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प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन ने व्हाइट हाउस के लिए कुछ नई नियुक्तियां की हैं। भारतीय मूल की अमेरिकी माला अडिगा को प्रेसिडेंट इलेक्ट की पत्नी जिल बाइडेन का पॉलिसी डायरेक्टर बनाया गया है। खास बात ये है कि माला राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी बाइडेन और कमला हैरिस के साथ लगातार थीं। उस दौरान माला ने बतौर कैम्पेन पॉलिसी एडवाइजर काम किया था। माला एकेडमिक स्ट्रैटजिस्ट हैं। इसके अलावा उन्हें फॉरेन पॉलिसी के बारे में गहरी जानकारी है। बराक ओबामा के दूसरे कार्यकाल में माला बतौर एडवाइजर काम कर चुकी हैं।
अहम भूमिका होगी
जिल बाइडेन पहले ही साफ कर चुकी हैं कि वे व्हाइट हाउस में आने के बाद यानी फर्स्ट लेडी बनने के बाद भी प्रोफेसर के तौर पर अपना काम करती रहेंगी। यानी फर्स्ट लेडी बनने के बाद भी नौकरी करती रहेंगी। इसलिए माला की जिम्मेदारी ज्यादा होगी। क्योंकि, जिल नौकरी में व्यस्त रहेंगी। माला के बाइडेन परिवार से काफी करीबी रिश्ते रहे हैं। वे बाइडेन फाउंडेशन में हायर एजुकेशन और मिलिट्री फैमिली विंग की डायरेक्टर भी हैं। हालांकि, ताजा नियुक्ति के बाद उन्हें फाउंडेशन से हटना पड़ेगा। क्योंकि, जिल की टीम में आने के बाद वे फेडरल एडमिनिस्ट्रेशन का हिस्सा बन जाएंगी।
ओबामा के दौर में भी व्हाइट हाउस में रहीं
माला 2008 में बराक ओबामा एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़ीं। उस दौरान वे एजुकेशन सेक्रेटरी थीं। इसके अलावा स्टेट डिपार्टमेंट यानी विदेश विभाग में भी उन्होंने कुछ वक्त बिताया। महिलाओं से जुड़े वैश्विक मामलों पर बनी कमेटी में भी माला की अहम भूमिका थी।
अडिगा नेशनल सिक्युरिटी में ह्यूमन राइट्स डिपार्टमेंट को भी लीड कर चुकी हैं। माला इलिनोइस में रहती हैं और उन्होंने मिनेसोटा कॉलेज से पब्लिक हेल्थ और शिकागो लॉ स्कूल से ह्यूमन राइट्स में उपाधियां हासिल की हैं।
कुछ और अपॉइंटमेंट्स होंगे
माना जा रहा है कि बाइडेन की ट्रांजिशन टीम जल्द ही कुछ और नियुक्तियों की घोषणा करेगी। सोमवार या मंगलवार को चार से पांच अपॉइंटमेंट्स का ऐलान किया जा सकता है। माना जा रहा है कि इनमें भी भारतीय मूल के कुछ अफसर हो सकते हैं। डॉ. विवेक मूर्ति को बाइडेन का स्पेशल एडवाइजर हेल्थ बनाया जा सकता है। इसके अलावा वे फेडरल हेल्थ सेक्रेटरी भी बनाए जा सकते हैं।
दिल्ली और केरल में कोरोना की तेज रफ्तार बरकरार है। हालांकि, यहां शुक्रवार को नए केस से ज्यादा मरीज ठीक होने से एक्टिव केस में बढ़ोतरी नहीं हुई। देश में 24 घंटे में 3908 एक्टिव केस कम हो गए। अब 4.39 लाख मरीजों का इलाज चल रहा है। शुक्रवार को देश में 46 हजार 288 नए केस आए, 48 हजार 881 मरीज ठीक हो गए और 563 की मौत हो गई। अब तक 90.50 लाख केस आ चुके हैं। 84.75 लाख मरीज ठीक हो गए और 1.32 लाख मरीजों की मौत हो चुकी है।
IAS एकेडमी मसूरी में 33 ट्रेनी अफसर कोरोना पॉजिटिव
मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में 33 ट्रेनी ऑफिसर की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। अकादमी के पांच होस्टल एरिया को कंटेनमेंट जोन बना दिया गया है। इसके साथ ही अकादमी को 48 घंटे के लिए सील कर दिया गया।
पीएम मोदी ने वैक्सीन की स्थिति जानी
शुक्रवार रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में कोरोना वैक्सीन की स्थिति की समीक्षा की। इस बैठक में वैक्सीन के डेवलपमेंट, इस्तेमाल के लिए मंजूरी और खरीद के मसले पर बात की गई।
प्रधानमंत्री मोदी के ट्विटर अकाउंट से यह जानकारी दी गई। इसमें बताया गया कि वैक्सीन की प्राथमिकता वाले ग्रुप, स्वास्थ्यकर्मियों तक पहुंच, कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई।
Held a meeting to review India’s vaccination strategy and the way forward. Important issues related to progress of vaccine development, regulatory approvals and procurement were discussed. pic.twitter.com/nwZuoMFA0N
राज्य में गुरुवार को 7546 लोग संक्रमित मिले। 6685 लोग रिकवर हुए और 98 की मौत हो गई। अब तक 8 हजार 41 लोग जान गंवा चुके हैं। संक्रमितों की संख्या भी बढ़कर 5 लाख 10 हजार 630 हो गई है। इनमें 43 हजार 221 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 59 हजार 368 लोग ठीक हो चुके हैं।
2. मध्यप्रदेश
राज्य में गुरुवार को 1363 नए केस मिले। 887 लोग रिकवर हुए और 14 की मौत हो गई। इसी के साथ संक्रमितों का आंकड़ा अब 1 लाख 88 हजार 18 हो गया है। इनमें 1 लाख 75 हजार 89 लोग ठीक हो चुके हैं। 9800 मरीजों का इलाज चल रहा है। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 3129 हो गई है।
3. राजस्थान
गुरुवार को राज्य में 2549 लोग संक्रमित पाए गए। 1844 लोग रिकवर हुए और 15 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 34 हजार 907 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 20 हजार 168 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 12 हजार 623 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 2116 हो गई है।
4. महाराष्ट्र
राज्य में गुरुवार को 5535 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। 5860 लोग रिकवर हुए और 154 की मौत हो गई। अब तक 17 लाख 63 हजार 55 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 79 हजार 738 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 16 लाख 35 हजार 971 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 46 हजार 356 हो गई है।
5. उत्तरप्रदेश
पिछले 24 घंटे में कोरोना के 2586 नए मामले सामने आए। मौजूदा समय 22 हजार 757 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। 4 लाख 88 हजार 911 लोग ठीक हो चुके हैं। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में रिकवरी रेट 94.18% है। संक्रमित लोगों में से कुल 7480 लोगों की मौत हुई है।
