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श्रीनगर के बाटमालू इलाके में सुरक्षाबलों ने गुरुवार को 3 आतंकी मार गिराए। आतंकियों की तरफ से हुए फायरिंग सीआरपीएफ के 2 जवान घायल हो गए और एक महिला की मौत हो गई। आतंकियों के छिपे होने की सूचना पर सिक्योरिटी फोर्सेज ने तड़के करीब 2.30 बजे सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। इस बीच आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी।
इससे पहले 5 सितंबर को सुरक्षाबलों ने बारामूला में 3 आतंकी मार गिराए थे। आतंकियों के पास 2 एके-47, 2 मैगजीन और एक पिस्टल मिली थी। पाकिस्तान से आतंकी घुसपैठ के इनपुट के बाद जम्मू-कश्मीर की पुलिस और आर्मी ने पिछले कई महीनों से सर्च ऑपरेशन छेड़ रखा है।
अलग-अलग राज्यों के कुछ लोग आईएस में शामिल हो रहे
सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में बताया कि दक्षिण के राज्यों समेत अलग-अलग राज्यों से कुछ लोग आतंकी संगठन आईएस में शामिल हुए हैं। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने तेलंगाना, केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में आईएस की मौजूदगी से जुड़े 17 मामले दर्ज किए हैं और 122 आरोपी गिरफ्तार किए हैं।
from Dainik Bhaskar /national/news/terrorist-encounter-in-kashmir-3-militants-killed-and-a-woman-died-at-batmalloo-in-srinagar-127727173.html
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बात अगस्त 2018 की है। अयोध्या के दोस्त। नाम सुल्तान और रोहित। इसी साल जब भारत की बड़ी टेलीकॉम कंपनियों वोडाफोन और आइडिया का मर्जर हुआ तो बहुत से लोगों की नौकरी पर बन आई। 12 साल से वोडाफोन में काम कर रहे सुल्तान खान टॉप परफॉर्मर थे। सुल्तान और उन्हीं के साथ काम करने वाले उनके दोस्त रोहित उस लिस्ट में शामिल हो गए जिन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। कुछ दिन तो वो दोनों यही सोचते रहे कि अब आखिर करें क्या?
फिर उन्होंने अयोध्या में घर से ही टिफिन बिजनेस शुरू किया और अब दो साल बाद वो तीन रेस्त्रां के मालिक हैं। सुल्तान और रोहित की जोड़ी के अब अयोध्या-फैजाबाद में दो हज़ार वर्गफीट में तीन रेस्त्रां हैं। उन्होंने तीन दर्जन लोगों को रोजगार दिया है जिनमें कई लोग ऐसे हैं जो उनके साथ टेलीकॉम सेक्टर में ही काम करते थे और बेरोजगार हो गए थे।
सारी सेविंग खर्च की, लोन लेना पड़ा
सुल्तान कहते हैं- हमने अपने टिफिन सेंटर का नाम रखा ‘घर जैसा'। शुरुआत मुश्किल थी। हम लोगों से मिलकर उन्हें समझाते थे। फिर कहीं जाकर ऑर्डर मिलते थे। हमने अपनी पूरी सेविंग काम शुरू करने में लगा दी थी। शुरुआत में रेस्पॉन्स बहुत अच्छा नहीं था। हमारी सेविंग खत्म हो रही थी। घर का महीने का खर्च भी चलाना था। दोस्तों तक से मदद लेनी पड़ी। दोनों दोस्तों ने शुरू में अपने बिजनेस में दस लाख रुपए इंवेस्ट किए। बाद में उन्हें लोन भी लेना पड़ा। फर्नीचर-बिजली आदि का काम दोस्तों से कराया जिनका बिल वो अभी तक धीरे-धीरे चुका रहे हैं।
सुल्तान और रोहित की जोड़ी के अब अयोध्या-फैजाबाद में दो हज़ार वर्गफीट में तीन रेस्त्रां हैं। उन्होंने तीन दर्जन लोगों को रोजगार दिया है।
सुल्तान और रोहित दोनों ही अच्छी सैलरी पर काम करते थे। वो कंपनी में मैनेजर स्तर पर थे। अपनी इनकम के बारे में सुल्तान कहते हैं, 'हमारा जितना वेतन था अब हम उससे ज्यादा कमा रहे हैं। लेकिन असली खुशी इस बात की है कि हमने दर्जनों लोगों को रोजगार दिया। उन लोगों को काम पर लगाया जिनका काम छूट गया था।’
टिफिन सर्विस से अनुभव लेकर सुल्तान और रोहित ने घर जैसा नाम से ही अपना पहला रेस्त्रां शुरू किया। ये फैजाबाद के नाका रोड पर सिर्फ 80 वर्गफीट की एक दुकान में था। यहां आसपास कोई रेस्त्रां भी नहीं था। सुल्तान कहते हैं, 'ये इलाका ट्रांसपोर्ट के लिए जाना जाता है। यहां सिर्फ ट्रक खड़े रहते थे। हमें अपनी पहचान बनाने में बहुत मेहनत करनी पड़ी। वो कहते हैं, 'हम सर्विस इंडस्ट्री से आए थे और जानते थे कि अगर बेहतर सर्विस दी जाए तो बिजनेस को बढ़ाया जा सकता है। इसलिए हमने पूरा जोर सर्विस और ब्रांडिंग पर दिया।'
सोशल मीडिया पर की ब्रांडिंग
रोहित अपने बिजनेस की कामयाबी का श्रेय सोशल मीडिया को देते हैं। वो कहते हैं, 'हमने क्रिएटिव तरीके से सोशल मीडिया पर अपने रेस्त्रां को प्रोमोट करने की स्ट्रेटजी तैयार की। हमने अपने दोस्तों से पोस्ट करवाए। जब हम लोगों को दिखने लगे तो ग्राहक भी आने लगे।'
सोशल मीडिया से ब्रैंड प्रोमोशन की स्ट्रेटजी पर सुल्तान कहते हैं, 'हमने फेसबुक पर पेज बनाया। दोस्तों से रिक्वेस्ट करके अपनी रेसिपी शेयर करवाईं। गूगल बिजनेस पर अपने आप को रजिस्टर्ड किया। इंस्टाग्राम पर तस्वीरें शेयर की। इससे हमारा रेस्त्रां सोशल मीडिया पर लोगों को दिखने लगा।'
रोहित और सलमान ने चार लोगों के साथ अपने बिजनेस की शुरुआत की थी जिसमें से दो लोग उनकी ही कंपनी के थे जिनकी नौकरी चली गई थी।
सुल्तान और रोहित ने शुद्ध शाकाहारी रेस्त्रां खोलने की भी एक खास वजह है। वो कहते हैं- ‘हमने देखा कि लोग नॉन वेज को शौक से खाते हैं और कई बार नॉन वेज खाने के लिए ही वो घर से बाहर जाते हैं। लेकिन लोग नॉन वेज रोज नहीं खाते और सब लोग नॉन वेज नहीं खाते। ऐसे में हमने तय किया कि हम वेज खाने को ऐसे परोसेंगे कि लोग सिर्फ खाना खाने के लिए घर से बाहर निकलें।’
यूट्यूब से सीखीं रेसिपी, नए प्रयोग किए
वो कहते हैं, 'दिल्ली और पंजाब में सोया चाप काफी फेमस है। लेकिन हमारे अयोध्या-फैजाबाद में कोई सोया चाप नहीं बेच रहा था। हमने सोया चाप में मुगलई टेस्ट देने का प्रयोग किया। ये फ्यूजन फूड लोगों को पसंद आया। हमने आठ राज्यों के फूड को अलग तरीके से पेश किया।'
