सोमवार, 10 अगस्त 2020

एग्जिट पोल में एक बार फिर से लुकाशेंको की भारी जीत, चुनाव में धांधली का आरोप; राजधानी समेत कई शहरों में प्रदर्शन, पूरे देश में इंटरनेट ब्लॉक

बेलारूस के चुनावों में एक बार फिर से अलेक्जेंडर लुकाशेंको की भारी जीत तय मानी जा रही है। सरकारी टीवी के एग्जिट पोल के मुताबिक 80% वोट उन्हें मिले हैं। उनकी विपक्षी स्वेतलाना को महज 7% वोट हासिल हुए। इसके बाद चुनावों में धांधली को लेकर राजधानी मिंस्क समेत कई शहरों में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए पानी की बौछार, रबर की गोलियां और आंसू गैस के गोले भी दागे।

राजधानी मिंस्क में प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर ले जाती पुलिस।

प्रदर्शनकारियों ने लगाया 'गो अवे' का नारा
प्रदर्शन से जुड़े कई वीडियो फुटेज भी सामने आए हैं। इसमें प्रदर्शनकारी मिंस्क में राष्ट्रपति लुकाशेंको के लिए 'गो अवे (चले जाओ)' का नारा लगाया। ऐसे ही प्रदर्शन ब्रेस्ट और जोडिनो शहर में देखने को मिले। पूरे बेलारूस में इंटरनेट भी ब्लॉक कर दिया गया है।

स्वेतलाना ने कहा- अपनी आंखो से देखा, बहुमत हमारे साथ
स्वेतलाना टिखानोवस्ख्या ने कहा कि एग्जिट पोल में मुझे मात्र 7% वोट मिलने की बात कही जा रही है। इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। मुझे अपनी आंखो पर भरोसा है। मैंने देखा है कि बहुमत हमारे साथ है। चुनाव में धांधली हो रही है।

मिंस्क के हीरो सिटी पार्क में प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियां दागती पुलिस।

कौन हैं स्वेतलाना?
स्वेतलाना पहले टीचर थीं। उनके पति लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता हैं। उन्हें लुकाशेंको प्रशासन ने जेल में डाल दिया। इसके बाद से स्वेतलाना खुद मोर्चा संभाल रही हैं। चुनाव से ठीक पहले उनके कैम्पेन मैनेजर को भी गिरफ्तार कर लिया गया था।

यूरोप के आखिरी तानाशाह कहे जाते हैं लुकाशेंको
रूस की पश्चिमी सीमा से सटा बेलारूस 25 अगस्त 1991 को सोवियत संघ से अलग होकर आजाद देश बना था। इसके बाद संविधान बना और जून 1994 को पहला राष्ट्रपति चुनाव हुआ। राष्ट्रपति बने अलेक्जेंडर लुकाशेंको। 1994 से लेकर अब तक पांच बार चुनाव हो चुके हैं। राष्ट्रपति अभी भी लुकाशेंको ही हैं। लुकाशेंको को एक डिक्टेटर यानी तानाशाह के तौर पर देखा जाता है। उन पर हर बार चुनावों में गड़बड़ी कराने के आरोप लगे हैं।

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1. बेलारूस में चुनाव:यूरोप के आखिरी तानाशाह कहे जाने वाले 65 साल के राष्ट्रपति लुकाशेंको को 26 साल में पहली बड़ी चुनौती, 37 साल की स्वेतलाना मुकाबले में



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राजधानी मिंस्क में चुनाव में धांधली का आरोप लगाकर प्रदर्शन करते लोग। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले भी दागे। 


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अर्जेंटीना में 70% संक्रमित ठीक हुए, ब्रिटेन में दो महीने बाद 24 घंटे के अंदर 1 हजार से ज्यादा संक्रमित मिले; दुनिया में अब तक 2 करोड़ केस

दुनिया में कोरोनावायरस संक्रमण के अब तक 2 करोड़ 21 हजार 321 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 1 करोड़ 28 लाख 96 हजार 895 मरीज ठीक हो चुके हैं। 7 लाख 33 हजार 918 की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अर्जेंटीना में 70 प्रतिशत संक्रमित महामारी को हराने में सफल हुए हैं। देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को बताया कि देश में कुल 2 लाख 41 हजार 811 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इनमें से 1 लाख 70 हजार 109 लोग ठीक हुए हैं। अब तक यहां 4556 लोगों की मौत हुई है।

ब्रिटेन में जून के बाद पहली बार बीते 24 घंटे में 1 हजार से ज्यादा संक्रमित मिले हैं। रविवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, एक दिन पहले देश में 758 मामले आए थे। बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने देश के कई हिस्सों में नई पाबंदियां लगाई हैं। सरकार ने जुलाई में इंगलैंड, स्कॉटलैंड और नार्दर्न आयरलैंड में होटल, पब और रेस्टोरेंट खोलने की इजाजत दी थी।

10 देश, जहां कोरोना का असर सबसे ज्यादा

देश

कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए
अमेरिका 51,99,444 1,65,617 26,64,701
ब्राजील 30,35,582 1,01,136 21,18,460
भारत 22,14,137 44,466 15,34,278
रूस 8,87,536 14,931 6,93,422
साउथ अफ्रीका 5,59,859 10,408 4,11,474
मैक्सिको 4,80,278 52,298 3,22,465
पेरू 4,78,024 21,072 3,24,020
कोलंबिया 3,87,481 12,842 2,12,688
स्पेन 3,61,442 28,503 उपलब्ध नहीं
चिली 3,73,056 10,077 3,45,826

ब्राजील: राष्ट्रपति ने लॉकडाउन नियमों की आलोचना की
ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने देश में मौतों का आंकड़ा एक लाख के पार होने के बाद लॉकडाउन नियमों की आलोचना की। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से डेली मेल का एक आर्टिकल शेयर किया। इसमें लिखा था कि 23 मार्च से 1 मई के बीच 16 हजार लोगों की मौत लॉकडाउन की वजह से अस्पताल नहीं पहुंचने के चलते हुई। उन्होंने देश के सबसे बड़े टीवी चैनल पर लोगों में डर फैलाने का आरोप लगाया।

ऑस्ट्रेलिया: विक्टोरिया राज्य में एक दिन में सबसे ज्यादा मौतें

ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया राज्य में बीते 24 घंटे में 17 मौतें हुईं और 322 नए मामले सामने आए। यह देश के इस राज्य में एक दिन में हुई सबसे ज्यादा मौतें हैं। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने इसकी जानकारी दी। विक्टोरिया ऑस्ट्रेलिया में महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है। इसकी राजधानी मेलबर्न में फिलहाल लॉकडाउन की चौथी स्टेज चल रही है। यहां 13 सितंबर तक ज्यादातर दुकानें बंद करा दी गई हैं। अब तक देश में 314 मौतें हुई हैं।



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ब्रिटेन की राजधानी लंदन में रविवार को एक कार की खिड़की से टेस्टिंग किट देता कर्मचारी। यहां पर महामारी की दूसरी लहर शुरू होने की आशंका है।


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मुख्यमंत्री गहलोत की सभी दलों के विधायकों को भावुक चिट्‌ठी, कहा- सरकार गिराने की साजिश का हिस्सा न बनें

राजस्थान के सियासी संग्राम में अब ‘गढ़’ ढहाने और ‘घर’ बचाने की उलझन बढ़ गई है। सरकार और विपक्ष...दोनों में बेचैनी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रविवार सुबह जयपुर से सभी दलों के विधायकों को एक भावुक चिट्‌ठी लिखकर कहते हैं कि आप सरकार गिराने की साजिश का हिस्सा नहीं बनें। अंतरात्मा क्या कहती है, उसके आधार पर फैसला करें।

फिर बोले- भाजपा विधायकों में फूट, इसलिए 4 जगह बाड़ेबंदी
चिट्‌ठी जारी करने के कुछ देर बाद ही गहलोत जैसलमेर पहुंचते हैं और वहां उनके अलग ही तेवर दिखते हैं। कहते हैं कि भाजपा विधायकों में फूट पड़ गई, इसलिए 3-4 जगह बाड़ेबंदी की जा रही है। भाजपा विधायकों की पोल खुल गई है। विधायकों की हॉर्स ट्रेडिंग हो रही थी, इसलिए उन्हें बाड़ेबंदी करनी पड़ी। भाजपा के नेता बड़े-बड़े दावे कर रहे थे, लेकिन अब वे चार्टर विमानों से विधायकों को भेजकर बाड़ेबंदी कर रहे हैं।

'किसी विधायक या सांसद की फोन टैपिंग नहीं की'
गहलोत ने कहा कि ऐसा करने तो सवाल ही पैदा नहीं होता। सरकार ये कर भी नहीं सकती और न ही करना चाहिए। हमारा कमिटमेंट है कि फोन टैपिंग कभी नहीं करनी चाहिए।

'पायलट खेमे को भेजे नोटिसों को लेकर गलत प्रचार हुआ'
नोटिस तो सिर्फ पूछताछ के लिए दिए गए थे, लेकिन ऐसा फैलाया गया कि जैसे कि इन नेताओं पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हो गया हो। मुझे भी तो नोटिस भेजा गया था।

संसदीय कार्य मंत्री बोले- बागियों को वापस नहीं लेना चाहिए
पायलट समेत बागी विधायकों की पार्टी में वापसी पर कांग्रेस एक राय नहीं दिख रही। रविवार सुबह सीएम गहलोत ने कहा कि बगावत करने वाले ज्यादातर लोग पार्टी में लौट आएंगे। वहीं, शाम को जैसलमेर में विधायक दल की बैठक में संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल बोले- बागी विधायकों को किसी हाल में वापस नहीं लिया जाए। इस पर बैठक में मौजूद अन्य विधायकों ने भी समर्थन किया। इस दौरान सीएम गहलोत, रणदीप सुरजेवाला और अविनाश पांडे भी मौजूद थे।

भाजपा विधायक दल की 11 अगस्त को जयपुर में बैठक
उधर, भाजपा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के घर पर हुई बैठक में फैसला होता है कि गुजरात भेजे गए 18 विधायकों को वापस बुलाएंगे। 11 अगस्त की शाम 4 बजे जयपुर के होटल क्राउन प्लाजा में विधायक दल की बैठक होगी। अगर 11 अगस्त को हाईकोर्ट में बसपा विधायकों के कांग्रेस में मर्जर पर कांग्रेस के खिलाफ फैसला होगा तो भाजपा विधायक फ्लोर टेस्ट तक होटल में ही रुकेंगे।

