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सरकार ने कोरोना के मुद्दे पर आज ऑल पार्टी मीटिंग (सर्वदलीय बैठक) बुलाई है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली इस मीटिंग की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। वैक्सीन कंपनियों से चर्चा के बाद मोदी की यह पहली अहम बैठक है।
मीटिंग में मोदी के साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के शामिल होने की भी उम्मीद है। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी और संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल होंगे। यह मीटिंग ऐसे समय बुलाई गई है जब दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से संसद के शीत सत्र को बजट सत्र के साथ मर्ज करने की चर्चा चल रही है।
मोदी ने वैक्सीन कंपनियों से कहा- लोगों को आसान शब्दों में समझाएं
मोदी कोरोना की स्थिति के साथ ही वैक्सीन डेवलपमेंट पर भी लगातार नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने 30 नवंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जेनोवा बायोफार्मा, बायोलॉजिकल ई और डॉ. रेड्डीज की टीमों से चर्चा की। प्रधानमंत्री ने इन्हें सलाह दी कि आम लोगों को वैक्सीन के असर जैसी बातों के बारे में आसान शब्दों में समझाने के लिए एक्स्ट्रा एफर्ट करें।
इससे पहले प्रधानमंत्री ने 28 नवंबर को पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट, अहमदाबाद के जायडस बायोटेक पार्क और हैदराबाद में भारत बायोटेक फैसिलिटी का दौरा कर वैक्सीन की तैयारियों का जायजा लिया था।
ये नेता शामिल हो सकते हैं
कांग्रेस से अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नबी आजाद
TMC के सुदीप बंदोपाध्याय और डेरेक ओ’ब्रायन
बीजू जनता दल से चंद्रशेखर साहू
YSRCP से विजयसाई रेड्डी और मिथुन रेड्डी
AIMIM से इम्तियाज जलील
शिवसेना से विनायक राउत
जदयू से आरसीपी सिंह
अन्नाद्रमुक से नवनीत कृष्णन
द्रमुक से TRK बालू और तिरुचि शिवा
जेडीएस से एचडी देवगौड़ा
राकांपा से शरद पवार
सपा से रामगोपाल यादव
बसपा से सतीशचंद्र मिश्रा
राजद से प्रेमचंद्र गुप्ता
TDP से जयदेव गल्ला
AAP से संजय सिंह
TRS से नाम नागेश्वर राव
लोक जनशक्ति पार्टी से चिराग पासवान
अकाली दल से सुखबीर बादल
देश में महामारी से 1.39 लाख मौतें
अब तक 95.71 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 90.15 लाख ठीक हो चुके हैं और 1.39 लाख ठीक हो चुके हैं। देश में कोरोना से 1.39 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। कुल 4.14 लाख एक्टिव केस बचे हैं, यानी इतने मरीजों का इलाज चल रहा है। यह आंकड़ा 21 जुलाई के बाद सबसे कम है। तब कुल 4.12 लाख एक्टिव केस थे।
देश में गुरुवार को कोरोना के 36 हजार 546 नए मरीज मिले। 42 हजार 973 ठीक हुए और 541 की मौत हुई। यह लगातार पांचवां दिन रहा जब 40 हजार से कम मरीज आए और इससे ज्यादा ठीक हुए। अब तक 95.71 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 90.15 लाख ठीक हो चुके हैं और 1.39 लाख की मौत हो चुकी है। कुल 4.14 लाख एक्टिव केस बचे हैं, यानी इतने मरीजों का इलाज चल रहा है। यह आंकड़ा 21 जुलाई के बाद सबसे कम है। तब कुल 4.12 लाख एक्टिव केस थे। ये आंकड़े covid19india.org से लिए गए हैं।
पश्चिम बंगाल में RT-PCR टेस्ट अब 950 रुपए में होगा
पश्चिम बंगाल में कोरोना का RT-PCR टेस्ट अब 950 रुपए में होगा। सरकार ने दो महीने में दूसरी बार इस टेस्ट के रेट कम किए हैं। अक्टूबर में इसकी कीमत 2250 रुपए से घटाकर 1250 रुपए की गई थी।
5 राज्यों का हाल
1. दिल्ली
यहां गुरुवार को 3734 केस आए, 4834 मरीज ठीक हुए और 82 की मौत हो गई। यहां अब तक 5.82 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 5.43 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं। 29 हजार 120 का इलाज चल रहा है। यहां अब तक 65 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। हर दिन 70 से 75 हजार जांच की जा रही हैं।
2. मध्यप्रदेश
यहां गुरुवार को 1450 केस आए, 1569 मरीज ठीक हुए और 13 की मौत हो गई। यहां अब तक 2.10 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 1.93 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं। 13 हजार 887 का इलाज चल रहा है। यहां अब तक 38 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। हर दिन 25 से 30 हजार जांच की जा रही हैं।
3. गुजरात
यहां गुरुवार को 1540 केस आए, 1417 मरीज ठीक हुए और 13 की मौत हो गई। यहां अब तक 2.14 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 1.95 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं। 14 हजार 823 का इलाज चल रहा है। यहां अब तक 80 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। हर दिन 65 से 70 हजार जांच की जा रही हैं।
4. राजस्थान
यहां गुरुवार को 2086 केस आए, 3232 मरीज ठीक हुए और 20 की मौत हो गई। यहां अब तक 2.74 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 2.46 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं। 25 हजार 544 का इलाज चल रहा है। यहां अब तक 45 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। हर दिन 35 से 40 हजार जांच की जा रही हैं।
5. महाराष्ट्र
यहां गुरुवार को 5182 केस आए, 8066 मरीज ठीक हुए और 115 की मौत हो गई। यहां अब तक 18.37 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 17.03 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं। 85 हजार 835 का इलाज चल रहा है। यहां अब तक 1 करोड़ 10 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। हर दिन 65 से 70 हजार जांच की जा रही हैं।
ब्रिटेन में कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दी जा चुकी है। अमेरिका में जल्द इसे फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) का अप्रूवल मिल सकता है। अमेरिका के 3 पूर्व प्रेसिडेंट्स ने फैसला किया है कि वे टीवी पर लाइव इवेंट में वैक्सीन लगवा सकते हैं। इस कवायद का मकसद लोगों में वैक्सीन को लेकर आशंकाओं और डर को दूर करना है।
दूसरी तरफ, प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन और वाइस प्रेसिडेंट इलेक्ट कमला हैरिस ने भी साफ कर दिया है कि वे जैसे ही वैक्सीन को अप्रूवल मिलेगा, इसे जरूर लगवाएंगे। खास बात यह है कि इस मामले में अब तक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कुछ नहीं बोले हैं।
बाइडेन और हैरिस वैक्सिनेशन नेशन के लिए तैयार
‘द गार्जियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वाइस प्रेसिडेंट इलेक्ट कमला हैरिस ने उन आशंकाओं पर जवाब दे दिया है कि उन्हें कोरोना वैक्सीन लगवाने को लेकर कुछ परेशानी है। हैरिस ने कहा- जैसे ही वैक्सीन को मंजूरी मिलती है तो मैं इसे जरूर लगवाऊंगी। इसमें कोई दो राय नहीं होनी चाहिए। हमें बस FDA की मंजूरी का इंतजार है।
ज्वॉइंट इंटरव्यू
गुरुवार को बाइडेन और हैरिस ने CNN के जेक टेपर शो में शिरकत के दौरान कई अहम सवालों के जवाब दिए। बाइडेन ने भी साफ कर दिया कि वे वैक्सीन को लेकर पूरी तरह संतुष्ट हैं कि ये बिल्कुल सेफ होगी। बाइडेन ने कहा- मैं वैक्सीन लगवाने के लिए बिल्कुल तैयार हूं। मैं चाहता हूं कि मैं ये वैक्सीन सबके सामने लगवाउं। इसको लेकर किसी को और कोई शंका नहीं होना चाहिए। मैं अमेरिकी लोगों को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि हमारी वैक्सीन सबसे ज्यादा सेफ होगी। इसको लेकर डर और आशंकाएं मत पालिए।
तीन पूर्व राष्ट्रपति वैक्सीनेशन के लिए तैयार
अमेरिका के तीन पूर्व प्रेसिडेंट्स बिल क्लिंटन, जॉर्ज बुश जूनियर और बराक ओबामा ने कहा है कि वे टीवी पर लाइव इवेंट के दौरान वैक्सिनेशन कराएंगे। तीनों ने कहा कि वे सिर्फ इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि कब एफडीए वैक्सीन को मंजूरी देता है। तीनों ने यह बात CNN के उसी शो में कही, जिसमें बाइडेन और हैरिस भी मौजूद थे।
