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जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के गूसु इलाके में सुरक्षाबलों ने 1 आतंकी को मार गिराया है। 1जवान शहीद हो गया है। आतंकियों के छिपे होने के इनपुट पर आर्मी और पुलिस ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। इस बीत दहशतगर्दों ने फायरिंग शुरू कर दी। एनकाउंटर जारी है, आतंकी एक घर में छिपे हैं।उनकी संख्या 3 होने का अनुमान है।
— Kashmir Zone Police (@KashmirPolice) July 7, 2020
इस महीने यह तीसरा एनकाउंटर है। इससे पहले 4 जुलाई को कुलगाम के अर्राह इलाके में हिजबुल मुजाहिदीन के 2 आतंकी मारे गए थे। 2 जुलाई को श्रीनगर के मालबाग में सुरक्षाबलों ने आईएस के 1 आतंकी को ढेर कर दिया था।
पिछले महीने 18 एनकाउंटर में 51 आतंकी मारे गए
जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान से आतंकी घुसपैठ के अलर्ट के बाद सुरक्षाबलों ने मई से सर्च ऑपरेशन छेड़ रखा है। पिछले महीने 18 एनकाउंटर में 51 आतंकी मारे गए। पुलिस ने जम्मू के डोडा जिले को आतंकवाद मुक्त घोषित कर दिया था।
कश्मीर के आईजीपी विजय कुमार ने पिछले दिनों कहा था कि श्रीनगर में आतंकियों का आना-जानाजारी है। वे इलाज करवाने, फंड जुटाने और मीटिंग करने के लिए श्रीनगर आते हैं, लेकिन हम कोशिश करेंगे कि वे यहां बेस नहीं बना पाएं। आतंकियों के आने की खबर मिलने पर एनकाउंटर होतेरहेंगे।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर ये खबरें भी पढ़ सकते हैं...
देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 7 लाख 20हजार 346 हो गईहै। यह आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं। उधर, दिल्ली में सोमवार रात को मरीजों की संख्या एक लाख पार कर गई। अब तक100822 मामले सामने आ चुके हैं। दिल्ली में पहला केस 2 मार्च को सामने आया था। पहले 50 हजार केस होने में 110 लगे (18 जून तक)। यानी शुरू में कोरोना की रफ्तार राजधानी में धीमी थी। इसके बाद सिर्फ 18 दिन में ही 50 हजार मरीज बढ़ गए।
अच्छी बात यह है किराजधानी में रिकवरी रेट भी 70% से ज्यादा हो गया है। अभी एक्टिव केस 25 हजार 620 हैं, तो 72 हजार 88 मरीज स्वस्थ भी हो गए हैं। यहां अब 17 हजार 141 मरीज होम आइसोलेशन में हैं। पिछले 24 घंटें में 13 हजार 879 कुल टेस्ट हुए हैं। राजधानी मेंअब तक कुल 6 लाख57 हजार 383 टेस्ट हो चुके हैं।
कर्नाटक के मंत्री बोले- राज्य में कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो गया है
कर्नाटक में 25 हजार से ज्यादा संक्रमित हो गए। राज्य केमंत्री जेसी मधुस्वामी ने कहा कि कर्नाटकमें कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है। कुछ इलाकों में तो बदतर हो गए हैं।हालांकि, मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा इससे इनकार करते रहे हैं।
5 राज्यों का हाल
मध्यप्रदेश:बीते 24 घंटों में यहां कोरोना संक्रमण के 354 नए मामले रिपोर्ट हुए हैं।स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक राज्य में कुल कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 15284 पहुंच गया है। राज्य में एक्टिव मरीजों की संख्या 3088 बची है, वहीं कोरोना के चलते राज्य में अब तक 617 लोगों की जान गई है।11,579 लोग कोरोना संक्रमण से ठीक भी हो चुके हैं।राज्य में कोरोना रिकवरी रेट 75 प्रतिशत से ज्यादा पहुंच गया है।मध्य प्रदेश में कोरोना कंटेनमेंट जोन की संख्या बढ़कर 1158 हो गई है।अब तक 4,17,402 कोविड सैंपल्स की जांच की गई है।
महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 5368 नए मामले सामने आएऔर 204 मौतें दर्ज की गईं हैं। यहां कुल मामलों की संख्या 2,11,987 और मरने वालों की संख्या 9,026 है। सक्रिय मामलों की संख्या 87,681 है। रिकवरी की दर 54.37 फीसद है।
उत्तरप्रदेश: उत्तर प्रदेश में संक्रमितों की संख्या28,636 हो गई है। सोमवार को 929 नए केस बढ़े।हालांकि रिकवरी रेट में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है।राज्य सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसारसोनभद्र में सबसे ज्यादा 95 फीसद और ललितपुर में सबसे कम 14 प्रतिशत रोगी स्वस्थ हुए हैं। प्रदेश के 61 जिलों में कोरोना के 60 प्रतिशत से अधिक मरीज अब तक स्वस्थ हो चुके हैं। इसमें से 43 जिलों में 70 प्रतिशत से ज्यादा मरीज स्वस्थ हुए हैं, सिर्फ 14 जिलों में रिकवरी रेट 60 प्रतिशत के नीचे है।
राजस्थान: राजस्थान में कोरोना संक्रमितों की संख्या 20,688 हो गई है। मरने वालोंकी संख्या 461 तक पहुंच गई। प्रदेश में सोमवार को 524 लोग पॉजिटिव मिले, वहीं पांच लोगों की मौत हुई। यहां एक्टिव केसों की संख्या 3949 है। कोरेाना से होने वाली मृत्युदर 2.26 प्रतिशत है। प्रदेश में अब तक 9 लाख 20 हजार 600 लोगों के सैंपल की जांच हो चुकी है। प्रदेश में सबसे अधिक पॉजिटिव केस 3,573 जयपुर में हैं।
बिहार: बिहार में सोमवार को 280नए मरीज मिले हैं। इसके साथ ही मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 12 हजार के पार कर गया। बिहार में कुल मरीजों की संख्या 12140 हो गई है। 7 मरीजों की मौत हो गई।सोमवार को सबसे ज्यादा पटना में 55 नए मरीज मिले हैं। मरीजों की संख्या के मामले में पटना टॉप पर पहुंच गया है। पटना में मरीजों की संख्या 1100 के पार हो गई है। भू अर्जन कर्मियों के कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के बाद भूअर्जन कार्यालय को सील कर दिया गया है। दूसरी ओर 24 घंटे में और 249 ठीक हुए हैं। अब तक 9014 लोग ठीक होचुके हैं। इसके बाद राज्य में एक्टिव केस की संख्या 3028 हो गई है।
पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी आज 39 साल के हो गए हैं। उनका जन्म 7 जुलाई 1981 को झारखंड (तब बिहार) के रांची में हुआ था। धोनी ने अपनी कप्तानी में देश को 2007 में टी-20 और 2011 में वनडे वर्ल्ड कप के अलावा 2013 में चैम्पियंस ट्रॉफी जिताई। धोनी मैदान के अंदर और बाहर हमेशा शांत नजर आते हैं। बहुत ही कम मौके होंगे, जब फैंस ने उनको गुस्से में देखा होगा। धोनी के क्लब के कोच चंचल भट्टाचार्य ने बताया कि उनके पास गुस्से को कंट्रोल करने की एक अलग कलाहै।
1996 से 2004 तक कमांडो क्रिकेट क्लब में धोनी के कोच रहे चंचल ने कहा कि गुस्सा आने पर धोनी अपनी नाक को टेढ़ी कर लेते हैं। वे लोगों के सामने गुस्से को जाहिर नहीं होने देते। क्लब में भी खेलते समय उनका रवैया ठीक ऐसा ही था। भास्कर ने चंचल के अलावा स्कूल टाइम के कोच केआर बनर्जी और भारतीय टीम में धोनी के साथ खेले तेज गेंदबाज मोहित शर्मा से बात की...
धोनी क्या शुरू से अनुशासन में रहे?
चंचल: एक बार किसी गलती पर मैंने पूरी टीम को सजा दी थी। सभी खिलाड़ियों को बस की बजाय बैग लेकर दौड़ते हुए स्कूल जाने के लिए कहा था। स्कूल करीब 1 किमी दूर था। दूसरे खिलाड़ियों ने मुझसे सजा को लेकर सवाल किए थे, लेकिन धोनी बिना कुछ कहे, बैग लेकर चल दिए। हालांकि, धोनी ने गलती नहीं की थी। उससे कुछ भी कहो, वह बिना कारण पूछे उसे कर लेता था। शायद यही खासियत उसे सफलता की ओर लेकर गई।
क्या धोनी शुरू से शांत रहते थे। उन्हें कभी गुस्सा नहीं आता था?
