकता है। रेल मंत्रालय ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। रेलवे बोर्ड ने बुधवार को आदेश जारी किया। इसके मुताबिक,22 मई से स्पेशल एसी के साथ ही दूसरी ट्रेनों में भी वेटिंग लिस्ट वाले टिकट जारी किए जाने की घोषणा की गई है।

हालांकि, आरएसी वाले टिकट अभी जारी नहीं होंगे। रेलवे ने फर्स्ट एसी में 20 और स्लीपर में अधिकतम 200 तक वेटिंग तक टिकट बुक कराने की मंजूरी दी है। इसके साथ एसी चेयर कार, एग्जीक्यूटिव क्लास, सेकंड एसी और थर्ड एसी में भी वेटिंग टिकट बुक कराए जा सकेंगे। नई व्यवस्था 15 मई से बुक होने वाले टिकट पर लागू होगी।

किस श्रेणी में कितनी वेटिंग लिस्ट

श्रेणी वेटिंग लिस्ट
एसी चेयर कार 100
एक्जीक्यूटिव क्लास 20
फर्स्ट एसी 20
सेकंड एसी 50
थर्ड एसी 100
स्लीपर 200

आदेश से स्पष्ट है कि आने वाले दिनों और ट्रेनें भी चलेंगी
रेलवे बोर्ड द्वारा जोन को जारी किए गए इस आदेश से साफ हो गया है कि रेलवे आने वाले दिनों में एसी के अलावा दूसरी ट्रेनें भी चलाएगा। इसका मतलब छोटे शहरों में भी रेल सेवाएं शुरू होंगी। फिलहाल, स्पेशल एसी ट्रेन के जरिए दिल्ली से बड़े शहरों के बीच ही सेवा शुरू की गई है। हालांकि, इस संबंध में रेलवे की तरफ से कई आदेश नहीं आया है।

टिकट कैंसिलेशन के नियमों में भी बदलाव

स्पेशल ट्रेनों के टिकट कैंसिलेशन को लेकर रेलवे ने जो नियम जारी किए थे। इसमें भी बदलाव किया गया है। यात्रा से 24 घंटे पहले टिकट रद्द करने पर 50 फीसदी राशि ही वापस मिलती थी, जबकि 24 घंटे से कम समय में टिकट कैंसिल करने पर पूरा पैसा रेलवे के खाते में चला जाता था। नई व्यवस्था के तहत आम दिनों में टिकट रद्द करने पर जो शुल्क लगता था, स्पेशल ट्रेन के मुसाफिरों को भी उतना ही देना होगा।



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रेलवे ने स्लीपर में अधिकतम 200 की वेटिंग लिस्ट तक टिकट बुक कराने की मंजूरी दी है।


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10 लाख संस्थानों और 5 करोड़ कर्मचारियों के लिए पीएफ से जुड़े 2 ऐलान; जानिए इसका फायदा किसे, कितना, कब और कैसे मिलेगा?

इम्प्लॉई और उन्हें सैलरी देने वाले इम्प्लॉयर के हाथ में कुछ ज्यादा पैसा रहे, इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को दो बड़ी घोषणाएं की। ये पीएफ, यानी प्रॉविडेंट फंड से जुड़ी हैं। पहली घोषणा उनके लिए है, जिनकी तनख्वाह 15 हजार रुपए से कम है और जो ऐसे संस्थानों में काम करते हैं, जहां 100 से कम लोग हैं। दूसरी घोषणा उनके लिए है, जिनकी तनख्वाह 15 हजार रुपए से ज्यादा है।
समझते हैं कि इन दोनों घोषणाओं से किसे, कितना, कब और कैसे फायदा होगा...

पहली घोषणा: जिनका पीएफ सरकार जमा करवा रही, उन्हें तीन महीने और फायदा मिलेगा

सरकार किन कर्मचारियों का पीएफ जमा करवा रही?
मार्च में सरकार ने 1.70 लाख करोड़ रुपए का प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज घोषित किया था। उनमें 100 कर्मचारियों वाले संस्थान और 15 हजार रुपए तक वेतन वाले कर्मचारियों की राहत दी गई थी। कहा गया था कि ऐसे संस्थानों और कर्मचारियों का पीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन तीन महीने यानी मई तक सरकार जमा करवाएगी।
ये बेनेफिट कब से कब तक मिलेगा?
मार्च से मिल रहा है। अगले तीन महीने और बढ़ा दिया गया है, यानी अगस्त तक मिलता रहेगा।
कितने संस्थानों और कर्मचारियों को फायदा?
3.67 लाख संस्थानों और 72.22 लाख कर्मचारियों को 2 हजार 500 करोड़ रुपए का फायदा होगा।

दूसरी घोषणा: पीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन 12% से घटाकर 10% किया
कर्मचारियों को क्या फायदा?
अभी बेसिक सैलरी का 12% पीएफ में कटता है, अब सिर्फ 10% कटेगा। इससे टेक होम सैलरी बढ़ जाएगी। किसी की बेसिक सैलरी 15 हजार रुपए है तो पीएफ में 1,800 रुपए की बजाय अब 1,500 का कॉन्ट्रिब्यूशन देना होगा। यानी हर महीने 300 रुपए बचेंगे।
यह बेनेफिट कब से कब तक मिलेगा?
अगले महीने यानी जून से यह फायदा मिलेगा, जो अगस्त तक जारी रहेगा। यानी तीन महीने पीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन कम देना होगा।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज में शामिल कर्मचारियों को भी फायदा मिलेगा?
नहीं। इस पैकेज में शामिल कर्मचारियों और कंपनियों का पूरा पीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन सरकार मार्च से खुद ही जमा करवा रही है।
कंपनियों को कैसे फायदा होगा?
पीएफ में जितना कॉन्ट्रिब्यूशन कर्मचारियों का होता है उतना ही एम्प्लॉयर का भी होता है। यानी 12% एम्प्लॉयर को भी जमा करवाना पड़ता है। अब अगले तीन महीने 10% ही जमा करवाना पड़ेगा। इसके उनकी बचत होगी जिसे वे दूसरे काम में लगा सकेंगे।
कितने कर्मचारियों और कंपनियों को फायदा होगा?
ईपीएफओ के तहत आने वाली 6.5 लाख कंपनियां और 4.3 करोड़ कर्मचारियों को तीन महीने में कुल 6 हजार 750 करोड़ रुपए का फायदा होगा।
सरकारी कंपनियां भी इसके दायरे में आएंगी?
नहीं। केंद्र और राज्य की सरकारी कंपनियों के लिए 12% कॉन्ट्रिब्यूशन जारी रहेगा।



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15 हजार रुपए तक सैलरी वालों का पीएफ अगस्त तक सरकार जमा करवाएगी। मार्च में ये राहत शुरू की गई थी, अब इसे तीन महीने और बढ़ाया। (फाइल फोटो)


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रियल एस्टेट डेवलपर्स को प्रोजेक्ट के लिए 6 महीने की मोहलत: जानिये इसका फायदा किसे, कितना, कब और कैसे मिलेगा?