एक सवाल के जवाब में बाइडेन ने कहा- अमेरिका का हर राज्य चाहता है कि वैक्सीन पहले उसे मिले, लेकिन मैं खुद इस वैक्सीन को लगवाने के लिए इंतजार कर रहा हूं। मैंने अपने पूर्व राष्ट्रपतियों से यही सीखा है कि जिम्मेदारी निभाने से पीछे नहीं हटना चाहिए।
इस कवायद की वजह क्या है
दरअसल, पिछले महीने सर्वे एजेंसी गैलप ने एक पोल किया था। इसमें अमेरिकी लोगों से वैक्सीन को लेकर कई सवाल किए गए थे। सर्वे में हिस्सा लेने वाला करीब 40% अमेरिकी लोगों ने कहा कि उन्हें वैक्सीन को लेकर कुछ डर और आशंकाएं हैं। इन लोगों को आशंका है कि इसके साइड इफेक्ट और गंभीर रिएक्शन हो सकते हैं। बाइडेन और हैरिस इस डर को सभी के सहयोग से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इसी हफ्ते FDA वैक्सीन को मंजूरी दे सकता है।
सरकार ने कोरोना के मुद्दे पर आज ऑल पार्टी मीटिंग (सर्वदलीय बैठक) बुलाई है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली इस मीटिंग की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। वैक्सीन कंपनियों से चर्चा के बाद मोदी की यह पहली अहम बैठक है।
मीटिंग में मोदी के साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के शामिल होने की भी उम्मीद है। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी और संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल होंगे। यह मीटिंग ऐसे समय बुलाई गई है जब दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से संसद के शीत सत्र को बजट सत्र के साथ मर्ज करने की चर्चा चल रही है।
मोदी ने वैक्सीन कंपनियों से कहा- लोगों को आसान शब्दों में समझाएं
मोदी कोरोना की स्थिति के साथ ही वैक्सीन डेवलपमेंट पर भी लगातार नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने 30 नवंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जेनोवा बायोफार्मा, बायोलॉजिकल ई और डॉ. रेड्डीज की टीमों से चर्चा की। प्रधानमंत्री ने इन्हें सलाह दी कि आम लोगों को वैक्सीन के असर जैसी बातों के बारे में आसान शब्दों में समझाने के लिए एक्स्ट्रा एफर्ट करें।
इससे पहले प्रधानमंत्री ने 28 नवंबर को पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट, अहमदाबाद के जायडस बायोटेक पार्क और हैदराबाद में भारत बायोटेक फैसिलिटी का दौरा कर वैक्सीन की तैयारियों का जायजा लिया था।
ये नेता शामिल हो सकते हैं
कांग्रेस से अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नबी आजाद
TMC के सुदीप बंदोपाध्याय और डेरेक ओ’ब्रायन
बीजू जनता दल से चंद्रशेखर साहू
YSRCP से विजयसाई रेड्डी और मिथुन रेड्डी
AIMIM से इम्तियाज जलील
शिवसेना से विनायक राउत
जदयू से आरसीपी सिंह
अन्नाद्रमुक से नवनीत कृष्णन
द्रमुक से TRK बालू और तिरुचि शिवा
जेडीएस से एचडी देवगौड़ा
राकांपा से शरद पवार
सपा से रामगोपाल यादव
बसपा से सतीशचंद्र मिश्रा
राजद से प्रेमचंद्र गुप्ता
TDP से जयदेव गल्ला
AAP से संजय सिंह
TRS से नाम नागेश्वर राव
लोक जनशक्ति पार्टी से चिराग पासवान
अकाली दल से सुखबीर बादल
देश में महामारी से 1.39 लाख मौतें
अब तक 95.71 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 90.15 लाख ठीक हो चुके हैं और 1.39 लाख ठीक हो चुके हैं। देश में कोरोना से 1.39 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। कुल 4.14 लाख एक्टिव केस बचे हैं, यानी इतने मरीजों का इलाज चल रहा है। यह आंकड़ा 21 जुलाई के बाद सबसे कम है। तब कुल 4.12 लाख एक्टिव केस थे।
देश में गुरुवार को कोरोना के 36 हजार 546 नए मरीज मिले। 42 हजार 973 ठीक हुए और 541 की मौत हुई। यह लगातार पांचवां दिन रहा जब 40 हजार से कम मरीज आए और इससे ज्यादा ठीक हुए। अब तक 95.71 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 90.15 लाख ठीक हो चुके हैं और 1.39 लाख की मौत हो चुकी है। कुल 4.14 लाख एक्टिव केस बचे हैं, यानी इतने मरीजों का इलाज चल रहा है। यह आंकड़ा 21 जुलाई के बाद सबसे कम है। तब कुल 4.12 लाख एक्टिव केस थे। ये आंकड़े covid19india.org से लिए गए हैं।
पश्चिम बंगाल में RT-PCR टेस्ट अब 950 रुपए में होगा
पश्चिम बंगाल में कोरोना का RT-PCR टेस्ट अब 950 रुपए में होगा। सरकार ने दो महीने में दूसरी बार इस टेस्ट के रेट कम किए हैं। अक्टूबर में इसकी कीमत 2250 रुपए से घटाकर 1250 रुपए की गई थी।
5 राज्यों का हाल
1. दिल्ली
यहां गुरुवार को 3734 केस आए, 4834 मरीज ठीक हुए और 82 की मौत हो गई। यहां अब तक 5.82 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 5.43 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं। 29 हजार 120 का इलाज चल रहा है। यहां अब तक 65 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। हर दिन 70 से 75 हजार जांच की जा रही हैं।
2. मध्यप्रदेश
यहां गुरुवार को 1450 केस आए, 1569 मरीज ठीक हुए और 13 की मौत हो गई। यहां अब तक 2.10 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 1.93 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं। 13 हजार 887 का इलाज चल रहा है। यहां अब तक 38 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। हर दिन 25 से 30 हजार जांच की जा रही हैं।
3. गुजरात
यहां गुरुवार को 1540 केस आए, 1417 मरीज ठीक हुए और 13 की मौत हो गई। यहां अब तक 2.14 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 1.95 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं। 14 हजार 823 का इलाज चल रहा है। यहां अब तक 80 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। हर दिन 65 से 70 हजार जांच की जा रही हैं।
4. राजस्थान
यहां गुरुवार को 2086 केस आए, 3232 मरीज ठीक हुए और 20 की मौत हो गई। यहां अब तक 2.74 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 2.46 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं। 25 हजार 544 का इलाज चल रहा है। यहां अब तक 45 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। हर दिन 35 से 40 हजार जांच की जा रही हैं।
5. महाराष्ट्र
यहां गुरुवार को 5182 केस आए, 8066 मरीज ठीक हुए और 115 की मौत हो गई। यहां अब तक 18.37 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 17.03 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं। 85 हजार 835 का इलाज चल रहा है। यहां अब तक 1 करोड़ 10 लाख टेस्ट किए जा चुके हैं। हर दिन 65 से 70 हजार जांच की जा रही हैं।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का आज 9वां दिन है। आंदोलन के चलते दिल्ली बॉर्डर पर 9 प्वाइंट पर ट्रैफिक बंद कर दिया गया है। केंद्र और किसानों के साथ गुरुवार को हुई बातचीत के बाद ही साफ हो गया था कि आंदोलन अभी थमेगा नहीं, क्योंकि चौथे दौर की इस बातचीत में भी कई मसलों पर गतिरोध बना हुआ है। केंद्र ने भरोसा तो दिलाया, लेकिन किसान कानून वापस करने की मांग पर अड़े रहे। उन्होंने कहा कि कानून वापस लेने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए। किसानों और सरकार के बीच पांचवें दौर की बातचीत 5 दिसंबर को होगी
केंद्र बोला- MSP रहेगी, किसान बोले- मुद्दा कानूनों का है
केंद्र और किसानों के बीच चौथे दौर की बातचीत करीब 7 घंटे चली। बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को भरोसा दिलाया कि मिनिमम सपोर्ट प्राइज (MSP) को छुआ नहीं जाएगा। इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। एक्ट के प्रावधानों में किसानों को सुरक्षा दी गई है। उनकी जमीन की लिखा-पढ़ी कोई नहीं कर सकता ।
किसानों ने कहा- मसला इकलौते MSP का नहीं, बल्कि कानून पूरी तरह वापस लेने का है। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि केवल एक नहीं, बल्कि कई मसलों पर बातचीत होनी चाहिए। केंद्र और किसानों के बीच अब पांचवें दौर की बातचीत 5 दिसंबर को होगी।
सरकार ने 7 घंटे में किसानों की 7 चिंताएं सुनीं, सिर्फ एक पर वादा किया, बाकी पर भरोसा दिलाया
किसानों की चिंताएं
सरकार का जवाब
MSP यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस बंद तो नहीं हो जाएगी?
