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कभी बेटी की शादी में 500 करोड़ रुपए का खर्च कर सुर्खियों में रहने वाले स्टील किंग लक्ष्मी मित्तल के छोटे भाई प्रमोद मित्तल ब्रिटेन के सबसे बड़े बैंकरप्ट (दिवालिया) घोषित किए जा सकते हैं।
64 साल के प्रमाेद मित्तल का कहना है, "मुझ पर 23,750 कराेड़ रुपए का बकाया है। मैंने अपनी तमाम संपत्ति एक साैदे में गंवा दी। अब मेरे पास इनकम का भी काेई जरिया नहीं है, सिवाय दिल्ली के पास एक जमीन के। इसकी कीमत कभी 45 पौंड (4300 रुपए) थी। मेरे पास कुल जमा डेढ़ करोड़ रुपए रह गए हैं। मेरी अपनी कोई कमाई नहीं रह गई है। पत्नी भी मुझ पर निर्भर नहीं हैं। हकीकत यह है कि मेरे सामने अब जीने का संकट खड़ा हो गया है। मेरे महीने का खर्च करीब 2 लाख रुपए है।"
पिछले साल फ्रॉड के केस में गिरफ्तार किए गए थे
प्रमोद का विवाद 14 साल पुराना है। वे कई कर्जों के एवज में गारंटर थे, लेकिन, धोखाधड़ी के मामले में फंसने के बाद वे अपना कर्ज नहीं चुका पाए। तब बड़े भाई लक्ष्मी मित्तल ने दो बार जमानत की रकम भरकर उन्हें आपराधिक कार्रवाई से बचाया भी था। प्रमोद पर ब्रिटेन स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन (STC) के 2,210 करोड़ रुपए का बकाया था। 2019 में उन्हें धोखाधड़ी के आरोप में बोस्निया में गिरफ्तार भी किया गया था। यह मामला कोयला प्लांट GIKIL से जुड़ी धोखाधड़ी का है।
प्रमोद एक हजार कर्मचारियों वाली इस फर्म को साल 2003 से चला रहे थे। वे GIKIL के सुपरवाइजरी बोर्ड के प्रमुख थे। प्रमोद को इस प्लांट के खाते से करीब 84 करोड़ रुपए के संदिग्ध ट्रांसफर के बारे में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था। यह ट्रांसफर साल 2006 से 2015 के बीच किए गए थे। इस प्लांट में एक स्थानीय पब्लिक कंपनी (KHB) का भी शेयर है। पिछले साल प्रमोद को 92 करोड़ रुपए की जमानत दिए जाने के बाद रिहा किया गया था। तब मीडिया में यह खबर आने लगी थी कि दोनों भाइयों के बीच संपत्ति को लेकर विवाद हो गया है।
आर्सेलर के कारोबार में प्रमोदकी 28,200 करोड़ रुपए की हिस्सेदारी
दुनिया की सबसे बड़ी स्टील निर्माता कंपनी आर्सेलर मित्तल का लक्जमबर्ग स्थित कारोबार 84,600 करोड़ रुपए का है। इसमें प्रमोद की हिस्सेदारी 28,200 करोड़ रुपए है। ब्रिटेन में हाल में जारी टाइम रिच लिस्ट के अनुसार क्वींस पार्क रेंजर्स फुटबॉल क्लब में उनकी 20 फीसदी की हिस्सेदारी है और उसकी लागत 50 हजार करोड़ रुपए है। बड़े भाई लक्ष्मी मित्तल ब्रिटेन के 19वें सबसे अमीर आदमी हैं। वे ब्रिटेन के पॉश इलाके मेफेयर में 2000 करोड़ रुपए की हवेली के मालिक हैं।
from Dainik Bhaskar /local/delhi-ncr/news/pramod-mittal-who-once-spent-500-crores-in-his-daughters-wedding-now-owes-24-thousand-crores-rupees-127835077.html
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भारतीय सेना ने 2 दिन पहले लद्दाख में जिस चीनी सैनिक को पकड़ा था, उसे मंगलवार रात चुशूल-मोल्डो मीटिंग पॉइंट पर लौटा दिया। ये सैनिक सोमवार को भटककर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पारकर लद्दाख के चुमार-डेमचोक इलाके में आ गया था। सेना ने उसी दिन कहा था कि तय प्रॉसिजर पूरा करने के बाद प्रोटोकॉल के मुताबिक चीन के सैनिक को लौटा दिया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चाइनीज सैनिक को लौटाने से पहले चीन के मामलों ने जुड़े एक्सपर्ट्स ने उससे पूछताछ की। वहीं आर्मी ने बताया था कि चीन के सैनिक को मेडिकल हेल्प, खाना और गरम कपड़े दिए गए, ताकि उसे कोई दिक्कत नहीं हो।
लद्दाख में भारतीय सेना की सर्दियों में भी डटे रहने की तैयारी
भारत-चीन के बीच लगातार तनाव के बीच सेना ने सर्दियों में लद्दाख के इलाकों में डटे रहने की तैयारियां कर ली हैं। भारत ने ऊंचाई वाले इलाकों लिए वॉरफेयर किट और विंटर क्लोथ अमेरिका से खरीदे हैं।
भारतीय सैनिकों का लद्दाख के पैंगॉन्ग लेक के दक्षिण में 13 अहम चोटियों पर कब्जा है, जहां वे माइनस 25 डिग्री सेल्सियस टेम्परेचर में पूरी मुस्तैदी के साथ डटे हुए हैं। सीमा विवाद हल करने के लिए चुशुल में 12 अक्टूबर को कोर कमांडर स्तर की मीटिंग करीब 11 घंटे चली, लेकिन पहले की बैठकों की तरह इसमें भी कोई पुख्ता रास्ता नहीं निकल पाया।
यह पटना का राजीव नगर इलाका है। चुपचाप खड़े हैं कई मजदूर। पहले यहां रेल लाइन हुआ करती थी। तब भी ये लोग यहीं खड़े रहते थे, हर सुबह। कामकाज की तलाश में। अब रेल लाइन उखाड़ कर सड़क बना दी गई है। फोर लेन वाली। यही नहीं, अब तो ओवरब्रिज भी बन गया है।
दो मजदूर आपस में बातचीत कर रहे हैं। इसमें एक जवान है और दूसरा अधेड़। युवा खैनी रगड़ते हुए कहता है- ‘बाबा ई इलाका चकाचक हो गया, लेकिन हम सब का जिनगी वहीं का वहीं काहे है हो।’
बाबा ने कहा ‘कोरोना में जिंदे हो, यही खैरियत मनाओ’।
काहे ऐसे कहते हैं बाबा, देख रहे हैं न रोज हेलीकॉप्टर से नेता सब उड़ रहे हैं। पानी के तरह पैसा बह रहा है। ई कोरोना में भी चुनाव हो रहा है।
बाबा बोले, ‘देखो समरथ को नहीं दोष गुसाई। यह लिखा हुआ है धर्मग्रंथ में। फिर ई सब में दिमाग काहे लगाते हो’।
दिमाग काहे नहीं लगाएं बाबा, चुनाव के समय ही तो हम सब को दिमाग लगाने का समय है। भुला गए कितना दिक्कत हुआ मजदूर सब को। कैसे रेल पटरी पर मजदूर थक कर सो गए थे और सब कट गए थे।
बाबा बोले- ‘काहे दुख का बात एतना याद रखते हो रे’।
‘एतना जल्दी भूल भी कैसे जाएं बाबा। हमको तो ऊ सब भी याद है कि कैसे बिहार के मुख्यमंत्री ने एक दिन में भाजपा के सारे मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया था। कैसे नरेंद्र मोदी के साथ एक ठो विज्ञापन अखबार में छपा था तो नीतीश कुमार ने भूकंप ला दिया था। उस हिसाब से तो चिराग कुछो नहीं कर रहा है। नरेंद्र मोदी पीएम पद के दावेदार थे और नीतीश कुमार को पचिए नहीं रहे थे। मिट्टी में मिल जाएंगे पर भाजपा के साथ नहीं जाएंगे। भाजपा का क्या मतलब बताया था याद है न आपको- ‘भारत जलाओ पार्टी’। नरेंद्र मोदी कम थोड़े हैं। ऊ तो डीएनए पर ही सवाल उठा दिए थे।’