25 मार्च से जब देश में लॉकडाउन शुरू हुआ तो देशभर में कई रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स पर भी काम रुक गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को जब 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषणाएं कीं तो उसमें रियल एस्टेट डेवलपर्स को भी बड़ी राहत का ऐलान किया। जो प्रोजेक्ट्स 25 मार्च को या उसके बाद पूरे होने थे, उन्हें 6 महीने की मोहलत दी गई है। आइए जानते हैं कि आखिर घोषणा से फायदा किसे है, कितना है, कब मिलेगा और कैसे मिलेगा..

फायदा किसे?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रियल एस्टेट डेवलपर्स को प्रोजेक्ट पूरा होने की डेडलाइन में 6 महीने की मोहलत देकर राहत दी है। वित्त मंत्रालय ने यह फैसला कोरोनावायरस महामारी के चलते लिया है। इस फैसले का फायदा उन सभी डेवलपर्स को होगा, जिनके प्रोजेक्ट की कम्पलीशन डेट 25 मार्च, 2020 को या उसके बाद समाप्त होने वाली है, उनका रजिस्ट्रेशन और कम्पलीशन डेट 6 महीने तक बढ़ाई जाए। जरूरत पड़ने पर इसे 3 महीने के लिए और आगे बढ़ाया जा सकता है।

कितना फायदा?
वित्त मंत्री ने कहा कि यह कदम रियल एस्टेट डेवलपर्स का तनाव कम करेगा। इससे प्रोजेक्ट पूरे होंगे और नई टाइमलाइन के साथ घर खरीदारों को घर मिल सकेगा। कोविड के असर के चलते प्रोजेक्ट अटक गए थे और रेरा की टाइमलाइन के उल्लंघन का संकट डेवलपर्स के सामने खड़ा हो गया था। टाइमलाइन बढ़ाए जाने की जरूरत थी।

कब तक मिलेगा?
मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग और अर्बन अफेयर्स राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और रेगुलेटरी अथॉरिटी को सलाह देगी। रेगुलेटरी अथॉरिटी प्रोजेक्ट पूरा होने की डेडलाइन को 6 महीने बढ़ा सकती हैं। अगर रेगुलेटरी अथॉरिटी को जरूरी लगता है तो वे कम्प्लीशन की टाइमलाइन को तीन और महीने के लिए बढ़ा सकते हैं। टाइमलाइन बढ़ने के बाद अपने आप ही रियल एस्टेट प्रोजेेक्ट्स को नया प्रोजेक्ट कम्प्लीशन सर्टिफिकेट मिल जाएगा। किसी को भी इसके लिए अलग से एप्लीकेशन देने की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए केंद्र राज्यों को एडवाइजरी जारी करेगा।एक्सपर्ट का क्या कहना है?
एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि डेवलपर्स कम्युनिटी के लिए यह एक अहम घोषणा है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि वित्त मंत्री जल्द ही लिक्विडिटी बढ़ाने, सीमेंट के दामों के डिकार्टेलाइजेशन, सप्लाई चेन को दोबार शुरू करने, होमबायर्स के लिए घोषणाएं करके डिमांड को बढ़ाने जैसे कदम उठाएंगी। इन कदमों से देश के दूसरे सबसे बड़े कामगारों वाले इस समूह को दोबारा रफ्तार पकड़ने में मदद मिलेगी।

इस घोषणा की जरूरत क्यों पड़ी?
25 मार्च से देश में लॉकडाउन शुरू हुआ। तब रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में भी काम बंद हो गया। 15 अप्रैल को सरकार ने कोरोना के नॉन हॉटस्पॉट जोन में कंस्ट्रक्शन की इजाजत दी, लेकिन उन्हीं प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू हो पाया, जहां मजदूर मौजूद थे। इससे बहुत सारे डेवलपर्स के प्रोजेक्ट अटक गए और रेरा के तहत दी गई डेडलाइन के उल्लंघन का खतरा पैदा हो गया।

राहत पैकेज पर आप ये खबरें भी पढ़ सकते हैं
1#वित्त मंत्री के 15 ऐलान: 45 लाख छोटे उद्योगों को 3 लाख करोड़ का कर्ज

2# 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज में अब केवल 7 लाख करोड़ रुपए के ब्रेकअप की घोषणा
3# 15 हजार से कम सैलरी वालों का EPF देगी सरकार
4# बिजली कंपनियों को सरकार ने 90 हजार करोड़ रुपए का राहत पैकेज दिया
5# चिदंबरम ने कहा- वित्तमंत्री के भाषण में गरीबों और प्रवासी मजदूरों के लिए कुछ नहीं हैै



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Real Estates Latest News | Nirmala Sitharaman Real Estate Sector Economic Relief Package Announcements Details Updates; What? How? For whom?


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अप्रैल महीने में राज्यों को अलग-अलग तरह के राजस्व से हुआ 97,100 करोड़ रुपए का नुकसान- इंडिया रेटिंग

कोविड-19 की वजह से जारी लॉकडाउन से देश के राज्यों को अप्रैल महीने में 97,100 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। यह अनुमान इंडिया रेटिंग एजेंसी ने लगाया है। एजेंसी के अनुसार, यह नुकसान राज्यों को प्राप्त होनेवाले अलग-अलग तरह के राजस्व के रूप में हुआ है।

अप्रैल नए फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत करता है

एजेंसी ने कहा कि अप्रैल को आम तौर पर उस महीने के रूप में देखा जाता है जो पिछले वर्ष के अनुभवों के आधार पर वर्ष के बाकी के एजेंडे को निर्धारित करता है। नए वित्तीय वर्ष में केंद्र और राज्य सरकारों दोनों के लिए एक नया राजस्व और खर्च का लक्ष्य तय होता है। हालांकि, देश भर में लॉकडाउन के बीच इस साल वित्तीय वर्ष की शुरुआत हुई जिसने अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है।

