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अभी तक कोराेना संक्रमण और लॉकडाउन से तो लोगों को डरते होते सुना है, लेकिन भोपाल में अलग तरह का मामला सामने आया है। लॉ ट्रिब्यूनल (विधिक प्राधिकरण) में एक ऐसा मामला पहुंचा है, जिसमें पति को कोरोना फोबिया की वजह से पत्नी से सोशल डिस्टेंसिंग बनाना महंगा पड़ गया। इस डिस्टेंसिंग की वजह से नई-नवेली पत्नी रूठकर मायके चली गई। उसने 5 महीने बाद प्राधिकरण में भरण-पोषण का आवेदन दिया। मामले में काउंसलिंग की तो पता चला कि कोरोना के डर से पति ने दांम्पत्य दायित्वों को नहीं निभाया।
इस पर पत्नी ने आरोप लगा दिया कि उसका पति दांम्पत्य संबंध निभाने लायक ही नहीं है। पत्नी को मनाने के लिए पति को मेडिकल टेस्ट कराके पुरुषत्व का प्रमाण देना पड़ा। मामले में समझौता होने के बाद शुक्रवार को महिला पति के साथ ससुराल चली गई । दोनों की शादी 29 जून को हुई थी। प्राधिकरण में महिला ने 2 दिसंबर को आवेदन दिया था। उसने आरोप लगाए थे कि ससुराल वाले उसे परेशान करते हैं। उसकी शादी को 5 महीने ही हुए हैं।
पत्नी के पास नहीं आता था पति
पत्नी ने बताया कि शादी के बाद ससुराल वालों ने प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था। पति फोन पर तो अच्छी बातें करते थे, लेकिन पास नहीं आते थे। इसको लेकर दोनों के बीच विवाद होना शुरू हो गया। महिला का कहना था कि जिससे उसने जीवनभर का रिश्ता जोड़ा, वही दूरी बना रहा था। उसने यह बात अपने परिजन को बताई। मायके वालों ने पति से बात करना चाही, लेकिन उसने सही तरीके से उत्तर नहीं दिया। ससुराल वालों की प्रताड़ना और पति की बेरुखी को देखते हुए वह मायके आ गई और दो महीने यहीं रही। महिला का कहना है कि उसका पूरा जीवन पड़ा है, लिहाजा भरण-पोषण का खर्चा दिया जाए।
पति फिट निकला, पत्नी मान गई
मामले की गंभीरता को देखते हुए प्राधिकरण ने मेडिकल कराने की सलाह ही। पति ने प्राधिकरण के सामने मेडिकल रिपोर्ट रखी, जिसमें वह फिट था। मेडिकल रिपोर्ट को देखने के बाद पाया कि महिला ने पति पर झूठा आरोप लगाया था। महिला और उसके परिजन की काउंसलिंग की गई। उसके बाद महिला अपने पति के साथ ससुराल जाने को तैयार हो गई। काउंसलर ने हिदायत दी कि वह आगे से किसी प्रकार के झूठे आरोप नहीं लगाए। वहीं दोनों को कोरोना टेस्ट कराके समस्या के निदान की सलाह दी।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव संदीप शर्मा ने बताया कि महिला ने पति पर झूठे आरोप लगाए थे कि वह दांम्पत्य संबंध निभाने योग्य नहीं है। काउंसलिंग के दौरान खुलासा हुआ कि पति को कोरोना फोबिया था, जिसकी वजह से वह पत्नी से भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहा था।
कोरोना होने के डर से नहीं जाता था पत्नी के पास
काउंसलिंग के दौरान पति ने खुलासा किया कि शादी के बाद ही पत्नी के परिवार वाले पॉजिटिव हो गए। उसको लगता था कि हार्ड इम्युनिटी की वजह से उसे या पत्नी में कोरोना के लक्षण नहीं दिखाई दिए। उसका मानना था कि जब आसपास वाले पॉजिटिव थे, तो हो सकता है कि उसे और पत्नी को भी कोरोना हो। इसकी वजह से वह संबंधों को निभाने से झिझकता था।
देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 96 लाख के पार हो गया। पिछले 5 दिनों में एक्टिव केस में 38 हजार 10 की कमी आई है। शुक्रवार को देश में 36 हजार 711 नए नए मामले सामने आए, जबकि 42 हजार 359 लोगों ने कोरोना को मात दी। वहीं, पिछले 24 घंटे में 510 लोगों की जान गई।
देश में अब तक 96 लाख 8 हजार 519 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 4 लाख 8 हजार 401 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 90 लाख 58 हजार 061 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 1 लाख 39 हजार 737 हो गई है। ये आंकड़े covid19india.org से लिए गए हैं।
80 देशों के राजनयिक वैक्सीन कंपनियों का दौरा करेंगे
कोरोना वैक्सीन की तैयारियों का जायजा लेने के लिए 80 देशों के राजनयिक 9 दिसंबर को हैदराबाद के भारत बायोटेक (Bharat Biotech) और बीई लिमिटेड (Biological E Limited) का दौरा करेंगे। पहले यह दौरा 4 दिसंबर को ही होना था, लेकिन बाद में इसे टाल दिया गया था। इसके लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं।
चीफ सेक्रेटरी सोमेश कुमार ने शुक्रवार को अफसरों के साथ बैठकर व्यवस्था का जायजा लिया। अफसरों से कोविड-19 के प्रोटोकॉल के तहत राजनयिकों के दौरे के लिए इंतजाम करने को कहा। सभी राजनयिक कोरोना की तैयार हो रही वैक्सीन के बारे में वैज्ञानिकों से बातचीत भी करेंगे।
मध्य प्रदेश में 31 मार्च तक 8वीं तक के स्कूल बंद रहेंगे
संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ा ऐलान किया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोविड के चलते प्रदेश में पहली से 8वीं तक के क्लास 31 मार्च तक बंद रहेंगी। साथ ही, 5वीं और 8वीं की बोर्ड परीक्षाएं भी नहीं होंगी।
आगामी एकेडमिक सेशन 1 अप्रैल 2021 से प्रारंभ होगा। पहली से 8वीं तक प्रोजेक्ट वर्क के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा। कक्षा 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं ली जाएंगी। इनकी क्लासेज जल्द शुरू होंगी। क्लास में कोविड गाइडलाइन का पालन किया जाएगा। क्लास 9 व 11 के स्टूडेंट्स को हफ्ते में एक या दो दिन स्कूल बुलवाया जाएगा।
कोरोना अपडेट्स
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को सर्वदलीय बैठक की। इसमें हेल्थ मिनिस्ट्री ने जो प्रजेंटेशन दिया, उसमें कहा गया कि सबसे पहले 1 करोड़ हेल्थ वर्कर्स को वैक्सीन दी जाएगी। इनमें सरकारी ही नहीं, बल्कि प्राइवेट सेक्टर के वर्कर भी शामिल होंगे। इनके बाद करीब 2 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन दी जाएगी। फ्रंटलाइन वर्कर्स में पुलिसकर्मी, सेना के जवान और म्युनिसिपल वर्कर्स जैसे लोग शामिल होंगे। पढ़ें पूरी खबर कोरोना पर पीएम मोदी का मंथन
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि राजधानी में कोरोना का पॉजिटिविटी रेट 4.78% हो गया है। अब दिल्ली में 12,000 से ज्यादा बेड और 2,013 ICU बेड खाली हैं।
यूनियन हेल्थ मिनिस्ट्री के अधिकारियों के मुताबिक, एंटी-कोरोना वायरस वैक्सीन मिलते ही स्पेशल कोविड-19 इनोक्यूलेशन प्रोग्राम के तहत इसे लगाया जाएगा। सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि एमबीबीएस और बीडीएस डॉक्टरों के साथ-साथ इंटर्न, स्टाफ नर्स, सहायक नर्स, दाइयों और फार्मासिस्टों को संभावित वैक्सीनेटर माना जाएगा। बशर्ते कि उन्हें इंजेक्शन लगाने में अनुभव हो।
दिल्ली सरकार ने कोरोना की वैक्सीन मिलते ही इसे लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत सभी हॉस्पिटल और नर्सिंग होम के हेल्थ केयर वर्कर्स का डेटाबेस तैयार किया जा रहा है। उन्हें सबसे पहले वैक्सीन दी जाएगी। उनके एनरोलमेंट के लिए सभी अस्पतालों से डेटा मांगा गया है। सरकार ने एक पब्लिक नोटिस जारी किया है। हेल्थ वर्कर्स का डेटा दिल्ली स्टेट हेल्थ मिशन की वेबसाइट पर दिए लिंक के जरिए अपलोड करना है।
5 राज्यों का हाल
1. दिल्ली
राजधानी दिल्ली में हर दिन होने वाली टेस्टिंग का आंकड़ा बढ़ाकर 85 हजार कर दिया गया है। शुक्रवार को 4067 लोग संक्रमित पाए गए। 4862 लोग रिकवर हुए और 73 की मौत हो गई। राजधानी में अब तक 5 लाख 86 हजार 125 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 28 हजार 252 मरीजों का इलाज चल रहा है। 5 लाख 48 हजार 376 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 9497 हो गई है।
2. मध्यप्रदेश
राज्य में शुक्रवार को 1324 लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। 1556 लोग रिकवर हुए और 14 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 11 हजार 698 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 13 हजार 641 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 94 हजार 743 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 3314 हो गई है।
3. गुजरात
राज्य में शुक्रवार को 1510 लोग संक्रमित पाए गए। 1627 लोग रिकवर हुए और 18 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 15 हजार 819 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 14 हजार 678 मरीजों का इलाज चल रहा है। 1 लाख 97 हजार 92 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 4049 हो गई है।
4. राजस्थान
