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राजस्थान के करौली में पुजारी को जिंदा जलाकर मार डालने के 18 दिन बाद अलवर में भी दिल दहलाने वाला मामला सामने आया है। यहां के कुमपुर गांव में शनिवार शाम पांच महीने से तनख्वाह मांग रहे शराब ठेके के सेल्समैन की जिंदा जलाकर हत्या कर दी गई।
थाना प्रभारी दारा सिंह के मुताबिक, झाड़का निवासी रूप सिंह धानका ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि मेरा भाई कमल किशाेर (23) शराब ठेका संचालक राकेश यादव और सुभाषचंद के यहां काम करता था। यह ठेका कुमपुर-भगेरी माेड़ पर एक कंटेनर में चलाया जा रहा था। ठेकेदार ने कमल को 5 महीने से तनख्वाह नहीं दी थी।
‘तनख्वाह मांगने पर उससे मारपीट करते और धमकी देते थे। शनिवार शाम करीब 4 बजे ठेकेदार राकेश और सुभाष घर आए और उसे साथ ले गए। कमल पूरी रात घर नहीं आया तो हमने साेचा कि वह ठेकेदाराें के साथ कहीं गया हाेगा। रविवार सुबह पता चला कि कुमपुर शराब ठेके में आग लग गई है। परिवार के साथ मौके पहुंचे और पुलिस की मौजूदगी में लोहे के कंटेनर को खुलवाया। अंदर कमल का जला हुआ शव डीप फ्रीजर के अंदर बैठी हुई अवस्था में मिला।
राकेश और सुभाष ने ही कमल को पेट्राेल डालकर जिंदा जलाया, फिर कंटेनर में आग लगा दी। परिजनों की शिकायत पर सुभाष यादव निवासी भेड़टा श्योपुर और ठेकेदार राकेश यादव निवासी फतियाबाद के खिलाफ हत्या करने और एससीएसटी एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।’
बड़ा सवाल- कंटेनरनुमा बक्से में कैसे चलाया जा रहा था शराब ठेका
डीएसपी ताराचंद ने बताया कि भगेरी माेड़ पर शराब के ठेकेदार राकेश यादव और सुभाष चंद के लोग इसे चलाते हैं। ठेके के कागजात मंगाए हैं। आरोपी ठेकेदार राकेश यादव की मां ग्राम पंचायत माछरौली की सरपंच हैं। ठेका आबकारी विभाग के निर्धारित मापदंडों के विपरीत सड़क पर रखे एक कंटेनरनुमा बक्से में चल रहा था। ऐसे में इस भयावह घटना के लिए विभाग भी जिम्मेदार है। नियमानुसार सीसीटीवी कैमरा तक नहीं लगा था।
न्यायिक जांच पर अड़े परिजन
घटना से नाराज परिजन न्यायिक जांच की मांग करते हुए पाेस्टमॉर्टम नहीं कराने पर अड़ गए। डीएसपी और थानाधिकारी की समझाइश के बाद रविवार को मेडिकल बाेर्ड ने पोस्टमॉर्टम किया। डीएसपी ताराचंद ने बताया कि मामला गंभीर और संदिग्ध है। फोरेंसिक की टीम भी घटनाक्रम और मौके की पड़ताल कर रही है।
भाजपा ने बिहार चुनाव में अपने घोषणा पत्र में कहा कि चुनाव जीते तो प्रदेश के सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन फ्री दी जाएगी। विपक्ष इस पर हंगामा कर रहा है। उसका कहना है कि चुनाव वाले राज्य में फ्री वैक्सीन का वादा बाकी राज्यों से भेदभाव है। इस बीच केंद्रीय मंत्री प्रताप सारंगी ने रविवार को दावा किया कि देश के सभी लोगों को वैक्सीन फ्री दी जाएगी।
हालांकि, सारंगी ने भी ये दावा एक चुनावी मीटिंग के बाद ही किया। ओडिशा के बालासोर में 3 नवंबर को उपचुनाव है। सारंगी रविवार को इसी सिलसिले में मीटिंग लेने वहां पहुंचे थे। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के सभी लोगों को वैक्सीन फ्री उपलब्ध करवाने का ऐलान कर चुके हैं। हर आदमी के वैक्सिनेशन पर करीब 500 रुपए का खर्च आएगा।
ओडिशा के मंत्री ने केंद्रीय मंत्रियों से सफाई मांगी थी
ओडिशा के फूड सप्लाई एंड कंज्यूमर वेलफेयर मिनिस्टर आरपी स्वैन के सवाल के जवाब में सारंगी ने देशभर में फ्री वैक्सीन की बात कही। स्वैन ने केंद्र में ओडिशा के दोनों मंत्रियों धर्मेंद्र प्रधान और प्रताप सारंगी से इस बात पर सफाई मांगी थी कि बिहार में फ्री वैक्सीन के वादे के बाद ओडिशा को लेकर भाजपा का क्या स्टैंड है?
कई राज्य सरकारें फ्री वैक्सीन का ऐलान कर चुकीं
तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, असम और पुडुचेरी पहले ही कह चुके हैं कि वे अपने लोगों को वैक्सीन फ्री देंगे। उधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पूरे देश के लिए फ्री वैक्सीन की मांग उठा चुके हैं।
from Dainik Bhaskar /national/news/all-citizens-in-the-country-to-get-free-covid-19-vaccine-says-union-minister-pratap-sarangi-127850974.html
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भाजपा ने बिहार चुनाव में अपने घोषणा पत्र में कहा कि चुनाव जीते तो प्रदेश के सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन फ्री लगाई जाएगी। विपक्ष इस पर हंगामा कर रहा है। इस बीच केंद्रीय मंत्री प्रताप सारंगी ने रविवार को कहा कि देश के सभी लोगों को वैक्सीन फ्री दी जाएगी।
हालांकि, सारंगी ने भी ये दावा एक चुनावी मीटिंग के बाद ही किया। ओडिशा के बालासोर में 3 नवंबर को उपचुनाव है। सारंगी रविवार को इसी सिलसिले में मीटिंग लेने वहां पहुंचे थे। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के सभी लोगों को वैक्सीन फ्री उपलब्ध करवाने का ऐलान कर चुके हैं। हर आदमी के वैक्सिनेशन पर करीब 500 रुपए का खर्च आएगा।
ओडिशा के मंत्री ने केंद्र से सफाई मांगी थी
ओडिशा के फूड सप्लाई एंड कंज्यूमर वेलफेयर मिनिस्टर आरपी स्वैन के सवाल के जवाब में सारंगी ने ऐसा कहा। स्वैन ने केंद्र में ओडिशा के दोनों मंत्रियों धर्मेंद्र प्रधान और प्रताप सारंगी से पहले इस बात पर सफाई मांगी थी कि बिहार में फ्री वैक्सीन के वादे के बाद ओडिशा को लेकर भाजपा का क्या स्टैंड है?
कई राज्य सरकारें फ्री वैक्सीन का ऐलान कर चुकीं
तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, असम और पुडुचेरी पहले ही कह चुके हैं कि वे अपने लोगों को वैक्सीन फ्री देंगे। उधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल यह मांग उठा चुके हैं कि देश के सभी लोगों को वैक्सीन फ्री मिलनी चाहिए।
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कोरोना के आंकड़े लगातार कम हो रहे हैं। रविवार को 45 हजार 65 नए केस आए यह 96 दिन में सबसे कम केस हैं। इससे कम 39 हजार 170 केस 21 जुलाई को आए थे। इसी तरह मौत का आंकड़ा भी बीते 24 घंटे में 460 रहा। यह बीते 106 दिन में सबसे कम है। इससे पहले 5 जुलाई को 421 केस आए थे।
रविवार को 58 हजार 180 मरीज ठीक हुए। इससे एक्टिव केस, यानी इलाज करा रहे मरीजों की संख्या में 13 हजार 583 की कमी आई। अब कुल 6.54 लाख मरीजों का इलाज चल रहा है। अब तक 79.9 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 71.33 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.19 लाख संक्रमितों की मौत हो चुकी है।
14 राज्यों और केंद्र शासित राज्यों में डेथ रेट 1% से भी कम
कोरोना अपडेट्स
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। उन्होंने ट्वीट करके यह जानकारी दी
पिछले पांच दिनों में रिकवरी रेट में 2% का इजाफा हुआ है। 19 अक्टूबर को 87% रिकवरी रेट था, जो अब 89.74% हो गया है।
16 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में एक्टिव केस पांच हजार से कम हो गए हैं। सबसे कम दादरा एवं नगर हवेली में 51, मिजोरम में 175, अंडमान-निकोबार में 204, सिक्किम में 242 मरीजों का इलाज चल रहा है। इनके अलावा उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर, पुड्डुचेरी, गोवा, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नगालैंड, मेघालय, लद्दाख और चंडीगढ़ में भी एक्टिव केस की संख्या कम है।
भारत बायोटेक को वैक्सीन के बड़े स्तर पर ट्रायल को मंजूरी मिल गई है। फर्म ने 12 से 14 राज्यों के 20 हजार वॉलंटियर्स पर ट्रायल की तैयारी शुरू कर दी है।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
राज्य में रविवार को 951 नए मरीज मिले, 1181 लोग ठीक हुए और 10 मरीजों की मौत हो गई। संक्रमितों का आंकड़ा अब 1 लाख 67 हजार 249 हो गया है। इनमें 11 हजार 237 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 53 हजार 127 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 2885 मरीजों की मौत हो चुकी है।
2. राजस्थान
राज्य में रविवार को 1821 लोग संक्रमित पाए गए। 2240 लोग रिकवर हुए और 13 मरीजों की मौत हो गई। 1 लाख 86 हजार 243 लोग अब तक संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 16 हजार 668 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 67 हजार 736 लोग ठीक हो चुके हैं।
3. बिहार
राज्य में कोरोना टेस्टिंग का आंकड़ा 1 करोड़ के पार हो गया। पिछले 24 घंटे में 1.4 लाख लोगों की जांच हुई। इनमें 749 लोग संक्रमित पाए गए। अब तक 2 लाख 12 हजार 192 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 10 हजार 222 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 920 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 1049 मरीजों की मौत हो चुकी है।
4. महाराष्ट्र
राज्य में पिछले 24 घंटे के अंदर 6059 नए मरीज मिले, 5648 लोग रिकवर हुए और 112 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 16 लाख 45 हजार 20 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 1 लाख 40 हजार 486 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 14 लाख 60 हजार 755 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 43 हजार 264 मरीजों की मौत हो चुकी है।
5. उत्तरप्रदेश
राज्य में कोरोना के चलते जान गंवाने वालों की संख्या 6882 हो गई है। रविवार को 28 संक्रमितों की मौत हुई। 2032 नए मरीज मिले और 2368 लोग रिकवर हुए। अब तक 4 लाख 70 हजार 270 संक्रमितों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें 27 हजार 317 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 36 हजार 71 लोग ठीक हो चुके हैं।
