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कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन का आज 21वां दिन है। किसानों को दिल्ली की सीमाओं से हटाने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। लॉ स्टूडेंट ऋषभ शर्मा ने यह अर्जी लगाई थी। उनका कहना है कि किसान आंदोलन के चलते सड़कें जाम होने से जनता परेशान हो रही है। प्रदर्शन वाली जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग नहीं होने से कोरोना का खतरा भी बढ़ रहा है।
किसान आंदोलन को UP की खाप पंचायतों का समर्थन
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कई खापों ने आंदोलन को समर्थन दिया है। ये खापें 17 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन में शामिल होंगी। अखिल खाप परिषद के सचिव सुभाष बालियान ने यह जानकारी दी। इधर, किसान संगठनों ने कहा है कि वे आज दिल्ली और नोएडा के बीच चिल्ला बॉर्डर को पूरी तरह से ब्लॉक करेंगे।
मोदी बोले- सरकार दूर करेगी किसानों की हर शंका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को गुजरात दौरे के संबोधन में कहा कि विपक्ष किसानों को गुमराह करने की साजिश कर रहा है। उन्हें डराया जा रहा है कि किसानों की जमीन पर दूसरे कब्जा कर लेंगे। यदि कोई डेयरी वाला दूध लेने का कॉन्ट्रैक्ट करता है तो क्या वह पशु को भी ले जाता है? उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार हर शंका के समाधान को तैयार है। मोदी ने गुजरात में सिख संगठनों से भी मुलाकात की।
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच कल से एडिलेड ओवल में 4 टेस्ट की सीरीज का पहला मैच खेला जाएगा। यह मैच डे-नाइट होगा और पिंक बॉल से खेला जाएगा। इंटरनेशनल लेवल पर ऑस्ट्रेलिया को डे-नाइट फॉर्मेट में टेस्ट मैच खेलने का सबसे ज्यादा अनुभव है। उसने 7 पिंक बॉल टेस्ट खेले हैं और सभी में जीत हासिल की है। इससे उलट भारत के पास सिर्फ 1 डे-नाइट टेस्ट मैच खेलने का अनुभव है, जो उसने पिछले साल कोलकाता के ईडन गार्डन्स में बांग्लादेश के खिलाफ खेला था। भारत का यह विदेशी जमीन पर पहला डे-नाइट टेस्ट भी होगा। ये मैच भारतीय समयानुसार कल सुबह 9:30 बजे शुरू होगा।
भारत ने टी-20 सीरीज और ऑस्ट्रेलिया वनडे सीरीज जीती
ऑस्ट्रेलिया ने भारत को वनडे सीरीज में 2-1 से हराया था। वहीं भारतीय टीम ने 2-1 टी-20 सीरीज अपने नाम की थी। इसके बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया-A के खिलाफ तीन दिवसीय पिंक बॉल प्रैक्टिस मैच भी खेला था, जो कि ड्रॉ रहा।
रिकॉर्ड्स में ऑस्ट्रेलिया का पलड़ा भारी
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अब तक कुल 98 टेस्ट मैच खेले गए हैं। इसमें भारत ने 28 और ऑस्ट्रेलिया ने 42 मैच जीते हैं। जबकि 27 मैच ड्रॉ और 1 बेनतीजा रहा। वहीं ऑस्ट्रेलिया में दोनों के बीच 48 मैच खेले गए। इसमें से भारत ने सिर्फ 7 और ऑस्ट्रेलिया ने 29 मैचों में जीत हासिल की। 12 मैच ड्रॉ रहे।
भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पिछली 2 टेस्ट सीरीज जीती
टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया को पिछली दो टेस्ट सीरीज में शिकस्त दे चुकी है। टीम इंडिया ने 2018-19 में ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में 2-1 से शिकस्त दी थी। टीम की ऑस्ट्रेलिया में यह पहली टेस्ट सीरीज जीत थी।
पुजारा 2018 में मेजबान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में टॉप स्कोरर रहे थे। वे 500+ रन बनाने और 3 शतक लगाने वाले अकेले प्लेयर थे। उनके अलावा टॉप-3 में ऋषभ पंत (350) और विराट कोहली (282) इंडियन बैट्समैन ही थे। ऐसे में भारत के पास उसके खिलाफ पहली बार लगातार 3 टेस्ट सीरीज जीतने का मौका है।
कोहली का एडिलेड में शानदार रिकॉर्ड
कोहली ने एडिलेड ओवल ग्राउंड पर 3 टेस्ट खेले हैं। इसमें उन्होंने 71.83 की औसत से 431 रन बनाए। इसमें 3 सेंचुरी भी शामिल है। वे अगर इस टेस्ट में एक शतक लगा देते हैं, तो वे ऑस्ट्रेलिया के रिकी पोंटिंग का रिकॉर्ड तोड़ देंगे। कोहली कप्तान के तौर पर सबसे ज्यादा शतक बनाने वाले बैट्समैन बन जाएंगे। 2018 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर भारतीय टीम ने मेजबान ऑस्ट्रेलिया को एडिलेड टेस्ट में 31 रन से शिकस्त दी थी।
कैप्टन
मैच
सेंचुरी
रिकी पोंटिंग
324
41
विराट कोहली
187
41
ग्रीम स्मिथ
286
33
स्टीव स्मिथ
93
20
माइकल क्लार्क
139
19
ब्रायन लारा
172
19
शुभमन गिल कर सकते हैं डेब्यू
भारत के लिए शुभमन गिल एडिलेड में अपना टेस्ट डेब्यू कर सकते हैं। ऐसे में वह मयंक अग्रवाल के साथ ओपनिंग करेंगे। जबकि, चेतेश्वर पुजारा, विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे टीम का मिडिल ऑर्डर संभालेंगे। हनुमा विहारी नंबर-6 और ऋद्धिमान साहा को विकेटकीपर-बल्लेबाज के तौर पर ऋषभ पंत पर तरजीह दी जा सकती है। मोहम्मद शमी, उमेश यादव, जसप्रीत बुमराह और रविचंद्रन अश्विन भारत का बॉलिंग डिपार्टमेंट संभालेंगे।
भारत के लिए पिंक बॉल चुनौती
भारत में 2019 में एक्सपेरिमेंट के तौर पर दिलीप ट्रॉफी को डे-नाइट फॉर्मेट में पिंक बॉल से खेला गया था। हालांकि इसके कुछ समय बाद ही टूर्नामेंट दोबारा रेड बॉल पर लौट आया था। मयंक अग्रवाल, चेतेश्वर पुजारा, जसप्रीत बुमराह, रोहित शर्मा, रवींद्र जडेजा, ऋषभ पंत, मोहम्मद सिराज, नवदीप सैनी और पृथ्वी शॉ उस दिलीप ट्रॉफी का हिस्सा थे जो डे-नाइट फॉर्मेट में खेली गई थी।
प्रैक्टिस में भारतीय बल्लेबाजों और गेंदबाजों का मिलाजुला प्रदर्शन
हालांकि, टेस्ट सीरीज से पहले टीम इंडिया ने सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (SCG)) में पिंक बॉल से तीन दिवसीय प्रैक्टिस मैच भी खेला। प्रैक्टिस मैच के पहले दिन भारतीय बल्लेबाज 194 रन बनाकर आउट हो गए थे। हालांकि टीम ने ऑस्ट्रेलिया को भी पहली पारी में 108 रन पर समेट दिया था। मैच में शमी-सैनी ने 3-3 विकेट और बुमराह-सिराज ने 2-2 विकेट लिए थे। दूसरी पारी में भारतीय बल्लेबाजों ने शानदार बैटिंग की। मैच में शुभमन और पृथ्वी ने फिफ्टी, जबकि हनुमा और ऋषभ ने सेंचुरी लगाई थी।
चोट से जूझ रही ऑस्ट्रेलियाई टीम, ओपनिंग परेशानी
वहीं, चोट से जूझ रही ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए सबसे बड़ी दिक्कत ओपनिंग के लिए है। डेविड वॉर्नर और विल पुकोव्स्की पहले टेस्ट से बाहर हो चुके हैं। वहीं कैमरून ग्रीन भी भारत के खिलाफ प्रैक्टिस मैच में चोटिल हो गए थे। इसके बाद ऑस्ट्रेलियन टीम मैनेजमेंट ने मार्कस हैरिस को टीम में शामिल किया। वे जो बर्न्स के साथ ओपनिंग कर सकते हैं। जबकि मार्नस लाबुशाने और स्टीव स्मिथ तीसरे और चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करेंगे।
लोअर ऑर्डर में ट्रेविस हेड, मैथ्यू वेड और कप्तान टिम पेन टीम की बैटिंग संभालेंगे। वहीं, मिचेल स्टार्क, पैट कमिंस और जोश हेजलवुड टीम की पेस बॉलिंग की कमान संभालेंगे। नाथन लियोन टीम में एकमात्र फ्रंट लाइन स्पिनर होंगे।
पिछले दौरे पर नहीं हो सका था पिंंक बॉल टेस्ट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक BCCI ने ऑस्ट्रेलिया में डे-नाइट टेस्ट मैच खेलने से कतरा रही थी। 2018-19 में पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भी उसने इस फॉर्मेट का टेस्ट मैच खेलने से मना कर दिया था। इसके बाद जब भारत ने अपना पहला पिंक बॉल टेस्ट खेला, तब तक ऑस्ट्रेलिया को इस फॉर्मेट में खेलते हुए 4 साल हो गए थे। एडिलेड ओवल ग्राउंड पर ऑस्ट्रेलिया ने 4 डे-नाइट टेस्ट मैच खेले हैं और सभी में जीत हासिल की है।
पिच रिपोर्ट :
एडिलेड ओवल में बैटिंग करना आसान
एडिलेड ओवल पर बैटिंग करना आसान है। तेज गेंदबाजों को नए बॉल पर निर्भर रहना होगा। पिच हार्ड होने के कारण तेज गेंदबाजों को मैच के पांचों दिन शुरुआती ओवर्स में स्विंग मिलेगी। वहीं, स्पिनर्स को भी पिच से बाउंस और टर्न मिलेगा। चौथे और पांचवें दिन पिच के टूटने पर स्पिन की संभावना ज्यादा होगी।
एडिलेड ओवल में खेले गए टोटल मैच - 78 पहले बैटिंग करने वाली टीम जीती- 38 पहले बॉलिंग करने वाली टीम जीती- 21 पहले इनिंग्स में औसतन स्कोर- 387 सेकंड इनिंग्स में औसतन स्कोर- 356 तीसरे इनिंग्स में औसतन स्कोर- 281 चौथे इनिंग्स में औसतन स्कोर- 215
हाईएस्ट टोटल- ऑस्ट्रेलिया 674/10 (151.3 ओवर) vs भारत सबसे कम टोटल- ऑस्ट्रेलिया 82/10 (25.7 ओवर) vs वेस्टइंडीज
मौसम
एडिलेड में अगले 5 दिन मौसम साफ रहेगा। डे-नाइट मैच होने के कारण मैच दोपहर में शुरू होगा। मैच के दौरान औसतन तापमान 23 डिग्री सेल्सियस रहेगा। गुरुवार को अधिकतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस और सोमवार को अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस रहने के आसार हैं। वहीं, बारिश की भी बेहद कम संभावना है। ड्यू फैक्टर भी कम ही देखने को मिलेगा।
पिंक बॉल से शुरुआती ओवर्स में तेज गेंदबाजों को मिलेगी मदद
