गुरुवार, 11 जून 2020

60 साल बाद भी नहीं हुआ कोयना बांध के विस्थापितों का पुनर्वास, 5 जिलों के 100 से ज्यादा गांव के 10 हजार लोगों ने घर पर प्रदर्शन शुरू किया

महाराष्ट्र की भाग्यलक्ष्मी के रूप में प्रसिद्ध कोयना डैम 60 साल का हो गया है। हालांकि, इस प्रोजेक्ट के लिए अपनी जमीन और मकान देने वाले आज भी पुनर्वास का इंतजार कर रहे हैं। बांध के लिए जमीन देने वालों की तीसरी पीढ़ी अब युवा हो चुकी है और अब इसने सरकार के खिलाफ यलगार का ऐलान कर दिया है। 8 जून से करीब10,000 लोग कोरोना संकटकाल के बीच अपने घरों के बाहर पूरे दिन बैठकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसे अनिश्चितकालीन आंदोलन बताया है।

इस प्रदर्शन में परिवार के सभी सदस्य इसी तरह से घरों के बाहर बैठकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

5 जिलों के 100 से ज्यादा गांव इसमें शामिल

आंदोलन में 5 जिले- पुणे, सातारा, सांगली, रत्नागिरी और रायगढ़ के करीब 100 से ज्यादा गांव के 10 हजार से ज्यादा लोग शामिल हैं। एक परिवार के सभी सदस्य दिन में घर के बाहर बैठकर प्रदर्शन करते हैं। दिन में परिवार का एक सदस्य खाना बनाने के लिए ही यहां से अंदर जा सकता है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए प्रदर्शन कर रहे ज्यादातरलोग मास्क लगाकर रहते हैं। इस दौरान कोई किसी के घर आता-जाता नहीं है। ज्यादातर लोग फोन और वॉट्सऐप के जरिए से एक दूसरे से कनेक्ट हैं।

सरकार के और भी प्रोजेक्ट हो सकते हैं प्रभावित: डॉ. पाटणकर

इस आंदोलन की अगुवाई श्रमिक मुक्ती दल के नेता डॉ. भारत पाटणकर, हरिश्चंद्र दलवी, मालोजी पाटणकर, महेश शेलार, सचिन कदम, चैतन्य दलवी, सीताराम पवार, रामचंद्र कदम, अर्जुन सपकाल कर रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने नारा दिया है- 'न भूमि दी, न पानी दिया और न ही दिया काम', 'हमें जमीन दो, पानी दो।'श्रमिक मुक्ति दल के नेता डॉ. भरत पाटणकर ने कहा- "महाराष्ट्र सरकार को बांध पीड़ितों की मांगों के संबंध में तत्काल निर्देश देकर कार्रवाई करनी चाहिए। कोयना बांध राज्य की जीवन रेखा है और पर्यावरण के हिसाब से भी महत्वपूर्ण है। 60 साल बाद भी अगर इसके विस्थापितों का पुनर्वासन नहीं हुआ तो आने वाले समय में लोग ऐसी परियोजनाओं के लिए अपनी जमीन नहीं देंगे। उद्धव सरकार को जल्द इस संबंध में कोई निर्णय लेना चाहिए।"

बच्चों के साथ महिलाएं और बुजुर्ग भी पूरे दिन घर के बाहर बैठते हैं। हालांकि, वे किसी तरह की नारेबाजी नहीं करते हैं।

फडणवीस सरकार ने पुनर्वास के लिए बनाई थी टास्क फोर्स

इससे पहले महाराष्ट्र के पूर्वमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साल 2018 में कोयना परियोजना से प्रभावित लोगों की समस्या के संदर्भ में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में प्रकल्प कृति दल (टास्क फोर्स) स्थापित किया था। इसका उद्देश्य पीड़ितों का जल्द पुनर्वास करना था। इसके तहत पीड़ितों की समस्या के लिए वॉर रूमों की स्थापना, पीड़ितों को बंजर भूमि की बजाय उपजाऊ भूमि देना, परियोजना प्रभावित लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना, पानी और बिजली की आपूर्ति, और गांवों में पर्यटन के लिए बोटिंग शुरू करना सरकार का मकसद था। हालांकि, जब तक यह लागू हो पाता भाजपा की सरकार चली गई और यह मामला फिर ठंडे बसते में चला गया।

संजय निरुपम ने लगाया था घोटाले का आरोप
साल 2018 में कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने इस मुद्दे को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर 1767 करोड़ रुपये के भूमि घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया था। आरोप के मुताबिक, बांध की 24 एकड़ जमीन एक बड़े बिल्डर को मात्र 3.60 करोड़ रुपये में दी गई थी। निरुपम ने आरोप लगाया था कि कोयना बांध परियोजना के विस्थापितों के पुनर्वास की आड़ में यह घोटाला किया गया है। निरुपम ने कहा था कि इस परियोजन के 10 हजार विस्थापितों में से सिर्फ 8 लोगों को मुंबई से सटे खारघर इलाके में जमीन दी गई है।

कोरोना संक्रमण काल के बीच जारी इस अनूठे प्रदर्शन में बच्चे और बुजुर्ग चेहरे पर मास्क लगाकर इसमें शामिल हो रहे हैं।


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यह तस्वीर महाराष्ट्र के सातारा जिले की है। इसमें एक पूरा परिवार पिछले तीन दिन से इसी तरह घरने पर बैठकर प्रदर्शन कर रहा है।


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मोदी आज 11 बजे बजे इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स के कार्यक्रम में बोलेंगे; 10 दिन में दूसरी बार इंडस्ट्री के लोगों से जुड़ेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 11 बजे इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) के एनुअल प्लेनरी सेशन में बोलेंगे। मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। 10 दिन में ये दूसरा मौका होगा जब मोदी इंडस्ट्री के लोगों से जुड़ेंगे। इससे पहले उन्होंने 2 जून को कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के एनुअल सेशन में इकोनॉमी पर बात की थी।

2019-20 में जीडीपी ग्रोथ 4.2%, 11 साल में सबसे कम
उद्योग संगठनों के कार्यक्रमों में मोदी का शामिल होना इसलिए भी अहम है, क्योंकि कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से देश की इकोनॉमिक ग्रोथ रुक गई है। जनवरी-मार्च में जीडीपी ग्रोथ घटकर 3.1% रह गई। पूरे फाइनेंशियल ईयर (2019-20) में ग्रोथ सिर्फ 4.2% रही, ये 11 साल में सबसे कम है।

