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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 11 बजे मन की बात करेंगे। माना जा रहा है कि इस बार मोदी कोरोना वैक्सीन के बारे में कोई जानकारी दे सकते हैं। शनिवार को ही प्रधानमंत्री मोदी देश में कोरोना वैक्सीन बनाने वाली तीन कंपनियों का दौरा करने पहुंचे थे। इस दौरान वे अहमदाबाद, हैदराबाद और पुणे गए थे।
इस विजिट में उन्होंने वैक्सीन की ताजा स्थिति और प्रोडक्शन के बारे में जानकारी ली। मोदी यह अनुभव मन की बात में साझा कर सकते हैं। इससे पहले 17 नवंबर को पीएम मोदी ने मन की बात के 71वें संस्करण के लिए लोगों से सुझाव मांगे थे।
लोगों से मांगे सुझाव
मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि हर बार मन की बात में हम उन लोगों की कामयाबी का जश्न मनाते हैं, जो समाज के लिए अच्छा काम कर रहे हैं। कई ऐसे उदाहरण वक्त की कमी के कारण साझा नहीं हो पाते। मैं बहुत से सुझाव पढ़ता हूं और वे वाकई बहुत कीमती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि इस महीने मन की बात कार्यक्रम 29 तारीख को है। मुझे पहले से जीवन यात्रा को प्रेरित करने वाली कई दिलचस्प जानकारियां मिली हैं। आप NaMo App, MyGov पर अपने विचार साझा करते रहें या 1800-11-7800 पर अपना संदेश रिकॉर्ड करें। मन की बात पीएम का रेडियो प्रोग्राम है। यह हर महीने के आखिरी रविवार को ब्रॉडकास्ट किया जाता है।
चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस का कोई कॉन्स्टेबल नहीं दिख रहा था। चालान कटने का डर भी नहीं था। शर्माजी ने स्टॉपलाइन की परवाह नहीं की और कार को आगे बढ़ा दिया। पर वहां क्लोज सर्किट कैमरा (CCTV) लगा था और उसने शर्माजी की हरकत को कैमरे में कैद कर लिया। दो दिन बाद जब चालान घर पहुंचा तो शर्माजी ने माथा पकड़ लिया। उन्हें अब भी समझ नहीं आ रहा था कि जब कोई कॉन्स्टेबल चौराहे पर था ही नहीं, तो यह चालान कैसे बन गया? शर्माजी की तरह सोचने वाले एक-दो नहीं बल्कि लाखों में हैं। उन्हें पता ही नहीं कि यह सब किस तरह होता है? और तो और, यहां ले-देकर मामला भी नहीं निपटा सकते।
इस मामले में हुआ यह कि CCTV से आए फुटेज के आधार पर मशीन पहले तो गाड़ी का नंबर दर्ज करती है। फिर उससे कार के मालिक का पता निकालकर उसे चालान भेजती है। किसी तरह की कोई शंका न रहे, इसलिए वह फोटो भी साथ भेजती है जो कानून तोड़े जाने का सबूत बनता है। यह सब होता है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI की वजह से। यहां एक मशीन वही काम करती है, जिसकी उसे ट्रेनिंग दी जाती है।
यदि कोई दूसरा काम करना हो तो उसके लिए दूसरी मशीन बनाने की जरूरत पड़ती है। मशीन को किसी खास काम के लिए ट्रेनिंग देकर तैयार करना ही है- मशीन लर्निंग। जो भी मशीन को सिखाया जाएगा, वह उसे बखूबी करती है। फिर चाहे आप उससे कुछ भी करा लें। इसमें मशीनों को चलाने के लिए इंसानों की जरूरत नहीं के बराबर होती है। साथ ही नतीजे परफेक्ट मिलते हैं।
जब वैज्ञानिकों ने मशीन लर्निंग पर काम शुरू किया तो उसमें भी बड़ी समस्याएं आने लगी। मशीन उतना ही काम करती है, जितना उसे लिखकर दिया जाता है। वह दूसरे तरीके समझती ही नहीं थी। तब डीप लर्निंग पर काम शुरू हुआ। इसका फायदा यह हुआ कि मशीन को लिखित में जानकारी देने के साथ ही तस्वीर दिखाकर या ऑडियो सुनाकर भी ट्रेनिंग दी जाने लगी। यह इतना आसान नहीं है, जितना पढ़कर लग सकता है।
सुनने में यह हॉलीवुड की किसी साइंस फिक्शन फिल्म की तरह लगता है, लेकिन दुनियाभर में इस दिशा में बहुत काम हो रहा है और तेजी से टेक्नोलॉजी विकसित हो रही है। दरअसल, इन मशीनों को आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क मॉडल को आधार बनाकर ट्रेनिंग दी जा रही है। इससे ऐसी मशीनें तैयार हो रही हैं, जो बच्चों की तरह दुनिया को देखती हैं। उन्हीं की तरह सीखती है, पढ़ती है, देखती है और सुनती भी है। तब तय करती है कि क्या करना सही होगा।