बाबा चकराने लगे, बोले- ‘अरे बाप रे बाप, तू नेता काहे नहीं बन गया रे’। जवान मजदूर ई सब से कब रुकने-थमने वाला था, उसने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, बाबा आपको याद है- ‘गांधी मैदान में स्टॉल लगाया गया था। वहां कैंची और नोहरनी (नेल कटर) भी रखा गया था। स्टॉल लगाकर लोगों का नाखून काटा गया, बाल काटा गया और उसको छोटकिनिया पैकेट में भर कर ‘डीएनए टेस्ट’ खातिर भेजा गया था दिल्ली...। बिहारी स्वाभिमान का सवाल उठा दिया था सब, इसलिए हमहू जाकर बाल, नाखून कटवाकर भेजे थे। बाप रे बाप.... गजबे तमाशा हुआ था। फिर बाद में क्या हुआ। ऊहे नीतीश बाबू, नरेंद्र मोदी के साथ चले गए। भाजपो ऐसी निकली कि स्वीकार कर ली हाथ बढ़ा के।’
बाबा बोले- ‘इतना सब होने के बादो तोहर तीसरा नेत्र नहीं खुला है का’। जवान बोला- ‘खुल भी गया त हम किसका क्या बिगाड़ लेंगे। वोट देना है हमको तो एक ठो दे आएंगे। चिराग, तेजस्वी से भिड़ रहे हैं नीतीश कुमार। सोचिए तो क्या मुकाबला है। किसी पार्टी का दम है बिहार में अकेले चुनाव लड़ ले। चारों तरफ गठबंधने दिख रहा है।
नीतीश कुमार से लेकर उपेन्द्र कुशवाहा, मुकेश सहनी, पप्पू यादव सब का गठबंधन। चिराग अकेले चल रहे हैं। उनका भितरिया गठबंधन है। चुनाव के बाद समझ में आएगा। बीच-बीच में भाजपा के बड़का नेता सब कुछ-कुछ बोल कर गड़बड़ा दे रहे हैं।
बाबा बोले- ‘गजबे है भाई, बिहार का हर आदमी कउनो उम्मीदवार से कम नहीं है। लेकिन, जानते हो इस बार कउनो नेता के भाषण में मजा नहीं आ रहा है। लालू थे तो गरमाइल रखते थे। हप-हप बोलते थे। अब त घिसल-पिटल भाषण है। कवनो क्रिएटिविटी नय है। मजा त खाली चिरागे दिला रहा है। बिहार में राजनीति का चिराग जलइले है। अब त आपदा घोटाला का आरोप शुरू हो गया है। देखते जाओ आगे... आगे...।’
मेरा मन उस युवा की बातों में ही लगा हुआ था कि मजदूरी करने वाले की इतनी राजनीतिक समझ... मैंने उसे रोककर उसके बारे में जानना चाहा। धीरे से नाम बताया- राकेश। सब उसे बबलुआ कहते हैं। ‘बबलुआ’ बीटेक पास बेरोजगार है...अपने कुछ और साथियों की तरह। मैंने कुछ और पूछा तो दर्द भरी टीस और मुस्कराहट के बीच निकली आवाज में बस इतना ही कहा- ‘बिहार में बहार बा...’।
पिछले तीन हफ्ते से देश में कोरोनावायरस की रफ्तार थोड़ी थम सी गई है। नए मामलों और मौतों में कमी आई है। ज्यादातर राज्यों में ट्रांसमिशन भी कम हो रहा है। लेकिन, नीति आयोग ने चेतावनी देते हुए कहा कि सर्दियों में कोरोना की दूसरी लहर आ सकती है।
नीति आयोग के सदस्य और कोरोना से निपटने के लिए बने पैनल के प्रमुख वीके पॉल के मुताबिक, कोरोनावायरस की वैक्सीन आने के बाद उसे लोगों तक पहुंचाने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं। पिछले तीन हफ्ते में देश में कोरोनावायरस के नए केस और इससे होने वाली मौतों में कमी आई है। अधिकतर राज्यों में ट्रांसमिशन भी कम हुआ है, लेकिन हमें सर्दियों के लिए तैयार रहना होगा।
कुछ राज्यों में बढ़ रहे हैं कोरोना के केस
नीति आयोग ने कहा- पांच राज्य केरल, कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और कुछ केन्द्र शासित प्रदेशों में कोरोना के मामले अभी भी बढ़ रहे हैं। हम अभी भी बेहतर हालात में हैं। लेकिन, लंबा रास्ता तय करना है, क्योंकि सर्दियों में 90% लोग कोरोना की चपेट में आसानी से आ सकते हैं। सर्दी की शुरुआत होते ही यूरोप के देशों में वायरस के मामले बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। हम इससे इनकार नहीं कर सकते कि सर्दियों में हमें भी इस स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
बचाव ही इकलौता रास्ता
कोरोना कंट्रोल पैनल के प्रमुख पॉल ने कहा कि सर्दी के साथ फेस्टिव सीजन भी आ रहे हैं, इस दौरान हमें सावधान रहना होगा।
सर्दी के मौसम और त्योहारों के कारण उत्तर भारत में प्रदूषण भी खूब बढ़ेगा। हमें उस लिहाज से भी चौकन्ना रहने की जरूरत है। आने वाले महीने चुनौतियों से भरे हैं, अगर हम सावधानी नहीं बरतेंगे तो मामले बढ़ सकते हैं।
नीति आयोग ने कहा कि इससे बचना हमारे हाथ में है। भारत में दूसरी लहर आएगी या नहीं, यह भी हमारे ऊपर निर्भर करता है।
वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए तैयारियां पूरी
वैक्सीन के लिए भारत में बड़ी संख्या में कोल्ड स्टोरेज हैं और जरूरत पड़ने पर इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है।
वैक्सीन उपलब्ध होने पर इसकी आपूर्ति करने और लोगों तक पहुंचाने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं।
शनिवार को प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा कि NEGVAC ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर वैक्सीन के स्टोरेज, वितरण और उसे लगाने का खाका तैयार किया है।
सर्दियों में कोरोनावायरस से कैसे बचें
सर्दियों में कोरोनावायरस से बचने के लिए कोई अलग गाइडलाइन अभी तक तो नहीं जारी की गई है। इसलिए, आयुष मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइन को ही हमें नियमित फॉलो करना होगा।
आयुष मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक, कोरोना से बचाव के लिए गर्म पानी पीना जरूरी है। सर्दियों में गर्म पानी के नियम को और गंभीरता से फॉलो करना होगा। योग और प्राणायाम पर मंत्रालय ने साफ कहा है कि यह हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, जो कोरोना के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है।
इसके अलावा दिन में 1 या 2 बार हर्बल चाय पीने, तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च, सूखी अदरक और किशमिश का काढ़ा लेने पर भी आयुष मंत्रालय शुरू से ही जोर दे रहा है, जो हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन बहुत स्पष्ट हैं। शुरू से ही स्वास्थ्य मंत्रालय उन सभी सावधानियों को बरतने पर जोर दे रहा है, जिनसे कोरोनावायरस एक से दूसरे में ट्रांसमिट हो सकता है। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग पर प्रधानमंत्री ने भी मंगलवार को दिए राष्ट्र के नाम संदेश में आगाह किया है।
देश में कोरोना संक्रमण के नए मामले तेजी से कम हो रहे हैं। एक्टिव केस (ऐसे मरीज जिनका इलाज चल रहा है) भी तेजी से घटने लगे हैं। डेढ़ महीने में एक्टिव मरीजों की संख्या में करीब 2 लाख से ज्यादा कमी देखी गई है। अभी देश में 7 लाख 39 हजार 895 मरीजों का इलाज चल रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में 64% एक्टिव केस सिर्फ 6 राज्यों में हैं। इनमें 50% महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल में हैं। बाकी के दूसरे राज्यों में हैं।