राज्य में शुक्रवार को 1934 लोग संक्रमित पाए गए। 3141 लोग रिकवर हुए और 19 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 76 हजार 420 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 24 हजार 318 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 49 हजार 713 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 2389 हो गई है।
5. महाराष्ट्र
राज्य में शुक्रवार को 5229 लोग संक्रमित मिले। 6776 लोग रिकवर हुए और 127 की मौत हो गई। अब तक संक्रमण के 18 लाख 42 हजार 587 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 83 हजार 859 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 17 लाख 10 हजार 50 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 47 हजार 599 हो गई है।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन शनिवार को 10वें दिन भी जारी हैं। आज दोपहर 2 बजे से सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच 5वें दौर की बातचीत होगी। इससे पहले किसानों ने शुक्रवार को कहा कि अगर कानून वापस नहीं लिया गया तो वे 8 दिसंबर को भारत बंद करेंगे। किसानों ने सभी टोल प्लाजा पर कब्जे की भी चेतावनी दी है।
शुक्रवार को किसानों की मीटिंग के बाद उनके नेता हरविंदर सिंह लखवाल ने कहा- आने वाले दिनों में दिल्ली की बची हुई सड़कों को भी ब्लॉक करेंगे। किसान संगठन पहले ही कह चुके हैं कि 5 दिसंबर यानी शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले जलाए जाएंगे।
170 से ज्यादा किसान बीमार, कोरोना टेस्ट के लिए तैयार नहीं
टिकरी-कुंडली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे 170 से ज्यादा किसान बुखार और खांसी से पीड़ित हैं। यहां लगे कैंपों में हजारों किसान दवा ले रहे हैं। अपील के बावजूद किसान कोरोना टेस्ट नहीं करवा रहे हैं। तीन किसानों की मौत हो चुकी है। समर्थन देने पहुंचे महम विधायक बलराज कुंडू कोरोना पॉजिटिव मिले। हरियाणा भाकियू के प्रवक्ता राकेश बैंस ने बताया- किसानों से अपील कर रहे हैं कि तबीयत खराब होते ही चेकअप करवा कर दवाई लें। जिन्हें बुखार है, वे कोरोना टेस्ट भी कराएं। करीब एक हजार किसान दवा ले चुके हैं।
केंद्र सुधारों पर राजी, किसान कानून वापसी पर अड़े
किसानों और केंद्र के बीच गुरुवार को चौथे दौर की बातचीत 7 घंटे चली। इसके बाद साफ हो गया था कि आंदोलन अभी थमेगा नहीं। क्रांतिकारी किसान यूनियन के लीडर दर्शनपाल ने कहा- केंद्र कानूनों में कुछ सुधार पर राजी है, पर हम नहीं। हमने उन्हें बता दिया है कि पूरे कानून में ही खामी है। लिहाजा, इन्हें वापस लिया जाए।
मंगलवार को 2 फेज में करीब ढाई घंटे तक बातचीत हुई
1 दिसंबर को केंद्र और किसानों के बीच 2 फेज में करीब ढाई घंटे तक बातचीत हुई थी। नतीजा कुछ नहीं निकला। सरकार ने किसान प्रतिनिधियों के सामने मिनिमम सपोर्ट प्राइज (MSP) पर पावर प्रेजेंटेशन दिया। उनके सामने प्रस्ताव रखा कि नए कानूनों पर चर्चा के लिए कमेटी बनाई जाए। पर, बात नहीं बनी। किसानों ने ये पेशकश सिरे से खारिज कर दी।
किसानों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी
पिटीशनर ने कहा कि किसानों को दिल्ली की सीमाओं से तुरंत हटाने के निर्देश दिए जाएं, क्योंकि प्रदर्शनकारियों की वजह से कोरोना का खतरा बढ़ सकता है। पिटीशनर के वकील ओम प्रकाश परिहार ने यह जानकारी दी। हालांकि, इस अर्जी पर सुनवाई का दिन तय नहीं हुआ है।
किसानों के समर्थन में अवॉर्ड वापसी
किसानों के सपोर्ट में अवॉर्ड वापसी का सिलसिला दूसरे दिन शुक्रवार को भी जारी रहा। लेखक डॉ. मोहनजीत, चिंतक डॉ. जसविंदर और पत्रकार स्वराजबीर ने अपने साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटा दिए। गुरुवार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने अपना पद्मविभूषण अवॉर्ड लौटा दिया था। उनके अलावा राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने अपना पद्मभूषण वापस करने का ऐलान किया था। किसानों का कहना है कि 7 दिसंबर को खिलाड़ी भी अपने अवॉर्ड लौटाएंगे।
कनाडा के PM के बयान पर भारत सख्त
किसान आंदोलन को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान पर विदेश मंत्रालय ने सख्त ऐतराज जताया। कनाडा के हाई कमिश्नर को विदेश मंत्रालय तलब किया गया। उनसे कहा गया- कनाडा के नेताओं के बयान हमारे अंदरुनी मामलों में दखलंदाजी है। ये बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। यह जारी रहा, तो दोनों देशों के रिश्तों को गंभीर नुकसान हो सकता है।
ट्रूडो ने गुरुनानक जयंती के दिन भारत के प्रदर्शनकारी किसानों का समर्थन करते हुए कहा था कि हालात चिंताजनक हैं। हम हमेशा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के पक्ष में रहे हैं।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन शनिवार को 10वें दिन भी जारी हैं। आज दोपहर 2 बजे से सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच 5वें दौर की बातचीत होगी। इससे पहले किसानों ने शुक्रवार को कहा कि अगर कानून वापस नहीं लिया गया तो वे 8 दिसंबर को भारत बंद करेंगे। किसानों ने सभी टोल प्लाजा पर कब्जे की भी चेतावनी दी है।
शुक्रवार को किसानों की मीटिंग के बाद उनके नेता हरविंदर सिंह लखवाल ने कहा- आने वाले दिनों में दिल्ली की बची हुई सड़कों को भी ब्लॉक करेंगे। किसान संगठन पहले ही कह चुके हैं कि 5 दिसंबर यानी शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले जलाए जाएंगे।
170 से ज्यादा किसान बीमार, कोरोना टेस्ट के लिए तैयार नहीं
टिकरी-कुंडली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे 170 से ज्यादा किसान बुखार और खांसी से पीड़ित हैं। यहां लगे कैंपों में हजारों किसान दवा ले रहे हैं। अपील के बावजूद किसान कोरोना टेस्ट नहीं करवा रहे हैं। तीन किसानों की मौत हो चुकी है। समर्थन देने पहुंचे महम विधायक बलराज कुंडू कोरोना पॉजिटिव मिले। हरियाणा भाकियू के प्रवक्ता राकेश बैंस ने बताया- किसानों से अपील कर रहे हैं कि तबीयत खराब होते ही चेकअप करवा कर दवाई लें। जिन्हें बुखार है, वे कोरोना टेस्ट भी कराएं। करीब एक हजार किसान दवा ले चुके हैं।
केंद्र सुधारों पर राजी, किसान कानून वापसी पर अड़े
किसानों और केंद्र के बीच गुरुवार को चौथे दौर की बातचीत 7 घंटे चली। इसके बाद साफ हो गया था कि आंदोलन अभी थमेगा नहीं। क्रांतिकारी किसान यूनियन के लीडर दर्शनपाल ने कहा- केंद्र कानूनों में कुछ सुधार पर राजी है, पर हम नहीं। हमने उन्हें बता दिया है कि पूरे कानून में ही खामी है। लिहाजा, इन्हें वापस लिया जाए।
मंगलवार को 2 फेज में करीब ढाई घंटे तक बातचीत हुई
1 दिसंबर को केंद्र और किसानों के बीच 2 फेज में करीब ढाई घंटे तक बातचीत हुई थी। नतीजा कुछ नहीं निकला। सरकार ने किसान प्रतिनिधियों के सामने मिनिमम सपोर्ट प्राइज (MSP) पर पावर प्रेजेंटेशन दिया। उनके सामने प्रस्ताव रखा कि नए कानूनों पर चर्चा के लिए कमेटी बनाई जाए। पर, बात नहीं बनी। किसानों ने ये पेशकश सिरे से खारिज कर दी।
किसानों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी
पिटीशनर ने कहा कि किसानों को दिल्ली की सीमाओं से तुरंत हटाने के निर्देश दिए जाएं, क्योंकि प्रदर्शनकारियों की वजह से कोरोना का खतरा बढ़ सकता है। पिटीशनर के वकील ओम प्रकाश परिहार ने यह जानकारी दी। हालांकि, इस अर्जी पर सुनवाई का दिन तय नहीं हुआ है।
किसानों के समर्थन में अवॉर्ड वापसी
किसानों के सपोर्ट में अवॉर्ड वापसी का सिलसिला दूसरे दिन शुक्रवार को भी जारी रहा। लेखक डॉ. मोहनजीत, चिंतक डॉ. जसविंदर और पत्रकार स्वराजबीर ने अपने साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटा दिए। गुरुवार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने अपना पद्मविभूषण अवॉर्ड लौटा दिया था। उनके अलावा राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने अपना पद्मभूषण वापस करने का ऐलान किया था। किसानों का कहना है कि 7 दिसंबर को खिलाड़ी भी अपने अवॉर्ड लौटाएंगे।
कनाडा के PM के बयान पर भारत सख्त
किसान आंदोलन को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान पर विदेश मंत्रालय ने सख्त ऐतराज जताया। कनाडा के हाई कमिश्नर को विदेश मंत्रालय तलब किया गया। उनसे कहा गया- कनाडा के नेताओं के बयान हमारे अंदरुनी मामलों में दखलंदाजी है। ये बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। यह जारी रहा, तो दोनों देशों के रिश्तों को गंभीर नुकसान हो सकता है।
ट्रूडो ने गुरुनानक जयंती के दिन भारत के प्रदर्शनकारी किसानों का समर्थन करते हुए कहा था कि हालात चिंताजनक हैं। हम हमेशा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के पक्ष में रहे हैं।
नमस्कार!