पिंक बॉल में कलर और पेंट के एक्स्ट्रा लेयर के कारण बॉल रेड बॉल की अपेक्षा ज्यादा देर तक नई रहेगी। दिन के शुरुआती 10-15 ओवर्स में तेज गेंदबाजों को अच्छी स्विंग मिलेगी। पिंक बॉल में सीम के लिए सिंथेटिक और लिनेन का इस्तेमाल किया जाता है। इसे मैच के टाइमिंग को देखते हुए तैयार किया जाता है। रेड बॉल सिंथेटिक से तैयार किया जाता है, क्योंकि ये सिर्फ दिन के मैच खेलने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, पिंक बॉल में लिनेन होने के कारण ये ड्यू को सोखता है और बॉलर्स को बेहतर ग्रिप मिलने में मदद करता है।
दिन के शुरुआती 50 ओवर तक स्पिनर्स को मिलेगा टर्न और बाउंस
पिंक बॉल से स्पिनर्स को भी दिन के 40 से 50 ओवर्स तक अच्छा बाउंस और टर्न मिलेगा। इसके बाद स्पिनर्स को थोड़ी मुश्किल हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कूकाबुरा को मशीन से स्टिच (टांका) किया जाता है। वहीं, भारत ने बांग्लादेश के खिलाफ SG पिंक बॉल का इस्तेमाल किया था, जो कि हैंड स्टिच्ड होता है। इसमें मशीन का इस्तेमाल नहीं होता। इस वजह से भारतीय स्पिनर्स को बांग्लादेश के खिलाफ टर्न मिला था।
पहले टेस्ट के लिए भारतीय टीम बैट्समैन- विराट कोहली (कप्तान), मयंक अग्रवाल, पृथ्वी शॉ, चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे, शुभमन गिल ऑलराउंडर- हनुमा विहारी, रविंद्र जडेजा, रविचंद्रन अश्विन विकेटकीपर- केएल राहुल, ऋद्धिमान साहा, ऋषभ पंत बॉलर- जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, उमेश यादव, नवदीप सैनी, कुलदीप यादव, मोहम्मद सिराज
पहले टेस्ट के लिए ऑस्ट्रेलियाई टीम बैट्समैन- जो बर्न्स, स्टीव स्मिथ, मार्कस हैरिस ऑलराउंडर- ट्रेविस हेड, मार्नस लाबुशाने, माइकल नेसेर, मोइसेस हेनरिक्स, कैमरून ग्रीन विकेटकीपर- टिम पेन, मैथ्यू वेड बॉलर- पैट कमिंस, जोश हेजलवुड, नाथन लियोन, जेम्स पैटिंसन, मिचेल स्टार्क, मिचेल स्वेपसन
कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन का आज 21वां दिन है। किसानों को दिल्ली की सीमाओं से हटाने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। लॉ स्टूडेंट ऋषभ शर्मा ने यह अर्जी लगाई थी। उनका कहना है कि किसान आंदोलन के चलते सड़कें जाम होने से जनता परेशान हो रही है। प्रदर्शन वाली जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग नहीं होने से कोरोना का खतरा भी बढ़ रहा है।
किसान आंदोलन को UP की खाप पंचायतों का समर्थन
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कई खापों ने आंदोलन को समर्थन दिया है। ये खापें 17 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन में शामिल होंगी। अखिल खाप परिषद के सचिव सुभाष बालियान ने यह जानकारी दी। इधर, किसान संगठनों ने कहा है कि वे आज दिल्ली और नोएडा के बीच चिल्ला बॉर्डर को पूरी तरह से ब्लॉक करेंगे।
मोदी बोले- सरकार दूर करेगी किसानों की हर शंका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को गुजरात दौरे के संबोधन में कहा कि विपक्ष किसानों को गुमराह करने की साजिश कर रहा है। उन्हें डराया जा रहा है कि किसानों की जमीन पर दूसरे कब्जा कर लेंगे। यदि कोई डेयरी वाला दूध लेने का कॉन्ट्रैक्ट करता है तो क्या वह पशु को भी ले जाता है? उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार हर शंका के समाधान को तैयार है। मोदी ने गुजरात में सिख संगठनों से भी मुलाकात की।
from Dainik Bhaskar /national/news/farmers-protest-kisan-andolan-delhi-burari-live-updates-haryana-punjab-delhi-chalo-march-latest-news-today-16-december-128018378.html
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from Dainik Bhaskar /national/news/agriculture-law-becomes-a-sore-throat-netajis-breath-stuck-dainik-bhaskar-cartoon-16-december-2020-128018374.html
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नमस्कार!
कोरोना के चलते सरकार संसद का शीतकालीन सत्र नहीं बुलाएगी। अगले महीने से देश में कोरोना वैक्सीन लगनी शुरू होगी। अयोध्या में राम मंदिर की नींव नए सिरे से बनाई जाएगी। बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।
सबसे पहले देखते हैं, बाजार क्या कह रहा है
BSE का मार्केट कैप 183.60 लाख करोड़ रुपए रहा। करीब 49% कंपनियों के शेयरों में बढ़त रही।
3,142 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। 1,555 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,417 कंपनियों के शेयर गिरे।
आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं ने कहा है कि वे बुधवार को दिल्ली-नोएडा के बीच चिल्ला बॉर्डर को पूरी तरह बंद करेंगे।
जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद (DDC) चुनाव के सातवें फेज की वोटिंग होगी। आज 31 संसदीय क्षेत्रों के 438 पंच और 69 सरपंच चुने जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के बॉर्डर्स पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई होगी। किसान आंदोलन पिछले 20 दिन से जारी है।
देश-विदेश
आर-पार की लड़ाई में बदला किसान आंदोलन
मंगलवार को 20वें दिन में प्रवेश कर चुका किसान आंदोलन अब आर-पार की लड़ाई में बदल गया है। किसान नेताओं ने मंगलवार को कहा कि सरकार कानून वापसी को तैयार नहीं है और हम उनसे ऐसा करवाकर ही रहेंगे। किसान नेता इंद्रजीत ने सिंघु बॉर्डर पर कहा, 'हम बातचीत से भाग नहीं रहे हैं, लेकिन सरकार को हमारी मांगों पर ध्यान देना होगा और वो हमारे सामने पुख्ता प्रस्ताव रखे।'
कच्छ में कृषि कानूनों पर बोले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक बार फिर कृषि कानूनों पर बात की। गुजरात के कच्छ में उन्होंने कहा कि हम किसानों की हर समस्या के समाधान के लिए 24 घंटे तैयार हैं। खेती पर खर्च कम हो, किसानों की आय बढ़े, इसके लिए लगातार काम किया। हमारी सरकार ने कदम उठाया तो विपक्ष किसानों को भ्रमित करने में जुट गया। मुझे भरोसा है कि किसानों के आशीर्वाद की ताकत भ्रम फैलाने वालों, राजनीति करने पर आमादा लोगों और किसानों के कंधे से बंदूक चलाने वालों को परास्त कर देगी।
संसद का शीतकालीन सत्र नहीं होगा
इस बार दिसंबर में संसद का शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया जाएगा। इसकी बजाए जनवरी में बजट सत्र के साथ ही शीतकाल सत्र भी बुलाया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, सरकार ने यह फैसला कोरोना के चलते लिया है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी को चिट्ठी लिखकर कहा था कि सरकार को जल्द से जल्द शीतकालीन सत्र बुलाना चाहिए ताकि कृषि कानूनों पर विचार किया जा सके।
अगले महीने से देश में कोरोना वैक्सीन
सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) दिसंबर के अंत तक अपनी वैक्सीन कोवीशील्ड के अंतिम फेज के क्लिनिकल ट्रायल्स के डेटा को रेगुलेटर को सौंप देगी। अगर डेटा संतोषजनक लगता है, तो कोवीशील्ड को जनवरी के पहले हफ्ते में इमरजेंसी अप्रूवल मिल सकता है। यानी जनवरी से देश में वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू हो सकती है। इस वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश फर्म एस्ट्राजेनेका ने मिलकर डेवलप किया है।
वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स पर चेतावनी
इधर, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स को लेकर राज्यों को आगाह किया है। हैल्थ सेक्रेटरी राजेश भूषण ने मंगलवार को बताया कि वैक्सीनेशन के बाद होने वाले रिएक्शन के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UT) को तैयार रहना होगा। सरकार ने वैक्सीन के स्टोरेज के लिए जरूरी इंतजाम करने का दावा किया है। इसमें 29 हजार कोल्ड चेन पॉइंट्स शामिल हैं।
रिपब्लिक डे के गेस्ट होंगे ब्रिटेन के PM
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन इस साल रिपब्लिक डे पर होने वाले समारोह के चीफ गेस्ट होंगे। उन्होंने इसके लिए भारत का न्योता स्वीकार कर लिया है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मंगलवार को डेलीगेशन लेवल की बातचीत में यह जानकारी दी। साथ ही PM बोरिस जॉनसन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले साल ब्रिटेन की मेजबानी में होने वाली जी-7 समिट में शामिल होने के लिए बुलावा भेजा है।
अयोध्या में राम मंदिर की नींव का टेस्ट
अयोध्या में राम मंदिर की नींव नए सिरे से बनाई जा सकती है। दरअसल, लोड टेस्टिंग के दौरान पिलर 2 से 5 इंच तक धंस गए। मंदिर की नींव की सतह पर 200 फीट नीचे पीली मिट्टी नहीं, रेत मिली है। नींव की मजबूती के लिए पाइलिंग टेस्ट किया जा रहा था। जब पिलर पर भार डाला गया तो वह धंस गया। IIT दिल्ली के पूर्व निदेशक वीएस राजू की अध्यक्षता में गठित कमेटी के 8 इंजीनियर और कंस्ट्रक्शन एक्सपर्ट मंदिर की नींव से जुड़े कामों पर नजर बनाए हुए हैं।
एक्सप्लेनर
कैसे होगी एयर इंडिया की नीलामी?
