बुधवार, 30 दिसंबर 2020

2 पूर्व PM के खिलाफ चुनाव लड़ा, विधानसभा में पर्चे फेंके; लाल बिहारी को 'मृतक' से 'जीवित' होने में 18 साल लगे

बॉलीवुड एक्टर पंकज त्रिपाठी की अपकमिंग फिल्म 'कागज' का ट्रेलर रिलीज हो चुका है। हल्के-फुल्के अंदाज में इस फिल्म की कहानी एक ऐसे व्यक्ति की तकलीफ बयां करती है, जो जीवित तो है, लेकिन कागजों (डॉक्यूमेंट) में उसकी मौत हो चुकी है। उस शख्स का नाम लाल बिहारी है। उन्होंने बताया कि फिल्म के सेट पर वह सिर्फ पहले दिन गए थे, उसके बाद से वह नहीं गए। उस दिन साइकिल पर बैठकर पंकज त्रिपाठी के साथ शॉट दिया था।

फिलहाल यहां बात हो रही है लाल बिहारी के संघर्षों की, तो चलते हैं उनके घर। वे आजमगढ़ जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर अमीलो गांव में रहते हैं। बातचीत के दौरान उनके घर के दरवाजे पर लगे बोर्ड पर नजर पड़ी, तो उस पर लाल बिहारी 'मृतक' लिखा हुआ था। उन्होंने बताया कि मैंने खुद को जिंदा साबित करने के लिए विधानसभा में पर्चे फेंके। 2 पूर्व प्रधानमंत्रियों के खिलाफ चुनाव लड़ा। 100 से ज्यादा बार धरना दिया, लेकिन खुद को जिंदा साबित करने में 18 साल लग गए।

दरवाजे के बाहर खाट पर बैठे लाल बिहारी मृतक।

मां की गोद में ही था पिता गुजर गए, यहीं से शुरू हुआ संघर्ष
उन्होंने बताया कि तकरीबन 7-8 महीने का था, तब मेरे पिता गुजर गए। तमाम तकलीफों के बीच मेरी मां मुझे लेकर ननिहाल आ गई। दुखों के बीच मैं बड़ा हुआ। कुछ बड़ा हुआ, तो बनारसी साड़ी की बुनाई का काम करने लगा। पेट भरने के इंतजाम में पढ़ाई करने का मौका नहीं मिला। बीच-बीच में मैं अपने ददिहाल भी जाया करता था। मेरा ददिहाल मुबारकपुर के खलीलाबाद गांव में है।

लगभग 20-21 बरस का था, तब मैंने सोचा कि क्यों न एक बनारसी साड़ी का कारखाना लगाया जाए। गांव में मेरे पिता के नाम से एक एकड़ जमीन थी, वह मेरे नाम विरासत पर थी। लेकिन, जब हम लोन लेने के लिए कागज जुटाने लगे, तो पता चला कि 30 जुलाई 1976 को न्यायालय नायब तहसीलदार सदर, आजमगढ़ ने मुझे कागजों में मृत घोषित कर जमीन मेरे चचेरे भाइयों के नाम कर दी है। फिर यहीं से मेरा संघर्ष शुरू हुआ।

उन्होंने बताया कि रिश्तेदार वैसे तो मुझसे मिलते-जुलते थे, लेकिन जब जमीन की बात आती थी, तो वह उसे देने से इनकार कर देते थे। हालांकि, यह कहीं रिकॉर्ड में नहीं है कि किसी रिश्तेदार ने मुझे जबरन मृत घोषित करवाया। लेकिन, बिना उनके यह संभव नहीं है। धीरे-धीरे उन रिश्तों से लगाव भी खत्म हो गया।

पत्नी के साथ लाल बिहारी।

'मृतक' के नाम पर लोग मेरा मजाक उड़ाते थे
उन्होंने बताया कि मैंने अपनी पीड़ा कई लोगों को बताई। गांव वालों से बात की, लेकिन मुझे समझने की बजाय सबने मजाक उडाना शुरू कर दिया। तब मैंने ठान लिया कि भले मुझे जमीन न मिले, लेकिन मैं अपने नाम के आगे से मृतक शब्द जरूर हटाऊंगा। लोगों ने राय दी कि कोर्ट में जाइए। मैंने वकीलों से बात की, तो पता चला कि इसमें कितना वक्त लगेगा? यह कोई नहीं कह सकता है। इसमें मुकदमा चलेगा। फिर मैंने सोचा कि मैं कब तक लडूंगा?

उन्होंने बताया कि फिर मैंने न्यायिक प्रक्रिया में न जाने का फैसला किया। इसलिए मैंने अफसरों के चक्कर काटने शुरू किए। वहां दरख्वास्त देनी शुरू की, लेकिन किसी भी तरह की राहत नहीं मिलती दिख रही थी। हर बार जांच होती और फिर मामला दब जाता। आजमगढ़ का ऐसा कोई अफसर नहीं बचा होगा, जिसे मैंने शिकायती पत्र न दिया हो। इसके बाद जब सबका रवैया एक जैसा ही दिखा, तो मैंने अलग-अलग तरीके अपनाने शुरू किए।

फिल्म डायरेक्टर सतीश कौशिक के साथ लाल बिहारी।

1986 में विधानसभा में पर्चा फेंका फिर भी जिंदा साबित न हो पाया
उन्होंने बताया कि कागजों पर जिंदा होने की लड़ाई शुरू हुए 10 साल बीत चुके थे। ये बात 1986 की है। मैं अफसरों के पीछे दौड़-दौड़कर परेशान हो गया था। तब मेरे गुरू स्वर्गीय श्याम लाल कनौजिया जो विधायक रहे हैं, उन्होंने एक आइडिया दिया। उन्होंने कहा कि जब कोई नहीं सुन रहा है तो हंगामा करो। उस समय विधानसभा सत्र चल रहा था। मैंने कांग्रेस के एक विधायक काजी कलीमुर्रहमान से अपना पास बनवाया और दर्शक दीर्घा नंबर 4 में जाकर बैठ गया।

उन्होंने बताया कि मेरे पास हैंड बिल था, जिसमे मैंने अपनी समस्या लिखी हुई थी। जैसे ही विधानसभा सत्र शुरू हुआ, मैंने दर्शक दीर्घा से उठकर हैंडबिल विधानसभा में फेंक दिया। साथ ही नारे भी लगाए। मुझे तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया। तकरीबन 7 से 8 घंटे तक पूछताछ चली। ड्यूटी पर रहे सुरक्षा प्रमुख को सस्पेंड कर दिया गया। टीस इस बात की रही कि जिस जगह कानून बनते हैं, वहां मैंने अपनी समस्या बताई, लेकिन कोई हल नहीं निकला। नेताओं और अफसरों ने भी यहां खेल किया। विधानसभा की कार्यवाही रजिस्टर में मेरा नाम नहीं लिखा गया। उसमें लिखा गया कि विधानसभा में अव्यवस्था फैलाने वाला युवक गिरफ्तार किया गया।

