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क्या वायरल: एक फोटो जिसमें कांग्रेस नेता ( अब तक) सचिन पायलट बीजेपी अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया से फूलों का गुलदस्ता लेते दिख रहे हैं। इस फोटो के आधार पर दावा किया जा रहा है कि उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ले ली है।
पिछले एक सप्ताह से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच लगातार बढ़ रही तनातनी किसी से छुपी नहीं है। बीच में पायलट के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें भी चलीं,जिन पर बाद में उन्होंने खुद विराम लगा दिया। लेकिन, सचिन पायलट की मुश्किलें अभी कम नहीं हुई हैं।
पायलट समेत राजस्थान कांग्रेस के 19 विधायकों पर गहलोत सरकार एक्शन लेने के मूड में दिख रही है। फिलहाल मामला हाईकोर्ट में है।इसी बीच सोशल मीडिया पर इस मुद्दे से जुड़ी भ्रामक खबरें फैलाए जाने का सिलसिला भी जारी है।
फेसबुक पर भी फोटो को इसी दावे के साथ पोस्ट किया जा रहा है
फैक्ट चेक पड़ताल
फोटो कोगूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया और जेपी नड्डा की एक फोटो हमारे सामने आई। साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा ज्वॉइन करने से जुड़ी खबरें भी दिखीं। इन खबरों में भी सिंधिया औरनड्डा की यही फोटो है। 11 मार्च, 2020को ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। ये फोटो तब ही की है।
दैनिक भास्कर की खबर में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया की यही फोटो है।
वायरल फोटो को ज्योतिरादित्य सिंधिया और जेपी नड्डा की फोटो से मिलाने पर समझ आता है कि दोनों का बैकग्राउंड बिल्कुल एक जैसा है। फोटो में सिंधिया के पीछे खड़े व्यक्ति की गहरे नीले रंग की पोशाक रही है। यही पोशाक वायरल फोटो में भी दिख रही है। स्पष्ट है कि सिंधिया की फोटो से छेड़छाड़ कर उसमें सचिन पायलट का चेहरा जोड़ा गया है।
दैनिक भास्कर की वेबसाइट पर सचिन पायलट का इंटरव्यू है। जिसमें उन्होंने कहा है कि वे बीजेपी में शामिल नहीं हो रहे हैं।
निष्कर्ष : सोशल मीडिया पर सचिन पायलट की बताकर वायरल हो रही फोटो फर्जी है। सचिन पायलट के बीजेपी में शामिल होने वाला दावा भी भ्रामक है।
सचिन पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री तो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति बनना चाहते हैं। लेकिन दोनों की राह में मोबाइल रिकॉर्डिंग और हैकिंग अड़ंगे लगा रही हैं। पायलट की उड़ान रोकने के लिए गहलोत सरकार ने विधायकों की खरीद-फरोख्त की रिकॉर्डिंग करवा के एसओजी जांच शुरू करवा दी, तो अमेरिकी सत्ता की होड़ में सोशल इंजीनियरिंग से ट्विटर का सिस्टम ही हैक करवा दिया गया।
डिजिटल कंपनियों के इस खतरे को भांपते हुए ही दो दिन पहले यूरोपीय समुदाय ने अमेरिका जा रहे डाटा शेयरिंग के डिजिटल एग्रीमेंटस पर रोक लगा दी है। भारत में कोरोना से ठप पड़े देश में दबे पांव डिजिटल का साम्राज्य स्थापित हो गया, जिसे चौथी औद्योगिक क्रांति बताया जा रहा है।
साइबर औद्योगिक क्रांति के महानायक गूगल, फेसबुक, अमेज़न, अलीबाबा और एप्पल जैसी कंपनियों के आगे बड़े देशों की सरकारें भी सिमटने लगी हैं। भारत में इस डिजिटल क्रांति की बागडोर को वैश्विक कंपनियों से छीनकर रिलायंस के मुखिया मुकेश अंबानी दुनिया के छठवें सबसे बड़े रईस बन गए हैं।
54 साल पुरानी कंपनी के नए उपक्रम जियाे प्लेटफार्म की हिस्सेदारी बेचकर 2.12 लाख करोड़ हासिल करके रिलायंस कर्ज मुक्त होने का दावा कर रही है। भारत में नए संसाधन जुटाकर ही सरकारी योजनाओं को सफल बना सकते हैं। देश में सरकारी कंपनियों के विनिवेश और बिक्री से 2.11 लाख करोड़ रुपए हासिल करने का सालाना लक्ष्य रखा गया है, इसलिए इस नई डिजिटल क्रांति से राज्य और केंद्र सरकारों को बड़े सबक लेने चाहिए।
सस्ते स्मार्टफ़ोन और डाटा प्लान के दो विकट हथियारों से लैस डिजिटल कंपनियां वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग, शिक्षा, मनोरंजन, फिल्म, गेमिंग, मीडिया, खुदरा, ई-कॉमर्स, किराना, बैंकिंग, संचार, डिजिटल पेमेंट, स्वास्थ्य और चुनावी राजनीति जैसे सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आधिपत्य जमा रही हैं। टेलीकॉम या दूसरी औद्योगिक क्रांति से हुए विकास से सरकारों को लंबी-चौड़ी रकम मिलती थी।
दस साल पहले 2जी की नीलामी में 1.76 लाख करोड़ के घोटाले पर सीएजी के हो हल्ले के बाद केंद्र में सरकार ही बदल गई। अब 2015 के बाद दूरसंचार से सरकार को शायद ही आमदनी हुई हो। नए दौर में सरकार और जनता वैश्विक डिजिटल कंपनियों के लिए डाटा हासिल करने का प्लेटफार्म बन गए हैं। एकांगी डिजिटल क्रांति से परंपरागत क्षेत्रों में रोजगार में भारी कमी आई है, जबकि नए रोजगार थोड़े ही बढ़ रहे हैं।
डिजिटल के नियमन के लिए सही टैक्स व्यवस्था लागू नहीं करने से सरकारों की आमदनी भी कम हो रही है। डिजिटल की वजह से अर्थव्यवस्था के खस्ताहाल को समझने के लिए 80 करोड़ वंचित लोगों को जानना जरूरी है, जो भूख मिटाने के लिए सरकारी मदद पर आश्रित हो गए हैं।
औद्योगिक क्रांति की सफलता के बाद खेती और पशुपालन से जुड़े लोग सरकारी मदद के मोहताज होकर नेताओं की वोटर लिस्ट में सिमट गए। अब साइबर क्रांति के विस्तार के बाद टेलीकॉम कंपनियां भी इतिहास की गर्त में जाने को तैयार हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 16 टेलीकॉम कंपनियों पर 1.47 लाख करोड़ भुगतान की जवाबदेही बन गई है।
सरकारी देनदारी के अलावा इनपर बैंकों के भारी कर्ज हैं। टेलीकॉम सेक्टर डूबने से बैंकों को चार लाख करोड़ रुपए की चपत लग सकती है। रिलायंस कम्युनिकेशन समेत पॉवर कंपनियों के मालिक अनिल अंबानी 12 साल पहले विश्व के छठवें अमीर व्यक्ति थे। कुछ महीनों पहले लंदन की अदालत में फाइल अर्जी के अनुसार उनकी नेटवर्थ जीरो हो गई है।
उनकी कंपनियों पर 1 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज भी है। किसी जमाने में बीएसएनएल और एमटीएनएल का सरकारी फ़ोन हासिल करने के लिए सांसदों और मंत्री की सिफारिश लगती थी। अब दस सबसे ज्यादा घाटे वाली सरकारी कंपनियों में शुमार दोनों टेलीकॉम कंपनियों का कोई खरीदार भी नहीं है।
भारत में टेलीकॉम क्षेत्र की विफलता के लिए कुछ अजब बातों पर गौर करके कौटिल्य के अर्थशास्त्र के नियमों पर फिर से अमल जरूरी है। सन 2003 के बाद कॉल रिसीव करने पर चार्ज ख़त्म हो गया। इसके बावजूद अन्य सेवाओं पर मोबाइल कंपनियां ग्राहकों से पैसा वसूलकर सरकार को लाइसेंस फीस समेत अनेक मदों पर भारी रकम का भुगतान करती हैं।
फिर भी देश के अनेक इलाकों में मोबाइल नेटवर्क पर बात नहीं हो पाती। दूसरी तरफ वॉट्सएप न तो ग्राहकों से फीस लेता है और न ही सरकार को कोई भुगतान करता है, इसके बावजूद जनता, अफसर, विधायक, सांसद, मंत्री और जज सभी वॉट्सएप पर आसान और सुरक्षित तरीके से बात कर लेते हैं।