एयर इंडिया के बिकने की प्रॉसेस शुरू हो गई है। सरकार ने इसे खरीदने की इच्छुक कंपनियों से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) भेजने को कहा था। 14 दिसंबर की शाम पांच बजे तक कई कंपनियों ने EOI जमा कर दिया है। नीलामी की ये प्रॉसेस अब दूसरे स्टेज में पहुंच गई है। 2018 में जो एयर इंडिया सरकार की कोशिशों के बाद भी नहीं बिकी थी, लगता है कि अब वो बिक जाएगी। हालांकि, एविएशन एक्सपर्ट्स अभी इसे लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं।
पॉजिटिव खबर
दुख और निराशा से निकलकर अपने पैरों पर खड़े होने की मिसाल हैं 35 साल के करण कुमार। वे एक सांसद के निजी ड्राइवर थे। लॉकडाउन लगने के महीनेभर बाद ही सांसद ने नौकरी से निकाल दिया। बंगले के सर्वेंट क्वार्टर में रहते थे, तो घर भी छिन गया। दो महीने तक पत्नी के साथ अपनी अल्टो कार में सोए। इसके बाद दिल्ली में तालकटोरा स्टेडियम के पास कार से ही राजमा-चावल बेचना शुरू किया। अब उनका हर महीने एक लाख रुपए का टर्नओवर है।
मोदी-शाह के खिलाफ केस खारिज
अमेरिका के एक डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ दायर मुआवजे का केस खारिज कर दिया है। कश्मीर के एक अलगाववादी संगठन और उसके दो सहयोगियों ने यह केस दायर कर 735 करोड़ रुपए का हर्जाना मांगा था। मामले की दो सुनवाई में संगठन की ओर से कोई पेश नहीं हुआ। इसके बाद कोर्ट ने केस खत्म कर दिया। इसमें जम्मू-कश्मीर के विशेष अधिकार खत्म किए जाने के फैसले को चुनौती दी गई थी।
सुर्खियों में और क्या है...
नेवी के सबमरीन एक्पर्ट वाइस एडमिरल श्रीकांत का सोमवार रात कोरोना से निधन हो गया। वे प्रोजेक्ट सी-बर्ड के डायरेक्टर जनरल थे।
कई देशों में कोरोना वैक्सीनेशन शुरू होने के साथ ही वैक्सीन कंपनियों पर सायबर अटैक हो रहा है। वैक्सीन कंपनी मॉडर्ना भी इसका शिकार बनी है।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज से पहले टीम इंडिया के ओपनर रोहित शर्मा मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया के लिए रवाना हो गए। वे तीसरे टेस्ट से टीम में जुड़ सकते हैं।
कहानी - पुराने समय में एक धनवान आदमी था। उसे सेवा करने का बहुत शौक था। उसे लगता था कि वह भगवान की सेवा करे इसलिए वह अपने गांव के मंदिर में रोज बहुत सारे दीपक जलाता था। रातभर मंदिर दीपकों की रोशनी से जगमग रहता था। गांव के लोग मंदिर आते तो दीयों को देखकर उस धनी व्यक्ति की तारीफ करते थे। तारीफ सुनकर वो खुश होता था।
उसी गांव में एक गरीब परिवार के घर के पास एक गली थी। रात में उस गली में अंधेरे की वजह से लोगों आने-जाने में तकलीफ होती थी। गरीब व्यक्ति ने उस गली में एक दीपक जलाना शुरू कर दिया। दीपक की रोशनी से गली से गुजरने वाले लोगों को रास्ता आसानी से दिख जाता था।
संयोग से गांव के उस अमीर और गरीब व्यक्ति की मृत्यु एक साथ हो गई। दोनों ने जीवन में कई अच्छे काम किए थे इसलिए दोनों को स्वर्ग में जगह में मिली। लेकिन, गरीब व्यक्ति को धनी की अपेक्षा ज्यादा ऊंचा स्थान और सुविधाएं मिली थीं। ये देखकर धनी व्यक्ति ने भगवान से कहा, 'प्रभु मैं आपके मंदिर में रोज बहुत सारे दीपक जलाता था, लेकिन ये गरीब व्यक्ति एक अंधेरी गली में सिर्फ एक दीपक जलाता था, फिर भी आपने इसे ऊंचा स्थान क्यों दिया है?'
भगवान ने कहा, 'ये बात सही है कि तुम दोनों दीपक जलाते थे। लेकिन, तुम जो दीपक जलाते थे, उसके पीछे तुम्हारी ये नीयत थी कि गांव के लोग तुम्हारी तारीफ करें। मंदिर में तो वैसे भी उजाला रहता था। तुम दीपक नहीं जलाते तो कोई और जला देता। लेकिन, उस व्यक्ति की नीयत ये थी कि अंधेरी गली में दीपक जलाने से लोगों को रास्ता दिखे और उन्हें ठोकर न लगे। हमारे यहां का ये नियम है कि हम इंसानों के कामों की नीयत और उपयोगिता दोनों देखते हैं।'
सीख- अगर हम कोई अच्छा काम कर रहे हैं तो उसके पीछे हमारी नीयत और उस काम की उपयोगिता जरूर देखनी चाहिए। भलाई के वे काम करें जो उपयोगी हों और उनमें हमारा कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं होना चाहिए।
हरियाणा के करनाल जिले में रत्तक नाम का एक गांव है। करीब तीन हजार की आबादी वाले इस गांव में ज्यादातर सिख समुदाय के लोग रहते हैं। खेती से ही इन लोगों की आजीविका चलती है। लिहाजा, गांव के तमाम लोग किसान आंदोलन में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं। पंजाब और हरियाणा के कई दूसरे गांवों की तरह ही रत्तक गांव के लोग भी इन दिनों दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पहुंच रहे हैं। जो वहां नहीं जा सकते, वे भी अलग-अलग तरीक़ों से इस आंदोलन में मदद कर रहे हैं।
यह पूरा गांव जिस तरह से किसान आंदोलन को समर्थन दे रहा है, उसे देखकर इस सवाल का भी जवाब मिल जाता है कि सिंघु बॉर्डर पर चल रहे लंगरों में लगातार इतना राशन कहां से आ रहा है? बिसलेरी की बोतलों से भरी हुई ट्रैक्टर ट्रॉली लिए सिंघु बॉर्डर पहुंचे रत्तक गांव के शरणजीत सिंह बताते हैं, ‘इस ट्रॉली में 70 हजार रुपए का पानी है और करीब 20 हजार रुपए का दूसरा सामान। एक दूसरी ट्रॉली भी हमारे गांव से आज आई है। उसमें करीब 60-70 हजार रुपए का राशन है। ये दूसरी बार है जब हम लोग गांव से राशन लेकर आए हैं। इससे पहले 29 नवंबर को हम सामान लाए थे और यहां अलग-अलग लंगरों में बांट दिया था।’
रत्तक गांव के लोग शुरुआत से ही इस आंदोलन में शामिल रहे हैं। 26 नवंबर को जब पंजाब से हजारों किसान दिल्ली आ रहे थे, तो हरियाणा के किसानों ने ही जगह-जगह लगे बैरिकेड तोड़ने में उनकी मदद की थी। रत्तक गांव के लोग भी इसमें शामिल हुए थे। गांव के अमृत सिंह बताते हैं, ‘हम लोग पहले दिन से इस आंदोलन में शामिल हैं। पंजाब से आए भाइयों के साथ बैरिकेड तोड़ने में हम सबसे आगे रहे हैं। ये भाई हमारे हरियाणा आए हैं, तो हमारे मेहमान हैं। आंदोलन में हिस्सा लेने के साथ ही इन भाइयों की सेवा करना हमारा फर्ज है, उसी की कोशिश कर रहे हैं।’
रत्तक गांव के ये लोग जब पहले दिन आंदोलन में शामिल हुए थे तो ये खुद भी नहीं जानते थे कि आंदोलन इतना लंबा चलने वाला है। वे बताते हैं कि हम सिर्फ दिल्ली कूच करना चाहते थे और हमें उम्मीद थी कि सरकार हमारी मांगें मान लेगी। लेकिन, जब हमने देखा कि सरकार ने बात करने के लिए ही 3 दिसंबर का दिन तय किया है, तो लगा कि अब यहीं डेरा लगाना होगा। इसके लिए राशन-पानी से लेकर तमाम दूसरी चीजों की जरूरत पड़ेगी, तब हमने ये इंतजाम करना शुरू किया।
रत्तक गांव के पंजाब सिंह ने इसकी जिम्मेदारी उठाई। वे तुरंत ही सिंघु बॉर्डर से वापस अपने गांव पहुंचे और उन्होंने गांव वालों के साथ मिलकर चंदा जमा करना शुरू किया। वे बताते हैं, ‘हजारों किसान भाई जब सड़कों पर रुकने को मजबूर हुए, तो उनके खाने-पीने की व्यवस्था करना हमारी जिम्मेदारी थी। इसलिए हमने तय किया कि हमसे जितना हो सकेगा हम ये व्यवस्था करेंगे।’
पंजाब सिंह की पहल पर गांव की भागेदारी शुरू हुई। लोगों ने अपनी-अपनी क्षमता के मुताबिक दान करना शुरू कर दिया। किसी ने आटा, किसी ने चावल तो किसी ने नकद मदद दी। देखते ही देखते एक छोटे-से गांव से दो ट्रैक्टर ट्रॉली में भरने लायक राशन जमा हो गया। गांव के ही गुरजिंदर सिंह और शरणजीत सिंह ने अपनी नई ट्रैक्टर-ट्रॉलियां ये राशन सिंघु बॉर्डर तक पहुंचाने के काम में लगा दी।
