बुधवार, 12 अगस्त 2020

दुर्वासा ऋषि के श्राप से द्वारकाधीश और रुक्मणी के बीच हुई थी 12 साल की सोशल डिस्टेंसिंग, आज भी रुक्मणी का मंदिर द्वारका से 2 किमी दूर

राजाधिराज द्वारकाधीश के मंदिर के दर्शन के बाद मैंने बेट द्वारका की ओर प्रस्थान किया। इसके लिए मुझे द्वारका से 30 किमी दूर ओखा बंदरगाह पहुंचना था, जहां से बोट से बेट द्वारका पहुंचा जाता है। द्वारका के
मुख्य द्वार से बाहर निकलने के बाद लगभग 2 किमी दूर ही भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी देवी रुक्मणी का प्राचीन मंदिर है।

मंदिर में दर्शन करने के बाद जब पुजारी से बात की तो इसकी कहानी मालूम हुई कि किस तरह ऋषि दुर्वासा के श्राप के चलते भगवान श्रीकृष्ण और देवी रुक्मणी को 12 सालों का वियोग सहना पड़ा और द्वारकानगरी का महल होने के बावजूद भी माता रुक्मणी के निवास के लिए अलग से यह मंदिर बनाना पड़ा था।

सुदीर नाम के ब्राह्मण ने रुक्मणी का पत्र भगवान कृष्ण तक पहुंचाया था
रुक्मणी मंदिर में पिछले 20 साल से पुजारी के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे जयेशभाई दवे बताते हैं कि रुक्मणी माता के पत्र का श्रीमद भागवत के 10वें स्कंध में उल्लेख है। अमरावती की राजकुमारी रुक्मणी के पिता उनकी शादी शिशुपाल से करना चाहते थे, लेकिन रुक्मणी भगवान श्रीकृष्ण को ही अपना पति मान चुकी थीं। इसी के चलते उन्होंने सुदीर नाम के एक ब्राह्मण से अपने मन की बात लिखकर एक पत्र भगवान श्रीकृष्ण तक पहुंचाया था।

इसी के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मणी का हरण कर चैत्र सूद एकादशी को उनसे विवाह कर लिया था। आज भी भगवान श्रीकृष्ण की शयन आरती में रुक्मणी का लिखा यही पत्र पढ़ा जाता है।

श्राप के चलते द्वारकानगरी का महल होने के बावजूद भी माता रुक्मणी के निवास के लिए यह मंदिर बनाया गया था।

रथ में खुद जुत गए थे भगवान द्वारकाधीश और देवी रुक्मणी
श्रीकृष्ण दुर्वासा ऋषि को अपना कुलगुरु मानते थे। इसीलिए भगवान कृष्ण और देवी रुक्मणी शादी के बाद दुर्वासा ऋषि के आश्रम पहुंचे। उन्होंने ऋषि से महल आकर भोजन ग्रहण करने और आशीर्वाद देने का आग्रह किया। जिसे ऋषि ने स्वीकार तो लिया, लेकिन एक शर्त रख दी की आप जिस रथ से आए हैं, उस रथ को आप दोनों को ही खींचना होगा।

भगवान ने उनकी शर्त मान ली और दोनों घोड़ों को निकालकर उनकी जगह स्वयं श्रीकृष्ण और देवी रुक्मणी रथ में जुत गए। द्वारका से करीब 23 किमी दूर टुकणी नामक गांव के पास देवी रुक्मणी को प्यास लग आई। उनकी प्यास बुझाने के लिए श्रीकृष्ण ने जमीन पर पैर का अंगूठा मारा, जिससे गंगाजल निकलने लगा, जिससे दोनों ने प्यास तो बुझा ली, लेकिन जल के लिए दुर्वासा ऋषि से नहीं पूछा, जिससे वे क्रोधित हो गए।

दुर्वासा ने 2 श्राप दिए, जिसके कोप से भगवान भी नहीं बच सके
क्रोध में दुर्वासा ऋषि ने भगवान कृष्ण और देवी रुक्मणी को दो श्राप दिए। पहला श्राप था कि भगवान और देवी रुक्मणी का 12 साल का वियोग होगा और दूसरा श्राप दिया कि द्वारका की भूमि का पानी खारा हो जाएगा। इसी वजह से देवी रुक्मणी के भगवान द्वारकाधीश की पटरानी होने के बावजूद भी उनके निवास के लिए अलग से मंदिर बनवाया गया। फिर 12 साल की तपस्या के बाद रुक्मणी वापस द्वारका आईं।

दुर्वासा ऋषि के श्राप के कारण यहां जल का दान किया जाता है। मान्यता है कि यहां प्रसाद के रुप में जल दान करने से भक्तों की 71 पीढ़ियों का तर्पण हो जाता है।

रुक्मणी मंदिर के पुजारी जयेशभाई।

रुक्मणी मंदिर के पुजारी कहते हैं, भक्तों के बिना तो भगवान भी उदास हो जाते हैं
रुक्मणी मंदिर के पुजारी जयेशभाई कहते हैं कि पिछले 500 सालों में पहली बार ही हुआ है कि जन्माष्टमी के पर्व पर जगत मंदिर और रुक्मणी मंदिर के पट नहीं खुल रहे हैं। यहां हर साल सप्तमी से जन्माष्टमी के बीच यानी की 4 दिनों में ही करीब 5 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं, जिनके आगमन से पूरी द्वारकानगरी में उत्साह का संचार हो जाता है, लेकिन इस बार यहां सिर्फ सन्नाटा है।

भक्त ही मंदिर की शोभा हैं और भक्तों के बिना तो भगवान भी उदास हो जाते हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
द्वारकाधीश के मंदिर से करीब 2 किमी दूर स्थित देवी रुक्मणी का मंदिर।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2PHZQ0n
https://ift.tt/2XTysRM

फरवरी के स्तर के करीब पहुंचा शेयर बाजार, मार्च के निचले स्तर से 48 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा, सर्वोच्च स्तर से 9 प्रतिशत कम

भारतीय शेयर बाजार अपने सर्वोच्च स्तर से अब महज 9 प्रतिशत दूर है। यह ऐसे समय में हुआ है, जब कोविड-19 के मामले रोजाना 50 हजार से ज्यादा आ रहे हैं। अनलॉक चरणबद्ध तरीके से है। आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह खुली नहीं हैं। कई सेक्टर अभी भी पूरी तरह से बंद हैं। शेयर बाजार निवेशकों की झोली भरने के साथ ही अब मार्च के स्तर से 48 प्रतिशत बढ़ चुका है।

सेंसेक्स 38,407 पर पहुंच चुका है

एनएसई और बीएसई के आंकड़ों से पता चलता है कि एक फरवरी को बीएसई का सेंसेक्स 39,735 अंक पर था। जबकि मंगलवार को यह 38,407 अंक पर बंद हुआ है। हालांकि दिन में यह 38,556 तक चला गया था। इसी साल 20 जनवरी को सेंसेक्स ने 42,273 का सर्वोच्च स्तर हासिल किया था। इस तरह से अगर एक फरवरी के स्तर से देखें तो सेंसेक्स महज 1,100 अंक ही दूर है। सर्वोच्च स्तर से यह 9 प्रतिशत कम है।

निचले स्तर से 48 प्रतिशत की रिकवरी

आंकड़े बताते हैं कि 23 मार्च के निचले स्तर से सेंसेक्स ने अब तक 48 प्रतिशत की रिकवरी की है। 25,981 से सेंसेक्स अब 38,500 के करीब है। निवेशकों की संपत्ति में अच्छा खासा इजाफा हुआ है। अगर हम शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैपिटलाइजेशन) की बात करें तो यह एक फरवरी को यह 153 लाख करोड़ रुपए था। मंगलवार को यह 152 लाख करोड़ रुपए था। यानी महज एक लाख करोड़ का अंतर है।

एम कैप 51 लाख करोड़ बढ़ा

इसी तरह 23 मार्च के स्तर से देखें तो उसी आधार पर इसमें तेजी आई है। 23 मार्च को लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन 101 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया था। अब यह 152 लाख करोड़ रुपए है। यानी महज साढ़े चार महीने में निवेशकों की संपत्ति में 51 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। इसमें भी 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