हैदराबाद में नगर निगम चुनाव हुए। प्रचार के लिए मोदी-शाह और योगी समेत भाजपा के दिग्गज भी पहुंचे। हालांकि, भाजपा को भाग्य नगर तो नहीं मिला, लेकिन पिछले चुनाव के मुकाबले स्थिति में काफी सुधार हुआ। उधर, भारत ने ऑस्ट्रेलिया को पहला टी-20 मैच हरा दिया। चलिए, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।
सबसे पहले देखते हैं, बाजार क्या कह रहा है
BSE का मार्केट कैप 179.48 लाख करोड़ रुपए रहा। करीब 52% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही।
3,069 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 1,606 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,286 कंपनियों के शेयर गिरे।
आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर
भारतीय किसान यूनियन के महासचिव एसएस लखवाल ने कहा कि आज कृषि कानूनों के विरोध में देशभर में प्रधानमंत्री मोदी के पुतले जलाए जाएंगे।
चंडीगढ़ में आज 5 जगहों पर मेडिकल टीम कोरोना संक्रमण के संदिग्ध मरीजों का टेस्ट करेगी।
देश-विदेश
किसानों का 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 9वें दिन भी जारी रहा। शनिवार को सरकार और किसानों की फिर बैठक होगी। इससे पहले, किसानों ने सरकार को अल्टीमेटम दिया। 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में कोरोना के खतरे के मद्देनजर किसानों को दिल्ली बॉर्डर से तुरंत हटाए जाने को लेकर एक अर्जी लगाई गई।
पहले 1 करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स को वैक्सीन लगेगी
सरकार ने कोरोना के मुद्दे पर शुक्रवार को ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई। प्रधानमंत्री मोदी इसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए। उन्होंने कहा कि कुछ हफ्तों में कोरोना वैक्सीन तैयार हो जाएगी। हेल्थ मिनिस्ट्री ने प्रेजेंटेशन में बताया कि सबसे पहले 1 करोड़ हेल्थ वर्कर्स को वैक्सीन दी जाएगी।
9 महीने में सेंसेक्स 80%, मार्केट कैप 78 लाख करोड़ बढ़ा
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का इंडेक्स पहली बार 45 हजार के आंकड़े को पार कर गया। 9 महीने में यह 80% बढ़ा है। 23 मार्च को 25,981 पर बंद हुआ था। सेंसेक्स में यह दिसंबर 2016 के बाद का सबसे निचला स्तर था। ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस मोर्गन स्टेनली ने कहा था कि दिसंबर 2021 में सेंसेक्स 50 हजार तक जा सकता है।
एयरफोर्स ने LAC पर 10 आकाश मिसाइलें टेस्ट कीं
एयरफोर्स ने LAC पर शुक्रवार को एक साथ 10 आकाश मिसाइलों का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल दुश्मनों के विमानों को चंद मिनटों में मार गिराने में सक्षम हैं। एयरफोर्स ने आकाश मिसाइलों के साथ-साथ हवा में मार करने वाली इग्ला (Igla) मिसाइलों का भी परीक्षण किया।
टाइम के कवर पर आईं भारतवंशी गीतांजलि राव
भारतीय मूल की अमेरिकी गीतांजलि राव को टाइम मैगजीन ने किड ऑफ द ईयर चुना है। गीतांजलि महज 15 साल की हैं, लेकिन उन्होंने साइंस से जुड़ी कामयाबियां हासिल की हैं। टाइम मैगजीन ने गीतांजलि को साइंटिस्ट और इनवेंटर बताया है। मैगजीन ने पहली बार इस कैटेगरी में किसी को चुना है।
एक्सप्लेनर
नगर निगम चुनाव में ओवैसी के गढ़ में कैसे बढ़ी भाजपा?
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) के चुनावों में भाजपा के प्रदर्शन ने सभी को चौंकाया। 4 साल में पार्टी 4 सीटों से 40 सीटों के पार पहुंच गई। मगर रूलिंग पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) और असदुद्दीन ओवैसी की (AIMIM) के रहते भाजपा यह कैसे कर पाई? भाजपा ने क्या रणनीति अपनाई? ऐसे समझिए।
पॉजिटिव खबर
नौकरी छोड़ी, कैटल फार्मिंग की, टर्नओवर 5 करोड़
यह कहानी है बिहार के बेगूसराय के रहने वाले ब्रजेश कुमार की। वे एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। ब्रजेश की पढ़ाई-लिखाई ग्रामीण परिवेश में हुई। फिर उनकी जॉब लग गई। दो साल तक उन्होंने नौकरी की। 2013 में कैटल फार्मिंग की शुरुआत की। आज 30 पशु उनके पास हैं। सालाना 5 करोड़ रुपए टर्नओवर है।
एक दिसंबर को महाराष्ट्र की 6 विधान परिषद सीटों के लिए हुए चुनावों के नतीजे शुक्रवार को आ गए। महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस-NCP और शिवसेना) 4 सीटें जीतने में कामयाब रही।
दिल्ली सरकार ने कोरोना की वैक्सीन लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत सभी हॉस्पिटल और नर्सिंग होम के हेल्थ केयर वर्कर्स का डेटाबेस तैयार हो रहा है।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के सदस्य ने कंगना रनोट को कानूनी नोटिस भेजा। कंगना ने कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखी थी।
बंगाल की खाड़ी से उठा बरवी तूफान कमजोर पड़ गया। इसके बाद केरल का तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट शुक्रवार शाम चार बजे उड़ानों के लिए फिर खोल दिया गया।
कहानी- महाभारत युद्ध के 18वें दिन दुर्योधन मैदान छोड़ कर भाग गया था। वह एक कीचड़ से भरे तालाब में जाकर छिप गया। कुछ ही समय में पांडवों ने उसे ढूंढ लिया। युधिष्ठिर ने दुर्योधन को चुनौती दी कि तालाब से बाहर निकलो और हमसे युद्ध करो।
दुर्योधन बाहर आया और उसने कहा, 'युधिष्ठिर, अब मैं युद्ध नहीं करना चाहता। तुम मुझसे पृथ्वी चाहते थे, मेरा राजपाठ चाहते थे, अब से ये सब तुम्हारा है, तुम अब राज करो।'
युधिष्ठिर ने कहा, 'अब तेरे पास है ही कहां, जो तू मुझे दे रहा है। अपनी गलतफहमी दूर करो, अब तेरे पास कुछ भी नहीं है। तेरे पास सिर्फ तेरे प्राण बचे हैं, वही हम लेने आए हैं।'
दुर्योधन कहता है, 'मेरे भाई, मित्र, रिश्तेदार सब मर गए हैं। अब मेरी जीने की इच्छा नहीं है। मेरे मन में वैराग्य जाग गया है। मैं साधु बनकर रहना चाहता हूं। तुम ये राजपाठ सब ले लो।'
श्रीकृष्ण भी वहीं खड़े थे। उन्होंने कहा, 'अब तो बुराइयों का साथ छोड़। अब तो सच का सामना कर। देख, हालात बदल गए हैं। दुनियाभर के बुरे काम करने के बाद अब साधु की भाषा बोल रहा है। युद्ध तूने शुरू किया था तो अब तू युद्ध से भाग नहीं सकता है। युद्ध कर।'
इसके बाद भीम और दुर्योधन का युद्ध हुआ, जिसमें दुर्योधन मारा गया।
सीख- वास्तविकता का सही ढंग से सामना करना चाहिए। कुछ लोग अपनी हार मानने के लिए तैयार नहीं होते हैं, ऐसे लोग ये नहीं मानते हैं कि हमारे गलत कामों का परिणाम आ चुका है। अगर व्यक्ति हालात को अहंकार की वजह से स्वीकार नहीं करता है तो वह एक और गलती है। इस गलती से बचना चाहिए।
बिहार के बेगूसराय के रहने वाले ब्रजेश कुमार किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता खेती करते हैं। ब्रजेश की पढ़ाई लिखाई ग्रामीण परिवेश में ही हुई। फिर उनकी जॉब लग गई। दो साल तक उन्होंने नौकरी की। फिर 2013 में कैटल फार्मिंग की शुरुआत की। आज उनके पास 30 पशु हैं। उनका टर्नओवर सालाना 5 करोड़ रुपए है।
30 साल के ब्रजेश ISM धनबाद से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेली कम्यूनिकेशन में डिप्लोमा करने के बाद सीबीएसई के साथ गोपालगंज में सीसीई कंट्रोलर के तौर पर काम कर रहे थे। वे कहते हैं कि नौकरी और सैलरी दोनों अच्छी थी लेकिन जॉब सेटिस्फेक्शन नहीं मिल रहा था। दो साल नौकरी करने के बाद 2013 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी।
ब्रजेश ने बताया कि पहले से मन में था कि कुछ अलग करना है, लेकिन ये तय नहीं कर पा रहा था कि क्या करना है। सीबीएसई में काम करने के दौरान एक चीज समझ आई कि आजकल के बच्चों को खेती के बारे में बहुत कम जानकारी है या दिलचस्पी नहीं है। बस सिलेबस पूरा करने के लिए वो खेती से जुड़े टॉपिक पढ़ते हैं। तब मुझे लगा कि क्यों न इस फील्ड में ही कुछ किया जाए। फिर मैंने पशुपालन करने का फैसला लिया।
इसके बाद बिहार सरकार के समग्र विकास योजना के तहत 15 लाख रुपए का लोन लिया और बेगूसराय में 4 एकड़ जमीन लीज पर ली। इसके बाद कुछ फ्रीजियन साहीवाल और जर्सी नस्ल की गायें खरीदीं। ब्रजेश के पास फिलहाल जर्सी, साहीवाल, गिर जैसी किस्म की 26 गायें हैं। इनसे हर दिन 200 लीटर दूध का उत्पादन होता है। वह अपने दूध को बरौनी डेयरी को बेचते हैं।