पंजाब सिंह कहते हैं, ‘करीब डेढ़ लाख का राशन हमारे गांव से 29 तारीख को यहां पहुंच गया था। आज दोबारा लगभग इतना ही राशन हम लोग फिर से यहां लेकर आए हैं। ये लड़ाई हम सब की है, इसलिए हम सब इसमें अपनी-अपनी भूमिका निभा रहे हैं।’ राशन के अलावा गाँव के कई युवा सिंघु बॉर्डर पर सेवा करते हुए श्रमदान भी कर रहे हैं। हर चार-पांच दिनों बाद कुछ लोग यहां से वापस गांव लौट जाते हैं और गांव से लगभग उतने ही लोग आंदोलन में शामिल होने को निकल पड़ते हैं।
रत्तक गांव की यह कहानी सिर्फ एक उदाहरण भर है। ऐसे सैकड़ों गांव हरियाणा और पंजाब में हैं, जो बिलकुल इसी तरह आंदोलन को अपना समर्थन द रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि आंदोलनकारियों को किसी भी चीज की कमी न हो। इन छोटे-छोटे गांवों के साथ ही अब खालसा एड जैसी कई बड़ी-बड़ी संस्थाएं भी सिंघु बॉर्डर पर लोगों को तमाम तरह के संसाधन पहुंचा रही है। इसके साथ ही अलग-अलग इलाकों की गुरुद्वारा प्रबंधक समितियां, एनजीओ और कई एनआरआई लोग इस काम में आंदोलनकारियों की मदद कर रहे हैं।
यही कारण है कि सिंघु बॉर्डर पर सिर्फ भोजन ही नहीं बल्कि कई प्रकार के व्यंजन तक बनाए जा रहे हैं और राशन की कहीं कोई कमी नहीं है। रत्तक गांव के पंजाब सिंह कहते हैं, ‘जो लोग इस आंदोलन को बदनाम करने के लिए पूछ रहे हैं कि इतना राशन कहां से आ रहा है, उन्हें मेरे साथ मेरे गांव चलना चाहिए। वहां वो देख सकेंगे कि जिस परिवार ने अपने खाने के लिए दो बोरी राशन बचा के रखा था, उसने भी एक बोरी आंदोलन के लिए दान कर दिया है। ये आंदोलन इसीलिए मजबूत हैं क्योंकि इसमें हर घर की भागीदारी है।’
एयर इंडिया के बिकने की प्रॉसेस शुरू हो गई है। सरकार ने इसे खरीदने की इच्छुक कंपनियों से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) यानी नीलामी में शामिल होने की इच्छा पूछी थी। 14 दिसंबर की शाम पांच बजे तक कई कंपनियों ने EOI जमा कर दिया है। नीलामी की ये प्रॉसेस अब दूसरे स्टेज में पहुंच गई है। 2018 में जो एयर इंडिया सरकार की कोशिशों के बाद भी नहीं बिकी थी, लगता है कि अब वो बिक जाएगी। हालांकि, एविएशन एक्सपर्ट्स अभी इसे लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं।
एविएशन एक्सपर्ट हर्षवर्धन ने भास्कर से कहा कि सरकार की ओर से एयर इंडिया को बेचने की ये कोई पहली कोशिश नहीं है। EOI तो कोई भी डाल सकता है। असली पिक्चर 5 जनवरी के बाद क्लियर होना शुरू होगी। पहले भी कई बिडर लास्ट मोमेंट पर प्रॉसेस से अलग हो चुके हैं इसलिए 5 जनवरी के बाद ही पता चलेगा कि कितनी कंपनियां बिडिंग के लिए एलिजिबल हैं। उसके बाद कंपनियों के फाइनेंशियल ऑफर, उनकी सरकार के साथ नेगोशिएशन पर डिपेंड करेगा कि आगे क्या होता है।
लेकिन, एयर इंडिया बिक क्यों रही है? सरकार इसे बेचना क्यों चाहती है? कौन सी कंपनियां इसे खरीदना चाहती हैं? जो कंपनियां इसे खरीदना चाहती हैं, उनका क्या इतिहास है? पिछली बार से इस बार की नीलामी कितनी अलग है? आइये जानते हैं...
क्यों बिक रही है एयर इंडिया?
कंपनी घाटे में चल रही है। 2018-19 में ही कंपनी को 4 हजार 424 करोड़ रुपए का ऑपरेशनल लॉस हुआ। वहीं, 2017-18 में भी कंपनी को एक हजार 245 करोड़ रुपए का ऑपरेशनल लॉस हुआ था। लगातार हो रहे घाटे के चलते कंपनी पर 62 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज हो चुका है। कंपनी की हालत को देखते हुए सरकार पहले भी इसे बेचने की कोशिश कर चुकी है। 2018 में हुई इस कोशिश में एयर इंडिया को कोई खरीदार नहीं मिला था।
2018 में नीलामी क्यों पूरी नहीं हो पाई?
2018 में सरकार ने कंपनी की 76% हिस्सेदारी के साथ कर्ज के कुछ हिस्से को बेचने का ऑफर रखा था, लेकिन एयर इंडिया के घाटे और सरकार की शर्तों के कारण कोई भी खरीदार नहीं मिला। पिछले साल एविएशन मिनिस्टर हरदीप पुरी ने कहा था कि अगर एयर इंडिया का निजीकरण नहीं हो पाता है तो इसे बंद करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचेगा।
इस बार की नीलामी में सरकार ने क्या बदलाव किया?
इस बार सरकार कंपनी की 100% हिस्सेदारी की नीलामी कर रही है। यानी कंपनी का कोई भी शेयर सरकार के पास नहीं रहेगा।
कंपनी पर जो 60 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज है, उसमें से खरीददार को सिर्फ 23 हजार 286 करोड़ रुपए ही चुकाना होगा। बाकी का उधार सरकार चुकाएगी।
नीलामी में हिस्सा लेने वाली कंपनी की नेटवर्थ 3 हजार करोड़ रुपए होनी चाहिए। 2018 में ये 5 हजार करोड़ रुपए थी।
इस बार की नीलामी में अब तक क्या-क्या हुआ?
सरकार ने एयर इंडिया को खरीदने की इच्छुक कंपनियों को 14 दिसंबर तक एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) जमा करने को कहा था। डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) के सचिव तुहिन पांडेय ने सोमवार तक कई EOI आने की जानकारी दी। हालांकि, उन्होंने ये नहीं बताया कि कितनी और किन कंपनियों ने EOI जमा किया है।
Multiple expressions of interest have been received for strategic disinvestment of Air India. The Transaction will now move to the second stage. pic.twitter.com/YJ0fQLK5Hl
सूत्रों का कहना है कि जिन कंपनियों ने EOI जमा किया है, उनमें टाटा संस, स्पाइस जेट, दिल्ली बेस्ड एक कंपनी कांति कॉमर्शियल, एयर इंडिया के कर्मचारियों का एक ग्रुप और अमेरिकी फर्म इंटरप्स इंक शामिल है। इंटरप्स इंक के चेयरमैन लक्ष्मी प्रसाद ने खुद इसकी जानकारी दी है।
खुद संकट में चल रही स्पाइस जेट भी नीलामी में हिस्सा ले रही है?
एविएशन एक्सपर्ट हर्षवर्धन कहते हैं कि EOI तो कोई भी जमा कर सकता है। मैं चाहूं तो मैं भी एक कागज पर लिखकर EOI जमा कर दूं। जहां तक स्पाइस जेट की बात है तो वो खुद संकट के दौर से गुजर रही है। कंपनी कितने समय तक अपना ऑपरेशन जारी रखेगी, ये कहना मुश्किल है। ऐसे में वो एयर इंडिया को कहां से खरीदेगी, ये भी कहना मुश्किल है। स्पाइस जेट को सितंबर तिमाही में 113 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है।
नीलामी में टाटा का क्या रोल हो सकता है?
अगर टाटा नीलामी में जीतता है तो 67 साल बाद एक बार फिर एयर इंडिया का ऑपरेशन टाटा ग्रुप के पास आ जाएगा। 1932 में टाटा ग्रुप ने ही एयर इंडिया (उस वक्त टाटा एयरलाइन्स) को शुरू किया था। 1953 में सरकार ने इसे अपने नियंत्रण में लिया और इसका नाम एयर इंडिया हो गया। टाटा को कई एक्सपर्ट सबसे मजबूत दावेदार के रूप में देख रहे हैं।
टाटा के लिए एयर इंडिया को खरीदने में क्या मुश्किल है?
अभी तक टाटा की ओर से इस EOI पर आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है। अभी ये भी क्लियर नहीं है कि टाटा ने अकेले बिड डाली है या किसी एयरलाइन्स के साथ। टाटा सिंगापुर एयरलाइन्स के साथ मिलकर विस्तारा और एयर एशिया का संचालन करती है। लेकिन, सिंगापुर एयरलाइन्स एयर इंडिया को खरीदने की इच्छुक नहीं है।
EOI जमा करने वाली अमेरिकी फर्म इंटरप्स इंक क्या है?