चंचल: दूसरे बच्चों की तरह धोनी को भी गुस्सा आता था, लेकिन उसे गुस्सा काबू करने की कला आती है। वह बिना लोगों को पता चले और बगैर किसी को नुकसान पहुंचाए अपना गुस्सा अलग तरीके से जाहिर करता था। गुस्सा आने पर धोनीनाक टेढ़ीकर लेता था और थोड़ी देर में ही नॉर्मल हो जाता था। इसी आदत से वह कैप्टन कूल बन पाया।
भारतीय टीम में आने के बाद धोनी के व्यवहार में बदलाव आया?
चंचल: धोनी के अंदर एक खूबी है कि वह किसी का भी हौसला कम नहीं करता, बल्कि बढ़ाता है। कोई व्यक्ति यह पूछता है कि क्या आप मुझे जानते हैं, तो वह यह कभी नहीं कहता कि नहीं पहचानता। भले ही वह उस व्यक्ति को नजानता हो। माही उस व्यक्ति को अनजान जैसा महसूस नहीं होने देता और बात करता है। मैदान पर भी जूनियर्स का हौसला बढ़ाते हैं।
बतौर कप्तान धोनी की सफलता के क्या कारण रहे?
चंचल: धोनी के अंदर एक खासियत यह भी है कि वह जिस पर भरोसा करता है, तो हमेशा उसके साथ खड़ा भी रहता है। उसे पता होता है कि कैसे किसी से उसका 100% लेना है। यही कारण है कि अपनी कप्तानी में न केवल नए खिलाड़ियों को मौका दिया, बल्कि उन पर भरोसा भी किया और उनसे 100% निकलवाने में भी सफल रहा। धोनी को हमेशा से ही खुद पर भरोसा रहा है। उन्हें किस नंबर पर बल्लेबाजी करना है, यह उन्होंने क्लब क्रिकेट में भी कभी नहीं कहा। उसे बल्लेबाजी के लिए जिस भी नंबर पर भेजो, वह बगैर सवाल के चला जाता था। यही कारण है कि उसकी कप्तानी में भारतीय टीम ने कई इतिहास रचे।
धोनी को स्कूल में क्रिकेट और फुटबॉल के अलावा भी कोई दूसरा खेल पसंद था?
चंचल: धोनी के बारे में सभी को यही पता है कि वे क्रिकेट और फुटबॉल ही खेलते थे, लेकिन उन्हें बैडमिंटन खेलना भी बहुत पसंद था। वे बैडमिंटन में अंडर-19 स्टेट चैम्पियनशिप भी खेल चुके हैं।
धोनी गुस्सा कंट्रोल करने की कैपेसिटी रखते हैं: मोहित
तेज गेंदबाज मोहित शर्मा ने भास्कर से कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि माही को गुस्सा नहीं आता। दूसरे लोगों की तरह उन्हें भी गुस्सा आता है, लेकिन वे गुस्सा कंट्रोल करने की कैपेसिटी रखते हैं। वे गुस्सा होने पर किसी से कुछ नहीं कहते।’’
‘माही वापसी करेंगे, उनमें क्रिकेट बाकी है’
मोहित ने कहा, ‘‘धोनी में अभी क्रिकेट बाकी है। वे वापसी करेंगे और उनके फैंस एक बार फिर उन्हें टीम इंडिया से खेलते देखेंगे। माही ने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया है। वे नए खिलाड़ियों को सपोर्ट करते हैं और उन पर भरोसा भी जताते हैं।’’ मोहित शर्मा आईपीएल में धोनी की कप्तानी में चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेल चुकेहैं। भारतीय टीम में भी धोनी के साथ खेल चुके हैं।
धोनी पूरी तरह फिट हैं: केआरबनर्जी
स्कूल टाइम के कोच केआर बनर्जी ने भास्कर से कहा, ‘‘धोनी के संन्यास को लेकर चर्चा करना ठीक नहीं है। यह उनका निजी मामला है। अभी वे पूरी तरह फिट हैं। लॉकडाउन से पहले धोनी ने चेन्नई सुपरकिंग्स टीम के खिलाड़ियों के साथ प्रैक्टिस की थी। इससे उनकी फिटनेस साबित होती है। स्कूल समय की बात करें तो धोनी क्लास में हमेशा शांत ही रहते थे। ज्यादा किसी से बात नहीं करते थे। जितना पूछा जाता था, उतना ही बोलते थे। यदि वे एक बार किसी से घुल-मिल जाते थे, तो उससे बहुत मजाक भी करते थे।’’
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के गूसु इलाके में सुरक्षाबलों ने 1 आतंकी को मार गिराया है। 1जवान शहीद हो गया है। आतंकियों के छिपे होने के इनपुट पर आर्मी और पुलिस ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। इस बीत दहशतगर्दों ने फायरिंग शुरू कर दी। एनकाउंटर जारी है, आतंकी एक घर में छिपे हैं।उनकी संख्या 3 होने का अनुमान है।
— Kashmir Zone Police (@KashmirPolice) July 7, 2020
इस महीने यह तीसरा एनकाउंटर है। इससे पहले 4 जुलाई को कुलगाम के अर्राह इलाके में हिजबुल मुजाहिदीन के 2 आतंकी मारे गए थे। 2 जुलाई को श्रीनगर के मालबाग में सुरक्षाबलों ने आईएस के 1 आतंकी को ढेर कर दिया था।
पिछले महीने 18 एनकाउंटर में 51 आतंकी मारे गए
जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान से आतंकी घुसपैठ के अलर्ट के बाद सुरक्षाबलों ने मई से सर्च ऑपरेशन छेड़ रखा है। पिछले महीने 18 एनकाउंटर में 51 आतंकी मारे गए। पुलिस ने जम्मू के डोडा जिले को आतंकवाद मुक्त घोषित कर दिया था।
कश्मीर के आईजीपी विजय कुमार ने पिछले दिनों कहा था कि श्रीनगर में आतंकियों का आना-जानाजारी है। वे इलाज करवाने, फंड जुटाने और मीटिंग करने के लिए श्रीनगर आते हैं, लेकिन हम कोशिश करेंगे कि वे यहां बेस नहीं बना पाएं। आतंकियों के आने की खबर मिलने पर एनकाउंटर होतेरहेंगे।
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from Dainik Bhaskar /national/news/jammu-kashmir-encounter-between-security-forces-and-terrorist-news-and-updates-127486692.html
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देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 7 लाख 20हजार 346 हो गईहै। यह आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं। उधर, दिल्ली में सोमवार रात को मरीजों की संख्या एक लाख पार कर गई। अब तक100822 मामले सामने आ चुके हैं। दिल्ली में पहला केस 2 मार्च को सामने आया था। पहले 50 हजार केस होने में 110 लगे (18 जून तक)। यानी शुरू में कोरोना की रफ्तार राजधानी में धीमी थी। इसके बाद सिर्फ 18 दिन में ही 50 हजार मरीज बढ़ गए।
अच्छी बात यह है किराजधानी में रिकवरी रेट भी 70% से ज्यादा हो गया है। अभी एक्टिव केस 25 हजार 620 हैं, तो 72 हजार 88 मरीज स्वस्थ भी हो गए हैं। यहां अब 17 हजार 141 मरीज होम आइसोलेशन में हैं। पिछले 24 घंटें में 13 हजार 879 कुल टेस्ट हुए हैं। राजधानी मेंअब तक कुल 6 लाख57 हजार 383 टेस्ट हो चुके हैं।
कर्नाटक के मंत्री बोले- राज्य में कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो गया है
कर्नाटक में 25 हजार से ज्यादा संक्रमित हो गए। राज्य केमंत्री जेसी मधुस्वामी ने कहा कि कर्नाटकमें कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है। कुछ इलाकों में तो बदतर हो गए हैं।हालांकि, मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा इससे इनकार करते रहे हैं।
5 राज्यों का हाल
