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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कोरोना पर चर्चा की सीरीज के तहत आज बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव बजाज से बात करेंगे। इसचर्चा का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया जाएगा। राहुल कोरोना संकट केअर्थव्यवस्था पर असर, लॉकडाउन और अनलॉक-1 पर सवाल पूछेंगे।कोरोना और उसके आर्थिक असर पर राहुल अलग-अलग फील्ड के देश-विदेश के एक्सपर्ट से डिस्कस कर रहे हैं।
राहुल ने हार्वर्ड के हेल्थ एक्सपर्ट से भीबात की थी
राहुल ने 27 मई को कोरोना संकट पर दो इंटरनेशनल हेल्थ एक्सपर्ट से चर्चा की थी। ये एक्सपर्ट हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशीष झा और स्वीडन के कैरोलिंसका इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर जोहान गिसेक थे। कोरोना के वैक्सीन पर प्रोफेसर झा ने कहा था कि अमेरिका, चीन और ऑक्सफोर्ड के वैक्सीन रिसर्च के अच्छे रिजल्ट आ रहे हैं। पहला वैक्सीन अगले साल तक आने का भरोसा है। भारत के लिए 50-60 करोड़ वैक्सीन की जरूरत पड़ेगी।
इसी कड़ी में 5 मई को नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी से बातचीत की थी।बनर्जी ने कहा थाकि कोरोना के आर्थिक असर को देखते हुए हमने अभी तक बड़ा आर्थिक पैकेज घोषित नहीं किया है। हमने जो पैकेज दिया है वह जीडीपी के 1% के बराबर है जबकि, अमेरिका 10% तक पहुंच गया। बनर्जी का कहना है कि छोटे उद्योगों (एमएसएमई) के लिए ज्यादा राहत देने की जरूरत है।
इससे पहले 30 अप्रैल को आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के साथ बातचीत की थी। राहुल ने राजन से पूछा थाकि गरीबों की मदद में कितना खर्च आएगा? राजन ने जवाब दिया कि इसके लिए 65 हजार करोड़ रुपए की जरूरत है। उन्होंने कहा थाकि यह रकम देश की 200 लाख करोड़ रुपए की जीडीपी के मुकाबले कुछ भी नहीं है। अगर इससे गरीबों की जान बचती है तो जरूर खर्च करना चाहिए।
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चक्रवाती तूफान निसर्ग महाराष्ट्र के पश्चिमी विदर्भ इलाके में अब कमजोर पड़ने लगा है। मौसम विभाग का कहना है कि अब ये पूर्वी और उत्तर-पूर्वी इलाकों की तरफ बढ़ते हुए शाम तक और कमजोर होगा। निसर्ग के असर को देखते हुए आज मध्यप्रदेश के 18 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट है।
मुंबई से 50 किलोमीटर पहले तूफान ने रास्ता बदला
निसर्ग तूफान ने बुधवार को महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में नुकसान पहुंचाया। रायगढ़ में एक और पुणे में दो लोगों की मौत हो गई। तेज हवा से सैंकड़ों पेड़ गिर गए और कई घरों को नुकसान हुआ। 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवा चली और कई इलाकों में जमकर बारिश हुई। राहत की बात ये रही कि मुंबई से 50 किमी पहले ही तूफान ने समुद्र में रास्ता बदल लिया। इससे बड़ा नुकसान नहीं हुआ।
एक लाख लोग सुरक्षित इलाकों में पहुंचाए गए थे
अरब सागर में उठा तूफान बुधवार दोपहर 12:30 बजे रायगढ़ के अलीबाग में समुद्र तट से टकराया। यह इलाका मुंबई से 95 किमी दूर है। तूफान के दौरान बचाव कार्यों के लिए एनडीआरएफ की 43 टीमें तैनात थीं। 21 महाराष्ट्र और 16 गुजरात में थीं। दोनों राज्यों के तटवर्ती इलाकों में रहने वाले 40-40 हजार लोग पहले ही सुरक्षित इलाकों में पहुंचाए दिए गए थे। दमन और दीव में करीब 20 हजार लोगों को निकालकर शेल्टर होम्स पहुंचाया गया।
निसर्ग के असर से मध्यप्रदेश में बारिश
निसर्ग तूफान के असर से भोपाल समेत मध्यप्रदेश के 34 शहरों में बुधवार को बारिश हुई। राजधानी में दिन का तापमान सामान्य से 8 डिग्री नीचे 32.8 डिग्री पर पहुंच गया। बीते 24 घंटे में बालाघाट के किरनापुर में सवा दो इंच, छिंदवाड़ा के पांढुर्णा और नीमच जिले के जावद में 1-1 इंच बारिश हुई। भोपाल में आज भी बारिश हो रही है। इंदौर, होशंगाबाद, जबलपुर और सागर संभागों में भी कहीं-कहीं भारी बारिश हो सकती है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन गुरुवार को वर्चुअल बैठक करेंगे। इस दौरान दोनों नेता भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय संबंधोंको मजबूत करने को लेकर बातचीत करेंगे। यब बैठक 11 बजे होनी है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस साल ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री जनवरी और मई में भारत आने वाले थे। लेकिन, जनवरी में ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग के कारण, जबकि मई में कोरोना के चलते वे यहां नहीं आ सके। अब दोनों नेताओं के बीच ‘वर्चुअल समिट’ करने पर सहमति बनी है। यह पहली बार है जब प्रधानमंत्री मोदी किसी विदेशी नेता के साथ ‘द्विपक्षीय’ वर्चुअल समिट में हिस्सा लेंगे। यह ऑस्ट्रेलिया के साथ हमारे मजबूत संबंधों को दिखाता है।
दोनों नेताओं के बीच नवेश और व्यापार को लेकर चर्चा हो सकती है
सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच निवेश और व्यापार के साथ-साथ कोरोनावायरस महामारी को लेकर भी चर्चा होगी। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई समझौतें और घोषणाएं भी किए जा सकते हैं। मोदी और मॉरिसन पिछले डेढ़ साल के दौरान चार बार मिल चुके हैं। नवंबर 2018 में सिंगापुर में ईस्ट एशिया समिट के मौके पर, 2019 में ओसाका में जी20 में, अगस्त 2019 में बियारित्ज में जी7 समिट के मौके पर और नवंबर 2019 में बैंकॉक में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों की मुलाकात हुई है।
मॉरिसन ने मोदी के साथ समोसा शेयर करने की बात कही थी
हाल ही में मॉरिसन ने समोसे के साथ अपनी फोटो ट्वीट की थी और कहा था-मैंने इन्हें आम की चटनी के साथ तैयार किया है। ये शाकाहारी हैं। इस हफ्ते में प्रधानमंत्री मोदी के साथ वीडियो लिंक के जरिएबैठक करूंगा।अगर ऐसा नहीं होता तो मैं इसे उनके साथ शेयर करनापसंद करता। इसमें उन्होंनेमोदी को भी टैग किया था।
भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच दोस्ताना संबंध