लाल बिहारी ने मृतक संघ बनाया है। अब वे दूसरों को न्याय दिला रहे हैं।

100 से ज्यादा बार धरना दिया
उन्होंने बताया कि खुद को जिंदा साबित करने के लिए आजमगढ़, लखनऊ और दिल्ली में तकरीबन 100 से ज्यादा बार धरना दिया। दिल्ली में 56 घंटे तक अनशन किया। इन सबके बावजूद राजस्व विभाग मुझे जिंदा मानने को तैयार नहीं था। यही नहीं, अपनी पत्नी के नाम से मैंने विधवा पेंशन का फॉर्म भी भरा, लेकिन उसे भी रिजेक्ट कर दिया गया। अधिकारी मृतक के नाम पर मेरा मजाक उड़ाया करते थे।

पूर्व PM वीपी सिंह और राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव लड़े
उन्होंने बताया कि लाख जतन करने के बाद भी जब मुझे अनसुना कर दिया गया, तब मैंने 1988 में इलाहाबाद से पूर्व PM वीपी सिंह और कांशीराम के खिलाफ चुनाव लड़ा। यही नहीं, 1989 में पूर्व PM राजीव गांधी के खिलाफ भी अमेठी से चुनाव लड़ा। इन चुनावों में अपनी समस्या का प्रमुखता से प्रचार करने के बाद भी मेरी समस्या का निदान नहीं हुआ। लाल बिहारी लगभग 6 चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें 3 बार मुबारकपुर सीट से विधानसभा चुनाव भी शामिल है।

प्रशासन ने 30 जून 1994 को कागजों पर जिंदा घोषित किया।

18 साल बाद जिंदा साबित हुआ

उन्होंने बताया कि अधिकारी चाहे तो क्या नहीं कर सकता है? 1994 में मैंने हर अधिकारी के ऑफिस में एक नोटिस भेजा कि अब मैं खुद तहसीलदार की कुर्सी पर बैठकर अपना न्याय करूंगा। तब आजमगढ़ में एक अपर मुख्य राजस्व अधिकारी कृष्णा श्रीवास्तव थे। उन्होंने मेरी समस्या देखी, तो वह भावुक हो गए। मुझे बुलाया और बोले कि मेरा ट्रांसफर होने वाला है। लेकिन हम अगर दस दिन यहां रह गए, तो तुम्हारी समस्या का निदान हो जाएगा।

उन्होंने तहसीलदार से रिपोर्ट मांगी। तब तहसीलदार ने एक लेखपाल कलीम अहमद को लगाया। उसने अमीलों से लेकर ददिहाल खलीलाबाद तक चक्कर लगाया और जांच की। अंत में जब मैंने उन्हें पैसे देने की कोशिश की, तो उन्होंने कहा कि आप खुद परेशान हो, मैं पैसे क्या लूंगा? जब उन्होंने मेरे जिंदा होने की रिपोर्ट दी, तो रिपोर्ट तहसील से गायब हो गई। आखिर में फिर किसी तरह से वह रिपोर्ट सबमिट हुई। तब उन्होंने मुझे 30 जून 1994 को कागजों पर जिंदा घोषित किया।

अनपढ़ और गरीब था, लेकिन जमीन बेच कर पूरी लड़ाई लड़ी
उन्होंने बताया कि समय बहुत कुछ सिखाता है। मैं अनपढ़ था। गरीब था। मेरी मां और पत्नी को विश्वास नहीं था कि मैं लड़ाई लड़ पाऊंगा, लेकिन मैंने करके दिखाया। मेरे पास अमीलों में कुछ जमीन थी। उसका थोड़ा-थोड़ा हिस्सा बेच कर मैं लड़ा। उस जमीन की कीमत आज लगभग 5 करोड़ है और मैंने उसे डेढ़-दो लाख में बेची थी। जबकि, जो जमीन मुझे मिली आज उसकी कीमत 5 लाख है और उसे भी मैंने अपने चचेरे भाइयों को दे दिया, जो हमसे वह वह जमीन चाहते थे।

हालांकि, वहां थोड़ी सी जमीन पर जीवित मृतक स्तंभ लाल बिहारी मृतक की स्मृति में बनवा रहा हूं। लाल बिहारी ने 1980 में मृतक संघ बनाया। जिसके बाद से उनकी लड़ाई अब भी जारी है और वे पीड़ितों को न्याय दिलाते हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक सैकड़ों लोगों को न्याय दिलाने में कामयाब हो चुका हूं।

यह फोटो फिल्म के शूटिंग के समय की है। इसमें (बाएं से दूसरे) लाल बिहारी और एक्टर पंकज त्रिपाठी (दाएं से दूसरे)।

2003 में हुआ था फिल्म बनाने का ऐलान
पिछले दिनों लखनऊ पहुंचे सतीश कौशिक ने बताया कि यह कहानी मेरे दिल के करीब थी। 2003 में मैंने फिल्म बनाने का निर्णय लिया था। हालांकि किन्ही वजहों से देर होती रही। लेकिन अब यह 7 जनवरी को ओटीटी पर प्रदर्शित होगी। इसमें पंकज त्रिपाठी मुख्य भूमिका में नजर आएंगे। पूरी फिल्म UP के सीतापुर में शूट हुई है।



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यह फिल्म कागज का पोस्टर है। इसमें एक्टर पंकज त्रिपाठी के साथ लाल बिहारी (दाएं) एक साथ नजर आ रहे हैं। लाल बिहारी की जिंदगी पर ही ‘कागज’ बनी है।


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ब्रिटेन में एक दिन में 53 हजार से ज्यादा मामले, नया स्ट्रेन अमेरिका पहुंचा

दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 8.22 करोड़ के ज्यादा हो गया। 5 करोड़ 83 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 17 लाख 95 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। ब्रिटेन में वैक्सीनेशन शुरू होने और कुछ हिस्सों में लॉकडाउन के बावजूद संक्रमण कम होने का नाम नहीं ले रहा। यहां मंगलवार को एक ही दिन में 53 हजार से ज्यादा मामले सामने आए। ब्रिटेन में पाए गए कोविड-19 के नए वैरिएंट से संक्रमित पहला मामला अमेरिका में भी मिला है।

ब्रिटेन में हालात बिगड़े
ब्रिटेन में एक दिन में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। ‘द गार्डियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को देश में कुल 53 हजार 135 नए मामले सामने आए। इसके एक दिन पहले यानी सोमवार को 40 हजार मामले सामने आए थे। मंगलवार को जहां 53 हजार से ज्यादा मामले सामने आए तो इसी दौरान 414 लोगों की मौत भी हो गई। हेल्थ डिपार्टमेंट ने एक बयान में कहा- हम सिर्फ इतना कह सकते हैं कि क्रिसमस के बाद नया डेटा सामने आया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि देश में संक्रमण बहुत तेजी से फैला है।

