शुक्रवार, 18 दिसंबर 2020

रेटिंग एजेंसी BARC के पूर्व COO को मुंबई क्राइम ब्रांच ने अरेस्ट किया, इस केस में यह 14वीं गिरफ्तारी

मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने कथित टीआरपी (टेलीविजन रेटिंग पॉइंट) घोटाला मामले में ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARK) के पूर्व COO (चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर) रोमिल रामगढ़िया को गुरुवार को अरेस्ट किया। फेक टीआरपी केस में यह 14वीं गिरफ्तारी है। इससे पहले रिपब्लिक टीवी, बॉक्स सिनेमा और फक्त मराठी चैनल के कर्मचारियों को पुलिस ने अरेस्ट किया था। हालांकि, एक-दो को छोड़ ज्यादातर अभी जमानत पर हैं।

क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने कहा, 'जांच के दौरान टीआरपी केस में रागगढ़िया की कथित संलिप्तता का पता चला, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। रामगढ़िया को एक स्थानीय अदालत के समक्ष पेश किया गया। जहां से अदालत ने उन्हें 19 दिसंबर तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया है।' पुलिस ने रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के सीईओ विकास खानचंदानी को टीआरपी घोटाले के सिलसिले में रविवार को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, एक अदालत ने बुधवार को उनकी जमानत मंजूर कर ली।

अदालत में रामगढ़िया की दलील

  • अदालत में सुनवाई के दौरान रोमिल रामगढ़िया की ओर से वकील मृण्मय कुलकर्णी ने कहा कि उन्हें(रोमिल) हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरुरत नहीं है। रामगढ़िया ने कई महीने पहले ही कंपनी से इस्तीफा दे दिया था और उनका कथित टीआरपी घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि रामगढ़िया की रेटिंग एजेंसी BARC में बहुत विशिष्ट भूमिका थी और वह किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल नहीं थे।

अदालत में क्राइम ब्रांच की ओर से बताया गया कि रोमिल से अभी पूछताछ करना बाकी है इसलिए बिना कस्टडी के यह संभव नहीं है। जिसे अदालत ने माना और उन्हें 19 दिसंबर तक कस्टडी में भेज दिया है।

क्या है फेक TRP केस?
फेक TRP हेर-फेर घोटाला अक्टूबर में सामने आया था, जब हंसा के एक अधिकारी ने मुंबई पुलिस में शिकायत दर्ज की थी। इसके बाद फक्त मराठी और बॉक्स सिनेमा के मालिक को गिरफ्तार किया गया था। नवंबर में, मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच ने कथित फर्जी टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट्स (TRP) मामले में 1,400 पन्नों की चार्जशीट दायर की, जिसमें रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क और न्यूज़ नेशन समेत छह चैनलों का नाम था। बताया गया था कि TRP बढ़ाने के लिए करीब दो साल से पैसे दिए जा रहे थे।

क्या है टीआरपी?

  • टीआरपी यानी टेलीविजन रेटिंग पॉइंट। यह किसी भी टीवी प्रोग्राम की लोकप्रियता और ऑडियंस का नंबर पता करने का तरीका है। किसी शो को कितने लोगों ने देखा, यह टीआरपी से पता चलता है।
  • यदि किसी शो की टीआरपी ज्यादा है तो इसका मतलब है कि लोग उस चैनल या उस शो को पसंद कर रहे हैं। एडवर्टाइजर्स को टीआरपी से पता चलता है कि किस शो में एडवर्टाइज करना फायदेमंद रहेगा।
  • सरल शब्दों में टीआरपी बताता है कि किस सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के कितने लोग कितनी देर किस चैनल को देख रहे हैं। यह एक घंटे में, एक दिन में या एक हफ्ते का कुछ समय हो सकता है।

चैनलों के लिए टीआरपी का क्या महत्व है?

  • टीआरपी से ही पता चलता है कि किस चैनल को कितने लोग देख रहे हैं। किस शो की लोकप्रियता ज्यादा है। इसी आधार पर वे अपना प्रमोशनल प्लान तैयार करते हैं और एडवर्टाइजमेंट देते हैं।
  • ज्यादा से ज्यादा एडवर्टाइज चाहिए तो टीआरपी भी अच्छी होना आवश्यक है। इसकी वजह से ही ज्यादातर चैनल टीआरपी को महत्व देते हैं। जिसे ज्यादा लोग देख रहे हैं, उसे ही प्रमोट करते हैं।

टीआरपी को कैल्कुलेट कैसे करते हैं?

  • बार्क (ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल) ने करीब 45 हजार घरों में डिवाइस लगाया है, जिसे बार-ओ-मीटर या पीपल मीटर कहते हैं। यह मीटर शो में एम्बेड वाटरमार्क्स को रिकॉर्ड करता है।
  • बार्क रिमोट में हर घर के प्रत्येक सदस्य के लिए अलग बटन होता है। शो देखते समय उन्हें वह बटन दबाना होता है, जिससे बार्क को यह पता चलता है कि किस शो को परिवार के किस सदस्य ने कितनी देर देखा।
  • इसी आधार पर बार्क बताता है कि 20 करोड़ टीवी देखने वाले परिवारों में शो या प्रोग्राम देखने का पैटर्न क्या है या 84 करोड़ दर्शक क्या देख रहे हैं और कितनी देर क्या देखना पसंद करते हैं।
  • इन परिवारों को 2015 में नए कंज्यूमर क्लासिफिकेशन सिस्टम (एनसीसीएस) के तहत 12 कैटेगरी में बांटा गया है। इसमें परिवार का मुख्य कमाने वाले सदस्य की पढ़ाई के स्तर के साथ ही घर में बिजली के कनेक्शन से लेकर कार तक की उपलब्धता को आधार बनाया जाता है।
  • बार्क एक इंडस्ट्री बॉडी है, जिसका संयुक्त मालिकाना हक एडवर्टाइजर्स, एड एजेंसियों और ब्रॉडकास्टिंग कंपनियों के पास है। इंडियन सोसायटी ऑफ एडवर्टाइजर्स, इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन और एडवर्टाइजिंग एजेंसी एसोसिएशन ऑफ इंडिया इसके संयुक्त मालिक है।


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गिरफ्तारी के बाद रोमिल को लेकर मुंबई मेट्रोपोलिटन कोर्ट में जाते क्राइम ब्रांच के अधिकारी।


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सोनिया कल से एक हफ्ते तक पार्टी नेताओं से मिलेंगी, शिकायतों और रणनीति पर चर्चा

बीते महीनों में कांग्रेस के अंदर ही विरोध के सुर उठे थे। अब मामले सुलझाने के लिए अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी आगे आई हैं। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, कल (19 दिसंबर) से एक हफ्ते तक सोनिया कांग्रेस के कई नेताओं से मिलेंगी। इसमें उनकी शिकायतों के अलावा पार्टी की आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। पार्टी नेताओं के मुताबिक, मीटिंग में राज्य और केंद्रीय स्तर के नेताओं से चर्चा होगी। सोनिया उन नेताओं से भी मिलेंगी, जिन्होंने पार्टी में रिफॉर्म की बात कही थी।

बताया गया है कि अहमद पटेल के निधन के बाद एक पूर्व मुख्यमंत्री सोनिया से मिले थे। उन्होंने अंतरिम अध्यक्ष से पार्टी नेताओं से मुलाकात कर मुद्दे सुलझाने की अपील की थी। पहले बैच में जिन नेताओं से सोनिया मिल सकती हैं, उनमें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद समेत प्रदेश कांग्रेस समितियों के अध्यक्ष शामिल हैं।

‘हमारे लोगों ने जमीन से जुड़ाव खत्म किया’
एक महीने पहले गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि 5 स्टार कल्चर से चुनाव नहीं जीते जा सकते। आज नेताओं के साथ यह दिक्कत है कि अगर उन्हें टिकट मिल जाता है तो वे सबसे पहले 5 स्टार होटल बुक करते हैं। अगर सड़क खराब है तो वे उस पर नहीं जाएंगे। जब तक इस 5 स्टार कल्चर को छोड़ नहीं दिया जाता, तब तक कोई चुनाव नहीं जीता जा सकता। पिछले 72 साल में कांग्रेस सबसे निचले पायदान पर है। कांग्रेस के पास पिछले दो कार्यकाल के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद भी नहीं है।

सोनिया को नेताओं ने चिट्ठी भी लिखी थी
कुछ महीने पहले पार्टी के 23 नेताओं ने इस मसले पर सोनिया गांधी को चिट्‌ठी भी लिखी थी। इनमें कपिल सिब्बल के साथ गुलाम नबी आजाद भी शामिल थे। चिट्ठी में पार्टी में ऊपर से नीचे तक बदलाव करने की मांग की गई थी।

कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक में चिट्ठी लिखने वाले नेताओं की भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाए जाने से ये दोनों नाराज हो गए थे। बिहार चुनाव में हार के बाद कपिल सिब्बल ने तो यहां तक कह दिया था कि पार्टी ने शायद हर चुनाव में हार को ही नियति मान लिया है। इसे पार्टी के टॉप लीडरशिप यानी सोनिया और राहुल गांधी पर निशाना माना गया था।