धीरे-धीरे ब्रजेश का दायरा बढ़ने लगा और उन्होंने पशुओं के लिए पौष्टिक आहार और वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम भी शुरू कर दिया। अभी वे किसानों से उनके प्रोडक्ट खरीदते हैं और उससे पशुओं के लिए आहार तैयार करके मार्केट में सप्लाई करते हैं। आज ब्रजेश के 4 एकड़ जमीन पर गौशाला, गोबर गैस प्लांट, वर्मी कम्पोस्ट बनाने की मशीन से लेकर मिल्किंग मशीन तक है।
कैटल फार्मिंग और डेयरी के बारे में ट्रेनिंग के लिए वे महाराष्ट्र के कोल्हापुर भी गए थे। बाद में वे राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, आणंद (गुजरात) से जुड़ गए। इसके तहत उन्होंने कई किसानों को ट्रेंड किया। ऑन रिकॉर्ड 6 हजार से ज्यादा किसानों को वे ट्रेनिंग दे चुके हैं। साथ ही 40 लोगों को उन्होंने अपने यहां रोजगार भी दिया है।
ब्रजेश बताते हैं कि हम मॉडर्न तकनीक से पशुपालन करते हैं। वे शॉर्टेट सीमेन का इस्तेमाल करते हैं ताकि गाय हमेशा बछिया ही पैदा करें। इसके साथ ही वे सरोगेसी गाय भी पाल रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पुणे के वैज्ञानिकों की मदद ली है। इसमें करीब 30 हजार रुपए खर्च आया है।
इस काम के लिए ब्रजेश कई मंचों पर सम्मानित हो चुके हैं। पीएम मोदी उनकी तारीफ कर चुके हैं। उन्होंने ब्रजेश के साथ बातचीत का वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी ब्रजेश के कैटल फार्म को देखने के लिए आ चुके हैं। हाल ही उन्होंने सब्जियों की खेती भी शुरू की है। करीब 4 एकड़ जमीन पर शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी, गन्ना और टमाटर उगाए हैं। कुछ दिनों बाद इसे मार्केट में वो ले जाएंगे। इससे भी अच्छी कमाई होने की उम्मीद है।
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को देश के बाहर रह रहे सिख समुदाय के लोगों का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। कनाडा के वैंकूवर में तो किसानों के समर्थन में प्रदर्शन भी हुए हैं। यूरोप, अमेरिका, कनाडा और दुनिया के दूसरे हिस्सों में रह रहे लोग किसानों के समर्थन में एकजुट हो रहे हैं। वे आंदोलन के लिए आर्थिक मदद भेज रहे हैं।
अमेरिका के डेनवर में रहने वाले किरनपाल सिंह सिद्धू ने किसानों के आंदोलन के लिए कई बार पैसे भेजे हैं। सिद्धू कहते हैं, 'हमें मीडिया के जरिए किसानों के प्रदर्शन के बारे में पता चला है। अब मैं रोजाना कम से कम दो बार प्रदर्शन में शामिल लोगों से फोन पर बात करता हूं। कोलोराडो और डेनवर की सिख और इंडियन कम्यूनिटी हर तरह से आंदोलन में मदद करने की कोशिश कर रही है।'
सिद्धु कहते हैं, 'मैं अपने दोस्तों के जरिए कई बार पैसे भेज चुका है। आगे भी जरूरत पड़ेगी तो भेजूंगा। हमारा चाहे कितना भी खर्च हो जाए, हम पीछे नहीं हटेंगे। मैं खुद एक किसान का बेटा हूं और उनके दर्द को समझ रहा हूं।'
एक नौजवान पंजाब के होशियारपुर से आंदोलन में शामिल होने दिल्ली आया है। उसका कहना है कि कनाडा में मेरे भाई रहते हैं। वे किसान आंदोलन को सपोर्ट कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि बादाम-दूध पीते रहो और धरने पर डटे रहो, पैसों की चिंता न करना।'
विदेश में रह रहे भारतीय मीडिया रिपोर्टों, सोशल मीडिया और अपने पारिवारिक दोस्तों के जरिए आंदोलन के बारे में जानकारियां ले रहे हैं। ब्रिटेन के लीड्स में रहने वाले जसप्रीत सिंह दफ्तर आते-जाते समय रास्ते में अपनी सोशल मीडिया फीड पर सिर्फ आंदोलन के बारे में ही पढ़ते हैं। जसप्रीत भारत आकर आंदोलन में शामिल होना चाहते हैं लेकिन उनके घरवालों ने उन्हें मना किया हुआ है।
जसप्रीत कहते हैं, 'मेरे परिवार के लोग धरने पर बैठे हैं। मैं ब्रिटेन में बैठकर जब बुजुर्ग किसानों की तस्वीरें देखता हूं तो मन विचलित हो जाता है। किसान अपने हक के लिए आंदोलन कर रहे हैं लेकिन मीडिया के कुछ हिस्से में उनकी नकारात्मक तस्वीर पेश की जाती है। मैं बहुत चाहता हूं कि भारत आकर इस धरने में शामिल हो जाऊं।'
दोस्तों-रिश्तेदारों के जरिए दे रहे रुपये
जसप्रीत के मुताबिक, ब्रिटेन के सिख समुदाय के लोग भी आंदोलन के लिए पैसे भेज रहे हैं और सोशल मीडिया पर भी इससे जुड़े पोस्ट शेयर कर रहे हैं। विदेशों में रह रहे सिख समुदाय के लोग एनजीओ के जरिए पैसे भेजने के बजाए अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के जरिए पैसे भेज रहे हैं। प्रदर्शन में शामिल लुधियाना से आए एक किसान के मुताबिक उनके दोस्त ने कनाडा से बीस हजार रुपए भेजे हैं। वह कहते हैं, 'मेरे दोस्त ने आंदोलन के लिए गुप्त दान किया है। वह अपना नाम जाहिर नहीं करना चाहता है।'
किरनपाल सिद्धू कहते हैं, 'इतना बड़ा प्रोटेस्ट दिल्ली में चल रहा है। हमें ये खुशी होती है कि इतने लोग इकट्ठे हुए हैं। सिर्फ किसान ही इस धरने में शामिल नहीं है। हम यहां अमेरिका से हर तरह की सपोर्ट करने के लिए तैयार हैं। अगर ये कानून वापस नहीं लिए जाते हैं तो हम अपने-अपने गांव गोद ले लेंगे और किसानों की मदद करेंगे।'
हरियाणा से आए प्रदर्शनकारी अनूप चनौत के मुताबिक, अमेरिका और कनाडा में रह रहे उनके कई दोस्तों ने आंदोलन में मदद भेजने के लिए संपर्क किया है। चनौत कहते हैं, 'विदेश में रह रहे हमारे साथी आंदोलन में हर तरह की मदद करने के लिए तैयार है। वो एकजुट होकर दोस्तों के जरिए पैसे भी भेज रहे हैं।
कनाडा की आबादी में करीब 1.4 प्रतिशत सिख हैं और यहां की राजनीति में सिखों का खासा असर है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है। इसे भी कनाडा में सिखों के प्रभाव के सबूत के तौर पर ही देखा जा रहा है।
ट्रेक्टर2ट्विटर कैंपेन के जरिए भी लोग आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। इस कैंपेन में किसानों के मुद्दे पर सोशल मीडिया पर चर्चा हो रही है। इस कैंपेन के जरिए विदेशों में रह रहे भारतीयों ने सोशल मीडिया पर ग्रुप भी बनाए हैं और वे एक-दूसरे से संपर्क कर रहे हैं।
इन ग्रुपों में किसानों को दिल्ली पहुंचने में हुई दिक्कतों पर चर्चा हो रही है। कैसे आंदोलन की आर्थिक मदद की जाए इस पर भी लोग बात कर रहे हैं। वे सोशल मीडिया पर आंदोलन से जुड़े टॉपिक ट्रेंड कराने पर भी काम कर रहे हैं।
किसानों के समर्थन में कनाडा में प्रदर्शन
वहीं दुनियाभर में सिखों के बड़े संगठन भी आंदोलन में मदद के लिए आगे आए हैं। कनाडा की वर्ल्ड सिख आर्गेनाइजेशन ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है। वर्ल्ड सिख ऑर्गेनाइजेशन के पूर्व अध्यक्ष जसकरण संधू ने एक बयान में कहा है, 'कनाडा में रह रहे अधिकतर सिखों के पास पंजाब में जमीनें हैं या उनके परिवार वहां रहते हैं। इसी वजह से कृषि कानूनों से वो सीधे तौर पर प्रभावित महसूस करते हैं।'
कनाडा के ब्रैंपटन में गुरुवार को किसानों के समर्थन में प्रदर्शन किया गया। सड़क किनारों खड़े लोगों ने गाड़ियों से गुजर रहे लोगों से हॉर्न बजाने की अपील की। सोशल मीडिया पर जारी वीडियो में लगातार बज रहे गाड़ियों के हॉर्न की आवाज सुनाई दे रही है जो बताती है कि किसानों का ये आंदोलन देश और विदेश में मजबूत हो रहा है।
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) के चुनावों को हिंदी मीडिया में आज से पहले शायद इतनी जगह नहीं मिली होगी, जितनी इस बार मिली है। उसकी वजह भी खास है। वो ये कि ये इस चुनाव में भाजपा ने पहली बार 48 सीटें जीती हैं। रूलिंग पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) ने 55 और ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) ने 44 सीटें जीती हैं।
लेकिन इस बार ऐसा क्या हुआ कि ओवैसी की पार्टी दूसरे से तीसरे नंबर पर आ गई और भाजपा तीसरे से दूसरे? इस चुनाव में भाजपा ने क्या रणनीति अपनाई? और क्या इन नतीजों का असर अगले साल पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनावों पर भी दिखेगा? आइए जानते हैं...
