मंगलवार, 11 अगस्त 2020

12वीं सदी के मंदिरों की संरचना मिलने की संभावना है, नींव की खुदाई पुरातात्विक तरीके से की जाए

(विजय उपाध्याय). श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की नींव खोदते समय प्राचीन इतिहास की और परतें खुलने की संभावना है। जाने-माने पुरातत्वविद् केके मोहम्मद ने कहा है कि अयोध्या में जन्मस्थान पर नींव को पुरातात्विक तरीके से खोदा जाना चाहिए, ताकि मिलने वाले अवशेषों को आने वाली पीढ़ियों के सामने रखा जा सके। इससे उन्हें पुरा इतिहास की जानकारी और इस विज्ञान को समझने का मौका मिलेगा।

जन्मभूमि से मिलने वाले अवशेषों को म्यूजियम में रखना चाहिए
केके मोहम्मद ने कहा कि जन्मभूमि स्थल पर तमाम पुरातात्विक महत्व की सामग्री सामने आने की संभावना है। इनका जिक्र 2003 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद एएसआई की टीम ने अपनी रिपोर्ट में किया है। उन्होंने कहा कि नींव खोदने के दौरान 12वीं सदी और उसके पहले के मंदिरों की संरचना भी मिलने की संभावना है। यदि अक्षरधाम मंदिर की तरह जन्मभूमि से मिले अवशेषों को नए राम मंदिर के नीचे संग्रहालय बना कर संजोया जाए तो पुरा इतिहास के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।

1976 में पहली बार जन्मभूमि का पुरातात्विक सर्वेक्षण हुआ था
एएसआई की इस रिपोर्ट का जिक्र सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 के अपने आदेश में करते हुए कहा कि मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी। एएसआई के महानिदेशक बीबी लाल ने 1976 में पहली बार राम जन्मभूमि का पुरातात्विक सर्वेक्षण किया था। उस टीम में केके मुहम्मद भी थे। कुछ सालों बाद मुहम्मद ने इस सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए कहा था कि जन्मभूमि से प्राचीन मंदिरों के अवशेष मिले थे। उनकी बात जन्मभूमि के समतलीकरण के दौरान सामने आए मंदिर के अवशेषों ने सही साबित की। मार्च, 2020 में समतलीकरण के दौरान मिले अवशेषों को मुहम्मद ने 8वीं सदी का बताया था।

निर्माण समिति की बैठक में रोडमैप बनेगा
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण शुरू करने के पहले श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास की बैठक निर्माण समिति के सदस्यों के साथ 20 अगस्त को दिल्ली में होने की उम्मीद है। इस बैठक में निर्माण समिति से जुड़े सदस्य भी मौजूद रहेंगे। निर्माण समिति के अध्यक्ष पूर्व आईएएस नृपेंद्र मिश्र हैं। न्यास और उसकी निर्माण समिति की इस बैठक में मंदिर निर्माण की रूपरेखा तय होगी। ट्रस्ट से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बैठक में नींव खोदने से लेकर निर्माण शुरू करने के अहम पड़ाव पर चर्चा होगी। निर्माण को पूरा करने की समय सारणी भी बन सकती है। मंदिर निर्माण शुरू करने के लिए नक्शा पास कराया जाना है।



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राम जन्मभूमि के 1976 में हुए सर्वे में भी प्राचीन मंदिरों के अवशेष मिलने की बात सामने आई थी। (फाइल फोटो)


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शायर राहत इंदौरी कोरोना पॉजिटिव, पुडुचेरी के 2 मंत्री भी संक्रमित; देश में 24 घंटे में 53016 मरीज बढ़े, अब तक 22.67 लाख केस

मशहूर शायर राहत इंदौरी कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए हैं। इंदौर में उन्हें देर रात अस्पताल में भर्ती किया गया है। राहत इंदौरी के बेटे सतलज ने इस बात की जानकारी दी, बाद में खुद भी राहत इंदौरी ने इस बारे में ट्वीट किया।

उधर, पुडुचेरी के दो कैबिनेट मंत्री कंडासामी और कमलकन्नन की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने कहा, 'मैं इनके संपर्क में आए लोगों से कोरोना टेस्ट करवाने की अपील करता हूं।

देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 22 लाख 67 हजार 153 पहुंच गया है। राहत की बात है कि इसमें 15 लाख 81 हजार 640 लोग ठीक भी हो चुके हैं। 24 घंटे में 53 हजार से ज्यादा मरीज बढ़े। तमिलनाडु में संक्रमितों का आंकड़ा 3 लाख के पार हो गया। सोमवार को 5 हजार 914 नए मरीज बढ़े। ये आंकड़े covid19india के मुताबिक है।

5 राज्यों को हाल

1. मध्यप्रदेश:
पिछले 24 घंटे में राज्य में 866 नए संक्रमित मिले। इसी के साथ संक्रमितों का आंकड़ा अब 39,891 पहुंच गया है। इनमें 29,674 लोग ठीक हो चुके हैं। मरने वालों का आंकड़ा भी सोमवार को 1 हजार के पार कर गया। अब तक यहां 1015 मरीजों की मौत हो चुकी है।
ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की दूसरी मंजिल से सोमवार दोपहर बाद एक कोरोना पॉजिटिव मरीज कूद गया। घटना में उसका एक हाथ टूट गया।

2. राजस्थान:
राज्य में सोमवार को कोरोना के 1173 मामले सामने आए। इनमें कोटा में 170, अलवर में 165, बीकानेर में 115, जयपुर में 114, सीकर में 111, जोधपुर में 80, भरतपुर में 71, बांसवाड़ा में 42, बाड़मेर में 40, उदयपुर में 38, अजमेर में 34, भीलवाड़ा में 28, झुंझुनू में 19, नागौर में 18, प्रतापगढ़ में 18, चूरू में 16, डूंगरपुर में 16, राजसमंद में 13, गंगानगर में 11, जैसलमेर में 11, जालौर में 10, चित्तौड़गढ़ में 9, टोंक में 6, हनुमानगढ़ में 5, दौसा में 4, बारां में 3, सिरोही और सवाई माधोपुर में 2-2, धौलपुर में 2 संक्रमित मिला। जिसके बाद कुल पॉजिटिव का आंकड़ा 53670 पहुंच गया। वहीं 11 लोगों की मौत भी हो गई। इनमें डूंगरपुर में 3, कोटा, जोधपुर और बाड़मेर में 2-2, पाली और राजसमंद में 1-1 की मौत हो गई।

3. बिहार.
राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या 82,741 हो गई है। पिछले 24 घंटे में 75346 सैंपल की जांच गई गई, जिससे कोरोना के 3021 नए मरीज मिले। सबसे अधिक 402 नए रोगी पटना में मिले हैं। एनएमसीएच में कोरोना के तीन मरीज की मौत हो गई है। मरीज वैशाली, पटना और सुपौल के रहने वाले थे। कोरोना के 54139 मरीज स्वस्थ्य हुए हैं। मरीजों का रिकवरी प्रतिशत 65.43 है। एक्टिव मरीजों की संख्या 28151 है।

4. महाराष्ट्र.
महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों के दौरान 9,181 नए मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या बढ़कर 5,24,513 पहुंच गई। राहत की बात यह है कि सोमवार को 6711 लोग ठीक हो गए। इसी के साथ ठीक होने वाले मरीजों का आंकड़ा भी बढ़कर 3,58,421 हो गई। पिछले 24 घंटे में 293 और लोगों की इससे मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 18,050 हो गई है।

5. उत्तरप्रदेश.
राज्य में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 1 लाख 26 हजार 722 पहुंच गया है। सोमवार को 24 घंटे के भीतर प्रदेश में 4 हजार 197 नए मरीज बढ़े, जबकि 51 संक्रमितों की जान गई है। सबसे ज्यादा 9 मौत कानपुर नगर में हुई।



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राहत इंदौरी के बेटे सतलज ने इस बात की जानकारी दी, बाद में खुद भी राहत इंदौरी ने इस बारे में ट्वीट किया।- फाइल फोटो


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ट्रम्प अंदर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे, उसी वक्त बाहर संदिग्ध को गोली मारी गई; राष्ट्रपति को कुछ देर के लिए सुरक्षित जगह ले जाना पड़ा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सोमवार को व्हाइट हाउस के बाहर एक संदिग्ध को गोली मारने की घटना से अफरा-तफरी मच गई। इसके बाद राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात सीक्रेट सर्विस गार्ड्स ने ट्रम्प को पोडियम से हटा लिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस रोकनी पड़ी और व्हाइट हाउस के लॉन में चारों तरफ सुरक्षाकर्मियों ने मोर्चा संभाल लिया। पत्रकार अंदर ही कैद हो गए।