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अहमद पटेल के निधन के बाद एक पूर्व मुख्यमंत्री सोनिया से मिले थे। उन्होंने अंतरिम अध्यक्ष से पार्टी नेताओं से मुलाकात कर मुद्दे सुलझाने की अपील की थी। (फाइल फोटो)


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मोदी आज मध्य प्रदेश के किसानों को संबोधित करेंगे, नए कृषि कानूनों के फायदे बताएंगे

तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन का आज 23वां दिन है। किसान कानून वापसी पर अड़े हैं। इस बीच सरकार अलग-अलग तरीकों से किसानों को समझाने-मनाने में जुटी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मध्य प्रदेश के किसानों की कॉन्फ्रेंस में जुड़ेंगे। वे कृषि कानूनों के फायदे बताएंगे।

मोदी की अपील- कृषि मंत्री की चिट्ठी जरूर पढ़ें
2 दिन पहले ही कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ग्वालियर में किसान सम्मेलन को संबोधित किया था। उन्होंने कहा था कि नए कानून किसानों के फायदे के लिए हैं। तोमर ने गुरुवार को किसानों के नाम चिट्ठी भी लिखी, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समेत दूसरी चिंताओं पर भरोसा दिया। मोदी ने किसानों के साथ-साथ पूरे देश से तोमर की चिट्ठी को पढ़ने की अपील करते हुए इसे सोशल मीडिया पर शेयर किया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सरकार कानून होल्ड करने का रास्ता सोचे
किसानों को सड़कों से हटाने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि किसानों को विरोध करने का हक है, लेकिन किसी की संपत्ति या किसी की जान को कोई खतरा नहीं होना चाहिए। साथ ही सलाह दी कि विरोध के तरीके में बदलाव करें, किसी शहर को जाम नहीं किया जा सकता। अदालत ने सरकार से भी पूछा- इस मामले की सुनवाई पूरी होने तक क्या आप कृषि कानूनों को रोक सकते हैं?

अभी नए कृषि कानून लागू करने के नियम ही नहीं बने, जैसे CAA के नहीं बने हैं
लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी ने कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कमेंट से जुड़े सवालों के जवाब बताए।

क्या किसी कानून पर अमल रोका जा सकता है?
बिल पर अमल का अधिकार कार्यपालिका का है। अमल के लिए नियम और दिशा-निर्देश होते हैं। कृषि कानूनों को लागू करने के नियम अभी बने ही नहीं हैं। यानी वे लागू ही नहीं हैं, तो फिर उन्हें रोक कैसे सकते हैं।

क्या पहले कभी ऐसा हुआ है कि बिल संसद में पारित हो गया और उस पर अमल नहीं हुआ?
इसका सबसे बड़ा उदाहरण नागरिकता कानून संशोधन एक्ट (CAA) है। यह पिछले साल संसद से पारित हुआ था। लेकिन, अभी तक इस कानून को लागू करने के नियम और दिशा-निर्देश नहीं बनाए गए हैं। इसलिए यह कानून अभी तक कोल्ड स्टोरेज में है।

अगर सरकार जल्दी ही नियम बना लेती है तो?
सुप्रीम कोर्ट चाहे तो केस चलने तक अमल के नियम नहीं बनाने का आदेश भी दे सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का इरादा क्या लगता है?
सरकार और किसानों में बातचीत में प्रगति नहीं हो पा रही। कोर्ट संभावना तलाश रहा है कि क्या बातचीत जारी रहने तक कानूनों को बेअसर रखा जा सकता है। मुझे लगता है कि कोर्ट का यह कदम समाधान की दिशा में है।

क्या कोई सरकार कानूनों को निष्प्रभावी करने के लिए अध्यादेश भी ला सकती है?
नहीं। किसी भी कानून को निष्प्रभावी या रद्द करने के लिए संसद का सत्र एकमात्र विकल्प है। वैसे कानून पर अमल रोकने के लिए नियम नहीं बनाना ही ज्यादा कारगर तरीका है।



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कोवीशील्ड वैक्सीन के दो फुल डोज काफी कारगर; पहले डेढ़ डोज के नतीजों पर सवाल उठे थे

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका कंपनी के कोरोना वैक्सीन (कोवीशील्ड) के दो फुल डोज बेहतर इम्यून रिस्पॉन्स दे रहे हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने गुरुवार रात यह जानकारी दी। यूनिवर्सिटी ने एक बयान में कहा- पहले हमने एक फुल और एक हाफ डोज देकर ट्रायल किया था। यानी कैंडिडेट को डेढ़ डोज दी गई थी। अब दो फुल डोज दिए गए। इनके नतीजे काफी बेहतर रहे।

करीब एक महीने पहले एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड ने वैक्सीन में मैन्युफैक्चरिंग एरर की बात मानी थी। तब वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल के परिणाम जारी किए गए थे, जिसमें अलग-अलग नतीजे सामने आए थे।

दो फुल डोज ही जरूरी
गुरुवार को जारी बयान में ऑक्सफोर्ड ने अपनी वैक्सीन पर नए सिरे से जानकारी दी। कहा- हमने अपने कैंडिडेट्स को ट्रायल के दौरान वैक्सीन के दो फुल डोज दिए। इसके अच्छे नतीजे सामने आए। इसके पहले हमने एक फुल और एक हाफ डोज दिया था। इसकी तुलना में दो फुल डोज काफी कारगर साबित हुए।

कंपनी का ताजा बयान ऐसे वक्त सामने आया है जबकि पिछले दिनों उसने खुद अलग-अलग रिजल्ट्स की बात मानी थी। तब एक्सपर्ट्स ने इसके डेटा एनालिसिस पर भी सवाल उठाए थे। नए बयान में ऑक्सफोर्ड ने माना है कि वैक्सीन के रिजल्ट्स की पुष्टि के लिए अभी और काम किए जाने की जरूरत है।

तीन चरणों की डीटेल्स जारी
ऑक्सफोर्ड ने एक महीने में दूसरी बार फेज 1 से फेज 3 के ट्रायल रिजल्ट्स जारी किए। हालांकि, इसमें पहले दिए गए डेढ़ डोज का रेफरेंस नहीं दिया गया। यूनिवर्सिटी का कहना है कि डेढ़ डोज दिए जाने वाले ट्रायल्स पहले से तय नहीं थे। अब ऑक्सफोर्ड का जोर अपनी वैक्सीन के दो फुल डोज दिए जाने पर ही है। उसका कहना है कि डेढ़ और दो डोज का प्रयोग करना उसकी रणनीति का हिस्सा था। इसी पर पहले सवाल उठ चुके हैं, क्योंकि डोज में फर्क से रिजल्ट्स में फर्क आना भी स्वाभाविक है।

ऑक्सफोर्ड ने कहा- बूस्टर डोज दिए जाने के बाद जो नतीजे मिले उससे साफ हो गया कि सिंगल डोज के मुकाबले एंटीबॉडी तेजी से बनती हैं। स्टैंडर्ड डोज का इस्तेमाल ही किया जाना चाहिए।

पहले इसलिए उठे थे सवाल
ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका ने 23 नवंबर को बयान जारी कर बताया था कि यूके और ब्राजील में किए गए परीक्षणों में वैक्सीन (AZD1222) काफी असरदार पाई गई। आधी डोज दिए जाने पर वैक्सीन 90% तक इफेक्टिव मिली। इसके बाद दूसरे महीने में फुल डोज दिए जाने पर 62% असरदार देखी गई। इसके एक महीने बाद दो फुल डोज देने पर वैक्सीन का असर 70% देखा गया। भारत में यह वैक्सीन पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया बना रहा है।



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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने नए बयान में कहा है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन के दो फुल डोज बेहतर इम्यून रिस्पॉन्स दे रहे हैं। (फाइल फोटो)


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मोदी आज मध्य प्रदेश के किसानों को संबोधित करेंगे, नए कृषि कानूनों के फायदे बताएंगे

तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन का आज 23वां दिन है। किसान कानून वापसी पर अड़े हैं। इस बीच सरकार अलग-अलग तरीकों से किसानों को समझाने-मनाने में जुटी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मध्य प्रदेश के किसानों की कॉन्फ्रेंस में जुड़ेंगे। वे कृषि कानूनों के फायदे बताएंगे।

मोदी की अपील- कृषि मंत्री की चिट्ठी जरूर पढ़ें
2 दिन पहले ही कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ग्वालियर में किसान सम्मेलन को संबोधित किया था। उन्होंने कहा था कि नए कानून किसानों के फायदे के लिए हैं। तोमर ने गुरुवार को किसानों के नाम चिट्ठी भी लिखी, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समेत दूसरी चिंताओं पर भरोसा दिया। मोदी ने किसानों के साथ-साथ पूरे देश से तोमर की चिट्ठी को पढ़ने की अपील करते हुए इसे सोशल मीडिया पर शेयर किया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सरकार कानून होल्ड करने का रास्ता सोचे
किसानों को सड़कों से हटाने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि किसानों को विरोध करने का हक है, लेकिन किसी की संपत्ति या किसी की जान को कोई खतरा नहीं होना चाहिए। साथ ही सलाह दी कि विरोध के तरीके में बदलाव करें, किसी शहर को जाम नहीं किया जा सकता। अदालत ने सरकार से भी पूछा- इस मामले की सुनवाई पूरी होने तक क्या आप कृषि कानूनों को रोक सकते हैं?

