बुधवार, 2 दिसंबर 2020

किसानों ने कृषि कानूनों को डेथ वॉरंट बताया, उन्हें मनाने में नाकाम रहे तीनों मंत्री आज शाह से मिलेंगे

कृषि कानूनों के विरोध में 7 दिन से दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को मनाने की सरकार की कोशिश मंगलवार को नाकाम रही। सरकार के साथ 35 किसान संगठनों की 3 घंटे की बातचीत बेनतीजा रही। मीटिंग में सरकार कानूनों पर प्रजेंटेशन दिखाकर फायदे गिनवाती रही, लेकिन किसान तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे। उन्होंने इतना तक कह दिया कि हम कुछ तो हासिल करेंगे, भले गोली हो या फिर शांतिपूर्ण हल।

मीटिंग में सरकार की तरफ से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश मौजूद रहे। तीनों आज गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे। किसानों के साथ सरकार 3 दिसंबर को फिर मीटिंग करेगी।

दैनिक भास्कर ने किसानों से सवाल लेकर कृषि मंत्री से पूछे, जवाब क्या आए यहां पढ़िए

चाय आई तो किसान बोले- धरनास्थल पर आइए, जलेबी खिलाएंगे
3:45 बजे : किसानों और सरकार की मीटिंग शुरू हुई। 4 बजे सरकार की तरफ से किसान नेताओं को चाय ऑफर की गई, लेकिन उन्होंने कहा कि चाय नहीं, हमारी मांगें पूरी करिए। आप धरना स्थल पर आइए, हम आपको जलेबी खिलाएंगे।

4.15 बजे : कृषि मंत्री ने किसानों से आपत्तियां पूछीं। किसान नेता डॉ. दर्शनपाल ने तीनों कानूनों को रद्द करने और MSP की गारंटी देने की मांग रखी। इस पर पीयूष गोयल ने टोकते हुए कहा कि हम तीनों बिलों और MSP पर एक PPT तैयार करके लाए हैं, वो देख लें, फिर आगे बात करेंगे।

5.15 बजे : केंद्रीय राज्य मंत्री सोमप्रकाश ने कहा कि ये तीनों कानून आप किसानों के फायदे के लिए हैं। किसान बोले कि हमारी जमीनें बड़े कॉरपोरेट ले लेंगे। आप कानून में कॉरपोरेट को मत लाइए। ये कानून किसानों के लिए डेथ वॉरंट हैं।

6.45 बजे : किसान नेताओं ने कहा जब तक फैसला नहीं होता आंदोलन जारी रहेगा। इसके बाद तोमर बोले कि 3 दिसंबर को फिर मीटिंग करेंगे।

अपडेट्स

  • दिल्ली-UP बॉर्डर (गाजीपुर-गाजियाबाद) पर जमा किसानों ने आज सुबह बैरिकेड धकेल कर हटा दिए।
गाजीपुर-गाजियाबाद बॉर्डर पर बैरिकेड हटाते किसान।
  • पुलिस ने दिल्ली-हरियाणा के टिकरी बॉर्डर के साथ-साथ आज झारोदा और झटीकरा बॉर्डर को पूरी तरह बंद कर दिया है। बदोसराय बॉर्डर से सिर्फ टू-व्हीलर के मूवमेंट की परमिशन है।
  • किसानों के आंदोलन को देखते हुए नॉर्दन रेलवे ने अजमेर-अमृतसर एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेन (09613) को आज रद्द कर दिया है। गुरूवार को अमृतसर-अजमेर एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेन (09612) और अमृतसर-डिब्रूगढ़ स्पेशल ट्रेन (05212) रद्द रहेगी। भटिंडा-वाराणसी एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेन (04998/04997) अगले आदेश तक कैंसिल रहेगी।
  • नांदेड-अमृतसर एक्सप्रेस (02715) आज दिल्ली तक और बांद्रा-अमृतसर एक्सप्रेस (02925) चंडीगढ़ तक ही चलेगी। अमृतसर-जयनगर एक्सप्रेस (04650/74) और दुर्ग-जम्मू तवी (08215) एक्सप्रेस का रूट डायवर्ट किया गया है।
  • महाराष्ट्र के किसान संगठनों ने आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा है कि सरकार 3 दिसंबर तक कृषि कानूनों से जुड़ी चिंताएं दूर करे। ऐसा नहीं हुआ तो वे दिल्ली कूच करेंगे।

आंदोलन के लिए पंजाब के घर-घर से दिया जा रहा आटा, चावल और घी
भूखे पेट फौज जंग नहीं लड़ सकती। इस बात को पंजाब के किसानों से बेहतर कोई नहीं जानता। दो महीने पंजाब और अब सात दिन से दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसानों को खाने की दिक्कत न हो, इसके लिए पूरे पंजाब में हर किसान परिवार योगदान दे रहा है। पंजाब में लगे ज्यादातर पक्के धरने इन दिनों कलेक्शन सेंटर में बदल दिए गए हैं। जहां 70 साल के बुजुर्गों से महिलाएं तक सिर पर आटा, चावल, दाल की बोरियां लादकर पहुंच रहे हैं। हर घर से आटा, दाल, घी, फल, सब्जियां और दूध आदि पहले कलेक्शन सेंटर और फिर वहां दिल्ली पहुंचाया जा रहा है।

किसान जत्थेबंदियों ने गांवों में टीमें बनाई हैं जो यकीनी बनाती हैं कि दिल्ली तक राशन की सप्लाई की चेन टूटने न पाए। दिल्ली कूच से पहले ही किसान जत्थेबंदियों ने साफ कर दिया था कि 26-27 नवंबर को चार महीने का राशन अपने साथ लेकर निकलेंगे। गांवों से रोजाना सामान इकट्ठा किया जा रहा है और जरूरत के मुताबिक धरनास्थल तक पहुंचाया जा रहा है। किसान अपने स्तर पर भी सामान लेकर पहुंच रहे हैं।

20 किलो अचार लेकर कलेक्शन सेंटर पहुंचीं बुजुर्ग
रोपड़ में लोगों से 2 लाख का चंदा जुटाकर किसानों के लिए सामान भेजा गया। वहीं, 20 किलो अचार का डिब्बा उठाए कलेक्शन सेंटर पहुंची बुजुर्ग महिला ने कहा कि आगे भी सामान पहुंचाती रहेंगी।

होशियारपुर से खाद्य सामग्री से भरा ट्रक भेजा गया
होशियारपुर के गांव राजपुर भाइयां से खाने-पीने के सामान के अलावा, कपड़े, कंबल, डिस्पोजल भेजे जा रहे हैं। गांव वालों का कहना है कि जब तक आंदोलन चलेगा, किसी चीज की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।



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Farmers Protest: Kisan Andolan Delhi Burari LIVE Update | Haryana Punjab Farmers Delhi Chalo March Latest News


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89 लाख से ज्यादा लोग ठीक हुए; रिकवरी रेट 94% हुआ; 4.51% मरीजों का चल रहा इलाज

देश में कोरोना के आंकड़े बीते पांच दिनों से कुछ राहत देने वाले हैं। हर दिन एक्टिव केस में कमी आ रही है। बीते तीन दिनों से नए केस भी 40 हजार से कम आ रहे हैं। मंगलवार को कुल 36 हजार 456 मरीज मिले, 43 हजार 203 ठीक हुए और 500 की मौत हुई। अब तक कुल 94.99 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 89.31 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.38 लाख की मौत हो चुकी है। अब तक आए कुल केसों में 94% मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 4.51% का इलाज चल रहा है। ये आंकड़े covid19india.org से लिए गए हैं।

दिल्ली में सबसे ज्यादा 31% आबादी के टेस्ट हो चुके, मध्यप्रदेश में सबसे कम सिर्फ 4.6%

  • देश में कुल 14.14 करोड़ टेस्ट मतलब जनसंख्या के हिसाब से 11% लोगों की जांच हो चुकी है। संख्या के हिसाब से यूपी- बिहार टॉप पर, लेकिन आबादी के हिसाब से दक्षिण के राज्य आगे।
  • जम्मू कश्मीर में आबादी के लिहाज से अब तक 22.8%, आंध्र प्रदेश में 19.3%, केरल में 17.8%, कर्नाटक में 16.9%, तमिलनाडु में 15.9% लोगों के टेस्ट हुए हैं।
  • आठ राज्यों में नेशनल एवरेज से भी कम टेस्टिंग हो रही है। इनमें उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और राजस्थान शामिल हैं।