ट्रम्प ने कहा- सब ठीक है, सुरक्षा में सेंध नहीं
थोड़ी देर बाद ट्रम्प फिर आए और बताया कि व्हाइट हाउस के बाहर किसी को गोली मारी गई है। जिसे गोली लगी है, उसके पास हथियार थे। सीक्रेट सर्विस ने ट्वीट कर बताया कि उसके अफसर ने किसी संदिग्ध को गोली मारी है। उसे अस्पताल पहुंचा दिया गया है। मामले की जांच की जा रही है।

ट्रम्प का कहना है कि संदिग्ध की पहचान और मकसद पता नहीं चल पाया है, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि वह राष्ट्रपति आवास को नुकसान पहुंचाना चाहता था। घटना व्हाइट हाउस के बाहर हुई है। सुरक्षा में सेंध जैसी भी कोई बात सामने नहीं आई। ट्रम्प ने सीक्रेट सर्विस की तारीफ करते हुए कहा कि मैं अपने आप को बहुत सुरक्षित महसूस कर रहा हूं।



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अमेरिकी राष्ट्रपति ने बताया कि सुरक्षाकर्मियों ने जिसे गोली मारी, उसके पास हथियार थे।


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भगवान के 8 नाम, मुरा राक्षस को मार कर बने मुरारी, मधु ऋतु के स्वामी और मधु दैत्य के वंशज होने से कहलाए माधव

11 और 12 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है। 11 को शैव और 12 को वैष्णव जन्माष्टमी मनाएंगे। भगवान कृष्ण के कई नाम हैं। लेकिन, कुछ नाम ऐसे हैं, जिनके पीछे कुछ कहानी, किस्से या कोई अलग ही महत्व है। ऐसे नामों के अलग से जाप का भी विधान शास्त्रों में बताया गया है। श्रीमद् भागवत, पद्मपुराण, कूर्म पुराण, गर्ग संहिता और ब्रह्मवैवर्त पुराण में भगवान कृष्ण के नामों की महिमा बताई गई है।

अलग-अलग ग्रंथों में नामों की अलग व्याख्या भी है। जैसे, भागवत में कृष्ण शब्द की व्याख्या काले रंग से है, लेकिन साथ ही कृष्ण शब्द को मोक्ष देने वाला भी कहा गया है। महाभारत में दो कृष्ण हैं, एक भगवान कृष्ण, दूसरे महाभारत के रचनाकार कृष्ण द्वैपायन व्यास यानी वेद व्यास। वेद व्यास काले थे और द्वीप पर जन्मे थे। सो, उनका नाम कृष्ण द्वैपायन पड़ा, एक वेद को चार भागों में बांटने के कारण उनका नाम वेद व्यास पड़ा।

ऐसे ही भगवान कृष्ण के कई नाम उपलब्धियों और उनके व्यक्तित्व की विशेषताओं के कारण पड़े।

  • मुरारी

महर्षि कश्यप और दिति का एक राक्षस पुत्र था। उसका नाम था मुरा। मुरा ने अपने बल से स्वर्ग पर विजय पा ली। देवताओं को स्वर्ग से निकाल दिया। तब इंद्र ने भगवान कृष्ण से प्रार्थना की। भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा ने युद्ध में मुरा का वध कर दिया। मुरा दैत्य के अरि यानी शत्रु होने के कारण भगवान का एक नाम मुरारी पड़ गया।

  • मधुसूदन

मधु नाम के दैत्य का वध करने से भगवान का एक नाम मधुसूदन पड़ा। इस राक्षस के कारण भी देवता और मनुष्य काफी परेशान थे। भागवत में मधु नाम के दो से तीन राक्षसों का जिक्र मिलता है, जो अलग-अलग काल में हुए हैं। इनमें से एक का वध कृष्ण ने किया था।

  • केशव

ये नाम भगवान के सुंदर केशों के कारण है। भागवत और गर्ग संहिता में भगवान के रूप का वर्णन मिलता है। गोपियां, सखियां और बृजवासी कई जगह भगवान कृष्ण को केशव के नाम से संबोधित करते हैं।

  • गोवर्धनधारी-गिरधारी

इंद्र की पूजा रोककर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने और फिर इंद्र के बृज मंडल पर भारी बारिश करने पर लोगों को बचाने के लिए अपने सीधे हाथ की सबसे छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाने के कारण पड़ गया। भगवान को दोनों नाम प्रिय है। वृंदावन में गिरधारी, गिरिराजधारी नाम भगवान के लिए काफी प्रयोग किया जाता है।

  • माधव

इस नाम के पीछे दो कहानियां हैं। एक तो वसंत ऋतु के देवता या ऋतुओं में वसंत के समान श्रेष्ठ होने के कारण कृष्ण का नाम माधव पड़ा है, क्योंकि वसंत का एक नाम मधु भी है। दूसरी कहानी, त्रेतायुग के राक्षस मधु से जुड़ी है, जो मथुरा का राजा था। इसी मधु का बड़ा पुत्र यादवराज था, जिसके वंश में बाद में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ। मधु के वंश में जन्म लेने के कारण भी इन्हें माधव कहते हैं।

  • मुरलीधर-वंशीधर

बांसुरी धारण करने के कारण नंदबाबा ने कृष्ण को ये नाम दिया था। नंदबाबा ने नन्हें कृष्ण को उपहार में बांसुरी दी थी। जो हमेशा उनकी पहचान रही। कृष्ण के व्यक्तित्व से बांसुरी इस तरह जुड़ी है कि उसके बिना कृष्ण की छवि की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

  • अच्युत

कृष्ण अपने व्यक्तित्व में अटल और अडिग हैं। उनकी छवि एक ऐसे देवता की है जो अविचल भक्ति प्रदान करते हैं। वे ही एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो कई रूपों में एक साथ पूजे जाते हैं। पुत्र, मित्र, भाई, भगवान, पति, पुरूष, योद्धा, सलाहकार और गुरु सहित कई तरह से लोग कृष्ण की पूजा करते हैं। अपने हर रूप में वे अटल-अडिग हैं। इसीलिए उन्हें अच्युत कहा गया है।



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janmashtami 2020 8 names of lord krishna on ashtami murari made by killing mura demon lord of madhu ritu and madhav being descended from madhu monster


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सचिन पायलट ने सोनिया, राहुल और प्रियंका को शुक्रिया कहा, बोले- पार्टी पद देती है तो पद ले भी सकती है

राजस्थान में 31 दिन से चल रहा सियासी संग्राम आखिर थम गया। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी से सोमवार को मुलाकात के बाद बागी नेता सचिन पायलट और उनके साथी 18 अन्य विधायक मान गए। इसके बाद पायलट ने ट्वीट कर सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को शुक्रिया कहा। उन्होंने कहा कि वे बेहतर भारत और राजस्थान के लिए काम करते रहेंगे।

दरअसल, पायलट की आलाकमान से सोमवार को दो घंटे बातचीत हुई। इसमें पायलट को आश्वासन दिया गया है कि उनके और अन्य बागी विधायकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। इस दौरान मुख्यमंत्री पद, बागी विधायकों को उनके पद दोबारा देने और कमेटी गठित करने जैसे समझौतों पर भी बात हुई।

पायलट ने कहा- मैं मुद्दों को उठाना चाहता था

  • सचिन पायलट ने कहा, 'लंबे समय से कुछ मुद्दों को मैं उठाना चाहता था। शुरू से ही कह रहा हूं कि ये लड़ाई आदर्शों पर थी। मैंने हमेशा ही सोचा था कि पार्टी हित में इन मुद्दों को उठाना जरूरी है। सोनिया जी ने परेशानियों और सरकार की समस्याओं को सुना। लगता है कि जल्द ही मुद्दों को हल किया जाएगा।'
  • उन्होंने कहा, 'जिन लोगों ने मेहनत की है, उनकी सरकार में भागीदारी हो। लड़ाई पद के लिए नहीं, आत्मसम्मान के लिए थी। पार्टी पद देती है, तो पार्टी पद ले भी सकती है। उन्होंने कहा कि जो वादे सत्ता में करके आए थे, वो पूरा करेंगे।

'मेरे खिलाफ बहुत कुछ कहा गया'

पायलट ने कहा, 'मेरे खिलाफ बहुत कुछ कहा गया। मैंने आलाकमान को सब बताया है। मुझे खुशी है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी ने मेरी बात सुनी। पिछले कुछ समय से हमारे साथी विधायक दिल्ली आए हुए थे। हम लोगों के सरकार और संगठन के कई मुद्दे थे जिन पर हम बात करना चाहते थे। व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए कुछ ऐसी बातें बोली गईं जिस पर मुझे आश्चर्य हुआ। मुझे भरोसा दिया गया है कि तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर जल्द ही उन तमाम मुद्दों का निराकरण किया जाएगा, जो हमने उठाए हैं।'

