रविवार, 19 जुलाई 2020

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने सभी रैलियां स्थगित कीं, ब्रिटेन ने संक्रमण के आंकड़े जारी करने पर रोक लगाई, दुनिया में मौतों का आंकड़ा 6 लाख के पार

दुनियामें कोरोनावायरस से अब तक 1 करोड़ 44लाख 22हजार 471लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 86लाख 11हजार 657ठीक हो चुके हैं और 6लाख 4हजार 823की जान जा चुकीहै। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्डट्रम्प ने महामारी थमने तक अपनी सभी रैलियां स्थगित कर दी हैं। उन्होंने शनिवार को कहा कि हम वैक्सीन तैयार करने के लिए अच्छा काम कर रहे हैं। हालांकि, जब तक यह समस्या (महामारी) नहीं थमती बड़ी रैलियां करना संभव नहीं है। इसके बदले मैंटेलीफोन के जरिए लोगों से बात करूंगा।
ब्रिटेन ने महामारी के आंकड़ों के अपडेट जारी करने पर रोक लगा दी है। यहां पर मौत के आंकड़ों में कुछ गड़बड़ी सामने आई थी। इसे देखते हुए यह फैसला किया गया। ब्रिटेन के स्वास्थ्य सचिव मैट हैनकॉक ने संक्रमण के आंकड़ों की समीक्षा करने के लिए बैठक बुलाई है। अब तक देश में 45 हजार से ज्यादा मौतें हुई हैं।

10 देश जहां कोरोना का असर सबसे ज्यादा

देश

कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए
अमेरिका 38,33,271 1,42,877 17,75,219
ब्राजील 20,75,246 78,817 13,66,775
भारत 10,77,864 26,828 6,77,630
रूस 7,65,437 12,247 5,46,863
द.अफ्रीका 3,50,879 4,948 1,82,230
पेरू 3,49,500 12,998 2,38,086
मैक्सिको 3,38,913 38,888 2,13,006
चिली 3,28,846 8,445 2,99,449
स्पेन 3,07,335 28,420 उपलब्ध नहीं
ब्रिटेन 2,94,066 45,233 उपलब्ध नहीं

इजराइल:तीन महीने बाद सबसे ज्यादा मौतें

इजराइल के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, यहां पिछले 24 घंटों में 9 लोगों की मौत हुई है। इससे पहले करीब तीन महीने पहले18 अप्रैल को इतनी मौतें हुई थी। शनिवार को यहां रिकार्ड 1906 मामले भी सामने आए।। देश में फिलहाल 27 हजार 616 संक्रमित हैं। 589 मरीज अस्पताल में भर्ती है, जिनमें 217 की हालत गंभीर बनी हुई है। यहां 21 हजार 348 लोग ठीक भी हुए हैं।

इजराइल की राजधानी तेल अवीव में शनिवार को सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते लोग। इस दौरान प्रदर्शनकारी मास्क लगाए नजर आए।

बांग्लादेश: संक्रमण का आंकड़ा 2 लाख के पार
बांग्लादेश में शनिवार को 2 हजार 709 मामले सामने आए। अब यहां संक्रमितों का आंकड़ा 2 लाख 2 हजार 66 हो गया है। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, यहां पिछले 24 घंटे में 10 हजार 923 लोगों की जांच की गई है। यहां पर 2 जुलाई को सबसे ज्यादा 4 हजार 209 मामले सामने आए थे। देश में अब तक 2 हजार 581 मौतें हुई हैं।

बांग्लादेश की राजधानी ढ़ाका की एक सड़क पर मास्क लगाकर जाते लोग। यहां अब तक 2 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।


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अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित टेस्टिंग सेंटर पर एक मरीज की जांच करते स्वास्थ्यकर्मी। यहां 1 लाख से ज्यादा मौतें हुई हैं।


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पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड 37407 मरीज बढ़े, देश में अब तक 10.77 लाख केस; महाराष्ट्र में संक्रमितों की संख्या 3 लाख के पार

देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अब तक 10 लाख 77 हजार 864 मरीज हो चुके हैं। येआंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।शनिवार को रिकॉर्ड 37407 मरीज बढ़े। वहीं, 23 हजार 552 लोग स्वस्थ भी हुए। उधर, महाराष्ट्र में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 3 लाख के पार हो गई है। शनिवार को राज्य में 8348 मरीज मिले। इसी तरह मुंबई देश का पहला शहर बन गया, जहां संक्रमितों की तादाद एक लाख से ज्यादा हो गई है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ. वीके यादव ने कहा है कि देश में अब कोरोना का कम्युनिटी स्प्रेड शुरू हो गया है।हालात बुरे हो गए हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई से उन्होंने कहा कि रोज 30 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।सबसे बुरी बात यह है कि अब संक्रमण ग्रामीण इलाकों में फैल रहा है।

5 राज्यों का हाल

मध्यप्रदेश: भोपाल में रविवार को पूर्ण लॉकडाउन रहेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजधानी में संक्रमण की दर 10% होने पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि भोपाल में अब दुकानें रात 10 बजे की बजाय 8 बजे बंद होंगी।

उधर, राज्य देश में एक्टिव केस में 15वें स्थान पर है, जबकि पॉजिटिव केस में 13वें स्थान पर है। इंदौर में मरीजों का आंकड़ा 6 हजार के पार हो गया है। वहीं, कोरोना की वजह से इस बार सभी जिलों में स्वतंत्रता दिवस समारोह सीमित करने का फैसला किया गया है।

महाराष्ट्र: राज्य में शनिवार को संक्रमितों का आंकड़ा तीन लाख के पार हो गया। पिछले 24 घंटे में यहां 8,348 नए केस बढ़े। मुंबई में मरीजों का आंकड़ा एक लाख के पार हो गया। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक मुंबई में अब तक1,00,350 संक्रमित पाए जा चुके हैं। वहींराज्य में अब तक 3,00,937 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं। इसमें 1 लाख 60 हजार 357 लोग ठीक भी हो चुके हैं जबकि 11,500 लोगों की मौत हो चुकी है।

उत्तरप्रदेश: उत्तर प्रदेश में शनिवार को कोरोना वायरस से संक्रमित 1986 नए मरीज मिले। यह एक दिन में मिले मरीजों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। इससे पहले 16 जुलाई को रिकार्ड 2083 रोगी मिले थे। प्रदेश में कोरोना के मरीजों का आंकड़ा 47,149 पहुंच गया है। कोरोना से बीते 24 घंटे में 24 मरीजों की मौत हुई। अब तक 1108 लोगों की जान जा चुकी है। 28,664 लोग ठीक हो चुके हैं। यूपी में एक्टिव केस की संख्या 17,264 हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह, होम गार्ड मंत्रीचेतन चौहान, आयुष मंत्री डॉ. धर्म सिंह सैनी, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री उपेंद्र तिवारी औररघुराज सिंह के बाद अब प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमला रानी भीकोरोना पॉजिटिव पाई गई हैं।उन्हें संजय गांधी पीजीआई में भर्ती कराया गया है।मंत्री कमला रानी कानपुर के घाटमपुर से विधायक हैं। इनके साथ ही वरिष्ठ आइपीएस अफसर नवनीत सिकेरा कोरोना पॉजिटिव है। नवनीत सिकेरा को आनंदी वाटर पार्क कोविड सेंटर में भर्ती किया गया है।

राजस्थान: राज्यमें शनिवार को कोरोना के 711 नए मामले सामने आए। इनमें सबसे ज्यादाअलवर में 116, पाली में 96, जोधपुर में 94, बीकानेर में 67,जयपुर में 61,भरतपुर में 56, कोटा में 54, अजमेर में 39 संक्रमित मिले।

इसके बाद राज्य में कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या 28,500 पहुंच गई है। वहीं, 7संक्रमित मरीजों की मौत हो गई है। इनमें बाड़मेर में 3, राजसमंद,भरतपुर, जोधपुर और पाली में 1-1 की मौत हुई है। इसके बाद राज्य में कुल मौत का आंकड़ा 553पहुंच गया।

राज्य में अब तक कुल 11 लाख से ज्यादा सैंपलजांचे गए हैं। इनमेंकुल 28500 पॉजिटव मिले हैं। वहीं, 21144 लोग रिकवर हो चुके। इसमें से 20459 को डिस्चार्ज किया जा चुका है। अब राज्य में कुल 6803 एक्टिव केस ही बचे हैं।

बिहार: पिछले 24 घंटे में राज्य में कोरोना के 739 संक्रमित मिले हैं। संक्रमितों की संख्याबढ़कर 24967 हो गई है। बीते 24 घंटे के दौरान छह और कोरोना संक्रमितों की मौत के साथ अब मौत का कुल आधिकारिक आंकड़ा 187 हो चुका है। अब तक 14997 मरीज ठीक हो चुके हैं।अब तक 3 लाख 57 हजार 730 लोगों की जांच हो चुकी है।स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि जांच में तेजी लाने के लिए शनिवार से पटना में 25 स्वास्थ्य केंद्रों पर रैपिड एंटीजन टेस्ट प्रारम्भ किया गया है।