नकदी प्रवाह को लेकर सरकार कर रही है संघर्ष

वास्तव में, प्रोडक्शन में अड़चन, आपूर्ति, व्यापार चैनलों के टूटने और विमानन, पर्यटन, होटल और आतिथ्य क्षेत्रों में गतिविधियों पर इसका बुरा असर दिखा है। आर्थिक दिक्कतने व्यवसायों और सरकार के राजस्व कोसमान रूप से प्रभावित किया है। केंद्र और राज्य दोनों सरकारें नकदी प्रवाह के कारण संघर्ष कर रही हैं। लेकिन राज्यों की समस्याएं अधिक हैं क्योंकि COVID-19 और उससे संबंधित खर्चे के खिलाफ उन्हें लड़ना पड़ रहा है।

राज्य सरकारों को अस्थाई राहत मिलेगी

बढ़ते तरलता दबाव को कम करने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार ने कई उपायों की घोषणा की है। एजेंसी ने कहा है कि इससे राज्य सरकारों को केवल अस्थायी राहत मिलेगी। अब जब हम मई के महीने में हैं और राज्यों ने पूरे एक महीने तक लॉक़डाउन की है, तो अपने स्वयं के स्रोतों से राज्यों को राजस्व के नुकसान का आंकलन करना होगा।

सात तरह से आता है राजस्व

राज्यों का राजस्व मुख्य रूप से सात तरह से आता है। इसमें जीएसटी, राज्य वैट (मुख्य रूप से पेट्रोलियम उत्पाद), राज्य उत्पाद शुल्क (मुख्य रूप से शराब), टिकट और रजिस्ट्रेशन शुल्क, वाहन पर कर और बिजली और अन्य कर का समावेश है। लॉकडाउन का उन राज्यों पर अधिक नेगेटिव प्रभाव पड़ा है जिनका कुल मिले -जुले रेवेन्यू में स्वयं की ज्यादा हिस्सेदारी है। इस संबंध में गोवा, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्य आते हैं क्योंकि उनके राजस्व का 65-76 प्रतिशत अपने ही स्रोतों से आता है।

ये राज्य होंगे सबसे ज्यादा प्रभावित

इन राज्यों में से गुजरात सबसे ज्यादा प्रभावित होगा। क्योंकि इसका अपना राजस्व सबसे अधिक 76 प्रतिशत है। इसके बाद तेलंगाना 75.6 प्रतिशत, हरियाणा 74.7 प्रतिशत, कर्नाटक 71.4 प्रतिशत, तमिलनाडु में 70.4 प्रतिशत, महाराष्ट्र 69.8 प्रतिशत, केरल 69.6 प्रतिशत और गोवा 66.9 प्रतिशत पर है। अप्रैल के लिए इन राज्यों का सामूहिक जीएसटी से रेवेन्यू 26,962 करोड़ रुपए, वैट से 17,895 करोड़ रुपए, एक्साइज ड्यूटी से 13,785 करोड़ रुपए, स्टांप ड्यूटी और रेजिस्ट्रेशन शुल्क से 11,397 करोड़ रुपए, ऑटो टैक्स से 6,055 करोड़ रुपए, बिजली पर कर और शुल्क से 3,464 करोड़ रुपए और उनका स्वयं का गैर-कर राजस्व 17,595 करोड़ रुपए था।

मई में थोड़ा सुधार दिख सकता है

एजेंसी का मानना है कि मई 2020 में कुछ प्रतिबंधों में ढील के कारण हालात में सुधार हो सकता है। जिसमेंशराब की बिक्री सबसे प्रमुख है।कारण यह है कि शराब की बिक्री की अनुमति देते समय कई राज्यों ने उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया है। साथ ही, कुछ राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर वैट बढ़ाया है। हालांकि, लॉकडाउन सभी राज्यों के राजस्व प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला है।



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इन राज्यों में से गुजरात सबसे ज्यादा प्रभावित होगा। क्योंकि इसका अपना राजस्व सबसे अधिक 76 प्रतिशत है


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रियल एस्टेट डेवलपर्स को प्रोजेक्ट के लिए 6 महीने की मोहलत: जानिये इसका फायदा किसे, कितना, कब और कैसे मिलेगा?

25 मार्च से जब देश में लॉकडाउन शुरू हुआ तो देशभर में कई रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स पर भी काम रुक गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को जब 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषणाएं कीं तो उसमें रियल एस्टेट डेवलपर्स को भी बड़ी राहत का ऐलान किया। जो प्रोजेक्ट्स 25 मार्च को या उसके बाद पूरे होने थे, उन्हें 6 महीने की मोहलत दी गई है। आइए जानते हैं कि आखिर घोषणा से फायदा किसे है, कितना है, कब मिलेगा और कैसे मिलेगा..

फायदा किसे?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रियल एस्टेट डेवलपर्स को प्रोजेक्ट पूरा होने की डेडलाइन में 6 महीने की मोहलत देकर राहत दी है। वित्त मंत्रालय ने यह फैसला कोरोनावायरस महामारी के चलते लिया है। इस फैसले का फायदा उन सभी डेवलपर्स को होगा, जिनके प्रोजेक्ट की कम्पलीशन डेट 25 मार्च, 2020 को या उसके बाद समाप्त होने वाली है, उनका रजिस्ट्रेशन और कम्पलीशन डेट 6 महीने तक बढ़ाई जाए। जरूरत पड़ने पर इसे 3 महीने के लिए और आगे बढ़ाया जा सकता है।

कितना फायदा?
वित्त मंत्री ने कहा कि यह कदम रियल एस्टेट डेवलपर्स का तनाव कम करेगा। इससे प्रोजेक्ट पूरे होंगे और नई टाइमलाइन के साथ घर खरीदारों को घर मिल सकेगा। कोविड के असर के चलते प्रोजेक्ट अटक गए थे और रेरा की टाइमलाइन के उल्लंघन का संकट डेवलपर्स के सामने खड़ा हो गया था। टाइमलाइन बढ़ाए जाने की जरूरत थी।