कोरोना अपडेट्स

  • बॉलीवुड एक्टर सनी देओल कोरोना संक्रमित हो गए हैं। न्यूज एजेंसी ने मनाली के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर के हवाले से बुधवार को यह जानकारी दी।
  • कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से हिमाचल के इतिहास में पहली बार विधानसभा का शीतकालीन सत्र रद्द कर दिया गया है। यह सत्र 7 से 11 दिसंबर तक किया जाना था।
  • कैबिनेट ने सभी मंत्रियों, सांसदों, विधायकों पर सार्वजनिक कार्यक्रमों करने पर रोक लगा दी है। राज्य में सार्वजनिक कार्यक्रम करने से पहले एसडीएम की इजाजत लेनी होगी। शादी, जन्मदिन के अलावा अन्य सार्वजनिक कार्यक्रम में 50 से ज्यादा लोग हुए तो कार्यक्रम करने वाले पर पांच हजार रुपए जुर्माना लगेगा।
  • केंद्र सरकार ने कहा है कि कोरोना टेस्ट की फीस तय करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इसके लिए एक कमेटी बनाने का सुझाव दिया है।
  • ICMR के डायरेक्टर जनरल डॉ. बलराम भार्गव ने कहा है कि हमारा मकसद कोरोना की ट्रांसमिशन चेन को तोड़ना है। अगर हम थोड़ी आबादी (क्रिटिकल मास) को वैक्सीन लगाकर कोरोना ट्रांसमिशन रोकने में कामयाब रहे तो शायद पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने की जरूरत न पड़े।
  • गुजरात से भाजपा के राज्यसभा सांसद अभय भारद्वाज की मंगलवार को मौत हो गई। एक महीने पहले ही वह कोरोना संक्रमित पाए गए थे। इसके बाद उन्हें वड़ोदरा के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालात बिगड़ने पर बाद में चेन्नई के अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गुजरात के मुख्यमंत्री समेत कई मंत्रियों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। चार महीने पहले ही भारद्वाज गुजरात से राज्यसभा के लिए सदस्य चुने गए थे।

5 राज्यों का हाल

1. दिल्ली

राजधानी दिल्ली में मंगलवार को 4006 नए मरीज मिले। 5036 लोग ठीक होकर अस्पतालों से अपने घर गए और 86 मरीजों की मौत हो गई। अब तक राज्य में 5 लाख 74 हजार 380 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 31 हजार 769 मरीजों का इलाज चल रहा है। 5 लाख 33 हजार 351 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 9260 हो गई है।

2. मध्यप्रदेश

राज्य में मंगलवार को 1357 लोग संक्रमित मिले। 1683 लोग रिकवर हुए और 10 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 7 हजार 485 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 1 लाख 89 हजार 780 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 3270 मरीजों की मौत हो चुकी है। 14 हजार 453 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है।

3. गुजरात

मंगलवार को राज्य में 2477 लोग संक्रमित पाए गए। 1547 लोग रिकवर हुए और 15 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 11 हजार 257 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 14 हजार 785 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 92 हजार 468 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 4004 हो गई है।

4. राजस्थान

राज्य में मंगलवार को 2347 नए मरीज मिले। 3007 लोग रिकवर हुए और 19 की जान चली गई। अब तक 2 लाख 70 हजार 410 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 27 हजार 974 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 40 हजार 105 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 2331 हो गई है।

5. महाराष्ट्र

मंगलवार को राज्य में 4930 नए मरीज मिले। 6290 लोग रिकवर हुए और 95 की मौत हो गई। अब तक 18 लाख 28 हजार 826 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 89 हजार 98 मरीजों का इलाज चल रहा है। 16 लाख 91 हजार 412 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 47 हजार 246 हो गई है।



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अमेरिकी अस्पतालों में एक लाख से ज्यादा मरीज, तुर्की में एक दिन में 190 की मौत

दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 6.41 करोड़ के पार हो गया। 4 करोड़ 44 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 14 लाख 85 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिकी अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या एक लाख से ज्यादा हो गई है। इस बीच, सरकार ने कहा है कि वैक्सीन को जैसे ही अप्रूवल मिलता है तो सबसे पहले ये हेल्थ वर्कर्स को दी जाएगी।

अमेरिकी अस्पतालों पर दबाव
अमेरिका से तीन अहम अपडेट मिल रहे हैं। पहला- टेक्सास और कैलिफोर्निया के बाद फ्लोरिडा तीसरा ऐसा राज्य हो गया है जहां संक्रमितों की संख्या 10 लाख से ज्यादा हो गई है। हालांकि, यहां के गर्वर्नर ने साफ कर दिया है कि सख्त प्रतिबंध नहीं लगाए जाएंगे।
दूसरा- देश में अस्पतालों पर दबाव काफी बढ़ गया है। जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, आंकड़े 96 हजार बता रहे हैं लेकिन देश के अस्पतालों में एक लाख से ज्यादा मरीज हैं। इनमें से कुछ की हालत गंभीर है।
तीसरा- वैक्सीन या दवाइयों को अप्रूवल देने वाली फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेटिव एजेंसी यानी एफडीए के कमिश्नर को मंगलवार रात व्हाइट हाउस तलब किया गया। अफसरों ने उनसे पूछा कि वैक्सीन के अप्रूवल में देर क्यों हो रही है? इस पर कमिश्नर स्टीफन हान का जवाब था- यहां बहुत मेहनत और तेजी से काम किया जा रहा है। कोई हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठा। हम जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं ले सकते।

बेल्जियम में 25 गिरफ्तार
बेल्जियम में कर्फ्यु उल्लंघन के मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। ये सभी पार्टी कर रहे थे। पुलिस के मुताबिक, पार्टी करने वालों में एक नेता भी थे, जो एक गंदे नाले का सहारा लेते हुए भाग निकले। उनकी तलाश की जा रही है। घटना ब्रसेल्स के एक बार की बताई गई है। इस पार्टी में यूरोपीय यूनियन के दो डिप्लोमैट भी शामिल थे।

तुर्की में मरने वालों का आंकड़ा बढ़ा
तुर्की में लगातार नौवें दिन मरने वालों की संख्या बढ़ी। मंगलवार को यहां कुल 190 संक्रमितों की मौत हो गई। सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि जिन संक्रमितों की मौत हुई है, उनमें से ज्यादातर अधिक उम्र के लोग हैं। इस बीच, हेल्थ मिनिस्ट्री ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि जो प्रतिबंध लागू किए गए हैं, उनका सख्ती से पालन कराया जाएगा। सरकार आज इस मामले में अहम बैठक करने जा रही है।

तुर्की में संक्रमण और मौतें बढ़ रही हैं। मंगलवार को डबलिन के एक स्टोर के बाहर से निकलती महिला। यहां एक प्रेरक संदेश लिखा था।

हेल्थ वर्कर्स को पहले वैक्सीन मिलेगी
अमेरिकी हेल्थ मिनिस्ट्री का कहना है कि जैसे ही वैक्सीन को अप्रूवल मिलता है तो यह सबसे पहले देश के लाखों हेल्थ वर्कर्स को दी जाएगी, क्योंकि वे खतरनाक हालात में काम कर रहे हैं। इस बारे में सरकार ने अपने स्तर पर पूरी तैयारियां भी कर ली हैं। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने भी इस बारे में तस्वीर साफ कर दी है। माना जा रहा है कि दो हफ्ते के अंदर अमेरिका में पहली वैक्सीन आ जाएगी।

स्कॉट एटलस का इस्तीफा
डोनाल्ड ट्रम्प के कोरोनावायरस मामलों के स्पेशल एडवाइजर स्कॉट एटलस ने इस्तीफा दे दिया है। वे चार महीने पहले इस पद पर नियुक्त किए गए थे। एटलस की शुरुआत से ही आलोचना की जा रही थी। उन्होंने मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे जरूरी उपायों को कभी तवज्जो नहीं दी। एक बार एटलस ने अमेरिका में कोरोना से हुई मौतों पर ही सवाल खड़े कर दिए थे। एटलस पेशे से न्यूरोलॉजिस्ट हैं और ट्रम्प के करीबी माने जाते हैं।

कोरोना प्रभावित टॉप-10 देशों में हालात

देश

संक्रमित मौतें ठीक हुए
अमेरिका 14,108,490 276,976 8,333,018
भारत 9,499,710 138,159 8,931,798
ब्राजील 6,388,526 173,862 5,656,498
रूस 2,322,056 40,464 1,803,467
फ्रांस 2,230,571 53,506 164,029
स्पेन 1,673,202 45,511 उपलब्ध नहीं
यूके 1,643,086 59,051 उपलब्ध नहीं
इटली 1,585,178 54,904 734,503
अर्जेंटीना 1,418,807 38,473 1,249,843
कोलंबिया 1,308,376 36,584 1,204,452

(आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं)



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मंगलवार को न्यूयॉर्क के मैनहट्टन मार्केट से गुजरता एक व्यक्ति। अमेरिकी अस्पतालों में भर्ती संक्रमितों की संख्या एक लाख से ज्यादा हो गई है। व्हाइट हाउस ने एफडीए कमिश्नर को तलब कर उनसे वैक्सीन पर अपडेट मांगा है।


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किसान अब गोली खाने को भी तैयार, लद्दाख में चीनी सेना पर मौसम की मार और सभी को नहीं लगानी पड़ेगी कोरोना वैक्सीन