राज्य के श्रम संसाधन मंत्री और लखीसराय विधायक विजय कुमार सिन्हा, पाटिलपुत्र के सांसद रामकृपाल यादव और उनकी पत्नी कोरोना पॉजिटव पाए गए हैं। मंत्री विजय कुमार का पटना एम्स में इलाज चल रहा है।कोरोना की मौजूदा स्थिति को लेकर केंद्र सरकार काफी गंभीर है। स्थिति की समीक्षा के लिए दो टीमों का गठन किया है। यह टीम राज्य का दौरा कर स्थिति का आंकलन करेगी और इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को देगी।



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यह फोटो दिल्ली के जहांगीरपुरी की है। यहां शनिवार को वैन से लोगों के सैंपल लिए गए। राजधानी में पिछले 24 घंटे में 1475 मामले सामने आए। वहीं, 26 लोगों की मौत हुई।


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2 लाख कर्जा है, फसल पै जेसीबी चलाए देत हैं, पुलिस वालों का डंडा खा रहे हैं; जहर न पी तो अऊर का करी

मध्य प्रदेश के गुना में दलित दंपती से पुलिस की बेरहमी का एक वीडियो चार-पांच दिन पहले वायरल हुआ था, जिस पर मध्य प्रदेश से लेकर नई दिल्ली तक से तीखी प्रतिक्रिया आई थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और बसपा प्रमुख मायावती से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्विटर पर वीडियो शेयर कर शिवराज सरकार को घेरा था। इसके बाद सरकार को ग्वालियर आईजी, गुना एसपी और कलेक्टर को रातोंरात हटाना पड़ा था।

14 जुलाई की यहघटना अगले दिन ट्विटर पर दिनभरटॉप ट्रेंड में रही। उस वीडियो में पुलिस दलित युवक राजकुमार पर डंडे बरसा रही हैऔर एक महिला उसे बचाने की कोशिश कर रही है। वह राजकुमार की मां गीता बाई अहिरवार हैं। वे दैनिक भास्कर से बातचीत मेंउस दिन की घटना को बताते-बताते सिहर उठीं। उन्हीं के शब्दों में पढ़िए...

सर जी, मैं राजकुमार की मां बोल रही हूं। मोड़ा-मोड़ी ठीक नाए हैं, अस्पताल में भर्ती हैं दूनऊं। उनका दिमाग घूम रयो है, उठ-उठके भग जात हैं, किसी को पहचानत नहीं हैं। लड़का थोड़ा बहुत बतरा लेत है, बहू तो बिलकुल नहीं बतरा पा रई है। थोरी-थोरी मदद मिल रही है आप लोगन ही दे रहे हैं। एक मेडम आई थीं भूपाल से वो डेढ़ लाख रुपए दे गई थीं। सरकार से कोई मदद नहीं देखा रई है सर जी। नेता लोगन ही थोरी मदद दे रहे हैं। सरकार ने कुछ नई दियो। मोड़ा-मोड़ी पर पुलिस ने मुकदमा किया है, ये मोहे नाए पता।

पुलिस की पिटाई के बाद दलित राजकुमार के बच्चे पिता से लिपटकर बिलखते रहे।

उस दिन पुलिस वाले गाड़ी लेके आए, दो-तीन मारुति भी आईं। कम से कम 60-70 आदमी थे। हमसे बोले कि हमतो नपती कर रयो। मैंने कई कि नपती कर लेयो। फिर वो नपती करके स्कूल में बैठे और फिर जेसीबी की फोन लगा दिओ। चार जेसीबी बुलाने के लिए। फिर बाद में जेसीबी चार तो नहीं आ पाईं, नगर पालका की एकै आ पाई। हमने खेत में सोयाबीन, मक्का और ज्वार बोया था सर जी।

स्कूल में पचासन बीघा जमीन है। बंटाई पर लिया था, दो साल से खेती कर रयो हैं, यहां पर। पिछले साल भी परेशानी भई थी, ये हांकबे (हटाने) आए रयो थे, मुझे भी धर ले गए। दो-चार महीना जमीन खाली पड़ी रई, फिर इनने न स्कूल बनाबे आए और न हांकबे। जब फसल बो दी तो बिना बताए हांकबे आ गए और पुलिस नेहमाय साथ भेरंट (बहुत) मारपीट करी है। देखी होगी आपने, तो गरीबन के साथ इतना अत्याचार क्यों हो रहोगे?

राजकुमार अहिरवार की मां गीताबाई अहिरवार। उन्होंने कहा- मजूरी करके पेट पालते हैं, लेकिन उस पर भी इतना अत्याचार होता है।

मैं खुद खेती कर रई थी। कोई कागत (कागज) नहीं भेजा। ये झूठ बोल रयो हैं, न कोई कागत वाय भेजा, न मुझे भेजा। महिला पुलिस भी हती और जेंटस भी हते, वोडंडे मार रहे थे, और मैं उसे (बेटे को)बचा रही थी। हाथ जोड़कर विनती कर रहे थे सरजी, एक अधिकारी गाड़ी में बैठे थे। हमने उनको निवेदन किया था कि दो महीने रुक जाओ, इसके बाद तुम हमैं उठाकर ले जइयो कोई मतलब नाय है। लेकिन वोमाने नई और गाली देकर बोले- यहां न गिड़गिड़ाओ, कलट्टरसाहब के यहां जाओ, हमें उनका आदेश है। फिर जेसीबी चलान लगे।

मोड़ा ने मना किया और हाथ जोड़कर विनती करी कि या फसल मत गिराओ, मोपे कर्जा भारी है। कोई ठिकाना नई है। फिर उसको गाली देने लगे और डंडा मारा। मोड़ा बोला- तुम नई मान रयो तो मैं दवाई पीकर मर जाऊंगा और दवाई पीने लगा। इस पर पुलिस वाले बोले, मरत है तो मरन देओ सारे को, हमैं तो ऊपर से आदेश मिलो है। जेसीबी चलांएंगे।

जिला अस्पताल में गीता बाई का बेटा और बहू भर्ती हैं। गीता बाई ने बताया कि दोनों की तबियत ठीक नहीं है। वह अपने बेड से उठकर भागने लगते हैं।

मोड़े के चार लड़कियां और दो लड़के हैं छोटे-छोटे। एक तो छह महीने का है। पुलिस वालेन ने उसे घर से बाहर फेंक दिए रहो। पुलिस वाले कह रहे थे, मरने दे सालेन को, क्या होगा। गाड़ी में रखके अस्पताल ले जा रहे थे, टांगकर। जब मोड़ा तैयार नहीं हुआ तो उस पर डंडे बरसाने लगे। फिर मैं उसे बचाने लगी तो लातों से मारा, मेरे कपड़े भी फाड़ दिए। का बताऊं शरम की बात है। पुलिस वाले भारी चेंटे थे। हम तो घबरा गए थे। मैं बेटे के ऊपर लेट गई तो मुझे डंडा मारने लगे। उनसे विनती करते रहे, लेकिन वोरुके नाय।

मैं नानाखेड़ी की रहने वाली हूं, वहां ठिकाने का घर नहीं था, छपरा बनाकर रह रहे थे। इसलिए यहां आ गए। यहां पर भी मजदूरी करते थे, दो साल से यहां पर खेती कर रहोगे। जहर न पिएं तो अऊर क्या करें, पुलिस की मार खा रहेहैं। अब बताओ क्या करें?अब यहां आए और छपरा बनाकर रहने लगे। मजदूरी है और क्या है मेरे पास। कर्जा वाले चेंटेंगे (झगड़ा करेंगे)। मेरे पास यई है और का है। दो लाख रुपइया कर्जा हती। इसी को लेकर जी रहे हैं, मर रहे हैं।

(जैसाउन्होंने सुमित पांडेय को बताया।)



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मध्य प्रदेश के गुना में 14 जुलाई को एक दलित किसान दंपती के साथ पुलिस ने मारपीट की थी। उनकी फसल जेसीबी मशीन से उजाड़ दी थी। दंपती पर जमीन पर अतिक्रमण करने का आरोप है। इस घटना का वीडियो वायरल हुआ था।


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2 लाख कर्जा है, फसल पै जेसीबी चलाए देत हैं, पुलिस वालों का डंडा खा रहे हैं; जहर न पी तो अऊर का करी

मध्य प्रदेश के गुना में दलित दंपती से पुलिस की बेरहमी का एक वीडियो चार-पांच दिन पहले वायरल हुआ था, जिस पर मध्य प्रदेश से लेकर नई दिल्ली तक से तीखी प्रतिक्रिया आई थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और बसपा प्रमुख मायावती से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्विटर पर वीडियो शेयर कर शिवराज सरकार को घेरा था। इसके बाद सरकार को ग्वालियर आईजी, गुना एसपी और कलेक्टर को रातोंरात हटाना पड़ा था।

14 जुलाई की यहघटना अगले दिन ट्विटर पर दिनभरटॉप ट्रेंड में रही। उस वीडियो में पुलिस दलित युवक राजकुमार पर डंडे बरसा रही हैऔर एक महिला उसे बचाने की कोशिश कर रही है। वह राजकुमार की मां गीता बाई अहिरवार हैं। वे दैनिक भास्कर से बातचीत मेंउस दिन की घटना को बताते-बताते सिहर उठीं। उन्हीं के शब्दों में पढ़िए...