कब तक मिलेगा?
मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग और अर्बन अफेयर्स राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और रेगुलेटरी अथॉरिटी को सलाह देगी। रेगुलेटरी अथॉरिटी प्रोजेक्ट पूरा होने की डेडलाइन को 6 महीने बढ़ा सकती हैं। अगर रेगुलेटरी अथॉरिटी को जरूरी लगता है तो वे कम्प्लीशन की टाइमलाइन को तीन और महीने के लिए बढ़ा सकते हैं। टाइमलाइन बढ़ने के बाद अपने आप ही रियल एस्टेट प्रोजेेक्ट्स को नया प्रोजेक्ट कम्प्लीशन सर्टिफिकेट मिल जाएगा। किसी को भी इसके लिए अलग से एप्लीकेशन देने की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए केंद्र राज्यों को एडवाइजरी जारी करेगा।एक्सपर्ट का क्या कहना है?
एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि डेवलपर्स कम्युनिटी के लिए यह एक अहम घोषणा है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि वित्त मंत्री जल्द ही लिक्विडिटी बढ़ाने, सीमेंट के दामों के डिकार्टेलाइजेशन, सप्लाई चेन को दोबार शुरू करने, होमबायर्स के लिए घोषणाएं करके डिमांड को बढ़ाने जैसे कदम उठाएंगी। इन कदमों से देश के दूसरे सबसे बड़े कामगारों वाले इस समूह को दोबारा रफ्तार पकड़ने में मदद मिलेगी।

इस घोषणा की जरूरत क्यों पड़ी?
25 मार्च से देश में लॉकडाउन शुरू हुआ। तब रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में भी काम बंद हो गया। 15 अप्रैल को सरकार ने कोरोना के नॉन हॉटस्पॉट जोन में कंस्ट्रक्शन की इजाजत दी, लेकिन उन्हीं प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू हो पाया, जहां मजदूर मौजूद थे। इससे बहुत सारे डेवलपर्स के प्रोजेक्ट अटक गए और रेरा के तहत दी गई डेडलाइन के उल्लंघन का खतरा पैदा हो गया।

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1#वित्त मंत्री के 15 ऐलान: 45 लाख छोटे उद्योगों को 3 लाख करोड़ का कर्ज

2# 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज में अब केवल 7 लाख करोड़ रुपए के ब्रेकअप की घोषणा
3# 15 हजार से कम सैलरी वालों का EPF देगी सरकार
4# बिजली कंपनियों को सरकार ने 90 हजार करोड़ रुपए का राहत पैकेज दिया
5# चिदंबरम ने कहा- वित्तमंत्री के भाषण में गरीबों और प्रवासी मजदूरों के लिए कुछ नहीं हैै



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45 लाख एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का एलान: जानिये इसका फायदा किसे, कितना, कब और कैसे मिलेगा?

केंद्र सरकार ने देश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के लिए 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का पैकेज तो घोषित कर दिया है। लेकिन इस पैकेज को कैसे दिया जाएगा, कब दिया जाएगा, किसे दिया जाएगा, हम इसे समझने की कोशिश करते हैं। इस संबंध में हमने देश के दो बड़े बैंकों एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री से बात की।

इन दोनों बैंकों के पास एमएसएमई के सबसे अधिक ग्राहक हैं। हालांकि एमएसएमई को पैकेज जारी करने के लिए अब मामला आरबीआई के पाले में है। जब तक आरबीआई नोटिफिकेशन नहीं जारी करेगा, तब तक एमएसएमई को लोन मिलना मुश्किल है।

यह लोन किसके लिए है ?

यह लोन एमएसएमई सेक्टर की कंपनियों के लिए है। उन कंपनियों के लिए जो सेवा सेक्टर में हैं या मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में। हर तरह की एमएसएमई इसके लिए योग्य है। कंपनी छोटी होगी तो भी उसे लोन में कोई दिक्कत नहीं होगी।

कब लोन मिलेगा और कैसे?

लोन पाने के लिए कंपनियों को बैंकों के पास आवेदन करना होगा। कंपनियां चाहें तो इस समय लॉकडाइन में ही आवेदन कर सकती हैं। बैंकों के पास इस समय ज्यादा लिक्विडिटी है। आवेदन करने के बाद उन्हें लोन मिलेगा। हालांकि आवेदन से पहले आरबीआई के नोटिफिकेशन का इंतजार होगा।

यह स्कीम कब तक रहेगी और क्या फायदा होगा?

यह स्कीम फिलहाल 31 अक्टूबर तक रहेगी। जिन कंपनियों को लोन लेना है, वे इस स्कीम के तहत 31 अक्टूबर से पहले आवेदन कर सकती हैं। फायदा की बात करें तो एमएसएमई को दिए जानेवाले सभी लोन की गारंटी अब केंद्र सरकार ने ली है। इसलिए बैंक अब दिल खोलकर लोन देंगे।

किस रूप में मिलेगा यह लोन?

यह लोन एमएसएमई को वर्किंग कैपिटल के रूप में मिलेगा। साथ ही अतिरिक्त कैपिटल की जरूरत होगी तो भी उन्हें लोन मिलेगा। चूंकि परिभाषा बदल दी गई है, इसलिए इस लोन से और राहत इन कंपनियों को मिलेगी।

कंपनियों कीबकाया राशि का क्या होगा?

सरकार ने साफ कर दिया है कि एमएसएमई के जो भी पेमेंट बकाया हैं, वह 45 दिनों के अंदर मिलेंगे। यानी अगले 45 दिनों में अगर यह पेमेंट आ जाता है तो इन कंपनियों को दोहरा फायदा होगा। क्योंकि ज्यादा दिक्कत पेमेंट साइकल को लेकर इन कंपनियों को होती है।

एमएसएमई को इस समय लोन की जरूरत है?

हां, इस समय एमएसएमई को लोन की जरूरत है। क्योंकि महिंद्रा और मारुति जैसी कंपनियों ने अपने प्रोडक्शनशुरू कर दिए हैं। चौथे लॉकडाउन में काफी राहत दिए जाने की संभावना है। ऐसे में अर्थव्यवस्था को चलाने और कंपनियों को कारोबार करने के लिए पूंजी की जरूरत होगी। अगर यह दोनों साथ चलते हैं तो सरकार को आनेवाले दिनों में टैक्स और अन्य फायदे मिल सकते हैं।

कंपनियों के शुरू होने के साथ ही मांग बढ़ेगी

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री समीर नारंग कहते हैं कि एमएसएमई को दिया गया पैकेज बहुत बेहतर पैकेज है। इससे देश में 45 लाख एमएसएमई को फायदा मिलेगा। यानी करीबन 3 लाख एमएसएमई हमारे ग्राहक हैं उन्हें भी सीधे फायदा मिलेगा। वे कहते हैं कि बैंक चाहेंगे कि आसानी से एमएसएमई को लोन मिले, इसलिए यह बहुत अच्छा कदम बैंकों के लिए भी है। उन्होंने कहा कि चूंकि महिंद्रा और मारुति जैसी कंपनियों ने उत्पादन शुरू किया है, इसलिए एसएमई का काम शुरू हो जाएगा। एक कंपनी के शुरू होने से 2,500 एमएसएमई को फायदा होता है। क्योंकि इसमें ढेर सारे काम होते हैं।

