मंगलवार, 15 सितंबर 2020

जबलपुर में ननद और भाभी मिलकर चलाती हैं डेयरी, सालाना 2 करोड़ रु का टर्नओवर; ऑर्डर से डिलीवरी तक सबकुछ ऑनलाइन

मध्य प्रदेश के जबलपुर की वंदना अग्रवाल और डॉक्टर मोनिका अग्रवाल रिश्ते में ननद - भाभी हैं। दोनों में जबरदस्त बॉन्डिंग है, पारिवारिक भी और बिजनेस पार्टनर के तौर पर भी। दोनों मिलकर जबलपुर में डेयरी चलाती है, वो भी हाईटेक डेयरी जहां पूरा सिस्टम कैशलेश और ऑनलाइन है, डिलीवरी से लेकर मेंटेनेंस तक सबकुछ। अभी ये लोग करीब 400 घरों में दूध, पनीर और खोया सप्लाई करती हैं।

वंदना अग्रवाल ने एनवायरमेंटल साइंस से मास्टर्स किया है जबकि मोनिका अग्रवाल वेटरनरी डॉक्टर हैं। वंदना के पापा और हसबैंड दोनों वेटरनरी डॉक्टर हैं। यानी परिवार में तीन लोग वेटरनरी डॉक्टर हैं, इसलिए पशुओं से लगाव होना स्वभाविक है।

वंदना कहती हैं, '2008 में मेरे बेटे की तबीयत खराब हो गई। डॉक्टर ने कहा कि बाहर का दूध नहीं पिलाना है। पैकेट वाला तो बिलकुल भी नहीं। फिर भाई ने भैंस खरीदी और हमने घर का दूध बच्चे को पिलाना शुरू किया। कुछ समय बाद पापा ने कहा कि हमें कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे हमें भी शुद्ध दूध मिले और दूसरों को भी। हमें भी उनका सुझाव ठीक लगा। सोचा, चलो कोशिश करके देखते हैं। इसके बाद मेरे भाई ने चार भैंसों से दूध का छोटा-मोटा काम शुरू किया। तब हमने डेयरी खोलने का या इस तरह से स्टार्टअप शुरू करने के बारे में नहीं सोचा था।

अभी इनके पास 200 से ज्यादा भैंस और 10-12 गायें हैं। ये लोग 400 से ज्यादा घरों में हम दूध की सप्लाई करते हैं।

वंदना बताती हैं, ' पिछले साल भाई ने कहा कि हमें इस काम को आगे बढ़ाना चाहिए। लेकिन परेशानी यह थी कि वह अकेले इस काम को कैसे मैनेज करेगा। फिर मैंने और भाभी ने यह तय किया कि हम दोनों मिलकर बिजनेस संभालेंगे, पापा ने भी हमारा भरपूर साथ दिया। इसके बाद हमने बैंक से लोन लिया और अपनी डेयरी शुरू कर दी।

वंदना प्रोडक्ट प्रमोशन और डिलीवरी का काम संभालती हैं। कहती हैं, 'शुरुआत में कस्टमर्स तक पहुंचने का जरिया माउथ पब्लिसिटी था। जिन्हें हमारा प्रोडक्ट पसंद आता था वे इसके बारे में दूसरों को भी बताते थे। फिर हमने पोस्टर्स चिपकाए और पम्फलेट बांटे, अखबार में इश्तेहार भी दिया। इस तरह धीरे-धीरे हमारे कस्टमर्स बढ़ते गए। साथ ही हमारे यहां पशुओं की संख्या भी बढ़ती गई। अभी हमारे पास 200 से ज्यादा भैंस और 10-12 गायें हैं। 400 से ज्यादा घरों में हम दूध की सप्लाई करते हैं। सालाना 2 करोड़ रुपए का टर्नओवर है। 25 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।

वंदना बताती हैं कि गाय और भैंस का दूध निकालने के बाद उसे अलग- अलग कंटेनर में स्टोर करते हैं। इसके बाद उसकी क्वालिटी की जांच करते हैं।

वंदना की भाभी मोनिका अग्रवाल प्रोडक्ट की क्वालिटी, पशुओं की देखभाल और अकाउंट मेंटेन करने का काम करती हैं। कहती हैं, ' एक डॉक्टर होने के नाते मैं पशुओं के स्वास्थ्य के साथ - साथ उनके दूध की क्वालिटी की भी जांच करती हूं। अगर किसी पशु की तबीयत खराब है या दूध में किसी तरह की दिक्कत है, तो हम उसे अलग आइसोलेट कर लेते हैं। सिर्फ स्वस्थ पशुओं के दूध को ही कस्टमर्स तक पहुंचाते हैं, किसी भी परिस्थिति में हम क्वालिटी से कॉम्प्रोमाइज नहीं करते हैं। यही हमारी ताकत है, यूएसपी है।

कैसे तैयार करते हैं प्रोडक्ट

वंदना बताती हैं कि गाय और भैंस के दूध को अलग- अलग कंटेनर में स्टोर करते हैं। इसके बाद दूध की क्वालिटी की जांच करते हैं। फिर इसे ठंडा करने के लिए बल्क मिल्क कूलर यानी बीएमसी में डालते है। वहां से दूध पैकिंग यूनिट में जाता हैं, जहां उसकी पैकिंग होती है। इसी तरह हम लोग पनीर और खोया भी तैयार करते हैं।

एप्प की मदद से ऑर्डर , डिलीवरी और पेमेंट
वंदना बताती हैं कि हमने दूध और दूसरे प्रोडक्ट की सप्लाई के लिए एक एप्प बनवाया है। 24K milk नाम से यह एप्प गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध हैं। इसे डाउनलोड करने के बाद अपना अकाउंट क्रिएट करना होता है। उसके बाद ऑनलाइन वॉलेट में कुछ अमाउंट ऐड करना होता है।

इसके साथ ही सभी कस्टमर्स को हमने मिल्क स्मार्ट कार्ड दिया है, जिसपर क्यूआर कोर्ड लगा है। जब दूध डिलीवरी करने वाला उनके घर जाता है तो मोबाइल से उनके कार्ड को स्कैन करता है। कार्ड स्कैन करते ही उसके वॉलेट से पैसे कट जाते हैं।

वंदना कहती हैं, ' अगर किसी कस्टमर को किसी दिन दूध नहीं चाहिए तो उसे हमें फोन करने की जरूरत नहीं है। वह एप्प पर अपना वैकेशन डाल सकता है। इतना ही नहीं अगर उसे एक्स्ट्रा दूध या कोई और प्रोडक्ट चाहिए तो उसे भी एप्प के जरिए वह बता सकता है। अगले दिन जब डिलीवरी बॉय उनके घर जाएगा तो दूध के साथ दूसरा प्रोडक्ट भी साथ लेते जाएगा।

दूध की सप्लाई के लिए इन्होंने स्पेशल वैन रखा है। जिसमें दूध को ठंडा रखने की भी व्यवस्था है ताकि गर्मी के चलते दूध खराब नहीं हो।

वो कहती हैं कि सबकुछ कैशलेश और ऑनलाइन होने की वजह से हिसाब- किताब रखने में भी आसानी होती है। रोज का हिसाब, किसको कब-कब कितने का प्रोडक्ट दिया और कब किसकी छुट्टी रही, सबकुछ ऑन रिकॉर्ड होता है।इसके साथ ही जो लोग हमारे रेगुलर कस्टमर नहीं हैं, वे भी हमें फोन करके ऑर्डर कर सकते हैं। हमारे डिलीवरी बॉय के पास एक्सट्रा स्मार्टकार्ड होता है जिससे वे स्कैन कर उन्हें दूध दे देते हैं।

वंदना बताती हैं कि कोरोना के टाइम ऑनलाइन सिस्टम होने का बहुत फायदा हुआ। हमने अपने कस्टमर के घर के दरवाजे या दीवार पर क्यूआर कोर्ड चस्पा कर दिया था। हम उनके यहां दूध रखते थे और हमारे डिलीवरी करने वाले अपने फोन से क्यूआर कोर्ड स्कैन कर लेते थे।

बाहर से चारा खरीदने की जरूरत नहीं होती, गोबर से तैयार करते हैं खाद

वंदना कहती हैं, ' हमें पशुओं के लिए बाहर से चारा खरीदने की जरूरत नहीं होती है। हम अपने फार्म पर ही उनके लिए चारा उगाते हैं और उनके खाने की चीजें तैयार करते हैं। पशुओं के गोबर से हम लोग खाद तैयार करते हैं और आसपास के किसानों को बेच देते हैं। आगे हम गोबर गैस का प्लांट भी लगाने वाले हैं।

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मध्य प्रदेश के जबलपुर की वंदना अग्रवाल और डॉ. मोनिका अग्रवाल डेयरी चलाती हैं। एक साल पहले उन्होंने इसकी शुरुआत की थी। आज 400 उनके कस्टमर्स हैं, 200 से ज्यादा पशु हैं।


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चीन की पूर्व वायरोलॉजिस्ट का दावा- वुहान की सरकारी लैब से ही निकला कोरोनावायरस; ट्रम्प ने भी यही आरोप लगाया था