डिजिटल कंपनियों के फ्री के फर्जीवाड़ा को समझने में समाज और सरकार की विफलता से टेलीकॉम सेक्टर शहीद होकर, डिजिटल तले दफन हो रहा है। कोरोना से लड़ने के लिए विश्व के 83 बड़े रईसों ने ज्यादा टैक्स देने की जो इच्छा जाहिर की है, उसे वैश्विक डिजिटल कंपनियों को अपनाना चाहिए। डिजिटल होते समाज के अनुरूप सरकार और संसद भी कानूनी व्यवस्था के सॉफ्टवेयर को अपडेट करें तो अर्थव्यवस्था का लॉकडाउन भी जल्द ख़त्म हो जाएगा।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
राजस्थान में कांग्रेस सरकार का भविष्य जो भी हो, इससे इनकार नहीं कर सकते कि एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के तौर पर कांग्रेस कमजोर हो चुकी है। कुछ राज्यों में कांग्रेस को बहुमत मिला और कुछ में वह सबसे बड़ा दल बनकर उभरी लेकिन आज कांग्रेस उनमें से कई में विरोधी दल बनकर बैठने पर मजबूर हुई है।
लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कांग्रेस जितने वर्षों तक इस विशाल देश में सत्तारूढ़ रही है, शायद दुनिया की कोई पार्टी नहीं रही है। आज भी देश का कोई जिला ऐसा नहीं है, जहां कांग्रेस कार्यकर्ता न हों। कांग्रेस के अध्यक्षों में किस धर्म, जाति, प्रांत, भाषा और योग्यता के लोग नहीं रहे? सबसे बड़ी बात यह है कि देश की आजादी का बहुत बड़ा श्रेय कांग्रेस को ही है।
ऐसी कांग्रेस का अत्यंत निर्बल होना या खत्म हो जाना क्या देश के लिए फायदेमंद है? क्या भारत जैसे विशाल देश में कांग्रेस जैसा फैलाव किसी अन्य पार्टी का रहा है? भारतीय लोकतंत्र के लिए यह शुभ-शकुन है कि भाजपा एक अखिल भारतीय पार्टी बनती जा रही है। इसके अध्यक्ष का दावा है कि उसके 11 करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं।
लेकिन हम यह न भूलें कि इसका मुख्य कारण यह है कि अभी भाजपा केंद्र और राज्यों में सत्तारूढ़ है। किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अनिवार्य है कि वहां कम से कम दो बराबर की पार्टियां हों।1967 में और 1977 के बाद से हम देख चुके हैं कि चाहे केंद्र हो या कोई राज्य, जब भी गठबंधन सरकारें बनती हैं तो उनकी गांठ कभी भी खुल पड़ती है और ढीली तो वे हमेशा ही रहती हैं।
भारत पिछले 73 वर्षों में इतना पिछड़ा इसीलिए रहा है। जो देश हमसे बहुत पिछड़े थे, वे कितने आगे निकल गए? चीन, वियतनाम, कोरिया, श्रीलंका और ईरान जैसे राष्ट्रों ने हमें कई मामलों में पीछे छोड़ दिया है।
इन राष्ट्रों में लगभग एक पार्टीतंत्र रहा है। क्या हम भी उसी नक्शे-कदम पर चलनेवाले हैं?
यदि हां तो ‘कांग्रेसमुक्त भारत’ का नारा हमें उसी दिशा में ले जाएगा, जो भारतीय लोकतंत्र का अंतिम संस्कार कर देगा। अभी दूर-दूर तक ऐसी कोई संभावना नहीं दिखाई पड़ रही है कि कांग्रेस-जैसी कोई अखिल भारतीय पार्टी उभर जाए। तो देश क्या करे ? कांग्रेस में जान डाले। उसे जिंदा करे। कैसे करें?
सबसे पहले कांग्रेस खुद को मुक्त करे। वह खुद को गांधी कांग्रेस बनाए। उससे भी आगे बढ़े। वह नेहरु और इंदिरा परिवार से अपने आप को मुक्त करे। अभी की कांग्रेस का महात्मा गांधी से कुछ लेना देना नहीं है। यदि कांग्रेस को गांधी कांग्रेस बनाना है तो उसे सबसे पहले अधोमूल बनाना होगा।
वह अभी उर्ध्वमूल है। इस समय उसकी जड़े ऊपर हैं। जमीन पर नहीं हैं। उसके कार्यकर्ताओं और नेताओं की शक्ति जनता से नहीं, नीचे से नहीं, ऊपर से आती है। आज कांग्रेस के कार्यकर्ताओं या नेताओं में इतना दम नहीं है कि वे अपना नेता स्वयं चुनें। वे हतप्रभ या लकवाग्रस्त हो चुके हैं।
यह पहल तो सोनिया गांधी और राहुल को ही करनी होगी। वे महात्मा गांधी की तरह खुद को पदमुक्त रखें। सारे कांग्रेसियों के लिए श्रद्धा और अनुकरण के केंद्र बनें। पार्टी के अध्यक्ष और महासचिव की नियुक्ति कार्यकर्ताओं के खुले मतदान के द्वारा हो। पार्टी के जिला स्तर के पदाधिकारी भी खुले चुनाव द्वारा नियुक्त हों।
देखिए, फिर कैसा चमत्कार होता है! यदि कांग्रेस पार्टी में आतंरिक लोकतंत्र होगा तो किसी सत्तारूढ़ दल की हिम्मत नहीं है कि वह देश में तानाशाही प्रवृत्तियों को आगे बढ़ा सके। कांग्रेस की देखादेखी देश की अन्य पार्टियां भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां बन गई हैं। यदि कांग्रेस मां-बेटा पार्टी है तो भाजपा आज भाई-भाई पार्टी है।
विभिन्न प्रांतों में हम बाप-बेटा पार्टी, भाई-भतीजा पार्टी, पति-पत्नी पार्टी, ससुर-दामाद पार्टी, बुआ-भतीजा पार्टी, मामा-भानजा पार्टियां भी देख रहे हैं। यदि कांग्रेस परिवारवाद से मुक्त हो जाए तो शायद ये सभी पार्टियां उसके साथ मिलकर देश में एक सक्षम विपक्ष खड़ा कर लें। देश के लोकतंत्र की यह अपूर्व उपलब्धि होगी।
यदि भारत में अमेरिका की रिपब्लिकन और डेमोक्रेट तथा ब्रिटेन की कंजर्वेटिव और लेबर पार्टी की तरह द्विपार्टी व्यवस्था कायम हो जाए तो देश में प्रगति की रफ्तार दोगुनी हो सकती है।कांग्रेस के पास आज भी अनुभवी नेताओं, तपस्वी कार्यकर्ताओं और उच्चकोटि के बौद्धिकों की कमी नहीं है।
विरोधी दल के नेता यदि आंख मारने और झप्पी मारने की बजाय हर मुद्दे पर ठोस तथ्य और तर्क पेश करें तो जनता उन्हें गंभीरता से लेगी। कांग्रेस चाहे तो आज भी वैकल्पिक मंत्रिमंडल का निर्माण करके देश का लाभ और अपनी छवि में सुधार कर सकती है।
सत्तारूढ़ भाजपा और सरकार पर अनावश्यक शब्द-बाण चलाने की बजाय कांग्रेस कार्यकर्ताओं को देश की प्रमुख समस्याओं के बारे में सुप्रशिक्षित कर सकती है और देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को संदेश दे सकती है कि नेताओं का एकमात्र लक्ष्य नोट और वोट कमाना नहीं है, बल्कि भारत को गांधी, महावीर स्वामी और महर्षि दयानंद के ‘महान आर्यावर्त्त’ में परिणिति करना है। (ये लेखक के अपने विचार हैं)
राजस्थान में छिड़ा सियासी संग्राम और भीषण होता जा रहा है। सीएम अशाेक गहलोत ने शुक्रवार को सचिन पायलट पर फिर सीधा हमला बोला। पायलट को अति महत्वाकांक्षी बताते हुए गहलोत ने कहा कि वे छह महीने से भाजपा में जाने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन, उनके साथियों ने मना कर दिया। फिर उन्होंने साथियों से कहा कि वे भाजपा में नहीं जाएंगे और तीसरा मोर्चा बनाएंगे। इसके बाद भाजपा के समर्थन से अपनी सरकार चलाएंगे।
उन्होंने कहा कि 11 जून को पायलट के पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि थी। उसी दिन इनकी प्लानिंग थी कि दौसा से रात 2 बजे विधायकों को लेकर ये गुरुग्राम रवाना हो जाएं। मगर ऐन वक्त पर हमने इनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। लेकिन, अब फिर से इन्होंने वही खेल शुरू कर दिया। गहलोत बोले- पायलट पर ये आरोप मैं नहीं लगा रहा हूं, बल्कि उनका साथ छोड़ चुके साथियों ने ही मुझे बताया। वायरल ऑडियो टेप की सच्चाई के दावे को लेकर गहलोत ने कहा कि अगर टेप फर्जी निकला तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।
