बुधवार, 4 नवंबर 2020

अमेरिकी इतिहास के 5 राष्ट्रपति, जिन्हें जनता ने नकार दिया, पर इलेक्टोरल कॉलेज ने चुना

लोकतंत्र में जनता ही भाग्य विधाता होती है। अपना शासक और शासन खुद चुनती है। प्रक्रिया अलग-अलग हो सकती हैं। अमेरिका की बात करें तो यहां अब तक पांच बार ऐसा हुआ जब जनता (पॉपुलर वोट) किसी और को राष्ट्रपति बनाना चाहती थी, लेकिन जनप्रतिनिधियों (इलेक्टर्स या इलेक्टोरल कॉलेज) ने किसी और को ही राष्ट्रपति बना दिया। आइए इन पांच खुशकिस्मत अमेरिकी राष्ट्रपतियों के बारे में जानते हैं।

अमेरिका में यह 58वां राष्ट्रपति चुनाव है। 53 बार ऐसा हुआ जब जो राष्ट्रपति बना, उसे पॉपुलर और इलेक्टोरल वोट ज्यादा मिले। लेकिन, 5 बार ऐसे नेता राष्ट्रपति बने जो इलेक्टोरल कॉलेज से जीते। वे जनता की पहली पसंद नहीं थे।

जॉन क्विंसी एडम्स (1825-29)
इस चुनाव में दोनों पार्टियों से दो-दो यानी कुल चार उम्मीदवार थे। इनके नाम थे- एंड्रयू जैक्सन, जॉन क्विंसी एडम्स, विलियम क्रॉफर्ड और हेनरी क्ले। यह अमेरिकी संविधान में 12वें संशोधन के पहले की बात है। मामला उलझा तो इसे हाउस रिप्रेंजेंटेटिव्स के पास भेजा गया। नियम के मुताबिक, टॉप 3 कैंडिडेट चुने गए। हेनरी क्ले दौड़ से बाहर हो गए। हाउस में वोटिंग हुई तो एडम्स को राष्ट्रपति चुन लिया गया।

रदरफोर्ड बी. हायेस (1877-81)
यहां भी एडम्स की तरह मामला उलझा। वोटर्स के बजाए कांग्रेस ने फैसला किया। रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से रदरफोर्ड बी. हायेस और डेमोक्रेट्स की तरफ सैम्युअल टिल्डेन उम्मीदवार थे। उस वक्त टिल्डेन को 184 इलेक्टोरल वोट (तब बहुमत से एक कम) मिले। हायेस को 165 वोट मिले। 20 वोटों पर विवाद था। संवैधानिक संकट पैदा हो गया। कांग्रेस ने एक कमिशन बनाया। क्योंकि, दोनों पार्टियां 20 विवादित वोटों पर दावा कर रहीं थीं। इसने 20 वोट हायेस को दे दिए। वे सिर्फ एक वोट से चुनाव जीत गए। कुछ राजनीतिक इतिहासकार मानते हैं कि दोनों पार्टियों के बीच एक सीक्रेट डील के तहत हायेस प्रेसिडेंट बने।

बेंजामिन हैरिसन (1889-93)
1888 में मुकाबला प्रेसिडेंट ग्रोवल क्लीवलैंड और रिपब्लिकन कैंडिडेट बेंजामिन हैरिसन के बीच था। दोनों पार्टियों पर आरोप लगे कि उन्होंने ‘नोट के बदले वोट’ जैसा गलत काम किया। यानी मतदाताओं को पैसे देकर वोट खरीदे। दक्षिणी राज्यों में डेमोक्रेट्स जबकि पूर्व और पश्चिम में रिपब्लिकन्स को जीत मिली। क्लीवलैंड को हैरिसन से 90 हजार पॉपुलर वोट ज्यादा मिले। लेकिन, इलेक्टोरल वोट हैरिसन को 233 जबकि क्लीवलैंड को सिर्फ 168 मिले। हैरिसन राष्ट्रपति बने। चार साल बाद उन्होंने हैरिसन को करारी शिकस्त दी।

जॉर्ज डब्ल्यू बुश (2001-2009)
हैरिसन का इतिहास पूरे 112 साल बाद दोहराया गया। नवंबर 2000 में मुकाबला था रिपब्लिकन जॉर्ज डब्ल्यू बुश (बुश जूनियर) और डेमोक्रेट अल गोर के बीच। गोर बिल क्लिंटन के दौर में वाइस प्रेसिडेंट थे। ओरेगन, न्यू मैक्सिको और फ्लोरिडा में मामला फंस गया। फ्लोरिडा में तो दूसरी बार वोटों की गिनती हुई। मामला पहले फ्लोरिडा कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। 9 में से 5 जज बुश और 4 गोर के पक्ष में रहे। इलेक्टोरल कॉलेज में 271 वोट बुश और 266 अल गोर को मिले। हालांकि, पॉपुलर वोट 5 लाख से ज्यादा अल गोर के पाले में गए।

डोनाल्ड ट्रम्प (2016-20)
ये तो पिछले ही चुनाव की बात है। पॉपुलर वोट के मामले में वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प काफी पीछे थे। डेमोक्रेट कैंडिडेट हिलेरी क्लिंटन को ट्रम्प से 28 लाख ज्यादा पॉपुलर वोट हासिल हुए। कैलिफोर्निया और न्यूयॉर्क में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। लेकिन, विस्कॉन्सिन, पेन्सिलवेनिया और मिशिगन में कम अंतर से ही सही ट्रम्प आगे निकल गए। इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों की गिनती हुई तो ट्रम्प को 304 जबकि हिलेरी को महज 227 वोट मिले। अब ट्रम्प फिर मैदान में हैं। पोल्स बाइडेन को आगे बता रहे हैं। हिलेरी के साथ भी यही हुआ था। लेकिन, आखिर में इलेक्टोरल कॉलेज ट्रम्प के लिए ‘ट्रम्प कार्ड’ साबित हुए।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Electoral college elected 5 presidents of American history, who were rejected by the public


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3k3InMZ
https://ift.tt/3mOXtrd

कन्फ्यूजन ना केवल आपको कमजोर करता है, बल्कि हार का कारण बन सकता है

कहानी - कुरुक्षेत्र के मैदान में दोनों तरफ सेनाएं खड़ी थी। कौरवों के पास ज्यादा सेना थी, पांडवों के पास कम। पांडवों का जो प्रमुख योद्धा था, वह अर्जुन था और उसके रथ पर सारथी श्रीकृष्ण थे।

अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा कि मेरे रथ को कौरवों की सेना की ओर लेकर चलिए। मैं पितामह भीष्म, द्रोणाचार्य, दुर्योधन, अश्वत्थामा और कर्ण को देखना चाहता हूं। कृष्ण कुछ नहीं बोले और रथ ले गए। वे रथ लौटाकर लाए तो अचानक धड़ाम की आवाज आई।

श्रीकृष्ण ने पलटकर देखा कि अर्जुन अपना धनुष गांडीव नीचे रखकर बैठा है और एक संवाद बोला मैं ये युद्ध नहीं करूंगा। कृष्ण समझ गए कि भयभीत कम है और भ्रमित ज्यादा है। अर्जुन ने कहा था कि मैं खड़ा नहीं हो पा रहा है, मेरा मुंह सूख रहा है, मेरा शरीर कांप रहा है, मेरा धनुष गिर रहा है। श्रीकृष्ण ने कहा कि युद्ध के मैदान में ऐसा बहुत से लोगों के साथ होता है। इस पर अर्जुन ने कहा कि मेरा मन भ्रमित है। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं युद्ध करूं या न करूं।

तब श्रीकृष्ण ने कहा कि सारी कमजोरियां चलेंगी, लेकिन भ्रमित होना नहीं चलेगा।

तुम युद्ध इसलिए नहीं कर रहे कि तुम्हारे सामने रिश्तेदार हैं, तुम्हारे पूजनीय है। सच तो ये है कि तुम धर्म की रक्षा के लिए युद्ध कर रहे हो। मुद्दा युद्ध नहीं है, बात अपनों की नहीं है, सच तो ये है कि धर्म बचाना है। भ्रम दूर करने के लिए मैं तुम्हें कुछ बातें समझाता हूं। 700 श्लोकों में कृष्ण ने गीता जैसा उपदेश दिया। अंत में अर्जुन ने कहा कि अब मेरा भ्रम दूर हो गया, अब मैं तैयार हूं।

सबक - जो भी काम करो, पूरी मजबूती से करो, अगर भ्रमित हो गए तो पराजित हो जाओगे।

ये भी पढ़ें...

लाइफ मैनेजमेंट की पहली सीख, कोई बात कहने से पहले ये समझना जरूरी है कि सुनने वाला कौन है

जब कोई आपकी तारीफ करे तो यह जरूर देखें कि उसमें सच्चाई कितनी है और कितना झूठ है

आज का जीवन मंत्र:अकेली महिला समाज में असुरक्षित क्यों है? क्यों नारी देह आकर्षण, अधिकार और अपराध का शिकार बनती जा रही है?

कार्तिक मास आज से - जीवन के तीन खास पहलुओं को पूरी तरह से जीने का महीना है कार्तिक, दीपावली के पांच दिन पांच भावनाओं के प्रतीक हैं



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
aaj ka jeevan mantra by pandit vijay shankar mehta, life management tips, story of mahabharata, Confusion is our weakens you, lord krishna and arjun


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/38m6N23
https://ift.tt/32au1E2

अमेरिकी चुनाव के नतीजे तय करेंगे दुनिया में क्लीन और ग्रीन एनर्जी का भविष्य, जानिए कैसे?

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों के नतीजों पर पूरी दुनिया की नजर है। यह नतीजे सिर्फ अमेरिका का नया राष्ट्रपति तय नहीं करेंगे, बल्कि पूरी दुनिया में क्लीन और ग्रीन एनर्जी के लिए किए जा रही कोशिशों पर भी असर डालेंगे। प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प ने तीन साल पहले क्लाइमेट चेंज पर बने पेरिस एग्रीमेंट से बाहर निकलने की घोषणा की थी। ऐसा हुआ तो ईरान और तुर्की के बाद अमेरिका तीसरा बड़ा देश होगा, जो क्लाइमेट चेंज से जुड़े कमिटमेंट पूरे नहीं करेगा।

दरअसल, बुधवार को अमेरिका औपचारिक रूप से पेरिस क्लाइमेट एग्रीमेंट से बाहर हो रहा है। ट्विस्ट यह है कि डेमोक्रेटिक कैंडीडेट जो बाइडेन ने वादा किया है कि वे चुनाव जीते तो पेरिस क्लाइमेट एग्रीमेंट में अमेरिका फिर जुड़ जाएगा। इसमें एक महीना तक लग सकता है। आखिर, डेमोक्रेट प्रेसिडेंट बराक ओबामा के टेन्योर में ही तो इस एग्रीमेंट को साकार करने में अमेरिका ने अहम भूमिका निभाई थी।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावः जानिए कैसे अमेरिकन देसी तय करेंगे अबकी बार किसकी सरकार?

क्या है पेरिस एग्रीमेंट और यह ग्लोबल क्लाइमेट चेंज रोकने में अहम क्यों है?