कोरोना के आंकड़े लगातार कम हो रहे हैं। रविवार को 45 हजार 65 नए केस आए यह 96 दिन में सबसे कम केस हैं। इससे कम 39 हजार 170 केस 21 जुलाई को आए थे। इसी तरह मौत का आंकड़ा भी बीते 24 घंटे में 460 रहा। यह बीते 106 दिन में सबसे कम है। इससे पहले 5 जुलाई को 421 केस आए थे।
रविवार को 58 हजार 180 मरीज ठीक हुए। इससे एक्टिव केस, यानी इलाज करा रहे मरीजों की संख्या में 13 हजार 583 की कमी आई। अब कुल 6.54 लाख मरीजों का इलाज चल रहा है। अब तक 79.9 लाख केस आ चुके हैं। इनमें से 71.33 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.19 लाख संक्रमितों की मौत हो चुकी है।
14 राज्यों और केंद्र शासित राज्यों में डेथ रेट 1% से भी कम
कोरोना अपडेट्स
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। उन्होंने ट्वीट करके यह जानकारी दी
पिछले पांच दिनों में रिकवरी रेट में 2% का इजाफा हुआ है। 19 अक्टूबर को 87% रिकवरी रेट था, जो अब 89.74% हो गया है।
16 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में एक्टिव केस पांच हजार से कम हो गए हैं। सबसे कम दादरा एवं नगर हवेली में 51, मिजोरम में 175, अंडमान-निकोबार में 204, सिक्किम में 242 मरीजों का इलाज चल रहा है। इनके अलावा उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर, पुड्डुचेरी, गोवा, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नगालैंड, मेघालय, लद्दाख और चंडीगढ़ में भी एक्टिव केस की संख्या कम है।
भारत बायोटेक को वैक्सीन के बड़े स्तर पर ट्रायल को मंजूरी मिल गई है। फर्म ने 12 से 14 राज्यों के 20 हजार वॉलंटियर्स पर ट्रायल की तैयारी शुरू कर दी है।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
राज्य में रविवार को 951 नए मरीज मिले, 1181 लोग ठीक हुए और 10 मरीजों की मौत हो गई। संक्रमितों का आंकड़ा अब 1 लाख 67 हजार 249 हो गया है। इनमें 11 हजार 237 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 53 हजार 127 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 2885 मरीजों की मौत हो चुकी है।
2. राजस्थान
राज्य में रविवार को 1821 लोग संक्रमित पाए गए। 2240 लोग रिकवर हुए और 13 मरीजों की मौत हो गई। 1 लाख 86 हजार 243 लोग अब तक संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 16 हजार 668 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 1 लाख 67 हजार 736 लोग ठीक हो चुके हैं।
3. बिहार
राज्य में कोरोना टेस्टिंग का आंकड़ा 1 करोड़ के पार हो गया। पिछले 24 घंटे में 1.4 लाख लोगों की जांच हुई। इनमें 749 लोग संक्रमित पाए गए। अब तक 2 लाख 12 हजार 192 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 10 हजार 222 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 920 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 1049 मरीजों की मौत हो चुकी है।
4. महाराष्ट्र
राज्य में पिछले 24 घंटे के अंदर 6059 नए मरीज मिले, 5648 लोग रिकवर हुए और 112 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 16 लाख 45 हजार 20 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें 1 लाख 40 हजार 486 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 14 लाख 60 हजार 755 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के चलते अब तक 43 हजार 264 मरीजों की मौत हो चुकी है।
5. उत्तरप्रदेश
राज्य में कोरोना के चलते जान गंवाने वालों की संख्या 6882 हो गई है। रविवार को 28 संक्रमितों की मौत हुई। 2032 नए मरीज मिले और 2368 लोग रिकवर हुए। अब तक 4 लाख 70 हजार 270 संक्रमितों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें 27 हजार 317 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 36 हजार 71 लोग ठीक हो चुके हैं।
देश के चारधाम में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। 15 नवंबर को गंगोत्री, 16 नवंबर को यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट भी बंद हो जाएंगे। वहीं, देश में आज भी कुछ स्थानों पर दशहरा मनाया जाएगा। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर
IPL में पंजाब और कोलकाता के बीच शारजाह में शाम साढ़े सात बजे से मैच खेला जाएगा।
आज से दिल्ली में आर्मी कमांडर्स की कॉन्फ्रेंस शुरू होगी, जो 29 अक्टूबर तक चलेगी।
भारत और अमेरिका के बीच तीसरी 2+2 मिनिस्ट्रियल वार्ता। LAC पर चीन की आक्रामकता का मुद्दा उठेगा।
आर्मी कमांडर्स लद्दाख में चीन के साथ जारी तनाव के बीच हालात की समीक्षा करेंगे।
देश- विदेश
बॉलीवुड पर NCB का शिकंजा
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने टीवी एक्ट्रेस प्रीतिका चौहान समेत 5 लोगों को ड्रग्स मामले में गिरफ्तार किया है। प्रीतिका कई टीवी सीरियल्स में काम कर चुकी हैं। प्रीतिका को 8 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। अब तक ड्रग्स मामले में 23 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं।
DGCA की 12,983 घरेलू उड़ानों को मंजूरी
डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने विंटर शेड्यूल के लिए एविएशन कंपनियों को 12,983 वीकली डोमेस्टिक फ्लाइट की मंजूरी दी है। यह शेड्यूल 25 अक्टूबर से अगले साल 27 मार्च तक चलेगा। पिछले साल विंटर सीजन के लिए 23,307 घरेलू उड़ानों को मंजूरी मिली थी।
बिहार चुनाव में अब तंत्र-मंत्र
डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी बोले कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने मुझे मारने के लिए 3 साल पहले तांत्रिक अनुष्ठान करवाया था। लालू खुद को बचाने के लिए तंत्र-मंत्र और पशुबलि कराते रहे हैं। तेजस्वी ने कहा कि ऐसे अजीब बयान पर क्या बोलूं। उनको तो बेरोजगारी पर बोलना था।
मध्य प्रदेश कांग्रेस में फिर टूट
मध्य प्रदेश में उपचुनाव में वोटिंग से 8 दिन पहले दमोह से कांग्रेस विधायक राहुल सिंह लोधी ने पार्टी छोड़ दी। और भाजपा में शामिल हो गए। प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने बताया कि लोधी ने दो दिन पहले ही इस्तीफा दे दिया था। हमने उन्हें सोचने के लिए दो दिन का वक्त दिया था।
नेपाल के रुख में आई नरमी
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने सोशल मीडिया पर विजयादशमी की बधाई दी। इस बधाई संदेश में उन्होंने नेपाल का पुराना नक्शा साझा किया, जिसमें कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा शामिल नहीं है। यह बदलाव RAW चीफ सामंत कुमार गोयल और ओली की मुलाकात के बाद दिखा।
ओरिजिनल
ऐसे मनता है मैसूर का दशहरा
दशहरा को कर्नाटक में स्टेट फेस्टिवल का दर्जा मिला है। यहां 10 दिन तक दशहरा मनाया जाता है। सबसे खास है जम्बो सवारी और टॉर्च लाइट परेड। इसमें 21 तोपों की सलामी के साथ महल से हाथियों का जुलूस निकलता है। एक हाथी पर देवी चामुंडेश्वरी की प्रतिमा भी रखी जाती है।
निशा ग्रेजुएट हैं और गुड्डी पांचवीं पास, लेकिन ये दोनों ऑनलाइन गिफ्टिंग प्लेटफॉर्म ‘गीक मंकी’ की डायरेक्टर हैं। दोनों की उम्र भले ही 50 प्लस है, लेकिन इनका जज्बा किसी यंग आंत्रप्रेन्योर से कम नहीं हैं।दोनों की कंपनी का सालाना टर्नओवर अब 2 करोड़ रुपए का हो चुका है।
देश में कोरोना के मरीजों का आंकड़ा 78.24 लाख को पार कर चुका है। करीब 90% लोग रिकवर हो चुके हैं। 19 अक्टूबर को 87% रिकवरी रेट था, जो 24 अक्टूबर तक 89.74% गया। तो क्या कोरोना का खतरा खत्म हो गया? नहीं, तो क्या है इसका कारण? क्या है दूसरी लहर?
महाराष्ट्र में 4 डॉक्टर दूसरी बार संक्रमित हो गए। देश-दुनिया में ऐसे मामले रोज आ रहे हैं। एम्स दिल्ली में रुमेटोलॉजी डिपॉर्टमेंट की हेड डॉ. उमा कुमार कहती हैं कि कोरोना से ठीक हो चुके 100 में से 20 लोगों में पोस्ट कोविड-19 सिंड्रोम देखने का मिल रहा है। री-इंफेक्शन्स के भी केस आ रहे हैं।
2015 के विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले पटना में अपने घर श्रीकृष्ण पुरी में बैठे रामविलास पासवान लोगों से मिल रहे थे। घर के दूसरे कमरे में बेटे चिराग लोजपा के कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग कर रहे थे। तब रामविलास ने बड़े गर्व से कहा था- ‘चिराग ने सब संभाल लिया है।’
1. विजयादशमी पर रविवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर स्थित मुख्यालय में कहा कि राम मंदिर पर 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का असंदिग्ध निर्णय आया। सारे देश ने उसे स्वीकार किया।
2. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दशहरे पर दार्जीलिंग के सुकना वॉर मेमोरियल में कहा कि भारत चाहता है कि चीन के साथ सीमा पर चल रहा तनाव खत्म हो। इस इलाके की शांति बनी रहे।
3. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 70वीं बार 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए देश को संदेश दिया। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में आगे भी कई त्योहार आने वाले हैं। हमें संयम से रहना है।
पिछले दिनों जब हाथरस में गैंगरेप की घटना सामने आई तो पीड़िता और दुष्कर्म से ज्यादा उसके दलित होने की चर्चा हुई। देश के कई इलाकों में आज भी दलित-सवर्ण के बीच छुआछूत और भेदभाव मौजूद है। उसे ही जानने पहली ग्राउंड रिपोर्ट - हरियाणा के हिसार में भाटला गांव से...