सबसे पहले बात GHMC के बारे में...
GHMC का सालाना बजट 6 हजार 150 करोड़ रुपए का है। इसकी आबादी तकरीबन 80 लाख है, जिसमें से 40% से ज्यादा आबादी मुस्लिम है। 2007 से इसे ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम कहा जाता है। ये नगर निगम 7 जोन में बंटा है। और यहां एक मेयर और एक डिप्टी मेयर होता है।
इस नगर निगम में विधानसभा की 24 और लोकसभा की 5 सीट आती है। AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी यहीं से लोकसभा सांसद हैं। फिलहाल इस नगर निगम पर मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव की पार्टी TRS का कब्जा है। 2016 में TRS ने यहां के 150 में से 99 वॉर्ड में जीत हासिल की थी। AIMIM को 44 सीटें मिली थीं। जबकि भाजपा को 4 और कांग्रेस को 2 सीटें मिली थीं। अभी यहां के मेयर डॉ. बोंथू राममोहन और डिप्टी मेयर बाबा फसीउद्दीन हैं।
AIMIM के पीछे छोड़, भाजपा आगे कैसे बढ़ी? इसके चार कारण हैंः
1. शाह, योगी समेत भाजपा के सभी बड़े नेताओं का प्रचार करना
ये चुनाव भले ही नगर निगम के लिए था, लेकिन भाजपा ने यहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी। गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और प्रकाश जावड़ेकर जैसे बड़े नेताओं ने यहां प्रचार किया। जेपी नड्डा और योगी आदित्यनाथ ने तो यहां रोड शो तक किया। वहीं युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद तेजस्वी सूर्या भी यहां जमे हुए थे। इसका फायदा भाजपा को मिला।
2. स्थानीय मुद्दों को साइड किया और राष्ट्रवाद का मुद्दा उठाया
नगर निगम के चुनाव अक्सर बिजली, पानी, सड़क, कूड़ा-करकट जैसे स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाते हैं, लेकिन ये पहली बार था जब चुनावों में सर्जिकल स्ट्राइक, 370, मुसलमान, रोहिंग्या, पाकिस्तान, बांग्लादेश का जिक्र हुआ। तेजस्वी सूर्या ने प्रचार के दौरान कहा, 'अकबरुद्दीन और असदुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद में केवल रोहिंग्या मुसलमानों का विकास करने का काम किया है। ओवैसी को वोट भारत के खिलाफ वोट है।' केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी कहा, 'TRS और AIMIM घुसपैठियों के साथ खड़ी है।' वहीं योगी आदित्यनाथ ने तो कह दिया कि बिहार में AIMIM के विधायक ने शपथ लेते समय 'हिंदुस्तान' नहीं बोला। इससे ध्रुवीकरण हुआ और भाजपा को फायदा मिला।
3. TRS और AIMIM के बीच अंदरुनी गठबंधन है, इसे बताने में कामयाब रही भाजपा
तेजस्वी सूर्या लगातार प्रचार में कहते रहे कि TRS और AIMIM के बीच 'अपवित्र गठबंधन' है। इसका एक कारण ये भी था कि TRS ने तो सभी 150 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, लेकिन ओवैसी की पार्टी ने महज 51 सीटों पर ही उम्मीदवार खड़े किए। भाजपा 149 सीटों पर लड़ रही है। TRS के खिलाफ ज्यादातर सीटों पर ओवैसी की पार्टी का नहीं उतरने का भाजपा ने फायदा उठाया। स्मृति ईरानी और योगी आदित्यनाथ समेत भाजपा के नेता ये बताने में कामयाब रहे कि TRS और AIMIM के बीच अंदरुनी गठबंधन है, बस दोनों ही इसे जाहिर नहीं करते।
4. गैर-मुस्लिम आबादी पर भाजपा ने फोकस किया
हैदराबाद की 40% से ज्यादा की आबादी मुसलमान है। और यही भाजपा की कमजोरी भी थी, लेकिन यही ताकत भी बनी। भाजपा नेताओं ने गैर-मुस्लिम आबादी पर फोकस किया। तेजस्वी सूर्या ने इसके लिए बहुत काम किया। उन्होंने यहां 'चेंज हैदराबाद' कैंपेन शुरू किया। उन्होंने अपने सभी भाषणों में TRS और AIMIM पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा, 'ओवैसी हैदराबाद में रहते हैं, लेकिन ये शहर हमारा है। ये शहर जय श्रीराम के नारे से गूंज उठा है। TRS और AIMIM जय श्रीराम के नारे लगाने से डरते हैं। हमें इस ताकत को बढ़ाने की जरूरत है।' एक रैली में तो सूर्या ने ओवैसी को मोहम्मद अली जिन्ना का अवतार तक बता दिया।
अब सवाल ये कि नगर निगम के चुनाव में भाजपा ने इतनी ताकत क्यों लगाई?
इसके लिए थोड़ा पीछे चलते हैं। मार्च 2020 में भाजपा ने बंदी संजय कुमार को तेलंगाना का प्रदेश अध्यक्ष बनाया। ये कई सालों बाद हुआ, जब भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष हैदराबाद से नहीं चुना। बंदी संजय कुमार करीमनगर सीट से लोकसभा सांसद हैं और पहली बार ही सांसद बने हैं।
नवंबर में यहां की दुब्बाक सीट पर उपचुुनाव हुए। इस सीट पर TRS का कब्जा था। बंदी संजय कुमार ने दुब्बाक सीट जीतने के लिए एक रणनीति अपनाई। उन्होंने घर-घर जाकर कहना शुरू किया कि TRS और ओवैसी की पार्टी के बीच अंदरुनी गठबंधन है। उनकी ये रणनीति कामयाब रही और भाजपा दुब्बाक सीट जीत गई। यहां से भाजपा के एम रघुनंदन राव ने TRS की एस सुजाता को महज 1,079 वोटों से हराया।
भाजपा के लिए दुब्बाक की जीत बहुत बड़ी थी। 2018 में तेलंगाना में जब चुनाव हुए। भाजपा यहां की 119 में से सिर्फ एक सीट ही जीत पाई। दुब्बाक जीतने के बाद तेलंगाना में उसकी विधायकों की संख्या एक से बढ़कर दो हो गई और TRS के विधायकों की संख्या 88 से 87।
क्या इसका बंगाल चुनाव पर भी कोई असर पड़ेगा?
मुस्लिम बहुल इलाके में इस तरह का भाजपा का प्रदर्शन बंगाल पर भी प्रभाव डालेगा। भाजपा ने जिस तरह की रणनीति यहां अपनाई, इसी तरह की रणनीति बंगाल में भी अपना सकती है। एक तरह से ये भी कह सकते हैं कि हैदराबाद नगर निगम चुनाव भाजपा के लिए टेस्टिंग लैब की तरह था।
पश्चिम बंगाल में 294 विधानसभा सीट हैं। बहुमत के लिए 148 सीटों की जरूरत है। यहां की 30% आबादी मुस्लिम है और 110 सीटों पर उनका दबदबा है। यहां ओवैसी की पार्टी भी अपने उम्मीदवार उतारेगी। ऐसे में वोटों का बंटना तय है। जैसा बिहार में हुआ।
बिहार में पहली बार ओवैसी की AIMIM ने पांच सीटों पर जीत हासिल कर ये संकेत दे दिया है कि वो बंगाल के मुस्लिम बहुल इलाकों में वोटकटवा पार्टी बन सकती है। उसने पहले ही बंगाल चुनावों की तैयारी तेज कर दी है। इसका पूरा फायदा भाजपा को मिल सकता है। यदि हिंदू वोट कंसोलिडेट्स हुआ, जिसकी कोशिश भाजपा पिछले कुछ सालों से बंगाल में कर रही है तो तृणमूल की परेशानी बढ़ सकती है। इसी तरह AIMIM की मौजूदगी से वोटर्स का ध्रुवीकरण तय है।
मालदा में 51%, मुर्शिदाबाद में 66%, नादिया में 30%, बीरभूम में 40%, पुरुलिया में 30% और ईस्ट और वेस्ट मिदनापुर में 15% मुस्लिम आबादी है। ऐसे में भाजपा की कोशिशें सफल रहीं तो निर्णायक मुस्लिम वोटों वाली सीटों पर वोट बंटेंगे और हिंदू वोट कंसोलिडेट्स होंगे।
पांच साल पहले मैं एक कपड़े की दुकान पर गया। अपनी पसंद के कपड़े चुने, पर्स से कैश निकालकर कर पेमेंट किया और सामान लेकर घर आ गया।
दो साल पहले मैं एक सुपरमार्केट गया। अपनी जरूरत का सामान खरीदा। मोबाइल से क्यू-आर कोड स्कैन यानी यूपीआई के जरिए पेमेंट किया और सामान लेकर घर आ गया।
आज सुबह मैं अपनी कार से एक टोल टैक्स से गुजरा। सिस्टम ने खुद ही फैस्टैग स्कैन करके पेमेंट कर लिया और मैं बिना किसी परेशानी के अपनी कार लेकर घर आ गया।
ये सिर्फ मेरा नहीं, पिछले पांच सालों में आपका तजुर्बा भी कुछ ऐसा ही रहा होगा। ऊपर बताई गई तीन बातों में एक चीज जो हर बार बदल रही है वो है पेमेंट का तरीका। दुनिया में जिस तरह से पेमेंट के नए तरीके ईजाद हो रहे हैं वो किसी भी क्षेत्र में हो रहे बदलावों से कहीं तेज और ज्यादा हैं।
भारत की इकोनॉमी में लंबे समय से कैश ही किंग रहा है। उसके बाद बैंक चेक और कार्ड्स का चलन आया। 2016 में नोटबंदी के बाद कैशलेस इकोनॉमी की चर्चा ने जोर पकड़ा। इसी के साथ भारत में मोबाइल पेमेंट्स ने भी रफ्तार पकड़ी।