भाजपा हॉर्स ट्रेडिंग बंद करे, 25-35 करोड़...10 करोड़ एडवांस, ये क्या है
गहलाेत ने कहा- भाजपा को चाहिए तोड़-फोड़ और हॉर्स ट्रेडिंग बंद करें। उनकी थू-थू हो रही है। 25-35 करोड़ रु. और 10-10 करोड़ एडवांस में, क्या हो रहा है? ये उनके खुद के लोग बोल रहे हैं। टेप आ रहा है, तब भी मीडिया चुप है।
‘पायलट को बहुत सहा, इस उम्र में इतनी महत्वाकांक्षा ठीक नहीं’
गहलोत ने सरकार में सम्मान नहीं मिलने की पायलट की शिकायत पर कहा कि जो लोग पार्टी छोड़कर जा रहे हैं, उनकी शिकायत की कोई क्रेडिबिलिटी नहीं है।हमने उन्हें बहुत सहा। इस उम्र में इतनी महत्वाकांक्षा ठीक नहीं।
वसुंधरा से गठजोड़ पर कहा- बंगला देने में प्राथमिकता देना गलत नहीं
गहलोत ने पूर्व सीएम वसुंधरा से गठजोड़ के सवालों पर कहा कि पूर्व सीएम, केंद्र में मंत्री रहे और पांच बार सांसद रहे व्यक्ति को प्रदेश में बंगला देने में प्राथमिकता देने की परंपरा रही है। ये करना गलत नहीं है।
भाजपा विधायक कैलाश मेघवाल ने कहा, विपक्षी पार्टी से मिलकर सरकार गिराने की साजिश हो रही
सियासी धमाचौकड़ी के बीच पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व भाजपा विधायक कैलाश मेघवाल ने चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने सीएम गहलोत का समर्थन करते हुए कहा कि प्रदेश में गहलोत सरकार को गिराने की साजिश हो रही है। जिस प्रकार प्रदेश में पिछले दो महीनों से सरकार गिराने का माहौल बना हुआ है, हॉर्स ट्रेडिंग हो रही है, आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं, वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
बीजेपी विधायक कैलाश मेघवाल
भाजपा कभी ऐसे लोगों की सहायता नहीं करेगी। राजस्थान में आजादी के बाद कई बार सरकारें बदली हैं। विधानसभा के अंदर पक्ष-विपक्ष के बीच जमकर बहस भी हुई है, लेकिन सत्ता धरी पार्टियों के विपक्षी पार्टियों से मिलकर सरकार गिराने के जो षड्यंत्र आज हो रहे हैं, वैसा पहले कभी नहीं देखा।
मेघवाल ने कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा पर भी खुलकर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भंवर लाल शर्मा पहले भैरो सिंह शेखावत की सरकार में रहे और इन्होंने अपनी ही सरकार को कई बार गिराने की कोशिशें की थीं। इनके वक्त विधायकों को पैसा बांटा गया और विधायकों ने खुद भैरो सिंह को यह पैसा देकर पूरी कहानी बताई। इससे पहले भाजपा के सहयोगी हनुमान बेनीवाल भी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पर गहलोत सरकार की मदद करने का आरोप लगा चुके हैं।
कोरोना महामारी के बीच पीजीआई रोहतक से राहत भरी खबर है। पटना एम्स के बाद रोहतक पीजीआईएमएस में भी शुक्रवार को हैदराबाद में बनी कोरोना वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल की शुरुआत हो गई है। शहर के एक साॅफ्टेवयर इंजीनियर, शॉप कीपर और सोशल वर्कर के बाएं हाथ में वैक्सीन की तीन माइक्राेग्राम की डाेज दी गई।
इसके बाद फार्माकोलॉजी विभाग की प्रोफेसर व प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर डॉ. सविता वर्मा, को-इन्वेस्टीगेटर स्टेट नोडल अधिकारी डॉ. ध्रुव चौधरी व कम्युनिटी विभाग के प्रोफेसर डॉ. रमेश वर्मा की मौजूदगी में तीन घंटे तक इनकी मॉनीटरिंग की गई। कोई साइड इफेक्ट न आने पर तीनों वाॅलंटियर्स को फिलहाल घर भेज दिया गया है।
क्लीनिकल ट्रायल कमेटी के सदस्य सात दिन तक तीनों वाॅलंटियर्स का लगातार फाॅलोअप करेंगे। हाथ में जहां पर वैक्सीन को लगाया गया है वहां पर दर्द, सूजन व सुन्न होने के लक्षण तो नहीं है। सिर दर्द, चक्कर आना, उल्टी आने सहित अन्य कई बिंदुओं पर सात दिन तक मॉनिटरिंग की जाएगी। शुक्रवार को 10 और वाॅलंटियर्स की स्क्रीनिंग की प्रक्रिया पूरी हो गई।
अपील: ट्रायल में जुड़ने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाएं
हेल्थ विश्वविद्यालय रोहतक के कुलपति डॉ. ओपी कालरा ने आमजन से अपील की है कि स्वस्थ युवा यह इंजेक्शन लगवाने के लिए आगे आएं। हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने पशु अध्ययन में पहले ही साबित कर चुकी है कि यह वैक्सीन सुरक्षित है।
इच्छुक व्यक्ति पीजीआईएमएस की कोविड हेल्पलाइन 9416447071 पर फोन कर ट्रायल का हिस्सा बनने के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकता है।इन सभी का कोरोना सैंपल टेस्ट कराया गया है। शनिवार सुबह रिपोर्ट निगेटिव आने पर इनमें से भी सात लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी जाएगी। 15 अगस्त तक इनकी रिपोर्ट भेजी जाएगी।
इम्युनोग्लोबिन जांच के बाद 14वें दिन देंगे दूसरी डोज : क्लीनिकल ट्रायल की एथिकल कमेटी ने पूरे देश में 50 वाॅलंटियर्स पर ट्रायल करने की अनुमति दी है, जिसमें पीजीआईएमएस रोहतक को 10 वाॅलंटियर्स के लिए अधिकृत किया गया है। डॉ. सविता वर्मा ने बताया कि सात दिन तक वाॅलंटियर्स में यदि साइड इफेक्ट नहीं आते हैं तो 14वें दिन वैक्सीन की दूसरी डोज दी जाएगी। पहला चरण 15 अगस्त के बाद पूरा होगा।
ब्लड सैंपल के जरिये इम्युनोग्लोबिन को जांचा जाएगा ताकि यह पता चल सके कि वायरस से लड़ने की क्षमता कितनी बढ़ी है। जब भी किसी व्यक्ति को वायरस से लड़ने की डोज दी जाती है तो उसमें रोग प्रतिरोधक सेल एक्टिव होते हैं। वॉलंटियर्स में यदि वायरस से लड़ने की क्षमता चार गुना बढ़ जाती है तो यह माना जाएगा कि यह वैक्सीन कारगर है। छह माह तक चलने वाले ट्रायल में वाॅलंटियर्स को छह बार वैक्सीन की डोज दी जाएगी।
पीजीआई रोहतक में ट्रायल हरियाणा के लिए बड़ी बात: विज
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि पीजीआई रोहतक में कोरोना की कोवैक्सीन नाम की दवा का ट्रायल शुरू कर दिया गया है। शुरूआती चरण में तीन लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल किया जा रहा है। हरियाणा के लिए बड़ी बात है कि कोरोना की वैक्सीन के ट्रायल के लिए पीजीआई रोहतक को चुना गया।
कोरोना का प्रकोप बढ़ने के बाद मार्च में लगभग सभी देशों में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया था, जिसकी वजह से इंटरनेशनल फ्लाइट्स भी बंद हो गई थीं। अब धीरे-धीरे कई देशों ने इंटरनेशनल फ्लाइट्स शुरू कर दी हैं। भारत सरकार ने भी अमेरिका और फ्रांस के लिए विशेष सेवाएं शुरू करने की घोषणा की है। 17 से 31 जुलाई तक अमेरिका और 18 जुलाई से 1 अगस्त तक फ्रांस के शहरों के लिए फ्लाइट्स जाएंगी।
35 देश नियमित इंटरनेशनल फ्लाइट्स शुरू कर चुके हैं। इनमें इंग्लैंड, आयरलैंड, मैक्सिको, अफगानिस्तान, यूक्रेन प्रमुख हैं। इन देशों ने यात्रियों के लिए अलग-अलग सुरक्षा नियम और प्रोटोकॉल तय कर रखे हैं...