अब यह मशीन किस भाषा को समझेगी, चीजों को कैसे पहचानेगी, काम कैसे करेगी, समस्या आ जाए तो उससे कैसे निपटेगी, इसकी ट्रेनिंग भी देनी पड़ती है। इसे सिर्फ एक बार बताना पड़ता है और वही से यह समझ जाती है कि क्या करना है और कैसे करना है। यह मशीनें जो जैसा है, उसे उसी रूप में लेती है। यह तो वैसा ही हो गया कि अमेरिका में पैदा हुआ बच्चा वहां की भाषा और रहन-सहन के तौर-तरीके सीखता है और भारत में जन्मा बच्चा भारत के।
इसके बाद भी अगर आपको लग रहा होगा कि यह मशीनें इंसान की तरह सोच सकती हैं तो आप गलत हैं। इंसानी दिमाग किसी चीज को भूल सकता है, यह नहीं भूलतीं। इंसानी दिमाग के मुकाबले इसकी कोई हद नहीं है। न तो यह थकती हैं और न ही बोरियत महसूस करती है। यानी यह मशीनें 99% तक बिना भूले और बिना किसी बोरियत के बार-बार परफेक्ट काम कर सकती हैं। डीप लर्निंग के जानकार कहते हैं कि दुनिया को बड़े बदलाव के लिए तैयार हो जाना चाहिए, जहां ज्यादातर काम मशीनें करती दिखेंगी।
डीप लर्निंग कैसे बदलेगी हमारी जिंदगी
यह आपकी और हमारी जिंदगी को पूरी तरह बदलने वाली है। आप सोच भी नहीं सकते, वहां यह काम करती नजर आ सकती है। कोरोनावायरस महामारी ने जिस तरह पैर पसारे हैं, डॉक्टर भगवान की तरह जान बचा रहे हैं। अब आप कल्पना कीजिए कि यदि इन डॉक्टरों का भगवान बनकर मशीनें आ जाएं तो? यह होगा कैसे?
आप जब सीटी स्कैन कराते हैं तो रिपोर्ट को समझने-पढ़ने में डॉक्टरों को वक्त लग जाता है। अक्सर हमने देखा है कि डॉक्टर समस्या जानने के लिए कई बार स्कैन और रिपोर्ट देखते हैं। डीप लर्निंग वाली मशीन तो एक बार देखेगी और एक्यूरेसी के साथ बता देगी कि समस्या क्या है। इतना ही नहीं, यदि उसे प्रॉपर ट्रेनिंग दी जाए तो वह संभावित बीमारियों और उनसे बचने के तरीके भी बता देगी।
मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग पर पीएचडी कर चुकीं डॉ. भावना निगम कहती हैं कि, ‘यह टेक्नोलॉजी गांवों में बड़ा बदलाव लाने वाली है। आपको पता ही नहीं चलेगा और यह मशीनें ऐसा काम कर देंगी जिसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की थी। हर साल हजारों हैक्टेयर में फसलें सड़ जाती हैं। यह मशीनें किसानों के लिए वरदान ही साबित होंगी, जब वह पत्तियों में छोटे-से बदलाव को भी पकड़ लेगी और किसान को बता देगी कि फसल पर इसका क्या असर पड़ सकता है। फसल को बचाने के लिए कब और क्या करना चाहिए। दक्षिण भारत में नारियल के पेड़ पर लगे नारियलों की गिनती का काम तो डीप लर्निंग वाली मशीन सिर्फ फोटो देखकर कर देगी।’
यह तो सिर्फ सैम्पल है। आप किसी दुकान पर आपने डीप लर्निंग मशीन को तैनात करें, फिर देखें कि वह क्या-क्या कर सकती है। वह कुछ ही दिनों में बता देगी कि किस सामान को किस शेल्फ में रखने से उसकी बिक्री ज्यादा होती है। कनाडा में नेता भी अब डीप लर्निंग की मदद ले रहे हैं ताकि भविष्य की राजनीति का रुख भांप सके। आपको लगेगा कि यह कोई ज्योतिष हैं तो आप गलत हैं। यह वही काम कर सकती है, जिसके लिए उसे ट्रेनिंग दी जाए।
तीन गुना तेजी से बढ़ रहा है डीप लर्निंग का मार्केट
डेटा एनालिटिक्स फर्म ARK ने Big Ideas 2020 रिपोर्ट बनाई है। यह कहती है कि डीप लर्निंग का मार्केट इंटरनेट की तुलना में 3 गुना तेज है। यह अगले 20 साल में 30 ट्रिलियन डॉलर यानी 2220 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा का होगा। वैसे तो डीप लर्निंग, AI का ही एक हिस्सा है, जिस पर 70 साल पहले काम शुरू हुआ था। अब अचानक से आई तेजी की दो वजहें हैं। पहली- क्लाउड आने से भारी-भरकम डेटा को संभालने की सुविधा, दूसरी- GPU.