MSP चल रही थी, चल रही है और आने वाले वक्त में भी चलती रहेगी।
APMC यानी एग्रीकल्चर प्रोड्यूसर मार्केट कमेटी खत्म तो नहीं हो जाएगी?
प्राइवेट मंडियां आएंगी, लेकिन हम APMC को भी मजबूत बनाएंगे।
मंडी के बाहर ट्रेड के लिए PAN कार्ड तो कोई भी जुटा लेगा और उस पर टैक्स भी नहीं लगेगा।
सरकार का वादा- ट्रेडर के रजिस्ट्रेशन को जरूरी करेंगे।
मंडी के बाहर ट्रेड पर कोई टैक्स नहीं लगेगा?
APMC मंडियों और प्राइवेट मंडियों में टैक्स एक जैसा बनाने पर विचार करेंगे।
विवाद SDM की कोर्ट में न जाए, वह छोटी अदालत है।
ऊपरी अदालत में जाने का हक देने पर विचार करेंगे।
नए कानूनों से छोटे किसानों की जमीन बड़े लोग हथिया लेंगे।
किसानों की सुरक्षा पूरी है। फिर भी शंकाएं हैं तो समाधान के लिए तैयार हैं।
बिजली संशोधित बिल और पराली जलाने पर सजा पर भी हमारा विरोध है।
सरकार विचार करने पर पूरी तरह राजी है।
चर्चा में किसानों का खाना और जलेबी
किसानों का रवैया ऐसा था कि बातचीत के दौरान लंच ब्रेक हुआ तो उन्होंने अपने साथ लाया खाना ही खाया। कहा- सरकार का चाय या खाना मंजूर नहीं। 1 दिसंबर की मीटिंग में भी किसानों को सरकार की तरफ से चाय ऑफर की गई तो उन्होंने कह दिया था कि चाय नहीं, मांगें पूरी कीजिए। आप धरनास्थल पर आइए, आपको जलेबी खिलाएंगे।
किसानों के समर्थन में प्रकाश सिंह बादल की अवॉर्ड वापसी
पंजाब के पूर्व CM और अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल (92) ने किसानों के समर्थन में पद्म विभूषण लौटा दिया है। बादल को 2015 में ये अवॉर्ड मिला था। बादल की पार्टी शिरोमणि अकाली दल 22 साल से NDA के साथ थी, लेकिन कृषि कानूनों के विरोध में सितंबर में गठबंधन से अलग हो गई थी। इससे पहले 17 सितंबर को हरसिमरत कौर बादल ने भी मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। उधर, शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) के प्रमुख और राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने भी पद्म भूषण अवॉर्ड लौटाने का ऐलान किया है।
किसानों ने आपत्तियों का 10 पेज का डॉक्यूमेंट तैयार किया
बुधवार को दिनभर किसानों ने 5 बार और सरकार ने 2 बार बैठकें कीं। किसानों ने कृषि कानूनों में आपत्तियों का 10 पेज का डॉक्यूमेंट तैयार किया। उधर, कुंडली बॉर्डर पहुंचे UP के किसान नेता राकेश टिकैत ने भी बुधवार को पंजाब के संगठनों से बैठक की। वहीं क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि सरकार कानूनों को खत्म करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाए। उन्होंने कहा कि 5 दिसंबर को देशभर में प्रदर्शन किए जाएंगे।
दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 6.48 करोड़ के पार हो गया। 4 करोड़ 53 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 15 लाख 11 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। फ्रांस जैसे यूरोपीय देशों में जहां संक्रमण कम हुआ है तो इटली इस मामले में पिछड़ गया है। यहां संक्रमण भी बढ़ रहा है और मौतें भी। गुरुवार को एक ही दिन में 993 लोगों की मौत हुई।
इटली में क्रिसमस पर भी प्रतिबंध
इटली में गुरुवार को संक्रमण की परेशान करने वाली तस्वीर सामने आई। यहां एक ही दिन में 993 लोगों की मौत हो गई। देश के अस्पतालों में हालात खराब हो रहे हैं। ज्यादातर अस्पतालों को अगर यही हालात रहे तो मेकशिफ्ट वॉर्ड बनाने होंगे। इस बीच इटली सरकार ने सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री गिसेप कोन्टे ने कहा कि क्रिसमस और न्यू ईयर पर आधी रात को होने वाली पार्टियां नहीं होंगी। एक शहर से दूसरे शहर तक यात्रा नहीं करे सकेंगे। पीएम ने कहा- महामारी शुरू होने के बाद एक दिन में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। लिहाजा, हम किसी तरह की ढील नहीं दे सकते। नए प्रतिबंधों के तहत सिर्फ वर्कर्स को कहीं आने-जाने की मंजूरी दी जाएगी।
बाइडेन अपील करेंगे
माना जा रहा है कि अमेरिका के प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन शपथ लेने के बाद अमेरिकी लोगों से 100 दिन तक मास्क लगाने की अपील करेंगे। इस बारे में उनकी कैम्पेन टीम रणनीति बना रही है। अमेरिका में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं और यहां मौतें भी कम नहीं हो रही है। कमला हैरिस भी कह चुकी हैं कि देश के लोगों को एकजुट होकर महामारी का सामना करना होगा।
ब्रिटेन की वैक्सीन पर सवाल
ब्रिटेन में जल्द वैक्सीन को मंजूरी देने के मामले में कुछ नेताओं ने सवाल उठाए हैं। ब्रिटेन सरकार ने दो दिन पहले फाइजर की वैक्सीन को मंजूरी दी थी। जर्मनी के हेल्थ मिनिस्टर जेन्स स्पाह्न ने कहा- हम भी जल्द वैक्सीन लाने के लिए हर संभव कोशश कर रहे हैं लेकिन, इसके लिए यूरोपीय यूनियन के मेडिकल रेग्युलेटर की मंजूरी बेहद जरूरी है। हम ये साफ कर देना चाहते हैं कि ब्रिटेन और यूरोपीय देशों के बीच इस मामले को लेकर कुछ फर्क है। हम जल्दबाजी का जोखिम नहीं ले सकते। हो सकता है इस महीने के आखिर तक हमारे पास भी एक सेफ वैक्सीन हो।
फेसबुक सतर्क
कोरोना वैक्सीन को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम तरह के दावे और वादे किए जा रहे हैं। अब फेसबुक ने इन मामलों पर सख्ती से एक्शन लेने का दावा किया है। फेसबुक ने एक बयान में कहा कि कई लोग वैक्सीन को लेकर गलत बातें फैला रहे हैं और यह आम लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। अब हर उस दावे की जांच की जाएगी जो इस बारे में किया जा रहा है। हम यही कोशिश करेंगे कि लोगों तक सिर्फ सही जानकारी पहुंचे।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का आज 9वां दिन है। आंदोलन के चलते दिल्ली बॉर्डर पर 9 प्वाइंट पर ट्रैफिक बंद कर दिया गया है। केंद्र और किसानों के साथ गुरुवार को हुई बातचीत के बाद ही साफ हो गया था कि आंदोलन अभी थमेगा नहीं, क्योंकि चौथे दौर की इस बातचीत में भी कई मसलों पर गतिरोध बना हुआ है। केंद्र ने भरोसा तो दिलाया, लेकिन किसान कानून वापस करने की मांग पर अड़े रहे। उन्होंने कहा कि कानून वापस लेने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए। किसानों और सरकार के बीच पांचवें दौर की बातचीत 5 दिसंबर को होगी
केंद्र बोला- MSP रहेगी, किसान बोले- मुद्दा कानूनों का है
केंद्र और किसानों के बीच चौथे दौर की बातचीत करीब 7 घंटे चली। बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को भरोसा दिलाया कि मिनिमम सपोर्ट प्राइज (MSP) को छुआ नहीं जाएगा। इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। एक्ट के प्रावधानों में किसानों को सुरक्षा दी गई है। उनकी जमीन की लिखा-पढ़ी कोई नहीं कर सकता ।
किसानों ने कहा- मसला इकलौते MSP का नहीं, बल्कि कानून पूरी तरह वापस लेने का है। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि केवल एक नहीं, बल्कि कई मसलों पर बातचीत होनी चाहिए। केंद्र और किसानों के बीच अब पांचवें दौर की बातचीत 5 दिसंबर को होगी।
सरकार ने 7 घंटे में किसानों की 7 चिंताएं सुनीं, सिर्फ एक पर वादा किया, बाकी पर भरोसा दिलाया
किसानों की चिंताएं
सरकार का जवाब
MSP यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस बंद तो नहीं हो जाएगी?