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच दोस्ताना संबंध हैं। दोनों देशों के बीच बहुत कुछ सामान्य हैं। दोनों देशों की अनेकता में एकता जैसे मूल्यों, परंपरा और लंबे समय से लोगों के बीचखेल संबंध हैं। अर्थव्यवस्था कई मायनों में एक दूसरे की पूरक हैं। इनमें द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बढ़ाने की संभावना है।
मोदी 2014 में ऑस्ट्रेलिया गए थे
पिछले पांच साल के दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध काफी मजबूत हुए हैं। सितंबर 2014 में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने भारत का दौरा किया। वहीं, नवंबर 2014 मेंमोदी ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर पहुंचे। इससे दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत हुई। ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच रक्षा सहयोग के फ्रेमवर्क पर नवंबर 2014 में हस्ताक्षर हुए। इससे दोनों देशों के बीच विदेश, रक्षा और सुरक्षा नीतियों की अदला बदली का आधार तैयार हुआ। इसके बाद से नियमित तौर पर इनके संस्थानों के बीच बातचीत हो रही है।
हरियाणा में अनलॉक-1 का चौथा दिन है। दिल्ली से सटी हरियाणा की सीमाओं पर दिल्ली पुलिस की रोकटोक जारी है। दिल्ली पुलिस अब भी सिर्फ मूवमेंट पास और आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को ही एंट्री दे रही है। प्रदेश में मरीजों की संख्या 3 हजार के पास पहुंच गई है। फरीदाबाद में बढ़ते मरीजों की वजह से 25 फीसदी बैड कोरोना के लिए रिजर्व कर दिए गए हैं। इसी तरही होटलों को भी कोरोना केयर में तबदील किया जाएगा। मरीजों की देखभाल के लिए स्टाफ की नियुक्ति की जाएगी। यह फैसला फरीदाबाद के मंडलायुक्त संजय जून की समीक्षात्मक बैठक में लिया गया है।
बिना लक्षण वाले मरीजों का घर से किया जाएगा उपचार
फरीदाबाद में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या अगर अधिक होती है तो अस्पतालों में बेड की संख्या, अॉक्सीजन सिलेंडर का प्रबंध भी किया जाएगा। मरीज की अवस्था गंभीर होने पर ही उसे अस्पताल में दाखिल किया जाएगा। जिस मरीज में लक्षण नहीं हैं, उसे घर पर ही आइसोलेट किया जाएगा। उसे दवाई के साथ-साथ सावधानी बरतनी है।
फरीदाबाद जिला प्रशासन ने प्राइवेट अस्पतालों से की अपील
फरीदाबाद के आयुक्त यश गर्ग व उपायुक्त यशपाल ने कोरोना की लड़ाई में प्राइवेट अस्पतालों को भी आगे आकर अपनी हरसंभव तैयारी करने की अपील की है। उन्होंनेसभी अस्पताल अपने बेड और अन्य जरुरी सुविधाओं के बारे में जानकारी ली।
हरियाणा में मरीजों का आंकड़ा 2954 पहुंचा
फिलहाल प्रदेश में यूएसए से लौटे 21 लोगों, 14 इटली नागिरकों व 133 जमातियों को मिलाकर संक्रमितों का आंकड़ा 2954 पर पहुंच गया है। इनमें सबसे ज्यादा गुरुग्राम में 1195, फरीदाबाद में 487, सोनीपत में 261, झज्जर में 103, रोहतक में 97, पलवल में 79, नूंह में 78, नारनौल में 70, अंबाला में 69, करनाल में 66, पानीपत में 65, हिसार में 61, सिरसा में 47, भिवानी में 45, कुरुक्षेत्र में 37, जींद में 32, कैथल में 30, पंचकूला में 27, फतेहाबाद में 25, रेवाड़ी में 23, चरखी-दादरी में 13 तथा यमुनानगर में 9 संक्रमित मरीज हैं।
वहीं 14 इटली नागरिकों सहित कोरोना को मात देने वालों का आंकड़ा 940 हो गया है। इनमें गुरुग्राम में 288, फरीदाबाद में 168, सोनीपत में 158, झज्जर में 92, नूंह में 66, पानीपत में 46, अंबाला में 40, पलवल 44, पंचकूला में 26, जींद में 24, नारनौल में 21, कुरुक्षेत्र में 18, करनाल में 16, सिरसा में 13, यमुनानगर में 9, रोहतक में 10, भिवानी व फतेहाबाद में 7-7, कैथल 6, हिसार में 5, रेवाड़ी में 4 तथा चरखी-दादरी में 1 मरीज ठीक होकर घर लौट चुका है।
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कोई यूं ही कप्तान नहीं होता।यदि हो भी जाए तो लंबे समय तक लोगों के दिलों में बसा रहे, ऐसा कम होता है। 10 साल तक भारतीय क्रिकेट टीम की कमान संभाल चुके रांची के महेंद्र सिंह धोनी ने लॉकडाउन में खाली समय का पूरा सदुपयोग किया। अपने फार्म हाउस में इन्होंने जैविक खेती करना सीखा। खेत तैयार करने के लिए ट्रैक्टर खरीदा और उसे चलाना भी सीखा। रांची के सैंबो स्थित अपने फॉर्म हाउस में ट्रैक्टर चलाते हुए उनका नया रूप देखने को मिला।
चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) ने धोनी के ट्रैक्टर सीखने के पल को सोशल मीडिया पर शेयर किया है। सीएसकेने एक फनी कैप्शन लिखा है- क्या होगा अगर थाला (कप्तान) धोनी अपने इस नए बीस्ट पर सवार होकर राजा से मिलने जाएं? धोनी को दक्षिण भारतीय प्रशंसक थाला कहते हैं, जिसका अर्थ होता है- विषम परिस्थितियों से लड़कर सफलता को छूने वाला।
सीएसके की तरफ से शेयर इस वीडियो में धोनी ट्रैक्टर पर सवार होकर पर घूमते दिख रहे हैं। वह ट्रैक्टर चलाना सीख रहे हैं। उनके साथ ट्रैक्टर पर एक और व्यक्ति भी है, जो उन्हें ट्रैक्टर के उपकरण और फंक्शन की जानकारी दे रहा है।
धोनी हर फील्ड में नया करते हैं
धोनी के फैन इस तस्वीर काे खूब पसंद कर रहे हैं। एक यूजर ने कहा कि धोनी जिस फील्ड में जाते हैं वहां नया करते हैं, चाहे वह ऑन द फील्ड हाे या ऑफ द फील्ड।
फॉर्महाउस पर तरबूजऔर पपीता लगाए
कुछ दिन पहले ही धोनी ने अपने फाॅर्म हाउस में ऑर्गेनिक खेती शुुरू की है। वहांतरबूज और पपीता लगाए हुए हैं। उन्होंने पूजा-पाठ करते हुए विधि-विधान के साथ इसकी शुरुआत की थी। इसे सोशल मीडिया में भी शेयर किया गया था। ऑर्गेनिक खेती में भी नए कीर्तिमान गढ़ने के लिए धोनी हर बारीकी को समझना चाहते हैं। यही कारण है कि लॉकडाउन के दौरान खेती में पूरी तरह रम गए हैं। ट्रैक्टर की ट्रेनिंग भी इसी की एक कड़ी है, ताकि वे खुद ट्रैक्टर से क्यारियां खोद सकें।
धोनी ने 350 वनडे में 10773 रन बनाए
धोनी एक साल से भारतीय टीम से बाहर चल रहे हैं। उन्होंने पिछला मैच जुलाई 2019 में वनडे वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल खेला था। इस मैच में न्यूजीलैंड के हाथों हार मिली थी। धोनी ने अब तक 90 टेस्ट में 4876, 350 वनडे में 10773 और 98 टी-20 में 1617 रन बनाए हैं।
