सोमवार, 13 जुलाई 2020

नॉर्थ वजीरिस्तान में पाकिस्तान आर्मी पर विद्रोहियों का हमला, 4 सैनिकों की मौत, कई घायल

पाकिस्तान के नॉर्थ वजीरिस्तान इलाके में रविवार को विद्रोहियों के साथ मुठभेड़ में चार सैनिक मारे गए। कई अन्य घायल हैं। इनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई गई है। पाकिस्तान आर्मी के मीडिया विंग ने मारे गए सैनिकों के फोटोग्राफ रिलीज किए हैं। जानकारी के मुताबिक, सैनिकों और विद्रोहियों के बीच मुठभेड़ नॉर्थ वजीरिस्तान के मीरानशाह शहर से कुछ दूर हुई।
पिछले हफ्ते भी इसी इलाके में एक एनकाउंटर हुआ था। इसमें पाकिस्तानी फौज की एक चौकी उड़ा दी गई थी। तीन सैनिक भी मारे गए थे। रविवार को हुई घटना में तीन विद्रोहियों के मारे जाने की भी खबर है।

इंटेलिजेंस बेस्ड ऑपरेशन
‘द डॉन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी फौज को मीरानशाह शहर से 8 किलोमीटर दूर बोया इलाके में कुछ विद्रोहियों के छिपे होने की खबर मिली थी। सेना की कुछ गाड़ियां यहां भारी हथियारों के साथ पहुंचीं। लेकिन, विद्रोहियों ने उनके मोर्चा संभालने से पहले ही हमला कर दिया। इसलिए, सैनिकों को संभलने का मौका ही नहीं मिल पाया। चार सैनिक घटनास्थल पर मारे गए।

शहबाज शरीफ ने सरकार को घेरा
संसद में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने सैनिकों के मारे जाने पर इमरान खान सरकार को घेरा। शरीफ ने कहा- यह सरकार की नाकामी है जो हमें अपने सैनिक गंवाने पड़ रहे हैं। मई महीने में भी यहां एनकाउंटर हुआ था, तब भी 7 सैनिकों की मौत हुई थी। सरकार बताए कि नॉर्थ वजीरिस्तान इलाके में हालात कब सुधरेंगे। बलूचिस्तान में भी यही हो रहा है।

आईईडी के इस्तेमाल का आरोप
आईएसपीआर के एक बयान में कहा गया है कि विद्रोहियों ने सेना पर हमले के लिए आईईडी डिवाइस का इस्तेमाल किया और इसके चलते ही ज्यादा नुकसान हुआ। मार्च में भी इसी तरह की घटना सामने आई थी। तब आईईडी के जरिए विस्फोट किया गया था और इसमें 6 सैनिकों की मौत हो गई थी।

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पाकिस्तान के नॉर्थ वजीरिस्तान इलाके में विद्रोही अकसर फौज पर हमले करते हैं। मार्च से लेकर अब तक यहां चार हमलों में 22 सैनिक मारे जा चुके हैं। (फाइल)


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शिवराज ने नरोत्तम से स्वास्थ्य विभाग लेकर सिंधिया गुट के प्रभुराम को दिया; भार्गव पीडब्ल्यूडी और देवड़ा वित्त मंत्री बनाए गए

शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रिमंडल विस्तार के 11वें दिन विभागों का बंटवारा कर दिया। इसी के साथ उन्होंने विभागों में फेरबदल कर दिया है। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से स्वास्थ्य विभाग छीनकर सिंधिया समर्थक डॉ. प्रभुराम चौधरी को दे दिया है। सिंधिया समर्थकों को उनकी पसंद के विभाग को दिए गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पास सामान्य प्रशासन, जनसंपर्क, नर्मदा घाटी विकास, विमानन समेत ऐसे विभाग रखे हैं जो किसी अन्य मंत्री के पास नहीं हैं।

चाैथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार शनिवार काे ग्वालियर आए शिवराज सिंह चौहान ने संभागायुक्त कार्यालय में बैठक के बाद कहा थारविवार को नए मंत्रियों को विभाग मिल जाएंगे। रविवार को उन्होंने भोपाल में दावा किया कि आज की मंत्रियों के विभागों के बंटवारा हो जाएगा।हालांकि, लिस्ट सोमवार सुबह ही आई।

कैबिनेट मंत्री

क्रमांक नाम विभाग किस खेमे से
1 गोपाल भार्गव लोक निर्माण, कुटीर एवं ग्रामोद्योग पहले भी मंत्री रहे
2 विजय शाह वन पहले भी मंत्री रहे
3 जगदीश देवड़ा वाणिज्यिक कर, वित्त और योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी पहले भी मंत्री रहे
4 बिसाहूलाल सिंह खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता संरक्षण कांग्रेस से भाजपा में आए
5 यशोधरा राजे खेल एवं युवा कल्याण, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार पहले भी मंत्री रहीं
6 भूपेंद्र सिंह नगरीय विकास एवं आवास पहले भी मंत्री रहे
7 ऐंदल सिंह कंसाना लोक स्वास्थ्य, यांत्रिकी कांग्रेस से आए, कभी दिग्विजय के करीबी थे
8 बृजेंद्र प्रताप सिंह खनिज साधन, श्रम पहले मंत्री रहे
9 विश्वास सारंग चिकित्सा शिक्षा, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास पहले भी मंत्री रहे, शिवराज के करीबी
10 इमरती देवी महिला एवं बाल विकास सिंधिया खेमे से
11 प्रभुराम चौधरी लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सिंधिया खेमे से
12 महेंद्र सिंह सिसोदिया पंचायत और ग्रामीण विकास सिंधिया खेमे से
13 प्रद्युम्न सिंह तोमर ऊर्जा सिंधिया खेमे से
14 प्रेम सिंह पटेल पशुपालन, सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण नया चेहरा
15 ओमप्रकाश सकलेचा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और प्रौद्योगिकी नया चेहरा
16 उषा ठाकुर पर्यटन, संस्कृति और अध्यात्म नया चेहरा
17 अरविंद सिंह भदौरिया सहकारिता, लोक सेवा प्रबंधन नया चेहरा
18 मोहन यादव उच्च शिक्षा नया चेहरा
19 हरदीप सिंह डंग नवीन, एवं नवकरणीय ऊर्जा, पर्यटन कांग्रेस से आए
20 राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन सिंधिया खेमे से

राज्यमंत्री

1 भारत सिंह कुशवाह उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण, स्वतंत्र प्रभार, नर्मदा घाटी विकास नया चेहरा
2 इंदर सिंह परमार स्कूल शिक्षा, स्वतंत्र प्रभार, सामान्य प्रशासन नया चेहरा
3 रामखिलावन पटेल पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण, स्वतंत्र प्रभार, विमुक्त घुमक्कड़ एवं अर्ध घुमक्कड़, जनजातीय कल्याण, स्वतंत्र प्रभार, पंचायत एवं ग्रामीण विकास नया चेहरा
4 रामकिशोर कांवरे आयुष, स्वतंत्र प्रभार, जल संसाधन नया चेहरा
5 बृजेंद्र सिंह यादव लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी सिंधिया खेमे से
6 गिर्राज दंडोतिया किसान कल्याण एवं कृषि विकास सिंधिया खेमे से
7 सुरेंद्र धाकड़ लोक निर्माण विभाग सिंधिया खेमे से
8 ओपीएस भदौरिया नगरीय विकास एवं आवास सिंधिया खेमे से

पांच कैबिनेट मंत्री पहले से

1 नरोत्तम मिश्रा गृह, जेल, संसदीय कार्य, विधि पहले भी मंत्री रहे
2 तुलसी सिलावट जल संसाधन, मछुआ कल्याण और मत्स्य विकास सिंधिया खेमे से
3 गोविंद सिंह राजस्व, परिवहन सिंधिया खेमे से
4 मीना सिंह आदिम जाति कल्याण, अनुसूचित जाति कल्याण पहले भी मंत्री रहे
5 कमल पटेल किसान कल्याण एवं कृषि विकास पहले भी मंत्री रहे

भाजपा के 16 मंत्री, 9 नए चेहरे2 जुलाई को 28 मंत्रियों ने शपथ ली थी
मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल में 2जुलाई को 28 मंत्रियों को शामिल किया था।मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा के 16 मंत्रियों में 7 पुराने और 9 नए चेहरे शामिल किया था। कांग्रेस के बागीखेमे से कुल14 मंत्री हो गए हैं। इसी साल मार्च में कुल 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया था।

शिवराज के चौथे कार्यकाल में सीएम समेत 34 मंत्री
2 जुलाई कोमंत्रिमंडल विस्तार में 28 मंत्रियों ने शपथ ली। इनमें 9 सिंधिया खेमे से हैं। 3 कांग्रेस छोड़कर आने वाले नेता हैं। जबकि भाजपा के 16 विधायक मंत्री बने थे। शिवराज सरकार में अब 25 कैबिनेट और आठ राज्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री को मिलाकर 34 मंत्री हैं।

जातिगत समीकरण
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से गिर्राज दंडोतिया (ब्राह्मण), ऐंदल सिंह कंसाना (गुर्जर), सुरेश धाकड़ (किरार समाज), ओपीएस भदौरिया (ठाकुर), महेंद्र सिंह सिसोदिया (ठाकुर), इमरती देवी (अनूसूचित जाति), प्रद्युम्न सिंह तोमर (ठाकुर), भारत सिंह कुशवाह (कुशवाह समाज) ।

ग्वालियर चंबल से 8 मंत्री, यहां 16 सीटों पर उपचुनाव
ग्वालियर-चंबल की 16 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। इस क्षेत्र में सिंधिया की मजबूत पकड़ है। यहां से 8 नेता गिर्राज दंडोतिया, ऐंदल सिंह कंसाना, सुरेश धाकड़, ओपीएस भदौरिया, महेंद्र सिंह सिसोदिया, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, भारत सिंह कुशवाह मंत्रीहैं।

क्षेत्रीय संतुलन में सिंधिया की चली
भाजपासूत्र बताते हैं कि ग्वालियर-चंबल की सबसे ज्यादा सीटों पर उपचुनाव होना है। सिंधिया समर्थक गिर्राज दंडोतिया, ऐंदल सिंह कंसाना, सुरेश धाकड़, ओपीएस भदौरिया, महेंद्र सिंह सिसोदिया, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, भारत सिंह कुशवाह मंत्री बनाए गए हैं। इसमें ऐंदल सिंह कंसाना सिंधिया समर्थक नहीं माने जाते हैं।

20 मार्च को सरकार गिरी, 23 मार्च को शिवराज चौथी बार सीएम बने
सिंधिया समर्थक 6 मंत्रियों समेत 22 विधायकों के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद 20 मार्च को कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा था और 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार गिर गई थी। 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके 28 दिन बाद 5 मंत्रियों वाली मिनी कैबिनेट ने 21 अप्रैल को शपथ ली थी।



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बाएं से- गोपाल भार्गव, सीएम शिवराज सिंह, प्रदेश भाजपा प्रमुख वीडी शर्मा और नरोत्तम मिश्रा। 2 जुलाई को शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार में 28 मंत्रियों ने शपथ ली थी। इनमें 9 सिंधिया खेमे से हैं। 3 कांग्रेस छोड़कर आने वाले नेता हैं। भाजपा के 16 विधायक मंत्री बने थे। -फाइल फोटो


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आज सीएम हाउस में विधायक दल की बैठक, नहीं शामिल होने वाले पर होगी कार्रवाई; पायलट का दावा- सरकार अल्पमत में

राजस्थान में सियासी उठा-पटक के बीच सोमवार सुबह 10.30 बजे विधायक दल की बैठक होनी है। वहीं, पार्टी ने विधायक दल की बैठक में अनिवार्य रूप से मौजूद रहने को लेकर सभी विधायकों के लिए व्हिप जारी की है। इसके मुताबिक, यदि कोई विधायक इस बैठक में बिना किसी विशेष कारण के अनुपस्थित रहता है तो उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।

