सोमवार, 25 मई 2020

फ्लाइट में एयरहोस्टेस पीपीई किट पहने दिखीं; यात्रियों ने फेस शील्ड पहना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी किया

दो महीने बाद घरेलू उड़ानें सोमवार से शुरू हो गईं। दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर 4 बजकर 45 मिनट पर पुणे के लिए सबसे पहली फ्लाइट रवाना हुई। राज्यों की गाइडलाइंस के हिसाब से सभी यात्रियों की एयरपोर्ट पर स्कैनिंग हुई। एयरहोस्टेज फ्लाइट में पीपीई किट पहने दिखीं। यात्री भी फेस शील्ड में नजर आए।राजधानी, मुंबई, चेन्नई और लखनऊ समेत देश के अलग-अलग शहरों के एयरपोर्ट की तस्वीरें...

यह तस्वीर दिल्ली से भुवनेश्वर फ्लाइट की है। पैसेंजर ने बताया कि फेस शील्ड पहनने में थोड़ा असहज लगा, लेकिन सुरक्षा जरूरी थी।
दिल्ली से भुवनेश्वर फ्लाइट में हेयरहोस्टेस पीपीई किट में नजर आईं।
दिल्ली-पुणे प्लेन की फ्लाइट अटैंडेंड अमनदीप कौर ने कहा- 'हम पहली बार काम पर जाते वक्त चिंतित हैं, लेकिन डयूटी पहले है।'
यह तस्वीर बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की है। सोमवार सुबह यहां एंट्री से पहले सभी पैसेंजर की थर्मल स्क्रीनिंग की गई।

यह तस्वीर मुंबई के छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट की है। सोमवार सुबह यहां लोगों की लंबी कतार दिखी। यहां से रोजाना 25 विमान उड़ान भर सकेंगे और 25 फ्लाइट उतर सकेंगी।
यह तस्वीर चेन्नई इंटरनेशनल एयरपोर्ट की है। सोमवार सुबह पैसेंजर एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग के लिए कतार में खड़े दिखे। राज्य सरकार ने यहां से रोजाना 25 फ्लाइट की मंजूरी दी है।


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यह तस्वीर दिल्ली-भुवनेश्वर फ्लाइट की है। यह दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से सुबह 6:50 बजे रवाना हुई। फ्लाइट के अंदर सभी यात्री फेस शील्ड पहने थे।


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सुबह 4.30 बजे फ्लाइट पकड़ने पहुंचे तो एयरपोर्ट जाकर मालूम हुआ सुबह 7 बजे की फ्लाइट शाम 6 बजे के लिए रीशेड्यूल कर दी है

दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्‌डे से,

लॉकडाउन के बीच आज पूरे 62 दिनों के बाद डोमेस्टिक फ्लाइट शुरू हुईं। हम सवेरे साढ़े चार बजे राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पहुंचे। सवेरे 7 बजे की उड़ान के लिए कम से कम दो घंटे पहले एयरपोर्ट पहुंचना जरूरी था।

सोशल डिस्टेंसिंग कायम रहे, इसलिए एयरपोर्ट पर बीच की कुर्सी पर न बैठने के निर्देश लिखे हुए हैं।

हम दो लोग थे और दो अलग-अलग रूट्स के टिकट लिए थे। एक रूट था, दिल्ली से मुंबई जिसके बाद दोपहर में कनेक्टिंग फ्लाइट लेकर मुंबई से जयपुर जाना था और अगली सुबह फिर जयपुर से दिल्ली। वहीं दूसरे रूट पर दिल्ली से हैदराबाद और फिर शाम को कनेक्टिंग फ्लाइट लेकर हैदराबाद से इंदौर और अगले दिन इंदौर से दिल्ली पहुंचना था।

किस एयरलाइन के पैसेंजर को कहां से एंट्री मिलेगी, इसके लिए भी बाकायदा बोर्ड लगाए गए।