चीन, सऊदी अरब में दौड़ रहे हैं ट्रक
फ्रंटलाइन ने मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है- ‘In The Age Of AI’ यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में। इसमें मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग किस तरह काम आसान बना रहा है, इसे बताया गया। आश्चर्य तो तब हुआ जब चीन और सऊदी अरब में बिना किसी मदद के चलने वाले ट्रकों और कारों को दिखाया। फैक्ट्रियों में काम कर रहे यह ट्रक ऑटो ड्राइव मोड में रहते हैं। दुबई में तो ऑटो ड्राइव कारें भी आ गई हैं।
अधिकार श्रीवास्तव डीप लर्निंग पर कंसल्टेंसी चलाते हैं। उनका कहना है कि भले ही कोविड-19 चीन से आया हो, उसने सबसे पहले और बखूबी इसे रोका भी है। इसमें उसकी मदद की है डीप लर्निंग ने। कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग में डीप लर्निंग का इस्तेमाल किया गया। यानी किसी कोरोना पेशेंट के संपर्क में कौन-कौन आया, उस तक पहुंचने में इसकी मदद ली गई। काफी हद तक इसने ही चीन में कोविड-19 को फैलने से रोका, वरना वहां की घनी आबादी को देखते हुए आप अंदाजा लगा सकते हैं कि हालात कितने बुरे हो सकते थे।"
डीप लर्निंग के प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी ब्रेन टॉय के संस्थापक अमित का कहना है कि अमेरिका और यूरोप में डीप लर्निंग का इस्तेमाल सबसे ज्यादा हेल्थ सेक्टर में हो रहा है। मेंटल हेल्थ में सबसे ज्यादा।
अफ्रीका में खेती और दूध के लिए डीप लर्निंग का प्रयोग
दक्षिण अफ्रीका में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए जानवरों को इंजेक्शन नहीं लगते। वहां डीप लर्निंग मशीनों की मदद ली जाती है। प्रेग्नेंसी में ही दूध का उत्पादन बढ़ाने से जुड़ी जानकारी जुटा ली जाती है। वहां तो किसान भी पैदावार बढ़ाने में डीप लर्निंग का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे उन्हें पता चलता है कि किस समय पर सिंचाई करना चाहिए और कब कितनी खाद डालनी है।
डीप लर्निंग से चल रहे हैं दुनियाभर के जहाज
दुनियाभर में हवाई जहाजों का ट्रांसपोर्ट कंप्यूटरों पर निर्भर है। कौन-सा हवाई जहाज कब, किस रास्ते से गुजरेगा, यात्रियों के सामान को बाहर लाने तक का निर्देश मशीन देती हैं। एयर ट्रैफिक कंट्रोल के लिए भी डीप लर्निंग का इस्तेमाल हो रहा है। किसी बेहद जटिल सिस्टम को चलाने, नई दवा तैयार करने, नए केमिकल तलाशने, माइनिंग से लेकर स्पेस रिसर्च और शेयर मार्केट के लिए एक्यूरेट अनुमान लगाने में भी मशीनें मदद कर रही हैं।
भारत में आंखें बन रहा है डीप लर्निंग एप्लिकेशन
नोटबंदी के बाद दृष्टिहीनों की समस्या बढ़ गई थी। नए 500-2000 के नोट छूकर अंदाजा लगाना कठिन हो रहा था। तब अयान निगम की कंपनी डीपआईऑटिक्स ने 'माई आइज' नाम का एक मोबाइल ऐप बनाया। यह मोबाइल के फ्रंट कैमरे का इस्तेमाल करता है और बता देता है कि नोट कितने का है। सिर्फ नोट ही नहीं बल्कि यह रास्ते में आने वाली हर चीज को देखकर उसके बारे में बता देता है।
डीपआईऑटिक्स ने ही कोविड-19 के लिए भी एक एक्सरे एप्लिकेशन बनाया है। एक्सरे, टेंपरेचर, ऑक्सीजन देखकर यह एप्लिकेशन निमोनिया और कोविड में फर्क बता देता है। महाराष्ट्र सरकार ने इसका इस्तेमाल भी किया है। भारत में ही हेल्थ, फाइनेंस, बैंकिंग, साइबर सिक्योरिटी, एग्रीकल्चर के क्षेत्र में काम कर रहीं मल्टीनेशनल कंपनियां अब डीप लर्निंग मशीनों का इस्तेमाल कर रही हैं।