दिल्ली और केरल में कोरोना की तेज रफ्तार बरकरार है। हालांकि, यहां शुक्रवार को नए केस से ज्यादा मरीज ठीक होने से एक्टिव केस में बढ़ोतरी नहीं हुई। देश में 24 घंटे में 3908 एक्टिव केस कम हो गए। अब 4.39 लाख मरीजों का इलाज चल रहा है। शुक्रवार को देश में 46 हजार 288 नए केस आए, 48 हजार 881 मरीज ठीक हो गए और 563 की मौत हो गई। अब तक 90.50 लाख केस आ चुके हैं। 84.75 लाख मरीज ठीक हो गए और 1.32 लाख मरीजों की मौत हो चुकी है।
IAS एकेडमी मसूरी में 33 ट्रेनी अफसर कोरोना पॉजिटिव
मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में 33 ट्रेनी ऑफिसर की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। अकादमी के पांच होस्टल एरिया को कंटेनमेंट जोन बना दिया गया है। इसके साथ ही अकादमी को 48 घंटे के लिए सील कर दिया गया।
पीएम मोदी ने वैक्सीन की स्थिति जानी
शुक्रवार रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में कोरोना वैक्सीन की स्थिति की समीक्षा की। इस बैठक में वैक्सीन के डेवलपमेंट, इस्तेमाल के लिए मंजूरी और खरीद के मसले पर बात की गई।
प्रधानमंत्री मोदी के ट्विटर अकाउंट से यह जानकारी दी गई। इसमें बताया गया कि वैक्सीन की प्राथमिकता वाले ग्रुप, स्वास्थ्यकर्मियों तक पहुंच, कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई।
Held a meeting to review India’s vaccination strategy and the way forward. Important issues related to progress of vaccine development, regulatory approvals and procurement were discussed. pic.twitter.com/nwZuoMFA0N
राज्य में गुरुवार को 7546 लोग संक्रमित मिले। 6685 लोग रिकवर हुए और 98 की मौत हो गई। अब तक 8 हजार 41 लोग जान गंवा चुके हैं। संक्रमितों की संख्या भी बढ़कर 5 लाख 10 हजार 630 हो गई है। इनमें 43 हजार 221 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 4 लाख 59 हजार 368 लोग ठीक हो चुके हैं।
2. मध्यप्रदेश
राज्य में गुरुवार को 1363 नए केस मिले। 887 लोग रिकवर हुए और 14 की मौत हो गई। इसी के साथ संक्रमितों का आंकड़ा अब 1 लाख 88 हजार 18 हो गया है। इनमें 1 लाख 75 हजार 89 लोग ठीक हो चुके हैं। 9800 मरीजों का इलाज चल रहा है। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 3129 हो गई है।
3. राजस्थान
गुरुवार को राज्य में 2549 लोग संक्रमित पाए गए। 1844 लोग रिकवर हुए और 15 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 34 हजार 907 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 20 हजार 168 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 2 लाख 12 हजार 623 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 2116 हो गई है।
4. महाराष्ट्र
राज्य में गुरुवार को 5535 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। 5860 लोग रिकवर हुए और 154 की मौत हो गई। अब तक 17 लाख 63 हजार 55 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 79 हजार 738 मरीजों का इलाज चल रहा है, जबकि 16 लाख 35 हजार 971 लोग ठीक हो चुके हैं। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 46 हजार 356 हो गई है।
5. उत्तरप्रदेश
पिछले 24 घंटे में कोरोना के 2586 नए मामले सामने आए। मौजूदा समय 22 हजार 757 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। 4 लाख 88 हजार 911 लोग ठीक हो चुके हैं। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में रिकवरी रेट 94.18% है। संक्रमित लोगों में से कुल 7480 लोगों की मौत हुई है।
कोरोना एक बार फिर डराने लगा है। कुछ दिन तक इसके नए मामलों में कमी आने के बाद अब फिर से नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। गुरुवार को 47 दिन बाद देश में रिकवरी से नए मामलों की संख्या बढ़ी। गुरुवार को देशभर में 46,185 मामले सामने आए। 45, 246 मरीज ठीक हुए। 583 मौतें हुईं। नतीजा एक्टिव केस में 343 की बढ़ोतरी हो गई। 3 अक्टूबर से ही देश में एक्टिव केसेस की संख्या कम हो रही थी।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या देश में कोरोनावायरस की दूसरी लहर आ गई है? इसका कोई भी जवाब देना अभी जल्दबाजी होगी। जून में WHO की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने कहा था, कोरोना की दूसरी लहर आ सकती है, क्योंकि वायरस अब भी कम्युनिटी में मौजूद है।
महामारी में दूसरी लहर आ रही है, इसका पता इससे लगाया जाता है कि पहले केस तेजी से बढ़े, फिर कम होने लगे, लेकिन फिर तेजी से मामले बढ़ने लगे। हमारे देश में अब ग्राफ कुछ ऐसा ही दिख रहा है। 16 सितंबर को पीक आने के बाद नए मामलों में गिरावट आने लगी थी। 16 नवंबर को देश में एक दिन में सबसे कम 28,555 नए मामले सामने आए थे। लेकिन उसके बाद से मामले फिर बढ़ने लगे हैं।
क्यों सता रहा है कोरोना की दूसरी लहर का डर?
कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि देश में कोरोना की दूसरी लहर का खतरा बढ़ गया है, क्योंकि मामलों में कई दिनों की गिरावट के बाद नए मामले फिर तेजी से बढ़ने लगे हैं। नए मामले बढ़ने का मतलब एक्टिव केस बढ़ना और रिकवरी रेट घटना।
देश में 16 सितंबर को पीक आया था। उस दिन अब तक के सबसे ज्यादा 97 हजार 860 नए मामले सामने आए थे। लेकिन, उसके बाद मामले कम होने लगे थे। पीक आने के बाद 16 नवंबर को सबसे कम 28 हजार 555 मामले आए थे। लेकिन, 19 नवंबर को 46 हजार 185 संक्रमित सामने आए।
इसके अलावा कई राज्यों में भी अब हालात बिगड़ने लगे हैं। दिल्ली में तो कोरोना की तीसरी लहर आ गई है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी कह चुके हैं कि यहां तीसरी लहर चल रही है। मतलब जो हालात जून में थे, अब वही हालात फिर से हो गए हैं। दिल्ली के अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल, हरियाणा जैसे राज्यों में भी दूसरी लहर का खतरा बढ़ रहा है।
दूसरी लहर से बचने के लिए क्या कर रही हैं सरकारें?