सुल्तान और रोहित दोनों को ही फूड इंडस्ट्री का कोई अनुभव नहीं था। ये कमजोरी ही उनकी सबसे बड़ी ताकत बन गई। उन्होंने इस इंडस्ट्री को समझने के लिए खूब रिसर्च की। कहते हैं, 'हमने यूट्यूब से रेसिपी देखीं। उन्हें ट्राई किया। और उनमें अपनी ओर से कुछ बदलाव किए जो लोगों को बहुत पसंद आए। शुरू में हमने चार लोगों को काम पर रखा था। इनमें दो लोग हमारी कंपनी से ही थे जो हाल ही में बेरोजगार हुए थे। वो ब्रांडिंग करना जानते थे। वो रेस्त्रां में काम करने के अलावा हमारी ब्रांडिंग भी करते थे। इससे भी हमें पहचान बनाने में मदद मिली।
पहला रेस्त्रां चल जाने के बाद रोहित और सुल्तान की जोड़ी ने जो दो नए रेस्त्रां खोले उनमें एंबिएंस और एक्सपीरियंस पर जोर दिया गया। सुल्तान कहते हैं, 'हमने ऐसी जगह बनाने की कोशिश की जहां आकर लोग अच्छा वक्त बिताना चाहे। हमने सेल्फी जोन बनाई और लोगों को तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करने के लिए प्रोत्साहित किया।’
सुल्तान और रोहित की जोड़ी के रेस्त्रां खूब चल रहे थे कि लॉकडाउन हो गया। वो कहते हैं, "हमारे सामने बेहद मुश्किल हालात थे। अनलॉक वन हुआ तो हमें पैकिंग और डिलीवरी की अनुमति मिल गई। हमारा बिजनेस पटरी पर आने लगा। अब हम पहले जैसी ही स्थिति में आ गए हैं।’
बेरोजगारों को काम देने की खुशी
रोहित बताते हैं, "हमारे तीनों रेस्त्रां में करीब तीन दर्जन लोग काम करते हैं। इनमें कई ऐसे हैं जो हमारी पुरानी कंपनी में काम करते थे और बेरोजगार हो गए थे। मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। मैं सुबह दस बजे से रात एक बजे तक काम करता हूं। मैं बमुश्किल पांच-छह घंटे ही सो पाता हूं। लेकिन थकता नहीं, बल्कि मुझे मजा आता है।’
दोनों ने अपने रेस्त्रां को बनाने में एंबिएंस और एक्सपीरियंस पर जोर दिया है। सेल्फी जोन भी बनाया है ताकि लोग सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीरें शेयर कर सकें।
हिंदू और मुसलमान दोस्तों के साथ पर हैरानी
सुल्तान और रोहित के धर्म को लेकर भी कई बार लोग सवाल करते हैं। लोगों को अच्छा भी लगता है कि एक हिंदू और एक मुसलमान दोस्त साथ मिलकर काम कर रहे हैं। रोहित कहते हैं, 'कई बार लोग हमारी पार्टनरशिप पर हैरान होते हैं। लेकिन सच ये है कि अयोध्या-फैजाबाद धार्मिक सौहार्द के शहर हैं। जब लोगों को हमारे नाम पता चलते हैं तो उन्हें अच्छा लगता है। कई लोग ये भी पूछते हैं कि हम साथ कैसे हैं।'
सुल्तान कहते हैं, 'हमारे बीच विश्वास और प्यार है। यही असली धर्म है। जात-पात धर्म से बढ़कर इंसानियत और भाईचारा है। हमारे रेस्त्रां में कर्मचारियों के प्रार्थना करने के लिए छोटा सा मंदिर भी हैं। हम एक दूसरे के धर्म का सम्मान करते हैं।'
ये अब अपने बिजनेस को अयोध्या से बाहर ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। वो फ्रेंचाइजी मॉडल पर जाकर और रेस्त्रां खोलना चाहते हैं। वो कहते हैं, 'हम अपनी कामयाबी को दूसरे के साथ बांटना चाहते हैं। और लोगों को रोजगार देना चाहते हैं। इसके लिए अब हम अयोध्या से बाहर निकलने की योजना बना रहे हैं।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 70 साल के हो गए। इसी के चलते उनके जन्मस्थान वडनगर की कायापलट के ड्रीम प्रोजेक्ट पर मोदी की योजनाएं आकार ले रही हैं। इस मौक पर दैनिक भास्कर की टीम ने वडनगर पहुंचकर इन योजनाओं की पड़ताल की।
वडनगर में जमीन के अंदर 200 करोड़ रुपए के लागत से एक अनोखा हेरिटेज म्यूजियम बनेगा। इसके अलावा यहां की 16वीं सदी की नृत्यांगनाओं ताना-रीरी की याद में एक संगीत अकादमी और योग का एक अनोखा स्कूल बनेगा। इतना ही नहीं, वडनगर को उदयपुर की तरह गुजरात की पहली लेक सिटी भी बनाया जाएगा।
देश-विदेश से पर्यटक वडनगर आएं, इसके लिए यहां विश्व स्तर का एक हेरिटेज म्यूजियम बनाया जा रहा है।
देश-विदेश के पर्यटक वडनगर के मेहमान बनें, ऐसा होगा म्यूजियम
नरेंद्र मोदी के बड़े भाई सोमाभाई ने हेरिटेज म्यूजियम के प्रोजेक्ट के बारे में बात करते हुए दैनिक भास्कर की टीम को बताया कि प्रधानमंत्री बनने के बाद भी नरेंद्रभाई अपनी जन्मस्थल को भूले नहीं हैं। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि देश-विदेश से पर्यटक वडनगर आएं, इसके लिए यहां विश्व स्तर का एक हेरिटेज म्यूजियम बनाया जा रहा है।
केंद्र और राज्य सरकार द्वारा इसके लिए 200 करोड़ रुपए का बजट जारी किया गया है। यह हेरिटेज म्यूजियम ग्रीस में एथेंस के सुप्रसिद्ध एक्रोपोलिस 'बिनीथ द सर्फेस' यानी की जमीन से अंदर की थीम पर बनेगा। इस तरह ये एथेंस के बाद जमीन के अंदर बना दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा म्यूजियम होगा।
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया एक्सपर्ट एजेंसी की टीम के निर्देशन में इस हेरिटेज म्यूजियम का काम साल 2021 से शुरू हो जाएगा।
वडनगर में वार्षिक ताना-रीरी महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है।
वडनगर का दूसरा बड़ा आकर्षण होगी ताना-रीरी संगीत अकादमी
वडनगर की दूसरी पहचान यानी की 16वीं शताब्दी की नृत्यांगनाओं ताना-रीरी संगीत अकादमी होगी। ये दोनों बहनें सम्राट अकबर के दरबार में मेघ-मल्हार गाया करती थीं और नृत्य किया करती थीं। उन्हीं के लिए वडनगर में वार्षिक ताना-रीरी महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है। इन्हीं की याद में वडनगर में एक संगीत अकादमी बनाई जाएगी।
इसके लिए भी शुरुआती चरण में 10 करोड़ रुपए का बजट जारी करने की योजना है। फिलहाल इसके लिए उत्तर गुजरात यूनिवर्सिटी की स्वीकृति लेने के प्रोसेस जारी है। इस यूनिवर्सिटी में सिर्फ भारतीय शास्त्रीय संगीत ही नहीं, बल्कि विदेशी क्लासिकल म्यूजिक भी सिखाया जाएगा। यानी की वह दिन दूर नहीं, जब देश-विदेश से संगीत की शिक्षा लेने वाले स्टूडेंट भी वडनगर में नजर आएंगे।
30 हजार की आबादी वाले वडनगर में बनने वाला यह योग स्कूल भी वडनगर की विशेष पहचान बनेगा।