छत्तीसगढ़ के प्रवासी ट्रेनें चलने के बाद भी एक महीने से से दर-दर की ठोकरें खा रहेहैं, लेकिन उनके घर जाने की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है। इसलिए इन लोगों नेबुधवार सुबह 9 बजे ही डीसी दफ्तर का घेराव शुरू कर दिया। इन लोगों का कहना था कि उनका रोजगार छिन गया है, अब यहां ठहरना उनके लिए जंजीरों की जकड़न से कम नहीं। इसलिए उन्हें घर भेज दिया जाए। दोपहर के समय सभी मजदूरों को घर वापस भेजने का आश्वासन देकर बसों के जरिए ब्यास स्थित राधा स्वामी सत्संग डेरा पहुंचाया गया।
रोटी के लाले हैं, मजदूरी भी छिन गई
तस्वीर अमृतसर की है। सबको अपना घर कितना प्यारा होता है इसका अंदाजा आप इस रोती हुई महिला के आंसू से लगा सकते हैं। छत्तीसगढ़ से आकर अमृतसर में मजदूरी कर परिवार का खर्च चलाने वाली महिला कोरोना संकट में दो वक्त की रोटी को मजबूर हुई तो प्रशासन से घर भिजवाने के लिए डीसी दफ्तर पहुंची। यहां जब अधिकारियों ने उससे बातचीत शुरू की तो महिला दर्द सुनाते-सुनाते फफक-फफक कर रो पड़ी। रोते हुए कहा-साहब रोटी के लाले हैं। किसी तरह घर भिजवा दो जिंदा तो रहेंगे।
गड्ढा खोदकर पानी निकालने के लिए मजबूर लोग
तस्वीर छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा की है। यहां 20 परिवारों के लिए 2 बोरवेल है। दोनों में वाटर लेवल भी अच्छा है, लेकिन यहां एक महीने से बिजली नहीं है। गांव में एक ट्रांसफॉर्मर है लेकिन वो भी खराब पड़ा हुआ है। इसके कारण ग्रामीण पिछले एक महीने से मजबूरी में सूखा नाला के पास गड्ढा खोदकर पानी का स्त्रोत तलाशते हैं। इसके बाद पानी जमा होने पर उसी को पीकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं। एक घड़े पानी के लिए जद्दोजहद होती है।
पश्चिमी विक्षोभ के कारण बदला मौसम के मिजाज
तस्वीर राजस्थान के बीकानेर की है। प्रदेश में चल रहे पश्चिमी विक्षोभ के कारण बदले मौसम के मिजाज के कारण लगातार चौथे दिन शहर में धूल के गुब्बार उठे। बुधवार शाम को उठे धूल के गुब्बारों के कारण थोड़ी की देर में चारों तरफ धूल की धूल हो गई। धूल के कारण दोपहर में तल्ख हुई धूप भी बेअसर हो गई।
लहरों में फंसा जहाज
चक्रवाती तूफान निसर्ग ने बुधवार को महाराष्ट्र के तटीय इलाकाें में नुकसान पहुंचाया।रत्नागिरी तट के पास एक जहाज ऊंची लहरों में फंस गया। बचाव दल के सदस्यों ने इसमें सवार 10 नाविकों को सुरक्षित निकाला।
तेज हवाओं ने उखाड़े पेड़
तूफान निसर्ग की वजह से 120 किलोमीटर प्रति घंटा तक की रफ्तार से आंधी चली और कई इलाकों में जमकर बारिश हुई। मुंबई में तेज हवा से सैकड़ों पेड़ गिर गए। बुधवार शाम को इन्हें हटाने का काम शुरू हो गया था।
धोनी ने लॉकडाउन में सीखा ट्रैक्टर चलाना
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने लॉकडाउन में खाली समय का पूरा सदुपयोग किया। अपने फार्म हाउस में इन्होंने जैविक खेती करना सीखा। खेत तैयार करने के लिए ट्रैक्टर खरीदा और उसे चलाना भी सीखा। रांची के सैंबो स्थित अपने फॉर्म हाउस में ट्रैक्टर चलाते हुए उनका नया रूप देखने को मिला। चेन्नई सुपर किंग्स ने धोनी के ट्रैक्टर सीखने के पल को सोशल मीडिया पर शेयर किया है।
इस तरह शिकायतें सुनेगी पुलिस, ताकि संक्रमण न फैले
तस्वीर हरियाणा के हांसी की है। पुलिस जिला के थानों में पुलिस कर्मचारी प्लास्टिक की लेयर में बैठकर लोगों की शिकायतों की सुनवाई करेंगे। पुलिस चौकियों में भी पुलिस कर्मचारियों के लिए यह सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। पुलिस प्रशासन की तरफ से यह व्यवस्था इसलिए की गई है, ताकि किसी प्रकार का संक्रमण न फैले।
यात्रियों को अपनी सीट तक पहुंचने में लगे 2 घंटे
तस्वीर राजस्थान के जोधपुर की है। अनलॉक-1 लागू होने के साथ शुरू हुई ट्रेनों की आवाजाही के तीसरे दिन सिटी स्टेशन पर काफी चहल-पहल रही। बांद्रा टर्मिनस से बुधवार सुबह 800 यात्री जोधपुर पहुंचे तो शाम को पहले फेरे पर रवाना हुई जोधपुर-हावड़ा सुपरफास्ट में 760 यात्रियों के टिकट बुक करवाने और उससे कुछ समय पहले ही सूर्यनगरी एक्सप्रेस के रवाना होने से यात्रियों की कतार रेलवे स्टेशन के बाहर सड़क तक नजर आई। सोशल डिस्टेंसिंग रख यात्रियों को एक-एक कर प्रवेश दिया गया।
मंडी के बाहर फंसी गेहूं से भरी ट्रॉलियां
तस्वीर राजस्थान के बूंदी की है। यहां के पुरानी कृषि उपज मंडी में 4 दिन से गेहूं खरीद केंद्र पर गेहूं बेचने के लिए किसानों के ट्रैक्टर गेहूं से भरे खड़े हैं। बारिश से गेहूं को बचाने के लिए तिरपाल से ढंक रखा है।
दूल्हे के लिए साफे और शेरवानी के साथ मिल रहे मैचिंग मास्क
तस्वीर जोधपुर की है। लॉकडाउन के बाद अब मास्क अब हर कार्यक्रम का अहम हिस्सा भी होगा। शादी में दूल्हे अपने लिए खास शेरवानी और साफे की तलाश करते हैं और अब बाजार में साफे और शेरवानी के साथ मैचिंग कर मास्क भी मिलने लगे हैं। शेरवानी व्यापारी उम्मेदसिंह जोलियाली ने बताया, दूल्हे की डिजाइनर शेरवानी देखकर उसी टाइप का साफा और मास्क तैयार किए हैं। उन्होंने बताया, दूल्हे के लुक को कुछ अलग दिखाने के लिए उन्होंने ये डिजाइनर मास्क बनाए हैं।
दुनिया में संक्रमितों का आंकड़ा 65 लाख 67 हजार 260 हो गया है। इस दौरान कुल 31 लाख 64 हजार 346 लोग स्वस्थ हुए। 3 लाख 87 हजार 911 लोगों की मौत हो चुकी है। उधर, ब्रिटेन आने वाले यात्रियों को 14 दिन तक आइसोलेशन में रहना होगा। वहीं, नियम तोड़ने पर 95 हजार रुपए (1000 पाउंड) जुर्माना या जेल हो सकती है। गृह मंत्री प्रीति पटेल ने बुधवार को इस बात की पुष्टि की। सरकार के इस फैसले को कुछ कंपनियों ने बेकार बताया है।
ब्रिटेन: 39 हजार से ज्यादा मौतें
ब्रिटेन ने एक दिन में 359 लोगों की जान गई है और 1871 मरीज मिले हैं। यहां मौतों का कुल आंकड़ा 39 हजार 728 हो गया है। वहीं, दो लाख 79 हजार 856 संक्रमित हो गए हैं। अमेरिका, ब्राजील, रूस और स्पेन के बाद ब्रिटेन पांचवा सबसे संक्रमित दैश है।
ब्राजील: 24 घंटे में 1349 मौतें
ब्राजील में 24 घंटे में 1349 लोगों ने दम तोड़ा है। यह दक्षिण अमेरिका का सबसे प्रभावित देश है। यह मरने वालों का कुल आंकड़ा 32 हजार 568 हो गया है, जबकि 5 लाख 84 हजार 562 लोग संक्रमित हो चुके हैं। अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा मरीज यही हैं।
मैक्सिको: 1 दिन में 1000 से ज्यादा जान गई