अभी नए कृषि कानून लागू करने के नियम ही नहीं बने, जैसे CAA के नहीं बने हैं
लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी ने कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कमेंट से जुड़े सवालों के जवाब बताए।

क्या किसी कानून पर अमल रोका जा सकता है?
बिल पर अमल का अधिकार कार्यपालिका का है। अमल के लिए नियम और दिशा-निर्देश होते हैं। कृषि कानूनों को लागू करने के नियम अभी बने ही नहीं हैं। यानी वे लागू ही नहीं हैं, तो फिर उन्हें रोक कैसे सकते हैं।

क्या पहले कभी ऐसा हुआ है कि बिल संसद में पारित हो गया और उस पर अमल नहीं हुआ?
इसका सबसे बड़ा उदाहरण नागरिकता कानून संशोधन एक्ट (CAA) है। यह पिछले साल संसद से पारित हुआ था। लेकिन, अभी तक इस कानून को लागू करने के नियम और दिशा-निर्देश नहीं बनाए गए हैं। इसलिए यह कानून अभी तक कोल्ड स्टोरेज में है।

अगर सरकार जल्दी ही नियम बना लेती है तो?
सुप्रीम कोर्ट चाहे तो केस चलने तक अमल के नियम नहीं बनाने का आदेश भी दे सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का इरादा क्या लगता है?
सरकार और किसानों में बातचीत में प्रगति नहीं हो पा रही। कोर्ट संभावना तलाश रहा है कि क्या बातचीत जारी रहने तक कानूनों को बेअसर रखा जा सकता है। मुझे लगता है कि कोर्ट का यह कदम समाधान की दिशा में है।

क्या कोई सरकार कानूनों को निष्प्रभावी करने के लिए अध्यादेश भी ला सकती है?
नहीं। किसी भी कानून को निष्प्रभावी या रद्द करने के लिए संसद का सत्र एकमात्र विकल्प है। वैसे कानून पर अमल रोकने के लिए नियम नहीं बनाना ही ज्यादा कारगर तरीका है।



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राजस्थान में ठंड से पहली मौत, दो राज्यों में ऑरेंज अलर्ट, हिमाचल के पहाड़ों पर जमने लगी बर्फ

ठंड की वजह से अब लोगों की मौत का सिलसिला भी शुरू हो गया है। राजस्थान में खेत पर एक व्यक्ति की ठंड लगने से मौत हो गई। राजस्थान और पंजाब में मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी कर शीतलहर चलने की चेतावनी जारी की है तो वहीं हिमाचल के पहाड़ों पर अब ठंड के कारण बर्फ जमने लगी है।

राजस्थान: माउंट आबू रहा राज्य का सबसे ठंडा शहर, पारा माइन एक डिग्री

श्रीगंगानगर के अनूपगढ़ में छिंद्रपाल सिंह नाम का व्यक्ति नशे की हालत में रात में खेतों में ही रह गया और ज्यादा ठंड लगने से उसकी मौत हो गई। वहीं, माउंट आबू में एक ही दिन में 2.4 डिग्री पारा लुढ़ककर माइनस 1 तक पहुंच गया। सुबह करीब दस बजे तक घना कोहरा छाया रहा तथा आसमान से ओस बरसी, जो बर्फ बन गई। कड़ाके की पड़ रही सर्दी के कारण लोगों का जनजीवन प्रभावित हो रहा है। यहां आने वाले पर्यटक व स्थानीय लोग कड़ाके सर्दी की सर्दी से बचने के लिए गर्म लबादों में ढंके नजर आए।

राजस्थान के चित्तौड़गढ़- में रात का तापमान 7 डिग्री तक गिर गया। इससे खेत में ओस की बूंदें तक जम गईं।

हिमाचल प्रदेश: शिमला समेत 8 शहरों में रात का पारा शून्य से नीचे

हिमाचल के पहाड़ों पर अब बर्फ जमने लगी है, जिससे मैदानी इलाकों में भी शीतलहर चल रही है। पिछले 24 घंटों में राजधानी शिमला समेत 8 शहरों का न्यूनतम तापमान माइनस में रहा है। निचले क्षेत्रों में गहरी धुंध भी पड़ रही है।

शिमला-ढली बाईपास के पास पहाड़ी से गिरता पानी जम गया।

पंजाब: धुंध की वजह से फरवरी तक अमृतसर से चलने वाली 10 ट्रेनें रद्द

अगले 48 घंटे पंजाब में शीतलहर जारी रहेगी। पंजाब कोल्ड फ्रंट बना हुआ है। मौसम विभाग ने पंजाब में ऑॅरेंज अलर्ट जारी किया है। धुंध की वजह से फरवरी तक अमृतसर से चलने वाली 10 ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी से शीतलहर का प्रकोप है। पंजाब के कई शहरों में वीरवार को दिनभर दिन शीतलहर चली। 18 दिसंबर को आसमान साफ रहेगा और धुंध पड़ेगी। शीतलहर का असर जारी रहेगा। आने वाले दिनों में दिन और रात के तापमान में अंतर कम होगा और सर्दी बढ़ेगी।

राजस्थान के कोटा शहर में भी सीजन का सबसे कम न्यूनतम पारा 5 डिग्री रिकार्ड किया।

चंडीगढ़: कंपकपाती ठंड और गलन वाली ठंड से लोग परेशान

चंडीगढ़ में धुंध और सर्द हवाएं चलने का क्रम जारी है। मौसम विभाग के चंडीगढ़ केंद्र के कार्यकारी निदेशक शिवेंदर सिंह ने बताया कि वेस्टर्न डिस्टरबेंस अब निकल चुका है। जहां तक कोहरे का सवाल है तो अगले कुछ दिन सुबह के वक्त हल्का कोहरा रहेगा। विजिबिलिटी पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। विजिबिलिटी 500 से 1000 मीटर के आसपास रहेगी। दिन में धूप निकलेगी। रात के तापमान में दो से तीन डिग्री की गिरावट आ सकती है। शुक्रवार को दिन का अधिकतम तापमान 14.3 डिग्री दर्ज किया गया जो सामान्य से सात डिग्री कम रहा।

राजस्थान के श्रीगंगानगर में दो दिन से हाथ पैर सुन्न करने वाली ठंड पड़ रही है। रात का तापमान तीन डिग्री से भी नीचे है।

बिहार: 22 से 28 किमी/घंटे की रफ्तार से चली पछुआ हवा ने बढ़ाई ठंड

पछुआ हवा ने प्रदेश में ठंड बढ़ा दी है। पिछले 24 घंटे में आसमान साफ होने के कारण रात के तापमान में दो से तीन डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज हुई है। हवाएं 22 से 28 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हैं। पश्चिमी और उत्तर पश्चिमी सर्द हवाएं मध्यम उत्तर प्रदेश तक पहुंच चुकी हैं। बिहार में प्रवेश करते ही तीन से चार डिग्री सेल्सियस तापमान में कमी आएगी। गुरुवार को पटना का न्यूनतम तापमान 12.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो बुधवार के मुकाबले 2.2 डिग्री सेल्सियस कम है।

फोटो श्रीनगर की है। बर्फबारी के बीच बच्चे के साथ मस्ती करते परिवार के लोग।


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फोटो राजस्थान के माउंट आबू की है। यहां लोग जब सुबह उठे तो उन्हें गाड़ियों पर बर्फ की चादर जमी मिली।


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दिल्ली विधानसभा में कृषि कानूनों का पर्चा तार-तार, देश में कोरोना संक्रमित हो सकते हैं एक करोड़ पार

नमस्कार!

भारत में आज कोरोनावायरस के संक्रमितों का आंकड़ा एक करोड़ पहुंच सकता है। ऐसा होने पर हम दुनिया के 220 देशों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर आ जाएंगे। संक्रमितों के मामले में हमसे आगे अब केवल अमेरिका है। बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

सबसे पहले देखते हैं, बाजार क्या कह रहा है

  • BSE का मार्केट कैप 185.21 लाख करोड़ रुपए रहा। BSE पर करीब 50% कंपनियों के शेयरों में गिरावट रही।
  • 3,147 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 1,390 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,581 कंपनियों के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मध्य प्रदेश के किसानों को संबोधित करेंगे।
  • कॉमेडियन कुणाल कामरा की अदालत के खिलाफ विवादित पोस्ट के मामले में सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुना सकती है।
  • मध्य प्रदेश में 10वीं और 12वीं के स्कूल खुल जाएंगे।

देश-विदेश
केजरीवाल ने फाड़ी कृषि कानूनों की कॉपी

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के मसले पर गुरुवार को दिल्ली विधानसभा में विशेष सत्र बुलाया गया। इसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कृषि कानूनों की कॉपी फाड़ दी। केजरीवाल ने कहा, "ऐसा पहली बार हुआ है कि राज्यसभा में वोटिंग के बिना ही तीन कानून पास कर दिए गए। केंद्र से अपील करता हूं कि वह अंग्रेजों से बदतर ना बने।'

सुप्रीम कोर्ट की नसीहत: आंदोलन कर रहे किसानों को सड़कों से हटाने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने सरकार और किसानों दोनों को सलाह दी। सरकार से कहा कि कृषि कानूनों को होल्ड करने की संभावना तलाशें। वहीं, किसानों को नसीहत दी कि विरोध का तरीका बदलें।