  • दशकों तक बातचीत के बाद दुनिया के 197 देश इस बात को लेकर सहमत हुए थे कि वे धरती का तापमान बढ़ाने वाली गैसों का उत्सर्जन (एमिशन) कम करेंगे। चुनिंदा देशों ने ही डील से दूरी बनाई थी। एक्सपर्ट्स को लगता है कि पेरिस एग्रीमेंट में टारगेट्स बहुत कम रखे हैं, लेकिन दुनिया के ज्यादातर देशों को एक बात के लिए राजी करना इतना आसान नहीं था।
  • 2015 में पेरिस में सब देश साथ आए। यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज बनाया। उस समय अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एग्रीमेंट को ऐतिहासिक बताया था। यह भी कहा था कि यह महज शुरुआत है। धरती के बढ़ते तापमान को रोकने के लिए आगे भी बहुत कुछ करने की जरूरत होगी।
  • इस एग्रीमेंट का लक्ष्य है दुनिया के तापमान को औद्योगिकीकरण से पहले की स्थिति के मुकाबले अधिकतम 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखा जाए। हालांकि, वैज्ञानिक तो चाहते हैं कि धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखा जाए, लेकिन अब यह संभव नहीं लग रहा, क्योंकि 1 डिग्री सेल्सियस तापमान तो पहले ही बढ़ चुका है। पेरिस एग्रीमेंट में हर देश ने अपने स्तर पर टारगेट्स सेट किए और वह उस पर अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट दे रहा है।

क्या अब तक एग्रीमेंट की वजह से कुछ सुधार आया है?

  • फिलहाल किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। एमिशन कम करने के प्रयासों के अच्छे शुरुआती नतीजे सामने आए हैं। सच यह भी है कि जितने प्रयास अब तक हुए हैं, वह आने वाले समय में धरती के तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने से रोकने में नाकाफी होंगे।
  • पेरिस एग्रीमेंट के बाद भी दुनिया मौजूदा स्पीड से 3 डिग्री सेल्सियस तक गर्म होने की राह पर है। क्लाइमेट चेंज की वजह से परेशानियां सामने आने लगी हैं। यदि अब भी गंभीर प्रयास नहीं किए तो और तेज लू चलेगी, समुद्र का स्तर बढ़ेगा और बड़े शहरों में बाढ़ का सामना करना होगा। सरकारों को हर मौसम की तीव्रता का सामना करने के लिए तैयार होना होगा।

दुनियाभर में इस साल सितंबर सबसे गर्म महीना रहा, पिछले साल के मुकाबले 0.05° सेल्सियस तापमान ज्यादा था

यदि पृथ्वी का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस से बढ़ गया तो क्या होगा?

कार्बन ब्रीफ के एक एनालिसिस के मुताबिक, अगर दुनिया 2 डिग्री सेल्सियस गर्म हुई तो…

  • समुद्र का जलस्तर 56 सेमी या 2 फीट बढ़ जाएगा।
  • 2055 तक समुद्र तटीय इलाकों में रहने वाले 30 मिलियन लोग हर साल बाढ़ में डूबेंगे।
  • 37% आबादी को हर पांच साल में तेज लू का सामना करना पड़ेगा।
  • 38.8 करोड़ लोगों को पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा और 19.5 करोड़ लोग सूखे का सामना करेंगे।
  • 2100 तक मुख्य फसलों की पैदावार 9% तक कम हो चुकी होगी।
  • 2100 तक ग्लोबल पर-कैपिटा जीडीपी 13% तक कम हो चुकी होगी।

क्या ट्रम्प प्रशासन ने क्लाइमेट संकट को टालने के लिए कोई उपाय किए हैं?

  • नहीं, बल्कि संकट बढ़ाने वाले काम ही किए हैं। पिछले चार साल में ट्रम्प प्रशासन ने सिर्फ क्लाइमेट चेंज रोकने की अंतरराष्ट्रीय कोशिशों का मखौल ही उड़ाया। उन्होंने ओबामा के समय बने क्लाइमेट-फ्रेंडली कानूनों को रद्द किया। ड्रिलिंग और माइनिंग एक्टिविटी को बढ़ाया। इतना ही नहीं ऑयल, गैस और कोयले जैसे पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से हटकर क्लीन एनर्जी को अपनाने के प्रयासों पर भी ब्रेक लगाए।

यदि डोनाल्ड ट्रम्प फिर राष्ट्रपति बने तो क्या होगा?

  • ट्रम्प ने जून 2017 में व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पेरिस एग्रीमेंट से बाहर होने की घोषणा की थी। उन्होंने यह भी कहा था कि पेरिस एग्रीमेंट अमेरिका के हित में नहीं है। इस वजह से वे नए सिरे से बातचीत शुरू करेंगे और ऐसा एग्रीमेंट करेंगे जो अमेरिका के हित में होगा।
  • 4 नवंबर 2019 को अमेरिका ने डील से बाहर निकलने की एक साल लंबी प्रक्रिया शुरू की। यूनाइटेड नेशंस (UN) को सूचना भी भेज चुका है कि 4 नवंबर 2020 को वह औपचारिक तौर पर पेरिस एग्रीमेंट से बाहर हो जाएगा।
  • जीतने पर ट्रम्प को बतौर प्रेसिडेंट फिर से चार साल मिल जाएंगे और वह क्लाइमेट चेंज के लिए ग्लोबल लेवल पर चल रही कोशिशों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वैज्ञानिक कह रहे हैं कि जल्द से जल्द उपाय करने की जरूरत है और अगर अभी नहीं संभले तो देर हो चुकी होगी।
पेरिस एग्रीमेंट पर ट्रम्प के फैसले का विरोध करते प्रदर्शनकारी।

अमेरिका ने अब तक पेरिस एग्रीमेंट पर क्या किया है?

  • अमेरिका ने 2025 तक एमिशन को 2005 के स्तर से 26% से 28% तक घटाने का वादा किया था। यह अमेरिका की ओर से इस दिशा में सिर्फ शुरुआत ही होती। उसके बाद और भी प्रयास करने होते।
  • इकोनॉमिक फर्म रोडियम ग्रुप के एनालिसिस के मुताबिक, कोविड-19 महामारी ने इकोनॉमी को तबाह किया है, इसे देखते हुए अमेरिका से उम्मीद थी कि वह 2025 तक एमिशन को 2005 के स्तर से 20%-27% तक ले जाएगा।
  • क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर के एनालिसिस के मुताबिक, अमेरिका ने जो वादा किया है, वह भी काफी नहीं है। यदि सभी देश उतना ही करें, जितना अमेरिका कर रहा है तो भी आने वाले वर्षों में पृथ्वी का तापमान 3-4 डिग्री सेल्सियस बढ़ने से कोई नहीं रोक सकेगा।

जो बाइडेन जीते तो क्या होगा?

  • बाइडेन ने पहले ही साफ किया है कि वे जल्द से जल्द पेरिस एग्रीमेंट जॉइन करेंगे। इसमें भी 30 दिन का वक्त लग ही जाएगा। पूर्व वाइस-प्रेसिडेंट ने महत्वाकांक्षी क्लाइमेट प्लान बनाया है, लेकिन उस पर कांग्रेस की मंजूरी की जरूरत होगी।
  • उनका प्रस्ताव लागू कर पाना नामुमकिन होगा अगर डेमोक्रेट्स सीनेट पर कंट्रोल नहीं कर सके। अगर डेमोक्रेट्स के पास हाउस और सीनेट में बहुमत होगा और व्हाइट हाउस में बाइडेन होंगे तो ही क्लाइमेट को लेकर अमेरिकी चिंता जाहिर हो सकेगी।
  • बाइडेन ने कहा है कि वे 2050 तक एमिशन नेट-जीरो ले जाने की दिशा में प्रयास शुरू करेंगे। वैज्ञानिक भी यही कह रहे हैं कि अगर हर देश ने इस तरह का टारगेट सेट किया तो ही क्लाइमेट चेंज का संकट टल सकेगा, वरना मुश्किल तो आनी ही है।
  • बाइडेन चाहते हैं कि 2035 तक इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम कार्बन-फ्री हो जाए। उनका कहना है कि वे क्लीन एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य क्लाइमेट उपायों पर 2 लाख करोड़ डॉलर खर्च करेंगे। पहले चार साल में जितना ज्यादा हो सकेगा, वे खर्च करने को तैयार हैं।

अगर अमेरिका बाहर निकला तो दुनिया पर क्या असर होगा?

  • अगर अमेरिका पेरिस एग्रीमेंट से बाहर निकला तो बाकी देशों को गंभीरता से क्लाइमेट एक्शन लेने के लिए मनाने में दिक्कत होगी। अमेरिका ऐतिहासिक रूप से क्लाइमेट चेंज में बड़ा कॉन्ट्रिब्यूटर रहा है।
  • इस समय चीन सबसे ज्यादा एमिशन कर रहा है। उसने भी घरेलू एमिशन ग्रोथ कम की है। यह बात अलग है कि वह विकासशील देशों में नए कोल-प्लांट्स को फंडिंग कर रहा है। अमेरिका यदि बाहर हुआ तो चीन का जियो पॉलिटिकल प्रभाव बढ़ जाएगा। क्लाइमेट को लेकर बातचीत में भी। वह क्लीन एनर्जी मैन्युफैक्चरिंग का फायदा उठा सकता है।
  • अगर अमेरिका की राष्ट्रीय सरकार ने क्लाइमेट चेंज को रोकने के लिए प्रयास नहीं किए तो हो सकता है कि ग्रीन और क्लीन एनर्जी के बारे में सोचने वाले अमेरिकी स्टेट्स अपने स्तर पर दुनिया के सामने एमिशन कम करने का उदाहरण पेश करें।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Donald Trump Vs Joe Biden; Know Why US Exit From Paris Agreement Will Impact On Climat Change Efforts | US Presidential Elections 2020


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3enhAtD
https://ift.tt/3l0l8EE

फेस्टिव सीजन में ट्राय करें लौकी माखनी, इसे सर्व करने से पहले क्रीम और हरा धनिया डालें



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Try Lauki makhani during festival season, add cream and green coriander before serving it


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/362br2b
https://ift.tt/2JtPdOV

10 साल पहले जीरे की खेती शुरू की, अब सालाना 50 करोड़ टर्नओवर, अमेरिका-जापान करते हैं सप्लाई

राजस्थान के जालोर जिले के रहने वाले योगेश जोशी जीरा, सौंफ, धनिया, मेथी व कलौंजी जैसे मसालों की खेती करते हैं। सात किसानों के साथ मिलकर उन्होंने 10 साल पहले खेती शुरू की थी। आज उनके साथ 3000 से ज्यादा किसान जुड़े हैं। अभी 4 हजार एकड़ जमीन पर वो खेती कर रहे हैं। सालाना 50 करोड़ रु से ज्यादा का टर्नओवर है।

35 साल के योगेश कहते हैं,' घर के लोग नहीं चाहते थे कि मैं खेती करूं। वे चाहते थे कि पढ़-लिखकर सरकारी नौकरी करूं। एग्रीकल्चर से ग्रेजुएशन के बाद उनका कहना था कि मुझे इसी फील्ड में सरकारी सर्विस के लिए प्रयास करना चाहिए। उन्हें डर था कि खेती में कुछ नहीं मिला तो फिर आगे मेरा क्या होगा, लेकिन मेरा इरादा खेती करने का था।

योगेश कहते हैं कि ग्रेजुएशन के बाद मैंने ऑर्गेनिक फार्मिंग में मैंने डिप्लोमा किया। इसके बाद मैंने 2009 में खेती करना शुरू किया। मुझे खेती किसानी के बारे में कोई आइडिया नहीं था। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल था कि कौन सी फसल लगाई जाए। काफी रिसर्च के बाद मैंने तय किया कि जीरे की खेती करूंगा, क्योंकि जीरा कैश क्रॉप है, इसे कभी भी बेच सकते हैं।

35 साल के योगेश पिछले 10 साल से खेती कर रहे हैं। उन्होंने अपने साथ 3 हजार से ज्यादा किसानों को जोड़ा है।

वो बताते हैं- पहली बार एक एकड़ जमीन पर मैंने जीरे की खेती की। तब सफलता नहीं मिली, नुकसान हो गया। इसके बाद भी मैंने हिम्मत नहीं हारी। हमें अनुभव और सलाह न होने के चलते शुरुआत में नुकसान हुआ था, इसलिए सेंट्रल एरिड जोन रिसर्च इंस्टिट्यूट (CAZRI) के कृषि वैज्ञानिक डॉ. अरुण के शर्मा की मदद ली। उन्होंने मेरे साथ कई और किसानों को गांव आकर ट्रेनिंग दी, जिसके बाद हम लोगों ने फिर जीरा उगाया और मुनाफा भी हुआ। इसके बाद हमने खेती का दायरा बढ़ा दिया। साथ ही दूसरी फसलों की भी खेती शुरू की।