इंटरप्स इंक ने सोमवार को एयर इंडिया के 200 से ज्यादा कर्मचारियों के साथ मिलकर EOI जमा किया। न्यूयॉर्क बेस्ड इस फर्म को अमेरिका और यूरोप के NRI इन्वेस्टर्स का समर्थन है। ये फर्म खुद को बिजनेस अपॉर्चुनिटीज में इन्वेस्ट करने वाली लिस्टेड कंपनी बताती है। कंपनी यूएस बेस्ड NRI’s का रिटायरमेंट एसेट अकाउंट हैंडल करती है। कंपनी के चेयरमैन हैदराबाद मूल के लक्ष्मी प्रसाद हैं।
एयर इंडिया के कर्मचारियों और इंटरप्स इंक के बीच किस तरह की साझेदारी है?
इंटरप्स इंक के चेयरमैन लक्ष्मी प्रसाद ने कहा, ‘एयर इंडिया का 51% स्टेक कर्मचारियों के ग्रुप का होगा। बाकी 49% स्टेक इंटरप्स इंक के पास रहेगा।’
प्रसाद ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'आप सभी को शुभकामनाएं, हम आज एयर इंडिया के लिए EOI जमा कर रहे हैं। हम सबको चौंका देंगे। यह हमारा मातृभूमि भारत के राष्ट्रीय कैरियर और उसके कर्मचारियों को उड़ते रहने और ऊंचाइयों पर बनाए रखने के लिए एक तरह का समर्पण है।'
ये कांति कॉमर्शियल क्या है?
कांति रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज दिल्ली में रजिस्टर एक नॉन-गवर्नमेंट कंपनी है। अप्रैल 2003 में रजिस्टर हुई इस कंपनी का ऑथराइज्ड शेयर कैपिटल 1.3 करोड़ रुपए है। कंपनी के डायरेक्टर सौरभ बाग और अमित कुमार जोशी हैं। सौरभ बाग ने बताया कि हमारी कंपनी फ्रिगमेंट निवेश और एनॉर्मस निवेश नाम के दो और प्लेयर्स के साथ मिलकर नीलामी में हिस्सा ले रही है।
क्या एयर इंडिया को खरीदने के बाद की भी कुछ शर्तें हैं?
जो भी प्राइवेट प्लेयर एयर इंडिया को खरीदेगा, उसे आगे भी एयरलाइन्स का ऑपरेशन एयर इंडिया के नाम से ही करना होगा।
खरीदार एयरलाइन्स के नाम में कब तक बदलाव नहीं कर सकता है, इसका जिक्र नीलामी से पहले रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) में होगा।
दिल्ली में एयर इंडिया का कॉर्पोरेट ऑफिस और हेड ऑफिस मुंबई में है। ये दोनों बिल्डिंग नहीं बेची जाएंगी। हालांकि, खरीददार को कुछ समय के लिए तक इनके दफ्तरों से काम करने की परमिशन होगी।
कब तक बोली लगाने वाली कंपनियों की फाइनल लिस्ट आ जाएगी?
जिन कंपनियों ने EOI जमा किया है, उन्हें अगले 15 दिन में अपनी फिजिकल बिड सबमिट करनी होगी। इसके बाद सरकार 5 जनवरी तक उनमें से एलिजिबल कंपनियों को इंटीमेट करेगी।
दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम के पास कार में फूड स्टाल लगाने वाले 35 साल के करण कुमार की कहानी में दुख, निराशा और इससे उबरने का ब्योरा है। करण और उनकी पत्नी अमृता दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम इलाके में एक गोल चक्कर के पास अपनी आल्टो गाड़ी में राजमा-चावल, कढ़ी-चावल और रायता बेच रहे हैं।
हर सुबह वो फरीदाबाद से खाना बनाकर लाते हैं। यहां आकर अपनी गाड़ी के बगल में एक पोस्टर चिपकाते हैं। गाड़ी का पिछला हिस्सा यूं खोलते हैं, जैसे वो अपने रेस्त्रां का शटर उठा रहे हैं। इसके बाद शुरू हो जाता है इनका व्यापार। करण कहते हैं, आज भगवान की कृपा से सब सही चल रहा है। अब तो नौकरी करुंगा ही नहीं। सब ठीक रहा तो अपना ही रेस्त्रां खोलेंगे हम।’
लॉकडाउन में छिनी नौकरी और घर
करण कहते हैं- मैं एक सांसद की गाड़ी चलता था। सरकारी नहीं, निजी। लॉकडाउन लगा तो अगले महीने ही उन्होंने मुझे नौकरी से निकाल दिया। जब मैं नौकरी कर रहा था तो उनके बंगले के सर्वेंट क्वार्टर में अपनी पत्नी के साथ रहता था। नौकरी गई तो घर भी छिन गया। हम दोनों खुले आसमान के नीचे आ गए। घर में जो भी सामान था, उसे एक गैरेज में रखवा दिया। हम वहां सामान रख सकते थे, लेकिन रह नहीं सकते थे।
कहीं काम नहीं मिला तो लगाया फूड स्टाल
करण और उनकी पत्नी दो महीने तक अल्टो कार में सोए और गुरुद्वारों में लंगर खा कर अपना पेट भरा। करण ने नई नौकरी के लिए खूब कोशिशें की। इधर-उधर फोन किया लेकिन लॉकडाउन की वजह से कहीं काम मिला नहीं। तब कार से ही फूड स्टाल लगाना शुरू किया
घर का सामान बेचकर शुरू किया काम
अपने इस सफर, इस सफर की मुश्किलों और अब मिल रही खुशियों के बारे में अमृता कुमार बताती हैं, “सब कुछ बहुत मुश्किल था। जब ये सब हुआ था, तो लगता था कि जीवन ही खत्म करना पड़ेगा। मेरे पति ने दूसरी नौकरी के लिए बहुत कोशिश की, लेकिन मिली नहीं। मैं उन्हें लगातार अपना काम शुरू करने के लिए मना रही थी और वो टाल रहे थे। उनकी परेशानी ये थी कि ये सब हम कैसे शुरू करेंगे? फिर हमने अपनी आलमारी बेच दी। उससे जो पैसा आया उसी से काम शुरू किया।”
अमृता की बड़ी-बड़ी आंखों में एक खास चमक है। चमक अपने जीवन को पटरी पर लाने की। चमक भविष्य के सुधर जाने की। लेकिन, क्या शुरुआत में भी वो चमक थी। अमृता बताती हैं, “नहीं। पहले दिन हमने तीन किलो चावल, आधा किलो राजमा और आधा किलो छोले बनाया था। बनाकर फरीदाबाद से निकले। कुछ देर आईटीओ पर रुके। बीच-बीच में और भी कई जगहों पर रुके। यहां आते-आते तीन बज गए थे। पूरा खाना ठंडा हो गया था और एक प्लेट भी नहीं बिका था। हमने सारा खाना यहां बैठे भिखारियों में बांट दिया और उदास मन से लौट गए। लेकिन, धीरे-धीरे इस जगह पर लोग आने लगे और अब सब अच्छा चल रहा है।”
आज अमृता के किचन में रोज 8 किलो चावल, ढाई किलो राजमा, 2 किलो छोले, 3 किलो कढ़ी और 5 किलो रायता बनता है। वो सुबह 11 बजे यहां पहुंचते हैं और दोपहर 2 बजे तक सारा खाना खत्म हो जाता है। रोजाना करीब 100 लोग खाने आते हैं। हाफ प्लेट की कीमत 30 रु और फुल प्लेट की 50 रु है। इस तरह महीने में एक लाख रुपए तक की बिक्री हो जाती है। अमृता कहती हैं, “हमारे पास अभी छोटे-छोटे बर्तन है। उसमें इतना सारा खाना बनाने के लिए मुझे सुबह 3 बजे उठना पड़ता है। इससे ज्यादा उसमें बन नहीं पाता है। जल्दी ही हम लोग अपने किचन को बड़ा करेंगे। कई लोग बिना खाना खाए लौट जाते हैं और ये हमें सही नहीं लगता है। हम जल्दी ही एक सेटअप तैयार करेंगे।”
कुछ महीने पहले तक नौकरी से मिलने वाले मामूली तनख़्वाह पर निर्भर इस दंपती ने अब अपने व्यापार को ही आगे ले जाने का मन बनाया है। करण कहते हैं, “ जब वो समय निकाल लिया जिसमें लगता था कि आज नहीं तो कल हम दोनों को फांसी के फंदे से ही झूलना होगा। जब लगता था कि अब इस जीवन का कोई मतलब नहीं, तो अब क्या है? अब तो अपने ‘अच्छे दिन’ आए हैं। हम अपने ग्राहकों का शुक्रिया अदा करते हैं और आगे अपना ही रेस्त्रां खोलेंगे। कुछ भी हो जाए अब मैं किसी की नौकरी तो नहीं ही करूंगा।”
13 दिसंबर 1971 स्क्वॉड्रन लीडर जेडी कुमार को हवेली एरिया में दुश्मनों को सर्च कर खत्म करने के लिए डिटेलिंग दी गई थी। उसी दिन शाम 4 बजकर 15 मिनट पर उन्होंने अपने साथी स्क्वॉड्रन एचएस कंग के साथ मिस्टेयर एयरक्राफ्ट में मिशन के लिए उड़ान भरी। जैसे ही उनका फाइटर जेट टारगेट के नजदीक पहुंचा तो दुश्मनों ने ग्राउंड से एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल दागनी शुरू कर दी। जिस जगह से दुश्मन एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल दाग रहे थे, वह एक हथियारों से लैस कैंप था। इसी बीच एक मिसाइल उनके फाइटर जेट के स्टार बोर्ड विंग पर आ टकराई. इसके बाद फाइटर जेट से धुआं निकलने लगा।
फाइटर जेट को वापस अपने देश की सीमा में लाने का फैसला लिया गया, लेकिन पाकिस्तानी सीमा में ही फाइटर जेट में विस्फोट हो गया। स्क्वॉड्रन लीडर जेडी कुमार को उनके साथी ने आखिरी बार जेट से इजेक्ट करते हुए देखा, लेकिन उसके बाद उनका कुछ पता नहीं चला। आज भी जेडी कुमार देश के उन जांबाजों में शामिल हैं, जिन्हें ‘मिसिंग इन एक्शन’ कहा जाता है।