MSP चल रही थी, चल रही है और आने वाले वक्त में भी चलती रहेगी।
APMC यानी एग्रीकल्चर प्रोड्यूसर मार्केट कमेटी खत्म तो नहीं हो जाएगी?
प्राइवेट मंडियां आएंगी, लेकिन हम APMC को भी मजबूत बनाएंगे।
मंडी के बाहर ट्रेड के लिए PAN कार्ड तो कोई भी जुटा लेगा और उस पर टैक्स भी नहीं लगेगा।
सरकार का वादा- ट्रेडर के रजिस्ट्रेशन को जरूरी करेंगे।
मंडी के बाहर ट्रेड पर कोई टैक्स नहीं लगेगा?
APMC मंडियों और प्राइवेट मंडियों में टैक्स एक जैसा बनाने पर विचार करेंगे।
विवाद SDM की कोर्ट में न जाए, वह छोटी अदालत है।
ऊपरी अदालत में जाने का हक देने पर विचार करेंगे।
नए कानूनों से छोटे किसानों की जमीन बड़े लोग हथिया लेंगे।
किसानों की सुरक्षा पूरी है। फिर भी शंकाएं हैं तो समाधान के लिए तैयार हैं।
बिजली संशोधित बिल और पराली जलाने पर सजा पर भी हमारा विरोध है।
सरकार विचार करने पर पूरी तरह राजी है।
चर्चा में किसानों का खाना और जलेबी
किसानों का रवैया ऐसा था कि बातचीत के दौरान लंच ब्रेक हुआ तो उन्होंने अपने साथ लाया खाना ही खाया। कहा- सरकार का चाय या खाना मंजूर नहीं। 1 दिसंबर की मीटिंग में भी किसानों को सरकार की तरफ से चाय ऑफर की गई तो उन्होंने कह दिया था कि चाय नहीं, मांगें पूरी कीजिए। आप धरनास्थल पर आइए, आपको जलेबी खिलाएंगे।
किसानों के समर्थन में प्रकाश सिंह बादल की अवॉर्ड वापसी
पंजाब के पूर्व CM और अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल (92) ने किसानों के समर्थन में पद्म विभूषण लौटा दिया है। बादल को 2015 में ये अवॉर्ड मिला था। बादल की पार्टी शिरोमणि अकाली दल 22 साल से NDA के साथ थी, लेकिन कृषि कानूनों के विरोध में सितंबर में गठबंधन से अलग हो गई थी। इससे पहले 17 सितंबर को हरसिमरत कौर बादल ने भी मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। उधर, शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) के प्रमुख और राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने भी पद्म भूषण अवॉर्ड लौटाने का ऐलान किया है।
किसानों ने आपत्तियों का 10 पेज का डॉक्यूमेंट तैयार किया
बुधवार को दिनभर किसानों ने 5 बार और सरकार ने 2 बार बैठकें कीं। किसानों ने कृषि कानूनों में आपत्तियों का 10 पेज का डॉक्यूमेंट तैयार किया। उधर, कुंडली बॉर्डर पहुंचे UP के किसान नेता राकेश टिकैत ने भी बुधवार को पंजाब के संगठनों से बैठक की। वहीं क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि सरकार कानूनों को खत्म करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाए। उन्होंने कहा कि 5 दिसंबर को देशभर में प्रदर्शन किए जाएंगे।
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कहानी- संबंध कैसे निभाए जाते हैं, ये हम श्रीकृष्ण से सीख सकते हैं। श्रीकृष्ण के पौते अनिरुद्ध के विवाह की घटना है। उस समय यदुवंशी बारात लेकर भोजकट नगर गए थे। विवाह के समय श्रीकृष्ण के साले यानी रुक्मिणी के भाई रुक्मी ने बलराम को जुआ खेलने के लिए बुला लिया।
बलराम को जुआ खेलना ठीक से नहीं आता था, लेकिन उन्हें खेलना अच्छा लगता था। वे भी चौसर खेलने बैठ गए। बलराम शुरू-शुरू में हार रहे थे। इस वजह से रुक्मी बलराम का मजाक बना रहा था।
कुछ देर बाद खेल में बलराम जीत गए। तब रुक्मी ने मजाक उड़ाते हुए कहा, 'तुम ग्वाले क्या जीतोगे।'
रुक्मी अपनी हार मानने को तैयार नहीं था। वहां मौजूद दूसरे राजा भी रुक्मी के पक्ष में ही थे। सभी बलराम का ही अपमान कर रहे थे। श्रीकृष्ण दूर से ही ये सब देख रहे थे।
अपनी जीत को अपमानित होता देख बलराम को गुस्सा आ गया। उन्होंने मुद्गर उठाया और रुक्मी के सिर पर एक वार कर दिया। मुद्गर लगते ही रुक्मी मर गया।
विवाह उत्सव में हत्या हो गई। वहां मौजूद सभी लोग परेशान होने लगे कि अब क्या होगा? किसी तरह सभी ने एक-दूसरे को समझाया। हालात को सामान्य करने की कोशिश की।
उस समय सबसे बड़ी परेशानी श्रीकृष्ण के सामने थी। उनके भाई ने पत्नी के भाई की हत्या कर दी थी। अगर वे भाई के पक्ष में बोलते हैं तो रुक्मिणी को बुरा लगेगा। और अगर वे पत्नी के भाई की पक्ष में बोलते हैं तो बलराम को बुरा लगेगा। उस समय श्रीकृष्ण मौन रह गए। किसी के पक्ष-विपक्ष में कुछ नहीं कहा।
श्रीकृष्ण जानते थे कि परिवार में कभी इस तरह की घटना घट जाए तो समय बीतना चाहिए। समय ही इस तरह के घाव भर सकता है। कुछ ही दिनों में जब सबकुछ शांत हुआ, तब श्रीकृष्ण ने बलराम से बात की।
श्रीकृष्ण बोले, 'जब विवाह का मांगलिक अवसर था, तब भैया आपको गलत काम नहीं करना था। आप जुआ खेलने बैठ गए। विवाह के समय इस तरह के गलत काम नहीं करना चाहिए।'
इसके बाद उन्होंने पत्नी रुक्मिणी से कहा, 'हम बारात लेकर आपके भाई के घर आए थे। आपके भाई ने मेहमानों का अपमान किया। हमें मेहमानों का सम्मान करना चाहिए।'
सीख- यहां श्रीकृष्ण ने हमें यही समझाया है कि घर-परिवार में मतभेद होते हैं तो समझदारी से काम लेना चाहिए। जब मामला एकदम गर्म हो तब शांति से काम लेना चाहिए। समय के साथ सब ठीक हो सकता है।
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 3 मैच की टी-20 सीरीज का पहला मैच आज कैनबरा में खेला जाएगा। ऑस्ट्रेलियाई जमीन पर टीम इंडिया का रिकॉर्ड शानदार रहा है। दोनों के बीच यहां खेले गए 9 में से 5 मैच भारत ने जीते हैं। वहीं, पिछली बार जब सिडनी में दोनों टीमें आमने-सामने हुईं थीं, तब भी भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 6 विकेट से मात दी थी।
दूसरी ओर, दोनों देशों के बीच हुए कुल 21 मैच हुए हैं। जिसमें भारत ने 11 और ऑस्ट्रेलिया ने 8 मुकाबले जीते हैं। 2 मैच बेनतीजा रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया में 12 साल से सीरीज नहीं हारा भारत
पिछले 12 साल से भारत, ऑस्ट्रेलिया में कोई टी-20 सीरीज नहीं हारा है। पिछली बार 2018 में जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था, तब सीरीज 1-1 से बराबर रही थी। वहीं, 4 साल पहले भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 3-0 से क्लीन स्वीप किया था।
बल्लेबाजी का दारोमदार कोहली पर
टीम इंडिया की बल्लेबाजी का दारोमदार एक बार फिर से कप्तान विराट कोहली पर होगा। कोहली ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 64 से ज्यादा के औसत से 584 रन बनाए हैं, जिसमें एक अर्धशतक शामिल हैं। इसके बाद उप-कप्तान लोकेश राहुल का नंबर आता है, जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 19 मैच में 318 रन बनाए हैं।
ओपनर शिखर धवन, श्रेयस अय्यर और मनीष पांडे पर भी टीम को बड़े स्कोर तक पहुंचाने का जिम्मा होगा। वहीं, शानदार फॉर्म में चल रहे हार्दिक पंड्या से भी टीम को ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की उम्मीद होगी।
बुमराह-जडेजा पर बॉलिंग का जिम्मा
भारत वनडे में बुरी तरह फ्लॉप रही गेंदबाजी में सुधार करना चाहेगा। आखिरी वनडे में शानदार प्रदर्शन करने वाले शार्दूल ठाकुर टी-20 टीम में भारत का हिस्सा नहीं हैं। ऐसे में एक बार फिर बॉलिंग का जिम्मा जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी पर होगा। टी नटराजन और नवदीप सैनी में से किसी एक को प्लेइंग इलेवन में जगह मिल सकती है।