देश में कोरोना का आंकड़ा 76 लाख के पार हो गया है। अब तक 76 लाख 48 हजार 373 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। पिछले 24 घंटे में 54 हजार 404 नए केस मिले, 61 हजार 933 लोग रिकवर हुए और 714 मरीजों की मौत हो गई। इसी के साथ मरने वालों की संख्या बढ़कर 1 लाख 15 हजार 939 हो गई है। अभी 7 लाख 39 हजार 895 मरीजों का इलाज चल रहा है।
रिकवरी के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे
रिकवरी के मामले में भारत पूरी दुनिया में सबसे आगे हैं। यहां सबसे ज्यादा 67 लाख 91 हजार 113 लोग ठीक हो चुके हैं। टेस्टिंग के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है। यहां अब तक 9.60 करोड़ से ज्यादा लोगों की जांच हो चुकी है।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
राज्य में बीते 24 घंटे में 975 नए केस मिले और 1439 लोग रिकवर हुए। 25 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 1 लाख 62 हजार 178 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 12 हजार 507 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 46 हजार 860 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 2811 लोगों की मौत हो चुकी है।
2. राजस्थान
राज्य में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 1 लाख 77 हजार 123 हो गया है। बीते 24 घंटे के अंदर 1897 नए संक्रमित मिले। अभी 20 हजार 254 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 55 हजार 95 लोग अब तक ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या 1774 हो गई है।
3. बिहार
राज्य में संक्रमण के चलते जान गंवाने वालों का आंकड़ा 1 हजार के पार हो गया। अब तक 1011 लोग जान गंवा चुके हैं। पिछले 24 घंटे में 8 संक्रमितों की मौत हुई। 1837 नए मरीज मिले और 1100 लोग रिकवर हुए। अब तक 2 लाख 6 हजार 961 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 11 हजार 60 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 94 हजार 889 लोग ठीक हो चुके हैं।
4. महाराष्ट्र
24 घंटे में राज्य में 8151 लोग संक्रमित पाए गए। 7429 लोग ठीक हुए और 213 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 16 लाख 9 हजार 516 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 1 लाख 74 हजार 268 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 13 लाख 92 हजार 308 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 42 हजार 453 लोगों की मौत हो चुकी है।
5. उत्तरप्रदेश
प्रदेश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 4 लाख 59 हजार 154 हो गया है। पिछले 24 घंटे में 2289 नए मरीज मिले, 3339 लोग ठीक हुए और 29 मरीजों की मौत हो गई। अभी 30 हजार 426 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 22 हजार 24 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 6714 मरीजों की मौत हो चुकी है।
from Dainik Bhaskar /national/news/64-active-cases-in-the-country-in-only-6-states-more-than-2-lakh-cases-were-reduced-in-one-and-a-half-months-127835143.html
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भारतीय सेना ने 2 दिन पहले लद्दाख में जिस चीनी सैनिक को पकड़ा था, उसे मंगलवार रात चुशूल-मोल्डो मीटिंग पॉइंट पर लौटा दिया। ये सैनिक सोमवार को भटककर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पारकर लद्दाख के चुमार-डेमचोक इलाके में आ गया था। सेना ने उसी दिन कहा था कि तय प्रॉसिजर पूरा करने के बाद प्रोटोकॉल के मुताबिक चीन के सैनिक को लौटा दिया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चाइनीज सैनिक को लौटाने से पहले चीन के मामलों ने जुड़े एक्सपर्ट्स ने उससे पूछताछ की। वहीं आर्मी ने बताया था कि चीन के सैनिक को मेडिकल हेल्प, खाना और गरम कपड़े दिए गए, ताकि उसे कोई दिक्कत नहीं हो।
लद्दाख में भारतीय सेना की सर्दियों में भी डटे रहने की तैयारी
भारत-चीन के बीच लगातार तनाव के बीच सेना ने सर्दियों में लद्दाख के इलाकों में डटे रहने की तैयारियां कर ली हैं। भारत ने ऊंचाई वाले इलाकों लिए वॉरफेयर किट और विंटर क्लोथ अमेरिका से खरीदे हैं।
भारतीय सैनिकों का लद्दाख के पैंगॉन्ग लेक के दक्षिण में 13 अहम चोटियों पर कब्जा है, जहां वे माइनस 25 डिग्री सेल्सियस टेम्परेचर में पूरी मुस्तैदी के साथ डटे हुए हैं। सीमा विवाद हल करने के लिए चुशुल में 12 अक्टूबर को कोर कमांडर स्तर की मीटिंग करीब 11 घंटे चली, लेकिन पहले की बैठकों की तरह इसमें भी कोई पुख्ता रास्ता नहीं निकल पाया।
from Dainik Bhaskar /national/news/indian-army-handed-over-the-chinese-soldier-corporal-wang-ya-long-to-the-chinese-army-at-the-chushul-moldo-meeting-point-127835126.html
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इंटरनेट स्पीड को टेस्ट करने वाली कंपनी ओपनसिग्नल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि दुनिया में सबसे तेज 5G डाउनलोड स्पीड सऊदी अरब में है। वहीं, टॉप इंटरनेट स्पीड वाले 15 देशों की बात की जाए तो इनमें भारत शामिल नहीं है। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
आज इन 3 इवेंट्स पर रहेगी नजर
1. IPL के 13वें सीजन का 39वां मैच रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच आज शाम 7.30 बजे से अबु धाबी में खेला जाएगा।
2. मुंबई में आज से महिलाएं लोकल ट्रेन में यात्रा कर सकेंगी। ये ट्रेनें बीते 7 महीने से बंद थी।
3. काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मामले में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के रिवीजन के एडमिशन पर दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद जिला जज ने फैसला सुरक्षित रखा। आज आ सकता है फैसला।
अब कल की 7 महत्वपूर्ण खबरें