ए ग्रुप का एम कैप फरवरी के स्तर पर पहुंचा

आंकडों में देखें तो लिस्टेड कंपनियों के ए ग्रुप का मार्केट कैप अपने पुराने स्तर पर पहुंच गया है। एक फरवरी को ए ग्रुप का मार्केट कैप 142.85 लाख करोड़ रुपए था। जो अब 142.19 लाख करोड़ रुपए है। इसी अवधि में बी ग्रुप की कंपनियों का मार्केट कैप 8.38 लाख करोड़ रुपए और 7.70 लाख करोड़ रुपए रहा है। 23 मार्च को ए ग्रुप का मार्केट कैप 93.64 लाख करोड़ रुपए था जबकि बी ग्रुप का एम कैप 5.66 लाख करोड़ रुपए था। इस तरह ए ग्रुप के शेयरों के एम कैप में मार्च से लेकर अब तक 49 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है।

आरआईएल, टीसीएस, एचडीएफसी बैंक का एम कैप बढ़ा

अगर कंपनियों की बात करें तो रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल), टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस, इंफोसिस, एचडीएफसी बैंक और हिंदुस्तान यूनिलीवर ए ग्रुप में टॉप 10 कंपनियों में शामिल हैं। इनके शेयरों के साथ इनके मार्केट कैपिटलाइजेशन में भी अच्छी वृद्धि हुई है। आरआईएल को छोड़ दिया जाए तो बाकी चार कंपनियों के शेयरों की कीमतों में कोई खास वृद्धि फरवरी से नहीं हुई है। पर मार्केट कैपिटलाइजेशन जरूर बढ़ा है। आरआईएल के शेयरों ने 50 प्रतिशत से ज्यादा रिटर्न इस दौरान दिया है।

फार्मा सेक्टर ने 80 प्रतिशत का रिटर्न दिया

सेक्टर की बात करें तो फार्मा सबसे बेहतरीन सेक्टर रहा है। इस सेक्टर ने निवेशकों को 95 कारोबारी सत्रों में 80 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। यह सेक्टर 19,720 अंक पर सोमवार को बंद हुआ था। 23 मार्च को यह 10,948 अंक पर था। यह सेक्टर इसलिए इतना अच्छा प्रदर्शन किया है क्योंकि कोरोना में इसी सेक्टर की सबसे ज्यादा मांग रही है। इस सेक्टर के कुछ शेयरों ने 5 गुना रिटर्न दिया तो कुछ ने दोगुना रिटर्न दिया है। अगस्त में अब तक 20 फार्मा कंपनियों के शेयर नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। कोरोना ने इस सेक्टर को जीवन दान दे दिया है। यह सेक्टर पिछले पांच सालों से पिटा हुआ था।

सितंबर तक सर्वोच्च स्तर को छू सकता है सेंसेक्स

विश्लेषकों का मानना है कि बाजार की तेजी पर कोविड का जो प्रभाव या असर था, वह अब धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। यही कारण है कि बाजार अब आगे जा रहा है। जैसे ही अगले कुछ समय में अनलॉक में ज्यादा ढील दी जाएगी, और अर्थव्यवस्था में कोई सुधार दिखेगा, सेंसेक्स अपना सर्वोच्च स्तर हासिल कर लेगा। यह उम्मीद है कि सितंबर तक सेंसेक्स 42,000 तक जा सकता है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
The stock market reached near the February level, rose more than 48 percent from the March low, 9 percent below the peak level


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/33RvAZi
https://ift.tt/2XRh5kA

कमला हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनीं, जो बिडेन ने लगाई मुहर; अमेरिकी इतिहास में इस पद के लिए तीसरी महिला कैंडिडेट

अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति उम्मीदवार जो बिडेन ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारतीय मूल की कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार चुना है। मंगलवार को बिडेन ने ट्वीट किया- मेरे लिए यह घोषणा करना बहुत सम्मान की बात है कि मैने कमला हैरिस को चुना है। वह एक निडर फाइटर, देश की बेहतरीन जनसेवक हैं।

अगर चुनावों में 78 साल के बिडेन की जीत होती है तो वे सबसे ज्यादा उम्र के राष्ट्रपति होंगे, जबकि हैरिस की उम्र अभी 55 साल है। हैरिस अभी सीनेट की सदस्य हैं। वे कैलिफोर्निया की अटार्नी जनरल रह चुकी हैं।
अमेरिका के इतिहास में अभी तक केवल दो बार कोई महिला उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनी है।

1984 में डेमोक्रेट गेराल्डिन फेरारो और 2008 में रिपब्लिकन सारा पालिन को उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया गया था। लेकिन किसी को भी जीत हासिल नहीं हुई।

मां भारतीय और पिता अफ्रीकन

कमला हैरिस की पहचान भारतीय-अमेरिकन के तौर पर है। उनकी मां श्यामला गोपालन भारत के तमिलनाडु राज्य की थीं। वे कैंसर रिसर्चर थीं। कमला हैरिस के नाना पीवी गोपालन एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। आजादी के बाद में वे एक सिविल सर्वेंट बने थे।
कमला के पिता डोनाल्ड हैरिस जमैका के हैं। वे इकोनॉमी के प्रोफेसर रहे हैं। कमला उपराष्ट्रपति उम्मीदवारों की लिस्ट में पहली गैर-श्वेत कैंडिडेट हैं।

राष्ट्रपति चुनावों के लिए उम्मीदवारी पेश की थी
कमला हैरिस ने डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति चुनाव के लिए दावेदारी पेश की थी। हालांकि, प्राइमरी चुनावों में उन्हें बिडेन और बर्नी सैंडर्स के आगे करारी हार मिली थी। डेमोक्रेटिक कैंडिडेट की एक डिबेट में उन्होंने बिडेन पर नस्लवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगाए थे। इसके बाद उन्हें चुनावों में कुछ बढ़त भी मिली थी, लेकिन फिर भी वे काफी पीछे रही थीं।

बिडेन से पुराने रिश्ते अच्छे नहीं
जो बिडेन और कमला के रिश्तों में एक रोचक बात है। जो के बेटे बियू और कमला अच्छे दोस्त हैं। बियू डेलावेयर के अटॉर्नी जनरल रहे हैं। वहीं, कमला कई मौकों पर जो की आलोचना कर चुकी हैं। पिछले साल जो ने इस पर हैरानी भी जताई थी। सीएनएन के मुताबिक- बियू की वजह से ही जो और कमला के रिश्ते बेहतर हुए हैं।

भारतीय अमेरिकियों और अश्वेतों में अच्छी पकड़
कमला हैरिस की मां भारतीय और पिता अफ्रीकन होने के चलते उनकी दोनों कम्युनिटी में अच्छी पकड़ है। जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद से अश्वेतों में सरकार के खिलाफ गुस्सा है। ऐसे में डेमोक्रेटिक पार्टी उन्हें अपनी ओर खींचना चाहती है।

प्राइमरी चुनावों के दौरान कमला ने एक आर्टिकल लिखा था, जिसमें उन्होंने खुद के अश्वेत होने पर गर्व जताया था। इसके साथ ही भारतीय संस्कृति की भी तारीफ की थी। उन्होंने मसाला डोसा बनाते हुए एक वीडियो भी पोस्ट किया था।

देश के लिए अच्छा दिन: ओबामा
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कमला हैरिस के चुने जाने पर कहा कि यह देश के लिए अच्छा दिन है। वे पूरी तरह से तैयार हैं। उन्होंने अपना पूरा करियर देश के संविधान की रक्षा में बिताया।

इसके साथ ही स्पीकर नैंसी पेलोसी और पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भी कमला हैरिस को बिडेन का मजबूत पार्टनर बताया है। पूर्व राष्ट्रपति उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने भी उन्हें अपना समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि जो बिडेन अमेरिका के लोगों को एक करेंगे।

ट्रम्प बोले- हैरिस के चुने जाने से हैरान हूं
अमेरिका के राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि कमला हैरिस को डेमोक्रेटिक पार्टी का उपराष्ट्रपति उम्मीदवार चुने जाने से हैरान हूं। प्राइमरी चुनावों में उनका प्रदर्शन बहुत खराब था। इसके साथ ही वे बिडेन के लिए बहुत बुरा बोलती रही हैं, उन्होंने कभी उनकी इज्जत नहीं की। ऐसे में बिडेन का हैरिस को चुनना हैरान करने वाला है।

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ सकते हैं...