इससे पहले रविवार शाम डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने दावा किया है कि 30 विधायक उनके समर्थन में हैं और राज्य की गहलोत सरकार अल्पमत में है। इसके साथ ही पायलट ने सीएम अशोक गहलोत से मनमुटाव को भी स्पष्ट कर दिया है। पायलट ने कहा है कि वो सोमवार को होने वाली विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होंगे। हालांकि, राजस्थान कांग्रेस के इंचार्ज अविनाथ पांडे ने कहा है कि हमारे पास 109 विधायकों के समर्थन पत्र हैं।


एसओजी के नोटिस के बाद से नाराज चल रहे पायलट
दरअसल, पायलट विधायकों की खरीद-फरोख्त की जांच कर रही एसओजी के नोटिस के बाद से ही नाराज हैं। उन्हें कांग्रेस और कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। इस बीच, सीएम अशोक गहलोत ने रविवार रात 9 बजे विधायकों के साथ बैठक की। इसके बाद गहलोत समर्थक विधायक ने दावा किया कि हमारे जितने विधायक जाएंगे, उससे ज्यादा विधायक हम भाजपा से ले आएंगे।

पूरे विवाद के बीच दिल्ली गए तीन विधायकों की सीएम हाउस में हुई प्रेस वार्ता
दिल्ली गए कांग्रेसी विधायकों दानिश अबरार, चेतन डूडी और रोहित बोहरा ने जयपुर लौटकर कहा कि वे निजी कारणों से दिल्ली गए थे। अगर मीडिया कहता है कि हम इस वजह से वहां गए, या उस वजह से वहां गए.. तो ये हमारी समस्या नहीं है। हम किसी भी विवाद का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं। हम कांग्रेस के सिपाही हैं और आखिरी सांस तक कांग्रेस के साथ रहेंगे।

देर रात मुख्यमंत्री आवास में खाने पर 115 विधायक पहुंचने का सरकारी दावा
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार रात अपनी सरकार के सभी मंत्रियों और विधायकों को सीएमआर में खाने पर बुलाया। कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि सरकार के पास पूर्ण बहुमत है। करीब 115 विधायक इस रात्रि भोज में शामिल हुए हैं।

क्या कहता है समीकरण

पायलट का दावा है कि उनके संपर्क में 30 से ज्यादा विधायक हैं। इसे सही माने तो गहलोत सरकरा अल्पमत में आ जाएगी। कांग्रेस के 107 में से 30 विधायक इस्तीफा देते हैं तो सदन में विधायकों की संख्या 170 हो जाएगी। ऐसे में बहुमत के लिए 86 विधायकों की जरुरत होगी। 30 के इस्तीफे के बास कांग्रेस के पास 77 विधायक बचेंगे। एक आरएलडी विधायक पहले से उनके साथ है। कांग्रेस की कुल संख्या 78 होगी। यानी बहुमत से 8 कम। उधर आरएलपी के 3 विधायक मिलाकर भाजपा के पास 75 विधायक हैं। सरकार बनाने के लिए भाजपा को निर्दलिय तोड़ने होंगे। प्रदेश के 13 विधायकों में फिलहाल 10 कांग्रेस समर्थक हैं। अगर इसमें से भाजपा 8 भी अपनी तरफ कर ले तो सरकार बना सकती है।

एसओजी जांच में सामने आई विधायकों को 25 करोड़ देने की बात

एसओजी के अनुसार उसने अवैध हथियार और विस्फोटक सामग्री की तस्करी से जुड़े मामले में मोबाइल नंबर 9929229909 और 8949065678 को सर्विलांस पर लिया हुआ था।
सर्विलांस पर लिए गए मोबाइल की बातचीत में सामने आया है कि राज्यसभा चुनाव से पहले सरकार गिराने की साजिश रची गई थी। विधायकों को 25-25 करोड़ रुपए देने की जानकारी भी सामने आई है।
विधायकों को पैसा देने के मामले में एसीबी ने शनिवार को तीन निर्दलीय विधायकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। इनमें महुवा से ओमप्रकाश हुड़ला, अजमेर किशनगढ़ से सुरेश टांक और पाली मारवाड़ जंक्शन से निर्दलीय विधायक खुशवीर सिंह शामिल हैं।



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मुख्यमंत्री गहलोत और सचिन पायलट में पहले भी तकरार की खबरें आती रही हैं। इस दौरान दिसंबर 2018 में राहुल गांधी ने ये फोटो ट्वीट कर लिखा था कि- दी युनाइटेड कलर ऑफ राजस्थान।


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अनंतनाग जिले के श्रीगुफवाड़ा में सुरक्षाबलों का आतंकियों से मुठभेड़ जारी; 24 घंटे में दूसरा एनकाउंटर

यहां श्रीगुफवाड़ा इलाके में सुरक्षाबलों का आतंकियों से एनकाउंटर चल रहा है। आतंकियों के छिपे होने के इनपुट पर आर्मी और पुलिस के जवानों ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया था, इस बीच दहशतगर्दों ने फायरिंग कर दी।

इससे पहले रविवार को सोपोर के रेबन इलाके में सिक्योरिटी फोर्सेज ने 3 आतंकी मार गिराए थे। इनमें एक लश्कर-ए-तैयबा का उस्मान था। वह पिछले दिनों सोपोर में सुरक्षाबलों पर हमले में शामिल था। उस हमले में एक जवान शहीद हो गया और एक नागरिक की मौत हुई थी।

इस महीने 5 एनकाउंटर में 9 आतंकी ढेर

तारीख जगह आतंकी मारे गए
2 जुलाई मालबाग (श्रीनगर) 1
4 जुलाई अर्राह (कुलगाम) 2
7 जुलाई गोसू (पुलवामा) 1
11 जुलाई नौगाम (कुपवाड़ा) 2
12 जुलाई सोपोर (बारामूला) 3


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श्रीगुफवाड़ा में एनकाउंटर वाली लोकेशन के पास सुरक्षाबल मोर्चा संभाले हुए।


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शिवराज ने नरोत्तम से स्वास्थ्य विभाग लेकर सिंधिया गुट के प्रभुराम को दिया; भार्गव पीडब्ल्यूडी और देवड़ा वित्त मंत्री बनाए गए

शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रिमंडल विस्तार के 11वें दिन विभागों का बंटवारा कर दिया। इसी के साथ उन्होंने विभागों में फेरबदल कर दिया है। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से स्वास्थ्य विभाग छीनकर सिंधिया समर्थक डॉ. प्रभुराम चौधरी को दे दिया है। सिंधिया समर्थकों को उनकी पसंद के विभाग को दिए गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पास सामान्य प्रशासन, जनसंपर्क, नर्मदा घाटी विकास, विमानन समेत ऐसे विभाग रखे हैं जो किसी अन्य मंत्री के पास नहीं हैं।

चाैथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार शनिवार काे ग्वालियर आए शिवराज सिंह चौहान ने संभागायुक्त कार्यालय में बैठक के बाद कहा थारविवार को नए मंत्रियों को विभाग मिल जाएंगे। रविवार को उन्होंने भोपाल में दावा किया कि आज की मंत्रियों के विभागों के बंटवारा हो जाएगा।हालांकि, लिस्ट सोमवार सुबह ही आई।

कैबिनेट मंत्री

क्रमांक नाम विभाग किस खेमे से
1 गोपाल भार्गव लोक निर्माण, कुटीर एवं ग्रामोद्योग पहले भी मंत्री रहे
2 विजय शाह वन पहले भी मंत्री रहे
3 जगदीश देवड़ा वाणिज्यिक कर, वित्त और योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी पहले भी मंत्री रहे
4 बिसाहूलाल सिंह खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता संरक्षण कांग्रेस से भाजपा में आए
5 यशोधरा राजे खेल एवं युवा कल्याण, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार पहले भी मंत्री रहीं
6 भूपेंद्र सिंह नगरीय विकास एवं आवास पहले भी मंत्री रहे
7 ऐंदल सिंह कंसाना लोक स्वास्थ्य, यांत्रिकी कांग्रेस से आए, कभी दिग्विजय के करीबी थे
8 बृजेंद्र प्रताप सिंह खनिज साधन, श्रम पहले मंत्री रहे
9 विश्वास सारंग चिकित्सा शिक्षा, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास पहले भी मंत्री रहे, शिवराज के करीबी
10 इमरती देवी महिला एवं बाल विकास सिंधिया खेमे से
11 प्रभुराम चौधरी लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सिंधिया खेमे से
12 महेंद्र सिंह सिसोदिया पंचायत और ग्रामीण विकास सिंधिया खेमे से
13 प्रद्युम्न सिंह तोमर ऊर्जा सिंधिया खेमे से
14 प्रेम सिंह पटेल पशुपालन, सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण नया चेहरा
15 ओमप्रकाश सकलेचा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और प्रौद्योगिकी नया चेहरा
16 उषा ठाकुर पर्यटन, संस्कृति और अध्यात्म नया चेहरा
17 अरविंद सिंह भदौरिया सहकारिता, लोक सेवा प्रबंधन नया चेहरा
18 मोहन यादव उच्च शिक्षा नया चेहरा
19 हरदीप सिंह डंग नवीन, एवं नवकरणीय ऊर्जा, पर्यटन कांग्रेस से आए
20 राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन सिंधिया खेमे से

राज्यमंत्री

1 भारत सिंह कुशवाह उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण, स्वतंत्र प्रभार, नर्मदा घाटी विकास नया चेहरा
2 इंदर सिंह परमार स्कूल शिक्षा, स्वतंत्र प्रभार, सामान्य प्रशासन नया चेहरा
3 रामखिलावन पटेल पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण, स्वतंत्र प्रभार, विमुक्त घुमक्कड़ एवं अर्ध घुमक्कड़, जनजातीय कल्याण, स्वतंत्र प्रभार, पंचायत एवं ग्रामीण विकास नया चेहरा
4 रामकिशोर कांवरे आयुष, स्वतंत्र प्रभार, जल संसाधन नया चेहरा
5 बृजेंद्र सिंह यादव लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी सिंधिया खेमे से
6 गिर्राज दंडोतिया किसान कल्याण एवं कृषि विकास सिंधिया खेमे से
7 सुरेंद्र धाकड़ लोक निर्माण विभाग सिंधिया खेमे से
8 ओपीएस भदौरिया नगरीय विकास एवं आवास सिंधिया खेमे से

पांच कैबिनेट मंत्री पहले से

1 नरोत्तम मिश्रा गृह, जेल, संसदीय कार्य, विधि पहले भी मंत्री रहे
2 तुलसी सिलावट जल संसाधन, मछुआ कल्याण और मत्स्य विकास सिंधिया खेमे से
3 गोविंद सिंह राजस्व, परिवहन सिंधिया खेमे से
4 मीना सिंह आदिम जाति कल्याण, अनुसूचित जाति कल्याण पहले भी मंत्री रहे
5 कमल पटेल किसान कल्याण एवं कृषि विकास पहले भी मंत्री रहे

भाजपा के 16 मंत्री, 9 नए चेहरे2 जुलाई को 28 मंत्रियों ने शपथ ली थी
मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल में 2जुलाई को 28 मंत्रियों को शामिल किया था।मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा के 16 मंत्रियों में 7 पुराने और 9 नए चेहरे शामिल किया था। कांग्रेस के बागीखेमे से कुल14 मंत्री हो गए हैं। इसी साल मार्च में कुल 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया था।

शिवराज के चौथे कार्यकाल में सीएम समेत 34 मंत्री
2 जुलाई कोमंत्रिमंडल विस्तार में 28 मंत्रियों ने शपथ ली। इनमें 9 सिंधिया खेमे से हैं। 3 कांग्रेस छोड़कर आने वाले नेता हैं। जबकि भाजपा के 16 विधायक मंत्री बने थे। शिवराज सरकार में अब 25 कैबिनेट और आठ राज्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री को मिलाकर 34 मंत्री हैं।