चीन की एक महिला डॉक्टर ने दावा किया है कि कोरोनावायरस वुहान की सरकारी लैब से निकला था। डॉक्टर लि मेंग यान के मुताबिक, वे वुहान की उसी सरकारी लैब में निमोनिया पर रिसर्च कर रहीं थीं, जहां से कोरोनावायरस निकला। यान ने वही बात दोहराई है जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कई महीनों से कहते आ रहे हैं। ट्रम्प ने मई में कहा था- हम सही वक्त पर दुनिया के सबूत रखेंगे कि कोरोना वुहान के लैब से ही निकला है और यह चीन की साजिश है।

मेरे पास वुहान के सबूत मौजूद
ब्रिटेन के एक टीवी टॉक शो में यान ने कहा- इस बात के साइंटिफिक एविडेंस यानी वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि कोरोनावायरस वुहान के सरकारी लैब से ही निकला। मैं यह साबित भी कर सकती हूं। इसे जानबूझकर तैयार किया गया। वुहान ही इस वायरस का एपिसेंटर था। दुनिया को धोखा देने के लिए इस साजिश को छिपाने की भी कोशिश की गई।

कौन हैं डॉक्टर मेंग
डॉक्टर लि मेंग यान बीजिंग की रहने वाली है। पेशे से वॉयरोलॉजिस्ट और इम्युनोलॉजिस्ट हैं। वे हॉन्गकॉन्ग में भी रह चुकी हैं। वहां से अमेरिका आ गईं। यान ने कहा- जब कोरोनावायरस फैलने लगा तो मैंने इसकी जानकारी अपने अफसर को दी। खास बात ये है कि वो अफसर डब्ल्यूएचओ में कन्सलटेंट भी हैं, लेकिन मेरी बात को उन्होंने अनसुना कर दिया। हर किसी ने मुझे चुप रहने को कहा। मुझसे यहां तक कहा गया कि अगर इस बारे में मुंह खोला तो मुझे गायब कर दिया जाएगा।

अमेरिकी दावे पर मुहर
अमेरिका ने चीन पर आरोप लगाया था कि चीन वुहान लैब का सच छिपा रहा है। इसमें डब्ल्यूएचओ भी मदद कर रहा है। ट्रम्प ने तो डब्ल्यूएचओ की फंडिंग पर ही रोक लगा दी। यह अब भी जारी है। यान का दावा है कि शी जिनपिंग सरकार की इस हरकत को दुनिया के सामने लाने के लिए उन्होंने चीनी मूल के एक अमेरिकी यूट्यूबर से संपर्क किया था। यान के मुताबिक, वुहान का यह लैब चीनी सेना के अधिकार में आता है।

यान ने कहा कि वे जल्द ही चीन की इस साजिश के बारे में सबूत भी पेश करेंगी। वे इस बारे में एक रिपोर्ट तैयार कर रही हैं।

कोरोना पर चीन की साजिश की आप ये खबर भी पढ़ सकते हैं...

वुहान में कोरोना के सबूत से छेड़छाड़:चीनी प्रोफेसर ने कहा- महामारी को लेकर जानकारी छिपाई गई, जांचकर्ताओं के जाने से पहले ही मार्केट साफ कर दिया गया था



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चीन की रहने वाली डॉक्टर लि मेंग यान ने दावा किया है कि कोरोनावायरस वुहान की लैब से ही निकला। इसे वहीं तैयार किया गया था। मेंग हॉन्गकॉन्ग के रास्ते अमेरिका पहुंची हैं। (फाइल)


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घट रहा है इंजीनियरिंग के प्रति आकर्षण, 2015 से लगातार घट रहे हैं एआईसीटीई कॉलेजों में एनरोलमेंट

भारत में हर साल लाखों लोग इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर कॉलेज से निकलते हैं, लेकिन ज्यादातर रोजगार योग्य नहीं होते और नौकरी हासिल नहीं कर पाते। नेशनल एम्पलॉयबिलीटी रिपोर्ट 2019 के मुताबिक 80 प्रतिशत छात्रों को नौकरी नहीं मिल पाती। बेरोजगारी के चलते इंजीनियर बनने के बाद भी छात्र चौकीदारी करने को तैयार दिखाई देते हैं। इससे इंजीनियरिंग के डिग्री के प्रति पिछले कुछ वर्षों में आकर्षण कम हुआ है।

  • ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन के मुताबिक 2018-19 में इंजीनियरिंग के यूजी कोर्स में 37.70 लाख एनरोलमेंट हुए। भारत में 2010 से 2015 के बीच आईटी इंडस्ट्री के बूम पर होने से देश में सैकड़ो इंजीनियरिंग कॉलेज खुले। लेकिन 2015 से हर साल हजारों इंजीनियरिंग सीटें खाली हैं। ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) के मुताबिक 2019 में 15 लाख सीटों में से 10 लाख सीटें खाली थी। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह अनस्किल्ड इंजीनियर्स हैं।

  • कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर प्रभात अग्रहरि का कहना है कि इंडस्ट्री में बहुत तेजी से ऑटोमेशन बढ़ रहा है, जिससे कम लोगों में बेहतर काम हो जाता है। इसके अलावा भारत में इंजीनियर्स की डिग्री लेने वालों की संख्या डिमांड से चार गुना ज्यादा है। कुछ कॉलेजों में इंजीनियरिंग की पढ़ाई ही नहीं कराई जाती। सरकार भी मॉनिटरिंग और इंस्पेक्शन के नाम पर औपचारिकता पूरी करती है। इससे कॉलेजों में सुधार नहीं हो रहा है।

भारत सरकार का क्वालिटी इम्प्रूवमेंट प्रोग्राम

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने वर्ल्ड बैंक के साथ मिलकर अप्रैल 2017 से टेक्निकल एजुकेशन का इम्प्रूवमेंट प्रोग्राम शुरू किया था। यह प्रोजेक्ट कम इनकम वाले राज्यों पर फोकस के साथ शुरू हुआ था। बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, सिक्किम और त्रिपुरा के साथ ही दो केंद्रशासित प्रदेशों में यह लागू हुआ था। तीन साल तक वर्ल्ड बैंक से टीचरों का खर्च उठाया गया, उसके बाद यह जिम्मेदारी राज्यों को दी गई थी। राज्यों में पहले से मौजूद इंजीनियरिंग संस्थानों में टेक्निकल एजुकेशन की क्वालिटी सुधारने के लिए टीईक्यूआईपी प्रोग्राम के तीन चरण शुरू किए गए थे।

इस प्रोजेक्ट के तीसरे चरण में अप्रैल 2017 में 10 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 53 इंजीनियरिंग कॉलेजों में 1,554 असिस्टेंट प्रोफेसर अपॉइंट किए गए थे। इनमें भी ज्यादातर भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (NITs) से पढ़े हुए हैं। शुरुआत में तीन साल के लिए इन्हें अनुबंध पर रखा गया। इनका कार्यकाल सितंबर में खत्म हो रहा है। इसके रिन्युअल को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ है। इन टीचर्स ने प्रदर्शन किया तो 6 महीने के लिए कार्यकाल बढ़ा दिया। राज्यों ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है।

इस प्रोग्राम के तहत पढ़ा रहे टीचरों में 38% एमटेक हैं, 37% ऐसे हैं जो पीएचडी कर रहे हैं, 22% टीचर पीएचडी हैं और 3% पोस्ट डाक्टरेट हैं।



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Engineers Day today |Poor Quality Engineering Colleges in the Country | More than 50% of the Colleges have no Permanent Teachers | Private Colleges are Low Quality


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61 साल पहले बना दूरदर्शन, भारत रत्न विश्वेश्वरैया का जन्मदिन जिसे हम इंजीनियर्स डे के तौर पर मनाते हैं

भारत में टीवी और दूरदर्शन का इतिहास एक-सा है। 15 सितंबर 1959 को दिल्ली में दूरदर्शन की शुरुआत हुई। तब यह टेस्टिंग फेज में था। नाम दिया गया था टेलीविजन इंडिया। 1975 में दूरदर्शन नाम रखा गया। भले ही टीवी आज बुद्धू बक्सा बन गया हो और इस पर चौबीसों घंटे दुनिया तमाम के चैनल नजर आते हैं, लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं रहा है। जब दूरदर्शन शुरू हुआ तो सप्ताह में तीन दिन आधा-आधा घंटे प्रसारण होता था। 1965 में दूरदर्शन पर रोजाना कार्यक्रम प्रसारित होने लगे। पांच मिनट के न्यूज बुलेटिन भी शुरू हुए। लेकिन, टीवी की ग्रोथ शुरुआत में बेहद धीमी रही। 1975 तक सिर्फ सात शहरों तक पहुंच सका था। 1982 में रंगीन टीवी आए और एशियाई खेलों के प्रसारण ने तो इसकी लोकप्रियता को कई गुना बढ़ा दिया था। यहीं से टीवी का कायापलट हुआ। नए-नए प्रोग्राम बनने लगे। धीरे-धीरे सुबह और फिर दोपहर को प्रोग्राम प्रसारित होने लगे। शाम को रोज प्रसारित होने वाला कृषि दर्शन, हफ्ते में दो बार चित्रहार और रविवार को आने वाली रंगोली की लोकप्रियता की बराबरी आज का कोई प्रोग्राम नहीं कर सकता। 1966 में शुरू हुए कृषि दर्शन का योगदान देश में हरित क्रांति लाने में भी रहा है। आज 2 राष्‍ट्रीय और 11 क्षेत्रीय चैनलों के साथ दूरदर्शन के कुल 21 चैनल प्रसारित होते हैं। 14 हजार जमीनी ट्रांसमीटर और 46 स्‍टूडियो के साथ यह देश का सबसे बड़ा प्रसारणकर्ता है।