यूक्रेन जाने वालों के पास देश में कोरोना के इलाज को कवर करने वाला मेडिकल इंश्योरेंस होना चाहिए।
तुर्की पहुंचने वालों का पीसीआर टेस्ट किया जाता है।
मिस्र में 14 दिन आइसोलेशन में रहना जरूरी है।
मैक्सिको में यात्रियों का स्कैन किया जा रहा है। कोरोना के लक्षण पाए जाने पर क्वारैंटाइन किया जाता है।
इन देशों ने आंशिक रूप से फ्लाइट शुरू की हैं: चीन, अमेरिका, रूस, जर्मनी, इटली, ऑस्ट्रेलिया, ईरान, फ्रांस, न्यूजीलैंड, जापान, दक्षिण कोरिया समेत 72 देशों में आंशिक रूप से इंटरनेशनल फ्लाइट शुरू हो चुकी हैं। हालांकि, इन देशों ने ज्यादा संक्रमण वाले चुनिंदा देशों से यात्रा पर बैन अभी जारी रखा है।
अमेरिका में ब्राजील, चीन, ईरान, शेंगेन क्षेत्र, आयरलैंड या यूके का दौरा करने वाले नागरिकों के आने पर रोक है। बाकी देशों के नागरिक वहां जा सकते हैं।
चीन में अभी हांगकांग, मकाओ, ताइवान के लोग ही आ सकते हैं।
इटली में ईयू, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, द. कोरिया समेत उन देशों के लोग आ सकते हैं, जहां कोरोना का पीक आ चुका है।
न्यूजीलैंड ने अभी तक सामोन या टोंगन में रहने वाले ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को ही अपने यहां आने की अनुमति है।
इन देशों में अभी पूरी तरह बैन
ब्राजील, कनाडा, सऊदी अरब, द. अफ्रीका, इंडोनेशिया समेत 96 देशों में इंटरनेशनल फ्लाइट्स बंद हैं। इनमें 17 देश ऐसे हैं, जहां उड़ानें शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। सबसे ज्यादा संक्रमित देशों में शामिल रहे जर्मनी और फ्रांस में स्कूल भी खुल चुके हैं, ऐसे कुल 10 देश हैं
जर्मनी: दो महीने तक सबसे संक्रमित 10 देशों में शामिल रहा। 2 लाख मरीज हैं।
फ्रांस: यह भी सबसे संक्रमित 10 देशों में शामिल रहा है। लेकिन, पीक आ चुका है।
स्वीडन: एकमात्र देश, जिसने लॉकडाउन ही नहीं लगाया। कुल 76 हजार मरीज हैं।
डेनमार्क: शुरुआत में ही संक्रमण को रोक दिया। मरीज 13 हजार से ज्यादा नहीं बढ़े।
ताइवान: चीन में कोरोना आते ही सीमाएं सील कीं। 452 मरीजों में से 5 सक्रिय हैं।
नॉर्वे: मरीजों की संख्या 9 हजार पर ही रोक दी। अब सिर्फ 623 सक्रिय मरीज हैं।
न्यूजीलैंड: 1548 मरीजों वाला देश डेढ़ महीने पहले संक्रमण मुक्त घोषित हुआ था।
आइसलैंड: सिर्फ 12 सक्रिय मरीज हैं। नए मरीज आने भी लगभग बंद हो चुके हैं।
द. कोरिया: हर 10 लाख लोगों में 28 हजार के टेस्ट कराए। मरीज 13,700 पर थम गए।
वियतनाम: चीन का पड़ोसी है। लेकिन, मरीज 381 से ज्यादा नहीं बढ़ने दिए।
मणिपुर में महिला पुलिस अफसर थौना ओजम बृंदा ने मणिपुर हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह पर गिरफ्तार ड्रग माफिया को छोड़ने के लिए ‘दबाव’ डालने का आरोप लगाया है। बृंदा ने 19 जून 2018 को ड्रग माफिया लुहखोसेई जोउ को 28 करोड़ रुपए की ड्रग और नकदी के साथ गिरफ्तार किया था। इस पर मुख्यमंत्री सिंह ने कहा है कि मामला कोर्ट में है। टिप्पणी करना उचित नहीं। 18 पन्ने के हलफनामे की प्रतिलिपि भास्कर के पास मौजूद है। पढ़िए संपादित अंश...
बृंदा ने हलफनामा में लिखा- सीएम ने मुझे बंगले पर बुलाकर कहाः क्या इसीलिए तुम्हें वीरता पुरस्कार दिया था
मैंने मुख्यमंत्री को ड्रग्स की तलाशी से जुड़ी छापेमारी के बारे में सूचित किया और बताया कि हम स्वायत्तशासी जिला परिषद सदस्य के घर दबिश डालने जा रहे हैं। उस समय मुख्यमंत्री ने फोन पर तारीफ करते हुए कहा था कि उसके यहां ड्रग्स मिलती है तो उसे गिरफ्तार करो।
लेकिन, इस कार्रवाई के दूसरे दिन 20 जून को सुबह 7 बजे भाजपा नेता अशनीकुमार हमारे घर पहुंचे और कहा कि गिरफ्तार परिषद सदस्य मुख्यमंत्री की पत्नी ओलिस का राइट हैंड है। इस घटना से वे बेहद नाराज हैं। गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को रिहा कर उसकी पत्नी या बेटे को गिरफ्तार किया जाए।
मैंने कहा कि यह संभव नहीं है क्योंकि ड्रग्स बेटे या पत्नी के पास से नहीं मिली है। इसके बाद अशनीकुमार दूसरी बार मुझसे मिलने आए और ड्रग माफिया को छोड़ने का दबाव डाला। 14 दिसंबर को नारकोटिक्स एंड अफेयर्स ऑफ बार्डर ब्यूरो के पुलिस अधीक्षक ने फोन करके कहा कि पुलिस महानिदेशक ने सुबह 11 बजे एक बैठक बुलाई है।
मैं जब बैठक के लिए पहुंची, तो डीजीपी ने कहा कि मुख्यमंत्री चाहते है कि इस मामले के आरोप पत्र कोर्ट से वापस लिए जाएं। मेरे मना करने के बाद उन्होंने इस मामले के जांच अधिकारी को कोर्ट भेजकर आरोप-पत्र रीमूव करने के आदेश दिए। लेकिन, कोर्ट ने मना कर दिया। यह पूरा मामला जब मीडिया में आया, तो विभाग ने स्पष्टीकरण जारी कर कहा कि पुलिस पर कोई दबाव नहीं है।
ठीक उसी दिन सुबह मुख्यमंत्री ने मुझे अपने बंगले पर बुलाया। यहां मुख्यमंत्री ने डांटते हुए कहा ‘क्या इसलिए मैंने तुम्हें वीरता पदक दिया है।’ महिला अफसर ने हलफनामे में लिखा है कि 150 पुलिस जवानों को साथ लेकर इस ड्रग माफिया के खिलाफ ऑपरेशन चलाया था। हमारे पास सबूत थे।
टीम ने जोउ के पास से 4.595 किलो हेरोइन, 2 लाख 80 हजार 200 वर्ल्ड इज योर्स नाम की नशीली टैबलेट और 57 लाख 18 हजार नगदी बरामद किए थे। 95 हजार के पुराने नोट समेत कई आपत्तिजनक सामग्रियां भी बरामद की थी।
द लैंसेट ने भारत में कोरोना संक्रमण की स्थिति पर चिंता जताई है। ताजा रिपोर्ट में इसने दावा किया है कि भारत का 98% हिस्सा कोरोनावायरस की चपेट में है। अमेरिका के बाद भारत में ही संक्रमण सबसे तेजी से बढ़ रहा है और देश के 640 ज़िलों में से 627 जिले कोरोना वायरस संक्रमण से जूझ रहे हैं।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, नौ राज्य- मप्र, बिहार, तेलंगाना, झारखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और गुजरात सबसे बुरी तरह संक्रमण से प्रभावित हैं। भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में अब तक सबसे कम मामले सामने आए हैं।लैंसेट की यह रिपोर्ट सामाजिक-आर्थिक,जनसांख्यिकीय, आवास-स्वच्छता, महामारी विज्ञान और स्वास्थ्य प्रणाली जैसे पहलुओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इन 9 राज्यों में ध्यान नहीं दिया तो स्थिति और खराब हो सकती है। मध्य प्रदेश में जहां संक्रमण फैलने के खतरे की दर 1 है, वहीं बिहार में 0.971 हो चुकी है। इसके बाद तेलंगाना झारखंड और यूपी भी चिंता का सबब बन सकते हैं।
जिला स्तर पर बनाएं योजनाएंः रिपोर्ट
रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि, ‘भारत में कोरोनावायरस की स्थिति को संभालने के लिए जिला-स्तर पर योजनाएं बनाने और उन्हें लागू किए जाने की जरूरत है। इसके साथ ही जो इलाके सबसे अधिक प्रभावित हैं उन पर विशेष तौर से ध्यान देने और रणनीति बनाकर काम करने की जरूरत है। वहीं, सबसे ज्यादा संक्रमण वाले इलाकों में फिर से लॉकडाउन या अन्य प्रतिबंध लागू करने की जरूरत है।
अरुणाचल का कुरुंग कुमे सबसे सुरक्षित
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का अरुणाचल और वहां का कुरुंग कुमे जिला सबसे कम खतरे वाला स्थान है। इसके बाद हरियाणा का पंचकूला आता है, जहां संक्रमण का जोखिम कम है। संक्रमण फैलने का सबसे ज्यादा खतरा मप्र के सतना और बिहार के खगड़िया जिले में है।
लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से हुई हिंसक सैन्य झड़प के बाद राखी और उससे जुड़े आइटम्स का आयात भी प्रभावित हुआ है। कारोबारियों ने विवाद से पहले करीब 70% आयात कर लिया था, लेकिन इसके बाद से नए आर्डर रोक दिए गए हैं। इसके चलते चीन काे करीब 400 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया टेडर्स के अध्यक्ष बीसी भरतिया का कहना है कि दूसरे त्योहारों पर भी चीन से आयात कम होगा। दीपावली पर इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिलेगा। पिछले साल दिवाली पर 3200 करोड़ रुपए का सामान आयात किया गया था, जबकि साल 2018 में 8000 करोड़ रुपए का सामान मंगवाया गया था।
देशी धागे वाली राखियों की मांग ज्यादा
3 अगस्त को आने वाले रक्षाबंधन पर इस बार देसी धागे वाली राखियों की मांग ज्यादा है। इस वजह से चीन से आने वाली फैंसी राखियाें की पूछ परख कम हो गई है। बदलते ट्रेंड के बीच ग्राहक भी अब चीन में बने सामान से परहेज करने लगे हैं। राखियों में इस्तेमाल होने वाला सजावटी सामान फोम, स्टोन, पन्नी आदि चीन से आयात होते हैं।