नए स्ट्रेन की अमेरिका में दस्तक
ब्रिटेन में पिछले हफ्ते पाए गए नए स्ट्रेन यानी कोविड-19 के नए वैरिएंट ने अब अमेरिका में भी दस्तक दे दी है। यहां कोलारेडो के एक अस्पताल में एक मरीज में नए स्ट्रेन के लक्षण मिले हैं। यह मामला सामने आने के बाद अमेरिकी एडमिनिस्ट्रेशन सतर्क हो गया है। अमेरिका में पहले ही हालात खराब हैं और नए स्ट्रेन के बारे में कहा जा रहा है कि यह पहले के मुकाबले ज्यादा तेजी से फैलता है। खास बात यह है कि कोलारेडो के जिस 20 साल के लड़के में नया स्ट्रेन पाया गया है उसकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। लिहाजा, हेल्थ अफसर यह मानकर चल रहे हैं कि ऐसे और भी मामले सामने आ सकते हैं।

अमेरिका के डेनवर में मंगलवार को एक रेस्टोरेंट में मास्क लगाए वेटर। अमेरिका में भी उस नए स्ट्रैन ने दस्तक दे दी है, जो ब्रिटेन में पाया गया था।

चीन के वुहान पर नया खुलासा
चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) की एक स्टडी के मुताबिक, वुहान में लगभग पांच लाख लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे। यह लोकल एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से दिए गए डेटा से 10 गुना ज्यादा है। स्टडी के लिए वुहान के अलावा बीजिंग, शंघाई समेत दूसरे शहरों से सैम्पल लिए गए थे।

वुहान में ही सबसे पहले दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस के मामले सामने आए थे। रिसर्चर्स के मुताबिक, यहां की कुल आबादी एक करोड़ दस लाख में से 4.43% के शरीर में एंटीबॉडी पाई गई। वुहान म्युनिसिपल हेल्थ कमीशन ने यहां कुल 50 हजार 354 मामलों की पुष्टि की थी।

कोरोना प्रभावित टॉप-10 देशों में हालात

देश

संक्रमित मौतें ठीक हुए
अमेरिका 19,976,772 346,563 11,842,929
भारत 10,245,326 148,475 9,833,339
ब्राजील 7,564,117 192,716 6,647,538
रूस 3,105,037 55,827 2,496,183
फ्रांस 2,574,041 64,078 191,806
यूके 2,382,865 71,567 N/A
तुर्की 2,178,580 20,388 2,058,437
इटली 2,067,487 73,029 1,425,730
स्पेन 1,894,072 50,122 N/A
जर्मनी 1,677,280 31,613 1,277,900

(आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं)



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मंगलवार को लंदन के एक मॉल में मौजूद लोग। यहां मास्क लगाना जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर जुर्माना देना पड़ेगा। मंगलवार को ब्रिटेन में 53 हजार से ज्यादा मामले सामने आए।


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नए कोरोना स्ट्रेन पर केंद्र ने कही राहत वाली बात और तेजस्वी की खातिर RJD मांग रही नीतीश का साथ

नमस्कार!
कोरोनावायरस का नया स्ट्रेन भारत भी पहुंच गया है। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के 6 मरीजों में नया स्ट्रेन पाया गया है। ये सभी ब्रिटेन से लौटे थे। एविएशन मिनिस्टर हरदीप पुरी ने कहा कि हमें ब्रिटेन की फ्लाइट्स का सस्पेंस और बढ़ाना पड़ सकता है। हालांकि, केंद्र ने राहत भरी खबर भी दी है। सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. विजय राघवन ने कहा कि देश में मौजूद वैक्सीन ब्रिटेन और साउथ अफ्रीका में मिले नए स्ट्रेन पर भी असर करेगी। बहरहाल शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

सबसे पहले देखते हैं बाजार क्या कह रहा है

  • BSE का मार्केट कैप 187.23 लाख करोड़ रुपए रहा। BSE पर करीब 48% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही।
  • 3,188 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 1,535 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,488 कंपनियों के शेयर गिरे।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • कृषि कानूनों को लेकर किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच 30 दिसंबर को बैठक होगी। पहले यह बैठक 29 दिसंबर को होनी थी।
  • हाल ही में भाजपा से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए एकनाथ खडसे को ED ने नोटिस भेजा है। आज वह ED के सामने पेश होंगे।

देश-विदेश
जहां शाह ने रोड शो किया, वहीं ममता ने पद यात्रा की

पश्चिम बंगाल के जिस बोलपुर में अमित शाह ने 20 दिसंबर को रोड शो किया, वहीं पर ममता बनर्जी ने मंगलवार को पद यात्रा की। भाजपा ने बंगाल में 200 से ज्यादा सीटों का टारगेट तय किया है। लेकिन, ममता ने बोलपुर में भाजपा को चुनौती दी कि वो इतनी सीटों का सपना छोड़े और केवल 30 सीटें जीतकर दिखाए। बंगाल की CM ने कहा, "भाजपा कुछ विधायकों को तो खरीद सकती है, लेकिन तृणमूल को नहीं खरीद सकती।'

राजद ने CM नीतीश कुमार पर फेंका पासा
बिहार में राजद के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी ने कहा है कि नीतीश अगर तेजस्वी को समर्थन देकर मुख्यमंत्री बना दें तो विपक्ष उन्हें 2024 में प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन दे सकती है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पहले ही कह दिया है कि बिहार में मध्यावधि चुनाव होंगे। वहीं, अरुणाचल में जदयू के 6 विधायक भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि इस फजीहत के बाद नीतीश को इस्तीफा दे देना चाहिए। उधर छोड़ेंगे, तभी इधर कुछ बात बन सकती है।

रजनी की 26 दिन की राजनीति, सेहत की वजह से पॉलिटिक्स में नहीं आएंगे
दक्षिण के सुपर स्टार रजनीकांत (70) ने खराब सेहत की वजह से चुनावी राजनीति में नहीं आने का फैसला किया है। उन्होंने मंगलवार को तमिल में चिट्ठी लिखी और कहा कि वे चुनाव में उतरे बिना ही लोगों की बाहर से सेवा करेंगे। वो खराब सेहत के बावजूद राजनीति में आकर वीरता नहीं दिखाना चाहते। उन्होंने लिखा कि इस फैसले से फैंस को निराशा होगी और इसके लिए माफ कर दीजिए।

मेलबर्न टेस्ट जीतकर कोहली से आगे निकले रहाणे
अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को दूसरे टेस्ट में आठ विकेट से हराया। चार मैच की टेस्ट सीरीज अब 1-1 की बराबरी पर है। इस जीत के साथ रहाणे ने एक रिकॉर्ड बनाया। वे तीन टेस्ट में कप्तानी कर चुके हैं और तीनों जीते हैं। ऐसा करने वाले वे दूसरे भारतीय कप्तान बन गए।

एक्सप्लेनर
किसान और सरकार में क्यों नहीं बन रही बात? कहां फंस रहा पेंच?