केंद्र सरकार ने हेल्थ एक्सपर्ट की टीमें बनाई हैं, जो हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और मणिपुर में जाकर वहां के हालातों की निगरानी करेंगी। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को कोरोना को काबू करने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है।
मध्य प्रदेशः जिन जिलों में पॉजिटिविटी रेट 5% से ज्यादा है, वहां रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक नाइट कर्फ्यू रहेगा।
राजस्थानः 21 नवंबर से सभी जिलों में धारा-144 लागू होगी। इसका सख्ती से पालन कराने के निर्देश जारी किए गए हैं।
दिल्लीः मास्क न लगाने वाले लोगों पर फाइन 500 रुपए से बढ़ाकर 2000 रुपए किया। हॉटस्पॉट एरिया में पाबंदी लगाई गई है।
गुजरातः सबसे बड़े शहर अहमदाबाद में 20 नवंबर की रात 9 बजे से 23 नवंबर की सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लगाया गया है।
हरियाणाः स्कूल खुलने से 300 से ज्यादा बच्चे संक्रमित। अब 30 नवंबर तक बंद ही रहेंगे। रोज 30 हजार टेस्ट होंगे।
कोरोना की दूसरी लहर का खतरा बढ़ने के दो कारण
1. फेस्टिव सीजनः अक्टूबर में नवरात्रि और नवंबर में दिवाली की वजह से बाजारों में भीड़ बढ़ी। इससे संक्रमण फैल गया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि दिवाली के दौरान बाजारों में लोगों की लापरवाही सामने आई। खरीदारी करते समय न तो लोगों ने मास्क लगाया और न ही डिस्टेंसिंग का पालन किया।
2. सर्दीः वैज्ञानिक पहले ही इस बात की चिंता जता चुके थे कि सर्दियों के मौसम में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ सकते हैं। नीति आयोग की एक रिपोर्ट में भी यही जिक्र था कि सर्दियों में कोरोना खतरनाक हो सकता है। ऐसा हुआ भी। नवंबर से देश में सर्दियां शुरू हो गई हैं और इसी महीने से कोरोना के मामले फिर बढ़ने लगे हैं।
दुनियाभर में अब तक 5.78 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 4.03 करोड़ लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 13.76 लाख लोगों की जान जा चुकी है। अब 1.64 करोड़ मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है, यानी एक्टिव केस। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। अमेरिका में हालात किस कदर बिगड़ रहे हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 24 घंटे में यहां 2 हजार 15 लोगों की मौत हो गई। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लिए भी अच्छी खबर नहीं है। उनका बड़ा बेटा भी पॉजिटिव हो गया है।
और खराब होंगे हालात
अमेरिका में संक्रमितों का आंकड़ा बेहद तेजी से बढ़ रहा है। इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि संक्रमण से मरने वालों की संख्या में भी तेज बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। 24 घंटे के दौरान यहां 2 हजार 15 मरीजों ने दम तोड़ दिया। मई के बाद एक दिन में हुई मौतों का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है। जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी द्वारा जारी डेटा में यह जानकारी दी गई है। इस बीच अमेरिका के ही कुछ जानकारों ने आशंका जताई है कि अगर अब भी आजादी के नाम पर सख्त उपायों को टाला जाता रहा तो अस्पतालों में जगह नहीं बचेगी।
24 घंटे के दौरान अमेरिका में संक्रमितों का आंकड़ा एक लाख 87 हजार और बढ़ गया। अब कुल संक्रमितों की संख्या एक करोड़ 22 लाख से ज्यादा हो चुकी है। 2 लाख 60 हजार संक्रमितों की मौत हो चुकी है। अमेरिका में जनवरी में पहला मामला सामने आया था। दो हफ्ते में हर रोज यह फिगर औसतन 1.5 लाख की रफ्तार से बढ़ रहा है।
ट्रम्प का बेटा भी संक्रमित
राष्ट्रपति चुनाव हार चुके लेकिन कुर्सी न छोड़ने की जिद पर अड़े डोनाल्ड ट्रम्प और पत्नी मेलानिया के बाद बेटा ट्रम्प जूनियर भी पॉजिटिव पाया गया है। द गार्डियन ने यह खबर दी है। ट्रम्प के स्पोक्समैन ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा- राष्ट्रपति के बेटे ने इस हफ्ते की शुरुआत में टेस्ट कराया था। उनकी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी। हमारे लिए यह चिंता की बात है। हालांकि, उनमें किसी तरह के लक्षण फिलहाल दिखाई नहीं दिए हैं।
पिछले महीने राष्ट्रपति और उनकी पत्नी के साथ ही सबसे छोटा बेटा पॉजिटिव पाए गए थे। तब इलेक्शन कैम्पेन का आखिरी दौर चल रहा था। ट्रम्प तीन दिन में रैलियां करने लगे थे।
सीडीसी की अपील
अमेरिका में सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन यानी सीडीसी ने देश के नागरिकों से अपील में कहा है कि वे थैंक्सगिविंग डे पर यात्रा करने से बचें। सीडीसी के डायरेक्टर डॉक्टर हेनरी वेक ने कहा- हम जितना ज्यादा सफर करेंगे, महमारी का खतरा उतनी ही तेजी से फैलता जाएगा और यह सबके लिए खतरनाक है। फिर भी अगर आप यात्रा करना ही चाहते हैं तो हर उस गाइडलाइन का पालन करें जो हमने जारी की हैं। हम जानते हैं कि छुटि्टयों का हर कोई लुत्फ उठाना चाहता है, लेकिन कुछ खतरों को किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। माना जा रहा है कि आज देर रात सीडीसी कुछ नई गाइडलाइन्स जारी कर सकता है।
कहानी- श्रीराम और रावण का युद्ध चल रहा था। राम-लक्ष्मण ने रावण के कई योद्धाओं को मार दिया था। तब रावण ने अपने भाई कुंभकर्ण को नींद से जगाया। कुंभकर्ण बहुत शक्तिशाली था लेकिन ब्रह्मा के वरदान की वजह से वह 6 महीने सोता था। 6 महीने में एक बार उठकर खूब खाता-पीता और फिर सो जाता था।
नींद से जगाकर रावण ने कुंभकर्ण को पूरी बात बताई। कुंभकर्ण धर्म का जानकार था। उसने रावण से कहा "भाई, आपने ये काम अच्छा नहीं किया है। श्रीराम कोई सामान्य इंसान नहीं हैं, देवी सीता का हरण करके आपने लंका के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। श्रीराम के पास लक्ष्मण जैसा भाई है, हनुमान जैसे बलशाली सेवक हैं।"
कुंभकर्ण को ऐसी बातें करता देख रावण ने सोचा कि ये तो ज्ञान की बातें कर रहा है। तब रावण ने अपने भाई के सामने मांस-शराब रखवा दीं। कुंभकर्ण ने मांस खाया, शराब पी। इसके बाद उसकी बुद्धि पलट गई। पहले वह ज्ञान की बातें कर रहा था, लेकिन अब वह खुद श्रीराम से युद्ध करने के लिए तैयार हो गया।
