बुधवार, 25 नवंबर 2020

कांग्रेस नेता ने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में 71 की उम्र में ली आखिरी सांस, 1 अक्टूबर को हुए थे कोरोना संक्रमित

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गुजरात से राज्यसभा सांसद अहमद पटेल का बुधवार सुबह निधन हो गया। कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें गुरुग्राम के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 71 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली।

अहमद के बेटे फैजल ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। फैजल ने अपने ट्वीट में बताया कि गुजरात से राज्यसभा सांसद पटेल ने बुधवार सुबह 3.30 बजे आखिरी सांस ली। उन्होंने लिखा "बड़े दुख के साथ मैं यह बताना चाहता हूं कि मेरे पिता अहमद पटेल का बुधवार देर रात 3.30 बजे निधन हो गया है। लगभग एक महीने पहले उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी और उनके शरीर के कई अंग काम करना बंद कर चुके थे, जिसके बाद उनकी मौत हो गई। अल्ला उन्हें जन्नत फरमाए। उन्होंने अपने सभी शुभचिंतकों से कोरोना गाइडलाइन का पालन करने की अपील की और हर समय सोशल डिस्टेंस बनाए रखने को कहा।

बता दें कि कांग्रेस के कद्दावर नेता अहमद पटेल 1 अक्टूबर को कोरोना से संक्रमित हुए थे। उन्हें 15 अक्टूबर के दिन गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल की इंटेंसिव केयर यूनिट में भर्ती कराया गया था। अहमद पटेल ने अपने कोरोना संक्रमित होने की जानकारी देते हुए अपने सभी करीबियों और संपर्क में आने वाले लोगों से खुद को आइसोलेट करने और कोविड टेस्ट कराने की अपील की थी।

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह सहित कई अन्य नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है। उन्होंने लिखा "अहमद भाई बहुत ही धार्मिक व्यक्ति थे और कहीं पर भी रहें, नमाज़ पढ़ने से कभी नहीं चूकते थे। आज देव उठनी एकादशी भी है जिसका सनातन धर्म में बहुत महत्व है। अल्लाह उन्हें जन्नतउल फ़िरदौस में आला मक़ाम अता फ़रमाएं।"



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अहमद पटेल (फाइल फोटो)


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देवउठनी ग्यारस आज; तमिलनाडु से टकराएगा तूफान और मोदी बोले- वैक्सीन का वक्त और कीमत तय नहीं

नमस्कार!
प्रधानमंत्री मोदी ने 9 राज्यों के मुख्यमंत्रियों से करीब 4 घंटे कोरोना की रोकथाम पर बात की। फिर बोले- अभी वैक्सीन की डोज और कीमत तय नहीं मगर सरकार डिस्ट्रीब्यूशन प्लान बना रही है। वहीं, 48वें इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड्स में पहली भारतीय वेब सीरीज 'दिल्ली क्राइम' बेस्ट ड्रामा सीरीज चुनी गई। बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

सबसे पहले देखते हैं, बाजार क्या कह रहा है…

  • BSE का मार्केट कैप 174.81 लाख करोड़ रुपए रहा। करीब 53% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही।
  • 3,000 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 1,604 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,200 कंपनियों के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • देवउठनी ग्यारस आज। तुलसी-शालिग्राम विवाह मुहूर्त- शाम 05:15 से 05:40 तक (गोधूलि वेला) और शाम 06:40 से रात 08:25 तक (अमृत काल)।
  • लखनऊ यूनिवर्सिटी के शताब्दी दिवस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आज शाम 05:30 बजे शामिल होंगे।
  • दिल्ली यूनिवर्सिटी ने यूजी कोर्सेस में एडमिशन के लिए स्पेशल कट-ऑफ लिस्ट जारी की थी। आज दोपहर 1 बजे तक स्टूडेंट्स एडमिशन ले सकते हैं।

देश-विदेश
43 ऐप्स बैन, इनमें जैक मा की कंपनी अलीबाबा के 4 ऐप शामिल

केंद्र सरकार ने मंगलवार को इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 69A के तहत 43 मोबाइल ऐप पर बैन लगा दिया। बैन की गईं 43 ऐप्स में से 14 डेटिंग, 8 गेमिंग ऐप्स, 6 बिजनेस और फाइनेंस और एक इंटरटेनमेंट ऐप शामिल हैं। केंद्र के मुताबिक, इन ऐप्स से देश की एकता, अखंडता, सुरक्षा के लिए खतरा।

WHO की जांच टीम चीन जाएगी, संक्रमण फैलने की जांच करेगी
WHO ने कई महीनों बाद आखिरकार विदेशी एक्सपर्ट्स की एक टीम चीन भेजने का फैसला किया। यह टीम वहां कोरोनावायरस के फैलने की जांच करेगी। दुनियाभर में अब तक 5.94 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और 14 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।

आज तमिलनाडु और पुडुचेरी से टकराएगा साइक्लोन निवार
बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवाती तूफान निवार ने तेजी पकड़ ली है। मौसम विभाग के मुताबिक, तूफान निवार बुधवार दोपहर से शाम के बीच तमिलनाडु और पुडुचेरी के तट से टकराएगा। इस दौरान 100 से 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं।

UP में लव जिहाद किया तो 10 साल जेल होगी

उत्तर प्रदेश में लव जिहाद पर दो दिन में दो बड़े फैसले किए गए। यूपी सरकार ने शादी के लिए धर्म परिवर्तन के खिलाफ अध्यादेश को मंजूरी दे दी। राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद अब लव जिहाद अपराध होगा। कानून के तहत 10 साल तक की सजा दी जा सकती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा था कि शादी के लिए सभी को मनपसंद साथी चुनने का हक है।

रूस की कोरोना वैक्सीन बाकी देशों को 700 रु. से कम में मिलेगी
रूस में बनी वैक्सीन स्पूतनिक V 95% असरदार साबित हुई। पहला डोज देने के 28 दिन बाद वैक्सीन ने 91.4% इफेक्टिवनेस दिखाई थी, जो 42 दिन बाद बढ़कर 95% हो गई। रूस के लोगों को यह फ्री मिलेगी जबकि बाकी देशों के लिए इसकी कीमत 700 रुपए से कम होगी।

एक्सप्लेनर
क्यों आ रहा है 'निवार' और तूफान आने के बाद क्या होगा?

बंगाल की खाड़ी से सटे तमिलनाडु और पुडुचेरी के समुद्री तटों से आज दोपहर साइक्लोन 'निवार' टकराएगा। इस दौरान 100 से 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं। मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया है। साइक्लोन निवार आ क्यों रहा है? सरकारों की क्या तैयारियां हैं?

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पॉजिटिव खबर
लीची और अमरूद की बागवानी शुरू की, सालाना 25 लाख कमा रहे

उत्तरप्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले राजपाल सिंह के दोस्त ग्रेजुएशन के बाद सरकारी नौकरी की तैयारी करने लगे, लेकिन राजपाल ने गांव में रहकर खेती करने का ही फैसला किया। अभी वे आम, अमरूद और लीची की खेती करते हैं। इससे सालाना 25 लाख रु. की कमाई हो रही है।

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सुर्खियों में और क्या है...

  • जयपुर के आमेर में हाथी की सवारी पर लगा बैन मंगलवार से हट गया। यहां कोरोना के कारण 17 मार्च से सैलानियों के लिए हाथी की सवारी को बंद कर दिया गया था।
  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने कंगना रनोट के खिलाफ एफआईआर रद्द करने से इनकार किया। कोर्ट ने कहा- कंगना और रंगोली 8 जनवरी को बांद्रा पुलिस स्टेशन में हाजिरी दें।
  • महेंद्र सिंह धोनी के खेल को निखारने वाले देवल सहाय का मंगलवार को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे। उन्होंने रांची में टर्फ क्रिकेट ग्राउंड बनवाया था।
  • अरब सागर में गुजरात से लगी पाकिस्तान की समुद्री सीमा में पाक मरीन के 5 जंगी जहाज-एक हेलिकॉप्टर नजर आया। भारतीय एजेंसियां-सुरक्षाबल सतर्क हो गए हैं।


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Devoutni Gyaras today; Storm and Modi will hit Tamil Nadu - time and price of vaccine not decided Top News Morning Briefing Today From Dainik Bhaskar On 25 november 2020


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चलो बुलावा आया है, मुंबई पुलिस ने कंगना और रंगोली को बुलाया है



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Let's call, Mumbai Police has called Kangana and Rangoli


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बुरे समय में छोटी-छोटी चीजों को भी संभालें, पता नहीं कब कौन सी चीज काम आ जाए

कहानी- महाभारत में पांडवों का वनवास चल रहा था। युधिष्ठिर ने सूर्यदेव को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके एक अक्षय पात्र लिया था। इस खास बर्तन की विशेषता ये थी कि इसमें खाना हमेशा भरा रहता था। द्रौपदी जब भोजन कर लेती, तब अक्षय पात्र में उस दिन का खाना खत्म हो जाता, क्योंकि द्रोपदी सबसे अंत में ही खाना खाती थीं।

जंगल में पांडवों के साथ और भी ऋषि-मुनि रहते थे। सभी को अक्षय पात्र से ही भोजन मिल रहा था। दुर्योधन हमेशा यही कोशिश करता रहता था कि किसी तरह पांडवों की परेशानियां बढ़ाई जाएं। एक बार उसके महल में दुर्वासा ऋषि आए। दुर्योधन ने उनकी खूब आवभगत की।

दुर्वासा और उनके शिष्यों को देख उसके दिमाग में एक योजना आई। उसने सोचा कि वनवास में पांडवों के पास खाना तो होता नहीं होगा, इसलिए दुर्वासा ऋषि को इनके पास भोजन के लिए भेज देता हूं। दुर्वासा ऋषि के साथ समस्या थी कि वे छोटी-छोटी बात पर गुस्सा हो जाते थे और श्राप दे देते थे।

दुर्वासा जब दुर्योधन के महल से जंगल की ओर जाने लगे तो दुर्योधन ने उनसे कहा कि जैसी कृपा आपने मुझ पर की है, वैसी ही कृपा मेरे बड़े भाई युधिष्ठिर पर भी कीजिए। वे जंगल में अपने परिवार के साथ रहते हैं, आप वहीं से गुजरेंगे तो उनके यहां भी भोजन कीजिएगा और उन्हें भी अपना आशीर्वाद दीजिएगा।