एयरपोर्ट पहुंचे तो सब सामान्य था, हां हमारी हैदराबाद से इंदौर की फ्लाइट कैंसिल होने का मैसेज जरूरत रात 1 बजे मिला था। सबकुछ प्लान के मुताबिक चल रहा था लेकिन फिर दिल्ली से हमारी दोनों फ्लाइट्स रीशेड्यूल कर दी गईं। सुबह 7 बजे जिस फ्लाइट को निकलना था वह शाम 6 बजे जाएगी, ऐसा कहा गया। कारण पूछा तो बोले, लोड कम है।

फ्लाइट की जानकारियां लेते भास्कर के रिपोर्टर।

या तो टिकट ही बुक नहीं हुए या फिर लोग एयरपोर्ट तक नहीं पहुंचे। सुबह जब हमने कैब लेने की कोशिश की तो वो भी नहीं मिली। बमुश्किल एयरपोर्ट पहुंचे।

स्टॉल से जरूरत का सामान लेते लोग। यहां भी कोरोना से बचाव के लिए सैनिटाइजर इस्तेमाल करने के पोस्टर नजर आए।

एयरपोर्ट पर शुरुआती माहौल सहज और सामान्य दिखा, पीपीई, ग्लव्स, मास्क से मुस्तैद यात्री बाकायदा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बारी-बारी से एयरपोर्ट में प्रवेश करने के लिए लाइनों में लगे थे।

एंट्री के लिए अपनी बारी का इंतजार करते लोग। सोशल डिस्टेंसिंग भी दिखी।

लग रहा था जैसे पूरे माहौल पर कोरोना से जुड़ी ऐहतियात हावी हैं। सुबह-सुबह एयरपोर्ट पर जिस दुकान पर सबसे ज्यादा खरीदार दिखे वह मास्क, शील्ड और पीपीई किट बेचने वाला काउंटर था। जो यात्री एयरपोर्ट पर थे उनमें ज्यादातर स्टूडेंट्स, बुजुर्ग और छोटे बच्चे थे।

सफाई को लेकर मुस्तैद एयरपोर्ट के कर्मचारी।

दूसरे यात्रियों से बातचीत के बाद यह मालूम होने लगा कि महाराष्ट्र, झारखंड, पश्चिम बंगाल समेत गुजरात की उड़ानें आज रवाना नहीं हो रही हैं। इन्हीं सबसे से जूझते यात्री अपनी फ्लाइटों की रीशेड्यूलिंग के लिए पूछताछ काउंटरों पर जमा होने लगे।

फ्लाइट के लिए कहां से प्रवेश मिलेगा, सुरक्षा गार्ड भी इसकी जानकारी देते नजर आए।

यात्री हताश और निराश हैं, दूर-दूर से सवेरे की शुरुआती उड़ानों के लिए तैयारी कर पहुंचे पैसेंजरों की मदद के नाम पर एयरलाइंस बस इतना कर रही हैं कि उन्हें डिले सर्टिफिकेट पकड़ा रही है जिनके आधार पर वे अपना पैसा वापस ले सकते हैं।

दो महीने से ज्यादा वक्त के बाद घरेलू उड़ानें शुरू हुईं, लेकिन भीड़ नजर नहीं आई।

लोग अपना सा मुंह लेकर लौटने लगे हैं, एयरपोर्ट परिसर में ही ऊंघते, ऊबते और हलकान-परेशान पैसेंजरों को देखा जा सकता है।



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सोमवार अल सुबह दिल्ली एयरपोर्ट पर अपनी फ्लाइट का शेड्यूल देखते लोग। 62 दिन बाद उड़ानें शुरू होने के बावजूद भी एयरपोर्ट पर भीड़ नहीं दिखी।


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अजमेर में डॉक्टरों ने निभाया माता- पिता का फर्ज, उज्जैन में कोरोना से जंग में जीतने के लिए महाकाल की शरण में पहुंचा पुलिस अफसर

देशभर में लॉकडाउन जारीहै। इस दौरान मानवीय संवेदनाओं को चित्रित करती हुई कई तस्वीरें कईराज्यों से सामने आई हैं। ऐसे ही ऊपर नजर आ रही तस्वीर उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर की है।यहां एसपी मनोज सिंह रविवार को भगवान महाकाल की शरण में पहुंचे। उन्होंने भगवान महाकालेश्वर से कोरोना से शहर और देश को मुक्त करने की प्रार्थना की।