खेती से जुड़े तीन कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 35वां दिन है। सरकार-किसानों के बीच 21 दिन बाद आज 7वें दौर की बातचीत होगी। पहले 6 दौर की बातचीत में कोई हल नहीं निकल सका है। किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। सरकार लिखित में किसानों को जवाब देने को तैयार है। लेकिन, आखिर क्या वजह है कि इतनी बातचीत का भी कोई हल नहीं निकल सका है?

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पॉजिटिव खबर
आईटी कंपनी की नौकरी छोड़ी, टायर से फुटवियर बनाना शुरू किया

पुणे की रहने वाली 28 साल की एक आईटी प्रोफेशनल पूजा आप्टे बादामीकर अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर स्क्रैप टायर से फुटवियर बना रही हैं। उनका यह इनोवेशन पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभा रहा है। हर महीने 200 पीस फुटवियर बना रही हैं और सालाना 7 लाख रुपए का बिजनेस भी कर रही हैं।

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सुर्खियों में और क्या

  • पटना में किसानों के समर्थन में किसान महासभा और वामदलों के 10 हजार कार्यकर्ताओं ने मार्च निकाला। इस दौरान पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज भी किया।
  • PM नरेंद्र मोदी ने ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के न्यू भाउपुर-न्यू खुर्जा सेक्शन का उद्घाटन किया। इससे कानपुर-दिल्ली रूट पर ट्रेनें लेट नहीं होंगी।
  • ब्रिटिश स्टडी में दावा किया गया है कि कोरोना के नए स्ट्रेन को वैक्सीन से रोकना संभव नहीं है। 2020 के मुकाबले इस स्ट्रेन से 2021 में ज्यादा मरीज भर्ती हो सकते हैं।
  • क्रोएशिया में मंगलवार को 6.3 तीव्रता का भूकंप आया, इससे इमारतों काफी नुकसान पहुंचा। यहां एक दिन पहले भी 5.2 तीव्रता का भूकंप आया था।


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कोरोना केस हो रहे डाउन; नेताजी की मुश्किल, कैसे पहनें वैक्सीनेशन ड्राइव का क्राउन?



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पति-पत्नी एकांत में भी एक-दूसरे का सम्मान करेंगे तो वैवाहिक जीवन में हमेशा सुख बना रहेगा

विचार- आमतौर पर पति-पत्नी सभी के सामने के तो बहुत प्रेम से रहते हैं, लेकिन अकेले में झगड़ने लगते हैं। जबकि, एकांत में भी दोनों को एक-दूसरे का आदर करना चाहिए।

कहानी- पति-पत्नी के बीच कैसा व्यवहार होना चाहिए, ये बात शिव-पार्वती से सीख सकते हैं। विवाह के बाद देवी पार्वती पहली बार कैलाश पर्वत पहुंची थीं। शिवजी अपने विशेष स्थान पर बैठे हुए थे, उसी समय श्रृंगार करके देवी पार्वती उनके सामने पहुंचीं।

इस संबंध में रामचरित मानस के बालकांड में लिखा है, 'शिवजी ने देवी को देखा तो उनका बहुत आदर-सत्कार किया और अपने पास ही बैठने की जगह भी दी। इसके बाद दोनों ने बहुत सम्मान के साथ एक-दूसरे से बात की। देवी पार्वती के कहने पर शिवजी ने श्रीराम कथा सुनाई।'

सीख- शिवजी और माता पार्वती के इस छोटे से प्रसंग से हमें ये शिक्षा मिलती है कि पति-पत्नी को एकांत में एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए। आमतौर पर लोग अपने जीवन साथी का सम्मान को करते हैं, लेकिन कभी-कभी कठोर शब्द बोल देते हैं, जिसकी वजह से विवाद हो जाता है।



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आईटी कंपनी की नौकरी छोड़ स्क्रैप टायर से फुटवियर बनाना शुरू किया, सालाना 7 लाख रुपए का बिजनेस

पुणे की रहने वाली 28 साल की आईटी प्रोफेशनल पूजा आप्टे बादामीकर अपनी अच्छी-खासी नौकरी छाेड़कर स्क्रैप टायर से फुटवियर बना रही हैं। उनका यह इनोवेशन पर्यावरण बचाने में अहम भूमिका निभा रहा है। वे हर महीने 200 पीस फुटवियर बना कर सालाना 7 लाख रुपए का बिजनेस कर रही हैं।

पुणे यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक एंड टेलीकॉम इंजीनियरिंग करने के बाद पूजा को एक आईटी कंपनी में नौकरी मिल गई थी। पूजा ने वहां चार साल तक काम किया। इसी दौरान उन्होंने दिल्ली की टेरी यूनिवर्सिटी से रिन्युएबल एनर्जी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। कोर्स के दौरान उन्होंने अप साइकलिंग और रीसाइकलिंग के बारे में पढ़ना शुरू किया। तब उन्हें पता चला कि प्लास्टिक के बारे में तो सब जानते हैं लेकिन टायर का इश्यू सीरियस होने के बाद भी बहुत कम लोग इसके बारे में जानते हैं।

2018 में अपकमिंग वुमन एंटरप्रन्योर कैटेगरी में प्राइज जीता

पूजा कहती हैं- दुनिया में हर साल सौ करोड़ स्क्रैप टायर जेनरेट होते हैं। इसमें से सिर्फ 0.1 प्रतिशत ही रीयूज और रीसाइकिल करते हैं। ऐसे में बहुत से टायर लैंड फिल में ऐसे ही पड़े रहते हैं। इस पर पढ़ना और रिसर्च करना शुरू किया तो मुझे अफ्रीकी समुदायों के बारे में पता चला, जो टायर के स्क्रैप से फुटवियर बना रहे थे। मैं उनसे प्रेरित हुई और सुंदर जूते डिजाइन करने के लिए प्लान पर काम करने का फैसला लिया। कुछ ही समय बाद मैंने ट्रक और विमान के टायर के स्क्रैप से दो प्रोटोटाइप डिजाइन किए और उन्हें 'स्टार्टअप इंडिया’ में पेश किया। इस डिजाइन को काफी सराहा गया और 2018 में मुझे अपकमिंग वुमन एंटरप्रेन्योर श्रेणी में 50,000 रुपए का पुरस्कार भी मिला। इस तरह मैंने अपना ब्रांड Nemital शुरू किया।

पूजा कहती हैं- हम मेंस, वुमंस कैटेगरी में 35 तरह के प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं, जिसे हम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए सेल करते हैं।

पूजा के लिए ये प्रोटोटाइप बनाना इतना आसान नहीं था। वो कहती हैं- जब मैं लोकल कॉबलर (मोची) के पास गई तो पहले तो उन्होंने मना ही कर दिया कि ये नहीं बन पाएगा। कुछ कॉबलर की मदद से उन्होंने प्रोटाेटाइप तैयार किए। पुरस्कार में मिली राशि मैंने प्रोडक्ट के रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर खर्च की। अप्रैल 2019 में मैंने मार्केट में प्रोडक्ट लॉन्च किए।