नमस्कार!
नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के साथ सरकार की बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकला। उलटे, किसानों ने कह दिया कि वे गोली तक खाने को तैयार हैं। इधर, ICMR ने यह कहकर चौंकाया है कि अगर क्रिटिकल मास को वैक्सीन लगाकर कोरोना की चेन तोड़ी जा सके, तो पूरे देश को वैक्सीन की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वनडे सीरीज का तीसरा और आखिरी मुकाबला कैनबरा में खेला जाएगा।
  • बिहार में सुशील कुमार मोदी राज्यसभा के लिए नॉमिनेशन करेंगे। रामविलास पासवान के निधन से यह सीट खाली हुई थी।
  • उत्तर प्रदेश के CM योगी आदित्यनाथ फिल्म सिटी को लेकर मुंबई में बॉलीवुड और टीवी कलाकारों से मुलाकात करेंगे।

देश-विदेश

किसान बोले- अब गोली खाने को भी तैयार
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों से मंगलवार को केंद्र सरकार ने 2 फेज में करीब ढाई घंटे बातचीत की। सरकार ने किसानों के सामने मिनिमम सपोर्ट प्राइज (MSP) पर पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन दिया। केंद्र ने कहा- नए कानूनों पर चर्चा के लिए कमेटी बने और इसमें केंद्र, किसान और एक्सपर्ट शामिल हों। पर, बात नहीं बनी। अगली बातचीत 3 दिसंबर को होगी। मीटिंग के बाद किसान नेता चंदा सिंह ने कहा- आंदोलन जारी रहेगा। हम कुछ तो हासिल करेंगे, भले गोली हो या फिर शांति से निकला हल।

ICMR ने कहा- सभी को नहीं चाहिए वैक्सीन
अब तक कोरोना वैक्सीन को लेकर सरकार के बयानों से यह माना जा रहा था कि पूरे देश को वैक्सीनेशन की जरूरत पड़ेगी। ICMR के डायरेक्टर जनरल डॉ. बलराम भार्गव ने बुधवार को कहा कि हमारा मकसद कोरोना की ट्रांसमिशन चेन को तोड़ना है। अगर हम थोड़ी आबादी (क्रिटिकल मास) को वैक्सीन लगाकर कोरोना ट्रांसमिशन रोकने में कामयाब रहे तो शायद पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने की जरूरत न पड़े। सरकार ने साफ किया है कि कभी भी पूरे देश के लिए वैक्सीनेशन की बात नहीं कही गई थी।

चीन के जवाब में भारत ब्रह्मपुत्र पर डेम बनाएगा
तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन के डैम बनाने के ऐलान के बाद भारत ने उसे करारा जवाब दिया है। सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में बड़ा डैम बनाने का प्लान बनाया है। यहां 10 गीगावाट (GW) का हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट भी लगाया जाएगा। ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत से निकलकर भारत के अरुणाचल प्रदेश होते हुए असम से बांग्लादेश तक बहती है। ऐसे में चीनी डैम से पूर्वोत्तर के राज्यों में पानी की कमी हो सकती है या अचानक बाढ़ के हालात बन सकते हैं।

कोरोना पेशेंट के घर पोस्टर लगाने पर सुनवाई
कोरोना संक्रमित के घर के बाहर पोस्टर लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि कोरोना मरीजों के घरों पर पोस्टर लगने के बाद उनसे अछूतों जैसा बर्ताव किया जाता है। केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि यह जरूरी नियम नहीं है। इसका मकसद कोरोना मरीजों को कलंकित करना नहीं है, बल्कि यह व्यवस्था दूसरों की सुरक्षा के लिए है।

मौसम के आगे मजबूर हुई चीनी सेना
लद्दाख में पड़ने वाली कड़ाके की ठंड ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को रोटेशन पॉलिसी अपनाने के लिए मजबूर कर दिया है। चीनी सैनिक लद्दाख की सर्दी के आदी नहीं हैं, इसलिए फॉरवर्ड पोजिशन पर चीन अपने सैनिकों को रोज रोटेट कर रहा है। वहीं, भारतीय सैनिक उसी जगह पर लंबी तैनाती के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

काला हिरण शिकार केस में सलमान को फिर राहत
काला हिरण शिकार केस में सलमान खान मंगलवार को फिर एक बार कोर्ट में पेश नहीं हुए। उन्होंने महामारी का हवाला देकर पेशी से छूट देने के लिए जिला अदालत में अर्जी लगाई थी। अब अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी। कोरोना के दौर में उन्हें आठ महीने में छठवीं बार रियायत दी गई है। उन्होंने इस मामले में अब तक 15वीं बार हाजरी माफी ली है।

भास्कर एक्सप्लेनर
वैक्सीन का इमरजेंसी अप्रूवल

अमेरिकी दवा कंपनियों फाइजर और मॉडर्ना ने अपने-अपने कोरोना वैक्सीन के लिए अमेरिका के साथ ही यूरोपियन यूनियन से अप्रूवल मांगा है। जल्द ही इस पर फैसला हो सकता है। इस बीच, सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के CEO अदार पूनावाला ने भी कहा है कि वे भी ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका के बनाए कोवीशील्ड के लिए भारत में इमरजेंसी अप्रूवल मांगने वाले हैं।

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पॉजिटिव खबर
नौकरी छोड़ कमल की खेती से हजारों की कमाई

केरल के रहने वाले राजू ने एर्नाकुलम से नर्सिंग की पढ़ाई की थी। वे कतर में एक लाख रुपए महीने की सैलरी पर नौकरी कर रहे थे। 2019 में इस्तीफा देकर भारत लौटे, तो कहीं नौकरी नहीं मिली। इसके बाद अपने घर पर ही कमल उगाने शुरू किए। राजू 9 महीने में ही कमल की खेती से महीने के 30 से 35 हजार रुपए कमाने लगे हैं।

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सबसे महंगी क्रिप्टोकरेंसी
क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन इस साल रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच चुका है। सोमवार को बिटकॉइन में 9% की बढ़ोतरी दर्ज हुई। इसके साथ ही यह 19,860 डॉलर यानी करीब 14 लाख 62 हजार रुपए प्रति यूनिट के इस साल के रिकॉर्ड हाई लेवल पर पहुंच गया है। इससे पहले, दिसंबर 2017 में बिटकॉइन 19,873 डॉलर प्रति यूनिट तक पहुंचा था।

सुर्खियों में और क्या है...

  • नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन और उनके परिवार ने बिना अप्रूवल वाली वैक्सीन लगवाई है। अमेरिकी एनालिस्ट्स ने खुफिया रिपोर्ट्स के आधार पर यह दावा किया।
  • दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों का कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने समर्थन किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रूडो के इस बयान को खारिज कर दिया है।
  • पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की बेटी आसिफा भी सियासत में आ गई हैं। उन्होंने सोमवार को मुल्तान में पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) की रैली में भाषण दिया।


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Top News Today, News, Cricket News, Farmers Protest News: Dainik Bhaskar Top News Morning Briefing Today; The farmer is now ready to take the bullet, the Chinese army in Ladakh will be hit by the weather and everyone will not have to apply the corona vaccine


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कोरोना ने बदला शादियों का संसार; दावत का पता नहीं, पर घराती मांग रहे व्यवहार



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लोगों पर भरोसा करना चाहिए, लेकिन धोखे की आशंका हो तो उससे निपटने की तैयारी जरूर रखें

कहानी- रामायण में विभीषण ने रावण को समझाया कि सीता को सकुशल श्रीराम को लौटा देना चाहिए। श्रीराम से युद्ध करने में हमारा ही नुकसान होगा। ये बातें सुनकर रावण गुस्सा हो गया और विभीषण को लात मारकर लंका से निकाल दिया।

विभीषण श्रीराम से मिलने पहुंचे। श्रीराम हर काम सभी से सलाह लेकर करते थे। उन्होंने सुग्रीव से पूछा कि क्या करना चाहिए?