तोमर की किसानों को चिट्ठी: कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को किसानों के नाम एक चिट्‌ठी लिखी। उन्होंने किसानों से कहा कि वे विपक्ष का मोहरा न बनें। तोमर बोले कि जिन लोगों ने 1962 के युद्ध में देश की विचारधारा का विरोध किया था, वही किसानों को आज गुमराह कर रहे हैं।

आसमान में ISRO की एक और उड़ान
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से गुरुवार को कम्युनिकेशन सैटेलाइट (CMS-01) की लॉन्चिंग की। लॉन्चिंग PSLV-C50 रॉकेट से की गई। कोरोना काल में किसी सैटेलाइट की यह महज दूसरी लॉन्चिंग हैं। CMS-01 भारत का 42वां कम्युनिकेशन सैटेलाइट है। यह भारत के जमीनी इलाकों के अलावा अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप भी कवर करेगा।

भारत-बांग्लादेश के बीच 55 साल पुराना रेल लिंक शुरू
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने गुरुवार को भारत-बांग्लादेश के बीच चिल्हटी-हल्दीबाड़ी रेल लिंक का उद्घाटन किया। अब 1965 से बंद 6 में से 5 रेल लिंक फिर से शुरू हो जाएंगे। ये लिंक भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 की जंग के वक्त बंद किया गया था।

व्हाइट हाउस छोड़ने को तैयार नहीं डोनाल्ड ट्रम्प
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने सहयोगियों को बताया है कि वे 20 जनवरी को भी व्हाइट हाउस नहीं छोड़ेंगे। 20 जनवरी को ही प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन नए राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेंगे। अगर ट्रम्प अड़े रहते हैं तो अमेरिका में संवैधानिक संकट खड़ा हो जाएगा, जो वहां के इतिहास में कभी नहीं हुआ है।

भास्कर एक्सप्लेनर
भारत भी वैक्सीनेशन के लिए तैयार

ब्रिटेन, अमेरिका समेत कई देशों में कोरोनावायरस से बचाव के लिए वैक्सीनेशन अभियान शुरू हो गए हैं। ज्यादातर देशों में फाइजर और बायोएनटेक की बनाई mRNA वैक्सीन का ही इस्तेमाल हो रहा है। भारत सरकार ने भी वैक्सीनेशन की पूरी तैयारी कर ली है। जानिए भारत में वैक्सीनेशन ड्राइव के लिए क्या-क्या हो रहा है।

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आज की पॉजिटिव खबर
स्ट्रॉबेरी की खेती से एक सीजन में कमा रहे 8 लाख
कर्नाटक के धारवाड़ के रहने वाले शशिधर चिक्कपा 10वीं तक पढ़े हैं। 2009 में कंस्ट्रक्शन का काम शुरू किया। 9 साल तक यही काम किया। पैसे भी कमाए, पर सुकून नहीं था। अब सालभर से स्ट्राबेरी की खेती कर रहे हैं। सालाना 30 टन से ज्यादा स्ट्राबेरी का प्रोडक्शन है और कमाई 8 लाख रुपए।

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सुर्खियों में और क्या है...

  • भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच एडिलेड में खेले जा रहे डे-नाइट टेस्ट के पहले दिन भारतीय टीम ने 6 विकेट गंवाकर 233 बनाए। कप्तान विराट कोहली ने टेस्ट करियर की अपनी 23वीं फिफ्टी लगाई।
  • फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी कोरोना से संक्रमित हो गए। अमेरिका के प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन अगले हफ्ते कोरोना वैक्सीन लगवाएंगे।
  • फोर्ब्स ने सबसे ज्यादा कमाने वाले 100 सेलेब्स की लिस्ट जारी की। इसमें अक्षय 52वें पायदान पर हैं। वे लिस्ट में अकेले भारतीय हैं, हालांकि पिछले साल के मुकाबले उनकी कमाई 88 करोड़ घट गई है।


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धड़ल्ले से जारी है मसालों में मिलावट का खेल, लगाम लगाने में अफसर-सरकार फेल



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The game of adulteration of spices continues unabashedly, the officer-government failed to rein in


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जब कोई हमारी बुराई कर रहा हो, तब होती है हमारे धैर्य की परीक्षा

कहानी - एक बार स्वामी विवेकानंद ट्रेन से सफर कर रहे थे। वे फर्स्ट क्लास के डिब्बे में बैठे हुए थे। उनके पास ही दो अंग्रेज और आकर बैठ गए। अंग्रेजों ने विवेकानंद को देखा तो सोचा कि एक साधु इस डिब्बे में कैसे बैठ सकता है।

अंग्रेज सोच रहे थे कि ये साधु है, ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं होगा। हमारी भाषा भी नहीं जानता होगा। दोनों अंग्रेज अपनी भाषा में साधु-संतों की बुराई करने लगे। वे बोल रहे थे, 'ये जो लोग साधु बन जाते हैं, दूसरों के पैसों पर फर्स्ट क्लास के डिब्बे में घूमते हैं, ये लोग धरती पर बोझ हैं।' वे लगातार साधुओं की बुराई कर रहे थे, क्योंकि वे ये मान रहे थे कि ये साधु हमारी बात समझ नहीं पा रहा है, इसे इंग्लिश तो आती नहीं होगी।

एक स्टेशन पर रेलगाड़ी रुकी तो वहां गार्ड आया तो विवेकानंदजी ने उस गार्ड से अंग्रेजी में कोई बात की। ये देखकर दोनों अंग्रेज हैरान थे, उन्हें लगा कि ये तो फर्राटेदार इंग्लिश बोल रहा है। उन्हें शर्मिंदगी होने लगी।

दोनों अंग्रेजों को ये मालूम हो गया कि ये स्वामी विवेकानंद हैं। दोनों ने स्वामीजी से क्षमा मांगी और पूछा, 'आप अंग्रेजी भाषा जानते हैं, हम लगातार आपकी बुराई कर रहे थे तो आपने हमें कुछ बोला नहीं। ऐसा क्यों?'

स्वामीजी ने कहा, 'आप जैसे लोगों के संपर्क में रहते हुए उनकी भाषा सुनते हुए, उनकी प्रतिक्रिया से मुझे बहुत फायदा होता है, मेरी सहनशक्ति और निखरती है। आपके अपने विचार हैं, आपने प्रकट कर दिए। मेरा अपना निर्णय है कि मुझे धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए। मैं आप पर गुस्सा करता तो नुकसान आपका नहीं, मेरा ही होता।'

सीख- जब कोई हमारी बुराई करता है, तब हमारे धैर्य की असली परीक्षा होती है। बुरी बातों को सहन करने की शक्ति हमें कई समस्याओं से बचा लेती है।



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कंस्ट्रक्शन का काम छोड़ स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की, अब एक सीजन की कमाई 8 लाख रुपए

कर्नाटक के धारवाड़ के रहने वाले शशिधर चिक्कपा स्ट्रॉबेरी की खेती करते हैं। पिछले साल ही उन्होंने इसकी शुरुआत की थी। अभी वह एक एकड़ जमीन पर स्ट्रॉबेरी सहित चार-पांच फल उगा रहे हैं। 30 टन से ज्यादा स्ट्रॉबेरी का प्रोडक्शन वो करते हैं। इससे सालाना 8 लाख रुपए की कमाई हो रही है।

46 साल के शशिधर 10वीं तक पढ़े हैं। कुछ दिनों तक एक प्राइवेट कंपनी में काम किया। फिर 2009 में खुद की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी शुरू की। करीब 9 साल तक उन्होंने महाराष्ट्र में काम किया। खूब पैसे कमाए, लेकिन, जिंदगी में सुकून नहीं था।

शशिधर कहते हैं कि महाराष्ट्र में काम के दौरान ही स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में पता चला। मैं महाबलेश्वर इलाके में रहता था, जो स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए जाना जाता है। तब मेरे मन में भी इसकी खेती शुरू करने का ख्याल आया। खेती के बारे में पहले से कोई आइडिया नहीं था, इसलिए पहले सीखना जरूरी था। उसके बाद एक साल तक मैंने स्ट्रॉबेरी की खेती की ट्रेनिंग ली।

एक एजेंट की मदद से शशिधर ने कैलिफोर्निया से स्ट्रॉबेरी के पौधे 250 मंगवाए और सितंबर 2019 में खेती शुरू की।

2019 में शशिधर ने एक एजेंट की मदद से कैलिफोर्निया से स्ट्रॉबेरी के प्लांट्स मंगवाए। 250 पौधों से पहली बार इसकी शुरुआत की। शुरुआत में ही उन्हें थोड़ा जोखिम उठाना पड़ा। ज्यादा बारिश की वजह से कुछ पौधे बर्बाद हो गए। उधर कई लोगों ने सलाह दी कि यहां के क्लाइमेट में इसकी खेती संभव नहीं है। यह ठंड वाले इलाके में ही होता है, लेकिन शशिधर ने इरादा नहीं बदला। उन्होंने धारवाड़ जैसे गर्म क्षेत्र में न सिर्फ स्ट्रॉबेरी की खेती की बल्कि आज वो एक कामयाब किसान हैं। वे कई लोगों को इसके बारे में ट्रेनिंग दे रहे हैं।