सर जी, मैं राजकुमार की मां बोल रही हूं। मोड़ा-मोड़ी ठीक नाए हैं, अस्पताल में भर्ती हैं दूनऊं। उनका दिमाग घूम रयो है, उठ-उठके भग जात हैं, किसी को पहचानत नहीं हैं। लड़का थोड़ा बहुत बतरा लेत है, बहू तो बिलकुल नहीं बतरा पा रई है। थोरी-थोरी मदद मिल रही है आप लोगन ही दे रहे हैं। एक मेडम आई थीं भूपाल से वो डेढ़ लाख रुपए दे गई थीं। सरकार से कोई मदद नहीं देखा रई है सर जी। नेता लोगन ही थोरी मदद दे रहे हैं। सरकार ने कुछ नई दियो। मोड़ा-मोड़ी पर पुलिस ने मुकदमा किया है, ये मोहे नाए पता।

पुलिस की पिटाई के बाद दलित राजकुमार के बच्चे पिता से लिपटकर बिलखते रहे।

उस दिन पुलिस वाले गाड़ी लेके आए, दो-तीन मारुति भी आईं। कम से कम 60-70 आदमी थे। हमसे बोले कि हमतो नपती कर रयो। मैंने कई कि नपती कर लेयो। फिर वो नपती करके स्कूल में बैठे और फिर जेसीबी की फोन लगा दिओ। चार जेसीबी बुलाने के लिए। फिर बाद में जेसीबी चार तो नहीं आ पाईं, नगर पालका की एकै आ पाई। हमने खेत में सोयाबीन, मक्का और ज्वार बोया था सर जी।

स्कूल में पचासन बीघा जमीन है। बंटाई पर लिया था, दो साल से खेती कर रयो हैं, यहां पर। पिछले साल भी परेशानी भई थी, ये हांकबे (हटाने) आए रयो थे, मुझे भी धर ले गए। दो-चार महीना जमीन खाली पड़ी रई, फिर इनने न स्कूल बनाबे आए और न हांकबे। जब फसल बो दी तो बिना बताए हांकबे आ गए और पुलिस नेहमाय साथ भेरंट (बहुत) मारपीट करी है। देखी होगी आपने, तो गरीबन के साथ इतना अत्याचार क्यों हो रहोगे?

राजकुमार अहिरवार की मां गीताबाई अहिरवार। उन्होंने कहा- मजूरी करके पेट पालते हैं, लेकिन उस पर भी इतना अत्याचार होता है।

मैं खुद खेती कर रई थी। कोई कागत (कागज) नहीं भेजा। ये झूठ बोल रयो हैं, न कोई कागत वाय भेजा, न मुझे भेजा। महिला पुलिस भी हती और जेंटस भी हते, वोडंडे मार रहे थे, और मैं उसे (बेटे को)बचा रही थी। हाथ जोड़कर विनती कर रहे थे सरजी, एक अधिकारी गाड़ी में बैठे थे। हमने उनको निवेदन किया था कि दो महीने रुक जाओ, इसके बाद तुम हमैं उठाकर ले जइयो कोई मतलब नाय है। लेकिन वोमाने नई और गाली देकर बोले- यहां न गिड़गिड़ाओ, कलट्टरसाहब के यहां जाओ, हमें उनका आदेश है। फिर जेसीबी चलान लगे।

मोड़ा ने मना किया और हाथ जोड़कर विनती करी कि या फसल मत गिराओ, मोपे कर्जा भारी है। कोई ठिकाना नई है। फिर उसको गाली देने लगे और डंडा मारा। मोड़ा बोला- तुम नई मान रयो तो मैं दवाई पीकर मर जाऊंगा और दवाई पीने लगा। इस पर पुलिस वाले बोले, मरत है तो मरन देओ सारे को, हमैं तो ऊपर से आदेश मिलो है। जेसीबी चलांएंगे।

जिला अस्पताल में गीता बाई का बेटा और बहू भर्ती हैं। गीता बाई ने बताया कि दोनों की तबियत ठीक नहीं है। वह अपने बेड से उठकर भागने लगते हैं।

मोड़े के चार लड़कियां और दो लड़के हैं छोटे-छोटे। एक तो छह महीने का है। पुलिस वालेन ने उसे घर से बाहर फेंक दिए रहो। पुलिस वाले कह रहे थे, मरने दे सालेन को, क्या होगा। गाड़ी में रखके अस्पताल ले जा रहे थे, टांगकर। जब मोड़ा तैयार नहीं हुआ तो उस पर डंडे बरसाने लगे। फिर मैं उसे बचाने लगी तो लातों से मारा, मेरे कपड़े भी फाड़ दिए। का बताऊं शरम की बात है। पुलिस वाले भारी चेंटे थे। हम तो घबरा गए थे। मैं बेटे के ऊपर लेट गई तो मुझे डंडा मारने लगे। उनसे विनती करते रहे, लेकिन वोरुके नाय।

मैं नानाखेड़ी की रहने वाली हूं, वहां ठिकाने का घर नहीं था, छपरा बनाकर रह रहे थे। इसलिए यहां आ गए। यहां पर भी मजदूरी करते थे, दो साल से यहां पर खेती कर रहोगे। जहर न पिएं तो अऊर क्या करें, पुलिस की मार खा रहेहैं। अब बताओ क्या करें?अब यहां आए और छपरा बनाकर रहने लगे। मजदूरी है और क्या है मेरे पास। कर्जा वाले चेंटेंगे (झगड़ा करेंगे)। मेरे पास यई है और का है। दो लाख रुपइया कर्जा हती। इसी को लेकर जी रहे हैं, मर रहे हैं।

(जैसाउन्होंने सुमित पांडेय को बताया।)



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मध्य प्रदेश के गुना में 14 जुलाई को एक दलित किसान दंपती के साथ पुलिस ने मारपीट की थी। उनकी फसल जेसीबी मशीन से उजाड़ दी थी। दंपती पर जमीन पर अतिक्रमण करने का आरोप है। इस घटना का वीडियो वायरल हुआ था।


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पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड 37407 मरीज बढ़े, देश में अब तक 10.77 लाख केस; महाराष्ट्र में संक्रमितों की संख्या 3 लाख के पार हुई

देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अब तक 10 लाख 77 हजार 864 मरीज हो चुके हैं। येआंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।शनिवार को रिकॉर्ड 37407 मरीज बढ़े। वहीं, 23 हजार 552 लोग स्वस्थ भी हुए। उधर, महाराष्ट्र में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 3 लाख के पार हो गई है। शनिवार को राज्य में 8348 मरीज मिले। इसी तरह मुंबई देश का पहला शहर बन गया, जहां संक्रमितों की तादाद एक लाख से ज्यादा हो गई है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ. वीके यादव ने कहा है कि देश में अब कोरोना का कम्युनिटी स्प्रेड शुरू हो गया है।हालात बुरे हो गए हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई से उन्होंने कहा कि रोज 30 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।सबसे बुरी बात यह है कि अब संक्रमण ग्रामीण इलाकों में फैल रहा है।

5 राज्यों का हाल

मध्यप्रदेश: भोपाल में रविवार को पूर्ण लॉकडाउन रहेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राजधानी में संक्रमण की दर 10% होने पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि भोपाल में अब दुकानें रात 10 बजे की बजाय 8 बजे बंद होंगी। उधर, राज्य देश में एक्टिव केस में 15वें स्थान पर है, जबकि पॉजिटिव केस में 13वें स्थान पर है।
उधर, इंदौर में मरीजों का आंकड़ा 6 हजार के पार हो गया है। वहीं, कोरोना की वजह से इस बार सभी जिलों में स्वतंत्रता दिवस समारोह सीमित करने का फैसला किया गया है।

महाराष्ट्र: राज्य में शनिवार को संक्रमितों का आंकड़ा तीन लाख के पार हो गया। पिछले 24 घंटे में यहां 8,348 नए केस बढ़े। मुंबई में मरीजों का आंकड़ा एक लाख के पार हो गया। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक मुंबई में अब तक1,00,350 संक्रमित पाए जा चुके हैं। वहींराज्य में अब तक 3,00,937 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं। इसमें 1 लाख 60 हजार 357 लोग ठीक भी हो चुके हैं जबकि 11,500 लोगों की मौत हो चुकी है।

उत्तरप्रदेश: उत्तर प्रदेश में शनिवार को कोरोना वायरस से संक्रमित 1986 नए मरीज मिले। यह एक दिन में मिले मरीजों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है। इससे पहले 16 जुलाई को रिकार्ड 2083 रोगी मिले थे। प्रदेश में कोरोना के मरीजों का आंकड़ा 47,149 पहुंच गया है। कोरोना से बीते 24 घंटे में 24 मरीजों की मौत हुई। अब तक 1108 लोगों की जान जा चुकी है। 28,664 लोग ठीक हो चुके हैं। यूपी में एक्टिव केस की संख्या 17,264 हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह, होम गार्ड मंत्रीचेतन चौहान, आयुष मंत्री डॉ. धर्म सिंह सैनी, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री उपेंद्र तिवारी औररघुराज सिंह के बाद अब प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमला रानी भीकोरोना पॉजिटिव पाई गई हैं।उन्हें संजय गांधी पीजीआई में भर्ती कराया गया है।मंत्री कमला रानी कानपुर के घाटमपुर से विधायक हैं। इनके साथ ही वरिष्ठ आइपीएस अफसर नवनीत सिकेरा कोरोना पॉजिटिव है। नवनीत सिकेरा को आनंदी वाटर पार्क कोविड सेंटर में भर्ती किया गया है।

राजस्थान: राज्यमें शनिवार को कोरोना के 711 नए मामले सामने आए। इनमें सबसे ज्यादाअलवर में 116, पाली में 96, जोधपुर में 94, बीकानेर में 67,जयपुर में 61,भरतपुर में 56, कोटा में 54, अजमेर में 39 संक्रमित मिले।