आरबीआई के नोटिफिकेशन के बाद मिलेगा लोन

नारंग ने कहा कि चूंकि गाइडलाइंस आई हैं और वित्तमंत्री ने घोषणा की है। पर अंतिम नोटिफिकेशन आरबीआई से बैंकों को आएगा। यह नोटिफिकेशन हो सकता है कि इसी हफ्ते आ जाए या फिर जून में मौद्रिक नीति के दौरान आरबीआई जारी करे। इसका नोटिफिकेशन जल्दी जारी करना होगा। क्योंकि यह स्कीम केवल 31 अक्टूबर तक ही है। उन्होंने कहा कि चूंकि सिक्योरिटीज का एक फिक्स्ड कॉस्ट है, इसलिए इस घोषणा से एसएमई को आनेवाले दिनों में अच्छा लाभ मिलेगा।

यह विन-विन सिचुएशन है- एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री

एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्याकांति घोष ने कहा कि आज जो पैकेज जारी हुआ है, उसका सपोर्ट कल आएगा। लेकिन यह पैकेज बहुत ही बेहतर है। जिस तरह से एमएसएमई की परिभाषा को बदला गया है, यह विन विन सिचुएशन है। यह मामला संसद में लंबित लेकिन अब यह पास हो चुका है। अब बैंक अपने स्तर पर एमएसएमई की पहचान कर उन्हें आसानी से कर्ज दे सकेंगे।

वेल टार्गेटेड पैकेज है यह

घोष ने कहा कि यह पूरी तरह से वेल टार्गेटेड पैकेज है। इसका इंपैक्ट बहुत अच्छा दिखेगा। चूंकि एमएसएमई को दिए जानेवाले लोन की गारंटी सरकार ने ली है, इसलिए बैंकों को लोन देने में अब कोई दिक्कत नहीं है। प्रोडक्शन पर सरकार ने ज्यादा ध्यान दिया है। उनका कहना है कि 3 लाख करोड़ रुपए के लोन पर अगर यह मान लिया जाए कि 30 हजार करोड़ रुपए की गारंटी होती है तो यह सरकार को देनी है। बैंक अभी तक इसलिए लोन देने में थोड़ा हिचकते थे। उनके मुताबिक इस कदम से फाइनेंशियल बाजार को मजबूती मिलेगी।

वर्किंग कैपिटल की समस्या खत्म होगी

एमएसएमई के लिए मर्चेंट बैंकर का काम करनेवाले पैंटोमैथ कैपिटल एडवाइजर्स के एमडी महावीर लुनावत कहते हैं कि इससे वर्किंग कैपिटल को मजबूती मिलेगी। एमएसएमई को वर्किंग कैपिटल की बहुत जरूरत होती है। इसलिए यह पैकेज बहुत ही अच्छा और राहत भरा पैकेज है। यह काफी समय से लंबित था और इस समय मिलना और भी अच्छा है।

राहत पैकेज के प्रमुख अंश-

एमएसएमई, कुटीर व गृह उद्योग के लिए 3 लाख करोड़ रुपए का कोलैटरल मुक्त ऑटोमैटिक लोन की सुविधा। 45 लाख छोटी कारोबारी गतिविधियों को इसका लाभ मिलेगा और इससे कर्मचारियों को रोजगार की सुरक्षा मिलेगी। 25 करोड़ रुपए तक बकाए और 100 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाली इकाइयों को ये लोन मिलेंगे। कारोबारी इकाई पर 29 फरवरी 2020 तक जितना बकाया था, उसका अधिकतम 20 फीसदी सरल लोन के रूप में इन इकाइयों को बैंक और एनबीएफसी से मिलेगा। लोन का भुगतान 4 साल में करना होगा।बेहतर काम कर रहे एमएसएमई में निवेश के लिए फंड ऑफ फंड बनेगा। एमएमसएमई में 50 हजार करोड़ रुपए की इक्विटी का होगा निवेश। 10 हजार करोड़ रुपए के साथ बनेगा कोष।

परिभाषा बदलने से होगा ज्यादा कंपनियों को फायदा

एमएसएमई की परिभाषा एममएसएमई के हित में बदली। ताकि आकार बढ़ने के बाद भी एमएसएमई को लाभ मिलता रहे। इसलिए एमएसएमई में निवेश सीमा बढ़ी। मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र के एमएसएमई में अंतर को समाप्त कर दिया गया। पहले 25 लाख के निवेश को माइक्रो यूनिट कहा जाता था। अब 1 करोड़ तक के निवेश के बाद भी माइक्रो यूनिट बने रहेंगे। सेवा में भी माइक्रो यूनिट के लिए निवेश सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ कर दिया गया। 5 करोड़ रुपए के टर्नओवर के बाद भी माइक्रो यूनिट बने रहेंगे।स्मॉल के लिए निवेश की सीमा 10 करोड़ रुपए और टर्नओवर की सीमा बढ़ाकर 50 करोड़ रुपए कर दी गई। मीडियम एंटरप्राइज के लिए निवेश की समी बढ़ाकर 20 करोड़ रुपए और टर्नओवर की सीमा बढ़ाकर 100 करोड़ रुपए कर दी गई।



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एमएसएमई को अब कंपनियों के चालू होने से होगा फायदा


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बिजली कंपनियों को सरकार ने 90 हजार करोड़ रुपए का राहत पैकेज दिया, लेकिन इनका डिस्कॉम पर पहले से ही 94 हजार करोड़ का बकाया

बिजनेस डेस्क.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में 20 लाख करोड़ रुपए का राहत पैकेज जारी किया था। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को इस पैकेज से अलग-अलग सेक्टर के लिए राहत का ऐलान किया। इसमें उन्होंने इन दिनों मुश्किल हालातों से गुजर रहीं राज्यों की पावर जनरेटिंग कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए 90,000 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया। इससे डिस्कॉम यानी पावर जनरेटिंग कंपनियों को फायदा मिलेगा। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बिजली कंपनियां पहले से बहुत ज्यादा गहरे संकट में हैं। बिजली कंपनियों का डिस्कॉम्स पर 94,000 करोड़ रुपए का बकाया है।