1. बिहार चुनाव से 8 दिन पहले मोदी का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार शाम 6 बजे राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। पिछले 7 महीने में राष्ट्र के नाम यह उनका 7वां संदेश था। वह भी बिहार में वोटिंग से ठीक 8 दिन पहले। मोदी के 12 मिनट के भाषण में फोकस कोरोना पर था। मोदी ने हाथ जोड़कर कहा- ‘जब तक कोरोना की दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं।’ वहीं, मोदी के संदेश से पहले भाजपा के यू-ट्यूब चैनल पर लाइक से ज्यादा डिसलाइक थे, जिसके नंबर बाद में भाजपा ने छुपा लिए।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के आइटम वाले बयान पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने करीब 45 घंटे बाद मंगलवार को तीखी प्रतिक्रिया दी। राहुल ने कहा कि कमलनाथ भले ही मेरी पार्टी के हैं, वे चाहे जो भी हों, लेकिन जिस भाषा का उन्होंने इस्तेमाल किया है, मैं निजी तौर पर उसे पसंद नहीं करता। इस पर कमलनाथ बोले कि यह राहुलजी की राय है। मैं क्यों माफी मांगूंगा, मेरा लक्ष्य किसी का अपमान करना नहीं था।
-पढ़ें पूरी खबर
3. चांद पर भी होगा इंटरनेट, नासा ने नोकिया को चुना
चंद्रमा पर पहला सेल्युलर नेटवर्क बनाने के लिए नासा ने नोकिया कंपनी को चुना है। फिनिश कंपनी ने सोमवार को कहा कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी भविष्य के लिए योजना बना रही कि इंसान चांद पर लौटेंगे और बस्तियां बसाएंगे। नासा का टारगेट 2024 तक इंसानों को चंद्रमा पर ले जाने का है और अपने आर्टेमिस (Artemis) प्रोग्राम के तहत लंबे समय तक वहां मौजूदगी दर्ज कराने का है।
4. देश में 10 राज्यों में बेरोजगारी दर डबल डिजिट में
देश में ओवरऑल बेरोजगारी दर घटने के बावजूद 10 राज्यों में नौकरियों का हाल बुरा है। इन राज्यों में सितंबर में भी बेरोजगारी दर डबल डिजिट में रही। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों के मुताबिक, बेरोजगारी के मामले में उत्तराखंड और हरियाणा टॉप पर हैं। उत्तराखंड में बेरोजगारी दर 22.3% और हरियाणा में 19.7% रही है।
इंटरनेट स्पीड को टेस्ट करने वाली कंपनी ओपनसिग्नल ने 5G नेटवर्क से जुड़ी रिपोर्ट पेश की है। इसके मुताबिक, सऊदी अरब में 5G नेटवर्क पर एवरेज डाउनलोड स्पीड 377.2 Mbps रहा। जबकि साउथ कोरिया में 5G नेटवर्क पर एवरेज डाउनलोड स्पीड 336.1 Mbps रही। रिपोर्ट में 15 देशों में 5G स्पीड से जुड़ा 1 जुलाई से 28 सितंबर तक का डेटा शामिल किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने दुनियाभर के देशों के लिए वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक जारी किया। इसमें कहा गया है कि बांग्लादेश ने प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में भारत को पीछे छोड़ दिया है। पिछले दिनों जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे लेकर सवाल उठाए तो एकेडमिक लेवल पर चर्चा शुरू हो गई कि क्या वाकई में भारत विकास की रफ्तार में बांग्लादेश से पीछे छूट गया है?
मध्य प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने शिक्षा के संबंध में पूछे गए सवाल पर कहा- सारे आतंकवादी मदरसों में पले-बढ़े और जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद की फैक्ट्री बना डाला। धर्म आधारित शिक्षा कट्टरता फैला रही है। इससे पहले, रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने महिला मंत्री को "आइटम" कहा था वहीं, सोमवार को शिवराज के मंत्री ने विपक्षी नेता की पत्नी को 'रखैल' बताया था।
1296: अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली की गद्दी संभाली थी।
1951: दिल्ली में भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई थी।
2005: सामूहिक दुष्कर्म की शिकार पाकिस्तान की मुख्तारन माई को वुमन ऑफ द ईयर चुना गया।
आखिर में जिक्र क्रांतिकारी सुभाषचंद्र बोस का। उन्होंने 1943 में सिंगापुर में आजाद हिंद सरकार बनाई थी। इस सरकार के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सेनाध्यक्ष बोस ही थे। पढ़ें, उन्हीं की कही एक बात...
ठाकुरगंज उत्तर बिहार का आखिरी ब्लॉक है। इसकी एक तरफ नेपाल है और दूसरी तरफ सिलीगुड़ी कॉरिडोर। यानी पश्चिम बंगाल का वह संकरा-सा गलियारा, जिसे ‘चिकन्स नेक’ भी कहा जाता है और जो पूर्वोत्तर राज्यों को शेष भारत से जोड़ता है। बिहार के अंतिम छोर पर बसे ठाकुरगंज ब्लॉक से बांग्लादेश की दूरी भी महज 10 किलोमीटर ही रह जाती है।
सीमांचल का यह क्षेत्र बिहार के सबसे पिछड़े और अविकसित इलाकों में शामिल है। अररिया से ठाकुरगंज की तरफ बढ़ने पर इसकी बदहाली के दर्जनों उदाहरण देखने को मिल जाते हैं। टूटे हुए पुल, धंसी हुई जमीन, कट कर बह चुके खेत और जल भराव के चलते हजारों एकड़ में बर्बाद होती फसलें यहां का आम नजारा है।
ठाकुरगंज की तरफ जाते हुए जिस हाइवे से सीमांचल की ये बदहाली नजर आती है, वह हाइवे अपने-आप में जरूर शानदार है। लेकिन, हाइवे पर लगे ट्रैवल एजेंट्स के विज्ञापन यह अहसास भी दिला देते हैं कि इस हाइवे का उद्देश्य सीमांचल की बेहतरी कम और देश की लेबर सप्लाई को सुगम बनाना ज्यादा है। महानगरों में मजदूरी करने के लिए यहां के हजारों लोग प्रतिदिन इसी शानदार हाइवे से रवाना होते हैं।
हाइवे के दोनों तरफ धान के खेत दूर-दूर तक फैले नजर आते हैं, लेकिन उनमें लगी ज्यादातर फसल बर्बाद हो चुकी है। सुपौल से लेकर किशनगंज तक सीमांचल के तमाम किसान हर साल अपनी फसल को ऐसे ही बर्बाद होते देखते हैं। यहां किसानों की स्थिति दयनीय और चेहरे उदास हो चुके हैं। ऐसे में भी जब कुछ किसान मुस्कान लिए मिलते हैं तो सुखद आश्चर्य होता है।
60 साल के महेंद्र सिंह ऐसे ही एक किसान हैं। 2 एकड़ जमीन पर खेती करने वाले महेंद्र मुख्य तौर पर केला, बैंगन, मकई, अनानास और चाय उगाते हैं। वे कहते हैं, ‘चाय का जो दाम हमें इस साल मिला है, वो आज से पहले कभी नहीं मिला था। ऐसा दाम अगर हर बार मिल जाए तो हमारे बच्चों को कभी मजदूरी के लिए बाहर न जाना पड़े।’
महेंद्र सिंह की तरह ही ठाकुरगंज ब्लॉक के वे सभी किसान इन दिनों खुश हैं, जिन्होंने बीते कुछ सालों में चाय की खेती शुरू कर दी है। बंगाल के सिलीगुड़ी से सटे इस इलाके में अब हजारों लोग चाय उगाने लगे हैं और सीमांचल के अन्य किसानों की तुलना में वे काफी बेहतर स्थिति में हैं।