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आज उनके पास 30 हजार से ज्यादा स्ट्रॉबेरी के प्लांट्स हैं। वो चार अलग अलग वैरायटीज की खेती करते हैं। साथ ही रास्पबेरी और मलबरी की भी खेती उन्होंने शुरू की है। इसके अलावा शशिधर ने स्ट्रॉबेरी की प्रोसेसिंग भी शुरू की है। वे जेली, जैम और चॉकलेट तैयार करके मार्केट में सप्लाई करते हैं। करीब 30 फीसदी हिस्सा वे इसके लिए रखते हैं। शशिधर स्ट्रॉबेरी के फल के साथ-साथ पौधे भी बेच रहे हैं। एक पौधे की कीमत 10 रुपए है।

अभी शशिधर एक एकड़ जमीन से 30 टन से ज्यादा स्ट्रॉबेरी का प्रोडक्शन करते हैं।

शशिधर बताते हैं कि शुरुआत में वे खुद मार्केट में जाते थे। अलग अलग रिटेलर्स के पास जाकर वो प्रोडक्ट सप्लाई करते थे। आज कई बड़े फूड सुपर मार्केट और कंपनियों ने उनके यहां एडवांस बुकिंग की है। वे जल्द ही ऑनलाइन मार्केट में भी उतरने वाले हैं। शशिधर के साथ करीब 20 लोग काम करते हैं। इनमें से 14 महिलाएं हैं।

स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे करें

शशिधर कहते हैं कि स्ट्रॉबेरी की खेती बहुत मुश्किल नहीं है। इसके लिए क्लाइमेट जरूर मायने रखता है लेकिन अगर तैयारी के साथ इसकी खेती की जाए तो अच्छी उपज होगी। मानसून के खत्म होने से लेकर फरवरी तक इसकी खेती होती है। अगस्त और अक्टूबर, इन दो महीनों में इसकी प्लाटिंग की जाती है।

रात में एम्बुलेंस की कमी की वजह से पत्नी को वक्त पर इलाज नहीं मिला, शुरू की फ्री ऑटो रिक्शा एम्बुलेंस

वो बताते हैं कि हर दिन नियमित रूप से प्लांट्स को साफ करना होता है। सूखी पत्तियों को हटाना होता है। ताकि हार्वेस्टिंग के दौरान कोई परेशानी नहीं हो। पौधों में नमी बनी रहे इसलिए ड्रिप इरीगेशन से सिंचाई करना फायदेमंद होता है। शशिधर के मुताबिक आजकल मार्केट में फ्रेश स्ट्रॉबेरी की डिमांड काफी ज्यादा है। फ्रूट डिलीवरी करने वाली कंपनियां सीधे सीधे प्रोडक्ट खरीद लेती हैं।

शशिधर कहते हैं कि स्ट्रॉबेरी की खेती बहुत मुश्किल नहीं है। सिर्फ 30×40 स्क्वायर फीट जगह में 500 स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाये जा सकते हैं।

स्ट्रॉबेरी उगाने के लिए जरूरी बातें

  • मिट्टी अच्छी होनी चाहिए ताकि पौधे को अच्छा पोषण मिले।
  • हर दिन पौधे को पानी दें।
  • घर के गीले कचरे से खाद बनाकर दे सकते हैं।
  • जहाँ भी पौधे लगाए हैं वह जगह साफ-सुथरी हो और सूखे पत्ते हमेशा निकाल दें।

स्ट्रॉबेरी बेहद स्वादिष्ट होने के साथ-साथ यह पोषक गुणों से भरपूर होती है। स्ट्रॉबेरी का सेवन आपका इम्यूनिटी लेवल बढ़ाता है और कई बीमारियों से भी बचाव होता है। स्ट्रॉबेरी विटामिन और फाइबर से भरपूर होती है।



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कर्नाटक में धारवाड़ के रहने वाले शशिधर चिक्कपा अपनी एक एकड़ ज़मीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती करते हैं।


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सिर्फ अप्रूवल का इंतजार, भारत भी कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए हो रहा है तैयार; जानिए कैसे?

ब्रिटेन, अमेरिका समेत कई देशों में कोरोनावायरस से बचाव के लिए वैक्सीनेशन अभियान शुरू हो गए हैं। ज्यादातर देशों में फाइजर और बायोएनटेक की बनाई mRNA वैक्सीन का ही इस्तेमाल हो रहा है। वहां से मिले सबक और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की गाइडलाइंस को फॉलो करते हुए भारत सरकार ने भी वैक्सीनेशन की पूरी तैयारी कर ली है। नेशनल से लेकर ब्लॉक लेवल तक प्लान तैयार कर लिया है। कई स्तरों पर जरूरी ट्रेनिंग भी शुरू हो गई है।

सबसे पहले, अभी वैक्सीन को लेकर स्थिति क्या है?

वैक्सीन को लेकर पिछले कुछ महीनों में भारत में भी तेजी से काम हुआ है। इस समय फाइजर के साथ ही स्वदेशी वैक्सीन-कोवैक्सिन बना रही भारत बायोटेक और ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर काम कर रहे सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने भी भारत में अपनी वैक्सीन के लिए इमरजेंसी अप्रूवल मांगा है। पिछले हफ्ते रेगुलेटर की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी की बैठक भी हुई थी। इसमें उसने तीनों ही कंपनियों से कुछ न कुछ डेटा मांगा है। उम्मीद की जा रही है कि SII 10 दिन में यह जरूरी डेटा रेगुलेटर को सौंप देगा। इससे जनवरी के पहले हफ्ते तक इस वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल मिल सकता है। बाकी वैक्सीन के अप्रूवल में देरी संभव है।

वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के लिए तैयार रहें राज्य, स्टोरेज के लिए 29 हजार कोल्ड चेन पॉइंट्स बनाए गए

वैक्सीन के अप्रूवल के बाद क्या होगा?

  • इस समय तीन वैक्सीन ने इमरजेंसी अप्रूवल मांगा है। इसमें से किसी को भी अप्रूवल मिला तो वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में तेजी आ जाएगी। सरकार ने जो प्लान बनाया है, उसके हिसाब से नेशनल से ब्लॉक लेवल तक प्रक्रिया तय कर दी गई है।
  • इसके साथ-साथ सरकार ने एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया है- कोविड-19 वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (Co-WIN)। केंद्र सरकार के निर्देश पर राज्यों ने इसमें हेल्थवर्कर्स का डेटा अपलोड करना शुरू कर दिया है। इसमें सेल्फ रजिस्ट्रेशन का विकल्प भी होगा।
  • 50 वर्ष से ज्यादा के लोगों की पहचान करने के लिए लोकसभा और विधानसभा चुनावों की मतदाता सूचियों की मदद ली जा रही है। इसके साथ ही अगर कोई व्यक्ति 50 वर्ष से कम उम्र का है, पर वह हाई-रिस्क ग्रुप्स में आता है तो वह सेल्फ रजिस्ट्रेशन भी करवा सकता है।

Co-WIN पर सेल्फ रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया क्या होगी?

सरकार ने कोविड-19 वैक्सीनेशन को एडमिनिस्टर करने के लिए जो ऐप बनाई है, उस पर इस तरह सेल्फ रजिस्ट्रेशन किया जा सकेगा...

(i) ऐप को फ्री डाउनलोड किया जा सकता है। यह वैक्सीन डेटा रिकॉर्ड करने में मदद करेगा।
(ii) यदि किसी को वैक्सीन चाहिए तो वह खुद भी रजिस्टर कर सकता है।
(iii) Co-WIN प्लेटफॉर्म पर 5 मॉड्युल हैं- एडमिनिस्ट्रेटर, रजिस्ट्रेशन, वैक्सिनेशन, बेनेफिशियरी एक्नॉलेजमेंट और रिपोर्ट।
(iv) एडमिनिस्ट्रेटर मॉड्यूल वैक्सिनेशन सेशन कंडक्ट करने वाले एडमिनिस्ट्रेटर्स के लिए है। इस मॉड्यूल के जरिए वे सेशन क्रिएट कर सकते हैं और इससे संबंधित वैक्सिनेटर और मैनेजर्स को तैनात किया जाएगा।
(v) रजिस्ट्रेशन मॉड्यूल उन लोगों के लिए होगा जो खुद को वैक्सीनेशन के लिए रजिस्टर्ड करना चाहते हैं। सर्वेयर्स या स्थानीय प्रशासन भी डेटा अपलोड कर सकता है।
(vi) वैक्सीनेशन मॉड्यूल में बेनेफिशियरी के डिटेल्स और वैक्सीनेशन स्टेटस अपडेट होगा।
(vii) बेनेफिशियरी एक्नॉलेजमेंट मॉड्यूल बेनेफिशियरी को SMS भेजेगा और वैक्सिनेशन के बाद QR (मैट्रिक्स बारकोड)-बेस्ड सर्टिफिकेट्स भी जारी करेगा।
(viii) रिपोर्ट मॉड्यूल में रिपोर्ट्स तैयार होंगी कि कितने वैक्सीन सेशन आयोजित किए गए? कितने लोगों को वैक्सीन लगाई गई? और कितने लोग ड्रॉप आउट रहे?

Co-WIN पर रजिस्ट्रेशन के बाद क्या होगा?