दुर्योधन की बात मानकर दुर्वासा ऋषि अपने शिष्यों और साथी ऋषियों के साथ पांडवों के पास पहुंच गए और भोजन कराने के लिए कहा। उन्होंने युधिष्ठिर से कहा कि मैं अपने शिष्यों के साथ नहाने के लिए नदी की ओर जा रहा हूं, उसके बाद हम सभी भोजन करने आएंगे। उस समय सभी पांडवों ने और द्रौपदी ने भी खाना खा लिया था। इस कारण अक्षय पात्र खाली हो गया था।

दुर्वासा को देखकर द्रौपदी दुःखी हो गईं, क्योंकि वो जानती थीं कि दुर्वासा को भोजन नहीं मिला तो वे गुस्सा हो जाएंगे और श्राप दे देंगे। तब उन्होंने श्रीकृष्ण का ध्यान किया। कुछ ही देर में श्रीकृष्ण भी वहां पहुंच गए और उन्होंने द्रौपदी से अक्षय पात्र लेकर आने के लिए कहा।

द्रौपदी बोली, 'मैंने भोजन कर लिया है, इसलिए अक्षय पात्र खाली हो गया। अब इसमें कुछ नहीं मिलेगा।'

श्रीकृष्ण ने कहा, 'तुम अक्षय पात्र लेकर तो आओ।'

द्रौपदी ने जब अक्षय पात्र श्रीकृष्ण को दिया तो उसमें साग का एक छोटा सा दाना लगा हुआ था। श्रीकृष्ण ने साग का वह दाना खा लिया और सोचा कि अगर मुझे तृप्ति मिल गई है तो सभी को तृप्ति मिल जाए।

हुआ भी वैसा ही, नदी में नहाने गए दुर्वासा ऋषि और उनके शिष्यों की भूख भी अपने आप मिट गई, सबको ऐसा लगने लगा जैसे उन्होंने भरपेट खाना खा लिया है। उन्होंने सोचा कि अगर अब युधिष्ठिर के पास गए तो वो फिर भोजन कराएगा। जो अब किसी के लिए संभव नहीं होगा तो दुर्वासा सहित सारे ऋषि नहाकर बिना युधिष्ठिर से मिले ही आगे निकल गए।

श्रीकृष्ण परमात्मा हैं। उन्हें तृप्ति मिल गई तो दुर्वासा और उनके साथी ऋषियों की भी भूख शांत हो गई। द्रौपदी समझ गईं कि श्रीकृष्ण हमें छोटी-छोटी चीजों का भी महत्व समझा गए हैं।

सीख- बुरे समय में छोटी-छोटी चीजें भी काम की होती हैं। इसीलिए अपने आसपास की हर एक वस्तु पर, छोटी-छोटी बातों पर भी नजर रखें। ये हम नहीं जानते, कब कौन सी चीज हमारे काम आ जाए।



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गन्ने की खेती में फायदा नहीं हुआ तो लीची और अमरूद की बागवानी शुरू की, सालाना 25 लाख रु. कमा रहे

उत्तरप्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले राजपाल सिंह शुरुआत से ही खेती से जुड़े रहे। वे अपने पिता के साथ खेत पर जाते थे और उनकी मदद करते थे। ग्रेजुएशन के बाद उनके दोस्त सरकारी नौकरी की तैयारी करने लगे, कुछ बाहर कमाने निकल गए। लेकिन, राजपाल ने कहीं और जाने के बजाय गांव में रहकर खेती करने का ही फैसला किया। अभी वे आम, अमरूद और लीची की खेती करते हैं। इससे सालाना 25 लाख रु के करीब उनकी कमाई हो रही है।

राजपाल कहते हैं , 'पहले हमलोग गेहूं और गन्ने की खेती करते थे। इससे खाने-पीने का खर्च तो निकल जाता था लेकिन आमदनी या बिजनेस जैसा कुछ नहीं था। ऊपर से देर से पैसे मिलते थे। जो लोग गन्ना खरीदते थे, वे नकद भुगतान नहीं करते थे। इसके बाद कुछ सालों तक हमने मधुमक्खी पालन भी किया। हालांकि, यह भी बिजनेस बहुत जमा नहीं।

राजपाल बताते हैं कि लीची की खेती से हर साल प्रति हेक्टेयर 7.5 लाख से 8 लाख रुपए की कमाई हो सकती है।

इसके बाद मेरे मन में फसल बदलने का विचार आया। लेकिन उससे पहले जरूरी था मार्केट को समझना। क्योंकि फसल के उत्पादन के बाद उसकी खपत जरूरी होती है। इसलिए मैंने मार्केट रिसर्च करना शुरू किया। अलग अलग मंडियों में गया और वहां डिमांड और सप्लाई चेन को समझा। फिर 2006 में लीची और आड़ू की बागवानी शुरू की। इसमें अच्छी कमाई हुई। कुछ साल बाद आड़ू की जगह अमरूद के प्लांट्स लगाए। इससे और ज्यादा मुनाफा हुआ।

12 साल की उम्र में बिना बताए मुंबई भाग आए, फुटपाथ पर रहे और फिर खड़ी की 40 करोड़ की कंपनी

वो बताते हैं कि लोकल मंडी में लीची 70 से 130 रुपए और अमरूद 60-65 रुपए प्रति किलो बिकता है। वहीं लीची को बेंगलुरू और भुज भेजने के बाद 400-450 रुपए का भाव मिलता है। इस तरह लीची से हर साल प्रति हेक्टेयर 7.5 लाख से 8 लाख रुपए और अमरूद से 6 लाख से 7 लाख रुपए तक की कमाई होती है।

61 साल के राजपाल का ज्यादातर समय खेती में ही गुजरता है। वे किसानों को ट्रेनिंग भी देते हैं। 4 हजार से ज्यादा किसानों को अबतक ट्रेनिंग दे चुके हैं।

अभी देश के लगभग हर बड़े शहर में राजपाल के बाग से लीची और अमरूद की सप्लाई होती है। उनकी टीम में 6 लोग काम करते हैं। 8 एकड़ जमीन पर आम, अमरूद और लीची की वो खेती करते हैं। सबसे ज्यादा कमाई लीची से होती है। उनके बाग में 600 से ज्यादा अमरूद, 400 से ज्यादा लीची और 100 के करीब आम के प्लांट हैं। इसमें लगभग सभी प्रमुख वैरायटीज शामिल हैं।

राजपाल का बेटा एक कंपनी में जॉब कर रहा है। वो कहते हैं कि मैंने नौकरी के लिए नहीं बल्कि कॉरपोरेट कल्चर को समझने के लिए भेजा है। जैसे ही उसे थोड़ी बहुत समझ हो जाएगी उसे हम यहीं बुला लेंगे। क्योंकि किसान की दिक्कत यही है कि वह प्रोडक्ट तैयार करना तो जानता है लेकिन उसे बेचना नहीं जानता। जिस दिन वो बेचना सीख गया, उसके सामने कोई और बिजनेस नहीं टिकेगा।

राजपाल सिंह के बाग में 600 से ज्यादा अमरूद के प्लांट हैं। इसमें लगभग सभी वैरायटीज हैं।

61 साल के राजपाल का ज्यादातर समय खेती में ही गुजरता है। वे किसानों को ट्रेनिंग भी देते हैं। 4 हजार से ज्यादा किसानों को अब तक ट्रेंड कर चुके हैं। उनसे जुड़े कई किसान खुद की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। आगे राजपाल प्रोसेसिंग को लेकर काम करने वाले हैं।

वे लीची और अमरूद के जूस और दूसरे प्रोडक्ट लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं। वो बताते हैं कि खेती में मुनाफा तभी होगा जब हमारे प्रोडक्ट की पहुंच मार्केट तक होगी। खेत में या किसान के घर में स्टोर करके सामान रखने से कमाई नहीं हो सकती। इसलिए जो प्रोडक्ट किसी कारण नहीं बिक पाया उसे प्रोसेसिंग के बाद मार्केट में उतारना चाहिए।

लीची की खेती कैसे करें?

लीची के लिए गहरी दोमट मिट्टी फायदेमंद होती है। इसमें जड़ों का विकास अच्छा होता है। कई जगहों पर बालू वाली या चिकनी मिट्टी में भी लीची की खेती होती है। सबसे जरूरी पानी होती है, इसलिए खेती करते समय इस बात का ध्यान रखना होता है कि वहां पर्याप्त पानी मिलेगा या नहीं। आमतौर पर जुलाई से अक्टूबर के बीच इसकी खेती होती है। एक प्लांट के तैयार होने में 10 साल तक समय लग जाता है। हालांकि, कुछ वैरायटीज पहले भी तैयार हो जाती है। एक पेड़ से 50 किलो तक लीची निकलती है।



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यूपी के सहारनपुर के रहने वाले राजपाल सिंह आम, अमरूद और लीची की खेती करते हैं।


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आधे हो गए होटलों के रेट, दिवाली की छुटि्टयों में फुल रहे 25 हजार से ज्यादा रूम्स

गोवा टूरिस्ट से फिर गुलजार हो चुका है। बीते तीन हफ्तों से यहां टूरिस्ट बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। दिवाली वाले वीक में तो होटलों के 60 से 65 परसेंट रूम फुल रहे। गोवा पहुंचने वालों की अब कोरोना जांच नहीं हो रही। टूरिस्ट को सिर्फ मास्क पहनना है। सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो करने का कहा जा रहा है, लेकिन सख्ती से इसे लागू नहीं करवाया जा रहा क्योंकि यह गोवा में प्रैक्टिकली पॉसिबल नहीं।

गोवा में छोटे-बड़े करीब 4 हजार होटल्स हैं। इनमें से 1100 होटल्स खुल चुके हैं। दिवाली वाले वीक में 27 हजार रूम्स होटलों में अवेलेबल थे, जिनमें करीब 25 हजार फुल रहे। छोटे कारोबारी अपनी मर्जी से ही होटल ओपन नहीं कर रहे क्योंकि अभी इंटरनेशनल टूरिस्ट को अलाउ नहीं किया गया है।