युद्ध भूमि पर कुंभकर्ण और विभीषण का आमना-सामना हुआ। विभीषण बोला "मैंने अपने बड़े भाई रावण को समझाने की बहुत कोशिश की थी लेकिन, रावण ने मुझे ही लात मारकर निकाल दिया। इसके बाद मैं श्रीराम के शरण में आ गया हूं।"
कुंभकर्ण ने कहा "भाई, तूने ये बहुत अच्छा काम किया है कि तू श्रीराम की सेवा में चला गया। इससे अपने कुल का कल्याण होगा। लेकिन, मैं ऐसा नहीं कर सकता। मैंने रावण के मांस-मदिरा का सेवन कर लिया है, मेरे दिमाग पर सिर्फ रावण छाया हुआ है। मैं रावण के बंधन में हूं। सही-गलत जानते हुए भी मैं श्रीराम से युद्ध करूंगा।"
सीख - सही-गलत क्या है, ये हम सभी जानते हैं। लेकिन, गलत लोगों की संगत, बुरी चीजें और बुरी इच्छाएं हमसे गलत काम करवा लेती हैं, इसीलिए ऐसी बातों से बचें।
जम्मू के बिशनाह के नौगरां गांव के रहने वाले जितेंद्र सिंह बचपन से ही सेना में भर्ती होना चाहते थे। उन्होंने इसकी तैयारी भी की। कम हाइट की वजह से उनका सेलेक्शन नहीं हो सका। हारने के बजाय जितेंद्र ने नई पहल की। उन्होंने उन लड़कों को ट्रेनिंग देना शुरू किया, जो सेना में भर्ती होना चाहते थे।
साल 2014 में जितेंद्र सिंह ने गांवों में खेतों के बीच कच्चे रास्ते पर ही कुछ युवाओं को ट्रेनिंग देना शुरू किया। शुरुआत में कुछ ही युवक आते थे। धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ने लगी। थोड़े ही दिनों में इनका ट्रेनिंग सेंटर राइजिंग एथलेटिक क्लब नौगरां (RECN ) के नाम से मशहूर हो गया। फिर भारत-पाकिस्तान सीमा के साथ लगते कई गांवों के युवा सुबह-शाम ट्रेनिंग के लिए आने लगे।
इस ट्रेनिंग स्कूल की खास बात यह है के यहां सेना की ही तरह कोई जाति, धर्म या इलाका मायने नहीं रखता। सेना में जाने की चाह रखने वाला कोई भी नौजवान सिर्फ सौ रुपये प्रति माह देकर ट्रेनिंग ले सकता है। वह जब तक चाहे ट्रेनिंग ले सकता है। गरीब परिवारों से आने वाले कई युवाओं को फ्री में ट्रेनिंग दी जाती है। गांववालों के लिए भी जितेंद्र सिंह एक मिसाल बन रहे हैं। बच्चे उन्हें 'चाचू ' कहकर पुकारते हैं। गांववालों के लिए वह किसी सैनिक अफसर से कम नहीं।
जितेंद्र के ट्रेनिंग सेंटर से निकले 300 से ज्यादा युवा सेना, पैरा मिलिट्री और पुलिस में भर्ती हो चुके हैं। खुले आसमान और कच्चे रास्तों के इस सेंटर से निकले राजेश शर्मा सेना में हवलदार हैं। वह इंटरनेशनल लेवल के शूटर भी हैं। चार युवा देश की प्रतिष्ठित नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) में पोस्टेड हैं। इस समय इस ट्रेनिंग स्कूल में 350 युवा हैं। कुछ सुबह आते हैं। कुछ शाम को तो कुछ दोनों समय ट्रेनिंग लेते हैं। इसका समय सुबह 4:30 बजे से 7 बजे तक और शाम 4 से 6 बजे होता है। सर्दी हो या गर्मी यह सेंटर चलता रहता है।
जितेंद्र सिंह कहते हैं ,'पहले मैंने अपने भाई और बहन के बच्चों को ट्रेनिंग देना शुरू किया। थोड़े दिनों बाद ही वे सेना में भर्ती हो गए। फिर मैंने दूसरे युवाओं को ट्रेनिंग देने का काम शुरू किया। आज मैं बहुत खुश हूं के मुझसे ट्रेनिंग लिए बच्चे अलग-अलग फोर्सेज में जाकर देश की सेवा कर रहे हैं।
यहां सीमा से सटे गावों में लोगों को आए दिन पाकिस्तानी गोलीबारी का सामना करना पड़ता है। इससे यहां के युवाओं के मन में भी सेना और बीएसएफ में भर्ती होने की ललक होती है। ऐसे में जितेंद्र का स्कूल और उनकी ट्रेनिंग का तरीका गांववालों और युवाओं के लिए इंस्पिरेशन है। यहां आने वाले युवा नशाखोरी की आदतों से भी दूर होकर फिजिकल फिटनेस की तरफ बढ़ रहे हैं।
जितेंद्र के छात्र आनंद सिंह पाकिस्तानी सीमा के करीब बसे रामगढ़ सेक्टर से हैं। तीन महीने से यहां आ रहे हैं और सीआईएसएफ के लिए फिजिकल टेस्ट पास कर चुके हैं। वह कहते हैं जब यहां आया था तो बिलकुल जीरो था , जबकि आज फिट हूं। अमित सिंह चाडक कहते हैं कि यह स्कूल देश को कई सैनिक दे चुका है। जितेंद्र उन युवाओं के फॉर्म भरने के पैसे भी खुद देते हैं जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं।
गुजरात के वडोदरा की रहने वाली मीनाबेन शर्मा प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती थीं। सैलरी भी अच्छी थी, लेकिन उनका मन नहीं लगता था। वे कुछ अलग करना चाहती थीं, जिससे उनकी पहचान बने। दो साल पहले उन्होंने नौकरी छोड़कर रोटी बनाने और बेचने का बिजनेस शुरू किया। 100 रोटियों से शुरू हुआ उनका बिजनेस आज 4 हजार तक पहुंच गया है। उनका सालाना टर्नओवर 30 लाख रुपये है। वे कई महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं।
सैलरी अच्छी थी, लेकिन कुछ और करने का मन था
वडोदरा के मुजमहुडा में एमडी कॉर्पोरेशन नाम से रोटी बनाकर बेचने की शुरुआत करने वाली मीनाबेन बताती हैं कि मैंने पोस्ट ग्रेजुएट किया है। दो साल पहले तक एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया। कुछ दिनों बाद काम से मन ऊबने लगा। सोचा कि क्यों न कुछ ऐसा किया जाए ताकि मैं सेल्फ डिपेंडेंट हो सकूं और दूसरी महिलाओं को भी रोजगार दे सकूं। 2018 में वडोदरा जिला उद्योग केंद्र से PMRY योजना के तहत मैंने 7 लाख रुपये का लोन लिया और बिजनेस की शुरुआत की।
गुजरात में ज्यादातर रोटी ही खाई जाती है
रोटी का बिजनेस शुरू करने के विचार के बारे में मीनाबेन कहती हैं कि रोटी तो हर घर में बनती है। इसके बिना तो खाना होता ही नहीं। गुजरात की बात करें तो यहां आमतौर पर चावल कम और रोटी ज्यादा बनती हैं। वडोदरा में नमकीन की ढेरों वैरायटीज हैं। अब यह गृह उद्योग का हिस्सा बन चुका है। लोग घरों में नमकीन की तरह-तरह की वैरायटी तैयार कर दुकानों, रेस्टोरेंट और कंपनियों की कैंटीन तक में सप्लाई करते हैं।
रोटी का बिजनेस बहुत कम लोग ही करते हैं। मैंने थोड़ा बहुत रिसर्च किया तो पता चला कि इसे बिजनेस का रूप दिया जा सकता है। इसमें अच्छा स्कोप है. ऐसे कई लोग हैं यहां जिन्हें वक्त पर सही खाना, खासकर के रोटी नहीं मिल पाती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने रोटी बनाकर बेचने का विचार किया।
साल 2018 में जब बिजनेस शुरू किया तो शुरुआत 100 रोटियों से हुई। धीरे-धीरे ऑर्डर के लिए लोगों से संपर्क करती गई और बिजनेस बढ़ता गया। अब रोजाना करीब 4 हजार रोटियों की सप्लाई करती हूं। मेरी यूनिट में अब 10 महिलाएं भी हैं। इससे मेरा काम ही आसान नहीं होता, बल्कि इन्हें रोजगार भी मिला है। फिलहाल रोटी बनाने की दो मशीनें हैं।