विश्वेश्वरैया का जन्मदिन यानी इंजीनियर्स डे

भारत रत्न एम विश्वेश्वरैया

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को कर्नाटक में कोलार जिले के चिक्काबल्लापुर तालुका में हुआ था। उनके पिता श्रीनिवास शास्त्री संस्कृत के विद्वान और आयुर्वेद चिकित्सक थे। वर्ष 1883 में इंजीनियरिंग की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण करने वाले एम. विश्वेश्वरैया का पसंदीदा विषय सिविल इंजीनियरिंग था। करियर के आरंभिक दौर में ही एम. विश्वेश्वरैया ने कोल्हापुर, बेलगाम, धारवाड़, बीजापुर, अहमदाबाद एवं पूना समेत कई शहरों में जल आपूर्ति परियोजनाओं पर खूब काम किया था। 1909 में उन्हें मैसूर राज्य का मुख्य अभियंता नियुक्त किया गया। वह रेलवे सचिव भी थे। कृष्णराज सागर बांध के निर्माण के कारण मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का नाम पूरे विश्व में सबसे अधिक चर्चा में रहा था। बांध के स्वचलित दरवाजों की जिस तकनीक का इस्तेमाल किया, उसे यूरोप सहित विश्व के अन्य देशों ने भी अपनाया। विश्वेश्वरैया औद्योगिक विकास के समर्थक थे। वह उन शुरुआती लोगों में से एक थे, जिन्होंने बेंगलुरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान में धातुकर्म विभाग, वैमानिकी, औद्योगिक दहन एवं इंजीनियरिंग जैसे अनेक नए विभागों को आरंभ करने का स्वप्न देखा था। 1955 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

आज ही के दिन शुरू हुआ था चीन और जापान में पहला युद्ध

चीन-जापान युद्ध 1894-95 में चीन और जापान के बीच कोरिया पर प्रशासनिक तथा सैन्य नियंत्रण को लेकर लड़ा गया था। जापान की मेइजी सेना इसमें विजयी हुई थी जिसके चलते कोरिया और ताइवान का नियंत्रण जापान के हाथ में चला गया। इस युद्ध में हार के कारण चीन को जापान के आधुनिकीकरण का लाभ समझ में आया और बाद में चिंग राजवंश के खिलाफ 1911 मे क्रांति हुई। जापान ने अपने साम्राज्यवाद का मुख्य लक्ष्य चीन को बनाया और सर्वप्रथम कोरिया में उसने चीन के साथ अपनी शक्ति का प्रयोग किया। कोरिया अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से जापान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था। इसलिए कोरिया प्रायद्वीप में जापान की बहुत रूचि थी। चीन के मंचू सम्राटों ने 17वीं शताब्दी में कोरिया पर अधिकार कर लिया था और तभी से कोरिया चीन का अधीन प्रदेश माना जाता था। कोरिया का स्वतंत्र राजा चीन के सम्राट को अपना सबकुछ मानता था। इस तरह कोरिया का राज्य चीन के एक संरक्षित राज्य के समान था। कोरिया प्रायद्वीप में जापान का परंपरागत स्वार्थ था जो इस युद्ध का कारण बना ।

इतिहास में आज के दिन को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता है......

  • 1812ः नेपोलियन के नेतृत्व में फ्रांसीसी सेना मास्को के क्रैमलिन पहुंची।
  • 1982ः लेबनान के निर्वाचित राष्ट्रपति बशीर गेमायेल की पदासीन होने के पूर्व ही बम बिस्फोट में हत्या।
  • 1916ः प्रथम विश्व युद्ध में पहली बार सोम्मे की लड़ाई में टैंक का इस्तेमाल किया गया।
  • 1948ः स्वतंत्र भारत का पहला ध्वजपोत आईएनएस दिल्ली बंबई (अब मुंबई) के बंदरगाह पर पहुंचा।
  • 1971ः हरी-भरी और शांति पूर्ण दुनिया के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध ग्रीन पीस की स्थापना की गई।
  • 1981ः वानुअतु संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य बना।
  • 2001ः अमेरिकी सीनेट ने राष्ट्रपति को अफ़ग़ानिस्तान पर सैनिक कार्यवाही की मंजूरी दी।
  • 2002ः न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के अवसर पर भारत, चीन एवं रूस के विदेश मंत्रियों की बैठक आयोजित।
  • 2003ः सिंगापुर के मुद्दे पर विकासशील देशों के भड़क उठने से डब्ल्यूटीओ वार्ता विफल।
  • 2004ः ब्रिटिश नागरिक गुरिंदर चड्ढा को 'वुमन आफ़ द ईयर' सम्मान।


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Today History for August 20th/ What Happened Today | start of doordarshn birth of visvesvaraya sino-japan 1st war


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फ्लिपकार्ट के को-फाउंडर बिन्नी बंसल से लेकर अजीम प्रेमजी और मुकेश अंबानी तक की कंपनियों की जासूसी, चीन की सरकार से जुड़ी फर्म नजर रख रही

बॉर्डर पर धोखा देने वाला चीन भारत की इकोनॉमी की भी जासूसी कर रहा है। चीन की सरकार से जुड़ी झेन्हुआ डेटा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी भारत के टेक स्टार्पअप्स से लेकर पेमेंट और हेल्थकेयर ऐप्स तक, छोटी से लेकर बड़ी कंपनियों तक के अधिकारियों पर नजर रख रही है।

झेन्हुआ के डेटाबेस में ऐसी 1400 एंट्रीज मिली हैं। इनमें अजीम प्रेमजी की कंपनी से लेकर मुकेश अंबानी तक की कंपनियां शामिल हैं। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी पड़ताल के दूसरे हिस्से में यह खुलासा किया है।

इन बड़े लोगों की ट्रैकिंग की जा रही
टी के कुरियन, चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर, प्रेमजी इन्वेस्ट
अनीष शाह, ग्रुप सीएफओ, महिंद्रा ग्रुप
पीके एक्स थॉमस, सीटीओ, रिलायंस ब्रांड्स
ब्रायन बेड, सीईओ, रिलायंस रिटेल

इन्वेस्टिगेशन पार्ट-2 के मुताबिक रेलवे में इंटर्नशिप कर रहे इंजीनियरिंग स्टूडेंट से लेकर बड़ी-बड़ी कंपनियों के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर तक झेन्हुआ की नजर में हैं। इस लिस्ट में वेंचर कैपिटलिस्ट, एंजल इन्वेस्टर्स, देश के उभरते स्टार्टअप्स, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के फाउंडर और चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर भी शामिल हैं।

नए दौर के इन एंटरप्रेन्योर पर नजर
बिन्नी बंसल, फ्लिपकार्ट के को-फाउंडर
दीपेंदर गोयल, जोमैटो के फाउंडर
नंदन रेड्डी, स्विग्गी के को-फाउंडर
फाल्गुनी नायर, न्याका की को-फाउंडर
नमीत पोन्टिस, पेयू के बिजनेस हेड

डिजिटल हेल्थ और डिजिटल एजुकेशन सेक्टर की ज्यादा निगरानी
नोटबंदी के बाद से मोदी सरकार लगातार डिजिटल पेमेंट को बढ़ाने पर जोर दे रही है। लेकिन, चीन की कंपनी न सिर्फ डिजिटल पेमेंट ऐप्स बल्कि, डिजिटल हेल्थ और डिजिटल एजुकेशन सेक्टर को भी ट्रैक कर रहा है। एजुकेशन सेक्टर में ओलिव बोर्ड से लेकर बायजू रवींद्रन के बायूज ऐप तक पर नजर रखी जा रही है।

इन पेमेंट, डिलीवरी ऐप्स की भी ट्रैकिंग
पेटीएम
रेजरपे
फोनपे
पाइन लैब्स
एवेन्यूज पेमेंट
सीसी एवेन्यूज
एफएसएस पेमेंट गेटवे
बिगबास्केट
डेली बाजार
जैप फ्रेश
जोमैटो, स्विग्गी, फूड पांडा

मोदी समेत 10 हजार बड़े लोगों-संस्थाओं की जासूसी
यह खुलासा सोमवार को हुआ था कि झेन्हुआ डेटा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी 10 हजार भारतीय लोगों और संगठनों की निगरानी कर रही है। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनका परिवार, कई कैबिनेट मंत्री और मुख्यमंत्री शामिल हैं।



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बिन्नी बंसल (बाएं) और अजीम प्रेमजी। चीन की डेटा कंपनी प्रेमजी की वेंचर कैपिटल कंपनी प्रेमजी इन्वेस्ट के ऑफिसर को ट्रैक कर रही है।


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दावा: 6000 डॉलर दो और 1 लाख लोगों की लोकेशन का डाटा लो; आप क्या खाते हैं, कहां जाते हैं, आपसे जुड़ी हर जानकारी बिक रही है