डॉक्टरों ने निभाया मां-बाप का फर्ज

यज्ञनारायण अस्पताल में मजदूर दंपति के जब कम वजन की बच्ची पैदा हुई तो उन्होंने यह सोच लिया कि वह इस दुनिया में नहीं बच पाएगी। मजबूरी यहकि अगर वे इसे ले जाएं तो आखिर कहां पर और अगर अस्पताल में ही रहने दे तो उनके साथ तीन और बच्चों को भी अस्पताल में रखना पड़ता,जो कोरोना के दौरान संभव नहीं था। ऐसे में उसने डॉक्टरों को ही अपना भगवान मानते हुए स्टाफ के भरोसे ही बच्ची को छोड़ दिया। अबस्टाफही देखभाल कर रहा है।

एक तरफ जिदंगी, एक तरफ मौत

कोरोना और लॉकडाउन के कारण मजदूर जितने बेबस दिखाई दिए, वैसा शायद कोई नहीं। तेलंगाना से वापस लौट रही एक महिला ने चलती ट्रेन में एक बच्ची को जन्म दिया। हाल ही में ट्रेन में पैदा होने बच्चों की कई खबरें आई हैं। तेलंगाना के काजुपेटा में परिवार काम करता था। कामधाम छूट गया। डिलीवरी तक वहां रुकने का कोई इंतजाम नहीं बचा। सोचा, गांव जाकर इलाज करवा लेंगे, एक दिन की ही तो बात है। पर करीब 45 डिग्री के तापमान में ट्रेन के भीतर अचानक दर्द उठा और एक लड़की हुई। महिला इस दर्द को कुछ घंटे सहती रही, तब तक टिटिलागढ़ खबर पहुंच चुकी थी, लिहाजा एंबुलेंस और डॉक्टर्स आ चुके थे। दोनों की जांच हुई। अस्पताल ले जाकर दोनों को क्वारेंटाइन किया। पिता मंगल विश्वकर्मा ने सोचा भी नहीं था कि उसकी चौथी संतान ऐसे ट्रेन में होगी। वहीं दूसरीतस्वीर रविवार सुबह 7:45 बजे मुजफ्फरपुर जंक्शन की। आइस बाॅक्स के सामने पूरे समय मां रोती रही। बोली-सालों मन्नत के बाद जो बेटी जन्मी, उसका सफर मेरी कोख से इस आइसबाक्स तक ही रहा।

आखिरी सांस तक निभाएंगे सात फेरों का वचन

हरदोई के मनसा राम और अंजली की शादी लॉकडाउन से पहले हुई थी। ये दंपति 19 मार्च को पंचकूला स्थित मनसा देवी मंदिर में माथा टेकने आए थे। लॉकडाउन के कारण वे 2 महीने से चंडीगढ़ में फंसे हुए थे। जब वे यहां आए तो कुछ दिन बाद ही कर्फ्यू लग गया और यहीं फंसे रह गए। मनसा राम और उनकी पत्नी दोनों ही दिव्यांग हैं। पैसे न होने से मुश्किल से खाने का इंतजाम हो पाता था। उनके गांव का एक शख्स बुड़ैल गांव में रहता है, उसने इन दोनों को अपने घर में जगह दी। रविवार को चंडीगढ़ से चली स्पेशल ट्रेन से दोनों को वापस भेजा गया।

यह युद्ध है और इस बार यूनिफॉर्म का रंग नीला

पुलिस ने रविवार को मुकेरीपुरा समेत शहर के अन्य कंटेनमेंट क्षेत्रों में फ्लैग मार्च निकाला। इस दौरान पुलिस के जवान पीपीई किट पहन कर अपनी ड्यूटी करते हुए नजर आए।

यह लट‌्ठमार होली नहीं, कोरोना काल की शादी है

दनियावां स्थित सूर्य मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए रविवार की देर शाम दूल्हा- दुल्हन शादी के पवित्र बंधन में बंधे। एक-दूसरे को लकड़ी से वरमाला पहनाई।