भाजपा ने कहा- स्ट्रैटजी के तहत विधायक भेजे थे, बाड़ेबंदी नहीं बल्कि समझदारी
कटारिया ने कहा कि 14 अगस्त फैसले का दिन है। उस दिन तय होगा कि सरकार रहेगी या नहीं। उस दिन क्या करना है? इसके लिए सभी विधायकों के साथ बैठक कर चर्चा कर लेंगे। सभी विधायक एकजुट हैं। हमने स्ट्रैटजी के तहत ही अपने कुछ विधायकों को गुजरात भेजा था। इसे बाड़ेबंदी की बजाय हमारी समझदारी कहना चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को लेकर कटारिया ने कहा कि उन्हें भी विधायक दल की बैठक के लिए बुलाया गया है।



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गहलोत का कहना है कि बगावत करने वाले ज्यादातर लोग पार्टी में लौट आएंगे, लेकिन संसदीय कार्य मंत्री बोले- बागियों की बागियों को किसी हाल में वापस नहीं लिया जाए। (फाइल फोटो)


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एक दिन में 62 हजार 117 मरीज बढ़े, देश में अब तक 22.14 लाख मामले; स्वस्थ हुए मरीजों की संख्या 15.34 लाख से ज्यादा हुई

देश में कोरोना के मरीजों का आंकड़ा रविवार को 22 लाख के पार कर गया है। अब तक 22 लाख 14 हजार 149 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ चुकी है। रविवार को 62 हजार 117 नए मरीज बढ़े। ये आंकड़े covid19india के मुताबिक हैं।

उधर, दुनिया में 2 करोड़ से ज्यादा मरीज हो गए हैं। 50 लाख मरीज पिछले सिर्फ 20 दिन में बढ़े हैं। इनमें 9.72 लाख (19.44%) भारत के हैं। हालांकि, दुनिया के कुल मरीजों में से भारत में अभी 11% मरीज हैं। पिछले एक हफ्ते की औसत देखें तो दुनिया के 63% नए मरीज सिर्फ भारत (24.82%), अमेरिका (20.64%) और ब्राजील (17.64%) में ही मिले हैं। यानी, दुनिया के एक चौथाई मरीज अब सिर्फ भारत में मिलने लगे हैं। इन तीन देशों को छोड़कर बाकी दुनिया में सिर्फ 37% मरीज मिले हैं।

राहत की बात यह है कि दुनिया में 14 दिन से नए मरीजों का औसत नहीं बढ़ा है। डब्ल्यूएचओ का मानना है कि ब्राजील और अमेरिका में नए मरीजों की संख्या स्थिर हो चुकी है, जबकि भारत की लगातार बढ़ रही है।

5 राज्यों को हाल

1. मध्यप्रदेश:
राज्य सरकार ने होम क्वारैंटाइन व होम आइसोलेशन के लिए गाइडलाइन जारी की है। इसके मुताबिक, कोई भी संक्रमित व्यक्ति खुद को वन या टू बीएचके फ्लैट या मकान में आइसोलेट न करे। वह तभी होम क्वारैंटाइन होगा जब उसका घर बड़ा हो।

उधर, भोपाल में रविवार को 101 संक्रमित मिले, जो बीते 10 दिन में सबसे कम है। वहीं, 3 मरीजों की मौत हो गई। उधर, रविवार को चिकित्सा मंत्री विश्वास सारंग की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वे प्लाज्मा डोनेट करेंगे। मुख्यमंत्री पिछले दिनों संक्रमित हो गए थे।

2. राजस्थान
एक ही दिन में 1072 रोगियों ने कोरोना को हराया। यह पिछले 5 दिन में चौथी बार है, जब एक हजार से ज्यादा रोगी रिकवर हुए हैं। राज्य में अब स्वस्थ हुए मरीजों की संख्या 38 हजार 235 हो गई है।

उधर, जोधपुर में रविवार को कोरोना के मरीज 8 हजार के पार हो गए। अगस्त के नौ दिन में जहां 1162 मरीज आए, वहीं रविवार को कोरोना का कुल आंकड़ा 8 हजार 13 हो गया। जुलाई से शुरुआती 9 दिनों से तुलना करें तो महज 675 कोरोना पॉजिटिव मरीज ही आए थे। वहीं, शनिवार को पॉजिटिव आए केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी के निजी सचिव और गनमैन की कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है।

3. बिहार.
राज्य में पिछले 24 घंटे में 75628 कोरोना सैंपल की जांच की गई, जिसमें 3934 नए संक्रमित मिले हैं। पिछले तीन दिन से लगातार साढ़े तीन हजार से अधिक संक्रमित मिल रहे हैं। शनिवार को भी रिकॉर्ड 3992 नए संक्रमित मिले थे।

4. महाराष्ट्र.
राज्यसरकार कोरोना टेस्टिंग के लिए एक नई तकनीक का इस्तेमाल करने जा रही है। इस तकनीक के बाद आवाज से ही कोरोना की जांच हो जाएगी। शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने ट्वीट किया, 'बीएमसी आवाज के नमूनों का उपयोग करके एआई-आधारित कोविड टेस्टिंग जल्द शुरू करने जा रही है। राज्य सरकार के मुताबिक, प्रदेश में 9 लाख 89 हजार 612 मरीज होम क्वारैंटाइन किए गए हैं। 35 हजार 625 इंस्टीट्यूशनल क्वारैंटाइन हैं।

5. उत्तरप्रदेश.
राज्य के अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि ई-संजीवनी पोर्टल का प्रदेश के लोग लगातार इस्तेमाल कर रहे हैं। इस पोर्टल से आप घर बैठे डॉक्टरों से सलाह ले सकते हैं। अब तक प्रदेश के 21811 लोगों को इससे लाभ मिला है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में अब तक 61766 कोविड हेल्प डेस्क स्थापित हो चुके हैं।



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रूस की कोरोना वैक्सीन आज लॉन्च हो सकती है, किसानों के खाते में आई 2 हजार सैलरी; और अब सेना भी बनेगी आत्मनिर्भर

गुड मार्निंग। आज सोमवार है। हफ्ते की शुरुआत करते हैं पॉजिटिव फीलिंग्स के साथ। इस हफ्ते दो अहम दिन आने वाले हैं। पहले 12 अगस्त को हम श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाएंगे, फिर 15 अगस्त को आजादी सेलिब्रेट करेंगे। हां, मगर सावधानी के साथ, क्योंकि अभी कोरोना गया नहीं है।

अब बात उस पॉजिटिव खबर की करते हैं, जिसका हर किसी को बेहद इंतजार है। आज 10 तारीख है और आज ही रूस कोरोनावायरस की वैक्सीन को बाजार में लॉन्च कर सकता है। इसे बनाया रूस के गामालेया इंस्टीट्यूट ने है। हाल ही में इंस्टीट्यूट ने दावा किया था कि यह वैक्सीन 10 अगस्त काे बाजार में आ जाएगी। और अब आगे पढ़ते हैं कुछ अन्य अहम खबरें...

1. किसानों के खाते में प्रधानमंत्री ने सैलरी भेजी
प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को फिर खुश किया है। उन्होंने रविवार को कृषि विकास के नाम पर एक लाख करोड़ रुपए का फंड जारी किया। साथ ही किसानों को पीएम किसान योजना की छठी सैलरी भी दी। इसके लिए किसानों के खातों में 17 हजार करोड़ रुपए ट्रांसफर किए। लेकिन, यह रकम 8.5 करोड़ किसानों में बांटी जाएगी। फिर एक किसान को 2 हजार रुपए मिलेंगे। -पढ़ें खबर

2. सुशांत के खाते में नहीं मिले 15 करोड़ रुपए
सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस। ईडी की जांच। सीबीआई की एंट्री। रिया चक्रवर्ती से पूछताछ। पूरे केस में हर दिन एक नया मोड़ आ रहा है। अब सूत्रों ने खुलासा किया है कि ईडी को सुशांत के खातों में 15 करोड़ रुपए नहीं मिले। पर 10 करोड़ रुपए से ज्यादा का मामला जरूर है। पैसे ट्रांसफर का शक उन फर्जी शेल कंपनियों पर है। जिनके ताल्लुकात रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शोविक से हैं। -पढ़ें खबर

3. कुर्सी और विधायक बचाने की रणनीति जारी
राजस्थान में फिर सियासी हलचल तेज हो गई है। वजह 14 अगस्त से शुरू हो रहा विधानसभा सत्र है। इसी की रणनीति बनाने और कुर्सी बचाने की कोशिश में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रविवार को जैसलमेर पहुंचे। यहां वह छुट्टियां मना रहे अपने विधायकों का हालचाल लेंगे। यह भी जानेंगे कि किसी भाजपा नेता ने छुट्टी में खलल तो नहीं डाला। वहीं, भाजपा 11 अगस्त से अपने विधायकों की जयपुर में बाड़ेबंदी करने वाली है। -पढ़ें खबर

4. अब सेना भी बनेगी आत्मनिर्भर
सरकार सेना को भी आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी कर रही है। रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसी दिशा में बड़ा ऐलान किया। बोले- विदेशों से आयात होने वाले 101 रक्षा उत्पादों पर अब प्रतिबंध लगाया जा रहा है। ये सामान अब देश में ही तैयार किए जाएंगे। वहीं, सेना चीन सीमा पर अपनी ताकत और बढ़ाने जा रही है। इसके लिए लद्दाख में तैनात इजराइली ड्रोन हेरोन यूएवी को लेजर गाइडेड बम और मिसाइलों से लैस किया जाएगा। -पढ़ें खबर

5. अहमदाबाद के बाद विजयवाड़ा में दर्दनाक आग
रविवार को सुबह-सुबह आंध्र प्रदेश से एक दर्दनाक खबर आई। विजयवाड़ा में एक होटल में आग लगने से 10 लोगों की मौत हो गई। होटल को कोविड-19 फैसिलिटी सेंटर बनाया गया था। घटना के वक्त यहां 40 मरीज थे। मेडिकल स्टाफ के भी 10 लोग थे। इससे पहले 6 अगस्त को अहमदाबाद के कोविड अस्पताल में आग लगने से 8 मरीजों की मौत हो गई थी। -पढ़ें खबर

6. आज का अपना राशिफल जानिए
10 अगस्त, सोमवार को ग्रह-नक्षत्रों की अशुभ स्थिति के कारण वृश्चिक और धनु राशि वाले लोगों को नुकसान हो सकता है। विवाद और तनाव वाला दिन रहेगा। कर्क, सिंह, कन्या और मकर राशि वाले लोगों को भी संभलकर रहना होगा। एस्ट्रोलॉजर डॉ. अजय भाम्बी के अनुसार इन 6 राशियों के लिए दिन ठीक नहीं है। मेष, वृष, मिथुन, तुला, कुंभ और मीन राशि वाले लोगों के लिए दिन अच्छा रहेगा। -पढ़ें खबर



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From Sushant Singh Rajput Bank Balance | and Statement To Russia Coronavirus Vaccine Launch; Morning Briefing Today Latest News


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प्रधानमंत्री ने किया एक लाख करोड़ रुपए के एग्री इंफ्रा फंड को लॉन्च; 5 प्रश्नों से जानिये यह आत्मनिर्भर भारत को किस तरह मजबूती देगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कृषि विकास के लिए एक लाख करोड़ रुपए का एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड लॉन्च किया है। इसके अलावा पीएम-किसान योजना की छठी किस्त के तहत साढ़े आठ करोड़ किसानों के खातों में 17 हजार करोड़ रुपए ट्रांसफर किए। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूरा करने में यह योजना महत्वपूर्ण साबित होगी।

क्या है एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड?