सुग्रीव वानर सेना के राजा थे और श्रीराम के मित्र भी थे। उन्होंने कहा, 'हमें शत्रु के भाई पर भरोसा नहीं करना चाहिए, उसे बंदी बना लेना चाहिए।' इसके बाद जामवंत और अंगद ने भी कहा, 'शत्रु का भाई भी शत्रु ही होता है।' श्रीराम ने कहा कि ये बिलकुल सही बात है।

उस समय हनुमानजी मौन खड़े थे। श्रीराम ने सभी की सलाह सुनी और फिर अपनी सोच के बारे में कहा, 'मेरा प्रण है कि जो कोई मेरी शरण में आता है, मैं उसकी रक्षा जरूर करता हूं। अगर विभीषण की वजह से भविष्य में कोई धोखा हुआ तो मेरे साथ लक्ष्मण और हनुमान जैसे शक्तिशाली साथी हैं। मैं खुद भी हर विपत्ति का सामना करने के लिए सक्षम हूं। हम मिलकर उस परेशानी को हल कर लेंगे।'

श्रीराम ने विभीषण को शरण दी और उसे लंका का राजा भी घोषित कर दिया। ये देखकर सभी हैरान थे कि राम ने अपने शत्रु के भाई पर इतना भरोसा किया है।

सीख- श्रीराम ने सीख दी है कि हमें दूसरों पर भरोसा करना ही पड़ता है। लेकिन, हमें वह तैयारी भी रखनी चाहिए, जिससे भविष्य में धोखा मिलने पर आने वाली परेशानियों को दूर किया जा सके। श्रीराम ने विभीषण पर विश्वास किया, लेकिन विश्वासघात होने की स्थिति में उन्हें लक्ष्मण और हनुमान के बल पर और खुद पर भरोसा था। हम सभी पर शक करेंगे तो कोई काम कर ही नहीं पाएंगे, इसलिए हमें अपनी तैयारी के साथ दूसरों पर भरोसा करना चाहिए।



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कतर में लाखों की सैलरी छोड़ छत पर कमल उगाना शुरू किया, आज विदेशों से मिल रहे ऑर्डर

'मैं, कतर में बीते दस सालों से नौकरी कर रहा था। पेशे से मेल नर्स हूं। एक लाख रुपए सैलरी थी, लेकिन परिवार से दूर रहना पड़ रहा था। फैमिली को बहुत मिस करता था। इसलिए नौकरी छोड़कर केरल आ गया और अब कमल की खेती कर रहा हूं।' यह कहना है, एल्डहोस पी राजू का। वे बीते 9 महीने में ही कमल की खेती से महीने का 30 से 35 हजार रुपए कमाने लगे हैं और जल्द ही अपने बिजनेस को बढ़ाने वाले हैं। उन्होंने हमारे साथ खुद की मेल नर्स से किसान बनने की कहानी शेयर की।

परिवार को मिस करता था, इसलिए नौकरी छोड़ दी

मैं केरल का रहने वाला हूं। एर्नाकुलम से नर्सिंग की पढ़ाई की। कोर्स पूरा होने के बाद नौकरी ढूंढने कोलकाता गया था, लेकिन वहां काम नहीं मिला। फिर मुंबई चला गया। वहां एक हॉस्पिटल में 3 साल नौकरी की। वहीं से कतर का एक इंटरव्यू कंडक्ट हो गया, तो वहां चला गया। पैसा अच्छा मिल रहा था, तो वहीं काम करने लगा। परिवार केरल में ही था। अच्छी सैलेरी के बावजूद परिवार से दूर होने का अफसोस था। अक्सर परिवार की याद सताती थी। बार-बार आना भी पॉसिबल नहीं था, इसलिए मैंने 2019 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया और अपने घर लौट आया।

एल्डहोस ने अपने घर की छत पर ही इस तरह से कमल लगा रखे हैं। उनके पास अभी 40 वैरायटी के कमल हैं।

जब इस्तीफा दिया था, तो सोचा था कि मुझे दस साल का एक्सपीरियंस है। नौकरी तो कहीं न कहीं मिल ही जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। जनवरी 2020 से लॉकडाउन लगने के पहले तक मैं जॉब की तलाश में इधर-उधर घूमता रहा। केरल आकर मैंने रजिस्ट्रेशन भी करवाया। जुड़े हुए पैसे भी खत्म होने लगे थे और चिंता सताने लगी थी कि अब परिवार को कैसे पालूंगा, क्योंकि घर में ही मैं ही कमाने वाला हूं।

गार्डनिंग का शौक था, इसी से आया कमल का आइडिया

गार्डनिंग का शौक मुझे बचपन से ही रहा है। मैं अलग-अलग वैरायटी के कमल खरीदकर घर में रखता था। मार्च में ख्याल आया कि क्यों न कमल ही ऑनलाइन सेल करूं। मैंने घर की छत पर ही गार्डन बना रखा है। 40 से ज्यादा वैरायटी के कमल हैं, जिसमें कई दूसरे देशों के भी हैं। ये आइडिया आने के बाद मैंने यूट्यूब पर कमल की खेती से जुड़े वीडियो देखे। इससे मुझे और ज्यादा आइडिया मिला कि बेहतर फार्मिंग कैसे कर सकता हूं।

कमल की काफी वैरायटी मेरे पास पहले से थीं। कुछ थाइलैंड, यूरोप और अमेरिका से भी इम्पोर्ट कीं। करीब 50 हजार रुपए पूरे काम में इंवेस्ट किए। मैं पेड प्रमोशन में नहीं जाना चाहता था। मैंने फेसबुक, इंस्टाग्राम पर एक पेज बनाया और उसमें हर रोज कमल की फोटोज शेयर करने लगा। सोशल मीडिया पर लोटस से जुड़े जो ग्रुप्स थे, उनमें भी शेयरिंग शुरू की। कुछ दिनों बाद मुझे पहला कॉल गुजरात से आया। उन्हें एक फ्लॉवर बहुत पसंद आया था, जिसे वे अपने घर पर लगाना चाहते थे। वही मेरे पहले ग्राहक बने। फिर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, पुणे जैसे तमाम शहरों से कॉल आना शुरू हो गए।

सोशल मीडिया पर पोस्ट अपलोड करने के बाद उन्हें पहला ऑर्डर गुजरात से मिला। अब ऑर्डर इतने आते हैं, जितना स्टॉक ही नहीं है।

मेरे पास सिर्फ जड़ ही नहीं, बल्कि पूरे प्लांट की डिमांड ज्यादा आ रही थी। ऑर्डर मिलने के बाद मैं गमले से गंदगी साफ करता हूं। पानी हटाता हूं। फिर पैक करके कस्टमर तक पहुंचाता हूं। वो कहते हैं, पैक करने के बाद प्लांट करीब 12 दिनों तक सर्वाइव कर सकता है और जड़ इससे भी ज्यादा दिनों तक अच्छी रहती है। कस्टमर इसे लेते ही रिप्लांट करते हैं। प्लांट को कैसे लगाना है, उसकी देखरेख कैसे करना है, इस बारे में भी जानकारी देता हूं।

एल्डहोस अभी अपने 1300 स्क्वायर फीट की छत पर प्लांटिंग कर रहे हैं। लेकिन जल्द ही यह दायरा बढ़ाने वाले हैं। कहते हैं, मेरे पास बहुत कॉल आ रहे हैं और मैं डिलेवरी भी नहीं दे पा रहा। अभी महीने का 30 से 35 हजार रुपए आ जाता है, लेकिन स्टॉक बढ़ेगा, तो इनकम भी बढ़ जाएगी। एल्डहोस के मुताबिक, कमल देखकर मुझे खुशी मिलती है। पैसा तो आते-जाते रहता है, लेकिन ये खुशी जरूरी है। एल्डहोस के पास विदेश से भी कई कॉल आए हैं, लेकिन अभी वो देश में ही डिलेवरी टाइम पर देने पर काम कर रहे हैं।



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Eldhos returned to Kerala from Qatar leaving a job of one lakh, now growing lotus on the roof of the house


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जिन्होंने कोविड टेस्ट के लिए सैंपल ही नहीं दिए, उनके मोबाइल पर भी आ रहे पॉजिटिव-निगेटिव के मैसेज

गौतम कुमार एक शोरूम में काम करते हैं। इस साल जुलाई में उन्होंने अपना कोरोना टेस्ट करवाया। रिपोर्ट निगेटिव आई, तो एहतियात बरतते हुए काम-धंधे में लग गए। लेकिन, पिछले महीने यानी नवंबर की 27 तारीख को जो हुआ, उसने गौतम चौंका दिया। वे कहते हैं, 'बिहार सरकार की तरफ से मेरे मोबाइल पर एक मैसेज आया। इसमें मेरा नाम लिखा था। साथ ही लिखा था कि 26 नवंबर को कोरोना टेस्ट के लिए जो सैंपल दिए थे, उसकी रिपोर्ट निगेटिव है। पहली बार में तो मुझे भरोसा नहीं हुआ। मैंने मैसेज दोबारा पढ़ा। तब समझ आया कि ये तो सिस्टम का बड़ा झोल है। मैंने ऐसा कोई सैंपल दिया ही नहीं, तो ये मैसेज आया क्यों?'

गौतम अकेले नहीं है, जिनके मन में ये सवाल उभरा है। 32 साल के शौकत अंसारी को भी ऐसा ही मैसेज मिला है। उन्होंने भी इस साल जुलाई में कोरोना जांच के लिए सैंपल दिया था। भास्कर से बात करते हुए वे कहते हैं, 'मैं जहां काम करता हूं, वहां एक साथी को कोरोना हो गया था। इसी के बाद हम 10-20 लोगों ने जुलाई में टेस्ट करवाया था। तब का मैसेज तभी आ गया था, लेकिन कई महीने बाद एक बार फिर सभी लोगों को इस तरह के मैसेज आए हैं।'

लोगों ने कहा- गिनती बढ़ाने कर रहे गड़बड़ी

शौकत अंसारी दावा करते हैं कि वे ऐसे करीब बीस लोगों को जानते हैं जिनके पास इस तरह के मैसेज गए हैं। इस अजीबोगरीब स्थिति को लेकर बिहार से जुड़े कई युवाओं ने सोशल मीडिया पर लिखना शुरू कर दिया है। वे पूछ रहे हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है? क्या सरकारी तंत्र में बैठे लोग कोरोना टेस्ट की संख्या बढ़ाने और गिनती को बड़ा बनाए रखने के लिए ऐसा कर रहे हैं? अब सवाल उठता है कि अगर इस तरह के मैसेज आए हैं, तो उसकी वजह क्या है?