1. शीर्ष अधिकारी का दावा- रूस बिडेन को, जबकि चीन और ईरान ट्रम्प को चुनाव जीतते नहीं देखना चाहते

2. ट्रम्प ने कहा- नींद में रहने वाले बिडेन की जीत चाहता है चीन, उसकी ख्वाहिश हमारे देश पर हुकूमत करने की है



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
कमला हैरिस ने डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी भी पेश की थी। हालांकि, प्राइमरी चुनावों में बिडेन की तुलना में वह बहुत पीछे रह गईं थी। -फाइल फोटो


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3gPO7ZM
https://ift.tt/30Li3Rd

आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट पर हिंसा भड़की, पुलिस फायरिंग में 2 की मौत, 60 पुलिसकर्मी जख्मी; 2 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू

बेंगलुरु में मंगलवार की रात एक विवादित फेसबुक पोस्ट को लेकर हिंसा हुई। हालात को काबू करने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी। इसमें 2 की मौत हो गई। वहीं, 60 से ज्यादा पुलिसकर्मी जख्मी हो गए। इनमें एक एडिशनल पुलिस कमिश्नर भी शामिल हैं।

हिंसा शहर के डीजे हल्ली और केजी हल्ली पुलिस थाना इलाके में हुई। फिलहाल यहां कर्फ्यू लगा दिया गया है। वहीं, पूरे बेंगलुरु में धारा 144 लगाई गई है। अब तक 110 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

आरोप है कि कांग्रेस के विधायक श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे ने एक समुदाय विशेष को लेकर आपत्तिजनक पोस्ट की। इससे एक समुदाय के लोग भड़क उठे। कर्नाटक के गृह मंत्री बसवराज बोम्‍मई ने कहा कि अतिरिक्त बल तैनात किया गया है। उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

कांग्रेस विधायक के घर के बाहर आगजनी की
कांग्रेस विधायक मूर्ति के घर पर तोड़फोड़ और बाहर आगजनी की गई। गाड़ियों में आग लगा दी गई। विधायक ने लोगों से हिंसा नहीं करने की अपील की। उन्होंने वीडियो संदेश में कहा, 'मैं लोगों से अपील करता हूं कि कुछ उपद्रवियों की गलतियों के चलते हमें हिंसा में शामिल नहीं होना चाहिए। मैं सभी से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं।'

विधायक के भतीजे ने कहा- आईडी हैक हो गई थी
कांग्रेस विधायक के भतीजे ने इस मामले में सफाई पेश की है। उसने कहा कि उसका फेसबुक अकाउंट हैक हो गया था। उसने किसी भी धर्म को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है। विधायक श्रीनिवास मूर्ति ने भी भतीजे के बचाव में बयान जारी किया।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
बवाल के बाद मौके पर भारी पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है। पुलिस कमिश्नर का कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2XQ3Ct8
https://ift.tt/3kApx17

आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट पर हिंसा भड़की, पुलिस फायरिंग में 2 की मौत, 60 पुलिसकर्मी जख्मी; 2 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू

बेंगलुरु में मंगलवार की रात एक विवादित फेसबुक पोस्ट को लेकर हिंसा हुई। हालात को काबू करने के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी। इसमें 2 की मौत हो गई। वहीं, 60 से ज्यादा पुलिसकर्मी जख्मी हो गए। इनमें एक एडिशनल पुलिस कमिश्नर भी शामिल हैं।

हिंसा शहर के डीजे हल्ली और केजी हल्ली पुलिस थाना इलाके में हुई। फिलहाल यहां कर्फ्यू लगा दिया गया है। वहीं, पूरे बेंगलुरु में धारा 144 लगाई गई है। अब तक 110 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

आरोप है कि कांग्रेस के विधायक श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे ने एक समुदाय विशेष को लेकर आपत्तिजनक पोस्ट की। इससे एक समुदाय के लोग भड़क उठे। कर्नाटक के गृह मंत्री बसवराज बोम्‍मई ने कहा कि अतिरिक्त बल तैनात किया गया है। उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

कांग्रेस विधायक के घर के बाहर आगजनी की
कांग्रेस विधायक मूर्ति के घर पर तोड़फोड़ और बाहर आगजनी की गई। गाड़ियों में आग लगा दी गई। विधायक ने लोगों से हिंसा नहीं करने की अपील की। उन्होंने वीडियो संदेश में कहा, 'मैं लोगों से अपील करता हूं कि कुछ उपद्रवियों की गलतियों के चलते हमें हिंसा में शामिल नहीं होना चाहिए। मैं सभी से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं।'

विधायक के भतीजे ने कहा- आईडी हैक हो गई थी
कांग्रेस विधायक के भतीजे ने इस मामले में सफाई पेश की है। उसने कहा कि उसका फेसबुक अकाउंट हैक हो गया था। उसने किसी भी धर्म को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है। विधायक श्रीनिवास मूर्ति ने भी भतीजे के बचाव में बयान जारी किया।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
बवाल के बाद मौके पर भारी पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है। पुलिस कमिश्नर का कहना है कि स्थिति नियंत्रण में है।


from Dainik Bhaskar /national/news/violence-grips-bengaluru-over-a-facebook-post-news-and-updates-127610547.html
https://ift.tt/30LxA3w

आज कृष्ण जन्मोत्सव, राजस्थान में पायलट की सेफ लैंडिंग के बाद गहलोत का यू-टर्न, कोरोना के पहले वैक्सीन की आमद और राहत इंदौरी की विदाई

जय श्रीकृष्ण...आज जन्माष्टमी है। कोरोना के कारण इतिहास में पहली बार मथुरा से द्वारिका तक मंदिर खाली हैं। मुंबई की सड़कों पर गोविंदा आला रे.. नहीं गूंज रहा है। बीता दिन कुछ राहत भरा और कुछ राहत के बिना रहा। रशिया ने कोरोना वैक्सीन बन जाने की राहत भरी खबर दी, लेकिन मशहूर शायर राहत इंदौरी अलविदा कह गए। चलिए, आज शुरुआत करते हैं जन्माष्टमी से...

  • आज जन्माष्टमी, कोरोना काल में मंदिर सूने रहेंगे, द्वारिका-मथुरा की सीमाएं सील

आज पूरा देश भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाएगा। कोरोना के कारण सार्वजनिक उत्सव और मटकी फोड़ आयोजन नहीं होंगे। मंदिरों में भी भक्तों को कृष्ण जन्मोत्सव देखने को नहीं मिलेगा। कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा और उनकी राजधानी द्वारिका में इतिहास में पहली बार इतनी सूनी जन्माष्टमी होगी। 48 घंटे पहले दोनों ही जिलों की सीमाएं सील कर दी गई हैं। बाहरी लोगों के प्रवेश पर पूरा प्रतिबंध है। मंदिरों में सिर्फ पुजारी और सुरक्षाकर्मियों के बीच ही जन्मोत्सव मनेगा।

  • वैक्सीन की रेस में रशिया जीता, पहली वैक्सीन बनने की घोषणा

कोरोना पर सबसे राहत भरी खबर आई। रशिया ने कोरोना वायरस का वैक्सीन बना दिया। राष्ट्रपति पुतिन ने घोषणा कर दी है। पहला वैक्सीन उनकी बेटी को ही लगाया गया है। Gam-Covid-Vac Lyo नाम की इस वैक्सीन को तय योजना के मुताबिक रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय और रेग्युलेटरी बॉडी का अप्रूवल मिल गया है। बताया जा रहा है कि इस वैक्सीन को सबसे पहले फ्रंटलाइन मेडिकल वर्कर्स, टीचर्स और जोखिम वाले लोगों को दिया जाएगा। (पढ़िए, पूरी खबर)

  • शायरी की दुनिया से राहत की विदाई

अदब की दुनिया के लिए बीता दिन बेचैन करने वाला था। मशहूर शायर राहत इंदौरी कोरोना पॉजिटिव हुए और उसके बाद कार्डिएक अरेस्ट के चलते शाम को अलविदा कह गए। उनके इंतकाल की खबर से साहित्य जगत और फिल्म उद्योग दोनों में मायूसी छा गई। शायरी के साथ ही फिल्मों से भी राहत साहब का गहरा रिश्ता रहा है। राहत साहब ने मुन्ना भाई एमबीबीएस, मीनाक्षी, खुद्दार, नाराज, मर्डर, मिशन कश्मीर, करीब, बेगम जान, घातक, इश्क, जानम, सर, आशियां और मैं तेरा आशिक जैसी फिल्मों में गीत लिखे। (पढ़िए, पूरी खबर)

  • पायलट की सेफ लैंडिंग के बाद गहलोत का यू-टर्न

राजस्थान की राजनीतिक रस्साकशी में फिलहाल कुछ ब्रेक लगा है। राहुल और प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद सचिन पायलट ने साफ कर दिया कि वे सरकार का दामन नहीं छोड़ रहे। पायलट का रूख देखते हुए अभी तक उन्हें नाकारा, गद्दार जैसे तमगों से नवाज चुके राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने भी यू-टर्न लिया। उन्होंने कहा कि जो नाराज हैं, उनके दिल जीतने की कोशिश करूंगा। (पढ़िए, पूरी खबर)