इसकी कीमत करीब 1,200 करोड़ रुपए तक होती है। देश में राखी का कारोबार 5 से 6 हजार करोड़ रुपए का है, जो इस साल घटकर ढाई हजार करोड़ रुपए रह सकता है। देश में सबसे ज्यादा राखियां प. बंगाल में बनती हैं। इसके अलावा दिल्ली, मुंबई और गुजरात में भी बड़े पैमाने पर राखियां बनती हैं।
पिछले साल के मुकाबले 50% ऑर्डर कम हुआ
बंगाल के राखी निर्माता रोहित गुप्ता ने बताया कि राखी के ऑर्डर पिछले साल से 50% तक कम हैं, लेकिन कारीगरों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है। उन्हें बीते साल जितना ही काम मिल रहा है। कोरोना के बाद मांग बढ़ेगी तो स्थानीय कारीगरों को सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा। कोलकाता के व्यापारी केसी मुखर्जी बताते हैं कि डिमांड घटी है, लेकिन आयात भी कम हुआ है। डिमांड कम होने का असर राखी कारीगरों पर बहुत कम देखने को मिल रहा है।
फोन पर ऑर्डर बुकिंग, पबजी और एवेंजर राखी की कीमत 5 से 15 रुपए
लॉकडाउन और भाड़े में बढ़ोतरी से राखी की कीमतों में 10-15% का उछाल आया है। दिल्ली के सदर बाजार में राखी एक रुपए से लेकर 70 रुपए तक बिक रही है। बच्चों के लिए पबजी, अवेंजर राखी 5 से 15 रुपए नग है। कार्टून ब्रांड मोटू-पतलू राखी 3 से 10 रुपए, मैटेलिक राखी 180 से 300 रुपए दर्जन व एंटिक राखी 600 से 750 रुपए दर्जन बिक रही है। ऑर्डर फोन पर लिए जा रहे हैं।
अमेरिका की टेनिस खिलाड़ी सेरेना विलियम्स अगले महीने केंटुकी में होने वाले नए हार्डकोर्ट टूर्नामेंट से वापसी कर सकती हैं। 23 बार की ग्रैंडस्लैम चैंपियन सेरेना फरवरी में हुए फेड कप के बाद किसी टूर्नामेंट में नहीं उतरी हैं। महिला और पुरुष प्रोफेशनल टेनिस टूर अगस्त से टूर्नामेंट की शुरुआत करना चाहते हैं।
केंटुकी में होने वाले टूर्नामेंट को टॉप सीड ओपन नाम से जाना जाता है। आयोजकों ने बताया कि सेरेना और 2017 की यूएस ओपन चैंपियन फ्लोएन स्टीफंस 10 अगस्त से शुरू होने वाले टूर्नामेंट में भाग लेंगी। सेरेना पहले ही कह चुकी है कि वे अगले ग्रैंडस्लैम टूर्नामेंट यूएस ओपन में हिस्सा लेंगी, जो 31 अगस्त से खेला जाना है।
अंपायर एलेक्सी इजोटोव को तीन साल के लिए सस्पेंड किया गया था
फिक्सिंग मामले में अंपायर, टूर्नामेंट डायरेक्टर सस्पेंडटेनिस इंटीग्रिटी यूनिट ने मैच फिक्सिंग और सट्टेबाजी के आरोप में बेलारूस के चेयर अंपायर और यूनान के टूर्नामेंट डायरेक्टर को सस्पेंड करके जुर्माना भी लगाया है। अंपायर एलेक्सी इजोटोव को तीन साल के लिए सस्पेंड करने के साथ लगभग 7.5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया।
टूर्नामेंट डायरेक्टर एंटोनिस कलिट्जकिस को 20 महीने के लिए सस्पेंड कर दिया गया। उन पर लगभग 90 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से हुई हिंसक सैन्य झड़प के बाद राखी और उससे जुड़े आइटम्स का आयात भी प्रभावित हुआ है। कारोबारियों ने विवाद से पहले करीब 70% आयात कर लिया था, लेकिन इसके बाद से नए आर्डर रोक दिए गए हैं। इसके चलते चीन काे करीब 400 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया टेडर्स के अध्यक्ष बीसी भरतिया का कहना है कि दूसरे त्योहारों पर भी चीन से आयात कम होगा। दीपावली पर इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिलेगा। पिछले साल दिवाली पर 3200 करोड़ रुपए का सामान आयात किया गया था, जबकि साल 2018 में 8000 करोड़ रुपए का सामान मंगवाया गया था।
देशी धागे वाली राखियों की मांग ज्यादा
3 अगस्त को आने वाले रक्षाबंधन पर इस बार देसी धागे वाली राखियों की मांग ज्यादा है। इस वजह से चीन से आने वाली फैंसी राखियाें की पूछ परख कम हो गई है। बदलते ट्रेंड के बीच ग्राहक भी अब चीन में बने सामान से परहेज करने लगे हैं। राखियों में इस्तेमाल होने वाला सजावटी सामान फोम, स्टोन, पन्नी आदि चीन से आयात होते हैं।
इसकी कीमत करीब 1,200 करोड़ रुपए तक होती है। देश में राखी का कारोबार 5 से 6 हजार करोड़ रुपए का है, जो इस साल घटकर ढाई हजार करोड़ रुपए रह सकता है। देश में सबसे ज्यादा राखियां प. बंगाल में बनती हैं। इसके अलावा दिल्ली, मुंबई और गुजरात में भी बड़े पैमाने पर राखियां बनती हैं।
पिछले साल के मुकाबले 50% ऑर्डर कम हुआ
बंगाल के राखी निर्माता रोहित गुप्ता ने बताया कि राखी के ऑर्डर पिछले साल से 50% तक कम हैं, लेकिन कारीगरों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है। उन्हें बीते साल जितना ही काम मिल रहा है। कोरोना के बाद मांग बढ़ेगी तो स्थानीय कारीगरों को सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा। कोलकाता के व्यापारी केसी मुखर्जी बताते हैं कि डिमांड घटी है, लेकिन आयात भी कम हुआ है। डिमांड कम होने का असर राखी कारीगरों पर बहुत कम देखने को मिल रहा है।
फोन पर ऑर्डर बुकिंग, पबजी और एवेंजर राखी की कीमत 5 से 15 रुपए
लॉकडाउन और भाड़े में बढ़ोतरी से राखी की कीमतों में 10-15% का उछाल आया है। दिल्ली के सदर बाजार में राखी एक रुपए से लेकर 70 रुपए तक बिक रही है। बच्चों के लिए पबजी, अवेंजर राखी 5 से 15 रुपए नग है। कार्टून ब्रांड मोटू-पतलू राखी 3 से 10 रुपए, मैटेलिक राखी 180 से 300 रुपए दर्जन व एंटिक राखी 600 से 750 रुपए दर्जन बिक रही है। ऑर्डर फोन पर लिए जा रहे हैं।
from Dainik Bhaskar /national/news/indians-bycott-made-in-china-rakhi-brother-sister-defense-formula-now-reduces-sugar-less-imports-of-rakhi-by-30-festival-orders-closed-diwali-will-be-affected-most-127525269.html
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द लैंसेट ने भारत में कोरोना संक्रमण की स्थिति पर चिंता जताई है। ताजा रिपोर्ट में इसने दावा किया है कि भारत का 98% हिस्सा कोरोनावायरस की चपेट में है। अमेरिका के बाद भारत में ही संक्रमण सबसे तेजी से बढ़ रहा है और देश के 640 ज़िलों में से 627 जिले कोरोना वायरस संक्रमण से जूझ रहे हैं।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, नौ राज्य- मप्र, बिहार, तेलंगाना, झारखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और गुजरात सबसे बुरी तरह संक्रमण से प्रभावित हैं। भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में अब तक सबसे कम मामले सामने आए हैं।लैंसेट की यह रिपोर्ट सामाजिक-आर्थिक,जनसांख्यिकीय, आवास-स्वच्छता, महामारी विज्ञान और स्वास्थ्य प्रणाली जैसे पहलुओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इन 9 राज्यों में ध्यान नहीं दिया तो स्थिति और खराब हो सकती है। मध्य प्रदेश में जहां संक्रमण फैलने के खतरे की दर 1 है, वहीं बिहार में 0.971 हो चुकी है। इसके बाद तेलंगाना झारखंड और यूपी भी चिंता का सबब बन सकते हैं।
जिला स्तर पर बनाएं योजनाएंः रिपोर्ट
रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि, ‘भारत में कोरोनावायरस की स्थिति को संभालने के लिए जिला-स्तर पर योजनाएं बनाने और उन्हें लागू किए जाने की जरूरत है। इसके साथ ही जो इलाके सबसे अधिक प्रभावित हैं उन पर विशेष तौर से ध्यान देने और रणनीति बनाकर काम करने की जरूरत है। वहीं, सबसे ज्यादा संक्रमण वाले इलाकों में फिर से लॉकडाउन या अन्य प्रतिबंध लागू करने की जरूरत है।
अरुणाचल का कुरुंग कुमे सबसे सुरक्षित
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का अरुणाचल और वहां का कुरुंग कुमे जिला सबसे कम खतरे वाला स्थान है। इसके बाद हरियाणा का पंचकूला आता है, जहां संक्रमण का जोखिम कम है। संक्रमण फैलने का सबसे ज्यादा खतरा मप्र के सतना और बिहार के खगड़िया जिले में है।
मणिपुर में महिला पुलिस अफसर थौना ओजम बृंदा ने मणिपुर हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह पर गिरफ्तार ड्रग माफिया को छोड़ने के लिए ‘दबाव’ डालने का आरोप लगाया है। बृंदा ने 19 जून 2018 को ड्रग माफिया लुहखोसेई जोउ को 28 करोड़ रुपए की ड्रग और नकदी के साथ गिरफ्तार किया था। इस पर मुख्यमंत्री सिंह ने कहा है कि मामला कोर्ट में है। टिप्पणी करना उचित नहीं। 18 पन्ने के हलफनामे की प्रतिलिपि भास्कर के पास मौजूद है। पढ़िए संपादित अंश...