बिहार स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि अगस्त में 24 घंटे में रिकॉर्ड एक लाख 21 हजार 320 सैंपल की जांच की गई है।

सरकारी कर्मचारी ने कहा- डेटा एंट्री में हुई गड़बड़

इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने बिहार की राज्य स्वास्थ्य सोसाइटी से सम्पर्क किया। यहां काम करने वाली एक महिला कर्मचारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘ऐसा होना तो नहीं चाहिए। अगर ये हुआ है तो बड़ी बात है। इस तरह के मैसेज जिले में बने कंट्रोल रूम से भेजे जाते हैं। हर जिले का अलग कंट्रोल रूम है। जिले के केंद्र पर जो सैंपल लिए जाते हैं, उसमें दिए गए डेटा के अनुसार ही मैसेज भेजे जाते हैं। थोड़ा रूककर वे कहती हैं, वो सकता है कि डेटा फीड करने वाले ने गलत कोरोना आईडी डाल दी हो और इस वजह से ऐसा हुआ हो।

सरकार टारगेट पूरा करने की जल्दी में

राज्य में ग्रामीण स्तर पर काम कर रहे राकेश कुमार (बदला हुआ नाम) इस तर्क से सहमत नहीं हैं। उनके मुताबिक, ऐसी लापरवाही आम बात है। ये नीचे से ऊपर तक सबकी जानकारी में है। फोन पर हुई बातचीत में वे कहते हैं, 'क्या आप भी कोरोना जांच के बारे में पूछ रहे हैं। अब तो बिहार में कोई इस बारे में पूछ ही नहीं रहा है। सरकार केवल जांच के बड़े-बड़े आंकड़े चाहती है। प्रखंड और पंचायत स्तर पर करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों को हर हफ्ते का टार्गेट दिया जा रहा है। उस टार्गेट को पूरा करने के लिए कई बार वे पुराने डेटा का भी इस्तेमाल कर लेते हैं। कुल मिलाकर बात ये है कि अब यहां किसी को कुछ मतलब नहीं है। सब भगवान भरोसे चल रहा है।'

कोरोना जांच की रिपोर्ट को लेकर लोगों के मोबाइल पर ऐसे मैसेज आ रहे हैं। जबकि, उन्होंने कोई सैंपल नहीं दिया।

बिहार में कोरोना जांच के आंकड़ों का खेल

मार्च और अप्रैल में बिहार सरकार की आलोचना हो रही थी, क्योंकि यहां जांच की रफ़्तार बहुत कम थी। उसके बाद एक के बाद एक दो स्वास्थ्य सचिव बदले गए। बिहार सरकार के ‘संकट मोचक’ अधिकारी प्रत्यय अमृत ने कमान संभाली और उसके बाद हर रोज बिहार सरकार कोरोना जांच को लेकर नए रिकॉर्ड बना रही है।

इसी साल अगस्त में बिहार सबसे ज़्यादा कोरोना टेस्ट करने के मामले रिकॉर्ड बना चुका है। तब स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि 24 घंटे में रिकॉर्ड एक लाख 21 हजार 320 सैंपलों की जांच की गई है। हर दिन जांच का यह आंकड़ा देश में सबसे ज्यादा है। लेकिन, जानकार लगातार बिहार में हो रहे कोरोना टेस्ट पर सवाल उठा रहे हैं।

30 सितंबर को पूरे भारत में 14 लाख से ज्यादा टेस्ट हुए और 80 हजार से अधिक नए संक्रमणों का पता लगा। जबकि, बिहार में इसी दिन में 1.31 लाख से ज्यादा टेस्ट हुए और सिर्फ 1435 नए मरीजों का पता लगा। पूरे भारत के मुकाबले बिहार में नए मरीजों के मामले इतने कम आने की वजह जानकार टेस्टिंग को मानते हैं। भारत में जहां तकरीबन 60% आरटी-पीसीआर टेस्ट हो रहे हैं, वहीं बिहार में इसकी दर केवल 10-20% के बीच है।

अगर मौजूदा समय में बिहार की बात करें, तो मंगलवार को बिहार में कोरोना संक्रमण के कारण पिछले 24 घंटे में पांच लोगों की मौत हुई है, जिसके बाद मरने वालों की संख्या बढ़ कर 1264 पर पहुंच गई है। प्रदेश में इसके साथ ही संक्रमण के 457 नए मामले सामने आए हैं। अब यहां संक्रमितों की संख्या बढ़कर 2,35,616 हो गयी है। हमने राज्य में कोरोना की स्थिति, जिन्होंने जांच के लिए सैंपल नहीं दिया उनको भी मैसेज आने और जांच में आई तेजी के बारे में बात करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के सचिव प्रत्यय अमृत से सम्पर्क करना चाहा, लेकिन संपर्क नहीं हो जा सका।



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अगस्त में बिहार सबसे ज़्यादा कोरोना टेस्ट करने के मामले रिकॉर्ड बना चुका है। तब स्वास्थ्य विभाग ने 24 घंटे में एक लाख 21 हजार 320 सैंपलों की जांच की बात कही थी।


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फाइजर, मॉडर्ना ने कोरोना वैक्सीन के लिए मांगा इमरजेंसी अप्रूवल; क्या भारत में कोवीशील्ड को मिलेगी मंजूरी?

अमेरिकी दवा कंपनियों फाइजर और मॉडर्ना ने कोरोना वैक्सीन के लिए अमेरिका के साथ ही यूरोपीय संघ में भी इमरजेंसी अप्रूवल मांगा है। इस पर जल्द ही फैसला हो सकता है। इसी तरह दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के CEO अदार पूनावाला ने भी कहा है कि वे भी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन 'कोवीशील्ड' के लिए भारत में इमरजेंसी अप्रूवल मांगने वाले हैं। आइए जानते हैं कि क्या है इमरजेंसी अप्रूवल? यह किन परिस्थितियों में दिया जाता है?

इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन (EUA) क्या है?

  • दवाओं की ही तरह वैक्सीन को भी हर देश में रेगुलेटरी प्रक्रियाओं से गुजरना होता है। डायग्नोस्टिक टेस्ट और मेडिकल उपकरणों को भी। भारत में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) यह अप्रूवल देता है।
  • यह अप्रूवल वैक्सीन और दवाओं के केस में उसकी सेफ्टी और इफेक्टिवनेस के आधार पर दिए जाते हैं। इसका बेस बनता है जानवरों और इंसानों पर हुए ट्रायल्स का डेटा। और तो और ट्रायल्स के हर स्टेज पर भी रेगुलेटर से अप्रूवल की जरूरत पड़ती है।
  • यह एक लंबी प्रक्रिया है। उसमें ही पता चलता है कि कोई दवा या वैक्सीन सेफ और इफेक्टिव है या नहीं। वैक्सीन के इतिहास को देखें, तो अब तक गलसुआ या कण्ठमाला के रोग (मम्प्स) का वैक्सीन ही सबसे तेज अप्रूव हुआ था। 1960 के दशक में इसके अप्रूवल में साढ़े चार साल लगे थे।
  • आज हालात ऐसे है कि इतने समय तक कोरोना वैक्सीन का इंतजार नहीं किया जा सकता। इस वजह से दुनियाभर में ड्रग रेगुलेटर्स दवाओं, वैक्सीन और अन्य मेडिकल प्रोडक्ट्स को इमरजेंसी अप्रूवल दे रहे हैं। इसके लिए वैक्सीन के सेफ और इफेक्टिव होने के पर्याप्त सबूत चाहिए।
  • जब सभी जरूरी ट्रायल्स पूरे हो जाएंगे, तभी उसके डेटा के एनालिसिस के आधार पर अंतिम अप्रूवल मिलेगा। इस बीच EUA मिलने पर ही लोगों पर उस दवा या वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह भी तब दिया जाता है, जब मार्केट में उसके विकल्प नहीं होते।

EUA कब दिया जाता है?

  • अमेरिका के ड्रग रेगुलेटर- फूड एंड ड्रग रेगुलेटर (FDA) के मुताबिक, EUA तभी दिया जा सकता है जब वैक्सीन या दवा के संभावित खतरों के मुकाबले उससे होने वाला फायदा ज्यादा हो। प्रैक्टिकली देखें, तो इसका मतलब है कि फेज-3 ट्रायल्स का एफिकेसी डेटा आने के बाद ही EUA पर विचार हो सकता है। फेज-1 और फेज-2 के डेटा के आधार पर EUA नहीं दिया जा सकता।
  • FDA ने कोविड-19 के लिए तय किया है कि अगर फेज-3 एफिकेसी डेटा में वैक्सीन 50% से ज्यादा इफेक्टिव रहती है, तो ही उसे इमरजेंसी अप्रूवल दिया जाएगा। यह डेटा 3,000 से ज्यादा वॉलेंटियर्स का होना चाहिए। वैक्सीन के सभी डोज देने के एक महीने बाद तक कम से कम एक महीने तक कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं होना चाहिए।

भारत में इमरजेंसी अप्रूवल को लेकर क्या नियम है?