  • कैसा रहेगा आज आपका दिन, जानिए अपना राशिफल

12 अगस्त, बुधवार को तिथि, ग्रह और नक्षत्र से मिलकर सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है। इसके साथ ही वृद्धि नाम का एक और शुभ योग दिनभर रहेगा। इन शुभ योगों के प्रभाव से आज मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन राशि वाले लोगों को जॉब और बिजनेस में सितारों का साथ मिल सकता है। रुके हुए काम पूरे होंगे और मेहनत का फायदा भी मिलेगा। एस्ट्रोलॉजर डॉ. अजय भाम्बी के अनुसार कैसा रहेगा आपका दिन... (पढ़िए, पूरा राशिफल)



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Morning news brief Janmashatami 20202 Today, Gehlot's U-turn after pilot's safe landing in Rajasthan, influx of first vaccine of Corona and farewell to relief Indori


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3gQFI8f
https://ift.tt/2XRUjcg

हर साल जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा की एक सड़क पर बनी सौ दुकानों से 4 करोड़ का व्यापार होता था, पहली बार सब का सब बंद पड़ा है

सड़क के बीचो- बीच एक पुलिस चेक पोस्ट है। पोस्ट पर उत्तर प्रदेश पुलिस के कुछ जवान और एक दारोगा जी मुंह पर रूमाल बांधे बैठे हैं। पोस्ट की बाहरी दीवार पर लिखा है- उच्च सुरक्षा जोन, श्रीकृष्ण-जन्मस्थान। यहां से किसी भी गाड़ी को अंदर जाने देने की अनुमति नहीं है। करीब 7 सौ मीटर की दूरी पर स्थित श्रीकृष्ण-जन्मस्थान मंदिर के मुख्य गेट तक पैदल ही जाया जा सकता है।

मंदिर के मुख्य गेट तक जाने वाली सड़क मथुरा शहर की बाकी सड़कों के मुकाबले चौड़ी है। सड़क के दोनों तरफ खाने-पीने, साज-श्रृंगार और दूसरी छोटी-छोटी दुकानें हैं। सड़क बिल्कुल खाली है। इक्का-दुक्का लोग आ जा रहे हैं। पुलिस चेक पोस्ट से मंदिर के मुख्य गेट के बीच क़रीब 100 दुकानें हैं। दुकानें खुली तो हैं लेकिन उनका खुलना न खुलना बराबर जान पड़ता है। मथुरा के प्रसिद्ध पेड़े की एक दुकान तो बंद ही है। काउंटर टेढ़ा हो गया है। मकड़ी ने जाल बना लिया है। दुकान देखकर ही ये समझा जा सकता है कि पिछले 3-4 महीनों से बंद है।

कोरोना के चलते श्रीकृष्ण-जन्मस्थान मंदिर में भक्तों के प्रवेश पर पाबंदी है, इसलिए जन्माष्टमी के मौके पर भी यहां भीड़ नहीं है।

मथुरा की सड़कें जो हमेशा व्यस्त रहती थीं वो जन्माष्टमी के मौके पर वीरान पड़ी हैं। शहर के स्टेशन रोड और नए बस अड्डे वाली सड़क पर आज पहले की तुलना में ज़्यादा चहल-पहल है। मंदिर के मुख्य गेट पर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं और स्थानीय मीडिया के कुछ पत्रकार मोबाइल से वीडियो बनाकर बता रहे हैं कि कोरोना की वजह से इस बार श्रीकृष्ण-जन्मस्थान मंदिर में भक्तों को प्रवेश की इजाजत नहीं है।

जन्माष्टमी को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई है। प्रशासन पूरी तरह से चौकस है।

असल में कोरोना की वजह से इस बार मथुरा और वृंदावन के हर मंदिर को 10 अगस्त से लेकर 13 अगस्त तक बाहर से आए लोगों के लिए बंद कर दिया गया है। इस फैसले के बारे में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा कहते हैं, ‘क्या करें? कोई रास्ता ही नहीं था। ये मथुरा के इतिहास में पहली बार हो रहा है कि कृष्ण जन्माष्टमी पर मथुरा में भक्तों के प्रवेश पर पाबंदी है। ये पांच हज़ार साल के इतिहास में पहली बार हो रहा है या यों कहें की करना पड़ा।’

मंदिर प्रशासन का दावा है कि भक्तों को निराश नहीं होना पड़ेगा। उनके घर तक मथुरा में होने वाला जन्मोत्सव पहुंचेगा। वो वहीं दर्शन कर लें लेकिन इस दावे और इस व्यवस्था की वजह से मंदिर के आसपास के सभी दुकानदार दुखी हैं। परेशान हैं और लाचार भी हैं।

आमतौर पर जिन सड़कों पर जन्माष्टमी के मौके पर भीड़ होती थी, वहां कुछ ही लोग दिखाई दे रहे हैं। दुकानों पर रौनक नहीं है।

मंदिर के मुख्य गेट से लगी हुई प्रमोद चौधरी की साज-सज्जा की दुकान है। उनकी दुकान में वो सब कुछ है जो बाहर से यहां आने वाले किसी यात्री का ध्यान खींच सकती है। मथुरा में पूजे जाने वाले लड्डू-गोपाल की मूर्ति से लेकर धूप-अगरबत्ती तक। प्रमोद का मानना है कि ऐसी जन्माष्टमी उन्होंने पहले कभी नहीं देखी। वो कहते हैं, ‘मंदिर बंद है। बाहर से कोई आ नहीं सकता। कोई आ नहीं रहा।

आप देख ही रहे हैं कि सड़कें खाली पड़ी हैं। अगर यही पिछले साल आप इस वक्त आते तो मैं आपसे बात भी नहीं कर पाता। आप यहां इस तरह से खड़े भी नहीं रह पाते। भीड़ के धक्के से यहां से वहां पहुंच जाते।’ इस बातचीत के दौरान प्रमोद कई बार अपनी दुकान से बाहर देखते हैं। उनकी आंखें ग्राहक को तलाश रही हैं, लेकिन अफसोस कि पिछले दस मिनट में एक भी ग्राहक नहीं आया।

मंदिर के मेन गेट के पास प्रमोद चौधरी की साज-सज्जा की दुकान है। कोरोना के चलते दुकान पर से भीड़ नदारद है। पहले इस सीजन में भीड़ इतनी होती थी कि उनके पास बात करने तक का वक्त नहीं होता था।

प्रमोद की दुकान से बाहर निकलते ही, सड़क की दूसरी तरफ़। मंदिर के मुख्य गेट के ठीक सामने। एक चाय की दुकान है। इस दुकान के मालिक बबलू शर्मा हैं। पिछले 8 साल से वो दुकान पर बैठ रहे हैं। इससे पहले उनके पिता जी बैठते थे। इनकी दुकान यहां पिछले 48 सालों से है और वे केवल चाय ही बेचते हैं। बबलू शर्मा की ये दुकान किराए पर है। हर महीने पांच हज़ार रुपए किराया जाता है। पिछले चार महीनों से उन्होंने किराया नहीं दिया है। उम्मीद थी कि जन्माष्टमी के मौके पर कमाई होगी तो दे सकेंगे अब वो आस भी खत्म हो गई।

बबलू शर्मा कहते हैं कि चालीस साल तो मेरी उम्र ही हो गई। आज से पहले कभी ऐसा ना देखा। यहां तो सालभर भीड़ रहती है। खड़ा होना मुश्किल हो जाता था और अभी देखिए, कैसी वीरानी छाई है। चाय बेचकर हम हर दिन दो से तीन हज़ार रुपए अपने बच्चों के लिए ले जाते थे। अब हालात ये है कि किराया भी नहीं निकल रहा है।’आप देश के किसी हिस्से में चले जाएं। चाय की दुकान पर अकेले नहीं रहेंगे। चाय की दुकान पर चौकड़ी होती ही है। बतकही चलती ही है। यहां भी वैसा ही माहौल है। चार-पांच स्थानीय दुकानदार और हलवाई जमा हैं।

बबलू शर्मा पहले चाय बेचकर रोज 3- 4 हजार रु कमा लेते थे, अब कोरोना की वजह से लोग दुकान पर नहीं आ रहे, इसलिए आमदनी भी नहीं हो पा रही है।