जहां मोदी ने पढ़ाई की थी, वह स्कूल बनेगा योग स्कूल
मोदी को योग से काफी लगाव है और उनका मानना है कि योग के जरिए ही वर्तमान और आने वाली पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण के लिए तैयार किया जा सकता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का योग स्कूल भी बनाने की योजना पर काम हो रहा है।
यह योग स्कूल वहीं बनेगा, जहां बचपन में मोदी ने स्कूली शिक्षा ली थी। यहां विद्यार्थियों को योगासन के अलावा योग में करियर बनाने की भी तालीम दी जाएगी। करीब पांच किमी के एरिया और 30 हजार की आबादी वाले वडनगर में बनने वाला यह स्कूल भी वडनगर की विशेष पहचान बनेगा।
इसके अलावा इंडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का काम भी 2021 के मई महीने तक पूरा हो जाएगा। यह सभी तरह के आधुनिक स्पोर्ट्स सुविधा से सुसज्जित होगा।
फिलहाल यहां 70 से अधिक तालाब हैं और अब इन्हें ही उदयपुर मॉडल के तर्ज पर विकसित किया जा रहा है।
उदयपुर की तर्ज पर वडनगर बनेगा गुजरात की 'लेक सिटी'
वडनगर में और आसपास 70 से अधिक तालाब हैं। इन सभी तालाबों को डेवलप करने की योजना पर काम हो रहा है। सोमाभाई बताते हैं कि वडनगर पुरातन नगरी है। माना जाता है कि ऋषि याज्ञवल्क्य का जन्म यहीं पर हुआ था। उस समय यहां पर 300 से अधिक तालाब और सरोवर हुआ करते थे।
फिलहाल यहां 70 से अधिक तालाब हैं और अब इन्हें ही उदयपुर मॉडल के तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद वडनगर की पहचान गुजरात की 'लेक सिटी' के रूप में होगी।
वडनगर के विकास कार्यों के लिए 200 करोड़ रुपए का बजट जारी किया गया है।
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वडनगर की काया पलट हुई
सोमाभाई ने बताया कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वडनगर का विकास कार्य शुरू हुआ। वडनगर के विकास कार्यों के लिए 200 करोड़ रुपए का बजट जारी किया गया है। पहले यहां की सड़कें धूल भरी हुआ करती थीं, जो अब चमचमाती नजर आती हैं।
यहां की प्राचीन बौद्ध साइट पर भी एक हेरिटेज म्यूजियम आकार ले रहा है। वडनगर के रेलवे स्टेशन को आधुनिक बनाया जा रहा है। इसके अलावा यहां के प्राचीन शर्मिष्ठा तालाब को भी विकसित किया जा रहा है। यह वही तालाब है, जहां से मोदी बचपन में मगरमच्छ का बच्चा पकड़कर घर ले आए थे।
पीएम मोदी के बड़े भाई सोमाभाई वडनगर में एक वृद्धाश्रम चलाते हैं
पीएम नरेंद्र मोदी के बड़े भाई सोमाभाई वडनगर में एक वृद्धाश्रम चलाते हैं। इसलिए दैनिक भास्कर की टीम उनसे बातचीत करने वडनगर पहुंची। वृद्धाश्रम में हमने देखा कि पीएम मोदी के बड़े भाई होने के बावजूद वे यहां एक छोटे से कमरे के एक सादे से पलंग पर बैठे हुए थे। वहीं, उनके बगल में 4 कुर्सियां रखीं थीं। उनकी सादगी उनकी इस जीवनशैली को देखकर ही समझी जा सकती है।
सोमाभाई की भास्कर से बातचीत के अंस
गुजरात में 26 जनवरी, 2001 को भयानक भूकंप आया था। यहां गांव के गांव खत्म हो गए थे। उस समय हमारा परिवार गुजरात में अलग-अलग जगहों पर था। मैं वडनगर में ही रहता था और इसीलिए परिवार कोमेरी चिंता हो रही थी। मैंने बेटे और बहू से बात करने की खूब कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।
आखिरकार मैंने नरेंद्र को फोन किया। मैंने उनसे कहा कि गुजरात में भयानक भूकंप आया है और परिवार में किसी से संपर्क नहीं हो सका। मेरा इतने बोलते ही उन्होंने कहा कि वडनगर में 'तोरण' तो सुरक्षित है कि नहीं? दरअसल वडनगर की मुख्य पहचान ही यहां का प्राचीन 'तोरण' है। तो अब आप ही अंदाजा लगा सकते हैं कि मोदी का अपने वतन से प्रेम कैसा होगा। जिसे अपने परिवार से ज्यादा अपनी जन्मस्थल की धरोहर की चिंता हो।
वडनगर को लेकर नरेंद्र मोदी का प्रेम आज भी उतना अटूट है, जितना बचपन में हुआ करता था। इसी के चलते आज वडनगर कुछ अलग ही है। पुराने वडनगर की बातें करते हुए सोमाभाई की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा कि आज वडनगर को देख लीजिए, यहां की सड़कें देख लीजिए।
नरेंद्र मोदी ने वडनगर के विकास के संकल्प को साकार कर दिया है। शिक्षा के साथ ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी आज वडनगर की बात होने लगी है। यहां की गली-गली की सड़कें पक्की हो चुकी हैं। इतना ही नहीं, यहां होने वाले कई वार्षिक महोत्सव रोजगार के बड़े स्रोत बन चुके हैं।
वडनगर के वृद्धाश्रम में दैनिक भास्कर के पत्रकार टीकेंद्र रावल के साथ सोमाभाई।
वडनगर के विकास से लोग समृद्ध हुए
आमतौर पर नरेंद्र मोदी का परिवार मीडिया से दूर ही रहता है और बड़े भाई सोमाभाई भी उससे अछूते नहीं हैं। हालांकि, हमारे कहने पर उन्होंने खुलकर बातें की और कई रोचक बातें हमसे शेयर कीं। वडनगर के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि वडनगर आज जो भी है, मोदी की वजह से ही है।
वडनगर के लगातार विकास के चलते यहां के लोग अब समृद्ध हो गए हैं। पहले वडनगर के सामान्य लोगों की आय 7-8 रुपए प्रति महीने हुआ करती थी, लेकिन अब रोजगार-धंधे बढ़ने से उनकी आय 15-20 रुपए महीने तक पहुंच गई है।
दैनिक भास्कर समूह ने इंदौर में 128 पेज का अखबार निकाल कर एक और कीर्तिमान रचा है। आत्मनिर्भर इंदौर का यह अंक ऐतिहासिक बन गया है। यह सफलता इस बात पर भी मोहर है कि देश व प्रदेश के अधिकतम शहर अपनी सामान्य स्थिति में लौटने लगे हैं।
128 पेज का आत्मनिर्भर इंदौर अंक संभवत: बीते कई वर्षों में भारत के किसी भी अखबार में अब तक का सबसे बड़ा अंक है।
यह उपलब्धि न सिर्फ दैनिक भास्कर समूह के लिए खास है, बल्कि इस सच्चाई को भी बताती है कि विज्ञापनदाता फिर से प्रिंट मीडिया की ओर विश्वास के साथ लौट आए हैं। इससे ये भी जाहिर हो रहा है कि विभिन्न कारोबार पटरी पर लौटने लगे हैं।