(गौरव तिवारी) आपका डाटा यानी निजी जानकारी खरीदने-बेचने का कारोबार इतना खतरनाक हाे चुका है कि अब आपका नाम-पता, कारोबार, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, पैन, आधार ही नहीं ऐसी जानकारियां भी डाटा माफिया बेच रहा है, जो बताता है कि आप किस एटीएम से पैसे निकाल रहे हैं, कहां-कहां जा रहे हैं, किस रेस्टोरेंट में खाना खा रहे हैं, कहां से और किस कार्ड से आप खरीदारी कर रहे हैं। यानी कि आपके एक-एक मिनट के मूवमेंट की लोकेशन भी बेची जा रही है। यहां तक कि आपको किस तरह का खाना पसंद है।

आपके मोबाइल में मौजूद कई मैप, डेटिंग ऐप, टैक्सी ऐप, गेमिंग ऐप, स्कैनिंग ऐप, मीटिंग ऐप, शेयरिंग ऐप आपकी सहमति लेकर ये डाटा चोरी कर रहे हैं। जिस माफिया को ये बेचा जा रहा है वो सोशल मीडिया पर फेक आईडी बना रहे हैं। हैकर तो निजी जानकारियां लेकर फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन भी कर रहे हैं। आपकी रुचि के हिसाब से फर्जी विज्ञापन दिखाकर खाता खाली कर रहे हैं। भास्कर के स्टिंग ऑपरेशन में फ्रांस की कंपनी सैंपल देने को राजी हुई। इससे देशभर के 30 लाख और गुजरात के 5 लाख लोगों का डाटा मिला।

ऐसे मिला भास्कर को 30 लाख लोगों का निजी डाटा

भास्कर ने 15 से ज्यादा लोकल और 8 विदेशी कंपनियों से संपर्क कर डाटा खरीदने की बात की। ये कंपनियां सिर्फ ऑनलाइन और वीडियो कॉल से ही संपर्क करती हैं। डाटा डिमांड के अनुरूप बनाकर दाे दिन में मिलता है। डाटा एक्सपर्ट की मदद से एक पासवर्ड से ही खुलता है। कुछ समयावधि में यह पासवर्ड खत्म हो जाता है।

कुछ परेशानियों के बाद फ्रांस की कंपनी सैंपल देने को राजी हुई। इससे देशभर के 30 लाख और गुजरात के 5 लाख लोगों का डाटा मिला। इसमें हर व्यक्ति के फोन ब्रांड/मॉडल, एप, उपयोग हो रहा एंड्राॅयड वर्जन, सिम नंबर और मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर का नाम शामिल है। इसके अलावा कुछ लोगों का लोकेशन डाटा भी दिया। इससे ज्यादा लोकेशन डाटा उन्होंने पेमेंट करने पर उपलब्ध कराने की बात कही।

लोकेशन डाटा का दो तरह से दुरुपयोग किया जाता है

  • क्रेडिट/डेबिट कार्ड नंबर, अकाउंट नंबर, पिन नंबर, आधार/पैन नंबर जैसा डाटा ग्रे मार्केट में महंगा पड़ता है, जबकि लोकेशन डाटा आधी से कम कीमत में उपलब्ध है। हैकर इससे भी आसानी से आपकी फाइनेंशियल जानकारी पता कर लेते हैं।
  • कंपनियां अपने ब्रांड्स बेचने के लिए लाेकेशन डाटा खरीदती हैं। इससे विरोधी से सस्ता प्रोडक्ट बनाकर सोशल मीडिया पर आपको टार्गेट करती हैं। अपने उत्पाद को खरीदने वाले ग्राहकों की पहचान करती हैं और मार्केटिंग स्ट्रेटजी बनाती हैं। आपके डीलर/सप्लायर तक पहुंच जाती हैं।

एजेंट बोला- आपको जैसा भी डाटा चाहिए, दो दिन में प्रोसेस कर दे देंगे

सवाल: मुझे लोगों के लोकेशन का डाटा मिलेगा क्या?
एजेंट: मिल जाएगा। हम आपकी कंपनी की डिमांड के अनुरूप प्रोसेस कर दो दिन में दे देते हैं।

सवाल: किस प्रकार के लोकेशन डाटा आप दे सकते हैं?
एजेंट: लाइव लोकेशन के साथ पुराने लोकेशन का डाटा भी दे सकते हैं। मतलब करंट लोकेशन और लोकेशन हिस्ट्री।

सवाल: लाइव लोकेशन क्या होता है?
एजेंट: मतलब लोग कहां-कहां जाते हैं, हम लगातार ट्रैक कर रहे हैं। लेकिन, यह हम डील के बाद ही दे पाएंगे।

सवाल: कितनी जानकारी दे सकते हैं?
एजेंट: आपके फोन में क्या-क्या है, आप 30 दिन में कहां-कहां गए, किस-किस ब्रांड शॉप या रेस्टोरेंट गए, एटीएम वगैरह सबकुछ दे सकते हैं। आपकी कंपनी की जानकारी लेकर उसके एप्लीकेशन का डाटा भी ट्रैक करके दे सकते हैं, जिसके लिए पैसे ज्यादा लगते हैं।

सवाल: क्या किसी विशेष एरिया के लोगों की जानकारी मिल सकती है?
एजेंट: हां, हमारी टीम एरिया के अनुसार ही डाटा देगी। आपकी टेक्निकल जरूरत बताइए, ताकि हम टीम को समझा सकें।

सवाल: मुझे टीम को समझाने के लिए कुछ सैंपल डाटा मिलेगा?
जवाब: सैंपल आपको एफटीपी से दिया जाएगा, लेकिन वह पुराना होगा। आपको एक्सेस की भेजी जाएगी, यह कुछ दिन ही
काम करेगी।

फाइनेंशियल फ्रॉड के लिए चाहिए सिर्फ जन्म तिथि और फोन नंबर

हम कई एप्लीकेशंस को बिना जरूरत सारी जानकारी के लिए एक्सेस दे देते हैं। वे बैकग्राउंड में निजी जानकारी सर्वर तक भेजते हैं। यह जानकारियां कुछ कंपनियां अपने लिए उपयोग करती हैं तो कुछ इन्हें बेचकर पैसा कमाती हैं। यह सब इतना खतरनाक है कि हैकर को अगर आपकी जन्मतिथि और फोन नंबर ही मिल जाए तो वह बैंक खाते की सारी जानकारी निकाल लेगा और ट्रांजेक्शन भी कर लेगा।

ज्यादा खतरा उन कंपनियों से है, जिनके सर्वर विदेशों में हैं। इससे कानूनन भी उनके खिलाफ कुछ नहीं किया जा सकता। बचाव के दो ही तरीके हैं- सतर्क रहें और एप की जगह वेब का उपयोग करें। यह जानकारी हमें साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट कौशल भावसार ने दी है।



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What you eat, where you go, who you meet; Every information related to your location is being sold.


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61 साल पहले बना दूरदर्शन, भारत रत्न विश्वेश्वरैया का जन्मदिन जिसे हम इंजीनियर्स डे के तौर पर मनाते हैं

भारत में टीवी और दूरदर्शन का इतिहास एक-सा है। 15 सितंबर 1959 को दिल्ली में दूरदर्शन की शुरुआत हुई। तब यह टेस्टिंग फेज में था। नाम दिया गया था टेलीविजन इंडिया। 1975 में दूरदर्शन नाम रखा गया। भले ही टीवी आज बुद्धू बक्सा बन गया हो और इस पर चौबीसों घंटे दुनिया तमाम के चैनल नजर आते हैं, लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं रहा है। जब दूरदर्शन शुरू हुआ तो सप्ताह में तीन दिन आधा-आधा घंटे प्रसारण होता था। 1965 में दूरदर्शन पर रोजाना कार्यक्रम प्रसारित होने लगे। पांच मिनट के न्यूज बुलेटिन भी शुरू हुए। लेकिन, टीवी की ग्रोथ शुरुआत में बेहद धीमी रही। 1975 तक सिर्फ सात शहरों तक पहुंच सका था। 1982 में रंगीन टीवी आए और एशियाई खेलों के प्रसारण ने तो इसकी लोकप्रियता को कई गुना बढ़ा दिया था। यहीं से टीवी का कायापलट हुआ। नए-नए प्रोग्राम बनने लगे। धीरे-धीरे सुबह और फिर दोपहर को प्रोग्राम प्रसारित होने लगे। शाम को रोज प्रसारित होने वाला कृषि दर्शन, हफ्ते में दो बार चित्रहार और रविवार को आने वाली रंगोली की लोकप्रियता की बराबरी आज का कोई प्रोग्राम नहीं कर सकता। 1966 में शुरू हुए कृषि दर्शन का योगदान देश में हरित क्रांति लाने में भी रहा है। आज 2 राष्‍ट्रीय और 11 क्षेत्रीय चैनलों के साथ दूरदर्शन के कुल 21 चैनल प्रसारित होते हैं। 14 हजार जमीनी ट्रांसमीटर और 46 स्‍टूडियो के साथ यह देश का सबसे बड़ा प्रसारणकर्ता है।