बड़ी होटल्स में 40 से 50 परसेंट तक डिस्काउंट ऑफर किया जा रहा है। ऐसे में छोटे होटल्स के लिए कम्पीट करना मुश्किल है। चार्ज कम होने के चलते टूरिस्ट बड़े होटल्स को ही बुक कर रहे हैं। वहीं छोटे होटल्स में फॉरेन टूरिस्ट ज्यादा आते थे जो पंद्रह से बीस दिनों तक यहीं रहते थे। उनके नहीं आने के चलते भी छोटे कारोबारी होटल ओपन नहीं कर रहे।

गोवा पहुंच रहे टूरिस्ट को मास्क पहनना अनिवार्य है। कई लोग रुमाल से भी मुंह ढंक रहे हैं। फोटो साभार : नारायण पिसरलेकर

अगस्त में 4 परसेंट टूरिस्ट थे, नवंबर में 65 पर पहुंच गए
1 अगस्त से गोवा में होटल्स ओपन कर दी गई थीं। ट्रैवल एंड टूरिज्म एसोसिएशन ऑफ गोवा के प्रेसीडेंट नीलेश शाह कहते हैं, तब टेस्टिंग कम्पल्सरी थी, तो टूरिस्ट कम आ रहे थे। अगस्त में 4 परसेंट, सितंबर में 15 परसेंट, अक्टूबर में 40 परसेंट और नवंबर में 65 परसेंट तक टूरिस्ट बढ़े। दिसंबर गोवा का पीक सीजन होता है।

हमें उम्मीद है कि, दिसंबर में टूरिस्ट 70 परसेंट तक पहुंच जाएंगे। यह आंकड़े जो होटल्स खुली हैं, उनमें हो रही रूम्स की बुकिंग के मुताबिक हैं। 1 नवंबर से कैसिनो भी ओपन हो चुके हैं। गुजराती लोग हर साल दिवाली पर कैसिनो खेलने आते हैं। इस बार भी गुजराती बड़ी संख्या में आए हैं।

हालांकि, कुछ दिनों पहले ही एक कैसिनो में दर्जनभर से ज्यादा लोग कोरोना पॉजिटिव आए हैं। ऐसे में हम जो टूरिस्ट आ रहे हैं, उनसे मास्क लगाने की अपील कर रहे हैं।

गोवा में एडवेंचर एक्टिविटीज भी शुरू हो चुकी हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात से काफी टूरिस्ट पहुंच रहे हैं। फोटो साभार : नारायण पिसरलेकर

गोवा के लोकल न्यूज चैनल गोवन वार्तालाइव के एडिटर किशोर नाईक कहते हैं, गोवा में रिकवरी रेट 95 परसेंट है और मरने वालों की संख्या न के बराबर है। पॉल्युशन कम होने और एन्वायरनमेंट अच्छा होने के चलते यहां बड़ी संख्या में लोगों ने लॉकडाउन पीरियड गुजारा है। हालांकि इसमें अधिकतर वही लोग थे, जिनका खुद का यहां घर है।

गोवा अभी टूरिस्ट से भरा दिख रहा है, पिछले साल के मुकाबले तो टूरिस्ट कम हैं क्योंकि सभी होटल्स ओपन ही नहीं हुए लेकिन लॉकडाउन के बाद यह सबसे अच्छी स्थिति है। मास्क को लेकर अब सख्ती बरती जा रही है। पहले 100 रुपए फाइन था, जिसे बढ़ाकर 200 रुपए कर दिया गया है। हालांकि, अन्य किसी तरह की सख्ती अब यहां नहीं है। नाइट पार्टीज भी शुरू हो चुकी हैं।

जम्मू से रिपोर्ट:आतंकी घुसपैठ नाकाम करने एंटी टनल मेकेनिज्म पर काम कर रही है BSF, स्थानीय लोगों की भी मदद ली जाएगी

फारेन टूरिस्ट के न आने से सबसे बड़ा नुकसान
टूरिज्म के लिहाज से अक्टूबर से अप्रैल गोवा का हॉट सीजन होता है। फॉरेन टूरिस्ट मिड अक्टूबर से आना शुरू हो जाते थे, जो अप्रैल तक रहते थे। इन लोगों का पंद्रह से बीस दिन गोवा में गुजारना आम बात थी। इस बार फॉरेन टूरिस्ट का न आना ही सबसे बड़ा नुकसान है। यूके और रसिया से सबसे ज्यादा टूरिस्ट आते हैं।

शाह के मुताबिक, चार्टर से दो से ढाई लाख टूरिस्ट हर साल आते हैं। पूरे सीजन में 7 से 8 लाख फॉरेन टूरिस्ट गोवा आते हैं। वहीं डोमेस्टिक टूरिस्ट का आंकड़ा 80 लाख तक पहुंचता है। एसोसिएशन की सरकार से फॉरेन टूरिस्ट की एंट्री शुरू करने के लिए बात भी चल रही है। सीएम प्रमोद सावंत ने भी इस बारे में केंद्रीय गृह मंत्री को लिखा है।

कई टूरिस्ट मास्क नहीं लगा रहे, जिसके बाद फाइन सौ रुपए से बढ़ाकर दो सौ रुपए कर दिया गया है। फोटो साभार : नारायण पिसरलेकर

इन गोवा 24x7 न्यूज चैनल के एडिटर अनिल लाड कहते हैं, 'दो दिन पहले मैं खुद मुंबई से गोवा कार से आया हूं। पूरे रोड पर ट्रैफिक मिला। जो लोग महीनों से घरों में फंसे हुए थे, अब वो रिलेक्स करने के लिए गोवा आ रहे हैं। मुंबई से लेकर गोवा तक कहीं कोई जांच नहीं हो रही। गोवा में भी किसी तरह की पाबंदियां नहीं हैं'। कैसिनो ओपन होने के बाद से ज्यादा टूरिस्ट आ रहे हैं, लेकिन किसी तरह की जांच न होना टेंशन वाली बात है। किसी भी लापरवाही से कोरोना के मामले बढ़े तो दिसंबर-जनवरी में स्थिति फिर खराब हो सकती है।



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Goa Opens Its Doors To Tourists, Hotels booked in 50% less, more than 25 thousand rooms full of Diwali holidays


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आज तमिलनाडु-पुडुचेरी से टकराएगा 'निवार'; क्यों आ रहा है ये और तूफान आने के बाद क्या होगा?

बंगाल की खाड़ी से सटे तमिलनाडु और पुडुचेरी के समुद्री तटों से आज दोपहर को साइक्लोन 'निवार' टकराएगा। इस दौरान 100 से 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं। मौसम विभाग (IMD) ने आज तमिलनाडु और पुडुचेरी में भारी बारिश की चेतावनी भी दी है और रेड अलर्ट जारी किया है।

ऐसे में ये जानना जरूरी है कि साइक्लोन निवार आ क्यों रहा है? सरकारों की क्या तैयारियां हैं? निवार के आने के बाद क्या-क्या हो सकता है? आइए जानते हैं...

साइक्लोन निवार कब आएगा?
साइक्लोन निवार के आने का असर तमिलनाडु और पुडुचेरी में दिखने लगा है। वहां अभी ते तेज हवाएं चलने लगी हैं। मौसम विभाग के अनुसार, साइक्लोन निवार बुधवार शाम 5 बजे के आसपास तमिलनाडु और पुडुचेरी के तट से टकरा सकता है।

साइक्लोन निवार आ क्यों रहा है?
इस बारे में मौसम विभाग के पूर्व डायरेक्टर जनरल केजे रमेश बताते हैं कि अक्टूबर से दिसंबर तक बंगाल की खाड़ी में साइक्लोन सीजन रहता है। इसमें भी अक्टूबर और नवंबर में कोर एक्टिविटी होती है। इस वजह से इन महीनों में साइक्लोन आने की आशंका ज्यादा रहती है। भारत में सालभर में दो बार मई-जून और अक्टूबर-नवंबर में साइक्लोन बनने की संभावना सबसे ज्यादा रहती है। मई-जून में हमारे यहां अम्फान और निसर्ग तूफान आया था।

साइक्लोन निवार आने से क्या होगा?
होता ये है कि तूफान में जो हवा चलती है, वो दो डायरेक्शन में चलती है। पहला क्लॉकवाइज और दूसरा एंटी क्लॉकवाइज। केजे रमेश बताते हैं कि पुडुचेरी और तमिलनाडु के आसपास हवा ऊपर की तरफ एंटी क्लॉकवाइज डायरेक्शन में रहती है। इस वजह से तूफान का जो सेंटर है, उसके ऊपर की तरफ से हवा तट की ओर आती है।

इससे तेज हवाएं चलती हैं और समुद्र का पानी तट की ओर आ जाता है। केजे रमेश कहते हैं कि समुद्र का पानी तट की ओर आने से पानी अंदर घुसने की आशंका है। तट के आसपास जो निचले इलाके रहते हैं, वहां बाढ़ के हालात भी बन सकते हैं। तूफान के असर से 27 नवंबर तक तमिलनाडु में बारिश होने के आसार हैं।

ये मैप सोमवार को मौसम विभाग ने जारी किया। इसके जरिए तूफान की दिशा दिखाई गई है।

सरकारें क्या कर रही हैं?