इसके बाद राज्य में कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या 28,500 पहुंच गई है। वहीं, 7संक्रमित मरीजों की मौत हो गई है। इनमें बाड़मेर में 3, राजसमंद,भरतपुर, जोधपुर और पाली में 1-1 की मौत हुई है। इसके बाद राज्य में कुल मौत का आंकड़ा 553पहुंच गया।

राज्य में अब तक कुल 11 लाख से ज्यादा सैंपलजांचे गए हैं। इनमेंकुल 28500 पॉजिटव मिले हैं। वहीं, 21144 लोग रिकवर हो चुके। इसमें से 20459 को डिस्चार्ज किया जा चुका है। अब राज्य में कुल 6803 एक्टिव केस ही बचे हैं।

बिहार: पिछले 24 घंटे में राज्य में कोरोना के 739 संक्रमित मिले हैं। संक्रमितों की संख्याबढ़कर 24967 हो गई है। बीते 24 घंटे के दौरान छह और कोरोना संक्रमितों की मौत के साथ अब मौत का कुल आधिकारिक आंकड़ा 187 हो चुका है। अब तक 14997 मरीज ठीक हो चुके हैं।अब तक 3 लाख 57 हजार 730 लोगों की जांच हो चुकी है।स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि जांच में तेजी लाने के लिए शनिवार से पटना में 25 स्वास्थ्य केंद्रों पर रैपिड एंटीजन टेस्ट प्रारम्भ किया गया है।

राज्य के श्रम संसाधन मंत्री और लखीसराय विधायक विजय कुमार सिन्हा, पाटिलपुत्र के सांसद रामकृपाल यादव और उनकी पत्नी कोरोना पॉजिटव पाए गए हैं। मंत्री विजय कुमार का पटना एम्स में इलाज चल रहा है।कोरोना की मौजूदा स्थिति को लेकर केंद्र सरकार काफी गंभीर है। स्थिति की समीक्षा के लिए दो टीमों का गठन किया है। यह टीम राज्य का दौरा कर स्थिति का आंकलन करेगी और इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को देगी।



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इंतजार के बाद नहीं आया ट्रॉलीमैन तो दर्द से छटपटाती पत्नी को पति ने गोद में उठाकर एंबुलेंस में चढ़ाया, स्ट्रेचर पर कुर्सी ढोने में लगे रहे कर्मी

फोटो झारखंड के रांची की है। यहांअव्यवस्था केवल रिम्स में ही नहीं सदर अस्पताल में भी है। यहां भी हर दिन आनेवाले मरीज व उनके परिजनों को कर्मचारी तो कभी डॉक्टर नहीं होने की वजह से परेशान होना पड़ता है। शनिवार की दोपहर करीब 12 बजे इसकी बानगी देखने को मिली, जब दर्द से छटपटाती एक गर्भवती महिला को स्ट्रेचर नहीं मिलने के कारण उसके पति ने उसे गोद में उठाकर नई बिल्डिंग से एंंबुलेंस तक पहुंचाया।वहीं दूसरी ओर कर्मचारी स्ट्रेचर पर कुर्सी ढोने में व्यस्त रहे।

कांके की रहने वाली महिला के पति ने बताया कि डॉक्टरों ने उनकी पत्नी को रिम्स रेफर कर दिया है। लेकिन देर तक इंतजार के बाद भी जब कोई टॉलीमैन नहीं आया तो खुद ही पत्नी को गोद में उठाकर एंबुलेंस में पहुंचाया। वहीं सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. सव्यसाची मंडल कहते हैं कि उनके यहां कर्मचारियों की कमी नहीं है।

टूल रूम के इंजीनियरों ने बढ़ाई राजभवन की शोभा

रांची में राजभवन की शोभा बढ़ाने के लिए स्टेनलेस स्टील का चार सौ किलो वजन का चरखा तैयार किया है। टूल रूम के प्राचार्य महेश गुप्ता ने बताया कि इस तरह का भव्य चरखा दिल्ली के कनाॅट प्लेस के बाद पूरे झारखंड में पहला होगा, जो राजभवन में स्थापित किया गया। लागत लगभग 15 लाख रुपए है।

इन्हें रोक सको तो रोक लो

फोटो दुर्ग केशिवनाथ नदी के महमरा एनीकट की। बारिश की वजह से एनीकट का जलस्तर बढ़ा हुआ है। इसकी वजह से तीन से चार गेट खोलने भी पड़े। यहां 4 साल में डूबने की वजह से 25 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। ऐसे स्पॉट पर सुरक्षा के उपाय नहीं। बच्चे अब भी मस्ती के साथ डूबकी लगा रहे हैं। पुलिस भी मौजूद नहीं।

राजस्थान के चूरू मेंकेरल जैसी क्रूरता

पिछले दिनाें केरल में विस्फाेटक खिलाकर हथिनी के साथ की गई क्रूरता जैसा मामला शनिवार कोराजस्थान के चूरूके साजनसर गांव में सामने आया। यहां एक खेत में एक चार साल की ऊंटनी के घुसने पर तीन लाेगाें ने बर्बरतापूर्वक कुल्हाड़ी से वार करउसके आगे के पैर काट दिए। ऊंटनी पर इतनी निर्दयता से वार किए गए कि उसका आगे का एक पैर ताे बिल्कुल ही अलग हाे गया और दूसरे पैर में भी गंभीर चाेट आई हैं।

हिप्पो के जोड़े से शावक जन्मा

जयपुर केजिस नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क से एक के बाद एक जानवरों की मौत की खबर सुनते-सुनते कान पक गए थे, वहां से अरसे बाद ‘गुड-न्यूज’ मिली है। पिछले साल अगस्त में लाए गए दुर्लभतम हिप्पो के जोड़े से एक शावक जन्मा है। प्रदेश में पहली बार ही पिछले साल अगस्त में डीएफओ सुदर्शन शर्मा के प्रयास से हिप्पो (मेल-राजा और फीमेल-रानी नाम) लाने में सफलता मिली थी।

रबी के बाद खरीफ चट करने के तैयारी में टिड्‌डी

राजस्थान के बाड़मेरजिले में टिड्‌डी हमले से किसान परेशानियों का सामना कर रहे हैं। पिछले साल से लगातार हो रहे टिड्‌डी हमले ने फसलों को तबाह कर दिया। रबी की फसलों को चट करने के बाद अब खरीफ की फसलों के खराबे की आशंका बढ़ रही है। पाकिस्तान की तरफ से आ रहे टिडि्डयों के दल बाड़मेर सहित देश के कई राज्यों में पहुंच चुके हैं। प्रशासनिक स्तर पर टिड्‌डी नियंत्रण के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके बावजूद टिडि्डयों के हमले लगातार जारी हैं।

जुलाई में थमा बारिश का दौर

फाेटोमध्यप्रदेश केरायसेन जिले की है।जून में लगातार बारिश हो रही थी जिससे बारिश का आंकड़ा बढ़ गया था,लेकिन जुलाई माह में बारिश का दौर थमा हुआ है।कभी कभार ही बारिश हो रही है जिससे लोगों को गर्मी और उमस से निजात नहीं मिल पा रही है। पिछले साल 330.9 मिलीमीटर बारिश 18 जुलाई तक हुई थी जबकि जबकि जुलाई माह में अब तक 385.5 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है जो पिछले वर्ष की तुलना में 64.6 मिलीमीटर अधिक बारिश है।

शहर और जंगली क्षेत्र में बारिश से नदियां लबालब

फोटो मध्यप्रदेश केश्योपुर जिले की है।पिछले दिनों शहर और जंगली क्षेत्रों में हुई बारिश से शहर के आसपास की नदियां लबालब हैं। शहर के पुलिस लाइन के पीछे से गुजर रही अमराल नदी में भी इन दिनों लबालब है।चैनपुरा से होकर गुजरी सीप नदी की सहायक अमराल नदी के पिकनिक स्पॉट हाथी टीला के पास जगह-जगह बह रहे यह दूधियाझरने इन दिनों लोगों को लुभा रहे हैं। साथ ही कई लोग यहां अब पिकनिक मनाने के लिए भी पहुंचने लगे हैं।

सारनी के सतपुड़ा डैम के ऊपर दिखा इंद्रधनुष

मध्यप्रदेश केबैतूल जिले के सारनी के सतपुड़ा डैम के पास शनिवार शाम 5 बजे इंद्रधनुष का मनमाेहक वाला नजारा बना। इस तस्वीर को वन्य जीवों के संरक्षण के लिए कार्य करने वाले आदिल खान ने छठ घाट (स्किमर वाल) से कैमरे में कैद किया।



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Even after the wait, the trolleyman did not come, then the wife lifted the aching wife in the ambulance, picked her up in the lap, the workers were engaged in carrying the chair on the stretcher.