मध्यप्रदेश:बीते 24 घंटों में यहां कोरोना संक्रमण के 354 नए मामले रिपोर्ट हुए हैं।स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक राज्य में कुल कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 15284 पहुंच गया है। राज्य में एक्टिव मरीजों की संख्या 3088 बची है, वहीं कोरोना के चलते राज्य में अब तक 617 लोगों की जान गई है।11,579 लोग कोरोना संक्रमण से ठीक भी हो चुके हैं।राज्य में कोरोना रिकवरी रेट 75 प्रतिशत से ज्यादा पहुंच गया है।मध्य प्रदेश में कोरोना कंटेनमेंट जोन की संख्या बढ़कर 1158 हो गई है।अब तक 4,17,402 कोविड सैंपल्स की जांच की गई है।
महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 5368 नए मामले सामने आएऔर 204 मौतें दर्ज की गईं हैं। यहां कुल मामलों की संख्या 2,11,987 और मरने वालों की संख्या 9,026 है। सक्रिय मामलों की संख्या 87,681 है। रिकवरी की दर 54.37 फीसद है।
उत्तरप्रदेश: उत्तर प्रदेश में संक्रमितों की संख्या28,636 हो गई है। सोमवार को 929 नए केस बढ़े।हालांकि रिकवरी रेट में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है।राज्य सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसारसोनभद्र में सबसे ज्यादा 95 फीसद और ललितपुर में सबसे कम 14 प्रतिशत रोगी स्वस्थ हुए हैं। प्रदेश के 61 जिलों में कोरोना के 60 प्रतिशत से अधिक मरीज अब तक स्वस्थ हो चुके हैं। इसमें से 43 जिलों में 70 प्रतिशत से ज्यादा मरीज स्वस्थ हुए हैं, सिर्फ 14 जिलों में रिकवरी रेट 60 प्रतिशत के नीचे है।
राजस्थान: राजस्थान में कोरोना संक्रमितों की संख्या 20,688 हो गई है। मरने वालोंकी संख्या 461 तक पहुंच गई। प्रदेश में सोमवार को 524 लोग पॉजिटिव मिले, वहीं पांच लोगों की मौत हुई। यहां एक्टिव केसों की संख्या 3949 है। कोरेाना से होने वाली मृत्युदर 2.26 प्रतिशत है। प्रदेश में अब तक 9 लाख 20 हजार 600 लोगों के सैंपल की जांच हो चुकी है। प्रदेश में सबसे अधिक पॉजिटिव केस 3,573 जयपुर में हैं।
बिहार: बिहार में सोमवार को 280नए मरीज मिले हैं। इसके साथ ही मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 12 हजार के पार कर गया। बिहार में कुल मरीजों की संख्या 12140 हो गई है। 7 मरीजों की मौत हो गई।सोमवार को सबसे ज्यादा पटना में 55 नए मरीज मिले हैं। मरीजों की संख्या के मामले में पटना टॉप पर पहुंच गया है। पटना में मरीजों की संख्या 1100 के पार हो गई है। भू अर्जन कर्मियों के कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के बाद भूअर्जन कार्यालय को सील कर दिया गया है। दूसरी ओर 24 घंटे में और 249 ठीक हुए हैं। अब तक 9014 लोग ठीक होचुके हैं। इसके बाद राज्य में एक्टिव केस की संख्या 3028 हो गई है।
6 जुलाई से सावन माह शुरू हो गया है। लेकिन, इस साल कोरोना के चलते उत्तराखंड के केदारनाथ ज्योतिर्लिंग में सावन के पहले दिन 200 से भी कम लोग पहुंचे। जबकि, पिछले साल यह आंकड़ा लगभग 10 हजार था। उत्तराखंड सरकार ने 1 जुलाई से राज्य के लोगों के लिए यहां के चारों धाम की यात्रा शुरू कर दी है। दर्शन करने के लिए चारधाम देवस्थानम् बोर्ड की वेब साइट पर रजिस्ट्रेशन कराना होता है।
केदारनाथ मंदिर के तीर्थ पुरोहित समिति के अध्यक्ष पं. विनोद प्रसाद शुक्ला ने बताया कि हर बार सावन माह में यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है। लेकिन, इस बार मंदिर के आसपास की लगभग सभी दुकानें और होटल्स बंद हैं, गिनती के लोग दर्शन करने पहुंच रहे हैं, कावड़ यात्रा भी बंद है। मंदिर में यहां के पुजारी नियमित की जाने वाली सभी पूजा पूरे विधि-विधान से कर रहे हैं। इनके अलावा प्रशासन के कुछ लोग ही दिनभर रहते हैं। 2013 के केदारनाथ हादसे के बाद इस साल महामारी की वजह से मंदिर तक भक्त नहीं पहुंच रहे हैं।
एक दिन में अधिकतम 800 लोग कर सकते हैं दर्शन
देवस्थानम् बोर्ड के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि 1 जुलाई से दर्शन व्यवस्था शुरू हुई है। 1 से 6 जुलाई के बीच 286 लोगों ने ऑनलाइन पूजा बुक की है। 1 जुलाई से अब तक केदारनाथ के दर्शन के लिए राज्य के करीब 1200 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। जबकिचारों धाम के दर्शन के लिए 6 दिनों मेंकरीब 5 हजारई-पास जारी किए गए हैं। केदारनाथ में एक दिन में अधिकतम 800 लोगों को दर्शन कराने की व्यवस्था की गई है, लेकिन अभी काफी कम लोग यहां पहुंच रहे हैं।
सरकारी गेस्ट हाउस खुले हैं
यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सरकारी गेस्ट हाउस खुले हैं। लेकिन, लगभग सभी भक्त अपने निजी वाहन से केदारनाथ पहुंच रहे हैं और दर्शन करके अपने शहर की ओर लौट जाते हैं। यात्रियों को गेस्ट हाउस में एक दिन रुकने की अनुमति दी गई है, विशेष परिस्थितियों में ज्यादा दिन भी रुक सकते हैं।
पौराणिक महत्व:नर-नारायण की भक्ति से प्रसन्न हुए थे शिवजी
शिवपुराण की कोटीरुद्र संहिता में बताया गया है कि बदरीवन में विष्णुजी के अवतार नर-नारायण ने पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा की थी। उनकी भक्ति से शिवजी हुए और वर मांगने को कहा। तब नर-नारायण ने वर मांगा कि शिवजी हमेशा इसी क्षेत्र में रहें। शिवजी ने यहीं रहने का वर दिया और कहा कि ये जगह केदार क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध होगी। इसके बाद शिवजी ज्योति स्वरूप में यहां स्थित शिवलिंग में समा गए।
पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी आज 39 साल के हो गए हैं। उनका जन्म 7 जुलाई 1981 को झारखंड (तब बिहार) के रांची में हुआ था। कैप्टन कूल धोनी ने इंटरनेशनल क्रिकेट के अलावा इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में भी ऐसे कई रिकॉर्ड बनाए हैं, जिन्हें तोड़ना किसी भी खिलाड़ी के लिए बेहद मुश्किल होगा। धोनी आईपीएल में सबसे ज्यादा 9 बार फाइनल खेलने वाले अकेले खिलाड़ी हैं। इस दौरान उन्होंने अपनी टीम चेन्नई सुपर किंग्स को तीन बार विजेता भी बनाया।
धोनी ने भारत के लिए अब तक सबसे ज्यादा 200 वनडे में कप्तानी की। इसमें भारत को 110 में जीत मिली। वह दुनिया के तीसरे ऐसे कप्तान हैं, जिन्होंने सबसे ज्यादा वनडे मैचों में कप्तानी की है। माही ने 90 टेस्ट, 349 वनडे और 98 टी-20 इंटरनेशनल मैच खेले। 2015 में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। धोनी ने अपनी कप्तानी में देश को 2007 में टी-20 और 2011 में वनडे वर्ल्ड कप के अलावा 2013 में चैम्पियंस ट्रॉफी जिताई है।
1. बतौर कप्तान सबसे ज्यादा मैच जीते
धोनी ने बतौर कप्तान आईपीएल में सबसे ज्यादा 104 मैच जीते हैं। इसमें सबसे ज्यादा 99 मैच चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए जीते, जबकि 5 मैच राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स को जिताए हैं। दूसरे नंबर पर मुंबई इंडियंस के कप्तान रोहित शर्मा हैं, जिन्होंने अपनी टीम को 104 में से 60 मैचों में जीत दिलाई है।