जातिगत समीकरण
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से गिर्राज दंडोतिया (ब्राह्मण), ऐंदल सिंह कंसाना (गुर्जर), सुरेश धाकड़ (किरार समाज), ओपीएस भदौरिया (ठाकुर), महेंद्र सिंह सिसोदिया (ठाकुर), इमरती देवी (अनूसूचित जाति), प्रद्युम्न सिंह तोमर (ठाकुर), भारत सिंह कुशवाह (कुशवाह समाज) ।

ग्वालियर चंबल से 8 मंत्री, यहां 16 सीटों पर उपचुनाव
ग्वालियर-चंबल की 16 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। इस क्षेत्र में सिंधिया की मजबूत पकड़ है। यहां से 8 नेता गिर्राज दंडोतिया, ऐंदल सिंह कंसाना, सुरेश धाकड़, ओपीएस भदौरिया, महेंद्र सिंह सिसोदिया, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, भारत सिंह कुशवाह मंत्रीहैं।

क्षेत्रीय संतुलन में सिंधिया की चली
भाजपासूत्र बताते हैं कि ग्वालियर-चंबल की सबसे ज्यादा सीटों पर उपचुनाव होना है। सिंधिया समर्थक गिर्राज दंडोतिया, ऐंदल सिंह कंसाना, सुरेश धाकड़, ओपीएस भदौरिया, महेंद्र सिंह सिसोदिया, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, भारत सिंह कुशवाह मंत्री बनाए गए हैं। इसमें ऐंदल सिंह कंसाना सिंधिया समर्थक नहीं माने जाते हैं।

20 मार्च को सरकार गिरी, 23 मार्च को शिवराज चौथी बार सीएम बने
सिंधिया समर्थक 6 मंत्रियों समेत 22 विधायकों के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद 20 मार्च को कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा था और 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार गिर गई थी। 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके 28 दिन बाद 5 मंत्रियों वाली मिनी कैबिनेट ने 21 अप्रैल को शपथ ली थी।



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बाएं से- गोपाल भार्गव, सीएम शिवराज सिंह, प्रदेश भाजपा प्रमुख वीडी शर्मा और नरोत्तम मिश्रा। 2 जुलाई को शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार में 28 मंत्रियों ने शपथ ली थी। इनमें 9 सिंधिया खेमे से हैं। 3 कांग्रेस छोड़कर आने वाले नेता हैं। भाजपा के 16 विधायक मंत्री बने थे। -फाइल फोटो


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कोरोनाकाल यह साबित करने का एक अवसर है कि इंसान के मन की ताकत असीमित है और हम किसी भी चुनौती को हरा सकते हैं

इस ‘कोरोनाकाल’ में बहुत से लोगों का मन नकारात्मकता से प्रभावित हुआ है। नकारात्मकता मन की ऐसी स्थिति है जिसमें मन की अच्छी भावनाएं, जिन्हें मैं मनविटामिन कहता हूं, जैसे कि आशा, विश्वास, साहस इत्यादि दब जाती हैं और इनकी जगह नकारात्मक भावनाएं जैसे कि डर, चिंता, हताशा और अवसाद मन पर कब्ज़ा कर लेती हैं।

कोरोनाकाल में लोग ज़्यादा चिंतित हो रहे हैं क्योंकि अपने मन की चिंताओं को वे किसी को कह नहीं पा रहे। लोग अवसाद (डिप्रेशन) भी अनुभव कर रहे हैं क्योंकि भविष्य में वे उजास नहीं देख पा रहे। ऐसे में प्रश्न यह है कि कैसे हम इन नकारात्मक भावनाओं से बचें और इस समय को भरपूर जिएं!

इसके लिए आपको जो पहला मंत्र अपने मन में रटना है वो ये है कि बदल जाना समय का स्वभाव है। बुरे समय की यह रात जल्द ढलेगी और सूरज अवश्य निकलेगा। आपका हताश मन सौ तरह के तर्क देगा कि यह समय कभी खत्म नहीं होगा...लेकिन इसकी ना सुनें! जब तक सूरज निकल नहीं आता, मन के एक कोने में आशा का दीपक ज़रूर जलाएं रखें।

वायरस, सोशल डिस्टेंसिंग इत्यादि जीवन की गति न रोकें इसके लिए जीवन में अनुशासन लाना होगा। आपको अपनी दिनचर्या को नई वास्तविकता के अनुसार ढालना चाहिए। आजकल बहुत से लोग घर से काम कर रहे हैं। घर से निकलना कम हो गया है, ऐसे में नियमित व्यायाम, शरीर व मन को स्वस्थ और ख़ुश रखने के लिए बेहद ज़रूरी है। जब भी संभव हो, धूप और बारिश का आनंद लें, पेड़-पौधों पर ध्यान दें। प्रकृति के जितना निकट रहेंगे उतना मन प्रसन्न रहेगा।

मित्रों से संपर्क बनाए रखें, उनके मन की सुनें और अपने मन की कहें। अपने किसी न किसी करीबी मित्र से रोज़ाना फ़ोन पर बात जरूर करें। ख़ुद को अलग-थलग बिल्कुल न करें। कोशिश करें कि अपने परिचय के दायरे के बाहर भी लोगों की मदद कर सकें। इससे संतुष्टि मिलेगी, जीवन को नया अर्थ मिलेगा। घर में रहते हुए भी काफ़ी कुछ कर सकते हैं। मैं आपको उदाहरण देता हूं।

इस लेख को लिखते समय मुझे घर से बाहर निकले हुए 120 दिन से अधिक हो चुके हैं। मैं सारा काम घर से ही कर रहा हूँ। मैंने पूरी कोशिश की है कि मैं कोरोनाकाल में और अधिक उपयोगी जीवन जी सकूं। इस दौरान मैंने और मेरे मित्रों ने अपने घरों में रहते हुए एक नेटवर्क बनाया, जिसने हज़ारों प्रवासी मज़दूरों को घर पहुंचने में सहायता दी।

हमने घर बैठे-बैठे कई टन भोजन सामग्री जुटाई और ज़रूरतमंदों तक पहुंचाई। यदि हम चाहें तो क्या नहीं कर सकते! हम सब मित्रों ने कोरोनाकाल का अपने जीवन को और अधिक समाजोपयोगी बनाने में प्रयोग किया। कोरोनाकाल यह साबित करने का एक अवसर है कि इंसान के मन की ताकत असीमित है और हम एक-दूसरे का साथ देते हुए किसी भी चुनौती को हरा सकते हैं।



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ललित कुमार, संस्थापक, कविता कोश


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आस्था वह विश्वास है कि ईश्वर या तो हमारे साथ चलेगा या गोद में लेकर, आस्था का स्थान आपका हृदय है, जिसे आप खुद ही बनाते हैं

एक बार एक व्यक्ति ने सपना देखा कि वह ईश्वर के साथ समुद्र किनारे चल रहा है। उसकी जिंदगी के कई दृश्य आसमान पर नजर आ रहे हैं। हर दृश्य में उसने देखा कि रेत में पैरों के निशान हैं। कभी-कभी निशानों के दो जोड़े भी दिखे। तो कभी-कभी एक। इससे व्यक्ति परेशान हो गया क्योंकि उसने देखा कि जब वह जीवन में परेशान था, तब उसे पैरों के निशानों का एक ही जोड़ा दिख रहा था।

इसलिए उसने ईश्वर से कहा, ‘आपने मुझसे वादा किया था कि मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा। लेकिन मैंने देखा कि जब मैं मुश्किल में था, तब रेत में निशानों का एक ही जोड़ा था। जब मुझे सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब क्या आप मेरे साथ नहीं थे?’ ईश्वर ने जवाब दिया, ‘उस समय जब तुम्हें पैरों के निशानों का एक ही जोड़ा दिख रहा है, तब मैंने तुम्हें अपनी गोद में उठा लिया था।’

आस्था वह विश्वास है कि ईश्वर या तो हमारे साथ चलेगा या गोद में लेकर। आस्था का स्थान आपका हृदय है, जिसे आप खुद ही बनाते हैं। आपकी पांचों इंद्रियों से जाने वाला कुछ भी आपकी आस्था को नहीं छू सकता क्योंकि इंद्रियों की पहुंच दिल तक नहीं है। आस्था हृदय की बुद्धिमत्ता है, जबकि विश्वास मन की।

हृदय को किसी सबूत की आवश्यकता नहीं है। हृदय हर अनुभव से अपनी आस्था की जड़ें मजबूत करता है। जबकि मन हर अनुभव का इस्तेमाल अपने विश्वास के आधार को कमजोर करने के लिए करता है।

आस्था विज्ञान विरोधी नहीं है, यह बस विज्ञान की समझ के परे है। हर सफर की शुरुआत एक आस्था है। यह आस्था कि हम पहुंचेंगे, सफल होंगे। आस्था उसपर विश्वास करने की क्षमता है, जिसे हम देख नहीं सकते, जो अभी हुआ नहीं है, जिसे अभी साबित नहीं किया जा सकता। अगर आस्था का मतलब वह है, जिसे आप देख नहीं सकते, तो उसका इनाम यह होगा कि एक दिन आप उसे देखेंगे, जिसपर आपको हमेशा से विश्वास था।

एक बार हनुमान ने श्रीराम से कहा, ‘हे भगवान, ऐसा कुछ है, जो आपसे भी श्रेष्ठ है।’ श्रीराम ने चकित होकर हनुमान से पूछा, ‘वह चीज क्या है?’ हनुमान बोले, ‘हे प्रभु, आपने नाव की मदद से नदी पार की। लेकिन मैंने आपके नाम की शक्ति से पूरा समुद्र पार कर लिया। आपके नाम से ही समुद्र में पत्थर तैरे। इसलिए आपसे श्रेष्ठ आपका नाम है।’

‘आस्था का विषय’ (व्यक्ति, ईश्वर, वस्तु, विचार आदि) नहीं, खुद ‘आस्था’ ही चमत्कार करती है। आस्था का विषय जरिया मात्र होता है। जीसस के लिए ‘अब्बा’ थे, मदर टेरेसा के लिए ‘जीसस’, द्रौपदी के लिए ‘कृष्ण’, पैगंबर के लिए ‘अल्लाह’, एकलव्य के लिए ‘द्रोण’, हनुमान के लिए ‘राम’ थे। फिर भी सभी ने अपने जीवन में आस्था की चमत्कारिक शक्ति का अनुभव किया, जिससे साबित होता है कि ‘आस्था का विषय’ नहीं, उस ‘विषय में आस्था’ से चमत्कार होते हैं।

जैसे विचार, उन्हें जन्म देने वाले मन से ज्यादा शक्तिशाली होते हैं, उसी तरह आस्था भी ‘विषय’ से ज्यादा शक्तिशाली है। हालांकि इंसान यह समझने में गलती करता है। जब भी उसे कुछ चमत्कारिक अनुभव होता है, वह श्रेय ‘आस्था के विषय’ को दे देता है, जबकि वे चमत्कार उसकी ‘विषय में आस्था’ की वजह से होते हैं। समझ में इस चूक की वजह से वह ‘आस्था के विषय’ को खुश करने के लिए अनुष्ठान करता है।

वह अपना ‘आस्था का विषय’ भी बदल लेता है। ईश्वर के एक स्वरूप से कोई दूसरा...। वह हर चीज पर ध्यान देता है, सिवाय आस्था के। सवाल यह नहीं है कि आपका ‘ईश्वर’ कौन है, सवाल यह है कि ईश्वर में आपकी ‘आस्था’ कितनी मजबूत है।