‘सरहदों पर हम जंग तो जीत जाते हैं, लेकिन कभी सोचा है कि इससे कितने परिवार बिखर जाते हैं’
भारत-पाक युद्ध के 49 बरस बाद भी स्क्वॉड्रन लीडर जेडी कुमार की वाइफ सतीश कुमार (79) को उनके लौटने की उम्मीद है। वो कहती हैं, ‘मैंने कभी उनकी तस्वीर पर माला नहीं चढ़ाई और न ही मैंने कभी खुद को विधवा माना। मैं आखिरी सांस तक उनका इंतजार करूंगी। कई बार उनसे सपनों में मेरी बात होती है, तब मैं रो पड़ती हूं। मैं अकेली रहती हूं, तब से अब तक कोई त्योहार मनाने का मन ही नहीं करता है।’
सतीश कुमार कहती हैं, ‘सरहदों पर हम जंग तो जीत जाते हैं, उसकी खुशी भी मनाते हैं, लेकिन कभी ये नहीं सोचते कि इसकी वजह से कितने परिवार बिखर जाते हैं। कितने परिवारों की जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है। हमारी शादी 21 नवंबर 1962 को हुई थी, हम लोग करीब आठ साल ही साथ रह पाए। उम्र के इस पड़ाव में अकेले रहना थोड़ा मुश्किल होता है।'
युद्ध में जाने से पहले कहा था- तुम बहादुर हो, तीनों प्यारी बच्चियों का ख्याल रखना
सतीश कुमार कहती हैं, ‘ 1971 में दिसंबर का महीना था, हम उस वक्त हिंडन में पोस्टेड थे। तारीख तो ढंग से याद नहीं, शायद 7-8 दिसंबर रही होगी। उन्होंने युद्ध में जाने से पहले मुझसे कहा था कि तुम आर्मी फैमिली से हो, तुम बहादुर हो, तीनों प्यारी बच्चियों का ख्याल रखना।’
'उस वक्त मेरी सबसे छोटी बेटी तीन साल की थी, उससे बड़ी पांच साल और सबसे बड़ी बेटी सात साल की थी। जब वो युद्ध पर थे तो उनकी चिट्ठी आई, मुझे नहीं पता था कि ये उनकी आखिरी चिट्ठी होगी। उसमें उन्होंने लिखा था कि कुछ काम हो, जरूरत हो तो चौधरी को बोल देना, बच्चों को कहीं जाना हो या कुछ भी चाहिए हो। बच्चों का ख्याल रखना।’
सतीश कुमार बताती हैं कि कुछ दिन बाद 13 दिसंबर 1971 को मेरे पास एक एयरफोर्स से एक चिट्ठी आई, जिसमें लिखा था कि वो युद्ध में घायल हो गए हैं। कुछ देर बाद एयरफोर्स के अफसर उनकी वाइफ भी आ गईं। उन्होंने मुझसे कहा कि वो एक-दो दिन में लौट आएंगे। किसी ने पाकिस्तानी रेडियो स्टेशन पर सुना था और मुझे बताया कि उनका नाम लिया गया है कि फरीदकोट के रहने वाले एक व्यक्ति को पकड़ा गया है, उसे चोटें भी आई हैं। मुझे उम्मीद थी कि वो आएंगे। इस उम्मीद में साल, दो साल, 10 साल और आज 49 साल बीत गए हैं।
अभिनेता अनुपम खेर की नई किताब 'योर मोस्ट डे इज टुडे' हाल ही में लॉन्च हुई। कोरोना काल में लिखी इस किताब में उन्होंने जिंदगी के पॉजिटिव पहलुओं के बारे में बात की है। भास्कर से खास बातचीत में अनुपम ने जिंदगी जीने की सलाहियत पर सुझाव रखे। पढ़िए इंटरव्यू के प्रमुख अंश...
सवाल: कोरोना काल में डिप्रेशन बढ़ा, लोगों की नौकरियां चली गईं, बिजनेस ठप हो गए। बॉलीवुड में कई कलाकारों ने सुसाइड किया। ऐसे हालात में कैसे कोई अपनी लाइफ के बुरे दौर को बेस्ट बना सकता है?
जवाब: 20 मार्च को जब मैं न्यूयॉर्क से मुंबई आया तो महसूस हुआ कि महामारी हम सबकी जिंदगी को प्रभावित करेगी। मैंने कभी मुंबई की सड़कों को इस तरह सुनसान नहीं देखा था। एयरपोर्ट को कभी बियाबान नहीं देखा था। मेरे दोस्त अनिल कपूर ने कहा कि 14 दिन से पहले किसी से मिलना नहीं। हालांकि, मैं आशावादी इंसान हूं। लेकिन, मुझे लगा कि क्या इसमें मुझे आशा की किरण नजर आएगी। बादलों के पीछे क्या सिल्वर लाइनिंग दिखेगी। फिर एक दिन कोयल की कूक और पक्षियों के चहचहाने की आवाजें आईं।
39 सालों के मुंबई प्रवास में पहली बार था, जब मुझे लगा कि इंसान पिंजरे में कैद में हैं और पशु-पक्षी आजाद नजर आ रहे थे। हमें हर हाल में लाइफ में पॉजिटिविटी ढूंढनी ही पड़ती है। मैं इस मुकाम पर सिर्फ अपने टैलेंट के दम पर नहीं पहुंचा हूं। इसमें मेरे एटीट्यूड की भी अहम भूमिका है। कभी आशावादी रवैये में कमी नहीं आने दी। ये रवैया आप को रखना ही होगा। कितने भी बुरे हालात क्यों न हों, आप को रोशनी की हल्की सी किरण नजर आनी चाहिए। उसे ढूंढना ही चाहिए।
सवाल: पूरे कोरोना काल में सबसे पॉजिटिव क्या महसूस किया?
सवाल: यही कि इंसान को पूरे जीवनकाल में तीन चीजों के अलावा बाकी किसी चीज की जरूरत नहीं है। हम उस मृगतृष्णा के पीछे भागते रहते हैं, जिसकी अहमियत ही नहीं। मसलन, हमें कीमती बैग्स, डार्क ग्लासेज और महंगी गाड़ियां चाहिए, लेकिन जब लॉकडाउन अनाउंस हुआ तो तीन ही चीजें सबके जेहन में रहीं। नंबर एक किसी तरह अपने मां-बाप, बीवी-बच्चों के पास पहुंच जाएं। नंबर दो बस किसी तरह बेहद जरूरी चीजें मिल जाएं। तीसरा वाईफाई चलता रहे, ताकि दुनिया के साथ रिश्ता बंधा रहे।
यह दौर कई तरह से हमारे लिए पॉजिटिव ही साबित हुआ है। उन दोस्तों और रिश्तेदारों से बातें कीं, जो भूले-बिसरे हो गए थे। नए शौक और आदतों को एक्सप्लोर किया। मेरे पास 150 दोस्तों के साथ वाली 10th स्टैंडर्ड की एक फोटो थी। उनमें से मैंने 40 से संपर्क किया। उनसे बात की। सामूहिक तौर पर मेडिटेशन किया। जिंदगी में पॉज आया, जिसकी सख्त जरूरत होती है।
सवाल: सुशांत सिंह राजपूत की खूबसूरत बात क्या थी, जो आपको शूटिंग के दौरान महसूस हुई?
जवाब: सुशांत की आंखों में सेंस ऑफ वंडर था। उनकी बातों से भी वह करिश्मा झलकता था। वो जिंदगी में बहुत कुछ करना चाहते थे। मुझे इस बात का बहुत दुख है कि वो नहीं रहे। उनके ढेर सारे सपने रहे होंगे। जब हमने महेंद्र सिंह धोनी की बायोपिक की थी, जब मैंने देखा था कि वो कितने मेहनती थे। उनकी कमी हमेशा खलेगी।
सवाल: आप 65 के हो गए। अपने साथियों की तुलना में अब तक बहुत एक्टिव हैं, हॉलीवुड तक हो आए। अब ऐसा क्या करेंगे जो एकदम 'अनुपम' हो?
जवाब : अभी तो जिंदगी का इंटरवल आया है। हमारा मनोबल अंदर से आता है। मैं अपने आप से झूठ बोलने की कोशिश नहीं करता। अपनी सेहत का ख्याल रखता हूं। मुझे फेलियर से डर नहीं लगता है। अमूमन लोग इसलिए जिंदगी के किसी पड़ाव पर रुक जाते हैं कि किसी नई चीज को ट्राय करने पर कामयाबी मिलेगी या नहीं। इस तरह का अप्रोच रखकर हम मिडियॉकर बनकर रह जाते हैं।
मेरे पिताजी ने बहुत पहले कहा था, 'Failure Is an Event, Not a Person’. मतलब यह कि इंसान फेल नहीं होता, परिस्थितियां फेल होती हैं। एक हादसा सा है, जो किसी की जिंदगी में घट जाता है। दूसरी चीज यह बोली थी कि किसी को भी खुश करना सबसे आसान काम है। मैं दोनों बातों पर अमल करता रहता हूं। कुछ खोने का गम पाल कर नहीं रखता। ये सब मिलकर मुझे एक्टिव बनाए रखते हैं। रोज सुबह जब आंख खुले तो भगवान का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि आंख खुली है। एक नया दिन शुरू हुआ है। लाइफ ब्यूटीफुल है।
सवाल: कोरोना के इस दौर में मां की कौन सी सीख आपके सबसे ज्यादा काम आई? किताब में इससे जुड़ा कोई किस्सा हो तो बताइए?
जवाब : किताब का टाइटल मां की दी हुई शिक्षा से है। जब हम छोटे थे, तब मां ही मुझे और मेरे छोटे भाई राजू को 15 मिनट पैदल चलकर स्कूल के गेट पर छोड़ा करती थीं। दोनों को खाने का डिब्बा देते हुए कश्मीरी में कहती थी, ‘योर बेस्ट डे इज टुडे’। आज का दिन आप की जिंदगी का सबसे बेहतर दिन है। लिहाजा स्कूल या नाटक में जीत या हार होने पर हम खुश ही रहते थे। बाकी मां ने सहनशीलता सिखाई है।
सवाल: जब आप किताब लिख रहे थे, तब कोरोना वायरस के चलते बनी दुनिया की स्थिति के बारे में क्या ख्याल मन आए?