  • भारत की टॉप वैक्सीन साइंटिस्ट और वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर डॉ. गगनदीप कांग के मुताबिक, पिछले साल ही भारत के नए क्लिनिकल ट्रायल्स के नियम बने हैं। इसमें रेगुलेटर को आपात परिस्थितियों में बिना ट्रायल के भी दवा या वैक्सीन को इमरजेंसी यूज के लिए मंजूरी देने का अधिकार दिया है।
  • डॉ. कांग के मुताबिक, इमरजेंसी यूज की परमिशन देने के बाद भी मॉनिटरिंग क्लिनिकल ट्रायल्स जैसी ही होती है। हर पेशेंट के डिटेल्स जरूरी होते हैं। उन पर नजर रखी जाती है। जिस कंपनी को अपने प्रोडक्ट के लिए कहीं और लाइसेंस मिला है, उसे प्री-क्लिनिकल और क्लिनिकल ट्रायल्स का पूरा डेटा रेगुलेटर को सबमिट करना होता है।
  • जब कंपनी इमरजेंसी रिस्ट्रिक्टेड यूज की परमिशन मांगती है, तो रेगुलेटर के स्तर पर दो स्टेज में वह प्रोसेस होती है। सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी उस एप्लिकेशन पर विचार करती है। उसके अप्रूवल के बाद मामला अपेक्स कमेटी के पास जाता है। इस कमेटी में स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े विभागों के सचिव भी होते हैं।

इमरजेंसी अप्रूवल में क्या खतरा रहता है?

  • यह अलग-अलग दवा और वैक्सीन पर निर्भर करता है। हो सकता है कि आगे चलकर इमरजेंसी अप्रूवल हटा दिया जाए और पूरा प्रोजेक्ट ही बंद कर दिया जाए। कोरोना के इलाज में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और रेमडेसिविर के साथ ऐसा ही हुआ। WHO ने भी पहले जिन दवाओं को कोरोना में कारगर बताया, बाद में उन्हें वापस ले लिया।
  • इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महाराष्ट्र चैप्टर के प्रेसिडेंट डॉ. अविनाश भोंडवे का कहना है कि इमरजेंसी अप्रूवल अधपके खाने जैसा है। बेहतर होगा कि जब खाना पूरी तरह पक जाए, तभी उसे खाया जाए। दुर्घटना से देर भली ही होती है।
  • FDA के मुताबिक, लोगों को ऐसी दवा, वैक्सीन या मेडिकल प्रोडक्ट के बारे में बताना आवश्यक है कि उसे इमरजेंसी अप्रूवल मिला है और अब तक उसकी सेफ्टी और इफेक्टिवनेस पूरी तरह से साबित नहीं हुई है। इसी तरह की प्रक्रिया का पालन भारत समेत सभी देशों में किया जा रहा है।


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Pfizer Moderna Vaccine Update Serum Institute of India Adar Poonawala Covishield Emergency Approval Emergency Use Authentication (EUA) US UK European Union Dr Gagandeep Kang


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किड्स स्पेशल मैक्सिकन सालसा पराठा, मैदे के घोल से सील करके सेंक लें और 4 हिस्सों में काटकर सर्व करें



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Kids Special Mexican Salsa Paratha, seal and bake it with maida batter and cut into 4 parts before serving


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देश के सिर्फ 6% किसानों को मिलता है MSP का फायदा, उसमें भी पंजाब-हरियाणा के ज्यादा, इसलिए विरोध इन्हीं इलाकों में

खेती से जुड़े 3 कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। इन तीनों कानूनों से पंजाब, हरियाणा समेत कुछ राज्यों के किसान नाराज हैं। उन्हें चिंता है कि नए कानून से उपज पर मिलने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) खत्म हो सकती है।

हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ये साफ कर चुके हैं कि MSP खत्म नहीं होने वाली। लेकिन 4 सवाल अब भी सबसे बड़े हैंः

  1. MSP होती क्या है?
  2. MSP की कीमत तय कैसे होती है?
  3. हर साल कितने किसानों को MSP का फायदा होता है?
  4. हर साल जितनी फसल पैदा होती, उसमें से कितनी सरकार MSP पर खरीदती है?

अब चलते हैं बारी-बारी...

1. सबसे पहले MSP होती क्या है?

MSP यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस, ये गारंटेड कीमत होती है, जो किसान को उनकी फसल पर मिलती है। भले ही बाजार में उस फसल की कीमतें कम ही क्यों न हों। इसके पीछे तर्क है कि बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर असर न पड़े। उन्हें अपनी फसल की न्यूनतम कीमत मिलती रहे।

अभी तक जितनी जगहों से गुजरे हैं, वहां से पता चलता है कि देश में केवल 6% किसानों को ही MSP का फायदा मिलता है, जिनमें भी सबसे ज्यादा किसान पंजाब और हरियाणा के ही हैं। इस वजह से ही इन नए कानूनों का विरोध भी इन दोनों राज्यों में ही दिख रहा है।

2. कैसे तय होती है MSP? और मोदी सरकार में कितनी MSP बढ़ी?

किसी फसल पर कितनी MSP होगी, उसको तय करने का काम कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइसेस (CCAP) करती है। सरकार CCAP की सिफारिश पर ही MSP तय करती है। अगर किसी फसल की बम्पर पैदावार हुई है, तो उसकी कीमतें गिर जाती हैं, तब MSP किसानों के लिए फिक्स एश्योर्ड प्राइस का काम करती है। एक तरह से ये कीमतों के गिरने पर किसानों को बचाने वाली बीमा पॉलिसी की तरह है।

MSP के तहत अभी 22 फसलों की खरीद की जा रही है। इन 22 फसलों में धान, गेहूं, ज्वार, बाजरा, मक्का, मूंग, मूंगफली, सोयाबीन, तिल और कपास जैसी फसलें शामिल हैं।

3. अभी कितने किसानों को हर साल MSP का फायदा मिलता है?

खाद्य और सार्वजनिक वितरण मामलों के राज्यमंत्री रावसाहब दानवे पाटिल ने 18 सितंबर को राज्यसभा में बताया कि 9 सितंबर की स्थिति में रबी सीजन में गेहूं पर MSP का लाभ लेने वाले 43.33 लाख किसान थे। इनमें से 10.49 लाख पंजाब और 7.80 लाख किसान हरियाणा के थे। यानी, 42% से ज्यादा किसान पंजाब और हरियाणा के ही थे।

जबकि, खरीफ सीजन में MSP पर धान बेचने वाले किसानों की संख्या 1.24 करोड़ थी। इनमें से पंजाब के 11.25 लाख और हरियाणा के 18.91 लाख किसान थे। 25% से ज्यादा किसान पंजाब और हरियाणा के ही थे।

सरकार के मुताबिक खरीफ सीजन में MSP पर धान की फसल बेचने वाले किसानों की संख्या 2015 की तुलना में 2019 में 70% बढ़ गई। वहीं, रबी सीजन में गेहूं पर MSP का लाभ लेने वाले किसानों की संख्या भी 2016 की तुलना में 2020 में 112% बढ़ गई। खरीफ सीजन 2021 के लिए अब तक खरीद शुरू नहीं हुई है।

4. लेकिन, हर साल जितनी पैदावार, उसका आधा भी नहीं खरीदती सरकार

सरकार फसल पर जो MSP तय करती है, उसी कीमत पर किसानों से फसल खरीदती है। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि पिछले 5 साल में गेहूं और चावल की जितनी पैदावार हुई, उसका आधा भी सरकार ने नहीं खरीदा।

फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) के मुताबिक 2015 में 1,044 लाख टन चावल की पैदावार हुई थी, जिसमें से सरकार ने 342 लाख टन यानी 33% ही सरकार ने खरीदा। इसी तरह 2019-20 में 1,179 लाख टन चावल की पैदावार हुई, जिसमें से सरकार ने 510 लाख टन यानी 43% खरीदी की।

वहीं, 2015 में 923 लाख टन गेहूं की पैदावार हुई, जिसमें से सरकार ने 230 लाख टन, यानी 25% गेहूं खरीदा। जबकि, 2019 में 1,072 लाख टन गेहूं पैदा हुआ, जिसमें से 390 लाख टन, यानी 36% गेहूं ही सरकार ने खरीदी की।



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Kisan Aandolan Farmer Protest Know What is MSP and MSP On Food Crop


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20 हजार निहंग सिख और 2 हजार घोड़ों का काफिला होगा किसानों के प्रदर्शन में शामिल, जानें सच

क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें सिखों का एक काफिला दिख रहा है। साथ में कुछ घोड़े भी हैं।

दावा किया जा रहा है कि पंजाब से 2,000 घोड़े और 20,000 निहंग सिख किसानों के समर्थन में दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं।

और सच क्या है?