बिना आस्था के आप में डर होगा। लेकिन जब आप आस्था को जानेंगे तो कोई डर नहीं होगा। आस्था और डर एक साथ नहीं रह सकते। विकल्प इंसान की बुद्धिमत्ता से पैदा होते हैं और नतीजे उस ईश्वर की बुद्धिमत्ता से। आस्था यह जानना है कि कभी-कभी हमारी योजना असफल होगी, ताकि वह आपके लिए अपनी योजना लागू कर सके। उसकी योजना आपके लिए हमेशा सही होगी।

इसलिए आप आस्था में यह नहीं पूछते, ‘मेरे साथ यह क्यों हो रहा है?’ लेकिन आप आस्था के साथ यह पूछते हैं, ‘मेरे ईश्वर, मुझे इस सबमें डालकर आप मुझे किस चीज के लिए तैयार कर रहे हैं? इसके पीछे आपका बड़ा उद्देश्य क्या है, जो मैं अब तक नहीं देख पा रहा हूं?’ जो परमशक्ति आपको इस परिस्थिति में लाई, वही बाहर भी निकालेगी।



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महात्रया रा, आध्यात्मिक गुरु


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अमेरिकी नौसेना की एयरविंग में पहली बार अश्वेत महिला लड़ाकू पायलट, मेडलिन ने रचा इतिहास

अमेरिका में पिछले कुछ दिनों से श्वेत और अश्वेत को लेकर हो रही बहस के बीच अमेरिकी नौसेना में अफ्रीकी मूल की लेफ्टिनेंट मेडलिन स्वीगल ने पहली अश्वेत महिला पायलट बनकर इतिहास रच दिया है।
अमेरिकी नौसेना की तरफ से नेवल एयर ट्रेनिंग कमांड द्वारा किए गए एक ट्वीट में मेडलिन की इस उपलब्धि के बारे में जानकारी दी गई है।

इसमें लिखा गया है कि ट्रेनिंग पूरी करने के बाद टेक्टिकल एयरक्राफ्ट (टेकएयर) उड़ाने वाली पहली अश्वेत महिला पायलट बन गई हैं। इससे पहले गुरुवार को अमेरिकी नेवी ने भी इसको लेकर एक ट्वीट किया था। नेवल एयर ट्रेनिंग कमांड ने अपने ट्वीट में कहा है कि फ्लाइंग ऑफिसर मेडलिन ने विंग्स ऑफ गोल्ड हासिल किया है। अमेरिकी नौसेना की एयरविंग में यह सम्मान पाने वाली वे पहली अश्वेत महिला हैं। उन्हें 31 जुलाई को एक समारोह में यह बैज दिया जाएगा।

2017 में यूएस नेवल अकादमी से डिग्री हासिल की
वर्जीनिया के बुर्के की रहने वाली मेडलिन ने वर्ष 2017 में यूएस नेवल अकादमी से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी। अधिकारियों के मुताबिक, उन्हें किंग्सविले में रेडहॉक्स ट्रेनिंग स्क्वाड्रन 21 की जिम्मेदारी दी गई है। पिछले महीने अमेरिकी नौसेना ने इस बात के संकेत दिए थे कि वह रंगभेद और नस्लवाद के मुद्दों को हल करना चाहती है। ताकि इन समुदायों से जुड़े लोगों के काम करने में मुश्किलें खत्म हों, नौसेना में इन्हें बराबरी से मौके मिलें।

नौसेना में सिर्फ 765 महिला पायलट, सभी रैंक में 7% कम
1974 में रोजमेरी मेरिनर एक टैक्टिकल फाइजर जेट उड़ाने वाली पहली महिला बनी थीं। अब 46 साल बाद स्वीगल ने नया इतिहास लिखा है। मिलिट्री डॉट कॉम के मुताबिक, फाइटर यूनिट में अश्वेत पायलट दुर्लभ हैं। पेंसकोला न्यूज जर्नल के अनुसार, 2018 तक नौसेना में 765 महिला पायलट थीं, जो रैंक के सभी पायलटों की तुलना में 7% कम थीं।



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अमेरिकी नौसेना में अफ्रीकी मूल की लेफ्टिनेंट मेडलिन स्वीगल ने पहली अश्वेत महिला पायलट बनकर इतिहास रच दिया है।


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लॉकडाउन में घर पहुंचे युवा गांव में पेंटिंग बना रहे, मकसद चारधाम यात्रियों को आकर्षित करना, ताकि पर्यटन बढ़े और पलायन न हो  

उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग के अरखुंड गांव के युवा बेरोजगार होकर कुछ दिनों पहले महानगरों से अपने घर लौटे हैं, लेकिन निराश नहीं हैं। इन युवाओं ने पर्वतीय लोक कला, संस्कृति, पर्यावरण और ग्रामीण हक हकूक की प्रतिनिधित्व करती तस्वीरों से गांव के हर घर की दीवार रंग दी है। इससे गांव तो सुंदर हुआ ही, धीरे-धीरे पर्यटक भी आने लगे।

युवा चाहते हैं कि चारधाम यात्रा से उनका गांव जुड़े और वे यहीं रहकर रोजगार खोज सकें। रुद्रप्रयाग से 29 किमी दूर स्थित अरखुंड गांव में 173 घर हैं। जनसंख्या लगभग 833 है। इस रंगीन बदलाव का नेतृत्व करने वाले सुमित राणा हैं। ड्रॉइंग मेंपोस्ट ग्रेजुएट हैं। लॉकडाउन में उन्हें भी घर लौटना पड़ा। सुमित ने कुछ युवाओं के साथ मिलकर देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति और पर्यावरण को चित्रों में उतारने की योजना बनाई।

युवाओं की इस कोशिश को उत्तराखंड सरकार ने भी सराहा है

चार हजार रुपए जुटाए, जिससे पेंट और अन्य सामान की खरीद की। सुमित के साथ त्रिलोक रावत, प्रमोद रावत, सूर्यकांत गोस्वामी, नीरज भट्ट व आलोक नेगी जैसे युवाओं ने कुछ ही दिनों में अरखुंड की तस्वीर बदलकर रख दी। युवाओं की इस कोशिश को उत्तराखंड सरकार ने भी सराहा है।

राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के मुताबिक, ऐसे गांवों के लिए जल्द योजना लाई जा रही है। इन्हें सुंदर बनाकर टूरिस्ट सर्किट से भी जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इन युवाओं की भी मदद लेंगे।

पहाड़ के हर गांव को जोड़ना चाहते हैं, ताकि सब यहीं रहें
सुमित कहते हैं कि हम पहाड़ के हर गांव को स्वरोजगार से जोड़ना चाहते हैं। रोजगार मिलेगा, तो सब यहीं रहेंगे। महानगरों का रुख नहीं करना पड़ेगा। लक्ष्मण चौहान बताते हैं कि गांव में पर्यटक बढ़ेंगे तो होम स्टे शुरू करेंगे। वहीं हरीश पडियार मानते हैं कि इन बदलावों से उनका गांव भी टूरिस्ट हब बन सकता है।



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रुद्रप्रयाग से 29 किमी दूर स्थित अरखुंड गांव में 173 घर हैं। जनसंख्या लगभग 833 है। इस रंगीन बदलाव का नेतृत्व करने वाले सुमित राणा हैं।


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विशेष बच्चों के लिए घर में स्कूल खोला, जिसमें ऑटिज्म-डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त 25 बच्चे पढ़ते हैं, यहां के ट्रेंड बच्चे नौकरी भी पा रहे

तिरुपति में एक घर मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों का श्रीश मंदिरम स्कूल बन गया है। यहां ऑटिज्म, डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त करीब 25 बच्चे हैं। स्कूल दोहा मेट्रो में मैकेनिकल इंजीनियर रहे मधुबाबू और उनकी पत्नी वारीजा चंद्रलता चलाते हैं। मधु बाबू बताते हैं कि वे दोहा (कतर) में इंजीनियर थे। अचानक बेटी की तबियत खराब हुई।

डॉक्टरों ने बताया कि वह दिमागी अक्षमता का शिकार हो सकती है। चंद्रलता दोनों बच्चों को लेकर तिरुपति आ गईं। इस बीच, पता चला कि बेटे श्रीश को दुर्लभ आनुवांशिक बीमारी म्यूकोपॉलीसैकेराइड है। हम बच्चों के लिए विशेष स्कूल ढूंढ रहे थे लेकिन भरोसेमंद स्कूल नहीं मिला। 2010 में विशेष बच्चों के 15 माता-पिता के साथ पेरेंट्स एसोसिएशन ऑफ चिल्ड्रेन विद स्पेशल नीड्स (पीएसी) संस्था बनाई।

सरकार से मदद मांगी लेकिन नहीं हुई सुनवाई

तिरुपति तिरुमला देवस्थानम ट्रस्ट से विशेष बच्चों के लिए स्कूल खोलने का निवेदन किया। सरकार से भी गुहार लगाई। लेकिन, कहीं से कोई जवाब नहीं आया। 2013 में हमने अपने घर में विशेष बच्चों के हिसाब से बदलाव किए और श्रीश मंदिरम स्कूल शुरू किया। 2015 में श्रीश चल बसा। चंद्रकला ने स्पेशल एजुकेशन का कोर्स किया।

आज स्कूल में 4 साल से 35 वर्ष तक के 25 बच्चों के लिए 10 प्रशिक्षित शिक्षक हैं। एक-एक बच्चा दुबई, कनाडा और अमेरिका से भी है। इनमें 50% बच्चे बिल्कुल फिट हैं। इनमें बेटी वर्षिनी भी है, जिसने पिछले साल विशेष बच्चों की दौड़ में राज्य स्तर पर स्थान हासिल किया है। हम उसे 2023 में जर्मनी में होने वाले स्पेशल ओलंपिक के लिए तैयार कर रहे हैं। 15 साल के दो बच्चों को एक डेयरी कंपनी ने जॉब भी ऑफर की है। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद वे यहां नौकरी करेंगे।

क्या होता है स्कूल में?
श्रीश मंदिरम डे बोर्डिंग स्कूल है। सुबह 9 से शाम साढ़े चार बजे तक चलता है। फिजियोथैरेपी के साथ नई-नई चीजें सीखने की कक्षाएं होती हैं। स्कूल ने फाइव हार्ट्स योजना शुरू की है। इसमें सामान्य बच्चों से कहा जाता है कि वे स्कूल के किसी एक बच्चे को दोस्त बनाएं। उससे मिलने कभी-कभी आएं। उनके साथ खेलें और बातचीत करें। इससे इन विशेष’ बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है और वे खुश भी होते हैं।



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मैकेनिकल इंजीनियर रहे मधुबाबू और उनकी पत्नी वारीजा चंद्रलता तिरुपति स्थित अपने घर में ही मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को पढ़ाते हैं।


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मुंबई से 17 तो दिल्ली से 16 प्राइवेट ट्रेनें चलेंगी, गुजरात से सिर्फ दो, 30 हजार करोड़ रु. के निवेश की उम्मीद

देशभर में 109 रूट के 12 कलस्टर से 151 निजी ट्रेनें दौड़ाने की तैयारी है। इनमें सबसे अधिक मुंबई से 17 और दिल्ली से 16 निजी ट्रेनें रोजाना विभिन्न शहरों के लिए दौड़ेगी। इसके अलावा हावड़ा से 9, मध्य प्रदेश से 6, राजस्थान और बिहार से 7-7, गुजरात और झारखंड से 2-2, हरियाणा और पंजाब से 1-1 ट्रेनें चलेंगी। 45 ट्रेनें दक्षिण भारत के विभिन्न शहरों से चलेंगी।

इसके लिए रेलवे मंत्रालय ने रिक्वेस्ट फाॅर क्वालीफिकेशन निकाल दिया है और 6 से 8 माह में फाइनेंशियल बिड्स निकाले जाने की संभावना है। इस प्रोजेक्ट में लगभग 30 हजार करोड़ का निजी निवेश होगा। हर ट्रेन में कम से कम 16 कोच होंगे। ट्रेन के लोको पायलट और गार्ड रेलवे के ही होंगे। सेफ्टी क्लीयरेंस भी रेलवे देगा।