मोदी को इकोनॉमिक ग्रोथ लौटने का भरोसा
मोदी ने कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के प्रोग्राम में कहा था कि ग्रोथ जरूर लौटेगी और अनलॉक-1 के साथ इसकी शुरूआत हो गई है। सरकार को किसानों, छोटे-मध्यम उद्योगों और इंडस्ट्री लीडर पर भरोसा है। कोरोना के खिलाफ इकोनॉमी को फिर से मजबूत करने पर फोकस किया जा रहा है।

'दुनिया को भारत से उम्मीदें, इंडस्ट्री को फायदा उठाना चाहिए'
मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान पर भी जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में अब मेड इन इंडिया, मेड फॉर वर्ल्ड की जरूरत है। लोकल मैन्युफैक्चरिंग बढ़ानी होगी। दुनिया एक भरोसेमंद पार्टनर की तलाश में है और भारत को लेकर भरोसा बढ़ा है। इंडस्ट्री को इसका फायदा उठाना चाहिए।



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इकोनॉमी को कोरोना के असर से बचाने के लिए सरकार ने पिछले महीने 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत पैकेज का ऐलान किया था। (फाइल फोटो)


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काेरोना से जंग में इसी सावधानी की जरूरत, रायगढ़ स्टेशन पर मास्क लगाकर और ग्लब्स पहनकर पापा से एक मीटर की दूरी पर बैठा मासूम

फोटो छत्तीसगढ़ के रायगढ़ रेलवे स्टेशन की है। बुधवार सुबह स्टेशन पर बैठे एक बच्चे ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। एक ओर जहांलोग कोरोना संक्रमण को अनदेखा कर जरूरी सावधानियां नहीं बरत रहे हैं वहीं इस बच्चे ने बचाव के सभी उपायों को अपनाया था। मासूम ने मास्क लगा रखा था और ग्लब्स पहनेथे। वह अपने पापा से एक मीटर की दूरी पर बैठा था।

230 बिस्तर का अस्थाई कोविड केयर हॉस्पिटल बनाया

फोटो रायपुर के एकइंडोर स्टेडियम की है। कोरोना से इलाज के लिए अस्पतालों में बेड कर पड़ रहे हैं इसलिए स्टेडियम को अस्थाई कोविड केयर हॉस्पिटल बनाया जा रहाहै। इस हॉस्पिटल में230 बिस्तर बनाए गए हैं। रायपुर स्मार्टसिटी इस काम को देख रही है।

छोटे बच्चों में संक्रमण का खतरा ज्यादा है

फोटो अमृतसर के अलग-अलग इलाकों की है।कोरोना से बचाव के लिएसख्ती के बाद लोगों ने खुद तो मास्क पहनने शुरू कर दिए लेकिन बच्चों के लिए मास्क की अहमियत वह अभी भी नहीं समझ पा रहे। यही वजह है कि घर से बाहर निकलते समय ज्यादातर लोग अपने बच्चों को मास्क नहीं पहनाते हैं। डब्ल्यूएचओके विशेषज्ञकह चुके हैं कि बड़ोंके मुकाबले 10 साल से छोटे बच्चों मेंसंक्रमण होने का खतरा ज्यादा है।

मानसूनी गतिविधियां तेज होने सेपानी का रंग बदला

फोटोमहाराष्ट्र के बुलढाना कीलोनार झील की है। बुधवार को इस झील का पानी अचानक से गुलाबी हो गया।वैज्ञानिकों का मानना है कि मानसूनी गतिविधियां तेज होने के चलते पानी का रंग बदला है।

इतनी टडि्डयां किढक गया पेड़

फोटो छतरपुर के बिजावरगांव के एक पेड़ का है। पेड़ पूरी तरह से टिडि्डयों से ढक चुका है।बुधवार को क्षेत्र में टडि्डयों के दल ने हमला बोले दिया।टिड्डी दलबंधवार गांव से उड़ान भरकर बुधवार सुबह बिजावर विकासखंड के मलगुवां, गंजसिजारी, नयागांव, हटवाहा आदि गांवाें में पहुंचा।पहले से सजग कृषि विभाग के स्टाफ और ग्रामीणों ने शाेरगुल कर इन्हें सीमा से बाहर खदेड़ दिया।

बीमार औरघायल गोवंश का आईसीयू वार्ड ठंडा-ठंडा, कूल-कूल

फोटोबाड़मेरशहर से महज 3-4 किमीकी दूरी पर लालाणियों की ढाणी सड़क मार्ग पर बनी निराश्रित बीमार गोवंश के लिए बनीगोशाला की है। यहां अभी600 से ज्यादा विकलांग और निराश्रित गोवंश की सेवा की जा रही है। इनको गर्मी न लगे इसलिए गोशाला में पांच कूलर लगाए गए हैं।

कहीं तेज तो कहीं रिमझिम बारिश

फोटो राजस्थान के राजसमंद की है। जिले के कई इलाकों मेंबुधवार कोतेज तो कई मेंरिमझिम बारिश हुई। इस दौरान शहर के एक बच्चे ने बारिश में भीगने का जमकर लुत्फ लिया। शहर में दोपहर तीन बजे तक 19 एमएम बारिश हुई। बारिशके बाद शहर का न्यूनतम तापमान 19 डिग्री व अधिकतम 35 डिग्री रहा।

बरसात में भी काम जारी

फोटो अमृतसर के रणजीत एवेन्यू की है। शहर में बुधवार को जमकर बारिश हुई। इस दौरान बारिश केबीच ही एक मकैनिक गाड़ी ठीक करता रहा। बारिश के चलते दिन के तापमान में गिरावट तथा रात के तापमान में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।इस दौरान 3.4 मिमी बारिश रिकार्ड की गई। मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले दिनों में भी आसमान में बादल छाए रहेंगे।

राहगीरों से ऐसा व्यवहार अपराध है

फोटो राजस्थान के अलवर की है। बुधवार कोयहां के मालवीय नगर तिराहे पर कुछ महिलाएं प्रदर्शन कर रही थीं। प्रदर्शन करना उनका अधिकार है परराहगीरों से दुर्व्यवहार अपराध।प्रदर्शन केदौरान जब एक राहगीर ने जाम तोड़कर निकलने का प्रयास किया तो महिलाएं उसकी बाइक खींचकर गिराने लगीं।

न सोशल डिस्टेंस, न मास्क, 1 पॉजीटिव तो सब संक्रमित

फोटोअमृतसर के सिविल अस्पताल की है। बुधवार कोयहां के कोरोना टेस्टिंग प्वाइंट पर लोग बिना किसी सोशल डिस्टेंसिंग के खड़े नजर आए। यहां तैनात पुलिस भी मानकों को अनदेखी करती रही। भीड़ में कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने मास्क गले पर लटका रखा था। ऐसे में अगर भीड़ में एक भी कोरोना पॉजिटिव निकला तो सभी के संक्रमित होने काखतरा बढ़ जाएगा।