पेड़ के सहारे गांव की हिफाजत

दुर्गूकोंदल जिले में लगातार गुरुवार और शुक्रवार को 5 कोरोना संक्रमण के मरीज मिले हैं। संक्रमित मरीज के मिलते ही पूरा दुर्गकोंदल क्षेत्र अचानक सतर्क हो गया है। जिले में कोरोना मरीज मिलने के बाद ग्रामीण भी अपने स्तर पर सतर्कता बरतने में लगे हैं। गांवों के प्रवेश मार्ग को पेड़ की टहनियों और झाड़ियों से बंद कर दिया है। वहीं आने-जाने वालों के नाम में अन्य जानकारी ली जा रही है।

.....अकेले ब्याह कर लाया दुल्हनिया

कोरोना संक्रमण के चलते कर्फ्यू खत्म हो चुका है। अब शादियां भी हो रही हैं। 50 लोग शामिल भी हो सकते हैं। इसके बावजूद भादसों रोड निवासी युवराज गांव कल्याण के गुरुद्वारा में हुए अपने आनंद कारज में अकेले पहुंचे। सोशल डिस्टेंसिंग रखी। अपनी दुल्हनिया चमनप्रीत के लिए सेनेटाइजर और मास्क भी ले गए। बुलेट पर लौटते समय नाके पर पुलिस ने उनका स्वागत भी किया।

तेज धूप पर भारीप्याल की छांव

रविवार को हजारों श्रमिक गांव जाने के लिए तेज धूप में घंटों खड़े रहे। स्टेशन तक जाने के लिए ये श्रमिक बसों का इंतजार कर रहे थे। रविवार को अधिकतम तापमान 40.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया। दिन पर चली गर्म हवाओं के कारण लोगों को तपन भरी गर्मी से जूझना पड़ा। मौसम विभाग के अनुसार रविवार को अधिकतम तापमान 40.6 डिग्री और न्यूनतम तापमान 27.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वातावरण में नमी सुबह 57 और शाम को 58 प्रतिशत रही। हवा उत्तर-पश्चिम दिशा से 9 किमी प्रति घंटा की गति से चली। दो दिन हीट वेव रहेगी और तापमान 40 से 42 डिग्री के बीच रहने का अनुमान है।

रील लाइफ में विलेन, रीयल लाइफ में हीरो

सोनू सूद ने बताया कि ‘15 मई के आसपास की बात है। मैं प्रवासियाें को ठाणे में फल और खाने के पैकेट बांट रहा था। उन्होंने बताया कि वे लोग पैदल ही कर्नाटक और बिहार जा रहे हैं। यह सुनकर मेरे होश उड़ गए कि बच्चों, बूढ़ों के साथ ये लोग पैदल कैसे जाएंगे। मैंने उनसे कहा कि आप दो दिन रुक जाएं। मैं भिजवाने का प्रबंध करता हूं। नहीं कर सका तो बेशक चले जाना।’



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Doctors performed the duty of parents in Ajmer, SP Manoj Singh arrived in Mahakal's asylum to win the battle from Corona in Ujjain.


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अब करोना को मेरे मुल्क से गारत कर दे, नफरतें खत्म हो फिर से वही भारत कर दे: 4 मशहूर शायरों ने दिया उम्मीद का पैगाम

दुनिया की हर जुबांकोरोना के डर से सहमी है। मीठी ईद का मुबारक मौका है, लेकिन एकमायूसी चढ़ बैठीहै। दिल भी मजबूर है और कदम भी। ऐसे माहौल में कुछ अच्छा सोचने और करने की ज़िद लिए हम एक साथ लाएं हैं चार शायर और दो थीम।

दैनिक भास्कर के लिए मीठी ईद पर'उम्मीद का चांद' और 'इस बार गले नहीं, दिल मिलाएं' थीम पर चार मशहूर शायरमुनव्वर राणा, शकील आजमी, मनोज मुंतशिर और मदन मोहन दानिशने अपनी कलम सेदिल के जज़्बात साझा किए हैं। हमने इन्हें वीडियो की शक्ल दी है ताकि दिमाग में एक तस्वीर बनें, शायद इन लफ्जों से थोड़ी उम्मीद बंध सके।