इन्हीं में से एक हैं बौना हलवाई। इनके परिवार में कुल 11 पुरुष मेंबर हैं। पिछले साल इस जन्माष्टमी के मौके पर सभी व्यस्त थे। इन्हीं पांच-सात दिनों में जो कमाई होती थी उसी से सालभर परिवार का काम चलता था। बौना बताते हैं, ‘यहां सालभर भंडारे चलते रहते हैं। बाहर से भक्त आते हैं भंडारे करवाने। हमारा पूरा परिवार खाना-प्रसाद बनाने के इसी काम में है। हम सब पिछले चार महीनों से घर बैठे हैं और मेले के समय भी काम नहीं है, तो तुम से बतिया रहे हैं।’

बौना हलवाई के इतना कहते ही आसपास खड़े कई लोग ठहाका लगाते हैं, उनकी बातों से तनाव का जो एक माहौल बना था वो कुछ देर के लिए ही सही लेकिन खत्म हो गया है। हालांकि असली सवाल अभी भी जस का तस बना हुआ है। जिस सड़क पर हर साल जन्माष्टमी के मौके पर 3-4 करोड़ रु का व्यापार होता था। इसी कमाई से जो सालभर अपना काम चलाते थे वो कैसे और कब तक इस स्थिति का सामना कर पाएंगे।

यह भी पढ़ें :

1. द्वारका से ग्राउंड रिपोर्ट / द्वारकाधीश और भक्तों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग, रोजाना 1 लाख भक्तों से भरे रहने वाले द्वारका में पसरा है सन्नाटा

2. ब्रज में कोरोना का साया / वृंदावन के इस्कॉन मंदिर 22 पॉजिटिव, मंदिर परिसर सील; कृष्ण जन्मभूमि न आने के लिए एडवाइजरी भी जारी



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Ground Report From Mathura : Krishna janmashtami latest updates, Date, puja timings, history, significance, and importance


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2DzCHuV
https://ift.tt/33QvXn6

जीवन के हर पहलू पर कृष्ण का नजरिया सबसे आधुनिक, खुद के लिए एकांत, परिवार के लिए सम्मान और बिजनेस में दूरदर्शिता जरूरी

जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण के लाइफ मैनेजमेंट की बात ना हो, ऐसा संभव नहीं है। वृंदावन में बाललीलाओं से लेकर कुरुक्षेत्र की रणभूमि तक भगवान कृष्ण अपने हर काम से किसी ना किसी तरह की सीख देते ही हैं। अगर जीवन को चार हिस्सों में बांटा जाए तो पर्सनल लाइफ, परिवार या रिश्ते, बिजनेस और समाज, में इंसान बंटा होता है। हर जगह वो किसी ना किसी तरह से परेशानी का सामना करता ही है।

भगवान कृष्ण के जीवन में ऐसे कई प्रसंग हैं जो हमें सिखाते हैं कि इन चारों भागों में सुख-शांति और सफलता कैसे लाई जाए।

  • पर्सनल लाइफ - दुनियादारी के बीच खुद की मानसिक शांति के लिए कोशिश जरूरी

निजी जीवन यानि खुद के लिए निकाला गया समय। जब व्यक्ति दुनिया से अलग खुद के साथ होता है। मानसिक शांति के लिए ये आवश्यक है। मानसिक शांति के लिए एकांत और एकांत को सफल बनाने के लिए कोई साधन आवश्यक है। कृष्ण के पास तीन साधन थे। संगीत, प्रकृति और ध्यान। ब्रज मंडल में यमुना किनारे एकांत में बांसुरी की धुन उन्हें मानसिक शांति देती थी।
दूसरा, प्रकृति के निकट रहने के लिए कृष्ण अक्सर यात्राएं करते थे। एक राज्य से दूसरे राज्य। जब वे धरती से असुरों का साम्राज्य समाप्त करने निकले थे, तो एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच की यात्रा में वे प्रकृति के निकट रहते थे।
तीसरा है ध्यान। कम ही लोग जानते हैं कि कृष्ण नियमित ध्यान भी करते थे। निजी जीवन को लेकर कृष्ण सचेत थे। वे अपने लिए एकांत खोज लेते थे।

  • परिवार - घर के हर सदस्य को उसका हिस्से की जिम्मेदारी और सम्मान मिले

परिवार कैसा हो और उसके संस्कार कैसे हों, ये भगवान कृष्ण के जीवन से सीखना चाहिए। परिवार की कमान एक हाथ में होनी चाहिए। द्वारिका में जब भगवान कृष्ण होते थे तो सारे राज्य का संचालन उनके हाथ में होता था, लेकिन परिवार का संचालन रूक्मिणी के हाथ में होता था। परिवार में सदस्यों का सम्मान कैसा होना चाहिए, इसका सबसे अच्छा उदाहरण भागवत में है। जब भगवान कृष्ण रूक्मिणी का हरण करके लाए, तो रास्ते में रूक्मिणी के भाई रूक्मी से उनका युद्ध हुआ। भगवान कृष्ण ने रूक्मी का आधा गंजाकरके छोड़ दिया।

अपने भाई का अपमान देख रूक्मिणी असहज हो गईं। द्वारिका पहुंचते ही, बलराम ने रूक्मिणी से कहा कि कृष्ण ने तुम्हारे भाई के साथ जो किया उसके लिए मैं तुमसे क्षमा मांगता हूं। तुम अब इस घर की सदस्य हो, तुम्हें यहां वैसा ही सम्मान मिलेगा, जैसा तुम्हें अपने परिवार में मिलना चाहिए। बलराम की इस बात से रूक्मिणी एकदम सहज हो गईं। परिवार में हर सदस्य का सम्मान वैसा ही हो, जिसका वो अधिकारी है। ये कृष्ण के जीवन से सीखा जा सकता है।

  • बिजनेस - हर जानकारी का कहां उपयोग करना है, इसकी समझ जरूरी

बिजनेस में आपको हमेशा दूरदर्शी होना पड़ेगा। किसी भी छोटी बात को अनदेखा नहीं करना चाहिए। कोई मामूली सी जानकारी भी किस दिन आपके लिए गेमचैंजर की भूमिका में आ जाए ये कोई नहीं जानता। इसका उदाहरण भी कृष्ण के जीवन में है। उज्जैन की राजकुमारी मित्रवृंदा भगवान कृष्ण की आठ रानियों में से एक थीं। मित्रवृंदा के भाई विंद और अनुविंद की सेना में एक मतवाला हाथी देखा, जिसका नाम था अश्वत्थामा। कृष्ण ने उसे याद रख लिया।

सालों बाद, जब कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध लड़ा जा रहा था और द्रोणाचार्य कौरव सेना का नेतृत्व कर रहे थे। तब द्रोणाचार्य के वध के लिए उन्होंने अश्वत्थामा नाम के हाथी का उपयोग किया। विंद-अनुविंद दुर्योधन की ओर से लड़ रहे थे। तब उन्होंने युद्ध द्रोणाचार्य का ध्यान भटकाने के लिए भीम से अश्वत्थामा नाम के हाथी को मार कर घोषणा करने को कहा कि मैंने अश्वत्थामा को मार दिया। ये कूट नीति काम कर गई और द्रोणाचार्य ये समझे कि भीम ने उनके बेटे अश्वत्थामा को मार दिया। और, युद्ध से उनका ध्यान हट गया। वे ध्यान लगाकर बैठे और धृष्ट्रद्युम ने उन्हें मार दिया।

  • सोशल लाइफ - सामाजिक बदलाव की शुरुआत खुद से करें

सामाजिक मामलों में कृष्ण का नजरिया बहुत आधुनिक रहा है। हर व्यक्ति को उनके इस नजरिए से सीख लेनी चाहिए। नरकासुर नाम के राक्षस ने 16100 महिलाओं को बंदी बना रखा था। वो उनसे बारी-बारी बलात्कार करता था। कृष्ण को जब ये पता चला तो उन्होंने नरकासुर को मार कर उन महिलाओं को छुड़वाया। वे अपने घर लौट गईं। कुछ समय बाद वे सब फिर लौटीं, क्योंकि बलात्कार पीड़ित होने के कारण उनके घर वाले उन्हें अपनाने को राजी नहीं थे। वे सब मर जाना चाहती थीं। भगवान कृष्ण ने उस समय एक क्रांतिकारी निर्णय लिया। उन्होंने सभी महिलाओं से कहा कि आज से वे कृष्ण की पत्नी कहलाएंगी। उन्हें पूरा सम्मान और सुविधाएं मिलेंगी। कृष्ण कहते हैं कि समाज में क्रांति लानी है, तो शुरुआत खुद ही करनी होगी। आप दूसरों के भरोसे समाज को नहीं बदल सकते।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Janmashtami 2020 Krishna's outlook on every aspect of life is most modern, secluded for himself, respect for family and foresight in business is essential