  • कॉन्ट्रैक्टर को 6 महीने की राहत बिना किसी शर्त के दी जाएगी

दरअसल, पिछले दोनों लॉकडाउन, कोरोनावायरस आदि के चलते बिजली वितरण कंपनियों की आय में भारी कमी आई है। इसके चलते बिजली उत्पादन और वितरण करने वाली कंपनियों के लिए यह प्रावधान किया गया है। 90 हजार करोड़ रुपए सरकारी कंपनियों पीएफसी, आरईसी के माध्यम से दिया जाएगा। इससे राज्य सरकारें इन कंपनियों को काम की गारंटी भी दे सकेंगी। कॉन्ट्रैक्टर को 6 महीने की राहत बिना किसी शर्त के दी जाएगी।
सीतारमण ने कहा कि डिस्कॉम अभी आसाधारण कैश फ्लो के प्रवाह से गुजर रही हैं। ऐसे में इन्हें मदद की जरूरत है। हम चाहते हैं कि यह फायदे कंज्यूमर्स तक सीधे पहुंचे।

  • पॉवर जेनरेशन कंपनियों, ट्रांसमिशन कंपनियों, निजी कंपनियां को पेमेंट किया जा सकेगा

इस एक बार के लिक्विडिटी इन्फ्यूजन से सेंट्रल पब्लिक सेक्टर की पॉवर जेनरेशन कंपनियों, ट्रांसमिशन कंपनियों, निजी कंपनियां और रिन्यूवल एनर्जी जेनरेटर्स को पेमेंट किया जा सकेगा। राज्य सरकारों द्वारा संचालित पीएफसी और आरईसी के पास छह लाख करोड़ रुपए की संपत्ति है। ये पॉवर सेक्टर की सबसे बड़ी कर्ज देने वाली कंपनियां हैं।

  • 10 राज्यों ने करीब एक तिहाई पॉवर सप्लाई अपने उपभोक्ताओं के वितरण में गंवाई है

केंद्र सरकार के राहत पैकेज का आइडिया संबंधित राज्य सरकारों द्वारा गारंटीकृत रियायती ऋणों के साथ बैकलॉग भुगतान को मंजूरी देने के लिए भी है। दरअसल, ऊर्जा की खपत, खास तौर पर बिजली और रिफाइनरी उत्पाद आमतौर पर अर्थव्यवस्था में डिमांड जुड़े होते हैं। 10 राज्यों ने करीब एक तिहाई पॉवर सप्लाई अपने उपभोक्ताओं के वितरण में गंवाई है। इसके चलते कंपनियों के ऊपर बकाया बढ़ गया है। इसके साथ उन कंपनियों को लोन देने वाली बैंकिंग सेक्टर पर भी असर पड़ा है।



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The government gave a relief package of 90 thousand crore rupees to the power companies, but their discoms already owed 94 thousand crores.


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कई दिन के बाद आई राहतभरी खबर, बीते 24 घंटे में सूबे में संक्रमण के सिर्फ 10 नए मामले मिले

पंजाब में मंगलवार शाम 6 बजे से बुधवार शाम 6 बजे तक 24 घंटे में 10 कोरोना संक्रमण के 10 मामले रिपोर्ट हुए हैं। राज्य के लिए यह राहतभरी खबर है, जो कई दिन के इंतजार के बाद आई है। जब से नांदेड़ से लाए लॉकडाउन में फंसे श्रद्धालुओं को लाया गया है, तब से कोरोना पॉजिटिव केसों की संख्या में कई गुणा बढ़ोतरी हो गई थी। 3 मई के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो तब एक ही दिन में 331 नए मरीज शामिल हुए थे। हालांकि राज्य के विभिन्न जिलों में अब तक कुल 1924 मरीजों में से 33 की मौत हो चुकी है। 200 लोग ठीक भी हो गए हैं।

राज्य के सेहत विभाग की तरफ से बुधवार शाम को जारी स्पेशल बुलेटिन के मुताबिक अब तक 46026 लोगों की टेस्टिंग हुई है। इनमें से 40637 की रिपोर्ट निगेटिव आई, वहीं 3465 का रिजल्ट आना बाकी है।

आज लुधियाना मेंसबसे ज्यादा 5 लोग संक्रमित मिले
सेहत विभाग के मुताबिक बुधवार को सबसे ज्यादा लुधियाना में 5 लोगों को संक्रमण की पुष्टि हुई। इसके अलावा रोपड़ में 2, जालंधर, कपूरथला और होशियारपुर में 1-1 मरीज नया मिला।

किस जिले में क्या स्थिति है फिलहाल?



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Coronavirus Punjab New Cases, Relief news came after several days, only 10 people reported as corona infected


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20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज में 13 लाख करोड़ रुपए जारी हो चुके, अब केवल 7 लाख करोड़ रुपए के ब्रेकअप की घोषणा होगी

केंद्र सरकार ने कोविड-19 से निपटने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के भारी-भरकम पैकेज का जो ऐलान किया था, उसमें से करीबन 13 लाख करोड़ रुपए की राहत दी जा चुकी है। इसमें करीबन 6.50 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को किया। जबकि बाकी का पैकेज पहले ही आरबीआई और सरकार ने दे दिया था।

पावर सेक्टर और एमएसएमई पर फोकस

बुधवार को जारी पैकेज में वित्तमंत्री ने टीडीएस के तहत 55000 करोड़ रुपए की सुविधा का ऐलान किया तो पीएफ के जरिए 25,000 करोड़ रुपए की सुविधा दी। इसी तरह पावर सेक्टर की कंपनियों के लिए 90,000 करोड़ रुपए का ऐलान किया गया है। जबकि एनबीएफसी के लिए 75,000 करोड़ रुपए और एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ रुपए के भारी भरकम पैकेज की घोषणा की गई है।

आरबीआई ने दो टीएलटीआरओ को जारी किया

इससे पहले करीबन 7 लाख करोड़ रुपए के पैकेज जो जारी किए गए थे उसमें सरकार ने 1.70 लाख करोड़ रुपए का पैकेज जारी किया था। इसके अलावा 15 अप्रैल को टीएलटीआरओ एक के तहत आरबीआई द्वारा एक लाख करोड़ रुपए का फंड जारी किया गया। इसके तहत बैंकों को कॉर्पोरेट बांड में निवेश करने के लिए दिया गया। इसके पीछे उद्देश्य कैश के संकट को खत्म करना था।