करीब दस हजार की आबादी के इस गांव के चारों कोनों पर चार बड़े तालाब हैं लेकिन पीने के पानी के लिए पूरे गांव में सिर्फ एक ही नल। इसी नल पर जून 2017 में पहले पानी भरने को लेकर दलित और सवर्ण युवकों के बीच लड़ाई हुई। मामला थाने पहुंचा तो गांव में पंचायत बैठ गई। बात ठन गई और बनते-बनते ऐसी बिगड़ी कि गांव में सवर्ण समाज ने दलितों का बहिष्कार कर दिया। 'दलितों के बहिष्कार' का ये विवाद अब सुप्रीम कोर्ट में है।
गांव के ही एक तालाब के पास जल बोर्ड के खाली फ्लैटों में नई खुली पुलिस चौकी से वो नल दिखता है जहां पानी भरने को लेकर लड़ाई हुई थी। हर उम्र की लड़कियां छोटी-छोटी टुकड़ियों में पानी भरने आ-जा रही हैं। कुछ लड़के साइकिल-मोटरसाइकिलों से पानी ले जा रहे हैं। इनमें दलित भी हैं और सवर्ण भी।
मेरी नजर आठ माह की गर्भवती सुनीता पर ठहरती है जो अपनी एक सहेली के साथ मटका लिए तेज कदमों से नल की ओर बढ़ रही हैं। यहां जमीन के नीचे पानी खारा है और सरकारी सप्लाई पंद्रह दिन में सिर्फ एक बार होती है। जो पानी खरीद सकते हैं, खरीद रहे हैं। जो नहीं खरीद सकते, वो पानी भरने के लिए मजबूर हैं। मैंने नल का पानी पिया तो रेत दांतों में लगी।
मोटा-मोटी गांव दो हिस्सों में बंटा है। सवर्ण और दलित। सवर्णों की आबादी दलितों से कुछ ज्यादा है। उनके पास जमीनें हैं और दलित सदियों से उनके खेतों पर मजदूरी करते रहे हैं। बीते दो-तीन दशकों से दलितों ने गांव के बाहर निकलकर काम करना शुरू किया है। कुछ हांसी और हिसार जैसे शहरों में भी नौकरियां करते हैं। लेकिन अब भी अधिकतर दलित आबादी अपना पेट भरने के लिए गांव के जाटों और पंडितों के खेतों पर काम करने को मजबूर है।
गांव के आखिरी कोने में दलितों का बड़ा मोहल्ला है। अपने घर में खाली खूंटे दिखाते हुए बिमला कहती हैं, 'पहले चार भैंसे पालते थे। सैकड़ों भेड़-बकरियां थीं। सब बेचना पड़ गया। किसी के खेत में जाओ तो बाहर निकाल देते हैं। हमारे पास न जमीन है ना नौकरी। मेरी बहू को हांसी में काम करने जाना पड़ रहा है।' बिमला के बेटे अजय कुमार उन लोगों में शामिल हैं जिसने दलितों के बहिष्कार मामले में शिकायत दर्ज करवाई है। घर के बाहर जय भीम-जय भारत लिखा है और अंदर भीमराव आंबेडकर की बड़ी तस्वीर लगी है।
दलितों के इस मोहल्ले में जिससे भी बात करो, बंदी शब्द बार-बार सुनाई देता है। दरअसल साल 2017 में जब झगड़ा हुआ था तब गांव में मुनादी कराके दलितों का बहिष्कार कर दिया गया था। इस बहिष्कार को ही ये लोग बंदी कहते हैं। हालांकि सवर्ण समुदाय के लोगों का कहना है कि अब गांव में ऐसे हालात नहीं हैं और सभी का एक-दूसरे के यहां आना जाना है, किसी पर किसी तरह की रोकटोक नहीं है। सबके जवाब अलग-अलग हैं।
ओमप्रकाश गांव के बस स्टैंड पर फल की रेहड़ी लगाते हैं। वो कहते हैं, 'पहले पूरे गांव के लोग मुझसे सामान खरीदते थे। अब बस दलित समाज या सड़क पर आने-जाने वाले लोग ही खरीदते हैं। दूसरी जाति का कोई मेरी दुकान पर नहीं आता।' ओमप्रकाश कहते हैं, ‘उनकी घरवाली किसी दूसरे के खेत में चारा लेने या घास काटने जाती है तो उसे गाली देते हैं। सड़क पर जो घास थी उसमें भी जहरीली दवा छिड़क दी थी।'
यहीं अपने घर के बाहर दलित बुजुर्ग ज्ञानों उदास खड़ी हैं। उनके तीन बेटे थे, तीनों की मौत संदिग्ध हालत में हो गई। उनका सबसे बड़ा बेटा 19 साल का रहा होगा जब दो दशक पहले गांव के एक खेत में उसका शव मिला था। अजय कुमार बताते हैं कि उसकी हत्या हुई थी लेकिन परिवार थाने भी नहीं जा सका था। कुछ साल बाद एक और बेटे ने आत्महत्या कर ली थी। अभी दो महीने पहले तीसरे बेटे की लाश भी संदिग्ध हालत में खेत में मिली। उसके कत्ल के इल्जाम में जाट समुदाय के दो लोग गिरफ्तार किए गए हैं।
भाटला के दलितों का आरोप है कि ऊंची जाति के लोगों के दबाव में नाइयों ने उनके बाल काटने भी बंद कर दिए थे। नाई सुभाष की गांव में दो दुकानें हैं। दलित समाज के लोगों को बाल काटने से मना करने के आरोप में वो सवा तीन महीने की जेल काटकर लौटे हैं। वो कहते हैं, 'तब बंदी थी तो दबाव में मना कर दिया था। अब पछतावा है कि मना नहीं करना था। अब सबके बाल काट रहे हैं। गांव के ही एक किराना दुकानदार भी दलितों को सामान न बेचने के आरोप में जेल गए थे। अब उनकी दुकान पर भी सभी सामान खरीद रहे हैं।
गांव भाटला के मुख्य द्वार पर लगे गौरव-पट्ट के मुताबिक भाट नाम के पूर्वज ने 1448 ईस्वी में गांव को बसाया था। अभी यहां 13 जातियों के लोग रहते हैं। गांव की प्रधान सुदेश बेरवाल और उनके पति पुनीत बेरवाल मस्टर रोल दिखाते हुए कहते हैं, 'मनरेगा में अधिकतर दलित मजदूरी कर रहे हैं। अगर बहिष्कार होता तो क्या दलितों को रोजगार दिया जाता।' वो कहते हैं, 'पूरा गांव दलितों ने बनाया है, हम तो दलितों के साथ बैठकर दारू भी पीते हैं। आप कहो तो अभी पीकर दिखाएं।'
पुनीत आरोप लगाते हैं कि 'एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज होने के बाद जो मुआवजा मिलते है उसके लालच में गलत आरोप लगाए जा रहे हैं। यदि मुआवजा ना मिले तो आरोप भी लगने बंद हो जाएं।' वो कहते हैं, 'अगर बहिष्कार होता तो क्या लोग गांव में रहते। क्या तीन साल से बिना काम करे वो लोग यहां रह पाते। असल में पीड़ित हम हैं और गांव हमें छोड़ना पड़ सकता है।
इन झूठे मुकदमों और गांव की बदनामी की वजह से हमारे बच्चों के रिश्ते तक नहीं हो पा रहे हैं। अब तक दलित उत्पीड़न के एवज में 27 लाख रुपए से अधिक शिकायतकर्ताओं को मिल चुके हैं। दो करोड़ रुपए और मिलने हैं। ये पैसा ना मिलना हो तो मुकदमा भी इतना आगे ना बढ़े।
बिहार का नालंदा जिला। बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का घर। राजनीतिक लहजे में कहें तो नीतीश कुमार का चुनावी किला। विपक्षी पार्टियों के मुताबिक, पिछले 15 साल में सबसे ज्यादा विकास इसी जिले में हुआ। बिहार का अकेला ऐसा जिला भी, जहां नीतीश कुमार के स्वजातीय कुर्मियों का दबदबा है।
इसी वजह से नालंदा को बिहार में ‘कुर्मीस्तान’ भी कहा जाता है। यहां विधानसभा की 7 सीटें हैं। फिलहाल 5 सीट पर जदयू का कब्जा है। एक सीट भारतीय जनता पार्टी के पास है और एक राष्ट्रीय जनता दल के पास है। नालंदा की सभी सीटों पर 3 नवंबर को वोट डाले जाएंगे, लेकिन पूरे जिले में राजनीतिक गतिविधियां अभी से तेज हैं।
हर जगह इस बात की चर्चा है कि अबकी नालंदा में क्या होगा? क्या 15 साल बिहार पर शासन करने वाले नीतीश कुमार इस चुनाव में अपना चुनावी किला सुरक्षित रख पाएंगे? क्या उनकी पार्टी नालंदा जिले में अपने पिछले प्रदर्शन को दोहरा पाएगी या इस बार वो पहले से बेहतर करेंगे?