मैक्सिको में 24 घंटे में 1092 लोगों की जान गई है और 3912 नए मामले मिले हैं। एक दिन पहले यहां 470 मौतें हुई थीं। देश में संक्रमितों का आंकड़ा एक लाख से ज्यादा हो गया है। वहीं, अब तक 11 हजार 729 लोगों की मौत हो चुकी है।
स्पेन: लॉकडाउन बढ़ाने के प्रस्ताव को संसद की मंजूरी
स्पेन में संसद ने देश में लागू लॉकडाउन को छठी और अंतिम बार बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। संसद के निचले सदन स्पैनिश कांग्रेस में लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाने के प्रस्ताव पर मतदान हुआ। 177 सदस्यों ने इसके पक्ष में वोट डाला, जबकि 155 ने इसका विरोध किया। प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने कहा कि लॉकडाउन को 21 जून तक बढ़ाने का फैसला किया गया है। लॉकडाउन अंतिम बार बढ़ाया जा रहा है। और क्षेत्रीय सरकारें काम करना शुरू कर देंगी। लेकिन देश में आवागमन के नियमों को निर्धारित करने की शक्ति स्पेन की केन्द्र सरकार के पास ही रहेगी।
जेसिका लाल मर्डर केस में मनु शर्मा को हुई सजा को तीन साल कम कर दिया गया। उसे 2023 में जेल से बाहर आना था लेकिन वह सोमवार को तिहाड़ जेल से रिहा हो गया। मनु ने 16 साल 11 महीने जेल में बिताए हैं। जबकि 2017 से वह ओपन जेल में है। वैसे, अप्रैल के पहले हफ्ते से मनु यूं भी कैदियों को सोशल डिस्टेंसिंग देने के इरादे से पैरोल पर जेल से बाहर है।
जिस अच्छेकाम का हवाला देकर मनु को जल्दी रिहा किया गया है, उसमें ज्यादातर जेल को आर्थिक फायदा पहुंचाने वाले आइडिया शामिल हैं। जेल में सजा काटने के दौरान ही मनु शर्मा ने अपना कारोबार चलाया, शादी की और उसका एक बेटा भी है।
22 अप्रैल 2015 को जेसिका की हत्या के 16 साल बाद मनु ने मुंबई की एक मॉडल और अपनी पुरानी दोस्त प्रीती से शादी कर ली। इस दौरान वह पैरोल पर छूटा था। एक बार मनु अपनी मां की बीमारी का बहाना बनाकर पैरोल पर छूटा था। लेकिन बाद में मनु की मां चंडीगढ़ में पार्टी करती पाई गईं थीं।
अच्छे व्यवहार का हवाला देकर ही मनु को ओपन जेल में रहने की छूट मिली थी। मनु शर्मा 2017 से ही ओपन जेल में रह रहा था। ओपन जेल यानी काम धंधा करने जेल से बाहर जाने की इजाजत। उसे ओपन जेल में सुबह 8 से शाम 8 बजे तक जेल से बाहर जाने की इजाजत थी। इस दौरान मनु नेहरू प्लेस स्थित अपने दफ्तर जाता था। जेल में रहते मनु ने बेधड़क अपना बिजनस चलाया जिसमें अखबार, टीवी चैनल और होटल शामिल हैं।
यही नहीं जेल में रहते मनु को 2012-13 के आसपास हर साल 7 हफ्ते की सरकारी छुट्टी भी मिलने लगी थी। फर्लो की ये छुटि्टयां उसे तीन, दो और फिर दो हफ्ते की किश्तों में मिलती थी। ये छुटि्टयां भी उसे अच्छे व्यवहार का हवाला देकर ही मिलीं थीं। ऐसी ही एक छुट्टी के दौरान मनु की कमिश्नर के बेटे के साथ झड़प हो गई थी। मनु दिल्ली के सम्राट होटल में शराब पी रहा था और उसकी लड़ाई हो गई।
2016 तक तिहाड़ जेल के लॉ ऑफिसर रहे सुनील गुप्ता के मुताबिक, 2015 में अच्छे व्यवहार की वजह से ही उसे पहले सेमी ओपन जेल में भेजा गया था, जिसमें जेल कॉम्प्लेक्स के अंदर काम करना होता है। मनु के जिम्मे जेल की दुकानों का हिसाब किताब देखना होता था।
तिहाड़ जेल केबिजनेस को बढ़ाने के लिए मनु ने आउटलेट बाहर खोलने का सुझाव दिया था। जेल प्रशासनने इसके बाद ही दिल्ली के छह कोर्ट कॉम्पलेक्स में दुकान खोलीं थीं। मनु ने मसाले बनाने और बाकी फैक्ट्री लगाने की स्ट्रैटेजी भी बनाई थी। उसने अपने गुनाहों को धोने के लिए एक चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया था, जिसके जरिए वह कैदियों के बच्चों की पढ़ाई फीस भरता था।
दिल्ली के स्कूलों में जितनी भी लकड़ी की डेस्क इस्तेमाल होती है, वह तिहाड़ में बनती हैं। उससे ही जेल को सबसे ज्यादा रेवेन्यू मिलता है। ये सुझाव सरकार को देने का आइडिया मनु का ही था। जिसके बाद से दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों के लिए ये नियम बना दिया किवह लकड़ी की डेस्क सिर्फ तिहाड़ से खरीदेंगे।
2008-09 में यह नियम लागू होने के कुछ साल के भीतर दिल्ली तिहाड़ का रेवेन्यू 4-5 करोड़ से करीब 17 करोड़ रु. हो गया था। तिहाड़ जेल का सालाना टर्नओवर लगभग 30 करोड़ रु. का है। जिसमें बेकरी से 5 करोड़, लकड़ी की डेस्क से 12-13 करोड़ और बाकी कैमिकल, फैब्रिक, मसाले, तेल, साबुन से है।
मेरा सफर सोमवार रात 9.15 बजे भोपाल के हबीबगंज स्टेशन से शुरू हुआ था, जो बुधवार को सुबह 7.30 बजे यहीं खत्म हुआ। 1400 किमी की इसयात्रा के उन अनुभवों के बारे में बता रहा हूं, जो ट्रेन में सफर करने के दौरान आपके काम आ सकते हैं।
हबीबगंज स्टेशन : सोमवार शाम 6 से रात 8.15 बजे तक
दो घंटे तक लाइन में लगे रहे, जिनके पास लगैज ज्यादा था वो परेशान हुए
हबीबगंज स्टेशन से सोमवार रात नौ बजे ट्रेन थी लेकिन यात्री शाम 6 बजे से ही स्टेशन के बाहर जुटना शुरू हो गए थे, क्योंकि सभी को यह लग रहा था कि लंबी प्रॉसेस है। मैं भी 6 बजे पहुंच गया था क्योंकि पता नहीं था कि रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के बाद क्या होगा।कितना वक्त लगेगा।
6 बजे से ही प्लेटफॉर्म नंबर 1 के सामने लाइन लग गई थी, जो लोग 6 बजे के भी पहले आए थे, वो सबसे आगे खड़े थे, जो बाद में आए वो पीछे लगतेगए। देखते ही देखते चार लाइनें लग गईं।
लंबी लाइन होने के बावजूद यात्रियों की एंट्री 7.30 बजे तक भी शुरू नहीं हो सकी थी, क्योंकि थर्मल स्क्रीनिंग करने वाले डॉक्टर आ नहीं पाए थे।
इधर गर्मी में लाइन में लगे यात्रियों की हालत खराब हो रही थी। सबसे ज्यादा तकलीफ में बच्चे और बुजुर्ग थे। जिन लोगों के पास ज्यादा लगैज था, उनके लिए दोहरी चुनौती थी।
8 बजे के करीब डॉक्टर आए तो एंट्री शुरू हुई। एंट्री गेट पर तीन कर्मचारी बैठे थे। एक नाम-नंबर नोट कर रहा था। दूसरा उसका सहयोगी था। तीसरा डॉक्टर था जो थर्मल स्क्रीनिंग कर रहा था।
आरपीएफ के जवान भी तैनात थे। जो लोग नियम तोड़ने की कोशिश कर रहे थे, उन्हें पुलिस के गुस्से का सामना करना पड़ रहा था।
कॉन्टेक्टलैस टिकट का सिस्टम लगा जरूर लेकिन काम नहीं कर सका
एंट्री गेट पर एक स्क्रीन लगी थी। नीचे कैमरा लगा था। वहां खड़े कर्मचारी से पूछा कि ये क्या है। जवाब मिला, यह सिस्टम कॉन्टैक्टलेस टिकट चेकिंग के लिए लगाया गया है।