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को तमिलनाडु के सीएम ई पलानीसामी और पुडुचेरी के सीएम नारायणसामी से बात की और साइक्लोन निवार से निपटने की तैयारियों की जानकारी ली। साथ ही उन्होंने दोनों राज्यों को हर मदद देने का भरोसा दिलाया है।
  • सरकार ने तमिलनाडु और पुडुचेरी में NDRF की 30 टीमें लगाई हैं। इनमें से 18 टीमें पुडुचेरी और 12 टीमें तमिलनाडु में तैनात रहेंगी। NDRF की एक टीम में 35 से 45 जवान होते हैं।
  • तट के आसपास निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को रिलीफ सेंटर में शिफ्ट किया जा रहा है। हालांकि, इस बात की जानकारी नहीं मिली है कि अब तक कितने लोगों को रिलीफ सेंटर पहुंचा दिया गया है। तमिलनाडु के सीएम पलानीसामी ने बताया कि रिलीफ सेंटर में हर तरह की सुविधाएं हैं। पहले से ही मास्क और सैनेटाइजर की व्यवस्था भी कर ली गई है।

साइक्लोन क्या होता है?
भारत और दुनियाभर के तटीय इलाके हमेशा चक्रवाती तूफानों से जूझते रहते हैं। तटीय इलाके यानी ऐसे इलाके, जो समुद्र के किनारे हों। चक्रवाती तूफानों को अलग-अलग जगह के हिसाब से अलग-अलग नाम से बुलाया जाता है। साइक्लोन, हरिकेन और टाइफून, तीनों ही चक्रवाती तूफान होते हैं। उत्तरी अटलांटिक महासागर और उत्तरी-पूर्वी प्रशांत में आने वाले तूफानों को 'हरिकेन' कहा जाता है।

उत्तरी-पश्चिमी प्रशांत महासागर में आने वाले तूफानों को 'टाइफून' कहते हैं। दक्षिणी प्रशांत और हिंद महासागर में आने वाले तूफानों को 'साइक्लोन' कहा जाता है। भारत में आने वाले चक्रवाती तूफान दक्षिणी प्रशांत और हिंद महासागर से ही आते हैं, इसलिए इन्हें साइक्लोन कहते हैं।

चक्रवाती तूफान क्यों आते हैं?

  • ये हमने भूगोल में पढ़ा ही है कि पृथ्वी के वायुमंडल में हवा होती है। जिस तरह जमीन के ऊपर हवा होती है, वैसे ही समुद्र के ऊपर भी हवा होती है। हवा हमेशा उच्च दाब (हाई प्रेशर) से निम्न दाब (लो प्रेशर) वाले क्षेत्र की तरफ बहती है। हवा जब गर्म होती है, तो हल्की हो जाती है और ऊपर उठने लगती है।
  • जब समुद्र का पानी गर्म होता है, तो इसके ऊपर मौजूद हवा भी गर्म होकर ऊपर उठने लगती है। इससे यहां निम्न दाब का क्षेत्र बनने लगता है। आस-पास मौजूद ठंडी हवा इस निम्न दाब वाले क्षेत्र को भरने के लिए इस तरफ बढ़ने लगती है।
  • हमने ये भी पढ़ा है कि पृथ्वी अपनी धुरी (एक्सिस) पर घूमती रहती है। इसी वजह ये हवा सीधे न आकर घूमने लगती है और चक्कर लगाती हुई निम्न दाब वाले क्षेत्र की ओर बढ़ती है। इसे ही चक्रवात कहते हैं।
  • सरल शब्दों में कहें तो चक्रवात तेजी से घूमती हुई हवा होती है। जब हवा गर्म होकर ऊपर उठती है, तो उसमें नमी भी होती है, इसलिए चक्रवात में तेज हवाओं के साथ बारिश भी होती है। चक्रवात जब घूमते हुए समुद्र तट से टकराता है, तो कमजोर पड़ने लगता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि जमीन पर हवा का दबाव हाई होता है।
  • पहले चक्रवाती तूफान कभी-कभी और गर्मियों में ही आते थे। लेकिन, क्लाइमेट चेंज होने और ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ने की वजह से ये हर साल और सर्दियों में भी आते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि सर्दियों के दिन अब कम होते जा रहे हैं।
चक्रवाती तूफान असल में घूमती हुई हवा होती है। इसलिए इसके बीच का हिस्सा खाली दिखता है। हमारी आंख की तरह।

कितने भारतीयों को हर साल इन तूफानों का खतरा होता है?
डिजास्टर मैनेजमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की तटीय सीमा यानी Coastline की लंबाई 8,493.85 किमी है। तटीय सीमा पूर्वी तट पर पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पुडुचेरी से लगती है। जबकि, पश्चिमी तट पर गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और दमन-दीव में लगती है। इसके अलावा अंडमान-निकोबार बंगाल की खाड़ी और लक्षद्वीप अरब सागर में है। इन जगहों पर भारत की आधी आबादी रहती है। देश की कुल आबादी 128 करोड़ है, जिसमें से 60 करोड़ से ज्यादा की आबादी इन राज्यों में रहती है।

कैसे रखे जाते हैं साइक्लोन के नाम?

  • चक्रवातों या साइक्लोन को नाम देना अटलांटिक सागर के आस-पास के देशों ने 1953 में शुरू किया। 2004 में यूएन की एजेंसी वर्ल्ड मेटीरियोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) ने नया सिस्टम बना दिया कि जिस इलाके में चक्रवाती तूफान उठ रहा है, उसके आसपास के देश ही उसे नाम देते हैं।
  • इसके बाद भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, श्रीलंका और थाईलैंड को मिलाकर कुल 8 देशों ने एक मीटिंग में हिस्सा लिया और हर देश ने चक्रवाती तूफान के लिए 8 नाम सुझाए। इस तरह इन 8 देशों ने 64 नामों की एक लिस्ट दी।
  • भारत की तरफ से अग्नि, आकाश, बिजली, जल, लहर, मेघ, सागर और वायु सुझाए। इस साल जून में महाराष्ट्र से जो निसर्ग तूफान टकराया था, उसका नाम बांग्लादेश ने दिया था। जबकि, साल की शुरुआत में बंगाल में जो अम्फान तूफान आया था, वो थाईलैंड ने दिया था। अभी जो निवार आ रहा है, वो नाम ईरान ने दिया है।


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Cyclone Nivar Latest Update | Cyclone Nivar Landfall | Cyclone Nivar Origin And How Nivar Gots Its Named? Storm Hit Tamil Nadu Puducherry States


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"वैक्सीन टूरिज्म" क्या है? टूर इंडस्ट्री वैक्सीन टूर ऑफर कर रही है, जानें इसके बारे में

प्रधानमंत्री ने कहा था कि आपदा को अवसर में बदलें। औरों का तो पता नहीं, लेकिन टूरिज्म इंडस्ट्री ने आपदा को अवसर में बदलने की तैयारी कर ली है। क्या आप वैक्सीन टूरिज्म के बारे में जानते हैं? जी हां “वैक्सीन टूरिज्म”, यह ट्रैवल इंडस्ट्री का नया इनोवेशन है। लेकिन तरीका पुराना है।

ट्रैवल एजेंसियों ने पहले भी आपदा को अवसर में बदला है। इससे पहले भी टूरिज्म इंडस्ट्री “डिजास्टर टूरिज्म” का तरीका ईजाद कर चुकी है। डिजास्टर टूरिज्म का आइडिया हिट हो गया था। डिजास्टर टूरिज्म में, टूरिज्म इंडस्ट्री ऐसी जगहों का टूर पैकेज ऑफर करती है, जहां कोई बड़ी आपदा आई हो। लेकिन क्या इसी तर्ज पर लाया गया वैक्सीन टूरिज्म का आइडिया? क्या नर्म पड़ी टूरिज्म इंडस्ट्री को यह आइडिया बूस्ट कर पाएगा? यह तो आने वाले वक्त में पता चलेगा। अभी आप इसे समझ लीजिए।

क्या है वैक्सीन टूरिज्म?

वैक्सीन टूरिज्म यानी उन जगहों का टूर, जहां कोरोना वैक्सीन उपलब्ध हो सके। आप वहां जाएं, घूमें-फिरें, एक्सप्लोर करें और वैक्सीन का शॉट लेकर वापस आ जाएं। टूर का टूर और वैक्सीनेशन भी। है न कमाल का आइडिया? हां, यह अलग बात है कि इसे अफोर्ड करना सबके बस का नहीं होगा। यह पैकेज हाई इनकम कस्टमर्स को ध्यान में रखकर लाया गया है।

कौन सी कंपनी इसे ऑफर कर रही है?

मुंबई स्थित जेम टूर एंड ट्रैवल कंपनी कोरोना वायरस वैक्सीन टूरिज्म पैकेज लेकर आई है। फिलहाल यह कंपनी अमेरिका का टूर ऑफर कर रही है। अमेरिका में दिसंबर के दूसरे हफ्ते में कोरोना वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी।

कंपनी का कहना है कि फाइजर वैक्सीन 12 दिसंबर से अमेरिका में लोगों के लिए उपलब्ध होगी। इसके लिए वह कुछ VVIP कस्टमर्स को वहां टूर पर ले जाएगी। इस टूर में वैक्सीन का शॉट भी शामिल है। यानी इस पैकेज के तहत आपको वैक्सीन भी लगाई जाएगी।

कितना आएगा खर्च और क्या है ऑफर?

कंपनी ने पैकेज की कीमत 1 लाख 75 हजार रखी है। इसमें मुंबई से न्यू-यॉर्क और न्यू-यॉर्क से मुंबई आने-जाने, 3 रात और 4 दिन ठहरने और वैक्सीन का खर्च शामिल है।

ट्रैवल कंपनी जेम, फाइजर की बनाई हुई वैक्सीन के दम पर, यह ऑफर कस्टमर्स के सामने रख रही है। कंपनी यह जानती है कि इस वैक्सीन की USP उसके इस ऑफर की USP भी बन सकती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, फाइजर की वैक्सीन कोरोना से लड़ने के लिए 95% तक कारगर है।

पहले आओ-पहले पाओ

इस पैकेज को बुक करने के लिए कोई एडवांस डिपॉजिट नहीं देना है। कंपनी ने कहा है कि नॉर्मल रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के तहत कस्टमर्स वैक्सीन टूर के लिए अप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए बस आपको मेल आईडी, फोन नंबर और पासपोर्ट की जरूरत होगी। लेकिन इस टूर पर लिमिटेड लोगों को ही ले जाया जा सकता है, इसलिए कंपनी उन्हें पहले मौका देगी जो पहले रजिस्ट्रेशन कर लेंगे।



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What is Vaccine Tourism? Which Travel Company Is Offering It? All You Need To Know


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टीम इंडिया 259 दिन बाद मैदान पर उतरेगी, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 7वीं सीरीज जीतने का मौका

विराट कोहली की कप्तानी में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर है। टीम कोरोना के बीच 27 नवंबर से अपनी पहली वनडे सीरीज खेलेगी। पूरा दौरा बायो-सिक्योर रहेगा। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम इंडिया के पास 7वीं द्विपक्षीय वनडे सीरीज जीतने का मौका है।