इन सवालों का जवाब जानने से पहले जरूरी है कि इस बार हुई राजनीतिक मोर्चे बंदी को जान लें। समझ लें कि पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2015 के चुनाव में जो साथ लड़े थे, वो अबकी कहां हैं और किससे लड़ रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में नीतीश कुमार की जदयू और भाजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। नीतीश कुमार महागठबंधन का हिस्सा थे। नीतीश लालू की राजद और कांग्रेस के साथ चुनाव में उतरे थे। उधर, एनडीए में भाजपा के साथ लोकजन शक्ति पार्टी (लोजपा) थी। अब एनडीए में भारतीय जनता पार्टी, जेडीयू और लोजपा के साथ जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा भी है।
इस विधानसभा चुनाव में जदयू ने जिले के 7 विधानसभा सीट में से 6 पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। एक सीट पर भाजपा चुनाव लड़ रही है। महागठबंधन की तरफ से 4 सीटों पर राजद चुनाव लड़ रही है। 3 सीट पर कांग्रेस मैदान में हैं।
अब लौटते हैं उन सवालों पर, जिनका जिक्र शुरू में ही हुआ है। पटना से नालंदा की तरफ चलने पर सबसे पहले हिलसा विधानसभा पड़ता है। विनोद रविदास हिलसा बाजार के खाखी चौक पर ठेला लगा कर कपड़े बेचते हैं। वो राजनीतिक दाव-पेंच तो नहीं जानते, लेकिन इस बात को लेकर साफ हैं कि अबकी बदलाव होना चाहिए।
कहते हैं, “गरीबों के लिए कुछ नहीं हुआ। सड़क, बिजली से पेट नहीं भरता। राशन-ताशन बंद हो रहा है। काम-धंधा है नहीं। पानी, बिजली भी गरीब के टोले में सबसे आखिर में आता है। नीतीश कुमार नालंदा के हैं, लेकिन इस बार तो हम उनको वोट नहीं देंगे।"
विनोद बिहार के उन लाखों वोटर्स का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो बिना कैमरे पर आए, बिना शोर मचाए अपनी बात कहते हैं। हजार कारणों की वजह से वो आज भी अपने ‘मन की बात’ खुलकर नहीं कह पाते।
इस चौक पर करीब आधा घंटा बिताने के बाद साफ-साफ अंदाजा हो जाता है कि अबकी राज्य के मुखिया को उनके घर में ही बड़ी चुनौती मिलने वाली है। प्रोफेसर अवधेश कुमार, इस्लामपुर विधानसभा के वोटर हैं और इनसे हमारी मुलाकात हिलसा कोर्ट में होती है। बकौल अवधेश कुमार इस बार के चुनाव में जदयू को नालंदा से बड़ा झटका लगने वाला है।
इनके मुताबिक पार्टी जीती हुई 5 सीटों में से 3 गंवाने जा रही है। अपने इस आकलन की वजह बताते हुए वो कहते हैं, “देखिए। नीतीश कुमार के शासन में नालंदा जिले का विकास नहीं हुआ है। केवल एक जाति विशेष का विकास हुआ है। उनकी जाति के लोगों को नौकरियां मिली हैं। इस वजह से नालंदा की बाकी जातियों के मतदाताओं में गुस्सा है। वो गुस्सा इस बार आपको वोटिंग में दिखेगा।”
2019 में हुए लोकसभा चुनाव के वक्त तक नालंदा जिले में कुर्मी मतदाताओं की संख्या चार लाख 12 हजार थी। यादवों का वोट करीब तीन लाख, जबकि मुसलमान वोटरों की संख्या एक लाख 60 हजार के करीब थी। जिले में कुशवाहा और अति पिछड़े समुदाय की बड़ी आबादी है।
इलाके के जानकार बताते हैं कि इस चुनाव में नीतीश की लहर नहीं है, वोटिंग तो कास्ट लाइन पर ही होगा। इस सब के बाद नीतीश सरकार को लेकर गैर कुर्मी मतदाताओं में गुस्सा है और इसका असर चुनाव नतीजों पर निश्चित पड़ेगा।
कल्याण बीघा नीतीश कुमार का पैतृक गांव है, जो हरनौत विधानसभा में आता है। इस बार नीतीश कुमार को अपने गांव के लिए वरदान मानने वाले लोग भी डरे हुए हैं। नाम ना बताने की शर्त पर कल्याण बीघा के एक ग्रामीण कहते हैं, “खूब असर पड़ेगा। देखिएगा ना। अबकी साहेब के खिलाफ मोर्चेबाजी है। उनकर नेतवा सब उनको लेकर डूबेगा। ऊ सब सही रिपोर्ट नहीं दे रहा है। ई बार नालंदा भी गड़बड़ा जाएगा।”
राज्य की बाकी विधानसभा सीटों की तरह ही नालंदा के हर विधानसभा सीट का समीकरण भी अलग है। मौजूद विधायक से नाराजगी। जातीय समीकरण और लोजपा उम्मीदवारों द्वारा काटे जाने वाले वोट की वजह से भी हर सीट पर जदयू के लिए मुश्किलें बढ़ रही हैं। इस बार नालंदा में नीतीश कुमार वो चेहरा नहीं हैं, जो अपने दम पर चुनाव जितवा सकें। एक बात जो नीतीश के पक्ष में जा रही है, वो है लालू-राबड़ी का शासन काल।
बिहारशरीफ विधानसभा सीट में एक कुशवाहा बहुल गांव है। नाम है, सोहढ़ी। इस गांव का पूरे देश में ऑर्गेनिक खेती को लेकर नाम है। गांव के सामुदायिक भवन पर कुछ लोग बैठे हैं। जब हम उसने चुनाव का जिक्र करते हैं तो ताश खेल रहे एक बुजुर्ग कहते हैं, “ऐसा तो जीतेगा नतिशे। लालू-राबड़ी के पक्ष में वही बोल रहा है जो खाओ-पकाओ। बाजार में कोरोना के बाद खाना खिला रहे हैं। इसीलिए कह रहे हैं।”
कश्मीर के लोगों को इस साल दोहरे लॉकडाउन की मार झेलनी पड़ी। एक पिछले साल आर्टिकल 370 के हटाने के बाद और फिर इस साल कोरोना के चलते। इस दौरान सबसे ज्यादा दिक्कत स्टूडेंट्स को हुई है। लगभग एक साल तक घाटी में न तो ठीक से पढ़ाई हो पाई और न ही हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी मिल पाई। ऊपर से लॉकडाउन में काम-धंधे बंद होने के बाद आर्थिक तंगी की मार भी झेलनी पड़ी। इन मुश्किल चुनौतियों के बाद भी घाटी के कई छात्रों ने इस बार नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) की परीक्षा में अपना परचम लहराया है।
कुंजर के बटपोरा गांव के रहने वाले जुड़वां भाई गौहर बशीर और शाकिर बशीर ने इस बार नीट एग्जाम पास किया है। गौहर को 720 अंकों में से 657 और शाकिर को 651 मार्क्स मिले हैं। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। पिता किराने की दुकान चलाते हैं। लॉकडाउन में आमदनी भी बंद हो गई थी। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और दोनों बच्चों को भरपूर हौसला दिया। दोनों की सफलता से परिवार ही नहीं, घाटी के लोगों में भी खुशी है। रिश्तेदार बधाई देने के लिए इनके घर आ रहे हैं।
गौहर कहते हैं कि उनके परिवार ने काफी सपोर्ट किया। किसी भी चीज की कमी नहीं होने दी। शाकिर का कहना है कि उनके पेरेंट्स ने बचपन से ही हार्ड वर्क करने की सीख दी। वो बताते हैं कि हम एक मिडल क्लास परिवार से थे और कभी-कभी फाइनेंशियल प्रॉब्लम्स होती थीं, लेकिन हमें हमेशा अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा गया और बाकी परेशानियों से हमें दूर रखा।
उनके पिता बशीर अहमद बेहद खुश हैं कि उनके दोनों बेटों को अच्छे नंबर मिले हैं। वो कहते हैं, 'हमारे पास बहुत कुछ नहीं है। फिर भी हम चाहते थे कि बच्चे पढ़ाई करें और कुछ बेहतर करें। मैं अपने स्टोर से मुश्किल से 4,000 से 5,000 रु महीने का कमाता हूं। साथ ही मैं और मेरी पत्नी सड़कों पर भी कुछ काम करते हैं, ताकि इनके पढ़ाई के लिए खर्च निकाल सकें। मुझे खुशी है कि मेरे बेटों ने इतना अच्छा परफॉर्म किया। उन्होंने न केवल अपने माता-पिता को गर्व कराया, बल्कि पूरी घाटी को का मान बढ़ाया है।'
कैब ड्राइवर के बेटे ने बिना कोचिंग के नीट क्लियर किया
शोपियां के बोंगम के रहने वाले 24 साल के वकास इकबाल हाजी ने बिना किसी कोचिंग के नीट का एग्जाम क्लियर किया है। उन्होंने 720 अंकों में से 606 मार्क्स हासिल किए। वो एक कैब ड्राइवर के बेटे हैं। वकास के लिए ये आखिरी अटेंप्ट था, इसके बाद उनकी उम्र ज्यादा हो जाती। वकास सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक कर चुके हैं। अभी वो एमटेक कर रहे हैं। उन्होंने गेट भी क्वालिफाई कर लिया है। इसके बाद भी उन्होंने मेडिकल के लिए कोशिश की और वो सफल भी हो गए।
वो बताते हैं- मां चाहती थी कि मैं डॉक्टर बनूं। उन्होंने एक दिन कहा था कि काश आप डॉक्टर होते। वो बात मेरे दिमाग में थी। जैसे ही कश्मीर में लॉकडाउन लगा और लोग घरों में बंद हो गए, स्कूल-कॉलेज, इंटरनेट सब बंद हो गए। उसी दौरान मैंने सोचा कि क्यों न इसका फायदा उठाया जाए। इसके बाद मैंने नीट की पढ़ाई शुरू कर दी।