नीचे इन चार शायरों कोदेखें-सुनें और पढ़ें, ईद मुबारक ।

  • मुनव्वर राणा का कलाम :"कच्ची मिट्टी की ईदगाह"

ईद गाहें कभी वीरान नहीं होती हैं

मस्जिदें भी कभी खाली नहीं होने पातीं

हम नहीं होंगे जहां पर तो फरिश्ते होंगे

बा जमाअत वो खड़े होंगे नमाजों के लिए

अपनी आंखो में लिए रहम के ढेरों आंसू

ये वो आंसू हैं कि जिनका नहीं होता मजहब

ये वो आंसू हैं जो मजहब की किताबों में मिलें

ये वो आंसू हैं जो सीनों में दुआ भरते हैं

ये वो आंसू हैं जो संतो में शिफा भरते हैं

ईद के दिन भी नहीं रोए कहीं भी बच्चे

न लिपिस्टिक की दुआएं न तो पावडर न क्रीम

नन्हे नन्हे से ये बच्चे भी दुआ मांगते हैं

अब करोना को मेरे मुल्क से गारत कर दे

नफरतें खत्म हो फिर से वही भारत कर दे

अबकी रमज़ान दुआओं के सहारे गुज़रा

नन्हें बच्चों के भी होंठो पे दुआ है अबकी

कोई बच्चा नहीं रोया किसी कपड़े के लिए

शौक की एक भी सीढ़ी से न उतरे बच्चे

उनके तो सिर्फ दुआओं के लिए हाथ उठे

मुल्क के वास्ते बस अम्न की दौलत मांगी

अपने अल्लाह से रो रो के मुहब्बत मांगी

नफरतें दूर हों "भारत"से हिफाज़त मांगी

  • शकील आजमी की शायरी:

आसमान पर ये जो निकला आज ईद का चाँद है
कोरोना से हम निकलेंगे इस उम्मीद का चाँद है
आओ मोहब्बतों के नए गुल खिलाएं हम
इस ईद पर गले न मिलें दिल मिलाएं हम

  • मनोज मुंतशिर की नज़्म

नयी उम्मीद से हम ईद की ख़ुशियाँ मनाएँगे
गले हर साल मिलते हैं हम अब के दिल मिलाएँगे
हमें ऐ चाँद तू भी आसमाँ से देखते रहना
बुझे हैं आज तो क्या, कल दोबारा जगमगाएँगे..
गले हर साल मिलते हैं हम अब के दिल मिलाएँगे..!!!

  • मदन मोहन दानिश के जज़्बात

उम्मीदों का चाँद है ये ,रहमत का इशारा भी
भाग जगे इस बार तुम्हारा और हमारा भी
बेशक गले न लग पाएं लेकिन दिल की धुन पर
एक साथ गाए सारंगी और इकतारा भी



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Eid 2020 wishes of new hope and positivity by famous poet and lyricist of India, including Munawwar Rana, shakil azami, manoj muntashir and madan mohan danish


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सुबह 4.30 बजे फ्लाइट पकड़ने पहुंचे तो एयरपोर्ट जाकर मालूम हुआ सुबह 7 बजे की फ्लाइट शाम 6 बजे के लिए रीशेड्यूल कर दी है

दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्‌डे से,

लॉकडाउन के बीच आज पूरे 62 दिनों के बाद डोमेस्टिक फ्लाइट शुरू हुईं। हम सवेरे साढ़े चार बजे राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पहुंचे। सवेरे 7 बजे की उड़ान के लिए कम से कम दो घंटे पहले एयरपोर्ट पहुंचना जरूरी था।

सोशल डिस्टेंसिंग कायम रहे, इसलिए एयरपोर्ट पर बीच की कुर्सी पर न बैठने के निर्देश लिखे हुए हैं।