वे बताती हैं कि हमारी रोटियां आमतौर पर इंडस्ट्रियल एरिया की कैंटीन में सप्लाई होती हैं। एक रोटी की कीमत 1.70 रुपए है। अब मैंने रोटी के साथ पूड़ी-पराठे और थेपले का ऑर्डर लेना भी शुरू कर दिया है, जिससे बिजनेस को और आगे ले जा सकूं।
आगे की प्लानिंग के बारे में मीनाबेन कहती हैं कि रोटी बनाने और बेचने के इस बिजनेस में परिवार का भी बड़ा सपोर्ट मिला। इसी सपोर्ट के चलते ही दो साल में बिजनेस आज इस मुकाम पर है, जिसे मैं और आगे ले जाने की कोशिश में लगी हुई हूं। आने वाले दिनों में रोटी बनाने की और मशीनें लगाने की प्लानिंग है, जिससे कई बड़े ऑर्डर ले सकूं।
कानपुर में काला जादू के लिए छह साल की एक बच्ची को उठा लिया गया। गुदगुदे गालों और गहरी काली आंखों वाली बच्ची के साथ गैंगरेप के बाद उसके फेफड़े निकाल लिए गए। अगले दिन मांस की लोथ झाड़ी में पड़ी मिली। शरीर के साबुत हिस्सों पर आलता लगा था। यानी बलात्कार और हत्या से पहले उसकी खूब पूजा हुई थी।
अब चलते हैं अमेरिका के वॉशिंगटन। साल 2016 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में हिलेरी क्लिंटन भी उम्मीदवार थीं। चुनाव प्रचार शुरू हुए और ये लीजिए, काली टोप लगाए झाडू पर उड़ती हिलेरी की तस्वीरों से पूरा वॉशिंगटन भर गया। तस्वीरों में उन्हें हरा रंग दिया गया था, जो कथित तौर पर डायन का रंग है। विरोधियों में खुसफुसाहट होने लगी। कइयों ने कसमें खाईं कि हिलेरी के शरीर से गंधक की तेज गंध आती है। रात उनके अपार्टमेंट से अजीबोगरीब आवाजें सुनाई पड़ने के दावे किए गए। हिलेरी हार गईं।
छत्तीसगढ़ में औरतों से डायन उतारने के लिए उनका शुद्धिकरण होता है। औरत के हाथ-पांव बांध उसे मारा-पीटा जाता है। बीच-बीच में अश्लील गालियों का मंतर फूंका जाता है। ये सब तक तक चलता है, जब तक औरत खुद को डायन न मान ले और खुद अपनी ही देह छोड़कर जाने का ऐलान न कर दे। हम जब डायन शब्द उचारते हैं तो हमारे जहन में केवल औरत का अक्स होता है। खूनी आंखों और बिखरे बालों वाली एक भयानक स्त्री, जो वस्त्रहीन होकर श्मशान में शव-साधना करे।
ये वो औरत है, जिसे न शर्म है और न डर। दोनों ही बातें मर्द समाज को तिलमिला देती हैं। झिझक और डर छूट जाएगा तो औरत मर्द की जगह ले लेगी। तब शुरू होता है एक पुरातन खेल, जिसमें औरत डायन होती है और मर्द उसे साधने वाला खिलाड़ी।
पड़ोसी की दुधारू गाय का दूध उतरना बंद हो जाए तो फटाक से उसी बेशर्म औरत के बाल पकड़े जाते हैं। किसी का खेत सूख जाए तो उस औरत के कपड़े खींचे जाते हैं। और ईश्वर न करे, किसी का बच्चा बीमार हो तब औरत को गांव के चौराहे पर लगभग जला ही दिया जाता है। ये सबकुछ सिर्फ इसलिए कि औरत ने डर और शर्म छोड़ दी।
हिंदी के डायन, चुड़ैल को छोड़ अंग्रेजी को देखें, तो वो भाषा भी हमारे साथ जुगलबंदी करती दिखेगी। वहां विच (witch) शब्द मिलता है यानी डायन। उदार भाषा अंग्रेजी में जादू-टोना करने वाले पुरुषों के लिए भी कुछ शब्द रखे गए, लेकिन वे उतने खौफनाक नहीं। जैसे विजार्ड (wizard) को ही लें तो इसके हिंदी मायने हैं- जादूगर। अब जाहिर है, जादूगर डायन के सामने मासूम ही लगेगा।
इन तथाकथित डायनों के घर-बार पर नजर डालें तो पाएंगे ये अक्सर ताकतवर होती हैं। किसी के पास जमीन-जायदाद होती है तो किसी के पास तर्क की ताकत। कोई-कोई ऐसी भी होती है, जो ज्यादा कुछ नहीं, लेकिन अलग होती है। उसे शादी, बच्चा या सीने-पिराने में मजा नहीं आता। वो शाप दे सकती हैं। मुंह फेर सकती है। ठुकरा सकती है। यहां तक कि सही-गलत का भेद भी बतला सकती है। ऐसी औरतें प्लेग से भी तेजी से फैलती हैं और आसपास की तमाम औरतों को अपने-जैसा बना सकती हैं।
जब औरत ही पालतू न रहेगी तो भला घर कैसे चलेगा। बस, यहीं से शुरू होता है एक आजाद ख्याल या ताकतवर औरत को कुचलने का सिलसिला। उसे डायन करार दे दिया जाता है। मारपीट होती है। बलात्कार होते हैं। और तब तक सजा मिलती है, जब तक वो हारकर अपना औरत होना कुबूल न कर ले। इसका बड़ा फायदा है। उस औरत को देखकर बाकी औरतें भी समझ जाती हैं कि आज्ञाकारिणी बने रहकर ही वे जिंदा रह सकेंगी।
सबकी लगामें एक साथ कस जाती हैं। इससे भी काम न बने, तो एक और टोटका डायनों का इलाज करने वाले मर्द सुझाते हैं। औरत का मुंह काला करके उसे गांवभर की सैर कराओ और फिर बाल छीलकर बिरादरी-बाहर कर दो। बीच-बीच में औकात दिखाने के लिए उसका बलात्कार भी किया जा सकता है।
इसपर भी वो ढीठ औरत जिंदा रह जाए तो और तरीके हैं। वो घर से बाहर निकले तो गांवभर के कपाट बंद करवा दो। उसके घर से खाने की लज्जतदार खुशबू आए तो बच्चों को वहां जाने से रोक दो। ऐसे पक्के इंतजाम करो कि लोग उसके होने से खौफ खाएं। गौर कीजिएगा, मर्द के खौफ से दुनिया रास्ते पर रहती है, वहीं औरत खौफनाक हो जाए, तो दुनिया पटरी से उतर जाती है।
अब ऐसी औरत को ठिकाने लगाना तो जरूरी है। लिहाजा, बस्ती से बाहर खदेड़ी गई औरत को तब तक परेशान किया जाता है, जब तक उसके इरादों का मजबूत किला भरभरा न जाए। अफ्रीका के घाना में तो डायनों का इलाज करने के लिए अलग से विच-कैंप चलते हैं।
विच-हंटिंग शब्द यूं ही नहीं बना। पुराने मर्द जंगलों में शेर का शिकार करते थे। अब के मर्द मजबूत औरत का शिकार करते हैं। ऐसा नहीं है कि डायन की पदवी गांव या पुरानी सोच वालों तक ठहरी। बड़े शहरों में भी बहस के दौरान अक्सर आजाद ख्याल औरतों को डायन बता दिया जाता है। थोड़ा हाथ इसमें टीवी का भी रहा, जो लंबी चोटी वाली खूबसूरत और अपनी मर्जी की मालकिनों को डायनत्व तक पहुंचाती रही।
साल 2020 खत्म होने को है। वक्त के चेहरे पर झुर्रियां आ गईं लेकिन औरतों को लेकर हमारा डर अब भी जवान है। हालांकि औरत को कुचलने की इस सदियों पुरानी मुहिम के बीच एक बदलाव भी दिख रहा है। ढेरों जनानियां हैं, जो डायन शब्द को तमाचा मानने की बजाए उसे अपना रही हैं। वे अपने शिकारी से बचकर भागने की बजाए आंखों में आंखें डालकर ऐलान करने लगी हैं। हां, हम उन डायनों की नातिन-पोतियां हैं, जिनका तुम कत्ल नहीं कर सके थे।
कोरोना युवाओं और स्वस्थ लोगों के ऑर्गन्स को भी डैमेज कर रहा है। हाल ही में हुई एक स्टडी में इसके सबूत मिले हैं। स्टडी के मुताबिक, लो-रिस्क ग्रुप वाले मरीजों में संक्रमण के 4 महीने बाद उनके कई ऑर्गन्स डैमेज पाए गए। स्टडी से उन लक्षणों के बारे में भी पता चला, जो कोरोना से ठीक हुए मरीजों में काफी समय तक बने रहते हैं। इसे ही लॉन्ग कोविड कहते हैं।
स्टडी में क्या पता चला?