स्टार्टअप बने, लेकिन भारत में अब भी पहले बड़े प्रोडक्ट का इंतजार
भारत में अभी तक डीप लर्निंग मोबाइल एप्लिकेशन तक ही सीमित रहा है। बीते कुछ समय में तेजी से डीप लर्निंग को लेकर कुछ स्टार्टअप शुरू हुए हैं, लेकिन अब तक भारत में ऐसा कोई प्रोडक्ट नहीं बना, जिसे पूरी दुनिया को दिखाया जा सके। डॉ. भावना निगम का कहना है कि कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में ट्रैसकॉस्ट, बैंकिंग क्षेत्र में एसएलके ग्लोबल जैसी कंपनियां तेजी से उभरी हैं। तीन से चार साल में आपको दुनिया के स्तर पर भारतीय प्रोडक्ट्स के नाम सुनाई देंगे।
...पर सुंदर पिचाई नुकसान भी गिना रहे हैं
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई का कहना है, बिजली के इस्तेमाल, कैंसर का इलाज, जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए डीप लर्निंग पर काम हो रहा है। लेकिन सच यह भी है कि यदि इसके जोखिम से बचने का तरीका नहीं ढूंढा, तो इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। फ्रंटलाइन की डॉक्यूमेंट्री ने ही दिखाया कि चीन में लाखों लोगों की नौकरी जा चुकी है। उनकी जगह अब चीनी फैक्ट्रियों में मशीनें काम कर रही हैं।
सिवनी मालवा क्षेत्र के आयपा गांव में जमीनी विवाद के चलते चचेरे भाइयों ने 12 साल के बच्चे समेत तीन लोगों की हत्या कर दी। आरोपियों ने जिस तरह से वारदात को अंजाम दिया है, वह रूह कंपा देने वाला है। आरोपियों ने युवकों की मां की आंखों के सामने ही उन्हें ट्रैक्टर से कुचल डाला। वारदात के बाद चार आरोपियों ने ट्रैक्टर समेत थाने में सरेंडर कर दिया। शाम तक पुलिस ने अन्य तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। तीन आरोपी फरार हैं।
गांव में कुंवर सिंह और राजेंद्र सिंह पिता बालाराम रहते थे। करीब डेढ़ साल पहले दोनों ने आरोपी अनवर यदुवंशी के घर के पास डेढ़ एकड़ जमीन खरीदी थी, तभी से दोनों के बीच विवाद शुरू हो गए। अनवर और कुंवर सिंह आपस में चचेरे भाई थे। रास्ते पर आने-जाने और पानी निकासी से आए दिन दोनों पक्षों में झगड़ा होता रहता था। कुछ दिन पहले पुलिस ने आरोपियों का अवैध रेत से भरा ट्रैक्टर पकड़ लिया था। आरोपियों को शक था कुंवर और राजेंद्र ने ही पुलिस को शिकायत की है।
घर से ले गए घसीटते हुए
शनिवार को आरोपियों ने योजनाबद्ध तरीके से वारदात को अंजाम दिया। दोपहर करीब 12 बजे नौ लोग मिलकर ट्रैक्टर से कुंवर सिंह के घर पहुंचे। आरोपियों ने दोनों को ट्रैक्टर के पीछे बांधा और घसीटते हुए करीब एक किलोमीटर दूर अपने घर लेकर आए। इसके बाद यहां दोनों को फाटक के पीछे बांधकर लाठियों और लोहे के सरियों से पीटा। दोनों के हाथ पैर तोड़ दिए। बाद में ट्रैक्टर से बांधकर घसीटते हुए गांव में बीच रोड पर लेकर आए। यहां कुंवर सिंह का 12 वर्षीय बेटा आयुष भी आ गया। आरोपियों ने उसकी भी पिटाई की। इसके बाद तीनों को ट्रैक्टर से कुचल दिया।
बूढ़ी आंखों के सामने बेटों की हत्या
पुलिस के मुताबिक, जब राजेंद्र और कुंवर सिंह की मां को घटना के बारे में पता चला, तो वह भी पहुंच गई। बूढ़ी मां की आंखाें के सामने आरोपियाें ने उसके नाती और बेटों की ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या कर दी। मां उनके सामने गिड़गिड़ाती रही, लेकिन आरोपियों ने एक ना सुनी।
वारदात के बाद सरेंडर