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अब तक कुल 12 वनडे सीरीज खेली गईं हैं। इसमें दोनों ने 6-6 सीरीज अपने नाम की हैं। ऑस्ट्रेलिया ने घर में भारत के खिलाफ 2 द्विपक्षीय वनडे सीरीज खेलीं, जिसमें एक जीती और एक हारी है।

कोरोना के बीच टीम इंडिया की पहली वनडे सीरीज
कोरोना से पहले भारतीय टीम ने पिछली बार 12 मार्च को धर्मशाला वनडे के लिए मैदान में उतरी थी। यह सीरीज साउथ अफ्रीका के खिलाफ थी। हालांकि, बारिश के कारण पहला मैच रद्द हो गया था। इसके बाद सीरीज के बाकी दो मैच कोरोना के कारण रद्द कर दिए गए थे।

भारत ने पिछली सीरीज में 2-1 से ऑस्ट्रेलिया को हराया था
पिछली बार भारतीय टीम ने जनवरी 2019 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर 3 वनडे की सीरीज खेली थी। पहला वनडे हारने के बाद टीम इंडिया ने यह सीरीज 2-1 से जीती थी। तब भी भारतीय टीम की कमान विराट कोहली के हाथ में ही थी। ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी भी एरॉन फिंच के ही पास थी। इस बार भी दोनों टीम के बीच 3 वनडे की सीरीज खेली जाएगी।

हेड-टु-हेड
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अब तक 140 वनडे खेले गए। इसमें टीम इंडिया ने 52 मैच जीते और 78 हारे हैं, जबकि 10 मुकाबले बेनतीजा रहे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसी के घर में भारतीय टीम ने 51 वनडे खेले, जिसमें से 13 जीते और 36 मैच हारे हैं। 2 वनडे बेनतीजा रहे।

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सचिन टॉप स्कोरर
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे में अब तक सबसे ज्यादा रन के मामले में पूर्व क्रिकेट सचिन तेंदुलकर टॉप पर हैं। उन्होंने 71 वनडे में 9 शतक और 15 फिफ्टी के साथ 3077 रन बनाए हैं। इस लिस्ट के टॉप-5 में मौजूदा 16 सदस्यीय भारतीय टीम से सिर्फ कप्तान कोहली और ओपनर शिखर धवन हैं। कोहली ने 40 वनडे में 1910 और धवन ने 27 मैच में 1145 रन बनाए हैं।

टॉप-5 भारतीय विकेट टेकर में मौजूदा टीम का कोई प्लेयर नहीं
1983 के वर्ल्ड कप विजेता कप्तान कपिल देव आज भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे में टॉप विकेट टेकर हैं। उन्होंने 41 मैच में 45 विकेट लिए हैं। टॉप-5 भारतीय बॉलर्स में मौजूदा टीम का कोई भी गेंदबाज नहीं है। भारतीय वनडे टीम में शामिल बॉलर्स में सिर्फ रविंद्र जडेजा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 33 वनडे में सबसे ज्यादा 27 विकेट लिए।

वनडे सीरीज में भारतीय टीम के लिए 5 चुनौतियां

  1. वनडे में तीन बार डबल सेंचुरी लगा चुके दुनिया के अकेले प्लेयर रोहित शर्मा भारतीय टीम में शामिल नहीं हैं। ऐसे में टीम इंडिया को थोड़ा स्ट्रगल करना पड़ सकता है।
  2. स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर बॉल टेम्परिंग के कारण 1 साल का प्रतिबंध झेल कर वापसी कर रहे हैं। इन दो दिग्गजों से भारतीय गेंदबाजों को पार पाना होगा।
  3. भारतीय टीम कोरोना के बीच पहली वनडे सीरीज खेल रही, जबकि ऑस्ट्रेलिया सितंबर में इंग्लैंड दौरे पर 3 वनडे खेलकर फार्म में आ चुकी है। ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को उसी के घर में 2-1 से हराया था।
  4. ऑस्ट्रेलिया टीम में बल्लेबाजी लाइनअप काफी मजबूत है। इसमें ओपनर वॉर्नर, मार्नस लाबुशाने, स्मिथ, मार्कस स्टोइनिस, मैक्सवेल और पैट कमिंस शामिल हैं। हालांकि, भारतीय गेंदबाजी लाइनअप में भी जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव जैसे प्लेयर हैं।
  5. मिशेल स्टार्क ने टी-20 वर्ल्ड कप की तैयारी के लिए इस साल IPL नहीं खेला। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया की मेजबानी में होने वाला वर्ल्ड कप भी दो साल के लिए टल गया है। ऐसे में स्टार्क सीरीज में पूरी ताकत झोंक सकते हैं।

16 सदस्यीय भारतीय टीम में 8 बल्लेबाज और 2 ऑलराउंडर
वनडे सीरीज के लिए टीम इंडिया कप्तान कोहली समेत 8 बल्लेबाजों के साथ ऑस्ट्रेलिया पहुंची है। इनमें लोकेश राहुल और संजू सैमसन दो विकेटकीपर भी शामिल हैं। 16 सदस्यीय टीम में हार्दिक पंड्या और रविंद्र जडेजा दो ऑलराउंडर हैं। स्पिनर्स में जडेजा के अलावा युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव हैं। तेज गेंदबाजी की बागडोर जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, नवदीप सैनी और शार्दुल ठाकुर के कंधों पर रहेगी। चोट से उभरे हार्दिक शायद गेंदबाजी न करें।

भारतीय वनडे टीम

  • बैट्समैन: विराट कोहली (कप्तान), शुभमन गिल, शिखर धवन, लोकेश राहुल (उपकप्तान, विकेटकीपर), मनीष पांडे, श्रेयस अय्यर, मयंक अग्रवाल और संजू सैमसन (विकेटकीपर)।
  • ऑलराउंडर: हार्दिक पंड्या और रविंद्र जडेजा।
  • बॉलर्स: युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, नवदीप सैनी और शार्दूल ठाकुर।

ऑस्ट्रेलिया वनडे टीम

  • बैट्समैन: एरॉन फिंच (कप्तान), एलेक्स कैरी (विकेटकीपर), स्टीव स्मिथ, डेविड वॉर्नर, मैथ्यू वेड (विकेटकीपर)।
  • ऑलराउंडर: मार्नस लाबुशाने, मोइसेस हेनरिक, ग्लेन मैक्सवेल, डेनियल सैम्स, मार्कस स्टोइनिस और कैमरॉन ग्रीन।
  • बॉलर्स: पैट कमिंस, सीन एबॉट, एश्टन एगर, जोश हेजलवुड, मिचेल स्टार्क, एंड्र्यू टाई और एडम जम्पा।


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Virat Kohli: India Vs Australia ODI Series Schedule 2020 | Ind Vs Aus Head To Head Records Key Batting Bowling Statistics


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चीन की ऐप्स पर मोदी की चौथी डिजिटल स्ट्राइक; जानें क्यों किया इन्हें बैन? क्या था खतरा?

केंद्र की मोदी सरकार ने एक बार फिर चीन की 43 मोबाइल ऐप्स पर बैन लगा दिया है। सरकार ने इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) एक्ट की धारा-69A के तहत इन ऐप्स पर बैन लगाया है। इससे पहले जून, जुलाई और सितंबर में भी सरकार ने चीनी ऐप्स पर बैन लगाया था। चीनी ऐप्स पर मोदी सरकार की चौथी डिजिटल स्ट्राइक की पूरी ABCD समझते हैं...

सरकार ने इस बार कितनी ऐप बैन की?

सरकार ने इस बार चीन की 43 ऐप्स पर बैन लगाया है। इसमें सबसे ज्यादा 19 ऐप्स डेटिंग और गेमिंग ऐप हैं। इस बार सरकार स्नैक वीडियो ऐप पर भी बैन लगाया है, जिसे टिकटॉक का रिप्लेसमेंट माना जा रहा था। स्नैक वीडियो सिंगापुर की ऐप है। टिकटॉक बैन होने के बाद महज 2 महीनों के अंदर करीब 5 करोड़ यूजर्स बढ़ गए। इस बार की लिस्ट में चीन के सबसे अमीर शख्स जैक मा के अलीबाबा ग्रुप की भी 4 ऐप्स हैं।

सबसे ज्यादा 14 डेटिंग ऐप्स पर बैन लगा, 8 गेमिंग ऐप्स थीं

सरकार ने ऐप पर बैन कैसे लगाया?

सरकार ने इन ऐप्स को बैन करने की तीन वजहें बताई हैं। एक तो यह देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा है। दूसरा, इनकी वजह से भारत की सुरक्षा खतरे में पड़ती है। तीसरी, यह कानून-व्यवस्था को भी प्रभावित कर सकते हैं।

सरकार ने इन ऐप्स को 2000 में बने IT कानून की धारा-69A के तहत बैन किया है। ये धारा कहती है कि देश की संप्रभुता, सुरक्षा और एकता के हित में अगर सरकार को लगता है, तो वो किसी भी कम्प्यूटर रिसोर्स को आम लोगों के लिए ब्लॉक कर देने का ऑर्डर दे सकती है। ये धारा ये भी कहती है कि अगर सरकार का ऑर्डर नहीं माना गया, तो 7 साल तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

इन ऐप्स को बैन करने की वजह क्या हैं?

  • इन ऐप्स से भारत की सुरक्षा, संप्रभुता और एकता को खतरा है।
  • 130 करोड़ भारतीयों की प्राइवेसी और डेटा को खतरा है।
  • इन ऐप्स से यूजर का डेटा चोरी कर भारत से बाहर मौजूद सर्वर पर भेजा जा रहा है।
  • ये डेटा दुश्मनों के पास पहुंच सकता है।

ये ऐप्स किस तरह से खतरा थीं?