बृंदा ने हलफनामा में लिखा- सीएम ने मुझे बंगले पर बुलाकर कहाः क्या इसीलिए तुम्हें वीरता पुरस्कार दिया था
मैंने मुख्यमंत्री को ड्रग्स की तलाशी से जुड़ी छापेमारी के बारे में सूचित किया और बताया कि हम स्वायत्तशासी जिला परिषद सदस्य के घर दबिश डालने जा रहे हैं। उस समय मुख्यमंत्री ने फोन पर तारीफ करते हुए कहा था कि उसके यहां ड्रग्स मिलती है तो उसे गिरफ्तार करो।
लेकिन, इस कार्रवाई के दूसरे दिन 20 जून को सुबह 7 बजे भाजपा नेता अशनीकुमार हमारे घर पहुंचे और कहा कि गिरफ्तार परिषद सदस्य मुख्यमंत्री की पत्नी ओलिस का राइट हैंड है। इस घटना से वे बेहद नाराज हैं। गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को रिहा कर उसकी पत्नी या बेटे को गिरफ्तार किया जाए।
मैंने कहा कि यह संभव नहीं है क्योंकि ड्रग्स बेटे या पत्नी के पास से नहीं मिली है। इसके बाद अशनीकुमार दूसरी बार मुझसे मिलने आए और ड्रग माफिया को छोड़ने का दबाव डाला। 14 दिसंबर को नारकोटिक्स एंड अफेयर्स ऑफ बार्डर ब्यूरो के पुलिस अधीक्षक ने फोन करके कहा कि पुलिस महानिदेशक ने सुबह 11 बजे एक बैठक बुलाई है।
मैं जब बैठक के लिए पहुंची, तो डीजीपी ने कहा कि मुख्यमंत्री चाहते है कि इस मामले के आरोप पत्र कोर्ट से वापस लिए जाएं। मेरे मना करने के बाद उन्होंने इस मामले के जांच अधिकारी को कोर्ट भेजकर आरोप-पत्र रीमूव करने के आदेश दिए। लेकिन, कोर्ट ने मना कर दिया। यह पूरा मामला जब मीडिया में आया, तो विभाग ने स्पष्टीकरण जारी कर कहा कि पुलिस पर कोई दबाव नहीं है।
ठीक उसी दिन सुबह मुख्यमंत्री ने मुझे अपने बंगले पर बुलाया। यहां मुख्यमंत्री ने डांटते हुए कहा ‘क्या इसलिए मैंने तुम्हें वीरता पदक दिया है।’ महिला अफसर ने हलफनामे में लिखा है कि 150 पुलिस जवानों को साथ लेकर इस ड्रग माफिया के खिलाफ ऑपरेशन चलाया था। हमारे पास सबूत थे।
टीम ने जोउ के पास से 4.595 किलो हेरोइन, 2 लाख 80 हजार 200 वर्ल्ड इज योर्स नाम की नशीली टैबलेट और 57 लाख 18 हजार नगदी बरामद किए थे। 95 हजार के पुराने नोट समेत कई आपत्तिजनक सामग्रियां भी बरामद की थी।
from Dainik Bhaskar /national/news/manipur-woman-officer-disclosed-drug-mafia-told-to-me-is-special-for-cms-wife-replace-wife-or-son-instead-127525267.html
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1. राजस्थान की सियासत
राजस्थान में कांग्रेस की कलह कठघरे तक जरूर पहुंच गई है, लेकिन दो दिन तक नेताओं के लिए बयानबाजी पर लौटने का पूरा स्कोप रहेगा। दरअसल, पायलट खेमे के 19 विधायकों को स्पीकर सीपी जोशी ने नोटिस भेजा था। इसके खिलाफ बागी विधायक हाईकोर्ट पहुंच गए थे, जहां सुनवाई सोमवार तक टल गई है। हाईकोर्ट ने स्पीकर को विधायकों के बारे में फैसला करने से मंगलवार शाम तक के लिए रोक दिया है। जिक्र बयानों का हो रहा है, तो पायलट की बात कर लेते हैं। वे दो दिन पहले तकइंटरव्यू दे रहे थे, लेकिन अब कोई बड़ा बयान नहीं दे रहे।
लोगों की नजर गहलोत और पायलट पर है, लेकिन चर्चा में दो नाम और हैं। पहला नाम है- पूर्व सीएम वसुंधरा राजे। पिछले आठ दिन से सियासत जोरों पर है, लेकिन वसुंधरा ने चुप्पी साध रखी है। उन पर गहलोत सरकार को बचाने के आरोप लग रहे हैं। भाजपा के 72 में से 45 विधायक वसुंधरा समर्थक बताए जा रहे हैं। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के चीफ भी वसुंधरा के भरोसेमंद माने जाते हैं।
दूसरा नाम है- गजेंद्र सिंह शेखावत। वे केंद्रीय मंत्री हैं। गहलोत सरकार का दावा है कि विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़ा जो ऑडियो गुरुवार को लीक हुआ, उसमें एक आवाज गजेंद्र सिंह शेखावत की है। वसुंधरा विरोधी गुट के माने जाने वाले शेखावत इस दावे को खारिज कर रहे हैं।
2. रक्षा मंत्री का लद्दाख दौरा
प्रधानमंत्री मोदी ने 3 जुलाई को लद्दाख का दौरा किया था। ठीक दो हफ्ते बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार को लद्दाख पहुंचे। प्रधानमंत्री ने उस दिन विस्तारवाद को खराब बताकर चीन की नीतियों का विरोध किया था। कल जब राजनाथ वहां पहुंचे, तो उन्होंने हाथ में मशीन गन उठाकर देखने के बाद जमीनी हकीकत बयां कर दी। उन्होंने वही बात कही, जो चीन को लेकर लोगों के दिल में है। उन्होंने कहा- सीमा विवाद सुलझाने के लिए बातचीत का दौर चल रहा है, लेकिन गारंटी नहीं दे सकते कि इसका कितना हल निकलेगा।
3. रोशनी नडार बनीं एचसीएल की चेयरपर्सन
अब बात कॉर्पोरेट की। डेढ़ लाख इम्प्लॉइज और सालाना 17 हजार करोड़ रुपए का रेवेन्यू कमाने वाली भारतीय टेक कंपनी एचसीएल में लीडरशिप में बदलाव हुआ है। 75 साल के शिव नाडर चेयरमैन थे। अब उनकी 38 साल की बेटी राेशनी नाडर चेयरपर्सन होंगी। अब तक वे एचसीएल की सीईओ थीं। रोशनी फोर्ब्स की द वर्ल्ड्स 100 मोस्ट पावरफुल वुमन की 2019 की लिस्ट में 54वें नंबर पर थीं। वे देश की सबसे अमीर महिला हैं। 2019 में उनकी वैल्थ 36,800 करोड़ रुपए थी।
4. आज से जुड़ी दो बातें
अफ्रीका में क्रिकेट का एक्सपेरिमेंटल फॉर्मेट
कोरोना के बीच साउथ अफ्रीका में आज से क्रिकेट की वापसी हो रही है और यह वापसी एक्सपेरिमेंटल है। साउथ अफ्रीका के सेंचुरियन पार्क स्टेडियम में थ्री टीम मैच खेला जाएगा। यह सिर्फ 36 ओवर का होगा और इसमें एक साथ 3 टीमें खेलेंगी। हर टीम में 8-8 खिलाड़ी होंगे। एक टीम 6-6 ओवर में दो टीमों के खिलाफ बैटिंग करेगी। 7 विकेट गिरने के बाद 8वां बल्लेबाज अकेले बैटिंग कर सकेगा। डिविलयर्स, डीकॉक, रबाडा और शम्सी जैसे खिलाड़ी मैदान पर नजर आएंगे। भारत में इसे दोपहर 2 बजे से देखा जा सकेगा।
राम मंदिर निर्माण की तारीख
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कब से शुरू होगा, इसकी तारीख पर आज फैसला हाे सकता है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की आज दोपहर 3 बजे से बैठक है। इसमें यह चर्चा होगी कि कौन-सा दिन मंदिर निर्माण शुरू करने के लिए ठीक है और क्या उस दिन नींव रखने के लिए प्रधानमंत्री आ सकते हैं।
5. आज का दिन कैसा रहेगा?