50,000 करोड़ रुपए की रीफाइनेंस सुविधा दी गई

17 अप्रैल को आरबीआई ने टीएलटीआरओ दो के तहत 50,000 करोड़ रुपए की सुविधा दी। जबकि इसी दिन 50,000 करोड़ रुपए की स्पेशल रीफाइनेंस की सुविधा सिडबी, नाबार्ड, एनएचबी आदि के लिए दी गई। आरबीआई ने मार्च अप्रैल के दौरान एक लाख करोड़ रुपए की सुविधा दी। दो वेरिएबल रेट रेपो के तहत 500 अरब रुपए की लिक्विडिटी की भी सुविधा प्रदान की गई।

20 करोड़ महिलाओं के जनधन खाते में डाला गया पैसा

20 मार्च को 100 अरब रुपए का सरकारी बांड आरबीआई ने खरीदा, जिससे यह भी लिक्विडिटी को आसान बनाने में काम आया। हालांकि इसी दौरान आरबीआई ने बैंकों द्वारा दिए जानेवाले डिविडेंड को भी रोक कर कुछ पैसे बैंकों के पास रख दिए। प्राइमरी बांड अंडरराइटर को 10 हजार करोड़ रुपए तक बढ़ाया गया था। 30 हजार करोड़ के ओएमओ की खरीदारी की गई। 16 दिन के वेरिएबल रेट रेपो पर एक ट्रिलियन रुपए जारी किया गया था। इसके अलावा सरकार ने 80 करोड़ लोगों को 5-5 किलो गेहूं या चावल और एक किलो दाल दिया। जबकि 20 करोड़ महिलाओं के खाते में 500 रुपए महीने दिए गए जो जून तक जारी रहेगा।

हेल्थकेयर के लिए जारी किए गए थे15,000 करोड़ रुपए

50 लाख रुपए का हेल्थ इंश्योरेंस भी इसी दौरान प्रदान किया गया। इसके अलावा हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने के लिए 15,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था। UBS की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च के आखिरी हफ्ते से आज तक RBI ने लिक्विडिटी सपोर्ट में करीब 5.2 लाख करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इस तरह से देखा जाए तो 20 लाख करोड़ के पैकेज का करीबन 13 लाख करोड़ रुपए जारी हो चुका है।



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दो दिन और वित्तमंत्री बाकी के पैकेज की करेंगी घोषणा


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15 हजार से कम सैलरी वालों का EPF देगी सरकार, TDS में 25% कटौती की घोषणा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कोविड-19 के 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज के ब्रेकअप की जानकारी दे दी। इस पैकेज के तहत पीएफ फंड को लेकर एम्प्लॉई और एम्प्लॉयर दोनों को रहत दी हैं। इसके तहत सभी फर्म और कंपनियां जहां 100 से कम कर्मचारी काम करते हैं और उनकी सैलरी 15 हजार से कम है, तो उनके पीएफ का पैसा सरकार देगी। इसके अलावा सरकार ने टीडीएस में भी 25 प्रतिशत की कटौती की है।

15 हजार की सैलरी वालों को 3 महीने कीमदद
सभी फर्म और कंपनियां जहां 100 से कम कर्मचारी काम करते हैं और उनकी सैलरी 15 हजार से कम है, तो उनके पीएफ का पैसा सरकार देगी। ऐसे कर्मचारियों की सैलरी का 24% हिस्सा सरकार उनके पीएफ में जमा करेगी।सरकार ने ईपीएफ कंट्रीब्यूशन को तीन महीने के लिए आगे बढ़ाया, अब अगस्त तक ईपीएफ में सरकार मदद करेगी।

पीएफ-ईपीएफ: कंपनियां पीएफ में हिस्सेदारी 12% की जगह 10% तक कर सकेंगी

सरकार पीएफ कंट्रीब्यूशन को 12% से घटाकर 10% करने का फैसला किया है। यह तीन महीने के लिए होगा। हालांकि, केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारियों का पीएफ 12% ही कटता रहेगा। यह उन कर्मचारियों के लिए रहेगी, जो गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत नहीं आए हैं। इससे करीब 4.3 करोड़ कर्मचारियों को फायदा होगा। इससे कर्मचारियों और कंपनियों को 6750 करोड़ अतिरिक्त रुपए मिलेंगे।

टीडीएस रेट में 25% की कमी, 55 हजार करोड़ का फायदा होगा

  • टीडीएस की दरों में 25% की कमी की जाएगी। यह सभी पेमेंट पर लागू होगा चाहे वह कमीशन हो, ब्रोकरेज हो या कोई अन्य पेमेंट।
  • दरों में कमी 13 मई से लागू होगी और मार्च 2021 तक रहेगी। टीडीएस कटौती से 55 हजार करोड़ रुपए का लाभ होगा।
  • 2019-20 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न की आखिरी तारीख बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दिया गया है।

क्या है टीडीएस?

अगर किसी की कोई आय होती है तो उस आय से टैक्स काटकर अगर व्यक्ति को बाकी रकम दी जाए तो टैक्स के रूप में काटी गई रकम को टीडीएस कहते हैं। सरकार टीडीएस के जरिए टैक्स जुटाती है। यह अलग-अलग तरह के आय स्रोतों पर काटा जाता है जैसे सैलरी, किसी निवेश पर मिले ब्याज या कमीशन आदि पर। कोई भी संस्थान (जो टीडीएस के दायरे में आता है) जो भुगतान कर रहा है, वह एक निश्चित रकम टीडीएस के रूप में काटता है।



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टीडीएस की दरों में 25% की कमी की जाएगी। यह सभी पेमेंट पर लागू होगा चाहे वह कमीशन हो, ब्रोकरेज हो या कोई अन्य पेमेंट।


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चिदंबरम ने कहा- वित्त मंत्री के भाषण में गरीबों और प्रवासी मजदूरों के लिए कुछ नहीं हैै

पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठनेता पी. चिदम्बरम ने बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के भाषण पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंनेकहा कि वित्त मंत्री ने आज जो भी कहा उसमें लाखों गरीबों, भूखे और तबाह प्रवासी मजदूरों के लिए कुछ भी नहीं है। वे अभी भी अपने राज्यों में पैदल वापस जा रहे हैं।