योगेश ने ऑनलाइन मार्केटिंग के सारे टूल्स यूज किए। इसके अलावा कई कंपनियों से संपर्क किया। फिलहाल वो कई देशी-विदेशी कंपनियों के साथ कर कर रहे हैं। उन्होंने हैदराबाद की एक कंपनी के साथ 400 टन किनोवा की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग यानी समझौते पर खेती के लिए करार किया है। इसके साथ ही उन्होंने एक जापानी कंपनी के साथ करार किया है। वे उनके लिए जीरे उगाते हैं और सप्लाई करते हैं। जापान से उनके प्रोडक्ट को बेहतर रिस्पॉन्स मिला है। अब उन्होंने अमेरिका में भी सप्लाई करना शुरू किया है।

योगेश को केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से कई सम्मान मिल चुके हैं।

योगेश बताते हैं,'ऑर्गेनिक खेती को बिजनेस का रूप देने के लिए मैंने रैपिड ऑर्गेनिक कंपनी बनाई। जिसके जरिए मेरी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को इसमें जोड़ा जाए और उन्हें अच्छा मुनाफा दिलाया जा सके। शुरुआत में किसान हमारे साथ जुड़ने से कतराते थे, लेकिन अब वो खुद ही जुड़ने के लिए उत्सुक रहते हैं। ये हमारी लिए उपलब्धि है कि पिछले 5-7 वर्षों में हमारे समूह के 1000 किसान ऑर्गेनिक सर्टिफाइड हो चुके हैं।'

वो कहते हैं- ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन होने पर तो किसानों की उपज बेचने में आसानी होती है। जिन किसानों के पास सर्टिफिकेशन नहीं होता, उन्हें दिक्कत होती है। वो बताते हैं कि ऐसे कई किसान हैं, जो आर्गेनिक खेती करते तो हैं, लेकिन वे अपने प्रोडक्ट बेच नहीं पाते हैं। ऐसे किसानों के लिए इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट सुविधा है। इस सुविधा के तहत जिन किसानों के पास सर्टिफिकेशन नहीं होता है, उनकी भी उपज खरीद ली जाती है।

मां फैक्ट्री सुपरवाइजर थीं, बेटा पर्चे बांटता, फिर खड़ी की 20 लाख टर्नओवर की कंपनी

योगेश अभी दो कंपनियों को चला रहे हैं। एक के जरिए वे किसानों को ट्रेनिंग देते हैं। उन्हें खेती के बारे में जानकारी देते हैं और भी जरूरी मदद हो वो पहुंचाते हैं। वो उनके लिए मेडिकल कैंप, एजुकेशनल कैंप और ट्रेनिंग कैंप लगवाते हैं। उनकी दूसरी कंपनी प्रोडक्शन और मार्केटिंग का काम देखती है।

योगेश कई देशी-विदेशी कंपनियों के साथ कर कर रहे हैं, जिसमें हैदराबाद की एक कंपनी के साथ 400 टन किनोवा की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए करार किया है।

उनकी टीम में अभी 50 लोग काम कर रहे हैं। योगेश की पत्नी भी उनके काम में सहयोग करती हैं और कंपनी में अहम जिम्मेदारी निभा रही हैं। उन्होंने महिला किसानों के लिए एक ग्रुप बनाया है और वो उन्हें ट्रेनिंग दे रही हैं। इसके साथ ही वो यूट्यूब पर खाना बनाने और तरह-तरह की रेसिपीज को लेकर भी प्रोग्राम बनाती हैं।

योगेश बताते हैं कि ऑर्गेनिक खेती में बेहतर करिअर ऑप्शन हैं। जो भी इस फील्ड में काम करना चाहता है, उसे दो-तीन साल समय देना चाहिए। अगर वह समय देता है तो जरूर कामयाब होगा। देश में ऐसे कई लोग हैं, जो इस फील्ड में शानदार काम कर रहे हैं। योगेश को केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से कई सम्मान मिल चुके हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
योगेश ने सात किसानों के साथ मिलकर 10 साल पहले खेती शुरू की थी। आज उनके साथ 3000 से ज्यादा किसान जुड़े हैं।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2I2woSa
https://ift.tt/3emwFLS

इस बार 38 सीटों पर वोटिंग बढ़ी, 2015 में 92 पर बढ़ी थी तो भाजपा ने 2010 में जीती 26 सीटें गंवा दी थीं

बिहार में दूसरे फेज की 94 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। आंकड़े बता रहे हैं कि कोरोना का इस बार की वोटिंग पर खास असर नहीं पड़ा। बुधवार शाम 6 बजे तक इन सीटों पर 54.44% वोटिंग हुई। 2015 में 56.17% वोटिंग हुई थी।

हालांकि, इस बार 94 में से सिर्फ 38 सीटों पर ही वोटिंग बढ़ी है। पिछली बार 92 सीटों पर बढ़ी थी। वोटिंग पर्सेंटेज के घटने-बढ़ने का असर भाजपा के प्रदर्शन पर जरूर पड़ता है।

वोटिंग बढ़ने से भाजपा पर कितना असर?

2010 में भाजपा ने इन 94 में से 36 सीटें जीती थीं। 2015 में 92 सीटों पर वोटिंग बढ़ गई। नतीजा ये हुआ कि भाजपा ने 2010 में जो 36 सीटें जीती थीं, उनमें से 26 सीटें गंवा दी थीं। 2015 में भाजपा इन 94 में से सिर्फ 20 सीटें ही जीत सकी थी।

हालांकि, पिछली बार भाजपा के सीटें हारने की एक वजह जदयू से अलग होना भी था। पिछली बार भाजपा और जदयू दोनों अलग-अलग लड़े थे। जदयू ने राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। उस समय महागठबंधन ने इन 94 में से 70 सीटें जीत ली थीं।

भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान
भाजपा को पिछली बार सबसे ज्यादा नुकसान राजद ने पहुंचाया था। भाजपा ने 2015 में जो 26 सीटें गंवाई थीं, उनमें से 15 सीटें राजद ने जीती। कांग्रेस और जदयू ने 5-5 और भाकपा (माले) ने 1 सीट छीनी थी।

भाजपा ने पिछली बार 10 नई सीटें जीती थीं। यानी ऐसी सीटें जिन पर 2010 में दूसरी पार्टी जीती थी। भाजपा ने जो नई सीटें जीती थीं, उनमें से 8 पर 2010 में जदयू जीती थी। जबकि, 2 राजद के पास थीं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Nitish Kumar Tejashwi Yadav; Bihar Assembly Election 2020 Phase Second Voting Percentage Today | Check Updates on 2nd Phase Voter Turnout


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3oY19Jk
https://ift.tt/32aZar2

आज फ्रांस से भारत आएंगे 3 और राफेल; 7,364 किमी. का सफर बिना रुके पूरा करेंगे

इंडियन एयरफोर्स को आज शाम तक तीन और राफेल फाइटर जेट मिल जाएंगे। तीनों राफेल फ्रांस से उड़ान भरने के बाद 7,364 किलोमीटर का सफर बिना रुके पूरा करेंगे। शाम तक इनके भारत पहुंचने की उम्मीद है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बार ये तीनों राफेल गुजरात के जामनगर एयरबेस पर लैंड करेंगे। इनके आते ही भारत में राफेल की संख्या 8 हो जाएगी। अगले 2 साल में फ्रांस सभी 36 फाइटर जेट डिलीवर करेगा।

भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में 58 हजार करोड़ में 36 राफेल फाइटर जेट की डील की थी। 36 में से 30 फाइटर जेट्स होंगे और 6 ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट होंगे। ट्रेनर जेट्स टू सीटर होंगे और इनमें भी फाइटर जेट्स जैसे सभी फीचर होंगे।

हवा में ईंधन भरा जाएगा, इस बार कोई हाल्ट नहीं
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, राफेल के साथ हवा में फ्यूल भरने वाला फ्रांस के एयरफोर्स का स्पेशल जेट भी होगा। पिछली बार 29 जुलाई को फ्रांस से 5 राफेल भारत आए थे। तब भी हवा में ईंधन भरा गया था। हालांकि, तब पांचों राफेल ने फ्रांस के दासौ एविएशन से उड़ान भरने के बाद UAE में हाल्ट किया था। इस बार हाल्ट नहीं है।

परमाणु हमला करने में सक्षम है राफेल
राफेल डीएच (टू-सीटर) और राफेल ईएच (सिंगल सीटर), दोनों ही ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ चौथी जनरेशन का फाइटर है। ये न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है।इस फाइटर जेट को रडार क्रॉस-सेक्शन और इन्फ्रा-रेड सिग्नेचर के साथ डिजाइन किया गया है। इसमें ग्लास कॉकपिट है। इसके साथ ही एक कम्प्यूटर सिस्टम भी है, जो पायलट को कमांड और कंट्रोल करने में मदद करता है।

इसमें ताकतवर एम 88 इंजन लगा हुआ है। राफेल में एक एडवांस्ड एवियोनिक्स सूट भी है। इसमें लगा रडार, इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन सिस्टम और सेल्फ प्रोटेक्शन इक्विपमेंट की लागत पूरे विमान की कुल कीमत का 30% है।इस जेट में आरबीई 2 एए एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार लगा है, जो लो-ऑब्जर्वेशन टारगेट को पहचानने में मदद करता है।

100 किमी के दायरे में भी टारगेट को डिटेक्ट कर लेता है
राफेल सिंथेटिक अपरचर रडार (SAR) भी है, जो आसानी से जाम नहीं हो सकता। जबकि, इसमें लगा स्पेक्ट्रा लंबी दूरी के टारगेट को भी पहचान सकता है। इन सबके अलावा किसी भी खतरे की आशंका की स्थिति में इसमें लगा रडार वॉर्निंग रिसीवर, लेजर वॉर्निंग और मिसाइल एप्रोच वॉर्निंग अलर्ट हो जाता है और रडार को जाम करने से बचाता है। इसके अलावा राफेल का रडार सिस्टम 100 किमी के दायरे में भी टारगेट को डिटेक्ट कर लेता है। राफेल में आधुनिक हथियार भी हैं। जैसे- इसमें 125 राउंड के साथ 30 एमएम की कैनन है। ये एक बार में साढ़े 9 हजार किलो का सामान ले जा सकता है।

विमानों को पावरफुल बनाया जा रहा
राफेल फाइटर जेट को और ज्यादा पावरफुल बनाया जा रहा है। वायुसेना इसे हैमर मिसाइल से लैस करवा रही है। इसके लिए इमरजेंसी ऑर्डर कर दिए गए थे। वायुसेना की जरूरत को देखते हुए फ्रांस के अधिकारियों ने किसी और के लिए तैयार किए गए स्टॉक में से भारत को हैमर देने का फैसला किया था। हैमर (हाइली एजाइल मॉड्यूलर म्यूनिशन एक्सटेंडेड रेंज) मीडियम रेंज मिसाइल है, जिसे फ्रांस की वायुसेना और नेवी के लिए बनाया गया था। ये आसमान से जमीन पर वार करती है। हैमर लद्दाख जैसे पहाड़ी इलाकों में भी मजबूत से मजबूत शेल्टर और बंकरों को तबाह कर सकती है।

मीटियर और स्काल्प जैसी मिसाइलों से लैस है
राफेल फाइटर जेट्स मीटियर और स्काल्प जैसी मिसाइलों से भी लैस है। मीटियर विजुअल रेंज के पार भी अपना टारगेट हिट करने वाली अत्याधुनिक मिसाइल है। उसे अपनी इसी खासियत के लिए दुनिया में जाना जाता है। मीटियर की रेंज 150 किमी है। स्काल्प डीप रेंज में टारगेट हिट कर सकती है। स्काल्प करीब 300 किलोमीटर तक अपने टारगेट पर सटीक निशाना लगाकर उसे तबाह कर सकती है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
29 जुलाई को फ्रांस से 5 राफेल भारत आए थे। ये फोटो उसी वक्त की है। चीन से तनाव के बीच राफेल को लद्दाख में तैनात किया गया है।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3jXkoyN
https://ift.tt/2TNKHwI