वकास दो भाई-बहन हैं। वो बताते हैं कि उनके पिता ने आर्थिक दिक्कतों के बाद भी उनकी पढ़ाई में किसी तरह की कमी नहीं की।
वो कहते हैं, पेरेंट्स के चेहरे पर स्माइल मेरे लिए बहुत मायने रखती हैं। उनके लिए जितना भी त्याग करूं, कम है। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें अपने फैसले पर पछतावा है, क्योंकि उन्होंने पहले ही अपना समय इंजीनियरिंग में लगाया था? इकबाल ने कहा, 'बिल्कुल नहीं।'
वो बताते हैं कि जो भी स्टूडेंट इसकी तैयारी कर रहे हैं, उन्हें रिजल्ट की चिंता नहीं करनी चाहिए। अपनी पढ़ाई पर फोकस करना चाहिए। जो लगातार मेहनत करेगा, उसे सफलता जरूर मिलेगी। इधर-उधर स्टडी मटेरियल के चक्कर में रहने से अच्छा है कि NCERT से तैयारी करें।
इकबाल बताते हैं कि कश्मीर में इंटरनेट बंद होने से मुझे पढ़ाई करने में काफी फायदा हुआ। मैंने इन पर वक्त जाया करने की बजाय पढ़ाई पर फोकस किया। वो कहते हैं कि 2011 से मैंने सोशल मीडिया यूज नहीं किया। अपडेट रहने के लिए मैं वॉट्सऐप का इस्तेमाल करता था।
दिल्ली की रहने वाली दीप्ति अवस्थी शर्मा आउटडोर एडवर्टाइजिंग स्टार्टअप गोहोर्डिंग्स डॉट काॅम (Gohoardings.com) की फाउंडर हैं। साथ में एक सफल हाउस वाइफ और एक मां हैं। नोएडा स्थित यह स्टार्टअप देशभर में कहीं भी कभी भी ऑनलाइन होर्डिंग्स के लिए बुकिंग करने में मदद करता है। कंपनी ने हाल ही में आस्ट्रेलिया में कारोबार शुरू किया है। इस समय कंपनी का रेवेन्यू 20 करोड़ से ज्यादा है। कंपनी में पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा के इन्वेस्टमेंट की भी बात चल रही है।
24 साल की उम्र में शुरू किया इवेंट का कारोबार
दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद दीप्ति ने सीए की तैयारी शुरू की लेकिन पढ़ाई और जाॅब में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं होने के कारण सीए फाइनल ईयर ड्रॉप कर दिया और इवेंट का कारोबार शुरू किया। तब दीप्ति सिर्फ 24 साल की थीं। वो बताती हैं कि उन्होंने इवेंट का कारोबार पार्टनरशिप में शुरू किया था। कुछ स्पॉन्सरशिप भी मिली थी। वह कहती हैं, 2014 की 31 दिसंबर की रात दिल्ली में सबसे बड़े इवेंट का जिम्मा उनकी कंपनी को मिला था।
उसमें कई सेलिब्रिटीज शिरकत करने वाले थे, लेकिन इवेंट से ठीक कुछ समय पहले स्पांसर्स ने हाथ खड़े कर दिए। स्पांसर्स के हटते ही इवेंट पार्टनर भी साथ छोड़कर चला गया। हालात यह हो गई कि उस इवेंट के टिकट ज्यादा नहीं बिके और मुझे करीब 40 लाख रुपए का नुकसान झेलना पड़ा। वह कहती हैं, उस समय मेरे पास करो या मरो जैसे हालात हो गए थे। हालांकि, मैंने भागने की बजाय खुद का पैसा लगाकर कार्यक्रम का आयोजन किसी तरह संपन्न किया।
नुकसान की भरपाई घर बेच कर की
30 साल की दीप्ति बताती हैं, इवेंट के कारोबार में नुकसान की भरपाई के लिए हमें अपना घर बेचना पड़ा। हम कई सालों तक किराए के घर में रहे। पड़ोसी और संबंधियों ने ताने मारने शुरू कर दिए थे। लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि बेटी को सिर पर चढ़ाने का यह नतीजा है और बनाओ आत्मनिर्भर।
कारोबार में नुकसान, घर बेचने का दर्द और सगे संबंधियों के तानों ने मुझे इतना परेशान कर दिया कि मैं डिप्रेशन में चली गई थी। मैंने कई दिनों तक खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था। हालांकि, मेरी मां और पिता ने कभी साथ नहीं छोड़ा। उन्होंने पूरा सपोर्ट किया।
दीप्ति कहती हैं, इस हादसे के करीब तीन माह बाद ही मैंने घर वालों के कहने पर शादी कर ली। एक तरह से अपने करियर और सपनों से समझौता कर लिया। हालांकि, इसे मेरी किस्मत कह सकते हैं कि मुझे सपोर्टिव पति के रूप में विकास शर्मा मिले। जब विकास को मेरे सपनों के बारे में पता चला, तब उन्होंने मुझे दोबारा बिजनेस के लिए प्रोत्साहित किया और फिर वहीं से जिंदगी में एक यूटर्न आया और शुरू हुआ डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार।
50 हजार लगाकर शुरू किया कारोबार
दीप्ति बताती हैं, मैंने 2016 में बहुत ही छोटी रकम 50 हजार से डिजिटल होर्डिंग्स का कारोबार शुरू किया। इसमें विकास का आइडिएशन से लेकर फाइनेंशियल तक काफी सपोर्ट मिला। डिजिटल होर्डिंग्स कारोबार को शुरू करने के पीछे वजह बताते हुए दीप्ति कहती हैं, हमने जब इस पर रिसर्च किया तो पाया कि यह फील्ड काफी अनऑर्गनाइज्ड तरीके से काम कर रहा है।
जहां कुछ भी क्लियर नहीं है। एक होर्डिंग लगवाने के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। तभी सोचा कि क्यों न खुद की कंपनी स्थापित की जाए जहां सिर्फ एक क्लिक में होर्डिंग्स लगवाने का काम हो जाए। दीप्ति कहती हैं, विकास दिल्ली के ही एक टेक कंपनी में काम करते हैं। कारोबार को शुरू करने में उनसे मुझे तकनीकी तौर पर काफी हेल्प मिली।
वहीं, मार्केटिंग और अकाउंट में मेरी नॉलेज अच्छी है। इसका मुझे यहां फायदा मिला। इस तरह हमने अपने दम पर कारोबार शुरू कर दिया। दीप्ति का यह आइडिया इतना सही था कि अपनी मेहनत की बदौलत उन्होंने महज दो साल में ही 12 करोड़ का टर्नओवर हासिल कर कर लिया और यह साल दर साल बढ़ता ही चला गया।
आज दीप्ति की कंपनी का टर्नओवर 20 करोड़ रुपए से ज्यादा है। इस समय उनकी कंपनी में करीब 30-40 लोगों की एक टीम काम कर रही है। वह खुद भी सुबह 9 से रात के 11 बजे तक लगातार काम करती हैं। इसमें उसके पति भी पूरा सहयोग देते हैं।
जानिए, यह स्टार्टअप कैसे काम करता है ?
दीप्ति के मुताबिक, सबसे पहले हमारे वेबसाइट पर कस्टमर को लॉगइन करना होता है। इसके बाद वेबसाइट पर जाकर अपने लोकेशन (जहां उसे होर्डिंग लगवानी है) सर्च करके सिलेक्ट करना होता है। लोकेशन सिलेक्ट होने के बाद हमारे पास एक मेल आता है। उसके बाद कंपनी की तरफ से साइट और लोकेशन की उपलब्धता की कन्फर्मेशन भेजी जाती है। फिर कस्टमर की तरफ से आर्टवर्क और ऑर्डर आते हैं।
इसके बाद हम उन्हें लोकेशन साइट पर लाइव होने के लिए एक आईडी एंड पासवर्ड उपलब्ध कराते हैं, ताकि कस्टमर अपने काम का करंट स्टेटस लाइव ट्रैक कर सके। बता दें कि यह कंपनी एक होर्डिंग को एक माह की अवधि तक लगवाने के लिए लगभग 1 लाख रुपए लेती है। हालांकि, दीप्ति कहती हैं कि होर्डिंग की कीमत विभिन्न राज्यों और लोकेशन वाइज निर्भर करता है।
...और अंत में दीप्ति कहती हैं, किसी भी काम को शुरू करने के लिए उसका बैकग्राउंड जानना बहुत जरूरी है। उस पर बहुत ज्यादा रिसर्च करना चाहिए। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है।
बहुत से लोग सुबह चाहकर भी जल्दी नहीं उठ पाते। ऑफिस जाने वालों की लिए तो यह और बड़ी समस्या है। कई बार हम सुबह जल्दी उठकर जिम या एक्सरसाइज का भी प्लान बनाते हैं, लेकिन प्लान को फॉलो नहीं कर पाते। यदि किसी एक दिन उठ भी जाते हैं तो उसे नियमित जारी नहीं रख पाते हैं।
सेहत और एक्टिव लाइफ के क्षेत्र में जर्नल निकालने वाली संस्था लाइफहैक के मुताबिक, इसकी दो वजह हैं। पहली सुबह की आलस और दूसरी रात में देर से सोने की आदत। सुबह कैसे जल्दी उठें? ताकि रोज नियमित रूप से जिम, एक्सरसाइज, योग और जॉगिंग कर सकें। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हमें धीरे-धीरे अपनी पुरानी आदत छोड़नी होगी। इसके लिए रात में जल्दी सोने की आदत डालनी होगी।
इन 5तरीकों को अपनाकर आप सुबह जल्दी उठ सकते हैं-
1- रात में जल्दी सोएं
बेड पर जाने के बाद लोग घंटों फोन में लगे रहते हैं। धीरे-धीरे यह आदत लेटनाइट जगने की रूटीन में बदल जाती है। जिसके चलते सुबह उठने में काफी लेट हो जाता है। इस तरह की रूटीन को लगातार फॉलो करने से “बॉडी क्लॉक” बदल जाती है। हम सोने-जगने की जो रूटीन फॉलो करते हैं, धीरे-धीरे शरीर उसी हिसाब से ढल जाता है, इसे ही “बॉडी क्लॉक” कहते हैं।