शनिवार को वज्र नाम का अशुभ योग बन रहा है। इस वजह से मेष, वृष, धनु, कर्क, सिंह, तुला और वृश्चिक राशि वाले परेशान हो सकते हैं। वहीं, मिथुन, कन्या, मकर, कुंभ और मीन राशि वालों के लिए दिन ठीक रहेगा। इस तरह 12 में से 7 राशियों के लिए दिन ठीक नहीं है और 5 राशियों के लिए दिन ठीक है।
खजाने का राज
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने केरल के पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन की बागडोर त्रावणकोर राजपरिवार के हाथ में सौंपी है। इस मंदिर के पास करीब एक लाख करोड़ की संपत्ति बताई जाती है। इसके तहखाने में क्या-क्या है, यह राज ही है। इसी तरह विजयनगर साम्राज्य का खजाना भी आज तक रहस्य बना हुआ है। कर्नाटक के हम्पी से लेकर तेलंगाना के हैदराबाद तक के जंगलों में यह खजाना खोजा जा रहा है। पढ़ें: श्रीशैलम् की पहाड़ियों में 2500 टन सोना है...
सरकार की 4 गलतियां
देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 10 लाख के ऊपर पहुंच गया है। ऑक्सफोर्ड के गवर्नमेंट रिस्पॉन्स ट्रैकर के मुताबिक, भारत में जितना सख्त लॉकडाउन लागू किया गया था, उतनी सख्ती दुनिया के किसी देश में नहीं दिखाई गई, लेकिन सरकार की तरफ से 4 गलतियां हुईं। लॉकडाउन का सही इस्तेमाल नहीं हुआ। सरकार को पता नहीं था कि प्रवासी मजदूर सड़कों पर निकल आएंगे। श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से कोरोना के मामले बढ़े। केस बढ़ रहे थे, तब शराब की दुकानें खोल दी गईं। पढ़ें: 6 तरीके, जिनसे कोरोना को कंट्रोल कर सकते थे...
शुभ कामों का समय
सावन के आखिरी 15 दिनों यानी 20 जुलाई से 3 अगस्त तक कई पर्व आ रहे हैं। इस दौरान दुर्लभ योग भी बन रहे हैं। इनमें 7 दिन शुभ मुहूर्त हैं। इस बार 20 साल बाद सावन में सोमवती अमावस्या का शुभ योग बन रहा है। पढ़ें: हरियाली अमावस्या पर 5 ग्रह अपनी-अपनी राशि में रहेंगे...
स्कूल कैसे खुल सकते हैं
अमेरिका, भारत समेत तमाम देशों में स्कूलों को दोबारा खोलने पर विचार चल रहा है। एक्सपर्ट्स की सलाह है कि स्कूलों में कोरोना टेस्ट की सुविधा होनी चाहिए। क्लास रूम में लगातार फ्रेश एयर आनी चाहिए। पढ़ें:दुनिया के जिन देशों में स्कूल शुरू हुए, वहां क्या तैयारियां की गईं...
देश में कोरोना के मामले दस लाख पार कर गए हैं। मौतों का आंकड़ा भी 25 हजार से अधिक हो गया है। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कई राज्य ऐसे हैं जहां मरीजों के ठीक होने का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है। इनमें सबसे ज्यादा संक्रमित राज्यों में शामिल दिल्ली भी है। जहां 82% से ज्यादा मरीज ठीक हो चुके हैं। वहीं, कोरोना संक्रमितों की संख्या के लिहाज से सबसे ज्यादा मौतें गुजरात में हो रही हैं।
देश के किन राज्यों में कोरोना संक्रमण से सबसे ज्यादा रिकवरी हो रही है। कहां रिकवरी रेट सबसे कम है। किन राज्यों में डेथ रेट सबसे ज्यादा है। जो राज्य और जिले कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं वहां रिकवरी रेट और डेथ रेट कैसा है? इस रिपोर्ट में हम इन सवालों का जवाब देंगे।
चार राज्यों में रिकवरी रेट 75% से ज्यादा, इनमें से दो में 4 हजार से ज्यादा मामले
देश में कोरोना संक्रमितों के ठीक होने की दर बुधवार शाम तक 63.23% थी। 20 राज्य और यूटी ऐसे हैं जहां कोरोना मरीजों के ठीक होने की दर देश के औसत से बेहतर है। सिर्फ चार राज्यों में रिकवरी रेट 75% से ज्यादा है। दिल्ली में एक लाख से ज्यादा मामले होने के बाद भी रिकवरी रेट 82.34% है। दिल्ली से बेहतर रिकवरी रेट सिर्फ लद्दाख का है। दिल्ली और हरियाणा दो ऐसे राज्य हैं जहां चार हजार से ज्यादा मामले होने के बाद भी रिकवरी रेट 75% से ज्यादा है।
केरल ने कोरोना की रफ्तार रोकी, लेकिन रिकवरी रेट अभी भी 50% से कम
देश में कोरोना का पहला मामला 30 जनवरी को केरल में आया था। एक वक्त केरल में संक्रमितों के मामले में टॉप पर भी रहा। बाद में केरल ने कोरोना संक्रमण की रफ्तार रोक ली। लेकिन अभी भी यहां रिकवरी रेट सिर्फ 47.31% है। कर्नाटक में स्थिति और गंभीर है। यहां 51 हजार से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। लेकिन, रिकवरी रेट सिर्फ 38.37% है। सबसे कम रिकवरी रेट मेघालय में है। हालांकि, यहां सिर्फ 377 मरीज हैं।
गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में डेथ रेट 3% से ज्यादा
गुजरात का डेथ रेट 4.59% है। महाराष्ट्र में जितने मामले हैं उतने मामले अगर गुुजरात में आते हैं और डेथ रेट यही रहा, तो वहां तब तक 13 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो जाएगी।गुजरात के बाद सबसे ज्यादा डेथ रेट महाराष्ट्र का है। जहां अब तक 11 हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमित जान गंवा चुके हैं। मध्य प्रदेश का डेथ रेट भी 3.38% है। देश में यही तीन राज्य हैं जहां डेथ रेट 3% से ज्यादा है।
आज से दो महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की। इस बातचीत में मोदी ने जिस बात पर सबसे ज्यादा चिंता जताई थी, वो थी गांवों में कोरोनावायरस को फैलने से कैसे रोका जाए? मोदी ने माना था कि हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती कोरोनावायरस को गांवों में नहीं फैलने देना है।
मुख्यमंत्रियों के साथ मोदी की ये मीटिंग 11 मई को हुई थी। इस मीटिंग को हुए दो महीने से ज्यादा का समय भी बीत गया। और कोरोनावायरस का आंकड़ा 10 लाख के पार भी हो गया। इस चिंता की एक वाजिब वजह भी थी और वो ये कि भारत की 68% से ज्यादा आबादी गांवों में ही रहती है। 2011 में हुई जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि देश के 83.30 करोड़ से ज्यादा लोग गांवों में रहते हैं। जबकि, शहरों में सिर्फ 37.71 करोड़ आबादी ही रहती है।
देश में 10 राज्य ऐसे हैं, जहां देश की 74% से ज्यादा आबादी गांवों में ही रहती है। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा और आंध्र प्रदेश का नाम आता है। इन सभी राज्यों में 87.29 करोड़ की आबादी में से 61.94 करोड़ आबादी गांवों में रहती है। यानी, देश में जितनी आबादी गांवों में रहती है, उसमें से 74.36% आबादी इन्हीं 10 राज्यों में रहती है।
इन 10 राज्यों के सभी जिलों में पहुंचा कोरोना
30 अप्रैल को स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना संक्रमितों की संख्या के आधार पर देश के सभी जिलों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में बांटा था। उस समय इस लिस्ट में 733 जिलों में से 130 जिले रेड, 284 जिले ऑरेंज और 319 जिले ग्रीन जोन में थे।
इन 10 राज्यों के भी 367 जिलों में से 114 जिले उस समय ग्रीन जोन में थे। यानी यहां पर 30 अप्रैल तक कोरोना का एक भी मरीज नहीं मिला था। लेकिन, अब इन सभी 367 जिलों में कोरोना के मामले आ गए हैं।