अस्थमा और माइग्रेन के पीड़ित ज्यादा सावधानी बरतें, जानें सर्दियों में स्वस्थ रहने के उपाय

सर्दियों का मौसम आ चुका है। सुबह और रात के वक्त अब हम ठंड महसूस करने लगे हैं। यह मौसम खाने-पीने, छुट्टियों और आनंद के लिए जाना जाता है, लेकिन इस मौसम में बीमार पड़ने का खतरा भी बना रहता है। एम्स भोपाल में डॉक्टर विनीत द्विवेदी के मुताबिक, इस मौसम में खुद को गर्म रखकर बीमार पड़ने से बचा जा सकता है।

सर्दियों के मौसम में अस्थमा और जोड़ों को दर्द के पीड़ितों की मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं। सीनियर सिटीजन और बच्चों पर विशेष ध्यान देना होता है। इस मौसम में काढ़ा, तुलसी और हल्दी युक्त दूध बहुत कारगर उपाय हैं, जो आपको बीमार पड़ने से बचा सकते हैं।

सर्दी से बचने के उपाय

  • काली मिर्च और लौंग लें

  • तुलसी का इस्तेमाल करें

  • अदरक लें

  • जायफल का इस्तेमाल करें

  • हल्दी युक्त गर्म दूध लें

  • शहद लें

सर्दी में हो सकती हैं ये 8 समस्याएं, जानें इनसे बचने के उपाय

​​​​

1- कब्ज

  • सर्दियों के मौसम में कब्ज की समस्या बढ़ जाती है। तापमान कम होने की वजह से हमारा पाचन तंत्र थोड़ा धीरे काम करता है। इससे बचने के लिए इस मौसम में पानी खूब पीना चाहिए। खाना खाने के बाद जीरा पाउडर खाएं, यह आपके शरीर को गर्म रखेगा, जिससे आपकी पाचन क्रिया ठीक रहेगी।
  • सर्दियों के मौसम में ज्यादा ठंडा खाने से बचना चाहिए और खाने के बाद वॉक जरूर करनी चाहिए। शरीर को गर्म बनाए रखने के लिए काली मिर्च और लौंग भी लेते रहें।

2- माइग्रेन

  • कई लोगों को ठंडी हवा और ठंड के कारण सिरदर्द होता है, जो आसानी से कम नहीं होता। ऐसा होने पर दूध में जायफल घिसकर माथे पर इसका लेप करें। इससे काफी जल्दी सिरदर्द से आराम मिलेगा।
  • सर्दियों में जुकाम बहुत आम है, ऐसे में माइग्रेन के पीड़ितों की दिक्कतें इस मौसम में और भी बढ़ जाती हैं। इससे बचने के लिए काढ़ा और डॉक्टर की सलाह पर एंटी एलर्जिक दवाएं लेते रहें।

यह भी पढ़ें- सर्दी में छोटी सी लापरवाही भारी पड़ सकती है, 4 तरह के बिस्तर और 3 इलेक्ट्रिक उपकरण हमें ठंड से बचा सकते हैं...

3- ड्राई स्किन

  • सर्दी में त्वचा के साथ-साथ होंठों का फटना आम बात है। फटे होंठों पर कोकम का तेल लगाने से काफी फायदा होता है। इससे होंठों की त्वचा नर्म और मुलायम हो जाती है।
  • सर्द मौसम में एड़िया फटने की समस्या भी बहुत होती है, जिसे बिवाइयां फटना कहते हैं। ऐसा होने पर एड़ियों पर प्याज का पेस्ट या फिर मोम लगाने से आराम मिलेगा।

4- खांसी और बलगम

  • सर्दियों में आमतौर पर छाती में बलगम जमा हो जाता है और ऐसा होने पर काफी परेशानी होती है। इसके लिए अंजीर का सेवन करें। इससे बलगम निकलेगा और खांसी से राहत मिलेगी। शरीर को गर्म रखकर भी ऐसी समस्याओं से बचा जा सकता है। इसके लिए आप हल्दी युक्त गर्म दूध भी ले सकते हैं।

5- बुखार

  • सर्दी अधि‍क लग जाने पर बुखार आना भी आम है। इससे बचने के लिए दिन में तीन बार अजवाइन के चूर्ण लेना फायदेमंद होता है। तुलसी युक्त काढ़ा भी इसके रोकथाम में बहुत कारगर है।

6- वायरल

  • वायरल यानी खांसी, जुकाम, बुखार एक साथ होने पर पुदीने के पत्तों की चाय बनाकर पीने से आराम मिलता है। इससे बचने के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने आप को सुरक्षित रखें।

सर्दियों में वायरल से ऐसे बच सकते हैं

  • गर्म कपड़े पहनें

  • खाने में गर्म चीजों का इस्तेमाल करें

  • बाइक चलाने वाले ग्लव्स और जूते पहनें

  • मास्क लगाएं

  • गर्म पानी पिएं

यह भी पढ़ें-

1. सर्दियों में आ सकती है वायरस की दूसरी लहर, जानिए बचने लिए क्या करें...

2. फ्लू की वैक्सीन लें, बच्चों का ध्यान रखें; इन 5 तरीकों से कोरोना रोक सकते हैं...

7- अस्थमा के पीड़ित ज्यादा सावधानियां बरतें

  • कफ अधि‍क जमा हो जाने से अस्थमा पीड़ितों की मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं। अजवायन के साथ छोटी पीपर और पोस्तदाना का काढ़ा बनाकर पीने से तुरंत आराम मिलता है। अदरक और सूखे अदरक भी अस्थमा के पीड़ितों के लिए बहुत कारगर है। खाने और चाय में अदरक का इस्तेमाल करें। सूखे अदरक को शहद के साथ लें।

8- जोड़ों का दर्द

  • सर्दियों के मौसम में अक्सर जोड़ों के दर्द की शिकायत रहती है। सरसों के तेल में 3-4 लहसुन की कली डालकर पका लें और ठंडा होने पर इससे मालिश करें। इस तेल की मालिश से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है और गर्माहट बनी रहती है।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Winter asthma and migraine sufferers need to be more alert, know ways to stay healthy in winter


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2I2wQjk
https://ift.tt/3ev0cmL

जानिए कैसे बनी गंगा हमारी राष्ट्रीय नदी; मोदी से पहले मनमोहन सिंह ने शुरू कर दिया था गंगा की सफाई पर काम

आज भले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए गंगा और नमामि गंगे बहुत महत्वपूर्ण परियोजनाएं हों, पर यह जानना जरूरी है कि इस पर काम पहले ही शुरू हो गया था। 2008 में 4 नवंबर को मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किया। इसके साथ ही नदी को प्रदूषण और अन्य समस्याओं से मुक्त करने के लिए उच्च अधिकार प्राप्त गंगा नदी घाटी प्राधिकरण गठित करने का फैसला लिया था।

गंगा के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1985 में ही गंगा कार्ययोजना शुरू कर दी थी। फॉलोअप के तौर पर मनमोहन सिंह सरकार ने इसे राष्ट्रीय नदी का दर्जा दिया। 2008 में यह फैसला भी हुआ था कि गंगा नदी घाटी प्राधिकरण के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे। जिन राज्यों से गंगा नदी बहती है, उनके मुख्यमंत्री इसके सदस्य होंगे। यानी एक तरह से मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ही गंगा नदी पर काम को गति मिली। 2014 में सरकार बदली और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने गंगा नदी को लेकर जोर-शोर से काम शुरू कर दिया। इसमें 20 हजार करोड़ रुपए के बजट से फ्लैगशिप प्रोग्राम नमामि गंगे भी शामिल है।

नमामि गंगे केंद्र सरकार की एक योजना है, जिसका उद्देश्य गंगा नदी के प्रदूषण को कम करना और नदी को पुनर्जीवित करना है। इसके लिए केंद्र सरकार ने गंगा कायाकल्प के नाम से अलग से विभाग भी बनाया। इस परियोजना के तहत दिसंबर 2021 तक पहले चरण में विश्व बैंक से 4,535 करोड़ रुपए मंजूर हो चुके हैं। मिशन के तहत 25,000 करोड़ रुपये की 313 परियोजनाओं को मंजूरी मिली है। मार्च 2020 तक इसमें से सिर्फ 116 पूरी हो पाई थीं। डेडलाइन दिसंबर 2020 की है।

बराक ओबामा ने रचा इतिहास

2008 में पहली बार प्रेसिडेंट बनने पर परिवार के साथ बराक ओबामा।

बराक ओबामा 2008 में 4 नवंबर को ही अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति चुने गए। होनुलूलू में जन्में बराक की मां अमेरिकी गोरी हैं और पिता केन्या के बुद्धिजीवी अश्वेत। बचपन में ही उनके माता-पिता के बीच तलाक हो गया था। ओबामा का पालन-पोषण नाना-नानी ने अमेरिका में किया।

ओबामा के दोस्त स्पोर्ट्स में अव्वल रहने के कारण उन्हें ओबॉम्बर कहकर बुलाते थे। ‍शिकागो की एक लॉ फर्म में काम करते हुए मिशेल रॉबिन्सन से उनकी मुलाकात हुई। वहीं उन्हें प्यार हुआ और 1992 में दोनों ने शादी कर ली। ओबामा को 2009 में शांति का नोबेल पुरस्कार भी मिला है। ओबामा ने दो पुस्तकें लिखी हैं- ड्रीम्स फ्रॉम माई फादर: ए स्टोरी ऑफ रेड एंड इनहेरिटेन्स और द ओडेसिटी ऑफ होप। पुस्तकों पर आधारित ऑडियो बुक को प्रतिष्ठित ग्रैमी पुरस्कार मिला है। ओबामा ने कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए ऑपरेशन जेरोनिमो चलाया था। ओबामा का नाम 2005 में टाइम मैगजीन द्वारा विश्व के महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सूची में आया। ओबामा की दो बेटियां हैं साशा और मालिया। ओबामा फिट रहने के लिए अक्सर बास्केटबॉल खेलते हैं। वे बास्केटबॉल के अच्छे खिलाड़ी भी हैं।

भारत और दुनिया में 4 नवंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं:

  • 1618: मुगल शासक औरंगजेब का जन्म।
  • 1822ः दिल्ली में वाटर सप्लाई स्कीम की शुरुआत।
  • 1911ः अफ्रीकी देश मोरक्को और कांगो को लेकर फ्रांस और जर्मनी के बीच समझौता।
  • 1925ः अमेरिका में नेल्ली टेलर रॉस व्योमिंग स्टेट की पहली महिला गवर्नर बनीं। वह किसी भी यूएस स्टेट की पहली महिला स्टेट गवर्नर बनीं। आज तक अमेरिका में कोई भी महिला प्रेसिडेंट नहीं बनी है।
  • 1952: अमेरिका में नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी बनी। यह दुनियाभर से सिग्नल इंटेलिजेंस जुटाती है और उनकी मॉनिटरिंग करती है।
  • 1979: ईरान के तेहरान में स्टूडेंट्स ग्रुप ने अमेरिकी दूतावास में 52 अमेरिकियों को बंधक बनाया। यह संकट 444 दिन चला। दोनों देशों के रिश्ते भी खराब हुए।
  • 1997ः सियाचिन बेस कैम्प में सेना की ऑफ सिग्नल ने विश्व का सबसे ऊंचा एस.टी.डी. बूथ बनाया।
  • 2000ः संयुक्त राष्ट्र संघ में परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने और विखंडनीय पदार्थों के उत्पादन पर रोक संबंधी जापान का प्रस्ताव भारत के विरोध के बावजूद पारित।
  • 2008ः भारत का पहला मानवरहित अंतरिक्षयान चंद्रयान-1 चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा।
  • 2011: भारत सरकार ने अंग्रेजी में ओडिशा की स्पेलिंग को Orissa के स्थान पर Odisha किया। हिंदी में उड़ीसा कहा जाता था, जिसे अब ओडिशा कहते हैं।
  • 2017: भारत में वर्ल्ड फूड इंडिया एक्जिबिशन लगी, जिसमें 20 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Today History for November 4th/ What Happened Today | Namami Gange | What is National River of India? | Barack Obama Became First Black US President | When did Orissa Became Odisha?