  • वैक्सीनेशन में यह प्रक्रिया सबसे महत्वपूर्ण रहने वाली है। Co-WIN पर रजिस्ट्रेशन करवाने वालों से कंफर्मेशन ली जाएगी। उनका निवास, उनके मोबाइल नंबर समेत अन्य जानकारी हासिल की जाएगी। ताकि वैक्सीनेशन बूथ तक उन्हें लाया जा सके।
  • काफी हद तक वैक्सीनेशन की प्रक्रिया चुनावों की तरह रहने वाली है। कुछ राज्यों में तो पोलिंग बूथ या मैदानों पर वैक्सीनेशन की तैयारी हो रही है। यह जिम्मा राज्यों और जिलों के अधिकारियों का होगा। वह ही तय करेंगे कि वैक्सीनेशन बूथ कहां बनाया जाए।

वैक्सीनेशन बूथ एक व्यक्ति को कितना वक्त लग जाएगा?

  • Co-WIN पर रजिस्ट्रेशन के आधार पर वैक्सीनेशन होगा। साफ है कि यदि आपको किसी तय दिन पर वैक्सीन लगना है तो आपको उसकी सूचना पहले ही दे दी जाएगी। पूरी प्रक्रिया में एक से दो घंटे का वक्त तो लग ही जाएगा।
  • दरअसल, वैक्सीन लगाने से पहले Co-WIN पर रजिस्ट्रेशन जरूरी है। ऑन-द-स्पॉट रजिस्ट्रेशन की सुविधा भी नहीं रहने वाली है। 100 लोगों को एक सेशन में वैक्सीनेट करने के लिए वैक्सीनेशन बूथ या साइट पर पांच लोगों का स्टाफ होगा।
  • वैक्सीन लगाने के बाद 30 मिनट तक उनकी मॉनिटरिंग होगी। ताकि अगर कोई साइड इफेक्ट होता है तो तत्काल उसका उपचार किया जाए। एक व्यक्ति को ही एक समय पर वैक्सीन लगाई जाएगी।
  • वैक्सीन लगवाने के बाद भी Co-WIN के जरिए उस व्यक्ति की ट्रैकिंग होगी। एक जिले में एक ही कंपनी की वैक्सीन होगी। ताकि किसी तरह का कोई कंफ्यूजन न रहे। इससे उस शहर में उपलब्ध वैक्सीन ही लगाई जा सकेगी।
  • अगर बूथ पर वेटिंग रूम और ऑब्जर्वेशन रूम में पर्याप्त लॉजिस्टिक्स और जगह उपलब्ध है और साथ ही भीड़ का प्रबंधन किया जा सकता है तो एक और वैक्सीनेटर ऑफिसर वहां जोड़ा जा सकता है। इससे 200 लोगों को कवर किया जा सकेगा।

वैक्सीनेशन को लेकर किस तरह की ट्रेनिंग दी जा रही है?

  • इस संबंध में तेजी से काम हुआ है। केंद्र ने राज्यों को वैक्सीन के स्टोरेज और हैंडलिंग के लिए जरूरी उपकरण भेजना शुरू कर दिया है। 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में स्टेट स्टीयरिंग कमेटियों और स्टेट टास्क फोर्स की बैठकें हो गई हैं। 633 जिलों में डिस्ट्रिक्ट टास्क फोर्स की बैठकें भी हो गई हैं।
  • मेडिकल ऑफिसर्स, वैक्सीनेटर ऑफिसर्स, ऑल्टरनेट वैक्सीनेटर ऑफिसर्स, कोल्ड चेन हैंडलर्स, सुपरवाइजर्स, डेटा मैनेजर्स, आशा कोऑर्डिनेटर्स के लिए ट्रेनिंग मॉड्यूल बन चुका है। उनकी वर्चुअल/ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और साथ ही फिजिकल ट्रेनिंग भी शुरू हो गई है। नेशनल और स्टेट ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स वर्कशॉप्स पूरी हो चुकी हैं।
  • वैक्सीन को वैक्सीन कैरियर में रखा जाएगा। वैक्सीनेशन सेंटर पर जब तक कोई व्यक्ति वैक्सीन लगवाने नहीं आता, तब तक उस कैरियर का ढक्कन बंद रहेगा। वैक्सीन वायल मॉनिटर्स (VVM) और वैक्सीन-19 वैक्सीन पर एक्सपायरी डेट नहीं होगी।


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Coronavirus Vaccination India Status Update; CO-WIN APP Registration Process | What Will Happen After Vaccine Approval? COVID-19 Vaccine Distribution Plan


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लोकल बिजनेस को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़कर कारोबार को रफ्तार दें, जानें इसके तरीके और फायदे?

एमपी की राजधानी भोपाल के अनिल कुमार मिश्रा अवधपुरी में रहते हैं। यहीं पर उन्होंने एक गोडाउन तैयार किया। जहां वे मंडी से सब्जियां खरीदकर लाते हैं और स्टोर करते हैं। इसी गोडाउन में उनका ऑफिस है। लॉकडाउन के समय लोगों को सब्जियों की दिक्कत का सामना करना पड़ा था। इसी को देखते हुए उन्हें सब्जियों की होम डिलीवरी का आइडिया आया। उन्होंने लोगों के घरों तक सब्जियों की डिलीवरी करने के बारे में सोचा।

इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया मार्केटप्लेस का सहारा लिया। आज उनकी रोजाना की कमाई 20 हजार रुपए के आसपास है। उनके साथ 14 लोगों की टीम है। सभी लोगों को 10 हजार महीने की सैलेरी देते हैं। जल्द ही वह सोशल मीडिया की मदद से ही ग्रॉसरी की डिलीवरी भी शुरू करने वाले हैं।

क्या होता है सोशल मीडिया मार्केटप्लेस?

आजकल फेसबुक , इंस्टाग्राम, वॉट्सऐप और गूगल पर मार्केटप्लेस के नाम से एक टूल उपलब्ध है, जहां पर आप अपने ग्रॉसरी, लॉन्ड्री, सब्जियां और फल और तमाम तरह के लोकल बिजनेस को आसानी से जोड़ सकते हैं। बस आपको इतना बताना है कि आप क्या बेचते हैं, कहां बेचते हैं और आपका फोन नंबर क्या है? उस एरिया में जो लोग आपके प्रोडक्ट से जुड़ी चीजों को सर्च करेंगे, तो उसमें आपका बिजनेस भी शो होगा। कस्टमर वहीं से ऑर्डर प्लेस कर सकता है, या आपको कॉल कर सकता है।

इसी तरह से भोपाल के रमेश ने अपने लोकल बिजनेस को वोकल किया। ऐसे ही भारत में करीब 10 लाख लोकल बिजनेस कोरोना के बाद से सोशल मीडिया मार्केटप्लेस से जुड़कर लोकल को वोकल कर रहे हैं।

अगर आप भी किसी तरह का लोकल बिजनेस करते हैं, और उसे लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं। तो इस तरह के डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़कर अपने प्रोडक्ट को प्रमोट कर सकते हैं। हम आपको बता रहे हैं कि कैसे अपने बिजनेस को इन प्लेटफॉर्म से जोड़ें ?

इन डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जुड़कर कर सकते हैं लोकल बिजनेस को प्रमोट

लोग गूगल, फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप पर अपने पेज बनाकर प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर सकते हैं। इसके लिए सभी प्लेटफॉर्म ने बिजनेस अकाउंट की सुविधा दी है। इन पर जाकर आप प्रोडक्ट की पूरी जानकारी दे सकते हैं। अगर कंज्यूमर प्रोडक्ट खरीद रहा है तो उसे पूरी जानकारी मिल सकेगी। तो आइए 5 स्लाइड्स से जानते हैं कि कैसे हम सोशल मीडिया की मदद से प्रोडक्ट को प्रमोट कर सकते हैं?

फेसबुक पर मार्केटिंग और ब्रांडिंग

फेसबुक दो तरह की सुविधा उपलब्ध कराता है। एक तो आप इसकी एप पर बिजनेस पेज बनाकर खुद के लोकल बिजनेस की मार्केटिंग और ब्रांडिंग कर सकते हैं और दूसरा फेसबुक मार्केटप्लेस, जो एक तरह का मार्केट टूल है।

मार्केटप्लेस में आप उस एरिया के उन सभी दुकानों की लिस्ट में शामिल हो जाएंगे, जो ऑनलाइन सेवाएं दे रही हैं। दोनों करें तो ज्यादा बेहतर है।

वॉट्सऐप बिजनेस भी बड़े काम की चीज

आजकल वॉट्सऐप के जरिए भी आप अपनी लोकलिटी में अपने बिजनेस को प्रमोट कर सकते हैं। इसके लिए बस कुछ स्टेप्स को फॉलो करना है।

इंस्टाग्राम पर भी उपलब्ध है यह सुविधा

इंस्टाग्राम भी फेसबुक की तरह मार्केटप्लेस ऑफर करता है। इसपर भी कमोबेश फेसबुक जैसा ही प्रॉसेस अपनाना है।

गूगल एड से करें लोकल बिजनेस को प्रमोट

गूगल एड का इस्तेमाल कर आप अपने लोकलिटी में खुद के बिजनेस को प्रमोट कर सकते हैं। गूगल एड ज्यादा लोगों को कवर करता है और आपको आसानी से अपना पोटेंशियल कस्टमर मिल जाता है।