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3fPKT76
https://ift.tt/31IjLSv

कृष्ण भक्तों के लिए सील हुई मथुरा; 39 जगहों पर लगाये गए बैरियर, उत्सव जैसा माहौल दिखे इसलिए शहर के 20 चौराहों को सजाया गया

देश ही नहीं दुनियाभर में कोरोना महामारी से हाहाकार मचा हुआ है। हर साल बृज में जन्माष्टमी के मौके पर काफी धूम रहती है, लेकिन इस बार लोगों ने कार्यक्रमों से दूरी बना ली है। पिछली बार जन्माष्टमी 23 अगस्त को पड़ी थी। उस समय.शहर के हर चौराहे को रंग-बिरंगे झालरों से सजाया गया था। हर नुक्कड़ पर दस राज्यों से आए कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे थे।

वृंदावन से लेकर मथुरा तक इतने सैलानी थे कि शहर में गाड़ी चलाने की जगह नही बची थी। योगी सरकार ने 2019 को कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया था। समय वही है, लेकिन कोरोना संकट के समय मथुरा में सन्नाटा पसरा है। प्रशासन ने मथुरा को सील कर दिया है। 13 अगस्त तक मथुरा में किसी बाहरी जिले के व्यक्ति का प्रवेश निषेध कर दिया गया है।

20 चौराहों को सजाया गया है
कृष्ण जन्मोत्सव के वक्त उत्साह बना रहे इसके लिए नगर निगम को जिम्मेदारी दी गई है। यूपी ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ नागेन्द्र प्रताप ने बताया कि नगर निगम द्वारा 20 चौराहों को रंग बिरंगे कपड़ों से सजाया गया है। इस साल कोरोना संकट को देखते हुए भक्तों से मथुरा न आने की अपील की गई है। पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी हमारी बहुत सी योजनाएं थीं, लेकिन कोरोना संकट को देखते हुए अब मंदिरों के बन्द कपाट के पीछे ही जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

श्री कृष्णा जन्मस्थान से होगा लाइव टेलीकास्ट
यूपी ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ नागेन्द्र प्रताप ने बताया कि यूं तो मथुरा के सभी मंदिरों को भक्तों के लिए बन्द किया गया है। लेकिन, श्री कृष्ण जन्मस्थान से जन्मोत्सव का लाइव टीवी चैनलों पर किया जाएगा, जिसे भक्त लाइव अपने आराध्य को देख सकेंगे।

उन्होंने बताया कि जो भी चैनल लाइव करना चाहता है, सिटी मजिस्ट्रेट के यहां से परमिशन ले सकता है। श्री कृष्णा जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि इस बार तय किया गया है कि इस जन्मोत्सव में कमेटी के चुनिंदा लोग ही शामिल होंगे। साथ ही जो पुजारी है, वह रहेंगे।

जन्माष्टमी को लेकर मंदिरों को सजाया गया है।
जन्माष्टमी को लेकर मंदिरों को सजाया गया है।

ऐसा है श्री कृष्णा जन्मस्थान पर जन्मोत्सव का कार्यक्रम
श्री कृष्णा जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि रात 12 बजे ठाकुरजी का जन्म होगा। वह पूर्णेदु कुंज में विराजमान होकर पधारेंगे। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर भगवान रेशम, जरी एवं रत्न प्रतिकृति के सुंदर संयोजन से बनी पुष्प वृंत पोशाक धारण करेंगे। यह पोशाक बुद्धवार की सुबह मंगला आरती से पहले धारण कराई जाएगी।

पोशाक में रत्न, मोती, एवं रेशम का प्रयोग करते हुए कमल पुष्प, लता पता आदि का कार्य किया गया है। इस पोशाक को मंगलवार की शाम ढोल , मृदंग की मधुर धुन के मध्य भागवत भवन स्थित मन्दिर में लाया गया।

श्री कृष्ण जन्मस्थान पर बाल गोपाल का सबसे पहले अभिषेक स्वर्ण रजत निर्मित कामधेनु गाय के थनों से निकले दूध से होगा। उससे पहले बाल गोपाल को रजत निर्मित कमल पुष्प में विराजमान कराया जाएगा और भगवान उसी में से प्रकट होंगे।

इसका इंतजाम कुछ इस तरह किया गया है कि जैसे ही जन्म होगा वैसे ही गाय के थन से दूध निकलने लगेगा। यह बिल्कुल स्वचालित यन्त्र कि तरह होगा। गाय के दूध से अभिषेक होने के बाद ठाकुर जी का दही, घी, बूरा, शहद और दूध से दिव्य अभिषेक किया जाएगा।

कपिल शर्मा ने बताया कि रात्रि 12.10 से 12.20 तक अभिषेक चलेगा, जबकि 12.40 से 12.50 तक श्रृंगार आरती होगी। रात 1 बजे शयन आरती होगी। जन्म के समय मंदिर परिसर में शंख, ढोल नगाड़े और मृदंग बजेगा। शहनाई और नगाड़ों के साथ ही मंगला आरती भी होगी। आरती के बाद ठाकुर जी का पंचामृत से अभिषेक भी होगा।

जन्मोत्सव के दिन भले ही श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर में सन्नाटा पसरा हुआ है, लेकिन उसी मंदिर के बाहर भारी भीड़ है। लोगों की आवाजाही चल रही है। हालांकि, अनलॉक की वजह से मथुरावासियों का घरों से निकलना तो बदस्तूर जारी है, लेकिन वह लोग मंदिरों में भी नही पहुंच पाएंगे इससे निराश हैं।

स्थानीय निवासी पवन कहते हैं कि जहां विदेशों से सैकड़ों लोग अपने आराध्य के एक दर्शन करने के लिए चले आते हैं। उन्हीं आराध्य के दर्शन हमें साक्षात नही हो पाएंगे। उन्होंने कहा- अपने जीते-जी हमने ऐसा समय कभी नहीं देखा।

बांके बिहारी मंदिर में भी बन्द रहेंगे कपाट
वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर में भी कृष्णा जन्मोत्सव भी बन्द कपाट के पीछे ही होगा। हालांकि, बांके बिहारी सहित वृंदावन के सभी मंदिर पहले ही 31 सितंबर तक बन्द हैं। मंदिर प्रशासन की ओर से बताया गया है कि जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। चूंकि, मंदिर में कोरोना को देखते हुए भक्तों का प्रवेश पहले से ही 31 सितंबर तक बन्द है इसलिए आज जन्मोत्सव के समय भी मंदिर में भक्त प्रवेश नही पाएंगे। फोटोग्राफी पर मंदिर में पहले ही रोक है इसलिए जन्मोत्सव का टेलीकास्ट भी नही होगा।

इस्कान पर पड़ा कोरोना का साया, विदेशी भक्त भी होंगे जन्मोत्सव से वंचित
वृंदावन स्थित इस्कान मंदिर पर कोरोना का साया पड़ चुका है। मंगलवार को 22 लोग संक्रमित पाए गए थे। ऐसे में मंदिर प्रशासन ने तय किया है कि जन्मोत्सव में सिर्फ दो पुजारी और कमेटी के कुछ मेम्बर शामिल होंगे। जबकि मंदिर में पहले से मौजूद विदेशी भक्तों को भी जन्मोत्सव से दूर रखा जाएगा। हालांकि, बाहरी भक्तों के लिए मंदिर पहले से ही बन्द था।

प्रेम मन्दिर की सजावट सबको खींच रही लेकिन मंदिर है बन्द
वृंदावन पहुंचते ही सबसे पहले प्रेम मंदिर के दर्शन होते हैं। रोज वह अपनी चकाचौंध से लोगों को आकर्षित तो कर रहा है, लेकिन भक्तों का प्रवेश सब मंदिरों की तरह यहां भी बन्द है। जन्मोत्सव हर बार की तरह ही मनाया जाएगा। उस वक्त मंदिर प्रबंधन के कुछ जिम्मेदार लोग ही शामिल होंगे।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
इस बार महामारी के बीच जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। हालांकि, भगवान श्रीकृष्ण का श्रृंगार यूं तो हर साल की तरह ही होगा लेकिन इस बार ब्रज की गलियों और मंदिरों में वह चहल पहल नहीं दिखाई देगी जो पिछली साल दिखी थी।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/33PHNxz
https://ift.tt/33QjDTN