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/34ROYWj
https://ift.tt/32ah6lO

दिल्ली-बेंगलुरु के पास पहली बार चैम्पियन बनने का मौका; मुंबई की नजर 5वें खिताब पर

IPL में लीग राउंड के सभी मैच खेले जा चुके हैं। मुंबई इंडियंस, दिल्ली कैपिटल्स, सनराइजर्स हैदराबाद और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने प्ले-ऑफ में अपनी जगह बना ली है। दिल्ली और बेंगलुरु के पास अपना पहला खिताब जीतने का मौका होगा। वहीं, मुंबई 5वीं और हैदराबाद तीसरी बार चैंपियन बनना चाहेगी।

दुबई में खेले जाने वाले पहले क्वॉलिफायर में 5 नवंबर को मुंबई और दिल्ली की टीमें आमने-सामने होंगी। 6 नवंबर को अबु धाबी में हैदराबाद और बेंगलुरु के बीच एलिमिनेटर खेला जाएगा।

मुंबई इंडियंस के पास लगातार दूसरा खिताब जीतने का मौका
डिफेंडिंग चैंपियन मुंबई इंडियंस ने पिछले सीजन के फॉर्म को इस सीजन में भी जारी रखा। चेन्नई के खिलाफ सीजन का पहला मैच हारने के बाद टीम ने जबरदस्त वापसी की और लगातार दूसरी बार प्ले-ऑफ में जगह बनाई। यह टीम इस सीजन में काफी बैलेंस्ड नजर आई।

टीम को बैट्समैन और बॉलर्स ने अहम मौकों पर अपने दम पर टीम को जीत दिलाई। 3 बैट्समैन क्विंटन डिकॉक, ईशान किशन और सूर्यकुमार यादव 400+ रन बना चुके हैं। वहीं, टीम के 3 बॉलर्स सीजन में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले की लिस्ट में टॉप-10 में शामिल हैं। मुंबई ने सबसे ज्यादा 4 बार (2019, 2017, 2015, 2013) खिताब जीता है।

दिल्ली की टीम लगातार दूसरी बार प्ले-ऑफ में पहुंची
दिल्ली की टीम ने सीजन की शुरुआत में कुछ अच्छे बदलाव किए। फ्रैंचाइजी ने शिखर धवन और अजिंक्य रहाणे जैसे बैट्समैन को टीम में शामिल किया। आर अश्विन जैसे स्पिनर को टीम से जोड़ा। सीजन में 19 विकेट ले चुके एनरिच नोर्तजे को भी क्रिस वोक्स के रिप्लेसमेंट के तौर पर टीम में शामिल किया गया। ये सभी फैसले सही साबित हुए।

गेंदबाजी की दम पर दिल्ली ने सीजन में 6 बार टारगेट डिफेंड किए। दिल्ली ने लगातार दूसरी बार प्ले-ऑफ में जगह बनाई। पिछली बार क्वॉलिफायर-2 में उसे चेन्नई के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।

हैदराबाद लगातार 5वीं बार प्ले-ऑफ में पहुंची
हैदराबाद की टीम 2016 के बाद से लगातार 5वीं बार प्ले-ऑफ में पहुंची है। टीम ने दो बार (2009, 2016) में खिताब जीत चुकी है। टूर्नामेंट में शुरुआती दौर में पिछड़ने के बाद टीम ने शानदार कमबैक किया। आखिरी 3 मैच जीतकर बेहतर नेट रन रेट की वजह से टीम ने प्ले-ऑफ में जगह बनाई।

इस सीजन में टीम बैलेंस्ड नजर आई। कप्तान डेविड वॉर्नर की अगुवाई में बल्लेबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया। वॉर्नर ने 500, मनीष पांडे और बेयरस्टो ने टूर्नामेंट में 300 से ज्यादा रन बनाए हैं। वहीं, राशिद खान, संदीप शर्मा और टी नटराजन ने टीम को भुवनेश्वर कुमार की कमी नहीं खलने दी।

भुवनेश्वर चोट की वजह से टूर्नामेंट से बाहर हो गए थे। चोटिल मिशेल मार्श की जगह टीम में आए जेसन होल्डर (5 मैच, 10 विकेट) ने अपने ऑलराउंड परफॉर्मेंस से टीम को अंतिम-4 में पहुंचाया।

2016 के बाद पहली बार RCB ने टॉप-4 में जगह बनाई
बेंगलुरु के पास पहली बार खिताब जीतने का मौका होगा। एक्सपीरियंस और युवा खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन की बदौलत टीम प्ले-ऑफ में पहुंचने में कामयाब रही।

पहली बार IPL खेल रहे देवदत्त पडिक्कल ने टीम की तरफ से सबसे ज्यादा 472 रन रन बनाए हैं। युजवेंद्र चहल (20 विकेट) सीजन के टॉप-5 बॉलर्स की लिस्ट में एकमात्र स्पिनर हैं।

टीम के कप्तान विराट कोहली (460 रन) और एबी डिविलियर्स (398 रन) ने भी कई मौकों पर टीम को जीत तक पहुंचाया। RCB ने कुल 4 बार (2009, 2011, 2015, 2016) प्ले-ऑफ में जगह बनाई और 3 बार फाइनल खेला है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
IPL 2020 Playoffs Top 4 Teams Schedule | Mumbai Indians, Royal Challengers Bangalore, Delhi Capitals, Sunrisers Hyderabad


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2I38W7J
https://ift.tt/2GpkiCg

जीत के साथ शुरुआत करना चाहेगी हरमनप्रीत की सुपरनोवाज और मिताली की वेलोसिटी

IPL के बीच बुधवार से वुमन्स टी-20 चैलेंज की शुरुआत हो रही है। पहला मुकाबला हरमनप्रीत कौर की सुपरनोवाज और मिताली राज की वेलोसिटी के बीच शाम 7:30 बजे से शारजाह में खेला जाएगा। दोनों टीमें जीत के साथ टूर्नामेंट की शुरुआत करने के इरादे से उतरेंगी।

पिछले सीजन में दोनों बार सुपरनोवाज जीती
इससे पहले दोनों टीमें 2019 में 2 बार आमने-सामने आई थीं। लीग मैच में सुपरनोवाज ने वेलोसिटी को 12 रन से हराया था। वहीं, दोनों टीमों के बीच खेले गए फाइनल में सुपरनोवाज ने वेलोसिटी पर 4 विकेट से जीत दर्ज की थी।

सुपरनोवाज में रोड्रिग्स और हरमनप्रीत टॉप स्कोरर
सुपरनोवाज के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में जेमिमा रोड्रिग्स पहले और हरमनप्रीत कौर दूसरे नंबर पर हैं। रोड्रिग्स ने 3 मैच में सबसे ज्यादा 123 रन बनाए हैं। वहीं, हरमनप्रीत ने 3 मैच में 98 रन बनाए हैं।

अनुजा और राधा टॉप विकेट टेकर
सुपरनोवाज के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में अनुजा पाटिल और राधा यादव 3-3 विकेट के साथ पहले नंबर पर हैं। वहीं, पूनम यादव 2 विकेट के साथ दूसरे नंबर पर हैं।

वेलोसिटी में वाइट और मिताली टॉप रन स्कोरर
वेलोसिटी में डेनिले वाइट ने अपनी टीम के लिए 3 मैच में सबसे ज्यादा 89 रन बनाए हैं। इसके बाद कप्तान मिलाती राज का नंबर आता है, जिन्होंने 3 मैच में 69 रन बनाए हैं। वहीं, शेफाली वर्मा 3 मैच में 47 रन बनाकर तीसरे स्थान पर हैं।

केर और शिखा टॉप विकेट टेकर
वेलोसिटी में सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में एमीलिया केर पहले और शिखा पांडे दूसरे स्थान पर हैं। केर ने 3 मैच में 6 बल्लेबाजों को आउट किया। वहीं, शिखा ने 3 मैचों में 2 विकेट अपने नाम किए हैं।

मौसम और पिच रिपोर्ट
शारजाह में आसमान साफ रहेगा। तापमान 22 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। पिच से बल्लेबाजों को मदद मिल सकती है। यहां स्लो विकेट होने के कारण स्पिनर्स को भी काफी मदद मिलेगी। टॉस जीतने वाली टीम पहले बल्लेबाजी करना पसंद करेगी। IPL 2020 से पहले यहां हुए 13 टी-20 में पहले बल्लेबाजी वाली टीम की जीत का सक्सेस रेट 69% रहा है।

  • IPL के इस सीजन से पहले इस मैदान पर हुए टी-20: 13
  • पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती: 9
  • पहले गेंदबाजी करने वाली टीम जीती: 4
  • पहली पारी में टीम का औसत स्कोर: 149
  • दूसरी पारी में टीम का औसत स्कोर: 131

दोनों खिताब सुपरनोवाज ने जीते
हरमनप्रीत की टीम सुपरनोवाज ने पिछले दोनों सीजन (2018, 2019) अपने नाम किए थे। पिछले सीजन में हरमन खुद टूर्नामेंट के सबसे सफल बल्लेबाजों में शामिल थीं। तीन मैचों में उनके बल्ले से दो अर्धशतक निकले थे। वहीं, वेलोसिटी पिछले सीजन में फाइनल में पहुंची थी।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Womens IPL 2020 Supernovas vs Velocity Head To Head Records; Playing 11, Squad, Pitch Report Details


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/38d5gLp
https://ift.tt/3kWMkUS

मुस्लिम समुदाय के लोगों को फ्रांस से बाहर किया जा रहा ? जानें वायरल फोटो का सच

क्या हो रहा है वायरल: सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो रही है। फोटो को फ्रांस में पैगंबर का कार्टून दिखाने पर हुए कत्ल की घटना से जोड़कर शेयर किया जा रहा है। फोटो के आधार पर दावा किया जा रहा है कि फ्रांस से मुस्लिम समुदाय के लोगों को बाहर कर दिया गया है।

धार्मिक टकराव के कारण दो सप्ताह के अंदर फ्रांस में दो हमले हो चुके हैं। पहले क्लास में विवादित कार्टून दिखाने वाले टीचर का सिर उन्हीं के छात्र ने कलम कर दिया। इसके बाद नीस शहर में चर्च के बाहर चाकू मारकर एक महिला समेत तीन लोगों की हत्या कर दी गई।

और सच क्या है?