इस उपलब्धि के बारे में बताते हुए गिरीश अग्रवाल ने कहा ‘128 पेज के इस संस्करण में पूरी तरह से आत्मनिर्भर भारत की थीम समाई हुई है। रियल एस्टेट, टू व्हीलर, फॉर व्हीलर ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, लाइफस्टाइल, एजूकेशन, सरकार और सोशल एडवरटाइजर्स अपने-अपने सेक्टरों की विज्ञापन कैटेगरीज में आत्मनिर्भर इंदौर का लाभ उठाने के लिए आगे आए हैं।’
इंदौर के स्थानीय संपादक मुकेश माथुर ने कहा कि ‘यह संस्करण पाठकों के नजरिये से शानदार है, इसमें बेहतरीन पठनीय सामग्री है, जो हमारे पाठकों के लिए तोहफा जैसा है। दैनिक भास्कर में हम हर रोज खबरों और जानकारियों को इस तरह से प्रस्तुत करते हैं, जिसे पाठक अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल कर सकें।’
इंदौर के यूनिट हेड नरेश प्रताप सिंह ने कहा कि "हमें पूरा विश्वास है कि यह संस्करण विज्ञापनदातों और ग्राहकों के बीच सकारात्मक सोच को बढ़ाएगा।" और इससे बाजार में सेल बढ़ेगी।
भारत में न्यूजपेपर इंडस्ट्री अपने भाषाई प्रकाशनों के साथ फिर से कोरोना से पहले वाली स्थिति में लौट आई है। सर्कुलेशन लगभग कोरोना से पहले वाले स्तर तक पहुंच गया है। इसके पीछे भारत के नॉन-मेट्रो शहरों की ताकत है। हाल ही में प्रकाशित EY की रिपोर्ट में बताया गया है कि, "नॉन मेट्रो बाजार ही भारत की रिकवरी को बढ़ावा देंगे। उम्मीद की जा रही है कि ग्राहक ज्यादातर उन कैटेगरीज में खर्च करेंगे जो नॉन मेट्रो में आती हैं। इन बाजारों में टीवी, फ्रिज, वाॅशिंग मशीन, वाहन और लाइफस्टाइल जैसी वस्तुओं पर खर्च करने की ओर ज्यादा झुकाव है।
हमें ध्यान रखना होगा कि दुनिया में कहीं भी वायरस अभी खत्म नहीं हुआ है। कुछ देशों में सिर्फ इंफेक्शन रेट कम हुआ था। लेकिन यह बहुत दिनों तक कम नहीं रह सकता है। यही कारण है कि इटली, फ्रांस सहित अधिकांश यूरोप में सेकंड वेव का खतरा पैदा हो गया है।
इस बार यह इंफेक्शन पहले से भी ज्यादा हो सकता है। लेकिन अच्छी बात ये है कि अब हम इंफेक्शन को ज्यादा बेहतर तरह से समझ चुके हैं। हमें पता है कि पहले से जिन लोगों को बीमारियां हैं, उन्हें कैसे इलाज देना है, किस उम्र के लोगों को खतरा है, ऑक्सीजन कई बार वेंटिलेटर से ज्यादा जरूरी है आदि।
ऐसे में इस बार मृत्यु दर कम रहने की उम्मीद है। दुनिया ने इसके लिए प्रोटोकॉल डेवलप कर लिए हैं। हमें पता है कि कौन सा ट्रीटमेंट ज्यादा असरदार है, कौन सी दवाएं बेहतर हैं। यह बात भारत पर भी लागू होती है। रोजाना केस बढ़ रहे हैं। अगले माह में हो सकता है कि हम दुनिया के सर्वाधिक प्रभावित देश हों, लेकिन एक बात सकारात्मक है कि हम इस संक्रमण को काफी हद तक समझ चुके हैं। लेकिन देश के कुछ हिस्सों में अभी भी मृत्युदर बढ़ रही है।
भारत, ब्राजील और अमेरिका को अलग तरह से देखना चाहिए। यहां बहुत बड़ी फेडरल डेमोक्रेसी है। हम इनकी तुलना किसी यूरोपियन देश से नहीं कर सकते। हमें तुलना पूरी यूरोपियन यूनियन से करनी चाहिए। अगर भारत की बात करें, तो जब तक महाराष्ट्र में केस नहीं घटेंगे, राष्ट्रीय स्तर पर नंबर्स ठीक नहीं हो सकते हैं।
आज देश के संक्रमण के टॉप यानी हॉटस्पॉट 10 जिलों में से 5 महाराष्ट्र में है। पुणे, मुंबई, नासिक, ठाणे और अब नागपुर भी हॉट स्पॉट हो गया है। ऐसा भी नहीं है कि मुंबई, पुणे जैसे पुराने हॉटस्पॉट में संक्रमण की दर कम हुई हो, यह पहले की ही तरह बने हुए हैं। महाराष्ट्र में आज रोजाना 20 हजार केस आ रहे हैं।
ऐसे ही आंध्र प्रदेश में रोज 9 हजार केस निकल रहे हैं। अब देखिए कि तमिलनाडु में रोज 6 हजार केस आ रहे हैं, लेकिन एक महीने से 6 हजार ही आ रहे हैं। आंकड़ा महाराष्ट्र में रोज बढ़ता ही जा रहा है। जब तक हम बड़े हॉटस्पॉट राज्यों की स्थिति नहीं सुधारेंगे, तब तक स्थिति नहीं सुधरेगी।
हम इन राज्यों के इंटरनल मैनेजमेंट लेवल के निर्णयों को नहीं देख पाते हैं, लेकिन अगर टेस्टिंग की बात करें, तो यहां पॉजिटिविटी रेट हमेशा से ही ज्यादा रहा है। यहां अप्रैल-मई से ही ऐसी स्थिति है। आज भी यहां 100 में से करीब 20 केस पॉजिटिव निकल रहे हैं। समय पर टेस्टिंग करना भी बहुत जरूरी है। जो टेस्टिंग हो, वो जल्दी हो। जितनी आप टेस्टिंग देर से करेंगे इंफेक्शन अंदर-अंदर फैलता रहेगा। महाराष्ट्र में टेस्टिंग बढ़ी ही नहीं शुरू से।
हमें ज्यादा चिंता अब मृत्युदर की करनी चाहिए। अच्छी बात यह है कि देश में यह रोजाना घट रही है, लेकिन कुछ प्रदेश या शहर हैं जहां यह बढ़ रही है। देश में आज भी कोरोना के मामले में मृत्यु दर 1.6% है। लेकिन मुंबई, पुणे आदि में यह दर 2% से ऊपर है। मुंबई में तो यह करीब 5% के आसपास है। सबसे ज्यादा चिंता पंजाब की है, क्योंकि यह डेथ रेट देश की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा है। और ये बढ़ रही है।
असम में भी डेथ रेट कम है। लेकिन वो घट नहीं रही है, बल्कि बढ़ रहा है। महाराष्ट्र के कुछ शहरों में चिंता की स्थिति है। इसलिए अब हमें इंफेक्शन से आगे बढ़कर मृत्यु के आंकड़े देखने होंगे। जैसे दिल्ली में आज 4 हजार से ज्यादा केस रोज आ रहे हैं। पहले पीक से ज्यादा बुरी स्थिति है, लेकिन मौत कम हो रही है। क्योंकि यहां टेस्टिंग बढ़ी है।
पंजाब में मौत की दर ज्यादा है, क्योंकि यहां टेस्टिंग देर से हो रही है। लोगों के केस बिगड़ जाते हैं। ऐसे में स्थानीय हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी दबाव पड़ता है। वहीं आंध्रप्रदेश में भी केस बहुत ज्यादा हैं, लेकिन डेथ रेट कम है क्योंकि उन्होंने अपने हेल्थ इंफ्रा को भी बेहतर किया है।
हालांकि ओवरऑल महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश आदि में डेथ रेट घट रही है। अच्छी बात यह है कि मिजोरम में किसी की मौत हुई नहीं, यानी उन्होंने बहुत अच्छा मैनेज किया है। एक जरूरी बात ये भी है कि आम लोगों को भी समझना होगा कि अब लॉकडाउन नहीं है। अच्छी बात है कि डेथ रेट कम है, लेकिन ये बढ़ भी सकती है। इसलिए हमें सावधानी में कोई कमी नहीं करनी है। हमारे पास सीमित अस्पताल, सीमित डॉक्टर-नर्स हैं। इसलिए सतर्कता कम नहीं होनी चाहिए। (ये लेखिका के अपने विचार हैं)