बॉडी क्लॉक खराब होने की वजह से हमारा सुबह जल्दी उठना मुश्किल हो जाता है। फिर हम सुबह की एक्सरसाइज, जिम, योग या जॉगिंग से दूर हो जाते हैं। सुबह उठने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है रात में जल्दी सोना।
इस बात का ध्यान रखें कि सुबह जल्दी उठने की जद्दोजहद में नींद अधूरी न रह जाए। जब आप रात में जल्दी सोएंगे, तो इसकी नौबत ही नहीं आएगी। पर देर से सोकर जल्दी उठने की जिद नींद न आने की बीमारी में भी बदल सकती है।
2- उठकर हल्का वार्मअप करें
सुबह उठने के बाद कई बार हम आलस की वजह से दोबारा सो जाते हैं। यह हमारे लिए जल्दी उठने में दूसरी सबसे बड़ी चुनौती है। इसलिए यह ध्यान रखना है कि आप दोबारा बेड पर न जाएं। सोकर उठने के बाद टेक भी न लगाएं।
सुबह हल्का वार्मअप करना भी बेहद जरूरी है। इसके लिए पैर को सीधा रखें और दाएं-बाएं झुक कर हाथों से पैर के पंजों को छूने का प्रयास करें। फिर कमर को स्थिर रखते हुए शरीर के ऊपरी हिस्से को ट्विस्ट करें। शरीर को सीधा रखते हुए दो से तीन बार जम्प करें। ऐसा करने से आलस 70% तक कम हो जाएगा।
3- मानसिक तौर पर मजबूत रहें
सुबह उठने के लिए मानसिक तौर पर मजबूत होना होगा। अपनी विल-पावर इतनी मजबूत कर लें कि सुबह की आलस आपको रोक न पाए। कई बार हम सुबह जल्दी उठने की तो सोचते हैं, लेकिन उठ नहीं पाते। अलार्म बजता है और हम उसे बंद कर देते हैं। कोई जगाता है तो हम उसपर गुस्सा होने लगते हैं। विल-पावर मजबूत करके हम ऐसा करने से बच सकते हैं।
4- एक साथी ढूंढ़े
कई बार हम सुबह उठकर जिम, एक्सरसाइज, योग या जॉगिंग करने में अकेला महसूस करते हैं। जिसके चलते हमारी कन्टीन्यूटी ब्रेक हो जाती है। अगर आप भी ऐसी समस्या का सामना कर रहे हैं तो एक साथी की तलाश करें। ऐसा होने पर न केवल आप एक-दूसरे का साथ देंगे, बल्कि एक-दूसरे से प्रेरित भी होंगे।
5- धैर्य रखें
कई बार कुछ लोगों को लगता है कि सुबह जल्दी उठना हमेशा मुश्किल ही होगा। सिर्फ इसी डर से कई लोग रूटीन को खराब कर लेते हैं। जबकि सुबह जल्दी उठना शुरू के कुछ दिनों तक ही मुश्किल होता है। 2 हफ्तों में हमारा बॉडी क्लॉक पूरी तरह से रिसेट हो जाता है। इसलिए शुरूआती दिनों में धैर्य रखें। खुद को समय दें। धीरे-धीरे आपकी जद्दोजहद आपकी आदत में बदल जाएगी।
संसार का सबसे बड़ा अनसुलझा मुद्दा है जम्मू-कश्मीर का। 1947 में जिस विलय संधि के आधार पर जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा बना, वह महज दो पेज का है और उसने विवाद का समाधान नहीं दिया बल्कि और उलझा दिया।
उस समय साढ़े पांच सौ से अधिक रियासतों के शासकों को तय करना था कि वे भारत में रहें या पाकिस्तान में जाएं। दिल्ली में गृह मंत्रालय ने एक फॉर्म तैयार किया था। उसमें भी खाली जगह छोड़ी गई थी, जिसमें रियासतों और शासकों के नाम व तारीख लिखी जानी थी।
अ मिशन इन कश्मीर किताब के लेखक एंड्रयू ह्वाइटहेड ने लिखा है कि कश्मीर के अंतिम महाराजा हरि सिंह स्वतंत्र रहना चाहते थे लेकिन वह तो विकल्प था ही नहीं। वहां मुस्लिम आबादी ज्यादा थी, लेकिन शासक हिंदू थे। हरि सिंह ने फैसला लेने में काफी देर कर दी थी। भारत-पाकिस्तान आजाद हो चुके थे।
जब अक्टूबर 1947 में इस बात के संकेत निकले कि जम्मू-कश्मीर भारत में विलय कर सकता है तो कबायली लड़ाकों ने आक्रमण कर दिया। पाकिस्तान की नई सरकार ने उन्हें हथियार दिए। कबायलियों की फौज गैर-मुस्लिमों की हत्या और लूटपाट करते आगे बढ़ी।
तब हरिसिंह 25 अक्टूबर 1947 को श्रीनगर से जम्मू आ गए। आधिकारिक रूप से कहा जाता है कि गृह सचिव वीपी मेनन 26 अक्टूबर को जम्मू गए और उन्होंने ही विलय के कागजात पर महाराजा से दस्तखत करवाए। भारतीय फौज ने पाकिस्तानियों को श्रीनगर में घुसने से रोक दिया।
लेकिन पूरी रियासत से बाहर नहीं निकाल पाए। 1948 में फिर लड़ाई छिड़ी और पाकिस्तान ने खुलेआम भाग लिया। आजाद होने के कुछ महीनों के अंदर ही भारत और पाकिस्तान कश्मीर में एक-दूसरे से लड़ रहे थे। हरि सिंह ने विलय संधि पर साइन कर विवाद के निपटारे की उम्मीद जताई थी, लेकिन उस विवाद का कोई हल अब तक नहीं निकला है।
26 अक्टूबर के साइन का महत्वः कबाइलियों से निपटने के लिए 27 अक्टूबर को तड़के भारतीय सेना कश्मीर की ओर बढ़ी। उसे हवाई जहाज से श्रीनगर की हवाई पट्टी पर उतारा गया। भारत ने हमेशा यह ही कहा है कि विलय संधि पर साइन के बाद ही सैन्य अभियान शुरू किया।
क्या थी नेहरू की भूल: लॉर्ड माउंटबेटन ने कहा था कि हमलावरों को खदेड़ने के बाद जनता की राय पर राज्य के विलय के मुद्दे को निपटाएं। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने तो संयुक्त राष्ट्र या अंतरराष्ट्रीय पक्ष की मौजूदगी में जनमत संग्रह की बात कह दी।
1984 में पहली बार छोटे बच्चे को जानवर के अंग लगाए
14 अक्टूबर 1984 को जन्मे बेबी फेई को दिल की दुर्लभ बीमारी थी। तब उसे बबून का दिल लगाया गया था। यह सर्जरी कैलिफोर्निया में लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में डॉ. लियोनार्ड एल बैली ने की थी। यह बात अलग है कि बेबी फेई के शरीर ने बबून का दिल स्वीकार नहीं किया था। कुछ ही दिनों में फेई की मौत हो गई थी। इसके बाद भी यह पहला केस था, जिसमें जानवर के अंग का इस्तेमाल मनुष्यों में किया गया था।
आज की तारीख को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता हैः
1858ः एच.ई. स्मिथ ने वॉशिंग मशीन का पेटेंट कराया।
1905ः नॉर्वे ने स्वीडन से स्वतंत्रता प्राप्त की।
1934ः महात्मा गांधी के संरक्षण में अखिल भारतीय ग्रामीण उद्योग संघ की स्थापना।
1943ः कलकत्ता (तत्कालीन कोलकाता) में हैजे की महामारी से अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में 2155 लोगों की मौत।
1951ः विंस्टन चर्चिल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने।
1969ः चांद पर कदम रखने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन मुंबई आए।
1975ः मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात अमेरिका की आधिकारिक यात्रा करने वाले देश के पहले राष्ट्रपति बने।
1976ः त्रिनिदाद एंड टोबैगो गणराज्य को ब्रिटेन से आजादी मिली।
2001ः जापान ने भारत और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ लगे प्रतिबंधों को हटाने की घोषणा की।
2005ः वर्ष 2006 को भारत-चीन मैत्री वर्ष के रूप में मनाने का फैसला।
2006ः इजरायल में एक मंत्री ने भारत से बराक सौदे पर जांच की मांग की।
2007ः अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का महत्वपूर्ण यान डिस्कवरी अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर सफलतापूर्वक उतरा।
2015ः उत्तर पूर्वी अफगानिस्तान के हिंदूकुश पर्वत शृंखला में 7.5 तीव्रता वाले भूकंप से 398 लोगों की मौत, 2536 घायल।
पटना से आरा पहुंचते-पहुंचते हमारे ड्राइवर शंकर जटाल ने उंगलियों पर बिहार की भावी राजनीति की जो तस्वीर बयां की थी, लगभग 300 किलोमीटर की यात्रा ने उस पर मुहर लगा दी। वापसी में अरवल होते हुए पटना के ठीक पहले मैंने उससे यह सच बताया तो खुद जटाल को भी यकीन नहीं हो रहा था। जटाल ने क्या बताया था, यह बाद में…।
फिलहाल यात्रा की बात। पटना से 25-30 किलोमीटर आगे बिहटा के रास्ते में पहले उमंग और फिर इंडियन ऑयल पेट्रोल पंप के करीब है वाहन प्रदूषण जांच केंद्र। पहला पड़ाव यही बना। कुछ पूछने से पहले ही जवाब मिल गया, अभी कुछ कह नहीं सकते... बहुत टाइट है पोजिशन। हम मुस्करा कर आगे बढ़ गए।
महमदपुर में जनरल स्टोर और सब्जी-फल की दुकान के साथ ही शक्तिसाव मिल फर्नीचर के पास राकेश अग्रहरी से मुलाकात हुई। बोले- सरकार बदलेगी ई बेर। आगे पूछ लीजिए- देखिए सब क्या बोलता है।
बिहटा एयर फोर्स की बाउंड्री पार होते ही बाईं ओर एमआरएफ टायर का शोरूम है। दुकान खाली देख हम आगे बढ़े तो बिहारी ढाबा और रिमझिम पर आरा के राजेश सिंह मिले। सवालिया नजरों से बोले- कहां से हैं?