2. 20वें ओवर में सबसे ज्यादा रन
क्रिकेट जगत में धोनी को ऐसे ही बेस्ट फिनिशर नहीं कहा जाता है। उनके रिकॉर्ड्स भी इस बात की गवाही देते हैं। धोनी ने अब तक आईपीएल में खेले 190 मैचों के आखिरी (20वें) ओवर में सबसे ज्यादा कुल 564 रन बनाए हैं। उनके बाद दूसरे नंबर पर वेस्टइंडीज के केरॉन पोलॉर्ड हैं, जिन्होंने अब तक 281 रन बनाए हैं।
3. धोनी ने 5 अलग-अलग नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए अर्धशतक लगाए
धोनी ने आईपीएल में 5 अलग-अलग नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए अर्धशतक लगाए हैं। ऐसा करने वाले वे अकेले खिलाड़ी हैं। उन्होंने 2009 में दिल्ली के खिलाफ 2009 में तीन नंबर बल्लेबाजी करते हुए 37 बॉल पर 58 रन की पारी खेली थी। 2013 में चौथे नंबर पर फिर दिल्ली के खिलाफ ही अर्धशतक लगाया था। सबसे ज्यादा हॉफ सेंचुरी माही ने 5 और 6 नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए लगा हैं। इनमें 2010 में पंजाब और 2018 में बेंगलुरु के खिलाफ अर्धशतक शामिल हैं। वहीं, 2013 फाइनल में मुंबई के खिलाफ धोनी ने 7वें नंबर पर 45 बॉल पर 63 रन की पारी खेली थी।
4. सबसे ज्यादा आउट किए
विकेटकीपर धोनी ने आईपीएल में सबसे ज्यादा 132 खिलाड़ियों को आउट किया। इस दौरान उन्होंने विकेट के पीछ 94 कैच लिए और 38 स्टंपिंग की। धोनी यह विकेट आईपीएल के 190 में से 183 मैचों में लिए हैं। उनके बाद दूसरे नंबर पर 131 विकेट के साथ दिनेश कार्तिक हैं।
5. सबसे ज्यादा स्टंप आउट
विकेटकीपर धोनी के नाम आईपीएल में सबसे ज्यादा स्टंप आउट करने का रिकॉर्ड दर्ज है। उन्होंने अब तक 38 खिलाड़ियों को पवेलियन भेजा है। इस मामले में भी उनके बाद दिनेश कार्तिक ही हैं। इस विकेटकीपर ने 30 खिलाड़ियों को स्टंप आउट किया है। धोनी भारतीय टीम की ओर से खेलते हुए एक बार बल्लेबाज को 0.09 सेकंड में स्टंप आउट किया था। तब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के जॉर्ज बेली को शिकार बनाया था।
6. माही के नाम सबसे ज्यादा आईपीएल फाइनल खेलने का रिकॉर्ड
धोनी के नाम आईपीएल में सबसे ज्यादा 9 बार फाइनल खेलने का रिकॉर्ड दर्ज है। इसमें उन्होंने चेन्नई की ओर से 8 बार फाइनल खेलते हुए टीम को 3 बार खिताब भी जिताया है। एक बार उन्होंने राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स के लिए फाइनल खेला था। उनके बाद दूसरे नंबर पर चेन्नई के ही सुरेश रैना है, जिन्होंने 8 बार फाइनल खेला है।
7. बतौर कप्तान सबसे ज्यादा आईपीएल मैच खेले
माही के नाम आईपीएल में बतौर कप्तान सबसे ज्यादा 174 मैच खेलने का रिकॉर्ड भी दर्ज है। इनमें चेन्नई के लिए 160 और पुणे के लिए 14 मैच (2016 सीजन) शामिल हैं। उनके बाद दूसरे नंबर पर गौतम गंभीर हैं, जिन्होंने दिल्ली डेयरडेविल्स और कोलकता नाइट राइडर्स के लिए 129 मैच में कप्तानी की है।
चीन और जापान की दुश्मनी बहुत पुरानी है। वर्ल्ड वॉर-2 के समय यह दुश्मनी और ज्यादा बढ़ी। मौजूदा समय में भी दोनों देशों के बीच तनाव है। तनाव एक आईलैंड को लेकर है। यह है प्रशांत महासागर में जापान के दक्षिण में स्थित सेनकाकु आईलैंड। जापान इसे सेनकाकू तो चीन इसे दियाआयू नाम देता है। अभी ये आईलैंड जापान के पास है, लेकिन चीन इस पर अपना हक जताता है।
अभी चर्चा में क्यों है सेनकाकु आईलैंड?
घटना बहुत सामान्य है। तीन जुलाई को चीन के दो कोस्ट गार्ड शिप यहां से गुजरे और जापान की मछली पकड़ने वाली नाव को डुबाने की कोशिश की। जापान के पेट्रोलिंग जहाजों ने चीनी शिप्स की कोशिश को नाकाम कर दिया। जापान के चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी योशिदी सुगा ने इस चीन को चेतावनी भी दी। यहां चीनी घुसपैठ की कोशिश की एक और वजह है कि 22 जून को एक बिल के जरिए जापान ने इस सेनकाकू आईलैंड के प्रशासनिक व्यवस्था भी बदली है।
दोनों देशों में इस आईलैंड को लेकर सबसे ज्यादा तनाव तब बढ़ा था, जब जापान ने एक प्राइवेट ऑनर से इसके तीन द्वीप खरीद लिए थे।
दोनों देशों के लिए क्या अहमियत रखता है सेनकाकु?
यह आईलैंड ताइवान के उत्तर-पूर्व और जापान के दक्षिण में पड़ता है। इसमें आठ अलग-अलग आईलैंड हैं। कुल इलाका करीब सात वर्ग किलोमीटर का है। यहां आबादी नहीं रहती, लेकिन स्ट्रैटिजकली और बिजनेस के लिहाज से यह बहुत अहम है। यह दुनिया के उन इलाकों में हैं, जहां बड़ी तादाद पर मछलियां पाई जाती हैं। साथ ही यहां मौजूद कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का भंडार भी है।
आईलैंड पर दोनों देशों का दावा
आईलैंड पर जापानी दावे के तीन आधार
जापान इसे अपने ओकिनावा प्रांत का हिस्सा बताता है। इसके मुताबिक उसने 19 वीं सदी में 10 सालों तक इस आईलैंड का सर्वे किया और 1895 में इसको अपने देश में शामिल किया।
1945 में वर्ल्ड वॉर-2 में जापान की हार के बाद 1951 में हुई एक संधि से ओकिनावा पर अमेरिका का कब्जा हो गया।
1971 में अमेरिका ने जापान को ओकिनावा लौटाया, तब सेनकाकुस भी वापस जापान के पास आ गया, तब से ही इस पर जापान का अधिकार है।
चीन के दावे के तीन आधार
चीन के मुताबिक बहुत पुराने समय से यह आईलैंड उसके ताइवान प्रांत का हिस्सा है।
1895 में जापान ने चीन को हराकर ताइवान को अपने कब्जे में ले लिया।
वर्ल्ड वॉर-2 के बाद 1951 में एक संधि के तहत चीन को ताइवान वापस मिल गया, ऐसे में सेनकाकु भी उसका हो गया।
2012 से विवाद ज्यादा बढ़ा
2012 में जापान की सरकार ने प्राइवेट ऑनर से सेनकाकु आईलैंड के तीन आईलैंड खरीद लिए। इन कारोबारियों ने ये आईलैंड 1932 में खरीदे थे। इसको लेकर दोनों देशों में तनाव बढ़ गया। इस पर चीन ने पूर्व चीन सागर में सेनकाकू आईलैंड के ऊपर आकाश में अपना एक हवाई जोन बना दिया। इस जोन से गुजरने वाले विमानों को चीन की परमीशन लेनी पढ़ती है। इस पर जापान ने विरोध भी जताया है।
हर जगह की तरह यहां भी अमेरिका शामिल
अमेरिका और जापान में 1960 में एक सिक्युरिटी एग्रीमेंट हुआ था, जिसके तहत अमेरिका ने जापान के कई ठिकानों पर अपने मिलिट्री बेस बनाए हैं। बदले में जापान की सुरक्षा की जिम्मेदारी ली है। इसी एग्रीमेंट के तहत अमेरिका भी चीन को धमकी देता है कि अगर युद्ध किया तो अमेरिका, जापान का साथ देगा।
डोनाल्ड ट्रम्प इस समय दो ‘अदृश्य’ दुश्मनों से लड़ रहे हैं। कोरोना और जो बाइडेन। बाइडेन समझदारी दिखाते हुए कम दिखाई दे रहे हैं। ट्रम्प लगातार नीचे गिरते जा रहे हैं और अमेरिकी जनता में उनकी अपील खुद ही कम हो रही है तो उनके रास्ते में क्यों आएं?