बिहार में चाय की खेती का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। पिछले दो दशकों में ही यहां के किसानों ने चाय की खेती शुरू कर दी थी और आज भी बिहार में चाय का उत्पादन मुख्य रूप से किशनगंज जिले के दो प्रखंडों ठाकुरगंज और पोठिया तक ही सीमित है।
महेंद्र सिंह कहते हैं, ‘हम लोग बंगाल से बहुत नजदीक हैं तो वहीं के किसानों को देखकर हमने चाय उगाना शुरू किया था। इसमें अच्छी कमाई होने लगी तो देखा-देखी कई किसान चाय उगाने लगे।’ पोठिया ब्लॉक के बीरपुर गांव में रहने वाले सत्येंद्र सिंह बताते हैं, ‘चाय की खेती में मेहनत भले ही ज्यादा, लेकिन खतरा बहुत कम है। साल भर में 7-8 बार चाय की पत्ती टूटती है तो अगर एक-दो बार ये खराब भी हुई, तब भी उतना नुकसान नहीं, जितना धान में है। वजह ये कि धान तो छह महीने में एक बार होगा और वो खराब हो गया तो पूरा ही नुकसान है।’
ठाकुरगंज और पोठिया इलाके के जितने भी किसानों की जमीन चाय की खेती के लायक है, वो लोग भी बाकी फसलों को छोड़ चाय की खेती करने लगे हैं। इससे इनकी स्थिति में सुधार भी हुआ है, लेकिन इनकी शिकायत है कि सरकार की ओर से कोई भी कदम नहीं उठाया जा रहा।
बिहार-बंगाल बॉर्डर की बेसरबाटी पंचायत के रहने वाले यदुनाथ सिंह कहते हैं, ‘जितने भी किसान अभी चाय उगा रहे हैं, वो साथ में अनानास, केले, आलू, बैंगन जैसी अन्य चीजें भी उगाते हैं। ताकि कोई एक फसल खराब भी हो जाए तो दूसरी से उस नुकसान की भरपाई हो सके। चाय मुनाफे का सौदा तो है, लेकिन हर बार ऐसा दाम नहीं मिलता, जैसा इस बार मिल गया। इसमें अगर सरकार मदद करे तो इस इलाके की स्थिति में जमीन-आसमान का अंतर आ सकता है।’
वे आगे कहते हैं, ‘हमारे ठीक बगल में बंगाल है। वहां चाय उगाने वाले किसानों के लिए सरकार सब कुछ करती है। पक्की मेढ़ बनाई जाती है, पानी के लिए पाइप, पम्प और बिजली सब मुफ्त मिलता है। इतना ही नहीं, घर तक बनाकर दिए जाते हैं। बिहार सरकार ऐसा कुछ नहीं करती। फलों के लिए यहां मंडी और चाय के लिए फैक्टरी भी अगर हो जाए तो किसानों का बहुत भला हो जाए।’
सरकारी आकंड़ों के मुताबिक, फिलहाल बिहार में करीब 11 हजार एकड़ जमीन पर चाय की खेती हो रही है और करीब चार हजार किसान चाय उगा रहे हैं। बिहार में कुल नौ करोड़ किलो हरी पत्ती का उत्पादन हर साल होता है और इससे करीब 75 लाख किलो चाय-पत्ती साल भर में तैयार की जाती है।
ठाकुरगंज में चाय की प्रोसेसिंग यूनिट चलाने वाले ‘अभय टी प्राइवेट लिमिटेड’ के मालिक कुमार राहुल सिंह कहते हैं, ‘बिहार में चाय से जुड़ा सरकारी आंकड़ा असल आंकड़े से काफी कम है, क्योंकि यहां ऐसे किसान ज्यादा हैं, जो एक-दो बीघा जमीन पर भी चाय उगाते हैं और इन्हें सरकारी आंकड़े में गिना ही नहीं जाता। बिहार में अभी 8 हजार से ज्यादा किसान चाय उगा रहे हैं और इसकी खेती 20 हजार एकड़ से ज्यादा जमीन पर हो रही है।’
कुमार राहुल सिंह बताते हैं कि बिहार में सिर्फ दस प्रोसेसिंग यूनिट्स हैं, जो यहां उगाई जा रही चाय के लिए बहुत कम हैं। इसके चलते यहां से चाय बंगाल भेजी जाती है, जिसके दोहरे नुकसान हैं। एक तो बिहार राज्य को राजस्व का नुकसान हो रहा है और दूसरा यहां लोगों को रोजगार न मिलने का नुकसान हो रहा है।
वे कहते हैं, ‘अगर यहां फैक्टरी लगें तो सैकड़ों लोगों को उसमें रोजगार मिलेगा और हजारों लोगों को चाय बागानों में। अभी सिर्फ दो ब्लॉक में चाय हो रही है, जबकि किशनगंज जिले के साथ ही पूर्णिया, अररिया और कटिहार में भी चाय उत्पादन की संभावनाएं हैं।
सरकार अगर सिर्फ बिजली की व्यवस्था भी सुधार दे तो यहां फैक्टरी खुद ही आ जाएंगी और इस इलाके की पलायन जैसी बड़ी समस्या बहुत हद तक कम हो सकेगी। लेकिन, अभी तो ऐसी स्थिति है कि पूरे बिहार में जो गिनती की दस फैक्टरियां हैं, वो भी बिजली कटने से हो रहे नुकसान के कारण बिकने की स्थिति में हैं।’
राहुल सिंह जैसे फैक्टरी मालिकों के साथ ही चाय उगाने वाले किसान भी मानते हैं कि सरकारी उदासीनता अगर दूर हो तो बिहार के सीमांचल क्षेत्र की स्थिति में काफी सुधार हो सकता है। महेंद्र सिंह कहते हैं, ‘धान जैसी फसल दस एकड़ में उगाकर भी किसान उतना नहीं कमा सकता, जितना एक एकड़ में चाय से वो कमा सकता है।
दो एकड़ जमीन पर चाय उगाने वाले छोटे को फिर और कुछ करने की जरूरत नहीं है। लेकिन, ये तभी हो सकता है, जब सरकार फैक्टरी लगवाए और चाय खरीद की प्रक्रिया ठीक करे। इतना भी अगर हो जाए तो हमारे बच्चों को फिर मजदूरी के लिए कभी बाहर नहीं जाना पड़ेगा।'
वैष्णो देवी भवन में नवरात्र की शुरुआत हो गई है। मां का दरबार सुंदर फूलों से सजा है। श्रद्धालु माता रानी के जयकारे लगा रहे हैं, लेकिन कोरोना के चलते इस बार सबकुछ बदला-बदला सा है। भक्तों के सिर पर जय माता दी के पटके की जगह मास्क ने ले ली है। माथे पर न तिलक है, न गले में चुनरी है, भवन में प्रसाद ले जाना भी मना है। मां के दरबार से प्रसाद के रूप में मिलने वाले चांदी के सिक्के और नारियल भी नदारद हैं।
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने 7000 यात्रियों को हर दिन यहां आने की परमिशन दी है। केंद्र सरकार ने दिल्ली से सीधे कटरा तक वंदे भारत ट्रेन को नवरात्र में फिर से शुरू करने का फैसला किया था। लेकिन, पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर रेल सेवा रोकने से उत्तर भारत सहित मध्य और पश्चिम भारत से भी यात्री यहां नहीं पहुंच पाए हैं।
इससे पहले यहां केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह भी आए थे। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों को माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आ रहे यात्रियों की खातिर तो रेल सेवा नहीं रोकनी चाहिए।
पहले दिन केवल 4400 ने ही किए दर्शन
2019 में कोरोना से पहले 79 लाख 40 हजार 64 श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन दिए, जबकि 2018 में 85 लाख 86 हजार 541 श्रद्धालु यहां पहुंचे। पिछले वर्ष शारदीय नवरात्रों में ही पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे। जिनमें से 50 फीसदी दिल्ली,पंजाब और गुजरात से थे। पहले दिन केवल 4400 ने ही दर्शन किए। इनमें से 705 यात्री फ्लाइट से भवन पहुंचे।
नवरात्रों में यात्रा नए नियमों के साथ शुरू हुई