मुंबई से 17 ट्रेनें दूसरे शहरों से पहुंचेंगी
मुंबई से जितनी संख्या में प्राइवेट ट्रेनें जाएंगी, उतनी ही संख्या में अलग-अलग शहरों से आएंगी। यानी 17 ट्रेनें जाएंगी, तो 17 आएंगी। वहीं, गुजरात से केवल 2 ट्रेनें जाएंगी लेकिन दूसरे राज्यों से 6 ट्रेनें आएंगी।

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, गुजरात से बाहर जाने वालों की तुलना में आने वालों की संख्या अधिक होती है इसलिए गुजरात पहुंचने वाली ट्रेनों की संख्या अधिक है। प्रतिवर्ष 8 से 9 करोड़ टिकट वेटिंग ही रह जाते हैं, इसे ध्यान में रखते हुए ही प्राइवेट ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इस पहल का उद्देश्य आधुनिक प्रौद्योगिकी का कम रखरखाव, रोजगार सृजन को बढ़ावा देना है।

95% तक समय पर लानी होंगी ट्रेनें, साफ-सफाई रखनी होगी
निजी ट्रेन संचालकों को ट्रेन संचालन में 95% तक समयबद्धता का पालन करना होगा। एक लाख किमी के सफर में एक से ज्यादा गलतियां नहीं होनी चाहिए। साफ-सफाई का ध्यान रखना होगा।



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निजी ट्रेन संचालकों को ट्रेन संचालन में 95% तक समयबद्धता का पालन करना होगा। एक लाख किमी के सफर में एक से ज्यादा गलतियां नहीं होनी चाहिए। साफ-सफाई का ध्यान रखना होगा। 


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अरबों की संपत्ति वाले पद्मनाभस्वामी मंदिर पर किसका होगा अधिकार, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज

केरल के ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन और उसकी संपत्तियों पर अधिकार को लेकर सुप्रीम काेर्ट सोमवार को फैसला सुनाएगा। जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच इस बात का फैसला करेगी कि देश के सबसे अमीर मंदिर का मैनेजमेंट राज्य सरकार देखेगी या त्रावणकोर का पूर्व शाही परिवार। मंदिर की संपत्ति पर भी कोर्ट फैसला देगी। मंदिर के पास करीब दो लाख करोड़ रु. की संपत्ति है।

कोर्ट इस बात का फैसला भी करेगी कि क्या यह मंदिर सार्वजनिक संपत्ति है और इसके लिए तिरुपति तिरुमला, गुरुवयूर और सबरीमला मंदिरों की तरह ही देवस्थानम बोर्ड की स्थापना की जरूरत है या नहीं? बेंच इस बात पर भी निर्णय दे सकती है कि त्रावणकोर के पूर्ववर्ती शाही परिवार का मंदिर पर किस हद तक अधिकार होगा और क्या मंदिर के सातवें तहखाने को खोला जाए या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट में 8 साल से अधिक समय तक मामले की सुनवाई हुई

केरल हाईकोर्ट ने 2011 में अपने एक फैसले में राज्य सरकार को पद्मनाभस्वामी मंदिर की तमाम संपत्तियों और मैनेजमेंट पर नियंत्रण लेने का आदेश दिया था। इस आदेश को पूर्व त्रावणकोर शाही परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट में 8 साल से अधिक समय तक मामले की सुनवाई हुई और मंदिर के तहखाने में रखी गई बहुमूल्य चीजों की सूची बनवाने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। अंतत: जस्टिस ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच ने गत वर्ष अप्रैल में इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।

उत्राटम तिरुनाल के वंशज ट्रस्ट बनाकर मंदिर का संचालन कर रहे हैं
पद्मनाभ मंदिर को 6वीं शताब्दी में त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया था। साल 1750 में मार्तंड वर्मा ने खुद को भगवान का सेवक यानी ‘पद्मनाभ दास’ बताते हुए अपना जीवन और संपत्ति उन्हें सौंप दी। 1947 तक त्रावणकोर के राजाओं ने केरल में राज किया। 2013 में उत्राटम तिरुनाल मार्तण्ड वर्मा के निधन के बाद उनका परिवार और उनके अधीन प्राइवेट ट्रस्ट मंदिर की देखरेख कर रहे हैं।



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कोर्ट इस बात पर भी निर्णय दे सकती है कि त्रावणकोर के पूर्ववर्ती शाही परिवार का मंदिर पर किस हद तक अधिकार होगा और क्या मंदिर के सातवें तहखाने को खोला जाए या नहीं।


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पायलट को प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाने, दो डिप्टी सीएम बनाने और राजद्रोह के नोटिस से बिगड़ी बात

ये कहानी शुरू होती है... शनिवार शाम से। जब राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट 10-12 विधायकों के साथ दिल्ली रवाना हो जाते हैं। यहां से सियासी वायरस के शुरुआती लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। रविवार सुबह करीब 9 बजे पायलट कांग्रेस के दिग्गज नेताओं से फोन पर बात करते हैं।

पायलट उनसे कहते हैं कि एसओजी ने विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले में मुझे 120बी के तहत बयान लेने का नोटिस भेजा है। 120बी राजद्रोह में लगती है। जबकि, इस मामले में न तो मैं आरोपी हूं, न संदिग्ध। सिर्फ दो लोगों की मोबाइल पर हुई बातचीत के आधार पर मुझे ये नोटिस भेज दिया गया।

इस मामले में बयान लेना तो एक बहाना है। मुझे गिरफ्तार करने की भी साजिश हो सकती है। यहीं से पायलट के सुर बगावती हो जाते हैं। सियासी गलियारों में सचिन पायलट को प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाने व दो डिप्टी सीएम बनाने की अटकलें अलग से चल रही थीं।

क्या घोड़ों के अस्तबल से जाने के बाद ही हम जागेंगे?: सिब्बल

दोपहर 12:27 बजे कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल एक ट्वीट करते हैं- अपनी पार्टी के लिए चिंतित हूं। क्या घोड़ों के अस्तबल से जाने के बाद ही हम जागेंगे? कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल का भी बयान सामने आता है- ‘बात बहुत आगे पहुंच चुकी है। अशोक गहलोत ने कांग्रेस आलाकमान को जानकारी दी है कि सचिन पायलट बीजेपी के संपर्क में हैं और सरकार गिराने की कोशिश कर रहे हैं।’ इन दो बयानों के बाद राजस्थान सरकार डांवाडोल होने की अटकलें और तेज हो जाती हैं। उधर, पायलट कांग्रेस नेताओं का फोन उठाना बंद कर देते हैं।

दोपहर करीब 1:30 बजे होती है भाजपा की एंट्री। ज्योतिरादित्य सिंधिया सबसे पहले अपने पुराने साथी सचिन पायलट से मिलते हैं। सूत्र बताते हैं कि इसके बाद भाजपा प्रवक्ता जफर इस्लाम पायलट से संपर्क साधते हैं। सियासी गुणाभाग का आकलन होता है।

अलग पार्टी बनाने पर भी हो रहा विचार

इस चर्चा के बाद जफर इस्लाम लगातार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को अपडेट देते रहते हैं और नड्‌डा पल-पल की जानकारी अमित शाह तक पहुंचाते हैं। गौर करने वाली बात है कि जफर इस्लाम ने ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में शामिल करने में अहम भूमिका निभाई थी। सूत्रों का कहना है कि पायलट अलग पार्टी बनाने पर भी बात करते हैं।

शाम करीब 5:27 बजे ज्योतिरादित्य सिंधिया ट्वीट करते हैं- मेरे पुराने साथी सचिन पायलट की स्थिति देखकर दुखी हूं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें दरकिनार किया। यह दिखाता है कि कांग्रेस में टैलेंट और क्षमता की कद्र नहीं है।

कई सवाल अब भी अनसुलझे

शाम करीब 6:30 बजे कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और राजस्थान कांग्रेस चुनाव प्रभारी अविनाश पांडे पायलट से बातचीत करते हैं। इस दौरान एक फाॅर्मूले पर चर्चा होती है। यही फाॅर्मूला लेकर सुरजेवाला, अविनाश पांडे व अजय माकन जयपुर रवाना होते हैं।

देर रात करीब 9 बजे लगभग 72 घंटे से चुप्पी साधे सचिन पायलट का सबसे चौंकाने वाला बयान आता है- 30 विधायक मेरे साथ हैं और गहलोत सरकार अल्पमत में है। हालांकि, कई सवाल अब भी अनसुलझे हैं। क्या पायलट भाजपा में जाएंगे? क्या वे सीएम बनने की शर्त पर कांग्रेस में वापस आ सकते हैं? क्या वे अलग पार्टी बना सकते हैं?



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बीजेपी प्रवक्ता जफर इस्लाम


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अरबों की संपत्ति वाले पद्मनाभस्वामी मंदिर पर किसका होगा अधिकार, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज

केरल के ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन और उसकी संपत्तियों पर अधिकार को लेकर सुप्रीम काेर्ट सोमवार को फैसला सुनाएगा। जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच इस बात का फैसला करेगी कि देश के सबसे अमीर मंदिर का मैनेजमेंट राज्य सरकार देखेगी या त्रावणकोर का पूर्व शाही परिवार। मंदिर की संपत्ति पर भी कोर्ट फैसला देगी। मंदिर के पास करीब दो लाख करोड़ रु. की संपत्ति है।

कोर्ट इस बात का फैसला भी करेगी कि क्या यह मंदिर सार्वजनिक संपत्ति है और इसके लिए तिरुपति तिरुमला, गुरुवयूर और सबरीमला मंदिरों की तरह ही देवस्थानम बोर्ड की स्थापना की जरूरत है या नहीं? बेंच इस बात पर भी निर्णय दे सकती है कि त्रावणकोर के पूर्ववर्ती शाही परिवार का मंदिर पर किस हद तक अधिकार होगा और क्या मंदिर के सातवें तहखाने को खोला जाए या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट में 8 साल से अधिक समय तक मामले की सुनवाई हुई

केरल हाईकोर्ट ने 2011 में अपने एक फैसले में राज्य सरकार को पद्मनाभस्वामी मंदिर की तमाम संपत्तियों और मैनेजमेंट पर नियंत्रण लेने का आदेश दिया था। इस आदेश को पूर्व त्रावणकोर शाही परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट में 8 साल से अधिक समय तक मामले की सुनवाई हुई और मंदिर के तहखाने में रखी गई बहुमूल्य चीजों की सूची बनवाने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। अंतत: जस्टिस ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच ने गत वर्ष अप्रैल में इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।

उत्राटम तिरुनाल के वंशज ट्रस्ट बनाकर मंदिर का संचालन कर रहे हैं
पद्मनाभ मंदिर को 6वीं शताब्दी में त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया था। साल 1750 में मार्तंड वर्मा ने खुद को भगवान का सेवक यानी ‘पद्मनाभ दास’ बताते हुए अपना जीवन और संपत्ति उन्हें सौंप दी। 1947 तक त्रावणकोर के राजाओं ने केरल में राज किया। 2013 में उत्राटम तिरुनाल मार्तण्ड वर्मा के निधन के बाद उनका परिवार और उनके अधीन प्राइवेट ट्रस्ट मंदिर की देखरेख कर रहे हैं।



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कोर्ट इस बात पर भी निर्णय दे सकती है कि त्रावणकोर के पूर्ववर्ती शाही परिवार का मंदिर पर किस हद तक अधिकार होगा और क्या मंदिर के सातवें तहखाने को खोला जाए या नहीं।


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मुंबई से 17 तो दिल्ली से 16 प्राइवेट ट्रेनें चलेंगी, गुजरात से सिर्फ दो, 30 हजार करोड़ रु. के निवेश की उम्मीद