बेशक, अंतत: बाइडेन बहस करेंगे और उन्हें ट्रम्प के उबाऊ ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ नारे के सामने कोई आसान और स्पष्ट संदेश लाना होगा। बाइडेन के नारे के लिए मेरे पास एक अच्छा विचार है। जब मैं सोच रहा था कि बाइडेन कैसा राष्ट्रपति बनना चाहेंगे और अमेरिका उन्हें कैसा राष्ट्रपति बनाएगा, तब यह नारा मेरे दिमाग में आया, जो मुझे पर्यावरणीय इनोवेटर हाल हार्वी ने सुझाया था। उनके एक ई-मेल के अंत में लिखा था, ‘विज्ञान, प्रकृति और एक-दूसरे का सम्मान करें’। मैंने सोचा यह बाइडेन और हमारे लिए बिल्कुल उचित संदेश है। यह उन अमेरिकी भावनाओं का सार है, जो हमने पिछले कुछ वर्षों में खो दी हैं। बाइडेन को इन तीन मूल्यों पर अपने हर भाषण और साक्षात्कार में जोर देना चाहिए। ये ट्रम्प से बिल्कुल विपरीत, स्पष्ट और आसान मूल्य हैं।
विज्ञान के सम्मान से शुरुआत करें। विज्ञान के प्रति ट्रम्प की नफरत पैर पसारती महामारी के दौर में घातक है। ट्रम्प कोरोना के लिए नीम-हकीम जैसे नुस्खे बताते रहे हैं और कोरोना से बचने के लिए मास्क पहनने वालों का मजाक उड़ाते हैं, जिनमें बाइडेन भी शामिल हैँ। ट्रम्प तो यहां तक बोले थे कि ‘अगर हम टेस्टिंग रोक दें तो मामले कम हो जाएंगे।’ जरा सोचिए, टेस्टिंग रोक देंगे। फिर न कोई जानकारी होगी, न आंकड़े। फिर वायरस भी नहीं होगा। ये ख्याल मुझे क्यों नहीं आया? शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की जांच बंद कर दो, तो शराबी ड्राइवर खत्म हो जाएंगे। गोली चलाने वाले लोगों को गिरफ्तार करना बंद कर दो, तो अपराध दर कम हो जाएगी।
अमरेकियो सावधान, राष्ट्रपति द्वारा वैज्ञानिक विधियों का विरोध करना और हवाई दावों को सच मानना, ऐसा किसी देश में नहीं हो रहा। एनर्जी इनोवेशन के संस्थापक हार्वी कहते हैं, ‘यह अंधकार युग जैसी बातें हैं। अंधकार युग और ज्ञानोदय में विज्ञान के सम्मान का ही अंतर था। प्रगति का मतलब है समस्या को तटस्थ होकर देखना, समाधान तलशाना व जांचना और फिर सबसे हित के लिए उन्हें फैलाना।’ कितना अच्छा हो अगर बाइडेन चुनाव इस विज्ञापन के साथ लड़ें: ‘मैं ज्ञानोदय, न्यूटन के भौतिकशास्त्र और ‘द एज ऑफ रीजन’ में विश्वास रखता हूं। वो दूसरा आदमी ऐसा नहीं करता।’
प्रकृति के सम्मान के दो मतलब हैं। पहला, प्रकृति की शक्ति का सम्मान, जो ट्रम्प बिल्कुल नहीं करते। प्रकृति वही करती है, जो रसायन शास्त्र, जीवविज्ञान और भौतिकी कहते हैं। वह तब तक लोगों को कोरोना से संक्रमित करती रहेगी, जब तक लोग खत्म न हो जाएं या वैक्सीन न बन जाए। वह गिनती भी नहीं करती। वह आपको बीमार कर देगी और तूफान में घर भी उड़ा देगी।
ट्रम्प का प्रकृति का सम्मान न करना देश के लिए खतरनाक है। प्रकृति के सम्मान का मतलब यह समझना भी है कि हम बहुत नाजुक धरती पर रहते हैं और उसकी मिट्टी खराब कर, सागरों को प्लास्टिक से भरकर और वायुमंडल की चादर को नुकसान पहुंचाकर हम मानव सभ्यता के इस बगीचे को उजाड़ देंगे। और याद रखें, यह महामारी हमें जलवायु परिवर्तन नाम की ज्यादा बड़ी वायुमंडलीय महामारी के लिए तैयार करने आई है।
फिर आता है एक-दूसरे का सम्मान। यह हमारी दूसरी महामारी के साथ संभव नहीं है। कटुता की महामारी। ऐसे राष्ट्रपति के होने के बाद पूरी नागरिक संस्कृति पर असर को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बताया जा सकता, जिसने बुरा-भला कहने, झूठ बोलने और मानहानि को बढ़ावा दिया हो। हमारे पास ऐसे सोशल नेटवर्क हैं, जिनका बिजनेस मॉडल गुस्से में कही गई ठेस पहुंचाने वाली बातों को बढ़ावा देना है।
लेकिन कटुता की महामारी के कई स्रोत हैं। अमेरिका में ऐसे श्वेत पुलिस वाले हैं जो सजा देने के लिए अश्वेत की जान ले लेते हैं और लोग वीडियो बनाते रहते हैं। यहां इतनी असमानता है कि आप कितना जिएंगे इसका अंदाजा जेनेटिक कोड से ज्यादा पिन कोड से लगा सकते हैं। एक-दूसरे के सम्मान का मतलब है सभी अमेरिकियों को बराबर अधिकार। लेकिन अभी अश्वेत, लातिनी और श्वेत, हाउसिंग, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की अलग-अलग सीढ़ियां चढ़ रहे है। इस स्थिति को ठीक करना जरूरी है।
इस समय कई जरूरी मुद्दों पर चर्चा की जरूरत है, लेकिन उसके लिए नाराजगी दिखाने से लेकर गोलियां चलाना, पुलिस विभाग को शर्मिंदा करने जैसे तरीके सही नहीं हैं। जरूरत सम्मानजनक संवाद और नैतिक गौरव की है। मुझे नहीं पता कि लोग एक-दूसरे का ज्यादा सम्मान करें, इसके लिए क्या पर्याप्त होगा, लेकिन मैं दो जरूरी चीजें जानता हूं। पहली, एक ऐसा राष्ट्रपति जो रोज सम्मान का आदर्श प्रस्तुत करे। यह बाइडेन का काम है। दूसरी, लोग फेसबुक से निकलें और एक दूसरे के ‘फेस’ के सामने आएं। गुस्सा दिखाने, चिल्लाने नहीं, बल्कि एक-दूसरे को सुनने। सुनना सम्मान की निशानी है। यह हमारा काम है। इसी से अमेरिकाफिर महान बनेगा।
शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन के विस्तारवादी मंसूबों को सारी दुनिया समझ चुकी है। यह बड़ी शक्तियों के लिए नया सिरदर्द बन गया है और उसके अधिकतर हम जैसे पड़ोसियों (उसके ग्राहकों/ताबेदारों को छोड़कर) के लिए यह कष्टकारी बन चुका है। भारत की तरह चीन भी सभ्यताओं को जन्म देने वाला राष्ट्र है जिसके साथ गौरवशाली अतीत की स्मृतियां जुड़ी हैं। भारत मौर्य या गुप्त काल के स्वर्णयुग वाले ‘अखंड भारत’ की चाहत रख सकता है।
चीन क्विंग वंश के युग वाली अपनी सीमाओं को हासिल करने की आकांक्षा रख सकता है। हम सुविधा के लिए इसे उसका ‘अखंड चीन’ का सपना कह सकते हैं। दोनों में अंतर यह है कि लोकतांत्रिक देश भारत में जहां सत्ताधारी बदलते रहते हैं, यह ‘अखंडता’ केवल एक राजनीतिक दल के संस्थापकों की विचारधारा का हिस्सा है। चीन में यह हमेशा के लिए सत्ता में बैठी एकमात्र पार्टी का सपना है। यह सब हकीकत से कितना कटा हुआ और खतरनाक है! खासकर इसलिए कि यह दुनिया के पहले डिप्टी सुपर पावर का मामला है, जिसकी कमान एक निरंकुश सत्ता के हाथों में है।
लद्दाख तो उसके लिए एक छोटा-सा मसला है, बड़ा मसला तो 83,000 वर्ग किमी वाला अरुणाचल प्रदेश है। क्या वह सोच रहा है कि इनमें से किसी को वह जबरन कब्जे में ले सकता है? 21वीं सदी में ऐसी बातें सोचने का मतलब है कि आपको दिमाग के इलाज की जरूरत है। लेकिन राष्ट्रवाद के आकर्षण से बचना बहुत मुश्किल होता है, खासकर तब जब इसे उस विचारधारा से उकसावा मिल रहा हो जिसे राजनीतिशास्त्री ‘पुनःसंयोजनवाद’ कहते हैं, जिसका मूल आधार यह होता है कि इतिहास के किसी विशेष काल में आपके राष्ट्र के जो भी हिस्से थे उन्हें वापस हासिल किया जाए। विस्तारवाद से बचने की सलाह पाकिस्तान के लिए भी उतनी ही माकूल हो सकती है। वह मुल्क सात दशकों के इसी यकीन पर जीता रहा है कि वह जम्मू-कश्मीर को पूरा हासिल कर लेगा। इस चक्कर में वह दरिद्र देश बन गया जिसे 30 साल में 13 बार आईएमएफ ने उबारा।
विश्वयुद्ध के बाद की दुनिया में लगभग एक ही समय दो देश ऐसे उभरे, जो विचारधारा में जकड़े थे। ये थे इज़रायल और पाकिस्तान। इज़रायल तो दुरुस्त हाल में है लेकिन इसकी तुलना पाकिस्तान से कीजिए! आज पाकिस्तान हर तरह से चीन के डैनों के नीचे दुबक चुका है और जल्दी ही आर्थिक रूप से उसका उपनिवेश बनने के रास्ते पर है। बांग्लादेश ने उसे हरेक सामाजिक संकेतकों के मामले में पीछे छोड़ दिया है क्योंकि पश्चिम पाकिस्तान से आज़ाद होते ही उसका पूर्वी भाग कश्मीर को लेकर पागलपन से भी मुक्त हो गया।
अब हम अपने देश पर आते हैं। हम दार्शनिक, वैचारिक और संवैधानिक रूप से न केवल अपनी उन सीमाओं की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो हकीकत में मौजूद हैं बल्कि उन हिस्सों को भी हासिल करने को प्रतिबद्ध हैं जो हमारे नक्शों में हमारे बताए गए हैं। आज़ादी के बाद 70 साल में क्या हम उस हिस्से का एक वर्ग इंच भी हासिल कर पाए हैं? 1965 और 1971 में हमने जिन इलाकों को जीता उन्हें वापस करना पड़ा क्योंकि भविष्य में भी यही करना पड़ता। भारतीय संसद चीन या पाक के कब्जे वाले उन हिस्सों का हरेक इंच वापस हासिल करने के दो प्रस्ताव पारित कर चुकी है, जो नक्शों में हमारे दिखाए गए हैं।
चीन जो दावे करता रहा है उसके मुताबिक क्या वह अरुणाचल प्रदेश या ‘सिर्फ तवांग जिले’ पर कब्जा कर सकता है? क्या पाकिस्तान कभी श्रीनगर के राजभवन पर अपना झंडा फहराता देख सकेगा? क्या भारत अक्साई चीन, मुजफ्फराबाद, गिलगिट-बाल्तिस्तान वापस ले पाएगा? इनमें से कुछ असंभव नहीं है लेकिन परमाणु शक्ति से लैस ये बड़े और ताकतवर देश इतने बड़े आकार में अपनी ज़मीन तभी गंवाएंगे जब वे पूरी तरह से तबाह होंगे। क्या यह कल्पना की जा सकती है कि ये देश इस तरह तबाह हो सकते हैं? वह भी दूसरे को तबाह किए बिना?