बागी विधायकों से मिली कमेटी
प्रियंका गांधी, केसी वेणुगोपाल और अहमद पटेल की कमेटी ने सोमवार रात दिल्ली की 15 जीआरजी रोड स्थित कांग्रेस के वार रूम पहुंची। यहां सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों से बातचीत की।
इससे पहले, अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सीएम गहलोत से भी बात की।



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Sachin Pilot thanks Sonia Gandhi for noting, addressing his and rebel MLAs' grievances


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कान्हा के आगमन से पहले सब शुभ ही शुभः राजस्थान में सियासी सुलह; बोर्ड को IPL के लिए बाबा का सहारा; कोरोना वैक्सीन का काउंटडाउन शुरू

आज 11 अगस्त। साल का 224वां दिन। हिंदी पंचांग के अनुसार भाद्रपद कृष्णपक्ष सप्तमी। कल जन्माष्टमी है। पूरा दिन ‘जय कन्हैया लाल की’ की गूंज रहने वाली है। कान्हा आने वाले हैं। साथ अपने अच्छी खबरें भी ला रहे हैं। माहौल तो आज से ही बनना शुरू हो गया है। चारों ओर शुभ ही शुभ है।

देश के कुछ इलाकों में आज रात से कृष्ण जन्मोत्सव की धूम शुरू हो जाएगी। और तो और, बुधवार को कोरोना के खिलाफ दुनिया का पहला रूसी वैक्सीन भी आ सकता है। उसकी उल्टी गिनती पहले ही शुरू हो चुकी है। यानी कोरोना से आजादी ज्यादा दिन दूर नहीं है।

चार दिन बाद हम और आप भारत की आजादी की 74वीं वर्षगांठ मनाएंगे। लेकिन, आज का दिन दादर नगर हवेली के लिए बहुत खास है। करीब 60 साल पहले आज ही के दिन यह केंद्रशासित प्रदेश पुर्तगाल से आजाद होकर भारत में शामिल हुआ था।

आइये नजर डालते हैं, आज की सुर्खियों पर। पहली खबर, कांग्रेस के लिए राहत देने वाली है। राजस्थान में विधायकों की बाड़ेबंदी और आरोप-प्रत्यारोप से शुरू हुआ सियासी संकट अब सुलह तक पहुंच गया है।

1. राहुल-प्रियंका से मिले सचिन; हालात सुधरेंगे लेकिन ब्रेक के बाद...

राजस्थान में 14 अगस्त से विधानसभा सत्र शुरू हो रहा है। इससे पहले सियासी हलचल ने गति पकड़ ली है। कांग्रेस में बगावत का परचम फहरा रहे सचिन पायलट सोमवार को दिल्ली में राहुल और प्रियंका गांधी से मिले। डेढ़ घंटे बातचीत हुई। बंद दरवाजे से अच्छी खबर यह आई कि कांग्रेस सचिन पायलट की वापसी का फार्मूला तलाश रही है। यह तय है कि अशोक गहलोत की कुर्सी सुरक्षित है। अब सचिन किन शर्तों पर मानते हैं, यह आने वाले दिनों में दिलचस्प नजारे प्रस्तुत कर सकता है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि मुख्यमंत्री पद के बारे में फिलहाल कोई बात नहीं होगी।

राजस्थान के सियासी फॉर्मूले की इनसाइड स्टोरी पढ़ने के लिए क्लिक करें

2. सुना है सुशांत सुसाइड केस में मीडिया ट्रायल से डर गई है रिया

सुशांत सिंह सुसाइड केस में ईडी के सामने पेश होने की बारी रिया चक्रवर्ती, उसके भाई शोविक और पिता इंद्रजीत की थी। ईडी के सामने रिया की चार दिन में यह दूसरी बार पेशी थी। इसके बाद सुशांत की बिजनेस मैनेजर श्रुति मोदी को भी बुलावा भेजा गया। सीधे-सीधे पूछ भी लिया कि रिया के पास खर्च करने के लिए पैसा कहां से आता था। यानी बात घूम-फिरकर वहीं आ गई, जहां दो दिन पहले छूटी थी। सुशांत के रूम मेट सिद्धार्थ पिठानी भी ईडी दफ्तर पहुंचे थे। यह सब चल ही रहा था कि खबर आई कि रिया फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। याचिका में उसने कहा कि मामले में मीडिया ट्रायल चल रहा है। सुशांत की मौत के लिए मीडिया रिया को दोषी ठहरा रहा है।

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3. अब बाबा रामदेव भी उतरेंगे क्रिकेट के पिच पर

कोई परेशानी में हो और बाबा रामदेव मदद न करें, ऐसा कैसे हो सकता है। अब बाबा ने क्रिकेट बोर्ड के तारणहार बनने की तैयारी दिखाई है। खबरें आ रही हैं कि चीन विरोधी सेंटीमेंट के चलते क्रिकेट बोर्ड ने चीनी स्मार्टफोन कंपनी वीवो से टाइटल स्पॉन्सरशिप का नाता तोड़ लिया है। अब तो बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद भी आईपीएल-2020 के स्पॉन्सरशिप टाइटल के लिए बोली लगाने की तैयारी कर रही है। वैसे भी बोर्ड के पास ज्यादा विकल्प नहीं है। समय भी नहीं है। अगले महीने आईपीएल शुरू होना है और 6 अगस्त को ही वीवो से नाता तोड़ दिया है।

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4. लेकिन, राजनीति का मौसम बताने वाले पासवान पर भी नजर रखें

सब जानते हैं कि रामविलास पासवान राजनीति का मौसम बताने वाले ऐसे वैज्ञानिक हैं जो मौके की नजाकत को भांपकर अपने रुख से भविष्यवाणी करते हैं। ऐसे में बिहार विधानसभा के ठीक पहले रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि वे बिहार में सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इसे एनडीए में फूट के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। खैर, जानने-बूझने वाले कह रहे हैं कि यह सीटों के बंटवारे में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए जोर-आजमाइश वाला बयान भी हो सकता है। लेकिन, नजर तो रखनी ही पड़ेगी, पासवान कुछ भी कर सकते हैं।

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5. आइये अब देखते हैं अगस्त का दूसरा मंगलवार आपके लिए क्या मंगल लेकर आया है?

  • एस्ट्रोलॉजर डॉ. अजय भाम्बी के अनुसार कर्क, कन्या, तुला और कुंभ राशि वाले लोगों के लिए दिन सामान्य रहेगा। इन 4 राशि वालों के काम तो पूरे होंगे, लेकिन कुछ कामों में रुकावटें भी आ सकती हैं।

पढ़ें अपना राशिफल

  • टैरो कार्ड रीडर शीला एम. बजाज के अनुसार 12 में से 8 राशियों के लिए दिन शुभफल देने वाला रह सकता है। वहीं, 4 राशियों के लिए दिन निजी संबंधों में कुछ खटास और विरोध पैदा करने वाला या करियर में तनाव देने वाला रह सकता है।

पढ़ें अपना टैरो राशिफल



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RT-PCR टेस्ट भरोसेमंद पर तेज रिजल्ट रैपिड एंटीजन टेस्ट देता है, जानिए कैसे ये भारत में कोरोना टेस्टिंग की रफ्तार को बढ़ा रहा

भारत में कोरोनावायरस टेस्टिंग की संख्या 2 करोड़ को पार कर गई है। इसका एक बड़ा कारण टेस्टिंग में रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT) टेक्नोलॉजी को शामिल करना है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार देश में अब तक हुए कुल टेस्ट में एंटीजन टेस्ट की संख्या 26.5 लाख है। एंटीजन टेस्ट आरटी-पीसीआर टेक्नोलॉजी के मुकाबले सस्ता और तेज है। हालांकि, इस टेस्ट में गलत रिजल्ट आने की संभावनाएं भी हैं।

क्या है एंटीजन टेस्टिंग?

  • एंटीजन टेस्ट को रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट भी कहा जाता है। एंटीजन टेस्ट प्रक्रिया के दौरान मरीज के सलाइवा को सैंपल के तौर पर लिया जाता है। इसके तहत इंसान के शरीर में वायरस का पता फ्लोरेसेंस इम्यूनोऐसे मैथड से लगाया जाता है।
  • बड़ी संख्या में फिजिशियन्स एंटीजन टेस्ट का समर्थन कर रहे हैं। लगातार बढ़ रही RAT की संख्या ने भारत सरकार की टेस्टिंग बढ़ाने, शुरुआत में संक्रमण का पता लगाने, संक्रमितों के मैनेजमेंट और कॉन्टैक्ट्स के आइसोलेशन में काफी मदद की है।

कितने सटीक होते हैं एंटीजन टेस्ट?

  • अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक, मॉलीक्युलर टेस्ट के मुकाबले, एंटीजन टेस्ट ज्यादा तेजी से रिजल्ट देते हैं। हालांकि, एंटीजन में किसी एक्टिव इंफेक्शन केस के चूक जाने की संभावना ज्यादा होती है।
  • अगर एंटीजन टेस्ट नेगेटिव आया है तो यह गलत भी हो सकता है। इसकी पुष्टि करने के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट की जरूरत होती है। इस टेस्ट की सबसे खास बात है कि यह टेस्ट तेज होता है और मौके पर ही डिवाइस की मदद से किया जा सकता है।

अगर एंटीजन टेस्ट नेगेटिव है तो पीसीआर टेस्ट होना चाहिए: ICMR
ICMR ने 23 जून को कोविड 19 की नई गाइडलाइन जारी की थीं। इसमें कहा गया था कि एक एंटीजन टेस्ट में पॉजिटिव आए व्यक्ति को असल संक्रमित माना जाना चाहिए, लेकिन किसी व्यक्ति में अगर लक्षण नजर आ रहे हैं और रिजल्ट निगेटिव है तो इसे पीसीआर टेस्ट के जरिए कन्फर्म करना चाहिए।

ICMR के मुताबिक, पूरी पब्लिक हेल्थ मशीनरी कोविड 19 मरीजों को टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट करने में लगी हुई है। ऐसे में SARS-CoV-2 का शुरुआती दौर में पता लगाने के लिए एंटीजन आधारित ऐसेज को "पॉइंट ऑफ केयर टेस्ट" के तौर पर जांचना बेहद जरूरी है। ICMR के अनुसार, SARS-CoV-2 का पता लगाने के लिए रियल टाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज चेन रिएक्शन(RT-PCR) गोल्ड स्टैंडर्ड टेस्ट है।

इस टेस्ट में लैब की जरूरत नहीं
ICMR ने भारत में दक्षिण कोरिया की कंपनी एसडी बायो सेंसर की एंटीजन डिटेक्शन किट उपयोग करने की अनुमति दी है। इसे स्टैंडर्ड क्यू कोविड 19 एजी डिटेक्शन किट भी कहा जाता है। इस किट में इनबिल्ट एंटीजन टेस्ट डिवाइस, वायरल लायसिस बफर के साथ वायरल निकालने के लिए ट्यूब और सैंपल कलेक्ट करने के लिए स्टेराइड स्वाब आता है।

ICMR ने सलाह दी है कि इस टेस्ट को मेडिकल एक्सपर्ट की देखरेख में ही किया जाना चाहिए। इसके अलावा ICMR ने भारतीय कंपनी लैबकेयर डायग्नॉस्टिक लिमिटेड की "कोविड 19 एंटीजन लेटरल टेस्ट डिवाइस" और बेल्जियम की "कोविड 19 एजी रेस्पि स्ट्रिप" को अप्रूव किया है।



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What is antigen test? playing an important role in increasing testing in India


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60 साल बाद जन्माष्टमी पर तिथि, नक्षत्र और गुरु ग्रह का अद्भुत योग, विष्णुजी के आठवें अवतार श्रीकृष्ण 125 वर्ष पृथ्वी पर रहे और फिर लौट गए अपने वैकुंठ धाम

आज 11 अगस्त और 12 अगस्त को पंचांग भेद के कारण दो दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी। मथुरा और द्वारिका में 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाया जाएगा। जगन्नाथपुरी में 11 अगस्त की रात में ये पर्व मनाया जाएगा। बद्रीनाथ धाम में और जो लोग शैव संप्रदाय से जुड़े हैं, वे 11 को ही जन्माष्टमी मनाएंगे।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित मनीष शर्मा के अनुसार, इस साल 5247वीं जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इस संबंध में पंचांग भेद भी हैं। इस बार 60 वर्षों के बाद भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र और अष्टमी तिथि के साथ धनु राशि के गुरु ग्रह का योग बन रहा है।

विष्णु जी के आठवें अवतार श्रीकृष्ण 125 वर्ष पृथ्वी पर रहे। इस दौरान उन्होंने कंस जैसे अधर्मियों का वध किया। महाभारत युद्ध में पांडवों को जीत दिलाई। द्वारिका नगरी बसाई थी। इस तरह वे पृथ्वी पर करीब 125 वर्ष रहे और फिर अपने वैकुंठ धाम लौट गए।

चार धाम में से एक बद्रीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल के मुताबिक, 11 अगस्त को अद्वैत और स्मार्त संप्रदाय के लोग जन्माष्टमी मनाएंगे। 11 तारीख की सुबह 9.07 बजे से भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी। ये तिथि 12 अगस्त की सुबह 11.17 बजे तक रहेगी। 11 अगस्त की रात में अष्टमी तिथि रहेगी। इस वजह से बद्रीनाथ धाम में 11 की रात में जन्माष्टमी मनाई जाएगी। क्योंकि, श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि की रात में ही हुआ था।

वैष्णव संप्रदाय में उदयकालीन अष्टमी तिथि का महत्व है। इसीलिए इस संप्रदाय में 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। जबकि श्री संप्रदाय और निंबार्क संप्रदाय में रोहिणी नक्षत्र में जन्माष्टमी मनाने की परंपरा है। इस वजह से ये लोग 13 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र में जन्माष्टमी मनाएंगे।

60 साल बाद जन्माष्टमी पर तिथि, तारीख और नक्षत्र का अद्भुत योग

पं. मनीष शर्मा के अनुसार, इस साल 11 और 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी, लेकिन इन दोनों तारीखों की रात में रोहिणी नक्षत्र नहीं रहेगा। इस समय गुरु अपनी स्वयं की राशि धनु में स्थित है। 11 अगस्त की रात 12 बजे भरणी नक्षत्र और 12 अगस्त की रात 12 बजे कृत्तिका नक्षत्र रहेगा।

ऐसा योग 60 वर्ष पहले 13 और 14 अगस्त 1960 को बना था। उस साल भी गुरु धनु राशि में था, 13 अगस्त की रात भरणी और 14 अगस्त की रात को कृत्तिका नक्षत्र था और जन्माष्टमी मनाई गई थी।

रोहिणी नक्षत्र में हुआ था श्रीकृष्ण का जन्म

द्वापर युग में श्रीकृष्ण का अवतार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में हुआ था। उस समय चंद्र उच्च राशि वृषभ में था। उस दिन बुधवार और रोहिणी नक्षत्र था। इस बार जन्माष्टमी पर ऐसा संयोग नहीं बन रहा है। रोहिणी नक्षत्र 11 और 12 अगस्त को नहीं रहेगा। ये नक्षत्र 13 अगस्त को रहेगा।

लेकिन, जन्माष्टमी तिथि के हिसाब से मनाने की परंपरा है। इसीलिए 11 और 12 अगस्त को ये पर्व मनाया जाएगा। इस बार 12 अगस्त को जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। इस योग में पूजा-पाठ करने से जल्दी ही शुभ फल मिल सकते हैं। जन्माष्टमी अपने-अपने क्षेत्र के पंचांग और विद्वानों के मतानुसार मनाना श्रेष्ठ है।



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जन्माष्टमी तिथि के हिसाब से मनाने की परंपरा है। इसीलिए 11 और 12 अगस्त को ये पर्व मनाया जाएगा। इस बार 12 अगस्त को जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा।


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गरीबी, हिंसा, भेदभाव से बचने और सम्मान पाने की खातिर हिंदू इस्लाम कुबूल करने को मजबूर, कोरोना ने आर्थिक हालात खराब किए

मारिया अबि-हबीब/जिया उर-रहमान. बीते साल भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के शहर कराची में एक विरोध रैली निकली थी। इस रैली में शामिल लोग देश में हिंदू लड़कियों के जबरन कराए जा रहे धर्म परिवर्तन का विरोध कर रहे थे। जून में भी सिंध प्रांत के बदीन जिले में दर्जनों हिंदू परिवारों ने इस्लाम धर्म को कुबूल कर लिया। इस समारोह का वीडियो क्लिप भी वायरल हुआ था। हालांकि, पाकिस्तान में धर्म परिवर्तन का सटीक डाटा मौजूद नहीं है। यहां कुछ परिवर्तन मन से किए गए तो कुछ मजबूरी में।

भेदभाव से बचने के लिए बनना पड़ा मुसलमान
सेकंड क्लास सिटिजन माने जाने वाले पाकिस्तानी के हिंदुओं को हर चीज के लिए भेदभाव का सामना करना पड़ता है। फिर चाहे वो रहने के लिए घर, नौकरी या सरकारी सुविधा हों। अल्पसंख्यकों को लंबे वक्त से बहुसंख्यकों में जुड़ने, भेदभाव और सांप्रदायिक हिंसा से बचने के लिए तैयार किया जा रहा है।