इस खूनी खेल के बाद तीन आरोपियों ने ट्रैक्टर समेत थाने में जाकर पुलिस को पूरी वारदात बता दी। इस पर एसपी संतोष गौर, एसडीओपी सौम्या अग्रवाल समेत पुलिस बल मौके पर पहुंचा। तीनों शवों को पुलिस ने कब्जे में लेकर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। देर रात तीन अन्य आरोपियों को भी पुलिस ने पकड़ लिया।
किसी को नहीं लगी खबर
खास बात है कि आयपा गांव नर्मदा किनारे बसा है। यहां नदी में हर साल बाढ़ आने से लोगों ने अपने-अपने खेतों में ही घर बना लिए हैं। यही कारण है कि लोगों के घर दूर-दूर हैं। आरोपी करीब दो घंटे तक खूनी खेल खेलते रहे, लेकिन किसी को भी खबर तक नहीं लगी।
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 3 वनडे की सीरीज का दूसरा मुकाबला सिडनी में खेला जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। कैप्टन एरॉन फिंच ने चोटिल मार्कस स्टोइनिस की जगह मोइसेस हेनरिक्स को प्लेइंग इलेवन में शामिल किया। वहीं, भारतीय कप्तान विराट कोहली ने प्लेइंग इलेवन में कोई बदलाव नहीं किया।
पहले मैच में मिली हार के बाद सीरीज में बने रहने के लिए टीम इंडिया को हर हाल में यह मैच जीतना होगा। फिलहाल, ऑस्ट्रेलिया सीरीज में 1-0 से आगे है।
सीरीज का पहला मुकाबला भी सिडनी में खेला गया था, जहां ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 66 रन से हराया था। कप्तान एरॉन फिंच और स्टीव स्मिथ के शतकों की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 375 रन का टारगेट दिया था। जवाब में भारतीय टीम 8 विकेट पर 308 रन ही बना पाई थी।
सिडनी में टीम इंडिया का रिकॉर्ड खराब
सिडनी में टीम इंडिया का रिकॉर्ड बहुत खराब है। यहां भारत ने अब तक कुल 21 मैच खेले हैं, जिसमें उसे सिर्फ 5 मैचों में जीत मिली है। वहीं, 15 मैच में भारत को हार का सामना करना पड़ा। एक मैच बेनतीजा रहा। बतौर कप्तान विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 18 में 11 मैच जीते हैं। वहीं, फिंच को 13 में से सिर्फ 6 मैचों में ही जीत हासिल हुई है।
हेड-टु-हेड
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अब तक 141 वनडे खेले गए। इसमें टीम इंडिया ने 52 मैच जीते और 79 हारे हैं, जबकि 10 मुकाबले बेनतीजा रहे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसी के घर में भारतीय टीम ने 52 वनडे खेले, जिसमें से 13 जीते और 37 मैच हारे हैं। 2 वनडे बेनतीजा रहे।
कोहली-राहुल का फॉर्म में आना जरूरी
पहले वनडे में 375 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए विराट कोहली और लोकेश राहुल कुछ खास नहीं कर सके थे। कोहली 21 और राहुल 12 रन बनाकर आउट हो गए थे। मयंक अग्रवाल 22 और श्रेयस अय्यर भी सिर्फ 2 रन ही बना सके। सीरीज में वापसी करने के लिए भारतीय बल्लेबाजों को फार्म में आना होगा।
धवन-पंड्या ही टिक सके
पिछले मुकाबले में शिखर धवन और हार्दिक पंड्या ने ही मोर्चा संभाला था। धवन ने 86 बॉल पर 74 रन बनाए थे। वहीं, पंड्या ने 76 बॉल पर 90 रन की पारी खेली थी। पंड्या ने इस दौरान 7 चौके और 4 छक्के लगाए थे। दोनों के बीच 5वें विकेट के लिए 128 रन की पार्टनरशिप भी हुई थी।
भारतीय बॉलर्स को निकालने होंगे विकेट
पहले वनडे में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने जमकर भारतीय बॉलर्स की क्लास लगाई थी। जसप्रीत बुमराह ने 7, नवदीप सैनी और युजवेंद्र चहल ने 8 से ज्यादा की इकोनॉमी से रन लुटाए थे। सिर्फ मोहम्मद शमी ही रनों पर लगाम लगा पाए थे और 3 विकेट भी लिए थे।