दैनिक भास्कर समूह ने इंदौर में 128 पेज का अखबार निकाल कर एक और कीर्तिमान रचा है। आत्मनिर्भर इंदौर का यह अंक ऐतिहासिक बन गया है। यह सफलता इस बात पर भी मोहर है कि देश व प्रदेश के अधिकतम शहर अपनी सामान्य स्थिति में लौटने लगे हैं।
128 पेज का आत्मनिर्भर इंदौर अंक संभवत: बीते कई वर्षों में भारत के किसी भी अखबार में अब तक का सबसे बड़ा अंक है।
यह उपलब्धि न सिर्फ दैनिक भास्कर समूह के लिए खास है, बल्कि इस सच्चाई को भी बताती है कि विज्ञापनदाता फिर से प्रिंट मीडिया की ओर विश्वास के साथ लौट आए हैं। इससे ये भी जाहिर हो रहा है कि विभिन्न कारोबार पटरी पर लौटने लगे हैं।
इस उपलब्धि के बारे में बताते हुए गिरीश अग्रवाल ने कहा ‘128 पेज के इस संस्करण में पूरी तरह से आत्मनिर्भर भारत की थीम समाई हुई है। रियल एस्टेट, टू व्हीलर, फॉर व्हीलर ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, लाइफस्टाइल, एजूकेशन, सरकार और सोशल एडवरटाइजर्स अपने-अपने सेक्टरों की विज्ञापन कैटेगरीज में आत्मनिर्भर इंदौर का लाभ उठाने के लिए आगे आए हैं।’
इंदौर के स्थानीय संपादक मुकेश माथुर ने कहा कि ‘यह संस्करण पाठकों के नजरिये से शानदार है, इसमें बेहतरीन पठनीय सामग्री है, जो हमारे पाठकों के लिए तोहफा जैसा है। दैनिक भास्कर में हम हर रोज खबरों और जानकारियों को इस तरह से प्रस्तुत करते हैं, जिसे पाठक अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल कर सकें।’
इंदौर के यूनिट हेड नरेश प्रताप सिंह ने कहा कि "हमें पूरा विश्वास है कि यह संस्करण विज्ञापनदातों और ग्राहकों के बीच सकारात्मक सोच को बढ़ाएगा।" और इससे बाजार में सेल बढ़ेगी।
भारत में न्यूजपेपर इंडस्ट्री अपने भाषाई प्रकाशनों के साथ फिर से कोरोना से पहले वाली स्थिति में लौट आई है। सर्कुलेशन लगभग कोरोना से पहले वाले स्तर तक पहुंच गया है। इसके पीछे भारत के नॉन-मेट्रो शहरों की ताकत है। हाल ही में प्रकाशित EY की रिपोर्ट में बताया गया है कि, "नॉन मेट्रो बाजार ही भारत की रिकवरी को बढ़ावा देंगे। उम्मीद की जा रही है कि ग्राहक ज्यादातर उन कैटेगरीज में खर्च करेंगे जो नॉन मेट्रो में आती हैं। इन बाजारों में टीवी, फ्रिज, वाॅशिंग मशीन, वाहन और लाइफस्टाइल जैसी वस्तुओं पर खर्च करने की ओर ज्यादा झुकाव है।
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कोरोना के बीच संसद के पहले सत्र (मानसून) का आज चौथा दिन है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज राज्यसभा में भारत-चीन सीमा विवाद पर बयान देंगे। इससे पहले मंगलवार को राजनाथ ने लोकसभा में भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी थी। उन्होंने कहा था, "अभी की स्थिति के मुताबिक, चीन ने एलएसी और अरुणाचल से लगे अंदरुनी इलाकों में बड़ी संख्या में सैनिक और गोला-बारूद जमा कर रखे हैं। हमारी सेना की तैयारी भी पूरी है।"
सर्वदलीय बैठक में चीन पर चर्चा नहीं हुई
सरकार ने बुधवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई। इसमें तय हुआ कि रक्षामंत्री भारत-चीन विवाद पर राज्यसभा में गुरुवार को बयान देंगे। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, "बैठक में चीन पर कोई चर्चा नहीं की गई। हमने सरकार से कुछ विधेयकों के परीक्षण को कहा है।"
कांग्रेस का आरोप- सरकार ने गलवान के शहीदों का अपमान किया
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को संसद में एक प्रश्न के जवाब में बताया कि पिछले 6 महीने में भारत-चीन सीमा पर कोई घुसपैठ नहीं हुई। उनके इस बयान से सदन के बाहर कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो गई। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य नासिर हुसैन और प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सदन में यह बयान गलवान घाटी की झड़प में शहीद हुए जवानों का अपमान है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 70 साल के हो गए। इसी के चलते उनके जन्मस्थान वडनगर की कायापलट के ड्रीम प्रोजेक्ट पर मोदी की योजनाएं आकार ले रही हैं। इस मौक पर दैनिक भास्कर की टीम ने वडनगर पहुंचकर इन योजनाओं की पड़ताल की।
वडनगर में जमीन के अंदर 200 करोड़ रुपए के लागत से एक अनोखा हेरिटेज म्यूजियम बनेगा। इसके अलावा यहां की 16वीं सदी की नृत्यांगनाओं ताना-रीरी की याद में एक संगीत अकादमी और योग का एक अनोखा स्कूल बनेगा। इतना ही नहीं, वडनगर को उदयपुर की तरह गुजरात की पहली लेक सिटी भी बनाया जाएगा।
देश-विदेश से पर्यटक वडनगर आएं, इसके लिए यहां विश्व स्तर का एक हेरिटेज म्यूजियम बनाया जा रहा है।
देश-विदेश के पर्यटक वडनगर के मेहमान बनें, ऐसा होगा म्यूजियम
नरेंद्र मोदी के बड़े भाई सोमाभाई ने हेरिटेज म्यूजियम के प्रोजेक्ट के बारे में बात करते हुए दैनिक भास्कर की टीम को बताया कि प्रधानमंत्री बनने के बाद भी नरेंद्रभाई अपनी जन्मस्थल को भूले नहीं हैं। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि देश-विदेश से पर्यटक वडनगर आएं, इसके लिए यहां विश्व स्तर का एक हेरिटेज म्यूजियम बनाया जा रहा है।
केंद्र और राज्य सरकार द्वारा इसके लिए 200 करोड़ रुपए का बजट जारी किया गया है। यह हेरिटेज म्यूजियम ग्रीस में एथेंस के सुप्रसिद्ध एक्रोपोलिस 'बिनीथ द सर्फेस' यानी की जमीन से अंदर की थीम पर बनेगा। इस तरह ये एथेंस के बाद जमीन के अंदर बना दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा म्यूजियम होगा।
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया एक्सपर्ट एजेंसी की टीम के निर्देशन में इस हेरिटेज म्यूजियम का काम साल 2021 से शुरू हो जाएगा।