  • इंटरनेट पर हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली। जिससे पुष्टि होती हो कि वायरल फोटो के साथ किया जा रहा दावा सही है।
  • वायरल फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें जनवरी, 2019 के एक आर्टिकल में भी यही फोटो मिली। जिससे साफ होता है कि फोटो का फ्रांस में चल रहे हालिया विवाद से कोई संबंध नहीं है।
  • Getty Images की वेबसाइट पर भी हमें यही फोटो मिली। कैप्शन से पता चलता है कि फोटो 10 जून 2015 को तुर्की के सनलीउर्फा की है। जब सीरिया के लोग रास-अल-ऐन में चल रहे संघर्ष से बचने के लिए बॉर्डर के रास्ते तुर्की में घुस रहे थे।
  • साफ है कि सीरिया से पलायन कर रहे लोगों की फोटो को सोशल मीडिया पर फ्रांस का मुस्लिम बताकर गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Fact Check: People from Muslim community excluded from France? Know the truth of viral photos


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/38apohg
https://ift.tt/364V0ST

चंद्रमा और भगवान शिव-पार्वती की पूजा सहित पांच चीजों के बिना अधूरा माना जाता है ये व्रत

कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। यह पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास माना जाता है। इस त्योहार पर मिट्टी के बरतन यानी करवे का विशेष महत्व माना गया है। वामन पुराण और अन्य ग्रंथों में चंद्रमा की पूजा का वर्णन किया हुआ है। इसके अलावा छांदोग्य उपनिषद में भी चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना का महत्व बताया गया है। चतुर्थी तिथि के देवता भगवान गणेश हैं। इसलिए इस दिन चतुर्थी देवी के साथ गणेश जी की पूजा भी की जाती है।

गणेश तथा चंद्रमा का होता है पूजन
करवा चौथ यानी पति की लम्बी उम्र के लिए रखा जाने वाला व्रत। छांदोग्य उपनिषद् के अनुसार चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इस व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री सास अथवा सास के समकक्ष किसी सुहागिन के पांव छूकर भेंट करनी चाहिए।

पत्नियों का व्रत देवताओं की जीत
पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक बार देवताओं और दानवों के युद्ध में देवताओं की हार हो रही थी। ब्रह्मदेव ने इस संकट से बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियों को यानी शक्तियों को व्रत रखने की सलाह दी। कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन सभी देवताओं की पत्नियों ने व्रत रखा। व्रत करने से सभी शक्तियां एकत्र हुई। जिससे युद्ध में देवताओं की जीत हुई। यह सुन सभी देव पत्नियों ने अपना व्रत खोला। माना जाता है कि इसी दिन से करवा चौथ के व्रत की परंपरा शुरू हुई।

इन पांच चीजों के बिना अधूरा है करवा चौथ व्रत
1.सरगी का उपहार:
सरगी से ही करवा चौथ के व्रत का प्रारंभ माना गया है। हर सास अपनी बहू को सरगी देती है और व्रत पूरा होने का आशीर्वाद देती है। सरगी में मिठाई, फल आदि होता है, जो सूर्योदय के समय बहू व्रत से पहले खाती है, जिससे पूरे दिन उसे ऊर्जा मिलती है ताकि वह व्रत आसानी से पूरा कर सके।

2.निर्जला व्रत का विधान: करवा चौथ का व्रत निर्जला रखा जाता है, इसमें व्रत रखने वाले व्यक्ति को पूरे दिन कुछ भी खाने और पीने की मनाही होती है। जल का त्याग करना होता है। व्रती अपने कठोर व्रत से माता गौरी और भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं, ताकि उन्हें अखंड सुहाग और सुखी दाम्पत्य जीवन का आशीर्वाद मिले।

3.शिव और गौरी की पूजा: करवा चौथ के व्रत में सुबह से ही श्री गणेश, भगवान शिव और माता गौरी की पूजा की जाती है, ताकि उन्हें अखंड सौभाग्य, यश और कीर्ति मिल सके। पूजा में माता गौरी और भगवान शिव के मंत्रों का जाप किया जाता है।

4.शिव-गौरी की मिट्टी की मूर्ति: करवा चौथ में पूजा के लिए शुद्ध पीली मिट्टी से शिव, गौरी और गणेश जी की मूर्ति बनाई जाती है। फिर उन्हें चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित किया जाता है। माता गौरी को सिंदूर, बिंदी, चुन्नी तथा भगवान शिव को चंदन, पुष्प, वस्त्र आदि पहनाते हैं। श्रीगणेशजी उनकी गोद में बैठते हैं।

5.कथा: दिन में पूजा की तैयारी के बाद शाम में महिलाएं एक जगह इकट्‌ठा होती हैं। वहां पंडितजी या उम्रदराज महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनाती हैं। इसके बाद चांद के निकलने पर अर्घ्य देना चाहिए। फिर पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
This fast is considered incomplete without five things including the worship of the moon and Lord Shiva-Parvati.


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3mPsB9Z
https://ift.tt/3mSjjua

पढ़िए, आज के मधुरिमा की सारी स्टोरीज सिर्फ एक क्लिक पर

जीवनसंगिनी घर-परिवार की धुरी होती है। हर पति को चाहिए कि वो अपनी पत्नी को पूरा सम्मान दे। कैसे इसे अपने व्यवहार में लाएं पढ़िए इस कवर स्टोरी में।

1. सुहाग पर्व पर आप भी अपनी जीवनसंगिनी को मान-सम्मान और विश्वास देने का करें वादा

हरतालिका तीज, कजली तीज जैसे हमारे देश में कई पर्व हैं, जिन्हें महिलाएं सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए मनाती हैं। जानिए, ऐसे कौन-कौन से त्योहार हैं...
2. करवा चौथ के अलावा इन सुहाग पर्वों को भी सुखी वैवाहिक जीवन के लिए मनाया जाता है

त्योहार पर बच्चों के आधे-अधूरे या गड़बड़ काम को पूरी तरह ख़ारिज न करें, बल्कि उसे प्रोत्साहित करते हुए कहें कि तुमने मेरी आधी या तीन-चौथाई मेहनत बचा दी।

3. त्योहार पर बच्चों को रीति-रिवाज़ और परंपराओं से कराएं परिचित, बनाएं उत्साह का माहौल

पढ़िए, करवाचौथ पर ख़ुद पर ध्यान, क्रोध पर नियंत्रण जैसे विचारों का ध्यान रखते हुए चिंताओं और उलझनों को पीछे छोड़कर कैसे इसे खास बनाएं...

4. इन 4 विचारों का रखेंगे ध्यान, तो खुशी से मना सकेंगे करवा चौथ का त्योहार

फेस्टिवल सीजन में खुद को आकर्षक बनाने के कुछ टिप्स दे रही हैं नंदिनी सिंह,,,

5. इन मैकअप टिप्स से बनिए और भी ज्यादा सुन्दर और आकर्षक

करवा चौथ पर दिन भर के उपवास के बाद शाम को कुछ खास पकवानों से यादगार बना सकते हैं अपना त्योहार..पढ़िए 3 खास रेसिपी।

6. उपवास के बाद इन स्वादिष्ट व्यंजनों से बनाएं त्योहार को ख़ास

सजे-संवरे बाल हर महिला की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं...पढ़िए कुछ बेहतरीन हेयर स्टाइल्स टिप्स जो आपके फेस्टिव लुक को खास बनाएंगी।

7. इस त्योहार पर अलग अंदाज से संवारे अपने बाल, अपनाएं ये अनोखे हेयर स्टाइल्स

गुलाब जामुन और रबड़ी, ये भारत की बहुत खास मिठाइयां हैं लेकिन इनका कॉम्बिनेशन एक नई मिठाई बनाता है बता रही हैं फूड ब्लॉगर दिव्या कंवर...

8. इस तरह से बनाएं रबड़ी, वरमिसिली और गुलाब जामुन से त्योहार को और भी खास

दुपट्टा या ओढ़नी, ये भारतीय महिलाओं के परिधान का एक खास हिस्सा है...पढ़िए दुप्पटा ओढ़ने के कुछ नए तरीकों के बारे में।

9. दुपट्टा ओढ़ने का ये नया तरीका, बढ़ाएगा आपके परिधान की शोभा

ज्वेलरी और कपड़ों का कॉम्बिनेशन आपके लुक को किलर बनाता है... जानिए, कैसे अपने लिए कपड़ों के हिसाब से चुनें ज्वेलरी

10. परिधान के हिसाब से चुने मांग टीका, चूड़ियां और अन्य ज़ेवरों का लुक

क्लास और ट्यूशन के बीच विराम लें। शतरंज खेलना, कैरम, लूडो, रुबिक क्यूब का अभ्यास उनके दिमाग़ को तरोताज़ा करने में मदद करेगा।

11. इन तरीकों से बच्चों को रखें भावनात्मक और मानसिक तनाव से दूर

उत्पाद की गुणवत्ता के लिए ग़लत वेबसाइट से सावधान, पोषण के लेबल की जांच, पैकेजिंग पर ध्यान दें। खाद्य पदार्थ का पैकेट ख़रीदते समय पैकेजिंग चेक करें।

12. इन 5 तरीकों से उत्पादों की गुणवत्ता को पहचानें, रखें यह सावधानी

महानगरों में ना अपने हिस्से का सूरज मिलता है, ना चांद दिखता है। ऐसी परिस्थितियों में क्या करें इसे समझाती है रीटा मक्कड़ की ये कहानी।

13. ऊंची इमारतों में छिपे चांद को देखने में हुई मुश्किल, तो यूं पूरी की करवाचौथ की पूजा

तिलचट्‌टा बना है "तेल+चाट+आ' से, यानी तेल चाटने वाला। रसोई में मंडराने के कारण इसका यह नाम पड़ा होगा।

14. क्यों कहते हैं कॉकरोच को हिंदी में 'तिलचट्टा'? क्या है इसका इतिहास और महत्व

सास-बहु का रिश्ता बहुत खूबसूरत होता है, खासतौर पर त्योहारों के सीजन में। इस रिश्ते में दूरी के एहसास को बयां करती कविता...

15. कविता मेरी सासू मां, दूरी का एहसास और यादों के भाव को बयां करती पंक्ति दर पंक्ति

करवाचौथ का व्रत काफ़ी कठिन माना जाता है। ऐसे में अपने दोस्तों और आस-पड़ोस की महिलाओं के साथ ऑनलाइन और वीडियो कॉल के ज़रिए कुछ खेल खेले जा सकते हैं।

16. इन खेलों से बनाएं करवा चौथ के व्रत को और भी ज्यादा मनोरंजक और मजेदार

प्रेम को समझना बड़ा कठिन काम है। कैसे प्यार की पहचान हो, कौन इस प्रेम को समझ सकता है? पढ़िए, एक सुंदर सी बोध कथा में...

17. यह अलौकिक कहानी बताती है 'प्यार' को कौन पहचानता है

त्योहार घर के बुजुर्गों के आशीर्वाद के बिना अधूरे हैं। पुखराज सोलंकी की लघुकथा में पढ़िए ऐसे रिश्तों का महत्व।

18. मुक्ता ने बीमार सास का त्योहार पर साजो-श्रृंगार कर यूं लिया आशीर्वाद

8 महीने से लापता फौजी पति और उसकी पत्नी के रिश्ते की एक भावुकता भरी कहानी...

19. करवाचौथ पर लौटा शिवानी का फ़ौजी पति, खुशी से छलके आंसू

करवा चौथ, सुहाग का पर्व है। इसकी अपनी परंपराएं हैं। पढ़िए करवा चौथ की इन परंपराओं के पीछे के कारण...

20. करवा चौथ की पूजा में क्यों मानते हैं सींक को शक्ति का प्रतीक

21. क्यों किया जाता है करवा चौथ की पूजा में कलश और थाली उपयोग? क्या है इसका महत्व

22.करवा चौथ की पूजा में क्या हैं दीपक और छलनी के मायने? छलनी से चांद को क्यों देखती हैं महिलाएं

23. करवा चौथ की पूजा में क्या है करवा की मान्यता और करवा माता के चित्र का महत्व



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Read all the stories of today's Madhurima with just one click


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3oXi0vs
https://ift.tt/3eodmSm

अमेरिका के ‘महान लोकतंत्र’ की ‘जन्नत’ की हकीकत

जब आप इन पंक्तियों को पढ़ रहे होंगे, तब तक अमेरिका के चुनाव परिणाम आने शुरू हो गए होंगे। ‘दुनिया के सबसे महान लोकतंत्र’ की सेहत की चिंता में दुबली हो रही लोकतांत्रिक दुनिया टकटकी लगाए देख रही होगी। विश्व के नए सत्ता केंद्र से रिश्ता जोड़ने की कवायद शुरू हो गई होगी।

कुछ क्षण के लिए आप अमेरिकी चुनाव से ध्यान हटाकर एक दूसरे देश के बारे में सोचिए। कल्पना कीजिए ऐसे देश की जहां राष्ट्रपति और संसद में लगातार झगड़ा चल रहा है, जहां एक बदजुबान और बदतमीज धन्नासेठ राष्ट्रपति बनकर बैठा है, जहां सांसद पैसे लेकर संसद में सवाल पूछते हैं, जहां हथियारों के सौदागर चुनाव में पैसा झोंकते हैं, जहां अल्पसंख्यकों के साथ खुलेआम हिंसा होती है, जहां सार्वजनिक जीवन में आने वाली हर महिला पर छींटाकशी होती है, जहां सुप्रीम कोर्ट का हर जज पार्टी से बंधा है, जहां चुनाव में गरीबों के हिस्सा लेने पर बंदिशें हो और वोट और गिनती की एक स्पष्ट प्रक्रिया ही ना हो। उस देश को आप लोकतंत्र कहेंगे?