हम दो लोग थे और दो अलग-अलग रूट्स के टिकट लिए थे। एक रूट था, दिल्ली से मुंबई जिसके बाद दोपहर में कनेक्टिंग फ्लाइट लेकर मुंबई से जयपुर जाना था और अगली सुबह फिर जयपुर से दिल्ली। वहीं दूसरे रूट पर दिल्ली से हैदराबाद और फिर शाम को कनेक्टिंग फ्लाइट लेकर हैदराबाद से इंदौर और अगले दिन इंदौर से दिल्ली पहुंचना था।

किस एयरलाइन के पैसेंजर को कहां से एंट्री मिलेगी, इसके लिए भी बाकायदा बोर्ड लगाए गए।

एयरपोर्ट पहुंचे तो सब सामान्य था, हां हमारी हैदराबाद से इंदौर की फ्लाइट कैंसिल होने का मैसेज जरूरत रात 1 बजे मिला था। सबकुछ प्लान के मुताबिक चल रहा था लेकिन फिर दिल्ली से हमारी दोनों फ्लाइट्स रीशेड्यूल कर दी गईं। सुबह 7 बजे जिस फ्लाइट को निकलना था वह शाम 6 बजे जाएगी, ऐसा कहा गया। कारण पूछा तो बोले, लोड कम है।

फ्लाइट की जानकारियां लेते भास्कर के रिपोर्टर।

या तो टिकट ही बुक नहीं हुए या फिर लोग एयरपोर्ट तक नहीं पहुंचे। सुबह जब हमने कैब लेने की कोशिश की तो वो भी नहीं मिली। बमुश्किल एयरपोर्ट पहुंचे।

स्टॉल से जरूरत का सामान लेते लोग। यहां भी कोरोना से बचाव के लिए सैनिटाइजर इस्तेमाल करने के पोस्टर नजर आए।

एयरपोर्ट पर शुरुआती माहौल सहज और सामान्य दिखा, पीपीई, ग्लव्स, मास्क से मुस्तैद यात्री बाकायदा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बारी-बारी से एयरपोर्ट में प्रवेश करने के लिए लाइनों में लगे थे।

एंट्री के लिए अपनी बारी का इंतजार करते लोग। सोशल डिस्टेंसिंग भी दिखी।

लग रहा था जैसे पूरे माहौल पर कोरोना से जुड़ी ऐहतियात हावी हैं। सुबह-सुबह एयरपोर्ट पर जिस दुकान पर सबसे ज्यादा खरीदार दिखे वह मास्क, शील्ड और पीपीई किट बेचने वाला काउंटर था। जो यात्री एयरपोर्ट पर थे उनमें ज्यादातर स्टूडेंट्स, बुजुर्ग और छोटे बच्चे थे।

सफाई को लेकर मुस्तैद एयरपोर्ट के कर्मचारी।

दूसरे यात्रियों से बातचीत के बाद यह मालूम होने लगा कि महाराष्ट्र, झारखंड, पश्चिम बंगाल समेत गुजरात की उड़ानें आज रवाना नहीं हो रही हैं। इन्हीं सबसे से जूझते यात्री अपनी फ्लाइटों की रीशेड्यूलिंग के लिए पूछताछ काउंटरों पर जमा होने लगे।

फ्लाइट के लिए कहां से प्रवेश मिलेगा, सुरक्षा गार्ड भी इसकी जानकारी देते नजर आए।

यात्री हताश और निराश हैं, दूर-दूर से सवेरे की शुरुआती उड़ानों के लिए तैयारी कर पहुंचे पैसेंजरों की मदद के नाम पर एयरलाइंस बस इतना कर रही हैं कि उन्हें डिले सर्टिफिकेट पकड़ा रही है जिनके आधार पर वे अपना पैसा वापस ले सकते हैं।

दो महीने से ज्यादा वक्त के बाद घरेलू उड़ानें शुरू हुईं, लेकिन भीड़ नजर नहीं आई।

लोग अपना सा मुंह लेकर लौटने लगे हैं, एयरपोर्ट परिसर में ही ऊंघते, ऊबते और हलकान-परेशान पैसेंजरों को देखा जा सकता है।