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8 जुलाई को एक लाख करोड़ रुपए के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड को मंजूरी दी थी। इसे ही एक महीने के भीतर रविवार को पीएम ने लॉन्च किया है। योजना 10 साल के लिए रहेगी।
  • यह फंड कटाई के बाद फसल प्रबंधन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने और कम्युनिटी के लिए एग्रीकल्चर असेट्स बनाने के लिए लोन देगा। इनमें कोल्ड स्टोरेज, गोदाम, प्रोसेसिंग यूनिट्स शामिल हैं।
  • इस योजना में शामिल होने के लिए 12 में से 11 सरकारी बैंकों ने पहले ही एमओयू पर साइन कर लिए हैं। इस वर्ष में 10 हजार करोड़ रुपए का लोन देंगे। अगले तीन वित्त वर्ष में 30-30 हजार करोड़ रुपए का लोन दिया जाएगा।
  • इस फंड स्कीम के तहत लोन पर सालाना ब्याज में 3 फीसदी छूट दी जाएगी। यह छूट अधिकतम 2 करोड़ रुपए तक के लोन पर होगी। ब्याज छूट का लाभ ज्यादा से ज्यादा 7 साल तक मिलेगा।

इससे किसानों और ग्रामीण इलाकों को क्या लाभ होगा?

  • यह योजना मूल रूप से किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य से जुड़ी हुई है। इस योजना के तहत किसानों को लाभ पहुंचाने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जाएगा। ताकि उन्हें अपनी उपज के लिए अधिक कीमत मिल सके।
  • इसकी मदद से किसान उपज रखने के लिए गोदाम बनाने, उपज को ऊंचे मूल्यों पर बेचने, फसल की बर्बादी कम करने और प्रोसेसिंग व वैल्यू एडिशन के लिए सक्षम हो सकेंगे।
  • इस फंडिंग के तहत रि-पेमेंट में छह महीने से दो साल तक किस्तें चुकाने में छूट मिल सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में नए उद्यमी भी भाग लेंगे। इसके लिए औपचारिक कर्ज उपलब्ध होगा। रोजगार के नए अवसर सामने आएंगे।

इसकी जरूरत क्यों महसूस हुई?

  • लंबे अरसे से मांग उठ रही थी कि गांव में उद्योग क्यों नहीं लगा सकते। इससे किसानों को अपना माल बेचने की आजादी मिल सकेगी। उनकी लागत कम होगी और उनका लाभ बढ़ेगा।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत जो भी योजनाएं तैयार हो रही हैं, उनके केंद्र में छोटा किसान है। सारी मुसीबतें उसी पर आती हैं। दो दिन पहले ही उनके लिए योजना की शुरुआत की थी।
  • देश की पहली किसान रेल महाराष्ट्र-बिहार में शुरू हो चुकी है। महाराष्ट्र से संतरा, फल, प्याज लेकर ट्रेन बिहार आएगी। वहां से लीची, मखाने, सब्जियां लेकर लौटेगी। फायदा दोनों तरफ के किसानों को होगा।
  • यह किसान ट्रेन पूरी तरह से एयर कंडीशंड है। यानी यह पटरी पर दौड़ता हुआ कोल्ड स्टोरेज है। इस ट्रेन से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के किसानों को भी सीधे-सीधे फायदा होगा।

इस स्कीम के तहत कौन ले सकेगा लोन?

  • प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसायटी, मार्केटिंग कोऑपरेटिव सोसायटी, फार्मर प्रोड्यूसर्स ऑर्गेनाइजेशन, स्व-सहायता समूह, किसान, जॉइंट लाइबिलिटी ग्रुप को लोन मिल सकेगा।
  • इसके अलावा, मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसायटी, कृषि उद्यमी, स्टार्ट-अप, कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स और और केंद्रीय/राज्य एजेंसी या लोकल बॉडी प्रायोजित पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप प्रोजेक्ट को भी फंडिंग मिलेगी।

कौन करेगा इस स्कीम का मैनेजमेंट?

  • एग्रीकल्चर इंफ्रा फंड के मैनेजमेंट और मॉनिटरिंग का काम ऑनलाइन मैनेजमेंट इंफर्मेशन सिस्टम प्लेटफार्म पर होगा। इसके तहत आवेदन देने वाली संस्थाओं को आवेदन करने में सक्षम बनाएगा।
  • यह ऑनलाइन प्लेटफार्म कई बैंकों ब्याज दरों में पारदर्शिता जैसे लाभ देगा। इसके अलावा ब्याज में छूट, क्रेडिट गारंटी, न्यूनतम दस्तावेज, मंजूरी की तेज प्रक्रिया के साथ-साथ अन्य योजनाओं के लाभ मिल सकेंगे।
  • नेशनल, स्टेट और डिस्ट्रिक्ट लेवल मॉनिटरिंग कमेटी बनाई जाएंगी। ताकि रियल-टाइम मॉनिटरिंग की जा सके और इफेक्टिव फीडबैक हासिल किया जा सके। इस स्कीम की अवधि दस वर्ष की रहेगी।


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Prime Minister Narendra Modi| Modi launches Agriculture Infrastructure Fund| Rs 1 Lakh Crore Agri Infra Fund| All you need to know about Agriculture Infrastructure Fund


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60% गोल्ड और सिल्वर दिलाने वाले शूटिंग पर फोकस; ट्रेनिंग पर हर महीने बॉक्सिंग-कुश्ती से ज्यादा 10 से 40 हजार रु. का खर्च होता है

भारत ने 1920 के एंटवर्प (बेल्जियम) ओलिंपिक में पहली बार 6 सदस्यीय आधिकारिक टीम भेजी थी। तब से अब तक भारत ने 23 ओलिंपिक में सिर्फ 26 मेडल जीते हैं। इसमें 9 गोल्ड, 5 सिल्वर और 12 ब्रॉन्ज शामिल हैं। हालांकि, इस बार खेल मंत्रालय ने इस प्रदर्शन को सुधारने के लिए कमर कस ली है। मंत्रालय ने प्लान के तहत 2024 और 2028 ओलिंपिक के टॉप-10 में आने का लक्ष्य रखा है।

भारत ने अब तक ओलिंपिक में 15 व्यक्तिगत मेडल जीते हैं, जिसमें 1 गोल्ड और 4 सिल्वर हैं। अकेला गोल्ड और 2 सिल्वर शूटिंग में मिले हैं। इस लिहाज से व्यक्तिगत पदक में भारत को शूटिंग से 60% गोल्ड और सिल्वर मिले हैं। इस कारण मंत्रालय इस खेल पर सबसे ज्यादा फोकस कर रहा है, जबकि शूटिंग का खर्च बॉक्सिंग और कुश्ती जैसे खेलों से कहीं ज्यादा होता है।

पोडियम स्कीम में शूटिंग के सबसे ज्यादा 70 खिलाड़ी

ओलिंपिक चैम्पियन तैयार करने के लिए खेल मंत्रालय ने जूनियर खिलाड़ियों के लिए टारगेट ओलिंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) शुरू की है। इसमें स्कीम के तहत 12 इवेंट के चयनित 258 खिलाड़ियों में से सबसे ज्यादा 70 शूटरों को शामिल किया गया है। टॉप्स के प्लेयर्स को 25 हजार रुपए हर महीने मिलेंगे।

शूटिंग में भारत ने 15 में से 4 व्यक्तिगत ओलिंपिक मेडल जीते

खिलाड़ी मेडल खेल कब कहां
केडी जाधव ब्रॉन्ज रेसलिंग 1952 हेलसिंकी (फिनलैंंड)
लिएंंडर पेस ब्रॉन्ज टेनिस 1996 अटलांटा (जॉर्जिया)
कर्णम मल्लेश्वरी ब्रॉन्ज वेटलिफ्टिंग 2000 सिडनी (ऑस्ट्रेलिया)
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ सिल्वर शूटिंग 2004 एथेंस (ग्रीस)
अभिनव बिंद्रा गोल्ड शूटिंग 2008 बीजिंग (चीन)
सुशील कुमार ब्रॉन्ज रेसलिंग 2008 बीजिंग (चीन)
विजेंदर सिंह ब्रॉन्ज बॉक्सिंग 2008 बीजिंग (चीन)
सुशील कुमार सिल्वर रेसलिंग 2012 लंदन (इंग्लैंड)
विजय कुमार सिल्वर शूटिंग 2012 लंदन (इंग्लैंड)
एमसी मैरीकॉम ब्रॉन्ज बॉक्सिंग 2012 लंदन (इंग्लैंड)
साइना नेहवाल ब्रॉन्ज बैडमिंटन 2012 लंदन (इंग्लैंड)
योगेश्वर दत्त ब्रॉन्ज रेसलिंंग 2012 लंदन (इंग्लैंड)
गगन नारंंग ब्रॉन्ज शूटिंग 2012 लंदन (इंग्लैंड)
पीवी सिंधु सिल्वर बैडमिंटन 2016 रियो (ब्राजील)
साक्षी मलिक ब्रॉन्ज रेसलिंग 2016 रियो (ब्राजील)