यह जानकर कि हम मीडिया से नहीं, बल्कि दिल्ली से सर्वे करने आए हैं तो बोले- लिख लीजिए सरकार बदल जाएगी। तो हमने कहा, "मने जंगलराज आ जायेगा!" अपनी गलती का अहसास होता कि राजेश सिंह मुस्कराते हुए बोले- बेंग (व्यंग्य) बोल रहे हैं आप...! थोड़ा आगे बढ़ने पर बिहटा चौक से कुछ पहले चंपारण मीट हाउस देख एक सवाल मन में आया कि बिहार के हर शहर से लेकर अब यूपी के कई शहरों में दिखने वाले इस नाम का आखिर राज क्या है? इसके जवाब की कहानी फिर कभी!
कोइलवर पार करने के बाद निर्माणाधीन फोरलेन शुरू होने से पहले जांच पार्टी एक्टिव दिखी। इसके बाद तिलंगा बाबा का बहुत पुराना ढाबा। ये ढाबा कभी अकेला हुआ करता था। तिलंगा बाबा तो अब नहीं हैं। बेटे गद्दी संभालते हैं। ढाबा हमेशा की तरह गुलजार है। एक कोने में ‘नई सरकार’ बन-बिगड़ रही है, असहमतियों के बीच। बहस का मुद्दा तेजस्वी के युवा चेहरे और कुछ करने की उम्मीद और मोदी प्रेम के बीच है। यह संदेश विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है।
यह संदेश ब्लॉक का प्रतापपुर गांव है। मिलीजुली आबादी। मिलेजुले मत, लेकिन राजद ज्यादा है। होने को तो भाजपा भी है, इस कुशवाहा बहुल गांव में। यादव-कुशवाहा कॉन्फ्लिक्ट भी दिखता है, लेकिन यह भी दिखता है कि नीतीश को कमजोर करने की जो चर्चाएं हवा में हैं, वे यहां भी असर कर चुकी हैं और इसने महागठबंधन की राह आसान कर दी है। हम यह सब बातें कर ही रहे थे, कि एक टिप्पणी आई, ‘भाजपा यह सब लोजपा के सहयोग से कर रही है।'
साथ बैठे सज्जन एक बच्चे की पोस्ट में देवी-देवताओं की बात से चिंतित हैं। बोले- बच्चों का इस तरह भावनाओं में बहना नया फैक्टर है, चिंता वाली बात भी। इसके लिए भी ‘इन्हें’ रोकना जरूरी है। किन्हें? यह पूछने पर चुप लगा जाते हैं। फिर बोले, ‘आरा में तो हिन्दू-मुस्लिम हो रहा है। वहां भाजपा प्लस में है। तीसरा लोजपा भी है। शायद हाकिम प्रसाद, लेकिन वोट कटेगा। भाकपा (माले) से कयामुद्दीन हैं। एक्टिव हैं। वोट बंटा तो लाभ मिल सकता है।'
ये आरा मुफस्सिल इलाका है। पहली बार कोई झंडा दिखा, भाजपा का, हालांकि जो सज्जन मिले यादव हैं। बोले, इधर यादव वोट बहुत है, जो भाकपा (माले) को जाएगा। दलित और अतिपिछड़ा भी। कुछ राजपूत भी उधर वोट कर सकते हैं।
हमने पूछा काहे तो सीधा जबाब नहीं देते। इतना जरूर बताते हैं कि तरारी और अगियांव सीट पर माले आश्वस्त है। ये रामनरेश सिंह हैं। पूरे बिहार में यही लहर है... तेजस्वी के पक्ष में।
राजद के इस अचानक उभार के पीछे का कारण पूछने पर कहते हैं, ‘सरकार की नाकामी’।
मोदी की या? तो बोले- नहीं, दोनों की। रोजगार, किसान की हालात देख रहे हैं आप। मजदूरों के साथ क्या हुआ?
लेकिन ये तो नीतीश का काम था? इस पर बोले- त भुगत रहे हैं न अब...साफ हो जाएंगे...!
संदेश विधानसभा में ही चांदी पंचायत का बाजार। संतोष सरकारी मुलाजिम हैं। चुनाव प्रकिया से भी जुड़े हैं। टिपिकल भोजपुरिया फैसलाकुन अंदाज में कहते हैं- ‘बदलाव होगा’। ये राजद के समर्थक तो नहीं लगे, लेकिन मानते हैं कि ‘तेजस्वी बहुत तेजी से निकल रहा है।’ यहां कुछ और लोग भी हैं, लेकिन बहस की गुंजाइश नहीं बची है। सब हमें ही संदेह से देख रहे हैं। एक सवाल भी आता है- अभी तक हम ये नहीं समझ पाए कि आप कौन हैं? जवाब बगल वाले सज्जन ने दिया है- ‘सुने नहीं दिल्ली से आये हैं...!’ (मीडिया सुनते ही लोग ऐसा पैंतरा लेते हैं इसलिए हमें मजबूरन पहचान छिपानी पड़ी)।
नारायणपुर भी संदेश में ही पड़ता है...यहां राजपूत मजबूत हैं। बाजरे की खेती भी जोरदार है। पूजा पंडाल भी सजा है। साथ चल रहे मेरे मित्र बताते हैं- ‘यहां चुनाव में संघर्ष न हो, हो ही नहीं सकता। यह अभी भी जारी है, वोट रोकने के लिए’। ये वही नारायणपुर है, जहां 1999 में हुई जातीय हिंसा में 11 दलितों की हत्या खासी चर्चित हुई थी।
अगला बोर्ड नसरतपुर का है। वही नसरतपुर, जिसकी भागीदारी 1857 की आजादी की लड़ाई में रही है। काफी बड़ा गांव है। मिली-जुली आबादी है। अंग्रेज सरकार के खिलाफ विद्रोह करने वाले यहीं छिपा करते थे। श्रीकांत और प्रसन्न कुमार चौधरी की किताब में विस्तार से जिक्र है। यहीं तीर्थकोल है, चर्चित कवि कुमार मुकुल का गांव। हमारी रुचि देख ड्राइवर ने बताया कि यहां ‘त्रिकोल का चर्चित मेला’ भी लगता है, जिसकी साथी मित्र भी तस्दीक करते हैं।
संदेश के चौरा बाजार की चर्चाओं से गुजरते हुए हम अजीमाबाद (अगियांव विधानसभा क्षेत्र) पहुंचे। राणा सिंह और उनके कुछ साथियों से मुलाकात हुई। माले से त्रस्त दिखे। कहते हैं, ‘गोली-बंदूक पार्टी है।’ यह कहने पर कि ये तो पुरानी बात हो गई? इस पर बोले- आप शायद कहीं बाहर से आए हैं! अगियांव ही नहीं, पूरे भोजपुर में इस बार माले और राजद साफ है (यह अब तक की अपने तरह की पहली टिप्पणी है)।
आगे पवना बाजार है। अगियांव विधानसभा क्षेत्र का सबसे व्यस्त इलाका। पूरा बाजार सड़क पर पसरा हुआ है। हम एक दुकान पर चाय-पानी के लिए रुकते हैं। थोड़ी बात हुई तो पता चला, बगल की दुकान तरारी से माले विधायक सुदामा प्रसाद के भाई राजनाथ प्रसाद की है। वो भाई की जीत के लिए स्वाभाविक रूप से आश्वस्त दिखे। बगल में खड़े व्यक्ति ने बताया कि वहां निर्दलीय सुनील पांडेय के साथ सीधी टक्कर है।
यहीं से वापसी का इरादा था कि पता चला आरा और कोइलवर में जबर्दस्त जाम है। हम सहार होते हुए अरवल के रास्ते चल पड़े। रास्ते में नारायणपुर रोड पर सड़क दूर तक चमकाई जा रही है। काफी तेजी से काम चल रहा है। न्यू दुर्गा मंदिर के सामने और राधाकृष्ण मेगामार्ट के नीचे की चाय और दूसरी दुकानों पर भी कोई नई बात नहीं मिली। भोजपुर की ज्यादातर सीटों पर महागठबंधन और पूरे बिहार में बदलाव के फैसलाकुन जुमले सुनते हुए हम आगे बढ़े। तो खैरा में इंटिग्रिटी इंटरनेशनल स्कूल के बाहर सुरेश सिंह मिले। बोले- अगियांव, आरा और बड़हरा में महागठबंधन को थोड़ा दिक्कत आएगा, लेकिन बाकी क्लियरे है।
सोन पुल की ओर मुड़ने से पहले हमने गाड़ी सहार की ओर ले ली है। सहार में प्रवेश करते ही कुछ युवाओं से मुलाकात हुई। देखकर ही लग गया चुनावी अभियान में हैं। बात छेड़ी तो बोले, ‘वो बुजुर्गों को विदा कर रहे हैं और युवाओं की अनदेखी! कोई ‘इनसे’ पूछे कि आखिर इनकी पालिटिक्स क्या है!’ हमने साफ-साफ बात कहने के लिए कहा तो जवाब मिला, ‘अरे भाई साहब, मोदी जी को बुजुर्ग भाते नहीं, और युवाओं की बात उन्हें समझ नहीं आती। नीतीश जी भी बूढ़े हो चले हैं। ऐसे में युवाओं को ही तो आगे आना होगा न। तो आने दीजिए! क्यों दिक्कत हो रही है।’
एक युवक ने कहा, ‘वे नौकरी की नहीं, रोजगार सृजित करने की बात कर रहे हैं। मतलब समोसे ही बिकवाएंगे। तेजस्वी तो नई नौकरी की भी नहीं, खाली पद भरने की तो बात कर रहा है। इनके तो वादे में ही धोखा है।’
दूसरे ने कहा- तुम नहीं समझोगे, वे शायद ज्यादा ईमानदार हैं!