कस्टमर और सेलर दोनों प्राइवेसी को लेकर सतर्क रहें

  • सीनियर टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट ललित मिश्र कहते हैं कि कंपनी ब्रांड की ब्रांडिंग और मार्केटिंग की पहुंच बढ़ाने के लिए इन डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करती है। लेकिन कंपनी के ब्रांड की असल पहचान या उसे चेक करने के लिए किसी तरह की व्यवस्था नहीं है। इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोग आसानी से फोन नंबर या फर्जी फेसबुक आईडी की मदद से नकली पेज बनाकर प्रोडक्ट को प्रमोट कर सकते है। इसकी शिकायत आईटी कानून के तहत की जाती है, जिसके बाद इस तरह के पेज डिएक्टिवेट कर सकते हैं। इसके लिए कंपनी को सोशल मीडिया पर नजर रखनी चाहिए।

  • एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर सोशल मीडिया कंपनी चाहें, तो AI टेक्नोलॉजी की मदद से ओरिजनल ब्रांड इमेज की पहचान कर इस तरह के फ्रॉड पर रोक लगा सकती है। दूसरा सोशल मीडिया कंपनी रजिस्ट्रेशन ऑफिस से कंपनियों का अपना रजिस्ट्रेशन नंबर भी जारी करवा सकती है।



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पाकिस्तान में रेप के दोषियों को बनाएंगे नंपुसक; जानिए क्या है केमिकल कैस्ट्रेशन? भारत में उठती रही मांग

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने एंटी-रेप ऑर्डिनेंस-2020 पर साइन कर दिया है। इसके साथ ही पाकिस्तान में रेप के दोषियों का केमिकल कैस्ट्रेशन (केमिकल से कुछ समय के लिए नपुंसक बनाने) की इजाजत मिल गई है। प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी कैबिनेट ने पिछले महीने ही इसे मंजूरी दे दी थी।

ये केमिकल कैस्ट्रेशन होता क्या है? रेप जैसे अपराध को रोकने में कितना कारगर है? जिन अपराधियों का केमिकल कैस्ट्रेशन होता है उनके शरीर पर क्या असर पड़ता है? पाकिस्तान सरकार ये कानून क्यों लाई? क्या भारत में इसे लाने की बात कभी हुई है? हमारे देश में इसे लागू करना क्यों मुश्किल है? दुनिया के किन देशों में ये कानून है? आइये जानते हैं...

केमिकल कैस्ट्रेशन क्या है?

  • केमिकल कैस्ट्रेशन में केमिकल से पुरुषों की सेक्सुअल डिजायर को घटाकर, उनके टेस्टोस्टेरोन को कम दिया जाता है। यह मुख्य रूप से सेक्स हार्मोन होता है।

  • इसमें एनॉर्फिडिसिएक ड्रग का यूज होता है। इसका असर कुछ समय के लिए ही होता है। इसी वजह से इसे एक निश्चित समय अंतराल के बाद दोबारा देना पड़ता है। असर खत्म होने पर सेक्सुअल डिजायर पहले जैसी हो जाती है।

  • इसे दवा और इंजेक्शन दोनों तरीके से दिया जा सकता है। दवा रेगुलर लेनी पड़ती है जबकि इंजेक्शन का असर कुछ महीनों तक रहता है। ऐसे में दोषियों का केमिकल कैस्ट्रेशन इंजेक्शन के रूप में होता है।

  • इसके लिए साइप्रोटेरोन एसिटेट (CPA), मेडरॉक्सीप्रोगेस्टेरोन एसिटेट (MPA) और LHRH जैसी दवाएं इस्तेमाल की जाती हैं। ये दवाएं टेस्टोस्टेरॉन और एस्ट्राडियोल हार्मोन को कम करती हैं। ये हार्मोन ही पुरुषों की सेक्स डिजायर के जिम्मेदार होते हैं। अमेरिका में केमिकल कैस्ट्रेशन के लिए MPA, जबकि ब्रिटेन, कनाडा और मध्यपूर्व में CPA का इस्तेमाल होता है।

केमिकल कैस्ट्रेशन कितना कारगर है?

  • अगर मेडिकल इफेक्ट की बात करें तो केमिकल कैस्ट्रेशन से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। खून की कमी होती है, मांसपेशियां कमजोर होती हैं और कई अन्य प्रभाव भी होते हैं।

  • स्कैंडिनेविया में हुई एक रिसर्च कहती है कि केमिकल कैस्ट्रेशन को लागू करने के बाद रीऑफेंडिंग रेट्स में 5 से 40% की कमी आई। दुनिया के दूसरे देश भी इसी तरह की बात कहते हैं। लेकिन, इसकी इफेक्टिवनेस हमेशा सवालों में रही है।

  • लीगल इफेक्ट की बात करते हुए सीनियर एडवोकेट आभा सिंह ने भास्कर से कहा कि ये बहुत इफेक्टिव नहीं है। इसे एक सर्टेन पीरियड के बाद देना पड़ता है। जिन देशों में इसका इस्तेमाल हो रहा है, वहां भी बहुत इफेक्टिव नहीं हैं। लेकिन, फिर भी कुछ नहीं से कुछ होना बेहतर है।

भारत में ये कितना इफेक्टिव हो सकता है?

  • एडवोकेट आभा सिंह कहती हैं कि ऐसा होता है तो ये एक तरह का फीयर फैक्टर होगा। इससे लोगों पर एक मानसिक दबाव पड़ेगा। शायद इससे परिवारों में लोग अपने बच्चों को महिला अपराधों के लिए अवेयर करने लगें।

  • देश में इस तरह के मांग तो उठती है, लेकिन इंडिया में इसे क्यों नहीं लागू किया जा सका? इस सवाल के जवाब में आभा सिंह कहती हैं कि हमारी मेल डॉमिनेटेड सोसाइटी है। देश के 30% MLA-MP ऐसे हैं, जिनके ऊपर सेक्सुअल असॉल्ट के मामले हैं। फिर ये खुद अपने खिलाफ कानून क्यों लाएगा।

  • आभा सिंह कहती हैं, ‘केमिकल कैस्ट्रेशन केवल दोषियों के परोल और फर्लो देने पर लगता है। इसमें चैलेंज ये है कि जो अपराधी परोल या फर्लो पर रहेगा। उसे ट्रैक करना सिस्टम के लिए चुनौती होगी। इसके साथ ही केमिकल कैस्ट्रेशन का असर खत्म होने पर अपराधी को दोबारा इंजेक्ट करने के लिए खोजना होगा। जो भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में बड़ी चुनौती होगी।’

पाकिस्तान सरकार इस कानून को किस वजह से लेकर आई?

  • इसी साल सिंतबर में अपने बच्चों के साथ गुंजरावाला जा रही एक महिला से लाहौर में हाइवे पर गैंगरेप की घटना हुई थी। पूरे पाकिस्तान में इसे लेकर प्रदर्शन हुए। इस दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि रेप जैसे अपराध के लिए दोषियों को या तो सरेआम फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए या फिर केमिकली कैस्ट्रेशन का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

  • पिछले महीने इमरान कैबिनेट रेप के दोषियों को केमिकल कैस्ट्रेशन का अध्यादेश लाई, जो अब राष्ट्रपति की मुहर के बाद कानून बन गया है।

  • नए अध्यादेश में यौन अपराध के मामलों में जल्द ट्रायल के लिए देशभर में स्पेशल कोर्ट बनाने। चार महीने में कोर्ट को केस का निपटारा करने, पीड़ित की पहचान उजागर करने वाले तीन साल की जेल जैसी बातें शामिल की गई हैं।

क्या भारत में कभी इसकी मांग उठी है?

  • भारत में सजा के तौर पर केमिकल कैस्ट्रेशन की पहली बार वकालत 2011 में की गई थी। जब चार साल तक अपनी सौतेली बेटी का बलात्कार करने के दोषी को जेल की सजा की जगह केमिकल कैस्ट्रेशन की बात कही गई।
  • 2012 में निर्भया गैंगरेप के बाद भारत में भी यौन अपराधियों के केमिकल कैस्ट्रेशन की मांग उठी थी। उस वक्त भाजपा ने भी इस मांग का समर्थन किया था। उस समय वरिष्ठ भाजपा नेता और मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने मीडिया के सामने यह बात कही थी। पिछले साल हुए हैदराबाद गैंगरेप के बाद एक बार फिर इस तरह की मांग ने देश में जोर पकड़ा था।
  • कहा जाता है कि निर्भया रेप के केस के बाद जस्टिस जेएस वर्मा कमेटी ने जो रिपोर्ट सरकार को पेश की, उसमें भी केमिकल कैस्ट्रेशन की बात कही गई थी। उस वक्त सत्ता में रही कांग्रेस के भी कई नेता इसके समर्थन में थे, लेकिन कांग्रेस इसके पक्ष में नहीं थी। संसद की स्टैंडिंग कमेटी के पास भी यह प्रस्ताव पहुंचाया गया था। लेकिन, तीन सदस्यीय कमेटी ने इसे खारिज कर दिया। और इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया।

दुनिया में और किन देशों में केमिकल कैस्ट्रेशन को मान्यता मिली हुई है?