देशभर में 109 रूट के 12 कलस्टर से 151 निजी ट्रेनें दौड़ाने की तैयारी है। इनमें सबसे अधिक मुंबई से 17 और दिल्ली से 16 निजी ट्रेनें रोजाना विभिन्न शहरों के लिए दौड़ेगी। इसके अलावा हावड़ा से 9, मध्य प्रदेश से 6, राजस्थान और बिहार से 7-7, गुजरात और झारखंड से 2-2, हरियाणा और पंजाब से 1-1 ट्रेनें चलेंगी। 45 ट्रेनें दक्षिण भारत के विभिन्न शहरों से चलेंगी।

इसके लिए रेलवे मंत्रालय ने रिक्वेस्ट फाॅर क्वालीफिकेशन निकाल दिया है और 6 से 8 माह में फाइनेंशियल बिड्स निकाले जाने की संभावना है। इस प्रोजेक्ट में लगभग 30 हजार करोड़ का निजी निवेश होगा। हर ट्रेन में कम से कम 16 कोच होंगे। ट्रेन के लोको पायलट और गार्ड रेलवे के ही होंगे। सेफ्टी क्लीयरेंस भी रेलवे देगा।

मुंबई से 17 ट्रेनें दूसरे शहरों से पहुंचेंगी
मुंबई से जितनी संख्या में प्राइवेट ट्रेनें जाएंगी, उतनी ही संख्या में अलग-अलग शहरों से आएंगी। यानी 17 ट्रेनें जाएंगी, तो 17 आएंगी। वहीं, गुजरात से केवल 2 ट्रेनें जाएंगी लेकिन दूसरे राज्यों से 6 ट्रेनें आएंगी।

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, गुजरात से बाहर जाने वालों की तुलना में आने वालों की संख्या अधिक होती है इसलिए गुजरात पहुंचने वाली ट्रेनों की संख्या अधिक है। प्रतिवर्ष 8 से 9 करोड़ टिकट वेटिंग ही रह जाते हैं, इसे ध्यान में रखते हुए ही प्राइवेट ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इस पहल का उद्देश्य आधुनिक प्रौद्योगिकी का कम रखरखाव, रोजगार सृजन को बढ़ावा देना है।

95% तक समय पर लानी होंगी ट्रेनें, साफ-सफाई रखनी होगी
निजी ट्रेन संचालकों को ट्रेन संचालन में 95% तक समयबद्धता का पालन करना होगा। एक लाख किमी के सफर में एक से ज्यादा गलतियां नहीं होनी चाहिए। साफ-सफाई का ध्यान रखना होगा।



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निजी ट्रेन संचालकों को ट्रेन संचालन में 95% तक समयबद्धता का पालन करना होगा। एक लाख किमी के सफर में एक से ज्यादा गलतियां नहीं होनी चाहिए। साफ-सफाई का ध्यान रखना होगा। 


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विशेष बच्चों के लिए घर में स्कूल खोला, जिसमें ऑटिज्म-डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त 25 बच्चे पढ़ते हैं, यहां के ट्रेंड बच्चे नौकरी भी पा रहे

तिरुपति में एक घर मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों का श्रीश मंदिरम स्कूल बन गया है। यहां ऑटिज्म, डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त करीब 25 बच्चे हैं। स्कूल दोहा मेट्रो में मैकेनिकल इंजीनियर रहे मधुबाबू और उनकी पत्नी वारीजा चंद्रलता चलाते हैं। मधु बाबू बताते हैं कि वे दोहा (कतर) में इंजीनियर थे। अचानक बेटी की तबियत खराब हुई।

डॉक्टरों ने बताया कि वह दिमागी अक्षमता का शिकार हो सकती है। चंद्रलता दोनों बच्चों को लेकर तिरुपति आ गईं। इस बीच, पता चला कि बेटे श्रीश को दुर्लभ आनुवांशिक बीमारी म्यूकोपॉलीसैकेराइड है। हम बच्चों के लिए विशेष स्कूल ढूंढ रहे थे लेकिन भरोसेमंद स्कूल नहीं मिला। 2010 में विशेष बच्चों के 15 माता-पिता के साथ पेरेंट्स एसोसिएशन ऑफ चिल्ड्रेन विद स्पेशल नीड्स (पीएसी) संस्था बनाई।

सरकार से मदद मांगी लेकिन नहीं हुई सुनवाई

तिरुपति तिरुमला देवस्थानम ट्रस्ट से विशेष बच्चों के लिए स्कूल खोलने का निवेदन किया। सरकार से भी गुहार लगाई। लेकिन, कहीं से कोई जवाब नहीं आया। 2013 में हमने अपने घर में विशेष बच्चों के हिसाब से बदलाव किए और श्रीश मंदिरम स्कूल शुरू किया। 2015 में श्रीश चल बसा। चंद्रकला ने स्पेशल एजुकेशन का कोर्स किया।

आज स्कूल में 4 साल से 35 वर्ष तक के 25 बच्चों के लिए 10 प्रशिक्षित शिक्षक हैं। एक-एक बच्चा दुबई, कनाडा और अमेरिका से भी है। इनमें 50% बच्चे बिल्कुल फिट हैं। इनमें बेटी वर्षिनी भी है, जिसने पिछले साल विशेष बच्चों की दौड़ में राज्य स्तर पर स्थान हासिल किया है। हम उसे 2023 में जर्मनी में होने वाले स्पेशल ओलंपिक के लिए तैयार कर रहे हैं। 15 साल के दो बच्चों को एक डेयरी कंपनी ने जॉब भी ऑफर की है। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद वे यहां नौकरी करेंगे।

क्या होता है स्कूल में?
श्रीश मंदिरम डे बोर्डिंग स्कूल है। सुबह 9 से शाम साढ़े चार बजे तक चलता है। फिजियोथैरेपी के साथ नई-नई चीजें सीखने की कक्षाएं होती हैं। स्कूल ने फाइव हार्ट्स योजना शुरू की है। इसमें सामान्य बच्चों से कहा जाता है कि वे स्कूल के किसी एक बच्चे को दोस्त बनाएं। उससे मिलने कभी-कभी आएं। उनके साथ खेलें और बातचीत करें। इससे इन विशेष’ बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है और वे खुश भी होते हैं।



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मैकेनिकल इंजीनियर रहे मधुबाबू और उनकी पत्नी वारीजा चंद्रलता तिरुपति स्थित अपने घर में ही मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को पढ़ाते हैं।


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लॉकडाउन में घर पहुंचे युवा गांव में पेंटिंग बना रहे, मकसद चारधाम यात्रियों को आकर्षित करना, ताकि पर्यटन बढ़े और पलायन न हो  

उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग के अरखुंड गांव के युवा बेरोजगार होकर कुछ दिनों पहले महानगरों से अपने घर लौटे हैं, लेकिन निराश नहीं हैं। इन युवाओं ने पर्वतीय लोक कला, संस्कृति, पर्यावरण और ग्रामीण हक हकूक की प्रतिनिधित्व करती तस्वीरों से गांव के हर घर की दीवार रंग दी है। इससे गांव तो सुंदर हुआ ही, धीरे-धीरे पर्यटक भी आने लगे।

युवा चाहते हैं कि चारधाम यात्रा से उनका गांव जुड़े और वे यहीं रहकर रोजगार खोज सकें। रुद्रप्रयाग से 29 किमी दूर स्थित अरखुंड गांव में 173 घर हैं। जनसंख्या लगभग 833 है। इस रंगीन बदलाव का नेतृत्व करने वाले सुमित राणा हैं। ड्रॉइंग मेंपोस्ट ग्रेजुएट हैं। लॉकडाउन में उन्हें भी घर लौटना पड़ा। सुमित ने कुछ युवाओं के साथ मिलकर देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति और पर्यावरण को चित्रों में उतारने की योजना बनाई।

युवाओं की इस कोशिश को उत्तराखंड सरकार ने भी सराहा है

चार हजार रुपए जुटाए, जिससे पेंट और अन्य सामान की खरीद की। सुमित के साथ त्रिलोक रावत, प्रमोद रावत, सूर्यकांत गोस्वामी, नीरज भट्ट व आलोक नेगी जैसे युवाओं ने कुछ ही दिनों में अरखुंड की तस्वीर बदलकर रख दी। युवाओं की इस कोशिश को उत्तराखंड सरकार ने भी सराहा है।

राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के मुताबिक, ऐसे गांवों के लिए जल्द योजना लाई जा रही है। इन्हें सुंदर बनाकर टूरिस्ट सर्किट से भी जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इन युवाओं की भी मदद लेंगे।

पहाड़ के हर गांव को जोड़ना चाहते हैं, ताकि सब यहीं रहें
सुमित कहते हैं कि हम पहाड़ के हर गांव को स्वरोजगार से जोड़ना चाहते हैं। रोजगार मिलेगा, तो सब यहीं रहेंगे। महानगरों का रुख नहीं करना पड़ेगा। लक्ष्मण चौहान बताते हैं कि गांव में पर्यटक बढ़ेंगे तो होम स्टे शुरू करेंगे। वहीं हरीश पडियार मानते हैं कि इन बदलावों से उनका गांव भी टूरिस्ट हब बन सकता है।



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रुद्रप्रयाग से 29 किमी दूर स्थित अरखुंड गांव में 173 घर हैं। जनसंख्या लगभग 833 है। इस रंगीन बदलाव का नेतृत्व करने वाले सुमित राणा हैं।


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राजस्थान की राजनीति के फाइटर पायलट बने सचिन; उनका दांव सिंधिया जैसा, लेकिन आंकड़े मध्यप्रदेश जैसे नहीं

1. अस्तबल से घोड़े निकल रहे हैं...
आपने ऊपर जो तस्वीर देखी, उस पर मत जाइए, क्योंकि राजनीति में मुस्कुराहटें बदल भी सकती हैं। 2018 के रंग 2020 में बदल गए हैं। कांग्रेस में बागी-2 टाइप की सिचुएशन आ गई है। मध्यप्रदेश में सिंधिया की बगावत को चार महीने भी नहीं बीते थे कि राजस्थान में डिप्टी सीएम सचिन पायलट के इसी तरह के तेवर नजर आने लगे।

अशोक गहलोत की सरकार गिराने की साजिश का जैसे ही खुलासा हुआ, एक दिन के अंदर पायलट ने गियर बदल लिए। वे फाइटर पायलट वाली भूमिका में आ गए और 12 विधायकों को लेकर दिल्ली पहुंच गए।

इस सबके बीच, ये तो मानना होगा कि कांग्रेस नेताओं के बयानों में इनोवेशन हो रहा है। पहले अशोक गहलोत ने विधायकों की खरीद-फरोख्त को बकरा मंडी से जोड़ दिया। अब कपिल सिब्बल घोड़े-अस्तबल की बात कर रहे हैं। पूछ रहे हैं- ‘क्या घोड़ों के अस्तबल से निकलने के बाद ही हम जागेंगे?’ हालांकि, ये समझ नहीं आया कि इसमें ‘हम’ और ‘अस्तबल’ से उनके मायने कांग्रेस से हैं या देश की राजनीतिक व्यवस्था से हैं?

अब कुछ बातें जो हमारे रिपोर्टर्स ने बताईं...