पूजा कहती हैं- हम मेंस, वुमंस कैटेगरी में 35 तरह के प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं। इन्हें हम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए सेल करते हैं। इसके अलावा पुणे में हमारा एक छोटा सा वेयर हाउस कम स्टूडियो है। यहां से भी हम प्रोडक्ट सेल करते हैं। यहां हमारा रॉ मटीरियल और डिजायनिंग का काम भी होता है।

पूजा ने बताया कि मैं शुरुआत में खुद ही फैब्रिक पसंद करती थी। मैं ही टायर लाती और प्रोडक्ट डिजायनिंग करती थी, यानी मैं एक सोलोप्रेन्योर की तरह काम करती थी। आठ महीने पहले ही हमारे साथ एक डिजायनर जुड़े हैं। वह फुटवियर इंडस्ट्री से हैं।

बिजनेस शुरू करने के लिए इंवेस्ट किए एक लाख रुपए

पूजा का कहना है कि मेरी अच्छी-खासी नौकरी थी। सैलरी छोड़कर जीरो से शुरू करना पर्सनल लेवल पर बहुत बड़ा चैलेंज था। जो भी स्टार्टअप करने का सोच रहे हैं, वो ये जान लें कि स्टार्टअप शुरू करने के 6 महीने के अंदर ही अगर आप सैलरी जितनी कमाई का सोचते हैं तो आप गलत हैं।

पूजा ने ट्रक और विमान के टायर के स्क्रैप से दो प्रोटोटाइप डिजाइन किए थे। इसके लिए उन्हें अपकमिंग वुमन एंटरप्रन्योर श्रेणी में 50,000 रुपए का पुरस्कार भी मिला।

फुटवियर प्रोडक्शन के बारे में पूजा बताती हैं कि इसे हमने अलग-अलग हिस्सों में बांटा है। इसमें सबसे पहले टायर के प्रोक्योरमेंट एंड कटिंग का प्रोसेस आता है। इसके लिए हम रेगपिकर्स की मदद लेते हैं। इसके अलावा पायरोलिसिस प्लांट को टायर पहुंचाने वालों से भी टायर लेते हैं। इसके बाद बॉटम तैयार करने की प्रोसेस होती है।

इस दौरान बॉटम में कुशनिंग लेयर लगाई जाती है। यह एक अलग कारीगर बनाता है। इसके बाद अपर लेयर का काम होता है। एक टेलर मैडम अलग-अलग फैब्रिक और कुशनिंग के अपर लेयर बनाती हैं। आखिर में एक कॉबलर इन सबको जोड़ने का काम करता है। इस तरह फाइनल प्रोडक्ट तैयार होता है।

पूजा बताती हैं- हमारे पास दो तरह के ऑर्डर आते हैं, बल्क और दूसरा कस्टमाइजेशन। अभी हम हर महीने हम 200 पीस का प्रोडक्शन करते हैं। हमारा सालाना रेवेन्यू 7 लाख रुपए का है। उन्होंने इस बिजनेस को शुरू करने के लिए 1 लाख रुपए इंवेस्ट किए थे। इसमें 50 हजार रुपए रिसर्च और 50 हजार रॉ मटीरियल पर खर्च किए थे।

एक कस्टमर और एक ऑर्डर से शुरू करें बिजनेस

पूजा का कहना है कि अगर कोई शख्स ये बिजनेस करना चाहता है तो आइडिया मुश्किल नहीं है, लेकिन इसको बनाना इतना आसान भी नहीं है। इसलिए शुरू में आप एक कस्टमर और एक ऑर्डर से शुरू कीजिए। यदि आपने उस कस्टमर को कुशनिंग, कंफर्ट और स्टाइल में संतुष्ट कर लिया तो आगे बढ़िए और नहीं तो पहले अपने इस एक कस्टमर को ही प्रोडक्ट की क्वालिटी से संतुष्ट कीजिए। इसमें शुरुआती इंवेस्टमेंट 50 हजार रुपए से ज्यादा का नहीं है। पूजा कहती हैं- हम 2021 तक तो कोई नया प्रोडक्ट लॉन्च नहीं करेंगे। अभी हम एक्सपोर्ट के लिए कोशिश कर रहे हैं।



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पुणे की रहने वाली पूजा आप्टे बादामीकर अपनी अच्छी-खासी नौकरी छाेड़कर स्क्रैप टायर से फुटवियर बनाने का काम करती हैं।


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35 दिन में 7वीं बार साथ बैठेंगे किसान और सरकार; लेकिन क्यों नहीं बन रही बात? कहां फंस रहा है पेंच? जानें सबकुछ

खेती से जुड़े तीन कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 35वां दिन है। सरकार और किसानों के बीच 21 दिन बाद आज 7वें दौर की बातचीत होगी। इससे पहले 6 दौर की बातचीत में कोई हल नहीं निकल सका है। किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। उधर, सरकार लिखित में किसानों को जवाब देने को तैयार हैं, लेकिन आखिर क्या वजह है कि इतने दिन और इतनी बातचीत का भी कोई हल नहीं निकल सका है? पहले की बातचीत में क्या हुआ? किसान किन मांगों पर अड़े हैं?

सबसे पहले किसान और सरकार के बीच अब तक हुई बातचीत में क्या निकला?
पहला दौरः 14 अक्टूबर
क्या हुआः
मीटिंग में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जगह कृषि सचिव आए। किसान संगठनों ने मीटिंग का बायकॉट कर दिया। वो कृषि मंत्री से ही बात करना चाहते थे।

दूसरा दौरः 13 नवंबर
क्या हुआः
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के साथ मीटिंग की। 7 घंटे तक बातचीत चली, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।

तीसरा दौरः 1 दिसंबर
क्या हुआः
तीन घंटे बात हुई। सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी बनाने का सुझाव दिया, लेकिन किसान संगठन तीनों कानून रद्द करने की मांग पर ही अड़े रहे।

चौथा दौरः 3 दिसंबर
क्या हुआः
साढ़े 7 घंटे तक बातचीत चली। सरकार ने वादा किया कि MSP से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। किसानों का कहना था सरकार MSP पर गारंटी देने के साथ-साथ तीनों कानून भी रद्द करे।

5वां दौरः 5 दिसंबर
क्या हुआः
सरकार MSP पर लिखित गारंटी देने को तैयार हुई, लेकिन किसानों ने साफ कहा कि कानून रद्द करने पर सरकार हां या न में जवाब दे।

6वां दौरः 8 दिसंबर
क्या हुआः
भारत बंद के दिन ही गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की। अगले दिन सरकार ने 22 पेज का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान संगठनों ने इसे ठुकरा दिया।