आज रात 12 बजे मनेगा जन्मोत्सव, 10 आसान स्टेप्स में जानिए कैसे घर पर ही कर सकते हैं भगवान कृष्ण की पूजा

कृष्ण जन्माष्टमी पर्व मथुरा और द्वारिका सहित देश के कई बड़े कृष्ण मंदिरों में 12 अगस्त को मनाया जा रहा है। गर्ग संहिता और श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार द्वापर युग में भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि पर आधी रात में रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। इस दौरान चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृष में था। ग्रह नक्षत्र की ऐसी ही स्थिति आज बनने पर रात में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व मनाया जाएगा।

  • जन्माष्टमी व्रत के लिए सुबह जल्दी उठकर श्रीकृष्ण की सामान्य पूजा करनी चाहिए। इसके बाद हाथ में पानी, फूल और चावल रखकर पूरे दिन व्रत रखने और रात में पूजा करने का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प लेते समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। इसके बाद श्रीकृष्ण मंदिर जाकर भगवान को फूल, तुलसी पत्र और मोर पंख चढ़ाएं। इसके बाद प्रसाद चढ़ाएं। फिर गौमाता की सेवा करें। किसी गौशाला में धन या हरी घास का दान करें। जन्माष्टमी के व्रत में एक बार ही भोजन करना चाहिए।
  • जन्माष्टमी पर्व पर शाम को श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा करने का महत्व है। साथ ही भगवान विष्णु के अवतारों की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन बाल गोपाल की विशेष पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। श्रीकृष्ण की पूजा के लिए दिन में भी शुभ मुहूर्त हैं। जिनमें अभिषेक, श्रृंगार और भजन किए जा सकते हैं। इसके साथ ही मध्यरात्रि यानी निशिता मुहूर्त में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है।

पूजा के लिए जरूरी चीजें

पूजा विधि
1. घर के मंदिर में पूजा की व्यवस्था करें। सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। गणेशजी पर शुद्ध जल चढ़ाएं। वस्त्र चढ़ाएं। चंदन लगाकर चावल चढ़ाएं। फूल चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं।
2. गणेशजी के बाद श्रीकृष्ण की पूजा करें। श्रीकृष्ण को स्नान करवाएं।
3. क्लीं कृष्णाय नम: मंत्र बोलते हुए श्रीकृष्ण की मूर्ति को शुद्ध जल से फिर पंचामृत और उसके बाद फिर शुद्ध जल से स्नान करवाएं। इसके बाद वस्त्र अर्पित करें।
4. वस्त्र के बाद आभूषण पहनाएं। इसके बाद चंदन, चावल, अबीर, गुलाल, अष्टगंध, फूल, इत्र, जनेउ और तुलसी चढ़ाएं।
5. हार-फूल, फल, मिठाई, जनेऊ, नारियल, सूखे मेवे, पान, दक्षिणा और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं।
6. तुलसी के पत्ते डालकर माखन-मिश्री का भोग लगाएं। इसके बाद पान चढ़ाएं फिर दक्षिणा चढ़ाएं।
7. ऊँ कृष्णाय गोविन्दाय नमो नम: मंत्र का जाप करें।
8. कर्पूर जलाएं। आरती करें। आरती के बाद परिक्रमा करें।
9. पूजा में हुई अनजानी भूल के लिए क्षमा याचना करें।
10. इसके बाद अन्य भक्तों को प्रसाद बांट दें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Krishna Janmashtami 2020: Puja Vidhi Shubh Muhurat Puja Samagri Puja Time Vrat Importance All You Need to Know About Krishna Janmashtami


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/33OB0V5
https://ift.tt/2XMwgLR

दर्शन करें श्रीकृष्ण की सबसे कीमती मूर्ति के, झारखंड में बंशीधर की 1280 किलो सोने की प्रतिमा, इतने सोने की कीमत 716 करोड़ रुपए से ज्यादा

आज जन्माष्टमी है। झारखंड के पश्चिम में यूपी की सीमा के पास गढ़वा जिले के नगर ऊंटारी में बंशीधर मंदिर हैं। इस मंदिर में विराजित भगवान कृष्ण की प्रतिमा दुनिया की सबसे कीमती कृष्ण प्रतिमा मानी जाती है। ये मूर्ति 1280 किलो सोने से बनी है। 1280 किलो सोने की कीमत आज के समय में 716 करोड़ से भी ज्यादा आंकी जाती है। हालांकि, इस प्रतिमा की एंटिक वैल्यू 2000 करोड़ से भी ज्यादा की है, जो 2014 में आंकी गई थी।

सामान्य तौर पर यह 4-5 फीट की प्रतिमा ही नजर आती है। लेकिन, इसका एक बड़ा भाग अभी भी धरती के अंदर ही है। प्रतिमा शेषनाग पर विराजित कृष्ण की है, शेषनाग वाला हिस्सा जमीन के अंदर है। मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि अभी तक इस प्रतिमा को लेकर सही समय की गणना नहीं हो सकी है।

इसकी कीमत को लेकर भी मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि भगवान की कीमत नहीं लगाई जा सकती। सन् 2018 में सरकार ने श्री बंशीधर जी की मंदिर की लोकप्रियता को देखते हुए शहर का नाम नगर ऊंटारी से बदलकर श्री बंशीधर नगर कर दिया है।

जमीन के ऊपर भगवान बंशीधर की मूर्ति का सिर्फ 5 फीट का हिस्सा दिखाई देता है। 5 फीट जमीन के अंदर दबा हुआ है।

कृष्ण के साथ राधा की 120 किलो अष्टधातु की प्रतिमा

1280 किलो सोने की कृष्ण प्रतिमा के साथ राधा की भी एक प्रतिमा है। ये मूर्ति अष्ट धातु की है और इसका वजन करीब 120 किलो है। इस प्रतिमा की भी आज के दौर में एंटिक वैल्यू करोड़ों में आंकी जाती है।

कोरोना के चलते मार्च से ही बंद है मंदिर

झारखंड में कोरोना के कहर को देखते हुए सारे मंदिर 15 मार्च के बाद से ही बंद हैं। बंशीधर मंदिर भी तभी से बंद है। हालांकि, इसमें पूजा-पाठ निरंतर जारी है। हर साल जन्माष्टमी पर ये उत्सव बहुत बड़े स्तर पर मनाया जाता है और हजारों श्रीकृष्ण भक्त यहां पहुंचते हैं, लेकिन इस साल कोरोना वायरस की वजह से बहुत ही कम भक्त यहां पहुंचे हैं। एक अनुमान के मुताबिक एक साल में यहां लगभग 10 लाख लोग दर्शन करने पहुंचते हैं।

औरंगजेब की बेटी ने मुगलों के खजाने से बचाई थी ये मूर्ति

श्री बंशीधर मंदिर ट्रस्ट के सलाहकार धीरेंद्र कुमार चौबे के मुताबिक मुगल सम्राट औरंगजेब की बेटी जैबुन्निसा श्रीकृष्ण की भक्त थीं। उस समय मुगलों का खजाना कलकत्ता से दिल्ली ले जाया जाता था। नगर ऊंटारी क्षेत्र में शिवाजी के सरदार रुद्र शाह और बहियार शाह रहा करते थे।

यहां से मुगलों का जो भी खजाना जाता था, उसे शिवाजी के सरदार लूट लिया करते थे। मुगलों ने बंशीधर भगवान की मूर्ति किसी मंदिर से लूटी थी। मान्यता है कि श्रीकृष्ण की जैबुन्निसा ने ये मूर्ति नगर ऊंटारी में रहने वाले शिवाजी के सरदारों तक पहुंचाई थी।

शिवाजी के सरदारों मुगलों से बचाने के लिए मूर्ति नगर ऊंटारी से 22 किमी दूर पश्चिम में एक पहाड़ी में छिपा दी थी। ये मूर्ति हजारों साल पुरानी है, क्योंकि मूर्ति के शेषनाग पर कुछ लिखा हुआ है, जिसे अब तक कोई समझ नहीं सका है, ये क्या लिखा है और किस भाषा में लिखा है। मूर्ति दक्षिण स्थापत्य शैली की है।

राजमाता को सपने दिए थे दर्शन

यहां के राजघराने के युवराज और मंदिर समिति के प्रधान ट्रस्टी राजेश प्रताप देव के अनुसार राजा भवानी सिंह देव की मृत्यु के बाद उनकी रानी शिवमानी कुंवर राजकाज का संचालन कर रही थीं। उन्होंने 14 अगस्त 1827 की जन्माष्टमी पर व्रत किया था। उस समय राजमाता को सपने में भगवान श्रीकृष्ण का दर्शन हुआ।