आज आलम यह है कि भारत में गूगल पे, पेटीएम, फोन-पे और भीम जैसे यूपीआई प्लेटफॉर्म पर हर महीने 1.22 बिलियन यानी करीब 122 करोड़ लेन-देन होते हैं। रोजमर्रा में यह देखा भी जा सकता है। सब्जी वाले से लेकर अखबार वाले तक, चाय की दुकान से लेकर फाइव स्टार होटल तक हर जगह डिजिटल पेमेंट अपनाया जा रहा है।
कैश से लेकर डिजिटल पेमेंट तक, लेन-देन के तरीकों ने भारत में एक लंबा रास्ता तय कर लिया है। लेकिन सवाल उठता है कि अब आगे क्या? भारत में पेमेंट का भविष्य क्या होगा? अंगूठा, चेहरा या आवाज के जरिए पैसों के लेन-देन की बात कितनी सच है और कितना अफसाना। हमने यहां इन्हीं सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश की है।
पांच इनोवेशन पर टिका है, भारत में पेमेंट का भविष्य
जनवरी 2018 में अमेरिका के सिएटल शहर में अमेजन ने एक अनोखा स्टोर खोला। ‘अमेजन गो’ नाम के इस ग्रॉसरी स्टोर में आपको बिलिंग के लिए लाइन में लगने की जरूरत नहीं है। आपको स्टोर में दाखिल होना है। मोबाइल ऐप स्कैन करना है। स्टोर से अपनी जरूरत का सामान उठाना है और लेकर घर चले जाना है।
बाकी सारा काम सिस्टम कर देगा और आपके सामान का बिल आपके मोबाइल ऐप पर आ जाएगा। फिलहाल ‘अमेजन गो’ जैसा स्मार्ट स्टोर भारत में खुलने में भले ही थोड़ा वक्त लगे, लेकिन पेमेंट इंडस्ट्री में कुछ बड़े इनोवेशन हैं जो बहुत जल्द देखने को मिल सकते हैं या दिखना शुरू हो चुके हैं…
1. अंगूठे में छिपी है बैंक की चाबी (Biometric Authentication)
स्मार्टफोन की दुनिया में बॉयोमेट्रिक टेक्नोलॉजी कोई नई बात नहीं है। आप अपना स्मार्टफोन या लैपटॉप फिंगर प्रिंट के जरिए अनलॉक करते होंगे। अब इसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल पेमेंट की दुनिया में करने की कोशिश हो रही है। बॉयोमेट्रिक के इस्तेमाल से दो बातें होंगी। पहला, आपको पिन याद रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दूसरा, कोई दूसरा फ्रॉड करके आपकी जगह पेमेंट नहीं कर सकेगा। इससे पेमेंट करते वक्त आपको आसानी होगी, सुरक्षा महसूस होगी और ये अन्य माध्यमों की अपेक्षा तेज भी होगा।
भारत में स्थितिः फिलहाल भारत में पेमेंट के लिए बॉयोमेट्रिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। यूके में कुछ बैंक ट्रॉयल मोड पर बॉयोमेट्रिक कार्ड जारी कर रहे हैं। पेमेंट गेटवे कंपनी रेजर पे के हर्षिल माथुर का कहना है कि इस दिशा में बड़ी कंपनियां इनोवेशन कर रही हैं। जल्द ही पेमेंट की दुनिया से पिन की जगह बॉयोमेट्रिक जैसी टेक्नोलॉजी ले सकती है।
2. आवाज ही पहचान है (Voice Payments)
आपको याद होगा वॉयस असिस्टेंस का इस्तेमाल कैसे जोक बनाने के लिए किया जाता था। अलेक्सा से कोई उल्टा-सीधा सवाल पूछो और मजेदार जवाब मिलता था। लेकिन उस वक्त कहां अंदाजा था कि फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आपकी आवाज को काफी गंभीरता से लिया जा रहा है। सभी की आवाज में एक खूबी होती है। इसी खूबी और अनोखेपन का इस्तेमाल पेमेंट की दुनिया में करने की तैयारी है। अमेजन पे और गूगल पे जैसी बड़ी कंपनियां इस दिशा में ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। अगर यह प्रयोग सफल हो जाता है तो वॉयस पेमेंट का यह तरीका बेहद सहूलियत भरा और तेज साबित होगा।
भारत में स्थितिः भारत में वॉयस पेमेंट अभी दूर की कौड़ी है। यूएस में इस पर काम किया जा रहा है। हालांकि इसके साथ सबसे बड़ी चुनौती सुरक्षा और प्राइवेसी को लेकर है।
3. चेहरे में वो जादू है (Face Recognition)
अब तक तमाम फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी स्मार्टफोन के इर्द गिर्द ही इनोवेशन कर रही हैं। लेकिन फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी को ऐसे डिजाइन किया जा रहा है, जिसमें मोबाइल फोन की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। आपका चेहरा ही आपका बैंक अकाउंट और पासवर्ड बन जाएगा। पेमेंट के इस तरीके से कैश, कार्ड, मोबाइल की सारी झंझट ही खत्म हो जाएगी।
चीन ने पेमेंट के इस तरीके को अपना भी लिया है। इसमें ग्राहक को पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीन के सामने खड़ा किया जाता है। मशीन में एक कैमरा लगा होता है जिसमें ग्राहक की तस्वीर ली जाती है और पहचान के बाद पेमेंट ट्रांसफर हो जाता है। पेमेंट का यह तरीका बेहद तेज और आसान है।
भारत में स्थितिः भारत में फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी अभी नहीं आई है। लेकिन कुछ बातें हैं जो उम्मीदें जगाती हैं। मसलन भारत में आधार कार्ड में फिंगर प्रिंट, चेहरे और आंख की जानकारी मौजूद होती है। फिनटेक कंपनियां इस डेटा का इस्तेमाल करके जल्द ही कोई तरीका निकाल सकती हैं, जिससे पेमेंट बेहद आसान और सुरक्षित हो जाएगा।
4. कार्ड भी हो रहे एडवांस (Tap-and-go Payment)
कार्ड से पेमेंट करने का तरीका क्या है? पहले कार्ड को पीओएस मशीन में स्वैप करो। पिन एंटर करके ऑथेंटिकेट करो। तीसरे स्टेप में आपका पेमेंट हो जाता है। लेकिन जल्द ही ये गुजरे जमाने की बात हो सकती है। अब टैप एंड गो पेमेंट का जमाना आने वाला है। यानी अब आपको अपना कार्ड मशीन में स्वैप कराने या पिन डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
सिर्फ कार्ड को मशीन में टैप करो और सामान लेकर घर जाओ। बाकी काम कार्ड में लगे ईएमवी चिप और आरएफआईडी एंटिना के जरिए सिस्टम खुद ब खुद कर लेगा। फिलहाल सिंगापुर और दक्षिण कोरिया में टैप एंड गो पेमेंट का चलन तेजी से बढ़ रहा है।
भारत में स्थितिः भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने वीजा, मास्टरकार्ड और एनपीसीआई को टैप एंड गो पेमेंट के लिए हरी झंडी दे दी है। कई शॉपिंग स्टोर पर इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी किया जा रहा है। कई जगह पेमेंट सिस्टम में जरूरी अपग्रेड की प्रक्रिया चल रही है।
5. जादू से हो जाएगी पेमेंट (Invisible Payments)
डिजिटल पेमेंट से एक कदम आगे की टेक्नोलॉजी है इनविजिबल पेमेंट। इसमें आपको सामान या सेवा के बदले तत्काल कोई पेमेंट नहीं करना है। आपके खाते से एक तय समय सीमा के अंदर पैसे काट लिए जाएंगे। इसके लिए आपको पहले से सहमति देनी होगी। इसको एक उदाहरण से समझते हैं।
जैसे आपने नेटफ्लिक्स का सब्सक्रिप्शन लिया। उसके बाद आपको हर महीने पेमेंट करने की जरूरत नहीं। आपके अकाउंट से इनविजिबल तरीके से पैसे काट लिए जाएंगे और आपकी सर्विस रिन्यू हो जाएगी। इनविजिबल पेमेंट को कैब सर्विस ऊबर कई देशों में इस्तेमाल कर रहा है।
भारत में स्थितिः भारत में भी इनविजिबल पेमेंट आंशिक रूप से इस्तेमाल की जा रही है। हालांकि भारत में इसे लेकर कई तरह की चुनौतियां भी हैं। इस सेक्टर के जानकार नवीन सूर्या का कहना है कि पेमेंट पूरी तरह से इनविजिबल कभी नहीं होगी। ये जरूर हो सकता है कि पेमेंट का तरीका बिल्कुल आसान हो जाए और पिन या कार्ड की जरूरत भी ना पड़े।
आइए, अब आपको बताते हैं कि भारत में पेमेंट इंडस्ट्री के मौजूदा हालात क्या हैं और ये किस गति से किस दिशा में आगे बढ़ रही है। इसके लिए हम तीन ग्राफिक्स और हाल ही में लिए गए दो बड़े फैसलों का इस्तेमाल करेंगे और आपको पूरा ट्रेंड समझाने की कोशिश करेंगे।
पांच साल में 55% की दर से बढ़ा मोबाइल पेमेंट