सहार में प्रवेश करते ही गोकुल स्वीट्स पर भी ऐसी ही प्रतिक्रिया मिली। कुछ पढ़े-लिखे नौजवान मिले। बोले, ‘जिस तरह टीएन शेषन साहब ने चुनाव के दौरान किसी सर्वे के मीडिया में प्रचार पर रोक लगा दी थी, ऐसा फिर हो जाए तो सारा सच सामने आ जाएगा।’ तभी एक युवक ने याद दिलाया, ‘आपको सच पता हो या न हो, मोदी जी सच जान गए हैं। तभी न आज कह रहे थे कि मुझे तो अभी नीतीश जी के साथ साढ़े तीन ही साल हुआ है...!’ सूचनाओं के तेजी से प्रसारण और उसकी व्याख्या का ये बिहार का अपना अंदाज है।
अरवल, पालीगंज, बिक्रम, फुलवारी होते हुए हम वापस पटना लौट आए हैं।
आप और हम कितनी महंगी बाइक पर चलते हैं? 60 हजार, 70 हजार, 1 लाख या बहुत हुआ तो डेढ़ से दो लाख तक। बस ना। लेकिन, लालू यादव के जो बड़े बेटे हैं तेजप्रताप, वो चलते हैं 16 लाख की बाइक पर। बाइक भी कौनसी, 1000 सीसी की CBR। इसकी टॉप स्पीड ही 300 किमी/घंटा है। चलिए ये तो हो गई बाइक की बात।
अब आप ये बताइए कि आपके घर में कितना सोना होगा? 50 ग्राम, 100 ग्राम। लेकिन, राजद के अविनाश कुमार विद्यार्थी के पास एक किलो सोना है। जानते हैं कितनी कीमत है इसकी? उन्होंने तो 45 लाख रुपए बताई है। अगर आज का रेट देखें तो ये करीब 53 लाख रुपए होगा। इतने में तो हम और आप घर खरीद सकते हैं।
ये बात तो सिर्फ दो ही कैंडिडेट की है। बिहार में इस बार जो कैंडिडेट उतरे हैं, उनमें से कई के शौक जरा हटके हैं। मसलन, किसी ने घर पर ही हाथी-घोड़े पाल रखे हैं, तो कोई आज भी राजदूत बाइक से घूम रहा है। इस बाइक को तो बंद हुए ही सालों हो गए। आइये अब इन कैंडिडेट के बारे में जानते हैं, जो थोड़ा हटके हैं....
तेजप्रताप यादव: 15.46 लाख की बाइक, कार रखते हैं BMW
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव हसनपुर सीट से राजद के उम्मीदवार हैं। पिछली बार महुआ सीट से जीते थे। इनके पास 15.46 लाख की CBR1000 RR बाइक है। साथ ही BMW कार रखते हैं, जिसकी कीमत 29.43 लाख रुपए है। तेज प्रताप के पास 4.26 लाख रुपए का ज्वेलरी कलेक्शन भी है। उनके पास 2.83 करोड़ रुपए की संपत्ति है।
अविनाश कुमार विद्यार्थी: एक किलो सोना, 13 कैरेट के हीरे की अंगूठी भी
मुंगेर सीट से राजद के उम्मीदवार अविनाश कुमार विद्यार्थी लड़ रहे हैं। इनके पास 44.51 लाख का एक किलो सोना और 14.98 लाख की 25 किलो चांदी है। 3.90 लाख रुपए की 13 कैरेट हीरे की अंगूठी भी है। साथ ही 7.50 लाख कीमत की महिंद्रा स्कॉर्पियो, 3.31 लाख की मारुति, 7 लाख कीमत की टाटा मोटर और 32 लाख की टोयोटा फॉर्च्यूनर, 9.15 लाख की फोर्ड फिगो, और 75 हजार की टीवीएस मोटर साइकल का भी कलेक्शन है। इतना ही नहीं 1.8 लाख की राइफल भी रखते हैं।
सर्वेश्वर प्रसाद सिंह: एक किलो से ज्यादा सोना-चांदी
सर्वेश्वर प्रसाद सिंह आलमनगर सीट से जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के उम्मीदवार हैं। उनके पास 860 ग्राम सोना है। इसकी कीमत उन्होंने 6.10 लाख बताई है। आप खरीदने जाएंगे तो करीब 45 लाख खर्च करने पड़ेंगे। सर्वेश्वर सिंह के पास 1 किलो 700 ग्राम चांदी भी है, जिसकी कीमत उन्होंने 8.50 लाख रुपए है। लेकिन, बाजार में इतनी चांदी महज एक लाख रुपए में मिल जाएगी।
उनके पास एक फोर्ड एंडेवर है। जिसकी कीमत उन्होंने 40 लाख बताई है। 10.50 लाख की एक महिंद्रा की कार, 14.50 लाख कीमत की होंडा सिटी और एक महिंद्रा अर्जुन ट्रैक्टर भी है, जिसकी कीमत उन्होंने नहीं बताई।
पुष्पम प्रिया चौधरी: कुल 16 लाख की संपत्ति, उसमें 14 लाख की तो अंगूठी है
पुष्पम प्रिया चौधरी का नाम तो जानते ही होंगे। खुद को सीएम कैंडिडेट बताकर चर्चा में आई थीं। दो सीटों से चुनाव लड़ रही हैं। पहली बांकीपुर और दूसरी बिस्फी। इनके पास कुल 15.92 लाख रुपए की ही संपत्ति है। इसमें से भी 14 लाख की तो वो दो अंगूठियां ही पहनती हैं। एक नीलम की अंगूठी है, जो 5 लाख की है। दूसरी पुखराज की अंगूठी है, जो 9 लाख की है। कैश भी 8 हजार रुपए ही हैं।
मोहम्मद निहालउद्दीन: 3 लाख की एक राइफल और दो कारें भी हैं
मोहम्मद निहालउद्दीन रफीगंज सीट से राजद के उम्मीदवार हैं। इनके पास 3 लाख रुपए कीमत की तो सिर्फ एक राइफल है। इसके अलावा एक और राइफल है, जिसकी कीमत 70 हजार रुपए है। साथ ही दो कार भी हैं। इनमें 3.5 लाख कीमत की इंडिका और 9 लाख की स्कॉर्पियो है। ज्वेलरी के नाम पर सिर्फ 50 ग्राम सोना है, जिसकी कीमत उन्होंने 2.5 लाख रुपए बताई है।
अनंत कुमार सिंह: 1.90 लाख के सिर्फ हाथी, घोड़े, गाय और भैंस
अनंत सिंह अभी जेल में हैं और वहीं से मोकामा सीट से चुनाव लड़ेंगे। पिछले चुनाव में निर्दलीय जीते थे। इस बार राजद के टिकट पर उम्मीदवार हैं। बाहुबली नेता माने जाते हैं। इकलौते उम्मीदवार हैं, जिन पर 38 केस चल रहे हैं। जानवरों से बहुत लगाव है। 1.90 लाख के तो सिर्फ हाथी, घोड़े, गाय और भैंस जैसे पालतू जानवर पाल रखे हैं। 32.52 लाख की फॉर्च्यूनर सिगमा गाड़ी, 25.33 लाख की इनोवा क्रिस्टा, 6 लाख की महिंद्रा स्कॉर्पियो और 31.60 लाख का ज्वेलरी कलेक्शन भी है।
खुर्शीद फिरोज अहमद: 1.20 लाख कीमत की प्लेटिनम की अंगूठी है
खुर्शीद फिरोज अहमद सिकटा सीट से जदयू के उम्मीदवार हैं। इनके पास 1.20 लाख की दो प्लेटिनम अंगूठी है। इनके पास 1.50 लाख की ज्वेलरी भी है। साथ ही 6 लाख की स्कॉर्पियो, 9.90 लाख के तीन ट्रैक्टर, 7 लाख की जेसीबी, 6 लाख का लोडर और 80 हजार की बाइक है।
अमित कुमार: 1.18 लाख की जर्मन माउजर रखते हैं
अमित कुमार रीगा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। 1.18 लाख की जर्मन माउजर रखते हैं। 1.44 लाख की तीन बाइक है। 6 लाख कीमत का ट्रक भी है। 20.25 लाख की दो स्कॉर्पियो भी है।
मनोरमा देवी: सबसे अमीर उम्मीदवारों में से एक, 45 लाख की लैंडरोवर में चलती हैं
अमीर उम्मीदवारों में से एक मनोरमा देवी जदयू के टिकट पर अतरी सीट से चुनाव लड़ रही हैं। 45 लाख कीमत वाली महंगी 'लैंडरोवर डिस्कवरी' गाड़ी में चलती हैं। 18 लाख की फॉर्च्यूनर और 2.8 लाख की जिप्सी गाड़ी भी है। इन दोनों गाड़ी का नंबर एक जैसा है। 6.30 लाख रुपए का 125 ग्राम सोना, 28 हजार रुपए कीमत की चांदी का कलेक्शन है। एफिडेविट में इस बार 89.77 करोड़ रुपए संपत्ति बताई है।
कृष्ण कुमार ऋषि: तीन महंगी कार के अलावा 2 हजार कीमत की राजदूत है
कृष्ण कुमार ऋषि बनमनखी से भाजपा के उम्मीदवार हैं। लगातार चार बार से विधायक हैं। चुनाव से पहले प्रदेश के कला, संस्कृति और युवा विभाग का जिम्मा संभाल रहे थे। गाड़ियों का शौक इतना है कि पुरानी राजदूत को आज भी संभाल कर रखा है। हालांकि, मौजूदा मार्केट वैल्यू सिर्फ 2 हजार रुपए ही रह गई है। 7.25 लाख कीमत की बोलेरो, 10.21 लाख कीमत की स्कॉर्पियो और 6.63 लाख की महिंद्रा XUV भी है। 6.84 लाख का ज्वेलरी कलेक्शन भी है।
पहले फेज के पांच उम्मीदवार जिनकी संपत्ति जीरो
अब तक हमने बात की किसके पास क्या है, लेकिन अब हम आपको पहले फेज के पांच ऐसे उम्मीदवार के बारे में बता रहे हैं, जिनकी संपत्ति जीरो है। ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले फेज के पांच उम्मीदवार ने एफिडेविट में संपत्ति जीरो बताई है। इनमें नबीनगर सीट से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के गोपाल निषाद, जमालपुर से निर्दलीय प्रत्याशी कपिलदेव मंडल, चैनपुर सीट से राष्ट्रीय स्वतंत्रता पार्टी के प्रभु सिंह, बोधगया विधानसभा से भारतीय इंसान पार्टी के महावीर मांझी और मोकामा सीट से जागरुक जनता पार्टी के उम्मीदवार अशोक कुमार शामिल हैं।