शूटिंग सबसे महंगा, हर महीने 10 से 40 हजार रुपए तक का खर्च
10 मीटर इवेंट की ट्रेनिंग के लिए शूटरों को हर महीने 10 हजार रु., जबकि 25मी इवेंट के लिए 40 हजार रु. खर्च करने पड़ते हैं। 10मी एयर पिस्टल की गोली का डिब्बा 500 रु. का मिलता है। एक शूटर महीने में 7 डिब्बे तक खर्च कर देता है। वहीं, टारगेट पर भी 1000 रु. तक खर्च हो जाते हैं। खुद की पिस्टल और राइफल नहीं होने पर किराए और कोचिंग पर 5 से 6 हजार अलग से खर्च करना पड़ता है।

जबकि 25 और 50मी इवेंट की एक गोली 10 रु. में मिलती है। एक शूटर कम से कम एक दिन में 100 गोली फायर कर देते हैं। इस लिहाज से केवल गोली पर हर महीने 30 हजार का खर्च होता है। टारगेट पर 5000 के अलावा कोचिंग और पिस्टल (राइफल) के किराए पर कम से कम 5000 और खर्च करना पड़ता है। इस तरह खिलाड़ियों को 25 और 50मी इवेंट की ट्रेनिंग के लिए हर महीने करीब 40 हजार रु. तक खर्च करना होता है।

शूटिंग शुरू करने के लिए 3 से 5 लाख रुपए का खर्च
अगर कोई शूटिंग की ट्रेनिंग शुरू करता है और अपना पिस्टल खरीदता है, तो उसे 1.5 से 2 लाख रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं। इसी तरह राइफल पर 3 से 4 लाख का खर्च आता है। इनके अलावा जूते पर 20 से 25 हजार और चश्मे पर 25 से 30 हजार रुपए खर्च करना पड़ता है।

रैपिड फायर की गोलियों पर हर महीने 1 लाख रुपए का खर्च
शूटर आदर्श सिंह ने भास्कर को बताया कि उन्होंने शूटिंग की एबीसीडी स्कूल के शूटिंग रेंज से सीखी। अभी ट्रेनिंग पर हर महीने 2 लाख रुपए से ज्यादा खर्च करना पड़ता है। हालांकि, अब उन्हें स्पॉन्सर मिल गए हैं। रैपिड फायर की ट्रेनिंग पर सबसे ज्यादा खर्च आता है, क्योंकि इसमें गोलियां ज्यादा लगती हैं। गोलियों पर ही केवल एक लाख से ज्यादा खर्च हो जाता है।

टोक्यो ओलिंपिक के लिए कोटा हासिल करने वाले 15 भारतीय शूटर

इवेंट खिलाड़ी पुरुष खिलाड़ी
10मी. एयर पिस्टल मनु भाकर, यशस्विनी देसवाल सौरव चौधरी और अभिषेक वर्मा
25मी. स्पोर्ट्स पिस्टल चिंकी यादव, राही सरनोबत कोई नहीं
10मी. एयर राइफल अपूर्वी चंदेला, अंजुम मुदगिल दिव्यांश सिंह पंवार और दीपक कुमार
थ्री पोजिशन तेजस्विनी सावंत ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर और संजीव राजपूत
स्कीट कोई नहीं मेराज अहमद खान और अंगद बाजवा

शूटिंग के मुकाबले कुश्ती और बॉक्सिंग काफी सस्ता खेल
कुश्ती और बॉक्सिंग जैसे खेल में शूटिंग की तरह हर महीने ज्यादा पैसे खर्च नहीं करने होते हैं। शुरुआत में कुश्ती के कॉस्ट्यूम और जूतों पर 3000 से 4000 रु. खर्च करने होते हैं। बॉक्सिंग में ग्लब्स और फेस गार्ड पर 3 से 4 हजार रुपए खर्च करने होते हैं। इन दोनों ही खेलों में खिलाड़ी को अपने डाइट पर ज्यादा ध्यान देना होता है। दोनों खेलों की कोचिंग के लिए प्राइवेट एकेडमी में 1 से 2 हजार रुपए फीस देनी पड़ती है।

छोटे शहरों के स्कूलों से बड़े खिलाड़ी निकले
अभिनव बिंद्रा के 2008 बीजिंग ओलिंपिक में गोल्ड जीतने के बाद शूटिंग काफी लोकप्रिय हो गई है। देश के छोटे शहरों के स्कूलों में भी शूटिंग रेंज खुल गए हैं। मनु भाकर, अनीश भनवाल और आदर्श सिंह ने स्कूल से शूटिंग शुरू की थी। तीनों ने वर्ल्ड कप में भी मेडल जीते हैं। मनु भाकर ओलिंपिक के लिए भी क्वालिफाई कर चुकी हैं।



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चीन के ग्लोबल टाइम्स ने ‘बायकॉट चाइना’ को फ्लॉप बताया; लेकिन सच तो ये कि 6 महीने में चीन से इम्पोर्ट 24% घटा

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने शनिवार को एक ट्वीट किया। इस ट्वीट के जरिए उसने भारत के ‘बायकॉट चाइनीज प्रोडक्ट्स’ अभियान का मजाक उड़ाया। इसके लिए उसने चीन के कस्टम डिपार्टमेंट का डेटा शेयर किया। जिसके मुताबिक, चीन का भारत को होने वाला एक्सपोर्ट बढ़ा है। जून में जहां 4.78 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट हुआ था, जुलाई में 5.60 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट हुआ।

हालांकि, भारत की मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स का डेटा इससे अलग कहानी बयां करता है। मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स के डेटा के मुताबिक, चीन से होने वाले इम्पोर्ट में कमी आई है

चीन का डेटा क्या कहता है?
चीन के कस्टम डिपार्टमेंट के डेटा के मुताबिक, जून के मुकाबले जुलाई में भारत में होने वाला एक्सपोर्ट बढ़ा है। चीन का डेटा बताता है कि जून में भारत में चीन से 4.78 अरब डॉलर (35 हजार 850 करोड़ रुपए) का सामान आया था और जुलाई में 5.60 अरब डॉलर (42 हजार करोड़ रुपए) का सामान आया। इस हिसाब से चीन से भारत को होने वाला एक्सपोर्ट जून की तुलना में जुलाई में 17% से ज्यादा बढ़ा।

भारत का डेटा क्या कहता है?
मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स की वेबसाइट पर अभी जुलाई का डेटा आना बाकी है, लेकिन पिछले महीनों के आंकड़े चीन के डेटा से अलग हैं। चीन का डेटा बताता है कि भारत ने चीन से जून में 35 हजार 850 करोड़ रुपए का सामान लिया था, जबकि भारत का डेटा बताता है कि भारत ने चीन से जून में 25 हजार 176 करोड़ रुपए का सामान मंगाया था।

मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स का डेटा बताता है कि इस साल जनवरी से जून के बीच भारत ने चीन से इम्पोर्ट कम किया है। इस साल 6 महीनों में भारत ने चीन से 1.79 लाख करोड़ रुपए का इम्पोर्ट किया था, जो पिछले साल के मुकाबले 24% से ज्यादा कम है।

एक तरफ भारत ने चीन से आने वाले इम्पोर्ट को कम किया है, दूसरी तरफ से चीन को होने वाले एक्सपोर्ट को बढ़ाया भी है। इस साल भारत ने जनवरी से जून के बीच चीन को 68 हजार 680 करोड़ रुपए का सामान एक्सपोर्ट किया है, जो पिछले साल की तुलना में 17% ज्यादा है।

चीन का डेटा ही बता रहा, भारत से होने वाला एक्सपोर्ट 25% तक घटा
चीन के कस्टम डिपार्टमेंट के डेटा के मुताबिक, इस साल जनवरी से जुलाई के बीच भारत-चीन के बीच 43.37 अरब डॉलर यानी 3.25 लाख करोड़ रुपए का कारोबार हुआ है। जो पिछले साल के इन्हीं 7 महीनों के दौरान 18.6% कम है।

इसके साथ ही चीन से भारत को होने वाले एक्सपोर्ट में भी 24.7% की कमी आई है। इस साल जनवरी से जुलाई के बीच चीन से 32.28 अरब डॉलर (2.42 लाख करोड़ रुपए) का एक्सपोर्ट हुआ है।

दिलचस्प बात ये भी है कि जब चीन से भारत को होने वाला एक्सपोर्ट घटा है, उसके उलट भारत से चीन को होने वाला इम्पोर्ट बढ़ा है। इस साल चीन को भारत से 11.09 अऱब डॉलर (83 हजार 175 करोड़ रुपए) का इम्पोर्ट हुआ, जो पिछले साल के मुकाबले 6.7% ज्यादा है।

5 साल में पहली बार भारत-चीन के बीच कारोबार कम हुआ
2011-12 से पहले तक यूएई हमारा सबसे बड़ा कारोबारी देश हुआ करता था। लेकिन, उसके बाद यूएई की जगह चीन ने ले ली। 2011-12 से लेकर 2017-18 तक चीन हमारा सबसे बड़ा कारोबारी देश बना रहा। इस दौरान दोनों देशों के बीच कारोबार भी बढ़ा।

2011-12 में भारत-चीन के बीच 3.52 लाख करोड़ रुपए का कारोबार हुआ था। जो 2017-18 में बढ़कर 5.78 लाख करोड़ रुपए का हो गया। चीन के साथ होने वाले कारोबार में 2011-12 की तुलना में 2017-18 में 60% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई।

लेकिन, 2018-19 में चीन की जगह अमेरिका ने ले ली और अमेरिका भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार बन गया। इतना ही नहीं, 2019-20 में चीन के साथ होने वाला कारोबार 2018-19 की तुलना में करीब 5% कम हुआ है। ये 5 साल में पहली बार है, जब भारत-चीन के बीच होने वाले कारोबार में गिरावट आई है।

2018-19 में दोनों देशों के बीच 6.09 लाख करोड़ रुपए का कारोबार हुआ था, जबकि 2019-20 में 5.79 लाख करोड़ रुपए का कारोबार हुआ।



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The Global Times of China called 'Boycott China' a flop; But the truth is that imports from China decreased by 24% in 6 months


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भोपाल में 88 साल पहले जिगर मुरादाबादी ने देश का पहला दार-उल-कोहला यानी आलसियों का क्लब बनाया था, मेंबरशिप फीस सिर्फ एक तकिया थी