मोहम्मद असलम शेख जून तक सावन भील के नाम से पहचाने जाते थे। उन्होंने कहा, "हम जो चाह रहे हैं वो सामाजिक हैसियत है, और कुछ नहीं। गरीब हिंदू समुदायों में ये परिवर्तन बेहद आम हैं।" असलम ने भी बदीन में परिवार के साथ इस्लाम को अपनाया। बदीन में हुआ यह आयोजन अपने आकार के लिए भी खास था। यहां 100 से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। मुस्लिम धर्मगुरू और चैरिटी समूह अल्पसंख्यकों को फुसलाते हैं और नौकरी या जमीन देने की पेशकश करते हैं, लेकिन तभी जब वे धर्म बदलेंगे।

कोरोनावायरस में बढ़ा अल्पसंख्यकों पर दबाव
कोरोनावायरस महामारी के दौरान पाकिस्तान की इकोनॉमी की हालत खराब हो गई है और इसका दबाव देश के अल्पसंख्यकों पर पड़ा है। वर्ल्ड बैंक ने अनुमान लगाया है कि वित्तीय वर्ष 2020 में अर्थव्यवस्था 1.3 प्रतिशत कम हो जाएगी और पाकिस्तान की 7.4 करोड़ नौकरियों में से 1.8 करोड़ नौकरियां जा सकती हैं।

अपने लोगों की मदद करने के लिए बहुत कम हिंदू बचे हैं
असलम और उनके परिवार को उन अमीर मुस्लिम या इस्लामिक चैरिटी से मदद मिलने की उम्मीद है, जो और लोगों को इस्लाम में लाने के लिए कोशिश कर रहे हैं। असलम का कहना है, "इसमें कुछ गलत नहीं है। सभी लोग अपने धर्म के लोगों की मदद करते हैं।" जैसा कि असलम इसे देखते हैं, पाकिस्तान के अमीर हिंदुओं के पास अपने धर्म के लोगों की मदद के लिए कुछ भी नहीं बचा है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां बहुत कम हिंदू बचे हैं।

2018 में मिठी स्थित श्री कृष्ण मंदिर में हिंदू।
(रिजवान तबस्सुम/ एजेंसी फ्रांस-प्रेस)

1947 के बाद से लगातार कम हुई आबादी

  • 1947 में आजादी के बाद अब पाकिस्तान में शामिल इलाकों में 20.5 फीसदी हिंदू आबादी थी। आने वाले दशकों में यह प्रतिशत तेजी से कम हुआ और 1998 में पाकिस्तान की आबादी में हिंदू केवल 1.6 फीसदी रह गए थे। कई लोगों ने अनुमान लगाया है कि यह संख्या बीते दो दशकों में और कम हुई है।
  • हाल ही के दशकों में सिंध प्रांत से अल्पसंख्यकों को झुंड में दूसरे देशों में जाते देखा गया है। कई लोगों ने बहुत ही गंभीर भेदभाव और हिंसा का डर महसूस किया। पूर्व पाकिस्तानी लॉ मेकर और अब वॉशिंगटन में रिसर्च समूह रिलीजियस फ्रीडम इंस्टीट्यूट की वरिष्ठ सदस्य फराहनाज इस्पहानी कहती हैं, "महामारी और कमजोर अर्थव्यवस्था के इस डरावने समय में अल्पसंख्यकों के साथ अमानवीय व्यवहार बढ़ा है। हम भूख, हिंसा को टालने या केवल जिंदा रहने के लिए बड़ी संख्या में लोगों को इस्लाम में बदलते देख सकते हैं।"
  • फराहनाज 2010 में सिंध प्रांत में आई भयंकर बाढ़ के समय को याद करती हैं। इस बाढ़ में हजारों लोग बेघर हो गए थे और बहुत थोड़ा ही खाने को नहीं बचा था। फराहनाज बताती हैं कि हिंदुओं को मुसलमानों के साथ सूप किचन में खाने की अनुमति नहीं थी और जब सरकार से मदद मिली तो हिंदुओं को अपने पाकिस्तानी साथियों से कम मदद मिली। क्या वे उनकी आत्मा और दिल को भी परिवर्तित कर रहे हैं? मुझे नहीं लगता।
  • फराहनाज और कई लोग इस बात पर चिंता जताते हैं कि महामारी के कारण अर्थव्यवस्था की तबाही संप्रदायिक हिंसा को बढ़ा सकती है और इससे अल्पसंख्यकों पर धर्म बदलने का दबाव बढ़ेगा।

सरकारी अधिकारी नहीं मानते भेदभाव की बात
सिंध के मुख्यमंत्री के सलाहकार मुर्तजा वहाब उन सरकारी अधिकारियों में से एक हैं जो यह कहते हैं कि वे फराहनाज के हिंदुओं को कम मदद मिलने के आरोपों संबोधित नहीं कर सकते। वहाब ने कहा, "हिंदू समुदाय हमारे समाज का अहम हिस्सा हैं और हमारा मानना है कि सभी धर्मों के लोगों को बिना किसी परेशानी के साथ रहना चाहिए।"

पाकिस्तान में महफूज महसूस नहीं करते धार्मिक अल्पसंख्यक

  • मजबूरी में शादी और अपहरण के जरिए हिंदू लड़कियों और महिलाओं के जबरन धर्म बदलने का काम पूरे पाकिस्तान में हो रहा है। इसके अलावा हिंदू अधिकार समूह मन से हो रहे धर्म परिवर्तनों को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है यह परिवर्तन ऐसे आर्थिक दबावों के हो रहे हैं जो जबरन धर्म बदलने के ही बराबर हैं।
  • पाकिस्तान के हिंदू लॉ मेकर लाल चंद महली का कहना है, "कुल मिलाकर पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को सुरक्षित महसूस नहीं होता है। इनमें भी गरीब हिंदू सबसे बुरी हालत में हैं। वे इतने गरीब और अनपढ़ हैं कि मुस्लिम मस्जिदें, चैरिटीज और व्यापारी उनका शोषण आसानी से कर लेते हैं और उन्हें इस्लाम में परिवर्तन करने के लिए लुभाते हैं। इसमें बहुत पैसा शामिल है।"
  • मोहम्मद नईम खान जैसे मौलवी ज्यादा से ज्यादा हिंदुओं के धर्म परिवर्तन कराने के प्रयासों में सबसे आगे थे। (नईम खान 62 साल के थे और इंटरव्यू के दो हफ्ते बाद दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई थी।) नईम कहते हैं कि उन्होंने बीते दो सालों में कराची स्थित अपने मदरसे जामिया बिनोरिया में 450 से ज्यादा धर्म परिवर्तन देखे हैं। धर्म बदलने वाले ज्यादातर लोग सिंध प्रांत के निम्न जाति के हिंदू थे।
  • नईम बताते हैं कि "हम उन्हें धर्म बदलने के लिए मजबूर नहीं कर रहे हैं। लोग हमारे पास आते हैं क्योंकि वे अपनी जाति के साथ जुड़े भेदभाव से बचना चाहते हैं और अपनी सामाजिक हैसियत को बदलना चाहते हैं।" उन्होंने बताया कि इसकी मांग इतनी ज्यादा थी कि उन्होंने अपने मदरसे में एक अलग से विभाग बनाया था जो धर्म बदलने वाले नए लोगों को आर्थिक और कानून सलाह देते थे।

बंधुआ मजदूरी का शिकार होते हैं, निम्न जाति के पाकिस्तानी हिंदू
हाल ही में एक समारोह आयोजित हुआ, जहां सिंध स्थित मतली में लगे तंबुओं में अजान सुनाई दी। यह जमीन कराची के एक अमीर मुस्लिम व्यापारी समूह ने धर्म बदलने वाले दर्जनों हिंदू परिवारों के लिए खरीदी थी। टेंट के पास ही एक मस्जिद में मोहम्मद अली प्रार्थना से पहले रस्म अदा कर रहे थे। मोहम्मद अली का पहले नाम राजेश था। उन्होंने पिछले साल 205 अन्य लोगों के साथ धर्म बदल लिया था।

बीते साल मौलवी नईम ने अली के सामने बंधुआ मजदूरी से आजाद कराने की पेशकश के बाद उन्होंने अपने परिवार के साथ इस्लाम में धर्म परिवर्तन कर लिया था। वे एक जगह उधारी नहीं चुकाए जाने के कारण नौकर के तौर पर काम कर रहे थे। अली भील जाति से आते हैं, जो निम्न हिंदुओं में से एक है। उन्होंने कहा, "इस्लाम में हमें एकता और भाईचारे का एहसास हुआ, इसलिए हम बदलकर यहां आ गए।"

सिंध प्रांत स्थित मिठी में श्री कृष्ण का मंदिर।
(रिजवान तबस्सुम/ एजेंसी फ्रांस-प्रेस)