यही वजह है कि ये देश जो सपने देखते हैं वे खयाली पुलाव ही हैं। इस बारे में मैं इससे ज्यादा कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर सकता, खासकर तब जबकि मैं पूर्व नौसेना अध्यक्ष और एडमिरल अरुण प्रकाश (वीरचक्र, 1971) के ज्ञान का सहारा ले सकता हूं। हाल में उन्होंने ‘इंडियन एक्स्प्रेस’ में यह लिखकर सावधान किया कि ‘एक राष्ट्र के रूप में हमारे अंदर यह समझने का विवेक होना चाहिए कि आज 21वीं सदी में न तो किसी के भूभाग को युद्ध से जीत सकते हैं और न दोबारा हासिल कर सकते हैं।’ उन्होंने लिखा है कि संसद अब सरकार से यह मांग करे कि सरकार ‘पूरी गंभीरता से राष्ट्रीय सीमाओं पर शांति, स्थिरता और सुरक्षा बहाल करे ताकि भारत राष्ट्र निर्माण और सामाजिक-आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण कामों को निर्बाध रूप से आगे बढ़ा सके।’
‘पुनःसंयोजनवाद’ 19वीं सदी के इटली में उभरा था। इसके बाद लगभग पूरी 20वीं सदी का विश्व इतिहास यही बताता है कि जिस किसी ने इस विचार को अपनाया उसे नुकसान ही हुआ। वक़्त आ गया है कि हिमालय के साये में बसे तीनों पड़ोसी देश इस पर गहराई से सोच-विचार करें।
ट्रेडिंग को आसान बनाने के लिए इंफ्रस्ट्रक्चर डेवेलपमेंट के नाम पर चीन की तरफ से दिया जा रहा सस्ता लोन नेपाल के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी भारत की तुलना में चीन को ज्यादा तवज्जो देती रही है। दरअसल नेपाल को चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) रेलवे का लालच है।
भारत सरकार को इस बात की चिंता है कि नेपाल धीरे-धीरे चीन के कर्ज के जाल में फंस रहा है। भारत पड़ोस में हो रहे इस घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखे है।
चीन के जरिए बाकी देशों से व्यापार
नेपाल दो देशों से घिरा है भारत और चीन। उसके पास कोई समुद्र नहीं है, इस वजह से बंदरगाह भी नहीं है। दूसरे देशों से व्यापार के लिए उसने भारत की जगह चीन को ट्रांजिट कंट्री (जहां के बंदरगाहों से व्यापार हो सके) के रूप में चुना। मार्च 2016 में केपी शर्मा ओली की चीन यात्रा के दौरान दोनों देशों में ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट एग्रीमेंट (टीटीए) हुआ।
इसके तहत चीन ने नेपाल को सात ट्रांजिट प्वाइंट दिए। इसमें चार समुद्री पोर्ट - तियानजिन, शेंझेन, लियांयुगांग, झांजियांग हैं। इसके अलावा तीन लैंड पोर्ट- लैंझोऊ, ल्हासा, शिगात्से हैं। इनके जरिए नेपाल किसी तीसरे देश से व्यापार कर सकेगा। हालांकि, यह समझौता नेपाल के लिए घाटे का है, लेकिन दोनों देशों की सरकारों ने नागरिकों को धोखा देने के लिए बड़े धूमधाम से इसे सेलिब्रेट किया।
चीन के रूट से नेपाल को घाटा कैसे?
विशेषज्ञों का कहना है कि नेपाल के लिए चीन के रूट से बाकी देशों से व्यापार भारत के रूट की तुलना में मंहगा साबित होगा। उदाहरण के तौर पर चीन के पूर्वी तट के किसी पोर्ट से 20 फीट का कंटेनर करीब 45 दिन में नेपाल पहुंचेगा, जबकि कोलकाता या हल्दिया से वही कंटेनर सिर्फ 16 दिन में काठमांडूपहुंच जाएगा।
इसी तरह चीन के वेस्टर्न इंडस्ट्रियल एरिया लैंझाओ से सामान आयात करने पर वह तिब्बत से होते हुए काठमांडू 35 दिन में पहुंचेगा।
चीन की ओर से नेपाल को अलाट किए गए चार समुद्री पोर्टों की काठमांडू से दूरी करीब 4 हजार किलोमीटर है। इसमें से नेपाल के सबसे नजदीक लियानयुंगांग है, जो काठमांडू से 3950 किलोमीटर दूर है।
चीन के किसी भी तट से नेपाल आने वाले सामान का परिवहन खर्च भारत के तट से आने वाले खर्च से बहुत ज्यादा है।
नेपाल के व्यापारियों को चीनी बंदरगाहों के जरिए अपने देश तक माल लाने के लिए बड़ी कीमत चुकानी होगी।
चीन ने नेपाल को झांसा देते हुए कहा है कि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव रेलवे पूरा होने पर इतना ज्यादा समय नहीं लगेगा। यह चीन का एक और झूठ है।
क्या है नेपाल बीआरआई रेलवे?
चीन के मुताबिक बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव रेलवे प्रोजेक्ट दक्षिणी तिब्बत के केरुंग शहर को नेपाल की राजधानी काठमांडू से जोड़ेगा। इसके बाद यह रासुवा जिले में प्रवेश करेगा और अंत में भारत की सीमा पर निकलेगा। नेपाल के आम नागरिकों को भी इसके पूरे होने की उम्मीद नहीं है। इसलिए वह इसे "कट्को रेल" (पेपर रेलवे) और "सपनको रेल" (ड्रीम रेलवे) कहते हैं।
बीआरई रेलवे का पूरा होना क्यों मुश्किल?