सिक्योरिटी रिसर्चर अविनाश जैन इन ऐप्स के 4 खतरे बताते हैं:

1. राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा: ये ऐप डेटा सिक्योरिटी के लिए हार्मफुल हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इसके साथ ही इनसे जासूसी होने का भी खतरा है। ऐप के जरिए चीन की सरकार पॉलिटिकल और मिलिट्री इन्फॉर्मेशन हासिल कर सकती हैं।

2. यूजर्स की प्राइवेसी को खतरा: ये ऐप कैमरा, माइक्रोफोन और लोकेशन का एक्सेस मांगती हैं और ऐसा शक है कि इस डेटा को चीन की एजेंसियों से साझा किया जाता है।

3. डेटा लीक होने का खतरा: इन ऐप्स के सर्वर बाहर हैं, इसलिए ये यूजर्स की डिटेल, लोकेशन और पर्सनल डेटा एडवरटाइजर को बेच सकते हैं।

4. साइबर अटैक का खतरा: पहले भी चीन की ऐप्स में कई स्पाई वेयर मिले हैं, जिसके जरिए यूजर्स के फोन में ट्रोजन आ जाता है। ट्रोजन एक तरह का माल वेयर होता है, जिससे आपका सारा डेटा लिया जा सकता है।

अब तक कितनी चीनी ऐप्स पर बैन लगा चुकी है सरकार?

सरकार ने पहली बार 29 जून को 59 चीनी ऐप्स पर बैन लगाया था। दूसरी बार 27 जुलाई को 47 ऐप्स बैन किए थे। तीसरी बार 2 सितंबर को पबजी समेत 118 ऐप्स बैन हुए। चौथी बार 24 नवंबर को 43 मोबाइल ऐप्स बैन कीं। तब से लेकर अब तक 148 दिनों में सरकार 267 चीनी ऐप्स को बैन कर चुकी है।

क्या दूसरे देशों में भी बैन हो रही हैं चीनी ऐप्स?
अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन ने 18 सितंबर को वीचैट और टिकटॉक जैसे चीनी ऐप्स को बैन किया था। 20 सितंबर से यह बैन लागू होना था और 12 नवंबर को पूरी तरह से ऐप्स को बंद किया जाना था, लेकिन मामला अदालतों में उलझा रहा। ट्रम्प प्रशासन अक्टूबर में भी प्रयास कर रहा था कि बैन लागू रहे। हालांकि, अब चुनाव के बाद प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। इस वजह से यह बैन फिलहाल प्रभावी नहीं है।



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Alibaba AliExpress; 43 China Apps Banned in India | Why Narendra Modi Government Banned Chinese Mobile Apps; All You Need To Know


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कुरकुरी भिंडी बनाने की इंस्टेंट रेसिपी, इस डिश को गर्मागर्म सर्व करने से पहले चाट मसाला जरूर डालें



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Instant recipe for making crispy lady finger, hotly add chaat masala before serving this dish.


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उस विस्फोटक की खोज, जो बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स गिरा देता है; बनाने वाले को कहते थे- मौत का सौदागर

25 नवंबर 1867। ये वो दिन था, जब दुनिया को खतरनाक विस्फोटक 'डायनामाइट' के बारे में पता चला था। डायनामाइट को बारूद भी कहते हैं। इसकी खोज मशहूर वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल ने की थी। वही अल्फ्रेड नोबेल, जिनके नाम पर हर साल शांति के लिए नोबेल पुरस्कार दिया जाता है। इसी डायनामाइट ने नोबेल को मशहूर किया और इसी की वजह से उन्होंने शांति का रास्ता चुना।

21 अक्टूबर 1833 को स्वीडन में अल्फ्रेड नोबेल का जन्म हुआ। इसी साल उनके पिता इमैनुएल दिवालिया हो गए। इमैनुएल रूस के पीटर्सबर्ग चले गए और वहां एक मैकेनिकल वर्कशॉप शुरू की। 9 साल बाद उनका पूरा परिवार पीटर्सबर्ग आ गया। अल्फ्रेड नोबेल 17 साल की उम्र में पेरिस पहुंचे। यहां से इटली, जर्मनी और अमेरिका गए। इटली में उनकी मुलाकात आसकानिया सुबरेरो से हुई। आसकानिया ने 1847 में नाइट्रोग्लिसरीन की खोज की थी।

नाइट्रोग्लिसरीन एक खतरनाक विस्फोटक था, लेकिन इसे लाने-ले जाने में काफी दिक्कत होती थी। इसलिए अल्फ्रेड और उनके पिता ने नाइट्रोग्लिसरीन पर काम शुरू किया। एक दिन जब अल्फ्रेड उस पर एक्सपेरिमेंट कर रहे थे, तभी उसमें विस्फोट हो गया और उनके भाई एमिल की मौत हो गई।

1866 में अल्फ्रेड ने एक्सपेरिमेंट के दौरान पाया कि एक महीन रेत, जिसे किएसेल्गुर्ह (Kieselguhr) कहते हैं, उसे अगर नाइट्रोग्लिसरीन में मिलाया जाए, तो इससे वह लिक्विड सॉलिड पेस्ट में बदल जाता है। बस यहीं से बना डायनामाइट। उन्होंने 25 नवंबर 1867 को डायनामाइट का पेटेंट कराया।

डायनामाइट का इस्तेमाल वैसे तो पत्थर तोड़ने, सुरंग खोदने, नहर बनाने, बिल्डिंग को ढहाने जैसे कामों में किया जाता है। लेकिन बाद में इसका दुरुपयोग भी होने लगा।

अल्फ्रेड नोबेल 5 भाषाएं जानते थे और उन्होंने अपने जीवन में 355 पेटेंट हासिल किए थे।

1888 में अल्फ्रेड के भाई लुदविग की मौत हो गई। तब एक फ्रेंच अखबार ने अनजाने में छाप दिया कि अल्फ्रेड नोबेल का निधन हो गया। इसके साथ अखबार ने उनकी कड़ी आलोचना करते हुए उन्हें 'Merchant Of Death' यानी 'मौत का सौदागर' बताया।

इसी बात ने अल्फ्रेड को परेशान कर दिया और वो शांति के काम में लग गए। उन्होंने अपनी मौत के एक साल पहले वसीयत लिखी, जिसमें उन्होंने संपत्ति का सबसे बड़ा हिस्सा ट्रस्ट बनाने के लिए अलग कर दिया। 10 दिसंबर 1896 को उनकी मौत हो गई। उन्हीं के सम्मान में 1901 से हर साल 10 दिसंबर को नोबेल पुरस्कार दिया जा रहा है।

भारत और दुनिया में 25 नवंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैंः

  • 1716: अमेरिका में पहली बार किसी शेर को प्रदर्शनी में रखा गया।
  • 1866: इलाहाबाद हाईकोर्ट का उद्घाटन।
  • 1930: जापान में एक ही दिन में भूकंप के 690 झटके रिकॉर्ड किए गए।
  • 1936: जर्मनी और जापान के बीच कोमिंटन (कम्युनिस्ट इंटरनेशनल) विरोधी समझौते पर हस्ताक्षर।
  • 1945: अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में आए बर्फीले तूफान के कारण हुई स्कूल बस दुर्घटना में 15 बच्चों की मौत हो गई।
  • 1948: भारत में राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) की स्थापना हुई।
  • 1949: स्वतंत्र भारत के संविधान पर संवैधानिक समिति के अध्यक्ष ने हस्ताक्षर किए और इसे तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया।
  • 1960: टेलीफोन की STD व्यवस्था का भारत में पहली बार कानपुर और लखनऊ के बीच प्रयोग किया गया।
  • 1965: फ्रांस ने अपना पहला सैटेलाइट लॉन्च किया।
  • 1973: ग्रीस में हफ्तों से फैली अशांति के बीच आज ही के दिन वहां की सेना ने तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज पापाडोपोलस का तख्ता पलट दिया था।
  • 2004: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के कश्मीर फार्मूले को पाक-कश्मीर समिति ने खारिज किया।
  • 2013: इराक की राजधानी बगदाद के कैफे में हुए धमाके में 17 लोगों की मौत हो गई। 37 घायल हुए।


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पढ़िए, इस हफ्ते के शादी स्पेशल मधुरिमा की सारी स्टोरीज सिर्फ एक क्लिक पर

1. विवाह एक पवित्र रिश्ता है जिसकी डोर पूरी तरह विश्वास से बंधी हुई है। शादी के वक्त मंडप के नीचे पंडित जी सात वचनों का जो आदान-प्रदान करवाते हैं, बदलते वक्त के साथ अब उसके मायने भी बदल गए हैं। नए जमाने में क्या हैं सात वचनों के मायने? जानें इस लेख में...

सात वचनों के साथ जीवनसाथी, जीवन भर साथ निभाना

2. शादी तय होने के बाद अगर किसी वजह से शादी रद्द हो जाए, तो नुकसान दोनों ही परिवारों का होता है। इस स्थिति में नुकसान को कम करने में मदद करता है विवाह बीमा। विवाह बीमा की अधिक जानकारी के लिए पढ़ें ये लेख...

विवाह बीमा पॉलिसी देती है वित्तीय जोखिम से सुरक्षा

3. ऐसा कहा जाता है कि मन का रास्ता पेट से होकर गुज़रता है। अगर आपको भी जीतना है अपने ससुराल वालों का दिल, तो उन्हें खिलाएं ये स्वादिष्ट व्यंजन। रेसिपी और बनाने की विधि जानने के लिए पढ़ें ये लेख...

बहूरानी इन लज्जतदार व्यंजनों के मजेदार स्वाद से जीतें ससुराल वालों का दिल

4. आज से शादियों का सीजन शुरू हो रहा है। संक्रमण से सुरक्षा के लिए एहतियात बरतना बहुत जरुरी होगा। शादी के दौरान कोरोना से सावधानी और सुरक्षा बरतने के लिए पेश हैं कुछ खास सुझाव इस लेख में...

कोरोना के चलते शादियों में अब अंदाज़-ए-दावत बदल गया है

5. शादी का सीजन शुरू होने वाला है। नए शादीशुदा जोड़े के लिए तोहफे का चुनाव करने में बेहद परेशानी होती है। इस लेख में जानें, वे कौनसे तोहफे हैं जो नवदंपति के लिए होंगे उपयोगी...

तोहफे ऐसे हों जो नवदंपति के काम आएं, पेश हैं कुछ खास सुझाव आपके लिए

6. शादी की शॉपिंग और तैयारियों के दौरान थकावट होना लाजमी है। ऐसे में चेहरा थका और मुरझाया नज़र आने लगता है। ऐसे में आजमाएं ये घरेलू उपाय, बिना मेकअप के बनाएं त्वचा को ख़ूबसूरत और आकर्षक...