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सोमवार अल सुबह दिल्ली एयरपोर्ट पर अपनी फ्लाइट का शेड्यूल देखते लोग। 62 दिन बाद उड़ानें शुरू होने के बावजूद भी एयरपोर्ट पर भीड़ नहीं दिखी।


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अजमेर में डॉक्टरों ने निभाया माता- पिता का फर्ज, उज्जैन में कोरोना से जंग में जीतने के लिए महाकाल की शरण में पहुंचा पुलिस अफसर

देशभर में लॉकडाउन जारीहै। इस दौरान मानवीय संवेदनाओं को चित्रित करती हुई कई तस्वीरें कईराज्यों से सामने आई हैं। ऐसे ही ऊपर नजर आ रही तस्वीर उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर की है।यहां एसपी मनोज सिंह रविवार को भगवान महाकाल की शरण में पहुंचे। उन्होंने भगवान महाकालेश्वर से कोरोना से शहर और देश को मुक्त करने की प्रार्थना की।

डॉक्टरों ने निभाया मां-बाप का फर्ज

यज्ञनारायण अस्पताल में मजदूर दंपति के जब कम वजन की बच्ची पैदा हुई तो उन्होंने यह सोच लिया कि वह इस दुनिया में नहीं बच पाएगी। मजबूरी यहकि अगर वे इसे ले जाएं तो आखिर कहां पर और अगर अस्पताल में ही रहने दे तो उनके साथ तीन और बच्चों को भी अस्पताल में रखना पड़ता,जो कोरोना के दौरान संभव नहीं था। ऐसे में उसने डॉक्टरों को ही अपना भगवान मानते हुए स्टाफ के भरोसे ही बच्ची को छोड़ दिया। अबस्टाफही देखभाल कर रहा है।

एक तरफ जिदंगी, एक तरफ मौत

कोरोना और लॉकडाउन के कारण मजदूर जितने बेबस दिखाई दिए, वैसा शायद कोई नहीं। तेलंगाना से वापस लौट रही एक महिला ने चलती ट्रेन में एक बच्ची को जन्म दिया। हाल ही में ट्रेन में पैदा होने बच्चों की कई खबरें आई हैं। तेलंगाना के काजुपेटा में परिवार काम करता था। कामधाम छूट गया। डिलीवरी तक वहां रुकने का कोई इंतजाम नहीं बचा। सोचा, गांव जाकर इलाज करवा लेंगे, एक दिन की ही तो बात है। पर करीब 45 डिग्री के तापमान में ट्रेन के भीतर अचानक दर्द उठा और एक लड़की हुई। महिला इस दर्द को कुछ घंटे सहती रही, तब तक टिटिलागढ़ खबर पहुंच चुकी थी, लिहाजा एंबुलेंस और डॉक्टर्स आ चुके थे। दोनों की जांच हुई। अस्पताल ले जाकर दोनों को क्वारेंटाइन किया। पिता मंगल विश्वकर्मा ने सोचा भी नहीं था कि उसकी चौथी संतान ऐसे ट्रेन में होगी। वहीं दूसरीतस्वीर रविवार सुबह 7:45 बजे मुजफ्फरपुर जंक्शन की। आइस बाॅक्स के सामने पूरे समय मां रोती रही। बोली-सालों मन्नत के बाद जो बेटी जन्मी, उसका सफर मेरी कोख से इस आइसबाक्स तक ही रहा।

आखिरी सांस तक निभाएंगे सात फेरों का वचन

हरदोई के मनसा राम और अंजली की शादी लॉकडाउन से पहले हुई थी। ये दंपति 19 मार्च को पंचकूला स्थित मनसा देवी मंदिर में माथा टेकने आए थे। लॉकडाउन के कारण वे 2 महीने से चंडीगढ़ में फंसे हुए थे। जब वे यहां आए तो कुछ दिन बाद ही कर्फ्यू लग गया और यहीं फंसे रह गए। मनसा राम और उनकी पत्नी दोनों ही दिव्यांग हैं। पैसे न होने से मुश्किल से खाने का इंतजाम हो पाता था। उनके गांव का एक शख्स बुड़ैल गांव में रहता है, उसने इन दोनों को अपने घर में जगह दी। रविवार को चंडीगढ़ से चली स्पेशल ट्रेन से दोनों को वापस भेजा गया।