निम्न जाति के पाकिस्तानी हिंदू कई बार बंधुआ मजदूरी के शिकार होते हैं। 1992 में इसे रद्द कर दिया गया था, लेकिन यह प्रथा अभी भी जारी है। ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स ने अनुमान लगाया है कि 30 लाख से ज्यादा पाकिस्तानी उधारी के कारण गुलामी में रहते हैं।

गरीब हिंदुओं को ऐसा उधार दिया जाता है जो वे कभी चुका नहीं सकते
अधिकार समूह कहते हैं कि जमींदार हिंदुओं को ऐसा कर्ज देकर गुलामी में फंसाते है, जिसे वे जानते हैं कि यह कभी नहीं चुकाया जा सकता। इसके बाद उन्हें और उनके परिवार को उधारी चुकाने के लिए काम के लिए मजबूर किया जाता है। कई बार महिलाओं का यौन शोषण भी होता है।

नईम के मदरसे ने कई हिंदुओं को बंधुआ मजदूरी से आजाद कराया है। उन्होंने इस्लाम में शामिल होने के बदले उनका कर्ज खत्म किया। जब अली और उनके परिवार ने धर्म बदला तो नईम और अमीर मुस्लिम व्यापारी समूहों ने उन्हें जमीन का एक टुकड़ा दिया और काम खोजने में मदद की। उन्होंने इसे एक इस्लामी जिम्मेदारी समझी। नईम कहते थे "जो लोग इस संदेश को फैलाने और गैर मुस्लिमों को इस्लाम में लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं, उन्हें भविष्य में आशीर्वाद मिलेगा।"



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फोटो बीते साल कराची में हिंदू लड़कियों के जबरन इस्लाम में परिवर्तन कराने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की है। (फरीद खान/एसोसिएटेड प्रेस)


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हर साल जिन 10 राज्यों में स्वाइन फ्लू के सबसे ज्यादा मामले, उनमें से 9 में कोरोना के 50 हजार से ज्यादा मरीज

देश में कोरोनावायरस के मामले 22 लाख के पार पहुंच गए हैं। 12 साल में ये दूसरी महामारी है। इससे पहले डब्ल्यूएचओ ने 2009 में स्वाइन फ्लू को महामारी घोषित किया था। इस महामारी से लाखों लोग मारे गए थे। अगस्त 2010 में डब्ल्यूएचओ ने स्वाइन फ्लू के महामारी नहीं रहने की घोषणा की थी। लेकिन, आज भी ये बीमारी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। भारत में हर साल स्वाइन फ्लू के हजारों मामले आते हैं, जबकि सैकड़ों जानें चली जाती हैं।

स्वाइन फ्लू और कोरोनावायरस दोनों अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों के लक्षण लगभग एक जैसे ही हैं। इन दोनों ही बीमारियों में सांस लेने में दिक्कत आती है। हमारे देश में कोरोनावायरस के सबसे ज्यादा मामले जिन राज्यों में आ रहे हैं, ये वही राज्य हैं, जहां हर साल स्वाइन फ्लू के सबसे ज्यादा मामले आते हैं।

जिन 10 राज्यों में स्वाइन फ्लू के सबसे ज्यादा मामले, वहां कोरोना का ज्यादा असर
नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल यानी एनसीडीसी पर स्वाइन फ्लू के मामलों का 23 फरवरी 2020 तक का डेटा मौजूद है। इस डेटा के मुताबिक, भारत में हर साल स्वाइन फ्लू के हजारों मामले सामने आते हैं। इनमें से कइयों की जान भी जाती है।

एनसीडीसी के डेटा के मुताबिक, 2019 में स्वाइन फ्लू के सबसे ज्यादा मामले राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और तमिलनाडु में दर्ज किए गए थे। इन्हीं 10 राज्यों में से सिर्फ हरियाणा को छोड़कर बाकी सभी में कोरोनावायरस के भी 50 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं।

इतना ही नहीं, 2020 की 23 फरवरी तक ही जिन 6 राज्यों में सबसे ज्यादा स्वाइन फ्लू के मामले आए थे, वो सभी कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य हैं। इन राज्यों में दिल्ली, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र हैं।

स्वाइन फ्लू जब महामारी थी, तब उतने मामले नहीं आए, जितने बाद में आए
अप्रैल 2009 में स्वाइन फ्लू का पहला मामला मैक्सिको में सामने आया था। उसके बाद 13 मई को भारत में भी स्वाइन फ्लू का पहला मामला आया। 11 जून 2009 को इसे महामारी घोषित किया गया था।

2009 में मई से दिसंबर के बीच देश में स्वाइन फ्लू के 27 हजार 236 मामले सामने आए थे और 981 मौतें हुई थीं। अगस्त 2010 में डब्ल्यूएचओ ने इसके महामारी नहीं रहने की घोषणा की थी।

स्वाइन फ्लू के सबसे ज्यादा मामले 2015 में दर्ज हुए थे। उस साल देशभर में 42 हजार से ज्यादा मामले आए थे और करीब 3 हजार लोगों की मौत हुई थी। उसके बाद 2017 में भी 38 हजार से ज्यादा मामले आए थे और 2 हजार से ज्यादा मौतें हुई थीं।

इसी साल 1 मार्च तक देश में 1 हजार 469 मामले सामने आ चुके हैं। जबकि, 28 लोगों की मौत स्वाइन फ्लू से हो चुकी है।

स्पैनिश फ्लू के बाद कोरोना दूसरी महामारी, जिसमें सबसे ज्यादा जान गई
1918 से 1920 के बीच दुनिया में फैली स्पैनिश फ्लू महामारी को पिछले 500 साल के इतिहास की सबसे खतरनाक महामारी माना जाता है। अनुमान लगाया जाता है कि इस महामारी से दुनिया की 50 करोड़ आबादी संक्रमित हुई थी और 5 करोड़ लोग मारे गए थे। अकेले भारत में ही इससे 1.7 करोड़ से ज्यादा मौतें हुई थीं।

स्पैनिश फ्लू इसलिए भी खतरनाक था, क्योंकि इससे ठीक होने की उम्मीद सिर्फ 10 से 20% ही थी। स्पैनिश फ्लू के बाद कोरोनावायरस ऐसी महामारी है, जिससे सबसे ज्यादा जान गई है। कोरोना से अब तक देश में 44 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।



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ये तस्वीर अगस्त 2009 की है। उस समय भी जब स्वाइन फ्लू फैला था, तो मास्क पहनना जरूरी कर दिया गया था।


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दावा- कोरोना के जो कण हमने वैक्सीन में डाले वो नुकसान नहीं पहुंचाएंगे, अचानक इम्युनिटी बढ़ने से बुखार आ सकता है

तीसरे चरण का ट्रायल पूरा होने से पहले रशिया की वैक्सीन 12 अगस्त को रजिस्टर कराए जाने की तैयारी शुरू हो गई है। रजिस्ट्रेशन से पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन वैक्सीन की विश्वसनीयता पर सवाल उठा चुका है। सवालों पर रूस ने सफाई दी है।

रूस की वैक्सीन Gam-Covid-Vac Lyo को रक्षा मंत्रालय और गामालेया नेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एपिडिमियोलॉजी एंड माइक्रोबायलॉजी ने मिलकर तैयार किया है। दावा किया है कि यह दुनिया की पहली वैक्सीन है साबित होगी। सितम्बर से इसका उत्पादन करने और अक्टूबर से लोगों तक पहुंचाने की तैयारी शुरू हो गई है।

रशियन सरकार का दावा है कि हम वैक्सीन तैयार करने में दूसरों से कई महीने आगे चल रहे हैं। इसी महीने में अंतिम चरण के बड़े स्तर पर तीन और ट्रायल किए जाएंगे ताकि वैक्सीन का अगला टेस्ट किया जा सके।

वैक्सीन पर अब तक उठे सवाल

  • इस वैक्सीन को लेकर WHO समेत रशिया के कई वायरस विशेषज्ञ सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि ऐसे लोग जिनमें एंटी-बॉडीज बन रही हैं, उनके लिए यह वैक्सीन खतरनाक साबित हो सकती है। रशिया के संक्रमक रोग विशेषज्ञ अलेक्जेंडर चेपुरनोव ने वैक्सीन ट्रायल का डाटा और विस्तृत जानकारी उपलब्ध न कराए जाने पर उंगली उठाई है। वह कहते हैं कि यहां खतरा है। गलत वैक्सीन देने पर बीमारी के बढ़ने की आशंका ज्यादा है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने रूस द्वारा बनाई गई कोरोना की वैक्सीन को लेकर कई तरह की शंकाएं जताई हैं। संगठन वैक्सीन के तीसरे चरण को लेकर संशय है। संगठन के प्रवक्ता क्रिस्टियन लिंडमियर ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि अगर किसी वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल किए बगैर ही उसके उत्पादन के लिए लाइसेंस जारी कर दिया जाता है, तो इसे खतरनाक मानना ही पड़ेगा।
  • डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि रूस ने वैक्सीन बनाने के लिए तय दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया है, ऐसे में इस वैक्सीन की सफलता पर भरोसा करना मुश्किल है। वैक्सीन उत्पादन के लिए कई गाइडलाइन्स बनाई गई हैं, जो टीमें भी ये काम कर रहीं हैं, उन्हें इसका पालन करना ही होगा। हाल ही में रूस ने वैक्सीन पर सभी क्लिनिकल ट्रायल खत्म होने का ऐलान किया था।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी वेबसाइट पर क्लीनिकल ट्रायल से गुजर रहीं 25 वैक्सीन सूचीबद्ध की हैं, जबकि 139 वैक्सीन अभी प्री-क्लीनिकल स्टेज में हैं। रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको ने अक्टूबर से मास वैक्सीनेशन के लिए उपलब्ध होने की बात कही थी। साथ ही अन्य देशों को मदद का भरोसा भी दिया था।