विश्वेश्वरैया का जन्मदिन यानी इंजीनियर्स डे

भारत रत्न एम विश्वेश्वरैया

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को कर्नाटक में कोलार जिले के चिक्काबल्लापुर तालुका में हुआ था। उनके पिता श्रीनिवास शास्त्री संस्कृत के विद्वान और आयुर्वेद चिकित्सक थे। वर्ष 1883 में इंजीनियरिंग की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण करने वाले एम. विश्वेश्वरैया का पसंदीदा विषय सिविल इंजीनियरिंग था। करियर के आरंभिक दौर में ही एम. विश्वेश्वरैया ने कोल्हापुर, बेलगाम, धारवाड़, बीजापुर, अहमदाबाद एवं पूना समेत कई शहरों में जल आपूर्ति परियोजनाओं पर खूब काम किया था। 1909 में उन्हें मैसूर राज्य का मुख्य अभियंता नियुक्त किया गया। वह रेलवे सचिव भी थे। कृष्णराज सागर बांध के निर्माण के कारण मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का नाम पूरे विश्व में सबसे अधिक चर्चा में रहा था। बांध के स्वचलित दरवाजों की जिस तकनीक का इस्तेमाल किया, उसे यूरोप सहित विश्व के अन्य देशों ने भी अपनाया। विश्वेश्वरैया औद्योगिक विकास के समर्थक थे। वह उन शुरुआती लोगों में से एक थे, जिन्होंने बेंगलुरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान में धातुकर्म विभाग, वैमानिकी, औद्योगिक दहन एवं इंजीनियरिंग जैसे अनेक नए विभागों को आरंभ करने का स्वप्न देखा था। 1955 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

आज ही के दिन शुरू हुआ था चीन और जापान में पहला युद्ध

चीन-जापान युद्ध 1894-95 में चीन और जापान के बीच कोरिया पर प्रशासनिक तथा सैन्य नियंत्रण को लेकर लड़ा गया था। जापान की मेइजी सेना इसमें विजयी हुई थी जिसके चलते कोरिया और ताइवान का नियंत्रण जापान के हाथ में चला गया। इस युद्ध में हार के कारण चीन को जापान के आधुनिकीकरण का लाभ समझ में आया और बाद में चिंग राजवंश के खिलाफ 1911 मे क्रांति हुई। जापान ने अपने साम्राज्यवाद का मुख्य लक्ष्य चीन को बनाया और सर्वप्रथम कोरिया में उसने चीन के साथ अपनी शक्ति का प्रयोग किया। कोरिया अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से जापान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था। इसलिए कोरिया प्रायद्वीप में जापान की बहुत रूचि थी। चीन के मंचू सम्राटों ने 17वीं शताब्दी में कोरिया पर अधिकार कर लिया था और तभी से कोरिया चीन का अधीन प्रदेश माना जाता था। कोरिया का स्वतंत्र राजा चीन के सम्राट को अपना सबकुछ मानता था। इस तरह कोरिया का राज्य चीन के एक संरक्षित राज्य के समान था। कोरिया प्रायद्वीप में जापान का परंपरागत स्वार्थ था जो इस युद्ध का कारण बना ।

इतिहास में आज के दिन को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता है......

  • 1812ः नेपोलियन के नेतृत्व में फ्रांसीसी सेना मास्को के क्रैमलिन पहुंची।
  • 1982ः लेबनान के निर्वाचित राष्ट्रपति बशीर गेमायेल की पदासीन होने के पूर्व ही बम बिस्फोट में हत्या।
  • 1916ः प्रथम विश्व युद्ध में पहली बार सोम्मे की लड़ाई में टैंक का इस्तेमाल किया गया।
  • 1948ः स्वतंत्र भारत का पहला ध्वजपोत आईएनएस दिल्ली बंबई (अब मुंबई) के बंदरगाह पर पहुंचा।
  • 1971ः हरी-भरी और शांति पूर्ण दुनिया के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध ग्रीन पीस की स्थापना की गई।
  • 1981ः वानुअतु संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य बना।
  • 2001ः अमेरिकी सीनेट ने राष्ट्रपति को अफ़ग़ानिस्तान पर सैनिक कार्यवाही की मंजूरी दी।
  • 2002ः न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के अवसर पर भारत, चीन एवं रूस के विदेश मंत्रियों की बैठक आयोजित।
  • 2003ः सिंगापुर के मुद्दे पर विकासशील देशों के भड़क उठने से डब्ल्यूटीओ वार्ता विफल।
  • 2004ः ब्रिटिश नागरिक गुरिंदर चड्ढा को 'वुमन आफ़ द ईयर' सम्मान।


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Today History for August 20th/ What Happened Today | start of doordarshn birth of visvesvaraya sino-japan 1st war


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रक्षा मंत्री आज चीन से सीमा विवाद के मुद्दे पर बयान दे सकते हैं, विपक्ष इस पर बहस की मांग कर रहा है

कोरोना के बीच संसद के पहले सत्र (मानसून) का आज दूसरा दिन है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन से सीमा विवाद के मुद्दे पर आज लोकसभा में बयान दे सकते हैं। विपक्ष इस मामले में बहस की मांग भी कर रहा है। लद्दाख में चीन से निपटने के तरीके, कोरोना की स्थिति, अर्थव्यवस्था में गिरावट और बेरोजगारी के मुद्दों पर विपक्षी दल सरकार को घेरने की कोशिश करेंगे।

लोकसभा की कार्यवाही आज दोपहर बाद 3 बजे से शुरू होकर शाम 7 बजे तक चलेगी। इससे पहले सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक राज्यसभा चलेगी। सत्र के पहले दिन यानी सोमवार को राज्यसभा पहली शिफ्ट में, जबकि लोकसभा दूसरी शिफ्ट में चली थी।

दोपहर बाद बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक होगी
सत्र शुरू होने से पहले रविवार को हुई संसद की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की पहली बैठक में कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दलों ने चीन और अर्थव्यवस्था के मुद्दों पर बहस करवाने की मांग रखी थी। लेकिन, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने इसके लिए कोई समय तय नहीं किया। आज दोपहर बाद फिर से BAC की मीटिंग होगी। इसमें मानसून सत्र के पहले हफ्ते के शेड्यूल पर चर्चा की जाएगी।

सत्र के पहले दिन क्या-क्या हुआ?
1. प्रश्नकाल हटाने पर बवाल

लोकसभा में प्रश्नकाल नहीं होने से सदन में हंगामा हुआ। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने इसे गोल्डन आवर्स बताते हुए सरकार पर लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल में सांसद जनता से जुड़े मुद्दे उठाते हैं। इसे हटाया जाना गलत है। इसके जवाब में संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार किसी चर्चा या सवाल का जवाब देने से पीछे नहीं हट रही है।
2. संसद में सरकार भूली कि लॉकडाउन में कितने मजदूरों की मौत हुई
कोरोना महामारी के चलते मार्च में हुए लॉकडाउन के बाद लाखों मजदूरों की घर लौटते वक्त अलग-अलग हादसों में मौत हो गई थी। अब केंद्र सरकार का कहना है कि उसे पता नहीं कि लॉकडाउन के दौरान कितने मजदूरों की जान गई। कोरोनाकाल में संसद के पहले सत्र में ही सरकार ने माना कि प्रवासी मजदूरों की मौत का कोई आंकड़ा नहीं है।
3. हरिवंश एक बार फिर राज्यसभा के उपसभापति चुने गए
नए सदस्यों की शपथ के बाद उपसभापति का चुनाव हुआ, जिसमें एनडीए के हरिवंश ध्वनिमत से चुने गए। उनके खिलाफ यूपीए की ओर से राजद नेता मनोज झा उम्मीदवार थे।

सत्र के पहले दिन राज्यसभा सांसद मैरी कॉम सैनिटाइजर लेकर पहुंचीं।

सत्र शुरू होने से पहले ही मोदी चीन पर बोले
भारत-चीन के बीच तनाव की स्थिति पर हंगामे के आसार को देखते हुए सोमवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के पहले संसद परिसर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, आज जब हमारी सेना के जवान सीमा पर डटे हुए हैं, कुछ समय के बाद बर्फबारी भी शुरू होगी। ऐसे वक्त में संसद से एक भाव से ये आवाज आनी चाहिए कि देश और सदन जवानों के साथ खड़ा है।

सत्र से पहले ही 17 सांसद कोरोना पॉजिटिव
सत्र से पहले लोकसभा के 17 सांसदों को कोरोना निकला, जिनमें मीनाक्षी लेखी समेत 12 सांसद भाजपा के हैं। सूत्रों ने बताया कि करीब 30 सांसदों को कोरोना है। इसके अलावा संसद के 50 कर्मचारी भी कोरोना संक्रमित हैं।



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फोटो लोकसभा की कार्यवाही के पहले दिन यानी सोमवार की है। कोरोना के बीच संसद के पहले सत्र में कई बातें पहली बार हो रही हैं। 18 दिन का सत्र 1 अक्टूबर तक चलेगा।


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57% विधायकों पर आपराधिक केस; 67% करोड़पति, 39% सिर्फ 12वीं या उससे कम पढ़ेे-लिखे

बिहार विधानसभा के 240 वर्तमान (243 में से 3 रिक्त) विधायकों में से 136 यानी 57% विधायक दागी हैं। 94 पर गंभीर आपराधिक केस हैं। 160 यानी 67% विधायक करोड़पति हैं। बिहार इलेक्शन वाॅच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने वर्तमान विधायकों द्वारा घोषित वित्तीय, आपराधिक, शिक्षा, लिंग और अन्य विवरणों पर आधारित रिपोर्ट में इसका जिक्र है।

रिपोर्ट 2015 के विधानसभा चुनाव और उसके बाद उपचुनाव में दिए गए शपथ पत्र पर आधारित है। 11 विधायकों ने अपने ऊपर हत्या से जुड़े केस घोषित किए हैं। 30 पर हत्या की कोशिश का केस है। 5 विधायकों ने महिला अत्याचार से संबंधित मामले घोषित किए हैं। इनमें एक पर बलात्कार का केस है। .