यात्रियों को कैमरे के सामने टिकट दिखाना होगा। ऐसा करते ही टिकट स्क्रीन पर नजर आएगी और रेलवे के रिकॉर्ड में सेव हो जाएगी।
इसके बाद टीटीई को ट्रेन में यात्री की टिकट चेक नहीं करनी होगी। हालांकि, सोमवार को कुछ तकनीकी गड़बड़ी होने से हबीबगंज स्टेशन पर यह सिस्टम शुरू नहीं हो सका।
अधिकारियों ने बताया एक-दो दिन में काम करने लगेगा। जो लोग प्लेटफॉर्म पर पहुंच रहे थे, उन्हें फिर वहां बनाए गए गोलों में खड़ा होना पड़ रहा था।
लाइन से ही ट्रेन में एक-एक करके जाना था। पुलिसकर्मी लाइन लगवाने के लिए तैनात थे। हालांकि कई यात्री सीधे ही चढ़ गए।
भोपाल एक्सप्रेस में सोमवार रात 8.15 बजे से मंगलवार सुबह 8 बजे तक
यात्रियों ने खुद अपनी सीट सैनिटाइज की
ट्रेन में एंट्री करने के बाद कुछ यात्री अपने साथ स्प्रे लाए थे, उससे पहले उन्होंने अपनी सीट को सैनिटाइज किया। सामान सैनिटाइज किया। इसके बाद ही बैठे।
जिनके पास स्प्रे नहीं था, वो ऐसे ही बैठ गए। रेलवे अभी बेडरोल की सुविधा नहीं दे रहा इसलिए एसी में रिजर्वेशन करवाने वाले भी चादर और तकिया अपने साथ लाए थे।
एसी के डिब्बों में तो थोड़ी बहुत डिस्टेंसिंग फॉलो हो भी रही थी लेकिन, जनरल और स्लीपर कोच के हालात बहुत खराब थे। एक सीट पर पहले की तरह चार-चार, पांच-पांच यात्री बैठे थे।
स्टेशन पर एंट्री के दौरान मास्क सभी ने लगाया था लेकिन, ट्रेन में चढ़ने के बाद गर्मी के चलते अधिकतर ने उतार दिया।
जो लोग अपने साथ पीने का पानी नहीं लाए, उन्हें कई घंटों प्यासा ही रहना पड़ा क्योंकि पहले की तरह ट्रेन में अभी खाने-पीने को कुछ नहीं खरीदा जा सकता।
हालांकि, प्लेटफॉर्म से पीने का पानी भरा जा सकता है लेकिन कोरोना संक्रमण के डर की वजह से यात्री बाहर का पानी भरने से बचते दिखे।
ट्रेन लगभग आधी खाली थी, फिर भी स्लीपर क्लास में सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो नहीं हुई। ट्रेन में 8 की जगह 3 ही टीटीई थे, इसलिए वे स्लीपर कोच में जांच के लिए गए ही नहीं। एसी कोच में उन्होंने जांच की।
ये भी बताया गया कि स्टेशन पर जांच-पड़ताल हो गई है। आधा स्टाफ वहां भी तैनात है इसलिए ट्रेन में यह करने की जरूरत नहीं है।
झांसी, आगरा जैसे स्टेशनों पर कुछ ज्यादा यात्री उतरे, यहां से थोड़े ज्यादा चढ़े भी। बाकि सभी जगह इक्का-दुक्का ही उतरे और चढ़े।
हजरत निजामुद्दीन स्टेशन : मंगलवार सुबह 8 से रात 8.45 बजे तक
पहले ही तरह लग गई भीड़, पुलिस को देखकर लगे लाइन में
ट्रेन अपने तय समय पर सुबह 8 बजे दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्टेशन पर पहुंच गई। यात्रियों ने उतरने में किसी तरह की डिस्टेंसिंग फॉलो नहीं की। पहले की तरह भीड़ एक साथ उतरी और ओवरब्रिज की तरफ चल पड़ी।
आगे पुलिसकर्मी तैनात थे जो लाइन लगवा रहे थे, फिर सब लाइन में लग गए। लाइन में लगकर सब बाहर हो गए। यहां किसी तरह की पूछताछ नहीं की गई।
बाहर निकलते ही फिर यात्री आपस में गुत्थमगुत्था हो गए। काली-पीली, ऑटो खड़े थे जो बिना सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करते हुए चार-चार, पांच-पांच यात्रियों को भरकर ले जा रहे थे।
एक से डेढ़ घंटे में सभी यात्री स्टेशन से जा चुके थे और स्टेशन वीरान था। बारह बजे के करीब दूसरी ट्रेन आई, तब फिर एकदम से भीड़ जुटी।
बहुत से यात्री निजामुद्दीन से दिल्ली स्टेशन गए। उनकी अगली ट्रेन से वहां से थी। कई अपनी अगली ट्रेन के इंतजार में स्टेशन के बाहर ही यहां-वहां आराम करते रहे।
मंगलवार को शाम पौन नौ बजे निकलने वाली भोपाल एक्सप्रेस शाम साढ़े पांच बजे ही प्लेटफॉर्म पर लग चुकी थी।
बाहर से आने वाले यात्रियों का सिर्फ टेम्प्रेचर चेक किया जा रहा था। न कोई सोशल डिस्टेंसिंग थी और न ही किसी तरह की जांच पड़ताल।
ट्रेन तय समय पर निजामुद्दीन से हबीबगंज के लिए निकल गई। डी-4 कोच का एसी खराब हुआ तो यात्रियों को दूसरे कोच में शिफ्ट किया गया।
ट्रेन आधी ही भरी थी इसके बावजूद स्लीपर कोच के हालात बहुत खराब थे। यहां कोई डिस्टेंसिंग फॉलो नहीं हो रही थी। पहले की तरह एक सीट पर चार से पांच यात्री तक बैठे थे।
आते वक्त भी वही तीन टीटीई ट्रेन में थे, जो यहां से जाते वक्त गए थे। यात्री चर्चा कर रहे थे कि दिल्ली में तो कोई जांच-पड़ताल नहीं हुई। पूरी दिल्ली खुल गई। ऐसे में कैसे कोरोना से बच पाएंगे।
हबीबगंज स्टेशन : बुधवार सुबह 7.05 बजे से 9 बजे तक
ट्रेन तय वक्त पर सुबह 7.05 बजे हबीबगंज पहुंच चुकी थी। प्लेटफॉर्म नंबर-1 और 5 दोनों ही तरफ के एक-एक पॉइंट खोले गए थे। यहां भी यात्रियों ने भीड़ लगा ली।
जहां चेकिंग चल रही थी, वहां से चंद कदमों दूर से लाइन लगी थी। हर एक यात्री का नाम, नंबर नोट किया गया। टेम्प्रेचर चेक किया गया। इस प्रॉसेस में दो-ढाई घंटे लग गए।
7 बजे हबीबगंज पहुंच चुके यात्री साढ़े आठ बजे तक स्टेशन से निकल सके। जो ट्रेन से जल्दी उतरकर पहले लाइन में लग गए थे, वो पहले निकल गए। बाकि करीब दो घंटे तक भीड़ में फंसे रहे।
ऑटो अब भोपाल में भी शुरू हो चुके हैं। तो यात्रियों को स्टेशन से अपने घर जाने में किसी तरह की तकलीफ नहीं हुई।
बॉक्सिंग की 6 बार की विश्व चैंपियन मैरीकॉम के कोच छोटे लाल यादवको बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की तरफ से द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। छोटेलाल यादव वर्तमान में सेना में कार्यरत हैं और उत्तर प्रदेश में वाराणसी के पहाड़ी गांव के निवासी हैं।
फेडरेशन नेछोटेलाल के साथ रेलवे के मोहम्मद अली कमर के नाम की भी सिफारिश की है। इन्हीं दो नामों में से किसी एक को यह अवार्ड मिलेगा। सेना में 2005 से ही सूबेदार के पद पर तैनात छोटेलाल लॉकडाउन के बाद से ही अपने घर ही हैं।
खास बात है कि मैरीकाॅम से छोटेलाल 4 साल छोटे हैं। छोटेलाल की उम्र 33 साल औरमेरी कॉमकी 37 साल है। मैरीकॉम कोच छोटेलाल को इतना मानती है कि उनकी कोचिंग में जीते गए कई गोल्ड मेडल के बाद उन्होंने अपने ग्लव्सको बेस्ट विशेज के रूप में ही दे दिया।
दैनिक भास्कर से उन्होंने मैैरीकॉम और अपने जीवन से जुड़े दिलचस्प संघर्षों की कहानी बयां की।
जानिए उनकी कहानी उनकी ही जुबानी...