सरकार के प्रस्ताव में क्या था?
9 दिसंबर को सरकार के 22 पेज के प्रस्ताव में ये 5 प्वॉइंट थे-
1. MSP की खरीदी जारी रहेगी, सरकार ये लिखित में देने को तैयार है।
2. किसान और कंपनी के बीच कॉन्ट्रैक्ट की रजिस्ट्री 30 दिन के भीतर होगी। कॉन्ट्रैक्ट कानून में साफ कर देंगे कि किसान की जमीन पर लोन या गिरवी नहीं रख सकते।
3. राज्य सरकारें चाहें तो प्राइवेट मंडियों पर भी फीस लगा सकती हैं। इसके अलावा सरकारें चाहें तो मंडी व्यापारियों का रजिस्ट्रेशन जरूरी कर सकती हैं।
4. किसान की जमीन कुर्की नहीं हो सकेगी। किसानों को सिविल कोर्ट जाने का विकल्प भी मिलेगा।
5. बिजली बिल अभी ड्राफ्ट है, इसे नहीं लाएंगे और पुरानी व्यवस्था ही लागू रहेगी।

तो फिर किसानों ने इसे क्यों ठुकरा दिया?
किसान नेताओं का कहना है कि 22 में से 12 पेजों पर इसकी भूमिका, बैकग्राउंड, इसके फायदे और आंदोलन खत्म करने की अपील और धन्यवाद है। कानूनों में क्या-क्या संशोधन करेंगे, उसकी बजाय हर मुद्दे पर लिखा है कि ऐसा करने पर विचार कर सकते हैं। तीनों कानून रद्द करने के जवाब में हां या न में जवाब देने की जगह लिखा है कि किसानों के कोई और सुझाव होंगे, तो उन पर भी विचार किया जा सकता है।

किसानों की मांगें क्या हैं?

  • किसान खेती से जुड़े तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि कानूनों से कॉर्पोरेट घरानों को फायदा होगा।
  • किसान MSP पर सरकार की तरफ से लिखित आश्वासन चाहते हैं।
  • बिजली बिल का भी विरोध है। सरकार 2003 के बिजली कानून को संशोधित कर नया कानून लाने की तैयारी कर रही थी। किसानों का कहना है कि इससे किसानों को बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म हो जाएगी।
  • किसानों की एक मांग पराली जलाने पर लगने वाले जुर्माने का प्रस्ताव भी है। इसके तहत पराली जलाने पर किसान को 5 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लग सकता है।

क्या बातचीत का हल नहीं निकलने के पीछे जिद है?
किसानों की जिद:
तीनों कानून रद्द करने की मांग पर अड़े। किसान संगठनों का कहना है जब तक सरकार कानून रद्द नहीं करती, तब तक आंदोलन चलता रहेगा।

सरकार की जिद: कानून को न वापस लिया जा सकता है और न ही रद्द किया जा सकता है। किसानों के जो भी सुझाव होंगे, उस हिसाब से इसमें संशोधन कर सकते हैं।



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Farmer Talks With Government Explained; Amit Shah Narendra Singh Tomar | All You Need To Know About Why Farmers Reject Government Proposal


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किसान कहते हैं- 'अभी तो हमने सिर्फ तंबू गाड़े हैं, कानून वापस नहीं हुए तो हाइवे पर पक्के मकान भी बना लेंगे'

किसान आंदोलन का गढ़ बन चुका टीकरी बॉर्डर दिल्ली के सबसे पश्चिमी छोर पर है। ग्रीन लाइन पर दौड़ने वाली दिल्ली मेट्रो इसी टीकरी बॉर्डर को पार करके हरियाणा के बहादुरगढ़ में दाखिल होती है। यह मेट्रो तो आज भी अपनी रफ्तार से दिल्ली और हरियाणा के बीच दौड़ रही है, लेकिन इस मेट्रो लाइन के ठीक नीचे चलने वाली मुख्य रोहतक रोड बीते एक महीने से आंदोलन कर रहे किसानों का अस्थायी डेरा बन गई है।

इस सड़क पर चलने वाला ट्रैफिक 26 नवंबर से बंद है। दिल्ली से हरियाणा जाने के लिए कुछ वैकल्पिक रास्ते खुले हुए हैं। इनकी जानकारी दिल्ली ट्रैफिक पुलिस समय-समय पर जारी करती है। दिल्ली-रोहतक रोड पूरी तरह से किसानों के कब्जे में है और हर दिन के साथ उनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

इस सड़क पर जगह-जगह खड़े मेट्रो के पिलर अब आंदोलन कर रहे किसानों का अस्थायी पता बन चुके हैं। मसलन, महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा लंगर कहां लगा है, यह सवाल पूछने पर कोई बता देगा कि वह पिलर नंबर-788 के पास है। ऐसे ही यहां से निकल रहे अखबार ‘ट्रॉली टाइम्स’ के बारे में पूछने पर कोई भी आंदोलनकारी बता देता है कि ट्रॉली टाइम्स का ऑफिस पिलर नंबर-783 के पास है।

किसान आंदोलन में बड़ी संख्या में युवा शामिल हैं। वे बैनर-पोस्टर के माध्यम से आंदोलन को मजबूत कर रहे हैं।

टीकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन इतना मजबूत हो गया है कि यहां से न सिर्फ अखबार निकलने लगा है बल्कि लाइब्रेरी भी खुल गई है। ट्रॉली थिएटर नाम से एक थिएटर चलाया जाने लगा है। किसान मॉल बन चुका है, जहां जरूरत की लगभग सभी चीज़ें किसानों के लिए फ्री हैं। वॉशिंग मशीनें लग चुकी हैं। बूढ़े किसानों के लिए हीटर और फुट मसाजर लग चुके हैं। किसानों के अस्थायी डेरे किसी गांव जैसा रूप लेने लगे हैं।

दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का शुरुआती दौर में सबसे बड़ा केंद्र दिल्ली के उत्तरी छोर पर बसा सिंघु बॉर्डर ही था। उस वक्त टीकरी बॉर्डर के मुकाबले सिंघु बॉर्डर कई गुना ज़्यादा किसान जमा हो चुके थे। धीरे-धीरे अब टीकरी बॉर्डर पर भी किसानों की संख्या लगभग उतनी ही हो चुकी है जितनी सिंघु बॉर्डर पर है।

इस आंदोलन में पहले दिन से शामिल हरियाणा के किसान मीत मान कहते हैं, ‘सिंघु बॉर्डर पर पहले दिन से ही किसानों की संख्या इसलिए ज्यादा थी, क्योंकि पंजाब से आए किसानों के जत्थे जीटी रोड होते हुए पहुंच रहे थे। सिंघु बॉर्डर उसी रोड पर था इसलिए वहां एक साथ हजारों किसान पहुंच चुके थे। टीकरी में किसान धीरे-धीरे और अलग-अलग जत्थों में ज्यादा पहुंचे हैं। इसलिए यहां आंदोलन को बड़ा होने में समय ज़्यादा लगा।’

टीकरी बॉर्डर पर अब न सिर्फ अखबार निकलने लगा है बल्कि शहीद भगत सिंह के नाम से एक पुस्तकालय भी खुल गया है।