भारत में सस्ते स्मार्टफोन और आसानी से उपलब्ध सस्ते इंटरनेट ने ऐप्स का चलन बढ़ा दिया है। एनालिटिक्स फर्म AppAnnie की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, ऐप डाउनलोड के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है। ऐप के क्षेत्र में आई इस क्रांति ने पेमेंट इंडस्ट्री में भी बहार ला दी है। पिछले 5 साल के दौरान देश में डिजिटल पेमेंट कई गुना बढ़ा है। आरबीआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 2015-16 से 2019-20 के बीच डिजिटल पेमेंट 55.1 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है। इन आकंड़ों को ग्राफिक्स के जरिए आसानी से समझ सकते हैं।
हर दुकान तक पहुंची मोबाइल पेमेंट की सुविधा
मोबाइल हर हाथ में आने के साथ ही मोबाइल पेमेंट भी हर दुकान तक पहुंच गया है। पेटीएम अकेले 1 करोड़ 60 लाख व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में पेमेंट सहयोगी है। इसकी तुलना में कार्ड वाले प्वाइंट ऑफ सेल की संख्या पूरे देश में महज 50 लाख है। छोटे व्यापारिक प्रतिष्ठान क्यूआर-कोड वाले पेमेंट विकल्प को अपना रहे हैं। यह इस्तेमाल में आसान है और इसकी लागत भी कम है। साथ ही ग्राहकों के लिए भी यह सुविधाजनक है।
इसमें सोने पर सुहागा साबित हो रहा है नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया का एक केंद्रीयकृत पेमेंट सिस्टम जो सभी तरह के बिलर्स और पेमेंट एग्रीगेटर्स को एक छतरी के नीचे ले आया है। मसलन, गूगल पे इंडिया या अमेजन पे जैसे ऐप से ग्राहक अब अपने टेलीकॉम, गैस, बिजली और इंश्योरेंस बिल भी घर बैठे जमा कर सकते हैं।
डिजिटल वॉलेट गिन रहा अंतिम सांसें, यूपीआई की धूम
भारत में शुरुआती दिनों में पेटीएम ने वॉलेट सेवा शुरू की थी। इसमें आप एक निश्चित रकम रख सकते थे और उसे छोटी-मोटी खरीद के लिए इस्तेमाल कर सकते थे। ये वॉलेट एक तरीके से कैश का विकल्प बन रहे थे। लेकिन इन डिजिटल वॉलेट्स की अपनी सीमाएं थी। मसलन एक पेटीएम वॉलेट यूजर सिर्फ दूसरे पेटीएम वॉलेट यूजर को ही पैसे भेज सकता था।
2016 में यूपीआई की लॉन्चिंग के साथ ही डिजिटल पेमेंट की दुनिया में एक क्रांति आ गई। यूपीआई ने सीधे बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा दी। वॉलेट में आपके पैसे पर कोई ब्याज नहीं मिलता लेकिन बैंक में जमा पैसे पर ब्याज मिलता है। वॉलेट में केवाईसी जैसी झंझट है जबकि यूपीआई में ऐसा कुछ नहीं करना पड़ता। इसलिए धीरे-धीरे भारत में भी लोग डिजिटल वॉलेट से यूपीआई की तरफ मुड़ गए। ग्राफिक्स में दिया आंकड़ा सारी कहानी कह रहा है।
अब आखिर में बात करते हैं हाल ही में लिए गए दो बड़े फैसलों की जो आने-वाले दिनों में भारत में पेमेंट का भविष्य तय कर सकते हैं...
पहला फैसलाः 'वॉट्सऐप-पे' को पेमेंट सेवा की अनुमति
एनपीसीआई ने वॉट्सऐप को भारत में भुगतान सेवा शुरू करने की अनुमति दे दी है। भारत में वॉट्सऐप के 400 मिलियन यानी करीब 40 करोड़ यूजर्स हैं। पेमेंट की मंजूरी मिलने से अब पैसे मैसेज भेजने जितना आसान हो सकता है। फिलहाल वाट्सएप अपने सिर्फ 20 लाख यूजर्स को ये सर्विस दे रहा है। वॉट्सऐप के बड़े यूजर बेस को देखते हुए अन्य पेमेंट कंपनियां जरूर चिंतित होंगी। वॉट्सऐप पे डिजिटल पेमेंट की दुनिया की एक नई तस्वीर बना सकता है लेकिन इस राह में एनपीसीआई का नया नियम एक बड़ा रोड़ा साबित हो रहा है।
दूसरा फैसलाः एनपीसीआई ने लगा दिया बैरिकेड
एनपीसीआई ने हाल ही में एक नया नियम जारी किया है जिसमें कोई भी थर्ड पार्टी यूपीआई ऐप कुल यूपीआई लेन-देन का अधिकतम 30 प्रतिशत ही अपने प्लेटफॉर्म पर कर सकता है। इसको ऐसे समझे कि अगर भारत में यूपीआई से कुल ट्रांजैक्शन 100 रुपये का होता है तो गूगल पे, फोन पे या वॉट्सऐप पे जैसी कंपनियां अधिकतम 30 रुपये तक का ही ट्रांजैक्शन कर सकती हैं। एनपीसीआई का तर्क है कि इससे बाजार में किसी कंपनी का एक छत्र राज नहीं हो पाएगा। फिलहाल गूगल पे, फोन पे, पेटीएम और अमेजन पे मिलकर यूपीआई बाजार का 97 प्रतिशत ट्रांजैक्शन करते हैं। जबकि केपीएमजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कुल 45 से ज्यादा मोबाइल वॉलेट और करीब 50 यूपीआई आधारित ऐप्स हैं।
क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि किसानों के प्रदर्शन में भीड़ बढ़ाने के लिए लोगों को पैसे देकर बुलाया जा रहा है। एक वीडियो वायरल हो रहा है, इसमें कुछ लोग ये कहते भी दिख रहे हैं कि उन्हें आने के लिए पैसे दिए गए हैं।
वीडियो के साथ शेयर किए जा रहे मैसेज में दावा है कि वीडियो किसानों के प्रदर्शन का ही है।
— कृष्ण कुमार गुड्डू सिंह (सावरकर) (@krishna94539696) December 3, 2020
और सच क्या है?
दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन से जुड़ी किसी मीडिया रिपोर्ट में हमें वह वीडियो नहीं मिला, जो सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है।
Invid के वी-वेरिफाई टूल के जरिए हमने वीडियो को पहले की-फ्रेम्स में बांटा। इसके बाद एक-एक फ्रेम को गूगल पर रिवर्स सर्च कर हकीकत जांचनी शुरू की।
31 जनवरी की एक सोशल मीडिया पोस्ट में भी हमें यही वीडियो मिला। जिससे ये साफ हो गया कि वीडियो कम से कम 11 महीने पुराना है और हाल में चल रहे किसानों के प्रदर्शन से इस वीडियो का कोई संबंध नहीं है।
दावे से जुड़े की-वर्ड्स को गूगल सर्च करने से हमें 2 साल पुरानी कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इसी वीडियो के स्क्रीनशॉट मिले। जिनसे पता चलता है कि ये मामला 2 साल पुराना है।
हरियाणा के हिसार में 2 साल पहले आम आदमी पार्टी की चुनावी रैली थी। इस रैली में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी पहुंचे थे। रैली के बाद एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें सामने आया था कि कुछ मजदूरों को दिहाड़ी का वादा कर रैली में बुलाया गया। जाहिर है मामला 2 साल पुराना है।
न्यूज एजेंसी ANI ने भी मार्च 2018 में एक वीडियो जारी किया था। जिसमें कुछ मजदूर आम आदमी पार्टी पर दिहाड़ी का लालच देकर रैली में बुलाने का आरोप लगा रहे हैं।
#WATCH Labourers allege that they were promised Rs 350 each and food, to be present at Aam Aadmi Party chief Arvind Kejriwal's public rally in Haryana's Hisar yesterday but they neither got money nor food. pic.twitter.com/Qw9IJhp34w
शहडोल जिला चिकित्सालय में बच्चों की मौतों का सिलसिला जारी है। 60 घंटे (बुधवार से शुक्रवार शाम तक) के भीतर यहां 5 और बच्चों की मौत हो गई। इनमें 2 व 11 दिन की दो बच्चियों सहित एक सवा महीने की बच्ची तथा सात माह व ढाई महीने के 2 बच्चे शामिल हैं। 26 नवंबर से अब तक यहां 13 बच्चों की मौत हो चुकी है।
शहडोल में लगातार हो रही बच्चों की मौतों से एक बार फिर भोपाल तक हड़कंप मच गया। सुबह ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्यप्रदेश की संचालक छवि भारद्वाज ने ऑन लाइन मीटिंग की, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के साथ उप संचालक स्वास्थ्य (रीवा) भी शामिल हुए। शासन स्तर पर हुए इस रिव्यू के दौरान बच्चों की मौत के पीछे मैदानी अमले की लापरवाही की बात भी आई।
सूत्रों के अनुसार रिव्यू में यह भी माना गया कि यदि मैदानी अमला सचेत होता और बच्चों को समय पर अस्पताल पहुंचा दिया जाता तो उनकी जान बच सकती थी। इधर बच्चों की मौत के मामले में डिप्टी डायरेक्टर (रीवा) की अगुआई में जांच करने आई स्वास्थ्य महकमे की संभागीय टीम ने भी शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है।
सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट में शहडोल जिला चिकित्सालय में बाल रोग विशेषज्ञ न होने, इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाते हुए मेडिकल कॉलेज में भी एसएनसीयू (नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई) जल्द शुरू कराने तथा जिला चिकित्सालय में जल्द पीडिट्रीशियन्स नियुक्त किये जाने का सुझाव दिया गया है।