चिदंबरम ने कहा- उन लोगों को बड़ा झटका लगा है, जो रोज मेहनत करके कमाते हैं। निचले तबके की आधी आबादी तक नकद ट्रांसफर का भी कोई माध्यम नहीं है। 13 करोड़ परिवारों को बेसहारा छोड़ दिया गया है। इस बीच,पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि केंद्र का स्पेशल इकोनॉमिक पैकेज एक ‘बिग जीरो’ है। इसमें राज्यों के लिए कुछ भी नहीं है।

वित्त मंत्री ने कहा था- इससे 45 लाख उद्योगों को फायदा होगा

इससे पहले, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत के लिए 20 लाख करोड़ के विशेष पैकेज के तहत किस सेक्टर को कितना पैसा दिया जाएगा। सरकार ने एमएसएमई, एनबीएफसी, एमएफआई, डिस्कॉम, रियल एस्टेट, टैक्स और कॉन्ट्रैक्टर्स को राहत देने के लिए 15 घोषणाएं की। एमएमएमई को 3 लाख करोड़ का लोन दिया जाएगा। इससे 45 लाख उद्योगों को फायदा होगा।

प्रधानमंत्री की घोषणा को चिदंबरम ने ब्लैंक पेज बताया था

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बुधवार सुबह केंद्र सरकार के 20 लाख करोड़ रुपएके राहत पैकेज पर कहा था, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमें हेडलाइन और ब्लैंक पेज(कोरा कागज) दिया है। अब देखना होगा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण उस ब्लैंक पेज को कैसे भरती हैं। हम हर उस अतिरिक्त रुपए पर नजर रख रहे हैं, जो अर्थव्यवस्था में डाला जाएगा।'



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चिदंबरम ने कहा- आज वित्त मंत्री ने जो भी कहा उसमें उन लोगों के लिए कुछ भी नहीं है, जो अभी भी अपने राज्यों में पैदल वापस जा रहे हैं। -फाइल फोटो


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चिदंबरम ने कहा- वित्त मंत्री के भाषण में गरीबों और प्रवासी मजदूरों के लिए कुछ नहीं हैै

पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठनेता पी. चिदम्बरम ने बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के भाषण पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंनेकहा कि वित्त मंत्री ने आज जो भी कहा उसमें लाखों गरीबों, भूखे और तबाह प्रवासी मजदूरों के लिए कुछ भी नहीं है। वे अभी भी अपने राज्यों में पैदल वापस जा रहे हैं।

चिदंबरम ने कहा- उन लोगों को बड़ा झटका लगा है, जो रोज मेहनत करके कमाते हैं। निचले तबके की आधी आबादी तक नकद ट्रांसफर का भी कोई माध्यम नहीं है। 13 करोड़ परिवारों को बेसहारा छोड़ दिया गया है। इस बीच,पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि केंद्र का स्पेशल इकोनॉमिक पैकेज एक ‘बिग जीरो’ है। इसमें राज्यों के लिए कुछ भी नहीं है।

वित्त मंत्री ने कहा था- इससे 45 लाख उद्योगों को फायदा होगा

इससे पहले, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत के लिए 20 लाख करोड़ के विशेष पैकेज के तहत किस सेक्टर को कितना पैसा दिया जाएगा। सरकार ने एमएसएमई, एनबीएफसी, एमएफआई, डिस्कॉम, रियल एस्टेट, टैक्स और कॉन्ट्रैक्टर्स को राहत देने के लिए 15 घोषणाएं की। एमएमएमई को 3 लाख करोड़ का लोन दिया जाएगा। इससे 45 लाख उद्योगों को फायदा होगा।

प्रधानमंत्री की घोषणा को चिदंबरम ने ब्लैंक पेज बताया था

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बुधवार सुबह केंद्र सरकार के 20 लाख करोड़ रुपएके राहत पैकेज पर कहा था, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमें हेडलाइन और ब्लैंक पेज(कोरा कागज) दिया है। अब देखना होगा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण उस ब्लैंक पेज को कैसे भरती हैं। हम हर उस अतिरिक्त रुपए पर नजर रख रहे हैं, जो अर्थव्यवस्था में डाला जाएगा।'



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चेक पोस्ट तोड़कर भाग रहे युवक को सीआरपीएफ जवान ने मारी गोली, सड़क पर उतरे लोग, पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जांच की मांग की

बडगाम में बुधवार को सीआरपीएफ जवान की गोली से एक युवक की मौत हो गई। आरोप है कि युवक नारबल के कावूसा खलिसा गांव के पास बने चेक पोस्ट को तोड़कर भाग रहा था। सुरक्षाबलों ने उसे रोकने की कोशिश की तो वह कार की स्पीड बढ़ाकर भागने लगा। इसपर सीआरपीएफ जवान ने गोली चला दी। जिसमें युवक की मौत हो गई। खबर फैलते हीस्थानीय लोग सड़क पर उतर आए। बड़ी संख्या में लोगोंने हंगामा शुरू कर दिया। काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने लोगों को समझाकर शांत किया। फिलहाल इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई है। उधर, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने घटना को दुखद बताया है। उन्होंने ट्विट करके इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की है।

संदिग्ध आतंकी समझ चलाई गोली
घटना आज सुबह की बताई जा रही है। यहां श्रीनगर-गुलमर्ग हाइवे पर नारबल इलाके के कावूसा खलिसा गांव के बाहर चेक पोस्ट पर सुरक्षाबलों ने कार को रोकने का इशारा किया। इसके उलट युवक ने कार की स्पीड तेज कर दी और चेक पोस्ट तोड़कर आगे बढ़ गया। संदिग्ध आतंकी मानकर सूचना वायरलेस के जरिए आगे तैनात जवानों को दी गई। कुछ ही दूर पर तैनात सीआरपीएफ जवान ने पहले गाड़ी रोकने का इशारा किया लेकिन जब नहीं रूकी तो उसने गोली चला दी जिसमें युवक घायल हो गया। गोली उसके कंधे और सीने पर लगी थी। घायल अवस्था में उसे अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

एसएसपी ने दिए जांच के आदेश
मारे गए युवक की पहचान पीर मेहराजुदीन के रुप में हुई है। वह जिला बडगाम में मकहामा खाग का रहने वाला था। मौत की खबर फैलते ही इलाके के लोग आगबबूला हो गए। लोगों ने नारेबाजी शुरू कर दी। किसी तरह पुलिस ने लोगों को समझाकर शांत किया। एसएसपी अनंतनाग ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।



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बवाल की आशंका को देखते हुए मौके पर सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ा दी गई है। (फाइल फोटो)


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