वैक्सीन तैयार करने वाले इंस्टीट्यूट की सफाई

  • गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग का कहना है कि हमने कोरोना के जो कण वैक्सीन में इस्तेमाल किए हैं, वो शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाते। ये कण शरीर में अपनी संख्या को नहीं बढ़ाते।
  • वैक्सीन लगने के बाद कुछ लोगों में बुखार की स्थिति बन सकती है, लेकिन ऐसा इम्यून सिस्टम बूस्ट होने के कारण होता है। लेकिन, इस साइडइफेक्ट को आसानी से पैरासिटामॉल की टेबलेट लेकर ठीक किया जा सकता है।

बड़े स्तर पर तीन और ट्रायल इसी महीने होंगे

  • रशिया के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, वैक्सीन ट्रायल के परिणाम सामने आए हैं। उनमें बेहतर इम्युनिटी विकसित होने के प्रमाण मिले हैं। दावा किया कि किसी वॉलंटियर्स में निगेटिव साइड-इफेक्ट नहीं देखने को मिले। लैब को वैक्सीन के अप्रूवल का इंतजार है। इसकी अनुमति मिलते ही यह लोगों तक पहुंचाई जा सकेगी।
  • रूस ने दावा किया है कि उसने कोरोना की जो वैक्सीन तैयार की है वह क्लीनिकल ट्रायल में 100 फीसदी तक सफल रही है। ट्रायल की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन वॉलंटियर्स को वैक्सीन दी गई उनमें वायरस के खिलाफ इम्युनिटी विकसित हुई है।
  • डिप्टी हेल्थ मिनिस्टर ओलेग ने एक कैंसर सेंटर के उद्घाटन पर कहा, वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है। हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि वैक्सीन सुरक्षित साबित हो। इसलिए यह सबसे पहले बुजुर्गों और मेडिकल प्रोफेशनल्स को दी जाएगी।


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Russia Coronavirus Vaccine | Vaccine Registration Latest News Update; (Covid-19) Vaccine Particles Will Not Harm Humans


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आमजन का हित सर्वोपरि न रखने पर ही समाज बिखरते हैं, यही धीरे-धीरे इजराइल व अमेरिका में हो रहा है, इसे रोकना ही हमारी पीढ़ी का सबसे जरूरी काम है

जब मैंने पहली बार बेरूत में भयानक धमाके की खबर और उसे लेकर चल रही अटकलें सुनीं तो मुझे 40 साल पहले की एक डिनर पार्टी याद आई, जो अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ बेरूत के प्रेसीडेंट मैलकम केर के घर पर हुई थी। इस दौरान किसी ने बेरूत में हुई असामान्य ओलावृष्टि का जिक्र किया।

हर कोई इसके पीछे का कारण बताने लगा कि तभी मैलकम ने चुटकी ली, ‘क्या आपको लगता है, यह सीरिया ने किया?’ मैलकम दरअसल हर चीज में साजिश देखने वाली लेबनानी प्रवृत्ति का मजाक उड़ा रहे थे, खासतौर पर सीरिया को लेकर, इसलिए हम सभी इस पर हंसे।

लेकिन इस बात में वे लेबनानी समाज के बारे में गहरी बात भी कह रहे थे, जो आज अमेरिका पर भी लागू होती है। यह बात कि लेबनान में हर चीज, यहां तक कि मौसम भी राजनीतिक हो गया है। लेबनानी समाज की साम्प्रदायवादी प्रकृति के कारण, जहां सभी शक्तियां संवैधानिक रूप से अलग-अलग ईसाई और मुस्लिम पंथों के बीच सावधानीपूर्वक बांटी गईं, वहां हर चीज राजनीतिक ही होगी।

यह ऐसा तंत्र था, जो बेहद विविध समाज में स्थिरता लाया था, लेकिन इसकी कीमत थी जवाबदेही की कमी, भ्रष्टाचार और अविश्वास। इसीलिए हाल ही में हुए धमाके के बाद कई लेबनानियों ने यह नहीं पूछा कि क्या हुआ, बल्कि यह पूछा कि यह किसने किया और किस फायदे के लिए?

अमेरिका दो मामलों से लेबनान और अन्य मध्यपूर्वी देशों जैसा हो रहा है। पहला, हमारे राजनीतिक मतभेद इतने गहरे होते जा रहे हैं कि हमारी दो पार्टियां अब सत्ता की दौड़ में दो धार्मिक पंथों की तरह लगती हैं। वे अपने पंथों को ‘शिया, सुन्नी, मैरोनाइट्स’ या ‘इजरायली और फिलिस्तीनी’ कहते हैं। हम अमेरिकियों के पंथ ‘डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स’ हो गए हैं। लेकिन हमारे पंथ अब दो विरोधी कबीलों जैसा व्यवहार कर रहे हैं, जो मानते हैं कि या तो राज करो या मर जाओ।

और दूसरा, जैसा कि मध्यपूर्व में होता है, अमेरिका में भी हर बात पर राजनीति होती है। यहां तक कि जलवायु, ऊर्जा और महामारी में मास्क तक पर। वास्तव में हम अमेरिकी इतने ज्यादा मध्यपूर्वी देशों जैसे हो रहे हैं कि जहां लेबनानी धमाके को दुर्घटना बता रहे हैं, हमारे राष्ट्रपति ट्रम्प इसे साजिश बता रहे हैं।

लेकिन जब हर चीज राजनीति हो जाती है, तो एक समाज और लोकतंत्र अंतत: मर जाता है। जब हर चीज राजनीति हो जाती है तो इसका मतलब होता है कि हर चीज सत्ता के बारे में है। कोई केंद्र नहीं है, सिर्फ दो पक्ष हैं। कोई सत्य नहीं है, सिर्फ उसके संस्करण हैं। कोई तथ्य नहीं है, सिर्फ मर्जियों की होड़ है।

ट्रम्प या इजराइल में नेतन्याहू, ब्राजील में बोलसोनारो और रूस में पुतिन जैसे अनुदार लोकवादी नेता जानबूझकर तथ्यों और आमजन के हित को दबाने की कोशिश करते हैं। उनका अपने लोगों को संदेश है, ‘अदालतों, स्वतंत्र लोकसेवकों पर भरोसा मत करो। सिर्फ मुझ पर, मेरे शब्दों, मेरे फैसलों पर विश्वास करो। बाहर खतरनाक जंगल है। मेरे आलोचक हत्यारे हैं और केवल मैं हमारे कबीले को उनसे बचा सकता हूं।’

ट्रम्प कोरोना के प्रबंधन में बुरी तरह असफल रहे हैं क्योंकि वे विज्ञान और तथ्यों को नहीं मानते। हाल ही में ट्रम्प ने रिपब्लिकन समर्थकों से क्लीवलैंड में कहा कि अगर बिडेन जीते तो वे ‘बाइबिल को, ईश्वर को नुकसान पहुंचाएंगे। वे ईश्वर के, बंदूकों के और हमारी जैसी ऊर्जा के विरुद्ध हैं।’

हमारी जैसी ऊर्जा? जी हां, अब एक रिपब्लिकन ऊर्जा है यानी तेल, गैस और कोयला। और एक डेमोक्रेटिक ऊर्जा है यानी हवा, सोलर और हायड्रो। और अगर आप तेल, गैस और कोयला में विश्वास करते हैं तो आपको फेस मास्क का भी विरोध करना होगा। अगर आप सोलर, हवा और हायड्रो में भरोसा करते हैं तो आपको मास्क का समर्थक माना जाएगा। इसी तरह की सोच की अति ने लेबनान, सीरिया, इराक, लीबिया और यमन को बर्बाद किया।