बाहरी राज्यों से आने वालों को कोरोना टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट लानी है और जम्मू-कश्मीर के नागरिकों का रैपिड टेस्ट कटरा में प्रवेश द्वार पर होगा। भवन में रेस्टोरेंट भी बंद हैं और भोजनालय में मिलने वाले मशहूर राजमा-चावल और पूड़ी-चना भी नहीं मिल रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क सभी के लिए अनिवार्य है। जगह-जगह सैनिटाइजर रखे गए हैं।
25 साल में पहली बार नहीं आए विदेशी फूल
हर साल भवन को नवरात्र में विदेशी फूलों से सजाया जाता है। यह सिलसिला 25 सालों से जारी है, जब से यहां नवरात्र महोत्सव शुरू किया गया है। इटली, आयरलैंड, स्विट्जरलैंड और कई दूसरे यूरोपियन देशों से रंग-बिरंगे फूल सजावट में लगाए जाते हैं। इस बार कोरोना के चलते कोई भी विदेशी फूल नहीं आया है।
श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए तैयार श्राइन बोर्ड
श्राइन बोर्ड के सीईओ रमेश कुमार ने कहा है कि देश के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए हम तैयार हैं। सुरक्षा के कड़े इंतजाम तो हैं ही, साथ ही साफ-सफाई पर भी फोकस है। कोरोना के एसओपी को फॉलो किया जा रहा है। एक दिन में 7 हजार तक लोग दर्शन कर सकते हैं और उनके लिए पुख्ता इंतजाम हैं।
जगह-जगह सैनिटाइजर मशीनें लगाई गई हैं। स्वास्थ्यकर्मी तैनात हैं। इस बार किसी तरह के भीड़भाड़ वाले कार्यक्रम या जागरण नहीं होंगे। भवन में शतचंडी महायज्ञ हो रहा है। भजन गायक भी है।
बहुत कम संख्या में ही श्रद्धालु इस बार दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। लेकिन, उनका उत्साह देखते बन रहा है। जम्मू के विक्की वर्मा अपने परिवार समेत पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि मां ने चाहा तो अगले नवरात्र में फिर धूमधाम होगी। भवन की सजावट ने मन मोह लिया। यहां एक अलग ही सुकून है। दिल्ली से दर्शनों के लिए आए अजय कपूर कहते हैं, 'मां के भवन का नजारा सभी दुःख और तनाव को दूर करता है। जल्द ही भारत कोरोना से मुक्त होगा।
47 साल के बलवीर सिंह गुड़गांव के एक होटल में नौकरी करते थे। वो ड्राइवर हैं, होटल की गाड़ियां चलाते थे। लॉकडाउन लगने के पहले ही 10 मार्च को होटल ने एक साथ 50 लोगों को निकाल दिया। इस लिस्ट में बलवीर सिंह का भी नाम था। उन्हें कहा गया कि कोरोना के चलते सब कामकाज बंद हो गया है। गेस्ट भी नहीं आ रहे, इसलिए अभी आपकी जरूरत नहीं है। जब काम होगा, तब बताएंगे।
बलवीर को 20 हजार रुपए सैलरी मिलती थी। उनके घर में दो बेटियां, एक बेटा और पत्नी हैं। नौकरी जाने के बाद बलवीर समझ नहीं पा रहे थे कि अब क्या करें। कुछ दिनों बाद लॉकडाउन लग गया और सबकुछ बंद हो गया। घर चलाने के बाद उन्होंने पीएफ में जमा पैसा निकाल लिया।
बलवीर कहते हैं- पीएफ का पैसा भी खत्म होने लगा। फिर लगा कि अब तो कुछ न कुछ करना ही होगा, वरना खाने की भी दिक्कत हो जाएगी। बलवीर ने 15 साल पहले ढाबा चलाया था। उनके मन में ख्याल आया कि खाने-पीने का ही कुछ काम शुरू करता हूं। लेकिन, इस बार वो गलती नहीं करूंगा, जो पहले की थी।
दरअसल, जब वो ढाबा चलाया करते थे, तब तंदूर के लिए एक लड़का रखा था। वो भाग गया तो काम भी बंद हो गया, क्योंकि बलवीर को तंदूर पर नहीं बना पाते थे। इस बार बलवीर ने सोचा कि ऐसा कुछ करूंगा, जो खुद ही कर सकूं, जिसमें किसी दूसरे पर डिपेंड न होना पड़े।
इस बार बलवीर ने राजमा-चावल, छोला, सोया चॉप, रायता तैयार कर बेचने का प्लान बनाया। लेकिन, मुसीबत ये थी कि किराये की दुकान लेने के पैसे नहीं थे। उन्होंने अपनी स्कूटी पर लोहे का एक स्ट्रक्चर तैयार करवाया। ऐसा स्ट्रक्चर जिसमें दुकान का पूरा सामान आ सके। 15 से 20 हजार रुपए खर्च कर चूल्हा, स्ट्रक्चर, खाने का मटेरियल सब खरीद लाए। 20 अगस्त से काम भी शुरू कर दिया।
कहते हैं- जनकपुर सब्जी मंडी के सामने अच्छी भीड़ होती है इसलिए मैं वहीं खड़ा हुआ। लेकिन, शुरू के दो दिन कुछ रिस्पॉन्स ही नहीं मिला। मैं 60-70 ग्राहकों के हिसाब से खाना तैयार करके ले जाता था, लेकिन 15-20 ग्राहक ही मिलते थे इसलिए तीसरे दिन मीराबाग पेट्रोल पंप के सामने खड़ा हुआ। यहां सीएनजी पेट्रोल पंप है, मेन रोड है। मैंने अंदाजा लगाया कि ग्राहक अच्छे मिल जाएंगे। हुआ भी यही। तीसरे दिन उनका पूरा मटेरियल बिक गया।
बलवीर कहते हैं कि धंधा करते हुए करीब दो माह हो चुके हैं। सौ से ज्यादा ग्राहक फिक्स हो चुके हैं। जो हर रोज आते ही हैं। बलवीर 20 रुपए, 40 रुपए और 50 रुपए प्लेट के हिसाब से राजमा-चावल, छोला-चावल देते हैं। वो बोलते हैं कि मैंने यह समझा कि सस्ती चीजें लोग खा लेते हैं। थोड़ी बहुत भूख लगी हो तो 20 रुपए प्लेट में आदमी खा ही लेता है। कुछ की मजबूरी होती है तो कुछ शौक से खाते हैं।
बलवीर कहते हैं कि मैंने ज्यादा कीमत इसीलिए नहीं रखी है। हर रोज सुबह 6 बजे उठ जाता हूं और 10 बजे तक खाना तैयार करना होता है। मंडी से सब्जियां भी खुद ही खरीद कर लाता हूं। 12 से शाम 5 तक दुकान पर रहते हैं। बलवीर अब नौकरी करना नहीं चाहते। कहते हैं- दो महीने में लोगों का बहुत प्यार मिला। हर कोई मुझे जानने लगा। ग्राहक भी बढ़ रहे हैं इसलिए अब इसी काम को बढ़ाऊंगा।
अभी कितना कमा रहे हैं? इस सवाल पर बोले- अभी तो जो पैसा आ रहा है, उससे दूसरी चीजें ही खरीदता जा रहा हूं, जिनकी जरूरत है। फिर भी बचत हो रही है। 20 हजार तक आ जाता है, लेकिन नया काम है इसलिए दूसरी चीजों में पैसा लगाना भी पड़ रहा है।
रजिस्ट्रार जनरल एंड सेंसस कमिश्नर ऑफिस के सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के बाद मेडिकल जर्नल लैंसेट की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि भारत में लाइफ एक्सपेक्टेंसी बढ़ गई है। यानी जीवन लंबा हो गया है। अब दो इंटरनेशनल एजेंसियों की रिपोर्ट कह रही हैं कि डाइबिटीज का बोझ भी बढ़ा है और इसकी वजह से भारतीयों की नजर कमजोर हो रही है और अंधत्व (ब्लाइंडनेस) की परेशानी बढ़ रही है।
इन एजेंसियों का डेटा कहता है कि 1990 में 5.77 करोड़ लोगों को पास का नहीं दिखता था, जबकि 2020 में ऐसे लोगों की संख्या बढ़कर दोगुनी यानी 13.76 करोड़ हो चुकी है। इस अपडेट में भारत समेत 112 देशों में कराई गई 512 स्टडी के डेटा को शामिल किया गया है।
क्या कहती है VLEG और IAPB की रिपोर्ट?