राजघराने के युवराज और मंदिर समिति के प्रधान ट्रस्टी राजेश प्रताप देव के परिवार की राजमाता को ही भगवान ने सपने में दर्शन दिए थे।

श्रीकृष्ण ने रानी से वर मांगने को कहा तो रानी ने भगवान से सदैव कृपा बनाए रखने का वर मांगा। तब भगवान ने रानी से कनहर नदी के किनारे यूपी के महुरिया के निकट शिव पहाड़ी पर अपनी प्रतिमा के गड़े होने की जानकारी दी। इसके बाद वहां खुदाई की तो यहां 10 फीट ऊंची सोने की श्रीकृष्ण की प्रतिमा प्राप्त हुई थी।

इसके बाद वाराणसी से राधा रानी की अष्टधातु की प्रतिमा मंगाकर श्रीकृष्ण के साथ 21 जनवरी 1828 को स्थापित की गई। खुदाई में मिली बंशी-वादन करती हुई प्रतिमा का वजन 32 मन यानी 1280 किलो है।

इस साल कोरोना की वजह से बहुत कम भक्त मंदिर पहुंचे हैं।

साढ़े तीन एकड़ में बना है मंदिर

धीरेंद्र कुमार चौबे ने बताया कि मंदिर में स्थापित प्रतिमा स्वयंभू है। इस तीर्थ को मथुरा और वृंदावन के समान ही माना जाता है। इस प्रतिमा में श्रीकृष्ण शेषनाग के ऊपर कमल के फूल पर बंशी-वादन नृत्य करते हुए विराजित हैं। शेषनाग वाला हिस्सा जमीन में गढ़ा हुआ है। पूरा मंदिर करीब साढ़े तीन एकड़ में बना हुआ है। मंदिर की ऊंचाई करीब 50 फीट है।

धीरेंद्र चौबे श्री बंशीधर मंदिर समिति के सलाहकार हैं।

सुरक्षा के लिए सरकारी गार्ड्स

झारखंड सरकार की ओर मंदिर में सुरक्षा के लिए गार्ड्स तैनात किए गए हैं। यूपी एटीएस को ऐसी सूचना मिली थी बंशीधर मंदिर हमला हो सकता है। आतंकी मंदिर को नुकसान पहुंचा सकते है। इसके बाद सरकार ने यहां सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था की है। मंदिर में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। 24 घंटे यहां गार्ड्स तैनात रहते हैं। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के लिए यहां अतिरिक्त मजिस्ट्रेट और पुलिस बल की तैनात किया गया है।

त्रिदेवों का स्वरूप है ये मूर्ति

भगवान श्रीकृष्ण की इस मूर्ति में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का स्वरूप है। श्री बंशीधरजी, शिवजी की तरह जटाधारी हैं, विष्णुजी की तरह शेषनाग की शैय्या पर कमल के पुष्प पर विराजित हैं। कमल के पुष्प पर ब्रह्माजी विराजते हैं। इस तरह इस मूर्ति में ब्रह्मा, विष्णु और महेश, तीनों के दर्शन किए जा सकते हैं।

वंश परंपरा के अनुसार नियुक्त होते हैं पुजारी

इस मंदिर के प्रधान पुजारी पं. ब्रज किशोर तिवारी हैं। मंदिर में पुजारी वंश परंपरा से ही तय होते हैं। इन्हीं के पूर्वज यहां पूजा किया करते थे। ये इनकी छठी-सातवीं पीढ़ी है। मंदिर में मंत्रोच्चार करने वाले प्रधान आचार्य पं. सत्यनारायण मिश्रा है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Janmashtami celebration at banshidhar temple, 1280 kg gold idol of Shri Krishna, 1280 kg gold statue of Banshidhar in Jharkhand


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3izXWeC
https://ift.tt/2FfL5Aa

जन्माष्टमी पर पूजा-पाठ के साथ ही उपवास भी क्यों किया जाता है? योग, आयुर्वेद और ग्रंथ सभी में बताया है इसका महत्व

आज श्रीकृष्ण के गृहस्थ भक्त और वैष्णव संप्रदाय के लोग जन्माष्टमी मना रहे हैं। जन्माष्टमी पर व्रत करने का विशेष महत्व है। अधिकतर भक्त इस तिथि पर अन्न ग्रहण नहीं करते हैं, कुछ लोग दिनभर निराहार रहते हैं तो कुछ सिर्फ फलाहार करते हैं। गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित कल्याण अंक में जन्माष्टमी व्रत का महत्व बताया गया है। ये धार्मिक महत्व कहता है कि इस व्रत से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
लेकिन, योग, आयुर्वेद इन दोनों में ही उपवास के कई फायदे बताए गए हैं। जन्माष्टमी पर व्रत सिर्फ भगवान को खुश करने या उसकी कृपा पाने का रास्ता नहीं है। इसके जरिए हम अपने शरीर को बेहतर बना सकते हैं। जन्माष्टमी पर उपवास करने से आपको तीन तरह से फायदा हो सकता है।

योग कहता है, वाणी में प्रभाव बढ़ाता है इस दिन उपवास

योग और ध्यान में उपवास का अलग महत्व है। योग कहता है हमारे शरीर में सात चक्र हैं, मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा और सहस्रार। इनमें से 5वां विशुद्धि चक्र होता है। जो हमारे कंठ में होता है। ये वाणी का चक्र है। इसकी शुद्धि से वाणी में प्रभाव पैदा होता है और इस चक्र के स्वामी भगवान कृष्ण हैं। जन्माष्टमी भगवान कृष्ण का दिन है। इस दिन उपवास कर कृष्ण का ध्यान करने से विशुद्धि चक्र जागृत होता है। इससे हमारी वाणी में प्रभाव पैदा होता है।

धर्म कहता है भक्ति में आलस से बचने के लिए उपवास

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक जन्माष्टमी पर पूरे दिन श्रीकृष्ण की भक्ति, मंत्र जाप और पूजा करने की परंपरा है। अन्न ग्रहण करने से आलस्य बढ़ता है, अन्न पचाने के लिए शारीरिक मेहनत करनी होती है। जन्माष्टमी पर अगर अन्न ग्रहण किया जाता है तो आलस्य और अपच की स्थिति में भक्त का मन भक्ति में नहीं लग पाएगा।

भक्त का मन भक्ति में रमा रहे, इसके लिए जन्माष्टमी पर अन्न का त्याग किया जाता है। फलाहार करने से भूख शांत होती है। फलाहार जल्दी पचने वाला होता है, कम शारीरिक मेहनत में ही पच जाता है। फलों के सेवन से आलस्य की समस्या भी नहीं होती है। विचार में पवित्रता और सकारात्मकता बनी रहती है। भूख शांत रहती है तो हम मंत्र जाप, तप और पूजा एकाग्र होकर कर पाते हैं।

आयुर्वेद में उपवास शरीर की भीतरी सफाई का जरिया

उज्जैन के आयुर्वेदिक कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर डॉ. राम अरोरा ने बताया कि चरक संहिता के सूत्रस्थानम् अध्याय में उपवास का महत्व बताया गया है। ये शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। आयुर्वेद में रोगों का उपचार 6 तरह से किया जाता है। ये 6 प्रकार हैं लंघन, बृंहण, रूक्षण, स्नेहन, स्वेदन और स्तंभन। इनमें लंघन का महत्व काफी अधिक है। इसमें शरीर को हल्कापन देने वाले द्रव्यों का उपयोग किया जाता है। लंघन के भी 10 प्रकार हैं। वमन, विरेचन, शिरोविरेचन, निरूढ़ वस्ति, पिपासा, वायु का सेवन, धूप का सेवन, पाचन औषध-द्रव्यों का सेवन, उपवास और व्यायाम।

लंघन के 9वें प्रकार उपवास से पाचन ठीक होता है। कफ और पित्त नियंत्रित होते हैं। वात विकार यानी गैस, अपच, डकार आना, जी मचलाना जैसे समस्या में उपवास बहुत लाभदायक होते हैं। एक दिन अन्न ग्रहण न करने पर हमारे पाचनतंत्र को आराम मिलता है। ऐसी स्थिति में पाचनतंत्र और पेट की भी सफाई हो जाती है। फलों के सेवन से शरीर को जरूरी ऊर्जा मिलती है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
benefits of fasting on Janmashtami?, Why should we fast on Janmashtami, Janmashtami Vrat Upwas


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3gQxop1
https://ift.tt/2DBk3Tv

Popular Post