फिर वे कौन-से नेता हैं, जिनसे असहमत होने पर भी हम उनका सम्मान करते हैं? ये वे नेता हैं जो आमजन के हित में विश्वास रखते हैं। बेशक वे अपनी पार्टियों के लिए बहुत कुछ करते हैं, उन्हें राजनीति से परहेज नहीं है। लेकिन वे जानते हैं कि कहां शुरुआत करनी है और कहां रुकना है। वे अपनी सत्ता के लिए संविधान को नष्ट नहीं करेंगे, युद्ध शुरू नहीं करेंगे। मध्यपूर्व में ऐसे लोग दुर्लभ हैं या आमतौर पर मार दिए जाते हैं।

यही कारण है कि हम अब भी अपनी सेना का सम्मान करते हैं, जो हमारे आमजन की रक्षा करती है और हमें बुरा लगता है जब ट्रम्प उन्हें ‘राजनीति’ में घसीटते हैं। अल गोरे के आत्मसम्मान को याद कीजिए, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जॉर्ज डब्ल्यू. बुश के लिए 2000 का चुनाव छोड़ दिया। गोरे ने सार्वजनिक हित को पहले रखा। उनकी जगह ट्रम्प होते तो अमेरिका को तोड़ देते।

यकीन मानिए, अगर वे नवंबर में हार गए तो वे आमजन का हित पहले नहीं रखेंगे। आमजन का हित सर्वोपरि न रखने पर ही समाज बिखरते हैं। यही लेबनान, सीरिया, यमन, लीबिया और इराक में हुआ। और यही धीरे-धीरे इजराइल व अमेरिका में हो रहा है। इस चलन को रोकना ही हमारी पीढ़ी का सबसे जरूरी काम है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)



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तीन बार पुलित्ज़र अवॉर्ड विजेता एवं ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में नियमित स्तंभकार


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भारतीय धर्मनिरपेक्षता हमारे संविधान के बुनियादी ढांचे में शामिल है, इसे किसी स्मृति-शिला की जरूरत नहीं है, उसे नए पूजास्थल की जरूरत है

क्या 5 अगस्त को अयोध्या में भारतीय धर्मनिरपेक्षता की मौत हो गई? इसके बाद क्या एक नए भारतीय गणतंत्र ‘हिन्दू राष्ट्र’ की खोज हो गई? अगर आप इन दो तर्कों को स्वीकार करते हैं तो तीसरा अपरिहार्य हो जाता है। हमारे धर्मनिरपेक्ष संविधान में आस्था रखने वाला कोई भी भारतीय कह सकता है कि यह वो देश नहीं है, जिसमें मैं पैदा हुआ था। अब मैं यहां से जा रहा हूं।

लेकिन हम पहले ही साफ कर दें कि हम इन अनुमानों को बेकार मानकर खारिज करते हैं। पहली बात, भारतीय धर्मनिरपेक्षता की मौत महज अफवाह है। दूसरी बात, धर्मनिरपेक्षता की मौत की तो पहले भी लगभग उतनी बार हो चुकी है, जितनी बार हास्यास्पद टीवी चैनल दाऊद के मारे जाने की घोषणा कर चुके हैं।

पिछले 35 वर्षों के दौरान, धर्मनिरपेक्षता की मौत की तब भी घोषणा की गई जब राजीव गांधी ने शाह बानो मामले (1986) में कार्रवाई की, जब सलमान रुशदी की किताब ‘सैटनिक वर्सेज़’ पर पाबंदी लगाई गई (1988), जब बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि का ताला खोला गया और ‘राम राज्य’ लाने के वादे के साथ अयोध्या से राष्ट्रीय चुनाव अभियान शुरू किया गया (1989)।

धर्मनिरपेक्षता को फिर मृत घोषित कर दिया गया, जब 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी ने देश में पहली बार भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार बनाई। इसके बाद 2002 में गुजरात में हुई हत्याओं और नरेंद्र मोदी की वहां बार-बार जीत के साथ भी धर्मनिरपेक्षता मरती रही। तभी हम देख सकते थे कि 19 मई 2014 और अब 5 अगस्त 2020 को जो कुछ हुआ, वह तय था।

भारतीय धर्मनिरपेक्षता को 2014 में और फिर 2019 में भी मृत घोषित किया गया। इसके बावजूद वह पिछले सप्ताह 5 अगस्त को फिर से मारे जाने के लिए जिंदा थी। लेकिन हां, आप कह सकते हैं कि इस बार मैंने उसकी लाश देखी है।

बाबरी विध्वंस और दंगों से तटस्थ हिन्दू नाराज हुए, जो इसके बाद हुए चुनाव नतीजों में भी दिखा। खासकर उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार जाने के बाद मुलायम सिंह यादव और मायावती ने पुनःपरिभाषित ‘सेकुलर’ वोट के इर्द-गिर्द अपनी नई राजनीति चलाई। बिहार में लालू यादव का भी यही फॉर्मूला रहा। सेकुलर वोट को मुस्लिम वोट माना जाने लगा था।

इस फॉर्मूले के तहत पुराने दुश्मनों ने भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए असंभव दिखने वाले गठजोड़ किए। देवगौड़ा और गुजराल के तहत यूनाइटेड फ्रंट की जो दो सरकारें बनीं, वे जनादेश की अवहेलना ही थीं। 1992 के बाद धर्मनिरपेक्षता का ‘भाजपा के सिवा कोई भी’ वाला जो नया फॉर्मूला बना उसके तहत सच्चा जनादेश 2009 में ही मिला।

इसे हम 1992 के बाद धर्मनिरपेक्षता का नया फॉर्मूला इसलिए कहते हैं क्योंकि वामपंथी राजनीति और बुद्धिजीवी वर्ग भी इससे जुड़ गए। उन्होंने अयोध्या के द्वंद्व को इस सवाल पर पहुंचा दिया कि राम का अस्तित्व वास्तव में था भी या नहीं? यह कांग्रेस के उस रुख से अलग था जिसके तहत अल्पसंख्यकों की हिमायत तो की जाती थी मगर हिन्दू धर्म का मखौल नहीं उड़ाया जाता था।

अगर नई भाजपा और ज्यादा गहरे भगवा रंग में रंग गई, तो कांग्रेस के नेतृत्व वाली धर्मनिरपेक्षता और ज्यादा लाल रंग नज़र आने लगी। इसके चलते कई भारी भूलें की गईं। यूपीए-1 के गठन में ‘पोटा’ को खत्म करने की शर्त रखी गई क्योंकि इससे ‘मुसलमान’ प्रताड़ित महसूस करते थे।

मनमोहन सिंह ने बयान दे दिया कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है। सपा-बसपा और राजद भी एक-दो बड़ी जातियों के साथ मुस्लिम वोट को जोड़कर सत्ता हासिल करती रहीं।

नरेंद्र मोदी दावा कर सकते हैं कि उन्होंने भारतीय धर्मनिरपेक्षता को जनता की इच्छा के आधार पर परिभाषित किया है। एक सच्चे गणतंत्र में, संविधान चाहे जो कहे, अगर बहुसंख्य लोग किसी बात को नापसंद करते हैं तो वे उसे खारिज कर सकते हैं।

कमाल अतातुर्क ने घोषणा कर दी कि हागिया सोफिया न चर्च है, न मस्जिद और उसे संग्रहालय बना दिया। वे लोकतंत्रवादी नहीं थे, उदार तानाशाह थे। वे राजनीति में धर्म का घालमेल नहीं चाहते थे। पिछले महीने एर्दोगन ने उस फैसले को उलट दिया। वे लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित हैं। जो सेकुलर था वह लोकतांत्रिक नहीं था, जो लोकतांत्रिक है वह सेकुलर नहीं है।

जब 13 दिन की वाजपेयी सरकार विश्वास मत हासिल करने में विफल रही थी, तब ‘सेकुलर’ रहे नेता रामविलास पासवान ने शानदार भाषण दिया। उन्होंने कहा, ‘बाबर केवल 40 मुसलमान लेकर आया था। उनकी संख्या करोड़ों में पहुंच गई क्योंकि आप ऊंची जाति वालों ने हमें मंदिरों में जाने नहीं दिया लेकिन मस्जिदों के दरवाजे खुले थे, तो हम वहीं चले गए।’

भारतीय धर्मनिरपेक्षता हमारे संविधान के बुनियादी ढांचे में शामिल है, जिसे अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने तब और मजबूती दे दी, जब उसने भारत के सभी धार्मिक स्थलों को सुरक्षा प्रदान करने वाले 1993 के कानून को इस ढांचे में बड़ी कुशलता से शामिल कर दिया। इस ढांचे की रक्षा जरूरी है। भारतीय धर्मनिरपेक्षता को किसी स्मृति-शिला की जरूरत नहीं है, उसे नए पूजास्थल की जरूरत है, जैसा पासवान ने बताया था। (ये लेखक के अपने विचार हैं)



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एडिटर-इन-चीफ, ‘द प्रिन्ट’


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