कांग्रेसी विधायकों की सबसे ज्यादा 4.36 करोड़ औसत संपत्ति

वर्तमान विधायकों की औसत संपत्ति 3.06 करोड़ है। पार्टीवार विधायकों की औसत संपत्ति की बात करें तो राजद के विधायकों की औसत संपत्ति 3.02 करोड़, जदयू के एमएलए की 2.79 करोड़, भाजपा के 2.38 करोड़ और कांग्रेस के विधायकों की संपत्ति 4.36 करोड़ है।

18 विधायक 50 लाख से ज्यादा के कर्जदार, ददन यादव टॉप पर

18 विधायकों ने अपनी देनदारी 50 लाख और इससे अधिक घोषित की है। सबसे ज्यादा देनदारी घोषित करने वाले तीन विधायकों में डुमरांव के जदयू विधायक ददन यादव के पास 11,65,45,500 और मोकामा के निर्दलीय विधायक अनंत सिंह के पास 40201525 रुपए व भागलपुर के कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा के पास 313,04,388 की देनदारी है।

वहीं, बेनीपुर के जदयू विधायक सुनील चौधरी ने 2014-15 में खुद और पत्नी के नाम से 5 करोड़ 32 लाख 19 हजार 753 रुपए की आय दिखाई है। वहीं, खुद के नाम से 4 करोड़ 92 लाख 55 हजार 237 रु की आय दिखाई है।

9 विधायक सिर्फ साक्षर

शैक्षिक योग्यता : 94 यानी 39% विधायकों ने शैक्षिक योग्यता 5वीं से 12वीं के बीच घोषित की है, जबकि 134 यानी 56% विधायकों ने शैक्षिक योग्यता स्नातक और इससे अधिक घोषित की है। 9 विधायकों ने शैक्षिक योग्यता साक्षर घोषित की है।

विधायकों की उम्र : 128 यानी 53% विधायकों ने उम्र 25 से 50 वर्ष के बीच है, जबकि 112 विधायकों यानी 47% ने उम्र 51 से 80 के बीच घोषित की है।



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Criminal cases were filed against 57% of MLAs, 67% of millionaires with average assets of 3 crores; 39% only 12th or less educated


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अहमदनगर के एमबीबीएस स्टूडेंट ने लॉकडाउन में कम किया 15 किलो वजन, जो लोग मोटापे का मजाक उड़ाते थे, अब तारीफ करते हैं

एक मेडिकल स्टूडेंट होने के नाते लाइब्रेरी में घंटों बैठना शामिल होता है। ऐसे में अगर आप हॉस्टल में रह रहे हैं तो सादा खाना कम और जंक फूड ज्यादा खाने लगते हैं। अहमदनगर, महाराष्ट्र में एमबीबीएस के थर्ड ईयर स्टूडेंट फरहान के साथ भी यही हुआ।

सैयद मोहम्मद फरहान इरफान डॉ. विट्‌ठल राव विखे पाटिल फाउंडेशंस मेडिकल कॉलेज एंड मेमोरियल हॉस्पिटल, अहमदनगर से एमबीबीएस कर रहे हैं। वे कहते हैं अगर आपके दोस्त भी खाने के शौकीन हो तो मेस के खराब खाने से बचने के लिए रोज ही बाहर का खाना खाने में आता है।

कभी-कभार बाहर का खाना तो अच्छा लगता है लेकिन अगर रोज ऐसा ही खाना आपकी आदत बन जाए तो आप खुद को थका हुआ और सुस्त महसूस करने लगते हैं। ऐसे में आपका वजन भी तेजी से बढ़ने लगता है।

फरहान अपने बढ़ते वजन से परेशान रहने लगे थे।

ऐसा ही कुछ फरहान के साथ भी हुआ और उनका वजन 85 से 90 किलो हो गया। लॉकडाउन के दौरान 15 किलो वजन कम करने वाले फरहान ने अपनी वेट लॉस जर्नी खुद अपने शब्दों में कुछ इस तरह से बयां की। वे चाहते हैं उनके बारे में जानकर दूसरे लोग भी अपने वजन को नियंत्रित करना सीखें और सेहतमंद रहें:

एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान दिन-रात बस बैठे-बैठे पढ़ना और जब पढ़ाई से उठो तो खाना खाना। अब से कुछ महीनों पहले तक यही मेरा डेली रुटीन हुआ करता था। उन दिनों मेरा वजन लगभग 90 किलो हो गया था।

मेरे दोस्तों ने मुझे जिम जॉइन करने की सलाह दी। मैं जिम जाने लगा लेकिन वजन कम नहीं हुआ। तब मैंने नानावटी हॉस्पिटल, मुंबई की चीफ डाइटीशियन डॉ. उषा किरण सिसोदिया से कंसल्ट किया।

फरहान ने महसूस किया कि माेटे होने से शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होने लगता है।

मैं ये भी जानता था कि उनके बताए डाइट चार्ट को मैं ज्यादा दिनों तक फॉलो नहीं कर पाऊंगा क्योंकि मैं खुद भी खाने का बहुत शौकीन हूं। मैं नॉनवेज खाए बिना नहीं रह सकता। ऐसे में डाइट प्लान फॉलो करना मेरे लिए मुश्किल था।

लेकिन डॉ. उषा किरण द्वारा बताया गया मेरा डाइट प्लान खाने में टेस्टी और हेल्दी था। जिस वजह से इसे फॉलो करना मेरे लिए आसान रहा। साथ ही मैंने साइकिलिंग और वॉकिंग की शुरुआत की।

वजन बढ़ने के दौरान मैंने ये महसूस किया कि जब आप मोटे होने लगते हैं तो आपका शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होने लगता है। चाहे वजन कम करने और परफेक्ट शेप के लिए डाइटिंग और वर्कआउट जरूरी है लेकिन इससे भी जरूरी है आपका विल पावर मजबूत होना। एक बार में ज्यादा खाने के बजाय थोड़ी-थोड़ी देर में पौष्टिक भोजन जैसे सलाद या फल खाना जरूरी है।

उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई करते हुए ये जाना कि वजन बढ़ने से सेहत को क्या नुकसान हो सकते हैं।

अपना वजन कम करने का ख्याल मुझे तब आने लगा जब लोग मेरे वजन का मजाक उड़ाने लगे और मुझे वेट लॉस के लिए तरह-तरह की सलाह देने लगे। ऐसे में मैं अपने लिए जब भी नए कपड़े लेकर आता तो वे कपड़े हर बार मुझे टाइट लगते। धीरे-धीरे अपने वजन की वजह से मुझे फोटो खिंचवाने में भी शर्मिंदगी महसूस होने लगी।

उन्हीं दिनों मैने एमबीबीएस की पढ़ाई करते हुए ये जाना कि वजन बढ़ने के सेहत को क्या नुकसान हो सकते हैं। ऐसी कई बीमारियां हैं जो ज्यादा वजन की वजह से कम उम्र में ही घेरने लगती हैं। इन सब बातों को जानकर मैंने ये फैसला किया कि कुछ भी हो जाए मुझे अपना वजन कम करना ही है।

वजन कम करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी आपका समय और ऊर्जा दोनों देने की है। इसके अलावा सारी कोशिशों के साथ ही सब्र से काम लेना भी जरूरी है। जिन लोगों को लगता है कि वजन कम करने के लिए सर्जरी या जिम सप्लीमेंट जरूरी होते हैं, वे भी गलत हैं। इन दोनों चीजों के बिना भी आसानी से वेट लॉस किया जा सकता है।

अपनी इच्छाशक्ति के बल पर फरहान ने 15 किलो वजन कम किया।

मैंने फरवरी और मार्च में पूरे अनुशासन के साथ वजन कम करने की कवायद जारी रखी। उसके बाद रमजान के एक महीने इसे फॉलो नहीं कर पाया। लेकिन ईद के बाद मैंने फिर एक बार अपनी कोशिश की। इस तरह जुलाई तक मैंने 15 किलो वजन कम किया। मेरी वेट लॉस जर्नी अभी भी जारी है।

मुझे अपना वजन 68 किलो करना है। हालांकि वजन कम करने के लिए मैंने अपने खाने पर कंट्रोल किया लेकिन सीमित मात्रा में हर चीज खाई जैसे खाने में दो चपाती के साथ सब्जी। इसके अलावा बीच में भूख लगने पर सलाद, फल या चने में टमाटर और खीरा मिलाकर खाया। अगर सुबह नॉनवेज खा लिया है तो शाम को नहीं खाया। वजन कम करने के लिए रोज क्या खाना है, इससे ज्यादा जरूरी है कितना खाना है। मैंने इस बात का हमेशा ध्यान रखा।

फरहान कहते हैं कि ऐसे बहुत से लोग हैं जो यह समझते हैं कि एक बार वजन बढ़ गया तो इसे कम करना बहुत मुश्किल है। जबकि ऐसा नहीं है।