  • पहली- स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप का नोटिस आने के बाद से पायलट समर्थक विधायक नाराज हैं। उनका कहना है कि सरकार ने सभी हदें पार कर दी हैं और अब गहलोत के साथ काम करना नामुमकिन है। विधायक सवाल करने लगे हैं कि आपणो मुख्यमंत्री कौन?
  • दूसरी- राजस्थान में कांग्रेस की हालत मध्यप्रदेश जितनी बुरी भी नहीं। 200 विधायकों वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के पास 107 का आंकड़ा है। भाजपा 72 पर है। जो 13 विधायक गहलोत सरकार के साथ हैं, वे भाजपा के साथ आ जाएं, तो भी आंकड़ा 85 तक ही पहुंचता है। कांग्रेस के कम से कम 15 विधायक अपनी विधायकी छोड़ दें और फिर निर्दलीय और बाकी छोटे दलों के सभी विधायक भाजपा के साथ आ जाएं, तभी भाजपा की सरकार बन सकती है।

आज क्या होगा?
सीएम गहलोत ने विधायक दल की बैठक बुलाई है। यहां लगने वाली विधायकों की हाजिरी से स्थिति काफी हद तक साफ हो सकती है।

2. ट्रम्प का मास्क
ऊपर हुई देश की बात। अब चलते हैं विदेश। खबर है अमेरिका से। ट्रम्प यहां के अब तक के सबसे चर्चित राष्ट्रपति हैं। मार्च से दुनियाभर में कोरोना की चर्चा है, लेकिन ट्रम्प जुलाई में जाकर पहली बार मास्क पहने दिखे हैं। एक बार मई में फोर्ड के प्लांट में उनकी मास्क पहने फोटो दूर से खींची गई। यह सोशल मीडिया पर आई, लेकिन वेरिफाई नहीं हो सकी। इसके बाद वे खुलकर मास्क का विरोध करते रहे।

अब मास्क पहनने के बाद उन्होंने जो कहा है, उसे सुनकर उनके विरोधी भी शरमा जाएंगे। उन्होंने कहा- ‘मैं कभी भी मास्क पहनने के खिलाफ नहीं था, लेकिन इसे पहनने का सही वक्त और जगह होती है।’ यानी ट्रम्प के हिसाब से मास्क पहनने का सही वक्त अब जाकर आया है।

3. अक्टूबर में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया जाएगी
भारतीय क्रिकेट टीम का ऑस्ट्रेलिया दौरा अब पक्का है, लेकिन ये दौरा अभी नहीं होगा, अक्टूबर में होगा। तब भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया में तीन टी-20 खेलेगी। बीसीसीआई प्रेसिडेंट सौरव गांगुली ने कहा कि हमने दौरे को मंजूरी दे दी है। अब हम चाहते हैं कि खिलाड़ियों का क्वारैंटाइन पीरियड कम किया जाए, क्योंकि दो हफ्ते होटल के रूम में रहना बहुत मुश्किल होगा। यह खिलाड़ियों के लिए डिप्रेसिंग और डिसपॉइंटिंग होगा।

4. आज का दिन कैसा रहेगा?
इसे एस्ट्रोलॉजी और न्यूमरोलॉजी, दोनों तरह से समझ लेते हैं। एस्ट्रोलॉजी कहती है कि सोमवार को दो शुभ योग बन रहे हैं। इससे पांच राशियों मेष, वृष, मिथुन, सिंह और कुंभ के लिए दिन फायदे वाला हो सकता है। इन्वेस्टमेंट के लिहाज से आपके लिए दिन ठीक है। तुला, वृश्चिक और मकर राशि वालों को संभलकर रहना चाहिए।

न्यूमरोलॉजी कहती है कि सोमवार को तारीख है 13 और इसका मूल अंक 4 है। आज 2 अंक वालों को फायदा मिल सकता है, 5 अंक वालों को थकान रह सकती है। अभी कोरोना चल रहा है, आप कहीं जाना नहीं चाहेंगे, फिर भी 8 अंक वालों के लिए विदेश यात्रा के योग बन रहे हैं।

5. आज से जुड़ी तीन खबरें

  • 4 शहरों में आज से लॉकडाउन

महाराष्ट्र के पुणे और ठाणे, कश्मीर के श्रीनगर और मेघालय के शिलॉन्ग में लॉकडाउन लगने जा रहा है। पुणे में लॉकडाउन इसलिए जरूरी हो गया है, क्योंकि जुलाई के 12 दिनों में यहां कोरोना के मामले 20 हजार से बढ़कर 28 हजार से ज्यादा हो गए हैं। यहां सोमवार आधी रात से 23 जुलाई तक फुल लॉकडाउन रहेगा। ठाणे में 19 जुलाई, शिलॉन्ग में 15 जुलाई तक लॉकडाउन रहेगा। श्रीनगर के 68 कंटेनमेंट जोन में सोमवार से लॉकडाउन शुरू होगा। यह कब तक चलेगा, यह साफ नहीं है।

  • विकास दुबे मामले में आज हो सकती है सुनवाई

पिछले दिनों गैंगस्टर विकास दुबे का कानपुर के पास एनकाउंटर हो गया। पुलिस उसे जिस गाड़ी में ले जा रही थी, वह पलट गई। हादसे के बाद भागने की कोशिश में वह मारा गया। इस एनकाउंटर की सीबीआई या एसआईटी से जांच कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई पिटीशंस दायर हुई हैं। इन पर सोमवार को सुनवाई हो सकती है।

  • गूगल के प्रोडक्ट की लॉन्चिंग आज

गूगल ने शनिवार रात एक ट्वीट किया था। उसमें लिखा था, ‘गहरी सांस लें और तैयार रहें। इस सोमवार कुछ खास आ रहा है।’ माना जा रहा है कि गूगल अपना स्मार्ट स्पीकर लॉन्च कर सकता है। आज दोपहर 2 बजे से इसके वर्चुअल इवेंट की भारत में स्ट्रीमिंग होगी। इसमें गूगल और अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई भी बोल सकते हैं।



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फोटो 14 दिसंबर 2018 की है। राजस्थान में कांग्रेस जीत गई थी, लेकिन मुख्यमंत्री तय नहीं हो पा रहा था। तब राहुल कांग्रेस अध्यक्ष थे। गहलोत और पायलट से लंबी मुलाकात के बाद उन्होंने यह फोटो ट्वीट की थी।


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सस्ता सामान खरीदने नेपाल से भारत के इस बाजार आते थे लोग, दुकानों का किराया 50 हजार रुपए

बिहार के पूर्वी चम्पारण का एक छोटा सा शहर है रक्सौल। यहां का पूरा मार्केट एक सड़क के दोनों ओर सिमटा हुआ है। लेकिन दुकानों का किराया 50 हजार रुपए महीना तक है। वजह यहां से खरीददारी लाखों में हुआ करती थी। और ज्यादातर खरीददार होते थे नेपाली। सुबह से लेकर देर रात तक बाजार गुलजार होता था। इतनी भीड़ होती थी कि पैर रखने की जगह न मिले और अब हालात ऐसे हैं कि ग्राहकों को देखने के लिए व्यापारियों की आंखें तरस गई हैं।

नेपाली बर्तन खरीदने भी भारत आते हैं, क्योंकि नेपाल में न इतनी वैरायटी मिलती हैं न कम दाम।

नेपाल में राशन-कपड़ा-इलेक्ट्रॉनिक सामान से लेकर बर्तन तक भारत के मुकाबले काफी महंगे मिलते हैं। वहां की सरकार मोटी कस्टम ड्यूटी वसूलती है। ज्यादातर सामान दूसरे देशों से लाया जाता है। इसलिए जो चीज भारत में 400 रुपए में मिल जाती है, वो नेपाल में 800 रुपए में मिलती है। यही वजह रही है कि नेपाली ग्राहक भारत आकर जमकर खरीदी करते रहे हैं।

दोनों देशों ने लॉकडाउन खोल दिया लेकिन बॉर्डर बंद है। इस कारण रक्सौल का बाजार भी सूना है।

रक्सौल का पूरा बाजार बसा ही नेपालियों के चलते है। कपड़ा व्यापारी नियाज अहमद कहते हैं, ‘हम 2006 से रक्सौल में दुकान चला रहे हैं। यहां 80 से 90 प्रतिशत नेपाली ग्राहक थे। जब से लॉकडाउन लगा है और बॉर्डर सील है तो कोई भी ग्राहक रक्सौल नहीं आ पा रहा है। हमारी तो पूरी ग्राहकी ही चौपट हो गई। अब तो ऐसे हालात हैं कि दिन में एक, दो ग्राहक आ जाएं तो बहुत बड़ी बात है।'

पहले सुबह 7 से दोपहर 2 बजे के बीच ही काफी खरीदी हो जाती थी। अब इस वक्त तक एक ग्राहक भी नहीं आता।

रक्सौल के टैक्सटाइल चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अरुण कुमार गुप्ता के मुताबिक रक्सौल में कपड़े की करीब 150 दुकानें हैं और हालात ऐसे हैं कि 120 से 130 दुकानों में तो ग्राहकी शुरू ही नहीं हो पा रही है। गुप्ता बताते हैं इस बाजार में मेन रोडपर बनी दुकानों का किराया 50 हजार रुपए महीना तक है लेकिन अब तो हालात ऐसे बन रहे हैं कि किराया देना ही मुश्किल हो गया है।

लोग स्टाफ भी कम करते जा रहे हैं। बर्तन कारोबारी निकेश कुमार शर्मा का मानना है कि कोरोना वायरस का डर खत्म होने के बाद नेपाली ग्राहक फिर वापस लौटेंगे क्योंकि उनके पास भी कोई विकल्प नहीं है। नेपाल में सामान इतना महंगा है कि वो वहां से ज्यादा दिनों तक खरीदी कर नहीं सकते।

यहां दुकानों का किराया 50 हजार रुपए महीना तक है। ग्राहकी नहीं होने से किराया देना मुश्किल हो गया है।

बिहार सीमा जागरण मंच के प्रदेश अध्यक्ष और रक्सौल के बड़े कारोबारी महेश अग्रवाल कहते हैं, ‘नेपाल और भारत का रोटी-बेटी का संबंध है। यानी एक-दूसरे के यहां बेटी ब्याही जाती हैं और लोग कामधंधा करने आते-जाते हैं। न उनके बिना हमारा चलेगा और न हमारे बिना उनका चलेगा क्योंकि सालों का रिश्ता-नाता है। पूरा बाजार अनलॉक होने के बाद भी वीरान है। बॉर्डर जल्दी नहीं खुली तो आने वाले समय में स्थिति बहुत भयावह हो जाएगी। कई दुकानदार कामधंधा बंद करने के लिए मजबूर हो गए हैं।

नेपाली कॉस्मेटिक सामान बहुत खरीदते हैं, इसी के चलते रक्सौल में कॉस्मेटिक आयटम की बड़ी-बड़ी दुकानें हैं।

कॉस्टमेटिक विक्रेता राजेंद्र कुमार कहते हैं कि, पहले के मुकाबले दस परसेंट ग्राहकी भी नहीं है। वे कहते हैं हमारा कॉस्मेटिक का सामान खूब बिकता था क्योंकि नेपाली लोगसजने-संवरने मेंबहुत शौकीन होते हैं। वो महंगी से महंगी चीजें खरीद कर ले जाते थे,लेकिन बीते चार महीने से जो हालात बने हैं, उसने सब तबाह कर दिया। किसी भी तरह बस मार्केट पहले की तरह खुल जाए हम यही चाहते हैं।



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People used to come to this market from Nepal to buy cheap goods, rent of shops 50 thousand rupees


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10 हजार एकड़ में मार्केट, हर दिन 5 करोड़ रुपए का कारोबार; यहां 10 लाख रुपए तक की कीमत वाले पौधे भी

आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी से 15 किमी दूर कडियम इलाका है। एक लंबी सड़क, उसके पास नहर में बहता कलकल पानी। नहर के दोनों तरफ हजारों की संख्या में पौधों की नर्सरी है। ये देश कासबसे बड़ापौधों का बाजार है। 25 किमी और 10 हजार एकड़ में फैला ये बाजार देश और विदेशों में पौधों की सप्लाई करता है। कोरोना के चलते पिछले 3 महीने से पूरा बाजार बंद था। अब धीरे-धीरे वापस रौनक लौटने लगी है।

श्री सत्यनारायणा नर्सरी के मालिक ताताजी बताते हैं कि लॉकडाउन के कारण बिजनेस में बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। इस महीने में पिछले साल 500 गाड़ियांइस बाजार से रोजाना पौधे लेकर जाती थीं। मगर अभी 50 से 80 के बीच ही जा रही हैं।