मीत मान यह भी दावा करते हैं कि आज टीकरी बॉर्डर पर किसानों की संख्या हजारों में हो चुकी है। मीत मान का यह दावा अतिशयोक्ति भी नहीं है। टीकरी बॉर्डर से दिल्ली-रोहतक रोड पर किसानों का जमावड़ा लगभग 20 किलोमीटर लंबा हो चुका है। टीकरी से लेकर सापला के पास रोहद टोल प्लाजा तक, किसानों की ट्रैक्टर-ट्रॉली खड़ी दिखती हैं।

टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन के धीरे-धीरे बढ़ने का एक कारण यह भी है कि यहां हरियाणा से आए उन किसानों की संख्या ज्यादा है जो आंदोलन में एक साथ न आकर अलग-अलग समय पर शामिल हुए हैं। हरियाणा के झज्जर, रोहतक, जींद, कैथल, फतेहाबाद, हिसार, सिरसा, भिवानी, और चरखी दादरी जैसे जिलों में तमाम किसानों के लिए सिंघु की तुलना में टीकरी बॉर्डर ज्यादा नजदीक है। लिहाजा वे यहीं जमा हो रहे हैं।

संख्या की बात करें तो आज टीकरी बॉर्डर पर लगभग उतने ही किसान जमा हो चुके हैं, जितने कि सिंघु बॉर्डर पर। इसके बाद भी आंदोलन के इन दोनों केंद्रों पर कई अंतर पहली नज़र में ही देखे जा सकते हैं। टीकरी के मुकाबले सिंघु बॉर्डर पर व्यवस्थाएं ज्यादा हैं। उनका मैनेजमेंट भी बेहतर तरीके से हो रहा है। मसलन रात को पूरे इलाके की सिक्योरिटी से लेकर सड़कों की सफाई तक की जो व्यवस्था सिंघु बॉर्डर पर नजर आती है वैसी टीकरी बॉर्डर पर नहीं है।

आंदोलन में शामिल बुजुर्ग किसानों के लिए हर जरूरत की चीज यहां उपलब्ध है। उनकी हेल्थ का भी ध्यान रखा जा रहा है।

राजस्थान से आए किसान गौरव सिंह कहते हैं, टीकरी बॉर्डर की अव्यवस्थाओं में दिल्ली सरकार की भी बड़ी भूमिका है। अरविंद केजरीवाल भले ही किसानों के साथ होने की बात बोल रहे हैं लेकिन उनकी तरफ से यहां कोई मदद नहीं पहुंच रही है। सिर्फ दो मोबाइल टॉयलेट दिल्ली सरकार ने यहां लगवाए हैं। यहां सफाई तक नहीं हो रही है। हरियाणा की नगर पालिकाएं कहीं बेहतर काम कर रही हैं। यहां सड़क के एक तरफ दिल्ली है और दूसरी तरफ हरियाणा। हरियाणा के इलाकों में नगर निगम के लोग दिन-रात सफाई के लिए मौजूद रहते हैं।’

गौरव कहते हैं, ‘ये अव्यवस्थाएं भी धीरे-धीरे दूर हो रही हैं और किसान ही सब कुछ व्यवस्थित कर रहे हैं। भयानक ठंड में किसी तरह वे अपनी लड़ाई को जारी रखने के लिए वे सब कुछ कर रहे हैं। वे ये संकल्प लेकर आए हैं कि कानून वापस करवाने से पहले किसी हाल में नहीं लौटेंगे चाहे इसमें जितना भी समय लग जाए। अभी तो किसानों ने हाइवे पर सिर्फ तंबू गाड़े हैं, अगर सरकार ने कानून वापस नहीं लिए तो किसान यहीं पक्के मकान बना लेंगे।’



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तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।


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सुनो 2020... जा रहे हो! अपना साल भर का हिसाब-किताब भी साथ ही लेते जाओ

1 जनवरी 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया था, ‘यह एक अद्भुत साल है। यह साल खुशी और संपन्नता से भर देगा। इस साल में सब स्वस्थ रहें और सबकी आकांक्षाएं पूरी हों।’ 2020 ने तो मोदी की नहीं सुनी। खुशी और संपन्नता तो दूर, आटा-दाल से लेकर शराब तक के लिए लंबी-लंबी कतारें लगीं। सेहत का आलम ये रहा कि कोरोना को भगाने के लिए मुकेश अंबानी तक एंटीलिया की छत पर थाली-कटोरा पीटते दिखे। आकांक्षाएं तो सबकी धरी की धरी रह गईं।

चलते हैं छोटे से सफर पर... यहां हमने बीते साल के 12 महीनों की तस्वीरें उकेरी हैं। देखिए और बताइए कि क्या आपकी जिंदगी भी यहीं से गुजरी या आपने कुछ और किया...



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How Indians changed their habits in 2020


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बेंगलुरू में न्यू ईयर पार्टी बैन, मुम्बई, शिमला और मनाली में नाइट कर्फ्यू ने जश्न की तैयारियों पर फेरा पानी

देश में इस बार नया साल मनाना आसान नहीं होगा। न्यू ईयर ग्रैंड सेलिब्रेशन के लिए प्रसिद्ध मुंबई, बेंगलुरू, मैसूर और पुड्डुचेरी में नए साल की वो तस्वीर नहीं दिखेगी, जो यहां के जश्न के लिए मशहूर है। सबसे कम पाबंदियां गोवा में हैं, लेकिन यहां की महंगाई के बीच नया साल मनाना आसान नहीं होगा।

जानिए, देशभर के वो शहर, जो नए साल के जश्न के लिए मशहूर हैं, वहां के हालात कैसे हैं और नए साल का सेलिब्रेशन कैसे होगा, पूरी रिपोर्ट...

मैसूर : आतिशबाजी से रोशन होने वाला मैसूर पैलेस इस साल सूना रहेगा

मैसूर पैलेस को देखने हर साल करीब 60 लाख पर्यटक पहुंचते हैं। विंटर फेस्टिवल से जगमगाने वाला यह पैलेस इस साल शांत है। नाइट कर्फ्यू के कारण यहां न्यू ईयर सेलिब्रेशन नहीं होगा।
  • कर्नाटक के मैसूर पैलेस में हर साल 24 दिसंबर से ही विंटर फेस्टिवल का आगाज होता है। आतिशबाजी देखने के लिए बड़ी संख्या में सैलानी यहां आते हैं, लेकिन इस साल प्रशासन ने विंटर फेस्टिवल पर पूरी तरह रोक लगा दी है। मैसूर होटल ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सी. नारायण गोड़ा के मुताबिक, मैसूर का कोई भी बड़ा होटल इस साल न्यू ईयर पार्टी की तैयारी नहीं कर रहा है। कर्नाटक में 23 दिसंबर से नाइट कर्फ्यू लागू है, जो 2 जनवरी तक जारी रहेगा।