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पहले लोग काम की तलाश में बंगाल आते थे, आज यहां से माइग्रेशन हो रहा है; बांग्लादेश के घुसपैठिए लोगों की नौकरी छीन रहे हैं: दिलीप घोष

पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा का चुनाव होना है, लेकिन तैयारी अभी से शुरू हो गई है। लोकसभा में बेहतर प्रदर्शन करने वाली भाजपा को विधानसभा चुनाव को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। कोरोना के बीच भाजपा कैंपेनिंग में जुटी हुई है। विधानसभा केंद्रों में आत्मनिर्भर भारत का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
लोकसभा चुनाव के समय पार्टी के 350 कार्यकर्ता दूसरे राज्यों से प्रचार के लिए यहां आए थे, वे अभी भी यहां जमे हुए हैं और पार्टी के प्रचार में लगे हैं। प्रदेश में संगठन की जिम्मेदारी मेदिनीपुर के सांसद दिलीप घोष पर है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से घोष 2014 में सक्रिय राजनीति में आए।
पहले पार्टी की राज्य इकाई के महासचिव और फिर 2015 में अध्यक्ष बने।सांसद चुने जाने के पहले घोष, खड़गपुर से विधायक थे।प.बंगाल मेंसत्ता हासिल करने का दारोमदार उनपर है। विधानसभा चुनवा और पार्टी की रणनीति को लेकरदैनिक भास्कर ने उनसे बातचीत की।
क्या लोकसभा की तरह विधानसभा में भी भाजपा को समर्थन मिलेगा और पार्टी सत्ता में आएगी
घोष बताते हैं कि यहां के लोग परिवर्तन के लिए मन बना चुके हैं, लोगों को लगता है कि बदलाव होना चाहिए। घोष ने कहा कि ऐसा नहीं है कि लोकसभा चुनाव में हमें अचानक से 18 सीटें आ गई।एक साल पहले हम पंचायत चुनाव लड़े। लड़ाई-हिंसा हुई। सत्ताधारी दल ने 34% सीट पर किसी को पर्चा ही नहीं भरने दिया।
विदाउटकंटेस्ट जीते टीएमसी के लोग। उस चुनाव में हमने हर जिले में40% वोट हासिल किया। और लोकसभा में यह आंकड़ा 42% से अधिक हो गया। उन्होंने कहा किपंचायत चुनाव से ही लोगों का मन बदलने लगा है।
आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की क्या रणनीति होगी? मुद्दे क्या होंगे?
मुद्दे तो कई हैं। यहां हर चीज गड़बड़ है। लोकतंत्र बचाना सबसे बड़ा सवाल है। जहां लोकल बॉडी के चुनाव में नॉमिनेशन तक नहीं कर सकते, वहां कैसा लोकतंत्र है? आज हमसभा तक नहीं करते। चुनाव में अगर भाग ही नहीं लेने दिया जाएतो फिर क्या और कैसी डेमोक्रेसी। बंगाल का एजुकेशन सिस्टम गड़बड़ हो गया है।
यहां लॉ-आर्डर इतना खराब है कि कोई निवेश करना नहीं चाहता है। बंगाल की हालत इतनी खराब कभी नहीं थी, बिहार-यूपी में होता था लेकिन यहां तो सत्ताधारी पार्टी के एमएलए का मर्डर हो गया।म्युनिसीपैलिटी के चेयरमैन का मर्डर हो गया। जयनगर का एमएलए बाल-बाल बचा।
रुलिंग पार्टी के लोग जब सुरक्षित नहीं तो हमारी हालत क्या होगी आपसमझ सकते हैं। कोविड में रिलीफ बांटने गए तो हमें घर से निकलने ही नहीं दिया। पुलिस ने रास्ते से सामान ले लिया। हमें हाईकोर्ट जाना पड़ा। आप कल्पना कर सकते हैं, यहां स्थिति कैसी है।
बंगाल लोग काम की तलाश में आते थे, आज यहां से माइग्रेशन हो रहा है?
घोष ने कहा कि माइंग्रेंट लेबर को यहां सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि सभी प्रदेश वाले अपने लोगों को बुला लिए, लेकिन यहां की सरकार ने आने पर रोक लगा दिया। यहां की सरकार ने कह दिया कि जो जहां हैं वही रहे।कुछ लोग अपनी गाड़ी से और कुछ लोगपैदल आए। उन्होंने कहा कि यहां नौकरी-चाकरी नहीं है। लोगों को बाहर जाना पड़ रहा है। सबसे बड़ा लेबर सप्लाई का हब बन गया है बंगाल। एक समय था कि बंगाल से बाहर पढ़े-लिखे लोग जाते थे। डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, आईएएस, आइपीएस, बाद के दिनों में आईटी इंजीनियर।
बाहर से लोग यहां के जूट कारखानों में काम करने आते थे। आज फैक्ट्रियां लगभग बंद हो चुकी हैं। इन फैक्ट्रियों में यूपी-बिहार-ओडिशा के लोग काम करते थे। नॉर्थ बंगाल के चाय बागान में झारखंड के आदिवासी लोग काम करने आते थे। अबकोलकाता छोड़कर लोग पश्चिम भारत की ओर भाग रहे हैं। बंगाल के मूल निवासी भी भाग रहे हैं। पत्थर तोड़ने के लिए लोग तमिलनाडु जा रहे हैं। उन्होंने कहा किबांग्लादेश के घुसपैठिए आकर यहां के लोगों की नौकरी छीन रहे हैं।बांग्लादेश के 1 करोड़ लोग यहां अवैध रूप से रह रहे हैं।
लोकसभा चुनाव में नार्थ बंगाल में भाजपा ने कैस स्वीप किया?
पहले से ही नॉर्थ बंगाल हमारी पार्टी के लिए पॉजिटिव था। 2014 में हमें 17% से अधिक वोट मिला। इस बार 40% को पार किया। हमने संगठन खड़ा किया है। बूथ स्तर पर लगातार काम किया। पहले मुश्किल से 15% बूथोंपर संगठन था। आज 85% बूथ रेडी है। करीब 80 हजार बूथों में से 63,000 बूथ पर आज हमारी टीम है। बाकी प्रॉसेस में है।

विपक्ष तो कहता है कि भाजपा का संगठन ही नहीं है तो चुनाव कैसे जीतेगी?
आज बीजेपी को छोड़कर किसी दूसरे दल के पास संगठन नहीं है। वर्चुअल रैली हम कर रहे हैं। 21 जुलाई को शहीद दिवस पर चीफ मिनिस्टर रैली करने वाली है। बूथ स्तर पर उनकी वर्चुअल रैली हो रही है। 50% बूथों तक वह पहुंच जाएं, मैं मान लूंगा कि उनका संगठन है। हम तो 63 हजार बूथों पर टीम खड़ीकर चुके हैं।
1.39 करोड़ लोग तो हमारी वर्चुअल रैलियों में सीधे जुड़े। विपक्ष के पास न कोई डाटा है, न कोई इंफ्रास्ट्रक्चर। पहले भी कभी नहीं था। सीपीएम ने स्ट्रक्चर खड़ा किया था। अब उनके सारे लोग भागकर हमारे तरफ आ गए। खासकर ग्राउंड स्तर के वर्कर। लोग जान गए कि सीपीएम से कुछ होने वाला नहीं है। टीएमसी को कोई हटा सकता है तो वह भाजपा है।

वाम दलों के कार्यकर्ताओं का समर्थन कितना टिकाऊ है?
विधानसभा चुनाव में वाम दलों को 30% वोट मिला था। आज 6-7% वोट बचा है। कांग्रेस भी नीचे खिसक गई है। विधानसभा में दोनों का गठबंधन था।
आप खड़गपुर से विधायक थे। अब सांसद हैं। उप-चुनाव में अपनी सीट तक नहीं बचा पाए?
योगी जी एमपी थे, सीएम बने। उप चुनाव में गोरखपुर सीट पार्टी हार गई। वह कितने बार की जीती हुई सीट थी हमारी। हम तो खड़गपुर से एक ही बार जीते। पहले भाजपा कभी नहीं जीती थी वहां से। 8-10 हजार वोट ही मिलता था। 8 हजार से 61000 तक हम गए।
ज्ञान सिंह सोहनपाल वहां से 9 बार के विधायक थे। पर्चा भरने के बाद से ही लोग उनकी जीत सुनिश्चित मानते थे। 91 हजार वोट मिलता था, हम उनको 55 हजार पर ले आए। उप-चुनाव में हमें 52 हजार वोट मिले। हमारा प्रत्याशी वही था जो पहले से वहां लड़ता रहा। वैसे उप-चुनाव में जो सरकार में रहता है, उसे एडवांटेज होता है।
बंगाल के चुनाव में बाहुबल की जरूरत पड़ती है? क्या करेंगे?
हम यहां सेंट्रल फोर्स की मांग करते हैं, उसके बिना यहां फेयर इलेक्शन नहीं हो सकता है। लोकसभा चुनाव के दौरान देश की 543 सीटों में 501 परकुछ नहीं हुआ लेकिन बंगाल की 42 सीटों में से एक भी सीट ऐसी नहीं रही जहांजहां ईंट-पत्थर नहीं चला। उप-चुनाव में सेंट्रल फोर्स नहीं थी, खूबधांधली हुई। घोष ने कहा कियहां पुलिस राजनीतिक कार्यकर्ता की तरह बर्ताव करती है।
चुनाव के टिकट बंटवारे में जीताऊ कैंडिडेट कितना बड़ा फैक्टर होगा?
घोष ने कहा कि चुनाव में चेहरे का असर तो होता ही है। हमारी पार्टी नई है और नए सिरे से खड़ी हो रही है। हमारे पास उस कद के कम चेहरे हैं। दूसरी पार्टियों के लोग भी आकर हमारी पार्टी से जीत गए।दो-चार प्रतिशत वोट तो प्रत्याशी का होता ही है। नए आदमी में दिक्कत होती है। उसे पहचान कायम करने में ही चुनाव बीत जाता है।