वॉर्नर, फिंच और स्मिथ को आउट करना चुनौती
ऑस्ट्रेलियाई ओपनर्स डेविड वॉर्नर और फिंच ने पिछले वन-डे में 156 रन की ओपनिंग पार्टनरशिप की थी। वॉर्नर ने 69 रन की पारी खेली थी। वहीं, फिंच (114) और स्टीव स्मिथ (105) ने शानदार शतक जड़े थे। ग्लेन मैक्सवेल ने भी 19 बॉल पर 45 रन की ताबड़तोड़ पारी खेली थी। ऐसे में सीरीज में बने रहने के लिए भारतीय बॉलर्स को इन बल्लेबाजों का तोड़ खोजना होगा।
हेजलवुड-जम्पा फॉर्म में, कमिंस से रहना होगा सतर्क
भारतीय बल्लेबाजों को जोश हेजलवुड और एडम जम्पा से सतर्क रहना होगा। हेजलवुड ने पिछले मुकाबले में भारतीय टॉप ऑर्डर की कमर तोड़ दी थी। वहीं, मिडिल ओवर में जम्पा ने भारतीय बल्लेबाजों की जमकर परीक्षा ली। दोनों ने मैच में 3-3 विकेट अपने नाम किए। भारत के खिलाफ सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले पैट कमिंस भी भारत के लिए खतरा बन सकते हैं।
कोरोना की वजह से देश और दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं तबाह हो गई हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सर्वे के मुताबिक, देश के 70% स्टार्टअप पर कोरोना का बुरा असर पड़ा है। हाल ही में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के ग्लोबल जॉब रिसेट सब्मिट में यह बात सामने आई कि देश और दुनिया में न केवल नौकरियों का स्वरूप बदला है बल्कि काम और करने का तरीका भी बदला है।
हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू के मुताबिक, नए आंत्रप्रेन्योर्स के लिए यह एक शानदार मौका है। इस दौर में इन्वेस्टर्स को पिच कर फंड रेज करना मुश्किल है। हालांकि मार्केट और कस्टमर की बदली हुई जरूरत को समझ कर स्टार्टअप शुरू करने का अच्छा मौका भी है।
हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू के हवाले से कोरोना के दौर में स्टार्टअप शुरू करने के 5 टिप्स
1- मार्केट स्टडी से करें शुरुआत
आपको एक आंत्रप्रेन्योर्स के तौर पर सोचना होगा। यह समझना पड़ेगा कि कोरोना की वजह से ग्लोबल स्तर पर सबकुछ बदल जाने के बाद आपका आइडिया कितना रिलेवेंट है? क्या आप बदली हुई जरूरतों के हिसाब से कस्टमर बेस बना पाएंगे? इन सवालों के जवाब आप को ऐसे ही नहीं मिलेंगे। इसके लिए आपको मार्केट स्टडी करनी पड़ेगी।
किसी भी स्टार्टअप में आइडिया की भूमिका सबसे अहम होती है। आइडिया ही वह एलीमेंट है जो आपको इन्वेस्टर और कस्टमर देता है। कई बार लोग पहले आइडिएशन में ही लग जाते हैं। इससे आइडिया अच्छा होने के बाद भी मार्केट के माहौल में फिट न होने की वजह से सक्सेस नहीं हो पाता।
इसके अलावा भी आइडिएशन में कई चीजों का ध्यान रखना होता है। मसलन आप ऐसा क्या प्रोडक्ट और सर्विस ऑफर कर रहे हैं जो औरों से अलग है।
दो प्रॉसेस से गुजरने के बाद आप फंड रेज के स्टेज पर पहुंच जाएंगे। यह स्टेज सबसे मुश्किल मानी जाती है। इसी स्टेज में ही तय होता है कि आप स्टार्टअप कर पाएंगे या नहीं।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, आमतौर पर दो तरह के इन्वेस्टर होते हैं। एक थोड़े कंजरवेटिव तो दूसरे ओपन माइंडेड। कंजर्वेटिव इन्वेस्टर बिलकुल भी रिस्क नहीं लेते और बहुत मुश्किल से जेब ढीली करते हैं। जबकि, ओपन माइंडेड इन्वेस्टर रिस्क लेना पसंद करते हैं और निवेश के लिए हमेशा मौके की तलाश में रहते हैं।
4- मजबूत एडवाइजरी बोर्ड बनाएं