महंगे भाव पर करानी पड़ रही धान की रोपाई

फाेटोमोगा के नाहट खोटे गांवकी है। राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार बुधवार को जिले में धान की रोपाई का काम शुरू हो गया है। लॉकडाउन के चलते हजारों प्रवासी मजदूर पलायन कर चुके हैं, ऐसे में किसानों को मंहगे दामों पर रोपाई करानी पड़ रही है। किसानों के युवा बेटों ने धान की रोपाई के लिए अपने पिता का सहारा बनते हुए खुद धान की रोपाई करनी शुरू कर दी है।

तालाब सुखा देने वाली गर्मी

फोटो यमुनानगर जिले के खिजराबाद गांव की है। भीषण गर्मी के कारण यहां पारा40॰पार कर गया है। गर्मी के कारण गांव का तालाब सूखने की कगार पर है। बुधवार को गांव का तापमान 30 डिग्री रहा।

मानसून की आहट, ग्रामीणों की धड़कने तेज हुईं

फोटो फिरोजपुर के सतलुज दरिया की है। मानसून की आहट होते ही जिले में सतलुज दरिया के किनारे बसे गांवों के लोगों की दिल की धड़कनें तेज होने लगी हैं। गांवों के लोग जून माह की शुरुआत से ही अपनी फसलों को बाढ़ के खतरे से बचाने के प्रयासों में जुट गएहैं। बीते वर्षमानसून सीजन में पहाड़ी क्षेत्रों में घनी बारिश के चलते जब भाखड़ा डैम के गेट खोल दिया गया था। इससे 50 हजार एकड़ धान की फसल बर्बाद हो गई थी।



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This caution is needed in the battle with Karona, the innocent sitting one meter from Papa wearing a mask and wearing globs at Raigad station


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बडगाम के पठानपोरा में सुरक्षा बलों का आतंकियों से आज फिर सामना; बीते 10 दिनों में 23 दहशतगर्द मारे गए

बडगाम जिले के पठानपोरा इलाके में सुरक्षा बलों का आतंकियों से एनकाउंटर जारी है। दहशतगर्दों के छिपे होने के इनपुट पर सुरक्षा बलों ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। इससे पहले बुधवार को शोपियां जिले के सुगू इलाके में 5 दहशतगर्दों कोढेर कर दिया था।

पिछले 10 दिनों में 23 आतंकी मारे गए
इंटेलीजेंस एजेंसी ने पिछले महीने पाकिस्तान से आतंकी घुसपैठ का अलर्ट किया था। उसके बाद सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर में सर्च ऑपरेशन छेड़ रखा है। बीते 10 दिनों में 7 एनकाउंटर में 23 आतंकी मारे जा चुके हैं।

1 जून: नौशेरा सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश करते हुए 3 पाकिस्तानी आतंकियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया।
2 जून: पुलवामा के त्राल इलाके में 2 आतंकी मारे गए।
3 जून: पुलवामा के ही कंगन इलाके में सुरक्षा बलों ने 3 आतंकियों को ढेर कर दिया।
5 जून: राजौरी जिले के कालाकोट में एक आतंकीमारा गया।
7 जून: शोपियां के रेबन गांव में 5 आतंकियों का एनकाउंटर।
8 जून: शोपियां के पिंजोरा इलाके में 4 आतंकी ढेर।
10 जून: शोपियां के सुगू इलाके में 5 आतंकियों का एनकाउंटर।



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एनकाउंटर वाली लोकेशन के आस-पास सुरक्षा बल मोर्चा संभाले हुए।


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24 घंटे में 11 हजार 156 मरीज बढ़े, अब तक 2.87 लाख केस; उत्तरप्रदेश संक्रमितों की संख्या के मामले में देश का पांचवां राज्य बना

देश में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़कर 2 लाख 87 हजार 155 हो गई है। 24 घंटे में 11 हजार 156 से ज्यादा मरीज मिले। इससे पहले 7 जून को सबसे ज्यादा 10 हजार 884 कोरोना पॉजिटिव मिले थे। उधर, उत्तरप्रदेश में भी मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। अब वह सबसे ज्यादा संक्रमितों की संख्या के मामले में देश का पांचवां राज्य बन गया है। यहां गुरुवार को अब 11 हजार 610 केस हो गए। ये आंकड़े covid19india.org और राज्य सरकारों से मिली जानकारी के आधार पर हैं।

उत्तर प्रदेश में 7 जून को मिले थे सबसे ज्यादा केस

तारीख मरीजों की संख्या
6 जून 370
7 जून 433
8 जून 411
9 जून 388
10 जून 275

इस बीच, अच्छी खबर यह हैं कि स्वस्थ हुए मरीजों की तादाद में लगातार इजाफा हो रहा है। बुधवार को 6326 मरीजठीक हुए। अब तक देश में 1 लाख 40 हजार 979 संक्रमित ठीक हो चुके हैं। उधर,मध्यप्रदेश में भी अब 10 हजार से ज्यादा केस हो गए हैं। वह छठवां ऐसाराज्य बन गया है, जहां सबसे ज्यादा केस हैं।

5 दिन जब सबसे ज्यादा मामले आए

तारीख

केस
10 जून 11156
9 जून 8852
8 जून 8444
7 जून 10884
6 जून

10428

5 जून 9379

5 राज्यों का हाल
मध्यप्रदेश: राज्य में संक्रमितों की संख्या 10 हजार से ज्यादा हो गई है। बुधवार को 200 मरीज मिले। इसमें भोपाल में 78 मामले हैं। यहां संक्रमितों की संख्या 2005 हो गई। उधर,इंदौरमें 3830 से ज्यादा मरीज मिले हैं।अच्छी खबर यह है कि यहां रिकवरी रेट 64% तक पहुंच गया है।इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने खुशी जताई है। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा से बात की।

यह तस्वीर भोपाल की है। यहां बुधवार को हायर सेंकडरी की परीक्षाएं हुईं। सभी स्टूडेंटस की एग्जाम हॉल में एंट्री से पहले थर्मल स्क्रीनिंग की गई। सभी को मास्क लगाना जरूरी किया गया है।