  • ब्रिटेन, जर्मनी, साउथ कोरिया, पोलैंड, इंडोनेशिया जैसे देशों और अमेरिका के कुछ राज्यों में यौन अपराधियों के केमिकल कैस्ट्रेशन का कानून है।

  • अमेरिका में सबसे पहली बार केमिकल या फिजिकल कैस्ट्रेशन का इस्तेमाल 18 सितंबर 1996 को कैलिफोर्निया में किया गया। जब सरकार ने यौन अपराधों में सजा काट रहे दोषियों को परोल पर छोड़ने की शर्त के रूप में इसका इस्तेमाल किया। इसके बाद आगे चलकर अमेरिका के आठ और राज्यों ने इसी तरह का कानून पास किया।

  • 2011 में रूस की संसद ने भी इस तरह का कानून पास किया। इसमें कोर्ट के कहने पर फॉरेंसिक मनोचिकित्सक, ऐसे यौन अपराधियों के लिए केमिकल कैस्ट्रेशन की सलाह दे सकते हैं, जो 14 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ इस तरह का अपराध करने का दोषी पाया गया हो।

  • 2012 में ब्रिटेन के अखबार द मिरर में यौन अपराध के करीब 100 दोषियों के केमिकल कैस्ट्रेशन किए जाने की रिपोर्ट छपी। रिपोर्ट में बताया गया कि ये सरकार समर्थित वॉलेंटरी बेसिस पर किया गया था। सरकार ने भी इस रिपोर्ट के बाद द गार्डियन से बातचीत में हाई रिस्क सेक्स ऑफेंडर्स के लिए इसके यूज को सही ठहराया।

  • 2013 में साउथ कोरिया की नेशनल एसेंबली ने सेक्स क्राइम से जुड़े अपने लॉ में संशोधन किया। इसमें, लोकल कोर्ट बार-बार इस तरह के अपराध का दोषी पाए जाने वाले को केमिकल कैस्ट्रेशन की सजा दे सकती है। इसके अलावा न्यूजीलैंड, पोलैंड, इंडोनेशिया, इजराइल, मालडोवा में भी इस तरह के कानून हैं।



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Pakistan India Rape Law; What Is Chemical Castration? | All You Need To Know Pakistan Imran Khan Govt Rape Law


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जिस खिलाड़ी को मैथ्यू हैडन ने कहा था ‘गॉड ऑफ क्रिकेट’, उन्होंने आज ही के दिन किया था वनडे डेब्यू

शहर पाकिस्तान का गुजरांवाला, जगह 'द जिन्ना स्टेडियम'। साल 1989, टॉस हो चुका था। भारतीय टीम में 16 साल का एक छोटे कद का खिलाड़ी 74 नंबर की कैप पहनकर अपना वनडे डेब्यू कर रहा था। भारतीय कप्तान के. श्रीकांत ने टॉस जीतकर बॉलिंग करने का फैसला किया। खराब लाइट के चलते मैच को 16 ओवर का कर दिया गया।

पाकिस्तान की टीम बैटिंग करने उतरी और 9 विकेट गवांकर 87 रन ही बना सकी। सईद अनवर ने पाकिस्तान की तरफ से 32 गेंद में सबसे ज्यादा 42 रन बनाए थे। भारत की तरफ से सलिल अंकोला और मनिंदर सिंह ने 2-2 विकेट लिए थे। जवाब में भारतीय टीम 16 ओवर में 9 विकेट खोकर 80 रन बना पाई और मैच 7 रन से हार गई। मोहम्मद अजहरुद्दीन ने सबसे ज्यादा 21 रन की पारी खेली थी। लेकिन इस मैच में जिस 16 साल के खिलाड़ी पर सबकी निगाह थी, उसका क्या हुआ?

सवाल सही है, तो जवाब है कि वो खिलाड़ी बिना खाता खोले जीरो पर आउट हो गया। उस खिलाड़ी का नाम था सचिन तेंदुलकर। मुंबई के एक स्कूल मास्टर रमेश तेंदुलकर का बेटा, जिसने पिता से पढ़ाई की बजाय क्रिकेट खेलने की इच्छा जताई थी। गुरु और कोच रमाकांत आचरेकर का शिष्य। वापस मैच की तरफ चलते हैं। पहले मैच में शून्य से शुरुआत करने वाले सचिन के अगर पूरे क्रिकेट इतिहास पर नजर डालें, तो उनके बनाए रिकॉर्ड आज भी कायम हैं। वनडे में सचिन पहले खिलाड़ी थे, जिन्होंने दोहरा शतक बनाया, 18426 रन वनडे करियर में बनाए और 49 शतक भी जड़े।

सचिन ने 23 साल बाद 23 दिसंबर 2012 को वनडे करियर से अलविदा कह दिया था। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर मैथ्यू हेडन ने सबसे पहले सचिन को 'गॉड ऑफ क्रिकेट' का नाम दिया था। उन्होंने एक स्टेटमेंट में कहा था - मैंने भगवान को देखा। वह भारतीय टेस्ट टीम में चौथे नंबर पर बैटिंग करने उतरते हैं। ('I Have Seen God. He Bats No.4 For India In Tests.')

सोवियत संघ का इंकलाबी और सनकी तानाशाह

आज हम आपको एक ऐसे तानाशाह के बारे में बताएंगे, जिसकी शुरुआत तो इंकलाबी नेता के तौर पर हुई थी, लेकिन बाद में कई लोग उसे सनकी तानाशाह मानने लगे। इस दौरान कई लोगों ने उसकी मौत पर जश्न भी मनाया था। इस शासक का नाम था, जोसेफ स्टालिन। बेहद गरीब परिवार में जन्में स्टालिन का जन्म 1879 आज ही के दिन जॉर्जिया के गोरी में हुआ था। बचपन में लोग उन्हें जोसेफ विसारियोनोविच जुगाशविली कहते थे। उस समय जार बादशाह जॉर्जिया का शासक हुआ करता था। पिता जूते सिलने का काम करते थे, और मां घरों में कपड़े धोने का काम करती थीं।

मार्क्स की किताबें पढ़ने वाले स्टालिन को उनकी मां पादरी बनाना चाहती थीं। ऐसे में उन्होंने उसे साल 1895 में पादरी बनने की पढ़ाई करने के लिए जॉर्जिया की राजधानी तिब्लिस भेजा। यहां स्टालिन एक समाजवादी संगठन से जुड़ गया। 1899 में उन्हें धार्मिक स्कूल से बाहर कर दिया गया। तिब्लिस के मौसम विभाग में कर्मचारी स्टालिन रूसी साम्राज्य के खिलाफ लगातार बगावती तेवर अपनाए रहे और प्रोटेस्ट करते रहे। स्टालिन की हरकतों का जॉर्जिया की पुलिस को पता चल गया था। वह अंडरग्राउंड हो गए और कुछ वक्त बाद बोल्शेविक पार्टी ज्वॉइन कर ली।

1905 में पहली बार उन्होंने गुरिल्ला युद्ध में हिस्सा लिया। 1906 में शादी की, लेकिन एक साल बाद ही उनकी पत्नी की मौत हो गई। 1907 में वह पूरी तरह रूसी क्रांति में शामिल हो गए। 1917 में कम्युनिस्ट क्रांति कामयाब हुई और लेनिन का शासन शुरू हुआ। इस क्रांति में अहम रोल निभाने वाले स्टालिन को कम्युनिस्ट पार्टी का महासचिव बनाया गया। 1924 में लेनिन की मौत के बाद स्टालिन ने अपने आपको उनका वारिस घोषित किया। 1920 के आखिरी दशक तक वह सोवियत संघ का तानाशाह बन चुका था।

स्टालिन के आतंक की बात करें, तो इस बात से उसके तानाशाही रवैये को समझ सकते हैं कि जो भी उसका विरोध करता, वह उन्हें मरवा देता था। उसने पार्टी के सेंट्रल कमेटी के 93 सदस्य, सेना के 103 जनरल और 81 एडमिरल को मरवा दिया था।

भारत और दुनिया में 18 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैंः

  • 1271: मंगोल शासक कुबलई खाने ने अपने साम्राज्य का नाम युआन रखा। यहीं से इस वंश की चीन और मंगोलिया में शुरुआत हुई।

  • 1398: तैमूर ने सुल्तान नुसरत शाह हराकर दिल्ली पर कब्जा किया।

  • 1777: अमेरिका में पहली बार नेशनल थैंक्स गिविंग डे मनाया गया।

  • 1787: अमेरिकी संविधान को स्वीकार करने वाला न्यू जर्सी तीसरा राज्य बना।

  • 1799: अमेरिका के पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन के पार्थिव शरीर को माउंट वर्नान में दफनाया गया।

  • 1833: रूस का राष्ट्रीय गान ‘गॉड सेव द जार’ पहली बार गाया गया।

  • 1914: ब्रिटेन ने औपचारिक रुप से मिस्र को अपना उपनिवेश घोषित किया।

  • 1956: जापान ने संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता ग्रहण की।

  • 1960: राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय का उद्घाटन हुआ।

  • 1969: इंग्लैंड में मृत्युदंड की सज़ा समाप्त कर दी गई।

  • 2005: कनाडा में गृह युद्ध की शुरुआत।

  • 2008: ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण हुआ।

  • 2014: सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी मार्क-3 का सफल प्रक्षेपण हुआ।

  • 2017: राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप में भारत ने 30 में से 29 स्वर्ण पदक जीते।



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