बिना मेकअप के बढ़ाएं चेहरे की रौनक, आजमाएं ये घरेलू उपाय

7. ननद-भाभी का रिश्ता बेहद ख़ूबसूरत होता है। अमूमन दोनों हमउम्र होती हैं, इसलिए रिश्ते को मजबूत बनाएं रखने के लिए ध्यान दें इन खास बातों पर...

घर में खुशियों की राहें बनाती हैं ननद-भाभी

8. कोरोना के चलते शादियों में शासन-प्रशासन द्वारा कुछ पाबंदियां और खास निर्देश दिए गए हैं। ऐसे में शादी की रौनक को बनाए रखने के लिए पेश हैं ये सुझाव...

कोरोना के दौर में इस अंदाज से करें शादी, मेहमानों के लिए करें ये खास व्यवस्था

9. बारात के वधू पक्ष के द्वार पर पहुंचते ही तोरण मारने की रस्म निभाई जाती है। क्या है यह रस्म और इसमें किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है? जानिए इस लेख में...

बरात के द्वार पर पहुंचते ही क्यों मारते हैं तोरण

10. कोरोना के दौर में शादी में मेहमान-नवाजी के साथ-साथ सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम करना बेहद जरूरी है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किस तरह से शादी को बनाया जा सकता है यादगार? जानने के लिए पढ़ें, ये लेख....

शादियों में मेहमाननवाज़ी के साथ रखें सुरक्षा के भी ये खास इंतजाम

11. शादियों का सबसे मजेदार हिस्सा है, इनमें होने वाली रस्में। ऐसी ही एक मजेदार रस्म होती है बंगाली शादियों में, जब दूल्हा आता है द्वार पर...

बंगाली शादियों में द्वार पर दुल्हे के साथ होती है ये मजेदार रस्म

12. मायके में चल रही परेशानियों को सिमरन ने इस तरह सुलझाया की घर वाले भावुक हो उठे और घर में लौट आई खुशियां। आप भी पढ़ें ये भावुक कहानी 'बेटी' इस लेख में...

बेटियां घर छोड़ती हैं, घर वालों को नहीं; सिमरन की ये भावुक कहानी कर देगी आपकी आंखें नम

13. पुरानी पीढ़ी और आज की पीढ़ी की सोच में जमीन-आसमान का अंतर है। जहां पुरानी पीढ़ी में सब्र और बर्दाश्त करने की ताकत थी, वहीं आज की युवा पीढ़ी में इन दोनों ही चीजों की कमी है। इस लेख में पढ़ें, इन दोनों पीढ़ियों की अलग मानसिकता...

वो चंद पीढ़ियों की बर्दाश्त थी, जिसने रिश्तों को मान का पाठ पढ़ा दिया

14. बेटियों की खास बात यही होती है कि वह खुद से पहले अपने परिवार के बारे में सोचती हैं। ये लघुकथा विदाई ऐसे ही एहसास को करती है बयां...

बेटियों की बिदाई घर से हो सकती है मन से नहीं, ऐसे ही एहसास को बयां करती मधु की ये कहानी

15. बहू के प्रीति सास के उखड़े व्यवहार को समझदारी से ही बदला जा सकता है। ऐसे हि एक किस्से को बयां करती है ये लघुकथा...

बहू के प्रति मां की सोच को कुछ यूं बदला रमा ने

16. शादी शब्द का क्या है महत्व? शब्दकोश में इसका क्या है सही अर्थ? जानने के लिए पढ़ें, ये लेख...

शादी का अर्थ है ख़ुशी, हर्ष और आनंद

17. दूल्हे का अंगूठा पकड़ने की रस्म हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में निभाई जाती है। क्या होता है इस रस्म में जानने के लिए पढ़ें ये लेख...

'अंगूठा पकड़ना' शादी के दौरान जीजा साली के बीच निभाने वाली ये अनूठी रस्म

18. कोरोना के कारण शादियों में रस्में पूरी करने के लिए नए-नए रोचक तरीके अपनाए जा रहे हैं। जानें, क्या हैं वो तरीके इस लेख में..

कोरोना के कारण शादियों में अब ये हैं नई रस्में

19. पति-पत्नी को जीवनसाथी इसलिए बोला जाता है क्योंकि वह हर परिस्थिति में एक दूसरे का प्यार और ज़िम्मेदारी से जीवन भर साथ निभाते हैं। पत्नी के प्रति प्यार और जिम्मेदारी के एहसास को बयां करती एक बुजुर्ग की ये भावुक कथा...

बुजुर्ग व्यक्ति की ये भावुक कथा समझाती है प्यार और जिम्मेदारी का महत्व

20. शादी में कई रस्में मस्ती से भरी होती हैं। लेकिन, पंजाबी शादी में मस्ती से भरी एक और रस्म है ‘नाक खिंचाई’। क्या हैं इस रस्म के मायने? जानें इस लेख में...

पंजाबी शादी में नाक खींचने की रस्म है मजेदार

21. हर तरफ तलाक या धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ गई हैं, शादी का पंजीयन कराना और प्रमाणपत्र बनवाना वर और वधू, दोनों के हित में है। इस लेख में जानें, किस तरह बनवाएं प्रमाणपत्र और कहां पड़ती है इसकी ज़रूरत...

क्यों जरुरी है शादी के बाद शादी का प्रमाणपत्र बनवाना



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कोरोना से बिना वैक्सीन रिकवर हो रहे 99% लोग, फिर वैक्सीन की क्या जरूरत? जानें दावे का सच

क्या हो रहा है वायरल: सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा है। इसमें दावा किया जा रहा है कि बिना वैक्सीन के भी कोविड-19 के संक्रमण से 99% से ज्यादा लोग रिकवर हो रहे हैं।

मैसेज शेयर करते हुए सोशल मीडिया यूजर सवाल पूछ रहे हैं कि जब बिना वैक्सीन के ही 99% लोग ठीक हो रहे हैं, तो फिर वैक्सीन का क्या फायदा?

दुनियाभर में बन रही कोविड-19 वैक्सीन के अपडेट्स आने का सिलसिला जारी है। रूस में बनी वैक्सीन स्पूतनिक V ट्रायल के दौरान कोरोना से लड़ने में 95% असरदार साबित हुई है। ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका का कोरोनावायरस वैक्सीन-कोवीशील्ड को 90% असरदार बताया जा रहा है।

एक तरफ जहां वैक्सीन की सफलताओं की खबरें महामारी से जूझ रही दुनिया को राहत दे रही हैं। वहीं, दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर कुछ यूजर ये दावा कर रहे हैं कि वैक्सीन के बिना ही 99% लोग रिकवर हो रहे हैं।

और सच क्या है?

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 24 नवंबर तक 5.87 करोड़ से ज्यादा लोग कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं। वहीं, 13.88 लाख से ज्यादा लोगों की संक्रमण से मौत हो चुकी है। यानी कुल संक्रमितों में से 2.36% लोगों की मौत हो चुकी है।
  • 2.36% लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत होने के आंकड़े से ही ये दावा खारिज हो जाता है कि 99% लोग ठीक हो रहे हैं। पड़ताल के अगले फेज में हमने कोविड-19 का सही रिकवरी रेट पता लगाना शुरू किया।
  • केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार भारत में कोरोना से रिकवर होने वालों मरीजों का प्रतिशत 93.58% है। साफ है कि 99% मरीजों के रिकवर होने वाला दावा फेक है।

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99% of people recovering from corona without a vaccine, then what is the need for the vaccine? Know the truth of this claim


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लव जिहाद पर कानून असंवैधानिक हो सकता है

जहां ‘लव’ है, वहां ‘जिहाद’ कैसा? जिहाद तो दो तरह का होता है। जिहादे-अकबर और जिहादे-अशगर! पहला, बड़ा जिहाद, जो अपने काम, क्रोध, मद, लोभ मोह के खिलाफ इंसान खुद लड़ता है और दूसरा छोटा जिहाद, जो लोग हमलावरों के खिलाफ लड़ते हैं। प्रेम के पैदा होते ही सारे जिहादों का यानी युद्ध का अंत हो जाता है। लेकिन फिर भी भारत में यह शब्द चल पड़ा है- लव जिहाद यानी प्रेमयुद्ध।

इस लव जिहाद के खिलाफ भाजपा की लगभग सभी प्रांतीय सरकारों ने जिहाद छेड़ने की घोषणा कर दी है। वे ऐसा कानून बनाना चाहते हैं, जिसके तहत उन लोगों को कम से कम पांच साल की सजा और जुर्माना भुगतना पड़ेगा, जो किसी हिंदू लड़की को मुसलमान बनाने के लिए उससे शादी का नाटक रचाते हैं। ऐसी शादियां दुष्कर्म, लालच, भय और बहकावे के जरिए होती हैं। यह भी कहा जा रहा है कि इन शादियों का आयोजन विदेशी पैसे के बल पर योजनाबद्ध षडयंत्र के तहत होता है।

यदि सचमुच ऐसा हो रहा है तो यह अनैतिक और राष्ट्रविरोधी है। इसके विरुद्ध जितनी सख्ती की जाए, उतनी कम है लेकिन इधर कानपुर से आई एक सरकारी जांच रपट के मुताबिक ऐसा एक भी मामला सामने नहीं आया है, जहां धर्म-परिवर्तन के लिए विदेशी पैसा इस्तेमाल हुआ या कोई योजनाबद्ध षड़यंत्र किया गया। सरकार के विशेष जांच दल ने ऐसे 14 मामलों की जांच-पड़ताल के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। 11 मामलों में उसे शादी के पहले दुष्कर्म के मामले जरूर मिले हैं।

लव जिहाद के मामले प्रायः मुसलमान लड़कों और हिंदू लड़कियों के बीच हो रहे हैं। लेकिन ‘लव जिहाद’ शब्द चला है, केरल से। पिछले 10-11 वर्षों में केरल और कर्नाटक के पादरी शिकायत करते रहे कि लगभग 4000 ईसाई लड़कियों को जबरन मुसलमान बनाया गया है। उनका आरोप है कि धमकाकर, लालच देकर या झूठ बोलकर उनका धर्म-परिवर्तन करा दिया गया है।