स्टडी में शामिल पहले 200 लोगों की शुरुआती रिपोर्ट से पता चला कि 70% मरीजों में एक या एक से ज्यादा ऑर्गन्स को कोरोना से नुकसान हुआ है। इनमें हार्ट, लंग, लीवर और पैंक्रियाज जैसे अंग शामिल हैं।
कैसे की गई स्टडी?
यह स्टडी कवर-स्कैन ने की है। इसमें कोरोना के कम रिस्क वाले ग्रुप (युवा और स्वस्थ लोग) से 500 लोगों की ऑर्गन हेल्थ की जांच की गई, जिनमें कोरोना के लक्षण दिख रहे थे। इसके लिए MRI स्कैन, ब्लड टेस्ट जैसे कई तरीकों का इस्तेमाल किया गया।
25% लोगों में कोरोना ने दो या ज्यादा ऑर्गन्स को प्रभावित किया
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में क्लीनिकल डेटा साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमिताव बनर्जी का कहना है कि स्टडी में एक अच्छी खबर यह है कि ऑर्गन्स में डैमेज हल्के हैं। करीब 25% लोगों में कोरोना ने दो या ज्यादा ऑर्गन्स को प्रभावित किया है। अभी ये जानना जरूरी होगा कि क्या ऑर्गन डैमेज आगे भी जारी रहता है या इसमें सुधार होता है।
कुछ मामलों में लक्षणों और डैमेज साइट के बीच एक कोरिलेशन पाया गया। इसे ऐसे समझें कि पैंक्रियाज और सांस की तकलीफ के साथ गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल के लक्षण और दिल या फेफड़ों के डैमेज के साथ जुड़ा हुआ है। हालांकि, इस स्टडी का पीयर रिव्यू अभी नहीं हुआ है। इसलिए स्टडी में शामिल लोगों की अभी मॉनिटरिंग जारी रहेगी।
लॉन्ग कोविड की कोई मेडिकल परिभाषा या लक्षणों की लिस्ट नहीं है। जो मरीज कोविड-19 निगेटिव हो गए, उन्हें महीनों बाद भी समस्याएं हो रही हैं। कोविड-19 से उबरने के बाद भी लक्षणों का लॉन्ग-टर्म अनुभव ही लॉन्ग कोविड है।
लॉन्ग कोविड से जूझ रहे दो लोगों के लक्षण बिल्कुल अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन, कॉमन लक्षण है थकान। डिप्रेशन, एंग्जाइटी और साफ सोच के लिए संघर्ष जैसी मेंटल हेल्थ समस्याएं भी सामने आ रही हैं। यह मुश्किलें किसी भी व्यक्ति की क्वालिटी ऑफ लाइफ बर्बाद कर सकती हैं।
पहली बार कब हुआ इस शब्द का इस्तेमाल?
लॉन्ग कोविड शब्द का इस्तेमाल पहली बार एलिसा पेरेगो (यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की रिसर्च एसोसिएट) ने मई 2020 में अपने कोविड-19 अनुभवों को शेयर करते हुए किया था।
एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
स्टडी से मिलीं चीजें आगे बढ़ने का तरीका है
इंपीरियल कॉलेज लंदन में इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर डैनी ऑल्टमैन कहते हैं कि लॉन्ग कोविड को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। ऑर्गन्स को बचाने के लिए क्या हो सकता है, इसके बारे में कुछ पता किया जाना चाहिए। इसलिए स्टडी के आधार पर कुछ चीजें इकट्ठा करना शुरू करना ही आगे बढ़ने का तरीका है।
लॉन्ग कोविड से डरने के बजाय केयरफुल रहने की है जरूरत
एम्स दिल्ली में रुमेटोलॉजी डिपार्टमेंट की हेड डॉ. उमा कुमार का कहना है कि कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों को लॉन्ग कोविड से डरने की बजाय केयरफुल रहने की जरूरत है। क्योंकि कई समस्याएं मरीजों को आगे भी परेशान कर सकती हैं। इसलिए कोरोना से बचने के लिए जरूरी सभी सावधानियों का ध्यान रखें। यह कतई न सोचें की कोरोना का आगे कोई असर नहीं होगा।
थकान और एंग्जाइटी जैसी दिक्कतें कई महीनों तक हो रही हैं
उमा कहती हैं कि कोरोना से ठीक होने के बाद मरीजों में हार्ट, लंग, रेस्पिरेटरी, अर्थराइटिस, ज्वाइंटस पेन, स्ट्रोक जैसी समस्याएं आगे भी कंटीन्यू हो रही हैं। कुछ मरीजों में थकान और एंग्जाइटी जैसी दिक्कतें कई महीनों तक बनी रह रही हैं।
कोरोना से उबरने वाले मरीजों को निगेटिविटी से दूर और रीक्रिएशन से जुड़ी एक्टिविटी करनी चाहिए। अच्छी डाइट और अच्छी नींद भी बेहद जरूरी है।
लंबे समय तक कोरोना के लक्षण होने से दिमाग पर पड़ता है असर
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ के मुताबिक, जिन लोगों में लंबे समय तक कोरोना के लक्षण बने हुए हैं, उन पर मानसिक रूप से बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है। उन्हें बेहतर मदद की जरूरत है और हेल्थकेयर स्टाफ को इससे जुड़ी अधिक जानकारी देने की सख्त जरूरत है।
लॉन्ग कोविड एक सिंड्रोम नहीं, बल्कि चार अलग-अलग सिंड्रोम हैं
यूके के वैज्ञानिक और डॉक्टरों ने ग्लोबल कम्युनिटी को आगाह किया है कि लॉन्ग कोविड पर भी फोकस करें। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इस पर विचार करना शुरू कर दिया है। हाल ही में यूके के नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च (NIHR) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लॉन्ग कोविड एक सिंड्रोम नहीं, बल्कि चार अलग-अलग सिंड्रोम हैं।
कितने मरीजों को हो रहा है लॉन्ग कोविड?
ब्रिटेन में कोरोना के 40 हजार मरीजों पर रिसर्च की गई। इनमें से 20% ने कहा कि संक्रमण के 1 माह बाद भी वे पूरी तरह से रिकवर नहीं हो पाए। 190 मरीजों में कोरोना के लक्षण लगातार 8 से 10 हफ्ते तक दिखे। 100 मरीजों ने बताया कि संक्रमण के 10 हफ्ते बाद तक परेशान हुए।
इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप का पॉइंट सिस्टम में बदलाव किया है। अब टीमों की रैंकिंग उनके पॉइंट्स के आधार पर नहीं बल्कि पॉइंट्स के पर्सेंटेज के आधार पर होगी। नए सिस्टम से भारत रैंकिंग में पहले से दूसरे नंबर पर आ गया है। ICC के चीफ एग्जीक्यूटिव मनु साहनी ने कहा कि क्रिकेट कमेटी और चीफ एग्जीक्यूटिव कमेटी दोनों ने इस नए सिस्टम को सपोर्ट किया है। ये कोरोना के कारण टेस्ट न खेल पाने वाली टीमों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
नए सिस्टम के बाद आखिर क्या बदला है? पहले सिस्टम कैसे काम कर रहा था? नए सिस्टम का किस टीम पर क्या असर पड़ेगा? आइये जानते हैं...
टेस्ट चैम्पियनशिप में क्या बदलाव हुआ है?
अनिल कुंबले की अगुवाई वाली ICC की क्रिकेट कमेटी ने टेस्ट चैम्पियनशिप में टीमों की रैंकिंग पर्सेंटेज बेसिस पर कैलकुलेट करने का फैसला किया है। इस नए सिस्टम में टीमों द्वारा खेली गई सीरीज और उस सीरीज में उनके पॉइंट्स के आधार पर पर्सेंटेज निकाला जाएगा।
इससे टीमों की पॉइंट्सटेबल में रैंकिंग में कितना बदलाव आया?