आप सोच रहे होंगे कि यह तस्वीर पूर्व सोवियत संघ से निकले अजरबैजान या युद्ध से उबरे अफगानिस्तान या किसी अफ्रीकी गणतंत्र की है। जी नहीं, यह ‘दुनिया के सबसे महान लोकतंत्र’ अमेरिका की तस्वीर है। हम पश्चिम के लोकतंत्र को मुंह में उंगली डालकर देखने के इतने अभ्यस्त हो गए हैं कि काबुल में गधे देखना भूल जाते हैं। तो पेश हैं अमेरिका के लोकतंत्र के वे दस तथ्य जो हमें भूलने नहीं चाहिए। तो, क्या आप जानते हैं कि:

1. अमेरिका में चुनाव आयोग जैसी कोई संस्था नहीं है। कौन वोट दे सकता है, कौन नहीं, वोट कैसे डाला जाएगा, गिनती कब होगी, इसके बारे में सभी 50 राज्यों के अलग-अलग नियम हैं। टीवी चैनल भले ही अनौपचारिक परिणाम आज घोषित कर दें लेकिन औपचारिक वोटों की गिनती पूरा होने में एक महीना लग सकता है। कोर्ट कचहरी हो सो अलग।

2. अमेरिका के लगभग एक चौथाई नागरिकों का नाम ही वोटर लिस्ट में नहीं होता। वहां नागरिकों का नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाना सरकार की नहीं, खुद नागरिकों की जिम्मेदारी है। इस कारण करीब 5 करोड़ नागरिक, चुनाव में भाग नहीं ले पाते। जाहिर है इस वंचित समाज में गरीब और अश्वेत लोगों की बहुतायत होती है।

3. चुनाव में खर्च की कोई कानूनी सीमा नहीं है। इस चुनाव में केवल राष्ट्रपति पद के दोनों उम्मीदवार मिलकर 11,000 करोड रुपए से अधिक खर्च करेंगे। चुनाव में चंदा मुख्यतः हथियार बनाने वाली, औषधि बनाने वाली व तेल कंपनियों से मिलता है। चुनाव के बाद ये कंपनियां जीते हुए उम्मीदवारों से खुलकर दाम वसूलती हैं।

4. चुने हुए सांसद खुलकर कंपनियों, उनके दलालों, दबाव समूह व विदेशी सरकारों के एजेंटों तक से पैसा लेते हैं और बदले में संसद में सवाल पूछते हैं, वोट डालते हैं। वहां इसे भ्रष्टाचार नहीं ‘लॉबिंग’ कहते हैं।

5. राष्ट्रपति और संसद में स्थाई खींचतान चलती रहती है। बजट पास करवाने के लिए राष्ट्रपति को संसद से और कानून पर दस्तखत करवाने के लिए संसद को राष्ट्रपति से लेन-देन करना पड़ता है। यह किसी राष्ट्रपति के व्यक्तिगत चरित्र का मामला नहीं है बल्कि अमेरिका की संस्थागत बनावट का परिणाम है।

6. सुप्रीम कोर्ट जजों की नियुक्ति खुल्लम-खुल्ला पार्टी की पक्षधरता के आधार पर होती है। जजों की ‘रिपब्लिकन जज’ या ‘डेमोक्रेट जज’ के रूप में गिनती होती है। चुनाव से दो महीने पहले राष्ट्रपति ट्रम्प ने सुप्रीम कोर्ट में एक ‘रिपब्लिकन’ जज की नियुक्ति कर कोर्ट के संतुलन को बहुत साल तक अपने पक्ष में झुका लिया।

7. पार्टियां खाली लिफाफे जैसी हैं, जिसमें जब चाहे जो मजमून डाल दिया जाए। पार्टियों की न कोई विचारधारा है, न जमीन पर मजबूत संगठन। रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी, दोनों मिलकर सुनिश्चित करती हैं कि कोई तीसरी पार्टी न घुस पाए। दोनों मिलकर अपनी संस्थाओं में सरकारी फंड बंदरबांट करते हैं।

8. अश्वेत लोग आज भी गुलामी का दंश झेलते हैं, सड़कों पर पिटते हैं, बिना वजह पुलिस के डंडे और गोली खाते हैं, और शिक्षा, रोजगार, मकान और स्वास्थ्य बीमा जैसी न्यूनतम सुविधाओं से वंचित रहते हैं।

9. संयुक्त राज्य अमेरिका बने 250 वर्ष हो गए। लेकिन आज एक भी महिला राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति नहीं बनी। जब औरत चुनाव मैदान में उतरती है तो उसे चरित्र हनन से लेकर मर्दसत्ता की बाधाएं झेलनी पड़ती हैं।

10. अगर बराक ओबामा जैसे असाधारण व्यक्तित्व को छोड़ दें तो आमतौर पर औसत बुद्धि व संदिग्ध चरित्र वाले ही राष्ट्रपति पद तक पहुंच पाते हैं। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक राष्ट्रपति ट्रम्प अपने कार्यकाल में 20,000 झूठ बोल चुके हैं। वे खुलकर नस्ली नफरत व हिंसा की भाषा बोलते हैं। उनके खिलाफ टैक्स चोरी और यौनाचार के गंभीर आरोप है। सवाल यह है कि ऐसा व्यक्ति दुनिया के इस ‘महान लोकतंत्र’ में राष्ट्रपति कैसे बना?
इसे आप दुनिया का सबसे महान लोकतंत्र कहेंगे? शायद ऐसे ही मौके पर कभी मिर्जा गालिब ने कहा था: ‘हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन, दिल के खुश रखने को गालिब ये ख्याल अच्छा है’।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
योगेन्द्र यादव, सेफोलॉजिस्ट और अध्यक्ष, स्वराज इंडिया


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3mPsefB
https://ift.tt/2I393Ab

ट्रम्प जीतें या बाइडेन, भारत विन-विन पोजिशन में; चीन से मुकाबले के लिए मोदी का साथ जरूरी

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों की तस्वीर आज साफ हो सकती है। ये तय हो सकता है कि डोनाल्ड ट्रम्प को चार साल और मिलेंगे या जो बाइडेन व्हाइट हाउस पहुंचेंगे। भारत के लिए भी इस चुनाव के अहम मायने हैं। कोरोनावायरस, ट्रेड वॉर, सायबर सिक्योरिटी और साउथ चाइना सी। ये कुछ मामले ऐसे हैं, जिनको लेकर चीन और अमेरिका में तनाव है।

दूसरी तरफ, भारत और चीन के बीच भी सीमा विवाद जारी है। ‘यूएसए टुडे’ के मुताबिक, ट्रम्प और बाइडेन के कैम्पेन पर नजर डालें तो यह साफ हो जाता है कि दोनों में से कोई भी जीते, चीन के प्रति इनका रुख सख्त ही रहेगा। भले ही ट्रम्प ने वायु प्रदूषण के मसले पर भारत को गंदा बताया हो। यहां इस चुनाव और भारत पर इसके असर के बारे में समझते हैं।

कॉमन चैलेंज
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत हो या अमेरिका। दोनों के लिए इस वक्त चीन ही सबसे बड़ी चुनौती है। अमेरिका के सुपरपावर के दर्जे को शी जिनपिंग चुनौती दे रहे हैं। दूसरी तरफ, भारत की जमीन पर बीजिंग की लालच भरी नजरें टिकी हैं। दोनों चीन की चालों को नाकाम करने के लिए साथ आ रहे हैं। दोनों देशों के बीच कुछ दिन पहले मिसाइल डिफेंस और सर्विलांस पैक्ट हुआ। बाजार, आकार और भरोसे के लिहाज से एशिया में चीन को टक्कर देने की ताकत सिर्फ भारत में है। इसलिए, अमेरिका हर हाल में भारत का साथ चाहेगा।

एक मिसाल से समझिए
ऐसे वक्त जबकि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव चल रहा था, ट्रम्प के नंबर 2 और नंबर 3 मंत्री भारत समेत एशियाई देशों के दौरे पर थे। विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर दो दिन भारत में रुके। फिर श्रीलंका और मालदीव भी गए। हर यात्रा में चीन की हिंद महासागर में बढ़ती दखलंदाजी और प्रभाव पर कुछ खुली और कुछ गुप्त बातचीत हुई। इससे झलक तो मिल ही जाती है कि ट्रम्प या बाइडेन चाहे जो जीते, डिफेंस और फॉरेन पॉलिसी ज्यादा नहीं बदलेंगी। अमेरिका में पहले भी यही ट्रेंड रहा है। हालांकि, प्रेसिडेंशियल डिबेट में सिर्फ दो बार भारत का नाम लिया गया था।

अभी नहीं तो कभी नहीं
यूएसए टुडे के मुताबिक- चीन अब अमेरिकी सुरक्षा, आर्थिक हितों और संस्कृति के लिए सबसे बड़ा खतरा और चुनौती बन चुका है। उस पर शिकंजा काफी पहले कसना चाहिए था, लेकिन अब भी देर नहीं हुई। अमेरिका को फिर अपने मित्र राष्ट्रों, नाटो और दूसरे गठबंधनों को साथ लाना होगा। अगर ऐसा हुआ तो मुकाबला मुश्किल नहीं होगा। अमेरिकी अफसर इस पर बहुत तेजी से काम कर रहे हैं। सियासत इस मामले में बाधा नहीं बनेगी।

ट्रम्प के चीन पर 5 बड़े आरोप

  • चीन कोरोनावायरस फैलाया। अमेरिका के पास इसके सबूत। बीजिंग को इसकी कीमत चुकानी होगी।
  • साउथ चाइना सी पर कब्जा करके चीन दुनिया के 30 फीसदी कारोबार पर कब्जा करना चाहता है।
  • भारत समेत पड़ोसी देशों की जमीन पर कब्जा करना चाहता है चीन। पड़ोसियों को धमका रहा बीजिंग।
  • चीन दुनिया के हर लोकतांत्रिक देश के लिए खतरा। उसके यहां मानवाधिकार जैसी कोई चीज नहीं।
  • सायबर सिक्योरिटी और ट्रेड के मामले में अमेरिका अब चीन को कोई राहत नहीं देगा।

बाइडेन का चीन पर रवैया अब तल्ख

  • चीन ने अमेरिकी चुनाव में दखल की साजिश रची। बख्शा नहीं जाएगा।
  • अमेरिकी कंपनियों को चीन में परेशान किया जा रहा है। जीते तो माकूल जवाब देंगे।
  • मानवाधिकारों के मसले पर चीन का रिकॉर्ड दुनिया में सबसे खराब। जवाबदेही तय करेंगे।
  • हॉन्गकॉन्ग, तिब्बत और वियतनाम में चीन की मनमानी नहीं चलेगी। साउथ चाइना सी में अमेरिकी बेड़ा स्थायी करेंगे।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
India China | Donald Trump Vs Joe Biden Who Will Win; Know What US Election Means For India (Narendra Modi) and China (Xi Jinping)


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3jSOEuv
https://ift.tt/3oSROSQ