गोवा: यहां सख्त पाबंदियां नहीं, न्यू ईयर पर 10 ग्रैंड पार्टियों की प्लानिंग

गोवा में न्यू ईयर पार्टी का नजारा ऐसा होता है। यहां हर साल 31 दिसंबर को 25 से 30 ग्रैंड पार्टी ऑर्गनाइज की जाती हैं। इस साल यहां 10 बड़ी पार्टी ही ऑर्गनाइज की जाएंगी। - फाइल फोटो
  • नया साल गोवा में सेलिब्रेट कर सकते हैं, क्योंकि यहां प्रशासन की तरफ से सख्त पाबंदियां नहीं हैं। गोवा में 31 दिसंबर को 10 बड़ी पार्टीज शेड्यूल हैं। हर साल यहां 30 बड़ी पार्टीज ऑर्गनाइज की जाती हैं। महामारी में बिना किसी बंदिश के न्यू ईयर सेलिब्रेट करने के लिए गोवा इस साल बेहतर डेस्टिनेशन है।
  • पुणे की ट्रैवल एजेंसी श्री विनायक हॉलीडेज के ओनर संतोष गुप्ता के मुताबिक, नए साल के लिए गोवा, महाबलेश्वर और लोनावला के लिए जाने वाली कैब में 40% तक बढ़ोतरी हुई है। ट्रैवल कंपनी गो आईबीबो का हालिया सर्वे कहता है कि 60% भारतीय बीच या हिल्स वाले टूरिस्ट स्पॉट पर नया साल मनाना चाहते हैं।

शिमला-मनाली: बिना पार्टी सेलिब्रेट करना होगा न्यू ईयर, नाइट कर्फ्यू में एक घंटे की ढील

यह शिमला की माल रोड है। यहां हर साल क्रिसमस और न्यू ईयर के सेलिब्रेशन का भव्य नजारा दिखता है, लेकिन इस साल नाइट कर्फ्यू के कारण सन्नाटा रहेगा।
  • हिमाचल प्रदेश के शिमला, मंडी, कांगड़ा और कुल्लू में 5 जनवरी तक के लिए नाइट कर्फ्यू लागू रहेगा। रात 9 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू की टाइमिंग थी, लेकिन क्रिसमस से पहले इसमें एक घंटे की छूट दी गई है। अब कर्फ्यू रात 10 बजे से लगेगा। यहां हर तरह की पब्लिक गैदरिंग पर रोक है। अगर आप न्यू ईयर सेलिब्रेट करने शिमला या मनाली जा रहे हैं तो पहाड़ों के बीच सुकून के पल तो बिता सकते हैं, पर न्यू ईयर पार्टी का जश्न नहीं मना पाएंगे।

मुम्बई: मायानगरी में नाइट कर्फ्यू के बीच होगी नए साल की शुरुआत

मुम्बई में 5 जनवरी तक नाइट कर्फ्यू लागू रहेगा। गेटवे ऑफ इंडिया के आसपास होने वाले इवेंट भी इस साल नहीं हो रहे हैं।
  • मुम्बई में नए साल की शुरुआत नाइट कर्फ्यू के बीच होगी। बृहन्मुंबई महानगर पालिका, यानी BMC ने यहां रात 11 से सुबह 6 बजे तक रेस्टोरेंट, होटल, बार और फूड कोर्ट बंद रखने के आदेश दिए हैं। ब्रिटेन में कोरोना का नया स्ट्रेन सामने आने के बाद 21 दिसंबर से नाइट कर्फ्यू लगाया गया, जो 5 जनवरी तक लगा रहेगा। रात 8 बजे के पहले एक जगह पर अधिकतम 50 लोग इकट्ठा हो सकते हैं।
  • पुणे में भी नए साल की ग्रैंड पार्टीज न के बराबर देखने को मिलेंगी। पुणे के एसोसिएशन ऑफ क्लब्स के अध्यक्ष ने बताया कि 31 दिसंबर को सभी क्लब संचालक सोशल डिस्टेंसिंग को देखते हुए बड़ी पार्टी ऑर्गनाइज करने से बच रहे हैं।

बेंगलुरु: न्यू ईयर के जश्न पर बैन, रात में घर से बाहर भी नहीं निकल सकेंगे

यह बेंगलुरु की चर्च स्ट्रीट है। हर साल 31 दिसंबर की रात यहां लोगों की भीड़ होती है। नाइट कर्फ्यू के कारण इस साल यहां न्यू ईयर सेलिब्रेशन नहीं हो सकेगा। - फाइल फोटो
  • एमजी रोड, ब्रिगेड रोड और चर्च स्ट्रीट पर होने वाला सेलिब्रेशन बेंगलुरु के न्यू ईयर की पहचान है। इस साल कोरोनाकाल में ये तीनों जगहें सूनी रहेंगी। बेंगलुरु महानगर पालिका के कमिश्नर मंजूनाथ प्रसाद ने बताया कि इस साल पब और रेस्टोरेंट में होने वाले सभी न्यू ईयर सेलिब्रेशन पूरी तरह बैन रहेगा। कर्नाटक सरकार भी राज्य में क्रिसमस और न्यू ईयर पार्टीज पर रोक लगाने की गाइडलाइन जारी कर चुकी है। यहां 23 दिसंबर से 2 जनवरी तक नाइट कर्फ्यू लागू रहेगा। सिर्फ जरूरी प्रोग्राम हो सकेंगे, जिसमें कोविड गाइडलाइन का पालन करना जरूरी है।

पुड्डुचेरी: नियमों में बंधी रहेंगी पार्टियां, खुली जगहों पर ही मनेगा जश्न

सिर्फ नया साल ही नहीं, जनवरी में होने वाले दूसरे फेस्टिवल्स भी पाबंदियों के बीच मनेंगे। न्यू पार्टीज बीच के किनारे खुले में ऑर्गनाइज की जाएंगी। इस दौरान मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी होगा।
  • पुड्डुचेरी के बीच रोड पर होने वाली न्यू ईयर पार्टियां लोकल्स के साथ ही बड़ी संख्या में सैलानियों का ध्यान भी खींचती हैं। बीच पार्टियों के लिए प्रशासन ने नई गाइडलाइन लागू की है। सभी बीच पार्टीज के ऑर्गेनाइजर्स को निर्देश दिए गए हैं कि जश्न में शामिल होने वाले गेस्ट्स की संख्या कम से कम रखें। पार्टियां खुली जगहों पर ही ऑर्गेनाइज की जाएंगी।
  • यहां ओपन पार्टी में भी मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। मुख्यमंत्री वी. नारायणस्वामी का कहना है कि सिर्फ नया साल ही नहीं, सेनी पेयरची और पोंगल जैसे त्योहार को भी सख्त पाबंदियों के बीच मनाया जाएगा।


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Goa Mumbai; New Year 2020 Celebrations India News Photo Update | Celebrations in Goa Shimla Mumbai To Bengaluru Mysore Palace


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