  • इंटरनेट पर हमने किसान आंदोलन से जुड़ी प्रमुख मीडिया रिपोर्ट्स देखीं। किसी भी रिपोर्ट से वायरल वीडियो को लेकर किए जा रहे दावे की पुष्टि नहीं हुई।
  • वीडियो के की-फ्रेम्स को गूगल पर रिवर्स सर्च करने पर पता चलता है कि वीडियो 1 साल पहले ही इंटरनेट पर आ चुका है।

  • अलग-अलग कीवर्ड सर्च करने से भी वीडियो हमें किसी ऐसे सोर्स पर नहीं मिला, जिससे पुष्टि हो सके कि असल में ये किस समय का है। लेकिन ये साफ हो गया कि वीडियो कम से कम 1 साल पुराना है और इसका हाल में चल रहे किसानों के प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है।


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Farmers Protest । 20,000 Nihang Sikhs and 2 thousand horses join the protest


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दुनिया में पहली बार 61 साल के बुजुर्ग का हुआ था हार्ट ट्रांसप्लांट, 112 दिन ही जी पाया था मरीज

आज का दिन मेडिकल इतिहास का बड़ा दिन है। इसी दिन दुनिया में पहली बार किसी मरीज को आर्टिफिशियल हार्ट लगाया गया था। 2 दिसंबर 1982 को अमेरिका के एक डेंटिस्ट डॉ. बर्नी क्लार्क को आर्टिफिशियल हार्ट लगाया गया था। डॉ. क्लार्क दिल की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। उनकी बीमारी को लेकर डॉक्टर हार मान चुके थे, लेकिन तभी उथाह यूनिवर्सिटी में डॉ. विलियम सी. डेव्रिस की टीम ने डॉ. क्लार्क का हार्ट ट्रांसप्लांट किया। ये ऑपरेशन साढ़े 7 घंटे तक चला था।

ऑपरेशन कामयाब रहा था। ऑपरेशन के बाद डॉ. क्लार्क ने हाथ हिलाकर बताया था कि वो ठीक हैं। ऑपरेशन के बाद डॉ. क्लार्क का दिल हर मिनट में 116 बार धड़क रहा था, जबकि आमतौर पर दिल एक बार 65 से 80 बार धड़कता है। डॉ. क्लार्क को जो आर्टिफिशियल हार्ट लगाया गया था, उसका नाम जार्विक-7 था, जिसे डॉ. रॉबर्ट जार्विक ने बनाया था। उनका कहना था कि ये आर्टिफिशियल हार्ट ह्यूमन हार्ट से बड़ा था, लेकिन इसका वजन ह्यूमन हार्ट के बराबर ही था।

तस्वीर डॉ. जार्विक की है, जिन्होंने आर्टिफिशियल हार्ट बनाया था।

ऑपरेशन कामयाब होने के कुछ दिन बाद ही डॉ. क्लार्क को ब्लीडिंग की प्रॉब्लम शुरू हो गई थी। आर्टिफिशियल हार्ट लगने के बाद डॉ. क्लार्क 112 दिन ही जी पाए थे। 23 मार्च 1983 को उनकी मौत हो गई।

पहली बार ब्रिटेन के राजा-रानी भारत आए
2 दिसंबर 1911 का वो दिन, जब पहली बार ब्रिटेन के राजा जॉर्ज-V और क्वीन मैरी भारत आए थे। जॉर्ज-V और क्वीन मैरी समुद्री रास्ते से मुंबई पहुंचे थे। दरअसल, हुआ ये था कि 1905 में बंगाल का बंटवारा कर दिया गया और दिल्ली को देश की राजधानी बनाया गया। इससे देश में विद्रोह हो गया। इस विद्रोह को शांत कराने के लिए ब्रिटेन से राजा-रानी आए थे। उनका दिल्ली के दरबार में राज्याभिषेक भी हुआ था।

भारत और दुनिया में 2 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं:

  • 1804 : नेपोलियन बोनापार्ट की फ्रांस के सम्राट के तौर पर ताजपोशी की गई।
  • 1942 : पांडिचेरी (अब पुड्डुचेरी) में श्री अरविंदो आश्रम स्कूल की स्थापना हुई, इसे बाद में श्री अरविंदो इंटरनेशनल सेंटर ऑफ एजुकेशन के नाम से जाना गया।
  • 1976 : फिदेल कास्त्रो क्यूबा के राष्ट्रपति बने।
  • 1971 : अरब प्रायद्वीप के छह क्षेत्रों ने मिलकर संयुक्त अरब अमीरात की स्थापना की। फरवरी 1972 में इनमें एक सातवां देश भी शामिल हुआ।
  • 1981 : ब्रिटनी स्पीयर्स का जन्म हुआ। अमेरिका की यह सिंगर 90 के दशक के आखिर में दुनियाभर के किशोरों में बेहद लोकप्रिय रहीं।
  • 1982 : माइकल जैक्सन के मशहूर गीत थ्रिलर का म्यूजिक वीडियो एमटीवी पर प्रसारित किया गया। इसने लोकप्रियता के नये कीर्तिमान स्थापित किए।
  • 1989 : विश्वनाथ प्रताप सिंह देश के सातवें प्रधानमंत्री बने।
  • 1999 : भारत में बीमा क्षेत्र में निजी क्षेत्र के निवेश को मंजूरी मिली।
  • 2002 : प्रशांत महासागर के बोरा-बोरा द्वीप में एक यात्री जहाज ‘विडस्टार’ में आग लगने के बाद 219 लोगों को बचाया गया।
  • 2003 : बोस्नियाई सर्ब के पूर्व सैन्य कमांडर मोमिर निकोलिक को हेग स्थित संयुक्त राष्ट्र की अदालत ने 1995 के नरसंहार के लिए दोषी ठहराया और 27 साल कैद की सजा सुनाई।
  • 2006 : फिलीपीन्स में ज्वालामुखी का मलबा गिरने से 208 लोगों की मौत हुई। 261 लोग घायल हुए थे।


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Today History: Aaj Ka Itihas India World 2 December 2020 | Worlds First Artificial Heart Transplant


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सर्दियों में रनिंग से फिटनेस बढ़ा सकते हैं, पर गलत तरीका आपको नुकसान पहुंचा सकता है

कोरोनावायरस की रोकथाम के लिए वैक्सीन ट्रायल फेज में है और इसके केस कम होने के बजाए बढ़ते जा रहे हैं। पिछले 9 महीनों से हमारे सामने इससे बचने की चुनौती बनी हुई है। अभी वैक्सीन नहीं है तो मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजेशन और इम्यून सिस्टम की मजबूती ही बचने के रास्ते हैं। इम्यून सिस्टम की मजबूती के लिए एक्सरसाइज जरूरी है और इसमें भी अहम है रनिंग, क्योंकि इनडोर जिम में फिजिकल एक्टिविटी से भी कोरोना का खतरा हो सकता है।

सवाल ये है कि आप रनिंग कैसे करते हैं? इसके लिए मानसिक और शारीरिक तैयारी कैसी होनी चाहिए? ये सवाल आपको अटपटे लग सकते हैं, क्योंकि आमतौर पर हम रनिंग को लेकर विशेष तैयारियां नहीं करते, पर यह हमारा भ्रम है। भोपाल में फिटनेस कोच सतीश कुमार कहते हैं कि रनिंग के भी तौर-तरीके और बारीकियां होती हैं। हम इन पर ध्यान देना शुरू कर दें तो रनिंग ज्यादा फायदेमंद हो सकती है।

नए रनर हैं तो ऐसे करें शुरुआत

  • ऐसे लोग जो रनिंग शुरू कर रहे होते हैं, उन्हें सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। आमतौर पर जानकारी न होने से लोग अपने हिसाब से रनिंग करने लगते हैं। गलत अप्रोच के चलते कई बार घुटना और कमर भी डैमेज हो जाती है।

  • एक्सपर्ट्स के मुताबिक, नए लोगों को रनिंग शुरू करने के दौरान स्टेमना पर भी ध्यान देना चाहिए। स्टेमना धीर-धीरे ही बढ़ता है इसलिए रनिंग भी धीरे-धीरे ही बढ़ानी चाहिए।

ठंड में रनिंग के 7 तौर-तरीके

1. लेयर वाले कपड़े पहनें

  • आमतौर पर हम लोग सर्द हवाओं से बचने के लिए ठंड में भरी-भरकम कपड़े पहनकर रनिंग के लिए निकल जाते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भारी कपड़ों के चलते हांफने की समस्या होने लगती है। साथ ही ज्यादा पसीना निकलने की वजह से डिहाइड्रेशन होने की भी आशंका रहती है।

  • लेयर वाले कपड़े भारी कपड़ों के अच्छे विकल्प हो सकते हैं। इसमें सर्द हवा पास होकर शरीर तक नहीं पहुंच पाती और ये हल्के भी होते हैं।