10 अगस्त को 'वर्ल्ड लेजीनेस डे' होता है, इस दिन कोलंबिया में लोग गद्दे और बिस्तर लेकर आते हैं और सड़क पर सोते हुए वक्त गुजारते हैं। हर साल इस दिन कोलंबिया का इटैग्यूई शहर आलसियों से भर जाता है। यहां के लोग तनाव से लड़ने के लिए इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं ताकि वे अपनी परेशानियों से बाहर आकर सुकून से वक्त बिता सकें। ये परंपरा 1985 से शुरू हुई थी।

जब इटैग्यूई के मारियो मोंटोया को ये विचार आया था कि लोगों के पास सिर्फ आराम का भी एक दिन होना चाहिए। वर्ल्ड लेजीनेस डे पर यहां अजब-गजब प्रतियोगिताएं भी होती हैं।

कोलंबिया के इटैग्यूई शहर में 1985 से लोग हर साल 10 अगस्त को लोग गद्दे और बिस्तर लेकर आते हैं और सड़क पर सोते हुए वक्त गुजारते हैं।

लेजीनेस पर यह तो बात हुई वैश्विक स्तर की, अब हम आपको बताते हैं भारत के सबसे पहले 'आलसियों के क्लब' के बारे में। 1932-33 में जब नवाबों का दौर था, उस वक्त भोपाल की आबादी 50 हजार से भी कम थी। यहां के लोग हमेशा बेफिक्र और तफरीह पसंद थे। यहां शेरो-शायरी की महफिलें हुआ करती थीं और अगर कुछ न होता था तो पटिये तो आबाद रहते ही थे।

मशहूर शायर जिगर मुरादाबादी साहब एक बार जब भोपाल आए तो उनको शरारत सूझी और उन्होंने ‘काहिलों की अंजुमन’ बनाने की राय दी।

जिगर मुरादाबादी को शरारत सूझी तो ‘काहिलों की अंजुमन’ बनाने की राय दी

मशहूर शायर जिगर मुरादाबादी साहब का भोपाल आना-जाना लगा रहता था। यहां की बेफिक्र-बेपरवाह महफिलों को देख एक दिन जिगर साहब को शरारत सूझी। उन्होंने राय दी कि क्यों ना एक ‘काहिलों की अंजुमन’ (आलसियों की संस्था) बनाई जाए। सभी मौजूद लोगों ने रजामंदी जाहिर की।

महफिल में शामिल जनाब जौहर कुरैशी ने अपने मकान का एक हिस्सा इसके लिए खुलवा दिया। फिर इसका नाम तय हुआ ‘दार-उल-कोहला’ यानी आलसियों का क्लब। अरबी में दार-उल स्कूल को और आसली को कोहला कहा जाता है। इतना ही नहीं, इस क्लब के कायदे-कानून भी तय हुए।

दार-उल-कोहला के अपने कायदे-कानून भी थे

  • मेंबरशिप फीस सिर्फ एक तकिया थी।
  • दार-उल-कोहला की सभा का वक्त रात नौ बजे से रात तीन बजे तक था।
  • हर मेंबर को रोजाना हाजिरी देनी थी, चाहे बारिश हो या आंधी तूफान।
  • दार-उल-कोहला में सोने पर पाबंदी थी।
  • लेटा हुआ मेंबर बैठे हुए मेंबर को हुक्म दे सकता था और बैठा हुआ मेंबर खड़े हुए को। मसलन, हुक्का भर कर दो, चाय लाकर दो, पान बना कर खिलाओ।
भोपाल के साहित्यकार श्याम मुंशी ने अपनी किताब ‘सिर्फ नक्शे कदम रह गए’ में ‘दार-उल-कोहला’ के बारे में विस्तार से लिखा है।

जिगर मुरादाबादी, खान शाकिर अली खां, शेरी भोपाली जैसे लोग थे इस क्लब के मेंबर

इसके मेंबर भी कोई ऐसे-वैसे लाेग नहीं बल्कि शहर के मशहूर अफसर और रियासत में ऊंचा ओहदा रखने वाले लोग थे। साहित्यकार श्याम मुंशी बताते हैं कि इस क्लब के अध्यक्ष खुद जिगर मुरादाबादी साहब थे। महमूद अली खां इसके सेक्रेटरी थे। खान शाकिर अली खां शेर-ए-भोपाल, मोहम्मद असगर शेरी भोपाली, बासित भोपाली जैसे शहर के आला तालीमयाफ्ता लोग इसके मेंबर थे। श्याम मुंशी ने अपनी किताब ‘सिर्फ नक्शे कदम रह गए’ में भी इसके बारे में लिखा है।

काहिली का यह आलम ऐसा कि बिस्तर पर आग लगने पर भी नहीं उठे

श्याम मुंशी बताते हैं कि इस क्लब में काहिली का यह आलम था कि एक बार एक मौलवी लेटे हुए हुक्का पी रहे थे। इस बीच, किसी के धक्के से दहकते हुए अंगारों से भरी हुक्के की चिलम उनके ऊपर गिर गई। दरी-चादर और तकिए जलने लगे, तब भी लेटे हुए मेम्बरान में से किसी ने उठने की जहमत नहीं की। बाद में किसी तरह आग को बुझाया गया।

आलसियों के क्लब के कायदे-कानून भी अजीबोगरीब हुआ करते थे, हर मेंबर को रोजाना हाजिरी देनी थी, चाहे बारिश हो या आंधी तूफान।

कोई मेंबर हुक्म ना दे दे इसलिए देरी से आने वाले मेंबर लुढ़कते हुए दाखिल होते थे

श्याम मुंशी बताते हैं कि मजा उस वक्त आता था, जब जबरदस्त बारिश हो और तरबतर हालत में भीगते हुए मेंबर दार-उल-कोहला में हाजिरी देने पहुंचते थे। एक और खास बात थी कि कोई लेटा हुआ मेंबर हुक्म ना दे दे, इसलिए इस डर से देरी से आने वाले मेंबर लेटकर, लुढ़कते हुए ही दाखिल होते थे।

वहां पर सारे काम लेटे-लेटे ही होते थे, शेरो-शायरी या किस्सा बयानी और दाद देना वगैरह सब कुछ लेट कर ही होता था। चाय पीते वक्त या खाना खाते वक्त अध्यक्ष के हुक्म से कुछ देर के लिए बैठा जा सकता था।

जिगर साहब के जाने के बाद यह अजीबोगरीब क्लब भी खत्म हो गया

साहित्यकार श्याम मुंशी बताते हैं कि ऐसे लोगों की वजह से दार-उल-कोहला की शोहरत बहुत कम वक्त में पूरे हिन्दुस्तान में फैल गई। अफसोस की बात यह है कि जिगर साहब के जाने के बाद यह अजीबोगरीब क्लब खत्म हो गया और आज इसके मेम्बरान में कोई भी जिंदा नहीं है।

मुंशी के मुताबिक, यह कोई किस्सा नहीं बल्कि असल वाकया है, जो उनके पिताजी ने अपनी आंखाें से देखा और उन्हें बचपन में सुनाया था। श्याम मुंशी कहते हैं कि जिगर साहब यूं तो सारे हिंदुस्तान में घूमते रहे लेकिन दार-उल-कोहला कायम करने के लिए उन्हें भोपाल ही सबसे मुनासिब जगह लगी।

मेरे ख्याल से जिगर साहब भोपाल वालों की काबिलियत, जहानत, हाज़िर जवाबी और सेंस ऑफ ह्यूमर से बहुत प्रभावित थे, लेकिन उनकी काहिली को दार-उल-कोहला बनाकर एक तोहफा दिया था। भोपाल वालों ने भी जिगर साहब के जाते ही दार-उल-कोहला खत्म कर अपनी काहिली का एक और सबूत पेश कर दिया।



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In Bhopal, 88 years ago, Jigar Muradabadi formed the country's first Dar-ul-Kohla club of slackers, membership fees were just a pillow.


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4500 गांवों के 3.70 लाख बच्चे रेडियो के जरिए पढ़ाई कर रहे; लाइव प्रोग्राम में 3 छात्र जुड़ते हैं, विषयों पर चर्चा करते हैं

(दिप्ती राऊत) रेडियो, एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिए आपने अभी तक समाचार, संगीत और टॉक शो सुने होंगे। लेकिन, इसके जरिए अब पढ़ाई भी हो रही है। दरअसल, लॉकडाउन में बच्चे स्कूल नहीं जा पाए तो प्रथम संस्थान और आकाशवाणी नागपुर ने मिलकर महाराष्ट्र के 17 जिलों में ‘रेडियो स्कूल’ शुरू कर दिया। इसके जरिए 4,500 गांवों के साढ़े तीन लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।

रेडियो स्कूल के दौरान तीन बच्चों को इंटरव्यू के लिए चुना जाता है, जो विषय के आधार पर चर्चा करते हैं। रेडियो पर बोलने का मौका मिला तो बच्चों में पढ़ाई के प्रति उत्साह बढ़ा। ऐसे में अभिभावक उनका हौसला बढ़ाने लगे और उनमें अपने बच्चों को रेडियो पर सुनने की चाह भी बढ़ने लगी।

7 जिलों में सर्वे के बाद शुरू हुआ

नागपुर के डिवीजनल कमिश्नर डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि विद्यार्थियों और अभिभावकों के लिए यह पहल कारगर साबित हुई है। उन्होंने कहा- ‘इस पहल को शुरू करने के लिए अप्रैल में 7 जिलों में सर्वे कराया। मकसद यह पता लगाना था- कितने अभिभावकों के पास मोबाइल या रेडियो है। इसके लिए सरपंच, शिक्षक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और ग्राम सेवकों की मदद ली।

इसके बाद 3 से 6 साल तक के बच्चों के लिए पढ़ाई की सीरीज बनाई। फिर हर मंगलवार और शुक्रवार को नागपुर आकाशवाणी से कार्यक्रम प्रसारित किया गया। फीडबैक अच्छा मिला तो आठवीं तक के छात्रों का सिलेबस तैयार कर रेडियो क्लासेस शुरू कर दीं। बच्चे फ्रीक्वेंसी एमडब्ल्यू 512.8 या ‘न्यूज ऑन एयर’ एप के जरिए रेडियो स्कूल से जुड़ते हैं।

आज आलम यह है कि तीन लाख 70 हजार से ज्यादा बच्चे रेडियो स्कूल के जरिए पढ़ाई कर रहे हैं।’ डॉ. कुमार के मुताबिक सिलेबस महाराष्ट्र राज्य शिक्षण संशोधन संस्थान की मदद से तैयार किया जाता है।