वडनगर में वार्षिक ताना-रीरी महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है।
वडनगर का दूसरा बड़ा आकर्षण होगी ताना-रीरी संगीत अकादमी
वडनगर की दूसरी पहचान यानी की 16वीं शताब्दी की नृत्यांगनाओं ताना-रीरी संगीत अकादमी होगी। ये दोनों बहनें सम्राट अकबर के दरबार में मेघ-मल्हार गाया करती थीं और नृत्य किया करती थीं। उन्हीं के लिए वडनगर में वार्षिक ताना-रीरी महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है। इन्हीं की याद में वडनगर में एक संगीत अकादमी बनाई जाएगी।
इसके लिए भी शुरुआती चरण में 10 करोड़ रुपए का बजट जारी करने की योजना है। फिलहाल इसके लिए उत्तर गुजरात यूनिवर्सिटी की स्वीकृति लेने के प्रोसेस जारी है। इस यूनिवर्सिटी में सिर्फ भारतीय शास्त्रीय संगीत ही नहीं, बल्कि विदेशी क्लासिकल म्यूजिक भी सिखाया जाएगा। यानी की वह दिन दूर नहीं, जब देश-विदेश से संगीत की शिक्षा लेने वाले स्टूडेंट भी वडनगर में नजर आएंगे।
30 हजार की आबादी वाले वडनगर में बनने वाला यह योग स्कूल भी वडनगर की विशेष पहचान बनेगा।
जहां मोदी ने पढ़ाई की थी, वह स्कूल बनेगा योग स्कूल
मोदी को योग से काफी लगाव है और उनका मानना है कि योग के जरिए ही वर्तमान और आने वाली पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण के लिए तैयार किया जा सकता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का योग स्कूल भी बनाने की योजना पर काम हो रहा है।
यह योग स्कूल वहीं बनेगा, जहां बचपन में मोदी ने स्कूली शिक्षा ली थी। यहां विद्यार्थियों को योगासन के अलावा योग में करियर बनाने की भी तालीम दी जाएगी। करीब पांच किमी के एरिया और 30 हजार की आबादी वाले वडनगर में बनने वाला यह स्कूल भी वडनगर की विशेष पहचान बनेगा।
इसके अलावा इंडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का काम भी 2021 के मई महीने तक पूरा हो जाएगा। यह सभी तरह के आधुनिक स्पोर्ट्स सुविधा से सुसज्जित होगा।
फिलहाल यहां 70 से अधिक तालाब हैं और अब इन्हें ही उदयपुर मॉडल के तर्ज पर विकसित किया जा रहा है।
उदयपुर की तर्ज पर वडनगर बनेगा गुजरात की 'लेक सिटी'
वडनगर में और आसपास 70 से अधिक तालाब हैं। इन सभी तालाबों को डेवलप करने की योजना पर काम हो रहा है। सोमाभाई बताते हैं कि वडनगर पुरातन नगरी है। माना जाता है कि ऋषि याज्ञवल्क्य का जन्म यहीं पर हुआ था। उस समय यहां पर 300 से अधिक तालाब और सरोवर हुआ करते थे।
फिलहाल यहां 70 से अधिक तालाब हैं और अब इन्हें ही उदयपुर मॉडल के तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद वडनगर की पहचान गुजरात की 'लेक सिटी' के रूप में होगी।
वडनगर के विकास कार्यों के लिए 200 करोड़ रुपए का बजट जारी किया गया है।
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वडनगर की काया पलट हुई
सोमाभाई ने बताया कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वडनगर का विकास कार्य शुरू हुआ। वडनगर के विकास कार्यों के लिए 200 करोड़ रुपए का बजट जारी किया गया है। पहले यहां की सड़कें धूल भरी हुआ करती थीं, जो अब चमचमाती नजर आती हैं।
यहां की प्राचीन बौद्ध साइट पर भी एक हेरिटेज म्यूजियम आकार ले रहा है। वडनगर के रेलवे स्टेशन को आधुनिक बनाया जा रहा है। इसके अलावा यहां के प्राचीन शर्मिष्ठा तालाब को भी विकसित किया जा रहा है। यह वही तालाब है, जहां से मोदी बचपन में मगरमच्छ का बच्चा पकड़कर घर ले आए थे।
पीएम मोदी के बड़े भाई सोमाभाई वडनगर में एक वृद्धाश्रम चलाते हैं
पीएम नरेंद्र मोदी के बड़े भाई सोमाभाई वडनगर में एक वृद्धाश्रम चलाते हैं। इसलिए दैनिक भास्कर की टीम उनसे बातचीत करने वडनगर पहुंची। वृद्धाश्रम में हमने देखा कि पीएम मोदी के बड़े भाई होने के बावजूद वे यहां एक छोटे से कमरे के एक सादे से पलंग पर बैठे हुए थे। वहीं, उनके बगल में 4 कुर्सियां रखीं थीं। उनकी सादगी उनकी इस जीवनशैली को देखकर ही समझी जा सकती है।
सोमाभाई की भास्कर से बातचीत के अंस
गुजरात में 26 जनवरी, 2001 को भयानक भूकंप आया था। यहां गांव के गांव खत्म हो गए थे। उस समय हमारा परिवार गुजरात में अलग-अलग जगहों पर था। मैं वडनगर में ही रहता था और इसीलिए परिवार कोमेरी चिंता हो रही थी। मैंने बेटे और बहू से बात करने की खूब कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।
आखिरकार मैंने नरेंद्र को फोन किया। मैंने उनसे कहा कि गुजरात में भयानक भूकंप आया है और परिवार में किसी से संपर्क नहीं हो सका। मेरा इतने बोलते ही उन्होंने कहा कि वडनगर में 'तोरण' तो सुरक्षित है कि नहीं? दरअसल वडनगर की मुख्य पहचान ही यहां का प्राचीन 'तोरण' है। तो अब आप ही अंदाजा लगा सकते हैं कि मोदी का अपने वतन से प्रेम कैसा होगा। जिसे अपने परिवार से ज्यादा अपनी जन्मस्थल की धरोहर की चिंता हो।
वडनगर को लेकर नरेंद्र मोदी का प्रेम आज भी उतना अटूट है, जितना बचपन में हुआ करता था। इसी के चलते आज वडनगर कुछ अलग ही है। पुराने वडनगर की बातें करते हुए सोमाभाई की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा कि आज वडनगर को देख लीजिए, यहां की सड़कें देख लीजिए।
नरेंद्र मोदी ने वडनगर के विकास के संकल्प को साकार कर दिया है। शिक्षा के साथ ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी आज वडनगर की बात होने लगी है। यहां की गली-गली की सड़कें पक्की हो चुकी हैं। इतना ही नहीं, यहां होने वाले कई वार्षिक महोत्सव रोजगार के बड़े स्रोत बन चुके हैं।
वडनगर के वृद्धाश्रम में दैनिक भास्कर के पत्रकार टीकेंद्र रावल के साथ सोमाभाई।
वडनगर के विकास से लोग समृद्ध हुए
आमतौर पर नरेंद्र मोदी का परिवार मीडिया से दूर ही रहता है और बड़े भाई सोमाभाई भी उससे अछूते नहीं हैं। हालांकि, हमारे कहने पर उन्होंने खुलकर बातें की और कई रोचक बातें हमसे शेयर कीं। वडनगर के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि वडनगर आज जो भी है, मोदी की वजह से ही है।