उत्तरप्रदेश: राज्य में संक्रमितों की संख्या 11,610 हो गई है। यहां बुधवार को 275 कोरोना पॉजिटिव मिले। बुधवार को जौनपुर में24 नए मामले सामने आए। इसके बाद जिले में संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर352 हो गई। कानपुर में लगातार बढ़ करे कोरोना संक्रमितों को देखते हुएधार्मिक स्थलों को 30 जून तक बंद करने का फैसला लिया गया है।

महाराष्ट्र:राज्य में बुधवार को 3254 नए कोरोना मरीज मिले। यहां संक्रमितों की संख्या 94,041 हो गई है। बुधवार को राज्य में 149 कोरोना मरीजों की मौत हुई। इसके साथ मृतकों का आंकड़ा 3438 हो गया।

यह तस्वीर मुंबई के दादर चौपाटी की है। यह बीच बुधवार को खाली दिखा।

राजस्थान:राजस्थान में बुधवार को 355 कोरोना पॉजिटिव मिले।इनमें से 40 जयपुर में, 34 भरतपुर में, पाली और सीकर में 11-11, झुंझुनू में 9, नागौर में 5, कोटा में 3 औरअलवर में 2 संक्रमित मिले।राजस्थान सरकार ने बढ़ते संक्रमण को देखते हुए अपने राज्य की सीमाओं को सील कर दिया। केवल उन्हीं लोगों को एंट्री दी जाएगी, जिनके पासहोंगे।

बिहार:राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि बुधवार को 243 कोरोना पॉजिटिव मिले। इसके साथ राज्य में संक्रमितों की संख्या 5698 हो गई। मंगलवार को दोकोरोना मरीजों की मौत हुई थी। इनमें एक औरंगाबाद का एक दरोगा भी शामिल है।



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बडगाम के पठानपोरा में सुरक्षा बलों का आतंकियों से आज फिर सामना; बीते 10 दिनों में 23 दहशतगर्द मारे गए

बडगाम जिले के पठानपोरा इलाके में सुरक्षा बलों का आतंकियों से एनकाउंटर जारी है। दहशतगर्दों के छिपे होने के इनपुट पर सुरक्षा बलों ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। इससे पहले बुधवार को शोपियां जिले के सुगू इलाके में 5 दहशतगर्दों कोढेर कर दिया था।

पिछले 10 दिनों में 23 आतंकी मारे गए
इंटेलीजेंस एजेंसी ने पिछले महीने पाकिस्तान से आतंकी घुसपैठ का अलर्ट किया था। उसके बाद सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर में सर्च ऑपरेशन छेड़ रखा है। बीते 10 दिनों में 7 एनकाउंटर में 23 आतंकी मारे जा चुके हैं।

1 जून: नौशेरा सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश करते हुए 3 पाकिस्तानी आतंकियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया।
2 जून: पुलवामा के त्राल इलाके में 2 आतंकी मारे गए।
3 जून: पुलवामा के ही कंगन इलाके में सुरक्षा बलों ने 3 आतंकियों को ढेर कर दिया।
5 जून: राजौरी जिले के कालाकोट में एक आतंकीमारा गया।
7 जून: शोपियां के रेबन गांव में 5 आतंकियों का एनकाउंटर।
8 जून: शोपियां के पिंजोरा इलाके में 4 आतंकी ढेर।
10 जून: शोपियां के सुगू इलाके में 5 आतंकियों का एनकाउंटर।



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दवाओं के कच्चे माल के लिए हम चीन पर निर्भर, हर साल 65% से ज्यादा माल उसी से खरीदते हैं; देश के टॉप-5 स्मार्टफोन ब्रांड में 4 चीन के

पहले कोरोनावायरसऔर फिर लद्दाख सीमा पर भारत-चीन की सेनाओं के बीच टकराव। इन दोनों ही वजहों से देश में एक बार फिर चीन विरोध की लहर शुरू हो गई है। सोशल मीडिया पर लगातार #boycottchineseproduct जैसे हैशटैग ट्रेंड हो रहे हैं लेकिन, आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल 2019 से लेकर फरवरी 2020 के बीच भारत-चीन के बीच 5 लाख 50 हजार करोड़ रुपए का कारोबार हुआ है।

ये आंकड़ा मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का है। इसमें भी भारत ने तो सिर्फ 1.09 लाख करोड़ का सामान चीन को बेचा। लेकिन, चीन ने 4.40 लाख करोड़ रुपए का सामान भारत को बेच दिया। इस दौरान अमेरिका के बाद चीन हमारा दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी देश है।

1) जरूरी दवाइयों के लिए 65% से ज्यादा कच्चा माल चीन से आता है
पिछले साल 9 जुलाई को लोकसभा में केमिकल मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने बताया था कि भारत जरूरी दवाइयों को बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर है।उनके जवाब के मुताबिक, 2016-17 से लेकर 2018-19 तक दवाइयों के लिए जितना कच्चा माल दूसरे देश से भारत ने खरीदा था, उसमें से 65% अकेले चीन से आया था।

2018-19 में भारत ने कुल 3.56 अरब डॉलर यानी 26 हजार 700 करोड़ रुपए का कच्चा माल खरीदा था। इसमें से 2.40 अरब डॉलर माने 18 हजार करोड़ रुपए का कच्चा माल अकेले चीन से आया था।

2) 6 साल में चीन ने करीब 13 हजार करोड़ रुपए इन्वेस्ट किए
मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स के अधीन आने वाले डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में एफडीआई के जरिए सबसे ज्यादा निवेश सिंगापुर से आता है। सिंगापुर ने पिछले तीन साल में 2.94 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया है।

जबकि, भारत में सबसे ज्यादा निवेश करने वाले देशों में चीन 18वें नंबर पर है। चीन ने 2019-20 में 1 हजार 157 करोड़ रुपए इन्वेस्ट किए हैं। वहीं, 2014-15 से लेकर 2019-20 के बीच इन 6 सालों में चीन की तरफ से 12 हजार 916 करोड़ रुपए एफडीआई से आए हैं।

3) स्टार्टअप में भी चीनी कंपनियों की हिस्सेदारी
चीन का एफडीआई भले ही कम हो, लेकिन चीन की कई कंपनियों की हिस्सेदारी भारत के स्टार्टअप्स में है। पिछले कुछ सालों में देश में जितने बड़े स्टार्टअप शुरू हुए, उनमें चीन की कंपनियों की हिस्सेदारी भी है।

थिंक टैंक गेटवे हाउस की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिकॉर्न क्लब में शामिल भारत के 30 में से 18 स्टार्टअप में चीन का पैसा लगा है। यूनिकॉर्न क्लब में उन्हें शामिल किया जाता है, जिसकी नेटवर्थ 1 अरब डॉलर से ज्यादा होती है।