चीन ने इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने से पहले एक स्टडी करवाई है। इसमें छह एक्स्ट्रीम प्वांइट निकलकर आए हैं।
इनमेंटोपोग्राफी (जमीन की स्थिति), मौसम, हाइड्रोलॉजी (जल विज्ञान) और टेक्टोनिक्स शामिल हैं। ये प्वाइंट्स ऐसे हैं, जो प्रोजेक्ट को बहुत चुनौती वाला या शायद असंभव बना देंगे।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि नेपाल की ओर 98% रेलवे ट्रैक अधिकतर टनल और पुलों पर रहेगा। पूरे नेपाल में पांच ठहराव बनाए गए हैं।
रेलवे ट्रैक को बहुत ज्यादा ऊंची-नीची जगह पर बनाना होगा। तिब्बत में जहां 4000 मीटर की ऊंचाई है, वहीं काठमांडू में 1400 मीटर की ऊंचाई है।
प्रस्तावित रूट पहाड़ों से होते हुए एक मेजर फॉल्ट लाइन से भी गुजरेगा। इस फॉल्ट लाइन में इंडियन प्लेन यूरेशियन प्लेट से मिलती है। इसलिए यह क्षेत्र भूकंप के लिए अतिसंवेदनशील है।
इतनी सारी बाधाओं और चुनौतियों पर कोई भी समझ जाएगा कि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को पूरा करना असंभव है। अगर इसे 2022 तक पूरा भी कर लिया जाए तो यह टिकेगा नहीं।
हवा से फैलने वाले यानी एयरबोर्न कोरोना संक्रमण को लेकर न्यू यार्क टाइम्स में छपी 239 वैज्ञानिकों की चेतावनी रिपोर्ट के बाद दुनियाभर में फिक्र और बहस बढ़ गई है। इस रिपोर्ट में32देशों 239वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्चके हवाले से बताया है किनोवेल कोरोनावायरसयानी Sars COV-2के छोटे-छोटे कण हवा मेंकई घंटों तकबनेरहते हैं और वे भी लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।
इस पूरे मामले में लोग जहां विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO)को आड़े हाथ ले रहे हैं वहीं, इस शीर्ष संगठन का कहना है कि कोरोनावायरस हवा से नहीं बल्कि एयरोसोल और5 माइक्रोन से छोटी ड्रापलेट्स से फैल सकता है। (एक माइक्रॉन एक मीटर के दस लाखवें हिस्से के बराबर होता है।)
वैज्ञानिकों की बड़ी चेतावनी के शब्द
32देशों के इन239वैज्ञानिकों ने WHOकोलिखे एक ओपन लेटरदावा कियाहैकिकोरोनावायरस के हवा से फैलने केपर्याप्त सबूत हैं। इन सबूतों के अधार पर WHO को यह मान लेना चाहिए किइस वायरस के छोटे-बड़ेकण हवा में तैरते रहते हैं,औरइनडोर एरिया में मौजूदलोगोंमें उनकी सांस के जरिये प्रवेश करसंक्रमित कर सकते है।
वैज्ञानिकों नेWHOसेकोविड-19वायरसके संक्रमण को फैलने संबंधी अपनी पुरानी अप्रोच औररिकमंडेशन्समें तुरंत संशोधन करने का आग्रह किया है। यह लेटरसाइंटिफिकजर्नल में अगलेहफ्तेपब्लिश किया जाएगा।
लोग इसे WHO का गलती बता रहे
बीते 24 घंटों में सोशल मीडिया में भी इस बारे में कई तरह की बातें सामने आ रही है और लोग इसके लिए सरकारों औरWHO को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। दूसरी ओर, कुछ लोग इसे अमेरिका का एजेंडा भी बता रहे हैं। लोगों का कहना है कि WHO ने इस मामले में शुरू से गुमराह किया है।
कुछ लोग ट्विटर पर NYT की खबर को री-पोस्ट करके लिख रहे हैं कि दुनिया के बड़े वैज्ञानिकों की सलाह को लेकर WHO का रवैया ठीक नहीं है। यह संगठन ठीक से काम नहीं कर रहा। लोगसवाल उठारहे हैं क्योंकि वैज्ञानिकबहुत पहले से जानते थे किये वायरस हवा से फैल सकता है, फिर भी इस बात को ठीक से बताया क्यों नहीं जा रहा है?
Yes this article was the last straw for me. The WHO, in its current form, isn't functioning optimally. This incongruity with leading scientists is very disappointing. We've known for quite some time the small particles could transfer the virus.
NYT की इस खबर के बादसमाचार एजेंसी रॉयटर्सनेWHOसे इस नए दावे पर प्रतिक्रिया मांगी थी। लेकिनWHO ने अभी तक इस बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। घरों में क्वारैंटाइनऔरलॉकडाउन खुलने के बाद काम पर पहुंचे आम लोगों के लिए कोई बड़ी चेतावनी भी जारी नहीं की गई।
बीबीसी एक रिपोर्ट के मुताबिकमार्चके महीने में WHO के सामने जब यह विषय आया था तो इसे आम लोगों की बजायमेडिकल स्टाफको ज्यादा खतरा बताया गया था। इसके लिए 'एयरबोर्न प्रिकॉशन' भी जारी की गईं थीं। इसके बाद अमरीका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफहेल्थ (एनआईएच) की एक रिपोर्ट सामने आई जिसमें दावा किया गया है कि कोरोना वायरस हवा में तीन से चार घंटे रह सकता है।
WHO ने कहा कि – दावे के ठोस और साफ सबूत नहीं
WHOमें संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण करने के लिए बनी टेक्निकल टीम के हेड डॉ. बेनेडेटा अलेगरैंजी के हवाले से न्यू यॉर्क टाइम्स ने अपनी इस रिपोर्ट में लिखा, 'हमने यह कई बार कहा है कि यह वायरस एयरबोर्न हो भी सकता है लेकिन अभी तक ऐसा दावा करने के लिए कोई ठोस और साफ सबूतनहीं है। इस वायरस के हवा में मौजूद रहने के जो सबूत दिए गए हैं,उनसे ऐसे किसी नतीजे में फिलहाल नहीं पहुंचा जा सकता कि यह एयरबोर्न वायरस है।'
अब तक यही धारणा किथूक के कणतैर नहीं सकते
23मार्च कोWHOदक्षिण-पूर्वी एशिया की रिजनल डायरेक्टर पूनम खेत्रापाल सिंहकहा था कि, "अब तक कोरोना को ऐसा कोई केस केस सामने नहीं आया है जिसकी वजह एयरबॉर्न हो।इसे समझने के लिएअभी और रिसर्चडेटाजरूरीहै।
चीन से लेकरअब तक जो केस सामने आए हैं उनमें संक्रमित इंसान के खांसी,छींक के दौरान निकने ड्रॉपलेट और उसके संपर्क में आना ही वजह रही है।लेकिन, येकण इतने हल्के नहीं होते किहवा के साथ यहां से वहां उड़ जाएं। 5 माइक्रोन से छोटेड्रापलेट्स बहुत जल्द ही जमीन पर गिर जातेहैं। इसलिए,दूरी बनाए रखें और हाथों को बार-बार साफ करें।"
वैज्ञानिकों ने और WHO ने दी थी एयरोसॉल थ्योरी
मार्च में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच इस थ्योरी पर जोर दिया था कि कोरोनावायरस संक्रमित जब खांसता या छींकता है तो हवा में सांस के लेने-छोड़ने से वायरस का एक घेरा बन जाता है जिसे एयरोसॉल कहते हैं। ये घेरा अपने आसपास मौजूद लोगों को संक्रमित कर सकता है और इसका ज्यादा खतरा फ्रंटलाइनर मेडिकल स्टॉफ को है।
एयरोसॉल खांसी या छींक के ड्रापलेट्स की तुलना में हल्का होता है और हवा में ज्यादा देर बना रह सकता है। ऐसे मेंऐसे में कोरोना के एयरबॉर्न संक्रमण का खतरा उन्हीं अस्पताल के कर्माचारियों को होगाजो सीधे तौर पर एयरोसॉल के सम्पर्क में आते हैं या5 माइक्रोन से छोटी ड्रापलेट्स के सम्पर्क में आते हैं।
हवा न भी चले तो भी कोरोना के कण 13 फीट तक फैलते हैं
दुनियाभर के एक्सपर्ट सोशल डिस्टेंसिंग के लिए 6 फीट का दायरा मेंटेन करने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन हाल में हुए एक अन्य शोध के नतीजे चौंकाने वाले हैं। भारतीय और अमेरिकी शोधकर्ताओं की टीम का कहना है कि कोरोना के कण बिना हवा चले भी 8 से 13 फीट तक की दूरी तय कर सकते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, 50 फीसदी नमी और 29 डिग्री तापमान पर कोरोना के कण हवा में घुल भी सकते हैं।
यह रिसर्च बेंगलुरू के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, कनाडा की ऑन्टेरियो यूनिवर्सिटी और कैलिफोर्निया लॉस एंजिल्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मिलकर की है। शोधकर्ताओं का लक्ष्य यह पता लगाना था कि हवा में मौजूद वायरस के कणों का संक्रमण फैलाने में कितना रोल है। टीम का कहना है, रिसर्च के नतीजे स्कूल और ऑफिस में सावधानी बरतने में मदद करेंगे।
कोरोनावायरस के कारण बंद पड़े इंटरनेशनल क्रिकेट की 118 दिन बाद इंग्लैंड के साउथम्पटन में नए नियमों के साथ वापसी होने जा रही है। 8 जुलाई यानी बुधवार को इंग्लैंड और वेस्टइंडीज की टीमें पहले टेस्ट मैच में आमने-सामने होंगी। तीन टेस्ट की सीरीज का पहला मैच दर्शकों के बिना खाली स्टेडियम में हाेगा।मैच के दौरान अगर कोई खिलाड़ी पॉजिटिव पाया जाता है तो भी मैच नहीं रुकेगा। उसकी जगह दूसरा खिलाड़ी जुड़ जाएगा।
इवेंट डायरेक्टर स्टीव एलवर्दी के अनुसार अब चौके-छक्के पड़ने पर बाउंड्री लाइन के बाहर गई गेंद रिजर्व खिलाड़ी ग्लव्स पहनकर खुद लाएंगे। गेंदबाज लार का प्रयोग नहीं कर पाएंगे और कोरोना सब्सटीट्यूट के रूप में अतिरिक्त खिलाड़ी भी मिलेगा।आइए जानें अन्य बदलाव...