इससे जाहिर है कि कोरोना कोगांवों में नहीं फैलने देने के लिए भले ही कोशिशें हुई हों, लेकिन अब संक्रमण गांवों में भी फैल चुका है।
इन 10 राज्यों के 94 जिले ऐसे, जहां एक हजार से ज्यादा मामले
इन सभी राज्यों के 367 जिलों में से 94 जिले ऐसे हैं, जहां कोरोना मरीजों की संख्या एक हजार से ज्यादा है। आंध्र प्रदेश के सभी 13 जिलों में कोरोना के 1 हजार से ज्यादा मामले हैं।
5 कारण, जिनसे गांवों में फैला कोरोना 1. प्रवासी मजदूरः 1 मई को जब तेलंगाना से पहली श्रमिक ट्रेन रांची पहुंची, तो झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, 'हम जानते हैं कि अपने लोगों के साथ हम कोरोना को भी ला रहे हैं।' एक अनुमान के मुताबिक, श्रमिक ट्रेनों के जरिए देशभर में 65 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को उनके गांव भेजा गया। इनमें से ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार के ही मजदूर थे।
2. श्रमिक ट्रेन में नाम की सोशल डिस्टेंसिंगः प्रवासी मजदूरों को उनके घर-गांव तक पहुंचाने के लिए सरकार ने श्रमिक ट्रेनें शुरू तो कर दीं, लेकिन इनमें सोशल डिस्टेंसिंग नाम की ही रखी। रेलवे ने गाइडलाइन में साफ लिखा था कि ट्रेन तभी चलेगी, जब उसमें 1200 यानी 90% यात्री होंगे। एक ट्रेन में अगर 90% यात्री हैं, तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना नामुमकीन सा है। ऐसे में अगर किसी एक को कोरोना हुआ, तो सबको उसका खतरा।
3. न जांच हुई, न क्वारैंटाइन कियाः जिन मजदूरों को सरकार ने ही ट्रेन या बसों से छोड़ा, उन्हें तो क्वारैंटाइन सेंटर में रख लिया गया। लेकिन, इनसे पहले बहुत से ऐसे मजदूर और लोग भी थे, जो अपने साधनों से ही अपने घर-गांव तक पहुंच गए। इनमें से भी कुछ भले ही क्वारैंटाइन सेंटर में रह लिए हों, लेकिन बहुत से ऐसे थे जो सीधे अपने घर या गांव ही चले गए। यानी, ऐसे लोगों की न ही कोई जांच हुई और न ही क्वारैंटाइन रहे।
4. क्वारैंटाइन सेंटर में भी लापरवाहीः गांव के सरकारी स्कूलों में ही लौटकर आए मजदूरों के लिए क्वारैंटाइन सेंटर बना तो दिए गए थे, लेकिन यहां नियमों का पालन ही नहीं किया गया। कई जगहों से खबरें आईं कि मजदूर यहां खुलेआम घूम रहे हैं। ताश खेल रहे हैं। खबरें तो ये भी थीं कि जिन क्वारैंटाइन सेंटर में मजदूरों को रखा गया, वहां सिक्योरिटी ही नहीं थी। नतीजा मजदूर सेंटर से निकलकर गांव में घूमने निकल पड़े।
5. गांवों में टेस्टिंग लैब भी नहींः आईसीएमआर के मुताबिक, देशभर में 17 जुलाई तक कोरोना के टेस्ट के लिए 1 हजार 244 लैब हैं। इनमें से 880 सरकारी और 364 प्राइवेट लैब हैं। इनमें भी आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए सिर्फ 638 लैब ही हैं। कोरोना की जांच के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट जरूरी है। अब ये जो लैब बनी हैं, ये सभी लैब शहरों के बीचों-बीच या राजधानी में बनी हैं। गांवों में टेस्टिंग लैब ही नहीं हैं। तो अगर गांवों में किसी शख्स में संक्रमण के लक्षण दिखते हैं, तो उसकी जांच ही नहीं हो पाती और अगर होती भी है तो रिपोर्ट आने में ही टाइम लग जाता है।
भारत में 6.5 लाख से ज्यादा गांव
सरकार की लोकल गवर्नमेंट डायरेक्ट्री के डेटा के मुताबिक, देश में 6 लाख 64 हजार 119 गांव हैं। सबसे ज्यादा 1.07 लाख गांव उत्तर प्रदेश में है। दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश है, जहां 55 हजार 825 गांव है।
वहीं चंडीगढ़ इकलौता है, जहां एक भी गांव नहीं है। उसके बाद सबसे कम 27 गांव लक्षद्वीप में हैं। इसके अलावा दादरा नगर हवेली में 101, पुडुच्चेरी में 122 और दिल्ली में 222 गांव हैं।
अहमदाबाद खाने-पीने वालों के लिए एक फेवरेट शहर है। यहां के लजीज स्ट्रीट फूड्स दुनियाभर में फेमस हैं।अहमदाबाद के लो-गार्डन इलाके में इसी साल फरवरी में हैप्पी स्ट्रीट की शुरुआत हुई। अभी लोग यहां के जायकों का लुफ्त उठाते उससे पहले ही कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया और हैप्पी स्ट्रीट को बंद करना पड़ा।
लॉकडाउन के बाद अनलॉक 1 की शुरुआत हुई तो थोड़ी उम्मीद जगी की यहां के जायकों की महक लौटेगी लेकिन अभी तक यहां रौनक नहीं लौटी है। कोरोना संक्रमण और सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर यहां के बाजार अभी भी नहीं खुल सके हैं, पाबंदी जारी है।इसका असर यहां के कारोबारियों व दुकानदारों पर पड़ा है। उनका काफी नुकसान हुआ है।
हैप्पी स्ट्रीटमें100से ज्यादा लोगों को रोजगारमिलताहै
7फरवरी से अहमदाबाद के लो-गार्डन मेंशुरू की गई हैप्पी स्ट्रीट में हरदिनशाम 7 बजे से11केबीच लोग खाने-पीने का आनंद लेने के लिए आते हैं। यहां अच्छी खासी संख्या में लोगों की भीड़ रहती है। एक अनुमान के मुताबिक, करीब 100 लोगों को यहां रोजगार मिलता है। हालांकि, अभी कोरोना संक्रमण की वजह से यहां पाबंदी है। इस वजह से लोगों के रोजगार पर असर पड़ा है। दुकानदारों के धंधे बंद हो गए हैं।
31बड़ीऔरतीन प्रकार की11छोटी फूड वैन
अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने हैप्पी स्ट्रीट की शुरुआत की। यहां 31 बड़ी दुकानें और तीन तरह की 11 छोटी दुकानों की फूड वैन हैं।एक फूड वैन के सामने 24लोगों के बैठने की जगह होती है। उसके सामनेपार्किंग बनाया गया है।पूरी स्ट्रीटका लूक हेरिटेज स्ट्रीट के रूप में दिया गया है।
गाइडलाइन जारी होने केबाद विचार करेंगे
हैप्पी स्ट्रीट शुरू करने के मामले स्टैंडिंग कमिटी के चेयरमैन अमुल भट्ट ने दैनिक भास्कर को बताया कि सार्वजनिक स्थलों को खोलने को लेकर केंद्र सरकार ने कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है। इसलिए अभी हैप्पी स्ट्रीट बंद रहेगा और खाने-पीने की दुकानें नहीं खुल पाएंगी। गाइडलाइन जारी होने के बाद ही कुछ निर्णय लिया जा सकेगा।
स्ट्रीट फ़ूड स्टॉल शुरू करने के लिए ब्लॉगर्स ने मांगी अनुमति
फूड ब्लॉगर अभिनिषा जुबिन आशरा ने दैनिकभास्कर से कहा किसरकार को स्ट्रीट फ़ूड विक्रेताओं के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ दुकानें खोलने की अनुमति देनी चाहिए। फूड स्टॉल खोलने की छूट मिलनी चाहिए। इसके साथ ही रेस्त्रां वालों को भी इस बात का ध्यान रखना होगा कि उनके खाने की क्वालिटी बनी रहे, स्वाद बना रहे, तो ही लोग फूड ऑर्डर कर पाएंगे।
रेस्त्रां मालिकों कोहाइजीन फ़ूड और कोरोना से बचने के उपाय के साथ ग्राहकों का विश्वास जीतना होगा।जो ग्राहकों का विश्वास जीतेगा, वही इस कोरोना के दौर में अच्छीकमाई कर सकेगा। अभीलोगो नेफ़ूड की होम डिलीवरी लेने की शुरुआतकर दी हैऔर अगस्त तक होटलें भी खोली जा सकते हैं,ऐसीउम्मीद की जा रही है।