नए सिस्टम से पहले भारत 360 पॉइंट्स के साथ पॉइंट टेबल में टॉप पर था। वहीं, ऑस्ट्रेलिया 292 पॉइंट्स के साथ दूसरे नंबर पर था। नया सिस्टम आने के बाद भारत दूसरे नंबर पर आ गया वहीं, ऑस्ट्रेलिया पहले नंबर पर। इसका कारण भारत का ऑस्ट्रेलिया से एक सीरीज ज्यादा खेलना। हालांकि, बाकी टीमों की रैंकिंग पर इससे कोई असर नहीं पड़ा है।
नया सिस्टम कैसे काम करता है?
कोई टीम अगर अपनी सभी छह सीरीज खेलती है तो अधिकतम 720 पॉइंट्स पा सकती है। छह सीरीज में अगर टीम के कुल 480 पॉइंट्स होते हैं तो उसका पर्सेंटेज पॉइंट 66.67% होगा। वहीं, कोई टीम अगर पांच सीरीज ही खेलती है तो मैक्सिमम पॉइंट्स 600 हो जाएंगे। पांच सीरीज खेलने वाली इस टीम के अगर 450 पॉइंट्स होते हैं तो उसका पर्सेंटेज पॉइंट्स 75% होंगे। ऐसे में पांच सीरीज खेलने वाली टीम छह सीरीज खेलकर 480 पॉइंट्स पाने वाली टीम से ऊपर रहेगी।
तो फिर पहले वाला सिस्टम क्या था और कैसे काम करता था?
2019 में ICC ने टेस्ट चैम्पियनशिप का ऐलान किया। तब ये कहा गया कि अगले दो साल तक टेस्ट रैंकिग की टॉप नौ टीमों के बीच टेस्ट चैम्पियनशिप होगी। इस दौरान हर टीम कुल छह टीमों के खिलाफ सीरीज खेलेगी। तीन सीरीज अपने देश में तीन सीरीज देश के बाहर।
ये सभी सीरीज जून 2021 में टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल से पहले खत्म होनी हैं।
एक सीरीज में चाहे दो मैच हों चाहे पांच सीरीज के लिए कुल 120 पॉइंट्स होते हैं। इस तरह छह सीरीज के लिए अधिकतम 720 पॉइंट्स होंगे। यानी, अगर दो मैच की सीरीज है तो एक मैच जीतने पर टीम को 60 पॉइंट्स मिलते हैं। वहीं, पांच मैचों की सीरीज है तो एक मैच जीतने पर 24 पॉइंट्स मिलते हैं। मैच ड्रॉ होने पर दोनों टीमों को बराबर पॉइंट्स मिलते हैं।
1 अगस्त 2019 को इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया टेस्ट मैच इस चैम्पियनशिप का पहला मैच था।
अब आगे भी जो सीरीज खेली जाएंगी उनमें भी इसी तरह से पॉइंट्स मिलने हैं। जैसे- भारत ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार मैच की सीरीज खेलने जा रहा है। इस सीरीज का एक मैच जीतने पर टीम इंडिया को 30 पॉइंट्स मिलेंगे। मैच टाई होता है तो 15 और ड्रॉ होता है तो 10 पॉइंट्स।
जब पॉइंट्सपहले की ही तरह मिलेंगे तो नया सिस्टम क्यों लाया गया?
कोरोना के कारण मार्च 2020 के बाद कई टीमों की सीरीज रद्द हुई। ICC जून 2021 में ही टेस्ट चैम्पियनशिप का फाइनल कराना चाहता है। ऐसे में जो सीरीज रद्द हुईं, उन्हें इतनी जल्दी नहीं कराया जा सकता है।
नई स्थिति में कुछ टीमें मार्च 2021 तक टेस्ट चैम्पियनशिप की पांच सीरीज खेल पाएंगी तो कुछ छह वहीं, पाकिस्तान-बांग्लादेश की एक सीरीज तो बीच में ही रुक गई। बांग्लादेश तो मार्च 2021 तक सिर्फ ढाई सीरीज ही खेल पाएगा।
ऐसे में डायरेक्ट पॉइंट्स सिस्टम में सभी टीमों को बराबर मौका नहीं मिल सकता था। इससे गैर-बराबरी को दूर करने के लिए आईसीसी को पर्सेंटेज पॉइंट्स सिस्टम लाना पड़ा।
नया सिस्टम टीमों के फाइनल में पहुंचने की संभावना पर कितना असर डालेगा?
नया सिस्टम पॉइंट टेबल पर बहुत ज्यादा असर डाले इसकी संभावना बहुत कम है। अभी जिस तरह की स्थिति है उसमें सिर्फ न्यूजीलैंड और इंग्लैंड ही ऐसी दो टीमें है जो भारत और ऑस्ट्रेलिया को टॉप-2 से नीचे कर सकने की स्थित में हैं।
न्यूजीलैंड को अभी वेस्टइंडीज और पाकिस्तान से अपने घर में खेलना है। वहीं, इंग्लैंड को फरवरी में भारत के खिलाफ भारत में पांच मैचों की सीरीज खेलनी है।
अगर न्यूजीलैंड अपनी दोनों सीरीज जीत लेता है। इंग्लैंड भारत को हरा देता है और ऑस्ट्रेलिया साउथ अफ्रीका से हार जाता तो ये टेस्ट चैम्पियनशिप बहुत रोमांचक हो जाएगी। क्योंकि, पॉइंट्स टेबल में टॉप पर रहने वाली दो टीमें जून में होने वाले फाइनल में आमने-सामने होंगी।
भारत के पास अब फाइनल खेलने के लिए क्या करना होगा?