भारतीय स्टार्टअप कंपनियों में इन्वेस्ट करने के तीन कारण हैं। पहला- हमारे देश में कोई ऐसी बड़ी कंपनी या ग्रुप स्टार्टअप में इन्वेस्ट नहीं करता है। दूसरा- जब कोई स्टार्टअप घाटे में जाता है, तो चीनी कंपनियां उसमें हिस्सेदारी खरीद लेती हैं और उसे सपोर्ट करती हैं। और तीसरा- यहां का बड़ा मार्केट।

गेटवे हाउस के मुताबिक, चीन की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा, टिकटॉक बनाने वाली बाइटडांस और टेक कंपनी टेंसेंट ही भारत के 92 स्टार्टअप को फंड करती हैं। इनमें पेटीएम, फ्लिपकार्ट, बाइजूस, ओला और ओयो जैसे स्टार्टअप भी शामिल हैं।

4) देश के टॉप-5 स्मार्टफोन ब्रांड में 4 चीन के
रिसर्च फर्म काउंटरप्वाइंट की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 की पहली तिमाही यानी जनवरी से मार्च के बीच भारतीय स्मार्टफोन मार्केट में चीनी कंपनियों की हिस्सेदारी 70% से भी ज्यादा है। भारत का स्मार्टफोन मार्केट करीब 2 लाख करोड़ रुपए का है।

देश के टॉप-5 स्मार्टफोन ब्रांड में से 4 चीन के हैं। सबसे ज्यादा 30% मार्केट शेयर श्याओमी का है। दूसरे नंबर पर 17% मार्केट शेयर के साथ वीवो है। टॉप-5 में सिर्फ सैमसंग ही है, जो दक्षिण कोरियाई कंपनी है। सैमसंग का मार्कट शेयर भारत में 16% है।

5) स्मार्टफोन ही नहीं, ऐप मार्केट में भी 40% हिस्सा चीनी ऐप्स का
भारतीय मार्केट में न सिर्फ चीनी कंपनियों के स्मार्टफोन, बल्कि चीनी ऐप्स भी काफी पॉपुलर हैं। एक अनुमान के मुताबिक, भारतीय ऐप मार्केट में 40% तक हिस्सा अकेले चीनी ऐप्स का है।ऐसा चीन की वजह से ही हुआ है। चीन की कंपनियां सस्ते स्मार्टफोन भारत में लॉन्च करती हैं और भारतीयों को यही पसंद आते हैं। मार्केट रिसर्च फर्म टेकआर्क के मुताबिक, दिसंबर 2019 तक भारत में 50 करोड़ से ज्यादा लोग स्मार्टफोन इस्तेमाल करते थे।

ज्यादा स्मार्टफोन तो ज्यादा ऐप्स भी डाउनलोड। टिकटॉक, जिसको कई बार बैन करने की मांग उठती रही है, उसे 12 करोड़ से ज्यादा भारतीय चलाते हैं। कैमस्कैनर ऐप को भी 10 करोड़ भारतीय इस्तेमाल करते हैं।

6) हम जो कपड़े पहनते हैं, उसमें भी चीनी माल, टीवी देखते हैं, उसमें भी चीनी माल
चीन हमारी जरूरतों में किस तरह से समा चुका है, इसके कई उदाहरण हैं। इसी साल फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री यानी फिक्की की एक रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, हमारी गाड़ियों में लगने वाले 27% ऑटो पार्ट्स चीन से आते हैं।

45% इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स चीन से आते हैं। जबकि, टीवी, रेफ्रिजरेटर, वॉशिंग मशीन और एसी बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले 70% कंपोनेंट भी चीन से ही आते हैं। इतना ही नहीं, हर साल देश में करीब साढ़े 3 हजार करोड़ रुपए का सिंथेटिक धागा, ढाई हजार करोड़ रुपए का सिंथेटिक कपड़ा और करीब हजार करोड़ रुपए के बटन, जिपर, हैंगर और नीडल्स जैसे सामान चीन से खरीदते हैं।



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India China Boycott Products | India China Trade Deal Update | India China Trade Relations Latest News Today Update : Know How Much Trade Between China and India


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केरल का त्रावणकोर बोर्ड मंदिरों का 1200 किलो सोना बैंक में रखेगा, 28 मंदिरों में ऑनलाइन सेवा पूजा भी होगी

केरल के 1248 मंदिरों का प्रबंधन देखने वाले त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड अपनी आय बढ़ाने के लिए मंदिरों के लगभग 1200 किलो सोने को आरबीआई के पास रखने की तैयारी कर रहा है। इससे बोर्ड को हर साल करीब 13.5 करोड़ की आय होगी। ये सोना फिलहाल मंदिरों में आभूषण और बर्तनों के रूप में है।

बोर्ड इन्हें गलाकर ठोस सोने में बदलेगा। अनुमान है कि ये सोना 1200 किलो से भी ज्यादा का हो सकता है,जिसकी कीमत करीब 540 करोड़ रुपए है। त्रावणकोर बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में पद्मनाभम् स्वामी, सबरीमाला और गुरुवायुर जैसे बड़े मंदिर आते हैं।

दान में मिले सोने केगहनों और बर्तनों को गलाया जाएगा

केरल के इन मंदिरों के पास काफी पुराने और ऐतिहासिक आभूषण भी हैं, बोर्ड इन प्राचीन महत्व के आभूषणों को वैसे ही रहने देगा। इनकी कीमत भी करोड़ों में हैऔर, ये प्राचीन गहने उत्सवों में उपयोग में आने वाले हैं। इस योजना में केवल उन गहनों और बर्तनों का उपयोग होगा, जो पिछले कुछ सालों में मंदिरों को दान में मिले हैं। इसके साथ ही बोर्ड 28 प्रमुख मंदिरों में ऑनलाइन दर्शन और सेवा की व्यवस्था भी कर रहा है, इससे भी मंदिरों की आय में इजाफा होगा।

सैंकड़ों टन तांबे के बर्तनों की नालामी होगी

इससे पहले त्रावणकोर बोर्ड ने अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए मंदिर में रखे सैंकड़ों टन तांबे के दीपक और बर्तनों की नीलामी का फैसला किया था, हालांकि इस पर बाद में विवाद उठा और लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने इस फैसले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इस मामले में केरल हाईकोर्ट ने भी बोर्ड से जवाब मांगा है। लोगों ने अपील की थी कि बोर्ड मंदिर की संपत्तियों की इस तरह नीलामी नहीं कर सकता।