दस साल की उम्र में ही ट्रायल देने पहुंच गया
छोटे लाल यादव ने बताया, "मैं 10 साल की उम्र में ही सिगरा स्टेडियम में ट्रायल देने पहुंच गया था और मेरासिलेक्शनभी हो गया। पिता राधा कृष्ण यादव रेलवे मेंक्लास थ्री कर्मचारी के पद से रिटायर हुए थे। उन्होंने 1998-99 में मुझे 10-11 साल की उम्र में दौड़ लगवाना शुरू किया था।
इसी साल सिगरा स्टेडियम में पुणे की स्पोर्ट्स कंपनी द्वारा ट्रायल चल रहा था। मुझे एक लड़के ने इसके बारे में बताया था। मैं भी पापा से पूछकर ट्रॉयल देने पहुंच गया। दर्जनों बच्चो में मैंने टॉप किया। फिर मुझे कुछ ही दिनों बाद पुणे में ट्रायल को बुलाया गया। पुणे के ट्रायल में मैंने फिर से परफॉर्मेंस को देखते हुए स्पोर्ट्स कम्पनी (आर्मी ही देखती है) में सिलेक्ट हो गया।"
स्विमर से बॉक्सर बनने कहानी
"पुणे में कुछ महीनों तकमैं तैराकी केे अभ्यास में जुटा रहा।कोच नेफुर्ती और परफॉर्मेंस को देखते हुए मुझे बॉक्सर बनाने का फैसला किया। 11 साल के बच्चों की टीम से मुझे 12 साल की बच्चों की टीम में शिफ्ट कर दिया। यहीं से बॉक्सिंग का करियर शुरू हो गया।
साल 2000 में 14 साल की उम्र मेंमहाराष्ट्र को-स्टेट चैंपियनशिप में गोल्ड जीता और एक साल तक बेस्ट मुक्केबाज बना रहा। पापा मुझे उस समय भी 500 रुपये भेजा करते थे।"
सुनील दत्त ने पहलागोल्ड जीतने पर दिए थे50 हजार रुपए
"उसके बाद एशियन कैडेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप वियतनाम 2004 में पहला गोल्ड 15-16 साल की उम्र में जीता था, उस समय के खेल मंत्रीसुनील दत्त ने महराष्ट्र आने पर पहली बार 50 हजार का नगद पुरस्कारदेकर सम्मानित किया था।
जब मुझे स्विमिंग से बॉक्सिंग में शिफ्ट किया गया तो साथियों और सीनियर खिलाड़ियों ने खूब ताने दिए। वो मुझे बोलते थे कभी इंटरनेशनल नहीं खेल पाओगे। प्रैक्टिस के बाद जिम में ही सो जाया करता था। मुझे जुनून सवार हो गया, इंडिया के लिए खेलने का। जब सपना पूरा हुआ तो उन्हीं साथियों ने गले लगाया।"
ट्रेनिंग के लिए पिता ने पीएफ का पैसा दिया
"जीवन का सबसे यादगार किस्सा तब आया, जब ट्रेनिंग के लिए 2003 में उज्बेकिस्तान गया। सभी खिलाड़ी घरों से पैसे मंगा रहे थे। मैने भी पापा से पैसे के लिए कहा था। उन्होंने दो-तीन दिनों के अंदर ही 10 हजार रुपए मेरे पास भेज दिए। ट्रेनिंग के दौरान मेरे कोच ने बताया कि पापाने पीएफ तोड़कर पैसेभेजेहैं। इसे खर्च मत करो। कुछ पैसे खर्च हुए थे। बाकी पैसे लौटकर पिताजी को वापस कर दिए। उसी दिन समझ गया पिताजी किस कष्ट से परिवार को संभाल रहे है।"
मैरीकॉम के साथ टूर्नामेंट खेलने को मिला
उन्होंने बताया कि 2010 एशियन गेम चाइना में मैरीकॉम के साथ खेलने गया था। वह मेडल जीतकर आईंऔरमैं हार गया। 2012 लंदन ओलंपिक में मैरीकॉमकाचयन हो चुका था। मेरा सिलेक्शन भी इंडियन टीम कैंप में हुआ था। अचानक इंजरी की वजह से मुझे कैंप से बाहर होना पड़ा था। 2012 और 2013 आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूटपुणे में सहायक कोच के रूप में काम करता रहा।
2014 में एनएस एनआईएस(नेताजी सुभाष नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ स्पोर्ट्स ) करने पटियाला चला गया और वहां पढ़ाई में डिप्लोमा करते हुए भी टॉप किया। 2015 में भारतीय महिला मुक्केबाज टीम के कोच के लिए ऑफर आ गया और मैरीकॉम की ट्रेनिंग का जिम्मा मिला।
मेरे कोच बनने के बाद मैरीकॉम ने कई गोल्ड जीते
कोच बनने के बाद एशियन चैंपियनशिप वियतनाम 2017 में मैरीकॉमको गोल्ड, फिर कामनवेल्थ गेम्सऑस्ट्रेलिया 2018 में गोल्ड, 2018 में वर्ल्ड चैंपियनशिप दिल्ली में गोल्ड, वर्ल्ड चैंपियनशिप रूस2019 में ब्रांच मेडल,फिर टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई भी कर लिया, जो कोरोना के चलते टल गया है। अब यह 2021 में होगा।
मैरीकॉम का कोच बनने के बाद यादगार किस्से
2017 में मंगोलिया में इंटरनेशनल टूर्नामेंट में मैरीकॉमनॉर्थ कोरिया के बॉक्सर सेहार गईं थी। लेकिन, मेरे कमरे मेंआकर बोली कि कोच ट्रेनिंग के लिए चला जाए। वहां 40 मिनट रनिंग करके घण्टों पहाड़ों पर प्रैक्टिस की। वहां से इंडिया आकर जमकर तैयारी कीऔर उसी नार्थ कोरिया के प्लेयर को वियतनाम में एशियन चैम्पियनशिप 2017 में हराकर गोल्ड जीता।
कॉमनवेल्थ गेम ऑस्ट्रेलिया 2018 में बहुत से प्लेयर मेडल के बाद कई दिनों तक जश्न मनातेरहे। मैरी गोल्ड जीतने के बाद अगले दिन सुबह फिर ट्रेनिंग को मेरे पास आ गईंऔर बोली इसे ब्रेक नहीं करना है। खेल के प्रति उनका जूनून गजब का है।
छोटे लाल का इंटनेशनल परफार्मेंस
इंटरनेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2003 दिल्ली -सिल्वर
इंटरनेशनल बॉक्सिंग चैम्पियनशिप नई दिल्ली 2004 -सिल्वर
वैक्सीन ट्रायल की रेस में लगे वैज्ञानिकों को कोरोना हॉटस्पॉट में ऐसे लोगों की तलाश है जो वॉलेंटियर बन सके। अमेरिका और यूरोप के वैज्ञानिकों का कहना है कि सख्ती से लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग लागू होने के बाद मामलों में कमी आई है। ऐसे मेंअब यहां वैक्सीन ट्रायल केलिए हॉटस्पॉट की कमी होतीजा रही है।
चीन से भी तीनदिन पहले ऐसी ही खबर मिली थी किवहां भी पर्याप्त संख्या में वॉलेंटियर नहीं मिल रहे।संभावना है किटेस्टिंग के लिए पश्चिमी देशों केवैज्ञानिक अफ्रीका और लेटिन अमेरिका जा सकते हैं।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के डायरेक्टर फ्रांसिस कोलिंस का कहना है कि यह अजब स्थिति है, अगर हम कोरोना हॉटस्पॉट में बचाव के तरीके अपनाकर संक्रमणघटा रहेहैं तो परीक्षण करना कठिन हो जाएगा।
ब्रिटेन के वारविक बिजनेस स्कूल की ड्रग एक्सपर्ट आयफर अली का कहना है कि लोगों का ट्रायल में शामिल होना जरूरी है, ऐसे में संक्रमण का रिस्क लेना होगा। अगर कोरोनावायरस अस्थायी तौर पर खत्म हो गया तो पूरी मेहनत व्यर्थ हो जाएगी। ऐसी स्थिति में ट्रायल उन क्षेत्रों में शिफ्ट करना होगा, जहां कम्युनिटी संक्रमण के मामले दिख रहे हैं, जैसे ब्राजील और मैक्सिको।
ऐसाइबोला के समय भी हुआ था
कोरोना के मामले ब्रिटेन, यूरोप और अमेरिका में अधिक थे, अब संक्रमण फैलने की दर गिर रही है। ट्रायल के लिए पर्याप्त मरीज नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसी ही स्थिति 2014 में इबोला के समय भी पश्चिमी अफ्रीका में बनी थी। वैक्सीन महामारी के अंतिम दौर में तैयार हुई थी और टेस्टिंग के लिए मरीज नहीं मिल रहे थे।
अब आगे क्या