स्पिन बॉलिंग अटैक की बात करें, तो कुलदीप यादव भी टी-20 टीम का हिस्सा नहीं हैं। ऐसे में युजवेंद्र चहल और रविंद्र जडेजा फिरकी गेंदबाजी का मोर्चा संभालेंगे। वहीं, टीम वॉशिंगटन सुंदर को भी मौका दे सकती है।
मौसम और पिच रिपोर्ट
कैनबरा में आसमान साफ रहेगा। अधिक तापमान 28 डिग्री और न्यूनतम तापमान 11 डिग्री रहने की संभावना है। मानुका ओवल की पिच से बल्लेबाजों को मदद मिल सकती है। यहां हुए पिछले मुकाबलों पर नजर डाले, तो बल्ले और बॉल के बीच रोमांचक मुकाबला देखने को मिल सकता है। यह चेज करने वाली टीम का सक्सेस रेट 50% है।
पेपर वेस्ट के बारे में हम सब जानते हैं, लेकिन शायद ये नहीं जानते हैं कि प्लास्टिक की तरह पेपर इंडस्ट्री भी प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। भले ही हम आज पेपर लैस कल्चर की बात करें लेकिन विश्व भर में कागज की जरूरत को पूरा करने के लिए हर दिन पेड़ काटे जा रहे हैं।
कागज से बनने वाले ज्यादातर ऐसे प्रोडक्ट हैं जो वन टाइम यूज होते हैं, इसके बाद यह सीधा कचरे में मिलकर लैंड फिल साइट्स तक पहुंचते हैं। देश में कागज का उत्पादन काफी बड़े स्तर पर होता है लेकिन इसे रिसाइकल और रीयूज बहुत कम लोग ही करते हैं।
राजस्थान के जयपुर में रहने वाली नीरजा पालीसेट्टी उनमें से एक हैं जो पेपर वेस्ट को रिसाइकल कर खूबसूरत प्रोडक्ट्स तैयार कर रही हैं। नीरजा कागज के जरिए दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले कई खूबसूरत प्रोडक्ट बना रही हैं। इसके लिए वो पेपर इंडस्ट्री से बचने वाले वेस्ट पेपर का इस्तेमाल करती हैं।
इस तरह से कागज की बुनाई करने के उनके इनोवेटिव तरीके से बड़े स्तर पर कागज के कचरे का प्रबंधन करने में मदद मिल रही है। नीरजा कहती हैं, ‘मैं एक टेक्सटाइल इनोवेटर हूं और मुझे एकेडमिक और इंडस्ट्री में 18 साल का अनुभव है। हम ऐसा फैब्रिक तैयार करते हैं जो अन-कन्वेंशनल मटेरियल से बनता है।
आमतौर पर फैब्रिक लेनिन, वुल या कॉटन बेस्ड होता है। पर हम ये सब इस्तेमाल न करके अपने आसपास मौजूद पेपर वेस्ट की बुनाई करते हैं और इस पेपर वेस्ट का इस्तेमाल कर उसका धागा बनाते हैं। नीरजा बताती हैं, ‘मैं बुनकरों के परिवार से ताल्लुक रखती हूं। क्राफ्ट मुझे विरासत में मिला लेकिन मैं हमेशा ही पुरानी और बेकार चीजों से कोई उपयोगी चीज बनाती रहती थी।
मेरे पापा खुद एक नामी टेक्सटाइल डिजायनर रहे हैं, वो खुद NID से पढ़े हुए हैं और वहां पढ़ा भी चुके हैं। वो मेरे गाइड भी रहे हैं। आर्ट और क्राफ्ट के प्रति लगाव पिता से ही मिला है। उन्होंने अलग मटेरियल से एक्सप्लोर करने का बहुत शौक रहा है। उनकी गाइडेंस में ही मैंने रिसर्च की और समझ में आया कि पेपर वीविंग कोई नई तकनीक नहीं है।
ये काफी पुरानी जापानी पद्धति पर आधारित तकनीक रह चुकी है। अभी भी वहां कई आर्टिस्ट इस तकनीक पर काम करते हैं। मुझे इस आर्ट ने प्रभावित किया क्योंकि मुझे ये पेपर वेस्ट मैनेजमेंट का काफी अच्छा विकल्प लगा।’
नीरजा बताती हैं ‘मैं पेपर री-साइक्लिंग पर रिसर्च कर रही थी कि कैसे पेपर वेस्ट को उपयोगी उत्पाद बनाने के लिए काम में लिया जा सकता है। इस विषय पर मेरा एक रिसर्च पेपर भी पब्लिश हुआ है। मुझे जब जापान के पेपर वीविंग कॉन्सेप्ट के बारे में पता चला तो लगा कि इसे भारतीय परिवेश में इस्तेमाल किया जा सकता है।
मैंने सबसे पहले इसकी तकनीक को समझा और सीखा। फिर सबसे पहले मैंने खुद ही कागज के कचरे को इकट्ठा करके इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर प्रोसेस किया और फिर हैंडलूम पर खुद अपने हाथों से इससे धागा बनाया, जब प्रयोग सफल रहा तो मैंने स्टार्टअप की नींव रखी।’
करीब 10 साल तक पेपर वीविंग तकनीक पर रिसर्च के बाद 2016 में नीरजा ने ‘सूत्रकार क्रिएशन’ की शुरुआत की। नीरजा कहती हैं कि एक दिन मैं, मेरे पापा और मेरे पति बैठे और तय किया कि नाम क्या होगा। हम इंग्लिश टू हिंदी, इंग्लिश टू संस्कृत डिक्शनरी लेकर बैठे। मुझे कुछ ऐसा नाम रखना था जो हमारे भारतीय कल्चर और साथ ही हमारे काम को रि-प्रेजेंट करे।
तो कई नामों के बाद सूत्रकार पर आए। सूत्रकार का अर्थ होता है जो बुनाई करता है। और दूसरा है सूत्रों को आकार देना। पेपर पर लिखा हुआ भी सूत्र होता है और हम उसको आकार देते हैं। और हम अपने स्टार्टअप के जरिए कागज की बुनाई करके ही प्रोडक्ट्स तैयार करते हैं।
नीरजा के इस स्टार्टअप ने अपने सपनों को तो हकीकत में बदला ही साथ ही उन लोगों को भी काम दिया जो चरखा चलाकर बुनाई का काम करते हैं। नीरजा के स्टार्टअप में तीन वीवर, एक हेल्पर और 4 इंटर्न हैं। इसके अलावा तीन महिलाएं भी हैं जो घर बैठे चरखे से कागज का धागा बनाकर देती हैं।
कागज के इस धागे को बुनकर आर्टिसन फैब्रिक बनाते हैं, जिससे आगे नए-नए प्रोडक्ट्स बनाए जा रहे हैं। सूत्रकार क्रिएशन्स आज के समय में 40 से ज्यादा तरह के प्रोडक्ट्स तैयार करता है।
नीरजा कहती हैं, ‘अमूमन लोग सोचते हैं कि कागज के बने प्रोडक्ट ज्यादा मजबूत नहीं होते हैं। मैं बताना चाहूंगी कि पेपर जितना वर्सेटाइल और कोई और मटेरियल नहीं होता है। आप अखबार को पानी में डुबो दें तो भी वो पूरी तरह से नहीं गलता है। और जब इसे काटकर ट्विस्ट और स्पिन करते हैं तो और भी स्ट्रॉन्ग हो जाता है फिर उसकी स्ट्रेंथ कपड़े नुमा ही होती है। जब कागज से धागा बनाया जाता है और फिर फैब्रिक तो यह काफी मजबूत हो जाता है।’
नीरजा कागज से क्लच, लैंपशेड,फोटो फ्रेम, बुकमार्क, डायरी, स्केच बुक, पेनस्टैंड आदि बना रहीं हैं। इन प्रोडक्ट्स की कीमत 300 रुपए से लेकर 10 हजार रुपए तक है। नीरजा कहती हैं कि भारत में एक क्लास और सेगमेंट के लोग ही हमारे प्रोडक्ट को खरीदते हैं, विदेशों से ज्यादा आर्डर आते हैं। मास मार्केट तक पहुंचने के लिए हमें अभी और बड़े स्तर पर आना होगा, तब जाकर कीमतें कम होंगी, इसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं।
नीरजा अपने प्रोडक्ट्स के रॉ मटेरियल स्क्रैप डीलर और पेपर इंडस्ट्री से लेती हैं। इसके अलावा वो घरों से भी अखबार इकट्ठा करतीं हैं। वो कहती हैं कि आपके आस-पास ही कई मौके होते हैं बस आपको इन मौकों पर ध्यान देने और इन पर काम करने की जरूरत है।
सूत्रकार क्रिएशंस का पिछले साल का टर्नओवर करीब 15 लाख रुपए रहा था। इस बार उससे 25 प्रतिशत और ज्यादा की उम्मीद है। क्योंकि अब लोगों में सस्टेनेबल के प्रति अवेयरनेस बढ़ी है। ऐसे में हमारे बनाए प्रोडक्ट लोगों को काफी फैसिनेट करते हैं। इसके अलावा दूसरी वजह यह भी है कि पेपर फैब्रिक पर कोविड वायरस नहीं रहता है। इसको सैनिटाइज करने मात्र से यह बैक टू नॉर्मल हो जाता है।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 9वां दिन है। किसान दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हैं और उनके खेतों को संभाल रही हैं घर की औरतें। पत्नी, बहनों, मांओं ने गांव में वो जिम्मेदारी संभाल रखी है, जो पुरुष संभाल रहे थे। न घर सूना है और ना खेत। पटियाला के अगेता गांव की इन फोटोज में देखिए कि किस तरह से महिलाओं ने गांवों में संभाला मोर्चा...