प्रदेश में भाजपा का कौन चेहरा कौन होगा?
हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तराखंड में जहां हम चुनाव जीते वहां हमारा कौन फेस था? भाजपा की एक संगठन पद्धति है। हर कार्यकर्ता पार्टी को जिताने के लिए लड़ता है। एक साल पहले विप्लव दा त्रिपुरा गए। इसके पहले पार्टी को वहां मामूली वोट था। आज 50% वोट है। हमारे यहां पार्टी, संगठन और हमारे शीर्ष नेतृत्व का महत्व है।
बंगाल में भी अपनी विचारधारा, संगठन और अपने कार्यक्रम के बूते बढ़ रहे हैं। चुनाव बाद पार्टी तय करती है कि नेतृत्व कौन करेगा। राज्य की जनता का भाजपा पर लगातार भरोसा बढ़ रहा है। जनता जानती है कि भाजपा राज्य की कमान किसी अच्छे आदमी को ही देगी।

चेहरा नहीं तो चुनाव ममता बनाम मोदी हो जाएगा? और ममता भी यहीं चाहती हैं?
लोकसभा में तो टीएमसी ने स्लोगन दिया था, इस बार दीदी प्रधानमंत्री। 42 में 42 सीट जीतेंगे। हुआ क्या? 18 सीट हम जीत गए। उनकी सीटों में से 12 हम खा गए। रीजनल पार्टी में एक ही चेहरा होता है। कांग्रेस में भी फेस गांधी फैमिली से ही आएगा। इन पार्टियों में बस फेस है। पार्टी है ही नहीं। लेकिन, भाजपा में ऐसा नहीं है। पार्टी प्रधान है। फेस तो कल आ जाएगा। हम तो दर्जन भर पीएम-सीएम दे सकते हैं।
भाजपा बंगाल में कम्युनल कार्ड खेल रही है?
ऐसा कौन सा इश्यू है जिसके आधार पर भाजपा को यहां साम्प्रदायिक सिद्ध करेंगे। कोई बोलेगा 'सीएए' तो हम इसके प्रति कमिटेड हैं। हमारे संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ही यह कमिटमेंट है। आजादी की लड़ाई में सबका योगदान है। बंटवारे के बाद जो इधर आए हैं उन्हें नागरिकता देने की बात तो गांधी-नेहरू-पटेल ने भी की है।
कम्युनल कार्ड हम नहीं हमारे विरोधी खेल रहे हैं। वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं। आपने सुना है कि देश में कहीं मुस्लिमों के लिए अस्पताल से लेकर अलग से शैक्षणिक संस्थान सरकारों नेबनाई हों। लेकिन बंगाल में यह हुआ है। यहां रिजर्वेशन के नाम पर 80% मुस्लिम को ओबीसी बना दिया गया।
कोई एथेनोग्राफिक सर्वे हुआ नहीं। कहां है संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण। कोई एफिडेविट बनाकर लिख देगा कि मैं नाई था, बढई था और बीडीओ जाति प्रमाण-पत्र दे देगा। यह भी लोगों को बेवकूफ बनाने लिए हो रहा है।यहां के मुसलमान सबसे गरीब हैं। साइकिल तक नहीं खरीद सकते। यहां बांटो और राज करो की राजनीति है। हम इस नीति का विरोध करते हैं तो हमें साम्प्रदायिक बताते हैं। भाजपा तो सबका साथ, सबका विकास की राजनीति करती है।
वाम के ही वर्कर टीएमसी में भी गए और आपके पास भी आ रहे? यह आइडियोलॉजिकल शिफ्ट है या अवसरवाद?
टीएमसी कीतो कोई आइडियोलॉजी और संविधान नहीं है।बस कमाने का रास्ता है। वाम दलों में तो जो एक बार बन गया तभी हटेगा जब भगवान ले जाएगा। भाजपा की अपनी विशेष कार्यपद्धति है, संविधान है। संगठन का प्रारूप है। तरीका है। दिलीप घोष जैसा किसान का बेटा आज प्रदेश भाजपा अध्यक्ष है।
पांच साल पहले जिसका कोई ठीक से नाम तक नहीं जानता था। यह डेमोक्रेसी है। विचारधारा 5-10% के लिए होती है। बाकी लोग देखकर साथ चलते हैं। मैं कमिटेड हूं, मेरे साथ लोग हैं। कम्युनिस्ट पार्टी में भी 5% वही बचे हैं जो कमिटेड हैं। लेकिन टीएमसी में, वहां कोई नीति नहीं है, बस नेता है।
बंगाल की राजनीति दूसरे राज्यों से कैसे अलग है?
यहां विशेष प्रकार की राजनीति होती है। एक-एक आदमी 24 घंटे पॉलिटिक्स में इन्वॉल्व रहता है। यही पेशा है। बिहार में जात-पात की बात होती है तो बंगाल में पार्टी की बात करते लोग मिलेंगे। मोहल्ला बंटा हुआ है। इधर काली पूजा होगी तो उधर भी होगी। इधर किसी के श्राद्ध का भोज हुआ तो जहां किसी की मौत नहीं हुई है वहां भी भोज होगा। यह कल्चर बन चुका है। इसके कारण लोग विकास की बात कम करते हैं। राजनीतिक हिस्सेदारी पर जोर अधिक है। इसीलिए रोज कहीं न कहीं मार-काट होते रहता है।
पुलिस भी निष्पक्ष नहीं है। जो सत्ता में है उसी के साथ है। सीपीएम राज मेंबिना पार्टी के नेता के कहे एफआईआर नहीं लिखा जाएगा। आज भी वही है। हमेंही मारते हैं, हमारे ऊपर ही केस करते हैं। 35 केस हो चुका है। हम टहलने निकलते हैं तो रोकते हैं। हमने भी ठान लिया है, देखें कहां-कहां और कितना रोकते हैं।
बंगाल पर भाजपा का अधिक फोकस क्यों?
हमारी पार्टी का सेंटिमेंट प.बंगाल से जुड़ा है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की यह जन्मस्थली है। यह बॉर्डर स्टेट है। 2200 किमी से अधिक हमारी सीमा बंगलादेश से लगती है। अगर यह असुरक्षित रहेगा तो देश कैसे सुरक्षित रहेगा? जब तक कांग्रेस, सीपीएम, टीमएमसी सत्ता में रही, इन्होंने बॉर्डर सुरक्षित करने का प्रयास नहीं किया।
देश की पश्चिमी सीमा पर फेंसिंग हो गई। लेकिन पूर्वी सीमा पर सिर्फ 1000 किमी की ही फेंसिंग हुई है। बाड़ लगने ही नहीं दे रहे इसलिए कि घुसपैठिए आएं और उन्हें जिताएं। अमित शाह जी भी कहते हैं कि सारा देश जीत जाएं तो भी हमारी जीत अधूरी है जब तक बंगाल नहीं जीतेंगे। यहां एंटी नेशनल और एंटी सोशल एक्टिविटी तेजी से बढ़ी है। यही सबसे बड़ा खतरा है। हमारी लड़ाई इसी के खिलाफ है। बंगाल सुरक्षित तभी होगा, जब यहां सत्ता परिवर्तन होगा।


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भाजपा सांसद व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि पश्चिम बंगाल के साथ हमारा सेंटिमेंट जुड़ा हुआ है। यह श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जन्मस्थली है। बंगाल का सुरक्षित रहना बहुत जरूरी है।


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पांच साल पहले अमेरिका की नौकरी छोड़कर गांव में डेयरी खोली, ऑर्गेनिक दूध के उत्पादन से सालाना 15 लाख रु. की हो रही कमाई

कहते हैं कि जब इच्छा शक्ति मजबूत हो तो आप कुछ भी कर सकतेहैं। यूपी के शाहजहांपुर केरहने वाले शरद गंगवारअमेरिका मेंनौकरी करते थे, अच्छी कमाई भी थी। लेकिन उन्होंने भारत लौटने का फैसला किया और अपने गांव में एक डेयरी खोली। मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर तहसील तिलहर के राजनपुर गांव के रहने वाले शरद गंगवार ने होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की है और साथ ही एमबीए भी किया है।

यूपी के शाहजहांपुर केरहने वाले शरद गंगवारअमेरिका मेंनौकरी करते थे। उन्होंने वहां आठ साल नौकरी की। फिर भारत लौट आए।

शरद पांच साल से डेयरी का काम कर रहे हैं। वे ऑर्गेनिक दूध का उत्पादन करते हैं। इसके साथ ही गौमूत्र और गोबर से जैविक खाद भी तैयार करते हैं। इससे उनका सालाना करीब 15 लाख रु. का रेवेन्यू आ रहा है। वे बताते हैं कि पांच साल पहले सिर्फ दो गायों से शुरूआत की। उसके बाद परेशानियों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। शरद नेएनडीआरआई करनाल से डेयरी उद्यमिता का एक शॉर्ट टर्म कोर्स किया। आज उनके पास 70 जानवर मौजूद हैं।