जवाब: मनुष्य जाति ने इस कायनात पर बहुत उत्पात मचाया था। हम भूल गए थे कि इसमें और भी जीव-जंतु और प्राणी रहते हैं। हम अपने लालच में इतने खो गए थे कि किसी और का ख्याल नहीं रखा। ऐसे में इस छोटे से वायरस ने हमें सबक दे दिया कि हमें दूसरों का भी ख्याल रखना होगा। अपने लालच पर लगाम लगानी होगी। जब सागर मंथन होता है तो अमृत के साथ विष भी निकलता है। लिहाजा, आने वाले युग में लोग सहानुभूति के साथ जिएंगे। दूसरों के बारे में भी सोचेंगे।
दुनियाभर में गूगल की सर्विसेस 14 दिसंबर शाम करीब 40 मिनट तक क्रैश रहीं। लॉगइन और एक्सेस में परेशानी भारतीय समय के मुताबिक, शाम करीब 5ः25 बजे शुरू हुई और शाम 6ः10 पर री-स्टोर हुईं। इस दौरान गूगल की 19 सर्विसेस ठप रहीं। इस क्रैश के दौरान कई यूजर शिकायत करते दिखे कि जीमेल काम नहीं कर रहा, यूट्यूब चल नहीं रहा, ड्राइव खुल नहीं रही, गूगल मीट हो नहीं पा रही और इसके बाद तो जैसे गूगल पर निर्भर हजारों कॉर्पोरेट्स में अफरा-तफरी मच गई।
गूगल पर भरोसा करने वाले यूजर्स का तो पूछो ही मत, बहुत ही बुरा हाल था। गूगल कैसे डाउन हो सकता है, सबका सोशल मीडिया पर हुए हजारों पोस्ट में सिर्फ यही सवाल था। भले ही 45 मिनट में गूगल ने अपनी सर्विसेस को री-स्टोर कर लिया, पर गूगल की सर्विसेस डाउन होने से कई तरह की अफवाहों का बाजार भी गरमा गया।
We're aware of an ongoing issue with multiple products and our teams are investigating. Updates are being posted on the status dashboard: https://t.co/Y3OJ3Lg1ML
गूगल के प्रवक्ता ने कहा कि इंटरनल स्टोरेज कोटा के मुद्दे की वजह से करीब 45 मिनट के लिए सर्विसेस डाउन हुई थी। इन 45 मिनट में यूजर्स अपने अकाउंट्स को एक्सेस नहीं कर सके। सभी सर्विसेस री-स्टोर कर ली गई हैं। कंपनी ने यह भरोसा भी दिया कि भविष्य में यह समस्या दोबारा न आए, इसके लिए फॉलो-अप रिव्यू किया जा रहा है।
इससे पहले गूगल वर्क स्पेस स्टेटस डैश बोर्ड ने 14 दिसंबर को शाम 5ः25 बजे कहा कि समस्या की पहचान कर ली है और जल्द ही हम इसे दूर कर लेंगे। इसमें कहा कि 5ः42 तक हम समस्या दूर कर देंगे। हो सकता है कि इसमें और वक्त लगे। शाम 6:42 बजे गूगल ने अपडेट दिया कि जीमेल की सभी सर्विसेस री-स्टोर कर ली गई हैं। तब तक गूगल की अन्य सर्विसेस भी पटरी पर लौट चुकी थीं।
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गूगल की सर्विसेस गड़बड़ाने से कितने लोग प्रभावित हुए?
गूगल की सर्विसेस गड़बड़ाने से सिर्फ जीमेल और यूट्यूब के 350 करोड़ ग्लोबल यूजर्स प्रभावित हुए। ऐसा बहुत ही कम होता है कि किसी कंपनी की सभी सर्विसेस और यूजर एक साथ समस्या महसूस करें। दरअसल, हर कंपनी हर क्षेत्र के लिए अपने यूजर्स को सर्विसेस देने के लिए कई सर्वर्स का इस्तेमाल करती है। इन सर्वर्स में भी कई बैकअप बनाए गए हैं, जो किसी भी गड़बड़ी के सामने आने पर तत्काल सक्रिय होते हैं।
इसके बाद भी 14 दिसंबर को जिस पैमाने पर गूगल की सर्विसेस प्रभावित हुईं, वह अब तक नहीं दिखा था। पीक पर डाउनडिटेक्टर.कॉम ने दुनियाभर के अलग-अलग हिस्सों में 1.12 लाख इश्यू यूट्यूब पर और 40 हजार इश्यू जीमेल पर दर्ज किए।
इस समस्या को दूर करने के लिए गूगल ने क्या किया है?
गड़बड़ी से सबक लेते हुए गूगल ने जीमेल, गूगल ड्राइव (गूगल डॉक्स, शीट्स, स्लाइड्स, ड्राइंग्स, फॉर्म्स और जैमबोर्ड फाइल्स समेत) और गूगल फोटो से जुड़े अपने अकाउंट्स के लिए नई स्टोरेज पॉलिसी घोषित की है। यह नई सर्विसेस 1 जून 2021 से लागू होंगी। गूगल ने अपने हेल्प सेंटर आर्टिकल में बताया है कि यह सर्विसेस किस तरह बदलने वाली हैं।
नई पॉलिसी में क्या-क्या होगा?
आप 2 साल तक जीमेल, ड्राइव या फोटो सर्विसेस में इनएक्टिव रहते हैं तो गूगल आपका अकाउंट डिलीट कर देगा। जिन गूगल वन मेंबर्स का स्टोरेज डेटा लिमिट में है, उन पर नई इनएक्टिव पॉलिसी लागू नहीं होगी। अगर आपकी स्टोरेज लिमिट दो साल तक ज्यादा रही तो जीमेल, ड्राइव और फोटो से जुड़ा कंटेंट गूगल डिलीट कर देगा।
यह आपको किस तरह प्रभावित करेगी?
आप दो साल तक स्टोरेज लिमिट से बाहर नहीं जाते या इनएक्टिव नहीं रहते तो आप पर नई पॉलिसी बेअसर रहेगी। यह पॉलिसी 1 जून 2021 को लागू होने वाली है। यानी 1 जून 2023 के बाद ही आपका कोई कंटेंट डिलीट किया जाएगा।
1 जून 2021 के बाद यदि आप स्टोरेज लिमिट के बाहर होते हैं या इनएक्टिव रहते हैं तो गूगल आपको ईमेल रिमाइंडर और नोटिफिकेशन भेजेगा और उसके बाद ही आपका कंटेंट डिलीट करेगा। भले ही आपका कंटेंट डिलीट हो जाए, आप साइन-इन कर सकेंगे।
आपको अपना अकाउंट एक्टिव रखने के लिए क्या करना होगा?
आपको अपने गूगल अकाउंट की स्टोरेज कोटा पॉलिसी समझनी होगी। आप अपने गूगल अकाउंट स्टोरेज को देखकर जीमेल, गूगल ड्राइव और गूगल फोटो पर स्टोरेज से अनावश्यक कंटेंट डिलीट कर अतिरिक्त स्पेस को फ्री कर सकते हैं।
इनएक्टिव अकाउंट मैनेजर आपको कंटेंट मैनेज करने में मदद करेगा। अगर आप 3 से 18 महीने के लिए गूगल अकाउंट इस्तेमाल नहीं करते तो आपको सूचना दी जाएगी।
7 मार्च 1971 को बांग्लादेश (उस समय पूर्वी पाकिस्तान) के ढाका के मैदान पर शेख मुजीबुर्रहमान पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। वे नया देश बनाने की मांग पर अड़े थे। लेकिन जब वे ऐसा कर रहे थे, तब शायद उन्हें भी नहीं पता होगा कि ठीक 9 महीने और 9 दिन बाद उनकी मांग पूरी हो जाएगी और बांग्लादेश एक आजाद देश बनेगा। 1947 को जब पाकिस्तान बना, तब से ही पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को शिकायत थी कि उनके साथ वहां न्याय नहीं हो रहा।
25 मार्च 1971 को पाकिस्तान के तब के सैनिक तानाशाह जनरल याहिया खान ने पूर्वी पाकिस्तान की भावनाओं को सैन्य शक्ति से कुचलने का आदेश दे दिया। पूर्वी पाकिस्तान में बढ़ती इस हलचल के बाद भारत पर भी दबाव बढ़ा। नवंबर आते-आते बांग्लादेश को लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया और आखिर वो दिन आ ही गया, जिसका सबको डर भी था और पता भी था।
3 दिसंबर 1971 को तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कलकत्ता में एक जनसभा कर रही थीं। तभी ठीक 5 बजकर 40 मिनट पर पाकिस्तानी वायुसेना के सैबर जेट्स और लड़ाकू विमानों ने भारतीय वायु सीमा पार कर पठानकोट, श्रीनगर, अमृतसर, जोधपुर और आगरा के मिलिट्री बेस पर बम गिराने शुरू कर दिए। उसी समय भारतीय सेना ने भी जवाबी हमला किया।
14 दिसंबर को भारतीय सेना ने एक गुप्त संदेश को पकड़ा कि दोपहर 11 बजे ढाका के गवर्नमेंट हाउस में एक मीटिंग होने वाली है। भारतीय सेना ने तय किया कि मीटिंग के वक्त ही गवर्नमेंट हाउस पर बम बरसाए जाएंगे। वायुसेना के मिग-21 विमानों ने बिल्डिंग की छत उड़ा दी। उस मीटिंग में तब के पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के सेना प्रमुख जनरल नियाजी भी मौजूद थे।
16 दिसंबर की शाम करीब 5 बजे जनरल नियाजी ने 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने सरेंडर कर दिया। उन्होंने अपने बिल्ले उतार दिए और रिवॉल्वर भी रख दी। उसी समय जनरल सैम मानिक्शॉ ने इंदिरा गांधी को फोन कर बांग्लादेश पर जीत की खबर बताई। इसके बाद इंदिरा गांधी ने ऐलान किया- "ढाका अब एक आजाद देश की आजाद राजधानी है।'
सिर्फ 13 दिन में ही भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को घुटनों पर ला दिया था। बांग्लादेश पर भारत की जीत के बाद ही 16 दिसंबर को हर साल विजय दिवस मनाया जाता है।
दिल्ली की सड़क पर आज ही हुआ था निर्भया के साथ गैंगरेप