खिलाड़ी एक-दूसरे के साथ मिलकर जश्न नहीं मना सकेंगे
मैच के दौरान विकेट गिरने पर या जीत के बाद सभी खिलाड़ी मिलकर जश्न मनाते हैं। लेकिन अब यह देखने नहीं मिलेगा। खिलाड़ियों के गले मिलने या हाथ मिलाने पर रोक है। ऐसे में वे कोहनी मिलाकर या अन्य तरीके से जश्न मनाते दिखेंगे।
ग्राउंड में सेंसरयुक्त सैनिटाइजर मशीनें
ग्राउंड में 50 से 70 स्थानों पर ऑटोमेटिक सेंसरयुक्त हेंड सैनिटाइजर मशीनें लगाई गई हैं। इसे दबाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी जिससे संक्रमण का खतरा नहीं होगा। पेवेलियन के सभी दरवाजे खुले रखे गए हैं। कमरे में एसी का तापमान भी मानकों के मुताबिक सेट कर दिया गया है।
फैंस नहीं तो ऑटोग्राफ और सेल्फी भी नहीं
मैच में फैंस नहीं आ सकेंगे। फैंस खिलाड़ी के साथ फोटाे खिंचाते और ऑटोग्राफ लेते थे। लेकिन मैदान पर हमें ऐसा लंबे समय तक देखने को नहीं मिलेगा। खिलाड़ियों को होटल में ऐसा ऐप दिया जाएगा, जिससे दरवाजे अपने आप खुल जाएंगे। दरवाजे हाथ से खोलने की जरूरत नहीं होगी।
गेंदबाज स्वेटर, कैप अंपायर को नहीं दे सकेंगे, खुद मैदान के बाहर रखना होगा
खिलाड़ी स्वेटर, कैप और चश्मे अंपायर को देते हैं। लेकिन अब मनाही है। उन्हें इसे मैदान के बाहर रखना होगा। एक खिलाड़ी का सामान दूसरा खिलाड़ी उपयोग नहीं कर सकेगा।गेंद पर लार के इस्तेमाल पर रोक। दो चेतावनी के बाद बल्लेबाजी कर रही टीम को 5 एक्स्ट्रा रन मिलेंगे। अगली गेंद डालने से पहले गेंद को संक्रमण मुक्त करने की जिम्मेदारी अंपायर की होगी।
कोरोनाकाल में वायरस के संक्रमण से बचना है तो चॉकलेट खाएं। यह दावा जापानी शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में किया है। साइंस ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चरजर्नल में प्रकाशित रिसर्च कहती है, यह प्राकृतिक तौर पर शरीर की इम्युनिटी बढ़ाती है। चॉकलेट खाने का असर इंफ्लुएंजा वायरस पर देखा गया। शोध में सामने आया कि जो लोग चॉकलेट खाते है उनके वैक्सीनेशन के बाद इम्यून रिस्पॉन्स और तेज होता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक,शरीर में कोको पहुंचने पर एंटी माइक्रोबियल एक्टिविटी बढ़ती है जो इंफ्लुएंजा वायरस के असर को कम करती है। इसे सीमित मात्रा में खाना फायदेमंद है क्योंकि यह खुश रखने के साथ शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ाती है।
आज इंटरनेशनल चॉकलेट डे है। इस मौके पर जानिए क्यों आपको चॉकलेट खाना चाहिए...
सेहत : बढ़ती उम्र का प्रभाव घटाती और वजन कंट्रोल करती है
एक अध्ययन के अनुसार दो सप्ताह तक रोजाना डार्क चॉकलेट खाने से तनाव कम होता है। चॉकलेट खाने से तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन नियंत्रित होते हैं। इसे ऑक्सीडेटिव तनाव घटाने के लिए बहुत शक्तिशाली माना गया है। इसकी वजह से सूजन, चिंता और इंसुलिन प्रतिरोध जैसी दिक्कतें उत्पन्न होती जाती हैं।
साल 2010 में हुए एक शोध से पता चला है कि यह ब्लड-प्रेशर को कम करती है। यूरोपीय सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी के शोध में पाया गया है किचॉकलेट खाते हैं तोदिल से जुड़ी कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है।
ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं द्वारा 2015 में किए गए अध्ययन के अनुसार यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है। कैलिफोर्निया के सैन डिएगो विश्वविद्यालय के शोधमें पाया गया है कि जो वयस्क नियमित रूप से चॉकलेट खाते हैं, उनका बॉडी मास इंडेक्स चॉकलेट न खाने वालों की तुलना में कम रहता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, चॉकलेट में मौजूद कोको फ्लैवनॉल बढ़ती उम्र के असर को जल्दी नहीं दिखने देता। वहीं, एक अमेरिकी अध्ययन के अनुसार रोजाना हॉट चॉकलेट के दो कप पीने से वृद्ध लोगों का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है और उनकी सोचने की क्षमता भी तेज होती है।
शुरुआत: यूरोप में मिली थी मिठास, शाही ड्रिंक में थी शामिल
अपने शुरुआती दौर में चॉकलेट का टेस्ट तीखा हुआ करता था। कोकोके बीजों को फर्मेंट करके रोस्ट किया जाता था और इसके बाद इसे पीसा जाता था। इसके बाद इसमें पानी, वनीला, शहद, मिर्च और दूसरे मसाले डालकर इसे झागयुक्त पेय बनाया जाता था।
उस समय ये शाही पेय हुआ करता था। लेकिन चॉकलेट को मिठास यूरोप पहुंचकर मिली। यूरोप में सबसे पहले स्पेन में चॉकलेट पहुंची थी। स्पेन का खोजी हर्नेन्डो कोर्टेस एजटेक के राजा मान्तेजुमा के दरबार में पहुंचा था जहां उसने पहली बार चॉकलेट को पेश किया।
सफर : 4 हजार साल का पुराना है इतिहास
चॉकलेट का इतिहास लगभग 4000 साल पुराना है। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि चॉकलेट बनाने वाला कोको पेड़ अमेरिका के जंगलों में सबसे पहले पाया गया था। हालांकि, अब अफ्रीका में दुनिया के 70% कोको की पूर्ति अकेले की जाती है।
कहा जाता है चॉकलेट की शुरुआत मैक्सिको और मध्य अमेरिका के लोगों ने की था। 1528 में स्पेन ने मैक्सिको को अपने कब्जे में लिया पर जब राजा वापस स्पेन गया तो वो अपने साथ कोको के बीज और सामग्री ले गया। जल्द ही ये वहां के लोगों को पसंद आ गया और अमीर लोगों का पसंदीदा पेय बन गया।
व्यापार : 5 साल में 58% बढ़ा चॉकलेट का ऑनलाइन कारोबार
एक शोध में यह पाया गया कि पुरुषों की तुलना में भारतीय महिलाएं 25 फीसदी ज्यादा चॉकलेट ऑनलाइन मंगाती हैं। भारत में चॉकलेट का कारोबार हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है। माना जा रहा है कि जिस गति से इसका कारोबार बढ़ रहा है। उस लिहाज से भारत में वर्ष 2023 तक यह 5.01 बिलियन यूएस डॉलर यानी 500 करोड़ रुपए से अधिक हो जाएगा। वर्ष 2017 में चॉकलेट का कंजम्प्शन 19.3 करोड़ किलो का रहा। वहीं चॉकलेट के ऑनलाइन कारोबार की बात करें तो वर्ष 2012 से 2017 के बीच ऑनलाइन रीटेल कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट 57.9% रही। जिसकी वैल्यू 24.4 मिलियन डॉलर यानी 2.44 करोड़ रुपए रही।