2. सांस लेने का सही तरीका

  • आप रनिंग के दौरान रुक कर सांस लेते हैं? अगर हां तो कैसे? अगर आप अचानक बैठ कर सांस लेते हैं तो यह गलत है, इससे आपका स्टैमिना कमजोर होगा। कई बार दौड़ने के दौरान हम में से बहुत लोग नाक के बजाए मुंह से सांस लेते हैं। यह भी हमारे स्टैमिना के लिए ठीक नहीं है।

  • एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जब भी रेस्ट लेने के लिए रुकें। झुक कर कुछ देर चलते हुए सांस लें, उसके बाद रुक कर सांस लें। इस दौरान भी हमें मुंह के बजाए नाक से सांस लेनी है।

3. ज्यादा पानी पीएं

  • ठंड के समय में हम पानी पीने से दूर भागते हैं और इन दिनों प्यास भी कम ही लगती है पर शरीर को पानी की उतनी ही जरूरत होती है। कम पानी पीकर रनिंग पर जाने से डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है इसलिए ठंड में भी औसतन 4 लीटर पानी पीना जरूरी है।

4. ग्रिप वाले जूते का पहनें

  • सर्दियों में ओस पड़ने से सड़कें और मैदान भीग जाते है, जिस पर रनिंग में फिसलने का खतरा भी होता है। इससे बचने के लिए आप ग्रिप वाले जूते का इस्तेमाल कर सकते हैं।

5. तेज न दौड़ें

  • सर्दियों में हमारा ब्लड सर्कुलेशन दूसरे मौसम की तुलना में धीमा होता है इसलिए हमें रनिंग की शुरुआत धीमी करनी चाहिए। कुछ देर वार्मअप होने के बाद हम स्पीड बढ़ा सकते हैं, लेकिन इसे ज्यादा बढ़ाना खतरनाक हो सकता है। सर्दियों में तेज रनिंग करने से सांस फूलती है, जो हार्ट अटैक की वजह बन सकती है।

6. कपड़े तुरंत बदल लें

  • सर्दियों में दौड़ते समय शरीर की गर्मी तेज होने से पसीना आता है, जिससे कपड़े गीले हो जाते हैं और यह गीले कपड़े निमोनिया के होने का कारण भी बन सकते हैं। रनिंग के बाद हमारी कोशिश यह होनी चाहिए कि हम जितना जल्दी हो सके, कपड़े बदल लें।

7. वार्मअप करें

  • दौड़ने से पहले कुछ समय वार्मअप करें, जिससे मांसपेशियां दौड़ने के लिए तैयार हो जाएंंगी और शरीर को गर्मी भी मिलेगी। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि यह बहुत आम टिप्स है, लेकिन इसे किए बगैर रनिंग करने के कई नुकसान हैं।
  • अगर आप बिना वार्मअप लगातार रनिंग कर रहे हैं तो मांसपेशियों में खिंचाव और जॉइंट इंजरी जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं।


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As much as we know about running, it is not enough, wrong way can prove very dangerous, know the methods of running


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पढ़िए, इस हफ्ते की मधुरिमा की सारी स्टोरीज सिर्फ एक क्लिक पर

1. सर्दियों की शुरुआत हो चुकी है। इस मौसम में शरीर के सारे छुपे रोग, हड्डियों का दर्द, सांस की दिक्कतें सिर उठाती हैं। इन सर्दियों में कैसे रहें सुरक्षित, खुश और किस तरह लें मौसम का आनंद? जानने के लिए पढ़ें ये लेख...

2. सामान्य सर्दी-जुकाम को कोरोना समझ लेना डर और तनाव से भर देता है, तो दूसरी तरफ कोरोना को मौसमी जुकाम समझ लेना अपने साथ-साथ दूसरों की जान को भी जोखिम में डाल सकता है। साधारण सर्दी और कोरोना में क्या अंतर है? जानने के लिए पढ़ें ये लेख...

3. सर्दियों में त्वचा का नमी खोना आम बात है इसलिए बहुत जरूरी है कि आप अपनी त्वचा को संतुलित नमी देते रहें। इन घरेलू नैचुरल मॉइश्चराइजर से अपनी त्वचा को कोमल और चमकदार रखें। क्या है घरेलू नैचुरल मॉइश्चराइज़र बनाने की विधि? जानने के लिए पढ़ें ये लेख...

4. सर्दियों में स्वाद के शौकीनों की हर ख्वाहिश पूरी होती है। इस मौसम में लड्डू, हलवे, चटनियां और भजिया का लाजवाब स्वाद सभी को अपनी ओर खींचता है इसलिए हम आपके लिए लाए हैं ये मौसमी व्यंजन। रेसिपी जानने के लिए पढ़ें ये लेख...

5. इस बार सर्दियों में अलग-अलग किस्म की चटनी के चटपटे स्वाद का आनंद लें। खट्टी-मीठी और तीखी चटनियां बनाने की रेसिपी जानने के लिए पढ़ें ये लेख...

6. कोरोना के कारण सुबह टहलना और जिम जाना भी लगभग बंद हो चुका है और ऊपर से सर्दी का मौसम भी शुरू हो गया है। इस लेख में पढ़ें, घर में रहकर किस तरह बनाएं शरीर को स्वस्थ, सर्दी में अपनाएं ये तरीका...

7. सर्दियों में घर की बगिया में सुंदर फूलों, सब्जियों वाले और सजावटी पौधे लगा सकते हैं। इन्हें लगाने के लिए यह मौसम सही है। इस मौसम में किस तरह करें पौधों की देखभाल? जानने के लिए पढ़ें ये लेख...

8. इन सर्दियों में बॉम्बर जैकेट, वूलन सेट जैसे कपड़ों से पाएं स्टाइलिश और ट्रेंडी लुक। सर्दियों में कैसे हो वूल के साथ कूल लुक? जानने के लिए पढ़ें ये लेख...

9. ठंड का मौसम शुरू हो गया है। इस मौसम में सर्दी-जुकाम होना लाजमी है। शरीर में गरमाहट बनाए रखने के लिए कौन से लिक्विड आजमाएं? जानने के लिए पढ़ें ये लेख...

10. पिछले दस महीनों से सैनिटाइजर जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। संक्रमण से सुरक्षा के लिए बार-बार हाथ धोने से त्वचा सख्त और रुखी हो सकती है इसलिए हम आपके लिए लेकर आए हैं वो खास उपाय, जिनसे आपकी त्वचा रहेगी सैनिटाइज और मॉइश्चराइज्ड। जानने के लिए पढ़ें ये लेख...

11. ठंड का मौसम इंसान से ज्यादा पशुओं के लिए मुश्किल भरा होता है, क्योंकि वह अपनी समस्या बोल कर नहीं बता सकते हैं। इन खास तरीकों से पशुओं का रखें ख्याल। जानने के लिए पढ़ें ये लेख...

12. कोरोनावायरस कपड़ों पर कुछ घंटों तक रहता है, लेकिन घर से बाहर जाने के बाद गरम कपड़ों को बार-बार धोना संभव नहीं है। क्या है इसका उपाय? जानने के लिए पढ़ें ये लेख...

13. आहार मौसम के मुताबिक और नुकसान नहीं करने वाला होना चाहिए। कैसी है आहार आरोग्यवर्धक औषधि? क्या कहना है आयुर्वेद का आहार को लेकर? जानिए इस लेख में...

14. पहाड़ अपनी पनाह में आने वालों को अपनी ही तरह कभी न मिटने वाली यादें देते हैं। चिया के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। इस लेख में पढ़ें लघुकथा गुनगुना एहसास...

15. पानी पीने के भी नियम होते हैं। पानी पीते समय कुछ बातों का ध्यान रखने से शरीर रहेगा स्वस्थ। इस लेख में जानें, किस तरह पीना चाहिए पानी...

16. कई स्टडीज के मुताबिक 70 से 90 फीसदी भारतीयों में विटामिन-डी की कमी पाई जाती है। विटामिन-डी का सबसे अच्छा जरिया होता है सूरज। धूप कब और कितनी लें? ये जानने के लिए पढ़ें ये लेख...

17. ठंडे दिमाग से काम करना अच्छी बात है, लेकिन ठंडा व्यवहार करना या ठंडी प्रतिक्रिया देना रिश्तों के लिहाज से ठीक नहीं है। ठंड और शीतल में क्या है फर्क? ठंडा दिमाग, शीतल मन किस तरह व्यक्ति को देता है संतोष और आनंद की अनुभूति? जानें इस लेख में...

18. पहनावा व्यक्तित्व के मुताबिक और मौसम के अनुकूल होना चाहिए। कपड़ों को लेकर क्या कहता है आयुर्वेद? जानें इस लेख में...

19. जब माह अगहन का ढलता हो, तब देख बहारें जाड़े की। सर्दी के सौंदर्य को दर्शाती ये कविता पढ़िए इस लेख में...

20. जाड़े में व्यायाम और शारीरिक सक्रियता की विशेष सिफारिश की जाती है। लेकिन, सवाल उठता है कि कितना व्यायाम किया जाए? आयुर्वेद विशेषज्ञ वैद्य अरविंद प्रेमचंद से जानें स्वास्थ्य के सूत्र...



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