इनके यहां से सबसे महंगा पौधा भी है,जिसकी कीमत 1 लाख से लेकर 10 लाख तक है। ये पौधा चीन से मंगवाया जाता है। इसका नाम साइना बोनसाई है। इसके आकार के आधार पर इसकी कीमत तय होती है। अगस्त में ही 5 कंटेनर भरकर चीनसे ये पौधे मंगवाए थे।

श्रीलक्ष्मी वेकेंश्वरा नर्सरी के श्रीनिवासराव बताते है कि यहां पर 95 प्रतिशत लोकल प्लांट हैं, जिन्हेंबाहर सप्लाई किया जाता है।

एक दिन में पांच करोड़ का बिजनेस

श्रीलक्ष्मी वेकेंश्वरा नर्सरी के श्रीनिवासराव बताते है कि यहां पर 95 प्रतिशत लोकल प्लांट हैं, जिन्हेंबाहर सप्लाई किया जाता है। केवल 5 प्रतिशत पौधे ही बाहर से मंगवाए जाते है। पूरे देश में यहां से पौधे सप्लाई होते हैं। इसके साथ ही हर तरह का पौधा यहां मिल जाता है। एक दिन मेंकरीब 5 करोड़ का बिजनेस होता था।यहां से दुबई, कतर, चीना, स्पेन आदि देशोमें पौधोकी सप्लाईकी जाती है।

25 किमी एरिया में 50 के करीब गांव आते हैं, जिनमें से 90% नर्सरी का काम करते हैं। 80% पौधे यहीं तैयार होते हैं। बाकी 20% पूना, कलकत्ता, चैन्नई, चीना, स्पेन,थाईलैंड से आता है।

पहले 500 गाड़ियांइस बाजार से रोजाना पौधे लेकर जाती थीं। लेकिन कोरोना के चलते अभी 50 से 80 के बीच ही गाड़ियां जा रही हैं।

यहां 6000 से ज्यादा फार्म हैं। सबसे ज्यादा इस मौसम में मैंगो, कोकोनट, संतरा, मोसंबी, सीताफल, स्पोता की उपज होती है।1959 में इस बाजार की शुरुआत हुई थी। उस समय 3-4 नर्सरी फार्म हाउस थे। यहां की मिट्टी उपजाऊ होने के कारण धीरे-धीरे गांव के लोगइस बिज़नेस में आ गए।आज ये देशका सबसे बड़ा बाजार है। 1 लाख के करीब लोग आज यहां काम कर रहे हैं।

बाहर से आने वाले पौधे

चीनसे बोनसाईको लाया जाता है, जिसकी कीमत 1 लाख से 7 लाख है। स्पेन से- ओलिया को मंगाया जाता है,जिसकी कीमत 10 लाख है- ये गुडलक पौधा है। इसके साथ ही थाईलैंड से कलरफुल बोगनवेलिया लाया जाता है।



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आंध्र प्रदेश के कडियम में स्थित है यह नर्सरी। यह देश के सबसे बड़ा पौधों का बाजार है। यहां एक लाख लोग काम करते हैं।


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इसमें केंद्र सरकार के खिलाफ 25, चीन के मुद्दे पर पीएम से पूछा- जवानों को निहत्था किसने भेजा; एक में लिखा- अपने कार्यकर्ताओं पर आंच नहीं आने दूंगा

राजस्थान की कांग्रेस सरकार मुश्किल में दिख रही है।सोमवार सुबह कांग्रेस विधायक दल की बैठक होनी है। कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सचिन पायलट शामिल नहीं होंगे। पायलट खेमे की ओर से दावा किया जा रहा है कि उनके समर्थन में 30 विधायक हैं।इधर, गहलोत खेमे ने 100 से अधिक विधायकों के समर्थन का दावा किया है। इस पूरे मामले को लेकर बीजेपी ने कहा है कि ये कांग्रेस का आंतरिक मामला है।

क्या सचिन बनेंगे सिंधिया

हाल ही में मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। उनके साथ 22 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गई थी और राज्य में बीजेपी की सरकार बनी। बीजेपी ने सिंधिया को राज्यसभा भेज दिया। अब यह कयास लगाए जा रहेहैं कि मध्य प्रदेश के सियासी घटनाक्रम को राजस्थान में भी दोहराया जा सकता है और बीजेपी के लिए पायलट, सिंधिया की भूमिका निभा सकते हैं।

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने रविवार को कहा था कि पायलट के साथ उनके मतभेद हैं, लेकिन मनभेद नहीं है।

पिछले एक महीने में सचिन पायलट ने कुल 117 ट्वीट किए हैं। इसमें से केंद्र सरकार के खिलाफ 25 ट्वीटहैं। जिनमें गलवान घाटी में भारत-चीन हिंसक झड़प, पेट्रोल डीजल की बढ़ते दाम, कोरोना महामारी और प्रियंका गांधी की सुरक्षा हटाए जाने को लेकर ट्वीट किए।

8 जुलाई को सचिन पायलट ने लिखा- केंद्र सरकार बदले और दमन की राजनीति कर रही है। लोकतंत्र में विपक्ष को दबाकर खत्म नहीं किया जा सकता। क्योंकि, एक सच्चा विपक्ष जनता की आवाज़ होता है। जांच के नाम पर सिर्फज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने का काम किया जा रहा है, इससे कांग्रेस डरने वाली नहीं है।

3 जुलाई को पायलट ने एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें यह दावा किया जा रहा था कि चीन ने हमारी जमीन हड़प ली है। यही वीडियो राहुल गांधी ने भी ट्वीट किया था।

2 जुलाई को पायलट ने प्रियंका गांधी की एसपीजी सुरक्षा हटाने पर ट्वीट किया था और केंद्र सरकार को घेरा था। उन्होंने लिखा कि देश में ऐसे कई नेता हैं, जिन्हें कोई पद नहीं होने के बाद भी सुरक्षा दी गई है। प्रियंका गांधी जी को टारगेट करना पूरी तरह राजनीतिक है। जब देश कोरोना महमारी से जूझ रहा है, ऐसे में एसपीजी सुरक्षा हटाना प्राथमिकता नहीं होनी चाहिए।

कहा जा रहा है किज्योतिरादित्य सिंधिया की राह पर पायलट चल पड़े हैं। हाल ही में सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी की सदस्यता ली थी। अभी राज्यसभा सांसद हैं।

पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर केंद्र सरकार का विरोध

29 जून को पायलट ने लिखा- जहां एक तरफ पूरा देश और दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रहाहैं, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार बार-बार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाकर मध्यम वर्ग, गरीब वर्ग एवं किसानों पर आर्थिक प्रहार करने का काम कर रही है।

इसी दिन अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा कि - कोरोना महामारी के इस संकट के समय में भी पिछले तीन महीनों के दौरान केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों तथा उस पर लगने वाले केंद्रीय उत्पाद शुल्क में निरंतर वृद्धि करके जनता पर अनावश्यक बोझ डालने का कार्य किया है, जिससे आमजन में रोष और असंतोष व्याप्त है।

सचिन पायलट की पत्नी सारा ने भी एक के बाद एक 6 ट्वीट किए। उन्होंने लिखा- बड़े- बड़े जादूगरों के पसीने छूट जाते हैं जब हम दिल्ली का रुख करते हैं।

26 जून को पायलट ने गलवान में शहीद हुए जवानों को लेकर ट्वीट किया। उन्होंने लिखा- हमारी सरहदों को मजबूत व सुरक्षित रखने के लिए पूरा देश एकजुट है। हमारे आपस मे वाद-विवाद हो सकते है लेकिन जब सेना और भारत माता की बात आती है तो पूरा देश एक है और एक रहेगा। जिन लोगों की जवाब देने की जिम्मेदारी है, उनको आगे आकर स्पष्ट करना चाहिए कि हमारी सीमा का उल्लंघन हुआ है या नही।

चीन के मुद्दे पर पीएम से सवाल

इसी दिन एक दूसरे ट्वीट में पायलट ने केंद्र से सवाल पूछते हुए लिखा-हाल ही में शहीद हुए 20 जवानों को आज कांग्रेस और पूरे देश ने श्रद्धांजलि अर्पित की। जवानों को निहत्था किसने भेजा? चीन अतिक्रमण का दावा कर रहा है। प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्रालय स्पष्टता नहीं दे पा रहे हैं। जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए हम क्या कर रहे हैं? बता दें कि राहुल गांधी और कांग्रेस के दूसरे नेता भी लगातार यही सवाल केंद्र सरकार और पीएम से पूछते रहे हैं।

अपने कार्यकर्ताओं पर आंच नहीं आने दूंगा

23 जून को पायलट ने लिखा कि जिन कार्यकर्ताओं ने पांच साल तक कंधे से कंधा मिलाकर पार्टी के लिए कड़ी मेहनत की और अपना खून-पसीना बहाया, उन लोगों के मान-सम्मान की रक्षा करना मेरा प्रथम कर्तव्य है। इसके साथ ही उन्होंने वीडियो भी शेयर किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि जिन लोगों ने कड़ी मेहनत की हैं, उन्हें पद मिलना चाहिए, सरकार में भागीदारी मिलनी चाहिए, उनका हक दिलाना मेरा कर्तव्य है। उनकी प्रतिष्ठा पर मैं आंच नहीं आने दूंगा।

23 जून को ही पायलट ने राज्यसभा चुनाव को लेकर एक ट्वीट किया। इसमें उन्होंने लिखा कि राज्यसभा चुनावमें हमारा जो संख्या बल था, उसी के आधार पर पार्टी के दोनों उम्मीदवारों को बहुमत मिला और हमने जो मूल्यांकन किया था वो सही निकला। हमारी पार्टी के विधायक, निर्दलीय विधायक एवं हमारे समर्थक दलों के विधायक सभी साथ रहे। इसके साथ शेयर किए हुए वीडियो में उन्होंने कहा कि हमारे दोनों उम्मीदवार जीते, इसका मतलब है कि बीजेपी ने जो बातें कही थी, जो आरोप लगाए, उनमें कोईसच्चाई नहीं है।

23 जून को अपने एक दूसरे ट्वीट में पायलट ने लिखा-केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के इस संकटकाल में भी लगातार 17वें दिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि करके अपनी असंवेदनशीलता का परिचय दिया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में कमी होने के बावजूद भी सरकार लगातार बढ़ोतरी कर आमजन की मुसीबतें बढ़ा रही है।

22 जून को सचिन पायलट ने लिखा- पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी ने वर्तमान भारत-चीन मसले के सन्दर्भ में बहुत महत्वपूर्ण बातें कही हैं। केंद्र सरकार को मनमोहन सिंह जी की बातों को गंभीरता से लेना चाहिए।

20 जून को उन्होंने एक बार फिर से चीन मसले को लेकर ट्वीट किया। उन्होंने लिखा-जिस प्रकार से हमारी पूर्वी सीमा पर जो भयानक घटनाक्रम हुआ है, वह बहुत दुःखद है। हमारी सीमाओं पर जो चुनौतियां हैं उनका सामना करने के लिए हमें एकजुट होना पड़ेगा और सीमाओं पर जो तनाव है, सरकार उसका स्पष्टीकरण करें। आज हम सब एक हैं और हमारी सेना के पीछे चट्टान की तरह खड़े हैं।

16 जून को गलवान में चीन के साथ हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। इसको लेकर पायलट ने लिखा किसरकार को इसे अत्यंत गंभीरता से लेते हुए तुरंत ठोस और पर्याप्त जवाबी कदम उठाने चाहिए। पूरा देश एकजुट है।

सचिन पायलट की पत्नी सारा ने भी रविवार को 6 ट्वीट किए। एक ट्वीट में लिखा- राजस्थान का भविष्य पायलट।



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राजस्थान की गहलोत सरकार संकट में है। सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत के बीच मतभेद की बात कही जा रही है। कहा जा रहा है कि पायलट कांग्रेस छोड़ने का मन बना चुके हैं। -फाइल फोटो


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