वॉट्सऐप के जरिए अभिभावकों को भेजा जाता है सिलेबस

वॉट्सऐप के जरिए अभिभावकों को हफ्ते भर का सिलेबस भेजा जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए बच्चे पढ़ाई करते हैं। हर दिन जो 3 बच्चे रेडियो पर जुड़ते हैं, उनसे बातचीत के संशोधित अंश यूट्यूब पर अपलोड किए जाते हैं। कुछ गांव ऐसे हैं, जहां अभिभावकों के पास मोबाइल नहीं हैं। ऐसे में ग्राम पंचायत की बिल्डिंग पर लाउडस्पीकर लगाकर छात्रों को पढ़ाई की सीरीज सुनाई जाती है।



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महाराष्ट्र के 17 जिलों में ‘रेडियो स्कूल’ शुरू कर दिया गया है। वॉट्सऐप के जरिए अभिभावकों को हफ्ते भर का सिलेबस भेजा जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए बच्चे पढ़ाई करते हैं।


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बड़े शहरों से 300 किमी के दायरे में लोग खुशनुमा जगह तलाश रहे, ट्रेवल कंपनियों ने 700 नए टूरिस्ट स्पॉट तलाशे; होटल बुकिंग में भी 30% का सुधार

(मनीषा भल्ला) देश की टूरिज्म इंडस्ट्री पटरी पर आ रही है। होटल और ट्रेवल इंडस्ट्री से जुड़ी कंपनियां मेकमाय ट्रिप, गोबीबो और ओयो के आंकड़े बताते हैं कि लोग लॉकडाउन की उदासी दूर करने के लिए छोटे और घर के आसपास ही वीकेंड टूरिस्ट स्पॉट तलाश रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि 2019 में 5 करोड़ भारतीयों ने विदेश यात्रा की, लेकिन कोरोना की वजह से अगले दो साल लोग विदेश जाने से परहेज करेंगे। देश में ही डेस्टिनेशन तलाशेंगेे। ऐसे में अगले छह महीने में टूरिज्म सेक्टर में जबरदस्त ग्रोथ आने की उम्मीद दिख रही है।

हर साल 5 लाख करोड़ टूरिज्म से आता है

एसोचैम की टूरिज्म कमेटी के चेयरमैन सुभाष गोयल बताते हैं कि देश में हर साल 5 लाख करोड़ रुपए का रोजगार टूरिज्म से आता है। जीडीपी में 10% हिस्सा टूरिज्म का है। करीब 7.5 करोड़ लोग इससे जुड़े हैं। कोविड की वजह से करीब 3.8 करोड़ लोगों के पास काम नहीं है। लेकिन, इन आंकड़ों से इतर सुभाष गोयल का कहना है कि धीमी रफ्तार के बावजूद टूरिज्म रिकॉर्ड तोड़ रफ्तार पकड़ेगा।

अनलॉक के बाद देश में पर्यटन का शुरुआती ट्रेंड भी यही बता रहा है। मेकमाय ट्रिप के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर विपुल प्रकाश बताते हैं कि लोग मेट्रो शहरों से 300 किमी की दूरी वाले डेस्टिनेशन के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। सबसे ज्यादा मांग हिमाचल, उत्तराखंड, राजस्थान और गोवा की है।

आने वाले समय में हाइपर-लोकल ट्रेवल ही ट्रेंड करेगा। इसके अलावा धार्मिक टूरिज्म में भी जबरदस्त ग्रोथ दिख रही है। इसे देखते हुए 700 से ज्यादा नए टूरिस्ट स्पॉट तलाशे हैं, जिसके लिए 4000 शॉर्ट टर्म इंवेंटरी भी बनाई है।

अनलॉक के बाद होटल ऑक्यूपेंसी में 30% का सुधार

ओयो कंपनी के मुताबिक, अनलॉक के बाद से होटल ऑक्यूपेंसी में 30% का सुधार देखा गया है। बिजनेस सिटीज में होटल ऑक्यूपेंसी में 50% तक सुधार है। ओयो के सर्वे में रुझान बता रहे हैं कि हैदराबाद, गुड़गांव, कोलकाता, बेंगलुरू, अहमदाबाद में जल्द ही बिजनेस मीटिंग की वजह से होटल ऑक्यूपेंसी बढ़ेगी।

इक्सिगो कंपनी के मुताबिक, हालिया ट्रेंड बताते हैं कि लोग वायरस के साथ घूमना, रहना सीख रहे हैं। अनलॉक के बाद हर हफ्ते हमारे प्लेटफॉर्म पर 40-50% टिकट बुकिंग बढ़ रही है।

कोविड ने डेस्टिनेशन वेडिंग बिजनेस पर भी असर डाला है। वेडिंग्स डॉट इन के सीईओ संदीप लोधा बताते हैं कि लॉकडाउन में रद्द हुए वेडिंग इवेंट में से 83.6% री-शेड्यूल हुए हैं। जुलाई में ही वेडिंग वेन्यू की 25,600 क्वेरीज आई हैं। हमारे सर्वे में 42% लोग बिना मुहूर्त ही शादी करना चाहते हैं। इसे देखते हुए 20 नए वेडिंग डेस्टिनेशन बनाए गए हैं।

वर्क फ्रॉम टूरिस्ट स्पॉट का ट्रेंड

आईटी कंपनियां गोवा में 200 से ज्यादा विला बुक करा चुकी हैं। वर्क फ्रॉम होम के लिए आईटी प्रोफेशनल गोवा जैसे टूरिस्ट स्पॉट चुन रहे हैं। गोवा में हायर विला के मैनेजर सिधांशु पाटिल बताते हैं कि आईटी कंपनियों ने अभी तक 250 से ज्यादा विला हमसे किराए पर लिए हैं। इनका मासिक किराया डेढ़ से दो लाख रुपए है। गोवा होटल एसोसिएशन के सचिव जैक सुखीजा का कहना है कि गोवा में जितनी भी होटल ऑक्यूपेंसी है, उसमें आधे से ज्यादा वर्क फ्रॉम होम वालों की वजह से है।



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आईटी कंपनियां गोवा में 200 से ज्यादा विला बुक करा चुकी हैं। वर्क फ्रॉम होम के लिए आईटी प्रोफेशनल गोवा जैसे टूरिस्ट स्पॉट चुन रहे हैं।


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अगर कोई आपकी तुलना में 70% कार्यक्षमता से काम कर सकता है, तो उसे करने दें; हर चीज के लिए मैं-मैं चीखना बंद करें और अपनी टीम पर भरोसा करें

आपका नजरिया मानसिक चश्मा है, जिससे आप जिंदगी देखते हैं। अगर ये चश्मे गंदे होंगे तो दुनिया गंदी दिखेगी। जिनके चश्मे खूबसूरत हैं, उनके लिए दुनिया खूबसूरत है। ‘मैं बस आंखों देखी पर भरोसा करता हूं’, यह बेकार मिसाल है। सच यह है कि ‘जब आप विश्वास करेंगे, तब ही दिखेगा।’ आपको वह दिखेगा, जो आप देखना चाहते हैं। समस्या को देखने का तरीका ही समस्या है। आपको नए नजरिए की जरूरत है। इन्हीं मानसिक चश्मों में एक ऐसा चश्मा है जो दुनिया को हर क्षेत्र में आगे बढ़ा रहा है।

यह है प्रबुद्ध इंसानों का मानना कि ‘हमेशा एक बेहतर तरीका होता है…’ और इसका उदाहरण है ‘प्रयासों की किफायत’ (इकोनॉमी ऑफ एफर्ट)। यह प्रयास के मोल के बारे में नहीं है। बल्कि इसका मतलब है ‘अधिकतम प्रयास से न्यूनतम नतीजों’ के जीवन से निकलकर ‘न्यूनतम प्रयास से अधितकतम नतीजे पाने’ के जीवन की ओर बढ़ना। यह अपने अहम को संतुष्ट करने के लिए गैरजरूरी प्रयास और मेहनत से खुद को मुक्त करना है। यानी हर प्रयास में ज्यादा कार्यक्षमता और असर होना, ताकि बहुत कुछ कर सकें।

यह सब शुरू होता है चीजें पुन: व्यवस्थित करने से। हर चीज के लिए एक जगह और हर चीज अपनी जगह पर। फिर हर चीज के लिए तय समय और हर चीज अपने समय पर। इसके लिए अनुशासन की जरूरत है, किसी उपकरण की नहीं। एक मूर्ख, उपकरण के साथ भी मूर्ख रहता है। जैसे रविवार को सुबह 6 से 8 अध्ययन करना है, वीकेंड ‘टेक्नोलॉजी फ्री’ रखकर परिवार के साथ समय बिताना है, रोज सुबह योग करना है आदि तय करना। मेरे अनुशासित घंटों के बाहर कुछ भी गैर-अनुशासित हो सकता है। ये तरीके ही ‘प्रयासों की किफायत’ हैं।

अगर कोई आपकी कार्यक्षमता की तुलना में 70% कार्यक्षमता से काम कर सकता है, तो उसे करने दें। हर चीज के लिए ‘मैं, मैं, मैं’ चीखना बंद करें और काम बांटें। अपनी टीम पर भरोसा करें। वह कभी न करें, जो दूसरे कर सकते हैं। हो सकता है आप उस काम में दूसरों से 10 गुना बेहतर हों, लेकिन आप 10 लोगों का काम नहीं कर सकते। इसलिए उस पर ध्यान दें जो आप अकेले कर सकते हैं। यही ‘प्रयासों की किफायत’ है।

जीवन के दोहराए जाने वाले कामों को चेकलिस्ट से व्यवस्थित करें। जैसे अगर आप अक्सर सफर करते हैं तो एक ट्रैवल चेकलिस्ट रखें। जब दोहराई जाने वाली चीजों के क्रम को कागज पर उतार लेते हैं तो इन्हें याद नहीं रखना पड़ता और दिमाग सोचने के लिए मुक्त रहता है। यह ‘प्रयासों की किफायत’ है।

हर गलती के बाद उस तंत्र को ठीक करें जो जिसकी वजह से यह गलती हुई। गलतियों को सीखने का अवसर बनाएं। आप गलतियां नहीं रोक सकते, लेकिन उनका दोहराव रोक सकते हैं। यह भी ‘प्रयासों की किफायत’ है।

सभी के जीवन में एक चिंता का चक्र होता है और एक प्रभाव का। चिंता चक्र यह है कि दुनिया में सबको शिक्षित होना चाहिए। प्रभाव चक्र यह सुनिश्चित करना है कि नौकर की बेटी की शिक्षा का खर्च आप उठाएं। चिंता चक्र यह है कि ‘बाकी लोग ऐसे क्यों हैं?’ प्रभाव चक्र यह है कि ‘मैं वह बदलाव बनूंगा, जो मैं देखना चाहता हूं।’