शरद पांच साल से डेयरी का काम कर रहे हैं। आज उनके पास 70 से ज्यादा जानवर हैं।

शरद का कहना है कि कोई भी काम शुरू करने से पहले उसकी ट्रेनिंग जरूरी है, अनुभवी लोगों से मिलना चाहिए। जिनके पहले से संस्थान चल रहे हैं उनके साथ बैठकर काम की बारीकियों को समझना चाहिए। उसके बाद ही अपने काम की शुरुआत करनी चाहिए। इसके साथ ही काम करने के लिए आपके पास मजबूत इच्छा शक्ति का होना जरूरी है। बिना उसके आप कामयाब नहीं हो सकते हैं।

शरद बताते हैं कि एमबीए करने के बाद नौकरी करने का मन हुआ तो अमेरिका चला गया। वहां करीब 8 साल तक नौकरी की। अच्छा पैकेज भी मिलता था, लेकिन दौड़-भाग की जिंदगी में सुकून नहीं था। इसलिए मैंने फैसला किया कि अपने देश लौटा जाए और वहीं पर कुछ ऐसा किया जाए कि नौकरी करने की जरूरत नहीं पड़े।

शरद बताते हैं कि वे आगे डेयरी के दूसरे प्रोडक्ट भी लॉन्च करने वाले हैं। इसके साथ ही उनका फोकस जैविक खाद पर भी है।

शरद गंगवार किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनका शुरू से ही दुग्ध विकास के क्षेत्र में झुकाव रहा। इसलिए नौकरी छोड़ने के बाद डेयरी शुरू की। इसके बादकोऑपरेटिव सोसाइटी बनाई। इससे लोग जुड़ते गए। वे कहते हैं कि अगर हम काम अच्छा करते हैं तो हमें बाजार ढूंढने की जरूरत नहीं होती है। बाजार खुद ही चलकर हमारे पास आता है।

डेयरी के साथ अब शरद ने बकरी पालन का भी काम शुरू किया है। बकरी पालन करने से पहले उसकी बारिकियों को जानने के लिए उन्होंने सीआईआरजी मथुरा से ट्रेनिंग ली। शरद बताते हैं कि वे आगे डेयरी के दूसरे प्रोडक्ट भी लॉन्च करने वाले हैं। इसके साथ ही उनका फोकस जैविक खाद पर भी है।



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यूपी के शाहजहांपुर जिले के रहने वाले शरद कुमार अमेरिका में रहकर नौकरी करते थे। अच्छी खासी सैलरी भी थी लेकिन उन्होंने गांव आकर डेयर का काम शुरू किया।


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भाजपा ने ममता सरकार पर राहत सामग्री बांटने में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, गड़बड़ी करने वालों से अब तक 20 लाख रुपए रिकवर किए गए

पश्चिम बंगाल में कोरोना महामारी और अम्फानसुपर साइक्लोन की दोहरी मार के बीच बचाव और राहत की राजनीति उफान पर है। सुपर साइक्लोन से क्षतिग्रस्त मकानों के मुआवजे और राहत सामग्री वितरण में गड़बड़ी की शिकायतें आईं हैं। जिसको लेकर सरकार बचाव की मुद्रा में है। गड़बड़ी करने वालों से राहत राशि वसूली जा रही है।

दक्षिण 24 परगना में 250 लोगों को राहत राशि लौटानी भी पड़ी। सूत्रों के मुताबिक अब तक 20 लाख रुपए की रिकवरी हुई है। भाजपा ने ममता और उनकी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर जंग छेड़ रखीहै, तो ममता बात-बात पर केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करने से नहीं चूक रहीं। उनका सीधा आरोप है कि केंद्र सरकार ने दोनों ही मामलों में राज्य का हक मारा है।

ममता ने कहा- बौखलाहट में फिजूल के आरोप लगाए जा रहे हैं

राहत राशि में गड़बड़ी की शिकायतों पर ममता ने 8 जुलाई को राज्य पुलिस के एक कार्यक्रम में सफाई दी कि जहां भी शिकायत मिली, कार्रवाई हुई। विपक्ष राजनीतिक लाभ के लिए तिल का ताड़ बना रहा है। भ्रष्टाचार तो वाम मोर्चा सरकार में था, हमने 90% रोक दिया तो बौखलाहट में फिजूल के आरोप लगाए जा रहे हैं। तृणमूल महासचिव पार्थ चटर्जी ने भी बयान दिया कि राज्य के 80,000 बूथों में से 1000 में समस्याएं थीं। वहां कार्रवाई हुई है। पार्टी ने किसी को छोड़ा नहीं है।

मेदिनीपुर जिला के राधामोहनपुर में पार्टी कार्यालय का उद्घाटन करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष।

भाजपा ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप

अम्फान राहत वितरण में गड़बड़ी की शिकायतों को दर्ज करने के लिए भाजपा पार्टी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने तो बाकायदा 'आमादेरदिलिपदा.इन/साइक्लोन-अम्फन' पोर्टल ही लॉन्च कर दिया है। पांच दिन पहले लॉन्च हुए इस पोर्टल पर 1056 शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। घोष कहते हैं, बौखला तो दीदी गई हैं। 20 हजार की दर से पांच लाख लोगों में सरकार ने 1000 करोड़ रु. बांटा है। हमने कहा कि जिसे बांटा है उसकी लिस्ट पंचायत में टांग दीजिए।

सरकार ने ब्लॉक में टांगा। इतनी भीड़ हुई की भगदड़ मच गई। राहत के नाम पर पार्टी के लोगों को ही फायदा पहुंचाया। एक-एक घर में पांच-पांच सात-सात लोगों का नाम दे दिया। चरम पर भ्रष्टाचार है। गड़बड़ी करने वालों से पैसे वसूले जा रहे, उन्हें टीएमसी पार्टी से निकाल रही, लेकिन उन पर मुकदमे क्यों नहीं हो रहे? सबसे ज्यादा गड़बड़ी तो खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक के क्षेत्र में हुई है। टीएमसी उनके खिलाफ क्यों नहीं कार्रवाई कर रही।

तृणमूल और भाजपा के बीच जारी आर-पार की जुबानी जंग के बीच कांग्रेस -वाम मोर्चा अब तीसरा कोण है।माकपा पॉलिट ब्यूरो के सदस्य मो. सलीम कहते हैं, कोरोना और अम्फान के मोर्चे पर लोगों को सचेत करने के स्थान पर भाजपा व तृणमूल हिन्दू कोरोना व मुस्लिम कोराना का खेल खेलती रहगई। तैयारी कहीं कुछ किया नहीं। दोनों ओर से बस फरमान पर फरमान जारी हो रहा है। मकसद, नाकामियां छिपाना है। लॉकडाउन में लोगों की रोजी-रोटी चली गई, इसकी चिंता नहीं है।

कांग्रेस का आरोप भाजपा और टीएमसी दोनों पर है। कांग्रेस का कहना है किराज्य हो या केंद्र सरकार दोनों ने जनता को भगवान के भरोसे छोड़ दिया है। दोनों सिर्फ पॉलिटिकल स्कोर सेटल करने में लगे हैं।

कांग्रेस- वाम मोर्चा ने भाजपा और टीएमसी पर लगाए रोप

कोरोना की आड़ में केंद्र सरकार ट्रेन बेच रही है, खदान बेच रही है और राज्य सरकार राहत का चावल व तिरपाल बेच रही है। भाजपा ने कहा था कि चिटफंड घोटाले का पैसा लौटाएंगे लेकिन जो आरोपी थे वही भाजपा के होगए। जनता संकट में है और दोनों पार्टियां वोट का हिसाब-किताब कर रहीं हैं। जनता भी बही-खाता लेकर बैठी है, समय आने पर वह भाजपा-तृणमूल का हिसाब कर देगी। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रदीप भट्‌टाचार्य कहते हैं, राज्य हो या केंद्र सरकार दोनों ने जनता को भगवान के भरोसे छोड़ दिया है। दोनों सिर्फ पॉलिटिकल स्कोर सेटल करने में लगीहैं।

भाजपा का आरोप- ममता सरकार केंद्र की योजनाएं लागू नहीं कर रही है

केंद्रीय योजनाओं पर भी को लेकर भी यहां बड़ा बवाल है। सरकार इन्हें इस तर्क पर लागू नहीं करती कि केंद्र से बेहतर राज्य की योजनाएं पहले से चल रही हैं। ममता बनर्जी का कहना है कि केंद्रीय योजनाओं में आधे से अधिक पैसा जब राज्य को देना है तो क्रेडिट केंद्र को क्यों ? कोरोना के प्रकोप के बीच भी उन्होंने फिर दोहराया कि'आयुष्मान भारत' योजना प.बंगाल में लागू नहीं होगी। केंद्र इस योजना का 40% हिस्सा देगा और 100% क्रेडिट लेगा, ऐसा नहीं होगा।हमारी 'स्वास्थ्य साथी' योजना, आयुष्मान भारत योजना के आने से दो साल पहले से चल रही है।

झारग्राम में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष। भाजपा का आरोप है कि ममत बनर्जी केंद्र सरकार की योजनाओं को यहां लागू नहीं कर रहीं हैं।

भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष का कहना है कि आयुष्मान भारत की तरह राज्य सरकार की स्कीम का लाभ राज्य के बाहर नहीं मिलता। गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए बाहर जाना मजबूरी है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना दीदी लागू ही नहीं होने दी। वह 'किसान बंधु' स्कीम की बात करती हैं लेकिन लाभ कितने किसानों को मिला इसकी कोई लिस्ट नहीं देतीं।