गांव के ही भारतीय किसान यूनियन के नेता हरविंदर सिंह साथियों के साथ बहादुरगढ़ के टीकरी बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। उनके साथ ही गांव के 10 परिवारों से किसान आंदोलन में गए हैं। पर मर्दों की गैरमौजूदगी में कुछ भी थमा नहीं है। मवेशियों के लिए चारे का इंतजाम हो या फिर खेती-किसानी का जिम्मा, महिलाओं ने सब संभाल रखा है।
सिंदर कौर, महिंदर कौर, परमजीत कौर, शरणजीत कौर, तेज कौर, जसविंदर कौर और मुख्तियार कौर के अलावा दूसरी महिलाएं सुबह के चार बजे से ही फसल की सिंचाई करतीं, खाद डालती नजर आती हैं। सिंदर कौर और महिंदर कौर कहती हैं कि परिवार के लोग हक की लड़ाई लड़ रहे हैं तो हम भी इस संघर्ष में पीछे क्यों रहें। खेतीबाड़ी का जिम्मा संभाल लिया है।
कोरोना की वैक्सीन का इंतजार अब बस खत्म ही होने वाला है। यूके में फाइजर और बायोएनटेक की वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है। एक और अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना ने भी वैक्सीन के इमरजेंसी यूज के लिए एप्रूवल मांगा है। ये दोनों ही वैक्सीन मैसेंजर-RNA यानी mRNA पर बेस्ड टेक्नोलॉजी पर डेवलप की गई हैं और दोनों ही 95% तक इफेक्टिव भी हैं। इस तरह की वैक्सीन mRNA का इस्तेमाल करती हैं, जो शरीर को बताती हैं कि वायरस से लड़ने के लिए किस तरह का प्रोटीन बनाना है? लेकिन ये टेक्नोलॉजी क्या है? और इसे किसने बनाया है?
पहले बात क्या होती है mRNA टेक्नोलॉजी?
mRNA या मैसेंजर-RNA जेनेटिक कोड का एक छोटा सा हिस्सा है, जो हमारी सेल्स (कोशिकाओं) में प्रोटीन बनाती है। इसे आसान भाषा में ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब हमारे शरीर पर कोई वायरस या बैक्टीरिया हमला करता है, तो mRNA टेक्नोलॉजी हमारी सेल्स को उस वायरस या बैक्टीरिया से लड़ने के लिए प्रोटीन बनाने का मैसेज भेजती है। इससे हमारे इम्यून सिस्टम को जो जरूरी प्रोटीन चाहिए, वो मिल जाता है और हमारे शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है।
इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे कन्वेंशनल वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा जल्दी वैक्सीन बन सकती है। इसके साथ ही इससे शरीर की इम्युनिटी भी मजबूत होती है। ये पहली बार है जब mRNA टेक्नोलॉजी पर बेस्ड वैक्सीन दुनिया में बन रही है।
अब आते हैं mRNA टेक्नोलॉजी डेवलप करने वाले वैज्ञानिकों पर...
1. कैटलिन कारिकोः जिन्होंने mRNA टेक्नोलॉजी बनाई
कैटलिन कारिको का जन्म 17 अक्टूबर 1955 को हंगरी में हुआ। कारिको ने कई सालों तक हंगरी की सेज्ड यूनिवर्सिटी में RNA पर काम किया। 1985 में उन्होंने अपनी कार ब्लैक मार्केट में 1200 डॉलर में बेच दी और अमेरिका आ गई। यहां आकर उन्होंने पेन्सिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में mRNA टेक्नोलॉजी पर काम शुरू किया।
mRNA की खोज तो 1961 में हो गई थी, लेकिन अब भी वैज्ञानिक इसके जरिए ये पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि इससे शरीर में प्रोटीन कैसे बन सकता है? कारिको इसी पर काम करना चाहती थीं। लेकिन उनके पास फंडिंग की कमी थी। 1990 में पेन्सिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में कारिको के बॉस ने उनसे कहा कि आप या तो जॉब छोड़ दें या फिर डिमोट हो जाएं। कारिको का डिमोशन कर दिया गया। कारिको पुरानी बीमारियों की वैक्सीन और ड्रग्स बनाना चाहती थीं।
उसी समय दुनियाभर में भी इस बात की रिसर्च चल रही थी कि क्या mRNA का इस्तेमाल वायरल से लड़ने के लिए खास एंटीबॉडी बनाने के लिए किया जा सकता है? 1997 में पेन्सेल्वेनिया यूनिवर्सिटी में ड्रू विसमैन आए। ड्रू मशहूर इम्युनोलॉजिस्ट थे। ड्रू ने कारिको को फंडिंग की। बाद में दोनों ने पार्टनरशिप करके इस टेक्नोलॉजी पर काम शुरू किया। 2005 में ड्रू और कारिको ने एक रिसर्च पेपर छापा, जिसमें दावा किया कि मॉडिफाइड mRNA के जरिए इम्युनिटी बढ़ाई जा सकती है, जिससे कई बीमारियों की दवा और वैक्सीन भी बन सकती है।
हालांकि, उनकी इस रिसर्च पर कई सालों तक किसी ने ध्यान नहीं दिया। 2010 में अमेरिकी वैज्ञानिक डैरिक रोसी ने मॉडिफाइड mRNA से वैक्सीन बनाने के लिए बायोटेक कंपनी मॉडर्ना खोली। 2013 में कारिको को जर्मन कंपनी बायोएनटेक में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अपॉइंट किया गया। इस टेक्नोलॉजी के लिए डैरिक रोसी ने कैटलिन कारिको और ड्रू विसमैन को नोबेल प्राइज देने की मांग भी की है।
2. उर साहिन और ओजलोम टुरैसीः बायोएनटेक कंपनी शुरू की
तुर्की के रहने वाले उर साहिन और उनकी पत्नी ओजलोम टुरैसी पहले वैज्ञानिक एंटरप्रेन्योर हैं। उर साहिन जब 4 साल के थे, तभी अपने माता-पिता के साथ जर्मनी आ गए। जबकि, टुरैसी का जन्म तुर्की के फिजिशियन के घर हुआ था। टुरैसी पहले नन बनना चाहती थीं।
उर साहिन और ओजलोम टुरैसी ने 2008 में जर्मनी में बायोएनटेक कंपनी की शुरुआत की। उर कंपनी के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर हैं और उनकी पत्नी चीफ मेडिकल ऑफिसर। शुरुआत में उर और उनकी पत्नी कैंसर के इलाज के लिए मोनोकोलेन एंटीबॉडी पर रिसर्च कर रहे थे। बाद में उन्होंने mRNA टेक्नोलॉजी पर रिसर्च शुरू की।
बिहार विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद अब BJP का पूरा ध्यान पश्चिम बंगाल में अगले साल अप्रैल-मई में होने वाले चुनावों पर है। ममता अपने ठोस अल्पसंख्यक वोट बैंक के समर्थन से लगभग दस साल से सत्ता में हैं। लेकिन इस बार असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के भी बंगाल चुनावों में उतरने के ऐलान से तमाम समीकरण गड़बड़ाते नजर आ रहे हैं।
अब राजनीतिक हलकों में सवाल उठने लगा है कि क्या ओवैसी ममता के वोट बैंक में सेंध लगा कर उनका खेल बिगाड़ेंगे, क्या इससे BJP को सत्ता हासिल करने में मदद मिलेगी। हालांकि तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और सीपीएम ने ओवैसी के चुनाव मैदान में उतरने को खास तवज्जो नहीं दी है।
दूसरी ओर, BJP ने भी कहा है कि उसे बंगाल की सत्ता हासिल करने के लिए AIMIM या किसी और की सहायता की जरूरत नहीं है। लेकिन अंदरखाने तमाम दल ओवैसी की ओर से मिलने वाली चुनौतियों की काट के लिए रणनीति बनाने में जुट गए हैं।
बिहार के चुनावी नतीजों के बाद ओवैसी ने BJP को हराने के लिए ममता को चुनाव पूर्व गठजोड़ का भी प्रस्ताव दिया था। लेकिन ममता और उनकी तृणमूल कांग्रेस ने इसे खारिज कर दिया है। इससे पहले ममता बनर्जी ओवैसी पर बीजेपी से पैसे लेकर बंगाल में पांव जमाने के आरोप भी लगा चुकी हैं।