इस समय जो लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं, उनका वजन बढ़ने के अधिक चांस हैं क्योंकि दिन भर बैठकर कंप्यूटर या लैपटॉप के सामने काम करना और घर में रहते हुए ऑफिस के बजाय अधिक खाना। लेकिन यही वो वक्त है जब आप अपना वेट आसानी से कम कर सकते हैं। घर में रहते हुए भी एक साथ ज्यादा खाने के बजाय थोड़े-थोड़े अंतराल में कम खाना शुरू करें। साथ ही तली-भुनी चीजों से बचें।

इसके बजाय सलाद, फल या चने खाएं। ऐसे बहुत से लोग हैं जो यह समझते हैं कि एक बार वजन बढ़ गया तो इसे कम करना बहुत मुश्किल है। जबकि ऐसा नहीं है। वजन कम करने के लिए आपको एक अच्छे डाइटीशियन की जरूरत है। साथ ही एक्सरसाइज की भी। इस दौरान आप अपने लक्ष्य की ओर धीरे-धीरे बढ़ेंगे लेकिन कोशिश करते रहेंगे तो कामयाबी जरूर हासिल होगी।

फरहान के मम्मी-पापा ने वेट लॉस करने में उनकी पूरी तरह से मदद की।

डाइटिंग करना उस वक्त मेरे लिए मुश्किल हुआ जब मैं होस्टल से घर जाता था। इतने कम समय के लिए घर जाने पर घर में रोज ही खाने में कुछ खास बनता है। ऐसे में खुद को कंट्रोल करना कठिन था। लेकिन मैंने तय कर लिया था कि मुझे अपने डाइट चार्ट को हर हाल में फॉलो करना ही है।

जब मैंने अपने घर वालों को मेरे वेट लॉस प्लान के बारे में बताया तो उन्होंने मेरा साथ दिया और इस तरह मेरे मम्मी-पापा भी मेरे साथ डाइटिंग करने लगे। इसके अलावा मेरे दोस्तों ने जब वेट लॉस को लेकर मेरा जज्बा देखा तो उन्होंने भी मेरा साथ दिया।

वजन कम करने के बाद फरहान का फोटो।

अगर आप वेट लॉस करना चाहते हैं तो यह जान लें कि वजन कम करना एक बार का लक्ष्य नहीं है बल्कि लगातार की जाने वाली कोशिश है। ये तब सरल हो सकता है जब आप फ्राइड चीजों से दूर रहें। मीठा कम खाएं और कोल्ड ड्रिंक आदि पीने से परहेज करें। इसके साथ ही अपने वजन की नियमित रूप से जांच करते रहें ताकि आप वजन बढ़ते ही अपनी डाइट में बदलाव कर सकें और वजन नियंत्रित रहे।



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MBBS students of Ahmednagar reduced the weight of 15 kg in lockdown, people who used to make fun of their obesity earlier, now praise them


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सरकार तिहरे संकट के दौर में विभाजनकारी राजनीति छोड़े, तभी सभी मुश्किलों का सामना हो सकेगा

यह एक विचित्र सत्य है कि बेहतरीन राजनीतिक परिहास तानाशाही में पाए जाते हैं। ये अक्सर डर के रोमांच व कानाफूसी के बीच पनपते हैं। भारत की आज की दशा पर मुझे सोवियत संघ के आखिरी दिनों में चर्चित एक कहानी याद आ रही है।

लेनिन, स्टालिन, ब्रेझनेव और गोर्बाचेव ट्रेन के एक लग्जरी सैलून में साइबेरिया से गुजर रहे थे। एक जगह एकांत में ट्रेन रुक जाती है। आगे ट्रैक ही नहीं है। तो अब क्या किया जाय? लेनिन कहते हैं कि हमें आसपास से कुछ ग्रामीणों को एकत्र करना चाहिए और ‘द इंटरनेशनल (वामपंथी गान)’ गाना चाहिए और गांव वाले खुशी-खुशी ट्रैक बिछा देंगे। स्टालिन ने कहा कि यह मूर्खतापूर्ण है।

इन लोगों को बुलाओ और कुछ को गोली मार दो बाकी काम कर देंगे, खुशी से या इसके बिना। गोर्बाचेव ने कहा कि मैं अपने दोस्त रोनाल्ड रीगन को सलाह के लिए एक फोन करता हूं। अब तक चुप ब्रेझनेव ने कहा कि देखो सैलून में बहुत अधिक वोदका है। इसे पीते रहो और सोचो की ट्रेन चल रही है।

कोरोना मरीज बढ़ रहे और पीएम रोज नया नारा दे रहे

अब हमारे देश में आज की स्थिति को देखें। कोरोना मरीजों की संख्या और मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं। अर्थव्यवस्था के सभी संकेतक लगातार गिर रहे हैं और चीनी तो चीनी हैं और हमारे प्रधानमंत्री हैं कि एक के बाद दूसरा नारा दे रहे हैं। उम्मीद कर रहे हैं कि लोगों का ध्यान भटक जाएगा।

आत्मनिर्भर भारत की खोज, मछली पालन क्रांति, यूपी में एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए सलाहकार की नियुक्ति, चीनी एप्स पर प्रतिबंध, कोविड से प्रति दस लाख सर्वाधिक कम मामलों और मौत के दावों के बीच बढ़ती अर्थव्यवस्था का जश्न, जबकि हकीकत इससे विपरीत है। यह ब्रेझनेव की उस सलाह से कहां अलग है, जिसमें वह ट्रैक न होते हुए भी ट्रेन को चलता हुआ महसूस करने की बात कह रहे हैं?

अगर कोरोना से जीडीपी गिरा तो पिछले दो साल में क्या हुआ?

इस साल की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.9 फीसदी का संकुचन रहा। अर्थशास्त्री अरविंद पनगड़िया, तर्क देते हैं कि यह तेज गिरावट अधिकांश कोविड से जुड़ी है। लेकिन दो सवाल उभरते हैं। कोरोना की पहचान से पहले के दो सालों में जीडीपी की विकास दर क्या थी? भारत में पहले से चार लगातार तिमाही में विकास दर गिर चुकी है।

यह एक ऐसी ट्रेन है जो बिना बिजली और ब्रेक के ढलान पर चल रही थी और अब अचानक ट्रैक का अंत (महामारी पढ़ें) आ गया है। यह सोचें कि वायरस के बाद क्या होगा? हमें यह याद रखने की जरूरत है कि इससे पहले कहां जा रहे थे। वायरस ने हमारी दिशा नहीं बदली है। इसने हमारी गिरावट को तेज कर दिया है।

बहुत अधिक केंद्रीयकरण ने विफलताओं को जन्म दिया

इस संकट से निपटने को लेकर और भी मुद्दे हैं। बहुत अधिक केंद्रीयकरण, राज्यों के प्रति विश्वास में कमी और केंद्र के रिमोट कंट्रोल ने अनेक विफलताओं को जन्म दिया। जो अधिकार और दायित्व राज्यों को दिए, वह पहले देने चाहिए थे। आज आपदा प्रबंधन कानून को लागू रखने का कोई औचित्य नहीं है।

ऐसे अधिकारों के कारण ही आईसीएमआर जैसे संस्थान भी कुछ सप्ताह में टीका तैयार करने का फरमान देने लगते हैं। यह भी मानना होगा कि मोदी सरकार ने न तो चीन को उकसाया और न उसे न्योता दिया। चीन ने हरकत इसलिए की क्योंकि उसने देखा कि भारत कोविड संकट में उलझा है और उसकी अर्थव्यवस्था ऐसे वक्त में कमजोर पड़ रही है और दुनिया, विशेषकर अमेरिका का ध्यान हटा हुआ है।

मैं पहले भी कह चुका हूं कि शी की प्रतिक्रिया कश्मीर के दर्जे में बदलाव और अक्साई चिन पर दावा दोहराने के कारण हो सकती है। आप कह सकते हैं कि यह जोखिम नहीं लेना था, परंतु यह आपका नजरिया है।

चीनी चुनौती से निपटने में सरकार का रुख सही है। सेना को पूरी सामरिक स्वतंत्रता दी गई है। आधिकारिक और राजनीतिक बयानबाजी नियंत्रित है और 1962 में नेहरू ने दबाव या नाराजगी में जो गलत प्रतिक्रिया दी थी उससे बचा गया है। तो शिकायत किस बात की है? अगर भारत इस तिहरे संकट में है तो याद करना होगा कि यह कहां से शुरू हुआ?

गलती कहां हुई?