प्रभाव चक्र पर जितना ध्यान देंगे यह उतना ही बढ़ेगा। इस तरह आप ज्यादा से ज्यादा करने में सक्षम होंगे। अगर आपका ध्यान चिंता चक्र पर होगा तो प्रभाव चक्र छोटा होता जाएगा, जिसका मतलब है कि जो पहले संभव था, वह भी असंभव हो जाएगा। कुल मिलाकर मतलब यह है कि आप जहां हैं, वहीं से शुरुआत करें और फिर ऐसा समय आएगा, जब आप अपनी चिंता पर भी प्रभाव डाल सकेंगे।

जितना जरूरी वह काम करना है, जो होना ही चाहिए, उतना ही जरूरी है वह काम न करना, जिसे नहीं किया जाना चाहिए। जैसे उस काम में 10 महीने खर्च करने का कोई अर्थ नहीं, जिसे 10 दिन में कर सकते हैं। इसी तरह जो काम 10 महीने का है, उसे 10 दिन में करने की कोशिश भी मूर्खता है।

कार्यों में बुद्धिमत्ता ही प्रयासों की किफायत है। काम की प्रक्रिया में उत्कृष्टता लाए बिना नतीजे उत्कृष्ट नहीं हो सकते। इसलिए हमेशा पूछिए, ‘मैं प्रक्रिया कहां सुधार सकता हूं?’ और ‘मैंने कहां प्रक्रिया में सुधार किया?’ इन तरीकों से ही न्यूनतम प्रयास में अधिकतम नतीजे पा सकते हैं।



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ऑफिस में दूसरे की कुर्सी और कंप्यूटर इस्तेमाल करने से बचें, आमने-सामने के बजाय तिरछे बैठें; 6-7 मास्क रखें, रोज बदलकर पहनें, समूह में कैंटीन न जाएं

(डाॅ. वीपी पांडे) अनलॉक की प्रक्रिया रफ्तार पकड़ चुकी है। कम क्षमता से ही सही, नियमित ऑफिस शुरू हो गए हैं। बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच ऑफिस जाने को लेकर कई लोगों में संदेह हैं, क्योंकि इस दाैरान लोग कॉमन स्पेस से गुजरते हैं।

ऐसे में एहतियात बरतकर हम संक्रमण से बच सकते हैं। ऑफिस में प्रवेश करते ही साबुन से हाथ धोना अब आदत बना लेना चाहिए। गेट पर ही बिना टच वाली सैनिटाइज मशीन रखें। पल्स ऑक्सीमीटर भी हो। रोज रात में ऑफिस सैनिटाइज हो। इनके साथ ही बरतें ये सावधानियां:

  • एंट्री:लिफ्ट के प्रयोग से बचें। रेलिंग, स्विच, चैंबर के गेट भी संक्रमण के बिंदु हैं। लैपटॉप-मोबाइल रखने से पहले डेस्क सैनिटाइज करें। साथी के कंप्यूटर पर काम करने से बचें। सीट पर बैठने से पहले हाथ सैनिटाइज करें, तभी कंप्यूटर-फाइल छुएं।
  • फाइल्स:फाइल और कागजों का लेन-देन करते हैं तो हर बार हाथ सैनिटाइज करने ही हाेंगे। हर कर्मचारी अपनी फाइल या कागज का लेन-देन खुद करे। काम करते हुए मुंह से मास्क हटाने की गलती कभी न करें।
  • कैंटीन : लंच के दौरान आप मास्क हटा चुके होते हैं, इसलिए कैंटीन जाने से बचें। समूह में खाने की बजाय अलग-अलग जाएं। खाते वक्त ज्यादा दूरी बनाएं। खुद की पानी की बॉटल, लंच बॉक्स, चम्मच साथ रखें।
  • बिना लक्षण पॉजिटिव : आशंका में जीकर तनाव लेने के बजाय एहतियात पर ध्यान दें। बिना लक्षण वाला व्यक्ति घर में भी तो हो सकता है। साथी में लक्षण दिखे या उसे कमजोरी लगे तो वर्क फ्रॉम होम का विकल्प दें।
  • बैठक व्यवस्था : हर दिशा में दूरी रखें। आमने-सामने बैठने से खतरा बढ़ता है। इसलिए बैठने का क्रम तिरछा रखें। मास्क हटाने वालों या खांसते-छींकते समय एहतियात न बरतने वालों को टोक दें। अब यह स्व अनुशासन का हिस्सा होना चाहिए।
  • जुकाम: जुकाम हो तो कपड़े का मास्क न पहनें। मास्क अच्छी क्वालिटी का हो। 6-7 मास्क रखें। उन पर हफ्ते के वार लिख दें। इस तरह हर दिन एक मास्क की बारी आएगी। थ्री-लेयर मास्क गीला हो तो इस्तेमाल न करें।
  • फोन-चार्जर: चार्जर सहित खुद के गैजेट साथ रखें। शेयर न करें। दूसरे का पेन या फोन इस्तेमाल न करें। सहकर्मी की टेबल पर जाएं तो बैठने से बचें। कुर्सियों पर नाम की स्लिप लगाकर सफाई के वक्त अदला-बदली से बच सकते हैं।
  • ऑफिस से घर : हर इस्तेमाल से पहले टू-व्हीलर के हैंडल साफ करें। कार में बैठने के बाद हाथ सैनिटाइज कर लें। घर पहुंचते ही सबसे पहले कपड़े धोने में डालें और नहाएं। इससे पहले किसी वस्तु को न छुएं।

- लेखक एमजीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में विभागाध्यक्ष हैं।



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ऑफिस में हर दिशा में दूरी रखें। आमने-सामने बैठने से खतरा बढ़ता है। इसलिए बैठने का क्रम तिरछा रखें। मास्क हटाने वालों या खांसते-छींकते समय एहतियात न बरतने वालों को टोक दें। अब यह स्व अनुशासन का हिस्सा होना चाहिए। 


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न्यूयॉर्क में अब संक्रमण दर 1% से कम, हर तीसरे की जांच; मास्क-दूरी, साइकिलिंग कल्चर बना, अनलॉक में भी लोग नहीं निकल रहे

(मोहम्मद अली) दुनिया का सबसे संक्रमित शहर रहा न्यूयॉर्क अब अमेरिका की सबसे सुरक्षित जगह है। यहां रहने वाले 2 करोड़ लोगों के स्व-अनुशासन से संक्रमण दम तोड़ रहा हैै। बुधवार को 70 हजार टेस्ट में सिर्फ 636 मरीज मिले यानी 0.87% ही नए मामले। यानी संक्रमण फैलने की दर 1% से भी कम है। हफ्ते में कई दिन तो पूरे शहर में कोरोना से एक भी मौत नहीं हो रही है।

गवर्नर एंड्रयू क्यूमो कहते हैं ‘यह जीत शहर के लोगों की है, जिन्होंने अपनी लाइफस्टाइल में बड़े बदलाव किए हैं।’ इस शहर ने दो महीने तक हर रोज औसतन 700 से ज्यादा मौतें देखी हैं। अस्पतालों की व्यवस्था चरमरा गई थी। कब्रिस्तान तक में जगह कम पड़ गई थी।

न्यूयॉर्क के लोगों ने साइकिल और ई-स्कूटर को अपना नया हमसफर बना लिया है। महामारी के दौरान लोगों ने 7 लाख से ज्यादा साइकिल ट्रिप की हैं, जो बीते साल की तुलना में दोगुनी है। यही नहीं, शहर में साइकिल की किल्लत शुरू हो गई है। कुछ लोगों ने दोगुनी कीमत (400 डॉलर की जगह 800 डॉलर) देकर साइकिल खरीदी। ब्रुकलिन बाइसिकिल कंपनी ने भास्कर को बताया कि हमारे शोरूम में फिलहाल साइकिल नहीं बची। इनकी बिक्री हॉट केक की तरह हुई।

फिजिकल डिस्टेंसिंग-मास्क कल्चर बना

न्यूयॉर्क ने मास्क और दूरी को कल्चर बनाया। लोग बेवजह बाहर नहीं निकल रहे। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले 92% लोगों को ट्रेस कर टेस्ट किए गए हैं। यहां 3 में 1 शख्स का टेस्ट हो चुका है। अब जल्द स्कूल खोलने की भी योजना है।

घर के बैकयार्ड में हो रही हैं छोटी-छोटी पार्टियां

मिलने-जुलने या छोटी पार्टी के लिए न्यूयॉर्क के लोगों ने होटल या किसी पार्क में जाने की जगह अपने घर का बैकयार्ड ही चुना। वे ऐसी किसी जगह नहीं गए, जहां सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन मुश्किल हो।

टिकट के लिए लोग लाइन में न लगें, इसलिए फ्री यात्रा

न्यूयॉर्क ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट कुछ घंटों में ही मेट्रो-बसों को सैनिटाइज कर रही है। टिकट के लिए लाइन न लगे, इसलिए सभी के लिए बस यात्रा मुफ्त कर दी। हालांकि संक्रमण के डर से लोगों ने मेट्रो या सिटी बसों में सफर बहुत कम कर दिया है।

हर जगह टेस्टिंग सेंटर, 7.5 लाख रु. जुर्माना

शहर में आने वाले हर शख्स का टेस्ट हो रहा है। 14 दिन का क्वारैंटाइन अनिवार्य है। बस, टैक्सी, एयरपोर्ट हर जगह टेस्टिंग सुविधा है। क्वारेंटाइन के नियम तोड़ने पर 7.5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा रहा है।



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मिलने-जुलने या छोटी पार्टी के लिए न्यूयॉर्क के लोगों ने होटल या किसी पार्क में जाने की जगह अपने घर का बैकयार्ड ही चुना। वे ऐसी किसी जगह नहीं गए, जहां सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन मुश्किल हो। 


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महिला दल के साथ यात्रा पर एमिली पेन, 30 देशों की 300 महिला रिसर्चर जुड़ीं, तय किया महिलाएं ही लड़ेंगी लड़ाई

‘2007 में मुझे एक रिसर्च के लिए चीन जाना था। कार्बन फुटप्रिंट कम करने के लिए मैंने तय किया कि हवाई सफर नहीं करूंगी। तीन महीने के सफर के बाद ट्रेन से चीन पहुंची। अगले साल मुझे 20 हजार किमी दूर ऑस्ट्रेलिया में नौकरी मिली।

चुनौती थी कि बिना हवाई जहाज के इतना लंबा सफर कैसे पूरा होगा? गूगल पर सर्च करने पर बायोफ्यूल से चलने वाली अर्थरेस बोट के बारे में पता चला। मैंने उस बोट के कैप्टन से बात की और 120 दिन के समुद्री सफर पर निकल पड़ी। यात्रा के बीच हमारी बोट प्लास्टिक के कचरे से जा टकराई। सवाल आया कि यहां इतना प्लास्टिक कैसे आया?