विजन लॉस एक्सपर्ट ग्रुप (VLEG) ने ग्लोबल बर्डन ऑफ डिसीज स्टडी के साथ मिलकर 2020 में ग्लोबल विजन लॉस बर्डन के अनुमान अपडेट्स किए हैं। इसमें तीन दशकों में हुए बदलावों और 2050 के लिए पूर्वानुमान बताए हैं।
इंटरनेशनल एजेंसी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस (IAPB) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के जॉइंट इनिशिएटिव विजन 2020: द राइट टू साइट के जरिए ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं कि अंधत्व से लोगों को बचाया जा सके।
यह रिपोर्ट कहती है कि दुनियाभर में 50.7 करोड़ लोगों की पास की नजर खराब हो गई है। इसमें 13.76 करोड़ लोग भारत में हैं। नियर विजन लॉस का मतलब है कि पास की वस्तुओं पर फोकस न कर पाना। इसे प्रेसबायोपिया भी कहते हैं। डेटा कहता है कि 40 वर्ष की उम्र के बाद इसका जोखिम बढ़ जाता है।
नजर को मॉडरेट और सीवियर नुकसान होने के मामले भी 1990 के 4.06 करोड़ से बढ़कर 2020 में 7.9 करोड़ हो गए हैं। मॉडरेट और सीवियर नुकसान का मतलब है नजर का 6/18 से 3/60 होना। 3/60 का मतलब है आम व्यक्ति जो 60 फीट से देख सकता है, वह सिर्फ 3 फीट के पास ही देखा जा सके। नजर का 3/60 से कमजोर होना अंधत्व की शुरुआत होती है।
क्या है वजह नजर खराब होने की?
मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित इस स्टडी के मुताबिक नजर के मॉडरेट से सीवियर नुकसान की मुख्य वजह डाइबिटीज है। भारत में 1990 में 2.6 करोड़ डाइबिटीक लोग थे, जो 2016 में बढ़कर 6.5 करोड़ हो गए।
हाई-कैलोरी डाइट, सुस्त जीवनशैली की वजह से टाइप-2 डाइबिटीज और उसकी वजह से अंधत्व का खतरा बढ़ जाता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की इंडिया डाइबिटीज स्टडी 2017 के मुताबिक 15 राज्यों में 7.3% लोग डाइबिटीक थे। गांवों में 5.2% के मुकाबले शहरों में 11.2% लोग डाइबिटीक थे।
IAPB के मुताबिक भारत में 6 में से एक डाइबिटीक रोगी को रेटिनोपैथी है। डाइबिटीक लोगों में रेटिनोपैथी, कैटरेक्ट, ग्लूकोमा और कॉर्नियल कंडीशन की वजह से अंधत्व हो सकता है। भारत में माइल्ड और सीवियर नुकसान के मामलों में 65% कारण यही है।
उम्र और अंधत्व का क्या संबंध है?
दुनियाभर के 100 से ज्यादा देशों में की गई स्टडी के आंकड़ों के एनालिसिस के आधार पर यह आंकड़े निकाले गए हैं। इसमें बताया गया है कि दुनियाभर में 78% दृष्टिहीन लोग 50 वर्ष से ज्यादा उम्र के हैं। यानी बढ़ती उम्र के साथ मांसपेशियों के कमजोर होने और अन्य समस्याओं की वजह से अंधत्व या आंख के कमजोर होने का खतरा बढ़ जाता है।
भारत में इस समय 92 लाख दृष्टिहीन हैं। 1990 में यह 70 लाख थे। इसी तरह, चीन में 89 लाख दृष्टिहीन हैं। इन आंकड़ों को देखें तो दुनिया की 49% दृष्टिहीन आबादी इन दोनों देशों में रहती है।
भारत में 300 लोगों में से एक यानी 0.36% आबादी दृष्टिहीन है। 50 वर्ष से ऊपर 50 लोगों में एक यानी (1.99%) आबादी को नजर नहीं आता। 40 लोगों में एक (2.55%) की नजर कमजोर है। 50 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले सात में से एक व्यक्ति (13.76%) की नजर कमजोर है।
50 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले लोगों में अंधत्व का मुख्य कारण सही समय पर कैटेरेक्ट सर्जरी न करवाने, उससे जुड़े कॉम्प्लिकेशन, ग्लूकोमा है। 6 में से एक डाइबीटिक व्यक्ति रेटिनोपैथी से जूझ रहा है। वहीं, 18.6% बच्चे विटामिन ए की कमी की वजह से नजर से जुड़ी दिक्कत का सामना कर रहे हैं।
आज भारतीय जनता पार्टी (BJP) दावा करती है कि वह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है। पिछले छह साल से पार्टी अपने बहुमत से केंद्र सरकार में है और ऐसा करने वाली पहली गैर-कांग्रेसी पार्टी है। यह एकाएक नहीं हुआ है। इस सफर की शुरुआत 21 अक्टूबर 1951 को दिल्ली में भारतीय जनसंघ की स्थापना से हुई थी। 1952 के संसदीय चुनाव में भारतीय जनसंघ ने दो सीटें जीती थीं, वहीं आज लोकसभा में भाजपा की 300 से ज्यादा सीटें हैं।
डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने 1951 में पार्टी बनाई और 1952 के पहले आम चुनावों में तीन सीटें भी जीती थीं। चुनाव चिह्न था दीपक। 1957 के दूसरे लोकसभा चुनावों में जनसंघ को 4 सीटें मिली थी। 1962 में 14, 1967 में 35 सांसद चुनकर संसद पहुंचे। 1977 में आपातकाल के बाद विपक्षी दलों ने जनता पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ा और 295 सीटें जीतकर मोरारजी देसाई के नेतृत्व में सरकार बनाई। अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री थे और लालकृष्ण आडवाणी सूचना एवं प्रसारण मंत्री। आंतरिक कलह की वजह से जनता पार्टी टूट गई।
1980 के आम चुनावों में जनता पार्टी की करारी हार हुई और तब भाजपा का जन्म हुआ। 6 अप्रैल 1980 को वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा बनी। उसके बाद के पहले लोकसभा चुनाव यानी 1984 में पार्टी को सिर्फ 2 सीटें मिलीं। यहीं से पार्टी की नई शुरुआत हुई थी।