स्टार्टअप के लिए मजबूत एडवाइजरी बोर्ड की सबसे ज्यादा जरूरत है। उसकी एक अहम भूमिका होती है। आमतौर पर स्टार्टअप में लोग बस पेपर वर्क को ही महत्व देते हैं। लोगों का लगता है बाकी सब वे खुद कर लेंगे।
इसके चलते बहुत जरूरी पहलुओं से लोग अछूते रह जाते हैं। एडवाइजरी बोर्ड बहुत सी चीजों को रिव्यू कर जरूरी सुझाव देता है, जो ग्रोथ के लिए बहुत जरूरी होता है।
किस-किस सेक्टर में ज्यादा हैं स्टार्टअप का एक्सपोजर
भारत सरकार की स्टार्टअप इंडिया वेबसाइट पर एक्सपर्ट्स ने ऐसे सेक्टर्स की लिस्ट तैयार कर रखी है, जिनमें कोरोना के बाद स्टार्टअप के अवसर ज्यादा हैं। स्टार्टअप इंडिया की वेबसाइट पर भी इस बात पर जोर दिया गया है कि कोरोना में मार्केट में आए बदलाव के चलते कई अवसर खत्म हो गए हैं। लेकिन उसके बदले कहीं ज्यादा नए अवसर आए हैं।
BCCI में महिला चयन समिति की प्रमुख नीतू डेविड ने कहा कि अगले सीजन से टी20 चैलेंज में टीमों की संख्या बढ़ाने की योजना है। अभी तक इसमें तीन टीमें ही खेलती हैं। 43 साल की नीतू ने कहा कि पुरुष क्रिकेट की तरह महिला क्रिकेट में भी बेंच स्ट्रेंथ तैयार करने पर काम चल रहा है। नीतू ने भारत की ओर से 97 वनडे और 10 टेस्ट मैच खेले हैं। उनसे बातचीत के प्रमुख अंश...
सवाल: आईपीएल में टीमों की संख्या बढ़ाने की बात चल रही है जबकि महिला टी20 में ऐसी कोई चर्चा नहीं। ऐसा क्यों?
जवाब: महिला टी20 चैलेंज यानी महिला आईपीएल में इस साल से ही टीमों की संख्या बढ़ाई जानी थी। लेकिन यूएई में होने से संख्या नहीं बढ़ी। ऑस्ट्रेलिया की महिला बिग बैश लीग भी इसी दौरान शुरू हुई थी। इसलिए बड़ी खिलाड़ियों का मिलना मुश्किल था। अगले सीजन से टीम की संख्या में बढ़ोतरी होगी। हमारी कोशिश रहेगी कि इस दौरान कोई इंटरनेशनल सीरीज न हो, ताकि ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी उपलब्ध हो सकें।
सवाल: महिला क्रिकेट में बेंच स्ट्रेंथ बढ़ाने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
जवाब: महिला क्रिकेट में कई अच्छी प्रतिभाएं हैं। बेंच स्ट्रेंथ बढ़ाने के लिए मुख्य टीम के अलावा अंडर-19 और टीम में जगह नहीं बना पा रही खिलाड़ियों के कैंप लगाने की योजना तैयार की जा रही है।
सवाल: छोटे शहरों में महिला क्रिकेट को बढ़ाने के लिए क्या किया जा रहा है?
जवाब: पहले लड़कों की एकेडमी में ही लड़कियां ट्रेनिंग करती थीं, लेकिन अब छोटे शहरों में भी एकेडमी खुल रही हैं। पूर्व खिलाड़ियों ने भी एकेडमी की शुरुआत की है। राज्य सरकारें भी लड़कियों के लिए एकेडमी खोल रही हैं।
सवाल: पुरुष क्रिकेटरों की इंटरनेशनल सीरीज हो रही हैं। महिला क्रिकेट में क्यों नहीं?
जवाब: श्रीलंका बोर्ड के साथ टूर्नामेंट को लेकर बात चल रही है। कोरोना के कारण देर हो रही है। उम्मीद है कि सीरीज का कार्यक्रम जल्द तय हो जाएगा।
सवाल: महिला टीम फाइनल में हार जाती है। क्या टीम मानसिक रूप से तैयार नहीं है?
जवाब: टीम में मैच टेपरामेंट की कमी है। पहले की तुलना में काफी सुधार हुआ है। पहले टीम फाइनल तक भी नहीं पहुंच पाती थी। खिलाड़ी मेंटल स्ट्रेंथ पर काम कर रही हैं। कई खिलाड़ियों ने लॉकडाउन के दौरान घर पर मेडिटेशन वगैरह किया। अब वे शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से मजबूत हो रही हैं। आने वाले टूर्नामेंट में इसका असर भी दिखाई देगा।
सवाल: पहली बार टी20 चैलेंज को स्पॉन्सर मिला, इसे कैसे देखती हैं?