कोरोना के कारण मंदिरों में दान कम आया

कोरोनावायरस और लॉकडाउन के चलते ज्यादातर मंदिरों में दान की कमी हो गई है। ऐसे में मंदिरों को अपने रोजमर्रा के खर्च पुजारियों की सैलेरी का खर्च निकालने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, अब स्थितियां सुधार की ओर हैं।

कई जगह मंदिर खुलने से चीजें सामान्य होने की दिशा में है। लेकिन, मंदिरों में पहले जैसा दान और आय होने में अभी काफी समय लग सकता है। अकेले सबरीमाला मंदिर को लॉकडाइन के दौरान 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है।

लॉकडाउन मेंपद्मनाभम् मंदिर में 7.5 लाख रु. दान आया

पद्मनाभम् मंदिर में 3 से 5 करोड़ रुपए मासिक दान आता था, जो लॉकडाइन में मात्र 7.5 लाख रुपए पर आ गया। इसी तरह गुरुवायुर मंदिर में भी मासिक 5 करोड़ के मुकाबले 5-7 लाख की ही आय हुई है। त्रावणकोर बोर्ड में करीब 6500 कर्मचारी हैं, जिनमें मंदिरों में नियुक्त पुजारी भी शामिल हैं। बोर्ड को मंदिरों के रखरखाव के साथ स्टॉफ मैनेजमेंट के लिए भी हर माह बड़ी धनराशि की जरूरत होती है।

बोर्ड की मीटिंग में होगा फैसला

बोर्ड के अध्यक्ष एन. वासु ने मीडिया को बताया कि मंदिरों में रखे सोने की मात्रा का हिसाब लगाया जा रहा है। ये 1200 किलो से ज्यादा ही है। इससे 2.5 प्रतिशत रिटर्न के हिसाब से बोर्ड को 13 करोड़ रुपए सालाना से ज्यादा पैसा मिल सकता है। जल्दी ही बोर्ड की मीटिंग में इस प्रस्ताव को रखकर फैसला लिया जाएगा। इस महीने के अंत तक सोने का पूरा वैल्यूएशन निकाल लिया जाएगा।

गुरुवायुर मंदिर का 700 किलो सोना बैंक में

एक रिपोर्ट के मुताबिक त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड के अंतर्गत आने वाले गुरुवायुर मंदिर का करीब 700 किलो सोना 2019 में बैंक में रखा गया है। इसके अलावा भी मंदिर के करीब 1500 करोड़ रुपए बैंक में जमा है। इससे 10 करोड़ रुपए मासिक आय मंदिर को होती है, जिससे मंदिर की सारी व्यवस्थाएं संचालित होती हैं।

28 प्रमुख मंदिरों में ऑनलाइन पूजा और दर्शन

केरल के 28 प्रमुख मंदिरों में ऑनलाइन और पूजा शुरू करने की तैयारी है। त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड ने सबरीमाला मंदिर से इसकी प्रायोगिक शुरुआत की थी। जिसमें मंदिर को तीन लाख रुपए की आय हुई थी। फिलहाल, लोग मंदिर नहीं आ पाएंगे और मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग के कारण बड़े उत्सव आदि भी आयोजित नहीं हो सकते हैं।

इसे देखते हुए बोर्ड ने अपने 28 बड़े मंदिरों में वर्चुअल पूजा और सेवाएं शुरू करने का फैसला लिया है। इससे मंदिर नहीं आ पाने वाले भक्त ऑनलाइन दर्शन और सेवाएं कर पाएंगे। मंदिरों की आय भी बढ़ेगी।



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पद्मनाभ मंदिर में 3 से 5 करोड़ रुपए मासिक दान आता था, जो लॉकडाइन में मात्र 7.5 लाख रुपए पर आ गया।


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कोरोनावायरस के साथ बैक्टीरिया का संक्रमण खतरा बढ़ा सकता है, फेफड़ों में इन दोनों का एक साथ होना जानलेवा

कोरोनावायरस से जूझ रहे मरीजों में बैक्टीरिया के गंभीर संक्रमण का खतरा है। ये दो संक्रमण मिलकरमरीज की जान भी ले सकतेहैं। यह दावा, आयरलैंड की क्वींस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है। उनके मुताबिक, कोविड-19 के मरीजों को हॉस्पिटल में इलाज या थैरेपी दिए जाने के दौरान बैक्टीरिया का संक्रमण हो सकता है। ट्रीटमेंट के दौरान मरीजों के लिए यह दोहरा संकट पैदा हो सकता है।

दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं
शोधकर्ता प्रो. जोज़ का कहना है जब बैक्टीरिया और वायरस फेफड़ों में मौजूद होते हैं तो एक-दूसरे को उस हिस्से को डैमेज करने की क्षमता पर असर डालते हैं। फेफड़ों में बैक्टीरिया मौजूद होने पर ट्रीटमेंट के दौरान दी जाने वाली दवाओं का असर वायरस पर अलग होता है। इससे हालत और बिगड़ सकती है।

अच्छे बैक्टीरिया पर कोरोना का बुरा असर
शोधकर्ताओं के मुताबिक, जब कोरोनावायरस शरीर को संक्रमित करता है तो शरीर को फायदा पहुंचाने वाली बैक्टीरिया पर बुरा असर होता है। ये घटते हैं तो इम्युनिटी भी घटती है। ऐसे में संक्रमण का दायरा बढ़ता है, जो बीमारी को गंभीर बनाता है। प्रोफेसर जोज़ का कहना है कि पहले से संक्रमित मरीज में दोबारा किसी सूक्ष्मजीव का संक्रमण होने से जान का जोखिम बढ़ जाता है।

डब्ल्यूएचओ ने एंटीबॉयोटिक पर चेतावनी दी
बैक्टीरियल इंफेक्शन पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी जारी की है। डब्ल्यूएचओ के जनरल डायरेक्टर ट्रेड्रोस अधानोम का कहना है कि कोविड-19 से जूझ रहे मरीजों को एंटीबायोटिक्स अधिक दी जा रही हैं, इस पर लगाम लगाने की जरूरत है।

ऐसा बरकरार रहने पर बैक्टीरियल रेसिस्टेंस बढ़ेगा और एक समय बाद उन पर असर होना कम हो जाएगा। काफी संख्या में इंफेक्शन के मामलों में बैक्टीरियल रेसिस्टेंस बढ़ा था क्योंकि मरीजों पर एंटीबायोटिक्स का अधिक इस्तेमाल किया जा रहा था।