वडनगर के लगातार विकास के चलते यहां के लोग अब समृद्ध हो गए हैं। पहले वडनगर के सामान्य लोगों की आय 7-8 रुपए प्रति महीने हुआ करती थी, लेकिन अब रोजगार-धंधे बढ़ने से उनकी आय 15-20 रुपए महीने तक पहुंच गई है।
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देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 51 लाख के पार हो गया। अब तक 51 लाख 15 हजार 893 लोग संक्रमित हो चुके हैं। 24 घंटे में रिकॉर्ड 97 हजार 856 नए मरीज मिले। इसके पहले 11 सितंबर को 97 हजार 856 केस बढ़े थे।
उधर, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान पूरे देश में अब तक 382 डॉक्टरों की जान गई। इनमें 27 से 85 साल की उम्र के डॉक्टर शामिल हैं। आईएमए ने केंद्र सरकार के उस बयान पर नाराजगी जताई है, जिसमें सरकार ने संसद में कहा था कि उसके पास कोरोना के चलते जान गंवाने वालों या इस वायरस से संक्रमित होने वाले डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ का डेटा नहीं है। प्रेस रिलीज में आईएमए ने कहा कि इन कोरोना वॉरियर्स को सरकार शहीद का दर्ज दे।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
राज्य में कोरोना संक्रमण की रफ्तार सबसे ज्यादा हो गई है। बुधवार को 15 हजार 286 सैंपल जांचे गए, जो कि सितंबर के बीते 15 दिन में सबसे कम हैं। इनमें से 2462 सैंपल पॉजिटिव मिले। यह किसी एक दिन का अब तक दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। इस हिसाब से संक्रमण दर 16.1% हो गई है, जो कि एक दिन पहले 11.1% थी। यानी एक दिन में 5% संक्रमण बढ़ गया।
दूसरी ओर, पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोत की हालत बिगड़ गई है। वे दो दिन पहले कोरोना मुक्त होकर जबलपुर के जिला अस्पताल से डिस्चार्ज हुए थे। बुधवार को उनके ब्लड में इंफेक्शन होने के बाद हालत बिगड़ी।
2. राजस्थान
राज्य में बुधवार को कोरोना के रिकॉर्ड 1782 केस मिले। उधर, बीकानेर में 3, जयपुर, जोधपुर, पाली और अजमेर में 2-2, बाड़मेर, कोटा, सवाई माधोपुर और उदयपुर में एक-एक रोगी की जान गई। इस तरह सितंबर के 16 दिनों में 25 हजार 987 केस मिले हैं और 223 मरीजों ने दम तोड़ दिया।
इतने रोगी शुरुआती 135 दिन में मिले थे। 15 जुलाई तक राज्य में कुल 26 हजार 437 संक्रमित थे। सितंबर में मरीज मिलने की दर दोगुनी होकर 6.12% हो गई है। हर 100 टेस्ट में 6 से ज्यादा लोग पॉजिटिव मिल रहे हैं। जुलाई में यही दर 2.75%, अगस्त में 3.53% थी। हालांकि, राहत की बात यह है कि अब मृत्युदर 1.29% से घटकर 1.20% रह गई है। जुलाई में यह दर 1.61% थी।
3. बिहार
राज्य में जितने मरीज मिल रहे उससे अधिक ठीक हो रहे हैं। बुधवार का ही आंकड़ा लें तो 1724 लोग स्वस्थ्य होकर घर गए, जबकि 1531 नए मरीज मिले। इनमें सबसे ज्यादा 185 पटना से हैं। राज्य में मरीजों का रिकवरी रेट 91.16% हो गया है जो राष्ट्रीय औसत से 13% ज्यादा है।
कोरोना मरीजों के ठीक होने संख्या में 17 अगस्त के बाद लगातार इजाफा (3 और 4 सितंबर को छोड़कर) हो रहा है। अब तक संक्रमण की जद में आए 1 लाख 48 हजार 257 लोग स्वस्थ्य हो चुके हैं। बीते 24 घंटे में 1 लाख 07 हजार 970 सैंपल की जांच हुई। अब तक राज्य में 52 लाख 2 हजार 209 लोगों की जांच हो चुकी है।
4. महाराष्ट्र
राज्य में बुधवार को 23 हजार 365 नए मामले सामने आए। इसी के साथ यहां संक्रमितों की संख्या बढ़कर 11 लाख 21 हजार 221 हो गई है। राहत की बात है कि इनमें 7 लाख 92 हजार 832 लोग ठीक हो चुके हैं। अभी 2 लाख 97 हजार 125 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 30 हजार 883 लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले 24 घंटे में 474 संक्रमितों ने दम तोड़ दिया।
5. उत्तर प्रदेश
प्रदेश में बुधवार को संक्रमण के 6,337 नए मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में कुल संक्रमितों की संख्या अब 3 लाख 30 हजार 265 तक पहुंच गई है। राज्य में पिछले 24 घंटे में 6,476 लोगों को डिस्चार्ज भी किया गया। इस तरह अभी तक 2 लाख 58 हजार 573 लोग ठीक हो चुके हैं। राज्य में कोरोना मरीजों की रिकवरी रेट 78.29 प्रतिशत है।
लद्दाख में भारत-चीन तनाव के बीच चीन की सेना बॉर्डर पर लाउडस्पीकर लगाकर पंजाबी गाने बजा रही है। न्यूज एजेंसी एएनआई के सूत्रों के मुताबिक चीन ने लाउडस्पीकर फिंगर-4 इलाके की उन फॉरवर्ड पोस्ट पर लगाए हैं जो 24 घंटे भारत की निगरानी में हैं।
चीन के इस कदम की 2 वजह हो सकती हैं। पहली यह कि चीन भारतीय जवानों का ध्यान भटकाने के लिए ड्रामा कर रहा हो। दूसरी यह कि चीन वाकई तनाव कम करना चाहता हो, हालांकि इसकी उम्मीद कम है।
भारत-चीन के बीच 20 दिन में 3 बार गोलियां चलीं
पूर्वी लद्दाख में एक-दूसरे को चेतावनी देने के लिए भारत-चीन के जवानों के बीच पिछले 20 दिन में 3 बार हवा में गोलियां चल चुकी हैं। आखिरी बार 8 सितंबर को दोनों तरफ से 100-200 राउंड फायर हुए थे। सीमा पर जारी तनाव के बीच दोनों देशों के बीच कॉर्प्स कमांडर लेवल की मीटिंग होनी है, लेकिन चीन की तरफ से अभी तक तारीख और समय कंफर्म नहीं हुआ है।
भारतीय सेना बोफोर्स तोपें तैयार कर रही
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव बढ़ने के साथ ही सर्दियों के सीजन में लंबे टकराव की आशंका को देखते हुए सेना ने तैयारी शुरू कर दी है। भारतीय सेना बोफोर्स होवित्जर तोपें तैनात करने की तैयारी भी कर रही है। इन तोपों ने 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ करगिल का युद्ध जिताया था।
उत्तराखंड सीमा पर भी चीन सक्रिय