बिहार चुनावों में वैसे तो बीजेपी के साथ ही सीपीआई (एम-एल) का प्रदर्शन भी बढ़िया रहा है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि बंगाल चुनावों से पहले यहां सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है बिहार के सीमांचल इलाके में महज पांच सीटें जीतने वाली ओवैसी की पार्टी की।
दरअसल, हाल के वर्षों में BJP के मजबूत होने के साथ बंगाल में जिस तेजी से धार्मिंक आधार पर धुव्रीकरण तेज हुआ है, उसमें ओवैसी की मौजूदगी खास कर सत्तारुढ़ पार्टी के समीकरणों को बिगाड़ने करने में सक्षम है।ओवैसी की पार्टी इन चुनावों में कितना असर डाल पाएगी, लाख टके के इस सवाल का जवाब तो बाद में मिलेगा। लेकिन राज्य के जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उसका मैदान में उतरना काफी अहम है।
2011 की जनगणना के मुताबिक, पश्चिम बंगाल की कुल आबादी में 27.01 फीसदी मुस्लिम थे। अब यह आंकड़ा 30 फीसदी के करीब पहुंच गया है। बांग्लादेश सीमा से लगे राज्य के जिलों में मुस्लिमों आबादी बहुतायत में है। मुर्शिदाबाद, मालदा और उत्तर दिनाजपुर में तो इस तबके के लोगों की आबादी कुल आबादी की आधी या उससे ज्यादा है। इनके अलावा दक्षिण और उत्तर 24-परगना जिलों में भी इनका खासा असर है। विधानसभा की 294 सीटों में से 100 से 110 सीटों पर इसी तबके के वोट निर्णायक हैं।
2006 तक राज्य का मुस्लिम वोट बैंक पर वाम मोर्चा का कब्जा था। लेकिन उसके बाद यह लोग धीरे-धीरे ममता की तृणमूल कांग्रेस के प्रति आकर्षित हुए और 2011 और 2016 में इसी वोट बैंक की बदौलत ममता सत्ता में बनी रहीं। लेकिन बीजेपी की ओर से मिलती मजबूत चुनौती के बीच अब ओवैसी के यहां चुनावी राजनीति में उतरने की वजह से ममता बनर्जी सरकार के लिए नया सिरदर्द पैदा होने का अंदेशा है।
हालांकि सत्ता में रहने के दौरान ममता लगातार अल्पसंख्यकों की सहायता के लिए दर्जनों योजनाएं शुरू कर चुकी हैं। इनमें अल्पसंख्यकों के मदरसों को सरकारी सहायता, इस तबके के छात्रों के लिए स्कॉलरशिप और मौलवियों को आर्थिक मदद भी शामिल है। इसी वजह से बीजेपी समेत तमाम राजनीतिक दल उनके खिलाफ तुष्टिकरण की राजनीति के आरोप लगाते रहे हैं।
राज्य के मुस्लिम नेताओं का कहना है कि AIMIM के यहां चुनाव लड़ने से समीकरणों में बदलाव होने की संभावना है। 'मिशन पश्चिम बंगाल' के लिए AIMIM राष्ट्रीय प्रवक्ता असीम वकार कहते हैं कि पार्टी ने राज्य में 23 जिलों में से 22 में अपनी यूनिट बनाई हैं। फिलहाल एक सर्वेक्षण किया जा रहा है। उसके बाद ही तय किया जाएगा कि पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
वैसे, हाल के दिनों में अल्पसंख्यकों के एक तबके में तृणमूल कांग्रेस के प्रति नाराजगी बढ़ी है। ऐसे में ओवैसी की मौजूदगी ऐसे लोगों को एक नया विकल्प मुहैया करा सकती है। दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस ने ओवैसी और उनकी पार्टी पर हमले तेज कर दिए हैं।
पार्टी के प्रवक्ता सांसद सौगत राय कहते हैं, अब AIMIMका असली चेहरा अल्पसंख्यकों के सामने आ गया है। बिहार में ओवैसी की पार्टी ने अल्पसंख्यक वोटों में सेंध लगा कर बीजेपी को सत्ता हासिल करने में मदद की है। लेकिन बिहार और बंगाल के मुसलमानों में काफी फर्क है। ओवैसी को यहां वैसी कामयाबी नहीं मिलेगी। राय दावा करते हैं कि ओवैसी का असर हिंदी और उर्दूभाषी मुसलमानों पर तो कुछ असर है। लेकिन बांग्ला भाषियों पर उनका कोई असर नहीं होगा।
शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम AIMIM को एक सांप्रदायिक ताकत करार देते हुए कहते हैं। बीजेपी ने उसे वोटकटवा पार्टी के तौर पर बंगाल के चुनाव मैदान में उतरने के लिए मनाया है। यह पार्टी भी बीजेपी की तरह विभाजन की राजनीति के भरोसे आगे बढ़ रही हैं। राज्य सरकार में मंत्री और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष सिद्दीकुला चौधरी दावा करते हैं कि बंगाल के मुसलमान राजनीति तौर पर काफी सचेत और परिपक्व हैं। वे किसी बाहरी पार्टी और बीजेपी की बी टीम का समर्थन नहीं करेंगे।
बीजेपी की चुनावी जीत के लिए मुस्लिम वोटों का विभाजन काफी अहम है। लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय कहते हैं,'हमें बंगाल में जीतने के लिए किसी बी या सी टीम की जरूरत नहीं है। पार्टी अपने बूते यहां दौ सौ से ज्यादा सीटें जीतेगी।
बीजेपी के प्रदेश अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष अली हुसैन भी दावा करते हैं, हमें अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए ओवैसी की पार्टी की जरूरत नहीं है। बीते लोकसभा चुनाव के नतीजों से साफ है कि बंगाल में अब इस तबके के वोट भी बीजेपी को मिल रहे हैं। अगले साल के विधानसभा चुनावो में भी पार्टी को पांच से दस फीसदी मुस्लिम वोट मिलेंगे।
सीपीएम के वरिष्ठ नेता मोहम्मद सलीम कहते हैं, 'अगर बीजेपी और मीडिया ओवैसी को बढ़ावा नहीं दें तो उनकी पार्टी बंगाल की राजनीति में कोई छाप नहीं छोड़ सकेगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी तो पहले ही AIMIM को बीजेपी की बी-टीम बता चुके हैं। वह कहते हैं कि ओवैसी की पार्टी का एकमात्र लक्ष्य मुस्लिम वोटों का विभाजन कर धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों को नुकसान पहुंचाना है। इसका फायदा बीजेपी को ही मिलेगा।
ऑल बंगाल माइनॉरिटी यूथ फेडरेशन के महासचिव मोहम्मद कमरुज्जमां कहते हैं, 'लंबे अरसे से तृणमूल कांग्रेस का समर्थन करने वाले मुसलमानों का अब उससे मोहभंग हो रहा है। उनका दावा है कि बंगाली मुसलमानों में भी ओवैसी का खासा असर है। ओवैसी ने कभी बीजेपी के साथ किसी तरह का समझौता नहीं किया है। दिलचस्प बात यह है कि कमरुज्जमां ने 2019 के लोकसभा चुनावों में मुस्लिम तबके से तृणमूल को वोट देने की अपील की थी।
3 दिसंबर 1971 को भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हुआ। इसके अगले ही दिन इंडियन नेवी ने भी पाकिस्तान पर हमला बोल दिया। इंडियन नेवी ने 4 दिसंबर को पाकिस्तान की नेवी पर पहला हमला जरूर किया था, लेकिन इसकी तैयारी कई महीनों पहले से शुरू हो गई थी।
हुआ ये था कि लड़ाई शुरू होने से पहले अक्टूबर 1971 में उस समय के नेवी प्रमुख एडमिरल एसएम नंदा प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलने गए। उन्होंने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से पूछा, "अगर हम कराची पर हमला करें, तो क्या इससे सरकार को राजनीतिक रूप से कोई आपत्ति हो सकती है?"