सबसे पहले उसे ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलना है। स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर की वापसी के बाद भारत के लिए ये सीरीज उतनी आसान नहीं होने जा रही जितनी आसान 2018-19 की पिछली सीरीज थी। ऊपर से कप्तान विराट कोहली भी सीरीज के अंतिम तीन मैचों से हट सकते हैं। ऐसे में उसकी मुश्किलें बढ़ेगी। इसके बाद उसे फरवरी में इंग्लैंड से अपने घर में 5 टेस्ट की सीरीज खेलना है। यहां उसके जीतने की संभावनाएं अधिक हैं।
ऐसे में टीम इंडिया के लिए कुछ संभावित गणित इस तरह के हैं
पहली स्थिति
अगर भारत ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के सभी मैच हार जाए और इंग्लैंड के खिलाफ सभी मैच जीत जाए तो उसके कुल 480 अंक और 66.67% पॉइंट पर्सेंटेज होगा।
वहीं, न्यूजीलैंड अगर अपने घर में होने वाली दोनों सीरीज के सभी मैच जीत लेता हो तो उसके 420 अंक और 70% पॉइंट्स पर्सेंटेज हो जाएंगे। ऐसे में टीम इंडिया फाइनल की दौड़ से बाहर हो सकती है।
दूसरी स्थिति
अगर भारत इंग्लैड से अपने सभी मैच जीत जाए और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज 3-1 से हार जाए, तो उसके पास 510 पॉइंट और 70.83% पॉइंट पर्सेंटेज होगा। ऐसे में न्यूजीलैंड अपने घर की दोनों सीरीज के सभी मैच जीतकर भी भारत से पीछे रहेगा।
तीसरी स्थिति
अगर भारत इंग्लैड से अपने सभी मैच जीत जाए और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज 2-0 से हार जाए, तो उसके 500 पॉइंट और 69.44% पॉइंट पर्सेंटेज रह जाएगा। इस स्थिति में अगर न्यूजीलैंड अपने सभी मैच जीतती है तो भारत के लिए मुश्किल हो सकती है।
हालांकि, अगर न्यूजीलैंड दोनों सीरीज में से एक भी मैच हारता है तो भारत के लिए आसानी हो सकती है। क्योंकि न्यूजीलैंड की दोनों सीरीज दो-दो मैचों की है। एक भी हार उसे 60 पॉइंट का नुकसान कराएगी।
आपने गाने भी सुने होंगे। कभी ना कभी किसी को वॉयस मैसेज भी भेजा होगा। आवाज रिकॉर्ड करना। रिकॉर्डेड आवाज सुनना आज बहुत ही सहज सी बात लगती है। ये सब आज ही के दिन संभव हो पाया था। जब पहली बार आवाज को रिकॉर्ड करके फिर सुना गया था।
जब 1877 में थॉमस अल्वा एडिसन ने दुनिया का पहला फोनोग्राफ बनाया। इस फोनोग्राफ में आवाज को रिकॉर्ड किया जा सकता था और बाद में सुना भी जा सकता था। लेकिन ये खोज एक प्री-प्लान खोज नहीं थी, बल्कि एक एक्सीडेंटल खोज थी।
दरअसल, बल्ब का अविष्कार करने वाले एडिसन टेलीग्राफ और टेलीफोन से जुड़ी खोज कर रहे थे। वो मैसेज को पेपर टेप पर उतारने और फिर उन्हें टेलीग्राफ के जरिए भेजने वाली मशीन बना रहे थे। इसी दौरान उन्होंने अपनी ही रिकॉर्ड की हुई आवाज को दोबारा सुना। एडिसन ने "मैरी हैड ए लिटिल लैब" नर्सरी राइम गाई और उसे रिकॉर्ड करके दोबारा सुना। फोनोग्राफ ही आगे चलकर ग्रामोफोन के नाम से मशहूर हुआ।
एक महीने चला भारत-चीन युद्ध खत्म हुआ
20 अक्टूबर 1962 को भारत और चीन के बीच युद्ध शुरू हुआ था। चीन के भारतीय इलाकों पर कब्जों के दावों के बाद दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के सामने आ गई थीं। एक महीने चले युद्ध में भारत के करीब 11-12 हजार सैनिकों का मुकाबला करने के लिए चीन ने अपने 80 हजार से ज्यादा सैनिक मैदान में उतार दिए थे।
पूरे एक महीने बाद 20 नवंबर को चीन ने युद्ध विराम की घोषणा कर दी। साथ ही विवादित क्षेत्र से हटने के लिए भी राजी हो गया। इसके बाद 21 नवंबर 1962 को ये युद्ध समाप्त हो गया। इस युद्ध में भारत की ओर से 1 हजार 383 भारतीय जवान शहीद हुए। वहीं, चीन के 722 सैनिक मारे गए थे।
इस युद्ध की भूमिका करीब चार महीने पहले हुए एक विवाद से पड़ी। दरअसल, भारतीय गोरखा सैनिकों ने 4 जुलाई 1962 में घाटी में पहुंचने के लिए एक पोस्ट बनाई थी। इस पोस्ट ने समांगलिंग के एक चीनी पोस्ट के कम्युनिकेशन नेटवर्क को काट दिया। जिसे चीन ने अपने ऊपर हमला बताया था।
इसके बाद चीन के सैनिकों ने गोरखा पोस्ट को 100 गज की दूरी पर घेर लिया था। भारत ने चीन को धमकी दी थी कि वह इसे किसी भी कीमत पर खाली कराकर रहेगा। इसके बाद भारत ने चार महीने तक इस पोस्ट पर हेलिकॉप्टर के जरिए खाद्य और सैन्य सप्लाई जारी रखी थी। इससे बौखलाए चीन अरुणाचल के तवांग और जम्मू कश्मीर के चोसुल में भारतीय सीमा के अंदर घुस आया। इसी के बाद युद्ध शुरू हुआ।
1970 में आज ही के दिन हुआ था नोबेल विजेता महान वैज्ञानिक सीवी रमन का निधन
आज ही के दिन 1970 में महान वैज्ञानिक सीवी रमन का निधन हुआ था। उन्होंने लाइट स्कैटरिंग के इफेक्ट पर अहम खोज की थी। फिजिक्स में इसे उनके नाम पर रमन इफेक्ट कहा जाता है। 28 फरवरी 1928 को उन्होंने ये खोज की थी इसलिए हर साल 28 फरवरी को नेशनल साइंस डे मनाया जाता है।
उनकी इस खोज के लिए सीवी रमन को 1930 में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। नोबेल पुरस्कार पाने वाले वो एशिया के पहले वैज्ञानिक थे। 1954 में फिजिक्स में उनके योगदान के लिए भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया। उन्होंने ऑप्टिक्स और अकोस्टिक्स पर कई किताबें भी लिखीं थी। फॉरेंसिक साइंस में भी रमन इफेक्ट काफी मददगार साबित होता है। इसी की वजह से ये पता लगाना आसान हो गया है कि कौन-सी घटना कब और कैसे हुई थी।
भारत और दुनिया में 21 नवंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैंः
1571: दिल्ली के शासक सिकंदर लोधी का निधन।
1783: हॉट एयर बलून में पहली बार दो लोगों ने पेरिस में उड़ान भरी थी। ये गुब्बारा मॉन्ट गोल्फेयर ब्रदर्स ने बनाया था। हालांकि, इसमें सफर करने वाले फ्रांस के दो आम नागरिक थे।
1906: चीन ने अफीम के बिजनेस पर रोक लगाई।
1963: केरल के थुंबा से 'नाइक-अपाचे' नाम का पहला रॉकेट छोड़ा गया। इसी के साथ भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरु हुआ।
1965: रूस(उस वक्त सोवित संघ) ने पूर्वी कजाकिस्तान में न्यूक्लियर टेस्ट किया।
1996: यूनाइटेड नेशन ने आज के दिन को वर्ल्ड टेलीविजन डे के रूप में घोषित किया। स्कॉटलैंड के इंजीनियर जॉन लॉगी बेयर्ड ने टेलीविजन का अविष्कार किया था।
2017: करीब 37 साल तक जिम्बाब्वे पर शासन करने वाले रॉबर्ट मुगाबे को महाभियोग की कार्यवाही शुरू होने के बाद इस्तीफा देना पड़ा।
1. चीन की टेक्नोलॉजी और डिजिटल क्षेत्र में बढ़ती ताकत, ना सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। चीन की बढ़ती ताकत के सामने क्या हैं बाकी देशों की तैयारी? जानने के लिए पढ़ें ये लेख...
2. अरब देशों में कम वेतन के कारण बड़ी संख्या में डॉक्टर दूसरे देशों में जा रहे हैं। कोरोना के चलते ट्यूनीशिया, लेबनान और अन्य अरब देश पहले ही स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से परेशान हैं। इस मामले में क्या कहना है विश्व स्वास्थ्य संगठन का? जानने के लिए पढ़ें ये लेख...
3. कोविड-19 महामारी के कारण फूड डिलीवरी कंपनियों के मुनाफे में वृद्धि हुई है। अमेरिकी कंपनी डोरडैश का कारोबार 198 प्रतिशत बढ़ा है। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें ये लेख...
4. अफगानिस्तान में तालिबान की मनमानी एक बार फिर देखने को मिल रही है। तालिबान लड़ाके व्यवसायियों और अन्य लोगों से जमकर पैसा वसूल कर रहे हैं। क्या कहना है संयुक्त राष्ट्र का? जानने के लिए पढ़ें ये लेख...