उन्होंने कहा किकेंद्र की स्कीम के तहत 80 लाख किसानों को लाभ होता। 6000 योजना का और कोविड स्पेशल का 2000 रुपए जोड़कर कुल 8 हजार रुपएकी रकम से किसानों को वंचित कर दिया। देश के जिन जिलों में 25 हजार से अधिक माइग्रेंट लेबर लौटे हैं उनके लिए 'गरीब कल्याण रोजगार अभियान ' स्कीम शुरुआत हुई है लेकिन ममता सरकार ने बंगाल में इसे शुरू नहीं होने दिया। सरकार के पास यह आंकड़ा ही नहीं है कि किस जिले में कितने श्रमिक लौटे हैं। सिर्फ हवाबाजी हो रही है।

भाजपा-टीएमसी दोनों चाहते हैं कि कांग्रेस- वाम मोर्चा के लिए कोई स्पेस नहीं बचे

तृणमूल कांग्रेस हिन्दी प्रकोष्ठ के संयोजक राजेश सिन्हा इन आरोपों का खंडन करते हैं। कहते हैं कि पश्चिम बंगाल में युवाश्री, कन्याश्री, कृषक बंधु जैसी 13 योजनाएं पहले से लागू हैं, जिसे केंद्र सरकार ने कॉपी किया है। पश्चिम बंगाल में कट, कॉपी, पेस्ट नहीं चलेगा। गौरतलब है कि राज्य में अप्रैल-मई 2021 में चुनाव होना है। यहां क्रेडिटलेने की होड़ और टकराव की राजनीति शुरू हो गई है। केंद्र से टकराव ही ममता की राजनीति का खाद-बीज है। भाजपा भी इसे मुफीद मानती है। दोनों ही दल आमने-सामने की टक्कर को ही फायदेमंद मान कर चल रहे हैं ताकि वाम-कांग्रेस के लिए स्पेस ही नहीं बचे।



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पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव होने हैं। इसको लेकर अभी से सभी पार्टियां तैयारी में जुट गईं हैं। भाजपा ने ममता बनर्जी की सरकार पर राहत सामग्री वितरण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।


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33 में से 30 जिलों में बाढ़: जितना बड़ा गोवा, उतनी खेती की जमीन तो बाढ़ में ही खराब हो गई; हर साल 200 करोड़ का नुकसान अलग से

चाय बागानों की खुशबू से महकने वाला असम इस साल भी पानी में डूब रहा है। यहां के 33 में से 30 जिले बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं। गृह मंत्रालय पर 15 जुलाई तक का डेटा मौजूद है। इसके मुताबिक, 22 मई से लेकर 15 जुलाई के बीच यहां के 4 हजार 766 गांव बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

48.07 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। 1.28 लाख से ज्यादा लोग अपना घर छोड़कर रिलीफ कैम्प में रहने को मजबूर हैं। जबकि, 92 लोगों की जान भी जा चुकी है।

असम को हर साल बाढ़ से जूझना ही पड़ता है। आंकड़ों की मानें तो पहले ऐसा होता था कि बाढ़ आती भी थी, तो 4-5 साल में एकाध बार। लेकिन, पिछले कुछ सालों से बाढ़ हर साल आने लगी है।

असम में हर साल बाढ़ क्यों आती है? इसे समझने के लिए पहले यहां की जियोग्राफी समझना जरूरी है।

साढ़े तीन करोड़ आबादी वाले असम में हर साल 50 से 60 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित होते हैं।

पूरा असम नदी घाटी पर ही बसा है
असम देश का ऐसा राज्य है जो पूरी तरह से नदी घाटी पर ही बसा हुआ है। इसका कुल एरिया 78 हजार 438 वर्ग किमी का है। जिसमें से 56 हजार 194 वर्ग किमी ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी में है। और बाकी का बचा 22 हजार 244 वर्ग किमी का हिस्सा बराक नदी की घाटी में है।

इतना ही नहीं राष्ट्रीय बाढ़ आयोग के मुताबिक, असम का कुल 31 हजार 500 वर्ग किमी का हिस्सा बाढ़ प्रभावित है। यानी, असम का जितना एरिया है, उसका करीब 40% हिस्सा बाढ़ प्रभावित है। जबकि, देशभर का 10.2% हिस्सा बाढ़ प्रभावित है।

असम का ये मैप इसरो ने जारी किया है। इसमें बताया है कि कौन से इलाके में बाढ़ का कितना खतरा है।

ब्रह्मपुत्र नदी का कवर एरिया बढ़ रहा
असम में ब्रह्मपुत्र और बराक, दो प्रमुख नदियां हैं। इन दो के अलावा इनकी 48 सहायक नदियां और कई छोटी-छोटी नदियां हैं। इस वजह से यहां बाढ़ का खतरा ज्यादा है।

अकेली ब्रह्मपुत्र नदी का कवर एरिया भी लगातार बढ़ रहा है। असम सरकार ने 1912 से 1928 के बीच सर्वे किया था, तब ब्रह्मपुत्र नदी राज्य के 3 हजार 870 वर्ग किमी के एरिया को कवर कर रही थी। आखिरी बार 2006 में जब सर्वे हुआ, तो ब्रह्मपुत्र नदी का कवर एरिया बढ़कर 6 हजार 80 वर्ग किमी हो गया।

इसके अलावा नदी की औसतन चौड़ाई 5.46 किमी है। लेकिन, कुछ-कुछ जगहों पर इसकी चौड़ाई 15 किमी या उससे भी ज्यादा है।

जितना बड़ा गोवा, उतनी खेती की जमीन तो बाढ़ से बर्बाद हो गई
असम सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की सितंबर 2015 में एक रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि 1954 से लेकर 2015 के बीच बाढ़ की वजह से असम में 3 हजार 800 वर्ग किमी की खेती की जमीन बर्बाद हो गई। मतलब 61 साल में बाढ़ के कारण असम में जितनी खेती की जमीन बर्बाद हुई है, वो गोवा के एरिया से भी ज्यादा है। गोवा का एरिया 3 हजार 702 वर्ग किमी है।

खेती की जमीन का नुकसान होना सीधा-सीधा यहां के लोगों की रोजी-रोटी पर भी असर डालता है। सरकार के आंकड़े बताते हैं कि राज्य की 75% से ज्यादा की आबादी खेती-किसानी या खेती-मजदूरी पर निर्भर है।

न सिर्फ खेती की जमीन बल्कि बाढ़ की वजह से लोगों को अपने घर तक छोड़ने पड़ रहे हैं। कई सैकड़ों गांव तो तबाह ही हो गए। 2010 से 2015 के बीच 880 गांव पूरी तरह से तबाह हो गए थे। इन 5 सालों के दौरान 36 हजार 981 परिवारों के घर भी तबाह हो गए थे।

असम की 75 फीसदी से ज्यादा आबादी या तो खेतों में मजदूरी करती है या फिर किसानी करती है।

हर साल 200 करोड़ रुपए का नुकसान भी हो रहा
असम सरकार के 2017-18 आर्थिक सर्वे के मुताबिक 1954,1962, 1972, 1977, 1984, 1988, 1998, 2002 और 2004 में राज्य ने भयंकर बाढ़ का सामना किया है। हालांकि, उसके बाद भी हर साल लगभग तीन से चार बार असम में बाढ़ आती ही है।

आंकड़े बताते हैं कि हर साल बाढ़ की वजह से असम को औसतन 200 करोड़ रुपए का नुकसान होता है। 1998 की बाढ़ में राज्य को 500 करोड़ और 2004 में 771 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।

हर साल सैकड़ों जानवर बाढ़ में मारे जाते हैं। इस साल अब तक तकरीबन 100 जंगली जानवर मर चुके हैं।

असम में हर साल बाढ़ क्यों? 4 कारण
1. रहने के लिए कम जगहः
नदी घाटी में बसे होने की वजह से यहां रहने की जगह बहुत ही कम है। यहां चाय के बागान हैं, जो ऊंचे इलाकों पर हैं। निचले इलाकों में भी कुछ हिस्से में नदी है तो कुछ में जंगल है। यहां थोड़ा ही हिस्सा रहने लायक बचता है। उसमें भी लोग खेती-किसानी करते हैं।
2. सामान्य से ज्यादा बारिशः ब्रह्मपुत्र बेसिन की वजह से हर साल यहां सामान्य से 248 सेमी से 635 सेमी ज्यादा बारिश होती है। मानसून सीजन में यहां हर घंटे 40 मिमी से भी ज्यादा बारिश होती है। इतना ही नहीं, कई इलाकों में तो एक ही दिन में 500 मिमी से ज्यादा बारिश दर्ज की गई है।

पहाड़ों से बहकर बारिश का पानी नीचे आता है, जो बाढ़ का कारण बनता है।

3. निचले इलाके में पानी भरने सेः असम पहाड़ी इलाका है। इस कारण जब भी पहाड़ों पर बारिश होती है, तो वो बहकर ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों में आ जाता है। इससे पानी नदियों के किनारे बहने लगता है और बाढ़ का कारण बनता है।
4. कम जगह में ज्यादा आबादीः 1940-41 में असम में कई जिलों में ब्रह्मपुत्र घाटी में हर एक किमी के दायरे में 9 से 29 लोग रहते थे। लेकिन, अब यहां हर किमी में 200 लोग रहने लगे हैं। इससे घाटी में हर साल बाढ़ की समस्या बढ़ गई है।



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इस साल बाढ़ में असम के साढ़े 4 हजार से ज्यादा गांवों में पानी भर गया है।


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