अमेरिकी कम्पनी मॉडर्मा और ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को दूसरे चरण का ट्रायल करना है। अमेरिका जुलाई में 20 हजार से 30 हजार लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल करेगा। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के डायरेक्टर फ्रांसिस कोलिंस के मुताबिक, अगर यहां तेजी से मामले गिरते हैं तो ट्रायल के लिए दूसरे देशों का रुख करना होगा। अमेरिकी सरकार पहले भी अफ्रीका में एचआईवी, मलेरिया और टीबी की वैक्सीन का ट्रायल कर चुकी है।
रोकना पड़ सकता है ट्रायल
प्रोफेसर कोलिंसके मुताबिक, अफ्रीका में कोरोना के मामले काफी बढ़रहे हैं। हम वहां ट्रायल के लिए जा सकते हैं और नई जानकारी सामने ला सकते हैं। वैक्सीन तैयार करने वाले ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से जुड़े जेनर इंस्टीट्यूट के डायरेक्टहडर एड्रियन हिल का कहना है कि ट्रायल के लिए 10 हजार लोगों की जरूरत है।
ब्रिटेन में मामले घटने के कारण पर्याप्त लोग नहीं मिले तो ट्रायल रोकना पड़ सकता है।
कैसे होता है वैक्सीन का ट्रायल
वैक्सीन ट्रायल में शामिल होने वाले लोगों को रेंडमली दो समूहों में बांटा जाता है- ट्रीटमेंट ग्रुप और कंट्रोल ग्रुप। ट्रीटमेंट ग्रुप पर वैक्सीन का ट्रायल होता है। कंट्रोल ग्रुप को सामान्य इलाज दिया जाता है।
सभी प्रतिभागियों को कोरोना प्रभावित क्षेत्रों में भेजा जाता है। इसके बाद इनमें संक्रमण होने की दर का मिलान किया जाता है। ट्रीटमेंट ग्रुप को वैक्सीन दी जाती है। अगर कंट्रोल ग्रुप में संक्रमण गंभीर रूप ले रहा है तो इसका मतलब है दूसरे ग्रुप में वैक्सीन का असर हो रहा है।
महामारी विशेषज्ञों ने कोरोनावायरस और तापमान के बीच एक और नयाकनेक्शन ढूंढ़ाहै। उनका कहना है कि कोविड-19 सर्दियों की मौसमी बीमारी बन सकती है, जैसे-जैसे नमी कम होगी, इसके मामले बढ़ सकते हैं। आसपासनमी घटने पर वायरस के कण हल्के और बारीक हो जाते हैं, इसलिए संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
यह बात सिडनी यूनिवर्सिटी और शंघाई की फूडान यूनिवर्सिटी ऑफ पब्लिक हेल्थ की संयुक्त रिसर्च में सामने आई है। दक्षिणी गोलार्ध मेंतापमान और कोरोनावायरस पर हुई यह अपनी तरह की पहली रिसर्च है।
ऐसे हुई रिसर्च
माइकल के मुताबिक, पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध वाले हिस्से में जब नमी कम होना शुरू होती है तो सतर्क रहना जरूरी है। सिडनी में कोविड-19 के 749 मरीजों पर 26 फरवरी से 31 मार्च तक रिसर्च चली।
शोधकर्ताओं ने मरीजों के आसपास मौसम केंद्र से स्थिति समझी। इस दौरान बारिश, नमी और जनवरी से मार्च के तापमान केआंकड़ेजुटाए गए। मरीजों की संख्या, मौसम और संक्रमणके अन्य पैरामीटर्स के एनालिसिस सेसामने आया कि वायरस का संक्रमण फैलने में नमी अहम रोल अदा करती है।
कम नमी वाला तापमान मामले बढ़ा सकता है
ट्रांसबाउंड्री और इमर्जिंग डिसिसेज़जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, चीन, यूरोप, उत्तरी अमेरिका में महामारी सर्दियों के दिनों में फैली। प्रोफेसर माइकल कहते हैं, सर्दियों से भी ज्यादा अहम है कम नमी वाला तापमान। यह मामले बढ़ाने का काम कर सकता है।
तर्क- नमी घटने पर वायरस के कण छोटे हो जाते हैं
शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में तर्क दिया है कि जब नमी घटती है और हवा शुष्क होती है तो वायरस के कण और बारीक हो जाते हैं। इस दौरान किसी के छींकने या खांसने पर ये कण हवा में लम्बे समय में टिके रहते हैं। ये स्वस्थ लोगों में संक्रमण का खतरा बढ़ाते हैं। वहीं, जब हवा में नमी बढ़ती है तो ये कण बड़े और भारी होने के कारण नीचे गिर जाते हैं।
सर्दी में लक्षण दिखने पर तुरंट अलर्ट हों
सिडनी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइकल वार्ड के मुताबिक, कोविड-19 सर्दियों की मौसम बीमारी बन सकती है। अगर सर्दी का मौसम है इसके लक्षण दिखते हैं तो अलर्ट होने की जरूरत है। शोधकर्ताओं का दावा है कि हॉन्ग-कॉन्ग में कोविड-19 और सउदी अरब में मेर्स के मामलों का जलवायु से कनेक्शन ढूंढा गया है।
भारत-नेपाल के बीच एक बार फिर से सीमाओं को लेकर विवाद हो गया है। इस बार विवाद का कारण है- सड़क। ये सड़क उत्तराखंड-नेपाल सीमा के पास घटियाबगढ़ से लिपुलेख दर्रा के बीच बन रही है। इसकी लंबाई 80 किमी है।
नेपाल तीन दिशाओं से भारत से घिरा है। पूरब, पश्चिम और दक्षिण। भारत-नेपाल के बीच 1 हजार 808 किमी लंबी सीमा है। उसके बाद भी विवाद क्यों? तो उसका कारण है लिपुलेख को नेपाल अपना हिस्सा बता रहा है और इस सड़क निर्माण पर आपत्ति जता रहा है।
हम भारत-नेपाल सीमा विवाद को आगे समझेंगे। पर उससे पहले समझते हैं ये सड़क क्यों बनाई जा रही है?
दरअसल, हर साल लाखों श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए जाते हैं। ये कैलाश मानसरोवर है तिब्बत में। वही तिब्बत, जिस पर चीन अपना अधिकार बताता है।
कैलाश मानसरोवर जाने के हमारे पास तीन रास्ते हैं। पहला रास्ता है सिक्किम का नाथूला दर्रा। दूसरा रास्ता है नेपाल। और तीसरा रास्ता है उत्तराखंड।
सिक्किम के नाथूला दर्रे से कैलाश मानसरोवर के बीच करीब 900 किमी का अंतर है। जबकि, नेपाल के जरिए मानसरोवर यात्रा काठमांडू से शुरू होती है और यहां से मानसरोवर तक की दूरी 540 किमी से ज्यादा है।
जबकि, उत्तराखंड के लिपुलेख से मानसरोवर की यात्रा सिर्फ 90 किमी है। नेपाल और सिक्किम के रास्ते मानसरोवर आने-जाने में 20 दिन से ज्यादा लगता है। और लिपुलेख में सड़क बनने से अब ये यात्रा सिर्फ तीन दिन में ही हो सकेगी।
इसलिए, सिक्किम और नेपाल की तुलना में उत्तराखंड वाला रास्ता सबसे छोटा है। इसका दूसरा फायदा ये भी है कि बाकी दोनों रास्तों के मुकाबले इसका ज्यादातर हिस्सा भारत में ही आता है।
अब ये भी समझिए कि उत्तराखंड वाले रास्ते के भी तीन हिस्से हैं। पहला हिस्सा- पिथौरागढ़ से तवाघाट। इसकी लंबाई करीब 107 किमी है। दूसरा हिस्सा है- तवाघाट से घटियाबगढ़। जो साढ़े 19 किमी लंबा है। और तीसरा हिस्सा है- घटियाबढ़ से लिपुलेख दर्रा। जिसकी लंबाई 80 किमी है।
पिथौरागढ़ से तवाघाट तक तो सड़क है। लेकिन तवाघाट से घटियाबगढ़ के बीच सिंगल लेन ही है। इसलिए बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन इसे डबल लेन कर रही है। और जो तीसरा हिस्सा है घटियाबगढ़ से लिपुलेख दर्रा। इस हिस्से की 80 में से 76 किमी की सड़क बन भी चुकी है और इस साल के आखिर तक बाकी बची सड़क भी बन जाएगी। ये सड़क बनाने में इतना समय इसलिए, क्योंकि पूरा इलाका पहाड़ी है।
इस सड़क का उद्घाटन 8 मई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया था। उसके बाद ही नेपाल ने इस सड़क निर्माण पर आपत्ति जताई।
नेपाल को क्यों है आपत्ति?