2014 में ई-एक्सपीडिशन संस्था की शुरुआत हुई

इसी सवाल से समुद्र को प्लास्टिक मुक्त बनाने की मेरी यात्रा शुरू हुई। 2014 में ई-एक्सपीडिशन संस्था की शुरुआत हुई। मैंने खुद प्लास्टिक से शरीर में जाने वाले 35 प्रकार के केमिकल का असर जानने के लिए अपना टेस्ट कराया। पाया कि 29 केमिकल शरीर में पहुंच चुके हैं। कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से और प्लास्टिक के बर्तनों में खाना खाने से यह केमिकल शरीर में पहुंचते हैं।

मुझे आभास हुआ कि असल में यह मुद्दा महिलाओं का है

इसी वजह से कैंसर, फर्टिलिटी या हार्मोन असंतुलन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। मुझे आभास हुआ कि असल में यह मुद्दा महिलाओं का है। यह उनकी सेहत से जुड़ा हुआ है, इसलिए तय किया कि दुनिया को इन समस्याओं से अवगत कराने महिलाएं समुद्री यात्रा के जरिए यह मुहिम चलाएं। असल में यह कदम हमें प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करने की दिशा में प्रेरित करता है।

80 महिला रिसर्चर्स 10330 नॉटिकल मील की यात्रा कर चुकी हैं

अभी तक 28 देशों से 80 महिला रिसर्चर्स 10330 नॉटिकल मील की यात्रा कर चुकी हैं। इसमें 9 देशों को कवर किया गया है। 2019 में हमने ‘ई-एक्सपीडिशन राउंड द वर्ल्ड’ यात्रा शुरू की है। इससे 30 देशों की 300 महिला रिसर्चर जुड़ी हैं।

इसके तहत 3 साल में 38 हजार नॉटिकल मील की यात्रा कर समुद्र की सेहत को समझा जाएगा। फिलहाल दुनिया में कुल प्लास्टिक उत्पादन का 20% ही रिसाइकिल हो रहा है, जिसे बढ़ाना होगा। मुझे भरोसा है कि अगर हम सब मिलकर इस दिशा में काम करें तो समुद्र फिर से स्वस्थ हो सकते हैं।’

शिफ्ट टूल लॉन्च किया

एमिली और उनकी टीम ने एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म SHiFT लॉन्च किया है, ताकि वर्चुअल इम्पैक्ट पता किया जा सके। यह टूल लोगों को उनके हितों, कौशल और स्थान से मेल खाने वाले प्लास्टिक के मुद्दे का हल खोजने में मदद करता है।



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हिंसा में भाई को खोया था, जेल भी गए थे, इसलिए युवाओं को हिंसक प्रदर्शनों से दूर रखने की मुहिम चला रहे हैं कैलिफोर्निया के जूलियन

अमेरिका में रंगभेद विरोधी आंदोलन चल रहे हैं। ज्यादातर जगह ये आंदोलन हिंसक प्रदर्शन का रूप ले चुके हैं। इनमें से एक प्रमुख स्थान कैलिफोर्निया का स्टॉकटॉन शहर है। पुलिस हिरासत में अश्वेत व्यक्ति जॉर्ज फ्लायड की मौत के बाद यहां भी हिंसक प्रदर्शन हुए हैं। इनमें कई लोग घायल हो चुके हैं। जबकि सैकड़ों लोगों को पुलिस ने जेल भेज दिया है।

ऐसी स्थिति तब है, जब कैलिफोर्निया के 70 शहरों में से स्टॉकटॉन में अपराध की दर सबसे ज्यादा है।

जूलियन बालडेरामा ने यहां एक प्रोग्राम की शुरुआत की

इस बीच, स्टॉकटॉन के युवा जूलियन बालडेरामा ने यहां एक प्रोग्राम की शुरुआत की है। इसका नाम एडवांस पीस है। इस प्रोग्राम का मकसद युवाओं को हिंसक प्रदर्शन में जाने से रोकना है। दरअसल, जब जूलियन 15 साल के थे, तब उनके बड़े भाई की मौत हिंसक प्रदर्शन के दौरान गोलीबारी में हो गई थी।

जूलियन कहते हैं कि एक प्रदर्शन में भाग लेने के कारण उन्हें भी 2016 में पुलिस ने ड्रग्स तस्करी का आरोप लगाकर जेल भेज दिया था। इन घटनाओं से उन्होंने सबक लिया। वे नहीं चाहते कि अन्य लोग भी बेवजह जेल में जाएं और उनका जीवन बर्बाद हो जाए। इसलिए जूलियन एक लाख की आबादी वाले शहर स्टॉकटॉन के घर-घर जाकर युवाओं को प्रदर्शनों को लेकर जागरूक करते हैं।

12 सवाल भी तैयार किए

जूलियन ने 12 प्रमुख सवाल तैयार किए हैं। जैसे- वे युवाओं से सीधे ये नहीं कहते कि प्रदर्शनों में भाग नहीं लें। उनसे पूछते हैं- क्या तुम्हें पता है, जो तुम कर रहे हो, उसका नतीजा क्या होगा? आखिर क्यों तुम्हारे नेता रंगभेद विरोधी प्रदर्शनों की आड़ में तुम्हें कोरोना की चपेट में भेज देना चाहते हैं? क्या हिंसा करने से तुम्हारी नौकरी या अन्य रोजगार बचा रहेगा? जूलियन की टीम में 15 से 40 साल की उम्र के लोग हैं।

कई लोग लूटपाट के लिए प्रदर्शन में शामिल होते हैं: जूलियन

जूलियन कहते हैं कि प्रदर्शन में कई लोग केवल लूटपाट के मकसद से शामिल होते हैं। इन लोगों का पता लगाना और इन्हें समझाना कठिन होता है। हमारी टीम लोगों को बताती है कि पुलिस प्रताड़ना की शिकायत कहां की जा सकती है। अक्सर लोग हमारे साथ आते हैं।

- न्यूयॉर्क टाइम्स से विशेष अनुबंध के तहत



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युवाओं को हिंसक प्रदर्शन से दूर रहने के लिए अपील करते जूलियन। वह मानते हैं कि प्रदर्शन में कई लोग केवल लूटपाट के मकसद से शामिल होते हैं। इन लोगों का पता लगाना और इन्हें समझाना कठिन होता है।


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न्यूयॉर्क में अब संक्रमण दर 1% से कम, हर तीसरे की जांच; मास्क-दूरी, साइकिलिंग कल्चर बना, अनलॉक में भी लोग नहीं निकल रहे

(मोहम्मद अली) दुनिया का सबसे संक्रमित शहर रहा न्यूयॉर्क अब अमेरिका की सबसे सुरक्षित जगह है। यहां रहने वाले 2 करोड़ लोगों के स्व-अनुशासन से संक्रमण दम तोड़ रहा हैै। बुधवार को 70 हजार टेस्ट में सिर्फ 636 मरीज मिले यानी 0.87% ही नए मामले। यानी संक्रमण फैलने की दर 1% से भी कम है। हफ्ते में कई दिन तो पूरे शहर में कोरोना से एक भी मौत नहीं हो रही है।

गवर्नर एंड्रयू क्यूमो कहते हैं ‘यह जीत शहर के लोगों की है, जिन्होंने अपनी लाइफस्टाइल में बड़े बदलाव किए हैं।’ इस शहर ने दो महीने तक हर रोज औसतन 700 से ज्यादा मौतें देखी हैं। अस्पतालों की व्यवस्था चरमरा गई थी। कब्रिस्तान तक में जगह कम पड़ गई थी।

न्यूयॉर्क के लोगों ने साइकिल और ई-स्कूटर को अपना नया हमसफर बना लिया है। महामारी के दौरान लोगों ने 7 लाख से ज्यादा साइकिल ट्रिप की हैं, जो बीते साल की तुलना में दोगुनी है। यही नहीं, शहर में साइकिल की किल्लत शुरू हो गई है। कुछ लोगों ने दोगुनी कीमत (400 डॉलर की जगह 800 डॉलर) देकर साइकिल खरीदी। ब्रुकलिन बाइसिकिल कंपनी ने भास्कर को बताया कि हमारे शोरूम में फिलहाल साइकिल नहीं बची। इनकी बिक्री हॉट केक की तरह हुई।

फिजिकल डिस्टेंसिंग-मास्क कल्चर बना

न्यूयॉर्क ने मास्क और दूरी को कल्चर बनाया। लोग बेवजह बाहर नहीं निकल रहे। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले 92% लोगों को ट्रेस कर टेस्ट किए गए हैं। यहां 3 में 1 शख्स का टेस्ट हो चुका है। अब जल्द स्कूल खोलने की भी योजना है।

घर के बैकयार्ड में हो रही हैं छोटी-छोटी पार्टियां

मिलने-जुलने या छोटी पार्टी के लिए न्यूयॉर्क के लोगों ने होटल या किसी पार्क में जाने की जगह अपने घर का बैकयार्ड ही चुना। वे ऐसी किसी जगह नहीं गए, जहां सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन मुश्किल हो।

टिकट के लिए लोग लाइन में न लगें, इसलिए फ्री यात्रा

न्यूयॉर्क ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट कुछ घंटों में ही मेट्रो-बसों को सैनिटाइज कर रही है। टिकट के लिए लाइन न लगे, इसलिए सभी के लिए बस यात्रा मुफ्त कर दी। हालांकि संक्रमण के डर से लोगों ने मेट्रो या सिटी बसों में सफर बहुत कम कर दिया है।

हर जगह टेस्टिंग सेंटर, 7.5 लाख रु. जुर्माना

शहर में आने वाले हर शख्स का टेस्ट हो रहा है। 14 दिन का क्वारैंटाइन अनिवार्य है। बस, टैक्सी, एयरपोर्ट हर जगह टेस्टिंग सुविधा है। क्वारेंटाइन के नियम तोड़ने पर 7.5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा रहा है।



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