यह हमें फिर अर्थव्यवस्था पर ले जाएगी और वही पुरानी बात आएगी कि 2017 तक भारत की आर्थिक वृद्धि बहुत अच्छी थी। गलती कहां हुई? अर्थव्यवस्था के पहिए किसने थामे या किसने गति पकड़ रही ट्रेन की पटरियां अचानक उखाड़ दीं? यहां पर इन जटिल हालात के लिए मनुष्य का हस्तक्षेप सामने आता है। कोविड ने मार्च के बाद चाहे जो किया हो, लेकिन हम आर्थिक वृद्धि में ठहराव के लिए भगवान या चीन को दोष नहीं दे सकते। इसके पीछे कई अविचारित कदम हैं।

जब सीमा पर एक मजबूत सेना हथियार लेकर चुनौती दे रही हो तो पहला काम यही होता है कि देश के भीतर शांति स्थापित की जाए। पुराने दिनों में राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक बुलाई जाती थी। हम जानते हैं कि बिहार और पश्चिम बंगाल में चुनाव और मध्य प्रदेश के उपचुनाव करीब हैं। लेकिन, ऐसे संकट के समय सरकार अपने लोगों और राजनीति को एकजुट चाहती है।

भारत के आकार का विविधताओं वाला देश कमजोर सामाजिक एकजुटता से मजबूत दुश्मन से नहीं लड़ सकता। मैं जानता हूं कि यह आदर्शवादी बात है, लेकिन क्या हम कुछ महीनों के लिए विभाजनकारी राजनीति छोड़कर इन मुश्किलों पर ध्यान दे सकते हैं। इसका जिम्मा पूरी तरह प्रधानमंत्री और उनकी सरकार पर है। (ये लेखक के अपने विचार हैं।)



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शेखर गुप्ता, एडिटर-इन-चीफ, ‘द प्रिन्ट’


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पिछले 24 घंटे में 81 हजार 911 मरीज बढ़े, 79 हजार 202 मरीज ठीक भी हुए; देश में अब तक 49.26 लाख मामले

देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 49 लाख के पार हो गया। 24 घंटे में 81 हजार 911 लोग संक्रमित पाए गए। इसी के साथ संक्रमितों की संख्या 49 लाख 26 हजार 914 हो गई है। राहत की बात है कि इनमें 38 लाख 56 हजार 246 लोग ठीक भी हो चुके हैं।

उधर, दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। सोमवार को उन्होंने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। इससे पहले दिल्ली के तीन अन्य विधायक गिरीश सोनी, प्रमिला तोकस और विशेष रवि भी संक्रमित हो चुके हैं। सिसोदिया समेत तीनों विधायक सोमवार को विधानसभा सत्र में शामिल नहीं हो पाए।

पांच राज्यों का हाल

1. मध्यप्रदेश
राज्य में संक्रमितों की संख्या 90 हजार से ज्यादा हो गई है। सोमवार को अब तक के सबसे ज्यादा 2483 मामले सामने आए। वहीं, एक ही दिन में 29 लोगों की मौत भी हुई है, इनमें सबसे ज्यादा 12 ग्वालियर जिले में। छिंदवाड़ा में 9 और भोपाल में भी 5 लोगों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। संक्रमण की दर भी 11.9% पर पहुंच गई है। राज्य में इसी रफ्तार से केस बढ़ते रहे तो 21 सितंबर तक कुल संक्रमितों की संख्या एक लाख पार हो जाएगी।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार अब लोगों को कोरोना की भयावहता के बारे में बताएगी, ताकि लोग डरें और खुद सावधानी बरतें। सामाजिक, धार्मिक, व्यापारिक संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं को सक्रिय होकर कोरोना से बचाव की सावधानियां बतानी होंगी।

2. राजस्थान
राज्य में सोमवार को रिकॉर्ड 1700 से ज्यादा नए कोरोना संक्रमित मिले। 14 मरीजों की मौत हो गई। मृतकों में जयपुर, अजमेर, बीकानेर और जोधपुर के 2-2 जबकि धौलपुर, कोटा, सीकर, झालावाड़, करौली और उदयपुर का एक-एक रोगी शामिल है। हालांकि, जोधपुर स्थानीय प्रशासन की ओर से जारी रिपोर्ट में 9 मौतें बताई गई।

राजधानी जयपुर में मरने वालों की संख्या 301 हो गई है। राज्य की 24% मौतें जयपुर में ही हुई हैं। जयपुर के अस्पतालों में मरीजों को बेड तक नहीं मिल रहे हैं। कोविड टेस्टिंग की बात करें तो मई, जून और जुलाई में जोधपुर आगे था, लेकिन 14 सितंबर तक के आंकड़ों के हिसाब से जयपुर आगे है।

3. बिहार
राज्य में सोमवार को एक लाख लोगों के कोरोना टेस्ट हुए। हालांकि, पिछले एक हफ्ते में हो रहे टेस्ट के मुकाबले यह संख्या कम है। फिर भी राज्य में 49.9 लाख लोगों के सैंपल्स की जांच की जा चुकी है।
उधर, पटना जिले में सोमवार को 198 मरीज मिले हैं। जिले में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 23924 हो गई है। इनमें 21882 मरीज ठीक हो चुके हैं। अभी 1944 एक्टिव केस हैं। रिकवरी रेट 91% हो गई है।

4. महाराष्ट्र
राज्य में सोमवार को कोरोना के 17 हजार 66 नए मामले सामने आए, 15 हजार 789 डिस्चार्ज हुए और 257 मौतें हुईं। राज्य में कुल मामलों की संख्या बढ़कर 10 लाख 77 हजार 374 हो गई। इनमें 7 लाख 55 हजार 850 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 2 लाख 91 हजार 256 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है।

5.उत्तर प्रदेश
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के गर्वनर रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। उनका रसोइया तीन दिन पहले कोरोना पॉजिटिव आया था। इसके बाद शुरुआती लक्षण दिखने पर स्वास्थ्य विभाग ने कल्याण सिंह का भी सैंपल लिया था, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। राज्य में अब तक कुल 17 मंत्री कोरोना संक्रमित हो चुके हैं।



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पिछले 24 घंटे में 81 हजार 911 मरीज बढ़े, 79 हजार 202 मरीज ठीक भी हुए; देश में अब तक 49.26 लाख मामले

देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 49 लाख के पार हो गया। 24 घंटे में 81 हजार 911 लोग संक्रमित पाए गए। इसी के साथ संक्रमितों की संख्या 49 लाख 26 हजार 914 हो गई है। राहत की बात है कि इनमें 38 लाख 56 हजार 246 लोग ठीक भी हो चुके हैं।

उधर, दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। सोमवार को उन्होंने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी। इससे पहले दिल्ली के तीन अन्य विधायक गिरीश सोनी, प्रमिला तोकस और विशेष रवि भी संक्रमित हो चुके हैं। सिसोदिया समेत तीनों विधायक सोमवार को विधानसभा सत्र में शामिल नहीं हो पाए।

पांच राज्यों का हाल

1. मध्यप्रदेश
राज्य में संक्रमितों की संख्या 90 हजार से ज्यादा हो गई है। सोमवार को अब तक के सबसे ज्यादा 2483 मामले सामने आए। वहीं, एक ही दिन में 29 लोगों की मौत भी हुई है, इनमें सबसे ज्यादा 12 ग्वालियर जिले में। छिंदवाड़ा में 9 और भोपाल में भी 5 लोगों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। संक्रमण की दर भी 11.9% पर पहुंच गई है। राज्य में इसी रफ्तार से केस बढ़ते रहे तो 21 सितंबर तक कुल संक्रमितों की संख्या एक लाख पार हो जाएगी।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार अब लोगों को कोरोना की भयावहता के बारे में बताएगी, ताकि लोग डरें और खुद सावधानी बरतें। सामाजिक, धार्मिक, व्यापारिक संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं को सक्रिय होकर कोरोना से बचाव की सावधानियां बतानी होंगी।

2. राजस्थान
राज्य में सोमवार को रिकॉर्ड 1700 से ज्यादा नए कोरोना संक्रमित मिले। 14 मरीजों की मौत हो गई। मृतकों में जयपुर, अजमेर, बीकानेर और जोधपुर के 2-2 जबकि धौलपुर, कोटा, सीकर, झालावाड़, करौली और उदयपुर का एक-एक रोगी शामिल है। हालांकि, जोधपुर स्थानीय प्रशासन की ओर से जारी रिपोर्ट में 9 मौतें बताई गई।

राजधानी जयपुर में मरने वालों की संख्या 301 हो गई है। राज्य की 24% मौतें जयपुर में ही हुई हैं। जयपुर के अस्पतालों में मरीजों को बेड तक नहीं मिल रहे हैं। कोविड टेस्टिंग की बात करें तो मई, जून और जुलाई में जोधपुर आगे था, लेकिन 14 सितंबर तक के आंकड़ों के हिसाब से जयपुर आगे है।

3. बिहार
राज्य में सोमवार को एक लाख लोगों के कोरोना टेस्ट हुए। हालांकि, पिछले एक हफ्ते में हो रहे टेस्ट के मुकाबले यह संख्या कम है। फिर भी राज्य में 49.9 लाख लोगों के सैंपल्स की जांच की जा चुकी है।
उधर, पटना जिले में सोमवार को 198 मरीज मिले हैं। जिले में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 23924 हो गई है। इनमें 21882 मरीज ठीक हो चुके हैं। अभी 1944 एक्टिव केस हैं। रिकवरी रेट 91% हो गई है।

4. महाराष्ट्र
राज्य में सोमवार को कोरोना के 17 हजार 66 नए मामले सामने आए, 15 हजार 789 डिस्चार्ज हुए और 257 मौतें हुईं। राज्य में कुल मामलों की संख्या बढ़कर 10 लाख 77 हजार 374 हो गई। इनमें 7 लाख 55 हजार 850 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 2 लाख 91 हजार 256 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है।

5.उत्तर प्रदेश
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के गर्वनर रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। उनका रसोइया तीन दिन पहले कोरोना पॉजिटिव आया था। इसके बाद शुरुआती लक्षण दिखने पर स्वास्थ्य विभाग ने कल्याण सिंह का भी सैंपल लिया था, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। राज्य में अब तक कुल 17 मंत्री कोरोना संक्रमित हो चुके हैं।



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