लिपुलेख दर्रा भारतीय सीमा के एकदम आखिर में है। ये वहां बना है जहां भारत, नेपाल और चीन (तिब्बत) की सीमा आकर मिलती है।
8 मई को जब राजनाथ सिंह ने सड़क का उद्घाटन किया, तो उसके अगले दिन यानी 9 मई को नेपाल के विदेश मंत्रालय ने प्रेस रिलीज जारी कर इस पर आपत्ति जताई।
दावा किया कि लिपुलेख नेपाल के हिस्से में पड़ता है। लिहाजा, सड़क निर्माण गलत है। इसमें नेपाल ने मार्च 1816 में हुई सुगौली संधि का भी जिक्र किया।
नेपाल के विदेश मंत्रालय ने लिखा कि महाकाली नदी के पूरब में पड़ने वाला सारा हिस्सा नेपाल का है। इसमें न सिर्फ लिपुलेख बल्कि कालापानी और लिम्पियाधुरा भी शामिल है।
सुगौली संधि में भी यही जिक्र था कि महाकाली नदी के पश्चिमी इलाके में पड़ने वाले क्षेत्र पर नेपाल का अधिकार नहीं होगा। यानी, महाकाली नदी के पश्चिम का हिस्सा भारत के अधिकार में रहा।
लेकिन, इस विवाद की वजह है- महाकाली नदी। जिसे भारत में शारदा नदी भी कहते हैं।
दरअसल, महाकाली नदी जो है, वो कई अलग-अलग धाराओं से मिलकर बनी है। ऐसे में इसके उद्गम स्थल को लेकर अलग-अलग मत हैं।
नेपाल का दावा है महाकाली नदी की मुख्य धारा लिम्पियाधुरा से शुरू होती है। इसलिए इसे ही उद्गम स्थल माना जाएगा। क्योंकि उद्गम स्थल लिम्पियाधुरा है, इसलिए लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी नेपाल का हिस्सा हुआ।
जबकि, भारत कहता है कि महाकाली नदी की सभी धाराएं कालापानी गांव में आकर मिलती है, इसलिए इसे ही नदी का उद्गम स्थल माना जाए। भारत ये भी कहता है कि सुगौली संधि में मुख्य धारा को नदी माना गया था। ऐसे में लिपुलेख को नेपाल का हिस्सा मानना गलत है।
अब बात सुगौली संधि की
इसके लिए इतिहास में जाना होगा। 1765 में नेपाल में पृथ्वीनारायण शाह ने गोरखा साम्राज्य की स्थापना की। उन्हीं के नेतृत्व में गोरखों ने नेपाल के छोटे-छोटे राजे-रजवाड़ों और रियासतों को जीतकर मिला लिया।
उसके बाद 1790 में गोरखों ने तिब्बत पर आक्रमण कर दिया। चीन ने तिब्बत का साथ दिया और 1792 में गोरखों को संधि करने पर मजबूर कर दिया।
वहां से खदेड़ मिलने के बाद गोरखों ने भारत की ओर रुख किया। और 25 साल में ही गोरखों ने भारत से सटे राज्य, सिक्किम, गढ़वाल और कुमाऊं पर अपना नियंत्रण कर लिया।
उस समय भारत में अंग्रेजों का राज था। लिहाजा, ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के बीच लड़ाई शुरू हो गई। ये लड़ाई 1814 से 1816 तक चली। इस लड़ाई में नेपाल को अपना दो-तिहाई हिस्सा खोना पड़ा। हालांकि, ये वही हिस्सा था जो नेपाल ने भारत से छीना था।
लड़ाई के बीच ही 2 दिसंबर 1815 को ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के बीच सुगौली संधि हुई। सुगौली एक शहर है जो बिहार के चंपारण में है। ये संधि यहीं पर हुई थी।
कंपनी की तरफ से इस संधि पर लेफ्टिनेंट कर्नल पेरिस ब्रेडश और नेपाल की ओर से राजगुरु गजराज मिश्र ने हस्ताक्षर किए। इस संधि पर हस्ताक्षर तो दिसंबर 1815 में हो गए थे, लेकिन ये संधि अमल में 4 मार्च 1816 से आई।
इस संधि के तहत नेपाल को सिक्किम, गढ़वाल और कुमाऊं से अपना नियंत्रण छोड़ना पड़ा। अंग्रेजों से लड़ाई से पहले तक नेपाल ने पश्चिम में सतलज नदी और पूरब में तीस्ता नदी तक खुद को फैला लिया था। लेकिन, बाद में ये पश्चिम में महाकाली और पूरब में मैची नदी तक सीमित हो गया।
विवाद कैसे हुआ?
सुगौली संधि में ये तो तय हो गया कि नेपाल की सरहद पश्चिम में महाकाली और पूरब में मैची नदी तक होगी। लेकिन, इसमें नेपाल की सीमा तय नहीं हुई थी।
इसका नतीजा ये है कि आज भी भारत-नेपाल सीमा पर 54 ऐसी जगहें हैं जहां दोनों देशों को लेकर विवाद होता रहता है। इनमें कालापानी-लिम्प्याधुरा, सुस्ता, मैची क्षेत्र, टनकपुर, संदकपुर, पशुपतिनगर हिले थोरी जैसे प्रमुख स्थान है।
ऐसा अनुमान है कि विवादित स्थानों का क्षेत्रफल करीब 60 हजार हेक्टेयर होगा।
सुगौली संधि में सीमाएं तय नहीं होने से ही विवाद होता है। भारत का इस पर अलग मत है और नेपाल का अलग।
हालांकि, एक बात ये भी है कि भारत सालों से लिपुलेख को अपने मानचित्र में दिखाता आ रहा है।
ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के बीच जो सुगौली संधि हुई थी, उसमें था कि महाकाली नदी के पश्चिम हिस्से पर नेपाल का अधिकार नहीं है। सड़क का निर्माण भी इसी पश्चिम हिस्से में हो रहा है। नेपाल के हिस्से में महाकाली नदी का पूर्वी हिस्सा आता है।
लेकिन, नेपाल सरकार का कहना है कि सुगौली संधि में जिस महाकाली नदी का उल्लेख है, उसमें उसका पश्चिमी हिस्सा भी शामिल है, जिस पर भारत ने अपना अधिकार जमा रखा है।
भारत-नेपाल के बीच सीमा को लेकर सालों से विवाद
भारत और नेपाल के सीमाओं को लेकर सालों से विवाद चला आ रहा है। आजादी के बाद 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद भी नेपाल ने लिपुलेख पर दावा ठोंका था।
1981 में दोनों देशों की सीमाएं तय करने के लिए एक संयुक्त दल बना था, जिसने 98% सीमा तय भी कर ली थी। सन् 2000 में नेपाल के प्रधानमंत्री गिरिजाप्रसाद कोइराला ने भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से इस विवाद को बातचीत से सुलझाने का आग्रह भी किया था।
2015 में जब भारत ने चीन के साथ लिपुलेख रास्ते से व्यापार मार्ग का समझौता किया था, तब भी नेपाल ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि इस समझौते को करने से पहले भारत और चीन को उससे भी पूछना चाहिए था।