जवाब: स्पॉन्सर के आने से टीमों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। खिलाड़ियों को भी पहले से ज्यादा पैसे मिलेंगे। साथ ही लड़कियों में क्रिकेट को बढ़ावा मिलेगा।
सवाल: महिला टीम के विदेशी दौरे कम होते हैं। इसे बढ़ाने के लिए क्या प्रयास हो रहे हैं?
जवाब: महिला दौरे बढ़ाने की योजना है। लेकिन ये चरण दर चरण होंगे। अभी फिलहाल कैंप के आयोजन को लेकर प्लान किया जा रहा है। हमारा फोकस है कि लड़कियों का विदेशी दौरा भी पुरुषों की तरह ज्यादा से ज्यादा हो।
सवाल: महिला खिलाड़ियों को पुरुष खिलाड़ियों से कम राशि मिलती है, ऐसा क्यों?
जवाब: पुरुष क्रिकेटर सालभर खेलते हैं, जबकि महिला खिलाड़ी उनकी तुलना में कम खेलती हैं। ऐसे में पैसे उसी हिसाब से दिए जाते हैं। मुझे नहीं लगता कि यहां पर पैसा महत्व रखता है, क्योंकि BCCI के महिला क्रिकेट को टेकओवर करने के बाद महिला खिलाड़ियों को हर तरीके की सुविधाएं मिल रही हैं। अब घरेलू टूर्नामेंट भी बेहतर तरीके से होते हैं। हमारे समय में न तो पैसे मिलते थे और न ही इतनी सुविधाएं थीं। अब काफी कुछ बदल चुका है। टूर्नामेंट भी ज्यादा हो रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि टीम जिस तरह से प्रदर्शन कर रही है, आने वाले समय में उन्हें पुरुषों के बराबर का दर्जा अवश्य मिलेगा।
खेती से जुड़े कानूनों के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली की सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं। केंद्र सरकार की ओर से बातचीत के प्रस्ताव के बावजूद उनका विरोध जारी है। किसानों ने फैसला लिया है कि वे सिंघु बॉर्डर पर ही अपना विरोध जारी रखेंगे और कहीं नहीं जाएंगे। यह भी तय किया गया कि रोज सुबह 11 बजे आगे की रणनीति बनाई जाएगी।
किसानों के जमावड़े को देखते हुए दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर भारी संख्या में सिक्योरिटी फोर्स तैनात है। शनिवार शाम आंदोलनकारियों ने हाईवे पर तंबू गाड़ना शुरू कर दिया। साथ ही पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसानों का आना भी जारी रहा।
यूपी के डिप्टी सीएम बोले- किसानों का प्रदर्शन कांग्रेस की साजिश
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने शनिवार को किसानों से अपना विरोध वापस लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन कांग्रेस की रची साजिश के अलावा कुछ नहीं है।
एक किसान का बेटा होने के नाते, मैं देश और उत्तर प्रदेश के किसानों से कहना चाहता हूं कि कांग्रेस आपकी भावनाओं के साथ खेल रही है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा था कि सरकार बातचीत के लिए तय दिन 3 दिसंबर से पहले भी किसानों के साथ चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने अपील की थी कि किसान दिल्ली के बाहरी इलाके बुराड़ी में निरंकारी समागम ग्राउंड पर प्रदर्शन करें। इस पर किसानों ने कहा कि सरकार को खुले दिल के साथ आगे आना चाहिए न कि शर्तों के साथ।
भारतीय किसान यूनियन के पंजाब प्रेसिडेंट जगजीत सिंह ने कहा कि हम रविवार सुबह मीटिंग के बाद इस प्रस्ताव पर कोई फैसला करेंगे। अमित शाह ने शर्त रखकर जल्द बैठक करने की अपील की है। यह अच्छा नहीं है। उन्हें बिना किसी शर्त के खुले दिल से बातचीत की पेशकश करनी चाहिए। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि विरोध रामलीला मैदान में होता है। फिर हमें निजी जगह निरंकारी भवन में क्यों जाना चाहिए? हम आज यहीं रहेंगे।
हाईवे पर बसा मिनी पंजाब
किसान आंदोलन के कारण हाईवे का नजारा मिनी पंजाब जैसा हो गया है। ट्रॉलियों को ही किसानों ने घर बना लिया है। यहीं खाना बन रहा है तो यहीं नहाने और कपड़े धोने का इंतजाम है। जगह-जगह लंगर लगे हैं। धरने वाले धरने पर बैठे हैं। खाना बनाने वाले खाना बना रहे हैं। सभी को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है।
from Dainik Bhaskar /national/news/farmers-protest-delhi-chalo-update-farmers-decide-to-protest-on-the-singhu-border-127961011.html
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