ट्रेनिंग प्रोग्राम फिर चालू होगा
मिशन संचालक छवि भारद्वाज ने स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमले का ट्रेनिंग प्रोग्राम फिर से शुरू कराए जाने के निर्देश दिए हैं। यह ट्रेनिंग प्रोग्राम कोरोना संक्रमण के बीच ठप पड़ गया था। उन्होंने निर्देश दिए कि आशा, ऊषा कार्यकर्ता व एनएनम सहित समूचा मैदानी अमला ग्रामीण क्षेत्रों में बीमार पड़ रहे बच्चों पर विशेष नजर रखे, जो बच्चा बीमार पाया जाए उसे चिकित्सकीय मदद उपलब्ध कराएं और जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाएं। मैदानी अमले को लोगों को स्वयं सहित अपने बच्चे के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने जागरूक करने पर भी उन्होंने जोर दिया। इस मामले में अगले महीने पुन: रिव्यू किया जाएगा।
चाइल्ड डेथ रेश्यो 20 परसेंट तक
शहडोल जिला चिकित्सालय में हो रही बच्चों की मौत के कारणों की जांच के लिए रीवा से डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एन.पी. पाठक के नेतृत्व में आई जांच टीम ने यहां चाइल्ड डेथ का रेश्यो 20 परसेंट तक पाया। सूत्रों के अनुसार एसएनसीयू में डेथ का ओवर ऑल 17 से 20 और पीआईसीयू में 18 परसेंट पाया गया। पीआईसीयू में 4 की जगह केवल एक डॉक्टर और उसके भी छुट्टी पर होने को भी जांच दल ने गंभीरता से लिया है।
टीम इस बात की गहराई में भी गई कि मेडिकल कॉलेज के जो 4 सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर्स जिला चिकित्सालय में अटैच हैं उनका लेबर रूम के साथ पीआईसीयू व एसएनसीयू में राउंड द क्लॉक बने रहना कैसे संभव है? सूत्रों के अनुसार जांच दल ने जिला चिकित्सालय की स्टाफ नर्स को प्रोटोकॉल ट्रेनिंग दिए जाने पर भी जोर दिया है।
रेफरल केस बड़ी समस्या
सूत्रों के अनुसार जांच टीम की नजर में यह तथ्य भी लाया गया था कि शहडोल जिला चिकित्सालय पर समीपी उमरिया व अनूपपुर के साथ डिंडोरी जिले का भी भार है। इन जिलों से रेफर हो कर आने वाले केसों की भी बड़ी संख्या है। सूत्रों के अनुसार रेफरल केसों के बढ़ते दबाव के बीच संसाधनों की कमी पर गौर करते हुए टीम ने शहडोल मेडिकल कॉलेज में एसएनसीयू शुरू कराने तथा यहां अटैच किए गए मेडिकल कॉलेज के 2 कंसलटेंट्स को नाकाफी मानते हुए तत्काल पीडिट्रीशियन्स नियुक्त किए जाने पर भी जोर दिया है।
ज्वाइंट डायरेक्टर के साथ, शासन को भी जांच रिपोर्ट भेज दी गई है। जांच के दौरान हाल ही की मौतों के अलावा इस साल हुई मौतों का एनालिसिस भी किया गया है। जांच के नतीजों और सुझावों से शासन को अवगत करा दिया गया है।
- डॉ. एन.पी. पाठक, डिप्टी डयरेक्ट, स्वास्थ्य (रीवा संभाग)
पांच और मौतों के साथ, नौ दिन भीतर 13 बच्चों की जा चुकी है जान
शहडोल जिला चिकित्सालय में 60 घंटे भीतर पांच और बच्चों की मौत हो गई। दो बच्चों की मौत बुधवार को , दो बच्चों की गुरुवार को तो पांचवीं मौत शुक्रवार शाम हुई। दो दिन से बच्चों की मौत के मामले में खुद को बचाए रखने जिला चिकित्सालय प्रबंधन द्वारा मामला सार्वजनिक नहीं किया गया। शुक्रवार दोपहर एक बच्चे को एक निजी चिकित्सालय से गंभीर हालत में जिला चिकित्सालय लाए जाने और उसकी भी हालत नाजुक देख (इस बच्चे की भी शाम को मौत हो गई) सिविल सर्जन सामने आए।
सिविल सर्जन डॉ. वीएस बारिया ने पांच बच्चों की मौत हो जाने की पुष्टि करते हुए बताया कि बुधवार को डिंडौरी से एक दिसंबर को आई ११ दिन की बच्ची की मौत बुधवार को एसएनसीयू में हुई थी। इसी दिन एसएनसीयू में एक २ दिन की बच्ची की भी मौत हुई। डॉ. बारिया ने बताया कि प्री-मैच्योर डिलेवरी के बाद बच्ची को ३० नवंबर को जिला चिकित्सालय मेें भर्ती कराया गया था।
शहडोल जिले के ग्राम पोंगरी निवासी अजय की एक माह ६ दिन की बच्ची २ दिसंबर को यहां भर्ती कराई गई थी। सीएस के अनुसार बच्ची को जब यहां लाया गया था, निमोनिया (हाइपोथर्मिया) की वजह से उसके शरीर का तापमान ३० डिग्री था, उसे बचाया नहीं जा सका। उमरिया जिले के पाली निवासी राजकुमार कोल के सात माह के बच्चे को गुरूवार सुबह करीब साढ़े ११ बजे भर्ती कराया था। उसेे वेंटीलेटर पर रखा गया था, देर शाम उसकी मौत हो गई।
ढाई महीने पहले जिला चिकित्सालय में ही हुई थी डिलेवरी
सिविल सर्जन ने बताया कि शहडोल जिले के कटकोना निवासी मथुरा बैगा ने अपने करीब ढाई महीने के बच्चे को गुरुवार को शहर के परमानंद हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। हालत बिगडऩे पर शुक्रवार दोपहर जिला चिकित्सालय भेजा गया। बच्चे की हालत बहुत नाजुक थी,उसे वेंटीलेटर पर रखा गया था, देर शाम उसकी भी मौत हो गई।
बताया जाता है कि करीब ढाई माह पहले जिला चिकित्सालय में महिला की डिलेवरी हुई थी और उसने जुड़वा बच्चों (लड़का-लडक़ी) को जन्म दिया था। बच्ची की मौत पहले ही हो चुकी थी और बच्चे ने आज देर शाम उसी जिला चिकित्सालय में दम तोड़ा, जहां ढाई महीने पहले वह पैदा हुआ था।
सर्दियों का मौसम आ चुका है। इस दौरान गर्माहट के लिए लोग घरों और गाड़ियों में हीटर और ब्लोअर का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इसके कई नुकसान भी हैं। हर साल इस मौसम में हीटर या ब्लोअर के चलते होने वाली मौतों की कई खबरें सामने आती हैं। ज्यादा सर्दी में हीटर जरूरी तो है, लेकिन गलत ढंग से इस्तेमाल किए जाने पर यह कई बार बहुत खतरनाक हो जाता है।
कुछ लोग नहाने के तुरंत बाद हीटर के सामने बैठ जाते हैं तो कुछ लोग रात भर हीटर चला कर सोते हैं। कार में भी लोग लगातार हीटर चलाकर ड्राइव करते हैं।
रूम हीटर का ज्यादा इस्तेमाल सेहत के लिए ठीक नहीं
रूम हीटर सेहत के लिए सही नहीं माना जाता। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसकी बजाय लोगों को गर्माहट के दूसरे विकल्पों को तलाशना चाहिए। रूम हीटर बंद कमरे में हवा को शुष्क कर देता है, जिससे आंखों में खुजली और स्किन रूखी होना शुरू हो जाती है।
हीटर यूज करते समय इन बातों का रखें ध्यान
अगर आप रूम हीटर यूज कर रहे हैं तो इसका इस्तेमाल कम से कम करने की कोशिश करें, ताकि वातावरण में नमी बनी रहे। अगर आप इसका इस्तेमाल करना ही चाहते हैं तो सावधानियां बरतनी पड़ेंगी।
सेहत से जुड़ीं सावधानियां भी जरूरी
रूम हीटर का यूज कर रहे हैं तो खाने-पीने पर विशेष ध्यान दें। शुष्क हवा के चलते शरीर में पानी की कमी हो जाने से डिहाइड्रेशन का डर रहता है।
इससे बचने के लिए सर्दियों में गर्म पेय पदार्थों का ज्यादा इस्तेमाल करें। इसके अलावा रूम गर्म होते ही खिड़की, दरवाजे खोल दें और हीटर के आगे बैठने के बाद अचानक बाहर न निकलें।
गाड़ियों में ब्लोअर का ज्यादा इस्तेमाल और भी खतरनाक
बहुत से लोग सर्दियों में गाड़ी चलाते समय ब्लोअर इस्तेमाल करते हैं। गाड़ियों में लगातार ब्लोअर चलाने से भारी मात्रा में कार्बन मोनो ऑक्साइड बनती है। इससे सांस लेने में दिक्कत समेत कई समस्याएं हो सकती हैं। लगातार ब्लोअर चला कर ड्राइव करने से हादसे का भी खतरा रहता है।
गाड़ियों में ब्लोअर यूज करते हैं तो इन बातों का रखें ध्यान
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, गाड़ियों में ब्लोअर यूज करने की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं होती। बहुत ज्यादा ठंड है तो ब्लोअर चलाया जा सकता है, लेकिन कुछ समय बाद उसे बंद कर देना चाहिए।
अगर गाड़ी में बच्चे हैं फिर तो ब्लोअर को बहुत ही कम यूज करना चाहिए। ऑक्सीजन की कमी के चलते बच्चों को सांस फूलने की समस्या हो सकती है।