इस आरोप की जांच-पड़ताल सरकारी एजेंसियों ने की लेकिन उन्हें ऐसे प्रमाण नहीं मिले कि उन अंतर्धार्मिक शादियों में लालच, डर या बहकावे का इस्तेमाल हुआ। हां, कुछ इस्लामी संगठनों के ऐसे प्रमाण जरूर मिले, जो धर्म-परिवर्तन (तगय्युर) की मुहीम चलाए हुए हैं। लेकिन यदि यहूदी और पारसियों को छोड़ दें तो ऐसा कौन-सा मजहब है, जिसके लोग अपना संख्या-बल बढ़ाने की कोशिश नहीं करते? इसका बड़ा कारण स्पष्ट है। वे यह मानते हैं कि ईश्वर, अल्लाह, गाॅड या यहोवा को प्राप्त करने का उनका मार्ग ही सर्वश्रेष्ठ और एकमात्र मार्ग है। और फिर संख्या-बल राजनीतिक वजन भी बढ़ाता है।

हिंदू धर्म ही एकमात्र ऐसा है, जो मानता है कि ‘एकं सदविप्रा बहुधा वदन्ति’ यानी सत्य तो एक ही है लेकिन विद्वान उसे कई रूप में जानते हैं। इसीलिए भारत के हिंदू, जैन, बौद्ध या सिख लोगों ने धर्म-परिवर्तन के लिए कभी युद्ध या तिजोरी का सहारा नहीं लिया। ईसा मसीह व पैगंबर मुहम्मद का ज़माना कुछ और था लेकिन उसके बाद का ईसाइयत व इस्लाम का धर्मांतरण का इतिहास शोचनीय रहा है।

यूरोप में करीब एक हजार साल के इतिहास को अंधकार-युग कहते हैं और यदि भारत, अफगानिस्तान, ईरान और मध्य एशिया का मध्युगीन इतिहास पढ़ें तो पता चलेगा कि यदि सूफियों को छोड़ दें तो इस्लाम जिन कारणों से भारत में फैला है, उनका इस्लाम के सिद्धांतों से लेना-देना नहीं है। भारत में ईसाइयत और अंग्रेजों की गुलामी एक ही सिक्के के दो पहलू रहे हैं। इसका तोड़ आर्य समाज ने निकाला था। ‘शुद्ध आंदोलन’ लेकिन वह अधर में लटक गया, क्योंकि मजहब पर जात भारी पड़ गई। ‘घर वापसी’ का भी वही हाल है।

मजहब और जाति, आज की राजनीति के मजबूत हथियार बन गए हैं। लेकिन दुनिया में प्रेम से बड़ा कोई मज़हब नहीं। कोई भी कानून किसी भी मज़हब के लड़के-लड़की को एक-दूसरे से शादी करने से नहीं रोक सकता। मैं मानता हूं कि यदि कोई कानून सच्चे प्रेम में अंड़गा लगाता है तो वह अनैतिक है। ऐसा कोई भी कानून असंवैधानिक घोषित हो जाएगा, जो हिंदू और मुसलमानों पर एक-जैसा लागू नहीं होगा। कोई कानून ऐसा बने कि हिंदू लड़की मुसलमान लड़के से शादी न कर सके और इसके विपरीत मुसलमान लड़की हिंदू लड़के से शादी कर सके तो वह कानून अपने आप रद्द हो जाएगा। अमेरिका में 1960 तक श्वेत और अश्वेतों के बीच शादी पर ऐसा कानून लागू होता था लेकिन वह रद्द हो गया।

हमें ऐसे सबल भारत का निर्माण करना है, जिसमें अंतर्जातीय और अंतर्धार्मिक परिवार पूर्ण समन्वय में रहते हों। मुझे पिछले 50-55 वर्षों में अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, मोरिशस, अफगानिस्तान आदि देशों में ऐसे परिवारों के साथ रहने का मौका मिला है कि जिनमें हिंदू पति, अपनी मुसलमान पत्नी के साथ रोज़ा रखता है और मुस्लिम पत्नी, मगन होकर कृष्ण-भजन गाती है, हिंदू पति गिरजाघर जाता है और उसकी अमेरिकी पत्नी मंदिर में आरती उतारती है। यदि दिल में सच्चा प्रेम है तो सारे भेदभाव हवा हो जाते हैं। मंदिर, मस्जिद, गिरजे की दीवारें गिर जाती हैं और आप उस सर्वशक्तिमान को स्वतः उपलब्ध हो जाते हैं।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)



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डॉ. वेदप्रताप वैदिक, भारतीय विदेश नीति परिषद


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कोरोना के बाद भी ‘मिशन मोड’ खत्म नहीं होना चाहिए

इस हफ्ते वो न्यूज आने लगी है, जिसका हमें महीनों से इंतजार था। कोरोना वायरस की एक नहीं, दो नहीं, तीन वैक्सीन लगभग तैयार हो गई हैं। सबसे अद्भुत बात कि यह काम एक साल के अंदर-अंदर पूरा हो जाएगा। तो ये चमत्कार कैसे हुआ? बस, इसी को मुहिम या ‘मिशन मोड’ कहते हैं।

वैज्ञानिकों के दिमाग में गूंज रहा है कि करना ही करना है, चाहे जो हो जाए। दिन-रात वो जुटे हुए हैं और ऐसी स्थिति में किस्मत भी साथ देती है। अब ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को देख लीजिए। उसके ट्रायल में पाया गया कि जिनको पहला डोज कम मिला, उनके शरीर में वैक्सीन का प्रभाव 90% है। मगर लो डोज उनको गलती से दिया गया। इसे कहते हैं एक ‘हैप्पी एक्सीडेंट’ या सुघटना।

लंदन में 1928 में सैंट मैरी अस्पताल में भी एक ऐसी ही अजीबोगरीब बात हुई। एलेक्जेंडर फ्लेमिंग नाम के एक शोधकर्ता बैक्टीरिया की स्टडी कर रहे थे। एक पेट्री डिश में बैक्टीरिया छोड़कर वे दो हफ्ते छुट्‌टी मनाने चले गए। जब वापस आए तो देखा कि बैक्टीरिया के इर्दगिर्द एक ‘मोल्ड’ (फंगस) बन गया है। और मोल्ड के आस-पास के जीवाणु मरने लगे थे। इस सब्सटेंस को फ्लेमिंग ने नाम दिया ‘पेनिसिलिन’। जिससे हम सब वाकिफ हैं, क्योंकि यहां से मिला चिकित्सकों को एक ब्रह्मास्त्र- एंटीबायोटिक्स। आज हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि ऐसी दवा उपलब्ध न हो। मगर महज़ सौ साल पहले लोग न्यूमोनिया और डिपथेरिया जैसी बीमारी से आमतौर पर मरते थे।

तो पेनिसिलिन की खोज को क्या हम ‘लक बाय चांस’ कह सकते हैं? नहीं? किस्मत उसका साथ देती है, जिसके दिल और दिमाग में जुनून है। जो सवालों के जवाब की तलाश में है। अगर उस डिश के ऊपर के हरे रंग की फंगस को महज गंदगी समझकर फ्लेमिंग धो डालते, तो बात वहीं खत्म हो जाती।

वैज्ञानिक हर प्रयोग को बारीकी से समझता है, परखता है। उसके आंख, कान, नाक, हमेशा सतर्क रहते हैं। ये विज्ञान ही नहीं, जीवन के हर मोड़ पर, हर व्यक्ति के लिए एक सीख है। आप बिजनेस कर रहे हैं, पर मुनाफा कम हो रहा है। ऐसे वक्त पर ज्यादातर लोग निराशावादी हो जाते हैं। लक अगर उनके आगे भांगड़ा डांस करे, तो भी उन्हें दिखाई नहीं देगा।

एक शख्स सड़क पर डोसा बना-बनाकर बेच रहे थे। मेनू में चाइनीज भी एड कर दिया। एक दिन बचे हुए चाइनीज का मसाला उन्होंने डोसे में भर दिया। और ‘शेज़वान डोसा’ के नाम से कुछ लोगों को खिला दिया। अगले दिन उसी डोसे को खाने के लिए लोग उनके स्टॉल पर पहुंच गए। और उनका स्टॉल इस आइटम के लिए फेमस हो गया।

आज ‘डोसा प्लाजा’ नाम की एक चेन के मालिक हैं वही शख्स- प्रेम गणपति। उस बचे हुए मसाले को वो कचरे में भी फेंक सकते थे, मगर उन्होंने कुछ नया ट्राय किया। और उससे एक नया रास्ता खुला। तो आप भी अपने काम में, अपने व्यवसाय में, ऐसे छोटे-छोटे प्रयोग करते रहिए। सौ में से एक जरूर सफल होगा।

मगर क्या हममें करने की दृढ़ता है? अब वैक्सीन को ही देख लीजिए। अगर एक साल के अंदर हम इतनी रहस्यमय बीमारी का इलाज निकाल सकते हैं तो अनेक बीमारियों के लिए वही कमाल दिखा सकते हैं। टीबी से हर साल लगभग एक करोड़ लोग ग्रस्त होते हैं और 14 लाख मरते हैं। मगर आज भी हम सौ साल पुरानी बीसीजी वैक्सीन पर अटके हुए हैं।

चूंकि यह कम आयवर्ग में ज्यादा होती है, टीबी के मरीज यूएसएस और यूके में नहीं, भारत और नाइजीरिया में हैं। तो बड़ी कंपनियों को उसमें कोई खास प्रॉफिट नहीं दिखाई देता। लेकिन, अगर हम चाहें, और इसे भी एक मिशन के तौर पर अपनाएं, तो इसमें भी कमाल हो सकता है। कुछ भी हो सकता है। क्योंकि विज्ञान के कंधों पर प्रगति करना हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।

मगर समाज का साथ भी जरूरी है। डब्ल्यूएचओ ने 1980 में स्मॉल पॉक्स बीमारी खत्म होने का ऐलान किया। वो भी एक मुहिम थी कि दुनिया के हर कोने, हर गली कूचे में, हर आदमी, औरत और बच्चे को वैक्सीन मिले। इसी तरह 2014 में भारत पोलियो से मुक्त हुआ। कोरोना आज छाया हुआ है, वो एक-दो साल में इतिहास हो जाएगा। लेकिन मुहिम चलती रहे, चलती रहे। क्योंकि स्वास्थ्य जीवन का सबसे बड़ा सुख है।

(ये लेखिका के अपने विचार हैं)



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रश्मि बंसल, लेखिका और स्पीकर


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