आज फ्रांस से भारत आएंगे 3 और राफेल; 7,364 किमी. का सफर बिना रुके पूरा करेंगे

इंडियन एयरफोर्स को आज शाम तक तीन और राफेल फाइटर जेट मिल जाएंगे। तीनों राफेल फ्रांस से उड़ान भरने के बाद 7,364 किलोमीटर का सफर बिना रुके पूरा करेंगे। शाम तक इनके भारत पहुंचने की उम्मीद है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बार ये तीनों राफेल गुजरात के जामनगर एयरबेस पर लैंड करेंगे। इनके आते ही भारत में राफेल की संख्या 8 हो जाएगी। अगले 2 साल में फ्रांस सभी 36 फाइटर जेट डिलीवर करेगा।

भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में 58 हजार करोड़ में 36 राफेल फाइटर जेट की डील की थी। 36 में से 30 फाइटर जेट्स होंगे और 6 ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट होंगे। ट्रेनर जेट्स टू सीटर होंगे और इनमें भी फाइटर जेट्स जैसे सभी फीचर होंगे।

हवा में ईंधन भरा जाएगा, इस बार कोई हाल्ट नहीं
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, राफेल के साथ हवा में फ्यूल भरने वाला फ्रांस के एयरफोर्स का स्पेशल जेट भी होगा। पिछली बार 29 जुलाई को फ्रांस से 5 राफेल भारत आए थे। तब भी हवा में ईंधन भरा गया था। हालांकि, तब पांचों राफेल ने फ्रांस के दासौ एविएशन से उड़ान भरने के बाद UAE में हाल्ट किया था। इस बार हाल्ट नहीं है।

परमाणु हमला करने में सक्षम है राफेल
राफेल डीएच (टू-सीटर) और राफेल ईएच (सिंगल सीटर), दोनों ही ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ चौथी जनरेशन का फाइटर है। ये न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है।इस फाइटर जेट को रडार क्रॉस-सेक्शन और इन्फ्रा-रेड सिग्नेचर के साथ डिजाइन किया गया है। इसमें ग्लास कॉकपिट है। इसके साथ ही एक कम्प्यूटर सिस्टम भी है, जो पायलट को कमांड और कंट्रोल करने में मदद करता है।

इसमें ताकतवर एम 88 इंजन लगा हुआ है। राफेल में एक एडवांस्ड एवियोनिक्स सूट भी है। इसमें लगा रडार, इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन सिस्टम और सेल्फ प्रोटेक्शन इक्विपमेंट की लागत पूरे विमान की कुल कीमत का 30% है।इस जेट में आरबीई 2 एए एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार लगा है, जो लो-ऑब्जर्वेशन टारगेट को पहचानने में मदद करता है।

100 किमी के दायरे में भी टारगेट को डिटेक्ट कर लेता है
राफेल सिंथेटिक अपरचर रडार (SAR) भी है, जो आसानी से जाम नहीं हो सकता। जबकि, इसमें लगा स्पेक्ट्रा लंबी दूरी के टारगेट को भी पहचान सकता है। इन सबके अलावा किसी भी खतरे की आशंका की स्थिति में इसमें लगा रडार वॉर्निंग रिसीवर, लेजर वॉर्निंग और मिसाइल एप्रोच वॉर्निंग अलर्ट हो जाता है और रडार को जाम करने से बचाता है। इसके अलावा राफेल का रडार सिस्टम 100 किमी के दायरे में भी टारगेट को डिटेक्ट कर लेता है। राफेल में आधुनिक हथियार भी हैं। जैसे- इसमें 125 राउंड के साथ 30 एमएम की कैनन है। ये एक बार में साढ़े 9 हजार किलो का सामान ले जा सकता है।

विमानों को पावरफुल बनाया जा रहा
राफेल फाइटर जेट को और ज्यादा पावरफुल बनाया जा रहा है। वायुसेना इसे हैमर मिसाइल से लैस करवा रही है। इसके लिए इमरजेंसी ऑर्डर कर दिए गए थे। वायुसेना की जरूरत को देखते हुए फ्रांस के अधिकारियों ने किसी और के लिए तैयार किए गए स्टॉक में से भारत को हैमर देने का फैसला किया था। हैमर (हाइली एजाइल मॉड्यूलर म्यूनिशन एक्सटेंडेड रेंज) मीडियम रेंज मिसाइल है, जिसे फ्रांस की वायुसेना और नेवी के लिए बनाया गया था। ये आसमान से जमीन पर वार करती है। हैमर लद्दाख जैसे पहाड़ी इलाकों में भी मजबूत से मजबूत शेल्टर और बंकरों को तबाह कर सकती है।

मीटियर और स्काल्प जैसी मिसाइलों से लैस है
राफेल फाइटर जेट्स मीटियर और स्काल्प जैसी मिसाइलों से भी लैस है। मीटियर विजुअल रेंज के पार भी अपना टारगेट हिट करने वाली अत्याधुनिक मिसाइल है। उसे अपनी इसी खासियत के लिए दुनिया में जाना जाता है। मीटियर की रेंज 150 किमी है। स्काल्प डीप रेंज में टारगेट हिट कर सकती है। स्काल्प करीब 300 किलोमीटर तक अपने टारगेट पर सटीक निशाना लगाकर उसे तबाह कर सकती है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
29 जुलाई को फ्रांस से 5 राफेल भारत आए थे। ये फोटो उसी वक्त की है। चीन से तनाव के बीच राफेल को लद्दाख में तैनात किया गया है।


from Dainik Bhaskar /national/news/3-more-rafale-to-come-to-india-by-this-evening-france-will-deliver-all-36-fighter-jets-in-two-years-127881219.html
https://ift.tt/3enk3nT

जानिए कैसे बनी गंगा हमारी राष्ट्रीय नदी; मोदी से पहले मनमोहन सिंह ने शुरू कर दिया था गंगा की सफाई पर काम

आज भले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए गंगा और नमामि गंगे बहुत महत्वपूर्ण परियोजनाएं हों, पर यह जानना जरूरी है कि इस पर काम पहले ही शुरू हो गया था। 2008 में 4 नवंबर को मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किया। इसके साथ ही नदी को प्रदूषण और अन्य समस्याओं से मुक्त करने के लिए उच्च अधिकार प्राप्त गंगा नदी घाटी प्राधिकरण गठित करने का फैसला लिया था।

गंगा के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1985 में ही गंगा कार्ययोजना शुरू कर दी थी। फॉलोअप के तौर पर मनमोहन सिंह सरकार ने इसे राष्ट्रीय नदी का दर्जा दिया। 2008 में यह फैसला भी हुआ था कि गंगा नदी घाटी प्राधिकरण के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे। जिन राज्यों से गंगा नदी बहती है, उनके मुख्यमंत्री इसके सदस्य होंगे। यानी एक तरह से मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ही गंगा नदी पर काम को गति मिली। 2014 में सरकार बदली और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने गंगा नदी को लेकर जोर-शोर से काम शुरू कर दिया। इसमें 20 हजार करोड़ रुपए के बजट से फ्लैगशिप प्रोग्राम नमामि गंगे भी शामिल है।

नमामि गंगे केंद्र सरकार की एक योजना है, जिसका उद्देश्य गंगा नदी के प्रदूषण को कम करना और नदी को पुनर्जीवित करना है। इसके लिए केंद्र सरकार ने गंगा कायाकल्प के नाम से अलग से विभाग भी बनाया। इस परियोजना के तहत दिसंबर 2021 तक पहले चरण में विश्व बैंक से 4,535 करोड़ रुपए मंजूर हो चुके हैं। मिशन के तहत 25,000 करोड़ रुपये की 313 परियोजनाओं को मंजूरी मिली है। मार्च 2020 तक इसमें से सिर्फ 116 पूरी हो पाई थीं। डेडलाइन दिसंबर 2020 की है।

बराक ओबामा ने रचा इतिहास

2008 में पहली बार प्रेसिडेंट बनने पर परिवार के साथ बराक ओबामा।

बराक ओबामा 2008 में 4 नवंबर को ही अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति चुने गए। होनुलूलू में जन्में बराक की मां अमेरिकी गोरी हैं और पिता केन्या के बुद्धिजीवी अश्वेत। बचपन में ही उनके माता-पिता के बीच तलाक हो गया था। ओबामा का पालन-पोषण नाना-नानी ने अमेरिका में किया।

ओबामा के दोस्त स्पोर्ट्स में अव्वल रहने के कारण उन्हें ओबॉम्बर कहकर बुलाते थे। ‍शिकागो की एक लॉ फर्म में काम करते हुए मिशेल रॉबिन्सन से उनकी मुलाकात हुई। वहीं उन्हें प्यार हुआ और 1992 में दोनों ने शादी कर ली। ओबामा को 2009 में शांति का नोबेल पुरस्कार भी मिला है। ओबामा ने दो पुस्तकें लिखी हैं- ड्रीम्स फ्रॉम माई फादर: ए स्टोरी ऑफ रेड एंड इनहेरिटेन्स और द ओडेसिटी ऑफ होप। पुस्तकों पर आधारित ऑडियो बुक को प्रतिष्ठित ग्रैमी पुरस्कार मिला है। ओबामा ने कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए ऑपरेशन जेरोनिमो चलाया था। ओबामा का नाम 2005 में टाइम मैगजीन द्वारा विश्व के महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सूची में आया। ओबामा की दो बेटियां हैं साशा और मालिया। ओबामा फिट रहने के लिए अक्सर बास्केटबॉल खेलते हैं। वे बास्केटबॉल के अच्छे खिलाड़ी भी हैं।

भारत और दुनिया में 4 नवंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं:

  • 1618: मुगल शासक औरंगजेब का जन्म।
  • 1822ः दिल्ली में वाटर सप्लाई स्कीम की शुरुआत।
  • 1911ः अफ्रीकी देश मोरक्को और कांगो को लेकर फ्रांस और जर्मनी के बीच समझौता।
  • 1925ः अमेरिका में नेल्ली टेलर रॉस व्योमिंग स्टेट की पहली महिला गवर्नर बनीं। वह किसी भी यूएस स्टेट की पहली महिला स्टेट गवर्नर बनीं। आज तक अमेरिका में कोई भी महिला प्रेसिडेंट नहीं बनी है।
  • 1952: अमेरिका में नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी बनी। यह दुनियाभर से सिग्नल इंटेलिजेंस जुटाती है और उनकी मॉनिटरिंग करती है।
  • 1979: ईरान के तेहरान में स्टूडेंट्स ग्रुप ने अमेरिकी दूतावास में 52 अमेरिकियों को बंधक बनाया। यह संकट 444 दिन चला। दोनों देशों के रिश्ते भी खराब हुए।
  • 1997ः सियाचिन बेस कैम्प में सेना की ऑफ सिग्नल ने विश्व का सबसे ऊंचा एस.टी.डी. बूथ बनाया।
  • 2000ः संयुक्त राष्ट्र संघ में परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध लगाने और विखंडनीय पदार्थों के उत्पादन पर रोक संबंधी जापान का प्रस्ताव भारत के विरोध के बावजूद पारित।
  • 2008ः भारत का पहला मानवरहित अंतरिक्षयान चंद्रयान-1 चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा।
  • 2011: भारत सरकार ने अंग्रेजी में ओडिशा की स्पेलिंग को Orissa के स्थान पर Odisha किया। हिंदी में उड़ीसा कहा जाता था, जिसे अब ओडिशा कहते हैं।
  • 2017: भारत में वर्ल्ड फूड इंडिया एक्जिबिशन लगी, जिसमें 20 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Today History for November 4th/ What Happened Today | Namami Gange | What is National River of India? | Barack Obama Became First Black US President | When did Orissa Became Odisha?


from Dainik Bhaskar /national/news/today-history-november-4th-ganga-became-national-river-of-india-all-you-need-to-know-about-namami-gange-127881216.html
https://ift.tt/2TNKuJW

Popular Post