इस पर प्रधानमंत्री ने पूछा कि आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं? इसके जवाब में एडमिरल एसएम नंदा ने कहा, "1965 में नेवी से खासतौर से कहा गया था कि वो भारतीय समुद्री सीमा से बाहर कोई कार्रवाई न करे।" इस पर इंदिरा गांधी ने कहा, "इफ देयर इज अ वॉर, देयर इज अ वॉर।" यानी अगर लड़ाई है, तो लड़ाई है।
इसके बाद 2 दिसंबर 1971 को पूरा वेस्टर्न फ्लीट मुंबई से निकल गया। इस बेड़े में INS निपात, INS वीर और INS निर्घट शामिल थे। हर बोट पर 4-4 मिसाइलें थीं। इनके ठीक पीछे INS किल्टन भी चल रहा था। 4 दिसंबर की रात ठीक 10 बजकर 40 मिनट पर INS निर्घट ने पाकिस्तान के जहाज PNS खैबर पर पहली मिसाइल दागी।
मिसाइल लगते ही खैबर हिल गया। उसमें मौजूद जवानों को पता ही नहीं चला कि हमला कहां से हुआ है? उन्हें लगा कि लड़ाकू विमान से हमला हुआ है। वो कुछ सोच पाते कि तभी थोड़ी देर बाद दूसरी मिसाइल चली और खैबर डूब गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी नेवी के 222 जवान इसमें मारे गए।
रात 11 बजे INS निपात ने पाकिस्तान के MV वीनस चैलेंजर और PNS शाहजहां पर दो मिसाइल दागी। वीनस चैलेंजर तबाह हो गया और शाहजहां को बहुत नुकसान पहुंचा। उधर 11:20 मिनट पर INS वीर ने PNS मुहाफिज पर मिसाइल दागी। मुहाफिज तुरंत डूब गई और इसमें मौजूद 33 जवानों की मौत हो गई। इसी बीच INS निपात कराची पोर्ट की तरफ बढ़ता गया। कराची पोर्ट पाकिस्तान के लिहाज से बहुत खास था।
क्योंकि इसके एक तरफ पाकिस्तान नेवी का हेडक्वार्टर था और दूसरी तरफ तेल भंडार। INS निपात ने पोर्ट की ओर दो मिसाइल दागी। एक मिसाइल चूक गई, जबकि दूसरी सीधे तेल के टैंक में जाकर लगी। जबरदस्त विस्फोट हुआ। बताते हैं कि विस्फोट इतना जबरदस्त था कि आग की लपटों को 60 किमी की दूरी से भी देखा जा सकता था।
करीब 5 दिन तक ये पूरा ऑपरेशन चला। नेवी ने इसे "ऑपरेशन ट्राइडेंट" नाम दिया। इस पूरे ऑपरेशन में भारत को कोई नुकसान नहीं पहुंचा, जबकि पाकिस्तान के कई जवान इसमें मारे गए जबकि उसके तेल टैंक तबाह हो गए। 4 दिसंबर को शुरू हुए इस ऑपरेशन की वजह से ही हर साल 4 दिसंबर को "नेवी डे" मनाया जाता है।
आज ही 96 साल पहले हुआ था गेटवे ऑफ इंडिया का उद्घाटन
मुंबई की मशहूर जगहों में से एक गेटवे ऑफ इंडिया का उद्घाटन 4 दिसंबर 1924 को हुआ था। गेटवे ऑफ इंडिया को किसी भारतीय राजा-रानी नहीं, बल्कि ब्रिटेन के राजा-रानी की याद में बनाया गया था। दरअसल, 2 दिसंबर 1911 को ब्रिटेन के राजा जॉर्ज-V और क्वीन मैरी पहली बार भारत आए थे। वो समुद्री रास्ते से मुंबई पहुंचे थे। ये पहली बार था जब ब्रिटेन के राजा-रानी भारत आए थे। उन्हीं की याद में गेटवे ऑफ इंडिया बना।
31 मार्च 1913 को गेटवे ऑफ इंडिया की आधारशिला बॉम्बे (अब मुंबई) के तब के राज्यपाल सर जॉर्ज सिडेनहैम क्लार्क ने रखी थी। इसको जॉर्ज विटेट ने डिजाइन किया था। ये स्मार्क 26 मीटर ऊंची है और इसमें 4 मीनारें हैं। इसका केवल एक गुम्बद बनाने में ही 21 लाख रुपए का खर्च आया था। इसको बनाने में 11 साल से भी ज्यादा का समय लग गया था।
ब्रिटिश राज में गेटवे ऑफ इंडिया से ही ब्रिटेन के लोग आया-जाया करते थे। 1947 में जब भारत को आजादी मिली, तो यहीं से अंग्रेजों का आखिरी जहाज इंग्लैंड के लिए रवाना हुआ था।
भारत और दुनिया में 4 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं:
1860 : गोवा में मरगाव के निवासी ऑगस्टिनो लॉरेंसो ने पेरिस विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि ली। वो विदेशी विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि लेने वाले पहले भारतीय थे।
1991 : लेबनान में आखिरी अमेरिकी बंधक को सात वर्ष की कैद के बाद रिहा कर दिया गया।
1996 : फ्लोरिडा के केप कैनवरा से मंगल ग्रह पर मानवरहित अंतरिक्ष यान मार्स पाथफाइंडर को प्रक्षेपित किया गया।
1952 : इंग्लैंड में स्मॉग की घनी परत छाने के कारण हजारों लोगों की जान चली गई।
1959 : भारत और नेपाल के बीच गंडक सिंचाई एवं विद्युत परियोजना पर हस्ताक्षर किए गए।
1977 : मिस्र के विरुद्ध अरब मोर्चे का गठन किया गया।
1984 : हिज्बुल्लाह आतंकवादियों ने कुवैत एयरलाइन के विमान का अपहरण कर चार यात्रियों को मार डाला।
1996 : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मंगल ग्रह की सतह के अध्ययन के लिए एक और अंतरिक्ष यान ‘मार्स पाथफाउंडर’ प्रक्षेपित किया।
2006 : फिलीपींस में भीषण तूफान के बाद जमीन धंसने से लगभग एक हज़ार लोगों की मौत।
2008 : प्रसिद्ध इतिहासकार और प्राचीन भारतीय इतिहास की अध्ययनकर्ता रोमिला थापर को क्लोज सम्मान के लिए चुना गया।
2006 : फिलीपींस के एक गांव में तूफान के बाद जमीन धंसने से लगभग एक हजार लोगों की मौत हो गई।
2012 : सीरिया में मोर्टार हमले में 29 लोगों की मौत हुई।