यह युद्ध है और इस बार यूनिफॉर्म का रंग नीला

पुलिस ने रविवार को मुकेरीपुरा समेत शहर के अन्य कंटेनमेंट क्षेत्रों में फ्लैग मार्च निकाला। इस दौरान पुलिस के जवान पीपीई किट पहन कर अपनी ड्यूटी करते हुए नजर आए।

यह लट‌्ठमार होली नहीं, कोरोना काल की शादी है

दनियावां स्थित सूर्य मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए रविवार की देर शाम दूल्हा- दुल्हन शादी के पवित्र बंधन में बंधे। एक-दूसरे को लकड़ी से वरमाला पहनाई।

पेड़ के सहारे गांव की हिफाजत

दुर्गूकोंदल जिले में लगातार गुरुवार और शुक्रवार को 5 कोरोना संक्रमण के मरीज मिले हैं। संक्रमित मरीज के मिलते ही पूरा दुर्गकोंदल क्षेत्र अचानक सतर्क हो गया है। जिले में कोरोना मरीज मिलने के बाद ग्रामीण भी अपने स्तर पर सतर्कता बरतने में लगे हैं। गांवों के प्रवेश मार्ग को पेड़ की टहनियों और झाड़ियों से बंद कर दिया है। वहीं आने-जाने वालों के नाम में अन्य जानकारी ली जा रही है।

.....अकेले ब्याह कर लाया दुल्हनिया

कोरोना संक्रमण के चलते कर्फ्यू खत्म हो चुका है। अब शादियां भी हो रही हैं। 50 लोग शामिल भी हो सकते हैं। इसके बावजूद भादसों रोड निवासी युवराज गांव कल्याण के गुरुद्वारा में हुए अपने आनंद कारज में अकेले पहुंचे। सोशल डिस्टेंसिंग रखी। अपनी दुल्हनिया चमनप्रीत के लिए सेनेटाइजर और मास्क भी ले गए। बुलेट पर लौटते समय नाके पर पुलिस ने उनका स्वागत भी किया।

तेज धूप पर भारीप्याल की छांव

रविवार को हजारों श्रमिक गांव जाने के लिए तेज धूप में घंटों खड़े रहे। स्टेशन तक जाने के लिए ये श्रमिक बसों का इंतजार कर रहे थे। रविवार को अधिकतम तापमान 40.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया। दिन पर चली गर्म हवाओं के कारण लोगों को तपन भरी गर्मी से जूझना पड़ा। मौसम विभाग के अनुसार रविवार को अधिकतम तापमान 40.6 डिग्री और न्यूनतम तापमान 27.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वातावरण में नमी सुबह 57 और शाम को 58 प्रतिशत रही। हवा उत्तर-पश्चिम दिशा से 9 किमी प्रति घंटा की गति से चली। दो दिन हीट वेव रहेगी और तापमान 40 से 42 डिग्री के बीच रहने का अनुमान है।

रील लाइफ में विलेन, रीयल लाइफ में हीरो

सोनू सूद ने बताया कि ‘15 मई के आसपास की बात है। मैं प्रवासियाें को ठाणे में फल और खाने के पैकेट बांट रहा था। उन्होंने बताया कि वे लोग पैदल ही कर्नाटक और बिहार जा रहे हैं। यह सुनकर मेरे होश उड़ गए कि बच्चों, बूढ़ों के साथ ये लोग पैदल कैसे जाएंगे। मैंने उनसे कहा कि आप दो दिन रुक जाएं। मैं भिजवाने का प्रबंध करता हूं। नहीं कर सका तो बेशक चले जाना।’



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Doctors performed the duty of parents in Ajmer, SP Manoj Singh arrived in Mahakal's asylum to win the battle from Corona in Ujjain.


from Dainik Bhaskar /local/mp/bhopal/news/doctors-performed-the-duty-of-parents-in-ajmer-sp-manoj-singh-arrived-in-mahakals-asylum-to-win-the-battle-from-corona-in-ujjain-127338105.html
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