कुछ को ही एंटीबायोटिककी जरूरत
संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि ऐसा देखा गया है कि कोविड-19 के कुछ ही मरीजों को एंटीबायोटिक्स की जरूरत पड़ती है। लेकिन इसे गैरजरूरी ढंगसे मरीजों को दिया जा रहा है जो एक ट्रेंड बन सकता है। अगर कोरोना के मरीज में हल्के लक्षण दिख रहे हैं तो उसे एंटीबायोटिक्स थैरेपी या प्रोफेलैक्सिस देने की जरूरत नहीं है।

एंटीबायोटिक्स की मांग-आपूर्ति गड़बड़ाई
डब्ल्यूएचओ के जनरल डायरेक्टर ट्रेड्रोस का कहना है कि साफतौर पर यह देखा जा रहा है कि कई देशों में एंटीबायोटिक्स की ओवरडोज दी जा रही है। वहीं मध्यम आय वर्ग वाले देशों में यह दवाएं उपलब्ध नहीं हैं जो वहां के लोगों मौत की वजह बन रही है।



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Covid-19 patients at risk of developing fatal bacterial infection: Study


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टीम इंडिया के पूर्व कोच गायकवाड़ बोले- लार के इस्तेमाल पर बैन क्रिकेट को 50-60 साल पीछे ले जाएगा, 5 रन की पेनल्टी बहुत कम

आईसीसी ने कोरोना का जोखिम कम करने के लिएलार के इस्तेमाल पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी है। नए नियम के तहत फील्डिंग कर रही टीम अगर गेंद चमकाने के लिए लार का इस्तेमाल करती है तो उसे दो बारवॉर्निंग दी जाएगी। अगर इसके बाद भी ऐसा होता है तो फील्डिंग करने वाली टीम पर 5 रन की पेनल्टी लगेगी।

हमारे सहयोगीदिव्य भास्कर ने इस मामले में भारतीय क्रिकेट के टीम के पूर्व हेड कोच अंशुमन गायकवाड़ से बातकी। गायकवाड़ ने बताया कि आईसीसी ने यह फैसला खिलाड़ियों की सुरक्षा को देखते हुए लिया है। हालांकि, इससे क्रिकेट जरूर 50-60 साल पीछे चला जाएगा। उन्होंने कहा कि 5 रन की पेनल्टी बहुत कम है।

हम 60 और 70 के दशक में लौट जाएंगे: गायकवाड़
गायकवाड़ बताते हैं कि सेफ्टी पहले और क्रिकेट बाद में है। आईसीसी ने जो फैसला लिया, वह सही है। ऐसा कहना कि इस वजह से बल्लेबाज को फायदा होगा, यह गलत है। जब हम खेलते थे, तब हमारे पास आज जैसी गेंद नहीं होती थी, जिस पर लार का इस्तेमाल करने से चमक आ जाए। 5-6 ओवर के बाद गेंद रफ हो जाती थी।

उसी बॉल से हम गेंदबाजी करते और विकेट लेते थे। उस समय बॉल पर चमक वापस लाने का सवाल ही नहीं था। विकेट लेने के और भी कई तरीके थे। नए बदलाव के बाद क्रिकेट में 60-70 का दशकलौट आएगा।

'बल्ले में भी स्प्रिंग लगाने दो’
वे कहते हैं कि गेंद चमकाने के लिए वैक्स या आर्टिफिशियल पदार्थ के इस्तेमाल से गेंदबाज को, तो ऐसा नहीं होने पर बल्लेबाज को फायदा होगा। यह बहस पूरी तरह गलत है। हमारे समय में भी क्रिकेट खेला जाता था। तब सिर्फ स्पिनरनहीं, तेज गेंदबाज भी विकेट लेते थे। आप अगरगेंदबाज को मदद कर रहें तो फिर बल्लेबाज को भी बल्ले में स्प्रिंग डालने की मंजूरी देनी चाहिए।

‘पसीने से भी गेंद रिवर्स होगी’
गायकवाड़ बताते हैं कि आप पसीने से भी रिवर्स स्विंग कर सकते हो। एक साइड पसीने का इस्तेमाल करो और दूसरी साइड रफ होने दो तो रिवर्स स्विंग मिलेगी। उन्होंने 1977-78 में पाकिस्तान टूर का किस्सा सुनाते हुए कहा कि उस दौरे पर हमनेपहली बार रिवर्स स्विंग देखा।

तब सरफराज नवाज ने इसकी शुरुआत की थी। तब गेंद आज जैसी नहीं होती थी। वह ड्रिंक्स ब्रेक के टाइम कोल्ड ड्रिंक की बोतल के ढक्कन से गेंद की एक साइड को इतना रफ करता कि लेदर कट जाता और दूसरी तरफ पसीना लगाता। हम हैरान थे कि आखिर कैसे 35-40 ओवर के बाद ही गेंद रिवर्स स्विंग हो रही है। हमें बाद में मालूम चला कि वह ऐसा करता था। आप पसीने से गेंद को रिवर्स कर सकते हो, इसमें कोई शक नहीं है।

‘इंग्लैंड-न्यूजीलैंड जैसे देशों में बॉलर को फायदा मिलता है’
टीम इंडिया के हेड कोच रहे गायकवाड़ बताते हैं कि इंग्लैंड-न्यूजीलैंड में इतनी आसानी से पसीना नहीं निकलता, लेकिन वहां की हवा और तापमान ऐसा है कि तेज गेंदबाजों को मदद मिलती है।
2 बार चेतावनी देना ठीक है
गायकवाड़ के मुताबिक, नए नियमों के तहत गेंद पर लार लगाने पर अंपायर दो बार चेतावनी देंगे। यह बात सही है कि क्रिकेटरों की सालों पुरानी आदत एकदम दूर नहीं होगी। अब तो ग्राउंड पर थूकने पर भी बैन है। ऐसा कोई खिलाड़ी जानबूझकर नहीं करता बल्कि उसे आदत हो जाती है। इसलिए दो बार वॉर्निंग देना ठीक है।

5 रन की पेनल्टी बहुत कम है
वे कहते हैं कि बॉल पर लार के इस्तेमाल पर रोक लगाने का कारण खिलाड़ियों की सुरक्षा है। आप गेंद पर एक बार लार का इस्तेमाल करो या कई बार। इससे फर्क नहीं पड़ता।जिस वजह से यह नियम लागू किया गया, वह पूरा होना जरूरी है। 5 रन की पेनल्टी से समस्या का हल नहीं होता। जब तक बॉलर खुद यह नहीं समझे कि मुझे मुंह को हाथ से नहीं छूना है, तब तक यह सुधार नहीं होगा।