राम मंदिर आंदोलन के सहारे पार्टी ने 1989 में 85 सीटें जीतकर किंग मेकर की भूमिका निभाई। 1996 में 161 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी और सरकार भी बनाई, लेकिन बहुमत नहीं था इसलिए चल नहीं पाई। 1998 में भी ऐसा ही हुआ। 1999 में जरूर वाजपेयी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनी, जिसने 2004 तक सरकार चलाई और कार्यकाल पूरा करने वाली पहली गैर-कांग्रेसी पार्टी बनी। 2014 से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है, जो भारत में अपने दम पर बहुमत से चल रही पहली गैर-कांग्रेस सरकार है।
आजाद हिंद फौज सरकार बनी
आजाद हिंद फौज का विचार आने से लेकर इसके गठन तक कई स्तरों पर कई लोगों के बीच बातचीत हुई। जापान में रहने वाले रासबिहारी बोस ने इसकी अगुवाई की। जुलाई 1943 में सुभाषचंद्र बोस जर्मनी से जापान के नियंत्रण वाले सिंगापुर पहुंचे। वहीं से उन्होंने दिल्ली चलो का नारा दिया था। बोस ने ही जय हिंद का नारा भी दिया।
बोस ने आज ही के दिन यानी 21 अक्टूबर 1943 को सिंगापुर में अस्थायी भारत सरकार - आजाद हिंद सरकार बनाई थी। इसके राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सेनाध्यक्ष तीनों सुभाषचंद्र बोस थे। इस सरकार को जर्मनी, जापान, फिलिपींस, कोरिया, चीन, इटली, आयरलैंड समेत 9 देशों ने मान्यता भी दी थी। फौज को आधुनिक युद्ध के लिए तैयार करने में जापान ने बड़ी मदद की। इम्फाल और कोहिमा के मोर्चे पर कई बार भारतीय ब्रिटिश सेना को आजाद हिंद फौज ने युद्ध में हराया।
हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमलों के बाद जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया और यहीं से आजाद हिंद फौज का पतन शुरू हुआ। सैनिकों पर लाल किले में मुकदमा चला, जिसने भारत में क्रांति का काम किया।
आज की तारीख को इतिहास में इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता हैः
1296: अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली की गद्दी संभाली थी।
1555: इंग्लैंड के संसद ने फिलिप को स्पेन के राजा मानने से इनकार किया।
1577: गुरू रामदास ने अमृतसर नगर की स्थापना की।
1805: स्पेन के तट पर ट्राफलगर की लड़ाई हुई थी।
1934: जयप्रकाश नारायण ने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया था।
1954: भारत और फ्रांस के बीच पुडुचेरी, करैकल और माहे को भारतीय रिपब्लिक में शामिल करने के लिए समझौता हुआ था।
2005: सामूहिक दुष्कर्म की शिकार पाकिस्तान की मुख्तारन माई को वूमेन ऑफ द ईयर चुना गया।
2013: कनाडा की संसद ने मलाला युसुफजई को कनाडा की नागरिकता प्रदान की।
2014: प्रसिद्ध पैरालम्पिक रनर ऑस्कर पिस्टोरियोस को प्रेमिका रीवा स्टीनकेंप की हत्या के लिए पांच साल की सजा।
बिहार में दूसरे फेज के लिए नॉमिनेशन हो चुके हैं। दूसरे फेज की 94 सीटों के लिए 3 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। वैसे तो इन 94 सीटों पर कई सारे कैंडिडेट्स हैं, लेकिन सीधी लड़ाई जिन दो गठबंधनों के बीच है, वो है महागठबंधन और एनडीए। हमने इन दोनों गठबंधनों के 188 कैंडिडेट्स के एफिडेविट का एनालिसिस किया। इन 188 कैंडिडेट्स में से 144 करोड़पति हैं। वहीं, इनमें से 104 पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं।
करोड़पति कैंडिडेट्सः 188 में से 144 के पास 1 करोड़ से ज्यादा संपत्ति
एनडीए और महागठबंधन के 188 में से 144, यानी 77% कैंडिडेट्स ऐसे हैं, जिनके पास 1 करोड़ या उससे ज्यादा की संपत्ति है। इस हिसाब से सिर्फ 44 कैंडिडेट ही करोड़पति नहीं हैं। इनमें से एनडीए के ज्यादातर कैंडिडेट्स करोड़पति हैं। एनडीए के 94 में से 79 यानी 84% और महागठबंधन के 65 यानी 69% कैंडिडेट्स करोड़पति हैं।
कांग्रेस के अनुनय सिन्हा सबसे ज्यादा अमीर हैं। उनके पास 46.10 करोड़ रुपए की संपत्ति है। इसमें से 44.23 करोड़ रुपए की अचल और 1.86 करोड़ रुपए की चल संपत्ति है। अनुनय मुजफ्फरपुर की पारू सीट से लड़ रहे हैं। अनुनय के बाद जो सबसे अमीर हैं, वो भी कांग्रेस के ही हैं। भागलपुर सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार अजीत शर्मा के पास 40.27 करोड़ रुपए की संपत्ति है। हालांकि, पिछले बार के मुकाबले उनकी संपत्ति थोड़ी कम हुई है। 2015 में इनके पास 40.57 करोड़ रुपए की संपत्ति थी।
क्रिमिनल कैंडिडेट्स: 188 में से 104 के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज
साफ राजनीति की कितनी ही बात हो, लेकिन चुनावों में राजनीतिक पार्टियां दागियों को जरूर उतारती हैं। दूसरे फेज में महागठबंधन और एनडीए के 188 में से 104, यानी 55% से ज्यादा कैंडिडेट्स के ऊपर क्रिमिनल केस चल रहे हैं।
दागी उम्मीदवारों को उतारने में महागठबंधन आगे है। महागठबंधन के 94 में से 59 (63%) कैंडिडेट्स और एनडीए के 45 (48%) कैंडिडेट्स के ऊपर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। राजद के रितलाल यादव पर सबसे ज्यादा 14 मामले दर्ज हैं। रितलाल दानापुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके ऊपर हत्या, हत्या की कोशिश, रंगदारी, मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामले हैं। हालांकि, किसी भी मामले में उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है।
दूसरे नंबर पर मटिहानी से जदयू उम्मीदवार नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह हैं, जिनके ऊपर 13 केस दर्ज हैं। हालांकि, उन पर ज्यादातर केस आचार संहिता उल्लंघन के हैं।