दिल्ली में पैरामेडिकल छात्रा से 16 दिसंबर, 2012 की रात 6 लोगों ने चलती बस में दरिंदगी की थी। गंभीर जख्मों की वजह से 29 दिसंबर को सिंगापुर में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी। घटना के 9 महीने बाद यानी सितंबर 2013 में निचली अदालत ने 5 दोषियों राम सिंह, पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को फांसी की सजा सुनाई थी। ट्रायल के दौरान मुख्य आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। एक अन्य नाबालिग आरोपी होने की वजह से 3 साल में सुधार गृह से छूट गया। बाकी बचे 4 आरोपी पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को 20 मार्च 2020 को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई।
भारत और दुनिया में 16 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं:
1631 : इटली के वेसुवियस पर्वत का ज्वालामुखी फटने से छह गांव तबाह हो गए, जिससे चार हजार से अधिक लोग मारे गए।
1733: अमेरिका में ब्रिटिशर्स के विरुद्ध संग्राम शुरू हुआ, जिसे बोस्टन टी-पार्टी कहा जाता है।
1920 : चीन के कान्सू प्रांत में भीषण भूकंप आने से एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत।
1945 : दो बार जापान के प्रधानमंत्री रहे फूमिमारो कनोए ने युद्ध अपराधों का सामना करने की बजाए आत्महत्या कर ली।
1951 : हैदराबाद में सालार जंग संग्रहालय की स्थापना की गई।
1960: अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में दो विमानों के टकराने से 136 लोगों की मौत।
1985 : कलपक्कम में देश के पहले फास्ट ब्रीडर परमाणु रिएक्टर ने काम करना शुरू किया।
2009 : फिल्म निर्माण को एक नए मुकाम पर ले जाते हुए जेम्स कैमरन ने विज्ञान पर आधारित फिल्म ‘अवतार’ का निर्माण किया। दुनियाभर में इस फिल्म ने 2.7 अरब डॉलर की कमाई की।
सेंट जोसेफ स्कूल से 12वीं में 92.4% मार्क्स लाने वाली खुशी शर्मा भोपाल में रहती हैं। 12वीं पास करने के बाद वह IIT की तैयारी कर रहीं हैं। अनलॉक को 6 महीने हो चुके हैं। अब सबकुछ खुल चुका है, लेकिन स्कूल और कोचिंग इंस्टीट्यूट अब तक बंद हैं। खुशी कहती हैं कि ऑनलाइन क्लासेस उतनी इफेक्टिव नहीं हैं, जितनी फिजिकल क्लासेस होती हैं।
यही हाल इंदौर में NEET की तैयारी कर रहे आदित्य पाटीदार का भी है। उन्हें अगली साल मई में होने वाले NEET का एग्जाम देना है। आदित्य कहते हैं कि ऑनलाइन क्लासेस से तैयारी वैसी नहीं हो पा रही है, जिसकी NEET जैसे कॉम्पीटिटिव एग्जाम में जरूरत है।
इंदौर में एक निजी कोचिंग इंस्टीट्यूट में IIT की तैयारी करा रहे विकास लोया कहते हैं कि वे और उनकी टीम ऑनलाइन क्लासेस को इफेक्टिव बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन फिजिकल क्लासेस की बात ही दूसरी है। यह तब और ज्यादा जरूरी हो जाती है, जब बात IIT ओर NEET जैसे एग्जाम की तैयारियों की हो।
कन्फ्यूजन भी है
MHRD मंत्री रमेश पोखरियाल ने जानकारी दी कि इस बार के JEE और NEET के एक्जाम तीन या चार बार होंगे। लेकिन क्लासेस और एक्जाम पैटर्न को लेकर अभी भी क्लियरिटी नहीं है।
सिलेबस को लेकर जो कन्फ्यूजन था, अब वह बच्चों के लिए भारी पड़ रही है। पहले यह कहा जा रहा था कि इस बार के IIT और NEET के एक्जाम का सिलेबस छोटा कर दिया जाएगा। अब सरकार ने साफ कर दिया है कि सिलेबस में कोई बदलाव नहीं होगा। विकास कहते हैं कि जिन बच्चों ने छोटे सिलेबस के आधार पर तैयारी शुरू की थी, उन्हें अब पूरा सिलेबस पढ़ना होगा, लेकिन समय ज्यादा निकल चुका है। उनके लिए सिलेबस कवर करना आसान नहीं होगा।
खुशी और आदित्य कहते हैं कि सरकार को गाइडलाइन को लेकर क्लियर रहना चाहिए। सस्पेंस बनाकर रखना ठीक नहीं है। इससे हमें एस्पायरेंट के तौर पर काफी दिक्कत होती है। सरकार को अब फाइनल गाइडलाइंस जारी करनी चाहिए।
कन्फ्यूजन और ऑनलाइन क्लासेस की समस्याओं का क्या है समाधान?
एक्सपर्ट विकास के मुताबिक, हम सरकारी गाइडलाइन की वजह से खुद का नुकसान नहीं कर सकते। हमें सबकुछ भूल कर बस एक बात पर फोकस करना चाहिए कि एक्जाम होंगे। आप इस माइंडसेट के साथ रहेंगे तो आपका फोकस सिर्फ बेहतर तैयारी पर होगा।
अबतक जो सिलेबस को लेकर कन्फ्यूज थे और जिन्होंने शॉर्ट सिलेबस के आधार पर तैयारियां की हैं, उन्हें भी ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। जितना समय है उसे सिर्फ और सिर्फ फोकस के साथ सिलेबस को कवर करने में खर्च करें।
विकास कहते हैं कि हम ऑनलाइन क्लासेस को लेकर लेकर यूज-टू नहीं हैं। पढ़ने और पढ़ाने के प्रॉसेस में यूज-टू हो तो जाएंगे, लेकिन कॉम्पीटिटिव एग्जाम में इस तरह की नई चीजों को एक्सप्लोर करने में कहीं न कहीं फोकस डिस्ट्रैक्ट होता है। हालांकि, जो बच्चे ऑनलाइन क्लास में किसी तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं, वे इसे खुद के स्तर पर काउंटर कर सकते हैं।
छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के लिए मुश्किलें ज्यादा
विकास कहते हैं कि बड़े शहरों के ज्यादातर बच्चे आधुनिक सुविधाओं और तकनीक से लैस हैं। उन्हें साथी और सीनियर भी मिल जाते हैं। लेकिन छोटे शहरों में जहां ऐसे एक्जाम की तैयारियों का कोई बड़ा हब या माहौल नहीं हैं, वहां के बच्चों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कहीं न कहीं ऐसे बच्चों का कॉन्फिडेंस भी कम हुआ है और उनकी तैयारी भी प्रभावित हुई है।
जो बच्चे इस तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उनके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि वे तैयारियों को लेकर कंस्ट्रक्टिव रहें। जिस टॉपिक पर डाउट है, उसे सॉल्व करने के लिए खुद का बेस्ट दें। अगर नहीं हो रहा है तो मार्क करें और आगे बढ़ें। इससे आप खुद का समय खराब करने से बच जाएंगे। जो एरिया वीक हो उसपर ज्यादा फोकस करें। खुद का मॉक टेस्ट लें और जब भी मौका मिले अपने टीचर्स से डाउट्स क्लियर करें।
घर पर रहकर ऑनलाइन क्लासेस के जरिए तैयारी कर रहें हैं तो इन 4 बातों का रखें ध्यान
1- सोशल मीडिया का कम से कम इस्तेमाल करें
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, आजकल कई सोशल मीडिया ऐप हैं। कुछ तो ऐसे हैं, जो सिर्फ टीनएजर के लिए हैं। ऐसे ऐप से बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ गया है, जो उनकी तैयारियों में बहुत बड़ी रुकावट हैं।
इससे बहुत ज्यादा डिस्ट्रैक्शन हो रहा है। सबसे पहले बच्चों को अपने फोन से बेवजह के ऐप डिलीट करने चाहिए और जितना ज्यादा हो सके स्क्रीन टाइम को कम करना चाहिए।
2- पढ़ाई के लिए घर में एक अलग जगह तय करें
घर पर पढ़ाई तो कर सकते हैं, लेकिन वहां क्लास जैसा माहौल नहीं बन पाता। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि बच्चे घर में एक अलग जगह तलाशें, जहां उन्हें कोई डिस्टरबेंस न हो। घर पर क्लास का माहौल बनाना जरूरी है।
3- टीवी और न्यूज पर ज्यादा ध्यान न दें
बच्चे एग्जाम से जुड़ी न्यूज अपडेट पर काफी फोकस करते हैं। एक क्लियर गाइडलाइंस और पॉलिसी का वेट करते हैं। सबकुछ क्लियर होने तक ये सारी चीजें उनके दिमाग में घूमती रहती हैं।
बच्चों को इसकी फिक्र बिलकुल नहीं करनी चाहिए कि एग्जाम कब होंगे, कैसे होंगे बल्कि पूरा फोकस तैयारियों पर रखना चाहिए।
4- स्ट्रेस न लें और छोटे-छोटे ब्रेक लेते रहें
तैयारियों के समय और खासकर तब जब एग्जाम नजदीक आ जाता है, बच्चे बहुत ही ज्यादा स्ट्रेस लेने लगते हैं। इस वजह से उनकी परफॉर्मेंस उतनी अच्छी नहीं हो पाती जितना कि उनका लेवल होता है। इसलिए सबसे ज्यादा जरूरी है कूल रहना और पेशेंस के साथ एग्जाम की तैयारी करना।
ऐसे स्ट्रेस से बचने के लिए बच्चे स्टडी के दौरान छोटे-छोटे ब्रेक ले सकते हैं। कई बार लंबी सिटिंग भारी पड़ जाती है। बच्चे चाहें तो ब्रेक के दौरान म्यूजिक, गेम्स और दूसरी हॉबीज का सहारा ले सकते हैं, इससे स्ट्रेस कम होता है।