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भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कोच अंशुमन गायकवाड़ के मुताबिक, लार के इस्तेमाल पर दो वॉर्निंग ठीक है। लेकिन इसका भी सख्ती से पालन कराना होगा, नहीं तो जिस उद्देश्य से नियम बनाया गया है वह पूरा नहीं होगा।


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सोनभद्र में लड़की की पिटाई का फेक वीडियो गुजरात का निकला, पुलिस ने भास्कर को बताया - इसमें जाति वाला कोई एंगल नहीं

क्या वायरल : सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो को उत्तरप्रदेश के सोनभद्र का बताया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि आदिवासी महिला के कुएं से पानी भरने पर सवर्णों ने उसकी पिटाई की।

वीडियो के साथ वायरल हो रहे ट्वीट

https://bit.ly/3dQRCxC
https://twitter.com/KusumKailash/status/1270207777928097794
https://twitter.com/BrijeshBagi/status/1269964510846087168

फेसबुक पर भी वायरल

फैक्ट चेक पड़ताल

- सोनभद्र में ऐसी किसी घटना से जुड़ी खबर हमें इंटरनेट पर अलग-अलग कीवर्ड से सर्च करने पर भी नहीं मिली। लेकिन, सोनभद्र पुलिस के अधीक्षक की तरफ से जारी किया गया एक बयान मिला। इसे सोनभद्र पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल और फेसबुक पेज पर अपलोड किया गया है।बयान में एसपी ने बताया कि जिस घटना का वीडियो वायरल हो रहा है वह असल में सोनभद्र की नहीं,बल्कि गुजरात की है।

https://twitter.com/sonbhadrapolice/status/1269936046067740672

- गुजरात में 16 साल की लड़की की पिटाई से जुड़ी खबरें तलाशने पर हमें एशियानेट की एक खबर मिली। इस खबर के अनुसार, गुजरात के छोटा उदयपुर तालुका के बिलवंत गांव में ऐसी ही एक घटना हुई। लड़की खुद से दोगुनी उम्र के लड़के से शादी करना चाहती थी। इसके चलते उसके परिवार के सदस्य और अन्य परिजनों ने उसकी पिटाई की।

- एशियानेट की खबर और सोनभद्र एसपी के बयान से यह साबित हो गया कि घटना उत्तरप्रदेश की नहीं बल्कि गुजरात की है। लड़की की पिटाई किसके द्वारा और क्यों की जा रही है, इसकी आधिकारिक पुष्टि के लिए हमने गुजरात पुलिस से संपर्क साधा।

- छोटा उदयपुर तालुका के पुलिस अधीक्षक (एसपी)एमएस भभोर ने बताया कि नाबालिग लड़की के साथ मारपीट करने वाले लोग भी आदिवासी ही हैं। लड़की अपने से दोगुनी उम्र के लड़के के साथ शादी करने के लिए घर छोड़कर भागी थी। घर वालों ने उसे ढूंढ कर बेरहमी से उसकी पिटाई की। इसी घटना कावीडियो वायरल हो रहा है। लड़की के साथ मारपीट करने वाले सभी 16 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।चूंकि लड़की नाबालिग थी, इसलिए जिस लड़के के साथ वह भागी थी, उस पर भी अपहरण से जुड़ी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

निष्कर्ष : वायरल वीडियो से जुड़े दोनों दावे फर्जी हैं। न तो यह घटना सोनभद्र की है। न ही यह जातिवाद से जुड़ा मामला है।



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The video of the beating of the girl, which was said to be a case of casteism in Uttar Pradesh, came out of Gujarat, Gujarat police told Bhaskar - no caste angle in it


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कोरोना से बचाने वाला LED मास्क, जो बताता है आप कब बोल रहे हैं और कब मुस्कुरा रहे हैं, एक मास्क की कीमत 3800 रुपए

गेम डिजाइनर और प्रोग्रामर टेलर ग्लेयल ने खास तरह का मास्क तैयार किया है। इसे लगाकर बोलने पर एलईडी लाइट जलती है। ये लाइट बताती है सामने वाला कब बोल रहा है और कब चुप है। आपके मुस्कुराने पर मास्क के सामने स्माइली का सिम्बल बनता है। कपड़े के इस मास्क में 16 एलईडी लाइट लगी हैं।

इसे तैयार करने वाले प्रोग्रामर टेलर का कहना है कि मैंने इसकी जरूरत महसूस की और वहीं से आइडिया पैदा हुआ। फिर, एक महीने लगातार मेहनत करने के बाद यह तैयार हो गया। एक मास्क की लागत करीब 3800 रुपए आई है।

अचानक दिमाग में आया था आइडिया
अमेरिकी प्रोग्रामर टेलर के मुताबिक, मास्क में वॉइस पैनल लगा है जो एलईडी से जोड़ा गया है। जो इंसान के बोलने और चुप रहने जैसी हरकत होनेपर जलती हैं। टेलर कहते हैं, मास्क को बनाने का आइडिया अचानक दिमाग में आया था। मैंने ऑनलाइन ऐसा मास्क ढूंढा, जब नहीं मिला तो खुद ही इसे तैयार किया।

मास्क धोने से पहले एलईडी लाइट्स निकाली जा सकती हैं
टेलर बताते हैं, मास्क को तैयार करने में एक माह का समय लगा था। यह कपड़े का बना है, इसलिए जब इसे धोना हो तो एलईडी लाइट के पैनल को निकालकर बाहर किया जा सकता है। इसमें 9 वॉल्ट की बैट्री लगाई गई है जो एलईडी पैनल को सपोर्ट करती है।

मास्क को धोने से पहले एलईडी लाइट के पैनल को निकाला जा सकता है।

यूवी लैंप से सैनेटाइज करना आसान
टेलर के मुताबिक, मास्क से कपड़ा हटाने के बाद बाकी चीजों को समय-समय यूवी लैम्प से सैनेटाइज किया जा सकता है। एक मास्क की कीमत लगभग 3800 रुपए है। वह कहते हैं कि फिलहालमैंने इसे अपने लिए बनाया है और इसे बेचने की कोईयोजना नहीं है।

बच्चों के लिए नहीं है ये मास्क
टेलर का कहना है कि इस मास्क को वहां इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है जहां लोग इसे लम्बे समय तक लगाते हैं क्योंकि इसमें एलईडी लाइट्स लगी हैं,जो कुछ घंटों बाद गर्म भीहोती हैं। इसलिए यह बच्चों के लिए सही नहीं है।



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प्रोग्रामर टेलर ग्लेयल के मुताबिक, मास्क में वॉइस पैनल लगा है जो एलईडी से जोड़ा गया है। जो इंसान के बोलने और चुप रहने जैसी हरकत होने पर जलता है।


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