भारत-चीन के बीच आर्मी और डिप्लोमेटिक मीटिंग्स का दौर अप्रैल-मई से ही चल रहा है, लेकिन चीन बार-बार समझौते तोड़ घुसपैठ की कोशिश करता है। सूत्रों के मुताबिक उत्तराखंड में चीन ने तिनकार-लिपु पास के करीब हट जैसे स्ट्रक्चर खड़े किए हैं। जोजो गांव और चंपा मैदान के जनरल एरिया में भी चीन कंस्ट्रक्शन कर रहा है।
लद्दाख में भारत-चीन तनाव के बीच चीन की सेना बॉर्डर पर लाउडस्पीकर लगाकर पंजाबी गाने बजा रही है। न्यूज एजेंसी एएनआई के सूत्रों के मुताबिक चीन ने लाउडस्पीकर फिंगर-4 इलाके की उन फॉरवर्ड पोस्ट पर लगाए हैं जो 24 घंटे भारत की निगरानी में हैं।
चीन के इस कदम की 2 वजह हो सकती हैं। पहली यह कि चीन भारतीय जवानों का ध्यान भटकाने के लिए ड्रामा कर रहा हो। दूसरी यह कि चीन वाकई तनाव कम करना चाहता हो, हालांकि इसकी उम्मीद कम है।
भारत-चीन के बीच 20 दिन में 3 बार गोलियां चलीं
पूर्वी लद्दाख में एक-दूसरे को चेतावनी देने के लिए भारत-चीन के जवानों के बीच पिछले 20 दिन में 3 बार हवा में गोलियां चल चुकी हैं। आखिरी बार 8 सितंबर को दोनों तरफ से 100-200 राउंड फायर हुए थे। सीमा पर जारी तनाव के बीच दोनों देशों के बीच कॉर्प्स कमांडर लेवल की मीटिंग होनी है, लेकिन चीन की तरफ से अभी तक तारीख और समय कंफर्म नहीं हुआ है।
भारतीय सेना बोफोर्स तोपें तैयार कर रही
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव बढ़ने के साथ ही सर्दियों के सीजन में लंबे टकराव की आशंका को देखते हुए सेना ने तैयारी शुरू कर दी है। भारतीय सेना बोफोर्स होवित्जर तोपें तैनात करने की तैयारी भी कर रही है। इन तोपों ने 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ करगिल का युद्ध जिताया था।
उत्तराखंड सीमा पर भी चीन सक्रिय
भारत-चीन के बीच आर्मी और डिप्लोमेटिक मीटिंग्स का दौर अप्रैल-मई से ही चल रहा है, लेकिन चीन बार-बार समझौते तोड़ घुसपैठ की कोशिश करता है। सूत्रों के मुताबिक उत्तराखंड में चीन ने तिनकार-लिपु पास के करीब हट जैसे स्ट्रक्चर खड़े किए हैं। जोजो गांव और चंपा मैदान के जनरल एरिया में भी चीन कंस्ट्रक्शन कर रहा है।
देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 51 लाख के पार हो गया। अब तक 51 लाख 15 हजार 893 लोग संक्रमित हो चुके हैं। 24 घंटे में रिकॉर्ड 97 हजार 856 नए मरीज मिले। इसके पहले 11 सितंबर को 97 हजार 856 केस बढ़े थे।
उधर, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान पूरे देश में अब तक 382 डॉक्टरों की जान गई। इनमें 27 से 85 साल की उम्र के डॉक्टर शामिल हैं। आईएमए ने केंद्र सरकार के उस बयान पर नाराजगी जताई है, जिसमें सरकार ने संसद में कहा था कि उसके पास कोरोना के चलते जान गंवाने वालों या इस वायरस से संक्रमित होने वाले डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ का डेटा नहीं है। प्रेस रिलीज में आईएमए ने कहा कि इन कोरोना वॉरियर्स को सरकार शहीद का दर्ज दे।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
राज्य में कोरोना संक्रमण की रफ्तार सबसे ज्यादा हो गई है। बुधवार को 15 हजार 286 सैंपल जांचे गए, जो कि सितंबर के बीते 15 दिन में सबसे कम हैं। इनमें से 2462 सैंपल पॉजिटिव मिले। यह किसी एक दिन का अब तक दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। इस हिसाब से संक्रमण दर 16.1% हो गई है, जो कि एक दिन पहले 11.1% थी। यानी एक दिन में 5% संक्रमण बढ़ गया।
दूसरी ओर, पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोत की हालत बिगड़ गई है। वे दो दिन पहले कोरोना मुक्त होकर जबलपुर के जिला अस्पताल से डिस्चार्ज हुए थे। बुधवार को उनके ब्लड में इंफेक्शन होने के बाद हालत बिगड़ी।
2. राजस्थान
राज्य में बुधवार को कोरोना के रिकॉर्ड 1782 केस मिले। उधर, बीकानेर में 3, जयपुर, जोधपुर, पाली और अजमेर में 2-2, बाड़मेर, कोटा, सवाई माधोपुर और उदयपुर में एक-एक रोगी की जान गई। इस तरह सितंबर के 16 दिनों में 25 हजार 987 केस मिले हैं और 223 मरीजों ने दम तोड़ दिया।
इतने रोगी शुरुआती 135 दिन में मिले थे। 15 जुलाई तक राज्य में कुल 26 हजार 437 संक्रमित थे। सितंबर में मरीज मिलने की दर दोगुनी होकर 6.12% हो गई है। हर 100 टेस्ट में 6 से ज्यादा लोग पॉजिटिव मिल रहे हैं। जुलाई में यही दर 2.75%, अगस्त में 3.53% थी। हालांकि, राहत की बात यह है कि अब मृत्युदर 1.29% से घटकर 1.20% रह गई है। जुलाई में यह दर 1.61% थी।
3. बिहार
राज्य में जितने मरीज मिल रहे उससे अधिक ठीक हो रहे हैं। बुधवार का ही आंकड़ा लें तो 1724 लोग स्वस्थ्य होकर घर गए, जबकि 1531 नए मरीज मिले। इनमें सबसे ज्यादा 185 पटना से हैं। राज्य में मरीजों का रिकवरी रेट 91.16% हो गया है जो राष्ट्रीय औसत से 13% ज्यादा है।
कोरोना मरीजों के ठीक होने संख्या में 17 अगस्त के बाद लगातार इजाफा (3 और 4 सितंबर को छोड़कर) हो रहा है। अब तक संक्रमण की जद में आए 1 लाख 48 हजार 257 लोग स्वस्थ्य हो चुके हैं। बीते 24 घंटे में 1 लाख 07 हजार 970 सैंपल की जांच हुई। अब तक राज्य में 52 लाख 2 हजार 209 लोगों की जांच हो चुकी है।
4. महाराष्ट्र
राज्य में बुधवार को 23 हजार 365 नए मामले सामने आए। इसी के साथ यहां संक्रमितों की संख्या बढ़कर 11 लाख 21 हजार 221 हो गई है। राहत की बात है कि इनमें 7 लाख 92 हजार 832 लोग ठीक हो चुके हैं। अभी 2 लाख 97 हजार 125 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 30 हजार 883 लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले 24 घंटे में 474 संक्रमितों ने दम तोड़ दिया।
5. उत्तर प्रदेश
प्रदेश में बुधवार को संक्रमण के 6,337 नए मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में कुल संक्रमितों की संख्या अब 3 लाख 30 हजार 265 तक पहुंच गई है। राज्य में पिछले 24 घंटे में 6,476 लोगों को डिस्चार्ज भी किया गया। इस तरह अभी तक 2 लाख 58 हजार 573 लोग ठीक हो चुके हैं। राज्य में कोरोना मरीजों की रिकवरी रेट 78.29 प्रतिशत है।